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- गर्मियों के मौसम में लस्सी और छाछ पीना लगभग हर किसी को पसंद होता है। वैसे भी ये दही को डाइट में शामिल करने से शरीर को ना केवल पौष्टिक तत्व मिल जाते हैं बल्कि ये शरीर को गर्मी से भी बचाते हैं। आज हम बता रहे हैं स्वादिष्ट छाछ बनाने की विधिछाछ बनाने की सामग्रीआधा कप दही, एक कप पानी, खीरा कद्दूकस किया हुआ, ताजा पुदीने के पत्ते, काला नमक स्वादानुसार, काली मिर्च पाउडर, बर्फ के टुकड़े।छाछ बनाने की विधिसबसे पहले दही और पानी के साथ बर्फ को मिलाकर अच्छे से मिक्सी या ग्लाइंडर में ब्लेंड कर लें। इसमे नमक, काली मिर्च, खीरा डालकर मिक्स करें। अब सर्व करते समय पुदीने की पत्तियों को डालें और छाछ निकालकर गिलास में सर्व करें। तैयार है गर्मियों का देसी ड्रिंक जो आपको तरोताजा रखने के साथ ही सेहतमंद भी बनाएगी।
- देश मे लगातार कोरोना संक्रमण को देखते हुए देश में बड़े स्तर पर टीकाकरण भी किया जा रहा है, ताकि लोग संक्रमण से बचे रहें। वहीं दूसरी तरफ वैक्सीन लगवाने के बाद कुछ लोगों को इसके साइड इफेक्ट्स का भी सामना करना पड़ रहा है। मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक वैक्सीन लगवाने के बाद कुछ लोगों को बुखार या बदन दर्द जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।वैक्सीन लगवाने के बाद होने वाले साइड इफेक्ट्स से बचाव के लिए क्या किया जाए। इसको लेकर हार्वर्ड न्यूट्रीशियन ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर की है। इसके माध्यम से उन्होंने बताया कि वैक्सीन लगवाने से पहले और बाद में अपनी डाइट में कुछ चीजें शामिल कर लें। दरअसल सेहत को बेहतर बनाए रखने में हमारी डाइट की अहम भूमिका होती है। संक्रमण के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए वैक्सीन लगवाएं और कुछ चीजें ध्यान में रखें तो आपको इसका फायदा ही होगा।ताज़ी सब्जियां शामिल करेंअपनी डाइट में हरी सब्जियों को शामिल जरूर करें। हरी सब्जियां कई पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं। पालक, केले और ब्रोकोली जैसी सब्जियां जरूर शामिल करें। ये एंटीऑक्सिडेंट में भरपूर होती हैं, जो शरीर में होने वाली सूजन को दूर करने में मददगार होती हैं।हेल्थी होममेड सूपशरीर की इम्यून पावर को बढ़ाने के लिए बेहतर आहार लेना बहुत जरूरी है. इसके लिए आप स्टू और सूप का सेवन करें।एंटी इंफ्लेमेटरी ब्लूबेरीएंटी इंफ्लेमेटरी फ़ूड में शामिल है ब्लूबेरी। यह शरीर में सेरोटोनिन का स्तर बढ़ाती है। इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जो कई बीमारियों से बचाव और उनकी रोकथाम में सहायक होती है।अच्छे बैक्टीरिया वाले प्याज -लहसुनप्रोबायोटिक्स से समृद्ध हैं प्याज और लहसुन। प्याज फाइबर और प्रीबायोटिक्स(अच्छे बैक्टीरिया) का एक समृद्ध स्रोत है, जो आंतों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं।इम्युनिटी को बढ़ाती हल्दीहमारे शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाती है जिस वजह से तमाम तरह की संक्रामक बीमारियों से बचाव होता है। सूजन से लडऩे में भी कारगर है हल्दी। साथ ही आपके मस्तिष्क को तनाव से भी बचाती है। हल्दी में पाया जाने वाला रसायन करक्यूमिन तनाव को कम करने में सहायक है।
- कोरोना वैक्सीनेशन का तीसरा फेस 1 मई से शुरू होने जा रहा है। 1 मई के बाद हमारे देश में 18 साल से अधिक के लोग वैक्सीन लगा सकते हैं। इससे पहले यह जानना जरूरी है कि वैक्सीनेशन से पहले और बाद में अपने शरीर का किस तरह से ध्यान रखना जरूरी है। हमारे आसपास के लोग वैक्सीनेशन से जुड़े कई टिप्स शेयर कर रहें हैं। इन टिप्स में से कई हमारे लिए लाभकारी भी हो सकते हैं और कुछ ऐसे भी टिप्स हो सकते हैं जो महज एक मिथ है। इसलिए खुद को सुरक्षित रखने के लिए सही जानकारी होना बहुत ही जरूरी है। चलिए जानते हैं वैक्सीनेशन से पहले और बाद में हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं-अमेरिका के सीडीसी (सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन) के अनुसार, वैक्सीनेशन के बाद बेहोशी, मांसपेशियों में दर्द, नजला, फीवर, सिरदर्द जैसे लक्षण दिख रहे हैं। ऐसी स्थिति में भरपूर पानी पीने की जरूरत है। शरीर को डिहाइड्रेट करके और इन लक्षणों को कम कर सकते हैं। साथ ही वैक्सीनेशन से पहले और बाद में शराब न सेवन न करना ही स्वास्थ्य के लिए बेहतर है। शराब के सेवन से न सिर्फ इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, बल्कि इससे डिहाइड्रेशन की समस्या भी बढ़ती है। इतना ही नहीं शराब पीने से स्ट्रेस लेवल भी बढ़ता है और इस स्थिति में मेंटली और फिजीकली स्ट्रॉन्ग होना बहुत ही जरूरी है।खाली पेट न लगाएं वैक्सीनवैक्सीन लगाने से कुछ खा जरूर लें। रात में भूखे पेट न सोएं। ऐसा करने से चक्कर आने की समस्या उत्पन्न हो सकती है। अगर आप वैक्सीन लगाने जा रहे हैं, तो घर में बना खाना- जैसे- दही, अंडे, हेल्दी बार, नट्स या फिर फ्रूट्स का सेवन करें, ताकि बेहोशी की समस्या ना हो। एक्सपर्ट का कहना है कि वैक्सीन लगाने के तुरंत बाद शरीर का इम्यून सिस्टम तेजी से कार्य करने लगता है, जिसके कारण हाथों में दर्द, हल्के-फुल्के बुखार और शरीर में दर्द जैसे साइड-इफेक्ट्स दिख सकते हैं। इसलिए इस दौरान शारीरिक कमजोरी होने से परेशानी बढ़ सकती है। इसलिए अपने पेट को खाली न रखें।क्या वैक्सीनेशन के बाद कर सकते हैं एक्सरसाइज?वैक्सीनेशन के बाद आराम बहुत ही जरूरी है, खासतौर पर जब आप अच्छा फील नहीं कर रहे हैं। लेकिन हल्के-फुल्के एक्सरसाइज जरूरी हैं। इस दौरान हैवी एक्सरसाइज करने की जरूरत नहीं है, लेकिन ब्रिक्स वॉक कर सकते हैं। इसके साथ ही हल्के-फुल्के एक्सरसाइज करें। कोरोनाकाल में हम में से अधिकतर लोगों ने एक्सरसाइज करना बंद कर दिया है, लेकिन हर किसी को प्रतिदिन हेल्दी और एक्सरसाइज की जरूरत होती है। ऐसे समय में बाहर नहीं जा सकते हैं, इसलिए घर में टहलें या फिर योग करें।वैक्सीनेशन के बाद क्या करें?वैक्सीनेशन के बाद कुछ लोगों को उल्टी, मतली की शिकायत हो सकती है। भले ही आपको यह परेशानी न हो, लेकिन वैक्सीनेशन के बाद तरल और आसानी से पचने वाले आहार का सेवन करें। वैक्सीनेशन के बाद वेजी सूप, सेब, केला, खरबूजा, नारियल पानी, ब्राउन राइस और आलू जैसे हेल्दी फूड्स को अपने डाइट में शामिल हैं। इस दौरान हैवी डाइट न लें। वैक्सीनेशन के बाद अगर आपकी भी भूख कम हो गई है, तो न भूख लगने पर भी कुछ घंटों में स्नैक्स लेने की कोशिश करें। ध्यान रहे कि इस दौरान आपके शरीर को संपूर्ण न्यूट्रीएंश की जरूरत होती है। ताकि आपका इम्यूम सिस्टम सुचारू रूप से कार्य कर सके।ंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिन के मुताबिक, महिलाओं के शरीर को प्रति दिन 11 कप यानि 2.7 लीटर तरल पदार्थ की आवश्यकता होती है। वहीं, पुरुषों की बात की जाए, तो उनके शरीर को एक दिन में 3.7 लीटर तरल पदार्थ की आवश्यकता होती है। लगभग 20 प्रतिशत तरल पदार्थ हमारे भोजन से शरीर को मिल जाते हैं, लेकिन बाकि बचा 8-12 कप हमें पानी या फिर ड्रिंक्स से पूरा करने की जरूरत होती है।
- करेले की सब्जी हर किसी को पसंद नहीं आती। इसका स्वाद भले ही कड़वा होता है, लेकिन सेहत के लिए यह काफी फायदेमंद है। करेले के कई औषधीय फायदे भी हैं। आज हम आपको बता रहे हैं कि कैसे करेले के उपयोग से आप कर सकते हैं रोजमर्रा की छोटी-छोटी समस्याओं को दूर...- पथरी की शिकायत है तो करेले के रस का सेवन करें तो बहुत लाभ होगा। इससे पथरी निकलने में मदद मिलेगी। ताजे करेले के रस का ही सेवन करें। कान में दर्द है तो करेले का रस निकालकर 4-4 बूंदें कान में डालें।-अगर करेले की जड़ ना मिले तो करेले के पत्ते को पीसकर थोड़ा गर्म करके पट्टी में बांधकर घाव पर लगा दें। इससे पस निकल जाएगी। घाव में होने वाले दर्द को भी करेले से कम किया जा सकता है.- घाव या फोड़ा होने पर करेले की जड़ को घिसकर फोड़े या घाव वाली जगह पर दें। इससे फोड़ा भी निकल जाएगा और पस भी निकल जाएगी।-पेट संबंधी दिक्कतों को दूर करने में करेला बहुत लाभदायक है। कम ही लोग जानते होंगे करेला और इसके जूस के अलावा करेले की पत्तियां और छिलका भी बहुत लाभदायक होता है।- करेला मधुमेह में रामबाण औषधि का काम करता है। करेले के टुकड़ों को छाया में सुखाकर पीसकर महीन पाउडर बना लें। रोजाना सुबह खाली पेट एक चम्मच पाउडर का पानी के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है। एक-चौथाई कप करेले के रस में समान मात्रा में गाजर का रस मिलाकर पीना फायदेमंद होता है। 10 ग्राम करेले के रस में शहद मिलाकर रोजाना पीने से मधुमेह नियंत्रण में रहता है। 10 ग्राम करेले के रस में 6 ग्राम तुलसी के पत्तों का रस मिलाकर रोज सुबह खाली पेट पीना लाभकारी है। एक करेले को एक कप पानी में अच्छी तरह उबालकर पिएं। आप इसमें हरे सेब का रस, आंवले का रस या 2-3 चुटकी हींग मिलाकर पी सकते हैं।रोजाना 5 ग्राम करेले का रस पीते रहने वाले लोगों को डायबिटीज में फायदा दिखने लगता है>- करेले में मौजूद बिटर्स और एल्केलाइड तत्व रक्त शोधक का काम करते हैं। करेले की सब्जी खाने और मिक्सी में पीस कर बना लेप रात में सोते समय लगाने से फोड़े-फुंसी और त्वचा रोग नहीं होते। दाद, खाज, खुजली, सियोरोसिस जैसे त्वचा रोगों में करेले के रस में नींबू का रस मिलाकर पीना फायदेमंद है।-करेला रक्तशोधक होता है। चर्म रोगी को भी यह लाभकारी है। फोड़े फुंसी तथा अन्य चर्म रोगों पर करेले का रस लगाने से बहुत लाभ होता है। प्रतिदिन सुबह-शाम आधा चम्मच रस बराबर मात्रा में शहद के साथ लेने से खून की खराबियों को दूर करता है तथा खून साफ हो जाता है। करेला खून की शुद्धि करने में पूरी तरह सक्षम है। यदि त्वचा-रोग हो तो भी रक्त-शुध्दि हेतु करेले का रस कुछ दिनों तक आधा-आधा कप पीना लाभदायक है। इस प्रकार करेला अनेक रोगों में औषधि रूप में काम आ सकता है बशर्ते उसे उसी रूप में लिया जाये- रस या सब्जी बनाकर।- करेले में मौजूद खनिज और विटामिन शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं जिससे कैंसर जैसी बीमारी का मुकाबला भी किया जा सकता है।- करेला हमारी पाचन शक्ति को बढ़ाता है जिसके कारण भूख बढ़ती है। करेले ठंडा होता है, इसलिए यह गर्मी से पैदा हुई बीमारियों के उपचार के लिए फायदेमंद है। यदि पाचन शक्ति कमजोर हो तो किसी भी प्रकार करेले का नित्य सेवन करने से पाचन शक्ति मजबूत होती है। करेला स्वयं भी शीघ्र पचता है।-प्रति 100 ग्राम करेले में लगभग 92 ग्राम नमी होती है। साथ ही इसमें लगभग 4 ग्राम कार्बोहाइडेट, 15 ग्राम प्रोटीन, 20 मिलीग्राम कैल्शियम, 70 मिलीग्राम फास्फोरस, 18 मिलीग्राम, आयरन तथा बहुत थोड़ी मात्रा में वसा भी होती है। इसमें विटामिन ए तथा सी भी होती है जिनकी मात्रा प्रति 100 ग्राम में क्रमश: 126 मिलीग्राम तथा 88 मिलीग्राम होती है।
- भोजन का स्वाद बढ़ाना हो या सलाद की प्लेट की शोभा, दोनों ही प्याज के बिना अधूरे से लगते हैं। प्याज न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाता है बल्कि इसका नियमित सेवन व्यक्ति को कई रोगों से भी दूर रखता है। सफेद प्याज में एंटी-इंफ्लेमेट्री, एंटी-एलर्जिक, एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-कार्सिनोजेनिक गुण प्रचूर मात्रा में मौजूद होते हैं। इतना ही नहीं सफेद प्याज में विटामिन ए, बी6, बी-कॉम्प्लेक्स, आयरन, फोलेट और पोटैशियम जैसे तत्व भी पाए जाते हैं। इसका नियमित सेवन करने से व्यक्ति को कई गजब के लाभ मिलते हैं। आइए जानते हैं।सफेद प्याज का सेवन करने के फायदे-इम्यूनिटी-सफेद प्याज में मौजूद सेलेनियम व्यक्ति की इम्यूनिटी बढ़ाने का काम करता है। सेलेनियम वायरल और एलर्जी के मैनेजमेंट में भी एक अच्छी भूमिका निभाता है। अपनी इम्यूनिटी को मजबूत बनाने के लिए आप भी डाइट में सफेद प्याज को शामिल कर सकते हैं।पेट की सेहत का रखता है ध्यान-सफेद प्याज फाइबर और प्रीबायोटिक्स का एक अच्छा स्रोत है जो आपके पेट की सेहत का ध्यान रखता है। प्याज में खासकर प्रीबायोटिक इनुलिन और फ्रुक्टो ओलिगोसैचेराइड्स प्रचूर मात्रा में पाए जाते हैं। और इसके नियमित उपयोग से आपके पेट में अच्छे बैक्टीरिया की संख्या बढ़ जाती है।डायबिटीज-सफेद प्याज में पाए जाने वाले क्वेर्सिटिन और सल्फर में एंटी डायबिटिक गुण मौजूद होते हैं, जो ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। डायबिटीज रोगियों के लिए प्याज का सेवन काफी फायदेमंद माना जाता है।झड़ते बालों की समस्या-बाल झड़ने की समस्या से परेशान हैं तो सफेद प्याज के रस को बालों पर लगाएं। इसके इस्तेमाल से बालों को मजबूत चमकदार और डैंड्रफ व असमय बाल सफेद होने जैसी समस्या से बचाया जा सकता है।स्पर्म काउंट-जिन पुरुषों के स्पर्म काउंट कम होते हैं वे लोग रोजाना सफेद प्याज का रस शहद में मिलाकर ले सकते हैं। ऐसा करने से तेजी से स्पर्म में वृद्धि होती है। प्याज में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट प्राकृतिक रूप से स्पर्म बढाने का कार्य करता है।
- गर्मियों के मौसम में ककड़ी खाने के हजारों फायदे हैं. ककड़ी में बहुत सारा पानी होता है जो हमें डीहाइड्रेशन से बचाता है. इसके साथ ही इसमें विटामिन A, C, K, पोटेशियम, ल्यूटीन, फाइबर जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं. आपको जानकर खुशी होगी कि ककड़ी से वेट लॉस में भी मदद मिलती है. जानें इसके फायदे...1. वेट लॉस में मिलती है मददककड़ी खाने से वजन कम किया जा सकता है. क्योंकि ककड़ी में बहुत कम कैलोरी होती है. इसके अलावा इसमें वजन बढ़ाने वाला कोई तत्व नहीं होता. फाइबर में भी ये बहुत रिच है. इस वजह से इसे खाने के बाद पेट भरा रहता है और कुछ खाने का मन नहीं होता.2. कोलेस्ट्रॉल करे कंट्रोलककड़ी खाने से कोलेस्ट्रॉल लेवल भी मेंटेन किया जा सकता है. इसमें एक तत्व होता है, जिसे हम स्टीरॉल कहते हैं. यह बॉडी में सही कोलेस्ट्रोल स्तर बनाकर रखता है.3. ब्लड प्रेशर भी रहता है सामान्य4. किडनी रहती है हेल्दीहम सब जानते हैं कि ककड़ी में पानी की मात्रा बहुत ज्यादा होती है. यह पोटेशियम के साथ मिलकर यूरिक एसिड और किडनी की अशुद्धियों को बॉडी से बाहर निकाल देता है.5. स्किन के लिए है रामबाणककड़ी स्किन और बालों के लिए अमृत के समान है. नियमिचत रूप से अगर ककड़ी खाई जाए तो बालों की ग्रोथ अच्छी होती है. साथ ही, स्किन भी चमकदार होती है. ककड़ी का जूस पीने से दाग-धब्बे गायब होने लगते हैं.6. हड्डियां होती हैं मजबूतककड़ी खाने से हड्डियां मजबूत होती हैं. इसमें विटामिन-K बहुत ज्यादा मात्रा में पाया जाता है. इससे बोन डेंसिटी बढ़ती है और हड्डियां मजबूत हो सकती हैं.7. कब्ज़ से मिलती है निजातककड़ी के नियमित सेवन से कब्ज़ की समस्या को दूर किया जा सकता है. इसके साथ ही गैस और इनडाइजेशन को भी कम करने में मदद मिलती है.
- देश भर में कोरोना का कहर लगातार जारी है। ऐसे में अपने शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता तो दुरुस्त रखना बहुत जरूरी है। आज हम 3 तरह के आयुर्वेदिक काढ़े के बारे में बताने जा रहे हैं. जो सर्दी-जुकाम को ठीक करने के साथ ही इम्युनिटी को स्ट्रॉन्ग बनाने में भी मददगार है। खास बात ये है कि इसमें इस्तेमाल होने वाली चीजें सभी की रसोई घरों में आसानी से मिल जाती है।ये हैं वो 3 स्पेशल काढ़े1. लौंग, काली मिर्च, अदरक और गुड़ का काढ़ाअगर खांसी, सर्दी-जुकाम या गले में खराश की शिकायत है, तो लौंग, काली मिर्च, अदरक और गुड़ का काढ़ा लाभदायक हो सकता है। इसके लिए लौंग और काली मिर्च को बारीक पीसकर अदरक और गुड़ के साथ पानी में डालकर उबालना होगा। इसमें कुछ तुलसी की पत्तियां भी डाल सकते हैं। जब उबलकर यह पानी आधा हो जाए तो समझ जाएं कि काढ़ा तैयार हो गया है। फिर काढ़े को छान लें और पी लें। इस काढ़े के सेवन से शरीर का इम्यून सिस्टम भी मजबूत होगा।2. अजवाइन का काढ़ाअजवाइन एक ऐसा मसाला है, जिसमें अनेक गुण मौजूद होते हैं। इसका सेवन खांसी, सर्दी-जुकाम जैसी समस्याओं में बेहद लाभकारी होता है। अजवाइन का काढ़ा बनाने के लिए एक पैन में 1 गिलास पानी, अजवाइन, काली मिर्च और तुलसी के पत्ते डाल लें । फिर पानी को 5 मिनट तक उबलने दें। जब यह पानी आधा हो जाए तो गैस बंद कर उतार लें। पीने के पहले चाहें तो इसमें थोड़ा सा शहद भी मिला सकते हैं। यह काढ़ा सर्दी-जुकाम और खांसी में के अलावा कई अन्य बीमारियों को भी दूर रखने में लाभदायक होता है। यह काढ़ा रोगों से लडऩे में शरीर की मदद करता है।3. दालचीनी का काढ़ादालचीनी का उपयोग लगभग हर घर में होता है। इसमें कई तरह के गुण मौजूद होते हैं, जिसके कारण औषधि के रूप में भी इसका उपयोग किया जाता है। दालचीनी का काढ़ा बनाने के लिए आधा चम्मच दालचीनी पाउडर को एक गिलास पानी में उबालना होगा। जब पानी अच्छी तरह से उबल जाए तो गैस बंद कर दें। हल्का गुनगुना रहने पर इसमें शहद मिलाकर पी लें। इससे सर्दी- जुकाम से बहुत जल्द राहत मिलती है। इसके अलावा दालचीनी के सेवन से दिल की बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। ये प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने के साथ ही कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में भी काफी मददगार होता है।
- भारत के ज्यादार घरों में गाय के दूध का इस्तेमाल होता है, लेकिन आजकल वीगन डायट का ट्रेंड बढ़ता जा रहा है। साथ ही कई लोगों को पांरपरिक दूध में पाए जाने वाले लैक्टोस से एलर्जी भी होती है। ऐसे लोगों के पास कुछ विकल्प हैं, जैसे कि .....सोया का दूधसभी प्लांट मिल्क की तुलना में सोया के दूध में सबसे ज्यादा प्रोटीन होता है। एक कप (240 एमएल) सोया के दूध में करीब 6 ग्राम प्रोटीन मिलता है। सोया मिल्क कैल्शियम और विटामिन डी से भी भरपूर होता है।बादाम का दूधबादाम के दूध की दुनिया में काफी डिमांड है। यह इसलिए क्योंकि बादाम खुद काफी पोषक है। इसमें प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, विटामिन ई और गुणकारी मोनोअनसैचुरेटेड फैट होता है. एक कप आल्मंड मिल्क में करीब 1 ग्राम प्रोटीन होता है। बादाम का दूध बच्चों और वयस्कों दोनें के लिए अच्छा विकल्प है, जिन्हें गाय या दूसरे जानवरों के दूध से एलर्जी है।काजू का दूधकाजू के दूध का स्वाद मलाईदार होता है। यह विटामिन, खनिज, हेल्थी फैट और अन्य लाभकारी तत्वों से भरपूर है। यह इम्यूनिटी, दिल, आंख और त्वचा के लिए भी लाभदायक है।नारियल का दूधकोकोनट मिल्क आजकल काफी ट्रेंड में है। यह सैचुरेटेड फैट से भरपूर होता है। एक कप नारियल के दूध में करीब 4 ग्राम प्रोटीन होता है। कोकोनट मिल्क का उपयोग अक्सर कई एशियाई व्यंजनों में किया जाता है।चावल का दूधसोया, पारंपरिक दूध और नट्स की तुलना में चावल में बहुत कम एलर्जेन होते हैं। इसमें करीब 1 ग्राम (एक कप) प्रोटीन होता है। जिन लोगों को लैक्टोस से एलर्जी है, उनके लिए यह एक अच्छा विकल्प है।कीनूआ का दूधकीनूआ एक तरह का अनाज है जिसे अक्सर सलाद के रुप में खाया जाता है। यह बाकी अनाजों की तुलना में ज्यादा प्रोटीन और फाइबर प्रदान करता है। यह ग्लूटेन-फ्री होता है और इसमें सभी आवश्यक अमीनो एसिड होते हैं। यह आयरन, मैग्नीशियम और जिंक से भरपूर है।ओट/जई का दूधओट मिल्क का स्वाद सौम्य और मलाईदार होता है। गाय के दूध की तुलना में ओट मिल्क में अधिक विटामिन बी-2 होता है। ओट/जई के दूध का इस्तेमाल मीठे और नमकीन दोनों प्रकार के व्यंजनों में किया जाता है। एक कप ओट मिल्क में करीब 4 ग्राम प्रोटीन होता है।तीसी का दूधबाजार में कई तरह के दूध के विकल्पों के बीच फ्लैक्स मिल्क भी मिलता है। फ्लैक्स मिल्क में डेयरी मिल्क के मुकाबले कम कैलोरी और कम फैट होता है।मटर का दूधसुनने में थोड़ा अजीब लगेगा लेकिन चिंता की बात नहीं है क्योंकि इस दूध का स्वाद हरे मटर की तरह नहीं होता। मटर के दूध में एक तिहाई सैचुरेटेड फैट होता है। इसमें गाय के दूध की तुलना में 50 प्रतिशत ज्यादा कैल्शियम होता है।
- पुदीने का रायता हो या पुदीने की चटनी, पुदीने का उपयोग स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है। वहीं आज हम बात कर रहे हैं पहाड़ी पुदीने की, जिसे अंग्रेजी में स्पियरमिंट भी कहा जाता है। बता दें कि पहाड़ी पुदीने के अंदर भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसके अंदर कॉपर, आयरन, मैग्नीशियम, वसा के साथ-साथ विटामिन सी, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फोलेट आदि भी मौजूद हैं। ऐसे में इसके उपयोग से कई समस्याएं जैसे मांसपेशियों में ऐंठन, सिर दर्द, गैस आदि समस्याएं दूर हो सकती हैं।पहाड़ी पुदीने के फायदे1 - पहाड़ी पुदीने के सेवन से दांत का दर्द हो दूरपहाड़ी पुदीने का उपयोग मौखिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। इसके उपयोग से ना केवल दांत के दर्द की समस्या दूर होती है बल्कि मसूड़ों को मजबूती मिलती है और गले में खराश की समस्या भी दूर हो जाती है। ऐसे में यदि आप कमजोर दांत से परेशान हैं या दांतों में मजबूती लाना चाहते हैं तो पहाड़ी पुदीने के उपयोग से अपनी इस इच्छा को पूरा कर सकते हैं।2 - पेट फूलने की समस्या को करें दूरस्पियरमिंट के उपयोग से न केवल पेट फूलने की समस्या दूर होती है बल्कि गैस के लक्षणों में राहत और अपच जैसी समस्या भी दूर हो जाती है। पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने और उल्टी और मतली की समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए आप स्पियरमिंट का सेवन कर सकते हैं।3 - प्रतिरक्षा प्रणाली को दें बढ़ावाबता दें कि अगर आप पहाड़ी पुदीने की चाय का सेवन करते हैं तो ये ना केवल प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने में मदद करता है बल्कि शरीर से संक्रमण को भी दूर करता है। जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है तो वह शरीर से रोगों को दूर रखने में मदद कर सकता है।4 - जीवाणुओं से करें मुंह की रक्षास्पियरमिंट का तेल न केवल जीवाणुओं से मुंह की रक्षा करता है बल्कि इसके उपयोग से सांसों की बदबू भी दूर होती है और मुंह के बैक्टीरिया भी खत्म हो जाते हैं।5 - पहाड़ी पुदीने के उपयोग से महिलाओं में हार्मोन का स्तर संतुलित रहता है।6 - पहाड़ी पुदीना उल्टी या जी मचलाने की समस्या को दूर करता है।7 - गैस्ट्रिक अल्सर को रोकने में पहाड़ी पुदीना बेहद उपयोगी है।8 - सूजन को कम करने में पहाड़ी पुदीने का उपयोग आपके बेहद काम आ सकता है।9 - चूंकि इसके अंदर विटामिन सी पाया जाता है ऐसे में यह त्वचा की कई समस्याओं को दूर करने में भी उपयोगी है।पहाड़ी पुदीने के नुकसानअभी तक पहाड़ी पुदीने का कोई नुकसान सामने नहीं आया है लेकिन गर्भवती महिलाएं इसका सेवन या उपयोग करने से पहले एक बार एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें। इसके अलावा जो लोग लीवर की समस्या से परेशान हैं या किडनी की समस्या से ग्रस्त हैं वे इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें। अभी भी पहाड़ी पुदीने पर कई शोध चल रहे हैं ऐसे में यह कहना मुश्किल है कि आप पहाड़ी पुदीने को अपनी डाइट में बिना किसी की सलाह पर जोड़ सकते हैं।पहाड़ी पुदीने का सेवन कैसे करें?आप पहाड़ी पुदीने का सेवन पहाड़ी पुदीने की चाय के रूप में कर सकते हैं। इसके अलावा पहाड़ी पुदीने के पत्तों को सुखाकर भी उसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
- मसालेदार हो या भरवा भिंडी दोनों ही तरह के जायके लोगों को बेहद पसंद आते हैं।स्वाद के अलावा भिंडी को भी सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है।आज हम आपको भिंडी के ऐसे व्यूटी टिप्स बताएंगे, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते है।आइए, जानते हैं कि भिंडी के इस्तेमाल से आप झाईयां, पिम्पल से कैसे छुटकारा पा सकते हैं।विटामिन से भरपूर भिंडीयह विटामिन सी और मैग्नीशियम का भी अच्छा स्त्रोत है।एक गिलास भिंडी के रस में 6 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 80 माइक्रोग्राम फोलेट, 3 ग्राम फाइबर और 2 ग्राम प्रोटीन मिलता है.झाइयों और झुर्रियों को दूर करने के लिए-------------------दो मध्यम आकार की भिंडी लें और उन्हें छोटे टुकड़ों में काट लें और पीसकर पेस्ट बना लें।फिर बिना पानी मिलाए इसे अपने चेहरे पर लगाएं। अगर आप इसे पिंपल्स के लिए इस्तेमाल कर रही हैं, तो इसे सीधे उसी पर लगाएं।इसे अपने चेहरे और गर्दन पर भी लगा सकती हैं।यदि आप इसे सोरायसिस या त्वचा की बीमारियों के लिए उपयोग कर रही हैं, तो इस पेस्ट को उसी क्षेत्र पर लगाएं।आपकी त्वचा भिंडी के जेल को अवशोषित करेगी और उस क्षेत्र पर एक पतली परत छोड़ देगी।इस पैक को सूखने दें और फिर धो लें।मुंहासे और सोरायसिस के लिए-------------------झाइयों और झुर्रियों को दूर करने के लिए2 से 3 ताजा भिंडी लें। इसे साफ करें।पेस्ट बनाने के लिए भिंडी को उबालें।एक बार भिंडी को उबालकर ठंडा होने के बाद पेस्ट बना लें।अब पेस्ट में 2 से 3 बूंद नींबू का रस डालें।मिश्रण को मिलाएं और अपने साफ चेहरे पर लगाएं।जब तक कि यह सूख न जाए इसे चेहरे पर लगाए रखें। बाद में इसे ठंडे पानी से धो लें।
- हेल्दी डाइट, वर्कआउट और समय पर सोना कुछ ऐसी चीजें हैं जो आपकी इम्युनिटी को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। दिनचर्या के अलावा कुछ ऐसी चीजें भी हैं, जो आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाकर आपको बीमारियों से बचाती है. आज हम आपको ऐसा कारगर उपाय बता रहे हैं, जिससे आप फ्लू को 4-5 दिनों में आसानी से ठीक कर सकते हैं, वहीं इससे आपकी इम्युनिटी भी मजबूत होगी।गुणों से भरी अजवाइनअजवाइन में बहुत से पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो शरीर को हेल्दी और फिट रखने में मदद करता है। अजवाइन में एंटी-इंफ्लेमेट्री, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण होता है, जो सर्दी-जुकाम के लिए फायदेमंद है।सामग्री-1/2 चम्मच अजवाइन के बीज5 तुलसी के पत्ते1/2 चम्मच काली मिर्च पाउडर1 बड़ा चम्मच शहदऐसे बनाएं-एक गहरा पैन लें और उसमें 1 गिलास पानी, अजवाइन, काली मिर्च और तुलसी के पत्ते डालें। पानी को 5 मिनट तक उबलने दें। गैस को बंद करें। इसमें शहद मिलाने से पहले मिश्रण को थोड़ी देर के लिए ठंडा होने दें। काढ़ा को अच्छी तरह से मिलाएं और इसे पी लें।इसके फायदे-अजवाइन गुणों से भरी हुई है। इसमें जब काली मिर्च, तुलसी, शहद डालकर काढ़ा बनाया जाता है, तो इसके गुण और भी बढ़ जाते हैं। फ्लू से छुटकारा दिलाने के साथ अजवाइन का काढ़ा इन परेशानियों से भी मुक्ति दिलाता है।-पेट की बीमारियों से छुटकारा।-सर्दी-जुकाम और खांसी में राहत।-मसूड़ों की सूजन।-पीरियड्स के दर्द से छुटकारा।-मुंहासों से छुटकारा।इन बातों का रखें ध्यान-एक दिन में बहुत ज्यादा अजवाइन सेहत के लिए हानिकारक हो सकती है, इसलिए इस काढ़े को दिन में सिर्फ एक ही बार पिएं. वहीं, स्तनपान कराने वाली मां और गर्भवती को इस काढ़े का सेवन नहीं करना चाहिए।
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कोरोना महामारी का कहर हर दिन बढ़ता ही जा रहा है। 19 अप्रैल को केंद्र सरकार द्वारा यह ऐलान किया गया था कि 1 मई से 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को भी वैक्सीन दी जाएगी। इस खबर के सामने आते ही लोगों के मन में कई सारे सवाल उठ रहे हैं। जैसे- वैक्सीन कहां मिलेगी? रजिस्ट्रेशन कब से शुरू है? क्या कोई अन्य शर्ते भी हैं? इत्यादि कई ऐसे सवाल लोगों के मन में उठ रहे हैं।
18 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए वैक्सीन रजिस्ट्रेशन कब से है शुरू?MyGovIndia ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर पोस्ट किया गया है कि 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए वैक्सीनेशन रजिस्ट्रेशन 28 अप्रैल से शुरू होगा , जिसका अपॉइंमेंट 1 मई से मिलना शुरू हो जाएगा।वैक्सीनेशन के लिए क्या करना होगा?अगर आप वैक्सीन लगवाना चाहते हैं, तो कोविन या आरोग्य सेतु ऐप पर रजिस्ट्रेशन करना होगा। ध्यान रहे कि एडवांस बुकिंग वालों को ही 1 मई से वैक्सीन दी जाएगी। वैक्सीनेशन केंद्र पर सीधे जाकर आपको वैक्सीन नहीं दिया जाएगा।कैसे करें ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन?यदि आप वैक्सीनेशन लगवाने के योग्य हैं, तो अपने मोबाइल में Co-WIN ऐप या फिर आरोग्य सेतु डाउनलोड करके उसपर रजिस्टर करें। अगर आपके पास स्मार्टफोन नहीं है, तो आप Co-WIN की वेबसाइट cowin.gov.in पर भी रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। रजिस्ट्रेशन करने का तरीका--सबसे पहले ऐप या फिर वेबसाइट खोलें।-अब अपना मोबाइल नंबर डालें।-आपके मोइबल पर ओटीपी आएगा, जिसे डालने से डालने से आपका अकाउंट बन जाएएं।-इसके बाद इसपर अपना उम्र, लिंग भरें और अपनी एक पहचान पत्र अपलोड करें।-यदि आपकी उम्र 45 साल से अधिक है और को-मॉर्बिडिटी है तो अपना सर्टिफिकेट अपलोड करें।-इसके बाद वैक्सीनेशन सेंटर का चुनाव करें।बता दें कि एक मोबाइल नंबर के जरिए आप 4 अपॉइंटमेंट्स ले सकते हैं। इसके अलावा सीनियर सिटिजंस (60+ उम्र वाले) के लोग फोन के जरिए भी रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। 60 से अधिक उम्र के लोग रजिस्ट्रेशन करने के लिए 1507 डायल करें।अगर आपके पास कोई ऑनलाइन विकल्प नहीं है, तो आप टीकाकरण केंद्र जाकर अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। रजिस्ट्रेशन केंद्र पर भीड़ कम करने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा दी गई है। अगर आपके पास यह सुविधा नहीं है, तो आप केंद्र पर जाकर अपना रजिस्ट्रेशन कराएं।वैक्सीनेशन के लिए क्या किसी दस्तावेज की है जरूरत?वैक्सीन लगवाने के लिए आपको अपना पहचान पत्र दिखाना होगा। इसके लिए आप वोटर आईडी, पासपोर्ट, आधार कार्ड जैसे वैलिड कार्ड का इस्तेमाल कर सकते हैं। वैक्सीनेशन के लिए 12 तरह के डॉक्यूमेंटक्स का इस्तेमाल कर सकते हैं।--- - भारत का शायद ही ऐसा कोई घर हो, जहां मखाना का इस्तेमाल न किया जाता हो. इसे लोटस सीड, फोक्स नट, प्रिकली लिली आदि के नाम से जाना जाता है. ज्यादातर घरों में मखाना से मिठाई, नमकीन और खीर भी बनाई जाती है. आपको बता दें कि इसमें मैग्ननेशियम, पोटाशियम, फाइबर, आयरन, जिंक आदि भरपूर मात्रा में पाया जाता है. ऐसे में इसका सेवन हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक है.आज हम आपको इस आर्टिकल में मखाना से होने वाले कई फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं, तो आइये जानते हैं......1. पाचन में सुधारमखाना में एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं. इसके सेवन से पाचन में सुधार होता है. यह हर उम्र के लोगों को आसानी से पच जाता है. पाचन दुरुस्त करने के अलावा यह दस्त से भी राहत देता है.2. किडनी बनाए मजबूतमखाने के नियमित सेवन से आपकी किडनी भी मजबूत होती है. इसके अलावा ब्लड सर्कुलेशन के लिए भी अच्छा होता है.3. दिल से जुड़ी बीमारियांआपको बता दें कि मखाने में अनहेल्दी कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बेहद कम होती है. इसलिए दिल से जुड़ी बीमारियों को दूर रखने में लाभदायक होता है.4. तनाव दूर करेअगर काम की वजह से या अन्य किसी कारण से अक्सर तनाव रहता है, तो मखाना खाना बेहद लाभदायक होगा. रात में सोने से पहले एक गिलास दूध में 8-10 मखाने मिलाकर सेवन करें. इससे आपको नींद अच्छी आएगी साथ ही तनाव भी कम होता है.5. ब्लड प्रेशर करे नियंत्रितहाई ब्लड प्रेशर के लिए मखाना फायदेमंद होता है क्योंकि इसमें सोडियम की मात्रा कम होती है और पोटैशियम की मात्रा अधिक पायी जाती है, जो हाई ब्लड प्रेशर को कम करने में मददगार होता है.कैसे करें मखाने का उपयोग?मखाना का किसी भी रूप में उपयोग लाभदायक होगा. आप चाहें तो इसको दूध के साथ सेवन कर सकते हैं या फिर स्नैक्स की तरह भी खा सकते हैं. मखाने को घी में रोस्ट कर नमक के साथ खा सकते हैं.
- एक तरफ कोरोना काल और दूसरी तरफ गर्मियों का मौसम ऐसे में खुद को स्वस्थ्य और सेहतमंद बनाए रखना बहुत जरूरी है. खुद को फिट और मजबूत बनाए रखने के लिए हम कई चीजों का सेवन करते हैं. ऐसे में गर्मियों के मौसम में फलों का सेवन करने की सलाह दी जाती है. ताकि शरीर को मजबूत और स्वस्थ्य बनाए रखा जा सके. गर्मी के मौसम में मौसंबी का सेवन करना भी बहुत उपयोगी माना जाता है. क्योंकि मौसंबी में फाइबर, विटामिन और पोटेशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है. इसलिए गर्मियों में मौसंबी का सेवन करने की सलाह दी जाती है. ऐसे में आज हम आपको मौसंबी के कुछ फायदे बताने जा रहे हैं.शरीर की इम्यूनिटी रहती है मजबूतकोरोना काल में शरीर की इम्यूनिटी को मजबूत रखना बहुत जरूरी माना जाता है. ऐसे में इम्यूनिटी मजबूत रखने के लिए मौसंबी का सेवन किया जाना बहुत अच्छा माना जाता है. आप मौसंबी का जूस भी पी सकते हैं. मौसंबी में विटामिन सी पर्याप्त मात्रा में पाई जाती है, जिससे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और शरीर को बीमारियों से लड़ने में मदद मिलती है. इसलिए कोरोना काल में म्यूनिटी मजबूत रखने के लिए लोगों को मौसंबी का सेवन करने की सलाह दी गई थी.मौसंबी से शरीर रहता है ठंडामौसंबी खाने से शरीर ठंडा रहता है. खास बात यह है कि आप मौसंबी का जूस या सिरका बनाकर भी खा सकते हैं. मौसंबी की एक खासियत यह भी है कि यह एक महीने तक खराब नहीं होती है. इसलिए गर्मियों के सीजन में यह एक अच्छा फल माना जाता है. इसलिए गर्मियों के सीजन में मौसंबी खाने की सलाह दी जाती है.मौसंबी से खून रहता है साफमौसंबी खाने से शरीर का खून साफ रहता है. जिससे पेट की तकलीफे भी नहीं होती है. इसके अलावा मौसंबी त्वचा से जुड़े रोगों में भी फायदेमंद मानी जाती है, मौसंबी खाने से रंग में भी निखार आता है. जबकि मुंह में होने वाले छाले की समस्या से छुटकारा मिलता है. इसलिए मौसंबी का सेवन करना फायदेमंद माना जाता है. यही वजह है कि गर्मी में मौसंबी का सेवन करने की सलाह दी जाती है.ब्लड प्रेशर को रखता है नियंत्रितमौसंबी का सेवन करने से ब्लड प्रेशर की समस्या से भी निजात मिलती है. क्योंकि मौसंबी बॉडी को डिटॉक्सीफाई करता है और इसका सेवन करने से शरीर के टॉक्सिंस बाहर निकलते हैं. इसलिए यह ब्लड प्रेशर के रोगियों के लिए भी फायदेमंद माना जाता है.मौसंबी खाने से नहीं होती गैस और कब्ज की समस्यागैस और कब्ज की समस्या एक बड़ी प्राब्लम बनती जा रही है. लेकिन अगर आप मौसंबी का हर दिन सेवन करते हैं तो इससे आपको गैस और कब्ज की समस्या से भी राहत मिलेगी. ऐसे में जिन लोगों को गैस और कब्ज की समस्या होती है उन्हें मौसंबी खाने की सलाह दी जाती है.नियंत्रित रहता है शुगर लेवलमौसंबी खाने से शरीर का शुगर लेवल भी नियंत्रित रहता है. क्योंकि शुगर एक बड़ी बीमारी बनती जा रही है, लेकिन मौसंबी एक ऐसा फल है जो शुगर लेवल को कंट्रोल रखता है. मौसंबी में शुगर को कंट्रोल करने वाले पौषक तत्व पाए जाते हैं. इसलिए जिन लोगों को शुगर की समस्या होती है उन्हें मौसंबी खाने की सलाह दी जाती है.मौसंबी सेवन करने का तरीकामौसंबी को आम तौर पर फल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. जबकि मौसंबी का जूस बनाकर भी पीने से भी बहुत फायदा मिलता है. आप हर दिन या तो एक मौसंबी का फल खा सकते हैं या फिर हर दिन एक गिलास जूस का सेवन किया जा सकता है. रोजाना सुबह एक गिलास मौसंबी का जूस पीने से शरीर को काफी एनर्जी मिलता है. शरीर में कमजोरी और थकान हो तो मौसंबी का जूस इसमें काफी फायदा करता है. मौसंबी के जूस में कई पोषक तत्व होते हैं, जो बीमारी के बाद शरीर को मजबूती प्रदान करते हैं. मौसंबी ताकत देती है इसलिए इसका सेवन करना चाहिए.
- नई दिल्ली। देश-दुनिया में एक विपदा की तरह फैले कोविड-19 को लेकर लोगों में डर और दहशत दोनों तरह का माहौल है। लोग इससे बचने के लिए तरह-तरह के उपाय कर रहे हैं लेकिन उनके मन में ये सवाल अभी भी बना हुआ है कि इस वायरस से संक्रमित होने पर उन्हें सबसे पहले क्या होगा। इस बीच, द अमेरिकन जर्नल ऑफ गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी में प्रकाशित एक नए अध्ययन से ये सामने आया है कि जिन लोगों को कोरोनावायरस ने अपना शिकार बनाया उनमें से कई को वायरस से प्रभावित होने पर पहला संकेत दस्त जैसी पाचन समस्या के रूप में मिला था।कोविड -19 इंसानों में फैलने वाला कोरोना वायरस है, जो प्रारंभिक रूप से आपके फेफड़ों और श्वसन प्रणाली को अपना निशान बनाता है। इसके शुरुआती लक्षणों में तेज बुखार, लगातार खांसी, सांस लेने में परेशानी, जुकाम। लेकिन अगर ये संक्रमण अगर बिगड़ जाए तो सीने में दर्द, निमोनिया, सांस रुकने जैसा होना और फेफड़ों में भारी दबाव और खिंचाव महसूस करना।दुनियाभर के स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस वायरस को लेकर नई जानकारियां जुटाने में लगे हैं हालांकि इसके लक्षणों की सूची और लंबी होती जा रही है। द अमेरिकन जर्नल ऑफ गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी में प्रकाशित हालिया अध्ययन में चीन के हुबेई प्रांत में कोरोना वायरस के 204 मरीजों के डेटा का आंकलन किया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि इस वायरस से संक्रमित होकर अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों में 48.5 फीसदी को दस्त, उल्टी और पेट में दर्द जैसी पाचन संबंधी समस्या हुई थी। अध्ययन से ये सामने आया है कि कोरोना के सांस संबंधी लक्षणों से पहले व्यक्ति को पाचन संबंधी लक्षण दिखाई देते हैं। इस अध्ययन में ये पाया गया कि जिन लोगों को पाचन संबंधी लक्षण दिखाई दिए उन्हें गंभीर रूप से समस्याओं का शिकार होना पड़ा।दस्त और उल्टी जैसी होती है समस्याइस अध्ययन के निष्कर्षों ने उन अतिरिक्त प्रमाण पर संदेह बढ़ा दिया है, जिसमें ये कहा जा रहा है कि कोविड -19 यानी की कोरोनावायरस कुछ लोगों में जठरांत्र (gastrointestinal symptoms) संबंधी लक्षणों का कारण बन सकता है। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में अमेरिका के पहले कोरोना मरीज पर प्रकाशित एक केस रिपोर्ट से ये सामने आया है कि उस मरीज को अस्पताल में भर्ती होने के दूसरे दिन सबसे पहले पतले दस्त लगे और पेट में परेशानी होने लगी। अन्य शोध में भी पाया गया कि वायरस मल त्याग के रूप में बाहर निकलता है ठीक पुराने वाले वायरस की तरह।लोगों को होती है पाचन संबंधी समस्याअमेरिकन जर्नल ऑफ गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी के को-एडिटर इन चीन और एमडी ब्रेनन एम.आर. स्पीगल का कहना है कि कोरोना से पीडि़त मरीजों में पाचन लक्षणों की भूमिका और प्रभावों को समझने के लिए और अधिक शोध की जरूरत है। ब्रेनन शुरुआती तौर पर कोरोना का पता लगाने के प्रयास के उद्देशय से पाचन लक्षणों की जागरूकता पर एक प्रेस रिलीज भी जारी कर चुके हैं।पहले पता चलने पर कोरोना को रोकने में मिलेगी मददइस अध्ययन में, पाचन लक्षणों वाल कोविडृ- 19 रोगियों में खराब नैदानिक परिणाम और मृत्यु दर का अधिक जोखिम पाया गया जबकि जिन लोगों में पाचन संबंधी लक्षण नहीं पाए गए उनकी मृत्यु दर कम रही। इसलिए दस्त जैसे लक्षणों के महत्व पर जोर दिया जा रहा है ताकि कोविड -19 को बीमारी के शुरुआती लक्षणों के साथ श्वसन संबंधी लक्षण विकसित न हो और उनका पता पहले ही लगाया जा सके। ऐसा होने पर कोरोना का जल्दी पता लगाया जा सकता है, जिससे सही इलाज प्राप्त किया जा सकता है और दूसरों में इसे फैलने से रोका जा सकता है।पाचन तंत्र को ठीक करने के लिए करें ये उपाय-फाइबर युक्त आहार जैसे साबुत अनाज, फल, सब्जियां व फलियां का अधिक सेवन करें।-हाइड्रेट रहें। और ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं।-धूम्रपान, अधिक कैफीन और अल्कोहल से दूरी बनाए।-बेल, पपीता, अनार, संतरा, आम, अमरूद, और नाशपाती जैसे फल खाएं। इनके सेवन से पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है।-रोजाना सुबह एक्सरसाइज करें।
- हम में से ज्यादातर लोग प्याज से आने वाली एक अलग गंध के कारण उससे परहेज करते हैं। बावजूद इसके कि इसका क्रंची का टेस्ट खाने के स्वाद को और बढ़ा देता है। गर्मी का मौसम बढ़ने के साथ ही भारतीय खानपान में प्याज को अधिक महत्व दिया जाने लगता है। क्या आप जानती हैं कि इसकी वजह क्या है? असल में प्याज में वे सभी पोषक गुण मौजूद होते हैं, जो बढ़ती गर्मी में होने वाली समस्याओं का मुकाबला करने के लिए आपको तैयार करते हैं। कोविड-19 के समय में इम्युनिटी बढ़ाने के लिए भी आपको अपने आहार में प्याज को शामिल करना चाहिए।जानिए क्यों आपको अपने आहार में शामिल करनी चाहिए प्याज1. पोषक तत्वों से भरपूर है प्याजअसल में प्याज में कैलोरी बहुत कम होती है, इसके बावजूद वह विटामिन और खनिजों में उच्च हैं। एक मध्यम आकार की प्याज में सिर्फ 44 कैलोरी होती है, लेकिन विटामिन, खनिज और फाइबर की पूरी खुराक पाई जाती है। प्याज बी विटामिन में भी भरपूर हैं। इसमें विटामिन बी 9 (फोलेट) और बी 6 (पाइरिडोक्सिन) शामिल हैं। जो चयापचय, लाल रक्त कोशिका उत्पादन और तंत्रिका कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।2. इम्युनिटी बूस्ट करती है प्याजयूएस बेस्ड संस्था नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के एक अध्ययन में सामने आया है कि प्याज विटामिन सी में भी उच्च होती है। विटामिन सी प्रतिरक्षा प्रणाली, कोलेजन उत्पादन, ऊतकों की मरम्मत और आयरन के अवशोषण को विनियमित करने में मदद करता है। यह जरूरी विटामिन आपकी कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्स से मुक्त कर एंटी ऑक्सीडेंट के रूप में भी काम करता है।3. ब्लड शुगर कंट्रोल करती है प्याजनेशनल इंस्टीट्य ऑफ हेल्थ के शोध में यह पाया गया कि प्याज खाने से ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। जो मधुमेह को नियंत्रित करने में मददगार हो सकता है। टाइप 2 मधुमेह वाले 42 लोगों पर हुए एक अध्ययन में ताजी लाल प्याज के 3.5 औंस (100 ग्राम) खाने से चार घंटे के बाद रक्त शर्करा का स्तर लगभग 40 mg / dl तक कम हुआ। जानवरों पर हुए अध्ययन भी इसका समर्थन करते हैं। मधुमेह से ग्रस्त चूहों को 28 दिनों तक 5% प्याज के अर्क वाला भोजन दिया गया। जिससे उनमें रक्त शर्करा और वसा दोनों में कमी देखी गई।4. हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंदप्याज में एंटीऑक्सिडेंट और अन्य जरूरी यौगिक होते हैं, जो सूजन से लड़ते हैं, ट्राइग्लिसराइड्स और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करते हैं। यानी प्याज का सेवन हृदय रोगों के जोखिम को कम कर सकता है।उच्च रक्तचाप वाले 70 से अधिक वजन वाले लोगों का एक अध्ययन किया गया। इसमें पाया गया कि क्वेरसेटिन युक्त प्याज के 162 मिलीग्राम प्रति दिन की खुराक से सिस्टोलिक रक्तचाप प्लेसबो की तुलना में 3-6 mmHg तक कम हुआ। प्याज को कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के लिए भी दिखाया गया है।क्वेरसेटिन एक फ्लेवोनॉइड एंटीऑक्सिडेंट है, जो प्याज में अत्यधिक मात्रा में पाया जाता है। इसके एंटी इंफ्लामेटरी गुण उच्च रक्तचाप को कम करने और रक्त के थक्कों से बचाने में मदद कर सकते हैं।5. पोटेशियम का सुलभ स्रोतप्याज देश भर में बहुत आराम से उपलब्ध होती है। आपकी लोकल मार्केट से लेकर सुपर स्टोर तक पोटेशियम का इससे सुलभ स्रोत दूसरा कोई नहीं है। पब मेड में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार एक औसत वजन के वयस्क को औसतन 4,700 मिलीग्राम पोटेशियम की खुराक जरूर लेनी चाहिए।पोटेशियम आपके सामान्य सेलुलर फ़ंक्शन, द्रव संतुलन, तंत्रिका संचरण, किडनी फंक्शन और मांसपेशियों में संकुचन में मदद करता है।6. पीसीओएस में भी देती है राहतपॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि सिंड्रोम (पीसीओएस) से ग्रस्त 54 महिलाओं पर हुए एक अध्ययन में भी प्याज का स्कोर अच्छा रहा। इन महिलाओं ने आठ सप्ताह तक कच्चे लाल प्याज (40-50 ग्राम/ दिन) का सेवन किया। परिणामस्वरूप इनमें "खराब" कोलेस्ट्रॉल में कमी देखी गई।
- पीपल के पेड़ की अपनी धार्मिक मान्यताएं हैं। सदियों से यह वृक्ष पूजा जाता रहा है। औषधीय दृष्टि से भी यह वृक्ष काफी काम आता है। आइये जाने पीपल के पत्तों के फायदें....आयुर्वेद से जुड़े एक वैद्य के अनुसार प्रतिदिन दो पीपल के पत्ते का सेवन करने से ऑक्सीजन का लेवल बढ़ सकता है। इसके लिए आपको रोजाना पीपल के दो पत्ते को चबाकर सेवन करना होगा। पीपल में कार्बोहायड्रेट, प्रोटीन, फैट, फाइबर, कैल्शियम, आयरन, कॉपर और मैग्नीशियम के तत्व मौजूद होते हैं।फेफड़ों के लिए फायदेमंद है पीपलफेफड़ों के रास्ते में सूजन और कसाव उत्पन्न होना, गले में घरघराहट, सांस लेने में तकलीफ, सीने में जकडऩ के साथ खांसी आने पर पीपल के पत्ते का सेवन किया जा सकता है। .पीपल के पत्ते के अर्क में ऐसे विशेष गुण पाए जाते हैं, जो ब्रोंकोस्पास्म पर प्रभावी असर दिखाते हैं। सांस के रोगियों को हर रोज पीपल के दो हरे पत्तों का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके इस्तेमाल से आराम मिलता है। साथ ही पीपल के पत्ते ऑक्सीजन लेवल को बढ़ाने में भी कारगर होते हैं।इम्यूनिटी को करता है बूस्टपीपल का पत्ता रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इसके लिए पीपल के पत्ते के साथ गिलोय के तने का मिश्रण तैयार कर लें। इस मिश्रण का सेवन दिन में चार बार करें। ऐसा निरंतर करते रहने से इम्यूनिटी बूस्ट होती है।लीवर को बनाता है मजबूतज्यादा शराब का सेवन करने से लीवर पर खराब असर पड़ता है। ऐसे में लीवर को स्वस्थ रखने के लिए पीपल के पत्ते का सेवन किया जा सकता है। पीपल में लीवर को डैमेज होने से बचाने वाली एक क्रिया पाई जाती है। इसके अर्क का उपयोग करने से लीवर को खराब होने से बचाया जा सकता है.। इस लिए लीवर के रोगियों को प्रतिदिन सुबह में पीपल के दो पत्तों का सेवन करना चाहिए।कफ की समस्या को करे दूरकफ की समस्या से निजात पाने के लिए पीपल का पत्ता बढिय़ा विकल्प हो सकता है। पीपल की पत्ती में थेरेपेटिक तत्व पाए जाते हैं। जिसका उपयोग करने से कफ में आराम मिल सकता है। एक अन्य पीपल के पत्ते को जूस के रूप में इस्तेमाल करने से कफ की समस्या से छुटकारा मिल सकता है। साथ ही पीपल के पत्ते को सुखाकर घी के साथ भी उपयोग किया जा सकता है।(नोट-इस आलेख में हम केवल जानकारी दे रहे हैं। कोई भी उपाय अपनाने से पहले एक बार किसी योग्य चिकित्सक से सलाह अवश्य ले लें।)
- लहसुन रखेगा कई बीमारियों से दूरहमारी किचन में ऐसी बहुत सी चीजें होती हैं जो हमारी हेल्थ के लिए काफी फायदमेंद होती हैं. पर हममें से ज्यादातर को इन सबके बारे में पता नहीं होता है. अगर पता भी होता है तो वो आधा-अधूरा ही होता है जोकि कम फायदेमंद होता है. आज हम आपको ऐसी ही साधारण सी घरेलू चीज के बारे में बताएंगे जो सभी के घर में मौजूद होती है.हम बात कर रहे हैं सब्जियों में इस्तेमाल होने वाले लहसुन की. आप इसको कई तरह से खा सकते हैं.लहसुन में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो कई बीमारियों से दूर रखते हैं. इसका सेवन काफी फायदेमंद होता है. लहसुन को खाने के भी कई तरीके हैं, इसको भूनकर खाया जा सकता है, हल्का सा फ्राय करके खाया जा सकता, सर्दी खांसी होने पर इसे कच्चा ही चबाया जाता है. क्या आप जानते हैं गर्म पानी में इसका यूज करते हैं तो ये काफी फायदेमंद है.दिल की बीमारियों से बचाता है लहसुनआपको दिल की बीमारियों से बचाने में मदद करता है लहसुन. गर्म पानी के साथ लहसुन खाने से आपका ब्लड सर्कुलेशन मेंटेन रहता है और आप इन परेशानियों से दूर रहते हैं.कब्ज की परेशानी से निजातअगर आप कब्ज से परेशान हैं तो लहसुन आपको इससे छुटकारा दिला सकता है. इसके लिए आप कच्चे लहसुन को गर्म पानी के साथ खाएं. ऐसा करने से आपको कब्ज की दिक्कत से काफी आराम मिलेगा. आपको इसका कुछ समय तक सेवन करना होगा.दिमाग को करता है तेजअगर आपको अपने दिमाग को तेजी से काम कराना है तो जल्दी से लहसुन का सेवन गर्म पानी में करके कीजिए. गर्म पानी में लहसुन खाने से दिमाग के काम करने की क्षमता बढ़ जाती है. ये आपकी मेमोरी को बूस्ट करता है. नियमित आप करीब दो हफ्तों तक गर्म पानी में लहसुन का इस्तेमाल करेंगे तो इसके फायदे आपको खुद ही नजर आने लगेंगे.
- इंसान की सुंदरता में बालों का बहुत बड़ा योगदान होता है. लेकिन आजकल तनाव और खानपान के चलते लोगों में बाल झड़ने की समस्या आम हो गई है. कम बाल झड़ें तो एक अलग बात है लेकिन कुछ लोगों में गंजेपन की समस्या हो जाती है और इस गंजेपन की समस्या में बाल दोबारा आते भी नहीं हैं. लेकिन आज हम आपको यहां आयर्वेद का एक घरेलु नुस्खा बता रहे हैं, जिसे मिनटों में तैयार किया जा सकता है और इसके फायदे आपको हैरान कर देंगे.नींबू के बीज हैं बेहद फायदेमंदनींबू के 10-15 बीज लेकर उन्हें कूट लें और चटनी बना लें. उसमें एक नींबू का रस निचोड़ दें. फिर उसमें दो तीन चम्मच बेसन मिला दीजिए. तीनों चीजों को हल्का सा पानी मिलाकर उसका लेप बना लें और फिर उसे फेंट लें. इस लेप को गंजेपन के शिकार व्यक्ति के सिर पर सुबह के वक्त लेप करें और थोड़ी देर ऐसे ही छोड़ दें. जब ये लेप करीब एक घंटे में सूख जाए तो इसे धो लें.नहाने के बाद सिर में नारियल का तेल, नींबू का ताजा रस बराबर मात्रा में लेकर उसे सिर में लगाना है. इससे सिर में थोड़ी मालिश कर लें. जहां बाल झड़ गए हैं, वहां इस तेल को लगाएं. इससे हमारे सिर के छिद्र खुल जाएंगे, जिससे फिर से बाल आने की उम्मीद बढ़ जाती है.साथ ही भृंगराज का पाउडर का सेवन भी करें, इससे बालों की ग्रोथ बढ़ेगी. दो महीने तक इस काम को रोजाना करें, अच्छे रिजल्ट मिलने पर इसे चालू रखें.
- गुड़ के साथ भीगी मूंगफली का सेवन शरीर को कई गंभीर बीमारियों से बचाने में मदद कर सकता है. मूंगफली और गुड़ दोनों में ही अधिक मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जो आसानी से पेट संबंधी बीमारियों से छुटकारा दिला देता है. इसके अलावा इनमें भरपूर मात्रा में ऐसे गुण होते हैं, जो आसानी से मेटाबॉलिज्म को तेज करते हैं. जिससे एनर्जी मिलने के साथ पेट कम करने में मदद मिलती है.मूंगफली में क्या-क्या पाया जाता हैमूंगफली में प्रोटीन, वसा, विटामिन, फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट और कैल्शियम जैसे जरूरी खनिज अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं, जो शरीर के लिए बेहद जरूरी माने जाते हैं.मूंगफली खाने के फायदे1. ब्लड शुगर काबू करने में मददगारमूंगफली में अनसैच्युरेटेड फैट होता है जो इंसुलिन सेंसिटिविटी को बेहतर करने में मददगार है. इसका नियमित सेवन करने से ब्लड शुगर के स्तर को काबू करना आसान है.2. कब्ज की समस्या से राहतयदि आपको कब्ज की समस्या रहती है तो हर रोज एक हफ्ते तक 100 ग्राम मूंगफली खाइए. ऐसा करने से मूंगफली में तत्व आपकी पेट से जुड़ी तमाम समस्याओं में राहत देंगे और कब्ज की समस्या दूर हो जाती है.3. शरीर को मिलती है ताकतजिस तरह बादाम और अंडे का सेवन शरीर को ताकत देता है, उसी प्रकार मूंगफली खाने से आपके शरीर को ताकत मिलती है.4. खून की कमी दूर होती हैभीगी हुई मूंगफली को गर्मियों में भी खाया जा सकता है. इसे भिगोकर खाने से शरीर में आयरन की कमी दूर होती हैय इससे शरीर में खून की कमी दूर होती है व ब्लड सर्कुलेशन ठीक रहता है.5. त्वचा को चमकदार बनाने में हेल्पफुलमूंगफली त्वचा को चमकदार बनाने में हेल्पफुल होती है. इसमें ओमेगा 6 फैट पाया जाता है, जो त्वचा के लिए फायदेमंद होता है.किस समया खाना चाहिए भीगी मूंगफलीहेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं कि आप रात को सोते समय करीब 6 से 8 घंटों तक मूंगफली को पानी में भिगोकर रखें, इससे उसमें मौजूद पित्त निकल जाता है और तासीर भी सामान्य हो जाती है. फिर सुबह आप उसे नाश्ते से पहले या उसके साथ खा सकते हैं. आपको याद रखना है कि रात को मूंगफली खाने से बचें, क्योंकि मूंगफली को पचने में अधिक वक्त लगता है.इन लोगों को होता है फायदारोजाना मूंगफली खाने से पुरूषों और महिलाओं में सेक्स हार्मोन्स संतुलित रहते हैं. इससे आपकी सेक्स लाइफ दुरूस्त रहती है.
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गर्मी का मौसम आते ही आम का सीजन शुरू हो जाता है और ज्यादातर लोगों को आम बहुत पसंद होता है। वैसे भी कच्चे आम का स्वाद किसी को भी दीवाना बना सकता है। कच्चे आम से बना आम पन्ना गर्मी के मौसम में शरीर को राहत देने का काम करता है। लेकिन एक कारण ये भी है कि हमारी माताएं हमेशा यह सुनिश्चित करती हैं कि गर्मियों के दौरान अचार या पेय के रूप में हम पर्याप्त मात्रा में कच्ची कैरी का सेवन करें क्योंकि ये बहुत हेल्दी होती है। इसे रोजाना अपने खाने में किसी न किसी रूप में इस्तेमाल करें। आइए जानते हैं कच्चे आम के फायदे....
1. कच्चा आम अपच, दस्त जैसी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं से पीडि़त लोगों के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। यह पेट से जुड़ी समस्याओं में राहत दिलाने का काम करती है।2. आम का रस पीने से तेज गर्मी के प्रभाव को कम किया जा सकता है और डिहाइड्रेशन को रोका जा सकता है।3. कच्चा आम शरीर को ऊर्जा भी देता है, जो आपको उबासी से छुटकारा पाने में मदद कर सकता है। इसलिए भोजन के बाद जिन लोगों को नींद आती है उन्हें अक्सर कच्चे आम का सेवन करना चाहिए। इससे उन्हें नींद नहीं आती।4. अमचूर या कच्चे आम का पाउडर विटामिन सी से भरपूर होता है, जो मसूड़ों से खून बहने, कमजोरी और थकान को दूर करने के लिए फायदेमंद माना जाता है। यह शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के विकास को भी बढ़ाता है। इसमें नियासिन नाम का तत्व होता है, जो इसे दिल के लिए एक हेल्दी फल बनाता है। यह रक्त कोलेस्ट्रॉल के स्तर को सुधारने में भी मदद करता है।5. कच्चा आम में विटामिन सी होता है, जो कोलेजन बनाने के लिए आवश्यक विटामिन है। कोलेजन एक प्रोटीन है, जो त्वचा और बालों के स्वास्थ्य में सुधार करता है।6. कच्चा आम विटामिन ए से भी समृद्ध होता है, जो स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली यानी की इम्यून सिस्टम के लिए बेहद आवश्यक है। यह मजबूत प्रतिरक्षा संक्रमण को दूर करने में मदद करता है। - ताजा शोध बताते हैं कि नियमित रूप से अखरोट और बादाम खाने से दिल का दौरा पडऩे का खतरा कम होता है और वजन काबू में रखने में भी मदद मिलती है।मेवे सेहत के लिए अच्छे होते हैं लेकिन इन्हें जरूरत से ज्यादा भी नहीं खाना चाहिए, तो क्या है काजू, बादाम या अखरोट को खाने का सही तरीका? और इन्हें खाने से शरीर में किस तरह के बदलाव होते हैं? येना यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मिषाइल ग्लाई बताते हैं, "इससे ब्लड शुगर और लिपिड मेटाबोलिज्म के पैरामीटर पर असर होता है जिससे टाइप टू डायबिटिज के अलावा दिल की बीमारियों और हाई ब्लड प्रेशर का जोखिम कम होता हैै।" प्रोफेसर ग्लाई के अनुसार बादाम हमारा जीवन लंबा करता है, लेकिन यह होता कैसे है, इस पर दुनिया भर के वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं। म्यूनिख मेडिकल कॉलेज में अखरोट पर एक स्टडी की गई है। स्टडी में भाग लेने वाले एक व्यक्ति हैं डीटर गैर्शवित्स। आठ हफ्तों तक उन्होंने हर दिन एक मु_ी यानि 43 ग्राम अखरोट खाया। उसके बाद तुलनात्मक अध्ययन के लिए आठ हफ्ते तक कोई अखरोट नहीं। हर दिन बराबर कैलरी का सेवन। अखरोट खाने से पहले और उसके बाद दोनों ही उन्होंने अपनी मेडिकल जांच करवाई। जांच के नतीजे ने उन्हें हैरान कर दिया। वह कहते हैं, "मैं कभी सोच भी नहीं सकता था कि नियमित रूप से अखरोट खाने पर ऐसा नतीजा हो सकता है। " अखरोट का सबसे महत्वपूर्ण असर खून में मौजूद वसा पर था। खराब कोलेस्ट्रॉल समझे जाने वाले एलडीएल में अखरोट की वजह से 7 प्रतिशत की कमी आई।म्यूनिख मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर पारहोफर लका कहना है, "शायद यही संभव कारण है कि नियमित रूप से अखरोट खाने वाले मरीजों को दिल का दौरा कम पड़ता है, क्योंकि हमें पता है कि एलडीएल कोलेस्ट्रॉल दिल की बीमारियों के मामले में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैै। " क्लाउस गैर्शवित्स उसके बाद से अखरोट और बादाम के फैन हो गए हैंै। सिर्फ कोलेस्ट्रॉल की वजह से नहीं, बल्कि इसलिए भी कि इससे उनका वजन भी कम हुआ हैै।यह बहुत ही आश्चर्यजनक बात है क्योंकि आम तौर पर बादाम और अखरोट को कैलरी बम कहा जाता हैै। अखरोट में 65 फीसदी फैट और 15 प्रतिशत प्रोटीन होता हैै। प्रोफेसर ग्लाई कहते हैं, "इस बात के लगातार सबूत मिल रहे हैं कि नियमित रूप से अखरोट खाने पर हमारे शरीर के वजन पर सकारात्मक असर पड़ता है और यह वजन कम करने में मदद करता है, " लेकिन इसकी एक महत्वपूर्ण शर्त यह है कि बादाम सामान्य खाने के अलावा नहीं, बल्कि खाने के किसी हिस्से को छोड़कर लिया जाए। वजन पर हुआ सकारात्मक असर इस वजह से भी हो सकता है कि बादाम खाते समय हम उसे थोड़ा तोड़ते भर हैं, उसे चबाकर अत्यंत महीन नहीं करते। शायद अखरोट के टुकड़े पेट में पूरी तरह पचते नहीं हैं। (साभार रिपोर्ट: यूएरगेन मागिस्टर/आईबी)
- हिमालय की तलहटी से प्राप्त होने वाला हिमालयन नमक यानी सेंधा नमक समुद्री नमक से ज्यादा गुणकारी होता है। गुलाबी दिखने वाला हिमालयन नमक शरीर के कई रोगों को खत्म करता है। इसके फायदों को देखते हुए कई डायटीशियन इसे दवा के रूप में मरीजों को खाने की सलाह देते हैं। हमालयन नमक में 84 जरूरी तत्व होते हैं। समुद्री नमक में सिर्फ सोडियम क्लोराइड होता है जबकि हिमालयन साल्ट में पोटैशियम, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम आदि होता है। यही वजह है कि हिमालयन नमक सफेद नमक से ज्यादा गुणकारी है। हिमालयन साल्ट खाने से बीपी, मोटापा, अनिद्रा, हड्डियों की समस्या आदि खत्म होती है। तो आज जानते हैं इस गुलाबी नमक के फायदे।हड्डियों को मजबूतीहिमालयन साल्ट को सेंधा नमक भी कहा जाता है। समुद्री नमक के मुकाबले इस नमक में कैल्शियम और मैग्नीशियम प्रचूर मात्रा में पाया जाता है। इसलिए यह हड्डियों के लिए अच्छा होता है। इस नमक को आप खाने में या नमक के पानी में पैरों को भिगोकर रख सकते हैं। खाने में इस नमक का सेवन करने से हड्डियों को मजबूती मिलती है।त्वचा के लिए फायदेमंदहिमालयन साल्ट में कैल्शियम, मैग्नीशिय, पोटैशियम जैसे पोषक तत्त्व होते हैं जो त्वचा के लिए फायदेमंद होते हैं। गर्मी के मौसम में जब शरीर की नमी सूखने लगती है तब इस नमक के पानी में पैरों या हाथों को भिगोने से त्वचा में नमी वापस आती है।मांसपेशियों की ऐंठन करे दूरमांसपेशियों में जब ऐंठन होती है तो वह पूरे शरीर को परेशान कर देती है। हिमालयन साल्ट में कैल्शियम और जिंक की मात्रा अच्छी होती है। जो शरीर के लिए जरूरी है। इससे मांसपेशियों की ऐंठन दूर होती है।ब्लड प्रेशर में फायदेमंदजिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर (बीपी) की समस्या होती है, उन्हें डॉक्टर ज्यादा नमक खाने से मना कर देते हैं, लेकिन हिमालयन साल्ट बीपी में भी मदद करता है। इसमें आयरन की मात्रा होती है जो बीपी के लिए जरूरी है। समुद्री नमक बीपी के मरीजों को मना किया जाता है पर हिमालयन साल्ट खाने की सलाह दी जाती है।सूजन को करे कमशरीर में सूजन आने पर हिमालयन साल्ट का प्रयोग किया जा सकता है। इसके सेवन से कमर दर्द, टखने, वेरिकोज वेन्स और पैरों की सूजन में फायदा मिलता है। इस नमक में इलैक्ट्रोलाइट्स की मात्रा संतुलित होती है, जिस वजह से सूजन में फायदा करता है।मुंह का स्वास्थ्यमुंह से जुड़ी परेशानियों को खत्म करने में भी हिमालयन साल्ट लाभकारी है। इसका कुल्ला करने से मुंह की दुर्गंध खत्म हो जाती है तो वहीं, बलगम की समस्या भी खत्म होती है।तनाव को करे कमअनिद्रा की समस्या है तो सोने से पहले हिमालयन साल्ट के पानी में पैर भिगोकर रखें। कुछ देर बाद निकाल लें। देखा गया है कि इसके बाद मानसिक तनाव में कमी आएगी और नींद अच्छी आती है।नुकसानज्यादा सेंधा नमक खाने से हाइपरटेंशन, हार्ट की प्रॉब्लम, किडनी, स्ट्रोक की दिक्कत हो सकती है। इसलिए किसी विशेषज्ञ की सलाह से ही इसका प्रयोग करें।
- भारत के अधिकांश घरों में तुलसी के पौधे की पूजा की जाती है। हमारे ऋषियों को लाखों वर्ष पूर्व तुलसी के औषधीय गुणों का ज्ञान था इसलिए इसको दैनिक जीवन में प्रयोग हेतु इतनी प्रमुखत से स्थान दिया गया है। आयुर्वेद में भी तुलसी के फायदों का विस्तृत उल्लेख मिलता है। इस लेख में हम आपको तुलसी के फायदे, औषधीय गुणों और उपयोग के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।तुलसी में विटामिन और खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। सभी रोगों को दूर करने और शारीरिक शक्ति बढ़ाने वाले गुणों से भरपूर इस औषधीय पौधे को प्रत्यक्ष देवी कहा गया है क्योंकि इससे ज्यादा उपयोगी औषधि मनुष्य जाति के लिए दूसरी कोई नहीं है।- दिमाग के लिए भी तुलसी के फायदे लाजवाब तरीके से काम करते हैं। इसके रोजाना सेवन से मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ती है और याददाश्त तेज होती है। इसके लिए रोजाना तुलसी की 4-5 पत्तियों को पानी के साथ निगलकर खाएं।- अगर आप भी अक्सर सिर दर्द की समस्या से परेशान रहते हैं तो तुलसी के तेल की एक दो बूंदें नाक में डालें। इस तेल को नाक में डालने से पुराने सिर दर्द और सिर से जुड़े अन्य रोगों में आराम मिलता है। सबसे ज़रूरी बात यह है कि तुलसी के उपयोग करने का तरीका सही होना चाहिए।- कई लोगों को रात के समय ठीक से दिखाई नहीं पड़ता है, इस समस्या को रतौंधी कहा जाता है। इसके उपचार के लिए दो से तीन बूँद तुलसी-पत्र-स्वरस को दिन में 2-3 बार आंखों में डालें।- साइनसाइटिस के मरीज हैं तुलसी की पत्तियां या मंजरी को मसलकर संूघें। इन पत्तियों को मसलकर सूंघने से साइनसाइटिस रोग से जल्दी आराम मिलता है।-तुलसी की पत्तियां कान के दर्द और सूजन से आराम दिलाने में भी असरदार है। अगर कान में दर्द है तो तुलसी-पत्र-स्वरस को गर्म करके 2-2 बूंद कान में डालें। इससे कान दर्द से जल्दी आराम मिलता है। इसी तरह अगर कान के पीछे वाले हिस्से में सूजन (कर्णमूलशोथ) है तो इससे आराम पाने के लिए तुलसी के पत्ते तथा एरंड की कोंपलों को पीसकर उसमें थोड़ा नमक मिलाकर गुनगुना करके लेप लगाएं। कान दर्द से राहत दिलाने में भी तुलसी के पत्ते खाने से फायदा मिलता है।-तुलसी की पत्तियां दांत दर्द से आराम दिलाने में भी कारगर हैं। दांत दर्द से आराम पाने के लिए काली मिर्च और तुलसी के पत्तों की गोली बनाकर दांत के नीचे रखने से दांत के दर्द से आराम मिलता है।- तुलसी की पत्तियां गले से जुड़े विकारों को दूर करने में बहुत ही लाभप्रद हैं। गले की समस्याओं से आराम पाने के लिए तुलसी के रस को हल्के गुनगुने पानी में मिलाकर उससे कुल्ला करें। इसके अलावा तुलसी रस-युक्त जल में हल्दी और सेंधा नमक मिलाकर कुल्ला करने से भी मुख, दांत तथा गले के सब विकार दूर होते हैं।-तुलसी की पत्तियों से बने शर्बत को आधी से डेढ़ चम्मच की मात्रा में बच्चों को तथा 2 से चार चम्मच तक बड़ों को सेवन कराने से, खांसी, श्वास, कुक्कुर खांसी और गले की खराश में लाभ होता है। इ- गलत खानपान या प्रदूषित पानी की वजह से अक्सर लोग डायरिया की चपेट में आ जाते हैं। खासतौर पर बच्चों को यह समस्या बहुत होती है। तुलसी की पत्तियां डायरिया, पेट में मरोड़ आदि समस्याओं से आराम दिलाने में कारगर हैं। इसके लिए तुलसी की 10 पत्तियां और 1 ग्राम जीरा दोनों को पीसकर शहद में मिलाकर उसका सेवन करें।- 1-2 ग्राम तुलसी के पत्तों को पीसकर छाछ के साथ मिलाकर पीने से पीलिया में लाभ होता है। इसके अलावा तुलसी के पत्तियों का काढ़ा बनाकर पीने से भी पीलिया में आराम मिलता है।-पथरी की समस्या होने पर तुलसी की 1-2 ग्राम पत्तियों को पीसकर शहद के साथ खाएं। यह पथरी को बाहर निकालने में मददगार होती है। हालांकि पथरी होने पर सिर्फ घरेलू उपायों पर निर्भर ना रहें बल्कि नजदीकी डॉक्टर से अपनी जांच करवायें।- तुलसी के नियमित सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जिससे सर्दी-जुकाम और अन्य संक्रामक बीमारियों से बचाव होता है।
- सभी जानते हैं कि आंवले के मुरब्बे के सेवन से सेहत को कई लाभ होते हैं। लेकिन इसके कारण कुछ नुकसान भी उठाने पड़ सकते हैं। जानते हैं इसके फायदे और नुकसान। चाशनी से लतपथ मुरब्बा बहुत ज्यादा पौष्टिक है। आंतों का स्वास्थ्य, दिमाग की परेशानी को दूर करने में आंवले का मुरब्बा एक अच्छा विकल्प है। बता दें कि आंवले के मुरब्बे की अंदर विटामिन बी, विटामिन सी आदि पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं जो न केवल दिमाग की परेशानी या आंतों की समस्या को दूर करते हैं बल्कि सेहत को तंदुरुस्त बनाते हैं।-पाचन तंत्र को रखे तंदुरुस्तपाचन क्रिया को मजबूत बनाने में आंवला मुरब्बा बेहद उपयोगी है। अगर आपको कब्ज की समस्या है तो इलाज के तौर पर आप आंवले के मुरब्बे का सेवन कर सकते हैं। ऐसे में आंवले के मुरब्बे के बाद दूध का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा यदि आपको अपच की समस्या है या पाचन तंत्र और गैस्ट्रिक समस्या है तो आप आंवले के मुरब्बे का उपयोग कर सकते हैं। आंवले के मुरब्बे के अंदर भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है जो समस्याओं को शांत करता है बल्कि एसिड रिफ्लक्स हो रहा हो तो इस समस्या से भी छुटकारा दिलाता है। ऐसे में आंवले का सेवन चीनी और शहद के साथ भी कर सकते हैं।- दिल की समस्याओं से रखें दूरबता दें कि आंवले के अंदर कॉपर और जिंक के साथ क्रोमियम में पाया जाता है। ऐसे में यह कोलेस्ट्रोल के स्तर को नियंत्रित करके दिल के रोगों को दूर करता है। खराब कोलेस्ट्रोल को बाहर निकालने के साथ-साथ यह दिल का दौरा, स्ट्रोक आदि समस्याओं से भी छुटकारा दिलाता है। अगर आप की रक्त वाहिकाओं में सूजन आ गई है तो इसे भी खत्म करने में आंवले का मुरब्बा बेहद उपयोगी है।- हिमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाएंहीमोग्लोबिन की स्तर को बढ़ाने में आंवले का मुरब्बा एक अच्छा विकल्प है। बता दें कि आंवले के मुरब्बे के अंदर भरपूर मात्रा में आयरन पाया जाता है। ऐसे में अगर आपको पीरियड्स के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग की समस्या है तो आंवले का मुरब्बा समस्या को दूर कर सकता है। मासिक धर्म के दौरान होने वाली ऐंठन को दूर करने के साथ आंवले का मुरब्बा महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द को भी दूर करता है।- त्वचा के लिए हैं अच्छाआंवले के मुरब्बे के अंदर विटामिन सी और विटामिन ई पाया जाता है जो न केवल रंग सुधारना है बल्कि चेहरे पर चमक भी लाता है। आंवले के मुरब्बे के अंदर एंटी एजिंग गुण मौजूद होते हैं जो न केवल झुर्रियों को दूर रखते हैं बल्कि त्वचा में भी ठंडक पहुंचाते है। इसके अलावा आंवले के मुरब्बे के अंदर विटामिन ए उम्र के बढऩे की गति को रोकते हैं।- अल्सर को रखें दूरआंवले के अंदर फाइबर पाया जाता है जो न केवल पेट में जलन, एसिडिटी की समस्या को दूर करता है बल्कि पेट में एसिड और अल्सर की समस्या से भी छुटकारा दिलाता है। अहर आप पेप्टिक अल्सर से परेशान रहते हैं तो आंवले के मुरब्बा से इस समस्या को दूर कर सकते हैं। ऐसे में अब आपको पेट की समस्या से छुटकारा मिल सकता है। जिगर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में आंवले का मुरब्बा बेहद उपयोगी है।-आंवले के मुरब्बे के अंदर एंटीऑक्सीडेंट तत्व पाए जाते हैं जो शरीर की रक्षा करते हैं।- अनिद्रा से छुटकारा दिलाने और तनाव को दूर करने में आंवले का मुरब्बा महत्वपूर्ण है।- आंवले का मुरब्बा वजन घटाने में सहायक है।- बवासीर के इलाज के इलाज के लिए आंवले के मुरब्बे का सेवन कर सकते हैं।आंवले के मुरब्बे के नुकसानहम सब जानते हैं कि किसी चीज के फायदे के साथ-साथ नुकसान भी होते हैं। ऐसे में जानते हैं आंवले के नुकसान के बारे में...- अगर आप के पेशाब में जलन रहती है इसके पीछे आंवले का मुरब्बा एक कारण हो सकता है।- हाई ब्लड प्रेशर और पेट में दर्द आंवले के मुरब्बे के कारण हो सकता है। आंवले के मुरब्बे से मल पीला आता है।- आंवले के मुरब्बा मधुमेह रोगियों के लिए हानिकारक हो सकता है। यह रक्त में शर्करा के स्तर को बढ़ाता है।