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- दुनियाभर में पुदीने की पत्तियों को इसके बेहतर स्वाद और इसके स्वास्थ्य लाभों के कारण पसंद किया जाता है। पुदीने की पत्तियों को हरी चटनी बनाने के साथ-साथ डिटॉक्स वाटर और रिफ्रेशिंग मोहितो भी बनाया जाता है। यह आपके शरीर को हाइड्रेट रखने के साथ-साथ आपको और भी कई फायदे पहुंचाता है। आप पुदीने को ताजा और सुखाकर भी इस्तेमाल कर सकते हैं। सूखा पुदीना सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है। आइए यहां हम आपको सूखे पुदीने के फायदे बताते हैं।पेट की समस्याओं का इलाजसूखा पुदीना पेट के दर्द का इलाज करने में मददगार है। यदि अचानक पेट दर्द की शिकायत हो तो सूखे पुदीने की मदद ली जा सकती है। पुदीने की पत्तियों में एंटी इंफ्लामेटरी गुण होते हैं, जो आपके पेट की सूजन को कम करने में मददगार होते हैं। सूखे पुदीने की पत्तियां अपच से राहत दिलाने में भी मदद करती हैं ।इम्युनिटी को बूस्ट करने में मददगार हैसूखी या पुरानी पुदीना की पत्तियां शरीर की इम्युनिटी को बूस्ट करने में मददगार होती हैं। पुदीने की पत्तियां फास्फोरस, कैल्शियम और विटामिन सी, डी, ई और ए से भरपूर होती हैं, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर बनाती हैं। इससे बीमारियों का खतरा भी कम होता है।मॉर्निंग सिकनेस और मतली को रोकेसूखी पुदीना की पत्तियों का सेवन करने से पेट संबंधी समस्याओं को दूर करने के साथ-साथ मॉर्निंग सिकनेस और मतली को रोकने में मदद मिलती है। यह पाचन के लिए आवश्यक एंजाइम को सक्रिय करता है और मतली को रोकता है। यह गर्भवती महिलाओं के लिए गर्भावस्था के दिनों में एक महान उपाय हो सकता है।तनाव को प्रबंधित करने में मददगारपुदीना की सुगंध बहुत शांत है, जो तनाव को कम करने के लिए अरोमाथेरेपी में इस्तेमाल किया जा सकता है। पुदीना की सुगंध दिमाग और शरीर को शांत करने में मदद करती है। पुदीना में एडाप्टोजेनिक गुण भी होते हैं, जो कोर्टिसोल के स्तर को नियंत्रित करते हैं और तनाव को कम करता है।एलर्जी और अस्थमा में मददगारपुदीने की पत्तियों में एक शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी एजेंट होता है, जिसे रोजमिनिक एसिड कहा जाता है। यह एजेंट एलर्जी पैदा करने वाले यौगिकों को अवरुद्ध करता है और एलर्जी और अस्थमा से पीडि़त लोगों की मददगार होता है।सर्दी के लिए एक अच्छा नुस्खामौसम का बदलना हर किसी को अक्सर बीमार कर देता है। पुदीना नाक, गले और फेफड़ों से जमाव को साफ करने में मदद करता है। इस प्रकार, यह शरीर को ठंड से बचाने और गले को साफ करने में मदद करता है। इसके अलावा, पुदीना के एंटी बैक्टीरियल गुण खांसी के कारण होने वाली जलन से राहत दिलाने में मदद करता है।---
- गुग्गुल या गुग्गल एक वृक्ष है। इससे प्राप्त राल जैसे पदार्थ को भी गुग्गल कहा जाता है। भारत में इस जाति के दो प्रकार के वृक्ष पाए जाते हैं। एक को कॉमिफ़ोरा मुकुल तथा दूसरे को कॉ. रॉक्सबर्घाई कहते हैं। अफ्रीका में पाई जाने वाली प्रजाति कॉमिफ़ोरा अफ्रिकाना कहलाती है। घरों में शुद्ध वातावरण के लिए गुग्गुल की धूप जलाना शुभ माना जाता है।आयुर्वेद के मतानुसार यह कटु तिक्त तथा उष्ण है और कफ, बात, कास, कृमि, क्लेद, शोथ और अर्श नाशक है। गुग्गुल का उपयोग औषधि के रुप में किया जाता है। इसमें विटामिन, एंटीऑक्सिडेंट, क्रोमियम जैसे अनेक घटक होते हैं। इनके कारण गुग्गल कई प्रकार के रोगों के लिए फायदेमंद साबित होता है। चलिये अब ये जानते हैं कि गुग्गुल किन-किन बीमारियों में फायदेमंद हैं।-योगराज गुग्गुलु को सुबह शाम त्रिफला काढ़ा के साथ सेवन करने से नेत्र संबंधी विभिन्न रोगों में लाभ होता है।- अगर आप कान से बदबू निकलने की परेशानी से कष्ट पा रहे हैं तो गुग्गुल के धूम से धूपन करने से कान से बदबू निकलना कम होती है।- 3 माह तक अन्न का परित्याग करके केवल दूध के आहार पर रहते हुए शुद्ध गुग्गुलु का सेवन करने से उदर रोग में अत्यंत लाभ होता है।- त्रिफला काढ़ा के साथ गुग्गुलु का सेवन करने से भगन्दर रोग (फिस्टुला) में फायदा मिलता है।- गुग्गुलु, लहसुन, हींग तथा सोंठ को जल के साथ लेने से अर्श या कृमि के इलाज में मदद मिलती है।- आजकल की जीवन शैली में जोड़ों में दर्द किसी भी उम्र में हो जाता है। योगराज गुग्गुलु को बृहत्मंजिष्ठादि काढ़ा अथवा गिलोय काढा के साथ सुबह शाम देने से जोड़ों के दर्द से आराम मिलता है।- त्रिफला काढ़ा अथवा रस में गुग्गुलु मिलाकर पीने से बहने वाले घाव को ठीक होने में मदद मिलती है। स्किन यानी त्वचा सम्बंधित परेशानियों में भी गुग्गुल लाभदायक होता है क्योंकि इसमें कषाय गुण होने के कारण यह त्वचा को स्वस्थ बनाये रखता है इसके अलावा यह त्वचा से कील - मुहासें जो कि तैलीय त्वचा ने अधिक होते हैं, कषाय होने से यह उनको भी दूर करने में मदद करता है।- गुग्गुल में वात और कफ को कम करने का गुण होने के कारण एवं एक रसायन औषधि होने के वजह से यह डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद करता है।- कब्ज एक ऐसी समस्या है जो कि पाचन के गड़बड़ होने के कारण एवं वात दोष के बढऩे के कारण होती है। गुग्गुल में उष्ण गुण होने के कारण यह पाचन को स्वस्थ बनाता साथ ही वात दोष को कम करता है। इस कारण गुग्गुल कब्ज से राहत देने में सहायक होता है।- गंजापन एक ऐसी समस्या है जो कि वात -पित्त और कफ दोष के बिगडऩे की वजह से होती है। गुग्गुल में, दीपन - पाचन एवं वात - कफ शमन गुण होने के कारण ये यह इस समस्या में भी लाभदायक होता है।- एसिडिटी का एक कारण अपचन होता है । गुग्गुल में उष्ण एवं दीपन-पाचन गुण पाए जाने के कारण यह पाचक अग्नि को बढ़ाकर पाचन को स्वस्थ बनाये रखता है । साथ ही यह एसिडिटी को भी कम करने में सहयोगी होता है।- फ्रैक्चर हो जाने के कारण वात दोष बढ़ जाता है एवं हड्डियों में कमजोरी-सी आ जाती है। गुग्गुल में वात शामक एवं बल्य गुण होने के कारण यह हड्डियों को बल प्रदान करता है एवं उसे जल्दी ठीक होने में सहयोग देता है।
- केवड़ा सुगंधित फूलों वाले वृक्षों की एक प्रजाति है जो अनेक देशों में पाई जाती है और घने जंगलों मे उगती है। पतले, लंबे, घने और कांटेदार पत्तों वाले इस पेड़ की दो प्रजातियां होती हंै- सफेद और पीली।सफेद जाति को केवड़ा और पीली को केतकी कहते हैं। केतकी बहुत सुंगधित होती है और उसके पत्ते कोमल होते हैं। इसमें जनवरी और फरवरी में फूल लगते हैं। केवड़े की यह सुगंध सांपों को बहुत आकर्षित करती है। इनसे इत्र भी बनाया जाता है जिसका प्रयोग मिठाइयों और पेयों में होता है। कत्थे को केवड़े के फूल में रखकर सुगंधित बनाने के बाद पान में उसका प्रयोग किया जाता है। केवड़े के अंदर स्थित गूदे का साग भी बनाया जाता है। इसे संस्कृत, मलयालम और तेलुगु में केतकी, हिन्दी और मराठी में केवड़ा, गुजराती में केवड़ों, कन्नड़ में बिलेकेदगे गुण्डीगे, तमिल में केदगें फारसी में करंज, अरबी में करंद और लैटिन में पेंडेनस ओडोरा टिसीमस कहते हैं। इसके वृक्ष गंगा नदी के सुन्दरवन डेल्टा में बहुतायत से पाए जाते हैं।केवड़ा के कई फायदे हैं। इसका उपयोग इत्र, लोशन, तम्बाकू, अगरबत्ती आदि में सुगंध के रूप में किया जाता है। साथ ही इसकी पत्तियों से चटाई, टोप, टोकनियां, पत्तल आदि बनाई जाती हैं। ओडि़शा में केवड़े के फूल को फूलों का राजा कहा जाता है। केवड़ा का पौधा 18 फीट तक बढ़ता है और एक बार में 30 से 40 फल देता है। इसका फल शुरूआत में सफेद रंग का होता है इसीलिए इसे सफेद कमल भी कहा जाता है। आयुर्वेद में लगभग 12 हजार औषधीय जड़ी- बूटियों का उल्लेख मिलता है, जिसमें से केवड़ा भी एक है। आधुनिक शोधों व अनुसंधानों ने सिद्ध कर दिया है कि केवड़ा में अनेक औषधीय गुण हैं, जिनका कोई जवाब नहीं है। आइए जानते हैं इस सुगंधित पौधे के फायदे और नुकसानों के बारे में -केवड़ा के आयुर्वेदिक गुण- केवड़ा जल का उपयोग मिठाई, स्वीट सिरप और कोल्ड ड्रिंक्स आदि में सुगंध के रूप में भी किया जाता है। इसकी सुंगध एक तरह से मानसिक शांति प्रदान करती है।-इसमें एंटीफंगल और एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं, जिसके कारण ये किसी भी तरह के संक्रमण को फैलने से रोकता है।- केवड़ा का तेल का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दृष्टि से बड़ा ही लाभकारी है। इसे सिर दर्द व गठिया जैसे रोगों का उपचार किया जाता है।- इसके फूल में शरीर के सौंदर्य को बढ़ाने वाले गुण भी पाये जाते हैं।- केवड़ा के पत्ते विषनाशक होते हैं। इसका इस्तेमाल जहर के असर को कम करने के लिए भी किया जाता है।-यही नहीं केवड़ा की पत्तियों का उपयोग चेचक, खुजली, कुष्टरोग, ल्यूकोडर्मा के उपचार में भी किया जाता है। केवड़ा की पत्तियों को पीस कर इसके लेप को स्किन पर लगाया जाता है और ये बहुत ही कारगर उपचार साबित होता है।- केवड़ा के पत्तों को उबाल कर एक तरह का काढ़ा बनाया जाता है जिसके रोजाना सेवन से कई बीमारियां दूर होती हैं।- कितना भी सिर दर्द क्यों न हो रहा हो, केवड़ा का तेल के इस्तेमाल से ये दर्द मिनटों में दूर भाग जायेगा। जी हां, सिर में दर्द होने पर केवड़ा के तेल से मालिश करें, बहुत आराम मिलेगा।- बुखार के दौरान शरीर में थकावट इतनी बढ़ जाती है कि इंसान अपने आप को और भी ज्यादा बीमार महूसस करने लगता है। ऐसे में अगर उसे केवड़े का रस 40 से 60 मिलीलीटर की मात्रा में पिला दिया जाए तो उसका बुखार भी उतर जाएगा और शरीर में तरावट भी आ जायेगी।- केवड़ा का अर्क शरीर के हर तरह के दर्द खासतौर पर जोड़ों के दर्द से राहत देता है। रोजाना केवड़े के तेल से मालिश करने से गठिया जैसे रोग भी जड़ से समाप्त हो जाते हैं।- पेट की बीमारियों से पीडि़त लोगों के लिए केवड़ा बहुत ही फायदेमंद होता है। इसका इस्तेमाल पेट में जलन, पेट दर्द, गैस, ब्लोटिंग आदि की समस्या को दूर करने के लिए भी किया जाता है।- एक्सपर्ट बताते हैं कि केवड़ा तनाव दूर करने का सबसे प्रभावी और प्राकृतिक उपाय माना जाता है। दरअसल, केवड़ा के पत्तों में एंटी- स्ट्रेस एजेंट पाये जाते हैं जो कि हमारे तनाव और मानसिक असंतुलन को ठीक करते हैं। इसके अलावा इसकी खुशबू मानसिक विश्राम देती है।- केवड़ा भूख बढ़ाने में भी सहायक है। केवड़ा का अर्क अगर नियमित रूप से खाने में इस्तेमाल करते हैं तो भूख पहले की तुलना में अधिक बढ़ जाती है।- केवड़ा पानी एक अच्छे क्लींजर के तौर पर काम करता है और स्किन से गंदगी और अशुद्धियों को बड़ी ही कुशलता से बाहर निकालता है। केवड़ा में मौजदू एंटी एंजिग गुण स्किन को पोषण देते हैं। इससे आपकी त्वचा लंबे समय तक जवां बनी रहती है। केवड़ा जल की सबसे बड़ी खासियत है कि ये स्किन के दाग-धब्बों और मुहांसों को कम करता है।-----
- छत्तीसगढ़ में कई तरह की भाजी को साग के रूप में खाया जाता है। इसी में से एक है अमाड़ी , आमाड़ी या फिर अम्बाड़ी। इसका स्वाद थोड़ा खट्टापन लिए होता है। पत्तियों का खट्टापन अलग - अलग क्षेत्र के साग में अलग - अलग होता है। इसकी ताज़ी पत्तियों का साग बनाया जाता है। इसके अलावा मटन करी, तुअर दाल और अचार बनाने में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसकी पत्तियों को भाजी के रूप में खाया जाता है, तो इसके लाल-लाल फलों की स्वादिष्ट चटनी बनाई जाती है। इसकी पत्तियों की भी इमली के साथ स्वादिष्ट चटनी और अचार बनता है जिसे साल भर तक रखा जा सकता है। इसकी पत्तियों और फल के काफी फायदे हैं। इसकी खासियत है कि इसे मॉनसून में भी खाया जा सकता है। छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में इसे खास तौर से खाया जाता है।अमाड़ी हरे और लाल तने वाली एक हरी सब्जी है, जो कि अम्बाडी हिबिस्कस परिवार से संबंधित है। यह एक जंगली सब्जी है, जो लगभग भारत के हर कोने में होती है।ज्वार की रोटी और आमाड़ी की भाजी निमाड़ का एक पारंपरिक पाक व्यंजन है। यह मध्यप्रदेश के निमाड़ क्षेत्र में प्राय: हर घर में बनाई जाती है। अम्बाडी इस सब्जी का मराठी नाम है। तेलुगू में इसे गोंगुरा, मराठी में अम्बाड़ी, तमिल में पुलिचा किराइ, कन्नड़ में पुंडी, हिंदी में पितवा, उडिय़ा में खाता पलंगा, असमिया में टेंगा मोरा और बंगाली में मेस्तापत नाम से जाना जाता है। इससे पता चलता है कि देश के ज्य़ादातर हिस्सों में ये साग खाया जाता है।क्या हैं इसके फायदेयह विटामिन ए, विटामिन बी और विटामिन सी से भरपूर होती है। इस वजह से यह आंखों और त्वचा के लिए काफी अच्छी होती हैं। पोटैशियम और मैग्नीशियम से भरपूर होने की वजह से इसका नियमित सेवन करने से यह बीपी को कंट्रोल में रखती है। अमाड़ी दो तरह की होती है- एक हरी डंथल वाली और दूसरी लाल डंथल वाली। लाल रंग की अमाड़ी में हरी गोंगुरा की तुलना में ज्यादा खटास होती है। इसलिए लाल अमाड़ीका इस्तेमाल चटनी-अचार में ज्यादा किया जाता है। लाल अमाड़ी ज्यादा पौष्टिक भी होती है। चूंकि यह धीरे-धीरे पचता है, यह आंत के पारिस्थितिकी तंत्र को भी पोषण करने में मदद करता है जो शारीरिक कार्यों के लिए आवश्यक है।इम्युन सिस्टम को मजबूत बनाने में सहायकऐसा माना जाता है कि अमाड़ी में ऐसे पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर के इम्युन सिस्टम को मजबूत बनाए रखने में मदद करते हैं। अमाड़ी में विटामिन सी होता है, जो इम्युनिटी को बूस्ट करने और शरीर में व्हाइट ब्लड सेल्स को बढ़ाने में मददगार होता है।फोलिक एसिड और आयरन का स्त्रोतऐसा माना जाता है कि अम्बाडी आयरन और फोलिक एसिड का एक अच्छा स्त्रोत है। यह शरीर में एनिमिया का खतरा कम करता है।पेट को स्वस्थ रखेअमाड़ी का सेवन पेट को स्वस्थ रखने में मदद करता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें धीरे-धीरे पचने वाले स्टार्च होते हैं, जिससे कि यह पेट के इकोसिस्टम को बनाए रखने में मदद करते हैं। यह भाजी पेट में स्वस्थ बैक्टीरिया को बनाए रखने में मददगार होती है। यह कब्ज की समस्या भी दूर करती है।हड्डियों के लिए फायदेमंदअमाड़ी के पत्ते हड्डियों को मजबूत बनाए रखने का एक सुरक्षित और शानदार उपाय है। इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम और फास्फोरस की प्रचुर मात्रा होती है। यह हड्डियों को मजबूत बनाए रखने में मददगार होते हैं। इस सब्जी का नियमित सेवन करने से ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों से भी बचा जा सकता है।
- चिया सीड्स का उपयोग आजकल वजन कम करने के लिए ज्यादा हो रहा है। इसे विभिन्न खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों में चिया बीजों को मिलाकर सेवन किया जा सकता है। अभिनेत्री आलिया भट्ट भी इसका इस्तेमाल कर अपने आप को स्लिम फिट रखती हैं। चिया बीज भी प्रभावी रूप से वजन घटाने वाले बूस्टर में से एक हैं। चिया बीज की पहचान एक सुपरफूड के रूप में की गई है जो पोषक तत्वों से भरा हुआ होता है। ये बीज प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत होते हैं,, जो वजन घटाने की प्रक्रिया को तेज करने में मदद करते हैं। चिया बीज को डाइट में शामिल करने से शाकाहारियों को प्रोटीन प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।न्यूट्रिशनिस्ट यानी को न्यूट्रिशन एक्सपर्ट बताते हैं कि हाल के दिनों में चिया सीड्स ने न केवल उच्च प्रोटीन, फाइबर और ओमेगा -3 फैटी एसिड सामग्री के कारण लोकप्रियता हासिल की है, बल्कि इनका सेवन शाकाहारी या ग्लूटेन-सेंसिटिव लोगों के बीच भी काफी बढ़ा है और लोगों ने अपनी डेली डाइट में भी शामिल करना शुरू किया है। चिया बीजों में घुलनशील और अघुलनशील फाइबर दोनों होते हैं साथ ही ये प्रोटीन और ओमेगा -3 फैटी एसिड से भी समृद्ध होते हैं। ये बीज आपको लंबे समय तक परिपूर्णता की भावना प्रदान करते हैं। इसके साथ ही ये बीज भूख को कम करने और भोजन से कैलोरी के अवशोषण को कम कर वजन कम करने में मदद करते हैं। कैसे करें चिया के बीज का उपयोग ?चिया के बीजों को खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थों दोनों में शामिल किया जा सकता है। आप कुछ चिया बीज को रात भर पानी में भिगों कर रख सकते हैं और सुबह उठकर खाली पेट इस मिश्रण को पी सकते हैं। आप इसके स्वाद को बेहतर बनाने के लिए इसमें कुछ नींबू और शहद भी मिला सकते हैं। भिगोया हुआ चिया बीजों को डिटाक्स वाटर में भी जोड़ा जा सकता है।चिया का हलवाचिया बीज सीमित कैलोरी के साथ पोषक तत्वों का एक पावरहाउस है। ये बीज फाइबर, उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन, एंटीऑक्सिडेंट, मैग्नीशियम और कई अन्य पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं।अभिनेत्री आलिया भट्ट सुबह के नाश्ते या शाम के नाश्ते के रूप में चिया का हलवा खाना पसंद करती हैं। आलिया भुने हुए चिया बीज, नारियल के दूध, प्रोटीन पाउडर का एक स्कूप और आर्टिफिशियल स्वीटनर की कुछ बूंदों सहित कई अद्भुत स्वस्थ सामग्रियों के मिश्रण के साथ चिया बीजों का हलवा बनाती हैं, जो उनकी सेहत का राज है।चिया बीजों के अलावा आलिया को ये चीजें हैं पसंदआलिया को मूंग की दाल का हलवा और खीर बेहद पसंद हैं। आलिया को राजमा सलाद और खिचड़ी भी बेहद पसंद हैं, जिसे वे चुकंदर के सलाद और चिया के हलवे के अलावा खाना पसंद करती हैं।आलिया पोषक तत्वों के साथ हेल्दी फूड करती हैं पसंदअपने पसंदीदा फूड विकल्पों में आलिया स्वस्थ खाद्य पदार्थों का एक मिश्रण चुनती है, जो आवश्यक पोषक तत्वों से भरे होते हैं। नियमित रूप से व्यायाम और डाइट हेल्दी वजन बनाए रखने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं और आलिया ने इन दोनों को जारी रखना पसंद करती हैं।
- क्या आप अपने के कॉफी कप में कुछ प्रोटीन लेना पसंद करेंगे? कुछ मशहूर हस्तियां प्रोटीन कॉफी को पीना काफी पसंद करते हैं। यह प्रोटीन कॉफी आपके लिए कई स्वास्थ्य लाभों से भरपूर हैं। मांसपेशियों की वृद्धि के लिए प्रोटीन के लाभ के बारे आप सभी जानते होंगे। अगर आप जिम जाने वाले लोग हैं, तो आप अच्छी मसल्स और स्टैमिना बनाने के लिए कसरत के बाद नियमित रूप से प्रोटीन शेक लेते हैं। वहीं दूसरी ओर, कॉफी की बात करें, तो इसमें कैफीन होता है, जो शरीर को सक्रिय करता है। इसके अलावा, यह मांसपेशियों के दर्द को कम करता है और मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है। प्रोटीन और कॉफी के इस विशेष मिश्रण को स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है क्योंकि यह दोनों मिलकर इसके लाभों को दोगुना कर देते हैं।यह प्रोटीन कॉफी स्वाद में ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी बेहद स्फूर्तिदायक, उत्तेजक और फायदेमंद है। आइए यहाँ आप प्रोटीन कॉफी पीने के कुछ अद्भुत स्वास्थ्य लाभों के बारे में जानें।-स्लिम- ट्रिम और हेल्दी होने की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए प्रोटीन कॉफी पीना काफी अच्छा है। प्रोटीन कॉफी न केवल मेटाबोलिज्म को बढ़ाता है, बल्कि यह आपकी तेज भूख को भी शांत करता है। इस प्रकार, आप कम खाएंगे जिसका अर्थ है लो कैलोरी! यह कहा जाता है कि वर्कआउट करने से एक घंटे पहले प्रोटीन कॉफी का सेवन वजन घटाने को बढ़ावा देता है।-प्रोटीन पाउडर और कॉफी के इस संयोजन से ब्लड सकुर्लेशन सही रहता है, जिससे कि आपका ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहता है। यह आपके ब्लड सकुर्लेशन बढ़ाता है और खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है। यह आपके हृदय की कोशिका की क्षति को रोकता है। इतना ही नहीं, यह आपके हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए बेस्ट है।-कैफीन तनाव को कम करता है और मूड में सुधार करता है। वहीं प्रोटीन आपके मस्तिष्क को सतर्क और केंद्रित रहने में मदद करता है। प्रोटीन कॉफी आपके मानसिक कार्यों में सुधार करता है और अनुभूति को बढ़ाता है। प्रोटीन या सोया प्रोटीन पाउडर दोनों का उपयोग प्रोटीन कॉफी में किया जा सकता है।-मांसपेशियों के निर्माण के लिए, मांसपेशियों के नुकसान को प्रतिबंधित करना महत्वपूर्ण है। उम्र बढऩे के साथ हमारी मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, जो हमें कई पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं जैसे हृदय की समस्याओं, मोटापे आदि के खतरे में डालती हैं। प्रोटीन कॉफी आपके शरीर को स्वस्थ और हार्दिक बनाए रखने के लिए उम्र से संबंधित मांसपेशियों की क्षति को कम करता है। आप बेहतर परिणाम के लिए इसे नियमित वर्कआउट के बाद का हिस्सा बना सकते हैं।-खाली पेट व्यायाम करना आपके शरीर के लिए अच्छा नहीं है। पोषण विशेषज्ञ बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए जिम सेशन से पहले कुछ खाने की सलाह देते हैं। वर्कआउट से एक घंटे पहले प्रोटीन कॉफी पीना आपको वर्कआउट सेशन के लिए चार्ज रखने के लिए पर्याप्त है।-मोटे लोगों को मेटाबॉलिक सिंड्रोम विकसित होने का अधिक खतरा होता है। जैसा कि प्रोटीन कॉफी वजन घटाने को बढ़ावा देता है, यह उन लोगों में मेटाबॉलिक सिंड्रोम के जोखिम को कम करने की संभावना है जो नियमित रूप से प्रोटीन कॉफी पीते हैं। यह तेजी से फैट बर्न को उत्तेजित करता है, जिससे आपको वजन संबंधी स्वास्थ्य जटिलताओं को कम करने में मदद करते हैं।
- आप आलू और शकरकंद तो खाते ही होंगे! लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन दोनों में से कौन सा अधिक फायदेमंद है? आलू व शकरकंद दोनों ही खाने में स्वादिष्ट लगते हैं और स्वादिष्ट होने के साथ साथ यह कुछ हद तक स्वास्थ्यवर्धक भी होते हैं। सामान्य तौर से आलुओं में केले से भी ज्यादा पोटेशियम होता है और वह फाइबर से भी भरपूर होते हैं।आलू और शकरकंद में बीटा कैरोटीन नामक एंटी ऑक्सीडेंट की मात्रा अलग-अलग होती है। ये शकरकंद में थोड़ी ज्यादा होती है तभी इसका रंग लाल होता है। आम तौर पर बीटा कैरोटीन आप की सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। जो लोग बीटा कैरोटीन को अपनी डाइट में शामिल करते हैं उनकी समय से पहले रोगों द्वारा मृत्यु बहुत कम होती है। कुछ लोग इसीलिए शकरकंद को बहुत स्वास्थ्यवर्धक मानते हैं और आलुओं से चूंकि चिप्स, फ्राईस आदि बनाये जाते हैं, इसलिए उन्हें हानिकारक माना जाता है। आइए जानते हैं दोनों के बीच क्या क्या अंतर होता है।दोनों के बीच पोषण के आधार पर अंतर-कैलोरी - एक सफेद आलू में 125 कैलोरी होती हैं। शकरकंद में 108 कैलोरी होती हैं।--प्रोटीन- सफेद आलू में 1.9 ग्राम प्रोटीन होता है और शकरकंद में 1.3 ग्राम प्रोटीन होता है।-वसा- दोनों सफेद और मीठे आलू में 4.2 ग्राम वसा होती है। यानी एक समान मात्रा।- कार्बोहाइड्रेट- एक सफेद आलू में 20.4 ग्राम काब्र्स होते हैं और एक शकरकंद में 16.8 ग्राम काब्र्स होते हैं।-फाइबर- सफेद आलू में 1.4 ग्राम फाइबर होता है और शकरकंद में 2.4 ग्राम होता है।- शुगर- एक सफेद आलू में 5.5 ग्राम तो शकरकंद में 5.5 ग्राम शुगर होती है।- पोटेशियम- एक सफेद आलू में 219 मिलीग्राम (प्रतिदिन जरूरत का 4.7 प्रतिशत ) तो शकरकंद में 372 मिलीग्राम पोटेशियम ( दैनिक जरूरत का 7.9 प्रतिशत) होता है।- विटामिन सी- दोनों में 12.1 मिलीग्राम विटामिन सी होता है (दैनिक जरूरत का 13.4 प्रतिशत है)।इन दोनों में अंतर के बाद पता चलता है कि आलू में बेशक कैलोरी ज्यादा होती हैं (केवल 17 कैलोरी) जो कि न के समान हैं। परंतु आलू में बाकी पोषण जैसे पोटैशियम व प्रोटीन आदि शकरकंद से बहुत अधिक मात्रा में उपलब्ध है। अत: आलू भी आप की सेहत के लिए स्वास्थ्यवर्धक है।डायबिटीज के मरीज किसे खा सकते हैंजैसा कि हम जानते हैं कि डायबिटीज के रोगियों को खान पान का विशेष ध्यान रखना होता है। तो यदि वे इनका सेवन कम मात्रा में कर रहे हैं तो दोनों में किसी से भी उन को कोई हानि नहीं पहुंचेगी। कुछ आलू छोटे साइज के होते हैं तो वह (आलू जो आप को मुठ्ठी जितने आकर के हों) उन्हें खा सकते हैं। परन्तु शकरकंद का साइज आलू से थोड़ा बड़ा होता है। इसलिए आप या तो उसे आधा करके खाएं या बिल्कुल ही न खाएं।वजन घटने में कौन सा सहायक हैलोगों में यह भ्रम होता है कि जब वजन घटाना हो तब आलू नहीं खाना चाहिए। परन्तु इन आलुओं को कैसे खा रहे हैं, उस बात पर हमारा वजन बढऩा या घटना निर्भर करता है। यदि आप आलू को चिप्स के रूप में तल कर (फ्राई) खा रहे हैं तो उन में मौजूद तेल के कारण जाहिर है आप का वजन बढ़ेगा ही। परंतु यदि आप आलुओं को ऐसे ही खा रहे हैं तो आप का वजन नहीं बढ़ता। ज्यादा पोषण मौजूद होने के कारण यह आप के लिए हेल्दी भी है।
- चिकित्सक ज्यादा चीनी खाने से बचने की सलाह देते हैं। ऐसे में लोग चीनी के विकल्प तलाशते हैं। खासकर डायबिटीज के मरीजों को मीठे के अन्य विकल्पों को ढ़ूंढना पड़ता है। जैसे कि शुगर फ्री चीजें, ब्राउन शुगर और गुड़ आदि। ऐसे में चीनी के कुदरती विकल्प के रूप में आप नारियल से बने चीनी का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये डायबिटीज और दिल की बीमारियों के खतरे को भी कम करता है।नारियल चीनी कुछ और नहीं बल्कि नारियल को पीसा कर बनाई गई चीनी है। इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये अनप्रोसेसड है और चीनी का सबसे नेचुरल विकल्प है। वहीं ये डायबिटीज के मरीजों के लिए ही नहीं बल्कि शरीर के लिए भी कई मायनों में फायदेमंद है। तो आइए जानते हैं क्या है ये और इसके फायदे।नारियल चीनीनारियल चीनी को सूखा कर और पीस कर बनाया जाता है। वहीं कुछ पारंपरिक तरीकों की बात करें तो नारियल चीनी नारियल को उबाल कर भी बनाया जाता है। इस चीनी में फ्रुक्टोज की सामग्री कम होती है और कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाला होता है, जो डायबिटीज रोगी के लिए बहुत फायदेमंद है। इसमें नियमित सफेद चीनी की तुलना में कुछ खनिजों और एंटीऑक्सिडेंट की मात्रा ज्यादा होती है। ये एक अन्य कारक है, जो नारियल चीनी को और फायदेमंद बनाता है। ये दिखने में कंपाउड ब्राउन शुगर की तरह दिखता है, जिसे बेकिंग और खाना पकाने में एक प्राकृतिक स्वीटनर के रूप में उपयोग किया जा सकता है।नारियल चीनी के फायदेकम कैलोरी वाली है नारियल चीनीनारियल चीनी कम कैलोरी वाली होती है। ये ब्राउन शुगर जैसी है, जिसमें कैलोरी की कमी होती है लेकिन नियमित रूप से अधिक पोषण देता है। इसके अलावा, नारियल का चीनी में आयरन, जिंक, पोटेशियम, पॉलीफेनोल, फ्लेवोनोइड और फाइबर की मात्रा अधित होती है। पांच ग्राम नियमित चीनी में लगभग 40 कैलोरी होती है। दूसरी ओर, नारियल चीनी की समान मात्रा में लगभग 20 से 25 कैलोरी होती है। इस तरह ये वजन कम करने में आपकी मदद कर सकता है।पेट की आंत के लिए फायदेमंदहम सभी जानते हैं कि आंत के लिए प्रीबायोटिक्स कितने अच्छे हैं। ये पाचन को दुरुस्त रखते हैं जिसके कारण हमारा शरीर अच्छे से काम करता है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि नारियल चीनी में प्रीबायोटिक्स भी हैं। नारियल में चीनी में इंसुलिन नामक एक फाइबर होता है जो एक आहार फाइबर है जो आंत के लिए बहुत अच्छा है। यह एक प्रीबायोटिक के रूप में कार्य करती है और आंत के बैक्टीरिया के लिए फायदेमंद है।यह ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करता हैनारियल चीनी का ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) कम है। जीआई एक माप है, जो हमारे ब्लड शुगर और ग्लूकोज के स्तर पर उनके प्रभाव के साथ-साथ कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों का मूल्यांकन करता है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि नियमित चीनी के मुकाबले नारियल चीनी का जीआई 35 है, वहीं रेगुलर चीनी का जीआई 60 से 65 के बीच है। साथ ही, इसमें मौजूद इंसुलिन रक्त में ग्लूकोज के अवशोषण को धीमा करने में मदद करता है जो मधुमेह जैसी समस्याओं को रोकता है।नारियल चीनी के इस्तेमाल की भी अपनी सीमा है। एक दिन में 12 ग्राम नारियल चीनी का सेवन आदर्श मात्रा है, लेकिन, सबसे अच्छी बात ये है कि आप इस चीनी का इस्तेमाल मिठाई और घर की मध्यम मीठी चीजों को बनाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
- वजन घटाने वालों के लिए मखाना एक उत्कृष्ट स्नैक विकल्प है क्योंकि यह कैलोरी में कम है। यह आपके कैलोरी काउंट को नियंत्रित रखने में मदद करता है, जो वजन घटाने की प्रक्रिया के प्रमुख नियमों में से एक है। यह लंबे समय तक भूख नहीं लगने देता। इसमें प्रोटीन और फाइबर पर्याप्त मात्रा में होती है। मखाना में कैलोरी कम होती है और खाने से पेट भरा- भरा लगता है। मखाना आपके वजन कम करने की यात्रा में कैसे मददगार हो सकता है? आइए जानते हैं!मखाने में मौजूद पोषक तत्वकोलेस्ट्रॉल, वसा और सोडियम में कम, मखाना असामयिक भूख के लिए एक आदर्श स्नैक है। मखाना के फायदे यहीं तक सीमित नहीं हैं। यह हल्का फुल्का नाश्ता भी है। इसे आप कई तरीकों से अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। जानिए मखाना के पोषक तत्व।100 ग्राम मखाना में शामिल हैं-कैलोरी- 347 केसीएलप्रोटीन- 9.7 ग्रामवसा- 0.1 ग्रामकार्बोहाइड्रेट- 76.9 ग्रामफाइबर- 14.5 ग्राममखाना से मिलने वाले अन्य स्वास्थ्य लाभ-मखाना में आयरन, कैल्शियम, पोटैशियम और फॉस्फोरस भरपूर मात्रा में होते हैं। मखानों का नियमित सेवन आपको कई तरह से मदद कर सकता है।-कैल्शियम का एक समृद्ध स्रोत होने के कारण, मखाना हड्डी और दांतों के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है।-मखानों के कसैले गुण गुर्दे की समस्याओं को कम करने और उन्हें स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं।-फॉक्स नट्स में एंटीऑक्सिडेंट और एंटी इंफ्लामेट्री गुण होते हैं जो शरीर में पुरानी सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव के प्रबंधन के लिए बेस्?ट हैं।-मखाने कई एंजाइमों की उपस्थिति के कारण एंटी-एजिंग गुणों को भी रोकते हैं।-मखानों में मौजूद मैग्नीशियम आपके दिल को स्वस्थ रखता है।-आप मखाने के चार दानों का सेवन करके शुगर से हमेशा के लिए निजात पा सकते है। इसके सेवन से शरीर में इंसुलिन बनने लगता है और शुगर की मात्रा कम हो जाती है। फिर धीरे-धीरे शुगर रोग भी खत्म हो जाता है।- मखाना केवल शुगर के मरीज के लिए ही नहीं बल्कि हार्ट अटैक जैसी गंभीर बीमारियों में भी फायदेमंद है। इनके सेवन से दिल स्वस्थ रहता है और पाचन क्रिया भी दुरूस्त रहती है।- मखाने के सेवन से तनाव दूर होता है और अनिद्रा की समस्या भी दूर रहती है। रात को सोने से पहले दूध के साथ मखानों का सेवन करें और खुद फर्क महसूस करें।- मखाने में कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता है। इनका सेवन जोड़ों के दर्द, गठिया जैसे मरीजों के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है।- मखाना एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर होता है जो सभी आयु वर्ग के लोगों को आसानी से पच जाता है। इसके अलावा फूल मखाने में एस्ट्रीजन गुण भी होते हैं जिससे यह दस्त से राहत देता है और भूख में सुधार करने के लिए मददगार है।- किडनी को मजबूत बनाने और ब्लड को बेहतर रखने के लिए मखाने का नियमित सेवन करें।मखाना खाने का तरीकावजन कम करने की योजना के साथ आप मखाने को अलग-अलग तरीकों से खा सकते हैं। आप इन्हें सूखा भुना हुआ या अधिक स्वाद जोडऩे के लिए एक चम्मच घी या नारियल तेल मिलाएं। कुछ नमक और काली मिर्च छिड़कें और भूख लगने पर इसका आनंद लें।
- अलग-अलग तरह के व्यंजन बनाने में धनिया पत्ता का खूब इस्तेमाल होता है। दरअसल धनिया एक शक्तिशाली औषधि है, जिससे शरीर को काफी फायदा पहुंचता है। धनिया पत्ता में थाइमाइन, विटामिन सी, राइबोफ्लाविन, फास्फोरस, कैल्सियम, आइरन, नाइसिन, सोडियम, कैरोटीन, ऑक्सलिक एसिड और पोटैशियम प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। साथ ही इसमें कार्बोहाईड्रेट, प्रोटीन, फैट, फाइबर और पानी भी बड़ी मात्रा में पाया जाता है।इसका स्वाद हल्का तीखा होता है, जिससे यह भोजन में एक खास किस्म का फ्लेवर पैदा करता है। धनिया पत्ती भले ही ज्यादा महंगा न हो, पर स्वास्थ्य के लिए यह काफी फायदेमंद है। व्यंजनों को और भी लजीज बनाने के साथ-साथ यह कई बीमारियों को भी दूर करता है। ताजा धनिया पत्ता में विटामिन सी, विटामिन ए, एंटी ऑक्सीडेंट और फॉस्फोरस जैसे मिनरल पाए जाते हैं, जो मस्कुलर डिजेनरेशन, नेत्र शोथ और आंखों की उम्र वृद्धि को कम करता है। साथ ही इससे आंखों को आराम भी पहुंचता है। अपने एंटी-फंगल, एंटी-सेप्टिक, डिटॉक्सीफाइंग और डिसइंफेकटेंट गुणों के कारण ताजा धनिया पत्ता त्वचा से संबंधित कुछ समस्याओं से भी निजात दिलाता है-धनिया पत्ता एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी माइक्रोबायल और एंटी इंफेक्शस का बेहतरीन स्नेत है। साथ ही इसमें पाए जाने वाला आयरन और विटामिन सी इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है। चेचक के दौरान इससे आराम पहुंचता है। साथ ही यह चेचक के दर्द को भी कम कर देता है।-धनिया के सुगंधित तेल में सिटरोनेलोल पाया जाता है, जो कि एक बेहतरीन एंटी सेप्टिक है। इसके अलावा दूसरे तत्वों की बात करें तो इसमें एंटी माइक्रोबायल और उपचारात्मक गुण भी पाया जाता है, जो जख्म और मुंह के छाले के लिए फायदेमंद होता है। धनिया से सांसों में ताजगी आती है और मुंह के छाले भी ठीक होते हैं।- ताजा धनिया का पत्ता ओलक्ष्क एसिड, निलओलक्ष्क एसिड, स्टेरिक एसिड, पलमिटिक एसिड और एस्कॉर्बिक एसिड का बेहतरीन स्रोत है। यह सारे तत्व रक्त के कोलेस्ट्रोल स्तर को घटाने में बेहद प्रभावी होते हैं। साथ ही यह शिरा और धमनी की अंदरूनी परत पर कोलेस्ट्रोल को जमा होने से रोकता है, जिससे हार्ट अटैक का खतरा काफी कम हो जाता है।-ताजा धनिया पत्ता ऐपटाइजर के रूप में भी काम करता है। यह एंजाइम और पाचन के लिए जरूरी रस के स्राव में मददगार होता है। यानी धनिया पत्ता भोजन को पचाने में भी मदद करता है। धनिया पत्ता ऐनरेक्सीया से निजात पाने में भी सहायक होता है।-धनिए में एंटी-इंफ्लेमेंट्री गुण होते हैं इसलिए धनिए का सेवन करने से सूजन कम होती है। त्वचा की सूजन कम करने हेतु धनिए के एसेशिंयल ऑयल का भी उपयोग करना लाभकारी होता है।- हरा धनिया में फाइबर होता है। इसलिए इसका सेवन करने से सेहत पाचन तंत्र सही रहता है और पेट की बीमारियां नहीं होती है।- धनिया खून में शर्करा के लेवल को कम करता है इसलिए इसका सेवन करने से इंसुलिन का स्तर सही बना रहता है। यही कारण है कि धनिए का सेवन करना डायबिटीज के रोगियों के लिए फायदेमंद होता है। धनिया खाने से शुगर जैसी समस्या से राहत मिलती है।-धनिया पत्ते का जूस शरी के विषैले तत्वों को बाहर निकालता है। कैलोरी कम होने से इसके सेवन से वजन कंट्रोल रहता है। खून की कमी भी दूर होती है। आंखों की कमजोरी भी दूर होती है।-धनिया के पत्ते में मौजूद पौटेशियम इंसान की दिल की बीमारियों को दूर रखने में मदद करता है।-
- हमारे देश में बरसों से त्वचा से संबंधित समस्याओं को ठीक करने में नीम का प्रयोग होता आ रहा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि नीम का घी भी त्वचा संबंधित समस्याओं के लिए बहुत ही अच्छा और एक रामबाण उपाय है। यह हमारे पुरखों का एक अजमाया हुआ नुस्खा हैं। ऐसा माना जाता है कि त्वचा से संबंधित समस्याओं को ठीक करने में हम अपना हजारों रुपया बर्बाद कर देते हैं लेकिन जब बात प्राकृतिक नुस्खों की आती है तो हमारे मुंह पर पहला शब्द नीम ही आता है।एलोपैथिक दवाओं से भले ही ये समस्या एक बार में ठीक हो जाती है लेकिन कुछ दिनों बाद ये अपनी दोगुनी शक्ति से दोबारा निकल आती है और दवाओं का प्रभाव कम हो जाता है। लेकिन नीम की पत्तियों से बना हुआ घी आपकी इन समस्याओं का एक बहुत ही अच्छा और सस्ता उपाय है। अगर आप सोच रहे हैं कि नीम की पत्तियों से घी कैसे बनाया जा सकता है तो इस लेख में हम आपको पत्तियों से घी बनाने का तरीका बता रहे हैं, जो आपकी हर छोटी-मोटी त्वचा से संबंधित समस्याओं को दूर कर सकता है।नीम का घी बनाने की विधिनीम का घी बनाने के लिए आप सबसे पहले नीम की कुछ ताजी पत्तियां लें और उन्हें अच्छी तरह से धोकर मिक्सी में दरदरा कर पीस लें। उसके बाद इस पेस्ट को देसी घी में अच्छी तरह से पका लें। जब नीम की पत्तियों में बसा पानी बिल्कुल सूख जाए और सिर्फ घी ही घी दिखाई दे तो गैस बंद कर दें। इस मिश्रण को थोड़ा ठंडा होने दें और ठंडा होने के बाद छानकर किसी बर्तन में रख लें।सेवन का तरीकाआपको रोजाना सुबह -सुबह खाली पेट इस घी की आधी चम्मच का सेवन करना है। हां आप इसे हल्का सा गर्म कर चाय के साथ भी ले सकते हैं। नियमित रूप से इस घी का सेवन करने पर आप देखेंगे कि त्वचा से संबंधित समस्याएं कुछ ही दिनों में खत्म हो जाएंगी। नीम का घी आपको खारिश, खुजली, फोड़े, फुंसी इत्यादि को ठीक करने में बहुत ही कारगर उपाय हैं।क्यों फायदेमंद है नीम का घीबता दें कि नीम में अच्छी मात्रा में औषधीय गुण पाए जाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार नीम में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीमाइक्रोबायल, शुक्राणुनाशक, हाइपोग्?लाइसेमिक और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं, जो इन समस्याओं का संहार करते हैं। इसके अलावा नीम के पत्तों में निबिडीन, सोडियम से संबंधित योगिक होता है, जो त्वचा रोगों में उपचार के काम आता है। नीम में शुक्राणुनाशक गुण है, जो शरीर पर मौजूद बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद करता है। नीम में जीवाणुरोधक बैक्टीरिया के खात्मे में मदद करते हैं।नीम का रस पीने के फायदेनीम का रस शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है। इसमें प्रचुर मात्रा में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो त्वचा के काले धब्बे को दूर करने में मदद करते हैं। इसके अलावा नीम का रस, त्वचा पर मुंहासे और पिंपल्स को भी दूर करने का काम करता है। नीम का रस एक डिटॉक्स पेय है, जो शरीर में से विषाक्त पदार्थ को बाहर निकालता है और त्वचा की सुरक्षा करता है।- अगर आप नाइटब्लाइंसलेंस की शिकायत से परेशान हैं और इस समस्या को दूर करना चाहते हैं तो नीम रस बेहद लाभदायक होता है। कुछ शोधकर्ता के अनुसार नीम का रस पीने से आंखो के अंधापन की समस्या कम हो जाती है। इतना ही नहीं हल्का नीम का रस आंखो पर लगाने से भी साफ दिखाई देने लगता है। लेकिन एक बार डॉक्टर से बात जरूर करें।-आयुर्वेद के मुताबिक, बुखार में नीम के रस पीने से मरीज की तबीयत में सुधार होता है। बुखार को कम करने के लिए ताजी नीम की पत्तियों का रस चम्मच में निकालकर मरीज को पिलाना चाहिए। ऐसा करने से बुखार कम होने लगता है।- वजन कम करने वाले लोगों के लिए नीम का रस बहुत फायदेमंद है। नीम का रस रोजाना पीने से वजन कम होता है क्योकि इनकी पत्तियों में मेटाबॉलिज्म तेज करने की क्षमता होती है, जो वजन कंट्रोल करने में मदद करता है। स्वाद के लिए आप नीम के रस में शहद व नींबू मिलाकर भी पी सकते हैं।(नोट- ऊपर दिए गए कोई भी उपाय करने से पहले एक बार अपने चिकित्सक की अवश्य राय लें।)
- शहनाज हुसैन की कलम से.....बाजार में सेब की नई फसल ने दस्तक दे दी है। देश के मुख्य पहाड़ी राज्यों में सेब की फसल जुलाई के अंत तक पक जाती है तथा सेब का सीजन अगस्त के पहले माह में शुरू हो जाता है तथा अक्टूबर के अंत तक चलता है । हालांकि बाजार में सेब की बिक्री साल भर चलती है लेकिन अक्टूबर के बाद सेब बगीचों की बजाय कोल्ड स्टोर से आना शुरू होते हैं या फिर महंगे विदेशी ब्रांड के उपलब्ध होते हैं जो कि काफी महंगे होते हैं और आम आदमी की पकड़ से बाहर होते हंै। इसलिए अगर आप सेब का आनन्द उठाना चाहते है ंतो यह सबसे सही सीजन है जहां बगीचों से सीधे उचित दाम पर सेब आपकी रसोई में पहुंच रहे हैं।इस सेब सीजन में विभिन्न प्रजातियों के रसीले , रंग बिरंगे , स्वास्थ्य बर्धक और खूबसूरत सेबों का हम सभी आनन्द लेते हैं , लेकिन क्या आप जानते हैं की सेब आपके स्वास्थ्य के अलावा आपकी खूबसूरती निखारने के भी काम आ सकते हैं । सेब अपने विभिन्न गुणों की बजह से जहां स्वास्थ्य के लिए संजीदा लोगों की पहली पसंद माने जाते हैं तो दूसरी हर्बल के माध्यम से सौन्दर्य निखारने बाले ब्यूटी सैलून और सौंदर्य विशेषज्ञों की भी पहली पसंद माने जाते हैं।सेब पौष्टिक आहार में सबसे सस्ता और स्वास्थ्यवर्धक फल माना जाता है। ताजे सेब फाईबर, विटामिन-सी, कॉपर,मिनरल तथा विटामिन ए जैसे पौषक तत्वों से भरपूर होते है जिसकी वजह से इनके नियमित सेवन से दिल, हड्डियों, आंखों और पुराने मानसिक रोगों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। सेब को विश्वभर में स्वास्थ्यवर्धक तथा ताजे फलों के लिए जाना जाता है।सौंदर्य निखारने के लिए सेब का ऐसे करें इस्तेमाल-सेब को पीस कर इसमें एक चमच शहद , गुलाब जल और जई का ऑटा मिलाकर पेस्ट बना लें तथा इस पेस्ट को चेहरे तथा खुले भाग पर लगा कर आधे घण्टे बाद ताजे साफ पानी से धो डालें । इससे त्वचा की बाहरी मृत कोशिकाओं को हटाने में मदद मिलेगी जिससे आपकी त्वचा साफ और निखरी निखरी नजर आएगी।- सेब के जूस को चेहरे पर 20 मिनट तक लगाकर सादे पानी से धोने से त्वचा में चमक तथा निखार आता है। सेब का जूस त्वचा पर लगाने से त्वचा के प्रकृतिक पी एच संतुलन को बनाये रखने में मदद मिलती है। अगर आप जूस लगाने से परहेज़ करते हैं तो आप सेब का स्लाइस भी चेहरे पर रगड़ सकते हैं।- सेब में आद्रता की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। सेब खाने से आप शरीर को हाईड्रेट कर सकते हैं जिससे आपकी त्वचा प्रकृतिक तौर पर निखरी नजऱ आएगी। आप ताजे सेब की स्लाइस काट कऱ अपने चेहरे पर लगा लीजिये तथा जब यह स्लाइस सुख जाएं तो आधे घण्टे बाद इन स्लाइस को हटा कर चेहरे को ताजे पानी से धो डालिये । सेब में विद्यमान विटामिन ई से आपके चेहरे की त्वचा मुलायम और हाईड्रेट रहेगी। सेब को आप अपने फेस पैक में नियमित रूप से शामिल करके इस फल के प्रकृतिक गुणों का लाभ उठा सकती हैं ।-सेब के रस में बादाम तेल तथा दूध या दही मिलाकर स्क्रब के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है। सेब के कदूकश को दही में मिलाकर चेहरे पर लगाने से दाग धब्बे दूर होते है। सेब के असब के सिरके को अनेक सौंदर्य समस्याओं का समाधन माना जाता है। इससे त्वचा तथा खोपड़ी के एसिड एलकाईन संतुलन बना रहता है तथा यह कील-मुहासों में काफी मददगार साबित होती है। सेब के असब के सिरके को बाहरी रूप में त्वचा तथा बालों की सौंदर्य समास्याओं के लिए प्रयोग किया जाता रहा है, इससे बाल धोने से अनेक फायदे होते है। शैम्पू के बाद दो चम्मच सेब के सत के सिरके को पानी के मग में डालकर सिर को धोने में बालों की समस्याएं खत्म होती है तथा बालों में चमक आती है।-यदि आप बालों की रूसी की समस्या से जूझ रहे हंै तो बालों को शैम्पू करने से आधा घण्टा पहले दो चम्मच सेब के सत के सिरके को खोपड़ी पर अहिस्ता-आहिस्ता मलिए। इसके बाद बालों को शैम्पू से धोने से बालों की रूसी खत्म हो जाती है। अगर आप गम्भीर रूसी की समस्या का सामना कर रहे हंै तो सेब के सत के सिरके को रूई में डुबो कर पूरी खोपड़ी पर धीरे-धीरे लगाएं तथा इसे बालों में सोखनें दें। इसके आध घंटा बाद बालों को शैम्पू से धो ड़ाले इससे रुसी की समस्या खत्म हो जाएगी।- सेब के सत के सिरके को पानी में मिलाकर कॉटन की मदद से चेहरे पर लगाने से चेहरे का एसिड-एलकालीन संतुलन बना रहता है तथा त्वचा की सौन्दर्य समस्याओं से निजात मिलती है। सेब के सत के सिरके से त्वचा की खारिश/खुजली में भी मदद मिलती है। अपने नहाने के पानी में सेब के सत के सिरके को डालकर पानी के नहाने में त्वचा की खाज-खुजली में राहत मिलती है। सेब के सत के सिरके से शरीर की गांठ तथा मस्सों से भी मुक्ति मिलती है। शरीर के मस्सों पर सेब के सत का सिरके के रोजाना लगाने से मस्से खत्म हो जाते हैं। सेब के लगातार सेवन से आप लम्बे , चमकीले बाल पा सकते हैं । सेब में परोसायना ईडन बी 2 मौजूद होते हैं जो कि बालों के स्वास्थ्य के लिए अति महत्वपूर्ण माने जाते हंै ।-ताजे सेब फाईबर, विटामिन-सी, कॉपर तथा विटामिन ए जैसे पौषक तत्वों से भरपूर होते हंै तथा सेब में विद्यमान रैटीनायइस शरीर में निरोगी त्वचा के विकास तथा त्वचा केंसर के खतरे को कम करती है। सेब मात्रा एक स्वादिष्ट फल ही नहीं हैं बल्कि सुन्दरता के गुणों की खान भी है। सेब में विद्यमान मल्टी विटामिन पोषक तथा प्राकृतिक फ्रूट एसिड से त्वचा की रंगत में निखार आता है तथा टैनिंग से प्रतिरक्षा मिलती है। सेब के निरन्तर प्रयोग से शरीर में चिकनाई तथा रोगाणुओं से छुटकारा मिलता है जिससे शरीर में ताजगी स्वास्थ्यवर्धक तथा त्वचा में लालिमा आती है। सेब के निरन्तर प्रयोग से त्वचा पर काले दाग तथा कील-मुंहासे के उपचार में मदद मिलती है। सेब में मिनरल तथा विटामिन के अलावा पैकटिन तथा टैनिन विद्यमान होते हंै जिससे त्वचा की रंगत में गोरापन आता है। अत्यन्त संवेदनशील त्वचा पर पैक्टिन का अत्यन्त आरामदेह प्रभाव देखने में मिलता है। सेब को बेहतरीन स्किन टोनर फेशियल टोनर माना जाता है तथा सेब त्वचा को शान्त करता है, सिर की त्वचा सापफ करता है तथा चेहरे से झुर्रियों को मिटाता है जिससे धमनियों में रक्त संचार बढ़ता है तथा त्वचा में खिंचाव आता है। सेब में एंटी ऑक्सीडेंट गुण विद्यमान होते हैं जिससे त्वचा में यौवनता बरकरार रहती है तथा बुढ़ापे को रोकती है। नवीनतम अनुसंधान में यह पाया गया है कि हरे सेबों में पॉली पफीनाइलन तत्व विद्यमान होते हंै जिससे बालों के झडऩे को रोकने में अहम मदद मिलती है। सेब में फ्रूट एसिड विद्यमान होते हंै जो कि त्वचा को साफ करने में अहम भूमिका अदा करते हंै तथा त्वचा की मृत कोशिकाओं को हटाते है ंजिससे त्वचा में चमक आती है तथा काले दाग धब्बों से मुक्ति मिलती है।-फ्रूंट एसिड से त्वचा में तैलीयपन कम होता है जिससे कील-मुंहासों को रोकने में मदद मिलती है।( लेखिका अन्र्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सौन्दर्य विशेषज्ञ हैं तथा हर्बल क्वीन के नाम से लोकप्रिय हैं।)
- अर्जुन एक औषधीय पौधा है। इसका पेड़ आमतौर पर सभी जगह पाया जाता है। अर्जुन की छाल में अनेक प्रकार के रासायनिक तत्व पाये जाते हैं। इसकी छाल में कैल्शियम कार्बोनेट लगभग 34 प्रतिशत व सोडियम, मैग्नीशियम व एल्युमिनियम प्रमुख क्षार मिलते हैं। कैल्शियम-सोडियम की प्रचुरता के कारण ही यह हृदय की मांसपेशियों के लिए अधिक लाभकारी होता है। अर्जुन में हरड़ और बहेड़ा की तरह औषधीय गुण होते हैं। इस वृक्ष की अंदरुनी छाल में सबसे अधिक औषधीय गुण होते हैं। यह हृदय के लिए शक्तिवर्धक मानी जाती है। ऋग्वेद में इस वृक्ष का उल्लेख किया गया है।इसके औषधीय गुण- अर्जुन की मोटी छाल का महीन चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में मलाई रहित एक कप दूध के साथ सुबह-शाम नियमित सेवन करते रहने से हृदय के समस्त रोगों में लाभ मिलता है, हृदय की बढ़ी हुई धड़कन सामान्य होती है।- अर्जुन की छाल के चूर्ण को चाय के साथ उबालकर ले सकते हैं। चाय बनाते समय एक चम्मच इस चूर्ण को डाल दें। इससे भी समान रूप से लाभ होगा। अर्जुन की छाल के चूर्ण के प्रयोग से उच्च रक्तचाप भी अपने-आप सामान्य हो जाता है। यदि केवल अर्जुन की छाल का चूर्ण डालकर ही चाय बनायें, उसमें चायपत्ती न डालें तो यह और भी प्रभावी होगा, इसके लिए पानी में चाय के स्थान पर अर्जुन की छाल का चूर्ण डालकर उबालें, फिर उसमें दूध व चीनी आवश्यकतानुसार मिलाकर पियें।-अर्जुन की छाल तथा गुड़ को दूध में औटाकर रोगी को पिलाने से दिल में आई शिथिलता और सूजन में लाभ मिलता है।-हृदय की सामान्य धड़कन जब 72 से बढ़कर 150 से ऊपर रहने लगे तो एक गिलास टमाटर के रस में एक चम्मच अर्जुन की छाल का चूर्ण मिलाकर नियमित सेवन करने से शीघ्र ही धड़कन सामान्य हो जाती है।- गेहूं का आटा 20 ग्राम लेकर 30 ग्राम गाय के घी में भून लें जब यह गुलाबी हो जाये तो अर्जुन की छाल का चूर्ण तीन ग्राम और मिश्री 40 ग्राम तथा खौलता हुआ पानी 100 मिलीलीटर डालकर पकायें, जब हलुवा तैयार हो जाये तब सुबह सेवन करें। इसका नित्य सेवन करने से हृदय की पीड़ा, घबराहट, धड़कन बढ़ जाना आदि शिकायतें दूर हो जाती हैं।-गेहूं और इसकी छाल को बकरी के दूध और गाय के घी में पकाकर इसमें मिश्री और शहद मिलाकर चटाने से हृदय रोग में आराम मिलता है।-अर्जुन की छाल का रस 50 मिलीलीटर, यदि गीली छाल न मिले तो 50 ग्राम सूखी छाल लेकर 4 किलोग्राम में पकाएं। जब चौथाई शेष रह जाये तो काढ़े को छान लें, फिर 50 ग्राम गाय के घी को कढ़ाई में छोड़े, फिर इसमें अर्जुन की छाल की लुगदी 50 मिलीलीटर और पकाया हुआ रस तथा दूध को मिलाकर धीमी आंच पर पका लें। घी मात्र शेष रह जाने पर ठंडाकर छान लें। अब इसमें 50 ग्राम शहद और 75 ग्राम मिश्री मिलाकर कांच या चीनी मिट्टी के बर्तन में रखें। इस घी को 6 ग्राम सुबह-शाम गाय के दूध के साथ सेवन करें। यह घी हृदय को बलवान बनाता है तथा इसके रोगों को दूर करता है। हृदय की शिथिलता, तेज धड़कन, सूजन या हृदय बढ़ जाने आदि तमाम हृदय रोगों में अत्यंत प्रभावकारी योग है।- अर्जुन की छाल को छाया में सुखाकर, कूट-पीसकर चूर्ण बनाएं। इस चूर्ण को किसी कपड़े द्वारा छानकर रखें। प्रतिदिन 3 ग्राम चूर्ण गाय का घी और मिश्री मिलाकर सेवन करने से हृदय की निर्बलता दूर होती है।- प्लास्टर चढ़ा हो तो अर्जुन की छाल का महीन चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार एक कप दूध के साथ कुछ हफ्ते तक सेवन करने से हड्डी मजबूत होती है। टूटी हड्डी के स्थान पर भी इसकी छाल को घी में पीसकर लेप करें और पट्टी बांधकर रखें, इससे भी हड्डी शीघ्र जुड़ जाती है।-आग से जलने पर उत्पन्न घाव पर अर्जुन की छाल के चूर्ण को लगाने से घाव जल्द ही भर जाता है।- अर्जुन और जामुन के सूखे पत्तों का चूर्ण उबटन की तरह लगाकर कुछ समय बाद नहाने से अधिक पसीना आने के कारण उत्पन्न शारीरिक दुर्गंध दूर होगी।- अर्जुन की छाल के चूर्ण को नारियल के तेल में मिलाकर छालों पर लगायें। इससे मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।-अर्जुन बलकारक है तथा अपने लवण-खनिजों के कारण हृदय की मांसपेशियों को सशक्त बनाता है। दूध तथा गुड़, चीनी आदि के साथ जो अर्जुन की छाल का पाउडर नियमित रूप से लेता है, उसे हृदय रोग, जीर्ण ज्वर, रक्त-पित्त कभी नहीं सताते और वह चिरंजीवी होता है।- अर्जुन के पत्तों का 3-4 बूंद रस कान में डालने से कान का दर्द मिटता है।- इसकी छाल पीसकर, शहद मिलाकर लेप करने से मुंह की झाइयां मिटती हैं।- अर्जुन की जड़ की छाल का चूर्ण और गंगेरन की जड़ की छाल को बराबर मात्रा में लेकर उसका बारीक चूर्ण तैयार करें। चूर्ण को दो-दो ग्राम की मात्रा में चूर्ण नियमित सुबह-शाम फंकी देकर ऊपर से दूध पिलाने से बादी के रोग मिटते हैं।- अर्जुन की 2 चम्मच छाल को रातभर पानी में भिगोकर रखें, सुबह उसको मसल छानकर या उसको उबालकर उसका काढ़ा पीने से रक्तपित्त में लाभ होता है।- अर्जुन की छाल का 40 मिलीलीटर क्वाथ (काढ़ा) पिलाने से बुखार छूटता है। ठीक हो जाता है। अर्जुन की छाल के एक चम्मच चूर्ण की गुड़ के साथ फंकी लेने से जीर्ण ज्वर मिटता है।(नोट- कोई भी उपाय करने से पहले योग्य चिकित्सक की सलाह अवश्य लें)
- घी भारतीय भोजन का अभिन्न हिस्सा रहा है। इसके कई चमत्कारिक फायदे हैं। आयुर्वेद में घी का काफी महत्व बताया गया है। इसे सुपर फूड माना गया है। आजकल ए- 2 घी का प्रचलन बढ़ रहा है। ए-2 घी गायों के उच्चतम गुणवत्ता वाले ए-2 दूध से बनाया जाता है। परंपरागत रूप से, घी पोषक तत्व-संरक्षण बिलोना मंथन प्रक्रिया के साथ तैयार किया जाता है। इसलिए घी को हमारे शरीर के लिए काफी फायदेमंद और हेल्दी माना जाता है। घी का सेवन हमें कई गंभीर और मौसमी बीमारियों से बचाने का काम करता है साथ ही हमारी इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है।ए-2 घी पर क्या कहता है आयुर्वेदये तो आप सभी जानते हैं कि आयुर्वेद, एक प्राचीन चिकित्सा विज्ञान है जो कई बीमारियों को दूर करने में हमारी मदद करता है। आयुर्वेद भी कहता है कि इस स्वस्थ भोजन के अद्भुत स्वास्थ्य लाभों का अनुभव करने के लिए आपको खाली पेट देसी घी का सेवन करना चाहिए, जो आपको कई तरह के फायदे पहुंचाता है। आयुर्वेद में घी को लेकर माना जाता है कि इसका सेवन कर किसी के भी शरीर को फिर से जीवंत कर सकता है और किसी के भी स्वास्थ्य को बढ़ा सकता है। इसके साथ ही घी का नियमित रूप से सेवन करने से ये शरीर में मौजूद सभी कोशिकाओं को अच्छी तरह से स्वस्थ रखकर उन्हें सही मात्रा में पोषण देने का काम करता है।अमीनो एसिड से भरपूर हैए-2 घी में काफी मात्रा में अमीनो एसिड पाया जाता है, ये स्वस्थ अमीनो एसिड का एक अच्छा स्रोत है। इसके साथ ही विटामिन जैसे बी 2, बी 12, बी 6, सी, ई और के की कमी को दूर करने के लिए आप घी का सेवन कर सकते हैं। ए-2 घी में ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी-एसिड भी भारी मात्रा में होता है। ओमेगा-3 और 6 आपके बढ़ते बच्चों में न्यूरोलॉजिकल समस्याओं को दूर करने के साथ एडीएचडी और दूसरे व्यवहार संबंधी समस्याओं के जोखिम को कम करने के लिए जाना जाता है। इसके अलावा इसका सेवन आपके शरीर में रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को हमेशा नियंत्रित करने का काम करता है। इसलिए जिन लोगों को रक्तचाप और हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या होती है उन लोगों को रोजाना घी का सेवन करना चाहिए।इसमें सभी जरूरी मैक्रो और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स हैं जो शरीर की दैनिक आहार की जरूरतों को पूरा करने का काम करता है। इसके साथ ही ये बेहतर संज्ञानात्मक और न्यूरोलॉजिकल कार्यों के लिए कायाकल्प आपकी सहायता करता है।मानसिक रूप से स्वस्थ रखता है ए-2 घीआमतौर पर लोग घी के सेवन को लेकर थोड़ा सतर्क रहते हैं। ऐसा देखा गया है कि कुछ बच्चे घी के स्वाद के प्रति प्रतिकूल हो सकते हैं। ए-2 घी मस्तिष्क के कार्यों को बढ़ाने में मदद करता है, शक्ति और सहनशक्ति में सुधार करता है, तंत्रिका तंत्र को पोषण देता है, आपकी आंखों के स्वास्थ्य में सुधार कर आपके हृदय स्वास्थ्य को हेल्दी बनाए रखता है। इसमें खासियत ये है कि ये सभी उम्र के लोगों के लिए फायदेमंद है, खासकर बच्चों के लिए इसे ज्यादा फायदेमंद माना गया है।---------
- अपराजिता लता वाला औषधीय पौधा है। कहा जाता है कि जब इस वनस्पति का रोगों पर प्रयोग किया जाता है तो यह हमेशा सफल होती है और अपराजित नहीं होती। इसलिए इसे अपराजिता कहा गया है। इसके आकर्षक फूलों के कारण इसे लान की सजावट के तौर पर भी लगाया जाता है। ये इकहरे फूलों वाली बेल भी होती है और दुहरे फूलों वाली भी। फूल भी दो तरह के होते हैं - नीले और सफेद। भगवान शिव, श्रीकृष्ण और शनिदेव को ये विशेष रूप से पसंद हैं। इसे भगपुष्पी और योनिपुष्पी का नाम दिया गया है। इसका उपयोग काली पूजा और नवदुर्गा पूजा में विशेष रूप में किया जाता है।आयुर्वेद में इसे विष्णुक्रांता, गोकर्णी आदि नामों से जाना जाता है। संस्कृत में इसे आस्फोता, विष्णुकांता, विष्णुप्रिया, गिरीकर्णी, अश्वखुरा कहते हैं जबकि हिन्दी में कोयल और अपराजिता। बंगाली में भी अपराजिता, मराठी में गोकर्णी, काजली, काली, पग्ली सुपली आदि कहा जाता है। गुजराती में चोली गरणी, काली गरणी कहा जाता है। तेलुगु में नीलंगटुना दिटेन और अंग्रेजी में मेजरीन कहा जाता है। आयुर्वेद में सफेद और नीले रंग के फूलों वालों अपराजिता के वृक्ष को बहुत ही गुणकारी बताया गया है। अपराजिता का प्रयोग बहुत सी बीमारियों के उपचार में किया जाता है। इसकी सफेद फूल वाली प्रजाति में ज्यादा गुण पाए जाते हैं।औषधीय गुण-- अपराजिता के बीज सिर दर्द को दूर करने वाले होते हैं। दोनों ही प्रकार की अपराजिता बुद्धि बढ़ाने वाली, वात, पित्त, कफ को दूर करनी वाली है। अधकपारी या माइग्रेन के दर्द में अपराजिता की फली का प्रयोग किया जाता है।-आंखों से जुड़ी सभी बीमारियों का उपचार के लिए सफेद अपराजिता तथा पुनर्नवा की जड़ के चूर्ण का इस्तेमाल किया जाता है।- कान दर्द में अपराजिता के पत्ते का इस्तेमाल किया जाता है।-दांत दर्द में अपराजिता की जड़ और काली मिर्च के पेस्ट को मुंह में रखने से आराम मिलता है।- गला खराब होने यानी आवाज में बदलाव आने पर भी अपराजिता के पत्ते के काढ़े का सेवन उपयोगी बताया गया है।- सफेद फूल वाले अपराजिता की जड़ की पेस्ट में घी अथवा गोमूत्र मिलाकर सेवन करने से गले के रोग (गलगण्ड) में लाभ होता है।इसके अलावा पेट की जलन, गले के दर्द, खांसी, सांसों के रोगों की दिक्कत और बालकों की कुक्कुर खांसी जलोदर (पेट में पानी भरने की समस्या), अफारा (पेट की गैस), कामला (पीलिया), तथा पेट दर्द , गठिया, तिल्ली विकार (प्लीहा वृद्धि), अफारा (पेट की गैस) तथा पेशाब के रास्ते में होने वाली जलन, फाइलेरिया या हाथीपांव आदि रोगों के उपचार में भी अपराजिता के पत्तों, जड़ और फूलों का इस्तेमाल किया जाता है। (इसका इस्तेमाल करने से पहले चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।)--
- भिंडी, जिसे अंग्रेजी भाषा में ओकरा या आमतौर पर लेडी फिंगर के रूप में भी जाना जाता है, भारत और पूर्वी एशियाई देशों में खाई जाने वाली एक हरी सब्जी है। भारतीय घरों में विशेष रूप से भिंडी का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है और इसे कई तरीकों से तैयार किया जाता है। भिंडी जैविक रूप से एक फल के रूप में वर्गीकृत किया जाता है ,लेकिन आमतौर पर इसका सेवन सब्जी के रूप में ही ज्यादा किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं भिंडी कितने पोषक तत्वों से भरी होती है, जो वास्तव में आपके स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद हो सकते हैं।भिंडी एक ऐसी सब्जी है जिसमें, क्षारीय गुण होते हैं। भिंडी में मौजूद जिलेटिन एसीडिटी और अपच जैसी समस्याओं में बहुत फायदेमंद है। यह विटामिन, फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट का अच्छा स्रोत भी है। ये हरी सब्जी फोलिक एसिड, विटामिन बी, विटामिन सी, विटामिन ए , विटामिन के, कैल्शियम, फाइबर, पोटेशियम, एंटीऑक्सिडेंट और कुछ महत्वपूर्ण फाइटोन्यूट्रिएंट से भरा होता है। भिंडी फाइबर का भी एक अच्छा स्रोत है, जो न केवल आपके पाचन में सुधार करता है बल्कि आपका पेट लंबे समय तक भरा रखती है। इस तरह आप भोजन कम करते हैं। इसके अलावा भिंडी आवश्यक पोषक तत्वों से भी भरी होती है, जो आपका मेटाबॉलिज्म दुरुस्त करती है और आपकी मांसपेशियों को भी मजबूत बनाती है।भिंडी में मौजूद पोषक तत्वपतली-दुबली ये भिंडी कई पौष्टिक तत्वों से भरी होती है, इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन बी 6, विटामिन डी, कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम,फास्फोरस और आयरन पाया जाता है। इन पौष्टिक तत्वों के कारण पेशाब से संबंधित समस्याओं में खासतौर पर भिंडी खाने की हिदायत दी जाती है।भिंडी खाने से होने वाले फायदे-भिंडी में भरपूर मात्रा में विटामिन ए, बी, सी होता है साथ ही यह प्रोटीन और खनिज की भी एक अच्छा स्रोत है, जिसके कारण गैस्टिक,अल्सर में ये एक प्रभावी दवा है।-भिंडी के नियमित सेवन से आंत में जलन नहीं होती है।-वहीं भिंडी का काढ़ा पीने से पेशाब संबंधी सुजाक, मूत्रकृच्छ और ल्यूकोरिया में फायदा मिलता है ।-भिंडी में मौजूद विटामिन बी गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद फायदेमंद है, ये गर्भ को बढऩे में मदद करता है।-भिंडी का सेवन मधुमेह रोगियों और श्वास रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है।-भिंडी के सेवन से स्किन की रंगत में सुधार होता है। इसके लिए आप भिंडी को उबाल कर अच्छी तरह पीस लें और फिर अपनी स्किन पर थोड़ी देर लगा कर रखें। जब ये सूख जाए तो चेहरे को धो लें। ऐसा करने के बाद आपकी स्किन मुलायम और ताजगी भरी लगने लगेगी ।-भिंडी का नियमित सेवन करने पर किडनी से संबंधित परेशानियां दूर होती हैं और इससे किडनी की सेहत में सुधार होता है।-भिंडी के सेवन से हमारी हड्डियां मजबूत होती है और शरीर में खून की कमी दूर होती है।-भिंडी का सेवन आपकी आंखों,बाल और इम्यून सिस्टम को भी बेहतर बनाने में मदद करता है।-भिंडी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट की अच्छी मात्रा न केवल ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में मदद करता है बल्कि शरीर में मौजूद मुक्त कणों को भी प्रभावी रूप से समाप्त करता है।- भिंडी में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट त्वचा की क्षति रोकने में सहायक होते हैं और उम्र बढऩे की प्रक्रिया को धीमा कर देते हैं।---
- आयुर्वेद के अनुसार नाशपाती एक गुणों से भरपूर फल है। जिसमें त्रिदोष नाशक गुण पाए जाते हैं। इसका वानस्पतिक नाम जीनस सेबीज है। वास्तव में नाशपाती जिसे अंग्रेजी में पीयर कहते हैं। यह सेब परिवार से जुड़ा हुआ है। नाशपाती में सेब की तरह औषधीय गुण भी पाए जाते हैं।नाशपाती का जूस ऊर्जा का अच्छा स्रोत है। यह रोग प्रतिरोधक तंत्र को मजबूत बनाता है। इसके नियमित सेवन से सर्दी, खांसी, जुकाम जैसी बीमारियां नहीं होती।100 ग्राम नाशपाती में 19 मैग्निशियम मिलीग्राम,9 मिलीग्राम सोडियम ,14 मिलीग्राम फॉस्फोरस,लोहा - 2.3 मिलीग्राम ,आयोडीन 1 मिलीग्राम कोबाल्ट, 10 मिलीग्राम , मैंगनीज 65 मिलीग्राम, कॉपर - 120 मिलीग्राम, मोलिब्डेनम - 5 मिलीग्राम फ्लोरीन 10 मिलीग्राम, जिंक - 190 ग्राम, विटामिन ए, विटामिन बी1, बी2, और पोटैशियम भी पाया जाता है। साथ ही भरपूर मात्रा में कैल्शियम भी पाया जाता है।बारिश का मौसम आते ही लोग बीमार पडऩे लगते हैं। लोग सबसे ज्यादा वायरल बुखार का शिकार बनते हैं। बारिश के मौसम में नाशपाती से कई बीमारियों को मात दी जा सकती है। नाशपाती में सेब की तरह औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसमें विटामिन, एंजाइम और पानी में घुलनशील फाइबर समृद्ध मात्रा में पाए जाते हैं। नियमित रूप से नाशपाती का जूस पीने से आंतों में हुई गड़बड़ी को नियंत्रित किया जा सकता है। नाशपाती विषाक्त पदार्थो और रसायनों के संपर्क में आने से बड़ी आंत की कोशिकाओं की रक्षा करती है। इसका जूस दिन में दो बार पीने से कफ कम होकर गले की खराश दूर होती है।नाशपाती के फायदे-इसे खाने से शरीर का ग्लूकोज ऊर्जा में बदल जाता है। जब भी आप थका हुआ महसूस करें तो नाशपाती खाएं आपको फौरन एनर्जी मिलेगी। नाशपाती का जूस शरीर के तापमान को कम कर बुखार में राहत पहुंचाता है।- इसमें खनिज, पोटेशियम, विटामिन-सी, विटामिन ्य, फाइबर, बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन भरपूर मात्रा में होता है। कुछ लोग इसके छिलके उतारकर खाते हैं. ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि इसमें भी पोषक तत्व होते हैं।- इसमें आयरन होता है. इसलिए खाने से खून की कमी पूरी होती है. जिन्हें एनीमिया हो, उन्हें प्रतिदिन 1 नाशपाती जरूर खानी चाहिए।- ये इम्यूनिटी सिस्टम बढ़ाने में मददगार है। ज्यादातर बीमार रहने वाले लोगों को ये जरूर खाना चाहिए। नाशपती में फाइबर और पैक्टिन नामक तत्व होते हैं, जो कब्ज को ठीक करते हैं।- फाइबर होने की वजह से ये पाचन तंत्र को ठीक रखता है।- डायबिटीज में ये रामबाण औषधि की तरह है। लगभग सभी डॉक्?टर्स डायबिटिक मरीजों को इसे खाने की सलाह देते हैं।- नाशपाती पित्त के पथरी के लिए रामबाण उपाय है. इसे खाने वाले को कोलेस्ट्रॉल नहीं होता। नाशपाती में पेक्टिन होता है। यह पेक्टिन पथरी को बाहर निकल देता है।
- कचनार या Bauhinia Variegata एक ऐसा अद्भुत फूल है, जिसे सब्जी के तौर पर खाया जाता है। यह कई स्वास्थ्य लाभों से भरपूर है। आइए जानें कचनार के फायदे ....क्या आपने कभी कचनार की कलियों की सब्जी खाई है? हम आपको बता दें, कचनार एक बेहद स्वादिष्ट सब्जियों में से एक है। उत्तप्रदेश में में इसकी सब्जी चाव से खाई जाती है। कुछ जगहों पर खासकर कचनार का अचार बनाकर खाया जाता है, तो कहीं सब्जी और कहीं मांस या फिर अन्य व्यंजनों के साथ मिलाकर इसे बनाया जाता है। कचनार की सब्जी खाने में जितनी स्वादिष्ट है, उतनी ही सेहतमंद भी है। कचनार की दो अलग-अलग वृक्षजातियों को बॉहिनिया वैरीगेटाऔर बॉहिनिया परप्यूरिया भी कहते हैं। उत्तराखंड में इसे आम भाषा में गुरियाल कहते हैं।कचनार कई पोषक तत्वों से भरपूर है, लेकिन इसमें मुख्य रूप से विटामिन सी, विटामिन के और अन्य कुछ आवश्यक खनिज पाए जाते हैं। यही वजह है कि कचनार के फूलों और कली को सब्जी के अलावा, दवा के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। यह आपको कई बीमारियों से दूर रखने और उनके इलाज में मददगार साबित हो सकता है। यह मुंह के अल्सर, बदबूदार सासों, डायरिया, पीलिया, लिवर की समस्याओं और कमजोरी को दूर करने में भी मददगार है। आइए यहां आप कचनार के फूलों और कलियों के फायदे जानें।हाइपोथायरायडिज्म में मददगारआपको जानकर हैरानी होगी कि कचनार की छाल से बना काढ़ा पीने से हाइपोथायरायडिज्म के इलाज में मदद मिलती है। कचनार का थायराइड असंतुलन में काफी अच्छा प्रभाव पड़ता है, क्योंकि यह शरीर से कफ को निकालने में मदद करता है।कब्ज और अपच से राहतकचनार की छाल का अर्क और पाउडर पाचन तंत्र को शांत करने में मदद करता है। यह आपको अपच और कब्ज से राहत दिला सकता है क्योंकि यह पाचन क्रिया को ठीक करता है। यदि आप पेट से जुड़ी किसी समस्या से जूझ रहे हैं, तो आप कचनार के अर्क का उपयोग करें, यह पेट की समस्या को ठीक कर देगा। आप अपने पेट को साफ करने और बेहतर पाचन के लिए खाना खाने से पहले कचनाल की छाल के पाउडर से बने काढ़े का एक गिलास लें।ब्लड प्यूरिफिकेशन में सहायकजी हां, कचनार आपके खून को साफ करने में मदद करता है। यह एक तरह से ब्लड प्यूरिफिकेशन का प्राकृतिक तरीका है। कचनार के कड़वे फूलों को एक महान ब्लड प्यूरिफायर के रूप में जाना जाता है। यह खून को साफ करने और खून से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मददगार है।हाई ब्लड शुगर के लिए प्रभावीअगर आप हाई ब्लड शुगर की समस्या से पीडि़त हें, तो कचनार आपके लिए एक बेहतरीन औषधी है। ऐसा इसलिए, क्योंकि कचनार के अर्क में मौजूद रसायन में इंसुलिन जैसे गुण होते हैं। यह आपके बढ़े हुए शुगर को कंट्रोल करने का एक प्राकृतिक नुस्खा है। आप कचनार के अर्क का काढ़ा बनाकर इसका सेवन करें।
- पूरे देश में गणेश उत्सव कल से शुरू हो जाएगा। कोविड 19 के प्रोटोकाल के कारण इस बार शहरों में गणेश उत्सव की रौनक कम रहेगी। भारत में हर त्योहार किसी न किसी विशेष पकवान से भी जुड़ा हुआ है। ऐसे में गणेश चतुर्थी का नाम आते ही लोगों के मुंह में मोदक का स्वाद आ जाता है। यूं तो मोदक कई तरीकों से बनाया जाता है, पर आज हम आपको हेल्दी मोदक बनाने की खास रेसिपी बताते हैं।घर पर बनाएं गुड़ और नारियल स्टीम्ड मोदकमोदक एक लोकप्रिय मिठाई है, जिसे महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी के अवसर पर बनाया जाता है। बाजार में आज स्टीम्ड मोदक, फ्राइड मोदक, चॉकलेट मोदक और ड्राई फ्रूट मोदक देखने को मिलते हैं और सभी का अपना अलग स्वाद है।स्टीम्ड मोदक बनाने का तरीकासामग्री-नारियल कद्दूकस किया हुआ-केसर-गुड़ कद्दूकस किया हुआ-चावल का आटा-एक चमच खसखस-इलायची पाउडर-घीबनाने का तरीका-सबसे पहले एक बर्तन में चावल का आटा डालें और गर्म पानी में इस नर्म कर के गूंद लें। फिर इसे 10 मिनट के लिए छोड़ दें।-अब एक नॉन स्टिक पैन में कद्दूकस किया हुआ गुड़ डालकर उसे पिघला लें।-इसके बाद इसमें नारियल, खसखस और इलायची पाउडर मिला लें।-अब सबको 5 मिनट तक पका लें। नमी आने के बाद गैस बंद कर दें।-इसके बाद फिर से चावल के आटे में थोड़ा घी डालकर फिर से गूंद लें।-अब चावल के आटे की छोटी-छोटी गोली बनाकर उसे बेल लें।-इसमें बीच में नारियल और गुड़ से बनी चीज को भर दें।-सबको उगंलियों के मदद से मोदक के डिटाइन में बंद कर लें।-फिर मोदक बनाने वाले सांचे में थोड़़ा घी लगाएं और इस डाल कर परफेक्ट शेप दे दें।-अब एक बड़े बर्तन में पानी गर्म करें और इसके ऊपर छलनी रख के केले का पत्ता रख लें। फिर मोदक पर उंगलियों से थोड़ा पानी लगा कर केले के पत्ते पर रख कर बर्तन को ढंक दें।-धीमी आंच पर 8 से 10 मिनट तक मोदक को भाप में पकने दें।-फिर पकने के बाद इसे नीचे उतार लें, केसर से सजा लें और हो गया तैयार आपके गणपति का भोग।गुड़ और नारियल डायबिटीज और मोटापे, दोनों के मरीजों के लिए अच्छा है। वहीं इस मोदक में बहुत ज्यादा ड्राई फ्रूट्स, खोया और मलाई आदि का इस्तेमाल नहीं किया गया है। साथ ही भाप से पकाना इसे सबसे ज्यादा हेल्दी बनाता है क्योंकि अगर आप इसे तलते, हैं तो इसमें फैट और कैलोरी की मात्रा बढ़ जाती है। इलायची गैस दूर करने और खाना पचाने के लिए फायदेमंद है, तो वहीं केसर इम्यूनिटी बूस्टर है।----
- ये बात हम अच्छी तरह से जानते हैं कि शरीर को सही तरीके से हाइड्रेट रखने के लिए पानी पीना सबसे महत्वपूर्ण होता है। साफ और शुद्ध पानी पोषक तत्वों युक्त होने के कारण यह शरीर में जरूरी खनिज पदार्थों की आपूर्ति करता है। पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से मोटापा की समस्या नहीं होती है और न ही पेट संबंधी कोई रोग होते हैं। लेकिन एक सवाल है जो हर किसी के मन में घूमता रहता है वह यह है कि, पानी को कैसे पिएं जिससे शरीर हाइड्रेटेड रहे और जरूरी फायदा पहुंचाए।बहुत लोग पानी पीने को लेकर तमाम तरह की गलतियां करते हैं, वहीं कुछ लोगों में पानी पीने को लेकर कई प्रकार के भ्रम हैं। कुछ लोगों का मानना है कि पानी गट-गट कर पीना चाहिए तो वहीं कुछ लोग घूंट-घूंट कर पीना फायदेमंद मानते हैं। अगर इस तरह के सवाल आपके मन में भी उठते हैं तो आइए जानते हैं कि पानी पीने को सही तरीका क्या है? और हमें प्रतिदिन कितने मात्रा में पानी पीना चाहिए।गट गट कर के या घूंट-घूंट कर के पानी पीना चाहिए?आयुर्वेद के अनुसार, पानी कभी भी हमें गट-गट करके या एक हीं सांस में नहीं पीना चाहिए क्योंकि पानी पीने के दौरान मुंह की लार पानी के साथ मिलकर हमारे शरीर के अंदर जाती है। लार ही हमारे पाचन तंत्र को मजबूत करने का कार्य करती है। लार में कई ऐसे हेल्दी बैक्टीरिया होते हैं तो पेट के लिए फायदेमंद होते हैं। इसीलिए पानी हमेशा धीरे-धीरे या घूंट-घूंट कर के पीना सही माना गया है। इससे शरीर के सभी अंगों को पर्याप्त मात्रा पानी और पोषण मिलता रहता है। इससे पानी पीने का पूरा फायदा मिलता है।खड़े होकर पानी पीना हो सकता है नुकसानदेहआयुर्वेद व शोधर्तोओं के अनुसार पानी कभी भी खड़े होकर नहीं पीना चाहिए। अगर आप खड़े होकर पानी पीते हैं, तो पानी सीधे व तेजी से पेट के निचले हिस्से में चला जाता है। जिससे शरीर को पानी के पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं। इस तरह पानी पीने से घुटनों में दर्द की समस्या हो सकती है। पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। हाइड्रेटेड रहने में बाधा उत्पन्न हो सकती है।कैसा पानी है शरीर के लिए फायदेमंदआयुर्वेद के अनुसार पानी हमेशा शरीर के तापमान से ठंडा नहीं होना चाहिए। जितना हमारे शरीर का तापमान होता है या गर्म रहता है उतना ही आपका पानी भी गर्म होना चाहिए। यानी आप नियमित रूप से गुनगुना पानी पी सकते हैं। दरअसल, गर्मियों में लोग फ्रीज का ठंडा पानी पीना पसंद करते है। लेकिन ये शरीर के लिए काफी नुकसानदेह होता है। बहुत ज्यादा ठंडा पानी पीना भी शरीर के लिए दिक्कतें पैदा करती हैं। ठंडा पानी पाचन संबंधी समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। कब्ज की समस्या हो सकती है। इसलिए बहुत ज्यादा ठंडा या बर्फ वाले पानी पीने के बजाए नॉर्मल पानी या गुनगुना पानी ही पीना चाहिए।---
- बादाम बरसों से हमारी सेहत के लिए बहुत लाभदायक माने जाते रहे हैं। चाहे भिगोकर खाएं या फिर कच्चे, बादाम हमेशा से हमारी सेहत को फायदा पहुंचाने का काम करते हैं। बड़े-बुजुर्गों का कहना है कि मु_ीभर बादाम याददाश्त तेज करने और शारीरिक ताकत बढ़ाने में आपकी मदद कर सकते हैं। बादाम को कैसे भी खाया जाए ये आपकी सेहत को दुरुस्त बनाने में मदद करेगा। बादाम हेल्दी होते है इस बात को तो सभी जानते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि जो बादाम आप खा रहे हैं वो कौन सा बादाम है और आपके लिए कितना फायदेमंद है? इस लेख में हम आपको ये बता रहे हैं कि बादाम का सबसे हेल्दी रूप कौन सा है और क्यों ये एक-दूसरे से ज्यादा हेल्दी होते हैं।दरअसल बादाम की तीन किस्में पाई जाती हैं, जिनके बारे में हम बताने जा रहे हैं।भारत में बादाम की तीन किस्में पाई जाती हैं, जो निम्नलिखित हैं:मामरामामरा किस्म के बादाम में कार्बोहाइड्रेट ,ऑयल, कैलोरीज की मात्रा ज्यादा होती हैं, साथ ही इसमें प्रोटीन की मात्रा थोड़ी कम होती हैं। ये किस्म ओर्गेनिक तरीके से उगाए जाती हैं, इसलिए इसे बच्चों के साथ-साथ बड़ों के लिए फायदेमंद माना जाता है।कैलिफोर्नियाई बादामकेमिकल प्रोसेसिंग की वजह से ये किस्म और इस किस्म के बादाम खाने में मीठे होते हैं, इसलिए इन्हें पकवान को बनाने और सजाने के लिए उपयोग किया जाता है।गुरबंदीबादाम की ये किस्म एनर्जी, एंटीओक्सीडेंट से भरपूर होती है इसलिए इन्हें हेल्दी डाइट के रूप में आप सुबह खा सकते हैं।भारत में बादाम की दो किस्में मामरा और कैलिफोर्नियाई बादाम ज्यादा बिकते हैं और हमेशा से दोनों के बीच ही ज्यादा हेल्दी होने की लड़ाई चलती है। मामरा बादाम की क्वॉलिटी को सबसे अच्छी मानी जाता है। इस क्वालिटी का बादाम खाने में स्वादिष्ट होता और साथ ही सेहत बनाए रखने का एक अच्छा विकल्प भी है। यह बादाम ईरान से आता है। मामरा बादाम की ये पहचान है कि यह बहुत ही हल्का और इसका आकार नाव जैसा होता है। इसकी निचली सतह हल्की दरदरी और उस पर धारियां बनी होती हैं। इस बादाम में ऑयल की मात्रा बेहद अधिक होती है। मामरा बादाम में जहां 50 प्रतिशत तक ऑयल पाया जाता है जबकि सामान्य कैलिफोर्नियाई बादाम में केवल 25 से 30 फीसदी ही तेल होता है। इस कारण ही मामरा बादाम , बादाम की अन्य किस्मों के मुकाबले अधिक पौष्टिक माना जाता है।मामरा और कैलिफोर्नियाई बादाम किस्मों के बीच पोषण मूल्य में अंतरमामरा किस्म की तुलना में कैलिफोर्नियाई बादाम में प्रोटीन (40.82 फीसदी) और विटामिन ए, बी, ई, (क्रमश: 17-2-2 फीसदी ) तक अधिक पाया जाता है।कैलिफोर्नियाई बादाम में ओमेगा 3 विटामिन की मात्रा मामरा के मुकाबले (0.11) फीसदी ज्यादा होती है।कैलिफोर्नियाई बादाम में फैट (40.56 फीसदी ) होता है जबकि मामरा में 75.50 फीसदी होता है।मामरा में शुगर की मात्रा (10.96) जबकि कैलीफोर्नियाई बादाम में (4.55) होती है।मामरा में कार्बोहाइड्रेट (40.05) जबकि कैलिफोर्नियाई बादाम में 10.26 होता हैमामरा में कैलोरी (753) जबकि अमेरिकन में (234) कैलोरी होती है।कैलोफोर्नियाई बादाम का उत्पादन पूरी दुनिया में बादाम के उत्पादन का 85 फीसदी है। जबिक मामरा किस्म ईरान और अफगानिस्तान ही विश्व में उत्पादक हैं। कम आपूर्ति के कारण ही इसकी कीमत अधिक होती है। पुराने जमाने में राजा और अमीर लोग ही मामरा किस्म का सेवन किया करते थे। इसलिए मामरा एक महंगी और प्रमुख बादाम किस्म बन गया। हालांकि कैलिफोर्नियाई बादाम अपने पौष्टिक गुणों और कम कीमत के कारण लोगों की पहली पसंद है।जरूरत से ज्यादा बादाम हानिकारकजरूरत से ज्यादा बादाम खाने से आपकी सेहत को नुकसान भी हो सकता है। दरअसल बादाम की तासीर गर्म होती है और इसके ज्यादा सेवन से कब्ज और पेट मे सूजन की समस्या हो सकती है। हालांकि बादाम में फाइबर की मात्रा अधिक होती है इसलिए देर से पचता है। बादाम के अधिक सेवन से शरीर में विटामिन ई की मात्रा बढ़ जाती है और पेट फूलने, दस्त, सिर में दर्द और सुस्ती जैसी समस्या हो सकती है। इसके अलावा बादाम की अधिक मात्रा के सेवन से शरीर में फैट बढ़ जाएगा और आपको वजन कम करने में मुश्किल हो सकती है। बादाम खाने से कुछ लोगों को एलर्जी भी हो सकती है। इसलिए इसके सेवन पर ध्यान रखें।
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अदनान सामी को हम सभी उनके पुराने दिनों के गीत, थोड़ी सी तो लिफ्ट करा दे, से जानते हैं। इस हिट गीत ने अदनान सामी को बहुत लोकप्रिय बना दिया और उनके लिए कई नए दरवाजे भी खोल दिए। वे 230 किलो वजन वाले बी-टाउन में चले गए थे, काफी मोटे और अस्वस्थ भी हो गए थे। बॉडी शेमिंग का होना अच्छा नहीं है, क्योंकि इसका मतलब यह है कि आप बेहद अस्वस्थ हैं। इसके कारण आपका वजन और आकार आपको मधुमेह, रक्तचाप जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करने के लिए मजबूर करता है।
पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त होना कोई अच्छी बात नहीं है। कई साल बीमार होने के कारण अदनान सामी ने अपना सबक सीखा। जब वह बीमार पड़ गए थे और उनके पास जीवित रहने के लिए, वजन कम करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। इसी तरह से अदनान के वजन कम करने का सफर शुरू हुआ। भले ही ऐसी अफवाहें उड़ीं कि उन्होंने लिपोसक्शन सर्जरी करवाई है, अदनान ने सभी आरोपों का खंडन किया है। साथ ही ये बताया है, कि लिपोसक्शन किसी व्यक्ति के शरीर से इतनी अधिक मात्रा में फैट को कम नहीं कर सकता है। उनके शरीर में फैट की ज्यादा मात्रा थी और उनकी परिवर्तन यात्रा बहुत मुश्किल रही है, जो उन्हें हम सभी के लिए सबसे बड़ी प्रेरणा बनाती है। यदि आप उसके जैसे अपने शरीर को बदलने की उम्मीद कर रहे हैं, तो यहां हम आपको अदनान सामी के वजन घटाने वाले सीक्रेट्स बता रहे हैं।वर्कआउट रूटीनअपने वजन और आकार के साथ, उनके लिए जिम जाना जोखिम भरा था। इससे उनके शरीर में खिंचाव आ सकता था, और दिल का दौरा भी पड़ सकता था। उन्होंने कुछ हल्के व्यायामों, जैसे ट्रेडमिल पर चलना और कार्डियो व्यायाम के साथ अपनी यात्रा शुरू की। वह अपने वर्कआउट रूटीन के साथ बने रहे, अनुशासित रहे और अपना ध्यान जिम पर फोकस किया। केवल कड़ी मेहनत करने के कारण ही उन्हें वजन घटाने में मदद मिली। जिम में सभी को पसीना आने के परिणाम सामने आए हैं। उन्हें फैट को पसीने के रूप में बहाने में मदद मिली और इसने उन्हें ज्यादा एनर्जेटिक बना दिया। लेकिन सबसे जरूरी बात, यह सरासर इच्छाशक्ति थी, जिसने अदनान को वजन कम करने में मदद की।अदनान ने एक विशेषज्ञ से सलाह ली। अपने आहार पर ध्यान देना शुरू किया, जो वजन घटाने और फिटनेस का एक जरूरी हिस्सा रहा है। अदनान को एक भावनात्मक भक्षक के रूप में जाना जाता था, जिसका अर्थ था कि वह आराम और स्वाद के लिए फैट वाले भोजन की ओर चले गए। उनके आहार में बहुत सारे काब्र्स, चीनी और फैट भी शामिल थे। उनके पोषण विशेषज्ञ ने उन्हें कम-कैलोरी वाले खाने के स्वस्थ आहार पर रखा। अससे उन्हें अस्वस्थ आहार को बाहर निकालने में मदद मिली। उन्हें अपने आहार से चीनी भी हटानी पड़ी। एक स्वस्थ प्रोटीन आहार का सेवन करना पड़ा और उनकी जंक फूड खाने की आदतों को भी बदलना पड़ा।इस तरह अदनान नेे मात्र 11 माह में बिना सर्जरी के 165 किलो अपना वजन कम किया। इस बारे में अदनान कहते है, मैंने 165 किलो वजऩ कम किया है। बहुत से लोगों को ऐसा लगता है कि मैंने ये वजन डॉक्टर्स और मेडिकल प्रोसेस से हासिल किया है और उससे भी कमाल की बात तो ये है कि कई डॉक्टर्स जिन्हें मैं जानता भी नहीं इस बात का क्रेडिट लेने लगे हैं और उनमे से कुछ तो इसका विज्ञापन भी देने लगे।अपने मोटापा कम करने पर अदनान ने बताया कि मैने एक हाई प्रोटीन डाइट को फालो किया है। उसमें मैं हर तरह की प्रोटीन खा सकता है। बस शर्त थी कि वह ऑयली न हो। अदनान रोजाना वर्कआउट नहीं करते हैं। लेकिन वह नियमित रुप से ट्रेडमिल और रेगुलर वॉक करते है। इसके साथ-साथ कबी-कभी वो कार्डियो में करते हैं।दिन की शुरुआत बिना शुगर की चाय के साथ करते है। इसके बाद लंच में मौसमी सब्जियों का सलाद और डिनर में केवल दाल खाते हंै। इसके साथ ही वह चावल, ब्रेड और ऑयली चीजों का सेवन बिल्कुल नहीं करते है।ं इसके अलावा वह पॉपकॉर्न बिना बटर का, तंदूरी मछली और उबली हुई दाल, ऐसी रेसिपी जिनमें ऑयल का यूज न किया गया हो, शुगर फ्री ड्रिंक्स। इसके अलावा एल्कोहाल से कोसो दूर रहते हैं।----------- - अभिनेता सैफ अली खान और अमृता सिंग की बेटी और एक्ट्रेस सारा अली खान बॉलीवुड में अपने कदम मजबूती से जमाने में लगी हुई है। सारा कभी गोलमटोल हुआ करती थी और फिल्मों में कदम रखने से पहले उनका वजन 96 किलो तक पहुंच गया था। सारा ने वजन कम करने का अभियान शुरू किया और 46 किलो तक पहुंच गई है।आइये जाने सारा अली खान ने 96 किलो से 46 किलो तक का सफर कैसे तय किया।पिछले दिनों सारा ने इंस्टाग्राम पर अपना एक पुराना वीडियो जारी किया है, जिसमें वो काफी मोटी नजर आ रही हैं। यह बात शायद आपको पहले से पता होगी कि फिल्मों में आने से पहले सारा अली खान का वजन बहुत ज्यादा था। उन्होंने 96 किलो से अपना वजन घटाकर 46 किलो किया था। 50 किलो वजन कम करने की सारा की यात्रा आसान नहीं थी। इसके लिए उन्होंने खूब मेहनत की है। सारा को एक प्रकार का हार्मोनल विकार है जिसमें इंसान का वजन बढ़ता है। इसलिए वजन घटाना उनके लिए बड़ी चुनौती जैसा था। आज भी सारा अपनी फिटनेस का खूब ध्यान रखती हैं। अक्सर उन्हें जिम के बाहर स्पॉट किया जाता है। कभी वे साइक्लिंग करती नजर आती हैं।सारा ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, हाजिर है सारा का सारा सारा । उन्होंने अपने बॉडी ट्रांसफॉर्मेशन का क्रेडिट अपनी ट्रेनर नम्रता पुरोहित को दिया है। नम्रता ने भी इस वीडियो पर जवाब देते हुए लिखा है, मुझे लगता है तुम मेरी फेवरिट कार्टून हो।सारा अली खान का फिटनेस लेवलसारा अली खान का फिटनेस लेवल आपको जिम करने के लिए प्रेरित करेगा। सारा ने खुलासा किया कि वह अपने ग्रेजुएशन के अंतिम वर्ष के दौरान 96 किलोग्राम की थी। सारा ने पिज्जा से सलाद तक और आलस्य से कार्डियो तक आईं और अपने वजन घटाने की इस यात्रा को पूरा किया।सारा कहती हैं कि जब मैं न्यूयॉर्क में थी तब मैंने केवल स्वस्थ भोजन करना शुरू किया और वर्कआउट शुरू किया। उस शहर में अलग-अलग प्रकार की कई क्लासेज़ थीं, जिनमें फंक्शनल ट्रेनिंग से लेकर साइक्लिंग तक शामिल था। लेकिन क्योंकि मैं शुरुआत में मेरा बहुत अधिक वजन का था, इसलिए कार्डियो करना, हैवी वर्कआउट, अधिक चलना, साइकिल चलाना और ट्रेडमिल पर दौडऩा आदि ये सब शामिल था। जिससे मैं वजन कम कर सकूं।सारा फंक्शनल ट्रेनिंग, पिलेट्स, मुक्केबाजी और कार्डियो के काम्बीनेशन को फॉलो करती हैं। फैट से फिट होने के लिए सारा के काफी मेहनत करती थी। अभिनेत्री ने इस फिटनेस लेवल को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत की है। सारा ने कहा कि वह अक्सर चीजें बदलना पसंद करती हैं लेकिन एक चीज जो लगातार बनी रहती है वह है नियमित रूप से वर्कआउट करना। सारा एक सख्त रूटीन का पालन करती हैं और यह सुनिश्चित करती हैं कि वह हर दिन एक से और डेढ़ घंटे तक वर्कआउट करें।रविवार सारा के लिए चीट डे है और वह रविवार को आराम करने के लिए अपने व्यायाम को छोड़ देती है। एक साक्षात्कार के दौरान, उनसे उनकी पसंदीदा कसरत दिनचर्या के बारे में पूछा गया, जिसमें उन्होंने बताया कि अगर वह सप्ताह में बहुत सारे फिजिकल वर्कआउट करती हैं तो इनमें उनका विन्यासा योग और पिलाट्स क्लास पहली पसंद है। दूसरी ओर, यदि सप्ताह तनाव से भरा हुआ है, तो एड्रेनिल को पंप करने के साथ 45 मिनट की मुक्केबाजी सेशन में हिस्सा लेती हैं।एक चीज जो काफी स्पष्ट और लोकप्रिय है, वह यह है कि सारा को पिलेट्स काफी पसंद है। बी-टाउन की लोकप्रिय ट्रेनर नम्रता पुरोहित ने सारा अली खान की कई तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट की हैं। अन्य मशहूर हस्तियों में, सारा पिलेट्स को लेकर काफी चर्चित हैं। यहां तक कि सारा ने कई बार कहा है कि वह पिलेट्स से प्यार करती है। वह पिलेट्स को अपनी फिटनेस की रीढ़ मानती हैं। उसके मजबूत कोर के पीछे के रहस्य के बारे में पूछे जाने पर सारा ने जवाब दिया- यह पिलेट्स की वजह से है- यह शरीर के संतुलन को मजबूत करता है और आपके कोर पर काम करता है, जो आपके पूरे शरीर का पावरहाउस है। पिलेट्स ने मुझे ताकत हासिल करने में सक्षम किया है। जो न केवल अच्छा दिखने में सहायक है बल्कि यह शारीरिक सहनशक्ति को बढ़ाने में मदद करता है। पिलेट्स निश्चित रूप से मेरी फिटनेस की रीढ़ है।सारा अली खान की डाइटवजन कम करने के लिए व्यायाम और फंक्शनल एक्?सरसाइज काफी नहीं है। इसके लिए एक उचित आहार भी शामिल है। इसके अलावा कुछ ऐसे आहार हैं, जिनका सेवन वह नहीं करती हैं। एक इंटरव्यू में सारा ने कहा कि वह दूध, चीनी और काब्र्स का सेवन नहीं करती हैं। उनकी सुबह आमतौर पर हल्दी, पालक और गर्म पानी के साथ शुरू होती है। सारा कहती हैं कि वह अपने भोजन में दो चीजें अनिवार्य रूप से शामिल करती हैं- अंडे और चिकन। जब स्नैक्स की बात आती है, तो सारा एक स्वस्थ स्नैक के रूप में खीरा खाती हैं।वर्कआउट के बाद सारा- दही के साथ एक चम्मच प्रोटीन और थोड़ी कॉफी का भी सेवन करती हैं। इसके अलावा सारा का वीक में एक चीट डे होता है, जिसमें वह सब कुछ खाती हैं, जो उन्हें पसंद है।क्या सारा कीटो डाइट लेती हैं?सारा के लिए कीटो बहुत ज्यादा महत्?व नहीं रखता है। एक साक्षात्कार में, जब सबसे अच्छे आहार के बारे में पूछा गया तो, सारा ने जवाब दिया कि कीटो डाइट एक ट्रेंडिंग डाइट है, जिसे वह कभी नहीं समझ सकी हैं और न ही वह किसी को सुझाव देती हैं। सारा के लिए, कीटो डाइट सारा के लिए बेहतर नहीं था इसलिए वह उसकी प्रशंसक भी नहीं है।
- -जानिए किन चीजों के मिश्रण से बनता है काढ़ाशरीर की कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) बार-बार बीमार पडऩे का कारण बनती है। इसीलिए, कोरोना वायरस महामारी के दौर में हर कोई इम्यूनिटी बढ़ाने पर जोर दे रहा है। ताकि वह खुद को किसी भी संक्रमण से खुद को सुरक्षित रख सकें। इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए इन दिनों सबसे ज्यादा लोग गिलोय का काढ़ा पी रहे हैं। क्योंकि यह हर किसी की पहुंच में है। गिलोय का काढ़ा बनाने का सबका तरीका भी अलग-अलग है। मगर गिलोय का काढ़ा बनाने का सही तरीका क्या है, इसकी जानकारी बहुत कम लोगों के पास है। इसलिए आयुष मंत्रालय ने गिलोय का काढ़ा बनाने का सही तरीका बताया है जिसे हम शेयर कर रहे हैं।गिलोय क्या है?गिलोय या गुडूची को अमृता के नाम से भी जाना जाता है। गिलोय एक आयुर्वेदिक औषधि है, जो कई रोगों के उपचार में मदद करती है। गिलोय के फायदे कई हैं, खासकर यह बुखार के मरीजों के लिए फायदेमंद होता है। गिलोग का रस, और काढ़ा खासतौर से डेंगू, चिकनगुनिया जैसे गंभीर रोगों के रोगियों को दिया जाता है। गिलोय कई प्रकार के वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन से भी बचाता है। कुछ लोग स्वस्थ रहने के लिए नियमित रूप से गिलोय का जूस पीते हैं। इन दिनों कोरोना वायरस से बचने और इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए भी गिलोय का इस्तेमाल किया जा रहा है। आयुष मंत्रालय, भारत सरकार ने इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए गिलोय का काढ़ा पीने की सलाह दी है। जानिए घर पर गिलोय का काढ़ा बनाने का तरीका क्या है?घर पर गिलोय का काढ़ा कैसे बनाएं?सामग्रीगिलाय एक-एक इंच के 5 टुकड़ेंपानी- 2 कपहल्दी-एक चम्मचअदरक- 2 इंचतुलसी के पत्ते- 6 से 7गुड़- स्वादानुसारबनाने का तरीकासबसे पहले एक भगोने में 2 कप पानी रखें। आंच को मीडियम रखें।अब गिलोय और बाकी सामग्री को पानी में डालकर धीमी आंच पर पकने दें। जब सारी सामग्री पूरी तरह से पक जाए और भगोने में काढ़ा आधा रह जाए तो गैस बंद कर दें। एक कप में काढ़ा छानकर निकाल लें और चाय की चुस्कियों की तरह इस औषधि का आनंद लें।गिलोय का काढ़ा पीने के फायदे?आयुष मंत्रालय के अनुसार, काढ़े में मौजूद अदरक और हल्दी के कंपाउंड गिलोय के साथ मिलकर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते हैं। नियमित रूप से गिलोय का काढ़ा पीने से हमारा शरीर विभिन्न प्रकार के संक्रमणों और संक्रामक तत्वों से दूर रहता है।गिलोय का काढ़ा कितनी मात्रा में पीना चाहिए?विशेषज्ञों का मानना है कि गिलोय का काढ़ा प्रतिदिन एक कप से ज्यादा नहीं पीना चाहिए। अधिक मात्रा में किसी भी चीज का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह हानिकारक हो सकता है। गर्भवती महिलाओं, छोटे बच्चों को देने से पहले चिकित्सक से परामर्श जरूर करना चाहिए। गिलोय निम्न रक्तचाप और ऑटो इम्यून बीमारियों का खतरा बन सकता है। ऐसे में अगर आप पहले से किसी रोग से ग्रसित हैं तो गिलोय का काढ़ा पीने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें।--
- जब से दुनिया में कोरोना वायरस की बीमारी आयी है तब से भारत समेत पुरी दुनिया में एन 95 मास्क का प्रयोग सबसे सही माना गया है। पर कई लोगों का यह कहना है कि एन 95 मास्क को प्रयोग दोबारा करना सही नहीं है। आज हम आपको इस लेख में बताएंगे की कैसे एन 95 मास्क को सैनिटाइज कर दोबारा प्रयोग में लाया जा सकता है।एन 95 मास्क को कैसे करें सैनिटाइजनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ ने अपने अध्ययन में यह बताया है कि दूषित या प्रयोग किया हुआ एन95 मास्क को हाइड्रोजन पेरोक्साइड या पराबैंगनी किरण के संपर्क में लाने से यह वायरस को खत्म करता है और मास्क को तीन उपयोग के लिए फिट बनाता है।नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ ने ड्राई हीट करने पर भी मास्क से वायरस के हटने की बात कही है परंतु इस इस विधि के पालन करने पर मास्क तीन के बजाय दो उपयोगों के लिए ही प्रभावी था।शोधकर्ताओं ने क्या कहा?एन 95 मास्क को सैनिटाइज करके इसे कीटाणु रहित करने के विषय में अमेरिका के इलिनोइस विश्वविद्यालय के शोधकर्ता विशाल वर्मा ने बताया कि किसी भी मास्क को सैनिटाइज करने की कई तरीके होते हैं, अधिकांश में इसका फिल्टर खराब हो जाता है। शोधकर्ताओं ने बताया कि परीक्षण के दौरान यह पता चला कि अगर एन-95 मास्क को 50 मिनट तक 100 डिग्री सेल्सियस तापमान पर कुकर के अंदर रखा जाये तो यह मास्क को कीटाणु रहित हो जाता है और इसे दोबारा प्रयोग मे लाया जा सकता है।रॉबर्ट फिशर, पीएचडी, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी और संक्रामक रोगों हैमिल्टन, मोंटाना में अपने सहयोगियों के साथ 15 अप्रैल को एक प्रिप्रिंट सर्वर पर निष्कर्ष पोस्ट किया था। पर, अभी तक पेपर की समीक्षा नहीं की गई है। उन्होंने बताया कि हमारे परिणामों से संकेत मिलता है कि एन 95 मास्क को यूवी और एचपीवी के लिए गर्मी के लिए दो बार तक फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है।---