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हर दिन एक जैसा नहीं होता, किसी दिन आपका मूड बहुत अच्छा होता है तो किसी दिन आप बेवजह खराब महसूस कर सकते हैं। ऐसे में पूरे दिन अच्छा महसूस करने के लिए एक एक्टिव और हेल्दी मानसिकता बेहद जरूरी है। लाइफ में हो रही हर चीज का असर हमारे मूड पर होता है, फिर चाहें वह खाना हो या फिर सोच। इसी बारे में पोषण विशेषज्ञ अंजलि मुखर्जी ने डायट और लाइफस्टाइल में कुछ बदलावों के माध्यम से मूड को बूस्ट करने के बारे में बतायया है।
मूड को ठीक कर सकती हैं ये टिप्स
- सैल्मन, सार्डिन और अखरोट में पाए जाने वाले हेल्दी फैटी एसिड भी मूड को ठीक करने में मदद करते हैं।
- तली हुई खाने की चीजे दूसरी खाने की चीजों के पाचन को रोकती हैं, जिससे मानसिक सतर्कता और डिप्रेशन में कमी आती है।
- शराब मूड को प्रभावित करती है और डिप्रेशन का कारण बनती है। शराब को जल्द से जल्द छोड़ने की सलाह दी जाती है।
- मैग्नीशियम सेरोटोनिन के उत्पादन में मदद करता है जो मूड को स्थिर करने में मदद करता है। यह ज्यादातर मछली, केला, सूखे मेवे और सब्जियों में पाया जाता है।
- आशावादी मानसिकता जरूरी है। जिसमें सोने और काम करने का एक सही रूटीन मूड को बूस्ट करने में मदद करता है।
- मेलाटोनिन, एक हार्मोन जो डिप्रेशन को रोकने में मदद करता है। ये तब उत्पन्न होता है जब हमारा शरीर सूर्य की रोशनी के संपर्क में आता है।
- हर दिन एक्सरसाइज करने से एंडोर्फिन के उत्पादन में मदद मिलती है, जो आगे चलकर मूड को स्वाभाविक रूप से बूस्ट करने में मदद करता है।
- विटामिन, मैग्नीशियम, कैल्शियम और फोलिक एसिड की हेल्दी डायट, एक शांत प्रभाव पैदा करने में मदद करता है, जिससे मूड स्थिर होता है। - मूंगफली अधिकतर लोगों को काफी पसंद होती है। सर्दियों में अधिकतर लोग इसका सेवन करते हैं। मूंगफली में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट और फाइबर आदि पाए जाते हैं। मूंगफली खाने से शरीर को ऊर्जा मिलने के साथ शरीर की इम्यूनिटी भी मजबूत होती हैं। अधिकतर लोग मूंगफली को कभी भी खाना शुरू कर देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं मूंगफली खाने के जितने फायदे है। उसके कई नुकसान भी हैं। मूंगफली खाने से उन लोगों को बचना चाहिए। जिन लोगों को वजन बढऩे की टेंशन रहती है। साथ ही जिन लोगों को एलर्जी हैं उन लोगों को भी मूंगफली खाने से बचना चाहिए। आइए जानते हैं मूंगफली खाने के नुकसान।लिवर रोगलिवर से संबंधित कोई परेशानी है, तो ऐसे लोगों को मूंगफली खाने से बचना चाहिए। मूंगफली खाने से शरीर में अफलाटॉक्सिन की मात्रा बढ़ जाती है। जिस कारण लिवर को नुकसान हो सकता है। ऐसे में जिन लोगों को लिवर की समस्या है। मूंगफली नहीं खानी चाहिए।वजन तेजी से बढ़ता हैनियमित मूंगफली के सेवन से वजन तेजी से बढ़ता है। मूंगफली में हाई कैलोरी होती है। जिस कारण वजन तेजी से बढ़ता है। वजन तेजी से बढऩे के कारण शरीर में कई तरह की बीमारियां लगने का खतरा बना रहता हैं। ऐसे में अगर बढ़ते हुए वजन से परेशान है, तो मूंगफली खाने से बचें।एलर्जी संबंधी परेशानीमूंगफली खाने से एलर्जी संबंधित परेशानी बढ़ सकती है। इसको खाने से शरीर पर सूजन, लालिमा, खुजली और लाल चकत्ते हो सकते हैं। मूंगफली की तासीर गर्म होती है। ऐसे में ज्यादा मात्रा में इसके सेवन से परेशानी बढ़ सकती है। अगर एलर्जी की परेशानी है, तो डॉक्टर से पूछ कर ही इसका सेवन करें।एसिडिटीजिन लोगों को एसिडिटी की समस्या होती है। उन लोगों को मूंगफली खाने से बचना चाहिए। मूंगफली खाने से कब्ज, एसिडिटी, अपच और गैस आदि की समस्याएं बढ़ सकती हैं। इसके सेवन से पाचन तंत्र खराब हो सकता हैं। ऐसे में जिन लोगों को पेट से जुड़ी समस्या होती है। उन्हें मूंगफली खाने से बचना चाहिए।बढ़ जाती है सोडियम की मात्राकई मूंगफली में स्वाद बढ़ाने के लिए नमक के साथ कई तरह के मसालों का उपयोग किया जाता है। जिस कारण शरीर में सोडियम की मात्रा बढ़ सकती है। शरीर में सोडियम की मात्रा बढऩे से रक्तचाप और दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता हैं।मूंगफली फायदेमंद होने के साथ नुकसानदायक भी होती है। ऐसे में इसका सेवन सीमित मात्रा में ही करें। अगर आपको बीमारी हैं, तो डॉक्टर से पूछ कर ही इसका सेवन शुरू करें।
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छठ पूजा पर कई चीजें प्रसाद के रूप में चढ़ाई जाती हैं। ठेकुआ और कई तरह की फल और सब्जियांं भी छठ पूजा में रखे जाते हैं। इन फलों में से एक है डाब नींबू जिसे कई जगहों पर चकोतरा, गागर, डाभ भी कहा जाता है। दूसरे फलों की तरह यह फल इतना पॉप्युलर नहीं है लेकिन फिर भी फायदों की बात करें, तो इस फल को सिट्रेस फैमिली का ही माना जाता है। इंग्लिश में इसे ग्रेपफ्रूट (Grapefruit) और पॉमिलो (Pomelo) नाम से जाना जाता है। डाब नींबू विटामिन-सी से भरपूर होता है। इसके और भी पोषक तत्वों की बात करें, तो यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर फल है, जो कई तरह की बीमारियों से बचाव करता है।
आए, जानते हैं इसके फायदे-
इम्यूनिटी स्ट्रॉन्ग बनाने
इम्यूनिटी स्ट्रॉन्ग बनाने के लिए डाब नींबू बेहद कारगर है। जैसा कि आप जानते हैं कि यह विटामिन-सी से इम्यूनिटी मजबूत होती है। चकोतरा में भी काफी मात्रा में विटामिन-सी पाया जाता है। साथ ही इसमें मैग्नीशियम, पोटैशियम और डाइटरी फाइबर जैसे विटामिन पाए जाते हैं।
वेट लॉस करने में कारगर
आप अगर वेट लॉस करना चाहते हैं, तो बाकी वेट लॉस फ्रेंडली फलों की तरह यह फल भी बहुत ही फायदेमंद है। डाब नींबू को वजन घटाने के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। डाभ नींबू में बहुत कम मात्रा में कैलोरी पाई जाती है। साथ ही इसमें विटामिन ए, विटामिन सी, भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।
डाइजेशन सिस्टम बेहतर होता है
आपका पेट अगर हमेशा खराब रहता है, तो भी आपको डाब नींबू का सेवन जरूर करना चाहिए। इसमें नींबू जैसे गुण ही पाए जाते हैं, जो शरीर से टॉक्सिक निकालने में कारगर होता है। पेट दर्द और एसिडिटी से छुटकारा दिलाने में यह फल फायदेमंद है।
आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए
आपकी आंखों में अक्सर जलन या दर्द होता है, तो आपको डाब नींबू जरूर खाना चाहिए। इसमें बीटा कैरोटीन पाया जाता है, जो आंखों की हेल्थ के लिए बहुत फायदेमंद है।
एक्टिव रहने के लिए
आप अगर सुबह उठकर अगर कमजोरी फील करते हैं, तो आपको डाइट में डाब नींबू का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। इससे आपके शरीर में विटामिन-सी की मात्रा जाएगी, तो आप एक्टिव फील करेंगे।
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सर्दियां शुरू होने के साथ बैक्टीरियल और वायरल इन्फेक्शन ने भी दस्तक दे दी है। ऐसे में गला खराब और खासी जैसी समस्याएं सामने आ रही हैं। यह सामान्य प्रक्रिया है। हालांकि कई बार यह तकलीफदेह हो जाता है। दरअसल शरीर में किसी पैथोजन के प्रवेश करने के साथ इम्यून सिस्टम एक्टिव हो जाता है। इसी के रिस्पॉन्स में म्यूकस बनने लगता है। इसमें पैथोजन्स, एलर्जी पैदा करने वाले कण या धूल-मिट्टी चिपक जाती है। खांसी के जरिए इसे शरीर से बाहर निकाला जाता है। कई दफा वायरल ठीक हो जाने के बाद यह कफ सीने में जकड़ा रहता है। इसको न निकाला जाए तो अंदर दूसरे इन्फेक्शंस भी हो सकते है। यहां जानें कुछ घरेलू उपचार।
पीएं खूब पानी
शरीर में कोई भी संक्रमण हो तो सबसे पहले पानी पीने पर फोकस करें। वायरल, बैक्टीरियल इन्फेक्शन या कफ जकड़ने पर भी यह नुस्खा काम करता है। पानी पीने से म्यूकस का गाढ़ापन कम होता है। आप अगर सिर्फ पानी नहीं पी पा रहे तो लिक्विड डायट ज्यादा लें। सूप, ग्रीन टी या दूसरे गरम पेय भी फायदा करेंगे।
भाप देगी राहत
खांसी और कफ के समय भाप लेना भी फायदेमंद होता है। आप बाजार के स्टीमर यूज कर सकते हैं। इसके अलावा घर पर भी पानी उबालकर भाप बना सकते हैं। भाप लेने से गले का इन्फ्लेमेशन कम होता है। खांसी में भी राहत मिलती है।
शहद-नींबू करें ट्राई
गुनगुने पानी में नींबू का पानी और शहद मिलाकर पीएं। शहद में ऐंटी बैक्टीरियल प्रॉपर्टीज होती हैं। नींबू में विटामिन सी होता है जो आपकी इम्यूनिटी के लिए बेस्ट है। शहद को नैचुरल डिकंजेस्टेंट माना जाता है। यह गले के दर्द में भी राहत देता है।
गोल्डेन मिल्क देगा आराम
फाइनली सोते समय आप हल्दी, काली मिर्च वाला दूध भी पी सकते हैं। इस दूध के फायदे कई बार बताए जाते रहे हैं। इसे गोल्डन मिल्क कहते हैं। हल्दी में एंटी इन्फ्लेमेट्री गुण होते हैं और यह ऐंटी बैक्टीरियल भी होती है। - मटर एक दलहन है, जिससे आप लोग अच्छे से परीचित होंगे। मटर का इस्तेमाल कई प्रकार के खाद्य पदार्थों में किया जाता है। ठंड के मौसम में तो मटर के बिना शायद ही कोई सब्जी बनाई जाती होगी। सच यह है कि मटर सभी लोगों को पसंद होता है, और लोग इससे बहुत पसंद से खाते हैं। मटर से सिर्फ सब्जी ही नहीं बनाई जाती है, बल्कि मटर का सेवन दाल, पराठे आदि अन्य आहार में भी किया जाता है। इसके अलावा और भी मटर के फायदे हैं। क्या आपको पता है कि आप मटर का इस्तेमाल बीमारियों की रोकथाम में भी कर सकते हैं?मटर में अनेक प्रकार के पौषक तत्व होते हैं। जो आपके शरीर के लिए फायदेमंद साबित होते हैं। मटर के उपयोग से आप शरीर की जलन, खून संबंधित विकार, सांसों के रोग, खांसी, भूख की कमी का इलाज कर सकते हैं। डायबिटीज, कुष्ठ रोग, चेचक जैसी कई बीमारियों में भी आप मटर का लाभ पा सकते हैं। आइए जानते हैं कि आप मटर का प्रयोग किस-किस रोग में कर सकते हैं।सौंदर्य बढ़ाने के लिए मटर का इस्तेमालभुनी हुई मटर, तथा नारंगी के छिलकों को दूध में पीस लें। आपको इस उबटन को शरीर पर लगाना है। इससे आपकी त्वचा में निखार आएगा।भूख को बढ़ाने के लिए मटर का उपयोगकई लोग भूख की कमी होने की शिकायत करते हैं। ऐसे लोग हरी मटर का लाभ ले सकते हैंं। हरी मटर में अरहर, दालचीनी तथा इलायची मिला लें। इसका जूस बना लें। इसका सेवन करने से भूख बढ़ जाती है।घाव सुखाने के लिए मटर का प्रयोगघाव को सुखाने के लिए भी मटर का इस्तेमाल बहुत लाभ पहुंचाता है। आप मटर , मसूर, गेहूं तथा हरेणु (छोटी मटर) को बराबर-बराबर मात्रा में मिला लें। इसे पीस लें, और लेप के रूप में घाव पर लगाएं। इससे घाव से होने वाली पीड़ा तो ठीक होती ही है, साथ ही कच्चा घाव जल्दी पक जाता है, तथा घाव का मवाद या पीव आसानी से बाहर निकल जाता है।त्वचा रोग में फायदेमंद मटर का इस्तेमालआप त्वचा रोग में भी मटर का उपयोग कर लाभ ले सकते हैं। सबसे पहले आप मटर का काढ़ा बनाएं, फिर इससे त्वचा पर जहां विकार हैं, वहां धोएं। इससे त्वचा के विकारों में फायदा होता है।कोलेस्ट्रॉल कम करने में मटर के फायदेपाचन तंत्र में स्वस्थ न होने के कारण शरीर में अत्यधिक आम की उत्पत्ति होती है, जो कि कोलेस्ट्रॉल जैसी परेशानियों को भी बढ़ावा देती हैं। मटर में रेचक गुण होने के कारण यह शरीर में जमे आम या अन्य विशुद्धियों को बाहर निकलने में मदद करता है जिससे कोलेस्ट्रॉल को सामान्य बनाये रखने में सहयोग मिलता है। साथ ही इसमें फाइबर अधिक पाए जाने के कारण भी यह पाचन को स्वस्थ कर कोलेस्ट्रॉल को करने में मदद करता है।कैंसर रोग में मटर के फायदेमटर में एंटी कैंसर गुण पाए जाने के कारण यह कैंसर में भी लाभदायक होती है। एक रिसर्च के अनुसार इसमें ऐसे पोषक तत्त्व पाए जाते है जो कि कैंसर के लक्षणों को कम करने में सहयोगी होता है।हड्डियों की बीमारियों में मटर के लाभहड्डियों की बीमारी में मटर लाभदायक होती है, क्योंकि इसमें कैल्शियम की भरपूर मात्रा उपस्थित होती है।चेहरे से झाइयां हटाने के लिए मटर का उपयोगएक रिसर्च के अनुसार मटर में एंटी रिंकल और एंटी ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते है, जो कि चेहरे की झाइयों को हटाने में मदद करते है। साथ ही इसमें कषाय गुण होने के कारण यह त्वचा के लिए लाभदायक होती है।स्मरण शक्ति को बढ़ाने में मटर के फायदेएक रिसर्च के अनुसार मटर में अल्फा लिनोलीक एसिड, पायसमसैपोनिन्स और विटामिन बी, सी और ई पाये जाते हैं जिसके कारण यह स्मरण शक्ति बढ़ाने में भी मदद करती है।
- कब्ज यानी कॉन्सटिपेशन की समस्या। कब्ज होने पर पेट ठीक तरह से साफ नहीं होता। पेट साफ न होने के कारण व्यक्ति को आलस्य और पेट में मरोड़ जैसी समस्याओं से गुजरना पड़ता है। आयुर्वेद की मानें, तो शरीर को संतुलित रखने के लिए वात, पित्त और कफ जैसे दोषों का संतुलन जरूरी होता है। वात दोष के कारण कब्ज की समस्या होती है। कब्ज की समस्या दूर करने के लिए आयुर्वेद में मुनक्का के सेवन को फायदेमंद बताया गया है। मुनक्का में एंटीऑक्सीडेंट्स, कैल्शिमय, पोटेशियम, मैग्नीशियम और विटामिन सी आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं। मुनक्का में फाइबर की अच्छी मात्रा होती है इसलिए कब्ज की शिकायत दूर होती है। पेट की गैस का इलाज भी मुनक्के का सेवन करके दूर किया जा सकता है। इस लेख में हम कब्ज में मुनक्के का सेवन करने का तरीका जानेंगे।1. मुनक्के का पानी पिएंमुनक्के का सेवन करने से शरीर में मौजूद टाक्सिन तत्व बाहर निकल जाते हैं। इससे पेट में मरोड़, दर्द, अपच आदि समस्याओं से छुटकारा मिलता है। पाचन तंत्र को बेहतर बनाने के लिए मुनक्के का पानी पीना फायदेमंद होता है।2. मुनक्का और दूधमुनक्का शरीर को डिटॉक्स करने का काम करता है। कब्ज की समस्या दूर करने के लिए 8 से 9 मुनक्कों को धोकर एक गिलास दूध के साथ उबाल लें। इस दूध को पीने से कब्ज से छुटकारा मिलेगा।3. मुनक्का चूर्णकब्ज की समस्या दूर करने के लिए मुनक्का चूर्ण का सेवन करें। चूर्ण बनाने के लिए मुनक्का को धूप में सुखा लें। सूखे मुनक्का को मिक्सी में डालकर पाउडर बना लें। मुनक्का पाउडर में अजवाइन, सेंधा नमक मिलाएं। चूर्ण तैयार है। मुनक्का के चूर्ण का सेवन 3 से 5 ग्राम की मात्रा में गुनगुने पानी के साथ कर सकते हैं।4. मुनक्का भिगोकर खाएंकब्ज की पुरानी समस्या है, तो भीगे हुए मुनक्के का सेवन फायदेमंद होगा। 8 से 10 ग्राम मुनक्का को पानी में भिगोकर छोड़ दें। सुबह पानी के साथ भिगोए हुए मुनक्के अच्छी तरह से चबाकर खाएं।5. खाली पेट खाएं मुनक्काकब्ज की समस्या दूर करने के लिए खाली पेट मुनक्के का सेवन करना चाहिए। सुबह खाली पेट मुनक्के का सेवन करने से पेट साफ होता है और कब्ज की शिकायत दूर होगी। मुनक्का में विटामिन बी1, बी2, बी3, विटामिन ई और विटामिन के आदि पोषक तत्व होते हैं। पाचन तंत्र के लिए ये विटामिन्स फायदेमंद माने जाते हैं।इन 5 तरीकों से मुनक्का का सेवन करेंगे, तो कब्ज की शिकायत दूर होगी और पाचन तंत्र मजबूत होगा। मुनक्का का चूर्ण, मुनक्का का पानी, दूध के साथ मुनक्का या भीगे हुए मुनक्के खा सकते हैं।
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एसिडिटी की समस्या से बहुत से लोग परेशान रहते हैं. एसिडिटी होने के कई कारण है. इसमें अनहेल्दी फूड, खराब जीवनशैली, धूम्रपान और शराब का अधिक सेवन आदि शामिल है. एसिडिटी की समस्या होने पर आप काफी असहज महसूस करते हैं. इस समस्या से राहत पाने के लिए आप आयुर्वेदिक तरीके भी आजमा सकते हैं. ये तरीके पाचन क्रिया को बेहतर बनाने का काम करते हैं. इससे आपका मेटाबॉलिज्म दर सही तरीके से काम करता है. आइए जानें एसिडिटी की समस्या से निपटने के लिए आप कौन से आयुर्वेदिक तरीके आजमा सकते हैं.
तुलसी के पत्ते
तुलसी के पत्तों का सेवन करें. इसके अलावा आप तुलसी के पत्तों का काढ़ा बनाकर भी सेवन कर सकते हैं. ये पेट की जलन को शांत करने में मदद करेंगे. तुलसी की पत्तियों को पानी में उबालकर काढ़ा तैयार कर सकते हैं. ये पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है.
गुनगुना पानी पिएं
एसिडिटी की समस्या को कम करने के लिए आप गुनगुने पानी का सेवन कर सकते हैं. इसके लिए रोजाना एक गिलास गर्म पानी पिएं. खाली पेट गुनगुने पानी का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है. ये पाचन संबंधित कई अन्य समस्याओं से भी छुटकारा दिलाने का काम करता है.
गुड़
गुड़ में मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में होता है. ये एसिड रिफ्लक्स और ब्लोटिंग को कम करने का काम करता है. ये आंतों को स्वस्थ रखता है. गुड़ का एक छोटा टुकड़ा खा सकते हैं.
छाछ
छाछ में अच्छे बैक्टीरिया होते हैं. इसमें लैक्टिक एसिड होता है. ये पेट के एसिड का मुकाबला करने में मदद करता है. ये आपको ब्लोटिंग और एसिडिटी की समस्या से छुटकारा दिलाता है. छाछ पेट को ठंडक पहुंचाने का काम करती है.
सौंफ के बीज
सौंफ के बीज न केवल माउथ प्रेशनर का काम करते हैं बल्कि ये पाचन तंत्र को भी स्वस्थ रखते हैं. इनका सेवन करने से आंतों को आराम मिलता है. ये गैस और एसिडिटी की समस्या से राहत दिलाने का काम करते हैं.
सब्जियों का सूप
आप सब्जियों का सूप पी सकते हैं. इसमें अदरक, काली मिर्च और दालचीनी आदि का इस्तेमाल करें. ये पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने का काम करते हैं. सब्जियों के सूप का सेवन आपके पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने का काम करता है. ये एसिडिटी और कब्ज की समस्या से राहत दिलाता है. -
जीरा का इस्तेमाल स्वाद में इजाफा करने के लिए किया जाता है. बता दें कि भारत के ज्यादातर घरों में जीरे का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन ये बात आप शायद ही जानते होंगे कि जीरे की अन्य वैरायटी हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है. इस वैरायटी का नाम काला जीरा है. बताया जाता है कि काला जीरा औषधीय गुणों से भरपूर होता है. इसका सेवन करने से कई गंभीर बीमारियों का खतरा कम जाता है. आज हम यहां आपको काले जीरे से होने वाले फायदे के बारे में बताएंगे.
काले जीरे के फायदे--
अगर गलत फूड हैबिट्स के कारण आपके शरीर में अनवांटेड फैट जमा होने लगा है, तो इसमें घबराने की बात नहीं है. काले जीरे का इस्तेमाल आपके फैट को कम करने में मददगार साबित हो सकता है.
इसके लिए आपको लगातार 3 महीने तक इसका इस्तेमाल करना है. बता दें कि काला जीरा फैट को गला करके शरीर से बाहर निकाल देता है.
वहीं, बदलते मौसम में शरीर की इम्यूनिटी कई तरह से प्रभावित होती है. काले जीरे को रोज डाइट में शामिल करने से शरीर की इम्यूनिटी में जबरदस्त इजाफा होता है.
शरीर की अच्छी इम्यूनिटी रोगों से लड़ने में मदद करती है. इसके रोजाना सेवन से आपके शरीर की थकान की समस्या से भी मुक्ति मिल जाती है.
ठंड के मौसम में लोगों को सर्दी-जुकाम की दिक्कत भी खूब होती है. काले जीरे का सेवन इन दिक्कतों में आपको आराम देता है. बता दें कि सर्दी-जुकाम होने पर भुने हुए जीरे को रूमाल में बांध कर सूंघने से सांस लेने में राहत और नाक जाम से आराम मिलता है.
इसके अलावा, काला जीरा सांस की बीमारी जैसे काली खांसी, ब्रोंकाइटिस और एलर्जी समेत कई बीमारियों को खिलाफ असर दिखाता है.
इसके अलावा, पेट से जुड़ी परेशानियों के लिए काला जीरा किसी रामबाण के जैसे काम करता है. यह हमारे पाचन तंत्र को ठीक रखने में मदद करता है. -
सेलिब्रिटीज की त्वचा देखकर आपको भी लगता होगा कि आखिर उनकी त्वचा इतनी साफ और ग्लोइंग कैसे दिखती है? चलिए जानते हैं कुछ खास टिप्स
अपने पसंदीदा एक्टर या एक्ट्रेस की खूबसूरत त्वचा आपको भी लुभाती है? ये कहना गलत नहीं होगा कि कुछ सेलिब्रिटीज बिना मेकअप किए भी बेहद खूबसूरत नजर आते हैं। जरूरी नहीं है कि खूबसूरत नजर आने के लिए ढेर सारा खर्चा करने की जरूरत हो। नैचुरल ब्यूटी के पीछे महंगे ट्रीटमेंट या खास उत्पाद नहीं है बल्कि कुछ खास आदतें है जिनकी मदद से आप भी सिलेब्रिटीज जैसी त्वचा पा सकते हैं। इस लेख हम कुछ खास टिप्स जानेंगे जिनकी मदद से आप भी सिलेब्रिटीज जैसी त्वचा के हकदार बन सकते हैं।सिलेब्रिटीज जैसी त्वचा पाने के लिए आपको सबसे पहले ये समझने की जरूरत है कि उनकी त्वचा भी हमारी तरह ही होती है। उन्हें भी मुंहासे, ड्राई त्वचा, सनबर्न आदि का सामना करना पड़ता है। बल्कि सिलेब्रिटीज, मेकअप, लाइट और केमिकल्स के संपर्क में ज्यादा आते हैं इसलिए उनकी त्वचा में ज्यादा समस्याएं होती हैं। मेकअप के ज्यादा इस्तेमाल से बचने के लिए सिलेब्रिटीज को त्वचा का खास ख्याल रखने की जरूरत होती है। जानते हैं कुछ आसान टिप्स-1. पानी का सेवनज्यादातर सिलेब्रिटीज को फोटोज में आपने पानी की बोतल के साथ देखा होगा। त्वचा को हेल्दी और ग्लोइंग बनाने के लिए सबसे पहले शरीर में पानी की मात्रा बढ़ाएं। पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करने से त्वचा को रूखा होने से बचाया जा सकता है। पानी का सेवन करने से शरीर से विषाक्त पदार्थ आसानी से बाहर निकल जाते हैं और त्वचा में बैक्टीरिया जमा नहीं होते।2. डाइट सुधारेंसिलेब्रिटीज की फिट बॉडी और चमकती त्वचा का सीक्रेट उनकी डाइट भी है। डर्मेटोलॉजिस्ट की मानें, तो डाइट का सीधा असर हमारी त्वचा पर पड़ता है। अगर आप ज्यादा तला-भुना या मिर्च-मसाले वाला खाना खाते हैं, तो त्वचा में पिंपल या पिगमेंटेशन की समस्या हो सकती है। अपनी डाइट में फाइबर रिच फूड्स, प्रोटीन, हरी सब्जियां शामिल करें। जंक और ऑयली फूड्स से बचें।3. कितना सोते हैं आप?शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए 7 से 8 घंटे की नींद लेना जरूरी होती है। व्यस्त दिनचर्या के बावजूद भी आपको पर्याप्त नींद लेना चाहिए। नींद न पूरी करने के कारण हार्मोन्स असंतुलित हो जाते हैं। ये त्वचा और शरीर के लिए सही नहीं है। अच्छी नींद न लेने से आंखों में सूजन, आंखें सूजन होना, काले घेरे और डल स्किन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।4. त्वचा को साफ रखेंसिलेब्रिटीज जैसी त्वचा चाहते हैं, तो त्वचा को साफ रखें। हफ्ते में 2 बार त्वचा को स्क्रब करें। मेकअप को त्वचा पर ज्यादा समय के लिए न रहने दें। अपनी त्वचा को साफ करने के लिए फेसवॉश का इस्तेमाल सुबह-शाम करें। रात को सोने से पहले क्रीम या लोशन अप्लाई करें।5. कसरत है खूबसूरत त्वचा का राजआपके सभी पसंदीदा सिलेब्रिटीज कसरत के किसी न किसी फॉर्म को जरूरी अपनाते होंगे। यही उनकी खूबसूरती का सबसे बड़ा सीक्रेट है। त्वचा में कसावट बनाए रखने के लिए कसरत और योगा को अपने रूटीन में शामिल करें। धनुरासन, मत्स्यासन, हलासन, अधोमुख श्वानासन, पश्चिमोत्तानासन आदि आसन का अभ्यास करें। रोजाना कम से कम 40 मिनट टहलने जाएं।इन टिप्स की मदद से आप भी ग्लोइंग स्किन पा सकते हैं| -
कई बार घर में कुछ चीजों को ना देखने के कारण बदबू होने लगती है, ऐसे में कई बार खूब सफाई के बाद भी ये नहीं जाती है। ये किसी भी तरह की गंदी स्मेल हो सकती है, जो या तो फलों के सड़ने से, या फिर पानी के कही जमा रहने से हो सकती है। इससे छुटकारा पाने के लिए आप कुछ नैचुरल चीजों का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये चीजें घर को खुशबूदार बनाने के साथ ही घर से मच्छर और कीड़ों को भगाने में भी मदद करेंगी। यहां जानिए उन चीजों के बारे में-
1) कंडा
आप घर के आंगन या फिर गेट के बाहर कंडा जला सकते हैं। इससे घर में गांव वाली सौंधी खुशबू आती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गोबर के कंडे बहुत ही लाभकारी होते हैं। घर में अगर इनका इस्तेमाल किया जाए तो कोई बाधा आपको परेशान नहीं कर सकती है। इसके अलावा घर में गोबर के कंडे का धुंआ करने से कभी भी नकारात्मक दोष उत्पन्न नहीं होते हैं।
2) कपूर
पूजा में इस्तेमाल होने वाली कपूर भी काफी बेहतरीन होती है। इनका इस्तेमाल कर के घर से गंदी बदबू को खत्म किया जा सकता है। इसे जलाने के लिए आप डिफ्यूजर का इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर इसे घर के कोने में भी डाल सकते हैं।
3) लौंग
किचन में लौंग का इस्तेमाल खूब किया जाता है। इसे खाने का स्वाद और खुशबू बनाने ते लिए यूज किया जाता है। आप घर से बदबू भगाने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकतं हैं। इसके लिए एक जालीदार कंटेनर में लौंग डालें और फिर इसे अपने ड्रॉइंग रूम में रखें।
4) गूगल गूगल का यूज हवन सामग्री में किया जाता है। इसकी खुशबू पूरे घर को महका सकती है। इसे जलाने के लिए आप या तो कंडे के साथ मिलाकर कर सकते हैं। या फिर इन दिनों बाजार में गूगल वाली स्पेशल अगरबत्ती मिलती हैं जो काफी बेहतरीन होती हैं। -
अक्टूबर का महीना जाने वाला है. हल्की-हल्की ठंड शुरू हो गई है. गर्मी के बाद अब सुबह और शाम ठंडक महसूस होने लगी है. कई लोगों को सर्दियां काफी पसंद होती है, लेकिन इस मौसम में इंफेक्शन और बीमारियां बेहद आम होती है. ज्यादातर लोग इसकी चपेट में आते हैं. मौसम में बदलाव के कारण ऐसा होता है. वैसे तो इन बीमारियों का इलाज आसानी से मिल जाता है लेकिन इन्हें नजरअंदाज भी नहीं करना चाहिए. इन समस्याओं से परेशान होने पर तत्काल डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए. आइए जानते हैं ठंड के मौसम में किन बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.
1) फीवर और ज़ुकाम
सर्दी का मौसम शुरू होते ही ज़ुकाम-खांसी की समस्या से दो चार होना पड़ता है. बदलते मौसम और किसी संक्रमित के संपर्क में आने से आसानी से चपेट में ले लेती हैं. नाक बंद, छींक आना, कमजोरी, सिरदर्द, बदन दर्द, खांसी सर्दी और फ्लू के संकेत हैं.
2) टॉन्सिल्स
ठंड के मौसम में टॉन्सिल्स की समस्या बेहद आम है. गले के पीछे अंडाकारनुमा टिशू पैड्स में सूजन आने से टॉन्सिल हो जाता है. इसकी वजह से काफी दर्द होता है. खाने-पीने में भी समस्या होती है. हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक, हवा में मौजूद वायरस और बैक्टीरिया के कारण टॉन्सिल्स होते हैं.
3) कान का इंफेक्शन
जैसे-जैसे मौसम में ठंडापन आता है ठंड और नमी के चलते कान का इंफेक्शन बढ़ने लगता है. सर्दी में कान में इंफेक्शन होना नॉर्मल होता है, लेकिन इसका इलाज कराना चाहिए. इसे इग्नोर नहीं करना चाहिए.
4) जोड़ों का दर्द
कई लोगों में ठंड की वजह से जोड़ों में दर्द शुरू हो जाता है. ज्यादा उम्र के लोगों में यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है. उनके जोड़ों में अकड़न आ जाती है. इससे उन्हें चलने-फिरने और काम करने में दिक्कत आने लगती है. गठिया से पीड़ित लोग के लिए यह काफी परेशान करने वाला होता है. मौसम में बदलाव के चलते टिशूज़ में सूजन आ जाती है और इसी वजह से जोड़ों में दर्द होने लगता है.
5) ब्रोंकाइटिस
फेफड़ों के सबसे छोटे वायु मार्ग में बलगम बनने से ये बीमारी होती है. ज्यादातर सर्दी के मौसम में ये बीमारी होती है. बलगम बनने से खांसी आने लगती है और समस्या बढ़ जाती है. ऐसे होने पर तत्काल डॉक्टर को दिखाना चाहिए. -
दांतों में कई कारणों से सड़न हो सकती है. इस सड़न को आम भाषा में कीड़े लगना भी कहते हैं. ज्यादातर पीछे वाले दांतों में यह सड़न होती है जो अंदर ही अंदर दांतों को खोखला कर देती है. दांतों की सतह पर काले रंग के तिल के आकार की कैविटी नजर आती है. इस कैविटी से दांत खोखले होने से उनके टूटकर गिरने की नौबत आ जाती है. वहीं, दांतों में दर्द, मुंह से खून होना और दांतों का पीलापन जैसे लक्षण भी नजर आने लगते हैं. इस कैविटी को दूर करने या कहें इससे छुटकारा पाने के लिए कुछ घरेलू उपाय अपनाए जा सकते हैं.
लौंग का तेल
दिन में 2 से 3 बार लौंग का तेल (Clove Oil) इस्तेमाल करने पर कैविटी ठीक होने में मदद मिल सकती है. इस तेल के एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण दांतों की सड़न को दूर करने में कारगर हैं. रूई में लौंग का तेल डालकर कैविटी वाले दांत पर सीधे लगाया जा सकता है.
अमरूद के पत्ते
एंटीमाक्रोबियल गुणों से भरपूर अमरूद के पत्तों को कैविटी (Tooth Cavity) दूर करने में अच्छा माना जाता है. इन पत्तों को आप माउथवॉश की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं. माउथवॉश बनाने के लिए अमरूद के पत्तों को छोटे टुकड़ों में तोड़कर पानी में उबाल लें. इस पानी को आप कुल्ला करने के काम में ले सकते हैं.
लहसुन
मुंह की सेहत बनाए रखने और कैविटी से छुटकारा पाने के लिए लहसुन का इस्तेमाल किया जा सकता है. लहसुन को आप अपनी डाइट का हिस्सा बना सकते हैं. इसे रोजाना खाली पेट खाने पर फायदा मिलता है. इसके अलावा लहसुन (Garlic) को छोटे टुकड़ों में कूटकर कैविटी वाले दांत पर रखा भी जा सकता है.
अंडे का छिलका
अगर आप अंडा खाते हैं तो दांतों की कैविटी को दूर करने के लिए अंडे से तैयार इस नुस्खे का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. इसके लिए सबसे पहले अंडे का छिलका धोकर सुखा लें. इस छिलके को पीसकर पाउडर बनाएं और इसमें बेकिंग सोडा (Baking Soda) डालें. इस तैयार मिश्रण को कुछ देर दांतों पर घिसकर धो लें. -
तरह-तरह के खाद्य पदार्थ, वातावरण और लाइफस्टाइल के कारण शरीर में जमा हुए टॉक्सिंस को डिटॉक्स करना बहुत जरूरी है। अन्यथा यह बाद में सेहत को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं। वहीं सही समय से बॉडी को डिटॉक्सिफाई कर लेने से आप लंबे समय तक स्वस्थ रह सकती हैं। साथ ही यह इंफेक्शन एलर्जी और विभिन्न प्रकार की बीमारियों की संभावना को कम कर देता है और वेट लॉस में भी आपकी मदद करता है। फ्रूट्स, वेजिटेबल, हर्ब्स, मसाले इत्यादि से तैयार ऐसी ही 5 तरह की चाय के बारे में जानते हैं, जो शरीर को डिटॉक्स करने में करेंगी आपकी मदद ।
दालचीनी की चाय
दालचीनी सेहत के लिए कई रूपों में फायदेमंद होती है। यह हार्ट डिजीज की संभावना को कम कर देती है और शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल लेवल को भी नियंत्रित रखती है। इसी के साथ ब्लड प्रेशर को सामान्य रहने में मदद करती है। यह डायबिटीज से पीड़ित मरीजों के लिए काफी फायदेमंद हो सकती है। इसकी एंटीऑक्सीडेंट और एंटीमाइक्रोबॉयल प्रॉपर्टीज बॉडी को डिटॉक्स करके विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं की संभावना को कम कर देती हैं। इसे बनाने के लिए आपको एक कप पानी में 3 से 4 दालचीनी के छोटे टुकड़ों को डालकर पानी मे 7 से 8 मिनट तक उबाल आने देना है। उसके बाद इसे छानकर निकाल लें और इसमें नींबू का रस निचोड़ कर पिएं।
हल्दी और अदरक की चाय
एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट के गुणों से भरपूर हल्दी और अदरक की चाय आपकी इम्युनिटी को बूस्ट करने के साथ ही पाचन क्रिया को संतुलित रखने में मदद करतीहैं। वहीं यह इंफेक्शन से लड़ने की क्षमता को बढ़ा देती हैं और आंतों की सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद होती हैं। यदि आप किसी प्रकार के दर्द से जूझ रही हैं तो यह दर्द और इन्फ्लेमेशन को कम करने में फायदेमंद होती है। इसे बनाने के लिए आपको एक कप पानी मे आधी उंगली के बराबर कसे हुए अदरक और चार चुटकी हल्दी डालनी है। फिर पानी में 10 मिनट तक उबाल आने दें। अब इसे छानकर निकाल लें और नींबू निचोड़ कर पिएं।
धनिया की पत्तियों की चाय
धनिया की पत्ती में पर्याप्त मात्रा में पानी होता है। यह आपके शरीर को लंबे समय तक हाइड्रेटेड रखता है। यदि शरीर हाइड्रेटेड हो तो इसे डिटॉक्सिफाई करना आसान हो जाता है। शरीर में पर्याप्त मात्रा में हो तो यह किडनी से हानिकारक सब्सटेंसस को बाहर निकाल कर इसे हेल्दी रहने मे मदद करता है। वहीं किडनी के साथ यह कई अन्य ऑर्गन को भी डिटॉक्स करता है। इसे बनाने के लिए एक कप पानी में ताजा धनिया की पत्तियों को डालकर पानी को 10 मिनट तक उबलने दें। अब इसमें ऊपर से नींबू का रस निचोड़ें और आधा चम्मच शहद मिलाकर पिएं।
सौंफ की चाय
सौंफ की चाय शरीर को डिटॉक्सिफाई करने का एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। यह खून को साफ करता है और आवश्यक पोषक तत्वों को शरीर में पूरी तरह लगने में मदद करता है। इसकेसाथ ही इसकी ड्यूरेटिक प्रॉपर्टी शरीर से एक्सेस फ्लूइड के साथ टॉक्सिंस को बाहर निकाल देती है और यूरिनरी ट्रैक्ट से संबंधित सभी प्रकार की समस्याओं को दूर रखती हैं। वहीं यह पाचन क्रिया के लिए भी काफी ज्यादा फायदेमंद होता है। इसे बनाने के लिए सबसे पहले एक कप पानी को उबालने के लिए गैस पर चढ़ा दें। अब इसमें हल्का क्रश किया हुआ 1 चमच्च सौंफ डालें, साथ ही इसमे अदरक के छोटे-छोटे 2 टुकड़े डाल दें। अब पानी को 10 मिनट तक उबलने दें। फिर यदि आप चाहें तो इसमें आधा चम्मच शहद मिला सकती हैं। -
एक शोध में दावा किया गया है कि बालों को सीधा करने वाले केमिकल महिलाओं में गर्भाशय से जुड़े कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। यह जानकारी अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ द्वारा की गई एक नई रिसर्च में सामने आई है। रिसर्च से पता चला है कि जिन महिलाओं ने हेयर स्ट्रेटनिंग उत्पादों का इस्तेमाल किया था उनमें दूसरी महिलाओं की तुलना में गर्भाशय के कैंसर का खतरा कहीं अधिक पाया गया था।
हालांकि रिसर्च में बालों से जुड़े अन्य उत्पादों जैसे हेयर डाई, ब्लीच, हाइलाइट्स या पर्म और गर्भाशय के कैंसर के बीच कोई संबंध नहीं पाया गया था। अपने इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 35 से 74 आयु वर्ग की 33,497 अमेरिकी महिलाएं को शामिल किया था, जो सिस्टर स्टडी का ही हिस्सा थी।
यह नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एनवायर्नमेंटल हेल्थ साइंसेज (एनआईईएचएस) के नेतृत्व में किया गया एक अध्ययन है, जो स्तन कैंसर और अन्य स्वास्थ्य स्थितियों के जोखिम और कारकों की पहचान के लिए किया गया था। इसमें करीब 11 वर्षों तक महिलाओं का अध्ययन किया गया। पता चला है कि इस दौरान गर्भाशय कैंसर के 378 मामले सामने आए थे।
शोधकर्ताओं को पता चला है कि जिन महिलाओं ने बालों को सीधा करने वाले उत्पादों के लगातार उपयोग की सूचना दी थी। मतलब की पिछले वर्ष में चार या उससे ज्यादा बार इनका उपयोग किया था, उनमें अन्य महिलाओं जिन्होंने उत्पादों का उपयोग नहीं किया था, उनकी तुलना में गर्भाशय कैंसर का शिकार बनने की संभावना दोगुनी से ज्यादा थी। इस बारे में अध्ययन से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता एलेक्जेंड्रा व्हाइट ने जानकारी दी है कि वो महिलाएं जिन्होंने कभी हेयर स्ट्रेटनर का इस्तेमाल नहीं किया उनमें से 1.64 फीसदी में 70 वर्ष की आयु तक गर्भाशय से जुड़े कैंसर के होने का खतरा है। वहीं दूसरी तरफ हेयर स्ट्रेटनर इस्तेमाल करने वाली 4.05 फीसदी महिलाओं में इस कैंसर के होने का खतरा है। - आहार की पौष्टिकता, सेवन का समय और इसके तरीके का सीधा असर हमारी सेहत को प्रभावित करता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, शरीर को स्वस्थ और पाचन क्रिया को बेहतर रखने के लिए भोजन का एक समय निर्धारित करें और रोजाना उसी समय पर ही भोजन करें। हाल ही में किए गए एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि रात में देर से भोजन करने वाले लोगों में मोटापा बढऩे का जोखिम अधिक पाया गया है। मोटापे को अध्ययनों में हृदय रोग और डायबिटीज का कारक माना जाता है। ये दोनों स्थितियां वैश्विक स्तर पर मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक हैं।अध्ययनकर्ताओं की टीम ने पाया कि रात में देर से भोजन करने की आदत कैलोरी की मात्रा, मेटाबॉलिज्म और पाचन तंत्र को प्रभावित करती है जिसके कारण वजन बढऩे का खतरा हो सकता है। अध्ययन में शोधकर्ताओं में प्रयोगात्मक तथ्यों के आधार पर बताया है कि रात में देर से खाने की आदत ऊर्जा व्यय में कमी, भूख में वृद्धि और वसा ऊतकों में परिवर्तन को बढ़ा देती है। ये स्थितियां संयुक्त रूप से मोटापे के खतरे को बढ़ा देती हैं।अध्ययन में पाया गया कि निर्धारित समय से चार घंटे के बाद भोजन करने के कारण हमारे भूख के स्तर पर महत्वपूर्ण अंतर पड़ता है, जिससे कैलोरी बर्न और वसा का संचय भी प्रभावित होता है, जो मोटापे का कारण बनती है। अध्ययन के परिणामों से पता चला कि देर से भोजन करने वाले लोगों में लेप्टिन और ग्रेलिन जैसे भूख को नियंत्रित करने वाले हार्मोन्स पर असर देखा गया। लेप्टिन हार्मोन जो पेट भरा होने का संकेत देता है, इसकी देर से भोजन करने वाले लोगों में विशेष कमी देखी गई। ऐसे लोगों में दूसरे समूह वालों की तुलना में कैलोरी बर्न की गति भी कम देखी गई जिसके कारण वजन बढऩे का खतरा भी अधिक देखा गया।निष्कर्ष में टीम ने पाया कि देर से खाने वाले लोगों में शारीरिक और आणविक तंत्र प्रभावित होते हैं जो समय के साथ मोटापे के खतरे को बढ़ा सकते हैं। वैश्विक स्तर पर इस समस्या को बढ़ा हुआ देखा गया है।अध्ययन में शोधकर्ताओं की टीम ने मोटापे की स्थिति को कई प्रकार की गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारक माना है, इसमें से कुछ को वैश्विक स्तर पर बढ़ते मृत्यु के प्रमुख कारकों के तौर पर भी देखा जाता रहा है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के विशेषज्ञों ने बताया कि मोटापा सीधे तौर पर हृदय संबंधी जोखिम वाले कारकों को बढ़ाता है जिसमें डिस्लिपिडेमिया, टाइप-2 डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और नींद संबंधी विकार शामिल हैं।कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों के बढ़ते खतरे के लिए भी मोटापे को जोखिम कारक के तौर पर देखा जा रहा, ऐसे में सभी उम्र के लोगों को अपने स्तर पर मोटापे से बचाव के उपाय करते रहना चाहिए। रात के समय में जल्दी भोजन करने और भोजन के बाद वॉक की आदत बनाकर इसके जोखिम को कम किया जा सकता है।
- मिठाइयों में मुख्य सामग्री होती है खोया। लेकिन नकली मावा या खोया का सेवन करने से सेहत को कई नुकसान हो सकते हैं। मिठाइयों को बनाने के लिए दुकानों में मिलावटी मावे का इस्तेमाल खुले आम किया जाता है। नकली मावे का सेवन सेहत के लिए हानिकारक होता है। इस लेख में नकली मावा खाने के नुकसान जानेंगे। साथ ही बताएंगे कि घर पर आप किस तरह से खोवा बना सकते हैं।1. उल्टी और दस्तनकली खोए को सिंंंथेटिक दूध से बनाया जाता है। इसका सेवन करने से उल्टी, दस्त, फूड पॉइजनिंग आदि की समस्या हो सकती है। सिंंंथेटिक मावा बनाने के लिए यूरिया का इस्तेमाल किया जाता है इसलिए आपको असली और खोया के बीच का अंतर भी पता होना चा्हिए।2. किडनी के लिए नुकसानदायकनकली खोया खाने से किडनी पर बुरा असर पड़ता है। नकली खोया का सेवन करने से लिवर को भी नुकसान पहुंचता है। नकली खोया बनाने के लिए डिटर्जेंट का इस्तेमाल किया जाता है इसलिए इसके सेवन से बचें।3. पेट दर्द होनानकली या मिलावट खोया खाने से पेट में दर्द की समस्या हो सकती है। अगर आपके घर में बच्चे हैं, तो ज्यादा मिठाइयों के सेवन से उनकी सेहत बिगड़ सकती है। गर्भवती महिलाओं को खोया का सेवन करने से बचना चाहिए। इससे कब्ज की समस्या हो सकती है।4. वजन बढऩामावे में स्टार्च, आलू, आयोडीन आदि भी मिलाया जाता है। इससे वजन बढ़ता है। नकली मावा को केमिकल्स डालकर बनाया जाता है। कई दुकानों पर मिल्क पाउडर में वनस्पति घी मिलाकर मावा तैयार किया जाता है। वेट लॉस करना चाहते हैं, तो नकली मावे से बचें।5. अपच की समस्यानकली मावा में टेलकम पाउडर, चूना, चॉक, सफेद केमिकल्स मौजूद होता है। बेकार क्वालिटी के मावे में सॉलिड मिल्क भी मिलाया जाता है। मिलावटी मावे का सेवन करने से इंडाइजेशन, पेट में मरोड़ की समस्या हो सकती है।नकली मावा कैसा होता है?-नकली मावा दानेदार होता है।-नकली मावा मुंह में चिपकता है।-मिलावटी मावा पानी में डालने से टूटकर अलग हो जाएगा।-नकली मावे में देसी घी की खुशबू नहीं आएगी।-नकली मावे में चीनी डालकर गरम करें। अगर वो पानी छोड़ेगा, तो मतलब वो मिलावटी है।घर पर मावा कैसे बनाएं?-घर पर खोया बनाने के लिए बर्तन में दूध डालकर उबालें। जब दूध गरम हो जाए, तो उसे 4 से 5 मिनट तक चलाते रहिए। जब दूध गाढ़ा होने लगे, तो करछी चलाते रहें। दूध को हलवे की तरह गाढ़ा होने पर चलाकर पकाते रहें। जब दूध गाढ़ा हो जाए, तो गैस बंद कर दें। मावा तैयार हो जाए, तो बर्तन में निकालकर रख दें। दीवाली पर सेहत को बेहतर बनाए रखने के लिए नकली मावे के सेवन से बचें। घर के बने ताजे पकवानों का सेवन करें।
- सरसों के तेल का उपयोग कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने के लिए घरेलू उपाय के तौर पर भी किया जाता है। कुछ लोग बालों की मालिश करने के लिए भी सरसों के तेल का उपयोग करते हैं। त्वचा से एजिंग के लक्षणों को कम करने, त्वचा में नमी बनाए रखने के लिए सरसों के तेल को नहाने से लगाना फायदेमंद हो सकता है। तो चलिए, जानते हैं सरसों का तेल लगाने से क्या होता है? या फिर सरसों का तेल लगाकर नहाने से क्या होता है?सरसों का तेल लगाकर नहाने से क्या होता है?जोड़ों के दर्द से आराम मिलेअगर आप नहाने से पहले अपने शरीर की सरसों के तेल से मालिश करेंगे, तो इससे आपको जोड़ों में होने वाले दर्द से आराम मिल सकता है। साथ ही सरसों का तेल मांसपेशियों के दर्द को कम कर सकता है और हड्डियों को मजबूत बना सकता है। इसलिए अगर आपको मांसपेशियों में अकसर ही दर्द रहता है, तो आप नहाने से पहले सरसों के तेल से नियमित रूप से मालिश कर सकते हैं।एजिंग के लक्षणों को कम करेसरसों के तेल में एंटी एजिंग गुण पाए जाते हैं। नहाने से पहले शरीर पर सरसों का तेल लगाने से आपको एजिंग से लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है। अगर आप रोजाना नहाने से पहले शरीर की सरसों के तेल से मालिश करेंगे, तो इससे आपको झुर्रियां, फाइन लाइंस आदि से छुटकारा मिल सकता है। यह त्वचा में कसाव लाता है और स्किन इलास्टिसिटी को भी बढ़ाता है।मुहांसों की समस्या से बचाएसरसों के तेल में एंटीबायोटिक, एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। ऐसे में अगर आप नहाने से पहले अपनी पूरी बॉडी पर सरसों के तेल से मालिश करेंगे, तो इससे मुहांसों और फोड़े-फुंसियों से बचाव हो सकता है। यह एंटी फंगल का भी काम करता है, ऐसे में फंगल का विकास नहीं होता है और स्किन इंफेक्शन से बचाव होता है।त्वचा को मुलायम बनाएअगर आपकी त्वचा रूखी और बेजान रहती है, आप नहाने से पहले अपने शरीर की सरसों के तेल से मालिश कर सकते हैं। सरसों का तेल त्वचा को मॉइश्चराइज करने में सहायक हो सकता है। रोजाना नहाने से 1-2 घंटे पहले सरसों का तेल लगाने से त्वचा को नमी मिलेगी और स्किन हाइड्रेट बनी रहेगी।नहाने से पहले शरीर में सरसों का तेल कैसे लगाएं?-नहाने से पहले शरीर पर सरसों का तेल लगाने के लिए सरसों का तेल लें और इसे अपनी पूरी बॉडी पर लगाएं। अब हल्के हाथों से मालिश करें। फिर एक से दो घंटे तक स्किन को ऐसे ही छोड़ दें और फिर नहा लें। लेकिन इस दौरान ध्यान रखें कि आपको साबुन का इस्तेमाल नहीं करता है। इससे स्किन से सरसों का तेल सारा निकल जाएगा।सरसों के तेल की तासीर बेहद गर्म होती है। इसलिए अगर आपकी त्वचा पर सरसों का तेल सूट नहीं करता है, तो इसका इस्तेमाल करने से बचें। इसके लिए आप पहले सरसों के तेल का त्वचा पर पैच टेस्ट कर सकते हैं। अगर आपको सरसों का तेल अप्लाई करने के बाद जलन, रेडनेस या खुजली जैसा महसूस होता है, तो इसका यूज न करें। अगर 24 घंटे के पैच टेस्ट में त्वचा सामान्य रहती है, तो आप नहाने से पहले सरसों का तेल लगा सकते हैं और इसके फायदे ले सकते हैं।
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बॉडी को डिटॉक्स करने की जरूरत तब पड़ती है जब अनहेल्दी फूड हैबिट्स से हमारे शरीर में टॉक्सिक जमा हो जाते हैं। इन टॉक्सिन्स को निकालने के लिए हमें किसी भी प्रकार के ट्रीटमेंट की नहीं बल्कि घरेलू उपचार करके टॉक्सिन्स को शरीर से बाहर निकालना होता है। खासकर दिवाली या फेस्टिव सीजन में स्वीट डिश और फ्राइड फूड हेल्थ के लिए बहुत ज्यादा खतरनाक होते हैं। बैड फैट हमारे शरीर को सुस्त बनाने के अलावा कई बीमारियों का खतरा भी बढ़ा देता है।
ऐसे में बहुत जरूरी है कि आप दिवाली पर डिटॉक्स ड्रिंक्स भी जरूर पिएं।
कोकोनट वॉटर
कोकोनट वॉटर भी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है। कोकोनट वॉटर से न सिर्फ बॉडी डिटॉक्स होती है बल्कि यह सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है। कोकोनट वॉटर में बहुत से पोषक तत्व होते हैं, जो आपके एक्टिव रहने के लिए भी बहुत जरूरी है।
डिटॉक्स टी
डिटॉक्स टी भी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है। आपको बाहर से डिटॉक्स टी खरीदने की जरूरत नहीं है। आप घर पर ही डिटॉक्स टी बना सकते हैं। इसके लिए आपको एक पैन में दो कप पानी लें और इसे उबलने दें। इसके बाद इसमें दाल चीनी, अदरक, गुड़, सूखा ओरिगैनो, तुलसी के पत्ते, काली मिर्च, इलायची, सौंफ, अजवाइन मिला दें। इसके बाद इसे उबलने दें। याद रखें कि आपको यह धीमी आंच पर पकाना है। करीब 10-12 मिनट के लिए इन चीजों को पकने दें और फिर छान लें। इसे आप खाली पेट पी सकते हैं।
मिंट वॉटर
पुदीना भी शरीर से टॉक्सिक निकालने में बहुत कारगर है। आप मिंट वॉटर बनाने के लिए एक पैन में दो गिलास पानी लें। इसे हल्की आंच पर उबलने दें। इसके बाद 10-12 पुदीने के पत्ते डाल दें। इन्हें अच्छी तरह उबलने दें। अब इसमें काली मिर्च डाल दें। 7-8 मिनट उबलने के बाद इसे छान लें। आप इसे खाली पेट पिएं। इससे न सिर्फ बॉडी डिटॉक्स होगी बल्कि इससे आपका डाइजेशन भी सही रहेगा। -
हम सभी ने पाचन तंत्र के बारे में ज़रूर बात की होगी कि खाना पचाने और शरीर को स्वस्थ रखने में इसका कितना बड़ा योगदान हो सकता है। मगर, हम इसी के केंद्र बिंदु नाभि के बारे में कितना जानते हैं? शायद कुछ भी नहीं! असल में नाभि (Navel) मानव शरीर का मुख्य हिस्सा है, जो शरीर को अच्छी सेहत प्रदान करता है। आयुर्वेदाचार्यों के मुताबिक यदि नाभि चक्र को उसके केंद्र बिंदु से हटा दिया जाए, तो शरीर कई जानलेवा रोगों से घिर सकता है। इसलिए शरीर के पूरी तरह स्वस्थ रहने के लिए नाभि का अपने स्थान पर रहना बहुत जरूरी है। पर कई बार कूदने, गलत तरीके से उठने-बैठने या कुछ भारी सामान उठा लेने से नेवल डिसप्लेसमेंट हो जाती है। जिसे हिंदी में नाभि खिसकना कहा जाता है। यहां हम उन योगासनों के बारे में बात करने वाले हैं, जो आपको नेवल डिस्प्लेसमेंट की समस्या में राहत दे सकते हैं।
जानिए नेवल डिस्प्लेसमेंट के क्या कारण हो सकते हैं?
अचानक किसी भारी वस्तु को उठाना, चलते, कूदते, दौड़ते, समय टांगों में लचक आ जाना, सोते समय अचानक झटका लगना, एक हाथ से अधिक भार उठाना, मल-मूत्र की गति को रोकना आदि की वजह से आपकी नाभि अपनी जगह से हिल सकती है। इसकी वजह से आपको कोई भी गंभीर बीमारी, भूख-प्यास न लगना, सोने और उठने में अनिश्चितता, मानसिक विकार जैसे डर, एग्जाइटी, क्रोध की वजह से भी नेवल डिसप्लेसमेंट हो सकता है।
नेवल डिसप्लेसमेंट की वजह से होने वाली समस्याएं और लक्षण
कब्ज होना, मल निकल जाता है या बहुत कम मल त्याग होना, बार-बार मल का कम मात्रा में निकलना या आंतों में चिपके रहना।
नेत्र विकार, बालों का झड़ना या व्हाइट डिसचार्ज, पतलापन, बीमारी, मुंह से दुर्गंध आना, रक्त विकार, हृदय विकार आदि।
तो यदि आपको लग रहा है कि आपकी नाभि अपनी जगह से हिल गई है या आप अपने नेवल चक्रा को सही करना चाहते हैं तो ये आसान आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं।
जानिए नेवल डिसप्लेसमेंट को ठीक करने के लिए योगासन--
1 नौकासन
अपनी पीठ पर लेट जाएं। हाथों को भी समान दूरी पर रखें। सांस लें। धीरे-धीरे दोनों हाथों, धड़ और सिर को जमीन से एक साथ उठाएं। ध्यान रखें कि सिर और पैर लगभग एक ही ऊंचाई पर रहें। जब तक आप इस अवस्था में रह सकते हैं तब तक रहें। इस आसन को पूर्ण नौकासन कहा जाता है। यही क्रम 5-6 बार करें।
2 पश्चिमोत्तानासन
जमीन पर बैठें, पैर आगे रखें। सांस छोड़ते हुए अब दोनों हाथों की अंगुलियों को सामने की ओर रखते हुए दोनों पंजों के अंगूठों को पकड़ने का प्रयास करें। अपने पैरों को फैलाकर रखें। अब धीरे-धीरे सिर को घुटने से स्पर्श कराएं। पीठ सपाट होनी चाहिए। इसे करते समय जल्दबाजी न करें। पिछली स्थिति में आते समय सांस लें।
3 उत्तानपादासन
अपनी पीठ के बल लेट जाएं। दोनों हाथों को अपनी जांघों के किनारों पर रखें। हथेलियों को नीचे की ओर रखें। सांस भरते हुए पैरों को 30 डिग्री तक ऊपर उठाएं। दोनों पैर आपस में जुड़े हुए होने चाहिए। पंजे सामने की ओर रखें। अपनी क्षमता के अनुसार इस पोजीशन को होल्ड करें और पैरों पर हल्का सा दबाव बनाए रखें। इसके बार 5 – 6 बार इसे दोहराएं।
4 सुप्तवज्रासन
सबसे पहले वज्रासन में आ जाएं। फिर कोहनियों के सहारे धीरे-धीरे पीछे की ओर झुकें और जमीन पर लेट जाएं। अब पिछले हिस्से को थोड़ा ऊपर उठाएं और गर्दन को झुकाते हुए सिर को वजन दें। हाथों को छाती पर या जांघों पर रखें। जितना हो सके इस आसन को करें।
5 भुजंगासन
सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं। अब दोनों हथेलियों को अपने कंधे के नीचे रखें। इस दौरान अपनी कोहनियों को पेट के दोनों ओर रखें। अब दोनों हथेलियों को जमीन की ओर दबाते हुए पहले माथा, फिर छाती और अंत में नाभि क्षेत्र को ऊपर उठाएं। इसके बाद धीरे-धीरे गर्दन को पीछे की ओर मोड़ते हुए आसमान की ओर देखने की कोशिश करें। जब तक आप सहज महसूस करें तब तक इस मुद्रा में रहें। -
दिवाली पर मार्केट में कई सारी मिठाइयां मिलती हैं लेकिन कई लोग ऐसे भी होते हैं, जो घर पर मिठाई बनाना चाहते हैं। बर्फी, लड्डू, गुलाब जामुन या रसगुल्ले जैसी मिठाइयां तो हर कोई खाता है लेकिन इस दिवाली अगर आप कुछ हटकर रेसिपी ट्राई करना चाहते हैं, तो आप गुलकंद के लड्डू बना सकते हैं। यह लड्डू ना सिर्फ बच्चों को बहुत पसंद आएंगे बल्कि आप मेहमानों का स्वागत भी इन लड्डू से कर सकते हैं। इस रेसिपी की सबसे खास बात यह है कि आप इसे चीनी के बिना बना सकते हैं क्योंकि गुलकंद का इस्तेमाल करने से इसमें मिठास रहती ही है। आप अगर ज्यादा मीठा खाते हैं, तो इसमें चीनी की बजाय गुड़ मिला सकते हैं।
आइए, जानते हैं कैसे बनाएं-
गुलकंद के लड्डू बनाने की सामग्री-
गुलकंद
आटा
चीनी
आटा
काजू
खजूर
पिस्ता
बादाम
इलायची पाउडर
गोंद कतीरा
खजूर
गुलकंद के लड्डू बनाने की विधि
इस डिश को बनाने के लिए गोंद, आटा, घी, बादाम, पिस्ता, काजू, खजूर, गुलकंद और इलायची पाउडर की जरूरत पड़ेगी। आप सबसे पहले एक कड़ाही लें। अब इसमें देसी घी डालें और सारे ड्राय फ्रूट्स को रोस्ट कर लें। अब इन्हें ठंडा करके पीस लें। अब इसी कड़ाही में घी डालें और गोंद डालें। गोंद फूल जाए, तो इसे ठंडा करके इसमें आटा डालें। अब इसे गोल्डन ब्राउन करें। इसमें गुड़ डालें। अब इसमें रोस्ट किए हुए ड्राय फ्रूट्स डाल दें। अब इलायची पाउडर डालें। इसे अच्छी तरह मिक्स कर दें। अब बीच में गुलकंद-खजूर का मिक्सचर भरकर छोटे-छोटे लड्डू बना लें। -
रूमेटॉइड अर्थराइटिस एक ऐसी ऑटोइम्यून डिसीज है जो अब बहुत कॉमन हो गई है। हालांकि, एक्टिव लाइफस्टाइल और हेल्दी डायट गठिया में दर्द को कम करने में मदद मिल सकती है। एक्सरसाइज गठिया मैनेज करने का एक पार्ट है, हालांकि इसे रोजाना करना चाहिए। इसी के साथ लाइफस्टाइल में दूसरे बदलाव भी हैं जो गठिया के साथ बेहतर तरीके से जीने में मदद कर सकते हैं। ऑर्थोपेडिक के कंसल्टेंट डॉ सिद्धार्थ यादव ने लाइफस्टाइल में 5 बदलाव के बारे में बताया हैं जो गठिया के लक्षणों को दूर करने में मदद कर सकते हैं।
गठिया के लिए कैसे करें लाइफस्टाइल में बदलाव
1) वजन कम करें- ज्यादा वजन वाला शरीर पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस के लिए सबसे आम जोखिम का कारण बनता है। इस दौरान शरीर के वजन का लगभग तीन गुना दबावघुटनों पर आता है। वजन घटाने से शुरुआती गठिया को रोका जा सकता है, इसी के साथ उन लोगों में दर्द से राहत भी मिल सकती है जो पहले से ही इससे पीड़ित हैं।
2) शारीरिक एक्टिविटी में करें चेंज- जिन लोगों को घुटने में दर्द होता है, उन्हें जॉगिंग, स्क्वाटिंग, स्किपिंग, फर्श पर बैठने जैसी इम्पैक्ट लोडिंग एक्टिविटी से बचना चाहिए। केवल वेस्टर्न कमोड का इस्तेमाल करना चाहिए। यह जोड़ों के डैमेज को आगे बढ़ाने और दर्द को कम करने में मदद करेगा।
3) रोजाना एक्सरसाइज- मजबूत मांसपेशियां जोड़ों और जोड़ों की मूवमेंट को स्थिर करती हैं और जोड़ों की सतह के पोषण के लिए भी अच्छी होती हैं, इसलिए रोजाना एक्सरसाइज करना बहुत जरूरी है।
4) विटामिन की खुराक- विटामिन डी हड्डियों को मजबूत बनाता है और विटामिन बी12 मांसपेशियों और नसों के लिए जरूरी है। लंबे समय तक विटामिन की कमी से कार्टिलेज को जल्दी नुकसान हो सकता है जिससे गठिया हो सकता है।
5) योग- योग तनाव को नियंत्रित करने और मेटाबॉलिज्म में सुधार करने में मदद करता है। रोजाना योग करने से दर्द कम हो जाता है जिससे पेन किलर की जरूरत कम हो जाती है। - कॉर्न से बनी चीजों को अक्सर लोग खाना पसंद करते हैं। खास कर जब इसे चीज के साथ मिला दिया जाए तो इसका स्वाद और भी ज्यादा बढ़ जाता है। अगर आप रोजाना एक जैसी चीजें खाकर बोर हो गए हैं तो कुछ चटपटा ट्राई कर सकते हैं। यहां हम बता रहे हैं चीज कॉर्न टोस्ट बनाने का तरीका। इस रेसिपी से आप भई चीज कॉर्न टोस्ट बनाने का ट्राई कर सकते हैं।चीज कॉर्न टोस्ट बनाने के लिए आपको चाहिएब्रेड स्लाइस, मेयोनीज, शेजवान सॉस, प्याज , टमाटर, शिमला मिर्च, स्वीट कॉर्न , चीज, नमक , काली मिर्च पाउडर, चिली फ्लैक्स, ऑरिगेनो, बटर।कैसे बनाएं------------ इसे बनाने के लिए आपक सबसे पहले सब्जियों को अच्छे से धोएं।- फिर सब्जियों को सूखने के बाद बारीक-बारीक काट लें।- अब स्वीट कॉर्न को भी बॉइल करें।- जब सभी तैयारी हो जाए तो एक कटोरी में सभी सब्जियों, स्वीट कॉर्न, मेयोनीज, शेजवान सॉस, नमक, काली मिर्च पाउडर को डालें।- सभी चीजों को अच्छे से मिक्स करें और फिर से इसमें कद्दूकस की हुई चीज डालें। अच्छे से मिलाएं ।- अब ब्रेड स्लाइस को लें और इस स्टफिंग को ब्रेस स्लाइस पर लगाएं। अच्छे से स्प्रेड करने के बाद इस पर खूब सारा कद्दूकस किया हुआ चीज स्प्रेड करें।- अब एक तवा गर्म करें और फिर इस पर बटर लगाएं। अब इस पर ब्रेड रखें और इसे ढक दें। मीडियम टू लो फ्लेम पर इसे 3 से 4 मिनट के लिए सेकें। चीजी कॉर्न टोस्ट तैयार है इसे सर्व करें।
- बालों में तेल लगाने से अक्सर लड़कियां कतराती हैं। हालांकि, दादी और माताओं ने सदियों से तेल मालिश के फायदों की सराहना की है। क्या आप जानते हैं कि अपने बालों में तेल लगाने से आपके रोम छिद्रों को कठोर और प्रदूषित वातावरण से बचा सकते हैं? यहां हम बताएंगे कि अपने बालों को सही तरीके से तेल लगाने पर क्या फायदे मिल सकते हैं।1) बाल होते हैं प्रोटेक्टजिस तरह स्किन को हर तरह के मौसम और धूप से सुरक्षा की जरूरत होती है, उसी तरह बालों को भी अच्छी सुरक्षा की जरूरत होती है। तेल मालिश बालों की किस्में के लिए एक सुरक्षात्मक परत बनाने में मदद कर सकती है ताकि बाल प्रतिरोध विकसित करें और डैमेज न हों।2) बालों के झडऩे और स्पलिटएंड्स होने से बचावबालों का झडऩा अनहेल्दी बालों और स्कैल्प का सीधा रिजल्ट है। तेल मालिश स्कैल्प और बालों के हेल्थ में काफी सुधार कर सकती है, जिससे बालों का झडऩा कम हो जाता है। इसके अलावा स्प्लिट एंड्स भी बालों की ग्रोथ रोकने के मुख्य कारण में से एक हैं और इनका इलाज गर्म तेल की मालिश से भी किया जा सकता है।3) स्कैल्प संक्रमण से बचावस्कैल्प पर बंद रोमछिद्रों से जलन, बैक्टीरिया और फंगल संक्रमण जैसी कई समस्याएं हो सकती हैं। ये संक्रमण आगे चलकर डैंड्रफ का कारण बन सकते हैं और बालों में जूं भी हो सकती हैं। एक गर्म तेल मालिश आपके स्कैल्प को पोषण दे सकती है और किसी भी संक्रमण को रोकने में मदद कर सकती है।4) बालों को मिलता है पोषणतेल से जब स्कैल्प पर मालिश की जाती है, तो ये हमारे स्कैल्प की स्किन में गहराई से जाता है जो कोई शैम्पू या हेयर प्रोडक्ट नहीं कर सकता है। इसलिए, जब तेल स्कैल्प में गहराई से अवशोषित हो जाता है, तो यह आपके बालों के ऊतकों और रोम को अंदर से पोषण देता है। इसी के साथ तेलों में फैटी एसिड होते हैं जो लिपिड और प्राकृतिक बालों की चमक को फिर से भरने में मदद करते हैं।5) बालों को मजबूत बनाता हैकुछ कारक जो कमजोर जड़ों का कारण बन सकते हैं, वे हैं खराब डायट, हीट टूल्स, ठंडा तापमान, बाल प्रोडक्ट्स और बहुत कुछ। तेल मालिश आपके बालों को मजबूत बनाने में मदद कर सकती है। ये आपके स्कैल्प में ब्लड फ्लो को बढ़ाती है, जिससे बाल मजबूत होते हैं।
- सर्दियों का मौसम आते ही बाजारों में हरी-हरी मटर मिलना शुरू हो जाती हैं। मीठे स्वाद वाली इन मटर को खाने में मिलाने पर खाने का स्वाद भी लाजवाब हो जाता है। मटर से कई तरह की डिशेज बनाई जा सकती हैं, जैसे मटर के पराठे, मटर की सब्जी, मटर पुलाव वगैराह। हालांकि, कुछ लोगों को ये इतनी पसंद होती है कि वह इसे छिलते-छिलते ही खाने लगते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि खाने का स्वाद बढ़ाने वाली मटर हेल्थ के लिए कितनी ज्यादा फायदेमंद हो सकती हैं?ब्लड शुगर के लेवल को करता है स्थिर-मटर में कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) होता है, जो इस बात का माप है कि खाना खाने के बाद आपका ब्लड शुगर कितनी तेजी से बढ़ता है। इतना ही नहीं, हरी मटर फाइबर और प्रोटीन से भरपूर होती है, जो ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए फायदेमंद होती है।स्किन हेल्थ-मटर में स्किन के मुताबिक पोषक तत्व होते हैं जिनमें विटामिन बी 6, विटामिन सी और फोलेट (फोलिक एसिड) शामिल हैं। ये पोषक तत्व सूजन को कम करने और फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान को कम करने में मदद कर सकते हैं।प्रोटीन का बेहतरीन स्रोत-हरी मटर प्रोटीन के सबसे अच्छे स्रोतों में से एक है, जो एक प्रमुख कारण है कि वे फाइबर की हाई मात्रा के साथ होते हैं। जो लोग पशु-आधारित प्रोटीन का सेवन नहीं करते हैं, उनके लिए मटर प्रोटीन की जरुरतों को पूरा करने के लिए एक अच्छा ऑप्शन है।कोलेस्ट्रॉल के लेवल को नियंत्रित करने में मदद-हरी मटर में नियासिन की प्रचुर मात्रा होती है जो ट्राइग्लिसराइड्स और वीएलडीएल के उत्पादन को कम करने में मदद करता है।
- बालों में नारियल तेल का प्रयोग सभी करते हैं। बालों में नारियल तेल लगाने से बाल स्वस्थ रहते हैं और बालों की कई समस्याएं भी दूर होती हैं। वहीं आंवला भी एक बेहतरीन फल है, जिसका न सिर्फ सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है, बल्कि इसका प्रयोग बालों में करने से भी बहुत फायदे मिलते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं, जब आप नारियल तेल में आंवला मिलाकर बालों में अप्लाई करते हैं, तो यह बालों की कई समस्याओं के लिए एक रामबाण उपाय साबित हो सकता है?आइए पहले जानते हैं बालों के लिए आंवला और नारियल तेल के फायदे-नारियल तेल को बालों की कई समस्याओं का काल माना जाता है, क्योंकि इसमें हेल्दी फैट्स, एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन ई, एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुण प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं। वहीं आंवला की बात करते हैं तो यह भी विटामिन सी और एंटिऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है। जब आप नारियल तेल और आंवला को साथ में मिलाकर बालों में अप्लाई करते हैं, तो इससे कई समस्याएं दूर करने में मदद मिलती है जैसे:-ड्राई और फ्रिजी हेयर की समस्या दूर होती है और बालों में नेचुरली चमक आती है।-यह बालों के विकास में तेजी लाने और नए बाल उगाने में मदद करता है, जिससे गंजेपन री समस्या को रोकने में भी मदद मिलती है।-स्कैल्प में एलर्जी, खुजली और डैंड्रफ आदि से छुटकारा दिलाने में यह कॉम्बिनेशन बहुत लाभकारी है।-यह बालों का झडऩा रोकने और उन्हें जड़ से मजबूत बनाने में मदद करता है।-यह बालों को पर्याप्त पोषण प्रदान करता है, जिससे आपको घने, लंबे, शाइनी और मजबूत बाल पाने में मदद मिलती है।आंवला पाउडर और नारियल तेल से बाल काले कैसे करें-सफेद बालों की समस्या दूर करने और उन्हें नैचुरली काला बनाने के लिए आपको एक पैन या कढ़ाई में नारियल तेल डालना है। उसके बाद इसमें 2-3 चम्मच आंवला पाउडर डालना है और अच्छी तरह पकाना है। आप चाहें तो इसमें मेहंदी पाउडर भी डाल सकते हैं। इससे बालों को जल्द काला करने में मदद मिलेगी। जब मिश्रण काला हो जाए, तो गैस को बंद कर दें। इसे ठंडा होने दें। इस मिश्रण को बाल धोने से कम से कम 3-4 घंटे पहले बालों में लगाकर छोड़ दें। उसके बाद शैंपू से धो लें। हफ्ते में 2-3 बार लगाएं, इससे आपको जल्द परिणाम देखने को मिलेंगे।