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- जामुन में विटामिन सी भी भरपूर मात्रा में होता है. इसलिए जिनके शरीर में विटामिन सी की कमी होती है, उन्हें जामुन खाने की सलाह दी जाती है. जामुन को अम्लीय प्रकृति का फल माना जाता है और यह स्वाद में मीठा होता है. इसमें भरपूर मात्रा में ग्लूकोज और फ्रुक्टोज पाया जाता है. जामुन में लगभग वे सभी जरूरी लवण पाए जाते हैं, जिनकी शरीर को आवश्यकता होती है.जामुन खाने के फायदे1. पेट की समस्या दूर करने में मददगारजामुन का सेवन करने से पेट से संबंधित समस्याएं दूर होती हैं. आप जामुन की छाल का काढ़ा बनाकर भी पी सकते हैं. इससे पेट दर्द और अपच जैसी समस्याएं दूर हो जाती हैं.2. इम्युनिटी बस्ट करने में मददगारजामुन शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने में मददगार होती है. इसमें पोटैशियम, आयरन, कैल्शियम और विटामिन सी होता है. जामुन का सेवन करने से शरीर में खून की कमी पूरी होती है. जामुन का सेवन करने से शरीर में खून का स्तर बढ़ जाता है.3. लीवर की समस्या के लिएलीवर की समस्या के लिए आप जामुन का सेवन कर सकते हैं. रोज सुबह और शाम जामुन के रस का सेवन करने से आपके लिवर स्वस्थ रहता है.4. गठिया के दर्द के लिए फायदेमंदअगर आपको गठिया वाद से दर्द होता है तो आप जामुन की छाल को उबालकर इसके बचे हुए घोल का लेप जोड़ों पर लगा सकते हैं. इससे दर्द में आराम मिलता है.5. घाव के लिए फायदेमंदअगर आपको जूते पहने के दौरान पैर में छाले हो जाते हैं. ऐसे में आप जामुन की गुठली को पीसकर घाव पर लगा सकते हैं. इसके लिए आपको जामुन की गुठली को सुखाकर पीसना होगा. इसके बाद पानी मिलाकर इसका घोल बना लें और घाव पर लगा लें. इससे घाव में आराम मिलेगा.3. पथरी में फायदेमंदअगर आपको पथरी की समस्या है तो आप जामुन की गुठली का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए आपको गुठली के पाउडर के साथ दही का सेवन करना होगा. जामुन खाने से पथरी की समस्या में राहत मिलती है.इस बात का रखें ख्यालजामुन को कभी भी खाली पेट नहीं खाना चाहिए. दरअसल जामुन वातकारी है, अगर इसे खाली पेट खाया गया तो पेट में अफारा और गैस की समस्या हो जाती है, जो लंबे समय तक नहीं जाती. उसी तरह जामुन को दूध के साथ भी कभी नहीं खाना चाहिए.किस समय करें जामुन का सेवनआप खाना खाने के बाद जामुन का सेवन कर सकते हैं. दोपहर के वक्त जामुन का सेवन कर सकते हैं.
- चौलाई एक ऐसा साग है जो की लाल और हरे दोनों ही रंग में आता है. यह न सिर्फ एक स्वादिष्ट सब्जी है बल्कि चौलाई के फायदे इतने होते हैं जो बहुत से रोगों को ठीक कर सकते है. विटामिन सी से भरी चौलाई चौलाई दो तरह की होती है- एक सामान्य पत्तों वाली तथा दूसरी लाल पत्तों वाली.. इनमें से लाल वाली चौलाई ज्यादा फायदेमंद होती है.चौलाई को तंदुलीय भी कहते हैंचौलाई का साग तो आपने कभी-कभार खाया ही होगा. यह सब्जी बहुत ही आसानी से मिल जाती है. यह हरी पत्तेदार सब्जी है जिसके डंठल और पत्तों में प्रोटीन, विटामिन ए और खनिज की प्रचुर मात्रा होती है. चौलाई को तंदुलीय भी कहते हैं. इसे अमरंथ भी कहते हैं. अमरंथ एक पौधा है जिसकी जड़, पत्तियां, दाने, फूल आदि का इस्तेमाल स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है.चौलाई में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन-ए, मिनरल्स और आयरन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. इस सब्जी को खाने से आपके पेट और कब्ज संबंधी किसी भी प्रकार के रोग में लाभ मिलेगा. चौलाई की सब्जी का नियमित सेवन करने से वात, रक्त व त्वचा विकार दूर होते हैं.इम्यूनिटी को करती है बूस्टचौलाई में भरपूर मात्रा में प्रोटिन और विटामिन सी पाया जाता है, जो हमारे शरीर में इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है. संक्रमण रोगों से हमें बचाती है.गठिया, रक्तचाप और हृदय रोगियों के लिए बेहद फायदेमंदचौलाई का रस गठिया, रक्तचाप और हृदय रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद होता है. वैसे ज्यादातर लोग चौलाई की सब्जी खाना पसंद करते हैं. पेट के रोग, कब्ज और बाल गिरने पर चौलाई की सब्जी खाना लाभदायक होता है.कब्ज होगी दूरचौलाई के फायदे और भी तरह से मिल सकते हैं जैसे चौलाई उबाल कर इसके पानी में नमक मिला कर पीने से कब्ज दूर होती है तथा पेट दर्द में काफी आराम मिलता है.हड्डियों की मजबूती के लिएमज़बूत हड्डियों के लिए कैल्शियम बहुत ही आवश्यक होता है. शरीर में यदि कैल्शियम भरपूर मात्रा में हो तो हड्डियों के टूटने या फ्रैक्चर का खतरा कम होता है नाखून और दांत स्वस्थ और मज़बूत रहते हैं.आंखो की हेल्थ के लिए बढ़ियाचौलाई में vitamin A प्रचुर मात्रा में होता है। तो यदि आपको आँखों का अच्छा स्वास्थ्य चाहिए तो चौलाई का सेवन शुरू कर दें. चौलाई के सेवन से शरीर में इन्सुलिन का स्तर कम होता है. जिससे की पेट भरा होने का अहसास होता है. इससे हम नाश्ते और भोजन के बीच में कुछ भी नहीं खाते. यदि आप मोटापा कम करना चाहते हैं तो चलाई का सेवन शुरू कर दें.बालों के लिए भी उपयोगीचौलाई में लाइसिन और अमीनो एसिड होता है जो बालों की सेहत के लिए वरदान है. चौलाई के नियमित सेवन से बाल काले बने रहते है और चौलाई का ताज़ा रस सुबह शाम पीने से बाल गिरना रुक जाता है.
- देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर भयावह स्थिति पैदा कर रही है। अब कोरोना का एक नया स्ट्रेन लोगों का ध्यान खींच रहा है। दरअसल, दक्षिण भारत में कोरोना का एक नया स्ट्रेन N440K लोगों में डर पैदा कर रहा है। ये वायरस आंध्र प्रदेश से शुरू हुआ है इसलिए इसे AP Strain भी कहा जा रहा है। इस स्ट्रेन को लेकर कहा जा रहा है कि ये पूराने स्ट्रेन की तुलना में 15 गुणा ज्यादा खतरनाक है, जो कि तेजी से लोगों को अपना शिकार बना सकता है। तो, आइए जानते हैं इस वायरस के बारे में विस्तार से।सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी ने N440K वैरिएंट की खोज की है, जिसकी पहचान आंध्र प्रदेश के कुरनूल में की गई थी। इस स्ट्रेन ने विशाखापट्टनम और दक्षिण भारत के राज्यों में खौफ पैदा कर दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि ये N440K वैरिएंट बाकी कोराना स्ट्रेन की तुलना में 15 गुणा अधिक वायरस है। दरअसल, भारतीय वेरिएंट बी -1.617 और बी-1.618 भारत में दूसरी लहर का जिम्मेदार है।क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ?CSIR-Genomics and Integrative Biology के वैज्ञानिक विनोद स्कारिया ने मीडिया को दिए अपने बयान में कहा है कि भले ही ये वेरिएंट खतरनाक लग रहा हो पर धीमे-धीमे ये खत्म हो सकता है और किसी और स्ट्रेन में परिवर्तित हो सकता है। विनोद कहते हैं कि यह धीरे-धीरे मर सकता है और तेजी से दो अन्य वेरिएंट - B.1.1.7 और B.1.617 में परिवर्तित हो सकता है और केरल सहित लगभग सभी दक्षिणी राज्यों में ये हो भी रहा है। N440K संभवत: कोरोना वायरस को फेफड़ों की कोशिकाओं को बांधने में मदद करता था। बता दें कि B.1.1.7 यूके वेरिएंट हैं और B.1.617 भारतीय वेरिएंट हैं, जिन्हें 'डबल वेरिएंट भी कहा जाता है।बता दें कि वैज्ञानिकों ने दक्षिण भारत के कई केन्द्रों से वायरस का सैंपल इकट्ठा किया है उनमें से 50 फीसदी में कोरोना का N440K वेरिएंट पाया गया है। इसमें यह भी पता चला कि यह वायरस आबादी के एक खास हिस्से में फैल रहा है और अन्य वेरिएंट्स के मुकाबले कहीं यह ज्यादा स्थानीय है, जो इन इलाकों के कई राज्यों को अपना शिकार बना सकता है।
- अगर आप शारीरिक कमजोरी के शिकार हैं तो यह खबर आपके काम आ सकती है. क्योंकि हम आपके लिए लेकर आए हैं इलायची के फायदे. यह न सिर्फ खाने को स्वादिष्ट बनाती है, बल्कि शरीर को कई गंभीर बीमारियों से बचाने में मददगार साबित होती है. इलायची का सेवन भोजन करने के बाद करना चाहिए. इससे मुंह की दुर्गंध दूर होने के साथ ही दांतों की कैविटीज की समस्या से भी छुटकारा मिलता है. इसके अलावा उल्टी और मितली की परेशानी भी दूर होती है.इलायची में क्या-क्या पाया जाता है?अब नजर डालते हैं कि इलायती में पाया क्या-क्या जाता है. दरअसल, इलायची में कार्बोहाइड्रेट, डाइटरी फाइबर, कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम, आयरन और फॉस्फोरस मुख्य रुप से पाए जाते हैं, जो स्वस्थ्य शरीर के लिए बेहद लाभकारी माने जाते हैं.कैसे करें इलायची का सेवनइलायची का सेवन आप कई तरह से कर सकते हैं. माउथ फ्रेशनर के रुप में सीधे चबाकर खा सकते हैं. कोई डिश या सब्जी बनाते समय उसमें इसके दाने डालकर इसका सेवन कर सकते हैं.किस समय खाएं इलायचीनेचुरल तरीके से नींद लेने के लिए रोजाना रात को सोने से पहले कम से कम 3 इलायची को गर्म पानी के साथ खाएं. इससे अच्छी नींद आएगी और खर्राटे की समस्या भी दूर हो जाएगी. इसके अलावा गैस, ऐसिडिटी, कब्ज, पेट में ऐंठन की समस्या को इलायची से दूर किया जा सकता है.पुरुषों के लिए फायदेमंदरात में सोने से पहले पुरुषों को 3 इलायची का सेवन करना चाहिए. एक शोध के अनुसार नियमित तौर पर इलायची खाने से पुरुषों को नपुंसकता दूर हो जाती है. क्योंकि इलायची यौन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करती है. आप इसे पानी या फिर दूध के साथ ले सकते हैं.इलायची के 5 जबरदस्त फायदेइलायची को गर्म पानी के साथ खाएं, इससे नींद आएगी और खर्राटे की समस्या भी दूर हो जाएगी.इलायची का सेवन से गैस, ऐसिडिटी, कब्ज, पेट में ऐंठन की समस्या को दूर किया जा सकता है.इलायची का नियमित सेवन करने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को मात दी जा सकती है.इलायची में एंटी इंफेलेमेंटरी तत्व मुंह का कैंसर, त्वचा के कैंसर से लड़ने में कारगर होते हैं.बढ़ते वजन और मोटापे से परेशान रहते हैं, तो ऐसे में अपनी डाइट में इलायची को जरुर शामिल करें. इसमें मौजूद पौषक तत्व तेजी से वजन घटाने में मदद करती है.
- आपने क्या जंगली जलेबी खाई. हो सकता है नाम भी ना सुना हो. लेकिन यह कुछ ऐसा है, जिसे खाकर घबराने की जरूरत नहीं है. दरअसल, यह एक किस्म का फल है, जो गांव में मिलता है. इसके अपने आकर की वजह से जंगल जलेबी कहा जाता है. यह आपकी सेहत के लिए बहुत ही लाभकारी होती है.आइए जानते हैं जंगल जलेबी से होने वाले फायदों के बारे में -1. विटामिन सी, आयरन और प्रोटीन से लबरेज. जंगल जलेबी विटामिन -सी के साथ साथ आयरन और प्रोटीन से भी भरपूर होती है. आयरन खून साफ करने में मदद करता है, तो वहीं प्रोटीन शरीर के कई हिस्सों को अलग-अलग तरह से मजबूती प्रदान करता है.2. हड्डियों के लिए बेस्टजंगल जलेबी आपकी हड्डियों को मजबूत और दांतों को चमकदार रखने में बहुत मदद करती है. इसमें कैल्शियम की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जिससे जोड़ों को मजबूत करने में मदद मिलती है.3. आंखों के लिए वरदानजंगल जलेबी से आंखों के रोग ठीक हो सकते हैं. इसमें पाए जाने वाले तत्व आपकी आंखों के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं.4.सिर्फ फल नहीं पत्तियों का भी है इस्तेमालजंगल जलेबी के पेड़ की पत्तियों का रस पीसकर लगाने से दर्द में आराम मिलता है. इसका इस्तेमाल किसी भी अंग पर किया जा सकता है.5.इम्यूनिटी बढ़ने में कारगरइस वक्त सबसे ज्यादा अगर कुछ जरूरी है तो वह है इम्यूनिटी. जंगल जलेबी गर्मी का फल है और यह आसानी से मिल भी सकता है, इम्यूनिटी बूस्ट करने में यह फल आपकी मदद कर सकता है.
- कोरोना काल में सप्लीमेंट्स हमारे लिए बहुत जरूरी हैं। कोरोना महामारी के बीच हम सभी ऐसी चीजों का सेवन या ऐसे उपाय चाहते हैं जिससे हमारी इम्यूनिटी मजबूत रहे और हम इंफेक्शन और वायरस से बचे रहें। केवल डाइट से इम्यूनिटी मजबूत रखना मुमकिन नहीं है इसके लिए कुछ सप्लीमेंट्स की जरूरत पड़ सकती है। ये सप्लीमेंट्स हमारी बॉडी को मजबूत रख सकते हैं ताकि हमें ऐसी बीमारियां न हों। विटामिन डी, सी, जिंक जैसे सप्लीमेंट्स इम्यूनिटी तो मजबूत करते ही हैं साथ ही ये कई बीमारियों से प्रोटेक्ट करके रखते हैं। ऐसे ही सप्लीमेंट हैं-1. एल्डरबेरी सप्लीमेंटएल्डरबेरी सप्लीमेंट इम्यूनिटी के लिए फायदेमंद होता है। इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल प्रॉपर्टीज होती हैं। एल्डरबेरी सप्लीमेंट से रेसपेरेट्ररी सिम्टम कम होते हैं जो कि वायरल इंफेक्शन या फ्लू से हमारे शरीर में हो जाते हैं। फ्लू के दौरान डॉक्टर एल्डरबेरी सप्लीमेंट लेने की सलाह देते हैं। रिसर्र्च के मुताबिक एल्डरबेरी सप्लीमेंट इंफ्लूएंजा वायरस से लडऩे में भी मदद करता है। एल्डरबेरी सबसे ज्यादा दवाइयों में इस्तेमाल होने वाले पौधों में से एक है। देखने में ये बिल्कुल जामुन जैसी लगती है।2. कोरोना काल में रेसपेरेट्ररी ट्रैक्ट इंफेक्शन विटामिन डीविटामिन डी फैट-सोल्यूबल न्यूट्रिएंट है जो इम्यूनिटिी सिस्टम को मजबूत रखने में मदद करता है। विटामिन डी, बाहरी पैथोजन से लडऩे में मदद करता है। कुछ लोगों में विटामिन डी की कमी होने से रेेसपेरेट्ररी ट्रैक्ट इंफेक्शन हो जाता है और कोरोना के नए स्ट्रेन में लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही है इसलिएए भी विटामिन डी का सेवन कोरोना काल में जरूरी है। विटामिन डी एंटीवायरल ट्रीटमेंट में भी इस्तेमाल किया जाता है। जिन लोगों को इंफेक्शन हो जाता है उन्हें भी डॉक्टर विटामिन डी लेने की सलाह देते हैं।3. कोरोना कॉल में इम्यूनिटी मजबूत रखे विटामिन सीविटामिन सी कोरोना काल में इस्तेमाल किए जाने वाला सबसे कॉमन सप्लीमेंट है। विटामिन सी का सेवन करने से आपकी बॉडी को इंफेक्शन से लडऩे में मदद मिलती है। विटामिन सी सप्लीमेंट भी आपकी इम्यूनिटी बढ़ाने का काम करता है। इस समय कई तरह की बीमारियां फैल रही हैं जिनसे बचने के लिए विटामिन सी एक जरूरी सप्लीमेंट हो सकता है। विटामिनसी एक पॉवरफुल सप्लीमेंट है जो स्ट्रेस को भी कम करता है।4. कोरोना कॉल में कॉमन कोल्ड से बचाए जिंक सप्लीमेंटजिंंक सप्लीमेंट कोरोना काल में एक जरूरी सप्लीमेंट है। इसकी मदद से रेसपिरेट्ररी ट्रैक्ट इंफेक्शन और इंफेक्शन की अवधि कम की जा सकती है। एडल्ट्स 40 एमजी जिंक सप्लीमेंट ले सकते हैं। आजकल कॉमन कोल्ड की समस्या बढ़ गई है, इससे बचने के लिए आप जिंक सप्लीमेंट ले सकते हैं। जिंक से इम्यूनिटी भी मजबूत रहती है। बाहर के पैथोजन को शरीर के अंदर आने से रोकने में जिंक सप्लीमेंट मदद करता है।5. कोरोना काल में लंग्स इंफेक्शन से सेफ रखे मेडिसलन मशरूम सप्लीमेंटपुराने समय में मशरूम का इस्तेमाल इंफेक्शन मिटाने और बीमारियों को खत्म करने के लिए किया जाता था। इसका सप्लीमेंट भी उतना ही फायदेमंद है। मेडिसलन मशरूम सप्लीमेंट से इम्यूनिटी तो मजबूत होती ही है साथ ही बैक्टीरिया से भी शरीर को सुरक्षा मिलती है। अस्थमा और लंग्स इंफेक्शन में भी ये सप्लीमेंट फायदेमंद माना जाता है। जिन लोगों को डायबिटीज, थॉयराइड या और कोई बीमारी है उन्हें डॉक्टर इन सप्लीमेंट की सही मात्रा बताएंगे, उसी मुताबिक सप्लीमेंट का उपयोग करें।
- भारतीयों के खाने का सबसे अहम हिस्सा है देसी घी। गर्मा गर्म फुलके पर देसी घी लगाना हो या फिर दाल या खिचड़ी में ऊपर से खूब सारा घी डालकर खाना हो, घी के बिना कई बार खाना अधूरा सा लगता है। इन दिनों वजन कंट्रोल करने की कोशिश में लगे अधिकतर लोग सबसे पहले घी को अपनी डाइट से बाहर कर देते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे वजन बढ़ता है. लेकिन हकीकत इसके ठीक उलट है।सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद है देसी घीगाय के दूध की मलाई से बनने वाला शुद्ध देसी घी, न सिर्फ भोजन के स्वाद को बढ़ाता है बल्कि सेहत के लिए भी कई तरह से फायदेमंद है । आयुर्वेद में तो सैकड़ों सालों से औषधि के तौर पर घी का इस्तेमाल किया जा रहा है क्योंकि यह वात, पित्त और कफ तीनों दोषों को बैलेंस करने में मदद करता है। इसके अलावा सिर्फ सर्दियों में ही नहीं बल्कि गर्मी के मौसम में भी घी खाना सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद है।1. गर्मी में शरीर को ठंडा रखता है घी- हेल्थ एक्सपट्र्स और न्यूट्रिशनिस्ट्स की मानें तो गर्मी के मौसम में घी खाने से शरीर और दिमाग को ठंडा रखने में मदद मिलती है ।. इसका कारण ये है कि घी, शरीर की नमी को बढ़ाता है और सूजन को कम करने में मदद करता है।2. इम्यूनिटी बढ़ाता है- देसी घी हमारे शरीर को इंफेक्शन के साथ ही कई बीमारियों से भी बचाने में मदद करता है। घी में ब्यूटाइरिक एसिड होता है जो इम्यून सिस्टम यानी बीमारियों से लडऩे की शरीर की क्षमता को मजबूत बनाने में मदद करता है। साथ ही घी में विटामिन ए और विटामिन सी भी होता है. विटामिन सी भी शरीर की मजबूत इम्यूनिटी के लिए जरूरी है।3. पाचन को बेहतर बनाता है- घी पित्त की समस्या को भी कंट्रोल करने में मदद करता है और पाचन को भी बेहतर बनाता है । आयुर्वेद भी यही कहता है कि घी, शरीर के पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में फायदेमंद है। गर्मी के मौसम में अक्सर बदहजमी और सीने में जलन जैसी पाचन से जुड़ी दिक्कतें हो जाती हैं जिन्हें दूर कर सकता है घी।4. पोषक तत्वों से भरपूर- घी में ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन ए, विटामिन सी के साथ ही हेल्दी फैट भी होता है जो शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्वों को सोखने और एनर्जी देने में मदद करता है। घी में एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण भी होते हैं जो शरीर में इन्फ्लेमेशन को रोकते हैं।---
- हम आपके लिए एक ऐसा जूस लेकर आए हैं, जो आपके लिए लाभकारी साबित हो सकता है. यह जूस टमाटर से तैयार होता है. अक्सर कई लोग सालभर सर्दी, खांसी और जुकाम से पीड़ित रहते हैं. ऐसे लोगों की इम्यूनिटी काफी कमजोर होती है और यही वजह है कि वह इन बीमारियों से ग्रसित रहते हैं. ऐसे में इन लोगों को टमाटर के जूस का सेवन करना चाहिए. क्योंकि इसे पीने से आपकी इम्यूनिटी पावर मजबूत होगी.जूस बनाने के लिए सामान1 कप पानी1 चुटकी नमक2 टमाटरकैसे बनाएं जूससबसे पहले टमाटरों को पानी से अच्छी तरह धोकर साफ कर लें.टमाटर को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लेंइसके बाद टमाटर के टुकड़ों को जूसर जार में डाल दें.अब जूसर जार में एक कप पानी डालकर इसे 4-5 मिनट तक चलाएंफिर एक गिलास में इसे निकालें और ऊपर से नमक डालें.अब आप इसका सेवन कर सकते हैं.क्यों फायदेमंद है टमाटर का जूस?टमाटर में विटामिन सी की मात्रा काफी अधिक होती है. यह बॉडी में एक एंटी ऑक्सीडेंट की तरह काम करता है. एंटीऑक्सीडेंट एक्टिविटी की तरह काम करने के कारण यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने के लिए भी सक्रिय रूप से काम कर सकता है. इतना ही नहीं, कच्चे टमाटर या इसके जूस का सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने में मदद मिलती है. यही वजह है कि यह संक्रमण से बचने के लिए प्रभावी माना जा रहा है
- हम आपके लिए लेकर आए हैं पालक के जूस के फायदे... वैसे तो लोग सर्दी के मौसम में पालक खाना पसंद करते हैं, लेकिन गर्मियों (Summer) में भी पालक के जूस का सेवन करने से शरीर को काफी फायदा पहुंचता है. आप सुबह टाइम पालक के जूस का सेवन कर सकते हैं.पालक में क्या-क्या पाया जाता हैपालक में पर्याप्त मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट्स होते हैं जो शरीर को स्वस्थ रखते हैं. पालक में विटामिन A, विटामिन C, विटामिन K, मैग्नीशियम, मैगनीज और आयरन पर्याप्त मात्रा में होता हैं. आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए, तनाव को कम करने और ब्लड प्रेशर को सही बनाए रखने के लिए पालक खाना फायदेमंद होता है. पालक को डाइट में शामिल कर कई शारीरिक बीमारियों से बचा जा सकता है. पालक में मुख्य रूप से कैल्शियम, सोडियम, क्लोरीन, फॉस्फोरस, लोहा, खनिज लवण, प्रोटीन, आयरन, विटामिन ए और विटामिन सी भरपूर मात्रा में मौजूद होता है. पालक के जूस का सेवन करने से वायरल संक्रमण के खतरे को कम किया जा सकता है.पालक का जूस पीने के फायदे1. इम्यूनिटी बूस्ट करता हैइम्यूनिटी बढ़ाने के लिए पालक का जूस बेहतर विकल्प है. इसलिए आप इसे डाइट में शामिल कर सकते हैं. इसमें मौजूद मैग्नीशियम शरीर को एनर्जी देने का काम करता है. पालक के जूस के सेवन से इम्यूनिटी को मजबूत बनाया जा सकता है और कई तरह के वायरल इंफेक्शन से बचा जा सकता है.2. आंखों के लिए फायदेमंदपालक का जूस आंखों की रोशनी को भी बढ़ाता है. इसके अलावा पालक के जूस के सेवन से पाचन तंत्र को बेहतर किया जा सकता है.3. पाचन क्रिया होती है मजबूतपालक के जूस का सेवन करने से पाचन क्रिया बेहतर होती है. पालक में पाए जाने वाले तत्व शरीर से खराब पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं. इतना ही नहीं ये कब्ज की समस्या को दूर करने में भी मदद करता है.4. वजन घटाने में मददगारअगर आप मोटापे की समस्या से परेशान हैं तो पालक के जूस को डाइट में जरूर शामिल करें. पालक में फाइबर की मात्रा अधिक होती है और वहीं कैलोरी की मात्रा बहुत कम पाई जाती है, जो वजन को कम करने में मददगार होती है.5. हड्डियों को बनाता है मजबूतपालक में कैल्शियम और एंटी-ऑक्सीडेंट के गुण पाए जाते हैं, जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मददगार होते हैं.
- कोरोना की नई लहर में लोगों को निमोनिया क्यों हो रहा है? कोविड के शुरूआती लक्षण वैसे तो माइल्ड ही होते हैं पर निमोनिया एक परेशानी हो सकती है। कुछ गंभीर केस में कोविड निमोनिया, रेसपिरेट्री फेलियर का कारण बन सकता है। कोविड निमोनिया के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में और अधिक जानकारी दे रहे हैं लखनऊ में डॉ राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ संजीत कुमार सिंह।कोविड निमोनिया क्या होता है?निमोनिया लंग्स (फेफड़ों) का एक इंफेक्शन है। वायरस, बैक्टीरिया और फंगी के कारण निमोनिया होता है। निमोनिया कोविड का एक लक्षण भी हो सकता है जिसे हम कोविड निमोनिया के नाम से जानते हैं। वैसे तो कोविड निमोनिया के लक्षण एकदम आम निमोनिया जैसे होते हैं इसलिए इनमें पहचान करना मुश्किल हो जाता है। जिन्हें कोविड निमोनिया होता है उन्हें दोनों लंग्स में इंफेक्शन होता है जबकि निमोनिया में ज्यादातर इंफेक्शन एक लंग में होता है। वहीं सीटी-स्कैन और एक्स-रे के जरिए डॉक्टर कोविड निमोनिया की पहचान कर लेते हैं।नए कोविड स्ट्रेन में लोगों को क्यों हो रहा है निमोनिया?सार्स-कोव-2 का इंफेक्शन तब शुरू होता है जब वायरस में मिले हुए रेस्पिरेट्ररी ड्रॉपलेट्स शरीर के अपर रेस्पिरेट्ररी ट्रैक्ट में जाते हैं। जैसे-जैसे वायरस मल्टीप्लाई होता है इंफेक्शन लंग्स में फैलने लगता है। जब ऐसा होता है तो व्यक्ति के शरीर में निमोनिया होता है। जो ऑक्सीजन आप सांस लेने के लिए अंदर भरते हैं वो एल्विओली से होकर जाती है। जब कोविड इंफेक्शन होता है तो कोरोना एल्विओली को डैमेज कर देता है। जैसे ही इम्यून सिस्टम वायरस से लड़ता है, लंग्स में डेड सैल्स और फ्लूड बनने लगता है। इससे सांस लेने में परेशानी होती है।कोविड निमोनिया के लक्षण क्या हैं?कोविड निमोनिया के लक्षण निमोनिया जैसे ही होते हैं जैसे बुखार आना, ठंड लगना या गले में खराश होना।इसके अलावा सांस लेने में तकलीफ, छाती में दर्द या थकान भी कोविड निमोनिया के लक्षण हैं। कोविड निमोनिया के गंभीर लक्षण में सांस लेने में तकलीफ हो सकती है, ऐसा होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। इसके साथ ही अगर चेहरे का रंग बदले या हॉर्टबीट में बदलाव हो तो भी तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।कोविड निमोनिया का पता कैसे लगाया जाता है?कोविड निमोनिया का पता लगाने से पहले कोविड का पता लगाया जाता है। रेस्पिरेट्ररी सैंपल में वायरल जेनेटिक मटेरियल मिलने पर कोविड कंफर्म होता है। आरटी-पीसीआर या एंटीजन टेस्ट में नाक और गले का सैंपल, स्वैब पर लेकर उसे टेस्ट किया जाता है। इसके बाद निमोनिया के लक्षण व्यक्ति में नजर आते हैं तो एक्स-रे या सीटी-स्कैन की मदद से लंग्स की कंडीशन देखी जाती है। इससे डॉक्टर को पता चलता है कि कोविड निमोनिया के चलते फेफड़ों में क्या बदलाव आ रहा है। इसके अलावा कोविड निमोनिया का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट जैसे कंप्लीट ब्लड काउंट सीबीसी या मेटाबॉलिक पैनल टेस्ट भी किया जाता है।किन लोगों को कोविड निमोनिया होने काखतरा ज्यादा है?1. जिन लोगों की उम्र ज्यादा है या 65 पार है उन्हें कोविड निमोनिया होने की आशंका ज्यादा हो सकती है।2. मेडिकल स्टॉफ को भी कोविड निमोनिया होने की आशंका ज्यादा होगी।3. जो लोग लंग डिसीज से पीडि़त हों, उन्हें कोविड निमोनिया हो सकता है।4. अस्थमा या हॉर्ट डिसीज के मरीजों को कोविड निमोनिया होने की आशंका ज्यादा होगी।5. लीवर डिसीज या डायबिटीज के मरीजों को भी कोविड निमोनिया हो सकता है।6. मोटापे या कमजोर इम्यूनिटिी वाले व्यक्तियों के लिए कोविड निमोनिया की आशंका सबसे ज्यादा है।7. कैंसर मरीज या एचआईवी से पीडि़त व्यक्ति को भी कोविड निमोनिया हो सकता है।---
- लौकी वजन घटाने के लिए रामबाण मानी जाती है. इसमें विटामिन-B, पानी और फाइबर भरपूर मात्रा में होता है, जो बॉडी में मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है और डाइजेशन भी एक्टिव रखता है. साथ ही लौकी कब्ज संबंधी समस्याओं को कम करने में मदद करती है- जानें इसके और भी फायदे...मिलेगा नेचुरल ग्लोलौकी के जूस में मिनरल्स, एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन पाया जाता है जो आपकी स्किन को हेल्दी रख सकता है. आप चाहें तो सुबह नाश्ते से पहले लौकी जूस पीना शुरू कर सकते हैं. क्योंकि इससे डाइजेशन प्रोसेस बढ़िया रहता है और आपकी स्किन पर ग्लो आता है.झुर्रियां होंगी छू-मंतरविटामिन सी और जिंक जैसे पोषक तत्वों से लौकी भरपूर होती है. यह एजिंग से निपटने में भी मदद करती है.मुंहासे होंगे गायबलौकी के जूस से डाइजेस्टिव सिस्टम साफ रहता है और स्किन में गंदगी और ऑयल कंट्रोल रहता है. ऐसे में पिम्पल्स ब्रेक आउट कम होता है.सूजी आंखों में आरामनेचुरली बैगी आईज़ से छुटकारा पाने के लिए लौकी जूस की मदद ली जा सकती है. क्योंकि लौकी ठंडी होता है और इसमें भरपूर मात्रा में पानी होता है, जो बैगी आईज को कम करने में मदद करता है. इसके अलावा, अपनी आंखों पर लौकी के गोल स्लाइस रखें और आराम से लेट जाएं. 20 मिनट तक इंतजार करने के बाद इसे हटा दें. आपको इफेक्ट पता चलने लगेगा.सॉफ्ट स्किन भी देती है लौकीलौकी का जूस ब्लड प्योरिफाई करने में मदद करता है. इससे आपको चिकनी और कोमल स्किन मिल सकती है. यह शरीर को साफ करता है. इसलिए हर सुबह लौकी का जूस पीने का नियम बना लें. आपको बहुत फायदे होंगे.
- चिचिंडा नाम की सब्जी के बारे में जानते हैं? गर्मियों में मिलने वाली ये सब्जी लौकी और तोरी के परिवार से आती है। अंग्रेजी में इस सब्जी को स्नेक गार्ड कहते हैं। अगर आपने अभी तक इस सब्जी को नहीं खाया है, तो शुरू कर दीजिए। क्योंकि इसका स्वाद काफी शानदार होता है. साथ ही साथ में इसे खाने से कई किस्म के फायदे मिलते हैं. पीलिया से लेकर डायबिटीज तक की बीमारियों को दूर करने में मदद करती है।आइए जानते हैं इसके खाने के फायदे--पीलिया के इलाज में मददगारइस समय लोगों के अंदर पीलिया को लेकर एक किस्स डर देखा जा रहा है. चिचिंडा को पीलिया के इलाज में मददगार माना जाता है. यह इम्यूनिटी को बूस्ट करता है और लिवर को हेल्दी रखता है. इसके अलावा इंफेक्शन्स को दूर करने में भी मदद करता है.'एलोपेसिया' में फायदेमंद'एलोपेसिया' ऐसे गंभीर बीमारी है, जिसमें बाल गिरते हैं. चिचिंडा 'एलोपेसिया' के रोगियों के लिए काफी फायदेमंद होते हैं. अगर वे अपने बालों में चिचिंडा का जूस लगाएं, तो काफी फायदा पहुंचता है।डायबिटीज को रखती है दूरकुछ सालों में हमारे देश में टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों की संख्या बढ़ी है. इसके पीछे हमारी लाइफस्टाइल को जिम्मेदार माना जाता है. टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों के लिए चिचिंडा काफी फायदेमंद होती है. यह बढ़ते वजन को रोकने का काम करती है. इसके अलावा चाइनीज भी चिचिंडा को इस्तेमाल डायबिटीज के इलाज में करते हैं.स्किन के लिए फायदेमंदस्किन को केयर में चिचिंडा काफी मदद पहुंचती है. इसके सेवन से डेड टिशूज़ खत्म हो जाते हैं. इससे स्किन एजिंग प्रोसेस स्लो हो जाती है. बुढ़ापा जल्द नहीं आता है.तेज बुखार में करें चिचिंडा का इस्तेमालतेज बुखार में चिचिंडा काफी फायदेमंद होता है. दरअसलस चिचिंडा में बुखार के समय शरीर में मौजूद टॉक्सिन्स को बाहर करता हैं. इसके अलावा पाचन क्रिया को भी स्वस्थ्य रखता है।
- मैदा यानी रिफाइंड फ्लोर से बनी चीजों का इस्तेमाल हमारी रोजाना की जिंदगी में बढ़ता ही जा रहा है। हम रोजाना बर्गर, पिज्जा, ब्रेड, डोनट आदि कुछ न कुछ चीजों के रूप में मैदा खा ही लेते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं जितनी स्वादिष्ट यह चीजें खाने में लगती हैं यह हमारे शरीर के लिए उतनी ही हानिकारक होती हैं। यह हमारा वजन तो बढ़ाती ही हैं साथ में हमारे शरीर पर इन चीजों को खाने से बहुत ही बुरा असर पड़ता है। इसलिए यह रिफाइंड फ्लोर यानी मैदा हमारी सेहत के लिए एक जहर के समान है। हमें इसे कम से कम खाना चाहिए।असल में मैदे की प्रोसेसिंग के दौरान उसमें से फाइबर निकाल दिया जाता है, जोकि पाचन क्रिया के लिए बहुत ही आवश्यक होता है। इसके साथ साथ गेहूं से उसके सारे पोषण प्रोसेसिंग के दौरान निकल जाते हैं। इस प्रकार मैदे में मिनरल, विटामिन्स या किसी भी प्रकार का पोषण न होने के कारण उसे हेल्दी नहीं माना जाता है। बहुत से दुकानदार अपने मैदे को बेचने के लिए पैकेट पर लिख देते हैं एनरिच फ्लोर , लेकिन वह असल में कुछ नहीं होता है।यदि मैदे का सेवन रोजाना किया जाए तो इससे फैटी लीवर व बैड कोलेस्ट्रॉल बढऩे जैसी समस्या हो सकती हैं। इसका लगातार सेवन करने से वजन बढ़ सकता है, मूड स्विंग हो सकते हैं, बीपी बढ़ सकता है और लोग मोटापे की तरफ बढ़ सकते हैं। इसलिए मैदा का प्रयोग करना जितना हो सके उतना कम कर देना चाहिए। यदि आप नहीं जानते कि मैदा खाने से आपके शरीर में क्या क्या हानियां हो सकती हैं तो निम्न लिखित पॉइंट्स को जरूर पढ़ें।1. मैदा से पाचन समस्याएंमैदे को हमारे पेट की ग्लू कहा जाता है। आज के समय में बहुत सी चीजें मैदे से बनती हैं और यह सारा मैदा हमारी आंतों में चिपकता जाता है। रिफांइड फ्लोर में कोई फाइबर नहीं होता है और यह पाचन क्रिया को भी धीमा बनाता है, मेटाबॉलिज्म को धीमा करता है और वजन बढऩा, सिर दर्द होना व कब्ज जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।2. रिफाइंड फ्लोर से एसिडिटीजब मैदे की रिफाइनिंग प्रोसेस होती है तो उस दौरान इसके अंदर से सारा पोषण गायब हो जाता है और इसलिए यह एसिडिक बन जाता है। यदि आप एसिड से युक्त डाइट खाते हैं तो आपकी हड्डियों से कैल्शियम खत्म होना शुरू हो जाता है जिस कारण आपकी बोन डेंसिटी कम हो जाती है। यह क्रोनिक बीमारियों का, इन्फ्लेमेशन का व गठिया का मुख्य कारण भी बन सकता है।3. मैदा से पोषण की कमीमैदे की प्रोसेसिंग के दौरान उसमें से सारा फाइबर, सारे आवश्यक मिनरल व विटामिन्स निकल जाते हैं। इसके साथ साथ ब्लीचिंग क्रिया भी की जाती है जिस कारण मैदे को सफेद रंग मिलता है। हालांकि यह सेहत के लिए ज्यादा हानिकारक नहीं है लेकिन चूंकि इसमें आर्टिफिशियल इंग्रेडिएंट्स मिलाए जाते हैं वह आपके लिए ज्यादा अच्छे नहीं होते।4. ब्लड शुगर बढऩे की सम्भावनामैदे में एलोक्सेन होता है जो आपके शरीर के लिए बढिय़ा नहीं होता। यह पैंक्रियाज की बीटा सेल्स को नष्ट करता है और आपके शरीर के लिए टॉक्सिक भी होता है। इसका सेवन रोजाना करने से आप डायबिटीज जैसी बीमारी से भी ग्रस्त हो सकते हैं। स्वयं को पूरी तरह स्वस्थ रखने के लिए आप मैदे को खाना बिल्कुल ही छोड़ दें और इसकी बजाय गेहूं, ज्वार या बाजरे का सेवन करें।
- अदरक और इलायची वाली चाय का मजा ही अलग होता है। जिन लोगों को अदरक से समस्या होती है, वे इलायची को चाय में शामिल कर सकते हैं। चाय ही नहीं इलायची की महक और स्वाद कई डिशेज को खास बना देती है। इलायची में पोटेशियम, मैग्नीशियम, विटामिन बी1, बी6 और विटामिन सी पाया जाता है, जो आपके अतिरिक्त वजन को घटाता है। वहीं इलायची में मौजूद फाइबर और कैल्शियम आपके वजन को नियंत्रित करता है।फैट को जमने नहीं देतापेट के आसपास जमा वसा सबसे जिद्दी होती है और यह किसी के भी व्यक्तित्व को भी खराब कर देती है। हरी इलायची इस जिद्दी फैट को जमा नहीं होने देती है। यह वसा कई हृदय संबंधी बीमारियों की जड़ भी होती है।शरीर से विषैले तत्व बाहर निकालती हैआयुर्वेद की मानें, तो हरी इलायची शरीर में मौजूद विषैले तत्वों को बाहर निकालने में भी मदद करती है। यह तत्व शरीर के रक्त प्रवाह में व्यवधान पैदा कर सकते हैं और हमारी ऊर्जा का स्तर भी घटाते हैं। इलायची की चाय इसके लिए सबसे अच्छा विकल्प हो सकती है।पेट फूलने से बचाती हैहरी इलायची अपच की समस्या से बचाती है, जिससे कभी-कभी पेट फूलने की समस्या भी हो सकती है। यही वजह है कि हरी इलायची को गैस्ट्रोइन्टेस्टाइनल विकारों की प्रचलित दवा कहा जाता है। अच्छा पाचन तंत्र वजन घटाने के लिए अहम है।खराब कोलेस्ट्रॉल को घटाएवसा घटाने के गुणों के कारण इलायची शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल को घटाने का काम करती है। यह एलडीएल कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स को भी घटाने में मदद करती है।
- आपने साउथ इंडिया में लोगों को केले के पत्ते पर खाना खाते हुए देखा होगा। वहीं, कई रेस्टोरेंट्स भी केले के पत्ते पर साउथ इंडियन फूड्स परोसते हैं। केले के पत्ते पर खाना खाने की एक पुरानी परम्परा रही है। वहीं, सेहत के लिहाज से देखें, तो केले के पत्ते पर खाना खाने के कई फायदे हैं। आइए, जानते हैं कुछ फायदे-डाइजेशन सिस्टम के लिएकेले का पत्ता प्लांट-बेस्ड कंपाउंड, पॉलीफेनॉल्स से पूर्ण होता है। पॉलीफेनॉल्स नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जोकि शरीर में मौजूद फ्री-रेडिकल्स और दूसरी बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करने का काम करते हैं। एक ओर जहां केले की पत्तियों को सीधे तौर पर पचाना संभव नहीं है। वहीं, केले के पत्ते में रखे खाद्य पदार्थ इससे पॉलीफेनॉल्स को अवशोषित कर लेते हैं। इससे शरीर को इन ऑक्सीडेंट्स का फायदा भी मिल जाता है।खाने का स्वाद बढ़ता हैकेले की पत्तियों पर मोम के जैसी एक ऊपरी परत होती है। हालांकि, ये परत बहुत पतली होती है लेकिन इसका स्वाद बहुत अलग होता है। जब गर्म खाना केले के पत्ते पर परोसा जाता है, तो ये मोम पिघलकर खाने में मिल जाती है। जिससे खाने का स्वाद और बढ़ जाता है।इको फ्रेंडली भी हैकेले के पत्ते पर खाना खाना पर्यावरण सुरक्षा के लिहाज से एक सार्थक पहल है। आमतौर पर लोग भोज या फिर किसी समारोह में प्लास्टिसक या स्टीरोफोम के प्लेट्स का इस्तेमाल करते हैं। इस्तेमाल के बाद इन्हें यूं ही फेंक दिया जाता है। जबकि केले के पत्तों को डिकंपोज करना बहुत ही आसान है।पूरी तरह स्वच्छकेले की पत्तियों को बहुत अधिक साफ करने की जरूरत नहीं होती है। ये खुद ही बहुत हाइजीएनिक होती हैं। इन्हें सिर्फ थोड़े से पानी से साफ करके इस्तेमाल में लाया जा सकता है। प्लास्टि क की प्लेट में खाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।केमिकल फ्री आहारकेले के पत्ते में खाने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इससे हमारे शरीर में किसी भी प्रकार का कोई रासायनिक पदार्थ प्रवेश नहीं कर पाता है। जबकि प्लास्टिक की प्लेट में खाने से पिघली हुई प्लास्टिाक का कुछ अंश हमारे शरीर में भी चला जाता है। जो कैंसर जैसी भयानक बीमारी का कारण भी बन सकता है। ऐसे में केले के पत्ते पर खाना खाना स्वास्थ्य के लिहाज से बहुत फायदेमंद है।
- गर्मियों में खाने से ज्यादा ड्रिंक्स पर ध्यान देना चाहिए। आज हम आपको बता रहे हैं, ऐसी समर ड्रिंक जिससे न सिर्फ आपको गर्मी से राहत मिलेगी बल्कि डाइजेशन के लिए भी यह ड्रिंक बहुत फायदेमंद है।सामग्री :1 ककड़ी (टुकड़ों में कटी हुई), 1 चम्मच अदरक (कद्दूकस किया हुआ), 1/2 लीटर पानी पुदीने के पत्ते, 1 टीस्पून नींबू का रसकाला, नमक स्वादानुसार।विधि :एक बाउल में पानी, ककड़ी, अदरक और पुदीना पीसकर मिलाएं।इसके बाद इसमें काला नमक डालकर मिक्स कर लें।पानी में नींबू का रस निचोड़ दें।तैयार है ककड़ी और पुदीने का जूस।
- कोरोना वायरस के मामले दिन ब दिन आसमान छू रहे हैं। इस बीच भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने पेन किलर्स नहीं खाने का सुझाव दिया है। आईसीएमआर ने कहा है कि आईब्रूफिन जैसी कुछ अन्य दर्दनिवारक दवाएं कोरोने के लक्षणों को और बढ़ा सकती हैं। इस तरह की दवाओं के सेवन से कोविड -19 के लक्षण और भी गंभीर हो सकते हैं। इसलिए नॉन स्टीरॉयड एंटी इंफ्लेमेटरी दवाएं लेने से बचें। इन दवाओं की जगह जरूरत पडऩे पर आप पैरासीटमऑल का इस्तेमाल कर सकते हैं। आईसीएमआर ने मरीजों द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्न श्रंख्ला में इसका जवाब देते हुए इस तरह की दवाओं को स्वास्थ्य के लिए घातक बताया है। साथ ही बिना बीमारी में बिना चिकित्सक की सलाह के इन दवाओं का सेवन नहीं करने की सलाह दी है।इन रोगों के मरीज दें खास ध्यानआईसीएमआर ने तमाम आशंकाओं को खारिज करते हुए यह साफ कर दिया कि किसी अन्य या सामान्य व्यक्ति की तुलना में हाईपरटेंशन , हृदय रोग और मधुमेह के रोगियों को में कोविड 19 के संक्रमण का अधिक खतरा नहीं है। अब तक ऐसा कोई साक्ष्य़ सामने नहीं आया है। हां लेकिन ऐसे रोगियों में कोरोना के मामले बेहद गंभीर भी हो सकते हैं। इसलिए ऐसे रोगियों को अतिरिक्त देखभाल की आवश्यकता है। साथ ही आईसीएमआर ने किडनी और हृदय रोगों से ग्रस्त लोगों को चेताते हुए पेन किलर नहीं खाने की सलाह दी है।आईसीएमआर ने किया दावाआईसीएमआर का यह दावा है कि देश में 80 प्रतिशत कोरोना मरीजों में खांसी, बुखार और गले में दर्द आदि जैसे सामान्य लक्षण ही देखे जा रहे हैं। आईसीएमआर द्वारा यह कहा गया है कि उच्च रक्तचाप की दवाओं से कोरोना संक्रमण की गंभीरता बढऩे का अभी तक कोई साक्ष्य नहीं मिला है। उच्च रक्तचाप के मरीज अगर इन दवाओं के सेवन को प्रतिबंधित कर देंगे तो यह उन्हीं के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती हैं। उच्च रक्तचाप की दवाएं हार्ट फेल होने से रोकती हैं। इसलिए इनका सेवन न छोड़ें।वैक्सीन के तुरंत बाद पेन किलर न लेंचिकित्सकों के अनुसार हम शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और कोरोना से बचने के लिए वैक्सीन लगवाते हैं, लेकिन अगर वैक्सीन लगवाने के तुरंत बाद किसी प्रकार का दर्द हो तो पेनकिलर लेने से बचें। ऐसा करना हमारी इम्यूनिटी को प्रभावित कर सकता है। इसके बाद भी अगर पेन किलर खाने की आवश्यकता पड़े तो चिकित्सक से पूछकर ही इसका प्रयोग करें। ऐसा करना आपके शरीर को नुकसान भी पहुंचा सकता है।डायबिटीज पर दें ध्यानआईसीएमआर ने डायबिटीज के रोगियों को खासतौर पर अपनी दिनचर्या में बदलाव लाने की सलाह दी है। उन्हें अपने शुगर के स्तर को व्यायाम आदि के जरिए नियंत्रित रखने लिए कहा गया है। आईसीएमआर ने कहा कि आमतौर पर अनियंत्रित डायबिटीज के रोगियों को कोरोना संक्रमण होने का अधिक खतरा रहता है। डायबिटीज के मरीज यदि संक्रमित हो जाएं तो उनके ग्लूकोज के स्तर पर की देखरेख करने के साथ ही उनके शरीर में इंसुलिन की मात्रा को दोबारा से नियंत्रित करने की जरूरत होती है।शारीरिक गतिविधियों में लाएं बदलावकोरोना काल में अपनी गतिविधियों में बदलाव लाना बेहद जरूरी है। ऐसे में कोरोना के खतरे को और बढ़ा देने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करने वाले पदार्थों जैसे शराब और धूम्रपान आदि के सेवन से बचें। साथ ही शारीरिक गतिविधियों पर जोर देते हुए नियमित रूप से व्यायाम करें। खान पान पर विशेष ध्यान देते हुए पौष्टिक आहार जैसे प्रोटीन, फाइबर और सब्जियां आदि का सेवन जरूर करें। अगर आप मांसाहारी हैं तो मांस का सेवन भी जारी रख सकते हैं।
- 18 साल और इससे ऊपर उम्र वाले सभी लोगों के कोरोना वैक्सीनेशन का कार्य आज से शुरू हो गया । इस आलेख के माध्यम से हम जानेंगे कि वैक्सीन बॉडी में जाकर किस तरह रिएक्ट करती है। जिन लोगों ने पहले वैक्सीन लगवाई है उन्होंने हल्के बुखार, थकान और हाथ में भारीपन, सिर में दर्द, बॉडी पेन की शिकायत की । ये सामान्य लक्षण हैं जो किसी भी वैक्सीन के लगने पर देखें जाते हैं। कोरोना वैक्सीन लगवाने से संक्रमित होने की आशंका घट जाती है क्योंकि वैक्सीन शरीर में एंटीबॉडी बनाने का काम करती है। कोरोना वैक्सीन लगवाने वाले लोगों को कोरोना के गंभीर लक्षण होने की आशंका कम होगी। इस बारे में ज्यादा जानकारी लखनऊ के केयर इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फिजिशियन डॉ. सीमा यादव ने दी है।उनके अनुसार वैक्सीन का पहली डोज लगते ही दो तरह के वाइट ब्लड सैल्स एक्टिवेट हो जाएंगे। पहला प्लाज्मा बी सैल्स जो कि एंटीबॉडी बनाने का काम करता है और दूसरा टी सैल्स, जो पैथोजन की पहचान कर उसे खत्म करने का काम करेगा। आसान भाषा में कहें तो वैक्सीन की पहली डोज लेने के बाद शॉट आपके शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी तैयार करेगी जिससे आपको वायरस से बचाया जा सकेगा। ये जरूरी नहीं है कि जिन लोगों को वैक्सीन लगी है उन्हें कोरोना का खतरा नहीं होगा क्योंकि हर व्यक्ति की इम्यूनटिी पॉवर अलग होती है। वैक्सीन के जरिए शरीर में एंटीबॉडी बनाई जाती है जो एक तरह का प्रोटीन है। इसे न्यूट्रलाइजिंंग एंटीबॉडी कहा जाता है। न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी बॉडी में घुसने वाले वायरस के खिलाफ काम करता है।कोरोना वैक्सीन के माइल्ड सिम्टम्स से डरें नहींबहुत से लोगों को वैक्सीन लगवाने में डर लग रहा है क्योंकि उन्हें लगता है कि वैक्सीन उनके शरीर में जाकर नेगेटिव असर करेगी जबकि ऐसा नहीं है। कोविशील्ड और कोवाक्सीन दोनों को ही क्लीनिकल परीक्षण के बाद लोगों को लगाया गया है। जिन लोगों को वैक्सीन लग चुकी है उन्होंने बताया कि वैक्सीन लगने के दिन बुखार आया, वहीं किसी ने कहा कि वैक्सीन से हाथ में भारीपन महसूस हुआ वहीं कुछ ने थकान लगने की शिकायत की. लेकिन इन बातों से डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि ये वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स नहीं है। किसी भी वैक्सीन के लगने पर बुखार आना सामान्य सी बात है, बुखार आना इस बात का प्रूफ है कि ठीक तरह से वैक्सीन लगाई गई है। इन हल्के लक्षणों से डरे नहीं। एक से दो दिन में बिल्कुल नॉमर्ल हो जाएंगे। सभी लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज लेनी है, नहीं तो शरीर में एंटीबॉडी की ग्रोथ ठीक तरह से नहीं हो पाएगी और लोग आसानी से वायरस की चपेट में आ सकते हैं।कोरोना वैक्सीन की पहली डोज कितनी फायदेमंद होगी?अनुमान के मुताबिक वैक्सीन की पहली डोज 52 प्रतिशत इफेक्टिव होगी। हालांकि पहली डोज लेते ही इम्यूनिटी नहीं बनती उसमें समय लगता है इसलिए दूसरी डोज स्किप न करें। दोनों डोज लें ताकि आपकी बॉडी में ज्यादा एंटीबॉडी बने और टी-सैल्स की मात्रा भी ज्यादा हो। अगर वैक्सीन लगने के बाद कोविड हो भी गया तो डॉक्टरों के मुताबिक गंभीर लक्षण होने की आशंका वैक्सीन लगने से कम हो जाएगी।
- जब शरीर इंसुलिन हार्मोन का उत्पादन नहीं कर पाता तो ब्लड शुगर यानी खून में ग्लूकोज का लेवल बढ़ जाता है। लंबे समय तक यही स्थिति बनी रहे तो डायबिटीज की बीमारी हो जाती है। डायबिटीज के मरीज खानपान के तरीके में बदलाव करके काफी हद तक इस बीमारी को कंट्रोल कर सकते हैं। डायबिटीज के मरीजों के लिए अरहर दाल काफी फायदेमंद है।इन वजहों से डायबिटीज में फायदेमंद है दाल-इसका कारण ये है कि अरहर दाल को प्रोटीन का पावर हाउस माना जाता है।-इसके अलावा दाल में आयरन, जिंक, फोलेट और मैग्नीशियम जैसे विटामिन और मिनरल्स भी होते हैं।-दाल में फाइबर ी मात्रा भी काफी अधिक होती है. इसमें घुलनशील और अघुलनशील दोनों तरह का फाइबर होता है।-दाल का ग्लाइसिमिक इंडेक्स भी कम होता है और इसमें कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट होता है।-ये सारी खूबियां शरीर में ब्लड शुगर को मैनेज करने में मदद करती हैं, इसलिए डायबिटीज के मरीजों के लिए दाल खासकर अरहर दाल खाना बेहद फायदेमंद माना जाता है।अरहर दाल के अलावा इन चीजों को भी खाएंएक रिसर्च में यह बात साबित भी हो चुकी है कि अरहर दाल खाने या अरहर दाल का पानी पीने से शुगर को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। अरहर दाल के अलावा चना दाल, राजमा, हरी वाली मूंग दाल, चना या छोले का भी सेवन फायदेमंद होता है। ये सारी चीजें भी ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करती हैं।
- क्या आप जानते हैं कि फेवरेट ड्रिंक से भी खराब हो सकती है किडनी? जी हां। कुछ लोकप्रिय ड्रिंक्स हैं जिन्हें लोग बहुत पसंद करते हैं, लेकिन यह किडनी को नुकसान पहुंचाती है। जानें कौन सी है ये ड्रिंक्स...1. कोल्ड ड्रिंकअगर आप कोल्ड ड्रिंक लवर हैं और हर दिन इसे पीना पसंद करते हैं तो संभल जाइए। कोल्ड ड्रिंक में फॉसफोरिक एसिड होता है जिससे किडनी डिसीज की आशंका बढ़ जाती है। अगर आप किडनी को हेल्दी रखना चाहते हैं वो कोल्ड ड्रिंक का सेवन न करें। साल 2016 में प्रकाशित एक जर्नल के मुताबिक 2382 लोगों के सर्वे में जिन लोगों ने एक हफ्ते में कोल्ड ड्रिंक का सेवन ज्यादा किया, उनमें किडनी डिसीज का खतरा ज्यादा नजर आया बजाय उनके जिन्होंने कोल्ड ड्रिंक का सेवन नहीं किया।2. डाइट सोडाअगर आपको लगता है कि डाइट सोडा एक हेल्दी विकल्प है तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है बल्कि ये आपकी किडनी की सेहत बिगाड़ सकता है। डाइट सोडा में हाई-फ्रूकटोस कॉर्न सिरप मिलाया जाता है जो कि किडनी के लिए अच्छा नहीं होता। जो लोग रोजाना या हफ्ते में तीन बार से ज्यादा डाइट सोडा पीते हैं उनकी किडनी जल्दी खराब हो सकती है। कुछ लोगों को लगता है कि डाइट सोडा कि ड्रिंक्स के मुकाबले हेल्दी और कम शुगर में बनती है जबकि ऐसा नहीं है। अगर आप इसका सेवन करते हैं तो तुरंत बंद कर दें।3. एल्कोहॉलशराब का सेवन रोजना करने से लिवर के साथ ही किडनी भी खराब होती है। जो लोग एल्कोहॉल का ज्यादा सेवन करते हैं उनकी यूरीन में एल्बुमिन प्रोटीन कॉन्टेंट बढ़ा हुआ मिलता है जो कि किडनी डिसीज का एक संकेत माना जाता है इसलिए एल्कोहॉल के सेवन से बचना चाहिए। 6259 लोगों पर की गई एक स्टडी के मुताबिक जो लोग हैवी ड्रिंकर्स होते हैं उनकी किडनी फेल होने की संभावना अधिक होती है।4. पैक्ड जूसलोग पैक्ड जूस को हेल्दी समझकर अपनी डाइट में शामिल कर लेते हैं पर पैक्ड जूस में शुगर की मात्रा बहुत ज्यादा होती है और साथ ही इसमें बहुत अधिक कैलोरीज होती हैं। पैक्ड जूस किडनी को भी बीमार बना सकता है। जो लोग अधिक मीठी ड्रिंक्स का सेवन करते हैं उन्हें किडनी की बीमारी होने की आशंका ज्यादा रहती है।
- आजकल कंप्यूटर पर काम करना लाइफस्टाइल का अहम हिस्सा बन गया है। वर्क फ्रॉम होम लगने के बाद से कंप्यूटर के सामने बैठे रहने का समय भी बढ़ गया है। काम के चक्कर में हम लगातार कई घंटे तक स्क्रीन पर नजरें गड़ाए रहते हैं, लेकिन कुछ समय बाद हमें इस वजह से कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ज्यादा देर तक स्क्रीन के सामने रहने पर सिर दर्द होने लगता है। क्या आप जानते हैं ये किस वजह से होता है और इससे कैसे बचा जा सकता है? आइए हम आपको बताते हैं...1. आंखों पर स्ट्रेनएक्सपट्र्स बताते हैं कि कंप्यूटर स्क्रीन और हमारी आंखों के बीच की दूरी को वर्किंग डिस्टेंस कहते हैं। बहुत देर तक इस डिस्टेंस पर काम करने से आंखें थकने लगती हैं और एक खास पॉइंट पर जाकर रेस्ट करना चाहती हैं, जो कंप्यूट स्क्रीन से बहुत दूर हो और इसे रेस्टिंग पॉइंट कहते हैं। लेकिन काम के बीच आपका दिमाग आंखों को फोर्स करता है कि स्क्रीन पर टिकी रहें। ऐसे में आंखों का स्ट्रगल आपको थकान का अहसास कराता है और सिर दर्द होने लगता है।2. खराब पॉश्चरघर में ऑफिस सा माहौल नहीं होता। ऐसे में आप शायद सीधे न बैठकर टेढ़े-मेढ़े बैठते हों या आगे झुककर बैठते हों। इससे आपके सर्वा?इकल नेक पर स्ट्रेस पड़ता है और आंखों और सिर में दर्द शुरू हो जाता है।3. ज्यादा लाइटकंप्यूटर से आने वाली तेज लाइट हमारी आंखों को थका देती है। यह उसी तरह होता है जैसे खिड़की से आने वाली तेज धूप को आंखें नहीं सह पातीं।4. इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड के बीच रहनास्टडी में पाया गया है कि मोबाइल, टीवी, कंप्यूटर के बीच लगातार रहना माइग्रेन की समस्या पैदा कर सकता है। इसलिए कहा जाता है कि जरूरत न होने पर वाईफाई बंद रखें और फोन को भी सिर के पास रखकर न सोएं।बचने के लिए करें ये उपाय-20-20-20 फॉर्मूला अपनाएं। यानी हर 20 मिनट पर 20 सेकंड के लिए स्क्रीन से आंखें हटाएं और 20 फीट की दूरी तक देखें।-घर के अंदर डिम लाइट का प्रयोग करें, तेज धूप या किसी अन्य रोशनी से बचें।-हैंडल वाली कुर्सी का ही प्रयोग करें।-कंप्यूटर की ब्राइटनेस को इस लेवल पर रखें कि आपकी आंखों को चुभे ना-फॉन्ट साइज को छोटा न रखें। इसे हमेशा बढ़ाकर ही काम करें।-कंप्यूटर की स्क्रीन को लगातार देर तक न देखते रहें।-ओवरहेड लाइट का न करें प्रयोग।-स्क्रीन पर ग्लेयर फिल्टर का इस्तेमाल करें।-कंप्यूटर की स्क्रीन को गरदन की सीधाई में रखें।अगर इन सबके बाद भी सिर और आंखों में दर्द होता है तो डॉक्टर्स से सलाह लें।
- खरबूजे में करीब 95 प्रतिशत पानी होता है जो गर्मियों में आपको फ्रेश फील कराने के साथ साथ बॉडी में पानी की मात्रा को भी मेंटेन रखता है. जानें इसके फायदे...1. स्किन के लिए फायदेमंदखरबूजे में एंटी एजिंग एजेंट तत्व मौजूद होते हैं जो स्किन के लिए काफी फायदेमंद होते हैं. यह बॉडी पर फ्री रेडिकल्स का प्रभाव नहीं पड़ने देते और स्किन डैमेज को भी सुधारते हैं. साथ ही, प्री-मेच्योर एजिंग से दूर रखते हैं. आप चाहें तो इसके गूदे को फेस पैक की तरह इस्तेमाल करें.2. आखों को रखता है दुरुस्तस्टडी में पाया गया है कि खरबूज को नियमित रूप से खाया जाए तो आपकी आंखें हमेशा हेल्दी रह सकती हैं. इतनी ही नहीं, आंखों की कई परेशानियां भी दूर होती हैं. क्योंकि खरबूज में बेटा कैरोटीन मौजूद होता है जो कैटरेक्ट (मोतियाबिंद) से 40% सेफ्टी दे सकता है.3. इन बीमारियों से भी बचाता हैखरबूजे में डाइयुरेटिक क्षमता होती है, जो किडनी की किसी भी बामारी को ठीक करने में मदद करता है. इशके अलावा, खरबूजा एग्जिमा कम करने में भी कारगर है. खरबूजे में नींबू मिलाकर अगर खाया जाए तो इससे गठिया की बीमारी में भी आराम मिलता है.4. ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में मददखरबूजे के अंदर मौजूद पोटैशियम इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस को मेंटेन करता है. यह रक्तचाप को कंट्रोल करता है और दिल की बीमारियों या स्ट्रोक के चांस को कम करता है.5.नर्वस सिस्टम भी रहता है हेल्दीखरबूजे में मौजूद तत्व हमारे नर्वस सिस्टम को स्वस्थ रखने में कारगर हैं. एंग्जाइटी की परेशानी को भी कंट्रोल करने में खरबूजा मदद करता है.
- पान खाना बहुत लोगों का शौक होता है. वहीं, इसे शुभ माना जाता है लेकिन क्या आपने पान के पत्तों से सेहत को फायदे वाली बात सुनी है? अगर नहीं सुनी तो हम सुनाते हैं...1. सिर दर्द होता है छूमंतरपान के पत्तों के सेवन से सिर दर्द में आराम मिलता है. बताया जाता है कि दर्द कम करने के लिए आप पान के कुछ पत्ते लें और एक कपड़े में रखकर उसे कुछ सिर पर बांध लें. इससे दर्द में राहत मिलती है.2. घाव भी जल्दी भर देता हैचोट ठीक करने के लिए भी पान के पत्ते कारगर होते हैं. घाव की जगह पर बस पान का पत्ते को कपड़े से बांधकर छोड़ दें. इससे घाव जल्दी भर सकता है.3. खांसी से मिलता है छुटकाराअगर आप सूखी खांसी से परेशान हैं और जल्द इसे ठीक करना चाहते हैं तो पान के पत्ते से मदद मिल सकती है. इसके लिए बस पत्ते पीसकर उसका रस निकाल लें और शहद मिलाकर खाएं. खांसी में राहत मिलेगी.4. बच्चों को हो सर्दी तो भी मदद करे पानबच्चों की सर्दी ठीक करने के लिए पान का इस्तेमाल किया जाता है. इसके लिए पान के कुछ पत्ते गर्म कर लें और कैस्टर ऑयल के साथ बच्चे के सीने पर रखें. सर्दी ठीक हो सकती है.5. सर्दी-ज़ुकाम में मिलता है आरामपान के पत्तों से सर्दी जुकाम ठीक हो सकता है. इसके लिए आप पान के पत्तों से डंठल अलग कर दें. अब इन डंठलों को पत्थर पर घिसें और थोड़ा शहद मिलाकर इसे खाएं. कफ में भी आराम मिलेगा.6. ब्रेस्ट स्वेलिंग से मिलती है निजातनई मां को कई बार ब्रेस्ट स्वेलिंग की समस्या आती है. ऐसे में वह बच्चे को दूध नहीं पिला पातीं. इस सूजन को दूर करने के लिए पान के पत्तों को हल्का गर्म कर लें और स्तन पर बांध कर रख लें. इससे स्वेलिंग में आराम मिलेगा.
- कोरोना के इस दौर में लोगों का इम्यून सिस्टम मजबूत होना बेहद जरूरी है। इसलिए आज हम इस आर्टिकल में 3 तरह के हर्बल ड्रिंक्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जो इम्युनिटी को स्ट्रॉन्ग बनाने के साथ-साथ बाकी बीमारियों को दूर रखने में भी मददगार हैं..... तो आइये जानते हैं....1. अदरक+हल्दी+एप्पल साइडर विनेगरहल्दी, अदरक और एसीवी से बना ये हरबल ड्रिंक स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है। इस ड्रिंक में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं। एप्पल साइडर सिरका कब्ज, ब्लड शुगर, वजन घटाने और हृदय रोगों से बचाव करने में मददगार होता है। इसके अलावा यह हमारे इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करता है। वहीं, हल्दी और अदरक में एंटी-ऑक्सिडेंट और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं। हल्दी एक आयुर्वेदिक औषधि के रूप में इस्तेमाल की जाती है। वहीं, अदरक भी सफेद रक्त कोशिकाओं (व्हाइट ब्लड सेल्स) की संख्या को बढ़ाने में मददगार होता है, जो वायरस से लडऩे में मददगार है।ऐसे बनाएं ये ड्रिंकइसके लिए आपको एक गिलास पानी में अदरक और हल्दी को मिलाकर 10 मिनट तक उबालना होगा। उबलने के बाद इस पानी तो थोड़ी देर रख दें। हल्का गुनगुना होने पर इसमें शहद और एक चम्मच सेब का सिरका डालें और पी लें। रोजाना इसके सेवन से इम्युन सिस्टम मजबूत होगा।2. अजवाइन+काली मिर्च+ तुलसीअजवाइन एक ऐसा मसाला है, जिसमें तमाम औषधीय गुण होते हैं। कई बीमारियों के इलाज में इसका उपयोग किया जाता है। पेट दर्द, सर्दी-खांसी, जुकाम जैसी अन्य समस्याओं को दूर करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा अजवाइन इम्युनिटी बूस्ट करने में काफी मददगार है।ऐसे बनाएं ये ड्रिंकएक पैन में 1 गिलास पानी, अजवाइन, काली मिर्च और तुलसी के पत्तों को डालकर 5 मिनट तक उबालें। उबलने के बाद इस पानी तो थोड़ी देर रख दें। हल्का गुनगुना होने पर इसमें शहर मिलाएं और पी लें। इससे आपका इम्युन सिस्टम मजबूत होने के साथ-साथ और भी कई समस्याओं से निजात मिलेगी।3. गिलोय + तुलसीगिलोय में कई तरह के औषधीय गुण मौजूद होते हैं। इसके सेवन से इम्युनिटी तो बढ़ती ही है, साथ ही सर्दी-खांसी भी जल्द दूर होती है। इसके अलावा पाचन तंत्र भी सही रहता है। ऐसे ही तुलसी भी कई तरह से फायदेमंद होती है। तुलसी भी कई तरह के मर्ज को ठीक करने में मददगार साबित होती है। आयुर्वेद में दोनों को औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है।ऐसे बनाएं ये ड्रिंकएक पैन में एक कप पानी, तुलसी के 10-15 पत्ते डालें। 5 मिनट तक इस पानी को उबालें। गैस से उतारने के कुछ देर बाद ठंडा किसी बर्तन में रख लें। फिर इसमें 1 कप गिलोय का रस और एक चुटकी काला नमक और नींबू का रस मिला लें और पी जाएं। आप चाहें तो उबालते वक्त लौंग और अदरक भी डाल सकते हैं।
- आपने अपनी रसोई में कई तरह के मसाले, हब्र्स और बीज देखे होगें। उन्हीं में से एक बीज है 'अजवाइन'। अजवाइन न सिर्फ एक मसाला है, बल्कि एक ऐसी औषधि भी है जिसके प्रयोग से मोटापा कम किया जा सकता है और स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है। तो चलिये जानें कि अजवाइन से मोटापे को कैसे कम किया जा सकता है।अजवाइन मोटापे कम करने में भी कारगर होती है। इससे मोपाटा कम करने के लिये रात को एक चम्मच अजवाइन को एक गिलास पानी में भिगो कर रख दें। सुबह उठने पर इसे छानकर एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर पीएं। इसके नियमित सेवन से जल्द ही मोटापा कम होने लगता है। लेकिन अजवाइन या अन्य रोई भी नुस्खा कोई चमत्कार नहीं होता है। इन नुस्खों के साथ-साथ नियमित एक्सरसाइज व पौष्टिक और संतुलित भोजन करने की भी जरूरत होती है। साथ ही शरीर को ठीक से हाइड्रेट भी रखना होता है। इसलिए दिनभर खूब पानी पियें और हरी सब्जियां और मौसमी फल खाएं।दूर होगी पाचन संबंधी समस्यायदि पाचन ठीक न हो तो मोटाबॉलिज्म खराब होता है और इससे मोटापा भी बढ़ता है। अजवाइन पाचन संबधी किसी भी समस्या को ठीक करने में सहायक होती है। यह एक प्रकार का एंटी एसिड होती है जो कि बदहज़मी की समस्या से बचाव करती है। अजवाइन को छाछ के साथ पीने से पाचन संबधी समस्या जैसे अपच आदि से राहत मिलती है।कई समस्याओं का इलाज है अजवाइन-एसिडिटी की समस्या होने पर अजवाइन को चबाकर खाएं और उसके बाद एक कप गर्म पानी पी लें, एसिडिटी की समस्या दूर हो जायेगी।-पेट में कीड़े हैं तो काले नमक के साथ अजवाइन खाएं, लीवर की परेशानी है तो 3 ग्राम अजवाइन और आधा ग्राम नमक भोजन के बाद लेने से फायदा होगा।-पाचन तंत्र में किसी भी तरह की गड़बड़ी होने पर मट्ठे के साथ अजवाइन लेने से आराम मिलता है।-गैस की समस्या के लिए 1-2 ग्राम खुरसानी अजवाइन में गुड़ मिलाकर इसकी गोलियां बना कर खाएं, इससे तुरंत राहत मिलेगी।-पेट में गैस होने पर हल्दी, अजवाइन और एक चुटकी काला नमक लें, इससे भी बहुत जल्दी आराम मिलता है।-एसिडिटी की तकलीफ है तो थोड़ा-थोड़ा अजवाइन और जीरा को एक साथ भून लें, इसे पानी में उबाल कर छान लें। छने हुए पानी में चीनी मिलाकर पीने से एसिडिटी की समस्या दूर होगी।-----