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- नयी दिल्ली।अदाणी समूह अप ने संपत्ति कारोबार का विस्तार करने के लिए रियल एस्टेट कंपनी एमार इंडिया को करीब 1.4-1.5 अरब डॉलर के उद्यम मूल्य पर खरीदने के लिए बातचीत कर रहा है। सूत्रों ने बृहस्पतिवार को कहा कि यह सौदा 1.4-1.5 अरब डॉलर के उद्यम मूल्य पर होने का अनुमान है।सूत्रों के मुताबिक, दुबई स्थित एमार प्रॉपर्टीज और अदाणी समूह के बीच सौदे को लेकर बातचीत अंतिम चरण में है। हालांकि, इस संबंध में टिप्पणी करने से दोनों ही पक्षों ने इनकार कर दिया। एमार इंडिया के पास दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, मोहाली, लखनऊ, इंदौर और जयपुर में आवासीय एवं वाणिज्यिक स्थलों का एक बड़ा पोर्टफोलियो है। सूत्रों ने कहा कि एमार प्रॉपर्टीज अपनी भारतीय इकाई में हिस्सेदारी बेचने की सोच रही है, लेकिन बेची जाने वाली शेयरधारिता की सीमा अभी तय नहीं हुई है। वहीं अरबपति गौतम अदाणी की अगुवाई वाला अदाणी समूह अपनी गैर-सूचीबद्ध इकाइयों अदाणी रियल्टी और अदाणी प्रॉपर्टीज के माध्यम से भारतीय रियल एस्टेट बाजार में सक्रिय है। अदाणी रियल्टी भारत के प्रमुख शहरों में कई परियोजनाओं का विकास कर रही है। समूह ने मुंबई में एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्तियों में से एक धारावी सहित कई पुनर्विकास परियोजनाएं भी हासिल की हैं। समूह ने हाल ही में मुंबई में मोतीलाल नगर के 36,000 करोड़ रुपये के पुनर्विकास की बोली भी जीती है। दुनिया की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनियों में से एक एमार के पास संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और प्रमुख अंतरराष्ट्रीय बाजारों में लगभग 1.7 अरब वर्ग फुट का भूमि बैंक है। बुर्ज खलीफा और दुबई मॉल का विकास एमार प्रॉपर्टीज ने ही किया है।
- नयी दिल्ली। दूरसंचार उपकरण कंपनी नोकिया ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत में औसत 5जी डेटा खपत प्रति उपयोगकर्ता प्रति माह 40 जीबी तक पहुंच गयी है। अगले तीन साल में 5जी के कुल ग्राहक आधार के 2.65 गुना बढ़कर करीब 77 करोड़ पर पहुंचने की उम्मीद है। नोकिया की वार्षिक मोबाइल ब्रॉडबैंड सूचकांक (एमबीआईटी) रिपोर्ट के अनुसार, 4जी, 5जी आदि डेटा की खपत मिलकर पांच साल में 19.5 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़कर 2024 में 27.5 जीबी हो गई। रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में पूरे भारत में 5जी डेटा उपयोग में सालाना आधार पर तीन गुना की उल्लेखनीय वृद्धि हुई। नोकिया इंडिया के प्रौद्योगिकी एवं समाधान प्रमुख (मोबाइल नेटवर्क) संदीप सक्सेना ने रिपोर्ट पेश करते हुए कहा, ‘‘दिसंबर, 2024 में भारत में प्रति उपयोगकर्ता औसत 5जी डेटा खपत 40 जीबी दर्ज की गई। हमारा अनुमान है कि 5जी उपयोगकर्ता आधार 2024 में 29 करोड़ से बढ़कर 2028 तक लगभग 77 करोड़ हो जाएगा।'' रिपोर्ट के अनुसार, 5जी फिक्स्ड वायरलेस एक्सेस (एफडब्ल्यूए) के निरंतर बढ़ने से डेटा उपयोग में वृद्धि हो रही है। एफडब्ल्यूए उपयोगकर्ता अब औसत मोबाइल डेटा उपयोगकर्ता की तुलना में 12 गुना अधिक डेटा का उपभोग कर रहे हैं, जो आवासीय तथा व्यावसायिक दोनों ही क्षेत्रों में नई सेवाओं के दम पर हो रहा है। सक्सेना ने कहा, ‘‘ भारत में 5जी उपकरण परिदृश्य तेजी से विकसित हो रहा है, सक्रिय 5जी उपकरणों की संख्या सालाना आधार पर दोगुनी होकर 2024 में 27.1 करोड़ तक पहुंच गई। इस प्रवृत्ति में तेजी आने आने की उम्मीद है। 2025 में जितने पुराने स्मार्टफोन बदले जाएंगे, उनमें से 90 प्रतिशत 5जी आधारित होंगे।
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नयी दिल्ली। सरकार ने बृहस्पतिवार को बताया कि प्रयागराज में पिछले दिनों संपन्न विशाल धार्मिक समागम ‘महाकुंभ' के लिए दूरसंचार सेवा प्रदाताओं ने 243 करोड़ रुपये का निवेश किया ताकि अतिरिक्त दूरसंचना अवसंरचना तैयार की जा सके। संचार एवं उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य माधवराव सिंधिया ने राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ‘महाकुंभ' के लिए दूरसंचार विभाग ने 11 नवंबर 2024 को एक विशेष कार्य बल का गठन किया था ताकि पूरे शहर और कुंभ मेला क्षेत्र में दूरसंचार अवसंरचना विस्तार के काम की निगरानी की जा सके। सिंधिया ने बताया कि इस निगरानी के साथ साथ विशेष कार्य बल ने आपदा प्रबंधन के लिए दूरसंचार सेवा प्रदाता और दूरसंचार अवसंरचना प्रदाताओं की तैयारियों का पर्यवेक्षण भी किया। उन्होंने बताया कि महाकुंभ 2025 में मोबाइल नेटवर्क क्षमता को बढ़ाने तथा श्रद्धालुओं को निर्बाध दूरसंचार सेवाएं प्रदान करने के लिए दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीपीएस) ने मेला क्षेत्र में 816 नए बेस ट्रांसीवर स्टेशन (बीटीएस) स्थापित किए और 192 किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाई। उन्होंने बताया कि शहर में मांग पूरी करने के लिए प्रयागराज शहर क्षेत्र में 2917 मौजूदा बीटीएस का उन्नयन किया गया और 826 नए बीटीएस स्थापित किए गए। सिंधिया ने बताया कि मेला क्षेत्र में मोबाइल नेटवर्क की क्षमता में सुधार के लिए दूरसंचार विभाग ने दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को अस्थायी आधार पर 35 मेगाहर्ट्ज अतिरिक्त स्पेक्ट्रम सौंपा है।
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मुंबई. अमेरिका और ब्रिटेन जैसी विकसित अर्थव्यवस्थाओं से भारत भेजे जाने वाले धन का हिस्सा बढ़कर खाड़ी देशों से 2023-24 में भेजे गए धन से अधिक हो गया है। आरबीआई के एक लेख में यह बात कही गई है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के बुधवार को जारी मार्च बुलेटिन में प्रकाशित एक लेख के मुताबिक, भारत का धन प्रेषण 2010-11 के 55.6 अरब डॉलर से दोगुना होकर 2023-24 में 118.7 अरब डॉलर हो गया। यह देश के वस्तु व्यापार घाटे के करीब आधे हिस्से की भरपाई करता है। आरबीआई के लेख के मुताबिक, शुद्ध प्रेषण प्राप्तियां इस अवधि में बाहरी झटकों को झेलने का अहम अंग रही हैं। बुलेटिन में भारत के धन प्रेषण की बदलती गतिशीलता पर प्रकाशित लेख देश में भेजे जाने वाले धन के विभिन्न आयामों को दर्शाता है। लेख के मुताबिक, विदेश में रहने वाले भारतीय प्रवासियों की संख्या 1990 के 66 लाख से तिगुना होकर 2024 में 1.85 करोड़ हो गई। इस दौरान वैश्विक प्रवासियों में भारतीयों की हिस्सेदारी भी 4.3 प्रतिशत से बढ़कर छह प्रतिशत हो गई। खाड़ी देशों में भारतीय प्रवासी दुनिया भर में कुल भारतीय प्रवासियों का लगभग आधा हिस्सा हैं।
खाड़ी देशों के अलावा विकसित अर्थव्यवस्थाएं भी पिछले कुछ वर्षों में भारत में आने वाले धन प्रेषण के प्रमुख स्रोत के रूप में उभरी हैं। लेख के मुताबिक, भारत की कामकाजी उम्र वाली आबादी 2048 तक बढ़ने की उम्मीद है, इसलिए भारत दुनिया का सबसे बड़ा श्रम आपूर्तिकर्ता होगा। भारत के कुल प्रेषण में अमेरिका की हिस्सेदारी सबसे बड़ी रही, जो 2020-21 के 23.4 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 27.7 प्रतिशत हो गई। वहीं ब्रिटेन से आने वाला धन भी 2020-21 के 6.8 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 10.8 प्रतिशत हो गया है। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने दूसरे बड़े स्रोत के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखी है। इसकी हिस्सेदारी 18 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 19.2 प्रतिशत हो गई। आरबीआई ने कहा कि इस लेख में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और केंद्रीय बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। - नयी दिल्ली. सार्वजनिक खरीद मंच गवर्नमेंट ई-मार्केट प्लेस (जीईएम) ने चालू वित्त वर्ष में अब तक पांच लाख करोड़ रुपये से अधिक के लेनदेन को बढ़ावा दिया है। वाणिज्य मंत्रालय ने मंगलवार को यह जानकारी दी। पोर्टल ने 2023-24 में चार लाख करोड़ रुपये से अधिक के लेनदेन की सुविधा दी थी। जीईएम ने वित्त वर्ष 2024-25 के खत्म होने से 18 दिन पहले अपने पोर्टल पर सकल व्यापारिक मूल्य (जीएमवी) के पांच लाख करोड़ रुपये को पार करने की जानकारी दी। पोर्टल ने 1.83 लाख करोड़ रुपये के सामान और 2.68 लाख करोड़ रुपये की सेवाओं की खरीद को सफल बनाया।
- जयपुर. राजस्थान में किसान चने व सरसों की फसल को समर्थन मूल्य एमएसपी पर बेचने के लिए पंजीकरण एक अप्रैल से कर सकेंगे। खरीद का काम 10 अप्रैल से शुरू होगा। सहकारिता राज्यमंत्री गौतम कुमार दक ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसानों के हित में सदैव तत्पर है एवं आगामी रबी सीजन 2025-26 में समर्थन मूल्य पर सरसों तथा चने की खरीद के लिए सभी तैयारियां आरंभ की जा चुकी हैं। एक बयान में उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्यों के अनुरूप राज्य में सरसों की 13.89 लाख टन एवं चने की 6.30 लाख टन खरीद किया जाना प्रस्तावित है। उन्होंने बताया कि समर्थन मूल्य पर सरसों एवं चने के विक्रय के लिए किसान एक अप्रैल से ई-मित्र के माध्यम से पंजीयन करवा सकेंगे। जबकि, खरीद का कार्य 10 अप्रैल से शुरू होगा। मंत्री ने बताया कि इस वर्ष राज्य में नोडल एजेंसी नेफेड के साथ-साथ एनसीसीएफ द्वारा भी दलहन-तिलहन की खरीद का कार्य राजफेड के माध्यम से कराया जाना है। इसके लिए सरसों एवं चने हेतु एनसीसीएफ को 217-217 एवं नेफेड को 288-288 क्रय केन्द्र स्वीकृत किये गए हैं। इस प्रकार, राज्य में सरसों एवं चने के कुल 505-505 क्रय केन्द्र स्वीकृत किए गए हैं, जिनकी जिलेवार सूची जारी कर दी गई है। दक ने बताया कि एनसीसीएफ द्वारा राजफेड क्षेत्रीय कार्यालय अजमेर, जोधपुर, बीकानेर एवं कोटा के 19 जिलों में तथा नेफेड द्वारा राजफेड क्षेत्रीय कार्यालय जयपुर, उदयपुर, गंगानगर एवं भरतपुर क्षेत्र के 21 जिलों में खरीद कार्य करवाया जाएगा। उन्होंने बताया कि भारत सरकार द्वारा आगामी सीजन के लिए सरसों का समर्थन मूल्य 5,950 रुपये प्रति क्विंटल एवं चने का समर्थन मूल्य 5,650 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है।
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मुंबई. वैश्विक बाजारों में तेजी के रुख के बीच मंगलवार को चौतरफा लिवाली होने से घरेलू शेयर बाजारों में जबर्दस्त उछाल देखा गया। सेंसेक्स ने 1,131 अंक की तेजी के साथ एक बार फिर 75,000 अंक का स्तर हासिल कर लिया, जबकि निफ्टी 22,800 अंक के ऊपर पहुंच गया। विश्लेषकों ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की कम कीमतों और प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर में कमजोरी ने भी निवेशकों की धारणा को समर्थन दिया। बीएसई का 30 शेयरों पर आधारित मानक सूचकांक सेंसेक्स 1,131.31 अंक यानी 1.53 प्रतिशत उछलकर 75,301.26 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 1,215.81 अंक बढ़कर 75,385.76 अंक पर पहुंच गया था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का मानक सूचकांक निफ्टी भी 325.55 अंक यानी 1.45 प्रतिशत बढ़कर 22,834.30 अंक पर पहुंच गया। यह घरेलू शेयर बाजारों में तेजी का लगातार दूसरा दिन रहा। सोमवार को भी सेंसेक्स और निफ्टी पांच दिन की गिरावट से उबरकर बढ़त के साथ बंद हुए थे। मेहता इक्विटीज लिमिटेड में वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) प्रशांत तापसे ने कहा, ‘‘वैश्विक बाजारों में मजबूती ने स्थानीय निवेशकों का भरोसा बढ़ाया जिससे तमाम क्षेत्रों में मूल्यपरक खरीदारी देखने को मिली। पिछले कुछ सप्ताह की गिरावट के कारण कई शेयर मूल्यांकन के लिहाज से खासे आकर्षक हो गए थे।'' हालांकि, तापसे ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप के फैसलों से जुड़ी वैश्विक चुनौतियों और घरेलू वृद्धि के नरम पड़ने की आशंकाओं के चलते इस तेजी को कायम रख पाना मुश्किल होगा। सेंसेक्स के समूह में शामिल कंपनियों में से जोमैटो ने सर्वाधिक सात प्रतिशत से अधिक की छलांग लगाई। इसके अलावा आईसीआईसीआई बैंक, महिंद्रा एंड महिंद्रा, टाटा मोटर्स, लार्सन एंड टुब्रो, एशियन पेंट्स, टाइटन, कोटक महिंद्रा बैंक और भारतीय स्टेट बैंक भी लाभ में रहे। दूसरी तरफ बजाज फिनसर्व, भारती एयरटेल, टेक महिंद्रा और रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर गिरावट के साथ बंद हुए। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘अनुकूल वैश्विक रुझानों और बेहतर घरेलू परिस्थितियों के कारण मानक सूचकांकों में खासी तेजी देखी गई। अमेरिका और चीन से आए खुदरा बिक्री के बेहतर आंकड़ों ने निवेशकों का भरोसा बढ़ाया, जबकि मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों ने बेहतर प्रदर्शन किया।'' व्यापक बाजार में बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक 2.73 प्रतिशत चढ़ गया जबकि मिडकैप सूचकांक ने 2.10 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की। बीएसई के 2,815 शेयरों में बढ़त रही जबकि 1,221 शेयरों में गिरावट रही और 123 अन्य अपरिवर्तित रहे।
बीएसई के सभी क्षेत्रवार सूचकांक बढ़त हासिल करने में सफल रहे। रियल्टी खंड में सर्वाधिक 2.95 प्रतिशत की तेजी रही जबकि औद्योगिक खंड में 2.79 प्रतिशत, पूंजीगत उत्पाद खंड में 2.44 प्रतिशत और वाहन खंड में 2.42 प्रतिशत की बढ़त रही। एशिया के अन्य बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, जापान का निक्की, चीन का शंघाई कम्पोजिट और हांगकांग का हैंगसेंग सकारात्मक दायरे में रहे। यूरोपीय बाजार दोपहर के सत्र में बढ़त के साथ कारोबार कर रहे थे। सोमवार को अमेरिकी बाजारों में तेजी का माहौल रहा था। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 1.48 प्रतिशत बढ़कर 72.12 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने सोमवार को 4,488.45 करोड़ रुपये के शेयर बेचे जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने 6,000.60 करोड़ रुपये की खरीदारी की। बीएसई सेंसेक्स सोमवार को 341.04 अंक चढ़कर 74,169.95 अंक पर और एनएसई निफ्टी 111.55 अंक बढ़कर 22,508.75 अंक पर बंद हुआ था। - मुंबई।. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और बैंक ऑफ मॉरीशस (बीओएम) ने सीमापार लेनदेन के लिए भारतीय रुपये और मॉरीशस रुपये (एमयूआर) के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। केंद्रीय बैंक ने मंगलवार को बयान में कहा कि समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा और बीओएम गवर्नर राम कृष्ण सिथानन ने हस्ताक्षर किए। बयान में कहा गया, ‘‘एमओयू दस्तावेजों का आदान-प्रदान 12 मार्च, 2025 को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम की उपस्थिति में मॉरीशस के पोर्ट लुइस में किया गया।'' आरबीआई ने कहा कि एमओयू का उद्देश्य द्विपक्षीय व्यापार में आईएनआर और एमयूआर के उपयोग को बढ़ावा देना है। एमओयू में दोनों देशों द्वारा सहमत सभी चालू खाता लेनदेन और अनुमत पूंजी खाता लेनदेन शामिल हैं। यह व्यवस्था निर्यातकों और आयातकों को अपनी-अपनी घरेलू मुद्राओं में चालान बनाने और भुगतान करने में सक्षम बनाएगी। स्थानीय मुद्राओं के उपयोग से लेनदेन की लागत और निपटान समय, दोनों की बचत होगी।
- मुंबई।. जीवन बीमा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी एलआईसी ने भारतीय रिजर्व बैंक से 100 साल सहित लंबी अवधि के सरकारी बॉन्ड पेश करने का अनुरोध किया है। एक शीर्ष अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। एलआईसी के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक सिद्धार्थ मोहंती ने कहा कि बीमा कंपनी पूरे जीवन के लिए बीमा पॉलिसी बेचती है, इसलिए लंबी अवधि के बॉन्ड में निवेश की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि आरबीआई 20-30 साल के बॉन्ड की अनुमति दे रहा है और 40 साल के बॉन्ड को भी हरी झंडी दे दी है। मोहंती ने यहां जीसीए25 में संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं 50 साल या 100 साल के बॉन्ड की भी उम्मीद कर रहा हूं। हमारे लोग समय-समय पर आरबीआई के साथ इस पर चर्चा कर रहे हैं और केंद्रीय बैंक भी इस पर विचार कर रहा है।'' उन्होंने बताया कि जहां कई देश वैश्विक बाजार में 100 साल के बॉन्ड जारी करते हैं, वहीं भारत ने सीमित मांग और द्वितीयक बाजार में कम गतिविधियों के कारण अभी तक ऐसे बॉन्ड पेश नहीं किए हैं।
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नई दिल्ली। अमेरिकी निवेश बैंक एवं वित्तीय सेवा कंपनी मॉर्गन स्टेनली ने वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की खुदरा महंगाई औसतन चार प्रतिशत रहने की उम्मीद जताई है। कंपनी ने मंगलवार को जारी रिपोर्ट में कहा है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति की दर चार प्रतिशत पर रहने का मतलब है कि आने वाले महीनों में आरबीआई द्वारा नीतिगत ब्याज दरों में 0.75 प्रतिशत की कटौती की जा सकती है, जबकि पहले 0.50 प्रतिशत की कटौती का अनुमान जारी किया गया था।
खाद्य पदार्थों की कीमतों में कमी के कारण मुद्रास्फीति में नरमी से अतिरिक्त कटौती की गुंजाइशमॉर्गन स्टेनली के अनुसार, खाद्य पदार्थों की कीमतों में कमी के कारण मुद्रास्फीति में नरमी से अतिरिक्त कटौती की गुंजाइश बनती है। रिपोर्ट में कहा गया है, “लगातार दो महीने (जनवरी और फरवरी में) ओवरऑल मुद्रास्फीति की दर अनुमानों से कम रही है। इसे देखते हुए हम अपने मौद्रिक नीति परिदृश्य को अपडेट करते हैं, और (नीतिगत दरों में) 0.25 प्रतिशत की एक और कटौती को जोड़ते हैं।”वित्त वर्ष 2025-26 में खुदरा महंगाई औसतन चार प्रतिशत रहेगीइसमें उम्मीद जताई गई है कि वित्त वर्ष 2025-26 में खुदरा महंगाई औसतन चार प्रतिशत रहेगी, जबकि इसके पहले 4.3 प्रतिशत का अनुमान लगाया गया था। अमेरिकी कंपनी ने कहा, “इस प्रकार, हम 0.50 प्रतिशत के अपने पिछले अनुमान से 0.75 प्रतिशत की संचयी दर कटौती की ओर अग्रसर हैं।”जनवरी और फरवरी के खुदरा महंगाई के आंकड़ों में अपेक्षा से तेज गिरावट देखी गईजनवरी और फरवरी के खुदरा महंगाई के आंकड़ों में अपेक्षा से तेज गिरावट देखी गई, जो खाद्य मुद्रास्फीति में कमी के कारण संभव हुई। वहीं, कोर मुद्रास्फीति निचले स्तर पर सीमित दायरे में बनी रही। मॉर्गन स्टेनली ने कहा, “31 मार्च को समाप्त होने वाली तिमाही के लिए अब हम हमारे पूर्व अनुमान 4.3 प्रतिशत की तुलना में खुदरा महंगाई के औसतन चार प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाते हैं। आरबीआई का ओवरऑल मुद्रास्फीति का एक लक्ष्य (2-6 प्रतिशत) है, इसलिए हमारा मानना है कि इससे अतिरिक्त नरमी की गुंजाइश बनती है।”फरवरी में सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति 3.61 प्रतिशत रहीफरवरी में सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति 3.61 प्रतिशत रही। छह महीने में पहली बार यह आरबीआई के चार प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे आई है। खाद्य मुद्रास्फीति पिछले 12 महीने में ओवरऑल मुद्रास्फीति से ज्यादा रही है। इसमें मौसम संबंधी व्यवधानों का भी योगदान रहा है।रिपोर्ट में कहा गया है, “हालांकि, वित्त वर्ष 2025-26 के लिए खाद्य मुद्रास्फीति के परिदृश्य में सुधार हुआ है क्योंकि रबी और खरीफ फसल उत्पादन में सालाना आधार पर वृद्धि का अनुमान है, जो अस्थिरता को कम करने में भी मदद करेगा।”ऋण वृद्धि की प्रवृत्ति अब भी 11 प्रतिशत पर नरम है, जो वित्तीय स्थिरता की चिंताओं को दूर रखता हैभले ही विकास में तेजी आ रही है, लेकिन ऋण वृद्धि की प्रवृत्ति अब भी 11 प्रतिशत पर नरम है, जो वित्तीय स्थिरता की चिंताओं को दूर रखता है और विनियमन तथा तरलता के मोर्चे पर और अधिक कटौती की संभावना को दर्शाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोर मुद्रास्फीति में गिरावट आश्चर्यजनक रही है, जो कोर वस्तुओं और सेवाओं की मुद्रास्फीति के निचले स्तर से प्रेरित है।बेस इफेक्ट सामान्य होने पर कोर मुद्रास्फीति बढ़ सकती हैवास्तव में, भले ही बेस इफेक्ट सामान्य होने पर कोर मुद्रास्फीति बढ़ सकती है, लेकिन कमोडिटी की कीमतों में सीमा-बद्ध प्रवृत्ति से प्रेरित होकर इसके चार प्रतिशत के आसपास रहने की उम्मीद है। रिपोर्ट में कहा गया है कि खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति में कमी का असर ओवरऑल सीपीआई में गिरावट की प्रवृत्ति की निरंतरता पर दिखने की संभावना है, जिस पर आरबीआई का फोकस होता है। इस संदर्भ में, ओवरऑल मुद्रास्फीति में नरमी आरबीआई द्वारा नीतिगत दरों में और अधिक कटौती के लिए अधिक गुंजाइश पैदा करती है। -
नयी दिल्ली. चालू वित्त वर्ष (2024-25) में अबतक शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 13.13 प्रतिशत बढ़कर 21.26 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है। सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इसमें अग्रिम कर संग्रह में वृद्धि का प्रमुख योगदान रहा। वर्ष के दौरान, सरकार ने अग्रिम कर की चार किस्तों से 14.62 प्रतिशत वृद्धि के साथ 10.44 लाख करोड़ रुपये जुटाए हैं, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 9.11 लाख करोड़ रुपये था। चालू वित्त वर्ष के लिए अग्रिम कर भुगतान की अंतिम किस्त 15 मार्च, 2025 को देय थी।
कॉरपोरेट कर श्रेणी के तहत अग्रिम कर संग्रह 12.54 प्रतिशत बढ़कर 7.57 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि गैर-कॉरपोरेट श्रेणी में अग्रिम कर संग्रह 20.47 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 2.87 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। आयकर अधिनियम की धारा 208 के अनुसार, जिस व्यक्ति की अनुमानित कर देयता 10,000 रुपये से अधिक होने की संभावना है (स्रोत पर कर कटौती और संग्रह - टीडीएस और टीसीएस पर विचार करने के बाद) उसे उस वर्ष अग्रिम कर का भुगतान करना आवश्यक है। इसमें वेतनभोगी करदाता भी शामिल हैं। अग्रिम कर का भुगतान वित्त वर्ष की समाप्ति से पहले उस आय पर किया जाना चाहिए जो उस वर्ष अर्जित की गई होगी। अग्रिम कर का भुगतान चार किस्तों- वित्त वर्ष के दौरान 15 जून, 15 सितंबर, 15 दिसंबर और 15 मार्च में किया जाता है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, शुद्ध गैर-कॉरपोरेट कर से संग्रह (मुख्य रूप से व्यक्तिगत आयकर समेत) सालाना आधार पर 17 प्रतिशत बढ़कर लगभग 11.01 लाख करोड़ रुपये हो गया। हालांकि, एक अप्रैल, 2024 और 16 मार्च, 2025 के बीच शुद्ध कॉरपोरेट कर संग्रह एकल अंक में सात प्रतिशत बढ़कर 9.69 लाख करोड़ रुपये रहा है। चालू वित्त वर्ष में अब तक प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) से शुद्ध संग्रह लगभग 56 प्रतिशत बढ़कर 53,095 करोड़ रुपये हो गया। इस अवधि के दौरान 4.60 लाख करोड़ रुपये से अधिक के रिफंड जारी किए गए, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में 3.47 लाख करोड़ रुपये के रिफंड जारी किए गए थे। सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 16 मार्च तक 16.15 प्रतिशत बढ़कर 25.86 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया।
चालू वित्त वर्ष के संशोधित अनुमानों (आरई) में सरकार ने आयकर संग्रह 12.57 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया है, जो बजट अनुमान 11.87 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। -
नयी दिल्ली. सरकार ने सोमवार को संसद में बताया कि बैंकों ने पिछले 10 वित्तीय वर्षों में लगभग 16.35 लाख करोड़ रुपये की गैर-निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) या नहीं चुकाये गए ऋणों को बट्टे खाते में डाल दिया है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान सबसे अधिक 2,36,265 करोड़ रुपये के एनपीए बट्टे खाते में डाले गए, जबकि 2014-15 में 58,786 करोड़ रुपये के एनपीए बट्टे खाते में डाले गए, जो पिछले 10 वर्षों में सबसे कम है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2023-24 के दौरान, बैंकों ने 1,70,270 करोड़ रुपये के चुकता नहीं किये गए ऋणों को बट्टे खाते में डाल दिया, जो इसके पूर्ववर्ती वित्त वर्ष के 2,16,324 करोड़ रुपये से कम है। मंत्री ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दिशानिर्देशों और बैंकों के बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के अनुसार, बैंक गैर-निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) को बट्टे खाते में डाल देते हैं, जिनमें वे एनपीए भी शामिल हैं जिनके चार वर्ष पूरे होने पर ऐसा प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि इस तरह बट्टे खाते में डालने से उधारकर्ताओं की देनदारियों में छूट नहीं मिलती और इसलिए इससे उधारकर्ता को कोई लाभ नहीं होता। उन्होंने कहा कि बैंक अपने पास उपलब्ध विभिन्न वसूली तंत्रों के तहत उधारकर्ताओं के विरुद्ध शुरू की गई वसूली कार्रवाइयों को जारी रखते हैं, जैसे कि दीवानी अदालतों या ऋण वसूली अधिकरणों में वाद दायर करना, वित्तीय संपत्तियों के प्रतिभूतिकरण एवं पुनर्निर्माण तथा प्रतिभूति हित प्रवर्तन अधिनियम के तहत कार्रवाई करना। इसके अलावा, इनमें दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता के तहत राष्ट्रीय कंपनी कानून अधिकरण में मामले दायर करना आदि भी शामिल है। मंत्री ने कहा कि आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, 31 दिसंबर 2024 तक, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों में 29 विशिष्ट उधारकर्ता कंपनियां शामिल थीं, जिन्हें एनपीए के रूप में वर्गीकृत किया गया है और उनमें से प्रत्येक पर 1,000 करोड़ रुपये और उससे अधिक का बकाया है। इन खातों में कुल बकाया 61,027 करोड़ रुपये है। उधारकर्ताओं से देय राशि की वसूली के संबंध में, बैंक उधारकर्ताओं को कॉल करते हैं और देय राशि के भुगतान के संबंध में ईमेल/पत्र भेजते हैं। वहीं, बैंक कॉरपोरेट उधारकर्ताओं के मामले में कंपनी दिवालियापन समाधान प्रक्रिया शुरू करने के लिए राष्ट्रीय कंपनी कानून अधिकरण से भी संपर्क कर सकते हैं। एक अन्य प्रश्न का उत्तर देते हुए सीतारमण ने कहा कि सरकार ने 8वें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि 8वें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों के वित्तीय निहितार्थ का पता उस वक्त चलेगा, जब इस वेतन आयोग द्वारा सिफारिशें की जाएंगी और सरकार द्वारा उन्हें स्वीकार कर लिया जाएगा।
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टाटा मोटर्स वाणिज्यिक वाहनों के दाम बढ़ाएगी
नयी दिल्ली. मारुति सुजुकी इंडिया और टाटा मोटर्स ने सोमवार को अप्रैल से वाहनों की कीमतें बढ़ाने की योजना की घोषणा की। ये कंपनियां कच्चे माल की बढ़ती लागत के प्रभाव को आंशिक रूप से कम करने के लिए इस साल दूसरी बार यह कदम उठा रही हैं। मारुति सुजुकी ने कहा कि वह अगले महीने से अपने सभी मॉडल की कीमतों में चार प्रतिशत तक बढ़ोतरी करने की योजना बना रही है। वहीं, टाटा मोटर्स ने कहा कि वह अगले महीने से अपने वाणिज्यिक वाहनों के दाम दो प्रतिशत तक बढ़ाएगी।
मारुति सुजुकी इंडिया ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि कच्चे माल की बढ़ती लागत और परिचालन व्यय के मद्देनजर कंपनी ने अप्रैल से अपनी कारों की कीमतें बढ़ाने की योजना बनाई है। कंपनी ने कहा कि कीमत में चार प्रतिशत तक की वृद्धि होने का अनुमान है और यह मॉडल के आधार पर अलग-अलग होगी। देश की सबसे बड़ी कार विनिर्माता कंपनी ने कहा कि कंपनी लागत को अनुकूलतम बनाने और अपने ग्राहकों पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन बढ़ी हुई लागत का कुछ हिस्सा बाजार पर डालना पड़ सकता है। मारुति सुजुकी वर्तमान में घरेलू बाजार में शुरुआती स्तर की ऑल्टो के-10 से लेकर बहुउद्देश्यीय वाहन इनविक्टो तक विभिन्न मॉडल बेचती है। इनकी कीमत क्रमशः 4.23 लाख रुपये और 29.22 लाख रुपये (एक्स-शोरूम दिल्ली) के बीच है। कंपनी ने इस साल जनवरी में एक फरवरी से विभिन्न मॉडल की कीमतों में 32,500 रुपये तक की बढ़ोतरी की घोषणा की थी। होंडा कार्स इंडिया के भी प्रवक्ता ने कहा कि वाहन विनिर्माता अगले महीने से वाहनों की कीमतें बढ़ाने पर विचार कर रही है। टाटा मोटर्स ने कहा कि वह बढ़ती उत्पादन लागत के प्रभाव को आंशिक रूप से संतुलित करने के लिए अप्रैल से अपने वाणिज्यिक वाहनों की कीमतों में दो प्रतिशत तक की वृद्धि करेगी। मुंबई स्थित कंपनी ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि कंपनी के वाणिज्यिक वाहनों की कीमतें एक अप्रैल, 2025 से दो प्रतिशत तक बढ़ जाएंगी। -
नई दिल्ली। निजी क्षेत्र से पहली बार किसी दिग्गज सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी के प्रमुख बनाए गए विकास कौशल ने सोमवार को हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक का पद संभाल लिया। कौशल इससे पहले प्रबंधन सलाहकार कंपनी कियर्नी के साथ काम कर चुके हैं।
कौशल (53) सार्वजनिक क्षेत्र की किसी दिग्गज कंपनी की कमान संभालने वाले निजी क्षेत्र के पहले सलाहकार हैं। यह नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब सरकार संगठनों के भीतर से उपयुक्त प्रमुखों को खोजने के लिए संघर्ष कर रही है। कौशल को तलाश-सह-चयन समिति ने एचपीसीएल के सीएमडी का दायित्व संभालने के लिए चुना था। सार्वजनिक उद्यम चयन बोर्ड (PESB) इस पद के लिए पिछले साल जून में किए गए साक्षात्कार में नौकरी के लिए उपयुक्त किसी को भी खोजने में विफल रहा था।कौन है विकास कौशल?पंजाब यूनिवर्सिटी से केमिकल इंजीनियरिंग और भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम), अहमदाबाद से एमबीए करने के बाद कौशल ने वर्ष 2000 से कियर्नी में विभिन्न पदों पर काम किया। इस दौरान उन्होंने प्रमुख सरकारी पेट्रोलियम एवं गैस कंपनियों को सलाह दी है।HPCL में पहले भी निभाई अहम भूमिकाविकास कौशल इससे पहले HPCL के सेंट्रलाइज्ड प्रोक्योरमेंट ऑफिस की स्थापना और HPCL की पेट्रोकेमिकल विविधीकरण रणनीति के कार्यान्वयन का नेतृत्व कर चुके हैं। इसके अलावा, उन्होंने इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOCL) और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) के लिए कई प्रमुख डिजिटल परिवर्तन परियोजनाओं, रिफाइनरी मेंटेनेंस और नेट जीरो रणनीति पर भी काम किया है।80% वेतन कटौती के साथ लेंगे पदभारविकास कौशल इससे पहले Kearney India के कंट्री हेड और मैनेजिंग डायरेक्टर रह चुके हैं, जहां उन्होंने 2014 से 2019 तक पांच साल तक कार्य किया। सरकार के सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने इस नई भूमिका के लिए 80% वेतन कटौती स्वीकार की है। मतलब HPCL CMD के रूप में जो सैलरी उन्हें मिलेगी, उसका पांच गुना वो पाते थे। सरकारी आदेश के अनुसार, उनका वेतनमान 2 लाख रुपये से 3.7 लाख रुपये (IDA) होगा और वे पांच वर्षों के लिए या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, इस पद पर कार्य करेंगे।वैश्विक अनुभव के साथ पहली बार HPCL की कमानविकास कौशल Kearney के ग्लोबल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल होने वाले अब तक के एकमात्र भारतीय हैं। उन्होंने दो पूर्ण कार्यकाल पूरे किए हैं और साथ ही फाइनेंस, ऑडिट और गवर्नेंस कमेटियों के चेयरमैन भी रहे हैं। वे दुनिया की कई प्रमुख तेल और गैस कंपनियों के साथ भी काम कर चुके हैं।HPCL में लंबे समय से खाली था CMD पद1 अगस्त 2024 को तत्कालीन CMD पुष्प कुमार जोशी के सेवानिवृत्त होने के बाद से यह पद खाली था। तब से HPCL के निदेशक (वित्त) रजनीश नारंग अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे थे। सरकार ने मार्च 2023 से जोशी के उत्तराधिकारी की नियुक्ति के लिए सार्वजनिक उपक्रम चयन बोर्ड (PESB) के माध्यम से कई बार प्रयास किया। चयन साक्षात्कार में कम से कम नौ उम्मीदवारों ने भाग लिया, लेकिन बोर्ड को कोई उपयुक्त उम्मीदवार नहीं मिला। इसके बाद सर्च-कम-सेलेक्शन प्रक्रिया से नया CMD नियुक्त करने का फैसला किया गया। -
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए केंद्रीय बजट 2025 में टीडीएस और टीसीएस नियमों में महत्वपूर्ण बदलावों की घोषणा की गई थी, जो 1 अप्रैल 2025 से लागू होंगे। इन संशोधनों का उद्देश्य टैक्सपेयर और व्यापारियों के लिए टैक्स प्रक्रिया को सरल बनाना है, जिससे विशेष रूप से सीनियर सिटिजंस, इन्वेस्टर्स और कमिशन कमाने वालों को लाभ मिलेगा। ये बदलाव जटिल प्रक्रियाओं को हटाकर टैक्सपेयर्स को राहत देने के लिए किए गए हैं, जिससे टैक्स अनुपालन अधिक सहज और प्रभावी हो सके।
सीनियर सिटिजंस के लिए नए TDS नियम: 1 लाख तक ब्याज पर नहीं कटेगा TDSकेंद्र सरकार ने बजट 2025 में सीनियर सिटिजंस और मध्यम वर्ग को राहत देने के लिए TDS (Tax Deducted at Source) लिमिट बढ़ा दी है। 1 अप्रैल 2025 से FD, RD और अन्य डिपॉजिट स्कीमों पर TDS केवल तभी कटेगा, जब एक वित्त वर्ष में बैंक में कुल ब्याज आय 1 लाख रुपये से ज्यादा होगी। अगर वरिष्ठ नागरिकों की ब्याज आय 1 लाख रुपये से कम रहती है, तो उन पर कोई TDS नहीं लगेगा।नियमित करदाताओं के लिए TDS लिमिट भी बढ़ीसरकार ने सामान्य नागरिकों के लिए भी TDS की लिमिट बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दी है, जो पहले 40,000 रुपये थी। यह नया नियम 1 अप्रैल 2025 से लागू होगा। अब FD पर सालाना 50,000 रुपये तक की ब्याज आय पर कोई TDS नहीं कटेगा। इससे उन निवेशकों को फायदा मिलेगा, जो अपनी आय के लिए FD के ब्याज पर निर्भर रहते हैं।लॉटरी, क्रॉसवर्ड और घुड़दौड़ पर नया टैक्स नियमसरकार ने लॉटरी, क्रॉसवर्ड पजल और घुड़दौड़ (Horse race) जैसी गेमिंग विनिंग्स पर TDS के नियम आसान कर दिए हैं। अब सालाना ₹10,000 की कुल सीमा को खत्म कर दिया गया है। नए नियम के तहत, अब केवल तब ही TDS कटेगा जब किसी एक जीत की रकम ₹10,000 से ज्यादा होगी। पहले, अगर साल भर में कुल जीत ₹10,000 से ज्यादा होती थी, तो TDS कटता था।उदाहरण के तौर पर, अगर कोई तीन बार ₹8,000-₹8,000 जीतकर कुल ₹24,000 कमा लेता है, तो नए नियम के तहत TDS नहीं लगेगा, क्योंकि हर बार जीत की रकम ₹10,000 से कम है। पहले, इस पूरे ₹24,000 पर टैक्स कटता।म्युचुअल फंड और स्टॉक्स निवेशकों के लिए राहत, डिविडेंड इनकम लिमिट बढ़ीनए नियमों के तहत, म्यूचुअल फंड और शेयर बाजार में निवेश करने वालों के लिए डिविडेंड और इनकम एग्जेम्प्शन लिमिट अब ₹10,000 कर दी गई है, जो पहले ₹5,000 थी।डिविडेंड टैक्स में बदलाव1 अप्रैल 2025 से, निवेशकों को डिविडेंड टैक्स डिडक्शन पर ज्यादा छूट मिलेगी। अब ₹10,000 तक की डिविडेंड इनकम पर कोई TDS नहीं लगेगा, जबकि पहले यह सीमा ₹5,000 थी। इससे इक्विटी और म्युचुअल फंड निवेशकों को बड़ा फायदा होगा, क्योंकि ₹10,000 से कम की डिविडेंड इनकम पर टैक्स नहीं कटेगा।इंश्योरेंस और ब्रोकरेज कमीशन पर बड़ा अपडेट, एजेंट्स को मिलेगा फायदाबजट 2025 में कमीशन से होने वाली इनकम पर TDS थ्रेशोल्ड बढ़ाने का ऐलान किया गया। इंश्योरेंस एजेंट्स को अब 1 अप्रैल 2025 से TDS छूट की सीमा ₹20,000 मिलेगी, जो पहले ₹15,000 थी।सरकार का कहना है कि इस बदलाव से छोटे एजेंट्स और कमिशन कमाने वालों पर टैक्स का बोझ कम होगा और कैश फ्लो बेहतर होगा। इसके अलावा, कॉम्प्लायंस प्रोसेस आसान बनाने का भी प्रयास किया गया है। - मुंबई । बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL) के चेयरमैन गौतम अदाणी और मैनेजिंग डायरेक्टर राजेश अदाणी को SFIO केस से बरी कर दिया। इस मामले में उन पर AEL के शेयर प्राइस में हेरफेर का आरोप था।Bar and Bench की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस राजेश एन लाढ़ा ने सेशंस कोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें अदाणी और AEL को मामले से मुक्त करने से इनकार कर दिया गया था। इस केस में ₹388 करोड़ के मार्केट रेगुलेशन वॉयलेशन के आरोप थे।अदाणी ग्रुप और AEL ने सेशंस कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। उनके पक्ष में सीनियर एडवोकेट अमित देसाई और विक्रम ननकानी ने दलील दी कि इस मामले में आगे की कार्यवाही का कोई आधार नहीं है।2012 में SFIO द्वारा दायर चार्जशीट में अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL) और अदाणी ग्रुप पर स्टॉकब्रोकर केतन पारेख के साथ मिलकर शेयर प्राइस मैनिपुलेशन का आरोप लगाया गया था। यह मामला भारत के सबसे बड़े स्टॉक मार्केट घोटाले (1999-2000) से जुड़ा है।2014 में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने अदाणी ग्रुप और AEL को आरोपों से बरी कर दिया था। हालांकि, नवंबर 2019 में मुंबई की सेशंस कोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया। कोर्ट ने SFIO की जांच को प्राइमा फेसी” (prima facie) सही मानते हुए कहा कि अदाणी ग्रुप के प्रमोटर्स ने कथित रूप से ₹388.11 करोड़ और केतन पारेख ने ₹151.40 करोड़ का अवैध लाभ कमाया था।मुंबई सेशंस कोर्ट के जज D E Kothalikar ने पहले अदाणी ग्रुप के खिलाफ कार्रवाई के लिए पर्याप्त आधार माना था। इसके बाद, दिसंबर 2019 में हाई कोर्ट ने सेशंस कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी, जिसे बार-बार बढ़ाया गया और आखिरकार सोमवार को अंतिम फैसला सुनाया गया।फरवरी 2023 में, हाई कोर्ट ने SFIO (Serious Fraud Investigation Office) से देरी को लेकर सवाल किया। SFIO, जो कि केंद्रीय कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के अंतर्गत आता है, को फटकार लगाते हुए कोर्ट ने पूछा कि 10 फरवरी 2022 के बाद से कोई सुनवाई क्यों नहीं हुई, जब अंतरिम रोक बढ़ाई गई थी। कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या इस मामले में कोई कार्रवाई न करने का कारण “बाहरी परिस्थितियां” हैं।गौरतलब है कि इसी दौरान, अदाणी ग्रुप अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के चलते विवादों में था। रिपोर्ट में अदाणी ग्रुप पर “स्टॉक मैनिपुलेशन और अकाउंटिंग फ्रॉड” का आरोप लगाया गया था, जिससे ग्रुप की साख पर सवाल उठे थे।
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- यह हैकथॉन स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों, स्टार्टअप्स और पेशेवरों के लिए
नई दिल्ली। ,दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने 5जी इनोवेशन हैकाथॉन 2025 की घोषणा की है। यह छह महीने तक चलेगा जिसका उद्देश्य सामाजिक और औद्योगिक चुनौतियों के समाधान के लिए अभिनव 5जी-संचालित समाधानों के विकास में तेजी लाना है। छात्रों, स्टार्टअप और पेशेवरों के लिए आयोजित यह कार्यक्रम मेंटरशिप, फंडिंग और 100 से अधिक 5जी यूज केस लैब्स तक पहुंच प्रदान करता है जिससे प्रतिभागियों को दूरदर्शी विचारों को तकनीक में बदलने में मदद मिलती है।यह हैकथॉन एआई-संचालित नेटवर्क के रखरखाव, आईओटी-सक्षम समाधान, 5जी प्रसारण, स्मार्ट स्वास्थ्य, कृषि, औद्योगिक स्वचालन, गैर-स्थलीय नेटवर्क, डी2एम, वी2एक्स और क्वांटम संचार जैसे प्रमुख 5जी अनुप्रयोगों पर केंद्रित प्रस्ताव आमंत्रित करता है। प्रतिभागियों को वास्तविक दुनिया की समस्याओं को हल करने के लिए नेटवर्क स्लाइसिंग, सेवा की गुणवत्ता और कॉल-फ्लो परिदृश्यों जैसी 5जी सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। हैकथॉन प्रतिभागियों को अपने नवाचारों को अगले स्तर तक ले जाने में मदद करने के लिए कई तरह की सहायता प्रदान करता है। प्रतिभागियों को अपनी आईपी संपत्तियों के व्यवसायीकरण के लिए आईपीआर फाइलिंग में सहायता मिलेगी।कार्यक्रम संरचना एवं समय सीमायह हैकाथॉन कई चरणों में होगा। प्रत्येक चरण को प्रस्ताव प्रस्तुत करने से लेकर अंतिम मूल्यांकन तक विचारों को पोषित करने और विकसित करने के लिए सावधानीपूर्वक तैयार किया गया है। पहला चरण प्रस्ताव प्रस्तुत करना है जिसके तहत प्रतिभागियों को अपने विचार प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया जाता है, जिसमें उनकी समस्या का विवरण, प्रस्तावित समाधान और अपेक्षित प्रभाव की रूपरेखा होती है। प्रत्येक संस्थान को दूरसंचार विभाग के स्क्रीनिंग के लिए पांच प्रस्तावों की सिफारिश करने का अवसर मिलेगा और क्षेत्रीय समितियां आगे के मूल्यांकन के लिए सर्वोत्तम प्रविष्टियों का चयन करेंगी।1 लाख रुपए की शुरुआती राशि की जाएगी प्रदानएक बार प्रस्तावों को शॉर्टलिस्ट कर लिया जाता है, तो क्षेत्रीय शॉर्टलिस्टिंग चरण में चयनित टीमों (150-200 प्रस्ताव) को अपने विचारों को आगे बढ़ाने के लिए मार्गदर्शन प्राप्त होगा। शीर्ष 25-50 टीमें प्रगति चरण में आगे बढ़ेंगी जहां उन्हें तीन महीने की अवधि (15 जून-15 सितंबर, 2025) में अपने प्रोटोटाइप विकसित करने के लिए प्रत्येक को 1,00,000 रुपए की शुरुआती राशि प्रदान की जाएगी। इस चरण के दौरान प्रतिभागियों को सलाह, 5जी यूज केस लैब्स तक पहुंच और अपने विचारों को परिष्कृत करने के लिए परीक्षण बुनियादी ढांचे से लाभ होगा। यदि किसी भी समाधान को आईपीआर में परिवर्तित किया जा सकता है तो आईपीआर फाइलिंग के लिए आवश्यक सहायता प्रदान की जाएगी।विजेताओं की घोषणा अक्टूबर 2025 में की जाएगीअंतिम चरण मूल्यांकन और प्रदर्शन- सितंबर 2025 के अंत में होगा जहां टीमें अपने प्रोटोटाइप को तकनीकी विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति के समक्ष प्रस्तुत करेंगी। इस समिति में सरकार, शिक्षा और उद्योग जगत के 5-7 विशेषज्ञ शामिल होंगे। मूल्यांकन चार प्रमुख मानदंडों पर आधारित होगा: तकनीकी निष्पादन (40 प्रतिशत) , मापनीयता और बाजार तत्परता (40 प्रतिशत), सामाजिक और औद्योगिक प्रभाव (10 प्रतिशत) और नवीनता (10 प्रतिशत)। विजेताओं की घोषणा अक्टूबर 2025 में की जाएगी। शीर्ष टीमें देश के सबसे प्रतिष्ठित तकनीकी आयोजन- इंडिया मोबाइल कांग्रेस (आईएमसी) 2025 में अपने नवाचारों का प्रदर्शन करेंगी।पुरस्कार और मान्यताविजेताओं को प्रथम स्थान के लिए 5,00,000 रुपए, उपविजेता के लिए 3,00,000 रुपए और दूसरे स्थान के लिए 1,50,000 रुपए मिलेंगे। इसके साथ ही सर्वश्रेष्ठ विचार और सबसे नवीन प्रोटोटाइप को 50,000-50,000 रुपए मिलेंगे। 10 प्रयोगशालाओं को सर्वश्रेष्ठ 5जी यूज़ केस लैब्स के लिए प्रशंसा प्रमाण पत्र और सर्वश्रेष्ठ विचार के लिए एक प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा।इस कार्यक्रम का बजट 1.5 करोड़ रुपए है जिसमें शुरुआती राशि, आईपीआर सहायता, मेंटरशिप और परिचालन लागत शामिल है। इसका उद्देश्य 50 से अधिक स्केलेबल 5जी प्रोटोटाइप विकसित करना, 25 से अधिक पेटेंट तैयार करना, शिक्षा, उद्योग जगत और सरकार के बीच सहयोग को मजबूत करना और स्टार्टअप के लिए सहायता प्रदान करना है। 15 मार्च से 15 अप्रैल 2025 तक प्रस्ताव प्रस्तुत किए जाएंगे, 01 अक्टूबर 2025 को अंतिम विजेताओं की घोषणा की जाएगी और हर दो सप्ताह में प्रगति रिपोर्ट और एक केंद्रीकृत ट्रैकिंग डैशबोर्ड के माध्यम से कार्यक्रम के लक्ष्यों को पूरा किया जाएगा।5जी इनोवेशन हैकाथॉन 2025 को सहयोग और नवाचार को बढ़ावा देकर 5जी तकनीक की परिवर्तनकारी क्षमता के उपयोग करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। प्रयोगशाला अनुसंधान और बाजार-तैयार समाधानों को जोड़ने के लक्ष्य के साथ आयोजित यह हैकाथॉन, 5जी नवाचार में अग्रणी होने के भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है। - नयी दिल्ली ।अमेरिकी केंद्रीय बैंक के ब्याज दर पर निर्णय, वैश्विक रुझान, शुल्क से संबंधित घटनाक्रम और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की गतिविधियां इस सप्ताह स्थानीय शेयर बाजार की दिशा तय करेंगी। विश्लेषकों ने यह राय जताई है। वृहद आर्थिक आंकड़ों की घोषणा के बीच फरवरी के लिए थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़े सोमवार को आएंगे। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘वैश्विक व्यापार को लेकर लगातार अनिश्चितताएं और अमेरिका में मंदी की आशंका स्थानीय बाजार की रफ्तार को प्रभावित कर रही है। यह रुख जारी रहेगा।'' उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, हालिया ‘करेक्शन' के बाद मूल्यांकन में कमी, साथ ही कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट, डॉलर सूचकांक में नरमी और आने वाली तिमाहियों में घरेलू कंपनियों की आमदनी में उछाल की उम्मीद जैसे कारक बाजार के उतार-चढ़ाव पर कुछ अंकुश लगा सकते हैं। हालांकि, मौजूदा व्यापार को लेकर अनिश्चितताएं बरकरार हैं।'' नायर ने कहा, ‘‘इस सप्ताह चीन के खुदरा बिक्री और औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े वहां की आर्थिक वृद्धि दर को लेकर स्पष्ट तस्वीर पेश करेंगे।'' उन्होंने कहा कि इसके अलावा निवेशकों की निगाह अमेरिकी के खुदरा बिक्री और उत्पादन के आंकड़ों पर भी रहेगी। साथ ही सप्ताह के दौरान बैंक ऑफ इंग्लैंड भी ब्याज दर को लेकर निर्णय की घोषणा करेगा। इसपर भी सभी की निगाह रहेगी। पिछले सप्ताह वैश्विक व्यापार को लेकर तनाव बढ़ने और अमेरिका में मंदी की आशंका से निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई थी। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के प्रमुख- शोध, संपदा प्रबंधन सिद्धार्थ खेमका ने कहा, ‘‘इस सप्ताह, हमारा अनुमान है कि कि बाजार कुछ उतार-चढ़ाव के साथ सीमित दायरे में रहेगा। बाजार की दिशा वैश्विक रुख और अमेरिकी शुल्क नीतियों से तय होगी।'' पिछले सप्ताह छुट्टियों के कारण कम कारोबारी सत्रों के दौरान बीएसई के 30 शेयरों वाले सेंसेक्स में 503.67 अंक या 0.67 प्रतिशत की गिरावट आई। वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 155.21 अंक या 0.68 प्रतिशत के नुकसान में रहा। मेहता इक्विटीज लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) प्रशांत तापसे ने कहा, ‘‘निवेशक डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा भारतीय वस्तुओं पर शुल्क लगाए जाने की आशंका और इसके कुल प्रभाव को लेकर चिंतित हैं। ऐसे में कुछ और समय तक नकारात्मक रुख बने रहने की संभावना हैं।''
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नयी दिल्ली,। स्थानीय शेयर बाजारों में कमजोरी के रुख के बीच सेंसेक्स की शीर्ष 10 में से पांच कंपनियों के बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) में पिछले सप्ताह सामूहिक रूप से 93,357.52 करोड़ रुपये की गिरावट आई। सबसे अधिक नुकसान सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों इन्फोसिस और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) को हुआ। बीते सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 503.67 अंक या 0.68 प्रतिशत नीचे आया। वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी में 155.3 अंक या 0.69 प्रतिशत का नुकसान रहा। होली के अवसर पर शुक्रवार को शेयर बाजार बंद थे। समीक्षाधीन सप्ताह में इन्फोसिस, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, हिंदुस्तान यूनिलीवर, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और रिलायंस इंडस्ट्रीज के बाजार मूल्यांकन में गिरावट आई। वहीं आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईटीसी, बजाज फाइनेंस और भारती एयरटेल का बाजार पूंजीकरण चढ़ गया। इन पांच कंपनियों के बाजार मूल्यांकन में सामूहिक रूप से 49,833.62 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई। समीक्षाधीन सप्ताह में इन्फोसिस का बाजार पूंजीकरण 44,226.62 करोड़ रुपये घटकर 6,55,820.48 करोड़ रुपये रह गया। टीसीएस का मूल्यांकन 35,800.98 करोड़ रुपये घटकर 12,70,798.97 करोड़ रुपये पर आ गया। शीर्ष 10 कंपनियों की सूची में यह खिसक कर तीसरे स्थान पर आ गई। हिंदुस्तान यूनिलीवर की बाजार हैसियत 6,567.11 करोड़ रुपये घटकर 5,11,235.81 करोड़ रुपये रह गई। एसबीआई का मूल्यांकन 4,462.31 करोड़ रुपये घटकर 6,49,489.22 करोड़ रुपये रह गया। रिलायंस इंडस्ट्रीज के मूल्यांकन में 2,300.50 करोड़ रुपये की गिरावट आई और यह घटकर 16,88,028.20 करोड़ रुपये पर आ गया। इस रुख के उलट आईसीआईसीआई बैंक की बाजार हैसियत 25,459.16 करोड़ रुपये बढ़कर 8,83,202.19 करोड़ रुपये हो गई। एचडीएफसी बैंक का बाजार मूल्यांकन 12,591.60 करोड़ रुपये बढ़कर 13,05,169.99 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। आईटीसी का बाजार पूंजीकरण 10,073.34 करोड़ रुपये बढ़कर 5,15,366.68 करोड़ रुपये हो गया। बजाज फाइनेंस का मूल्यांकन 911.22 करोड़ रुपये बढ़कर 5,21,892.47 करोड़ रुपये पर और भारती एयरटेल का 798.30 करोड़ रुपये के उछाल के साथ 9,31,068.27 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। शीर्ष 10 कंपनियों की सूची में रिलायंस इंडस्ट्रीज पहले स्थान पर कायम रही। उसके बाद क्रमश: एचडीएफसी बैंक, टीसीएस, भारती एयरटेल, आईसीआईसीआई बैंक, इन्फोसिस, भारतीय स्टेट बैंक, बजाज फाइनेंस, आईटीसी और हिंदुस्तान यूनिलीवर का स्थान रहा।
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नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने शनिवार को एक बयान जारी कर हाल ही में इंडसइंड बैंक लिमिटेड को लेकर चल रही अटकलों पर सफाई दी। RBI ने दोहराया कि यह बैंक अच्छी तरह से पूंजीकृत (well-capitalised) और वित्तीय रूप से स्थिर है। यह स्पष्टीकरण बैंक से जुड़े हालिया घटनाक्रमों के चलते पैदा हुई चिंताओं के बीच आया है।
RBI के अनुसार, इंडसइंड बैंक का कैपिटल एडेक्वेसी रेशियो (CAR) 16.46 प्रतिशत था, जबकि प्रोविजन कवरेज रेशियो (PCR) 31 दिसंबर, 2024 को समाप्त तिमाही के लिए 70.20 प्रतिशत था। इसके अलावा, लिक्विडिटी कवरेज रेशियो (LCR) 9 मार्च, 2025 तक 113 प्रतिशत था, जो रेगुलेटरी रिक्वायरमेंट 100 प्रतिशत से काफी ऊपर है।RBI ने अपने प्रेस रिलीज में कहा, “बैंक के ऑडिटर द्वारा समीक्षित वित्तीय परिणामों (auditor-reviewed financial results) के अनुसार, 31 दिसंबर, 2024 को समाप्त तिमाही के लिए बैंक ने 16.46 प्रतिशत का आरामदायक कैपिटल एडेक्वेसी रेशियो और 70.20 प्रतिशत का प्रोविजन कवरेज रेशियो बनाए रखा है। बैंक का लिक्विडिटी कवरेज रेशियो (LCR) 9 मार्च, 2025 तक 113 प्रतिशत था, जबकि रेगुलेटरी रिक्वायरमेंट 100 प्रतिशत है।”सभी जरूरी कदम उठाए बैंक: RBIकेंद्रीय बैंक ने यह भी पुष्टि की कि इंडसइंड बैंक ने अपनी इंटरनल सिस्टम की जांच और किसी भी वित्तीय प्रभाव को समझने के लिए एक बाहरी ऑडिट टीम को पहले ही नियुक्त कर लिया है। RBI ने बैंक के बोर्ड और मैनेजमेंट को निर्देश दिया है कि वे Q4FY25 के भीतर सभी जरूरी सुधार कदम पूरे करें और स्टेकहोल्डर्स के लिए पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित करें।RBI ने कहा, “सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध खुलासों के आधार पर, बैंक ने अपनी मौजूदा प्रणालियों की समीक्षा और वास्तविक प्रभाव को जल्द से जल्द समझने व हिसाब करने के लिए एक बाहरी ऑडिट टीम को पहले ही नियुक्त कर लिया है।”इसमें आगे कहा गया, “बोर्ड और प्रबंधन को रिजर्व बैंक ने निर्देश दिया है कि सभी स्टेकहोल्डर्स को आवश्यक खुलासे करने के बाद, वर्तमान तिमाही यानी Q4FY25 के दौरान सुधारात्मक कदम पूरी तरह से पूरे किए जाएं।”RBI ने जमाकर्ताओं को आश्वासन दिया कि अटकलों भरे रिपोर्ट्स पर प्रतिक्रिया करने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि बैंक की वित्तीय सेहत स्थिर है और यह नियामक की करीबी निगरानी में है।केंद्रीय बैंक का जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करने का एक अच्छा रिकॉर्ड है। उसने पहले भी वित्तीय चुनौतियों जैसे YES बैंक, RBL बैंक, और ग्लोबल ट्रस्ट बैंक के पतन में हस्तक्षेप किया है। यहां तक कि PMC बैंक (2019) जैसे लंबे संकटों में भी, RBI ने जमाकर्ताओं की सुरक्षा के लिए कदम उठाए हैं। हालांकि, इंडसइंड बैंक की स्थिति अलग है, क्योंकि नए फाइनेंशियल डेटा से पुष्टि होती है कि कोई संकट नहीं है। -
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक को सेंट्रल बैंकिंग लंदन द्वारा डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन अवार्ड 2025 से सम्मानित किया गया है। आरबीआई को ‘प्रवाह’ और ‘सारथी’ डिजिटल पहल के लिए चुना गया है। इससे केंद्रीय बैंक में पेपर का इस्तेमाल कम हुआ है।
आरबीआई ने अपने एक्स हैंडल पर घोषणा की कि केंद्रीय बैंक को डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन अवॉर्ड 2025 के लिए चुना गया है। केंद्रीय बैंक ने पोस्ट में लिखा, “आरबीआई को इन-हाउस डेवलपर टीम द्वारा डेवलप किए गए ‘प्रवाह’ और ‘सारथी’ सिस्टम सहित अपनी पहलों के लिए सम्मानित और मान्यता दी गई है। पुरस्कार समिति ने इस बात पर गौर किया कि दोनों डिजिटल पहलों ने पेपर-बेस्ड सबमिशन के इस्तेमाल को कम किया है, जिससे आरबीआई की आंतरिक और बाहरी प्रक्रियाओं में बदलाव आया है।”सेंट्रल बैंकिंग ने एक प्रेस बयान में कहा कि ये दोनों पहल इस काम के लिए महत्वपूर्ण रही हैं। सारथी पहल के साथ आरबीआई के सभी इंटरनल वर्कफ्लो डिजिटल हो गए हैं। जनवरी 2023 में लाइव होने वाली इस पहल के साथ कर्मचारियों को डॉक्यूमेंट्स को सुरक्षित रूप से स्टोर और शेयर करने की सुविधा मिली। साथ ही रिकॉर्ड मैनेजमेंट में भी सुधार हुआ। डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन का दूसरा चरण मई 2024 में ‘प्रवाह’ के रूप में शुरू किया गया, जिसने एक्सटर्नल यूजर्स के लिए आरबीआई को विनियामक आवेदन प्रस्तुत करने के लिए एक डिजिटल माध्यम बनाया।प्रवाह पोर्टल के जरिए सबमिट और प्रोसेस्ड डॉक्यूमेंट्स को फिर सारथी डेटाबेस में प्लग किया जाता है, जहां उन्हें सेंट्रलाइज्ड साइबर सिक्योरिटी सिस्टम और डिजिटल ट्रैकिंग के साथ आरबीआई के ऑफिस में डिजिटल रूप से संभाला जा सकता है।सारथी को सफलतापूर्वक अपनाना आंशिक रूप से आवश्यक समर्थन संरचनाओं को स्थापित करने में टीम के काम के कारण है।आईटी टीम ने सिस्टम बनाने से पहले कर्मचारियों की जरूरतों को समझने के लिए उनके साथ एक लंबी सहयोगी प्रक्रिया में भाग लिया और अपग्रेड को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक विभाग से वरिष्ठ ‘नोडल अधिकारी’ नियुक्त किए।ऑनलाइन सारथी पाठशाला (‘स्कूल’) यूजर्स को सिस्टम से परिचित होने में मदद करती है और पाठशाला को इन-पर्सन ट्रेनिंग के साथ शुरू किया गया था। इसके अलावा, सारथी मित्र (‘मित्र’) प्रत्येक आरबीआई ऑफिस में ऐसे लोग होते हैं जो सिस्टम को अच्छी तरह से जानते हैं और किसी भी मुद्दे पर सहकर्मियों की मदद कर सकते हैं। -
नयी दिल्ली. वैश्विक बाजारों में मजबूती के रुख के बीच बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोने की कीमत 600 रुपये की तेजी के साथ 89,450 रुपये प्रति 10 ग्राम के सर्वकालिक उच्चस्तर पर जा पहुंची। स्थानीय कारोबारियों ने यह जानकारी दी है। बुधवार को 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 88,850 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था। 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 600 रुपये बढ़कर 89,050 रुपये प्रति 10 ग्राम के उच्चस्तर पर फिर से जा पहुंचा। पहले यह 88,450 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था। 20 फरवरी को, 99.9 प्रतिशत और 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत 50 रुपये बढ़कर 89,450 रुपये और 89,050 रुपये प्रति 10 ग्राम के उच्चस्तर पर पहुंच गई। चांदी की कीमत भी 1,000 रुपये की तेजी के साथ करीब पांच माह के उच्च स्तर 1,01,200 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई। पिछले कारोबारी सत्र में यह 1,00,200 रुपये प्रति किलोग्राम बंद हुई थी। एचडीएफसी सिक्योरिटीज में वरिष्ठ विश्लेषक (जिंस), सौमिल गांधी ने कहा, ‘‘सुरक्षित-निवेश के लिए मांग तथा उम्मीद से कहीं नरम अमेरिकी उपभोक्ता मुद्रास्फीति आंकड़ों (जिससे इस वर्ष फेडरल रिजर्व द्वारा मौद्रिक नरमी बरतने का मामला बनता है) के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की हाजिर कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई तक मजबूत हो गयी तथा घरेलू बाजार में यह एक नए रिकॉर्ड पर पहुंच गईं। वैश्विक मोर्चे पर, हाजिर सोना 11.67 बढ़कर 2,946.44 डॉलर प्रति औंस हो गया।
गांधी ने कहा कि व्यापारी अब अमेरिकी वृहद आर्थिक आंकड़ों पर नजर लगाये हैं, जिसमें साप्ताहिक बेरोजगार दावे और पीपीआई/कोर पीपीआई (निर्माता मूल्य सूचकांक) शामिल हैं, ताकि समग्र मुद्रास्फीति आंकड़ों के बारे में अधिक संकेत प्राप्त किया जा सके. -
नयी दिल्ली. वित्तीय सेवा कंपनी मॉर्गन स्टेनली ने कहा कि वृहद आर्थिक स्थिरता से प्रभावित नीतियों और बेहतर बुनियादी ढांचे के साथ भारत 2028 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा। इसके साथ यह दुनिया का सबसे अधिक मांग वाला उपभोक्ता बाजार होगा और वैश्विक उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी बढ़ेगी। भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 2023 में 3,500 अरब डॉलर था और इसके 2026 में 4,700 अरब डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है। इससे यह अमेरिका, चीन और जर्मनी के बाद दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हो जाएगा। भारत 2028 में जर्मनी से आगे निकल जाएगा क्योंकि इसकी अर्थव्यवस्था 5,700 अरब डॉलर तक हो जाएगी।
मॉर्गन स्टेनली के अनुसार, भारत 1990 में दुनिया की 12वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। यह 2000 में 13वें स्थान पर खिसक गया। 2020 में यह नौवें स्थान पर और 2023 में पांचवें स्थान पर पहुंच गया। विश्व जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में भारत की हिस्सेदारी 2029 में 3.5 प्रतिशत से बढ़कर 4.5 प्रतिशत होने का अनुमान है। रिपोर्ट में भारत के विकास के लिए तीन परिदृश्यों का अनुमान लगाया गया है। पहली स्थिति नरमी है, जहां अर्थव्यवस्था 2025 में 3,650 अरब डॉलर से बढ़कर 2035 तक 6,600 अरब डॉलर हो जाएगी। दूसरा आधार है, जहां यह बढ़कर 8,800 अरब डॉलर हो जाएगी और तीसरा परिदृश्य तेजी का है, जहां आकार बढ़कर 10,300 अरब डॉलर हो जाएगा। इसमें कहा गया है कि प्रति व्यक्ति जीडीपी 2025 में 2,514 डॉलर से बढ़कर 2035 में नरमी के परिदृश्य में 4,247 डॉलर, आधार परिदृश्य के तहत 5,683 डॉलर और तेजी के परिदृश्य के तहत 6,706 डॉलर हो जाएगी। रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘आने वाले दशकों में वैश्विक उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी बढ़ सकती है। इसका कारण मजबूत जनसंख्या वृद्धि, लोकतंत्र, वृहद आर्थिक स्थिरता से प्रभावित नीति, बेहतर बुनियादी ढांचा, बढ़ता हुआ उद्यमी वर्ग और सामाजिक परिणामों में सुधार है।'' मॉर्गन स्टेनले ने कहा, ‘‘इसका तात्पर्य यह है कि भारत दुनिया का सबसे अधिक मांग वाला उपभोक्ता बाजार होगा, यह एक प्रमुख ऊर्जा बदलाव से गुजरेगा, कर्ज-जीडीपी अनुपात बढ़ेगा और जीडीपी में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ सकती है।'' वर्तमान समय की बात करें तो मॉर्गन स्टेनली के अनुसार वृद्धि में सुधार होने की संभावना है।रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘हाल के सप्ताह में महत्वपूर्ण आंकड़ों का रुख मिला-जुला रहा है। लेकिन कुछ महीने पहले की तुलना में स्पष्ट रूप से बेहतर हैं। हमें उम्मीद है कि 2024 की दूसरी छमाही में नरमी के बाद राजकोषीय और मौद्रिक नीति समर्थन, सेवा निर्यात में सुधार के साथ आर्थिक वृद्धि में सुधार होगा।'' मॉर्गन स्टेनले ने कहा कि 31 मार्च, 2025 को समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि के 6.3 प्रतिशत और अगले वर्ष 6.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘वृहद आर्थिक स्थिरता संतोषजनक स्तर पर रहेगी। जिससे नीति निर्माताओं के लिए चीजें बेहतर होंगी।'' आगे चलकर, खपत में सुधार व्यापक आधार पर होने की उम्मीद है क्योंकि आयकर में कटौती शहरी मांग को बढ़ावा देगी। इससे ग्रामीण खपत स्तरों में तेजी की प्रवृत्ति को समर्थन मिलेगा। मॉर्गन स्टेनले के अनुसार, निवेश को देखा जाए तो सार्वजनिक और घरेलू पूंजीगत व्यय से वृद्धि को गति मिली है। जबकि निजी कॉरपोरेट पूंजीगत व्यय में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। सेवा निर्यात में मजबूती श्रम बाजार के दृष्टिकोण के लिए अच्छा संकेत है। साथ ही मुद्रास्फीति में नरमी से क्रय शक्ति में सुधार होने की संभावना है। - नयी दिल्ली. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने उद्योगपति एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक का भारत में स्वागत करते हुए कहा कि इससे दूरदराज के इलाकों में रेलवे परियोजनाओं को मदद मिलेगी। वैष्णव ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘स्टारलिंक, भारत में आपका स्वागत है! इससे दूरदराज के क्षेत्रों की रेलवे परियोजनाओं को मदद मिलेगी।'' वैष्णव सूचना एवं प्रसारण के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री भी हैं।उनकी यह टिप्पणी उद्योगपति मुकेश अंबानी की ‘जियो प्लेटफॉर्म्स' और सुनील मित्तल की ‘भारती एयरटेल' के साथ दो अलग-अलग समझौते के बाद आई है। ये समझौते मस्क के नेतृत्व वाली कंपनी स्पेसएक्स द्वारा भारत में स्टारलिंक की ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाएं लाने के लिए किए गए हैं।
- नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बुधवार को संसद को बताया कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शुरू की गई 5G सर्विस वर्तमान में देश के 776 में से 773 जिलों में उपलब्ध हैं, जिसमें लक्षद्वीप भी शामिल है। संचार और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री चंद्रशेखर पेम्मासानी ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में लोकसभा को बताया कि 28 फरवरी तक देश भर में टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स (टीएसपी) द्वारा 4.69 लाख 5G बेस ट्रांसीवर स्टेशन (बीटीएस) स्थापित किए गए हैं।संचार मंत्रालय अनुसार, टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स (टीएसपी) ने देश भर में 5G सर्विस का विस्तार किया है और स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए नोटिस इनवाइटिंग एप्लीकेशन (एनआईए) में निर्धारित न्यूनतम रोलआउट दायित्वों से आगे निकल गए हैं। इन दायित्वों से आगे मोबाइल सर्विस का विस्तार टीएसपी के टेक्नो-कमर्शियल विचार पर निर्भर करता है।सरकार ने देश में 5G सर्विस को शुरू करने के लिए कई पहल की हैं, जैसे 5G मोबाइल सर्विस के लिए स्पेक्ट्रम की नीलामी, एडजस्टेड ग्रोस रेवेन्यू (एजीआर), बैंक गारंटी (बीजी) और ब्याज दरों को रेशनलाइज करने के लिए वित्तीय सुधार, 2022 की नीलामी और उसके बाद प्राप्त स्पेक्ट्रम के लिए स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क को हटाना। इसके अलावा मंजूरी के लिए प्रक्रिया का सरलीकरण, आरओडब्ल्यू अनुमतियों और दूरसंचार अवसंरचना की स्थापना की मंजूरी को सुव्यवस्थित करने के लिए पीएम गतिशक्ति संचार पोर्टल और आरओडब्ल्यू (राइट ऑफ़ वे) नियमों का शुभारंभ और छोटे सेल और दूरसंचार लाइन की स्थापना के लिए स्ट्रीट फर्नीचर के उपयोग के लिए समयबद्ध अनुमति आदि। सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के अनुसार, भारतीय टेलीकॉम इंडस्ट्री घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तरों पर शानदार वृद्धि कर रही है और इसमें विस्तार की अपार संभावनाएं हैं। लगभग 1,187 मिलियन ग्राहकों के साथ, शहरी टेली-घनत्व 131.01 प्रतिशत तक पहुंच गया है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में टेली-घनत्व 58.31 प्रतिशत है। 5G का रोल-आउट तेजी से आगे बढ़ रहा है, जिसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), स्वदेशी डेटा सेट और लोकलाइज्ड डेटा सेंटर की स्थापना के साथ आसान बनाया जा रहा है।