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- बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार निर्विवाद रूप से बॉलीवुड के सबसे फिट अभिनेताओं में से एक हैं। वह अपनी डाइट और एक्सरसाइज रूटीन को सख्ती से फॉलो करते हैं। उनके बारे में आपने अक्सर सुना होगा कि वह डेली रूटीन से समझौता नहीं करते हैं। वह हमेशा एक स्वस्थ जीवन शैली की आदतों की वकालत करते हैं। हाल ही में अक्षय कुमार ने एक इंस्टाग्राम लाइव सेशन में वाइल्डलाइफ एडवेंचरर बेयर ग्रिल्स के साथ अपनी सेहत से जुड़ा एक रहस्य अपने प्रशंसकों के साथ शेयर किया, जिसमें खुलासा किया कि वह हर दिन 'गोमूत्र' पीते हैं। इसके बाद एक बार फिर गोमूत्र के सेवन को लेकर तमाम तरह की बातें सामने आने लगी।आयुर्वेद में गोमूत्र का महत्वआयुर्वेद में गोमूत्र को काफी फायदेमंद माना जाता है। विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य स्थितियों से पीडि़त लोगों को गोमूत्र पीने की सलाह दी जाती है। 1000 साल पुरानी वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली के अनुसार, गोमूत्र कई खनिजों का एक प्राकृतिक स्रोत है और इसके दैनिक सेवन से शरीर को विभिन्न पोषक तत्वों की कमी को दूर करने में मदद मिल सकती है। ऐसा माना जाता है कि जब गाय मैदान में आती है, तो वे कई औषधीय पत्तियों को खाती हैं, जिनके निशान उनके मूत्र में पाए जा सकते हैं।भारत में गोमूत्र का उपयोग चिकित्सीय प्रयोजनों के लिए बहुत लंबे समय से किया जाता रहा है। गर्भवती गाय के मूत्र को भी स्वस्थ माना जाता है क्योंकि इसमें विशेष हार्मोन और खनिज होने का दावा किया जाता है। आयुर्वेद मधुमेह, ट्यूमर, तपेदिक, पेट की समस्याओं और यहां तक कि कैंसर सहित विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य बीमारियों के इलाज के लिए रोज सुबह खाली पेट गोमूत्र पीने की सलाह देता है।गोमूत्र पीने के अन्य स्वास्थ्य लाभ-प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली के अनुसार, गोमूत्र सभी के लिए फायदेमंद है। यह न केवल रोग के लक्षणों को ठीक करता है, बल्कि इसके रोजाना सेवन से पुरानी बीमारी भी दूर रहती है। आयुर्वेद द्वारा बताए गए गोमूत्र पीने के कुछ अन्य स्वास्थ्य लाभ हैं।- यह कुष्ठ, पेट के दर्द, पेट फूलना, मधुमेह और यहां तक कि कैंसर के इलाज में मददगार होने का दावा किया जाता है।-बुखार के इलाज के लिए इसे काली मिर्च, दही और घी के साथ लिया जाता है।-माना जाता है कि त्रिफला, गोमूत्र और गाय के दूध का मिश्रण एनीमिया को दूर करने में मदद करता है।-यह एक उत्कृष्ट डिटॉक्स ड्रिंक माना जाता है। आयुर्वेद का मानना है कि गोमूत्र सभी विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर मानव शरीर को अंदर से साफ कर सकता है, जिससे पुरानी बीमारी का खतरा कम होता है। इसके अलावा, साबुन और शैंपू जैसे कॉस्मेटिक उत्पादों को तैयार करने के लिए भी तरल पदार्थ का उपयोग किया जाता है।-गोमूत्र को लेकर विज्ञान क्या कहता है?जैसा कि हम जानते हैं कि आयुर्वेद गोमूत्र पीने के लाभों के लिए दावा करता है, लेकिन इस दावे का समर्थन करने के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। गोमूत्र सोडियम, पोटेशियम, क्रिएटिनिन, फास्फोरस और इपिथेलियल कोशिकाओं जैसे खनिजों में काफी समृद्ध है, लेकिन विज्ञान इस बात का समर्थन नहीं करता है कि इसे पीना किसी भी तरह से स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है। इस खनिज युक्त उत्पाद का उपयोग मिट्टी को समृद्ध करने के लिए किया जा सकता है, न कि स्वास्थ्य के मुद्दों के इलाज के लिए।
- कालमेघ एक बहुवर्षीय औषधीय पौधा है। इसका स्वाद कसैला होता है। यह कई बीमारियों के इलाज में फायदेमंद है।यह पौधा खास तौर पर भारत और श्रीलंका में पाया जाता है। भारत में यह बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिमी बंगाल में सबसे ज्यादा होते हैं। कालमेघ का इस्तेमाल पेट संबंधी समस्याओं के लिए बहुत लाभकारी है। इसके उपयोग से पेट में गैस, अपच, मिचली, एसिडिटी की समस्या को दूर होती है। इस औषधीय पौधे की पत्तियों का इस्तेमाल पेचिस, ज्वर नाशक, जांडिस, सिरदर्द समेत अन्य पेट की बीमारियों के इलाज में किया जाता है।ब्रोंकाइटिस में सांस लेने वाली नली में सूजन आ जाती है जिसकी वजह से श्वासनली कमजोर होने लगती है, इस बीमारी की वजह से फेफड़े बहुत प्रभावित होते हैं। इस बीमारी के इलाज में कालमेघ का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं कालमेघ पौधे में रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता पाई जाती है। यह मलेरिया और अन्य प्रकार के बुखार के लिए भी रामबाण औषधि है।इन रोगों में भी कालमेघ पौधे का होता है इस्तेमाल- इसका उपयोग लीवर और कब्ज से संबन्धित रोगों को दूर करने में होता है।-इस पौधे की जड़ का इस्तेमाल भूख लगने वाली औषधी के रूप में भी किया जाता है।-कालमेघ का पौधा पित्तनाशक है, अत: पित्त से संबन्धित बीमारियों में इसका उपयोग किया जाता है।- इसकी ताजी पत्तियों से हैजा रोग का इलाज किया जाता है।-यह रक्तविकार सम्बन्धी रोगों के उपचार में भी लाभदायक है। कालमेघ के नियमित रूप से सेवन करने से खून साफ होता है।-कालमेघ में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक गुण पाए जाते हैं। इसलिए जोड़ों के दर्द या सूजन को कम करने में ये पौधा सहायक है।- चर्म रोग को दूर करने के लिए सरसों के तेल के साथ मिलाकार इसे त्वचा पर लगाने से आराम मिलता है। ऐसा करने से दाद, खुजली आदि रोगों में फायदा होता है।- सर्दी के कारण नाक बहने की परेशानी आम है जिसे दूर करने के लिए 1200 मिलीग्राम कालमेघ का रस नाक में डालने से नाक का बहना ठीक हो जाता है.- पीलिया रोग को दूर करने के लिए आधा लीटर पानी में 1 ग्राम कालमेघ, 2 ग्राम भुना हुआ आंवला चूर्ण, 2 ग्राम मुलेठी डाल कर उबालें और एक चौथाई पानी बचने पर इसे छान कर प्रयोग करें।-शारीरिक दुर्बलता या कमजोरी को मिटाने के लिए कालमेध का उपयोग किया जाता है, इसके लिए 10-20 मिली पत्तों का काढ़ा बना कर सेवन करना चाहिए। इसका तना भी एक शक्तिशाली टॉनिक होता है।(नोट- किसी भी उपाय का इस्तेमाल करने से पहले किसी योग्य चिकित्सक से अवश्य सलाह ले लें।)
- सर्दियों में पालक के सेवन के कई फायदे हैं। आयरन की कमी को दूर करने के साथ पालक में इम्युनिटी पावर को बूस्ट करने वाले जरूरी विटामिन्स भी होते हैं। सबसे ज्यादा फायदा पालक वाली दाल खाने से होता है। आइए, जानते हैं पालक वाली दाल खाने के फायदे और इसे बनाने का हेल्दी तरीका -पालक में मौजूद पोषक तत्वपालक में विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन के, मैग्नीशियम, मैगनीज और आयरन पर्याप्त मात्रा में होता हैं। आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए, तनाव को कम करने और ब्लड प्रेशर को सही बनाए रखने के लिए पालक खाना फायदेमंद होता है। खून की कमी होने पर सबसे पहले लोग पालक खाने की सलाह देते है, इससे शरीर में हीमोग्लोबिन बढ़ता है।अरहर की दाल में मौजूद पोषक तत्व100 ग्राम अरहर दाल में 22 ग्राम प्रोटीन, 343 कैलोरी, 17 मिलीग्राम सोडियम, 1392 मिलीग्राम पोटैशियम, 63 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 15 ग्राम फाइबर और विटामिन ए, बी12, डी और कैल्शियम की मात्रा पाई जाती है।चने की दाल में मौजूद पोषक तत्वचने की दाल जिंक, कैल्शिीयम, प्रोटीन, फोलेट आदि से भरपूर होने के कारण आपको आवश्यक और जरूरी ऊर्जा देती है।पालक वाली दाल खाने के फायदे-पालक में विटामिन के की अच्छी मात्रा होती है। वहीं, दाल में प्रोटीन मौजूद होता है जिससे हडिड्यां और मांसपेशियां मजबूत होती हैं।-पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने के लिए भी दाल पीने की सलाह दी जाती है। ये शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मददगार है। इसके अलावा कब्ज की समस्या में पालक वाली दाल फायदेमंद होती है।-वहीं त्वचा से जुड़ी कोई समस्या होने पर पालक की दाल में नींबू का रस डालकर पीने से फायदा होता है। इसे त्वचा ग्लोइंग और जवां बनी रहती है। ये बालों के लिए भी अच्छा है।-गर्भवती महिलाओं को पालक की दाल खाने की सलाह दी जाती। पालक का जूस पीने से गर्भवती महिला के शरीर में आयरन की कमी नहीं होती है।-पालक में मौजूद कैरोटीन और क्लोरोफिल कैंसर से बचाव में सहायक हैं। इसके अलावा ये आंखों की रोशनी के लिए भी अच्छा है।कैसे बनाएं पालक वाली दालपालक वाली दाल किसी भी दाल के साथ बनाई जा सकती है, लेकिन अरहर और चने की दाल मिलाकर दाल बनाने से पालक की दाल का स्वाद बढ़ जाता है। इसे बनाने के लिए कुकर में एक -दो चम्मच देसी घी डालकर इसमें हींग, जीरा और मिर्च का तड़का लगा लें। इसके बाद पालक को डालकर 1 मिनट भूनें। इसके बाद दोनों दालों को कुकर में डालकर नमक, हल्दी, मिर्च, आधा चम्मच गर्म मसाला डालकर पका लें। इसके बाद दाल में अलग से तड़का लगाकर इसे रोटी या चावल के साथ खाएं। आप चाहें, तो इसे ऐसे भी सूप की तरह घी डालकर पी सकते हैं।
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पेड़ों से निकलने वाला गोंद भी स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। औषधीय पेड़ बबूल से निकलने वाले गोंद का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवा और घरेलू उपचार में किया जाता है। बबूल का गोंद बहुत की प्रसिद्ध है। इसका निर्माण बबूल के सूखे हुए दूध से होता है। इसकी तासीर ठंडी होती है। इसका उपयोग करने से आमाश्य शक्तिशाली बनता है और आंते भी मजबूत होती हैं। यह गले की आवाज को साफ करता है। इसका प्रयोग फेफड़ों के लिए अतयंत लाभकारी है। इस गोंद का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाई बनाने के साथ ही लड्डू बनाने के लिए भी किया जाता है।
1. वजन घटाएबबूल गोंद स्वस्थ वजन बनाए रखने में मदद करता है। साथ ही यह अधिक वसा को कम करने में भी सहायक है। एक अध्ययन के मुताबिक, महिलाएं जिन्होंने बबूल गोंद का छह हफ्ते तक सेवन किया था, उनके बॉडी मास इंडेक्स (शरीर में मौजूद वसा) में कमी दर्ज की गई। माना जाता है कि बबूल गोंद डाइटरी फाइबर से भरपूर होता है, जिस वजह से यह वजन घटाने में मदद करता है।2. कैंसरकैंसर जैसी प्राणघातक बीमारी से बचने में भी बबूल गोंद मदद कर सकता है। इसमें एंटीकार्सिनोजेनिक प्रभाव पाए जाते हैं। यह प्रभाव कैंसर सेल्स को खत्म करने में मदद करता है। इसका सेवन नियमित दवाओं के साथ भी किया जा सकता है।3. डायबिटीजएक अध्ययन के मुताबिक, बबूल गोंद के इस्तेमाल से सीरम ग्लूकोज के स्तर में कमी देखी गई है। इसके अलावा, यह हानिकारक कोलेस्ट्रोल एलडीएल को कम करता है और अच्छे कोलेस्ट्रोल एचडीएल को बढ़ाने में मदद करता है । ये सभी किसी न किसी तरह से डायबिटीज से जुड़े हुए हैं। डायबिटिक व्यक्ति अगर अपने ग्लूकोज लेवल और कोलस्ट्रोल को नियंत्रण में रखता है, तो उसे डायबिटीज में काफी फायदा मिलता है । वहीं, मोटापे को नियंत्रण में रखकर भी यह आपको डायबिटीज के खतरे से बचाता है। दरअसल, मोटापा डायबिटीज का जोखिम कारक (रिस्क फैक्टर) होता है ।4. डायरियाबबूल गोंद का इस्तेमाल डायरिया ठीक करने के लिए ओआरएस में मिलाकर कर सकते हैं। कई रिसर्च में इसे डायरिया रोकने में लाभदायक पाया गया है। बबूल गोंद को शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट के अवशोषण के लिए जरूरी पाया गया है। हालांकि, कई रिसर्च में इसको लेकर विरोधाभास भी है। माना जाता है कि बबूल गोंद के सेवन से हल्का डायरिया हो सकता है। इसलिए, डायरिया में इसका सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करें।5. पेट संबंधी परेशानियांबबूल गोंद का सीधा सेवन तो पेट से जुड़ी समस्याओं में राहत नहीं दिलाता, लेकिन आप दही में बबूल गोंद को मिलाकर खाते हैं, तो आपको पेट संबंधी परेशानियों से जल्द राहत मिल सकती है। जब दही में बबूल गोंद मिला दिया जाता है, तो बबूल में मौजूद फाइबर और दही में होने वाला बिफिदोबैक्टीरियम लैक्टिस, इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम से आपको बचा सकता है। इसका मतलब यह है कि बबूल गोंद के सेवन से पेट में होने वाले दर्द, पेट फूलने और कब्ज जैसी समस्या से निजात पाने में मदद मिल सकती है ।6. टॉन्सिलसूजन की वजह से गले में टॉन्सिल हो सकते हैं। इसलिए, बबूल गोंद में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण आपको टॉन्सिल से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं। इसके इस्तेमाल से गले में टॉन्सिल की वजह से होने वाली सूजन को कम किया जा सकता है।7. दांतों के लिएबबूल गोंद का उपयोग कई लोगों द्वारा दैनिक रूप से मुंह की स्वच्छता के लिए किया जाता है। इसमें मौजूद रोगाणुरोधी गुण आपके मुंह में मौजूद बैक्टीरिया को खत्म करने और उन्हें पनपने से रोक सकते हैं। इसके साथ ही यह आपके मुंह में मौजूद प्लाक को दूर करने और मसूड़ों की सूजन को कम करने के लिए भी इस्तेमाल में लाए जाते हैं ।8. एक्जिमाबबूल गोंद में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो स्किन को एक्जिमा से बचाने और इसके उपचार में मदद कर सकते हैं।9. घावबबूल के पेड़ को इसके एंटीसेप्टिक गुणों के लिए जाना जाता है। आप घाव लगने पर बबूल गोंद या इसके पत्ते का इस्तेमाल कर सकते हैं। बबूल गोंद का इस्तेमाल घाव को भरने के लिए कारगर हो सकता है। जलने-कटने पर भी आप त्वचा पर सीधे बबूल गोंद को लगा सकते हैं ।10. त्वचा स्वास्थ्यमाना जाता है कि बबूल गोंद त्वचा स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है। लोग चेहरे पर कसावट लाने, झुर्रियां और त्वचा संबंधी रोग को दूर रखने के लिए इसका इस्तेमाल चेहरे पर भी करते हैं। हालांकि, इससे संबंधित कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है। -
अजवाइन के बीज हमारी रसोई में मिलने वाली कुछ आम चीजों में से एक है। अजवाइन एक ऐसा बीज है, जो कि औषधीय गुणों से भरपूर है। अजवाइन फाइबर, विटामिन, एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों की खान है। इसी वजह से पेट दर्द से लेकर अर्थराइटिस के दर्द तक में इस बीज का इस्तेमाल किया जाता है।
अजवाइन के फायदेअपचअपच की परेशानी में अजवाइन बहुत फायदे की चीज है। दरअसल अजवाइन पेट में उन डाइजेशटिव एंजाइम को रेगुलेट करता है, जो कि खाना पकाने की गतिविधि में तेजी लाते हैं। अजवाइन से पुरानी अपच को रोकने और इसके इलाज में भी मदद मिल सकती है। इसके इस्तेमाल के लिए थोड़ा जीरा, थोड़ा सौंफ, धनिया और थोड़े से अजवाइन को भून कर पीस लेना चाहिए और हमेशा खाने के बाद इस पाउडर को खा लेना चाहिए।एसिडिटीएसिडिटी की परेशानी में अजवाइन का इस्तेमाल शरीर के लिए कई तरह से फायदेमंद है। गैस की परेशानी हो तो अजवाइन को गर्म पानी के साथ या फिर अजवाइन का पानी लेने से आराम मिलता है। इसके लिए 250 ग्राम अजवाइन को 4 कप पानी में डाल कर उबाल लें। अब इसे गाढ़ा होने तक पका लें। पानी जब कम हो जाएगा, तो उसे एक बर्तन में रख लें और गैस महसूस होने पर इसका सेवन करें। इससे सीने में जलन, खट्टी डकारें आना, पेट दर्द, पेट में गुडग़ुड़ाहट आदि रोगों से आराम मिलेगा। इसके अलावा अजवाइन को बारीक पीसकर, उसमें थोड़ी मात्रा में हींग मिला लें। इसका लेप बना लें। इसे पेट पर लगाने से पेट के फूलने और पेट की गैस आदि परेशानियों में तुरंत आराम मिल सकता है।पेट में कीड़ेपेट में कई सारे पैरासाइट्स और बैक्टीरिया होते हैं। ये हमारा पोषण चुराने लगते हैं और पेट से जुड़ी कई परेशानियों को कारण बनते हैं। कई बार ये भूख मार देते हैं, अपच और मतली आदि की परेशानी भी पैदा करते हैं। इसके लिए अजवाइन के 3 ग्राम महीन चूर्ण को दिन में दो बार छाछ के साथ सेवन करें। इसके अलावा गुड़ के साथ अजवाइन सुबह खाली पेट लें या खाने के बाद लें। इससे आंत के हानिकारक कीड़े खत्म हो जाएंगे। बच्चों को ये परेशानी हो तो अजवाइन के 2 ग्राम चूर्ण को काला नमक के साथ सुबह-सुबह बच्चों को खिलाने से आराम मिलता है।प्रेग्नेंसी मेंप्रेग्नेंसी में अक्सर महिलाओं को सुबह उठते ही मॉर्निंग सिकनेस यानी कि मतली आदि महसूस होने लगती है। ऐसे में अजवाइन की गर्म चाय पीने से आराम मिलता है। अजवाइन मूड बूस्टर की तरह काम करता है और इसका एक चम्मच मतली की परेशानी को रोक सकता है। प्रेग्नेंसी में मॉर्निंग सिकनेस से बचने के लिए अजवाइन की चाय पिएं। इसके लिए एक कप पानी में एक चम्मच अजवाइल उबाल लें। फिर इसमें गुड़ या शहद मिला लें। आप चाहें, तो स्वाद के लिए इसमें थोड़ा सा नींबू भी डाल सकती हैं। फिर इसे गर्म चाय का सेवन करें। आपको बेहतर महसूस होगा।अर्थराइटिस के दर्द मेंअजवाइन अर्थराइटिस के दर्द से राहत दिला सकता है। दरअसल, अजवाइन में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो, दीर्घकालिक या पुरानी सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं। अजवाइन में एंटीबायोटिक गुण भी होते हैं, जो कि रेडनेस को कम करने और सूजन का मुकाबला करने में मदद करते हैं। इसमें हाई सेंसिटिव गुण भी हैं , जो कई हद तक टिशूज को आराम पहुंचाते हैं। इसके लिए अजवाइन के बीजों के पेस्ट को जोड़ों में लगाएं या अजवाइन को पीस कर उबाल लें और उससे दर्द की सिकाई करें।ब्लड प्रेशर कम करने मेंहाई ब्लड प्रेशर एक सामान्य स्थिति है जो, हृदय रोग और स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ाती है। ऐसे में अजवाइन काफी मदद कर सकती है। पारंपरिक उपचार में कैल्शियम-चैनल ब्लॉकर्स जैसी दवाओं का उपयोग शामिल है। ये ब्लॉकर्स कैल्शियम को दिल की कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोकते हैं और रक्त वाहिकाओं को फैला देते हैं, जिसके परिणामस्वरूप ब्लड प्रेशर कम होता है। इस तरह अजवाइन भी कैल्शियम-चैनल-अवरोधक की तरह काम करता है और ब्लड प्रेशर को कम करने में भी मदद करता है।माइग्रेन मेंअजवाइन के इस्तेमाल से माइग्रेन के दर्द में भी राहत मिल सकती है। इससे निपटने के लिए अदरक, अजवाइन और काले नमक के मिश्रण का सेवन करें।मुंह के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंदअगर अचानक सें दांत में दर्द हो तो अजवाइन के बीजों का इस्तेमाल किया जा सकते हैं। इसके लिए अजवाइन के बीजों को दांत के नीचे दबा सकते हैं। अजवाइन के बीज कैविटी और सांसों की बदबू से भी बचाएगा।इन सबके अलावा अजवाइन का एंटी ऑक्सीडेंट गुण सर्दी-जुकाम से भी बचाता है।--- -
दूध को संपूर्ण आहार मानते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप दूध के साथ कुछ भी ले सकते हैं। अकसर लोगों की आदत होती है कि वे समय की कमी के कारण जल्दी जल्दी में दूध के साथ गलत चीजों का सेवन कर लेते हैं। और बाद में उन्हें सेहत से जुड़ी अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। बता दें कि कुछ ऐसे भी खाद्य पदार्थ होते हैं जिनका सेवन अगर दूध के साथ किया जाए तो वह सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
दूध के साथ केलाअकसर आपने लोगों को दूध के साथ केले का सेवन करते हुए देखा होगा। यह कॉम्बिनेशन सेहत के लिए सही है। दरअसल केले में इनुलिन नामक फाइबर पाया जाता है, जिसके माध्यम से कैल्शियम को ग्रहण करने की क्षमता बढ़ जाती है। ऐसे में दूध का कैल्शियम और केले का इनुलिन जब एक साथ काम करता है तो इससे हड्डियों को मजबूती मिलती है। एक प्रकार से ये हमारे पूरे शरीर को चलाने के लिए यह एक ईंधन के रूप में काम करता है।दूध के साथ हाई प्रोटीन सोर्सजो लोग दूध के साथ हाई प्रोटीन सोर्स लेते हैं , लेकिन यह सेहत के लिए नुकसानदेह हो सकता है। दूध के साथ अंडा या मीट सही कॉन्बिनेशन नहीं है। कुछ लोगों को लगता है इसके सेवन से शरीर को ज्यादा ऊर्जा मिलेगी, लेकिन इससे ना केवल शरीर का एनर्जी लेवल घटता है बल्कि शरीर भी थका हुआ भी महसूस करता है।दूध के साथ हल्दीशरीर में गर्मी लाने के लिए हल्दी का सेवन किया जाता है। साथ ही बैक्टीरियल और वायरल इन्फेक्शन को दूर करने में हल्दी बेहद मददगार है। इसके अंदर एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जिसके कारण सूजन, जोड़ों में दर्द, अल्सर, अपच, पीरियड्स में दर्द, मोच, सिर दर्द, जलन, अर्थराइटिस आदि में राहत मिलती है। यह ना केवल खून को साफ करता है बल्कि अगर इसे दूध के साथ मिलाकर पिया जाए तो यह रक्त प्रभाव को भी तेज करता है।दूध के साथ सिट्रस जूससिट्रस जूस के अंदर एसिड पाया जाता है ऐसे में अगर इन जूस को दूध के साथ लिया जाए तो यह शरीर के अंदर बलगम बनाता है। ऐसे में डॉक्टर दूध और जूस को एक साथ पीने के लिए मना करते हैं। जिन लोगों को दूध और जूस दोनों पीने की आदत हैं वे दूध लेने से आधे घंटे पहले जूस का सेवन कर सकते हैं। इससे जूस के अंदर पाए जाने वाला एसिड का असर खत्म हो जाता है।दूध के साथ मेवादूध और मेवे का कॉम्बिनेशन शरीर के लिए बेहद स्वास्थ्यकारक है। दोनों को एक साथ लेने से शरीर को फाइबर मिलता है। साथ ही पेट भरा भरा महसूस होता है। यह वजन को कम करने में भी बेहद मददगार है क्योंकि इसके सेवन से भूख कम लगती है, जिसके कारण लोग कम आहार ग्रहण करते हैं। इसके अलावा दूध और मेवे को एक साथ लेने से अर्थराइटिस और ओस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियां शरीर से दूर रहती हैं। एक्सपर्ट सर्दियों के मौसम में इस कॉम्बिनेशन को रोज लेने की सलाह देते हैं।दूध के साथ नमक का सेवननमक के अंदर सोडियम और दूध में कैल्शियम पाया जाता है। ऐसे में दोनों को एक साथ लेने से पाचन क्रिया के काम में बाधा आती है।दूध और शहददूध और शहद एक साथ लेने से त्वचा में निखार आता है। इसके सेवन से ना केवल त्वचा जवां दिखती है बल्कि इसके अंदर पाए जाने वाला प्रोबायोटिक कॉम्बिनेशन पेट की बीमारियों को भी दूर रखता है। इसके अलावा कब्ज, पेट फूलना, आंतों की बीमारी आदि भी इसके सेवन से दूर हो जाती है, पर डॉक्टरों की सलाह पर ही इसका सेवन किया जाना चाहिए। जिन लोगों को अनिद्रा की समस्या है वे अपनी डाइट में इस कॉम्बिनेशन को शामिल कर सकते हैं।दूध के साथ स्टार्ची फूड्सदूध के साथ पास्ता, मैदा से बनी चीजें, ब्रेड आदि हार्ड स्टार्टस वाली फूड का सेवन करते हैं तो बता दें कि यह कॉम्बिनेशन सेहत के लिए नुकसानदेह है। चूंकि इन सब चीजों को खाने और पचाने के लिए शरीर को काफी मेहनत करनी पड़ती है इसीलिए इसे खाते ही गैस, पेट फूलना, थकान का एहसास, बदहजमी जैसी परेशानियां आदि होने लगती हैं।दूध के साथ अनाजदूध के साथ अनाज लिया जा सकता है। यह सेहत के लिए हर प्रकार से अच्छा है। शारीरिक और मानसिक दोनों विकास के लिए इसका सेवन एक्सपर्ट की सलाह पर लिया जाता है। इसके लिए आप किसी एक अनाज का चुनाव करें और लो फैट मिल्क या स्किम्ड मिल्क के साथ लें। इससे शरीर में ऊर्जा बनी रहती है साथ ही इसके अंदर पाए जाने वाले माइक्रोन्यूट्रिएंट्स जैसे विटामिंस और मिनरल्स शरीर को भरपूर मात्रा में मिलते हैं। अगर दूध को अनाज के साथ लिया जाए तो शरीर में जिंक, आयरन, फॉलिक एसिड, फास्फोरस, विटामिन ए और ई, बी आदि की कमी पूरी हो जाती है। यह न केवल पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है, बल्कि इसके सेवन से शुगर लेवल भी कंट्रोल में रहता है। -
मेथी के दानों में कई लाभकारी गुण छिपे होते हैं। यह खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ सेहत को भी दुरुस्त रखने में हमारी मदद करता है। झड़ते बालों से लेकर पेट की चर्बी को कम करने में मेथी बहुत ही असरकारी होता है। आयुर्वेद में भी इसका इस्तेमाल काफी सालों से किया जा रहा है। मेथी का इस्तेमाल हम मेथी के बीज, मेथी के पत्ते और अंकुरित मैथी के रूप में कर सकते हैं। यह हर एक रूप में हमारे लिए गुणकारी हो सकता है। अंकुरित मेथी का उपयोग खासतौर पर डायबिटीज, मोटापा, दिल से संबंधित बीमारी, थायराइड, ब्लड प्रेशर इत्यादि बीमारी को कंट्रोल करने के काम आता है।
मेथी को अंकुरित फार्म में खाने से इसके गुण काफी ज्यादा बढ़ जाते हैं। अंकुरित मेथी में फाइबर, विटामिन ए और कैल्शियम काफी ज्यादा हाई हो जाता है, जो शरीर के लिए फायदेमंद है। इतना ही नहीं अंकुरित मेथी में फोटोकेमिकल्स नामक तत्व बढ़ जाता है, जो पोषक तत्वों के गुणों को हाई करने में आपकी मदद करता है। आइये जाने अंकुरित मेथी के कमाल के गुणडायबिटीज को करे कंट्रोलडायबिटीज के मरीजों कोको नियमित रूप से अंकुरित मेथी का सेवन करना चाहिए। अंकुरित मेथी के सेवन से ब्लड शुगर कंट्रोल में रहता है। इसके सेवन से शरीर में इंसुलिन का उत्पादन बढ़ता है। कई रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है कि अंकुरित मेथी के सेवन से ब्लड में अतिरिक्त शुगर लेवल को कंट्रोल किया जा सकता है। मेथी में भरपूर रूप से एमिनो एसिड होता है, जो मधुमेह रोगियों के शरीर में इंसुलिन उत्पादन को बढ़ाता है।वजन को करे कंट्रोलमेथी में गैलेक्टोमैनन नामक पॉलिसाक्साइड भरपूर रूप से होता है, जो भूख को कंट्रोल करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा मेथी में लगभग 75 फीसदी घुलनशील फाइबर होता है, जो पाचन तंत्र को दुरुस्त करता है। साथ ही शरीर से अतिरिक्त वसा को कम करने में मददगार होता है। सुबह खाली पेट अंकुरित मेथी खाने से पेट की चर्बी तेजी से कम होती है। इसके अलावा डिनर के करीब आधे घंटे बाद अंकुरित मेथी खाना भी गुणकारी होता है।दिल संबंधी समस्याओं के लिएअंकुरित मेथी के सेवन से कोलेस्ट्रॉल लेवल संतुलित रहता है, जो हार्ट अटैक के खतरे को कम करने में मददगार साबित होता है। यह शरीर के ब्लड से ट्राइग्लिसराइड्स नामक फैट के लेवल को कम करने में मददगार होता है। ट्राइग्लिसराइड्स दिल से संबंधित समस्याओं को बढ़ाने में कारगर होता है। इसमें पोटेशियम नामक तत्व मौजूद होता है, जो शरीर में उपस्थित सोडियम लेवल को नियंत्रित करता है। इससे ब्लड प्रेशर को कंट्रोल किया जा सकता है।पाचन शक्ति को दुरुस्त करेपाचन शक्ति को दुरुस्त करने में अंकुरित मेथी मददगार साबित हो सकता है। अंकुरित मेथी में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो पेट के गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम को ठीक करने में मददगास होता है। इसके साथ ही इससे इम्युन सिस्टम भी मजबूत रहता है। मेथी और अंकुरित मैथी के दाने में सैपोनिन नामक तत्व होता है, जो आंत और पेट के लिए सुरक्षा कवच की तरह कार्य करता है। यह पेट को हानिकारण बैक्टीरिया से बचाव करता है। इसके सेवन से पेट फूलना, दस्त, गैस की समस्या इत्यादि परेशानियों से राहत मिलती है।डैंड्रफ की समस्या करे दूरसर्दियों में हेयर फॉल और डैंड्रफ की समस्या काफी ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसे में अंकुरित मेथी के सेवन से डैंड्रफ की परेशानी को दूर कर सकते हैं। आप इसका इस्तेमाल बालों में लगाने के लिए पाउडर फॉर्म में भी यूज कर सकते हैं।आयरन की कमी करे दूरअंकुरित मेथी के दाने में आयरन की मात्रा काफी ज्यादा बढ़ जाती है। जिससे शरीर में आवश्यक आयरन की जरूरतें पूरी की जा सकती हैं।----- - पालक अपने पौष्टिक गुणों के लिए जानी जाती है। भारतीय घरों में इससे कई स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं। लेकिन सभी लोगों के लिए पालक फायदेमंद है, यह बात सही नहीं है। ब्लड शुगर प्रभावित करने के साथ कुछ स्थितियों में नुकसान भी पहुंचाती है पालक। कुछ ऐसी स्थितियां होती है जिसमें पालक शरीर के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है। आज हम जानेंगे कि किसे पालक का सेवन नहीं करना चाहिए।सर्जरी के बाद ब्लड शुगर हो सकता है कमसर्जरी के दौरान या सर्जरी के बाद पालक का सेवन शरीर के ब्लड शुगर के स्तर को कम कर सकता है। एक्सपर्ट के मुताबिक, सर्जरी के दौरान या बाद में पालक का सेवन कम से कम करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि ये यह ब्लड शुगर के स्तर को प्रभावित करती है।डायबिटीजडायबिटीज से पीडि़त लोगों के लिए भी रोजाना पालक का सेवन करना थोड़ा नुकसानदायक हो सकता है। ऐसा इसिलए क्योंकि पालक शरीर के रक्त शर्करा के स्तर को कम कर सकता है। जिसके कारण डायबिटीज के दौरान दी जाने वाली दवाइयों का असर भी प्रभावित हो सकता है। वहीं, इसके साथ ही जरूरी है कि शुगर पेसेंट ब्लड शुगर के स्तर को नियमित रूप से जांचें। जरूरी नहीं कि जिन लोगों को डायबिटीज है उन सभी लोगों को पालक से हानि हो, इसमें कुछ मामले ही हो सकते हैं जिस कारण डायबिटीज से पीडि़त लोगों को नुकसान हो।बच्चों में रक्त विकार की हो सकती है समस्यापालक में मौजूद नाइट्रेट्स कुछ बच्चों में रक्त विकार की समस्या को पैदा कर देता है। इसलिए पैरेंट्स को डॉक्टर की सलाह के बाद ही बच्चों की डाइट में पालक को शामिल करना चाहिए।एलर्जीजिन लोगों की त्वचा काफी संवदनशील होती है, उन लोगों के लिए भी पालक नुकसानदायक हो सकती है। उन्हें इससे कई त्वचा संबंधित एलर्जियों का सामना करना पड़ सकता है।गुर्दे की समस्यापालक गुर्दे में कठोर पदार्थ का निर्माण कर सकती है, जिसके कारण गुर्दे से संबंधित समस्याओं का शिकार होने की संभावना होती है। पालक में ऑक्सालेट का स्तर काफी ज्यादा होता है जिसके कारण गुर्दे की पथरी और दूसरी स्वास्थ्यगत समस्याएं पैदा हो सकती हैं।दरअसल पालक में ऑक्सालेट्स की मात्रा काफी ज्यादा होती है, जिस कारण गुर्दे की पथरी होने की आशंका रहती है। विशेषज्ञों के अनुसार उन लोगों को पालक का सेवन कम करना चाहिए , जिन्हें पहले से ही पथरी की शिकायत हो। कैल्शियम ऑक्सालेट लगभग 80 प्रतिशत गुर्दे की पथरी के लिए जिम्मेदार होते हैं।इसके अलावा पालक का सेवन उन लोगों को भी सीमित करना चाहिए जिन लोगों की गठिया और सूजन से संबंधित समस्याएं होती हैं। इसलिए आहार विशेषज्ञ अधिक मात्रा में पालक का सेवन नहीं करने की सलाह देते हैं।
- आज हम आपको कुछ ऐसे बीजों की जानकारी दे रहे हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभप्रद हैं और आप इसका इस्तेमाल आसानी से कर सकते हैं।खरबूजे के बीजखरबूजे को गर्मियों में खाने से शरीर में पानी की कमी नहीं होती। ऐसे ही इसके बीज भी बेहद फायदेमंद है। इनके बीजों को मेवे के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। बहुत सी ऐसी मिठाईयां हैं जिनमें इनके बीजों का उपयोग किया जाता है। बता दें कि खरबूजे के बीज में ओमेगा 3 फैटी एसिड मौजूद होता है जो दिल के रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद है। इसके अलावा खरबूजे के बीज में विटामिंस ए, ई भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। अगर इसका सेवन किया जाए तो शरीर में प्रोटीन की कमी भी पूरी हो जाती है।तिलसर्दियों में तिल का इस्तेमाल करना अच्छा होता है। तिल से बनी रेसिपी खाने में चार-चांद लगा देती हैं। वहीं तिल की गार्निशिंग की जाए तो ये आहार को भी हेल्दी बना देती है। तिल के अंदर प्रोटीन, कैल्शियम, बी-कॉम्पलेक्स और कार्बोहाइड्रेट्स पाए जाते हैं। इसके अलावा इसमें ओमेगा 6 फैटी एसिड भी पाया जाता है, जो बैड कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकता है। तिल में मोनो सिचुएटेड फैटी एसिड भी मौजूद होता है, जिससे तिल की सेहत को तंदुरुस्त रखा जा सकता है। वहीं तिल हड्डियों के लिए बहुत अच्छा है क्योंकि इसके अंदर डाइट्री प्रोटीन और अमीनो एसिड भी पाया जाता है। सर्दियों में तिल के लड्डू काफी फायदेमंद होते हैं।कलौंजीआचार या ड्रिंक बनाने के लिए कलौंजी का इस्तेमाल किया जाता है। बता दें कि इसके अंदर जरूरी पोषक तत्व जैसे- आयरन, सोडियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, फाइबर आदि पाए जाते हैं। ध्यान दें कि इसके अंदर कई प्रकार की अमीनो एसिड और प्रोटीन भी मौजूद होते हैं। ऐसे में इन्हें हेल्दी स्नैक्स के रूप में लेना अच्छा विकल्प है।कुम्हड़ा के बीजपंपकिन या कुम्हड़ा या कद्दू या की सब्जी बनाते समय ज्यादातर घरों में इसके बीजों को फेंक दिया जाता है, लेकिन इन बीजों में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं। एंटीऑक्सीडेंट, मैग्निशियम, फाइबर, विटामिन के, के माध्यम से डायबिटीज से बचा सकता है। वहीं इन बीजों का सेवन करने से पाचन तंत्र तंदुरुस्त रहता है। चूंकि पंपकिन सीड्स में आयरन भरपूर मात्रा में होता है इसीलिए यह शरीर को एनर्जेटिक रखते हैं। इनके बीजों को खरबूजे के बीजों की तरह साफ किया जाता है।अलसी के बीजबता दें कि अलसी के बीजों को फ्लैक्स सीड्स भी कहा जाता है। चूंकि यह एक सुपरफूड हैं इसीलिए डाइटिशियन इसे डाइट में जरूर शामिल करने की सलाह देते हैं। अलसी में भरपूर मात्रा में विटामिन बी, मैग्निशियम, कैलशियम, कॉपर, आयरन, जिंक, पोटेशियम आदि मिनरल्स पाए जाते हैं। साथ ही इनके अंदर ओमेगा-3 ऐसिड भी पाया जाता है। इनके सेवन से कैंसर, अर्थराइटिस, डायबिटीज, एसिडिटी, कब्ज, यहां तक कि दिल की समस्या से भी बचा जा सकता है।चिया सीड्सचिया सीड्स के अंदर ओमेगा 3 फैटी एसिड, फाइबर, प्रोटीन, ओमेगा-3 और कैल्शियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसलिए इसे सुपरफूड भी कहा जाता है। इनका इस्तेमाल ड्रिंक से लेकर सैलेड तक में किया जाता है। बता दें कि वजन कम करने के लिए चिया सीड्स का इस्तेमाल डाइटिशियन भी बेहतरीन मानते हैं। अपने देश में चिया को सब्जा यानि चिया की दूसरी किस्म इस्तेमाल में लेते हैं।तरबूज के बीजतरबूज के बीजों का इस्तेमाल मिल्क शेक, सैलेड आदि में फ्लेवर और पोषक तत्वों की मात्रा को पूरा करने के लिए किया जाता है। उत्तर भारत में इनका इस्तेमाल पारंपरिक तौर पर किया जाता है। मुगलई खाने में इन बीजों को खाने की शान कहा जाता है। वहीं इनका प्रयोग किसी भी पेस्ट को गाढ़ा करने के लिए किया जा सकता है।सनफ्लॉवर सीड्ससूरजमुखी के बीज में मिनरल्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इनके सेवन से हड्डियों को मजबूती मिलती है साथ ही इनमें कॉपर भी पाया जाता है। अगर आपकी हड्डियों में दर्द है तो इनके अंदर पाए जाने वाले विटामिन से हड्डियों को फायदा मिलता है। साथ ही चेहरे में भी निखार आता है। इस बीज में मौजूद मैग्नीशियम नसों को शांत रखता है। इनका नियमित रूप से सेवन करने से तनाव की समस्या दूर हो जाती है। यह त्वचा को यूवी किरणों से भी बचाने का काम करता है। अगर आप रोज चौथाई कप सूरजमुखी के बीज लेते हैं तो दिल के रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद है। यह बैड कोलेस्ट्रॉल को घटाता है और अस्थमा और स्किन प्रॉब्लम को भी दूर रखता है। आप इन्हें भूनकर भी खा सकते हैं।सेम के बीजसेम के बीज आपकी भूख को ठंडा कर सकते हैं यह नमकीन स्नैक्स के रूप में भी देखा जाता है। इसे इस्तेमाल करने के लिए सेम से बीज निकालने और उन्हें अलग कर दें। फिर उसके बाद उन्हें सुखाने के लिए तेज धूप में रखें। जब सूख जाए तो स्नैक्स तैयार करें।चिरौंजीचिरौंजी दिखने में छोटी जरूर है लेकिन इसके फायदे अनेक हैं। इन्हें बनाने के लिए पैन में शुगर डालकर थोड़ा पानी और कैरेमलाइज्ड करें। चिरौंजी को खरबूजे के बीजों के साथ डालते हैं। अब इन्हें अपना पास स्टोर करके रख लें। इसके अलावा आप हलवा, पंजीरी, लड्डूू, मैसूर आदि में इनका इस्तेनाल कर सकते हैं।
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औषधि के रूप में आयुर्वेद में जड़ी बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। जब भी आयुर्वेदिक औषधि का नाम आता है वहां त्रिफला को भी याद किया जाता है। ऐसे में त्रिफला के फायदे और नुकसान दोनों के बारे में पता होना बेहद जरूरी है।
क्या है त्रिफला?त्रिफला चूर्ण 3 जड़ी बूटियों से मिलकर बना होता है- आंवला, विभितकी और हरीतकी यानी बहेड़ा और हर्रा। आंवला एक फल है, जिसे लोग आमलकी के नाम से भी जानते हैं। आंवला के अंदर भरपूर मात्रा में फाइबर, खनिज पदार्थ, एंटीऑक्सीडेंट तत्व मौजूद हैं। इसके अलावा इसके अंदर विटामिन सी पाया जाता है। जो पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है। यह न केवल संक्रमण से लडऩे में मददगार है बल्कि इससे कब्ज की परेशानी भी दूर हो जाती है।अगर विभितकी की बात करें तो यह पौधे के रूप में पाया जाता है। इसका प्रयोग आयुर्वेद में दर्द को दूर करने के लिए किया जाता है। इसके अंदर भरपूर मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट मौजूद हैं। साथ ही यह लीवर की परेशानी, डायबिटीज में रोग आदि को दूर करने में मददगार है।वहीं आयुर्वेद में हरीतकी को भी एक महत्वपूर्ण जड़ी-बूटी के रूप में जाना जाता है। इसके अंदर भी एंटी ऑक्सीडेंट तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। साथ ही सूजन कम करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। पेट की समस्या, दिल की समस्या, मूत्राशय में सुधार, बढ़ती उम्र को रोक आदि में यह बेहद फायदेमंद है। इन तीनों से मिलकर त्रिफला बना है। ऐसे में त्रिफला वात, पित्त और कफ इन तीनों के लिए बेहद फायदेमंद है। स्वाद में यह खट्टा, मीठा, कसैला, कड़वा, तीखा होता है।त्रिफला की तासीरत्रिफला की तासीर गर्म होती है। कहते हैं किसी भी चीज की अति बुरी होती है। त्रिफला के साथ भी कुछ ऐसा ही है। इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से शरीर को नुकसान पहुंच सकता है। ऐसे में घबराहट, पेचिस आदि समस्याएं भी सामने आ सकती हैं।त्रिफला के फायदेआंखों के लिए असरदारदृष्टि के सुधार में त्रिफला बेहद फायदेमंद है। इसके सेवन से मांसपेशियां मजबूत होती है। साथ ही ग्लूकोमा मोतियाबिंद आदि से बचाव करता है। अगर त्रिफला के पानी से आंखों को धोया जाए तो जलन, लालिमा आदि समस्या दूर हो सकती हैं। साथ ही गाय के घी और शहद के साथ त्रिफला लेने से आंखों की समस्या काफी हद तक दूर हो जाती है।वजन कम करने में फायदेमंदजो लोग वजन कम करने के लिए दिनभर कसरत, योगा, एक्सरसाइज करते हैं उन्हें बता दें कि त्रिफला वजन कम करने में बेहद सहायक है। जिन लोगों को पाचन तंत्र की समस्या होती है उन्हें ज्यादा भूख लगती है, जिसके कारण वे जरूरत से ज्यादा आहार लेते हैं और उनका वजन बढऩे लगता है। ऐसे में त्रिफला के सेवन से कॉलन में सुधार आता है। इससे कॉलन की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है और वह उन्हें साफ स्वच्छ भी रखता है।त्वचा में आए निखारअगर आप अपनी त्वचा में प्राकृतिक चमक लाना चाहते हैं तो त्रिफला का सेवन एक अच्छा है। यह न केवल मृत कोशिकाओं में नई जान डालता है बल्कि छिद्रों की सफाई भी करता है। अगर आपका ब्लड साफ रहेगा तो आपके चेहरे पर प्राकृतिक निखार आएगा। इससे त्वचा में निशान, मुंहासे आदि को दूर किया जा सकता है।दांतों को दें मजबूतीत्रिफला के अंदर एंटीबैक्टीरियल और एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। जिससे मसूड़ों की सूजन, दातों में इंफेक्शन, मसूड़ों से खून आना, दातों का मेल आदि की समस्या को आसानी से दूर किया जा सकता है। यदि आपको दांतों की समस्या है तो त्रिफला को रात भर पानी में भिगोए और सुबह पानी से अपने दांतों को साफ करें। आराम मिलेगा।बालों की कमजोरी करे दूरअगर आप बालों के झडऩे की समस्या से परेशान हैं तो त्रिफला आपकी मदद कर सकता है। त्रिफला के अंदर ऐसे गुण पाए जाते हैं जिससे बालों का विकास होता है। बता दें कि त्रिफला बालों को काले करने में भी सहयोगी है। अगर हफ्ते में दो बार त्रिफला तेल से मालिश की जाए तो बालों को मजबूती मिलती है। चूंकि इसके अंदर विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है इसलिए बालों की सेहत के लिए अच्छा विकल्प है।त्रिफला के नुकसाननींद को करे प्रभावित- त्रिफला का सेवन एक्सपर्ट की सलाह पर ही लेना चाहिए। ऐसे में कुछ लोग ऐसे होते हैं जो त्रिफला रात को सोने से पहले लेते हैं। उन्हें अनिंद्रा का सामना करना पड़ता है। इन लोगों में त्रिफला मूत्रल गुण दर्शाता है।गर्भवती स्त्री रहे दूर- जो महिलाएं स्तनपान कराती हैं वे त्रिफला से दूर रहें। प्रेगनेंसी के दौरान भी त्रिफला का सेवन नहीं किया जाता।दस्त की हो सकती है परेशानी-इसके अधिक सेवन से भी पाचन तंत्र में गड़बड़ी आ सकती है, जिससे लूज मोशन कैसे समस्या का सामना करना पड़ सकता है। अगर दस्त ज्यादा दिन तक हो तो शरीर में पानी की कमी हो जाती है। साथ ही इससे कोलन की मांसपेशियों में प्रभावित होती है।कोलेस्ट्रोल को करे अनियंत्रित- त्रिफला के अधिक सेवन से ब्लड शुगर की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही यह कोलेस्ट्रोल के स्तर को घटाती बढ़ाती रहती है। एक्सपर्ट 6 साल से कम उम्र के बच्चों को त्रिफला देने से मना करते हैं। - कोलियस फोर्सकोली जिसे पाषाणभेद अथवा पत्थरचूर भी कहा जाता है, उन कुछ औषधीय पौधों में से है, वैज्ञानिक आधारों पर जिनकी औषधीय उपयोगिता हाल ही में स्थापित हुई है। इसका इस्तेमाल आयुर्वेदिक चिकित्सा में जड़ी-बूटी के रूप में किया जाता है। पाषाणभेद का शाब्दिक अर्थ है कि पत्थरों को तोड़ देना और यही इस औषधि का प्रमुख गुण है। पाषाणभेद का मुख्य उपयोग पथरी के इलाज में किया जाता है। इस जड़ी-बूटी में ऐसे औषधीय गुण हैं जो पथरी को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़कर मूत्र मार्ग से बाहर निकालने में मदद करते हैं।इसके फूल छोटे-छोटे, सफ़ेद और गुलाबी रंग के होते हैं। पाषाणभेद के बीजों का आकर पिरामिड जैसा होता है। इसकी जड़ों और पत्तियों को औषधि के रूप में इस्तेम्माल किया जाता है। बाजार में इसके भूरे रंग के कड़े, खुरदुरे एवं झुर्रीदार छालयुक्त सूखे टुकड़े मिलते हैं। इसका पुष्पकाल एवं फलकाल अगस्त से नवम्बर तक होता है।पाषाणभेद के औषधीय गुण-पाषाणभेद मधुर, कटु, तिक्त, कषाय, शीत, लघु, स्निग्ध, तीक्ष्ण तथा त्रिदोषहर होता है।-यह सारक, अश्मरी-भेदक, वस्तिशोधक तथा मूत्रविरेचक होता है।-यह अर्श, गुल्म, मूत्रकृच्छ्र, अश्मरी, हृद्रोग, योनिरोग, प्रमेह, प्लीहारोग, शूल, व्रण, दाह, शिश्नशूल तथा अतिसार-नाशक होता है।-इसका पौधा पूयरोधी, तिक्त तथा कषाय होता है।-यह स्नायुरोग, अधरांगवात, गृध्रसी, व्रण, ग्रन्थिशोथ, विषाक्तता, कण्डु तथा कुष्ठ में लाभप्रद होता है।पाषाणभेद के फायदे और उपयोगपाषाणभेद को मुख्य रूप से पथरी के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह कई अन्य बीमारियों के इलाज में भी सहायक है।आंखों के रोगआंखों से जुड़े रोगों के इलाज में भी पाषाणभेद बहुत उपयोगी है। इसके लिए पाषाणभेद के पत्तों को पीसकर आंखों के बाहर चारों तरफ लगाएं। इसे लगाने से अभिष्यंद (आंखों में जलन और पानी बहने की समस्या) में लाभ मिलता है।कान का दर्दअगर आप कान दर्द से परेशान हैं तो पाषाणभेद के उपयोग से आप दर्द से राहत पा सकते हैं। इसके लिए पाषाणभेद की पत्तियों के रस की एक-दो बूंदें कान में डालें तो इससे दर्द से जल्दी आराम मिलता है।पथरी की समस्यापाषाणभेद चूर्ण में सोलह गुना गोमूत्र तथा चार गुना घी मिलाकर विधिवत् सिद्ध करके सेवन करने से पथरी के इलाज में मदद मिलती है। पाषाणभेद की पत्तियों के रस की 5 एमएल मात्रा को बताशे में डालकर खाने से पथरी टूटकर निकल जाती है। 20-30 मिली पाषाणभेद काढ़े में शिलाजीत, खाँड़ या मिश्री मिलाकर पीने से पित्तज पथरी के इलाज में फायदा मिलता है।खांसी की समस्याअगर आप खांसी से परेशान हैं तो पाषाणभेद का उपयोग करें। खांसी से लिए पाषाणभेद के जड़ के चूर्ण को 1-2 ग्राम मात्रा में लें और इसे शहद के साथ खाएं। इसके सेवन से खांसी के साथ-साथ फेफड़ों से जुड़े रोगों से आराम मिलता है।मुंह के छालेमुंह में छाले होने पर पाषाणभेद की ताज़ी जड़ों और पत्तियों को चबाएं। इससे मुंह के छाले जल्दी ठीक हो जाते हैं।- पेट के रोग जैसे कि कब्ज और पेचिश, दस्त में भी यह राहत दिलाता है।मूत्र संबंधी रोगमूत्र संबंधित कई बीमारियां होती हैं जैसे पेशाब कम होना, पेशाब करते समय दर्द या मूत्र मार्ग में संक्रमण (यूटीआई) आदि। विशेषज्ञों के अनुसार इन समस्याओं में पाषाणभेद का उपयोग करना लाभदायक होता है।घाव को ठीक करने में मदद करता हैपाषाणभेद के तने के रस को घाव पर लगाने से घाव जल्दी ठीक होता है। इसके अलावा पाषाणभेद की जड़ का पेस्ट लगाने से भी घाव जल्दी ठीक होते हैं और जलन कम होती है।(नोट- कोई भी उपचार योग्य चिकित्सक की सलाह पर ही करना उचित होता है)
- लाई या खील का उपयोग रोजाना भले ही हम न करें, लेकिन दीपावली में माता लक्ष्मी को लाई और बताशे का भोग अवश्य लगाया जाता है। छत्तीसगढ़ में लाई से बनी स्वादिष्ट लाई बड़ी भी चाव से खाई जाती है। बरसों से घरों में किसी को बुखार होने पर लाई को घी में भूनकर उसे खिलाया जाता रहा है। आज हम जानेंगे इस लाई के फायदे.....सेहत की दृष्टि से काफी फायदेमंद होते हैं। खील खाने से सेहत दुरुस्त होती है। खील में भरपूर रूप से कार्बोहाइड्रेट होता है, जो शरीर को तुरंत एनर्जी देता है। इसके साथ ही यह एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है, जो शरीर को कई बीमारियों से बचा सकता है। फ्रूट्स और ड्राईफ्रूट्स के साथ स्नैंक्स के रूप में इसका सेवन नाश्ते में किया जा सकता है।काब्रोहाइड्रेट की अधिकताखील मुख्य रूप से धान से तैयार होता है। इसमें भरपूर रूप से कार्बोहाइड्रेट होता है, जो बच्चों के विकास के लिए बहुत ही अच्छी होती है। कार्बोहाइड्रेट के सेवन से शरीर को उर्जा मिलती है।फाइबर की अधिकताफाइबर की अधिकता की वजह से यह मोटापे को कम करने में मदद करता है। इसमें रेशे काफी ज्यादा होते हैं, जो कब्ज की परेशानी को दूर करने में सहायक होते हैं। इसके साथ ही इसमें फास्फोरस और क्षारीय पदार्थ की मात्रा भरपूर रूप से होती है।ओआरएस की तरह करें प्रयोगशिशु को दस्त की शिकायत होने पर लाई का इस्तेमाल ओआरएस की तरह किया जा सकता है। लाई का पानी दस्त की शिकायत को दूर करता है। साथ ही डिहाइड्रेश की परेशानी भी दूर होती है। लाई का पानी तैयार करने के लिए आप 1 गिलास पानी लें। इसमें 2 चम्मच लाई डालकर रातभर के लिए छोड़ दें। सुबह इसका सेवन करें। यह हर किसी के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है।किडनी की परेशानी से करे बचावलाई में क्षारीय गुण होता है, जो किडनी में होने वाली परेशानियों से बचाता है। किडनी की परेशानी से जूझ रहे लोगों को लाई से बनी रेसिपी का सेवन करना चाहिए। इसके साथ ही लाई के पानी का भी सेवन किया जा सकता है।भूख को करे कमलाई का सेवन करने से भूख कम लगती है। इसके साथ ही यह लंबे समय से उपवास रखने वालों के लिए भी उत्तम आहार माना जाता है।विटामिन डी से भरपूरलाई में विटामिन डी भी भरपूर रूप से होता है। अगर आप दूध में लाई मिलाकर खाते हैं, तो यह आपके लिए बढिय़ा कॉम्बिनेशन साबित हो सकता है। इससे शरीर की हड्डियां मजबूत होती हैं।आइये लाई से बनी स्वादिष्ट रेसिपीलाई से तैयार करें इंस्टेंट खीरलाई से आप घर में खीर तैयार कर सकते हैं। इसके लिए थोड़े से बताशे लें। इन बताशों को अच्छी तरह क्रश करें। अब इसमें लाई मिलाकर मिक्सी ग्राइंडर में पीसें। इसमें थोड़ा ड्राई फ्रूट्स मिलाएं। अच्छी तरह मिक्स करने के बाद इसमें अपने अनुसार गर्म दूध मिलाएं। अच्छी तरह सभी चीजों को मिक्स करें। लीजिए इंस्टेंट लाई खीर तैयार है।लाई की टिक्कीलाई से आप घर में इंस्टेंट टिक्की भी तैयार कर सकते हैं। इसके लिए 1 कटोरी लाई लें। इसे करीब 5 मिनट तक पानी में भिगो दें। 5 मिनट बाद लाई से पानी को निकाल लें। अब इसमें 1 उबले आलू, 1-2 हरी मिर्च, स्वादानुसार नमक, 1 चुटकी लाल मिर्च पाउडर, 1 चुटकी धनिया और चाट मसाला मिक्स करें। सभी चीजों को अच्छी तरह से मिक्स करने के बाद इससे टिक्की बनाएं और तेल में फ्राई करें। लीजिए आपकी टिक्की तैयार है। गर्मागर्म लाई टिक्की चटनी के साथ परोसिए।.लाई मिक्चरआप पोहे की तरह लाई से भी मिक्चर बना सकते हैं। इसमें मूंगफली, चना दाल, मक्का चिप्स मिलाकर स्वादिष्ट मिक्चर तैयार किया जा सकता है।
- अमर बेल एक पराश्रयी (दूसरों पर निर्भर) लता है, जो प्रकृति का चमत्कार ही कहा जा सकता है। बिना जड़ की यह बेल जिस वृक्ष पर फैलती है, अपना आहार उससे रस चूसने वाले सूत्र के माध्यम से प्राप्त कर लेती है। अमर बेल का रंग पीला और पत्ते बहुत ही बारीक तथा नहीं के बराबर होते हैं। अमर बेल पर सर्द ऋतु में कर्णफूल की तरह गुच्छों में सफेद फूल लगते हैं। बीज राई के समान हल्के पीले रंग के होते हैं। अमर बेल बसन्त ऋतु (जनवरी-फरवरी) और ग्रीष्म ऋतु (मई-जून) में बहुत बढ़ती है और शीतकाल में सूख जाती है। जिस पेड़ का यह सहारा लेती है, उसे सुखाने में कोई कसर बाकी नहीं रखती है।इसका स्वाद चरपरा और कषैला होता है। अमर बेल (आकाश बेल) डोरे के समान पेड़ों पर फैलती है। इनमें जड़ नहीं होती तथा रंग पीला तथा फूल सफेद होते हैं। अमर बेल गर्म एवं रूखी प्रकृति की है। इस लता के सभी भागों का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है।अमरबेल के फायदे-- यह वीर्य को बढ़ाने वाली रसायन और बलकारक है।-अमर बेल को पीसकर बनाए गए लेप को शरीर के खुजली वाले अंगों पर लगाने से आराम मिलता है।-अमर बेल और मुनक्कों को समान मात्रा में लेकर पानी में उबालकर काढ़ा तैयार कर लें। इस काढ़े को छानकर 3 चम्मच रोजाना सोते समय देने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं।-बालों के झडऩे से उत्पन्न गंजेपन को दूर करने के लिए गंजे हुए स्थान पर अमर बेल को पानी में घिसकर तैयार किया लेप धैर्य के साथ नियमित रूप से दिन में दो बार चार या पांच हफ्ते लगाएं, इससे अवश्य लाभ मिलता है।-अमर बेल के बीजों को पानी में पीसकर बनाए गए लेप को पेट पर लगाकर कपड़े से बांधने से गैस की तकलीफ, डकारें आना, अपान वायु (गैस) न निकलना, पेट दर्द एवं मरोड़ जैसे कष्ट दूर हो जाते हैं। अमर बेल का रस दो चम्मच की मात्रा में दिन में तीन बार सेवन करने से कुछ ही हफ्तों में इस रोग में पूर्ण आराम मिलता है।- यकृत (जिगर) की कठोरता, उसका आकार बढ़ जाना जैसी तकलीफों में अमर बेल का काढ़ा तीन चम्मच की मात्रा में दिन में, 3 बार कुछ हफ्ते तक पीना चाहिए।-अमर बेल को तिल के तेल में पीसकर सिर में लगाने से गंजेपन में लाभ होता है तथा बालों की जड़ें मजबूत होती हैं। लगभग 50 ग्राम अमरबेल को कूटकर 1 लीटर पानी में पकाकर बालों को धोने से बाल सुनहरे व चमकदार बनते है, बालों का झडऩा, रूसी में भी इससे लाभ होता है।-बेल के लगभग 10 मिलीलीटर रस में शक्कर मिलाकर आंखों में लेप करने से नेत्राभिश्यंद (मोतियाबिंद), आंखों की सूजन में लाभ होता है।-इसके 10-20 मिलीलीटर स्वरस को प्रात: पानी के साथ सेवन करने से मस्तिष्क के विकार दूर होते हैं।- अमरबेल को उबालकर पेट पर बांधने से डकारें आदि दूर हो जाती हैं।-अमर बेल का रस 500 मिलीलीटर या चूर्ण 1 ग्राम को मिश्री 1 किलोग्राम में मिलाकर धीमी आंच पर गर्म करके शर्बत तैयार कर लें। इसे सुबह-शाम करीब 2 ग्राम की मात्रा में उतना ही पानी मिलाकर सेवन करने से शीघ्र ही वातगुल्म (वायु का गोला) और उदरशूल (पेट के दर्द) का नाश होता है।-अमरबेल के 10 मिलीलीटर रस में पांच ग्राम कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर खूब घोंटकर रोज सुबह ही पिला दें। 3 दिन में ही खूनी और वादी दोनों प्रकार की बवासीर में विशेष लाभ होता है। दस्त साफ होता है तथा अन्य अंगों की सूजन भी उतर जाती है।- अमर बेल का बफारा देने से गठिया वात की पीड़ा और सूजन शीघ्र ही दूर हो जाती है। बफारा देने के पश्चात इसे पानी से स्नान कर लें तथा मोटे कपड़े से शरीर को खूब पोंछ लें, तथा घी का अधिक सेवन करें।- 1 ाजी अमर बेल को कुचलकर स्वच्छ महीन कपड़े में पोटली बांधकर, 500 मिलीलीटर गाय के दूध में डालकर या लटकाकर धीमी आंच पर पकाये। जब एक चौथाई दूध शेष बचे तो इसे ठंडाकर मिश्री मिलाकर सेवन करें। इससे कमजोरी दूर होती है। इस प्रयोग के समय ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।(नोट- कोई भी प्रयोग योग्य चिकित्सक की सलाह पर ही करें)
- सर्दियों में अकसर उन चीजों का सेवन किया जाता है, जिनकी तासीर गर्म होती है। इसलिए लोग सर्दियों में मेवों को अपनी डाइट में जोड़ लेते हैं। ऐसे में पिस्ता भी इस डाइट का हिस्सा बन जाता है। पिस्ते का सेवन हमारी सेहत के लिए बेहद उपयोगी है। पिस्ते से न केवल शरीर में गर्मी का संचालन होता है बल्कि इससे अनेक बीमारियों को भी दूर रखा जा सकता है।पिस्ता में पाए जाने वाले मिनरल्स ब्रेन फंक्शनिंग को बेहतर, अलर्ट रखने में मदद करते हैं और एक्टिव बनाते हैं. साथ ही पिस्ता रक्त संचार को बढ़ाने का भी काम करता है, जिससे दिमाग के स्वस्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिलती है।डायबिटीज़ में है कारगरपिस्ता मधुमेह के रोगियों के लिए बेहद कारगर है। अध्ययन के अनुसार, पिस्ता का सेवन मधुमेह रोगियों में ग्लाइसेमिक स्तर, रक्तचाप, सूजन और यहां तक कि मोटापे पर भी सकारात्मक रूप से प्रभाव डालता है। इसलिए पिस्ते को अपनी डाइट में जोडऩा एक अच्छा फैसला हो सकता है।बालों को बनाए मज़बूतपिस्ता में मौजूद बायोटिन, बालों को गिरने से रोकने में मदद करते हैं। पिस्ते का तेल भी बालों के लिए बहुत फायदेमंद होता है इसमें मौजूद विटामिन ई बालों को मज़बूती देते हैं। इसके सेवन से बालों में विभाजन की समस्या भी रुक जाती है। ऐसे में अगर आप अपने बालों के गिरने से परेशान हैं तो पिस्ता आपके बेहद काम आ सकता है।शरीर में हीमोग्लोबिन को बढ़ाएपिस्ता में अच्छी मात्रा में विटामिन बी 6 की मात्रा होती है पिस्ते में आईरन के साथ-साथ मैग्नीशियम भी होता है जो की हेमोग्लोबिन के लिए अच्छा होता है। इसलिए अगर किसी का हीमोग्लोबिन कम होता है तो डॉक्टर्स भी पिस्ता खाने की सलाह देते है।वजऩ संतुलित करने में लाभकारी है पिस्ता का सेवनपिस्ता में फाइबर होता है। अध्ययन से पता चलता है की फाइबर का सेवन तृप्ति को बढ़ावा देता है और बदले में वजऩ काम करने में मदद करता है। पिस्ता में मौजूद लिपिड सामग्री शरीर की वसा को कम करने में मदद करती है।पाचन तंत्र बनाए मजबूतपिस्ता में अधिक मात्रा में फाइबर होता है जोकि पाचन क्रिया को बेहतर और कब्ज़ को रोकता है। पिस्ता का नियमित सेवन पाचन को स्वस्थ बनाता है और पेट के कैंसर के खतरे को भी काम करता है। इसका सेवन आंत में अच्छे बैक्टीरिया की संख्या बढ़ता है।ह्रदय स्वस्थ्य में सुधर करता हैपिस्ता बैड कोलेस्ट्रोल को कम करता है और ह्रदय के स्वस्थ्य वसा को बढ़ाकर कोरोनरी हार्ट डिजीज के जोखिम को कम करता है।प्रेगनेंसी में है फायदेमंदपिस्ता में कई सारे पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो गर्भावस्था के दौरान महत्वपूर्ण हैं। पिस्ता एंटी ऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है इसमें पाए जाने वाले विटामिन इ गर्भवती महिलाओं की इम्युनिटी बढ़ाने में मदद करता है।सेक्सुअल हेल्थ को बढ़ाएअध्ययन बताते है की पिस्ता का सेवन प्रजनन बढ़ाता है। हर दिन एक मु_ी भर पिस्ता का सेवन पुरुषों के सेक्स ड्राइव में सुधार लाता है। इसका सेवन इरेकटाइल डिस्फ़ंक्शन के इलाज में भी कारगर है।
- बरसात की शुरुआत से ही हरे हरे अमरूद मिलने शुरू हो जाते हैं लेकिन सदियों तक इनका लुफ्त उठाया जा सकता है। अमरुद स्वाद के साथ सेहत के लिए भी अच्छे होते हैं। सर्दियों में अमरुद ज्यादा स्वादिष्ट होते हैं।सर्दियों में इसके सेवन से अनेक पोषक तत्वों की पूर्ति होती है। सिर्फ इतना ही नहीं इसका सेवन अधिक बीमारियों को दूर भी करने में मददगार है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि सर्दियों में हमें अमरूद क्यों खाना चाहिए?अमरूद है हाई एनर्जी फ्रूटजब भी किसी हाई एनर्जी फूड का नाम आता है तो अमरूद को सबसे पहले याद किया जाता है। बता दें कि अमरूद का एक नाम मिनरल्स का पावर हाउस भी है। एक्सपट्र्स की मानें तो एक अमरूद यदि 100 ग्राम का है तो उसके अंदर शरीर की आवश्यकता अनुसार सारे विटामिंस मिनरल्स मौजूद होते हैं। इसके अलावा, अमरूद में विटामिन बी-9 भी मौजूद होता है, जिसके सेवन से कोशिकाओं और डीएनए की सेहत सही रहती है।पोटेशियम स्रोतअमरूद को पोटेशियम का स्रोत भी कहा जाता है। पोटेशियम की मदद से इलेक्ट्रोलाइट नामक फ्लूइड और सोडियम के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है। इसीलिए अमरूद खाना बेहद फायदेमंद है। अगर हमारे शरीर में इलेक्ट्रोलाइट की कमी हो जाए तो हमारा शरीर जरूरत से ज्यादा थकने लगता है। उसका एनर्जी लेवल शून्य हो जाता है। इसके अलावा अमरूद में पाए जाने वाले मैग्नीशियम, पोटेशियम दिल की सेहत के साथ-साथ मांसपेशियों की सेहत के लिए भी मददगार हैं। इन्हीं के कारण शरीर कई बीमारियों से दूर रहता है।सर्दियों में आंखों के लिए अमरूद का इस्तेमालबता दें कि अमरूद के अंदर विटामिन ए, के और ई तत्व पाए जाते हैं। यह पोषक तत्व आंखों की सेहत के साथ-साथ बालों और त्वचा के लिए भी जरूरी होते हैं। अगर सर्दियों में अमरूद का सेवन किया जाए तो यह न केवल आंखों को सुरक्षा प्रदान करेगा बल्कि त्वचा और बालों में भी नमी बनाए रखेगा।अमरूद में पाए जाने वाले महत्वपूर्ण पोषक तत्वअमरूद के अंदर बीटा कैरोटीन, कॉपर, मैग्नीज, मैग्नीशियम, विटामिन बी 6 आदि मिनरल्स पाए जाते हैं। इन मिनरल्स की मदद से रक्त वाहिका नलियां को तंदुरुस्त रखा जा सकता है। इसके अलावा बीटा कैरोटीन की मदद से त्वचा संबंधित रोग भी दूर हो जाते हैं। ये आंखों की दृष्टि को बढ़ाने के लिए भी मददगार हैं। फाइबर से भरपूर अमरूद का सेवन अगर रोज किया जाए तो इससे पेट की समस्या जैसे कब्ज आदि दूर हो जाते हैं।डायबिटीज के मरीजों के लिए भी अमरुद मददगारअमरूद के अंदर ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम मात्रा में पाया जाता है इसीलिए इसका सेवन डायबिटीज के मरीज भी कर सकते हैं। इसके अलावा यह कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी नियंत्रित रखता है। साथ ही जो लोग डाइटिंग कर रहे हैं वह इसका सेवन नियमित रूप से कर सकते हैं।कुछ लोगों का मानना है कि अमरूद को रात में खाने से बुखार, जुखाम, सर्दी आदि हो जाती हैं पर ऐसा नहीं है। एक्सपर्ट इस बात को गलत मानते हैं। जब भी आप अमरूद खरीदें तो ध्यान रखें कि अमरूद पीले न हों। हरे अमरूद में विटामिन सी पाया जाता है, जो सेहत के लिए बेहद जरूरी है।
- सर्दियों में विटामिन सी को सही मात्रा में सेवन सर्दी-जुकाम से बचाए रखता है। विटामिन-सी शरीर के लिए जरूरी कुछ खास विटामिन्स में से एक है। विटामिन सी की कमी दांत, हड्डियां और त्वचा को खराब कर सकती है।विटामिन सी के फायदे1.दिल से जुड़ी बीमारियों में कमी लाता हैदिल की बीमारी दुनिया भर में मौत का प्रमुख कारण है। इसके कुछ प्रमुख कारकों की बात करें, तो उच्च रक्तचाप, उच्च ट्राइग्लिसराइड या एलडीएल (खराब कोलेस्ट्रॉल) के स्तर और एचडीएल (अच्छे) कोलेस्ट्रॉल के निम्न स्तर हृदय रोग के जोखिम को बढ़ाते हैं। विटामिन सी इन सभी जोखिम कारकों को कम करने में मदद कर सकता है, जिससे हृदय रोग का खतरा कम हो जाता है। साथ ही कई शोध बताते हैं कि प्रतिदिन कम से कम 500 मिलीग्राम विटामिन सी लेने या सेवन करने से हृदय रोग का खतरा कम हो सकता है।इम्युनिटी बढ़ाता हैविटामिन सी इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए बहुत जरूरी है। दरअसल, विटामिन सी ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में एक भूमिका निभाता है। ये फाइन रेडिकल्स के कारण शरीर को होने वाले नुकसान को रोकता है और टिशूज और ब्लड सेल्स को स्वस्थ रखता है। जैसे कि विटामिन ष्ट लिम्फोसाइट्स और फागोसाइट्स के रूप में जानी जाने वाली सफेद रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को प्रोत्साहित करने में मदद करता है, जो संक्रमण के खिलाफ शरीर की रक्षा करने में मदद करते हैं।-विटामिन सी इन सफेद रक्त कोशिकाओं को अधिक प्रभावी रूप से काम करने में मदद करता है और मुक्त कणों (फाइन रेडिकल्स) द्वारा होने वाले नुकसान से बचाता है। विटामिन सी त्वचा की रक्षा प्रणाली का एक अनिवार्य हिस्सा है। यह सक्रिय रूप से त्वचा तक पहुंचता है, जहां यह एक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य कर सकता है और त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करता है।यूरिक एसिड के स्तर को कम करता है और गाउट हेल्थ के लिए फायदेमंदयूरिक एसिड शरीर द्वारा उत्पादित एक अपशिष्ट उत्पाद है, जो जोड़ों में जमा हो जाते हैं और हड्डियों से जुड़ी परेशानियां पैदा करते हैं। जिन लोगों को यूरिक एसिड के बढऩे से परेशानी होती है, उनके लिए विटामिन सी से भरपूर खाद्य पदार्थों को खाना बहुत फायदेमंद है। दरअसल, ये ब्लड में यूरिक एसिड के स्तर को कम कर सकता है और गाउट से जुड़ी परेशानियों को कम करता है।शरीर को एक्टिव रखता हैअपने बायोसिंथेटिक और एंटीऑक्सिडेंट गुणों से विटामिन सी आपको एक्टिव रख सकता है। ये थकान या आलस्य और कमजोरी को दूर करता है। इसके अलावा विटामिन सी के कम स्तर को मेमोरी और सोच विकारों के बढ़ते जोखिम से जोड़ा गया है, जिनमें डिमेंशिया और अल्जाइमर शामिल हैं। तो अपने मानसिक स्वास्थ्य को सही रखने के लिए विटामिन सी का सेवन करें।अच्छी स्किन के लिएअगर आप चाहते हैं कि आप हमेशा जवां और खूबसूरत दिखें, तो आपको विटामिन सी का भरपूर सेवन करना चाहिए। ऐसा इसलिए कि विटामिन-सी के सेवन से त्वचा को कोलेजन मिलता है, जो कि एजिंग के लक्षणों को कम कर सकता है। ये टिशूज को अंदर से स्वस्थ रख कर, चेहरे में चमक लाता है। इसके अलावा ये किसी भी घाव को ठीक करने और उसे निशानों को गायब करने में मदद करता है।विटामिन-सी के नुकसानविटामिन सी को अगर प्रति दिन 1,000 मिली ग्राम से ज्यादा लेंगे, तो आपको पेट से जुड़ी परेशानियां हो सकती हैं। जैसे कि पेट दर्द और दस्त। इसके अलावा हाई विटामिन सी इंटेक अतिरिक्त आयरन के अवशोषण का कारण बनता है, जिससे आपके टिशूज को नुकसान हो सकता है। हालांकि विटामिन सी सप्लीमेंट लेना बंद करने के बाद ये सारे लक्षण गायब हो जाते हैं।विटामिन सी के स्रोतफल और सब्जियां विटामिन सी का सबसे अच्छा स्रोत हैं। हालांकि अनाज में विटामिन सी स्वाभाविक रूप से मौजूद नहीं होता है पर नाश्ते के रूप में आप विटामिन सी से भरपूर इन खाद्य पदार्थों को खा सकते हैं।लाल मिर्च, हरी मिर्च, ब्रोकली, टमाटर , फूलगोभी, पालक, सरसों का साग, हरी मटर, आंवला, नींबू , अमरूद, लीची, पपीता, नारंगी, संतरे का जूस, अंगूर और अंगूर का रस, कीवी फ्रूट और स्ट्रॉबेरी।विटामिन सी सामग्री को लंबे समय तक स्टोर करके खाने से शरीर को पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी नहीं मिल पाएगा। ऐसा इसलिए कि विटामिन सी में मिलने वाला एस्कॉर्बिक एसिड पानी में घुलनशील होता है और अधिक तापमान से नष्ट हो जाता है। इसके अलावा स्टीम या माइक्रोवेविंग से खाना पकाने से भी विटामिन सी का नुकसान हो जाता है। इसलिए विटामिन सी से भरपूर फल और सब्जियों के सेवन का सही तरीका ये है कि इसे कच्चा, हाफ फ्राई करके, सलाद, जूस और स्मूदी के रूप में लें।
- कब्ज, गैस, बदहजमी जैसी पेट की समस्याओं से आप भी परेशान हैं, तो बथुआ खाएं। बथुआ को पेट के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसकी पत्तियों में विटामिन ए, कैल्शियम, फॉस्फोरस और पोटैशियम होता है इसलिए ये शरीर की कई परेशानियों को ठीक करने में आपकी मदद करता है। बथुआ के साग में आयरन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसके साग को नियमित खाने से कई रोगों को जड़ से समाप्त किया जा सकता है। बथुआ को साग के तौर पर खाना पसंद न हो तो इसका रायता बनाकर खाएं। आइए आपको बताते हैं बथुआ कितना फायदेमंद है और पेट के लिए कितना फायदेमंद है।कब्ज और गैस को दूर करे बथुआबथुआ के साग में फाइबर की मात्रा भरपूर होती है। इसके साथ ही इसमें विटामिन ए और पोटैशियम होता है इसलिए ये पेट के लिए फायदेमंद होता है। अगर आपको कब्ज या गैस की समस्या है तो सप्ताह में 3-4 बार बथुआ की सब्जी जरूर खाएं। बथुआ में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन्स आपके शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करेंगे।एनीमिया को दूर करे बथुआएनीमिया में हरी पत्तेदार सब्जियां खाना फायदेमंद होता है। बथुआ में आयरन और फोलिक एसिड होता है इसलिए ये शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी को ठीक करता है और रक्त के निर्माण में भी सहायक है। बथुआ के इन्हीं गुणों के कारण ये महिलाओं के मासिक धर्म की अनियमितता में भी फायदेमंद है। अगर किसी के शरीर में खून कम है या ब्लड टेस्ट में हीमोग्लोबिन कम आया है, तो उसे रोजाना एक कप बथुआ का जूस पीना चाहिए।दांत और मसूड़ों के रोगों में चबाएं बथुआमुंह की बीमारियों जैसे मुंह का अल्सर, सांसों में दुर्गंध आना, दांतों से संबंधित रोग आदि समस्याएं होने पर बथुए की पत्तियों को चबाना फायदेमंद हो सकता है। इससे पायरिया में भी लाभ होता है। बथुआ में एंटीबैक्टीरियल गुण भी होते हैं इसलिए ये आपके मुंह में मौजूद विषाणुओं को मारता है और आंतों को अच्छी तरह साफ करता है।पथरी को जड़ से मिटाए बथुआअगर आप रोजाना बथुआ खाते हैं, तो आपको पथरी होने का खतरा कम हो जाता है। पथरी के रोग में भी बथुआ खाने से लाभ मिलता है। इसके अलावा पेशाब रुक-रुक कर आना, गुर्दे में इंफेक्शन और गुर्दे की पथरी के लिए बथुआ का साग लाभप्रद है। अगर आपको पथरी है तो तीन ग्लास पानी में आधा किलो बथुआ डालकर उबाल लें और इसके पानी को छान कर गुनगुना कर लें। अब बथुए के इस पानी में दो चुटकी काली मिर्च पाउडर, सेंधा नमक और दो चम्मच नींबू का रस मिलाकर रोज पियें। इससे पथरी की समस्या में लाभ मिलेगा।अर्थराइटिस और हड्डी रोगों से बचाए बथुआबथुआ में कैल्शियम और पोटैशियम होता है इसलिए ये हड्डियों के लिए फायदेमंद होता है। अर्थराइटिस से राहत पाने के लिए बथुआ एक जादुई औषधि है। बथुआ की मदद से गठिया रोग से छुटकारा पा सकते हैं। बथुआ के पत्तों का 15 ग्राम रस रोजाना सेवन करने से गठिया रोग से निजात पाया जा सकता है। बथुआ के पत्तों के रस में बिना कुछ मिलाए सेवन करना चाहिए।
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अक्सर कुछ लोगों को पीले और कमजोर दातों के कारण शर्मिंदगी उठानी पड़ती है। वे ना चाहते हुए भी लोगों के बीच हाईलाइट हो जाते हैं। अगर आप भी अपने दांतों को स्वस्थ मजबूत और चमकदार बनाना चाहते हैं तो ये नुस्खे आजमा सकते हैं। ये सारी चीजें आसानी से आपकी रसोई और घर में मौजूद हैं।
नारियल या तिल का तेलअगर मुंह से दुर्गंध आती है तो एक टीस्पून नारियल या तिल का तेल लें और उसे मुंह के चारों ओर घुमा लें। थोड़ी देर बाद उसे थूक कर गुनगुने पानी से कुल्ला कर लें। इसके बाद तकरीबन 1 घंटे तक कुछ भी ना खाएं। ऐसा करने से मुंह से आने वाली दुर्गंध दूर हो जाएगी।नमक और अमरूद के पत्तेअगर दांतों में दर्द होता है तो एक गिलास पानी में जरा सा नमन घोलें और उसे तीन-चार अमरूद के पत्तों के साथ उबालें। पानी को छान लें और दिन में दो बार इस पानी से कुल्ला करें। ऐसा करने से दांतों के दर्द में राहत मिलेगी।सेंधा नमक और राई का तेलअगर दांत हिलते हैं तो सेंधा नमक में राई के तेल की कुछ बूंदें डालें और एक पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को रोज सुबह और शाम खाने के बाद मंजन की तरह इस्तेमाल करें। दांतों के हिलने की समस्या बंद हो जाएगी।लौंग का पाउडर और सेंधा नमकदांतों के दर्द में ढाई चम्मच लौंग पाउडर और चौथाई चम्मच सेंधा नमक बेहद असरदार साबित हो सकता है। ऐसे में आप सेंधा नमक और लॉन्ग का पाउडर मिलाकर अपने पास रखें और रात को सोते वक्त मंजन की तरह दांतों पर लगा लें। इसे दर्द में आराम मिलेगा।खाने का सोडा पिसी हल्दीअगर दांतों में कमजोरी है और वे हिलते हैं तो पीसी हुई हल्दी और खाने के सोडे को एक साथ मिलाएं और बने पाउडर से मंजन करें। आराम मिलेगा।हल्दी और नमकअगर मसूड़ों से खून निकल रहा है तो एक बोल में नमक, हल्दी और सरसों के तेल की कुछ बूंदे मिलाएं। इससे बने पेस्ट से दांतों की अच्छी तरह से मालिश करें। आपके मसूड़ों से खून निकलना बंद हो जाएगा।फिटकरी और ग्लिसरीनअगर मुंह में अक्सर छाले हो जाते हैं तो भुनी हुई फिटकरी को ग्लिसरीन में मिलाएं और कॉटन के माध्यम से छालों पर लगाएं। ऐसा करने के दौरान अगर लार टपके तो उसे टपकने दें। थोड़ी देर बाद आराम मिल जाएगा।कुछ जरूरी बातें-- पायरिया की समस्या है और उसकी वजह से मुंह से दुर्गंध आती है तो मुंह में सुबह-शाम एक लौंग डालकर रखें। दुर्गंध आनी बंद हो जाएगी।-मसूड़ों की सूजन कम करने के लिए भुनी हुई अजवाइन का पाउडर मंजन की तरह मसूड़ों पर लगाएं। आराम मिलेगा।-दांतों की तकलीफ होने पर तुलसी के पत्ते चबाने से आराम मिलता है।-दांतों को मजबूत करने के लिए पीपल की छाल से बना पाउडर दिन में एक बार अपने दांतों पर मलें। आराम मिलेगा।-अगर पेट खराब हो तब भी दांतों की समस्या हो सकती है। ऐसे में अपनी डाइट में फाइबर की मात्रा को सही रखें। इसके अलावा चॉकलेट, फास्ट फूड आदि को अपनी डाइट से निकाल दें।-अगर आप स्ट्रेस में रहते हैं तभी तो दांतों की समस्या हो सकती है क्योंकि तनाव में रहने से व्यक्ति को एसिडिटी की समस्या होती है और एसिडिटी से दांतों को भी नुकसान पहुंचता है। - सर्दी के दौरान अक्सर लोग गर्म चीजों को अपनी डाइट में शामिल करने की कोशिश करते हैं, जिसकी मदद से ठंड से बचाव किया जा सके। ऐसे ही गुड़ है जिसे ठंड के दौरान सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है और लोग गुड़ को अलग-अलग चीजों के साथ शामिल करके इसका सेवन करते हैं।गुड़ स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है, इसमें काफी मात्रा में लोहा, विटामिन सी, प्रोटीन, मैग्नीशियम और पोटेशियम मौजूद होता है जो हमे कई तरह से स्वस्थ रखता है। इसके साथ ही ये आपको कई आम संक्रमण जैसे सर्दी और जुकाम में भी राहत पहुंचाता है, ये आसानी से पच जाता है जिससे पेट का स्वास्थ्य भी बेहतर बना रहता है। ये पाचन तंत्र को काफी मजबूत बनाए रखता है जिसके कारण कब्ज जैसी आम समस्याओं से निजात मिल सकती है। लेकिन क्या आप जानते हैं आप गुड़ को कई चीजों के साथ खा सकते हैं? जानें, ऐसी की कुछ चीजों के बारे में....मूंगफली के साथ गुड़गुड़ और मूंगफली दोनों ही स्वास्थ्य के हिसाब से काफी फायदेमंद होती है, इनका सेवन करने से आप अपने पूर्ण स्वास्थ्य को तो स्वस्थ रख ही सकते हैं बल्कि सर्दी के दौरान ये विकल्प आपको गर्म रखने में भी मदद करते हैं। आप सर्दी के दौरान मूंगफली और गुड़ को आसानी से अपनी डाइट में शामिल कर इसका सेवन कर सकते हैं। इसे आप दिन में कभी भी खा सकते हैं और कोई भी इसका सेवन कर सकता है। आपको बता दें कि मूंगफली और गुड़ का सेवन आपको सर्दी में होने वाली क्रेविंग को भी कम करने का काम करता है।गुड़ और सौंठसौंठ का सेवन भी अक्सर लोग किसी न किसी चीज के साथ किया करते हैं, लेकिन जब आप सौंठ और गुड़ का सेवन एक साथ करते हैं तो ये आपके लिए काफी फायदेमंद होता है। इसका नियमित रूप से सेवन करने से आप आम संक्रमण से आसानी से लड़ सकते हैं और खुद को स्वस्थ रख सकते हैं। जब आप किसी संक्रमण का शिकार होते हैं तो उस दौरान आप इसका सेवन कर सकते हैं, क्योंकि ये आपको जल्द स्वस्थ करने में काफी मददगार है।गुड़ और घीगुड़ और घी अक्सर सर्दियों में लोगों की पसंद बन जाते हंै जिसका सेवन लोग नियमित रूप से करते हैं। गुड़ और घी का सेवन सर्दी के दौरान आपके लिए बहुत अच्छा होता है। घी स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है, जिसकी मदद से आप खुद को मजबूत बना सकते हैं और कई बीमारियों को दूर कर सकते हैं। ये आपके रोजाना की डाइट में शामिल होने से कई फायदे पहुंचाता है।सौंफ के साथ गुड़ का सेवनसौंफ अक्सर लोग कई चीजों में शामिल करके इसका सेवन करते हैं, ऐसे ही गुड़ और सौंफ का मिश्रण कर इसका सेवन किया जा सकता है। ये सांस संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए सबसे अच्छा तरीका है। सर्दी के दौरान रोजाना गुड़ और सौंफ का सेवन किया जा सकता है।मेथी के बीज और गुड़मेथी के बीज स्वास्थ्य के लिए कितने फायदेमंद है ये तो आप सभी जानते होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं जब आप मेथी के बीज के साथ गुड़ का सेवन करते हैं तो ये और भी ज्यादा असरदार हो जाता है। ये आपके बालों को मजबूत करने के साथ पूर्ण स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। वहीं, जिन लोगों को बहुत ज्यादा बाल झडऩे की समस्या होती है उन लोगों को इसका सेवन नियमित रूप से करना चाहिए, क्योंकि ये आपके बालों को झडऩे से रोकने का काम करता है।(नोट-किसी बीमारी से पीडि़त व्यक्ति, इन उपायों का सेवन करने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य सलाह ले लें...)
- अगर आप आलू को गैरफायदेमंद सब्जी मानकर, नहीं खाते हैं, तो एक बार इसके फायदों के बारे में आपको जरूर जानना चाहिए। भारत ही नहीं दुनियाभर में आलू सबसे ज्यादा खाई जाने वाली सब्जी है। आलू आसानी से उगाया जा सकता है इसलिए पूरी दुनिया में इसे खूब उगाया और खाया जाता है। हालांकि अभी भी बहुत सारे लोग हाई-कार्ब होने के कारण वजन बढऩे के डर से आलू नहीं खाते हैं। मगर आलू में विटामिन्स, फाइबर, फोटोकेमिकल्स, मिनरल्स काफी मात्रा में मौजूद होते हैं और आलू हमें कई रोगों से भी बचाता है।कितना पौष्टिक है आलूआलू भी अन्य सब्जियों की ही तरह बहुत पौष्टिक होता है। 100 ग्राम उबले हुए आलू में केवल 72 कैलोरीज, 1.8 ग्राम प्रोटीन, 17 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 0.1 ग्राम फैट, 1.2 ग्राम फाइबर होता है। इसके साथ ही इसमें 15 माइक्रोग्राम फॉलेट, 1.06 मिलीग्राम नियासिन, 0.03 मिलीग्राम राइबोफ्लेविन, 0.08 मिलीग्राम थियामिन, विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन के, सोडियम, पोटैशियम, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, मैग्नीज, फास्फोरस और जिंक आदि सभी तत्वों की अच्छी मात्रा होती है। आलू ज्यादा खाने से कुछ लोगों में वजन बढ़ सकता है मगर इसे सप्ताह में 2-3 बार खाया जा सकता है।हड्डियों के लिए फायदेमंद है आलूआलू का सेवन हड्डियों के लिए फायदेमंद होता है। इसका कारण यह है कि आलू में कैल्शियम, मैग्नीशियम और फास्फोरस तीनों की मात्रा अच्छी होती है। 100 ग्राम आलू में 12 मिलीग्राम कैल्शियम, 23 मिलीग्राम मैग्नीशियम और 57 मिलीग्राम फास्फोरस होता है। ये सभी तत्व हड्डियों की मजबूती के लिए जरूरी हैं। छोटे बच्चों को भी सीमित मात्रा में आलू खिलाना चाहिए। हालांकि आलू को बहुत ज्यादा ऑयल में फ्राई करने से इसके पोषक तत्वों में कमी आ जाती है।ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है आलूस्वस्थ रक्तचाप को बनाए रखने के लिए कम सोडियम आहार आवश्यक है, लेकिन पोटेशियम की उच्च मात्रा भी समान रूप से महत्वपूर्ण होती है। पोटेशियम वासोडिलेशन, या रक्त वाहिकाओं की चौड़ाई को प्रोत्साहित करता है। पोषक तत्व जैसे पोटेशियम, कैल्शियम और मैग्नीशियम सभी आलू में मौजूद होते हैं। यह स्वाभाविक रूप से रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।दिल की बीमारियों से बचाए आलूआलू में मौजूद फाइबर, पोटेशियम, विटामिन सी, और विटामिन बी 6 कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करते हैं। आलू में फाइबर की महत्वपूर्ण मात्रा रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करने में मदद करती है, जिससे दिल की बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। आलू में मौजूद पोटेशियम की उच्च मात्रा और सोडियम की कम मात्रा से कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों का खतरा लगभग न के बराबर होता है।दिमाग के लिए भी फायदेमंद है आलूमस्तिष्क की उचित कार्यप्रणाली बड़े पैमाने पर ग्लूकोज स्तर, विटामिन-बी परिसर के विभिन्न घटकों, ऑक्सीजन आपूर्ति, ओमेगा-3 जैसे फैटी एसिड, कुछ हार्मोन और एमिनो एसिड पर निर्भर करती है। आलू में यह सभी तत्व मौजूद होते हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि आलू मस्तिष्क के लिए भी बहुत लाभकारी है। आलू मस्तिष्क को थकने से रोकता है और आपको हर समय सतर्क रखता है।
- सरसों, लाल भाजी, चौलाई, पालक का साग तो हम खाते ही हैं, जानें सेहत और स्वाद से भरपूर 7 ऐसे साग, जो काफी पौष्टिक हैं।सर्दियों में ज्यादातर लोगों के घरों में साग बनता है। साग के कुछ आम विकल्पों की बात करें, तो सरसों, मेथी, चौलाई और चने का साग अपने यहां सबसे ज्यादा बनाया जाता है। पर इन सबको छोड़ दें, तो साग के कुछ अन्य प्रकार भी हैं, जिन्हें आप अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। साग के इन प्रकारों को खाने के भी अपने ही फायदे हैं ....अरबी का सागअरबी या कोचई को भारतीय प्रदेशों में कई तरीके से खाया जाता है। अरबी के पत्ते को कुछ लोग जहां अरबी के पत्ते की पकौड़ी बनाते हैं, तो वहीं बिहार जैसे राज्यों में इसका कोफ्ता भी बनाया जाता है। छत्तीसगढ़ में कोचई के पत्ते की स्वादिष्ट कढ़ी बनाई जाती है। अरबी के पत्ते का साग सबसे ज्यादा लाभकारी माना जाता है। अरबी का साग खाने के फायदे की बात करें, तो अरबी में सोडियम, मैग्नीशियम और पोटैशियम जैसे खनिज पाए जाते हैं। इसमें विटामिन ए और विटामिन सी भी पाया जाता है, जो इम्यूनिटी बूस्टर करने के लिए फायदेमंद है। इसके अलावा इसका हाई फाइबर इसे डायबिटीज के रोगी और मोटापे से पीडि़त लोगों के लिए साग का बेहतर विकल्प बनाता है।सहजन का साग (मुनगे का साग)सहजन या मुनगे के पत्ते को खान-पान में कई तरीके से इस्तेमाल किया जाता है। आप जहां सहजन के पत्तियों की चाय बना कर पी सकते हैं, तो वहीं आप इसके पत्ते से साग भी बना सकते हैं। सहजन के पत्ते कैल्शियम, मैग्नीशियम और फास्फोरस का अच्छा सोर्स माने जाते हैं, जो कि हड्डियों के विकास में मददगार हैं। छत्तीसगढ़ में कमरछठ में मुनगे की पत्तियों सहित छह प्रकार के साग का सेवन करने की परंपरा रही है। सहजन की पत्तियों में उच्च मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट भी पाए जाते हैं, जो शरीर में इंफ्लेमेशन के कारण होने वाली समस्याओं से राहत दिलाने में मदद करते हैं और हृदय स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाए रखते हैं। इन सबके अलावा जिन लोगों को एनीमिया है उनके लिए सहजन के साग को खाना रेड ब्लड सेल्स की कमी को पूरा कर सकता है। इसकी पत्तियों को सुखाकर इसके पाउडर का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।चिरोटा का सागचिरोटा का साग सर्दियों के लिए बहुत फायदेमंद है। ऐसा इसलिए कि चिरोटा के साग गर्म तासीर वाला होता है। चिरोटा के साग के फायदे की बात करें, तो ये फाइबर, प्रोटीन और आयरन से भरपूर है। ये जहां पेट के लिए अच्छा है वहीं ये सर्दी-जुकाम में खाने के लिए भी अच्छा है। इस सबके अलावा अस्थमा रोग में इसके फूलों को पकाकर सब्जी के रूप में भी खाया जाता है।नोनिया साग के फायदेनोनिया साग को लोग सुशनी के पत्तों के साथ मिलाकर बनाते हैं। ये एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर माना जाता है और शरीर को कई सारे इंफेक्शन से बचाए रखता है। साथ ही इसमें विटामिन सी और कुछ मिनरल्स भी पाए जाते हैं, जो कि पेट के लिए बहुत फायदेमंद है। साग के अलावा लोग सुशनी के पत्तों को चटनी भी बना कर खाते हैं।कश्मीरी हाककश्मीरी हाक का साग पालक के साग जैसा ही होता है। इसे प्याज, लहसुन और सौंठ डाल कर काफी बेहतरीन तरीके से बनाया जाता है। कश्मीरी हाक खाने के फायदे की बात करें, तो ये इस साग में कैल्शियम की अच्छी मात्रा होती है, जो कि हड्डियों के विकास के लिए फायदेमंद है। साथ ही ये काफी गर्म तासीर वाला है,तो आप इस साग को सर्दियों में खा सकते हैं।पुई सागपुई या पोई एक जंगली बेल है, जिसे कई जगहों पर पकौड़ी बना कर खाया जाता है। पुई साग को खाने से गैस की परेशानी से आराम मिलता है। साथ ही इसे खाने से कफ में भी कमी आती है। पुई के पत्तों को साग बनाने के अलावा भी कई तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है। माना जाता है कि इसके पत्तों को उबाल कर पीने से ये मुंह के छालों को भी ठीक करने में मदद करता है।कद्दू या कुम्हड़े के पत्ते का सागकद्दू के पत्ते में विटामिन ए और सी आदि पाए जाते हैं। विटामिन ए जहां, आंखों की रोशनी में सुधार करता है और स्वस्थ त्वचा व बालों को बढ़ावा देता है, वहीं विटामिन सी घावों को ठीक करने और हड्डियों, त्वचा और दांतों को स्वस्थ रखने में मदद करता है। इसका साग हरा कद्दू मिलाकर बनाया जाता है, जो खाने में काफी स्वादिष्ट होता है।
- गेहूं हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना फायदेमंद होता है ये तो सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं गेहूं के बीज से निकलने वाला तेल भी हमारे लिए फायदेमंद होता है। जी हां, गेहूं के बीज से निकलने तेल उतना ही हमारे लिए अच्छा होता है जितना की गेहूं। गेंहू के बीज के तेल में कई खास पोषक तत्व जैसे विटामिन बी 6, मैग्नीशियम, पोटैशियम और फास्फोरस मौजूद होते हैं जो हमारे लिए फायदेमंद होता है। आपको बता दें कि आप दूसरे तेल की तरह ही इस तेल का सेवन कर सकते हैं जो आपको पूरी तरह स्वस्थ रख सकता है। ऐसे ही इसके कई स्वास्थ्य और त्वचा संबंधित लाभ है जिसको जानना आपके लिए बहुत जरूरी है। तो आइए इस लेख के जरिए हम आपको बताते हैं कि गेहूं के बीज का तेल आपके लिए स्वास्थ्य और त्वचा के लिए कैसे फायदेमंद है।कैसे फायदेमंद है गेहूं के बीज का तेलबैड कोलेस्ट्रॉल को करता है कमगेहूं के बीज का तेल शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाने के साथ शरीर में मौजूद खराब कोलेस्ट्रॉल को दूर करने का काम करता है। इसके साथ ही ये हृदय को स्वस्थ रखने में फायदेमंद होता है। ब्लड सर्कुलेशन के बेहतर होने से कई स्वास्थ्य समस्याओं को बचा जा सकता है और इससे त्वचा भी स्वस्थ रह सकती है।ऊतकों को रखता है स्वस्थअक्सर कई बार ऊतकों के नष्ट हो जाने से कई समस्याएं नजर आती होंगी, लेकिन नियमित रूप से गेहूं के बीज के तेल का इस्तेमाल किया जाए तो ये ऊतकों को स्वस्थ रख सकता है और उनको हुए नुकसान को कम कर सकता है। यही नहीं बल्कि ये सेल्स को भी स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने में है मददगारगेहूं के बीज का तेल शरीर को ऊर्जा देने में भी काफी मददगार होता है। ये शरीर में आई कमजोरी को दूर कर शरीर को एक्टिव रखने की कोशिश करता है। गेहूं के बीज का तेल आमतौर पर खिलाड़ी इस्तेमाल करते हैं जिससे कि वो लंबे समय तक ऊर्जावान रह सकें। इसलिए यदि आप भी खुद को एक्टिव और ऊर्जावान रखना चाहते हैं तो आप आज से ही गेहूं के बीज का तेल इस्तेमाल करें जो आपके लिए फायदेमंद साबित होगा।त्वचा संबंधित समस्याएं होती है कमनियमित रूप से त्वचा पर गेहूं के बीज का तेल इस्तेमाल करने से ये लंबे समय तक आपकी त्वचा को स्वस्थ रख सकता है साथ ही ये किसी भी त्वचा संबंधित समस्या को आसानी से दूर कर सकता है। सोरायसिस, एक्जिमा और त्वचा का बार-बार रुखापन आने से रोकने के लिए गेहूं के बीज के तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है।ब्लड शुगर लेवल होता है बेहतरब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित रखने के लिए गेहूं के बीज का तेल बहुत फायदेमंद होता है। इस तेल का इस्तेमाल कर ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखा जा सकता है। इसके साथ ही जिन लोगों डायबिटीज है उन लोगों के लिए भी ये तेल बहुत अच्छा होता है। ये डायबिटीज की स्थिति को बहुत ज्यादा बिगडऩे से रोकता है साथ ही शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है।----
- भारतीय घरों में सबसे अधिक मसालों का इस्तेमाल किया जाता है। यहां आपको किचन में कई तरह के मसाले मिल जाएंगे। यह मसाले खाने के स्वाद के साथ-साथ सेहत के लिए भी गुणकारी होते हैं। हल्दी से लेकर मिर्च तक, सभी सेहत के लिए अच्छे माने जाते है। मिर्ची और हल्दी के बिना खाने का स्वाद अधूरा सा लगता है। मिर्च हमारे खाने का जायका बढ़ा देती है। हमारे देश में मिर्च कई वैरायटियों में मिलती है। ये सभी स्वाद के साथ-साथ सेहत के लिए भी फायदेमंद हैं। मिर्च एंटी-ऑक्सीडेंट और विटामिन सी के गुणों से भरपूर होती है। यह वजन घटाने से लेकर आंत को स्वस्थ रखने में हमारी मदद करती है। मिर्च में कैप्साइमिन नामक तत्व होता है, जो ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा को प्रभावित करती है।हाल ही में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि मिर्च के सेवन जीवनकाल को बढ़ाया जा सकता है। यह दिल से संबंधित बीमारी और कैंसर जैसी घातक बीमारियों के लिए फायदेमंद हो सकती है। यह रिसर्च 2020 में अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन द्वारा किया गया है।शोधकर्ताओं ने दुनियाभर के 5 प्रमुख स्वास्थ्य डेटाबेस से 4,729 लोगों पर यह सर्वेक्षण किया है। ये ऐसे लोग हैं, जो मिर्च बहुत ही कम खाते हैं या फिर बिल्कुल भी नहीं खाते हैं। इस सर्वेक्षण में देखा मिर्च खाने वालों की तुलना में कम मिर्च खाने वालों की मृत्युदर अधिक है।सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक, अधिक मिर्च खाने वालों में दिल से संबंधित होने वाली मृत्युदर 26 प्रतिशत कम होती है। इसके साथ ही इनमें कैंसर से होने वाली मृत्यु 23 फीसदी कम है। वहीं, अन्य किसी कारणों से होने वाली मृत्युदर 25 प्रतिशत कम है।वरिष्ठ लेखक बो जू, एमडी, क्लीवलैंड क्लिनिक हार्ट, वैस्कुलर एंड थोरैसिक इंस्टीट्यूट ऑफ क्लीवलैंड, जो ओहियो में कार्डियोलॉजिस्ट के मुताबिक, जो लोग अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में मिर्च का इस्तेमाल करते हैं। उनमें सीवीडी और कैंसर मृत्यु दर कम देखी गई है। इसके अलावा इस सर्वेेक्षण में यह भी बताया गया है कि यह हमारे पूरे जीवनकाल और स्वास्थ्य के लिए अहम भूमिका निभाताी है।मिर्च खाने के फायदेएंटी ऑक्सीडेंट से भरपूरहरी मिर्च एंटी-ऑक्सीडेंट जैसे तत्वों से भरपूर होती है। इसके अलावा इसमें डाइट्री फाइबर की भी प्रचुरता होती है, जो हमारे पाचनतंत्र को सुचारू रूप से चलाने में हमारी मदद कर सकती है।अर्थराइटिसगठिया रोगियों के लिए भी हरी मिर्च गुणकारी होता है। मिर्च के सेवन से ज्वाइंट्स में होने वाले दर्द से आराम मिलता है। इसलिए गठिया के मरीजों को अपने आहार में कम से कम 2 मिर्च रोजाना शामिल करना चाहिए।आंखों के लिए है फायदेमंदहरी मिर्च में विटामिन ए प्रचुर रूप से होता है, जो आंखों के लिए अच्छा माना जाता है। विटामिन ए आंखों के साथ-साथ स्किन के लिए भी काफी फायदेमंद है। ऐसे में आप अपने डाइट में रोजाना एक हरी मिर्च को जरूर शामिल करें।फेफड़ों के कैंसर का खतरा कमधूम्रपान करने वाले लोगों को अपने डाइट में हरी मिर्च को अधिक से अधिक शामिल करना चाहिए। हरी मिर्च के सेवन से फेफड़ों के कैंसर का खतरा टलता है।
- ज्यादातर रोटियां गेहूं की ही बनाई जाती हैं, लेकिन चने, मक्का और बाजरे की रोटी के भी बहुत फायदे हैं।डायबिटीज के मरीजों को अक्सर अपनी डाइट में कुछ चीजों से परहेज करने को कहा जाता है। नाश्ते से लेकर, लंच और डिनर तक में उन्हें, उन्हीं चीजों का सेवन करने को कहा जाता है, जिनसे कि उनका ब्लड शुगर लेवल संतुलित रहे और डायबिटीज कंट्रोल में रह सके। ऐसे में वे चने की रोटी आराम से खा सकते हैं।सबसे पहली बात कि चना की रोटी ग्लूटेन फ्री जो कि एक बड़ा प्रभावी कारण है कि इसे डाइट में शामिल किया जा सकता है। दरअसल ग्लूटन गेहूं, जौ और जई (बार्ली) जैसे अनाजों में मिलने वाला एक प्रोटीन है, जो कि ब्लड शुगर को बढ़ा सकता है। वहीं चने की रोटी ग्लूटेन मुक्त है, जो कि ब्लड शुगर लेवल को संतुलित रख सकता है। वहीं कई और कारण भी हैं, जिसकी वजह से डायबिटीज के मरीजों को अपनी डाइट में काला चना या चने की रोटी को जरूर शामिल करना चाहिए।चने की रोटी खाने के फायदे1.कोलेस्ट्रॉल कम करता है चने की रोटीचने के आटे में ग्लिसेमिक इंडेक्स 70 होता है जबकि गेंहू के आटे में 100 के करीब होता है इसलिए चने की रोटी खाने से शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा नियंत्रित रहती है। वहीं अगर गेंहू के आटे और चने के आटे को मिलाकर सेवन किया जाए तो कोलेस्ट्राल लेवल भी सामान्य रहता है। इसकी मदद से गुड कोलेस्ट्राल बढ़ता है। वहीं चना दाल के आटे में बहुत अधिक घुलनशील फाइबर होता है जो, न केवल ब्लड में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है, बल्कि धीरे-धीरे रक्तप्रवाह में भी आराम से अवशोषित हो जाता है, परिणामस्वरूप ये ब्लड शुगर के स्तर को सही रखता है और उसमें अचानक से बढ़ोतरी का कारण नहीं बनता है।2.हाई प्रोटीन वाला होता है चने की रोटीचने की रोटी गेहूं की रोटी की तुलना में अधिक प्रोटीन युक्त होता है। उदाहरण के लिए एक चने की रोटी खाने से आपको लगभग 10 ग्राम प्रोटीन मिलता है, जो कि गेहूं की रोटी की तुलना में ज्यादा है। वहीं इसे खाकर आपको लंबे समय तक भूख नहीं लगेगी और आप कंप्लीट महसूस करेंगे। इस तरह ये आपको मोटापा और इटिंग डिसऑर्डर से भी बचा सकती है।3.पाचन तंत्र के लिए फायदेमंदचने की रोटी में हाई फाइबर होता है, जो कि आपके पेट के लिए बहुत अच्छा है। दरअसल जिन लोगों को कब्ज और पाचन तंत्र से जुड़ी परेशानियां रहती हैं, उनके लिए ये चने की रोटी खाना इसे ठीक कर सकता है। इसका फाइबर पाचनतंत्र को एक्टिव करता है, जिससे कि आपका पेट साफ रहता है।इस फायदों के अलावा चने की रोटी खाने का एक फायदा ये भी है कि चने की दाल से बनी रोटी में आयरन और कैल्शियम की अधिक मात्रा होती है, जो कि दिमाग से तनाव को कम करने में मदद करता है। वहीं ब्रेकफास्ट में इसे खाना दिनभर काफी एनर्जेटिक महसूस करवा सकता है। इसलिए आपको अपनी रेगुलर रोटी में बदलाव करके कभी कभार चने की रोटी खाने की कोशिश करनी चाहिए। तो अगर आपने आज तक चने की रोटी नहीं खाई है, तो दो कप चने का आटा लेकर गर्म पानी में गू्ंथ लें और फिर इसकी रोटी बना कर खाएं, स्वाद के लिए आप इसमें अजवाइन या फिर मेथी के पत्ते भी डाल सकते हैं। चना आटा में बथुवा भाजी के पत्ते डालकर बनाई गई रोटियां भी शरीर के लिए फायदेमंद है।-----
- दिवाली के बाद भारत के कई राज्यों में वायु प्रदूषण बढ़ गया है। एक तरह जहां, प्रदूषण बढऩे के कारण लोगों को फेफड़ों से जुड़ी परेशानियां हो रही हैं, वहीं कोरोना वायरस का प्रकोप भी थमने का नाम नहीं ले रहा। ज्यादातर लोगों को इस प्रदूषण के कारण सांस लेने में तकलीफ, खांसी-जुकाम, कफ और चेस्ट कंजेशन की परेशानी हो रही है। ऐसे में इस तरीके के मौसमी इंफेक्शन से बचाव एक तरीका ये है कि हम अपने खान-पान में कुछ ऐसी चीजों को शामिल करें, जो कि इस कफ और कंजेशन को कम करे। बड़ी इलायची इन स्थितियों में एक रामबाण उपाय है। ये जहां कफ को कम कर सकती है, वहीं ये फेफड़ों को साफ करके इसके प्रोसेस को बेहतर बना सकती है। तो , आइए जानते हैं बड़ी इलायची के फायदे और इसे इस्तेमाल करने का तरीकाबड़ी इलायची के फायदे1.मौसमी इंफेक्शन से बचाव मेंबड़ी इलायची में एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी माइक्रोबियल गुण होते हैं। ये तीनों ही शरीर को किसी भी मौसमी इंफेक्शन से बचाए रख सकते हैं। साथ ही ये गुण संयुक्त रूप से श्वसन तंत्र के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।2.कफ और कंजेशन की परेशानी मेंआयुर्वेद के अनुसार, बड़ी इलायची में कई ऐसे गुण पाए जाते हैं, जो कि खांसी-जुकाम को ठीक करने के लिए उपयोगी हैं। यह श्वसन मार्ग से अतिरिक्त बलगम को हटाने में मदद करता है और कंजेशन से राहत दिलाता है। सरसों के तेल के साथ एक बड़ी इलायची के सेवन से खांसी और जुकाम के लक्षणों में कमी आ सकती है।3.हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंदबड़ी इलायची में पोटेशियम, कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे खनिजों की भी एक अच्छी मात्रा है, जो हृदय स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। साथ ही ये ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित करने में मदद कर सकता है, जो कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए फायदेमंद है।कैसे करें बड़ी इलायची का इस्तेमाल?1.बड़ी इलायची वाली चायबदलते मौसम में बड़ी इलायची की चाय बहुत फायदेमंद होता है। इसे रोज पीने से शरीर में जमा कफ पिघल सकता है और कंजेशन में कमी आ सकती है। बड़ी इलायची की चाय बनाने के लिए चाय के पानी में 2 बड़ी इलायची कूच कर डाल लें। फिर इसमें दालचीनी और चायपत्ती मिला में। अब सबको उबाल लें। छान लें और फिर शहद मिला कर सर्व करें।2. बड़ी इलायची का भाप लेंबड़ी इलायची की भाप सीने के जकडऩ को कम कर सकती है। इसके लिए पानी में तुलसी, पुदीना और बड़ी इलायची डाल कर उबाल लें। अब इसमें थोड़ा सा पिपमिंट ऑयल डाल लें और फिर इस पानी का भाप लें। पानी जब ठंडा होने लगे, तो उसे दोबारा गर्म कर लें और फिर से भाप लें। इसकी गर्मी शरीर को आराम दिलाएगी।3.बड़ी इलायची और शहद का सेवनबड़ी इलायची पाउडर को शहद में मिला कर इस्तेमाल करके कंजेशन से निजात पाया जा सकता है। दरअसल, सूखी खांसी में शहद का उपयोग करना, खांसी को दबाने का और गले की खराश में राहत पाने का एक प्रभावशाली तरीका है। अध्ययनों में पाया गया है कि शहद खांसी में दवाओं से भी ज्यादा फायदा देता है। इसके लिए बड़ी इलायची को हल्का गर्म कर लें और फिर कूट कर पाउडर बना लें और शहद में मिला लें। अब हर रात सोने से पहले इसका सेवन करें। इससे सूखी खांसी कम हो जाएगी।इस तरीके से बड़ी इलायची हर मायने में शरीर के लिए फायदेमंद है। जहां ये सर्दी-जुकाम को ठीक करता है, वहीं ये मेटाबॉलिज्म को भी सही रखता है। साथ ही शरीर की उन रासायनिक प्रक्रियाओं को तेज करता है, जो कि भोजन को ऊर्जा में बदलने का काम करती हैं।