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- बिगड़ी जीवनशैली और खानपान पर ध्यान न देने की वजह से ज्यादातर लोग थायराइड की समस्या से परेशान रहने लगे हैं। थायरॉइड तितली के आकार की एक ग्रंथि होती है, जो गले में स्थित होती है। शरीर की चयापचय (मेटाबॉलिज्म) क्रिया में इस ग्रंथि का विशेष योगदान होता है। थायराइड दो तरह का होता है- हाइपरथायराइड और हाइपोथायराइड। हाइपरथायराइड में ज्यादा मात्रा में थायराइड हार्मोन बनने लगता है। जबकि हाइपोथायराइडिज्म में हार्मोन का कम उत्पादन होता है। हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित लोगों में थकान, बालों का झड़ना, वजन बढ़ना, ठंड लगना और लो फील करना जैसे कई लक्षण दिखाई दे सकते हैं। थायराइड को अच्छी डाइट लेकर कंट्रोल किया जा सकता है। ऐसे में आज जानते हैं आखिर वो कौन सी चीजें हैं जो थायराइड की समस्या होने पर व्यक्ति को नहीं खानी चाहिए।थायराइड में क्या नहीं खाना चाहिए-सोयाबीन-सोयाबीन और सोया युक्त खाद्य पदार्थों से हाइपोथायरायडिज्म का जोखिम बढ़ सकता है। सोयाबीन में फाइटोएस्ट्रोजन होता है जो थायराइड हार्मोन का निर्माण करने वाले एंजाइम की कार्य करने की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।ब्रोकली-फूलगोभी जैसी सब्जियां-कच्ची या अधपकी हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे ब्रोकली, पालक, फूलगोभी में एंटी-थायराइड और गोइट्रोजेनिक (goitrogenic) गुण होते हैं। जो थायराइड में हानिकारक हो सकते हैं। दरअसल, ये सभी क्रुसिफेरस सब्जियां( ब्रोकली, फूलगोभी, पत्तागोभी) फाइबर और अन्य पोषक तत्वों से भरी होती हैं। बावजूद इसके आयोडीन की कमी होने पर ये थायराइड हार्मोन के उत्पादन को कम कर सकती हैं।कैफीन युक्त पेय-थायराइड की समस्या होने पर कैफीन वाली चीजें खानी और पीनी नहीं चाहिए। ये आपके थायराइड ग्लैंड को बढ़ाकर दवा के असर को भी कम करते हैं।मीठा-थायराइड की समस्या होने पर चीनी का सेवन ज्यादा नहीं करें। चीनी आपकी पाचन प्रक्रिया को प्रभावित करके आपका वजन बढ़ाएगी और थायराइड ग्रंथि के स्तर को अनियंत्रित कर देगी।ग्लूटेन फूड-हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित लोगों को ग्लूटेन का सेवन कम करना चाहिए। ग्लूटेन एक प्रोटीन है जो गेहूं, जौ, राई और अन्य अनाजों से बने प्रोसेस्ड फूड्स में पाया जाता है। अगर किसी व्यक्ति को सीलिएक डिसीज है, तो यह ग्लूटेन छोटी आंत में समस्या उत्पन्न कर थायराइड हार्मोन रिप्लेसमेंट मेडिकेशन के अवशोषण में बाधा उत्पन्न कर सकता है।प्रोसेस्ड फूड्स-प्रोसेस्ड या जंक फूड्स में सोडियम की मात्रा अधिक होती है जो आपको नुकसान पहुंचा सकती है। सोडियम हाइपोथायरायडिज्म और थायराइड की कमी दोनों मरीजों की सेहत पर बुरा असर डालता है।
- आपने भी कई ऐसे लोगों को देखा होगा जिनके दिन की शुरुआत बिना चाय के नहीं होती है। इतना ही नहीं कुछ लोगों को तो आंख खुलते ही बिस्तर पर चाय चाहिए होती है। लोगों की यह आदत नींद भगाने में तो मदद कर सकती है, पर क्या आप जानते हैं कि सेहत के लिहाज से विशेषज्ञ इसे बहुत ही नुकसानदायक मानते हैं। खाली पेट चाय पीना कई तरह की बीमारियों का कारण बन सकता है। अध्ययनों से पता चलता है कि चाय और कॉफी में प्राकृतिक रूप से अम्लीयता होती है, ऐसे में खाली पेट इनका सेवन करने से एसिड का बेसिक संतुलन बिगड़ सकता है, जिसके कारण एसिडिटी या अपच की समस्या हो सकती है।कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि चाय में थियोफिलाइन नामक एक यौगिक भी होता है, जिसका निर्जलीकरण प्रभाव होता है और यह कब्ज को भी बढ़ा देता है। इसके अलावा बिना मुंह की साफ-सफाई किए चाय पीने की आदत के चलते बैक्टीरिया, मुंह में शुगर का ब्रेक डाउन कर सकते हैं जिससे मुंह में एसिड का स्तर बढ़ जाता है दांतों के इनेमल का क्षरण हो सकता है। अगर आपकी भी सुबह खाली पेट चाय-कॉफी पीने की आदत है तो इसमें तुरंत सुधार कर लें।खाली पेट चाय पीने के क्या नुकसान हैं?-स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक रोजाना खाली पेट चाय-कॉफी पीना कई तरह से आपकी सेहत पर नकारात्मक असर डाल सकता है।-सुबह सबसे पहले चाय पीने से आपका एसिड और क्षारीय संतुलन बिगड़ सकता है।-चाय में थियोफिलाइन नामक एक रसायन होता है, जो मल पर निर्जलीकरण प्रभाव डाल सकता है और कब्ज पैदा कर सकता है।-सुबह सबसे पहले चाय पीने से अन्य पोषक तत्वों का अवशोषण बाधित हो सकता है।-चाय में निकोटीन के अंश होते हैं, यही कारण हो सकता है कि आप पेय के आदी महसूस करते हैं।कब पी सकते हैं सुबह की चाय?स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सुबह के समय आप चाय पी सकते हैं, लेकिन सुनिश्चित करें कि आप खाली पेट नहीं हैं। सुबह का पहला आहार चाय या कॉफी नहीं होना चाहिए। आमतौर पर वर्कआउट से पहले कॉफी पीने की सलाह दी जाती है क्योंकि यह आपको ऊर्जा से भर देती है और अतिरिक्त कैलोरी बर्न करने में मदद करती है। सुबह के समय सबसे पहले भरपेट पानी पिएं और इसके आधे घंटे के बाद चाय-कॉफी पी सकते हैं।सुबह सबसे पहले क्या खाएं पिएं?स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, जागने के बाद आपको सबसे पहले एक कप गर्म पानी में नींबू के रस और काली मिर्च का पाउडर मिलाकर पीना चाहिए। वजन घटाने के लिए यह एक बेहतरीन विकल्प है और आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाएगा। यदि आपका लक्ष्य प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना है तो ताजा गिलोय का रस या आंवला का रस भी प्रभावी विकल्प हैं। आप चाहें तो गुनगुने पानी में आधा छोटा चम्मच अलसी का पाउडर मिलाकर पिएं। यह एक अद्भुत एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करता है और आपके मेटाबॉलिज्म में भी सुधार करता है।
- किसी शादी, सगाई या अन्य मौके पर आपने हरे भरे कबाब स्नैक्स के तौर पर खाए होंगे। इन्हें चटनी के साथ परोसा जाता है। होली का त्योहार है। उत्तर भारत में इस मौके पर तमाम लोग एक दूसरे के साथ मिलते जुलते हैं। ऐसे में घर पर मेहमानों के आने का सिलसिला चलता रहता है। आप इस मौके पर हरे भरे कबाब ट्राई कर सकती हैं।यहां जानिए हरा भरा कबाब बनाने की आसान रेसिपी-ये सामग्री लें...पालक 50ग्राम, 40 उबले आलू, 100 ग्राम हरी मटर, एक कप हरा धनिया, एक चम्मच नमक, दो चम्मच भुना जीरा, तीन चम्मच धनिया पाउडर, आधा चम्मच अदरक का पेस्ट, एक हरी मिर्च, एक कप अजमोद, एक चम्मच चाट मसाला, चौथाई कप ब्रेड क्रम्ब्स, आधा कप भीगा पोहा, एक नींबू.बनाने की विधि- हरा भरा कबाब बनाने के लिए सबसे पहले आलू को धोकर उबालें और छील लें. इसके बाद अच्छी तरह से मैश करें. इसके बाद हरी मटर और पालक को भी उबाल लें. पालक को पैन में उबालें. पालक उबालते समय पैन में थोड़ा नमक डालें, इससे पालक का रंग हरा बना रहता है.- अब पालक और मटर को भी अच्छी तरह से मैश करें और इसे आलू में मिक्स कर दें. इसके बाद लहसुन, अदरक, अजमोद, हरा धनिया और भुना जीरा और धनिया एक जार में डालें.- अब इसमें स्वादानुसार नमक और लाल मिर्च मिलाएं. भीगा हुआ चूरा और ब्रेड के क्रम्ब्स भी इसी में डाल दें. इसके बाद अच्छी तरह से सारी चीजों को मिक्स करें. फिर गोल गोल आलू की टिक्की जैसी तैयार करें.- अब एक नॉन स्टिक पैन को गैस पर रखें. इसमें थोड़ा तेल लगाएं और टिक्की को सेंकना शुरू करें. दोनों तरफ से टिक्की को ब्राउन करना है.जब कबाब दोनों तरफ अच्छी तरह से सिंक जाएं तब इसे निकाल लें. इन्हें हरे धनिया से गार्निश करें और ऊपर से चाट मसाला डालें.- आप चाहें तो इन्हें गार्निश करने के लिए थोड़े काजू का भी इस्तेमाल कर सकती हैं. तैयार है हरा भरा कबाब. इसे हरे धनिया और पुदीने की चटनी के साथ सर्व करें।
- जोड़ों में दर्द की समस्या युवाओं में भी दिखने लगी है. इसके पीछे खराब खानपान, सीटिंग जॉब और फिजिकल एक्टिविटी न होना कारण हो सकते हैं. जोड़ों में दर्द की समस्या का इलाज वक्त रहते न किया जाए, तो ये आगे चलकर उम्र बढऩे पर ये बड़ी समस्या बन सकती है।विशेषज्ञों के मुताबिक इस दिक्कत को नजरअंदाज करने से एक समय पर गठिया जैसी गंभीर समस्या हमें अपनी चपेट में ले लेती है। जोड़ों में दर्द के दौरान आपको दर्द के अलावा अचानक हिलने-ढुलने और जकडऩ आदि महसूस हो सकती है। वहीं आयुर्वेद के मुताबिक इसके पीछे शरीर में विषाक्त पदार्थ के जमा होने पर ऐसा होता है.कहते हैं कि लंबे समय तक शरीर में विषाक्त पदार्थों के जमा होने पर जॉइंट में दर्द होने लगता है. हालांकि, कुछ आयुर्वेदिक टिप्स को अपनाकर जोड़ों में दर्द की समस्या को काफी हद तक कम या खत्म किया जा सकता है. हम आपको इन्हीं आयुर्वेदिक टिप्स के बारे में बताने जा रहे हैं.नमक का कम करें सेवनभले ही नमक खाने का स्वाद दोगुना कर देता हो, लेकिन इसका अधिक मात्रा में सेवन जोड़ों में दर्द ही नहीं शरीर में अन्य कई दिक्कतों को पैदा कर सकता है. कई लोगों की आदत होती है कि वे सब्जी या सालन में ऊपर से नमक डालकर खाते हैं. ऐसे लोगों को ज्यादा नमक खाना पसंद होता है. कुछ ऐसे भी होते हैं, जिन्हें खट्टी चीजों का अधिक मात्रा में सेवन करना बहुत पसंद होता है. ये तरीके ज्वाइंट्स में पेन का कारण बनते हैं. आयुर्वेद ही क्या एलोपैथिक डॉक्टर भी कम नमक खाने की सलाह देते हैं.खराब लाइफस्टाइलआयुर्वेद के मुताबिक अगर लाइफस्टाइल खराब है, तो ये जोड़ों में दर्द का कारण बन सकता है. आहार और विहार सही न होने पर शरीर में कई अन्य समस्याएं भी होने लगती है. आयुर्वेद के मुताबिक आपको बासी खाना बिल्कुल नहीं खाना है. कई लोगों को रात का खाना दिन में खाने की आदत होती है, जो उन्हें बहुत नुकसान पहुंचाती है. वहीं विहार की बात की जाए, तो इसमें देर तक जागना और फिर घंटों सोना जैसी बुरी आदतें शामिल हैं. ऐसी आदतों को तुरंत बदले, जो आपके आहार और विहार दोनों को प्रभावित करती हैं.हेल्दी फैट लेंबाहर की चीजों को खाने से परहेज करने के अलावा ऐसी चीजों को खाएं, जिनमें हेल्दी फैट हो. इसमें घी, तिल का तेल और ऑलिव ऑयल शामिल हैं. इनसे बनने वाली चीजों को सीमित मात्रा में खाएं. हेल्दी फैट, जोड़ों को फिर से मजबूत बना सकता है. आप चाहे तो पैरों की मालिश भी कर सकते हैं. आयुर्वेद में मालिश को बहुत कारगर बताया गया है. इसके लिए आप तिल के तेल के अलावा अरंडी का तेल भी इस्तेमाल में ले सकते हैं. मालिश करने से हमारे ब्लड सर्कुलेशन में सुधार आता है. ये तेल आपको रसोई में आसानी से मिल जाएंगे और इनसे की हुई मालिश आपको राहत दे सकती है.
- काले और हरे अंगूर दोनों ही सेहत और स्वाद अच्छे होते हैं। काले अंगूर पोटैशियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम और विटामिन सी के अच्छे सोर्स होते हैं। वही हरे अंगूर में काब्र्स, प्रोटीन, फाइबर, विटामिन सी और विटामिन-के भरपूर पाया जाता है। लेकिन इन दोनों अंगूरों में से कौन-से अंगूर अधिक फायदेमंद होते हैं, चलिए विस्तार से जानते हैं इस बारे में।काले अंगूर के फायदे-काले अंगूर आंखों के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। काले अंगूर आंखों की रोशनी बढ़ाने में मदद करते हैं।-काले अंगूर में पोटैशियम होता है, इसलिए यह दिल के लिए फायदेमंद होता है। साथ ही अंगूर में मौजूद साइटोकेमिकल्स दिल को स्वस्थ रखता है।-काले अंगूर डायबिटीज रोगियों -के लिए भी लाभकारी होते हैं। , लेकिन ऐसे मरीज डॉक्टर की सलाह पर ही इसका सेवन करें।-काले अंगूर में विटामिन ई पाया जाता है, जो बालों और त्वचा के लिए लाभकारी होते हैं। काले अंगूर खाने से स्किन ग्लोइंग बनती है।-काले अंगूर में विटामिन सी होता है, इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनती है।-काले अंगूर में कई ऐसे तत्व होते हैं, जो वेट लॉस में कारगर -होते हैं। काले अंगूर खाने से शरीर में जमा एक्सट्रा फैट आसानी से बर्न हो जाता है।-काले अंगूर किडनी को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। यह मूत्र मार्ग को साफ करते हैं। शरीर को डिटॉक्स करने के लिए आप अंगूर का सेवन कर सकते हैं।हरे अंगूर के फायदे-काले अंगूर की तरह ही हरे अंगूर भी पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। हरे अंगूर हृदय रोगों के जोखिम को घटाते हैं।-हरे अंगूर में फाइटोकेमिकल होता है, इसके सेवन से मस्तिष्क पर उम्र का कम प्रभाव पड़ता है।-हरे अंगूर में फाइबर अधिक मात्रा में होता है, यह वजन घटाने में सहायक होता है।-इसके अलावा हरे अंगूर खाने से कब्ज की समस्या से भी राहत मिलती है। अंगूर में मौजूद फाइबर मल त्याग को आसान बनाते हैं।-अंगूर खाने से शरीर में खून की कमी दूर होती है। यह हीमोग्लोबिन लेवल बढ़ाता है।काले या हरे अंगूर: कौन-से अंगूर होते हैं फायदेमंदकाले और हरे अंगूरों में पिगमेंट्स का अंतर होता है। काले अंगूरों में एंथोसायनिन अधिक होता है। काले अंगूरों में कलरफुल केमिकल्स ज्यादा होते हैं। काले अंगूरों की गुणवत्ता हरे अंगूरों से अच्छी होती है।काले और हरे दोनों अंगूर कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रण में रखने में मदद करते हैं। आप भी अपनी डाइट में काले या हरे दोनों तरह के अंगूर शामिल कर सकते हैं। दोनों ही अंगूर सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं। काले और हरे दोनों अंगूर त्वचा के लिए भी लाभकारी होते हैं।
- अगर आप हेल्दी मॉर्निग ड्रिंक के बारे में सोच रहे हैं, तो मेथी और अजवाइन का पानी फायदेमंद हो सकता है। इस पानी को सुबह खाली पेट पीने से स्वास्थ्य समस्याएं दूर होने लगती हैं। अजवाइन और मेथी का पानी वजन कम करने, कब्ज को ठीक करने में लाभकारी होता है। इसके अलावा इस पानी को पीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। जानें मेथी और अजवाइन का पानी पीने से होने वाले फायदे-अजवाइन- मेथी का पानी कैसे बनाये?अगर आप रोज सुबह खाली पेट अजवाइन मेथी का पानी पीना चाहते हैं, तो आपको तैयारी रात को ही करनी पड़ेगी। इसके लिए 1 चम्मच अजवाइन और 1 चम्मच मेथी दाना रात को एक गिलास पानी में भिगोकर रख दें। सुबह इस पानी को छानकर खाली पेट पी जाएं। इस पानी को रोज पीने से वजन घटाने में मदद मिलती है। मेथी और अजवाइन की तासीर गर्म होती है, इसलिए सर्दियों में इस पानी को पीने से शरीर में गर्माहट भी बनी रहती है। इनकी तासीर गर्म होने की वजह से पित्त प्रकृति के लोगों को इसका सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए।मेथी अजवाइन का पानी पीने के फायदेमेथी अजवाइन का पानी पाने से सेहत को कई फायदे मिलते हैं। मेथी में प्रोटीन, वसा, कैल्शियम, आयरन, फाइबर, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम, सोडियम, जिंक, कार्बोहाइड्रेट, एंटीऑक्सीडेंट, एंटी बैक्टीरियल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। इसके अलावा अजवाइन में प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, आयरन और निकोटिनिक एसिड पाया जाता है। मेथी अजवाइन खाने से आप अपनी कई समस्याओं को दूर कर सकते हैं।1. वजन कम करे मेथी अजवाइन का पानीमेथी अजवाइन का पानी वजन कम करने के लिए बेहतरीन घरेलू उपाय के तौर पर कार्य करता है। दरअसल, मेथी और अजवाइन में एंटी ऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो मेटाबॉलिज्म को मजबूत बनाते हैं। इसके साथ ही मेथी अजवाइन का पानी फैट बर्न करता है। अगर आप वजन कम करना चाहते हैं, तो इसे अपनी मॉर्निग ड्रिंक में शामिल कर सकते हैं। यह वेट लॉस ड्रिंक का काम करता है।2. कब्ज से राहत दिलाए मेथी अजवाइन का पानीअगर आपको गैस, कब्ज और अपच की समस्या रहती है, तो सुबह खाली पेट मेथी-अजवाइन का पानी पानी पी सकते हैं। इस पानी को पीने से बॉडी डिट्रॉक्स होती है। अजवाइन और मेथी में फाइबर होता है, जो कब्ज से राहत दिलाता है। वहीं इनमें मौजूद पोषक तत्व गैस निकालने में भी मदद करता है। इस डिटॉक्स ड्रिंक को अपनी डाइट में जरूर शामिल करें। इससे शरीर में जमा गंदगी, अपशिष्ट पदार्थ आसानी से निकल जाएंगे। इससे मतली जैसी समस्या भी ठीक होती है।3. ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करेअस्वस्थ खान-पान और इनएक्टिव लाइफस्टाइल डायबिटीज का कारण बनता जा रहा है। आजकल अधिकतर लोगों को डायबिटीज है। अगर आपका ब्लड शुगर लेवल कंटोल में नहीं रहता है, तो मेथी-अजवाइन का पानी पीना लाभकारी हो सकता है। इससे शरीर में शुगर लेवल को कंट्रोल रखने में मदद मिलती है। इसके अलावा यह बैड कोलेस्ट्रॉल को भी कम करता है।4. तनाव दूर करे मेथी अजवाइन का पानीअगर आप भी स्ट्रेस फील करते हैं, तो सुबह खाली पेट मेथी और अजवाइन का पानी पी सकते हैं। इस पानी में फाइबर, मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व होते हैं।5. इम्यूनिटी बढ़ाए मेथी अजवाइन का पानीमेथी और अजवाइन के पानी में विटामिन सी, आयरन, जिंक, एंटीऑक्सीडेंट और कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता है। ऐसे में आप इस ड्रिंक को इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए भी पी सकते हैं।मेथी अजवाइन का पानी इम्यूनिटी बढ़ाने और ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने के साथ ही त्वचा के लिए भी फायदेमंद होता है। रोज इस ड्रिंक को पीने से रक्त साफ होता है। इसे पीने से कील-मुहांसे दूर होते हैं। झुर्रियों भी ठीक होती हैं।
- भारत में फूड हैबिट्स और भागदौड़ भरी जिंदगी के कारण लोग अपने कोलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल नहीं कर पाते। यहां खाने में तेल का ज्यादा इस्तेमाल होता है जिसकी वजह से मोटापे की समस्या आम हो गई है। इसे दिल की बीमारी और डायबिटीज तक का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में जरूरी है ही आप अपनी डाइट को सिंपल रखें और साथ ही एक खास सब्जी जरूर खाएं।चावल और दाल के साथ खाएं ये सब्जीकई रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है कि चावल और दाल (Rice and Pulse) के साथ सेम (Bean) खाने से कोलेस्ट्रॉल लेवल कंट्रोल हो जाता है और दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है।दाल से कम होगा कोलेस्ट्रॉल लेवलकनाडा के सेंट माइकल्स हॉस्पीटल के डॉक्टर सिवेनपाइपर ने कहा कि दिन में एक वक्त भोजन में दाल खाने से 5 फीसदी तक कोलेस्ट्रॉल कम होता है। भोजन में दाल को शामिल करना दिल के लिए फायदेमंद रहता है। इससे हार्ट डिजीज का खतरा 5 से 6 प्रतिशत तक कम होता है। चावल और दाल के साथ सेम (Bean) खाने से ये फायदा और ज्यादा बढ़ जाता है।हजार से ज्यादा लोगों पर रिसर्चदालों में ग्लाइसेमिक इंडेक्स यानी पाचन क्रिया के दौरान भोजन सामग्री का टूटने का स्तर अपेक्षाकृत कम होता है और इनमें एक्ट्रा प्रोटीन और कोलेस्ट्रॉल को घटाने की क्षमता होती है। डॉक्टर सिवेनपाइपर ने मेटा एनालिसिस समीक्षा टेस्ट के तहत 1,037 लोगों पर स्टडी की।महिलाओं को ज्यादा ध्यान देने की जरूरतरिसर्च में पता चला कि पुरुषों में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का स्तर महिलाओं की तुलना में कम होता है। इसका कारण महिलाओं का खानपान में उचित ध्यान न देना हो सकता है। ये स्टडी कैनेडियन मेडिकल एसोसिएशन की मैगजीन में प्रकाशित हुई थी।
- आपने अधिकतर लोगों के मुंह से सुना होगा कि व्हाइट ब्रेड नहीं खानी चाहिए. तो क्या आपने सोचा कि आखिर वह ऐसा क्यों कह रहे हैं? कई लोगों ने नाश्ते में व्हाइट ब्रेड को खाने से भी हटा दिया होगा, लेकिन आज भी कई लोग व्हाइट ब्रेड बड़े की चाव में सुबह के ब्रेकफास्ट में शामिल करते हैं. इसके पीछे कई वजह हैं. दरअसल, कई लोगों को आदत होती है क्योंकि वह लंबे समय से व्हाइट ब्रेड का ही सेवन कर रहे होते हैं. ऐसे में आपको आपको न चाहते हुए भी अपने ब्रेकाफास्ट से ब्रेड को हटाना पड़ेगा. क्योंकि इसके नुकसान सुनकर आप भी हैरान हो जाएंगे.लगातार व्हाइट ब्रेड खाने वाले हो जाएं सावधानमीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, व्हाइट ब्रेड को स्वास्थ्य विशेषज्ञ सेहत के लिहाज से नुकसानदायक समझते हैं. माना जाता है कि लगातार व्हाइट ब्रेड के सेवन की आपकी आदत कई तरह की समस्या बढ़ा सकती है.व्हाइट ब्रेड में होती है ज्यादा कार्बोहाइड्रेट की मात्रामाना जाता है कि ब्रेड को बनाने के लिए मैदे को प्रयोग किया जाता है ऐसे में इसका ज्यादा सेवन पेट की कई तरह की समस्याओं को बढ़ावा दे सकता है, जिसके चलते व्हाइट ब्रेड को पौष्टिकता के लिहाज से भी बेहतर नहीं माना जाता है. इसमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा भी अधिक होती है जिसका अधिक सेवन करने से शरीर पर कई तरह के हानिकारक प्रभाव हो सकते हैं.व्हाइट ब्रेड खाने के नुकसान- व्हाइट ब्रेड खाने से वजन भी बढ़ता है. यानी मोटापे से परेशान लोगों को कभी भी इसका सेवन नहीं करना चाहिए.- इसके अलावा शुगर लेवल भी इसको खाने से बढ़ सकता है. कोशिश करें कि शुगर के मरीज इसे कभी ना खाएं.- माना जाता है कि मानसिक स्थिति पर भी व्हाइट ब्रेड खाने का असर पड़ता है.
- स्वस्थ रहने के लिए डाइट में ड्राई फ्रूट्स जरूर शामिल करें. रोजाना मेवा खाने से दिल, दिमाग और शरीर फिट रहता है. ड्राई फ्रूट्स खाने से वजन कम होता है और इम्यूनिटी मजबूत होती है. आपको रोज 2-3 अखरोट जरूर खाने चाहिए. अखरोट दिमाग को तेज और एक्टिव बनाता है. अखरोट में काफी मात्रा में प्रोटीन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन फास्फोरस, कॉपर और सेलेनियम जैसे पोषक तत्व पाएं जाते हैं. अखरोट खाने से हार्ट हेल्दी और मजबूत बनता है. जानते हैं अखरोट खाने के फायदे.अखरोट खाने के फायदे1- अखरोट खाने से हार्ट संबंधी रोग दूर रहते हैं. अखरोट में एंटी-ऑक्सीडेंट और ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है, जिससे दिल की बीमारियों में फायदा होता है.2- दिमाग के लिए अखरोट बहुत फायदेमंद है. अखरोट खाने से टेंशन दूर होती है और नींद अच्छी आती है.3- अखरोट से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है और शरीर में एनर्जी बनी रहती है.4- अखरोट खाने से दिमाग की शक्ति बढ़ती है. इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व दिमाग को तेज करते हैं.5- कोलेस्ट्रॉल को कम करने में अखरोट बहुत मदद करता है. अखरोट खाने से शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है.6- इसमें ओमेगा 3 फैटी अल्फा लिनोलेनिक एसिड हमारे शरीर में खून का थक्का बनाता है. जिससे चोट लगने पर खून ज्यादा नहीं बहता.7- अखरोट डायबिटीज में भी फायदा करता है. टाइप 2 डायबिटीज ये काफी असरदार है. अखरोट रक्त वाहिकाओं को फैलाता है और मेटाबॉलिज्म सिंड्रोम को कम करता है.8- गर्भावस्था में अखरोट खाने से बच्चे को आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं.9- नियमित रूप से अखरोट खाने से हार्टअटैक की संभावना कम होती है और कैंसर का खतरा भी कम हो जाता है. अखरोट खाने से त्वचा चमकदार और बाल मजबूत होते हैं.10- अखरोट में बायोटिन और विटामिन 32 होता है, जिससे बाल झड़ने की समस्या कम हो जाती है.
- बालों को काला करने के लिए आजकल तरह-तरह प्रोडक्ट आ चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी कई लोग प्राकृतिक तरीकों से बालों को काला करना चाहते है. तो ऐसे लोगों के लिए हम तुलसी और आंवाला का प्राकृतिक उपाय लेकर आए हैं. इन दोनों के इस्तेमाल से आप प्राकृतिक तरीके से सफेद हो रहे बालों को काला कर सकते हैं. तो चलिए जानते हैं कि तुलसी और आंवला सफेद बालों को कैसे काला कर सकती है. बता दें कि तुलसी में कई गुण होते हैं, जो बालों की समस्या से निजात दिलाने में मददगार हैं. इसके एंटी-बैक्टीरियल गुण बालों में से डैंड्रफ को दूर करने में कारगर है.ऐसे करें तुलसी और आंवला का इस्तेमालमीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सफेद बाल को दोबारा काला बनाए रखने में भी तुलसी और आवंला काफी मददगार है. तुलसी को पीसकर आंवला पाउडर के साथ मिलाएं और रात भर थोड़े पानी में भिगोकर छोड़ दें. सुबह नहाते समय इस घोल से सिर धोएं. बालों को प्राकृतिक रूप से काला बनाएं रखने के लिए कुछ महीने तक इस नुस्खे का इस्तेमाल फायदेमंद हो सकता है.ऐसे बनाएं आंवले और तुलसी का पेस्टअगर आपके भी बाल सफेद होने लगे हैं तो आंवले और तुलसी के पत्ते को पीसकर पेस्ट बना लें. इसके बाद इस पेस्ट क एक कप पानी में घोलकर बालों की जड़ों में लगाएं और सूखने पर बालों को ताजे पानी से धो लें. इससे जल्दी ही आपको बाल काले होने लगेंगे.चमक लाने के लिए आंवला का इस्तेमालबालों में चमक लाने के लिए आप आंवला का इस्तेमाल कर सकते हैं. बालों में चमक लाने के लिए आंवला के जूस से अच्छी तरह से मसाज करें. इसके बाद एक घंटे के बाद बालों को ताजे पानी से धो लें. इससे बालों में नेचुरल ग्लो आएगा.c
- व्रत में ज्यादातर लोग साबूदाना खाते हैं। फिर इसका चाहे टिकिया, बड़ा, खीर हो या फिर खिचड़ी। साबूदाने का सेवन करने से शरीर को विटामिन और मिनरल मिलते हैं, पर इसमें कॉब्र्स की मात्रा ज्यादा होती है और प्रोटीन व फैट मौजूद नहीं होता जिसके चलते साबूदाने का सेवन करने के कुछ नुकसान भी हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि किन लोगों को साबूदाना का सेवन करने से बचना चाहिए।1. वजन कम करना चाहते हैं तो न करें साबूदाने का सेवनजो लोग वजन घटाना चाहते हैं, उनके लिए साबूदाने का सेवन अच्छा नहीं है। साबूदाने का सेवन करने से शरीर में स्टॉर्च के रूप में कैलोरीज बढ़ती हैं, इसमें फैट और प्रोटीन नहीं होता पर कॉब्र्स की अच्छी मात्रा होती है। जो लोग कॉब्र्स की मात्रा कम करना चाहते हैं उन्हें भी साबूदाने का सेवन नहीं करना चाहिए। साबूदाने में करीब 22 प्रतिशत कॉब्र्स होता है जो कि स्टॉर्च के फॉर्म में होता है इसलिए इसका सेवन नहीं करना चाहिए।2. डायबिटीज के मरीजों को नहीं करना चाहिए साबूदाने का सेवनडायबिटीज की समस्या से पीडि़त लोगों को भी साबूदाना का सेवन करने से बचना चाहिए। साबूदाने में ज्यादा ग्लाइसेमिक इंडेक्स नहीं होता पर अगर इसका सेवन रोजाना करें तो ये ब्लड शुगर लेवल बढ़ा देगा, डायबिटीज के मरीज हफ्ते में एक या दो बार इसका सेवन कर सकते हैं।3. लो बीपी की समस्या है तो अवॉइड करें साबूदानाजिन लोगों को लो-बीपी की समस्या है उन्हें साबूदाने का सेवन नहीं करना चाहिए। पथरी या कैंसर के केस में भी डॉक्टर ज्यादा साबूदाने का सेवन करने से मना करते हैं।4. दिल की बीमारी है तो साबूदाने का सेवन न करेंहार्ट के मरीजों को साबूदाने का का ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए। साबूदाने का सेवन करने से रक्तचाप की समस्या हो सकती है। साबूदाने में कई पोषक तत्व होते हैं पर इसमें प्रोटीन नहीं होता, प्रोटीन की कमी के चलते इसे रोजाना डाइट में शामिल नहीं किया जा सकता।.5. थायराइड है तो न करें साबूदाने का ज्यादा सेवनसाबूदाने को ज्यादा खाने से कई तरह की समस्याएं हो सकती है जिमें से एक है वेट गेन और वजन बढऩे के नुकसान कई बीमारियों के रूप में नजर आते हैं। वजन बढऩे के कारण थायराइड की समस्या हो सकती है और जिन लोगों को पहले से थायराइड है उन्हें भी साबूदाने का ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए। साबूदाने का ज्यादा सेवन करने से सांस लेने में परेशानी, सीने में दर्द, सिर में दर्द, थायराइड बढऩे की समस्या हो सकती है।साबूदाने का सेवन करने का सही तरीका-हमेशा पका हुआ साबूदाना ही खाना चाहिए, कच्चा साबूदाना खाने से पेट में दर्द, कब्ज की शिकायत हो सकती है।- बाजार से प्रोसेस्ड साबूदाना ही लेना चाहिए क्योंकि कच्चा साबूदाना शरीर के लिए टॉक्सिनल यानी जहरीला हो सकता है।-एक बार में एक कटोरी साबूदाने का ही सेवन करें, इसके साथ ही साबूदाने को हफ्ते में दो बार से ज्यादा न खाएं।-साबूदाने में विटामिन की अच्छी मात्रा होती है पर इसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए सीमित मात्रा में ही सेवन करना चाहिए। इन 5 तरह के लोगों को नहीं खाना चाहिए साबूदाना, हो सकती हैं कई परेशानियांव्रत में ज्यादातर लोग साबूदाना खाते हैं। फिर इसका चाहे टिकिया, बड़ा, खीर हो या फिर खिचड़ी। साबूदाने का सेवन करने से शरीर को विटामिन और मिनरल मिलते हैं, पर इसमें कॉब्र्स की मात्रा ज्यादा होती है और प्रोटीन व फैट मौजूद नहीं होता जिसके चलते साबूदाने का सेवन करने के कुछ नुकसान भी हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि किन लोगों को साबूदाना का सेवन करने से बचना चाहिए।1. वजन कम करना चाहते हैं तो न करें साबूदाने का सेवनजो लोग वजन घटाना चाहते हैं, उनके लिए साबूदाने का सेवन अच्छा नहीं है। साबूदाने का सेवन करने से शरीर में स्टॉर्च के रूप में कैलोरीज बढ़ती हैं, इसमें फैट और प्रोटीन नहीं होता पर कॉब्र्स की अच्छी मात्रा होती है। जो लोग कॉब्र्स की मात्रा कम करना चाहते हैं उन्हें भी साबूदाने का सेवन नहीं करना चाहिए। साबूदाने में करीब 22 प्रतिशत कॉब्र्स होता है जो कि स्टॉर्च के फॉर्म में होता है इसलिए इसका सेवन नहीं करना चाहिए।2. डायबिटीज के मरीजों को नहीं करना चाहिए साबूदाने का सेवनडायबिटीज की समस्या से पीडि़त लोगों को भी साबूदाना का सेवन करने से बचना चाहिए। साबूदाने में ज्यादा ग्लाइसेमिक इंडेक्स नहीं होता पर अगर इसका सेवन रोजाना करें तो ये ब्लड शुगर लेवल बढ़ा देगा, डायबिटीज के मरीज हफ्ते में एक या दो बार इसका सेवन कर सकते हैं।3. लो बीपी की समस्या है तो अवॉइड करें साबूदानाजिन लोगों को लो-बीपी की समस्या है उन्हें साबूदाने का सेवन नहीं करना चाहिए। पथरी या कैंसर के केस में भी डॉक्टर ज्यादा साबूदाने का सेवन करने से मना करते हैं।4. दिल की बीमारी है तो साबूदाने का सेवन न करेंहार्ट के मरीजों को साबूदाने का का ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए। साबूदाने का सेवन करने से रक्तचाप की समस्या हो सकती है। साबूदाने में कई पोषक तत्व होते हैं पर इसमें प्रोटीन नहीं होता, प्रोटीन की कमी के चलते इसे रोजाना डाइट में शामिल नहीं किया जा सकता।.5. थायराइड है तो न करें साबूदाने का ज्यादा सेवनसाबूदाने को ज्यादा खाने से कई तरह की समस्याएं हो सकती है जिमें से एक है वेट गेन और वजन बढऩे के नुकसान कई बीमारियों के रूप में नजर आते हैं। वजन बढऩे के कारण थायराइड की समस्या हो सकती है और जिन लोगों को पहले से थायराइड है उन्हें भी साबूदाने का ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए। साबूदाने का ज्यादा सेवन करने से सांस लेने में परेशानी, सीने में दर्द, सिर में दर्द, थायराइड बढऩे की समस्या हो सकती है।साबूदाने का सेवन करने का सही तरीका-हमेशा पका हुआ साबूदाना ही खाना चाहिए, कच्चा साबूदाना खाने से पेट में दर्द, कब्ज की शिकायत हो सकती है।- बाजार से प्रोसेस्ड साबूदाना ही लेना चाहिए क्योंकि कच्चा साबूदाना शरीर के लिए टॉक्सिनल यानी जहरीला हो सकता है।-एक बार में एक कटोरी साबूदाने का ही सेवन करें, इसके साथ ही साबूदाने को हफ्ते में दो बार से ज्यादा न खाएं।-साबूदाने में विटामिन की अच्छी मात्रा होती है पर इसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए सीमित मात्रा में ही सेवन करना चाहिए।
- सिर की मालिश तो हम सभी करते ही हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं पैरों के तलवों की मालिश करने से भी कई फायदे मिलते हैं। पैरों के तलवों की मालिश करने से शारीरिक और मानसिक रूप से लाभ मिलता है। इससे तनाव कम होता है, साथ ही नींद भी अच्छी आती है। तलवों की मालिश करने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है। इतना ही नहीं पैरों के तलवों की मालिश करने से त्वचा में भी निखार आता है। जानें तलवों की मालिश के फायदे-1. अनिद्रा की समस्या ठीक होती हैदिनभर की थकान के बाद रात को नींद मुश्किल से ही आती है। नींद न आने की समस्या को अनिद्रा कहा जाता है। अगर आप भी अनिद्रा से परेशान हैं, तो रोज रात को सोते समय अपने तलवों की मालिश जरूर करें। इससे आपकी थकान दूर होगी, तनाव कम होगा और बहुत अच्छी नींद आएगी। पैरों के तलवों की मालिश करने से शरीर को आराम मिलता है, मन शांत होता है।2. तनाव और चिंता दूर होती हैआजकल हर कोई किसी न किसी वजह से तनाव या चिंता में रहता है। लंबे समय तक तनाव में रहना डिप्रेशन का कारण बन सकता है। ऐसे में तनाव को दूर करने के लिए आप पैरों के तलवों की मालिश कर सकते हैं। तलवों की मालिश करने से तनाव दूर होता है, मानसिक सुकून मिलता है। तनाव और चिंता को दूर करने के लिए रात को पैरों के तलवों की मालिश जरूर करें।3. जोड़ों के दर्द में आरामपैरों के तलवों की मालिश करने से हमें मानसिक के साथ ही शारीरिक लाभ भी मिलते हैं। जी हां, रोजाना रात को सोते समय तलवों की मालिश करने से जोड़ों के दर्द में भी आराम मिलता है। इससे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है, नसों को आराम मिलता है और जोड़ों का दर्द कम होता है।4. ब्लड सर्कुलेशन बढ़ेगाआयुर्वेद में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने का सबसे अच्छा उपाय शरीर की मालिश करना है। हम सभी सिर, हाथ-पैरों की मालिश तो करते हैं, लेकिन तलवों को भूल जाते हैं। जबकि तलवों की मालिश करने से पूरे शरीर का ब्लड फ्लो बेहतर होता है। ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करने के लिए पैरों के तलवों की मालिश आपको जरूर करनी चाहिए।5.महिलाओं के लिए फायदेमंदपैरों के तलवों की मालिश हर किसी को करनी चाहिए। लेकिन महिलाओं को तलवों की मालिश करने से पीरियड्स के दर्द में आराम मिलता है। साथ ही इससे तनाव, थकान भी कम होता है। महिलाओं को अपनी तमाम समस्याओं से राहत पाने के लिए तलवों की मालिश जरूर करनी चाहिए।तलवों की मालिश के लिए तेलपैरों के तलवों की मालिश करने के लिए आपको सही तेल का चुनाव करना बहुत जरूरी है। आयुर्वेद में तिल के तेल ही अहम भूमिका है। इससे शरीर की मालिश करने से कई समस्याएं दूर होती हैं। लेकिन पैरों के तलवों की मालिश करने के लिए सरसों का तेल काफी फायदेमंद होता है। सरसों के तेल से तलवों की मालिश करने से कई समस्याएं दूर होती हैं। आप चाहें तो घी से भी रात को सोते समय अपने तलवों की मालिश कर सकते हैं। वैसे तलवों की मालिश करने के लिए तेल का चुनाव करने से पहले एक बार आयुर्वेदाचार्य की राय जरूर लें।
- गर्मियों में गन्ने का रस पीने से शरीर को ठंडक मिलती है। ये शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है और गर्मी के असर से बचाता है। इसके अलावा भी गन्ने का रस पीने के अनेक फायदे हैं, यहां जानिए इनके बारे में...1. लिवर के लिए वरदान : गन्ने के रस को लिवर के लिए वरदान माना जाता है। ये लिवर को डिटॉक्सीफाई करने के साथ मजबूत बनाता है। गन्ने के रस में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट लिवर को कई तरह के इंफेक्शन से बचाते हैं और बिलीरुबिन के स्तर को कंट्रोल रखते हैं। पीलिया रोग में गन्ने का जूस काफी फायदेमंद माना जाता है।2. हार्ट की सेहत के लिए अच्छा : गन्ने के जूस में पोटैशियम होता है। पोटैशियम को हार्ट की सेहत के लिए काफी अच्छा माना जाता है, लेकिन हार्ट के मरीजों को इसका सेवन बगैर नमक के करना चाहिए।3. पाचन तंत्र करता दुरुस्त : गन्ने के रस को पाचन तंत्र के लिए भी काफी अच्छा माना जाता है। ये पाचन क्रिया को दुरुस्त करता है और कब्ज, गैस, एसिडिटी जैसी समस्याओं में राहत देता है।4. स्किन प्रॉब्लम्स में देता राहत : गन्ने में मौजूद ग्लाइकोलिक एसिड को स्किन के लिए काफी अच्छा माना जाता है। इसका नियमित सेवन करने से स्किन पर चमक आती है, एजिंग साइन कम होते हैं और मुंहासों में राहत मिलती है।5. हड्डियों की मजबूती के लिए : गन्ने के रस में कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, आयरन और पोटैशियम जैसे कई पोषक तत्व होते हैं। ये हड्डियों की मजबूत में अहम भूमिका निभाते हैं। तमाम जानकारों का मानना है कि रोजाना एक गिलास गन्ने का रस पीने से ऑस्टियोपोरोसिस का रिस्क कम होता है.6. यूरिन इंफेक्शन रोके : तमाम लोगों को यूरिन इंफेक्शन जल्दी जल्दी हो जाता है, या फिर यूरिन के दौरान जलन या इरिटेशन महसूस होती है। गन्ने का रस ऐसी परेशानियों से बचाव करने में मददगार है। इसे पीने से यूटीआई इंफेक्शन का रिस्क घटता है।7. डायबिटीज और कैंसर का रिस्क घटाए : गन्ने के रस में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स फ्री रेडिकल्स को संतुलित करने का काम करते हैं, इससे कैंसर और डायबिटीज का रिस्क घटता है। गन्ने के रस में पाए जाने वाले फ्लेवोनॉइड और फेनॉलिक एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर के लिए काफी लाभकारी माने जाते हैं।
- महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस पवित्र दिन पर भक्त व्रत-उपवास करते हैं। भगवान भोलेनाथ की पूजा और अर्चना करते हैं। शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं। शास्त्रों के अनुसार इस दिन व्रत रखने का अपना अलग पुण्य मिलता है, लेकिन व्रत के दौरान कुछ चीजों का सेवन वर्जित माना गया है। आइये जानते हैं कि शिवरात्रि के दिन क्या खाएं और किन चीजों के सेवन से करें परहेज।फलों का सेवनव्रत में कई चीजे आप नहीं खा सकते हैं। ऐसे में व्रत में फलों का सेवन कर सकते हैं। यह सेहत के लिए फायदेमंद रहते हैं और व्रत में इन्हें खाया भी जा सकता है। शिवरात्रि के व्रत में आप केला, संतरा, सेब, लीची, अनार आदि फलों का सेवन कर सकते हैं।ठंडाई का सेवनव्रत में पेय पदार्थों का सेवन जरूर करना चाहिए। चाय पीने से बचे लेकिन दूध से बनी ठंडाई पी सकते हैं। इसमें कैल्शियम और प्रोटीन होता है, जो पेट के लिए भी लाभदायक है। सादा दूध न पीकर उसमें ड्राई फ्रूट्स, केसर, इलायची आदि वाला दूध पी सकते हैं। शिवरात्रि में पानी का भरपूर सेवन करें।सात्विक भोजनमहाशिवरात्रि के व्रत में सात्विक भोजन करना चाहिए। आलू, कद्दू, अरबी और लौकी जैसी सब्जियों का सेवन कर सकते हैं। सिंघाड़े या कुट्टू के आटे की पूड़ी खा सकते हैं।शिवरात्रि में क्या न खाएं?लहसुन- प्याज का सेवन न करेंआप महाशिवरात्रि का व्रत रहे या न रहें, लेकिन इस दिन लहसुन प्याज का सेवन न करें। पवित्र दिनों में लहसुन प्याज नहीं खाना चाहिए। इसलिए खाना बनाते समय लहसुन-प्याज न मिलाएं।सफेद नमक न खाएंसफेद नमक केमिकल बेस्ड होता है। इसे शुद्ध नहीं माना जाता है। इसलिए अगर व्रत रखें तो सफेद नमक का सेवन न करें। सफेद नमक की जगह आप सेंधा नमक का इस्तेमाल कर सकते हैं।तला भुना न खाएंव्रत में अधिक तला भुना खाने से बचना चाहिए। कई लोगों को तला भुना खाना ही पसंद होता है और वह व्रत में भी इसका सेवन करते हैं लेकिन उपवास में तला भुना खाने से पेट दर्द, गैस और अपच की समस्या हो जाती है। इसलिए इनका सेवन बेहद कम करना चाहिए।
- दही खाने के फायदे कई हैं। ये जहां विटामिन सी से भरपूर है वहीं, इसमें कैल्शियम भी है जो कि हड्डियों को स्वस्थ रखने में मदद करता है। दही को लोग कई तरह से खाते हैं। कुछ लोग इसे सुबह खाते हैं, तो कुछ लोग इसे शाम को खाते है या फिर रात के खाने में भी शामिल करते हैं। पर आज हम आपको लंच के बाद दही खाने के फायदे बताएंगे।1. अपच की समस्यादही एक प्रोबायोटिक फूड है जो कि हमारी आंतों में रहने वाले गुड बैक्टीरिया को बढ़ाता है। ये गुड बैक्टीरिया तेजी से खाना पचाने में मदद करते हैं। इसके अलावा दही में विटामिन बी 12 और लैक्टोबेसिल्स बैक्टीरिया भी होते हैं जो कि आंत बैक्टीरिया के विकास में मदद करते हैं, बदले में पाचन में सहायता करते हैं। ये सब मिल कर आपके दोपहर के भारी भोजन को आसानी से पचाने में मदद करते हैं और आपको हल्का महसूस करवाते हैं। जिससे आपको लंबे समय तक बैठ कर काम करने में परेशानी नहीं होगी।2. एसिडिटीबहुत से लोगों को दोपहर में खाने के बाद एसिडिटी की समस्या होती है। ऐसे में दही इस एसिडिटी को कम करता है। दरअसल, दही एक बेसिक नेचर वाला फूड है जो कि एसिडिटी से लडऩे में मदद करता है। दरअसल, खाने के बाद दही खाने से यह शरीर में एसिडिक पीएच को बेअसर करने में मदद करता है और पेट में प्रड्यूस हो रहे एसिड को कम करता है। इस तरह ये आपको एसिडिटी से निजात दिलाने में मदद करता है।3. मसालेदार खाने के नुकसान कम करता हैमसालेदार खाना खाने के नुकसान कई हैं और अगर आप दोपहर में ज्यादा मसालेदार खाना खा कर बैठे हैं, तो ये समस्या और बढ़ सकती है। ऐसे में दही का ठंडा गुण इन तमाम नुकसानों को शरीर में कम कर सकता है। साथ ही ये छाती में जलन की समस्या को भी कम करता है। इसलिए आपने देखा होगा कि बहुत ही जगहों पर लोग खाना खाने के बाद छाछ का सेवन करते हैं।4. कब्ज की समस्यादही में अच्छे बैक्टीरिया होते हैं जो पाचन तंत्र के काम काज तेज करने में मदद करते हैं। दही का प्रोबायोटिक गुण पेट के स्वास्थ्य में सुधार करता है और कब्ज को रोकता है। दरअसल, प्रोबायोटिक होने के कारण ये गुड बैक्टीरिया के काम काज को बेहतर बनाता है और यही बैक्टीरिया शॉर्ट-चेन फैटी एसिड और लैक्टिक एसिड का उत्पादन करते हैं जो बाउल मूवमेंट में सुधार कर सकते हैं। इस तरह ये खाना तेजी से पचाने में मदद करता है और पेट साफ करके कब्ज की समस्या से छुटकारा दिलाता है।5. स्ट्रेस और एंग्याटीदही का मस्तिष्क के कुछ अलग ही तरीके से काम करता है। ये सकारात्मक प्रभाव डालता है और आपके तनाव और चिंता के स्तर को कम करता है जो कि आज कल के समय में बेहद जरूरी है। ये मूड लिफ्टर है जो मूड फ्रेश करता है और खाने के बाद काम को फिर से फ्रेश तरीके से शुरू करने में मदद करता है।इन सबके अलावा दही में मौजूद पानी की महत्वपूर्ण मात्रा आपको लंबे समय तक अच्छी तरह से हाइड्रेट रखती है। इससे आपको दोपहर के खाने के बाद अपच की समस्या नहीं होती। इन तमाम फायदे के लिए दोपहर के खाने के बाद दही जरूर खाना चाहिए।
- स्किन और बालों के लिए व्हीट ग्रास या गेहूं की पत्तियां या फिर आम बोलचाल की भाषा में कहें ज्वार की पत्तियां... इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है, जानें स्किन और बालों के लिए इसके फायदे और इस्तेमाल का तरीका।स्किन और बालों को हेल्दी और खूबसूरत बनाने के लिए व्हीटग्रास या अंकुरित गेहूं की पत्तियों का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। हालांकि इसको पचाना बहुत मुश्किल होता है लेकिन अगर आप व्हीटग्रास का इस्तेमाल स्किन और बालों पर करते हैं तो इसके अनेक फायदे देखने को मिलेंगे। 'टॉक्सिकोलॉजी एंड इंडस्ट्रियल हेल्थ' जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार व्हीटग्रास सेहत से जुड़ी कई समस्याओं को दूर करने में फायदेमंद होता है। व्हीटग्रास या गेहूं की पत्तियों में कैल्शियम, फाइटोन्यूट्रिएंट्स, एमिनो एसिड, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन ए, सी, ई, के और बी कॉम्प्लेक्स और प्रोटीन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो सेहत के लिए बहुत उपयोगी होते हैं। स्किन पर मौजूद दाग-धब्बे, मुहांसे की समस्या और बालों से जुड़ी तमाम समस्याओं में व्हीटग्रास या गेहूं की पत्तियां बहुत फायदेमंद होती हैं।1. स्किन के टैन को दूर करने के लिए व्हीट ग्रास या गेहूं की पत्तियां बहुत फायदेमंद होती हैं। आप इसके पाउडर को पानी में मिलाकर लेप बनाएं और स्किन पर लेप के रूप में इसे लगाएं। लगाने के बाद 10 से 15 मिनट तक इसे स्किन पर लगा रहने दें उसके बाद चेहरे को पानी से धो लें। हफ्ते में एक से दो बार ऐसा करने से स्किन से टैन की समस्या दूर होती है।2. मुहांसों को दूर करने के लिए व्हीट ग्रास को पीसकर इसका पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को स्किन पर लगाएं और 10 मिनट बाद पानी से स्किन धो लें।3. स्किन पर मौजूद घावों को दूर करने के लिए व्हीट ग्रास के पेस्ट को स्किन पर प्रभावित जगह पर लगाएं और कुछ देर बाद इसे हल्के गुनगुने पानी से धो लें। ऐसा करने से स्किन से घाव की समस्या में फायदा मिलेगा।4. स्किन को डिटॉक्स करने के लिए व्हीट ग्रास का सेवन बहुत फायदेमंद माना जाता है। आप रोजाना इसके पेय का इस्तेमाल स्किन से जुड़ी समस्याओं के लिए कर सकते हैं। व्हीट ग्रास ड्रिंक को पीने से पहले आपको एक्सपर्ट की सलाह जरूर लेनी चाहिए।बालों के लिए व्हीट ग्रास का इस्तेमालबालों के लिए भी व्हीट ग्रास का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद माना जाता है। व्हीट ग्रास में एंटी ऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं जिसका इस्तेमाल सफेद बालों की समस्या में बहुत उपयोगी माना जाता है। इसके अलावा व्हीट ग्रास में मौजूद विटामिन और अन्य पोषक तत्व बालों को मजबूत करने के लिए उपयोगी माने जाते हैं। बालों में रुसी की समस्या को दूर करने के लिए व्हीट ग्रास का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद माना जाता है। आप व्हीट ग्रास या गेहूं का लेप सीधे बालों पर लगाकर थोड़ी देर के लिए लगाकर रखें उसके बाद सूख जाने के बाद हल्के गुनगुने पानी से धुल लें।
- बाग फूल के नाम से जाने जाने वाली भारंगी सेहत के लिए बेहद उपयोगी है। इसे ग्लोरी बोवल के रूप में भी जाना जाता है। इसकी जड़ें, पत्ते और छाल कफ और वात दोष को शांत करने के लिए बेहद उपयोगी है। भूख बढ़ाने हो या कफ को दूर करना हो, बुखार को कम करना हो या सूजन को कम करना है, भारंगी बेहद उपयोगी है। बता दें कि इसके अंदर एंटी इन्फ्लेमेटरी, एंटी टॉक्सिक, एंटीसेप्टिक ऐपेटाइजर, एस्ट्रीनजेंट आदि पाया जाता है जो शरीर को कई समस्याओं से दूर रख सकता है।आज जानते हैं भारंगी के फायदों के बारे में .....1 - सिर दर्द को दूर करें भारंगीजो लोग सिरदर्द की समस्या से परेशान रहते हैं या जिन लोगों को माइग्रेन रहता है , वे भारंगी की जड़ से बने पाउडर को पानी में मिलाकर उसका पेस्ट बनाएं और उसे अपने माथे पर लगाएं। ऐसा करने से सिर दर्द की समस्या दूर हो जाती है।2 - बुखार से लड़े भारंगीभारंगी के अंदर एंटीपायरेटिक गुण मौजूद होते हैं जो सर्दियों में होने वाले बुखार को दूर करने के साथ-साथ सर्दी, जुकाम से भी लडऩे में मदद करते हैं। यह गंभीर बुखार जैसे मलेरिया आदि को भी दूर रखते हैं। यह शरीर के तापमान को नियंत्रित करने और शरीर में ठंडक पहुंचाने का काम करते हैं।3 - फोड़े और घाव कुमारी भारंगीघाव को भरने में भी भारंगी बेहद उपयोगी है। यह एंटीसेप्टिक गुणों से भी भरपूर है। इसके उपयोग के तौर पर आपको भारंगी के पत्तों का पेस्ट बनाना होगा और उसे घाव पर लगाना होगा ऐसा करने से घाव जल्दी भरता है।4 - त्वचा के लिए भारंगीभारंगी के पत्तों से बना पेस्ट और जड़ चेहरे की कई समस्याओं को दूर करने में बेहद उपयोगी है। पर इसे त्वचा पर लगाने से पहले एक बार टेस्ट अवश्य कर लें।5 - जोड़ों के दर्द के लिए भारंगीयदि कोई व्यक्ति अर्थराइटिस, सूजन, दर्द, गाउट आदि से परेशान है तो इस समस्या से लडऩे में भारंगी की मदद ली जा सकती है। वहीं अगर किसी व्यक्ति को जोड़ों को हिलाने में कठिनाई महसूस होती है या जोड़ों में सूजन है तो वे भारंगी के उपयोग से इस समस्या को दूर कर सकते हैं।6 - सांस से संबंधित परेशानी के लिए भारंगीसांस से संबंधित परेशानी जैसे अस्थमा, राइनाइटिस, सर्दी, जुकाम आदि को दूर करने में भी भारंगी बेहद उपयोगी है।भारंगी के नुकसानबता दें कि किसी भी चीज की अति सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है ऐसा ही भारंगी के साथ भी है। अगर इसका सेवन सीमित मात्रा से बाहर किया जाए तो यह शरीर में कई प्रकार की एलर्जी को पैदा कर सकती है। हालांकि अभी तक इस तरह के कोई मामले सामने नहीं आए हैं। फिर भी इसके सेवन करने से पहले एक बार एक्सपर्ट से इसकी सीमित मात्रा का ज्ञान लेना जरूरी होता है।
- कब्ज की समस्या हम में से ज्यादातर लोगों को हो जाती है इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे फाइबर का कम सेवन, पानी न पीना, तला-भुना खाना आदि। कब्ज की समस्या से छुटकारा पाने के लिए आप घर के बने चूर्ण का सेवन भी कर सकते हैं। आज हम अदरक से बने चूर्ण के लाभ और उसे बनाने की विधि बताने जा रहे हैं।अदरक की मदद से इंटेस्टाइन पर पड़ रहा प्रेशर कम होता है और कब्ज की समस्या से राहत मिलती है। अदरक में जिजिंरोल नामक तत्व पाया जाता है जो एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लामेटरी और एंटी-ट्यूमर गुणों से भरपूर होता है, अदरक का सेवन करने से जी मिचलाना, फ्लू, कोल्ड, बोन्स की समस्या, हार्ट हेल्थ, कैंसर आदि समस्याएं भी नहीं होती। अपच की समस्या या कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए अदरक एक फायदेमंद हर्ब मानी जाती है। अदरक से बॉडी को हीट मिलती है और डाइजेशन बेहतर होता है।अदरक के चूर्ण के फायदेअदरक के चूर्ण का सेवन करने से कब्ज की समस्या, पेट दर्द या अपच की समस्या दूर होती है। अदरक के चूर्ण का सेवन करने से सर्दी-खांसी की समस्या भी दूर होती है। हार्ट डिसीज, डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए ये चूर्ण फायदेमंद माना जाता है। हार्ट की समस्या होने या फिर शरीर में दर्द होने पर भी इस चूर्ण का इस्तेमाल किया जा सकता है।अदरक का चूर्ण कैसे बनाएंं?सामग्री: अदरक, काला नमक, काली मिर्च पाउडर, सेंधा नमक, नींबू का रसविधि: अदरक को अच्छी तरह से धोकर छिल लें। अब आप अदरक को लंबे टुकड़ों में काट लें। आपको अदरक पर नींबू का रस डालना है। अब अदरक को एक बाउल में डालें। उस बाउल में काली मिर्च पाउडर, काला नमक, सेंधा नमक , जीरा पाउडल आदि चीजों को मिला दें। इस मिश्रण को धूप में सुखाएं और उसे किसी साफ बाउल में निकालकर स्टोर कर लें। इस मिश्रण को रोज कुछ देर के लिए धूप में सुखाना है ताकि यह अच्छी तरह से सूख जाए और फिर इसे कंटेनर में रख लें।चूर्ण को कब तक स्टोर कर सकते हैं?आप इस चूर्ण को एक माह तक इस्तेमाल कर सकते हैं पर इसे ड्राय ही रखें, अगर इसमें एयर जाएगी या ये पानी के संपर्क में आएगा तो खराब हो जाएगा। आपको चूर्ण को साफ और एयरटाइट कंटेनर में स्टोर करना है। अगर आपको इस चूर्ण का सेवन करने से जलन, एलर्जी या अन्य समस्या होती है तो आप इसका सेवन न करें।चूर्ण लेने के साथ इन बातों का ध्यान रखेंकब्ज की समस्या के दौरान फाइबर से युक्त चीजों का सेवन करें। डिहाइड्रेशन की समस्या के कारण भी कब्ज की समस्या हो सकती है इसलिए रोजाना 2 से 3 लीटर पानी का सेवन करें।
- आंखें आपकी सेहत का राज बयां कर सकती है। माना जाता है कि आंखें दिलों का हाल बयां करती हैं, लेकिन दिलों का हाल बयां करने के साथ ही ये आपकी सेहत का हाल भी बयां कर सकती है। यही वजह है किसी भी बीमारी का कारण पता लगाते समय डॉक्टर सबसे पहले आंखें देखते हैं। एक्सपट्र्स मानते हैं कि अगर आपको अपनी आंखों में कोई भी बदलाव नजर आए तो तुरंत डॉक्टर्स को दिखाना चाहिए। अगर आपको देखने में दिक्कत, जलन या दर्द किसी बड़ी बीमारी का संकेत तो इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए।आंखों में अगर आता है पानी तो...आंखों में बहुत ज्यादा पानी आते वक्त अगर आपकी आंखों में काले या भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। क्योंकि यह किसी परेशानी की निशानी है। यानी आपको किसी भी कंडीशन में आंखों से संबंधित परेशानी हल्के में नहीं लेनी है।धुंधला दिखाई देने पर न लें हल्के मेंइसके अलावा अगर आपको धुंधला दिखाई देता है तो भी आपको हल्के में नहीं लेना चाहिए। बता दें कि कई कारणों के चलते लोगों को धुंधला दिखाई दे सकता है। अगर आपको उजाले या फिर अंधेरे में धुंधला दिखाई देता है तो आपको इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए।आंखों में सूखापन होने परआंखों में सूखापन महसूस हो तो भी आप बिल्कुल हल्के में न लें। क्योंकि आंखों में सूखापन आने के कई कारण हो सकते हैं। जैसे देर रात तक बैठकर कंप्यूटर स्क्रीन पर काम करना, फोन का इस्तेमाल अधिक करना. ऐसे में तुरंत डॉक्टर्स से संपर्क करें।आंखों में सूजन होने परआंखों में सूजन और डार्क सर्कल्स होने पर भी हल्के में न लें. इसके कई कारण हो सकते हैं। माना जाता है कि कई वजह से आंखों में सूजन और डार्क सर्कल्स की समस्या होती है। इन कारणों के पहचान अगर आप नहीं कर पा रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर्स को दिखाएं।
- छत्तीसगढ़ में भी अब किसान रंगबिरंगी गोभी उगा रहे हैं। इससे उनकी आमदनी भी बढ़ी है। लोग चाव से इन रंगबिरंगी गोभियों का मजा ले रहे हैं। आज हम बात करेंगे लाल पत्ता या बैगनी गोभी की जिसे लाल करौत के नाम से भी जाना जाता है, यह ब्रैसिसेकी परिवार का एक सदस्य है और पूरे उत्तरी यूरोप, अमेरिका और चीन के कुछ हिस्सों में पाया जा सकता है।दिलचस्प रूप से पर्याप्त है, लाल गोभी का उपयोग अक्सर पीएच संकेतक के रूप में किया जाता है, क्योंकि यह रंग को विशेष रूप से उस सामग्री के पीएच संतुलन पर निर्भर करता है, जिसमें गोभी का रंग वास्तव में बढ़ता है, यह मिट्टी के पीएच संतुलन पर निर्भर करता है। यह पारंपरिक गोभी की तुलना में बहुत बेहतर है, जिसका अर्थ है कि इसे पिछले सर्दियों में सेवन करने या लेने की आवश्यकता नहीं है। इसका उपयोग अक्सर सलाद में किया जाता है, लेकिन इसे कुछ मांस के व्यंजनों में साइड डिश के रूप में पकाया और परोसा भी जा सकता है। इसके अलावा, यह भारत में भी अधिक प्रसिद्ध होता जा रहा है।लाल पत्ता गोभी के पौष्टिक तत्वइसमें मुख्य रूप से फाइटोकेमिकल्स, एंटीऑक्सिडेंट, पोषक तत्व, विटामिन और खनिजों का खजाना है। इन आवश्यक घटकों में थायमिन, राइबोफ्लेविन, फोलेट, कैल्शियम, मैंगनीज, मैग्नीशियम, लोहा, और पोटेशियम, साथ ही विटामिन सी, विटामिन ए, विटामिन ई, विटामिन के, आहार फाइबर, और बी विटामिन शामिल हैं। इसके अलावा कार्बनिक यौगिकों की सूची में लगभग लाल पत्ता गोभी बहुत अधिक होता हैं, लेकिन एंथोसायनिन और इंडोल जैसे इसके एंटीऑक्सिडेंट मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होता है।लाल पत्ता गोभी के फायदे क्या हैरोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में :- लाल गोभी विटामिन का खजाना है, लेकिन कोई भी विटामिन सी के रूप में महत्वपूर्ण नहीं है। एस्कॉर्बिक एसिड एक महत्वपूर्ण एंटीऑक्सिडेंट है और हमारे प्रतिरक्षा प्रणाली का एक विशाल तत्व है। यह श्वेत रक्त कोशिकाओं की गतिविधि को उत्तेजित करता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए रक्षा की पहली पंक्ति बनाता है। इसके अलावा, कोलेजन के निर्माण में विटामिन सी महत्वपूर्ण है। जो हमारे शरीर और कोशिकाओं को जुड़ा और ठोस रखता है।कैंसर से बचाव :- लाल गोभी में एंथोसायनिन और इंडोल सहित एंटीऑक्सिडेंट का उच्च स्तर, एक निवारक उपाय के रूप में बेहद महत्वपूर्ण है। यह वास्तव में बैंगनी रंग का होता है, क्योंकि इनमें से कुछ फाइटोकेमिकल्स आमतौर पर इस रंग में दिखाई देते हैं। राष्ट्रीय कैंसर संस्थान के अनुसार, लाल गोभी जैसी क्रूस सब्जियों में महिलाओं में स्तन कैंसर को कम करने के लिए जुड़ा हुआ है।वजन कम करने के लिए :- लाल गोभी कैलोरी में बहुत कम है, लेकिन आहार फाइबर में उच्च और महत्वपूर्ण विटामिन और खनिजों का खजाना है। यह आपके दैनिक आहार के लिए एक बढिय़ा अतिरिक्त हो सकता है यदि आप अपना वजन कम करने का प्रयास कर रहे है।हड्डिया मजबूत करने के लिए :- लाल गोभी में कैल्शियम, मैग्नीशियम, मैंगनीज व अन्य महत्वपूर्ण खनिजों से भरपूर होती है। जो हड्डियों के विकास और खनिज घनत्व में योगदान करती हैं। जो मनुष्य को ऑस्टियोपोरोसिस, गठिया और विभिन्न अन्य प्रकार की सूजन से बचाता है।आंखो को स्वस्थ रखने में :- विटामिन ए का उच्च स्तर न केवल आपकी त्वचा के लिए अच्छा है, बल्कि आपकी आंखों के लिए भी अच्छा है। विटामिन ए आंखों की रोशनी को स्वस्थ रखने में मदद करता है और मैक्यूलर डिजनरेशन और मोतियाबिंद को रोकता है। इसे बीटा-कैरोटीन में भी परिवर्तित किया जा सकता है, जो आपकी उम्र के अनुसार आँखों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।अल्जाइमर रोग का इलाज करे :- कुछ शोध के अध्ययन के अनुसार लाल गोभी में प्रचुर मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट और एंटीकोलिनेस्टरेज़ गुण होते है। जो अल्जाइमर रोग को रोकने में मदद कर सकता है। लाल गोभी की पूरी क्षमता का आकलन करने के लिए आगे के अध्ययन की आवश्यकता है।लाल पत्ता गोभी के खाने से कोई अधिक नुकसान देखने को नहीं मिलते हंै। किंतु अधिक मात्रा में खाने से पेट दर्द की समस्या हो सकती है। जिन लोगो को लाल पत्ता गोभी से एलर्जी है। उनको इसके सेवन से परहेज करना चाहिए।
- स्किन और बालों को प्राकृतिक रूप से निखारने के साथ ही सेहत के लिए भी कई तरह से फायदेमंद है चंदन। इन दिनों कई परफ्यूम और रूम फ्रेशनर्स में भी चंदन के तेल का इस्तेमाल होता है. पारंपरिक और आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने में इसका इस्तेमाल सदियों से हो रहा है। कई रिसर्च में भी यह बात सामने आयी है कि चंदन का तेल सेहत से जुड़ी कई समस्याएं दूर कर सकता है।चंदन के तेल के फायदेअमेरिकी हेल्थ वेबसाइट हेल्थलाइन डॉट कॉम में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक ट्रेडिशनल चाइनीज मेडिसिन के साथ ही भारत में भी आयुर्वेदिक दवाइयों में चंदन के तेल का इस्तेमाल विभिन्न बीमारियों के इलाज में किया जाता है, जैसे- सर्दी-जुकाम, पाचन से जुड़ी दिक्कतें, मानसिक बीमारियां, मांसपेशियों से जुड़ी दिक्कतें, लीवर और गॉल ब्लैडर से जुड़ी समस्याएं।1 चिंता और बेचैनी दूर करता है चंदन का तेलकोरोना वायरस महामारी की वजह से इन दिनों लोगों में चिंता और बेचैनी की समस्या ज्यादा देखने को मिल रही है। कॉम्प्लिमेंटरी थेरेपीज इन क्लीनिकल प्रैक्टिस की एक रिसर्च रिपोर्ट की मानें तो चंदन के तेल से मसाज किया जाए इस समस्या से राहत मिल सकती है। साथ ही यह तनाव को भी कम कर सकता है।2. घाव भरने में मददगारजर्मनी की एक यूनिवर्सिटी की रिसर्च रिपोर्ट की मानें तो अगर स्किन पर चोट लग जाए या किसी तरह का घाव हो जाए तो उसे भी जल्दी भरने और ठीक होने में मदद कर सकता है चंदन का तेल। इसका कारण ये है कि यह तेल स्किन सेल के ग्रोथ को बढ़ावा देता है।3. स्किन कैंसर से बचाने में मददगारआर्काइव्स ऑफ बायोकेमिस्ट्री एंड बायोफिजिक्स की एक स्टडी की मानें तो चंदन का तेल स्किन कैंसर से लडऩे में भी मदद कर सकता है। चंदन का तेल कैंसरकारी कोशिकाओं को मारने में मदद करता है।4. मुंहासों से बचाता है चंदन का तेलअपने एंटी-इंफ्लेमेंट्री गुणों के कारण मुंहासों की समस्या दूर करने में भी मदद करता है चंदन का तेल। यह स्किन को अंदर से साफ करता है जिससे कील-मुंहासे और पिंपल्स की समस्या नहीं होती।घर पर कैसे करें चंदन के तेल का इस्तेमाल?आप चंदन का तेल इन 5 तरीकों से इस्तेमाल कर सकते हैं:-स्किन पर सीधे लगा लें चंदन का तेल।-अपने लोशन में तेल की कुछ बूंदें मिलाकर यूज करें।-एक केतली पानी में चंदन के तेल की कुछ बूंदें डालें और उसे गर्म करें. ऐसा करने से पूरे घर में इसकी खुशबू फैल जाएगी।-Oil Infuser की मदद से भी इस तेल की खुशबू को घर के कोने-कोने तक पहुंचाया जा सकता है।-चंदन के तेल को अपने नहाने के पानी में मिलाएं?
- सुबह खाली पेट हम जो खाते या पीते हैं, उसका असर सीधा हमारी स्किन, बॉडी और शरीर के अन्य अंगों पर दिखायी पड़ता है। इसीलिए, आयुर्वेद में सुबह खाली पेट ऐसी चीज़ें ग्रहण करने की सलाह दी गयी है जिनसे शरीर को लाभ हो। कई लोग अपनी आदत और ज़रूरत के अनुसार सुबह गर्म पानी, शहद-नींबू पानी और अजवायन जैसी चीज़ों का सेवन करत हैं। इसी तरह खाली पेट गुड़ और गुनगुना पानी पीने से भी कई हेल्थ प्रॉब्लम्स ठीक होती हैं। आइए जानते हैं सुबह गुनगुना पानी और गुड़ पीने से सेहत को कौन-से फायदे होते हैं?वेट लॉसबढ़ते वजऩ को कंट्रोल करने के लिए सुबह गुनगुने पानी के साथ गुड़ का सेवन बहुत लाभकारी है। दरअसल, गुण में विटामिन बी1, विटामिन बी6, विटामिन सी के अलावा मैग्नीशियम, आयरन और पोटैशियम जैसे तत्व होते हैं। ये सभी तत्व शरीर का पोषण करते हैं और दिनभर एक्टिव रहने के लिए एनर्जी भी देते हैं। साथ ही गुड़ और पानी फैट बर्निंग में भी सहायता करते हैं। इससे बेली फैट कम होता है।डायजेस्टिव सिस्टम होता है बूस्टकमज़ोर पाचन की वजह से लोगों को पेट से जुड़ी कई समस्याएं होने लगती हैं। पेट में अपच, कॉन्स्टिपेशन गैस और एसिडिटी जैसी समस्याएं खराब खान-पान और लाइफस्टाइल की वजह से बहुत अधिक बढ़ गयी हैं। इनसे राहत पाने के लिए आप सुबह खाली पेट थोड़ा-सा गुड़ खाएं और गुनगुना पानी पीएं। इससे, आपका पाचम तंत्र सुधरेगा और आपको इन समस्याओं से आराम भी मिलेगा।ओरल हेल्थ में होता है सुधारजिन लोगों को मसूड़ों में अक्सर दर्द और सूजन की शिकायत होती है उन्हे गुड़ खाना चाहिए। इससे, मुंह में छुपे बैक्टेरिया कम होते हैं और दांतों की सडऩ, सांसों से आने वाली बदबू और मसूड़ों से जुड़ी कई समस्याएं कम होती हैं।नींद न आने की परेशानी होगी कमकई लोगों को रात में ठीक से सोने में बहुत अधिक परेशानी होती है। ये लोग पूरी रात बेचैन रहते हैं और ठीक से सो नहीं पाते। ऐसे लोगों को सुबह गुड़ और गुनगुना पानी पीना चाहिए। इससे आपका तनाव कम होगा और आप ठीक तरीके से सो भी पाएंगे।
- रोजाना योग करने के कई फायदे हैं. योग के कई प्रकार हैं जो अलग-अलग तरीके से शरीर को मजबूती देते हुए व्यक्ति को स्वस्थ रहने में मदद करते हैं. एक योग का तरीका ऐसा भी है जो आपके दिमाग को दुरुस्त तो करता ही है, साथ ही शरीर के एनर्जी लेवल को बढ़ाने में भी मदद करता है. अगर आप इस योग को रोजाना करीब आधे घंटे तक करेंगे तो इसके फायदे आप खुद महसूस कर सकेंगे.इस तरह काम करता है ये योगमहज आधे घंटे के लिए माइंडफुलनेस मेडिटेशन के साथ रोजाना हठ योग आसन, प्राणायाम और ध्यान का एक संयोजन करने से मस्तिष्क तंत्र के क्रियान्वयन व ऊर्जा स्तर में काफी सुधार हो सकता है.हठ योग क्यों है फायदेमंदएक सर्वे में पता चला है कि नियमित तौर पर हठ योग और माइंडफुलनेस मेडिटेशन (ध्यान की एक स्थिति) मस्तिष्क तंत्र के क्रियान्वयन, लक्ष्य-निर्देशित व्यवहार से जुड़ी आपकी प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करने की क्षमताओं, स्वाभाविक सोच की प्रक्रिया और क्रिया को बढ़ावा दे सकता है.योग से सूजन संबंधी बीमारियों का खतरा कमरिसर्च में सामने आया कि हठ योग और माइंडफुलनेस मेडिटेशन दोनों ही ध्यान सत्र के बाद कुछ सकारात्मक प्रभाव देते हैं जिससे लोग जो रोजमर्रा की जिंदगी में करना चाहते हैं उस पर अधिक आसानी से ध्यान केंद्रित कर पाते हैं.पश्चिमी देशों में मशहूर है हठ योगहठ योग पश्चिमी देशों में प्रचलित योगों की सबसे आम शैलियों में से एक है, जिसमें ध्यान को शारीरिक आसनों और सांस लेने के व्यायाम से जोड़ा जाता है. माइंडफुलनेस मेडिटेशन में विचारों, भावनाओं और शरीर की उत्तेजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया जाता है. माइंडफुलनेस मेडिटेशन और हठ योग दोनों ऊर्जा स्तर में सुधार के लिए प्रभावी पाए गए हैं, लेकिन सिर्फ ध्यान करने की तुलना में हठ योग व ध्यान दोनों एक साथ में काफी अधिक शक्तिशाली प्रभाव देते हैं.
- सेहतमंद जिंदगी के लिए हड्डियों को मजबूत बनाए रखना सबसे ज्यादा अहम है. सर्द मौसम में दिल्ली जैसे महानगर में प्रदूषण के कारण लोगों तक सूर्य की किरणों से मिलने वाले प्राकृतिक विटामिन-डी कम ही पहुंच पाती है. ऐसे में लोगों के शरीर में विटामिन-डी की कमी होना लाजमी है.विटामिन-डी पाने के लिए सेकें धूपदिन में धूप सेंकने के उचित समय और विटामिन-डी के पर्याप्त स्तर को बनाए रखने को लेकर कई रिसर्च किए गए हैं. आमतौर पर कहा जाता है कि शरीर का 20 फीसदी हिस्सा यानी बिना ढका हाथ और पैरों से प्रतिदिन 15 मिनट धूप का सेवन करने से विटामिन-डी अच्छी मात्रा में लिया जा सकता है.धूप सेंकने से लिए सबसे अच्छा वक्त क्या है?अब अगला सवाल ये उठता है कि दिन का कौन सा पहर सूर्य की रोशनी के संपर्क में आने का सबसे उपयुक्त होता है. आम धारणा के अनुसार, सुबह का धूप और देर शाम का धूप सेवन के लिए फायदेमंद रहता है, जबकि सच्चाई यह है कि सुबह 10 से दोपहर 3 बजे के बीच के दौरान धूप का सेवन मानव शरीर की त्वचा को विटामिन-डी प्रदान करता है. हालांकि धूप के सेवन के दौरान त्वचा पर सन-ब्लॉक क्रीम या लोशन नहीं लगे होने चाहिए.महिलाओं के लिए फायदेमंद है धूपदिल्ली जैसे शहर, जहां प्रदूषण के कारण लोगों तक धूप नहीं पहुंच पाती है, वहां लोग दुग्ध उत्पादों व आहार के जरिए विटामिन डी का सेवन कर सकते हैं. महिलाओं में खास तौर से प्री-मेनोपॉजल और पोस्ट-मेनोपॉजल की श्रेणी की महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस और ऑस्टियोमलेशिया होने की संभावना होती है. वहीं खुद को पूरी तरह से ढकने वाली महिलाओं व सनक्रीम लगाने वाली महिलाओं में भी विटामिन-डी की मात्रा काफी कम होती है, क्योंकि उनकी त्वचा के अंदर धूप प्रवेश नहीं कर पाता है. वहीं बच्चों में विटामिन डी की कमी से रिकेट्स की समस्या होने लगती है.बच्चों को बीमारियों से बचाएंबच्चों को शुरुआत में ही पर्याप्त आहार के साथ-साथ अच्छी धूप का सेवन कराना आवश्यक होता है. बच्चों को खासकर उन बच्चों को जिन्होंने मां का दूध पीना छोड़ दिया है, उन्हें विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन कराना आवश्यक है. वहीं सर्दियों में हड्डियों को स्वस्थ रखने में अच्छी मात्रा में कसरत करने से भी फायदा मिलता है. कसरत से हड्डियों का घनत्व बना रहता है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याओं से बचा जा सकता है.
- डॉक्टर्स और हेल्थ एक्सपर्ट्स अक्सर इस बात पर जो देते हैं कि सुबह-शाम पैदल चलने से हमारी बॉडी को काफी फायदा मिलता है, लेकिन क्या आपने पीछे की तरफ चलने के बारे में सोचा है. कई लोग मस्ती मजाक में रिवर्स वॉकिंग करते हैं, पर आप इस तरह अपने शरीर को लाभ भी पहुंचा सकते हैं.रिवर्स वॉकिंग के जबरदस्त फायदेएक्सपर्ट्स का मानना है कि रिवर्स वॉकिंग या बैकस्टेप वॉकिंग हमारे दिल, दिमाग और मेटाबॉलिज्म के लिए बेहद लाभदायक होती है, ये नॉर्मल वॉकिंग की तुलना में कहीं ज्यादा तेजी से कैलोरी घटाती है.'10 गुणा ज्यादा फायदेमंद है उलटा चलना'मशहूर राइटर और हेल्थ एक्सपर्ट लोरी शेमेक की मानें तो 100 कदम रिवर्स वॉकिंग नॉर्मल वॉर्किंग के 1000 कदम के बराबर है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि उलटा चलने से इंसानी दिल ज्यादा तेजी से पंप होता और शरीर के दूसरे अंगों में खून और ऑक्सिजन जल्दी सप्लाई होता है.उलटा चलने के 5 फायदे1. मांसपेशियों के लिए है लाभकारीरिवर्स वॉकिंग की वजह से हमारे काफ मसल , क्वाड्रीसेप्स , ग्लूट्स पर बेहतर असर पड़ता है और दिमाग को अलग तरह से संचालन में मदद करता है.2. स्ट्रोक के मरीजों जरूर ट्राई करेंयूनिवर्सिटी ऑफ सिनसिनाटी गार्डनर न्यूरोसाइंस इंस्टिट्यूट (University of Cincinnati Gardner Neuroscience Institute) के एक रिसर्चर का कहना है कि रिवर्स वॉकिंग (Reverse Walking) की प्रैक्टिस स्ट्रोक के मरीजों को फिर से चलना सिखा सकता है.3. दिल के लिए अच्छा है रेट्रो वॉकिंगऐसा माना जाता है कि रिवर्स वॉकिंग से शरीर के अंगों के संतुलन में सुधार होता है और निचले अंगों के प्रॉप्रायोसेप्शन और चाल में कोऑर्डिनेशन बैठता है. रेट्रो वॉकिंग को दिल की सेहत के लिए भी अच्छा बताया गया है और घुटनों में आर्थराइटिस के लक्षणों से राहत मिल सकती है.4. मेटाबॉलिज्म होता है बूस्टमुंबई (Mumbai) के सिम्बायसिस हॉस्पिटल के डायरेक्टर कैथ लैब, डॉ. अंकुर फातरपेकर ने एचटी मीडिया को बताया, 'पीछे की तरफ चलने से हमारा दिल ज्यादा तेजी से धड़कता है. इससे मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है और आप कम समय में ज्यादा कैलोरी बर्न कर पाते हैं. ये शरीर के बैलेंस के लिए भी शानदार व्यायाम है.'5. 'आंखों की रोशनी रहेगी बरकरार'वॉकहार्ट हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजिस्ट कंसल्टेंट डॉ. सौरभ गोयल के मुताबिक रिवर्स वॉकिंग हमारी बॉडी की ओवरऑल हेल्थ के लिए काफी फायदेमंद है. इससे आंखों की रोशनी भी अच्छी रहती है.