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- पपीता खाने के फायदे तो आपने कई सुने होंगे पर क्या आप जानते हैं इसके बीज भी सेहत के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं। सुनकर थोड़ा आश्चर्य होना लाजमी है। लेकिन यह बात बिल्कुल सच है। जी हां अक्सर पपीता खाने के बाद लोग उसके बीज फेंक देते हैं लेकिन अगली बार जब आप पपीता खाएंगे तो उसके बीज फेंकने से पहले एक बार जरूर सोचेंगे। पपीते में पर्याप्त मात्रा में आयरन, कैल्शियम और मैग्नीशियम पाया जाता है। इससे शारीरिक क्रियाएं तो बेहतर होती ही हैं। इसके अलावा शरीर की अतिरिक्त चर्बी से भी निजात पाने में मदद मिलती है। पपीते के बीजों का सेवन करने से शरीर के विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। आइए जानते हैं पपीते के बीज का सेवन करने से मिलने वाले ऐसे ही कुछ जादुई फायदे।पपीते के बीज खाने के फायदेवेट लॉस में मददगार है पपीतावजन घटाने में जो चीज सबसे ज्यादा मदद करती है, वह है पपीते के भीतर पाए जाने वाले बीज। पपीता शरीर की पाचन प्रक्रिया को सुचारू रूप से काम करने के लिए पर्याप्त फाइबर की आपूर्ति करता है। पपीता में ढेर सारे ऐंटीऑक्सिडेंट, मिनरल्स और बहुत कम कैलरी होती है। पपीता में पाए जाने वाले इंजाइम्स न सिर्फ वजन घटाते हैं बल्कि बैड कलेस्ट्रॉल को भी कम करते हैं।लीवर से जुड़ी समस्यापपीते के बीज लीवर के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। ये लीवर सिरोसिस में भी काफी फायदेमंद होता है। सुबह खाली पेट इसके बीजों का सेवन करने से काफी फायदा होता है।स्वस्थ पाचन के लिएपपीते के बीज में उच्च मात्रा में पाचन एंजाइम मौजूद होते हैं जो प्रोटीन को तोड़ने में मदद करके प्राकृतिक पाचन प्रकिया को सहायता करता है। इतना ही नहीं पपीते के बीज रोगजनकों को मारकर भोजन की विषाक्तता से मुकाबला करने में भी मदद करते हैं।जलन या सूजन में फायदेमंदपपीते के बीजों में शक्तिशाली एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो शरीर को सूजन से छुटकारा दिलाने में मदद करते हैं। एंजाइम पपैन और काइमोपपैन गठिया, जोड़ों के दर्द से जुड़ी सूजन को कम करने में मदद करते हैं।कैसे करें पपीते के बीज का सेवन-पपीते के बीज का सेवन करने का सबसे अच्छा तरीका उसे पपीते के साथ ही खाना है।- इसके अलावा, कच्चे बीज को पपीते से निकालकर मिक्सी या मूसल का उपयोग करके पीस लें। आप इसका उपयोग सलाद या सूप में डालकर भी कर सकते हैं।-पपीते के बीज का उपयोग आप उन्हें धूप में सूखाकर पाउडर बनाकर भी कर सकते हैं।-एक दिन में 5 से 8 ग्राम बीज का ही सेवन करें।-पपीते के बीज का पाउडर आप नींबू के रस या फिर सलाद के ऊपर छिड़क कर भी कर सकते हैं।
- अगर बिना काम किए ही आप थकान महसूस करने लगते हैं, बैठे-बैठे आपको नींद आने लगती है या फिर अचानक आपका वजन कम या ज्यादा हो गया है तो आपको अपना थाइरॉइड चेक करवाने की जरूरत है। दरअसल, थायरॉइड तितली के आकार की एक ग्रंथि है जो गर्दन के अंदर और कॉलरबोन के ठीक ऊपर मौजूद होती है। यह एक प्रकार की एंडोक्राइन ग्रंथि है जो शरीर में थायरॉइड हार्मोन का निर्माण करती है। साथ ही यह ग्रंथि आपके शरीर के कई महत्वपूर्ण कार्यों को भी नियंत्रित करने में मदद करती है।थायरॉइड रोग का कारण थायरॉइड हार्मोन में आई गड़बड़ी होता है। जिसे जीवनशैली और आहार में कुछ बदलाव करके नियंत्रित किया जा सकता है। ऐसा ही एक बदलाव है अपनी डाइट में नारियल को शामिल करना। जी हां नारियल में मौजूद कई पोष्क तत्व थायरॉइड की समस्या को दूर करने में मदद कर सकते हैं। वैज्ञानिकों ने अध्ययन के पश्चात यह पाया है कि नारियल का सेवन करने वाले लोगों में थायरॉइड फंक्शन ठीक तरीके से काम करता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए आप भी नारियल का सेवन कर सकते हैं। आइए जानते हैं आखिर क्या है थायरॉइड के लक्षण और उसे नियंत्रित रखने के लिए कैसे कर सकते हैं खाने में नारियल का इस्तेमाल।थाइरॉइड के लक्षण-बालों का पतला होना एवं झड़ना।-अनिद्रा (नींद ना आने की परेशानी)-चिड़चिड़ापन-अधिक पसीना आना।-मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द-हार्मोनल बदलाव-मोटापा-थकान या अवसादखाने में नारियल का इस्तेमालनारियल तेलनारियल तेल आपके शरीर का मेटाबोलिक रेट बढ़ाने में मदद करता है। जिन लोगों के थायरॉयड की वजह से हाथ और पैर ठंडे रहते हैं, उन लोगों के लिए यह तेल बहुत फायदेमंद होता है। आप नारियल तेल को अपनी डाइट में शामिल करने के लिए इसके तेल में सब्जियां भी पका सकते हैं।नारियल पानीथायरॉयड की समस्या को नियंत्रित करने के लिए आप हफ्ते में 3-4 बार नारियल पानी का सेवन भी कर सकते हैं।नारियल की चटनीदक्षिण भारत में इडली-डोसा के साथ नारियल की चटनी खाने का चलन काफी प्रसिद्ध है। आप भी अपने दैनिक आहार में इसका सेवन कर सकते हैं
- अदरक हमारी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती है. इसमें पोटैशियम, आयरन, एंटी-ऑक्सीडेंट्स, कैल्शियम और विटामिन जैसे गुण पाए जाते हैं, जो आपकी इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद करती है. वहीं अक्सर आप अदरक का हमेशा छीलकर इस्तेमाल करते होंगे, और उनके छिलकें फेंक देते है. लेकिन आज हम आपको अदरक के छिलके के फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं. जिसे जानने के बाद शायद आप अदरक के छिलकों को फेंकेंगे नहीं.खांसी में कारगरखांसी से निजात पाने के लिए अदरक बहुत ही कारगर होता है. इसके लिए आप अदरक के छिलकों को इकट्ठा करके पहले धूप में सूखाएं फिर उसे मिक्सर में डालकर उसका पाउडर बनाएं. जब भी खांसी की समस्या हो तो अदरक का पाउडर और शहद को बराबर मात्रा में मिलाकर गुनगुने पानी के साथ खाएं. आपको तुरंत ही खांसी में आराम मिल जाएगा.सब्जी के स्वाद के लिएअदरक के छिलकों को आप स्वादिष्ट सब्जी बनाने में भी इस्तेमाल कर सकते हैं. आप गोभी,पत्तागोभी जैसी सब्जियों को स्टीम करने से पहले इसमें अदरक के छिलके डाल सकते है. ऐसा करने से सब्जी को फ्लेवर मिलने के साथ स्वाद भी बढ़कर आएगा.अदरक के छिलकों की चायअदरक की चाय ज्यादातर लोग पीना पसंद करते है. इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स के गुण आपकी इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद करते है. इसके लिए आप अदरक के छिलकों को धोकर पानी में उबालें फिर इसकी चाय बनाकर पीएं.पेट के विकारों को दूर करता हैपेट के विकारों को दूर करने में अदरक के छिलते सक्षम होते है. अदरक के छिलके को पानी में उबालकर सेवन करने से पेट की बिमारी में आराम मिलता है.सूप में करें इसका इस्तेमालअदरक के छिलकों को आप सूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे सूप का स्वाद दोगुना होगा. अदरक के छिलकों के साथ सब्जियां उबालें, फिर इसका सूप बनाकर पीएं.
- कुछ लोगों का मानना है कि भोजन के दौरान पानी का सेवन करना पाचन के लिए अच्छा नहीं होता है। जबकि अन्य लोग मानते हैं कि यह विषाक्त पदार्थों को जमा करता है, जिससे कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं।बेशक, आपको ताज्जुब हो सकता है, यदि भोजन के साथ एक गिलास पानी पीने से आपके सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। हालांकि इस बारे में अलग-अलग मत हैं। आइए जानते हैं भोजन के दौरान पानी पीने से पाचन और सेहत पर क्या प्रभाव पड़ता है।कैसे काम करता है पाचन तंत्रजैसे ही आप अपने भोजन को चबाना शुरू करते हैं आपके मुंह में पाचन शुरू हो जाता है। चबाते समय लार ग्रंथियों को लार का उत्पादन शुरू करने का संकेत मिलता है, जिसमें एंजाइम होते हैं जो भोजन को तोड़ने में मदद करते हैं। पेट में एसिडिक गैस्ट्रिक जूस से मिलने के बाद भोजन टूटता है और एक गाढ़ा लिक्विड बनाता है जिसे काइम कहते हैं।काइम छोटी आंत से गुजरता है और पोषक तत्वों को अवशोषित करता है। ब्लडस्ट्रीम में पोषक तत्व विभिन्न क्षेत्रों से गुजरते हैं। जब बचे हुए पदार्थ उत्सर्जित होते हैं तो पाचन समाप्त हो जाता है। हालांकि यह इस पर निर्भर करता है कि आप क्या खाते हैं। पाचन प्रक्रिया पूरी होने में 24 से 72 घंटे का समय लगता है।क्या तरल पदार्थ पाचन समस्याएं उत्पन्न करते हैं?नियमित पर्याप्त तरल पदार्थ का सेवन करना सेहत के लिए कई मायनों में फायदेमंद है। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि भोजन के बाद पेय पदार्थों का इस्तेमाल करना अच्छा नहीं होता है। आइए, जानते हैं भोजन के बाद लिक्विड पाचन को कैसे नुकसान पहुंचाता है।एल्कोहल और अम्लीय पेय लार पर खराब असर डालते हैंभोजन के दौरान अम्लीय या एल्कोहलिक पेय पदार्थों का सेवन करने से लार सूख जाती है जिससे भोजन पचने में कठिनाई होती है। शराब की प्रति यूनिट 10-15% से लार प्रवाह को कम करता है। हालांकि इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि सीमित मात्रा में एल्कोहल या अम्लीय पेय का सेवन करने से यह पाचन क्रिया धीमा करता है।पानी, पेट का एसिड और पाचन एंजाइमकई लोग यह दावा करते हैं कि भोजन के साथ पानी पीने से पेट के एसिड और पाचन एंजाइमों को पतला करता है, जिससे शरीर को भोजन पचाने में मुश्किल होती है। हालांकि इसका भी कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।तरल पदार्थ और पाचन की गतिबहुत से लोग यह दावा करते हैं कि भोजन के साथ लिक्विड का सेवन करने से ये ठोस भोजन को पेट से बाहर निकालने में मदद करते हैं। यह पेट के एसिड और पाचन एंजाइमों के साथ भोजन के संपर्क समय को कम करता है जिससे पाचन में कठिनाई होती है।तरल पदार्थ पाचन में सुधार कर सकते हैंतरल पदार्थ भोजन के बड़े हिस्सों को तोड़ने में मदद करते हैं, जिससे एसोफैगस और पेट में स्लाइड करना आसान हो जाता है। साथ ही ये पेट फूलने और कब्ज की समस्या को भी कम करते हैं। इसके अलावा, आपका पेट पाचन के दौरान गैस्ट्रिक एसिड और पाचन एंजाइमों के साथ पानी को स्रावित करता है। इन एंजाइमों के कार्य को बढ़ाने के लिए इस पानी की आवश्यकता होती है।
- चाय के दीवानों के लिए गर्मी क्या और सर्दी क्या? मौसम कोई भी हो लेकिन चाय की दीवानगी कभी कम नहीं होती। सर्दियों में चाय के कम ज्यादा हो जाते हैं, तो गर्मी में कुछ कप घट जाते हैं लेकिन चाय की चुस्कियां कभी बंद नहीं होती। बदलते मौसम में आप चाहें चाय बंद न करें लेकिन चाय बनाने के तरीके को जरूर बदल देना चाहिए।अदरक या इलायची वाली चायसर्दियों में अदरक वाली चाय पसंद की जाती है लेकिन गर्मियों में अगर आप अदरक वाली चाय का ज्यादा सेवन करते हैं, तो यह आपके लिए हानिकारक हो सकती है। अदरक की तासीर बहुत ज्यादा गर्म होती है जिसकी वजह से कई लोगों को स्किन एलर्जी के साथ पेट से जुड़ी कई परेशानियां हो सकती हैं। ऐसे में गर्मियों के मौसम में इलायची वाली चाय बेस्ट ऑप्शन है। इलायची न सिर्फ आपका मूड रिफ्रेश करती है बल्कि इसके कई फायदे भी हैं-इलायची वाली चाय के फायदे-इलायची के सेवन से सांस लेने की समस्या जैसे अस्थमा, तेज जुकाम और खांसी से राहत मिलती है। साथ ही यह फेफड़ों की परेशानी दूर करने में भी बहुत ही सहायता करती है।-मानव शरीर में कई सारी बीमारियां उच्च रक्तचाप के कारण जन्म लेती है, यदि आप नियमित रूप से दो से तीन इलायची का सेवन करें, तो रक्तचाप नियंत्रित करने में सहायता मिलेगी।-इलायची वाली चाय न केवल स्वाद में अच्छी लगती है बल्कि इससे पाचन तंत्र भी दुरुस्तं रहता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने का काम करता है।-यदि आप तनाव की समस्या से घिरे रहते हैं, तो इलायची का सेवन आपके लिए लाभकारी हो सकता है। ऐसा देखा गया है कि इलायची चबाने से हार्मोन में तुरंत बदलाव देखने को मिलता है और आप तनाव से मुक्त हो जाते हैं।
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आयुर्वेद में नीम का उपयोग हजारों सालों से होता रहा है। एंटीबायोटिक और एंटी बैक्टीरियल गुणों से युक्त नीम को सर्वोत्तम औषधि के रूप में जाना जाता है। स्वाद में कड़वा होने के बावजूद शरीर की कई बीमारियों को दूर करने के लिए नीम बहुत उपयोगी माना जाता है। नीम के पत्तों, बीज, टहनी और पेड़ के छिलकों का उपयोग आयुर्वेद में किया जाता है। शरीर में खून साफ़ करने से लेकर बैक्टीरिया से सुरक्षा, शरीर से टॉक्सिक पदार्थों को निकालने और अल्सर जैसे रोगों में नीम बेहद फायदेमंद मानी जाती है। आइये जाने नीम की पत्ती की चाय पीने से शरीर को क्या फायदा मिलता है।
नीम की पत्तियों की चाय बनाने का तरीकातमाम बीमारियों में फायदेमंद नीम का उपयोग कई तरीकों से किया जाता है। नीम के पत्तों, फल, फूल, और टहनी या छाल का उपयोग बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है। नीम के पत्तों का उपयोग नीम की चाय बनाने में करते हैं। नीम के पाटों की चाय का सेहत के लिए अनोखे फायदे हैं। भले ही नीम के पत्तों की चाय स्वाद में कड़वी हो लेकिन इसके अनेकों मीठे फायदे हैं। अनेकों औषधीय गुणों से युक्त नीम के पत्तों की चाय बनाने का आसान तरीका ये है।-नीम के साफ और हरे पत्ते-शहद या नींबू-आधा लीटर पानीसबसे पहले नीम के ताजे हरे पत्तों को लेकर उन्हें साफ़ कर लें, इसके बाद एक गहरे आकार के बर्तन में लगभग आधा लीटर पानी डालें और तेज आंचा पर इसे उबाले। पानी उबलना शुरू हो जाए तो इसमें कुछ नीम की पत्तियां डाल दें और मध्यम आंच पर इसे उबलने दें। इससे पूरी तरह से उबल जाने के बाद छानकर इसमें शहद या नींबू का रस मिलाकर इसका सेवन कर सकते हैं।नीम की चाय से होने वाले फायदेनीम की चाय का स्वाद बहले ही बेहद कड़वा हो लेकिन इसके तमाम मीठे फायदे हैं। नीम के पेड़ को आयुर्वेदिक चिकित्सा में बेहद उपयोगी माना जाता है। नीम के पत्तों की चाय शरीर को बैक्टीरियल संक्रमण से दूर रखती है, तमाम बीमारियों को जड़ से ख़त्म करने में भी नीम की चाय असरदार शाबित होती है। खून की सफाई से लेकर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में नीम की चाय बेहद उपयोगी मानी जाती है। नीम की चाय के सेवन से होने वाले कुछ प्रमुख फायदे इस प्रकार से हैं।एंटीऑक्सीडेंटनीम में पाए जाने वाले एंटीऑक्सिडेंट के गुण शरीर को संक्रमण और बैक्टीरिया से लडऩे में सहयता प्रदान करते हैं। नीम की चाय के सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है और इसके एंटीऑक्सिडेंट गुण कैंसर जैसी बीमारियों के खतरे को कम करने में बेहद सहायक होते हैं।एंटी इंफ्लेमेटरीनीम के पत्तों में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं जो शरीर को कई समस्याओं से दूर रखने में मददगार होते हैं।बीमारियों से लडऩे में सहायकनीम के पत्तों की चाय का सेवन करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है। नीम में पाए जाने वाले एंटिफंगल और एंटीमाइरियल गुण तमाम रोगों से लडऩे में सहायक होते हैं।खून को साफ़ रखने में फायदेमंदनीम के पत्तों की चाय का सेवन करने से शरीर को खून साफ़ रखने में मदद मिलती है। यह स्किन को भी साफ़ रखने में फायदेमंद माना जाता है।कब्ज और पेट की गड़बड़ी दूर करेनीम के पत्तों की चाय कब्ज और पेट से जुड़ी समस्याओं में भी फायदेमंद मानी जाती है। इसके नियमित सेवन से कब्ज और पेट संबंधी दिक्कतें ख़त्म होती है।बुखार से बचावनीम के पत्तों का उपयोग बुखार जैसी समस्या को दूर करने में बेहद फायदेमंद माना जाता है। नीम के पत्तों से बनी चाय का उपयोग करने से निमोनिया और वायरल बुखार जैसी समस्या होने का ख़तरा बेहद कम हो जाता है।नीम की चाय का सेवन करने से पहले ध्यान रखने योग्य बातेंनीम की चाय वैसे तो बेहद फायदेमंद होती है , लेकिन सही तरीके से इसका सेवन नही किया गया तो इसके दुष्परिणाम भी देखने को मिल सकते हैं। नीम की चाय का सेवन गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली महिलाओं को नहीं करना चाहिए। नीम की चाय का सेवन कम मात्रा में ही करना चाहिए, इसका सेवन हफ्ते में दो या तीन दिन से ज्यादा करने पर इसके साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। नीम के पत्तों की चाय का सेवन लिथियम लेने वाले लोगों, ऑटोइम्यून विकारों या डायबिटीज, अंग प्रत्यारोपण और हाल ही में हुई या होने वाली सर्जरी वाले किसी व्यक्ति को नहीं करना चाहिए। यदि आप किसी गंभीर बीमारी से पीडि़त हैं तो इसके सेवन से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर लें। - बदलती लाइफस्टाइल में पुरुष अपनी सेहत का ध्यान ज्यादा नहीं रख पाते हैं. खुद को एक्टिव और एनर्जी से भरपूर बनाए रखने के लिए पुरुष कई महंगी चीजों का सेवन करते हैं. लेकिन हम आपको एक ऐसी चीज की के बारे में बताने जा रहे हैं जो आपके ही घर में पाई जाती है. जिसकी एक कली खाने से आपको कही जाने की जरूरत नहीं होगी और सेहतमंद रहने के साथ-साथ आप कई बीमारियों से दूर भी रहेंगे. यह चीज कुछ और नहीं बल्कि लहसुन है. लेकिन क्या आप जानते है कि लहसुन की सूखी कलियां खाने के बहुत फायदे होंते हैं.लहसुन का प्रयोग घर-घर में किया जाता है. इसलिए यह आसानी से आपकी किचन में ही आपको मिल जाएगा. लहसुन की कच्ची कलियां बहुत फायदेमंद होती हैं. लहसुन की यही छोटी सी कलियां पुरुषों के लिए बेहद फायदेमंद मानी जाती है. क्योंकि लहसुन में एलिकिन नामक औषधीय तत्व पाया जाता है. जिसमे एंटीऑक्सिडेंट, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुण पाए जाते हैं. इसके अलावा लहसुन में विटामिन-B और विटामिन-C पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. इसके अलावा लहसुन में सेलेनियम, मैगनीज कैल्शियम जैसे तत्व भी पाए जाते हैं. यही वजह है कि पुरुषों को अक्सर कच्चा लहसुन खाने की सलाह दी जाती है.जिन पुरुषों को ब्लड प्रेशर की समस्या रहती है उनके लिए लहसुन बेहद फायदेमंद माना जाता है. क्योंकि लहसुन का सेवन करने से ब्लड प्रेशर के मरीज ठीक रहते हैं. इसलिए डॉक्टर भी पुरुषों को लहसुन खाने की सलाह देते हैं.पुरुषों को रात में लहसुन जरूर खाना चाहिए. क्योंकि लहसुन में एलीसिन नाम का पदार्थ पाया जाता है जो पुरुषों के मेल हार्मोन को ठीक रखता है. इसके अलावा लहसुन का सेवन करने से पुरुषों में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का खतरा भी दूर होता है. लहसुन में भारी मात्रा में विटामिन और सेलेनियम भी पाया जाता है, जिससे स्पर्म क्वालिटी बढ़ती है. इसलिए पुरुष अगर रात में सोने से पहले लहसुन की पांच कलियां भी खा लेंगे तो उन्हें बहुत फायदे मिलते हैं. इसलिए पुरुषों को लहसुन का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए.लहसुन से पेट रहता है साफआज की भागदौड़ भरी लाइफ में पेट दर्द की समस्या आम बात हो गई है. लेकिन लहसुन का सेवन करने से आपकी पेट दर्द की समस्या दूर जाती है. लहसुन की कलियों को भूनकर खाने से पेट दर्द ठीक हो जाता है. इसलिए पुरुषों को लहसुन की कलियां खाने की सलाह दी जाती है.शरीर के खराब तत्व निकालता है बाहरलहसुन हमारे शरीर से विषाक्त तत्व बाहर निकालता है. इसलिए सलाह दी जाती है कि रात को सोने से पहले भुना हुआ लहसुन खाएं. इससे यूरिन के माध्यम से शरीर में मौजूद विषाक्त तत्व बाहर निकलते हैं. भुना हुआ लहसुन पौरुष शक्ति को बढ़ाता है. इसमें टेस्टोस्टेरोन हार्मोन बढ़ाने का गुण पाया जाता है.
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मसालों का प्रयोग हर भारतीय खाने को बनाने में किया जाता है। लगभग हर भारतीय रसोई में तमाम प्रकार के मसालों का उपयोग किसी न किसी रूप में जरूर किया जाता है। इन मसालों के तमाम औषधीय गुण भी होते हैं जिसके लिए इनका इस्तेमाल तमाम लोग करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि अनेक औषधीय गुणों से युक्त इन मसालों का खाली पेट सेवन करना कितना नुकसानदायक हो सकता है? जानेें ऐसे पांच मसालों के बारे में
1. काली मिर्चवैसे तो कालीमिर्च तमाम औषधीय गुणों से युक्त होती है लेकिन इसका सेवन खालीपेट करने से कई नुकसान भी हो सकते हैं। कालीमिर्च को मसलों के रूप में जाना जाता है और यह सेहत के बेहद फायदेमंद भी होती है। कालीमिर्च का अधिक मात्र में सेवन करना सेहत के लिए हानिकारक माना जाता है। इसका ज्यादा सेवन हमारे शरीर पर होने वाले दवाओं के प्रभाव को ख़त्म कर देता है। खालीपेट इसका सेवन करने से आंतों को नुकसान होता है और इसका खालीपेट सेवन करने के बाद दवाओं का हमारे शरीर पर असर कम हो जाता है जिसकी वजह से एलर्जी जैसी समस्या भी हो सकती है।2. दालचीनीदालचीनी भारतीय व्यंजनों में प्रयोग किया जाने वाला एक प्रमुख मसाला है। आयुर्वेद में इसके छाल, पत्तों, फूलों, फलों और जड़ों का उपयोग हजारों सालो से किया जा रहा है। दालचीनी के सेवन से सेहत को अनेक लाभ मिलते हैं, लेकिन सही तरीके और सही मात्रा में इसका सेवन न किया गया तो इसके सेवन के दुष्परिणाम भी देखने को मिलते हैं। खालीपेट इसका सेवन सेहत के लिए हानिकारक माना जाता है। बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसके खालीपेट और अधिक सेवन से बचना चाहिए। दालचीनी ब्लड शुगर को भी प्रभावित करती है ऐसे में डायबिटीज के रोगियों को इसका सेवन खाली पेट नही करना चाहिए। दालचीनी की गिनती गरम मसलों में की जाती है ऐसे में खालीपेट इसका सेवन लिवर को भी नुकसान पहुंचा सकता है। इसके अधिक सेवन से एलर्जी, मुहं में छालों आदि की समस्या भी देखी जाती है।3. अजवाइनप्रमुख भारतीय मसालों में से एक अजवाइन का भी उपयोग खूब किया जाता है। अजवाइन के बीज को मसाले के रूप में भोजन का स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है। कई बीमारियों के इलाज के लिए आयुर्वेद में अजवाइन का उपयोग किया जाता है। अजवाइन का सेवन खाली पेट करने से सेहत को नुकसान पहुंच सकता है। अजवाइन की भी गिनती गर्म मसाले में की जाती है इसका खालीपेट सेवन करने से शरीर का तापमान बिगड़ सकता है।4. मेथीमेथी भारतीय खानों में प्रयोग किया जाने वाला अनोखा मसाला है जिसका सैकड़ों सालों से औषधि के रूप में भी इस्तेमाल किया जा रहा है। आर्युवेद में मेथी के अनेक औषधीय गुण बताये गए हैं। मेथी में मौजूद यौगिक गर्भवती महिलाओं के लिए लाभदायक नहीं माने जाते हैं इसलिए इन महिलाओं को को मेथी के सेवन से बचना चाहिए। मेथी का अधिक सेवन दस्त, पेट की समस्या और एलर्जी जैसी समस्या को भी जन्म दे सकता है। सांस से जुड़ी बीमारियों से पीडि़त व्यक्तियों को मेथी का सेवन नही करना चाहिए। ऐसे लोगों द्वारा मेथी का खालीपेट सेवन करने से अस्थमा जैसी समस्या भी पैदा हो सकती है।5. लाल मिर्चलाल मिर्च जिसे पैपरिका भी कहा जाता है अनेक गुणों से युक्त होती है। भारतीय रसोई में अक्सर इसका इस्तेमाल किया जाता है। लाल मिर्च के सेवन से शरीर को अनेक लाभ भी मिलते हैं। माना जाता है कि पैपरिका के सेवन से रुमेटीइड गठिया और पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस के उपचार में फायदा होता है। इसके अलावा एनीमिया की रोकथाम में यह फायदेमंद मानी जाती है। लाल मिर्च का खालीपेट सेवन सेहत के लिए फायदेमंद नहीं माना जाता है। इसके खालीपेट सेवन से पेट से जुड़ी समस्या होने का ख़तरा रहता है। लाल शिमला मिर्च का खाली पेट सेवन करने से पेट में जलन और फ्लू जैसी समस्या हो सकती है।-- - हर भारतीय परिवार में दाल-रोटी की गिनती पौष्टिक आहार में की जाती है। दाल में मौजूद प्रोटीन की प्रचुरता अच्छी सेहत बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी है। दाल का सेवन करने से व्यक्ति को न सिर्फ सभी जरूरी पौष्टिक आहार मिल जाते हैं बल्कि पेट भी जल्दी भर जाता है। बावजूद इसके अगर आप दाल का सेवन गलत समय पर करते हैं, तो यह आपको फायदा पहुंचाने की जगह नुकसान भी पहुंचा सकता है। आइए जानते हैं आयुर्वेद के अनुसार आखिर क्या है दाल खाने का सबसे अच्छा समय और नियम।आयुर्वेद में क्या है दाल खाने का सही नियम?व्यक्ति जो भी कुछ खाता है, उसका सीधा असर व्यक्ति के वात, कफ औप पित्त पर पड़ता है। भोजन में परोसी गई हर चीज की तासीर अलग-अलग होती है। आयुर्वेद एक्सपर्ट की मानें तो रात के समय हमेशा हल्का आहार खाना चाहिए। रात को भारी भोजन करने से व्यक्ति के पेट पर बुरा असर पड़ सकता है। दाल का सेवन सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। लेकिन रात के समय दाल खाने से व्यक्ति को अपच की शिकायत हो सकती है। आयुर्वेद के अनुसार रात को कभी भी साबुत मसूर,उड़द, छोले, राजमा,अरहर, तुअर और मटर जैसी दालों का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति की पाचन क्रिया पर विपरीत असर पड़ता है।दाल का सेवन करने का सबसे अच्छा समय दोपहर का माना जाता है। बावजूद इसके अगर आप रात के भोजन में दाल शामिल करना चाहते हैं तो मूंग जैसी आसानी से पचने वाली दाल का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा यदि आपको रात के खाने में दाल खाना पसंद हैं तो कोशिश करें कि आप सोने से कम से कम दो-तीन घंटे पहले अपना डिनर कर लें। ऐसा इसलिए दाल प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत है और इसे पचने में समय लगता है।चीनीचीनी का अत्याधिक सेवन आपके इंसुलिन लेवल को बढ़ाकर आपकी सेहत पर बुरा असर डाल सकता है। शक्कर का सेवन रात के समय खासतौर पर ना करें। ऐसा करने से आपके शरीर में ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है और व्यक्ति को नींद न आने की समस्या होने लगती है।दहीरात को दही खाने से बचें। रात को दही खाने से व्यक्ति को सर्दी-जुकाम की समस्या हो सकती है। इसके अलावा दही में नमक डालकर भी इसका सेवन न करें
- किशमिश का सेवन स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। क्योंकि किशमिश में वह सभी जरूरी पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जिसकी हमारे शरीर को आवश्यकता होती है। किशमिश में प्रोटीन, फाइबर, आयरन, पोटेशियम, कॉपर, विटामिन-बी6 और मैंगनीज के साथ ही कई जरूरी पोषक तत्व मौजूद होते हैं। जो न सिर्फ आपके शरीर को पोषण प्रदान करते है, बल्कि कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को भी कम करती है।फूड साइंस की 2013 में प्रकाशित एक समीक्षा के अनुसार, किशमिश मधुमेह और हृदय रोग के विकास के जोखिम को कम करने जैसे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकती है।किशमिश आवश्यक पोषक तत्वों के साथ पैक किया जाता है। यह आपको तुरंत ऊर्जा प्रदान करने के साथ ही कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती है। क्योंकि किशमिश की विभिन्न किस्में उपलब्ध हैं। इसलिए आपको आश्चर्य हो सकता है कि आपके लिए कौन सी किशमिश है ज्यादा स्वास्थ्यप्रद।पहले जानिए किशमिश कितने प्रकार की होती हैंकिशमिश की कई अलग-अलग किस्में मौजूद हैं। अधिकांश किशमिश बीज रहित होती हैं, जो कि गहरे भूरे रंग की होती हैं। इन्हें हरे रंग के थॉम्पसन बीज रहित अंगूर से बनाया जाता हैं, जबकि अन्य बैंगनी रंग के बीज रहित अंगूर से बनाए जाते हैं। ज़ांटे करंट्स (Zante currants) काले कॉरिंथ अंगूर से बने बहुत छोटे, गहरे भूरे रंग की बीज रहित किशमिश होती हैं, जिनमें तीखा स्वाद होता है और इन्हें अक्सर बेकिंग में इस्तेमाल किया जाता है।विशेषज्ञ बताते हैं कि सुनहरी किशमिश, जो एक चमकीले सुनहरे रंग की होती हैं, को नियमित रूप से भूरे रंग के बीज रहित किशमिश के रूप में हरे अंगूरों से बनाया जाता है। पर उन्हें धूप में सुखाने के बजाय डिहाइड्रेटर में सल्फर डाइऑक्साइड के साथ संसाधित किया जाता है।क्या किशमिश में चीनी होती है?विशेषज्ञों के अनुसार, सभी किशमिश अंगूर से प्राप्त होने वाली प्राकृतिक शुगर में उच्च होती हैं। किशमिश में किसी भी प्रकार की अन्य चीनी को नहीं जोड़ा जाता। हालांकि, सूखे मेवे के अन्य प्रकार, जैसे कि क्रैनबेरी, या क्राइसिन और सूखे अनानास में अक्सर पैलेटेबिलिटी बढ़ाने के लिए चीनी को मिलाया जाता है।किसमें होता है ज्यादा पोषणनियमित रूप से प्राकृतिक बीज रहित अंगूर, स्वर्ण अंगूर, और ज़ेंटा करंट सभी समान रूप से पोषण करते हैं। मुख्य अंतर यह है कि नियमित बीज रहित और सुनहरे किशमिश की तुलना में ज़ेंटा करंट कैलोरी में थोड़ा कम होता है।नियमित बीजरहित या सुनहरे किशमिश के एक-चौथाई कप में 130 कैलोरी होती है, लेकिन एक-चौथाई कप ज़ेंटा करंट सिर्फ 120 कैलोरी प्रदान करता है। अंगूर की इन तीन किस्मों में लगभग 29 ग्राम चीनी होती है - और फाइबर, पोटेशियम और आयरन का भी यह अच्छा स्रोत है। जबकि गोल्डन किशमिश को सल्फर डाइऑक्साइड के साथ परिष्कृत किया जाता है। अमेरिकी खाद्य और औषधि प्रशासन आमतौर पर इस पदार्थ को सुरक्षित मानता है।कौन से अंगूर से बनी किशमिश सबसे स्वास्थ्यप्रद हैं?नियमित रूप से प्राकृतिक बीज रहित अंगूर, सुनहरे अंगूर, और ज़ेंटा करंट सभी समान रूप से पोषण प्रदान करते हैं। मुख्य अंतर यह है कि नियमित बीज रहित और सुनहरे किशमिश की तुलना में ज़ेंटा करंट कैलोरी में थोड़ा कम होते हैं।तो क्या है अंतिम निर्णयसभी किशमिश पोषण में समान होती हैं, इसलिए वह चुनें जिसका स्वाद आपको पसंद हो। हालांकि, क्योंकि किशमिश में कैलोरी अधिक होती है, इसलिए अगर वजन कंट्रोल करना चाहती हैं, तो इसका सीमित मात्रा में ही सेवन करें।
- आम तौर पर शहरी क्षेत्रों के घरों में पानी को रखने और पीने के लिए प्लास्टिक की बोतलों का प्रयोग किया जाता है। यही नहीं, लोगों की यह बहुत ही कॉमन सी आदत होती है कि अगर कोल्ड ड्रिंक पिया या कहीं पानी खरीदा तो उसकी खाली हो चुकी बोतल घर ले आए और उसे पीने या स्टोर करने के लिए प्रयोग करने लगेै।आपको इस बात की जानकारी होनी जरूरी है कि आपकी यह आदत ना केवल पर्यावरण के लिए नुकसानदेह है, यह आपकी सेहत को भी सीधे तौर प्रभावित कर रही है। ये बोतलें कई कैमिकल प्रोसेस के बाद बनती हैं जिनका अपना रिसाइकिल का तरीका होता है। ये टेंपरेचर सेंसेटिव भी होती हैं जिस वजह से इनको अगर पानी पीने या स्टोर करने के लिए प्रयोग किया जाए तो येे आपकेे स्वास्थ्य को कई तरह से हानि पहुंचा सकती है।खतरनाक कैमिकल के प्रभाव में आता है पानीहालांकि कई कंपनियां यह दावा करती आई हैं कि वे बीपीए फ्री प्लास्टिक का प्रयोग करती हैंै। इसके बावजूद हर तरह की प्लास्टिक बोतलों को बनाने में कई कैमिकल का प्रयोग किया जाता है जो मानव शरीर के लिए हानिकारक हैंै। जब ये बोतल पानी और हीट के संपर्क में आती हैं या कई दिनों तक पानी को इसमें स्टोर किया जाता है तो इसके हानिकारक कैमिकल पीने के पानी में घुल जाते हैं और हमारे शरीर की अंत: स्रावी ग्रंथियों को प्रभावित करते हैं जिसका प्रभाव हमारे हार्मोन पर पड़ता हैै।74 प्रतिशत बोतल होती हैं टॉक्सिकइनवायरमेंटल साइंस एंड टेक्नॉलॉजी जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च में पाया गया कि रोजाना 8 तरीके के प्लास्टिक का प्रोडक्शन होता है जिसमें तमाम दावों के बावजूद 74 प्रतिशत प्रोडक्ट टॉक्सिक पाए गए। हालांकि लोगों में जागरुकता के अभाव की वजह से इनका धड़ल्ले से प्रयोग किया जा रहा है।पर्यावरण के लिए हानिकारकये प्लास्टिक अक्षय होते हैं जिन्हें नष्ट करने के लिए एक खास प्रोसेस में जाना होता है। अगर इन बोतलों का इस्तेमाल कर यहां वहां फेंक दिया जाए तो इनकी रीसाइकिलिंग सही तरीके से नहीं हो पाती। ऐसे में प्लास्टिक की बोतलें धरती पर प्लास्टिक कूड़ा बढ़ाती हैं जो पर्यावरण के लिए हानिकारक है. इसलिए प्लास्टिक का उपयोग करने की बजाय धातु से बनी बोतलों का उपयोग बेहतर है।गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए हानिकारकप्लास्टिक की बोतल में अगर लंबे समय से पानी स्टोर किया जा रहा है तो इसमें रखा पानी पूरी तरह टॉक्सिक हो चुका होता हैं जिनका प्रयोग अगर गर्भवती महिलाएं या बच्चे करें तो इनकी सेहत को यह बहुत ही नुकसान पहुंचाते हैं
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भारत में आमतौर पर दूध तीन तरह से मार्केट में उपलब्ध होते हैं। बाज़ार में पैकेट, टेट्रा पैक और खुला कच्चा दूध बेचा जाता है। दूध में मिलावट की समस्या अब आम हो गई है, तमाम रिपोट्र्स यह बताती हैं कि दुनियाभर के बाज़ारों में मिलावटी दूध की बिक्री लगातार बढती जा रही है। ऐसे में यह जान लेना बेहद जरूरी हो जाता है कि बाज़ार में मौजूद कौन सा दूध मिलावटी नही है और हमारी सेहत के फायदेमंद होगा। पैकेट में मिलने वाला या फिर टेट्रा पैक का प्रसंस्कृत दूध या बाज़ार में बिकने वाला कच्चा खुला दूध सेहत के लिए फायदेमंद है .....
दूध के सेवन से होने वाले फायदेदूध भारतीय घरों में इस्तेमाल किया जाना वाला मुख्य पेय पदार्थ है। दूध में विटामिन और कैल्शियम के साथ-साथ तमाम पोषक तत्व होते हैं जो शरीर को सम्पूर्ण पोषण देने का काम करते हैं। दूध के सेवन से शरीर को अनेक लाभ होते हैं, दूध में मौजूद कैल्शियम और विटामिन हमारी हड्डियों को मजबूती देते हैं। दूध विटामिन, कैल्शियम, पोटेशियम और प्रोटीन का अच्छा स्रोत माना जाता है, इसका रोजाना सेवन करने से शरीर को होने वाले स्वास्थ्य लाभ कुछ इस प्रकार हैं।-हड्डियों और दांतों को मजबूत करता है।-उचित मात्रा में शरीर को प्रोटीन प्रदान करता है।-वजन का नियंत्रण और मोटापे से दूर रखता है।-हार्टबर्न को रोकने में सहायक।-स्ट्रोक और हाई ब्लड प्रेशर के खतरे को कम करता है।-स्किन के लिए भी फायदेमंद होता है।-मांसपेशियों को मजबूती देता है।-विटामिन, पोटेशियम और मैग्नीशियम का अच्छा स्रोत।-शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता विकसित करता है।कौन सा दूध है सेहत के लिए सहीपैकेट वाला दूधबाज़ारों में मिलने वाला पैकेट का दूध एक निश्चित तापमान पर गर्म करके तमाम प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद पैकेट में रखा जाता है। इसे दूध का पास्चुरीकृत, होमोजिनाइज्ड वर्जन भी कहते हैं। दूध में मौजूद बैक्टीरिया आदि को ख़त्म करने के बाद इसे पैक किया जाता है। यह बाज़ारों में कई तरह का मिलता है। पैकेट वाले दूध में फुल क्रीम, टोन्ड और डबल टोन्ड दूध आते हैं। इसे आर्गेनिक कच्चे दूध से बेहतर नहीं माना जाता है।कच्चा दूधकच्चा दूध डेयरी या मवेशियों को पलने वाले लोगों के पास मिलता है। बाज़ार में डेयरी के माध्यम से इसकी भी बिक्री की जाती है। कच्चे दूध में भी मिलावट की तमाम रिपोट्र्स सामने आई हैं। बिना मिलावटी कच्चा दूध सबसे शुद्ध माना जाता है। आर्गेनिक कच्चा दूध सेहत के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोट्र्स के मुताबिक तमाम जगहों पर दूध के अधिक उत्पादन के लिए जानवरों को दवाओं के साथ कई इंजेक्शन भी दिए जाते हैं। चारों में मिलावट और इंजेक्शन या दवा खिलाकर उत्पादित कच्चा दूध सेहत के लिए हानिकारक होता है। अगर दूध का उत्पादन पूरी तरह से आर्गेनिक तरीके से हुआ है तो कच्चा दूध सेहत के सबसे ज्यादा फायदेमंद होगा।टेट्रा-पैकUHT या UHT तकनीक का उपयोग करते हुए कच्चे दूध को टेट्रा पैक वाले दूध में परिवर्तित किया जाता है। इसे पहले निश्चित तापमान पर गर्म किया जाता है उसके बाद ठंडा करके टेट्रा पैक में बंद किया जाता है। यह माना जाता है कि टेट्रा पैक में दूध की सुरक्षा के लिए 6 लेयर की सुरक्षा का उपयोग किया जाता है। तमाम विशेषज्ञों का मानना है कि बाज़ार में उपलब्ध इन सभी प्रकार के दूध में टेट्रा पैक सबसे सुरक्षित दूध होता है। टेट्रा पैक वाले दूध को 6 लेयर की सुरक्षा में पैक किया जाता है जिससे इसमें हानिकारक तत्वों या बैक्टीरिया के पैदा होने की उम्मीद कम होती है। - इंडोर प्लांट लगाने के क्या फायदे हैं? इंडोर प्लांट न सिर्फ घर की सुंदरता बढ़ाते हैं बल्कि ये हवा को शुद्ध करके हमें कई बीमारियों से बचा सकते हैं। आजकल घर छोटे होते जा रहे हैं जहां रौशनी आसानी से नहीं पहुंचती पर कुछ इंडोर प्लांट ऐसे भी हैं जिन्हें ज्यादा रौशनी की जरूरत नहीं होती। ऐसे प्लांट को आप अपने कमरे में लगा सकते हैं। इंडोर प्लांट से थकान भी कम होती है और स्ट्रेस घटता है। अगर आपका घर ऐसी जगह है जहां प्रदूषण ज्यादा रहता है तो आपको इंडोर प्लांट लगाने चाहिए। ये हवा से जहरीले तत्वों को फिल्टर कर देते हैं। हम आपको ऐसे ही 10 पौधों के बारे में बताने जा रहे ह जिन्हें आप अपने कमरे या घर में लगा सकते हैं।1. बैम्बू पॉमअगर आपके घर में धूप नहीं रहती या आप फ्लैट में रहते हैं जहां धूप नहीं आती तो आप बैम्बू पॉम को घर में लगा सकते हैं। हवा में ट्राइकलोरेथिलीन और बेंजीन जैसे हानिकारक तत्व पाए जाते हैं जिन्हेंं फिल्मटर करने के लिए ये पौधा काम आएगा। ये हानिकारक तत्व फर्नीचर से निकलतेे हैं जिन्हेेंं साफ करना जरूरी है इसलिए आप इस पौधे को फर्नीचर के आसपास रख सकते हैं।2. स्नेक प्लांटस्नेक प्लांट घर में हवा को शुद्ध करने में मदद करता है। अगर आप कहीं बाहर जा रहे हैं और पौधों की चिंता है तो इस पौधे के साथ आपको ये चिंता नहीं सताएगी क्योंकि स्नेक प्लांट को ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं होती। ये कई दिनों तक बिना पानी के जिंदा रह सकता है।3. ग्रीन स्पाइडर प्लांटग्रीन स्पाइडर प्लांट भी एक इंडोर प्लांट है जिससे हवा शुद्ध होती है। इसे गर्मी के मौसम में आप कमरे में रख सकते हैं। इसे ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती। इसको ग्रीन स्पाइड इसलिए बोला जाता है क्योंकि इसके पत्तों का आकार मकड़ी के जाल की तरह होता है।4 वीपिंंग फिंगइस प्लांट में सुंदर सफेद रंग के फूल निकलते हैं। ये पौधा लंबे समय तक चलता है। इसके साथ ही अगर आपके कमरे में धूल के कण हैं तो इन्हें ये हवा से बाहर निकालने में मदद करता है। धूल से बहुत लोगों को एलर्जी होती है ऐसे में ये पौधा काम का है। ये धूल के कण एब्सॉर्ब कर लेता है और हवा को साफ बनाता है। इस पेड़ की पत्तियां झड़ती हैं इसलिए इसे ज्यादा हिलाना नहीं चाहिए। .5. वार्नक ड्रैकेनाअगर आप वार्नक ड्रैकेना प्लांट को कमरे में रखेंगे तो ये प्रदूषित हवा से आपकी रक्षा करेगा। आप किसी ऐसे इलाके में रहते हैं जहां गाडिय़ों का प्रदूषण बहुत ज्यादा है तो आपको ये प्लांट घर में लगवाना चाहिए। इस पौधे को धूप की जरूरत नहीं होती इसलिए इसे बेस्ट इंडोर प्लांट माना जाता है।6. आर्किड प्लांटआर्किड प्लांट अपने सुंदर फूलों से कमरे को खास तो बनाता ही है साथ ही इसका पौधा कमरे में रखने से ये हवा को साफ करता है। हवा में जाइलिन और टोल्यून नाम के दो कंपाउंड पाए जाते हैं जो हमारी सेहत के लिए अच्छे नहीं माने जाते। अगर आप आर्किड का पौधा कमरे में रखें तो ये हवा से इन दोनों कंपाउंड को फिल्टर कर देगा और आप साफ हवा में सांस ले पाएंगे।7. अंग्रेजी आइवीअंग्रेजी आइवी को घर में लगाने से हवा में मौजूद छोटे बैक्टिेरिया खत्म होते हैं। ये बैक्टिेरिया बॉथरूम में टॉवल, ब्रश या टॉयलेट सीट पर पाए जाते हैं जिनसे कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। इनसे बचने के लिए आप इस पौधे को बॉथरूम के पास लगाएं। ब्रिटिश की जर्नल लैंसेट में छपे एक शोध के मुताबिक घर में उगाए गए पौधों से स्ट्रेस कम होता है।8. पीस लिलीस्पेस ऑर्गेनाइजेशन नासा के शोध के मुताबिक पीस लिली प्लांट ट्राइकलोरेथिलीन और बेंजीन से हवा को मुक्त करता है। जिन लोगों को अस्थमा है या जिन्हें सांस की तकलीफ है उन्हें खासतौर पर ये पौधा घर में लगाना चाहिए। ये पौधा कम रौशनी में भी जिंदा रह सकता है। आप कैमिकल युक्त एयर फ्रेशनर का इस्तेमाल करने के बजाय इस पौधे का इस्तेमाल करें। इसकी खुशबू आपका मूड बदल देगी।9. ऐरेका पॉम प्लांटऐरेका प्लांट को घर में लगाएंगे तो ये हवा से जाइलिन और टोल्यून जैसे कंपाउंड को फिल्टर कर देगा। इस पौधे का कद 5 फीट तक बढ़ता है। ये प्लांट कम पानी में भी जिंदा रह सकता है। अगर आप कोई इंडोर प्लांट ढूंढ रहें तो इसे चुन सकते हैं। शोध के मुताबिक जिन कमरों में पौधा लगा होता है वहां बीमारी की आशंका 60 प्रतिशत तक कम हो जाती है। ये मेंटल और फिजीकल हेल्थ दोनों के लिए फायदेमंद है।10. तुलसी का पौधातुलसी के फायदे तो आप सब जानते हैं। तुलसी का पौधा हवा से कार्बन डाइऑक्साइड को फिल्टर करता है। तुलसी के पौधे के कई औषधीय फायदे भी हैं। हवा की गुणवत्ता ठीक करने के लिए आप तुलसी का पौधा कमरे में लगाएं। आपको इसे नियमित रूप से पानी देने की जरूरत है और इसे धूप वाली खिड़की पर रखें।
- दूध में कई तरह के गुण होते हैं। ये आपकी सेहत के साथ-साथ आपके निखार को भी बनाता है। ऐसे ही अपनी सुंदरता में निखार लाने के लिए महिलाएं कई चीजों और सौंदर्य प्रसाधनों का सहारा लेती हैं। लेकिन उन सब को छोडक़र आप घरेलु तरीके भी अपना सकती हैं और उनमे से ही एक है दूध, जिसके बारे में आपको जानकारी देने जा रहे हैं।चेहरे पर मुंहासों की समस्या हो या झुर्रियां की या फिर दाग-धब्बे, दूध और शहद जैसे घरेलू उपाय की मदद से यह धीरे-धीरे गायब होने लगते हैं और चेहरे पर निखार आने लगता है। अगर आपको विश्वास नहीं हो रहा है कि आप दूध से चेहरे पर कैसे निखार ला सकते है, आइए जानते है।शहद और दूध क्लींजर...चेहरे में छिपी गंदगी या मैल को साफ करने के लिये दूध में शहद को मिलाकर लगाए क्योकि शहद त्वचा के लिए टॉनिक का काम करता है। जिसे खाने से और लगाने से स्किन ग्लो करने लगती है। स्किन को गोरा बनाने के लिए एक छोटे चम्मच में शहद लेकर दूध के साथ मिलाकर चेहरे पर लगाए और 10 मिनट तक लगे रहने दे। इसके बाद चेहरे पर से इसे पानी से धोने के बाद आप खुद ही महसूस करने लगेंगी।रंग में निखार और मुलायम त्वचा...दूध को पूरे शरीर पर मलने से त्वचा मुलायम होती है और निखार आता है। 2 चम्मच दूध की मलाई में एक चम्मच शहद मिलाकर अपनी त्वचा पर लगाए। इससे त्वचा की खुश्की कम होती है। दूध और गुलाब जल मिलाकर पूरे शरीर पर मालिश करने से त्वचा का रंग धीरे-धीरे निखरना शुरू हो जाता है।झुर्रियां दूर करे...चेहरे की झुर्रियां दूर करने में भी दूध बहुत लाभदायक है। 2 चम्मच शहद में 3-4 चम्मच दूध की मलाई मिला लें व इसे चेहरे पर अप्लाई करें। इसके इस्तेमाल से चेहरे की झुर्रियां कम होने लगेंगी।होंठों को बनाए सॉफ्ट और गुलाबी...होंठ अगर काले हो गए हों तो दूध को होठों पर लगाने से कालापन दूर होता है। अगर आपके होंठ फट गए हैं तो रात को सोने से पहले एक बूंद गुलाबजल और एक बूंद नींबू का रस दूध की मलाई में मिलाकर लगा लें। सुबह आपके होंठ सॉफ्ट और गुलाबी होंगे
- अगर आपका बच्चा खेल-खेल में रस्सी कूदता है, तो ये जानकर आपको खुशी होगी कि ये एक ऐसा खेल है जो व्यायाम भी है और साथ ही सेहत को कई प्रकार से फायदा पहुंचाता है। ये भी कहा जाता है कि रस्सी कूदने से छोटे कद वालों को अपनी हाइट बढ़ाने में मदद मिलती है। इसके अलावा भी रस्सी कूदने के कई फायदे होते हैं, आइए जानते हैं -1 रस्सी कूदना शरीर के रक्तसंचार को बढ़ाने के साथ ही आपको ऊर्जावान बनाने के लिए काफी फायदेमंद है। यह उत्साह बढ़ाने का भी बेहतरीन जरिया है।2 वजन कम करना हो या फिर शरीर की बढ़ी हुई चर्बी कम करना हो, रस्सी कूदना सबसे आसान विकल्प है, जो आप जब चाहें आजमा सकते हैं।3 बढ़ती उम्र में रस्सी कूदना, कद बढ़ाने के लिए बढिय़ा एक्सरसाइज है। खेल-खेल में ही यह हाइट बढ़ाने का एक प्रभावी तरीका साबित होता है।4 यह आपको मानसिक रूप से स्वस्थ बनाता है, तनाव को कम करता है साथ ही चेहरे पर प्राकृतिक चमक लाने के लिए भी सहायक है।5 यह शरीर को चुस्त-दुरुस्त बनाता है, साथ ही हड्डियों को मजबूत बनाता है। इसके अलावा शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे आप स्वस्थ्य बने रहते हैं।
- गर्मी के मौसम की शुरूआत हो रही है और बदलते मौसम में सबसे ज्यादा परेशानी गले में ही होती है। मौसम बदलते ही हमारे खान-पान में बदलाव आ रहा है, हम ठंडी चीजों का सेवन करने लगे है जिससे हमारे गले में लगातार खिच-खिच बनी हुई है। गले की वजह से बुखार सर्दी ज़ुकाम को भी झेलना पड़ता है। गले की खराश दूर करने का सबसे बड़ा इलाज है गर्म पानी से गरारे करना। नमक के पानी से गरारे करने का तरीका काफी असरदार और पुराना है। लेकिन आप जानते हैं कि गले की खराश दूर करने के लिए आप कई और असरदार चीजों का इस्तेमाल करके इस परेशानी से छुटकारा पा सकते हैं। आइए जानते हैं कि गरारा करने के लिए गर्म पानी में कौन-कौन सी देसी चीजों का इस्तेमाल कर सकते हैं, और यह किस तरह फायदेमंद है।हल्दी और नमक का पानीहल्दी नमक का पानी ना सिर्फ गले की खराश को दूर करता है बल्कि सेहत को भी बेहतर बनाता है। हल्दी में इंफ्लैमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो पेट साफ करते हैं। हल्दी नमक का पानी इस्तेमाल करके आप खांसी और गले की खराश को बॉय-बॉय बोल सकते हैं।पुदीने का पानीपुदीने में पाया जाने वाला मेन्थॉल न सिर्फ गले को आराम पहुंचाता है, बल्कि बंद नाक को खोलने में भी मदद करता है। इसकी एंटीसेप्टिक प्रॉपर्टीज बैक्टीरिया को कम करती है। इस पानी को बनाने के लिए एक कप उबलते हुए पानी में दो से तीन पेपरमिंट टी बैग्स डालें या फिर पुदीने की पत्तियों का इस्तेमाल करें। अब इसे ठंडा होने दें और फिर इस गुनगुने पानी से गरारे करें।अदरक का पानीअगर किसी व्यक्ति को गले में खराश के साथ-साथ सूजन भी है तो उसे अदरक के पानी से गरारे करने चाहिए। अदरक में मौजूद एंटी-इंफलेमेटरी गुण गले की सूजन को कम करने के साथ-साथ इंफेक्शन को दूर करके गले को आराम देते हैं। इसे बनाने के लिए पानी में अदरक उबालें और जब वह पानी गुनगुना रह जाए तो उससे गरारे करें।नमक का पानीनमक के पानी से गरारे करने का तरीका बेहद पुराना है। नमक में पाए जाने वाले एंटीसेप्टिक और एंटी-बैक्टीरियल गुण गले की खराश को दूर करने के साथ-साथ गले को काफी आराम पहुंचाते है। इसके इस्तेमाल के लिए एक गिलास गुनगुने पानी में नमक मिलाएं और फिर उस पानी से गरारे करें।सेब का सिरका और गर्म पानीसेब का सिरका सिर्फ खाने में ही इस्तेमाल नहीं किया जाता बल्कि इसका इस्तेमाल गले की खराश को दूर करने के लिए भी किया जाता है। सेब के सिरके में एंटी-बैक्टीरियल गुण जाते हैं जो बैक्टीरिया को दूर करके गले को आराम पहुंचाते हैं। आधा गिलास गर्म पानी में एक चम्मच सेब का सिरका मिलाएं और दिन में दो बार गरारे करें। आपको काफी आराम महसूस होगा।
- स्वस्थ रहने के लिए अच्छा आहार लेना बहुत जरूरी है। इम्यूनिटी कमजोर होने पर कई तरह की बीमारियां उत्पन्न होने लगती हैं। इसके साथ ही शरीर में विषाक्त पदार्थ भी जमा होने लगता है। इससे बचने के लिए भोजन में हेल्दी खाद्य पदार्थ शामिल करना चाहिए।इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए आपको विदेशी खाद्य पदार्थ खरीदने की जरूरत नहीं है। स्वस्थ रहने के लिए घर की रसोई में पहले से उपलब्ध खाद्य पदार्थों का उपयोग किया जा सकता है। हालांकि आपको सही तरीके और सही समय पर इन खाद्य पदार्थों का उपयोग करना आना चाहिए। ऐसा ही एक खाद्य पदार्थ है गुड़ और घी। लंच के बाद इसका सेवन करने से इम्यूनिटी मजबूत होती है।न्यूट्रिशनिस्ट रुजुता दिवेकर ने हाल ही में एक ऐसा आयुर्वेदिक उपाय साझा किया, जो न केवल इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करता है बल्कि हार्मोन से संबंधी समस्याओं को भी नियंत्रित करता है। फिट रहने के लिए लंच के बाद गुड़ और घी का सेवन बहुत फायदेमंद है। यह कॉम्बिनेशन न केवल चीनी खाने की इच्छा को रोकता है बल्कि इम्यूनिटी को भी बढ़ाता है।आयुर्वेद में घी और गुड़ का बहुत महत्व है। इन दोनों को सुपरफूड माना जाता है। इनमें कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं जो संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। रिफाइंड शुगर की अपेक्षा गुड़ अधिक स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। इसमें पोषक तत्वों की मात्रा होती है, जो ब्लड शुगर के स्तर को बढऩे से रोकता है। गुड़ में आयरन, मैग्नीशियम, पोटेशियम, विटामिन बी और विटामिन सी होते हैं। वहीं, घी अलग-अलग तरह के विटामिन और फैटी एसिड का स्रोत है। इसमें विटामिन ्र, ई और डी पाया जाता है। इसके अलावा घी में विटामिन के भी होता है जो हड्डियों में कैल्शियम को अवशोषित करने में मदद करता है।सेहत के लिए गुड़ और घी के फायदेगुड़ और घी दोनों इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद करते हैं और हार्मोनल असंतुलन की समस्या को नियंत्रित करता है। इस दोनों का एक साथ सेवन करने से शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं। इसके अलावा गुड़ और घी त्वचा, बाल और नाखून को भी स्वस्थ रखता है। साथ ही गुड़ एनीमिया की समस्या भी दूर करता है।कैसे करें गुड़ घी का सेवनन्यूट्रिशनिस्ट रुजुता दिवेकर के अनुसार, लंच के बाद एक चम्मच घी में गुड़ मिलाकर खाना चाहिए। इसे रात के भोजन के बाद भी खाया जा सकता है।
- डायबिटीज के मरीजों को पाचन और ब्लड शुगर मैंटेन करने में आम लोगों से ज्यादा मशक्कत करनी पड़ती है। इन मरीजों के शरीर में इंसुलिन हार्मोन के स्रावण में कमी के कारण इस तरह की बीमारी होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि अनियमित जीवन शैली और खान-पान का ध्यान नहीं रखने वाले लोगों में यह बीमारी आम तौर पर पाई जाती है। अक्सर ब्लड शुगर का स्तर अनियंत्रित हो जाता है, ऐसे में डायबिटीज से इंसान को और भी ज्यादा खतरा होता है। इन परिस्थितियों में ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए विशेषज्ञ नींबू का अचार खाने की सलाह देते हैं।जानें कैसे है नींबू का अचार फायदेमंद- नींबू के अचार में मौजूद विटामिन-सी मरीजों में इंफेक्शन का खतरा कम करता हैैं। नींबू में मौजूद मिनरल्स से बार-बार पानी पीने की जरूरत भी नहीं पड़ती और यह एनर्जी भी बनाए रखता है।-शरीर में दिनभर की एनर्जी के लिए रक्त संचार का बेहतर होना जरूरी है। ऐसे में जरूरी है कि डायबिटीज के मरीज नींबू के अचार खाने को अपनी आदत बना लें। इससे शरीर में ब्लड फ्लो बेहतर होता है, साथ ही यह ब्लड शुगर के लेवल को भी नियंत्रित करने में सहायक साबित हुआ है।- नींबू इम्यूनिटी बढ़ाने में सहायक सिद्ध हुआ है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि डायबिटीज रोगियों का पाचन तंत्र बाकी लोगों के मुकाबले समय के साथ कमजोर होता चला जाता है। ऐसे में नींबू का अचार व्यक्ति का डाइजेशन भी बेहतर करता है।- नींबू का अचार वजन कम करने में उपयोगी सिद्ध हुआ है। इसमें मौजूद एंजाइम्स पेट से जुड़ी सभी तरह की परेशानियों को भी दूर कर देती है।(नोट- इस लेख में हम एक सामान्य जानकारी दे रहे है, एलर्जी या अन्य किसी विशेष समस्या से जूझ रहे मरीज डॉक्टर से पूछ कर ही नींबू के अचार का सेवन करें)
- गर्मी के मौसम में पसीना आना बहुत आम बात है। पसीना आने से कई समस्याएं होने लगती हैं। उन में से अंडरऑम्र्स से आने वाली बदबू से ज्यादातर लोग परेशान रहते हैं। ये प्रॉब्लम होने पर लोग आपके पास बैठने से कतराते हैं। आपके पास बैठते ही अगर कोई मुंह पर रूमाल रख लें तो आपको कैसा महसूस होगा? अगर आप भी चाहते हैं आप को सभी के सामने शर्मिंदा ना होना पड़े तो इन घरेलू उपायों का इस्तेमाल कर आप अंडरऑम्र्स की बदबू से छुटकारा पा सकते हैं। इससे पहले ये जानना जरूरी है कि ज्यादा पसीना आना या अंडरआम्र्स की बदबू के पीछे क्या कारण है?क्यों आता है अंडरआम्र्स में पसीना?अंडरआम्र्स में पसीना आने के कई कारण हो सकते हैं। कई बार शरीर में मैग्नीशियम की कमी के कारण भी ये समस्या हो सकती है। दरअसल, अंडरआम्र्स में पसीने की ग्रंथियों की संख्या ज्यादा होती है इसलिए यहां ज्यादा पसीना आता है।इन घरेलू उपायों को अपनाने से अंडरऑम्र्स की बदबू से मिल सकता है छुटकारा-बेकिंग सोडाबेकिंग सोडा अंडरआम्र्स की बदबू से छुटकारा दिलाने के लिए कारगार उपाय है। इसे इस्तेमाल करने के लिए नींबू के रस में एक चम्मच बेकिंग सोडा अच्छी तरह मिलाएं। इसमें गांठे ना बनने दें। फिर इसे अंडरआम्र्स पर 15 मिनट लगा रहने दें और बाद में साफ कर लें। यह पसीने को रोक कर बदबू से राहत दिलाता है।गुलाबजलपसीने की बदबू से राहत पाने के लिए गुलाबजल बहुत फायदेमंद है। इसे आप अंडरआम्र्स के आस-पास स्प्रे भी कर सकते हैं या फिर गुलाबजल से रूई के साथ अंडरआम्र्स को साफ कर सकते हैं। इसके अलावा अगर आप नहाने के पानी में थोड़ा-सा गुलाबजल मिला कर नहाएंगे तो इससे पसीने की बदबू से राहत मिल सकती है।एप्पल साइडर विनेगरएप्पल साइडर विनेगर अंडरआम्र्स की बदबू से छुटकारा दिलाने के लिए बढिय़ा ऑप्शन है। इसके इस्तेमाल से अंडरआम्र्स में होने वाले बैक्टीरिया का खात्मा होता है और यह पसीने को भी कम करता है। एप्पल साइडर विनेगर में थोड़ा सा नारियल तेल मिलाकर लगाने से आपको फायदा मिल सकता है।नींबूनींबू में एसिडिक गुण होते हैं जो पसीने की बदबू से छुटकारा दिलाते हैं। इसे इस्तेमाल करने के लिए नींबू को आधा काट कर इसके टुकड़े को 10 मिनट तक अंडरआम्र्स पर रगड़ें। फिर पानी से धो लें। इससे आपको दिनभर की बदबू से राहत मिलेगी।टमाटरअंडरआम्र्स की बदबू से छुटकारा पाने के लिए आप टमाटर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए आप टमाटर का पल्प और रस निकालकर इसे 15 मिनट अंडरआम्र्स पर लगाएं और बाद में नहा लें। ऐसा दो-तीन दिन में 1 बार करें।फिटकरीइसे इस्तेमाल करने के लिए नहाने से पहले 3 मिनट तक फिटकरी को अंडरआम्र्स पर रगड़े और बाद में नहाएं। यह उपाय अंडरआम्र्स की बदबू से राहत दिलाने के लिए काफी कारगार है।एलोवेरारात को थोड़ा सा एलोवेरा जेल अपनी उंगलियों पर लेकर अपने अंडरआम्र्स पर लगाएं। इसे रातभर के लिए रहने दें और अगली सुबह पानी से धो लें। चाहें, तो एक चौथाई कप एलोवेरा जेल पी भी सकते हैं। इससे आपको काफी राहत मिल सकता है
- दांतों को स्वस्थ रखने के लिए लोग अलग-अलग तरीके अपनाते हैं, लेकिन आपने ज्यादातर लोगों को एक आम तरीका अपनाते हुए जरूर देखा होगा। लोगों का मानना है कि नीम की दातुन से दांतों की सफाई करने से दांतों में संक्रमण पर रोकथाम होती है और दांत अच्छी तरह से चमक सकते हैं। लेकिन कई लोग ऐसे भी होंगे जो इस पर यकीन नहीं करते होंगे। कई लोगों के बीच ये सवाल होता है कि क्या दातुन से दांतों की सफाई करना सही है या नहीं और कैसे ये हमारे दांतों को स्वस्थ रखने में मददगार है।दांतों के लिए कैसे फायदेमंद है नीम की दातुननीम की दातुन को भारत में लोग आयुर्वेदिक ब्रश के रूप में देखते हैं। जर्नल 'फार्माकोग्नॉसी रिव्यू' में 'अजादिराचट्टा इंडिका: अ हर्बल पैनेशिया इन डेंटिस्ट्री - एन अपडेट नाम से प्रकाशित एक अध्ययन में दिखाया गया है कि नीम की छाल दांतों के लिए एक सक्रिया घटक के रूप में है। सामने आए अध्ययन के मुताबिक, नीम की छाल का मसूड़ों की समस्या और दांतों में संक्रमण को दूर करने का काम करते हैं। आपको बता दें कि इस अध्ययन में नीम की छाल को दांतों के इलाज के लिए एक बेहतरीन तरीके के रूप में देखा जाता है।दरअसल नीम अपने बहुत से फायदेमंद गुणों के साथ जाना जाता है, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहतरीन होते हैं। लेकिन नीम की दातुन से लगातार और ज्यादा देर तक दांत को साफ करना नुकसानदायक हो सकता है। हम बहुत देर तक दांतों को दातुन से साफ करते हैं तो इस कारण हमारे दांत भी घिसने लगते हैं जिस कारण ये कमजोर हो जाते हैं। हकीकत है कि नीम कई संक्रमण और वायरस का खात्म करता है लेकिन इसकी दातुन का बहुत ज्यादा देर तक इस्तेमाल नुकसानदायक है।नीम की दातून में कौन से प्रभावी गुण हैं?नीम सदियों से कई इलाज के काम आती है, आयुर्वेद में इसे ज्यादातर इलाज के लिए एक बेहतरीन विकल्प के रूप में देखा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि नीम में कई ऐसे गुण पाए जाते हैं जो हमारे बालों, त्वचा, संपूर्ण स्वास्थ्य और दांतों को फायदा पहुंचाते हैं। नीम में फाइटोकेमिकल और एंटी माइक्रोबियल एजेंट गुण होते हैं जो इसे फायदेमंद बनाते हैं।---
- आपने बाजरे की रोटी तो जरूर खाई होगी। लेकिन क्या आपने कभी मडुआ या रागी की रोटी खाई है। अगर नहीं तो आज हम आपको यहां बताएंगे कि मडुआ की रोटी खाने के क्या फायदे होते हैं। मडुआ की रोटी का स्वाद बिल्कुल बाजरे की रोटी के समान होता है। इसे बनाना भी आसान होता है।बाजरा लंबी-लंबी डंडियों में उगता है तो वहीं मडुआ जैसे एलोवेरा का पौधा होता है कुछ उससे अधिक लंबाई वाला पौधा होता है। उसमें छोटे-छोटे फूल आते हैं जिनमें मडुआ के दाने होते हैं। इन दानों को निकलवाकर पिसवाया जाता है। फिर उस आटे से आप रोटी, डोसा, केक, मोटी डबल रोटी, चिप्स कुछ भी बना सकते हैं। मडुआ की रोटी मक्खन के साथ खाने में बहुत लजीज लगती है तो वहीं इसे अक्सर सर्दियों में खाया जाता है। मडुए को अलग-अलग जगह अलग नामों से जाना जाता है। उत्तराखंड के कुमाऊं में इसे मडुआ और दक्षिण भारत में रागी कहा जाता है। उत्तराखंड में इस रोटी को खूब पसंद किया जाता है।मडुआ (रागी) रोटी खाने के फायदेरागी में कैल्शियम, प्रोटीन, ट्रिपटोफैन, आयरन, मिथियोनिन, फाइबर, लेशिथिन, फास्फोरस, कैरोटीन और कार्बोहाइड्रेट आदि भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसकी तासीर गर्म होती है। इसलिए इसे सर्दियों में ही खाना चाहिए। मडुआ की रोटी खाने से शरीर को अनेक फायदे मिलते हैं। आइए जानते मडुआ की रोटी खाने के फायदे।1. पेट की समस्याओं से दिलाए निजातमडुआ में फाइबर अधिक मात्रा में पाया जाता है जो वजन कम करने में तो सहायक होता ही है। साथ ही पेट की समस्याएं जैसे अपच, एसिडिटी, कब्ज से भी राहत दिलाता है। मडुए की रोटी नियमित खाने से कोलेस्ट्रॉल का लेवल भी ठीक रहता है।2. वजन कम करने में मददगारमडुआ की रोटी खाने से भूख पर नियंत्रण होने लगता है। जिससे बार-बार भूख नहीं लगती। जब बार-बार भूख नहीं लगेगी तो वजन खुद-ब-खुद कंट्रोल रहेगा। दूसरा इसमें वसा कम होती है जिस वजह शरीर में फैट कम बढ़ता है। मडुआ में ट्रिप्टोफेन नामक एसिड पाया जाता है जो भूख को कंट्रोल करता है। इस तरह मडुआ की रोटी का नियमित सेवन करने से वजन नियंत्रित रहता है। वजन कम करने की तमाम कोशिशों से जो लोग नाकाम हो चुके हैं उन्हें इस रोटी का सेवन जरूर करना चाहिए।3. दांतों के लिए असरदारमडुआ में कैल्शियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है। यही वजह है कि यह दांतों की सभी परेशानियों के लिए रामबाण इलाज है। मसूड़ों की कमजोरी, सेंसटिविटी हो या दांतों का इनेमल हटना हो, सभी परेशानियों में यह असरदार है।4. हड्डियों को दे मजबूतीमडुआ में कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता है। कैल्शियम हड्डियों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। मडुआ या रागी में कैल्शियम की मात्रा प्रचूर होती है इसलिए ये शरीर के हड्डी के रोगों को खत्म करता है। इसके नियमित सेवन से ऑस्टियोपोरोसिस जैसे रोग भी ठीक हो जाते हैं।5. डायबिटीज के रोगियों के लिए रामबाणमडुआ की रोटी खाने से भूख कम लगती है जिससे डायबिटीज के रोगी को बार-बार भूख नहीं लगती। दूसरा मडुआ ग्लूटन फ्री होता है। जिससे ग्लूकोज के स्तर में गिरावट आती है। इसके नियमित सेवन से डायबिटीज के मरीज को बहुत फायदा मिलता है। डायबिटीज से ग्रसित व्यक्ति अगर सुबह-शाम यह रोटी खाता है तो उसकी समस्या कम हो सकती है।
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दुनियाभर के करीब आधे से ज्यादा बच्चे और किशोरों को नाखून चबाने की आदत होती है। कई बार तो वयस्क होने के बाद भी लोगों की यह आदत नहीं छूटती। इसके अलावा बहुत से लोगों को आपने देखा होगा कि जब वे नर्वस होते हैं या फिर उन्हें किसी तरह की टेंशन होती है तो वे अपने नाखून चबाने लगाते हैं। आपने भी कभी-न-कभी ये काम जरूर किया होगा। वैसे तो नाखून चबाने की आदत अस्थायी होती है और इससे आम तौर पर किसी तरह का नुकसान नहीं होता, लेकिन कुछ मामलों में नाखून चबाना, किसी गंभीर मानसिक बीमारी का संकेत भी हो सकता है।
विशेषज्ञों की मानें तो नाखून चबाने की आदत को मेडिकल टर्म में ऑनिकोफेजिया कहा जाता है। यह एक पैथोलॉजिकल (रोग संबंधी) मौखिक आदत है जिसकी वजह से ऊंगली के नाखूनों के साथ ही आस पास के टीशूज को भी नुकसान हो सकता है। वैसे तो नाखून चबाने की कोई निश्चित वजह नहीं है, लेकिन आम तौर पर यह आदत बचपन में शुरू होती है। किसी व्यक्ति में ये आदत क्यों या कैसे लग जाती है इसका भी कोई स्पष्ट कारण नहीं, लेकिन एक बार शुरू होने के बाद, इसे रोकना मुश्किल होता है। कुछ मामलों में नाखून चबाना किसी मानसिक बीमारी की संकेत भी हो सकता है।
1. जिन लोगों को नाखून चबाने की आदत होती है वे आम तौर पर ऐसा तब करते हैं जब उन्हें किसी वजह से एंग्जाइटी यानी बेचैनी महसूस होती है। इसका कारण ये है कि नाखून चबाने से तनाव, टेंशन और नीरसता या ऊबाउपन दूर करने में मदद मिलती है।
2. इसके अलावा बहुत से लोग नर्वस महसूस करने पर, अकेलापन महसूस करने पर या फिर भूख लगने पर भी नाखून चबाते हैं।
3. बचपन में बहुत से बच्चों को अंगूठा चूसने की आदत होती है जो कई बार बड़े होने पर नाखून चबाने की आदत में बदल जाती है।
4. इसके अलावा कुछ मानसिक बीमारियों की वजह से भी मरीज नाखून चबाने लगता है। वे बीमारिया हैं- अटेंशन डेफिसिट हाइपरऐक्टिविटी डिसऑर्डर , मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर , ऑब्सेसिव कम्पलसिव डिसऑर्डर , किसी अपने से बिछडऩे से जुड़ी चिंता (सेपरेशन एंग्जाइटी)।
5. कुछ लोगों में नाखून चबाने की आदत जेनेटिक भी हो सकती है। यानी जिन बच्चों के माता-पिता में यह आदत होती है, कई बार उनके बच्चे में भी नाखून चबाने की लत लग जाती हैष
नाखून चबाने के नुकसान
-नाखून और उसके आस पास की स्किन में सूजन या घाव होना
-नाखून का असामान्य दिखना
-नाखून और आस पास की स्किन में फंगल इंफेक्शन होना
-नाखून में मौजूद बैक्टीरिया और वायरस के पेट में जाने की वजह से बीमार पडऩा
-नाखून चबाने की वजह से दांतों को भी होता है नुकसान - हर भारतीय रसोई में किसी न किसी रूप में प्रयोग किया जाने वाला धनिया कई औषधीय गुणों से युक्त है। आमतौर पर रसोई में इसका इस्तेमाल एक सामान्य मसाले के रूप में किया जाता है , लेकिन स्वास्थ्य को लेकर इसके बेहतरीन फायदे जानकर आप हैरान रह जाएंगे। धनिया के पत्तों से लेकर इसके बीज तक सभी का इस्तेमाल भारतीय खानों में किया जाता है। सुबह खाली पेट धनिया का पानी पीना कई समस्याओं के लिए रामबाण का काम करता है। धनिया पेट संबंधी समस्याओं के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। यह अपच, कब्ज, गैस और आंतों से जुड़ी समस्याओं के लिए बेहद लाभकारी है। धनिया को मूत्रवर्धक माना जाता है। इसका सेवन पेशाब से जुड़े रोगों में फायदेमंद होता है। शरीर के लिए अनेक फायदों से युक्त धनिया का पानी सुबह खाली पेट पीने से स्किन, बालों और इम्यून सिस्टम के लिए बेहद फायदेमंद होता है। धनिया के पानी में विटामिन सी के साथ-साथ मैग्नीशियम, कैल्शियम और पोटेशियम की पर्याप्त मात्रा होती है जो हमारे शरीर के लिए बेहद स्वास्थ्यप्रद है।घर पर धनिया का पानी कैसे बनाएंकई औषधीय गुणों से युक्त धनिया का पानी बनाने के कई तरीके हैं। पहला तरीका यह है कि साबुत धनिया के एक चम्मच बीज को एक गिलास उबलते पानी में दाल दें और इसे कुछ देर तक उबलने दें। 2 से 3 मिनट बाद जब आपको लगे कि धनिया के बीज अच्छी तरह से उबल गए हैं तो इसे उतार लें और थोड़ी देर ठंडा होने के लिए रख दें। ठंडा होने के बाद इसका सेवन खाली पेट करें। दूसरा तरीका यह है कि धनिया के एक चम्मच बीज को आधा गिलास पानी में डालकर उसे रातभर उसी में रहने दें। सुबह में पानी को छानकर बीज को अलग कर लें, और इस पानी का सेवन सुबह खाली पेट करें। आप चाहें तो इसमें एक चम्मच नींबू का रस भी मिला सकते हैं। आप धनिया के पत्तों के रस का भी सेवन कर सकते हैं उसके लिए आपको धनिया के साफ पत्तों को पानी में भिगाकर रात भर के लिए रखना होगा उसके बाद सुबह इसे थोड़ी देर के लिए उबालकर छान लें। इसमें थोडा से नींबू का रस मिलाकर आप इसे चाय के तौर पर सुबह खाली पेट पी सकते हैं।धनिया पानी पीने के फायदे1. इम्यूनिटी बढ़ाएधनिया का पानी रोज सुबह खाली पेट पीने से शरीर की इम्यूनिटी बढती है। यह हमारे शरीर को कई रोगों से लडऩे की शक्ति देता है। धनिया में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट के गुण हमारे शरीर की प्रतिरक्षा शक्ति को अधिक मजबूत करते हैं।2. बेहतर पाचन में सहयोगीधनिया का पानी पाचन तंत्र को भी मजबूत बनाने में मदद करता है। धनिया में मौजूद औषधीय गुण शरीर के पाचन तंत्र को मजबूती देते हैं। शरीर के मेटाबोलिज्म को भी नियंत्रित करने में धनिया का पानी फायदेमंद होता है।3. वजन कम करने में सहायकधनिया में मौजूद गुण वजन घटाने में भी सहायक होते हैं। धनिया का पानी शरीर के मेटाबोलिज्म को नियंत्रित करता है जिसकी वजह शरीर में मौजूद अतिरिक्त फैट को कम करने में मदद मिलती है।4. बालों के लिए उपयोगीबालों को मजबूती देने के लिए धनिया के पानी का सेवन बेहद फायदेमंद हैं। धनिया में मौजूद विटामिन सी के गुण इसे बालों के लिए बेहद उपयोगी बनाते हैं। रोज़ाना सुबह खाली पेट धनिया के पानी का सेवन टूटते और कमजोर बालों के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है।5. स्किन के लिए बेहद लाभकारीधनिया का पानी त्वचा के लिए रामबाण माना जाता है। धनिया में मौजूद आयरन आयरन, एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुण इसे स्किन के लिए बेहद फायदेमंद बनाते हैं। सुबह रोज़ाना खाली पेट धनिया के पानी का सेवन करने से हमारी त्वचा साफ़ और चमकदार होती ही है और इससे त्वचा संबंधी रोगों के होने का ख़तरा भी कम हो जाता है। मुहांसे और चेहरे पर दाने आदि निकलने जैसी समस्याओं में धनिया का पानी बेहद उपयोगी होता है।6. शरीर को करता है डिटॉक्सरोज़ाना खाली पेट धनिया के पानी का सेवन हमारे शरीर को डिटॉक्स करने में बेहद उपयोगी माना जाता है। शरीर के अन्दर मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में धनिया बेहद उपयोगी होता है।आमतौर पर धनिया का पानी पीने से सामान्य स्वास्थ्य वाले व्यक्तियों को कोई नुकसान नहीं है, लेकिन कुछ विशेष बीमारी या समस्या से ग्रसित लोगों को इसके सेवन से बचना चाहिए। गर्भावस्था और स्तनपान कराने वाली स्त्रियों को धनिया का सेवन इस दौरान कम करना चाहिए और धनिया के पानी के सेवन से बचना चाहिए। डायबिटीज जैसे रोगों से पीडि़त लोगों को धनिया के पानी का सेवन नहीं करना चाहिए, धनिया के पानी का सेवन करने से ब्लड सुगर में कमी आती है जो कि डायबिटीज के रोगियों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। एलर्जी या ब्लड प्रेशर की समस्या से जूझ रहे लोगों को भी धनिया और इसके पानी का सेवन करने से बचना चाहिए।-सांस लेने में दिक्कत-लिवर संबंधी रोग-एलर्जी की समस्या-गर्भावस्था और स्तनपान की स्थिति में-पीरियड्स कम आने की स्थिति-ब्लड सुगर के कम होने की स्थिति-सर्जरी की स्थिति मेंउपर बताए गए सभी परिस्थितियों में धनिया के पानी का सेवन नहीं करना चाहिए, ऐसी स्थिति में इसका सेवन करने के दुष्परिणाम भी सामने आ सकते हैं। इन समस्याओं से ग्रसित लोगों को धनिया उया उसके पानी के सेवन से पहले अपने चिकित्सक से सलाह लेना जरुरी है।
- भारतीय घरों में मैदा से बने नाश्ते का सेवन करना आम बात है जैसे, कचोरी, मठरी, नमक पारे, समोसे आदि। अब पिज़्ज़ा और ब्रेड भी इसमें शामिल हो गया है। मैदा सभी जंक फूड में पाया जाता है। माना की मैदे से बना अधिकतर खाना बहुत स्वादिष्ट होता है जैसे- रूमाली रोटी, नान, केक, पेस्ट्री, बेक्ड फ़ूड जैसे बिस्कुट, नमकीन, पास्ता, नूडल्स, समोसे ... ये सूची कभी न ख़त्म होने वाली है! लेकिन रिसर्च से यह बात सामने आई है कि मैदा स्वास्थ्य के लिए काफी नुकसानदायक है।दरअसल मैदा से बने फूड्स को बनाने और लंबे समय तक प्रीज़र्व रखने की प्रक्रिया में कई हार्मफुल टोक्सिंस मिलाये जाते हैं, जो शरीर के लिए और भी ज्यादा नुकसानदेह हैं जैसे:1. बेंज़ोयल पेरोक्साइडबेंज़ोयल पेरोक्साइड, एक ब्लीचिंग एजेंट है, जिसका उपयोग करके, मैदे को सफेद रंग दिया जाता है। बेंज़ोयल पेरोक्साइड एक हानिकारक रसायन है जिसे दांतों को सफेद करने वाले उत्पादों और हेयर डाई में उपयोग करने के लिए डाला जाता है। अपने केंद्रित रूप में, यह काफी विस्फोटक हो सकता है।2. एलोक्सनमैदा को एक चिकनी बनावट प्रदान करने के लिए एक अन्य रसायन, एलोक्सन भी जोड़ा जाता है। पशु परीक्षण से संकेत मिले हैं कि ऐलोक्सान पैनक्रियाज़ की बीटा कोशिकाओं को नष्ट कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप टाइप 2 मधुमेह होने की संभावना बढ़ जाती है।3. बेंजोइक एसिडमैदे में खतरनाक रसायन जैसे बेंजोइक एसिड और सोडियम मेटा बाय-सल्फेट होते हैं, जो विशेष रूप से बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए गहन जोखिम कारक हो सकता है।मैदा का ज्यादा सेवन करने से होते हैं ये नुकसान1. मोटापे का खतरामैदे का ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत अधिक है, लगभग 71 यानी इसमें अन्य खाद्य पदार्थों की तुलना में कैलोरी की मात्रा दोगुनी होती है। इसलिए, इसे खाने से शरीर में कैलोरी की मात्रा बढ़ सकती है। ज्यादा कैलोरी खाने से शरीर की कोशिकाओं को आवश्यकता से अधिक ग्लूकोज प्राप्त हो सकता है, जो वसा के रूप में जमा हो जाता है, जिससे तेजी से वजन बढ़ता है।2. पाचन संबंधी समस्याएंमैदे का सबसे बड़ा दुष्परिणाम यह है कि यह पाचन तंत्र में गड़बड़ी पैदा कर सकता है। मैदा में बहुत कम पोषण मूल्य और शून्य फाइबर होता है। फाइबर की कमी से इसे पचाना मुश्किल हो जाता है। यह चयापचय की दर को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है और नियमित रूप से मल त्याग में बाधा उत्पन्न करता है जिससे कब्ज और अन्य पाचन समस्याएं हो सकती हैं।3. अन्य घातक बीमारियों को बुलावा देता हैज्यादा मैदा खाने से रक्तचाप में गड़बड़ी हो सकती है जिसकी वजह से ह्रदय रोग का खतरा बढ़ सकता है। मैदे में कोलेस्ट्रोल होता है जो आर्ट्रीज़ ब्लॉक कर सकता है और तनाव को भी बढ़ा सकता है। इस सब का इम्युनिटी पर बहुत नकारात्मक असर पड़ता है। इसके अलावा मैदा एसिडिक होता है जो इन्फ्लामेंशन को बढ़ाता है।
- अगर आपका बच्चा दिखने में स्वस्थ लगता है, मगर उसे नींद नहीं आती है, चिड़चिड़ा है, खेलने में थक जाता है, रात में थकान की शिकायत करता है। पैरों में मालिश के बाद सोता है तो सतर्क होने की जरूरत है। यह बच्चे के शरीर में विटामिन डी की मात्रा बेहद कम होने के संकेत हैं जो आगे चलकर गंभीर बीमारियां दे सकते हैं। विटामिन डी की कमी के कारण बच्चे को रिकरंट इन्फेक्शन यानी बार-बार सर्दी-खांसी व मौसमी बीमारियां होने की आशंका बढ़ जाती है।एक रिसर्च में 30 फीसदी बच्चे दिखने में सामान्य मगर विटामिन डी की बेहद कमी वाले मिले हैं। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में हुए एक रिसर्च में यह खुलासा हुआ है। पांच साल से कम उम्र के बच्चों पर हुए रिसर्च में दो तरह के बच्चों को शामिल किया गया है। एक तो ऐसे बच्चे जो दिखने में सामान्य थे। दूसरे ऐसे बच्चे जो दिखने में कुपोषित और अति कुपोषित श्रेणी के थे। ऐसे बच्चों पर डॉक्टरों ने रिसर्च किया है। शोधकर्ता डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों में विटामिन डी की मात्रा बेहद कमी मिल रही है।नवजात शिशुओं और बच्चों में, विटामिन डी के लगातार कम स्तर से रिकेट्स (सूखा रोग) हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप मुलायम हड्डियां, विकृत हड्डियां, हड्डियों का टूटना, खराब वृद्धि, और रक्त में कैल्सियम का स्तर कम होता है जिससे ऐंठन हो सकती है।कैसे करें बच्चों में विटामिन डी की कमी दूरवैसे तो इसकी कमी को पूरा करने के लिए सूरज की रोशनी बेहद फायदेमंद होती है। यह शरीर में कैल्शियम को अवशोषित करने व हड्डियों में मजबूती दिलाने में मदद करता है। मगर आप डाइट में कुछ चीजों को शामिल करके भी इसकी कमी को पूरा कर सकते हैं।सोया से भरपूर चीजेंविटामिन डी से भरपूर चीजों की लिस्ट में सोया भी शामिल होता है। ऐसे में बच्चे की डाइट में सोया से भरपूर टोफू, दूध और सोयाबीन शामिल करें। इससे बच्चे को सही मात्रा में विटामिन डी मिलने के साथ शारीरिक व मानसिक विकास होने में मदद मिलेगी।दूधइसकी कमी पूरा करने के लिए दूध पीना भी बेस्ट ऑप्शन है। असल में दूध में कैल्शियम के साथ उचित मात्रा में विटामिन डी में पाया जाता है। इसलिए रोजाना 1 गिलास दूध का सेवन करने से बच्चे में इसकी कमी पूरी की जा सकती है। एक्सपट्र्स के अनुसार, 1 गिलास दूध का सेवन करने से दिनभर की जरूरत के अनुसार 1/4 विटामिन डी की मिल सकता है।संतरावैसे तो विटामिन-सी के लिए संतरा खाने की सलाह दी जाती है। मगर असल में, इसमें विटामिन-सी और डी सही मात्रा में मौजूद होता है। ऐसे में रोजाना इसका सेवन करने से विटामिन डी की सही मात्रा में मिलता है। एक्सपट्र्स के अनुसार, रोजाना 1 गिलास ताजे संतरे का जूस पीने से बच्चे में विटामिम डी की कमी पूरी करने में मदद मिलती है। इसके अलावा संतरे अन्य पोषक तत्व व एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है। ऐसे में इसके सेवन से बच्चे की मांसपेशियों व हड्डियों में मजबूती आएगी। शारीरिक व मानसिक विकास बेहतर होने के साथ स्किन से जुड़ी परेशानियों से भी राहत रहेगी।मशरूममशरूम खाने में टेस्टी होने के साथ विटामिन डी से भरपूर होती है। इसके सेवन से मांसपेशियों व हड्डियों में मजबूती आने में मदद मिलती है। खासतौर पर बच्चे की ग्रोथ के लिए मशरूम काफी फायदेमंद मानी जाती है। ऐसे में इसे बच्चे की डेली डाइट में जरूर शामिल करें। आप इससे बच्चे को अलग-अलग डिशेज बनाकर खिला सकते हैं।अंडाअगर आप नॉन वेजीटेरियन है तो बच्चे की डाइट में अंडे शामिल करें। इसका सफेद भाग विटामिन डी से भरपूर होता है। ऐसे में इसके सेवन से बच्चे को इसकी कमी पूरी करने में मदद मिलेगी। साथ ही उसकी सेहत में सुधार आएगा।