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- दीपावली आने से पहले ही बाजारों में चहल पहल काफी बढ़ जाती है। इस साल दिवाली से एक दिन पहले 23 अक्तूबर के दिन धनतेरस पर्व को मनाया जाएगा। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार धनतेरस के दिन नई चीजों को खरीदना काफी शुभ माना गया है। इस दिन नई चीजों को खरीदने पर भगवान की विशेष कृपा बरसती है। ऐसे में लोग बड़े पैमाने पर सजावटी सामान, गाड़ी, सोना, चांदी आदि वस्तुओं की खरीदारी इस दिन करते हैं। अगर आप धनतेरस के दिन सोने की खरीदारी करने की योजना बना रहे हैं। ऐसे में आपको कुछ बातों के बारे में जानना बहुत जरूरी है।धनतेरस के दिन सोने की खरीदारी करते समय उस पर बने हॉलमार्क निशान को जरूर देखें। सोने पर बना हॉलमार्क का निशान उसकी शुद्धता के बारे में हमको बताता है। ऐसे में ज्वेलरी खरीदते समय उस पर बनें हॉलमार्क के निशान को जरूर चेक करें।-सोने को खरीदते समय उसके मेकिंग चार्ज को जानना आपके लिए बहुत जरूरी है। सोने के गहनों पर मेकिंग चार्ज 3 से 30 प्रतिशत तक हो सकता है। ऐसे में सोने को खरीदते समय मोल भाव जरूर करें।-सोना खरीदने के बाद आपको ज्वेलर्स से उसकी पक्की रसीद जरूर लेनी चाहिए। सोना काफी महंगा धातु है। ऐसे में इसको खरीदने के बाद ज्वैलर्स से बिल पर सोने के सही वजन को जरूर लिखवाएं। इसके अलावा बिल पर आपके आर्टिकल की सभी जरूरी जानकारी दर्ज होनी चाहिए।-अगर किसी महंगी गोल्ड ज्वेलरी को खरीदने के बाद उसकी शुद्धता को लेकर आपके मन में किसी प्रकार का संदेह है। इस स्थिति में आप होलमार्क जांच केंद्र पर विजिट करके उसकी प्योरिटी की जांच करा सकते हैं। इसके लिए आपसे टेस्टिंग चार्ज लिया जाएगा।
- दीपावली को हिंदुओं का सबसे बड़ा त्यौहार के रूप में सबसे बड़े त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार इस साल 24 अक्टूबर को दीपावली का त्यौहार मनाया जाएगा। इस दिन घर में भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। दीपावली के दिन लक्ष्मी की विशेष कृपा पाने के लिए यदि हम वास्तु शास्त्र को ध्यान में रखकर घर की साज-सज्जा करते हैं तो मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है और घर में सुख समृद्धि बनी रहती है। 5 दिनों तक चलने वाली इस त्योहार की शुरुआत धनतेरस के दिन से हो जाती है जो गोवर्धन पूजा के बाद समाप्त होती है। दीपावली के करीब 1 महीने पहले से ही घर में घर घर में सभी लोग इसकी तैयारियों में लग जाते हैं।1. समय घर की साफ सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाता है। हर साल दिवाली के शुभ अवसर पर बहुत सारे लोग अपने घर की दीवारों को पेंट भी करवाते हैं। दीपावली के समय घर की साफ- सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाता है। माना जाता है कि मां लक्ष्मी को साफ-सफाई बेहद पसंद है और वह ऐसे ही घर में जाना पसंद करती है जहां साफ -सफाई हो। ऐसे में दीपावली के समय घर की साफ- सफाई करते वक्त जमा कबाड़ को बाहर निकल देना चाहिए।2. दीपावली के समय घर की साफ -सफाई करते वक्त ईशान कोण का विशेष ध्यान रखना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार ईशान कोण में देवताओं का वास होता है। घर की सफाई करते वक्त ईशान कोण की अच्छे से साफ सफाई करनी चाहिए। उस कोण में कोई भी फालतू समान नहीं रखना चाहिए। ऐसा करने से माता लक्ष्मी नाराज हो जाती है।3. किसी भी घर में अंदर जाते वक्त सबसे पहले हमारा ध्यान उस घर के मेन गेट पर पड़ता है। ऐसे में यदि हम घर के मेन गेट को बहुत अच्छे से सजा कर रखें तो घर में आने वाले सभी लोगों को गेट की सजावट पसंद आ सकती है और अंदर आते वक्त उन्हें अंदर से खुशी का अनुभव होगा। वास्तु शास्त्र के अनुसार दीपावली के समय घर के मेन गेट पर मां लक्ष्मी की फोटो या चिन्ह लगाना चाहिए। घर के गेट पर स्वस्तिक का चिन्ह जरूर बनाएं ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है।4. ईशान कोण को दीपावली के समय बिल्कुल खाली और साफ सुथरा होना बेहद जरूरी है। यदि आपके घर में कोई भारी सामान ईशान कोण में रखा हुआ है तो उसे तुरंत वहां से हटा दें और उस स्थान को देवताओं के लिए साफ -सुथरा बनाकर रखें।
- दिवाली की शुरुआत धनतेरस के पर्व से होती है। धनतेरस के दिन सोना, चांदी और खास तौर पर बर्तन खरीदने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। धनतेरस के खास मौके पर आज हम आपको बताना जा रहे हैं उन 5 धातुओं के बर्तन के बारे में, जो सेहत के लिए फायदेमंद हंै।चांदी के बर्तन में खाने के फायदेचांदी के बर्तन खरीदना और उसमें खाना खाना आज के जमाने में थोड़ा मुश्किल होता है, लेकिन इन बर्तनों में खाना खाए तो शरीर को संक्रमण से बचाने में मदद मिल सकती है। चांदी का एक खास गुण ये है कि इसमें बैक्टीरिया नहीं जमते है, जिसकी वजह से पेट दर्द और प्यास को लंबे समय तक कंट्रोल करने में मदद मिलती है।पीतल के बर्तन में खाने के फायदेपीतल के बर्तन में खाना पकाने और खिलाने की परंपरा राजा-महाराजाओं के जमाने से चली आ रही है। आयुर्वेद के अनुसार पीतल के बर्तन में खाना पकाने और खाने से पाचन क्रिया दुरुस्त होती है। इसके साथ ही ये कफ और कृमि रोगों की समस्याओं से राहत दिलाने में मदद कर सकता है। नियमित तौर पर पीतल के बर्तन में खाना खाने से दिमागी शक्ति तेज होती है।तांबे के बर्तन में खाने के फायदेतांबे में जीवाणुरोधी गुण पाए जाते हैं। ये पेट की सूजन को कम करने और पेट में मौजूद खराब बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद कर सकता है। नियमित तौर पर तांबे के बर्तन में पकाया हुआ खाना खाने से अल्सर, अपच और संक्रमण जैसी बीमारियां दूर रहती हैं।मिट्टी के बर्तन में खाना के फायदेमिट्टी के बर्तन में खाना पकाने से ये उसकी सुगंध और स्वाद को बढ़ाने का काम करते हैं। मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने से ऐसे पोषक तत्व मिलते हैं, जो हर बीमारी को शरीर से दूर रखते थे। आयुर्वेद के अनुसार मिट्टी के बर्तन में खाना पकाने से शरीर को 100 प्रतिशत पोषक तत्व मिलते हैं। साथ ही ये पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकता है।स्टील के बर्तन में खाने के फायदेकिसी भी अन्य धातु के मुकाबले स्टील के बर्तन में खाना पकाना काफी आसान होता है। स्टील के बर्तनों को धोने में ज्यादा वक्त भी नहीं लगता है, इसलिए आज घरों में स्टील का इस्तेमाल बढ़ गया है। स्टील के बर्तन नुकसानदायक नहीं होते क्योंकि ये ना ही गर्म से क्रिया करते हैं और ना ही ठंडे इसलिए ये किसी भी रूप में हानि नहीं पहुंचाते हैं।
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कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। इस साल धनतेरस 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन पीतल या चांदी के बर्तन खरीदने की परंपरा है। मान्यता है कि इस दिन जो भी खरीदता है, वह लाभकारी होता है। साथ ही धन-संपदा में भी वृद्धि होती है।धनतेरस पर खरीदारी के साथ शुभ कार्य भी किए जाते हैं। इस दिन विशेष रूप से सोने और चांदी के आभूषण खरीदना शुभ होता है। जानिए धनतेरस के दिन किन चीजों की खरीदारी करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है....
कुबेर यंत्र और महालक्ष्मी यंत्र-
कहते हैं कि धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि की कृपा पाने के लिए कुबेर यंत्र और महालक्ष्मी यंत्र खरीदना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि के साथ वैभव आता है। श्रीयंत्र को घर को घर या दुकान की तिजोरी में स्थापित करें।
लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति-
धनतेरस पर लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति स्थापित करना शुभ है। कहते हैं कि दिवाली के पहले धनतेरस पर लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति लाना शुभ होता है।
सोने-चांदी के सिक्के खरीदना होता है शुभ-
धनतेरस पर सोने या चांदी के सिक्के खरीदना शुभ होता है। इसके अलावा चांदी के बर्तन भी खरीदे जाते हैं। ज्योतिषाचार्यों आशुतोष झा के अनुसार,धनतेरस के दिन खरीदे जाने वाले गहने, सिक्कों, बर्तनों की भी दिवाली के दिन गणेश-लक्ष्मी पूजन के दौरान पूजा करनी चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने धन की देवी मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
धनिए के बीज-
धनतेरस पर धनिए के बीज की खरीदारी को शुभ माना जाता है। कहते हैं कि धनिए के बीज का इस्तेमाल गणेश-लक्ष्मी पूजन में करना चाहिए। साथ ही धनिया का बीज तिजोरी में भी रखना शुभ होता है।
धनतेरस पर झाड़ू खरीदने का है महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, झाड़ू को माता लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। धनतेरस पर झाड़ू खरीदने से घर में सुख-समृद्धि और धन में वृद्धि होती है। झाड़ू घर में पसरी दरिद्रता को दूर करती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ाती है। साफ-सफाई से धन की देवी लक्ष्मी आकर्षित होकर वहां वास करती है।
धनतेरस पर इन चीजों की न करें खरीदारी-
धनतेरस पर लोहे की वस्तुओं की खरीदारी नहीं करनी चाहिए। लोहा शनि का कारक माना गया है। मान्यता है कि धनतेरस पर लोहे की चीजों को खरीदने से दुर्भाग्य आता है। इसके अलावा धनतेरस के दिन चीनी मिट्टी की बनी हुई चीजों को भी नहीं खरीदना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से घर में बरकत कम होती है। - कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को रमा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस साल 21 अक्टूबर (शुक्रवार) को रमा एकादशी व्रत रखा जाएगा। हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है। एकादशी व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। एकादशी के दिन विधि- विधान से भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना की जाती है।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रमा एकादशी का व्रत रखने वाले को अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है। मान्यता है कि रमा एकादशी के दिन व्रत कथा सुनने या पढ़ने से श्रीहरि सभी कष्टों से मुक्ति दिलाते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इसलिए रमा एकादशी के दिन व्रत कथा के पाठ करने या सुनने का विशेष महत्व होता है।रमा एकादशी व्रत कथा-एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक नगर में मुचुकंद नाम के एक प्रतापी राजा थे। उनकी चंद्रभागा नाम की एक पुत्री थी। राजा ने अपनी बेटी का विवाह राजा चंद्रसेन के बेटे शोभन के साथ कर दिया। शोभन एक समय बिना खाए नहीं रह सकता था। शोभन एक बार कार्तिक मास के महीने में अपनी पत्नी के साथ ससुराल आया, तभी रमा एकादशी व्रत पड़ा। चंद्रभागा के गृह राज्य में सभी रमा एकादशी का नियम पूर्वक व्रत रखते थे और ऐसा ही करने के लिए शोभन से भी कहा गया।शोभन इस बात को लेकर परेशान हो गया कि वह एक पल भी भूखा नहीं रह सकता है तो वह रमा एकादशी का व्रत कैसे करेगा। वह इसी परेशानी के साथ पत्नी के पास गया और उपाय बताने के लिए कहा। चंद्रभागा ने कहा कि अगर ऐसा है तो आपको राज्य के बाहर जाना पड़ेगा। क्योंकि राज्य में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जो इस व्रत नियम का पालन न करता हो। यहां तक कि इस दिन राज्य के जीव-जंतु भी भोजन नहीं करते हैं।आखिरकार शोभन को रमा एकादशी उपवास रखना पड़ा, लेकिन पारण करने से पहले उसकी मृत्यु हो गयी. चंद्रभागा ने पति के साथ खुद को सती नहीं किया और पिता के यहां रहने लगी। उधर एकादशी व्रत के पुण्य से शोभन को अगले जन्म में मंदरांचल पर्वत पर आलीशान राज्य प्राप्त हुआ। एक बार मुचुकुंदपुर के ब्राह्मण तीर्थ यात्रा करते हुए शोभन के दिव्य नगर पहुंचे. उन्होंने सिंहासन पर विराजमान शोभन को देखते ही पहचान लिया। ब्राह्मणों को देखकर शोभन सिंहासन से उठे और पूछा कि यह सब कैसे हुआ। तीर्थ यात्रा से लौटकर ब्राह्मणों ने चंद्रभागा को यह बात बताई। चंद्रभागा बहुत खुश हुई और पति के पास जाने के लिए व्याकुल हो उठी। वह वाम ऋषि के आश्रम पहुंची। चंद्रभागा मंदरांचल पर्वत पर पति शोभन के पास पहुंची। अपने एकादशी व्रतों के पुण्य का फल शोभन को देते हुए उसके सिंहासन व राज्य को चिरकाल के लिये स्थिर कर दिया। तभी से मान्यता है कि जो व्यक्ति इस व्रत को रखता है वह ब्रह्महत्या जैसे पाप से मुक्त हो जाता है और उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
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शुक्र ग्रह 18 अक्टूबर को तुला राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं। इस राशि में सूर्य व केतु पहले से विराजमान हैं। तुला राशि में एक साथ ही ग्रह आने से त्रिग्रही योग बनेगा। दिवाली का त्योहार भी त्रिग्रही योग में मनाया जाएगा। तुला राशि में शुक्र के आने का असर कुछ राशियों पर सकारात्मक पड़ेगा।
जानें दिवाली का त्योहार मेष समेत इन राशियों के लिए साबित होगा लाभकारी-
मेष
मेष राशि वालों को शुक्र गोचर के प्रभाव से करियर में खूब तरक्की मिल सकती है। इस दौरान सीनियर्स आपके काम से प्रसन्न रहेंगे। व्यापारियों के लिए यह गोचर बेहद लाभकारी साबित हो सकता है। इस अवधि में आप कोई बड़ी डील फाइनल कर सकते हैं। वैवाहिक जीवन खुशहाल रहेगा।
वृषभ-
शुक्र गोचर आपके लिए करियर में नए अवसर खोलेगा। इस दौरान आपको धन लाभ के प्रबल आसार हैं। नौकरी पेशा करने वाले जातकों को धन लाभ हो सकता है। आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। वैवाहिक जीवन खुशहाल रहेगा।
कर्क-
कर्क राशि वालों के लिए शुक्र गोचर शुभ परिणाम ला सकता है। इस गोचर काल में आपको वाहन सुख की प्राप्ति हो सकती है। इस अवधि में आपको कम मेहनत का ज्यादा फल मिलेगा। कड़ी मेहनल का फल इस अवधि में आपको धन लाभ के रूप में मिलेगा।
कन्या-
कन्या राशि वालों के लिए यह गोचर सुख-सुविधाओं में वृद्धि कराने वाला माना जा रहा है। इस दौरान आप धन संचय कर सकते हैं। आर्थिक रूप से यह गोचर लाभकारी साबित हो सकता है। आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। आय के नए साधन बनेंगे।
तुला-
तुला राशि वालों के लिए शुक्र गोचर लग्न भाव में शुभ माना जा रहा है। इस गोचर के बाद आपकी आर्थिक स्थिति में सकारात्मक बदलाव हो सकता है। आपकी पर्सनल व प्रोफेशनल लाइफ में पॉजिटिव बदलाव होंगे। नौकरी पेशा करने वाले जातकों को नए अवसर मिल सकते हैं। लव लाइफ अच्छी रहेगी। -
इस बार 24 अक्टूबर को दिवाली का त्योहार मनाया जाएगा। दिवाली पर मां लक्ष्मी का पूजन कर दिए जलाए जाते हैं। इस बार धनतेरस और छोटी दिवाली को लेकर भी कंफ्यूजन है। छोटी दिवाली जहां कई जगह 24 को और धनतेरस 23 को मनाई जा रही हैं, वहीं कई जगह 22 को धनतेरस, 23 को छोटी दिवाली और 24 को बड़ी दिवाली मनाई जा रही है। दिवाली पर दीप जलाकर मां लक्ष्मी का स्वागत किया जाता है। दिवाली का त्योहार धनतेरस से शुरू हो जाता है। धनतेरस पर भी घर में मां लक्ष्मी और कुबेर का स्वागत किया जाता है, इसे धन त्रयोदशी भी कहते हैं, इस दिन धातु घर में लाने की परंपरा है।
धनतेरस की बात करें तो इस दिन घर के मुख्य द्वार पर 13 दीप जलाए जाते हैं, इसके अलावा घर के मुख्य द्वार पर यम का दीप जलाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यम का दीप आटे का बनाया जाता है और इसे नाली के पास रखा जाता है।
नरक चतुदर्शी के दिन 14 दीपक जलाए जाते हैं। वहीं दिवाली के दिन एक तेल का दीपक और एक घी का बड़ा दीपक जलाते हैं, ऐसा कहा जाता है कि यह दीपक रात भर जलना चाहिए। इसे मां लक्ष्मी के लिए खास तौर पर जलाया जाता है? इसके अलावा आपकी हर संपत्ति के पास एक दीपक जलाया जाता है। इसमें एक दीपक तुलसी पूजा, एक दीपक जल के स्थान की जगह, एक आपके वाहन के पास, एक दीपक वॉशरुप में, एक रसोई घर में, एक दीपक पितरों के नाम का और एक दीपक यम के नाम का जलाया जाता है। -
फेंगशुई चीन की एक 3000 साल पुरानी पद्धति है। फेंगशुई में बताए गए उपायों को अपनाने से घर में सुख समृद्धि आती है और साथ ही साथ सौभाग्य की प्राप्ति भी होती है। फेंग शुई क्या है? फेंग शुई ऊर्जा के प्रवाह को संतुलित करने और आपको शांति से जीने में मदद करने के लिए प्रकृति और मनुष्य के बीच संतुलन बनाने का काम करता है। फेंग शुई के साथ बैंलेस बनाने के लिए, आपको प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले इन पांच तत्वों- पृथ्वी, जल , अग्नि, धातु और लकड़ी के साथ संतुलन बनाने का प्रयास करना चाहिए।
घर के लिए 5 जरूरी फेंगशुई टिप्स-
1. दरवाजे के सामने का रास्ता हमेशा साफ- सुथरा रखें। फेंग शुई में सामने के दरवाजा, एनर्जी के अंदर जाने का एक माध्यम होता है। इसके जरिए ही एनर्जी घर में प्रवेश करती है और सभी दिशाओं में बहती है। दरवाजे के सामने की जगह साफ होने से पॉजिटिव एनर्जी का अच्छे से स्वागत होता है।
2. कमांड पोजीशन आपको अपने जीवन पर कंट्रोल रखने की अनुमति देती है और आप तक पहुंचने वाली हर चुनौती के लिए आपको तैयार रखता है। फर्नीचर को दरवाजे से तिरछे करके रखें, ताकि आप देख सकें कि कौन या क्या घर के अंदर प्रवेश कर रहा है। यह आपके बिस्तर, सोफे और घर में बने ऑफिस पर लागू होता है।
3. एनर्जी हर दिशा में अच्छी तरह से बहती रहे इसके लिए कमरों में हर चीज का व्यवस्थित होना बेहद जरूरी है। फेंगशुई घर में रखे तत्वों के बीच संतुलन बनाए रखने के बारे में है। यदि आपके घर में ऐसी कोई भी चीज है जो एनर्जी के फ्लो को ठीक ढंग से बहने से रोक रही है तो उसे जल्द से जल्द दूर करने का उपाय करें। अधिक से अधिक रोशनी को कमरे में आने दें
4. एनर्जी के फ्लो को करें कंट्रोल। एक बार सारी अव्यवस्था दूर हो जाने के बाद आपके सामने अगली चुनौती एनर्जी के फ्लो को बैलेंस करना होगा। पॉजिटिव एनर्जी को घर के अंदर बनाये रखने के लिए एनर्जी को बरकरार रखना बेहद जरूरी है। जिसकी शुरुआत घर के रास्तों से करें। कभी भी दो दरवाजे एक- दूसरे के आमने -सामने न बनाए। ऐसा करने से आने वाली एनर्जी तुरंत दूसरे दरवाजे से बाहर चली जाएगी।
5. सोच -समझ कर चुने घर बनाने की जगह, ऐसा माना जाता है कि घर के पास गन्दा एरिया होने से निगेटिव एनर्जी इनवाइट होती है। कब्रिस्तानों के सामने, कचरा डंप साइटों और बिजली स्टेशनों के पास रहने से बचें। इसी तरह, टी-पॉइंट के सबसे ऊपर या कॉर्नर पर रहने से बचें, क्योंकि इससे आपके घर में बहुत सारी एनर्जी डायरेक्ट प्रवेश कर सकती है। आप अपने घर में किन चीजों को मदद से, किस तरह की एनर्जी को अंदर ला रहे हैं। इस बात का ज्ञान होना आपके लिए बेहद जरूरी है। -
दिवाली की खरीदारी राशि के अनुसार करने पर हितकर होगा। मान्यता है कि ऐसा करने से दीपावली पर देवी महालक्ष्मी की विशिष्ट कृपा मिलेगी। पं. वेदमूर्ति शास्त्री बता रहे हैं किस राशि के लिए कौन से रंग और रत्न विशेष रूप से शुभ होंगे।
● मेष लाल, सफेद, पीला रंग और मंगलवार का दिन शुभ। मूंगा, माणिक्य, मोती और पुखराज हितकारी होंगे।
● वृष हरे, सफेद और काले रंग की वस्तुएं क्रय करें। शुभ दिन बुधवार, शुक्रवार, शनिवार और शुभ रत्न हीरा, मोती,पन्ना, नीली हैं।
● मिथुन हरे, सफेद, बादामी रंग की वस्तुएं क्रय करें। रविवार, शुक्रवार और बुधवार का दिन शुभ है। रत्नों में माणिक्य, हीरा, मोती और पन्ना।
● कर्क सफेद, हरे, गुलाबी और पीले रंग की वस्तु। रविवार, सोमवार और बुधवार का दिन, रत्नों में पन्ना, मोती, हीरा और धातु में चांदी।
● सिंह सफेद, लाल और पीले रंग को प्रमुखता दें। सोमवार, मंगलवार, गुरुवार और रविवार शुभ दिन तथा मूंगा, मोती, माणिक्य, पुखराज।
● कन्या सफेद, हरा, गुलाबी और छीटदार रंग। बुधवार, शुक्रवार, रविवार का दिन और पन्ना, हीरा, मोती रत्न शुभकारी होंगे।
● तुला सफेद, हरा काला रंग अधिक शुभ होगा। बुधवार, शुक्रवार और शनिवार का दिन तथा हीरा, पन्ना, नीली रत्न तथा चांदी।
● वृश्चिक लाल, सफेद, पीले, रंग की वस्तुओं को प्रमुखता दें। रविवार, सोमवार, मंगलवार, गुरुवार का दिन और मूंगा, पुखराज, मोती लाभकारी।
● धनु पीले, सफेद, लाल रंग। दिन में रविवार, सोमवार, मंगलवार और गुरुवार को तथा रत्नों में पुखराज, मोती, माणिक्य को महत्व दें।
● मकर और कुंभ काला, हरा और सफेद रंग तथा बुधवार, शुक्रवार और शनिवार का दिन और रत्नों में नीली, हीरा और पन्ना अधिक शुभ होंगे।
● मीन पीले, सफेद, लाल रंग को महत्व दें। सोमवार, मंगलवार, गुरुवार और रविवार का दिन तथा पुखराज, माणिक्य, मूंगा और मोती क्रय करें। -
दीपावली पर खड़े हुए लक्ष्मी-गणेश जी का चित्र अथवा मूर्ति जबकि घरों में बैठे हुई लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति शुभ होती है। भारतीय फेंगशुई के आधार पर व्यापारिक संस्थानों में उत्तर-पूर्व दिशा में मंदिर का स्थान होना चाहिए। यदि वहां संभव नहीं है तो चेयरमैन या डायरेक्टर में कमरे या केबिन में उत्तर-पूर्व की ओर भगवान जी का मंदिर रखें। मंदिर ज्यादा बड़ा नहीं होना चाहिए। लकड़ी का छोटा मन्दिर ही रखें जिसमें लक्ष्मी एवं गणेश-सरस्वती की मूर्ति आ सके। दिवाली पर लोग लक्ष्मी-गणेश जी की बैठी हुई मूर्ति घर में स्थापित करते हैं। घर के लिए तो बैठी हुई लक्ष्मी-गणेश जी की प्रतिमा बहुत अच्छी होती है, लेकिन व्यापारिक संस्थानों में लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति खड़ी हुई होनी चाहिए।
बैठे हुई लक्ष्मी जी की स्थापना से धन में स्थिरता आ जाती है जो घर के लिए तो अच्छा है, लेकिन व्यापार में स्थिरता अच्छी नहीं मानी जाती। व्यापार को निरंतर बढ़ाने के लिए मां लक्ष्मी एवं गणेश जी की मूर्ति खड़ी रखें, क्योंकि बल, बुद्धि, विवेक के स्वामी गणेश जी यदि बैठ गए तो हमारे मन में निर्णय क्षमता कम हो जाएगी। उल्टे-सीधे निर्णय लेने से हमारा व्यापार पर असर पड़ेगा जिससे परिणाम ठीक नहीं आएंगे। सोचने की शक्ति भरपूर मिलती रहे, इसके लिए गणेश जी की मूर्ति भी खड़ी हुई होनी चाहिए। जो व्यापारी लक्ष्मी और गणेश जी के साथ-साथ सरस्वती मां की मूर्ति रखते हैं तो वह भी खड़ी होनी चाहिए। सरस्वती ज्ञान का कारक है और हमारा ज्ञान एवं विवेक निरंतर बढ़ना चाहिए। यह स्थिर नहीं होना चाहिए। इसलिए लक्ष्मी-गणेश जी और मां सरस्वती की फोटो को अथवा चित्र को खड़ी अवस्था में रखने से व्यापार बढ़ता रहेगा। निर्णय क्षमता बढ़ेगी। विवेक का प्रयोग करके व्यापार बढ़ेगा और ज्ञान-बुद्धि का प्रयोग होता रहेगा। - वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में चीजें रखने से परिवार में खुशहाली बनी रहती है। इससे घर में सुख समृद्धि का वास होता है। वास्तु शास्त्र वेदों के समय से चली आ रही एक परंपरा है। जिसका भारत में बहुत अधिक महत्व है।डाइनिंग रूम---1. डाइनिंग टेबल के कोने ,आराम करने वाली जगह की ओर नहीं होने चाहिए। इस तरह बना लेआउट देखने में भी बेहद अजीब लगता है।2. डाइनिंग टेबल हमेशा गोल या अंडाकार आकार की होनी चाहिए। इससे जीवन को चलाने के लिए बैलेंस एनर्जी मिलती रहती है। गोल टेबल होने से टेबल पर रखें खाने और व्यक्ति के बीच की दूरी कम होती है और टेबल से खाने का सामान लेने में भी तकलीफ नहीं होती।3. पिचके और टूटे बर्तनों का इस्तेमाल न करें उन्हें जल्द से जल्द बाहर फेंक दें। आपकी प्लेट, गिलास और बर्तन बिल्कुल नए न हों, लेकिन अच्छी तरह से रखें बर्तन में खाना परोसने से मेहमानों के सामने आपकी अच्छी छवि बनती है।4. डाइनिंग टेबल के ऊपर ताजे फूल के साथ ही साथ गोल बर्तन में फलों को रखना चाहिए। यह ताजगी और सुख समृद्धि को दर्शाता है।5. डाइनिंग रूम में टीवी और घड़ी नहीं लगानी चाहिए। यदि आपके घर के डाइनिंग रूम में टीवी या घड़ी लगी हुई है तो उसे आज ही वहां से हटा दें क्योंकि डाइनिंग रूम में टीवी लगे होने के कारण लोग आपसी बातचीत से ज्यादा टीवी देखना पसंद करते हैं। इससे आपका ध्यान खाना खाने की अपेक्षा दूसरी चीजों पर ज्यादा लगा रहता है।6. कमरे में रोशनी और ताजगी बनाएं रखने के लिए चारों तरफ पेंटिंग और छोटे-छोटे पौधे लगाकर रखें। पेंटिंग पॉजिटिविटी की ओर इशारा करने वाली होनी चाहिए।
- हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है कार्तिक मास में कृष्णपक्ष में पड़ने वाली एकादशी को रमा एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस साल रमा एकादशी 21 अक्टूबर को पड़ रही है। माना जाता है कि कार्तिक मास भगवान विष्णु को बेहद प्रिय है। हिंदू पंचांग के अनुसार एकादशी के व्रत की शुरुआत 20 अक्टूबर शाम 4:04 मिनट पर हो रही है और इसकी समाप्ति 31 अक्टूबर को शाम 5:22 पर हो जाएगी।आइए जानते हैं कैसे करें रमा एकादशी का व्रत1. रमा एकादशी व्रत के दिन अन्न ग्रहण नहीं किया जाता। इस दिन चावल या उससे बने किसी भी पदार्थ का सेवन न करें।2. सुबह उठकर स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की दीप ,अगरबत्ती से पूजा करनी चाहिए।इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी अर्पित करने का विशेष महत्व है। तुलसी को पुराणों में बेहद शुभ माना गया है।3.रमा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ देवी लक्ष्मी की भी पूजा- अर्चना करनी चाहिए। माना जाता है कि इससे दोनों का आशीर्वाद हमेशा परिवार पर बना रहता है।4. रमा एकादशी के दिन घर में भजन -कीर्तन भजन करना चाहिए।5. इस दिन गीता का पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन सुंदरकांड का पाठ करने से घर- परिवार में शांति बनी रहती है।क्यों करते है रमा एकादशी का व्रतधार्मिक मान्यताओं के अनुसार विंध्य पर्वत पर एक बहेलिया रहता था। जो बहुत क्रूर था। लूट- पाट करके वह अपना भरण पोषण करता था। एक दिन यमराज दूत उसे लेने के लिए आए और उन्होंने कहा -हे क्रूर बहेलिया, तेरे मृत्यु का समय नजदीक आ गया है। मृत्यु के भय से डरकर बहेलिया महर्षि अंगिरा के आश्रम जा पहुंचा। महर्षि ने उस बहेलिए पर दया करते हुए उसे रमा एकादशी करने को कहा बहेलिए ने पूरे विधि- विधान से व्रत किया। जिससे उसके सारे पाप दूर हो गए और उससे मोक्ष की प्राप्ति हुई।
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कार्तिक का पावन महीना शुरू हो गया है। यह महीना भगवान विष्णु को अति प्रिय है। इसमें भगवान विष्णु की अराधना और तुलसी पूजा करने का विशेष विधान है। ऐसा कहते हैं, इस दिन की गई पूजा से मां लक्ष्मी भगवान विष्णु को समर्पित कार्तिक का पवित्र महीना शुरू हो गया है। इस माह श्रीहरि और उनको सबसे प्रिय तुलसी की पूजा करना बहुत शुभ होता है। इससे धन-धान्य में वृद्धि होती है और घर में सुख समृद्धि रहती हैं। इसलिए माता लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए इस महीने मां तुलसी और विष्णु जी की विशेष पूजा अर्चना करनी चाहिए।
इस महीने सुबह सूर्योदय से पहले उठकर मंदिर में कार्तिक के भजन करने चाहिए। सुबह उठकर तुलसी पूजन और भजन करने का पूरे कार्तिक में पुण्य मिलता है। इसके अलावा तुलसी जी की पूजा करते हैं, तो उनसे जुड़े नियमों का भी पालन करना चाहिए। तुलसी पत्र बिना स्नान किये नहीं तोड़ना चाहिए। इससे पूजन कार्य निष्फल हो जाता है। भोजन के पश्चात् तुलसी के स्वत: टूटकर गिरे पत्तों को खाना शुभ होता है।
वायु पुराण के अनुसार पूर्णिमा, अमावस्या, द्वादशी, रविवार व संक्रान्ति के दिन दोपहर दोनों संध्या कालों के बीच में तथा रात्रि में तुलसी नहीं तोड़ना चाहिए, तेल मालिश किए हुए हैं तो भी तुलसी नहींतोड़नी और खानी चाहिए। जन्म या मृत्यु के अशौच में, अपिवत्र समय में तुलसी पत्र ग्रहण नहीं करना चाहिए। क्योंकि तुलसी श्री हरि के स्वरूप वाली ही हैं। धर्म पुराण के अनुसार तुलसी पत्र को पश्चिम दिशा की ओर मुख करके भी नहीं तोड़ना चाहिए। तुलसीदल कभी दांतों से नहीं चबाना चाहिए। -
फेंगशुई चीन की एक पद्धति है जिसके अनुसार मनुष्य और प्रकृति के बीच तालमेल बिठाने का प्रयास किया जाता है। फेंगशुई चीजों को घर और ऑफिस में रखने से पूरा एनवायरनमेंट पॉजिटिव एनर्जी से भर जाता है और उस जगह का मौहोल बेहद खुशनुमा हो जाता है। वास्तु शास्त्र की तरह फेंगशुई में भी कुछ उपाय बताए गए हैं। जिसको अपनाकर आप आस- पास की निगेटिव एनर्जी को पॉजिटिव में बदल सकते हैं।
फेंगशुई कैट-
फेंगशुई में कैट को बेहद शुभ माना गया है। इसे सुख समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है। जापान में इसे लकी कैट या मनी कैट भी कहते हैं। फेंग शुई कैट को ऑफिस में रखने से कारोबार में तरक्की आती है।
- घर में सौभाग्य की वृद्धि के लिए हरे रंग की कैट उत्तर -पूर्व दिशा में रखना बहुत शुभ माना जाता है।
- नीले रंग की कैट दक्षिण- पूर्व दिशा में रखने से घर में धन की कमी नहीं होती।
- लाल रंग की कैट दक्षिण पश्चिम दिशा में रखने सेपति पति के भी पति पत्नी के बीच का प्यार बढ़ता है।
फेंगशुई ऊंट-
फेंगशुई ऊंट को मेहनत और सफलता का प्रतीक माना जाता है ऑफिस के उत्तर पश्चिम दिशा में फेंगशुई ऊंट की मूर्ति रखने से चारों तरफ पॉजिटिव एनर्जी का प्रवाह होता है। जिससे कार्य में आने वाली समस्या और तनाव से छुटकारा मिलता है।
- फेंगशुई ऊंट को जीवन की मुश्किल परिस्थिति में सफल होने वाले जीव के तौर पर माना जाता है।
- घर की आर्थिक स्थिति खराब होने पर या धन की कमी होने पर फेंगशुई ऊंट को घर के उत्तर पश्चिम दिशा में रखने से धन लाभ होता है।
कछुआ-
शस्त्रों के अनुसार कछुआ को भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है। धातु से बना कछुआ घर में रखने पर घर की उत्तर दिशा में रखने पर घर पर मां लक्ष्मी का आशीष बना रहता है। यदि आप कारोबार में आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं तो ऐसे में क्रिस्टल से बना एक कछुआ रखना बेहद लाभकारी साबित हो सकता है।
- कछुए को लंबी आयु और पॉजिटिव एनर्जी का भी प्रतीक माना जाता है। फेंगशुई के अनुसार कछुए को घर में रखने से हर प्रकार की समस्या दूर हो जाती है और व्यक्ति प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ने लगता है। - आज करवा चौथ है। करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना के साथ व्रत रखती हैं और रात में करवा माता की पूजा कर व्रत का पारण करती हैं। साल भर महिलाएं करवा चौथ का इंतजार करती हैं। करवा चौथ वाले दिन सुहागिन स्त्रियां सोलह श्रृंगार करती हैं। शाम के समय पूजा और करवा चौथ व्रत की कथा सुनने के बाद इस व्रत का पारण करती हैं। वहीं ज्योतिष शास्त्र में माना जाता है कि कुछ ऐसे रंग होते हैं, जो पति और पत्नी के बीच प्रेम संबंधों को मजबूत बनाते हैं। यदि आप करवा चौथ के दिन अपनी राशि के अनुसार साड़ी और चूड़ी के रंग का चयन करेंगी, तो ये आपके पति को दीर्घायु प्रदान करने के साथ आप दोनों के बीच के संबंधों को मजबूत बनाने में भी मदद करेंगे। आइए जानते हैं करवा चौथ पर राशि के अनुसार किस रंग के कपड़े पहनें...मेष राशिमेष राशि का स्वामी मंगल है। ऐसे में यदि इस राशि की महिलाएं करवा चौथ की पूजा लाल और गोल्डन रंग के कपड़े और चूडिय़ां पहनकर करती हैं तो बेहद शुभ रहेगा।वृषभ राशिज्योतिष के अनुसार, वृषभ राशि की महिलाओं को इस करवा चौथ सिल्वर और लाल रंग के कपड़े पहनकर पूजा करनी चाहिए।मिथुन राशिमिथुन राशि की महिलाओं को करवा चौथ के दिन हरे रंग की साड़ी के साथ हरी और लाल रंग की चूडिय़ां पहनकर चांद की पूजा करनी चाहिए।कर्क राशिकर्क राशि की महिलाओं को करवा चौथ के दिन लाल रंग की साड़ी के साथ रंग-बिरंगी चूडिय़ां पहनकर पूजा करनी चाहिए।सिंह राशिसिंह राशि की महिलाएं करवा चौथ के लिए लाल, संतरी, गुलाबी और गोल्डन रंग की साड़ी और चूड़ी पहन सकती हैं।कन्या राशिज्योतिष के अनुसार, कन्या राशि की महिलाओं को करवा चौथ पर लाल-हरी या फिर गोल्डन रंग की साड़ी पहनकर पूजा करने से लाभ मिलेगा।तुला राशितुला राशि की महिलाओं को पूजा करते समय लाल और सिल्वर रंग की चूड़ी और साड़ी पहननी चाहिए।वृश्चिक राशिवृश्चिक राशि की महिलाएं लाल, मैरून या गोल्डन रंग की साड़ी पहनकर पूजा करें।धनु-बात करें धनु राशि की तो इस राशि के स्वामी बृहस्पति देव हैं। इसलिए करवा चौथ पर इस राशि की महिलाओं को चमकीले पीले या आसमानी रंग की साडिय़ां पहननी चाहिए। इससे दांपत्य जीवन में शुभ फल की प्राप्ति होती है।मकरयह शनिदेव की राशि होती है। वैसे तो शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए काला और नीला रंग शुभ होता है। लेकिन यदि आप करवा चौथ पर फिरोजी रंग की साड़ी पहनती हैं तो इससे नकारात्मक ऊर्जाएं दूर होंगी।कुंभकुंभ राशि के लिए लैवेंडर रंग शुभ माना जाता है। इस रंग की साड़ी पहनना आपके लिए शुभ रहेगा।मीनमीन राशि की महिलाओं को शुभ फल प्राप्त करने के लिए करवा चौथ पर हल्का पीला, नारंगी, और चेरी लाल रंग की साड़ी पहननी चाहिए।
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आपने शादियों, पार्टियों में तो मूंग दाल हलवा कई बार खाया होगा। यह स्पेशल डिजर्ट रेसिपी घरों में अक्सर खास मौकों पर बनाई जाती है। कल सुहागनों का सबसे बड़ा त्योहार करवाचौथ आने वाला है। ऐसे में अगर आप डिनर में कुछ मीठा बनाने की सोच रही हैं तो ट्राई करें गरमा गर्म मूंग दाल हलवा। हल्की-हल्की ठंड के बीच रात को डिनर के बाद खाया जाने वाला मूंग दाल हलवा न सिर्फ आपके मुंह का जायका बदल सकता है बल्कि आपके मूड को भी बेहतर बना सकता है। तो आइए बिना देर किए आपको बताते हैं आखिर कैसे बनाया जाता है रेस्त्रां स्टाइल मूंग दाल हलवा।
मूंग दाल का हलवा बनाने के लिए सामग्री-
-आधा कप 5 से 6 घंटे भीगी हुई धुली मूंग दाल
-1/2 कप घी
-आधा कप (पानी और दूध के साथ मिली हुई) चीनी
-1/2 कप दूध
-1 कप पानी
-1/4 टी स्पून इलाइची पाउडर
-2 टेबल स्पून बादाम , रोस्टेड
मूंग दाल का हलवा बनाने की विधि-
मूंग दाल का हलवा बनाने के लिए सबसे पहले दाल धोकर उसे दरदरा पीस लें। अब दूध वाले मिश्रण को गर्म करके उसमें चीनी घुलने दें। इसके बाद इसमें उबाल आने दें और जितनी जरूरत है उतना गर्म होने दें। एक कड़ाही में घी डालकर दाल को धीमी आंच पर लगातार चलाते हुए अच्छी तरह फ्राई करें। फ्राई दाल में दूध वाला मिश्रण डाले और अच्छे से मिलाएं।
इसे धीमी आंच पर तब तक पकाएं जब तक सारा पानी और दूध पूरी तरह सूख जाए, घी अलग होने तक दोबारा अच्छे से फ्राई करें। इसमें इलाइची पाउडर और आधे बादाम डालकर अच्छे से मिक्स करें। हलवे को सर्विंग डिश में निकालकर बचे हुए बादाम से गार्निश करके गर्मागर्म सर्व करें। -
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में वास्तु दोष नहीं होने पर सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। लेकिन अगर वास्तु में कोई गड़बड़ी होती है तो घर में क्लेश, तरक्की में बाधा और परेशानियां लगातार रहती है। वास्तु के अनुसार, हर एक दिशा में किसी न किसी देवता का वास माना गया है। इस कारण घर के बाहर की चीजों का प्रभाव भी पड़ता है। जानें घर के बाहर की किन चीजों का रखना चाहिए ध्यान-
कूड़ा-
वास्तु के अनुसार, जिन घरों में साफ-सफाई और चीजें रखने की दिशा ठीक होती है, वहां मां लक्ष्मी का वास होता है। कई लोग अपने घर के सामने की कूड़ा जमा कर लेते हैं। घर के मुख्य द्वार के सामने कूड़ा जमा करने से दरिद्रता का वास होता है। ऐसे घरों में क्लेश, बीमारियां और धन हानि की आशंका बनी रहती है।
ऊंची सड़क का होना-
वास्तु के मुताबिक, घर का मुख्य द्वार हमेशा सामने वाली सड़क से ऊंचा होना चाहिए। जिन लोगों का घर उनके सामने बनी सड़क से नीचा होता है, वहां नकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। ऐसे घर के सदस्यों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
कांटेदार पौधे-
वास्तु के मुताबिक, घर के मुख्य द्वार के सामने कांटेदार पौधे कभी नहीं लगाने चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि का वास नहीं होता है।
बिजली का खंभा-
वास्तु के मुताबिक, घर के ठीक सामने बिजली का खंभा नहीं होना चाहिए। घर के सामने बिजली का खंभा होने से घर के सदस्यों के बीच मनमुटाव बने रहने की मान्यता है।
पत्थर
वास्तु के अनुसार, कई बार लोग अपने घर के सामने बड़े-बडे़ ईट-पत्थर जमा कर लेते हैं। मान्यता है कि घर के सामने बड़े ईट-पत्थर जीवन में आने वाली मुश्किलों का कारण बनते हैं।
गंदा पानी
वास्तु शास्त्र के अनुसार, जिन घरों के सामने गंदा पानी जमा होता है, वहां मां लक्ष्मी का वास नहीं होता है। घर के सामने गंदा पानी जमा होने से तरक्की में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। - इस साल दीपावली 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस बार विशेष संयोग है, जब नरक चतुर्दशी यानी छोटी दिवाली और बड़ी दिवाली एक साथ मनाई जाएगी। वैसे तो दीपोत्सव का ये पर्व पूरे पांच दिनों तक चलता है। दिवाली से दो दिन पहले धनतेरस का पर्व मनाया जाता है, उसके बाद छोटी दिवाली और फिर अगले दिन बड़ी दिवाली मनाई जाती है। लेकिन इस बार तीनों ही त्योहारों की तारीखों को लेकर असमंजस है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस बार धनतेरस के अलगे ही दिन बड़ी दिवाली पड़ रही है। इस साल धनतेरस 23 अक्टूबर को है। इसके बाद छोटी और बड़ी दिवाली 24 अक्टूबर को। यानी साल 2022 में छोटी दिवाली और बड़ी दिवाली पर्व एक साथ मनाया जाएगा।धनतेरस 2022कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 22 अक्टूबर को शाम 6 बजकर 02 मिनट से हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 23 अक्टूबर शाम 6 बजकर 03 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 23 अक्टूबर को धनतेरस मनाया जाएगा।छोटी दिवाली 2022इसके बाद 23 अक्टूबर को ही शाम 6 बजकर 04 मिनट से ही चतुर्दशी तिथि की शुरुआत हो जा रही है, जिसका अगले दिन 24 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 28 मिनट पर समापन होगा। ऐसे में उदया तिथि के आधार पर 24 अक्टूबर को छोटी दिवाली यानी नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाएगा।दिवाली 2022फिर 24 अक्टूबर को ही शाम 05 बजकर 28 मिनट से अमावस्या तिथि लग जा रही है, जो 25 अक्टूबर को शाम 04 बजकर 19 मिनट तक रहेगी। वहीं 25 अक्टूबर को शाम में यानी प्रदोष काल लगने से पहले ही अमावस्या समाप्त हो जा रही है। ऐसे में दिवाली का पर्व इस दिन नहीं मनाया जाएगा, बल्कि 24 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा।नरक चतुर्दशी 2022 शुभ मुहूर्तअभ्यंग स्नान मुहूर्त- 24 अक्टूबर को सुबह 05 बजकर 08 मिनट से सुबह 06 बजकर 31 मिनट तकअवधि - 01 घंटा 23 मिनट
काली चौदस 2022 डेट और मुहूर्तकार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर काली चौदस भी मनाई जाती है। इसमें मध्यरात्रि में मां काली की पूजा की जाती है। काली पूजा रात में होती है ऐसे में 23 अक्टूबर को काली चौदस की पूजा की जाएगी।काली चौदस मुहूर्त - 23 अक्टूबर 2022, रात 11 बजकर 42 मिनट से 24 अक्टूबर को रात में 12 बजकर 33 मिनट तक।दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्तलक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त 24 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 53 मिनट से रात 08 बजकर 16 मिनट तक - शरद पूर्णिमा, कोजागरी और स्नान दान पूर्णिमा नौ अक्तूबर यानी रविवार को होगी। शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। आश्विन शुक्ल पूर्णिमा को यह व्रत और पूजन करना चाहिए। शरद पूर्णिमा की रात्रि पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है। इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहता है। चंद्रमा की किरणें अमृत की वर्षा करती हैं।इस साल शनिवार की रात 3:30 के बाद पूर्णिमा तिथि शुरू होकर रविवार की अर्द्धरात्रि 2:24 तक रहेगी। निर्णय सिन्धु के मतानुसार आश्विन शुक्ल पूर्णिमा में पूरे दिन पूर्णिमा तिथि और रात्रि में मिलती है। उसी दिन रात्रि में कोजागरी व शरद पूर्णिमा का पूजन और खुले आसमान में खीर बनाकर रखना चाहिए। अतः रविवार को ही शरद पूर्णिमा व स्नान दान पूर्णिमा है।छत पर जालीदार कपड़े से ढककर रखें खीरधर्मशास्त्रानुसार रात्रि काल के प्रथम प्रहर में खुले आकाश में भगवान कृष्ण का आवाह्न कर उनका षोडशोपचार पूजन करके गाय के दूध में मेवा आदि डालकर पायस (खीर) का निर्माण करें। उसमें भगवान का भोग लगाएं। उस पात्र को किसी जालीदार कपड़े से ढककर रख दें। शास्त्र के अनुसार चन्द्रमा की शीतल रश्मियों से अमृत की वर्षा होती है जो उस पायस (खीर) में समाहित हो जाती है। रात्रि के दूसरे प्रहर के अंत तक भगवान विष्णु का कीर्तन, भजन करें। बाद में भगवान को विश्राम मुद्रा में रखकर स्वयं भी शयन करें। प्रातः काल सूर्योदय के पूर्व उस पायस रूपी प्रसाद को स्वयं ग्रहण करें। धर्म शास्त्र के अनुसार उस अमृत रूपी प्रसाद को ग्रहण करने वाला व्यक्ति चिरंजीवी होता है। इसे कोजागरी व कौमुदी व्रत से भी जाना जाता है।
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वास्तुशास्त्र में दिशाओं का बहुत अधिक महत्व है। घर में रखी हर चीज किसी ना किसी तत्व का प्रतिनिधित्व करती है। ऐसे में यदि घर को वास्तु के अनुसार सजाया जाए तो उसके अंदर पॉजिटिव एनर्जी का वास होता है और घर के हर व्यक्ति सुखी, निरोग जीवन बिताता है।
- वास्तु शास्त्र के अनुसार वास्तु दोषों को दूर करने के लिए घर के अंदर की सजावट बहुत बड़ी भूमिका अदा करती है। कौन सा सामान कहां रखा गया है। इस बात से घर के भीतर मौजूद एनर्जी प्रभावित होती है इसलिए घर बनाते वक्त उसे वास्तु शास्त्र के अनुसार सजाना बेहद जरूरी है। इससे घर में सुख- समृद्धि बनी रहती है।
- वास्तु शास्त्र के अनुसार यदि आप घर में तोड़फोड़ करना चाहते हैं तो उसकी तो घर की छत पर एक बड़ा गोल आईना रख दें। जिससे उसकी छाया उस आईने में बनती रहे। इससे घर में तोड़फोड़ होने से जो वास्तु दोष उत्पन्न होता है। वह खत्म हो जाता है।
- हम सभी का स्वास्थ्य, हमारे खान-पान से जुड़ा हुआ है। ऐसे में गलत दिशा में रसोईघर का होना बहुत सारे वास्तु दोष उत्पन्न करता है इसीलिए घर में रसोई घर को आग्नेय कोण में बल्ब जलाकर रखें और बल्ब कोसुबह - शाम जलता हुआ रहने दें
- यदि आप किसी खाली जमीन पर घर बनाना चाहते हैं और उस जमीन पर घर बनाने का योग्य नहीं बन पा रहा। तो ऐसे में उस जमीन पर पुष्य नक्षत्र में एक अनार का पौधा लगा दे। इससे उस जमीन पर मकान बनने का योग बन जाएगा।
- हिंदू धर्म में स्वस्तिक को बेहद शुभ माना गया है। किसी भी घर में स्वास्तिक चिन्ह का होना बेहद शुभ संकेत होता है। ऐसे में वास्तु शास्त्र के अनुसार हमेशा 9 उंगली लंबा और 9 उंगली चौड़ा स्वास्तिक का चिन्ह घर के मेन गेट पर बनाएं। इससे घर सभी रोग और दोष से मुक्त रहता है।
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वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में रखा एक्वेरियम पॉजिटिव एनर्जी के साथ ही साथ सुख -समृद्धि भी लाता है। वास्तु शास्त्र को ध्यान में रखकर घर में फिश एक्वेरियम रखने से घर का माहौल अपने आप खुशनुमा बन जाता है। वहीं दूसरी ओर, फिश एक्वेरियम को गलत जगह रखने से इसके उल्टा प्रभाव भी पड़ सकता है।
एक्वेरियम प्रकृति के पांच तत्वों का दर्शाता है। यह 5 तत्व आपस में मिलकर पॉजिटिव एनर्जी को बनाने का काम करते हैं। बहते हुए पानी से अलग तरह की ध्वनि उत्पन्न होती है जिसकी वजह से आस- पास का माहौल पॉजिटिव एनर्जी से भर जाता है।आइए जानते हैं वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में फिश एक्वेरियम कहां रखना चाहिए- फिश एक्वेरियम को वास्तु शास्त्र में बहुत प्रभावशाली माना गया है। फिश एक्वेरियम में रखा पानी जीवन को दिखाता है। एक्वेरियम में बहता हुआ पानी, पॉजिटिव एनर्जी को दिखाता है। इससे आपका जीवन शांत और वाइब्रेंट बना रहता है।- वास्तु शास्त्र के अनुसार एक्वेरियम को लिविंग रूम की दक्षिण पश्चिम दिशा में रखना चाहिए। अगर आप एक्वेरियम को लिविंग रूम में नहीं रखना चाहते तो किसी दूसरी जगह उसे उत्तर दिशा में रखें।- ऑफिस में एक्वेरियम को रिसेप्शन एरिया के उत्तर या पूर्व दिशा में रखना चाहिए।- एक्वेरियम को मेन गेट की बाई दिशा में रखना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार ऐसा करने से पति पत्नी के बीच प्यार बना रहता है।- फिश टैंक को हमेशा लिविंग रूम की दक्षिण- पश्चिम दिशा में रखना चाहिए। ताकि घर में आने वाला कोई भी व्यक्ति को आसानी से दिखाई दें। -
लगने लगेगा पढ़ाई में मन, बढ़ जाएगी याददाश्त, धारण करें पन्ना हर मुश्किल होगी आसान
पन्ना बुध ग्रह का रत्न है सामान्यतः यह हल्के हरे रंग का होता है। लेकिन इसके अलावा यह पांच और रंगों में पाया जाता है। बुध हमारी वाणी और बुद्धि को नियंत्रित करने वाला ग्रह माना जाता है। रत्न शास्त्र के अनुसार इस रत्न को धारण करने से किसी भी व्यक्ति को बहुत अधिक सफलता मिलने लगती है। किसी भी रत्न के दुष्प्रभाव से बचने के लिए उसे कुंडली के अनुसार रत्न धारण करें।ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मिथुन और कन्या राशि के लोगों को पन्ना रत्न धारण करना चाहिए। इसके अलावा मकर और कुंभ राशि के लोग भी पन्ना रत्न धारण कर सकते हैं।पन्ना रत्न धारण करने की विधि--पन्ना रत्न को बुधवार के दिन धारण करना चाहिए। इसे रेवती नक्षत्र में धारण करना बहुत शुभ माना जाता है। पन्ना रत्न धारण करने से पहले इसे दूध या गंगाजल से शुद्ध कर लें। इसके बाद बुध ग्रह के मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिएआइए जानते हैं पन्ना रत्न धारण करने के फायदे--- यदि कोई व्यक्ति पन्ना रत्न धारण करता है तो उसकी बुद्धि का बहुत अधिक विकास होने लगता है।- कन्या राशि के लोग यदि पन्ना रत्न धारण करते हैं तो उन्हें बिजनेस ,नौकरी जैसे कार्यों में अपार सफलता मिलने लगती है।- मिथुन राशि वाले यदि पन्ना रत्न धारण करते हैं तो परिवार में आने वाली सभी तरह की परेशानियां कम हो जाती है।- इस रत्न को धारण करने से वाणी की प्रभावशाली क्षमता बढ़ जाती है।- पन्ना रत्न धारण करने से पेट से जुड़ी सभी समस्याएं से राहत मिलती है।- पन्ना रत्न धारण करने से व्यक्ति की याद रखने की क्षमता बढ़ती है और उसका पढ़ाई लिखाई में अधिक मन लगने लगता है। -
वास्तु शास्त्र में सही दिशा में सोने का बहुत अधिक महत्व है, कई बार गलत दिशा में सोने की वजह से रिश्तों में कड़वाहट आ जाती हैं। वास्तुशास्त्र के अनुसार, सोने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखने से रिश्तों के बीच की पैदा होने वाली कड़वाहट को दूर किया जा सकता है और रिश्तों के बीच की मिठास हमेशा बनी रहती है। देखभाल ,प्यार और सम्मान किसी भी रिश्ते की नींव होती है।
अच्छी नींद स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है यह आपको तनाव मुक्त रखता है। अक्सर ऐसा देखा गया है कि नींद पूरी न होने की वजह से दिनभर चिड़चिड़ापन और थकान महसूस होती हैं। अगर लंबे समय तक ठीक प्रकार से नींद न ली जाए तो अनिंद्रा जैसे भयंकर समस्या पैदा हो सकती हैं इसलिए स्वस्थ जीवन के लिए रोजाना पूरी नींद लेना बहुत जरूरी है। ताकि आप पूरे दिन एक्टिव बने रहें। वास्तु शास्त्र के अनुसार आपका बेड दक्षिण -पश्चिम की दीवार से सटा हुआ होना चाहिये। विवाहित जोड़े को वास्तु के अनुसार अपना सिर दक्षिण, दक्षिण -पूर्व और दक्षिण -पश्चिम की ओर रखना चाहिए। कभी -भी अपना सिर उत्तर दिशा में ना रखें इससे आप दिनभर तनावग्रस्त और थका हुआ महसूस करेंगे।
कमरे में जिस तरह की एलर्जी का मौजूद होती है। हम अपने आसपास उसी तरह के माहौल को महसूस करते हैं। इसलिए बेड के आसपास की जगह को ज्यादा भरा हुआ ना रखें। सोते वक्त पत्नी को हमेशा बेड के दाहिनी ओर जबकि पति को बाईं ओर सोना चाहिए।
आजकल लोग इलेक्ट्रॉनिक गैजेट मोबाइल ,लैपटॉप या दूसरे उपकरणों का बहुत अधिक प्रयोग करने लगे हैं। ऐसे में सोते समय कभी-भी इन चीजों को अपने बिस्तर के करीब ना रखें। इन उपकरणों से लगातार इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स निकलती है। जिसकी वजह से आपको बहुत सारी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। -
ज्योतिषशास्त्र की तरह अंक ज्योतिष से भी जातक के भविष्य, स्वभाव और व्यक्तित्व का पता लगता है। जिस तरह हर नाम के अनुसार राशि होती है उसी तरह हर नंबर के अनुसार अंक ज्योतिष में नंबर होते हैं। अंकशास्त्र के अनुसार अपने नंबर निकालने के लिए आप अपनी जन्म तिथि, महीने और वर्ष को इकाई अंक तक जोड़ें और तब जो संख्या आएगी, वही आपका भाग्यांक होगा। उदाहरण के तौर पर महीने के 2, 11 और 20 तारीख को जन्मे लोगों का मूलांक 2 होगा। जानें 5 अक्टूबर का दिन किन लोगों के लिए शुभ रहेगा...
मूलांक 5-
आत्मविश्वास में वृद्धि होगी।
माता से धन प्राप्ती के योग बन रहे हैं।
दाम्पत्य सुख में वृद्धि होगी।
किसी मित्र के सहयोग से रोजगार के अवसर मिल सकते हैं।
आय में वृद्धि होगी।
पारिवारिक जिम्मेदारियां बढ़ सकती हैं।
परिवार में मान-सम्मान बढ़ेगा।
नौकरी में पदोन्नति के योग बन रहे हैं।
मूलांक 7-
आत्मविश्वास में वृद्धि होगी।
कुटुंब परिवार में धार्मिक कार्य होंगे।
संतान सुख में वृद्धि होगी।
उच्च शिक्षा एवं शोध आदि कार्यों के लिए विदेश प्रवास की संभावना बन रही है।
नौकरी में कार्यक्षेत्र में परिवर्तन के योग बन रहे हैं।
स्थान परिवर्तन भी संभव है।
मन में शांति व प्रसन्नता के भाव रहेंगे।
आत्मविश्वास से लबरेज रहेंगे।
माता व परिवार की किसी बुजुर्ग महिला से धन की प्राप्ती के योग बन रहे हैं।
नौकरी में अफसरों का सहयोग मिलेगा। -
दीपावली का त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है 5 दिनों तक चलने वाला यह त्यौहार हिंदुओं का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। दशहरे के बाद से ही घरों में दीपावाली की तैयारियां शुरू हो जाती है। कहा जाता है कि दीपावाली के दिन श्री राम ,माता सीता और अपने छोटे भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष का वनवास काट कर अयोध्या वापस आएं थे। इसी खुशी में वहां के लोगों ने पूरे अयोध्या में घी के दीपक जलाएं।
दीपावली के दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। दीपावली को दीपों के त्योहार भी कहते है। वास्तु शास्त्र के अनुसार दीए को जलाने से पहले हमें कुछ बातों का विशेष ख्याल रखना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार कुछ साधारण से नियमों का ध्यान रखने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है और घर में सुख- समृद्धि हमेशा बनी रहती है।
- यदि आपके घर में कोई मंदिर है तो सबसे पहले दीयों को मंदिर में जला कर रखें।
- दीए में गोल बाती की जगह, लंबे बाती का प्रयोग करना चाहिए। तेल में दिए जलाएं।
- दीपक जलाकर जिस थाली में रखें, उसी थाली में सोने व चांदी से बने आभूषण रखना न भूलें। इससे माता लक्ष्मी बेहद प्रसन्न होती है।
- मंदिर में दीया जलाने के बाद तुलसी के पौधे में दीए जलाएं। अगर आपके घर में तुलसी का पौधा ईशान कोण में स्थित है। तो ऐसे में तुलसी के पौधें में दीया जलाना काफी शुभ होगा। इससे माता अन्नपूर्णा प्रसन्न होती है और घर में कभी भी अनाज की कमी नहीं होती।