- Home
- धर्म-अध्यात्म
-
वास्तु शास्त्र में भी कुछ पौधों को बेहद शुभ माना गया है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, हरे-भरे पौधे तरक्की, सुख-समृद्धि और खुशहाली के आगमन में सहायक होते हैं। घर में पौधे लगाने से अच्छी सेहत के साथ धन के आगमन का रास्ता भी खुलता है। इसके अलावा घर में कुछ पौधे लगाने से विवाह में आ रही बाधा दूर होती है। इन्हीं में से एक पौधा है पियोनिया। वास्तु शास्त्र के अनुसार, यदि शादी नहीं हो पा रही है या किसी कारण से टलती जा रही है, तो घर में पियोनिया के फूल का पौधा लगाना चाहिए। पियोनिया के फूल को फूलों की रानी कहा जाता है। ये फूल सौंदर्य, रोमांस के प्रतीक माने जाते हैं। तो चलिए जानते हैं इस पौधे के बारे में...
आपसी प्रेम के लिएवास्तु दोष के कारण घर के सदस्यों के बीच मतभेद होते रहते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, यदि आपके भी घर में हर छोटी बड़ी बात वाद विवाद तक पहुंच जाती हैं, तो पियोनिया की पेंटिंग या इसका पौधा घर पर लगाएं। इस पौधे को दक्षिण पश्चिम दिशा की ओर लगाएं, क्योंकि इस दिशा का संबंध परिवार में रहने वाले लोगों के बीच के संबंध को दर्शाता है।विवाह में हो रही है देरी तो करें ये उपायवास्तु के अनुसार, यदि घर में किसी लड़के या फिर लड़की के विवाह में देरी हो रही है, तो ड्राइंग रूम में पियोनिया की पेंटिंग या फिर फूल लगाएं। वहीं जब शादी हो जाए, तो पौधे या पेंटिंग किसी को गिफ्ट कर दें।सुखी जीवन के लिए उपायसुखी जीवन के लिए पियोनिया के पौधे को घर में दक्षिण -पश्चिम दिशा के कोने में लगाएं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, ऐसा करने से घर में प्रसन्नता का वास होगा।बगीचे में इस दिशा में लगाएं पियोनियाइसके अलावा यदि आप बगीचे में पियोनिया का पौधा लगा रहे हैं, तो घर के प्रवेश द्वार के दाहिनी ओर लगाएं। इससे आपके घर में सकारात्मकता का वास होगा। -
सनातन परंपरा में भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व है क्योंकि इसी दिन परिवर्तनी एकादशी या फिर कहें डोल ग्यारस का पर्व मनाया जाता है. यह पावन पर्व मुख्य रूप से मध्य प्रदेश एवं उत्तरी भारत में मनाया जाता है. इसी पावन तिथि को जलझूलनी एकादशी पर्व के रूप में भी जाना जाता है. इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप का श्रृंगार करके उनके लिए विशेष रूप से डोल तैयार किया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की कृपा बरसाने वाला एकादशी व्रत पूरे विधि-विधान से रखा जाता है. डोल ग्यारस या फिर कहें जलझूलनी एकादशी का पर्व इस साल 06 सितंबर 2022 को मनाया जाएगा. आइए इस पावन पर्व के धार्मिक महत्व, पूजा विधि आदि के बारे में विस्तार से जानते हैं.
डोल ग्यारस का शुभ मुहूर्त--
भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की एकादशी 06 सितंबर को प्रात:काल 05:54 बजे से प्रारंभ होकर 07 सितंबर 2022 को पूर्वाह्न 03:04 बजे तक रहेगी. जबकि व्रत के पारण का (व्रत तोड़ने का) समय प्रात:काल 08:19 से 08:33 बजे तक रहेगा.
डाेल ग्यारस अथवा जल झूलनी एकादशी की पूजा विधि--
श्री हरि की पूजा के लिए समर्पित इस पावन तिथि पर प्रात:काल स्नान ध्यान करने के बाद साधक को भगवान विष्णु या फिर उनके वामन अवतार अथवा भगवान श्री कृष्ण की धूप, दीप, पीले पुष्प, पीले फल, पीली मिठाई आदि से पूजा करनी चाहिए. डोल ग्यारस की पूजा के दिन सात तरह के अनाज भर कर सात कुंभ स्थापित किए जाते हैं और इसमें से एक कुंभ के ऊपर श्री विष्णु जी की मूर्ति रखकर विधि विधान से पूजा की जाती है. इन कुंभों को अगले दिन व्रत पूर्ण होने के बाद किसी ब्राह्मण को दान कर दिया जाता है. इस व्रत में चावल का भूलकर भी सेवन नहीं करना चाहिए.
डोल ग्यारस अथवा परिवर्तनी एकादशी का धार्मिक महत्व--
डोल ग्यारस का पावन पर्व मुख्य रूप से भगवान विष्णु की पूजा, व्रत एवं उनके अवतार भगवान श्रीकृष्ण की सूरज पूजा के लिए मनाया जाता है. मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण इसी दिन पहली बार माता यशोदा और नंद बाबा के साथ नगर भ्रमण के लिए निकले थे. यही कारण है कि इस दिन कान्हा को नए वस्त्र आदि को पहना कर भव्य श्रृंगार किया जाता है. इसके बाद गाजे-बाजे के साथ भगवान श्री कृष्ण को पालकी में बिठाकर शोभा यात्रा निकाली जाती है. इस दिन भक्तगण भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन करने के बाद उनकी पालकी के नीचे से परिक्रमा लगाते है. इस पावन पर्व को जलझूनी एकादशी भी कहते हैं और इस दिन विधि-विधान से व्रत रखते हुए भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु करवट बदलते हैं, इसीलिए इसे परिवर्तनी एकादशी भी कहते हैं. - वास्तु के अनुसार जहां घर में सही दिशा में सामान रखना बहुत आवश्यक हो जाता है। सही दिशा में अगर वास्तु का सामान नहीं रखा होता है, घर में वास्तु दोष आ जाता है और घर में सुख समृद्धि कम हो जाती है। यहां हम आपको बता रहे हैं, वास्तु के अनुसार कुछ मूर्तियों के बारे में, जिन्हें घर में रखकर आप धन में बरकत ला सकते हैं, इससे घर में आय के साधन तो बढ़ेंगे, साथ ही धन स्थायी होगा।यहां जानें इन मूर्तियों के बारे नें---हाथी को धन और एश्वर्य का प्रतीक माना जाता है। गजानन मां गजलक्ष्मी का वाहन माने जाते हैं। इन्हें घर में लगाने से वास्तु के अनुसार घर में लगाने से घर में मां लक्ष्मी का वास होता है।कछुआकछुआ भी मां लक्ष्मी के लिए बहुत खास माना जाता है। दरअसल समुद्र की अधिकतर चीजों जैसे शंख, कौड़ी और कछुआ मां लक्ष्मी से जुड़े माने जाते हैं। कछुए को विष्णु जी रूप माना जाता है, इसे घर में उत्तर दिशा में रखना चहिए। इसे भी घर में या मंदिर में ऱखने से घर में धन की कमी नहीं होती है।मछली की आकृतिमछली को फेंगशुई और वास्तु में बहुत खास माना जाता है। इसके लिए फिश एक्वेरियम रख सकते हैं, लेकिन मछली की मूर्ति घर में रखना बहुत अच्छा होता है।
- वास्तु के अनुसार कई चीजों को घर में उपयुक्त जगह पर ऱखने से घर में सुखृसमृद्धि का वास होता है। घर में इसके अलावा दिशाओं और कोणों पर भी ध्यान दिया जाता है। वास्तु में कहा गया है कि घर में कुछ पौधे रखने से घर में सुख समृद्धि आती है। ऐसा ही एक पौधा है, विष्णुप्रिया। इस पौधे को वास्तु के अनुसार घऱ में रखने से बहुत लाभ होता है।पहले आपको बता दें कि अपराजिता का पौधा सफेद और नीले रंग में होता है। नीले रंग का पौधा घर में रखने से घर आर्थिक रूप से संपन्न हो जाता है। इसके अलावा इसकी एक बेल भी होती है, जिसे धन बेल कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि जैसे-जैसे धन बेल बढ़ती घर में भी बरकत होती है।---इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं।
-
सनातन परंपरा में प्रत्येक दिन किसी न किसी पर्व या व्रत को लिए होता है. सितंबर का महीना भी इस साल कई बड़े पर्वों को लिए हुए है. इस साल सितंबर के महीने की शुरुआत में जहां गणेश उत्सव की धूम रहेगी तो वहीं इसी महीने में पितरों की पूजा से जुड़ा पितृपक्ष भी रहेगा. इसी माह में भाद्रपद मास पूर्ण होगा तो वहीं आश्विनी मास की शुरुआत होगी. जिसके साथ ही शारदीय नवरात्र का महापर्व प्रारंभ हो जाएगा. कई महत्वपूर्ण जयंती, पुण्यदायी तिथियों को लिए सितंबर के महीने में कब कौन सा पर्व पड़ेगा, आइए इसे विस्तार से जानते हैं.
गणेश उत्सव 2022
31 अगस्त 2022 को प्रारंभ हुए गणेश पूजा का 10 दिनी उत्सव सितंबर माह में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाएगा और 09 सितंबर 2022 यानि अनंत चतुर्दशी के दिन इसका समापन होगा।
पितृपक्ष 2022
हिंदू धर्म में पितृपक्ष का बहुत ज्यादा महत्व है क्योंकि इसमें पितरों का आशीर्वाद पाने और उनके मोक्ष की कामना लिए हुए विशेष रूप से श्राद्ध एवं तर्पण आदि किया जाता है। इस साल पितृपक्ष का प्रारंभ 0 सितंबर 2022 से होगा और यह 25 सितंबर 2022 को खत्म हो जाएगा।
नवरात्रि 2022
सनातन परंपरा में शक्ति की साधना के लिए साल में चार बार नवरात्रि का पावन पर्व मनाया जाता है। इस साल शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर 2022 को प्रारंभ होगी और इसी दिन घट स्थापना भी की जाएगी।
सितंबर माह 2022 के व्रत – पर्व
1 सितंबर 2022, गुरुवार – ऋषि पंचमी, गुरु ग्रंथ साहिब प्रकाश दिवस
2 सितंबर 2022, शुक्रवार – संतान सप्तमी व्रत
3 सितंबर 2022, शनिवार – राधा अष्टमी, महालक्ष्मी व्रत प्रारंभ
4 सितंबर 2022, रविवार – दधीचि जयंती
5 सितंबर 2022, सोमवार – शिक्षक दिवस, तेजा दशमी
6 सितंबर 2022, मंगलवार – डोल ग्यारस, जलझूलनी, परिवर्तनी एकादशी
8 सितंबर 2022, गुरुवार – ओणम, प्रदोष व्रत
9 सितंबर 2022, शुक्रवार – अनंत चतुर्दशी, गणेश मूर्ति विसर्जन, पूर्णिमा व्रत
10 सितंबर 2022, शनिवार – पितृपक्ष आरंभ
13 सितंबर 2022, मंगलवार – अंगारक चतुर्थी
14 सितंबर 2022, बुधवार – हिन्दी दिवस
17 सितंबर 2022, शनिवार – महालक्ष्मी व्रत समाप्त, विश्वकर्मा जयंती, रोहिणी व्रत, सूर्य कन्या संक्रांति
18 सितंबर 2022, रविवार – जिऊतिया व्रत
19 सितंबर 2022, सोमवार – मातृ नवमी, अविधवा श्राद्ध
20 सितंबर 2022, मंगलवार – गुरु नानकदेव पुण्यतिथि
21 सितंबर 2022, बुधवार – इंदिरा एकादशी
22 सितंबर 2022, गुरुवार – संन्यासी श्राद्ध
23 सितंबर 2022, शुक्रवार – प्रदोष व्रत
24 सितंबर 2022, शनिवार – चतुर्दशी श्राद्ध, शिव चतुर्दशी व्रत
25 सितंबर 2022, रविवार – पितृमोक्ष अमावस्या, महालय श्राद्घ पक्ष पूर्ण, स्नान-दान अमावस्या
26 सितंबर 2022, सोमवार – शारदीय नवरात्रि आरंभ, घट स्थापना, अग्रसेन जयंती
29 सितंबर 2022, गुरुवार – विनायकी चतुर्थी व्रत
= - घर की रसोई में रखी कुछ चीजों से हमारे भाग्य का सीधा कनेक्शन होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, रसोई में रखी कुछ खास चीजें किसी दूसरे को देने से बचना चाहिए। ऐसा करने से घर की बरकत खत्म होती है। आज हम जानते हैं कि रसोई की वो कौन सी चीजें हैं जिन्हें दान देकर आप खुद मुश्किल में पड़ सकते हैं।हल्दीएंटी एलेर्जिक प्रॉप्रटी की वजह से खाने में हल्दी का प्रयोग किया जाता है। वहीं, ज्योतिष शास्त्र के नजरिये से देखा जाए तो हल्दी का संबंध बृहस्पति ग्रह से होता है। घर में हल्दी खत्म होने को गुरु दोष से जोड़कर देखा जाता है। गुरु दोष लगने पर घर में धन की कमी होने लगती है। कॅरिअर के मोर्चे पर असफलता मिलने लगती है। रसोई की हल्दी ना तो किसी से उधार लेनी चाहिए और ना ही किसी को दान में देनी चाहिए।चावलचावल का संबंध शुक्र ग्रह से है। ज्योतिष शास्त्र में शुक्र ग्रह को ऐश्वर्य और भौतिक सुखों का कारक माना गया है। ज्योतिषविद का कहना है कि घर में चावल का खत्म होना शुक्र दोष को दर्शाता है। घर में शुक्र दोष लगने से पति-पत्नी के बीच झगड़े शुरू हो जाते हैं। दांपत्य जीवन में कड़वाहट रहती है। इसलिए घर में चावल कभी खत्म नहीं होना चाहिए। चावल का दान करना तभी उचित है, जब आपके पास इसकी कमी ना हो।नमकरसोई में रखा नमक कभी खत्म नहीं होना चाहिए। नमक का डिब्बा खाली होने से पहले ही उसने पुन: भरने का इंतजाम कर लें। ज्योतिष में नमक को राहु का पदार्थ माना गया है। रसोई में नमक खत्म होने से राहु की दृष्टि आपके ऊपर पड़ती है। ये आपका जीवन मुश्किलों से भर सकता है। आप अचानक बहुत ज्यादा परेशान हो सकते हैं। नमक ना तो दान में देना चाहिए और ना ही ये कभी किसी से लेना चाहिए।सरसों का तेलघर में रखा सरसों का तेल शनि ग्रह से संबंध रखता है। ऐसा कहते हैं कि घर की रसोई में सरसों का तेल कभी खत्म नहीं होना चाहिए। ऐसा होने से आप शनि के प्रकोप का शिकार हो सकते हैं। इसके खत्म होने से पहले ही डिब्बे में तेल भरने का इंतजाम कर लें। सरसों का तेल कभी भी मंगलवार और शनिवार को लेकर ना आएं और ना ही इस दिन इसे किसी को दान में देना चाहिए।
- फेंगशुई भी वास्तु शास्त्र की तरह जीवन में सकारात्मक बदलाव लेकर आता है। मान्यता है कि फेंगशुई की चीजों को घर में रखने से जीवन में सुख-समृद्धि व खुशहाली आती है। कई बार व्यक्ति को कड़ी मेहनत के बावजूद भी उसकी मेहनत के अनुरूप परिणाम हासिल नहीं होता है। ऐसे में फेंगशुई में कुछ ऐसी चीजें बताई गई हैं जिन्हें घर में रखने से मां लक्ष्मी का वास होता है। जानें इन चीजों के बारे में-तीन टांगों वाले मेढ़कफेंगशुई के जानकार कहते हैं कि घर में तीन टांगों वाले मेढ़क को रखना अति शुभ होता है। तीन टांगों वाला ऐसा मेढ़क घर में रखें जिसके मुंह में सिक्के लगे हों। इस मेढ़क को घर के मेनगेट के पासया फिर तिजोरी के पास रखना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से आर्थिक तंगी दूर होती है।लाफिंग बुद्धाफेंगशुई में लॉफिंग बुद्धा को भी विशेष स्थान प्राप्त है। कहते हैं कि लॉफिंग बुद्धा को घर में रखने से खुशहाली व समृद्धि आती है। कष्टों व तनाव से मुक्ति मिलने की मान्यता है।क्रिस्टलफेंगशुई के अनुसार, घर में उत्तर-पूर्व दिशा यानी ईशान कोण में क्रिस्टल रखने से सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। कहते हैं कि ऑफिस में सफेद रंग का क्रिस्टल उत्तर-पश्चिम दिशा में रखना चाहिए।तीन चीनी सिक्केमान्यता है कि तीन चीनी सिक्के घर में सुख-सपंदा लाते हैं। इन सिक्कों को लाल के धागे या रिबन में बांधकर रखने से घर में बरकत आती है। कहते हैं कि व्यक्ति की आर्थिक उन्नति होती है।कछुआफेंगशुई में कछुआ को अति शुभ माना गया है। हिंदू धर्म में कछुआ मां लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है। घर या ऑफिस की उत्तर दिशा में रखना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से व्यक्ति को जीवन में तरक्की और सफलता मिलती है।
- हिंदू धर्म में वास्तु शास्त्र का विशेष महत्व है। कई बार व्यक्ति को परेशानियों और मजबूरियों के कारण कर्ज लेना पड़ता है। कई बार हम कर्ज ले लेते हैं लेकिन उसे चुका नहीं पाते हैं। लाख कोशिशों के बाद भी कर्ज चुकाना बाकी रह जाता है। ऐसे में वास्तु शास्त्र में कुछ उपाय बताए गए हैं जिन्हें अपनाने से कर्ज से मुक्ति पा सकते हैं।1. वास्तु शास्त्र के अनुसार, कर्ज की किस्त चुकाने के लिए मंगलवार का दिन चुनना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन पैसा लौटाने से कर्ज जल्दी उतर जाता है।2. घर के दक्षिण-पश्चिम हिस्से में बना बाथरूम भी व्यक्ति पर कर्ज का बोझ बढ़ता है। इसलिए घर की इस दिशा में बाथरूम नहीं बनवाना चाहिए।3. कर्ज मुक्ति के लिए घर या दुकान की उत्तर-पूर्व दिशा में कांच लगाना शुभ माना जाता है। लेकिन कांच लाल, सिंदूरी या मैरून रंग का नहीं होना चाहिए।4. वास्तु के अनुसार कर्ज से जल्द से जल्द मुक्ति पाने के लिए घर या दुकान की उत्तर दिशा में धन रखना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से कर्ज से मुक्ति मिलने के साथ ही धन लाभ भी होता है।5. वास्तु शास्त्र के अनुसार, कर्ज से मुक्ति पाने के लिए मुख्य द्वार के पास एक और छोटा-सा द्वार लगाना चाहिए।
-
गणपति बप्पा को मोदक का भोग लगाया जाता है। वहीं हेल्थ कॉन्शियस लोग हर एक मीठाई को खाने से कतराते हैं। हालांकि, मीठा खाने से बचना भी चाहिए। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मोदक हेल्थ के लिए भी फायदेमंद होता है? जी हां, मोदक आपके कब्ज से लेकर पीसीओडी तक में फायदेमंद होता है। सेलिब्रिटी कोच रुजुता दिवेकर भी इसके फायदों के बारे में बता चुकी हैं।
1) कब्ज- भांप से बने मोदक को घी के साथ खाया जाता है। घी आंतों की म्यूकस लाइनिंग को फिर से बनाता है और टॉक्सिन को आसानी से खत्म करने में मदद करता है।2) पीसीओडी- चावल का आटा ब्लड शुगर को स्थिर करने में मदद करता है और चावल में पाया जाने वाला विटामिन बी1 पीएमएस और शक्कर की लालसा को कम करने में मदद करता है।3) ब्लड प्रेशर- मोदक की स्टफिंग के लिए नारियल का इस्तेमाल होता है। नारियल में मीडियम चेन वाला ट्राई-ग्लिसराइड्स होता है, जो दिल की रक्ष करने और बीपी कम करने वाले इफेक्ट होते हैं।4) कोलेस्ट्रॉल- नारियल में पाए जाने वाले प्लांट स्टेरोल और सूखे मेवों की स्टफिंग एलडीएल को कम करने में मदद करते है और एचडीएल के लेवल में सुधार करते है।5) डायबिटीज- मोदक, चावल, नारियल, गुड़ को मिलाकर भाप में पकाए जाते हैं और घी के साथ खाए जाते हैं। रुजुता बताती हैं कि इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स मीडियम से लो होता है और यह पूरी तरह से सुरक्षित है। स्थिर ब्लड शुगर के प्रोसेस के लिए ये फायदेमंद होता है।6) गठिया- घी में पाया जाने वाला ब्यूटिरिक एसिड शरीर के हर टिशू में विशेष रूप से जोड़ों में सूजन को कम करने के लिए एक पारंपरिक थेरेपी है।7) वजन कम करने की कोशिश- अगर आप वजन कम करने की कोशिश कर रहे हैं तो मोदक खा सकते हैं। मोदक अच्छे फैट और पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं ऐसे में उकडीचे मोदक खा सकते हैं। ये बॉडी में एनर्जी और मन में स्थिरता दोनों के लिए फायदेमंद है। - -पूजागृह में दो शिवलिंग, तीन गणेश, दो शंख, दो सूर्य प्रतिमा, तीन देवी प्रतिमा, दो गोमती चक्र या दो शालिग्राम का पूजन नहीं करना चाहिए।-घर में 9 इंच (22 सेंटीमीटर) या उससे छोटी प्रतिमा होनी चाहिए। इससे बड़ी प्रतिमा घर के लिए शुभ नहीं होती है। उसे मंदिर में ही स्थापित करना चाहिए।-देवी की 1 बार, सूर्य की 7 बार, गणेश की 3 बार, विष्णु की 4 बार तथा शिव की आधी परिक्रमा करनी चाहिए।-आरती करते समय भगवान विष्णु के समक्ष 12 बार, सूर्य के समक्ष 7 बार, दुर्गा के समक्ष 9 बार, शंकर के समक्ष 11 बार और गणेश के समक्ष 4 बार आरती घुमानी चाहिए।-पूजा करते समय बिना आसन के भूमि पर नहीं बैठना चाहिए।-पूजा-पाठ के लिए एक निश्चित समय का चुनाव कर प्रतिदिन उसी समय पर पूजा-पाठ करने का प्रयास करें।-पूजा के समय सर्वप्रथम गणेश जी के स्तुति मंत्र द्वारा गणेश जी का आव्हान करें।
- भगवान श्रीगणेश विघ्न विनाशक हैं। हर साल भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से दस दिवसीय गणेश उत्सव मनाया जाता है। भगवान गणेश प्रथम पूजनीय है। विघ्नों को हरने वाले हैं। भगवान गणेश भारत के अति प्राचीन देवता हैं। ऋग्वेद में गणपति शब्द आया है। यजुर्वेद में भी ये उल्लेख है। अनेक पुराणों में गणेश की विरुदावली वर्णित है। पौराणिक हिन्दू धर्म में शिव परिवार के देवता के रूप में गणेश का महत्त्वपूर्ण स्थान है। प्रत्येक शुभ कार्य से पहले गणेशजी की पूजा होती है। गणेश को यह स्थान कब से प्राप्त हुआ, इस संबंध में अनेक मत प्रचलित है। मान्यता है कि भगवान गणेश की आराधना से सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है।- भगवान ब्रह्माजी ने वास्तुशास्त्र के नियमों की रचना की। वास्तु दोष दूर करने के लिए भगवान श्रीगणेश का पूजा शुभ मानी जाती है। भगवान श्रीगणेश की मूर्ति घर के मुख्य द्वार पर लगाने से वास्तु दोष दूर हो जाते हैं। घर में भगवान श्रीगणेश की मूर्ति रखना बहुत शुभ माना जाता है।-भगवान श्रीगणेश की मूर्ति के आसपास आम के पत्ते रखने से आय के साधन में वृद्धि होती है। भगवान श्रीगणेश की मूर्ति को सही दिशा में रखना बहुत जरूरी है।-वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में सफेद रंग की भगवान श्रीगणेश की मूर्ति लाने से वास्तु दोष दूर होते हैं। सिंदूरी रंग के गणपति की पूजा करने से वास्तु दोष दूर होते हैं। जिस मूर्ति में भगवान श्रीगणेश के प्रिय भोग मोदक या लड्डू और चूहा हो उस मूर्ति को घर में लाना चाहिए।- घर में बैठे हुए गणेश जी और कार्यक्षेत्र में खड़े हुए श्रीगणेश जी का चित्र लगाना शुभ होता है। विघ्नहर्ता की मूर्ति लगाते वक्त उनके बाएं हाथ की ओर सूंड घूमी हुई हो इसका ध्यान रखें।-जो लोग संतान सुख की कामना रखते हैं उन्हें अपने घर में बाल गणेश की मूर्ति लानी चाहिए।-घर में आनंद उत्साह के लिए नृत्य की मुद्रा वाली श्रीगणेश जी की मूर्ति लानी चाहिए। श्रीगणेश जी आसान पर विराजमान हों या लेटे हुए मुद्रा में हों ऐसी मूर्ति को घर में लाना शुभ होता है।-सिंदूरी रंग वाले श्रीगणेश को समृद्धिदायक माना गया है, इसलिए इनकी पूजा गृहस्थों एवं व्यवसायियों के लिए शुभ मानी गई है। पीले रंग की श्रीगणेश जी की मूर्ति घर में स्थापित करने से उन्नति के मार्ग बनते हैं।
- गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए उनके भक्त 10 दिन तक गणपति बप्पा को अलग-अलग तरह के भोग लगाते हैं। जिसमें भगवान को प्रिय मोदक भी शामिल होते हैं। यूं तो बाजार में कई तरह के मोदक मिलते हैं लेकिन आज आपके साथ एक अलग तरह के मोदक की रेसिपी शेयर करने जा रहे हैं, जिसका नाम है पान मोदक। सिद्धि विनायक के प्रसाद के लिए अगर पान मोदक बनाना है तो इसके लिए पान के पत्ते, नारियल बूरा, चीनी, दूध, ड्राई फ्रूट्स, गुलकंद आदि का इस्तेमाल किया जाता है। आइए जानते हैं क्या है इसकी रेसिपी।पान मोदक बनाने के लिए सामग्री--आधा कप कंडेंस्ड मिल्क-1 कप सूखा नारियल-5 पान के पत्ते-4 चम्मच गुलकंद-1/4 कप कटे हुए काजू और बादाम-1 छोटा चम्मच घीकैसे बनाएं पान मोदक-सबसे पहले पान के पत्तों और कंडेस्ड मिल्क को एक साथ पीस लें फिर धीमी आंच पर कम से कम 3 से 4 मिनट के लिए घी में नारियल को भूनें । अब इसमें पान मिक्चर को एड करें और अच्छे से चलाएं। गाढ़ा होने के बाद आंच बंद करें और ठंडा होने दें।अब मेवा और गुलकंद को एक साथ मिक्स करें और स्टफिंग तैयार करें। हाथों पर घी लगाएं और मिश्रण को हाथ से रोटी की तरह फ्लैट करें। ध्यान दें कि ये रोटी थोड़ी मोटी हो। अब रोटी पर गुलकंद डालें और गोल आकार दें। अब मोदक मोल्ड में डालें और प्लेट में रखें। भोग लगने के लिए पान मोदक तैयार हैं।
- गणेश चतुर्थी को भगवान गणेश का जन्मोत्सव माना जाता है. मान्यता है कि अगर आपके जीवन में तमाम बाधाएं बार-बार आपका रास्ता रोक रही हैं. बनते हुए काम अटक रहे हैं तो आप गणेश चतुर्थी पर खास उपाय कर सकते हैं. आज हम आपको भगवान गणेश को खुश करने के ऐसे ही खास उपायों के बारे में जानकारी दे रहे हैं.गणेश चतुर्थी पर करें गुड़ का उपायअगर आपका परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा है तो आप गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2022) वाले दिन सुबह उठकर स्नान करें. इसके बाद गुड़ में देसी घी मिलाकर गणपति को उसका भोग लगाएं. फिर उस गुड़ को गौ माता को खिला दें. आपके इस उपाय से भगवान गणेश प्रसन्न होंगे और आपको मनचाहा फल देंगे.शुद्ध जल से करें अभिषेकगणेश चतुर्थी पर देश-दुनिया में जोर-शोर से गणेश उत्सव मनाया जाता है. इस दिन आप गणेश जी की प्रतिमा का शुद्ध जल से अभिषेक करें. इसके साथ ही गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करें. मान्यता है कि ऐसा करने से सिद्धि विनायक अपने भक्तों की सभी समस्याओं को हर लेते हैं.दुर्वा घास का उपाय भी लाभकारीआप गणेश चतुर्थी पर दुर्वा घास का उपाय भी अपना सकते हैं. आप अपने घर में पीले रंग की गणेश प्रतिमा लाकर उसकी स्थापना करें. इस दौरान श्री गणाधिपतये नम: मंत्र का उच्चारण करते हुए हल्दी की 5 गांठों को भगवान गणेश की प्रतिमा पर चढ़ाएं. इसके बाद आप श्री गजवकत्रम नमो नम: का जाप करके दूब घास की 108 पत्तियों पर गीली हल्दी लगाएं और उन्हें फिर गणपति पर अर्पित कर दें.पीले रंग की मिठाई का लगाएं भोगअगर घर में लड़के की शादी में दिक्कतें आ रही हैं तो आप इसका उपाय भी गणेश चतुर्थी पर कर सकते हैं. आप गणेश चतुर्थी वाले दिन घर में पीले रंग की मिठाई बनाएं. इसके बाद उन मिठाई को भगवान गणेश को अर्पित कर दें. माना जाता है कि यह उपाय करने से लड़के की शादी के योग बन जाते हैं.इस मंत्र का जाप पहुंचाता है फायदाअगर आप या आपके परिवार के लोग अक्सर किन्हीं समस्याओं से घिरे रहते हैं तो गणेश उत्सव पर आप इसका निदान भी कर सकते हैं. धार्मिक शास्त्रों के मुताबिक आप गणेश चतुर्थी पर विधि विधान के साथ गणपति की पूजा करें. इसके साथ ही आप 'ऊं गं गौं गणपतये विघ्न विनाशिने स्वाहा' मंत्र का 21 माला जाप करें. ऐसा करने से सिद्धि विनायक प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद बरसाते हैं.जरूरतमंदों को करें दानभगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए आप गणेश चतुर्थी पर जरूरतमंदों को दान करें. इनमें फल, अनाज, कपड़े और कुछ रुपये शामिल हो सकते हैं. मान्यता है कि जरूरतमंदों को दान दिए जाने और उनकी मदद करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी करते हैं.
-
गणेश चतुर्थी से पूरे देश में गणपति पंडालों में एक ही गूंज सुनाई पड़ेगी, गणपति बप्पा मोरया . आखिर यह क्यों कहा जाता है. यह प्रश्न भी उठना स्वाभाविक है. आज हम आपकी यह उलझन दूर करेंगे और इस शब्द के पीछे का अर्थ आपको समझाएंगे. हालांकि इसके लिए आपको यह लेख पूरा पढ़ना होगा.
गणपति बप्पा से जुड़े मोरया शब्द के पीछे गणपति जी का मयूरेश्वर स्वरूप माना जाता है. गणेश-पुराण के अनुसार सिंधु नामक दानव के अत्याचार से सभी लोग तंग आ चुके थे. वह महा बलशाली था और देवी देवता, मानव सभी उसके आततायी स्वरूप से त्रस्त होकर बचने का उपाय ढूंढ रहे थे. बचने के लिए देव गणों ने गणपति जी का आह्वान किया.
सिंधु का संहार करने के लिए गणेश जी ने मोर यानी मयूर को अपना वाहन चुना और छह भुजाओं वाला अवतार धारण किया. इस अवतार की पूजा भक्त लोग 'गणपति बप्पा मोरया' के जयकारे के साथ करते हैं. यही कारण है कि जब गणेश जी को विसर्जित किया जाता है तो 'गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ' का नारा लगाया जाता है.
मुंबई के लालबाग मंदिर में उमड़ते हैं श्रद्धालु
लालबाग का राजा मुंबई का सर्वाधिक लोकप्रिय सार्वजनिक गणेश मंडल है, जिसकी स्थापना वर्ष 1934 में हुई थी. यह मुंबई के लालबाग, परेल इलाके में स्थित हैं, इसीलिए इसे लालबाग का राजा भी कहा जाता है. लालबाग के राजा यानी लालबाग के भगवान गणपति की मूर्ति के दर्शन करना ही अपने आप में भाग्यशाली हो जाना माना जाता है. मान्यता तो ये भी है कि यहां जो भी मन्नते मांगी जाती हैं, वे जरूर पूरी होती हैं.
दर्शनों के लिए कई किलोमीटर की लगती है लाइन
लालबाग के राजा की ख्याति किसी से छुपी नहीं है. लालबाग के इस प्रसिद्ध गणपति को ‘नवसाचा गणपति’ यानी इच्छाओं की पूर्ति करने वाले गणपति के रूप में भी जाना जाता है और केवल दर्शन पाने के लिए ही हर वर्ष कई किलोमीटर की लंबी कतार लगती है जबकि लालबाग के इस राजा की गणेश मूर्ति का विसर्जन स्थापना के दसवें दिन गिरगांव चौपाटी में किया जाता है. - गणेश उत्सव इस साल 31 अगस्त से शुरू हो रहा है। इस त्योहार को महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गोवा और केरल सहित दूसरे कई राज्यों में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। लोग इस त्योहार के दौरान भगवान गणेश की मूर्तियों को अपने घरों में लाते हैं, व्रत करते हैं अगर आप भी गणेश चतुर्थी मना रहे हैं, तो आपको उनका आशीर्वाद लेने के लिए प्रसिद्ध भगवान गणेश मंदिरों में जाने पर विचार करना चाहिए। यहां हम कुछ फेमस मंदिरों के बारे में बता रहे हैं जहां आप परिवार और दोस्तों के साथ गणपति बप्पा के दर्शन के लिए जा सकते हैं।1) श्रीमंत दगदूशेठ हलवाई गणपति मंदिर, पुणेदगडूशेठ गणपति ट्रस्ट महाराष्ट्र में सबसे बड़े ट्रस्टों में से एक है और हर साल एक लाख से ज्यादा तीर्थयात्रियों का स्वागत करता है। मंदिर की वेबसाइट के अनुसार, इस जगह से रोचक इतिहास जुड़ा हुआ है। भगवान गणेश के इस मंदिर की स्थापना श्री दगडूशेठ हलवाई और उनकी पत्नी लक्ष्मीबाई ने की थी जब उन्होंने प्लेग महामारी में अपने बेटे को खो दिया था।2) आदि विनायक मंदिर, तमिलनाडुआदि विनायक भगवान गणेश का एक रूप है, जो हिंदू देवता को उनके पिता, भगवान शिव द्वारा सिर काटे जाने से पहले एक मानव सिर के साथ चित्रित करता है। इस रूप में, भगवान गणेश एक कुल्हाड़ी, एक रस्सी, एक मोदक और एक कमल धारण करते हैं।3) सिद्धिविनायक मंदिर, मुंबईश्री सिद्धिविनायक गणपति मंदिर देश के सबसे फेमस भगवान गणेश मंदिरों में से एक है। गणेश चतुर्थी उत्सव के दौरान, यह मंदिर भक्तों से भरा होता है। सिद्धिविनायक मंदिर को इस दिन के लिए फूलों और लाइट से सजाया जाता है।4) श्री डोड्डा गणपति मंदिर, बैंगलोरश्री डोड्डा गणपति मंदिर बसवनगुडी में बुल टेम्पल रोड पर स्थित है। यहां 18 फीट लंबी भगवान गणेश की मूर्ति है जिसकी चौड़ाई 16 फीट है। गणेश चतुर्थी के दौरान, मंदिर को खूबसूरती से सजाया जाता है।
- 31 अगस्त को गणेश चतुर्थी है। इस दिन गणपति को घर-घर में स्थापित किया जाता है। कहते हैं कि गणपति सभी विघ्नों को हरते हैं और बल और बुद्धि प्रदान करते हैं। यही नहीं कहते हैं गणपति को घर में सही जगह पर स्थापित करना चाहिए। गणेश चतुर्थी पर गणेश जी को नौ, दस या 11 दिन के लिए घर में मंदिर से अलग स्थापित किया जाता है।इसके बाद मूर्ति का विसर्जन कर दिया जाता है। यहां हम गणेश चतुर्थी ही नहीं, ऐसे भी पूजा स्थल में गणेश जी कैसे वास्तु दोष दूर कर सकते हैं, इसके बारे में बताएंगे। घर में गणेश जी की सफेद मूर्ति लाना शुभ माना जाता है। यही नहीं मूर्ति बैठे गणेश की होनी चाहिए और इनकी सूंड बाएं हाथ की तरफ होनी चाहिए।इनकी स्थापना करते हुए इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि गणपति को हमेशा पूर्व दिशा में स्थापित करना चाहिए। ध्यान रहे कि इनका मुंह दक्षिण दिशा की तरफ नहीं होना चाहिए। घर में एक से अधिक गणपति की मूर्ति न रखें। कुछ लोग घर के बाहर भी गणपति की मूर्ति लगाते हैं, ऐसे में इस बात का ध्यान रखें कि गणपति का मुंह घर के अंदर की तरफ देख रहा हो।
- गणेश चतुर्था का पावन पर्व 31 अगस्त से बड़े ही धूम- धाम के साथ मनाया जाएगा। इसी दिन से 10 दिनों तक चलने वाले गणेश महोत्सव की शुरुआत भी हो जाएगी। गणेश चतुर्थी से 10 दिनों तक विधि- विधान से भगवान गणेश की पूजा- अर्चना करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। भगवान गणेश अपने भक्तों से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए पूजा में कुछ चीजों को जरूर शामिल करना चाहिए। आइए जानते हैं गणेश चतुर्थी पर पूजा में किन चीजों को शामिल करना चाहिए...दूर्वा घासभगवान गणेश को दूर्वा घास काफी पसंद होती है। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को दूर्वा घास अर्पित करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो व्यक्ति गणपती महाराज को दूर्वा अर्पित करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। भगवान गणेश को दूर्वा अर्पित करने से सभी तरह की समस्याओं से छुटकारा मिलता है और जीवन आनंद से भर जाता है। आप रोजाना भी भगवान गणेश को दूर्वा घास अर्पित कर सकते हैं।मोदकगणेश जी को मोदक अतिप्रिय होते हैं। आप इस दिन भगवान गणेश को मोदक का भोग भी लगा सकते हैं। धार्मिक शास्त्रों में मोदक को ब्रह्म के समान बताया गया है।सिंदूरभगवान गणेश को सिंदूर पसंद होता है। गणेश जी को सिंदूर का तिलक भी अवश्य लगाएं। ऐसा करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं। भगवान गणेश को तिलक लगाने के बाद अपने माथे पर सिंदूर का तिलक लगाएं।घीभगवान गणेश को घी काफी पसंद है। भगवान गणेश की पूजा में घी को जरूर शामिल करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार घी को पुष्टिवर्धक और रोगनाशक कहा जाता है। जो व्यक्ति भगवान गणेश की पूजा घी से करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
- 10 दिनों तक चलने वाला गणेशोत्सव 31 अगस्त से प्रारंभ हो रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का पावन पर्व मनाया जाता है। गणपति भगवान प्रथम पूजनीय देव हैं। मान्यता है कि गणपति बप्पा की विधिवत पूजा-अर्चना करने से संकटों से मुक्ति मिलती है और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। भगवान श्रीगणेश की कृपा से जातक का जीवन खुशियों से भर जाता है। ज्योतिष शास्त्र में कुल 12 राशियां वर्णित हैं। इन 12 राशियों में से कुछ राशियों पर भगवान श्रीगणेश की विशेष कृपा रहती है। जानें किन राशियों पर रहती है विघ्नहर्ता की विशेष कृपा-मेष राशिज्योतिषशास्त्र के अनुसार, मेष राशि पर भगवान गणेश की विशेष कृपा रहती है। इस राशि के जातक विवेकशील, बुद्धिमान और अपने कार्यों में दक्ष होते हैं। इस राशि के जातकों को गणपति की विशेष कृपा होने से कार्यों में जल्दी सफलता हासिल होती है। मेष राशि के जातकों को हर दिन गणपति अराधना करनी चाहिए।मिथुन राशिज्योतिषशास्त्र के अनुसार, राशिचक्र की तीसरी राशि यानी मिथुन पर भगवान गणेश मेहरबान रहते हैं। ये लोग प्रतिभावान होते हैं। कहा जाता है कि इस राशि के जातक शिक्षा के क्षेत्र में अधिक सफल होते हैं। ये दयालु स्वभाव के होते हैं। हालांकि ये जिस काम को ठान लेते हैं, उसे पूरा करके ही दम लेते हैं। मिथुन राशि के जातकों को प्रतिदिन बप्पा की पूजा-अर्चना करनी चाहिए।मकर राशिज्योतिषशास्त्र के अनुसार, भगवान गणेश मकर राशि के जातकों पर कृपा रहती है। इस राशि के जातकों को ईमानदार व विश्वासी माना जाता है। ये बुद्धिमान होते हैं। इस राशि के जातक पढ़ाई- लिखाई के क्षेत्र में काफी नाम कमाते हैं। मकर राशि के जातकों को भगवान गणेश का हर दिन स्मरण करना चाहिए।
-
हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज व्रत रखा जाता है। इस साल हरतालिका तीज 30 अगस्त, मंगलवार को है। इस दिन भगवान शिव व माता पार्वती की विधिवत पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन गौरी-शंकर की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
हरतालिका तीज पर बन रहे शुभ संयोग-
इस साल हरतालिका तीज पर शुभ व शुक्ल योग साथ रवि योग का शुभ संयोग बन रहा है। शुभ योग 31 अगस्त को सुबह 12 बजकर 05 मिनट तक रहेगा। इसके बाद शुक्ल योग शुरू होगा। मान्यता है कि इन योग में किए गए कार्यों का फल अतिशीघ्र मिलता है।
हरतालिका तीज महत्व-
हरतालिका तीज व्रत करने से पति को लंबी आयु प्राप्त होती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से सुयोग्य वर की भी प्राप्ति होती है। संतान सुख भी इस व्रत के प्रभाव से मिलता है।
हरतालिका तीज 2022 शुभ मुहूर्त-
ब्रह्म मुहूर्त- 04:28 ए एम से 05:13 ए एम।
अभिजित मुहूर्त- 11:56 ए एम से 12:47 पी एम।
विजय मुहूर्त- 02:29 पी एम से 03:21 पी एम।
गोधूलि मुहूर्त- 06:32 पी एम से 06:56 पी एम।
अमृत काल- 05:38 पी एम से 07:17 पी एम।
रवि योग- 05:58 ए एम से 11:50 पी एम।
हरतालिका तीज व्रत पूजन का उत्तम मुहूर्त-
इस दिन सुबह साढ़े छह बजे से लेकर 8 बजकर 33 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा। जबकि शाम 06 बजकर 33 मिनट से रात 08 बजकर 51 मिनट तक प्रदोष काल रहेगा। - हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज व्रत रखा जाता है। इस साल हरतालिका तीज 30 अगस्त, मंगलवार को है। इस दिन भगवान शिव व माता पार्वती की विधिवत पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन गौरी-शंकर की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।हरतालिका तीज पर बन रहे शुभ संयोग-इस साल हरतालिका तीज पर शुभ व शुक्ल योग साथ रवि योग का शुभ संयोग बन रहा है। शुभ योग 31 अगस्त को सुबह 12 बजकर 05 मिनट तक रहेगा। इसके बाद शुक्ल योग शुरू होगा। मान्यता है कि इन योग में किए गए कार्यों का फल अतिशीघ्र मिलता है।हरतालिका तीज महत्व-हरतालिका तीज व्रत करने से पति को लंबी आयु प्राप्त होती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से सुयोग्य वर की भी प्राप्ति होती है। संतान सुख भी इस व्रत के प्रभाव से मिलता है।हरतालिका तीज 2022 शुभ मुहूर्त-ब्रह्म मुहूर्त- 04:28 ए एम से 05:13 ए एम।अभिजित मुहूर्त- 11:56 ए एम से 12:47 पी एम।विजय मुहूर्त- 02:29 पी एम से 03:21 पी एम।गोधूलि मुहूर्त- 06:32 पी एम से 06:56 पी एम।अमृत काल- 05:38 पी एम से 07:17 पी एम।रवि योग- 05:58 ए एम से 11:50 पी एम।हरतालिका तीज व्रत पूजन का उत्तम मुहूर्त-इस दिन सुबह साढ़े छह बजे से लेकर 8 बजकर 33 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा। जबकि शाम 06 बजकर 33 मिनट से रात 08 बजकर 51 मिनट तक प्रदोष काल रहेगा।
- शुक्र ग्रह 31 अगस्त को बुधवार शाम 04:29 बजे सिंह राशि में गोचर करेंगे। 31 अगस्त को ही गणेश चतुर्थी भी है। वैदिक ज्योतिष में शुक्र को असुरों का गुरु माना जाता है। शुक्र सबसे शानदार ग्रह होने के साथ-साथ बृहस्पति की तरह एक भाग्यशाली ग्रह भी है। व्यक्ति के सुख और प्रचुरता के लिए शुक्र जिम्मेदार है। शुक्र ग्रह दो राशियों, वृष और तुला पर शासन करते हैं। यह सुख, आनंद, आकर्षण, सौंदर्य और समृद्धि और समृद्धि के बेहतर गुणों का भी प्रतीक है। यह संगीत, कला और कविता आदि में रचनात्मकता को भी दर्शाता है। सिंह राशि सरकार, प्रशासन, महत्वाकांक्षा, नेतृत्व की गुणवत्ता, सामाजिक प्रतिष्ठा, स्वार्थ, अहंकार, ग्लैमर, रचनात्मक कला, बड़प्पन और विलासिता का प्रतिनिधित्व करती है। हालांकि, सिंह शुक्र के लिए शत्रु राशि है और इस प्रकार शुक्र ग्रह के लिए यह असहज स्थिति है फिर भी यह गोचर कुछ राशियों का भाग्य प्रबल बनाएगा। आइए जानें कि सिंह राशि में शुक्र इस अवधि के दौरान किन राशि के जातकों की किस्मत चमका रहा है।मेष राशि: मेष राशि के जो जातक डिजाइनर, रचनात्मक कलाकार और कवि हैं उनके लिए यह गोचर अद्भुत समय लाएगा। उनके विचार उन्हें अपने करियर में बेहतर स्थिति में पहुंचाएंगे। आपके साथी के साथ आपके रिश्ते में अहंकार की भावना तो रहेगी लेकिन फिर भी आप उनके साथ विवाह बंधन में बंधेंगे। सिंगल लोगों को अपना परफेक्ट पार्टनर मिलने की संभावना है। कुल मिलाकर यह आपके लिए अच्छा समय है।वृषभ राशि: वृषभ राशि के जातकों को अपनी कार्यकुशलता का फल इस गोचर के दौरान मिलेगा। आप वाहन भी खरीद सकते हैं। परिवार को कोई परेशानी नहीं होगी। आपकी माता आपके प्रति अत्यधिक स्नेही और प्रेममयी होगी। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले खुद को जीत की राह पर पा सकते हैं। अचानक से धन आगमन के कारण आपको आर्थिक समृद्धि मिलेगी और आपको संपत्ति और गृह ऋण प्राप्त करना आसान होगा।सिंह राशि: सिंह राशि में शुक्र ग्रह का प्रवेश आपके लिए सुखद स्थिति लेकर आएगा। इस दौरान आपके दिलचस्प दोस्त बनेंगे। यह गोचर आपके अंदर एक आकर्षण उत्पन्न करेगा। इस वजह से आप लोगों की प्रशंसा के हकदार बनेंगे। जब प्यार, शादी, पैसा और पेशेवर विकास की बात आती है, तो चीजें पूरी तरह से सहज हो जाएंगी। सिंह राशि के जो जातक कलाकार,संचालक या किसी भी रचनात्मक क्षेत्र से जुड़े हैं उनका प्रमोशन होने की संभावना है। व्यक्तित्व विकास हेतु यह समय अति उत्तम है।
-
दो वर्ष बाद गणेश चतुर्थी का उत्सव बड़े धूमधाम से मनाये जानें की तैयारियां हो रहीं हैं. बाजार में गणपति बप्पा की मूर्तियां बनाई जा रहीं हैं. गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) का त्योहार हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होता है जो कि 10 दिनों तक चलता हैं. लोग अपने घरों में गणेश जी की मूर्ति स्थापित करते हैं और विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं. गणेश चतुर्थी को गणेश जी का जन्म दिवस होता है, इसलिए इसे गणेश जयंती भी कहते हैं.
गणेश चतुर्थी कब---
गणेश चतुर्थी का पर्व भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होकर अगले 10 दिनों तक मनाया जाता है. अंतिम दिन चतुर्दशी के दिन गणपति बप्पा की विधिवत पूजा के बाद उनका विसर्जन करते हैं. पंचांग के मुताबिक, इस बार गणेश चतुर्थी 31 अगस्त को है.
गणेश चतुर्थी पर बन रहा है ये शुभ संयोग--
पंचांग के अनुसार इस वर्ष गणेश चतुर्थी के अवसर पर तीन शुभ योग बन रहे हैं और एक विशेष संयोग बन रहा है. इस वर्ष की गणेश चतुर्थी तिथि रवि योग में है. वहीं इसी दिन दो शुभ योग ब्रह्म योग और शुक्ल योग भी बन रहे हैं. पंचांग के मुताबिक, 31 अगस्त 2022 दिन बुधवार को प्रात:काल 05:58 बजे से लेकर देर रात 12:12 बजे तक रवि योग है. जबकि प्रात:काल से लेकर रात 10:48 बजे तक शुक्ल योग और शुक्ल योग के समाप्त होने के तुरंत बाद से ब्रह्म योग प्रारंभ हो जाएगा. ये तीनों ही योग पूजा पाठ की दृष्टि से बेहद शुभ माने गए हैं.
धार्मिक मान्यता है कि रवि योग अमंगल को दूर कर सफलता प्रदान करता है. इस योग में सूर्य की स्थिति बेहद प्रबल मानी जाती है. ऐसे में गणेश चतुर्थी पर आप गणपति बप्पा की विधिवत पूजा करके उन्हें प्रसन्न कर अपनी हर कामना को सफल बना सकते हैं. -
हरतालिका तीज 30 अगस्त 2022 को है. महिलाएं इस दिन सुहाग की वस्तुओं के साथ 5 चीजों का दान जरूर करें. कहते हैं इससे सौभाग्यवती होने का वरदान मिलता है.
फल
सुहागिन स्त्रियों के लिए हरतालिका तीज (Hartalika Teej 2022) के व्रत का बहुत महत्व है. मान्यता है इस दिन सुहाग के सामान के साथ मंदिर में फलों का दान करने से सुख-समृद्धि आती है.
गेंहू
गेंहू और जौ का दान सोने के दान देने के समान माना गया है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तीज के व्रत में गेंहू का दान शुभ फल प्रदान करता है. गेंहू न हो तो किसी जरूरतमंद को आटा भी दान में दे सकते हैं.
वस्त्र
हरतालिका तीज पर किसी ब्राह्मण महिला या गरीबों को वस्त्र का दान जरूर करें. मान्यता है महादेव और देवी पार्वती प्रसन्न होते हैं और अखंड सौभाग्य का वरदान देते हैं.
चावल
चावल का दान बहुत शुभ माना गया है. कहते हैं के हरतालिका तीज पर चावल का दान करने से शुक्र ग्रह से संबंधी दोष समाप्त होते हैं. परिवार में सुख-शांति आती है.
गुड़
हरतालिका तीज का व्रत मंगलवार को पड़ रहा है. इस दिन गुड़ का दान करना उत्तम फल प्रदान करता है. मान्यता है कि गरीबों में गुड़ का दान करने से महिलाओं को स्वास्थ लाभ मिलता है.
- - वास्तु शास्त्र में घर या कार्य स्थल पर किस दिशा में कौन सी चीज कहां रखें या कहां किसका निर्माण कराया जाए इस बारे में बताया गया है। यदि इन बातों का ध्यान न रखा जाए तो भवन में वास्तु दोष निर्मित होता है। जिससे नकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगता है। इसलिए वास्तु के नियमों को ध्यान में रखना आवश्यक होता है। वास्तु की मान्यता के अनुसार चार दिशाएं पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण के अलावा चार विदिशाएं होती हैं - ईशान कोण, नैऋत्य कोण, आग्नेय कोण और वायव्य कोण।क्या है आग्नेय दिशा-आग्नेय कोण पूर्व और दक्षिण दिशा के मध्य स्थान को कहते हैं। आग्नेय दिशा के स्वामी अग्निदेव हैं। इस दिशा का आधिपत्य शुक्र ग्रह के पास है। इस दिशा में सूर्य की किरणें सर्वाधिक पड़ती हैं जिससे यह दिशा अन्य दिशाओं से गर्म रहती हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार यह दिशा अग्नि से संबंधित कार्यों के लिए सर्वोत्तम मानी गई है। इस दिशा में रसाईघर, बिजली के उपकरण, इन्वर्टर, गर्म पानी करने की भट्टी एवं बॉयलर या फिर अग्नि से सम्बंधित उपकरण रखना श्रेष्ठ रहता है।इस दिशा में क्या करें-आग्नेय दिशा में शुक्र का प्रतिनिधित्व होने के कारण यह दिशा महिलाओं के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है। इस दिशा में वास्तुदोष होने से घर की महिलाएं बीमार रह सकती हैं। रजस ऊर्जा से युक्त आग्नेय दिशा में किचन का निर्माण बहुत शुभ होता है। यह किचन के निर्माण के लिए उत्तम स्थानों में से एक है। यहाँ स्थित किचन व्यक्ति की आर्थिक स्थिति बेहतर करती है और रुके हुए धन को प्राप्त करने में भी मददगार होती है। इस दिशा में ड्रेसिंग रूम और सौंदर्य प्रसाधन कक्ष बनाना शुभ रहता है।भूलकर भी यहां ये न करें-अग्नि की दिशा में कभी भी जल से जुड़े कार्य नहीं करने चाहिए अन्यथा घर के सदस्य बीमार रहेंगे और घर की आर्थिक उन्नति रुक जाएगी। बोरिंग, नल, हैंडपंप और पानी की टंकी यहां रखना शुभ नहीं माना गया है।अग्नि और जल एक दूसरे के विरोधी तत्व हैं अत: आग्नेय दिशा में स्थित अंडरग्राउंड वाटर टैंक धन के सकारात्मक प्रवाह को रोकता है और महिलाओं के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है। इसके अलावा परिवार के सदस्यों में आपस में बहस चलती रहती है इसलिए ऐसी परिस्थिति से बचने के लिए आग्नेय दिशा में अंडरग्राउंड वाटर टैंक का निर्माण नहीं करना चाहिए।सेप्टिक टैंक का निर्माण भी आग्नेय में करना वास्तु दोष का कारण बनता है।यह अग्नि तत्व से सम्बंधित दिशा है और यहां पर स्थित बेडरूम में अगर शादीशुदा लोग सोते हैं, तो पति-पत्नी के बीच छोटी-छोटी बेमतलब की बातों पर लड़ाई होती रहती है। अगर कोई व्यक्ति उत्तर दिशा की ओर सिर करके आग्नेय कोण के बेडरूम में सोता है, तो उसे अनिद्रा से सम्बंधित समस्या होने की काफी संभावना होती है। अत: यह दिशा घर के सदस्यों के बेडरूम बनाने के लिए उचित नहीं है।
- भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन महिलाएं हरतालिका तीज का निर्जला व्रत रखकर माता पार्वती की पूजा करती हैं। इस बार 30 अगस्त को यह व्रत रखा जाएगा। महिलाएं अपने पति और परिवार की सेहत और दीर्घायु के लिए यह व्रत रखती हैं। मान्यता है कि व्रत- पूजन में 11 चीजों का उपयोग करने से मां पार्वती प्रसन्न होती हैं । आइये जानते हैं कौन सी हैं ये चीजें.....1. फुलेरा : फूल-पत्तियों, जड़ी-बूटियों और बांस से झूले जैसा दो फुलहरा बनाया जाता है। पूजन के दौरान फुलेरा माता पार्वती और शिवजी को अर्पित किए जाते हैं।2. सुहाग पिटारा : माता को सुहाग के 2 पिटारा अर्पित किए जाते हैं जिसमें बिंदी, चूड़ी, बिछिया, मेहंदी, आदि 16 श्रृंगार के सामान होते हैं।3. खीर का भोग- माता पार्वती को खीर का भोग लगाएं। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में प्यार बना रहता है।4. सोलह पत्तियां - बिल्वपत्र, तुलसी, जातीपत्र, सेवंतिका, बांस, देवदार पत्र, चंपा, कनेर, अगस्त्य, भृंगराज, धतूरा, आम पत्ते, अशोक पत्ते, पानपत्ते, केले के पत्ते और शमी पत्ते अर्पित करें ।5 भोग- माता को शहद, हलवे, गुड़ और घी की चीजों का भोग लगाकर दान करने से परिवार की बीमारी और दरिद्रता दूर होती है।6. ये चीजें अर्पित करें - पंचामृत, मिठाई, फल, फूल, नारियल, कपूर, कुमकुम, सुपारी, सिंदूर, अबीर, चन्दन, लकड़ी की चौकी, पीतल का कलश आदि।7. अभिषेक करें : दूध में केसर मिलाकर शिव-पार्वती का अभिषेक करें। साथ ही कर्पर , अगरु, केसर, कस्तूरी और कमल के जल, आम, गन्ने का रस से भी अभिषेक करें।8. मिट्टी टी के शिवलिंग : हरतालिका पूजन के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की बालू रेत व काली मिट्टी की प्रतिमा हाथों से बनाएं और उनकी पूजा करें।9. कथा जरूर सुनें : व्रत के दौरान हरतालिका तीज व्रत कथा को सुनना जरूरी होता है।10. रातभर जागरण- इस दिन आठ प्रहर की पूजा और भजन-कीर्तन करना चाहिए।11. पारण : शिवजी, माता पार्वती और गणेशजी प्रतिमा को व्रत के दूसरे दिन चौथ को सुबह विधिवत तालाब या फिर नदी में विसर्जित करने के बाद व्रत का पारण किया जाता है।