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- चना एक पौष्टिक और एनर्जी देने वाला अनाज है। इसीलिए, इसे कई तरीकों से भारतीय रसोइयों में पकाया और परोसा जाता रहा है। लोग चने की सब्ज़ी, चाट और इसके अंकुरित अनाज का सेवन सलाद के तौर पर करते हैं, लेकिन, क्या आप जानते हैं कि ना केवल चना खाने बल्कि, इसका पानी पीने से भी सेहत को कई फायदे हो सकते हैं। जिस पानी में चने भिगोकर रखा जाता है, अगर, कोई व्यक्ति उस पानी को पी ले, तो उसकी रोग-प्रतिरोधक शक्ति बढ़ जाती है। चने का पानी नियमित तौर पर पीने से शरीर की इम्यूनिटी बढ़ती है।डाइट एक्सपर्ट बताती हैं कि चने में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटैशियम और विटामिन ए, बी, सी, डी की भरपूर मात्रा पाई जाती है। इसमें विटामिन और मिनरल्स की बहुत अधिक मात्रा पाई जाती है। अगर रोज सुबह भीगे हुए चने का पानी खाली पेट पिया जाए तो शरीर कई बीमारियों से दूर रहता है।ऐसे तैयार करें चने का पानी ---रात में सोने से पहले चने को धोकर रात भर के लिए पानी में भिगो दें। सुबह खाली पेट इस पानी का सेवन करें। इसके अलावा आप इसमें शहद मिलाकर भी पी सकते हैं।चने के पानी से मिलने वाले लाभ ----1. इम्युनिटी बढ़ेगीरोज़ाना सुबह खाली पेट कच्चे चने के पानी का सेवन करने से शरीर तमाम तरह की बीमारियों से बचा रहेगा और बार-बार बीमार होने का खतरा कम होगा। इससे आपकी इम्युनिटी भी बढ़ेगी।2. ब्लड शुगर कंट्रोल रहेगारोज़ाना चने का पानी पीने से ब्लड शुगर कंट्रोल रहता है जिसकी वजह से डायबिटीज के मरीजों के लिए ये काफी फायदेमंद होता है।3. वजन कम करने में मददअगर आप वजन घटाना चाहते हैं तो रोज भीगे चने का पानी पीएं। इसको पीने से थकान और कमज़ोरी भी महसूस नहीं होती है और पेट भी काफी समय तक भरा हुआ सा महसूस होता है।4. पेट होगा साफये कब्ज़ को दूर करने और पेट को साफ़ करने में काफी मदद करता है। इसके साथ ही गैस, अपच जैसी दिक्कतों से भी निजात दिलाता है।5. स्किन के लिए फायदेमंदभीगे चने का पानी स्किन को अंदरूनी तौर पर साफ करने में भी मदद करता है। ये स्किन सम्बन्धी कई तरह की दिक्कतों को होने से बचाता है और नेचुरल ब्यूटी को बढ़ाने का काम करता है।किस समय पीएं चने का पानीहेल्थ एक्सपट्र्स कहते हैं कि सुबह खाली पेट चने का पानी पीना चाहिए। इससे वजऩ तो कम होता है. साथ ही कमजोर इम्यूनिटी को मजबूत किया जा सकता है।
- भारत के लोगों के लिए चाय की तरह मैगी भी इमोशन है। हेल्थ के नजरिये से देखें तो ज्यादा मैगी खाना ठीक नहीं। हालांकि ओकेजनली टेस्ट बदलने के लिए खाया भी जा सकता है। मैगी लोग कई तरीकों से बनाते हैं। अगर आप कहीं घूमने जाएंगे तो जगह-जगह मैगी पॉइंट्स मिल जाते हैं। वहीं हिल स्टेशन की मैगी का भी अपना स्वाद होता है। अगर आप घर पर इस मैगी का स्वाद लेना चाहते हैं तो यहां देखें रेसिपी।सामग्रीमैगी का पैकेट, प्याज, शिमला मिर्च, गाजर, मटर, नमक, बटर, चाट मसाला, काली मिर्च, लाल मिर्च, टमाटर, हरा धनिया, टमैटो केचअप, ग्रीन चिली सॉस।विधिपैन में पानी रखें। पानी गरम हो जाए तो इसमें प्याज, टमाटर, शिमला मिर्च और गाजर को बारीक काटकर (आपके पास हरा प्याज, ब्रोकली, फूलगोभी या जो भी सब्जियां हों अपनी पसंद के हिसाब से लें) डालें। साथ में मटर भी ऐड करें। पानी बहुत ज्यादा न रखें। जितना पैकेट में लिखा है उससे बस थोड़ा पानी एक्सट्रा लें ताकि मटर गल जाए। इसमें बहुत हल्का सा नमक डाल दें ये ध्यान रखते हुए कि मसाले में ऑलरेडी नमक होता है, साथ ही बटर भी नमकीन होगा। अब उबलती सब्जियों में लाल मिर्च और मैगी मसाला डाल दें। इसके बाद मैगी तोड़कर डालें। पानी कम होने लगे तो बहुत थोड़ा सा टमैटो सॉस और चिली सॉस मिला दें। अब धनिया काटकर मिला दें। मैगी पक गई हो तो गैस बंद करके इसमें ऊपर से बटर, थोड़ा सा काली मिर्च पाउडर और जलजीरा पसंद हो तो डालें वर्ना रहने दे सकते हैं।
- विटामिन ए शरीर के लिए एक आवश्यक पोषक तत्व है. विटामिन ए के लिए आप कौन से फूड्स डाइट में शामिल कर सकते हैंआइए जानें-----गाजर का इस्तेमाल कई व्यंजनों में किया जाता है. ये एक लोकप्रिय सब्जी है. शोधकर्ताओं के अनुसार एक कप गाजर आपके दैनिक विटामिन ए की आवश्यकता को लगभग 334 प्रतिशत पूरा कर सकती है.डेयरी प्रोडक्ट -डेयरी प्रोडक्ट में विटामिन ए पाया जाता है. इसमें दूध, दही, पनीर और पौधे आधारित दूध शामिल हैं.ब्रोकोली -ब्रोकोली में बहुत से पोषक तत्व पाए जाते हैं. ये प्रोटीन, विटामिन सी, विटामिन ए और कैल्शियम से भरपूर होती है. सलाद और सूप के रूप में इसका सेवन कर सकते हैं.शिमला मिर्च -हरी या लाल शिमला मिर्च विटामिन ए और एंटीऑक्सीडेंट और कैल्शियम का एक अच्छा स्रोत है. सलाद, पास्ता और अन्य व्यंजन में इस सब्जी को शामिल कर सकते हैं. इसके अलावा, ये कैरोटीनॉयड में उच्च है और इसमें एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं.टमाटर -टमाटर विटामिन ए का एक अच्छा स्रोत हैं. इनका इस्तेमाल लगभग रोज व्यंजनों में किया जाता है. आप टमाटर का सूप और टमाटर की चटनी का भी सेवन कर सकते है.
- अगर किसी दिन पेट में गैस बन जाए, तो खाना-पीना और काम करना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए आप कुछ घरेलू उपचार आजमा सकते हैं. अदरक में एंटीबैक्टीरियल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो पेट को शांत करने में मदद करते हैं. आप आदरक के पानी का सेवन कर सकते हैं.कैमोमाइल टी आंतों के लिए फायदेमंद है. ये दर्द से राहत देती है और गैस को खत्म करने में मदद करती है. एक कप उबलते पानी में, एक या दो चम्मच सूखे कैमोमाइल फूल डालें, ढक दें और 5 मिनट उबलने के बाद इसका सेवन करें.बर्फ का पानी और चीनीएक गिलास बर्फ के पानी में दो बड़े चम्मच चीनी डालें, अच्छी तरह से मिलाएं और पिएं. ये शरीर के तरल पदार्थों को स्थिर करने में मदद करता है. कहा जाता है कि ठंडा पानी गले और सीने की परेशानी को दूर करता है.नारियल पानीनारियल का पानी पिएं. इससे आपके पेट को आराम महसूस होता है. नारियल के पानी में फाइबर की मात्रा अधिक होती है. ये पाचन में सहायता करता है और एसिडिटी को रोकता है.बेकिंग सोडाएंटासिड के रूप में काम करता है. ये पेट में एसिड के स्तर को कम करता है. बेकिंग सोडा को पानी में अच्छी तरह मिलाएं और आवश्यकतानुसार इसका सेवन करें.
- स्वस्थ भोजन शरीर और दिमाग दोनों के लिए बहुत फायदेमंद है। जब हम अच्छा खाते हैं, तो हम अच्छा महसूस करते हैं। और जब हम अच्छा महसूस करते हैं, तो हम ज्यादा खुश रहते हैं। इस तरह यह चक्र आपके रिश्तों और संपूर्ण जीवन को सामान्य रूप से प्रभावित करता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि धरती पर कई तरह के स्वस्थ भोजन हैं, जो आपको लंबी उम्र के साथ स्वस्थ जीवन देते हैं। तो आइए जानते हैं ऐसे 8 स्वस्थ खाद्य पदार्थों के बारे में, जो पौष्टिक होने के साथ खाने में स्वादिष्ट और मजेदार भी हैं।एवोकाडो-इसे फलों की दुनिया का मर्माइट कहा जाता है। सप्ताह में एक या दो एवोकाडो खाने से आपको हेल्दी मोनोसैचुरेटेड फैट, पोटेशियम, फोलेट्र विटसमिन के, सी, बी-5, बी-6 और विटामिन ई मिलेगा। पौष्टिकता से भरपूर होने के नाते इसका काम कोलेस्ट्रॉल और ट्राईग्लिसराइड लेवल को कम करना है। इसके अलावा यह न केवल आपकी आंखों की रोशनी बढ़ाता है, बल्कि गठिया के लक्षणों से राहत देने और कैंसर की रोकथाम के लिए भी स्वस्थवर्धक माना गया है।मसूर की दालदाल भारतीय व्यंजनों का मुख्य हिस्सा है। दालों में भी मसूर की दाल को स्वस्थ भोजन में से एक माना गया है। मसूर में फाइबर, प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा होने के चलते यह हार्ट , वजन घटाने और ब्लड शुगर लेवल में हो रहे उतार-चढ़ाव से लडऩे की क्षमता प्रदान करती है। सबसे अच्छी बात है कि इसे पचाना बेहद आसान होता है।डार्क चॉकलेट-कई शोध बताते हैं कि ज्यादातर फ्रूट जूस की तुलना में चॉकलेट में ज्यादा एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। इसके सेवन से कैंसर , ह्दय से जुड़ी बीमारियां दूर हो जाती हैं। है। यहां तक की कोलेस्ट्रॉल प्रोफाइल के लिए डार्क चॉकलेटको बहुत अच्छा माना गया है।लहसुन-लहसुन बैक्टीरिया को विकसित होने से रोकता है। खासतौर से जिन लोगों का कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ रहता है, उन्हें लहसुन का सेवन जरूर करना चाहिए।चुकंदर-च़ुंकदर एक सुपरफूड है, जो हमारे मस्तिष्क के लिए अच्छा और ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए फायदेमंद है। डॉक्टर्स के अनुसार डिमेंशिया और एक्सरसाइज परफॉर्मेंस में सुधार के लिए यह बेहतरीन इलाज है। जड़ वाली यह सब्जी फोलेट , मैग्ग्रीशियम और विटामिन सी से भरपूर है, इसलिए अभी से ही इसे भोजन के साथ सलाद के रूप में खाना शुरू कर दें।नींबू-हेल्थ इंडस्ट्री में नींबू को दुनिया के सबसे स्वस्थ भोजन में से एक माना गया है। यह खट्टा फल मजबूत एंटीइंफ्लेमेट्री गुणों से भरपूर है। यहां तक की ये कैंसर सेल्स को डवलप होने से रोकने में मदद करता है।पालकपालक पोषक तत्वों से भरपूर सुपरफूड है। इसकी खासियत है कि इसमें कैलोरी बहुम कम मात्रा में होती है और इसके सेवन के हर व्यक्ति ऊर्जा का अनुभव करता है। विटामिन ए, के और फोलेट से भरपूर होने के कारण डॉक्टर्स भी कमजोरी , खून की कमी और आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए पालक खाने की सलाह देते हैं।अखरोट-अध्ययनों के अनुसार, अखरोट धमनियों में सूजन और ऑक्सीडेशन को कम करने जैतून के तेल की तरह ही प्रभावी होता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा लाभ प्राप्त करने के लिए हिर दिन 8 अखरोट खाने चाहिए।
- मौसम बदलने की आहट से सर्दी, जुकाम, खांसी, वायरल फीवर, मलेरिया आदि अन्य मौसमी बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है। इसके अलावा जो लोग अस्थमा के मरीज हैं, उनको भी इस मौसम में सजग हो जाने की जरूरत होती है क्योंकि जैसे-जैसे सर्दी बढ़ती है, अस्थमा के मरीजों के लिए भी काफी मुश्किलें बढ़ जाती हैं ।इन सब परेशानियों के बीच गिलोय का सेवन काफी लाभकारी साबित हो सकता है। कैल्शियम, प्रोटीन, फॉस्फोरस भरपूर गिलोय एक ऐसी जड़ीबूटी है, जिसे आयुर्वेद में संजीवनी बूटी माना जाता है। ये व्यक्ति की इम्युनिटी बूस्ट करने के साथ तमाम बीमारियों से बचाती है यहां जानिए गिलोय के फायदे और इसको इस्तेमाल करने का तरीका.....कब्ज और गैस की समस्या दूर करेगिलोय का काढ़ा कब्ज और गैस की समस्या से भी निजात दिलाने में मददगार है। पीलिया के रोगियों के लिए भी गिलोय काफी फायदेमंद माना जाता है। उन्हें इसके पत्तों का रस पीने से काफी आराम मिलता है।बेस्ट इम्युनिटी बूस्टरगिलोय को बहुत ही अच्छा इम्युनिटी बूस्टर माना जाता है । वायरस से होने वाली बीमारियों और मौसमी बीमारियों से बचाने में गिलोय का काढ़ा काफी फायदेमंद साबित होता है। इसे रोजाना पीने से सर्दी-जुकाम जैसी समस्याओं से भी राहत मिलती है।अस्थमा के लिए वरदानगिलोय में भारी मात्रा में एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व पाए जाते हैं, इसलिए ये अस्थमा और सांस की अन्य समस्याओं को नियंत्रित करने में काफी कारगर माना जाता है। गिलोय का नियमित सेवन करने से फेफड़े साफ होते हैं और कफ का जमाव नहीं हो पाता।रक्त शोधक है गिलोयएंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर गिलोय को रक्तशोधक माना जाता है। ये शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने का काम करता है और खून को साफ करता है। इसके रेग्युलर सेवन से स्किन से जुड़ी परेशानियों में भी फायदा होता है।डेंगू के मरीजों के लिए लाभकारीडेंगू के दौरान मरीज को रोजाना गिलोय का काढ़ा बनाकर देना चाहिए। इसके सेवन से शरीर में खून की कमी नहीं होती है और प्लेटलेट्स भी तेजी से बढ़ती है और बुखार नियंत्रित होता है।ऐसे बनाएं गिलोय का काढ़ासबसे पहले गिलोय के डंठल को तोड़ लें। इसे धोकर कूट लें और एक गिलास पानी में डालें। इसके साथ तुलसी की पत्तियां, काली मिर्च, थोड़ी अदरक और चुटकीभर हल्दी डालें। इसके बाद पानी को उबलने दें। पानी आधा रहने पर छान लें और गर्मागर्म पीएं। आप चाहें तो इसमें शहद भी मिला सकते हैं।---------
- जीरा नाम सुनते ही सबसे पहले आप तड़का याद आएगा। जीरा एक ऐसा मसाला है, जिसका इस्तेमाल अधिकतर लोग तड़का लगाने के लिए करते हैं। इसके अलावा गर्म मसालों को तैयार करने के लिए भी जीरे का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन आपको बता दें कि जीरा ना सिर्फ आपके खाने का स्वाद बढ़ाता है, बल्कि इसके इस्तेमाल से आप अपनी खूबसूरती पर भी चार चांद लगा सकती हैं।कैसे तैयार करें जीरा स्क्रबजीरा स्क्रब से महज कुछ ही मिनट के अंदर आपकी स्किन क्लीन हो जाएगी। साथ ही इससे आपके चेहरे पर निखार आएगा। जीरा स्क्रब बनाना काफी आसान है। आइए जानते हैं जीरा स्क्रब बनाने की विधि-पीसा हुआ जीरा - 1 चम्मचशहद - 1 चम्मचबादाम तेल - 1 चम्मचअब इन सभी चीजों को एक कटोरी में डालकर मिक्स करें। अब अच्छे से सभी चीजें मिक्स हो जाए, तो इस मिश्रण को हथेली में लेकर हल्के हाथों से स्क्रब करें। करीब 3 से 4 मिनट तक ऐसा करने से आपकी खूबसूरती में निखार आएगा।स्क्रब करने के बाद क्या करें?चेहरे पर स्क्रब करने के बाद अपने फेस को गुनगुने पानी से साफ करें। इसके बाद अपने चेहरे पर स्किन टोनर लगाएं। आप अपनी स्किन के हिसाब से टोनर लगा सकती हैं। लेकिन अगर आपको यह नहीं पता कि आपकी स्किन के लिए कौन सा टोनर बेस्ट है, तो आप गुलाबजल को टोनर के रूप में इस्तेमाल कर सकती हैं।हर तरह की स्किन के लिए है असरदारजीरा स्क्रब हर तरह की स्किन के लिए फायदेमंद हो सकता है। अगर आपकी स्किन ऑयली या फिर ड्राई है, तो भी आप इस स्क्रब का इस्तेमाल कर सकती हैं। क्योंकि इस स्क्रब में ऐसी सामाग्री का इस्तेमाल हुआ है, तो पूरी तरह से नैचुरल है।डेड स्किन को हटाए जीरा स्क्रबइस स्क्रब के इस्तेमाल से गर्दन और फेस पर मौजूद डेड स्किन तुरंत हट जाएगी। साथ ही यह आपके स्किन पोर्स को गहराई से साफ करेगा। आप इस स्क्रब को सिर्फ चेहरे पर ही नहीं, बल्कि पूरे शरीर पर भी लगा सकती हैं।विटामिन -ई से भरपूर होता है जीराजीरा विटामिन ई से भरपूर होता है। आप इस बात से अच्छी तरह वाकिफ होंगे कि विटामिन ई हमारी स्किन के लिए काफी बेहतर होता है। इसके इस्तेमाल से आपकी स्किन ग्लो करती है। साथ ही चेहरे पर मौजूद दा-धब्बे साफ होते हैं।एंटी-फंगल गुणजीरे में एंटी-बैक्टीरियल और एंटिफंगल गुण मौजूद होते हैं। ऐसे में इस स्क्रब के इस्तेमाल से आप स्किन पर मौजूद संक्रमण से रक्षा कर सकते हैं। इतना ही नहीं जीरा स्क्रब के इस्तेमाल से पिंपल की परेशानी, सूजन, एक्ने, ब्लैक हेड्स, बंप्स और रैशेज जैसी समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।
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अंजीर स्वाद और सेहत दोनों का जबरदस्त कॉम्बिनेशन है. इसे फल और ड्राई फ्रूट दोनों की श्रेणी में रखा जाता है. एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर अंजीर इतनी फायदेमंद होती है कि इसे सुपरफूड माना जाता है. अंजीर में भरपूर मात्रा में तांबा, सल्फर, क्लोरिन विटामिन ए, बी और सी आदि ढेरों पोषक तत्व होते हैं.आमतौर पर ये फल हर मौसम में और हर जगह पर नहीं मिलता, इसलिए इसे सुखाकर ड्राईफूट के तौर बाजार में बेचा जाता है. अगर व्यक्ति दिन की शुरुआत दो भीगी हुई अंजीर को खाकर करे, तो अपने शरीर को तमाम बीमारियों से बचा सकता है
आंखों के लिए
भरपूर मात्रा में विटामिन ए होने के कारण अंजीर को आंखों के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है. इसका सेवन रेटिना के बुरे प्रभाव को रोकने का काम करता है.
कैंसर से बचाव
अंजीर में एंटी कैंसर गुण होते हैं. ऐसे में इसका रोजाना सेवन करने से कैंसर जैसी भयानक बीमारी से बचाव होता है. साथ ही कैंसर के मरीज इलाज के साथ इसका सेवन करें, तो उनकी इम्युनिटी स्ट्रॉन्ग होती है, जिससे उन्हें रोग से लड़ने की ताकत मिलती है.
डायबिटीज में फायदेमंद
इसके अलावा ये डायबिटीज के रोगियों के लिए भी काफी उपयोगी होती है. कहा जाता है कि यदि डायबिटीज के मरीज इसके पत्तों का सेवन दवा के रूप में करें तो उन्हें इंसुलिन के इंजेक्शन पर निर्भर नहीं रहना पड़ता.
हाई बीपी के लिए
अंजीर में फाइबर, पोटैशियम, ओमेगा 3 और 6 फैटी एसिड पाए जाते हैं जो बैड कोलेस्ट्रॉल को हटाने के साथ हाई बीपी को नियंत्रित करते हैं. हाई बीपी के मरीजों को रोजाना रात में अंजीर को पानी में भिगोकर सुबह खाली पेट सेवन करना चाहिए.
फर्टिलिटी पावर बढ़ाती
अंजीर को फर्टिलिटी को बढ़ाने वाला फ्रूट भी माना जाता है. कहा जाता है कि अगर आपको यौन सम्बंधित समस्या हो, तो आपको रोजाना रात को दूध में दो से तीन अंजीर डालकर सेवन करना चाहिए. इससे ये समस्या काफी हद तक कंट्रोल हो जाती है.
हड्डियों के लिए अच्छी होती है
अंजीर को मैग्नीशियम, पोटैशियम और कैल्शियम का अच्छा स्रोत माना जाता है. इस लिहाज से ये हड्डियों के लिए भी काफी उपयोगी है. रोजाना इसे रात में दूध के साथ लेने से और अच्छे परिणाम मिलते हैं. - हर साल 15 अक्टूबर को ग्लोबल हैंडवॉशिंग डे मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य सेहतमंद बने रहने के लिए दुनिया में हाथ धोने के महत्व को बताना है। हाथ धोना या हैंड हाइजीन काफी जरूरी है, क्योंकि जब आप हाथ धोते हैं, तो ना सिर्फ आपके हाथों से गंदगी, धूल-मिट्टी, तेल आदि साफ होते हैं, बल्कि बीमार करने वाले कई कीटाणुओं का भी नाश होता है। कोरोना के माहौल में हाथ धोना और भी जरूरी हो गया है। आइए ग्लोबल हैंडवॉशिंग डे पर हाथ धोने के सही तरीके और सही वक्त के बारे में जान लेते हैं।क्या है हाथ धोने का बेस्ट तरीका?जेपी हॉस्पिटल के लैब मेडिसिन डिपार्टमेंट, माइक्रोबायोलॉजी के एसोसिएट डायरेक्टर Dr. Suryasnata Das के अनुसार, अपने बच्चों को हाथ धोने का ये तरीका सीखाना चाहिए, ताकि उनमें अच्छी आदत आए और वे बीमारियों से दूर रह सकें।- सबसे पहले ठंडे या गुनगुने (ज्यादा गर्म नहीं) साफ पानी से हाथों को गीला कर लें। इसके बाद साबुन या लिक्विड सोप लेकर करीब 20 सेकेंड हाथों को रगड़ें और झाग बनाएं। साबुन को उंगलियों के बीच में, हाथ के पीछे, नाखूनों के पास, कलाई, अंगूठों, उंगलियों की टिप पर भी रब करना ना भूलें। इसके बाद हाथों को साफ चलते पानी से धोकर तौलिये की मदद से सुखा लें।किस समय हाथ धोना है जरूरी? -कीटाणुओं का फैलना रोकने और बीमार पड़ने से बचने के लिए निम्नलिखित स्थितियों में हाथ जरूर धोएं. जैसे--- खाना बनाने या खाने से पहलेवॉशरूम इस्तेमाल करने के बाद- घर में सफाई करने के बाद- पालतू या अन्य जानवर को छूने के बाद-किसी बीमार परिवारवाले या परिचित की सेवा करने या उससे मिलने के बाद- छींकने, खांसने या नाक साफ करने के बाद (चाहे आप ने किसी टिश्यू या रुमाल की मदद ही ली हो)- बाहर से आने के बाद (खेलने, बागवानी करने आदि), आदिहाथ धोने से हम स्वस्थ कैसे रहते हैं?किसी बीमारी से बचने या उसे फैलने से रोकने के लिए एक्सपर्ट हाथ धोने को पहला और जरूरी कदम मानते हैं। इन बीमारियों में कोविड-19, आम जुकाम, फ्लू, हेपेटाइटिस ए, कई प्रकार के डायरिया आदि शामिल हैं।इन तरीकों से कीटाणु एक-दूसरे व्यक्ति में फैलते हैं.- गंदे हाथ छूने से-गंदे डायपर बदलने पर-- संक्रमित सतहों को छूने परसंक्रमित पानी या खाने से-किसी बीमार व्यक्ति के बॉडी फ्लूइड के संपर्क में आने पर- खांसने या छींकने के दौरान निकलने वाली ड्रॉप्लेट्स के संपर्क में आने परहाथ धोने के लिए क्या इस्तेमाल करें?अधिकतर स्थितियों में हाथों से बैक्टीरिया या कीटाणु नष्ट करने के लिए साबुन और चलते पानी से हाथ धोना सबसे बेहतर है, हालांकि, जिस स्थिति में आपके पास साबुन या पानी ना हो, तो आप किसी एल्कोहॉल बेस्ड सैनिटाइजर का इस्तेमाल कर सकते हैं, ध्यान रखें कि सैनिटाइजर में 70 प्रतिशत से ज्यादा एल्कोहॉल होना चाहिए। वरना यह कुछ कीटाणुओं के खिलाफ बेअसर हो सकता है।
- राजगिरा या रामदाना के लड्डू तो आपने खूब खाए होंगे। पर क्या आपने कभी इसका आटा खाया है? दरअसल, राजगिरा या अमरनाथ असल में ओट्स गेहूं या चावल जैसा अनाज नहीं है। इसका एक पौधा होता है जिसे कई जगहों पर चौलाई भी कहते हैं और रामदाना उनकी कलियों में होते हैं। रागगिरा में सबसे ज्यादा प्रोटीन और फाइबर होता है, जो कि स्वास्थ्य के लिए कई प्रकार से काम करते हैं।राजगिरा (रामदाना) के आटे के खास पोषक तत्वराजगिरा (रामदाना) कई आवश्यक विटामिनों का भी एक अच्छा स्रोत है, जिनमें विटामिन ए, सी, ई, के, बी5, बी6, फोलेट, नियासिन और राइबोफ्लेविन शामिल हैं। ये एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करते हैं। इसके अलावा इसमें प्रोटीन, मैंगनीज, मैग्नीशियम, फास्फोरस और आयरन भी शामिल हैं।राजगिरा का आटा खाने के फायदे1. एनर्जी बूस्टर है राजगिरा का आटाअगर आप अपने नाश्ते में कुछ एनर्जी बूस्टर चीज बनाना चाहते हैं तो आपको राजगिरा का आटे से पराठा और हलवा आदि बना कर खाना चाहिए। जी हां, ऐसा इसलिए क्योंकि राजगिरा के आटे में काब्र्स की एक अच्छी मात्रा होती है। साथ ही ये प्रोटीन से भरपूर है जो कि शरीर को एक किक स्टार्ट देता है।2. सूजन कम करता हैजब हमारे शरीर को चोट लगती है या फिर इंफेक्शन हो जाता है तो हमारा इम्यून सिस्टम सूजन के रूप में रिएक्ट करता है। पर अगर शरीर में बार-बार सूजन रहने लगे तो ये परेशानियां पैदा कर सकता है। ऐसे में आपको शरीर का सूजन कम करने के लिए राजगिरा का आटा खाना चाहिए। दरअसल, इसमें पेप्टाइड्स और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो कि दर्द को कम करने के साथ सूजन को कम कर सकते हैं। साथ ही इसमें कुछ ऐसे एंटीबॉडी होते हैं जो कि सूजन से लडऩे में शरीर की मदद करते हैं।3. कब्ज की समस्या को दूर करता हैअगर आपको बार-बार कब्ज की समस्या हो जाती है तो आपको राजगिरा का आटा खाना चाहिए। ध्यान रहे कि इसे दरदरा करके पीसे और तब इस्तेमाल करें। दरअसल, राजगिरा के आटे में फाइबर की एक अच्छी मात्रा होती है।4. मोटापा घटाता हैराजगिरा (रामदाना) के आटे में फाइबर और प्रोटीन दोनों है। ये दोनों ही वेट लॉस में एक जरूरी भूमिका निभाते हैं। दरअसल, प्रोटीन जहां भूख को नियंत्रित करने और एक्सरसाइज आदि करने में हमारी सहायता करता है वहीं फाइबर मेटाबोलिज्म को तेज करता है। इस तरह आप अच्छे से खाना पचा कर और भूख कंट्रोल करके मोटापा घटा सकते हैं। साथ ही राजगिरा (रामदाना) के आटे लाइसिन से भरपूर है, जो कि शरीर के लिए एक जरूरी अमीनो प्रोटीन है जो कि एक हेल्दी मेटाबोलिज्म के अलावा क्रेविंग आदि को भी कंट्रोल करने में एक प्रमुख भूमिका निभाता है।5. हड्डियों के लिए फायदेमंदकैल्शियम और फॉस्फोरस से भरपूर होने के कारण, राजगिरा का आटा हड्डियों के लिए भी फायदेमंद है। दरअसल, ये आपकी हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है और ऑस्टियोपोरोसिस की रोकथाम में मदद करता है। चूंकि इसमें लाइसिन भी है तो ये शरीर को कैल्शियम अवशोषित करने में भी मदद करता है। साथ ही लाइसिन मांसपेशियों को मजबूत बनाने में भी मददगार है। इसलिए हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए आपको राजगिरा का आटा जरूर खाना चाहिए।6. डायबिटीज में है फायदेमंदडायबिटीज के रोगी अक्सर दो चीजों से परेशान रहते हैं। पहला असंतुलित ब्लड शुगर और दूसरा डायबिटी में कब्ज की समस्या। ऐसे में राजगिरा का आटा खाना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। दरअसल, इसका फाइबर ब्लड शुगर में अचानक बढ़ोतरी को रोकता है और इसे धीमे-धीमे पचाने में मदद करता है।7. इम्यूनिटी बूस्टर हैराजगिरा में विटामिन सी की एक अच्छी मात्रा होती है। विटामिन सी इम्यून सिस्टम के लिए बेहद जरूरी है। इसे रेगुलर खाने से ये व्हाइट ब्लड सेल्स के प्रोडक्शन को बढ़ाकर इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करता है। बता दें कि व्हाइट ब्लड सेल्स इंफेक्शन से लडऩे में काफी प्रभावी है। साथ ही विटामिन सी कोशिकाओं की मरम्मत और तेजी से उपचार के लिए भी जरूरी है।8. कोलेस्ट्राल कम करता हैराजगिरा का आटा दिल के रोगियों के लिए फायदेमंद है। सबसे पहते तो इसका फाइबर कोलेस्ट्रॉल के स्तर को संतुलित करने में मदद करता है। साथ ही इसमें पाए जानते वाले फाइटोस्टेरॉल भी कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में काफी मदद करते हैं। साथ ही इसमें पोटेशियम भी होता है जो कि ब्लड सेल्स को चौड़ा करने और ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।इसके अलावा राजगिरा का आटा त्वचा और बालों के लिए भी फायदेमंद है। ये त्वचा में कोलेजन को बढ़ावा देता है। तो, इसका आयरन बालों को झडऩे से रोकता है। इसके अलावा ये समय से पहले सफेद हो रहे बालों को भी रोकता है और इसका प्रोटीन बालों के टैक्सचर को बेहतर बनाता है।
- गुड़ हमारी भारतीय परंपरा का हिस्सा रहा है। शहर से लेकर गांव तक गुड़ को अलग-अलग व्यंजनों में कई ढंग से इस्तेमाल किया जाता है। गुड़ की मीठी खुशबू और लाजवाब स्वाद से कई उम्दा व्यंजन तैयार किए जाते हैं जिनमें से एक है गुड़ की रोटी। पुराने जमाने में घरों में सुबह-सुबह गुड़ की रोटी बना करती थी। गुड़ की रोटी खाने में जितनी स्वादिष्ट होती है उतनी सेहतमंद भी है। गुड़ की रोटी में विटामिन के, विटामिन ई, विटामिन सी, विटामिन बी3 और अन्य जरूरी पोषक तत्व जैसे मैगनिशियम, सोडियम, जिंक, फॉस्फोरस, फाइबर, प्रोटीन आदि पाए जाते हैं। आइये जानें इसे कैसे बनाते हैं।गुड़ की रोटी कैसे बनाएं?सामग्री: गुड़, आटा, सौंफ, घी, पानीविधि-- एक बर्तन में गुड़ का पाउडर और आधा कप पानी लें।-दोनों को अच्छी तरह मिलाएं और घुल जाने तक अलग रख दें।-अलग बर्तन में आटा लें, आप होल ग्रेन आटा भी ले सकते हैं।-आटे में घी और सौंफ, गुड़ पानी डालकर उसे माढ़ लें।-आटे को अच्छी तरह से चिकना होने तक गूंथें।-अब चकले पर आटे की लोई रखकर उसे हाथ से चिपटा करें।-आपकी रोटी भरवां पराठे से थोड़ी मोटी बनेगी।-इसके बाद तवे पर रोटी डालकर दोनों तरफ से घी लगाकर सेक लें।-गुड़ की रोटी तैयार है, आप इसे दही या सादा खा सकते हैं।गुड़ की रोटी से मिलने वाले पोषक तत्वगुड़ की रोटी बच्चे या बड़े कोई भी खा सकते हैं। अगर आप किसी बीमारी से रिकवर कर रहे हैं तो आप भी गुड़ की रोटी खा सकते हैं। गुड़ की रोटी में करीब 65 प्रतिशत विटामिन बी1, 60 प्रतिशत बी2, करीब 49 प्रतिशत विटामिन बी6, 80 प्रतिशत पोटैशियम, 33 प्रतिशत कॉब्र्स की मात्रा होती है। इसके अलावा गुड़ की रोटी में फाइबर, प्रोटीन, सोडियम, जिंक, फॉस्फोरस, मैग्निशियम, आयरन, विटामिन बी9 आदि मौजूद होते हैं।ठंडक आने से पहले के मौसम में वायरल बीमारियों का प्रकोप बढ़ जाता है और संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है ऐसे में आपको गुड़ की रोटी का सेवन करना चाहिए जिससे आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़े।बहुत से लोगों को पेट से जुड़ी समस्याएं जैसे कब्ज की समस्या, गैस, जलन आदि की शिकायत होती हैं, इन समस्याओं को दूर करने के लिए आपको गुड़ की रोटी का सेवन जरूर करना चाहिए इससे पाचन तंत्र मजबूत रहेगा।गुड़, रिफाइंड शुगर से कई गुना ज्यादा सेहतमंद होता है, जो लोग डाइट फॉलो करते हैं या वजन कम कर रहे हैं वो इस रोटी को दिन में एक बार खा सकते हैं तो आपका वजन नहीं बढ़ेगा। गुड़ की रोटी खाने से पेट लंबे समय तक भरा हुआ महसूस होगा। गुड़ की रोटी को आप दिन में दो से ज्यादा न खाएं।
- उच्च रक्तचाप यानी हाई ब्लड प्रेशर आज के समय में लोगों के बीच तेजी से बढ़ने वाली एक आम समस्या है। इस समस्या से पीड़ित लोगों की धमनियों में खून का दबाव बढ़ जाता है, जिसके कारण दिल को सामान्य से ज्यादा काम करना पड़ता है। लोगों के बीच यह समस्या ज्यादातर अधिक तला-भुना, चिकनाई युक्त भोजन करने और शारीरिक श्रम न करने की वजह से होती है। अगर आप भी इस समस्या से पीड़ित हैं तो अपनी डाइट में ये 5 फल शामिल करना बिल्कुल न भूलें।न्यूट्रिशनिस्ट और वैलनेस एक्सपर्ट के अनुसार स्ट्रॉबेरी में एंथोसायनिन नामक एंटीऑक्सीडेंट यौगिक होते हैं, जो एक प्रकार का फ्लेवोनोइड होता है। एक अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने पाया कि एंथोसायनिन (मुख्य रूप से स्ट्रॉबेरी) का सबसे ज्यादा सेवन करने वाले लोगों में कम एंथोसायनिन सेवन वाले लोगों की तुलना में उच्च रक्तचाप के जोखिम में 8 प्रतिशत की कमी आई थी।1-कीवी-ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए कीवी बेहद फायदेमंद फल है। कीवी ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखने में मदद करती है। कीवी में मौजूद मैग्नीशियम और पोटेशियम हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को कम करने में मदद करते हैं। कीवी का सेवन करने से दिल के दौरे, स्ट्रोक का खतरा कम होता है। बीपी के रोगियों को रोजाना इससे बने जूस का सेवन करना चाहिए।2-तरबूज-तरबूज में मौजूद अमीनो एसिड,पोटेशियम, विटामिन सी, विटामिन ए, लाइकोपीन जैसे तत्व हाई ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करते हैं। इसके अलावा तरबूज में मौजूद पोटैशियम एक्सरसाइज के दौरान ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करता है।3-आम-फलों का राजा आम खाने में स्वादिष्ट होने के साथ सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद है। आम में मौजूद फाइबर और बीटा कैरोटीन ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं।4-स्ट्रॉबेरी-स्ट्रॉबेरी में भरपूर ऐंटिऑक्सिडेंट, विटमिन सी और ओमेगा 3 फैटी ऐसिड होता है।इसमें मौजूद पोटैशियम उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करनेमें मदद करता है।5-केला-उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में पोटैशियम एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। केला पोटैशियम, ओमेगा-3, फैटी एसिड का सबसे अच्छा स्रोत है।
- सेब दुनियाभर में सबसे अधिक खाया जाने वाला फल है. अपने बेहतरीन गुणों के कारण इसे जादुई फल भी कहा जाता है. इसमें पर्याप्त मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट और बीमारियों से लड़ने वाले तत्व पाए जाते हैं. सेब में कुछ ऐसे भी तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर में नई कोशिकाओं के निर्माण को प्रोत्साहित करते हैं. सेब में पेक्टिन जैसे फायदेमंद फाइबर्स पाए जाते हैं. हर रोज एक सेब खाने से कैंसर, हाइपरटेंशन, मधुमेह और दिल से जुड़ी बीमारियों के होने का खतरा कम हो जाता है. डाइट एक्सपर्ट के अनुसारसुबह नाश्ते के 1 घंटे बाद या लंच करने के 1 से 2 घंटे बाद सेब का सेवन करना सबसे अधिक लाभकारी होता है. आप नियमित रूप से इस समय पर 1 सेब खा सकते हैं. खाली पेट यानी जब सुबह उठकर आपने कुछ ना खाया हो और सबसे पहले सेब ही खा लें. ऐसा करने से आपको पेट में जलन, गैस या बेचैनी हो सकती है.00 सेब के सेवन से बढ़ती उम्र की वजह से मस्तिष्क पर पड़ने वाले प्रभाव को दूर करने में मिलती है.00 सेब में भरपूर मात्रा में डाइट्री फाइबर्स पाए जाते हैं, जो पाचन क्रिया को सही रखने में मददगार होते हैं.00 सेब का नियमित सेवन करने से कैंसर होने का खतरा कम हो जाता है.00 सेब के नियमित सेवन से टाइप-2 मधुमेह होने का खतरा कम हो जाता है.00 सेब का सेवन दिल के लिए बहुत अच्छा होता है. इससे कब्ज की समस्या भी नहीं होती है.00वजन को नियंत्रित करने के लिए भी सेब का नियमित इस्तेमाल फायदेमंद हो सकता है.00 सेब में विटामिन C संतुलित मात्रा में होता है. साथ ही साथ इसमें आयरन और बॉरोन भी पाया जाता है. इन सभी के क़ॉम्बीनेशन से हड्डियों में ताकत आती है.
- देश में इस समय त्योहारों का मौसम चल रहा है। पहले नवरात्रि फिर दीपावली और अन्य कई त्योहार। इसमें से कई त्योहारों में व्रत रहने की प्रावधना है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक वैसे तो व्रत रहना सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है, हालांकि नवरात्रि जैसे नौ दिनों के व्रत में शरीर में ऊर्जा की कमी होना स्वाभाविक है। व्रत के दिनों में शरीर को हाइड्रेटेड बनाए रखना भी आवश्यक होता है, ऐसे में आपको उन पेय पदार्थों का सेवन जरूर करना चाहिए, जो शरीर को ऊर्जा देने के साथ तमाम तरह के पोषक तत्वों की भी पूर्ति कर सकें।नारियल पानीनारियल पानी को कैल्शियम, मैग्नीशियम और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों का एक अच्छा स्रोत माना जाता है। नारियल पानी आपके शरीर को हाइड्रेटेड रखने के साथ तरोताजा करने में मदद कर सकता है। कई बीमारियों में डॉक्टर रोगियों को नारियल पानी पीने की सलाह देते हैं। नारियल के पानी में कैलोरी की मात्रा कम होती है और इसे फैट और कोलेस्ट्रॉल से भी मुक्त माना जाता है।लस्सीइस त्योहारी सीजन में लस्सी का सेवन सेहत के लिए फायदेमंद हो सकता है। लस्सी, दही से बनाया जाता है, यही कारण है कि इसे प्रोबायोटिक्स का एक समृद्ध स्रोत माना जाता जो पाचन में सहायता कर सकती है। लस्सी पेट को शांत करते हुए आंत के स्वस्थ बैक्टीरिया को बढ़ावा देती है। त्योहारी मौसम में शरीर को ऊर्जावान बनाए रखने के लिए लस्सी का सेवन करना बेहतर विकल्प हो सकता है।शिकंजीनींबू पानी का सेवन वर्षों से तमाम प्रकार के स्वास्थ्य लाभ के लिए किया जाता रहा है। शिकंजी शरीर को विटामिन सी प्रदान करता है जिसे प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने वाला माना जाता है। शरीर को हाइड्रेटेड बनाए रखने के साथ पेट को ठीक रखने में भी शिकंजी पीना सेहत के लिए लाभदायक हो सकता है। चूंकि नींबू में तमाम प्रकार के अन्य पोषक तत्व भी पाए जाते हैं जिनकी शरीर को बहुत आवश्यकता होती है, ऐसे में शिकंजी का सेवन करना सेहत के लिए लाभकारी माना जाता है।
- बच्चे को शारीरिक और मानसिक रूप से हेल्दी रखने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी होता है उनका खानपान कैसा है. डाइट एक्सपर्ट डॉक्टर रंजना सिंह बताती हैं कि बच्चों को मानसिक रूप से तेज बनाने के लिए उनकी डाइट में ऐसी चीजों को शामिल करना चाहिए, जो सीधे ब्रेन को भरपूर पोषण देती हों.अंडे का सेवनअंडा भी बच्चों की सेहत के लिए जरूरी है. इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड, ल्यूटिन, कोलिन और जिंक होता है. ये सभी पोषक तत्व शिशु की ध्यान लगाने की क्षमता को बढ़ाते हैं. कोलिक एसिटेकोलिन या मेमोरी स्टेम सेल्स बनाने में मदद करता है. इस तरह अंडा खाने से बच्चों की याददाश्त में सुधार आता है.साबुत अनाज का सेवनसाबुत अनाज बच्चों के दिमाग को निरंतर एनर्जी देता रहता है. ये रक्त वाहिकाओं में ग्लूकोज को धीरे से रिलीज करता है. इससे शिशु के शरीर में दिनभर एनर्जी बनी रहती है. इसमें मस्तिष्क के सही तरह से कार्य करने के लिए जरूरी फोलिक एसिड भी होता है.ओट्स का सेवनओट्स विटामिन ई, जिंक और विटामिन बी कॉम्प्लेक्स प्रचुरता में पाया जाता है. ओटमील में फाइबर भी उच्च मात्रा में होता है जिससे शिशु के शरीर को एनर्जी मिलती है. बच्चों को नाश्ते में ओट्स खिलाने से मस्तिष्क के कार्यों में सुधार आने में मदद मिलती है.मछली का सेवनबच्चों का दिमाग तेज करने के लिए मछली जरूरी है. फैटी फिश जैसे कि सैल्मन, ट्यूना और मैकरेल में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है, जो मस्तिष्क के ऊतकों के ब्लॉक बनाने में मदद करता है. ओमेगा-3 फैटी एसिड के और भी कई फायदे होते हैं. इससे शिशु के मस्तिष्क के कार्यों और विकास में मदद मिलती है.हरी सब्जियों का सेवनतेज दिमाग के लिए पालक, केले, ब्रोकोली और अन्य पत्तेदार हरी सब्जियां सहायक होती हैं. कुछ अन्य सब्जियां जैसे टमाटर भी बेहतर हैं, यहां तक कि ब्लूबेरी, रास्पबेरी और ब्लैकबेरी भी एंटीऑक्सिडेंट से भरे होते हैं, जो मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकता है.
- खट्टा लगने वाला नींबू सेहत के लिए जबरदस्त लाभ देता है. नींबू के बारे में कहा जाता है कि भले ही यह स्वाद में खट्टे होते हैं, लेकिन इनमें सेहत के कई मीठे फायदे छिपे होते हैं. नींबू का सेवन करने से शरीर का पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है. साथ ही नींबू पानी पीने से आपके शरीर की एक्स्ट्रा कैलोरी बर्न होती है और वजन घटाने में भी मदद मिलती है. आयुर्वेद में भी नींबू का अपना महत्व है. आयुर्वेद के अनुसार, नींबू का उपयोग शरीर के लिए कई तरह से फायदेमंद हो सकता है. इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-माइक्रोबियल गुणों से भी समृद्ध है, जो रक्त को साफ करने और अस्थमा की स्थिति में भी उपयोगी हो सकता है.नींबू में पाए जाने वाले पोषक तत्वनींबू में विटामिन ए, विटामिन बी 6, विटामिन सी, विटामिन इ, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम, आयरन, फास्फोरस, जस्ता, फोलेट, तांबा, पैंटोथेनिक एसिड, नियासिन थायमिन और कई तरह के प्रोटीन इत्यादि पोषक तत्व होते हैं. यह पोषक तत्व स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं.पाचन तंत्र के लिए बेहतर नींबूस्वाद में खट्टे नींबू में सेहत के कई मीठे फायदे छिपे होते हैं. नींबू का सेवन करने से शरीर का पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है. नींबू पानी पीने से आपके शरीर की एक्स्ट्रा कैलोरी बर्न होती है और वजन घटाने में भी मदद मिलती हैमुंहासों से मिलती है राहतसेहत के अलावा स्किन के लिए भी नींबू बेहद लाभकारी है. नींबू के बीज एंटीबैक्टीरियल होते हैं, जो आपके चेहरे पर आने वाले मुंहासों को दूर करने का काम करते हैं.वजन कम होता हैबेली फैट और वजन कम करने के लिए रोज सुबह एक गिलास गुनगुने पानी में आधा नींबू निचोड़ कर खाली पेट पीना चाहिए. आप चाहें तो इसमें एक चम्मच शहद भी मिला सकते हैं.हाई शुगर वाले मरीजों के लिए फायदेमंदहाई शुगर वालों के लिए नींबू पानी एक बेहतर विकल्प माना जाता है. खासतौर से उनके लिए जो डायबिटीज के मरीज हैं या वजन कम करना चाहते हैं. यह शुगर को गंभीर स्तर तक पहुंचाए बिना शरीर को हाइड्रेट करता है व इससे एनर्जी भी मिलती है.पेट दर्द से राहत देता हैनींबू के रस में अदरक का रस थोड़ी सी शक्कर मिलाकर पीने से पेट दर्द से राहत मिलती है. सब्जियों और दालों पर नींबू निचोड़ कर खाने से सब्जियों के स्वाद और पोषक तत्व में वृद्धि होती है. इससे डिशेज को जल्दी पचाने में भी मदद मिलती है.
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युवाओं में मधुमेह की बीमारी का खतरा बढ़ता जा रहा है। आंकड़े बताते हैं कि हर साल लाखों नए लोगों में इस गंभीर और क्रोनिक बीमारी का निदान किया जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक अग्न्याशय द्वारा पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन (रक्त शर्करा को नियंत्रित करने वाला हार्मोन) का उत्पादन न कर पाने या शरीर द्वारा उत्पादित इंसुलिन का प्रभावी ढंग से उपयोग न हो पाने के कारण डायबिटीज की समस्या हो सकती है। डॉक्टरों की मानें तो कुछ दशकों पहले तक मधुमेह को उम्र के साथ होने वाली स्वास्थ्य समस्या के रूप में देखा जाता था, हालांकि अब यह कम उम्र के लोगों को भी अपना शिकार बना रही है।
विशेषज्ञों के मुताबिक ब्लड शुगर के बढ़े हुए स्तर (हाइपरग्लाइकेमिया) पर अगर ध्यान न दिया जाए या इसे अनुपचारित छोड़ दिया जाए तो यह नसों और रक्त वाहिकाओं को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, साल-दर-साल दुनियाभर में मधुमेह रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है। वयस्कों में बढ़ती इस बीमारी के लिए बचपन में मोटापे के साथ जीवनशैली की तमाम तरह की गड़बड़ी को मुख्य कारक माना जाता है। हार्वर्ड टीएच चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के विशेषज्ञों के मुताबिक जीवनशैली में बदलाव करके प्री-डायबिटीज और टाइप-2 डायबिटीज को काफी हद तक रोका जा सकता है। आइए आगे की स्लाइडों में इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
हार्वर्ड वैज्ञानिक बताते हैं, अधिक वजन या मोटापे के शिकार लोगों में टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है। कई अध्ययनों से पता चलता है कि पेट की चर्बी, वसा कोशिकाओं को प्रो-इंफ्लेमेटरी रसायनों को छोडऩे के लिए प्रेरित करती है जिसके परिणामस्वरूप शरीर इंसुलिन के प्रति कम संवेदनशील बन जाता है। यह स्थिति इंसुलिन का उत्पादन करने वाली कोशिकाओं के कार्य और उनकी क्षमता को बाधित कर देती है। इन समस्याओं से बचे रहने के लिए सभी लोगों को अपने वजन पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
हार्वर्ड वैज्ञानिकों के मुताबिक एक ही जगह पर लगातार बैठकर काम करते रहने या दिनभर आराम करते रहने की आदत सेहत के लिए गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती है। इस तरह की शारीरिक निष्क्रियता टाइप-2 मधुमेह के जोखिम को बढ़ावा देती है। मांसपेशियों को सक्रिय रखने से इंसुलिन के बेहतर उपयोग और ग्लूकोज को अवशोषित करने की उनकी क्षमता में सुधार किया जा सकता है। हार्वर्ड टीएच चैन की रिपोर्ट के अनुसार शरीर को फिट रखने और मधुमेह से सुरक्षित रखने के लिए कम बैठने और ज्यादा चलने की आदत डालें।
हार्वर्ड की रिपोर्ट में कहा गया है कि शरीर को फिट और टाइप-2 मधुमेह से सुरक्षित रखने के लिए अपने आहार में इन चार बातों का विशेष ध्यान रखना आवशयक है।
इन बातों का रखें ध्यान...
०० मीठे पेय से दूरी बना लें। इसकी जगह फलों के जूस का सेवन करें।
०० आहार में हेल्दी फैट वाली चीजों को शामिल करें।
०० रेड मीट का सेवन कम से कम करें।
०० प्रोसेस्ड मीट खाने से बचें। इसके बजाय नट्स, बीन्स, साबुत अनाज, पोल्ट्री या मछली का सेवन बढ़ाएं। -
10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। एक्सपट्र्स और डॉक्टर ऐसा मानते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रखने के लिए प्राकृतिक रोशनी यानी सूरज से आने वाली रोशनी फायदेमंद होती है। मानसिक स्वास्थ्य के लिए प्राकृतिक रौशनी फायदेमंद होती है, जानें कैसे.....
1. एकाग्रता बढ़ती हैप्राकृतिक रोशनी से ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है, एकाग्रता बढ़ाना चाहते हैं तो प्राकृतिक रोशनी में समय बिताएं। आज के समय में जैसे घरों में लोग रह रहे हैं वहां प्राकृतिक रोशनी का महत्व न के बराबर है, कमरों में खिड़की या रोशनदान न होने के कारण शरीर को प्राकृतिक रोशनी नहीं मिल पाती जिसका बुरा असर शरीर के साथ-साथ मन पर भी हो सकता है। फोकस बढ़ाने के लिए आपको हर दिन कुछ समय प्राकृतिक रोशनी में बिताना चाहिए, कोशिश करें कि सुबह के समय सनलाइट में समय बिताएं, सुबह की हल्की धूप शरीर के लिए फायदेमंद होती है।2. प्राकृतिक रोशनी से तनाव कम होता हैतनाव कम करने के लिए प्राकृतिक रोशनी फायदेमंद मानी जाती है। रोजाना आपको रोजाना कम से कम 30 मिनट टहलना चाहिए। मन को शांत करने के लिए प्राकृतिक रोशनी फायदेमंद होती है। प्राकृतिक रोशनी, आंखों के लिए फायदेमंद होती है। प्राकृतिक रोशनी में डोपामाइन होता है जो तनाव भी कम करता है और आपकी आंखों को स्वस्थ रखता है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि है कि सूरज की रोशनी को देखते रहें, इससे आंख में रेडनेस या खुजली हो सकती है। कई डॉक्टर लाइट थैरेपी की मदद से डिप्रेशन का इलाज करते हैं। लाइट थैरेपी से ब्रेन पर पॉजिटिव असर होता है जिससे मूड भी अच्छा होता है और आप अच्छी नींद भी ले पाते हैं। शरीर की नैचुरल रिदम या क्लॉक को अच्छा रखने के लिए भी प्राकृतिक लाइट फायदेमंद मानी जाती है।3. खुश रहना है तो प्राकृतिक रोशनी में समय बिताएंप्राकृतिक रोशनी में कुछ समय बिताने से मन खुश रहता है और आप अपनी तकलीफ भूल जाते हैं। मानसिक पीड़ा को कम करने के लिए प्राकृतिक रोशनी फायदेमंद मानी जाती है। प्रकृति के बीच मन शांत होता है और आप खुशी का अहसास कर पाते हैं। प्राकृतिक रोशनी से आप अच्छी नींद ले पाते हैं जिससे डिप्रेशन कम होता है और आपके कार्य करने के क्षमता बढ़ती है। नैचुरल लाइट से शरीर को विटामिन डी मिलता है। विटामिन डी की कमी से डिप्रेशन, मोटापे के लक्षण बढऩे लगते हैं जिससे आपका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य खराब होता है। विटामिन डी की कमी पूरी करने के लिए आपको नैचुरल लाइट के साथ समय जरूर बिताना चाहिए।4. पॉजिटिवि रहने के लिए फायदेमंद है प्राकृतिक रोशनीप्राकृतिक रोशनी दिमाग के कई हिस्सों के बीच संचार को बेहतर करती है। मानसिक स्वास्थ्य के लिए प्राकृतिक रोशनी क्यों जरूरी है? प्राकृतिक रोशनी से दिमाग में मूड अच्छा रखने का कैमिकल बनता है जिसे हम सिरोटोनिन कहते हैं। जितना ज्यादा आप प्राकृितक रोशनी के बीच रहेंगे उतना ज्यादा आप का दिमाग सिरोटोनिन कैमिकल रिलीज करेगा। प्राकृतिक लाइट में समय बिताने से आपका रूटीन अच्छा होता है और आप काम जल्दी खत्म करके अपने लिए समय निकाल सकते हैं। जिन लोगों को समय पर काम करना पसंद है उन्हें नैचुरल लाइट में समय जरूर बिताना चाहिए क्योंकि नैचुरल लाइट की मदद से आप अपना रूटीन जल्दी शुरू कर पाते हैं और काम समय पर होता है।5. नैचुरल लाइट से काम करने की क्षमता बढ़ती हैप्राकृतिक लाइट में रहने से काम करने की क्षमता बढ़ती है। अगर आपके ऑफिस में नैचुरल लाइट का सोर्स है तो आप बेहतर तरीके से काम कर सकेंगे। ऑफिस में काम के दौरान आप ब्रेक्स में प्राकृतिक रोशनी का आनंद उठा सकते हैं या सुबह ऑफिस से पहले एक अच्छी सैर भी आपके लिए काफी होगी। अगर आप नैचुरल लाइट में बिलकुल समय नहीं बिताते हैं तो आपको डिप्रेशन या एंगजाइटी के लक्षण नजर आ सकते हैं। अंधेरे में रहने से या आर्टिफिशियल लाइट में रहने से मन अशांत होता है और लंबे समय तक नैचुरल लाइट से दूर रहने का बुरा असर आपको देखने को मिलता है। - जोड़ों का दर्द दूर करने के लिए लौंग का लेप लगाना काफी फायदेमंद होता है। लौंग में सोडियम, आयरन, पोटैशियम, फास्फोरस, मैगनीज, विटामिन के, विटामिन सी, आयोडिन, फाइबर, ओमेगा-3 फैटी एसिड, मैग्निशियम, कैल्शियम मौजूद होता है। कई बीमारियों को ठीक करने के लिए इसे औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। आप लौंग का लेप लगाकर जोड़ों के दर्द से छुटकारा पा सकते हैं। इसके साथ ही अंदरूनी चोट, दांत में दर्द, सिर में दर्द, कान का दर्द दूर काने के लिए आप लौंग के लेप का इस्तेमाल कर सकते हैं।जोड़ों का दर्द दूर करता है लौंग का लेपलौंग का लेप लगाने से जोड़ों का दर्द दूर होता है। जिन लोगों को अर्थराइटिस या गठिया जैसी बीमारी है, उन्हें जोड़ों में अक्सर दर्द की समस्या रहती है ऐसे में आप लौंग का लेप लगाएं। लौंग में कैल्शियम मौजूद होता है जिससे हड्डी को मजबूती मिलती है और दर्द से आराम मिलता है वहीं इसमें मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड से दर्द दूर होता है।लौंग का लेप बनाने का तरीकासामग्री: लौंग का लेप बनाने के लिए आपको लौंग, नीलगिरी का तेल, हल्दी, चंदन की जरूरत होगी।विधि- लौंग का लेप बनाने के लिए लौंग को मिक्सी में डालकर पाउडर बना लें। पाउडर को एक साफ कंटेनर में निकालकर रख दें। अब उस पाउडर में नीलगिरी का तेल मिलाएं और उसमें एक चम्मच हल्दी मिला दें। अंदरूनी चोट के लिए लेप लगा रहे हैं तो मिश्रण में चंदन भी मिला सकते हैं। लेप तैयार है, इसे ऐयरटाइट कंटेनर में रखकर स्टोर करें।अन्य प्रकार के दर्द को भी दूर करता है लौंग का लेपकान में दर्दकान का दर्द दूर करने के लिए भी लौंग का लेप फायदेमंद है। लौंग के पाउडर में तिल का तेल मिलाकर पेस्ट बनाएं और उसे हल्का गरम करके कान के बाहरी हिस्से में रूई की मदद से लगाएं तो कान का दर्द दूर हो जाएगा। आप डॉक्टर की सलाह से लौंग का तेल कान के अंदर ड्रापर की मदद से डाल सकते हैं।2.सिर में दर्दजिन लोगों को अक्सर सिर में दर्द या माइग्रेन के कारण सिर में तेज दर्द होता है वो दर्द को दूर करने के लिए लौंग का लेप लगा सकते हैं। तनाव के कारण हो रहे सिर के दर्द में भी लौंग का लेप फायदेमंद है, इसमें मौजूद अरोमा से तनाव भी दूर होता है और सिर का तेज दर्द भी ठीक हो जाता है। आप लौंग का लेप सिर पर लगाकर मालिश करें और आधे घंटे के लिए ए लेप को लगाकर छोड़ दें, इससे राहत मिलेगी।3. दांत का दर्ददांत का दर्द दूर करने के लिए भी लौंग का लेप फायदेमंद है। लौंग दांत के दर्द का पेनकिलर माना जाता है। लौंग में एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं जिससे दांत का दर्द और सूजन दूर होती है। दांत के जिस हिस्से में दर्द है आप वहां लौंग का लेप लगाकर छोड़ दें और 15 मिनट बाद कुल्ला कर लें।4. चोट का दर्दलौंग एक अच्छा एंटीसेप्टिक भी है, चोट लगने पर आपको संक्रमण का डर है तो आप लौंग का लेप लगाएं, इससे चोट में होने वाला दर्द भी दूर हो जाएगा।अगर आपको लौंग का लेप लगाने से सूजन या जलन हो तो इस्तेमाल बंद कर लें और डॉक्टर को दिखाएं। लौंग से एलर्जी हो तो इसका इस्तेमाल न करें।---
- नवरात्र के दौरान बहुत सारे लोग पूरे 9 दिन का उपवास रखते हैं। इसके अलावा कुछ लोग साधारण नमक की जगह सेंधा नमक से बने व्यंजन भी खा लेते हैं। वैसे तो इसका कारण यह बताया जाता है कि साधारण नमक समुद्र से निकलता है और समुद्र में ढेर सारे जलीय जीव होते हैं, इसलिए साधारण नमक शाकाहारी नहीं होता और सेंधा नमक पहाड़ों से प्राप्त होता है, इसलिए ये शुद्ध होता है। खैर धार्मिक मान्यताओं से अलग भी सेंधा नमक के सेवन के कई स्वास्थ्य लाभ हैं, जिन्हें विज्ञान भी सही मानता है। नवरात्रि के 9 दिनों में सेंधा नमक खाने से सेहत को कई फायदे मिलते हैं।1. ब्लड प्रेशर को करता है कंट्रोलजब लोग उपवास रखते हैं तो उस समय में खाने पीने की कुछ ही चीजे खा पाते हैं। तो ऐसे में सेहत पर अहर पड़ता है। जिसके लिए लोग उपवास में सेधा नमक का इस्तेमाल कर सकते हैं। क्योंकि इसमें कैल्शियम और पोटेशियम की अच्छी मात्रा पाई जाती है। उपवास के समय लोग जल्दी थक जाते हैं और जिन लोगों को ब्लड प्रेशर की परेशानी रहते हैं उनके लिए ये नमक फायदेमंद माना जाता है। क्योंकि इसे खाने से शरीर से थकान दूर होती है और बॉडी रिलैक्स करती है। इसके साथ ही सेंधा नमक शरीर को डिटॉक्सीफाई भी करता है।2. पाचन क्रिया के लिए फायदेमंद हैं सेंधा नमकसेंधा नमक को लोग अक्सर उपवास के समय ही खाते हैं, जिसे लोग लाहैरी के नाम से भी जानते हैं। सेंधा नमक शरीर से पित्त दोष, कफ की समस्या और वात की परेशानी दूर करने में मदद करता है। इस नमक को उपवास के अलावा लोगों को अपनी रोजाना में भी इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि इससे शरीर में जमा फैट सेल्स खत्म होते हैं। साथ ही अगर किसी को उल्टी की समस्या हो रही हो तो वह सेंधा नमक को नींबू के साथ खा सकता है। ऐसा करने से उसे जल्द ही उल्टी की समस्या से रहात मिल जाती है। बच्चों को अक्सर पेट में दर्द की समस्या देखने को मिलती है जिसकी बड़ी वजह पेट में कीड़े की होती है। ऐसे में आप बच्चों को खाने में सेंधा नमक डालकर दें इससे पेट के कीड़ों की समस्या जल्द खत्म हो जाएगी।3. आंखों के लिए फायदेमंदआज के समय में लोगों में आंखों की समस्या आप बात हो गई है क्योंकि वह देर समय तक कंप्यूटर पर काम करते रहते हैं और उनका खानपान भी खराब होता जा रहा है। जिसकी सीधा असर आंखों पर पड़ता है। लेकिन सेंधा नमक आपकी आंखों के लिए बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। जिन लोगों को आंखों की समस्या रहती है औऱ उनकी आंखों की रौशनी कम हो रही है तो वह लोग सेंधा नमक का इस्तेमाल करना चाहिए।
- नवरात्रि, जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है नौ रातों का उत्सव। इस बार नवरात्र 7 अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। वैसे तो नवरात्रि साल में दो बार आती हैं चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र। लेकिन दिवाली के पास आने वाली शारदीय नवरात्र का ज्यादा महत्व होता है। नवरात्रों मे मां के नौ अलग रूपों की पूजा की जाती है। ऐसे में कुछ लोग नौ दिनों तक उपवास रखते हैं तो कुछ लोग केवल सबसे पहला और आखिरी का व्रत रखते हैं। नवरात्रि व्रत के दौरान अगर आप सही डाइट लेंगे तो आप अपनी भूख पर नियंत्रित रख सकेंगे। साथ ही व्रत के दौरान भी भरपूर मात्रा में प्रोटीन और न्यूट्रिशन मिलेंगे।1. आलू से बनी चीजेंवैसे तो आम दिनों में लोग आलू का सेवन कम करते हैं। लोगों का मानना है कि आलू के सेवन से वजन ज्यादा बढ़ता है। लेकिन व्रत के दिनों में आलू का सेवन आपकी भूख को नियंत्रित कर सकता है। आप व्रत में आलू के बने चिप्स, आलू के पापड़, सेंधा नमक के उबले आलू आदि का सेवन कर सकते हैं।2. राजगीर से बने लड्डूराजगीर के लड्डू को आम लोगों की भाषा में व्रत के लड्डू भी कहा जाता है। इसे हल्के आहार के रूप में देखा जाता है। इस के अंदर कई पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं। साथ ही राजगीर के लड्डू में गुड यानी नैचुरल शुगर का प्रयोग किया जाता है इसलिए ये बेहद पौष्टिक होते हैं। कुछ लोग राजगीर की बर्फियां भी अपने घरों में बनाते हैं, जिससे टेस्ट के साथ-साथ स्वाद भी भरपूर मिलता है।3. व्रत में कूटू का इस्तेमालकुट्टू के आटे के अंदर कम कैलोरी पाई जाती है। यह फाइबर और प्रोटीन से भरपूर होता है। इसलिए कूटू का सेवन व्रत में बेहद लाभदायक है। कूट्टू से बनी पकौड़ी ने केवल अच्छी लगती हैं बल्कि इससे भूख भी कम लगती है। इसके अलावा कुछ लोग कूटू की बनी रोटी या परांठे का सेवन भी करते हैं। कूटू के साथ लौकी का प्रयोग करके आप हेल्दी भोजन तैयार कर सकते हैं।4. व्रत में फल का सेवन करनाफलों का सेवन करने से शरीर तरोताजा महसूस करता है। ऐसे में अगर इसका सेवन व्रत में किया जाए तो दिन भर थकान से दूर रहा जा सकता है। पपीते में मैग्नीशियम, कॉपर, मिनरल्स, विटामिन बी आदि पाए जाते हैं इसलिए व्रत में पपीता बेहद लाभदायक है। इसके अलावा काले अंगूर, अनानास, संतरा, सेब, मौसमी आदि का सेवन व्रत में कर सकते हैं।5. व्रत में दूध का सेवन है अच्छाअक्सर लोग दूध से बनी चीजों का प्रयोग व्रत में करते हैं। बता दें कि दूध से बनी चीजें शरीर के अंदर ऊर्जा बनाए रखती हैं। आप व्रत में दूध से बनी खीर, दूध का बना सूजी हलवा, दूध और मेवे के लड्डू आदि का सेवन कर सकते हैं और अपने व्रत के खाने को और पौष्टिक बना सकते हैं।6. मखाने का इस्तेमालमखाना एक ऐसा सुपरफूड है, जिसमें कैलोरी की मात्रा बहुत कम होती है। पोषक तत्वों से भरपूर होने की वजह से ये आपको कई तरह से फायदा पहुंचाता है। इसमें कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं और ये किडनी के साथ आपकी हार्ट हेल्थ के लिए भी अच्छा है। मखाना डायबिटीज के मरीजों के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। इसे खाने से शारीरिक कमजोरी दूर होती और बॉडी में एनर्जी आती है। इसमें मौजूद पोषक तत्व कोलेस्ट्रॉल लेवल को नियंत्रित रखते हैं। वहीं इसमें मौजूद मैग्नीशियम शरीर में मेटाबोलिक प्रोसेस में मदद करता है।
- अगर आप शारीरिक कमजोरी से जूझ रहे हैं तो ये खबर आपके काम की है. काम करते वक्त जल्दी थक जाना, या फिर छोटी-छोटी बात पर तनाव ले लेना. यह सभी कमजोरी के लक्षण हैं. ऐसे में आज हम आपके लिए लेकर आए हैं दूध और खजूर का एक साथ सेवन करने से मिलने वाले फायदे. जी हां, इन दोनों का एक सााथ सेवन शरीर को जबरदस्त फायदे देता है. वैसे तो दूध को एक पूर्ण आहार माना जाता है, वहीं खजूर भी सुपर फूड की कैटेगरी में शामिल है. ऐसे में जब हम इन दोनों को साथ में प्रयोग करते हैं तो इसका गुण कहीं ज्यादा हो जाता है. बस ध्यान रहे कि रात में सोने से पहले इनका सेवन करना होगा. हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन्स से भरपूर दूध और ग्लूकोज और फ्रुक्टोज से भरपूर खजूर शरीर को तुरंत एनर्जी देता है. जब खजूर को दूध में भिगोकर कुछ समय तक उबाला जाता है तो इसका स्वास्थ्य लाभ 100 गुना अधिक बढ़ जाता हैं. जिसका सेवन करने से एनीमिया जैसी बीमारी को ठीक किया जा सकता है.स्किन के लिए फायदेमंदखजूर में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है, जो एंटी एजिंग गुणों से भरपूर होता है. इसके सेवन से एजिंग का प्रोसेस धीमा किया जा सकता है, जिससे स्किन पर बढते उम्र का असर कम हो जाता है.एनीमिया में लाभकारीजब किसी के शरीर में आयरन की कमी होती है तो उससे एनीमिया होता है. एनिमिया को दूर करने के लिए आपको आयरन से भरपूर भोजन का सेवन करने की सलाह दी जाती है. अगर दूध में खजूर भिगोकर इसका किया जाए तो हीमोग्लोबिन बढ़ता है, जिससे एनीमिया की समस्या धीरे धीरे ठीक हो जाती है.प्रेग्नेंसी में फायदेमंदखजूर एक ऐसा खाद्य पदार्थ है, जो ना सिर्फ मां की सेहत को दुरुस्त रखता है, बल्कि यह भ्रूण के विकास के लिए भी फायदेमंद है. जब आप गाय के दूध में भिगोकर खजूर का सेवन करते हैं तो शरीर में ऑक्सिटोसिन की मात्रा में वृद्धि होती है, जो डिलीवरी के समय यूटरस की सेंस्टीविटी को बढ़ाने का कार्य भी करता है.
- कमर दर्द होना आम बात है. इसके पीछे की वजह मांसपेशियों का खिंचाव, मांसपेशी में ऐंठन हो सकती है. लगातार खड़े होकर काम करने की आदत के कारण भी आजकल कमर के दर्द की समस्या काफी बढ़ती जा रही है. ज्यादातर महिलाएं इस परेशानी से पीड़ित होती हैं. अगर आप भी इस दर्द से छुटकारा पाना चाहते हैं तो ये खबर आपकी मदद कर सकती है. हम कुछ योगासन लेकर आए हैं जो कमर दर्द से आपको मिनटों में राहत दिला सकते हैं.1. शलभासनइस आसन को करने के लिए आप अपने पेट के बल लेटें.अपनी हथेलियों को अपनी जांघों के नीचे रख दें.अपने दोनों पैर की एड़ियों को आपस में जोड़ लें और अपने पैर के पंजे को सीधे रखें.धीरे-धीरे अपने पैरों को ऊपर उठाने की कोशिश करें.पैरों को ऊपर की ओर ले जाते समय गहरी सांस लें.कुछ सेकंड इसी स्थिति में रुकें.अब पैरों को सांस छोड़ते हुए नीचे लाएं.इसी प्रक्रिया को 3 से 5 बार दोहराएं.2. भुजंगासनजमीन पर मैट बिछाएं और उस पर पेट के बल लेट जाएं.अपने पैरों को आपस में मिलाएं, हथेलियों को सीने के पास कंधों की सीध में रखें.माथे को जमीन पर रखें और शरीर को सहज रखें.गहरी सांस लेते हुए अपने आगे के शरीर के हिस्से को ऊपर की तरफ उठाएं.इस दौरान आपके हाथ भी सीधी रेखा में खड़े होने चाहिए.सिर को जितना हो सके ऊपर की तरफ उठाएं.15-30 सेकेंड के लिए इसी अवस्था में रुकें.फिर सांस छोड़ते हुए वापस सामान्य मुद्रा में लौट आएं.इस अभ्यास को एक समय में 4 से 5 बार करें.3. उष्ट्रासनइस आसन में ऊंट जैसी मुद्रा बनाई जाती है.सबसे पहले आप घुटनों के बल बैठ जाएं.अपने घुटनों की चौड़ाई कंधों के बराबर रखें.तलवे पूरे फैले हुए आसमान की तरफ रखें.अब अपनी रीढ़ की हड्डी को पीछे की तरफ झुकाते हुए दोनों हाथों से एड़ियों को छूने का प्रयास करें.ऐसा करते समय गर्दन पर अत्यधिक दबाव न पड़े.कमर से लेकर घुटनों तक का हिस्सा सीधा रहे.इस स्थिति में कुछ देर रहकर गहरी सांस लें.इसके बाद सामान्य मुद्रा में लौट आएं.एक समय में 4 से 5 बार इस अभ्यास को दोहराएं.
- हर कोई सुंदर दिखता है. लेकिन चेहरे पर मौजूद दाग-धब्बे उसकी राह में रोड़ा बन जाते हैं, जिन्हें हटाना बेहद मुश्किल हो जाता है. कुछ लोग चेहरे के दाग-धब्बे (Black spots on Face) मिटाने के लिए कई तरह के स्किन-केयर क्रीम, फेस-वॉश या लोशन या अन्य उपायों की तलाश करने लगते हैं. इतना ही नहीं कुछ लोग तो बाजार से महंगी क्रीम खरीद लाते हैं, जो स्किन-इंफेक्शन जैसी शिकायतों की आशंका बढ़ाती है.1. नींबूविटामिन सी से भरपूर नींबू त्वचा पर काले धब्बे को हल्का करने में मदद कर सकता है. इसके लिए आप प्रभावित क्षेत्र पर कुछ सेकंड के लिए नींबू का रस मल सकते हैं. एक बार सूखने के बाद ठंडे पानी से धो लें. दाग-धब्बों को हटाने के लिए इसका आप हफ्ते में 3 से 4 बार इस्तेमाल कर सकते हैं. कुछ ही हफ्तों में आपको असर दिखने लगेगा.2. छाछछाछ भी काले धब्बों को दूर करने में मदद करती है. इसके लिए आपको 4 चम्मच छाछ और 2 चम्मच टमाटर का रस साथ मिलाकर पेस्ट बनाना होगा. इसे 15 मिनट के लिए चेहरे पर लगाएं और पानी से धो लें. ऐसा हफ्ते में तीन से चार बार करें.3. टमाटरविटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर टमाटर भी आपके त्वचा का खास ख्याल रखता है. दाग धब्बे हटाने के लिए आप टमाटर की प्यूरी बना लें. फिर इससे अपनी त्वचा पर 15 मिनट तक मालिश करें और ठंडे पानी से धो लें. इसे आप महीने में दो बार कर सकते हैं.4. आलूकाले धब्बों को हल्का करने के लिए आप आलू का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए आपको आलू को काटकर काले धब्बों पर रखना होगा. अपने चेहरे को हल्के गर्म पानी से धोने से पहले इसे कुछ मिनट के लिए छोड़ दें. आलू को शहद के साथ मिलाकर फेसमास्क की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
- बढ़ती उम्र के साथ बालों का सफेद होना एक सामान्य समस्या है, लेकिन इन दिनों कम उम्र के लोगों के बाल भी सफेद हो रहे हैं। गलत खानपान और बदलता लाइफस्टाइल इसकी प्रमुख वजह है। सफेद बालों को काला करने के लिए केमिकल्स युक्त प्रोडक्ट्स के बजाय घरेलू उपायों का सहारा लें। इससे आपके बालों की परेशानी भी कम होगी। साथ ही किसी तरह का नुकसान भी नहीं होगा। आज हम इस लेख में सफेद बालों को एलोवेरा से काला करने का तरीका बताएंगे। इससे आपके बालों को किसी तरह का कोई नुकसान भी नहीं होगा। साथ ही इससे ढेरों फायदे हो सकते हैं। चलिए जानते हैं बालों को काला करने के लिए कैसे लगाएं एलोवेरा ?एलोवेरा को इस्तेमाल करने का तरीका - 1आवश्यक सामग्री-एलोवेरा जूस- 1 कप, मेहंदी या कॉफी - 1- 2 चम्मचविधि-सबसे पहले 1 बर्तन में एलोवेरा जूस डालें। अब इसमें कॉफी या मेहंदी का पेस्ट अच्छी तरह से मिक्स कर लें। इसके बाद इस तैयार पेस्ट को अपने स्कैल्प पर लगाएं। इस पेस्ट को बालों में लगाने के बाद करीब 30 से 40 मिनट तक के लिए सूखने छोड़ दें। इसके बाद बालों को माइल्ड शैंपू से धो लें। फिर कंडीशनर लगा लें।बालों को काला करने के लिए एलोवेरा का इस्तेमाल करने का तरीका - 2आवश्यक सामग्री -एलोवेरा जेल -1 कप, नींबू का रस - 2 चम्मचविधि-एक कटोरी में एलोवेरा जेल लें। अब इसमें नींबू का रस मिक्स करके इसे बालों के स्कैल्प पर लगा लें। इसके बाद इसे करीब 20 से 30 मिनट तक सूखने दें। बाद में बालों को नॉर्मल पानी से साफ कर लें। सप्ताह में 2 से 3 बार इस पेस्ट को इस्तेमाल करने से आपके बाल काले हो सकते हैं।कितनी बार लगाएं ये पेस्ट?बालों को काला करने के लिए आप इस पेस्ट को सप्ताह में 3 से 4 बार लगाएं। नियमित रूप से बालों में पेस्ट को लगाने से आपके बाल काले हो सकते हैं। साथ ही कई अन्य परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है।बालों में एलोवेरा पेस्ट लगाने के फायदे1. एलोवेरा में एंटी-ऑक्सीडेंट मौजूद होता है, जो आपके बालों को काला करने के साथ-साथ सॉफ्ट बनाए रखने में आपकी मदद कर सकता है। इसके अलावा यह बालों के रुखेपन को दूर करने का काम करता है। एलोवेरा से आपके बाल हाइड्रेट होते हैं।2. बालों को काला करने के लिए एलोवेरा काफी फायदेमंद हो सकता है। यह बालों को रंगने में आपकी मदद करता है।3. एलोवेरा में कई ऐसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो आपके बालों को पोषण प्रदान करता है। इससे आपके बाल कम टूटेंगे और बालों की जड़े मजबूत होंगी।4. स्कैल्प से जुड़ी परेशानी को दूर करने के लिए आप एलोवेरा जेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके इस्तेमालसे स्कैल्प में ब्लड सर्कुलेशन को अच्छा करता है। इससे डेंड्रफ की समस्या भी दूर होती है।-----------

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