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कोरोना महामारी का कहर हर दिन बढ़ता ही जा रहा है। 19 अप्रैल को केंद्र सरकार द्वारा यह ऐलान किया गया था कि 1 मई से 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को भी वैक्सीन दी जाएगी। इस खबर के सामने आते ही लोगों के मन में कई सारे सवाल उठ रहे हैं। जैसे- वैक्सीन कहां मिलेगी? रजिस्ट्रेशन कब से शुरू है? क्या कोई अन्य शर्ते भी हैं? इत्यादि कई ऐसे सवाल लोगों के मन में उठ रहे हैं।
18 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए वैक्सीन रजिस्ट्रेशन कब से है शुरू?MyGovIndia ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर पोस्ट किया गया है कि 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए वैक्सीनेशन रजिस्ट्रेशन 28 अप्रैल से शुरू होगा , जिसका अपॉइंमेंट 1 मई से मिलना शुरू हो जाएगा।वैक्सीनेशन के लिए क्या करना होगा?अगर आप वैक्सीन लगवाना चाहते हैं, तो कोविन या आरोग्य सेतु ऐप पर रजिस्ट्रेशन करना होगा। ध्यान रहे कि एडवांस बुकिंग वालों को ही 1 मई से वैक्सीन दी जाएगी। वैक्सीनेशन केंद्र पर सीधे जाकर आपको वैक्सीन नहीं दिया जाएगा।कैसे करें ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन?यदि आप वैक्सीनेशन लगवाने के योग्य हैं, तो अपने मोबाइल में Co-WIN ऐप या फिर आरोग्य सेतु डाउनलोड करके उसपर रजिस्टर करें। अगर आपके पास स्मार्टफोन नहीं है, तो आप Co-WIN की वेबसाइट cowin.gov.in पर भी रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। रजिस्ट्रेशन करने का तरीका--सबसे पहले ऐप या फिर वेबसाइट खोलें।-अब अपना मोबाइल नंबर डालें।-आपके मोइबल पर ओटीपी आएगा, जिसे डालने से डालने से आपका अकाउंट बन जाएएं।-इसके बाद इसपर अपना उम्र, लिंग भरें और अपनी एक पहचान पत्र अपलोड करें।-यदि आपकी उम्र 45 साल से अधिक है और को-मॉर्बिडिटी है तो अपना सर्टिफिकेट अपलोड करें।-इसके बाद वैक्सीनेशन सेंटर का चुनाव करें।बता दें कि एक मोबाइल नंबर के जरिए आप 4 अपॉइंटमेंट्स ले सकते हैं। इसके अलावा सीनियर सिटिजंस (60+ उम्र वाले) के लोग फोन के जरिए भी रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। 60 से अधिक उम्र के लोग रजिस्ट्रेशन करने के लिए 1507 डायल करें।अगर आपके पास कोई ऑनलाइन विकल्प नहीं है, तो आप टीकाकरण केंद्र जाकर अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। रजिस्ट्रेशन केंद्र पर भीड़ कम करने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा दी गई है। अगर आपके पास यह सुविधा नहीं है, तो आप केंद्र पर जाकर अपना रजिस्ट्रेशन कराएं।वैक्सीनेशन के लिए क्या किसी दस्तावेज की है जरूरत?वैक्सीन लगवाने के लिए आपको अपना पहचान पत्र दिखाना होगा। इसके लिए आप वोटर आईडी, पासपोर्ट, आधार कार्ड जैसे वैलिड कार्ड का इस्तेमाल कर सकते हैं। वैक्सीनेशन के लिए 12 तरह के डॉक्यूमेंटक्स का इस्तेमाल कर सकते हैं।--- - भारत का शायद ही ऐसा कोई घर हो, जहां मखाना का इस्तेमाल न किया जाता हो. इसे लोटस सीड, फोक्स नट, प्रिकली लिली आदि के नाम से जाना जाता है. ज्यादातर घरों में मखाना से मिठाई, नमकीन और खीर भी बनाई जाती है. आपको बता दें कि इसमें मैग्ननेशियम, पोटाशियम, फाइबर, आयरन, जिंक आदि भरपूर मात्रा में पाया जाता है. ऐसे में इसका सेवन हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक है.आज हम आपको इस आर्टिकल में मखाना से होने वाले कई फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं, तो आइये जानते हैं......1. पाचन में सुधारमखाना में एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं. इसके सेवन से पाचन में सुधार होता है. यह हर उम्र के लोगों को आसानी से पच जाता है. पाचन दुरुस्त करने के अलावा यह दस्त से भी राहत देता है.2. किडनी बनाए मजबूतमखाने के नियमित सेवन से आपकी किडनी भी मजबूत होती है. इसके अलावा ब्लड सर्कुलेशन के लिए भी अच्छा होता है.3. दिल से जुड़ी बीमारियांआपको बता दें कि मखाने में अनहेल्दी कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बेहद कम होती है. इसलिए दिल से जुड़ी बीमारियों को दूर रखने में लाभदायक होता है.4. तनाव दूर करेअगर काम की वजह से या अन्य किसी कारण से अक्सर तनाव रहता है, तो मखाना खाना बेहद लाभदायक होगा. रात में सोने से पहले एक गिलास दूध में 8-10 मखाने मिलाकर सेवन करें. इससे आपको नींद अच्छी आएगी साथ ही तनाव भी कम होता है.5. ब्लड प्रेशर करे नियंत्रितहाई ब्लड प्रेशर के लिए मखाना फायदेमंद होता है क्योंकि इसमें सोडियम की मात्रा कम होती है और पोटैशियम की मात्रा अधिक पायी जाती है, जो हाई ब्लड प्रेशर को कम करने में मददगार होता है.कैसे करें मखाने का उपयोग?मखाना का किसी भी रूप में उपयोग लाभदायक होगा. आप चाहें तो इसको दूध के साथ सेवन कर सकते हैं या फिर स्नैक्स की तरह भी खा सकते हैं. मखाने को घी में रोस्ट कर नमक के साथ खा सकते हैं.
- एक तरफ कोरोना काल और दूसरी तरफ गर्मियों का मौसम ऐसे में खुद को स्वस्थ्य और सेहतमंद बनाए रखना बहुत जरूरी है. खुद को फिट और मजबूत बनाए रखने के लिए हम कई चीजों का सेवन करते हैं. ऐसे में गर्मियों के मौसम में फलों का सेवन करने की सलाह दी जाती है. ताकि शरीर को मजबूत और स्वस्थ्य बनाए रखा जा सके. गर्मी के मौसम में मौसंबी का सेवन करना भी बहुत उपयोगी माना जाता है. क्योंकि मौसंबी में फाइबर, विटामिन और पोटेशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है. इसलिए गर्मियों में मौसंबी का सेवन करने की सलाह दी जाती है. ऐसे में आज हम आपको मौसंबी के कुछ फायदे बताने जा रहे हैं.शरीर की इम्यूनिटी रहती है मजबूतकोरोना काल में शरीर की इम्यूनिटी को मजबूत रखना बहुत जरूरी माना जाता है. ऐसे में इम्यूनिटी मजबूत रखने के लिए मौसंबी का सेवन किया जाना बहुत अच्छा माना जाता है. आप मौसंबी का जूस भी पी सकते हैं. मौसंबी में विटामिन सी पर्याप्त मात्रा में पाई जाती है, जिससे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और शरीर को बीमारियों से लड़ने में मदद मिलती है. इसलिए कोरोना काल में म्यूनिटी मजबूत रखने के लिए लोगों को मौसंबी का सेवन करने की सलाह दी गई थी.मौसंबी से शरीर रहता है ठंडामौसंबी खाने से शरीर ठंडा रहता है. खास बात यह है कि आप मौसंबी का जूस या सिरका बनाकर भी खा सकते हैं. मौसंबी की एक खासियत यह भी है कि यह एक महीने तक खराब नहीं होती है. इसलिए गर्मियों के सीजन में यह एक अच्छा फल माना जाता है. इसलिए गर्मियों के सीजन में मौसंबी खाने की सलाह दी जाती है.मौसंबी से खून रहता है साफमौसंबी खाने से शरीर का खून साफ रहता है. जिससे पेट की तकलीफे भी नहीं होती है. इसके अलावा मौसंबी त्वचा से जुड़े रोगों में भी फायदेमंद मानी जाती है, मौसंबी खाने से रंग में भी निखार आता है. जबकि मुंह में होने वाले छाले की समस्या से छुटकारा मिलता है. इसलिए मौसंबी का सेवन करना फायदेमंद माना जाता है. यही वजह है कि गर्मी में मौसंबी का सेवन करने की सलाह दी जाती है.ब्लड प्रेशर को रखता है नियंत्रितमौसंबी का सेवन करने से ब्लड प्रेशर की समस्या से भी निजात मिलती है. क्योंकि मौसंबी बॉडी को डिटॉक्सीफाई करता है और इसका सेवन करने से शरीर के टॉक्सिंस बाहर निकलते हैं. इसलिए यह ब्लड प्रेशर के रोगियों के लिए भी फायदेमंद माना जाता है.मौसंबी खाने से नहीं होती गैस और कब्ज की समस्यागैस और कब्ज की समस्या एक बड़ी प्राब्लम बनती जा रही है. लेकिन अगर आप मौसंबी का हर दिन सेवन करते हैं तो इससे आपको गैस और कब्ज की समस्या से भी राहत मिलेगी. ऐसे में जिन लोगों को गैस और कब्ज की समस्या होती है उन्हें मौसंबी खाने की सलाह दी जाती है.नियंत्रित रहता है शुगर लेवलमौसंबी खाने से शरीर का शुगर लेवल भी नियंत्रित रहता है. क्योंकि शुगर एक बड़ी बीमारी बनती जा रही है, लेकिन मौसंबी एक ऐसा फल है जो शुगर लेवल को कंट्रोल रखता है. मौसंबी में शुगर को कंट्रोल करने वाले पौषक तत्व पाए जाते हैं. इसलिए जिन लोगों को शुगर की समस्या होती है उन्हें मौसंबी खाने की सलाह दी जाती है.मौसंबी सेवन करने का तरीकामौसंबी को आम तौर पर फल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. जबकि मौसंबी का जूस बनाकर भी पीने से भी बहुत फायदा मिलता है. आप हर दिन या तो एक मौसंबी का फल खा सकते हैं या फिर हर दिन एक गिलास जूस का सेवन किया जा सकता है. रोजाना सुबह एक गिलास मौसंबी का जूस पीने से शरीर को काफी एनर्जी मिलता है. शरीर में कमजोरी और थकान हो तो मौसंबी का जूस इसमें काफी फायदा करता है. मौसंबी के जूस में कई पोषक तत्व होते हैं, जो बीमारी के बाद शरीर को मजबूती प्रदान करते हैं. मौसंबी ताकत देती है इसलिए इसका सेवन करना चाहिए.
- नई दिल्ली। देश-दुनिया में एक विपदा की तरह फैले कोविड-19 को लेकर लोगों में डर और दहशत दोनों तरह का माहौल है। लोग इससे बचने के लिए तरह-तरह के उपाय कर रहे हैं लेकिन उनके मन में ये सवाल अभी भी बना हुआ है कि इस वायरस से संक्रमित होने पर उन्हें सबसे पहले क्या होगा। इस बीच, द अमेरिकन जर्नल ऑफ गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी में प्रकाशित एक नए अध्ययन से ये सामने आया है कि जिन लोगों को कोरोनावायरस ने अपना शिकार बनाया उनमें से कई को वायरस से प्रभावित होने पर पहला संकेत दस्त जैसी पाचन समस्या के रूप में मिला था।कोविड -19 इंसानों में फैलने वाला कोरोना वायरस है, जो प्रारंभिक रूप से आपके फेफड़ों और श्वसन प्रणाली को अपना निशान बनाता है। इसके शुरुआती लक्षणों में तेज बुखार, लगातार खांसी, सांस लेने में परेशानी, जुकाम। लेकिन अगर ये संक्रमण अगर बिगड़ जाए तो सीने में दर्द, निमोनिया, सांस रुकने जैसा होना और फेफड़ों में भारी दबाव और खिंचाव महसूस करना।दुनियाभर के स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस वायरस को लेकर नई जानकारियां जुटाने में लगे हैं हालांकि इसके लक्षणों की सूची और लंबी होती जा रही है। द अमेरिकन जर्नल ऑफ गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी में प्रकाशित हालिया अध्ययन में चीन के हुबेई प्रांत में कोरोना वायरस के 204 मरीजों के डेटा का आंकलन किया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि इस वायरस से संक्रमित होकर अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों में 48.5 फीसदी को दस्त, उल्टी और पेट में दर्द जैसी पाचन संबंधी समस्या हुई थी। अध्ययन से ये सामने आया है कि कोरोना के सांस संबंधी लक्षणों से पहले व्यक्ति को पाचन संबंधी लक्षण दिखाई देते हैं। इस अध्ययन में ये पाया गया कि जिन लोगों को पाचन संबंधी लक्षण दिखाई दिए उन्हें गंभीर रूप से समस्याओं का शिकार होना पड़ा।दस्त और उल्टी जैसी होती है समस्याइस अध्ययन के निष्कर्षों ने उन अतिरिक्त प्रमाण पर संदेह बढ़ा दिया है, जिसमें ये कहा जा रहा है कि कोविड -19 यानी की कोरोनावायरस कुछ लोगों में जठरांत्र (gastrointestinal symptoms) संबंधी लक्षणों का कारण बन सकता है। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में अमेरिका के पहले कोरोना मरीज पर प्रकाशित एक केस रिपोर्ट से ये सामने आया है कि उस मरीज को अस्पताल में भर्ती होने के दूसरे दिन सबसे पहले पतले दस्त लगे और पेट में परेशानी होने लगी। अन्य शोध में भी पाया गया कि वायरस मल त्याग के रूप में बाहर निकलता है ठीक पुराने वाले वायरस की तरह।लोगों को होती है पाचन संबंधी समस्याअमेरिकन जर्नल ऑफ गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी के को-एडिटर इन चीन और एमडी ब्रेनन एम.आर. स्पीगल का कहना है कि कोरोना से पीडि़त मरीजों में पाचन लक्षणों की भूमिका और प्रभावों को समझने के लिए और अधिक शोध की जरूरत है। ब्रेनन शुरुआती तौर पर कोरोना का पता लगाने के प्रयास के उद्देशय से पाचन लक्षणों की जागरूकता पर एक प्रेस रिलीज भी जारी कर चुके हैं।पहले पता चलने पर कोरोना को रोकने में मिलेगी मददइस अध्ययन में, पाचन लक्षणों वाल कोविडृ- 19 रोगियों में खराब नैदानिक परिणाम और मृत्यु दर का अधिक जोखिम पाया गया जबकि जिन लोगों में पाचन संबंधी लक्षण नहीं पाए गए उनकी मृत्यु दर कम रही। इसलिए दस्त जैसे लक्षणों के महत्व पर जोर दिया जा रहा है ताकि कोविड -19 को बीमारी के शुरुआती लक्षणों के साथ श्वसन संबंधी लक्षण विकसित न हो और उनका पता पहले ही लगाया जा सके। ऐसा होने पर कोरोना का जल्दी पता लगाया जा सकता है, जिससे सही इलाज प्राप्त किया जा सकता है और दूसरों में इसे फैलने से रोका जा सकता है।पाचन तंत्र को ठीक करने के लिए करें ये उपाय-फाइबर युक्त आहार जैसे साबुत अनाज, फल, सब्जियां व फलियां का अधिक सेवन करें।-हाइड्रेट रहें। और ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं।-धूम्रपान, अधिक कैफीन और अल्कोहल से दूरी बनाए।-बेल, पपीता, अनार, संतरा, आम, अमरूद, और नाशपाती जैसे फल खाएं। इनके सेवन से पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है।-रोजाना सुबह एक्सरसाइज करें।
- हम में से ज्यादातर लोग प्याज से आने वाली एक अलग गंध के कारण उससे परहेज करते हैं। बावजूद इसके कि इसका क्रंची का टेस्ट खाने के स्वाद को और बढ़ा देता है। गर्मी का मौसम बढ़ने के साथ ही भारतीय खानपान में प्याज को अधिक महत्व दिया जाने लगता है। क्या आप जानती हैं कि इसकी वजह क्या है? असल में प्याज में वे सभी पोषक गुण मौजूद होते हैं, जो बढ़ती गर्मी में होने वाली समस्याओं का मुकाबला करने के लिए आपको तैयार करते हैं। कोविड-19 के समय में इम्युनिटी बढ़ाने के लिए भी आपको अपने आहार में प्याज को शामिल करना चाहिए।जानिए क्यों आपको अपने आहार में शामिल करनी चाहिए प्याज1. पोषक तत्वों से भरपूर है प्याजअसल में प्याज में कैलोरी बहुत कम होती है, इसके बावजूद वह विटामिन और खनिजों में उच्च हैं। एक मध्यम आकार की प्याज में सिर्फ 44 कैलोरी होती है, लेकिन विटामिन, खनिज और फाइबर की पूरी खुराक पाई जाती है। प्याज बी विटामिन में भी भरपूर हैं। इसमें विटामिन बी 9 (फोलेट) और बी 6 (पाइरिडोक्सिन) शामिल हैं। जो चयापचय, लाल रक्त कोशिका उत्पादन और तंत्रिका कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।2. इम्युनिटी बूस्ट करती है प्याजयूएस बेस्ड संस्था नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के एक अध्ययन में सामने आया है कि प्याज विटामिन सी में भी उच्च होती है। विटामिन सी प्रतिरक्षा प्रणाली, कोलेजन उत्पादन, ऊतकों की मरम्मत और आयरन के अवशोषण को विनियमित करने में मदद करता है। यह जरूरी विटामिन आपकी कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्स से मुक्त कर एंटी ऑक्सीडेंट के रूप में भी काम करता है।3. ब्लड शुगर कंट्रोल करती है प्याजनेशनल इंस्टीट्य ऑफ हेल्थ के शोध में यह पाया गया कि प्याज खाने से ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। जो मधुमेह को नियंत्रित करने में मददगार हो सकता है। टाइप 2 मधुमेह वाले 42 लोगों पर हुए एक अध्ययन में ताजी लाल प्याज के 3.5 औंस (100 ग्राम) खाने से चार घंटे के बाद रक्त शर्करा का स्तर लगभग 40 mg / dl तक कम हुआ। जानवरों पर हुए अध्ययन भी इसका समर्थन करते हैं। मधुमेह से ग्रस्त चूहों को 28 दिनों तक 5% प्याज के अर्क वाला भोजन दिया गया। जिससे उनमें रक्त शर्करा और वसा दोनों में कमी देखी गई।4. हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंदप्याज में एंटीऑक्सिडेंट और अन्य जरूरी यौगिक होते हैं, जो सूजन से लड़ते हैं, ट्राइग्लिसराइड्स और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करते हैं। यानी प्याज का सेवन हृदय रोगों के जोखिम को कम कर सकता है।उच्च रक्तचाप वाले 70 से अधिक वजन वाले लोगों का एक अध्ययन किया गया। इसमें पाया गया कि क्वेरसेटिन युक्त प्याज के 162 मिलीग्राम प्रति दिन की खुराक से सिस्टोलिक रक्तचाप प्लेसबो की तुलना में 3-6 mmHg तक कम हुआ। प्याज को कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के लिए भी दिखाया गया है।क्वेरसेटिन एक फ्लेवोनॉइड एंटीऑक्सिडेंट है, जो प्याज में अत्यधिक मात्रा में पाया जाता है। इसके एंटी इंफ्लामेटरी गुण उच्च रक्तचाप को कम करने और रक्त के थक्कों से बचाने में मदद कर सकते हैं।5. पोटेशियम का सुलभ स्रोतप्याज देश भर में बहुत आराम से उपलब्ध होती है। आपकी लोकल मार्केट से लेकर सुपर स्टोर तक पोटेशियम का इससे सुलभ स्रोत दूसरा कोई नहीं है। पब मेड में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार एक औसत वजन के वयस्क को औसतन 4,700 मिलीग्राम पोटेशियम की खुराक जरूर लेनी चाहिए।पोटेशियम आपके सामान्य सेलुलर फ़ंक्शन, द्रव संतुलन, तंत्रिका संचरण, किडनी फंक्शन और मांसपेशियों में संकुचन में मदद करता है।6. पीसीओएस में भी देती है राहतपॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि सिंड्रोम (पीसीओएस) से ग्रस्त 54 महिलाओं पर हुए एक अध्ययन में भी प्याज का स्कोर अच्छा रहा। इन महिलाओं ने आठ सप्ताह तक कच्चे लाल प्याज (40-50 ग्राम/ दिन) का सेवन किया। परिणामस्वरूप इनमें "खराब" कोलेस्ट्रॉल में कमी देखी गई।
- पीपल के पेड़ की अपनी धार्मिक मान्यताएं हैं। सदियों से यह वृक्ष पूजा जाता रहा है। औषधीय दृष्टि से भी यह वृक्ष काफी काम आता है। आइये जाने पीपल के पत्तों के फायदें....आयुर्वेद से जुड़े एक वैद्य के अनुसार प्रतिदिन दो पीपल के पत्ते का सेवन करने से ऑक्सीजन का लेवल बढ़ सकता है। इसके लिए आपको रोजाना पीपल के दो पत्ते को चबाकर सेवन करना होगा। पीपल में कार्बोहायड्रेट, प्रोटीन, फैट, फाइबर, कैल्शियम, आयरन, कॉपर और मैग्नीशियम के तत्व मौजूद होते हैं।फेफड़ों के लिए फायदेमंद है पीपलफेफड़ों के रास्ते में सूजन और कसाव उत्पन्न होना, गले में घरघराहट, सांस लेने में तकलीफ, सीने में जकडऩ के साथ खांसी आने पर पीपल के पत्ते का सेवन किया जा सकता है। .पीपल के पत्ते के अर्क में ऐसे विशेष गुण पाए जाते हैं, जो ब्रोंकोस्पास्म पर प्रभावी असर दिखाते हैं। सांस के रोगियों को हर रोज पीपल के दो हरे पत्तों का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके इस्तेमाल से आराम मिलता है। साथ ही पीपल के पत्ते ऑक्सीजन लेवल को बढ़ाने में भी कारगर होते हैं।इम्यूनिटी को करता है बूस्टपीपल का पत्ता रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इसके लिए पीपल के पत्ते के साथ गिलोय के तने का मिश्रण तैयार कर लें। इस मिश्रण का सेवन दिन में चार बार करें। ऐसा निरंतर करते रहने से इम्यूनिटी बूस्ट होती है।लीवर को बनाता है मजबूतज्यादा शराब का सेवन करने से लीवर पर खराब असर पड़ता है। ऐसे में लीवर को स्वस्थ रखने के लिए पीपल के पत्ते का सेवन किया जा सकता है। पीपल में लीवर को डैमेज होने से बचाने वाली एक क्रिया पाई जाती है। इसके अर्क का उपयोग करने से लीवर को खराब होने से बचाया जा सकता है.। इस लिए लीवर के रोगियों को प्रतिदिन सुबह में पीपल के दो पत्तों का सेवन करना चाहिए।कफ की समस्या को करे दूरकफ की समस्या से निजात पाने के लिए पीपल का पत्ता बढिय़ा विकल्प हो सकता है। पीपल की पत्ती में थेरेपेटिक तत्व पाए जाते हैं। जिसका उपयोग करने से कफ में आराम मिल सकता है। एक अन्य पीपल के पत्ते को जूस के रूप में इस्तेमाल करने से कफ की समस्या से छुटकारा मिल सकता है। साथ ही पीपल के पत्ते को सुखाकर घी के साथ भी उपयोग किया जा सकता है।(नोट-इस आलेख में हम केवल जानकारी दे रहे हैं। कोई भी उपाय अपनाने से पहले एक बार किसी योग्य चिकित्सक से सलाह अवश्य ले लें।)
- लहसुन रखेगा कई बीमारियों से दूरहमारी किचन में ऐसी बहुत सी चीजें होती हैं जो हमारी हेल्थ के लिए काफी फायदमेंद होती हैं. पर हममें से ज्यादातर को इन सबके बारे में पता नहीं होता है. अगर पता भी होता है तो वो आधा-अधूरा ही होता है जोकि कम फायदेमंद होता है. आज हम आपको ऐसी ही साधारण सी घरेलू चीज के बारे में बताएंगे जो सभी के घर में मौजूद होती है.हम बात कर रहे हैं सब्जियों में इस्तेमाल होने वाले लहसुन की. आप इसको कई तरह से खा सकते हैं.लहसुन में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो कई बीमारियों से दूर रखते हैं. इसका सेवन काफी फायदेमंद होता है. लहसुन को खाने के भी कई तरीके हैं, इसको भूनकर खाया जा सकता है, हल्का सा फ्राय करके खाया जा सकता, सर्दी खांसी होने पर इसे कच्चा ही चबाया जाता है. क्या आप जानते हैं गर्म पानी में इसका यूज करते हैं तो ये काफी फायदेमंद है.दिल की बीमारियों से बचाता है लहसुनआपको दिल की बीमारियों से बचाने में मदद करता है लहसुन. गर्म पानी के साथ लहसुन खाने से आपका ब्लड सर्कुलेशन मेंटेन रहता है और आप इन परेशानियों से दूर रहते हैं.कब्ज की परेशानी से निजातअगर आप कब्ज से परेशान हैं तो लहसुन आपको इससे छुटकारा दिला सकता है. इसके लिए आप कच्चे लहसुन को गर्म पानी के साथ खाएं. ऐसा करने से आपको कब्ज की दिक्कत से काफी आराम मिलेगा. आपको इसका कुछ समय तक सेवन करना होगा.दिमाग को करता है तेजअगर आपको अपने दिमाग को तेजी से काम कराना है तो जल्दी से लहसुन का सेवन गर्म पानी में करके कीजिए. गर्म पानी में लहसुन खाने से दिमाग के काम करने की क्षमता बढ़ जाती है. ये आपकी मेमोरी को बूस्ट करता है. नियमित आप करीब दो हफ्तों तक गर्म पानी में लहसुन का इस्तेमाल करेंगे तो इसके फायदे आपको खुद ही नजर आने लगेंगे.
- इंसान की सुंदरता में बालों का बहुत बड़ा योगदान होता है. लेकिन आजकल तनाव और खानपान के चलते लोगों में बाल झड़ने की समस्या आम हो गई है. कम बाल झड़ें तो एक अलग बात है लेकिन कुछ लोगों में गंजेपन की समस्या हो जाती है और इस गंजेपन की समस्या में बाल दोबारा आते भी नहीं हैं. लेकिन आज हम आपको यहां आयर्वेद का एक घरेलु नुस्खा बता रहे हैं, जिसे मिनटों में तैयार किया जा सकता है और इसके फायदे आपको हैरान कर देंगे.नींबू के बीज हैं बेहद फायदेमंदनींबू के 10-15 बीज लेकर उन्हें कूट लें और चटनी बना लें. उसमें एक नींबू का रस निचोड़ दें. फिर उसमें दो तीन चम्मच बेसन मिला दीजिए. तीनों चीजों को हल्का सा पानी मिलाकर उसका लेप बना लें और फिर उसे फेंट लें. इस लेप को गंजेपन के शिकार व्यक्ति के सिर पर सुबह के वक्त लेप करें और थोड़ी देर ऐसे ही छोड़ दें. जब ये लेप करीब एक घंटे में सूख जाए तो इसे धो लें.नहाने के बाद सिर में नारियल का तेल, नींबू का ताजा रस बराबर मात्रा में लेकर उसे सिर में लगाना है. इससे सिर में थोड़ी मालिश कर लें. जहां बाल झड़ गए हैं, वहां इस तेल को लगाएं. इससे हमारे सिर के छिद्र खुल जाएंगे, जिससे फिर से बाल आने की उम्मीद बढ़ जाती है.साथ ही भृंगराज का पाउडर का सेवन भी करें, इससे बालों की ग्रोथ बढ़ेगी. दो महीने तक इस काम को रोजाना करें, अच्छे रिजल्ट मिलने पर इसे चालू रखें.
- गुड़ के साथ भीगी मूंगफली का सेवन शरीर को कई गंभीर बीमारियों से बचाने में मदद कर सकता है. मूंगफली और गुड़ दोनों में ही अधिक मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जो आसानी से पेट संबंधी बीमारियों से छुटकारा दिला देता है. इसके अलावा इनमें भरपूर मात्रा में ऐसे गुण होते हैं, जो आसानी से मेटाबॉलिज्म को तेज करते हैं. जिससे एनर्जी मिलने के साथ पेट कम करने में मदद मिलती है.मूंगफली में क्या-क्या पाया जाता हैमूंगफली में प्रोटीन, वसा, विटामिन, फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट और कैल्शियम जैसे जरूरी खनिज अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं, जो शरीर के लिए बेहद जरूरी माने जाते हैं.मूंगफली खाने के फायदे1. ब्लड शुगर काबू करने में मददगारमूंगफली में अनसैच्युरेटेड फैट होता है जो इंसुलिन सेंसिटिविटी को बेहतर करने में मददगार है. इसका नियमित सेवन करने से ब्लड शुगर के स्तर को काबू करना आसान है.2. कब्ज की समस्या से राहतयदि आपको कब्ज की समस्या रहती है तो हर रोज एक हफ्ते तक 100 ग्राम मूंगफली खाइए. ऐसा करने से मूंगफली में तत्व आपकी पेट से जुड़ी तमाम समस्याओं में राहत देंगे और कब्ज की समस्या दूर हो जाती है.3. शरीर को मिलती है ताकतजिस तरह बादाम और अंडे का सेवन शरीर को ताकत देता है, उसी प्रकार मूंगफली खाने से आपके शरीर को ताकत मिलती है.4. खून की कमी दूर होती हैभीगी हुई मूंगफली को गर्मियों में भी खाया जा सकता है. इसे भिगोकर खाने से शरीर में आयरन की कमी दूर होती हैय इससे शरीर में खून की कमी दूर होती है व ब्लड सर्कुलेशन ठीक रहता है.5. त्वचा को चमकदार बनाने में हेल्पफुलमूंगफली त्वचा को चमकदार बनाने में हेल्पफुल होती है. इसमें ओमेगा 6 फैट पाया जाता है, जो त्वचा के लिए फायदेमंद होता है.किस समया खाना चाहिए भीगी मूंगफलीहेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं कि आप रात को सोते समय करीब 6 से 8 घंटों तक मूंगफली को पानी में भिगोकर रखें, इससे उसमें मौजूद पित्त निकल जाता है और तासीर भी सामान्य हो जाती है. फिर सुबह आप उसे नाश्ते से पहले या उसके साथ खा सकते हैं. आपको याद रखना है कि रात को मूंगफली खाने से बचें, क्योंकि मूंगफली को पचने में अधिक वक्त लगता है.इन लोगों को होता है फायदारोजाना मूंगफली खाने से पुरूषों और महिलाओं में सेक्स हार्मोन्स संतुलित रहते हैं. इससे आपकी सेक्स लाइफ दुरूस्त रहती है.
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गर्मी का मौसम आते ही आम का सीजन शुरू हो जाता है और ज्यादातर लोगों को आम बहुत पसंद होता है। वैसे भी कच्चे आम का स्वाद किसी को भी दीवाना बना सकता है। कच्चे आम से बना आम पन्ना गर्मी के मौसम में शरीर को राहत देने का काम करता है। लेकिन एक कारण ये भी है कि हमारी माताएं हमेशा यह सुनिश्चित करती हैं कि गर्मियों के दौरान अचार या पेय के रूप में हम पर्याप्त मात्रा में कच्ची कैरी का सेवन करें क्योंकि ये बहुत हेल्दी होती है। इसे रोजाना अपने खाने में किसी न किसी रूप में इस्तेमाल करें। आइए जानते हैं कच्चे आम के फायदे....
1. कच्चा आम अपच, दस्त जैसी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं से पीडि़त लोगों के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। यह पेट से जुड़ी समस्याओं में राहत दिलाने का काम करती है।2. आम का रस पीने से तेज गर्मी के प्रभाव को कम किया जा सकता है और डिहाइड्रेशन को रोका जा सकता है।3. कच्चा आम शरीर को ऊर्जा भी देता है, जो आपको उबासी से छुटकारा पाने में मदद कर सकता है। इसलिए भोजन के बाद जिन लोगों को नींद आती है उन्हें अक्सर कच्चे आम का सेवन करना चाहिए। इससे उन्हें नींद नहीं आती।4. अमचूर या कच्चे आम का पाउडर विटामिन सी से भरपूर होता है, जो मसूड़ों से खून बहने, कमजोरी और थकान को दूर करने के लिए फायदेमंद माना जाता है। यह शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के विकास को भी बढ़ाता है। इसमें नियासिन नाम का तत्व होता है, जो इसे दिल के लिए एक हेल्दी फल बनाता है। यह रक्त कोलेस्ट्रॉल के स्तर को सुधारने में भी मदद करता है।5. कच्चा आम में विटामिन सी होता है, जो कोलेजन बनाने के लिए आवश्यक विटामिन है। कोलेजन एक प्रोटीन है, जो त्वचा और बालों के स्वास्थ्य में सुधार करता है।6. कच्चा आम विटामिन ए से भी समृद्ध होता है, जो स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली यानी की इम्यून सिस्टम के लिए बेहद आवश्यक है। यह मजबूत प्रतिरक्षा संक्रमण को दूर करने में मदद करता है। - ताजा शोध बताते हैं कि नियमित रूप से अखरोट और बादाम खाने से दिल का दौरा पडऩे का खतरा कम होता है और वजन काबू में रखने में भी मदद मिलती है।मेवे सेहत के लिए अच्छे होते हैं लेकिन इन्हें जरूरत से ज्यादा भी नहीं खाना चाहिए, तो क्या है काजू, बादाम या अखरोट को खाने का सही तरीका? और इन्हें खाने से शरीर में किस तरह के बदलाव होते हैं? येना यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मिषाइल ग्लाई बताते हैं, "इससे ब्लड शुगर और लिपिड मेटाबोलिज्म के पैरामीटर पर असर होता है जिससे टाइप टू डायबिटिज के अलावा दिल की बीमारियों और हाई ब्लड प्रेशर का जोखिम कम होता हैै।" प्रोफेसर ग्लाई के अनुसार बादाम हमारा जीवन लंबा करता है, लेकिन यह होता कैसे है, इस पर दुनिया भर के वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं। म्यूनिख मेडिकल कॉलेज में अखरोट पर एक स्टडी की गई है। स्टडी में भाग लेने वाले एक व्यक्ति हैं डीटर गैर्शवित्स। आठ हफ्तों तक उन्होंने हर दिन एक मु_ी यानि 43 ग्राम अखरोट खाया। उसके बाद तुलनात्मक अध्ययन के लिए आठ हफ्ते तक कोई अखरोट नहीं। हर दिन बराबर कैलरी का सेवन। अखरोट खाने से पहले और उसके बाद दोनों ही उन्होंने अपनी मेडिकल जांच करवाई। जांच के नतीजे ने उन्हें हैरान कर दिया। वह कहते हैं, "मैं कभी सोच भी नहीं सकता था कि नियमित रूप से अखरोट खाने पर ऐसा नतीजा हो सकता है। " अखरोट का सबसे महत्वपूर्ण असर खून में मौजूद वसा पर था। खराब कोलेस्ट्रॉल समझे जाने वाले एलडीएल में अखरोट की वजह से 7 प्रतिशत की कमी आई।म्यूनिख मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर पारहोफर लका कहना है, "शायद यही संभव कारण है कि नियमित रूप से अखरोट खाने वाले मरीजों को दिल का दौरा कम पड़ता है, क्योंकि हमें पता है कि एलडीएल कोलेस्ट्रॉल दिल की बीमारियों के मामले में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैै। " क्लाउस गैर्शवित्स उसके बाद से अखरोट और बादाम के फैन हो गए हैंै। सिर्फ कोलेस्ट्रॉल की वजह से नहीं, बल्कि इसलिए भी कि इससे उनका वजन भी कम हुआ हैै।यह बहुत ही आश्चर्यजनक बात है क्योंकि आम तौर पर बादाम और अखरोट को कैलरी बम कहा जाता हैै। अखरोट में 65 फीसदी फैट और 15 प्रतिशत प्रोटीन होता हैै। प्रोफेसर ग्लाई कहते हैं, "इस बात के लगातार सबूत मिल रहे हैं कि नियमित रूप से अखरोट खाने पर हमारे शरीर के वजन पर सकारात्मक असर पड़ता है और यह वजन कम करने में मदद करता है, " लेकिन इसकी एक महत्वपूर्ण शर्त यह है कि बादाम सामान्य खाने के अलावा नहीं, बल्कि खाने के किसी हिस्से को छोड़कर लिया जाए। वजन पर हुआ सकारात्मक असर इस वजह से भी हो सकता है कि बादाम खाते समय हम उसे थोड़ा तोड़ते भर हैं, उसे चबाकर अत्यंत महीन नहीं करते। शायद अखरोट के टुकड़े पेट में पूरी तरह पचते नहीं हैं। (साभार रिपोर्ट: यूएरगेन मागिस्टर/आईबी)
- हिमालय की तलहटी से प्राप्त होने वाला हिमालयन नमक यानी सेंधा नमक समुद्री नमक से ज्यादा गुणकारी होता है। गुलाबी दिखने वाला हिमालयन नमक शरीर के कई रोगों को खत्म करता है। इसके फायदों को देखते हुए कई डायटीशियन इसे दवा के रूप में मरीजों को खाने की सलाह देते हैं। हमालयन नमक में 84 जरूरी तत्व होते हैं। समुद्री नमक में सिर्फ सोडियम क्लोराइड होता है जबकि हिमालयन साल्ट में पोटैशियम, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम आदि होता है। यही वजह है कि हिमालयन नमक सफेद नमक से ज्यादा गुणकारी है। हिमालयन साल्ट खाने से बीपी, मोटापा, अनिद्रा, हड्डियों की समस्या आदि खत्म होती है। तो आज जानते हैं इस गुलाबी नमक के फायदे।हड्डियों को मजबूतीहिमालयन साल्ट को सेंधा नमक भी कहा जाता है। समुद्री नमक के मुकाबले इस नमक में कैल्शियम और मैग्नीशियम प्रचूर मात्रा में पाया जाता है। इसलिए यह हड्डियों के लिए अच्छा होता है। इस नमक को आप खाने में या नमक के पानी में पैरों को भिगोकर रख सकते हैं। खाने में इस नमक का सेवन करने से हड्डियों को मजबूती मिलती है।त्वचा के लिए फायदेमंदहिमालयन साल्ट में कैल्शियम, मैग्नीशिय, पोटैशियम जैसे पोषक तत्त्व होते हैं जो त्वचा के लिए फायदेमंद होते हैं। गर्मी के मौसम में जब शरीर की नमी सूखने लगती है तब इस नमक के पानी में पैरों या हाथों को भिगोने से त्वचा में नमी वापस आती है।मांसपेशियों की ऐंठन करे दूरमांसपेशियों में जब ऐंठन होती है तो वह पूरे शरीर को परेशान कर देती है। हिमालयन साल्ट में कैल्शियम और जिंक की मात्रा अच्छी होती है। जो शरीर के लिए जरूरी है। इससे मांसपेशियों की ऐंठन दूर होती है।ब्लड प्रेशर में फायदेमंदजिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर (बीपी) की समस्या होती है, उन्हें डॉक्टर ज्यादा नमक खाने से मना कर देते हैं, लेकिन हिमालयन साल्ट बीपी में भी मदद करता है। इसमें आयरन की मात्रा होती है जो बीपी के लिए जरूरी है। समुद्री नमक बीपी के मरीजों को मना किया जाता है पर हिमालयन साल्ट खाने की सलाह दी जाती है।सूजन को करे कमशरीर में सूजन आने पर हिमालयन साल्ट का प्रयोग किया जा सकता है। इसके सेवन से कमर दर्द, टखने, वेरिकोज वेन्स और पैरों की सूजन में फायदा मिलता है। इस नमक में इलैक्ट्रोलाइट्स की मात्रा संतुलित होती है, जिस वजह से सूजन में फायदा करता है।मुंह का स्वास्थ्यमुंह से जुड़ी परेशानियों को खत्म करने में भी हिमालयन साल्ट लाभकारी है। इसका कुल्ला करने से मुंह की दुर्गंध खत्म हो जाती है तो वहीं, बलगम की समस्या भी खत्म होती है।तनाव को करे कमअनिद्रा की समस्या है तो सोने से पहले हिमालयन साल्ट के पानी में पैर भिगोकर रखें। कुछ देर बाद निकाल लें। देखा गया है कि इसके बाद मानसिक तनाव में कमी आएगी और नींद अच्छी आती है।नुकसानज्यादा सेंधा नमक खाने से हाइपरटेंशन, हार्ट की प्रॉब्लम, किडनी, स्ट्रोक की दिक्कत हो सकती है। इसलिए किसी विशेषज्ञ की सलाह से ही इसका प्रयोग करें।
- भारत के अधिकांश घरों में तुलसी के पौधे की पूजा की जाती है। हमारे ऋषियों को लाखों वर्ष पूर्व तुलसी के औषधीय गुणों का ज्ञान था इसलिए इसको दैनिक जीवन में प्रयोग हेतु इतनी प्रमुखत से स्थान दिया गया है। आयुर्वेद में भी तुलसी के फायदों का विस्तृत उल्लेख मिलता है। इस लेख में हम आपको तुलसी के फायदे, औषधीय गुणों और उपयोग के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।तुलसी में विटामिन और खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। सभी रोगों को दूर करने और शारीरिक शक्ति बढ़ाने वाले गुणों से भरपूर इस औषधीय पौधे को प्रत्यक्ष देवी कहा गया है क्योंकि इससे ज्यादा उपयोगी औषधि मनुष्य जाति के लिए दूसरी कोई नहीं है।- दिमाग के लिए भी तुलसी के फायदे लाजवाब तरीके से काम करते हैं। इसके रोजाना सेवन से मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ती है और याददाश्त तेज होती है। इसके लिए रोजाना तुलसी की 4-5 पत्तियों को पानी के साथ निगलकर खाएं।- अगर आप भी अक्सर सिर दर्द की समस्या से परेशान रहते हैं तो तुलसी के तेल की एक दो बूंदें नाक में डालें। इस तेल को नाक में डालने से पुराने सिर दर्द और सिर से जुड़े अन्य रोगों में आराम मिलता है। सबसे ज़रूरी बात यह है कि तुलसी के उपयोग करने का तरीका सही होना चाहिए।- कई लोगों को रात के समय ठीक से दिखाई नहीं पड़ता है, इस समस्या को रतौंधी कहा जाता है। इसके उपचार के लिए दो से तीन बूँद तुलसी-पत्र-स्वरस को दिन में 2-3 बार आंखों में डालें।- साइनसाइटिस के मरीज हैं तुलसी की पत्तियां या मंजरी को मसलकर संूघें। इन पत्तियों को मसलकर सूंघने से साइनसाइटिस रोग से जल्दी आराम मिलता है।-तुलसी की पत्तियां कान के दर्द और सूजन से आराम दिलाने में भी असरदार है। अगर कान में दर्द है तो तुलसी-पत्र-स्वरस को गर्म करके 2-2 बूंद कान में डालें। इससे कान दर्द से जल्दी आराम मिलता है। इसी तरह अगर कान के पीछे वाले हिस्से में सूजन (कर्णमूलशोथ) है तो इससे आराम पाने के लिए तुलसी के पत्ते तथा एरंड की कोंपलों को पीसकर उसमें थोड़ा नमक मिलाकर गुनगुना करके लेप लगाएं। कान दर्द से राहत दिलाने में भी तुलसी के पत्ते खाने से फायदा मिलता है।-तुलसी की पत्तियां दांत दर्द से आराम दिलाने में भी कारगर हैं। दांत दर्द से आराम पाने के लिए काली मिर्च और तुलसी के पत्तों की गोली बनाकर दांत के नीचे रखने से दांत के दर्द से आराम मिलता है।- तुलसी की पत्तियां गले से जुड़े विकारों को दूर करने में बहुत ही लाभप्रद हैं। गले की समस्याओं से आराम पाने के लिए तुलसी के रस को हल्के गुनगुने पानी में मिलाकर उससे कुल्ला करें। इसके अलावा तुलसी रस-युक्त जल में हल्दी और सेंधा नमक मिलाकर कुल्ला करने से भी मुख, दांत तथा गले के सब विकार दूर होते हैं।-तुलसी की पत्तियों से बने शर्बत को आधी से डेढ़ चम्मच की मात्रा में बच्चों को तथा 2 से चार चम्मच तक बड़ों को सेवन कराने से, खांसी, श्वास, कुक्कुर खांसी और गले की खराश में लाभ होता है। इ- गलत खानपान या प्रदूषित पानी की वजह से अक्सर लोग डायरिया की चपेट में आ जाते हैं। खासतौर पर बच्चों को यह समस्या बहुत होती है। तुलसी की पत्तियां डायरिया, पेट में मरोड़ आदि समस्याओं से आराम दिलाने में कारगर हैं। इसके लिए तुलसी की 10 पत्तियां और 1 ग्राम जीरा दोनों को पीसकर शहद में मिलाकर उसका सेवन करें।- 1-2 ग्राम तुलसी के पत्तों को पीसकर छाछ के साथ मिलाकर पीने से पीलिया में लाभ होता है। इसके अलावा तुलसी के पत्तियों का काढ़ा बनाकर पीने से भी पीलिया में आराम मिलता है।-पथरी की समस्या होने पर तुलसी की 1-2 ग्राम पत्तियों को पीसकर शहद के साथ खाएं। यह पथरी को बाहर निकालने में मददगार होती है। हालांकि पथरी होने पर सिर्फ घरेलू उपायों पर निर्भर ना रहें बल्कि नजदीकी डॉक्टर से अपनी जांच करवायें।- तुलसी के नियमित सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जिससे सर्दी-जुकाम और अन्य संक्रामक बीमारियों से बचाव होता है।
- सभी जानते हैं कि आंवले के मुरब्बे के सेवन से सेहत को कई लाभ होते हैं। लेकिन इसके कारण कुछ नुकसान भी उठाने पड़ सकते हैं। जानते हैं इसके फायदे और नुकसान। चाशनी से लतपथ मुरब्बा बहुत ज्यादा पौष्टिक है। आंतों का स्वास्थ्य, दिमाग की परेशानी को दूर करने में आंवले का मुरब्बा एक अच्छा विकल्प है। बता दें कि आंवले के मुरब्बे की अंदर विटामिन बी, विटामिन सी आदि पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं जो न केवल दिमाग की परेशानी या आंतों की समस्या को दूर करते हैं बल्कि सेहत को तंदुरुस्त बनाते हैं।-पाचन तंत्र को रखे तंदुरुस्तपाचन क्रिया को मजबूत बनाने में आंवला मुरब्बा बेहद उपयोगी है। अगर आपको कब्ज की समस्या है तो इलाज के तौर पर आप आंवले के मुरब्बे का सेवन कर सकते हैं। ऐसे में आंवले के मुरब्बे के बाद दूध का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा यदि आपको अपच की समस्या है या पाचन तंत्र और गैस्ट्रिक समस्या है तो आप आंवले के मुरब्बे का उपयोग कर सकते हैं। आंवले के मुरब्बे के अंदर भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है जो समस्याओं को शांत करता है बल्कि एसिड रिफ्लक्स हो रहा हो तो इस समस्या से भी छुटकारा दिलाता है। ऐसे में आंवले का सेवन चीनी और शहद के साथ भी कर सकते हैं।- दिल की समस्याओं से रखें दूरबता दें कि आंवले के अंदर कॉपर और जिंक के साथ क्रोमियम में पाया जाता है। ऐसे में यह कोलेस्ट्रोल के स्तर को नियंत्रित करके दिल के रोगों को दूर करता है। खराब कोलेस्ट्रोल को बाहर निकालने के साथ-साथ यह दिल का दौरा, स्ट्रोक आदि समस्याओं से भी छुटकारा दिलाता है। अगर आप की रक्त वाहिकाओं में सूजन आ गई है तो इसे भी खत्म करने में आंवले का मुरब्बा बेहद उपयोगी है।- हिमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाएंहीमोग्लोबिन की स्तर को बढ़ाने में आंवले का मुरब्बा एक अच्छा विकल्प है। बता दें कि आंवले के मुरब्बे के अंदर भरपूर मात्रा में आयरन पाया जाता है। ऐसे में अगर आपको पीरियड्स के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग की समस्या है तो आंवले का मुरब्बा समस्या को दूर कर सकता है। मासिक धर्म के दौरान होने वाली ऐंठन को दूर करने के साथ आंवले का मुरब्बा महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द को भी दूर करता है।- त्वचा के लिए हैं अच्छाआंवले के मुरब्बे के अंदर विटामिन सी और विटामिन ई पाया जाता है जो न केवल रंग सुधारना है बल्कि चेहरे पर चमक भी लाता है। आंवले के मुरब्बे के अंदर एंटी एजिंग गुण मौजूद होते हैं जो न केवल झुर्रियों को दूर रखते हैं बल्कि त्वचा में भी ठंडक पहुंचाते है। इसके अलावा आंवले के मुरब्बे के अंदर विटामिन ए उम्र के बढऩे की गति को रोकते हैं।- अल्सर को रखें दूरआंवले के अंदर फाइबर पाया जाता है जो न केवल पेट में जलन, एसिडिटी की समस्या को दूर करता है बल्कि पेट में एसिड और अल्सर की समस्या से भी छुटकारा दिलाता है। अहर आप पेप्टिक अल्सर से परेशान रहते हैं तो आंवले के मुरब्बा से इस समस्या को दूर कर सकते हैं। ऐसे में अब आपको पेट की समस्या से छुटकारा मिल सकता है। जिगर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में आंवले का मुरब्बा बेहद उपयोगी है।-आंवले के मुरब्बे के अंदर एंटीऑक्सीडेंट तत्व पाए जाते हैं जो शरीर की रक्षा करते हैं।- अनिद्रा से छुटकारा दिलाने और तनाव को दूर करने में आंवले का मुरब्बा महत्वपूर्ण है।- आंवले का मुरब्बा वजन घटाने में सहायक है।- बवासीर के इलाज के इलाज के लिए आंवले के मुरब्बे का सेवन कर सकते हैं।आंवले के मुरब्बे के नुकसानहम सब जानते हैं कि किसी चीज के फायदे के साथ-साथ नुकसान भी होते हैं। ऐसे में जानते हैं आंवले के नुकसान के बारे में...- अगर आप के पेशाब में जलन रहती है इसके पीछे आंवले का मुरब्बा एक कारण हो सकता है।- हाई ब्लड प्रेशर और पेट में दर्द आंवले के मुरब्बे के कारण हो सकता है। आंवले के मुरब्बे से मल पीला आता है।- आंवले के मुरब्बा मधुमेह रोगियों के लिए हानिकारक हो सकता है। यह रक्त में शर्करा के स्तर को बढ़ाता है।
- शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द का अर्थ मतलब, तंत्रिका तंत्र द्वारा दिमाग को भेजा जाने वाला संकेत। इस संकेत के जरिए शरीर को यह महसूस कराया जाता है कि कुछ ठीक नहीं है। आज हम जानते हैं टांगों में दर्द का कारण, लक्षण और घरेलू उपचार....टांग में दर्द के प्रकार- वस्कुलर पेन-मस्कुलोस्केलेटन पेन-टेंडनाइटिस-न्यूरोलॉजिकल पेन-पैर में ऐंठन वाला दर्द-शिन स्प्लिन्ट्सटांगों में दर्द के कारणडिहाइड्रेशन की समस्या होना ,ब्लड में पोटैशियम, कैल्शियम और मैग्नीशियम की कमी होना, कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाई का प्रभाव, मूत्रवर्धक दवाई का सेवन, काफी ज्यादा एक्सरसाइज करना, एक जगह पर अधिक समय तक बैठे रहना, पैरों की हड्डियों में हेयर लाइन क्रैक होना, शिन स्पलिंट, हड्डियों में संक्रमण फैलना, गठिया की वजह से जोड़ों में दर्द और सूजन, अर्थराइटिस की वजह से जोड़ों में सूजन के कारण, डायबिटीज रोगी, नसों का क्षतिग्रस्त होना,नसों में सूजन होना।पैरों में होने वाले दर्द को दूर करने के घरेलू उपायआमतौर पर पैरों में दर्द होने पर गर्म पानी से सिंकाई या फिर गर्म तेल से मालिश करते हैं। लेकिन अगर आपको इन उपायों से राहत न मिले, तो अन्य तरीके भी अपना सकती हैं। आइए जानते हैं इस बारे में-1. हॉट पीपर रबजैतून का तेल - 50 एमएललाल मिर्च पाउडर- 1 चम्मचसबसे पहले एक बर्तन लें। इसमें जैतून का तेल और लाल मिर्च पाउडर मिक्स करें। इस मिश्रण को रातभर के लिए छोड़ दें। अगले दिन आप इस मिश्रण से अपने पैरों की मसाज करें। इसे जितने देर तक हो सके, लगा हुआ छोड़ दें। इसके बाद आप पानी से पैरों की सफाई कर लें। इससे टांगों में दर्द से काफी राहत मिल सकता है।2. आइसबर्फ का छोटा सा टुकड़ाप्लास्टिक बैग या फिर तौलियापैरों के दर्द से राहत पाने के लिए आप बर्फ के टुकड़ों का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले एक बैग या फिर तौलिएं में बर्फ का टुकड़ा डालें। अब इस अच्छे से बांध लें और प्रभआवित हिस्से पर गोलाकार घुमाते हुए पैरों की मसाज करेँ। दर्द से राहत पाने के लिए दिन में तीन से 4 बार आप इसे दोहरा सकते हैं।3. एप्सम सॉल्ट और बेकिंग सोडागुनगुना पानी - 1 बाल्टीएप्सम सॉल्ट - 1 चम्मचबेकिंग सोडा- 1 चम्मचगुनगुन गर्म पानी से भरे बाल्टी में एक चम्मच बेकिंग सोडा और 1 चम्मच एप्सम सॉल्ट डालें। इस बाल्टी में करीब 10 से 15 मिनट तक अपने पैर डालकर रखें। इसके बाद अपने पैर को अच्छे से धो लें। आप अपने इच्छानुसार दिन में कई बार इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे पैर दर्द से काफी राहत मिल सकेगा।4. पैरों की सिंकाईसबसे पहले 1 बर्तन में गर्म पानी लें। इस गर्म पानी से तौलिए को भिगोएं। इसके बाद तौलिए को अच्छे से निचोड़ लें। अब इस तौलिए को प्रभावित हिस्से पर लपेटें। जब तौलिए का तापमान सामान्य हो जाए, तो इसे दोबारा गर्म करें। इस प्रक्रिया को कम से कम 3 से 5 बार दोहराएं। ऐसा करने से दर्द से राहत मिल सकेगा।5. पैरों पर ब्रश करनाचौड़ा मुलायम ब्रिसम वाला ब्रश लें। इस ब्रश से अपने पैरों के निचले हिस्से से ब्रश करना शुरू करें। इसके बाद धीरे-धीरे पैरों के ऊपरी हिस्से पर लगाएं। इसी तरह 10 से 15 बार करें। ऐसा करने से पैरों का ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है, जिससे दर्द से काफी हद तक राहत मिलेगा।एक्यूप्रेशर से पैरों के दर्द से पाएं राहतएक्यूप्रेशर विधि से आप कई बीमारियों से राहत पा सकते हैं। प्राचीन काल से ही इस विधि का इस्तेमाल किया जा रहा है। शरीर में होने वाले दर्द और थकान को दूर करने में एक्यूप्रेशर काफी मददगार साबित होता है। पैरों में दर्द होने पर आप कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को दबाकर पैरों में दर्द और थकान से राहत पा सकते हैं।टांगों में दर्द से बचावटांगों में दर्द से राहत पाने के लिए विटामिन डी युक्त आहार का सेवन करें। साथ ही कुछ समय के लिए सूर्य की किरणों में अवश्य रहें ताकि आपकी हड्डियों और मांसपेशियों को विटामिन डी मिल सके। पैरों की सुविधानुसार ही स्लीपर या फिर जूतों का इस्तेमाल करें। एक ही मुद्रा में अधिक समय तक न बैठें और न ही खड़े हों। नियमित रूप से एक्सरसाइज करें। 20 से 30 मिनट रोजाना टहलें।
- पवनमुक्तासन एक ऐसा आसन है जो कि वैसे तो पेट के उपचार के लिए जाना जाता है। गैस एवं कब्ज की समस्या में जहां इस आसन के अभ्यास से राहत मिलती है, वही इस आसन में होने वाली श्वसन विधि जुकाम को ठीक करने में भी बेहद लाभकारी है। इस आसन के अभ्यास से वजन कम करना भी आसान है इसलिए इस आसन का नियमित अभ्यास करना चाहिए।इस तरह करें आसन-सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएँ और पैरों को एकसाथ सीधा कर लें। अब अपने दाएँ घुटने को अपनी छाती के पास ले कर आएँ। जांघ को पेट तक लाकर अच्छे से दबाएं। अब अपनी दाढ़ी को दाएँ घुटने से लगाएँ। जब गहरी सांस लें तो घुटने को हाथों से अच्छे से पकड़ लें। घुटने को हाथ से अच्छे से पकड़ने पर छाती पर हल्का सा दबाव महसूस होगा, जो कि सामान्य है। अब सांस छोड़ते हुए घुटने को ढीला कर दें। अब पूरी प्रक्रिया को इस तरह से बाएँ पैर के साथ करें। दोनों पैरों से एक-एक बार करने के बाद दोनों पैरों के साथ करें।पवनमुक्तासन के लाभ-पवनमुक्तासन पेट की मासपेशियों को मजबूत बनाता है।- इसके अभ्यास से हाथ एवं पैर भी मजबूत होते हैं।- जुकाम की समस्या में इस आसन के अभ्यास से आराम होता है। आसन करते वक्त श्वास का विशेष ध्यान रखें।-गैस की समस्या में भी राहत मिलती है और पाचनतंत्र बेहतर होता है।- रक्त परिसंचरण बेहतर होता है।सावधानी-मासिक धर्म एवं उच्च रक्तचाप के दौरान इस आसन का अभ्यास बिल्कुल न करें। गर्दन या कमर में कोई चोट है तो भी इस आसन से परहेज करें। दिल की बीमारी वाले मरीज बिना किसी प्रशिक्षक के इस आसन का अभ्यास न करें।
- नवरात्रि के व्रत शुरू हो गए हैं। ऐसे में नौ दिन का व्रत करने वालों के लिए रोज फलाहार में क्या खाएं जैसा सवाल परेशान करता है। क्योंकि एक ही चीज खाने से हर कोई बोर हो जाता है। अगर व्रत में कुछ चटपटा खाने का दिल कर रहा है तो तैयार करें मखाने की भेल। ये रेसिपी खाने में स्वादिष्ट होने के साथ ही बनाने में भी काफी आसान है। जानें इसे बनाने की रेसिपी।मखाना भेल बनाने की सामग्रीतीन कप मखाना, दो चम्मच देशी घी, एक चम्मच नींबू का रस, लाल मिर्च पाउडर, तीन बड़े चम्मच मूंगफली , एक टमाटर बारीक कटा हुआ, दो चम्मच हरी चटनी, एक चम्मच इमली की चटनी, एक खीरा बारीक कटा हुआ, आधा सेब कटा हुआ, सेंधा नमक स्वादानुसार।बनाने की विधिएक पैन में घी गर्म कर उसमें मखाने को फ्राई कर लें। जब मखाने क्रिस्पी हो जाए तो इसे आंच से उतार लें। मखाने को फ्राई करते समय साथ में सेंधा नमक भी मिला लें। अब इस फ्राईड मखाने में रोस्टेड मूंगफली, कटे हुए टमाटर, हरी मिर्च डालें। अच्छे से मिक्स कर लें।अब इस मिश्रण में हरी चटनी, लाल चटनी, कटे हुए खीरे, सेब डालकर अच्छे से मिक्स कर लें। आप चाहे तो इसमें अपना मनपसंद फल जैसे अनार के दाने और अंगूर भी डाल सकती हैं। तैयार है आपका स्वादिष्ट चटपटा मखाना भेल। अगर आपके पास मूंगफली रोस्ट करके और चटनी पहले से बनी रखी है तो इसे बनाने में आपको बिल्कुल भी समय नहीं लगेगा।
- व्रत में खाने के लिए साबूदाने का इस्तेमाल काफी होता है। साबूदाना की खीर, साबूदाना की खिचड़ी, साबूदाना के पकौड़े आदि व्रत में चाव से खाए जाते हैं। साबूदाने में आयरन, कैल्शियम, कॉपर, सेलेनियम, विटामिन बी-6, बी-कॉम्प्लेक्स, सोडियम आदि पाया जाता है। यही कारण है कि अगर व्रत में साबूदाना खाते हैं, तो शरीर में दिनभर एनर्जी बनी रहती है और शरीर के लिए जरूरी सभी पोषक तत्व मिल जाते हैं। आइए आपको बताते हैं व्रत में साबूदाना खाना क्यों फायदेमंद है?1. साबूदाना देर तक रखता है पेट भरासाबूदाने में फाइबर की मात्रा भरपूर होती है इसलिए ये पेट लंबे समय तक भरा रखता है। फाइबर वाले आहार खाने से व्रत के दौरान कब्ज, गैस आदि की समस्या भी नहीं होती है और पेट अच्छी तरह साफ होता है। साबूदाने में 45 प्रतिशत काब्र्स होता है, जिससे देर तक भूख का अहसास नहीं होता है।2. शरीर में दिनभर बनी रहती है एनर्जीसाबूदाना खाने से आपके शरीर में दिनभर एनर्जी बनी रहती है। इसका कारण यह है कि इसमें ढेर सारे विटामिन्स और मिनरल्स मौजूद होते हैं, जिनकी शरीर को रोजाना जरूरत होती है। काब्र्स और कार्बोहाइड्रेट्स होने के कारण ये शरीर में जाते ही इंस्टैंट एनर्जी देता है।3. आसानी से पचता है साबूदानाव्रत के दौरान भारी चीजें खाने से नींद आती है और गैस की समस्या हो सकती है। इसलिए व्रत में हमेशा ऐसी चीजें खाने की सलाह दी जाती है, जो आसानी से पच जाए। साबूदाने में फाइबर होने के कारण ये अच्छी तरह और आसानी से पच जाता है। जिससे पेट फूलने, गैस, अपच और कब्ज की समस्या नहीं होती है।4. खून बढ़ाता है साबूदानासाबूदाने में आयरन भी भरपूर होता है इसलिए ये शरीर में खून की कमी दूर करता है। साबूदाना में मौजूद आयरन शरीर में रेड ब्लड सेल्स को बढ़ाने में मदद करता है।5. हड्डियों और मांसपेशियों को करता है मजबूतकैल्शियम की अच्छी मात्रा होने के कारण साबूदाना हड्डियों और मांसपेशियों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसके अलावा इसमें आयरन, विटामिन और प्रोटीन की मात्रा भी अच्छी होती है। ये तत्व हड्डियों की कमजोरी को दूर करते हैं और उन्हें मजबूत बनाते हैं।
- गर्मियों में अक्सर नींबू की शिकंजी या नींबू पानी का सेवन गर्मी को दूर भगाने के लिए किया जाता है। इससे अलग गर्मी के में हुई टैनिंग को दूर करने में भी नींबू बेहद मददगार है। इसी के चलते लोग गर्मियों में सबसे ज्यादा नींबू का इस्तेमाल करते हैं और यही कारण होता है कि वह ज्यादा से ज्यादा नींबू अपने घर में स्टोर करके रखते हैं, जिससे नींबू की जरूरत पडऩे पर उसका तुरंत इस्तेमाल किया जा सके। अब सवाल यह है कि जो लोग गर्मियों में ढेर सारे नींबू को मंगवा कर फ्रिज में रख लेते हैं क्या ऐसा करना सही है? आज हम जानेंगे कि गर्मियों में नींबू को किस प्रकार स्टोर किया जाए, जिससे नींबू के पोषक तत्व बने रहें।नींबू के अंदर भरपूर मात्रा में सिट्रिक एसिड होता है। ऐसे में अगर इसे अधिक ठंडे स्थान पर रखा जाए तो यह न केवल सख्त हो जाता है बल्कि इसका रस भी कम होने लगता है इसीलिए नींबू को फ्रिज में रखना सही नहीं है। जब इसे ज्यादा ठंडे तापमान में रखते हैं तो उसके छिलकों पर भी दाग पडऩे लगते हैं इसीलिए अगर आप नींबू के पोषक तत्वों को बरकरार रखना चाहते हैं और उनका भरपूर फायदा उठाना चाहते हैं तो नींबू को फ्रिज में ना रखें। इसके अलावा वे फल जिनके अंदर सिट्रिक एसिड मौजूद होता है उन्हें भी फ्रिज में ना रखें। उदहारण के तौर पर संतरे को फ्रिज में रखने से वे सख्त महसूस होने लगते हैं।घर पर नींबू को कैसे स्टोर किया जाए?1 - अगर आप नींबू को स्टोर करना चाहते हैं तो सरसों का तेल या रिफाइंड को पूरे नींबू पर लगाएं और उसे कंटेनर में डालें। अब उस कंटेनर को फ्रिज में रखें। ऐसा करने से नींबू खराब नहीं होते हैं और उसके पोषक तत्व बरकरार रहते हैं।2 - अगर आप नींबू तो खराब होने से बचाना चाहते तो आप नींबू को अखबार में लपेटें और उससे एक कंटेनर में डालें। अब उस कंटेनर को फ्रिज में रखें। ऐसा करने से नींबू कई महीने तक चलते हैं।3 - नींबू का फायदा उठाने के लिए आप नींबू के रस को एक कंटेनर में निकालें और उस कंटेनर को फ्रिज में रख दें। ऐसा करने से भी नींबू के रस को सुरक्षित रख सकते हैं।4 - आप नींबू के रस को आइस ट्रे में भरकर उसकी आइस क्यूब के रूप में भी सेवन कर सकते हैं।5 - आप एक कांच के कंटेनर में सारे नींबू को डालें और उसमें इतना पानी मिलाएं कि उस पानी में सारे नींबू डूब जाएं। अब उसमें सिरका मिलाएं और फ्रिज में रख दें ऐसा करने से भी नींबू खराब नहीं होते।चूंकि इन दिनों हमारे देश में कोरोना महामारी ने अटैक किया है। ऐसे में इस महामारी से लडऩे के लिए हमारी इम्यूनिटी का स्ट्रॉन्ग होना बेहद जरूरी है। नींबू के सेवन से इम्यूनिटी को मजबूती मिलती है। क्योंकि इसके अंदर भरपूर मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है ऐसे में यह हमारे इम्यून सिस्टम के लिए बेहद फायदेमंद है। इससे अलग आप वजन कम करना चाहते हैं तो नींबू का सेवन एक अच्छा उपाय है।बता दें कि नींबू को काफी महीनों तक घर में स्टोर किया जा सकता है। लेकिन एक्सपर्ट की राय मानें तो उनका मानना है कि ताजा नींबू का इस्तेमाल सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद होता है। ऐसे में आपको जितने नींबू की जरूरत हो केवल उतने ही नींबू को ताजा-ताजा मंगवाएं और उनका सेवन करें। ऐसा करने से आपको भरपूर मात्रा में नींबू के अंदर पाए जाने वाले पोषक तत्व का लाभ मिलेगा। इससे अलग नींबू को ज्यादा दिनों तक फ्रिज में या घर पर स्टोर करके ना रखें। नींबू का सेवन हमारी सेहत के लिए बेहद जरूरी है।--
- गर्मियों का मौसम आते ही शरीर को ठंडा रखने और खुद को तरोताजा करने के लिए लोग ठंडे पेय पदार्थ पीना पसंद करते हैं। आम के पना से लेकर लस्सी जैसी देसी ड्रिंक तो लगभग हर किसी को पसंद होती है। हर बार लेकिन साधारण स्वाद की लस्सी बोर कर रही है तो इस बार ट्राई करें अनानास के फ्लेवर वाली लस्सी। बाजार में तो आपने कई बार फ्लेवर वाली लस्सी पी होगी। तो क्यों ना इस बार नवरात्रि उपवास में घर में ही इसे बनाकर ट्राई करें। तो चलिए जानें क्या है अनानास वाली लस्सी बनाने की रेसिपी।पाइनेप्पल लस्सी बनाने के लिए सामग्रीएक कप दहीआधा कप कटे हुए पाइनएप्पलएक चौथाई इंच का अदरक का टुकड़ादो से तीन चम्मच चीनीचुटकी भर इलाइची पाउडरचुटकी भर काला नमक स्वादानुसारपाइनेप्पल लस्सी बनाने की विधिपाइनेप्पल लस्सी बनाने के दो तरीके है। अगर आप हाथ से लस्सी मथ रहे हैं तो सबसे पहले अदरक, चीनी और पाइनएप्पल को पहले ही पीस कर रख लें। इसके बाद इसे दही और काला नमक, इलाइची पाउडर के साथ हाथ से मथें। लेकिन लस्सी को और आसान तरीके से बनाना चाहते हैं तो सभी चीजों को एकसाथ मिक्सी में मिक्स कर लें। लेकिन इस तरीके में भी आप पहले ही पाइनएप्पल और अदरक को एक साथ पीस लें। ऐसा करने से लस्सी में गांठ रहने की समस्या नहीं होती है। लीजिए तैयार हो गई आपकी स्वादिष्ट लस्सी।
- सिंघाड़े के आटे को अपने आहार का हिस्सा बनाने से आपको बहुत सारे फायदे हो सकते हैं। खासकर आज के समय में तो सिंघाड़े के आटे से बने खाने को जरूर खाना चाहिए। सिंघाड़े के गुणों से तो सभी वाकिफ होंगे। सिंघाड़े को अक्सर लोग फल के रूप में खाना पसंद करते हैं। वहीं इसके आटे का कुछ खास इस्तेमाल नहीं किया जाता है। भारत में सिंघाड़े का आटा अमूमन नवरात्रि व्रत के समय में ही इस्तेमाल किया जाता है। नवरात्रों में लोग सिंघाड़े के आटे का हलवा, पूरी आदि जैसे पकवानों को खाना पसंद करते हैं। व्रत के लिए भी यह आटा बेहद कारगर माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह एक मल्टी न्यूट्रियेंट आटा है। इसका सेवन यदि नियमित रूप से करने पर हमारी शरीर में बहुत से पोषक तत्व अवशोषित होते हैं। जानें सिंघाड़ा आटे के फायदे...1. वजऩ घटाने में आसानीसिंघाड़े का आटा फाइबर से भरपूर होता है और लो इन सोडियम होता है। इसका सीधा अर्थ है कि सिंघाड़े के आटे में सोडियम की मात्रा कम और फाइबर की मात्रा अधिक होती है। इसलिए यह वजऩ घटाने में बहुत मददगार होता है। खाने में भारी होने की वजह से यह भूख को कम कर थोड़े खाने में ही पेट भर देता है। जिससे आपको वजन घटाने में मदद मिलती है। इसमें मौजूद अन्य पौष्टिक तत्व शरीर को ऊर्जा पहुंचाते है।2. शक्तिशाली व्रत आहारसिंघाड़े का आटा लोग ज़्यादातर नवरात्रि के समय व्रत में इस्तेमाल करते हैं। व्रत के दौरान शरीर में कमज़ोरी ना महसूस हो इसलिए सिंघाड़े के आटे से बनी पूरिया, रोटी, हलवा या कचौडिय़ां खाने से बहुत एनर्जी मिलती है। सिंघाड़े का आटा एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर होता है। साथ ही इसमें ढेर सारे विटामिन्स, प्रोटीन, मिनरल्स कैल्शियम, आयोडीन पोटैसियम आदि होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है। सिंघाड़े के आटे में शरीर के लिए आवश्यक तकरीबन सभी पोषक तत्व मौजूद होते हैं।3. थायरॉयडथायरॉयड की समस्या तब होती है जब थायरॉयड नामक ग्लैंड ठीक से काम नहीं करता। थायरॉयड के रोगियों को थकान, वजऩ में गिरावट, बाल झडऩा तनाव, हाई बीपी की परेशानी होती है। ऐसे में सिंघाड़े का आटा बहुत फायदेमंद होता है। थायरॉयड में यह आटा ज़रूर खाना चाहिए। इससे शरीर में आयोडीन की कमी नहीं होगी और जिंक व आयरन के पौष्टिक फायदे थायरॉयड को नियंत्रित रखेंगे।4. हड्डी और खून का विकाससिंघाड़े के आटे को आहार में शामिल करने से हड्डियां मजबूत होती है। सिंघाड़े में कैल्शियम होता है जो हड्डियों के विकास के लिए बहुत ज़रूरी है। इसके नियमित सेवन से आप हड्डियों के तमाम विकारों से दूर रहेंगे। साथ ही साथ सिंघाड़े के आटे में आयरन भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जिससे खून की कमी नहीं होती और अनेमिया जौंडिस जैसे रोगों का खतरा काम हो जाता है।5. शरीर को पोषण देता हैंसिंघाड़े का आटा हर एक महत्वूर्ण पोषण से भरा हुआ है। शरीर के लिए ज़रूरी पोषण जैसे कि कैल्सियम, प्रोटीन, आयरन, आयोडीन, मैंगनीज, विटामिन बी-6, विटामिन सी, जिंक, फास्फोरस फाइबर आदि सिंघाड़े के आटे में मौजूद है।6. कब्ज़ से दिलाते राहतअगर आप कब्ज़ की समस्या से परेशान है तो आपको सिंघाड़े के आटे से बना भोजन ही खाना चाहिए। सिंघाड़े के आटे में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो को मल को सॉफ्ट और भारी बना देती है। इससे मल त्याग में आसानी होती है और दर्द व जलन नहीं होती।7. डायबिटीज़ में फायदेमंदसिंघाड़े का आटा डायबिटीज़ के रोगियों के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। यह आपके ब्लड शुगर को नियंत्रित करके रखता है, जिससे डायबिटीज़ कंट्रोल में रहती है। डायबिटीज़ में फाइबर विटामिन्स और प्रोटीन रिच आहार खाना चाहिए। इसलिए सिंघाड़े के आटे की सलाह दी जाती है। सिंघाड़े के आटे में मौजूद सभी पोषक तत्व आपकी शरीर को उर्जावान बनाते हैं। इसके नियमित सेवन से आप खुद को कई बीमारियों से बचा सकते हैं।
- आयुर्वेद की दुनिया में आपको हजारों औषधियां मिल जाएंगी, लेकिन सबके बारे में जान पाना थोड़ा मुश्किल है। लेकिन कुछ पौधे और फूल ऐसे हैं, जो आपको औषधीय गुणों से भरपूर मिलेंगे। ऐसा ही एक पौधा है शालपर्णी। शालपर्णी को स्वास्थ्य के लिहाज से बहुत अच्छा माना जाता है। यही कारण है कि इसे आयुर्वेद में विशेष दर्जा दिया गया है। चमत्कारी गुणों से भरपूर शालपर्णी के पौधे में कई ऐसे गुण मौजूद होते हैं, जो अर्थराइटिस से लेकर डिमेंशिया और पाइल्स तक में काफी मददगार साबित होते हैं। हल्की सर्दियों के मौसम में यानि अक्टूबर से नवंबर के समय में आपको यह पौधे आसानी से मिल सकते हैं। यह पौधा नदी किनारे या फिर कई पहाड़ी इलाकों में देखने को मिल सकता है। संस्कृत भाषा में इसे अंशुमती के नाम से भी जाना जाता है। शालपर्णी में एंटी ऑक्सीडेंट्स की प्रचुरता होती है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ ही आपके दिल को भी स्वस्थ रखता है। जानें इसके सेवन से शरीर को क्या-क्या फायदे होते हैं।1. अर्थराइटिसअर्थराइटिस आज के समय में जटिल रोग बन गया है, जिससे अमूमन लोग पीडि़त हैं। शोध के अनुसार ऐसा माना जाता है कि शालपर्णी में एंटी रूमेटिक और और एंटी अर्थराइटिस प्रॉपर्टीज पाई जाती है, जो रूमेटाइड अर्थराइटिस को दूर करने के साथ ही हड्डियों के भी विकारों में मददगार है। यही नहीं शालपर्णी में इंफ्लेमेशन को दूर करने वाले तत्व भी पाए जाते हैं। शालपर्णी में एंटी इंफ्लेमेटरी और एनालजेसिक गुण मौजूद होते हैं, जो आपको जोड़ों के दर्द से राहत दिलाने के साथ सूजन को हटाने के लिए शालपर्णी के तेल को काफी मददगार माना जाता है।2. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगाररोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में तो हालांकि कई आयुर्वेदिक पौधे मददगार हैं। लेकिन इस मामले में शालपर्णी काफी आगे हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए इसमें एंटी ऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं। जो रक्त कोशिकाओं को सुचारू रूप से कार्य करने में काफी मददगार है। यही नहीं शालपर्णी को च्ववनप्राश बनाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।3. मूत्र संबंधी समस्याएंपेशाब के दौरान जलन दर्द और इरीटेशन होना बहुत ही पीड़ादायक होता है। पेशाब में तकलीफ कई होने के पीछे कई कारण होते हैं, जैसे कि किडनी में पथरी होना, यूरिनरी ट्रैक्ट संक्रमण होना मधुमेह आदि। ऐसे में शालपर्णी एक ऐसी जड़ी बूटी मानी जाती है, जो यह परेशानी खत्म कर देती है। शालपर्णी के सेवन से पेशाब की नली में होने वाली किसी भी प्रकार की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।4. त्वचा के लिए लाभदायकशालपर्णी त्वचा से संबंधित अधिकतम रोगों को ठीक करता है। शालपर्णी में मौजूद केमिकल कंपाउंड हॉर्डेनाइन त्वचा पर दाग धब्बे नहीं होने देता। साथ ही यह त्वचा को झाइं से भी बचाता है और ठीक भी करता है। शालपर्णी के सूजनरोधी और एंटी ऑक्सीडेंट्स गुण त्वचा को खुजली और एलर्जी से भी बचाते हैं। शालपर्णी में विटामिन सी की मौजूदगी सन टैनिंग और सन बर्न का उपाय और बचाव दोनों है।5. डिमेंशियाडिमेंशिया एक तरह का मस्तिष्क विकार है। इसे भूलने की बीमारी के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि यह ज्यादातर बुजुर्गों में देखी जाती है। अगर शालपर्णी की बात करें तो इसमें मौजूद फ्लेवॉन्स और फ्लेवनॉइड्स आपके डिमेंशिया के लक्षणों को कम करने में काफी मददगार साबित होते हैं।6. पेट संबंधित समस्याएंशालपर्णी को पेट की समस्या से राहत पाने के लिए सदियों से इस्तेमाल किया जाता है। इसके सूजनरोधी गुण और एंटीऑक्सिडेंट्स ारीर में टॉक्सिक पदार्थ घटा देते हैं। शालपर्णी के सेवन से एसिडिटी की समस्या, पाचन क्रिया, हार्टबर्न, उल्टी, डायरिया, कब्ज जैसी समस्याओं से भी आराम मिलता है।7. पाइल्सशालपर्णी का उपयोग पाइल्स यानी बवासीर ठीक करने में भी किया जाता है। शालपर्णी की सूजनरोधी गुण कड़ें मलद्वार के अंदर और बाहर सूजन काम करते है। साथ ही यह जलन और दर्द से राहत दिलाते है। यह मल त्याग के दौरान आंतो में खून आने से रोकता है। शालपर्णी के चूर्ण का पानी के साथ सेवन करने से यह बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। साथ ही शालपर्णी के पत्तो का लेप मलद्वार पर लगा कर रख सकते है।(नोट- यदि आप किसी गंभीर समस्या से पीडि़त हैं तो अपने चिकित्सक से सलाह लेने के बाद ही इसका सेवन करें।)
- सब्जियां हमारे भोजन का अभिन्न हिस्सा हैं। लेकिन क्या आपने कभी हॉप शूट्स का नाम सुना है? हॉप शूटर दुनिया की सबसे महंगी सब्जी मानी जाती है। महंगी है तो जाहिर है कि गुणों से भरपूर होगी। आमतौर पर विदेशों में इस सब्जी की कीमत 1000 यूरो प्रति किलो रखी गई है भारत में यदि इसकी कीमत का आंकड़ा लगाया जाए तो 1000 यूरो के हिसाब से 85 हजार रूपये प्रति किलो से लेकर एक लाख रूपये प्रति किलो तक होगी। यह कोई आम सब्जी नहीं बल्कि कई चमत्कारी गुणों से भरपूर है, जिसके सेवन मात्र से ही कई बीमारियां दूर हो सकती हैं। इसका इस्तेमाल खासतौर पर बीयर बनाने के लिए किया जाता है। न्यूट्रीशन्ल गुणो से भरपूर इस सब्जी का प्रयोग कैंसर और टीबी जैसी गंभीर बीमारियों का दवाएं तैयार करने के लिए किया जाता है।ब्रिटेन और जमर्नी जैसे यूरोपियन देशों में इसकी खेती सबसे ज्यादा होती है। हालांकि भारत में इसकी खेती नहीं होती है। कुछ समय पहले बिहार में इसकी खेती होने की अफवाहें सुर्खियों में थीं, लेकिन जांच में यह बात गलत साबित हुई। साइंस में इसे हुमुलस ल्यूपुलस के नाम से जाना जाता है। इसकी खेती आज के समय से नहीं बल्कि करीब सन 1700 के समय से चली आ रही है। उस समय इंगलैंड में इसकी खेती ज्यादा होती थी, जिसके बाद से अन्य देशों ने भी इसके गुणों और फायदों को जानकर इसकी खेती शुरू कर दी। इसके फूल सुगंध से भरपूर होते हैं, लेकिन खाने में यह उतना ही कड़वा होता है। जाने इस सब्जी के फायदे...1. बालों के लिए फायदेमंदहॉप शूट्स में फॉलिक एसिड की मौजूदगी बालों के लिए बहुत असरदार मानी जाती है। यह बालों का टूटना कम करने के साथ ही डैंड्रफ की समस्या से भी आपको निजात दिलाती है।2. मनोरोगहॉप शूट्स को मनोरोग के लिए बहुत कारगर माना जाता है। इसमें मौजूद कार्योफिलीन एंक्जाइटी से राहत दिलाते हैं। साथ ही हॉप शूट्स में फ्लेवनॉइड्स की मात्रा पाई जाती है, जो शरीर को टॉक्सिक पदार्थों से बचाते हैं और तनाव को कम करते हैं।3. रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता हैरोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए हॉप शूट्स को एक औषधि माना जाता है। हॉप शूट्स का सेवन जूस, सब्जी या फिर चाय के तौर पर करने से यह शरीर में आने वाले वायरस और कई प्रकार के बैकटीरिया से लडऩे में मदद करते हैं। इसमें मौजूद विटामिन बी 6 और विटामिन सी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते हैं।4. अर्थराइटिस और टीबी में असरदारहॉप शूट्स एक सूजन रोधी सब्जी है, जिसके सेवन से अर्थराइटिस में काफी फायदा होता है।5. एनीमियाएनीमिया लाल रक्त कोशिकाओं की कमी के कारण होता है, जिसका सबसे बड़ा स्त्रोत होता है फॉलिक एसिड। हॉप शूट्स में फॉलिक एसिड की मौजूदगी एनीमिया से बचाती है। यह शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की मात्रा बढ़ाकर एनीमिया के खतरे को काफी हद तक कम भी करती है।6. त्वचा के लिए लाभदायकहॉप शूट्स त्वचा के लिए फायदमंद माना जाता है। हॉप शूट्स में मौजूद ऑयल्स और मिनिरल्स सूजन रोधक के तौर पर कार्य करकर त्वचा को प्रीमैच्योर एजिंग से भी बचाते हैं। इसमें मौजूद विटामिन सी त्वचा की सुंदरता को बरकरार रखने के साथ कोलेजेन की मात्रा को बढ़ाता है, जो त्वचा को बांधकर रखता है। इसमें मौजूद विटामिन ई सूरज की हानिकारक किरणों से आपको बचाता है।
- ज्यादातर घरों में कपूर का इस्तेमाल पॉजिटिव वाइब बनाए रखने के लिए किया जाता है. माना जाता है कि कपूर से निगेटिव एनर्जी खत्म होती है. इसलिए पूजा में लोग कपूर जलाते हैं और घर को शुद्ध करते हैं. लेकिन कपूर के इसके इलावा भी कई ऐसे फायदे हैं, जिसे शायद कम ही लोग जानते होंगे. आज हम आपको बताते हैं कपूर के तेल के फायदे जो आपकी स्किन और सेहत के लिए किसी जादुई औषधि से कम नहीं हैं.1. बालों से डैंड्रफ और जूं होते हैं दूरबताया जाता है कि कपूर का तेल बालों के लिए बेहद फायदेमंद होता है. कपूर और नारियल तेल को साथ में मिलाकर रख लें. फिर रात में इससे सिर पर मसाज करें और सुबह शैंपू कर लें. इससे डैंड्रफ और जूं आपसे दूर रहेंगे.2. चेहरे पर ग्लो लाने में भी करता है मददकपूर का तेल आपके चेहरे का खोया हुआ ग्लो वापस लाने में भी मददगार साबित हो सकता है. इसके लिए आपको बस कपूर के तेल में गुलाब जल मिलाना होगा और फिर गाढ़ा पेस्ट बनातकर फेस पैक की तरह लगाना होगा. इसके सूखते ही आप ठंडे पानी से फेस वॉश कर लें. नियमित रूप से ऐसा करने पर आपके चेहरा निखर जाएगा.3. दाग-धब्बे भी हो जाते हैं खत्मआपके फेस के दाग-धब्बे और ड्राइनेस को भी कपूर का तेल दूर कर सकता है. इसके लिए भी नारियल के तेल और कपूर ही काम आता है. इसे बस थोड़ी देर तक चेहरे पर मसाज कर लें. आपके धब्बे छूमंतर हो जाएंगे.4. मुहांसे करता है दूरआपके फेस के एक्ने और पिंपल्स को दूर करने के लिए कपूर का तेल काफी फायदेमंद साबित हो सकता है. इसके लिए बस आपको कॉटन बॉल की मदद से फेस पर कपूर का तेल लगाएं. इससे फुंसियां खत्म करने में मदद मिलेगी.5. फटी एड़ियों को भी करता है रिपेयरफटी एड़ियां सही करने के लिए आपको बस दो चम्मच कपूर का तेल लेना है और एक टब में थोड़ा सा पानी लेकर उसमें मिला देना है. इसके बाद करीब 20 मिनट तक टब में पैर रखकर बैठें. आपकी एड़ियां सही हो जाएंगी.6. लू लगने पर भी आता है कामलू से राहत पाने के लिए कपूर एक कारगर उपाय है. इसके लिए कपूर को नारियल तेल में मिलाएं और इस तेल से बॉडी मसाज करें. इससे बॉडी कूल रहती है और लू नहीं लगती.7. जलन से भी मिलती है राहतकपूर ठंडा होता है. इसलिए कभी हल्का-फुल्का जल भी जाएं तो कपूर का तेल लगाने से आराम मिलता है. इसके लिए कपूर के तेल में चंदन पाउडर मिक्स कर लें. इसके बाद उसे एफेक्टेड एरिया पर लगाएं. इससे जलन कम हो जाती है.घर पर भी बना सकते हैं कपूर तेलकपूर का तेल बनाने की एक बहुत ही आसान विधि है. इसके लिए आपको बस 50 ग्राम कपूर लेना है और 100 ग्राम नारियल के गुनगुने तेल में डाल देना है. फिर बोतल को रात भर के लिए छोड़ दें और सुबह बोतल हिलाकर रख लें. आपको कपूर तेल तैयार हो जाएगा.
- टेफ एक प्रकार का अनाज है जिसे भविष्य के बेहतर और लोकप्रिय अनाज के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। भारत में अब तक इस अनाज का इस्तेमाल शुरू नहीं हुआ है। मूल रूप से यह इथियोपिया में मिलता है जहां इसका आटा बनाया जाता है और फिर डोसे जैसी रोटी बनाई जाती है जिसे वहां इंजेरा कहते हैं। हाल के सालों में यूरोप और अमेरिका में इसकी मांग बढ़ी है। यह ऐसा अनाज है जिस पर आसानी से कीड़ा नहीं लगता। यह सूखे में भी उग सकता है और ज्यादा बरसात होने पर भी। टेफ हाई प्रोटीन अनाज एनीमिया, डायबिटीज जैसी समस्याओं से भी बचाता है।हर साल इथोपिया इसकी वार्षिक फसल की खेती मुख्य रूप से करता है। टेफ मानव जाति के लिए ज्ञात सबसे छोटा अनाज है। बीज का रंग या तो सफेद या बहुत गहरा लाल भूरा होता है।टेफ अपनी ग्लूटेन फ्री प्रकृति, अमीनो एसिड के उच्च स्तर, खनिज सामग्री, कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) और उच्च फाइबर जैसे गुणों के लिए फिटनेस एन्थूजिआस्ट के बीच काफी लोकप्रिय हो रहा है। ये एक मात्र अनाज है जिसमे विटामिन सी भी है। टेफ इथोपियाई एथलीट्स का लंबे समय तक सीक्रेट रहा है, क्योंकि ये बॉडी की एंड्यूरैंस को बढ़ाता है। टेफ में हाई क्वालिटी प्रोटीन और अमीनो एसिड होता है। विभिन्न अध्ययनों ने इसमें 37 प्रतिशत ईएए सामग्री- की जानकारी दी है जो एक आवश्यक अमीनो एसिड है।अमीनो एसिड का निर्माण हमारा शरीर नहीं कर पाता है। इसलिए हमें इसे आहार में शामिल करने की ज़रुरत है। साथ ही टेफ में एमिनो एसिड ग्लूटामाइन और लाइसिन भी है। काफी सारे अध्ययनों में यह सामने आया है कि टेफ प्रोफि़्लंस और एल्ब्यूमिन में समृद्ध है, जो इसे एक हाई क्वालिटी प्रोटीन बनाते हैं। तभी इसकी तुलना अंडे के प्रोटीन से की जाती है, जो अभी तक का सबसे अच्छा प्रोटीन सोर्स है। गेहूं, मक्का, जौ जैसे अन्य अनाजों की तुलना में टेफ आयरन, कैल्शियम, तांबा और जस्ता जैसे अन्य खनिजों में भी समृद्ध है।कुछ अध्ययनों ने टेफ में -विट्रो एंटीऑक्सिडेंट गतिविधियों की सूचना दी है। साथी ही यह माना जाता है कि यह मानव शरीर में हीमोग्लोबिन स्तर में सुधार करता है और मलेरिया, एनीमिया और मधुमेह को रोकने में मदद करता है।आप कैसे टेफ को भारतीय खाने में शामिल कर सकती हैंकिसी भी रेसिपी में थोड़ा सा टेफ, क्रंच जोड़ता है। इसके अलावा, यह पौष्टिक होने के साथ - साथ स्वादिष्ट भी है। भारतीय आहार में टेफ जोडऩा बहुत ही सरल है। प्रतिदिन नाश्ते में - अनाज, मूसली, उपमा, पोहा, इडली आदि में 2 बड़े चम्मच सूखी भुनी हुई टेफ मिला लें। यह न केवल एक शानदार प्रोटीन का स्रोत है, बल्कि यह क्रंच भी जोड़ देगा जो दलिया और उपमा में ज़रूरी है।