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अक्सर लोगों को सर्दी-जुकाम, नाक, गले और कान से जुड़ी कोई भी समस्या होने पर भाप लेने की सलाह दी जाती है। इससे गले को खोलने, सर्दी-जुकाम की समस्या से राहत देने, सूजन को कम करने और गले की खराश से राहत देने में मदद मिलती है। वहीं, इम्यूनिटी को बूस्ट करने के लिए औषधीय गुणों से भरपूर हल्दी का सेवन करना भी फायदेमंद है। इससे स्वास्थ्य की कई समस्याओं से राहत देने में मदद मिलती है। लेकिन क्या हल्दी से भाप लेने से क्या होता है? आइए जानें हल्दी के पानी से भाप लेने के क्या फायदे हैं?
हल्दी के पानी से भाप लेने के फायदेआयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों में से एक और औषधीय गुणों से भरपूर हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-ऑक्सीडेंट्स और एंटी-माइक्रोबियल के गुण पाए जाते हैं। इसके पानी से भाप लेने से स्वास्थ्य को कई लाभ मिलते हैं।साइनस को डिटॉक्स करेहल्दी में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी के गुण होते हैं। ऐसे में इससे भाप लेने से साइनस को डिटॉक्स करने, बलगम को बाहर निकालने, सूजन को कम करने और साइनस की जकड़न को कम करने में मदद मिलती है।गले की खराश से दे राहतहल्दी की भाप लेने से गले के बैक्टीरिया से राहत देने, सूजन को कम करने, खांसी से राहत देने, कफ को ढीला करने, ब्रोंकाइटिस से राहत देने, गले की जलन और खराश से राहत देने में मदद मिलती है।श्वसन मार्ग के लिए फायदेमंदहल्दी में एंटी-सेप्टिक, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी के गुण होते हैं। इससे श्वसन मार्ग को बेहतर करने, बंद नाक, सर्दी-जुकाम, फ्लू से राहत देने, नाक को साफ करने, नाक की सूजन को कम करने और इंफेक्शन से बचाव करने में मदद मिलती है।लंग्स को हेल्दी रखने में सहायकहल्दी की भाप लेने से बलगम को ढीलाकर बाहर निकालने, सूजन को कम करने, लंग्स के कार्यों को बेहतर करने, लंग्स को हेल्दी करने, डिटॉक्स करने, लंग्स का किसी भी इंफेक्शन से बचाव करने और खुलकर सांस लेने में मदद मिलती है।स्किन को डिटॉक्स करेहल्दी की स्टीम लेने से त्वचा में जमा गंदगी को साफ करने, स्किन को हाइड्रेट करने, स्किन को सॉफ्ट करने, दाग-धब्बों को कम करने, स्किन का इंफेक्शन से बचाव करने, मुंहासों को कम करने, त्वचा की सूजन को कम करने, स्किन को सॉफ्ट और शाइनी बनाने में मदद मिलती है।इम्यूनिटी बूस्ट करेहल्दी में एंटी-बैक्टीरियल और कई अन्य गुण पाए जाते हैं। इसका भाप लेने से इम्यूनिटी को बूस्ट करने और संक्रमण से बचाव करने में मदद मिलती है, जिससे बीमारियों से बचाव करने में मदद मिलती है।कैसे लें हल्दी के पानी से भाप?इसके लिए 1 बर्तन में पानी उबालें। इसके बाद इसमें आधा छोटी चम्मच हल्दी पाउडर को डालकर अच्छे से मिला लें। अब सिर को तौलिए की मदद से ढककर सांस लें। इससे कई लाभ मिलते हैं।सावधानियांभाप लंबे समय तक न लें। इसके कारण लोगों को जलन की समस्या हो सकती है। इसके अलावा, श्वसन मार्ग से जुड़ी किसी भी समस्या से पीड़ित व्यक्ति भाप लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लें और भाप लेते समय आंखों को बंद रखें, जिससे आंखों की किसी भी समस्या से बचा जा सकें। -
नारियल तेल (Coconut Oil) न सिर्फ बालों, बल्कि त्वचा के लिए भी बेहद फायदेमंद होता है। इसमें एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-ऑक्सीडेंट और मॉइस्चराइजिंग गुण होते हैं, जो चेहरे की गहराई से सफाई करके उसे नमी प्रदान करते हैं। साथ ही यह दाग-धब्बों, मुंहासों के निशान और झुर्रियों को भी धीरे-धीरे कम करने में मदद करता है। अगर आप प्राकृतिक रूप से दमकती और साफ त्वचा पाना चाहते हैं तो रोजाना नारियल तेल से मसाज जरूर करें। आज हम आपको 5 आसान स्टेप्स बता रहा हैं, जिसे अपनाकर आप अपने चेहरे को निखार सकते हैं।
चेहरे की सफाई करेंमसाज से पहले चेहरे को माइल्ड फेस वॉश या गुनगुने पानी से अच्छी तरह धो लें, ताकि सारी गंदगी, धूल और ऑयल हट जाए। इससे तेल बेहतर तरीके से त्वचा में समा सकेगा। अगर आप हार्ड वाटर की जगह सॉफ्ट वाटर का इस्तेमाल करेंगे तो यह आपकी स्किन के लिए और ज्यादा अच्छा रहेगा।नारियल तेल लेंअब एक छोटी कटोरी में शुद्ध नारियल तेल (ऑर्गेनिक वर्जिन कोकोनट ऑयल) लें। ध्यान रखें कि तेल बहुत अधिक गर्म न हो। अगर ठोस रूप में है तो उसे हथेली पर रगड़कर पिघला सकते हैं। नारियल तेल को गर्म करने की जरूरत नहीं है, तो हल्की गर्मी मिलते ही पिघलने लगता है।हल्के हाथों से मसाज करेंतेल को उंगलियों की सहायता से पूरे चेहरे पर लगाएं और हल्के हाथों से 5-10 मिनट तक गोल-गोल घुमाते हुए मालिश करें। खासकर दाग-धब्बों वाले हिस्सों पर थोड़ा ज्यादा ध्यान दें। ध्यान रहे हाथों से चेहरे की त्वचा की जोर से मालिश न करें।मालिश के बाद चेहरे को ऐसे ही 15-20 मिनट के लिए छोड़ दें, ताकि तेल त्वचा में अच्छे से समा जाए और अंदर से पोषण दे, क्योंकि यही पोषण आपकी त्वचा को निखारेगा। आप चाहें तो आधे घंटे तक भी चेहरे पर लगाकर छोड़ सकते हैं, क्योंकि नारियल तेल स्किन के लिए पूरी तरह से सुरक्षित माना जाता है।गुनगुने पानी से धो लेंअंत में चेहरे को गुनगुने पानी और हल्के फेस वॉश से धो लें। चाहें तो साफ कॉटन कपड़े से भी पोंछ भी सकते हैं। इससे आपकी त्वचा को और समय मिल जाएगा खुद को रिपेयर करने का और आपको चिपचिपाट भी महसूस नहीं होगी। - जैस्मिन यानी चमेली का फूल, इसकी खुशबू इतनी मनमोहक होती है कि यह तुरंत मन को शांत कर देती है और तनाव को कम करने में मदद करती है। चमेली का फूल सिर्फ सुंदरता और सुगंध का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह एक प्राकृतिक औषधि भी है। चमेली के फूलों का इस्तेमाल हार्ट हेल्थ को मजबूत बनाने, दिमाग को शांत रखने और इमोशनल बैलेंस बनाए रखने में किया जा सकता है।चमेली के फूल के फायदेचमेली के फूल हार्ट हेल्थ, दिमाग, डाइजेशन, इमोशनल बैलेंस और अच्छी नींद के लिए बेहद लाभकारी हैं। आइए विस्तार से जानते हैं चमेली के फूलों के फायदे और उपयोग।1. हार्ट हेल्थ के लिए चमेली के फूलआयुर्वेद के अनुसार, चमेली के फूलों की खुशबू मन को तुरंत शांत कर देती है। जब तनाव और चिंता कम होती है तो इसका सीधा असर हार्ट पर भी पड़ता है। हार्ट डिजीज का एक बड़ा कारण बढ़ता तनाव और हाई ब्लड प्रेशर है। चमेली के फूलों की खुशबू दिल की धड़कन को सामान्य रखने और ब्लड फ्लो को बेहतर बनाने में मदद करती है। डॉक्टर किरण बताती हैं कि जो लोग अक्सर हार्टबीट तेज होने, घबराहट या तनाव महसूस करते हैं, वे रोज कुछ समय तक चमेली के फूल पास रखकर या गजरा पहनकर राहत पा सकते हैं।2. दिमाग के लिए उपयोगीचमेली का फूल केवल खुशबू ही नहीं देता, बल्कि यह ब्रेन टॉनिक के रूप में भी काम करता है। इसकी खुशबू से मस्तिष्क में सेरोटोनिन और डोपामाइन जैसे हैप्पी हार्मोन का लेवल बढ़ता है, जिससे मूड बेहतर होता है और मानसिक थकान कम होती है। आयुर्वेदिक मान्यता है कि चमेली का फूल सत्वगुण को बढ़ाता है, जिससे एकाग्रता, स्मृति और मानसिक स्पष्टता बढ़ती है। विद्यार्थियों या दिमागी काम करने वालों के लिए यह बेहद उपयोगी है।3. तनाव और इमोशनल हेल्थ में मददगारआज की तेज-तर्रार जिंदगी में तनाव (Stress) और चिंता (Anxiety) आम समस्या बन गई है। चमेली के फूलों की प्राकृतिक सुगंध मन को तुरंत शांत कर देती है और बेचैनी को कम करती है। आयुर्वेद के अनुसार, यह मन और शरीर दोनों में वात दोष को संतुलित करता है। यही कारण है कि जो लोग भावनात्मक रूप से अस्थिर महसूस करते हैं, उनके लिए चमेली के फूल बेहद फायदेमंद हैं। गजरे या मालाओं में चमेली के फूल पहनने से इमोशनल बैलेंस बना रहता है और दिनभर पॉजिटिव एनर्जी महसूस होती है।4. नींद की समस्या में कारगरअनिद्रा (Insomnia) आजकल एक बड़ी समस्या बन गई है। देर रात तक जागना, तनाव, और मोबाइल स्क्रीन पर अधिक समय बिताना नींद को प्रभावित करते हैं। चमेली की खुशबू दिमाग को शांत करती है और नींद आने में मदद करती है। जैस्मिन एरोमा थेरेपी में उपयोग होता है और यह स्लीप क्वालिटी को सुधारता है। आयुर्वेद में कहा गया है कि रात को सोते समय कमरे में चमेली के फूल रख देने या इसके तेल की कुछ बूंदें डिफ्यूजर में डालने से गहरी और आरामदायक नींद आती है।5. पाचन तंत्र के लिए चमेली की चायचमेली के फूलों से बनी जैस्मिन टी न सिर्फ स्वादिष्ट होती है बल्कि पाचन के लिए भी बेहद फायदेमंद है। यह चाय पेट की गैस, एसिडिटी और अपच की समस्या को दूर करती है। आयुर्वेद के अनुसार, चमेली के फूल पित्त दोष को शांत करते हैं, जिससे पेट की जलन और एसिडिटी से राहत मिलती है। डॉक्टर किरण बताती हैं कि भोजन के बाद चमेली की हल्की गुनगुनी चाय पीने सेडाइजेशन बेहतर होता है और शरीर हल्का महसूस करता है।चमेली के फूलों का उपयोग कैसे करें?-गजरा या माला पहनें-जैस्मिन टी पिएं-कमरे में फूल रखें-जैस्मिन ऑयल इस्तेमाल करेंनिष्कर्षआयुर्वेद में चमेली के फूलों को केवल सजावट और खुशबू तक सीमित नहीं किया गया है, बल्कि इसे शरीर, मन और आत्मा की सेहत से जोड़ा गया है। हार्ट हेल्थ, दिमाग की शांति, पाचन सुधार, तनाव कम करने और अच्छी नींद के लिए यह एक सरल और प्राकृतिक उपाय है। अगर आप रोजमर्रा की जिंदगी में चमेली के फूलों को शामिल करते हैं, तो यह न सिर्फ आपके शरीर को स्वस्थ रखेगा बल्कि मन को भी संतुलित और खुशहाल बनाएगा।
- दलिया, हमेशा से ही लोगों के हेल्दी नाश्ते का हिस्सा रही है। दलिया खाने के पीछे सबसे बड़ा कारण है कि यह लंबे समय तक पेट भरा रखता है और सुपाच्य भी होता है। कुछ लोग इसे ज्यादा हेल्दी बनाने के लिए इसमें सब्जियों और दाल को भी शामिल करते हैं तो कुछ लोग दूध वाला दलिया खाना पसंद करते हैं। इसके अलावा भी दलिया खाने के कई फायदे हैं लेकिन, आज हम बात करेंगे हाई बीपी के मरीजों के लिए दलिया खाने की। क्या फाइबर से भरपूर यह डिश बीपी मैनेज करने में मददगार है?क्या दलिया हाई बीपी में खा सकते हैं-दलिया हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन) के लिए एक बहुत ही अच्छा और स्वास्थ्यवर्धक विकल्प है। दलिया में फाइबर और पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं, जो बलड प्रेशर को नियंत्रित करने में सहायता करते हैं। इसमें सोल्युबल फाइबर होता है, जो शरीर में कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और हृदय के स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। दलिया का नियमित सेवन ब्लड प्रेशर को सामान्य बनाए रखने में मदद करता है क्योंकि यह शरीर में रक्त वाहिकाओं को स्वस्थ रखता है और रक्त प्रवाह को सुचारू करता है। इसके अलावा इन कारणों से आपको दलिया को अपनी डाइट का हिस्सा बनना चाहिए। जैसे किदलिया में नहीं होता सोडियमहाई बीपी के मरीजों की सबसे बड़ी समस्या होती है सोडियम लेवल को कंट्रोल में रखना जो कि ब्लड प्रेशर बढ़ाने में एक मुख्य भूमिका निभाती है। ऐसे में दलिया जो कि कम सोडियम वाला होता है, हाई बीपी वाले लोगों के लिए जरूरी है। इससे बीपी आसानी से मैनेज होती रहती है।रक्त वाहिकाओं को आराम मिलता हैदलिया में पोषक तत्व जैसे मैग्नीशियम, पोटैशियम और कैल्शियम भी होते हैं, जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में भूमिका निभाते हैं। ये मिनरल्स रक्त वाहिकाओं को आराम देते हैं और रक्त प्रवाह को सुधरते हैं। इससे अलावा इसका फाइबर कोलेस्ट्रॉल कम करने और धमनियों को साफ रखने में अपनी भूमिका निभाते हैं जिससे बीपी मैनेज करने में मदद मिलती है।अतिरिक्त चीनी या नमक के बनाए दलियाहाई बीपी के मरीजों को दलिया बनाते समय इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि इसे अतिरिक्त चीनी या नमक के बनाएं। अगर आप नमकीन दलिया बना रहे हैं तो इसमें मौसमी सब्जियों को जरूर मिलाएं। इससे इसकी पौष्टिकता बढ़ती है। अगर आप दलिया को दूध या पानी के साथ बना रहे हैं तो ताजे फल या अच्छे नट्स डालकर इसे और पोषणयुक्त बनाया जा सकता है।साथ ही, स्वस्थ आहार के साथ नियमित व्यायाम और तनाव नियंत्रण भी ब्लड प्रेशर के प्रबंधन में जरूरी हैं। कुल मिलाकर, दलिया को हाइपरटेंशन वाले लोगों के लिए एक स्वस्थ आहार विकल्प माना जाता है, जो उनकी सेहत को बेहतर बनाने में मदद करता है, तो इसे अपनी डाइट का हिस्सा जरूर बनाएं।
- आजकल सोशल मीडिया पर हर दूसरी रील मॉर्निग डिटॉक्स वॉटर से जुड़ी मिल जाती है। इसी वजह से morning detox water आजकल बहुत ट्रेंड भी कर रहा है। इसी वजह से लोग बिना सोचे-समझे नींबू पानी से लेकर खीरा,नींबू अदरक का वॉटर पी रहे हैं। इससे होने वाले नुकसान के बारे में रील्स में कुछ भी नहीं बताया जाता। अब ऐसे में सवाल उठता है कि क्या खाली पेट सुबह उठकर ये डिटॉक्स वॉटर पीना सेहतमंद है या फिर सिर्फ ट्रेंड ही है। सबसे पहले जानते हैं कि मॉर्निंग डिटॉक्स वॉटर क्या होता है?मार्निंग डिटॉक्स वॉटर क्या है?आयुर्वेद के अनुसार, रोज सुबह शरीर से टॉक्सिन्स निकालना बहुत जरूरी होता है। इसके लिए प्राकृतिक तरीके अपनाने चाहिए ताकि पेट का डायजेशन सही रहे और मेटाबॉल्जिम तेज हो। लेकिन इसके साथ यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि सभी डिटॉक्स वॉटर हर किसी को फायदा नहीं पहुंचाते। मार्निंग वॉटर लेने से पहले वात, पित्त, कफ चेक करना जरूरी है। इसके साथ प्रत्येक व्यक्ति की पाचन शक्ति के बारे में जानना भी जरूरी है।"सुबह लेने वाले डिटॉक्स वॉटरगुनगुना नींबू पानी" नींबू का रस शरीर को Alkaline असर देता है। इससे पाचन ठीक होता है और साथ ही कब्ज से भी राहत देता है। नींबू में विटामिन C होता है, जो शरीर की इम्यूनिटी के लिए फायदेमंद होता है। गुनगुना नींबू पानी खाली पेट पीने से शरीर के टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं। लेकिन इसके साथ नींबू पानी का रोजाना इस्तेमाल दांतों के इनेमिल को नुकसान पहुंचा सकता है। जिन लोगों को एसिडिटी की समस्या होती हैं, उनके लिए ये नुकसानदायक हो सकता है। जिन लोगों को कफ की समस्या होती हैं, उनके लिए नींबू पानी अच्छा नहीं है।ग्रीन टीवैसे तो ग्रीन टी में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो फ्री रेडिकल्स को कम करते हैं। इससे मेटाबॉल्जिम में सुधार होता है और जो लोग वजन कम करना चाहते हैं, उनके लिए ग्रीन टी फायदेमंद है लेकिन ग्रीन टी में कैफीन होता है, जो खाली पेट पीने से एसिडिटी को बढ़ा देता है। इससे कई लोगों को घबराहट भी होने लगती है। जो लोग दिनभर कई कप ग्रीन टी के पीते हैं, उन्हें नींद की समस्या भी हो सकती है।खीरा, नींबू, हल्दी और अदरक का पानी"खीरा शरीर को हाइड्रेट करता है और अदरक पाचन बढ़ाता है और सूजन कम करता है। हल्दी में तो एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो जोड़ों के दर्द को कम करने और इम्यूनिटी को बढ़ाने का काम करते हैं। लेकिन जिन लोगों का पाचन कमजोर होता है, उन्हें ये डिटॉक्स वॉटर नहीं पीना चाहिए। जो लोग सारा दिन पानी पीते हैं, उन्हें गैस की समस्या बढ़ सकती है।"हल्का गुनगुना पानीआयुर्वेद के अनुसार खाली पेट गुनगुना पानी पीना सबसे असरदार है। यह वात, पित्त और कफ वाले सभी लोगों को फायदा पहुंचाता है। इससे शरीर से आम यानी कि टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं। पाचन दुरुस्त करता है और कब्ज में कमी लाता है। दिनभर पेट में हल्कापन महसूस होता है। इससे किसी भी तरह के साइड इफैक्ट्स नहीं होते ।-सुबह उठकर सिर्फ गुनगुना पानी पिएं।-बाकी डिटॉक्स वॉटर दिन में कभी भी ले सकते हैं।-अपने शरीर की जरूरत को देखते हुए ड्रिंक्स चुनें।-अगर किसी भी तरह की तकलीफ हो तो तुरंत बंद कर दें।-आयुर्वेदाचार्य से सलाह लेकर मॉर्निंग डिटॉक्स वॉटर लें।
- किशमिश एक ऐसा ड्राई फ्रूट्स है जिसे सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है. इसे कई तरह से डाइट में शामिल किया जा सकता है. आपको बता दें कि इसमें आयरन, पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्निशियम और फाइबर जैसे गुण पाए जाते हैं, जो शरीर को कई समस्याओं से बचाने में मदद कर सकते हैं. अगर आप रोजाना भीगी किशमिश (Raisins Health Benefits) का सेवन करते हैं, तो कई लाभ मिल सकते हैं. तो चलिए जानते हैं किन लोगों को करना चाहिए भीगी किशमिश का सेवन.भीगी किशमिश खाने के 9 फायदे1. वजन बढ़ाने-अगर आपका शरीर दुबला-पतला है और आप हेल्दी तरीके से वजन को बढ़ाना चाहते हैं, तो भीगी किशमिश का सेवन कर सकते हैं.2. हड्डियों-किशमिश को कैल्शियम का अच्छा सोर्स माना जाता है. कैल्शियम हड्डियों के लिए बेहद जरूरी है. रोजाना भीगी किशमिश के सेवन से हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद मिल सकती है.3. खून की कमी-अगर आप भी शरीर में आयरन की कमी को पूरा करना चाहते हैं, तो आप भीगी किशमिश का सेवन कर सकते हैं. क्योंकि इसे आयरन का अच्छा सोर्स माना जाता है.4. पाचन-सुबह खाली पेट भीगी किशमिश के सेवन से पाचन को बेहतर रखने में मदद मिल सकती हैं. क्योंकि इसमें फाइबर अच्छी मात्रा में पाया जाता है.5. ब्लड प्रेशर-किशमिश में पोटैशियम होता है, जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद कर सकता है. आप सुबह इसका सेवन कर सकते हैं.6. इम्यूनिटी-भीगी किशमिश में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं और बीमारियों से लड़ने में मदद कर सकते हैं.7. स्किन-भीगी किशमिश में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट स्किन को हेल्दी और चमकदार बनाने में मदद कर सकते हैं.8. आंखों-भीगी किशमिश में विटामिन ए और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो आंखों के लिए फायदेमंद हो सकते हैं.9. हार्ट-भीगी किशमिश में पोटैशियम और फाइबर होते हैं, जो हार्ट को हेल्दी रखने में मदद कर सकते हैं.
- व्यस्त जीवनशैली की वजह से लोगों की खानपान की आदतों में भी काफी बदलाव आया है। लोग आज समय बचाने के लिए भोजन में मौजूद न्यूट्रिएंट्स से ज्यादा पेट भरने पर ध्यान दे रहे हैं। जिसकी वजह से अनजाने में मोटापा, डायबिटीज और ब्लड प्रेशर जैसे कई रोग लगातार बढ़ते जा रहे हैं। अगर आप बढ़ते वजन को कंट्रोल रखते हुए डायबिटीज और हार्ट डिजीज से दूर रहना चाहते हैं तो अपनी डाइट में रोजाना एक कटोरी दलिया जरूर शामिल करें। दलिया में प्रचुर मात्रा में फाइबर और प्रोटीन पाया जाता है। आप इसे और हल्दी बनाने के लिए पकाते समय इसमें अपनी मनपसंद सब्जियां भी डाल सकते हैं। आइए जानते हैं रोजाना दलिया खाने से सेहत को मिलते हैं क्या फायदे।दलिया खाने से मिलते हैं ये 5 फायदेवेट लॉसअगर आप बढ़ते मोटापे से निजात पाना चाहते हैं तो दलिया आपकी डाइट चार्ट में जरूर शामिल होना चाहिए। इसमें कैलोरी और फैट की कम मात्रा के साथ फाइबर भरपूर मात्रा में मौजूद होता है। जो पेट को लंबे समय तक भरा हुआ रखता है। इसका सेवन करने से व्यक्ति को बार-बार भूख नहीं लगती और वो ओवरईटिंग करने से बच जाता है। जिसकी वजह से वेट लॉस में मदद मिलती है।शरीर की सूजन कम करेंकई बार व्यक्ति शरीर की सूजन की वजह से भी मोटा लगने लगता है। ऐसे में दलिया का सेवन शरीर में इंफ्लेमेशन को कम करके गट हेल्थ में सुधार करता है।बेहतर पाचन तंत्रफाइबर से भरपूर दलिया पाचन तंत्र को बेहतर बनाए रखने में मदद करता है। इसके सेवन से कब्ज की समस्या दूर होने के साथ आंतों को साफ रखने में भी मदद मिलती है। रोजाना दलिया का सेवन पाचन तंत्र मजबूत बनाकर गैस, अपच जैसी समस्याओं को कम करने में मदद कर सकता है।डायबिटीज रोगियों के लिए फायदेमंददलिया का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जिसकी वजह से यह शुगर को धीरे-धीरे रिलीज करता है। इसमें मौजूद फाइबर ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करके इंसुलिन के प्रभाव को बेहतर बनाए रखने में भी मदद करता है।हार्ट डिजीज का जोखिम कमदलिया में मौजूद बीटा-ग्लूकन नाम का फाइबर, कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करने में मदद करता है। यह बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करके गुड कोलेस्ट्रॉल को अच्छा बनाए रखने में मदद करता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और मैग्नीशियम हार्ट डिजीज के जोखिम को कम करने में भी मदद करते हैं।
- मौसम में बदलाव, प्रदूषण, या फिर अनहेल्दी लाइफस्टाइल, कारण चाहे जो मर्जी हो, लेकिन कई बार लोगों के लिए चेस्ट कंजेशन का कारण बन जाता है। वहीं बात अगर शिशुओं की हो तो उनकी इम्यूनिटी पहले से काफी कमजोर होती है। जिसकी वजह से बदलते मौसम का सबसे पहला असर उनकी सेहत पर ही पड़ता है, जो छाती पर जमे बलगम के रूप में नजर आता है। छाती में बलगम जमने से शिशु को सांस लेने में तकलीफ, बेचैनी, भूख में कमी, चिड़चिड़ापन और नींद में कमी जैसे लक्षण देखने को मिल सकते हैं। अगर मौसम में बदलाव होते ही आपके बच्चे को भी जल्दी-जल्दी छाती में कफ जमने लगता है तो ये घरेलू उपाय आपकी मुश्किल को आसान बनाने वाले हैं।छाती में जमा बलगम निकालने के लिए घरेलू उपायकपूर और नारियल तेल की मालिशशिशु की छाती पर कपूर और नारियल तेल की मालिश करने से सीने की जकड़न दूर करने में मदद मिल सकती है। इस उपाय को करने के लिए एक पैन में नारियल तेल गरम करके उसमें कपूर का एक छोटा टुकड़ा डाल दें। अब तेल को ठंडा करके शिशु की छाती पर गोलाकार गति में धीरे से लगाएं।हल्दी के तेल की मालिशहल्दी के तेल की मालिश शिशु की छाती की जकड़न को कम करने में मदद कर सकती है। हल्दी में मौजूद सूजन-रोधी गुण संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकते हैं। इस उपाय के लिए एक कड़ाही में सरसों/नारियल का तेल हल्का गरम करके उसमें एक चुटकी हल्दी डालें। अब इस तेल के हल्का ठंडा होने पर शिशु की छाती पर धीरे से लगाते हुए अच्छी तरह मालिश करें।सलाइन ड्रॉप्सशिशु को सलाइन ड्रॉप्स देने से भी छाती की जकड़न ठीक हो सकती है। सलाइन ड्रॉप्स नाक के रास्ते को साफ करने में मदद करती है। आप किसी भी दवा की दुकान से सलाइन ड्रॉप्स ले सकते हैं। इस उपाय को करने के लिए अपने शिशु को बिस्तर पर लिटाकर उसके नाक में धीरे से 2-3 बूंदें डालें।स्तनपानशिशु को हाइड्रेटेड रखकर भी छाती की जकड़न को दूर किया जा सकता है। मां का दूध बलगम को पतला करने में मदद करता है। मां के दूध में प्राकृतिक गुण मौजूद होते हैं जो छाती की जकड़न को कम करने में मदद कर सकते हैं।सलाहअगर इन नुस्खों को अपनाने के बाद भी आपके शिशु को सांस लेने में तकलीफ हो रही हो, तो तुरंत उसके डॉक्टर से संपर्क करें।
- आजकल के बदलते लाइफस्टाइल, खान-पान की गलत आदतों, जंक फूड का इस्तेमाल, स्ट्रेस के चलते पेट में कई तरह की समस्याएं हो जाती हैं जबकि पेट का काम सिर्फ पाचन करना नहीं है, बल्कि इम्यूनिटी बढ़ाने, एनर्जी और मेंटल हेल्थ को बेहतर बनाने का भी काम करता है। आयुर्वेद के अनुसार, पाचन तंत्र को अग्नि माना जाता है और यह अग्नि शरीर को पोषक तत्व देती है। इसलिए पेट को सेहतमंद रखना बहुत महत्वपूर्ण है और अगर पेट सही रहता है तो शरीर की लगभग सभी परेशानियां दूर हो जाती है। इसके लिए आयुर्वेद के अनुसार कुछ आदतों को अपनी जीवनशैली में शामिल करना जरूरी है।पेट को सेहतमंद रखने के 7 आयुर्वेदिक तरीके1. सोने से पहले त्रिफला चूर्ण“त्रिफला चूर्ण मे आंवला, हरड़ और बहेड़ा का मिश्रण होता है। इसे आयुर्वेद में काफी पावरफुल हर्बल माना जाता है। इसे रात को आधा चम्मच गुनगुने पानी के साथ लें। यह चूर्ण पाचन शक्ति को बढ़ाता है और आंतों की सफाई करता है। इससे पेट में जमा विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं और कब्ज से राहत मिलती है। अगर पेट साफ होता है, तो इसका असर त्वचा पर भी पड़ता है। पेट हल्का रहता है तो फूलने जैसी दिक्कतें नहीं है।”2. सुबह कॉपर के जग का पानीतांबे के बर्तन में रातभर भरकर रखे पानी को पीना बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार कॉपर के बर्तन में रातभर पानी रखें और फिर सुबह खाली पेट इसे धीरे-धीरे पी लें। इससे लिवर डिटॉक्स होने में मदद मिलती है और पाचन में सुधार होता है। इससे इम्युनिटी बढ़ाने में भी मदद मिलती है। माना जाता है कि यह शरीर में तांबे की कमी को भी पूरा करता है।3. खाली पेट घी का सेवन“गाय का शुद्ध देसी घी सुबह खाली पेट लेने से आंतों को लुब्रिकेशन मिलता है जो शरीर के वात दोष को संतुलित करता है। इससे कब्ज, गैस और सूखेपन जैसी दिक्कतों से भी राहत मिलती है। देसी घी को सुबह खाली पेट गुनगुने पानी के साथ लें। अगर किसी को डायबिटीज या मोटापे की समस्या है, तो डॉक्टर की सलाह लेकर ही इसे शुरू करें। आयुर्वेद के अनुसार, खाली पेट देसी घी लेने से जोड़ों को भी पोषण मिलता है। इसलिए जिन लोगों को गाय का शुद्ध देसी घी मिलता है, वे लोग इसे सुबह की आदत में जरूर शामिल करें।”4. नाभि में हींग का तेलहींग को प्राकृतिक पाचन करने वाली औषधि मानी जाती है। यह पेट की गैस को दूर करने में मदद करती है। नाभि पर हींग का तेल लगाने से पेट दर्द, गैस, अपच और पेट फूलने जैसी दिक्कतों से राहत मिलती है। इसे लगाने के लिए तिल के तेल को हल्का गर्म कर लें और फिर उसमें थोड़ी सी हींग मिला दें। इस तेल को नाभि के आसपास लगाकर दो से तीन मिनट तक हल्के हाथ से मालिश करें। इससे पेट सेहतमंद रहता है।5. इमली के पानी में पैर डुबोना“आयुर्वेद के अनुसार, जब आप पैर पानी में डुबोकर बैठते हैं, तो इससे शरीर की गर्मी बाहर निकलती है और मन शांत होता है। अगर पानी में इमली के गूदे को डाल दिया जाए और फिर 15 से 20 मिनट तक उस पानी में पैर भिगोकर बैठा जाए तो शरीर की गर्मी तो कम होती ही है, साथ ही पाचन बेहतर होता है। पाचन के अंगों को रिलैक्स महसूस होता है और स्ट्रेस कम होता है। इसलिए हफ्ते में एक से दो बार इस प्रक्रिया को किया जा सकता है।”6. खाने से पहले अदरक-नींबूखाने से पहले अदरक-नींबू लेने से भूख बढ़ती है, गैस की समस्या नहीं रहती और भोजन आसानी से पचता है। इसे लेने के लिए अदरक का छोटा टुकड़ा, नींबू की कुछ बूंदें और सेंधा नमक मिलाकर खाने से पहले ले सकते हैं। अदरक को चबाकर खाना चाहिए ताकि पूरा फायदा मिले।7. सुबह टहलना“सूर्यादय के समय सभी को कम से कम 15 से 20 मिनट तक वॉक करनी चाहिए। इससे न सिर्फ पेट को बल्कि पूरे शरीर को फायदा मिलता है। मेटाबॉल्जिम बढ़ता है और स्ट्रैस घटता है। Morning Walk के दौरान बस कोशिश यह रखें कि पार्क या खुले स्थान पर ही वॉक करें और गहरी लंबी सांस लें। इससे शरीर को ताजगी महसूस होती है और सारा दिन खुशनुमा बीतता है। मार्निग वॉक हर किसी को करनी चाहिए।”निष्कर्षआयुर्वेद के अनुसार अगर पेट सही है तो पूरा शरीर सेहतमंद रहता है। स्वस्थ पेट ही बीमारियों के खिलाफ इम्युनिटी बनाने में सक्षम होता है। अगर आप रोजाना इन 7 आयुर्वेदिक तरीकों को अपनी आदत में शामिल कर लेंगे तो पेट से जुड़ी बीमारियों से राहत मिल सकती है। अगर आप किसी बीमारी से पीड़ित हैं, तो इनमें कुछ आदतों को शुरू करने से पहले अपने अपने डॉक्टर या आयुर्वेदाचार्य से सलाह जरूर लें।
- आज हम आपको एक ऐसे ही घरेलू नुस्खे के बारे में बताने वाले हैं, जो आपके दांतों को मोतियों सा चमकाएगा और मसूड़ों को मजबूत बनाएगा, जिससे कीड़े लगने बंद हो जाएंगे और दांतों से जुड़ी अन्य समस्याओंका खतरा भी कम हो जाएगा। जिस नुस्खे के बारे में हम आपको बताने वाले हैं वो एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर है। इसलिए ये आपकी डेंटल हेल्थ को मजबूत बनाने का काम करेगा।मंजन बनाने के लिए क्या चाहिए?लौंग- 10 ग्रामफिटकरी- 20 ग्रामसेंधा नमक- 30 ग्रामहल्दी- 40 ग्रामनीम- 50 ग्रामसरसों का तेल- 3-4 बूंदनेचुरल मंजन बनाने का तरीकानेचुरल टूथपेस्ट बनाने के लिए सबसे पहले आप एक एयर टाइट कंटेनर लें और उसमें लौंग, फिटकरी, हल्दी, सेंधा नमक और नीम पाउडर डालकर अच्छे से मिक्स कर लें।इस सभी चीजों को आप महीनों तक स्टोर करके रख सकते हैं। जब भी सुबह और रात को सोने से पहले आप ब्रश करें तो इसे 1/2 चम्मच पाउडर अपने हाथ पर रखें और उसमें 4-5 बूंद सरसों के तेल के साथ मिक्स करके पेस्ट बना लें।अब आप इस पेस्ट को अपने ब्रश में लें और दांतों को साथ करना शुरू कर दें।ये घरेलू नुस्खा आपके दांतों से जुड़ी हर समस्या को सुलझाने में मदद करेगा।
- सफर का मजा कुछ लोगों के लिए परेशानी में बदल जाता है, जब उन्हें मोशन सिकनेस यानी ट्रैवल के दौरान चक्कर, उल्टी, मतली और ठंडा पसीना आने जैसी दिक्कत होती है। यह समस्या बच्चों, प्रेग्नेंट महिलाओं और माइग्रेन के मरीजों में ज्यादा देखी जाती है, लेकिन सही जानकारी और सावधानियों को अपनाया जाए तो इससे बचा जा सकता है।मोशन सिकनेस के कारणमोशन सिकनेस एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति को ट्रैवल के दौरान विजुअल और बैलेंस सिस्टम के बीच तालमेल न बैठने के कारण असहजता महसूस होती है। जब हमारा दिमाग आंखों, कानों और शरीर से मिलने वाले संकेतों में अंतर महसूस करता है, तो यह उल्टी, चक्कर और मतली का कारण बन सकता है। उदाहरण के लिए, बस में बैठकर मोबाइल देखने पर आंखें स्थिर चीज देख रही होती हैं, लेकिन कान और शरीर गति को महसूस कर रहे होते हैं, यही मोशन सिकनेस ट्रिगर करता है। ये समस्या ज्यादातर प्रेग्नेंट महिलाओं, बच्चों, माइग्रेन के मरीजों, सेंसिटिव नर्वस सिस्टम वाले लोगों और जिनके जिनके परिवार में मोशन सिकनेस का इतिहास है उन लोगों में ज्यादा होती है।1. इंटरनल ईयर का असंतुलनहमारे कान के अंदर एक सिस्टम मौजूद होता है, जो संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। ट्रैवल के दौरान अगर यह सिस्टम अचानक गति, दिशा या वाइब्रेशन में बदलाव महसूस करता है, तो यह दिमाग को कंफ्यूज कर देता है, जिससे मोशन सिकनेस के लक्षण शुरू हो जाते हैं।2. आंखों और दिमाग के बीच सही तालमेल की कमीजब आंखों और दिमाग को एक जैसी जानकारी नहीं मिलती, तो यह मोशन सिकनेस का कारण बन सकता है। उदाहरण के लिए, अगर आप हिलती गाड़ी में किताब पढ़ रहे हैं, तो आंखें स्थिर किताब देख रही हैं, लेकिन कान और शरीर गति को महसूस कर रहे हैं इससे दिमाग कंफ्यूज हो जाता है।3. सेंसेटिव नर्वस सिस्टमकुछ लोगों का नर्वस सिस्टम ज्यादा संवेदनशील होता है, जिससे उन्हें हल्के मूवमेंट पर भी मोशन सिकनेस हो सकती है। यह समस्या बच्चों और माइग्रेन से पीड़ित लोगों में ज्यादा पाई जाती है।4. हार्मोनल बदलावप्रेग्नेंसी या पीरियड्स के दौरान महिलाओं में हार्मोनल बदलाव के कारण मतली और उल्टी की प्रवृत्ति बढ़ जाती है, जिससे सफर के समय मोशन सिकनेस का खतरा बढ़ जाता है।5. मानसिक तनाव और थकानअगर किसी व्यक्ति को ट्रैवल से पहले ज्यादा थकान, चिंता या तनाव होता है तो ये समस्याएं भी मोशन सिकनेस को ट्रिगर कर सकते हैं।मोशन सिकनेस से बचाव के आसान उपाय-गाड़ी या बस में आगे की सीट, ट्रेन में खिड़की के पास बैठने से मोशन सिकनेस की संभावना कम होती है। ऐसे में जब भी आप सफर करें तो इस बात का ख्याल रखें।-ट्रैवल के दौरान सफर से साथ आगे की तरफ देखें या दूर दिख रही चीजों को देखें और इस दौरान मोबाइल या किताब पढ़ने से बचें।-ट्रैवल से पहले ज्यादा ऑयली या मसालेदार खाना न खाएं। हर्बल चाय जैसे कि अदरक की चाय या नींबू पानी मोशन सिकनेस को रोकने में मदद कर सकता है।-थकान मोशन सिकनेस को बढ़ा सकती है, इसलिए हमेशा ट्रैवल करने से पहले अच्छी नींद लें।-जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह से एंटी-मोशन सिकनेस दवाएं ली जा सकती हैं। लेकिन ध्यान रखें कि इन दवाओं को बिना डॉक्टर की सलाह के न लें।निष्कर्षमोशन सिकनेस कोई गंभीर बीमारी नहीं है, लेकिन यह ट्रैवल के सफर को खराब कर सकती है। सही जानकारी, समय पर पहचान और कुछ आसान उपाय अपनाकर इसे आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है। खासकर बच्चों, प्रेग्नेंट महिलाओं और माइग्रेन के मरीजों को ट्रैवल के दौरान सावधानी बरतनी चाहिए।
- आजकल लोगों की लाइफस्टाइल इतनी अनहेल्दी हो चली है कि छोटी-बड़ी बीमारियां और हेल्थ प्रॉब्लम्स तेजी से बढ़ रही हैं। नसों में ब्लॉकेज भी ऐसी ही एक समस्या है जो इन दिनों अनहेल्दी डाइट और अनहेल्दी लाइफस्टाइल की वजह से बढ़ रही है। नसें ब्लॉक हो जाने से शरीर में कई तरह की समस्याएं बढ़ सकती हैं। नसों में ब्लॉकेज की समस्या हार्ट को भी नुकसान पहुंचा सकता है। नसों की इस ब्लॉकेज को नेचुरली साफ करने के लिए आप लहसुन का सेवन कर सकते हैं। लहसुन एंटीऑक्सीडेंट्स और एलिसिन जैसे तत्वों से भरपूर होता है जो हार्ट और नसों की हेल्थ के लिए फायदेमंद होते हैं। यहां पढ़ें लहसुन का सेवन करने के तरीके ( और इसके सभी फायदे।नसों में ब्लॉकेज के कारण क्या हैं?शरीर की नसें ब्लॉक होने का एक बड़ा कारण है शरीर में पोषक तत्वों की कमी। इसी तरह शरीर में ब्लड सर्कुलेशन ठीक ना रहना, ब्लड क्लॉटिंग, हाई बीपी, हाई ब्लड शुगर लेवल और एक ही जगह पर कई घंटों तक बैठकर काम करने से नसें दब जाती हैं और नसों में ब्लॉकेज बढ़ने लगती है।नसों में ब्लॉकेज के लक्षणनसें बंद हो जाने के बाद हाथों-पैरों में झुनझुनी, शरीर में तेज दर्द. नसों में भारीपन, घुटनों के नीचे हिस्से में दर्द और सूजन जैसे परेशानियां हो सकती हैं।बंद नसें खोलने के लिए खाएं कच्चा लहसुनदिन में 1 से 2 बार कच्चा लहसुन खाने से नसों की ब्लॉकेज खुल सकती हैं। बेहतर रिजल्ट के लिए आप सुबह खाली पेट कच्चा लहसुन खा सकते हैं।पिएं लहसुन का पानीसुबह खाली पेट 2-3 लहसुन को कूटकर गर्म पानी में मिलाएं। फिर, इस पानी का सेवन जरूर करें।लहसुन खाने के फायदेखाली पेट लहसुन का सेवन करने से नसों की ब्लॉकेज खुलने के साथ-साथ बैड कोलेस्ट्रॉल लेवल भी कम होता है। जिससे हार्ट हेल्थ भी बेहतर होती है।Disclaimer- यह आर्टिकल केवल सामान्य जानकारी और सलाह देता है। यह किसी भी तरह से चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। इसलिए अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर करें।
- थायराइड गर्दन में छोटी तितली के आकार की ग्रंथि होती है, जो शरीर में एनर्जी के उत्पादन को बढ़ावा देने, मेटाबॉलिज्म को बेहतर करने और हार्मोन्स को बैलेंस रखने में मदद है। लेकिन इसके असंतुलित होने पर लोगों को हाइपोथायरायडिज्म (अंडरएक्टिव थायरॉइड) और हाइपरथायरायडिज्म (ओवरएक्टिव थायरॉइड) जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसके कारण लोगों को वजन में बदलाव आने, मूड खराब होने और थकान होने जैसी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में थायराइड को बैलेंस करने और स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए डाइट में कुछ ड्राई फ्रूट्स को भी शामिल किया जा सकता है।थायराइड से राहत के लिए ड्राई फ्रूट्सब्राजील नट्स खाएंब्राजील नट्स में भरपूर मात्रा में सेलेनियम और कई अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं। ऐसे में इसको थायराइड के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। थायराइड की समस्या में इसका सेवन करने से लाभ मिलता है। ऐसे में नियमित रूप से भिगोए हुए 1 ब्राजील नट का सेवन करना फायदेमंद है। लेकिन ध्यान रहे, इसका सेवन दवाइयों के साथ न करें।किशमिश खाएंकिशमिश में भरपूर मात्रा में आयोडीन और एंटी-ऑक्सीडेंट्स के गुण होते हैं। इसका सेवन करने से स्वास्थ्य को कई लाभ मिलते हैं, साथ ही, इससे थायराइड हार्मोन को बैलेंस करने में भी मदद मिलती है। किशमिश को भिगोकर खाया जा सकता है, लेकिन ध्यान रहे इसका सेवन सीमित मात्रा में करें।कद्दू के बीज खाएंकद्दू के बीजों में भरपूर मात्रा में जिंक, हेल्दी फैट्स और विटामिन्स जैसे पोषक तत्व और एंटी-ऑक्सीडेंट्स के गुण पाए जाते हैं। इसका सेवन करने से थायराइड को हेल्दी रखने और इसके कारण होने वाली समस्याओं से राहत देने में मदद मिलती है।अखरोट खाएंअखरोट में भरपूर मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट्स के गुण होते हैं, साथ ही, इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे हेल्दी फैट्स, विटामिन्स जैसे पोषक तत्व भी होते हैं। इनका सेवन करने से थायराइड के कार्यों को बेहतर करने और स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में मदद मिलती है।सूरजमुखी के बीज खाएंसूजजमुखी के बीजों में भरपूर मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट्स, हेल्दी फैट्स, विटामिन-ई और बी जैसे कई पोषक तत्व होते हैं। इसका सेवन करने से थायराइड के कार्यों को बेहतर कर, इसके स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद मिलती है और सूजन को कम करने में मदद मिलती है।ध्यान रहे, थायराइड के कारण सूजन आने, स्किन या बालों से जुड़ी समस्या होने, वजन में बदलाव आने और थकान होने जैसी समस्याएं अधिक होने पर लोगों को इनको नजरअंदाज न करते हुए डॉक्टर से सलाह जरूर लें और हेल्दी लाइफस्टाइल को फॉलो करें।
- अक्सर लोग बालों के झड़ने और टूटने की समस्या से परेशान रहते हैं। ऐसे में बालों को लंबा और घना बनाए रखने के लिए कलौंजी और गुड़हल के फूल का इस्तेमाल किया जा सकता है। कलौंजी के बीज, जिनको काले बीज कहा जाता है। इसमें अच्छी मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी के गुण पाए जाते हैं। वहीं, गुड़हल के फूल में भरपूर मात्रा में नेचुरल एंजाइम्स, विटामिन-सी, अमीनो एसिड और केराटिन होता है। इससे बालों को कई तरह के स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं।कलौंजी और गुड़हल हेयर मास्क के फायदेबालों की ग्रोथ को दे बढ़ावाकलौंजी और गुड़हल के हेयर मास्क का इस्तेमाल करने से स्कैल्प में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ावा देने, बालों की जड़ों को पोषण और ऑक्सीजन देने में मदद मिलती है, जिससे बालों की ग्रोथ को बढ़ावा देने में मदद मिलती है, जो बालों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।स्कैल्प के इंफेक्शन से बचाव करेइस हेयर मास्क में एंटी-ऑक्सीडेंट्स, एंटी-इंफ्लेमेटरी और विटामिन-सी के गुण होते हैं। इसका इस्तेमाल करने से स्कैल्प का इंफेक्शन से बचाव करने, खुजली को कम करने, जलन को कम करने और डैंड्रफ को रोकने में मदद मिलती है।बालों को झड़ने से रोकेगुड़हल के फूल और कलौंजी हेयर मास्क में विटामिन-सी, आयरन, जिंक और हेल्दी फैट्स होते हैं। इसका इस्तेमाल करने से कोलेजन के उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद मिलती है, जिससे बालों को जड़ों से पोषण देने, बालों को झड़ने और पलते होने से रोकने में मदद मिलती है।बालों को सफेद होने से रोकेगुड़हल के फूल और कलौंजी हेयर मास्क में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स के गुण होते हैं। इसको लगाने से बालों का ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाव करने, पोषण की कमी को दूर करने, मेलेनिन के उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद मिलती है। इससे बालों के नेचुरल रूप से काला बनाए रखने और सफेद होने से रोकने में मदद मिलती है।बालों को गहराई से दे पोषणइस हेयर मास्क में अच्छी मात्रा में ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड जैसे हेल्दी फैट्स होते है। इसको लगाने से बालों को गहराई से पोषण देने, स्कैल्प की ड्राईनेस को कम करने, बालों को कंडीशन करने, नेचुरल रूप से शाइनी और हेल्दी बनाए रखने में मदद मिलती है। इससे बालों का किसी भी तरह के नुकसान से बचाव करने में मदद मिलती है।इस्तेमाल करने का तरीका:-गुड़हल के फूलों और पत्तों को धोकर पीस लें।-कलौंजी के बीजों को पीस लें।-दोनों को मिलाकर दही या नारियल तेल के साथ मिलाएं।-इस मिश्रण को बालों और स्कैल्प पर लगाएं।-30-40 मिनट बाद बालों को धो लें।-यह हेयर मास्क सप्ताह में एक या दो बार इस्तेमाल किया जा सकता है।
- अक्सर लोग ओरल हेल्थ यानी मुंह से जुड़ी मुंह में बदबू आने, दांतों में कैविटी होने और मसूड़ों में सड़ने होने जैसी समस्याओं का सामना करते हैं। ऐसे में इन समस्याओं से राहत के लिए भारतीय मसालों में से एक और औषधीय गुणों से भरपूर इलायची का सेवन करना फायदेमंद हो सकता है। इलायची में अच्छी मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट्स, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी के गुण पाए जाते हैं। इसका सेवन करने से ओरल हेल्थ को कई तरह के लाभ मिलते हैं।ओरल हेल्थ के लिए इलायची खाने के फायदेमुंह की बदबू से दे राहतइलायची में भरपूर मात्रा में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-माइक्रोबियल के गुण होते हैं। इसको चबाने से मुंह में बैक्टीरिया के कारण होने वाले मुंह की बदबू से राहत देने में मदद मिलती है। इससे बैक्टीरिया से बचाव करने में भी मदद मिलती है।बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचाव करेइलायची में भरपूर मात्रा में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल के गुण पाए जाते हैं। इसका सेवन करने से मुंह का बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचाव करने, मुंह का किसी भी तरह के फंगल इंफेक्शन या मुंह से जुड़ी किसी भी समस्या से बचाव करने में मदद मिलती है।
- भारतीय रसोई में सौंफ एक आम मसाला है, जिसे अक्सर हम माउथ फ्रेशनर के रूप में इस्तेमाल करते हैं। वैसे तो हम होटल या रेस्टोरेंट में खाने के बाद मिली सौंफ को बड़े चाव से खा लेते हैं, लेकिन घर में इसे नजरअंदाज कर देते हैं। हालांकि, सौंफ केवल स्वाद और ताजगी के लिए नहीं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद है। इसमें पाचन सुधारने, त्वचा निखारने और वजन घटाने जैसे कई औषधीय गुण होते हैं। सौंफ में एंटीऑक्सीडेंट, फाइबर, विटामिन्स और मिनरल्स पाए जाते हैं, जो शरीर को कई तरीकों से लाभ पहुंचाते हैं। आइए जानें इसके 5 बड़े फायदे।पाचन में सुधारसौंफ में फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो पाचन क्रिया को दुरुस्त रखते हैं। यह गैस, अपच, और पेट फूलने जैसी समस्याओं को दूर करने में कारगर है। खाना खाने के बाद थोड़ी सौंफ चबाने से पाचन एंजाइम सक्रिय हो जाते हैं, जिससे खाना जल्दी पचता है।मुंह की दुर्गंध से राहतसौंफ में मौजूद एंटी बैक्टीरियल गुण मुंह के बैक्टीरिया को खत्म करते हैं और मुंह को ताजगी प्रदान करते हैं। इसके मीठे स्वाद और सुगंध के कारण यह एक प्राकृतिक माउथ फ्रेशनर के रूप में काम करता है। सौंफ चबाने के बाद आपका मुंह लंबे समय तक फ्रेश रहता है।वजन घटाने में सहायकसौंफ मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में मदद करती है। इसके सेवन से भूख कम लगती है और पेट भरा-भरा महसूस होता है, जिससे अधिक खाने से बचा जा सकता है। यह वॉटर रिटेंशन कम करने में भी उपयोगी है। जिन लोगों का वजन बढ़ता जा रहा है, उनके लिए यह अच्छा विकल्प हो सकता है।ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करेसौंफ में मौजूद पोटैशियम रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह नसों को रिलैक्स करता है और ब्लड वेसल्स पर दबाव कम करता है। नियमित रूप से सौंफ चबाने से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को कम किया जा सकता है और हृदय स्वास्थ्य बेहतर बना रहता है।आंखों की रोशनी बढ़ाने में मददगारसौंफ में विटामिन ए और सी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो आंखों की रोशनी बढ़ाने और उनकी सेहत को बनाए रखने में सहायक होते हैं। यह आंखों की जलन, सूजन और थकान को कम करने में मदद करती है, जिससे आंखें तरोताजा और स्वस्थ बनी रहती हैं।अस्वीकरण: प्रिय पाठकों यह आर्टिकल केवल सामान्य जानकारी और सलाह देता है। यह किसी भी तरह से चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। इसलिए अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर करें।
- अक्सर कई लोगों की रातें करवट बदलते-बदलते बीत जाती हैं. वहीं कई लोगों सुबह उठते हैं और फिर भी थके हुए महसूस करते हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ये सिर्फ थकान या स्ट्रेस नहीं, बल्कि आपकी सेहत के लिए एक गंभीर संकेत हो सकता है. इससे यह पता चलता है कि आपकी नींद ठीक से नहीं हो रही और अच्छी नींद का न होना आपके शरीर और दिमाग दोनों पर बुरा असर डालता है. आज की बिजी लाइफ, काम का प्रेशर, लगातार बढ़ता स्ट्रेस और मोबाइल या लैपटॉप का ज्यादा यूज और खराब लाइफस्टाइल की वजह से नींद की समस्या और रात भर करवटें बदलने की आदत बहुत आम हो गई है.अगर आपको रात के समय सोने में परेशानी होती है, बार-बार करवटें बदलनी पड़ती है, हार्ट बीट तेज हो जाती है और शरीर या मन में बेचैनी महसूस होती है तो यह एक गंभीर हार्मोनल इंबैलेंस की ओर संकेत हो सकता है, जिसे हाइपोथायरायडिज्म कहा जाता है.हाइपोथायरायडिज्म एक ऐसी स्थिति है जिसमें थायराइड ग्रंथि जरूरत से ज्यादा हार्मोन बनाना शुरु कर देती है. इसके अलावा कई रिसर्च में यह पाया गया है कि जो लोग लंबे समय तक सही नींद नहीं ले पाते या करवटें बदलने की आदत होती है तो उनमें गंभीर बीमारियों का खतरा ज्यादा होता है. इनमें कैंसर और समय से पहले मौत का रिस्क भी शामिल है.करवटें बदलने की आदत से भूलने की आदत, ध्यान न लगना और सोचने-समझने की ताकत पर असर पड़ने का खतरा भी हो सकता है. नींद पूरी न होने से दिमाग सही से काम नहीं करता है. इससे डिप्रेशन, एंजायटी, और चिड़चिड़ापन हो सकता है. करवटें बदलने की आदत और रात को बिस्तर पर जाने के बाद भी अगर नींद नहीं आती, तो इसकी एक बड़ी वजह स्लीप स्ट्रेस हो सकता है.नींद पूरी न होने से शरीर पर क्या-क्या असर पड़ सकता है?1. नींद पूरी न होने से वजन बढ़ने लगता है, ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है, और इम्यून सिस्टम भी कमजोर पड़ सकता है.2. नींद पूरी न होने से थकान और चिड़चिड़ापन के साथ छोटी-छोटी बातें भी परेशान करने लगती हैं और किसी काम में मन नहीं लगता है.3. वहीं नींद पूरी न होने से स्किन का ग्लो भी खत्म होता है. नींद के दौरान स्किन खुद को रिपेयर करती है. लेकिन जब नींद पूरी नहीं होती, तो डार्क सर्कल, डल स्किन, पिंपल्स और जल्दी झुर्रियां दिखने लगती है.4. रात भर करवटें बदलने की आदत के कारण दिल की बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है. बार-बार नींद टूटने से हार्ट अटैक, स्ट्रोक और हाइपरटेंशन जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है.5. बार-बार नींद टूटने से पेट और गट हेल्थ पर भी बुरा असर पड़ता है.हमारे पेट में अच्छे बैक्टीरिया होते हैं जो पाचन और सेहत का ध्यान रखते हैं पर नींद कम होने से ये बैलेंस बिगड़ जाता है, जिससे पेट खराब, गैस, अपच जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं.
- हर व्यक्ति की चाहत होती है कि उसकी त्वचा हमेशा निखरी और बेदाग नजर आए। लेकिन अगर चेहरे पर झाइयां हो जाएं, तो यह सपना अधूरा ही रह जाता है। चेहरे पर झाइयां आपकी सुंदरता को कम कर देती हैं। इसकी वजह से त्वचा पर धब्बे दिखने लगते हैं और स्किन का रंग भी डार्क हो जाता है। ऐसे में, कई लोग जिद्दी झाइयों को हटाने के लिए तरह-तरह के प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं। वहीं, कुछ लोग पार्लर जाकर महंगे ब्यूटी ट्रीटमेंट्स कराते हैं। लेकिन फिर भी कुछ खास फायदा नहीं मिल पाता है। ऐसे में, इन जिद्दी झाइयों से छुटकारा पाने के लिए आप कुछ घरेलू उपायों को अपना सकते हैं।शहदचेहरे से जिद्दी झाइयों को हटाने के लिए आप शहद का इस्तेमाल कर सकते हैं। दरअसल, इसमें हाइड्रोजन पेरोक्साइड होता है, जो झाइयों को हल्का करने में मदद करता है। साथ ही, त्वचा को मुलायम और चमकदार भी बनाता है। इसके लिए आप एक चम्मच शहद लें। इसमें एक चम्मच नींबू का रस डालकर अच्छी तरह मिक्स कर लें। अब इस मिश्रण को अपने चेहरे पर लगाएं और कुछ देर लगा रहने दें। करीब 10 मिनट बाद चेहरे को पानी से धो लें। हफ्ते में 2-3 बार इसका इस्तेमाल करने से धीरे-धीरे झाइयां गायब हो जाएंगी।जायफलअगर आपके चेहरे पर झाइयां हो गई हैं, तो आप जायफल का इस्तेमाल कर सकते हैं। दरअसल, इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-पिगमेंटेशन गुण होते हैं, जो त्वचा के दाग-धब्बों, मुंहासों और पिगमेंटेशन की समस्या से छुटकारा दिला सकते हैं। साथ ही, यह त्वचा की रंगत को सुधारने में भी मदद कर सकता है। इसके लिए आप एक चम्मच जायफल पाउडर में पानी डालकर पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट को अपने चेहरे पर लगाएं और करीब चेहरे को पानी से धो लें। बेहतर रिजल्ट के लिए हफ्ते में 1 से 2 बार इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।कच्चा दूधचेहरे की जहिद्दी झाइयों को हटाने के लिए कच्चा दूध काफी असरदार साबित हो सकता है। दरअसल, कच्चे दूध में लैक्टिक एसिड मौजूद होता है, जो दाग-धब्बों और झाइयों को कम करने में मदद करता है। साथ ही, त्वचा की रंगत को सुधारने में भी मदद करता है। इसके लिए एक कटोरी में थोड़ा सा कच्चा दूध लें। एक कॉटन बॉल की मदद से इसे अपने चेहरे पर लगाएं और हल्के हाथों से सर्कुलर मोशन में मसाज करें। करीब 15 मिनट बाद चेहरे को पानी से धो लें। इससे त्वचा के दाग-धब्बों और झाइयों से छुटकारा मिल सकता है। साथ ही, त्वचा पर निखार भी आएगा।एलोवेराझाइयों से छुटकारा पाने के लिए आप एलोवेरा का इस्तेमाल कर सकते हैं। दरअसल, इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं, जो दाग-धब्बों, पिगमेंटेशन और झुर्रियों को दूर में मदद करते हैं। इसके लिए आप ताजा एलोवेरा जेल लेकर इसे अपने चेहरे पर लगाएं। 5-10 मिनट तक हल्के हाथों से सर्कुलर मोशन में मसाज करें। करीब 30 मिनट बाद चेहरे को पानी से धो लें। इससे न सिर्फ झाइयों से छुटकारा मिलेगा, बल्कि त्वचा मुलायम और चमकदार भी बनेगी।मसूर दालमसूर दाल में एक्सफोलिएटिंग गुण होते हैं, जो डेड स्किन सेल्स को हटाने और झाइयों को हल्का करने में मदद करते हैं। साथ ही, यह त्वचा के निखार को भी बढ़ाती है। इसके लिए भीगी हुई मसूर दाल को पीसकर पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं और सूखने के लिए छोड़ दें। करीब 15 मिनट बाद चेहरे को पानी से धो लें।
- भारतीय मसालों में से एक जावित्री, एक खुशबूदार मसाला है। जिसको मेस (Mace) के नाम से भी जाना जाता है। यह खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ स्वास्थ्य के लिए भी कई तरीकों से फायदेमंद है। औषधीय गुणों से भरपूर जावित्री में विटामिन्स, कैल्शियम, आयरन, कॉपर और मैग्नीशियम जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, साथ ही, इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट्स, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-डायबिटिक और एंटी-माइक्रोबियल के गुण भी पाए जाते हैं। जावित्री की तासीर गर्म होती है। इनका सेवन करने से इम्यूनिटी को बूस्ट करने, सर्दी-खांसी और स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं से बचाव करने और स्वास्थ्य को कई अन्य लाभ मिलते हैं।जावित्री खाने के फायदे -ब्लड शुगर में फायदेमंदजावित्री में एंटी-डायबिटिक गुण पाए जाते हैं। इसका सेवन करने से शरीर में इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार करने और ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है, जो स्वास्थ्य के लिए कई तरीकों से फायदेमंद है।शरीर को डिटॉक्स करेजावित्री में एंटी-ऑक्सीडेंट्स, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल के गुण पाए जाते हैं। इसका सेवन करने से शरीर को डिटॉक्स कर शरीर के टॉक्सिन्स को बाहर निकालकर, ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर करने, जोड़ों के दर्द को कम करने, मांसपेशियों के स्वास्थ्य को बेहतर करने और शरीर की सूजन को कम करने में भी मदद मिलती है।इम्यूनिटी बूस्ट करने में सहायकऔषधीय गुणों से भरपूर जावित्री में अच्छी मात्रा में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-ऑक्सीडेंट्स के गुण पाए जाते हैं। इसका सेवन करने से शरीर की इम्यूनिटी को बूस्ट करने, सर्दी-खांसी जैसी स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारियों से बचाव करने में मदद मिलती है। इसके अलावा, इससे ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने और शरीर के कार्यों में सुधार करने में मदद मिलती है।हार्ट के लिए फायदेमंदजावित्री में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी के गुण पाए जाते हैं। इसका सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने, हार्ट में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ावा देने और सूजन को कम करने में मदद मिलती है, जो हार्ट के स्वास्थ्य के लिए कई तरीकों से फायदेमंद है।ब्रेन के कार्यों के लिए फायदेमंदजावित्री में न्यूरोप्रोटेक्टिव गुण होते हैं। इसको डाइट में लेने से स्ट्रेस को कम करने, ब्रेन के कार्यों में सुधार करने, याददाश्त को बढ़ावा देने, ब्रेन को रिलैक्स करने और नींद की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद मिलती है।पाचन को दुरुस्त करने में सहायकजावित्री मसाले में पाचन को बढ़ावा देने वाले एंजाइम्स को बढ़ावा देने मे मदद मिलती है। ऐसे में इसको खाने से ब्लोटिंग, अपच, गैस, कब्ज और सूजन जैसी पाचन से जुड़ी समस्याओं से राहत देने, पाचन प्रक्रिया को बढ़ावा देने, भूख को बढ़ावा देने और मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने में मदद मिलती है। इसके अलावा, इसका सेवन करने से वजन कम करने में भी मदद मिलती है।ओरल हेल्थ के लिए फायदेमंदजावित्री में एंटी-बैक्टीरियल के गुण होते हैं। ऐसे में इसका सेवन करने से मुंह में मौजूद खराब बैक्टीरिया को कम करने, मुंह की बदबू से राहत देने दांतों और मसूड़ों का कैविटीज से बचाव करने में मदद मिलती है। जावित्री का सेवन करने से ओरल हेल्थ में सुधार करने में मदद मिलती है।स्किन के लिए फायदेमंदजावित्री में अच्छी मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट्स के गुण और विटामिन्स पाए जाते हैं। इसका सेवन करने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ावा देने, ब्लड को डिटॉक्स करने और स्किन को अंदर से हेल्दी और ग्लोइंग बनाने में मदद मिलती है, साथ ही, इससे त्वचा का एजिंग से बचाव करने और त्वचा के स्वास्थ्य में सुधार करने में भी सहायक है।सावधानियांजावित्री का सेवन सीमित मात्रा में करें। इससे किसी भी तरह की एलर्जी महसूस होने पर इसके सेवन से बचें। इसके अलावा, ब्रेस्टफीडिंग, प्रेग्नेंसी और किसी मेडिकल कंडीशन से पीड़ित लोग इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें, अन्यथा इसका सेवन न करें।निष्कर्षऔषधीय गुणों से भरपूर जावित्री मसाले में बहुत से पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसका सेवन करने से शरीर को डिटॉक्स करने, ब्लड शुगर को कंट्रोल करने, इम्यूनिटी को बूस्ट करने, हार्ट को हेल्दी रखने, ब्रेन के कार्यों को बेहतर करने, स्किन को हेल्दी रखने, पाचन को दुरुस्त करने, वजन कम करने और ओरल हेल्थ में सुधार करने में मदद मिलती है। ध्यान रहे, इसका सेवन डॉक्टर की सलाह के साथ सीमित मात्रा में करें।
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आज के समय में कैंसर वैश्विक स्तर पर एक गंभीर बीमारी बन चुका है। हर साल सैकड़ों लोग इस गंभीर बीमारी का शिकार हो रहे हैं। ब्लड कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, लिवर कैंसर, स्किन कैंसर और पेट का कैंसर आदि अन्य कई प्रकार के कैंसरों से लोग जुझ रहे हैं। कुछ मामलों में कैंसर का कारण जेनेटिक कारक होते हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में यह हमारे लाइफस्टाइल, आदतें और हमारे द्वारा इस्तेमाल होने वाले हानिकारक पदार्थों के कारण भी कैंसर होने का जोखिम बहुत ज्यादा बढ़ गया है।
कैंसर के मामले क्यों बढ़ रहे हैं?
चिकित्सकों के अनुसार, दुनियाभर में कैंसर बढ़ने का कारण ऐसी चीजों का इस्तेमाल या संपर्क में आना है, जो हमारे शरीर में सेल्स पर सीधे असर करते हैं। जैसे-1. तंबाकूतंबाकू का सेवन कैंसर का सबसे बड़ा और आम कारण माना जाता है। स्मोकिंग फेफड़ों, मंह, गले और मूत्राशय के कैंसर का कारण बन सकता है। सिर्फ स्मोकिंग करने वाले ही नहीं, बल्कि उनके आस-पास रहने वाले लोग भी सेकेंड हैंड स्मोक के कारण कैंसर होने का जोखिम होता है। यह स्थिति बच्चों और बुजुर्गों के लिए और भी ज्यादा खतरनाक माना जाता है। इससे बचाव के लिए स्मोकिंग या गुटखे की आदत को छोड़ना बहुत जरूरी है और दूसरों को भी इसके लिए जागरुक करना चाहिए।2. शराब का ज्यादा सेवनशराब का ज्यादा सेवन आपके लिवर, ब्रेस्ट, मुंह और गले के कैंसर के खतरे को बढ़ाता है। लगातार और ज्यादा मात्रा में शराब का सेवन शरीर के सेल्स को डैमेज कर सकता है, जिससे कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। इससे बचने के लिए या तो शराब का सेवन पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए या फिर इसे बहुत सीमित मात्रा में लेना चाहिए।3. मोटापा और खराब डाइटआज की भागदौड़ भरी जिंदगी में जंक फूड, प्रोसेस्ड मीट और ज्यादा फैट वाले खाद्य पदार्थों का सेवन आम हो गया है। ये सभी खाद्य पदार्थ मोटापा बढ़ाते हैं, जो गर्भाशय, बड़ी आंत, स्तन और प्रोस्टेट कैंसर के जोखिम से जुड़े हो सकते हैं। इसलिए, जरूरी है कि आप अपनी डाइट में ताजे फल, सब्जियां, अनाज और हाई फाइबर वाले खाद्य पदार्थ शामिल करें। साथ ही, पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, नियमित रूप से एक्सरसाइज करें और हेल्दी वजन बनाए रखें।4. वायु प्रदूषणआज के समय में वायु प्रदूषण भी कैंसर के जोखिम को बढ़ाने का एक बड़ा कारक है। प्रदूषण में मौजूद छोटे कण, फेफड़ों के कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं। जिन जगहों पर हवा की गुणवत्त खराब होती है, वहां लंबे समय तक रहने से कैंसर का जोखिम बढ़ता है। इससे बचाव के लिए खुले में मास्क पहनना और घरों या ऑफिस में एयर प्यूरीफायर का उपयोग करना फायदेमंद हो सकता है।5. ज्यादा रेडिएशन और यूवी किरणेंबहुत ज्याद रेडिएशन, खासकर सूरज की यूवी किरणें, स्किन कैंसर के जोखिम को बढ़ाता है। यह खतरा उन लोगों में ज्यादा होता है, जो लंबे समय तक धूप में काम करते हैं या बाहर रहते हैं। इससे बचने के लिए हमें सनस्क्रीन, सही कपड़े, टोपी और चश्मे का उपयोग करना चाहिए। गर्मी केे मौसम में खासकर दोपहर के समय घर से बाहर निकलने से बचना चाहिए।निष्कर्षदुनियाभर में कैंसर के बढ़ते मामलों के पीछे का बड़ा कारण हमारी बदलती लाइफस्टाइल, प्रदूषण, गलत आदतें और अनहेल्दी डाइट है। हालांकि, इनमें से कुछ चीजों पर हमारा कंट्रोल नहीं हो सकता है, लेकिन, अपनी आदतों में हेल्दी बदलाव करके और सुरक्षित तरीकों को अपनाकर आप कैंसर के जोखिम को कम कर सकते हैं। - आजकल फिटनेस और हेल्थ को लेकर लोग पहले से कहीं ज्यादा जागरूक हो चुके हैं। हेल्दी रहने के लिए डाइट, एक्सरसाइज, स्लीप और हाइड्रेशन का सही संतुलन जरूरी है। ऐसे में पीने के पानी की क्वालिटी भी बहुत अहम हो जाती है। साधारण पानी से बेहतर, आजकल अल्कलाइन वॉटर (Alkaline Water) की मांग तेजी से बढ़ी है। इसे क्लीन वॉटर या पावर वॉटर भी कहा जाता है क्योंकि इसका पीएच लेवल 8 या उससे ज्यादा होता है, जो शरीर की एसिडिटी को बैलेंस करने में मदद करता है।इस लेख में हम आपको बताएंगे कि घर पर अल्कलाइन वॉटर कैसे बनाएं, उसके फायदे क्या हैं और क्या इसे पीकर वजन घटाने में मदद मिलती है या नहीं।अल्कलाइन वॉटर क्या होता है?-अल्कलाइन वॉटर वह पानी होता है जिसका पीएच लेवल 8 या उससे ज्यादा होता है। इसमें नेचुरल मिनरल्स या बेकिंग सोडा जैसे अल्कलाइन एजेंट्स मिलाए जाते हैं जो इसकी गुणवत्ता को बढ़ाते हैं।अल्कलाइन वॉटर पीने के फायदे-शरीर के पीएच को बैलेंस करता है।-पेट की एसिडिटी और गैस की समस्या में राहत मिलती है।-मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करता है।-त्वचा साफ और ग्लोइंग बनती है।-शरीर को डिटॉक्स करता है।-इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है।क्या अल्कलाइन वाटर पीने से वजन घटता है?-अल्कलाइन वाटर पीने से वेट लॉस (Weight Loss) करने में मदद मिलती है। कई स्टडीज में अल्कलाइन वाटर को वेट लॉस के लिए फायदेमंद बताया गया है। हालांकि अल्कलाइन वाटर मेटाबॉलिज्म रेट को ठीक नहीं करता लेकिन ये आपकी डाइट में कैलोरीज नहीं बढ़ाएगा जिसकी मदद से आपको वजन घटाने में मदद मिलेगी। अल्कलाइन वाटर में एंटीऑक्सीडेंट्स मौजूद होते हें जो शरीर को वजन कम करने में मदद करते हैं। इसके अलावा अल्कलाइन वाटर शरीर को डिटॉक्सीफाई करता है। शरीर में मौजूद बेकार तत्वों को बाहर कर देने से वेट लॉस करने में मदद मिलती है और यही अल्कालाइन वाटर का मुख्य काम है।अल्कलाइन वाटर बनाने का तरीकासामग्री: पानी और नींबूविधि:-नींबू की मदद से आप अल्कलाइन वाटर बना सकते हैं।-एक बड़े जग में पानी भरें।-नींबू के टुकड़े, पानी वाले जग में डालें।-आप इन टुकड़ों को बिना निचोड़े ही जग में डाल सकते हैं।-जग को रात भर के लिए सामान्य तापमान पर छोड़ दें।-पानी में आप पिंक सॉल्ट भी मिलाकर छोड़ सकते हैं।-नमक से अल्कलाइन वाटर मिनरल वाटर में बदल जाता है।पानी का पीएच स्तरपानी के पीएच लेवल की बात करें, तो 4 से 10 के स्केल पर अगर पानी 4 से 6 के बीच है, तो वो एसिडिक है वहीं 7 से ऊपर पानी बेसिक नेचर का होता है। हर कोई अपने पानी का स्तर 7 से 9 के बीच रखना चाहेगा। शुद्ध पेयजल का पीएच स्तर 8 या 9 होता है जिसे अल्कलाइज करके हासिल किया जा सकता है।अल्कलाइन वाटर पीने से प्यास बढ़ती हैअल्कलाइन वाटर का सेवन करने से शरीर को हाइड्रेट रखने में मदद मिलती है। अल्कलाइन वाटर शरीर में जल्दी एब्सॉर्ब हो जाता है और प्यास अधिक लगती है। ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर रखने के लिए अल्कलाइन वाटर फायदेमंद माना जाता है। शरीर के लिए जरूरी मिनरल्स, अल्कलाइन वाटर में पाए जाते हैं।शरीर का पीएच लेवल बरकरार रखने में अल्कलाइन वाटर फायदेमंद माना जाता है। हालांकि इसका सेवन जरूरत से ज्यादा नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे शरीर का बायोकेमिकल प्रोसेस बिगड़ सकता है।अल्कलाइन वाटर पीने के क्या फायदे हैं?-यह शरीर को डिटॉक्स करता है, पाचन सुधारता है, एसिडिटी को कम करता है और एनर्जी लेवल को बढ़ाता है। कुछ रिसर्च इसे इम्यूनिटी बढ़ाने में भी मददगार मानती हैं।अल्कलाइन वाटर कितना पीना चाहिए?शुरुआत के दिनों में 1-2 गिलास पीना काफी होता है। शरीर के अनुसार धीरे-धीरे मात्रा बढ़ाई जा सकती है ।अल्कलाइन वाटर क्या है?अल्कलाइन वॉटर ऐसा पानी होता है जिसका पीएच लेवल, सामान्य पानी से ज्यादा यानी 8 या 9 होता है। यह शरीर की एसिडिक स्थिति को संतुलित करने में मदद करता है।
- भारतीय खाने में खीरा सबका पसंदीदा आहार होता है। यह सलाद के रूप में अक्सर सर्व किया जाता है। हालांकि, कई बार लोग खीरे को ऐसे ही नमक लगाकर खा लेते हैं। क्योंकि इसमें पानी की मात्रा होती है, जो कि सेहत के लिए बहुत फायदा पहुंचाता है। अगर आप अपने शरीर को हाइड्रेट रखना चाहते हैं तो खीरे का सेवन करें। कई बार होता है कि आप बाजार से खीरा लाते हैं और वह कड़वा निकल जाता है। ऐसे में आप उसको फेंकने की बजाय खा लेते हैं। अगर आप भी ऐसा करते हैं कि कड़वा खीरा खा लेते हैं, तो यह आपके लिए जहर बन सकता है। इसके अलावा, खीरे के कड़वे होने के कारण टेट्रसाइक्लिक ट्राइटरपिनपॉइड यौगिक भी होते हैं। जब आप कड़वा खीरा खाते हैं, तो आपके शरीर में इन यौगिकों की मात्रा भी बढ़ जाती है और आपकी सेहत को नुकसान पहुंच सकता है।कड़वा खीरा खाने से सेहत को होने वाले नुकसान-कड़वे खीरे खाने से मतली, उल्टी और पेट में ऐंठन जैसी पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। अगर पूरा खीरा कड़वा है तो इसे न खाएं।-कड़वा खीरा खाने की वजह से सूजन, गैस और दस्त की समस्याएं भी हो सकती हैं। इतना ही नहीं, इसे खाने से फूड पॉइजनिंग जैसी समस्या भी हो सकती-कड़वा खीरा खाने से आपको चक्कर भी आ सकते हैं।-यहां तक कि कड़वा खीरा भी आपकी आंत को नुकसान पहुंचा सकता है।-कुकुर्बिटासिन एक ऐसा यौगिक है, अगर आप इसका ज्यादा सेवन करते हैं तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है।कड़वा खीरा खाने से कैसे बचें-1. आपको खीरा चेक करके ही पूरा खाना चाहिए। शुरुआत में थोड़ा चखें, और अगर कड़वा लगे तो पूरा न खाएं।2. ताजे खीरे खाएं। बासी खीरे न खाएं और नए और ताजे खीरे खाएं।3. उगाने के तरीकों पर ध्यान दें। अगर आप खुद खीरा उगा रहे हैं तो उन्हें सही तरीके से उगाएं।4. अच्छे खीरे चुनें। जिन खीरों में कुकुर्बिटासिन की मात्रा कम हो, उन खीरों को ही खाएं।
- हाई कोलेस्ट्रॉल एक ऐसी खामोश स्वास्थ्य समस्या है जो अक्सर बिना किसी बड़े लक्षण के बढ़ती रहती है। इसे 'साइलेंट किलर' के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसके शुरुआती चरणों में कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिखते। हालांकि जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बहुत ज्यादा बढ़ जाती है और यह धमनियों में प्लाक के रूप में जमा होने लगता है, तो यह धमनियों को संकरा कर देता है, जिससे रक्त प्रवाह बाधित होता है।ऐसे में, हृदय रोग, हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी गंभीर समस्याओं का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है। जब लक्षण दिखने शुरू होते हैं, तो वे अक्सर इस बात का संकेत होते हैं कि समस्या गंभीर हो चुकी है और तुरंत चिकित्सा सहायता की आवश्यकता है। इसके आम लक्षणों की बात की जाए तो सीने में दर्द और सांस लेने में तकलीफ होने के बारे में ज्यादातर लोगों को मालूम है। आइए इस लेख में इन लक्षणों के चार ऐसे प्रमुख लक्षणों के बारे में जानते हैं, जो शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के प्रमुख लक्षण हैं।सीने में दर्द और सांस लेने में तकलीफरक्त वाहिकाओं में कोलेस्ट्रॉल के जमाव से धमनियां कठोर और संकरी हो जाती हैं, जिससे हृदय तक पर्याप्त ऑक्सीजन-युक्त रक्त नहीं पहुंच पाता। इस स्थिति को एथेरोस्क्लेरोसिस कहते हैं। जब यह धमनियां संकरी होती हैं, तो व्यक्ति को गतिविधि या तनाव के दौरान सीने में दर्द का अनुभव हो सकता है।यह दर्द अक्सर भारीपन, दबाव या जकड़न के रूप में महसूस होता है। रक्त प्रवाह में कमी के कारण शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती, जिससे सांस लेने में तकलीफ भी महसूस हो सकती है।पैरों में दर्द या सुन्नपनजब शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है तो सिर्फ हृदय की धमनियों को ही नहीं, बल्कि पैरों और अन्य अंगों की धमनियों को भी प्रभावित करता है, तो इसे पेरिफेरल आर्टरी डिजीज कहते हैं। इसके कारण पैरों में, खासकर चलने या व्यायाम करते समय, दर्द, ऐंठन, भारीपन या सुन्नपन महसूस हो सकता है। आराम करने पर यह दर्द अक्सर कम हो जाता है। यह इस बात का स्पष्ट संकेत है कि आपके शरीर में रक्त प्रवाह बाधित हो रहा है।थकान या कमजोरीशरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कारण धमनियों में रुकावट आने से कोशिकाओं और मांसपेशियों तक पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं पहुंच पाते हैं। इस कारण बिना किसी स्पष्ट वजह के लगातार थकान या सामान्य कमजोरी महसूस हो सकती है। यह शरीर की ऊर्जा को प्रभावित करता है और दैनिक गतिविधियों को भी मुश्किल बना सकता है।आंखों के पास या पलकों पर पीले धब्बेउच्च कोलेस्ट्रॉल का एक और दृश्यमान संकेत आंखों के पास या पलकों पर दिखाई देने वाले पीले या नारंगी रंग के धब्बे होते हैं। ये वास्तव में फैट के जमाव होते हैं, जो सीधे तौर पर शरीर में उच्च कोलेस्ट्रॉल के स्तर का संकेत देते हैं। ये धब्बे आमतौर पर दर्द रहित होते हैं, लेकिन ये एक महत्वपूर्ण चेतावनी हो सकते हैं।
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हर कोई स्वस्थ रहना चाहता है, और इसके लिए हम अक्सर बाजार में मिलने वाले उन खाद्य पदार्थों की ओर आकर्षित होते हैं जिन पर 'हेल्दी', 'नैचुरल' या 'ऑर्गेनिक' का लेबल लगा होता है। मार्केटिंग कंपनियां हमें विश्वास दिलाती हैं कि ये उत्पाद हमारी सेहत के लिए वरदान हैं। लेकिन, सच्चाई अक्सर इस दावे से कोसों दूर होती है।
कई बार, ये तथाकथित 'हेल्दी फूड्स' वास्तव में छिपी हुई चीनी, कृत्रिम सामग्री, अनहेल्दी फैट और अत्यधिक प्रोसेसिंग के कारण हमारी सेहत को फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं। ऐसे में, यह समझना बेहद जरूरी है कि कौन से खाद्य पदार्थ 'स्वस्थ' होने का दिखावा करते हैं, लेकिन वास्तव में हमारी सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं। आइए जानते हैं ऐसे कुछ आम 'हेल्दी फूड्स' के बारे में जिन पर आपको सावधानी बरतनी चाहिए।डाइट सोडाडाइट सोडा को अक्सर चीनी-मुक्त और शून्य-कैलोरी पेय के रूप में प्रचारित किया जाता है, जिससे यह वजन घटाने वालों के लिए एक स्वस्थ विकल्प लगता है। हालांकि इसमें कैलोरी नहीं होती, लेकिन इसमें कृत्रिम मिठास का उपयोग होता है।शोध बताते हैं कि ये कृत्रिम मिठास आंत के माइक्रोबायोम (पेट के अच्छे बैक्टीरिया) के संतुलन को भी बिगाड़ सकती हैं। कुछ अध्ययनों ने इन्हें वजन बढ़ने, टाइप 2 डायबिटीज और मेटाबॉलिक सिंड्रोम के बढ़ते जोखिम से भी जोड़ा है। इसके अलावा इसकी हाई एसिडिक नेचर दांतों के इनेमल को भी नुकसान पहुंचा सकती है।बोतल बंद जूसबोतल बंद जूस को अक्सर फलों से मिलने वाले विटामिन का एक आसान तरीका माना जाता है। हालांकि इनमें कुछ विटामिन हो सकते हैं, लेकिन प्रोसेसिंग के दौरान इनमें से फाइबर पूरी तरह से निकल जाता है। फाइबर के बिना फलों में मौजूद प्राकृतिक चीनी (फ्रुक्टोज) बहुत तेजी से ब्लड शुगर लेवल को बढ़ाती है, जो कि पूरे फल खाने पर नहीं होता।कुछ ब्रांडों में तो अतिरिक्त चीनी भी मिलाई जाती है। जूस पीने से पेट भी उतनी देर भरा हुआ महसूस नहीं होता जितना पूरा फल खाने से होता है, जिससे आप ज्यादा कैलोरी का सेवन कर सकते हैं। ताजे, साबुत फल खाना हमेशा बोतल बंद जूस से बेहतर विकल्प है।एनर्जी बार्सएनर्जी बार्स को अक्सर एक स्वस्थ स्नैक्स विकल्प के रूप में देखा जाता है, खासकर व्यस्त लोगों या कसरत के बाद के लिए। लेकिन, अगर आप इनके पोषण लेबल को ध्यान से पढ़ें, तो पाएंगे कि इनमें से कई एनर्जी बार में अत्यधिक मात्रा में चीनी (कॉर्न सिरप, ग्लूकोज सिरप, या यहां तक कि शहद भी बड़ी मात्रा में) और हेल्दी फैट छिपी होती है। इसलिए इसे खाने से परहेज करना चाहिए, और अगर खाते हैं तो इसके पैकेट पर लिखी जानकारी को अच्छे से जांच लें।मल्टीग्रेन ब्रेड'मल्टीग्रेन' शब्द का मतलब सिर्फ यह है कि इसमें कई तरह के अनाज हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वे साबुत अनाज हैं। अक्सर मल्टीग्रेन ब्रेड में भी रिफाइंड अनाज, अतिरिक्त चीनी और अनहेल्दी फैट हो सकती है। - आधुनिक जीवनशैली में, गैजेट्स पर बढ़ता स्क्रीन टाइम और हमारा बदलता खान-पान सीधे हमारी आंखों पर असर डाल रहा है। यही वजह है कि बच्चों से लेकर बड़े तक, अधिकतर लोग कमजोर आंखों की रोशनी की समस्या से जूझ रहे हैं। ऐसे में आप अच्छी डाइट की मदद से अपनी आंखों को स्वस्थ रख सकते हैं।सही पोषण के साथ, आप अपनी आंखों को काफी हद तक स्वस्थ रख सकते हैं, दृष्टि को बेहतर बना सकते हैं, और यहां तक कि चश्मे पर अपनी निर्भरता भी कम कर सकते हैं या नंबर बढ़ने से रोक सकते हैं। कुछ खास विटामिन और खनिज आंखों की सेहत के लिए बहुत जरूरी होते हैं। आइए इस लेख में ऐसे विटामिन-रिच फूड्स के बारे में जानते हैं, जिन्हें अपनी डाइट में शामिल करके आप अपनी आंखों को सही पोषण दे सकते हैं।आंखों के लिए जरूरी हैं ये पोषक तत्वआंखों को स्वस्थ रखने के लिए कुछ खास विटामिन और खनिज की जरूरत होती है। इनमें विटामिन ए सबसे प्रमुख पोषक तत्व है, जो अच्छी दृष्टि, खासकर कम रोशनी में देखने और रतौंधी रोकने के लिए आवश्यक है। विटामिन सी और विटामिन ई दोनों ही शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट हैं जो आंखों की कोशिकाओं को स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभाते हैं, साथ ही मोतियाबिंद और उम्र से संबंधित जोखिम को कम करने में सहायक होते हैं।ओमेगा-3 फैटी एसिड रेटिना के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं और सूखी आंखों की समस्या को दूर करने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, जिंक विटामिन ए को लिवर से रेटिना तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाता है। अब आइए जानते हैं कि किन पोषक तत्व को डाइट में शामिल करके आप अपनी आंखों का ख्याल रख सकते हैं।खट्टे फल और शिमला मिर्चसंतरा, नींबू, चकोतरा और रंगीन शिमला मिर्च विटामिन सी के उत्कृष्ट स्रोत हैं। इनके एंटीऑक्सीडेंट गुण आंखों की कोशिकाओं को ऑक्सीडेटिव तनाव से बचाते हैं और मोतियाबिंद के खतरे को कम कर सकते हैं।


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