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- सदियों से हम नमक का इस्तेमाल करते आ रहे हैं। नमक से खाने का स्वाद बढ़ाने के अलावा और भी कई काम किए जा सकते हैं। जी हां, नमक के इस्तेमाल से आप रोजाना की कई समस्याएं सुलझा सकते हैं। आइए जानते हैं आखिर किन-किन कामों में नमक का इस्तेमाल किया जा सकता है।1. सिंक को चमकाएबर्तनों को धोते-धोते रसोई की सिंक में काफी दाग और निशान आ जाते हैं, जो जल्दी से जाते नहीं हंै। इससे छुटकारा पाने के लिए थोड़े से गर्म पानी में नमक मिलाएं और फिर इस पानी को सिंक में डालकर उसे धो लें। आपकी सिंक फिर से चमचमाने लगेगी।2. हाथों की गंध भगाएप्याज या लहसुन काटने के बाद भी हाथ से उसकी गंध नहीं जाती। इसे दूर करने के लिए थोड़े से नमक में सिरका मिलाएं और अपने हाथों के बीच रब करें, सारी दुर्गंध जाती रहेगी।3. चेहरा चमकाएनमक का इस्तेमाल करके त्वचा से मृत कोशिकाओं को हटाया जा सकता है। ऐसा करने से रोमछिद्र साफ हो जाते हैं। इसके लिए एक छोटे बर्तन में नमक, नींबू का रस और शहद मिलाएं। अब इस मिक्सचर को धीरे-धीरे चेहरे पर मलें। मसाज के बाद चेहरे को नॉर्मल पानी से धो लें। ऐसा करने से चेहरा चमक उठेगा।4. कपड़ों के दाग हटाएकपड़ों पर दाग लगना आम बात है। मगर यह दिक्कत बड़ी बन जाती है, जब आपकी फेवरेट ड्रेस पर कोई दाग लग जाए। इसके लिए आप नमक के पानी में एक घंटा कपड़े को भिगोकर रख दें और उसके बाद धो लें। सारे दाग साफ हो जाएंगे।5. त्वचा की रंगत सुधारेचेहरे की त्वचा की ठीक तरह से देखभाल नहीं करने से वह बेजान सी नजर आती है। वहीं यदि चेहरा काला पड़ गया है तो पुरानी रंगत पाने के लिए कच्चे दूध में थोड़ा सा नमक मिलाएं और उसे चेहरे में लगा लें और 10 मिनट बाद सादे पानी से धो लें। नियमित रूप से ऐसा करने से पुरानी रंगत वापस आ जाती है।
- योग से शारीरिक व मानसिक सेहत सुधरती है। लेकिन ये आलस है कि मानता नहीं। कुछ लोगों को तो सुबह-सुबह बेड छोड़ने में इतनी मुश्किल आती है, जैसे उनसे उनकी जिंदगी मांग ली हो। मगर हम उनकी इस मुश्किल का हल लेकर आए हैं। अब आपको योगासन करने के लिए बेड से उतरने की जरूरत नहीं है। बल्कि आप उसपर ही ये 5 योगासन कर सकते हैं और शारीरिक और मानसिक सेहत को सुधार सकते हैं। आइए इन योगासनों के बारे में जानते हैं।मार्जरीआसनमार्जरीआसन आपके शरीर का बैलेंस सुधारने के लिए काफी लाभदायक होता है। इसे कैट एंड काऊ पोज भी कहा जाता है। इस योगासन का अभ्यास करने से रीढ़ की हड्डी और गर्दन में लचीलापन आता है। इसे करने के लिए बेड पर ही दोनों हथेलियों को कंधों के ठीक नीचे रखें और घुटनों को कूल्हों की सीध में रखें। अबतक आप किसी डॉग की पोजीशन में आ चुके होंगे। अब अपने सिर को आसमान की तरफ ले जाने की कोशिश करते हुए, पेट को नीचे की तरफ झुकाएं। कुछ सेकेंड बाद सिर को छाती की तरफ लेकर आएं और कमर को ऊपर की तरफ ले जाएं। इसी तरह इस प्रक्रिया को दोहराएं।सुप्त मत्स्येंद्रासनयह योगासन आपकी पीठ और कूल्हों की मांसपेशियों के लिए काफी लाभदायक है। यह आसन इन मसल्स को लचीला बनाने के साथ-साथ मजबूत भी बनाता है। इस योगासन को करने के लिए सबसे पहले बेड पर सीधा लेट जाएं। अब दाएं घुटने को बायीं कमर की तरफ बेड पर टिकाने की कोशिश करें और सिर को उल्टी दिशा वाले कंधे की तरफ घुमाएं। अब बायीं हथेली को दायें घुटने पर रखें और शरीर में खिंचाव महसूस करें। इसी प्रक्रिया को दूसरे घुटने से भी दोहराएं।आनंद बालासनयह योगासन आपके कूल्हों और जांघों की मांसपेशियों को रिलैक्स करता है। इसका अभ्यास करने के लिए बेड पर कमर के बल लेट जाएं। अब दोनों घुटनों को छाती पर टिका लें और तलवों को घर की छत की तरफ रखें। अब दोनों हाथों से अपने दोनों तलवों को पकड़ें। इसके बाद शरीर के निचले हिस्से में खिंचाव महसूस करें और कुछ देर इसी अवस्था में रहें।बालासनबालासन आपके शरीर की थकान और तनाव को मिटाने के लिए काफी असरदार होता है। इससे कूल्हों, जांघों और टखनों को आराम मिलता है। इसे करने के लिए बेड पर घुटनों के बल बैठ जाएं और अपने कूल्हों को दोनों एड़ियों पर बराबर टिका लें। अब अपने सिर को आगे की तरफ बेड पर टच करने की कोशिश करें। इस दौरान अपने दोनों हाथों को आप कूल्हों के किनारे या फिर सिर के आगे की तरफ फैला सकते हैं। कुछ देर इसी पोजीशन में रहने की कोशिश करें।पश्चिमोत्तानासनयह योगासन आपकी रीढ़ की हड्डी, पेट, कूल्हों, घुटनों को मजबूत और तनाव मुक्त बनाने के लिए काफी लाभदायक है। इससे दिमागी शांति भी प्राप्त होती है। इसे करने के लिए बेड पर पैर फैलाकर बैठ जाएं। अब घुटनों को सीधा रखते हुए सिर को घुटनों से टच करने की कोशिश करें और हाथों से पैरों के तलवे पकड़ने की कोशिश करें। इसी अवस्था में रहने की कुछ देर कोशिश करें। शुरुआत में पश्चिमोत्तानासन मुश्किल हो सकता है। लेकिन धीरे-धीरे आप परफेक्ट हो जाएंगे।
- देशभर में ब्लैक फंगस का कहर लगातार बढ़ रहा है। इस बीच एक और खतरे ने भारत में दस्तक दे दी है। यह हमारे फेफड़ों के साथ-साथ दिमाग, अमाशय, स्किन, नाखून, मुंह का अंदरुनी हिस्सा, आंत, किडनी और गुप्तांग जैसे अंग पर बुरा असर डाल सकता है। अब सवाल यह है कि क्या वाकई में ब्लैक फंगस से खतरनाक होता है व्हाइट फंगस ? चलिए इस बारे में जानते हैं एक्सपर्ट की क्या है राय?व्हाइट फंगस पर क्या है डॉक्टर्स की राय?चर्म रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अभिनव सिंह के अनुसार व्हाइट फंगस को मेडिकल भाषा में Candidiasis कहते हैं। यह फंगस हम सभी के शरीर में सामान्यतौर पर रहता ही है। लेकिन जब बॉडी की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है, तो हमारे शरीर को प्रभावित करने लग जाता है। डॉक्टर अभिनव का कहना है कि यह ब्लैक फंगस से अधिक खतरनाक नहीं है। ब्लैक फंगस, व्हाइट फंगस की तुलना में हमारे शरीर में काफी तेजी से ग्रो करता है।मेदांता हॉस्पिटल के चेस्ट सर्जन डॉक्टर अरविंद कुमार का कहना है कि व्हाइट फंगस लंग्स पर भी इफेक्ट करता है। हर तरह का फंगस लंग्स पर इफेक्ट करता है। पहले भी करता था और आज के समय भी करता है। ब्लैक फंगस, व्हाइट फंगस की तुलना में अधिक खतरनाक होता है। क्योंकि ब्लैक फंगस तेजी से शरीर के अन्य अंगों को प्रभावित करता है। लेकिन व्हाइट फंगस इस तरह का प्रभाव नहीं करता। ऐसे में ब्लैक फंगस ही ज्यादा घातक है। क्योंकि ब्लैक फंगस ज्यादा अग्रेसिव किस्म का फंगस है और बहुत ही तेजी से लोगों को अपनी चपेट में लेता है और अधिकतर दवाइयां इसपर काम नहीं करती हैं। केवल एंफोटेरेसिन इसपर काम करती हैं। डॉक्टर अभिनव का कहना है कि स्किन की बात की जाए, तो मुंह के हिस्से पर इसका ज्यादा असर दिखता है। वहीं, शरीर के जिस हिस्से पर नमी रहती है वहां पर इसका ज्यादा असर दिखता है।व्हाइट फंगस लंग्स पर कैसे डालता है असर?डॉक्टर अरविंद कुमार का कहना है कि व्हाइट फंगस सांस के जरिए लंग्स में जाकर फेफड़ों को संक्रमित कर सकता है। इससे मरीज को निमोनिया हो सकता है। लंग्स में फंगल बॉल्ब बन सकते हैं। इस तरह से फेफड़ों को संक्रमित कर सकता है। डॉक्टर अभिनव का कहना है कि व्हाइट फंगस को लोग इसलिए ज्यादा खतरनाक बोल रहे हैं क्योंकि इससे डिटेक्ट करना थोड़ा मुश्किल होता है। अन्य फंगस इंफेक्शन होने पर तेजी से बुखार आने लगता है, जिसे इटेक्ट करना आसान है। लेकिन व्हाइट फंगस में इस तरह के लक्षण नहीं दिखते हैं। इसलिए इसका इलाज थोड़ा लेट शुरू हो पाता है। इसलिए इलाज में थोड़ी परेशानी आती है।व्हाइट फंगस के लक्षणडॉक्टर अरविंद कुमार का कहना है कि व्हाइट फंगस के लक्षण काफी देर से सामने आते हैं। जब इस फंगस से फेफड़े संक्रमित होते हैं, तो आपके शरीर में निम्न तरह के लक्षण दिख सकते हैं-मरीज को खांसी होना।हल्का बुखार होना।सांस फूलनानिमोनिया के सभी लक्षण मरीज में दिख सकते हैं।व्हाइट फंगस होने के कारणडॉक्टर अरविंद कुमार का कहना है कि सभी फंगस हवा में मौजूद होते हैं, ऐसे में जब हम सांस लेते हैं तो यह सभी फंगस हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं। लेकिन शरीर की इम्यूनिटी इन फंगस को पैर जमाने से रोकती है। इन दिनों लोगों को कई तरह की समस्याएं हो रही हैं, इसलिए यह फंगस लोगों के सामने उभरकर आ रहे हैं। इसके अलावा कुछ अन्य कारण निम्न हैं- शरीर पर नमी, इम्यूनिटी कमजोर होना, स्टेरॉयड का अधिक इस्तेमाल, डायटीबिटज होना, लंबे समय तक एंटीबायोटिक का इस्तेमाल करनाकितना है गंभीर व्हाइट फंगस?समय पर हैवी एंटीफंगल डोज नहीं दिया गया, तो यह घातक भी हो सकता है। शरीर में व्हाइट फंगस ज्यादा बढऩे से खाने की नली पर असर पड़ता है। डॉक्टर अभिनव सिंह बताते हैं कि जब यह हमारे ब्लड में इन्वॉल्व होता है, तो इसका असर दिमाग और किडनी पर भी दिखता है। इतना ही नहीं, इससे लंग्स भी संक्रमित हो सकते हैं। लेकिन ब्लैक फंगस की तरह जल्दी ग्रो नहीं करता है।डॉक्टर अरविंद कुमार का व्हाइट फंगस के बारे में कहना है कि ब्लैक फंगस का अगर सही समय पर इलाज नहीं किया गया, तो यह बहुत सारे मरीजों की जान ले सकता है। लेकिन व्हाइट फंगस अन्य फंगस के मुकाबले कम घातक है। किसी भी इंफेक्शन का अगर आप समय पर इलाज नहीं कराते हैं, तो यह आपके लिए घातक हो सकता है।
- अरबी को कई लोग अरवी , घुइया या कोचई भी कहते हैं। यह एक सब्जी है, जिसे आप सभी खाते होंगे। यह आसानी से बाजार में मिल जाती है। इसका स्वाद अन्य सब्जियों से थोड़ा अलग होता है। सामान्यत: अरबी से कई तरह से खाई जाती, सूखी सब्जी (भुजिया) और रसदार सब्जी या फिर दूध के साथ लप्सी के रूप में। कुछ लोग अरबी के पत्तों से भी कई तरह के व्यंजन बनाते हैं। छत्तीसगढ़ में इसके पत्तों को बेसन या फिर उड़द दाल के साथ मिलाकर कढ़ी बनाई जाती है, जिसे ईढर की कढ़ी कहते हैं। वहीं उत्तरप्रदेश में इसे अरकौच की कढ़ी कहा जाता है। आज हम जानेंगे अरबी यानी कोचई खाने के फायदे.....आयुर्वेद में अरबी को बहुत ही गुणकारी आहार बताया गया है। यह वातकारक होते हुए भी हृदय रोगों में फायदेमंद होता है। इसके सेवन से शरीर को पौष्टिक तत्व मिलता है। अरबी को तेल में पकाकर खाने से इसका स्वाद बहुत ही उत्तम हो जाता है।-बालों का झडऩा एक आम परेशानी है, जिससे कई लोग परेशान रहते हैं। महिला हो या पुरुष, सभी बालों को झडऩे से रोकने के लिए अलग-अलग तरह के उपाय करते हैं, लेकिन कई बार उपाय से पूरी तरह फायदा नहीं मिलता है। आयुर्वेद के अनुसार, अरबी के गुण से बालों का झडऩा रुक सकता है। अगर आपके बाल गिर रहे हों तो अरवी के कंद का रस निकालकर सिर पर मालिश करें। इससे बालों का गिरना बंद हो जाता है।-कई लोगों को अक्सर सिर दर्द की शिकायत रहती है। अरबी कन्द के रस में छाछ, या दही मिला लें। इसे पीने से सिर दर्द से आराम मिलता है।-कान बहने या कान के दर्द में भी अरवी का उपयोग कर सकते हैं। इन रोगों में अरबी के पत्ते के 1-2 बूंद रस को कान में डालें। इससे ना सिर्फ कान बहना रुक जाता है, बल्कि कान का दर्द भी ठीक हो जाता है।-आंखों के विभिन्न रोगों में अरबी का प्रयोग लाभ पहुंचाता है। आप अरबी के पत्तों और कन्द की सब्जी बनाकर सेवन करें। इससे आंखों के रोग में फायदा होता है।-अरबी के गुण से सूजन की समस्या ठीक की जा सकती है। अरबी के पत्ते और इसकी डंडियों का रस निकाल लें। इसमें नमक मिला लें। इसका लेप करने से गांठों, और मांसपेशियों की सूजन ठीक हो जाती है।-नींद न आने की परेशानी में अरबी के पत्तों, तथा कन्द का साग बनाकर सेवन करें। इससे अनिद्रा की परेशानी ठीक हो जाती है।-कब्ज एक ऐसी बीमारी है, जिससे कई लोग परेशान रहते हैं। पेट की इस बीमारी के कारण लोगों का खान-पान बहुत बदल जाता है। अरबी के गुण इस रोग में भी काम आते हैं। अरबी के कंद का काढ़ा बनाकर पिएं। इससे कब्ज की परेशानी ठीक होती है।-शारीरिक कमजोरी वाले लोग भी अरबी का सेवन कर सकते हैं। अरबी के छोटे कन्दों को भूनकर भर्ता बना लें। इसका सेवन करने से शरीर स्वस्थ होता है, तथा कमजोरी दूर होती है।-भूख कम लगती है, तो अरबी का प्रयोग कर फायदा ले सकते हैं। अरबी के पत्तों का जूस बना लें। इसमें दालचीनी, इलायची तथा अदरक डालकर पिएं। इससे भूख ना लगने की समस्या ठीक होती है।-हाई ब्लडप्रेशर के मरीज अरबी की सब्जी का सेवन करें। इससे उच्च रक्तचाप में लाभ होता है।(नोट- अरबी पचने में भारी होती है। इसलिए इसका अधिक इस्तेमाल नुकसानदायक होता है। ऊपर लिखे उपाय अपनाने से पहले एक बार किसी योग्य चिकित्सक से सलाह अवश्य ले लें।
- चिरौंजी को चारोली के नाम से भी जाना जाता है। चिरौंजी एक ड्राई फ्रूट है और इसका इस्तेमाल हम कई मीठे व्यंजनों में करते हैं। चिरौंजी के दाने छोटे-छोटे दाल की तरह होते हैं। चिरौंजी में कई ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं. जो स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद माने जाते हैं। चिरौंजी इम्यूनिटी बूस्ट करने के साथ-साथ कब्ज और दस्त से भी राहत दिलाती है.पाए जाते हैं बहुत से पोषक तत्वचिरौंजी को स्वाद ही नहीं सेहत के लिए बहुत गुणकारी माना जाता है। चिरौंजी के अंदर भी ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद मिल सकती है। चिरौंजी में प्रोटीन अच्छी मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा इसमें विटामिन सी और बी भी पर्याप्त मात्रा में होता है। वहीं इससे निर्मित तेल में अमीनो एसिड और स्टीएरिक एसिड भी पाया जाता है। बहुत कम लोगों को चिरौंजी के लाभ के बारे में पता होगा। इसकी तासीर ठंडी होती है और पेट को ठंडक पहुंचाती है, तो चलिए आज हम आपको चिरौंजी के फायदों के बारे में बताते हैं.सर्दी-जुकाम में फायदेमंदचिरौंजी को सर्दी-जुकाम में सेवन करना फायदेमंद माना जाता है। सर्दी-जुकाम की शिकायत होने पर चिरौंजी को दूध में पका कर सेवन करने से सर्दी की समस्या से राहत मिल सकती है ।साफ होती है पाचनतंत्र में जमा गंदगीचिरौंजी के सेवन से पाचनतंत्र में जमा गंदगी साफ होती है। चिरौंजी आंतों की आंतरिक परत को चिकनाहट देकर उसकी मरम्मत का काम करती है। इससे हमें कब्ज, मरोड़ की समस्या में आराम मिलता है और पेट सही से साफ होता है।कब्ज और दस्त की समस्या से मिलेगा छुटकारायदि कब्ज और दस्त की समस्या है तो इन परेशानियों को दूर करने के लिए चिरौंजी के तेल से बनी खिचड़ी, दलिया या ओट्स का सेवन करने से लाभ होता है। नियमित रूप से भी चिरौंजी का सेवन करें या फिर इसका पाउडर बनाकर दूध में मिलाकर पी जाएंं।अल्सर को रोकने में करती है मददचिरौंजी गैस्ट्रिक स्राव को कम करके गैस्ट्रिक अल्सर को रोकने में भी मदद कर सकती है, क्योंकि इसमें एंटी- इंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है।स्किन प्रॉब्लम्स को दूर करेगी चिरौंजीचिरौंजी स्किन के लिए भी फायदेमंद बताई जाती है। जब त्वचा गर्मी या सूरज के संपर्क में होती है, तो हाइपर पिगमेंटेशन की समस्या होने लगती है। हाइपर पिगमेंटेशन से छुटकारा पाने के लिए इस मिश्रण को दिन में एक या दो बार प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं। इसे जैतून या बादाम के तेल के साथ मिलाने से भी स्किन प्रॉब्लम्स को दूर किया जा सकता है। ये फेस की टैनिंग और पिगमेंटेशन को कम करने में मदद करता है, साथ ही ग्लोइंग स्किन भी देता है।दूर होती है शरीरिक कमजोरीचिरौंजी के लगातार सेवन करने से शारीरिक कमजोरी में कमी आती है। इसके लिए 10-12 ग्राम चिरौंजी को पीस लें और दूध में मिलाकर इसका सेवन करें।नोट- चिरौंजी का सेवन पूरी जानकारी होने के बाद ही करना चाहिए। शुगर के रोगियों को चिरौंजी का सेवन कम करना चाहिए। जिन लोगों का पाचनतंत्र कमजोर हो उन्हें चिरौंजी का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए।
- जानिए कुछ खास चटनियां और उनके फायदेआजकल एंटीऑक्सीडेंट कन्ज्यूम करने की सलाह हर कोई देता है, क्योंकि ये इम्युनिटी बढ़ाने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मगर हर चीज़ के लिए सप्लीमेंट लेना सही नहीं है! सबसे अच्छा तरीका है इन्हें आहार में शामिल करना। मगर इससे पहले यह समझते हैं कि आखिर एंटीऑक्सीटेंड क्या होते हैं?एंटीऑक्सीडेंट अणु होते हैं, जो आपके शरीर में मुक्त कणों से लड़ते हैं। मुक्त कण ऐसे यौगिक होते हैं, जो आपके शरीर में उनका स्तर बहुत अधिक हो जाने पर नुकसान पहुंचा सकते हैं। वे मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर सहित कई बीमारियों से जुड़े हुए हैं।एंटीऑक्सीडेंट भोजन में पाए जाते हैं, विशेष रूप से फलों, सब्जियों और अन्य पौधों पर आधारित, संपूर्ण खाद्य पदार्थों में। कई विटामिन, जैसे विटामिन E और C, एक प्रभावी एंटीऑक्सीडेंट हैं।खाने के साथ चटनी का सेवन करना भारतीय खानपान का एक हिस्सा रहा है। पोषक तत्वों को ग्रहण करने का सबसे स्वादिष्ट तरीका है चटनी। इसलिए, एंटीऑक्सीटेंड को कंन्ज्यूम करने का सबसे आसान और स्वादिष्ट तरीका है चटनियां!तो आइये जानते हैं ऐसी ही कुछ एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर चटनियों के बारे में-1. पके आम की चटनीआम फलों का राजा है और इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन A और C, प्रोटीन और फाइबर होते हैं, जो समग्र स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं। साथ ही एंटीऑक्सीडेंट का अच्छा स्रोत होने के नाते आम, इम्युनिटी बढ़ाने से लेकर पाचन तंत्र दुरस्त रखने और कोलेस्ट्रोल जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से लड़ने में सक्षम है। इसके अलावा गर्मियों में आम खाने से लू नहीं लगती है।चटनी बनाने के लिए :एक जार में एक आम के गूदे और चीनी को अच्छी तरह मिक्स कर लें। चीनी के घुल जाने के बाद इसे करीब 4 दिन के लिए धूप में रखकर छोड़ दें। मगर इसे दिन में 2-3 बार जरूर चलाएं। इसके बाद इसमें नमक, लाल मिर्च पाउडर, काली मिर्च पाउडर, गर्म मसाला मिलाएं और तब तक धूप में रखें जब तक चीनी पूरी तरह घुल न जाए। चीनी के घुल जाने के बाद इसे एयर टाइट डिब्बे में भरकर रख दें।2. इमली की चटनीइमली में एंटीऑक्सीडेंट तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं। साथ ही, इसमें टैरट्रिक एसिड होता है जो शरीर में कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकता है। यह मधुमेह रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद है और मोटापे से लड़ने में भी मदद करती है। यह ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने के साथ-साथ रेड ब्लड सेल्स को बनने में मदद करती है। इसके अलावा, इमली में विटामिन C और एंटी ऑक्सीडेंट्स होते हैं जो इम्युनिटी को बेहतर करते हैं।चटनी बनाने के लिए :एक इमली के पल्प में एक कप गुड़ और 1 कप पानी मिला लीजिए। फिर इसे गैस पर पकने रख दीजिए और इसमें काला नमक, लाल मिर्च और किशमिश डालकर उबाल आने दीजिए। चीनी के घुलने और घोल के गाढ़ा होने तक इसे पका लीजिए। आपकी इमली की स्वादिष्ट चटनी तैयार है!3. पुदीने की चटनीये एंटीऑक्सीडेंट का सबसे अच्छा स्रोत है और कई बीमारियों के उपचार में मदद करता है। पुदीने का सेवन करना पाचन तंत्र दुरुस्त रखने और मुंह की बदबू को दूर करने का सबसे अच्छा उपाय है। साथ ही, गर्मियों में यह आपको ठंडक प्रदान करेगा और पोषक तत्वों की कमी नहीं होने देगा।पुदीने की चटनी तैयार करने के लिए :एक कप पुदीने के पत्ते, एक इंच अदरक, 2 हरी मिर्च और स्वादानुसार नमक को मिक्सी में पीस लें। ज़रुरत पड़ने पर पानी भी डाल लें, अब पिसी हुई चटनी को कटोरे में निकालकर उसमें एक बड़ा चम्मच नींबू का रस भी मिला लें। चटनी बनकर तैयार है!4. करौंदे की चटनीविटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट का समृद्ध स्रोत होने की वजह से करौंदे इम्युनिटी बढाने में कारगर हैं। करोंदे का सेवन आपको ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित करने मन मदद करेगा। साथ ही, अगर आप अपने बढ़ते वजन से परेशान है तो करौंदे को अपने आहार में ज़रूर शामिल करें।करौंदे की चटनी तैयार करने के लिए:आप एक कटोरे करौंदे को अच्छे से धोकर, 2 से 3 हरी मिर्च, एक लहसुन की कली, और स्वादानुसार नमक के साथ मिक्सी में पीस सकती हैं। साथ ही ज़रुरत पड़ने पर इसमें थोड़ा पानी भी मिला सकती हैं और आपकी करोंदे की चटनी तैयार है!
- तेजपत्ता एक ऐसा मसाला है जो ज्यादातर घरों में इस्तेमाल होता है और इसका प्रयोग हर सब्जी में किया ही जाता है. खास बात ये है कि ये केवल अपने एक अलग स्वाद के लिए ही नहीं बल्कि अपने औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है.वैसे तो ज्यादातर लोग खाने में स्वाद बढ़ाने के लिए ही इसका इस्तेमाल करते हैं, लेकिन, आपको ये जानना चाहिए ये हमारी सेहत के लिए बहुत गुणकारी है. आप घर पर ही तेजपत्ते की मदद से कई सारी बीमारियों से छुटकारा पा सकती हैं. हम आपको बताएंगे की कैसे आप तेजपत्ते की मदद से उसका काढ़ा बनाकर अपने को हेल्दी रख सकते हैं. आइए जानते हैं इसके फायदे और ये कैसे बनाया जाता है.ये होते हैं पोषक तत्वतेजपत्ता में कॉपर, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सेलेनियम और आयरन से भरा होता है. इतना ही नहीं ये एंटीऑक्सीडेंट्स भी होता है जो कैंसर, ब्लड क्लॉटिंग और दिल से जुड़ी समस्याओं को भी दूर करता है. तेजपत्ते का काढ़ा कई अन्य बीमारियों में भी बेहद फायदेमंद होता है.ऐसे बनाएं तेजपत्ते का काढ़ाकाढ़ा बनाने के लिए आप 10 ग्राम तेजपत्ता, 10 ग्राम अजवायन और 5 ग्राम सौंफ को एक साथ पीसकर मिश्रण तैयार कर लें. अब इस पेस्ट को 1 लीटर पानी में डालकर अच्छी तरह से उबाल लें. जब पानी उबलने के बाद 100-150 मिलीलीटर बच जाए तो गैस बंद कर दें. कुछ देर बाद जब ये मिश्रण ठंडा जाएगा तो आपका काढ़ा पीने के लिए तैयार है.सिर दर्द होने पर पीएं काढ़ासिर दर्द होने पर आप तेजपत्ते का काढ़ा बनाकर पी लें. इसका काढ़ा बनाकर पीने से सिर की दर्द तुरंत ही सही हो जाती है और आपको दर्द से आराम मिल जाता है.चोट या मोच आने परचोट या मोच लगने पर आपको तेजपत्ते का काढ़ा पीना चाहिए और इसी के तेल को लगाना चाहिए. इससे मोच से आई सूजन और दर्द से राहत मिलेगी. आप तेज पत्ते को पीस कर मोच वाली जगह पर लगा सकते हैं आराम मिलेगा.अगर नसों में होता है खिचावकई बार अगर सोते वक्त नसों में खिंचाव हो जाता है या नसों में सूजन आ जाती है. तो ऐसे में तेजपत्तों के केकाढ़ा का सेवन करें, ये आपको आराम देगा.कमर दर्द में फायदेमंदअगर आपको कमर दर्द होती है तो ऐसे में आप तेजपत्ते का काढ़ा कम से कम दिन में 2 बार रोज पिया करें. साथ ही तेजपत्ते का तेल ले लाएं और इसकी मालिश कमर पर करें. इससे आपको काफी फायदा होगा. तेजपत्ते को सरसों के तेल में पका कर आप खुद भी तेल बना सकती हैं.
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बदलते मौसम में भी बुखार आ जाता है जो कि शरीर में मौजूद संक्रमण से लड़ने की यह प्राकृतिक प्रक्रिया है. पर ज्यादा समय तक बुखार रहना खतरे की निशानी हो सकता है. बुखार लगने पर शरीर में कमजोरी हो जाती है, इसके लिए बेहतर डाइट लेना जरूरी है. पौष्टिक और हल्का खाना बुखार में लेना अच्छा होता है. क्या आप जानते हैं कि बुखार में खुद को अच्छा फील करने के लिए और खुद को हेल्दी रखने के लिए अपनी डाइट में किन चीजों का सेवन करना चाहिए, अगर नहीं तो हम आपको बताते हैं कि कैसे, इन हेल्दी खाने से आप बुखार में भी आप अच्छा महसूस कर सकते हैं. तो आइए जानते हैं कि आपके कैसी डाइट लेनी चाहिए----
खिचड़ी का सेवन
खिचड़ी एक हल्का भोजन माना जाता है. बुखार में हमारा लीवर वीक हो जाता है जिसके कारण हम भोजन को पाचने में असमर्थ हो जाते हैं. ऐसे में खिचड़ी एक पौष्टिक भोजन होने के साथ जल्द ही पचने वाला भोजन है. खिचड़ी आसानी से पच जाती है. बुखार आने पर खिचड़ी खाएंगे तो आप फीवर में अच्छा महसूस करेंगे और जल्दी ठीक होंगे.
सूजी का उपमा
बुखार में कमजोरी हो जाती है और अक्सर मरीज को कब्ज की शिकायत रहती है. जिसके कारण मरीज को कैसा भी खाना अच्छा नहीं लगता है और कमजोरी महसूस होती है. ऐसी सिचुएशन होने पर आप डाइट में सूजी का उपमा ले सकते हैं, इससे आपकी कब्ज की परेशानी दूर हो जाएगी. आप खुद को अच्छा महसूस करने लगेंगे.
उबले हुए अंडे
अंडे में प्रोटीन की मात्रा बहुत होती है जो हमारी हेल्थ के लिए जरूरी है. अंडे हमारे शरीर को ऊर्जा देते हैं. अंडे में विटामिन बी 6 और बी12, जिंक और सेलेनियम मौजूद होते हैं, जो हमारे रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने में मदद करता है. यदि आप फीवर में अंडे का भरपूर सेवन करें, तो आप बुखार में खुद को अच्छा महसूस करा सकते है. इसके साथ ही आपकी कमजोरी भी दूर होगी.
ज्यादा सूप पिएं
फीवर में हल्का खाना चाहिए जो कि जल्दी से पच जाए. खिचड़ी के साथ सूप भी बुखार के लिए बेहतर खाना माना जाता है. इसमें मौजूद पोषक तत्व शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं. यदि आप बुखार में सूप को अपने डाइट चार्ट में शामिल कर ले, तो जल्द रिकवरी होगी और कमजोरी दूर हो जाएगी.
बेसन का शीरा
बेसन के शीरे का इस्तेमाल बुखार में बहुत पहले से किया जा रहा है.बेसन का शीरा सर्दी, खांसी जुकाम और फीवर के लिए काफी हेल्दी खाना माना जाता हैं. बुखार में इसका सेवन करने से गले की खराश और बंद नाक की समस्या आसानी से दूर हो सकती है और आप खुद को अच्छा महसूस करेंगे. - अखरोट ड्राई फ्रूट्स की श्रेणी में आता है. अपने गुणों की बदौलत इसे विटामिन्स का राजा कहा जाता है. फाइबर, हेल्दी फैट, विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर अखरोट यानी वॉलनट सिर्फ ब्रेन हेल्थ और मेमोरी के लिए ही फायदेमंद नहीं है बल्कि हमारी संपू्र्ण हेल्थ के लिए लाभकारी है. आप अगर अखरोट (Walnut) को भिगोकर खाते हैं तो इसके आश्चर्यजनक परिणाम सामने आते हैं. आज हम आपको अखरोट से होने वाले फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं.अखरोट आसानी से बाजार में मिल जाता है. इसके सेवन से कई प्रकार की बीमारियों से भी छुटकारा मिल जाता है. आप सिंपल इसको ऐसे ही न खाकर, भिगोकर खाएं. अखरोट का सेवन हार्ट के लिए अच्छा माना जाता है क्योंकि इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है. जो बेड कोलेस्ट्रॉल को कम करके अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है और आपके हार्ट को स्वस्थ रखता है.रोज भिगोकर खाएं दो अखरोटक्या आप ये जानते हैं कि रोजाना सिर्फ 2 भीगे अखरोट खाने से आपके शरीर को कई लाभ मिल सकते हैं. अखरोट को दिमाग के लिए काफी अच्छा माना जाता है. बादाम और अखरोट दो ऐसे ड्राई फ्रूट हैं जिनको सबसे ज्यादा खाया जाता है.पाए जाते हैं ये पोषक तत्वअखरोट में प्रोटीन, वसा, फाइबर और कार्बोहाइड्रेट अच्छी मात्रा में पाया जाता है. इतना ही नहीं इसमें कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन कॉपर, ओमेगा-3 फैटी एसिड, मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड, फॉस्फोरस, सेलेनियम, और जिंक भी पाया जाता है, जो शरीर को कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचाने में मदद कर सकते हैं.कैंसर के खतरे को कम करता है वॉलनटकई अध्ययन में यह बात सामने आ चुकी है कि अखरोट का सेवन करने से ब्रेस्ट कैंसर, प्रॉस्टेट कैंसर और कोलोरेक्टल कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता है. अखरोट में पॉलिफेनॉल इलागिटैनिन्स पाए जाते हैं जो कई तरह के कैंसर के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने में मदद करता है. अखरोट खाने से हॉर्मोन से जु़ड़े कैंसर का खतरा भी कम होता है.हड्डियों और दांतों को मिलेगी मजबूतीभीगे अखरोट में कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो आपकी हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाने में मदद कर सकते हैं. दरअसल अखरोट में अल्फा-लिनोलेनिक एसिड पाया जाता है जो हड्डियों को मजबूत करने में मदद कर सकता है.वजनअगर आपको वजन कम करना है तो आप अपनी डाइट में भीगे अखरोट को शामिल करना शुरू कर दें. भीगे अखरोट में भरपूभरपूर मात्रा में प्रोटीन व कैलोरी कम होती है, जो वजन को कंट्रोल रखने में मदद कर सकती हैं.हार्ट के लिए अच्छाअखरोट को दिल के लिए काफी अच्छा माना जाता है और जब आप इसे भीगो कर खाते हैं तो इसके फायदे और बढ़ जाते हैं. भीगे अखरोट में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है जो खराब कोलेस्ट्रॉल को कम कर अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने और दिल को स्वस्थ रखने क में मदद कर सकता है.डायबीटीज में फायदेमंदब्लड शुगर और डायबिटीज से बचना चाहते हैं तो भीगे हुए अखरोट का सेवन आपके लिए फायदेमंद हो सकता है. कई सर्वे में यह बात सामने आयी है कि जो लोग रोजाना 2 से 3 चम्मच अखरोट का सेवन करते हैं, उनमें टाइप-2 डायबीटीज होने का खतरा कम हो जाता है. अखरोट ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है जिससे डायबीटीज का खतरा कम हो जाता है.कब्ज की समस्या होगी दूरआपको बता दें कि अखरोट में फाइबर अच्छी मात्रा में पाया जाता है, जो आपकी पाचन प्रणाली को दुरुस्त रखने में मदद कर सकता है.वैसे तो अखरोट से किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता है लेकिन आपको किसी तरह की कोई एलर्जी है या कोई समस्या है तो इसका सेवन आप डॉक्टर की सलाह लेकर भी कर सकते हैं.
- शरीर के सभी अंगों को सुचारू रूप से काम करने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है। शरीर में ये ऑक्सीजन खून के जरिए से सभी अंगों तक पहुंचता हैै। इसलिए खून में अगर ऑक्सीजन की कमी होती है तो इससे शरीर के विभिन्न अंगों के विकास पर बुरा प्रभाव पड़ता हैै। इसके लिए जरूरी है कि हम अपनी डाइट में ऐसे फूड्स को शामिल करें जो खून में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाने का काम करता हैै।हालांकि इमरजेंसी में ऑक्सीजन सप्लीमेंट की जरूरत होती ही है, पर आप अपने ऑक्सीजन के स्तर को नेचुरली बनाए रखने के लिए कुछ खास उपाय अपना सकते हैं। आज हम आपको कुछ ऐसी ही फ्रूट्स के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका इस्तेमाल खून में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाकर शरीर को सेहतमंद रखने में मदद करता है।स्ट्रॉबेरी और ब्लूबेरी (नीलबदरी) खाएंनियमित रूप से स्ट्रॉबेरी और ब्लूबेरी (नीलबदरी) खाएं। ये फल कई गुणों से भरपूर होते हैं जो इस संकट के समय में हमें सुरक्षित रख सकते है।किवी का करें सेवनकिवी भी एक ऐसा फल है जो ऑक्सीजन को बढ़ाने में सहायक होता है। . ये विटामिन सी से भरपूर होता हैै। इसलिए पैनडेमिक के दौरान डॉक्टर लोगों को विटामिन सी भरपूर चीजों का सेवन ज्यादा करने की सलाह देते है।केला कर दें खाना शुरूकेला शरीर में ऑक्सीजन स्तर को बढ़ाने में इसलिए मददगार होता है क्योंकि इसमें अल्ककालाइन भरपूर मात्रा में होता हैै।शकरकंदस्वीट पोटैटो यानी शकरकंद, सिर्फ पोटोशियम, मिनरल्स और मैग्नीशियम की ही स्त्रोत नहीं है, ऑक्सीजन का भी हैै। इसे अपनी डाइट में शामिल जरूर करें।पौष्टिक आहार लेंएंटीऑक्सीडेंट शरीर को पाचन में ऑक्सीजन का सेवन बढ़ाने में मदद करते हैंै। एंटीऑक्सीडेंट का सेवन करने के लिए ब्लूबेरी, क्रैनबेरी, रेड किडनी बीन्स, आटिचोक, स्ट्रॉबेरी, प्लम और ब्लैकबेरी जैसे खाद्य पदार्थों को आहार में शामिल करना चाहिएै।ऑक्सीजन लेवल को संतुलित रखने के लिए कैसा हो आहार?शरीर में ऑक्सीजन लेवल बनाए रखने के लिए आयरन, कॉपर, विटामिन ए, विटामिन बी2, विटामिन बी3, विटामिन बी5, विटामिन बी6, विटामिन बी9 और विटामिन 12 की जरूरत होती हैै।इनके अलावा शरीर के लिए जरूरी प्रोटीन विटामिन एफ की मात्रा बढ़ाने के लिए हमें एसिड सोयाबीन, अखरोट और फ्लैक्ससीड्स का सेवन करना जरूरी है जो रक्तप्रवाह में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ाने के लिए काम करते हैं। कोविड पैनडेमिक के दौरान अपनी सेहत का खास ख्याल रखने की जरूरत है। स्वस्थ शरीर और बेहत इम्यूनिटी के साथ ही हमारा शरीर इस वायरस का मुकाबला करने में सक्षम होगा। इम्यूनिटी के साथ ये भी जरूरी है कि शरीर में ऑक्सीजन का लेवल बना रहे।
- गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है, गर्मी का मौसम अपने साथ कई बीमारियां भी लेकर आता है. ये मौसम हमारे इम्यून सिस्टम को भी प्रभावित करता है जिससे पाचन और त्वचा संबंधी परेशानियां होने लगती हैं. ऐसे में अपने शरीर को हाइड्रेट रखना बहुत जरूरी होता है. गर्मी के मौसम में शरीर में पानी की कमी न हो, इसके लिए आपको रोजाना ककड़ी का सेवन करना चाहिए. गर्मी के मौसम में ककड़ी काफी मात्रा में बाजार में मिलती है. ये गर्मियों का फल है. ये खाने में अच्छी लगती है और आपका पाचन तंत्र भी मजबूत करती है.ककड़ी में भरपूर मात्रा में पानी होता है और इसमें फाइबर भी काफी मात्रा में होता है. इसमें कैलोरीज नहीं रहती हैं इसलिए इस मौसम में आप ककड़ी का सेवन कर सकते हैं, इससे आपको भूख भी ज्यादा नहीं लगेगी और आपका वजन भी कंट्रोल में रहेगा.ये खीरा प्रजाति की ककड़ी अपने स्वाद और ठंडी तासीर के लिए जानी जाती है. ककड़ी में 90 प्रतिशत पानी पाया जाता है जो शरीर को डिहाइड्रेशन से बचाने में मदद कर सकती है. इसके अलावा इसमें फाइबर, विटामिन, कैल्शियम, आयोडीन, पोटैशियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम जैसे तत्व पाए जाते हैं जो शरीर को कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचाने में मदद कर सकते हैं.डायबिटीज कंट्रोल करने में सहायकककड़ी में मौजूद मिनरल्स शरीर में इंसुलिन के लेवल को कंट्रोल में रखने में मदद कर सकते हैं. ककड़ी के सेवन से डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल किया जा सकता है.उल्टी औैर दस्त में फायदेमंदगर्मी के मौसम में लोगों को उल्टी दस्त की समस्या हो जाती है. इस मौसम में तला भुना खाने से फूड प्वाइजनिंग भी हो जाती है. ऐसे में आप ककड़ी का सेवन कर सकते हैं जो आपके पाचन तंत्र को मजबूत करेगी.वजन कम करने में मिलती है मददअगर हम ककड़ी खाते हैं तो हमारा वजन बहुत तेजी से कम होता है. इसलिए क्योंकि ककड़ी में बहुत कम कैलोरी पाई जाती है और इसमें ऐसा कोई भी तत्व नहीं होता जिससे वजन बढ़ जाए. ककड़ी में बहुत से फाइबर पाए जाते हैं, जिसकी वजह से इसको खाने के बाद पेट भरा रहता है और भूख बहुत कम लगती है.ब्लड प्रेशर भी रहेगा कंट्रोल मेंककड़ी खाने से ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रहता है. इसमें काफी मात्रा में पोटेशियम पाया जाता है जो रक्तचाप को सामान्य रखने में मदद करता है. बीपी के मरीजों को भी इसका सेवन करना चाहिए.हड्डियां होंगी मजबूतअगर आप ककड़ी खाते हैं तो आप की हड्डियां मजबूत रहती हैं क्योंकि इसमें विटामिन के पाया जाता है. इससे बोन डेंसिटी भी बढ़ती और हड्डियां मजबूत होती जाती है.किडनी रहती है हेल्दीहम सब जानते हैं कि ककड़ी में पानी की मात्रा बहुत ज्यादा होती है. यह पोटेशियम के साथ मिलकर यूरिक एसिड और किडनी की अशुद्धियों को बॉडी से बाहर निकाल देता है.स्किन को बनाए सुंदरबालों और त्वचा संबंधी दिक्कतों को हल करने के करने लिए ककड़ी सबसे अच्छा ऑप्शन है. नियमित ककड़ी को खाने से बालों की ग्रोथ भी अच्छी होती है. ककड़ी खाने से आपकी त्वचा भी चमकदार होती है. अगर आप दिन में एक बार ककड़ी का जूस पीते हैं तो आप के दाग धब्बे गायब होने लगते हैं.गर्मी के मौसम में खान-पान में जरा सी लापरवाही और पानी की कमी सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है. इस मौसम में अगर शरीर में पानी की कमी होती है तो शरीर काफी कमजोर पड़ जाता है. इसलिए इस मौसम में खूब पानी पिएं और मौसमी फल खाएं,
- -गाइडलाइंस में कोरोना मरीज के उपचार में इस्तेमाल रेमडेसिविर को लेकर भी हिदायतकोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली प्लाज्मा थेरेपी को अब कोविड ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल से बाहर कर दिया गया है। को कोरोना के इलाज में ना इस्तेमाल न करने का ये फैसला सरकारी टॉस्कफोर्स की सिफारिश पर की गई है। दरअसल, ये टास्कफोर्स बहुत दिनों से कोरोना के इलाज में इस्तेमाल हो रहे प्लाज्मा थेरेपी पर गहन अध्ययन कर रही थी। पिछले दिनों कोविड पर बनी नेशनल टास्कफोर्स की मीटिंग में इस बात पर चर्चा भी हुई, जिसमें प्लाज्मा थेरेपी के प्रभाविकता पर बात की गई और कहा गया कि कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी से फायदा नहीं होता है। इसके बाद ही हेल्थ मिनिस्ट्री के संयुक्त निगरानी समूह ने कोविड 19 मरीजों के मैनेजमेंट के लिए रिवाइज्ड क्लीनिक गाइडलाइन जारी की है जिसमें कि प्लाज्मा थेरेपी नहीं है। जबकि पहले प्लाज्मा थेरेपी कोविड ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल में शामिल था और कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज में डॉक्टर प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल कर रहे थे।बता दें कि कोविड-19 के भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) भी इसी पक्ष में है कि कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी उतना प्रभावी नहीं है जितना कि माना जा रहा था। इसे लेकर आईसीएमआर ने नई गाइड लाइन भी जारी कर दी है। साथ ही पिछले दिनों ये भी खबर आ रही थी कि प्लाज्मा थेरेपी को प्रोटोकॉल से हटाने के पहले कुछ डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के. विजयराघवन को पत्र लिखा है और देश में कोविड ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल से प्लाज्मा थेरेपी को बाहर करने की बात कही। पत्र में बताया गया कि कैसे ये पद्धति अतार्किक और गैर-वैज्ञानिक है और इसलिए इसे कोरोना के इलाज में प्रभावी इलाज नहीं माना जा सकता।बीते वर्ष जब कोरोना महामारी की शुरुआत हुई थी तब से ही प्लाज्मा थेरेपी इसके इलाज में बेहद कारगर रूप से सामने आई थी। इसका उपयोग न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में डॉक्टरों ने मरीजों पर किया था। प्लाज्मा थेरेपी की बदौलत कई मरीज स्वस्थ्य भी हुए थे। लेकिन अब इसके अचानक इलाज से बाहर कर देने पर ये सवाल सभी के मन में उठ रहा है कि ऐसा फैसला क्यों किया गया।इस सवाल के जवाब में आईसीएमआर का कहना है कि भारत में आई कोरोना की दूसरी लहर में अब प्लाज्मा थेरेपी उतनी कारगर नहीं रह गई है जितनी पहले थी। इसका असर अब कब होता दिखाई दे रहा है। यही वजह है कि इसको कोविड-19 मरीज के इलाज के प्रोटोकोल से बाहर कर दिया गया है। यही वजह है कि आईसीएमआर और एम्स को मिलकर एक नई गाइडलाइन भी जारी करनी पड़ी है। आईसीएमआर की तरफ से कहा गया है कि नीदरलैंड और चीन में प्लाज्मा थेरेपी पर हुए शोध में यही बात सामने आई है कि ये तकनीक मरीजों को स्वस्थ्य करने में कारगर नहीं है।आईसीएमआर का कहना है कि अप्रैल में आई दूसरी लहर के बाद से प्लाज्मा थेरेपी की मांग काफी अधिक बढ़ गई थी। नई गाइडलाइंस के मुताबिक कोरोना मरीजों को तीन श्रेणी में बांटते हुए उनका इलाज किया जाएगा। इसमें हल्के लक्षण वाले मरीज, मध्यम लक्षण वाले मरीज और गंभीर मरीज शामिल हैं। हल्के लक्षण वाले मरीजों को नई गाइडलाइन में घर में ही आइसोलेशन में रहने की सलाह दी गई है। मध्?यम मरीज जिनका ऑक्सीजन लेवल 90-93 के बीच है उनको कोरोना वार्ड में और ऐसे गंभीर मरीजों को जिनका ऑक्सीजन लेवल 90 से नीचे है उन्हें आईसीयू में भर्ती करने का दिशा-निर्देश दिया गया है।प्लाज्मा थेरेपी को कोरोना मरीज के उपचार से हटाने की एक बड़ी वजह ये भी बनी है कि कुछ जगहों पर मरीज के शरीर में ऑक्सीजन का लेवल 90 होने के बाद उन्हें प्लाज्मा दिया जा रहा था, जबकि इस लेवल को ऑक्सीजन देकर ही ठीक किया जा सकता है। आईसीएमआर की नई गाइडलाइंस में कोरोना मरीज के उपचार में इस्तेमाल रेमडेसिविर को लेकर भी हिदायत दी गई है।
- अगर आपके घर में भी कोई शिशु है तो ये खबर आपके काम आ सकती है। इस खबर में हम आपके लिए कुछ ऐसे तेलों के बारे में बता रहे हैं, जिनके उपयोग से बच्चे के बाल घने और काले होने के साथ मजबूत बनते हैं। यदि कम उम्र से ही बच्चों के बालों की देखभाल की जाए और किसी अच्छे तेल से मालिश हो, तो बड़े होकर बच्चों के बाल घने, काले और मजबूत बनते हैं। बालों के लिए तेल मालिश बहुत अहम मानी जाती है, क्योंकि इससे बालों को जड़ों से लेकर सिरे तक पोषण मिलता है।1. नारियल का तेलजब भी बेबी केयर की बात होती है तो नारियल तेल का नाम जरूर आता है। बालों की देखभाल में सदियों से नारियल तेल का उपयोग किया जा रहा है और शिशु की सिर की मालिश के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। दरअसल, नारियल तेल में कोई केमिकल नहीं होता है और इसमें कार्बोहाइड्रेट, कई तरह के विटामिन और पोषक तत्व होते हैं। नारियल तेल में मौजूद तत्व बाल झडऩे और गंजेपन से भी बचाते हैं।2. अरंडी का तेलबच्चों के बालों की ग्रोथ के लिए अरंडी का तेल बेहतर होता है और यह स्कैल्प को इंफेक्शन से भी बचाता है। इसमें विटामिन ई, फैटी एसिड और ओमेगा-9 फैटी एसिड होता है। इससे न सिर्फ बालों की मालिश कर सकती हैं, बल्कि शिशु की बॉडी मसाज भी हो सकती है।3. सरसों का तेलशिशु के सिर और शरीर की मालिश के लिए सरसों के तेल का उपयोग किया जाता है। इससे बालों की ग्रोथ में मदद मिलती है। सरसों के तेल में ओलिएक और लिनोलिक एसिड होता है, जो स्कैल्प पर ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है।--
- करौंदा खाना सेहत के लिए काफी फायदेमंद है. यह एक खट्टा फल होता है जिसे अंग्रेजी में क्रेनबेरी कहते हैं. करौंदे को फल और सब्जी दोनों तरह से खाया जाता है. करौंदे के फलों का इस्तेमाल सब्जी और अचार के लिए किया जाता है. ये एक झाड़ी नुमा पौधा होता है. इसका वैज्ञानिक नाम कैरिसा कैरेंडस है.करौंदा कई गुणों से युक्त है, इसे एंटीबॉयटिक का अच्छा स्रोत मानते हैं, साथ ही इसमें आयोडीन की भरपूर मात्रा भी होती है. इसका जूस भी पीना फायदेमंद है. अगर जूस पीने में कड़वा लगे तो इसमें शुगर भी मिला सकते हैं. चटनी, अचार और मुरब्बे के रूप में प्रयोग होने वाला करौंदा स्वाद के साथ ही सेहत के लिए भी होता है अच्छा. विटामिन सी से भरपूर इस फल का सेवन कई रोगों से छुटकारा दिलाता है.पाए जाते हैं काफ़ी औषधीय गुणकरौंदा की हमेशा हरी-भरी रहने वाली झाड़ी होती है. करौंदे का कच्चा फल कड़वा, खट्टा और स्वादिष्ट होता है. यह एक छोटा-सा फल है, पर इसमें काफ़ी औषधीय गुण पाए जाते हैं. इसके फल, पत्तियों एवं जड़ की छाल औषधीय प्रयोग में लाई जाती है. करौदें के फल पकने के बाद काले पड़ जाते हैं. इस कारण इसको कृष्णपाक फल भी कहते हैं. उपचार के आधार से इसमें साइट्रिक एसिड और विटामिन सी समुचित मात्रा में पाया जाता है. इसमें कई सामान्य बीमारियों को नष्ट करने की अद्भुत क्षमता होती है. करौंदा, सफेद और हल्के लाल और गुलाबी रंग के होते हैं. ये स्वाद में खट्टा होता है. ये गर्मियों के मौसम में होता है. इसका इस्तेमाल चटनी, जैम और जूस के रूप में भी किया जाता है. आइए जानते हैं करौंदा हमारी हेल्थ के लिए कैसे फायदेमंद है.कैंसर को रोकने के लिएकरोंदा में प्रोंथोसाइनिडिन अधिक मात्रा में होता है. ये कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है. इसमें एंटी कैंसर गुण होते हैं. ये कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकते हैं.हड्डियों की मजबूती के लिएकरौंदा में कैल्शियम की मात्रा अधिक होता है. ये हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है.बाल बढ़ने के लिएकरौंदा में विटामिन सी और विटामिन ए होता है. ये बालों को बढ़ने में मदद करता है. इसके जूस का आप नियमित रूप से सेवन कर सकते हैं.आपके बालों को विटामिन मिलेगा और ये हेल्दी हो जाएंगे.वजन कम करने के लिएकरौंदा में फाइबर की मात्रा अधिक होती है. इसका सेवन करने से कई देर तक पेट भरा हुआ महसूस होता है. इसके जूस का आप नियमित रूप से सेवन कर सकते हैं. ये वजन कम करने में मदद कर सकता है.दिमाग होगा अच्छाये बढ़ती उम्र से संबंधित समस्याएं जैसे एकाग्रता की कमी होना आदि को दूर करने में मदद करता है. करौंदा में फाइटोन्यूट्रिएंट्स और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं.इससे याद्दाश्त अच्छी होती है. क्योंकि करौंदे के अंदर एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं यह न केवल मेमोरी को तेज करते हैं बल्कि समझ को बढ़ाते हैं.करौंदे का जूस मसूड़ों के लिए बहुत फायदेमंदकरौंदा मुंह के रोगों को दूर करने में मदद करता है. करौंदे का जूस मसूड़ों के लिए बहुत फायदेमंद है. इसके रस का सेवन करने से मसूड़ों की समस्याएं दूर होती हैं. जिन लोगों में सांस की दुर्गंध की समस्या होती है या पायरिया का संक्रमण होता है, उनके लिए इसका किसी भी रूप में नियमित प्रयोग बहुत फायदा देता है.दिल को रखे दुरुस्तकरौंदा का जूस दिल की बीमारियों में भी बहुत फायदा देता है. इसके नियमित सेवन से कोलेस्ट्रॉल का स्तर संतुलित रहता है और हार्ट अटैक की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है.शरीर की दुर्बलता करता है दूरकरौंदे के जड़ की छाल प्रकृति से कड़वी और गर्म होती है. यह कफ और वात को कम करने वाली, खांसी कम करने में सहायक, ज्यादा मूत्र होने की समस्या तथा सामान्य दूर्बलता को दूर करने में मदद करती है.पाए जाते ये हैं पोषक तत्वकरौंदा पोषक तत्वों से भरपूर होता है इसमें प्रोटीन 1.1 से 2.2, विटामिन सी 1. 6 से 17 .9 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम और खनिज विशेष रूप से लोहा तत्व 39.1 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम कैल्शियम 21 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम फास्फोरस 38 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम पाया जाता है.
- रागी और बाजरा के आटे की रोटियों का सेवन आपको कई गंभीर बीमारियों से तो बचाएगा ही, बल्कि शरीर की इम्युनिटी भी मजबूत करेगा. कई लोगों के मन में सवाल उठता है कि सबसे पौष्टिक रोटी किस चीज के आटे से बनती है. ?आज हम आपको उन दो तरह के आटों के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जिनमें कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर को सेहतमंद बनाने में मदद करते हैं. आमतौर पर हम सभी के घरों में गेंहूं के आटे से बनी रोटियां ही खायी जाती हैं, लेकिन कई जगहों पर लोग गेंहू की जगह बाजरे और रागी की रोटी खाना पसंद करते हैं. बाजरा और रागी के आटे की रोटियों के जबरदस्त फायदे हैं.बाजरा और रागी की रोटियां खाने के 4 जबरदस्त फायदे1. हड्डियां बनाएं मजबूतबाजरे के आटे में कैल्शियम और फास्फोरस भरपूर मात्रा में होता है. इसके नियमित सेवन से हड्डियां मजबूत बनती हैं. यही वजह है कि कमजोर लोगों को डॉक्टर बाजरा की रोटी खाने की सलाह देते हैं.2. स्वस्थ दिल के लिए लाभकारीबाजरा कोलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है. जिससे दिल से जुड़ी बीमारियों के होने का खतरा कम हो जाता है. इसके अलावा ये मैग्नीशियम और पोटैशियम का भी अच्छा स्त्रोत है, जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मददगार है.3. कम होगा फ्रैक्चर का खतरारागी में कैल्शियम काफी मात्रा में पाया जाता है. यह कैल्शियम का नॉन-डेयरी स्रोत माना जाता है. रागी ऑस्टियोपोरोसिस से बचाता है और फ्रैक्चर के जोखिम को कम करने में मदद करता है. इसके अलावा वजन को कंट्रोल करने में बाजरा की रोटी काफी फायदेमंद हो सकती है.4. जोड़ों की समस्या से निजातबाजरा और रागी दो ऐसे अनाज हैं, जिनमें प्रोटीन, डायटरी फाइबर, विटामिन और आवश्यक पोषक तत्व मौजूद होते हैं. वजन कम करने के साथ पाचन को सुधारने में भी मददगार होते हैं. रागी और बाजरा के आटे की रोटी खाने से जोड़ों की समस्या से राहत मिलती है.बाजरा की रोटी बनाने की विधिसबसे पले बाजरे का आटा एक बर्तन में ले लें.इसके बाद उसमें नमक, गरम पानी और घी या मक्खन का प्रयोग करें.इन सभी को अच्छी तरह मिला लें और फिर आटा गूथें.आटा गूथने के बाद रोटी बनाएं.बाजरा की रोटी को घी या मक्खन डालकर सब्जी और गुड़ के साथ खाएं.रागी के आटे की रोटी बनाने की विधिसबसे पहले रागी के आटे में अपने पसंद की सब्जियों को घिसकर मिलाएंआप प्याज, गाजर या चुकंदर आदि मिला सकते हैं.इसके बाद आटे में हल्के मसाले और नमक को मिलाएंइसके बाद इसमें पानी डालकर आटा गूथें.आटा गूथने के बाद तवे पर गरमा गरम रोटियां पकाएं.आप रागी की रोटी को सुबह के वक्त खा सकते हैं.
- पनीर एक ऐसी चीज है जिसे खाना ज्यातार लोग पसंद करते हैं. लेकिन आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि कच्चा पनीर भी लजवाब फायदे देता है. हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार रोजाना कच्चा पनीर खाने के आप कई बीमारियों से दूर रह सकते हैं. क्योंकि पनीर प्रोटीन, वसा, कैल्शियम, प्रोटीन, फॉस्फोरस, फोलेट और कई न्यूट्रीएंट्स से भरपूर रहता है. लिहाजा इसका सेवन शुगर को कंट्रोल में रखता है और मानसिक तनाव भी दूर करता है.पनीर में क्या-क्या पाया जाता है?कच्चे पनीर में कई सारे पोषक तत्व जैसे पोटैशियम, सेलेनियम ,मैग्नीशियम, फास्फोरस और जिंक आदि होते हैं. ये आपको मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रखते हैं. ये कई स्वास्थ्य समस्याओं को भी दूर करने में मदद करते हैं.किस समय करें कच्चे पनीर का सेवनकच्चा पनीर आप लंच करने से एक घंटा पहले खा सकते हैं. ऐसा करने से आप दिनभर ओवरइटिंग से बचे रहते हैं. इसके अलावा एक्सरसाइज के कुछ घंटों बाद भी पनीर का सेवन फायदेमंद माना जाता है. आप रात को सोने से एक घंटा पहले भी पनीर को खा सकते हैं.कच्चे पनीर के फायदे1. कैंसर के जोखिम को कम करता हैपनीर में विटामिन डी, कैल्शियम और प्रोटीन होता है. पनीर में संयुग्मित लिनोलिक एसिड होता है. ये कैंसर के जोखिम को कम करता है. इसमें कैल्शियम और विटामिन डी होता है. ये ब्रेस्ट कैंसर को कम करने में मदद करता है.2. वजन घटाने में हेल्फुलकच्चा पनीर वजन घटाने में भी मददगार है. दरअसल, उल्टे-सीधे खानपान की वजह से मोटापा आज की गंभीर समस्या में से एक है. अगर आप भी बढ़े हुए वजन को कम करना चाहते हैं तो कच्चे पनीर का सेवन करें. इसमें लीनेलाइक एसिड की मात्रा काफी पाई जाती है, जो शरीर में फैट बर्निंग प्रक्रिया को तेज करने में मदद कर सकता है.3. स्ट्रेस दूर करने में मददगारभागदौड़ भरी इस जिंदगी में काम के प्रेशर के चलते कई लोग स्ट्रेस के शिकार हो जाते हैं. इससे बचने के लिए आपको कच्चे पनीर का सेवन करना चाहिए.4. हड्डियों को मजबूत बनाने में लाभकारीकच्चे पनीर के सेवन से आप शरीर की हड्डियों को मजबूत बना सकते हैं. इसके लिए कैल्शियम की जरूरत होती है और पनीर में कैल्शियम और फास्फोरस होता है. यही वजह है कि ये हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है. पीनर में विटामिन बी और ओमेगा-3 फैटी एसिड हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है. इससे शरीर को कैल्शियम मिलता है. ये गठिया की समस्या को दूर करने में मदद करता है.
- आज के समय में लगभग सभी लोग ड्राई फ्रूट्स खाना पसंद करते हैं। ये सेहत के लिहाज से तो अच्छे होते ही हैं साथ ही इनको स्टोर करना भी आसान होता है। आज हम बात करने जा रहे हैं मुनक्का और किशमिश की। आयुर्वेद के हिसाब से मुनक्के को किशमिश की तुलना में ज्यादा फायदेमंद माना गया है और कई रोगों को जड़ से खत्म करने वाला बताया गया है। बहुत से लोग इन दोनों को एक जैसे ही ही मानते हैं क्योंकि ये दोनों ही अंगूर से बनते हैं, लेकिन इन दोनों में अंतर होता है। सबसे पहले तो बात करते हैं कैसे किशमिश से अलग होता है मुनक्काजानिए किशमिश और मुनक्के में अंतरकिशमिश छोटी, हल्की भूरी-पीली सी और खट्टी होती है, जबकि मुनक्का बड़ा, गहरा भूरा और मीठा होता है। मुनक्के में बीज होता है, जबकि किशमिश में कोई बीज नहीं होता। अपने खट्टे स्वाद के कारण किशमिश एसिडिटी कर देती है। किशमिश छोटे अंगूरों को सुखाकर तैयार की जाती है, जबकि मुनक्का लाल रंग के बड़े अंगूरों से बनाया जाता है। इनमें बीज भी होता है।किशमिश और मुनक्का सेहत के लिए फायदेमंदअंगूर से बने ये दोनों ड्राई फ्रूट्स खाने में मीठे और स्वादिष्ट होते हैं। ये सिर्फ खाने में स्वाद भरे नहीं होते बल्कि ये सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद होते हैं। अगर आपको अपनी हेल्थ का ध्यान रखना है तो आपके अपनी डाइट में मुनक्के को जगह देनी होगी।मुनक्के के सेवन से होने वाले फायदेपाचन दुरुस्त करता है मुनक्काआयुर्वेद में मुनक्के का प्रयोग सुपाच्य के रूप में ही किया जाता है। मुनक्के में मौजूद फाइबर के कारण यह कब्ज़ से राहत देता है। इसके लिए आप, 5 से 7 मुनक्के बीज निकालकर एक गिलास दूध में उबाल लें। रात को यह दूध गुनगुना ही पिएं। कब्ज की तमाम समस्या से छुटकारा दिलाने में भी मुनक्का कारगर है क्योंकि मुनक्का फाइबर का अच्छा स्रोत माना जाता है। इसे नियमित लेने से पेट की अन्य समस्याएं भी दूर होती हैं।चेहरे की झुर्रियां कम करता है मुनक्कामुनक्के में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो त्वचा की झुर्रियां, फाइन लाइन्स और पिगमेंटेशन को दूर करता है। इसके लिए आप मुनक्के के सेवन के साथ-साथ उसका फेस पैक भी बना सकती हैं। मुनक्के का फेस पैक बनाने के लिए 10 से 12 मुनक्कों का पेस्ट तैयार कर लें। इस पेस्ट में एक छोटा चम्मच शहद मिलाएं और फेस पर लगा लें। 15 मिनट चेहरे पर लगाने के बाद हल्के हाथों से मसाज करके इसे छुड़ाएं और गुनगुने पानी से धो लें।दिल की सेहत के लिए अच्छामुनक्का, दिल की सेहत के लिए काफी अच्छा माना गया है। मुनक्के में पोटैशियम काफी मात्रा में पाया जाता है, जो कि हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मददगार है। इसके अलावा ये कोलेस्ट्रॉल को भी नियंत्रित रखता है और हार्ट को कई परेशानियों से बचाता है।हड्डियां मजबूत करता हैंसमय के साथ हड्डियां भी कमजोर होने लगती हैं और ऐसा कैल्शियम की कमी के कारण होता है। मुनक्के में कैल्शियम भरपूर होता है, साथ ही इसमें बोरान नामक तत्व भी पाया जाता है जो हड्डियों तक कैल्शियम को पंहुचाने का काम करता है। लंबे समय तक हड्डियों को मजबूत रखना चाहते हैं तो रोजाना मुनक्के का सेवन जरूर करें। महिलाओं को तो हर हाल में मुनक्का खाना चाहिए।थकान दूर करताजिन लोगों को बहुत ज्यादा थकान या कमजोरी की शिकायत होती है, उन्हें रोज मुनक्के का सेवन करना चाहिए। ये शरीर को मजबूती देता है और कमजोरी दूर भगाता है।मुंह की दुर्गंध से छुटकारामुनक्का मुंह की बदबू दूर करने के लिए फायदेमंद माना जाता है. इसके लिए आप रात में 10 मुनक्का भिगोकर रखें और अगली सुबह इसे 3 से 4 ब्लैकबेरी की पत्तियों के साथ एक ग्लास पानी में उबाल लें। नियमित सेवन करने पर आपको एक ही हफ्ते में असर दिखने लगेगा।एनीमिया को दूर करतामुनक्के में विटामिन बी कॉम्प्लेक्स और कॉपर पाए जाते हैं। दोनों ही तत्व खून को बढ़ाने में मददगार है। ऐसे में इसका सेवन एनीमिया के मरीजों के लिए काफी लाभकारी है।
- कोविड संक्रमण की शुरुआत के साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) सहित दुनियाभर की तमाम स्वास्थ्य संस्थाओं ने मास्क को प्रभावित इलाकों में रह रहे लोगों के लिए जरूरी करार दिया। समय बढऩे के साथ बाजारों में कई तरह के मास्क की एंट्री हुई, जिनमें सामान्य कपड़े वाला मास्क , सर्जिकल मास्क , एन-95 मास्क, एन-99 मास्क आदि प्रमुख हैं। ये सभी मास्क एक सीमा तक संक्रमण को रोकने में कारगर हैं।क्या है डबल मास्किंग और क्यों जरूरी है?कोरोना वायरस के नए वैरिएंट के इन्हीं खतरों को देखते हुए कुछ कुछ समय पहले एक नया शब्द आपके कानों में पड़ा होगा- डबल मास्किंग । इसका सीधा और आसान का मतलब है कि एक साथ दो मास्क पहनना। हेल्थ एक्सपट्र्स के मुताबिक कोरोना वायरस से बचने के लिए अगर आप एक के बजाय दो मास्क (एक सर्जिकल मास्क और एक कपड़े वाला) तो आपको संक्रमण से ज्यादा सुरक्षा मिल सकती है। हालांकि डबल मास्किंग के अलावा एक एन-95 मास्क पहनना भी पर्याप्त है, लेकिन वर्तमान स्थितियों में एन-95 मास्क फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए जरूरी हैं, इसलिए मार्केट में अच्छी क्वालिटी के एन-95 मास्क नहीं पहुंच पा रहे हैं।अमेरिका की टॉप मेडिकल बॉडी के अनुसार डबल मास्क पहनने से अगर आपके सामने भी कोई कोविड पॉजिटिव मरीज आ जाता है, तो आपके संक्रमण से बचने का खतरा 85 प्रतिशत तक कम हो जाता है। वहीं सिंगल मास्क आपको सिर्फ 52 प्रतिशत तक संक्रमण से सुरक्षा दे सकता है। इसलिए अधिक सुरक्षा के लिए खतरे वाली जगहों पर आपको डबल मास्क पहनना चाहिए। ध्यान दें कि ऐसे डबल मास्क पहनने का भी एक सही तरीका है, जो नीचे वीडियो में बताया गया है।घर में मास्क पहनना क्यों जरूरी है?पिछले साल तक स्वास्थ्य संस्थाएं ये कह रही थीं कि आप जब भी घर से बाहर निकलें तो मास्क जरूर पहनें। लेकिन हाल में ही नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के, पॉल ने लोगों को घर में भी मास्क पहने रहने की सलाह दी थी। दरअसल घर के अंदर मास्क पहनने की इस हिदायत के पीछे का कारण है संक्रमण का बहुत ज्यादा फैल जाना और अब लोगों में कोविड को लेकर शिथिलता। आइए आगे जानते हैं कि आपको किन-किन स्थितियों में मास्क पहनना जरूरी है।कहां-कहां और कब-कब मास्क पहनना जरूरी है?-अगर घर में कोई कोविड पॉजिटिव है, तो परिवार के सभी सदस्यों को पूरे समय मास्क पहनकर रखना चाहिए (भले ही पॉजिटिव व्यक्ति एक कमरे में आइसोलेट हो)।- कोविड के किसी मरीज की देखभाल में लगा व्यक्ति या फिर उसके आसपास जाने वाले व्यक्ति को भी डबल मास्क पहनना आवश्यक है।-अगर कोई आपके घर आता है (भले ही उसमें संक्रमण के लक्षण न दिखें), तो आप स्वयं भी अपना मास्क पहनें और उस व्यक्ति को भी मास्क पहने रहने की प्रार्थना करें।-अगर आप किसी अन्य व्यक्ति के घर जा रहे हैं, तो भी आपको पूरे समय मास्क पहनकर रखना चाहिए।-आप या घर का कोई सदस्य घर से बाहर किसी काम से जाता है, तो उसे घर पर भी पूरे टाइम मास्क पहनकर रखना चाहिए।-अगर आपका घर ज्यादा हवादार न हो यानी काफी बंद सा हो तो परिवार के सभी सदस्यों के लिए मास्क पहनकर रखना जरूरी है।-यदि आप संयुक्त परिवार में रहते हैं, जहां बच्चे, बुजुर्ग, वयस्क, महिलाएं सब साथ हों, तो आपको घर पर मास्क पहनना चाहिए।
- पीपल के वृक्ष को कल्पवृक्ष भी कहा जाता है। हिन्दू धर्म में पीपल के पेड़ का बहुत महत्व होता है। इसका महत्व धर्म के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी कई तरह से फायदेमंद होता है। आइए जानते हैं पीपल के पत्तों के फायदों के बारे में...पीपल के पत्ते में पाए जाने वाले तत्वआयुर्वेदाचार्यों का कहना है कि प्रतिदिन दो पीपल के पत्ते का सेवन करने से ऑक्सीजन का लेवल बढ़ सकता है। इसके लिए आपको रोजाना पीपल के दो पत्ते को चबाकर सेवन करना होगा। पीपल में मॉइस्चर कंटेंट, कार्बोहायड्रेट, प्रोटीन, फैट, फाइबर, कैल्शियम, आयरन, कॉपर और मैग्नीशियम के तत्व मौजूद होते हैं।फेफड़ों के लिए भी होता है फायदेमंदफेफड़ों के रास्ते में सूजन और कसाव उत्पन्न होना, गले में घरघराहट, सांस लेने में तकलीफ, सीने में जकडऩ के साथ खांसी आने पर पीपल के पत्ते का सेवन किया जा सकता है। पीपल के पत्ते के अर्क में ऐसे विशेष गुण पाए जाते हैं, जो ब्रोंकोस्पास्म पर प्रभावी असर दिखा सकता है। सांस के रोगियों को हर रोज पीपल के दो हरे पत्तों का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके इस्तेमाल से आराम मिलता है।इम्यूनिटी को बनाता है मजबूतपीपल का पत्ता रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच हर व्यक्ति को रोग प्रतिरोधक क्षमता को पहले से ही इतनी मजबूत कर लेनी चाहिए कि संक्रमण हावी न हो सके. इसके लिए आप पीपल के पत्ते के साथ गिलोय के तने का मिश्रण तैयार कर लें. इस मिश्रण का सेवन दिन में चार बार करे. ऐसा निरंतर करते रहने से इम्यूनिटी बूस्ट होती है.लीवर के लिए है फायदेमंदज्यादा शराब का सेवन करने से इसका लीवर पर खराब असर पड़ता है। ऐसे में लीवर को स्वस्थ रखने के लिए पीपल के पत्ते का सेवन किया जा सकता है। पीपल में लीवर को डैमेज होने से बचाने वाली एक क्रिया पाई जाती है। इसके अर्क का उपयोग करने से लीवर को खराब होने से बचाया जा सकता है। इस लिए लीवर के रोगियों को प्रतिदिन सुबह में पीपल के दो पत्तों का सेवन करना चाहिए।कफ से दिलाता है निजातअगर कफ की समस्या से परेशान हैं, तो पीपल का पत्ता बढिय़ा विकल्प हो सकता है। पीपल की पत्ती में थेरेपेटिक तत्व पाए जाते हैं। जिसका उपयोग करने से कफ में आराम मिल सकता है। पीपल के पत्ते को जूस के रूप में इस्तेमाल करने से कफ की समस्या से छुटकारा मिल सकता है। साथ ही पीपल के पत्ते को सुखाकर घी के साथ भी उपयोग किया जा सकता है।(नोट- ये उपाय केवल एक जानकारी है। ये उपाय कितने कारगर हैं, इसका दावा हम नहीं करते हैं। इसलिए कोई भी उपाय अपनाने से पहले किसी योग्य चिकित्सक की सलाह अवश्य ले लें।)
- कुछ लोग टाइम पास करने या पेट भरने के लिए भुने हुए चने खाते हैं, लेकिन ये सेहत के लिहाज से भी काफी फायदेमंद होते हैं. लो कैलोरी होने के कारण इन्हें हेल्दी स्नैक माना जाता है. ये वजन घटाने में काफी कारगर होते हैं. किसी और ड्राई फ्रूट की बात करें तो ये सबकी तुलना में सस्ते भी होते हैं.--जानिए भुने चने के फायदों के बारे में ----मिलती है तुरंत एनर्जीभुने चने में कार्बोहाइड्रेट, नमी, प्रोटीन, कैल्शियम और आयरन के साथ विटामिन भरपूर मात्रा में होते हैं. भुने चने में फाइबर भी अच्छी मात्रा में होता है. इनमें प्रोटीन और आयरन भी खूब होता है. इस कारण इन्हें खाने से तुरंत एनर्जी मिलती है.हार्मोन के स्तर को नियंत्रितचने में फाइटो-ऑस्ट्रोजेन और एंटी-ऑक्सीडेंट्स जैसे फाइटोन्यूट्रिएंट्स होते हैं जो एस्ट्रोजन के रक्त स्तर को विनियमित करने में मदद करते हैं, जिससे महिलाओं के हार्मोन बैलेंस रहते है और उनमें स्तन कैंसर के खतरा कम होता हैं.गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंदगर्भवती महिलाओं के लिए चने काफी फायदेमंद साबित होते हैं. गर्भ के समय स्त्रियों को उल्टी की समस्या होती है. उल्टियां ज्यादा हो तो उसका असर बच्चे पर भी पड़ता है क्योंकि शरीर पर जोर पड़ता है. ऐसी महिला को भुने चने का सत्तू पिलाना काफी फायदेमंद होता है.एनीमिया मरीजों के लिए फायदेमंददेखा जाता है कि ज्यादातर महिलाओं में खून की कमी होती है. इससे बचने के लिए डाइट में भुना चना शामिल करें. CHANA एनिमिया मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद है क्योंकि इसके सेवन से शरीर में खून की कमी नहीं होती है. भुने चने से शरीर में खून की मात्रा बढ़ती है. चने में आयरन की मात्रा ज्यादा होती है जो शरीर में खून की कमी को दूर करती है.हड्डियां मजबूत होती हैंचने में दूध और दही के समान कैल्शियम पाया जाता है, जिसका रोजाना सुबह सेवन करने से हड्डियां मजबूत रहती है.कंट्रोल में रहता है ब्लड शुगरचना खाने से शरीर में ब्लड शुगर का लेवल कंट्रोल में रहता है. डॉक्टर्स भी शुगर के मरीजों को चना खाने की सलाह देते हैं. इसका रोजाना सेवन करने से शुगर की प्रॉब्लम दूर होती है. भुने चने रोज अपनी डाइट में शामिल करने से डायबिटीज की समस्या में आराम मिलता है. ये डायबिटिक लोगों के लिए बहुत अच्छा भोजन है.शाम को स्नैक कै तौर परशाम के स्नैक में भुने हुए चने खाने चाहिए, ये आपकी डायट को कंप्लीट करते हैं. स्वाद में भी ये अच्छे लगते हैं. चने खाने से पेट भरा-भरा रहता है. भुने हुए चने में कैलोरी बहुत कम होती हैं. इसे थोड़ा खाने पर ही पेट भर जाता है.चने खाने से दिमाग होता है तेजभुने हुए चने खाने से दिमाग तेज होता है साथ ही भुने चने पाचन शक्ति के लिए भी बहुत फायदेमंद होते हैं. चने में प्रोटीन की बहुत ज्यादा मात्रा होती है जिसकी वजह से चने सेहत के लिए काफी फायदेमंद होते हैं.इम्यूनिटी होगी स्ट्रॉन्गचने खाने से आपका डायजेस्टिव सिस्टम मजबूत होगा तो आपकी इम्यूनिटी भी स्ट्रॉन्ग होगी. चने में ढेरों विटामिन्स पाए जाते हैं जो आपकी हेल्थ सिस्टम को मजबूत करते हैं.होता है वजन कमभुने चने को हर रोज अपने भोजन में शामिल करने से वजन कम होता है और मोटापा घटता है. ये शरीर से अतिरिक्त चर्बी को कम करता है. इसमें मौजूद पोषक तत्व आपकी सेहत को मजबूत करते हैं,कमर दर्द से राहतकमजोरी के कारण अक्सर महिलाओं की कमर में दर्द रहता हैं. ऐसी महिलाएं अगर दो मुट्ठी भुने चने रोजाना खाती हैं तो कमर दर्द से राहत मिलती हैं.भुने हुए चने के गुणअगर आप भुने हुए चनों को केवल टेस्ट के लिए कभी-कभी खाते हैं तो इन्हें रोजाना खाना शुरू कर दीजिए. भुने चने के एक कप में 15 ग्राम प्रोटीन और 13 ग्राम डाइटरी फाइबर होती है. चने में ढेरों विटामिन्स होते हैं जो आपकी सेहत के लिए काफी जरूरी है. कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, आयरन और गुड विटामिन्स का बहुत अच्छा सोर्स होता है भुना चना. भुने चने सेहत के लिए बेहद पौष्टिक माने जाते हैं.
- बुजुर्ग कहते हैं कि किसी भी शुभ काम के लिए घर से बाहर जाने पर दही-चीनी खाकर जाना अच्छा माना जाता है. ऐसा पिछले कई सालों से होता आ रहा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि घर से निकलते वक्त दही चीनी ही क्यों खिलाई जाती है? दरअसल, घर से बाहर निकलने पर दही-चीनी खिलाए जाने का कारण ये है कि सुबह खाली पेट दही खाना बहुत फायदेमंद होता है. इसके कई शारीरिक और मानसिक फायदे मिलते हैं.दही को हेल्थ एक्सपर्ट सुपरफूड कहते हैं, क्योंकि इसमें बहुत सारे ऐसे गुण पाए जाते हैं जो हमारे शरीर के लिए फायदेमंद है.दही में क्या-क्या पाया जाता है ---दही में अच्छी मात्रा में कैल्शियम, विटामिन बी-12, विटामिन बी -2, मैग्नीशियम और पोटेशियम जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं. दही को अगर चीनी के साथ खाया जाए तो ये शरीर को कई फायदे पहुंचाता है.दही चीनी के फायदे---दही खाने से हमारा पाचनतंत्र मजबूत बनता है.रोज दही खाने से पेट संबंधी समस्याएं नहीं होती.गर्मियों में दही चीनी खाना सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है.घर से बाहर निकलते वक्त दही और चीनी खाने से शरीर को अच्छी मात्रा में ग्लूकोज मिलता है जिससे तुरंत एनर्जी मिलती है.दही में पाए जाने वाले गुड बैक्टीरिया पेट के लिए फायदेमंद होते हैं. इससे पाचनक्रिया मजबूत बनती है और ये बैक्टीरिया हमारी आंतों के लिए भी फायदेमंद होते हैं.दही खाने के शरीर में गुड बैक्टीरिया बढ़ते हैं जो हमारी इम्यूनिटी को बूस्ट करते हैं.दही चीनी खाने से सिस्टिटिस और यूटीआई जैसी परेशानी नहीं होती.दही मूत्राशय को ठंडा रखता है. जिससे टॉयलेट में जलन की समस्या भी नहीं होती.जो लोग कम पानी पीते हैं उन्हें खाने में दही जरूर खानी चाहिए.किस समय खाना चाही दही-चीनी---सुबह नाश्ते में दही-चीनी खाने से पेट ठंडा रहता है. इससे पेट की जलन और अम्लता कम होती है. आयुर्वेद में दही चीनी को पेट के लिए फायदेमंद माना जाता है. जिससे पित्त दोष कम होता है. सुबह खाली पेट दही खाने से आप पूरे दिन एनर्जेटिक रहते हैं. खाने के बाद दही-चीनी मिलाकर सेवन करने की आयुर्वेद में सलाह दी जाती है.इसलिए घर से निकलने पर खिलाई जाती है दही-चीनी--सुबह दही चीनी खाने से हमारे शरीर को तुंरत ग्लूकोज मिलता है. इसीलिए घर से बाहर निकलने पर दही-चीनी खिलाई जाती है ताकि आप ग्लूकोज से दिन भर एक्टिव रहें. दही चीनी से मिलने वाला ग्लूकोज आपके दिमाग और शरीर को तुरंत ऊर्जा से भर देता है. इसलिए अगर आप सुबह मीठा दही खाकर निकलेंगे, तो दिनभर एनर्जेटिक रहेंगे.इन बातों का रखें ख्याल--दही-चीनी खाते वक्त कुछ चीजों का विषेश ख्याल रखने की भी जरूरत है.जैसे रात को दही-चीनी खाने से बचना चाहिए.जिन लोगों को सर्दी और खांसी हो उन्हें दही चीनी मिलाकर नहीं खाना चाहिए.अगर आपको शुगर की समस्या है तो आपको चीनी वाला दही नहीं खाना चाहिए.अगर आप वजन कम करने की सोच रहे हैं तो भी आपको मीठा दही नहीं खाना चाहिए, क्योंकि इसमें काफी मात्रा में कैलोरी होती है. जो आपको मोटा बनाती है.
- बासी रोटी सुनते ही ज्यादातर लोग मुंह बना लेते हैं लेकिन स्वाद की बजाय सेहत की बात करें, तो बासी रोटियां पोषण से भरपूर होती है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि गेहूं के आटे से बनी रोटियों को सबसे ज्यादा पौष्टिक और सुपाच्य माना जाता है लेकिन इन रोटियों के गुण तब और भी बढ़ जाते हैं, जब ये बासी हो जाती हैं। आइए, जानते हैं बासी रोटी खाने फायदे-बासी रोटी के फायदे--बासी रोटी को रोज दूध के साथ खाने से डायबिटिज और बीपी नियंत्रित रहता है। रोटी के बासी हो जाने से उनमें कुछ लाभकारी बैक्टिरिया आ जाते हैं इसके अलावा ग्लूकोज की मात्रा भी कम होती है।-बासी रोटी को दूध के साथ खाने से पेट की बीमारियों से भी राहत मिलती है। इससे एसिडिटी, कब्ज जैसी समस्याएं दूर होती है। बासी रोटी में फाइबर होने से यह पाचन को भी ठीक करता है।-बासी रोटी शरीर के तापमान को भी संतुलित बनाए रखने में मददगार है। दूध के साथ बासी रोटी को खाने से शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है। खासकर गर्मियों में इसका सेवन करने से हाई स्ट्रोक जैसी समस्याओं का खतरा नहीं रहता है।-दूध के साथ बासी रोटी खाने से शरीर का दुबलापन भी दूर होता है और शरीर में बल की वृद्धि होती है। शरीर के दुबलेपन को दूर करने का यह सबसे कारगर उपाय भी है। खासकर रात के समय बासी रोटी खाना ज्यादा फायदेमंद होगा।
- ऑस्ट्रेलिया की न्यू एडिथ कावेन यूनिवर्सिटी ने अपनी रिसर्च में किया दावादिल की बीमारियों से दूर रहना है तो रोजाना एक कप हरी पत्तेदार सब्जियां खाएं। इन सब्जियों में नाइट्रेट की मात्रा अधिक होती है जो हृदय रोगों का खतरा घटाता और बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर भी कम करता है। यह दावा न्यू एडिथ कावेन यूनिवर्सिटी ने अपनी हालिया रिसर्च में किया है। दुनियाभर में होने वाली मौत की सबसे बड़ी वजह हृदय रोग है। हृदय रोगों से दुनियाभर में हर साल करीब 1.79 करोड़ लोगों की मौत होती है।50 हजार लोगों पर हुई रिसर्चशोधकर्ताओं के मुताबिक, डेनमार्क में 50 हजार लोगों पर करीब 23 साल तक यह रिसर्च की गई। रिसर्च के दौरान पाया गया कि जिन लोगों ने नाइट्रेट से भरपूर हरी पत्तेदार सब्जियों को खानपान में शामिल किया उनमें भविष्य में हृदय रोग होने का खतरा 12 से 26 फीसदी तक घट गया।रक्तवाहिनियां पतली होने का खतरा घटाशोधकर्ता डॉ. कैथरीन बोनडोना के मुताबिक, रिसर्च के दौरान हमारा लक्ष्य हृदय रोगों का खतरा कम करने वाले खानपान का पता लगाना था। हरी सब्जियों का असर पेरिफरल आर्टरी डिसीज में भी देखा गया है। जिसमें पैरों की रक्त वाहिनियां पतली हो जाती है। हरी सब्जियों से इस बीमारी का खतरा 26 फीसदी तक घट गया। इसके अलावा हार्ट अटैक, स्ट्रोक और हार्ट फेल होने का खतरा भी कम देखा गया।नाइट्रेट के सप्लिमेंट लेने से बचेंशोधकर्ताओं का कहना नाइट्रेट से भरपूर पत्तेदार सब्जियां ही काफी हैं। इससे अधिक मात्रा में सब्जियां खाने वाले लोगों में कोई अतिरिक्त फायदे नहीं दिखे। डॉ. कैथरीन के मुताबिक, नाइट्रेट की कमी पूरी करने के लिए सप्लिमेंट लेने से बचें, इसकी कमी हरी पत्तेदार सब्जियों से ही पूरी करें।ऐसे खाएं हरी सब्जियांडॉ. कैथरीन का कहना है, खानपान में पालक, चुकंदर जैसी सब्जियां शामिल करें। इनके जूस की जगह स्मूदीज बनाकर खाना ज्यादा बेहतर है। जूस निकालने पर इनमें मौजूद फायबर खत्म हो जाता है। इसलिए सब्जी या स्मूदीज बनाकर खाना बेहतर है।-
- डायबिटीज और मोटापा दुनिया की दो ऐसी समस्याएं हैं, जिनसे आज के समय में अमूमन लोग ग्रसित हैं। डायबिटीज और मोटापे का खान पान से सीधा संबंध है। असंतुलित जीवनशैली और गलत खान पान के कारण यह बीमारियां होती हैं। आज हम बताएंगे कि शरीर में ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए कौन सी रोटियां खाना फायदेमंद होती है।1. ओट्स की रोटीवजन कम करने के लिए दुनियाभर में माने जाना वाला ओट्स डायबिटीज के मरीजों के लिए किसी रामबाण से कम नहीं है। ओट्स से बनी रोटी खाने से शरीर में ब्लड शुगर लेवल संतुलित रहता है। इसका सेवन टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को भी कम करता है। ओट्स में ग्लाइकोसेमिक कम मात्रा में होता है। वहीं इसमें पाए जाने वाला फाइबर ब्लड शुगर को रेगुलेट करने में मदद करता है। ओट्स में पाए जाने वाला बीटा ग्लूकॉन भी डायबिटीज बढऩे के खतरे को कम करता है। यही नहीं ओट्स की रोटी का सेवन दिल से जुड़ी बीमारियों से भी बचाती है।बनाने की विधि -ओट्स की रोटी बनाने के लिए गेहूं का आटा लें। इसमें अपने अनुसार मिर्च आदि डाल सकते हैं। अब ओट्स को मिक्सी में बारीक पीस लें। अब इसे निकालकर गेहूं के आटे के साथ इसका मिश्रण करें। इसे गूंथ लें और सामान्य रोटी की तरह तवे पर सेंक लें।2. सोया रोटीसोया पर हुए एक शोध में यह पाया गया कि सोया में आइसोफ्लेवोन्स की मात्रा पाई जाती है, जो डायबिटीज नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाता है। इसका सेवन करने से लड शुगर लेवल घटता है और यह शरीर में ग्लूकोज टॉलरेन्स को भी बढ़ाता है। सिर्फ डायबिटीज ही नहीं इसका सेवन कोलेस्ट्रोल लेवल बढऩे से रोकता है और कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का भी खतरा कम करता है। माना जाता है कि सोया की रोटी का रोजाना सेवन डायबिटीज को पूर्णता नियंत्रित रखता है।बनाने कि विधि- क कप गेहूं का आटा लें। इसके साथ ही 2 से 3 टेबल स्पून सोया का आटा लें। इसमें आप स्वादानुसार नमक, मिर्च आदि डालकर गूंथ ले। अब इसे भी गेहूं की रोटी की तरह ही सेक लें।3. बाजरे की रोटीडायबिटीज से बचाव के लिए और ब्लड शुगर कम करने में बाजरे की रोटी को वरदान माना जाता है। बाजरे मे भरपूर मात्रा में मैग्नीशियम पाया जाता है, जो रक्त शर्करा को बढऩे से रोकता है। कच्चे बाजरे में ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम मात्रा में पाया जाता है, जिससे ब्लड शुगर लेवल बढऩे की संभावना काफी कम हो जाती है। इसलिए डायबिटीज के रोगियों को खासतौर पर बाजरे से बनी रोटी का सेवन करना चाहिए।बनाने की विधि - इसके लिए आपको बाजरे का आटा और गेहूं का आटा लेकर गूंथ लें और इसे रोटी की तरह सेंक लें। स्वाद के लिए इसमें स्वाद अनुसार मेथी पत्ती या फिर अजवाइन डाला जा सकता है।4. रागी के आटे की रोटीरागी के आटे से बनी रोटी डायबिटीज के मरीजों के ले बहुत फायदेमंद होती है। इसमें पॉलीफेनॉल्स के साथ ही डायटरी फाइबर की प्रचुरता पाई जाती है, जो ब्लड़ शुगर लेवल को बिलकुल नहीं बढऩे देती है। यही नहीं इसमें मिनिरल्स और एमीनो एसिड की भी अधिक मात्रा पाई जाती है, जो ब्लड शुगर कंट्रोल करने में सहायक माना जाता है।बनाने की विधि - एक कप रागी के आटे के साथ जरूरत अनुसार पानी लें। इसे गूंथ के सही आकार दें। रोटी को सेंकते समय उसे एक कपड़े की मदद से हल्के हाथों से दबाते रहें।5. ज्वार के आटे की रोटीज्वार का आटा भी डायबिटीज के मरीजों के लिए काफी लाभदायक होता है। ज्वार में मैग्नीशियम, प्रोटीन और डायट्री फाइबर्स की मात्रा पाई जाती है। जो ब्लड शुगर लेवल को कम करने में असरदार होती है। ज्वार की रोटी मे ग्लूटेन नहीं होता है। अक्सर चिकित्सकों द्वारा भी ज्वार की रोटी का सेवन करने की सलाह दी जाती है। इसे भी बाजरे की रोटी की तरह बनाया जाता है। .6. चने की रोटीचने की रोटी भी डायबिटीज के खतरे को और डायबिटीज के नियंत्रण में बहुत ही प्रभावी मानी जाती है। चने की रोटी ग्लूटेन फ्री होती है। वहीं ग्लूटेन वाले पदार्थों में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ा देते हैं। लेकिन चने के आटे की रोटी ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी काफी कम होता है। इससे बनी रोटी का सेवन रोजाना करने से ब्लड शुगर लेवल में गिरावट आती है। इसे खाने से शरीर में गुड कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ती है।बनाने की विधि - एक कप गेहूं का आटा लें अधिक लाभ के लिए उसमें कम से कम दो कप चने का आटा मिलाएं। आप चाहें तो इममें थोड़ी से बेसन की भी मात्रा डाल सकते हंै। इसे गूंथकर रोटियां बना लें।डायबिटीज के मरीजों को गेहूं के आटे के सेवन से बचना चाहिए। गेहूं के आटे में ग्लाइसेमिक इंडेक्स 100 के करीब होता है। जबकि बाकी आटों में यह बहुत कम मात्रा मे पाया जाता है।
- आभूषण या ज्वैलरी पहनना हिंदू परंपरा का एक अहम हिस्सा है. भारत में गहने से प्रेम करने वालों की कमी नहीं है. हमारे देश में किसी भी खास मौके, त्यौहार, शादी ब्याह में सोने-चांदी के जेवर पहने जाते हैं. हिंदु धर्म में गहनों का काफी महत्व है. ये गहने महिलाओं की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं. शादीशुदा महिलाएं सुहाग के तौर पर मंगलसूत्र, बिछिया और पायल पहनती है.क्या कभी आपने सोचा है कि शरीर के हर अंग में लोग सोने के बने गहने तो पहनते हैं पर पैरों में हमेशा चांदी की ही पायल पहनी जाती है क्यों? हिंदु धर्म की मान्यताओं की मानें तो सोने और चांदी के जेवरों को पहनने का भी अपना तरीका है.कमर के नीचे नहीं पहने जाते सोने के गहनेमान्यताओं की मानें तो कहा जाता है कि कमर के नीचे सोने के आभूषण नहीं पहनने चाहिए. इसके पीछे सिर्फ धार्मिक मान्यताएं ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक कारण भी हैं. आपने देखा भी होगा की पैरों में सोने की पायल नहीं पहनते हैं. फैशन में जरूर आज महिलाएं गोल्ड की पायल पहन लेती है. पर पैरों में चांदी की पायल पहनने की ही मान्यता है और तर्क भी हैं. तो इस रिपोर्ट में जानते हैं कि पैरों में सोने की पायल क्यों नहीं पहननी चाहिए और इससे क्या नुकसान हो सकते हैं.धार्मिक कारणधार्मिक मान्यताओं की मानें तो नारायण यानी भगवान विष्णु को सोना अत्यंत प्रिय हैं क्योंकि सोना लक्ष्मी जी का स्वरुप होता है. लक्ष्मी जी उनकी पत्नी हैं. ऐसा माना जाता है कि कमर के निचले हिस्सों में, जैसे पैरों में सोना पहनने से भगवान विष्णु सहित लक्ष्मी जी का और समस्त देवताओं का अपमान होता है. ये तो है धार्मिक कारण अब बात करते हैं वैज्ञानिक कारण की...वैज्ञानिक कारणऐसा माना जाता है कि सोने के आभूषण शरीर में गर्मी पैदा करते हैं. वहीं, चांदी शरीर को शीतलता प्रदान करती है. ऐसे में कमर के ऊपर सोने और कमर से नीचे चांदी के गहने पहनने से शरीर का तापमान संतुलित रहता है. जिससे कई तरह की बीमारियों से छुटकारा मिलता है. अगर पूरे शरीर सोने के गहने पहनेंगे तो शरीर में एक जैसी ऊर्जा का फ्लो होगा, जिससे बॉडी को नुकसान हो सकता है. आपको फिर कई तरह की शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.शरीर के तापमान के बैलेंस को बनाएं रखने के लिए कमर के नीचे चांदी के आभूषण पहने जाते हैं. सोने के गहने गर्म और चांदी के गहने ठंडे होते हैं. इसीलिए कहा गया है कि कमर के नीचे चांदी के आभूषण पहनने से शरीर में गर्मी और शीतलता का संतुलन बना रहता है.