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- चम्पा एक खूबसूरत औषधीय पौधा है जिसके पेड़ बगीचों में लगाये जाते हैं। इसके पत्ते लम्बे-लम्बे महुआ के पत्तों की भांति पीले रंग के तथा कोमल होते हैं। इसके फूल पीले 4-5 पंखुडिय़ों सहित 5-7 केसरों से युक्त होते हैं। मालवा देश में इसकी उत्पत्ति अधिक होती है। इसका पेड़ विशाल होता है। चंपा के पत्ते रामफल के पत्तों की समान होते हैं। इसका फूल पीला और सुगंधित होता है। यह कुछ गर्म और शीतल होता है। चंपा भूख को रोकची है। चंपा वीर्य को बढ़ाने वाली, हृदय के लिए लाभकारी, जलन पित्त और खून की खराबी को नष्ट करती है। इसको सूंघने से दिल और दिमाग शक्तिशाली बनता है।हिन्दी में चंपासंस्कृत में चांपेय, चम्पक, हेमपुष्पगुजराती में चंपोमराठी में सोनचांपलैटिन में मिचेलिया चम्पेकाविभिन्न रोगों में सहायक-पुनरावर्चत ज्वर- चम्पा की जड़ की फांट को 40 से 80 मिलीलीटर तक की मात्रा में रोगी को देने से लाभ होता है।-आमाशय का जख्म- चम्पा के फूलों का काढ़ा बनाकर पीने से आमाशय का घाव एवं दर्द ठीक हो जाता है।- चम्पा की जड़ का काढ़ा बनाकर पीने से दस्त आकर कब्ज की शिकायत मिट जाती है।-चम्पा की जड़ का चूर्ण 600 मिलीग्राम से 1.80 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम देने से आर्तव (माहवारी) जारी हो जाती है।-चम्पा के फूलों को पीसकर प्राप्त हुए रस को निकालकर 3 मिलीलीटर की मात्रा में लेकर शहद के साथ चाटने से आंतों के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।-10 मिलीलीटर चम्पा के फूलों के रस को शहद के साथ पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।- चम्पा के 20 मिलीलीटर ताजे पत्तों के रस को पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं और पेट के दर्द में लाभ होता है।-10 मिलीलीटर चम्पा के पत्तों का रस लेकर 20 ग्राम शहद के साथ मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से पेट के दर्द में लाभ होता है।-चम्पा के पत्तों को पीसकर शहद में मिलाकर पीने से पेट का दर्द ठीक हो जाता है।- गठिया के रोगी को चम्पा के फूलों से बने हुए तेल से मालिश करने से लाभ मिलता है।-चम्पा की जड़ की छाल को दही में पीसकर फोड़ों पर लगाने से उनकी सूजन ठीक हो जाती है।- हाथ-पैरों पर चम्पा के फूलों का तेल बनाकर मालिश करने से ऐंठन वाला दर्द ठीक हो जाता है।- 3 ग्राम चम्पा की छाल के चूर्ण को दिन में 2 बार पानी के साथ खाने से दूषित रक्त (खून की खराबी) साफ हो जाता है।- पैर के दाद पर चम्पा के फूलों को पीसकर लगाने से लाभ होता है।- शरीर की शक्ति को बढ़ाने के लिए चम्पा के फूलों का चूर्ण बनाकर इस चूर्ण में शहद मिलाकर खाने से शरीर शक्तिशाली बन जाता है।(नोट- कोई भी उपाय करने से पहले एक बार अपने चिकित्सक से सलाह अवश्य लें, क्योंकि हर इंसान के शरीर की तासीर अलग-अलग होती है।)
- भारतीय भोजन का खास हिस्सा रहने वाली चटपटी चटनी स्वाद के साथ सेहत के लिए भी लाभकारी है। चटनी के सेवन से शरीर को पोषण भी मिलता है।चटनी को खाने के साथ खाना ज्यादातर लोग पसंद करते हैं। यह तीखी होने के साथ-साथ स्वादिष्ट भी होती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भोजन के स्वाद को बढ़ाने के साथ इसके सेवन से आपको पोषण भी मिलता है। ऐसी ही कुछ चटनी के बारे में हम आज बता रहे हैं।आंवले की चटनीआंवला काफी सेहतमंद होता है इसलिये इसको किसी ना किसी रूप में सेवन जरुर करना चाहिये। आंवले को आप चटनी के रूप में भी ले सकते हैं। यह स्वादिष्ट होने के साथ पौष्टिक भी होती है। आंवले की चटनी में मौजूद आंवले में विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है। जो इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करता है। अगर हम इस चटनी में थोड़ी सी अदरक और नींबू मिला दें तो इसकी पौष्टिकता बहुत अधिक बढ़ जाती है। आंवले की चटनी बनाने के लिए आंवला, गुड़, नमक ,काला नमक, इलायची पाउडर , लाल मिर्च पाउडर,और गर्म मसाला की जरूरत होती है। इसे बनाने के लिए किसी बर्तन में पानी और आंवला डालकर नर्म होने तक पकायें। जब यह उबलकर तैयार हो जाये तो गैस बंद करके इसे प्याले में निकाल लें। आंवले के बीज हटाकर इसे पीसकर बारीक पेस्ट बना लें। फिर पीसे आंवले वाले पैन को गैस पर रखकर उसमें गुड़, नमक, काला नमक, इलायची पाउडर, लाल मिर्च पाउडर और गर्म मसाला डाल कर मिला लें।धनिया-पुदीने की चटनीधनिया और पुदीने की पत्तियों में कई माइक्रो मिनरल जैसे कैल्शियल, पोटैशियम, मैग्निशियम आदि मौजूद होते हैं। अगर इसमें लहसुन, अदरक और प्याज पीसकर डालें तो अदरक के पाचन संबंधी गुण भी इसमें मिल जाते हैं। इसी तरह से लहसुन में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल पेट को हेल्दी रखता है। इस तरह धनिए-पुदीने की चटनी बेहद हेल्दी हो जाती है। इसके अलावा आंतों की समस्या, प्रसव के समय, बुखार और दस्त में भी यह फायदेमंद है। इसे बनाने के लिए हमें पुदीने और धनिये की पत्तियां, लहसुन , थोड़ी सी अदरक, हरी मिर्च, नमक, जीरा ,काला नमक की जरूरत होती है।इमली की चटनीगर्मी के दिनों में इमली की चटनी शरीर की तासीर को ठंडा करता है और गर्मी के दुष्प्रभाव से बचाता है। इसके अलावा यह पाचन के लिए फायदेमंद है और उल्टी, जी मचलाना या दस्त जैसी समस्याओं में भी बहुत लाभकारी होती है। इसे बनाने के लिए इमली, पानी-, हींग ,जीरा , काला नमक , सादा नमक , लाल मिर्च की जरूरत होती है। इसे बनाने के लिए सबसे पहले इमली को कुछ समय तक गुनगुने पानी में गलाकर रखें। अब इसके बीज निकाल लें और गुड़ एवं सभी मसाले डालकर इसे मिक्सी में बारीक पीस लें। अब इस मिश्रण को उबाल लें और बने हुए पेस्ट को जीरे का छौंक लगाएं। इमली की चटनी तैयार है।अमरुद की चटनीअमरुद विटामिन सी का भंडार होता है। अमरूद में मल को रोकने वाले, पौरुष बढ़ाने वाले, शुक्राणु बढ़ाने वाले और मस्तिष्क को सबल करने वाले गुण होते हैं। अमरूद का औषधीय गुण प्यास को शांत करता है, हृदय को बल देता है, कृमियों का नाश करता है, उल्टी रोकता है, पेट साफ करता है औऱ कफ निकालता है। मुंह में छाले होने पर, मस्तिष्क एवं किडनी के संक्रमण, बुखार, मानसिक रोगों तथा मिर्गी आदि में इनका सेवन लाभप्रद होता है। इसकी चटनी बनाने के लिए जीरा, काला और सादा नमक, धनिया पत्ती की जरूरत होती है। आप जिसतरह का अमरूद पसंद करते हैं, जैसे कच्चा या फिर पका, उस हिसाब से इसमें ये चीजें मिलाकर मिक्सी में पीस लें। कच्चे अमरुद की चटनी ज्यादा स्वादिष्ट लगती है।
- कोरोना के गंभीर मरीजों को सांस की समस्या के कारण वेंटिलेटर की जरूरत होती है। आइये जानें InnAccel कंपनी का बनाया Vapcare Device इन मरीजों की जान कैसे बचा रहा है।गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए वेंटिलेटर कितना महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, ये कोरोना वायरस महामारी के समय में हमें पता चल गया है। खासकर ऐसे मरीज, जिन्हें सांस लेने में तकलीफ हो, उनके लिए वेंटिलेटर्स जीवन रक्षक साबित हो सकते हैं। निमोनिया एक ऐसी ही समस्या है, जिसमें बहुत सारे लोग सांस की कमी से जूझते हए मर जाते हैं। ऐसे में बेंगलुरू की स्टार्टअप कंपनी InnAccel ने एक कोरोना वायरस महामारी आने से पहले ही एक ऐसा डिवाइस बना लिया था, जो निमोनिया जैसी स्थिति वाले मरीजों की जान बचाने में बहुत मददगार है। इस डिवाइस को Vapcare Device नाम दिया गया, खबरों की मानें तो इसके इस्तेमाल से कोरोना वायरस महामारी के समय में सैकड़ों लोगों की जान बचाई जा सकी है।कंपनी के अधिकारियों के अनुसार उसने 6 राज्यों में अपने सिस्टम्स की सप्लाई की है। इसी कंपनी के बनाए Vapcare और Fetal Lite डिवाइसेज ने भी महामारी के दौरान हजारों लोगों की जिंदगियां बचाने का काम किया है।क्यों खास है वैपकेयर डिवाइसवैप-केयर उन मरीजों के लिए फायदेमंद है जो गंभीर हालत के चलते आइसीयू में वेंटिलेटर पर पहुंच जाते हैं। ये डिवाइस मरीज के मुंह से ऑटोमैटिक तरीके से अतिरिक्त फ्लुइड को निकाल लेता है, जिससे वो फेफड़ों तक पहुंचकर निमोनिया के संक्रमण का कारण न बन जाए। अगर यही काम नर्स के द्वारा किया जाता है, तो उसमें लगातार देखरेख की भी जरूरत पड़ती है और समय भी ज्यादा लगता है, जबकि इस डिवाइस से ये काम ऑटोमैटिक तरीके से हो जाता है।हर साल 6 लाख लोग होते हैं गंभीर निमोनिया का शिकारवैप का अर्थ है Ventilator-Associated Pneumonia। भारत में इस समस्या से लगभग 6 लाख लोग प्रभावित होते हैं, जिनमें से 30 प्रतिशत की मृत्यु हो जाती है। कोरोना वायरस महामारी के समय में इस डिवाइस का महत्व और अधिक बढ़ जाता है क्योंकि इसके प्रयोग से ऑटोमैटिक मशीन के जरिए ही बिना रोगी के संपर्क में आए उसके मुंह से निकलने वाली गंदगी को साफ किया जा सकता है, जिससे डॉक्टर्स और नर्सेज में इंफेक्शन का खतरा भी कम होता है। इसके अलावा महामारी के समय में इस डिवाइस के प्रयोग से हॉस्पिटल स्टाफ का कीमती समय भी बचा है।इस डिवाइस को InnAccel Technologies के क्रिटिकल केयर यूनिट कोइयो लैब्स ने बनाया है, जिसके लीड इंजीनियर नितेश जांगीर हैं। वैपकेयर को बॉयोटेक्निकल इंडस्ट्री रिचर्स एसिस्डेंस काउंसिल (बीएआरएसी) की तरफ से मान्यता मिल चुकी है और ये 2015 में अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के 16 हेल्थकेयर टेक्नोलॉजी विनर्स में से एक हैं।
- अश्वगंधा एक आयुर्वेदिक औषधि है। अश्वगंधा का प्रयोग सदियों से आयुर्वेद में किया जा रहा है। यह जड़ी बूटियों के लिए बेहतर विकल्प माना जाता है। भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा में निहित, यह जड़ी बूटी उन लोगों के लिए तेजी से लोकप्रिय विकल्प बन रही है जो अपने स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और तनाव को कम करने के प्राकृतिक साधनों की तलाश कर रहे हैं।अश्वगंधा एक जड़ी बूटी है जो अपने मेडिकल गुणों के लिए करीब 3 हजार से भी अधिक वर्षों से प्रयोग होती आ रही है। यह जड़ी ब्यूटी आयुर्वेद में सबसे महत्वपूर्ण व प्रसिद्ध है और अब यह पश्चिमी जगत की ओर और भी अधिक प्रचलित हो रही है। इसे विथानिया सोमनीफेरा के नाम से भी जाना जाता है और संस्कृति में इसका अर्थ घोड़े की गंध है। भले ही इसका नाम इसकी गंध से जुड़ा हुआ है, परन्तु यह बहुत ही उपयोगी परंतु कड़वी दवा है। चलिये जानते हैं अश्वगंधा से मिलने वाले लाभ।1. अश्वगंधा स्ट्रेस कम करने में सहायक हैयदि आप को लगता है कि आप की जिंदगी में कुछ भी वैसा नहीं हो रहा है जैसा आप ने सोचा था और इस वजह से आप अधिक स्ट्रेस लेते हैं, तो बता दें इसका सेवन तेल, काढ़ा या औषधि के रुप में बहुत लाभदायक है। स्ट्रेस और एंग्जायटी में अश्वगंधा एसेंशियल ऑयल बहुत फायदेमंद हैं। असल में अश्वगंधा या इसके तेल में नव्र्स को रिलैक्स करने के सभी गुण मौजूद होते हैं। जिसके कारण ये एंजाइटी, स्ट्रेस, तनाव और नींद को कम करने में बहुत प्रभावी है। अश्वगंधा के सेवन से स्ट्रेस हार्मोन कॉर्टिसो़ल बैलेंस होता है व मन शान्त करता है।2. अश्वगंधा ऊर्जा को बढ़ाती हैआपको जानकर हैरानी होगी कि अश्वगंधा शारीरिक कमजोरी को भी दूर करती है। यदि आप वजन बढ़ाना चाहते हैं, तो इसके सेवन से वजन बढ़ता है और नई ऊर्जा का संचार होता है। यदि रोजाना दूध और शक्कर के साथ अश्वगंधा चूर्ण लिया जाए तो शरीर चुस्त दुरुस्त होता है और नई उर्जा स्फूर्ति आती है। व शारीरिक कमजोरी भी दूर होती है।3. अश्वगंधा एकाग्रता बढ़ाती हैक्या आप को भी अपने काम में ध्यान केंद्रित करते समय परेशानी आती है? तो आप को अश्वगंधा का सेवन अवश्य करना चाहिए। इससे आप को ध्यान लगाने में मदद मिलेगी। क्योंकि यह स्मरण शक्ति, ध्यान, एकाग्रता और मेमोरी लॉस के लिए एक लाभदायक प्राकृतिक औषधि है। यह दिमाग के लिए ऊर्जा और पोषण का काम करती है ताकि हमारा तांत्रिक तंत्र स्वस्थ रहे और किसी भी प्रकार का स्ट्रेस ना हो।4. अश्वगंधा सूजन कम करती हैअश्वगंधा सूजन कम करने में और इम्यूनिटी मजबूत करने में सालों से सहायक रही है। इसमें एंटी इन्फ्लामेटरी गुण होते हैं जिसकी वजह से यह कई प्रकार के दर्द ठीक करने में भी सहायक है। अश्वगंधा के सेवन से ट्यूमर का विकास भी अवरुद्ध होता है। यह इन्फ्लेमेशन में बहुत अधिक सहायक माना जाता है। संक्रामक बीमारियों से बचाने और इम्युनिटी को बूस्ट करने में काफी मददगार है, अश्वगंधा की चाय। यही नहीं गठिया के दर्द और जोड़ों की सूजन भी दूर करती है अश्वगंधा।5. अश्वगंधा कैंसर कम करने में सहायक हैशोध बताते हैं कि कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी में भी इसका सेवन लाभकारी है। यह शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है, जिससे रिएक्टिव ऑक्सीजन स्पीशीज बनती है। यही नहीं यदि कीमोथेरेपी से किसी भी प्रकार का कोई साइड इफेक्ट होता है तो यह उसमें फायदा करती है।अश्वगंधा के सेवन का तरीकापहले अश्वगंधा की जड़ों को पानी में मिला कर एक पेस्ट तैयार कर लिया जाता था। जो किसी भी औषधि में मिला कर पिया जाता था। परंतु आज के समय में कैप्सूल या पाउडर की फॉर्म में अश्वगंधा का एक्सट्रेक्ट बहुत आसानी से कहीं पर भी मिल जाता है।अश्वगंधा के प्रयोग में रखें सावधानियांविशेषज्ञों के अनुसार इसका सेवन निश्चित मात्रा में ही करना चाहिए। ज्यादा मात्रा में अश्वगंधा का सेवन करना खतरनाक हो सकता है। इसका ज्यादा सेवन एसिडिटी, गैस्ट्रिक, एलर्जी, रैशेज ,एंजाइटी आदि की समस्या पैदा कर सकता है। प्रेग्नेंट महिलाओं को या ह्रदय रोगियों को इसका सेवन डॉक्टर के मशवरे के बिना नहीं करना चाहिए।
- दुनियाभर में ग्रीन टी से कहीं ज्यादा पॉपुलर ब्लैक टी है। भारत में भी चाय का मतलब, काली चाय पत्ती से बनी चाय ही समझा जाता है। काली चाय दुनिया की सबसे पॉपुलर ड्रिंक होने के बावजूद कई लोग इसे सेहत के लिए नुकसानदायक बताते हैं। वास्तव में अगर गलत तरीके से पी जाए, या ज्यादा मात्रा में पी जाए, तो काली चाय ही क्या सभी चीजें नुकसादायक होती हैं। यही कारण है कि लोग ब्लैक टी की अपेक्षा ग्रीन टी को ज्यादा हेल्दी समझते हैं। ऐसा माना जाता है कि ग्रीन टी वजन घटाती है। तो क्या ब्लैक टी भी वजन घटाती है?आज हम बताएंगे कि ब्लैक टी यानी काली चाय के क्या फायदे हैं और इसे कैसे पीना चाहिए?शरीर के लिए कई तरह से फायदेमंद है काली चायरिसर्च बताती हैं कि ब्लैक टी में कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में ऑक्सिडेशन को रोकते हैं और कई बीमारियों को दूर रखते हैं। ये एंटीऑक्सीडेंट्स, खासकर पॉलीफेनॉल आपके शरीर के मेटाबॉलिज्म और पाचन (डाइजेशन) को ठीक रखता है। ये दोनों ही फंक्शन आपके शरीर के वजन को कम करने, चर्बी घटाने और एक्सट्रा कैलोरीज को बर्न करने में मदद करते हैं। इसके अलावा ब्लैक टी के सेवन से स्ट्रेस कम होता है, जिससे नींद अच्छी आती है और दूसरे बायलॉजिकल प्रॉसेस अच्छी तरह फंक्शन करते हैं। इसलिए ब्लैक टी का सेवन अगर सीमित मात्रा में करें, तो आपके शरीर के लिए ये फायदेमंद है।क्या वजन घटाती है काली चाय?वैज्ञानिक शोधों के अनुसार काली चाय यानी ब्लैक टी के सेवन से शरीर की वजन घटाने की प्रक्रिया तेज होती है। 2014 में की गई एक स्टडी में बताया गया कि 3 महीने तक रोजाना दिन में 3 बार ब्लैक टी पीने से अन्य बेवरेज पीने वालों की अपेक्षा ज्यादा वजन घटाया गया। इसी तरह 2017 में चूहों पर की गई एक रिसर्च में भी यही बताया गया था कि ब्लैक टी पीने से वजन सामान्य से ज्यादा घटाया जा सकता है। लेकिन यहां यह ध्यान देना जरूरी है कि ब्लैक टी में कैफीन की मात्रा भी होती है, इसलिए इसका बहुत अधिक सेवन करना भी ठीक नहीं है।एक दिन में कितनी चाय पी सकते हैं?काली चाय यानी ब्लैक टी का ज्यादा सेवन आपके शरीर के लिए नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इसलिए आपको ब्लैक टी का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए। वैज्ञानिकों के अनुसार एक दिन में 2-3 कप तक ब्लैक टी का सेवन किया जा सकता है। 4 कप ब्लैक टी से ज्यादा का सेवन रोजाना करना शरीर और स्वास्थ्य के लिए कई तरह की मुश्किलें पैदा कर सकता है। चाय में मौजूद कैफीन दिल की धड़कन को बढ़ा सकता है। इसलिए एक दिन में 3 कप से ज्यादा ब्लैक टी न पिएं।चाय कैसे पीना होता है ज्यादा फायदेमंद?आमतौर पर भारत में लोग ब्लैक टी के साथ दूध मिलाकर पीते हैं। दूध वाली चाय का सेवन बड़े पैमाने पर किया जाता है। हालांकि सामान्य लोगों के लिए इस चाय को पीने में कोई परेशानी नहीं है। लेकिन फुल फैट दूध से बनी चाय पीने से आपके शरीर में फैट बढ़ सकता है। इसलिए अगर आपको ब्लैक टी दूध में पीनी है, तो आप स्किम्ड दूध के साथ बनाकर पिएं। लेकिन जो लोग अपने वेट को लेकर बहुत ज्यादा कॉन्शियस हैं या जिनका वजन ज्यादा है, वो लोग बिना दूध वाली ब्लैक टी पिएं। इसे बनाने के लिए-पानी में थोड़ी सी ब्लैक टी डालकर उबालें।इसे छानकर इसमें आधा नींबू का रस और 1 चम्मच शहद मिलाकर पिएं। इस तरह से बनाई गई ब्लैक टी आपके वजन घटाने के लिए बेस्ट है।----
- इमली का नाम लेते ही हर किसी के मुंह में पानी आ जाता है और इसका खट्टा-मीठा स्वाद बचपन की याद दिला देता है।इमली को अरबी और फारसी भाषा में दिए गए - हिंदी तामर और भारतीय खजूर सही मायने में उद्बोधक नाम है। भूरे रंग की नाज़ुक फली के अंदर जो मांसल खट्टा फल होता है उसमे टारटारिक एसिड और पेक्टिन समाविष्ट है।इमली का वनस्पति शास्त्र में नाम- तामरिंदस इंडिका है। इमली का संस्कृत नाम है- अम्लिका।आमतौर पर महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में क्षेत्रीय व्यंजनों में एक स्वादिष्ट मसाले के रूप में इमली का प्रयोग किया जाता है। खास तौर पर रसम, सांभर, वता कुज़ंबू , पुलियोगरे इत्यादि बनाते वक्त इमली इस्तेमाल होती है और कोई भी भारतीय चाट इमली की चटनी के बिना अधूरी ही है। यहां तक कि इमली के फूलों को भी स्वादिष्ट पकवान बनाने के उपयोग में लिया जाता है।इसके पत्ते शरीर को शीतलता प्रदान करते हैं एवं अपित्तकर हैं और पेट के कीड़ों को नष्ट करने में भी मदद करते हैं। इसके अलावा, इसके पत्तों को पीलिया के इलाज में भी उपयोग में लाया जाता है। इमली के पेड़ की छाल एक स्तम्मक के रूप में काम आती है। इमली के फल का गूदा पाचन प्रणाली को शीतलता प्रदान करता है एवं रेचक और रोगाणु रोधक भी होता है।-पाचन विकार- पके हुए फल का गूदा पित्त की उलटी, कब्ज और गैस की समस्या, अपचन के इलाज मे लाभदायक है। यह कब्ज़ मे भी लाभकारी है। पानी के साथ इसके गूदे को कोमल करके बनाया हुआ निषेध भूख मे कमी, भोजन ग्रहण की इच्छा मे कमी होने पर लाभकारी है। इमली के दूध का पेय भी पेचिश के इलाज मे काफी लाभकारी है।- स्र्कवी या स्कर्वी , विटामिन-सी की कमी- इमली में विटामिन सी की मात्रा प्रचुर होती है और यह स्र्कवी को रोकने और उसके इलाज में लाभदायक है।- सामान्य सर्दी-जुकाम को दूर करने के लिए- इमली और काली मिर्च का रसम, दक्षिण भारत मे सर्दी-जुकाम के इलाज के लिये इसे प्रभावशाली घरेलू नुस्खा माना जाता है।-जलने पर- इमली की कोमल पत्तियां जलने का घाव के इलाज मे काफी लाभकारी है। उसे एक ढंके हुए बर्तन पर आग से गरम करते हंै। फिर उसे अच्छे से पीस कर उसे छान लेते हैं जिससे रेतिले पदार्थ निकल जाये (अलग हो जाए)। छानने के बाद उसे तिल के तेल के साथ मिलाकर जले हुए भाग पर लगाया जाता है। इससे घाव कुछ दिनों में ही ठीक हो जाता है।- आंखों के नीचे या ऊपर की पुतली के लाल हो जाने को गुहेरी कहते हैं। इसमें इमली के बीज को पानी के साथ घिसकर, चंदन की तरह लगाना चाहिए। इससे आंखों की पलकों पर होने वाली पैंसी या गुहेरी (बिलनी) में तुरंत लाभ होता है।- इमली का प्रयोग बालों के लिए फायदेमंद हो सकता है क्योंकि एक रिसर्च के अनुसार बालों में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते है जिनकी कमी से बालों का झडऩा शुरू हो जाता है। इमली का सेवन इनकी कमी को दूर कर बालों का झडऩा कम करती है।- इमली का सेवन करने से हृदय संबंधी रोगों से बचा जा सकता है क्योंकि इमली में एंटीऑक्सीडेंट का गुण पाया जाता है जो कि हृदय को स्वस्थ रखने में सहायता करता है।- खून के कमी में इमली का सेवन फायदेमंद हो सकता है क्योंकि इसमें आयरन पाया जाता है जो कि हीमोग्लोबिन को बढ़ा कर खून की कमी को दूर करती है।- इमली का सेवन वजन को कम करने में फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि इसमें रेचन यानि लैक्सटिव का गुण पाया जाता है जो कि शरीर के गन्दगी को दूर करता है जिससे अनावश्यक रूप से बढ़ रहे वजन को रोकने में मदद मिलती है।
- जीरा और धनिया दोनों ही खाने का जायका बढ़ाने के लिए जाने जाते हैं। पर आयुर्वेद की मानें, तो ये दोनों कई औषधीय गुणों की भरमार हैं। दरअसल जीरे और धनिया का पानी पचान तंत्र को ठीक रखता है। एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार, जीरे में डाइजेस्टिव एंजाइम की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जो पाचन क्रिया को उत्तेजित करने का काम कर सकता है। इससे आहार को पचाने और मल के जरिए शरीर से बाहर निकालने में मदद मिल सकती है। वहीं धनिया न सिर्फ पेट की समस्याओं को दूर करने में मदद करता है, बल्कि यह आपकी पाचन शक्ति को बढ़ाने में भी लाभकारी हो सकता है। पर इन दोनों में कौन सा वजन घटाने के लिए ज्यादा फायदेमंद है? आइए हम आपको बताते हैं इसके बारे में।जीरा और धनिया में कौन सा है ज्यादा फायदेमंद1.फैट बर्न करने के लिएजीरा और धनिया दोनों ही मसाले अपने पाचन गुणों के लिए जाने जाते हैं लेकिन जीरा का पानी बेहतर काम करता है। वहीं हमारे आंत के स्वास्थ्य पर जीरा की क्षारीय कार्रवाई वसा हानि को बढ़ाने में मदद करती है और पाचन में सुधार करती है । हालांकि धनिया भी पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है पर ये जीरे की तरह फैट बर्न नहीं कर पाता है।2.शरीर को डिटॉक्सीफाई करने के लिएसुबह-सुबह धनिया और जीरा का पानी पीना आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों को छोडऩे में मदद करते हैं, पर जीरा आपको पाचनतंत्र तो ज्यादा तेज बनाता है! इसके अलावा, वे दोनों एंटीऑक्सीडेंट के उच्च स्तर होते हैं, और है कि अपनी प्रतिरक्षा के साथ मदद करते हैं। वहीं आप चाहें, तो इन दोनों को एक साथ मिला कर पाउडर बना कर इस्तेमाल कर सकते हैं।3.कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिएधनिया न सिर्फ खाने को महक देता है बल्कि यह आपके कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने में फायदेमंद हो सकता है। धनिया में ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकते हैं। वहीं जिन लोगों का वजन तेजी से बढ़ रहा है, उनके लिए जरूरी है कि वो अपने कोलेस्ट्रॉल को ठीक रखें। दरअसल मोटापे से पीडि़त लोगों के लिए कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करना कई सारी बीमारियों से बचा सकता है। इस तरह किसी भी व्यक्ति के लिए धनिया के बीजों को उबालकर इसके पानी को पीना फायदेमंद हो सकता है।4.भूख कम करने के लिएजीरे का इस्तेमाल करने से आपको भूख को कम करने में मदद मिलेगी, क्योंकि यह आपके पेट को लंबे समय तक भरा रखता है और इस तरह मोटापा कम करने में मदद करता है। साथ ही शरीर में उन हेल्दी इंजाइम्स को बढ़ावा देते हैं, जो कि खाना पचाने में मदद करते हैं। इस तरह अगर आप खाने में जीरा पीस कर इस्तेमाल करें, तो खाना आराम से पचेगा और ये शरीरे में फैट के संचय को भी रोकेगा।इस तरह आपने देखा कि विभिन्न तरीकों से जीरा और धनिया वजन घटाने के लिए फायदेमंद हैं। पर इन दोनों में से सबसे ज्यादा फायदेमंद चीज की बात करें, तो वो जीरा है। जीरा सक्रिय फिनोलिक यौगिक आपके शरीर में ग्लूकोज और खराब कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। साथ ही यह वसा और अन्य पोषक तत्वों के बेहतर अवशोषण में मदद करतें, जो कि मेटाबॉलिज्म को ठीक रखता है। तो अगर आपको तेजी से अपना वजन घटाना है, रोज सुबह जरूर पिएं जीरे का पानी।
- गुलकंद एक प्रकार का मुरब्बा होता है जो कि गुलाब की पंखुडिय़ों से बनता है। गुलकंद को सेहत के लिए लाभजनक माना जाता है और इसे खाने से शरीर को विभिन्न तरह की बीमारियों से निजात मिल जाती है। गुलकंद का स्वाद मीठा होता है और इसमें से गुलाब की खुशबू आती है। सामान्यत: गुलकन्द का इस्तेमाल स्वाद के लिए पान में किया जाता है। लेकिन गुलकन्द खाने के बहुत से फायदे हैं। आइये जाने ये फायदे...-गुलकन्द दिमाग और आमाशय की शक्ति को बढ़ाता है। यदि भोजन करने के बाद गुलकन्द खाया जाए तो यह दिमाग के लिए लाभदायक होता है।-गुलकन्द को दूध के साथ रोजाना पीने से कब्ज की समस्या दूर होती है। गुलकन्द को खाकर ऊपर से दूध पी लें, ऐसा 1 सप्ताह तक करने से कब्ज़ की शिकायत नहीं रहती है।-10 से 20 ग्राम गुलकन्द सुबह और शाम सेवन करने से शौच साफ होता है तथा भूख बढ़ती है और शरीर में ताकत आती है और इसके अलावा कब्ज की शिकायत भी दूर होती है।- 2 चम्मच गुलकन्द को 250 मिलीलीटर हल्का गर्म दूध के साथ सोने से पहले लेने से लाभ मिलता है और कब्ज की समस्या भी खत्म हो जाती है।-2 बड़ा चम्मच गुलकन्द, मुनक्का 4 पीस, सौंफ आधा चम्मच इन सब को मिलकार एक कप पानी में उबाल लें फिर इसका सेवन करें इससे कब्ज मिट जाती है।- गुलकन्द, आंवला, मुरब्बा, हर्रे का मुरब्बा, बहेड़ा का मुरब्बा आदि को मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। रोजाना सुबह, दोपहर और शाम 1-1 गोली गर्म दूध या पानी के साथ कुछ दिनों तक सेवन करने से कब्ज खत्म हो जाती है।- गुलकन्द को मुंह के छाले व घाव पर लगाने से छाले ठीक हो जाते हैं।- गुलकन्द 1 चम्मच, 1 चम्मच त्रिफला या रेंडी का तेल, गर्म पानी के साथ सोने से पहले पीने पेट में बनने वाली गैस खत्म हो जाती है।- 10-20 ग्राम गुलकन्द का सुबह-शाम सेवन करने से शौच साफ आता है, भूख बढ़ती है, शरीर मजबूत हो जाता है। गुलकन्द न मिलने पर इसके चूर्ण का भी प्रयोग किया जा सकता है।- गुलकन्द और शहद का सेवन करने से पाचन-शक्ति में वृद्धि होती है।- गुलकन्द खाने से तेज प्यास भी शांत हो जाती है। गुलाब का गुलकन्द प्रतिदिन सुबह-शाम 3 चम्मच 1 गिलास पानी में मिलाकर पीने से प्यास कम लगती है।- 5 से 20 ग्राम गुलकन्द (गुलाब के पत्तियों से बना) के साथ मिश्री मिलाकर शर्बत बना लें फिर इसे पी लें, इससे शरीर की गर्मी दूर हो जाती है और शांति मिलती है। शरीर में निखार भी आता है। 10 ग्राम गुलकन्द को जल या फिर शहद के साथ मिलाकर पीने से शरीर की गर्मी दूर हो जाती है।- गुलकन्द 50 ग्राम और हरड़ का बक्कल 20 ग्राम, सोंठ 20 ग्राम, सोनामक्खी 50 ग्राम और मुनक्का 20 ग्राम को शहद में मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें फिर इन्ही गोलियों को दूध के साथ 1 दिन में दो बार सुबह और शाम सेवन करने से पेट के अन्दर उपस्थित कीड़े मर जाते हैं।- 10 से 15 ग्राम गुलकन्द को रोजाना सुबह और शाम दूध के साथ खाने से नकसीर का पुराने से पुराना रोग भी ठीक हो जाता है।- उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) से पीडि़त रोगी को प्रतिदिन 25-30 ग्राम गुलकन्द खाने से कब्ज नष्ट होने के साथ बहुत लाभ मिलता है।- खून के खराब होने के कारण से उत्पन्न रोग को ठीक करने के लिए गुलकन्द का सेवन करें। 6 से 10 ग्राम गुलकन्द को दूध या जल के साथ सुबह-शाम सेवन करने से शरीर के बाहरी अंगों जैसे हाथ-पैर की जलन, तलवों की जलन, आंखों की जलन या आंखों से गर्म पानी निकलना आदि रोग ठीक हो जाते हैं।- गुलकन्द और आंवले का मुरब्बा खाने और नारियल के तेल में पानी मिलाकर शरीर पर मालिश करने से शरीर की जलन खत्म हो जाती है।- गुलकन्द या गुलाब के सूखे फूलों में चीनी मिलाकर खाने से हृदय को बल मिलता है तथा इससे सम्बंधित कई प्रकार के रोग भी ठीक हो जाते हैं।- हृदय रोगी को कब्ज के कारण हृदय की धड़कन तेज होने के साथ ही घबराहट अधिक हो रही हो तो ऐसे रोगी की कब्ज की शिकायत को दूर करने के लिए प्रतिदिन आंवले का मुरब्बा सेवन कराएं या दूध के साथ गुलकन्द सेवन कराएं।- 10 ग्राम गुलकन्द को सुबह और शाम खाने से अधिक पसीना आना और शरीर से बदबू आने की शिकायत दूर हो जाती है।- गुलाब की ताजी पत्तियां तथा शहद बराबर मात्रा चीनी के साथ मिलाकर किसी कांच के बर्तन में रखकर लगातार 3 हफ्तों तक धूप में रखें इससे गुलकन्द तैयार हो जायेगा। इस गुलकन्द का सेवन सुबह तथा शाम को करने से शरीर से अधिक पसीना आना तथा बदबू आने की शिकायत दूर होती है।(नोट- गुलकन्द का अधिक मात्रा में सेवन करना ठंडे स्वभाव और गर्म स्वभाव वालों के लिए हानिकारक हो सकता है। इसका अधिक सेवन दिल के लिए भी हानिकारक हो सकता है। इसलिए कोई भी नुस्खा अपनाने से पहले चिकित्सक से एक बार सलाह अवश्य लें)
- स्वास्थ रहने के लिए हर तरह के पोषक तत्वों की पूर्ति होना हमारे लिए बहुत जरूरी होता है, ऐसे ही हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी पोषण विटामिन-डी और विटामिन-सी होते हैं, जो हमे मजबूती देने का काम करते हैं और कई गंभीर बीमारियों से दूर रखने का काम करते हैं। विटामिन डी और सी के स्तर का चयापचय सिंड्रोम घटकों के साथ विपरीत संबंध होता है और उन्हें चयापचय गतिविधियों को खत्म करने के दौरान एंटीऑक्सिडेंट पूरक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। अध्ययनों में अनुमान लगाया कि शारीरिक गतिविधि के साथ विटामिन डी या विटामिन सी का सेवन चयापचय सिंड्रोम के खतरे को कम कर सकता है। लेकिन क्या आप जानते हैं विटामिन डी या विटामिन सी से कौन सबसे ज्यादा बेहतर है और इनके क्या फायदे हैं।विटामिन डी का काम क्या हैहमारे शरीर को मजबूती देने के साथ हड्डियों और दांतों को मजबूत रखने वाले कैल्शियम और फास्फोरस को अवशोषित और विनियमित करने के लिए विटामिन डी की बहुत जरूरत होती है। विटामिन-डी आपके शरीर में इंसुलिन के स्तर को भी नियंत्रित करता है, हमारे प्रतिरक्षा मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र का सक्रिय करता है; हमारे जीन, मांसपेशियां और फेफड़े अच्छी तरह से काम करता है। लेकिन जब हम इसकी कमी को पूरा नहीं कर पाते तो ये हमारी सेहते के लिए गंभीर बन सकता है।विटामिन-डी की पर्याप्त मात्रा कैसे पूरी करेंबच्चे हों या फिर कोई बुजुर्ग हर किसी के लिए शरीर की मजबूती जरूरी होती है, लेकिन जब बात आ जाए कि इसकी पर्याप्त मात्रा कैसे पूरी की जाए तो इसपर कई लोग रुक जाते हैं। क्योंकि उन्हें ये नहीं पता होता कि कैसे इसकी पूर्ति की जाए। तो इसका सीधा जवाब होगा कि सूरज जैसे प्राकृतिक स्रोत और विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थ आपके लिए ज्यादा जरूरी हो जाते हैं। जैसे- रोजाना कम से कम 15 मिनट के लिए धूप में रहें और कोई सनस्क्रीन, सनब्लॉक या शेड के बिना ही आप विटामिन डी की कमी को पूरा करें। इसके साथ ही आप विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थ खाएं जैसे- सामन, टूना, मछली का तेल, जिगर, पनीर और अंडे की जर्दी का सेवन करें।क्या आप विटामिन-डी बहुत अधिक ले सकते हैं?विटामिन डी वसा में घुलनशील है, जिसका अर्थ है कि यह आपके वसा में जमा होता है। यदि आप बहुत अधिक लेते हैं, तो आपका शरीर इसे आसानी से साफ नहीं कर सकता है, और कैल्शियम का स्तर प्रभावित होगा, जो आपके हृदय और रक्त वाहिकाओं, फेफड़ों और गुर्दे को प्रभावित करता है। आप सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, आपके मुंह में एक धातु का स्वाद, मतली या उल्टी, कब्ज या दस्त का अनुभव कर सकते हैं।विटामिन-सी का काम क्या हैविटामिन सी हमारे लिए कितना फायदेमंद होता है ये तो आप सभी जानते हैं। ये संक्रमण से लडऩे में हमारी बहुत मदद करता है और ये इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करने का काम करता है। विटामिन सी हृदय और प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत करता है, रक्त शर्करा के स्तर को विनियमित करने में मदद करता है और लोहे के अवशोषण में मदद करता है। इसके अलावा विटामिन सी आपके बालों और त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करता है और इन्हें बेहतर बनाता है।क्या विटामिन-सी बहुत अधिक ले सकते हैं?हालांकि बहुत ज्यादा विटामिन-सी से भरपूर आहार लेने से कोई हानिकारक संभावना नहीं है, विटामिन सी की खुराक के कारण मेगाडोज हो सकता है। जैसे- दस्त, जी मिचलाना, उल्टी, पेट में जलन, पेट में मरोड़, सिरदर्द और अनिद्रा की समस्या।विटामिन सी के स्रोत- आंवला , संतरा, अंगूर, टमाटर, नारंगी, नींबू, केला, बेर, अमरूद, सेब, कटहल, शलजम, पुदीना, मूली के पत्ते, मुनक्का, दूध, चुकंदर, चौलाई, बंदगोभी, हरा धनिया और पालक।
- पालक मानव के लिए बेहद उपयोगी है। पालक को आमतौर पर केवल हिमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए गुणकारी सब्जी माना जाता है। बहुत कम लोग जानते हैं कि पालक में इसके अलावा और भी कई गुण हैं।पालक में पाए जाने वाले विभिन्न तत्व- 100 ग्राम पालक में 26 किलो कैलोरी उर्जा ,प्रोटीन 2 प्रतिशत ,कार्बोहाइड्रेट 2.9 प्रतिशत, नमी 92 प्रतिशत वसा 0.7 प्रतिशत, रेशा 0.6 प्रतिशत ,खनिज लवन 0.7 प्रतिशत और रेशा 0.6 प्रतिशत होता हैं। पालक में विभिन्न खनिज लवण जैसे कैल्सियम, मैग्नीशियम ,लौह, तथा विटामिन ए, बी, सी आदि प्रचुर मात्रा में पाया जाते हैं। इसके अतिरिक्त यह रेशेयुक्त, जस्तायुक्त होता है। इन्हीं गुणों के कारण इसे जीवन रक्षक भोजन भी कहा जाता हैं।- अगर आप भी बढ़े हुए वजन से परेशान हैं, तो पालक का सेवन वजन घटाने में मदद कर सकता है।- कैंसर के लिए भी पालक का प्रयोग फायदेमंद साबित हो सकता है। दरअसल, पालक बीटा कैरोटीन और विटामिन-सी से समृद्ध होता है और ये दोनों पोषक तत्व विकसित हो रही कैंसर कोशिकाओं से सुरक्षा प्रदान कर सकते है। इसके अतिरिक्त ये एक एंटीऑक्सीडेंट की तरह फ्री-रेडिकल्स और कार्सिनोजन ( एक पदार्थ जिससे कैंसर हो सकता है) को भी रोक सकते हैं।- आंखों की दृष्टि को स्वस्थ रखने के लिए गहरे हरे रंग के पत्तेदार साग का सेवन करने की सलाह दी जाती है, जिनमें से एक पालक भी है। पालक में विटामिन-ए और विटामिन-सी पाया जाता है, जो मुख्य रूप से आंखों में होने वाले मैक्यूलर डीजेनरेशन के खतरे को कम कर सकता है। इसके अलावा, पालक में ल्यूटिन और जियाजैंथिन नामक यौगिक पाए जाते हैं। ल्यूटिन और जियाजैंथिन का सेवन एंटीऑक्सिडेंट गुण की तरह कार्य करता है, जो मैक्युला (रेटिना का केंद्र बिंदु) में पिगमेंट डेनसिटी को सुधारने में अहम भूमिका निभा सकता है।- हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए कैल्शियम सबसे जरूरी पोषक तत्व है, जो हड्डियों के निर्माण से लेकर उनके विकास में मदद करता है और उन्हें मजबूती प्रदान करता है। पालक में कैल्शियम की मात्रा पाई जाती है, इसलिए हड्डियों के स्वास्थ्य को बरकरार रखने के लिए आप पालक को दैनिक आहार में शामिल कर सकते है।- मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए भी पालक के फायदे देखे जा सकते हैं। पालक मस्तिष्क-स्वस्थ के लिए उपयोगी विटामिन-के, ल्यूटिन, फोलेट और बीटा कैरोटीन जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है। पालक का सेवन याददाश्त शक्ति को मजबूत करने का काम कर सकता है।- पालक नाइट्रेट पोषक तत्व से भरपूर सब्जियों में गिना जाता है, जो स्ट्रोक और हार्ट अटैक की वजह से होने वाली मौत के जोखिम को कम कर सकता है।- पालक खाने के फायदे ब्लड प्रेशर से होने वाले जोखिम को कम कर सकता है। पालक में नाइट्रेट की मात्रा पाई जाती है। नाइट्रेट युक्त पालक ब्लड प्रेशर को कम करने में लाभदायक परिणाम दिखा सकता है।- एनीमिया (शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी) का सबसे ज्यादा खतरा गर्भावस्था के दौरान देखने को मिलता है। आयरन की कमी के कारण यह स्थिति उत्पन्न हो सकती है । एनीमिया के जोखिम को कम करने के लिए आयरन की भरपूर मात्रा की आवश्यकता होती है, जो पालक के जरिए पूरी की जा सकती है ।- पालक आपके स्वास्थ्य को मजबूत बनाने के लिए एंटी-इन्फ्लामेट्री के रूप में भी कार्य करता है। दरअसल, एंटी-इन्फ्लामेट्री क्रिया सूजन को कम करने और क्रानिक इन्फ्लेमेशन को ठीक करने का गुण रखती है। इसलिए, पालक को एंटी-इन्फ्लामेट्री आहार के रूप में उपयोग करने की सलाह दी जाती है।- रोग मुक्त रहने के लिए इम्यनिटी का मजबूत रहना बहुत जरूरी है। पालक में विटामिन-ई की मात्रा भरपूर रूप में पाई जाती है और विटामिन-ई रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का काम कर सकता है।- गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल पाचन तंत्र से संबंधित होता है। पाचन तंत्र गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट लीवर, अग्न्याशय और पित्ताशय से बना होता है, जो शरीर में भोजन ग्रहण करने से लेकर भोजन को पचाने में मदद करता है। पालक फाइबर से भरपूर होता है। फाइबर मुख्य रूप से खाने को पचाने का कार्य करता है। इसके अलावा, फाइबर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट को स्वस्थ रखने के लिए पेट के कैंसर से बचाव कर सकता है और कब्ज जैसे समस्याओं पर प्रभावी रूप से काम कर सकता है।- कैल्सीफिकेशन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें कैल्शियम शरीर के टिश्यू में जमा होने लगते हैं, जिससे टिश्यू कठोर जाते हैं। यह एक सामान्य या असामान्य प्रक्रिया हो सकती है । पालक आयरन से समृद्ध होता है और आयरन कैल्सीफिकेशन की प्रक्रिया को रोकने का काम कर सकता है । (नोट- पालक खाने के फायदे हैं, तो नुकसान भी हैं। इसलिए इसका संतुलित मात्रा में ही उपयोग किया जाना चाहिए। )
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नीम एक ऐसा पेड़ है, जिसकी छाल, पत्तियों, तने, लकड़ी और सींक आदि लगभग सभी हिस्से आयुर्वेदिक दृष्टि से बहुत फायदेमंद माने जाते हैं। खासकर नीम की पत्तियों में औषधीय गुण होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार नीम का स्वाद तिक्त (तीखा) और कटु (कड़वा) होता है। लेकिन इसमें कई ऐसे गुण होते हैं जो शरीर और सेहत को कई गंभीर बीमारियों और समस्याओं से बचाते हैं। अगर आप हर रोज सुबह उठकर खाली पेट 5-6 नीम की पत्तियां चबाकर खाते हैं, तो आपको ढेर सारे स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। आइए आपको बताते हैं खाली पेट नीम की पत्तियां खाने से होने वाले जबरदस्त फायदे।
इम्यूनिटी बढ़ाने का आसान तरीकाइन दिनों लोग इम्यूनिटी को लेकर काफी परेशान हैं। इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए आपको बहुत मंहगी दवाएं या सप्लीमेंट्स लेने की कोई जरूरत नहीं है। आप रोजाना सुबह उठकर नीम की ताजा पत्तियां तोड़कर खा लें, तो आपका इम्यून सिस्टम वैसे ही बहुत मजबूत हो जाएगा और अच्छा रिस्पॉन्स करेगा। नीम की पत्तियों में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल, एंटी-इंफ्लेमेट्री, एंटी-ऑक्सीडेंट आदि गुण होते हैं, जिसके कारण ये आपके शरीर में मौजूद इम्यून सिस्टम को बाहरी वायरस, बैक्टीरिया, फंगी आदि से लडऩे के लिए शक्ति देता है।रक्त शोधक गुणआयुर्वेद के अनुसार नीम में रक्त शोधक गुण होते हैं, जिसके कारण सुबह खाली पेट नीम की पत्तियां चबाने से आपके खून की अच्छी तरह सफाई हो जाती है। नीम में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण तो होते ही हैं, इसलिए ये आपके रक्त में घुली अशुद्धियों को खत्म कर देता है और अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकाल देता है। नीम की पत्तियां हर रोज चबाकर खाने से आपका शरीर कुछ ही हफ्तों में टॉक्सिन फ्री हो जाता है।त्वचा पर निखार और चमक बढ़ता हैरोजाना सुबह नीम की पत्तियां चबाकर खाने से आपकी त्वचा की क्वालिटी सुधरती है और त्वचा पर निखार आता है। दरअसल खून में मौजूद अशुद्धियां ही आपके चेहरे के नीरस और खराब दिखने का कारण होते हैं। जब आपके शरीर से टॉक्सिन्स कम होने लगते हैं, तो त्वचा की चमक बढऩे लगती है। इस तरह नीम की पत्तियां आपके नैचुरल ब्यूटी टॉनिक की तरह भी हैं। त्वचा पर दाग-धब्बों और मुंहासों की समस्या हो या किसी तरह का चर्म रोग, स्किन इंफेक्शन आदि, नीम की पत्तियों को पीसकर लगा लेने से आपकी समस्याएं ठीक हो जाती हैं।कैंसर से बचाती हैं नीम की पत्तियांकैंसर इस समय दुनिया की बड़ी बीमारियों में से एक है, जिसके कारण हर साल करोड़ों लोग मरते हैं। कैंसर का खतरा हर किसी को है। नीम की पत्तियों में विशेष एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में कैंसर सेल्स को पनपने से रोकते हैं। इसलिए रोजाना सुबह नीम की 4-5 पत्तियां चबा लेने से आप कैंसर जैसी गंभीर और जानलेवा बीमारियों से बच सकते हैं।डायबिटीज का खतरा होता है कमसुबह-सुबह खाली पेट नीम की पत्तियां चबाने से आपके शरीर का ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है और आप स्वस्थ रहते हैं। इसलिए अगर आप पहले से डायबिटीज का शिकार हैं, तो आपका शुगर कंट्रोल रखने में नीम की पत्तियां आपकी मदद करती हैं और यदि आपको डायबिटीज नहीं है तो भविष्य में इसके होने की संभावना कम हो जाती है। डायबिटीज रोगी नीम की पत्तियों का जूस पिएं, तो उनके लिए बहुत फायदेमंद होगा। - दुनियाभर में कितने तरह की सब्जियां खाई जाती हैं, इसकी कोई गिनती नहीं है। हर देश, राज्य, समुदाय और मौसम की अपनी विशेष सब्जियां हैं। लेकिन कुछ सब्जियां ऐसी भी हैं, जिन्हें पूरी दुनिया में उगाया और खाया जाता है। इनमें से कई सब्जियां अपने पोषक तत्वों और फायदों के कारण एक देश से दूसरे देश पहुंचीं। आज हम आपको बता रहे हैं ऐसी ही 5 सब्जियों के बारे में, जिन्हें पूरी दुनिया के न्यूट्रीशनिस्ट और हेल्थ एक्सपट्र्स हेल्दी मानते हैं। इसका कारण यह है कि ये सब्जियां विशेष पोषक तत्वों , एंटीऑक्सीडेंट्स और मिनरल्स से भरपूर हैं, जो इंसान के शरीर को स्वस्थ रखने और कई बीमारियों से बचाने में काम आते हैं। अगर आप भी इन 5 सब्जियों को रोजाना के खानपान में किसी भी तरह से शामिल कर लें, तो आपको भविष्य में कई गंभीर बीमारियों और शारीरिक समस्याओं का खतरा कम होता जाएगा।लहसुनजिस लहसुन को आज हम और आप खाते हैं, वो कितना गुणकारी है, इसकी खोज आज से हजारों साल पहले ही चीन और मिश्र में कर ली गई थी। भारतीय आयुर्वेद में भी लहसुन को बहुत महत्वपूर्ण औषधि माना गया है। लहसुन का सबसे पावरफुल और सबसे खास कंपाउंड है एलिसिन (्रद्यद्यद्बष्द्बठ्ठ)। लहसुन में मौजूद एलिसिन के कारण ही शायद ही दुनिया का कोई देश हो, जहां लहसुन न खाया जाता हो। रिसर्च बताती हैं कि लहसुन खाने से ब्लड शुगर कंट्रोल में रहता है, हार्ट अटैक का खतरा कम होता है, बेड कोलेस्ट्रॉल की सफाई हो जाती है, खून में हानिकारक ट्राईग्लिसराइड्स की मात्रा कम होती है और यहां तक कि कैंसर से भी बचाव रहता है।पालकदुनिया की सबसे हेल्दी सब्जियों में आपकी चिर-परिचित पालक भी शामिल है। पालक इसलिए खास है क्योंकि इसके गहरे हरे रंग की पत्तियों में बीटा-कैरोटीन और ल्यूटिन जैसे पावरफुल एंटीऑक्सीडेंट्स मौजूद होते हैं। ये दोनों ही एंटीऑक्सीडेंट्स कैंसर के खतरे को कम करने का काम करते हैं। इसके अलावा पालक विटामिन ए का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है, जिसके कारण पालक खाने से आंखें लंबी उम्र तक स्वस्थ रहती हैं। सिर्फ 30 ग्राम पालक खाकर ही आप अपने डेली विटामिन ्र की डोज का 56त्न हिस्सा पा सकते हैं। इसके अलावा पालक में विटामिन ्य भी होता है और कैलोरीज बहुत कम होती हैं। पालक खाने से भी हार्ट की बीमारियां और ब्लड प्रेशर का खतरा कम होता है।ब्रोकलीब्रोकली भी हेल्दी सब्जियों की लिस्ट में काफी ऊपर आती है। इसका कारण यह है कि ब्रोकली में 2 सबसे खास कंपाउंड होते हैं, जिन्हें ग्लूकोसाइनोलेट और सल्फोराफेन कहते हैं। ये दोनों कंपाउंड्स भी कैंसर को रोकने में कारगर माने जाते हैं। ब्रोकली के सेवन से कई क्रॉनिक बीमारियों का खतरा कम होता है। ब्रोकली में ढेर सारे पोषक तत्वों के साथ फाइबर बहुत अच्छी मात्रा में होता है। ब्रोकली में फॉलेट, पोटैशियम, मैंग्नीज आदि मिनरल्स होते हैं, जो दिल की बीमारियों से आपको बचाते हैं।हरा मटरमटर हमारे यहां सीजनल सब्जी है, इसलिए इसे लोग चाव से खाते हैं, मगर इसके पोषक तत्वों और फायदों के बारे में लोग कम जानते हैं। हरे मटर में स्टार्च ज्यादा होता है, इसलिए इसमें काब्र्स और कैलोरीज थोड़ी ज्यादा होती हैं इसलिए इसे बहुत ज्यादा खाने से ब्लड शुगर पर थोड़ा प्रभाव पड़ सकता है। लेकिन फाइबर और प्रोटीन के मामले में मटर बहुत ज्यादा समृद्ध सब्जी है। 1 कप मटर खाने से आपको लगभग 9 ग्राम फाइबर और 9 ग्राम ही प्रोटीन मिलता है। इसके अलावा मटर में विटामिन ्र, विटामिन ्य, विटामिन ष्ट, नियासिन, फॉलेट, थायमिन, राइबोफ्लेविन जैसे तत्व होते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि रिसर्च में यह बात सामने आई है कि मटर के सेवन से कैंसर सेल्स का बढऩा न सिर्फ कम हो जाता है बल्कि ये कैंसर सेल्स को मार भी सकती है।स्वीट पोटैटो (शकरकंद)शकरकंद के नाम में ही कंद है। हमारे यहां आने वाली सफेद शकरकंद से कहीं ज्यादा ऑरेंज कलर वाली शकरकंद हेल्दी होती है। इसे दुनियाभर में स्वीट पोटैटो के नामो से जाना जाता है। ये स्वीट पोटैटो भी विटामिन ए और बीटा-कैरोटीन का बहुत अच्छा स्रोत माना जाता है। बीटा-कैरोटीन को फेफड़ों और ब्रेस्ट कैंसर से बचाने में बड़ा महत्वपूर्ण माना जाता है। एक मीडियम साइज के शकरकंद को खाने से आपको 4 ग्राम फाइबर, 2 ग्राम प्रोटीन, विटामिन बी 6, मैंग्नीज, पोटैशियम आदि मिलता है।
- बदलते मौसम में होने वाली बीमारियों की एक बड़ी वजह है कमज़ोर इम्यूनिटी। इसीलिए, अपने परिवार वालों को पिलाइए इम्यूनिटी बूस्ट करने वाली चीज़ों से बना यह ड्रिंक, जो है एक आयुर्वेदिक काढ़ा। यह खऱाब गले और सर्दी-ज़ुकाम से राहत दिलाएगा। आयुर्वेदिक काढ़ा बनाने का तरीका हम यहां लिख रहे हैं। जिसकी मदद से आप घर में इसे आसानी से तैयार कर सकते हैं।काढ़ा बनाने के लिए इन चीज़ों की ज़रूरत पड़ेगी-2 चम्मच शहद या फिर गुड़-2 चम्मच कटी हुई अदरक के टुकड़ें-3 काली मिर्च-6-7 तुलसी की पत्तियां-3-4 लौंगआयुर्वेदिक काढ़ा बनाने का तरीकासबसे पहले किसी बर्तन में आधा लीटर पानी उबलने के लिए रखें। इसमें, कटी हुई अदरक और तुलसी के पत्ते डालें। फिर, काली मिर्च और लौंग के दानों को किसी सिलबट्टे पर पीसकर पाउडर बनाएं। इसे, भी पानी में डाल दें। इन सभी चीज़ों को पानी के साथ उबलने दें। इससे, इन मसालों का फ्लेवर और गुण पानी में मिक्स हो जाएंगे। पसंद के अनुसार काढ़े में मूलेठी के टुकड़े भी डाल सकते हैं।ध्यान रखें पानी को तब तक पकाना या उबालना है, जब तक कि यह आधा ना हो जाएं। जब, मिश्रण अच्छी तरह उबल जाए। तो, आंच बंद कर दें। काढ़ा तैयार है। इस काढ़े को छान कर पानी और इसमें पड़ी चीज़ें अलग कर दें।इस काढ़े में स्वाद के अनुसार शहद मिलाएं या फिर गुड़। इसे, गर्मागर्म और धीरे-धीरे पीने से सर्दी-खांसी, बंद गला और ज़ुकाम की वजह से होने वाले सिरदर्द से राहत मिलती है।----
- इन दिनों ओरिगेनो खाने का चलन हर जगह बढ़ गया है। कई लोग तो ओरिगेनो को खाने का स्वाद और महक बढ़ाने के लिए ओरिगेनाक का इस्तेमाल करते हैं। ओरिगेना, मार्जोरम नामक अन्य हर्बस से काफी नजदीक है। ग्रीक सलाद में ओरिगेना की पत्तियां एक तरह से स्टार हर्बस है। वहां इसे धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा इटालियन खाने में भी ओरिगेनो की धूम है। बिना ओरिगेनो के पिज्जा की कल्पना ही नहीं की जा सकती। ओरिगेनो में एंटीआक्सीडेंट तत्व मौजूद है। कई बार ओरिगेनो को पेट से सम्बंधित समस्याओं से निपटने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। पाचन तंत्र संबंधित परेशानी में भी यह कारगर है।ओरेगेनो को पिज्जा हर्ब के रुप में जाना जाता है। ज्यादातर लोग ओरेगेनो का सिर्फ पिज्जा में स्वाद बढ़ाने वाले तत्व के रुप में जानते हैं। लेकिन ओरेगेनो सेहत के लिए बहुत ही उपयोगी हर्ब में से एक हैं। इसके अलावा लोग इसे कई स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने के लिए भी प्रयोग करते हैं। ताजे और सूखे ओरेगेनो के प्रयोग से पेट में दर्द, वजन घटाने और सर्दी-जुकाम जैसी समस्याओं से निजात पा सकते हैं।ओरेगेनो में विटामिन और मिनरल भरपूर मात्रा में होता है। इसमें विटामिन ए, सी और ई कॉम्पलैक्स के साथ जिंक, मैग्निशियम, आयरन, कैल्शियम, पौटेशियम, कॉपर, मैगनीज भी पाया जाता है। ये सारे तत्व हमारे शरीर के लिए काफी उपयोगी और फायदेमंद हैं।एंटीऑक्सीडेंट और एंटीसेप्टिक से भरपूर ओरेगेनो का सेवन कॉमन कोल्ड से बचने का अच्छा उपाय है। ओरेगेनो में मौजूद एंटीवायरल तत्व जल्द ही फ्लू के लक्षणों से निजात दिलाते हैं। औमतौर पर फ्लू होने पर सिरदर्द , बुखार, उल्टी, कफ, गले में दर्द जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। एक गिलास पानी में ओरेगेनों की कुछ बूंद मिलाकर पीने से इन लक्षणों से निजात मिल सकती है।कई बार आंतों में होने वाले संक्रमण की वजह से पेट में दर्द और गैस जैसी समस्या शुरु हो जाती है। यह समस्या आंतों में मौजूद कुछ खास परजीवी के कारण होती है। ओरेगेनो ऐसे ही परजीवी को मार कर इन समस्याओं से निजात दिलाता है। सूखे हुए ओरेगेनों की मदद से आप इस समस्या से आसानी से छुटकारा पा सकते हैं।यह हर्ब पौटेशियम का एक अच्छा स्रोत है। शरीर के अंगों और कोशिकाओं के लिए यह एक अच्छा तत्व है। यह हृदय की तेज धड़कनों को नियंत्रित करता है और रक्तचाप जैसी गंभीर समस्या से भी छुटकारा दिलाता है। यह ओमेगा-3 फैटी एसिड का प्राकृतिक स्रोत है जो कि हृदय रोग को दूर रखने में मददगार होता है। ओरेगेनो में फेफड़ों को साफ करने वाले तत्व पाए जाते हैं जिसकी वजह से अस्थमा की समस्या से बचा जा सकता है। अगर आप अस्थमा की समस्या से ग्रस्त हैं तो ओरेगेनों टी ले सकते हैं आप चाहें तो उसमें चीनी की जगह शहद का प्रयोग कर सकते हैं।इस हर्ब में कोलेस्ट्रोल नहीं होता है साथ ही यह फाइबर से भरपूर होता है। फाइबर के सेवन से आप बढ़ते वजन को नियंत्रित कर सकते हैं। इसमें कार्वाक्रोल नामक तत्व पाया जाता है जो शरीर पर जमे फैट को कम करने में मददगार होता है। ओरेगेनो में फाइबर का अच्छा स्रोत है जो कैंसर पैदा करने वाले टॉक्सिन को शरीर से बाहर निकाल देता है। एंटीबैक्टेरियल और एंटी इंफलामैटरी से भरपूर ओरेगेनों स्तन कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को भी दूर रखता है।---
- मौसम में बदलाव के साथ लगभग हर कोई खांसी और सर्दी का शिकार हो जाता है। घर के अंदर रहने, साफ-सफाई बनाए रखने, खुद को वायरस या बैक्टीरिया के संक्रमण से बचाने के लिए तमाम तरीके हैं। संक्रमण के कारण आमतौर पर खांसी और जुकाम की समस्या सबसे पहले होती है। खानपान खांसी-जुकाम के इलाज और रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण होता है। सर्दी-जुकाम से राहत पाने के लिए 4 हेल्दी डाइट टिप्स-1. सूप- सूप कफ से छुटकारा पाने में मदद करता है। इसके अलावा, हेल्दी सूप शरीर में सूजन को शांत करने में मदद करता है। अदरक, लहसुन, हल्दी, काली मिर्च , सब्जियों से बना सूप भूख भी शांत करता है और फायदेमंद भी होता है। यह आप पर निर्भर है कि आप किस तरह का सूप पीना पसंद करते हैं।2. विटामिन सी खाद्य पदार्थ- विटामिन सी से युक्त फल और सब्जियां खांसी और जुकाम में लाभकारी हैं। ये इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद करती हैं, शरीर को इंफेक्शन से बचाती हैं। अधिकतम लाभ के लिए अपने आहार में टमाटर, संतरे, पपीता आदि को शामिल करें।3. कैमोमाइल टी- इस चाय में जीवाणुरोधी गुण होते हैं, जो अच्छी नींद में मदद करता है। बिस्तर पर जाने से पहले इस चाय का एक कप खांसी और सर्दी के कारण परेशान होने पर आपको बेहतर नींद में मदद कर सकता है।4. केला- यह एक गलत धारणा है कि व्यक्ति को खांसी और जुकाम के दौरान केला नहीं खाना चाहिए। केले पोटेशियम से भरपूर होते हैं, जो इसे खांसी और सर्दी से पीडि़त लोगों के लिए एक अद्भुत फल बनाता है। जहां तक संभव हो दोपहर से पहले केले खा लें।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल ही में बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए फैबरिक मास्क को पहनने का सही तरीका बताया है। डब्ल्यूएचओ ने फैबरिक मास्क को पहनने की कुछ गाइडलाइंस तैयार की हैं। साथ ही डब्ल्यूएचओ ने बताया कि खुद को और दूसरों को कैसे प्रोटेक्ट किया जाए। पढ़ते हैं आगे...खुद को और दूसरों को बचाने के लिए याद रखें ये बातें1. दूसरों से लगभग एक मीटर की दूरी बनाए रखें।2. समय-समय पर अपने हाथ धोते रहें।3. अपने मास्क को और अपने चेहरे को बार-बार छूने से बचें।4. मास्क को पहने समय सही साइड का ध्यान रखें।5. अपने मास्क को छूने से पहले एक बार हाथ जरूर धोएं।6. मास्क के खराब होने या गंदे होने पर उसे फेंक दें।मास्क पहनते वक्त ध्यान रखें ये बातें1. सबसे पहले मास्क में उस हिस्से की पहचान करें जो चेहरे को और नाक को कवर करेगा।2. अब अपने मास्क को बड़ी सावधानी के साथ पहनें और ध्यान दें कि नाक के आसपास के हिस्से में जगह न छूटे।3. मास्क से अपने मुंह, नाक और चिन को कवर करें।4. एक बार मास्क पहनने के बाद उसके फ्रंट हिस्से को छूने से बचें।5. अपना मास्क उतारने से पहले भी हाथ धोएं।6. मास्क में लगी तनी की मदद से मास्क को उतारें।7. अपने मास्क को किसी साफ थैले या कंटेनर में रखें।8. मास्क उतारने के बाद अपने हाथ फिर से धोएं।9. अपने मास्क को दिन में कम से कम एक बार गर्म पानी से जरूर धोएं।10. किसी अन्य को अपना मास्क इस्तेमाल करने न दें।मास्क के गलत प्रयोग करने से, असावधानी और वायरस की चपेट में आने की संभावना, मास्क न पहनने वाले लोगों से भी कहीं ज्यादा है, क्योंकि गलत तरीके से पहना गया मास्क आपको झूठी सुरक्षा का भ्रम देता है। इसीलिए विश्वा स्वास्थ्य संगठन ने बताया है कि लोग मास्क पहनने में कौन सी गलतियां कर रहे हैं।ढीला मास्क लगानाआपका मास्क आपके चेहरे से चिपका हुआ होना चाहिए, ताकि ऊपर, नीचे या किसी भी दिशा से बाहरी पार्किल्स और वायरस आपकी नाक और मुंह में न प्रवेश कर जाएं। लेकिन बहुत सारे लोग ढीला-ढाला मास्क पहन लेते हैं।नाक के नीचे मास्क पहननाबहुत सारे लोग मास्क तो लगा रहे हैं, लेकिन सुविधा की दृष्टि से अपनि नाक को मास्क के बाहर निकाल लेते हैं और मुंह को ढके रहते हैं। मुंह से ज्यादा तो वायरस के प्रवेश का खतरा और निकलने का खतरा नाक से ही है, क्योंकि आमतौर पर नाक से ही आप सांस खींचते हैं और छोड़ते हैं। इसलिए नाक और मुंह दोनों ढंके होने चाहिए।बात करने के लिए मास्क उतार लेते हैंये गलती बहुत सारे लोग करते हैं कि अकेले में तो पूरा मास्क पहनते हैं, लेकिन जब कोई सामने आ जाए तो उससे बात करने के लिए मास्क हटा कर बात करते हैं। कुल मिलाकर इस तरह मास्क के प्रयोग से बिल्कुल भी सुरक्षा नहीं मिल सकती है।ठुड्डी के नीचे मास्क पहननाकुछ लोग मास्क को मुंह और नाक पर लगाने के बजाय कान से लटकाकर दाढ़ी के नीचे कर लेते हैं और बाद में इसे फिर पहनते-उतारते रहते हैं। ये भी गलत बात है।मास्क को बार-बार एडजस्ट करना और छूनाये गलती तो 99 प्रतिशत लोगों को करते हुए देखा गया है। मास्क पहनने के बाद भी थोड़ी-थोड़ी देर में अपने मास्क को एडजस्ट करना या उतारना-पहनना ये गलत आदतें हैं। इससे आपको कोरोना वायरस से सुरक्षा नहीं मिल सकती है।मास्क की अदला-बदलीकुछ लोग एक-दूसरे से मास्क भी शेयर कर रहे हैं। खासकर घर के सदस्य आपस में कोई किसी का भी मास्क पहन कर बाहर निकल जाते हैं। ये आदत इसलिए गलत है क्योंकि कोरोना वायरस के 50त्न से ज्यादा मामलों में व्यक्ति को कोई लक्षण नहीं दिखते, वो स्वस्थ नजर आता है। ऐसे में मास्क आपस में बदलने से वायरस के फैलने का खतरा बहुत ज्यादा है।अगली बार जब भी आप मास्क पहनें तो ये गलतियां न करें क्योंकि मास्क आपको सुरक्षा के लिए पहनना है, न कि पुलिस से बचने या किसी को दिखाने के लिए। इसलिए मास्क को तरीके से पहनें। अगर आपका मास्क रियूजेबल (दोबारा इस्तेमाल) वाला है, तो हर प्रयोग के बाद मास्क को साबुन और पानी से अच्छी तरह धोकर सुखाएं। अगर मास्क सिंगल यूज है, तो इसे इस्तेमाल करने के बाद फेंक दें।
- देश में कोरोना संक्रमण के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। ऐसे में सरकार और वैज्ञानिक नई-नई गाइडलाइंस और एडवाइजरी लोगों के सामने पेश कर रहे हैं। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्युनिटी जितनी मजबूत होगी उतनी ही जल्दी लोग ठीक होंगे इसलिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी आयुष मंत्रालय द्वारा जारी की गई इम्युनिटी बढ़ाने वाली चीजों को अपनी दिनचर्या में जोडऩे के लिए कहा है। आइए जानते हैं...इम्युनिटी बूस्ट करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन1. गिलोए पाउडर एक इम्युनिटी बूस्टर है। अगर इसे गर्म पानी में 1-3 ग्राम लगातार 15 दिन लिया जाए तो शरीर को बीमारियों से लडऩे में मदद मिलती है।2. अश्वगंधा एक प्रकार की आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जो इम्युनिटी बढ़ाने में मदद करती है। दिन में दो बार इसका सेवन करने से लाभ मिलता है।3. आंवला या आंवले के पाउडर में विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है। 1-3 ग्राम रोजाना सवेन करने से इम्युनिटी मजबूत रहती है।4. मुलेठी पाउडर सूखी खांसी के लिए बहुत मददगार है। अगर दिन में दो बार गर्म पानी में 1-3 ग्राम लिया जाए तो बीमारी से लडऩे में मदद मिलती है।5. जब भी चोट लगती है तो गर्म हल्दी दूध का सेवन किया जाता है। इम्युनिटी सिस्टम को बढ़ाने के लिए ये बहुत मददगार है। रोज रात को गर्म दूध में हल्दी मिलाकर लें।6. अगर आपको गले में खराश सी महसूस हो तो अपनी दिनचर्या में गरारे शामिल करें। इसके लिए एक गिलास गर्म पानी में आधा चम्मच हल्दी पाउडर और थोड़ा सा नमक डालकर एक घोल बना लें। दिन में कम से कम 5 से 6 बार गरारे करें।7. वैसे तो च्यवनप्राश का सेवन सर्दियों में किया जाता है। लेकिन ये इम्युनिटी बढ़ाने के लिए काफी कारगर है। ऐसे में महामारी के दौर में इसका सेवन किया जा सकता है।8. समशामनी वटी को अगर दिन में दो बार लिया जाए तो ये संक्रमण से लडऩे में बेहद मददगार है। बता दें कि ये वटी बड़ी आसानी से पंसारी की दुकान पर मिल सकती है। इसके आलावा आप ऑनलाइन भी ऑडर दे सकते हैं।9. हर्बल टी या काढ़ा पिएं। इसके लिए तुलसी, दालचीनी, काली मिर्च और अदरक और मुनक्का को एक साथ पानी में उबाल लें और छानकर इस पानी का सेवन करें। ऐसा आप दिन में 1 से 2 बार कर सकते हैं। अगर आपको इस काढ़े को पीने में परेशानी आए तो टेस्ट के लिए आप इसमें गुड़ या नींबू का रस मिला सकते हैं।10. खाना पकाने में रोजाना हल्दी, जीरा, धनिया और लहसुन जैसे मसालों का इस्तेमाल करें।कुछ महत्वपूर्ण बिंदु-समय-समय पर हाथ धोएं। साथ ही मास्क हर वक्त लगाए रखें।-हर सात दिनों के भीतर एक बार अपना चेक-अप जरूर करवाएं।-अपनी दिनचर्या में योगासन और प्राणायम जोड़ें।-अपने ऑक्सीजन का स्तर भी बीच-बीच में जांचते रहें।----
- दुनियाभर में पुदीने की पत्तियों को इसके बेहतर स्वाद और इसके स्वास्थ्य लाभों के कारण पसंद किया जाता है। पुदीने की पत्तियों को हरी चटनी बनाने के साथ-साथ डिटॉक्स वाटर और रिफ्रेशिंग मोहितो भी बनाया जाता है। यह आपके शरीर को हाइड्रेट रखने के साथ-साथ आपको और भी कई फायदे पहुंचाता है। आप पुदीने को ताजा और सुखाकर भी इस्तेमाल कर सकते हैं। सूखा पुदीना सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है। आइए यहां हम आपको सूखे पुदीने के फायदे बताते हैं।पेट की समस्याओं का इलाजसूखा पुदीना पेट के दर्द का इलाज करने में मददगार है। यदि अचानक पेट दर्द की शिकायत हो तो सूखे पुदीने की मदद ली जा सकती है। पुदीने की पत्तियों में एंटी इंफ्लामेटरी गुण होते हैं, जो आपके पेट की सूजन को कम करने में मददगार होते हैं। सूखे पुदीने की पत्तियां अपच से राहत दिलाने में भी मदद करती हैं ।इम्युनिटी को बूस्ट करने में मददगार हैसूखी या पुरानी पुदीना की पत्तियां शरीर की इम्युनिटी को बूस्ट करने में मददगार होती हैं। पुदीने की पत्तियां फास्फोरस, कैल्शियम और विटामिन सी, डी, ई और ए से भरपूर होती हैं, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर बनाती हैं। इससे बीमारियों का खतरा भी कम होता है।मॉर्निंग सिकनेस और मतली को रोकेसूखी पुदीना की पत्तियों का सेवन करने से पेट संबंधी समस्याओं को दूर करने के साथ-साथ मॉर्निंग सिकनेस और मतली को रोकने में मदद मिलती है। यह पाचन के लिए आवश्यक एंजाइम को सक्रिय करता है और मतली को रोकता है। यह गर्भवती महिलाओं के लिए गर्भावस्था के दिनों में एक महान उपाय हो सकता है।तनाव को प्रबंधित करने में मददगारपुदीना की सुगंध बहुत शांत है, जो तनाव को कम करने के लिए अरोमाथेरेपी में इस्तेमाल किया जा सकता है। पुदीना की सुगंध दिमाग और शरीर को शांत करने में मदद करती है। पुदीना में एडाप्टोजेनिक गुण भी होते हैं, जो कोर्टिसोल के स्तर को नियंत्रित करते हैं और तनाव को कम करता है।एलर्जी और अस्थमा में मददगारपुदीने की पत्तियों में एक शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी एजेंट होता है, जिसे रोजमिनिक एसिड कहा जाता है। यह एजेंट एलर्जी पैदा करने वाले यौगिकों को अवरुद्ध करता है और एलर्जी और अस्थमा से पीडि़त लोगों की मददगार होता है।सर्दी के लिए एक अच्छा नुस्खामौसम का बदलना हर किसी को अक्सर बीमार कर देता है। पुदीना नाक, गले और फेफड़ों से जमाव को साफ करने में मदद करता है। इस प्रकार, यह शरीर को ठंड से बचाने और गले को साफ करने में मदद करता है। इसके अलावा, पुदीना के एंटी बैक्टीरियल गुण खांसी के कारण होने वाली जलन से राहत दिलाने में मदद करता है।---
- गुग्गुल या गुग्गल एक वृक्ष है। इससे प्राप्त राल जैसे पदार्थ को भी गुग्गल कहा जाता है। भारत में इस जाति के दो प्रकार के वृक्ष पाए जाते हैं। एक को कॉमिफ़ोरा मुकुल तथा दूसरे को कॉ. रॉक्सबर्घाई कहते हैं। अफ्रीका में पाई जाने वाली प्रजाति कॉमिफ़ोरा अफ्रिकाना कहलाती है। घरों में शुद्ध वातावरण के लिए गुग्गुल की धूप जलाना शुभ माना जाता है।आयुर्वेद के मतानुसार यह कटु तिक्त तथा उष्ण है और कफ, बात, कास, कृमि, क्लेद, शोथ और अर्श नाशक है। गुग्गुल का उपयोग औषधि के रुप में किया जाता है। इसमें विटामिन, एंटीऑक्सिडेंट, क्रोमियम जैसे अनेक घटक होते हैं। इनके कारण गुग्गल कई प्रकार के रोगों के लिए फायदेमंद साबित होता है। चलिये अब ये जानते हैं कि गुग्गुल किन-किन बीमारियों में फायदेमंद हैं।-योगराज गुग्गुलु को सुबह शाम त्रिफला काढ़ा के साथ सेवन करने से नेत्र संबंधी विभिन्न रोगों में लाभ होता है।- अगर आप कान से बदबू निकलने की परेशानी से कष्ट पा रहे हैं तो गुग्गुल के धूम से धूपन करने से कान से बदबू निकलना कम होती है।- 3 माह तक अन्न का परित्याग करके केवल दूध के आहार पर रहते हुए शुद्ध गुग्गुलु का सेवन करने से उदर रोग में अत्यंत लाभ होता है।- त्रिफला काढ़ा के साथ गुग्गुलु का सेवन करने से भगन्दर रोग (फिस्टुला) में फायदा मिलता है।- गुग्गुलु, लहसुन, हींग तथा सोंठ को जल के साथ लेने से अर्श या कृमि के इलाज में मदद मिलती है।- आजकल की जीवन शैली में जोड़ों में दर्द किसी भी उम्र में हो जाता है। योगराज गुग्गुलु को बृहत्मंजिष्ठादि काढ़ा अथवा गिलोय काढा के साथ सुबह शाम देने से जोड़ों के दर्द से आराम मिलता है।- त्रिफला काढ़ा अथवा रस में गुग्गुलु मिलाकर पीने से बहने वाले घाव को ठीक होने में मदद मिलती है। स्किन यानी त्वचा सम्बंधित परेशानियों में भी गुग्गुल लाभदायक होता है क्योंकि इसमें कषाय गुण होने के कारण यह त्वचा को स्वस्थ बनाये रखता है इसके अलावा यह त्वचा से कील - मुहासें जो कि तैलीय त्वचा ने अधिक होते हैं, कषाय होने से यह उनको भी दूर करने में मदद करता है।- गुग्गुल में वात और कफ को कम करने का गुण होने के कारण एवं एक रसायन औषधि होने के वजह से यह डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद करता है।- कब्ज एक ऐसी समस्या है जो कि पाचन के गड़बड़ होने के कारण एवं वात दोष के बढऩे के कारण होती है। गुग्गुल में उष्ण गुण होने के कारण यह पाचन को स्वस्थ बनाता साथ ही वात दोष को कम करता है। इस कारण गुग्गुल कब्ज से राहत देने में सहायक होता है।- गंजापन एक ऐसी समस्या है जो कि वात -पित्त और कफ दोष के बिगडऩे की वजह से होती है। गुग्गुल में, दीपन - पाचन एवं वात - कफ शमन गुण होने के कारण ये यह इस समस्या में भी लाभदायक होता है।- एसिडिटी का एक कारण अपचन होता है । गुग्गुल में उष्ण एवं दीपन-पाचन गुण पाए जाने के कारण यह पाचक अग्नि को बढ़ाकर पाचन को स्वस्थ बनाये रखता है । साथ ही यह एसिडिटी को भी कम करने में सहयोगी होता है।- फ्रैक्चर हो जाने के कारण वात दोष बढ़ जाता है एवं हड्डियों में कमजोरी-सी आ जाती है। गुग्गुल में वात शामक एवं बल्य गुण होने के कारण यह हड्डियों को बल प्रदान करता है एवं उसे जल्दी ठीक होने में सहयोग देता है।
- केवड़ा सुगंधित फूलों वाले वृक्षों की एक प्रजाति है जो अनेक देशों में पाई जाती है और घने जंगलों मे उगती है। पतले, लंबे, घने और कांटेदार पत्तों वाले इस पेड़ की दो प्रजातियां होती हंै- सफेद और पीली।सफेद जाति को केवड़ा और पीली को केतकी कहते हैं। केतकी बहुत सुंगधित होती है और उसके पत्ते कोमल होते हैं। इसमें जनवरी और फरवरी में फूल लगते हैं। केवड़े की यह सुगंध सांपों को बहुत आकर्षित करती है। इनसे इत्र भी बनाया जाता है जिसका प्रयोग मिठाइयों और पेयों में होता है। कत्थे को केवड़े के फूल में रखकर सुगंधित बनाने के बाद पान में उसका प्रयोग किया जाता है। केवड़े के अंदर स्थित गूदे का साग भी बनाया जाता है। इसे संस्कृत, मलयालम और तेलुगु में केतकी, हिन्दी और मराठी में केवड़ा, गुजराती में केवड़ों, कन्नड़ में बिलेकेदगे गुण्डीगे, तमिल में केदगें फारसी में करंज, अरबी में करंद और लैटिन में पेंडेनस ओडोरा टिसीमस कहते हैं। इसके वृक्ष गंगा नदी के सुन्दरवन डेल्टा में बहुतायत से पाए जाते हैं।केवड़ा के कई फायदे हैं। इसका उपयोग इत्र, लोशन, तम्बाकू, अगरबत्ती आदि में सुगंध के रूप में किया जाता है। साथ ही इसकी पत्तियों से चटाई, टोप, टोकनियां, पत्तल आदि बनाई जाती हैं। ओडि़शा में केवड़े के फूल को फूलों का राजा कहा जाता है। केवड़ा का पौधा 18 फीट तक बढ़ता है और एक बार में 30 से 40 फल देता है। इसका फल शुरूआत में सफेद रंग का होता है इसीलिए इसे सफेद कमल भी कहा जाता है। आयुर्वेद में लगभग 12 हजार औषधीय जड़ी- बूटियों का उल्लेख मिलता है, जिसमें से केवड़ा भी एक है। आधुनिक शोधों व अनुसंधानों ने सिद्ध कर दिया है कि केवड़ा में अनेक औषधीय गुण हैं, जिनका कोई जवाब नहीं है। आइए जानते हैं इस सुगंधित पौधे के फायदे और नुकसानों के बारे में -केवड़ा के आयुर्वेदिक गुण- केवड़ा जल का उपयोग मिठाई, स्वीट सिरप और कोल्ड ड्रिंक्स आदि में सुगंध के रूप में भी किया जाता है। इसकी सुंगध एक तरह से मानसिक शांति प्रदान करती है।-इसमें एंटीफंगल और एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं, जिसके कारण ये किसी भी तरह के संक्रमण को फैलने से रोकता है।- केवड़ा का तेल का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दृष्टि से बड़ा ही लाभकारी है। इसे सिर दर्द व गठिया जैसे रोगों का उपचार किया जाता है।- इसके फूल में शरीर के सौंदर्य को बढ़ाने वाले गुण भी पाये जाते हैं।- केवड़ा के पत्ते विषनाशक होते हैं। इसका इस्तेमाल जहर के असर को कम करने के लिए भी किया जाता है।-यही नहीं केवड़ा की पत्तियों का उपयोग चेचक, खुजली, कुष्टरोग, ल्यूकोडर्मा के उपचार में भी किया जाता है। केवड़ा की पत्तियों को पीस कर इसके लेप को स्किन पर लगाया जाता है और ये बहुत ही कारगर उपचार साबित होता है।- केवड़ा के पत्तों को उबाल कर एक तरह का काढ़ा बनाया जाता है जिसके रोजाना सेवन से कई बीमारियां दूर होती हैं।- कितना भी सिर दर्द क्यों न हो रहा हो, केवड़ा का तेल के इस्तेमाल से ये दर्द मिनटों में दूर भाग जायेगा। जी हां, सिर में दर्द होने पर केवड़ा के तेल से मालिश करें, बहुत आराम मिलेगा।- बुखार के दौरान शरीर में थकावट इतनी बढ़ जाती है कि इंसान अपने आप को और भी ज्यादा बीमार महूसस करने लगता है। ऐसे में अगर उसे केवड़े का रस 40 से 60 मिलीलीटर की मात्रा में पिला दिया जाए तो उसका बुखार भी उतर जाएगा और शरीर में तरावट भी आ जायेगी।- केवड़ा का अर्क शरीर के हर तरह के दर्द खासतौर पर जोड़ों के दर्द से राहत देता है। रोजाना केवड़े के तेल से मालिश करने से गठिया जैसे रोग भी जड़ से समाप्त हो जाते हैं।- पेट की बीमारियों से पीडि़त लोगों के लिए केवड़ा बहुत ही फायदेमंद होता है। इसका इस्तेमाल पेट में जलन, पेट दर्द, गैस, ब्लोटिंग आदि की समस्या को दूर करने के लिए भी किया जाता है।- एक्सपर्ट बताते हैं कि केवड़ा तनाव दूर करने का सबसे प्रभावी और प्राकृतिक उपाय माना जाता है। दरअसल, केवड़ा के पत्तों में एंटी- स्ट्रेस एजेंट पाये जाते हैं जो कि हमारे तनाव और मानसिक असंतुलन को ठीक करते हैं। इसके अलावा इसकी खुशबू मानसिक विश्राम देती है।- केवड़ा भूख बढ़ाने में भी सहायक है। केवड़ा का अर्क अगर नियमित रूप से खाने में इस्तेमाल करते हैं तो भूख पहले की तुलना में अधिक बढ़ जाती है।- केवड़ा पानी एक अच्छे क्लींजर के तौर पर काम करता है और स्किन से गंदगी और अशुद्धियों को बड़ी ही कुशलता से बाहर निकालता है। केवड़ा में मौजदू एंटी एंजिग गुण स्किन को पोषण देते हैं। इससे आपकी त्वचा लंबे समय तक जवां बनी रहती है। केवड़ा जल की सबसे बड़ी खासियत है कि ये स्किन के दाग-धब्बों और मुहांसों को कम करता है।-----
- छत्तीसगढ़ में कई तरह की भाजी को साग के रूप में खाया जाता है। इसी में से एक है अमाड़ी , आमाड़ी या फिर अम्बाड़ी। इसका स्वाद थोड़ा खट्टापन लिए होता है। पत्तियों का खट्टापन अलग - अलग क्षेत्र के साग में अलग - अलग होता है। इसकी ताज़ी पत्तियों का साग बनाया जाता है। इसके अलावा मटन करी, तुअर दाल और अचार बनाने में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसकी पत्तियों को भाजी के रूप में खाया जाता है, तो इसके लाल-लाल फलों की स्वादिष्ट चटनी बनाई जाती है। इसकी पत्तियों की भी इमली के साथ स्वादिष्ट चटनी और अचार बनता है जिसे साल भर तक रखा जा सकता है। इसकी पत्तियों और फल के काफी फायदे हैं। इसकी खासियत है कि इसे मॉनसून में भी खाया जा सकता है। छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में इसे खास तौर से खाया जाता है।अमाड़ी हरे और लाल तने वाली एक हरी सब्जी है, जो कि अम्बाडी हिबिस्कस परिवार से संबंधित है। यह एक जंगली सब्जी है, जो लगभग भारत के हर कोने में होती है।ज्वार की रोटी और आमाड़ी की भाजी निमाड़ का एक पारंपरिक पाक व्यंजन है। यह मध्यप्रदेश के निमाड़ क्षेत्र में प्राय: हर घर में बनाई जाती है। अम्बाडी इस सब्जी का मराठी नाम है। तेलुगू में इसे गोंगुरा, मराठी में अम्बाड़ी, तमिल में पुलिचा किराइ, कन्नड़ में पुंडी, हिंदी में पितवा, उडिय़ा में खाता पलंगा, असमिया में टेंगा मोरा और बंगाली में मेस्तापत नाम से जाना जाता है। इससे पता चलता है कि देश के ज्य़ादातर हिस्सों में ये साग खाया जाता है।क्या हैं इसके फायदेयह विटामिन ए, विटामिन बी और विटामिन सी से भरपूर होती है। इस वजह से यह आंखों और त्वचा के लिए काफी अच्छी होती हैं। पोटैशियम और मैग्नीशियम से भरपूर होने की वजह से इसका नियमित सेवन करने से यह बीपी को कंट्रोल में रखती है। अमाड़ी दो तरह की होती है- एक हरी डंथल वाली और दूसरी लाल डंथल वाली। लाल रंग की अमाड़ी में हरी गोंगुरा की तुलना में ज्यादा खटास होती है। इसलिए लाल अमाड़ीका इस्तेमाल चटनी-अचार में ज्यादा किया जाता है। लाल अमाड़ी ज्यादा पौष्टिक भी होती है। चूंकि यह धीरे-धीरे पचता है, यह आंत के पारिस्थितिकी तंत्र को भी पोषण करने में मदद करता है जो शारीरिक कार्यों के लिए आवश्यक है।इम्युन सिस्टम को मजबूत बनाने में सहायकऐसा माना जाता है कि अमाड़ी में ऐसे पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर के इम्युन सिस्टम को मजबूत बनाए रखने में मदद करते हैं। अमाड़ी में विटामिन सी होता है, जो इम्युनिटी को बूस्ट करने और शरीर में व्हाइट ब्लड सेल्स को बढ़ाने में मददगार होता है।फोलिक एसिड और आयरन का स्त्रोतऐसा माना जाता है कि अम्बाडी आयरन और फोलिक एसिड का एक अच्छा स्त्रोत है। यह शरीर में एनिमिया का खतरा कम करता है।पेट को स्वस्थ रखेअमाड़ी का सेवन पेट को स्वस्थ रखने में मदद करता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें धीरे-धीरे पचने वाले स्टार्च होते हैं, जिससे कि यह पेट के इकोसिस्टम को बनाए रखने में मदद करते हैं। यह भाजी पेट में स्वस्थ बैक्टीरिया को बनाए रखने में मददगार होती है। यह कब्ज की समस्या भी दूर करती है।हड्डियों के लिए फायदेमंदअमाड़ी के पत्ते हड्डियों को मजबूत बनाए रखने का एक सुरक्षित और शानदार उपाय है। इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम और फास्फोरस की प्रचुर मात्रा होती है। यह हड्डियों को मजबूत बनाए रखने में मददगार होते हैं। इस सब्जी का नियमित सेवन करने से ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों से भी बचा जा सकता है।
- चिया सीड्स का उपयोग आजकल वजन कम करने के लिए ज्यादा हो रहा है। इसे विभिन्न खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों में चिया बीजों को मिलाकर सेवन किया जा सकता है। अभिनेत्री आलिया भट्ट भी इसका इस्तेमाल कर अपने आप को स्लिम फिट रखती हैं। चिया बीज भी प्रभावी रूप से वजन घटाने वाले बूस्टर में से एक हैं। चिया बीज की पहचान एक सुपरफूड के रूप में की गई है जो पोषक तत्वों से भरा हुआ होता है। ये बीज प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत होते हैं,, जो वजन घटाने की प्रक्रिया को तेज करने में मदद करते हैं। चिया बीज को डाइट में शामिल करने से शाकाहारियों को प्रोटीन प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।न्यूट्रिशनिस्ट यानी को न्यूट्रिशन एक्सपर्ट बताते हैं कि हाल के दिनों में चिया सीड्स ने न केवल उच्च प्रोटीन, फाइबर और ओमेगा -3 फैटी एसिड सामग्री के कारण लोकप्रियता हासिल की है, बल्कि इनका सेवन शाकाहारी या ग्लूटेन-सेंसिटिव लोगों के बीच भी काफी बढ़ा है और लोगों ने अपनी डेली डाइट में भी शामिल करना शुरू किया है। चिया बीजों में घुलनशील और अघुलनशील फाइबर दोनों होते हैं साथ ही ये प्रोटीन और ओमेगा -3 फैटी एसिड से भी समृद्ध होते हैं। ये बीज आपको लंबे समय तक परिपूर्णता की भावना प्रदान करते हैं। इसके साथ ही ये बीज भूख को कम करने और भोजन से कैलोरी के अवशोषण को कम कर वजन कम करने में मदद करते हैं। कैसे करें चिया के बीज का उपयोग ?चिया के बीजों को खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थों दोनों में शामिल किया जा सकता है। आप कुछ चिया बीज को रात भर पानी में भिगों कर रख सकते हैं और सुबह उठकर खाली पेट इस मिश्रण को पी सकते हैं। आप इसके स्वाद को बेहतर बनाने के लिए इसमें कुछ नींबू और शहद भी मिला सकते हैं। भिगोया हुआ चिया बीजों को डिटाक्स वाटर में भी जोड़ा जा सकता है।चिया का हलवाचिया बीज सीमित कैलोरी के साथ पोषक तत्वों का एक पावरहाउस है। ये बीज फाइबर, उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन, एंटीऑक्सिडेंट, मैग्नीशियम और कई अन्य पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं।अभिनेत्री आलिया भट्ट सुबह के नाश्ते या शाम के नाश्ते के रूप में चिया का हलवा खाना पसंद करती हैं। आलिया भुने हुए चिया बीज, नारियल के दूध, प्रोटीन पाउडर का एक स्कूप और आर्टिफिशियल स्वीटनर की कुछ बूंदों सहित कई अद्भुत स्वस्थ सामग्रियों के मिश्रण के साथ चिया बीजों का हलवा बनाती हैं, जो उनकी सेहत का राज है।चिया बीजों के अलावा आलिया को ये चीजें हैं पसंदआलिया को मूंग की दाल का हलवा और खीर बेहद पसंद हैं। आलिया को राजमा सलाद और खिचड़ी भी बेहद पसंद हैं, जिसे वे चुकंदर के सलाद और चिया के हलवे के अलावा खाना पसंद करती हैं।आलिया पोषक तत्वों के साथ हेल्दी फूड करती हैं पसंदअपने पसंदीदा फूड विकल्पों में आलिया स्वस्थ खाद्य पदार्थों का एक मिश्रण चुनती है, जो आवश्यक पोषक तत्वों से भरे होते हैं। नियमित रूप से व्यायाम और डाइट हेल्दी वजन बनाए रखने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं और आलिया ने इन दोनों को जारी रखना पसंद करती हैं।
- क्या आप अपने के कॉफी कप में कुछ प्रोटीन लेना पसंद करेंगे? कुछ मशहूर हस्तियां प्रोटीन कॉफी को पीना काफी पसंद करते हैं। यह प्रोटीन कॉफी आपके लिए कई स्वास्थ्य लाभों से भरपूर हैं। मांसपेशियों की वृद्धि के लिए प्रोटीन के लाभ के बारे आप सभी जानते होंगे। अगर आप जिम जाने वाले लोग हैं, तो आप अच्छी मसल्स और स्टैमिना बनाने के लिए कसरत के बाद नियमित रूप से प्रोटीन शेक लेते हैं। वहीं दूसरी ओर, कॉफी की बात करें, तो इसमें कैफीन होता है, जो शरीर को सक्रिय करता है। इसके अलावा, यह मांसपेशियों के दर्द को कम करता है और मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है। प्रोटीन और कॉफी के इस विशेष मिश्रण को स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है क्योंकि यह दोनों मिलकर इसके लाभों को दोगुना कर देते हैं।यह प्रोटीन कॉफी स्वाद में ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी बेहद स्फूर्तिदायक, उत्तेजक और फायदेमंद है। आइए यहाँ आप प्रोटीन कॉफी पीने के कुछ अद्भुत स्वास्थ्य लाभों के बारे में जानें।-स्लिम- ट्रिम और हेल्दी होने की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए प्रोटीन कॉफी पीना काफी अच्छा है। प्रोटीन कॉफी न केवल मेटाबोलिज्म को बढ़ाता है, बल्कि यह आपकी तेज भूख को भी शांत करता है। इस प्रकार, आप कम खाएंगे जिसका अर्थ है लो कैलोरी! यह कहा जाता है कि वर्कआउट करने से एक घंटे पहले प्रोटीन कॉफी का सेवन वजन घटाने को बढ़ावा देता है।-प्रोटीन पाउडर और कॉफी के इस संयोजन से ब्लड सकुर्लेशन सही रहता है, जिससे कि आपका ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहता है। यह आपके ब्लड सकुर्लेशन बढ़ाता है और खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है। यह आपके हृदय की कोशिका की क्षति को रोकता है। इतना ही नहीं, यह आपके हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए बेस्ट है।-कैफीन तनाव को कम करता है और मूड में सुधार करता है। वहीं प्रोटीन आपके मस्तिष्क को सतर्क और केंद्रित रहने में मदद करता है। प्रोटीन कॉफी आपके मानसिक कार्यों में सुधार करता है और अनुभूति को बढ़ाता है। प्रोटीन या सोया प्रोटीन पाउडर दोनों का उपयोग प्रोटीन कॉफी में किया जा सकता है।-मांसपेशियों के निर्माण के लिए, मांसपेशियों के नुकसान को प्रतिबंधित करना महत्वपूर्ण है। उम्र बढऩे के साथ हमारी मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, जो हमें कई पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं जैसे हृदय की समस्याओं, मोटापे आदि के खतरे में डालती हैं। प्रोटीन कॉफी आपके शरीर को स्वस्थ और हार्दिक बनाए रखने के लिए उम्र से संबंधित मांसपेशियों की क्षति को कम करता है। आप बेहतर परिणाम के लिए इसे नियमित वर्कआउट के बाद का हिस्सा बना सकते हैं।-खाली पेट व्यायाम करना आपके शरीर के लिए अच्छा नहीं है। पोषण विशेषज्ञ बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए जिम सेशन से पहले कुछ खाने की सलाह देते हैं। वर्कआउट से एक घंटे पहले प्रोटीन कॉफी पीना आपको वर्कआउट सेशन के लिए चार्ज रखने के लिए पर्याप्त है।-मोटे लोगों को मेटाबॉलिक सिंड्रोम विकसित होने का अधिक खतरा होता है। जैसा कि प्रोटीन कॉफी वजन घटाने को बढ़ावा देता है, यह उन लोगों में मेटाबॉलिक सिंड्रोम के जोखिम को कम करने की संभावना है जो नियमित रूप से प्रोटीन कॉफी पीते हैं। यह तेजी से फैट बर्न को उत्तेजित करता है, जिससे आपको वजन संबंधी स्वास्थ्य जटिलताओं को कम करने में मदद करते हैं।
- आप आलू और शकरकंद तो खाते ही होंगे! लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन दोनों में से कौन सा अधिक फायदेमंद है? आलू व शकरकंद दोनों ही खाने में स्वादिष्ट लगते हैं और स्वादिष्ट होने के साथ साथ यह कुछ हद तक स्वास्थ्यवर्धक भी होते हैं। सामान्य तौर से आलुओं में केले से भी ज्यादा पोटेशियम होता है और वह फाइबर से भी भरपूर होते हैं।आलू और शकरकंद में बीटा कैरोटीन नामक एंटी ऑक्सीडेंट की मात्रा अलग-अलग होती है। ये शकरकंद में थोड़ी ज्यादा होती है तभी इसका रंग लाल होता है। आम तौर पर बीटा कैरोटीन आप की सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। जो लोग बीटा कैरोटीन को अपनी डाइट में शामिल करते हैं उनकी समय से पहले रोगों द्वारा मृत्यु बहुत कम होती है। कुछ लोग इसीलिए शकरकंद को बहुत स्वास्थ्यवर्धक मानते हैं और आलुओं से चूंकि चिप्स, फ्राईस आदि बनाये जाते हैं, इसलिए उन्हें हानिकारक माना जाता है। आइए जानते हैं दोनों के बीच क्या क्या अंतर होता है।दोनों के बीच पोषण के आधार पर अंतर-कैलोरी - एक सफेद आलू में 125 कैलोरी होती हैं। शकरकंद में 108 कैलोरी होती हैं।--प्रोटीन- सफेद आलू में 1.9 ग्राम प्रोटीन होता है और शकरकंद में 1.3 ग्राम प्रोटीन होता है।-वसा- दोनों सफेद और मीठे आलू में 4.2 ग्राम वसा होती है। यानी एक समान मात्रा।- कार्बोहाइड्रेट- एक सफेद आलू में 20.4 ग्राम काब्र्स होते हैं और एक शकरकंद में 16.8 ग्राम काब्र्स होते हैं।-फाइबर- सफेद आलू में 1.4 ग्राम फाइबर होता है और शकरकंद में 2.4 ग्राम होता है।- शुगर- एक सफेद आलू में 5.5 ग्राम तो शकरकंद में 5.5 ग्राम शुगर होती है।- पोटेशियम- एक सफेद आलू में 219 मिलीग्राम (प्रतिदिन जरूरत का 4.7 प्रतिशत ) तो शकरकंद में 372 मिलीग्राम पोटेशियम ( दैनिक जरूरत का 7.9 प्रतिशत) होता है।- विटामिन सी- दोनों में 12.1 मिलीग्राम विटामिन सी होता है (दैनिक जरूरत का 13.4 प्रतिशत है)।इन दोनों में अंतर के बाद पता चलता है कि आलू में बेशक कैलोरी ज्यादा होती हैं (केवल 17 कैलोरी) जो कि न के समान हैं। परंतु आलू में बाकी पोषण जैसे पोटैशियम व प्रोटीन आदि शकरकंद से बहुत अधिक मात्रा में उपलब्ध है। अत: आलू भी आप की सेहत के लिए स्वास्थ्यवर्धक है।डायबिटीज के मरीज किसे खा सकते हैंजैसा कि हम जानते हैं कि डायबिटीज के रोगियों को खान पान का विशेष ध्यान रखना होता है। तो यदि वे इनका सेवन कम मात्रा में कर रहे हैं तो दोनों में किसी से भी उन को कोई हानि नहीं पहुंचेगी। कुछ आलू छोटे साइज के होते हैं तो वह (आलू जो आप को मुठ्ठी जितने आकर के हों) उन्हें खा सकते हैं। परन्तु शकरकंद का साइज आलू से थोड़ा बड़ा होता है। इसलिए आप या तो उसे आधा करके खाएं या बिल्कुल ही न खाएं।वजन घटने में कौन सा सहायक हैलोगों में यह भ्रम होता है कि जब वजन घटाना हो तब आलू नहीं खाना चाहिए। परन्तु इन आलुओं को कैसे खा रहे हैं, उस बात पर हमारा वजन बढऩा या घटना निर्भर करता है। यदि आप आलू को चिप्स के रूप में तल कर (फ्राई) खा रहे हैं तो उन में मौजूद तेल के कारण जाहिर है आप का वजन बढ़ेगा ही। परंतु यदि आप आलुओं को ऐसे ही खा रहे हैं तो आप का वजन नहीं बढ़ता। ज्यादा पोषण मौजूद होने के कारण यह आप के लिए हेल्दी भी है।
- चिकित्सक ज्यादा चीनी खाने से बचने की सलाह देते हैं। ऐसे में लोग चीनी के विकल्प तलाशते हैं। खासकर डायबिटीज के मरीजों को मीठे के अन्य विकल्पों को ढ़ूंढना पड़ता है। जैसे कि शुगर फ्री चीजें, ब्राउन शुगर और गुड़ आदि। ऐसे में चीनी के कुदरती विकल्प के रूप में आप नारियल से बने चीनी का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये डायबिटीज और दिल की बीमारियों के खतरे को भी कम करता है।नारियल चीनी कुछ और नहीं बल्कि नारियल को पीसा कर बनाई गई चीनी है। इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये अनप्रोसेसड है और चीनी का सबसे नेचुरल विकल्प है। वहीं ये डायबिटीज के मरीजों के लिए ही नहीं बल्कि शरीर के लिए भी कई मायनों में फायदेमंद है। तो आइए जानते हैं क्या है ये और इसके फायदे।नारियल चीनीनारियल चीनी को सूखा कर और पीस कर बनाया जाता है। वहीं कुछ पारंपरिक तरीकों की बात करें तो नारियल चीनी नारियल को उबाल कर भी बनाया जाता है। इस चीनी में फ्रुक्टोज की सामग्री कम होती है और कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाला होता है, जो डायबिटीज रोगी के लिए बहुत फायदेमंद है। इसमें नियमित सफेद चीनी की तुलना में कुछ खनिजों और एंटीऑक्सिडेंट की मात्रा ज्यादा होती है। ये एक अन्य कारक है, जो नारियल चीनी को और फायदेमंद बनाता है। ये दिखने में कंपाउड ब्राउन शुगर की तरह दिखता है, जिसे बेकिंग और खाना पकाने में एक प्राकृतिक स्वीटनर के रूप में उपयोग किया जा सकता है।नारियल चीनी के फायदेकम कैलोरी वाली है नारियल चीनीनारियल चीनी कम कैलोरी वाली होती है। ये ब्राउन शुगर जैसी है, जिसमें कैलोरी की कमी होती है लेकिन नियमित रूप से अधिक पोषण देता है। इसके अलावा, नारियल का चीनी में आयरन, जिंक, पोटेशियम, पॉलीफेनोल, फ्लेवोनोइड और फाइबर की मात्रा अधित होती है। पांच ग्राम नियमित चीनी में लगभग 40 कैलोरी होती है। दूसरी ओर, नारियल चीनी की समान मात्रा में लगभग 20 से 25 कैलोरी होती है। इस तरह ये वजन कम करने में आपकी मदद कर सकता है।पेट की आंत के लिए फायदेमंदहम सभी जानते हैं कि आंत के लिए प्रीबायोटिक्स कितने अच्छे हैं। ये पाचन को दुरुस्त रखते हैं जिसके कारण हमारा शरीर अच्छे से काम करता है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि नारियल चीनी में प्रीबायोटिक्स भी हैं। नारियल में चीनी में इंसुलिन नामक एक फाइबर होता है जो एक आहार फाइबर है जो आंत के लिए बहुत अच्छा है। यह एक प्रीबायोटिक के रूप में कार्य करती है और आंत के बैक्टीरिया के लिए फायदेमंद है।यह ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करता हैनारियल चीनी का ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) कम है। जीआई एक माप है, जो हमारे ब्लड शुगर और ग्लूकोज के स्तर पर उनके प्रभाव के साथ-साथ कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों का मूल्यांकन करता है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि नियमित चीनी के मुकाबले नारियल चीनी का जीआई 35 है, वहीं रेगुलर चीनी का जीआई 60 से 65 के बीच है। साथ ही, इसमें मौजूद इंसुलिन रक्त में ग्लूकोज के अवशोषण को धीमा करने में मदद करता है जो मधुमेह जैसी समस्याओं को रोकता है।नारियल चीनी के इस्तेमाल की भी अपनी सीमा है। एक दिन में 12 ग्राम नारियल चीनी का सेवन आदर्श मात्रा है, लेकिन, सबसे अच्छी बात ये है कि आप इस चीनी का इस्तेमाल मिठाई और घर की मध्यम मीठी चीजों को बनाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।