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- गुड़ एक ऐसी चीज है, जो सेहत के लिए जबरदस्त लाभकारी है. इसके नियमित सेवन से आप कई गंभीर बीमारियों से बच सकते हैं. यह न सिर्फ खाने में टेस्टी है बल्कि यह कई औषधीय गुणों से भरपूर है. आमतौर पर लोग सर्दियों के मौसम में ही इसका प्रयोग करते हैं, जबकि इसे साल भर खाया जा सकता है और शरीर को इसे ढेरों लाभ भी मिलते हैं. गुड़ आयरन का बहुत बड़ा स्रोत है. अगर आपका हिमोग्लोबिन कम है तो रोजाना गुड़ खाने से तुरंत लाभ मिलने लगेगा. गुड़ खाने से शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की मात्रा बढ़ जाती है. यही वजह है कि प्रेग्नेंट महिलाओं को डॉक्टर गुड़ खाने की सलाह देते हैं. आप सुबह उठकर 50 ग्राम गुड़ खा सकते हैं.1. फेफड़ों के संक्रमण से बचाता हैगुड़ शरीर में रक्त की सफाई कर मेटाबॉलिज्म रेट को भी नियंत्रित करता है. इसके अलावा गुड़ गले और फेफड़ों के संक्रमण के इलाज में फायदेमंद होता है.2. पेट की समस्याओं से पाइए निजातगुड़ पेट से संबंधित कई समस्याओं का रामबाण इलाज है. आपको गैस या एसिडिटी की शिकायत है तो गुड़ खाने से लाभ मिलेगा.3. जोड़ों के दर्द की समस्या का समाधानजोड़ों में दर्द की समस्या होने पर गुड़ का अदरक के साथ प्रयोग काफी लाभदायक सिद्ध होता है. प्रतिदिन गुड़ के एक टुकड़े के साथ अदरक खाने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है.4. हड्डियों को मजबूत बनाता है गुड़गुड़ में भरपूर मात्रा में कैल्शियम और फास्फोरस पाया जाता है. यह दोनों तत्व हड्डियों को मजबूती देने में बेहद मददगार हैं. गुड़ के साथ अदरक खाने से जोड़ों के दर्द से छुटकारा मिलता है.5. शरीर को दिनभर रखेगा एक्टिवगुड़ शरीर को मजबूत और एक्टिव बनाए रखता है. शरीरिक कमजोरी दूर करने के लिए दूध के साथ गुड़ का सेवन करने से ताकत आती है और शरीर ऊर्जावान बना रहता है. अगर आपको दूध नहीं पसंद है तो एक कप पानी में पांच ग्राम गुड़, थोड़ा सा नींबू का रस और काला नमक मिलाकर सेवन करने से आपको थकान महसूस नहीं होगी.इस तरह करें गुड़ का सेवनबासी मुंह गुड़ खाना चाहिए अगर गुड़ के साथ गुनगुना पानी भी हो तो कहने ही क्या. इससे शरीर को काफी उर्जा मिलती है. खून साफ होता है. कई तरह की बीमारी दूर होती हैं. इससे पूरे दिन एसिडिटी नहीं होती. बस शर्त ये है कि इसे बासी मुंह मतलब खाली पेट खाना है.
- अगर आप भी घंटों वर्कआउट करने के बाद अपना बढ़ता वजन कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं तो इमली का ये नेचुरल उपाय आपकी मदद कर सकता है। इमली में कैल्शियम, विटामिन सी, ई और बी के अलावा आयरन, फॉस्फोरस, पोटेशियम, मैंगनीज और फाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है। जो इम्यूनिटी को स्ट्रॉन्ग बनाने के साथ शरीर की एनर्जी बढ़ाने और मोटापा कम करने में मदद करता है।डायबिटीज कंट्रोल रखने में करता है मदद-डायबिटीज रोगियों के लिए इमली का सेवन बेहद फायदेमंद माना जाता है। इमली ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करके शरीर में कार्बोहाइड्रेट्स को एब्जॉर्ब होने से रोकती है। ब्लड शुगर कंट्रोल में रखने के लिए इमली का थोड़ा सा रस ही काफी होता है।इम्यूनिटी बढ़ाता है-इमली में प्रचूर मात्रा में विटामिन सी और एंटी ऑक्सीडेंट्स मौजूद होते हैं जो इम्यूनिटी अच्छी बनाए रखने के साथ शरीर को कई तरह के वायरल इंफेक्शन से भी दूर रहते हैं।मोटापे से छुटकारा-इमली में मौजूद हाइड्रोसिट्रिक एसिड शरीर में बनने वाले फैट को धीरे-धीरे कम करके ओवरईटिंग की आदत से भी दूर रखने में मदद करता है। जिसकी वजह से व्यक्ति को वजन बढ़ने का खतरा नहीं रहता है।लू से बचाव-इमली का सेवन लू से बचाव करने में बहुत मदद करता है। इसके लिए एक ग्लास पानी में 25 ग्राम इमली भिगोकर इसका पानी पीने से लू नहीं लगती। इसके अलावा इमली का गूदा हाथ- पैर के तले पर लगाने से भी लू का असर खत्म हो जाता है।ब्लड प्रेशर करती है कंट्रोलइमली में प्रचूर मात्रा में मौजूद आयरन और पोटेशियम ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने के साथ रेड ब्लड सेल्स को भी बनाने में मदद करते हैं।
- संतरा एक रसदार फल है। इसमें कई सारे पोषक तत्व होते हैं। संतरे में विटामिन और मिनरल, बीटा-कैरोटीन, पोटैशियम, मैग्नीशियम और फाइबर होता है। ये विटामिन सी से भरपूर होते हैं। संतरा स्वास्थ्य के लिए कई तरीके से लाभदायक है। ये वजन घटाने में मदद कर सकता है। ये इम्युनिटी बढ़ाता है। इसमें एंटीवायरल, एंटीमाइक्रोबॉयल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। ये कई क्रोनिक बीमारियों का इलाज करने में मदद कर सकते हैं। आइए जानें संतरे के स्वास्थ्य लाभ क्या हैं।वजन घटाने में मदद कर सकते हैंसंतरे में फाइबर होता है। ये वजन घटाने में मदद कर सकता है। संतरे में मौजूद फाइबर आपका पेट भरा रखता है और आप कम खाना खाते हैं। इसमें कैलोरी कम होती है। इसका सेवन कई तरह से किया जा सकता है जैसे चाट और जूस आदि।त्वचा की उम्र बढऩे से रोकता हैसंतरे में ऑर्गेनिक एसिड, विटामिन, मिनरल, विटामिन सी और फ्लेवोनोइड होते हैं। ये आपकी त्वचा को स्वस्थ रखने का काम करते हैं। ये त्वचा को हाइड्रेटेड रखता है। ये कोलेजन उत्पादन में तेजी ला सकता है।ब्लड प्रेशर को कंट्रोलसंतरे में पोटैशियम अधिक होता है। ये ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करता है।कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कमसंतरे का जूस खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम कर सकता है। संतरा फाइबर (पेक्टिन) से भरपूर होता है। फाइबर लीवर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है।हृदय स्वास्थ रखता हैइसमें विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है। ये कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम रखकर हृदय रोग को रोकने में मदद कर सकते हैं। इसमें मौजूद विटामिन सी खून को जमने से भी रोकता है। ये दिल के दौरे के जोखिम को कम करता है। संतरे में पोटैशियम ब्लड प्रेशर को कम कर सकता है और हृदय रोगों के जोखिम को कम कर सकता है।इम्युनिटी बढ़ाने में मददसंतरा विटामिन सी से भरपूर होता है. ये पोषक तत्व इम्युनिटी बढ़ाने में मदद कर सकता है। इन फलों में फोलेट और कॉपर जैसे कई अन्य आवश्यक पोषक तत्व होते हैं, जो इम्युनिटी बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।किडनी की पथरी को रोक सकता है -साइट्रेट की कमी से किडनी की पथरी हो सकती है। संतरे साइट्रेट के स्तर को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं, जिससे किडनी की पथरी के खतरे को कम किया जा सकता है। संतरे में कैल्शियम होता है जो पथरी के खतरे को कम कर सकता है।
- बहुत से लोग नाश्ते में फलों का जूस पीना पसंद करते हैं। आप शाम के समय भी फलों के जूस का सेवन कर सकते हैं। ये एक हेल्दी विकल्प है। ये न केवल आपको हाइड्रेटेड रखता है, बल्कि कई स्वास्थ्य समस्याओं से लडऩे में भी मदद करता है। अंगूर कई स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है। अंगूर विटामिन सी और के, एंटीऑक्सीडेंट और कई अन्य आवश्यक विटामिन और मिनरल से भरपूर होता है। कई स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने के लिए अंगूर के जूस का सेवन कर सकते हैं। आइए जानें अंगूर का जूस आपके स्वास्थ्य के लिए कैसे लाभदायक है।-त्वचा के लिए फायदेमंद - अंगूर का जूस आपकी त्वचा के लिए अच्छा होता है। इसे पीने से आपकी त्वचा हेल्दी रहती है। अंगूर के जूस का सेवन आप डिटॉक्स ड्रिंक के रूप में कर सकते हैं। ये त्वचा संबंधित कई समस्याओं से लडऩे में मदद कर सकता है। सूजन को कम कर सकता है। ये आपकी त्वचा पर एक एंटी एजिंग प्रभाव छोड़ता है।इम्युनिटी बढ़ाने के लिए - अंगूर का जूस कई स्वास्थ्य समस्याओं से लडऩे में मदद कर सकता है। अंगूर का रस आपकी इम्युनिटी बढ़ाने में मदद करता है। इसमें एंटी- ऑक्सीडेंट, एंटी-वायरल और एंटी-बैक्टीरियल गुण भी होते हैं। ये सामान्य सर्दी, खांसी, फ्लू और बुखार को दूर करने में मदद करता है। ये आपकी इम्युनिटी को मजबूत करता है। स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को रोकने में मदद कर सकता है।हाई ब्लड प्रेशर के लिए - अंगूर के जूस में पोटैशियम होता है। ये हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने का काम करता है। हाई ब्लड प्रेशर कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण है। अंगूर का जूस पीने से आप हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित कर सकते हैं। अंगूर फाइबर से भी भरपूर होते हैं।हृदय को स्वस्थ रखने के लिए - अंगूर के जूस में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स आपको हृदय की बीमारियों से बचाने में मदद कर सकते हैं। अंगूर का रस कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कंट्रोल करता है।अस्थमा - अंगूर का इस्तेमाल कई उपचारों के लिए किया जाता है। अस्थमा के रोगियों के लिए ये फायदेमंद है। दमा या अस्थमा जैसी समस्याओं की संभावना को कम करता है। ये फेफड़ों में पानी की कमी को पूरा करता है.हड्डियों के लिए है फायदेमंद - अंगूर में कई पोषक तत्व होते हैं। इसमें कॉपर, आयरन और मैंगनीज होता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है। नियमित रूप से इसका सेवन ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों से बचाने में मदद कर सकता है। मैंगनीज हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
- केले बहुत जल्दी काले पडऩे लगते हैं और खराब हो जाते हैं। जब हम उन केलों को खा नहीं पाते तो काले पडऩे पर फेंक देते हैं। लेकिन इनको खराब होने से बचाने के लिए आप केलों को फ्रीज कर सकते हैं। फ्रीज हुए केले बहुत से रेसिपी के काम आ सकते हैं। इन्हें आप स्मूदी में मिला सकते हैं, इनके द्वारा पैनकेक बना सकते हैं, आप बहुत सी बेक होने वाली चीजों में इसका प्रयोग कर सकते हैं या इस प्रकार के केलों की आइस क्रीम भी बना सकते हैं।केला फ्रीज किस प्रकार से करें-केले को फ्रीज करने से पहले सबसे पहले आपको उसे छीलना होगा। छीलने के बाद आप उसे पूरे को भी फ्रीज कर सकते हैं या उसकी स्लाइस बना कर और मैश करके भी उसे फ्रीज कर सकते हैं। आपको केले तब फ्रीज करने होते हैं जब वह पूरी तरह से पक चुके हों और जब उसका छिलका पूरी तरह से ब्राउन हो चुका हो क्योंकि अगर आप एक बार केले को फ्रीज में रख देते हैं तो उसके बाद वह और अधिक नहीं पकेगा।1. साबूत केलायह तरीका सबसे आसान और सिंपल होता है और इसका प्रयोग आप स्मूदी, बनाना ब्रेड या मफिंस बनाने के लिए प्रयोग कर सकते हैं। आप सीधा केले को छील कर उसे एक बर्तन या बैग में डाल कर फ्रीज में रख दें और आप चाहें तो एक ही कंटेनर में कई केले भी रख सकते हैं। इसके लिए आप केलों को थोड़े थोड़े भाग में काट कर रख सकते हैं ताकि जगह बच सके।2. मैश किए हुए केलेकेले से बनने वाली रेसिपी में मैश किए हुए केलों का भी प्रयोग किया जाता है जैसे बनाना ब्रेड आदि। अगर आप केलों को मैश करके उन्हें फ्रीज कर देंगे तो इससे भविष्य में अगर आप किसी चीज को बेक करेंगे तो आपका समय बचेगा। सबसे पहले केले का छिलका उतार के उसे मैश कर लें। फिर फ्रीजर के लिए सुरक्षित होने वाले एक प्लास्टिक बैग में रख लें। बैग को बंद करने से पहले उसमें से सारी हवा निकाल दें। फिर उसे फ्रीजर में रख दें। अगर आप छोटे छोटे भागों में केलों को फ्रीज करते है तो जब आपको किसी एक रेसिपी के लिए इसकी जरूरत होती है तो आपका सारा भाग निकालने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।3. स्लाइस केलेअगर आपके पास किसी प्रकार का ब्लेंडर नहीं है तो आप केलों को पहले स्लाइस कर लें। इसके लिए आपको सीधा केलों को छीलना है। उनकी एक से दो इंच की स्लाइस काट लेने है। इसके बाद एक बेकिंग शीट को वैक्स की एक परत से लपेटें और उनके ऊपर कटे हुए केलों को रख दें। फिर इसको अपने फ्रीजर में दो से तीन घंटे के लिए रख दें। इससे केले एक दूसरे से चिपकेंगे नहीं।जब केले एक बार फ्रीज हो चुके हों तो आपको एक एयर टाइट कंटेनर में केले डाल कर उन्हें तब तक फ्रिजर में रखें जब तक केले प्रयोग में नहीं आते। इस प्रकार के फ्रीज हुए केलों का प्रयोग आप बनाना ब्रेड में, मफिन, आइसक्रीम या पैन केक बनाने के लिए कर सकते हैं।
- क्या आप जानते हैं आयुर्वेद के अनुसार आपकी प्रकृति के लिए कौन-सा तेल सबसे बेस्ट है? आयुर्वेद के अनुसार जिस तरह आपको अपनी प्रकृति के हिसाब से भोजन करना होता है, उसी तरह भोजन को बनाने के लिए भी प्रकृति के अनुसार ही तेल का उपयोग करना चाहिए। जी हां, आपको खाना बनाने के लिए भी अपनी प्रकृति के अनुरूप ही तेल का चुनाव करना चाहिए। खाना बनाने वाले तेल भी आपके शरीर के अनुसार ही हो तो आप हमेशा स्वस्थ रह सकते हैं।आयुर्वेद के अनुसार शरीर वात, पित्त और कफ से बना होता है। इनमें से किसी का भी असंतुलन होने पर व्यक्ति रोगों से घिर जाता है। अगर शरीर में वात बढ़ता है तो व्यक्ति को हड्डियों, जोड़ों में दर्द होने की समस्या हो सकती है। इसके विपरीत अगर पित्त बढ़ता है, तो व्यक्ति को गुस्सा बहुत आता है। साथ ही त्वचा रोग भी पित्त बढऩे पर होने लगते हैं। शरीर में कफ की मात्रा बढऩे पर व्यक्ति को खांसी, जुखाम या बलगम की समस्या हो सकती है। ऐसे में आपको स्वस्थ रहने के लिए तीनों दोषों को संतुलन में रखना बहुत जरूरी होता है।वात प्रकृति के लिए तेलवात प्रकृति वाले व्यक्तियों का शरीर दुबला-पतला होता है। इनकी स्किन ड्राय और ठंडी होती है। वात प्रकृति वालों को कभी भूख बहुत ज्यादा लगती है, तो कभी कम। इन लोगों को ठंडी चीजों का सेवन करने से बचना होता है। ठंडा वातावरण और ठंडी चीजों के सेवन से उन्हें वात दोष हो सकता है। इसलिए इन लोगों को हमेशा गर्म तासीर की चीजों का सेवन करना चाहिए। वात प्रकृति के लोगों को खाना बनाने के लिए भी गर्म तासीर वाले तेल का इस्तेमाल करना चाहिए।सरसों का तेल और मूंगफली का तेल तासीर में गर्म होती है। इसलिए वात प्रकृति के लोग खाना बनाने के लिए इन तेलों का इस्तेमाल कर सकते हैं। मूंगफली के तेल में ढेरों पोषक तत्व होते हैं। दोनों तेल वायु को बढऩे से रोकते हैं और वात दोष को संतुलित करते हैं।पित्त प्रकृति के लिए तेलपित्त प्रकृति के लोगों को शरीर बेहद नाजुक होता है। इन लोगों को गर्मी बिल्कुल सहन नहीं होती है। इन्हें त्वचा रोग और मुंह में छाले बहुत परेशान करते हैं। इन लोगों को प्यास बहुत ज्यादा लगती है। पित्त प्रकृति के लोगों को गुस्सा बहुत जल्दी आता है। इन्हें ठंडा वातावरण और ठंडी चीजों का सेवन करना पसंद होता है। ऐसे लोगों को गर्म तेल से उन्हें नुकसान हो सकता है।नारियल के तेल की तासीर बहुत ठंडी होती है। ऐसे में पित्त प्रकृति वाले लोगों के लिए इसका सेवन करना बेहद लाभकारी हो सकता है। इससे उन्हें पेट में ठंडक मिलेगी और दोष संतुलन में रहेगा। साथ ही घी पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में लाभकारी होता है। गाय का घी कई रोगों को दूर करने में मददगार होता है।कफ प्रकृति के लिए तेलकफ प्रकृति के व्यक्ति मजबूत होते हैं, लेकिन हमेशा सुस्ती रहती है। इन लोगों को नींद बहुत अधिक आती है। भूख लगना, शरीर में भारीपन, शरीर में गीलापन महसूस होना और आलस कफ प्रकृति के लोगों के लक्षण होते हैं। इन लोगों को भी अपनी प्रकृति को ध्यान में रखकर ही खाना बनाने वाले तेल का इस्तेमाल करना चाहिए। ऐसे लोगों को सरसों का तेल और तिल का तेल तासीर में गर्म होते हैं। इनका सेवन कफ वाले लोग आसानी से कर सकते हैं। इनके उपयोग से कफ दोष संतुलन में रहता है।
- हम अक्सर अपने आस पड़ोस के लोगों से सुनते हैं कि वह सोने से पहले बिस्तर में नींबू रख लेते हैं। जब भी हम ये बात सुनते हैं तो दिमाग में एक ही सवाल आता है कि लोग ऐसा करते क्यों हैं? अगर आपके दिमाग में भी यह सवाल उठता है तो ये खबर आपके काम की है।दरअसल, तकिए के पास नींबू रखकर सोने को ज्यादातर लोग टोटका या पुरानी सोच से जोड़कर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन हेल्थ एक्सपट्र्स के अनुसार ना तो ये कोई टोटका है और ना ही कोई पुरानी सोच, बल्कि ऐसा करने से स्वास्थ संबंधित कई फायदे होते हैं।नींबू में विटामिन सी, विटामिन, बी, कैल्शियम, फ़ास्फ़ोरस, मैग्नीशियम, प्रोटीन और कार्बोहाईड्रेट भरपूर होता है, जो शरीर को गठिया रोग, हाई ब्लडप्रेशर, हाइपर टेंशन और हार्ट फेलियर के खतरे से बचाता है।नींबू का आयुर्वेद में खास महत्व है। नींबू एंटीबैक्टीरियल होने के साथ-साथ एंटीऑक्सीडेंट भी है, यह और अधिक आसानी से सांस लेने में मदद कर सकता है। अगर कोई अस्थमा या सर्दी से पीडि़त हैं तो उसके वायुमार्ग को खोलने में मदद करने के लिए उशखे बिस्तर के पास नींबू रख देने से लाभ मिलता है।1. सांस लेने में नहीं होगी परेशानीकई लोगों को सोते समय नाक बंद होने के कारण कई बार नींद नहीं आती। अगर आपके साथ भी ऐसा होता है तो ऐसी स्थिति में नींबू के टुकड़े को तकिये के पास रखिए, क्योंकि नींबू की सुगंध से सांस लेने की समस्या में राहत तो मिलती ही है साथ ही, नींद भी अच्छी आती है।2. ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए फायदेमंदलो ब्लड प्रेशर के मरीज अगर रात को सोते समय अपने बिस्तर के बगल में नींबू का टुकड़ा रख लें, तो सुबह उनको फ्रेश महसूस होगा। ऐसा नींबू की खुशबू के कारण होता है, क्योंकि नींबू के गुणों के ऊपर हुए रिसर्च के मुताबिक उसकी खुशबू शरीर में सेरोटिन का लेवल बढ़ाने में मदद करती है, जो लो ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए लाभकारी है।3. दिमाग को शांत रखता है नींबूकई लोग अधिक थक जाते हैं तो तनाव बढ़ जाता है। ऐसे में रात के वक्त उन्हें नींद नहीं आती तो नींबू इसमें मदद कर सकता है। रात को सोने से पहले नींबू को दो फांके करके बिस्तर के पास रख लें। नींबू में मौजूद एंटीबैक्टीरियल तत्व दिमाग शांत रखेंगे, जिससे आप एक स्वस्थ नींद ले सकेंगे।4. इस बीमारी से मिलेगी राहतदिनभर की भागदौड़ और अगले दिन के कामों की चिंता के चलते कई लोगों को इनसोमेनिया यानी अनिद्रा या कम नींद की समस्या होती है। ऐसे में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। अगर इनसोमेनिया की समस्या होने पर रोज रात को नींबू का टुकड़ा बिस्तर के नजदीक रख दें। नींबू की खुशबू से दिमाग कुछ ही देर में एकदम शांत हो जाएगा और चैन की नींद आएगी।5. मच्छर-मक्खियों के आतंक से राहतकुछ लोग मच्छर-मक्खियों के आतंक के चलते पूरी नींद नहीं ले पाते। लिहाजा शरीर पर इसका बुरा असर पड़ता है। अगर आप भी घर में मौजूद मच्छर, मक्खी या किसी अन्य कीड़े-मकोड़ों से परेशान हैं, तो हमेशा सोने से पहले घर के चारों कोनों समेत बिस्तर के पास नींबू का टुकड़ा काट कर रख दें। इसकी सुगंध से मच्छर-मक्खियां ही नहीं, बल्कि कीड़े-मकोड़े भी करीब नहीं आ सकेंगे।
- दूध पीना सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है, ये तो आप जानते ही होंगे। यह हमारे शरीर को पोषित कर उसे मजबूत बनाता है और बीमारियों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है। इसमें विटामिन से लेकर प्रोटीन, कैल्शियम आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो अच्छी सेहत के लिए बहुत जरूरी होते हैं। यही वजह है कि दूध और उससे बने उत्पादों को दैनिक आहार में शामिल करने की सलाह दी जाती है। अक्सर लोग रात में सोने से पहले दूध पीते हैं। दरअसल, इससे अच्छी नींद में मदद मिलती है और अनिद्रा की समस्या भी दूर होती है। कई लोग दूध में हल्दी मिलाकर भी पीते हैं, क्योंकि इससे दूध के फायदे दोगुने हो जाते हैं। लेकिन क्या आपने लहसुन वाले दूध और उसके फायदों के बारे में सुना है? आयुर्वेद में इसे कई समस्याओं के लिए लाभकारी बताया गया है।लहसुन वाले दूध के फायदेलहसुन वाले दूध के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, जिससे बीमारियों से बचने में मदद मिलती है। रात को सोने से पहले इस खास दूध के सेवन से कोलेस्ट्रॉल को भी कम करने में मदद मिलती है। इसके अलावा इस दूध को स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए भी लाभकारी माना जाता है और साथ ही इसे मुंह की दुर्गंध की समस्या भी दूर होती है।इन समस्याओं को दूर करता है लहसुन वाला दूधलहसुन वाला दूध सीने में जलन, गैस्ट्रिक (कब्ज) और पेप्टिक अल्सर की समस्याओं को कम करने में तो कारगर है ही, साथ ही जिन्हें साइटिका की समस्या है, उनके लिए भी यह दूध फायदेमंद हो सकता है। दरअसल, साइटिका में कमर से लेकर पैरों की नसों में बहुत तेज दर्द होता है और लहसुन दर्द से राहत दिलाने में मदद करता है।लहसुन वाला दूध बनाने की सामग्रीएक गिलास दूध3-4 लहसुन की कलियांदो चम्मच पाम मिश्रीआप चाहें तो हल्दी भी मिला सकते हैंकैसे बनाएं लहसुन वाला दूधलहसुन को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें या उसे पीस लें और उसे दूध के साथ उबलने के लिए डाल दें। जब तक लहसुन नरम न हो जाए, तब तक दूध को उबालते रहें। फिर उसमें पाम मिश्री डालें और उसके घुलने तक दूध को उबलते रहने दें। बस आपका इम्यूनिटी बूस्टर 'लहसुन वाला दूध' तैयार है। आप उसे थोड़ी देर बाद पी सकते हैं।
- शायद! आप नहीं जानते होंगे कि फ्रिज में कुछ चीजें जमाकर आप चेहरे को साफ और बेदाग बना सकते हैं. फ्रिज में जमी ये चीजें प्राकृतिक रूप से चेहरे पर ग्लो लाती हैं और मुंहासों, ब्लैकहेड्स व तैलीय त्वचा से राहत प्रदान करती हैं. चेहरे की अधिकतर समस्याओं का कारण ढीली त्वचा व रोमछिद्रों का खुल जाना होता है. ये घरेलू उपाय इसी मूल समस्या को जड़ से मिटाकर मुंहासों, बेजान व तैलीय त्वचा आदि परेशानियों से राहत देते हैं. आमतौर पर, आप फ्रिज में जमी बर्फ को त्वचा के लिए इस्तेमाल करते हैं. लेकिन यहां आपको बर्फ के साथ कुछ और भी चीजों की जानकारी मिलेगी, जिन्हें जमाकर इस्तेमाल करने के बारे में आप ने कभी सोचा नहीं होगा.बर्फआप फ्रिज में जमी बर्फ को त्वचा के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. बर्फ लगाने से आपकी स्किन की थकान कम हो जाती है और आंखों के नीचे व त्वचा पर आई सूजन में भी कमी देखने को मिलती है. आप चेहरे पर रोजाना बर्फ लगाकर उसकी चमक को बढ़ा सकते हैं.ब्यूटी टिप्स: चंदन का पेस्टआप ने कभी चंदन का पेस्ट जमाकर त्वचा पर इस्तेमाल करने के बारे में सोचा है? अगर नहीं, तो आप ये उपाय आजमा कर देखिए. यह उपाय आजमाने से तुरंत आपकी त्वचा पर चमक आ जाती है. चंदन का पेस्ट त्वचा के संक्रमण और दाग-धब्बों को दूर करने में मदद करता है. वहीं, इसकी मदद से झुर्रियों से भी छुटकारा मिलता है.फ्रूट जूसफ्रूट जूस का सेवन सेहत के लिए लाभकारी होता है. लेकिन इनमें मौजूद पोषण को काफी जल्दी चेहरे को प्रदान करने के लिए आप संतरे, पपीते, तरबूज, नींबू के रस को फ्रिज में जमाकर त्वचा पर लगा सकते हैं.चमकदार चेहरा पाने के उपाय: नारियल पानीआप चेहरे के मुंहासे कम करने के लिए नारियल पानी का इस्तेमाल कर सकते हैं. नारियल पानी में काफी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं और इसके इस्तेमाल से त्वचा हाइड्रेट होती है. आप इसको स्किन टोनर के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं.ग्रीन टीआप ग्रीन टी को भी फ्रिज में जमाकर चेहरे पर लगा सकते हैं. इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स रोमछिद्रों को खोलने में मदद करते हैं और त्वचा की सूजन व पिग्मेंटेशन को कम करते हैं.-
- आज हम आपके लिए लेकर आए हैं पुदीना का मास्क. जो आपकी त्वचा (skin) और चेहरे (face) का खास ख्याल रखेगा. इसके उपयोग से आप पिंपल्स और चेहरे के दाग धब्बे (Pimples and facial spots) हटा सकती हैं. आम तौर पर पुदीने (mint) उपयोग गर्मियों में शिंकजी से लेकर चटनी तक में किया जाता है. इससे शरीर को कई लाभ मिलते हैं, लेकिन ये बात बहुत कम लोग जानते हैं कि यह सेहत से साथ त्वचा के लिए भी लाभकारी है.स्किन के लिए क्यों खास है पुदीनास्किन एक्सपर्ट्स की मानें तो पुदीने (mint) के पत्ते में विटामिन ए और सी की भरपूर मात्रा होती है, जो त्वचा में निखार लाने के साथ- साथ पिंपल्स और मुंहासों को भी ठीक करने में मदद करता है. इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो त्वचा में हार्मफुल बैक्टीरिया को पनपे से रोकते हैं. इसमें सेलेसिक एसिड होता है, जो मुंहासों को ठीक करता है.पुदीना, त्वचा को हाइड्रेटेड और रिफ्रेश रखने में मदद करता है. इस खबर में हम आपको पुदीना के पत्तों से तैयार तीन मास्क के बारे में बता रहे हैं. नीचे जानिए पुदीने के पत्ते का इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं.1. डल स्किन के लिएसामग्री- 10 पुदीने के पत्ते लें. इसके साथ ही एक चम्मच पपीते का गूदा और चुटकी भर हल्दी ले लें.बनाने का तरीकाग्लोइंग फेस मास्क बनाने के लिए पपीते के गूदे को मिलाकर एक पेस्ट तैयार कर लें.इस मिश्रण को चेहरे पर लगाने के बाद सर्कुलकृर मोशन में लगाएं.करीब 20 मिनट के लिए छोड़ दें और बाद में पानी से धो लें.2. मुहांसों से पाएं छुटकारासामग्री-10 पुदीने के पत्ते और एक चम्मच एलोवेरा जेल ले लें.बनाने की विधि-सबसे पहले पुदीने के पत्ते को अच्छे से धो लें और मिश्रण तैयार कर लें.इस मिश्रण में एलोवेरा जेल मिलाएं.इन दोनों चीजों को अच्छे से मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें.इस पेस्ट को लगाने से चेहरे पर लगाने के 20 मिनट बाद पानी से धो लें.3. डीप क्लींजिंग के लिएसामग्री-10 पुदीने के पत्ते लें. इसके अलावा एक चम्मच दही और आधा चम्मच ऑलिव ऑयल ले लें.बनाने की विधिइन सभी चीजों को मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें.मिश्रण को करीब 5 मिनट तक मिलाएंअब इसे चेहरे पर लगाएंकरीब 20 मिनट बाद पानी से धो लें.इसके बाद त्वचा में मॉश्चराइजर लगाएं.-
- भारत के कई हिस्सों में मॉनसून पहुंच चुका है और दिल्ली समेत कुछ हिस्सों में बहुत जल्द आने वाला है. लेकिन बारिश के मौसम के साथ कई गंभीर इंफेक्शन भी आते हैं. जिनके कारण आपको और आपके बच्चे को सर्दी-खांसी, जुकाम, बुखार समेत कई बीमारियां हो सकती हैं. यह इंफेक्शन कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों को जल्दी अपनी चपेट में ले लेते हैं. लेकिन, आयुर्वेदिक डॉक्टर डॉ. अबरार मुल्तानी के मुताबिक आप 4 देसी काढ़ों की मदद से बरसात के मौसम में इंफेक्शन से दूर रह सकते हैं. आइए इन देसी काढ़े बनाने की विधि (Kadha Recipe) जानते हैं.बरसात के मौसम में जरूर पीएं ये देसी काढ़ेआयुर्वेदिक विशेषज्ञ डॉ. अबरार मुल्तानी का कहना है कि बारिश का मौसम कई हानिकारक और बीमार करने वाले सूक्ष्मजीवों के लिए काफी उपयुक्त होता है. इस दौरान इन हानिकारक बैक्टीरिया, वायरस, फंगस आदि के विकास की गति काफी होती है और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोग काफी जल्दी बीमार पड़ जाते हैं. हालांकि, ऐसा नहीं है कि ये बीमारियां मजबूत इम्युनिटी वाले लोगों को अपनी चपेट में नहीं ले सकती हैं. इसलिए हमें एहतियातन मॉनसून के मौसम में निम्नलिखित चार देसी काढ़ों का सेवन जरूर करना चाहिए.गुड़, जीरा और काली मिर्च का काढ़ाइस काढ़े को बनाने के लिए आप 1/4 चौथाई चम्मच काली मिर्च और एक चम्मच जीरा को एक गिलास पानी में डालकर तबतक उबालें, जबतक कि पानी आधा ना हो जाए. आप इस काढ़े में गुड़ को शामिल करके इसका स्वाद बढ़ा सकते हैं. इसके बाद गैस से उतारकर इस काढ़े को दिन में 2 से 3 बार पीएं.काढ़ा बनाने की विधि: सफेद प्याज का काढ़ाआप सफेद प्याज का काढ़ा पीकर भी मॉनसून में इंफेक्शन से बचाव कर सकते हैं. आप सफेद प्याज को अच्छी तरह साफ कर लें और 1 गिलास पानी में उबालें. जब पानी आधा हो जाए, तो गुड़ मिलाकर इसका स्वाद बढ़ा सकते हैं. यह देसी काढ़ा खांसी, सर्दी-जुकाम आदि से राहत प्रदान करता है.काली मिर्च, अजवाइन, तुलसी और अदरक का देसी काढ़ाआप सबसे पहले अदरक को साफ करके उसके छोटे-छोटे टुकड़े काट लें. इसके बाद एक गिलास पानी में अदरक के टुकड़े, एक चम्मच अजवाइन, 4-5 तुलसी के पत्ते और एक चुटकी काली मिर्च का पाउडर डालकर उबालें. जब पानी उबलकर आधा हो जाए, तो इसका सेवन करें. यह बारिश के मौसम में होने वाली खांसी व सर्दी-जुकाम की समस्या से राहत प्रदान करता है.सर्दी-खांसी के लिए काली मिर्च का काढ़ाआप बारिश के मौसम में काली मिर्च का काढ़ा भी बना सकते हैं. यह बनाने में काफी आसान होता है और शरीर को फायदे देता है. इसे बनाने के लिए एक गिलास पानी में 5 से 6 काली मिर्च और स्वादानुसार काला नमक डालकर उबालें. जब पानी आधा हो जाए, तो इसका सेवन करें.-
- आयुर्वेद में कई ऐसी उत्तम औषधियों के बारे में बताया गया है, जो स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होती हैं. चिरायता भी उन्हीं में से एक है. जिसमें नीम और कालमेघ दोनों के गुण पाए जाते हैं. चिरायता का इस्तेमाल मोटापा और मधुमेह जैसी समस्याओं से बहुत जल्दी राहत प्रदान करता है. यह एक इम्युनिटी बूस्टिंग एजेंट है, जो सर्दी-खांसी को जड़ से खत्म कर देता है.चिरायता की खासियत?आयुर्वेदिक विशेषज्ञ डॉ. अबरार मुल्तानी के मुताबिक, चिरायता को अंग्रेजी में Swertia के नाम से जाना जाता है. इसमें एंटी-इंफ्लामेटरी, एंटीऑक्सीडेंट, हेप्टोप्रोटेक्टिव, लैक्सेटिव, हाइपोग्लाइसेमिक, डाइजेस्टिव गुण होते हैं, जो संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करते हैं. इसकी मदद से लिवर की कार्यक्षमता, भूख, पाचन, मेटाबॉलिज्म, वेट लॉस आदि काफी आसानी से किया जा सकता है.चिरायता के कमाल के फायदेचिरायता में स्वास्थ्यवर्धक और पोषक गुणों का खजाना है. यह स्वाद में जितना कड़वा होता है, गंभीर बीमारियों से उतना ज्यादा ही बचाव करता है. आइए चिरायता के इस्तेमाल से मिलने वाले फायदे जानते हैं.तेजी से घटाता है मोटापातेजी से मोटापा घटाने के लिए चिरायता के सूखे पत्ते काफी फायदेमंद होते हैं. इनमें मौजूद फाइबर और जरूरी पोषण आपके अस्वस्थ खानपान की आशंका को कम करने में मदद करते हैं. वहीं, चिरायता का सेवन शरीर में बुरे कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी घटाता है. इसके सेवन से मेटाबॉलिज्म तेज होता है, जिस कारण शरीर में फैट बर्निंग की प्रक्रिया तेज होती है. आप इसके लिए चिरायता के सूखे पौधे से तैयार काढ़ा पी सकते हैं.मधुमेह का इलाजहाइपोग्लाइसेमिक होने के कारण चिरायता में ब्लड शुगर का स्तर घटाने वाले असाधारण गुण होते हैं. इसका सेवन करने से शरीर में इंसुलिन का उत्पादन करने वाली सेल्स की सक्रियता बढ़ जाती है. इस कारण शरीर में ब्लड शुगर का स्तर कम होने लगता है और मधुमेह से राहत मिल जाती है. मधुमेह रोगी चिरायता के सूखे पत्तों का काढ़ा पीकर डायबिटीज से राहत प्राप्त कर सकते हैं.इम्युनिटी बूस्ट होती हैसंक्रमण से लड़ने व बचाव के लिए चिरायता का सेवन काफी पुराने समय से किया जाता रहा है. इसमें मौजूद एंटीवायरल, एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण काफी मजबूत होते हैं. यह सामान्य सर्दी-जुकाम से राहत देने में काफी कारगर साबित होता है. अगर आपके शरीर पर कोई जख्म हो गया है, तो चिरायता के इस्तेमाल से उसे भी जल्दी ठीक किया जा सकता है.स्किन डिसऑर्डर का इलाजजैसा कि हमने अभी जाना कि चिरायता में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीमाइक्रोबियल और एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं, इसलिए यह हमारे खून को साफ करने में मदद करता है. यह खून से टॉक्सिन निकालकर विभिन्न स्किन डिसऑर्डर से राहत देता है. क्योंकि, अधिकतर स्किन डिसऑर्डर का कारण आपके खून में टॉक्सिन्स का होना होता है. जिस कारण आपको खुजली, रैशेज, सूजन, जलन आदि समस्याएं हो सकती हैं.
- हम भोजन के अलावा फलों का सेवन करते हैं, ताकि हमें कुछ हेल्दी मिल सके। मौसम के हिसाब से हम लोग फल बदलते रहते हैं। कभी तरबूज तो कभी सेब का सेवन किया जाता है। लेकिन इसके अलावा हम लोग ड्राई फ्रूट्स का भी सेवन करते हैं, ताकि पोषक तत्व मिल सके। वैसे तो लगभग सभी ड्राई फ्रूट्स अपनी-अपनी जगह काफी फायदेमंद होते हैं, लेकिन अखरोट का सेवन करने से हमें काफी ज्यादा फायदे मिलते हैं। अखरोट में प्रोटीन, फैट, कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन कॉपर, ओमेगा-3 फैटी एसिड, मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड, फॉस्फोरस, सेलेनियम, जिंक, फाइबर और कार्बोहाइड्रेट की भरपूर मात्रा पाई जाती है। हमारे दिमाग के लिए अखरोट काफी अच्छा माना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भीगे हुए अखरोट खाने के क्या फायदे हैं? अगर नहीं, तो चलिए जानते हैं।दांतों और हड्डियों के लिए सहीअखरोट में अल्फा-लिनोलेनिक एसिड होने की वजह से ये हमारी हड्डियों के साथ-साथ हमारे दांतों को मजबूत करने में भी मदद कर सकता है। इसके लिए आप रोज रात को अखरोट के दाने भीगा सकते हैं और फिर सुबह इनका सेवन कर सकते हैं।दिल के लिए फायेदमंदभीगे हुए अखरोट में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है, जो खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने और दिल को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है। अखरोट वैसे भी दिल के लिए फायेदमंद माना जाता है और भीगे हुए अखरोट का सेवन करने से ये फायदे और भी बढ़ जाते हैं।वजन कम करने में मददगारआज के दौर में लगभग हर कोई अपने बढ़ते वजन से परेशान है। ऐसे में इसे कम करने में आपकी मदद भीगे हुए अखरोट कर सकते हैं। भीगे हुए अखरोट में कैलोरी कम और प्रोटीन की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जो वजन को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है।डायबिटीजभीगे अखरोट का सेवन डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद हो सकता है। ऐसे लोगों को भीगे अखरोट खाने से उनका ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है। साथ ही डायबिटीज की समस्या को कम करने में मदद मिल सकती है।पेट से जुड़ी दिक्कतें हो सकती हैं दूरहम पेट की कई दिक्कतों जैसे- कब्ज, पाचन प्रणाली में होने वाली दिक्कतों से जूझते हैं। अखरोट में फाइबर की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जो आपको पेट से जुड़ी दिक्कतों में आराम पाने में मदद कर सकता है।
- आप इम्युनिटी मजबूत करना चाहते हैं और वजन कम करने की चाह रखते हैं तो कद्दू आपके लिए बेहतर विकल्प है. जी हां कद्दू (kaddu) से सेहत के लिए चमत्कारिक लाभ मिलते हैं. बारिश के मौसम में होने वाली सर्दी-खांसी में कद्दू खाने से बहुत आराम मिलता है. कद्दू में मौजूद विटामिन ए (Vitamin-A), कैरोटीन, जैंथिन और जेक्सैंथिन इंफेक्शन से लड़ने, इम्यूनिटी को बढ़ावा देने और तेजी से ठीक होने में मदद करता है.कद्दू में पाए जाने वाला विटामिन बी और बी-6 विशेष रूप से, शरीर की सूजन को कम करने में मदद करते हैं. कद्दू बारिश के मौसम में होने वाले पिंपल्स और डैंड्रफ से छुटकारा भी दिलाता है.कद्दू आयरन से भरपूर होता है. आयरन एक आवश्यक तत्व है और हम इसे अपने भोजन विकल्पों से प्राप्त करते हैं. आयरन के कम लेवल से एनीमिया हो सकता है, जिससे एनर्जी का लेवल कम होना, चक्कर आना, त्वचा और नाखूनों का पीला होना जैसी समस्याएं हो सकती हैं. ऐसे में कद्दू शरीर में आयरन की कमी पूरी करता है.कद्दू के अन्य फायदे ----------00 कद्दू में विटामिन ए भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो आंखों के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है. कद्दू में पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं, जो बढ़ती उम्र के साथ आपकी आंखों का ध्यान रखते हैं.00 कद्दू का गूदा और बीज विटामिन सी और बीटा-कैरोटीन दोनों से भरपूर होते हैं. इसमें पोषक तत्वों का शक्तिशाली कॉम्बिनेशन होने के कारण इम्यूनिटी को बढ़ावा मिलता है.00 कद्दू में पाए जाने वाला बीटा-कैरोटीन , विटामिन ए में परिवर्तित हो जाता है. यह वाइट ब्लड सेल्स के निर्माण को ट्रिगर करता है जो इंफेक्शन्स से लड़ने में मदद करते हैं.00 कद्दू के बीजों से भरा एक-चौथाई कप हमारे दिनभर की मैग्नीशियम की आवश्यकता को पूरा करता है. यह दिल को स्वस्थ और सक्रिय रखने के लिए बहुत फायदेमंद है. यह ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने और आघात से सुरक्षित रखने में मददगार होता है.
- संतरा पपीता सेब और आम को खाने के बाद ज्यादातर लोग इसके छिलके को कूड़े में फेंक देते हैं तो अब ऐसा न करें। जी हां इन छिलकों का इस्तेमाल आप अपने स्किन केयर रूटीन में कर सकती हैं।फलों के गूदे और रस से चेहरे को खूबसूरत बनाने के बारे में तो बहुत पढ़ा और इस्तेमाल किया होगा लेकिन क्या आप जानती हैं सिर्फ फल ही नहीं, उनके छिलके भी त्वचा को सुंदर और स्वस्थ बनाने का काम करते हैं। तो कैसे इनका इस्तेमाल सौंदर्य निखारने के लिए कर सकते हैं, आज इसी के बारे में जानेंगे।सेबसामग्री- एक सेब का छिलका, थोड़ा-सा कच्चा दूधविधि-दूघ और सेब के छिलकों को मिक्सी में पीसकर पेस्ट बना लें। पेस्ट को चेहरे पर लगाएं और सूखने पर पानी से चेहरा धो लें। त्वचा पर जमी गंदगी साफ हो जाएगी।अनारसामग्री- एक टेबलस्पून अनार के छिलके का पाउडर, आवश्यकतानुसार गुलाब जल, थोड़ा-सा नींबू का रसविधि- एक बोल में सारी चीज़ें मिलाकर पेस्ट तैयार करें। पेस्ट को चेहरे पर लगाएं और सूखने पर चेहरा धो लें। यह पैक नियमित लगाने से मुंहासों की समस्या से छुटकारा मिलेगा।पपीतासामग्री- थोड़ा-सा पपीते का छिलका, 1 टेबलस्पून शहद, 1/4 टीस्पून हल्दी पाउडरविधि-मिक्सी में पपीते का छिलका पीसकर पेस्ट बना लें। पेस्ट में शहद और हल्दी मिलाकर चेहरे पर लगाएं। सूखने पर चेहरा धो लें। हफ्ते में दो बार यह पैक लगाएं और फर्क देखें।केलासामग्री- एक केले का छिलकाविधि-केले के छिलके को अंदर की ओर से चेहरे पर अच्छी तरह रगड़ें और सूखने पर चेहरा ठंडे पानी से धो लें। कुछ ही दिनों में फर्क नजर आने लगेगा।आमसामग्री- एक आम का छिलका, एक टीस्पून गेहूं का आटा, आवश्यकतानुसार पानीविधि-आम के छिलके को सुखाकर पाउडर बना लें। पाउडर में आटा और पानी मिलाकर पेस्ट बनाएं। पेस्ट को चेहरे पर लगाएं और सूखने पर धो लें।संतरासामग्री- एक टेबलस्पून संतरे के छिलके का पाउडर, दो टेबलस्पून दहीविधि-दोनों चीज़ें मिलाकर पेस्ट तैयार करें और चेहरे पर लगाएं। 15 मिनट बाद चेहरा धो लें। अच्छे नतीजों के लिए हफ्ते में दो बार इसे लगाएं।एवॉकाडोसामग्री- एक एवॉकाडो का छिलका, दो टेबलस्पून गेहूं का आटा, थोड़ा-सा दूधविधि-छिलके को मिक्सी में पीसने के बाद उसमें आटा और दूझ मिलाकर पेस्ट तैयार करें। पेस्ट को चेहरे पर लगाएं और सूखने पर गुनगुने पानी से चेहरा धो लें। त्वचा खिल उठेगी।
- किडनी स्टोन की समस्या आम होती जा रही है। ऐसे में किडनी के लिए डाइट काफी मायने रखती है। गुर्दे की बीमारियों की रोकथाम और प्रबंधन के लिए जरूरी कदम उठाने की जरूरत है। ऐसे कई खाद्य पदार्थ हैं जो इस काम में आपकी मदद कर सकते हैं। हेल्दी डाइट के साथ हम अपनी किडनी को भी पूरी तरह से सेफ रख सकते हैं। इस बात के लिए ये जानना बहुत जरूरी है कि किडनी का काम शरीर में खून को साफ करना और अपशिष्ट उत्पादों को शरीर से बाहर निकालना होता है। ऐसे में फिट बॉडी में हेल्दी किडनी के लिए सिलेक्टेड फूड का सेवन काफी फायदेमंद माना जाता है। कैसा हो वो फूड, आइए जानें।रेड बेलपेपरलाल शिमला मिर्च में पोटैशियम की मात्रा कम होती है, पर यह एकमात्र कारण नहीं है कि ये गुर्दे के लिए सही है। ये विटामिन सी, ए, बी 6, फोलिए एसिड व फाइबर का बेहतरीन सोर्स भई है। इनमें लाइकोपीन भी होता है, जो एक एंटीऑक्सीडेंट है।प्याजप्याज, आमतौर पर आपको हर किचन में आसानी से मिल जाएगा। साथ ही साथ किडनी डााइट प्लान में इसे भी खासी इंपॉर्टेंस दी जाती है। दरअसल, प्याज में फ्लेवोनाइड, विशेष रूप से क्वेरसेटिन, एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट भी प्रचुर मात्रा में होता है, जो हार्ट डिजीज को कम करने और कई तरह के कैंसर से भी बचाव करता है और इस तरह से ये पोटैशियम में कम और क्रोमियम का एक अच्छा स्त्रोत है।फूलगोभीफूलगोभी, विटामिन सी, फोलेट व फाइबर का अच्छा सोर्स है। ये किडनी को ऐसे विषाक्त पदार्थों से बेअसर करने में मदद करती है, जो कोशिका झिल्ली व डीएनए को नुकसान पहुंचा सकते हैं। किडनी के लिहाज से ये फायदेमंद हो सकती है।सेबसेब पेक्टिन का एक अच्छा स्त्रोत है, एक घुलनशील फाइबर जो कोलेस्ट्रॉल और ग्लूकोज के स्तर को कम करने में मदद करता है। यह विटामिन सी, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत भी है जो मस्तिष्क के कोशिकाओं की भी रक्षा कर सकता है।पालकयह पत्तेदार हरी सब्जी विटामिन ए, सी, के, आयरन, मैग्नीशियम और फोलेट का बेहतरीन सोर्स है। पालक में पाया जाने वाला बीटा-कैरोटीन आपकी इम्यूनिटी पावर को बढ़ावा देने के नजरिए से भी महत्वपूर्ण है। आप अपने सलाद, सूप या सैंडविच में भी पालक को शामिल कर सकते हैं।
- सुपर फूड की बात की जाए तो इसमें दूध का नाम सबसे पहले हम ले सकते हैं। एक कम्पलीट न्यूट्रीशियस फ़ूड आइटम है जो शरीर की जरूरत के हिसाब से कैल्शियम, विटामिन डी, पोटेशियम की जरूरत को पूरा करता है। इसके अनेक फायदे हैं। कुछ लोग इसे ठंडा पीना पसंद करते हैं तो कुछ लोग इसे गर्मा गर्म। ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर दूध को पीने का सही तरीका क्या हो सकता है। क्या इन दोनों तरह के दूध में न्यूट्रीशनल वैल्यू अलग-अलग हो जाते हैं या एक ही जैसे रहते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो इनके अपने -अपने फायदे हैं। दूध को ठंडा पिया जाए या गर्म, यह पूरी तरह से मौसम और समय पर निर्भर करता है।मौसम के हिसाब सेठंडा दूध दिन के समय या फिर गर्मी में पीना ज्यादा फायदेमंद होता है। इसके सेवन से बॉडी की गर्मी खत्म होती है और शरीर अंदर से ठंडा होता है। जबकि अगर सर्दी के मौसम में रात के वक्त दूध पीना हो तो आप गर्म दूध का सेवन कर सकते है। गर्म दूध शरीर को गर्म रखता है और ठंड से बचाता है।पाचन तंत्र के लिए क्या है बेहतरदरअसल गर्म दूध को पचाना आसान होता है। गर्म दूध के सेवन से डायरिया, गैस जैसी डाइजेशन रिलेटेड प्रॉब्लम से बचा जा सकता है। दरअसल गर्म दूध में ट्रिपलोफान और मेलाटोनिन पाया जाता है और इसमें मौजूद एमिनो एसिड गर्म होने पर एक्टिव हो जाता है। इस वजह से अगर रात में गर्म पिया जाए तो नींद अच्छी आती है। दूसरी ओर ठंडा दूध में कैल्शियम इंटेक अधिक होता है जिससे कई बार ठंडा पीने से पेट में जलन और एसिडिटी में आराम मिलता है। यही नहीं इसमें इलेक्ट्रोलाइट होने की वजह से यह बॉडी को हाइड्रेटेड रखता है। इसलिए रात के समय ठंडा दूध नहीं पीने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने पर कफ, कोल्ड जैसी दिक्कतें आ सकती हैं।वजन को करता है कितना प्रभावितकुछ लोग दूध को वजन बढऩे का एक कारण मानते हैं जो बिलकुल गलत है। दूध में पाया जाने वाला कैल्शियम मेटाबोलिज्म बढ़ाता है जिससे की बॉडी तेज़ी से कैलोरी बर्न करती है.। यही नहीं, ठंडा दूध पीने से पेट काफी लंबे टाइम तक भरा रहता है और भूख नहीं लगती।
- अगर आप भी खाने-पीने के शौकीन हैं और अपने आहार में गुणकारी सब्जियों को शामिल कीजिए। ऐसी ही एक सब्जी है सहजन यानी मुनगा। अंग्रेजी में ड्रमस्टिक या मोरिंगा कहा जाता है। आप जानकर हैरान होंगे कि हमारा देश मोरिंगा का सबसे बड़ा उत्पादक है। सहजन का पेड़ बहुत ही तेजी से बढ़ता है और इसकी फलियों के साथ इसके पत्ते और फूल का भी इस्तेमाल खाने के लिए किया जाता है। सहजन के ये तीनों हिस्सा बहुत गुणकारी हैं। यह बहुत ही स्वादिष्ट बनता है। सहजन में प्रोटीन, अमीनो एसिड, बीटा कैरटीन और विभिन्न फीनॉलिक होते हैं जो हाई ब्लड प्रेशर रोगी के लिए काफी फायदेमंद होते हैं।सहजन फली के कई लाभ-सहजन की फली में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम होता है।-बच्चों के लिए बहुत फायदेमंद है. इससे हड्डियां और दांत मजबूत होते हैं।- गर्भवती महिलाओं को फली खाने से बच्चों में कैल्शियम की मात्रा भरपूर मिलती है।- यह मोटापा कम करने और शरीर की बढ़ी चर्बी को दूर करता है।- फॉस्फोरस की मात्रा अधिक होने से यह शरीर की अतिरिक्त कैलोरी को कम करता है।-सहजन के सेवन से खून साफ होता है।-सहजन की फली का सेवन करने से गर्भवतियों को डिलिवरी के समय अधिक दर्द नहीं होता।-कैंसर के लिए सहजन काफी लाभदायक है।-मधुमेह के विमारी में भी सहजन लाभदायक है।-हृदय को स्वस्थ रखने में सहजना लाभकारी है।- सहजन लिवर के लिए काफी फायदेमंद है ।-इम्युनिटी बढ़ाने के लिए भी सहजन का उपयोग किया जाता है।-त्वचा के लिए भी सहजन काफी गुणकारी है।सहजन की पत्ती को कैसे उपयोग करेंसहजन की पत्ती में हाई ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने के गुण हैं। हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को सहजन की पत्तियों को एक ग्लास पानी में उबाल लें। जब पानी उबल कर आधा हो जाए तो इसे ठंडा कर लें और छानकर पी लें लेकिन ये पानी रोज नहीं पीना है। दो दिन तक लगातार पीकर फिर इसे छोड़ दें। जब ब्लड प्रेशर सामान्य या कम हो जाए तो इसे सप्ताह में एक दिन ले सकते हैं। प्रेशर कम हो जाए तो आप दो-दो दिन को अंतराल पर पी सकते हैं लेकिन ध्यान रहे आपको अपना प्रेशर रोज मापना है ताकि आपको पता चल सके कि कितना कम हुआ है? यदि कम हो जाए तो इसे सप्ताह में एक दिन ले सकते हैं।(नोट- किसी भी उपाय का इस्तेमाल करने से पहले एक बार किसी योग्य चिकित्सक की सलाह अवश्य ले लें। यहां हम केवल एक जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं)
- जन्म के 6 महीने बाद शिशु कुछ खाद्य पदार्थ जैसे फल, कुछ डेरी प्रोडक्ट्स खिलाए जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि बच्चों के लिए पोषक तत्व को उनकी डाइट में जोडऩा जरूरी है। लेकिन अगर हम बात पौष्टिक खाने की कर रहे हैं तो हम घी को कैसे भूल सकते हैं। पर माएं अपने बच्चे को घी खिलाने से पहले कई सवालों से घिर जाती हैं। वे सोचती हैं कि क्या इतने छोटे बच्चे को खिलाना फायदेमंद है ? कहीं इसके सेवन से कोई नुकसान तो नहीं?शिशु को घी खिलाना कितना है सुरक्षित?6 महीने के बाद बच्चा घी का सेवन कर सकता है। इस पर हुई एक रिसर्च के मुताबिक 6 से 8 महीने के शिशु की डाइट में 0.6 kcal/g को जोड़ सकते हैं। वहीं 12 से 23 महीने के बच्चे की डाइट में 1 kcal/g जोड़ सकते हैं। ऐसा करने से उर्जा भरपूर मिलती है। इस शोध के मुताबिक बच्चे की डाइट में घी के साथ-साथ गुड, शहद, मक्खन, तेल आदि को भी उनकी डाइट में उर्जा के लिए जोड़ सकते हैं।बच्चे के लिए घी की सीमित मात्रा क्या है?हम सब जानते हैं कि घी उर्जा का प्रमुख स्रोत है। ऐसे में शिशु और छोटे बच्चों की डाइट में 1 टीस्पून घी जोड़ सकते हैं। इसकी जानकारी इंडियन जर्नल ऑफ़ प्रैक्टिकल पीडियाट्रिक्स में दी गई है।बच्चों और शिशु को घी देना कितना है फायदेमंद?घी के अंदर भरपूर मात्रा में विटामिन ए, फैटी एसिड, ऊर्जा, कोलेस्ट्रोल, कैलोरी, मोनो अनसैचुरेटेड फैटी एसिड, विटामिन डी आदि महत्वपूर्ण तत्व पाए जाते हैं जो बच्चों के विकास में बेहद काम आ सकते हैं।हड्डियों को मजबूत बनाएं घी - घी के सेवन से बच्चों की हड्डियों के लिए जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं। घी के अंदर विटामिन ए और विटामिन डी मौजूद होते हैं जो हड्डी से जुड़ी बीमारियों जैसे ओस्टियोपोरोसिस, हड्डियों के विकास का रोग आदि को दूर करने में फायदेमंद हैं। ऐसे में घी के सेवन से बच्चों की हड्डियां मजबूत होती है और उनका विकास भी प्रभावी ढंग से किया जा सकता है।इम्यूनिटी को बढ़ाएगी - बच्चों की इम्यूनिटी को बूस्ट करने में घी बेहद मददगार साबित हो सकता है। घी के सेवन से प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने में मदद मिल सकती है। ऐसे में बच्चों की डाइट में 1 टीस्पून की जोडऩा एक बेहतर विकल्प हो सकता है।ऊर्जा का प्रमुख स्रोत जी - जैसा कि हमने ऊपर भी बताया बच्चों में उर्जा के लिए घी उनकी डाइट में जोडऩा जरूरी है। ऐसे में हम कह सकते हैं कि घी एनर्जी बूस्टर का काम करता है।वजन को बढ़ाए घी - अगर आप अपने शिशु का वजन बढ़ाना चाहते हैं तो घी को उनकी डाइट में जोडऩा एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि घी में फैट मौजूद होता है। ऐसे में घी को जोडऩे से वजन बढ़ाया जा सकता है वहीं ये ऊर्जा का भी स्रोत है। लेकिन इसकी अधिकता बच्चे का वजन ज्यादा मात्रा में भी बढ़ा सकता है।बच्चों का स्टैमिना बढ़े - घी के उपयोग से बच्चों की सहनशक्ति यानी स्टैमिना और याददाश्त को बढ़ाया जा सकता है। हालांकि घी का सहनशीलता से क्या संबंध है इस पर और रिसर्च चल रही है। ऐसे में सहनशक्ति को बढ़ाने के लिए बच्चों की डाइट में घी को जोडऩे से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।घी देते वक्त बरतने वाली सावधानियां-1 - बच्चों को सीमित मात्रा में घी दें।2 - अगर घी के सेवन से बच्चों में एलर्जी दिखाई दे तो तुरंत उसका सेवन रोकें और डॉक्टर से संपर्क करें।3 - बच्चे की डाइट में शुद्ध देशी घी को जोड़ें।घी खिलाने का तरीकाशिशु की डाइट में घी हलवे, खिचड़ी, दलिया, रोटी, चावल आदि में मिला कर दिया जा सकता है। इसके अलावा घी के लड्डू से भी बच्चों के शरीर में घी पहुंचाया जा सकता है लेकिन लड्डू खिलाने से पहले ध्यान रहे कि लड्डुओं का सेवन सीमित मात्रा में कराएं क्योंकि लड्डू में शुगर भी मौजूद होता है।
- आप अंदाजा नहीं लगा सकते हैं कि 2 चम्मच मेथी पुरुषों के स्वास्थ्य के लिए कितनी कमाल की चीज है. मेथी के सेवन से पुरुषों में यौन समस्याओं की जड़ को खत्म किया जा सकता है. मेंथी में ऐसे कई स्वास्थ्यवर्धक गुण मौजूद होते हैं. जो पुरुषों और महिलाओं के लिए बहुत जरूरी होते हैं. इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन डी, सॉल्यूबल और इनसॉल्यूबल फाइबर, आयरन, बायोटीन आदि पोषक तत्व होते हैं.पुरुषों में होने वाली यौन समस्याओं के पीछे के मुख्य कारण टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन में कमी, रक्त प्रवाह में बाधा और स्पर्म क्वालिटी का गिरना होता है. 2 चम्मच मेथी का सेवन इन तीनों कारणों को सुधारकर पुरुषों में सेक्शुअल प्रॉब्लम्स का निवारण करता है. आप मेथी के दानों को खाना बनाते समय डाल सकते हैं और इसके दानों का चूर्ण व काढ़े का भी सेवन कर सकते हैं.अगर आप रोजाना 2 चम्मच मेथी का सेवन करते हैं, तो आपके शरीर में टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन का स्तर सुधरता है. मधुमेह, मोटापा या उम्र बढ़ने के कारण पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर गिरने लगता है और सेक्शुअल फंक्शन, एनर्जी में कमी आने लगती है. अध्ययनों के मुताबिक, मेथी में मौजूद furostanolic saponins कंपाउंड टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन का उत्पादन बढ़ाता है. इसके अलावा, मेथी का सेवन स्पर्म क्वालिटी को भी बढ़ाता है, जिससे पुरुषों में बांझपन की समस्या नहीं होती है.पुरुषों में रक्त प्रवाह बाधित हो जाने से जननांग तक ताजा व ऑक्सीजन वाला खून नहीं पहुंच पाता है और उनमें कामेच्छा में कमी और नपुंसकता की समस्या हो सकती है. लेकिन मेथी का सेवन शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर घटाकर रक्त प्रवाह बेहतर बनाता है और पुरुषों में नपुंसकता व इरेक्शन की कमी को सुधारता है.मेथी खाने के लाभमहिलाओं में स्तनपान को बेहतर बनाता हैवजन घटाने में मददगारसूजन से राहतदर्द से राहत, आदि
- मखाना सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है। मखाने में कैलोरी और फैट काफी कम मात्रा में पाया जाता है। मखाना एंटी ऑक्सीडेंट्स का भंडार होता है, जो हृदय और किडनी संबंधित समस्याओं से बचाने में काफी मददगार साबित होता है। क्या आपने कभी दूध में मखाना उबालकर इसका सेवन किया है? अगर नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम आपको दूध में मखाना उबालकर खाने के कुछ स्वास्थ्य फायदों के बारे में बताएंगे।1. पेट संबंधी समस्याओं में फायदेमंदमखाने को पुराने समय से ही हृदय के लिए फायदेमंद माना गया है। मखाना एंटी ऑक्सीडेंट्स का भंडार है, जो पेट संबंधी समस्याओं से राहत दिलाने में मददगार होता है। मखाने में फाइबर की उच्च मात्रा पाई जाती है, जो पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने के साथ ही कब्ज आदि से भी छुटकारा दिलाता है। वहीं मखाने को दूध में उबालने से दूध में पाए जाने वाला लैक्टॉस भी मखाने में अवशोषित होता है, जो पेट दर्द, ब्लोटिंग आदि समस्याओं में मददगार साबित होता है।2. डायबिटीज में मददगारडायबिटीज की समस्या में भी मखाना और दूध का सेवन एक साथ करना काफी लाभदायक माना जाता है। दूध में मखाना उबालकर खाने से ब्लड ग्लूकोज और ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित होता है। डायबिटीज के मरीज दूध में मखाना उबालकर बेझिझक इसका सेवन कर सकते हैं। इसके नियमित सेवन से उनका ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित होगा। मखाने में एंटी डायबिट प्रॉपर्टीज पाई जाती हैं, जो डायबिटीज के लक्षणों से भी बचाते हैं।3. जोड़ों के दर्द में सहायकआमतौर पर कैल्शियम की कमी के कारण जोड़ों में दर्द की समस्या होती है। मखाने को दूध में उबालकर खाना हड्डियों के लिए किसी औषधि से कम नहीं है। मखाना और दूध दोनों ही कैल्शियम का बेहतरीन स्त्रोत हैं। दोनों ही एंटी इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज से भरपूर होते हैं, जो जोड़ों के दर्द और सूजन आदि की समस्या में काफी प्रभावशाली माने जाते हैं।4. कमजोरी दूर करेदूध और मखाना दोनों ही एनर्जी का एक बेहतरीन स्त्रोत हैं। दोनों का सेवन करने मात्र से ही शरीर में इंस्टेंट एनर्जी आती है। मखाने को दूध में उबालकर खाने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है। मखाना और दूध का सेवन करने से शरीर में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स औऱ फाइबर आदि जैसे कई पोषक तत्व अवशोषित होते हैं, जो शारीरिक कमजोरी को दूर करने में सहायक होते हैं।5. अनिद्रा में फायदेमंदअगर आप भी अनिद्रा के शिकार हैं तो मखाना और दूध का सेवन कर सकते हैं। एक शोध की मानें तो अनिद्रा की समस्या में मखाने का सेवन करना काफी फायदेमंद होता है। वहीं दूध पीने से भी आपको नींद नहीं आने की समस्या में राहत मिलती है। इसके लिए आप रात के समय दूध में उबले हुए मखाने खाएं और बचा हुआ दूध पीकर सो जाएं। इससे आपको जल्दी नींद आएगी।6. हृदय के लिए फायदेमंदमखाने में मैगनीशियम, कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन और फ्लेवेनॉइड्स आदि जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो हृदय रोगों के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। वहीं हाल ही में हुए एक शोध की मानें तो नियमित तौर पर दूध-मखाना का सेवन करने से कोरोनरी आर्टरी डिजीज होने की आशंका काफी कम हो जाती है।(नोट-मखाने को दूध में उबालकर खाना बेहद फायदेमंद है। अगर आप प्रेगनेंसी या फिर किसी बीमारी में इसका सेवन कर रहे हैं तो एक बार चिकित्सक की सलाह जरूर लें। )
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कई तरह की बीमारियों से लडऩे और शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए आयन बेहद जरूरी है। आयरन से ही शरीर में हीमोग्लोबिन बनता है और अगर हीमोग्लोबिन कम हुआ तो एनीमिया की बीमारी हो सकती है। इसके अलावा शरीर में खून की कमी होने पर चक्कर आना, कमजोरी, बेहोशी आदि समस्याएं होने लगती हैं। शरीर में आयरन की कमी से खून की कमी हो जाती है। अगर सही समय पर खून की कमी को पूरा नहीं किया गया तो हमें कई गंभीर बीमारियां भी हो सकती है। जब शरीर में मौजूद आयरन, हमारे शरीर में मौजूद प्रोटीन के साथ कॉम्बिनेशन तैयार करता है, तब हीमोग्लोबिन का उत्पादन होता है, जो शरीर के लिए बेहद जरूरी है।
क्या है एनीमियाएनीमिया एक ऐसी बीमारी है, जो व्यक्ति के शरीर में खून की कमी या हीमोग्लोबिन की कमी के वजह से होती है, जिससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और व्यक्ति कमजोर होने लगता है। महिलाओं, बच्चों में और लंबे समय से चल रही बीमारियों से पीडि़त लोगों को एनीमिया आसानी से हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, दुनिया में करीब 80 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो आयरन की कमी से जूझ रहे हैं, जबकि इनमें से 30 प्रतिशत लोग एनीमिया के शिकार हैं।खून की कमी के लक्षण - चक्कर आना या बेहोश होना, सांस की तकलीफ होना, बहुत कमजोरी और थकान महसूस होना, दिल की धड़कन तेज़ होना, त्वचा पीली पडऩा, सिर में दर्द होना, हाथ पैर हर वक्त ठंडा रहना।इन चीजों से बढ़ता है खून1.किशमिश का सेवनकिशमिश शरीर में खून की कमी को पूरा करने में मदद करती है। खून की कमी को दूर करने के लिए 4 से 5 किशमिश को गुनगुने पानी में अच्छे से धो लें और इसके बाद पीने लायक दूध में डालकर इन्हें उबाल लें। गुनगुना होने पर इसका सेवन करें। आप दिन में दो बार ऐसा कर सकते हैं।2.पालक का सेवन जरूरीपालक में आयरन भरपूर मात्रा होती है, जो शरीर में खून की कमी को दूर करने में काफी फायदेमंद है। पालक की सब्जी या साग के रूप में पालक का सेवन कर सकते हैं।3.टमाटर का रोज करें सेवनशरीर में खून की कमी को ठीक करने में टमाटर बहुत काम की चीज है। आप इसे सलाद के रूप में या सब्जी और सूप के रूप में रोजाना जरूर सेवन करें।4. चुकंदर का सेवन भी जरूरीरोजाना चुकंदर के सेवन से शरीर में खून की मात्रा को पर्याप्त स्तर तक लाया जा सकता है। चुकंदर और अनार को मिलाकर जूस पीने से भी काफी फायदा मिलता है। दोनों का जूस बनाकर पीने से शरीर में खून बनाया जा सकता है। - बारिश के मौसम में सर्दी-जुकाम और खांसी होना आम बात है, लेकिन अगर सही समय पर इनका इलाज न किया जाए तो ये कई बीमारियों का कारण बन सकती हैं. ऐसे में हम आपके लिए लेकर आए हैं काली मिर्च के फायदे जी हां छोटी सी काली मिर्च सेहत के लिए बड़े कमाल की चीज है, क्योंकि यह न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाती है बल्कि हमें कई गंभीर बीमारियों से दूर रखती है.कई रिसर्च शोध और वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार भी इस बारे में पुष्टि की जा चुकी है कि काली मिर्च हमारी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद साबित होती है. इसमें पाए जाने वाले तत्व विटामिन ए और विटामिन ई शरीर के लिए बेहद जरूरी हैं.काली मिर्च में क्या-क्या पाया जाता हैकाली मिर्च में पैपरीन नामक तत्व पाया जाता है. यह तत्व औषधीय गुणों से भरपूर है. इसके अलावा काली मिर्च में आयरन, पोटैशियम, मैग्नीशियम, मैंग्नीज, जिंक, क्रोमियम, विटामिन ए और अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो एक स्वस्थ्य शरीर के लिए जरूरी माने जाते हैं.काली मिर्च के फायदेआंखों के लिए लाभकारीकाली मिर्च आंखों की रोशनी के लिए फायदेमंद मानी जाती है. इसको घी के साथ सेवन करने से आंखों की रोशनी को बढ़ाया जा सकता है.सर्दी-खांसी और जुकाम से राहतसर्दी, खांसी और जुकाम से पीड़ित लोगों को ही लिए काली मिर्च एक बेहतरीन औषधि के रूप में कार्य कर सकती है. आयुर्वेद में भी इसके सेवन से सर्दी और जुकाम की समस्याओं को ठीक करने की बात कही गई है. आप शहद के साथ काली मिर्च के पाउडर को खा सकते हैं.इन बीमारियों से बचाने में करती है मददकाली मिर्च एंटीऑक्सीडेंट में उच्च होती है, इसमें मजबूत एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं. काली मिर्च से सूजन संबंधी बीमारियां, हृदय रोग और कैंसर जैसी बीमारियों के होने की संभावना कम हो जाती है.डायबिटीज के मरीजों के लिए लाभकारीकाली मिर्च डायबिटीज के मरीजों के लिए भी लाभकारी है. अगर काली मिर्च का सेवन नियमित रूप से किया जाए तो यह ब्लड शुगर लेवल को संतुलित बनाए रखकर डायबिटीज के खतरे को काफी हद तक कम कर देती है.
- फिट और स्वस्थ्य रहने के लिए लोग अपनी लाइफ में कई तरह के बदलाव लाते हैं. कुछ जिम जाते हैं तो कोई रनिंग करता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि रस्सी कूदने से सेहत को जबरदस्त फायदे मिलते हैं? जी हां रस्सी कूदने से न सिर्फ वजन कम होता है बल्कि इससे हमें कई दूसरी तरह के फायदे भी मिलते हैं.दरअसल, ऑफिस जाने वाले लोगों के पास समय की कमी होती है, जिसकी वजह से वह जिम नहीं जा पाते हैं या रनिंग और जॉगिंग जैसे फिजिकल एक्सरसाइज नहीं कर पाते हैं. ऐसे में उनके लिए रस्सी कूदना बेहद लाभकारी हो सकता है. कई शाध के अनुसार यह पता चला है कि, रोजाना रस्सी कूदने से हृदय और मानसिक स्वास्थ्य बना रहता है साथ में यह स्टैमिना को भी बढ़ाता है.स्वस्थ्य और फिट रहने के लिए आपको खानपान के साथ एक्सरसाइज पर भी फोकस करने की जरूरत होती है. रस्सी कूदने से आपकी मांसपेशियां मजबूत होती हैं. साथ ही दिल की बीमारी का खतरा भी कम होता है उन्होंने बताया कि पेट की चर्बी को घटाना सबसे मुश्किल काम है, ऐसे में अगर आप पेट की चर्बी को कम करना चाहते हैं तो आप रेगुलर रस्सी कूदें, इससे आपके पेट की चर्बी तेजी से कम होगी.रस्सी कूदने के 4 फायदेरस्सी कूदने से आपका शरीर शांत और लचीला बनता है. कूदने से मांसपेशियों को बहुत ताकत मिलती है और उन्हें आराम मिलता है.मध्यम-तीव्रता में रस्सी कूदने से चिंता और अवसाद कम हो सकता है. व्यायाम आपके शरीर और मस्तिष्क में रक्त परिसंचरण को बढ़ा सकता है.लगातार काम करने से अगर आप थका हुआ महसूस करते हैं तो स्किपिंग सहनशक्ति में सुधार कर सकती है, आप जितना अधिक आप नियमित रूप से स्किपिंग करते हैं, उतना ही आपकी सहनशक्ति बढ़ती है.एक रिपोर्ट के मुताबिक रस्सी कूदना सबसे अच्छा कार्डियो व्यायाम है, क्योंकि यह हृदय गति को बढ़ाता है. इससे हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा काफी कम हो सकता है.
- क्या आपको रायता खाना पसंद है? रायता अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तरीकों से बनाया जाता है। प्याज के रायते में दही और प्याज दोनों के पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इसलिए प्याज का रायता खाने से स्वास्थ्य को कई लाभ मिलते हैं। नियमित रूप से प्याज का रायता खाने से दही और प्याज दोनों के फायदे सेहत को मिलते हैं।दही में पो तत्वविटामिन बी5 और बी12 , पोटैशियम ,आयोडीन, जिंक,फास्फोरस , राइबोफ्लेविन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सोडियम।प्याज में पोषक तत्वविटामिन ए, बी और सी , फोलिक एसिड, कैल्शियम , मैग्नीशियम, आयरन।प्याज के रायते के फायदेप्याज का रायता पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसके सेवन से हृदय स्वास्थ्य बेहतर होता है और यह पाचन क्रिया को भी बेहतर बनाता है। गर्मी के मौसम में प्याज का रायता खाने से बॉडी हाइड्रेट रहती है और शरीर को एनर्जी मिलती है।हड्डियों को मजबूत बनाए प्याज का रायताअक्सर शरीर में कैल्शियम की कमी होने पर हड्डियों में दर्द होना शुरू हो जाता है। ऐसे में कैल्शियम युक्त डाइट या सप्लीमेंट लेना बहुत जरूरी होता है। प्याज और दही दोनों कैल्शियम का अच्छा स्त्रोत है। आप चाहें तो अपनी हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए प्याज के रायते को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। प्याज का रायता खाने से जोड़ों में दर्द की समस्या भी दूर होती है।गर्मी में बॉडी को हाइड्रेट रखे प्याज का रायतागर्मियों में प्याज का रायता खाना बेहद लाभकारी माना जाता है। इसके सेवन से शरीर की गर्मी दूर होती है। गर्मी में रायता को डाइट में शामिल करने से शरीर को ठंडक मिलती है और लू लगने का जोखिम कम होता है। सफेद प्याज लू से बचाता है। साथ ही प्याज का रायता बॉडी को डिहाइड्रेशन से बचाता है और बॉडी को हाइड्रेट रखने में मदद करता है।हृदय के लिए फायदेमंद प्याज का रायताप्याज का रायता खाने से हृदय स्वास्थ्य बेहतर रहता है। प्याज का रायता शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल को नियंत्रित रखता है। इसके अलावा यह ट्राइग्लिसराइड्स लेवल को भी कंट्रोल में रखता है। प्याज में एंटीक्लोटिंग गुण होते हैं, जो खून के थक्कों को बनने से रोकता है। ब्लड क्लोटिंग के जोखिम को कम करने के लिए आप प्याज के रायते का सेवन कर सकते हैं।इम्यूनिटी बढ़ाए प्याज का रायताप्याज में काफी अच्छी मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है। साथ ही दही में जिंक भी होता है। इसलिए इन दोनों से मिलकर बने रायते को खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। इसके अलावा प्याज के रायते में एंटीबैक्टीरियल और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं, जो बार-बार होने वाले सर्दी-खांसी में राहत दिलाते हैं। प्याज सर्दी-खांसी की समस्या को दूर करने में मददगार होता है। साथ ही इसके सेवन से सूजन या इंफ्लामेशन की दिक्कत भी ठीक होती है।पाचन क्रिया को मजबूत बनाए प्याज का रायतागर्मी के दिनों में नियमित रूप से प्याज के रायते का सेवन करने से पाचन क्रिया को बेहतर किया जा सकता है। दही में काफी अच्छी मात्रा में प्रोबायोटिक्स होता है, जो पाचन को बेहतर करने में मददगार होता है। प्याज के रायते को लंच में शामिल करने से पेट से जुड़े रोग जैसे-गैस, अपच, कब्ज और एसिडिटी की समस्या दूर होती है।प्याज के रायते से मिलेगी एनर्जीदही में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन होता है। साथ ही यह विटामिंस और मिनरल्स से भी भरपूर होता है। ऐसे में इसे प्याज के साथ मिलाकर खाने से आप एनर्जेटिक महसूस कर सकते हैं। प्याज का रायता कमजोरी को दूर करने में सहायक होता है। इसके सेवन से आप दिनभर ऊर्जावान बने रह सकते हैं।प्याज का रायता बनाने की रेसिपीप्याज का रायता बनाना बहुत आसान है। आप इसे आसानी से घर पर ही बना सकते हैं। इसके लिए आपको बहुत ज्यादा सामग्री की भी जरूरत नहीं होती है।आवश्यक सामग्री प्याज : 2 ,दही : 1 कटोरी, हरी मिर्च : 1 , धनिया पत्तियां : बारीक कटी हुई, तेल : तड़के के लिए, राई : 1 चम्मच, नमक : स्वादानुसारविधि- प्याज का रायता बनाने के लिए सबसे पहले प्याज को बारीक काट लें। इसके बाद दही को अच्छी तरह से फेंट लें। अब एक कटोरी में कटे हुए प्याज और दही को अच्छी तरह से मिला लें। इसमें हरी मिर्च, धनिया पत्तियां और नमक डाल दें। अब एक पैन में तेल गर्म करें। इसमें तड़का लगाने के लिए राई के दाने डाल दें। आखिरी में इस तड़के को दही और प्याज के मिश्रण में मिला दें। अब आप इसे अपने लंच में शामिल कर सकते हैं। साथ ही इससे मिलने वाले फायदों को पा सकते हैं।