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जानिए गुलाब के फूल का वास्तु.... दिन को बनाएं खूबसूरत...
जब भी आप किसी से उसका फेवरेट फूल पूछते हैं तो ज्यादातर लोग गुलाब का ही नाम लेते हैं। यह स्वाभाविक बात है कि इंसान को गुलाब का फूल और इसकी खुशबू इंसान को अपनी ओर आकर्षित करती है। लेकिन वास्तु शास्त्र में आज इंदु प्रकाश से जानिए घर में गुलाब की पंखुड़ियां का महत्व।
क्या आप जानते हैं कि गुलाब की खुशबु से आपका पूरा दिन अच्छा हो सकता है। कहते हैं न जब दिन की शुरुआत अच्छी हो तो पूरा दिन अच्छा बीतता है, सब काम ठीक से, बिना किसी रुकावट के हो जाते हैं। सुबह के समय वैसे भी वातावरण में ताजगी होती है और उस पर सुबह-सुबह ताजे गुलाबों की खुशबु। जब आप एक पॉजिटिविटी के साथ दिन की शुरुआत करते हैं तो आपका पूरा दिन अच्छा बीतता है। Vastu Shastra
पूर्व दिशा में रखें गुलाब की पंखुड़ियों की कटोरी
यह भी जाहिर है कि आपका मन खुश रहेगा तो आपके काम भी अच्छे से होंगे और आपको खुश देखकर आपके आस-पास के लोग भी प्रसन्न रहेंगे। आप गुलाब की पंखुड़ियों से भरी इस कटोरी को घर की पूर्व दिशा में रख सकते हैं।
रूम फ्रेशनर और परफ्यूम का काम
गुलाब जहां घर में पॉजिटिव एनर्जी लाता है, वहीं इसकी खुशबू के कारण किसी केमिकल वाले रूम फ्रेशनर और परफ्यूम की जरूरत नहीं पड़ती। पूरा घर दिन भर भीनी खुशबू से महकता रहता है। -
सावन आते ही बहन और भाईयों को रक्षाबंधन का त्यौहार मनाने की जल्दी होने लगती है, और होना भी जरूरी है क्योंकि यह त्यौहार भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है। बता दें रक्षाबंधन सावन माह में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है। इस साल रक्षाबंधन 11 अगस्त 2022, गुरुवार को है। इस दिन बहनें अपने भाई के हाथ में राखी बांधती हैं और भाई उनकी रक्षा का वादा करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार सावन माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा 11 अगस्त को है। पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को सुबह 10 बजकर 38 मिनट पर शुरू होगी और 12 अगस्त को सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर समाप्त होगी।
रक्षाबंधन के दिन करें ये खास उपाय--
रक्षाबंधन के दिन बहनों को भाईयों से पहले भगवान गणेश जी की पूजा अवश्य करना चाहिए।
गणेश जी को दूर्वा घास भी अर्पित करनी चाहिए। इसके अलावा चंदन, बेलपत्र और राखी भी गणेश भगवान को अर्पित करें। इससे भाई का क्रोध कम होता है और बहनों के लिए प्यार बढ़ता है।
इस दिन बहनों को भगवान शिव का भी जलाभिषेक करना चाहिए। इस उपाय को करने से भाई को हर मुसीबत से छुटकारा मिलता है।
सूर्यदेव को भी जल अर्पित करना चाहिए। इस उपाय को करने से भाई-बहन का रिश्ता मजबूत होता है।
रक्षाबंधन के दिन बहने अपने भाई को खाना बनाकर खिलाएं। इससे प्यार ज्यादा होता है।
रक्षाबंधन के दिन शुभ मुहूर्त में ही भाई को राखी बांधे। ध्यान रखें कि भूलकर भी भाद्रपक्ष में राखी नहीं बांधनी चाहिए। - मां लक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है। मां लक्ष्मी की कृपा से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए श्री लक्ष्मी चालीसा का पाठ अवश्य करें। रोजाना सुबह- शाम श्री लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। श्री लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और मनवांछित फल देती हैं।
(श्री लक्ष्मी चालीसा):
॥ सोरठा॥
यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करुं।
सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥
॥ चौपाई ॥
सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही।
ज्ञान बुद्घि विघा दो मोही॥
श्री लक्ष्मी चालीसा
तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरवहु आस हमारी॥
जय जय जगत जननि जगदंबा सबकी तुम ही हो अवलंबा॥1॥
तुम ही हो सब घट घट वासी। विनती यही हमारी खासी॥
जगजननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥2॥
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी॥
केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥3॥
कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी। जगजननी विनती सुन मोरी॥
ज्ञान बुद्घि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥4॥
क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिन्धु में पायो॥
चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभु बनि दासी॥5॥
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रुप बदल तहं सेवा कीन्हा॥
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥6॥
तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥
अपनाया तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥7॥
तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी। कहं लौ महिमा कहौं बखानी॥
मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन इच्छित वांछित फल पाई॥8॥
तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मनलाई॥
और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करै मन लाई॥9॥
ताको कोई कष्ट नोई। मन इच्छित पावै फल सोई॥
त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणि। त्रिविध ताप भव बंधन हारिणी॥10॥
जो चालीसा पढ़ै पढ़ावै। ध्यान लगाकर सुनै सुनावै॥
ताकौ कोई न रोग सतावै। पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै॥11॥
पुत्रहीन अरु संपति हीना। अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना॥
विप्र बोलाय कै पाठ करावै। शंका दिल में कभी न लावै॥12॥
पाठ करावै दिन चालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा॥
सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै। कमी नहीं काहू की आवै॥13॥
बारह मास करै जो पूजा। तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥
प्रतिदिन पाठ करै मन माही। उन सम कोइ जग में कहुं नाहीं॥14॥
बहुविधि क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥
करि विश्वास करै व्रत नेमा। होय सिद्घ उपजै उर प्रेमा॥15॥
जय जय जय लक्ष्मी भवानी। सब में व्यापित हो गुण खानी॥
तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयालु कहुं नाहिं॥16॥
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। संकट काटि भक्ति मोहि दीजै॥
भूल चूक करि क्षमा हमारी। दर्शन दजै दशा निहारी॥17॥
बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी। तुमहि अछत दुःख सहते भारी॥
नहिं मोहिं ज्ञान बुद्घि है तन में। सब जानत हो अपने मन में॥18॥
रुप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण॥
केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्घि मोहि नहिं अधिकाई॥19॥
॥ दोहा॥
त्राहि त्राहि दुख हारिणी, हरो वेगि सब त्रास। जयति जयति जय लक्ष्मी, करो शत्रु को नाश॥
रामदास धरि ध्यान नित, विनय करत कर जोर। मातु लक्ष्मी दास पर, करहु दया की कोर॥
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रक्षाबंधन का त्योहार हिन्दू धर्म के बड़े त्योहारों में से एक है, जिसे देश भर में धूमधाम के साथ मनाया जाता है. यह पर्व भाई और बहन के लिए बहुत ही खास होता है. इस बार रक्षाबंधन का त्योहार 11 अगस्त 2022 दिन गुरुवार मनाया जाएगा. इस दिन हर बहन अपने भाई की उन्नति और सलामती की प्रार्थना करती है. माना जाता है कि इस दिन भाई को उनकी राशि )के अनुसार राखी बांधना बेहद शुभ होता है. आइए जानते हैं कि कौन सी राशि के भाई को किस रंग की राखी बांधनी चाहिए.
राशि के अनुसार चुनें राखी के रंग
मेष राशि
मेष राशि के भाई को लाल रंग राखी बांधे.इससे भाई का स्वास्थ अच्छा रहेगा.
वृषभ राशि
इस राशि के भाई को सफेद रंग वाली रेशमी धागे की राखी बांधे. इसमें छह गांठे लगाएं. इससे उन्हें मानसिक शांति मिलेगी.
मिथुन राशि
इस राशि के भाई को हरे रंग की राखी बांधें. इससे आत्मविश्वास बढ़ेगा, साथ ही भाई के अटके हुए काम बनने लगेंगे.
कर्क राशि
कर्क राशि वाले भाई को पीले रंग की रेशमी धागे वाली राखी बांधे. ऐसा करने से भाई को शिक्षा के क्षेत्र में सफलता मिलेगी ओर रिश्तों में मजबूती बनी रहेगी.
सिंह राशि
सिंह राशि वाले भाई को पांच रंगों से बनी राखी बांधे और इसमें सात गांठे लगाएं.ऐसा करने से भाई के जीवन में सुख समृद्धि बनी रहेगी.
कन्या
कन्या राशि वाले भाई को सफेद या सिल्वर कलर की बांधे. इससे जीवन में आ रही रुकावटें दूर होंगी और भाई की रक्षा होगी.
तुला राशि
इस राशि के भाई को क्रीम कलर, सफेद या हल्के नीले रंग की राखी बांधें. इससे धन में वृद्धि होगी.
वृश्चिक राशि
इस राशि के भाई को गुलाबी, लाल या चमकीले रंग की राखी बांधे. इससे जीवन में खुशहाली बनी रहेगी.
धनु राशि
इस राशि के भाई को सफेद या पीली डोरी वाली राखी बांधे. ऐसा करने से मानसिक शांति बनी रहेगी और व्यापार एवं नौकरी में तरक्की होगी.
मकर राशि
मकर राशि के भाई को मल्टीकलर राखी या फिर नीले रंग की राखी बांधे. इससे उनकी भाग्यवृद्धि होगी.
कुंभ राशि
इस राशि के भाई को ब्लू कलर की राखी बांधे. मनोबल मजबूत रहेगा और जीवन में आ रही परेशानियां दूर होंगी.
मीन राशि
इस राशि के भाई को लाल, पीला या नारंगी रंग राखी बांधे.इससे भाई के जीवन में खुशहाली आएगी. -
सावन का महीना शुरू होते ही लोग रक्षाबंधन के त्योहार का इंतजार करने लगते हैं. भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक यह त्योहार हर तरफ रौनक लेकर आता है. यह त्योहार सावन माह में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है और कहते हैं कि इस दिन यदि बहनें कुछ विशेष उपाय अपनाएं तो भाई की जिंदगी में खुशियां और तरक्की होती है।
रक्षाबंधन तिथि और शुभ मुहूर्त---
हिंदू पंचांग के अनुसार सावन माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा 11 अगस्त को है और इसी दिन यह रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा. पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को सुबह 10 बजकर 38 मिनट पर शुरू होगी और 12 अगस्त को सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर समाप्त होगी.
रक्षाबंधन के दिन करें ये विशेष उपाय----
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रक्षाबंधन के दिन बहनों को भगवान गणेश जी पूजन अवश्य करना चाहिए. साथ ही गणेश जी को दूर्वा घास भी अर्पित करनी चाहिए. इसके अलावा चंदन, बेलपत्र और राखी भी गणेश भगवान को अर्पित करें. इससे भाई का क्रोध कम होता है.
रक्षाबंधन के दिन बहनों को भगवान शिव का भी जलाभिषेक करना चाहिए. इसके अलावा सुबह स्नान आदि कर सूर्यदेव को भी जल अर्पित करें. इस उपाय को करने से भाई-बहन का रिश्ता मजबूत होता है और भाई को हर मुसीबत से छुटकारा मिलता है.
शास्त्रों में मुताबिक रक्षाबंधन के दिन बहने अपने भाई को खाना बनाकर खिलाएं. ऐसा करना बेहद शुभ माना गया है.
साथ ही कोशिश करें कि रक्षाबंधन के दिन शुभ मुहूर्त में ही भाई को राखी बांधे. ध्यान रखें कि भूलकर भी भाद्रपक्ष में राखी नहीं बांधनी चाहिए. - आचार्य चाणक्य की कही हर बात बहुमूल्य है. उन्होंने जो बातें सैकड़ों वर्षों पहले की स्थितियों को देखकर कही थीं, उन्हें अगर आज के परिवेश में भी समझा जाए तो आपको उनकी बातें सही नजर आएंगी. आचार्य की बातों को अगर आपने जीवन में उतार लिया तो आपके लिए जीवन काफी आसान हो जाएगा. यहां जानिए आचार्य के वो 4 सबक जो आपके मुश्किल समय को जीवन में आने से रोकने में मददगार हैं.आचार्य चाणक्य ने लोगों को हमेशा दूसरों की बुराई करने से मना किया है. दूसरों की बुराई करके आप अपने अंदर भी बुराई ही पैदा करते हैं. इससे आपकी सोच नकारात्मक हो जाती है और आपके विचार दूषित हो जाते हैं. इसलिए दूसरों में कमी ढूंढने की बजाय स्वयं में कमी ढूंढने का प्रयास करें.आचार्य का कहना था कि धन हर किसी की आवश्यकता है, लेकिन धन कमाने के चक्कर में आप गलत राह न चुनें. गलत तरीके से धन आप बेशक बहुत तेजी से कमा सकते हैं, लेकिन बाद में आपको इसकी कीमत भी चुकानी पड़ती है. ये धन जितनी तेजी से आता है, उतनी ही तेजी से चला जाता है और व्यक्ति बर्बाद हो जाता है.आचार्य का कहना था अगर आप जीवन में माता लक्ष्मी की कृपा चाहते हैं तो दो बातों का खासतौर पर ध्यान रखें. पहली बात महिलाओं को पूरा सम्मान दें. महिलाओं को मां लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है. दूसरी बात, जहां भी रहें स्वच्छता के साथ रहें. जहां स्वच्छता नहीं होती, वहां मां लक्ष्मी का निवास नहीं होता. इसलिए शारीरिक स्वच्छता और निवास की स्वच्छता का खयाल रखें. वरना मां लक्ष्मी रूठ जाती हैं और आपका कमाया धन भी बीमारियों या अन्य फिजूल जगहों पर खर्च हो जाता है और घर में कभी बरकत नहीं रहती.आचार्य का कहना था कि हर व्यक्ति को लालच से हमेशा दूर रहना चाहिए. लालच वो अवगुण है जो आपसे कुछ भी करवा सकता है. आपको एकदम निचले स्तर तक ले जा सकता है. ऐसे में व्यक्ति अपने लिए स्वयं ही गड्ढा खोद लेता है.
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हरियाली तीज 31 जुलाई 2022 को मनाई जाएगी
सावन की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज का पर्व मनाया जाता है. हरियाली तीज नाग पंचमी से दो दिन पहले आती है. हरियाली तीज पर महिलाएं व्रत रखती हैं और सोलह श्रंगार करती है. हरियाली तीज के दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा की जाती है. माना जाता है कि हरियाली तीज के दिन माता पार्वती और भगवान शंकर का मिलन हुआ था. इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. हरियाली तीज को छोटी तीज या श्रावण तीज के नाम से भी जाना जाता है. इस साल हरियाली तीज 31 जुलाई 2022 को रविवार के दिन मनाई जाएगी. आइए जानते हैं किस शुभ योग में मनाई जाएगी हरियाली तीज.
हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त
तृतीया तिथि प्रारम्भ - जुलाई 31, 2022 को सुबह 02 बजकर 59 मिनट पर शुरू
तृतीया तिथि समाप्त - अगस्त 01, 2022 को सुबह 04 बजकर 18 मिनट पर खत्म
हरियाली तीज पर बनने जा रहा है ये शुभ योग
इस साल हरियाली तीज पर रवि योग बनने जा रहा है. रवि योग को शुभ फल देने वाला योग माना जाता है. किसी भी कार्य को संपन्न करने के लिए इस योग को श्रेष्ठ माना जाता है. माना जाता है कि रवि योग कई अशुभ योगों से होने वाली हानि से बचाता है. रवि योग पर सूर्य को अर्घ्य देना जातकों के लिए काफी शुभ और प्रभावशाली माना जाता है. हरियाली तीज पर रवि योग 31 अगस्त को शाम 2 बजकर 20 मिनट से शुरू होकर 1 अगस्त को सुबह 6 बजकर 4 मिनट तक रहेगा.
हरियाली तीज पूजा विधि
इस दिन सुहागिन महिलाएं स्नान करके साफ कपड़े पहनती हैं. इसके बाद पूजा के लिए एक चौकी पर माता पार्वती, भगवान शिव और गणेश जी की प्रतिमा रखी जाती है. इसके बाद माता पार्वती का 16 श्रृंगार किया जाता है. इसके बाद भगवान शिव को बेल पत्र, भांग धतूरा और धूप, वस्त्र आदि चढ़ाएं. इसके बाद गणेश जी की पूजा करें और हरियाली तीज की कथा सुनें. फिर माता पार्वती और भगवान शिव की आरती करें. -
इस समय सावन का पावन माह चल रहा है। सावन का महीना भोलेनाथ को प्रिय होता है। सावन मास में विधि- विधान से भोलेनाथ की पूजा- अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस माह में भोलेनाथ धरती में ही रहते हैं। भगवान शिव अपने भक्तों से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। भगवान शिव की शरण में जो भी आता है भगवान शिव उसके सभी कष्टों को दूर कर देते हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार कुछ राशियों पर भगवान शंकर की विशेष कृपा रहती है। इन राशि वालों के सहायक भोलेनाथ होते हैं।
आइए जानते हैं किन राशियों पर रहते हैं भगवान शंकर मेहरबान-
मेष राशि
मेष राशि के जातकों पर भगवान शिव की विशेष कृपा रहती है।
ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार मेष राशि के लोगों को शिव की अराधना करनी चाहिए।
मेष राशि के जातकों को सावन मास में रोजाना शिवलिंग पर जल अर्पित करना चाहिए। शिवलिंग पर जल अर्पित करने से शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
मेष राशि के जातक किस्मत के धनी होते हैं।
मेष राशि के जातकों को जीवन में समस्याओं का सामना कम ही करना पड़ता है।
मकर राशि
मकर राशि के स्वामी शनि देव हैं। मकर राशि के जातकों पर भगवान शिव और शनिदेव की विशेष कृपा रहती है।
मकर राशि के जातकों को रोजाना भगवान शिव की पूजा- अर्चना करनी चाहिए।
मकर राशि के जातक ऊॅं नम: शिवाय का जप करें।
मकर राशि के जातक भाग्य के धनी होते हैं।
मकर राशि के जातक विनम्र होते हैं।
कुंभ राशि
कुंभ राशि के स्वामी भी शनि देव हैं। कुंभ राशि के जातकों पर भी शनिदेव और भगवान शिव की विशेष कृपा रहती है।
कुंभ राशि के जातकों को शिवलिंग पर जल अर्पित करना चाहिए।
कुंभ राशि के जातकों को क्षमता के अनुसार दान भी करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दान करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है।
कुंभ राशि के जातक स्वभाव के सरल होते हैं। -
सावन का महीना भगवान शिव को प्रिय होता है. इस महीने में हर भक्त मानो शिव के रंग में रंग जाता है. हर जगह बम भोले की गूंज सुनाई देती है. कहा जाता है कि सावन के महीने में भगवान शिव (Lord Shiv) को बहुत आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है. भगवान की कृपा और मनवांछित फल प्राप्ति के लिए लोग सावनभर भगवान की सेवा और भक्ति करते हैं. सावन के महीने (Sawan Month) के सोमवार का भी विशेष महत्व होता है. ज्यादातर शिवभक्त सावन सोमवार का व्रत रखकर उस दिन शिव जी की विशेष आराधना करते हैं. माना जाता है कि इससे भक्त की कामना जरूर पूरी होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सावन का सोमवार इतना महत्वपूर्ण क्यों माना गया है? आइए जानते हैं इसके बारे में.
इसलिए खास है सावन का सोमवार
कहा जाता है कि भगवान शिव की पहली पत्नी देवी सती ने जब अपने पिता के घर पर अपने पति शिव का अपमान होते देखा तो वे बर्दाश्त नहीं कर पाईं और राजा दक्ष के यज्ञकुंड में उन्होंंने अपना शरीर त्याग दिया. इसके बाद उन्होंने हिमालय पुत्री पार्वती के रूप में जन्म लिया. पार्वती के रूप में भी उन्होंने भगवान शिव को भी अपना वर चुना और उन्हें प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया. कहा जाता है सावन के महीने में ही शिव जी उनके तप से प्रसन्न होकर प्रकट हुए थे और उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया था. इसके बाद पार्वती जी का शिव जी के साथ विवाह हुआ. तब से ये पूरा माह शिव जी और माता पार्वती दोनों का प्रिय माह बन गया. चूंकि सोमवार का दिन महादेव और मां पार्वती को समर्पित होता है, ऐसे में उनके प्रिय माह सावन में पड़ने वाले सोमवार का महत्व कहीं ज्यादा बढ़ जाता है. जो शिव भक्त सामान्यत: सोमवार का व्रत नहीं भी रखते, वो भी सावन के सोमवार का व्रत जरूर रखते हैं.
सावन के सोमवार का महत्व
कहा जाता है कि सावन के सोमवार का व्रत रखने से मनवांछित कामना पूरी होती है. सुहागिन महिलाओं को सौभाग्यवती होने का आशीष प्राप्त होता है और पति को लंबी आयु प्राप्त होती है. वहीं अगर कुंवारी कन्याएं ये व्रत रखें तो उन्हें सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है.
सावन के सोमवार में ऐसे करें पूजन
सावन के सोमवार के दिन सुबह और शाम स्नान के बाद पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके आसन पर बैठें. शिव जी और माता पार्वती को दूध, दही, घी, शक्कर, शहद व गंगा जल से शिव परिवार को स्नान कराएं. फिर चंदन, फूल, फल, धूप, दीप, रोली, वस्त्र, बेलपत्र, भांग, धतूरा आदि अर्पित करें. गणपति को दूर्वा अर्पित करें. शिव चालीसा और शिव मंत्रों का जाप करें. सावन सोमवार की व्रत कथा पढ़ें और अपनी कामना को शिव जी से पूरी करने की प्रार्थना करें. इसके बाद आरती करें. पूजा के बाद प्रसाद वितरण करें. - हिंदू धर्म में मां लक्ष्मी को धन और ऐश्वर्य की देवी माना जाता है। कहा जाता है कि इनकी कृपा से ही व्यक्ति को अन्न, वस्त्र और धन की प्राप्ति होती है। वहीं प्रत्येक मनुष्य की कामना रहती है कि उसके ऊपर मां लक्ष्मी की कृपा दृष्टि बनी रहे, लेकिन कहा जाता है कि मां लक्ष्मी चंचला हैं। एक स्थान पर ठहरना उनका स्वभाव नहीं है। हालांकि यदि आप हमेशा मां लक्ष्मी की कृपा पाना चाहते हैं तो ज्योतिष के कुछ उपाय करने चाहिए। ज्योतिष शास्त्र में कुछ ऐसे उपाय बताए गए हैं, जिन्हें यदि आप प्रतिदिन सुबह जल्दी उठकर करते हैं तो आपके ऊपर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। जिससे आपके घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। प्रात: काल में मां लक्ष्मी का पूजन और उपाय करने से उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं। तो चलिए जानते हैं उपाय...-यदि आपके घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह हो रहा हो, तो घर में कलह के साथ धन हानि भी होने लगती है। नकारात्मक ऊर्जा आपकी आर्थिक स्थिति पर बुरा प्रभाव डालती है। इसके लिए आप प्रात: जल्दी उठकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें तुलसी की पत्तियां डालकर कुछ देर रख दें। अब इस पानी को घर के सभी कोनों में और मुख्य द्वार पर छिड़कें। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ऐसा करने से आपके घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और मान्यता है कि मां लक्ष्मी का आगमन होता है।-हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को बेहद पूज्यनीय और पवित्र माना गया है। साथ ही इसे विष्णुप्रिया भी कहा जाता है। ऐसे में अपने घर में तुलसी का पौधा अवश्य रखना चाहिए और प्रतिदिन सुबह स्नान के बाद तुलसी के पौधे में जल चढ़ाना चाहिए। तुलसी में जल चढ़ाते समय विष्णु जी के मंत्र, 'ऊं नमो भगवते वासुदेवाय' का जाप करना चाहिए। इससे आपके घर की दरिद्रता दूर होती है आपके ऊपर विष्णु भगवान लक्ष्मी की कृपा रहती है। जिससे आपके घर में समृद्धि का वास होता है।-प्रतिदिन सुबह उठकर अपने घर की साफ-सफाई करने के बाद स्नान करने के बाद शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए। ज्योतिष के अनुसार, ऐसा करने से घर में देवी-देवताओं का वास होता है और लक्ष्मी माता की कृपा बनी रहती है।-प्रतिदिन जल्दी उठकर स्नानादि करके सूर्य को अघ्र्य अवश्य देना चाहिए। इसके लिए एक तांबे के लोटे में जल और लाल सिंदूर डालकर सूर्य को अघ्र्य दें। माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति के सभी कार्य बनने लगते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि यह कार्य सुबह जल्दी उठकर कर लेना चाहिए।---
- जिस प्रकार मनुष्य एक जैसा नहीं रहता । समय के साथ अलग-अलग परेशानियों का सामना करता रहता है । उसी प्रकार ग्रह की स्थिति भी बदलती रहती है। ग्रह की स्थिति बदलने से ही व्यक्ति को कई प्रकार की बीमारियों का, आर्थिक परेशानियों का और पारिवारिक झगड़ों का सामना करना पड़ता है ।वैसे ही अलग-अलग रिश्तों के लिए मंदिर में ध्वजारोहण करने से ग्रहों में सुधार होता है। शास्त्रों की मानें तो शिखर दर्शन ध्वजा को संपूर्ण फल प्रदान कारक कहा गया है । जैसे मनुष्य की संपूर्ण ऊर्जा का केंद्र सहस्त्रधार चक्र होता है उसी प्रकार मंदिर का केंद्र उसका ध्वज दर्शाता है। जो आकाशीय ब्रह्मांड ऊर्जा का टावर कहा जाता है ।। वैज्ञानिक अनुसार हमारा शरीर पांच तत्वों से बना है और ग्रहों के प्रभाव से शरीर में अनेक प्रकार के विकार आते हैं । अपने जन्म नक्षत्र के अनुसार मंदिर में ध्वजा लगाएं।आइए इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि किसी मंदिर के ध्वजारोहण से हम ग्रहों की मारक शक्ति व अपनी सहनशक्ति कैसे बढ़ाएं -सूर्य - सूर्य ग्रह पिता , ह्रदय और हड्डियों के कारक हैं। अगर पिता से संबंध अच्छे नहीं चल रहे हो या कुंडली में सूर्य का दोष हो तब पिता के नाम से ध्वजा लगाएं।चंद्र - यह ग्रह माता , मन और फेफड़े संबंधी कारक का ग्रह चंद्र है । पत्रिका में चंद्र दोष हो तो मां के नाम से मंदिर में ध्वजा लगाएं।मंगल - यह ग्रह भाई संबंधी है। यह ग्रह रक्त संबंधी दिक्कतें और अधिक क्रोध के कारक हैं। भाई संबंधी परेशानियों के लिए अपने भाई के नाम का ध्वजा लगाएं।।बुध - यह ग्रह त्वचा , ज्ञान और आंतों में दिक्कत जैसी समस्याओं के कारक है। अपने मामा के नाम से ध्वजा लगाएं।गुरु - लीवर जैसी समस्या,पति-पत्नी में विवाद, व आध्यात्मिक गुरु का कारक है । यह समस्याएं होने पर अपने पति-पत्नी या आध्यात्मिक गुरु के नाम से ध्वजा लगवाएं ।शुक्र- यह सुख -समृद्धि और आराम का कारक है । यौन संबंधित विकार होने पर या शुक्र ग्रह पीडि़त होने पर अपनी पत्नी के नाम से ध्वजा लगाएं ।शनि -बार-बार नौकरी में समस्या आना, कार्य में देरी होना, घुटने में दर्द या साढ़ेसाती के समय भी कानूनी समस्या आना शनि ग्रह पीडि़त दर्शाता है। इसके लिए अपने घर के नौकर के नाम से ध्वजा लगाएं।।राहु - राहु ग्रह लगाव का कारक है , शराब की आदत लगना, या कोई छुपा रोग होने पर अपने दादाजी के नाम से ध्वजा लगवाना फलकारी रहेगा।।केतु - केतु ग्रह नौकरी में अस्थिरता या क्रोनिक समस्याओं से पीडि़त होने पर अपने नाना जी के नाम से ध्वजा लगवाए। अलग-अलग तरह के ध्वज लगाने से ग्रहों में सुधार आएगा ।अक्सर लोग भगवान के सामने आंखें खोल-बंद करते रहते हैं। जबकि आध्यात्मिक शक्ति से आंखें स्वयं ही बंद होकर भगवान को याद करती हैं। अत: कभी मंदिर में दर्शन ना कर पाएं तब शिखर दर्शन ध्वजा दर्शन मात्र से ही मन को शांति मिलेगी । हवा में एक तरफ ध्वज लहरा रहा हो तो यह केतु ग्रह का प्रतिनिधित्व दर्शाता है ।
- भगवान शिव पर फूल चढ़ाने का विशेष महत्व है । बिल्व पत्र और धतूरा भगवान शिव को विशेष प्रिय हैं । माना जाता है कि बिल्व पत्र समर्पित करते ही शिव पूजा पूर्ण और सफल हो जाती है ।शिवजी के प्रिय पुष्प हैं—अगस्त्य, गुलाब (पाटला), मौलसिरी, कुशपुष्प, शंखपुष्पी, नागचम्पा, नागकेसर, जयन्ती, बेला, जपाकुसुम (अड़हुल), बंधूक, कनेर, निर्गुण्डी, हारसिंगार, आक, मन्दार, द्रोणपुष्प (गूमा), नीलकमल, कमल, शमी का फूल आदि । जो-जो पुष्प भगवान विष्णु को पसन्द है, उनमें केवल केतकी व केवड़े को छोड़कर सब शंकरजी पर भी चढ़ाए जाते हैं । भगवान शिव की पूजा में केतकी और केवड़े के पुष्पों का निषेध है। चम्पा के पुष्पों से शिव पूजन केवल भाद्रपदमास में किया जाता है ।शिव सहस्त्रनाम या शिव अष्टोत्तरशतनाम के एक-एक नाम को बोलते हुए शिवजी पर पुष्प या बेल पत्र चढ़ाये जाते हैं । शिव पुराण में मनोकामना सिद्धि के लिए एक लाख पुष्पों द्वारा शिव पूजा का विधान है किन्तु आज के युग में इतने पुष्प एक साथ न मिलने से 1008 या 108 पुष्पों द्वारा शिव पूजन किया जा सकता है ।माना जाता है कि कमल, बिल्वपत्र, शंखपुष्पों से शिवजी का पूजन करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। यदि एक लाख पुष्पों से शिवजी का पूजन किया जाए तो सारे पाप नष्ट हो जाते हैं । इतने पुष्प न हों तो एक सौ आठ पुष्प से भी पूजन किया जा सकता है ।भगवान शिव को कमल कितने प्रिय हैं इससे सम्बन्धित एक कथा पुराणों में मिलती है । देवताओं के कष्ट दूर करने के लिए भगवान विष्णु प्रतिदिन शिव सहस्त्रनाम के पाठ से शिवजी को एक सहस्त्र कमल चढ़ाते थे । एक दिन भगवान शिव ने उनकी भक्ति की परीक्षा करने के लिए एक कमल छुपा दिया । एक कमल कम होने पर भगवान विष्णु ने अपना एक कमल-नेत्र शिवजी के चरणों में अर्पित कर दिया । यह देखकर भगवान शिव अत्यन्त प्रसन्न हुए और दैत्यों के विनाश के लिए उन्हें सुदर्शन चक्र प्रदान किया ।-भाद्रपदमास में कदम्ब और चम्पा से शिव पूजा करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं ।-भगवान शिव पर बेला के फूल चढ़ाने से सुन्दर व सुशील पत्नी प्राप्त होती है ।-मुक्ति की कामना करने वाले मनुष्य को कुशा से शिवजी का पूजन करना चाहिए ।-पुत्र की इच्छा रखने वाले मनुष्य को लाल डंठल वाले धतूरे से शिवजी का पूजन करना चाहिए ।-यश प्राप्ति के लिए अगस्त्य के फूलों से शिव पूजन करना चाहिए।-मंजरियों से शिवजी की अर्चना करने से भोग और मोक्ष दोनों ही प्राप्त होते हैं ।-लाल और सफेद आक, अपामार्ग और श्वेत कमल के फूलों से शिवपूजन से मनुष्य भोग और मोक्ष प्राप्त करता है ।-काम-क्रोधादि के नाश के लिए मनुष्य को भगवान शिव की जपाकुसुम (अड़हुल) के पुष्पों से पूजा करनी चाहिए ।-रोग नाश और उच्चाटन आदि के लिए कनेर के फूलों से शिव पूजन करना चाहिए ।-बन्धूक (दुपहरिया) के पुष्पों से पूजा करने पर मनुष्य को आभूषणों की प्राप्ति होती है ।-चमेली के पुष्पों से शिव पूजन से वाहन की प्राप्ति होती है-अलसी के फूलों से महादेवजी का पूजन करने वाला मनुष्य भगवान विष्णु को प्रिय होता है ।-शमी पत्रों से पूजन अनेक प्रकार के सुख व मोक्ष देने वाला है ।-जूही के फूलों से पूजा की जाए तो घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती ।-सुन्दर नए वस्त्र व सम्पत्ति की कामना पूर्ति के लिए कर्णिकार (कनेर) के फूलों से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए ।-निर्गुण्डी के पुष्पों से शिव पूजन करने से मन पवित्र व निर्मल हो जाता है ।-बिल्व पत्रों के पूजन करने से भगवान शिव समस्त मनोकामना पूर्ण करते हैं ।-हरसिंगार के पुष्पों से पूजन करने पर सुख-सम्पत्ति की वृद्धि होती है ।-ऋतु अनुसार पुष्पों से शिवपूजन करने से संसार के आवागमन से मनुष्य मुक्त हो जाता है ।-राई के फूलों से शिवजी की पूजा से शत्रुओं का नाश होता है ।-आयु की इच्छावाला पुरुष एक लाख दूर्वाओं से शिवजी का पूजन करे ।भगवान शिव का पुष्पार्चन करते समय यह ध्यान रखें कि पुष्प स्वयं के पैसे से खरीदे गए हों, दूसरों के बगीचे से बगैर पूछे तोड़े गए पुष्पों से शिव पूजा सफल नहीं होती है । स्वयं भगवान शिव ने पुष्पदंत गंधर्व से कहा-Óअपने आराध्य की स्तुति अपने श्रम से प्राप्त पदार्थ से करनी चाहिए । चोरी के पुष्पों से की गयी मेरी अर्चना मुझे पसन्द नहीं आती है।Ó
- तुलसी के पवित्र पौधे का हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया गया है और शास्त्रों में भी इसका उल्लेख किया गया हैै। माना जाता है कि इसका संबंध भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी से हैै। ज्योतिष शास्त्र ही नहीं वास्तु शास्त्र में भी तुलसी के पौधे का महत्व बताया गया हैै। वास्तु के अनुसार इस पवित्र पौधे को घर में व्यवस्थित करने से जीवन में सुख एवं समृद्धि आती हैै। घर की तरफ आने वाली नेगेटिव एनर्जी दूर रहती है और पॉजिटिव माहौल बना रहता हैै। वास्तु के अनुसार इसके साथ कई दूसरे पौधे लगाकर भी घर में सुख एवं शांतिपूर्ण माहौल बनाया जा सकता हैै। माना जाता है कि सावन माह में शिव-पार्वती के साथ तुलसी के पौधे की पूजा एवं पाठ का प्रावधान होता हैै।आप सावन में वास्तु के अनुसार कुछ उपाय करके धन की कमी समेत जीवन की कई समस्याओं को दूर कर सकते हैंै। यहां हम आपको बताने जा रहे हैं कि सावन में आप तुलसी के साथ किन अन्य पौधों को लगाकर घर की सुख-शांति को बनाए रख सकते हैंै। जानें इनके बारे में....तुलसी और शमी का पौधाआप घर में सावन के दौरान तुलसी के साथ शमी का पौधा भी रख सकते हैंै। सनातन धर्म में इन दोनों पौधों को बहुत पवित्र बताया गया है और इनकी पूजा करके जीवन की कई समस्याओं को दूर किया जा सकता हैै। कहते हैं कि शमी के पौधे क संबंध भगवान विष्णु के अवतार भगवान श्री राम से हैै। भगवान राम ने लंका पर आक्रमण से पहले इस पवित्र पौधे की पूजा की थीै। वहीं पांडवों ने अपने शस्त्र छुपाने के लिए इस पौधे की मदद ली थीै। सावन में इन दोनों पौधों को घर में लगाएं और नियमित रूप से पूजा पाठ करेंै। ध्यान रहे कि आपको इन्हें उत्तर दिशा में ही लगाना है.धतूरे और तुलसी का पौधाकहते हैं कि धतूरे के पौधे का संबंध भगवान शिव से होता है और तुलसी के पौधे के साथ इसे लगाकर उनकी कृपा हासिल करने में आपको बहुत मदद मिल सकती हैै। तुलसी के साथ धतूरे का पौधा लगाने से घर में बनी हुई नेगेटिव एनर्जी दूर होती हैै। साथ ही सुख एवं समृद्धि भरा माहौल बना रहता हैै। तुलसी के साथ अगर धतूरे का पौधा लगाना चाहते हैं, तो इसके लिए खास दिन को चुनें। भले ही तुलसी के लिए रविवार का दिन शुभ माना जाए, लेकिन आपको धतूरे का पौधा घर में सोमवार के दिन लगाना चाहिए।
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हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है. ये दिन भगवान विष्णु को समर्पित हैं. इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी पापों से मुक्ति मिलती है. इस बार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी 10 जुलाई को पड़ रही है. इसे देवशयनी एकादशी या हरिशयनी एकादशी के रूप में भी जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस एकादशी से भगवान विष्णु 4 महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं. ऐसे में कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है. इस दौरान मुंडन, विवाह, सगाई और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं. लेकिन 10 जुलाई को पड़ने वाली देवशयनी एकादशी से पहले विवाह के तीन शुभ मुहूर्त पड़ रहे हैं. आइए जानें कौन सी तारीख को पड़ रहें ये शुभ मुहूर्त.
शादी के तीन शुभ मुहूर्त
देवशयनी एकादशी से पहले शादी के केवल तीन शुभ मुहूर्त हैं. इनमें से एक 5 जुलाई, दूसरा 6 जुलाई और तीसरा 8 जुलाई को पड़ रहा है. ये दिन शादी के लिए बहुत ही शुभ है. इन 3 शुभ मुहूर्त के बाद 4 महीने तक शादी का कोई भी शुभ मुहूर्त नहीं है. इसके बाद देवउठनी एकादशी से शादी के शुभ मुहूर्त पड़ेंगे. देवउठनी एकादशी इस साल 4 नवंबर को पड़ रही है. 10 जुलाई के बाद तक शादी का कोई शुभ मुहूर्त नहीं है. ऐसे में जिन लोगों को शादी करनी है वे इन 10 जुलाई से पहले इन 3 शुभ मुहूर्त में भी कर सकते हैं.
क्यों नहीं होती हैं इन चार महीनों में शादी
हिंदू पंचांग के अनुसार देवशयनी एकादशी से 4 महीने के लिए विष्णु भगवान योग निद्रा में चले जाते हैं. इसे चातुर्मास भी कहा जाता है. मान्यताओं के अनुसार इन चार महीनों के लिए भगवान विष्णु सृष्टि का संचालन भगवान शिव को सौंप देते हैं. इस प्रकार 4 महीने तक भगवान शिव सृष्टि का संचालन करते हैं. विष्णु भगवान देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक योग निद्रा में रहते हैं. इन 4 महीनों में कोई भी मांगलिक कार्य करना वर्जित माना जाता है. इसमें शादी, सगाई और मुंडन जैसे मांगलिक कार्य शामिल हैं. इसलिए इन चार महीनों में कोई भी मांगलिक कार्य करने से बचें. - प्राचीन तंत्र शास्त्र में 64 योगिनियां बताई गई हैं। कहा जाता है कि ये सभी आद्यशक्ति मां काली की ही अलग-अलग कला है। इनमें दस महाविद्याएं तथा सिद्ध विद्याएं भी शामिल हैं। तंत्र के अनुसार घोर नामक दैत्य के साथ युद्ध करते हुए मां आद्यशक्ति ने 64 रुप धारण किए थे, जो कालांतर में 64 योगिनी कहलाईं। तंत्र शास्त्र में किसी भी महाविद्या का पूजन आरंभ करने से पूर्व 64 योगिनियों को सिद्ध करने का विधान बताया गया है। माना जाता है कि इन्हें सिद्ध करने के बाद विश्व में ऐसा कोई काम नहीं जो साधक नहीं कर सकता, अर्थात् साधक स्वयं ही ईश्वरमय हो जाता है।64 योगिनियों साधना के द्वारा वास्तु दोष, पितृदोष, कालसर्प दोष तथा कुंडली के अन्य सभी दोष दूर हो जाते हैं। इनके अलावा दिव्य दृष्टि (किसी का भी भूत, भविष्य या वर्तमान जान लेना) जैसी कई सिद्धियां बहुत ही आसानी से साधक के पास आ जाती है। परन्तु इन सिद्धियों का भूल कर भी दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। अन्यथा अनिष्ट होने की आशंका रहती है।चौसठ योगिनियों के नाम इस प्रकार है-(1) बहुरूपा (2) तारा (3) नर्मदा (4) यमुना (5) शांति (6) वारुणी (7) क्षेमकरी (8) ऐन्द्री (9) वाराही (10) रणवीरा (11) वानरमुखी (12) वैष्णवी (13) कालरात्रि (14) वैद्यरूपा (15) चर्चिका (16) बेताली (17) छिन्नमस्तिका (18) वृषवाहन (19) ज्वाला कामिनी (20) घटवारा (21) करकाली (22) सरस्वती (23) बिरूपा (24) कौवेरी (25) भालुका (26) नारसिंही (27) बिराजा (28) विकटानन (29) महालक्ष्मी (30) कौमारी (31) महामाया (32) रति (33) करकरी (34) सर्पश्या (35) यक्षिणी (36) विनायकी (37) विंध्यवासिनी (38) वीरकुमारी (39) माहेश्वरी (40) अम्बिका(41) कामायनी (42) घटाबरी (43) स्तुति (44) काली (45) उमा (46) नारायणी (47) समुद्रा (48) ब्राह्मी(49) ज्वालामुखी (50) आग्नेयी (51) अदिति (52) चन्द्रकान्ति (53) वायुवेगा (54) चामुण्डा (55) मूर्ति (56) गंगा (57) धूमावती (58) गांधारी (59) सर्व मंगला (60) अजिता (61) सूर्यपुत्री (62) वायु वीणा (63) अघोर (64) भद्रकालीतंत्र में 64 योगिनियों की साधना द्वारा मुख्यत: षटकर्मों सिद्ध किए जाते हैं। ये सभी अलौकिक शक्तियों से सम्पन्न होने के कारण साधक को उसकी मनवांछित वरदान देने में सक्षम है। इन्हें सिद्ध कर लेने के बाद साधक जो भी चाहें कर सकता है। संक्षेप में इन्हीं को मातृका भी कहा जाता है और इनकी आराधना के द्वारा साधक विभिन्न प्रकार की दिव्य सिद्धियां प्राप्त कर चमत्कार दिखाने में सक्षम होते हैं।---
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हम सभी कहीं न कहीं जीवन को सुचारू रूप से चलाने की कोशिश करते हैं. कुछ लोग तो इसके लिए कड़ी मेहनत तक करते हैं, लेकिन फिर भी तरक्की उनसे दूरी बनाए रखती है. लोगों को लगने लगता है कि उनके काम या मेहनत में ही कोई कमी है. ज्योतिष या वास्तु ( Vastu ) शास्त्र की मानें तो इसके पीछे दोष भी हो सकते हैं. ये दोष आपको इस कदर प्रभावित करते हैं, जिसका असर लंबे समय तक नजर आता है. जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए लोग पूजा-पाठ, व्रत या इससे जुड़ी अन्य चीजें करते हैं. पूजा-पाठ के जरिए देवी-देवताओं को प्रसन्न करके जीवन में सुख एवं समृद्धि लाई जा सकती है. पूजा के लिए विशेष सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है, जिनमें नारियल, कलावा और पान के पत्ते भी शामिल होते हैं. क्या आप जानते हैं पान के पत्तों से कई समस्याओं का हल निकाला जा सकता है.
पूजा में विशेष महत्व रखने वाले पान के पत्तों के लिए ज्योतिष शास्त्र में कई उपाय या विशेष बातें बताई गई हैं, जिन्हें अपनाकर आप समस्याओं को दूर कर सकते हैं और सुखी जीवन व्यतीत कर सकते हैं. जानें इनके बारे में…
घर की नेगेटिविटी को करें दूर
हिंदू धर्म में बताया गया है कि पान के पत्तों में देवी-देवताओं का वास होता है और इसी कारण पूजा में इसका इस्तेमाल बहुत शुभ माना जाता है. घर में नेगेटिव एनर्जी को दूर करना चाहते हैं, तो भगवानों के समक्ष पान के पत्तों को चढ़ाएं. इसे आपके घर ही नहीं जीवन में भी पॉजिटिव माहौल बनेगा और आपको आने वाली समस्याओं से लड़ने की हिम्मत भी मिलेगी. काम में बाधा आ रही है, तो इसके लिए रविवार के दिन अपने साथ पान का पत्ता लेकर जरूर निकलें.
पान के पत्ते से भगवान शिव की उपासना
मान्यता है कि भगवान शिव को पान के पत्ते चढ़ाने से वह जल्दी प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा भी बनी रहती है. भगवान शिव की उपासना करते समय उन्हें पान के पत्ते ही नहीं सुपारी, गुलकंद, सौंफ और कत्था से बना हुआ पान चढ़ाएं. भगवान को इसका भोग लगाने से आपके जीवन में जारी कष्ट दूर हो पाएंगे. आप इस उपाय को करने के लिए हर सोमवार का दिन चुन सकते हैं और आने वाले सावन के महीने में ऐसा करना बहुत लाभकारी सिद्ध हो सकता है.
आर्थिक तंगी
खूब पैसा आने के बाद अगर वह हाथों में न टिके, तो ये स्थिति चिंता का विषय मानी जा सकती है. हम मेहनत पैसा कमाने के लिए करते हैं, ताकि सुख-सुविधाओं में कमी न आए, लेकिन अगर पैसा ही हमारे पास न रुके, तो कठिनाइयां ज्यादा तंग करती हैं. अगर आप इस तरह की आर्थिक तंगी को झेल रहे हैं, तो इसके लिए पान के पत्ते का उपाय करें. इसके लिए 5 पान के पत्ते लें और उन्हें माता लक्ष्मी के समक्ष चढ़ाएं. इसके बाद इन्हें एक धागे में बांधकर घर की पूर्व दिशा में बांध दें. इससे व्यापार और नौकरी दोनों में फायदा होगा. -
ग्रहों के न्यायाधीश शनिदेव 12 जुलाई को अपनी राशि बदलने जा रहे हैं। शनि वर्तमान में कुंभ राशि में विराजमान हैं। कुंभ राशि में रहते हुए 5 जून को शनि वक्री हुए थे। शनि वक्री अवस्था में कुंभ से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। शनि की यह अवस्था कई राशि वालों के जीवन में शुभ प्रभाव डाल सकती है। शनि के मकर राशि में आते ही दो राशि वालों को शनि ढैय्या से कुछ समय के लिए मुक्ति मिल जाएगी।
इन दो राशि वालों की खत्म होगी शनि ढैय्या-
शनिदेव कुंभ राशि में विराजमान हैं। कर्क व वृश्चिक राशि वालों को शनि ढैय्या चल रही है। इन राशियों के जातक 29 अप्रैल से शनि की महादशा की चपेट में हैं। शनि राशि परिवर्तन के साथ ही मिथुन व तुला राशि वालों पर शनि ढैय्या खत्म हो गई थी। लेकिन शनि के मकर राशि में जाते ही फिर मिथुन और तुला राशि वालों पर शनि ढैय्या शुरू हो जाएगी। साथ ही कर्क व वृश्चिक राशि वालों को शनि ढैय्या से राहत मिलेगी।
मिलेगी अपार सफलता-
12 जुलाई को शनि के राशि बदलते ही कर्क व वृश्चिक राशि वालों की परेशानियां खत्म हो सकती है। इन्हें कामों में सफलता मिल सकती है। नौकरी पेशा करने वाले जातकों को नए अवसर मिल सकते हैं। लंबे समय से अटका धन वापस मिल सकता है। प्रमोशन व तरक्की के आसार रहेंगे। शारीरिक व मानसिक तनाव कम होगा। इस दौरान आप जिस काम में हाथ डालेंगे सफलता मिलेगी। -
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर पर पौधे लगाना बेहद शुभ होता है। हालांकि कई बार लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होती है कि किन पौधों को घर पर लगाने से सुख-समृद्धि आती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वास्तु शास्त्र में कुछ ऐसे पौधों के बारे में बताया है जिन्हें घर पर लगाने से धन का अभाव नहीं होता है।
इन पौधों के बारे में-
अनार का पौधा
अनार का पौधा सेहत व स्वाद दोनों के लिहाज से बेहतर होता है। यह पौधा व्यक्ति को सुख-समृद्धि भी प्रदान करता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के सामने अनार का पौधा लगाने से कर्जों से मुक्ति मिलती है। हालांकि अनार का पौधा लगाते समय ध्यान रखें कि इसे घर के आग्नेय कोण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में न लगाएं।
बांस का पौधा
घर के सामने बांस का पौधा होना बेहद शुभ माना जाता है। वास्तु के अनुसार, अगर इसे ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व या फिर उत्तर दिशा में लगा दिया जाए तो घर में पैसों की दिक्कत नहीं रहती है। घर के सामने बांस का पेड़ होने से पैसों का कभी अभाव नहीं रहता है।
बेल का पौधा
वास्तु शास्त्र में बेल का पौधा बेहद शुभ माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बेल के पौधे में भगवान शंकर का वास होता है और जिस घर पर भगवान शंकर की दृष्टि हो वहां कभी धन का अभाव नहीं रह सकता है। बेल का पौधा लगाने से आर्थिक तंगी भी दूर होने की मान्यता है।
दूब का पौधा
अगर आप घर के सामने या बगीचे में दूब उगा लें तो जीवन में कभी धन का अभाव नहीं होगा। घर के सामने दूब लगाने के कई फायदे होते हैं। संतान प्राप्ति की कामना करने वालों को घर के सामने इस पौधे को लगाने से लाभ होता है।
मनी प्लांट
घर में सुख-समृद्धि के प्रतीक के रूप में मनी प्लांट का पौधा लगाया जाता है। यह पौधा जितना तेजी से बढ़ता है, उतनी ही तेजी से धन भी देता है। घर में मनी प्लांट हमेशा आग्नेय कोण यानी दक्षिण पूर्व दिशा में ही लगाना चाहिए। मनी प्लांट के पौधे को सीधे कभी जमीन पर नहीं रखना चाहिए। -
हिंदू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ मास साल का चौथा महीना है. आषाढ़ मास की अमावस्या तिथि को हलहारिणी अमावस्या या आषाढ़ी अमावस्या (Ashadhi Amavasya) के नाम से जाना जाता है. आषाढ़ी अमावस्या को पितरों के निमित्त कार्यों के लिए काफी शुभ माना गया है. माना जाता है कि इस दिन पितरों की शांति के लिए किए गए स्नान-दान और तर्पण से पूर्वज काफी प्रसन्न होते हैं. इससे उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और परिवार में सुख समृद्धि आती है. अगर आपके घर में पितृ दोष है या आपकी कुंडली में काल सर्प दोष है, तो उसके निवारण के लिए भी आषाढ़ी अमावस्या का दिन काफी उत्तम है. इस बार आषाढ़ी अमावस्या 28 जून को पड़ रही है. इस मौके पर जानिए पितरों को तृप्त करने के लिए इस दिन क्या उपाय करने चाहिए.
आषाढ़ी अमावस्या पर पितरों को इस तरह करें प्रसन्न
1. इस दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए. अगर आप किसी नदी के तट पर न जा सकें तो घर में ही जल में गंगा जल डालकर स्नान करें. इसके बाद पितरों के निमित्त श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करें. साथ ही पशु पक्षियों को भी भोजन कराएं. इससे आपके पितर बहुत प्रसन्न होते हैं.
2. अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करें. एक कलश में जल और दूध और मिश्री मिश्रित करके जल पेड़ में अर्पित करें और सरसों के तेल का दीपक जलाएं. इससे भी आपको पितरों का आशीष प्राप्त होता है.
3. अगर आपके घर में पितृदोष लगा हुआ है, तो आपको अमावस्या के दिन पीपल का पौधा लगाना चाहिए और इसी सेवा करनी चाहिए. हर अमावस्या पर इस पौधे के नीचे दीपक जलाना चाहिए. इससे पितृ दोष का प्रभाव दूर होता है और आपके जीवन की तमाम समस्याओं का अंत होता है.
4. अमावस्या के दिन किसी ब्राह्मण को घर में बुलाकर उन्हें ससम्मान भोजन कराएं और सामर्थ्य के अनुसार दान देकर विदा करें. इसके अलावा गरीब और जरूरतमंदों को दान दें. इससे भी आपको पितरों का आशीष प्राप्त होता है.
5. पितरों की शांति के लिए आप अमावस्या के दिन रामचरितमानस या गीता का पाठ करें. इसके अलावा पितरों का आशीष प्राप्त करने के लिए उनके मंत्र का जाप करें. मंत्र हैं-
ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्. ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि, शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्. ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च, नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:
--यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारितहैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. -
झाड़ू में मां लक्ष्मी का वास माना जाता है क्योंकि ये घर के दरिद्र यानी गंदगी को बाहर निकालती है. घर को स्वच्छ बनाती है और घर में रहने वाले तमाम लोगों को बीमारियों से बचाती है. लेकिन अक्सर घर में जब झाड़ू पुरानी हो जाती है तो हम नई झाड़ू तो खरीदकर ले आते हैं, लेकिन पुरानी झाड़ू घर से नहीं हटाते हैं. माना जाता है कि पुरानी झाड़ू को घर में रखने से दरिद्रता आती है. वास्तु शास्त्र में झाड़ू को रखने, खरीदने और फेंकने आदि को लेकर तमाम नियम बताए गए हैं. इन नियमों का हर व्यक्ति का पालन करना चाहिए वरना घर में नकारात्मकता आती है.
यहां जानिए झाड़ू से जुड़े वास्तु नियमोंके बारे में----
पुरानी झाड़ू कभी घर में न रखें
कहा जाता है कि झाड़ू अगर पुरानी हो जाए तो इसे घर में नहीं रखना चाहिए, वरना घर में नकारात्मकता आती है. इसे शनिवार या अमावस्या घर से हटा देना चाहिए. माना जाता है कि जब हम पुरानी झाड़ू को घर से हटाते हैं तो इसके साथ घर का दरिद्र भी दूर हो जाता है और इससे घर में सकारात्मकता आती है.
कब फेंके और कहां फेंकें
शनिवार और अमावस्या के अलावा आप ग्रहण के बाद और होलिका दहन के बाद भी झाड़ू को हटा सकते हैं. लेकिन एकादशी, गुरुवार या शुक्रवार के दिन पुरानी झाड़ू को न फेंकें. एकादशी और गुरुवार के दिन नारायण को समर्पित हैं और शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी का दिन माना जाता है. मान्यता है कि इन दिनों में झाड़ू को हटाने से माता लक्ष्मी नाराज होती हैं. इसके अलावा झाड़ू को कभी किसी पेड़ या नाले के पास नहीं फेंकना चाहिए और न ही इसे जलाना चाहिए. इसे उस स्थान पर फेंकना चाहिए जहां झाड़ू पर किसी का पैर न पड़े.
नई झाड़ू के भी हैं वास्तु नियम
झाड़ू को खरीदने को लेकर भी वास्तु के कुछ नियम हैं. झाड़ू को हमेशा मंगलवार, शनिवार व अमावस्या के दिन खरीदना चाहिए और कृष्ण पक्ष में खरीदना शुभ माना गया है. घर में झाड़ू को रखने का स्थान ऐसा होना चाहिए, जहां सीधे तौर पर किसी की नजर न पड़े. जिस स्थान पर भी झाड़ू रखें वहां साफ सफाई का विशेष रूप से खयाल रखें. -
शिव जी का प्रिय सावन का महीना अब आने वाला है। आषाढ़ मास के बाद सावन का महीना शुरू हो जाएगा। इसे श्रावण मास के नाम से भी जाना जाता है। सावन का महीना काफी पवित्र और पुण्यदायी माना गया है।
मान्यता है कि इस दौरान नारायण योग निद्रा में होते हैं और महादेव पर सृष्टि के पालन का जिम्मा होता है। कहा जाता है कि सावन के महीने में शिव जी की पूजा करने से हर कामना पूरी होती है और बिगड़े काम भी बन जाते हैं। इस बार सावन का महीना 14 जुलाई से शुरू होगा और इसका समापन 12 अगस्त को होगा।
--आइए आपको बताते हैं कि आखिर क्यों महादेव को प्रिय है ये महीना।
कहा जाता है कि दक्ष पुत्री सती ने जब अपने प्राणों को त्याग दिया था, तो महादेव दुख में इतने डूब गए थे कि घोर तप में लीन हो गए थे. तब माता सती से पर्वतराज हिमालय पुत्री पार्वती के रूप में जन्म लिया और महादेव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया. उनके तप से प्रसन्न होकर महादेव ने उन्हें कामना पूर्ति का वरदान दिया. कहा जाता है कि वो सावन का ही महीना था, जब महादेव पार्वती के रूप में महादेव अपनी भार्या से फिर से मिले थे. इसलिए महादेव को ये महीना अत्यंत प्रिय हो गया.
सावन मास में शिव जी की होती है विशेष पूजा
सावन के महीने में शिव जी की विशेष पूजा की जाती है. इस माह में शिव जी पर जलाभिषेक करने का विशेष महत्व है. कहा जाता है कि सावन के महीने में ही शिव जी अपनी ससुराल गए थे, वहां जलाभिषेक करके उनका स्वागत किया गया था. इसलिए पूरे सावन मास में शिव जी का जलाभिषेक करने के लिए उनके भक्तों की लंबी कतार लगी रहती है. ये भी कहा जाता है कि इस महीने में यदि कुंवारी कन्याएं मनभावन पति की कामना के लिए श्रद्धापूर्वक व्रत करें, तो उनकी कामना जरूर पूरी होती है.
सावन के सोमवार का विशेष महत्व
सावन के महीने में सोमवार का विशेष महत्व है. इस माह में शिव जी का आशीर्वाद पाने के लिए कुछ लोग सावनभर शिव जी की उपासना करते हैं और पूरे सावन का व्रत रखते हैं. जो लोग सावनभर व्रत नहीं रख पाते वो सावन के सारे सोमवार का व्रत रखते हैं. कहा जाता है कि सावन के सोमवार का व्रत रखने से भी आपको पूरे सावन के व्रत का पुण्य प्राप्त हो जाता है. इस बार सावन के महीने में 4 सोमवार पड़ेंगे. पहला सोमवार 18 जुलाई, दूसरा सोमवार 25 जुलाई, तीसरा सोमवार 1 अगस्त, चौथा सोमवार 8 अगस्त को पड़ रहा है. - घर के माहौल को महकाने के लिए लोग अक्सर सुगंधित फूलों के पौधे लगाना पसंद करते हैं। ये पौधे न सिर्फ घर के वातावरण में खुशबू फैलाते हैं, बल्कि इनके रंगबिरंगे फूलों की छटा भी देखने लायक होती है। वास्तुशास्त्र में ऐसे भी कुछ सुगंधित पौधों के बारे में बताया गया है, जिन्हें घर में लगाने से जीवन में तरक्की, सुख-समृद्धि और सफलता मिलती है। रजनीगंधा उन फूलों में से एक है, जो बेहद सुगंधित होते हैं। यदि रजनीगंधा के पौधों को घर की सही दिशा में लगाया जाए तो इससे न सिर्फ लाभ प्राप्त होगा बल्कि घर में सकारात्मक ऊर्जा का भी प्रवेश होगा। आइए जानते हैं इसके बारे में...- पूजा-पाठ में भी रजनीगंधा के फूलों का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा रजनीगंधा के फूलों से तेल और इत्र भी बनता है। इसमें कई औषधीय गुण होते हैं और वास्तु शास्त्र में इसे धन, सुख-समृद्धि पाने के लिए बेहद शुभ माना गया है।-रजनीगंधा के फूलों की माला देवी-देवताओं को अर्पित की जाती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, रजनीगंधा का पौधा घर की पूर्व या उत्तर दिशा में लगाने से घर में बरकत होती है। साथ ही तरक्की के रास्ते भी खुलते हैं।-पति-पत्नी के बीच अनबन चल रही है तो घर के आंगन में रजनीगंधा का पौधा लगाएं या किसी गमले में लगा कर रखें। इससे पति-पत्नी के रिश्ते मजबूत होते हैं और दोनों के बीत प्यार बढ़ता है।-कहा जाता है कि रजनीगंधा का पौधा कई तरह के वास्तु दोष दूर करता है। इसे घर में लगाने से सकारात्मकता आती है। साथ ही धन प्राप्ति के रास्ते खुलते हैं।
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कर्मफलदाता शनिदेव बीते 5 जून को वक्री हुए थे। शनि की वक्री अवस्था का अर्थ है उनकी उल्टी चाल। शनि की वक्री चाल से सभी 12 राशियां प्रभावित हैं। शनि वक्री अवस्था में ज्यादा कष्टकारी होते हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, शनि जब वक्री अवस्था में होते हैं तो इनकी चाल धीमी हो जाती है। शनि को सबसे धीमी गति का ग्रह माना गया है। यही कारण है कि शनि को एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने में ढाई साल का समय लगता है। वक्री शनि अब 141 दिन बाद मार्गी होंगे।
शनि कब होंगे मार्गी?
हिंदू पंचांग के अनुसार, शनि 23 अक्टूबर 2022, रविवार को सुबह 09 बजकर 37 मिनट पर मार्गी होंगे। यानी शनि फिर से अपनी सीधी चाल शुरू करेंगे।
मार्गी शनि का राशियों पर प्रभाव-
वर्तमान में कर्क व वृश्चिक राशियां शनि ढैय्या से पीड़ित हैं। मकर, कुंभ व मीन राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव है। ऐसे में इन राशियों के जातकों को शनि की वक्री अवस्था के दौरान विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। शनिदेव वृषभ, कन्या और धनु राशि वालों के लिए शुभ साबित हो सकते हैं। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन शनि मंदिर में शनि संबंधित चीजों का दान करना चाहिए। शनि चालीसा का पाठ करना चाहिए।
शनिदेव को प्रसन्न करने के उपाय-
-गरीबों की मदद और ऐसे लोग जो असहाय है, अपने लिए कमा नहीं सकते, ऐसे लोगों की मदद करने से शनि प्रसन्न होते हैं।
-शनिवार के दिन गाय की सेवा करना और उसे चारा खिलाने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
-शनिवार को खासतौर पर भोजन करते समय अपने भोजन में से पहला निवाला निकाल कर कौवों को खिलाना चाहिए।
-अगर आप उच्च पद पर बैठें हैं तो आप अपने से नीचे काम करने वालों से अच्छा बर्ताव करें। ऐसा करने से शनि प्रसन्न होते हैं।
-शनिवार के दिन काला तिल और गुड़ चीटों को खिलाएं। इससे भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं। -
हिंदू धर्म में तुलसी को बहुत ही पवित्र माना जाता है. तुलसी की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है जिस घर में तुलसी होती है वहां लक्ष्मी जी का वास होता है. हमेशा उस घर पर भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है. तुलसी में कई औषधीय गुण होते हैं. ये स्वास्थ्य के लिए भी कई तरह से फायदेमंद है. ये सामान्य सर्दी और जुकाम से छुटकारा दिलाने में मदद करती है. वास्तु शास्त्र में इस पौधे को विशेष महत्व दिया गया है. तुलसी को घर में लगाने और नियमित रूप से इसे पानी देने की परंपरा बहुत ही पुरानी है. हालांकि कुछ ऐसे दिन भी हैं जब तुलसी को पानी नहीं दिया जाता है. ये दिन रविवार और एकादशी के दिन हैं. इस दिन तुलसी में पानी देना अच्छा नहीं माना जाता है. लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि इन दिनों में तुलसी को पानी क्यों नहीं दिया जाता है आइए यहां जानें.
रविवार को क्यों तुलसी में पानी नहीं दिया जाता है
हिंदू धर्म में इस पौधे को बहुत ही शुभ माना जाता है. तुलसी को रोजाना पानी लगाना बहुत ही अच्छा होता है. लेकिन रविवार को तुलसी को पानी देने से बचाना चाहिए. ऐसे माना जाता है कि रविवार के दिन तुलसी भगवान विष्णु के लिए उपवास रखती हैं. इस दिन तुलसी में पानी देने से उनका व्रत टूट जाता है. ऐसा करने से नकारात्मकता फैलती है. जीवन से जुड़ी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. देवी लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं.
एकादशी के दिन क्यों तुलसी को पानी नहीं देना चाहिए
ऐसा माना जाता है कि देवी तुलसी का विवाह एकादशी के दिन विष्णु के एक रूप शालिग्राम से हुआ था. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता कि देवउठानी एकादशी पर रीति-रिवाजों के साथ दोनों की शादी हुई थी. ऐसा भी माना जाता कि देवी लक्ष्मी एकादशी का व्रत रखती हैं. इस दिन तुलसी में जल चढ़ाने से उनका व्रत टूट जाता है. इस कारण तुलसी नाराज हो जाती हैं. पौधा इस कारण सूखने लगता है.
घर में समृद्धि के लिए तुलसी का पौधा इस तरह से लगाएं-------
तुलसी के पौधे को उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है.
सुनिश्चित करें कि तुलसी के पौधे को पर्याप्त धूप और हवा मिल रही है.
तुलसी के आसपास की जगह हमेशा साफ होनी चाहिए
तुलसी के पौधे के पास कूड़ेदान, जूते या झाड़ू न रखें.
इसे कैक्टस या कांटेदार पौधों के पास न रखें क्योंकि इससे नकारात्मक ऊर्जा और दुर्भाग्य आकर्षित होगा.
तुलसी के पौधे को विषम संख्या में लगाएं जैसे एक, तीन, पांच आदि. -
आजकल महिलाएं खाना बनाते समय एक साथ ज्यादा आटा गूंथ लेती हैं और रोटी बनने के बाद बचे हुए आटे को फ्रिज में रख देती हैं. जरूरत पड़ने पर इस आटे से फिर से रोटी बनाती हैं. इससे उन्हें आटा गूंथने के लिए बार-बार मेहनत नहीं करनी पड़ती. आटा स्टोर करना सुविधाजनक तो है, लेकिन ज्योतिष के लिहाज से इसे अच्छा नहीं माना जाता. ज्योतिष में रोटियों का संबन्ध भी ग्रहों से बताया गया है और इसके बारे में तमाम नियमों का उल्लेख किया गया है. माना जाता है कि अगर इन नियमों का पालन न किया जाए तो परिवार में समस्याओं का सिलसिला खत्म नहीं होता और सुख समृद्धि चली जाती है. -----------------यहां जानिए रोटियों से जुड़े ज्योतिषीय नियम
परिवार में झगड़ा कराती हैं बासी आटे की रोटियां
ज्योतिष के मुताबिक रोटियों का संबन्ध सूर्य और मंगल ग्रह से माना गया है क्योंकि रोटी हमारे शरीर को एनर्जी देने का काम करती है. लेकिन जब हम आटा फ्रिज में रखने के बाद उपयोग करते हैं तो ये बासी हो जाता है. बासी आटे का संबन्ध राहु से माना गया है. राहु मानसिक स्थिति को संतुलित नहीं रहने देता. ऐसे में जब इस आटे से बनी रोटियां घर के सदस्य खाते हैं, उनके अंदर भ्रम और झगड़े की प्रवृत्ति पैदा होती है, उनकी आवाज तेज हो जाती है, सहन शक्ति कम हो जाती है. निर्णय क्षमता प्रभावित होती है. ऐसे में कई बार वे गलत निर्णय ले लेते हैं. इससे घर में क्लेश और झगड़ा पैदा होता है. अगर आप वाकई घर में शांति चाहते हैं तो रोजाना ताजा आटा गूंथकर ही रोटी बनाएं.
वैज्ञानिक कारण भी समझें
अगर बासी आटे के नुकसान का वैज्ञानिक पक्ष देखें तो बासी आटे में बैक्टीरिया पैदा हो जाते हैं, जो हमारे शरीर को एनर्जी नहीं देते, बल्कि सुस्त कर देते हैं और बीमार बनाते हैं. ऐसे में हमारी कार्यक्षमता प्रभावित होती है. इसका असर हमारी आर्थिक स्थिति पर भी पड़ता है.
गिनकर न बनाएं रोटियां
आजकल लोगों के बीच गिनकर रोटियां बनाने का ट्रेंड चल गया है. लोगों का मानना है कि इससे बर्बादी नहीं होती है. लेकिन ज्योतिष की नजर से देखा जाए तो गिनकर रोटियां बनाना शुभ नहीं माना जाता. इससे परिवार की बरकत पर असर पड़ता है. ज्योतिष के अनुसार हर किसी को अपने परिवार की जरूरत के अनुसार जितनी रोटियां बनानी हैं, उससे 4 या 5 रोटियां ज्यादा बनानी चाहिए. पहले के समय में कई बार घर में मेहमान अचानक से आ जाते थे, ऐसे में उन्हें भूखा नहीं रहना पड़ता था. आज के समय में बेशक मेहमानों का ये चलन कम हो गया है, लेकिन फिर भी बरकत के लिए कम से कम दो रोटी ज्यादा बनवाएं. अगले दिन इन्हें जानवरों और पक्षियों को खिला दें.
पहली गाय की और आखिरी रोटी कुत्ते की बनाएं
सनातन धर्म में गाय को पूज्यनीय माना गया है. माना जाता है कि गाय में सभी देवी देवताओं का वास होता है. इसलिए पहली रोटी गाय के लिए बनानी चाहिए. गाय के लिए बनाई रोटी के जरिए आप सभी देवी देवताओं को भोजन दे देते हैं. वहीं आखिरी रोटी कुत्ते की बनानी चाहिए. दोनों रोटियों को किसी अलग स्थान पर रख दें और जब भी गाय व कुत्ता दिखे तो उन्हें खिला दें. इससे परिवार में देवी देवताओं का आशीष बना रहता है और घर में किसी चीज की कमी नहीं होती.