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- वजन घटाने वालों के लिए मखाना एक उत्कृष्ट स्नैक विकल्प है क्योंकि यह कैलोरी में कम है। यह आपके कैलोरी काउंट को नियंत्रित रखने में मदद करता है, जो वजन घटाने की प्रक्रिया के प्रमुख नियमों में से एक है। यह लंबे समय तक भूख नहीं लगने देता। इसमें प्रोटीन और फाइबर पर्याप्त मात्रा में होती है। मखाना में कैलोरी कम होती है और खाने से पेट भरा- भरा लगता है। मखाना आपके वजन कम करने की यात्रा में कैसे मददगार हो सकता है? आइए जानते हैं!मखाने में मौजूद पोषक तत्वकोलेस्ट्रॉल, वसा और सोडियम में कम, मखाना असामयिक भूख के लिए एक आदर्श स्नैक है। मखाना के फायदे यहीं तक सीमित नहीं हैं। यह हल्का फुल्का नाश्ता भी है। इसे आप कई तरीकों से अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। जानिए मखाना के पोषक तत्व।100 ग्राम मखाना में शामिल हैं-कैलोरी- 347 केसीएलप्रोटीन- 9.7 ग्रामवसा- 0.1 ग्रामकार्बोहाइड्रेट- 76.9 ग्रामफाइबर- 14.5 ग्राममखाना से मिलने वाले अन्य स्वास्थ्य लाभ-मखाना में आयरन, कैल्शियम, पोटैशियम और फॉस्फोरस भरपूर मात्रा में होते हैं। मखानों का नियमित सेवन आपको कई तरह से मदद कर सकता है।-कैल्शियम का एक समृद्ध स्रोत होने के कारण, मखाना हड्डी और दांतों के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है।-मखानों के कसैले गुण गुर्दे की समस्याओं को कम करने और उन्हें स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं।-फॉक्स नट्स में एंटीऑक्सिडेंट और एंटी इंफ्लामेट्री गुण होते हैं जो शरीर में पुरानी सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव के प्रबंधन के लिए बेस्?ट हैं।-मखाने कई एंजाइमों की उपस्थिति के कारण एंटी-एजिंग गुणों को भी रोकते हैं।-मखानों में मौजूद मैग्नीशियम आपके दिल को स्वस्थ रखता है।-आप मखाने के चार दानों का सेवन करके शुगर से हमेशा के लिए निजात पा सकते है। इसके सेवन से शरीर में इंसुलिन बनने लगता है और शुगर की मात्रा कम हो जाती है। फिर धीरे-धीरे शुगर रोग भी खत्म हो जाता है।- मखाना केवल शुगर के मरीज के लिए ही नहीं बल्कि हार्ट अटैक जैसी गंभीर बीमारियों में भी फायदेमंद है। इनके सेवन से दिल स्वस्थ रहता है और पाचन क्रिया भी दुरूस्त रहती है।- मखाने के सेवन से तनाव दूर होता है और अनिद्रा की समस्या भी दूर रहती है। रात को सोने से पहले दूध के साथ मखानों का सेवन करें और खुद फर्क महसूस करें।- मखाने में कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता है। इनका सेवन जोड़ों के दर्द, गठिया जैसे मरीजों के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है।- मखाना एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर होता है जो सभी आयु वर्ग के लोगों को आसानी से पच जाता है। इसके अलावा फूल मखाने में एस्ट्रीजन गुण भी होते हैं जिससे यह दस्त से राहत देता है और भूख में सुधार करने के लिए मददगार है।- किडनी को मजबूत बनाने और ब्लड को बेहतर रखने के लिए मखाने का नियमित सेवन करें।मखाना खाने का तरीकावजन कम करने की योजना के साथ आप मखाने को अलग-अलग तरीकों से खा सकते हैं। आप इन्हें सूखा भुना हुआ या अधिक स्वाद जोडऩे के लिए एक चम्मच घी या नारियल तेल मिलाएं। कुछ नमक और काली मिर्च छिड़कें और भूख लगने पर इसका आनंद लें।
- अलग-अलग तरह के व्यंजन बनाने में धनिया पत्ता का खूब इस्तेमाल होता है। दरअसल धनिया एक शक्तिशाली औषधि है, जिससे शरीर को काफी फायदा पहुंचता है। धनिया पत्ता में थाइमाइन, विटामिन सी, राइबोफ्लाविन, फास्फोरस, कैल्सियम, आइरन, नाइसिन, सोडियम, कैरोटीन, ऑक्सलिक एसिड और पोटैशियम प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। साथ ही इसमें कार्बोहाईड्रेट, प्रोटीन, फैट, फाइबर और पानी भी बड़ी मात्रा में पाया जाता है।इसका स्वाद हल्का तीखा होता है, जिससे यह भोजन में एक खास किस्म का फ्लेवर पैदा करता है। धनिया पत्ती भले ही ज्यादा महंगा न हो, पर स्वास्थ्य के लिए यह काफी फायदेमंद है। व्यंजनों को और भी लजीज बनाने के साथ-साथ यह कई बीमारियों को भी दूर करता है। ताजा धनिया पत्ता में विटामिन सी, विटामिन ए, एंटी ऑक्सीडेंट और फॉस्फोरस जैसे मिनरल पाए जाते हैं, जो मस्कुलर डिजेनरेशन, नेत्र शोथ और आंखों की उम्र वृद्धि को कम करता है। साथ ही इससे आंखों को आराम भी पहुंचता है। अपने एंटी-फंगल, एंटी-सेप्टिक, डिटॉक्सीफाइंग और डिसइंफेकटेंट गुणों के कारण ताजा धनिया पत्ता त्वचा से संबंधित कुछ समस्याओं से भी निजात दिलाता है-धनिया पत्ता एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी माइक्रोबायल और एंटी इंफेक्शस का बेहतरीन स्नेत है। साथ ही इसमें पाए जाने वाला आयरन और विटामिन सी इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है। चेचक के दौरान इससे आराम पहुंचता है। साथ ही यह चेचक के दर्द को भी कम कर देता है।-धनिया के सुगंधित तेल में सिटरोनेलोल पाया जाता है, जो कि एक बेहतरीन एंटी सेप्टिक है। इसके अलावा दूसरे तत्वों की बात करें तो इसमें एंटी माइक्रोबायल और उपचारात्मक गुण भी पाया जाता है, जो जख्म और मुंह के छाले के लिए फायदेमंद होता है। धनिया से सांसों में ताजगी आती है और मुंह के छाले भी ठीक होते हैं।- ताजा धनिया का पत्ता ओलक्ष्क एसिड, निलओलक्ष्क एसिड, स्टेरिक एसिड, पलमिटिक एसिड और एस्कॉर्बिक एसिड का बेहतरीन स्रोत है। यह सारे तत्व रक्त के कोलेस्ट्रोल स्तर को घटाने में बेहद प्रभावी होते हैं। साथ ही यह शिरा और धमनी की अंदरूनी परत पर कोलेस्ट्रोल को जमा होने से रोकता है, जिससे हार्ट अटैक का खतरा काफी कम हो जाता है।-ताजा धनिया पत्ता ऐपटाइजर के रूप में भी काम करता है। यह एंजाइम और पाचन के लिए जरूरी रस के स्राव में मददगार होता है। यानी धनिया पत्ता भोजन को पचाने में भी मदद करता है। धनिया पत्ता ऐनरेक्सीया से निजात पाने में भी सहायक होता है।-धनिए में एंटी-इंफ्लेमेंट्री गुण होते हैं इसलिए धनिए का सेवन करने से सूजन कम होती है। त्वचा की सूजन कम करने हेतु धनिए के एसेशिंयल ऑयल का भी उपयोग करना लाभकारी होता है।- हरा धनिया में फाइबर होता है। इसलिए इसका सेवन करने से सेहत पाचन तंत्र सही रहता है और पेट की बीमारियां नहीं होती है।- धनिया खून में शर्करा के लेवल को कम करता है इसलिए इसका सेवन करने से इंसुलिन का स्तर सही बना रहता है। यही कारण है कि धनिए का सेवन करना डायबिटीज के रोगियों के लिए फायदेमंद होता है। धनिया खाने से शुगर जैसी समस्या से राहत मिलती है।-धनिया पत्ते का जूस शरी के विषैले तत्वों को बाहर निकालता है। कैलोरी कम होने से इसके सेवन से वजन कंट्रोल रहता है। खून की कमी भी दूर होती है। आंखों की कमजोरी भी दूर होती है।-धनिया के पत्ते में मौजूद पौटेशियम इंसान की दिल की बीमारियों को दूर रखने में मदद करता है।-
- हमारे देश में बरसों से त्वचा से संबंधित समस्याओं को ठीक करने में नीम का प्रयोग होता आ रहा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि नीम का घी भी त्वचा संबंधित समस्याओं के लिए बहुत ही अच्छा और एक रामबाण उपाय है। यह हमारे पुरखों का एक अजमाया हुआ नुस्खा हैं। ऐसा माना जाता है कि त्वचा से संबंधित समस्याओं को ठीक करने में हम अपना हजारों रुपया बर्बाद कर देते हैं लेकिन जब बात प्राकृतिक नुस्खों की आती है तो हमारे मुंह पर पहला शब्द नीम ही आता है।एलोपैथिक दवाओं से भले ही ये समस्या एक बार में ठीक हो जाती है लेकिन कुछ दिनों बाद ये अपनी दोगुनी शक्ति से दोबारा निकल आती है और दवाओं का प्रभाव कम हो जाता है। लेकिन नीम की पत्तियों से बना हुआ घी आपकी इन समस्याओं का एक बहुत ही अच्छा और सस्ता उपाय है। अगर आप सोच रहे हैं कि नीम की पत्तियों से घी कैसे बनाया जा सकता है तो इस लेख में हम आपको पत्तियों से घी बनाने का तरीका बता रहे हैं, जो आपकी हर छोटी-मोटी त्वचा से संबंधित समस्याओं को दूर कर सकता है।नीम का घी बनाने की विधिनीम का घी बनाने के लिए आप सबसे पहले नीम की कुछ ताजी पत्तियां लें और उन्हें अच्छी तरह से धोकर मिक्सी में दरदरा कर पीस लें। उसके बाद इस पेस्ट को देसी घी में अच्छी तरह से पका लें। जब नीम की पत्तियों में बसा पानी बिल्कुल सूख जाए और सिर्फ घी ही घी दिखाई दे तो गैस बंद कर दें। इस मिश्रण को थोड़ा ठंडा होने दें और ठंडा होने के बाद छानकर किसी बर्तन में रख लें।सेवन का तरीकाआपको रोजाना सुबह -सुबह खाली पेट इस घी की आधी चम्मच का सेवन करना है। हां आप इसे हल्का सा गर्म कर चाय के साथ भी ले सकते हैं। नियमित रूप से इस घी का सेवन करने पर आप देखेंगे कि त्वचा से संबंधित समस्याएं कुछ ही दिनों में खत्म हो जाएंगी। नीम का घी आपको खारिश, खुजली, फोड़े, फुंसी इत्यादि को ठीक करने में बहुत ही कारगर उपाय हैं।क्यों फायदेमंद है नीम का घीबता दें कि नीम में अच्छी मात्रा में औषधीय गुण पाए जाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार नीम में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीमाइक्रोबायल, शुक्राणुनाशक, हाइपोग्?लाइसेमिक और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं, जो इन समस्याओं का संहार करते हैं। इसके अलावा नीम के पत्तों में निबिडीन, सोडियम से संबंधित योगिक होता है, जो त्वचा रोगों में उपचार के काम आता है। नीम में शुक्राणुनाशक गुण है, जो शरीर पर मौजूद बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद करता है। नीम में जीवाणुरोधक बैक्टीरिया के खात्मे में मदद करते हैं।नीम का रस पीने के फायदेनीम का रस शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है। इसमें प्रचुर मात्रा में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो त्वचा के काले धब्बे को दूर करने में मदद करते हैं। इसके अलावा नीम का रस, त्वचा पर मुंहासे और पिंपल्स को भी दूर करने का काम करता है। नीम का रस एक डिटॉक्स पेय है, जो शरीर में से विषाक्त पदार्थ को बाहर निकालता है और त्वचा की सुरक्षा करता है।- अगर आप नाइटब्लाइंसलेंस की शिकायत से परेशान हैं और इस समस्या को दूर करना चाहते हैं तो नीम रस बेहद लाभदायक होता है। कुछ शोधकर्ता के अनुसार नीम का रस पीने से आंखो के अंधापन की समस्या कम हो जाती है। इतना ही नहीं हल्का नीम का रस आंखो पर लगाने से भी साफ दिखाई देने लगता है। लेकिन एक बार डॉक्टर से बात जरूर करें।-आयुर्वेद के मुताबिक, बुखार में नीम के रस पीने से मरीज की तबीयत में सुधार होता है। बुखार को कम करने के लिए ताजी नीम की पत्तियों का रस चम्मच में निकालकर मरीज को पिलाना चाहिए। ऐसा करने से बुखार कम होने लगता है।- वजन कम करने वाले लोगों के लिए नीम का रस बहुत फायदेमंद है। नीम का रस रोजाना पीने से वजन कम होता है क्योकि इनकी पत्तियों में मेटाबॉलिज्म तेज करने की क्षमता होती है, जो वजन कंट्रोल करने में मदद करता है। स्वाद के लिए आप नीम के रस में शहद व नींबू मिलाकर भी पी सकते हैं।(नोट- ऊपर दिए गए कोई भी उपाय करने से पहले एक बार अपने चिकित्सक की अवश्य राय लें।)
- शहनाज हुसैन की कलम से.....बाजार में सेब की नई फसल ने दस्तक दे दी है। देश के मुख्य पहाड़ी राज्यों में सेब की फसल जुलाई के अंत तक पक जाती है तथा सेब का सीजन अगस्त के पहले माह में शुरू हो जाता है तथा अक्टूबर के अंत तक चलता है । हालांकि बाजार में सेब की बिक्री साल भर चलती है लेकिन अक्टूबर के बाद सेब बगीचों की बजाय कोल्ड स्टोर से आना शुरू होते हैं या फिर महंगे विदेशी ब्रांड के उपलब्ध होते हैं जो कि काफी महंगे होते हैं और आम आदमी की पकड़ से बाहर होते हंै। इसलिए अगर आप सेब का आनन्द उठाना चाहते है ंतो यह सबसे सही सीजन है जहां बगीचों से सीधे उचित दाम पर सेब आपकी रसोई में पहुंच रहे हैं।इस सेब सीजन में विभिन्न प्रजातियों के रसीले , रंग बिरंगे , स्वास्थ्य बर्धक और खूबसूरत सेबों का हम सभी आनन्द लेते हैं , लेकिन क्या आप जानते हैं की सेब आपके स्वास्थ्य के अलावा आपकी खूबसूरती निखारने के भी काम आ सकते हैं । सेब अपने विभिन्न गुणों की बजह से जहां स्वास्थ्य के लिए संजीदा लोगों की पहली पसंद माने जाते हैं तो दूसरी हर्बल के माध्यम से सौन्दर्य निखारने बाले ब्यूटी सैलून और सौंदर्य विशेषज्ञों की भी पहली पसंद माने जाते हैं।सेब पौष्टिक आहार में सबसे सस्ता और स्वास्थ्यवर्धक फल माना जाता है। ताजे सेब फाईबर, विटामिन-सी, कॉपर,मिनरल तथा विटामिन ए जैसे पौषक तत्वों से भरपूर होते है जिसकी वजह से इनके नियमित सेवन से दिल, हड्डियों, आंखों और पुराने मानसिक रोगों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। सेब को विश्वभर में स्वास्थ्यवर्धक तथा ताजे फलों के लिए जाना जाता है।सौंदर्य निखारने के लिए सेब का ऐसे करें इस्तेमाल-सेब को पीस कर इसमें एक चमच शहद , गुलाब जल और जई का ऑटा मिलाकर पेस्ट बना लें तथा इस पेस्ट को चेहरे तथा खुले भाग पर लगा कर आधे घण्टे बाद ताजे साफ पानी से धो डालें । इससे त्वचा की बाहरी मृत कोशिकाओं को हटाने में मदद मिलेगी जिससे आपकी त्वचा साफ और निखरी निखरी नजर आएगी।- सेब के जूस को चेहरे पर 20 मिनट तक लगाकर सादे पानी से धोने से त्वचा में चमक तथा निखार आता है। सेब का जूस त्वचा पर लगाने से त्वचा के प्रकृतिक पी एच संतुलन को बनाये रखने में मदद मिलती है। अगर आप जूस लगाने से परहेज़ करते हैं तो आप सेब का स्लाइस भी चेहरे पर रगड़ सकते हैं।- सेब में आद्रता की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। सेब खाने से आप शरीर को हाईड्रेट कर सकते हैं जिससे आपकी त्वचा प्रकृतिक तौर पर निखरी नजऱ आएगी। आप ताजे सेब की स्लाइस काट कऱ अपने चेहरे पर लगा लीजिये तथा जब यह स्लाइस सुख जाएं तो आधे घण्टे बाद इन स्लाइस को हटा कर चेहरे को ताजे पानी से धो डालिये । सेब में विद्यमान विटामिन ई से आपके चेहरे की त्वचा मुलायम और हाईड्रेट रहेगी। सेब को आप अपने फेस पैक में नियमित रूप से शामिल करके इस फल के प्रकृतिक गुणों का लाभ उठा सकती हैं ।-सेब के रस में बादाम तेल तथा दूध या दही मिलाकर स्क्रब के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है। सेब के कदूकश को दही में मिलाकर चेहरे पर लगाने से दाग धब्बे दूर होते है। सेब के असब के सिरके को अनेक सौंदर्य समस्याओं का समाधन माना जाता है। इससे त्वचा तथा खोपड़ी के एसिड एलकाईन संतुलन बना रहता है तथा यह कील-मुहासों में काफी मददगार साबित होती है। सेब के असब के सिरके को बाहरी रूप में त्वचा तथा बालों की सौंदर्य समास्याओं के लिए प्रयोग किया जाता रहा है, इससे बाल धोने से अनेक फायदे होते है। शैम्पू के बाद दो चम्मच सेब के सत के सिरके को पानी के मग में डालकर सिर को धोने में बालों की समस्याएं खत्म होती है तथा बालों में चमक आती है।-यदि आप बालों की रूसी की समस्या से जूझ रहे हंै तो बालों को शैम्पू करने से आधा घण्टा पहले दो चम्मच सेब के सत के सिरके को खोपड़ी पर अहिस्ता-आहिस्ता मलिए। इसके बाद बालों को शैम्पू से धोने से बालों की रूसी खत्म हो जाती है। अगर आप गम्भीर रूसी की समस्या का सामना कर रहे हंै तो सेब के सत के सिरके को रूई में डुबो कर पूरी खोपड़ी पर धीरे-धीरे लगाएं तथा इसे बालों में सोखनें दें। इसके आध घंटा बाद बालों को शैम्पू से धो ड़ाले इससे रुसी की समस्या खत्म हो जाएगी।- सेब के सत के सिरके को पानी में मिलाकर कॉटन की मदद से चेहरे पर लगाने से चेहरे का एसिड-एलकालीन संतुलन बना रहता है तथा त्वचा की सौन्दर्य समस्याओं से निजात मिलती है। सेब के सत के सिरके से त्वचा की खारिश/खुजली में भी मदद मिलती है। अपने नहाने के पानी में सेब के सत के सिरके को डालकर पानी के नहाने में त्वचा की खाज-खुजली में राहत मिलती है। सेब के सत के सिरके से शरीर की गांठ तथा मस्सों से भी मुक्ति मिलती है। शरीर के मस्सों पर सेब के सत का सिरके के रोजाना लगाने से मस्से खत्म हो जाते हैं। सेब के लगातार सेवन से आप लम्बे , चमकीले बाल पा सकते हैं । सेब में परोसायना ईडन बी 2 मौजूद होते हैं जो कि बालों के स्वास्थ्य के लिए अति महत्वपूर्ण माने जाते हंै ।-ताजे सेब फाईबर, विटामिन-सी, कॉपर तथा विटामिन ए जैसे पौषक तत्वों से भरपूर होते हंै तथा सेब में विद्यमान रैटीनायइस शरीर में निरोगी त्वचा के विकास तथा त्वचा केंसर के खतरे को कम करती है। सेब मात्रा एक स्वादिष्ट फल ही नहीं हैं बल्कि सुन्दरता के गुणों की खान भी है। सेब में विद्यमान मल्टी विटामिन पोषक तथा प्राकृतिक फ्रूट एसिड से त्वचा की रंगत में निखार आता है तथा टैनिंग से प्रतिरक्षा मिलती है। सेब के निरन्तर प्रयोग से शरीर में चिकनाई तथा रोगाणुओं से छुटकारा मिलता है जिससे शरीर में ताजगी स्वास्थ्यवर्धक तथा त्वचा में लालिमा आती है। सेब के निरन्तर प्रयोग से त्वचा पर काले दाग तथा कील-मुंहासे के उपचार में मदद मिलती है। सेब में मिनरल तथा विटामिन के अलावा पैकटिन तथा टैनिन विद्यमान होते हंै जिससे त्वचा की रंगत में गोरापन आता है। अत्यन्त संवेदनशील त्वचा पर पैक्टिन का अत्यन्त आरामदेह प्रभाव देखने में मिलता है। सेब को बेहतरीन स्किन टोनर फेशियल टोनर माना जाता है तथा सेब त्वचा को शान्त करता है, सिर की त्वचा सापफ करता है तथा चेहरे से झुर्रियों को मिटाता है जिससे धमनियों में रक्त संचार बढ़ता है तथा त्वचा में खिंचाव आता है। सेब में एंटी ऑक्सीडेंट गुण विद्यमान होते हैं जिससे त्वचा में यौवनता बरकरार रहती है तथा बुढ़ापे को रोकती है। नवीनतम अनुसंधान में यह पाया गया है कि हरे सेबों में पॉली पफीनाइलन तत्व विद्यमान होते हंै जिससे बालों के झडऩे को रोकने में अहम मदद मिलती है। सेब में फ्रूट एसिड विद्यमान होते हंै जो कि त्वचा को साफ करने में अहम भूमिका अदा करते हंै तथा त्वचा की मृत कोशिकाओं को हटाते है ंजिससे त्वचा में चमक आती है तथा काले दाग धब्बों से मुक्ति मिलती है।-फ्रूंट एसिड से त्वचा में तैलीयपन कम होता है जिससे कील-मुंहासों को रोकने में मदद मिलती है।( लेखिका अन्र्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सौन्दर्य विशेषज्ञ हैं तथा हर्बल क्वीन के नाम से लोकप्रिय हैं।)
- अर्जुन एक औषधीय पौधा है। इसका पेड़ आमतौर पर सभी जगह पाया जाता है। अर्जुन की छाल में अनेक प्रकार के रासायनिक तत्व पाये जाते हैं। इसकी छाल में कैल्शियम कार्बोनेट लगभग 34 प्रतिशत व सोडियम, मैग्नीशियम व एल्युमिनियम प्रमुख क्षार मिलते हैं। कैल्शियम-सोडियम की प्रचुरता के कारण ही यह हृदय की मांसपेशियों के लिए अधिक लाभकारी होता है। अर्जुन में हरड़ और बहेड़ा की तरह औषधीय गुण होते हैं। इस वृक्ष की अंदरुनी छाल में सबसे अधिक औषधीय गुण होते हैं। यह हृदय के लिए शक्तिवर्धक मानी जाती है। ऋग्वेद में इस वृक्ष का उल्लेख किया गया है।इसके औषधीय गुण- अर्जुन की मोटी छाल का महीन चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में मलाई रहित एक कप दूध के साथ सुबह-शाम नियमित सेवन करते रहने से हृदय के समस्त रोगों में लाभ मिलता है, हृदय की बढ़ी हुई धड़कन सामान्य होती है।- अर्जुन की छाल के चूर्ण को चाय के साथ उबालकर ले सकते हैं। चाय बनाते समय एक चम्मच इस चूर्ण को डाल दें। इससे भी समान रूप से लाभ होगा। अर्जुन की छाल के चूर्ण के प्रयोग से उच्च रक्तचाप भी अपने-आप सामान्य हो जाता है। यदि केवल अर्जुन की छाल का चूर्ण डालकर ही चाय बनायें, उसमें चायपत्ती न डालें तो यह और भी प्रभावी होगा, इसके लिए पानी में चाय के स्थान पर अर्जुन की छाल का चूर्ण डालकर उबालें, फिर उसमें दूध व चीनी आवश्यकतानुसार मिलाकर पियें।-अर्जुन की छाल तथा गुड़ को दूध में औटाकर रोगी को पिलाने से दिल में आई शिथिलता और सूजन में लाभ मिलता है।-हृदय की सामान्य धड़कन जब 72 से बढ़कर 150 से ऊपर रहने लगे तो एक गिलास टमाटर के रस में एक चम्मच अर्जुन की छाल का चूर्ण मिलाकर नियमित सेवन करने से शीघ्र ही धड़कन सामान्य हो जाती है।- गेहूं का आटा 20 ग्राम लेकर 30 ग्राम गाय के घी में भून लें जब यह गुलाबी हो जाये तो अर्जुन की छाल का चूर्ण तीन ग्राम और मिश्री 40 ग्राम तथा खौलता हुआ पानी 100 मिलीलीटर डालकर पकायें, जब हलुवा तैयार हो जाये तब सुबह सेवन करें। इसका नित्य सेवन करने से हृदय की पीड़ा, घबराहट, धड़कन बढ़ जाना आदि शिकायतें दूर हो जाती हैं।-गेहूं और इसकी छाल को बकरी के दूध और गाय के घी में पकाकर इसमें मिश्री और शहद मिलाकर चटाने से हृदय रोग में आराम मिलता है।-अर्जुन की छाल का रस 50 मिलीलीटर, यदि गीली छाल न मिले तो 50 ग्राम सूखी छाल लेकर 4 किलोग्राम में पकाएं। जब चौथाई शेष रह जाये तो काढ़े को छान लें, फिर 50 ग्राम गाय के घी को कढ़ाई में छोड़े, फिर इसमें अर्जुन की छाल की लुगदी 50 मिलीलीटर और पकाया हुआ रस तथा दूध को मिलाकर धीमी आंच पर पका लें। घी मात्र शेष रह जाने पर ठंडाकर छान लें। अब इसमें 50 ग्राम शहद और 75 ग्राम मिश्री मिलाकर कांच या चीनी मिट्टी के बर्तन में रखें। इस घी को 6 ग्राम सुबह-शाम गाय के दूध के साथ सेवन करें। यह घी हृदय को बलवान बनाता है तथा इसके रोगों को दूर करता है। हृदय की शिथिलता, तेज धड़कन, सूजन या हृदय बढ़ जाने आदि तमाम हृदय रोगों में अत्यंत प्रभावकारी योग है।- अर्जुन की छाल को छाया में सुखाकर, कूट-पीसकर चूर्ण बनाएं। इस चूर्ण को किसी कपड़े द्वारा छानकर रखें। प्रतिदिन 3 ग्राम चूर्ण गाय का घी और मिश्री मिलाकर सेवन करने से हृदय की निर्बलता दूर होती है।- प्लास्टर चढ़ा हो तो अर्जुन की छाल का महीन चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार एक कप दूध के साथ कुछ हफ्ते तक सेवन करने से हड्डी मजबूत होती है। टूटी हड्डी के स्थान पर भी इसकी छाल को घी में पीसकर लेप करें और पट्टी बांधकर रखें, इससे भी हड्डी शीघ्र जुड़ जाती है।-आग से जलने पर उत्पन्न घाव पर अर्जुन की छाल के चूर्ण को लगाने से घाव जल्द ही भर जाता है।- अर्जुन और जामुन के सूखे पत्तों का चूर्ण उबटन की तरह लगाकर कुछ समय बाद नहाने से अधिक पसीना आने के कारण उत्पन्न शारीरिक दुर्गंध दूर होगी।- अर्जुन की छाल के चूर्ण को नारियल के तेल में मिलाकर छालों पर लगायें। इससे मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।-अर्जुन बलकारक है तथा अपने लवण-खनिजों के कारण हृदय की मांसपेशियों को सशक्त बनाता है। दूध तथा गुड़, चीनी आदि के साथ जो अर्जुन की छाल का पाउडर नियमित रूप से लेता है, उसे हृदय रोग, जीर्ण ज्वर, रक्त-पित्त कभी नहीं सताते और वह चिरंजीवी होता है।- अर्जुन के पत्तों का 3-4 बूंद रस कान में डालने से कान का दर्द मिटता है।- इसकी छाल पीसकर, शहद मिलाकर लेप करने से मुंह की झाइयां मिटती हैं।- अर्जुन की जड़ की छाल का चूर्ण और गंगेरन की जड़ की छाल को बराबर मात्रा में लेकर उसका बारीक चूर्ण तैयार करें। चूर्ण को दो-दो ग्राम की मात्रा में चूर्ण नियमित सुबह-शाम फंकी देकर ऊपर से दूध पिलाने से बादी के रोग मिटते हैं।- अर्जुन की 2 चम्मच छाल को रातभर पानी में भिगोकर रखें, सुबह उसको मसल छानकर या उसको उबालकर उसका काढ़ा पीने से रक्तपित्त में लाभ होता है।- अर्जुन की छाल का 40 मिलीलीटर क्वाथ (काढ़ा) पिलाने से बुखार छूटता है। ठीक हो जाता है। अर्जुन की छाल के एक चम्मच चूर्ण की गुड़ के साथ फंकी लेने से जीर्ण ज्वर मिटता है।(नोट- कोई भी उपाय करने से पहले योग्य चिकित्सक की सलाह अवश्य लें)
- घी भारतीय भोजन का अभिन्न हिस्सा रहा है। इसके कई चमत्कारिक फायदे हैं। आयुर्वेद में घी का काफी महत्व बताया गया है। इसे सुपर फूड माना गया है। आजकल ए- 2 घी का प्रचलन बढ़ रहा है। ए-2 घी गायों के उच्चतम गुणवत्ता वाले ए-2 दूध से बनाया जाता है। परंपरागत रूप से, घी पोषक तत्व-संरक्षण बिलोना मंथन प्रक्रिया के साथ तैयार किया जाता है। इसलिए घी को हमारे शरीर के लिए काफी फायदेमंद और हेल्दी माना जाता है। घी का सेवन हमें कई गंभीर और मौसमी बीमारियों से बचाने का काम करता है साथ ही हमारी इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है।ए-2 घी पर क्या कहता है आयुर्वेदये तो आप सभी जानते हैं कि आयुर्वेद, एक प्राचीन चिकित्सा विज्ञान है जो कई बीमारियों को दूर करने में हमारी मदद करता है। आयुर्वेद भी कहता है कि इस स्वस्थ भोजन के अद्भुत स्वास्थ्य लाभों का अनुभव करने के लिए आपको खाली पेट देसी घी का सेवन करना चाहिए, जो आपको कई तरह के फायदे पहुंचाता है। आयुर्वेद में घी को लेकर माना जाता है कि इसका सेवन कर किसी के भी शरीर को फिर से जीवंत कर सकता है और किसी के भी स्वास्थ्य को बढ़ा सकता है। इसके साथ ही घी का नियमित रूप से सेवन करने से ये शरीर में मौजूद सभी कोशिकाओं को अच्छी तरह से स्वस्थ रखकर उन्हें सही मात्रा में पोषण देने का काम करता है।अमीनो एसिड से भरपूर हैए-2 घी में काफी मात्रा में अमीनो एसिड पाया जाता है, ये स्वस्थ अमीनो एसिड का एक अच्छा स्रोत है। इसके साथ ही विटामिन जैसे बी 2, बी 12, बी 6, सी, ई और के की कमी को दूर करने के लिए आप घी का सेवन कर सकते हैं। ए-2 घी में ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी-एसिड भी भारी मात्रा में होता है। ओमेगा-3 और 6 आपके बढ़ते बच्चों में न्यूरोलॉजिकल समस्याओं को दूर करने के साथ एडीएचडी और दूसरे व्यवहार संबंधी समस्याओं के जोखिम को कम करने के लिए जाना जाता है। इसके अलावा इसका सेवन आपके शरीर में रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को हमेशा नियंत्रित करने का काम करता है। इसलिए जिन लोगों को रक्तचाप और हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या होती है उन लोगों को रोजाना घी का सेवन करना चाहिए।इसमें सभी जरूरी मैक्रो और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स हैं जो शरीर की दैनिक आहार की जरूरतों को पूरा करने का काम करता है। इसके साथ ही ये बेहतर संज्ञानात्मक और न्यूरोलॉजिकल कार्यों के लिए कायाकल्प आपकी सहायता करता है।मानसिक रूप से स्वस्थ रखता है ए-2 घीआमतौर पर लोग घी के सेवन को लेकर थोड़ा सतर्क रहते हैं। ऐसा देखा गया है कि कुछ बच्चे घी के स्वाद के प्रति प्रतिकूल हो सकते हैं। ए-2 घी मस्तिष्क के कार्यों को बढ़ाने में मदद करता है, शक्ति और सहनशक्ति में सुधार करता है, तंत्रिका तंत्र को पोषण देता है, आपकी आंखों के स्वास्थ्य में सुधार कर आपके हृदय स्वास्थ्य को हेल्दी बनाए रखता है। इसमें खासियत ये है कि ये सभी उम्र के लोगों के लिए फायदेमंद है, खासकर बच्चों के लिए इसे ज्यादा फायदेमंद माना गया है।---------
- अपराजिता लता वाला औषधीय पौधा है। कहा जाता है कि जब इस वनस्पति का रोगों पर प्रयोग किया जाता है तो यह हमेशा सफल होती है और अपराजित नहीं होती। इसलिए इसे अपराजिता कहा गया है। इसके आकर्षक फूलों के कारण इसे लान की सजावट के तौर पर भी लगाया जाता है। ये इकहरे फूलों वाली बेल भी होती है और दुहरे फूलों वाली भी। फूल भी दो तरह के होते हैं - नीले और सफेद। भगवान शिव, श्रीकृष्ण और शनिदेव को ये विशेष रूप से पसंद हैं। इसे भगपुष्पी और योनिपुष्पी का नाम दिया गया है। इसका उपयोग काली पूजा और नवदुर्गा पूजा में विशेष रूप में किया जाता है।आयुर्वेद में इसे विष्णुक्रांता, गोकर्णी आदि नामों से जाना जाता है। संस्कृत में इसे आस्फोता, विष्णुकांता, विष्णुप्रिया, गिरीकर्णी, अश्वखुरा कहते हैं जबकि हिन्दी में कोयल और अपराजिता। बंगाली में भी अपराजिता, मराठी में गोकर्णी, काजली, काली, पग्ली सुपली आदि कहा जाता है। गुजराती में चोली गरणी, काली गरणी कहा जाता है। तेलुगु में नीलंगटुना दिटेन और अंग्रेजी में मेजरीन कहा जाता है। आयुर्वेद में सफेद और नीले रंग के फूलों वालों अपराजिता के वृक्ष को बहुत ही गुणकारी बताया गया है। अपराजिता का प्रयोग बहुत सी बीमारियों के उपचार में किया जाता है। इसकी सफेद फूल वाली प्रजाति में ज्यादा गुण पाए जाते हैं।औषधीय गुण-- अपराजिता के बीज सिर दर्द को दूर करने वाले होते हैं। दोनों ही प्रकार की अपराजिता बुद्धि बढ़ाने वाली, वात, पित्त, कफ को दूर करनी वाली है। अधकपारी या माइग्रेन के दर्द में अपराजिता की फली का प्रयोग किया जाता है।-आंखों से जुड़ी सभी बीमारियों का उपचार के लिए सफेद अपराजिता तथा पुनर्नवा की जड़ के चूर्ण का इस्तेमाल किया जाता है।- कान दर्द में अपराजिता के पत्ते का इस्तेमाल किया जाता है।-दांत दर्द में अपराजिता की जड़ और काली मिर्च के पेस्ट को मुंह में रखने से आराम मिलता है।- गला खराब होने यानी आवाज में बदलाव आने पर भी अपराजिता के पत्ते के काढ़े का सेवन उपयोगी बताया गया है।- सफेद फूल वाले अपराजिता की जड़ की पेस्ट में घी अथवा गोमूत्र मिलाकर सेवन करने से गले के रोग (गलगण्ड) में लाभ होता है।इसके अलावा पेट की जलन, गले के दर्द, खांसी, सांसों के रोगों की दिक्कत और बालकों की कुक्कुर खांसी जलोदर (पेट में पानी भरने की समस्या), अफारा (पेट की गैस), कामला (पीलिया), तथा पेट दर्द , गठिया, तिल्ली विकार (प्लीहा वृद्धि), अफारा (पेट की गैस) तथा पेशाब के रास्ते में होने वाली जलन, फाइलेरिया या हाथीपांव आदि रोगों के उपचार में भी अपराजिता के पत्तों, जड़ और फूलों का इस्तेमाल किया जाता है। (इसका इस्तेमाल करने से पहले चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।)--
- भिंडी, जिसे अंग्रेजी भाषा में ओकरा या आमतौर पर लेडी फिंगर के रूप में भी जाना जाता है, भारत और पूर्वी एशियाई देशों में खाई जाने वाली एक हरी सब्जी है। भारतीय घरों में विशेष रूप से भिंडी का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है और इसे कई तरीकों से तैयार किया जाता है। भिंडी जैविक रूप से एक फल के रूप में वर्गीकृत किया जाता है ,लेकिन आमतौर पर इसका सेवन सब्जी के रूप में ही ज्यादा किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं भिंडी कितने पोषक तत्वों से भरी होती है, जो वास्तव में आपके स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद हो सकते हैं।भिंडी एक ऐसी सब्जी है जिसमें, क्षारीय गुण होते हैं। भिंडी में मौजूद जिलेटिन एसीडिटी और अपच जैसी समस्याओं में बहुत फायदेमंद है। यह विटामिन, फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट का अच्छा स्रोत भी है। ये हरी सब्जी फोलिक एसिड, विटामिन बी, विटामिन सी, विटामिन ए , विटामिन के, कैल्शियम, फाइबर, पोटेशियम, एंटीऑक्सिडेंट और कुछ महत्वपूर्ण फाइटोन्यूट्रिएंट से भरा होता है। भिंडी फाइबर का भी एक अच्छा स्रोत है, जो न केवल आपके पाचन में सुधार करता है बल्कि आपका पेट लंबे समय तक भरा रखती है। इस तरह आप भोजन कम करते हैं। इसके अलावा भिंडी आवश्यक पोषक तत्वों से भी भरी होती है, जो आपका मेटाबॉलिज्म दुरुस्त करती है और आपकी मांसपेशियों को भी मजबूत बनाती है।भिंडी में मौजूद पोषक तत्वपतली-दुबली ये भिंडी कई पौष्टिक तत्वों से भरी होती है, इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन बी 6, विटामिन डी, कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम,फास्फोरस और आयरन पाया जाता है। इन पौष्टिक तत्वों के कारण पेशाब से संबंधित समस्याओं में खासतौर पर भिंडी खाने की हिदायत दी जाती है।भिंडी खाने से होने वाले फायदे-भिंडी में भरपूर मात्रा में विटामिन ए, बी, सी होता है साथ ही यह प्रोटीन और खनिज की भी एक अच्छा स्रोत है, जिसके कारण गैस्टिक,अल्सर में ये एक प्रभावी दवा है।-भिंडी के नियमित सेवन से आंत में जलन नहीं होती है।-वहीं भिंडी का काढ़ा पीने से पेशाब संबंधी सुजाक, मूत्रकृच्छ और ल्यूकोरिया में फायदा मिलता है ।-भिंडी में मौजूद विटामिन बी गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद फायदेमंद है, ये गर्भ को बढऩे में मदद करता है।-भिंडी का सेवन मधुमेह रोगियों और श्वास रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है।-भिंडी के सेवन से स्किन की रंगत में सुधार होता है। इसके लिए आप भिंडी को उबाल कर अच्छी तरह पीस लें और फिर अपनी स्किन पर थोड़ी देर लगा कर रखें। जब ये सूख जाए तो चेहरे को धो लें। ऐसा करने के बाद आपकी स्किन मुलायम और ताजगी भरी लगने लगेगी ।-भिंडी का नियमित सेवन करने पर किडनी से संबंधित परेशानियां दूर होती हैं और इससे किडनी की सेहत में सुधार होता है।-भिंडी के सेवन से हमारी हड्डियां मजबूत होती है और शरीर में खून की कमी दूर होती है।-भिंडी का सेवन आपकी आंखों,बाल और इम्यून सिस्टम को भी बेहतर बनाने में मदद करता है।-भिंडी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट की अच्छी मात्रा न केवल ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में मदद करता है बल्कि शरीर में मौजूद मुक्त कणों को भी प्रभावी रूप से समाप्त करता है।- भिंडी में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट त्वचा की क्षति रोकने में सहायक होते हैं और उम्र बढऩे की प्रक्रिया को धीमा कर देते हैं।---
- आयुर्वेद के अनुसार नाशपाती एक गुणों से भरपूर फल है। जिसमें त्रिदोष नाशक गुण पाए जाते हैं। इसका वानस्पतिक नाम जीनस सेबीज है। वास्तव में नाशपाती जिसे अंग्रेजी में पीयर कहते हैं। यह सेब परिवार से जुड़ा हुआ है। नाशपाती में सेब की तरह औषधीय गुण भी पाए जाते हैं।नाशपाती का जूस ऊर्जा का अच्छा स्रोत है। यह रोग प्रतिरोधक तंत्र को मजबूत बनाता है। इसके नियमित सेवन से सर्दी, खांसी, जुकाम जैसी बीमारियां नहीं होती।100 ग्राम नाशपाती में 19 मैग्निशियम मिलीग्राम,9 मिलीग्राम सोडियम ,14 मिलीग्राम फॉस्फोरस,लोहा - 2.3 मिलीग्राम ,आयोडीन 1 मिलीग्राम कोबाल्ट, 10 मिलीग्राम , मैंगनीज 65 मिलीग्राम, कॉपर - 120 मिलीग्राम, मोलिब्डेनम - 5 मिलीग्राम फ्लोरीन 10 मिलीग्राम, जिंक - 190 ग्राम, विटामिन ए, विटामिन बी1, बी2, और पोटैशियम भी पाया जाता है। साथ ही भरपूर मात्रा में कैल्शियम भी पाया जाता है।बारिश का मौसम आते ही लोग बीमार पडऩे लगते हैं। लोग सबसे ज्यादा वायरल बुखार का शिकार बनते हैं। बारिश के मौसम में नाशपाती से कई बीमारियों को मात दी जा सकती है। नाशपाती में सेब की तरह औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसमें विटामिन, एंजाइम और पानी में घुलनशील फाइबर समृद्ध मात्रा में पाए जाते हैं। नियमित रूप से नाशपाती का जूस पीने से आंतों में हुई गड़बड़ी को नियंत्रित किया जा सकता है। नाशपाती विषाक्त पदार्थो और रसायनों के संपर्क में आने से बड़ी आंत की कोशिकाओं की रक्षा करती है। इसका जूस दिन में दो बार पीने से कफ कम होकर गले की खराश दूर होती है।नाशपाती के फायदे-इसे खाने से शरीर का ग्लूकोज ऊर्जा में बदल जाता है। जब भी आप थका हुआ महसूस करें तो नाशपाती खाएं आपको फौरन एनर्जी मिलेगी। नाशपाती का जूस शरीर के तापमान को कम कर बुखार में राहत पहुंचाता है।- इसमें खनिज, पोटेशियम, विटामिन-सी, विटामिन ्य, फाइबर, बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन भरपूर मात्रा में होता है। कुछ लोग इसके छिलके उतारकर खाते हैं. ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि इसमें भी पोषक तत्व होते हैं।- इसमें आयरन होता है. इसलिए खाने से खून की कमी पूरी होती है. जिन्हें एनीमिया हो, उन्हें प्रतिदिन 1 नाशपाती जरूर खानी चाहिए।- ये इम्यूनिटी सिस्टम बढ़ाने में मददगार है। ज्यादातर बीमार रहने वाले लोगों को ये जरूर खाना चाहिए। नाशपती में फाइबर और पैक्टिन नामक तत्व होते हैं, जो कब्ज को ठीक करते हैं।- फाइबर होने की वजह से ये पाचन तंत्र को ठीक रखता है।- डायबिटीज में ये रामबाण औषधि की तरह है। लगभग सभी डॉक्?टर्स डायबिटिक मरीजों को इसे खाने की सलाह देते हैं।- नाशपाती पित्त के पथरी के लिए रामबाण उपाय है. इसे खाने वाले को कोलेस्ट्रॉल नहीं होता। नाशपाती में पेक्टिन होता है। यह पेक्टिन पथरी को बाहर निकल देता है।
- कचनार या Bauhinia Variegata एक ऐसा अद्भुत फूल है, जिसे सब्जी के तौर पर खाया जाता है। यह कई स्वास्थ्य लाभों से भरपूर है। आइए जानें कचनार के फायदे ....क्या आपने कभी कचनार की कलियों की सब्जी खाई है? हम आपको बता दें, कचनार एक बेहद स्वादिष्ट सब्जियों में से एक है। उत्तप्रदेश में में इसकी सब्जी चाव से खाई जाती है। कुछ जगहों पर खासकर कचनार का अचार बनाकर खाया जाता है, तो कहीं सब्जी और कहीं मांस या फिर अन्य व्यंजनों के साथ मिलाकर इसे बनाया जाता है। कचनार की सब्जी खाने में जितनी स्वादिष्ट है, उतनी ही सेहतमंद भी है। कचनार की दो अलग-अलग वृक्षजातियों को बॉहिनिया वैरीगेटाऔर बॉहिनिया परप्यूरिया भी कहते हैं। उत्तराखंड में इसे आम भाषा में गुरियाल कहते हैं।कचनार कई पोषक तत्वों से भरपूर है, लेकिन इसमें मुख्य रूप से विटामिन सी, विटामिन के और अन्य कुछ आवश्यक खनिज पाए जाते हैं। यही वजह है कि कचनार के फूलों और कली को सब्जी के अलावा, दवा के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। यह आपको कई बीमारियों से दूर रखने और उनके इलाज में मददगार साबित हो सकता है। यह मुंह के अल्सर, बदबूदार सासों, डायरिया, पीलिया, लिवर की समस्याओं और कमजोरी को दूर करने में भी मददगार है। आइए यहां आप कचनार के फूलों और कलियों के फायदे जानें।हाइपोथायरायडिज्म में मददगारआपको जानकर हैरानी होगी कि कचनार की छाल से बना काढ़ा पीने से हाइपोथायरायडिज्म के इलाज में मदद मिलती है। कचनार का थायराइड असंतुलन में काफी अच्छा प्रभाव पड़ता है, क्योंकि यह शरीर से कफ को निकालने में मदद करता है।कब्ज और अपच से राहतकचनार की छाल का अर्क और पाउडर पाचन तंत्र को शांत करने में मदद करता है। यह आपको अपच और कब्ज से राहत दिला सकता है क्योंकि यह पाचन क्रिया को ठीक करता है। यदि आप पेट से जुड़ी किसी समस्या से जूझ रहे हैं, तो आप कचनार के अर्क का उपयोग करें, यह पेट की समस्या को ठीक कर देगा। आप अपने पेट को साफ करने और बेहतर पाचन के लिए खाना खाने से पहले कचनाल की छाल के पाउडर से बने काढ़े का एक गिलास लें।ब्लड प्यूरिफिकेशन में सहायकजी हां, कचनार आपके खून को साफ करने में मदद करता है। यह एक तरह से ब्लड प्यूरिफिकेशन का प्राकृतिक तरीका है। कचनार के कड़वे फूलों को एक महान ब्लड प्यूरिफायर के रूप में जाना जाता है। यह खून को साफ करने और खून से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मददगार है।हाई ब्लड शुगर के लिए प्रभावीअगर आप हाई ब्लड शुगर की समस्या से पीडि़त हें, तो कचनार आपके लिए एक बेहतरीन औषधी है। ऐसा इसलिए, क्योंकि कचनार के अर्क में मौजूद रसायन में इंसुलिन जैसे गुण होते हैं। यह आपके बढ़े हुए शुगर को कंट्रोल करने का एक प्राकृतिक नुस्खा है। आप कचनार के अर्क का काढ़ा बनाकर इसका सेवन करें।
- पूरे देश में गणेश उत्सव कल से शुरू हो जाएगा। कोविड 19 के प्रोटोकाल के कारण इस बार शहरों में गणेश उत्सव की रौनक कम रहेगी। भारत में हर त्योहार किसी न किसी विशेष पकवान से भी जुड़ा हुआ है। ऐसे में गणेश चतुर्थी का नाम आते ही लोगों के मुंह में मोदक का स्वाद आ जाता है। यूं तो मोदक कई तरीकों से बनाया जाता है, पर आज हम आपको हेल्दी मोदक बनाने की खास रेसिपी बताते हैं।घर पर बनाएं गुड़ और नारियल स्टीम्ड मोदकमोदक एक लोकप्रिय मिठाई है, जिसे महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी के अवसर पर बनाया जाता है। बाजार में आज स्टीम्ड मोदक, फ्राइड मोदक, चॉकलेट मोदक और ड्राई फ्रूट मोदक देखने को मिलते हैं और सभी का अपना अलग स्वाद है।स्टीम्ड मोदक बनाने का तरीकासामग्री-नारियल कद्दूकस किया हुआ-केसर-गुड़ कद्दूकस किया हुआ-चावल का आटा-एक चमच खसखस-इलायची पाउडर-घीबनाने का तरीका-सबसे पहले एक बर्तन में चावल का आटा डालें और गर्म पानी में इस नर्म कर के गूंद लें। फिर इसे 10 मिनट के लिए छोड़ दें।-अब एक नॉन स्टिक पैन में कद्दूकस किया हुआ गुड़ डालकर उसे पिघला लें।-इसके बाद इसमें नारियल, खसखस और इलायची पाउडर मिला लें।-अब सबको 5 मिनट तक पका लें। नमी आने के बाद गैस बंद कर दें।-इसके बाद फिर से चावल के आटे में थोड़ा घी डालकर फिर से गूंद लें।-अब चावल के आटे की छोटी-छोटी गोली बनाकर उसे बेल लें।-इसमें बीच में नारियल और गुड़ से बनी चीज को भर दें।-सबको उगंलियों के मदद से मोदक के डिटाइन में बंद कर लें।-फिर मोदक बनाने वाले सांचे में थोड़़ा घी लगाएं और इस डाल कर परफेक्ट शेप दे दें।-अब एक बड़े बर्तन में पानी गर्म करें और इसके ऊपर छलनी रख के केले का पत्ता रख लें। फिर मोदक पर उंगलियों से थोड़ा पानी लगा कर केले के पत्ते पर रख कर बर्तन को ढंक दें।-धीमी आंच पर 8 से 10 मिनट तक मोदक को भाप में पकने दें।-फिर पकने के बाद इसे नीचे उतार लें, केसर से सजा लें और हो गया तैयार आपके गणपति का भोग।गुड़ और नारियल डायबिटीज और मोटापे, दोनों के मरीजों के लिए अच्छा है। वहीं इस मोदक में बहुत ज्यादा ड्राई फ्रूट्स, खोया और मलाई आदि का इस्तेमाल नहीं किया गया है। साथ ही भाप से पकाना इसे सबसे ज्यादा हेल्दी बनाता है क्योंकि अगर आप इसे तलते, हैं तो इसमें फैट और कैलोरी की मात्रा बढ़ जाती है। इलायची गैस दूर करने और खाना पचाने के लिए फायदेमंद है, तो वहीं केसर इम्यूनिटी बूस्टर है।----
- ये बात हम अच्छी तरह से जानते हैं कि शरीर को सही तरीके से हाइड्रेट रखने के लिए पानी पीना सबसे महत्वपूर्ण होता है। साफ और शुद्ध पानी पोषक तत्वों युक्त होने के कारण यह शरीर में जरूरी खनिज पदार्थों की आपूर्ति करता है। पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से मोटापा की समस्या नहीं होती है और न ही पेट संबंधी कोई रोग होते हैं। लेकिन एक सवाल है जो हर किसी के मन में घूमता रहता है वह यह है कि, पानी को कैसे पिएं जिससे शरीर हाइड्रेटेड रहे और जरूरी फायदा पहुंचाए।बहुत लोग पानी पीने को लेकर तमाम तरह की गलतियां करते हैं, वहीं कुछ लोगों में पानी पीने को लेकर कई प्रकार के भ्रम हैं। कुछ लोगों का मानना है कि पानी गट-गट कर पीना चाहिए तो वहीं कुछ लोग घूंट-घूंट कर पीना फायदेमंद मानते हैं। अगर इस तरह के सवाल आपके मन में भी उठते हैं तो आइए जानते हैं कि पानी पीने को सही तरीका क्या है? और हमें प्रतिदिन कितने मात्रा में पानी पीना चाहिए।गट गट कर के या घूंट-घूंट कर के पानी पीना चाहिए?आयुर्वेद के अनुसार, पानी कभी भी हमें गट-गट करके या एक हीं सांस में नहीं पीना चाहिए क्योंकि पानी पीने के दौरान मुंह की लार पानी के साथ मिलकर हमारे शरीर के अंदर जाती है। लार ही हमारे पाचन तंत्र को मजबूत करने का कार्य करती है। लार में कई ऐसे हेल्दी बैक्टीरिया होते हैं तो पेट के लिए फायदेमंद होते हैं। इसीलिए पानी हमेशा धीरे-धीरे या घूंट-घूंट कर के पीना सही माना गया है। इससे शरीर के सभी अंगों को पर्याप्त मात्रा पानी और पोषण मिलता रहता है। इससे पानी पीने का पूरा फायदा मिलता है।खड़े होकर पानी पीना हो सकता है नुकसानदेहआयुर्वेद व शोधर्तोओं के अनुसार पानी कभी भी खड़े होकर नहीं पीना चाहिए। अगर आप खड़े होकर पानी पीते हैं, तो पानी सीधे व तेजी से पेट के निचले हिस्से में चला जाता है। जिससे शरीर को पानी के पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं। इस तरह पानी पीने से घुटनों में दर्द की समस्या हो सकती है। पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। हाइड्रेटेड रहने में बाधा उत्पन्न हो सकती है।कैसा पानी है शरीर के लिए फायदेमंदआयुर्वेद के अनुसार पानी हमेशा शरीर के तापमान से ठंडा नहीं होना चाहिए। जितना हमारे शरीर का तापमान होता है या गर्म रहता है उतना ही आपका पानी भी गर्म होना चाहिए। यानी आप नियमित रूप से गुनगुना पानी पी सकते हैं। दरअसल, गर्मियों में लोग फ्रीज का ठंडा पानी पीना पसंद करते है। लेकिन ये शरीर के लिए काफी नुकसानदेह होता है। बहुत ज्यादा ठंडा पानी पीना भी शरीर के लिए दिक्कतें पैदा करती हैं। ठंडा पानी पाचन संबंधी समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। कब्ज की समस्या हो सकती है। इसलिए बहुत ज्यादा ठंडा या बर्फ वाले पानी पीने के बजाए नॉर्मल पानी या गुनगुना पानी ही पीना चाहिए।---
- बादाम बरसों से हमारी सेहत के लिए बहुत लाभदायक माने जाते रहे हैं। चाहे भिगोकर खाएं या फिर कच्चे, बादाम हमेशा से हमारी सेहत को फायदा पहुंचाने का काम करते हैं। बड़े-बुजुर्गों का कहना है कि मु_ीभर बादाम याददाश्त तेज करने और शारीरिक ताकत बढ़ाने में आपकी मदद कर सकते हैं। बादाम को कैसे भी खाया जाए ये आपकी सेहत को दुरुस्त बनाने में मदद करेगा। बादाम हेल्दी होते है इस बात को तो सभी जानते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि जो बादाम आप खा रहे हैं वो कौन सा बादाम है और आपके लिए कितना फायदेमंद है? इस लेख में हम आपको ये बता रहे हैं कि बादाम का सबसे हेल्दी रूप कौन सा है और क्यों ये एक-दूसरे से ज्यादा हेल्दी होते हैं।दरअसल बादाम की तीन किस्में पाई जाती हैं, जिनके बारे में हम बताने जा रहे हैं।भारत में बादाम की तीन किस्में पाई जाती हैं, जो निम्नलिखित हैं:मामरामामरा किस्म के बादाम में कार्बोहाइड्रेट ,ऑयल, कैलोरीज की मात्रा ज्यादा होती हैं, साथ ही इसमें प्रोटीन की मात्रा थोड़ी कम होती हैं। ये किस्म ओर्गेनिक तरीके से उगाए जाती हैं, इसलिए इसे बच्चों के साथ-साथ बड़ों के लिए फायदेमंद माना जाता है।कैलिफोर्नियाई बादामकेमिकल प्रोसेसिंग की वजह से ये किस्म और इस किस्म के बादाम खाने में मीठे होते हैं, इसलिए इन्हें पकवान को बनाने और सजाने के लिए उपयोग किया जाता है।गुरबंदीबादाम की ये किस्म एनर्जी, एंटीओक्सीडेंट से भरपूर होती है इसलिए इन्हें हेल्दी डाइट के रूप में आप सुबह खा सकते हैं।भारत में बादाम की दो किस्में मामरा और कैलिफोर्नियाई बादाम ज्यादा बिकते हैं और हमेशा से दोनों के बीच ही ज्यादा हेल्दी होने की लड़ाई चलती है। मामरा बादाम की क्वॉलिटी को सबसे अच्छी मानी जाता है। इस क्वालिटी का बादाम खाने में स्वादिष्ट होता और साथ ही सेहत बनाए रखने का एक अच्छा विकल्प भी है। यह बादाम ईरान से आता है। मामरा बादाम की ये पहचान है कि यह बहुत ही हल्का और इसका आकार नाव जैसा होता है। इसकी निचली सतह हल्की दरदरी और उस पर धारियां बनी होती हैं। इस बादाम में ऑयल की मात्रा बेहद अधिक होती है। मामरा बादाम में जहां 50 प्रतिशत तक ऑयल पाया जाता है जबकि सामान्य कैलिफोर्नियाई बादाम में केवल 25 से 30 फीसदी ही तेल होता है। इस कारण ही मामरा बादाम , बादाम की अन्य किस्मों के मुकाबले अधिक पौष्टिक माना जाता है।मामरा और कैलिफोर्नियाई बादाम किस्मों के बीच पोषण मूल्य में अंतरमामरा किस्म की तुलना में कैलिफोर्नियाई बादाम में प्रोटीन (40.82 फीसदी) और विटामिन ए, बी, ई, (क्रमश: 17-2-2 फीसदी ) तक अधिक पाया जाता है।कैलिफोर्नियाई बादाम में ओमेगा 3 विटामिन की मात्रा मामरा के मुकाबले (0.11) फीसदी ज्यादा होती है।कैलिफोर्नियाई बादाम में फैट (40.56 फीसदी ) होता है जबकि मामरा में 75.50 फीसदी होता है।मामरा में शुगर की मात्रा (10.96) जबकि कैलीफोर्नियाई बादाम में (4.55) होती है।मामरा में कार्बोहाइड्रेट (40.05) जबकि कैलिफोर्नियाई बादाम में 10.26 होता हैमामरा में कैलोरी (753) जबकि अमेरिकन में (234) कैलोरी होती है।कैलोफोर्नियाई बादाम का उत्पादन पूरी दुनिया में बादाम के उत्पादन का 85 फीसदी है। जबिक मामरा किस्म ईरान और अफगानिस्तान ही विश्व में उत्पादक हैं। कम आपूर्ति के कारण ही इसकी कीमत अधिक होती है। पुराने जमाने में राजा और अमीर लोग ही मामरा किस्म का सेवन किया करते थे। इसलिए मामरा एक महंगी और प्रमुख बादाम किस्म बन गया। हालांकि कैलिफोर्नियाई बादाम अपने पौष्टिक गुणों और कम कीमत के कारण लोगों की पहली पसंद है।जरूरत से ज्यादा बादाम हानिकारकजरूरत से ज्यादा बादाम खाने से आपकी सेहत को नुकसान भी हो सकता है। दरअसल बादाम की तासीर गर्म होती है और इसके ज्यादा सेवन से कब्ज और पेट मे सूजन की समस्या हो सकती है। हालांकि बादाम में फाइबर की मात्रा अधिक होती है इसलिए देर से पचता है। बादाम के अधिक सेवन से शरीर में विटामिन ई की मात्रा बढ़ जाती है और पेट फूलने, दस्त, सिर में दर्द और सुस्ती जैसी समस्या हो सकती है। इसके अलावा बादाम की अधिक मात्रा के सेवन से शरीर में फैट बढ़ जाएगा और आपको वजन कम करने में मुश्किल हो सकती है। बादाम खाने से कुछ लोगों को एलर्जी भी हो सकती है। इसलिए इसके सेवन पर ध्यान रखें।
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अदनान सामी को हम सभी उनके पुराने दिनों के गीत, थोड़ी सी तो लिफ्ट करा दे, से जानते हैं। इस हिट गीत ने अदनान सामी को बहुत लोकप्रिय बना दिया और उनके लिए कई नए दरवाजे भी खोल दिए। वे 230 किलो वजन वाले बी-टाउन में चले गए थे, काफी मोटे और अस्वस्थ भी हो गए थे। बॉडी शेमिंग का होना अच्छा नहीं है, क्योंकि इसका मतलब यह है कि आप बेहद अस्वस्थ हैं। इसके कारण आपका वजन और आकार आपको मधुमेह, रक्तचाप जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करने के लिए मजबूर करता है।
पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त होना कोई अच्छी बात नहीं है। कई साल बीमार होने के कारण अदनान सामी ने अपना सबक सीखा। जब वह बीमार पड़ गए थे और उनके पास जीवित रहने के लिए, वजन कम करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। इसी तरह से अदनान के वजन कम करने का सफर शुरू हुआ। भले ही ऐसी अफवाहें उड़ीं कि उन्होंने लिपोसक्शन सर्जरी करवाई है, अदनान ने सभी आरोपों का खंडन किया है। साथ ही ये बताया है, कि लिपोसक्शन किसी व्यक्ति के शरीर से इतनी अधिक मात्रा में फैट को कम नहीं कर सकता है। उनके शरीर में फैट की ज्यादा मात्रा थी और उनकी परिवर्तन यात्रा बहुत मुश्किल रही है, जो उन्हें हम सभी के लिए सबसे बड़ी प्रेरणा बनाती है। यदि आप उसके जैसे अपने शरीर को बदलने की उम्मीद कर रहे हैं, तो यहां हम आपको अदनान सामी के वजन घटाने वाले सीक्रेट्स बता रहे हैं।वर्कआउट रूटीनअपने वजन और आकार के साथ, उनके लिए जिम जाना जोखिम भरा था। इससे उनके शरीर में खिंचाव आ सकता था, और दिल का दौरा भी पड़ सकता था। उन्होंने कुछ हल्के व्यायामों, जैसे ट्रेडमिल पर चलना और कार्डियो व्यायाम के साथ अपनी यात्रा शुरू की। वह अपने वर्कआउट रूटीन के साथ बने रहे, अनुशासित रहे और अपना ध्यान जिम पर फोकस किया। केवल कड़ी मेहनत करने के कारण ही उन्हें वजन घटाने में मदद मिली। जिम में सभी को पसीना आने के परिणाम सामने आए हैं। उन्हें फैट को पसीने के रूप में बहाने में मदद मिली और इसने उन्हें ज्यादा एनर्जेटिक बना दिया। लेकिन सबसे जरूरी बात, यह सरासर इच्छाशक्ति थी, जिसने अदनान को वजन कम करने में मदद की।अदनान ने एक विशेषज्ञ से सलाह ली। अपने आहार पर ध्यान देना शुरू किया, जो वजन घटाने और फिटनेस का एक जरूरी हिस्सा रहा है। अदनान को एक भावनात्मक भक्षक के रूप में जाना जाता था, जिसका अर्थ था कि वह आराम और स्वाद के लिए फैट वाले भोजन की ओर चले गए। उनके आहार में बहुत सारे काब्र्स, चीनी और फैट भी शामिल थे। उनके पोषण विशेषज्ञ ने उन्हें कम-कैलोरी वाले खाने के स्वस्थ आहार पर रखा। अससे उन्हें अस्वस्थ आहार को बाहर निकालने में मदद मिली। उन्हें अपने आहार से चीनी भी हटानी पड़ी। एक स्वस्थ प्रोटीन आहार का सेवन करना पड़ा और उनकी जंक फूड खाने की आदतों को भी बदलना पड़ा।इस तरह अदनान नेे मात्र 11 माह में बिना सर्जरी के 165 किलो अपना वजन कम किया। इस बारे में अदनान कहते है, मैंने 165 किलो वजऩ कम किया है। बहुत से लोगों को ऐसा लगता है कि मैंने ये वजन डॉक्टर्स और मेडिकल प्रोसेस से हासिल किया है और उससे भी कमाल की बात तो ये है कि कई डॉक्टर्स जिन्हें मैं जानता भी नहीं इस बात का क्रेडिट लेने लगे हैं और उनमे से कुछ तो इसका विज्ञापन भी देने लगे।अपने मोटापा कम करने पर अदनान ने बताया कि मैने एक हाई प्रोटीन डाइट को फालो किया है। उसमें मैं हर तरह की प्रोटीन खा सकता है। बस शर्त थी कि वह ऑयली न हो। अदनान रोजाना वर्कआउट नहीं करते हैं। लेकिन वह नियमित रुप से ट्रेडमिल और रेगुलर वॉक करते है। इसके साथ-साथ कबी-कभी वो कार्डियो में करते हैं।दिन की शुरुआत बिना शुगर की चाय के साथ करते है। इसके बाद लंच में मौसमी सब्जियों का सलाद और डिनर में केवल दाल खाते हंै। इसके साथ ही वह चावल, ब्रेड और ऑयली चीजों का सेवन बिल्कुल नहीं करते है।ं इसके अलावा वह पॉपकॉर्न बिना बटर का, तंदूरी मछली और उबली हुई दाल, ऐसी रेसिपी जिनमें ऑयल का यूज न किया गया हो, शुगर फ्री ड्रिंक्स। इसके अलावा एल्कोहाल से कोसो दूर रहते हैं।----------- - अभिनेता सैफ अली खान और अमृता सिंग की बेटी और एक्ट्रेस सारा अली खान बॉलीवुड में अपने कदम मजबूती से जमाने में लगी हुई है। सारा कभी गोलमटोल हुआ करती थी और फिल्मों में कदम रखने से पहले उनका वजन 96 किलो तक पहुंच गया था। सारा ने वजन कम करने का अभियान शुरू किया और 46 किलो तक पहुंच गई है।आइये जाने सारा अली खान ने 96 किलो से 46 किलो तक का सफर कैसे तय किया।पिछले दिनों सारा ने इंस्टाग्राम पर अपना एक पुराना वीडियो जारी किया है, जिसमें वो काफी मोटी नजर आ रही हैं। यह बात शायद आपको पहले से पता होगी कि फिल्मों में आने से पहले सारा अली खान का वजन बहुत ज्यादा था। उन्होंने 96 किलो से अपना वजन घटाकर 46 किलो किया था। 50 किलो वजन कम करने की सारा की यात्रा आसान नहीं थी। इसके लिए उन्होंने खूब मेहनत की है। सारा को एक प्रकार का हार्मोनल विकार है जिसमें इंसान का वजन बढ़ता है। इसलिए वजन घटाना उनके लिए बड़ी चुनौती जैसा था। आज भी सारा अपनी फिटनेस का खूब ध्यान रखती हैं। अक्सर उन्हें जिम के बाहर स्पॉट किया जाता है। कभी वे साइक्लिंग करती नजर आती हैं।सारा ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, हाजिर है सारा का सारा सारा । उन्होंने अपने बॉडी ट्रांसफॉर्मेशन का क्रेडिट अपनी ट्रेनर नम्रता पुरोहित को दिया है। नम्रता ने भी इस वीडियो पर जवाब देते हुए लिखा है, मुझे लगता है तुम मेरी फेवरिट कार्टून हो।सारा अली खान का फिटनेस लेवलसारा अली खान का फिटनेस लेवल आपको जिम करने के लिए प्रेरित करेगा। सारा ने खुलासा किया कि वह अपने ग्रेजुएशन के अंतिम वर्ष के दौरान 96 किलोग्राम की थी। सारा ने पिज्जा से सलाद तक और आलस्य से कार्डियो तक आईं और अपने वजन घटाने की इस यात्रा को पूरा किया।सारा कहती हैं कि जब मैं न्यूयॉर्क में थी तब मैंने केवल स्वस्थ भोजन करना शुरू किया और वर्कआउट शुरू किया। उस शहर में अलग-अलग प्रकार की कई क्लासेज़ थीं, जिनमें फंक्शनल ट्रेनिंग से लेकर साइक्लिंग तक शामिल था। लेकिन क्योंकि मैं शुरुआत में मेरा बहुत अधिक वजन का था, इसलिए कार्डियो करना, हैवी वर्कआउट, अधिक चलना, साइकिल चलाना और ट्रेडमिल पर दौडऩा आदि ये सब शामिल था। जिससे मैं वजन कम कर सकूं।सारा फंक्शनल ट्रेनिंग, पिलेट्स, मुक्केबाजी और कार्डियो के काम्बीनेशन को फॉलो करती हैं। फैट से फिट होने के लिए सारा के काफी मेहनत करती थी। अभिनेत्री ने इस फिटनेस लेवल को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत की है। सारा ने कहा कि वह अक्सर चीजें बदलना पसंद करती हैं लेकिन एक चीज जो लगातार बनी रहती है वह है नियमित रूप से वर्कआउट करना। सारा एक सख्त रूटीन का पालन करती हैं और यह सुनिश्चित करती हैं कि वह हर दिन एक से और डेढ़ घंटे तक वर्कआउट करें।रविवार सारा के लिए चीट डे है और वह रविवार को आराम करने के लिए अपने व्यायाम को छोड़ देती है। एक साक्षात्कार के दौरान, उनसे उनकी पसंदीदा कसरत दिनचर्या के बारे में पूछा गया, जिसमें उन्होंने बताया कि अगर वह सप्ताह में बहुत सारे फिजिकल वर्कआउट करती हैं तो इनमें उनका विन्यासा योग और पिलाट्स क्लास पहली पसंद है। दूसरी ओर, यदि सप्ताह तनाव से भरा हुआ है, तो एड्रेनिल को पंप करने के साथ 45 मिनट की मुक्केबाजी सेशन में हिस्सा लेती हैं।एक चीज जो काफी स्पष्ट और लोकप्रिय है, वह यह है कि सारा को पिलेट्स काफी पसंद है। बी-टाउन की लोकप्रिय ट्रेनर नम्रता पुरोहित ने सारा अली खान की कई तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट की हैं। अन्य मशहूर हस्तियों में, सारा पिलेट्स को लेकर काफी चर्चित हैं। यहां तक कि सारा ने कई बार कहा है कि वह पिलेट्स से प्यार करती है। वह पिलेट्स को अपनी फिटनेस की रीढ़ मानती हैं। उसके मजबूत कोर के पीछे के रहस्य के बारे में पूछे जाने पर सारा ने जवाब दिया- यह पिलेट्स की वजह से है- यह शरीर के संतुलन को मजबूत करता है और आपके कोर पर काम करता है, जो आपके पूरे शरीर का पावरहाउस है। पिलेट्स ने मुझे ताकत हासिल करने में सक्षम किया है। जो न केवल अच्छा दिखने में सहायक है बल्कि यह शारीरिक सहनशक्ति को बढ़ाने में मदद करता है। पिलेट्स निश्चित रूप से मेरी फिटनेस की रीढ़ है।सारा अली खान की डाइटवजन कम करने के लिए व्यायाम और फंक्शनल एक्?सरसाइज काफी नहीं है। इसके लिए एक उचित आहार भी शामिल है। इसके अलावा कुछ ऐसे आहार हैं, जिनका सेवन वह नहीं करती हैं। एक इंटरव्यू में सारा ने कहा कि वह दूध, चीनी और काब्र्स का सेवन नहीं करती हैं। उनकी सुबह आमतौर पर हल्दी, पालक और गर्म पानी के साथ शुरू होती है। सारा कहती हैं कि वह अपने भोजन में दो चीजें अनिवार्य रूप से शामिल करती हैं- अंडे और चिकन। जब स्नैक्स की बात आती है, तो सारा एक स्वस्थ स्नैक के रूप में खीरा खाती हैं।वर्कआउट के बाद सारा- दही के साथ एक चम्मच प्रोटीन और थोड़ी कॉफी का भी सेवन करती हैं। इसके अलावा सारा का वीक में एक चीट डे होता है, जिसमें वह सब कुछ खाती हैं, जो उन्हें पसंद है।क्या सारा कीटो डाइट लेती हैं?सारा के लिए कीटो बहुत ज्यादा महत्?व नहीं रखता है। एक साक्षात्कार में, जब सबसे अच्छे आहार के बारे में पूछा गया तो, सारा ने जवाब दिया कि कीटो डाइट एक ट्रेंडिंग डाइट है, जिसे वह कभी नहीं समझ सकी हैं और न ही वह किसी को सुझाव देती हैं। सारा के लिए, कीटो डाइट सारा के लिए बेहतर नहीं था इसलिए वह उसकी प्रशंसक भी नहीं है।
- -जानिए किन चीजों के मिश्रण से बनता है काढ़ाशरीर की कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) बार-बार बीमार पडऩे का कारण बनती है। इसीलिए, कोरोना वायरस महामारी के दौर में हर कोई इम्यूनिटी बढ़ाने पर जोर दे रहा है। ताकि वह खुद को किसी भी संक्रमण से खुद को सुरक्षित रख सकें। इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए इन दिनों सबसे ज्यादा लोग गिलोय का काढ़ा पी रहे हैं। क्योंकि यह हर किसी की पहुंच में है। गिलोय का काढ़ा बनाने का सबका तरीका भी अलग-अलग है। मगर गिलोय का काढ़ा बनाने का सही तरीका क्या है, इसकी जानकारी बहुत कम लोगों के पास है। इसलिए आयुष मंत्रालय ने गिलोय का काढ़ा बनाने का सही तरीका बताया है जिसे हम शेयर कर रहे हैं।गिलोय क्या है?गिलोय या गुडूची को अमृता के नाम से भी जाना जाता है। गिलोय एक आयुर्वेदिक औषधि है, जो कई रोगों के उपचार में मदद करती है। गिलोय के फायदे कई हैं, खासकर यह बुखार के मरीजों के लिए फायदेमंद होता है। गिलोग का रस, और काढ़ा खासतौर से डेंगू, चिकनगुनिया जैसे गंभीर रोगों के रोगियों को दिया जाता है। गिलोय कई प्रकार के वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन से भी बचाता है। कुछ लोग स्वस्थ रहने के लिए नियमित रूप से गिलोय का जूस पीते हैं। इन दिनों कोरोना वायरस से बचने और इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए भी गिलोय का इस्तेमाल किया जा रहा है। आयुष मंत्रालय, भारत सरकार ने इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए गिलोय का काढ़ा पीने की सलाह दी है। जानिए घर पर गिलोय का काढ़ा बनाने का तरीका क्या है?घर पर गिलोय का काढ़ा कैसे बनाएं?सामग्रीगिलाय एक-एक इंच के 5 टुकड़ेंपानी- 2 कपहल्दी-एक चम्मचअदरक- 2 इंचतुलसी के पत्ते- 6 से 7गुड़- स्वादानुसारबनाने का तरीकासबसे पहले एक भगोने में 2 कप पानी रखें। आंच को मीडियम रखें।अब गिलोय और बाकी सामग्री को पानी में डालकर धीमी आंच पर पकने दें। जब सारी सामग्री पूरी तरह से पक जाए और भगोने में काढ़ा आधा रह जाए तो गैस बंद कर दें। एक कप में काढ़ा छानकर निकाल लें और चाय की चुस्कियों की तरह इस औषधि का आनंद लें।गिलोय का काढ़ा पीने के फायदे?आयुष मंत्रालय के अनुसार, काढ़े में मौजूद अदरक और हल्दी के कंपाउंड गिलोय के साथ मिलकर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते हैं। नियमित रूप से गिलोय का काढ़ा पीने से हमारा शरीर विभिन्न प्रकार के संक्रमणों और संक्रामक तत्वों से दूर रहता है।गिलोय का काढ़ा कितनी मात्रा में पीना चाहिए?विशेषज्ञों का मानना है कि गिलोय का काढ़ा प्रतिदिन एक कप से ज्यादा नहीं पीना चाहिए। अधिक मात्रा में किसी भी चीज का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह हानिकारक हो सकता है। गर्भवती महिलाओं, छोटे बच्चों को देने से पहले चिकित्सक से परामर्श जरूर करना चाहिए। गिलोय निम्न रक्तचाप और ऑटो इम्यून बीमारियों का खतरा बन सकता है। ऐसे में अगर आप पहले से किसी रोग से ग्रसित हैं तो गिलोय का काढ़ा पीने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें।--
- जब से दुनिया में कोरोना वायरस की बीमारी आयी है तब से भारत समेत पुरी दुनिया में एन 95 मास्क का प्रयोग सबसे सही माना गया है। पर कई लोगों का यह कहना है कि एन 95 मास्क को प्रयोग दोबारा करना सही नहीं है। आज हम आपको इस लेख में बताएंगे की कैसे एन 95 मास्क को सैनिटाइज कर दोबारा प्रयोग में लाया जा सकता है।एन 95 मास्क को कैसे करें सैनिटाइजनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ ने अपने अध्ययन में यह बताया है कि दूषित या प्रयोग किया हुआ एन95 मास्क को हाइड्रोजन पेरोक्साइड या पराबैंगनी किरण के संपर्क में लाने से यह वायरस को खत्म करता है और मास्क को तीन उपयोग के लिए फिट बनाता है।नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ ने ड्राई हीट करने पर भी मास्क से वायरस के हटने की बात कही है परंतु इस इस विधि के पालन करने पर मास्क तीन के बजाय दो उपयोगों के लिए ही प्रभावी था।शोधकर्ताओं ने क्या कहा?एन 95 मास्क को सैनिटाइज करके इसे कीटाणु रहित करने के विषय में अमेरिका के इलिनोइस विश्वविद्यालय के शोधकर्ता विशाल वर्मा ने बताया कि किसी भी मास्क को सैनिटाइज करने की कई तरीके होते हैं, अधिकांश में इसका फिल्टर खराब हो जाता है। शोधकर्ताओं ने बताया कि परीक्षण के दौरान यह पता चला कि अगर एन-95 मास्क को 50 मिनट तक 100 डिग्री सेल्सियस तापमान पर कुकर के अंदर रखा जाये तो यह मास्क को कीटाणु रहित हो जाता है और इसे दोबारा प्रयोग मे लाया जा सकता है।रॉबर्ट फिशर, पीएचडी, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी और संक्रामक रोगों हैमिल्टन, मोंटाना में अपने सहयोगियों के साथ 15 अप्रैल को एक प्रिप्रिंट सर्वर पर निष्कर्ष पोस्ट किया था। पर, अभी तक पेपर की समीक्षा नहीं की गई है। उन्होंने बताया कि हमारे परिणामों से संकेत मिलता है कि एन 95 मास्क को यूवी और एचपीवी के लिए गर्मी के लिए दो बार तक फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है।---
- माखन लाल या माखन चोर कहे जाने वाले भगवान श्रीकृष्ण के जन्म उत्सव पर मनाया जाने वाला त्योहार जन्माष्टमी काफी लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस दिन घर में कई खास पकवान और आयोजनों के साथ त्योहार को मनाया जाता है। कृष्ण भक्त और कई श्रद्धालु इस दिन व्रत करते हैं और भगवान कृष्ण की मूर्तियों को सजाते हैं। वहीं घर के छोटे बच्चों को नंदलाल की वेशभूषा में सजाया जाता है और इस दिन झूला झूलने की भी परंपरा है। इन सब चीजों के साथ श्रीकृष्ण की आराधना की जाती है और जन्माष्टमी को बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। जन्माष्टमी का त्योहार, खासकर मथुरा और वृन्दावन में काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। मथुरा भगवान कृष्ण की जन्मभूमि है।जन्माष्टमी पर घरों में विभिन्न प्रकार की मिठाइयां भोग के रूप में बनाई जाती हैं। इनमें से एक है माखन मिश्री और श्रीखंड ।माखन मिश्री रेसेपीप्यारे कान्हा की पसंदीदा, माखन मिश्री को ज्यादातर जन्माष्टमी के त्योहार में भोग के रूप में बनाते हैं। यह स्वादिष्ट माखन मिश्री, ताजा सफेद मक्खन और मिश्री के साथ तैयार की जाती है। इसे बनाना भी काफी आसान है, आइए यहां आप माखन मिश्री बनाने की रेसेपी जानें।माखन मिश्री बनाने की विधिसामग्री- दही या फिर सफेद मक्खन ,मिश्री ,पिस्ताविधि- सबसे पहले आप 1 किलो दही लें और उसे एक बड़े बर्तन में डाल लें। हालांकि, अगर आपके पास सफेद मक्खन उपलब्ध है, तो आपको दही की आवश्यकता नहीं है। अब आप दही को मथनी या मिक्सर की मदद से ब्लेंड करें। अब इससे निकलने वाले मक्खन को अलग निकाल लें। मक्खन निकल जाने के बाद आप इस एक कांच के कटोरे में लें और इसमें 200 या 250 ग्राम बारीक मिश्री और कटे हुए पिस्ता डालकर मिला लें। मिला लेने के बाद आप कुछ मिश्री और पिस्ता से इसकी गार्निशिंग कर लें। आपकी माखन मिश्री तैयार है। वहीं यदि आप डायबिटीज या हार्ट के रोगी हैं, तो आप कुछ डायबिटीज और हार्ट फ्रेंडली रेसेपीज ट्राई कर सकते हैं।श्रीखंड रेसेपीश्रीखंड भी माखन लाल कन्हैया का पसंदीदा है। यह गाढ़े दही और शुगर पाउडर के साथ बना जाता है। इतना ही नहीं, श्रीखंड एक लोकप्रिय भारतीय मिठाई है जिसे आप इस शुभ दिन तैयार कर सकते हैं।श्रीखंड बनाने की विधिसामग्री- गाढ़ा दही ,केसर ,इलायची ,सूखे मेवे ,कुछ फल।श्रीखंड को बनाना काफी आसान है। इसे बनाने के लिए आप सबसे पहले 1 किलो गाढ़ा दही लें। अब आप दही को किसी मलमल या सूती के कपड़े में डालकर कपड़े को बांध लें और लटका दें। इसका सारा पानी निकल जाना चाहिए। यानि कि जिस तरह घर पर पनीर बनाया जाता है, वैसे ही आपको दही के साथ भी करना है। इसके बाद आप कपड़े से दही की बनी पनीर को बाहर निकालें और उसे फेंट लें। आप इसमें आधा कटोरी या उससे ज्यादा कटे हुए सूखे मेवे जैसे कि बादाम, पिस्ता, किशमिश और कुछ कटे हुए फूट्स डालें। अब आप इसमें 2 चम्मच शुगर पाउडर डालें और फिर केसर डालकर मिला लें। केसर श्रीखंड के स्वाद को बढ़ा देता है। इस प्रकार आप घर पर श्रीखंड को बनाकर कान्हा जी को भोग लगा सकते हैं और खुद भी इस खास डेर्जट का आंनद ले सकते हैं।---
- छोले हम सबके घरों में बनते हैं और हम सभी उसका सेवन करते हैं, लेकिन क्या आपको पता है ये आपकी सेहत के लिए कितना अच्छा होता है। छोले फाइबर का एक समृद्ध स्रोत हैं, इसमें वसा, काब्र्स और कई दूसरे विटामिन मौजूद होते हैं। इसके साथ ही आपको बता दें कि ये प्रोटीन में भी काफी उच्च होते हैं, इसलिए ये शाकाहारियों के लिए एक महान डाइट के रूप में अच्छा विकल्प है। ऐसे ही इसके कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं जो आपको हैरान कर सकते हैं। आइए हम आपको इस लेख के जरिए चने से मिलने वाले कुछ स्वास्थ्य लाभों के बारे में बताते हैं, जिससे आप भी रोजाना सेवन कर खुद को स्वस्थ रख सकते हैं।वजन कम करनाछोलों में मौजूद प्रोटीन और फाइबर पाचन को धीमा कर सकते हैं और आपके पेट को भरने की भावना दे सकते हैं। वे भूख और भोजन का सेवन कम करने में भी मदद करते हैं जिससे आप कम दिनों में ही अपने वजन को कम कर सकते हैं। अगर आप भी अपने बढ़ते वजन से परेशान हैं तो आप रोजाना छोलों का सेवन कर सकते हैं ये आपके वजन को कम करने में काफी मदद करेगा।हड्डियों को करता है मजबूतहड्डियों की कमजोरी हर किसी की बहुत बड़ी समस्या बन जाती है, ऐसे में छोले आपकी हड्डियों को मजबूत कर सकते हैं। छोले कैल्शियम, लोहा, मैग्नीशियम, जिंक और विटामिन के और ए का अच्छा स्रोत माने जाते हैं। ये आपके शरीर की हड्डियों के विकास, हड्डियों के खनिज और कोलेजन के उत्पादन के लिए काफी महत्वपूर्ण होते हैं। अगर आपकी हड्डियों में दर्द या कमजोरी होती है तो आप रोजाना छोलों का सेवन जरूर करें।त्वचा को बनाए बेहतरछोले में मौजूद विटामिन सी, ई और के आपकी त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। छोलों का सेवन करने से ये त्वचा के घावों को ठीक करने, झुर्रियों को खत्म करने, शुष्क त्वचा को रोकने और सूरज की रोशनी से होने वाले नुकसान से बचा सकते हैं।ब्लड शुगर लेवल को करता है कमछोले में फाइबर और प्रोटीन बहुत ज्यादा मात्रा में होता है, जिसके कारण ये हमारे शरीर में ब्लड शुगर लेवल के स्तर को कम करने का काम करता है। इसके साथ ही खाना खाने के तुरंत बाद बढऩे वाले रक्त शर्करा के स्तर को भी रोकने में मदद करते हैं, जो मधुमेह के प्रबंधन के लिए भी महत्वपूर्ण है। छोलों का सेवन कर आप टाइप-2 मधुमेह के खतरे को काफी हद तक कम कर सकते हैं।पाचन क्रिया होती है मजबूतफाइबरयुक्त आहार आपके पेट के स्वास्थ्य को मजबूत कर उसे सक्रिय रखने में मददगार होता है, ऐसे ही छोलों में काफी मात्रा में फाइबर मौजूद होता है जो पाचन को सुधारने में काफी मदद करते हैं। इसके साथ ही इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम के खतरे को कम करने के लिए आप छोले को अपनी डाइट में जरूर शामिल करें।बालों को बढ़ाने में भी है फायदेमंदझड़ते बाल और बालों को स्वस्थ रखने के लिए आप छोलों को अपनी डेली डाइट में जोड़ सकते हैं। ये आपके बालों के बढऩे की प्रक्रिया को तेज कर उन्हें झडऩे से रोकते हैं। छोले में मौजूद प्रोटीन, विटामिन ए और बी, और दूसरे पोषक तत्व बालों के झडऩे को रोकने और बालों के विकास को बढ़ावा देने फायदेमंद होते हैं।अपने आपको स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है कि आप अपनी डाइट को हेल्दी बनाएं, इसके लिए आप रोजाना छोले का सेवन कर सकते हैं जो आपकी सेहत को कई तरह से फायदा पहुंचाता है।----
- पूरी दुनिया इस समय कोरोना वायरस के साये में जी रही है। भारत में भी यह महामारी फैल चुकी है। ऐसे में अगर आप घर से बाहर निकलते हैं और अंजाने लोगों के संपर्क में आते हैं, तो आपको सिर्फ और सिर्फ एक चीज ही इस वायरस से बचा सकती है और वो है फेस मास्क। कोरोना संक्रमित मरीज के बात करने, छींकने और खांसने के दौरान ये वायरस आपके शरीर में प्रवेश कर सकता है। इससे बचाव के लिए जरूरी है कि आप फेस मास्क का इस्तेमाल करें।लोगों ने कोरोना वायरस से बचने के लिए मास्क पहनना शुरू भी कर दिया है, लेकिन ज्यादातर लोग इसे गलत तरीके से पहन रहे हैं, जिसके कारण उन्हें वायरस से कोई सुरक्षा नहीं मिल रही और वायरस फैलता ही जा रहा है। अगर आप घर पर कपड़े से बना मास्क, बाजार में बिकने वाले फैब्रिक से बने मास्क या किसी अन्य नॉन-मेडिकल मास्क का प्रयोग करते हैं, तो आपको इसे सही तरीके से पहनना चाहिए, ताकि आपको वायरस से पूरी सुरक्षा मिल सके। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने नॉन मेडिकल फैब्रिक मास्क के इस्तेमाल को लेकर जरूरी निर्देश जारी किए हैं। डब्ल्यूएचओ ने बताया है कि आपको मास्क कैसे पहनना चाहिए और इसके इस्तेमाल में कौन सी गलतियां नहीं करनी चाहिए।डब्ल्यूएचओ के अनुसार क्या है मास्क पहनने का सही तरीका?- मास्क को छूने से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह धोएं और साफ करें। अब मास्क को डोरी पकड़कर उठाएं और देखें कि मास्क कहीं से डैमेज या गंदा तो नहीं है। अब मास्क को अपने चेहरे पर एडजस्ट करें। ध्यान रखें कि मास्क आपके चेहरे से पूरी तरह चिपका हो, इसमें साइड से या ऊपर से खुला स्थान न हो। मास्क से अपने मुंह, नाक और ठुड्डी को पूरी तरह कवर करें। मास्क को उतारने या छूने से पहले अपने हाथों को दोबारा अच्छी तरह साबुन या सैनिटाइजर से साफ करें। अब कान के पीछे की तरफ जो डोरी है, वहां से पकड़कर मास्क को उतारें।अगर आप इसी मास्क को दोबारा इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो इसे किसी प्लास्टिक के पाउच या बैग में सावधानी से भरें। इसके बाद अपने हाथों को अच्छी तरह साबुन और पानी से 20 सेकेंड तक धोएंअगली बार इस्तेमाल से पहले इस मास्क को इस पाउच से डोरी पकड़कर ही निकालें और फिर साबुन या डिटर्जेंट में इसे धोएं। अगर मास्क को धोने के लिए गर्म पानी का इस्तेमाल करें, तो और भी अच्छा है।मास्क को एक दिन में कम से कम 1 बार जरूर धोएं। बिना धोए मास्क का दोबारा इस्तेमाल न करें।कोरोना वायरस से बचना है तो मास्क पहनते समय न करें ये गलतियांअगर मास्क डैमेज है, उसमें कहीं से छेद है या वो गंदा और पहले से इस्तेमाल किया हुआ है, तो उसे न पहनें। ढीला-ढाला मास्क न पहनें जो आपके चेहरे पर अच्छी तरह फिट न बैठता हो।मास्क को सरकाकर नाक के नीचे न लाएं। इससे आप वायरस से नहीं बच पाएंगे और मास्क पहनने का भी कोई फायदा नहीं मिलेगा।अगर आप 1 मीटर से कम के दायरे में किसी से बात कर रहे हैं, तो अपना मास्क बिल्कुल भी न उतारें। ऐसे मास्क का इस्तेमाल न करें, जिसमें आपको सांस लेने में तकलीफ हो। गंदा या गीला मास्क कभी भी न पहनें। मास्क हमेशा साफ-सुथरा और सूखा हुआ होना चाहिए। अपना मास्क किसी और को इस्तेमाल के लिए न दें और न ही किसी और के मास्क का इस्तेमाल करें।
- जन्माष्टमी को भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव मनाया जाता है। इस दिन लोग बाल कृष्ण की नटखट लीलाओं को याद करते हैं और माखन-मिश्री का भोग लगाते हैं। माखन-मिश्री को बाल गोपाल का प्रिय भोजन माना जाता है। अगर बाल गोपाल के साथ-साथ आप भी रोजाना माखन-मिश्री खाते हैं, तो आपके शरीर को ढेर सारे स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं।दरअसल भारतीय रसोई में मक्खन का विशेष महत्व है। घर पर पारंपरिक रूप से तैयार क्रीमी मक्खन का स्वाद, बाजार के प्रॉसेस्ड मक्खन के मुकाबले बहुत अलग और स्वादिष्ट होता है। इसके साथ ही मिश्री का सेवन भी शरीर के लिए फायदेमंद माना जाता है। आइए इस जन्माष्टमी आपको बताते हैं मक्खन-मिश्री खाने के 7 जबरदस्त फायदे।शरीर के जोड़ों को रखता है स्वस्थघर पर बनाए गए मक्खन में ढेर सारे पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। कैल्शियम, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस हड्डियों को मजबूत बनाते हैं और हड्डी रोगों से छुटकारा दिलाते हैं। माखन-मिश्री खाने से आपके जोड़ लंबे समय तक स्वस्थ रहते हैं।चेहरे पर लाए प्राकृतिक निखारमक्खन में मिश्री को पीसकर मिलाएं और फिर इसे फेसपैक की तरह चेहरे पर लगाएं। इससे आपके चेहरे पर तुरंत ग्लो आएगा और सप्ताह में 2 बार के प्रयोग से त्वचा पर प्राकृतिक निखार आने लगेगा।बच्चों का दिमागी विकास होता है बेहतरबच्चों को रोजाना माखन-मिश्री खिलाने से उनका दिमागी विकास बेहतर होता है और लंबाई भी अच्छी बढ़ती है। पुराने समय में छोटे बच्चों को मांएं इसीलिए माखन-मिश्री खिलाती थीं, ताकि उनकी बुद्धि तीव्र हो सके और याददाश्त तेज हो जाए।पाचन रहता है अच्छामिश्री को पेट के लिए अच्छा माना जाता है। खाने के 10 मिनट बाद थोड़ी मात्रा में मिश्री खाने से पाचन अच्छा रहता है और पेट की समस्याओं से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा मक्खन भी पेट के लिए बहुत अच्छा होता है।बढ़ाता है आंखों की रोशनीमक्खन में विटामिन बी- कैरोटिन अच्छी मात्रा में होता है इसलिए मक्खन मिश्री खाने से आपकी आंखों की रोशनी तेज होती है। छोटे बच्चों को मक्खन-मिश्री खिलाने से उनकी आंख पर कभी चश्मा नहीं चढ़ता है।बवासीर की समस्या में आराममिश्री और मक्खन दोनों का सेवन एक साथ करने से बवासीर की समस्या दूर होती है। बवासीर के कारण मलद्वार में गाठें हो जाती हैं, जिसके कारण बैठने, लेटने और शौच के समय बहुत तेज दर्द होता है और मल के साथ खून आने की समस्या हो जाती है।बढ़ती है रोग प्रतिरोधक क्षमताघर पर बनाया हुआ शुद्ध और ताजा मक्खन खाने से शरीर को ढेर सारे एंटीऑक्सीडेंट्स मिलते हैं। इसलिए इसके सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। अगर आप सप्ताह में 2-3 दिन भी मक्खन-मिश्री का सेवन करते हैं, तो आपको वायरल बीमारियों के होने की संभावना कम हो जाएगी।
- - हिसार में शुरू होने जा रही है डेयरीभारतीय बाजार में ऊंटनी के दूध के बाद अब गधी के दूध की मांग बढऩे लगी है। शोध में यह बात सामने आई है कि गुजरात की हलारी नस्ल की गधी का दूध औषधियों गुणों की भरमार है। यह बाजार में दो हजार से 7 हजार रुपए लीटर तक में बिकता है।गधी का दूध के बारे में सुनकर हम सभी को थोड़ा अजीब लग रहा हो, पर ये शरीर के लिए कई तरह से फायदेमंद है। गधी का दूध, बकरी और गाय के दूध जैसा ही प्राकृतिक दूध है। यह मिस्र के लोगों द्वारा लंबे समय से इस्तेमाल किया जा रहा है, जो कि त्वचा संबंधी बीमारियों के इलाज, पोषण और इम्यूनिटी को बढ़ावा देता है। इसलिए देश में पहली बार राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (एनआरसीई) हिसार में हलारी नस्ल की गधी के दूध की डेयरी शुरू होने जा रही है। इसके लिए एनआरसीई ने 10 हलारी नस्ल की गधियों को पहले ही मंगा लिया था। जिनकी मौजूदा समय में ब्रीडिंग की जा रही है।कितना सेहतमंद है गधी का दूधगधी का दूध विटामिन ई, अमीनो एसिड, विटामिन ए, बी 1, बी 6, सी, डी, ई, ओमेगा 3 और 6 से भरपूर है। इसमें कैल्शियम की उच्च मात्रा होती है और इसमें गाय के दूध की तुलना में चार गुना कम फैट होता है। इन सभी महान पोषक तत्वों को जोडऩे के लिए, इसके युवा रखने वाले गुण यानी कि रेटिनॉल भी पाया जाता है। ये गुण कॉस्मेटिक उत्पादों में इसे एक बहुत ही विशेष घटक बनाते हैं। वहीं इसके कई अन्य फायदे भी हैं।गधी का दूध पीने के फायदे1. इम्यूनिटी बूस्टर है गधी का दूधगधा दूध शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट और पोषक तत्वों से भरा होता है। इनमें विटामिन ए, बी 1, बी 2, बी 6, डी, सी, भी, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, और जस्ता जैसे आवश्यक विटामिन शामिल हैं। गधा का दूध पीने से शरीर कई तरह के संक्रमणों के खिलाफ इम्यूनिटी विकसित कर लेता है, जिससे आप कई तरह की बीमारियों से हमेशा बचे रह सकते है।2. बच्चों के गधी के दूध से नहीं होती है एलर्जीएनआरसीई की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर अनुराधा भारद्वाज बताती हैं कि कई बार गाय या भैंस के दूध से छोटे बच्चों को एलर्जी हो जाती है, मगर हलारी नस्ल की गधी के दूध से कभी एलर्जी नहीं होती। इसके दूध में एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी एजीन तत्व पाए जाते हैं जो शरीर में कई गंभीर बीमारियों से लडऩे की क्षमता विकसित करते हैं।3. शक्तिशाली एंटी-एजिंग गुणों से है भरपूरगधा दूध में शक्तिशाली एंटी-एजिंग और हीलिंग गुण होते हैं, क्योंकि इसमें आवश्यक फैटी एसिड होते हैं। ये फैटी एसिड ठीक लाइनों और झुर्रियों की उपस्थिति को कम करते हैं और क्षतिग्रस्त त्वचा को पुन: उत्पन्न करने में मदद करते हैं। ये त्वचा से जुड़ी कई उपचारों में भी फायदेमंद है।4. मोटापा कम करने में भी मददगारदरअसल गुजरात की हलारी नस्ल की गधी का दूध औषधियों गुणों के लिए जाना जाता है। इसे पीने से शरीर को दूध से मिलने वाले सभी पोषक तत्व मिल जाते हैं, जिसके बाद आपको गाय के दूध की जरूरत नहीं पड़ती है। ये आपके पेट को हमेशा भरा-भरा सा रखता है, जिससे आपको भूख नहीं लगती और वजन कम करने में आसानी होती है। साथ ही ये आपके पाचनतंत्र को भी ठीक रखता है, जिससे पेट में फैट जमा नहीं हो पाता है।इस तमाम के चीजों के बाद गधे का दूध त्वचा के लिए एक शक्तिशाली मॉइस्चराइजर, क्लीन्जर और सॉफ्टनर की तरह काम करता है। लगातार उपयोग करने से आपकी त्वचा हमेशा साफ, नरम और चिकनी रहेगी। यही वजह कि इसे बहुमुखी सौंदर्य उत्पादों को बनाने में इस्तेमाल किया जाता है।---
- गेहूं हमारे रोजमर्रा के भोजन का अभिन्न हिस्सा है। रोटियोंं के बिना भोजन की थाली अधूरी लगती है। गेहूं का दलियां, खीर, खिचिया भी पसंद किया जाता है। जवारा का रस तो आमतौर पर लोग पीना पसंद ही करते हैं, लेकिन अंकुरित गेहूं भी पौष्टिकता के मामले में कम नहीं है। आहार विशेषज्ञों के अनुसार अंकुरित गेहूं खाने से कई तरह की स्वास्थ्यगत समस्याओं से निजात पाया जा सकता है।इसके फायदेबाल और त्वचा के लिए फायदेमंद- अंकुरित गेहूं का सेवन करने से शरीर की त्वचा और बालों में प्राकृतिक चमक आ जाती है और इसके साथ ही बाल मजबूत भी होते है और त्वचा की रंगत साफ होने लगती है।पेट सम्बंधित समस्या के लिए फायदेमंद- इसका रोजाना सेवन करने से किडनी, ग्रंथियों और हमारा पाचन तंत्र मजबूत होता है तथा इसके साथ ही रक्त कोशिकाओं का निर्माण भी अच्छे से होने लगता है।टॉक्सिन बाहर निकाले- अंकुरित गेहूं खाने से शरीर के मेटाबॉलिज्म रेट में वृद्धि होती है। इसके साथ ही ये हमारे शरीर में बनने वाले विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मददगार है। इससे रक्त शुद्ध होता है।पाचन के लिए फायदेमंद- इसमें प्रचुर मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जो पाचन क्रिया को सुचारु रखने में मदद करते हैं। जिन लोगों को पाचन संबंधी समस्याएं होती है उनके लिए अंकुरित गेहूं का सेवन काफी फायदेमंद होता है।- अंकुर उगे हुए गेहूं में विटामिन-ई भरपूर मात्रा में होता है। शरीर की उर्वरक क्षमता बढ़ाने के लिए विटामिन-ई एक आवश्यक पोषक तत्व है।कैसे करें अंकुरित -गेहूं अंकुरित करने के लिए अच्छी गुणवत्ता का गेहूं लें। गेहूं को साफ करके 6-12 घंटे के लिए पानी में भिगो दें। इन गेहूं को दिन में तीन बार पानी से धोएं। अब गेहूं को स्प्राउट मेकर में या कपड़े में बांधकर रख दें।अंकुरित होने पर मनचाहे तरीके से इनका प्रयोग करें। बच्चों के लिए भी आप इनसे पराठे, स्टफ्ड पूरी, सैंडविच जैसी चीजें बना सकती हैं। वहीं डाइट कांशियस लोग इसे सिंपल तरीके से नींबू तथा हल्के मसाले के साथ खा सकते हैं।---
- छुई-मुई की पत्तियों को स्पर्श करने से वे सिकुड़ जाते हैं। शायद इसीलिए इसका नाम लातवंती रखा गया होगा। यह एक औषधीय पौधा है जिसमें कई चमत्कारिक गुण होते हैं। इसका पौधा छोटा होता है। यह भारत में गर्म प्रदेशों में पाया जाता है। इसके पौधे जमीन पर रेंगते हुए बढ़ते हैं। इसकी पत्तियां चने की पत्तियों के समान नजर आती हैं, लेकिन आकार में छोटी होती हैं। इसके फूलों का रंग बैंगनी होता है। बारिश के मौसम में इसमें फल आते हैं। इसकी अनेक प्रजातियां मिलती हैं।इस पौधे की खासियत है कि इसकी पत्तियों को छूने पर वे सिकुड़ जाती हंै , दरअसल इसकी पत्तियां बहुत संवेदनशील होती है, जब हम इसे छूते हैं, तो उस जगह की कोशिकाओं का पानी आस पास की कोशिकाओं में चला जाता है जिसके कारण पत्तियां सिकुड़ जाती हैं। कुछ सेकण्ड बाद पानी पुन: वापस कोशिकाओं में आ जाता है और पत्तियां पुन: फैलकर सामान्य हो जाती हैं।इसकी जड़ स्वाद में अम्लीय तथा कठोर होती है। चरक संहिता के संधानीय एवं पुरीषसंग्रहणीय महाकषाय में तथा सुश्रुत संहिता के प्रियंग्वादि व अम्बष्ठादि गणों में इसकी गणना की गई है। लाजवंती प्रकृति से ठंडे तासीर की और कड़वी होती है।विभिन्न भाषाओं में नाम- संस्कृत- लज्जालु, नमस्कारी, शमीपत्रा, हिन्दी-लजालु, छुई-मुई, अंग्रेजी- सेनमिसटिव प्लॉट, मराठी- लाजालु, बंगाली- लाजक, पंजाबी-लालवन्त, तैलुगू-अत्तापत्ती।इसका कई रोगों के उपचार में प्रयोग किया जाता है, जैसे कि मधुमेह, अजीर्ण, कामला (पीलिया), पेशाब अधिक आना, नाड़ी का घाव, घाव में दर्द, गंडमाला, बवासीर, खूनी दस्त, खांसी, पित्त का बढऩा, प्लेग रोग, शिरास्फीति आदि।
- हम में से कई लोगों को चाय पीना बहुत पसंद होता है। ये या तो हमारे नाश्ते का हिस्सा है या हमारे शाम के स्नैक्स का पेय है। इस पेय की कई किस्में हैं, हालांकि, हम ज्यादातर कैफीनयुक्त पेय का सेवन करते हैं और स्वास्थ्यवर्धक विकल्पों को नजरअंदाज कर देते हैं। जबकि, हर्बल और ग्रीन टी वजन घटाने के साथ-साथ इसके कई स्वास्थ्य लाभों से युक्त हैं। बेहतर प्रतिरक्षा उनमें से एक हैं। आज हम आपको त्रिफला चाय के बारे में बता रहे हैं, जो वजन घटाने और प्रतिरक्षा के लिए एक आयुर्वेदिक डाइट सप्लीमेंट है।जैसा कि नाम से पता चलता है, त्रिफला तीन फलों का मिश्रण है, यानी अमलाकी या आंवला, बिभीतकी या बहेड़ा, और हरिताकी या हरड़। त्रिफला चूर्ण आप किसी भी किराना और स्थानीय आयुर्वेदिक और जड़ी बूटी बेचने वाली दुकानों से खरीद सकते हैं और इससे चाय बना सकते हैं। आप पाउडर को पानी में मिलाकर सेवन करते हैं, या गर्म पानी के साथ चूरन का सेवन कर सकते हैं।त्रिफला चाय के स्वास्थ्य लाभ-यह चाय शरीर में जमा खराब वसा को तोडऩे और उन्हें जलाने का काम करती है।-यह हमारे चयापचय में सुधार करता है, इस प्रकार वजन घटाने में सहायता करती है।-त्रिफला चाय पाचन को ठीक करती है और कब्ज के लक्षणों को कम करती है क्योंकि यह एक हल्के रेचक के रूप में काम करता है। और बेहतर पाचन वजन घटाने की कुंजी में से एक है।-यह एंटीऑक्सिडेंट के साथ भी युक्त होती है, जो रेडिकल से लड़ती है और ऑक्सीकरण को रोकता है और इस प्रकार पेट में सूजन को कम करने और रोकता है।-यह शरीर को पोषक तत्वों को अच्छी तरह से अवशोषित करने और आत्मसात करने में भी मदद करता है।-यह बेहतर नींद को भी बढ़ावा देता है और फिर से बेहतर नींद की आदतों को बेहतर वजन घटाने से भी जोड़ा जाता है।-यह प्रतिरक्षा को बढ़ाता है और यह तनाव और चिंता को कम करने में भी मदद करता है!त्रिफला चाय कैसे बनाएंचाय तैयार करने के लिए, आपको त्रिफला चूर्ण और गर्म पानी की आवश्यकता होती है। आपको एक कप गर्म पानी में लगभग आधा चम्मच पाउडर डालना होगा। इसे अच्छी तरह से हिलाएं और गुनगुना होने के बाद पी लो। आप चाहें तो शहद, अलसी पाउडर भी डाल सकते हैं। आप रात के दौरान अक्सर पेशाब करने की आवश्यकता का अनुभव कर सकते हैं, क्योंकि त्रिफला मूत्रवर्धक होता है। चाय को सुबह खाली पेट पीना आपके लिए ज्यादा फायदेमंद हो सकती है।इस चाय को पीएं, स्वस्थ भोजन की आदतों और उचित व्यायाम आहार का पालन करें और जल्द ही आपको वजन कम होता दिखाई देगा।नोट-- अपने आहार में इस चाय को शामिल करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर लें क्योंकि हर किसी के शरीर की तासीर अलग-अलग होती है।