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- कोरोना वायरस के मामले दिन ब दिन आसमान छू रहे हैं। इस बीच भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने पेन किलर्स नहीं खाने का सुझाव दिया है। आईसीएमआर ने कहा है कि आईब्रूफिन जैसी कुछ अन्य दर्दनिवारक दवाएं कोरोने के लक्षणों को और बढ़ा सकती हैं। इस तरह की दवाओं के सेवन से कोविड -19 के लक्षण और भी गंभीर हो सकते हैं। इसलिए नॉन स्टीरॉयड एंटी इंफ्लेमेटरी दवाएं लेने से बचें। इन दवाओं की जगह जरूरत पडऩे पर आप पैरासीटमऑल का इस्तेमाल कर सकते हैं। आईसीएमआर ने मरीजों द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्न श्रंख्ला में इसका जवाब देते हुए इस तरह की दवाओं को स्वास्थ्य के लिए घातक बताया है। साथ ही बिना बीमारी में बिना चिकित्सक की सलाह के इन दवाओं का सेवन नहीं करने की सलाह दी है।इन रोगों के मरीज दें खास ध्यानआईसीएमआर ने तमाम आशंकाओं को खारिज करते हुए यह साफ कर दिया कि किसी अन्य या सामान्य व्यक्ति की तुलना में हाईपरटेंशन , हृदय रोग और मधुमेह के रोगियों को में कोविड 19 के संक्रमण का अधिक खतरा नहीं है। अब तक ऐसा कोई साक्ष्य़ सामने नहीं आया है। हां लेकिन ऐसे रोगियों में कोरोना के मामले बेहद गंभीर भी हो सकते हैं। इसलिए ऐसे रोगियों को अतिरिक्त देखभाल की आवश्यकता है। साथ ही आईसीएमआर ने किडनी और हृदय रोगों से ग्रस्त लोगों को चेताते हुए पेन किलर नहीं खाने की सलाह दी है।आईसीएमआर ने किया दावाआईसीएमआर का यह दावा है कि देश में 80 प्रतिशत कोरोना मरीजों में खांसी, बुखार और गले में दर्द आदि जैसे सामान्य लक्षण ही देखे जा रहे हैं। आईसीएमआर द्वारा यह कहा गया है कि उच्च रक्तचाप की दवाओं से कोरोना संक्रमण की गंभीरता बढऩे का अभी तक कोई साक्ष्य नहीं मिला है। उच्च रक्तचाप के मरीज अगर इन दवाओं के सेवन को प्रतिबंधित कर देंगे तो यह उन्हीं के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती हैं। उच्च रक्तचाप की दवाएं हार्ट फेल होने से रोकती हैं। इसलिए इनका सेवन न छोड़ें।वैक्सीन के तुरंत बाद पेन किलर न लेंचिकित्सकों के अनुसार हम शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और कोरोना से बचने के लिए वैक्सीन लगवाते हैं, लेकिन अगर वैक्सीन लगवाने के तुरंत बाद किसी प्रकार का दर्द हो तो पेनकिलर लेने से बचें। ऐसा करना हमारी इम्यूनिटी को प्रभावित कर सकता है। इसके बाद भी अगर पेन किलर खाने की आवश्यकता पड़े तो चिकित्सक से पूछकर ही इसका प्रयोग करें। ऐसा करना आपके शरीर को नुकसान भी पहुंचा सकता है।डायबिटीज पर दें ध्यानआईसीएमआर ने डायबिटीज के रोगियों को खासतौर पर अपनी दिनचर्या में बदलाव लाने की सलाह दी है। उन्हें अपने शुगर के स्तर को व्यायाम आदि के जरिए नियंत्रित रखने लिए कहा गया है। आईसीएमआर ने कहा कि आमतौर पर अनियंत्रित डायबिटीज के रोगियों को कोरोना संक्रमण होने का अधिक खतरा रहता है। डायबिटीज के मरीज यदि संक्रमित हो जाएं तो उनके ग्लूकोज के स्तर पर की देखरेख करने के साथ ही उनके शरीर में इंसुलिन की मात्रा को दोबारा से नियंत्रित करने की जरूरत होती है।शारीरिक गतिविधियों में लाएं बदलावकोरोना काल में अपनी गतिविधियों में बदलाव लाना बेहद जरूरी है। ऐसे में कोरोना के खतरे को और बढ़ा देने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करने वाले पदार्थों जैसे शराब और धूम्रपान आदि के सेवन से बचें। साथ ही शारीरिक गतिविधियों पर जोर देते हुए नियमित रूप से व्यायाम करें। खान पान पर विशेष ध्यान देते हुए पौष्टिक आहार जैसे प्रोटीन, फाइबर और सब्जियां आदि का सेवन जरूर करें। अगर आप मांसाहारी हैं तो मांस का सेवन भी जारी रख सकते हैं।
- 18 साल और इससे ऊपर उम्र वाले सभी लोगों के कोरोना वैक्सीनेशन का कार्य आज से शुरू हो गया । इस आलेख के माध्यम से हम जानेंगे कि वैक्सीन बॉडी में जाकर किस तरह रिएक्ट करती है। जिन लोगों ने पहले वैक्सीन लगवाई है उन्होंने हल्के बुखार, थकान और हाथ में भारीपन, सिर में दर्द, बॉडी पेन की शिकायत की । ये सामान्य लक्षण हैं जो किसी भी वैक्सीन के लगने पर देखें जाते हैं। कोरोना वैक्सीन लगवाने से संक्रमित होने की आशंका घट जाती है क्योंकि वैक्सीन शरीर में एंटीबॉडी बनाने का काम करती है। कोरोना वैक्सीन लगवाने वाले लोगों को कोरोना के गंभीर लक्षण होने की आशंका कम होगी। इस बारे में ज्यादा जानकारी लखनऊ के केयर इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फिजिशियन डॉ. सीमा यादव ने दी है।उनके अनुसार वैक्सीन का पहली डोज लगते ही दो तरह के वाइट ब्लड सैल्स एक्टिवेट हो जाएंगे। पहला प्लाज्मा बी सैल्स जो कि एंटीबॉडी बनाने का काम करता है और दूसरा टी सैल्स, जो पैथोजन की पहचान कर उसे खत्म करने का काम करेगा। आसान भाषा में कहें तो वैक्सीन की पहली डोज लेने के बाद शॉट आपके शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी तैयार करेगी जिससे आपको वायरस से बचाया जा सकेगा। ये जरूरी नहीं है कि जिन लोगों को वैक्सीन लगी है उन्हें कोरोना का खतरा नहीं होगा क्योंकि हर व्यक्ति की इम्यूनटिी पॉवर अलग होती है। वैक्सीन के जरिए शरीर में एंटीबॉडी बनाई जाती है जो एक तरह का प्रोटीन है। इसे न्यूट्रलाइजिंंग एंटीबॉडी कहा जाता है। न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी बॉडी में घुसने वाले वायरस के खिलाफ काम करता है।कोरोना वैक्सीन के माइल्ड सिम्टम्स से डरें नहींबहुत से लोगों को वैक्सीन लगवाने में डर लग रहा है क्योंकि उन्हें लगता है कि वैक्सीन उनके शरीर में जाकर नेगेटिव असर करेगी जबकि ऐसा नहीं है। कोविशील्ड और कोवाक्सीन दोनों को ही क्लीनिकल परीक्षण के बाद लोगों को लगाया गया है। जिन लोगों को वैक्सीन लग चुकी है उन्होंने बताया कि वैक्सीन लगने के दिन बुखार आया, वहीं किसी ने कहा कि वैक्सीन से हाथ में भारीपन महसूस हुआ वहीं कुछ ने थकान लगने की शिकायत की. लेकिन इन बातों से डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि ये वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स नहीं है। किसी भी वैक्सीन के लगने पर बुखार आना सामान्य सी बात है, बुखार आना इस बात का प्रूफ है कि ठीक तरह से वैक्सीन लगाई गई है। इन हल्के लक्षणों से डरे नहीं। एक से दो दिन में बिल्कुल नॉमर्ल हो जाएंगे। सभी लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज लेनी है, नहीं तो शरीर में एंटीबॉडी की ग्रोथ ठीक तरह से नहीं हो पाएगी और लोग आसानी से वायरस की चपेट में आ सकते हैं।कोरोना वैक्सीन की पहली डोज कितनी फायदेमंद होगी?अनुमान के मुताबिक वैक्सीन की पहली डोज 52 प्रतिशत इफेक्टिव होगी। हालांकि पहली डोज लेते ही इम्यूनिटी नहीं बनती उसमें समय लगता है इसलिए दूसरी डोज स्किप न करें। दोनों डोज लें ताकि आपकी बॉडी में ज्यादा एंटीबॉडी बने और टी-सैल्स की मात्रा भी ज्यादा हो। अगर वैक्सीन लगने के बाद कोविड हो भी गया तो डॉक्टरों के मुताबिक गंभीर लक्षण होने की आशंका वैक्सीन लगने से कम हो जाएगी।
- जब शरीर इंसुलिन हार्मोन का उत्पादन नहीं कर पाता तो ब्लड शुगर यानी खून में ग्लूकोज का लेवल बढ़ जाता है। लंबे समय तक यही स्थिति बनी रहे तो डायबिटीज की बीमारी हो जाती है। डायबिटीज के मरीज खानपान के तरीके में बदलाव करके काफी हद तक इस बीमारी को कंट्रोल कर सकते हैं। डायबिटीज के मरीजों के लिए अरहर दाल काफी फायदेमंद है।इन वजहों से डायबिटीज में फायदेमंद है दाल-इसका कारण ये है कि अरहर दाल को प्रोटीन का पावर हाउस माना जाता है।-इसके अलावा दाल में आयरन, जिंक, फोलेट और मैग्नीशियम जैसे विटामिन और मिनरल्स भी होते हैं।-दाल में फाइबर ी मात्रा भी काफी अधिक होती है. इसमें घुलनशील और अघुलनशील दोनों तरह का फाइबर होता है।-दाल का ग्लाइसिमिक इंडेक्स भी कम होता है और इसमें कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट होता है।-ये सारी खूबियां शरीर में ब्लड शुगर को मैनेज करने में मदद करती हैं, इसलिए डायबिटीज के मरीजों के लिए दाल खासकर अरहर दाल खाना बेहद फायदेमंद माना जाता है।अरहर दाल के अलावा इन चीजों को भी खाएंएक रिसर्च में यह बात साबित भी हो चुकी है कि अरहर दाल खाने या अरहर दाल का पानी पीने से शुगर को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। अरहर दाल के अलावा चना दाल, राजमा, हरी वाली मूंग दाल, चना या छोले का भी सेवन फायदेमंद होता है। ये सारी चीजें भी ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करती हैं।
- क्या आप जानते हैं कि फेवरेट ड्रिंक से भी खराब हो सकती है किडनी? जी हां। कुछ लोकप्रिय ड्रिंक्स हैं जिन्हें लोग बहुत पसंद करते हैं, लेकिन यह किडनी को नुकसान पहुंचाती है। जानें कौन सी है ये ड्रिंक्स...1. कोल्ड ड्रिंकअगर आप कोल्ड ड्रिंक लवर हैं और हर दिन इसे पीना पसंद करते हैं तो संभल जाइए। कोल्ड ड्रिंक में फॉसफोरिक एसिड होता है जिससे किडनी डिसीज की आशंका बढ़ जाती है। अगर आप किडनी को हेल्दी रखना चाहते हैं वो कोल्ड ड्रिंक का सेवन न करें। साल 2016 में प्रकाशित एक जर्नल के मुताबिक 2382 लोगों के सर्वे में जिन लोगों ने एक हफ्ते में कोल्ड ड्रिंक का सेवन ज्यादा किया, उनमें किडनी डिसीज का खतरा ज्यादा नजर आया बजाय उनके जिन्होंने कोल्ड ड्रिंक का सेवन नहीं किया।2. डाइट सोडाअगर आपको लगता है कि डाइट सोडा एक हेल्दी विकल्प है तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है बल्कि ये आपकी किडनी की सेहत बिगाड़ सकता है। डाइट सोडा में हाई-फ्रूकटोस कॉर्न सिरप मिलाया जाता है जो कि किडनी के लिए अच्छा नहीं होता। जो लोग रोजाना या हफ्ते में तीन बार से ज्यादा डाइट सोडा पीते हैं उनकी किडनी जल्दी खराब हो सकती है। कुछ लोगों को लगता है कि डाइट सोडा कि ड्रिंक्स के मुकाबले हेल्दी और कम शुगर में बनती है जबकि ऐसा नहीं है। अगर आप इसका सेवन करते हैं तो तुरंत बंद कर दें।3. एल्कोहॉलशराब का सेवन रोजना करने से लिवर के साथ ही किडनी भी खराब होती है। जो लोग एल्कोहॉल का ज्यादा सेवन करते हैं उनकी यूरीन में एल्बुमिन प्रोटीन कॉन्टेंट बढ़ा हुआ मिलता है जो कि किडनी डिसीज का एक संकेत माना जाता है इसलिए एल्कोहॉल के सेवन से बचना चाहिए। 6259 लोगों पर की गई एक स्टडी के मुताबिक जो लोग हैवी ड्रिंकर्स होते हैं उनकी किडनी फेल होने की संभावना अधिक होती है।4. पैक्ड जूसलोग पैक्ड जूस को हेल्दी समझकर अपनी डाइट में शामिल कर लेते हैं पर पैक्ड जूस में शुगर की मात्रा बहुत ज्यादा होती है और साथ ही इसमें बहुत अधिक कैलोरीज होती हैं। पैक्ड जूस किडनी को भी बीमार बना सकता है। जो लोग अधिक मीठी ड्रिंक्स का सेवन करते हैं उन्हें किडनी की बीमारी होने की आशंका ज्यादा रहती है।
- आजकल कंप्यूटर पर काम करना लाइफस्टाइल का अहम हिस्सा बन गया है। वर्क फ्रॉम होम लगने के बाद से कंप्यूटर के सामने बैठे रहने का समय भी बढ़ गया है। काम के चक्कर में हम लगातार कई घंटे तक स्क्रीन पर नजरें गड़ाए रहते हैं, लेकिन कुछ समय बाद हमें इस वजह से कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ज्यादा देर तक स्क्रीन के सामने रहने पर सिर दर्द होने लगता है। क्या आप जानते हैं ये किस वजह से होता है और इससे कैसे बचा जा सकता है? आइए हम आपको बताते हैं...1. आंखों पर स्ट्रेनएक्सपट्र्स बताते हैं कि कंप्यूटर स्क्रीन और हमारी आंखों के बीच की दूरी को वर्किंग डिस्टेंस कहते हैं। बहुत देर तक इस डिस्टेंस पर काम करने से आंखें थकने लगती हैं और एक खास पॉइंट पर जाकर रेस्ट करना चाहती हैं, जो कंप्यूट स्क्रीन से बहुत दूर हो और इसे रेस्टिंग पॉइंट कहते हैं। लेकिन काम के बीच आपका दिमाग आंखों को फोर्स करता है कि स्क्रीन पर टिकी रहें। ऐसे में आंखों का स्ट्रगल आपको थकान का अहसास कराता है और सिर दर्द होने लगता है।2. खराब पॉश्चरघर में ऑफिस सा माहौल नहीं होता। ऐसे में आप शायद सीधे न बैठकर टेढ़े-मेढ़े बैठते हों या आगे झुककर बैठते हों। इससे आपके सर्वा?इकल नेक पर स्ट्रेस पड़ता है और आंखों और सिर में दर्द शुरू हो जाता है।3. ज्यादा लाइटकंप्यूटर से आने वाली तेज लाइट हमारी आंखों को थका देती है। यह उसी तरह होता है जैसे खिड़की से आने वाली तेज धूप को आंखें नहीं सह पातीं।4. इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड के बीच रहनास्टडी में पाया गया है कि मोबाइल, टीवी, कंप्यूटर के बीच लगातार रहना माइग्रेन की समस्या पैदा कर सकता है। इसलिए कहा जाता है कि जरूरत न होने पर वाईफाई बंद रखें और फोन को भी सिर के पास रखकर न सोएं।बचने के लिए करें ये उपाय-20-20-20 फॉर्मूला अपनाएं। यानी हर 20 मिनट पर 20 सेकंड के लिए स्क्रीन से आंखें हटाएं और 20 फीट की दूरी तक देखें।-घर के अंदर डिम लाइट का प्रयोग करें, तेज धूप या किसी अन्य रोशनी से बचें।-हैंडल वाली कुर्सी का ही प्रयोग करें।-कंप्यूटर की ब्राइटनेस को इस लेवल पर रखें कि आपकी आंखों को चुभे ना-फॉन्ट साइज को छोटा न रखें। इसे हमेशा बढ़ाकर ही काम करें।-कंप्यूटर की स्क्रीन को लगातार देर तक न देखते रहें।-ओवरहेड लाइट का न करें प्रयोग।-स्क्रीन पर ग्लेयर फिल्टर का इस्तेमाल करें।-कंप्यूटर की स्क्रीन को गरदन की सीधाई में रखें।अगर इन सबके बाद भी सिर और आंखों में दर्द होता है तो डॉक्टर्स से सलाह लें।
- खरबूजे में करीब 95 प्रतिशत पानी होता है जो गर्मियों में आपको फ्रेश फील कराने के साथ साथ बॉडी में पानी की मात्रा को भी मेंटेन रखता है. जानें इसके फायदे...1. स्किन के लिए फायदेमंदखरबूजे में एंटी एजिंग एजेंट तत्व मौजूद होते हैं जो स्किन के लिए काफी फायदेमंद होते हैं. यह बॉडी पर फ्री रेडिकल्स का प्रभाव नहीं पड़ने देते और स्किन डैमेज को भी सुधारते हैं. साथ ही, प्री-मेच्योर एजिंग से दूर रखते हैं. आप चाहें तो इसके गूदे को फेस पैक की तरह इस्तेमाल करें.2. आखों को रखता है दुरुस्तस्टडी में पाया गया है कि खरबूज को नियमित रूप से खाया जाए तो आपकी आंखें हमेशा हेल्दी रह सकती हैं. इतनी ही नहीं, आंखों की कई परेशानियां भी दूर होती हैं. क्योंकि खरबूज में बेटा कैरोटीन मौजूद होता है जो कैटरेक्ट (मोतियाबिंद) से 40% सेफ्टी दे सकता है.3. इन बीमारियों से भी बचाता हैखरबूजे में डाइयुरेटिक क्षमता होती है, जो किडनी की किसी भी बामारी को ठीक करने में मदद करता है. इशके अलावा, खरबूजा एग्जिमा कम करने में भी कारगर है. खरबूजे में नींबू मिलाकर अगर खाया जाए तो इससे गठिया की बीमारी में भी आराम मिलता है.4. ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में मददखरबूजे के अंदर मौजूद पोटैशियम इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस को मेंटेन करता है. यह रक्तचाप को कंट्रोल करता है और दिल की बीमारियों या स्ट्रोक के चांस को कम करता है.5.नर्वस सिस्टम भी रहता है हेल्दीखरबूजे में मौजूद तत्व हमारे नर्वस सिस्टम को स्वस्थ रखने में कारगर हैं. एंग्जाइटी की परेशानी को भी कंट्रोल करने में खरबूजा मदद करता है.
- पान खाना बहुत लोगों का शौक होता है. वहीं, इसे शुभ माना जाता है लेकिन क्या आपने पान के पत्तों से सेहत को फायदे वाली बात सुनी है? अगर नहीं सुनी तो हम सुनाते हैं...1. सिर दर्द होता है छूमंतरपान के पत्तों के सेवन से सिर दर्द में आराम मिलता है. बताया जाता है कि दर्द कम करने के लिए आप पान के कुछ पत्ते लें और एक कपड़े में रखकर उसे कुछ सिर पर बांध लें. इससे दर्द में राहत मिलती है.2. घाव भी जल्दी भर देता हैचोट ठीक करने के लिए भी पान के पत्ते कारगर होते हैं. घाव की जगह पर बस पान का पत्ते को कपड़े से बांधकर छोड़ दें. इससे घाव जल्दी भर सकता है.3. खांसी से मिलता है छुटकाराअगर आप सूखी खांसी से परेशान हैं और जल्द इसे ठीक करना चाहते हैं तो पान के पत्ते से मदद मिल सकती है. इसके लिए बस पत्ते पीसकर उसका रस निकाल लें और शहद मिलाकर खाएं. खांसी में राहत मिलेगी.4. बच्चों को हो सर्दी तो भी मदद करे पानबच्चों की सर्दी ठीक करने के लिए पान का इस्तेमाल किया जाता है. इसके लिए पान के कुछ पत्ते गर्म कर लें और कैस्टर ऑयल के साथ बच्चे के सीने पर रखें. सर्दी ठीक हो सकती है.5. सर्दी-ज़ुकाम में मिलता है आरामपान के पत्तों से सर्दी जुकाम ठीक हो सकता है. इसके लिए आप पान के पत्तों से डंठल अलग कर दें. अब इन डंठलों को पत्थर पर घिसें और थोड़ा शहद मिलाकर इसे खाएं. कफ में भी आराम मिलेगा.6. ब्रेस्ट स्वेलिंग से मिलती है निजातनई मां को कई बार ब्रेस्ट स्वेलिंग की समस्या आती है. ऐसे में वह बच्चे को दूध नहीं पिला पातीं. इस सूजन को दूर करने के लिए पान के पत्तों को हल्का गर्म कर लें और स्तन पर बांध कर रख लें. इससे स्वेलिंग में आराम मिलेगा.
- कोरोना के इस दौर में लोगों का इम्यून सिस्टम मजबूत होना बेहद जरूरी है। इसलिए आज हम इस आर्टिकल में 3 तरह के हर्बल ड्रिंक्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जो इम्युनिटी को स्ट्रॉन्ग बनाने के साथ-साथ बाकी बीमारियों को दूर रखने में भी मददगार हैं..... तो आइये जानते हैं....1. अदरक+हल्दी+एप्पल साइडर विनेगरहल्दी, अदरक और एसीवी से बना ये हरबल ड्रिंक स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है। इस ड्रिंक में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं। एप्पल साइडर सिरका कब्ज, ब्लड शुगर, वजन घटाने और हृदय रोगों से बचाव करने में मददगार होता है। इसके अलावा यह हमारे इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करता है। वहीं, हल्दी और अदरक में एंटी-ऑक्सिडेंट और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं। हल्दी एक आयुर्वेदिक औषधि के रूप में इस्तेमाल की जाती है। वहीं, अदरक भी सफेद रक्त कोशिकाओं (व्हाइट ब्लड सेल्स) की संख्या को बढ़ाने में मददगार होता है, जो वायरस से लडऩे में मददगार है।ऐसे बनाएं ये ड्रिंकइसके लिए आपको एक गिलास पानी में अदरक और हल्दी को मिलाकर 10 मिनट तक उबालना होगा। उबलने के बाद इस पानी तो थोड़ी देर रख दें। हल्का गुनगुना होने पर इसमें शहद और एक चम्मच सेब का सिरका डालें और पी लें। रोजाना इसके सेवन से इम्युन सिस्टम मजबूत होगा।2. अजवाइन+काली मिर्च+ तुलसीअजवाइन एक ऐसा मसाला है, जिसमें तमाम औषधीय गुण होते हैं। कई बीमारियों के इलाज में इसका उपयोग किया जाता है। पेट दर्द, सर्दी-खांसी, जुकाम जैसी अन्य समस्याओं को दूर करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा अजवाइन इम्युनिटी बूस्ट करने में काफी मददगार है।ऐसे बनाएं ये ड्रिंकएक पैन में 1 गिलास पानी, अजवाइन, काली मिर्च और तुलसी के पत्तों को डालकर 5 मिनट तक उबालें। उबलने के बाद इस पानी तो थोड़ी देर रख दें। हल्का गुनगुना होने पर इसमें शहर मिलाएं और पी लें। इससे आपका इम्युन सिस्टम मजबूत होने के साथ-साथ और भी कई समस्याओं से निजात मिलेगी।3. गिलोय + तुलसीगिलोय में कई तरह के औषधीय गुण मौजूद होते हैं। इसके सेवन से इम्युनिटी तो बढ़ती ही है, साथ ही सर्दी-खांसी भी जल्द दूर होती है। इसके अलावा पाचन तंत्र भी सही रहता है। ऐसे ही तुलसी भी कई तरह से फायदेमंद होती है। तुलसी भी कई तरह के मर्ज को ठीक करने में मददगार साबित होती है। आयुर्वेद में दोनों को औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है।ऐसे बनाएं ये ड्रिंकएक पैन में एक कप पानी, तुलसी के 10-15 पत्ते डालें। 5 मिनट तक इस पानी को उबालें। गैस से उतारने के कुछ देर बाद ठंडा किसी बर्तन में रख लें। फिर इसमें 1 कप गिलोय का रस और एक चुटकी काला नमक और नींबू का रस मिला लें और पी जाएं। आप चाहें तो उबालते वक्त लौंग और अदरक भी डाल सकते हैं।
- आपने अपनी रसोई में कई तरह के मसाले, हब्र्स और बीज देखे होगें। उन्हीं में से एक बीज है 'अजवाइन'। अजवाइन न सिर्फ एक मसाला है, बल्कि एक ऐसी औषधि भी है जिसके प्रयोग से मोटापा कम किया जा सकता है और स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है। तो चलिये जानें कि अजवाइन से मोटापे को कैसे कम किया जा सकता है।अजवाइन मोटापे कम करने में भी कारगर होती है। इससे मोपाटा कम करने के लिये रात को एक चम्मच अजवाइन को एक गिलास पानी में भिगो कर रख दें। सुबह उठने पर इसे छानकर एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर पीएं। इसके नियमित सेवन से जल्द ही मोटापा कम होने लगता है। लेकिन अजवाइन या अन्य रोई भी नुस्खा कोई चमत्कार नहीं होता है। इन नुस्खों के साथ-साथ नियमित एक्सरसाइज व पौष्टिक और संतुलित भोजन करने की भी जरूरत होती है। साथ ही शरीर को ठीक से हाइड्रेट भी रखना होता है। इसलिए दिनभर खूब पानी पियें और हरी सब्जियां और मौसमी फल खाएं।दूर होगी पाचन संबंधी समस्यायदि पाचन ठीक न हो तो मोटाबॉलिज्म खराब होता है और इससे मोटापा भी बढ़ता है। अजवाइन पाचन संबधी किसी भी समस्या को ठीक करने में सहायक होती है। यह एक प्रकार का एंटी एसिड होती है जो कि बदहज़मी की समस्या से बचाव करती है। अजवाइन को छाछ के साथ पीने से पाचन संबधी समस्या जैसे अपच आदि से राहत मिलती है।कई समस्याओं का इलाज है अजवाइन-एसिडिटी की समस्या होने पर अजवाइन को चबाकर खाएं और उसके बाद एक कप गर्म पानी पी लें, एसिडिटी की समस्या दूर हो जायेगी।-पेट में कीड़े हैं तो काले नमक के साथ अजवाइन खाएं, लीवर की परेशानी है तो 3 ग्राम अजवाइन और आधा ग्राम नमक भोजन के बाद लेने से फायदा होगा।-पाचन तंत्र में किसी भी तरह की गड़बड़ी होने पर मट्ठे के साथ अजवाइन लेने से आराम मिलता है।-गैस की समस्या के लिए 1-2 ग्राम खुरसानी अजवाइन में गुड़ मिलाकर इसकी गोलियां बना कर खाएं, इससे तुरंत राहत मिलेगी।-पेट में गैस होने पर हल्दी, अजवाइन और एक चुटकी काला नमक लें, इससे भी बहुत जल्दी आराम मिलता है।-एसिडिटी की तकलीफ है तो थोड़ा-थोड़ा अजवाइन और जीरा को एक साथ भून लें, इसे पानी में उबाल कर छान लें। छने हुए पानी में चीनी मिलाकर पीने से एसिडिटी की समस्या दूर होगी।-----
- गर्मियों के मौसम में लस्सी और छाछ पीना लगभग हर किसी को पसंद होता है। वैसे भी ये दही को डाइट में शामिल करने से शरीर को ना केवल पौष्टिक तत्व मिल जाते हैं बल्कि ये शरीर को गर्मी से भी बचाते हैं। आज हम बता रहे हैं स्वादिष्ट छाछ बनाने की विधिछाछ बनाने की सामग्रीआधा कप दही, एक कप पानी, खीरा कद्दूकस किया हुआ, ताजा पुदीने के पत्ते, काला नमक स्वादानुसार, काली मिर्च पाउडर, बर्फ के टुकड़े।छाछ बनाने की विधिसबसे पहले दही और पानी के साथ बर्फ को मिलाकर अच्छे से मिक्सी या ग्लाइंडर में ब्लेंड कर लें। इसमे नमक, काली मिर्च, खीरा डालकर मिक्स करें। अब सर्व करते समय पुदीने की पत्तियों को डालें और छाछ निकालकर गिलास में सर्व करें। तैयार है गर्मियों का देसी ड्रिंक जो आपको तरोताजा रखने के साथ ही सेहतमंद भी बनाएगी।
- देश मे लगातार कोरोना संक्रमण को देखते हुए देश में बड़े स्तर पर टीकाकरण भी किया जा रहा है, ताकि लोग संक्रमण से बचे रहें। वहीं दूसरी तरफ वैक्सीन लगवाने के बाद कुछ लोगों को इसके साइड इफेक्ट्स का भी सामना करना पड़ रहा है। मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक वैक्सीन लगवाने के बाद कुछ लोगों को बुखार या बदन दर्द जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।वैक्सीन लगवाने के बाद होने वाले साइड इफेक्ट्स से बचाव के लिए क्या किया जाए। इसको लेकर हार्वर्ड न्यूट्रीशियन ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर की है। इसके माध्यम से उन्होंने बताया कि वैक्सीन लगवाने से पहले और बाद में अपनी डाइट में कुछ चीजें शामिल कर लें। दरअसल सेहत को बेहतर बनाए रखने में हमारी डाइट की अहम भूमिका होती है। संक्रमण के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए वैक्सीन लगवाएं और कुछ चीजें ध्यान में रखें तो आपको इसका फायदा ही होगा।ताज़ी सब्जियां शामिल करेंअपनी डाइट में हरी सब्जियों को शामिल जरूर करें। हरी सब्जियां कई पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं। पालक, केले और ब्रोकोली जैसी सब्जियां जरूर शामिल करें। ये एंटीऑक्सिडेंट में भरपूर होती हैं, जो शरीर में होने वाली सूजन को दूर करने में मददगार होती हैं।हेल्थी होममेड सूपशरीर की इम्यून पावर को बढ़ाने के लिए बेहतर आहार लेना बहुत जरूरी है. इसके लिए आप स्टू और सूप का सेवन करें।एंटी इंफ्लेमेटरी ब्लूबेरीएंटी इंफ्लेमेटरी फ़ूड में शामिल है ब्लूबेरी। यह शरीर में सेरोटोनिन का स्तर बढ़ाती है। इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जो कई बीमारियों से बचाव और उनकी रोकथाम में सहायक होती है।अच्छे बैक्टीरिया वाले प्याज -लहसुनप्रोबायोटिक्स से समृद्ध हैं प्याज और लहसुन। प्याज फाइबर और प्रीबायोटिक्स(अच्छे बैक्टीरिया) का एक समृद्ध स्रोत है, जो आंतों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं।इम्युनिटी को बढ़ाती हल्दीहमारे शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाती है जिस वजह से तमाम तरह की संक्रामक बीमारियों से बचाव होता है। सूजन से लडऩे में भी कारगर है हल्दी। साथ ही आपके मस्तिष्क को तनाव से भी बचाती है। हल्दी में पाया जाने वाला रसायन करक्यूमिन तनाव को कम करने में सहायक है।
- कोरोना वैक्सीनेशन का तीसरा फेस 1 मई से शुरू होने जा रहा है। 1 मई के बाद हमारे देश में 18 साल से अधिक के लोग वैक्सीन लगा सकते हैं। इससे पहले यह जानना जरूरी है कि वैक्सीनेशन से पहले और बाद में अपने शरीर का किस तरह से ध्यान रखना जरूरी है। हमारे आसपास के लोग वैक्सीनेशन से जुड़े कई टिप्स शेयर कर रहें हैं। इन टिप्स में से कई हमारे लिए लाभकारी भी हो सकते हैं और कुछ ऐसे भी टिप्स हो सकते हैं जो महज एक मिथ है। इसलिए खुद को सुरक्षित रखने के लिए सही जानकारी होना बहुत ही जरूरी है। चलिए जानते हैं वैक्सीनेशन से पहले और बाद में हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं-अमेरिका के सीडीसी (सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन) के अनुसार, वैक्सीनेशन के बाद बेहोशी, मांसपेशियों में दर्द, नजला, फीवर, सिरदर्द जैसे लक्षण दिख रहे हैं। ऐसी स्थिति में भरपूर पानी पीने की जरूरत है। शरीर को डिहाइड्रेट करके और इन लक्षणों को कम कर सकते हैं। साथ ही वैक्सीनेशन से पहले और बाद में शराब न सेवन न करना ही स्वास्थ्य के लिए बेहतर है। शराब के सेवन से न सिर्फ इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, बल्कि इससे डिहाइड्रेशन की समस्या भी बढ़ती है। इतना ही नहीं शराब पीने से स्ट्रेस लेवल भी बढ़ता है और इस स्थिति में मेंटली और फिजीकली स्ट्रॉन्ग होना बहुत ही जरूरी है।खाली पेट न लगाएं वैक्सीनवैक्सीन लगाने से कुछ खा जरूर लें। रात में भूखे पेट न सोएं। ऐसा करने से चक्कर आने की समस्या उत्पन्न हो सकती है। अगर आप वैक्सीन लगाने जा रहे हैं, तो घर में बना खाना- जैसे- दही, अंडे, हेल्दी बार, नट्स या फिर फ्रूट्स का सेवन करें, ताकि बेहोशी की समस्या ना हो। एक्सपर्ट का कहना है कि वैक्सीन लगाने के तुरंत बाद शरीर का इम्यून सिस्टम तेजी से कार्य करने लगता है, जिसके कारण हाथों में दर्द, हल्के-फुल्के बुखार और शरीर में दर्द जैसे साइड-इफेक्ट्स दिख सकते हैं। इसलिए इस दौरान शारीरिक कमजोरी होने से परेशानी बढ़ सकती है। इसलिए अपने पेट को खाली न रखें।क्या वैक्सीनेशन के बाद कर सकते हैं एक्सरसाइज?वैक्सीनेशन के बाद आराम बहुत ही जरूरी है, खासतौर पर जब आप अच्छा फील नहीं कर रहे हैं। लेकिन हल्के-फुल्के एक्सरसाइज जरूरी हैं। इस दौरान हैवी एक्सरसाइज करने की जरूरत नहीं है, लेकिन ब्रिक्स वॉक कर सकते हैं। इसके साथ ही हल्के-फुल्के एक्सरसाइज करें। कोरोनाकाल में हम में से अधिकतर लोगों ने एक्सरसाइज करना बंद कर दिया है, लेकिन हर किसी को प्रतिदिन हेल्दी और एक्सरसाइज की जरूरत होती है। ऐसे समय में बाहर नहीं जा सकते हैं, इसलिए घर में टहलें या फिर योग करें।वैक्सीनेशन के बाद क्या करें?वैक्सीनेशन के बाद कुछ लोगों को उल्टी, मतली की शिकायत हो सकती है। भले ही आपको यह परेशानी न हो, लेकिन वैक्सीनेशन के बाद तरल और आसानी से पचने वाले आहार का सेवन करें। वैक्सीनेशन के बाद वेजी सूप, सेब, केला, खरबूजा, नारियल पानी, ब्राउन राइस और आलू जैसे हेल्दी फूड्स को अपने डाइट में शामिल हैं। इस दौरान हैवी डाइट न लें। वैक्सीनेशन के बाद अगर आपकी भी भूख कम हो गई है, तो न भूख लगने पर भी कुछ घंटों में स्नैक्स लेने की कोशिश करें। ध्यान रहे कि इस दौरान आपके शरीर को संपूर्ण न्यूट्रीएंश की जरूरत होती है। ताकि आपका इम्यूम सिस्टम सुचारू रूप से कार्य कर सके।ंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिन के मुताबिक, महिलाओं के शरीर को प्रति दिन 11 कप यानि 2.7 लीटर तरल पदार्थ की आवश्यकता होती है। वहीं, पुरुषों की बात की जाए, तो उनके शरीर को एक दिन में 3.7 लीटर तरल पदार्थ की आवश्यकता होती है। लगभग 20 प्रतिशत तरल पदार्थ हमारे भोजन से शरीर को मिल जाते हैं, लेकिन बाकि बचा 8-12 कप हमें पानी या फिर ड्रिंक्स से पूरा करने की जरूरत होती है।
- करेले की सब्जी हर किसी को पसंद नहीं आती। इसका स्वाद भले ही कड़वा होता है, लेकिन सेहत के लिए यह काफी फायदेमंद है। करेले के कई औषधीय फायदे भी हैं। आज हम आपको बता रहे हैं कि कैसे करेले के उपयोग से आप कर सकते हैं रोजमर्रा की छोटी-छोटी समस्याओं को दूर...- पथरी की शिकायत है तो करेले के रस का सेवन करें तो बहुत लाभ होगा। इससे पथरी निकलने में मदद मिलेगी। ताजे करेले के रस का ही सेवन करें। कान में दर्द है तो करेले का रस निकालकर 4-4 बूंदें कान में डालें।-अगर करेले की जड़ ना मिले तो करेले के पत्ते को पीसकर थोड़ा गर्म करके पट्टी में बांधकर घाव पर लगा दें। इससे पस निकल जाएगी। घाव में होने वाले दर्द को भी करेले से कम किया जा सकता है.- घाव या फोड़ा होने पर करेले की जड़ को घिसकर फोड़े या घाव वाली जगह पर दें। इससे फोड़ा भी निकल जाएगा और पस भी निकल जाएगी।-पेट संबंधी दिक्कतों को दूर करने में करेला बहुत लाभदायक है। कम ही लोग जानते होंगे करेला और इसके जूस के अलावा करेले की पत्तियां और छिलका भी बहुत लाभदायक होता है।- करेला मधुमेह में रामबाण औषधि का काम करता है। करेले के टुकड़ों को छाया में सुखाकर पीसकर महीन पाउडर बना लें। रोजाना सुबह खाली पेट एक चम्मच पाउडर का पानी के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है। एक-चौथाई कप करेले के रस में समान मात्रा में गाजर का रस मिलाकर पीना फायदेमंद होता है। 10 ग्राम करेले के रस में शहद मिलाकर रोजाना पीने से मधुमेह नियंत्रण में रहता है। 10 ग्राम करेले के रस में 6 ग्राम तुलसी के पत्तों का रस मिलाकर रोज सुबह खाली पेट पीना लाभकारी है। एक करेले को एक कप पानी में अच्छी तरह उबालकर पिएं। आप इसमें हरे सेब का रस, आंवले का रस या 2-3 चुटकी हींग मिलाकर पी सकते हैं।रोजाना 5 ग्राम करेले का रस पीते रहने वाले लोगों को डायबिटीज में फायदा दिखने लगता है>- करेले में मौजूद बिटर्स और एल्केलाइड तत्व रक्त शोधक का काम करते हैं। करेले की सब्जी खाने और मिक्सी में पीस कर बना लेप रात में सोते समय लगाने से फोड़े-फुंसी और त्वचा रोग नहीं होते। दाद, खाज, खुजली, सियोरोसिस जैसे त्वचा रोगों में करेले के रस में नींबू का रस मिलाकर पीना फायदेमंद है।-करेला रक्तशोधक होता है। चर्म रोगी को भी यह लाभकारी है। फोड़े फुंसी तथा अन्य चर्म रोगों पर करेले का रस लगाने से बहुत लाभ होता है। प्रतिदिन सुबह-शाम आधा चम्मच रस बराबर मात्रा में शहद के साथ लेने से खून की खराबियों को दूर करता है तथा खून साफ हो जाता है। करेला खून की शुद्धि करने में पूरी तरह सक्षम है। यदि त्वचा-रोग हो तो भी रक्त-शुध्दि हेतु करेले का रस कुछ दिनों तक आधा-आधा कप पीना लाभदायक है। इस प्रकार करेला अनेक रोगों में औषधि रूप में काम आ सकता है बशर्ते उसे उसी रूप में लिया जाये- रस या सब्जी बनाकर।- करेले में मौजूद खनिज और विटामिन शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं जिससे कैंसर जैसी बीमारी का मुकाबला भी किया जा सकता है।- करेला हमारी पाचन शक्ति को बढ़ाता है जिसके कारण भूख बढ़ती है। करेले ठंडा होता है, इसलिए यह गर्मी से पैदा हुई बीमारियों के उपचार के लिए फायदेमंद है। यदि पाचन शक्ति कमजोर हो तो किसी भी प्रकार करेले का नित्य सेवन करने से पाचन शक्ति मजबूत होती है। करेला स्वयं भी शीघ्र पचता है।-प्रति 100 ग्राम करेले में लगभग 92 ग्राम नमी होती है। साथ ही इसमें लगभग 4 ग्राम कार्बोहाइडेट, 15 ग्राम प्रोटीन, 20 मिलीग्राम कैल्शियम, 70 मिलीग्राम फास्फोरस, 18 मिलीग्राम, आयरन तथा बहुत थोड़ी मात्रा में वसा भी होती है। इसमें विटामिन ए तथा सी भी होती है जिनकी मात्रा प्रति 100 ग्राम में क्रमश: 126 मिलीग्राम तथा 88 मिलीग्राम होती है।
- भोजन का स्वाद बढ़ाना हो या सलाद की प्लेट की शोभा, दोनों ही प्याज के बिना अधूरे से लगते हैं। प्याज न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाता है बल्कि इसका नियमित सेवन व्यक्ति को कई रोगों से भी दूर रखता है। सफेद प्याज में एंटी-इंफ्लेमेट्री, एंटी-एलर्जिक, एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-कार्सिनोजेनिक गुण प्रचूर मात्रा में मौजूद होते हैं। इतना ही नहीं सफेद प्याज में विटामिन ए, बी6, बी-कॉम्प्लेक्स, आयरन, फोलेट और पोटैशियम जैसे तत्व भी पाए जाते हैं। इसका नियमित सेवन करने से व्यक्ति को कई गजब के लाभ मिलते हैं। आइए जानते हैं।सफेद प्याज का सेवन करने के फायदे-इम्यूनिटी-सफेद प्याज में मौजूद सेलेनियम व्यक्ति की इम्यूनिटी बढ़ाने का काम करता है। सेलेनियम वायरल और एलर्जी के मैनेजमेंट में भी एक अच्छी भूमिका निभाता है। अपनी इम्यूनिटी को मजबूत बनाने के लिए आप भी डाइट में सफेद प्याज को शामिल कर सकते हैं।पेट की सेहत का रखता है ध्यान-सफेद प्याज फाइबर और प्रीबायोटिक्स का एक अच्छा स्रोत है जो आपके पेट की सेहत का ध्यान रखता है। प्याज में खासकर प्रीबायोटिक इनुलिन और फ्रुक्टो ओलिगोसैचेराइड्स प्रचूर मात्रा में पाए जाते हैं। और इसके नियमित उपयोग से आपके पेट में अच्छे बैक्टीरिया की संख्या बढ़ जाती है।डायबिटीज-सफेद प्याज में पाए जाने वाले क्वेर्सिटिन और सल्फर में एंटी डायबिटिक गुण मौजूद होते हैं, जो ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। डायबिटीज रोगियों के लिए प्याज का सेवन काफी फायदेमंद माना जाता है।झड़ते बालों की समस्या-बाल झड़ने की समस्या से परेशान हैं तो सफेद प्याज के रस को बालों पर लगाएं। इसके इस्तेमाल से बालों को मजबूत चमकदार और डैंड्रफ व असमय बाल सफेद होने जैसी समस्या से बचाया जा सकता है।स्पर्म काउंट-जिन पुरुषों के स्पर्म काउंट कम होते हैं वे लोग रोजाना सफेद प्याज का रस शहद में मिलाकर ले सकते हैं। ऐसा करने से तेजी से स्पर्म में वृद्धि होती है। प्याज में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट प्राकृतिक रूप से स्पर्म बढाने का कार्य करता है।
- गर्मियों के मौसम में ककड़ी खाने के हजारों फायदे हैं. ककड़ी में बहुत सारा पानी होता है जो हमें डीहाइड्रेशन से बचाता है. इसके साथ ही इसमें विटामिन A, C, K, पोटेशियम, ल्यूटीन, फाइबर जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं. आपको जानकर खुशी होगी कि ककड़ी से वेट लॉस में भी मदद मिलती है. जानें इसके फायदे...1. वेट लॉस में मिलती है मददककड़ी खाने से वजन कम किया जा सकता है. क्योंकि ककड़ी में बहुत कम कैलोरी होती है. इसके अलावा इसमें वजन बढ़ाने वाला कोई तत्व नहीं होता. फाइबर में भी ये बहुत रिच है. इस वजह से इसे खाने के बाद पेट भरा रहता है और कुछ खाने का मन नहीं होता.2. कोलेस्ट्रॉल करे कंट्रोलककड़ी खाने से कोलेस्ट्रॉल लेवल भी मेंटेन किया जा सकता है. इसमें एक तत्व होता है, जिसे हम स्टीरॉल कहते हैं. यह बॉडी में सही कोलेस्ट्रोल स्तर बनाकर रखता है.3. ब्लड प्रेशर भी रहता है सामान्य4. किडनी रहती है हेल्दीहम सब जानते हैं कि ककड़ी में पानी की मात्रा बहुत ज्यादा होती है. यह पोटेशियम के साथ मिलकर यूरिक एसिड और किडनी की अशुद्धियों को बॉडी से बाहर निकाल देता है.5. स्किन के लिए है रामबाणककड़ी स्किन और बालों के लिए अमृत के समान है. नियमिचत रूप से अगर ककड़ी खाई जाए तो बालों की ग्रोथ अच्छी होती है. साथ ही, स्किन भी चमकदार होती है. ककड़ी का जूस पीने से दाग-धब्बे गायब होने लगते हैं.6. हड्डियां होती हैं मजबूतककड़ी खाने से हड्डियां मजबूत होती हैं. इसमें विटामिन-K बहुत ज्यादा मात्रा में पाया जाता है. इससे बोन डेंसिटी बढ़ती है और हड्डियां मजबूत हो सकती हैं.7. कब्ज़ से मिलती है निजातककड़ी के नियमित सेवन से कब्ज़ की समस्या को दूर किया जा सकता है. इसके साथ ही गैस और इनडाइजेशन को भी कम करने में मदद मिलती है.
- देश भर में कोरोना का कहर लगातार जारी है। ऐसे में अपने शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता तो दुरुस्त रखना बहुत जरूरी है। आज हम 3 तरह के आयुर्वेदिक काढ़े के बारे में बताने जा रहे हैं. जो सर्दी-जुकाम को ठीक करने के साथ ही इम्युनिटी को स्ट्रॉन्ग बनाने में भी मददगार है। खास बात ये है कि इसमें इस्तेमाल होने वाली चीजें सभी की रसोई घरों में आसानी से मिल जाती है।ये हैं वो 3 स्पेशल काढ़े1. लौंग, काली मिर्च, अदरक और गुड़ का काढ़ाअगर खांसी, सर्दी-जुकाम या गले में खराश की शिकायत है, तो लौंग, काली मिर्च, अदरक और गुड़ का काढ़ा लाभदायक हो सकता है। इसके लिए लौंग और काली मिर्च को बारीक पीसकर अदरक और गुड़ के साथ पानी में डालकर उबालना होगा। इसमें कुछ तुलसी की पत्तियां भी डाल सकते हैं। जब उबलकर यह पानी आधा हो जाए तो समझ जाएं कि काढ़ा तैयार हो गया है। फिर काढ़े को छान लें और पी लें। इस काढ़े के सेवन से शरीर का इम्यून सिस्टम भी मजबूत होगा।2. अजवाइन का काढ़ाअजवाइन एक ऐसा मसाला है, जिसमें अनेक गुण मौजूद होते हैं। इसका सेवन खांसी, सर्दी-जुकाम जैसी समस्याओं में बेहद लाभकारी होता है। अजवाइन का काढ़ा बनाने के लिए एक पैन में 1 गिलास पानी, अजवाइन, काली मिर्च और तुलसी के पत्ते डाल लें । फिर पानी को 5 मिनट तक उबलने दें। जब यह पानी आधा हो जाए तो गैस बंद कर उतार लें। पीने के पहले चाहें तो इसमें थोड़ा सा शहद भी मिला सकते हैं। यह काढ़ा सर्दी-जुकाम और खांसी में के अलावा कई अन्य बीमारियों को भी दूर रखने में लाभदायक होता है। यह काढ़ा रोगों से लडऩे में शरीर की मदद करता है।3. दालचीनी का काढ़ादालचीनी का उपयोग लगभग हर घर में होता है। इसमें कई तरह के गुण मौजूद होते हैं, जिसके कारण औषधि के रूप में भी इसका उपयोग किया जाता है। दालचीनी का काढ़ा बनाने के लिए आधा चम्मच दालचीनी पाउडर को एक गिलास पानी में उबालना होगा। जब पानी अच्छी तरह से उबल जाए तो गैस बंद कर दें। हल्का गुनगुना रहने पर इसमें शहद मिलाकर पी लें। इससे सर्दी- जुकाम से बहुत जल्द राहत मिलती है। इसके अलावा दालचीनी के सेवन से दिल की बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। ये प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने के साथ ही कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में भी काफी मददगार होता है।
- भारत के ज्यादार घरों में गाय के दूध का इस्तेमाल होता है, लेकिन आजकल वीगन डायट का ट्रेंड बढ़ता जा रहा है। साथ ही कई लोगों को पांरपरिक दूध में पाए जाने वाले लैक्टोस से एलर्जी भी होती है। ऐसे लोगों के पास कुछ विकल्प हैं, जैसे कि .....सोया का दूधसभी प्लांट मिल्क की तुलना में सोया के दूध में सबसे ज्यादा प्रोटीन होता है। एक कप (240 एमएल) सोया के दूध में करीब 6 ग्राम प्रोटीन मिलता है। सोया मिल्क कैल्शियम और विटामिन डी से भी भरपूर होता है।बादाम का दूधबादाम के दूध की दुनिया में काफी डिमांड है। यह इसलिए क्योंकि बादाम खुद काफी पोषक है। इसमें प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, विटामिन ई और गुणकारी मोनोअनसैचुरेटेड फैट होता है. एक कप आल्मंड मिल्क में करीब 1 ग्राम प्रोटीन होता है। बादाम का दूध बच्चों और वयस्कों दोनें के लिए अच्छा विकल्प है, जिन्हें गाय या दूसरे जानवरों के दूध से एलर्जी है।काजू का दूधकाजू के दूध का स्वाद मलाईदार होता है। यह विटामिन, खनिज, हेल्थी फैट और अन्य लाभकारी तत्वों से भरपूर है। यह इम्यूनिटी, दिल, आंख और त्वचा के लिए भी लाभदायक है।नारियल का दूधकोकोनट मिल्क आजकल काफी ट्रेंड में है। यह सैचुरेटेड फैट से भरपूर होता है। एक कप नारियल के दूध में करीब 4 ग्राम प्रोटीन होता है। कोकोनट मिल्क का उपयोग अक्सर कई एशियाई व्यंजनों में किया जाता है।चावल का दूधसोया, पारंपरिक दूध और नट्स की तुलना में चावल में बहुत कम एलर्जेन होते हैं। इसमें करीब 1 ग्राम (एक कप) प्रोटीन होता है। जिन लोगों को लैक्टोस से एलर्जी है, उनके लिए यह एक अच्छा विकल्प है।कीनूआ का दूधकीनूआ एक तरह का अनाज है जिसे अक्सर सलाद के रुप में खाया जाता है। यह बाकी अनाजों की तुलना में ज्यादा प्रोटीन और फाइबर प्रदान करता है। यह ग्लूटेन-फ्री होता है और इसमें सभी आवश्यक अमीनो एसिड होते हैं। यह आयरन, मैग्नीशियम और जिंक से भरपूर है।ओट/जई का दूधओट मिल्क का स्वाद सौम्य और मलाईदार होता है। गाय के दूध की तुलना में ओट मिल्क में अधिक विटामिन बी-2 होता है। ओट/जई के दूध का इस्तेमाल मीठे और नमकीन दोनों प्रकार के व्यंजनों में किया जाता है। एक कप ओट मिल्क में करीब 4 ग्राम प्रोटीन होता है।तीसी का दूधबाजार में कई तरह के दूध के विकल्पों के बीच फ्लैक्स मिल्क भी मिलता है। फ्लैक्स मिल्क में डेयरी मिल्क के मुकाबले कम कैलोरी और कम फैट होता है।मटर का दूधसुनने में थोड़ा अजीब लगेगा लेकिन चिंता की बात नहीं है क्योंकि इस दूध का स्वाद हरे मटर की तरह नहीं होता। मटर के दूध में एक तिहाई सैचुरेटेड फैट होता है। इसमें गाय के दूध की तुलना में 50 प्रतिशत ज्यादा कैल्शियम होता है।
- पुदीने का रायता हो या पुदीने की चटनी, पुदीने का उपयोग स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है। वहीं आज हम बात कर रहे हैं पहाड़ी पुदीने की, जिसे अंग्रेजी में स्पियरमिंट भी कहा जाता है। बता दें कि पहाड़ी पुदीने के अंदर भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसके अंदर कॉपर, आयरन, मैग्नीशियम, वसा के साथ-साथ विटामिन सी, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फोलेट आदि भी मौजूद हैं। ऐसे में इसके उपयोग से कई समस्याएं जैसे मांसपेशियों में ऐंठन, सिर दर्द, गैस आदि समस्याएं दूर हो सकती हैं।पहाड़ी पुदीने के फायदे1 - पहाड़ी पुदीने के सेवन से दांत का दर्द हो दूरपहाड़ी पुदीने का उपयोग मौखिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। इसके उपयोग से ना केवल दांत के दर्द की समस्या दूर होती है बल्कि मसूड़ों को मजबूती मिलती है और गले में खराश की समस्या भी दूर हो जाती है। ऐसे में यदि आप कमजोर दांत से परेशान हैं या दांतों में मजबूती लाना चाहते हैं तो पहाड़ी पुदीने के उपयोग से अपनी इस इच्छा को पूरा कर सकते हैं।2 - पेट फूलने की समस्या को करें दूरस्पियरमिंट के उपयोग से न केवल पेट फूलने की समस्या दूर होती है बल्कि गैस के लक्षणों में राहत और अपच जैसी समस्या भी दूर हो जाती है। पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने और उल्टी और मतली की समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए आप स्पियरमिंट का सेवन कर सकते हैं।3 - प्रतिरक्षा प्रणाली को दें बढ़ावाबता दें कि अगर आप पहाड़ी पुदीने की चाय का सेवन करते हैं तो ये ना केवल प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने में मदद करता है बल्कि शरीर से संक्रमण को भी दूर करता है। जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है तो वह शरीर से रोगों को दूर रखने में मदद कर सकता है।4 - जीवाणुओं से करें मुंह की रक्षास्पियरमिंट का तेल न केवल जीवाणुओं से मुंह की रक्षा करता है बल्कि इसके उपयोग से सांसों की बदबू भी दूर होती है और मुंह के बैक्टीरिया भी खत्म हो जाते हैं।5 - पहाड़ी पुदीने के उपयोग से महिलाओं में हार्मोन का स्तर संतुलित रहता है।6 - पहाड़ी पुदीना उल्टी या जी मचलाने की समस्या को दूर करता है।7 - गैस्ट्रिक अल्सर को रोकने में पहाड़ी पुदीना बेहद उपयोगी है।8 - सूजन को कम करने में पहाड़ी पुदीने का उपयोग आपके बेहद काम आ सकता है।9 - चूंकि इसके अंदर विटामिन सी पाया जाता है ऐसे में यह त्वचा की कई समस्याओं को दूर करने में भी उपयोगी है।पहाड़ी पुदीने के नुकसानअभी तक पहाड़ी पुदीने का कोई नुकसान सामने नहीं आया है लेकिन गर्भवती महिलाएं इसका सेवन या उपयोग करने से पहले एक बार एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें। इसके अलावा जो लोग लीवर की समस्या से परेशान हैं या किडनी की समस्या से ग्रस्त हैं वे इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें। अभी भी पहाड़ी पुदीने पर कई शोध चल रहे हैं ऐसे में यह कहना मुश्किल है कि आप पहाड़ी पुदीने को अपनी डाइट में बिना किसी की सलाह पर जोड़ सकते हैं।पहाड़ी पुदीने का सेवन कैसे करें?आप पहाड़ी पुदीने का सेवन पहाड़ी पुदीने की चाय के रूप में कर सकते हैं। इसके अलावा पहाड़ी पुदीने के पत्तों को सुखाकर भी उसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
- मसालेदार हो या भरवा भिंडी दोनों ही तरह के जायके लोगों को बेहद पसंद आते हैं।स्वाद के अलावा भिंडी को भी सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है।आज हम आपको भिंडी के ऐसे व्यूटी टिप्स बताएंगे, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते है।आइए, जानते हैं कि भिंडी के इस्तेमाल से आप झाईयां, पिम्पल से कैसे छुटकारा पा सकते हैं।विटामिन से भरपूर भिंडीयह विटामिन सी और मैग्नीशियम का भी अच्छा स्त्रोत है।एक गिलास भिंडी के रस में 6 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 80 माइक्रोग्राम फोलेट, 3 ग्राम फाइबर और 2 ग्राम प्रोटीन मिलता है.झाइयों और झुर्रियों को दूर करने के लिए-------------------दो मध्यम आकार की भिंडी लें और उन्हें छोटे टुकड़ों में काट लें और पीसकर पेस्ट बना लें।फिर बिना पानी मिलाए इसे अपने चेहरे पर लगाएं। अगर आप इसे पिंपल्स के लिए इस्तेमाल कर रही हैं, तो इसे सीधे उसी पर लगाएं।इसे अपने चेहरे और गर्दन पर भी लगा सकती हैं।यदि आप इसे सोरायसिस या त्वचा की बीमारियों के लिए उपयोग कर रही हैं, तो इस पेस्ट को उसी क्षेत्र पर लगाएं।आपकी त्वचा भिंडी के जेल को अवशोषित करेगी और उस क्षेत्र पर एक पतली परत छोड़ देगी।इस पैक को सूखने दें और फिर धो लें।मुंहासे और सोरायसिस के लिए-------------------झाइयों और झुर्रियों को दूर करने के लिए2 से 3 ताजा भिंडी लें। इसे साफ करें।पेस्ट बनाने के लिए भिंडी को उबालें।एक बार भिंडी को उबालकर ठंडा होने के बाद पेस्ट बना लें।अब पेस्ट में 2 से 3 बूंद नींबू का रस डालें।मिश्रण को मिलाएं और अपने साफ चेहरे पर लगाएं।जब तक कि यह सूख न जाए इसे चेहरे पर लगाए रखें। बाद में इसे ठंडे पानी से धो लें।
- हेल्दी डाइट, वर्कआउट और समय पर सोना कुछ ऐसी चीजें हैं जो आपकी इम्युनिटी को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। दिनचर्या के अलावा कुछ ऐसी चीजें भी हैं, जो आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाकर आपको बीमारियों से बचाती है. आज हम आपको ऐसा कारगर उपाय बता रहे हैं, जिससे आप फ्लू को 4-5 दिनों में आसानी से ठीक कर सकते हैं, वहीं इससे आपकी इम्युनिटी भी मजबूत होगी।गुणों से भरी अजवाइनअजवाइन में बहुत से पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो शरीर को हेल्दी और फिट रखने में मदद करता है। अजवाइन में एंटी-इंफ्लेमेट्री, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण होता है, जो सर्दी-जुकाम के लिए फायदेमंद है।सामग्री-1/2 चम्मच अजवाइन के बीज5 तुलसी के पत्ते1/2 चम्मच काली मिर्च पाउडर1 बड़ा चम्मच शहदऐसे बनाएं-एक गहरा पैन लें और उसमें 1 गिलास पानी, अजवाइन, काली मिर्च और तुलसी के पत्ते डालें। पानी को 5 मिनट तक उबलने दें। गैस को बंद करें। इसमें शहद मिलाने से पहले मिश्रण को थोड़ी देर के लिए ठंडा होने दें। काढ़ा को अच्छी तरह से मिलाएं और इसे पी लें।इसके फायदे-अजवाइन गुणों से भरी हुई है। इसमें जब काली मिर्च, तुलसी, शहद डालकर काढ़ा बनाया जाता है, तो इसके गुण और भी बढ़ जाते हैं। फ्लू से छुटकारा दिलाने के साथ अजवाइन का काढ़ा इन परेशानियों से भी मुक्ति दिलाता है।-पेट की बीमारियों से छुटकारा।-सर्दी-जुकाम और खांसी में राहत।-मसूड़ों की सूजन।-पीरियड्स के दर्द से छुटकारा।-मुंहासों से छुटकारा।इन बातों का रखें ध्यान-एक दिन में बहुत ज्यादा अजवाइन सेहत के लिए हानिकारक हो सकती है, इसलिए इस काढ़े को दिन में सिर्फ एक ही बार पिएं. वहीं, स्तनपान कराने वाली मां और गर्भवती को इस काढ़े का सेवन नहीं करना चाहिए।
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कोरोना महामारी का कहर हर दिन बढ़ता ही जा रहा है। 19 अप्रैल को केंद्र सरकार द्वारा यह ऐलान किया गया था कि 1 मई से 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को भी वैक्सीन दी जाएगी। इस खबर के सामने आते ही लोगों के मन में कई सारे सवाल उठ रहे हैं। जैसे- वैक्सीन कहां मिलेगी? रजिस्ट्रेशन कब से शुरू है? क्या कोई अन्य शर्ते भी हैं? इत्यादि कई ऐसे सवाल लोगों के मन में उठ रहे हैं।
18 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए वैक्सीन रजिस्ट्रेशन कब से है शुरू?MyGovIndia ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर पोस्ट किया गया है कि 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए वैक्सीनेशन रजिस्ट्रेशन 28 अप्रैल से शुरू होगा , जिसका अपॉइंमेंट 1 मई से मिलना शुरू हो जाएगा।वैक्सीनेशन के लिए क्या करना होगा?अगर आप वैक्सीन लगवाना चाहते हैं, तो कोविन या आरोग्य सेतु ऐप पर रजिस्ट्रेशन करना होगा। ध्यान रहे कि एडवांस बुकिंग वालों को ही 1 मई से वैक्सीन दी जाएगी। वैक्सीनेशन केंद्र पर सीधे जाकर आपको वैक्सीन नहीं दिया जाएगा।कैसे करें ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन?यदि आप वैक्सीनेशन लगवाने के योग्य हैं, तो अपने मोबाइल में Co-WIN ऐप या फिर आरोग्य सेतु डाउनलोड करके उसपर रजिस्टर करें। अगर आपके पास स्मार्टफोन नहीं है, तो आप Co-WIN की वेबसाइट cowin.gov.in पर भी रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। रजिस्ट्रेशन करने का तरीका--सबसे पहले ऐप या फिर वेबसाइट खोलें।-अब अपना मोबाइल नंबर डालें।-आपके मोइबल पर ओटीपी आएगा, जिसे डालने से डालने से आपका अकाउंट बन जाएएं।-इसके बाद इसपर अपना उम्र, लिंग भरें और अपनी एक पहचान पत्र अपलोड करें।-यदि आपकी उम्र 45 साल से अधिक है और को-मॉर्बिडिटी है तो अपना सर्टिफिकेट अपलोड करें।-इसके बाद वैक्सीनेशन सेंटर का चुनाव करें।बता दें कि एक मोबाइल नंबर के जरिए आप 4 अपॉइंटमेंट्स ले सकते हैं। इसके अलावा सीनियर सिटिजंस (60+ उम्र वाले) के लोग फोन के जरिए भी रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। 60 से अधिक उम्र के लोग रजिस्ट्रेशन करने के लिए 1507 डायल करें।अगर आपके पास कोई ऑनलाइन विकल्प नहीं है, तो आप टीकाकरण केंद्र जाकर अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। रजिस्ट्रेशन केंद्र पर भीड़ कम करने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा दी गई है। अगर आपके पास यह सुविधा नहीं है, तो आप केंद्र पर जाकर अपना रजिस्ट्रेशन कराएं।वैक्सीनेशन के लिए क्या किसी दस्तावेज की है जरूरत?वैक्सीन लगवाने के लिए आपको अपना पहचान पत्र दिखाना होगा। इसके लिए आप वोटर आईडी, पासपोर्ट, आधार कार्ड जैसे वैलिड कार्ड का इस्तेमाल कर सकते हैं। वैक्सीनेशन के लिए 12 तरह के डॉक्यूमेंटक्स का इस्तेमाल कर सकते हैं।--- - भारत का शायद ही ऐसा कोई घर हो, जहां मखाना का इस्तेमाल न किया जाता हो. इसे लोटस सीड, फोक्स नट, प्रिकली लिली आदि के नाम से जाना जाता है. ज्यादातर घरों में मखाना से मिठाई, नमकीन और खीर भी बनाई जाती है. आपको बता दें कि इसमें मैग्ननेशियम, पोटाशियम, फाइबर, आयरन, जिंक आदि भरपूर मात्रा में पाया जाता है. ऐसे में इसका सेवन हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक है.आज हम आपको इस आर्टिकल में मखाना से होने वाले कई फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं, तो आइये जानते हैं......1. पाचन में सुधारमखाना में एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं. इसके सेवन से पाचन में सुधार होता है. यह हर उम्र के लोगों को आसानी से पच जाता है. पाचन दुरुस्त करने के अलावा यह दस्त से भी राहत देता है.2. किडनी बनाए मजबूतमखाने के नियमित सेवन से आपकी किडनी भी मजबूत होती है. इसके अलावा ब्लड सर्कुलेशन के लिए भी अच्छा होता है.3. दिल से जुड़ी बीमारियांआपको बता दें कि मखाने में अनहेल्दी कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बेहद कम होती है. इसलिए दिल से जुड़ी बीमारियों को दूर रखने में लाभदायक होता है.4. तनाव दूर करेअगर काम की वजह से या अन्य किसी कारण से अक्सर तनाव रहता है, तो मखाना खाना बेहद लाभदायक होगा. रात में सोने से पहले एक गिलास दूध में 8-10 मखाने मिलाकर सेवन करें. इससे आपको नींद अच्छी आएगी साथ ही तनाव भी कम होता है.5. ब्लड प्रेशर करे नियंत्रितहाई ब्लड प्रेशर के लिए मखाना फायदेमंद होता है क्योंकि इसमें सोडियम की मात्रा कम होती है और पोटैशियम की मात्रा अधिक पायी जाती है, जो हाई ब्लड प्रेशर को कम करने में मददगार होता है.कैसे करें मखाने का उपयोग?मखाना का किसी भी रूप में उपयोग लाभदायक होगा. आप चाहें तो इसको दूध के साथ सेवन कर सकते हैं या फिर स्नैक्स की तरह भी खा सकते हैं. मखाने को घी में रोस्ट कर नमक के साथ खा सकते हैं.
- एक तरफ कोरोना काल और दूसरी तरफ गर्मियों का मौसम ऐसे में खुद को स्वस्थ्य और सेहतमंद बनाए रखना बहुत जरूरी है. खुद को फिट और मजबूत बनाए रखने के लिए हम कई चीजों का सेवन करते हैं. ऐसे में गर्मियों के मौसम में फलों का सेवन करने की सलाह दी जाती है. ताकि शरीर को मजबूत और स्वस्थ्य बनाए रखा जा सके. गर्मी के मौसम में मौसंबी का सेवन करना भी बहुत उपयोगी माना जाता है. क्योंकि मौसंबी में फाइबर, विटामिन और पोटेशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है. इसलिए गर्मियों में मौसंबी का सेवन करने की सलाह दी जाती है. ऐसे में आज हम आपको मौसंबी के कुछ फायदे बताने जा रहे हैं.शरीर की इम्यूनिटी रहती है मजबूतकोरोना काल में शरीर की इम्यूनिटी को मजबूत रखना बहुत जरूरी माना जाता है. ऐसे में इम्यूनिटी मजबूत रखने के लिए मौसंबी का सेवन किया जाना बहुत अच्छा माना जाता है. आप मौसंबी का जूस भी पी सकते हैं. मौसंबी में विटामिन सी पर्याप्त मात्रा में पाई जाती है, जिससे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और शरीर को बीमारियों से लड़ने में मदद मिलती है. इसलिए कोरोना काल में म्यूनिटी मजबूत रखने के लिए लोगों को मौसंबी का सेवन करने की सलाह दी गई थी.मौसंबी से शरीर रहता है ठंडामौसंबी खाने से शरीर ठंडा रहता है. खास बात यह है कि आप मौसंबी का जूस या सिरका बनाकर भी खा सकते हैं. मौसंबी की एक खासियत यह भी है कि यह एक महीने तक खराब नहीं होती है. इसलिए गर्मियों के सीजन में यह एक अच्छा फल माना जाता है. इसलिए गर्मियों के सीजन में मौसंबी खाने की सलाह दी जाती है.मौसंबी से खून रहता है साफमौसंबी खाने से शरीर का खून साफ रहता है. जिससे पेट की तकलीफे भी नहीं होती है. इसके अलावा मौसंबी त्वचा से जुड़े रोगों में भी फायदेमंद मानी जाती है, मौसंबी खाने से रंग में भी निखार आता है. जबकि मुंह में होने वाले छाले की समस्या से छुटकारा मिलता है. इसलिए मौसंबी का सेवन करना फायदेमंद माना जाता है. यही वजह है कि गर्मी में मौसंबी का सेवन करने की सलाह दी जाती है.ब्लड प्रेशर को रखता है नियंत्रितमौसंबी का सेवन करने से ब्लड प्रेशर की समस्या से भी निजात मिलती है. क्योंकि मौसंबी बॉडी को डिटॉक्सीफाई करता है और इसका सेवन करने से शरीर के टॉक्सिंस बाहर निकलते हैं. इसलिए यह ब्लड प्रेशर के रोगियों के लिए भी फायदेमंद माना जाता है.मौसंबी खाने से नहीं होती गैस और कब्ज की समस्यागैस और कब्ज की समस्या एक बड़ी प्राब्लम बनती जा रही है. लेकिन अगर आप मौसंबी का हर दिन सेवन करते हैं तो इससे आपको गैस और कब्ज की समस्या से भी राहत मिलेगी. ऐसे में जिन लोगों को गैस और कब्ज की समस्या होती है उन्हें मौसंबी खाने की सलाह दी जाती है.नियंत्रित रहता है शुगर लेवलमौसंबी खाने से शरीर का शुगर लेवल भी नियंत्रित रहता है. क्योंकि शुगर एक बड़ी बीमारी बनती जा रही है, लेकिन मौसंबी एक ऐसा फल है जो शुगर लेवल को कंट्रोल रखता है. मौसंबी में शुगर को कंट्रोल करने वाले पौषक तत्व पाए जाते हैं. इसलिए जिन लोगों को शुगर की समस्या होती है उन्हें मौसंबी खाने की सलाह दी जाती है.मौसंबी सेवन करने का तरीकामौसंबी को आम तौर पर फल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. जबकि मौसंबी का जूस बनाकर भी पीने से भी बहुत फायदा मिलता है. आप हर दिन या तो एक मौसंबी का फल खा सकते हैं या फिर हर दिन एक गिलास जूस का सेवन किया जा सकता है. रोजाना सुबह एक गिलास मौसंबी का जूस पीने से शरीर को काफी एनर्जी मिलता है. शरीर में कमजोरी और थकान हो तो मौसंबी का जूस इसमें काफी फायदा करता है. मौसंबी के जूस में कई पोषक तत्व होते हैं, जो बीमारी के बाद शरीर को मजबूती प्रदान करते हैं. मौसंबी ताकत देती है इसलिए इसका सेवन करना चाहिए.
- नई दिल्ली। देश-दुनिया में एक विपदा की तरह फैले कोविड-19 को लेकर लोगों में डर और दहशत दोनों तरह का माहौल है। लोग इससे बचने के लिए तरह-तरह के उपाय कर रहे हैं लेकिन उनके मन में ये सवाल अभी भी बना हुआ है कि इस वायरस से संक्रमित होने पर उन्हें सबसे पहले क्या होगा। इस बीच, द अमेरिकन जर्नल ऑफ गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी में प्रकाशित एक नए अध्ययन से ये सामने आया है कि जिन लोगों को कोरोनावायरस ने अपना शिकार बनाया उनमें से कई को वायरस से प्रभावित होने पर पहला संकेत दस्त जैसी पाचन समस्या के रूप में मिला था।कोविड -19 इंसानों में फैलने वाला कोरोना वायरस है, जो प्रारंभिक रूप से आपके फेफड़ों और श्वसन प्रणाली को अपना निशान बनाता है। इसके शुरुआती लक्षणों में तेज बुखार, लगातार खांसी, सांस लेने में परेशानी, जुकाम। लेकिन अगर ये संक्रमण अगर बिगड़ जाए तो सीने में दर्द, निमोनिया, सांस रुकने जैसा होना और फेफड़ों में भारी दबाव और खिंचाव महसूस करना।दुनियाभर के स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस वायरस को लेकर नई जानकारियां जुटाने में लगे हैं हालांकि इसके लक्षणों की सूची और लंबी होती जा रही है। द अमेरिकन जर्नल ऑफ गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी में प्रकाशित हालिया अध्ययन में चीन के हुबेई प्रांत में कोरोना वायरस के 204 मरीजों के डेटा का आंकलन किया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि इस वायरस से संक्रमित होकर अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों में 48.5 फीसदी को दस्त, उल्टी और पेट में दर्द जैसी पाचन संबंधी समस्या हुई थी। अध्ययन से ये सामने आया है कि कोरोना के सांस संबंधी लक्षणों से पहले व्यक्ति को पाचन संबंधी लक्षण दिखाई देते हैं। इस अध्ययन में ये पाया गया कि जिन लोगों को पाचन संबंधी लक्षण दिखाई दिए उन्हें गंभीर रूप से समस्याओं का शिकार होना पड़ा।दस्त और उल्टी जैसी होती है समस्याइस अध्ययन के निष्कर्षों ने उन अतिरिक्त प्रमाण पर संदेह बढ़ा दिया है, जिसमें ये कहा जा रहा है कि कोविड -19 यानी की कोरोनावायरस कुछ लोगों में जठरांत्र (gastrointestinal symptoms) संबंधी लक्षणों का कारण बन सकता है। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में अमेरिका के पहले कोरोना मरीज पर प्रकाशित एक केस रिपोर्ट से ये सामने आया है कि उस मरीज को अस्पताल में भर्ती होने के दूसरे दिन सबसे पहले पतले दस्त लगे और पेट में परेशानी होने लगी। अन्य शोध में भी पाया गया कि वायरस मल त्याग के रूप में बाहर निकलता है ठीक पुराने वाले वायरस की तरह।लोगों को होती है पाचन संबंधी समस्याअमेरिकन जर्नल ऑफ गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी के को-एडिटर इन चीन और एमडी ब्रेनन एम.आर. स्पीगल का कहना है कि कोरोना से पीडि़त मरीजों में पाचन लक्षणों की भूमिका और प्रभावों को समझने के लिए और अधिक शोध की जरूरत है। ब्रेनन शुरुआती तौर पर कोरोना का पता लगाने के प्रयास के उद्देशय से पाचन लक्षणों की जागरूकता पर एक प्रेस रिलीज भी जारी कर चुके हैं।पहले पता चलने पर कोरोना को रोकने में मिलेगी मददइस अध्ययन में, पाचन लक्षणों वाल कोविडृ- 19 रोगियों में खराब नैदानिक परिणाम और मृत्यु दर का अधिक जोखिम पाया गया जबकि जिन लोगों में पाचन संबंधी लक्षण नहीं पाए गए उनकी मृत्यु दर कम रही। इसलिए दस्त जैसे लक्षणों के महत्व पर जोर दिया जा रहा है ताकि कोविड -19 को बीमारी के शुरुआती लक्षणों के साथ श्वसन संबंधी लक्षण विकसित न हो और उनका पता पहले ही लगाया जा सके। ऐसा होने पर कोरोना का जल्दी पता लगाया जा सकता है, जिससे सही इलाज प्राप्त किया जा सकता है और दूसरों में इसे फैलने से रोका जा सकता है।पाचन तंत्र को ठीक करने के लिए करें ये उपाय-फाइबर युक्त आहार जैसे साबुत अनाज, फल, सब्जियां व फलियां का अधिक सेवन करें।-हाइड्रेट रहें। और ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं।-धूम्रपान, अधिक कैफीन और अल्कोहल से दूरी बनाए।-बेल, पपीता, अनार, संतरा, आम, अमरूद, और नाशपाती जैसे फल खाएं। इनके सेवन से पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है।-रोजाना सुबह एक्सरसाइज करें।
- हम में से ज्यादातर लोग प्याज से आने वाली एक अलग गंध के कारण उससे परहेज करते हैं। बावजूद इसके कि इसका क्रंची का टेस्ट खाने के स्वाद को और बढ़ा देता है। गर्मी का मौसम बढ़ने के साथ ही भारतीय खानपान में प्याज को अधिक महत्व दिया जाने लगता है। क्या आप जानती हैं कि इसकी वजह क्या है? असल में प्याज में वे सभी पोषक गुण मौजूद होते हैं, जो बढ़ती गर्मी में होने वाली समस्याओं का मुकाबला करने के लिए आपको तैयार करते हैं। कोविड-19 के समय में इम्युनिटी बढ़ाने के लिए भी आपको अपने आहार में प्याज को शामिल करना चाहिए।जानिए क्यों आपको अपने आहार में शामिल करनी चाहिए प्याज1. पोषक तत्वों से भरपूर है प्याजअसल में प्याज में कैलोरी बहुत कम होती है, इसके बावजूद वह विटामिन और खनिजों में उच्च हैं। एक मध्यम आकार की प्याज में सिर्फ 44 कैलोरी होती है, लेकिन विटामिन, खनिज और फाइबर की पूरी खुराक पाई जाती है। प्याज बी विटामिन में भी भरपूर हैं। इसमें विटामिन बी 9 (फोलेट) और बी 6 (पाइरिडोक्सिन) शामिल हैं। जो चयापचय, लाल रक्त कोशिका उत्पादन और तंत्रिका कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।2. इम्युनिटी बूस्ट करती है प्याजयूएस बेस्ड संस्था नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के एक अध्ययन में सामने आया है कि प्याज विटामिन सी में भी उच्च होती है। विटामिन सी प्रतिरक्षा प्रणाली, कोलेजन उत्पादन, ऊतकों की मरम्मत और आयरन के अवशोषण को विनियमित करने में मदद करता है। यह जरूरी विटामिन आपकी कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्स से मुक्त कर एंटी ऑक्सीडेंट के रूप में भी काम करता है।3. ब्लड शुगर कंट्रोल करती है प्याजनेशनल इंस्टीट्य ऑफ हेल्थ के शोध में यह पाया गया कि प्याज खाने से ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। जो मधुमेह को नियंत्रित करने में मददगार हो सकता है। टाइप 2 मधुमेह वाले 42 लोगों पर हुए एक अध्ययन में ताजी लाल प्याज के 3.5 औंस (100 ग्राम) खाने से चार घंटे के बाद रक्त शर्करा का स्तर लगभग 40 mg / dl तक कम हुआ। जानवरों पर हुए अध्ययन भी इसका समर्थन करते हैं। मधुमेह से ग्रस्त चूहों को 28 दिनों तक 5% प्याज के अर्क वाला भोजन दिया गया। जिससे उनमें रक्त शर्करा और वसा दोनों में कमी देखी गई।4. हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंदप्याज में एंटीऑक्सिडेंट और अन्य जरूरी यौगिक होते हैं, जो सूजन से लड़ते हैं, ट्राइग्लिसराइड्स और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करते हैं। यानी प्याज का सेवन हृदय रोगों के जोखिम को कम कर सकता है।उच्च रक्तचाप वाले 70 से अधिक वजन वाले लोगों का एक अध्ययन किया गया। इसमें पाया गया कि क्वेरसेटिन युक्त प्याज के 162 मिलीग्राम प्रति दिन की खुराक से सिस्टोलिक रक्तचाप प्लेसबो की तुलना में 3-6 mmHg तक कम हुआ। प्याज को कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के लिए भी दिखाया गया है।क्वेरसेटिन एक फ्लेवोनॉइड एंटीऑक्सिडेंट है, जो प्याज में अत्यधिक मात्रा में पाया जाता है। इसके एंटी इंफ्लामेटरी गुण उच्च रक्तचाप को कम करने और रक्त के थक्कों से बचाने में मदद कर सकते हैं।5. पोटेशियम का सुलभ स्रोतप्याज देश भर में बहुत आराम से उपलब्ध होती है। आपकी लोकल मार्केट से लेकर सुपर स्टोर तक पोटेशियम का इससे सुलभ स्रोत दूसरा कोई नहीं है। पब मेड में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार एक औसत वजन के वयस्क को औसतन 4,700 मिलीग्राम पोटेशियम की खुराक जरूर लेनी चाहिए।पोटेशियम आपके सामान्य सेलुलर फ़ंक्शन, द्रव संतुलन, तंत्रिका संचरण, किडनी फंक्शन और मांसपेशियों में संकुचन में मदद करता है।6. पीसीओएस में भी देती है राहतपॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि सिंड्रोम (पीसीओएस) से ग्रस्त 54 महिलाओं पर हुए एक अध्ययन में भी प्याज का स्कोर अच्छा रहा। इन महिलाओं ने आठ सप्ताह तक कच्चे लाल प्याज (40-50 ग्राम/ दिन) का सेवन किया। परिणामस्वरूप इनमें "खराब" कोलेस्ट्रॉल में कमी देखी गई।


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