- Home
- बिजनेस
-
नई दिल्ली। लघु उद्योग भारती (एलयूबी) संगठन ने जीएसटी परिषद की अनुमोदित नई सरलीकृत कर संरचना का स्वागत किया है। संगठन ने कहा कि 22 सितंबर से लागू होने वाले 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत के दो-स्तरीय जीएसटी स्लैब भारत की अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में ऐतिहासिक और परिवर्तनकारी बदलाव साबित होंगे।
इस बीच एलयूबी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के विवेकपूर्ण मार्गदर्शन की सराहना की। संगठन ने कहा कि कर दरों को सरल बनाने का यह कदम लंबे समय से प्रतीक्षित था। साथ ही वित्त मंत्रालय ने अल्पकालिक राजस्व हानि को वहन करने का जो निर्णय लिया है, वह आर्थिक विकास, उपभोक्ता कल्याण और राष्ट्रहित के प्रति गहरी निष्ठा को दर्शाता है।संगठन का मानना है कि यह सुधार केवल दर संरचना को आसान बनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए व्यापार सुगमता की दिशा में भी बड़ा कदम है। कार्यशील पूंजी की जरूरत कम होने, कच्चे माल की आसान उपलब्धता और व्यापक बाजार तक पहुंच मिलने से छोटे उद्योगों को सीधा फायदा होगा।एलयूबी ने विशेष रूप से पंजीकरण प्रक्रिया को आसान बनाने, त्वरित रिफंड व्यवस्था और अनुपालन बोझ कम करने पर ध्यान केंद्रित करने वाले इन सुधारों का स्वागत किया है। संगठन का कहना है कि इससे भारत का औद्योगिक आधार मजबूत होगा और उद्यमिता तथा नवाचार को प्रोत्साहन मिलेगा।एलयूबी का मानना है कि जीएसटी 2.0 सुधार न केवल उद्योगों को लाभ पहुंचाएंगे, बल्कि उपभोक्ताओं को भी सीधे फायदा देंगे। उपभोक्ताओं को कम कीमतों और वस्तुओं व सेवाओं की बेहतर उपलब्धता का अनुभव होगा। संगठन को विश्वास है कि नई कर संरचना स्थिरता और स्पष्टता प्रदान करेगी, विवादों को कम करेगी, अनुपालन को बढ़ावा देगी और उपभोग को प्रोत्साहित करेगी। इससे समावेशी और मजबूत आर्थिक विकास का रास्ता खुलेगा।लघु उद्योग भारती ने इस सुधार के सुचारु और समयबद्ध क्रियान्वयन में भारत सरकार को पूरा सहयोग देने का संकल्प लिया है। संगठन ने कहा कि उसकी सदस्य इकाइयां दर सरलीकरण से मिलने वाले लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ संकल्प को और मजबूती देगा।एलयूबी ने इस सुधार को राष्ट्र निर्माण का महत्वपूर्ण स्तंभ और आत्मनिर्भर, प्रगतिशील तथा विकसित भारत की दिशा में साहसिक कदम बताया है। -
नयी दिल्ली. स्वास्थ्य क्लब, सैलून, नाई, फिटनेस सेंटर, योग आदि सहित सौंदर्य एवं शारीरिक कल्याण सेवाओं पर जीएसटी दर को इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के साथ 18 प्रतिशत से घटाकर बिना टैक्स क्रेडिट के पांच प्रतिशत करने से इन सेवाओं के सस्ते होने की संभावना है। इसके अलावा, दैनिक उपयोग की वस्तुओं जैसे हेयर ऑयल, टॉयलेट सोप बार, शैम्पू, टूथब्रश, टूथपेस्ट भी सस्ते हो सकते हैं क्योंकि इन पर कर वर्तमान 12-18 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है। माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की नई दर 22 सितंबर से प्रभावी होंगी।
जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में दरों को युक्तिसंगत बनाने की प्रक्रिया के तहत केंद्र एवं राज्यों ने आम आदमी द्वारा उपयोग की जाने वाली सौंदर्य व शारीरिक स्वास्थ्य सेवाओं पर जीएसटी को 18 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करने पर सहमति व्यक्त की। इसमें जिम, सैलून, नाई, योग केंद्र आदि की सेवाएं शामिल हैं। टैल्कम पाउडर, फेस पाउडर, शेविंग क्रीम और आफ्टरशेव लोशन जैसी अन्य दैनिक उपयोग की वस्तुओं की कीमतों में भी कमी आएगी क्योंकि इन पर जीएसटी 18 प्रतिशत से घटकर पांच प्रतिशत होगा। वित्त मंत्रालय ने कहा कि जीएसटी दर को युक्तिसंगत बनाने का उद्देश्य ‘‘निम्न मध्यम वर्ग और समाज के गरीब तबके के मासिक खर्च को कम करना है।'' टॉयलेट सोप बार पर कर घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है, लेकिन तरल साबुन पर कर 18 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है। फेस पाउडर व शैंपू पर जीएसटी कम करने से बहुराष्ट्रीय कंपनियों एवं लक्जरी ब्रांड को लाभ होने के सवाल पर मंत्रालय ने कहा कि लगभग सभी वर्गों द्वारा दैनिक जीवन में इन वस्तुओं का इस्तेमाल किया जाता है। मंत्रालय ने कहा, ‘‘ हालांकि बहुराष्ट्रीय कंपनियों या लक्जरी ब्रांड द्वारा बेचे जाने वाले महंगे फेस पाउडर और शैंपू को भी लाभ होगा, लेकिन दरों को युक्तिसंगत बनाने का उद्देश्य कर ढांचे को और सरल बनाना है। सौंदर्य प्रसाधनों के ब्रांड या मूल्य के आधार पर कर लगाने से कर ढांचे में जटिलता उत्पन्न होगी और प्रशासन के लिए चुनौतियां भी खड़ी होंगी।'' इसी प्रकार माउथवॉश पर जीएसटी नहीं घटाया गया है, लेकिन टूथपेस्ट, टूथब्रश व डेंटल फ्लॉस पर कर की दर घटाकर पांच प्रतिशत कर दी गई है क्योंकि ये ‘‘ यह दांत की स्वच्छता से जुड़ी मूलभूत वस्तुएं हैं।'' एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के वरिष्ठ भागीदार रजत मोहन ने कहा कि स्वास्थ्य क्लब, सैलून, नाई, फिटनेस सेंटर और योग को पांच प्रतिशत की रियायती दर से सरकार ने व्यक्तिगत देखभाल और स्वास्थ्य को विलासिता के बजाय सुलभ आवश्यक वस्तु के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा, ‘‘ उपभोक्ता के नजरिये से इससे लागत कम होगी और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बढ़ेगी। मोहन ने कहा कि इस युक्तिकरण में एक महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि नई दरें बिना आईटीसी के आती हैं।
-
-
नयी दिल्ली. केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने जीएसटी सुधारों को बृहस्पतिवार को ‘‘परिवर्तनकारी'' एवं आजादी के बाद का ‘‘सबसे बड़ा सुधार'' करार दिया और उद्योग जगत से इसका पूरा लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाने का आग्रह किया। मंत्री ने कहा कि जीएसटी सुधारों से करीब सभी क्षेत्रों में मांग बढ़ेगी और देश की आर्थिक वृद्धि को समर्थन मिलेगा। उन्होंने उद्योग जगत से ‘मेड इन इंडिया' को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने का भी आह्वान किया।
गोयल ने यहां एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि जीएसटी में कमी से हर उपभोक्ता को लाभ होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘ पिछले 11 वर्ष में की गई कई पहल के फलस्वरूप कल जीएसटी में अप्रत्यक्ष करों में जो सुधार किया गया...वह परिवर्तनकारी है। इसका दवा क्षेत्र पर तथा किसानों से लेकर हमारे एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) तक विभिन्न क्षेत्रों पर महत्वपूर्ण प्रभाव होगा।'' गोयल ने कहा, ‘‘ देश के प्रत्येक हितधारक, प्रत्येक उपभोक्ता को इसका लाभ मिलेगा।''
माल एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधारों को ‘‘ बड़ा बदलाव '' बताते हुए मंत्री ने कहा कि यह कदम 2047 तक विकसित देश बनने की यात्रा में आने वाले महीनों व वर्षों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। गोयल ने उद्योग जगत से ‘‘ जीएसटी के सभी लाभों को उपभोक्ताओं तक पहुंचाने'' का आग्रह किया।
कार्यक्रम से इतर गोयल ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में परिवर्तनकारी और अभूतपूर्व सुधार का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री हमेशा अपने वादे पूरे करते हैं।
गोयल ने कहा, ‘‘ हमने सोचा था यह बड़ा होगा लेकिन यह आजादी के बाद से भारत में अबतक का सबसे बड़ा सुधार साबित हुआ है। कई आयामों के अलावा रोजमर्रा की जरूरतों की लगभग सभी वस्तुओं पर करों में कमी से उपभोक्ताओं को काफी लाभ होगा।'' मंत्री ने कहा कि जीएसटी दरों में कमी के अलावा प्रक्रिया एवं कार्यप्रणाली में किए गए बदलाव से कारोबार को आसान बनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, ‘‘ ये कम दरें मांग एवं उद्योग के विकास को बढ़ावा देंगी। देश में परिचालन का पैमाना बढ़ाएंगी। अधिक मांग से अधिक निवेश, अधिक नौकरियां सृजित होंगी और वृद्धि के चक्र को बल मिलेगा।'' गोयल ने कहा कि यह दिवाली का तोहफा 1.4 अरब नागरिकों के लिए जीवन को आसान बनाने और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में योगदान देगा। विपक्ष के इन सुधारों को लागू करने में आठ साल का विलंब करने के सवाल पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता ने कांग्रेस पार्टी पर ऐसे समय में नकारात्मकता फैलाने का आरोप लगाया जब भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। उन्होंने कहा, ‘‘ राहुल गांधी भारत को एक बेजान अर्थव्यवस्था कहते हैं, जबकि यह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। यह कुछ लोगों की नकारात्मक सोच है और मैं इस तरह की नकारात्मकता की निंदा करता हू।'' मंत्री ने यहां इंडिया मेडटेक एक्सपो, भारत न्यूट्रावर्स एक्सपो में शिरकत की। -
नयी दिल्ली. केंद्र सरकार ने उपभोक्ताओं को किफायती दरों पर प्याज उपलब्ध कराने के लिए दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद में 24 रुपये प्रति किलोग्राम की रियायती (सब्सिडी) दर पर प्याज की बिक्री शुरू की है। मोबाइल वैन को हरी झंडी दिखाने के बाद, केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि इन शहरों में सहकारी संस्थाओं नेफेड (नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया), एनसीसीएफ (नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया) और केंद्रीय भंडार के माध्यम से बफर स्टॉक से लगभग 25 टन प्याज बेचा जाएगा। जोशी ने संवाददाताओं को बताया कि जिन स्थानों पर प्याज की खुदरा कीमत 30 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक हैं, वहां प्याज 24 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचा जाएगा। सब्सिडी वाले प्याज की बिक्री शुक्रवार से चेन्नई, गुवाहाटी और कोलकाता तक बढ़ा दी जाएगी और दिसंबर तक जारी रहेगी। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, बृहस्पतिवार को प्याज का अखिल भारतीय औसत खुदरा मूल्य 28 रुपये प्रति किलोग्राम था, जबकि कुछ शहरों में यह 30 रुपये प्रति किलोग्राम से ऊपर था। फिलहाल, सरकार के पास तीन लाख टन प्याज का बफर स्टॉक है। यह प्याज वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान 15 रुपये प्रति किलो की औसत कीमत पर मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) योजना के तहत खरीदा गया था। जोशी ने कहा कि बफर स्टॉक से प्याज का नपे-तुले और लक्षित निपटान, खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और स्थिर मूल्य व्यवस्था बनाए रखने के सरकार के प्रयासों का एक अभिन्न अंग है। उन्होंने कहा, "सरकार की प्राथमिकता खाद्य महंगाई को नियंत्रण में रखना है और मूल्य स्थिरीकरण उपायों के माध्यम से विभिन्न प्रत्यक्ष हस्तक्षेपों ने हाल के महीनों में महंगाई को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
-
नयी दिल्ली. देश के शीर्ष उद्योगपतियों में शुमार मुकेश अंबानी ने दूसरी पीढ़ी के जीएसटी सुधारों को उपभोग आधारित आर्थिक वृद्धि के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन करार दिया है। उन्होंने कहा कि इन सुधारों से देश की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी और आम जनता को राहत मिलेगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उनके भारत की जनता के लिए ऐतिहासिक दिवाली तोहफा देने के वादे को पूरा करने पर बधाई देते हुए, मुकेश अंबानी ने कहा, ‘‘जीएसटी में यह बदलाव उपभोक्ताओं के लिए उत्पादों और सेवाओं को सस्ता बनाएगा, कारोबार करने की प्रक्रिया को आसान करेगा, महंगाई को कम करेगा और खुदरा क्षेत्र में उपभोग को बढ़ावा देगा।'' उन्होंने यह भी कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था पहले ही 7.8 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल कर चुकी है, और ये नए सुधार देश को दो अंक की वृद्धि दर के करीब ले जा सकते हैं। रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड की कार्यकारी निदेशक ईशा अंबानी ने कहा,‘‘नया जीएसटी ढांचा न सिर्फ घरेलू बजट में राहत लाएगा, बल्कि व्यापार जगत के लिए अनुपालन भी आसान बनाएगा। यह उपभोक्ता और उद्योग — दोनों के लिए फायदेमंद है।'' उन्होंने भरोसा दिलाया कि रिलायंस रिटेल अपने सभी उत्पादों पर पहले दिन से ही कर कटौती का लाभ ग्राहकों को देगी। ईशा ने कहा, ‘‘हमारा वादा है, जब भी लागत घटेगी, उसका फायदा सीधा ग्राहक को मिलेगा।''
कंपनी ने एक बयान में कहा कि यह कदम उपभोक्ता विश्वास को मजबूत करेगा और रिलायंस रिटेल देशभर में गुणवत्ता, किफायती दर और आसान उपलब्धता के लिए प्रतिबद्ध है। -
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने जीएसटी की दरों में कमी करके आम जनता को दिवाली से पहले बंपर तोहफा दिया है। इससे एक तरफ फेस्टिव सीजन में डिमांड को बढ़ाने और दूसरी तरफ अमेरिकी टैरिफ के कारण हुए नुकसान को कम करने में मदद मिलेगी। यह बयान गुरुवार को अर्थशास्त्रियों की ओर से दिया गया।
अब महंगाई में कमी आएगी और घरेलू खपत को बढ़ावा मिलेगाअर्थशास्त्री पंकज जायसवाल ने कहा, “यह सरकार की ओर से बंपर दिवाली गिफ्ट है। इससे महंगाई में कमी आएगी और घरेलू खपत को बढ़ावा मिलेगा। फेस्टिव सीजन शुरू हो चुका है। इससे पहले सरकार द्वारा यह फैसला लेना बहुत अच्छी खबर है।”जीएसटी दरों में कमी से अर्थव्यवस्था को बूस्ट मिलेगाउन्होंने आगे कहा, “पिछले महीने अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ के कारण यह खतरा महसूस हो रहा था कि देश का निर्यात कम होगा और इससे उत्पादन में कमी आएगी, लेकिन सरकार का यह फैसला इस सभी प्रभाव को दूर करेगा और आम आदमी के हाथ में ज्यादा पैसे बचेंगे, इससे अर्थव्यवस्था को बूस्ट मिलेगा।”सरकार ने दो स्तरीय 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत जीएसटी करके आम जनता को बड़ी राहत दी हैचेम्बर ऑफ कॉमर्स में मेंबर और सीए प्रवीण साहू ने कहा, “सरकार ने दो स्तरीय (5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत) जीएसटी करके आम जनता को बड़ी राहत है। साथ ही 80 प्रतिशत वस्तुओं को 5 प्रतिशत टैक्स स्लैब में रखा गया है। इससे आम जनता की परचेंसिंग पावर बढ़ेगी और उपभोग में सुधार होगा।”2017 में जीएसटी लागू होने के बाद अब तक का यह सबसे बड़ा टैक्स सुधार हैवहीं, एक अन्य अर्थशास्त्री राजीव साहू ने कहा कि 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद अब तक का यह सबसे बड़ा टैक्स सुधार है। इससे आम जनता को तुरंत राहत मिलेगी, खपत में सुधार होगा, इंडस्ट्रीज को समर्थन मिलेगा, साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।जीएसटी में सुधार से निवेशकों से लेकर व्यापारियों तक को बड़ी राहत मिलेगीचैम्बर ऑफ कॉमर्स महामंत्री और अर्थशास्त्री आदित्य मनिया जैन ने इस जीएसटी सुधार का स्वागत करते हुए कहा कि इससे निवेशकों से लेकर व्यापारियों तक को बड़ी राहत मिलेगी। सरकार ने दैनिक उपयोग की चीजों पर टैक्स को घटाया है। इससे अर्थव्यवस्था को बड़ा बूस्ट मिलेगा। इससे टैरिफ से पैदा हुई चिंता भी शांत करने में मदद मिलेगी और देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार भी तेज बनी रहेगी।अर्थशास्त्री अजय रोट्टी ने कहा कि हेल्थ इंश्योरेंस पर जीएसटी को 18 प्रतिशत से सीधे शून्य किया जाना एक अच्छी खबर हैएक अन्य अर्थशास्त्री अजय रोट्टी ने कहा कि हेल्थ इंश्योरेंस पर जीएसटी को 18 प्रतिशत से सीधे शून्य किया जाना एक अच्छी खबर है। इससे आम जनता को काफी राहत मिलेगी। उन्होंने इसे एक ऐतिहासिक बताते हुए आगे कहा कि इससे एमएसएमई को भी बड़ी राहत मिलेगी, क्योंकि दैनिक उपयोग की चीजों की लागत में कमी आएगी। इससे उपभोग बढ़ेगा और अर्थव्यवस्था को फायदा मिलेगा। -
नई दिल्ली। फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) की महानिदेशक ज्योति विज ने जीएसटी ढांचे में किए गए सुधारों की प्रशंसा की है। उन्होंने कहा कि GST स्लैब की संख्या में कमी और कई वस्तुओं व सेवाओं को 5 फीसद की ‘मेरिट रेट’ में शामिल करने से अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। यह कदम उपभोग मांग को बढ़ाएगा और भारत को उच्च विकास के पथ पर ले जाएगा।
जीएसटी सुधार भारत की आर्थिक सुधार यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदमज्योति विज ने जीएसटी सुधारों को भारत की आर्थिक सुधार यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उनके अनुसार, सरल और कम टैक्स स्लैब से न केवल व्यवसायों को फायदा होगा, बल्कि उपभोक्ताओं को भी राहत मिलेगी। इससे दीर्घकालिक आर्थिक विकास को बल मिलेगा और भारत वैश्विक स्तर पर एक मजबूत अर्थव्यवस्था के रूप में उभरेगा।जीएसटी ढांचे को सरल करने के लिए कई अहम बदलावहाल ही में सरकार ने जीएसटी ढांचे को सरल करने के लिए कई अहम बदलाव किए हैं। पहले जीएसटी में चार मुख्य स्लैब (5 फीसद, 12 फीसद, 18 फीसद, और 28 फीसद) थे। लेकिन, अब इन्हें कम करके मुख्य रूप से दो या तीन स्लैब पर ध्यान केंद्रित किया गया है। कई आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं को 5 फीसद की ‘मेरिट रेट’ में शामिल किया गया है, जिसमें खाद्य पदार्थ, दवाइयां और अन्य जरूरी सामान शामिल हैं।उपभोक्ताओं पर कर का होगा बोझ कमइसके अलावा, कुछ वस्तुओं को 12 फीसद और 18 फीसद के स्लैब में रखा गया है, जबकि 28 फीसद स्लैब को केवल लग्जरी और गैर-जरूरी वस्तुओं तक सीमित किया गया है। इन सुधारों का उद्देश्य कर प्रणाली को सरल बनाना, अनुपालन को आसान करना और उपभोक्ताओं पर कर का बोझ कम करना है।वहीं, विशेषज्ञों का मानना है कि इससे छोटे और मध्यम व्यवसायों को लाभ होगा, साथ ही उपभोग बढ़ने से आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी। सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि इन बदलावों से राजस्व संग्रह पर असर न पड़े। फिक्की ने इन कदमों को निवेश और विकास के लिए अनुकूल बताया है। - नयी दिल्ली। जीएसटी परिषद ने बुधवार को लोगों को राहत देते हुए माल एवं सेवा कर के तहत पांच प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दो-स्तरीय कर संरचना को मंजूरी दे दी। इसमें रोजमर्रा के उपयोग वाले सामानों पर जीएसटी दरों में कटौती की गयी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में लिये गये निर्णय के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि जीएसटी में व्यापक सुधारों के तहत बाल में लगाने वाले तेल, साबुन, साइकिल आम और मध्यम वर्ग की वस्तुओं पर जीएसटी 12 प्रतिशत या 18 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है। इसके अलावा, छेना, पनीर, रोटी और पराठा पर कोई जीएसटी नहीं लगेगा। जीवन रक्षक दवाओं पर भी जीएसटी शून्य होगा। सीतारमण ने यह भी कहा कि व्यक्तिगत जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के प्रीमियम पर जीएसटी से छूट मिलेगी। इसके अलावा, छोटी कारों और 350 सीसी तक के दोपहिया वाहनों पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा। तिपहिया वाहन पर भी अब 18 प्रतिशत कर लगेगा। उन्होंने कहा कि तंबाकू, पान मसाला और सिगरेट पर जीएसटी 40 प्रतिशत की विशेष दर से लगेगा।सीतारमण ने कहा, ‘‘ यह केवल जीएसटी में सुधार नहीं है, बल्कि संरचनात्मक सुधारों और लोगों की जीवन को सुगम बनाने की दिशा में उठाया गया कदम है।'' तंबाकू उत्पादों और सिगरेट को छोड़कर नई जीएसटी दरें 22 सितंबर से प्रभावी होंगी।
-
चेन्नई.केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से खुला एवं पारदर्शी बनाएंगे। इससे अनुपालन बोझ में और कमी आएगी एवं छोटे व्यवसायों को लाभ होगा। तमिलनाडु स्थित सिटी यूनियन बैंक के 120वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही। इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद रहीं। सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में अगली पीढ़ी के सुधारों के लिए एक कार्यबल के गठन की घोषणा की है। इसका स्पष्ट उद्देश्य नियमों को सरल बनाना, अनुपालन लागत कम करना तथा स्टार्टअप, सूक्ष्म, लघु व मझोले उद्यमों और उद्यमियों के लिए एक अधिक अनुकूल परिवेश का निर्माण करना है। सीतारमण ने कहा, ‘‘ इसके अतिरिक्त, अगले दो दिन होने वाली परिषद की बैठक के साथ अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधारों की योजनाबद्ध शुरुआत से आने वाले महीनों में अर्थव्यवस्था पूरी तरह से खुली एवं पारदर्शी हो जाएगी। अनुपालन बोझ में और कमी आएगी जिससे छोटे व्यवसायों के लिए फलने-फूलना आसान हो जाएगा।'' स्वतंत्रता दिवस के अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में बड़े सुधारों की घोषणा की थी और नागरिकों के लिए दिवाली पर उपहारों का वादा किया था। सीतारमण ने कहा कि देश के अपने विकसित भारत 2047 के दृष्टिकोण की ओर बढ़ते हुए बैंकों से न केवल ऋण का विस्तार करने बल्कि बुनियादी ढांचे के विकास को गति प्रदान करने, एमएसएमई के लिए समय पर और आवश्यकता-आधारित वित्तपोषण सुनिश्चित करने, बैंकिंग सेवाओं से वंचित लोगों को औपचारिक बैंकिंग के दायरे में लाने व विविध आवश्यकताओं को पूरा करने का आह्वान किया जाता है। इस लक्ष्य के लिए बैंकिंग क्षेत्र का समर्थन अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, ‘‘ इस परिवर्तन के मार्गदर्शक सिद्धांत विश्वास, प्रौद्योगिकी और पारदर्शिता होने चाहिए।'' केंद्रीय वित्त मंत्री ने साथ ही कहा कि पिछले 11 वर्ष में 56 करोड़ जन-धन खाते खोले गए हैं जिनमें कुल जमा राशि 2.68 लाख करोड़ रुपये है। इनमें से अधिकतर खाताधारक महिलाएं हैं। सीतारमण ने यह भी बताया कि भारतीय अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों ने परिसंपत्ति गुणवत्ता में बड़ा सुधार दर्ज किया है। उन्होंने कहा कि रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने 18 वर्ष में पहली बार देश की दीर्घकालिक साख में सुधार किया है। मंत्री ने कहा कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का सकल एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां) 31 मार्च, 2025 तक घटकर 2.3 प्रतिशत रह गया है, जबकि शुद्ध एनपीए 0.5 प्रतिशत है। उन्होंने कहा, ‘‘ मैं समझती हूं कि ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में हमारे बैंकों के लिए यह एक अद्भुत उपलब्धि है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र के सभी सदस्यों, परिवारों, कर्मचारियों, निदेशक मंडल को उनके द्वारा की गई शानदार सेवा के लिए हमारी ओर से उचित मान्यता मिलनी चाहिए।'' अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की परिसंपत्ति गुणवत्ता में रिकॉर्ड सुधार पर उन्होंने कहा कि इन ‘‘ प्रतिकूल दबाव परिदृश्यों'' में भी बैंकों का कुल पूंजी स्तर नियामकीय न्यूनतम स्तर से ऊपर बना रहेगा। सीतारमण ने कहा, ‘‘ इसलिए, रिकॉर्ड निम्न एनपीए वाले मजबूत और अच्छी तरह से पूंजीकृत बैंकों का अर्थ परिवारों, एमएसएमई और बुनियादी ढांचे के लिए सस्ता एवं स्थिर ऋण, कम प्रणालीगत जोखिम तथा भारत की वित्तीय प्रणाली में निरंतर विश्वास है।'' वित्तीय क्षेत्र के कुछ बुनियादी पहलुओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अप्रैल-जून, 2025 तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो सभी अनुमानों से अधिक है और विभिन्न क्षेत्रों में समग्र रूप से अच्छी गति दर्शाती है। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति दर लगातार नौ महीनों से ‘‘गिरावट'' दर्ज कर रही है और जुलाई, 2025 में आठ साल के निचले स्तर 1.55 प्रतिशत आ जाएगी। सीतारमण ने कहा कि जून, 2025 तक कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) में लगभग 22 लाख सदस्यों की शुद्ध वृद्धि हुई है, जो लगातार दूसरे महीने रिकॉर्ड वृद्धि का संकेत है। भारतीय प्रबंध संस्थान (बेंगलुरु) द्वारा किए गए अध्ययन का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जन-धन योजना खातों ने वित्तीय बचत को सुरक्षित रखने में मदद की है और विशेष रूप से कोविड-19 वैश्विक महामारी के समय में ये बहुत मददगार साबित हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ बैंक खाता केवल एक पासबुक नहीं है। यह अवसरों का ‘पासपोर्ट' है जो ऋण, बचत, बीमा एवं सम्मान तक पहुंच को संभव बनाता है। ''
- भिलाई । सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र ने अगस्त 2025 में उत्पादन और डिस्पैच के क्षेत्र में स्वर्णिम सफलता दर्ज कर नया इतिहास रच दिया। रेल एंड स्ट्रक्चरल मिल, यूनिवर्सल रेल मिल, बार एंड रॉड मिल तथा प्लेट मिल की शानदार उपलब्धियों ने एक बार फिर संयंत्र को देश के अग्रणी इस्पात उत्पादक और अवसंरचना प्रदाता के रूप में स्थापित किया है।अगस्त माह में संयंत्र ने कुल 99,889 टन लॉन्ग रेल का उत्पादन कर नया कीर्तिमान बनाया, जो मार्च 2024 के 98,402 टन के पिछले रिकॉर्ड को पीछे छोड़ गया। रेल एंड स्ट्रक्चरल मिल (आरएसएम) ने 18,845 टन लॉन्ग रेल का उत्पादन कर मार्च 2024 के 18,241 टन के अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ा। वहीं यूनिवर्सल रेल मिल (यूआरएम) ने 84,041 टन प्राइम रेल का उत्पादन किया, जो जून 2025 में दर्ज 83,046 टन से अधिक है। इसी मिल में लॉन्ग रेल उत्पादन 81,044 टन तक पहुँचा, जो जून 2025 के 80,644 टन के आंकड़े से अधिक है।स्टील उत्पादन के क्षेत्र में भी संयंत्र ने अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। अगस्त 2025 में सेलेबल स्टील का उत्पादन 5,19,627 टन तक पहुँचा, जबकि जनवरी 2023 में यह 5,03,219 टन था। डिस्पैच में भी उल्लेखनीय सफलता दर्ज हुई। आरएसएम से 18,812 टन लॉन्ग रेल का डिस्पैच किया गया, जो मार्च 2024 के 18,407 टन से अधिक है। इसी तरह सेलेबल स्टील का कुल डिस्पैच 5,08,802 टन दर्ज हुआ, जो जनवरी 2023 के 4,89,180 टन के रिकॉर्ड से आगे निकल गया।01 सितम्बर को संयंत्र दौरे के दौरान निदेशक प्रभारी (बीएसपी) श्री चित्त रंजन महापात्र ने बीआरएम, प्लेट मिल और यूआरएम का निरीक्षण कर कर्मचारियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि लगातार मिल रही सफलता टीम भावना और समर्पण का परिणाम है। इस अवसर पर अन्य कार्यपालक निदेशकों ने भी सामूहिक प्रयास, प्रभावी प्रबंधन और परिचालन उत्कृष्टता को उपलब्धियों का आधार बताया।बार एंड रॉड मिल (बीआरएम) ने भी अगस्त 2025 में शानदार प्रदर्शन किया। इसने 90,550 टन के डिस्पैच के साथ अपने इतिहास का “सर्वश्रेष्ठ अगस्त डिस्पैच” दर्ज किया। इससे पहले जुलाई 2025 में इस मिल ने 6,030 टन का एक दिवसीय सर्वाधिक डिस्पैच (31 जुलाई) और 1,01,200 टन का मासिक डिस्पैच दर्ज कर कीर्तिमान बनाया था। मुख्य महाप्रबंधक एवं प्रमुख (बीआरएम) श्री योगेश शास्त्री ने इस सफलता का श्रेय टीम भावना, समय पर अनुरक्षण और आपसी तालमेल को देते हुए कर्मचारियों को बधाई दी।इसी तरह प्लेट मिल ने भी अगस्त 2025 में ऐतिहासिक सफलता हासिल की। इसने 1,20,448 टन का उत्पादन कर अगस्त 2024 के 1,20,333 टन के रिकॉर्ड को तोड़ा और 1,27,427 टन का डिस्पैच किया, जो पिछले वर्ष अगस्त में दर्ज 1,16,963 टन से कहीं अधिक है। उल्लेखनीय है कि रैक उपलब्धता में चुनौतियों के बावजूद प्लेट मिल ने 10,980 टन का सड़क मार्ग से डिस्पैच किया, जो एक दशक में पहली बार पाँच अंकों तक पहुँचा। इस दौरान प्लेट्स 147 ग्राहकों तक पहुँचीं, जिनमें परियोजना क्लाइंट्स, भेल, शिपयार्ड्स और एमएसएमई सेक्टर शामिल रहे।मुख्य महाप्रबंधक (प्लेट मिल) श्री कार्तिकेय बेहरा ने टीम की निष्ठा और समर्पण की सराहना करते हुए कहा कि प्लेट मिल भविष्य में भी चुनौतियों को अवसरों में बदलते हुए उत्कृष्टता की नई ऊँचाइयाँ छुएगा।
-
नयी दिल्ली. केंद्र ने चालू खरीफ (ग्रीष्मकालीन) मौसम में चावल खरीद का लक्ष्य 463.50 लाख टन तय किया है। खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने सोमवार को राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के खाद्य सचिवों और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के साथ अक्टूबर से शुरू होने वाले आगामी खरीफ विपणन सत्र (केएमएस) 2025-26 में फसलों की खरीद की व्यवस्था पर चर्चा करने के लिए एक बैठक की। बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने की।
एक सरकारी बयान में कहा गया, ‘‘बैठक के दौरान, चावल के संदर्भ में धान खरीद (खरीफ फसल) का अनुमान 463.50 लाख टन तय किया गया है।'' आगामी खरीफ विपणन सत्र 2025-26 के दौरान मोटे अनाज (श्री अन्न) की खरीद का अनुमान 19.19 लाख टन निर्धारित किया गया है। राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को फसलों के विविधीकरण और आहार में पोषण बढ़ाने के लिए मोटे अनाज की खरीद पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी गई। बैठक में राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के प्रधान सचिव व सचिव (खाद्य), भारतीय खाद्य निगम के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक और भारतीय खाद्य निगम के अधिकारियों ने भाग लिया। -
नयी दिल्ली. देश की शीर्ष 10 सबसे मूल्यवान कंपनियों में आठ का संयुक्त बाजार पूंजीकरण पिछले सप्ताह 2.24 लाख करोड़ रुपये घट गया। इसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज और एचडीएफसी बैंक को सबसे ज्यादा झटका लगा। पिछले सप्ताह बीएसई सेंसेक्स 1,497.2 अंक या 1.84 प्रतिशत गिरा।
शीर्ष 10 कंपनियों में रिलायंस इंडस्ट्रीज, एचडीएफसी बैंक, भारती एयरटेल, आईसीआईसीआई बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, इंफोसिस, बजाज फाइनेंस और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के बाजार मूल्यांकन में गिरावट आई। दूसरी ओर टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) और हिंदुस्तान यूनिलीवर को लाभ हुआ। रिलायंस इंडस्ट्रीज का बाजार पूंजीकरण 70,707.17 करोड़ रुपये घटकर 18,36,424.20 करोड़ रुपये रह गया।
एचडीएफसी बैंक का मूल्यांकन 47,482.49 करोड़ रुपये घटकर 14,60,863.90 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
आईसीआईसीआई बैंक का बाजार पूंजीकरण 27,135.23 करोड़ रुपये घटकर 9,98,290.96 करोड़ रुपये और भारती एयरटेल का बाजार पूंजीकरण 24,946.71 करोड़ रुपये घटकर 10,77,213.23 करोड़ रुपये रह गया। दूसरी ओर टीसीएस का बाजार पूंजीकरण 11,125.62 करोड़ रुपये बढ़कर 11,15,962.91 करोड़ रुपये और हिंदुस्तान यूनिलीवर का बाजार पूंजीकरण 7,318.98 करोड़ रुपये बढ़कर 6,24,991.28 करोड़ रुपये हो गया। रिलायंस इंडस्ट्रीज सबसे मूल्यवान कंपनी बनी रही। इसके बाद एचडीएफसी बैंक, टीसीएस, भारती एयरटेल, आईसीआईसीआई बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, हिंदुस्तान यूनिलीवर, इंफोसिस, बजाज फाइनेंस और एलआईसी का स्थान रहा। -
नयी दिल्ली। उद्योग जगत ने शनिवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में 7.8 प्रतिशत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा पिछले एक दशक में किए गए सुधारों और वित्तीय अनुशासन का परिणाम है। उद्योग जगत के दिग्गजों ने भरोसा जताया कि मजबूत घरेलू मांग के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था अमेरिकी शुल्कों जैसी वैश्विक चुनौतियों का सामना कर सकती है और वृद्धि के रास्ते पर बनी रहेगी। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.8 प्रतिशत की दर से बढ़ी, जो पिछले पांच तिमाहियों में सबसे अधिक है। इस अवधि में चीन की जीडीपी वृद्धि दर 5.2 प्रतिशत रही। इस तरह भारत सबसे तेजी से बढ़ती हुई प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अध्यक्ष राजीव मेमानी ने कहा, ''भारत की विकास गाथा भारतीय अर्थव्यवस्था की अंतर्निहित ताकत, सरकारी खर्च में बढ़ोतरी, सेवा और विनिर्माण क्षेत्रों के बेहतरीन प्रदर्शन और लगातार किए जा रहे सुधारों को दर्शाती है।'' उन्होंने कहा कि 7.8 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर के साथ, भारत न केवल सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है, बल्कि यह कई वैश्विक चुनौतियों के सामने एक असाधारण वृद्धि को भी दर्शाता है। सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, ''वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में भारत की 7.8 प्रतिशत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि एक उल्लेखनीय उपलब्धि है... यह परिणाम ऐसे समय में भारत की स्थिति को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में मजबूत करता है, जब वैश्विक वृद्धि महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रही है।'' चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, "सीआईआई को पूरा भरोसा है कि उद्योग जगत और सरकार मिलकर काम करते रहेंगे, तो भारत एक मजबूत, समावेशी और दुनिया का नेतृत्व करने वाली वृद्धि हासिल करना जारी रखेगा।" फिक्की के अध्यक्ष हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 7.8 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि सभी उम्मीदों से बेहतर है और यह एक सुखद आश्चर्य के रूप में आई है। उन्होंने कहा, "बजट में दी गई आयकर राहत, रेपो दर में एक प्रतिशत की कटौती, मानसून की अच्छी प्रगति और आने वाले समय में जीएसटी दरों में बदलाव घरेलू मांग को सहारा देंगे। ये कदम हमें अमेरिका द्वारा लगाए गए शुल्कों के कारण निर्यात में आने वाली संभावित कमजोरी का मुकाबला करने के लिए जरूरी सुरक्षा कवच प्रदान करेंगे।" फिक्की के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनंत गोयनका ने कहा कि पहली तिमाही के जीडीपी आंकड़े भारतीय अर्थव्यवस्था की ताकत और लगातार बढ़ती आर्थिक गति को साफ दर्शाते हैं, जिसे घरेलू मांग का समर्थन मिल रहा है।
- नयी दिल्ली. शेयर बाजार में पिछले दो कारोबारी सत्रों की गिरावट से निवेशकों को कुल 9.69 लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। इन दो दिनों में ही सेंसेक्स 1,555 अंक टूट चुका है। अमेरिका द्वारा भारत पर लगाया गया 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क बुधवार से लागू हो गया। इससे कुल मिलाकर भारत पर अमेरिकी शुल्क बढ़कर 50 प्रतिशत हो चुका है। साथ ही, विदेशी कोषों की लगातार पूंजी निकासी ने निवेशकों की धारणा को प्रभावित किया।तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स बृहस्पतिवार को 705.97 अंक यानी 0.87 प्रतिशत गिरकर 80,080.57 पर बंद हुआ। इसके पहले मंगलवार को भी सेंसेक्स में बड़ी गिरावट रही थी। दो दिनों में, मानक सूचकांक 1,555.34 अंक यानी 1.90 प्रतिशत टूट चुका है। गिरावट के इन दो सत्रों में बीएसई पर सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण 9,69,740.79 करोड़ रुपये गिरकर 4,45,17,222.66 करोड़ रुपये (5.08 लाख करोड़ डॉलर) रह गया।
-
मुंबई. अमेरिका में भारतीय उत्पादों के आयात पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क लागू हो जाने के अगले दिन बृहस्पतिवार को स्थानीय शेयर बाजारों में तगड़ी गिरावट देखने को मिली। सेंसेक्स 706 अंक लुढ़क गया जबकि निफ्टी में 211 अंकों की गिरावट रही। विश्लेषकों ने कहा कि अमेरिकी शुल्क वृद्धि के अलावा विदेशी पूंजी की लगातार निकासी ने भी निवेशकों की धारणा को प्रभावित करने का काम किया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाया गया अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क बुधवार को लागू हो गया। इसके साथ ही भारतीय वस्तुओं पर अमेरिका में कुल शुल्क बढ़कर 50 प्रतिशत हो गया। बीएसई का 30 शेयरों वाला मानक सूचकांक सेंसेक्स 705.97 अंक यानी 0.87 प्रतिशत गिरकर 80,080.57 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 773.52 अंक गिरकर 80,013.02 पर आ गया था। एनएसई का 50 शेयरों वाला मानक सूचकांक निफ्टी 211.15 अंक यानी 0.85 प्रतिशत गिरकर 24,500.90 अंक पर बंद हुआ। सेंसेक्स के समूह में शामिल कंपनियों में से एचसीएल टेक, इन्फोसिस, पावर ग्रिड, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, एचडीएफसी बैंक, हिंदुस्तान यूनिलीवर, भारती एयरटेल और आईसीआईसीआई बैंक प्रमुख रूप से नुकसान में रहे। हालांकि टाइटन, लार्सन एंड टुब्रो, मारुति और एक्सिस बैंक के शेयर बढ़त के साथ बंद हुए।
जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, "भारतीय वस्तुओं पर शुल्क लागू होने के बाद फैली निराशा के बीच घरेलू शेयर बाजार गिरावट के साथ बंद हुए। कपास आयात शुल्क में छूट ने शुल्क प्रभावों का मुकाबला करने के लिए नीतिगत समर्थन की उम्मीदों को कुछ समय के लिए बढ़ा दिया लेकिन निवेशकों की मनोदशा नाजुक ही बनी रही।" सरकार ने 50 प्रतिशत शुल्क का सामना कर रहे कपड़ा निर्यातकों की मदद के लिए कपास के शुल्क-मुक्त आयात को तीन महीने और बढ़ाकर 31 दिसंबर तक कर दिया है। लेमन मार्केट्स डेस्क के विश्लेषक गौरव गर्ग ने कहा, "भारतीय शेयर बाजारों में लगातार दूसरे सत्र में बड़ी गिरावट देखने को मिली। चौतरफा बिकवाली के दबाव में मानक सूचकांक गिरकर बंद हुए। इसकी मुख्य वजह अमेरिकी शुल्कों से भारतीय निर्यात पर पड़ने वाले असर की आशंका रही। इसके अलावा विदेशी पूंजी की निकासी जारी रहने से भी बाजार दबाव में रहा।" मझोली कंपनियों का बीएसई मिडकैप सूचकांक 1.09 प्रतिशत गिर गया जबकि छोटी कंपनियों का स्मालकैप सूचकांक 0.96 प्रतिशत की गिरावट में रहा। क्षेत्रवार सूचकांकों में सेवा खंड में सर्वाधिक 2.27 प्रतिशत की गिरावट रही जबकि दूरसंचार खंड में 1.73 प्रतिशत, सूचना प्रौद्योगिकी खंड में 1.68 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। अकेले टिकाऊ उपभोक्ता खंड में ही बढ़त रही। बीएसई पर सूचीबद्ध कंपनियों में से 2,651 के शेयर गिरकर बंद हुए जबकि 1,458 शेयरों में तेजी रही और 149 अन्य अपरिवर्तित रहे। एशिया के अन्य बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, जापान का निक्की और चीन का शंघाई कंपोजिट सकारात्मक दायरे में बंद हुए जबकि हांगकांग का हैंग सेंग गिरावट में रहा। यूरोपीय बाजारों में मिला-जुला रुख रहा। बुधवार को अमेरिकी बाजार सकारात्मक दायरे में बंद हुए। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.62 प्रतिशत गिरकर 67.63 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया।
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने मंगलवार को 6,516.49 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे। हालांकि, घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 7,060.37 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। गणेश चतुर्थी के उपलक्ष्य में बुधवार को घरेलू शेयर बाजार बंद रहे थे। मंगलवार को सेंसेक्स 849.37 अंक गिरकर 80,786.54 पर और निफ्टी 255.70 अंक गिरकर 24,712.05 अंक पर बंद हुआ था। -
नयी दिल्ली. मारुति सुजुकी इंडिया के चेयरमैन आर. सी. भार्गव ने बृहस्पतिवार को कहा कि निचले तबके के उपभोक्ताओं को जोखिम भरे दोपहिया वाहनों की जगह यात्री कारों का विकल्प देने के लिए कम कर स्लैब वाली छोटी कारें पेश करने की जरूरत है। भार्गव ने यहां कंपनी की 44वीं वार्षिक आम बैठक में कहा कि शुरुआती स्तर पर पेश की जाने वाली कारों की कीमतें बढ़ जाने से कई लोग अब इन्हें खरीद नहीं पा रहे हैं। उन्होंने कहा, "आज बहुत सारे लोग दोपहिया वाहन से यात्रा करते हैं। ये वाहन जोखिम से भरपूर होते हैं और पूरी तरह आरामदायक भी नहीं होते। इसलिए स्कूटर चलाने वालों के लिए हमें ऐसी छोटी कारें लाने पर विचार करना चाहिए, जो सुरक्षित हों और उनके लिए एक बेहतर विकल्प बन सकें।" भार्गव ने कहा कि 1950 के दशक में जापान ने केई कारें पेशकर इसी तरह की समस्या का समाधान किया था।
उन्होंने कहा कि ये कारें छोटी होती हैं, इनमें सुरक्षा नियम कम होते हैं और इन पर अन्य कारों की तुलना में कर भी कम लगता है। छोटी कारों की कीमतों में वृद्धि के कारणों पर विस्तार से बताते हुए भार्गव ने कहा कि वित्त वर्ष 2018-19 में यह निर्णय लिया गया था कि भारत में यूरोपीय सुरक्षा एवं उत्सर्जन मानकों को लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘यही कारण है कि छोटी कारों की बिक्री में गिरावट आई और फिर कार उद्योग में समग्र नरमी देखने को मिली है।'' उन्होंने कहा कि निचले तबके के कई लोग, जो दोपहिया वाहन खरीद रहे हैं और उनका उपयोग कर रहे हैं, वे अधिक कीमत वाली सुरक्षित कारें खरीदने में असमर्थ हैं। भार्गव ने कहा, "हमारा मानना है कि हमें इस स्थिति को इस तरह संतुलित करने की जरूरत है कि दोपहिया वाहन चलाने वाले लोग सुरक्षित कारों की तरफ जा सकें, क्योंकि सुरक्षा की दृष्टि से दोपहिया वाहन सबसे अधिक जोखिम भरे होते हैं।" उन्होंने कहा कि छोटी कार खंड के पुनरुद्धार से कार उद्योग की समग्र वृद्धि तेजी से हो सकती है।
भार्गव ने कहा, "छोटी कारों को बढ़ावा देने पर ज्यादा उद्योग लगेंगे और रोजगार के ज्यादा मौके बनेंगे। मुझे लगता है कि इन सब की जरूरत है, खासकर ऐसे समय में जब बाकी क्षेत्रों में 'हुनरमंद लोगों की कमी' जैसी परेशानियां सामने आ रही हैं। हमें पूरे भारत की स्थिति को बेहतर बनाने में अपना योगदान देना होगा। -
नयी दिल्ली. विनिर्माण क्षेत्र के अच्छे प्रदर्शन के कारण इस साल जुलाई में देश के औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर चार महीने के उच्चतम स्तर 3.5 प्रतिशत पर पहुंच गई। बृहस्पतिवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। देश के औद्योगिक उत्पादन ने इससे पहले मार्च 2025 में 3.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की थी।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के संदर्भ में मापा जाने वाला औद्योगिक उत्पादन जुलाई, 2024 में पांच प्रतिशत बढ़ा था। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने जून के अपने संशोधित आंकड़ों में औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दर को पिछले महीने के अस्थायी अनुमानों की तरह 1.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा। नवीनतम आंकड़ों से पता चला है कि विनिर्माण क्षेत्र की उत्पादन वृद्धि दर जुलाई 2025 में बढ़कर 5.4 प्रतिशत हो गई, जो एक साल पहले इसी महीने में 4.7 प्रतिशत थी। खनन उत्पादन में 7.2 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि एक साल पहले इसमें 3.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी। पिछले महीने बिजली उत्पादन में मामूली 0.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 7.9 प्रतिशत थी। वित्त वर्ष 2025-26 की अप्रैल-जुलाई अवधि में देश का कुल औद्योगिक उत्पादन 2.3 प्रतिशत बढ़ा, जबकि एक साल पहले यह 5.4 प्रतिशत था। इन आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, "विनिर्माण उत्पादन में वृद्धि जून 2025 के 3.7 प्रतिशत से उत्साहजनक रूप से बढ़कर जुलाई 2025 में छह महीने के उच्चतम स्तर 5.4 प्रतिशत पर पहुंच गई। इसमें निर्माण से जुड़े कच्चे माल और टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं का योगदान रहा।" विनिर्माण क्षेत्र में पिछला उच्चतम स्तर जनवरी 2025 में 5.8 प्रतिशत दर्ज किया गया था।
नायर ने कहा कि सभी क्षेत्रों में व्यापक सुधार के कारण औद्योगिक उत्पादन वृद्धि जून के 1.5 प्रतिशत से बढ़कर जुलाई में 3.5 प्रतिशत पर पहुंच गई जो चार महीनों का उच्चतम स्तर है। हालांकि उन्होंने कहा कि खनन और बिजली क्षेत्रों का प्रदर्शन कमजोर रहने से समग्र आईआईपी वृद्धि पर असर पड़ा। उन्होंने कहा कि भविष्य में मौद्रिक नरमी का बेहतर प्रसार और जीएसटी कर स्लैब को युक्तिसंगत बनाए जाने से शहरी उपभोग की धारणा में मजबूती आ सकती है। नायर ने कहा, "पिछले कुछ हफ्तों में कुछ क्षेत्रों में हुई भारी बारिश के साथ विवेकाधीन खरीदारी में इस स्थगन के कारण अगस्त 2025 में आईआईपी वृद्धि तीन प्रतिशत से कम रह सकती है।" विनिर्माण क्षेत्र में 23 में से 14 उद्योग समूहों ने जुलाई 2025 में सालाना आधार पर सकारात्मक वृद्धि दर्ज की है। उपयोग-आधारित वर्गीकरण के अनुसार, पूंजीगत वस्तु खंड की वृद्धि जुलाई में घटकर पांच प्रतिशत रह गई, जो एक साल पहले इसी अवधि में 11.7 प्रतिशत थी। टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं की वृद्धि समीक्षाधीन महीने में सुस्त पड़कर 7.7 प्रतिशत रह गई जबकि साल भर पहले की समान अवधि में यह 8.2 प्रतिशत थी। जुलाई में उपभोक्ता गैर-टिकाऊ वस्तुओं के उत्पादन में 0.5 प्रतिशत की मामूली वृद्धि दर्ज की गई, जबकि एक साल पहले इसमें 4.2 प्रतिशत की गिरावट आई थी। बुनियादी ढांचा एवं निर्माण क्षेत्र में जुलाई के दौरान 11.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो एक साल पहले इसी अवधि में 5.5 प्रतिशत थी। आंकड़ों से यह भी पता चला है कि प्राथमिक वस्तुओं के उत्पादन में जुलाई में 1.7 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में 5.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। मध्यवर्ती वस्तुओं के क्षेत्र में विस्तार आलोच्य महीने में 5.8 प्रतिशत रहा, जबकि एक वर्ष पूर्व इसी महीने में यह सात प्रतिशत था। -
नयी दिल्ली. वैश्विक वैमानिकी कंपनी एयरबस ने ‘मेक इन इंडिया' पहल को मजबूती देते हुए महिंद्रा एयरोस्ट्रक्चर्स प्राइवेट लिमिटेड (एमएएसपीएल) को एच125 हेलिकॉप्टर के मुख्य ढांचे (फ्यूजलाज) के विनिर्माण का अनुबंध सौंपा है। इसके पहले अप्रैल में एमएएसपीएल को एच130 हेलिकॉप्टरों के फ्यूजलाज विनिर्माण की भी जिम्मेदारी सौंपी गई थी। एयरबस ने बृहस्पतिवार को एक बयान में कहा, “एच125 और एच130 हेलिकॉप्टर के वैमानिकी ढांचे के निर्माण के लिए महिंद्रा एयरोस्ट्रक्चर्स को उत्पादन अनुबंध दिए जाने के साथ ही भारत एयरबस हेलिकॉप्टर की वैश्विक मूल्य शृंखला में मजबूती से एकीकृत होता है और देश की ‘मेक इन इंडिया' पहल को भी आगे बढ़ाता है।” कंपनी के अनुसार, एच125 हेलिकॉप्टर के मुख्य ढांचा के विनिर्माण का औद्योगीकरण एमएएसपीएल की बेंगलुरु स्थित इकाई में शुरू होगा और इसकी पहली आपूर्ति 2027 में होने की संभावना है। एच125 दुनिया के सबसे अधिक बिकने वाले सिंगल इंजन वाले हेलिकॉप्टरों में शामिल है। इसका इस्तेमाल यात्रियों के परिवहन, पर्यटन, हवाई कार्यों, कानून व्यवस्था, चिकित्सा आपात सेवाओं और बचाव अभियानों जैसे कई क्षेत्रों में किया जाता है। हालांकि एयरबस की तरफ से इस सौदे से जुड़े वित्तीय विवरण साझा नहीं किए गए हैं।
एयरबस के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक (भारत और दक्षिण एशिया खंड) जुर्गेन वेस्टरमेयर ने कहा, “यह अनुबंध भारत में हमारे साझेदारों की मजबूत क्षमताओं का प्रमाण है। यह सिर्फ हेलिकॉप्टरों का भारत में विनिर्माण नहीं होकर एक समूचा परिवेश तैयार करने के बारे में है।” महिंद्रा ग्रुप के समूह मुख्य कार्यपालक अधिकारी और प्रबंध निदेशक अनीश शाह ने कहा कि यह अनुबंध एयरबस के साथ दीर्घकालिक साझेदारी को मजबूत करता है और भारत में वैमानिकी परिवेश के निर्माण में दोनों कंपनियों की भूमिका को दर्शाता है। -
नयी दिल्ली. सरकार निर्यातकों की मदद के लिए 'निर्यात संवर्धन मिशन' के क्रियान्वयन में तेजी लाने का प्रयास कर रही है। एक सरकारी अधिकारी ने अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर कुल 50 प्रतिशत शुल्क लगाए जाने के एक दिन बाद यह जानकारी दी। अधिकारी ने बृहस्पतिवार को कहा कि निर्यातकों ने नकदी के मोर्चे पर सरकार से मदद मांगी है और इन सभी मुद्दों पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘निर्यात विविधीकरण, नए मुक्त व्यापार समझौते, निर्यात संवर्धन मिशन की शुरुआत और बढ़ता घरेलू बाजार, भारतीय निर्यातकों को अमेरिकी शुल्क के प्रभाव से बचाने में मदद करेंगे।'' अधिकारी ने कहा, ‘‘सरकार निर्यातकों के सामने आने वाली समस्याओं से अवगत है और उनकी मदद के लिए सकारात्मक प्रयास चल रहे हैं।'' उन्होंने कहा कि निर्यात के विविधीकरण से निर्यातकों को लंबे समय तक व्यापार की गति बनाए रखने में मदद मिलेगी। अधिकारी ने प्रस्तावित भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते के संबंध में कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि जल्द ही दोनों पक्षों के बीच बातचीत शुरू होगी।'' हालांकि, अधिकारी ने यह भी कहा कि व्यापार समझौते के लिए अगले दौर की बातचीत की नई तारीख अभी तय नहीं हुई है।
-
नई दिल्ली। भारत से अमेरिका में आयात पर 50 प्रतिशत शुल्क आज बुधवार से लागू हो गया है। यह अमेरिकी सीमा शुल्क एवं सीमा सुरक्षा (CBP) द्वारा प्रकाशित मसौदा नोटिस के बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि यह आदेश 27 अगस्त से लागू होगा।
नोटिस के अनुसार, एडिशनल ड्यूटी राष्ट्रपति ट्रंप के 6 अगस्त, 2025 के कार्यकारी आदेश 14329 को प्रभावी करने के लिए लगाए जा रहे हैं, जिसका शीर्षक है “रूसी संघ की सरकार द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए खतरों को संबोधित करना।” इस आदेश में भारत से आयातित वस्तुओं पर शुल्क की नई दरें तय की गई हैं। यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय वस्तुओं पर शुल्क बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की घोषणा के बाद उठाया गया है।सीबीपी ने कहा कि होमलैंड सुरक्षा सचिव ने कार्यकारी आदेश के अनुरूप संयुक्त राज्य अमेरिका के सामंजस्यपूर्ण टैरिफ अनुसूची (एचटीएसयूएस) को संशोधित करना आवश्यक समझा है। उच्च शुल्क उन सभी भारतीय उत्पादों पर लागू होते हैं, जिन्हें या तो अमेरिका में उपभोग के लिए लाया जाता है या फिर उपभोग के लिए गोदामों से वापस ले लिया जाता है। इसके साथ ही, अमेरिका में भारत के आयात पर 50 % टैरिफ अब प्रभावी हो गया है।इससे पहले 30 जुलाई को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में कहा, “याद रखें, भारत हमारा मित्र है, लेकिन हमने पिछले कुछ वर्षों में उनके साथ अपेक्षाकृत कम व्यापार किया है, क्योंकि उनके टैरिफ बहुत अधिक हैं, जो विश्व में सबसे अधिक हैं, तथा उनके पास किसी भी देश की तुलना में सबसे कठोर और अप्रिय गैर-मौद्रिक व्यापार बाधाएं हैं।”इसके अलावा, उन्होंने हमेशा अपने सैन्य उपकरणों का एक बड़ा हिस्सा रूस से खरीदा है, और चीन के साथ वे रूस के सबसे बड़े ऊर्जा खरीदार हैं, ऐसे समय में जब हर कोई चाहता है कि रूस यूक्रेन में हत्याओं को रोके – सब कुछ ठीक नहीं है! इसलिए भारत को 1 अगस्त से 25 प्रतिशत टैरिफ और उपरोक्त के लिए जुर्माना देना होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, “इस मामले पर ध्यान देने के लिए धन्यवाद। मैगा !”वहीं, भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ लागू होने के बावजूद अपना रुख दृढ़ रखा और कहा कि उनकी सरकार वाशिंगटन के आर्थिक दबाव की परवाह किए बिना कोई रास्ता निकाल लेगी। चाहे कितना भी दबाव आए, हम उसे झेलने के लिए अपनी ताकत बढ़ाते रहेंगे। आज आत्मनिर्भर भारत अभियान को गुजरात से बहुत ऊर्जा मिल रही है और इसके पीछे दो दशकों की कड़ी मेहनत है।”पीएम मोदी ने सोमवार को अहमदाबाद में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा। अमेरिकी सीमा शुल्क अधिसूचना में यह भी रेखांकित किया गया है कि भारत से आने वाले अधिकांश उत्पादों पर उच्च शुल्क के साथ-साथ एंटी-डंपिंग या प्रतिकारी शुल्क जैसे अन्य लागू शुल्क भी लगेंगे, तथापि कुछ वस्तुओं को इससे बाहर रखा गया है।यह अमेरिकी टैरिफ अनुसूची में अलग से सूचीबद्ध कुछ उत्पादों पर लागू होता है। लोहे और इस्पात से बनी वस्तुओं, जिनमें उनके कुछ व्युत्पन्न उत्पाद भी शामिल हैं, पर अतिरिक्त शुल्क नहीं लगेगा। यही बात एल्युमीनियम उत्पादों और उनके उत्पादित प्रोडक्ट्स पर भी लागू होती है। संक्षेप में, 50 प्रतिशत टैरिफ मोटे तौर पर भारतीय आयात पर लागू होता है, लेकिन लोहा, इस्पात, एल्युमीनियम, वाहन, पुर्जे और तांबे के उत्पादों जैसी प्रमुख श्रेणियों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है।ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात का लगभग 30.2 प्रतिशत, जिसका मूल्य 27.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, उच्च टैरिफ लगाए जाने के बावजूद अमेरिकी बाजार में शुल्क मुक्त प्रवेश करता रहेगा। इसमें फार्मा, इलेक्ट्रॉनिक्स, रिफाइंड लाइट ऑयल, गैसोलीन, विमानन टरबाइन ईंधन और अन्य शामिल हैं।फार्मास्यूटिकल्स का हिस्सा सबसे बड़ा है, जो 12.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जिसमें कैंसर की दवाएं, प्रतिरक्षा दमनकारी, हृदय संबंधी, मधुमेह विरोधी और दर्द निवारक दवाएं सहित दवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। वहीं, 8.18 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात, जैसे स्मार्टफोन, स्विचिंग और रूटिंग उपकरण, एकीकृत सर्किट, चिप्स, वेफर्स और सॉलिड-स्टेट स्टोरेज डिवाइस को भी छूट दी गई है।अन्य शुल्क-मुक्त श्रेणियों में 3.29 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के रिफाइंड लाइट ऑयल, गैसोलीन और विमानन टरबाइन ईंधन, 165.9 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य की पुस्तकें और ब्रोशर, तथा 155.1 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के प्लास्टिक शामिल हैं। जहां कुछ व्यापार और उद्योग जगत के नेताओं ने अल्पकालिक व्यवधानों की चेतावनी दी, वहीं अन्य ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत का मजबूत विनिर्माण आधार, विशेष रूप से फार्मास्यूटिकल्स और चिकित्सा उपकरण जैसे क्षेत्रों में, उसे इस प्रभाव का सामना करने और नई व्यापार साझेदारियां बनाने में मदद करेगा। -
नयी दिल्ली. सार्वजनिक क्षेत्र की इस्पात कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लि. (सेल) ने भारतीय नौसेना के दो नए युद्धपोत आईएनएस उदयगिरि और आईएनएस हिमगिरि के लिए लगभग 8,000 टन विशेष इस्पात की आपूर्ति की है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में इन दोनों जहाजों को आज, 26 अगस्त, 2025 को विशाखापत्तनम में आयोजित एक समारोह के दौरान नौसेना में शामिल किया गया। सेल ने भारतीय नौसेना के इन दोनों उन्नत युद्धपोत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
कंपनी ने अपने बोकारो, भिलाई और राउरकेला इस्पात संयंत्र से खास किस्म की इस्पात की चादरें और प्लेट्स बनाईं तथा उन्हें मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई) को दिया। रक्षा क्षेत्र के लिए देश को जिस विशेष इस्पात की ज़रूरत होती है, उसे बनाने में सेल ने बड़ी मदद की है। इससे भारत की दूसरे देशों पर निर्भरता कम हुई है। यह कदम सीधे तौर पर 'आत्मनिर्भर भारत' और 'मेक इन इंडिया' जैसी सरकारी योजनाओं से जुड़ा है। अकेले राउरकेला इस्पात संयंत्र ने टैंक, युद्धपोत और मिसाइल के लिए एक लाख टन से ज़्यादा विशेष इस्पात दिया है। -
नयी दिल्ली. कमजोर रुपये और मजबूत वैश्विक रुझानों के समर्थन से मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोने की कीमत 600 रुपये बढ़कर 1,00,770 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई। अखिल भारतीय सर्राफा संघ ने यह जानकारी दी। 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत सोमवार को 1,00,170 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुई थी।
99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 500 रुपये बढ़कर 1,00,400 रुपये प्रति 10 ग्राम (सभी करों सहित) हो गया, जो पिछली बार 99,900 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था। चांदी की कीमतें 3,000 रुपये बढ़कर 1,18,000 रुपये प्रति किलोग्राम (सभी करों सहित) के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गईं। सर्राफा एसोसिएशन के अनुसार, सोमवार को चांदी की कीमत 1,15,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक (कमोडिटीज) सौमिल गांधी ने कहा, ‘‘अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा फेडरल रिजर्व की गवर्नर लिसा कुक को हटाने के फैसले के बाद निवेशकों द्वारा पारंपरिक सुरक्षित निवेश की तलाश के कारण मंगलवार को सोने की कीमतों में तेजी आई। इस फैसले के कारण केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता को लेकर चिंताएं बढ़ गई थीं।'' गांधी ने आगे कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप के इस कदम ने फेडरल रिजर्व के नेतृत्व पर ब्याज दरों को जल्द कम करने का अतिरिक्त दबाव डाला है। वैश्विक स्तर पर, न्यूयॉर्क में हाजिर सोना 0.37 प्रतिशत बढ़कर 3,378.37 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा है। हालांकि, हाजिर चांदी 0.21 प्रतिशत गिरकर 38.48 डॉलर प्रति औंस रह गई। -
हंसलपुर (गुजरात). जापान की वाहन विनिर्माता कंपनी सुजुकी मोटर कॉरपोरेशन के प्रतिनिधि निदेशक एवं अध्यक्ष तोशीहिरो सुजुकी ने मंगलवार को कहा कि देश में अपने परिचालन को मजबूत करने के लिए अगले पांच से छह साल में कंपनी 70,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के हंसलपुर विनिर्माण संयंत्र से मारुति सुजुकी के पहले इलेक्ट्रिक वाहन ई-विटारा को मंगलवार को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। भारत में बनी मारुति ई-विटारा का जापान सहित 100 से अधिक देशों में निर्यात किया जाएगा। मोदी ने सुजुकी, तोशिबा और डेंसो के लिथियम-आयन बैटरी विनिर्माण संयंत्र का भी उद्घाटन किया जो हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी उत्पादन में सहायक होगा। इस अवसर पर तोशीहिरो सुजुकी ने कहा, ‘‘ सुजुकी अगले पांच से छह वर्ष में भारत में 70,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश करेगी। '' उन्होंने कहा, ‘‘ सुजुकी ने चार दशक से भी अधिक समय से भारत की परिवहन यात्रा में गर्व से भागीदारी की है। हम भारत के सतत हरित परिवहन के दृष्टिकोण का समर्थन करने और विकसित भारत में योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।'' मारुति सुजुकी इंडिया के चेयरमैन आर. सी. भार्गव ने बाद में पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा कि यह निवेश कंपनी के सालाना 40 लाख इकाई उत्पादन के लक्ष्य को पूरा करने के लिए किया जाएगा। प्रस्तावित निवेश क्षेत्रों के बारे में पूछे जाने पर भार्गव ने कहा, ‘‘ हम 40 लाख इकाई प्रति वर्ष तक विस्तार कर रहे हैं। अतः 40 लाख इकाई क्षमता का विस्तार, सभी सहायक बुनियादी ढांचे और अनुसंधान एवं विकास तथा नई प्रौद्योगिकियों में निवेश के साथ....इन सभी के लिए काफी धन की जरूरत होगी।'' गुजरात में स्थापित होने वाले दूसरे संयंत्र को अंतिम रूप दिए जाने के बारे में पूछे जाने पर भार्गव ने कहा, ‘‘ मुझे उम्मीद है कि हम जीएसटी परिषद की बैठक (4 सितंबर को) के बाद इस प्रश्न का अधिक स्पष्ट रूप से उत्तर दे पाएंगे क्योंकि उसके बाद हर कोई यह अनुमान लगाएगा कि जीएसटी संबंधी निर्णयों का भविष्य की वृद्धि पर क्या प्रभाव पड़ने वाला है।'' कंपनी के इस दूसरे संयंत्र की घोषणा पिछले साल 35,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ की गई थी।
सुजुकी समूह पहले ही भारत में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश कर चुका है। इन निवेश से मूल्य श्रृंखला में 11 लाख से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर भी उत्पन्न हुए हैं। मारुति सुजुकी इंडिया की इकाई सुजुकी मोटर गुजरात (एसएमजी) में विशेष रूप से विनिर्मित, निर्यात के लिए तैयार ई-विटारा की पहली खेप पीपावाव बंदरगाह से यूरोपीय क्षेत्र में भेजी जाएगी। इसमें ब्रिटेन, जर्मनी, नॉर्वे, फ्रांस, डेनमार्क, स्विट्जरलैंड, नीदरलैंड, स्वीडन, हंगरी, आइसलैंड, इटली, ऑस्ट्रिया और बेल्जियम शामिल हैं। मारुति सुजुकी द्वारा भारत में अभी तक ई-विटारा पेश न करने के कारणों पर भार्गव ने कहा कि निर्यात ऑर्डर दायित्वों को पूरा करने के अलावा, लागत कारक की इसकी वजह हैं क्योंकि ईवी की कीमत अब भी अधिक है और बैटरी आयात की जाती है। वहीं तोशीहिरो ने कहा कि भारत और वैश्विक बाजारों में ग्राहकों को सेवा प्रदान करने वाला गुजरात संयंत्र जल्द ही दुनिया के सबसे बड़े मोटर वाहन विनिर्माण केंद्रों में से एक बन जाएगा जिसकी नियोजित क्षमता 10 लाख इकाई होगी। उन्होंने कहा, ‘‘ हमने अपने पहले बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन (बीईवी) ई-विटारा के विनिर्माण के लिए इस संयंत्र को चुना है। इसे इस मॉडल के लिए एक वैश्विक उत्पादन केंद्र के रूप में विकसित किया है। हम इस ‘मेड-इन-इंडिया बीईवी' का निर्यात जापान और यूरोप सहित 100 से अधिक देशों में करेंगे।'' उन्होंने कहा कि कंपनी की दूसरी बड़ी उपलब्धि ‘‘ भारत की पहली लिथियम-आयन बैटरी और इलेक्ट्रोड-स्तरीय स्थानीयकरण वाले सेल का उत्पादन शुरू करना है जिनका इस्तेमाल हमारे हाइब्रिड वाहनों में होता है।'' उन्होंने कहा कि इनका विनिर्माण यहां तोशिबा डेंसो सुजुकी संयंत्र में किया जा रहा है।
तोशीहिरो सुजुकी ने कहा, केवल कच्चा माल और कुछ सेमीकंडक्टर कलपुर्जे जापान से आते हैं... यह आत्मनिर्भर भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। हम कार्बन निरपेक्षता और जलवायु परिवर्तन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए इलेक्ट्रिक, ‘स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड', एथनॉल फ्लेक्स फ्यूल और कंप्रेस्ड बायोगैस सहित एक मल्टी-पावरट्रेन रणनीति का उपयोग करेंगे।'' - नयी दिल्ली. । सरकार ने नये फाइबर सामाग्री से बने ‘मल्टी-लेयर पेपर बोर्ड' के आयात पर 31 मार्च, 2026 तक के लिए 67,220 रुपये प्रति टन का न्यूनतम आयात मूल्य लगाया है। एक अधिसूचना में यह जानकारी दी गई है। इस उत्पाद का उपयोग औषधि, दैनिक उपयोग के उत्पादों, खाद्य एवं पेय पदार्थों, इलेक्ट्रॉनिक्स, महंगे सौंदर्य प्रसाधनों, शराब, पुस्तक कवर और प्रकाशन की पैकेजिंग में किया जाता है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने अधिसूचना में कहा, ‘‘नये फाइबर सामाग्री से तैयार मल्टी-लेयर पेपर बोर्ड के आयात पर 31 मार्च, 2026 तक लागत, बीमा और माल ढुलाई (सीआईएफ) मूल्य पर 67,220 रुपये प्रति टन का एमआईपी (न्यूनतम आयात मूल्य) लागू किया गया है।'' इस एमआईपी से कम मूल्य पर आयात की अनुमति नहीं होगी।इस मूल्य निर्धारण से इंडोनेशिया जैसे देशों से उत्पाद की डंपिंग को रोकने में मदद मिलेगी।वाणिज्य मंत्रालय की इकाई व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) ने जुलाई में घरेलू कंपनियों की शिकायत के बाद इंडोनेशिया से इन पेपर बोर्ड के आयात की डंपिंग रोधी जांच शुरू की थी। भारतीय कागज विनिर्माता संघ ने घरेलू उद्योग की ओर से निदेशालय के समक्ष डंपिंग रोधी जांच शुरू करने के लिए आवेदन किया था।
- नयी दिल्ली.। सरकार ने इस साल 31 दिसंबर तक प्राकृतिक शहद का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) 2,000 अमेरिकी डॉलर प्रति टन से घटाकर 1,400 अमेरिकी डॉलर प्रति टन कर दिया है। इस एमईपी से कम मूल्य पर निर्यात की अनुमति नहीं होगी। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना में यह जानकारी दी। अधिसूचना के मुताबिक, ‘‘प्राकृतिक शहद का एमईपी तत्काल प्रभाव से 31 दिसंबर, 2025 तक 2,000 अमेरिकी डॉलर प्रति टन से संशोधित कर 1,400 अमेरिकी डॉलर प्रति टन कर दिया गया है।'' पिछला एमईपी मार्च, 2024 में लागू किया गया था। प्राकृतिक शहद के प्रमुख निर्यातक देश अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), सऊदी अरब और कतर हैं। केंद्र सरकार ने इस क्षेत्र के समग्र विकास के लिए वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने को राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन (एनबीएचएम) की शुरुआत की है। प्रमुख शहद उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पंजाब, बिहार और राजस्थान हैं। वर्ष 2023-24 में भारत ने 17.75 करोड़ अमेरिकी डॉलर मूल्य के प्राकृतिक शहद का निर्यात किया था।
























.jpg)
.jpg)
.jpg)
