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- दिन भर में पर्याप्त पानी पीना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। अक्सर लोगों को सुबह उठते ही बासी मुंह पानी पीने की सलाह दी जाती है, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि सुबह के समय पानी क्यों पिएं?सुबह के समय पानी क्यों पीना चाहिए?न्यूट्रिशियनिस्ट के अनुसार, 8 से 9 घंटे की पर्याप्त नींद लेने के बाद सुबह उठकर पानी पीना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। इससे शरीर के टॉक्सिन्स को बाहर निकालने और शरीर में एनर्जी बनाए रखने में मदद मिलती है। ऐसे में सिर्फ सुबह ही दिन में शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए दिनभर में पर्याप्त पानी पिएं।सुबह उठकर पानी पीने के फायदेशरीर को डिटॉक्स करेसुबह उठकर पानी पीने से शरीर जमा टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद मिलती है, साथ ही, इससे शरीर के साथ-साथ खून भी साफ होता है। दिन भर में पर्याप्ता पानी पीने से स्वास्थ्य को कई लाभ मिलते हैं।वजन कम करने में सहायकपानी पीने से स्वास्थ्य को कई लाभ मिलते हैं। ऐसे में सुबह उठकर हल्के गुनगुने पानी पीने से पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने, मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने और कैलोरीज को बर्न करने में मदद मिलती है, साथ ही, सुबह पानी पीने से पेट को भरा रखने, ओवरईटिंग से बचाव करने और भूख को कंट्रोल करने में मदद मिलती है, जो स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।शरीर को एनर्जी देसुबह के समय पानी पीने से शरीर को हाइड्रेट करने के साथ-साथ शरीर के एनर्जी देने में भी मदद मिलती है, जिससे काम पर फोकस करने और दिनभर एक्टिव रहने में मदद मिलती है।स्किन को हेल्दी रखेसुबह उठने पर पानी पीने से मल और पेशाब के जरिए शरीर से टॉक्सिन्स बाहर हो जाते हैं, जिससे खून साफ होता है। ऐसे में इससे त्वचा में नमी बनाए रखने और इसमें नमी बनाए रखने में मदद मिलती है, साथ ही, इससे त्वचा साफ रखने, नेचुरल रूप से ग्लोइंग और हेल्दी बनाए रखने में मदद मिलती है, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।पाचन के लिए फायदेमंदसुबह उठते ही पानी पीने से पाचन तंत्र को दुरुस्त कर हेल्दी रखने में मदद मिलती है। इससे आंतों की सफाई करने, कब्ज और गैस जैसी पाचन से जुड़ी समस्याओं से राहत देने में मदद मिलती है, जो पेट के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।शरीर को हाइड्रेट रखेरात भर सोने के बाद, शरीर में पानी की कमी होने लगती है। ऐसे में शरीर को पानी की जरूरत होती है ताकि वह सभी कार्यों को ठीक से कर सकते हैं। ऐसे में सुबह उठकर पानी पीने से शरीर को हाइड्रेट रखने में मदद मिलती है, जिससे शरीर के सभी अंग अपने कार्यों को ठीक से करते हैं। इसके अलावा, पानी पीने से शरीर को पोषण करने में मदद मिलती है।निष्कर्षसुबह उठकर नियमित रूप से पानी पीने से शरीर में पानी की कमी को दूर कर हाइड्रेट रखने, शरीर को डिटॉक्स करने, शरीर को एनर्जी देने, पाचन को दुरुस्त रखने, वजन कम करने और स्किन को हेल्दी रखने में मदद मिलती है। ध्यान रहे, जरूरत के अनुसार ही दिन भर में पानी पिएं, धीरे-धीरे पानी पिएं, दिनभर में बार-बार पानी पिएं और ज्यादा पानी न पिएं। ऐसे में इसके लिए या स्वास्थ्य से जुड़ी कोई भी समस्या महसूस होने पर डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
- गर्मियों में अक्सर लोग छाछ का सेवन करना पसंद करते हैं, यह गर्मियों में पिए जाने वाली हेल्दी ड्रिंक्स में से एक है। इससे शरीर को ठंडक देने और ताजा महसूस करने में मदद मिलती है। लेकिन इसमें हींग, अजवाइन और काले नमक को डालकर पीने से इससे मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ बढ़ जाते हैं। आइए नोएडा के सेक्टर-12 में स्थित, अर्चित आयुर्वेदिक क्लिनिक के डॉ. अनंत त्रिपाठी से जानें छाछ में हींग, अजवाइन और काले नमक को डालकर पीने से क्या होता है?छाछ, हींग, अजवाइन और काले नमक में मौजूद गुणछाछ में भरपूर मात्रा में प्रोबायोटिक्स के गुण पाए जाते हैं, साथ ही, इनमें अच्छी मात्रा में विटामिन्स और मिनरल्स पाए जाते हैं। वहीं, अजवाइन में एंटी-ऑक्सीडेंट्स, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी के गुण पाए जाते हैं, साथ ही, इसमें थाइमोल नामक तत्व होता है, जिससे पाचन के एंजाइम्स को बढ़ावा देने में मदद मिलती है, जिससे पाचन की समस्याएं दूर होती हैं। इसके अलावा, हींग में अच्छी मात्रा में एंटी-इंफ्लेमेटरी के गुण पाए जाते हैं, जो ब्लोटिंग और गैस जैसी समस्याओं में फायदेमंद है। वहीं, काले नमक में पाचन को बढ़ावा देने वाले एंजाइम्स और अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।छाछ में हींग, अजवाइन और काला नमक डालकर पीने के फायदेछाछ में अच्छी मात्रा में भरपूर मात्रा में प्रोबायोटिक्स के गुण पाए जाते हैं। इस में हींग, अजवाइन और काले नमक को डालकर पीने से पाचन के लिए जरूरी एंजाइम्स को बढ़ावा देने, तंत्र को दुरुस्त करने और गट में हेल्दी बैक्टीरिया को बढ़ावा देने में मदद मिलती है। इससे पाचन को कई फायदे होते हैं। इसके अलावा, इसका सेवन करने से वजन कम करने में मदद मिलती है। इसका सेवन करने से पेट को लंबे समय तक भरा रखने और ओवरईटिंग से बचाव करने में मदद मिलती है।शरीर को हाइड्रेट रखेछाछ में इलेक्ट्रोलाइट्स के गुण पाए जाते हैं। गर्मियों में इसका सेवन करने से शरीर को ठंडक देने और शरीर में पानी की कमी को दूर कर हाइड्रेट करने और शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स को बनने में मदद मिलती है। इससे गर्मी से बचाव करने और स्वास्थ्य को हेल्दी रखने में मदद मिलती है।गैस और एसिडिटी से बचाव करेछाछ में अजवाइन, काले नमक और हींग को डालकर पीने से गैस और एसिडिटी जैसी पाचन से जुड़ी समस्याओं से राहत देने में मदद मिलती है। बता दें, इससे पाचन के एंजाइम को बढ़ावा देने, गैस, पेट फूलने, ऐंठन और एसिडिटी जैसी समस्याओं से राहत देने में मदद मिलती है। इसमें मौजूद काले नमक में एंटी-एसिडिक गुण पाए जाते हैं, जिससे पेट की जलन को शांत करने और पाचन संबंधी समस्याएं दूर होती हैं।इम्यूनिटी बूस्ट करेछाछ में अच्छी मात्रा में प्रोबायोटिक्स के गुण पाए जाते हैं। वहीं, अजवाइन में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी के गुण पाए जाते हैं। ऐसे में इनका सेवन करने से शरीर की इम्यूनिटी को बूस्ट कर बीमारियों से बचाव करने में मदद मिलती है, साथ ही, इसमें मौजूद अजवाइन और हींग में एंटी-इंफ्लेमेटरी के गुण पाए जाते हैं। इससे शरीर के दर्द और सूजन को कम करने में मदद मिलती है, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।हड्डियों के लिए फायदेमंदछाछ में भरपूर मात्रा में कैल्शियम और अन्य मिनरल्स पाए जाते हैं। ऐसे में इसका सेवन करने से हड्डियों को मजबूती देने और इनसे जुड़ी अन्य समस्याओं से बचाव करने में मदद मिलती है, जो हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।स्किन और बालों के लिए फायदेमंदछाछ में बहुत से मिनरल्स, विटामिन्स और एंटी-ऑक्सीडेंट्स के साथ-साथ अन्य कई गुण होते हैं, जो स्किन और बालों को अंदर तक पोषण देने में मदद मिलती है। ऐसे में इसका सेवन करने से बालों और त्वचा से जुड़ी समस्याओं से बचाव करने और इनको हेल्दी बनाए रखने में मदद मिलती है।निष्कर्षछाछ में हींग, अजवाइन और काले नमक को डालकर पीने से गैस, एसिडिटी, पेट फूलने, ऐंठन, पाचन के लिए जरूरी एंजाइम्स को बढ़ावा देने, शरीर को हाइड्रेट रखने, इम्यूनिटी को बूस्ट करने, हड्डियों को हेल्दी रखने, वजन कम करने, स्किन और बालों से जुड़ी समस्याओं से राहत देने में मदद मिलती है। ध्यान रहे, इनमें से किसी भी चीज से एलर्जी होने, खांसी-जुकाम और और स्वास्थ्य से जुड़ी अन्य गंभीर समस्या होने पर इसके सेवन से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
- गर्मियों का मौसम शुरू हो गया है और इस साल अप्रैल महीने में ही लोगों को मई-जून जैसी गर्मी महसूस हो रही है। इस तपती गर्मी में शरीर को हाइड्रेटेड रखने के बार-बार पानी पीने की सलाह दी जाती है। वहीं, खुद को फ्रेश रखने के लिए ताजे फलों का जूस पीने की सलाह भी डॉक्टर्स द्वारा दी जाती है। ऐसा ही एक फल है तरबूज जो गर्मियों के मौसम में हेल्थ के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित होता है। गर्मियों में तरबूज खाने से जहां चिलचिलाती गर्मी से आराम मिलता है वहीं शरीर को शक्ति भी मिलती है। इसी तरह गर्मियों में सुबह खाली पेट तरबूज का जूस पीने से भी कई फायदे होते हैं, जिनके बारे में आप पढ़ सकते हैं यहां।धूप के नुकसान से सुरक्षातरबूज उन कुछ चुनिंदा फूड्स में से एक है जिनमें लाइकोपीन पाया जाता है। लाइकोपीन एक स्ट्रॉन्ग एंटीऑक्सीडेंट है जो इम्यून पॉवर बढ़ाने के साथ-साथ आपको फ्री-रैडिकल्स डैमेज से भी बचाता है। यह बॉडी सेल्स को हेल्दी रखता है और इंफेक्शन और गम्भीर बीमारियों का रिस्क कम करता है। Also Read - प्रेगनेंसी में तरबूज खाने से इन समस्याओं से मिलता है छुटकारा, रखें इस बात का ख्यालहाइड्रेट्रेड रखे आपकोखाली पेट तरबूज का जूस पीने से शरीर को हाइड्रेटेड रहने में मदद होती है। इससे शरीर में पानी की कमी नहीं होती। हीटवेव के कारण होने वाली डिहाइड्रेशन और उसके लक्षणों जैसे कमजोरी महसूस करना, चक्कर आना, मुंह सूखना और ब्लड प्रेशर लेवल बढ़ जाने जैसी परेशानियों से आराम मिलता है।झुर्रियां रोकेहेल्थ के साथ-साथ स्किन के लिए भी तरबूज का जूस पीना लाभकारी हो सकता है। तरबूज में मौजूद लाइकोपीन स्किन सेल्स को स्वस्थ रखता है। लाइकोपीन स्किन की एजिंग प्रक्रिया को स्लो कर देता है जिससे स्किन लम्बे समय तक जवान रहती है। इससे स्किन पर झुर्रियां और फाइन लाइंस नहीं दिखायी देतीं। Also Read - हाई ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए पिएं ये 5 सुपर हेल्दी ड्रिंक्सवेट लॉस ड्रिंकतरबूज में डाइटरी फाइबर पाया जाता है जो शरीर के मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है। मेटाबॉलिज्म तेज होने से शरीर का वजन कम होता है। इसी तरह डाइटरी फाइबर पाचन शक्ति भी बढ़ाता है जो पेट से जुड़ी समस्याओं से आराम दिलाता है।बढ़ती है इम्यून पॉवरतरबूज के जूस में विटामिन सी और अन्य एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं। ये सभी तत्व शरीर की रोग-प्रतिरोधक शक्ति या इम्यून पॉवर बढ़ाते हैं।-यह आर्टिकल केवल सामान्य जानकारी और सलाह देता है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर करें।
- क्या आप भी जल्दी इर्रिटेट हो जाते हैं? क्या आपको भी छोटी-छोटी बात पर गुस्सा आने लगता है? अगर कुछ समय से ही आपने इस बदलाव को महसूस किया है, तो इसे हल्के में लेने की गलती न करें। अगर किसी व्यक्ति का व्यवहार अचानक से बदलने लगता है, तो यह मेंटल हेल्थ से जुड़ी परेशानी का संकेत देता है। ऐसे में हो सकता है कि व्यक्ति किसी बड़ी परेशानी से गुजर रहा हो। लेकिन क्या आप जानते हैं यह व्यवहार किन समस्याओं से जुड़ा हो सकता है?छोटी-छोटी बात पर चिड़चिड़ा होने के क्या कारण होते हैं?स्ट्रेस के कारणअगर कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा स्ट्रेस में है, तो उसे छोटी-छोटी चीजों पर आसानी से गुस्सा आ सकता है। क्योंकि, ऐसे में व्यक्ति के सहने और नजरअंदाज करने की क्षमता कम हो जाती है। ऐसे में व्यक्ति को छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आ सकता है और छोटी समस्याएं बड़ी लग सकती हैं।नींद पूरी न होनानींद पूरी न होने की वजह से भी इर्रिटेशन हो सकती है। ऐसे में व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से थकान हो सकती है। इस वजह से इमोशनल हेल्थ पर बुरा असर पड़ सकता है। जिस कारण व्यक्ति छोटी-छोटी बातों पर ही रिएक्ट कर सकता है।कोई अनसुलझी समस्या होनाअगर व्यक्ति किसी ऐसी अनसुलझी समस्या से गुजर रहा है जिसका समाधान नहीं मिल पा रहा है, तो ऐसे में उसे चिड़चिड़ापनहट हो सकती है। इस कारण उसमें गुस्सा, उदासी और एंग्जायटी जैसी भावनाएं देखने को मिल सकती है। ऐसे में उसे छोटी परेशानियां भी बड़ी नजर आ सकती हैं।हार्मोन्स इंबैलेंस-हार्मोनल इंबैलेंस के कारण भी व्यक्ति को चिड़चिड़ेपन से गुजरना पड़ सकता है। कुछ हार्मोनल इशुज जैसे पीएमएस, मेनोपॉज और थायराइड, पीसीओएस और पीरियड्स में मूड स्विंग्स हो सकते हैं। इस कारण व्यक्ति को छोटी-छोटी बात पर गुस्सा आ सकता है।कोई मेंटल हेल्थ इशु-अगर व्यक्ति को लंबे समय से कोई मेंटल हेल्थ इशु है, तो उसके लिए अपनी इमोशनल हेल्थ को संभालना मुश्किल हो सकता है। ऐसे में व्यक्ति बहुत सेंसिटिव हो जाता है, जिस कारण उसे छोटी-छोटी बात भी बुरी लग सकती है।जरूरत पूरी न होनाअगर किसी व्यक्ति की इमोशनल या कोई जरूरी नीड्स पूरी नहीं हो रही है, तो लंबे समय में यह इर्रिटेशन की वजह बन सकता है। इसके कारण व्यक्ति को खुद में गलतियां नजर आ सकती है। वो गिल्ट में जा सकता है या हर छोटी बात पर ज्यादा रिएक्ट कर सकता है।लेख में हमने जाना ऐसी कौन-सी समस्याएं हैं, जो व्यक्ति के चिड़चिड़ेपन की वजह हो सकती हैं। अगर आप या आपका कोई अपना काफी समय से ऐसा व्यवहार कर रहा है, तो समस्या का पता लगाने की कोशिश करें। इसके बावजूद, अगर आपको समस्या का हल नहीं मिलता है, तो किसी साइकोलॉजिस्ट से संपर्क करें।
- जमीन पर बैठकर भोजन करना शुरुआत से ही हमारी संस्कृति का हिस्सा रहा है। ऋषि- मुनियों के समय से यह संस्कृति चलती आ रही है। आज भी कई घरों में लोग जमीन पर बैठकर ही भोजन करना पसंद करते हैं। वैज्ञानिक रूप से भी इसे हमारी सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है। इससे शरीर को खाने से पोषण तत्व पूरी तरह मिलते हैं। साथ ही, इससे रीढ़ की हड्डी और कंधों को भी फायदा होता है। इससे हम ओवरईटिंग नहीं करते हैं और यह ध्यान सुधारने में भी मदद करता है। इतना ही नहीं, बैठकर भोजन करना हमारे पाचन-तंत्र के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। इस तरह खाना खाने से पाचन-तंत्र को कई फायदे मिलते हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि यह पाचन-तंत्र के लिए किस तरह फायदेमंद है?आंतें स्वस्थ रहती हैं-पाचन-तंत्र को स्वस्थ रखने के लिए आंतों का स्वस्थ होना भी जरूरी है। जब हम बैठकर खाना खाते हैं, तो हमारे वात का हिस्सा बंद हो जाता है। इससे हमारी आंतों को खाना पचाने में मदद मिलती है। बैठकर खाना खाने से हमारी आंतें नहीं मुड़ती हैं, जिससे खाना ठीक से पचता है।गुल्म रोग नहीं होता है-पेट में सूजन या गांठ होने की समस्या को गुल्म रोग कहा जाता है। यह समस्या तब होती है, जब पेट में आंतें मुड़ जाती हैं और खाना ठीक से नहीं पच पाता है। इसके कारण गैस, पेट में जलन, उल्टी आने जैसी समस्याएं होने लगती हैं। लेकिन, अगर आप खाना जमीन पर बैठकर खाते हैं, तो इससे खाना पाचन-तंत्र में धीरे-धीरे पहुंचता है और पचना आसान भी होता है। इससे बीमारी होने की संभावना भी कम हो जाती है।शरीर में पोषक तत्व सोख पाते हैं-जमीन पर बैठकर खाना खाने से पाचन क्रिया तेज होती है। इससे बॉडी को खाने के पोषक तत्व सोखने में मदद मिलती है। लेकिन, अगर आप खड़े होकर खाना खाते हैं, तो इससे पाचन-तंत्र को पोषण सोखने में परेशानी हो सकती है।पाचन-तंत्र से जुड़ी समस्याएं ठीक होती हैंब्लोटिंग, एसिडिटी या अपच जैसी समस्याओं में जमीन पर बैठकर खाना बहुत फायदेमंद है। इससे पाचन क्रिया तेज होती है और खाना पचना आसान होता है। जिससे पाचन संंबंधित समस्याएं भी ठीक होने लगती हैं।लेख में हमने जाना कि बैठकर खाना खाने से पाचन-तंत्र को क्या फायदे मिलते हैं। अगर आपकी कोई सर्जरी हुई है, तो आपको डॉक्टर की सलाह पर इसे फॉलो करना चाहिए। इस लेख में हमने आपको सामान्य जानकारी दी गई है। इस बारे में ज्यादा जानने के लिए एक्सपर्ट से बात करें।
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दही के अनेक फायदे होते हैं लेकिन जरूरी है कि इसका सेवन सही तरीके से किया जाए। आयुर्वेद में दही के सेवन को लेकर कुछ नियम बताए गए हैं। खासकर रात में दही खाना सही है या नहीं, यह एक बड़ा सवाल है। आयुर्वेद के अनुसार, दही का सेवन करने का सही समय और तरीका अपनाने से यह फायदेमंद साबित होता है, लेकिन गलत समय या अधिक मात्रा में खाने से यह स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है।
क्या गर्मियों में रात में दही खा सकते हैं?
आयुर्वेद में दही को गुण में "गुरु" यानी भारी भोजन माना गया है। यह शरीर में ऊर्जा बढ़ाने वाला होता है और इसके नियमित सेवन से पाचन तंत्र को मजबूती मिलती है। लेकिन गलत समय पर या गलत तरीके से इसका सेवन करने से शरीर में दोषों को बढ़ा सकता3 है। आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा बताते हैं कि दही शरीर की अग्नि को मंद करता है, जिससे पाचन धीमा पड़ सकता है। दही का सेवन सुबह या दोपहर के समय करना सबसे अच्छा होता है। इस समय शरीर की अग्नि तेज होती है, जिससे यह आसानी से पच जाता है। यदि आप दही खाना चाहते हैं तो इसे शाम 7 बजे या अधिकतम 8 बजे तक खा लें। इसके बाद दही खाने से शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
दही से किसे बचना चाहिए?
गर्मियों में दही का सेवन फायदेमंद होता है, लेकिन इसे देर रात में खाने से बचना चाहिए। यदि आपकी पाचन अग्नि मंद है, तो दही की बजाय छाछ का सेवन करना अधिक लाभकारी रहेगा। वहीं अगर आपके शरीर की अग्नि तीक्ष्ण है तो आप दही का सेवन कर सकते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह तेज अग्नि को मंद कर सकता है।
दही और छाछ में से कौन सा बेहतर है?गर्मियों में छाछ या मठ्ठा दही की तुलना में अधिक लाभकारी माना जाता है। छाछ न केवल पाचन को सुधारती है बल्कि शरीर में ठंडक भी बनाए रखती है। इसमें दही की तुलना में कम फैट और अधिक मात्रा में प्रोबायोटिक्स होते हैं, जो आंतों के लिए फायदेमंद होते हैं। छाछ को मसाले और अदरक के साथ लेने से यह और भी अधिक लाभकारी हो जाती है।गर्मियों में दही का सेवन करने के सही तरीके=छाछ के रूप में सेवन करें - इसे जीरा, पुदीना और काला नमक डालकर पिएं।=दोपहर के समय खाएं - सुबह या दोपहर में दही खाना ज्यादा फायदेमंद होता है।=फलों के साथ न खाएं - आम, केला जैसे फलों के साथ दही खाना पाचन के लिए नुकसानदायक हो सकता है।निष्कर्षआयुर्वेद के अनुसार, गर्मियों में देर रात में दही का सेवन करने से बचना चाहिए। दही गुण में भारी होता है। यदि आप दही खाना चाहते हैं, तो इसे दिन में छाछ के रूप में लेना बेहतर होता है। इससे शरीर को ठंडक भी मिलेगी और पाचन भी ठीक रहेगा। - प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर को ज्यादा एनर्जी और पोषण की जरूरत होती है, ताकि मां और शिशु दोनों का विकास सही तरीके से हो सके। बाजार में मिलने वाले प्रोटीन पाउडर कई बार प्रिजरवेटिव्स और अनहेल्दी इंग्रीडिएंट्स से भरे होते हैं, जो हर किसी के लिए सुरक्षित नहीं होते। इसलिए, डॉक्टर और न्यूट्रिशनिस्ट अक्सर प्राकृतिक और घर में बने प्रोटीन पाउडर को अपनाने की सलाह देते हैं। घर पर बनाए गए प्रोटीन पाउडर में नट्स, बीज और दालों का संतुलित मिश्रण होता है, जो न सिर्फ पोषण से भरपूर होता है, बल्कि पचने में भी आसान होता है। इसे दूध, स्मूदी या दलिया में मिलाकर आसानी से अपनी डाइट का हिस्सा बनाया जा सकता है।खास बात यह है कि यह पूरी तरह नेचुरल होता है और इसमें किसी भी तरह के हानिकारक तत्व नहीं होते। गर्भवती महिलाओं के लिए यह एक सुरक्षित विकल्प है, जिससे उन्हें जरूरी प्रोटीन और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स मिलते हैं।प्रेग्नेंसी में शरीर को प्रोटीन की कितनी मात्रा चाहिए?गर्भवती महिलाओं को अपने बॉडी वेट के मुताबिक, रोज लगभग 70 से 100 ग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है। होममेड प्रोटीन पाउडर आपकी प्रेग्नेंसी के दौरान प्रोटीन की जरूरत पूरी करने में मदद कर सकता है।गर्भावस्था में घर के बने प्रोटीन पाउडर को खाने के फायदे-गर्भावस्था के दौरान सही पोषण जरूरी होता है। यह होममेड प्रोटीन पाउडर प्राकृतिक तत्वों से बना है और गर्भवती महिलाओं के लिए कई फायदे देता है। जानें इनके बारे में-1. शरीर को मिलेगा प्रोटीन-प्रोटीन शिशु के विकास और मांसपेशियों की मजबूती के लिए जरूरी होता है। इसमें बादाम, मूंग दाल और चने जैसे अच्छे प्रोटीन स्रोत (Protein Sources) शामिल हैं। इसे खाने से शरीर की एनर्जी बढ़ती है और एनर्जी की कमी दूर होती है।2. एनीमिया से होगा बचावगर्भावस्था में आयरन की जरूरत बढ़ जाती है। पर्याप्त आयरन के साथ एनीमिया (Anemia) से बचा जा सकता है। इसमें खजूर और कद्दू के बीज मौजूद हैं, जो शरीर में हीमोग्लोबिन का लेवल बनाए रखते हैं।3. शिशु के विकास के लिए फायदेमंद है प्रोटीन पाउडर-अखरोट और अलसी के बीज ओमेगा-3 से भरपूर होते हैं, जो शिशु के दिमाग और तंत्रिका तंत्र के विकास में मदद करते हैं। यह जरूरत प्रोटीन पाउडर से पूरी हो जाती है।4. डाइजेशन अच्छा रहता हैओट्स, चिया सीड्स और फ्लैक्स सीड्स फाइबर का अच्छा स्रोत हैं, जो पाचन को सुधारते हैं और कब्ज की समस्या को दूर करते हैं।5. नेचुरल और प्रिजरवेटिव-फ्रीबाजार के पाउडर में केमिकल्स हो सकते हैं, लेकिन यह होममेड पाउडर पूरी तरह प्राकृतिक और सुरक्षित है, जिससे गर्भावस्था में बेझिझक इस्तेमाल किया जा सकता है।घर पर प्रोटीन पाउडर बनाने की रेसिपीगर्भवती महिलाओं के लिए प्रोटीन पाउडर पोषण से भरपूर, पचने में आसान और बिना किसी आर्टिफिशियल सामग्री के होना चाहिए। हम आपको एक नेचुरल, प्रोटीन से भरपूर रेसिपी बताने जा रहे हैं-सामग्री:बादाम- ½ कपकाजू- ¼ कपअखरोट- ¼ कपपिस्ता- ¼ कपकद्दू के बीज- ¼ कपअलसी के बीज- 2 टेबलस्पूनचिया सीड्स- 2 टेबलस्पूनभुने हुए चने- ½ कपभुनी हुई मूंग दाल- ½ कपओट्स- ½ कपइलायची पाउडर- ½ टीस्पूनबनाने की विधि:-सभी नट्स, बीज और दालों को धीमी आंच पर हल्का भून लें, जब तक हल्की खुशबू न आने लगे।ठंडा होने दें।-एक ब्लेंडर में डालकर बारीक पाउडर बना लें।-पाउडर को एयरटाइट कंटेनर में ठंडी और सूखी जगह पर स्टोर करें।कैसे करें इस्तेमाल?-1-2 टेबलस्पून गर्म दूध, स्मूदी, दलिया या दही में मिलाकर लें।-इसे घी और शहद के साथ मिलाकर हेल्दी प्रोटीन लड्डू भी बना सकते हैं।-इस प्रोटीन पाउडर का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें। इसका सेवन करने से होने वाली मां के शरीर को जरूरी पोषक तत्व मिलेंगे।
- नहाने के बाद अक्सर लोग त्वचा को नमी प्रदान करने के लिए तरह-तरह की चीजों को अप्लाई करते हैं। अधिकतर लोग नहाने के बाद मॉइश्चराइजर अप्लाई करते हैं। लेकिन, आपको नहाने से पहले भी शरीर पर कुछ ऐसी चीजें लगानी चाहिए, जो त्वचा को मॉइश्चराइज और हाइड्रेट करते हैं। कई लोग नहाने से पहले महंगे स्किनकेयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं। आप चाहें तो शरीर पर घर में मौजूद कुछ चीजों को भी अप्लाई कर सकते हैं। नारियल तेल और सरसों के तेल के साथ ही आप त्वचा पर इन चीजों का इस्तेमाल कर सकते हैं। आइए, जानते हैं नहाने से पहले शरीर पर क्या लगाना चाहिए?बादाम का तेलनहाने से पहले आप शरीर पर बादाम का तेल लगा सकते हैं। बादाम का तेल त्वचा को नमी प्रदान करता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो स्किन को हेल्दी बनाए रखने में मदद करते हैं। बादाम का तेल रूखी और बेजान त्वचा से छुटकारा दिलाता है। यह त्वचा को मुलायम और कोमल बनाता है। आपको रोज सुबह नहाने से पहले शरीर पर बादाम का तेल जरूर लगाना चाहिए।नारियल का तेलआप शरीर पर नहाने से पहले नारियल का तेल भी लगा सकते हैं। नारियल का तेल त्वचा के लिए फायदेमंद होता है। यह त्वचा से जुड़ी तमाम समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। हालांकि, आपको कोकोनट वर्जिन ऑयल का ही इस्तेमाल करना चाहिए। नारियल तेल त्वचा को मॉइश्चराइज करता है। यह ड्राई स्किन से भी छुटकारा दिलाता है। आप रोज सुबह शरीर पर नारियल तेल लगाएं और फिर नॉर्मल पानी से नहा लें। इससे आपकी त्वचा पर पूरे दिनभर नमी बनी रहेगी।मुल्तानी मिट्टीआयुर्वेद में मुल्तानी मिट्टी को त्वचा के लिए बेहद फायदेमंद बताया गया है। मुल्तानी मिट्टी त्वचा से जुड़ी कई समस्याओं को दूर करती है। मुल्तानी मिट्टी मुंहासों से भी छुटकारा दिलाती है। अगर आप त्वचा की फोड़े-फुंसियों से परेशान रहते हैं, तो नहाने से पहले शरीर पर मुल्तानी मिट्टी लगा सकते हैं। मुल्तानी मिट्टी त्वचा को ठंडक प्रदान करती है। इससे त्वचा की जलन और खुजली भी शांत होती है।एलोवेरा जेलएलोवेरा जेल औषधीय गुणों से भरपूर होता है। अक्सर लोग चेहरे पर एलोवेरा जेल अप्लाई करते हैं। आप चाहें तो पूरे शरीर पर भी एलोवेरा जेल लगा सकते हैं। लेकिन, आपको नहाने से पहले ही शरीर पर एलोवेरा जेल लगाना चाहिए। एलोवेरा जेल में मॉइश्चराइजिंग गुण होते हैं, जो त्वचा को नमी प्रदान करते हैं। एलोवेरा जेल रूखी और बेजान त्वचा से छुटकारा दिलाता है।बेसन और हल्दी उबटननहाने से पहले आप बेसन और हल्दी का उबटन भी लगा सकते हैं। आप इस उबटन को घर पर ही बना सकते हैं। इसके अलावा, आप चाहें तो मार्केट में मिलने वाले बेसन-हल्दी उबटन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। बेसन और हल्दी, दोनों ही त्वचा के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। बेसन त्वचा के मुंहासों को मिटाने में असरदार होता है। वहीं, हल्दी त्वचा के दाग-धब्बों को मिटाने में मदद करता है। बेसन और हल्दी का उबटन त्वचा का निखार भी बढ़ाता है।
- आज से पूरे देश में चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। चैत्र नवरात्रि के खास मौके पर श्रद्धालु मां दुर्गा की उपासना में 9 दिनों का व्रत रखते हैं। चैत्र नवरात्रि के व्रत के दौरान सही खान-पान का चयन करना आवश्यक होता है ताकि शरीर स्वस्थ रहे और इम्यूनिटी मजबूत बनी रहे। दरअसल, नवरात्रि के व्रत में लंबे समय तक खाली पेट रहने से इम्यून सिस्टम पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसकी वजह से बीमारियों का खतरा बढ़ता है।चैत्र नवरात्रि व्रत में इम्यूनिटी मजबूत बनाने के लिए क्या खाएं?वेलनेस कोच सिमरत कतूरिया के अनुसार, डाइटिशियन के तौर पर मैं अक्सर लोगों से सुनती हूं कि भूखे रहने की वजह से उन्हें शारीरिक तौर पर कमजोरी महसूस हो रही है। व्रत में इस तरह की परेशानी होने का मुख्य कारण है पोषण की कमी। व्रत के दौरान अक्सर तला हुआ ज्यादा खाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं, लेकिन हमें ऐसी चीजों को खाने में तवज्जों देनी चाहिए, जो लंबे समय तक शरीर के काम आए।1. इम्यूनिटी के लिए हाइड्रोमीटर को रखें संतुलितव्रत में लंबे समय तक भूखे और प्यासे रहने की वजह से शरीर में पानी की कमी हो सकती है। पानी की कमी इम्यूनिटी कमजोर होने का मुख्य कारण है। पानी की कमी को पूरा करने के लिए व्रत में नारियल पानी, छाछ और नींबू का सेवन करें। ये तरल पदार्थ शरीर को हाइड्रेट रखते हैं और प्राकृतिक इलेक्ट्रोलाइट्स से भरपूर होते हैं। नॉर्मल दूध और पत्ती वाली चाय की बजाय तुलसी, अदरक, दालचीनी और हल्दी वाली हर्बल टी व्रत में पीने से इम्यूनिटी मजबूत बनती है।2. ड्राई फ्रूट्स और नट्सबादाम, अखरोट, काजू और चिया, सूरजमुखी, अलसी के बीज एंटीऑक्सीडेंट्स और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर होते हैं, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं।3. ताजे फल और सब्जियांचैत्र नवरात्रि व्रत के दौरान सेब, अनार, संतरा, पपीता, गाजर और चुकंदर जैसे फलों और सब्जियों को आहार का हिस्सा जरूर बनाना चाहिए। ताजे फल और सब्जियों में विटामिन C, A और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं।4. मखाने और मूंगफलीमखाने कैल्शियम और प्रोटीन का अच्छा स्रोत हैं, जो हड्डियों और इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं। मूंगफली में जिंक और प्रोटीन होते हैं, जो शरीर को स्वस्थ रखते हैं।5. शहद और गुड़शहद और गुड़ प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होते हैं, जो शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।चैत्र नवरात्रि व्रत में क्या नहीं खाना चाहिए?ज्यादा तली-भुनी चीजों से बचें।-हाइड्रेटेड रहने के लिए पर्याप्त पानी पिएं।-प्रसाद और मिठाइयों का सेवन सीमित मात्रा में करें।-नवरात्रि के दौरान संतुलित और पोषण से भरपूर आहार लेने से न केवल आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा बल्कि आपकी इम्यूनिटी भी मजबूत बनी रहेगी।
- अगर आप त्वचा की देखभाल नहीं कर पाते, तो इसके कारण आपको डार्क स्पॉट्स और डल स्किन की समस्या हो सकती है। ऐसे में काम आते हैं दादी-नानी बरसों पुराने घरेलू नुस्खे, जिन्हें बनाना और इस्तेमाल करना दोनों ही आसान होता है। इस समस्या में कॉफी, हल्दी और दही का फेस मास्क भी फायदेमंद हो सकता है।कॉफी, हल्दी और दही का फेस मास्क कैसे बनाएंफेस मास्क बनाने के लिए बाउल में 1 चम्मच कॉफी पाउडर लीजिए। इसमें 2 चम्मच दही और 1 चम्मच हल्दी भी मिलाएं। पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाएं और सूखने के बाद सादे पानी से चेहरा धोएं। बेहतर रिजल्ट के लिए इस फेस मास्क को आप सप्ताह में 2 से 3 बार लगा सकते हैं।स्किन व्हाइटनिंग के लिए कॉफी, हल्दी और दही फेस मास्क के फायदेस्किन व्हाइटनिंग के लिए कॉफी और हल्दी से बना यह फेस मास्क बहुत फायदेमंद है। दही त्वचा के लिए नेचुरल फाउंडेशन की तरह काम करता है। इसमें लैक्टिक एसिड होता है जो स्किन क्लींजिंग में मदद करता है। हल्दी में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण एक्ने और इंफ्लेमेशन कम करते हैं। इसे इस्तेमाल करने से स्किन में डार्क स्पॉट्स और डलनेस कम होती है। कॉफी में एक्सफोलिएटिंग गुण होते हैं, जो त्वचा की गहराई से सफाई करते हैं। इससे त्वचा में प्राकृतिक निखार आता है।कॉफी, हल्दी और दही फेस मास्क के अन्य फायदे-कॉफी स्किन को एक्सफोलिएट करेगी। इससे स्किन पोर्स खुलेंगे और त्वचा की गहराई से सफाई होगा। इससे एक्ने और पिंपल्स का खतरा भी कम होगा।-इस फेस मास्क में दही इस्तेमाल किया गया है। इसलिए इसे इस्तेमाल करने से स्किन सॉफ्ट और स्मूद भी रहेगी। पहले इस्तेमाल के बाद ही आपको स्किन फ्रेश महसूस होने लगेगी।-यह फेस मास्क स्किन को ग्लोइंग और हेल्दी रखने में मदद करेगा। इससे स्किन में कोलेजन बूस्ट होगा और स्किन हेल्थ इंप्रूव होगी।-हल्दी और दही का कॉम्बिनेशन स्किन प्रॉब्लम्स का खतरा कम करने में भी मदद करेंगे।इस तरह से आप प्राकृतिक चीजों से फेस मास्क बनाकर इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन अगर आपकी सेंसिटिव स्किन है या आप पहली बार इसे इस्तेमाल कर रहे हैं, तो एक्सपर्ट की सलाह पर ही इसे इस्तेमाल करें। लेख में दी गई जानकारी पसंद आई हो, तो इसे शेयर करना न भूलें।
- आयुर्वेद में कई ऐसे पेड़-पौधों का जिक्र किया गया है, जिन्हें सेहत के लिए वरदान माना जाता है। ऐसे ही एक पेड़ का नाम पलाश है। पलाश के फूलों को टेसू के फूल के नाम से भी जाना जाता है। इस पेड़ के फूल, छाल, पत्ती और बीज का उपयोग कई तरह की औषधीय दवाओं को बनाने के लिए किया जाता है। इस फूल में मौजूद रोगाणुरोधी और एंटीऑक्सिडेंट गुण शुगर लेवल कंट्रोल रखने के साथ बवासीर जैसी समस्या तक में राहत पहुंचा सकते हैं। पुरुषों की सेहत के लिए तो यह फूल खासतौर पर फायदेमंद माना जाता है। आइए जानते हैं पलाश के फूल सेहत को देते हैं क्या-क्या फायदे।पलाश के फूल के फायदेत्वचा रोगआयुर्वेद के अनुसार, पलाश के बीज का पेस्ट त्वचा पर लगाने से एक्जिमा जैसे त्वचा विकार, खुजली और रूखेपन की समस्या में आराम मिल सकता है।मधुमेहआयुर्वेद के अनुसार पलाश के फूलों में एंटी-हाइपरग्लाइसेमिक गुण पाए जाते हैं, तो तेजी से ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में असरदार हैं। इसके अलावा पलाश के पत्ते का पाउडर लेने से भी शरीर में ग्लूकोज चयापचय में सुधार देखने को मिल सकता है। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नॉलोजी इंफॉर्मेशन) के एक शोध पेपर के अनुसार लैब में जब दो हफ्ते तक 200 मिलीग्राम पलाश का उपयोग चूहों पर किया गया, तो उनका शुगर लेवल और सीरम कोलेस्ट्रोल नियंत्रित हो गया।घावपलाश के बीज में मौजूद हीलिंग गुणों के कारण घाव जल्दी भरने में मदद मिलती है। ये रक्तस्राव होने से रोकता है, जिससे घाव जल्दी भरता है। इसके लिए पलाश का एक फूल लेकर उसे गुलाब जल के साथ पीसकर उससे पेस्ट तैयार कर लें। अब इस पेस्ट को प्रभावित जगह पर लगाने से खून तुरंत रुक जायेगा।पाइल्सपलाश के फूल पाइल्स की समस्या में आराम दिला सकते हैं। पाइल्स की वजह से गुदा के अंदरूनी या बाहर के हिस्से में कुछ मस्से जैसे बन जाते हैं, जिनमें से कई बार खून निकलने के साथ दर्द भी होता है। लेकिन पलाश के फूल इस समस्या में आराम दिला सकते हैं। इसके लिए पलाश के फूलों को सुखाकर बनाए गए पाउडर का सेवन करने से पाइल्स की समस्या में आराम मिल सकता है। बता दें, पलाश का शरबत पीने से खूनी बवासीर में जल्द राहत मिल सकती है।बॉडी रखे हाइड्रेटगर्मियों में प्यास ज्यादा लगती है। जिसकी वजह से व्यक्ति का गला बार-बार सूखने लगता है। आयुर्वेद की मानें तो पलाश के फूल प्यास कम करके शरीर हाइड्रेट रखने में मदद करते हैं। जिससे शरीर में पानी की कमी नहीं होती है।यह भी ध्यान रखें....यूं तो पलाश के फूल आयुर्वेदिक औषधि माने जाते हैं। बावजूद इसके इन फूलों का सेवन बिना किसी विशेषज्ञ की सलाह के खुद नहीं करना चाहिए।
- सेहत को अच्छा बनाए रखने के लिए डॉक्टर अकसर हरी सब्जियां खाने की सलाह देते हैं। हरी सब्जियां पोषक तत्वों से भरपूर होने की वजह से स्वाद के साथ सेहत को कई अनगिनत लाभ भी देती हैं। आयुर्वेद के अनुसार सेहत के लिए फायदेमंद ऐसी ही एक हरी सब्जी का नाम कंटोला है। कंटोला को कई जगह किकोड़ा और ककोड़ा के नाम से भी जाना जाता है। कंटोला का स्वाद तीखा लेकिन खाने में बहुत स्वादिष्ट होता है। बात अगर कंटोला में मौजूद पोषक तत्वों की करें तो इसमें प्रोटीन, फैट, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, पोटैशियम, सोडियम, कैल्शियम जैसे कई न्यूट्रिशन मौजूद होते हैं। जो खासतौर पर इन 5 बड़ी बीमारियों का खतरा कम करने में मदद कर सकते हैं। बढ़ते मोटापे से परेशान लोगों के लिए तो यह सब्जी वरदान से कम नहीं है। आइए जान लेते हैं कंटोला को डाइट का हिस्सा बनाने से सेहत को मिलते हैं क्या गजब के फायदे।कंटोला खाने के फायदेडायबिटीजजिन लोगों को डायबिटीज की समस्या है, उनके लिए इस सब्जी का सेवन काफी फायदेमंद हो सकती है।कंटोला का सेवन ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल रखने में मदद करता है। जिससे डायबिटीज का खतरा कम होता है। इसके अलावा इसमें मौजूद फाइबर की अधिकता आंतों की सेहत में सुधार करके पाचन को मजबूत बनाती है।रक्तचापकंटोला में मौजूद पोटेशियम और आयरन, शरीर के रक्त संचार को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। दरअसल, पोटेशियम रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है और आयरन हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाता है, जिससे रक्त संचार में सुधार होता है।मोटापाअगर आप बढ़ते मोटापे से परेशान हैं तो कंटोला की सब्जी का सेवन वजन घटाने में मदद कर सकता है। कंटोला में मौजूद फाइबर पेट को लंबे समय तक भरा रखने में मदद करता है। जिससे व्यक्ति अनहेल्दी फूड खाने और ओवरईटिंग करने से बच जाता है। जिससे वजन कम करने में मदद मिलती है।हृदय स्वास्थ्यकंटोला में पोटैशियम की अच्छी मात्रा मौजूद होती है, जो हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होने के साथ, रक्तचाप को नियंत्रित करने और हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।पाचन संबंधी समस्याएंकंटोला का सेवन डायबिटीज के अलावा भी अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में सहायक है. कंटोला का नियमित सेवन शरीर में मौजूद टॉक्सिन्स को बाहर निकालकर बॉडी डिटॉक्स करने में मदद करता है। इसके सेवन से पेट साफ रहता है और व्यक्ति को कब्ज जैसी पाचन से जुड़ी समस्या परेशान नहीं करती है।
- मोटापा कम करना हो या कॉन्स्टिपेशन से आराम पाना हो, सुबह उठकर एक से दो गिलास पानी पीने की सलाह आपको अक्सर मिली होगी ही। घर के बड़े-बुजुर्गों से लेकर डॉक्टर भी लोगों को सुबह खाली पेट पानी पीने की टिप देते हैं क्योंकि, सुबह पानी पीने से ना केवल आपको ताजगी और एनर्जी मिलती है बल्कि, इससे आपकी कई हेल्थ प्रॉब्लम्स को कंट्रोल करने में भी मदद होती है। लेकिन, अगर आप ठंडे पानी की बजाय सुबह गुनगुना पानी पीते हैं तो इससे आपकी हेल्थ पर बेहतर प्रभाव पड़ते हैं। विशेषकर बदलते मौसम और ठंड के दिनों में सुबह खाली पेट गुनगुना पानी पीने से आपको ढेरों फायदे हो सकते हैं। आप केवल कुछ दिनों तक सुबह खाली पेट गुनगुना पानी पी कर देखें आपको फर्क खुद ही नजर आएगा। अगर आप बहुत ज्यादा पानी नहीं पी सकते तो एक या आधा गिलास पानी पिएं। गुनगुना पानी पीने से आपके शरीर की इम्यून पॉवर बढ़ सकती है। इसके अलावा स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को कम करने में भी गुनगुना या गर्म पानी पीना बहुत फायदेमंद हो सकता है। आइए जानते हैं कि सुबह सबसे पहले गुनगुना पानी पीने से शरीर पर कैसा असर होता है और इससे किस तरह के फायदे मिल सकते हैं।सवेरे खाली पेट गुनगुना पानी पीने के फायदे क्या हैं?पेट होता है अच्छी तरह साफ-सुबह खाली पेट गुनगुना पानी पीने से गट हेल्थ में काफी सुधार होता है। सुबह अगर आपका पेट अच्छी तरह साफ नहीं होता है तो आप सुबह खाली पेट गुनगुना पानी पीने की आदत अपनाएं। इससे गट और डाइजेस्टिव सिस्टम को काम करने में मदद होती है और आपको कॉन्स्टिपेशन और इनडाइजेशन जैसी समस्याओं से आराम भी मिलता है।वेट लॉस में मददगारशायद आपको यह जानकर हैरानी हो कि केवल गुनगुना पानी पीने से भी बॉडी का मेटाबॉलिज्म बढ़ सकता है और वेट लॉस की प्रक्रिया भी तेज हो सकती है। इससे आपको बेली फैट को कम करने और मोटापे के नुकसान से बचने में मदद हो सकती है।बैड कोलेस्ट्रॉल होता है कमगर्म गुनगुना पानी पीने से शरीर में जमा बैड कोलेस्ट्रॉल को साफ करने में भी मदद होती है। बैड कोलेस्ट्रॉल नसों के अंदर की दीवरों में चिपककर उसमें लम्बे समय तक जमा होता रहता है। गर्म पानी पीने से नसें साफ होती हैं और खुल जाती हैं। इससे नसों में रक्त का संचार भी तेज होता है और हार्ट हेल्थ में भी सुधार होता है।
- अक्ल दाढ़ उन दांतों को कहते हैं, जो वयस्क होने के बाद दाढ़ की ओर आती हैं। इन्हें थर्ड मोलर टीथ भी कहा जाता है। ये मुंह के अंतिम सिरे में आती हैं। आमतौर पर अक्ल दाढ़ आने पर हल्का-फुल्का दर्द महसूस होता है। कुछ लोगों के लिए यह दर्द बहुत तीव्र होता है और कभी-भी सूजन भी आ जाती हैं। वहीं, कुछ लोगों को अक्ल दाढ़ आने पर किसी भी तरह का दर्द नहीं होता है। इसके अलावा, जरूरी नहीं है कि सबके मुंह में चारों अक्ल दाढ़ आ जाएं। कुछ लोगों को एक दांत आते हैं, तो कुछ लोगों दो, तीन या चारों आ जाते हैं। अगर अक्ल दाढ़ आने पर दिक्कतें ज्यादा होती हैं, तो विशेषज्ञ यह सलाह देते हैं कि दांतों को रिमूव कर दिया जाए। ऐसा इसलिए भी कहा जाता है, क्यांकि अक्ल दाढ़ निकलने में समय लेते हैं और रह-रहकर इसमें दर्द और सूजन हो सकती है। ऐसे में अक्ल दाढ़ निकाल देना सही रहता है। यहां सवाल उठता है कि आखिर अक्ल दाढ़ निकालने पर गर्म चीजें खाया जाना सुरक्षित होता है?क्या अक्ल दाढ़ निकलवाने के बाद गर्म खाना खाना सेफ होता है?-ज्यादातर समय अक्ल दाढ़ का निकलना काफी दर्दभरा अहसास होता है। कुछ लोगों को छह-छह महीने में इसका दर्द उठता है और सूजन भी हो जाती है। ऐसे में व्यक्ति के लिए खाना-पीना और मुंह तक पूरी तरह खोलना मुश्किल भरा हो जाता है। इस तरह की स्थिति से निपटने के लिए एक्सपर्ट का कहना है कि अक्ल दाढ़ को निकलवा दिया जाना चाहिए। इससे दर्द स्थाई रूप से खत्म हो जाता है। लेकिन, अक्ल दाढ़ रिमूव करने की प्रक्रिया के बाद कुछ दिनों तकलीफ बनी रहती है। ऐसे में गर्म खाना खाया जाना कितना सुरक्षित है? इस बारे में एक्सपर्ट का कहना है कि अक्ल दाढ़ निकलवाने के बाद गर्म खाना नहीं खाना चाहिए। यह बिल्कुल सुरक्षित नहीं होता है। आमतौर पर किसी भी तरह की दांतों से जुड़ी प्रक्रिया के बाद गर्म खाना नहीं खाना चाहिए। यह सही नहीं होता है। अगर आप अक्ल दाढ़ निकलवाने के बाद गर्म खाना खाते हैं, तो कुछ समस्याएं हो सकती हैं, जैसे प्रभावित हिस्से में जलन, सूजन और अन्य जटिलताएं। इस तरह की परेशानी से बचना है, तो बेहतर है कि आप अक्ल दाढ़ निकलवाने के बाद ठंडा खाना खाएं। गर्म खाना खाने से परहेज करें।अक्ल दाढ़ निकलवाने के गर्म खाना क्यों नहीं खाना चाहिए?सूजन बढ़ सकती हैअक्ल दाढ़ निकलवाने के बाद प्रभावित हिस्सा काफी कमजोर और सेंसिटिव हो जाता है। ऐसे में अगर आप गर्म खाना खा लेते हैं, तो इससे प्रभावित हिस्सों में खाने के पार्टिकल्स जम सकते हैं, जो कि दर्द के साथ-साथ सूजन भी बढ़ा सकता है। यही नहीं, गर्म चीजें खाने के कारण प्रभावित हिस्से की रिकवरी देरी से हो सकत है, जो सूजन में बढ़ावा देता है।ड्राई सॉकेट की स्थितिअक्ल दाढ़ निकलवाने के बाद कुछ लोगों को ब्लीडिंग होने लगती है। ऐसा होना सामान्य है। कुछ देर के लिए प्रभावित हिस्से पर रुई दबाकर रखी जाए, तो ब्लड निकलना बंद हो जाता है। लेकिन, कुछ मामलों में यहां ड्राई सॉकेट की स्थिति बन जाती है। ऐसा खासकर, उन लोगों के साथ अधिक होता है, जो अक्ल दाढ़ निकलवाने के बाद गर्म खाना खाते हैं। आपको बता दें कि ड्राई सॉकेट का मतलब होता है कि दांत निकलवाने के बाद जब खून का थक्का न बनना। ऐसे में ब्लीडिंग होती रहती है। इसे ही हम ड्राई सॉकेट कहते हैं।असहजता होनाअक्ल दाढ़ निकलवाने के बाद गर्म खाना खाने से असहजता भी बढ़ सकती है। असल में, इस दौरान सही तरह से कुछ भी खाना मुश्किल होता है। कई बार अक्ल दाढ़ निकलवाने के लिए सर्जरी की जाती है, जिससे टांके भी लगाए जाते हैं। इस स्थिति में गर्म खाना खाना बिल्कुल सही नहीं होता है। टांकों की रिकवरी की गति धीमी हो जाती है और सामान्य से सामन्य चीज खाना भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है।अक्ल दाढ़ निकलवाने के बाद क्या खाएं?अक्ल दाढ़ निकवाने के बाद सॉफ्ट और ठंडी चीजें खानी चाहिए। इसमें दही, आइस्क्रीम जैसी चीजें शामिल हैं। इससे दांत का दर्द भी कम होता है और टांकों में दिक्कत भी नहीं आती है। यहां तक कि अक्ल दाढ़ की रिकवरी में भी ठंडी चीजें बाधा नहीं डालती हैं।
- दालें हमारे खाने का पारंपरिक हिस्सा हैं और मूंग, मसूर, तुअर, उड़द और चना दाल जैसे कई प्रकारों का सेवन किया जाता है। वहीं, बीन्स जैसे राजमा, छोले, लोबिया और सोयाबीन भी पसंद किए जाते हैं और हाई-प्रोटीन फूड्स में गिने जाते हैं। दोनों में ही फाइबर, विटामिन और मिनरल्स मौजूद होते हैं, लेकिन इनका स्वास्थ्य पर प्रभाव अलग-अलग होते हैं। इसलिए, यह समझना जरूरी है कि दाल और बीन्स में से कौन-सा विकल्प आपके लिए ज्यादा फायदेमंद रहेगा। आइए, जानते हैं इनके बीच का अंतर और सेहत के लिए क्या बेहतर है।दाल या बीन्स में से किसमें ज्यादा पोषक तत्व होते हैं?-दालों और बीन्स दोनों में प्रोटीन, फाइबर और विटामिन्स होते हैं, लेकिन बीन्स में ज्यादा फाइबर और प्रोटीन होता है। वहीं, दालें हल्की होती हैं और जल्दी पच जाती हैं। बीन्स में आयरन और मैग्नीशियम की मात्रा ज्यादा पाई जाती है, जबकि दालों में फोलेट और जिंक की मात्रा ज्यादा होती है।दाल या बीन्स में से पाचन के लिहाज से क्या बेहतर है?बीन्स में कैल्शियम और मैग्नीशियम की मात्रा ज्यादा होती है, जो हड्डियों को मजबूत बनाती है। दूसरी ओर, दालों में फोलेट और फास्फोरस पाया जाता है, जो हड्डियों और मांसपेशियों के विकास में मदद करता है। अगर आप हल्का और जल्दी पचने वाला खाना चाहते हैं, तो दालें बेहतर विकल्प हैं क्योंकि ये पेट पर ज्यादा भार नहीं डालतीं। बीन्स में हाई फाइबर होता है, जिससे पेट देर तक भरा रहता है, लेकिन कुछ लोगों को गैस और ब्लोटिंग की समस्या हो सकती है।दाल या बीन्स में से वेट लॉस के लिए क्या बेहतर है?--जो लोग वेट लॉस (Weight Loss) करने की कोशिश कर रहे हैं, उनके लिए दालें ज्यादा फायदेमंद हो सकती हैं क्योंकि इनमें कैलोरीज कम होती हैं और ये जल्दी पचती हैं। बीन्स भी वजन घटाने में मदद कर सकती हैं, लेकिन ज्यादा मात्रा में खाने से पेट फूल सकता है।दाल या बीन्स में से हार्ट के लिए क्या ज्यादा फायदेमंद है?दाल और बीन्स दोनों ही कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद करते हैं। लेकिन बीन्स में ज्यादा फाइबर होने के कारण यह कोलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल करने में ज्यादा असरदार होती हैं और हृदय रोगों (Heart Diseases) के जोखिम को कम करती हैं। जो लोग शाकाहारी हैं और प्रोटीन का अच्छा स्रोत चाहते हैं, उनके लिए बीन्स ज्यादा फायदेमंद होती हैं क्योंकि इनमें ज्यादा मात्रा में प्रोटीन होता है।हालांकि, दालें भी प्रोटीन देती हैं, खासकर जब इन्हें चावल के साथ खाया जाए, जिससे संपूर्ण अमीनो एसिड प्रोफाइल मिलती है।दाल vs बीन्स: दोनों में से क्या है बेहतर?दाल और बीन्स दोनों ही सेहत के लिए फायदेमंद हैं। अगर आपको हल्का, जल्दी पचने वाला और कम कैलोरीज वाला खाना चाहिए, तो दालें बेहतर हैं। अगर आपको ज्यादा फाइबर और प्रोटीन चाहिए, तो बीन्स अच्छा विकल्प है। अपनी सेहत और जरूरत के हिसाब से इन्हें बैलेंस करके डाइट में शामिल करें।
- चावल का पानी स्किन के लिए बेहद फायदेमंद होता है। चावल का पानी त्वचा को मुलायम और चमकदार बनाता है। अगर आप रोजाना इस पानी से चेहरा धोएंगे, तो इससे स्किन हाइड्रेटेड बनती है। चावल का पानी त्वचा की रंगत को सुधारता है। चावल का पानी उम्र बढ़ने के लक्षणों को कम करता है। चावल के पानी में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो त्वचा के दाग-धब्बों को मिटाते हैं और स्किन को हेल्दी बनाए रखते हैं। चावल का पानी त्वचा की रेडनेस को भी कम करता है। इस पानी से चेहरा धोने से सनबर्न की समस्या दूर होती है। अगर आप चावल के पानी से चेहरा धोएंगे, तो इससे टैनिंग से भी राहत मिलती है। इसलिए आप भी चावल के पानी से चेहरा धो सकते हैं। आप चावल के पानी से कई तरीकों से मुंह धो सकते हैं। आइए, जानते हैं चावल के पानी से चेहरा कैसे धोएं ?1. चावल का पानी और गुलाब जलआप चावल के पानी में गुलाब जल मिक्स करके चेहरा धो सकते हैं। आप एक कटोरी में चावल का पानी और गुलाब जल मिक्स करें। अब इसे कॉटन बॉल या स्प्रे बोतल की मदद से चेहरे पर अप्लाई करें। आधे घंटे बाद चेहरे को नॉर्मल पानी से धो लें। चावल का पानी त्वचा के दाग-धब्बों को मिटाता है। वहीं, गुलाब जल त्वचा के पीएच लेवल को बैलेंस रखता है। साथ ही, स्किन को हाइड्रेटेड और मॉइश्चराइज्ड भी रखता है। आप रोज सुबह चावल के पानी और गुलाब जल से मुंह धो सकते हैं।2. चावल का पानी और एलोवेराआप चावल के पानी में एलोवेरा मिलाकर भी मुंह धो सकते हैं। इसके लिए आप 2 चम्मच एलोवेरा जेल लें। इसमें चावल का पानी मिक्स करें और फिर इसे चेहरे पर अप्लाई करें। इसके लिए आपको हमेशा फ्रेश एलोवेरा जेल ही लेना चाहिए। फ्रेश एलोवेरा जेल स्किन के लिए फायदेमंद होता है। एलोवेरा जेल में मॉइश्चराइजिंग गुण होते हैं, जो त्वचा को नमी प्रदान करते हैं। आप चावल के पानी और एलोवेरा के मिश्रण को चेहरे पर 20 मिनट के लिए लगाकर छोड़ सकते हैं। फिर ठंडे पानी से चेहरा धो सकते हैं।3. चावल का पानी और ग्लिसरीनचावल का पानी और ग्लिसरीन को मिक्स करके भी चेहरा पर लगाया जा सकता है। आप चावल के पानी में ग्लिसरीन मिलाकर चेहरा धो सकते हैं। इसके लिए आप एक बाउल में चावल का पानी लें और इसमें ग्लिसरीन मिक्स करें। अब इस पेस्ट को अपने चेहरे पर लगाएं और आधे घंटे बाद धो लें। लेकिन, अगर आपकी सेंसिटिव स्किन है तो ग्लिसरीन का इस्तेमाल करने से बचें। इससे आपकी स्किन पर रैशेज या खुजली जैसी समस्याएं हो सकती हैं।4. चावल का पानी और चंदन पाउडरआप चावल के पानी में चंदन पाउडर मिक्स करके भी चेहरा धो सकते हैं। चंदन पाउडर त्वचा को ठंडक पहुंचाता है। यह त्वचा की जलन और खुजली को शांत करने में मदद करता है। आप चावल के पानी में 2 चम्मच चंदन पाउडर मिक्स करें। फिर इस पेस्ट को अपने चेहरे पर अप्लाई करें। आधे घंटे बाद त्वचा को पानी से साफ कर लें। बेहतर रिजल्ट के लिए कुछ दिनों तक रोजाना इस पेस्ट से चेहरे की क्लींजिंग करें। इससे आपको काफी फर्क देखने को मिलेगा।5. चावल का पानी और मुल्तानी मिट्टीचावल के पानी में मुल्तानी मिट्टी मिलाकर भी चेहरा धोया जा सकता है। यह ऑयली स्किन वाले लोगों के लिए बेहद फायदेमंद होता है। आप 2 चम्मच मुल्तानी मिट्टी लें और इसमें चावल का पानी मिक्स करें। अब इस पेस्ट को अपने चेहरे पर अप्लाई करें। 10-15 मिनट बाद इस पेस्ट को नॉर्मल पानी से धो लें। इससे भी आपकी स्किन अच्छी तरह से साफ हो जाएगी। चावल का पानी त्वचा की गहराई से सफाई करने में सहायक होता है।
- सेहत के लिए अखरोट एक बेहतरीन सुपरफूड माना जाता है। इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड होने के साथ आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, सोडियम, जिंक, कॉपर और विटामिन बी, ई जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो ओवरऑल हेल्थ के लिए जरूरी हैं। अखरोट में मौजूद विटामिन्स और मिनरल्स बॉडी को एक्टिव रखने में मदद करते हैं। इसके सेवन से एनर्जी लेवल बूस्ट होता है और थकावट व कमजोरी नहीं होती है। अगर अखरोट का सेवन भिगोकर खाया जाए, तो इसके फायदे दोगुने हो जाते हैं। इसे याददाश्त बढ़ाने, इम्यूनिटी बूस्ट करने और वजन घटाने के लिए फायदेमंद माना जाता है। यह डाइजेशन इंप्रूव करने और हार्ट हेल्थ को बूस्ट करने के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। सेहत के साथ इसे त्वचा के लिए भी फायदेमंद माना गया है। रोज अखरोट खाने से स्किन हेल्थ भी इंप्रूव होती है। आइए जानें स्किन हेल्थ के लिए अखरोट खाना कैसे फायदेमंद है।एजिंग जल्दी नहीं होती हैअखरोट में ओमेगा-3 फैटी एसिड, एंटीऑक्सीडेंट्स और आवश्यक विटामिन्स पाए जाते हैं। ये मिनरल्स स्किन हेल्थ को बूस्ट करते हैं, जिससे एजिंग धीमी होती है। इसके सेवन से हेल्दी एजिंग में मदद मिलती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से लड़ते हैं जिससे प्रीमैच्योर एजिंग, फाइन लाइंस और रिंकल्स नहीं होते हैं।स्किन हाइड्रेट रहती हैअखरोट में ओमेगा-3 फैटी एसिड और विटामिन ई जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसके सेवन से स्किन हाइड्रेट रहती है और ड्राइनेस कम होती है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं जो स्किन इंफ्लेमेशन कम करते हैं। इससे एक्ने और एक्जिमा जैसी समस्याएं भी ठीक होती हैं।स्किन प्रॉब्लम्स ठीक होती हैं-अखरोट में एंटी-इंफ्लेमेटीर गुण मौजूद होते हैं। इससे स्किन इर्रिटेशन कम होती है और स्किन हेल्थ इंप्रूव होती है। इससे सोराइसिस और एक्ने जैसी समस्याएं ठीक होती हैं। साथ ही, स्किन स्मूद और क्लियर रहती है।स्किन रिपेयर होती है-अखरोट के सेवन से स्किन रिपेयर होने में भी मदद मिलती है। इसमें बायोटिन मौजूद होता है जो स्किन रिपेयर करने में मदद करता है। इससे स्किन के डैमेज्ड टिशुज को रिपेयर करने में मदद मिलती है। साथ ही, इससे ओवरऑल स्किन हेल्थ इंप्रूव होती है।कोलेजन बूस्ट होता हैअखरोट के सेवन से स्किन में कोलेजन बूस्ट होने में मदद मिलती है। इसमें जिंक मौजूद होता है जो कोलेजन के प्रोडक्शन में मदद करता है। इससे स्किन इलास्टिसिटी बनी रहती है और एजिंग कंट्रोल होती है।स्किन हेल्थ इंप्रूव करने के लिए अखरोट कैसे खाएं? How To Consume Walnutरात में कुछ अखरोट पानी में भिगोकर रखें। सुबह खाली पेट इसका सेवन करना फायदेमंद होगा। अखरोट आप स्मूदी, सलाद, दही या कुछ मीठा बनाने में इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि आप कम मात्रा में ही इसका सेवन करें। ज्यादा अखरोट खाना आपकी सेहत के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है।इस तरह से स्किन हेल्थ के लिए अखरोट खाना फायदेमंद होता है। अगर आप किसी स्वास्थ्य समस्या के लिए दवा लेते हैं, तो डेली डाइट में शामिल करने से पहले एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। लेख में दी गई जानकारी पसंद आई हो, तो इसे शेयर करना न भूलें।
- जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे चोट लगना, संक्रमण, कोई क्रॉनिक बीमारी होना, अर्थराइटिस आदि। जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द के मुख्य कारण को जानकर इसका इलाज किया जाता है। जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द में थकान और कमजोरी के कारण भी होता है। कई बार आपने नोटिस किया होगा कि जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द लंबे समय से बना हुआ है। जब न कहीं चोट लगी है और न ही कामकाज के चलते थकान हुई है। कुछ लोगों का मानना है कि ऐसा आयरन की कमी के चलते हो सकता है। तो यहां यह जान लेना जरूरी हो जाता है कि क्या वाकई जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द का कारण आयरन की कमी भी हो सकती है?शरीर में आयरन की कमी होने पर व्यक्ति को एनीमिया हो सकता है। इस स्थिति में बॉडी सेल्स पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन सप्लाई नहीं कर पाता है, नतीजतन शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। यही नहीं, पोषक तत्व भी पर्याप्त मात्रा में शरीर के हर अंगों तक नहीं पहुंचते हैं, जिससे व्यक्ति में कमजोरी और थकान होने लगती है। अब यह जानते हैं कि आयरन की कमी के कारण जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द हो सकता है? इस बारे में विशेषज्ञों की सलाह है, "आयरन की कमी के कारण व्यक्ति थकान और कमजोरी महसूस कर सकता है। उसकी त्वचा पीली पड़ जाती है, सिरदर्द, हाथ-पांव का ठंडा होना, अनियमित दिल की धड़कनें होना आदि। इसी क्रम में, व्यक्ति में आयरन की कमी के कारण जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द हो सकता है।" सवाल है, ऐसा क्यों होता है? इस बारे में विशेषज्ञ समझाते हैं कि जब टिश्यूज में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन सप्लाई नहीं होता है, तो इससे शरीर में सूजन बढ़ सकती है। यह स्थिति जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द पैदा कर सकती है।आयरन की कमी की वजह से जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द के कारण1. मांसपेशियों का कमजोर होनाजैसा कि यह स्पष्ट है कि आयरन की कमी के कारण शरीर में कमजोरी छा जाती है। मांसपेशियों पर भी आयरन की कमी का बुरा असर पड़ता है। इस स्थिति में आयरन की कमी की वजह से जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द हो सकता है।2. जोड़ों में दर्द होनायूं तो आयरन की कमी का सीधे-सीधे जोड़ों के दर्द पर प्रभाव नहीं पड़ता है। लेकिन, अगर किसी को रूमेटॉइड आर्थराइटिस जैसी बीमारी के साथ-साथ शरीर में आयरन की कमी होती है, तो इस कंडीशन में शरीर में सूजन होने का जोखिम बढ़ जाता है। ऐसे में जोड़ों में दर्द की समस्या भी हो सकती है।3 ऑक्सीजन सप्लाई कम होनाजब शरीर में रेड ब्लड सेल काउंट कम होता है, तो ऐसे में शरीर में ऑक्सीजन सप्लाई पर बुरा असर पड़ता है। ऐसे में व्यक्ति को कमजोरी और थकान हो सकती है। इसके साथ ही जोड़ों और मांसपेशियों पर भी इसका बुरा प्रभाव देखने को मिल सकता है। आपको बता दें कि सही तरह से ऑक्सीजन सप्लाई न होने के कारण हड्डियां स्टिफ हो जाती हैं, जिससे मूवमेंट करना काफी मुश्किल हो जाता है। नतीजनत, जोड़ों में दर्द होना शुरू हो जाता है।
- बालों को स्वस्थ रखने के लिए इनको सही पोषण देना जरूरी है। पोषक तत्वों की कमी के कारण लोग बालों के झड़ने, टूटने, पतले और सफेद होने जैसी समस्याओं से परेशान रहते हैं। ऐसा शरीर में पोषक तत्वों की कमी और हार्मोन्स के असंतुलित होने के कारण हो सकता है। ऐसे में डाइट में इन पोषक तत्वों से युक्त फूड्स को डाइट में लें। इनसे बालों के स्वास्थ्य को बेहतर करने में मदद मिलती है।बालों की परेशानियां बताती हैं इन पोषक तत्वों की कमीप्रीमेच्योर ग्रे हेयरआज के समय में बहुत से लोगों को समय से पहले बालों के सफेद होने की समस्या होने लगती है। ऐसा शरीर में विटामिन-बी12 की कमी के कारण होता है। ऐसे में विटामिन-बी12 की कमी को दूर करने और बालों को समय से पहले सफेद होने से बचाने के लिए इडली और चीला जैसे फर्मेंटेड फूड्स और दूध के साथ अन्य डेयरी प्रोडक्ट्स को डाइट में शामिल करें। इसके अलावा, डाइट में एग योल्क का सेवन भी किया जा सकता है।रूखे बालों की समस्याअक्सर लोगों के रूखे और फ्रिजी बालों की समस्या का सामना करना पड़ता है। ऐसा शरीर में ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे पोषक तत्वों की कमी के कारण हो सकता है। ऐसे में शरीर में ओमेगा-3 फैटी एसिड की कमी को दूर करने और बालों के रूखेपन से राहत के लिए डाइट में अलसी के बीज, सूप, सब्जियों और दालों को खाएं।बालों के पतले होने की समस्याकई बार लोगों को बालों के पतले होने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसा शरीर में आयरन जैसे पोषक तत्वों की कमी के कारण हो सकता है। ऐसे में शरीर में आयरन की कमी को दूर करने के साथ-साथ बालों को घना और हेल्दी बनाने के लिए मोरिंगा, सब्जियों, दालों और रोटी जैसे आयरन युक्त फूड्स को डाइट में शामिल करें। इसके अलावा, डाइट में विटामिन-सी युक्त फूड्स को भी शामिल करें। इससे शरीर में आयरन के अवशोषण में मदद मिलती है। इनसे स्वास्थ्य की कई समस्याओं से राहत देने में मदद मिलती है।डैंड्रफ की समस्याशरीर में जिंक की कमी के कारण लोगों को डैंड्रफ की समस्या होती है। ऐसे में शरीर में जिंक की कमी को दूर करने, डैंड्रफ की समस्या से राहत देने और स्कैल्प को पोषण देने के लिए फलों में 1 चम्मच कद्दू के बीजों को डालकर इनको खाएं। इनसे स्वास्थ्य को भी कई लाभ मिलते हैं।गंजेपन की समस्याकई लोगों को बालों के झड़ने और गंजेपन की समस्या होने लगती है। ऐसा शरीर में डायहाइड्रोटेस्टोस्टेरोन के स्तर के हाई होने के कारण होता है। जिसके कारण लोगों को बालों को झड़ने से रोकने और गंजेपन की समस्या होती है। ऐसे में डायहाइड्रोटेस्टोस्टेरोन हार्मोन को बैलेंस करने और बालों से जुड़ी समस्याओं से राहत देने के लिए रात के खाने से आधे घंटे पहले 1 कप ब्राह्मरी की चाय पिएं। इससे बालों के स्वास्थ्य को बेहतर करने में मदद मिलती है।बालों के झड़ने की समस्याज्यादातर लोग बालों के झड़ने की समस्या से परेशान रहते हैं। ऐसा शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन के स्तर के बढ़ने के कारण होता है। ऐसे में कोर्टिसोल हार्मोन को बैलेंस करने और बालों को झड़ने की समस्या से राहत के लिए रात को सोने से पहले नियमित रूप से 1 कप कैमोमाइल टी में चुटकी भर दालचीनी पाउडर को डालकर, इसका सेवन करें।निष्कर्षअक्सर लोग को प्रीमेच्योर ग्रे हेयर, रूखे बालों की समस्या, बालों के पतले होने की समस्या, डैंड्रफ की समस्या, गंजेपन की समस्या और बालों के झड़ने की समस्या से परेशान रहते हैं। ऐसा शरीर में विटामिन-बी12, ओमेगा-3 फैटी एसिड, आयरन और जिंक जैसे पोषक तत्वों की कमी या शरीर में हार्मोन्स के असंतुलित होने की समस्या होती है। ऐसे में इन समस्याओं को नजरअंदाज न करें। ध्यान रहे बालों से जुड़ी अधिक समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
- होली के त्योहार पर हर कोई स्वादिष्ट और चटपटी चीजें खाना पसंद करता है। इस मौके पर तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं, लेकिन अगर आप कुछ ऐसा बनाना चाहते हैं जो स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहतमंद भी हो, तो कांजी वड़ा एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। यह पारंपरिक उत्तर भारतीय व्यंजन अपने खट्टे और मसालेदार स्वाद के लिए जाना जाता है, जिसे लोग बड़े ही चाव से खाते हैं। कांजी वड़ा मुख्य रूप से मूंग दाल या उड़द दाल से बने कुरकुरे वड़ों और खट्टे-मसालेदार कांजी पानी से तैयार किया जाता है। यह न केवल पाचन को बेहतर बनाता है बल्कि इम्यूनिटी भी बढ़ाता है।होली पर कांजी वड़ा क्यों बनाएं?होली के मौके पर अक्सर तले-भुने और भारी भोजन का सेवन अधिक हो जाता है, जिससे पेट में गैस, अपच और भारीपन की समस्या हो सकती है। ऐसे में कांजी वड़ा एक हेल्दी ऑप्शन साबित हो सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह पाचन तंत्र को मजबूत करता है, डिटॉक्स ड्रिंक का काम करता है और शरीर को ठंडक पहुंचाता है।कांजी वड़ा के फायदे -1. पाचन सुधारेकांजी वड़ा पाचन के लिए बहुत फायदेमंद है। मूंग दाल में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो आंतों की सफाई करती है और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत देती है। खट्टी कांजी भी पाचन में मदद करती है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह पेट के एसिड को संतुलित करने का काम करती है।2. हाजमे में सुधारकांजी वड़ा में उपयोग होने वाले मसाले जैसे जीरा, हींग और हल्दी हाजमे को बेहतर बनाते हैं। ये मसाले आंतों के संक्रमण को कम करने, गैस और सूजन को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। इसके अलावा, यह एसिडिटी और पेट में जलन जैसी समस्याओं से भी राहत दिलाता है।3. इम्यूनिटी बेहतर करेकांजी वड़ा में खट्टे मसाले होते हैं, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करते हैं। इसमें अच्छे बैक्टीरिया होते हैं जो इम्यूनिटी को बेहतर बनाते हैं। इसके साथ ही यह शरीर की सूजन को भी कम करता है, जो किसी भी संक्रमण से लड़ने में मदद करता है।4. त्वचा के लिए फायदेमंदकांजी वड़ा में विटामिन C होता है, जो त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद है। यह त्वचा को ग्लो देने के साथ-साथ फ्री रेडिकल्स से भी बचाता है, जो उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करते हैं।कांजी वड़ा की रेसिपी -कांजी वड़ा बनाने के लिए आपको 1 कप मूंग दाल, 1 इंच अदरक, 1 गाजर, 2 हरी मिर्च, 2 चुटकी हींग, नमक स्वादानुसार, तेल, राई आधा चम्मच, काला नमक स्वादानुसार, नींबू, हल्दी आधी छोटी चम्मच, लाल मिर्च आधी छोटी चम्मच और 4 कप पानी चाहिए होगा।-सबसे पहले, मूंग दाल को अच्छे से धोकर पानी में भिगोकर 2-3 घंटे के लिए रख दें।-दाल को अच्छी तरह से भीगने के बाद उसे पानी से निकालकर मिक्सी में पीस लें। दाल का पेस्ट थोड़ा मोटा रखें।-अब इसमें अदरक, हरी मिर्च, जीरा, हींग और नमक डालकर अच्छे से मिक्स करें।-एक कढ़ाई में तेल गर्म करें और इसमें छोटी-छोटी बॉल्स बनाकर वड़े तलें।कांजी-गाजर को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। आप चाहें तो इसे बिना गाजर के भी बना सकते हैं।-एक बर्तन में पानी डालकर उसमें गाजर, हल्दी, राई, लाल मिर्च पाउडर, नमक और अन्य मसाले डालकर अच्छे से मिला लें।-इस मिश्रण को धूप में 2-3 दिन के लिए रखें ताकि यह खट्टा हो जाए। कांजी तैयार है। आप इस कांजी को सुबह धूप में रखने के बाद शाम में भी इस्तेमाल कर सकते हैं।-जब वड़े ठंडे हो जाएं, तो इन्हें कांजी पानी में डालकर कुछ समय के लिए भिगोने दें। इसे 2-3 घंटे के लिए छोड़ दें, ताकि वड़े कांजी में अच्छे से सोख जाएं।-अब आपका स्वादिष्ट कांजी वड़ा तैयार है। इसे ठंडा या सामान्य तापमान पर परोसें। आप इसे साज सजावट के लिए हरी धनिया पत्तियों से सजा सकते हैं।निष्कर्षकांजी वड़ा एक स्वादिष्ट और सेहतमंद नाश्ता है, जो पाचन, इम्यूनिटी और त्वचा को हेल्दी रखने में मदद करता है। यह न केवल स्वाद में लाजवाब होता है, बल्कि इसके फायदेमंद गुण भी हैं। अगर आप हेल्दी और स्वादिष्ट खाने की तलाश में हैं, तो कांजी वड़ा को अपनी डाइट में शामिल करें।
- 14 मार्च को पूरे देश में धूम-धाम से होली खेली जाएगी। इस दिन लोग खूब मौज-मस्ती और एंज्वॉय करते हैं। होली के दिन घरों में तरह-तरह के पकवान बनते हैं। होली है-रंगों का त्योहार। इस दिन लोग रंगों से होली खेलना पसंद करते हैं। लेकिन, होली के रंग या कलर सेहत या त्वचा को ही नहीं, बालों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए होली खेलने से पहले प्रॉपर स्किन और हेयर केयर करना जरूरी होता है। हम सभी को लगता है कि होली खेलने से सिर्फ त्वचा खराब होती है। लेकिन, होली के रंग बालों को भी डैमेज, ड्राई और बेजान बना देते हैं। इसलिए होली खेलने से पहले अपने बालों की देखभाल अच्छी तरह से करें। अगर आप बालों की सही देखभाल करेंगे, तो इससे बाल डैमेज नहीं होंगे। आइए, जानते हैं होली खेलने से पहले बालों की देखभाल कैसे करेंहोली खेलने से पहले बालों की देखभाल कैसे करें?1. बालों पर अच्छी तरह से तेल लगाएंहोली खेलने से पहले बालों को मॉइश्चराइज करना बेहद जरूरी होता है। इसलिए आपको अपने बालों पर तेल जरूर लगाना चाहिए। होली के रंगों से बालों को सुरक्षित रखने के लिए तेल लगाना बेहद जरूरी होता है। आप होली खेलने से 1-2 घंटे पहले बालों पर अच्छी तरह से तेल लगा लें। इससे बाल डैमेज नहीं होते हैं। साथ ही, बालों से रंग आसानी से निकल जाता है। आप नारियल तेल या ऑलिव ऑयल लगा सकते हैं।2. बालों पर एलोवेरा जेल लगाएंहोली खेलने से पहले आपको बालों पर एलोवेरा लगाना चाहिए। एलोवेरा में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो बालों को होली के रंगों से सुरक्षित रखते हैं। एलोवेरा बालों में नमी भी बनाए रखता है। इसके लिए आप बालों और स्कैल्प पर एलोवेरा जेल अच्छी तरह से लगाएं। 20-25 मिनट बाद बालों को माइल्ड शैंपू से धो लें।3. हेयर सीरम लगाएंहोली खेलने से पहले आपको हेयर सीरम भी जरूर लगाना चाहिए। खासकर, अगर आपके बाल ड्राई और बेजान हैं, तो बालों पर सीरम जरूर अप्लाई करें। हेयर सीरम, बालों पर एक प्रोटेक्टिव लेयर बना देता है। इससे बाल सुरक्षित रहते हैं। हेयर सीरम, बालों को होली के रंगों में मौजूद केमिकल से सुरक्षित रखता है। आप होली खेलने से आधे घंटे पहले बालों पर हेयर सीरम अप्लाई करें। फिर आप बेझिझक होली के रंग खेल सकते हैं। इससे बालों को कोई नुकसान नहीं होगा।4. बालों पर कैप लगाकर रखेंहोली खेलने के दौरान आपको बालों को कैप से कवर करके रखना चाहिए। इससे होली का रंग सीधे बालों तक नहीं पहुंचता है। इससे बालों को नुकसान नहीं होता है और बाल होली के रंगों से सुरक्षित रहते हैं। आप बालों का जूड़ा बना लें। होली खेलने के दौरान बालों को भूलकर भी खुला न छोड़ें। इससे बाल काफी डैमेज हो सकते हैं।
- होली खेलने के बाद लोगों को अक्सर इसके केमिकल युक्त रंगों को त्वचा और बालों को निकाले में परेशानी होती है। ऐसे में त्वचा से इन जिद्दी रंगों को निकालने और त्वचा को इनसे होने वाले नुकसान से बचाने के लिए कुछ नेचुरल स्क्रब, क्लींजर और उबटन का इस्तेमाल किया जा सकता है। जिससे स्किन को नेचुरल रूप से हेल्दी और ग्लोइंग बनाने में भी मदद मिलती है। ऐसे में त्वचा से होली के रंगों को नेचुरल रूप से निकालने के लिए क्या करें?होली के रंगों को निकालने के लिए क्लींजर -क्लींजर की सामग्री -2 चम्मच कच्चा दूध1 चम्मच शहदक्लींजर का इस्तेमाल कैसे करें -1. 1 कटोरी कच्चे दूध में शहद को डालकर अच्छे से मिला लें।2. अब इसे चेहरे पर 5-7 मिनट के लिए लगाएं और हल्के हाथ से मसाज करें।3. अब चेहरे को हल्के गुनगुने पानी से धो लें।कच्चे दूध और शहद के क्लींजर के फायदेकच्चा दूध एक नेचुरल क्लींजर और मॉइस्चराइजर की तरह काम करता है। वहीं शहद एंटी-बैक्टीरियल और मॉइस्चराइजिंग गुण पाए जाते हैं। इस क्लींजर का इस्तेमाल करने से त्वचा के डेड सेल्स को निकालकर रंगों को निकालने, दाग-धब्बों को कम करने, त्वचा को नमी प्रदान करने, स्किन को मॉइस्चराइज करने और स्किन का एजिंग से बचाव करने में मदद मिलती है।होली के रंगों को निकालने के लिए स्क्रब -स्क्रब की सामग्री2 चम्मच बेसन2 चम्मच दहीचुटकी भर हल्दीस्क्रब का इस्तेमाल कैसे करें?1. 1 कटोरी बेसन में, दही और हल्दी को डालकर अच्छे से मिला लें।2. अब इसे चेहरे पर अच्छे से लगाएं और 15 मिनट के लिए छोड़ दें।3. अब इस पर हल्का पानी लगाकर चेहरे पर हल्के हाथ से स्क्रब करें।4. इसके बाद चेहरे को सादा पानी से धो लें।दही और बेसन स्क्रब के फायदेदही और बेसन का स्क्रब त्वचा के रंग को निकालने में सहायक है। बेसन एक नेचुरल एक्सफोलिएट की तरह काम करता है। वहीं, दही में लैक्टिक एसिड होता है, जो के डेड सेल्स को निकालकर, दाग-धब्बों को कम करने, स्किन को मॉइस्चराइज और हाइड्रेट करने में मदद मिलती है, साथ ही, इससे स्किन इंफेक्शन से बचाव करने में भी मदद मिलती है।होली के रंगों को निकालने के लिए उबटनउबटन की सामग्री2 चम्मच मुल्तानी मिट्टीआधा चम्मच चंदन पाउडरचुटकी भर हल्दी1 चम्मच बेसनगुलाब जलउबटन का इस्तेमाल कैसे करें1. 1 कटोरी में मुल्तानी मिट्टी, चंदन पाउडर, हल्दी और बेसन में जरूरत के अनुसार गुलाब जल को अच्छे से मिलाकर पेस्ट बना लें।2. अब इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं और 15-20 मिनट के लिए छोड़ दें।3. अब चेहरे को सादे पानी से धो लें।मुल्तानी मिट्टी के उबटन के फायदे -मुल्तानी मिट्टी और गुलाब जल दोनों में बहुत से गुण पाए जाते हैं। वहीं, बेसन स्किन को एक्सफोलिएट करने में सहायक है। इनको चेहरे पर लगाने से डेड सेल्स को निकालने, स्किन को गहराई से साफ करने, दाग-धब्बों को कम करने, रंगों के कारण त्वचा की जलन को कम करने और रंगों को हल्का करने में मदद मिलती है, साथ ही, स्किन इससे हाइड्रेट रहती है। इनके अलावा, स्किन को नेचुरल रूप से मॉइस्चराइज करने और रंगों को निकालने के लिए नारियल तेल और एलोवेरा जेल का इस्तेमाल किया जा सकता है।निष्कर्षहोली के जिद्दी रंगों को त्वचा से निकालने के लिए नेचुरल स्क्रब, क्लींजर या उबटन का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा, एलोवेरा जेल या नारियल तेल का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। इससे त्वचा से रंगों को निकालने और दाग-धब्बों को कम करने में मदद मिलती है, साथ ही, इससे त्वचा पर निखार लाने और स्किन को हेल्दी रखने में मदद मिलती है।
- भारतीय रसोई में कई प्रकार के मसालों का इस्तेमाल किया जाता है। चक्रफूल (Star Anise) इन्हीं मसालों में से एक है। चक्रफूल की सुगंध काफी तेज होती है और इसका स्वाद हल्का मीठा होता है। ज्यादातर लोग चक्रफूल को गर्म मसाले में डालकर इस्तेमाल करते हैं। चक्रफूल में आयरन, विटामिन बी , मैग्नीशियम, कैल्शियम, मैंगनीज और विटामिन ई जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। यह सभी पोषक तत्व स्वास्थ्य के लिहाज से फायदेमंद होते हैं। लेकिन आयुर्वेद में चक्र फूल का अत्यधिक या अनुचित सेवन से नुकसान के बारे में बताया गया है।1. गर्मी बढ़ाने वाला प्रभाव-आयुर्वेद के अनुसार, चक्रफूल में उष्ण (गर्मी उत्पन्न करने वाला) गुण होता है। चक्रफूल का अधिक सेवन करने से शरीर में पित्त का दोष बढ़ जाता है। इसकी वजह से पेट में दर्द, एसिडिटी, सीने में जलन और पित्त संबंधी अन्य समस्याएं हो सकती हैं।2. पाचन तंत्र को करता है प्रभावितचक्र फूल की तासीर गर्म होती है। इसका ज्यादा मात्रा में सेवन करने से पाचन तंत्र संबंधी परेशानियां हो सकती हैं। चक्रफूल की चाय या इसको ज्यादा मात्रा में मसाले के तौर पर इस्तेमाल करने से अपच, दस्त और पेट में दर्द की समस्या हो सकती है।3. ब्लड प्रेशर ट्रिगर करने का प्रभावचक्रफूल का अत्यधिक सेवन यह ब्लड प्रेशर को ट्रिगर कर सकता है। जिन लोगों को लो या हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है, अगर वह नियमित तौर पर चक्रफूल का सेवन करें, तो यह ब्लड प्रेशर को अचानक से कम या ज्यादा कर सकता है। जिन लोगों को ब्लड प्रेशर संबंधी परेशानियां हैं, उन्हें चक्रफूल का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।4. त्वचा संबंधी समस्या-चक्रफूल का सेवन करने से शरीर में उष्णता को बढ़ावा मिलता है। इसके कारण कुछ लोगों को त्वचा में खुजली, चकत्ते, लालिमा और रैशेज की समस्या हो सकती है। अगर आपकी त्वचा सेंसिटिव है, तो चक्रफूल का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।5. एलर्जी का कारण-कुछ लोगों में चक्रफूल के सेवन से एलर्जी हो सकती है, जिससे त्वचा में जलन, सांस लेने में कठिनाई, और लाल चकत्ते जैसी समस्याएं हो सकती हैं। कभी-कभी बाजार में मिलने वाला चक्रफूल सस्ता और कम गुणवत्ता वाला हो सकता है, जो एलर्जी का कारण बन सकता है। चक्रफूल को बाजार से खरीदते वक्त हमेशा इसकी क्वालिटी को जरूर जांचना चाहिए। अगर चक्रफूल ज्यादा चमकदार नजर आता है, तो इसमें केमिकल हो सकता है।निष्कर्षचक्रफूल में कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं, लेकिन इसका सेवन हमेशा सीमित मात्रा में ही करना चाहिए। ज्यादा मात्रा में चक्रफूल का सेवन करने से स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। प्रेग्नेंट और स्तनपान कराने वाली महिलाएं चक्रफूल का इस्तेमाल आयुर्वेदिक एक्सपर्ट की सलाह पर ही करें।
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घी, हमारे भारतीय भोजन का एक अहम हिस्सा है। यह न केवल खाने के स्वाद को बढ़ाता है, बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है। आयुर्वेद में भी इसके कई लाभ बताए गए हैं। हालांकि, आजकल यह सवाल उठता है कि क्या घी का सेवन वजन बढ़ाने का कारण बनता है? क्या इसे रोजाना खाना सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है? इन सवालों के जवाब जानने के लिए हमें घी के पोषक तत्वों और इसके स्वास्थ्य पर प्रभाव को समझना होगा। घी में मुख्य रूप से सैचुरेटेड फैट होता है, जिसे आमतौर पर वजन बढ़ाने का कारण माना जाता है। लेकिन, घी में मौजूद हेल्दी फैट्स, जैसे ओमेगा-3 और ओमेगा-9 फैटी एसिड्स, शरीर के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। इसके अलावा, घी में विटामिन-ए, डी, और ई जैसे खास विटामिन्स भी होते हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद हैं। अब जानते हैं घी के सेवन से जुड़े कुछ कॉमन सवालों के जवाब।
1. क्या रोजाना घी खाने से वजन बढ़ता है?-
अगर घी का सेवन ज्यादा मात्रा में किया जाए, तो यह वजन बढ़ा सकता है। इसमें मौजूद सैचुरेटेड फैट शरीर में कैलोरीज को बढ़ा देते हैं। लेकिन, अगर इसे संतुलित मात्रा में और सही समय पर खाया जाए, तो यह वजन को कंट्रोल करने में मदद भी कर सकता है। घी का सेवन त्वचा की चमक को बढ़ाता है, शरीर के तापमान को कंट्रोल करता है और पाचन को भी बेहतर करता है। इसलिए, घी का सेवन सीमित मात्रा में और संतुलित आहार के हिस्से के रूप में करना फायदेमंद हो सकता है।
2. क्या घी पेट की चर्बी को बढ़ाता है?घी में सैचुरेटेड फैट होता है, जो पेट की चर्बी (Belly Fat) बढ़ाने का एक कारण हो सकता है। हालांकि, घी का सेवन सही तरीके से और एक्सरसाइज के साथ किया जाए, तो यह पेट की चर्बी को बढ़ाने के बजाय शरीर के अन्य हिस्सों से चर्बी घटाने में मदद कर सकता है। यह शरीर को एनर्जी देता है, जिससे शरीर में फैट का इकट्ठा होना कम हो सकता है। इसलिए घी का सेवन कम मात्रा में करना और नियमित रूप से एक्सरसाइज करना जरूरी है।3. क्या गर्मियों में घी का सेवन नहीं करना चाहिए?गर्मियों में घी का सेवन कुछ लोगों के लिए हानिकारक हो सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जिनका पाचन तंत्र कमजोर होता है, क्योंकि घी की तासीर गर्म होती है। गर्मी के मौसम में शरीर पहले से ही वातावरण में गर्मी को झेलता है और घी का ज्यादा सेवन डाइजेशन को बिगाड़ सकता है, जिससे पाचन से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि, अगर घी का सेवन सीमित मात्रा में किया जाए, तो यह शरीर को ठंडा रखता है और त्वचा को मॉइश्चराइज भी कर सकता है।4. क्या घी हार्ट की सेहत के लिए हानिकारक है?घी का सेवन अगर ज्यादा मात्रा में किया जाए, तो यह हार्ट के लिए हानिकारक हो सकता है, क्योंकि इसमें ज्यादा सैचुरेटेड फैट होता है, जो ब्लड में कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा सकता है। इससे हृदय रोगों का खतरा बढ़ सकता है। हालांकि, अगर घी का सेवन कम मात्रा में किया जाए और साथ ही संतुलित आहार लिया जाए, तो यह हार्ट के लिए फायदेमंद हो सकता है। घी में ओमेगा-3 और ओमेगा-9 फैटी एसिड्स होते हैं, जो हार्ट की सेहत (Heart Health) को बनाए रखने में मदद करते हैं। इसलिए, घी का सेवन सीमित मात्रा में और सही समय पर किया जाना चाहिए।5. क्या घी खाने से कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है?घी में सैचुरेटेड फैट होता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह कोलेस्ट्रॉल को असंतुलित कर देता है। शोध के अनुसार, घी में मौजूद हेल्दी फैटी एसिड वास्तव में शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल (HDL) बढ़ाने में मदद करते हैं। हालांकि, जिन लोगों को पहले से हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या है, उन्हें घी का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए।घी से जुड़े कई मिथक और गलत धारणाएं प्रचलित हैं, लेकिन शोध बताते हैं कि संतुलित मात्रा में घी का सेवन सेहत के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। -
होली का त्यौहार रंग और उत्साह का प्रतीक माना जाता है। होली के त्यौहार पर हवा में इतना रंग होता है कि न चाहने वाला भी रंग जाए। पहले के जमाने में फूल, पत्तियों और फलों को सूखाकर रंग और गुलाल बनाए जाते थे। लेकिन आज के आधुनिक जमाने में केमिकल्स वाले रंगों को इस्तेमाल ज्यादा होने लगा है। केमिकल्स वाले रंग, गुलाल और अबीर आंखों को बेशक लुभाएं, लेकिन त्वचा के लिए हानिकारक होते हैं। अगर ये केमिकल वाले रंग सीधे त्वचा से संपर्क बनाते हैं, तो इससे पिंपल्स, एक्ने, जलन, खुजली और लालिमा की समस्या भी हो सकती है। इसलिए, होली खेलने से पहले त्वचा की सही देखभाल करना बहुत जरूरी है।त्यौहार आने वाला है इसलिए हम आपको बताने जा रहे हैं होली पर रंग खेलने से पहले आपको त्वचा पर क्या लगाना चाहिए ताकि स्किन को किसी प्रकार का नुकसान न हो।
होली खेलने से पहले त्वचा पर क्या लगाएं-
डॉ. रुबेन भसीन पस्सी के अनुसार, होली के रंगों में मौजूद रासायनिक तत्व त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे त्वचा का रूखा होना, एलर्जी, जलन की समस्या होना आम है। इन समस्याओं से बचाव के लिए प्री-होली स्किन केयर रूटीन को अपनाना जरूरी है। आइए जानते हैं इसके बारे में...1. नारियल और कपूर का तेलहोली पर रंग खेलने से पहले हाथ, पैर, चेहरे और पूरे शरीर पर नारियल और कपूर के तेल से मालिश करें। नारियल और कपूर का तेल त्वचा पर एक सुरक्षा परत बनाता है, जिससे केमिकल्स वाले स्किन के अंदर नहीं जाते हैं इससे स्किन डैमेज से बचा जा सकता है। साथ ही, रंग आसानी से त्वचा पर चिपकते नहीं है। होली खेलने से पहले त्वचा पर नारियल और कपूर का तेल लगाने से रंगों को आसानी से हटाया जा सकता है। इसके लिए 5 चम्मच नारियल के तेल में 2 कपूर को पीसकर भिगो दें। इस मिश्रण को रातभर एक एयरटाइट कंटेनर में स्टोर करें और सुबह इससे मालिश करने के बाद होली खेलें।2. सनस्क्रीन लगाएंहोली में रंग खेलने के दौरान त्वचा भी धूप से संपर्क बनाती है, ऐसे में सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना बिल्कुल न भूलें। सनस्क्रीन आपकी त्वचा को यूवी किरणों से बचाने के साथ-साथ रंगों के हानिकारक प्रभाव से भी सुरक्षित रखता है। त्वचा के लिए हमेशा SPF 50 वाला सनस्क्रीन इस्तेमाल करें। इससे कम एसपीएफ वाले सनस्क्रीन का इस्तेमाल करने से त्वचा को किसी प्रकार का फायदा नहीं मिलता है।3. होंठ पर लगाए ऑलिव ऑयलचेहरे, हाथ और पैर से ज्यादा नाजुक हमारे होंठ होते हैं। होली पर रंगों के संपर्क में आने से होंठ ड्राई और डैमेज नजर आ सकते हैं। ऐसे में होंठो को मॉइश्चराइज करने के लिए ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल करें। ऑलिव ऑयल में पर्याप्त मात्रा में फैटी एसिड होता है, जो होंठ को नमी देकर रंगों से होने वाले नुकसान को बचाता है। होंठ पर ऑलिव ऑयल लगाने से रंग चिपकते नहीं है।4. नेल पॉलिश लगाएंहाथों पर नारियल और कपूर के तेल से मालिश करने के साथ-साथ नाखूनों को रंगों से साफ रखने और गहरे रंगों से बचाने के लिए डार्क कलर की नेल पॉलिश लगाएं। स्किन केयर एक्सपर्ट का कहना है कि नेल पॉलिश लगाने से होली के रंग नाखून पर रंग लगने और जमने का खतरा कम हो जाता है। इससे त्वचा में बैक्टीरिया नहीं जमते हैं और हाथों में होने वाले संक्रमण से बचा जा सकता है।होली के बाद त्वचा की देखभाल कैसे करें?-- होली खेलने के बाद त्वचा को साफ करने के लिए कच्चे दूध और शहद का इस्तेमाल करें। कच्चे दूध एंटीबैक्टीरियल गुण त्वचा पर रंगों के कारण पैदा होने वाले मुंहासों के बैक्टीरिया को रोकता है, जिससे स्किन ग्लोइंग नजर आती है।- चेहरे, कान, हाथ, पैर और शरीर के बाकि अंगों से गहरे रंगों को हटाने के लिए साबुन या किसी अन्य ब्यूटी प्रोडक्ट का इस्तेमाल करने की बजाय मुल्तानी मिट्टी और बेसन का इस्तेमाल करें। बेसन के पोषक तत्व स्किन को डीप क्लीन करके रंगों को हटाने में मदद करते हैं।- रंगों के केमिकल्स से त्वचा ड्राई और डैमेज हो सकती है। इसलिए होली के बाद त्वचा पर अच्छे मॉइश्चराइजर का उपयोग जरूर करें।निष्कर्षहोली का त्यौहार आनंद और उत्साह से भरा होता है। लेकिन इस दौरान त्वचा की खूबसूरती को बनाए रखना भी बहुत जरूरी होता है। इसलिए डॉक्टर द्वारा ऊपर बताए गए टिप्स को जरूर फॉलो करें और त्वचा को सुंदर बनाए रखें।