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- भोजन और जल का बहुत ही घनिष्ठ संबंध है। आमतौर पर भोजन करते समय सभी लोग पानी पीते हैं। परन्तु भोजन करते समय व भोजन करने के आधे घंटे या 1 घंटे तक पानी न पीना ही लाभकारी होता है। भोजन के समय पानी न पीना पाचन क्रिया के लिए अच्छा होता है। भोजन के समय पानी न पीने से पानी की अनुपस्थिति में भोजन को पचाने वाला रस भोजन में मिलकर भोजन को जल्दी रस बनाने में "पाचनतंत्र" की मदद करता है। जब भोजन करने के आधे घंटे या 1 घंटे बाद पानी पीते हैं तो वह रस पानी में मिलकर शुद्ध होकर धमनी के द्वारा आसानी से शरीर के पूरे अंग तक पहुंच जाता है। परन्तु भोजन के समय पानी का सेवन न करना भोजन के प्रकार पर निर्भर करता है।यदि भोजन सादा हो तो भोजन के समय पानी न पीना लाभकारी होता है। लेकिन जब भोजन अधिक तीखा, मिर्च-मसालेदार, नमकीन, खट्टा हो तो पानी पीना आवश्यक है, क्योंकि ऐसे भोजन से शरीर में मौजूद नमी को बनाए रखने वाली ग्रंथि में उत्तेजना पैदा होती है और उसे शांत करने के लिए पानी की आवश्यकता होती है। ऐसे में भोजन करते समय यदि पानी न पिया जाए तो शरीर को हानि हो सकती है। ऐसे पदार्थों के सेवन से प्यास उत्पन्न होती है तथा भोजन की तेज गर्मी को शांत करने के लिए पानी की आवश्यकता होती है। इसके विपरीत यदि भोजन सात्विक (सादा) व प्राकृतिक हो और भोजन को अच्छी तरह से चबा-चबाकर खाते हैं तो भोजन के बीच पानी पीने की कोई आवश्यकता नहीं होती।भोजन करते समय पानी पीने के संबन्ध में प्राचीन आयुर्वेद के महर्षियों ने उपदेश देते हुए कहा है-" अत्यम्बुपानान्न विपच्यतेनं निरम्बुपानांच स एव दोषतामान्नरो बन्हिविवर्धनय, मुहुर्मुर्वारि विवेद् भूरि।अर्थात भोजन करते समय जिसे खुश्की आती हो और भोजन के बीच-बीच में पानी पीने की आवश्यकता हो तो ऐसी स्थिति में यदि पानी के स्थान पर दही या मठे का सेवन करें तो पानी से अधिक लाभ होता है। प्राचीन वैद्यक ग्रंथों में भोजन के समय पानी पीने के संबन्ध में लिखा गया है-भुक्तस्यादौ जलं पीतं काश्र्य मन्दाग्नि दोष कृतअर्थात वैद्यक ग्रंथों में कहा गया है कि भोजन करने के लिए बैठते समय पानी पीने से मन्दाग्नि उत्पन्न होती है।आदावन्ते विषं वारि मध्येयासृतोममअर्थात भोजन करने से पहले और भोजन कर चुकने के बाद पानी पीना विष के समान है।भोजन और पानी के संबन्ध में भोजन करते समय पानी न पीने का एक अन्य कारण भी हो सकता है। हम जानते हैं कि जो भोजन हम करते हैं, उसमें दो तिहाई से तीन चौथाई भाग पानी होता है। इसलिए भोजन के समय पानी बहुत ही कम मात्रा में पीना चाहिए। परन्तु बिल्कुल पानी को नहीं छोडऩा चाहिए। इससे भोजन को पचाने के लिए उत्पन्न पाचक रस की उत्पत्ति में कमी होकर चर्वण क्रिया अर्थात भोजन को अच्छी तरह चबाने की क्रिया में रुकावट उत्पन्न हो सकती है, जिससे भोजन के प्रत्येक ग्रास को बिना सही रूप से चबाए ही निगल जाने की आदत पड़ जाती है और स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है। भोजन करने और पानी पीने का समय अलग-अलग होना चाहिए। इस तरह मनुष्य भोजन के समय पानी को न पीने की आदत बना सकते हैं, परन्तु इसके लिए भोजन का सात्विक व प्राकृतिक होना आवश्यक है।भोजन और पानी के विषय में वैज्ञानिकों का मतयूरोपीय वैज्ञानिकों ने भोजन के समय पानी पीने की दिशा में अनेक प्रयोग किये हैं और उन्होंने सिद्ध किया है कि भोजन के तुरन्त बाद पानी पीना हानिकारक है और भोजन के कम से कम आधा या 1 घंटे बाद पानी पीना लाभकारी है। भोजन करने के लगभग 2 घंटे बाद 2 गिलास पानी पीना लाभकारी होता है। इस तरह भोजन के आधे घंटे या 1 घंटे या 2 घंटे बाद पानी पीने वाले व्यक्ति को पेट का किसी भी प्रकार का कोई रोग नहीं होता। आयुर्वेद शास्त्र में लिखा गया है-तृषितस्तु न चाश्नीयात्क्षुधितो न पिवेज्जलमतृषितस्तु भवेद्गुल्मी क्षुधि तस्तु जलोदरी।।अर्थात आयुर्वेद में लिखा गया है- ंंप्यास लगने पर पानी के स्थान पर भोजन देना हानिकारक होता है। इससे व्यक्ति में गुल्म (गैस) आदि पेट के रोग उत्पन्न होते हैं और भूख लगने पर भोजन के स्थान पर पानी पिलाने से व्यक्ति में जलोदर (ड्राप्सी) रोग होने का खतरा रहता है। अत: प्यास लगने पर पानी पीना स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है।
- पूरी दुनिया इस समय कोरोना वायरस के कहर से जूझ रही है। कोरोना वायरस से बचाव के लिए कई लोग एल्कोहल से बने हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल कर रहे हैं। एल्कोहल से तैयार हैंड सैनिटाइजर भले ही कोरोना वायरस से बचाव करने में सक्षम हो, लेकिन यह छोटे बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। फ्रांस में हुए रिसर्च के अनुसार एल्कोहल से तैयार हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करने से साल 2020 में 2019 की तुलना में बच्चे अधिक बीमार हुए हैं। ये आंकड़े 7 गुना अधिक हैं। इसमें बच्चों के आंख खराब होने की समस्या सबसे अधिक है।क्या कहते हैं आंकड़े?फ्रांस के शोधकर्ताओं के अनुसार, अगर एल्कोहल वेस्ड हैंड सैनिटाइजर बच्चों की आंखों में चला जाए, तो इससे बच्चे की देखने की शक्ति पर प्रभाव पड़ता है। फ्रेंच प्वाइजन कंट्रोल सेंटर के आंकड़ों के मुताबिक, 1 अप्रैल 2020 से 24 अगस्त 2020 तक के बीच हैंड सैनिटाइजर से जुड़ी करीब 232 घटनाएं सामने आई हैं। वहीं, 2019 की बात की जाए, तो महज 33 घटनाएं सामने आई थीं। रिसर्चर्स ने दावा किया है कि एल्कोहल बेस्ड हैंडसैनिटाइजर की एक बूंद भी अगर बच्चे की आंखों में चली जाए, तो इससे बच्चे की आंखों की रोशनी भी जा सकती है। ऐसे में परिजनों को अधिक सतर्क रहने की जरूरत है।फ्रेंच पीसीसी रिसर्च ग्रुप के साइंटिस्ट ने जेएएमए एफथाल्मोलॉजी में प्रकाशित स्टडी में बताया कि, ''एल्कोहल बेस्ड हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल मार्च 2020 से बड़े स्तर पर हुआ है, जिसने अनजाने में होने वाली बीमारियों का खतरा बढ़ाया है। '' एक्पसर्ट बताते हैं कि इससे बच्चों को ऑक्युलर इंजरी होने का खतरा अधिक है। हैंड सैनिटाइजर के कारण कई बच्चों की आंखे जा चुकी हैं।हैंड सैनिटाइजर के अन्य नुकसानइन दिनों हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल काफी ज्यादा होने लगता है। हैंड सैनिटाइजर के इस्तेमाल से सिर्फ बच्चों के आंखों की रोशनी पर ही असर नहीं पड़ता, बल्कि इसके इस्तेमाल से कई अन्य नुकसान भी हो सकते है। आइए जानते हैं इस बारे में-मांसपेशियों के ऑर्डिनेशन को होता है नुकसानहैंड सैनिटाइजर को तैयार करने के लिए इसमें ट्राइक्लोसान नामक केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे हमारे हाथ की स्किन आसानी से सोख लेती है। हैंड सैनिटाइजर का अधिक इस्तेमाल करने से यह केमिकल हमारी स्किन से होते हुए हमारे ब्लड में मिलने लगती है। यह केमिकल ब्लड में मिलने के बाद हमारी मांसपेशियों के ऑर्डिनेशन को नुकसान पहुंचा सकता है।स्किन में हो सकती है खुजली और जलनकई हैंड सैनिटाइजर में बेंजाल्कोनियम क्लोराइड मिलाया जाता है, जो हमारे हाथों से कीटाणुओं और बैक्टीरिया को बाहर निकालने में हमारी मदद करता है। लेकिन यह हमारी स्किन के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। इस केमिकल के अधिक इस्तेमाल से हाथों में खुजली और जलन की परेशानी होने लगती है।लिवर, किडनी और फेफड़ों की बढ़ा सकती है परेशानीहैंड सैनिटाइजर में खूशबू लाने के लिए इसमें फैथलेट्स नामक केमिकल मिलाया जाता है। ऐसे में अधिक खूशबू वाले हैंड सैनिटाइजर आपके लिए नुकसानदेय हो सकते हैं। अधिक खूशबूदार हैंड सैनिटाइजर से लिवर, किडनी, फेफड़ों की समस्या और प्रजनन क्षमता पर असर डाल सकती है।हैंड सैनिटाइजर से बढ़ सकती है एलर्जी की समस्याअधिक हैंड सैनिटाइजर के इस्तेमाल से बच्चों में एलर्जी की शिकायतें देखी गई है। बाजार में मिलने वाले हैंड सैनिटाइजर में कई तरह के केमिकल्स मिलाए जाते हैं, जिससे एलर्जी बढऩे की आंशका होती है। ऐसे में इन सैनिटाइजर के बदले हबर्ल या फिर ऑर्गेनिक सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना अधिक बेहतर होता है। इससे आपको किसी तरह से कोई साइड-इफेक्ट्स नहीं होते हैं।मेथानॉल को लेकर एफडीए की चेतावनीएफडीए ने मेथनॉल युक्त हैंड सैनिटाइजर को लेकर कहा था कि इस तरह के सैनिटाइजर का इस्तेमाल आम लोगों और स्वास्थ्य कर्मियों को नहीं करना चाहिए। यह उनके सेहत पर बुरा असर डाल सकती है।बच्चों की इम्यूनिटी करता है कमजोरकई रिसर्च में इस बात का भी दावा किया गया है कि अधिक हैंड सैनिटाइजर के इस्तेमाल से बच्चों की इम्यूनिटी पावर पर बुरा असर पड़ता है।साबुन से हाथ धुलाना है अधिक बेहतरहैंड सैनिटाइजर को लेकर फ्रांस के शोधकर्ताओं का कहना है कि 'एल्कोहॉल युक्त हैंड सैनिटाइजर के इस्तेमाल से मार्च 2020 से लेकर अब तक कई बच्चे बीमार पड़े हैं।" भारत में भी दो ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें बच्चों की आंखों में सैनिटाइजर जाने के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। ऐसे में सुरक्षा के लिहाज से साबुन से हाथ धुलाना ही बेहतर होगा।
- हम जानते हैं कि हाइट एक निश्चित उम्र तक बढ़ती है। वहीं, आनुवांशिक कारणों के साथ कई ऐसी बातें हैं जिससे किसी व्यक्ति की लंबाई कितनी बढ़ेगी, इसका पता चलता है। कई पहलुओं के साथ डाइट भी एक खास वजह है जिससे किसी बच्चे की लंबाई प्रभावित होती है। आज हम आपको ऐसी चीजें बता रहे जिन्हें खाने से लंबाई बढ़ती है।बैरीजब्लूबैरी, स्ट्रॉबेरी, ब्लैकबेरी या रास्पबैरी भी कई प्रकार के न्यूट्रिशन से लैस होती हैं। इसमें मौजूद विटामिन-सी कोशिकाओं को बेहतर करता है और टिशू रिपेयर करने का काम करता है। विटामिन-सी कॉलेजन के सिंथेसिस को भी बढ़ाता है, एक ऐसा प्रोटीन जिसकी मात्रा आपके शरीर में सबसे ज्यादा होती है।पत्तेदार सब्जियांपालक, केल, अरुगुला, बंदगोभी जैसी पत्तेदार सब्जियों में भी कई तरह के पोषक तत्व होते हैं। इन सब्जियों में विटामिन-सी, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम और पोटैशियम के अलावा विटामिन-के भी पाया जाता है जो हड्डियों के घनत्व को बढ़ाकर लंबाई बढ़ाने का काम करता है।अंडाअंडा न्यूट्रिशन का पावरहाउस है। इसमें प्रोटीन की भरपूर मात्रा पाई जाती है। इसमें हड्डियों की सेहत के लिए जरूरी कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं। 874 बच्चों पर हुए एक अध्ययन में पाया गया है कि नियमित रूप से अंडा खाने वाले बच्चों की हाइट बढ़ती है। अंडे के पीले भाग (यॉक) में मौजूद हेल्दी फैट भी शरीर को फायदा दे सकता है।बादामबादाम में मौजूद कई प्रकार के विटामिन और मिनरल भी लंबाई के लिए बेहद जरूरी हैं। इसमें हेल्दी फैट के अलावा, फाइबर, मैग्नीज और मैग्नीशियम भी पाया जाता है। इसके अलावा, इसमें विटामिन-ई भी होता है, जो एंटीऑक्सिडेंट के रूप में दोगुना हो जाता है। एक स्टडी के मुताबिक, बादाम हमारी हड्डियों के लिए भी फायदेमंद चीज है।साल्मन फिशओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर साल्मन फिश भी सेहत के लिए बड़ी फायदेमंद है। ओमेगा-3 फैटी एसिड दिल की सेहत को फायदा पहुंचाने वाला एक फैट है, जो शरीर की ग्रोथ और डेवलपमेंट के लिए भी अच्छा माना जाता है। कुछ शोधकर्ताओं का कहना है कि ओमेगा फैटी-3 एसिड हड्डियों की ग्रोथ को भी बढ़ावा दे सकता है। ये बच्चों में नींद की समस्या को भी दूर कर सकता है, जो कि उनकी ग्रोथ पर बुरा असर डालती है।शकरकंदविटामिन-ए से युक्त शकरकंद हड्डियों की सेहत को सुधारकर लंबाई बढ़ाने में मदद करती है। इसमें सॉल्यूबल और इनसॉल्यूबल दोनों प्रकार के तत्व होते हैं, जो आपकी डायजेस्टिव हेल्थ को प्रमोट करते औंर आंतों के लिए अच्छे बैक्टीरिया के विकास को बढ़ावा देते हैं। यह विटामिन-सी के अलावा मैग्नीज, विटामिन बी6 और पोटेशियम का भी अच्छा स्रोत है।
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आयुर्वेद में आंवले का काफी महत्व होता है। नियमित रूप से आंवले का सेवन करने से कई गंभीर से गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है। आंवला विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है। इतना ही नहीं, आंवले में कैल्शियम, पोटैशियम, कैरोटीन, आयरन, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन ए और बी जैसे कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं। आंवले का सेवम किसी भी रूप में करने से आपके सेहत को फायदा पहुंच सकता है। आयुर्वेद में आंवला का फल, बीज, पत्ते, छाल और जड़ों का इस्तेमाल किया जाता है। आंवले की गुठलियों का सेवन स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद हैं। आइए जानते हैं आंवले की गुठलियों के फायदे और किस तरह करें इसका सेवन-
आंखों के लिए है फायदेमंदआंखों की समस्याओं को दूर करने में आंवले की गुठली काफी फायदेमंद होती है। इसके सेवन से आप आंख में खुजली, जलन, लालिमा जैसी शिकायत को दूर कर सकते हैं। नियमित रूप से आंवले की गुठली को पीसकर पानी में मिलाकर पीने से आपकी आंखे स्वस्थ रहेंगी। इसके अलावा आंवले का रस आंख में डालने से आंखों की रोशनी अच्छी होगी।पित्त की पथरी से मिलता है छुटकाराकई रिसर्च में भी इस बात का खुलासा हुआ है कि आंवले की गुठली के सेवन से किडनी, पित्त और मूत्राशय की पथरी से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके बीज से तैयार चूर्ण हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा है। मूत्राशय की पथरी में होने वाली समस्याओं से निजात दिलाने में यह बहुत ही असरकारी साबित हो सकता है।स्किन के लिए फायदेमंदस्किन के लिए भी आंवले की गुठली से तैयार चूर्ण काफी फायदेमंद हो सकता है। इसके इस्तेमाल से स्किन पर होने वाली दाद-खाज या खुजली की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। आंवले की गुठली से तैयार चूर्ण को नारियल तेल में मिक्स करके लगाने से स्किन पर निखार आने लगता है। इसके इस्तेमाल से स्किन पर होने वाले इंफेक्शन से राहत मिलता है। इस पेस्ट को कुछ दिनों तक स्किन पर लगाने से स्किन की सभी समस्याएं दूर रहेंगी।पित्त दोष की समस्या होगी दूरआयुर्वेद के अनुसार, आंवले की गुठली के इस्तेमाल से बुखार और पित्त की परेशानी को दूर किया जा सकता है। इसके सेवन से प्यास शांत होता है। यह सर्दी-खांसी की परेशानी को दूर करने में आपकी मदद कर सकता है। इम्यूनिटी को बूस्ट करने और फेफड़ों को मजबूत करने में आंवले की गुठली फायदेमंद साबित हो सकती है - कृष्णबीज नाम से शायद इस फूल को पहचानना मुश्किल हो सकता है ,अंग्रेजी में इसको ब्लू मॉर्निंग ग्लोरी कहते हैं। इसके सुन्दर नीले फूल सुबह में ही खिलते है; इसलिए इसे मार्निंग ग्लोरी कहा जाता है। यह एक प्रकार की औषधि भी है।कृष्णबीज की दो प्रजातियां होती है, एक कालादान और दूसरा कृष्णबीज।कालादान -यह प्रकृति से कड़वा होता है। इसके अलावा यह पाचक, कृमि को निकालने में सहायक, विरेचक, सूजन कम करने वाला, रक्त को शुद्ध करने वाला, बुखार के लक्षणों को दूर करने वाला, वेदना कम करने वाला, तथा मूत्र संबंधी रोगों के इलाज में सहायक होता है। इसके बीज सूजन, कब्ज, खुजली, पेट फूलने की बीमारी, सांस की बीमारी, खांसी, जलोदर, सिरदर्द, नासास्राव, रक्त में वात की समस्या, बुखार, वातविकार, प्लीहा या स्प्लीन , श्वित्र या ल्यूकोडर्मा, खुजली, कृमि, खाने की इच्छा में कमी, संधिविकार तथा जोड़ो के दर्द को कम करने में सहायक होता है। इसके अलावा पूरा पौधा कैंसररोधी गुणों वाला होता है।करपत्री कृष्णबीज- इसका प्रयोग अर्श या पाइल्स, रोमकूप के सूजन तथा फोड़ों की चिकित्सा में किया जाता है। इसके अलावा जड़ का प्रयोग विरेचनार्थ किया जाता है। और पत्तों को पीसकर पुटली की तरह बनाकर लगाने से व्रण या अल्सर, दद्रु या खाज-खुजली आदि त्वचा संबंधी रोगों में लाभप्रद होता है। 5 मिली ताजे पञ्चाङ्ग के रस को पिलाने से अलर्क या रैबीज़ रोग के इलाज में फायदेमंद होता है। करपत्री कृष्णबीज के सूखे पत्ते को धूम्रपान की तरह सेवन श्वासनलिका संबंधी समस्या में आराम मिलता है। बीजों को पीसकर नारियल तेल में मिलाकर त्वचा में लगाने से त्वचा के विकारों का शमन होता है तथा व्रण में लगाने से शीघ्र ही व्रण या घाव ठीक हो जाता है।कृष्णबीज के फायदे और उपयोगकालादान या कृष्णबीज देखने में जितना मनमोहक होता है उतना ही औषधी के रूप में कौन-कौन से बीमारियों के लिए फायदेमंद है।- कालादाना का काढ़ा बनाकर गरारा करने से मुखपाक या गले के दर्द या मुँह संबंधी रोगों से निजात पाने में आसानी होती है।- उदावर्त रोग में मल-मूत्र का निष्कासन सही तरह से नहीं हो पाता है। इसके लिए कालादान का सेवन इस तरह से करने पर जल्दी आराम मिलता है।- अगर कब्ज की समस्या से परेशान रहते हैं तो इससे राहत पाने के लिए कालादान का सेवन फायदेमंद हो सकता है।- लीवर और स्प्लीन के सूजन को कम करने के इलाज में फायदेमंद होता है कालादान।- -50 ग्राम कालादाना को 400 मिली जल में पकायें और जब आधा शेष बचे तो छानकर रख लें। इसे जल में मिलायें इससे स्नान कराने से कण्डु या खुजली, दद्रु आदि चर्मरोगों दूर होता है तथा सिर के जुंए भी नष्ट होते हैं।- अगर बार-बार बुखार आता है तो 1 ग्राम कालादाना चूर्ण में 1 ग्राम काली मरिच चूर्ण तथा 500 मिग्रा अतीस चूर्ण मिलाकर सुबह शाम गुनगुने जल के साथ सेवन करने से ज्वर कम होता है।(नोट- कोई भी उपाय चिकित्सक की सलाह पर ही करें)
- हम जब भी घर में चावल पकाते हैं तो उसका पानी यानी पसिया या मांड (पेज) को फेंक देते हैं, जबकि यह सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यह सेहत, स्किन और बालों के लिए बहुत फायदेमंद, जानें इसका कैसे करें इस्तेमाल।पसिया या मंाड में में कई पोषक तत्व हैं, जिसके कारण इस पानी का सेवन करने से कई फायदे होते हैं और सही तरीके से इस्तेमाल करने पर बालों और त्वचा को भी कई फायदे मिलते हैं। चावल के पानी को फर्मेंट करके इम्यूनिटी बूस्ट करने वाला और पाचन सही रखने वाला कांजी ड्रिंक बनाया जा सकता है।चावल के पानी के फायदे-शरीर के तापमान को सामान्य करता है।-कब्ज ठीक करने में सहायक।-फर्मेंटेड चावल का पानी पाचन को ठीक करता है।-चावल के पानी से मुंह धोने पर स्किन सॉफ्ट बनती है और ग्लो बढ़ता है।-चावल के बचे हुए पानी से बाल धोने से बाल भी लंबे, घने व मुलायम बनते हैं।ज्यादा एनर्जी कम कैलोरीजचावल का पानी पीने से काफी मात्रा में ऊर्जा मिलती है। इसका सेवन आपके शरीर की एनर्जी लेवल को कम नहीं होने देता। आप इस पानी का सेवन खाने के एक घंटा पहले व बाद में कर सकते हैं। चावल के पानी के एक कप में 140 कैलोरीज़ होती हैं। कम कैलोरीज़ मात्रा से ही आप का वजन कम होगा।शरीर को शांत करता हैचावल के पानी से मिलने वाले अन्य लाभों में से एक लाभ है कि यह शरीर व दिमाग को रिलैक्स करता है। ऐसा करने के लिए आप अपने नहाने के पानी में थोड़ा सा चावल का पानी मिला सकते हैं और इस पानी से नहाने से आप को बहुत आराम मिलेगा।पाचन मे सहायकवजन कम करने के लिए अच्छा पाचन होना बहुत जरूरी है। सुबह के नाश्ते में इस पानी का सेवन करने से आपका पाचन ठीक रहेगा क्योंकि इस चावल के पानी में फाइबर होता है। यही नहीं ये पानी दस्त को कम करने के लिए भी बेहतरीन औषधि है।हाइड्रेशन में मदद करता हैचावल का पानी शरीर को हाइड्रेटेड रहने में मदद करता है और आप जितना अधिक हाइड्रेटेड रहेंगे, उतना ही आप का शरीर अच्छे ढंग से वर्क आउट कर पाने में सक्षम होगा और तेजी से वजन कम होगा।रखें ये सावधानीडायबिटीज के मरीजों को नहीं करना चाहिए सेवनचावल के पानी में स्टार्च होता है इसका मतलब है कि शुगर व कार्ब एक साथ आप के शरीर में जाता है। इसलिए डायबिटिक लोगों को चावल का पानी बिलकुल नहीं पीना चाहिए चाहे आप ने चावलों को पानी के साथ बनाया हो या दूध के साथ। आप को इस पानी का प्रयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
- पीले रंग के केले तो बाजार में आते ही हैं और केले खाने के फायदे भी हैं। वहीं केले की एक प्रजाति में लाल रंग के फल आते हैं। लाल केलों को "रेड डक्का" के रूप में भी जाना जाता है। इसमें लाल रंग का बाहरी छिलका होता है और ये दक्षिण पूर्व एशिया से केले के एक उपसमूह में आता है। लाल केले पीले केले की तुलना में काफी छोटे और मीठे होते हैं, इसके साथ ही ये ज्यादा पोषक तत्व भरे भी होते हैं। लाल केले ब्लड शुगर के स्तर को कम करने, प्रतिरक्षा को बढ़ाने और पाचन में सहायता करते हैं।लाल केलों के फायदेपोषक तत्वों से भरपूरएक सामान्य लाल केले करीब 100 ग्राम का होता है, इसमें काफी कम मात्रा में फैट होता है और भारी मात्रा में फाइबर होता है। लाल केले कार्बोहाइड्रेट का एक अच्छा स्रोत होता है, जैसे सुक्रोज और फ्रुक्टोज। यह तुरंत ऊर्जा देने का काम करता है और इससेशरीर में रक्तप्रवाह में तेजी आती है। इसके अलावा लाल केलों में भारी मात्रा में विटामिन सी, थीआमिन, विटामिन बी-6 और फोलेट जैसे तत्व होते हैं।डायबिटीज करता है कंट्रोललाल केले शरीर में डायबिटीज को कंट्रोल करने का काम करते हंै, इसके साथ ही ये ब्लड शुगर लेवल में अचानक स्पाइक को कम करते हैं। एक अध्ययन में पाया गया है कि लाल केले की कम ग्लाइसेमिक प्रतिक्रिया डायबिटीज से पीडि़त लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है।एंटीऑक्सीडेंट तत्वलाल केले में भारी मात्रा में फेनॉल्स और विटामिन-सी होते हैं, इसके साथ ही इसमें काफी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट तत्व भी होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। मुक्त कणों की अधिकता से ऑक्सीडेटिव तनाव हो सकता है और ये मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर जैसे चयापचय संबंधी समस्याओं के खतरे को कम कर सकते हैं।ब्लड प्रेशर को करे कमनियमित रूप से लाल केले का सेवन करने से ये ब्लड प्रेशर को बढऩे से रोकते हैं और उसे नियंत्रित करने में सहायक होते हंै। लाल केले में भरपूर मात्रा में पोटैशियम मौजूद होता हैं। रक्तचाप को बनाए रखने और हृदय रोग के जोखिम को कम करने में पोटेशियम की अहम भूमिका होती है।आंखों के लिए फायदेमंदलाल केले में ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो हमारी आंखों के लिए काफी अच्छे होते हैं साथ ही ये हमारी आंखों की रोशनी को बढ़ाने का काम करते हैं। लाल केले ल्यूटिन और जेक्सैंथिन होते हैं। इसके साथ ही लाल केले में बीटा-कैरोटेनॉइड भी होता है। इसमें विटामिन ए की मात्रा भी पाई जाती है जो आंखों की रोशनी के लिए फायदेमंद होती है।---
- आंख, नाक और कान की तरह दांत भी हमारे शरीर का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। जहां जीभ हमें तमाम तरह के स्वादिष्ट पदार्थों के टेस्ट से परिचय कराती है, तो वहीं दांतों के जरिए हम इन पदार्थों को चबाते हैं। लिहाजा दांतों की देखभाल हमारे लिए बेहद आवश्यक है। इनकी सफेदी और अपनी मुस्कुराहट बरकरार रखने के लिए आपको दिन में दो बार ब्रश करना चाहिए।आयुर्वेद भी दांतों की दो बार सफाई पर जोर देता है। पुराने दौर के लोग अपने दांतों को साफ करने के लिए विशिष्ट पौधों की टहनियों का इस्तेमाल करते थे और देश की तमाम हिस्सों में इस परंपरा का आज भी पालन किया जाता है। जानकारी के लिए आपको बता दें कि ब्रश करने और आयुर्वेदिक तरीके से दांत साफ करने में एक बड़ा अंतर है। हालांकि, जो लोग आज भी पारंपरिक तरीके को अपनाते हैं उन्हें दांतों की समस्या बेहद कम होती है। जानिए, आखिर क्यों दांतों को ब्रश से साफ करने से बेहतर है आयुर्वेद का पारपंरिक तरीका?दांतों को साफ करने का पारंपरिक तरीकाजब आधुनिक युग की शुरुआत नहीं हुई थी तब पुराने जमाने लोग अपने दांतों की सफाई के लिए कड़वे पेड़ों जैसे नीम, बबूल, शीशम, आम और पीपल की टहनियों का प्रयोग करते थे। इनकी कड़वाहट से न सिर्फ मुंह की दुर्गंध दूर होती है बल्कि दांत और मसूड़ों में भी मजबूती आती है। मालूम हो कि कड़वी जड़ी-बूटियां मुंह से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालती हैं और सांसों की बदबू से भी लड़ती हैं। कड़वे पेड़ों की टहनियां बैक्टीरियारोधी चिकित्सकीय गुणों से भरपूर औषधि की तरह होती हैं । पेड़ों की दातुन न सिर्फ आपके दांतों को स्वच्छ रखती बल्कि पाचन क्रिया में मदद करती है। साथ ही स्किन संबंधी समस्या से भी निजात मिलती है। दातुन को आप एक देसी यानी नेचुरल माउथफ्रेशनर के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं।टहनी का उपयोग कैसे करेंबबूल, नीम, शीशम, आम या पीपल जैसे पेड़ डाल की किसी भी टहनी को तोड़ लें। दातुन के लिए आप 20 से 25 सेंटीमीटर की टहनी होनी चाहिए जो कि आपकी उंगलियों में आसानी से आ जाए। इसके बाद आप टहनी को थोड़ी देर तक चबाएं। जब टहनी की नोक पर हल्के से ब्रिसल निकलने शुरू हो जाएं तो इसे ब्रश की तरह दांतों पर रगड़ें। धीरे-धीरे ये टहनी घिसने लगेगी और ऑटोमैटिक ही ब्रशनुमा बन जाएगी। इसे दांतों के अलावा जीभ पर भी लेकर जाएं। दातुन को आप जितनी देर तक मुंह में रखेंगे उतना ही आपको फायदा होगा। ग्रामीण लोग एक घंटे या इससे अधिक समय तक दातुन करते हैं जब तक कि पूरी टहनी टूट न जाए।फेंसी टूथपेस्ट की जगह खरीदें हर्बल दंत मंजनअच्छी बात ये भी है कि आधुनिक युग में भी आपको बाजार में तमाम टूथपेस्ट ऐसे मिल जाएंगे जो पारंपरिक दातुन की तरह फायदेमंद हैं। बाजार में यदि आप टूथपेस्ट खरीदने जाते हैं तो बेहतर होगा यदि आप हर्बल टूथपेस्ट का चुनाव करें। इस तरह के टूथपेस्ट हर्बल पौधों से बने होते हैं और रासायनिक-मुक्त होते हैं। लिहाजा हर्बल टूथपेस्ट केमिकलयुक्त फेंसी टूथपेस्ट से कहीं बेहतर है। दिलचस्प ये है कि इसके लिए आपको पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं है क्योंकि ये पेड़ आपको अपने मुहल्ले में भी मिल जाएंगे या किसी पार्क में।टूथ ब्रश करने का सही तरीकाविज्ञान के अनुसार, आपको अपने दांतों को कम से कम दो मिनट तक अच्छी तरह से ब्रश करना चाहिए। ब्रश करते समय आपको मुंह के हर कोने को कवर करना चाहिए। आजकल ब्रश में मुलायम स्ट्रोक भी आते हैं जो मसूड़ों और दांतों के अंतराल के बीच छिपी गंदगी को साफ करने में मदद करते हैं। इस तरह के ब्रश भी टहनियों की तरह दांतों की सफाई करते हैं। ब्रश को दांतों पर रगड़ने से पहले इसे अच्छे से साफ करें और इसे समय-समय पर बदलते रहें।टूथपेस्ट के बाद जरूरी है स्क्रैपिंगआयुर्वेद दांतों को ब्रश करने के तुरंत बाद जीभ की सफाई यानी स्क्रेप करने की सलाह देता है। क्योंकि हमारे दांतों से अधिक जीभ पर कीटाणु लगे होते हैं। लिहाजा दांतों के अलावा जीभ की सफाई भी जरूरी है तभी आपका मुंह पूरी तरह से साफ माना जाएगा।
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आजकल समय से पहले लोगों के आखों की रोशनी कमजोर होने लगी है, क्योंकि बदलती लाइफ स्टाइल के साथ ही हम सभी को कुछ घंटे मोबाइल या कम्यूटर स्क्रीन के सामने रहना होता है। लेकिन यदि हम अपने खान-पान में थोड़ी ध्यान दें तो शायद इस समस्या को बढऩे से रोका जा सकता है।
जानें उन चीजों के बारे में जिनके रोज खाने से आंखों की रोशनी दुरुस्त रहती है-
हरी सब्जियां
अपनी डाइट में हरी पत्तेदार सब्जियां को शामिल करें। हरी पत्तेदार सब्ज?ियों में आयरन की भरपूर मात्रा पायी जाती है, जो आंखों के लिए बहुत ही जरूरी है।
गाजर
गाजर का जूस पीना सेहत के लिए तो अच्छा है ही साथ ही आंखों के लिए भी बहुत फायदेमंद है। रोजाना एक गिलास गाजर का जूस पीने से आंखों पर चढ़ा चश्मा तक उतर सकता है।
बादाम का दूध
सप्ताह में कम से कम तीन बार बादाम का दूध पिएं। इसमें विटामिन ई होता है जो कि आंखों में किसी भी बीमारी से लडऩे के लिए फायदेमंद है।
अंडे
अंडे में अमीनो एसिड, प्रोटीन, सल्?फर, लैक्?टिन, ल्?युटिन, सिस्?टीन और विटामिन बी2 होता है। विटामिन बी सेल के कार्य करने में महत्?वपूण होता है।
मछली
मछली में हाई प्रोटीन होता है। मछली आंखों के अलावा बालों के लिए भी बहुत अच्छी होती है।
सोयाबीन
आप अगर नॉन वेज नहीं खाते, तो आप सोयाबीन खा सकते हैं, यह आपकी आंखों के लिए बहुत फायदेंमंद है।
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ऐसा होता है कि खाने बनाते समय जिन चीजों का इस्तेमाल स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है, उनके गुणों के बारे में जानकारी नहीं होती। जैसे जीरा, धनिया, हींग, कस्तूरी मेथी का इस्तेमाल खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है लेकिन इन छोटी-छोटी चीजों के गुण बड़े होते हैं। साथ ही इनका रोजाना सेवन करने से इम्युनिटी पावर भी मजबूत होती है। मेथी के पत्तों को सुखाकर कस्तूरी मेथी बनाई जाती है। आज हम आपको कस्तूरी मेथी के फायदे बता रहे हैं-
पेट के लिए फायदेमंद
पीरियड्स से लेकर मेनोपॉज तक, महिला के शरीर को कई बदलावों का सामना करना पड़ता है। चूंकि, इनमें से अधिकांश पेट से संबंधित हैं, इसलिए यह पाचन स्वास्थ्य को गड़बड़ा देता है। अपने भोजन में मेथी के सूखे पत्तों को शामिल करना एक अच्छा विकल्प है। कब्ज से राहत पाने के लिए कस्तूरी मेथी को पांच मिनट के लिए उबाल लें। इसे बिना छाने ठंडा होने दें और फिर थोड़ा शहद मिला दें। कब्ज से छुटकारा पाना है तो मिश्रण का सेवन दिन में दो बार करें।
संक्रमणों से लड़ता है
जिन लोगों के पेट में इंफेक्शन रहता है, उन्हें हर दिन कस्तूरी मेथी का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा, कस्तूरी मेथी का रोजाना सेवन करने से दिल, गैस्ट्रिक और आंतों की समस्या नहीं होती है। अगर पेट की समस्या है, तो पत्तियों को सुखाकर पीस लें और इसमें कुछ बूंदें नींबू की मिलाएं। इसके बाद इसे उबले पानी के साथ लें।
एनीमिया का इलाज
भारत में हर 4 में से 3 महिलाएं एनीमिया से पीडि़त हैं। ऐसी स्थिति में महिलाओं के लिए मेथी का सेवन करना फायदेमंद होता है, क्योंकि इसमें बहुत अधिक मात्रा में आयरन होता है, जो शरीर में हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाता है। इसलिए, यदि एनीमिया से जूझ रहे हैं, तो आहार में मेथी के पत्तों को जरूर शामिल करना चाहिए।
वजन घटाने में मददगार
कस्तूरी मेथी के पत्तों को चबाकर बहुत ही कम समय के अंदर वजन को कम कर सकते हैं। इसका खाली पेट सेवन करें। इसमें मौजूद घुलनशील फाइबर से पेट जल्दी भर जाता है और बार-बार भूख नहीं लगती है।
ब्लड शुगर को नियंत्रित करती है
डायबिटीज से पीडि़त लोगों को अतिरिक्त देखभाल की आवश्यकता होती है। दिन के दौरान कुछ भी खाने से अक्सर शरीर में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है। मेथी में एंटी-डायबिटीज गुण होते हैं जो कि ब्लड शुगर को नियंत्रित कर सकते हैं। यह टाइप-2 डायबिटीज होने की आशंका को भी कम करती है। यदि डायबिटीज के रोगी इसे नियमित रूप से खाते हैं, तो उनका ब्लड शुगर कंट्रोल में रहेगा। - अक्सर लोग करेला बनाते समय इसे ऊपर से छिल देते हैं और इसका बीज भी निकाल देते हैं। पर करेले के ये बीज असल में शरीर के लिए बहुत काम की चीज हैं। वहीं करेले के छिलके के अपने फायदे हैं।करेले में विटामिन ए, विटामिन-सी, जिंक और फोलेट आदि पाया जाता है। डायबिटीज की बीमारी से पीडि़त लोगों के लिए यह काफी फायदेमंद है क्योंकि यह ब्लड शुगर को आसानी से नियंत्रित करने में मदद करता है। करेले के बीज में भी ये गुण पाए जाते हैं, इसलिए करेला पकाते समय इसके बीच न फेेंके, बल्कि इसके साथ ही सब्जी पकाएं।करेले के बीज के फायदेडायबिटीज में कब्ज की परेशानी दूर करेजब करेले को इसके बीज समेत खाया जाता है तो ये शरीर में एक तरह के रफेज का काम करता है, इसके चलते हमारे मेटाबोलिज्म सही रहता है और शरीर की पाचन क्रिया सही से काम करती है। यही काम ये डायबिटीज के मरीज के लिए करता है, जिस वजह से डायबिटीज में होने वाली कब्ज की परेशानी कम हो जाती है।इंसुलिन बढ़ाता हैइंसुलिन की कमी से शरीर शुगर पचा नहीं पाता है, जिससे शुगर की मात्रा बढ़ जाती है और ये खून में मिल कर पूरे शरीर में सर्कुलेट होने लगता है। करेला इसी प्रोसेस को सही करता है। दरअसल, डायबिटीज में करेले का बीज का सेवन करने से ये शरीर में ब्लड शर्करा को कम करने में मदद करता है। ऐसा इसलिए है करेले में इंसुलिन की तरह काम करने वाले गुण होते हैं, जो ऊर्जा के लिए कोशिकाओं में ग्लूकोज लाने में मदद करते हैं। फिर इसके बीज पाचनतंत्र को ठीक करके इंसुलिन के रिलीज को और बढ़ाते हैं, जो कुल मिला कर कोशिकाओं को ग्लूकोज का उपयोग करने और इसे आपके लिवर, मांसपेशियों और वसा में स्थानांतरित करने में मदद करते हैं।कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करेडायबिटीज के मरीज में कोलेस्ट्रोल की मात्रा ज्यादा होना दिल की बीमारियों का जोखिम बढ़ाता है। दरअसल, कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर धमनियों में फैटी पट्टिका का निर्माण कर सकता है, जिससे हृदय को ब्लड पंप करने में परेशानी आती है। करेले का बीज एलडीएल यानी कि खराब कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर में कमी लाता है और गुड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाता है।वजन संतुलित रखेकरेले को बीज सहित खाने से वजन भी संतुलित रहता है।इम्यूनिटी बढ़ाएशरीर में यदि पाचन क्रिया सही होती है, तो ये शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत करेगा। इसके अलावा करेले में आयरन, मैग्नीशियम, पोटेशियम, विटामिन सी और फाइबर की अच्छी मात्रा होती है, जो कि इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए जरूरी है।ऐसे करें करेले के बीज का इस्तेमाल-करेले को बीज समेत सूखा कर इसका पाउडर बना लें और इसका रोज गर्म पानी के साथ सेवन करें, इससे पेट साफ रहेगा।करेले के बीज और लहसुन को पीस कर इसकी प्यूरी तैयार करें। भरवा करेला बनाते समय इसे प्याज के साथ मिला दें और तल लें। ये सब्जी डायबिटीज के मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद है।- करेला नमक उबालकर लें और इसके बीज समेत इसको पीस लें। फिर राई और कड़ी पत्ते के साथ इसका तड़का लगाएं। ऊपर से गुड़ डाल कर मिला लें और हो गई तैयार करेले की चटनी।इस तरह करेले के बीज को फेकें नहीं बल्कि इसका इन तरीकों से इस्तेमाल करें। कोशिश करें कि जब भी करेला बनाएं पूरा बनाएं ताकि डायबिटीज के मरीज को करेले का पूरा फायदा मिले और शुगर कंट्रोल रहे।
- अधिकांश लोग बैंगन को बेगुन मानकर उसकी सब्जी खाना पसंद नहीं करते हैं। जबकि ऐसा नहीं है, बैंगन हमारी सेहत के लिए बहुत ही गुणकारी है। बैंगन की सब्जी या भरता तो हम सब ने खाया है लेकिन शायद ही किसी को मालूम हो कि बैंगन का स्वाद जितना अच्छा है उतना ही यह सेहत के लिए गुणकारी भी है। यह पेट के रोगों से लेकर बवासीर जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज में फायदा पहुंचाता है।बैंगन कटु, तिक्त, मधुर, उष्ण, लघु, तीक्ष्ण, स्निग्ध, क्षारीय, कफवातशामक, दीपन, शुक्रकारक, रुचिकारक, हृद्य, वृष्य, बृंहण, ग्राही, निद्राकर, चक्षुष्य, पित्तल तथा शोणितवर्धक होता है। यह ज्वर, कास, अरुचि, कृमि, अर्श, हृल्लास तथा श्वासनाशक है। अंगार में भुना हुआ बैंगन अत्यन्त लघु, अग्निदीपन तथा पित्तकारक होता है।तेल तथा नमक युक्त भुना बैंगन गुरु तथा स्निग्ध होता है। श्वेत बैंगन अर्श में हितकर तथा बैंगन की अपेक्षा हीन गुण वाला होता है। बैंगन का पक्व फल क्षार युक्त, गुरु, पित्तकारक तथा वातकोपक होता है। बैंगन की मूल श्वासकष्टरोधी, रेचक, वेदनाहर एवं हृद्य होती है। यह तत्रिकाशूल, हृद्दौर्बल्य, शोथ, नासागत व्रण, अजीर्ण, ज्वर, हृदयगत रोग, श्वासगतरोग, श्वासनलिकाशोथ, श्वासकष्ट, विसूचिका एवं मूत्रकृच्छ्र शामक होता है।कान के दर्द से राहत- अगर आप कान दर्द से परेशान हैं तो बैंगन का उपयोग करके आप इस समस्या से राहत पा सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार बैंगन के जड़ के रस की 1-2 बूँद मात्रा कान में डालने से कान का दर्द और सूजन कम होता है।दांत दर्द से राहत-दांत में दर्द होना एक आम समस्या है, ठीक से दांतों की साफ-सफाई का ध्यान ना रखना इसका मुख्य कारण है। बैंगन की जड़ का पाउडर बना लें और इसे दांतों पर रगड़ें, इससे दांतों का दर्द दूर होता है। पेट के रोगों में उपयोगी है- पेट फूलना, अपच और भूख ना लगने जैसी समस्याओं से राहत पाने के लिए भी बैंगन का उपयोग किया जा सकता है। इन समस्याओं से राहत पाने के लिए कच्चे बैंगन की सब्जी बनाकर खाएं।उल्टी रोकने में मदद करता है -अगर आपको उल्टी हो रही है या जी मिचला रहा है तो इसे रोकने के लिए बैंगन का उपयोग करें। विशेषज्ञों के अनुसार, 5 मिली बैंगन की पत्तियों के रस में 5 मिली अदरक का रस मिलाकर पीने से उल्टी रुक जाती है।बवासीर के रोगियों के लिए उपयोगीखराब खानपान और गलत जीवनशैली के कारण कई लोग कब्ज की समस्या से परेशान रहते हैं और आगे चलकर बवासीर जैसी गंभीर बीमारी से पीडि़त हो जाते हैं। बवासीर के मरीज ब्लीडिंग और दर्द से राहत पाना चाहते हैं तो बैंगन का आगे बताए गए तरीके से उपयोग करें। इसके लिए बैंगन के पत्तों को महीन पीसकर उसमें जीरा और शक्कर मिलाकर सेवन करें। इसके सेवन से रक्तस्राव और दर्द दोनों से आराम मिलता है।पेशाब के समय होने वाले दर्द से राहत दिलाता है बैंगनकई लोग पेशाब करते समय जलन एवं दर्द की समस्या से परेशान रहते हैं। इसके लिए बैंगन के जड़ के रस की 5 मिली मात्रा का सेवन करें। इस समस्या से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए नजदीकी आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क करें।जोड़ों के दर्द से राहत दिलाएजाड़ों का मौसम आते ही कई लोग जोड़ों के दर्द से परेशान हो जाते हैं, खासतौर पर बुजुर्गों में यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। इसके लिए बैंगन को भूनकर उसे पीस लें और दर्द वाली जगह पर कपड़े में लपेटकर बांधें। इससे दर्द जल्दी दूर होता है।(नोट-कोई भी उपाय योग्य चिकित्सक की सलाह पर ही करें)
- अपनी फिटनेस पर ध्यान देने वाले लोग चावल खाने से परहेज करते हैं क्योंकि चावल खाने से न सिर्फ शरीर का फैट बढ़ता है बल्कि इससे बार-बार भूख भी लगती है। विशेषज्ञों के अनुसार अगर आप ब्राउन राइस खा रहे हैं, तो वजन बढऩे का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। ज्यादातर लोगों को ब्राउन और वाइट राइस में अंतर नहीं पता होता। आइए, जानते हैं ब्राउन राइस आखिर क्या है और इसके क्या-क्या फायदे हैं-ब्राउन राइस और वाइट राइस में क्या अंतर है?सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि ब्राउन राइस और सफेद चावल में क्या अंतर है। दरअसल, ब्राउन राइस का भूसा नहीं उतारा जाता, जिससे इसके पोषक तत्व साबुत अनाज जितने ही रहते हैं। सफेद चावल का भूसा उतार कर उसे प्रोसेसिंग करके सफेद पॉलिश युक्त कर दिया जाता है। इस प्रोसेसिंग के दौरान चावल में मौजूद कई पोषक तत्व कम हो जाते हैं। हालांकि, ब्राउन राइस को इसके स्वाद, पकने में ज्यादा समय लेने और ज्यादा समय तक न रख पाने की वजह से भारत में अकसर लोग इसे लेना पसंद नहीं करते, लेकिन अब बेहतर तकनीक की मदद से ब्राउन राइस को ज्यादा समय तक रखा जा सकता है। इसका स्वाद भी अब काफी लोगों को पसंद आने लगा है। ब्राउन राइस में भी नॉन बासमती फायदेमंद है। इसके दाने का आकार छोटा और जीआई (ग्लाइसेमिक इंडेक्स) कम होता है।नॉन बासमती ब्राउन राइस के फायदेसफेद चावल की तुलना में ब्राउन राइस के कई फायदे हैं। ब्राउन राइस में विटामिन, कुछ खनिज, लिगनान और फाइटो कैमिकल व एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर पोषक तत्व होते हैं। इनमें विटामिन ई, सिलेनियम, मैंगनीज होता है। इसे नियमित रूप से अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए। ब्राउन राइस, साबुत अनाज के सबसे बेहतरीन रूपों में से एक है। इसमें शरीर के ऑक्सीडेटिव तनाव और बीमारियों को रोकने के लिए एंटी ऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं।ब्राउन राइस के फायदेकोलेस्ट्रोल नियंत्रित करेशरीर में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढऩे से ह्रदय रोग हो सकता है। कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित करने के लिए ब्राउन राइस जैसे साबुत अनाज खाने की सलाह दी जाती ह । ब्राउन राइस में कुछ मात्रा फाइबर की होती ह । फाइबर खाने को धीरे-धीरे पचाने में मदद करता है, जिससे भूख कम लगती है और कोलेस्ट्रोल को खून में धीरे-धीरे घुलने में मदद करता है। साथ ही एलडीएल कोलेस्ट्रोल यानी खराब कोलेस्ट्रोल के स्तर को कम करने में मदद करता है ।मधुमेह के लिए ब्राउन राइस के फायदेवैज्ञानिक शोध के अनुसार, ब्राउन राइस टाइप 2 मधुमेह को नियंत्रित रखने में मदद कर सकता है। इसमें फाइबर, प्रोटीन, फाइटोकेमिकल्स और मिनरल्स की अच्छी मात्रा पाई जाती है। व्हाइट राइस की तुलना में ब्राउन राइस में लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है, जो शरीर में ब्लड शुगर के स्तर को कम रखता है।कैंसर विरोधी गुणब्राउन राइस के स्वास्थ लाभ की बात करें, तो यह कैंसर को रोकने में मदद कर सकता है। शोध के अनुसार, अंकुरित ब्राउन राइस में गामा-एमिनोब्यूटिरिक एसिड पाया जाता है, जो ल्यूकेमिया (रक्त कैंसर) की कोशिकाओं को रोकने में मदद करता है ।हड्डियों के लिए ब्राउन राइस के फायदेहड्डियों को तंदुरुस्त रखने के लिए मैग्नीशियम बहुत फायदेमंद मिनरल है और यह ब्राउन राइस में भरपूर मात्रा में पाया जाता है । यह बोन मिनरल डेंसिटी को बढ़ाने में मदद करता है ।तंत्रिका तंत्र के लिए फायदेमंदतंत्रिका तंत्र के सही प्रकार से काम न करने पर अल्जाइमर, पार्किंसंस व माइग्रेन जैसी समस्या हो सकती है। इन बीमारियों से उबरने में मैग्नीशियम जरूरी तत्व साबित हो सकता है । वहीं, ब्राउन राइस में मैग्नीशियम पर्याप्त मात्रा में होता है और इसका सेवन करने से तांत्रिक तंत्र को स्वस्थ बनाया जा सकता है ।रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएब्राउन राइस खाने के फायदे में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर करने का गुण भी शामिल है। इसमें विटामिन-ई मौजूद होता है, जो एंटी-ऑक्सीडेंट का काम करता है। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है और विभिन्न बीमारियों से बचना आसान हो जाता है ।
- कलाई में दर्द होना लोगों की एक आम समस्या है, जिसके कारण अक्सर लोग परेशान रहते हैं। कई बार सूजन की समस्या भी हो जाती है। आज हम बता रहे हैं कुछ ऐसे उपाय, जिसे अपनाकर आप इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।हल्दीहल्दी स्वास्थ्य के लिए कितनी फायदेमंद होती है ये तो आप सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं हल्दी आपकी कलाई के दर्द और सूजन में भी बहुत अहम भूमिका निभाती है। जी हां, हल्दी में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो न सिर्फ बैक्टीरिया और संक्रमण से दूर रखते हैं बल्कि ये शरीर में आई सूजन को दूर करने के साथ दर्द को भी कम करने का काम करते हैं। इसके लिए हल्दी का सेवन किया जा सकता है या फिर हल्दी और शहद का लेप लगाकर भी दर्द से राहत पाई जा सकती है। कलाई में दर्द और सूजन हो तो हल्दी का लेप रात में अपनी कलाई पर लगाकर सो जाएं। वहीं, अगर हल्दी वाला दूध पीते हैं तो इससे भी शरीर में हो रही सूजन को आसानी से दूर किया जा सकता है।हीट थैरेपीहीट थैरेपी दर्द, सूजन और चोट का इलाज करने के लिए एक असरदार विकल्प है। जिन लोगों की कलाई में दर्द और सूजन लंबे समय से रहती है वे रोजाना हीट थैरेपी को अपना सकते हैं। हीटिंग पैड की मदद से कलाई को सेंक सकते हैं या फिर गर्म पानी के साथ इसका फायदा ले सकते हैं। नियमित रूप से ऐसा करने से कलाई से दर्द और सूजन को कम किया जा सकता है।बर्फ का सेंकबर्फ भी कलाई के दर्द को आसानी से कम करने के साथ उसे एक्टिव रखने में मदद कर सकती है। इसके लिए बर्फ को किसी एक तौलिये में लेकर लपेट लें इसके बाद उसे अच्छी तरह से कलाई के उस हिस्से पर रखें जहां दर्द और सूजन महसूस हो रही हो। करीब 15 से 20 मिनट तक बर्फ के सेंक लेने ले कलाई से सूजन कम हो जाती है। इस उपाय का इस्तेमाल रोजाना किया जा सकता है।अदरक का सेवन जरूर करेंअदरक भी हल्दी की तरह हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद मानी जाती है, इसका सेवन नियमित रूप से करने पर आप अपने शरीर के किसी भी हिस्से में हो रहे दर्द और सूजन से आसानी से छुटकारा पा सकते हैं। अदरक में भारी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो कलाई में हो रहे दर्द को आसानी से दूर कर सकते हैं। अपने भोजन में अदरक शामिल करें या फिर अदरक वाली चाय पी लें।चेरीचेरी में एंथोसियानिन, फाइटोनुट्रिएंट्स होते हैं जो बहुत प्रभावी एंटीऑक्सीडेंट के रूप में जाने जाते हैं। इन गुणों की मदद से कलाई में होने वाले दर्द को कम किया जा सकता है साथ ही ये आपकी सूजन को भी बढऩे से रोकते हैं। चेरी का जूस पीने से जोड़ों के दर्द से भी राहत मिलती है।लहसुनआयुर्वेद में लहसुन को कई संक्रमण के खिलाफ प्रभावी माना जाता है जिसकी मदद से कई बैक्टीरिया और संक्रमण आपसे दूर रहते हैं। ऐसे ही कलाई के दर्द को दूर करने के लिए भी लहसुन काफी फायदेमंद तरीका है। गुनगुने सरसों के तेल में लहसुन को डालकर इससे प्रभावित क्षेत्र में मालिश करने से भी काफी राहत मिलती है।जैतून का तेलजैतून का तेल भी कलाई के दर्द और सूजन को कम करने में काफी मददगार साबित हो सकता है। इसके लिए जैतून के तेल से मसाज या मालिश करें।सेब का सिरकासेब के सिरके में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो शरीर में आई सूजन, जलन और दर्द को कम करने का काम करता है। आप इसके लिए गर्म पानी में एक चम्मच सेब का सिरका मिलाएं और उसमें शहद को शामिल करें और इसका सेवन कर लें।इन सब उपायों के अलावा नियमित व्यायाम करना न भूलें।
- इस कोरोना काल में इन्यूनिटी बढ़ाने के लिए गिलोय का इस्तेमाल बहुतायक लोगों ने किया है और कर रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञों ने गिलोय के अत्यधिक सेवन पर सचेत किया है।गिलोय के फायदों को अगर विशेषज्ञ की नजरिए से देखें तो उनके मुताबिक यह 100 समस्याओं की एक दवा है। गिलोय के सेवन से पाचन शक्ति, फेफड़ों की कार्यक्षमता तो बेहतर होती ही है, साथ ही इससे इम्यून सिस्टम भी मजबूत बनता है। यही कारण है कि साल 2020 में कोरोना के दौरान गिलोय ने अच्छी खासी लोकप्रियता हासिल कर ली। लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं जिनके बारे में लोग नहीं जानते।हाल ही में यूएस फूड एंड ड्रग विभाग ने भी गिलोय के सेवन करने की सलाह दी थी। आयुर्वेदिक विशेषज्ञ गिलोय के तने और जड़ों के इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। जबकि बाजार में गिलोय कैप्सूल, जूस और पाउडर के रूप में मौजूद है। इनमें से किसी का भी सेवन विशेषज्ञ की सलाह पर किया जा सकता है, लेकिन इसके कुछ ऐसे नुकसान हैं जिन्हें जान लेना बेहद जरूरी है।मधुमेह के मरीजों को सलाहगिलोय मधुमेह के मरीजों के लिए नुकसानदायक हो सकती है। दरअसल, गिलोय खून में मौजूद शुगर लेवल को कम करने का काम करती है। ऐसे में अगर किसी को मधुमेह की समस्या है, तो यह रक्त में शुगर को बहुत ज्यादा नीचे पहुंचा सकती है। इस स्थिति को हाइपोग्लाइकेमिया कहा जाता है। इसलिए डॉक्टर या आयुर्वेद विशेषज्ञ की सलाह पर गिलोय का सेवन करें।पाचन शक्ति को फायदा भी नुकसान भीगिलोय को यूं तो पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए सबसे जबरदस्त माना जाता है, लेकिन कई मामलों में यह कब्ज की समस्या पैदा कर सकता है। ऐसे में अगर गिलोय का सेवन करते हैं, और मल से संबंधित या अन्य किसी प्रकार की समस्या हो सकती है।इम्यून सिस्टम पर पड़ता है असरगिलोय के सेवन से इम्यून सिस्टम बेहतर होता है। लेकिन कई बार यह इम्यून सिस्टम को प्रभावित कर अनेक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं खड़ी कर सकता है। इसलिए गिलोय के सेवन से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर ले।सर्जरी से पहले बंद करें गिलोयसर्जरी कराने से पहले गिलोय का सेवन खतरनाक हो सकता है। दरअसल सर्जरी के दौरान यह जरूरी है कि ब्लड प्रेशर संतुलित रहे। लेकिन गिलोय ब्लड प्रेशर को प्रभावित कर सकता है। इसलिए सर्जरी से पहले इसका सेवन बंद कर दें। इसके अलावा डॉक्टर की सलाह पर ही इसे फिर से शुरू करें।गिलोय की तय मात्रा कितनीगिलोय के सेवन करने वाले अक्सर इसकी तय मात्रा को लेकर थोड़े चिंतित रहते हैं। हालांकि कैप्सूल और पाउडर के पैकेट या बॉक्स पर तय मात्रा दी गई होती है, लेकिन ज्यादा बेहतर होगा कि चिकित्सक की सलाह पर ही इसका सेवन किया जाए।-----
- कटहल आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। कटहल में भारी मात्रा में विटामिन्स और पोटैशियम मौजूद होता है। इतना ही नहीं कटहल के बीज न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं बल्कि ये त्वचा के लिए भी बहुत फायदेमंद हैं। कटहल का बीज त्वचा से दाग-धब्बों और कई समस्याओं को कम कर सकता है। कटहल के बीज में ऐसे गुण और तत्व पाए जाते हैं जो त्वचा से कई संक्रमणों और बैक्टीरिया को दूर करने का काम करता है। आइये जानें इसके फायदे....झुर्रियां होती है कमकटहल के बीज की मदद से झुर्रियों को कम किया जा सकता है। इसके लिए कटहल के बीज में थोड़ा सा दूध और शहद साथ में लेकर अच्छी तरह से पीस लें। इस मिश्रण को अपनी त्वचा पर लगा लें और कुछ देर बाद गुनगुने पानी के साथ धो लें।त्वचा बनी रहती है चमकदारत्वचा की रंगत खो जाने के कारण आमतौर पर लोग अलग-अलग तरह के तरीकें अपनाते हैं जिससे की उनकी खोई हुई त्वचा की रंगत वापस आ सके। इसके लिए कटहल के बीज फायदा पहुंचा सकते हैं। कटहल में मौजूद पोषण त्वचा को स्वस्थ रखने के साथ चमक लाने का भी काम करते हैं।दाग-धब्बों से मिलेगा छुटकारादाग-धब्बे भी झुर्रियों की तरह के आम समस्या है जिसके कारण लोग अक्सर परेशान रहते हैं और बाजार में मौजूद ब्यूटी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते रहते हैं। कटहल के बीज की मदद से त्वचा पर आए दाग-धब्बों को हल्का किया जा सकता है।त्वचा रहती है हाइड्रेडत्वचा में ज्यादातर समस्या शरीर में पर्याप्त मात्रा में पानी न होने के कारण होती है, जिसके कारण त्वचा पर कई तरह की समस्याएं पैदा होने लगती है। इन सभी तरह की समस्याओं से बचाव के लिए जरूरी है कि अपनी त्वचा या शरीर में पर्याप्त नमी बनाए रखें। ऐसे ही शरीर को पूर्ण रूप से हाइड्रेड रखने के लिए कटहल के बीज भी काफी फायदेमंद है। कटहल के बीज में मौजूद पोषक तत्व इम्यून सिस्टम को मजबूत रखने के साथ शरीर में नमी को बनाए रखता है। जब आप अपने शरीर में पर्याप्त नमी को बनाए रखते हैं तो इससे आपक कई गंभीर बीमारियों को दूर रखते हैं और खुद को लंबे समय तक स्वस्थ रख सकते हैं। त्वचा में पर्याप्त मात्रा में नमी से आपकी त्वचा लंबे समय तक स्वस्थ और चमकदार बनी रह सकती है जिसकी कमी को कटहल के बीज पूरा कर सकते हैं।इसके अलावा कटहल के बीजों में विटामिन ए की भरपूर मात्रा होती है। यह बालों को टूटने से रोकने में मदद करता है। इन बीजों में प्रोटीन की भरपूर मात्रा बालों के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभकारी होती है। इसके बीज आयरन से परिपूर्ण होने के कारण, खोपड़ी के रक्त परिसंचरण को बढ़ाते हैं।- कटहल के बीज डायट्री फाइबर से भरपूर होते हैं और इसमें कैलोरी भी कम होती है, अत: ये वजन कम करने में आपकी मदद करते हैं।- कटहल के बीज मैग्नीशियम, मैग्नीज जैसे तत्वों से भरपूर होते हैं जो हड्डियों में कैल्शियम अवशोषण में मददगार होते हैं। ये रक्त क थक्का जमने से रोककर रक्तसंचार में भी मदद करता है। इसके बीजों में काफी मात्रा में स्टार्च पाया जाता है, जो आपके शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है। यह ऊर्जा के लिए बेहतरीन स्त्रोत है जो कि स्वादिष्ट भी है।-कटहल के यह बीज एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होते हैं, जो बढ़ती उम्र की गति धीमी करने के साथ्स ही आपको तनाव से भी दूर रखने में मददगार होते हैं।- कटहल के बीज में लिग्नेंस, आइसोफलेवोन्स, सैपनिन्स एवं अन्य लाभारी फायइटोन्यूट्रीएन्स पाए जाते हैं जो मानसिक व शारीरिक सेहत के लिए लाभकारी हैं।
- आज हर दूसरा व्यक्ति अपने झड़ते रूखे बालों से परेशान है। जिसकी वजह स्ट्रेस, हानिकारक केमिकल युक्त शैंपू या फिर खान-पान की गलत आदत जिम्मेदार हो सकती है। अगर आप भी इसी तरह की किसी समस्या से परेशान हैं तो अब टेंशन भूल जाइए। बालों से जुड़ी आपकी परेशानी दूर करने के लिए बॉलिवुड अभिनेत्री रवीना टंडन ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया है। रवीना ने अपने इस वीडियों में बताया है कि कैसे आंवला से जुड़ा यह घरेलू नुस्खा हेयर फॉल रोकने के साथ बालों को सीधा करके आपके बालों की खोई चमक भी चंद दिनों में वापस लौटा सकता है। आइए जानते हैं क्या है यह जादुई नुस्खा।रवीना ने अपने वीडियो में हेल्दी बालों के लिए आंवले के सेवन के साथ उसका बालों में इस्तेमाल भी जरूरी बताया है। रवीना का कहना है कि 'अगर आपके बाल पतले हैं या झड़ रहे हैं तो आपको रोजाना कुछ आंवलों का सेवन जरूर करना चाहिए।'आंवला के फायदे-आंवला बालों की कोशिकाओं को बाहरी नुकसान से बचाने के साथ डैमेज्ड हेयर को भी रिपेयर करने का काम करता है। आंवले में विटामिन सी, ई, टैनिंस, फॉस्फोरस, आयरन और कैल्शियम अधिक मात्रा में पाया जाता है। आंवले में मौजूद विटामिन ई हेयर ग्रोथ को बूस्ट करने का काम करता है। जबकि विटामिन सी और अन्य ऑक्सीडेंट्स स्कैल्प को हेल्दी बनाए रखते हैं।कैसे बनाएं आंवला हेयर पैक-आंवला हेयर पैक बनाने के लिए सामग्री--6 आंवला-1 कप दूधकैसे बनाएं आंवला हेयर पैक-आंवला हेयर पैक बनाने के लिए सबसे पहले आंवला और दूध को एक बर्तन में डालकर उबाल लें। आंवलों को तब तक दूध में उबालें जब तक आंवला पककर मुलायम न हो जाए। इसके बाद मिश्रण को आंच से उतारकर ठंडा होने दें। ठंडे आंवले को अच्छी तरह से मसलकर उसकी गुठली निकालकर फेंक दें।आंवला हेयर पैक बालों में लगाने के लिए तैयार है। इस मिश्रण को स्कैल्प में अच्छी तरह से लगाकर बालों की अच्छी तरह से मसाज करें। करीब 15 मिनट तक इस पैक को अपने बालों में लगा रहने दें। इसके बाद बालों को गुनगुने पानी से धो लें। इस हेयर पैक की सबसे अच्छी चीज है कि इस हेयर पैक को बालों में लगाने के बाद शैंपू इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं पड़ती है।आंवला का खट्टापन बालों में जमा धूल मिट्टी निकाल देता है। जबकि दूध बालों को मुलायम बनाने के साथ ही पोषण प्रदान करता है। इस हेयर पैक को हफ्ते में दो बार लगाना चाहिए।
- कई बार ऐसा होता है कि हमारे चेहरे पर ग्लो तो होता है, लेकिन दाग-धब्बे और झाईयां हमारे चेहरे की नेचुरल सुंदरता को कुछ कम कर देते हैं। वहीं, दाग-धब्बे दूर करने के लिए आप कई जतन करते हैं, लेकिन यह जिद्दी निशान आपके चेहरे से हटने का नाम ही नहीं लेते। आज हम आपको इस समस्या से निजात दिलाने के लिए एक ऐसा उपाय बता रहे हैं जिससे आपके चेहरे के दाग-धब्बे जरूर साफ हो जाएंगे। शहद सेहत के लिहाज से ही नहीं बल्कि ब्यूटी सीक्रेट्स में भी इस्तेमाल किया जाता है।इन गुणों से भरा होता है शहदशहद में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन ए, बी, सी, आयरन, मैगनीशियम, कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम, सोडियम आदि गुणकारी तत्व होते हैं। यह कार्बोहाइड्रेट का भी प्राकृतिक स्रोत है, इसलिए इसके सेवन से शरीर में शक्ति, स्फूर्ति और ऊर्जा आती है और यह रोगों से लडऩे के लिए शरीर को शक्ति देता है।पुराने दाग-धब्बों पर कारगरआप कच्चे शहद को जले हुए निशान पर लगा सकती हैं, क्योंकि शहद में एंटीसेप्टिक और हीलिंग गुण होते हैं। नियमित रूप से जले पर शहद लगाने से दाग जल्दी गायब हो जाते हैं। आप शहद को मलाई, चंदन और बेसन के साथ मिलाकर फेस पैक के रूप में भी इस्तेमाल कर सकती हैं। यह मास्क चेहरे की अशुद्धियों को हटाता है और त्वचा को मुलायम और चिकना भी बनाता है। आपके चेहरे पर अगर कोई पुराना दाग या झाईयां हैं, तो आप इस उपाय को फॉलो करके उनसे निजात पा सकते हैं। वहीं शहद में हल्दी मिलाकर लगाने से चेहरे में गजब का ग्लो आता है।
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बढ़ते वजन से छुटकारा पाने के लिए अगर आप योगा, एक्सरसाइज, वॉक और जॉगिंग जैसे सभी विकल्प अपनाकर थक चुके हैं तो अब एक्यूप्रेशर की मदद लेकर देखिए। मोटापा घटाने और बढ़ते वजन को कम करने में एक्यूप्रेशर बेहद कमाल की भूमिका निभाता है। दरअसल, व्यक्ति के शरीर में कुछ खास बिंदु होते हैं जिन्हें दबाने से बड़ी आसानी से कई किलो वजन कम किया जा सकता है। आइए जानते हैं कौन से हैं वो खास बिंदु।
नाभि के नीचे बिंदु-
नाभि के 1 इंच नीचे एक बिंदु होता है। इस बिंदु को दो अंगुलियों से 2 मिनट के लिए दबाएं या मालिश करें। ऐसा करने से न केवल गैस दूर होती है बल्कि पाचन शक्ति बेहतर होती है।
कोहनी के पास स्थित बिंदु-
कोहनी के पास स्थित बिंदु को अगर दबाया जाए तो न सिर्फ शरीर का तापमान नियंत्रित होता है बल्कि यह मोटापे को कम करने में भी मदद करता है। रोजाना 1 मिनट तक नियमित रूप से इस बिंदु को दबाने से शरीर की गर्मी और जरूरत से ज्यादा पानी निकालने में भी मदद मिलती है।
नाक और होंठ के बीच में बना बिंदु-
नाक और होंठ के बीच में स्थित बिंदु को दबाने से ना सिर्फ तनाव दूर होता है बल्कि इससे मोटापे की समस्या भी दूर होती है। इस बिंदु को दबाने से तनाव संबंधित हॉर्मोन भी संतुलित रहते हैं।
कान के बीच में स्थित बिंदु-
कान के बीच में स्थित बिंदु को एक्यूप्रेशर में केंद्र बिंदु भी कहा जाता है। इस बिंदु को अपनी अंगुली की मदद से 1 या 2 मिनट तक दबाने से आप अपने बढ़ते वजन को कम कर सकते हैं। इस बिंदु पर जब दबाव पड़ता है तो व्यक्ति की भूख भी नियंत्रित होती है। - आयुर्वेद में वसाका यानी अडूसा के पत्तों का इस्तेमाल कई बीमारियों के उपचार में किया जाता है। यह भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के कई देशों में होता है। यह एक द्विबीजपत्री झाड़ीदार पौधा है, जो एकेन्थेसिया परिवार का है। इसकी पत्तियां, फूल, जड़ और छाल सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं। आयुर्वेद में ही नहीं, बल्कि यूनानी चिकित्सा में भी अडूसा के पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है। गठिया दर्द, सर्दी जुकाम और अल्सर जैसी समस्याओं में यह दवा कारगर साबित हो सकता है। इसकी पत्तियों का इस्तेमाल कई दवाइयों में किया जाता है। आइए जानते हैं अडूसा के पत्तों से होने वाले फायदे-गठिया दर्द में राहतअडूसा के पत्तों के इस्तेमाल से आप गठिया के पुराने से पुराने दर्द को ठीक कर सकते हैं। इसका इस्तेमाल करने के लिए अडूसा के पत्तों को अच्छी तरह से पीस लें। इस पेस्ट को लेप की तरह अपने दर्द वाले हिस्से पर लगाएं। इससे आपको काफी राहत मिल सकता है। अडूसा के पत्तों में जीवाणुरोधी गुण पाए जाते हैं, तो सूजन और दर्द को ठीक कर सकते हैं। यह गठिया के दर्द को ही नहीं, बल्कि यूरीक एसिड की समस्याओं को भी ठीक करने में गुणकारी होता है। इसके अलावा घाव होने पर भी आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।ब्रीथिंग प्रॉब्लम को करे दूरबढ़ते प्रदूषण की वजह से सांस से संबंधी समस्याएं भी काफी ज्यादा बढ़ रही हैं। ऐसे में आप नियमित रूप से अडूसा के पत्तों का सेवन करके सांस से संबंधी समस्याओं को ठीक कर सकते हैं। इसका इस्तेमाल करने के लिए अडूसा के पत्तों से आधा चम्मच रस निकालें। इसमें थोड़ी सी मात्रा में शहद मिलाएं। इसके बाद इसका सेवन करें। इससे खांसी और सांस से जुड़ी समस्याएं ठीक हो जाएंगी।मुंह के छालों को करता है ठीकपेट की गड़बड़ी की वजह से मुंह में छालों की समस्या हो सकती है। अगर आपको अक्सर मुंह में छाले की शिकायत रहती है, तो अडूसा के पत्तों का इस्तेमाल करें। मुंह में छाले होने पर अडूसा के पत्तों को चबाने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं। इसके अलावा मसूड़ों में दर्द और मुंह से आने वाली बदबू को भी ठीक करने में यह आपकी मदद कर सकता है। पत्तियों के अलावा आप इसकी टहनियों का इस्तेमाल दातुन के रूप में कर सकते हैं।सूखी खांसी से छुटकारासूखी खांसी में भी अडूसा के पत्तों का आप इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले अडूसा की कुछ पत्तियां लें, इसमें 5-6 मुन्ना और थोड़ी सी मात्रा में मिश्री मिलाकर इसका काढ़ा तैयार करें। इस काढ़े के सेवन से सूखी खांसी की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।सिर दर्द से छुटकाराअगर आप सिर दर्द की समस्या से काफी ज्यादा परेशान हैं, तो अडूसा आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। इसके लिए सबसे पहले अडूसा के 3-4 फूल लें। इसे सूखाकर इसका चूर्ण तैयार करें। इसमें थोड़ी सी मात्रा में गुड़ मिलाएं। दिन में 2 से 3 बार इसका सेवन करने से सिर दर्द की समस्या से राहत पाया जा सकता है।ब्लीडिंगनाक से ब्लीडिंग या फिर किसी अन्य आंतरिक रक्तस्त्राव की शिकायत होने पर आप अडूसा के पत्तों का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले 5 ग्राम अडूसा की पत्तियां लें। इसमें 5 ग्राम हरतकी, और 5 ग्राम विटिस विनीफेरा मिलाएं। अब इन सभी चीजों को पानी में अच्छी तरह से उबालकर काढ़ा तैयार करें। इस पानी को तबतक उबालें, जब तक यह 100द्वद्य ना रहे जाए। इस काढ़े में 1 चम्मच शहद मिलाकर इसका दिन में 2 बार सेवन करें। इससे रक्त स्त्राव की शिकायत दूर हो जाएगी।शरीर से अपशिष्ट पदार्थ को करता है खत्मशरीर से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने में भी अडूसा की पत्तियां फायदेमंद हो सकती हैं। शरीर में नाइट्रोजनयुक्त अपशिष्ट पदार्थों को दूर करने में यह गुणकारी होता है।अडूसा के नुकसानअगर आप किसी अन्य दवाइयों का सेवन कर रहे हैं, तो डॉक्टर्स की सलाह के बिना इसका सेवन ना करें।डायबिटीज रोगियों को इसका सेवन करने से पहले विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए।1 वर्ष से छोटे बच्चों के लिए यह सुरक्षित नहीं होता है। गर्भवती महिलाओं को भी इसके इस्तेमाल से बचना चाहिए।अगर आप अदरक के साथ अडूसा के पत्ते लेते हैं, तो आपको उल्टी, दस्त जैसी शिकायत हो सकती है।
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हम अक्सर मिश्री यूं ही खा लेते हैं। मिश्री का स्वाद अधिकतर लोगों को पसंद भी होता है क्योंकि यह मुंह में मिठास घोल देता है। मिश्री का सेवन बच्चों के साथ ही बड़े भी करते हैं। कई सारे लोग तो मिठाइयों में शक्कर की जगह मिश्री डालना ज्यादा उचित समझते हैं। मिश्री खाने के लिए कोई मना भी नहीं करता क्योंकि मिश्री में ओषधीय गुण पाए जाते हैं, जो कि कई सारी समस्याओं का उपचार करते हैं। मिश्री की तासीर शीतल होती है, शरीर में जब भी गर्मी महसूस हो तो इसका सेवन करने से शरीर का तापमान खुद-ब- खुद सामान्य हो जाता है। अगली स्लाइड्स से जानिए मिश्री खाने से होने वाले फायदों के बारे में।
डायरिया की समस्या में मिश्री खाना बहुत लाभकारी होता है। डायरिया की समस्या से यदि आप छुटकारा पाना चाहते हैं और सोचते हैं कि आगे भी आपको ये बार- बार न हो तो 10 ग्राम मिश्री लें, उसका पाउडर बना लें और उसमें 10 ग्राम धनिया पाउडर मिलाएं। फिर इन दोनों चीजों को एक ग्लास पाउडर में डाल दें। इस मिश्रण को दिन में 3 बार पानी में डाल-डालकर पिएं, जल्द ही आपकी समस्या जड़ से ठीक हो जाएगी।
कई सारे लोगों को नाक में से खून आता है। गर्मियों में तो ये समस्या बहुत ही बढ़ जाती है। इसलिए जब भी यह समस्या हो तो मिश्री का सेवन करें। मिश्री की तासीर शीतल होती है, जो कि इस समस्या में राहत दिलाने से सहायता करती है। इसलिए गर्मियों के आते ही मिश्री का सेवन शुरू कर दें। भले ही पाउडर बनाकर पानी में लें या ऐसे ही खा लें। धीरे- धीरे आपके शरीर में खुद- ब- खुद ठंडक आ जाएगी।
मानसिक सेहत को अच्छा रखने के लिए गर्म दूध में मिश्री का सेवन करें। यदि आपकी याद्दाश्त कमजोर है तो हर रात मिश्री को गर्म दूध में डालकर पिएं। मानसिक सेहत को बेहतर बनाने के लिए जो गिनी- चुनी औषधियां हैं, उनमें से मिश्री एक है। पढऩे वाले बच्चों को नियमित रूप से मिश्री का सेवन करना चाहिए। अवसाद की स्थिति में भी इसका सेवन करते रहना चाहिए। परिणाम आप खुद देख सकेंगे।
यदि आप बहुत अधिक कंप्यूचर पर काम करते हैं, तब तो बहुत जरूरी है कि आप मिश्री का सेवन भी नियमित रूप से करें। मिश्री खाने से आंखों की रोशनी खराब नहीं होती है। कहा जाता है कि मोतियाबिंद जैसी समस्याओं में भी मिश्री खाना लाभदायक है। मिश्री खाने से आंखें न तो कमजोर होती है और न ही चश्मा लगने की नौबत आती है। इसलिए दिन में दो से तीन बार इसका सेवन अवश्य करें।
- कुश एक प्रकार की घास है। कुश का प्रयोग प्राचीन काल से चिकित्सा एवं धार्मिक कार्य में किया जा रहा है। प्राचीन आयुर्वेदिक संहिताओं तथा निघंटुओं में इसका वर्णन प्राप्त होता है। चरक-संहिता के मूत्रविरेचनीय तथा स्तन्यजनन आदि महाकषायों में इसकी गणना की गयी है। इसके अतिरिक्त सुश्रुत-संहिता में भी कई स्थानों में कुश का वर्णन मिलता है।कुश मीठा, कड़वा, ठंडे तासीर का, छोटा, स्निग्ध, वात, पित्त कम करने वाला, पवित्र, तथा मूत्रविरेचक होता है। यह मूत्रकृच्छ्र मूत्र संबंधी बीमारी, अश्मरी या पथरी, तृष्णा या प्यास, प्रदर, रक्तपित्त , शर्करा, मूत्राघात या मूत्र करने में रुकावट, रक्तदोष, मूत्ररोग, विष का प्रभाव, विसर्प या हर्पिज़, दाह या जलन, श्वास या सांस लेने में असुविधा, कामला या पीलिया, छर्दि या उल्टी, मूच्र्छा या बेहोशी तथा बुखार कम करने में मदद करता है। कुश की जड़ शीतल प्रकृति की होती है।कुश के फायदेकुश घास के अनगिनत गुणों के आधार पर इसको आयुर्वेद में कई बीमारियों के लिए औषधि के रुप में प्रयोग किया जाता रहा है।प्यास लगने की परेशानी करे कमकभी-कभी किसी बीमारी के लक्षण के तौर पर प्यास की अनुभूति ज्यादा होती है। कुश का इस तरह से सेवन करने पर मदद मिलती है। समान भाग में बरगद के पत्ते, बिजौरा नींबू का पत्ता, वेतस का पत्ता, कुश का जड़, काश का जड़ तथा मुलेठी से सिद्ध जल में चीनी अथवा अमृतवल्ली का रस डालकर, पकाकर, ठंडा हो जाने पर पीने से तृष्णा रोग या प्यास लगने की बीमारी से राहत मिलती है।पेचिश रोके कुशअगर ज्यादा मसालेदार खाना, पैकेज़्ड फूड या बाहर का खाना खा लेने के कारण दस्त है कि रूकने का नाम ही नहीं ले रहा तो ये घरेलू उपाय बहुत काम आयेगा। दो चम्मच कुश के जड़ के रस को दिन में तीन बार पीने से प्रवाहिका तथा उल्टी से आराम मिलता है।दस्त से आरामडायट में गड़बड़ी हुई कि नहीं दस्त की समस्या शुरु हो गई। कुश का औषधीय गुण दस्त को रोकने में मदद करता है।बवासीर के परेशानी से दिलाये आरामअगर ज्यादा मसालेदार, तीखा खाने की आदत है तो पाइल्स के बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है। उसमें कुश का घरेलू उपाय बहुत ही फायदेमंद साबित होता है। 2-4 ग्राम बला तथा कुश के जड़ के काढ़ा (2-4 ग्राम) को चावल के धोवन के साथ सेवन करने से अर्श या पाइल्स तथा प्रदर (लिकोरिया) रोग जन्य , रक्तस्राव या ब्लीडिंग से जल्दी आराम मिलता है। कुशा का महत्व औषधी के रूप में बहुत काम आता है।किडनी स्टोन को निकालने में करे मददआजकल के प्रदूषित खाद्द पदार्थ के कारण किडनी में स्टोन होने के खतरा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। कुश का सेवन पथरी को निकालने में सहायता करता है। 5 ग्राम कुशाद्य घी का सेवन करने से अश्मरी या स्टोन टूट कर बाहर निकल जाता है। वहीं कुश आदि वीरतरवादि गण की औषधियों के काढ़े (10-20 मिली) तथा रस (5 मिली) आदि का सेवन करने से अश्मरी, मूत्रकृच्छ्र (मूत्र संबंधी रोग) तथा मूत्राघात की वेदनाओं तथा वात से बीमारियों से राहत मिलती है।मूत्र संबंधी परेशानियों से दिलाये छुटकारा कुशमूत्र संबंधी बीमारी में बहुत तरह की समस्याएं आती हैं, जैसे- मूत्र करते वक्त दर्द या जलन होना, मूत्र रुक-रुक कर आना, मूत्र कम होना आदि। कुश इस बीमारी में बहुत ही लाभकारी साबित होता है। कुश, कास, गुन्द्रा, इत्कट आदि दस मूत्रविरेचनीय महाकषाय की औषधियों के जड़ से बने काढ़े (10-20 मिली) का सेवन करने से मूत्रकृच्छ्र में लाभ होता है।मोटापा घटाने में करे मदद कुशआजकल के असंतुलित जीवनशैली के कारण वजन बढऩे की समस्या आम हो गई है। कुश की जड़ आँवला का काढ़ा और साँवा के चावलों से निर्मित जूस का सेवन करने से शरीर का रूखापन तथा मोटापा कम होता है।
- पेट के लिए दही बहुत लाभकारी माना जाता है।। सुबह और दोपहर में दही खाने से शरीर को बहुत से लाभ मिलते हैं। आज हम आपको बताएंगे कि दही जमाने से पहले यदि इसमें किशमिश डाल दिया जाए, तो शरीर को क्या -क्या लाभ मिलता है। सबसे पहले जाने दही-किशमिश जमाने का तरीका....सामग्री- 1 कटोरी फ्रेश और शुद्ध दूध, जामन के लिए थोड़ी सी दही और किशमिशविधि- एक कटोरी हल्का गर्म दूध लें। इसमें 4-5 किशमिश मिलाएं। अब इसमें दही के पानी की कुछ बूंदें डालें। चाहे को इसमेंं छाछ मिला दें। अब इसे अच्छी तरह से मिक्स कर लें। अब इसे ढंककर करीब 8-12 घंटे के लिए सेट होने के लिए छोड़ दें। जब ऊपरी परत मोटी दिखाई देती है, तो समझ लें कि आपकी दही तैयार है। इसे दोपहर के भोजन के करीब 2-3 मिनट बाद लें।किशमिश दही खाने के फायदेसभी जानते हैं कि दही स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद है। यह हमारे शरीर के लिए प्रोबायोटिक के रूप में कार्य करता है। वहीं इसमें यदि किशमिश मिला दिया जाए तो इसके फायदे बढ़ जाते हैं क्योंकि किशमिश में घुलनशील फाइबर की उच्च मात्रा होती है। दही के साथ मिलकर यह एक प्रीबायोटिक के रूप में कार्य करता है। दही-किशमिश खाने से मिलते हैं ये फायदे...-शरीर में खराब बैक्टीरिया को करता है बेअसर।-गुड बैक्टीरिया का शरीर में करता है विकास-आंतों में सूजन को करता है कम-दांतों और मसूड़ों को रखता है स्वस्थ-हड्डियों और जोड़ों के स्वास्थ्य के लिए होता है बेहतर-कोलेस्ट्रॉल का स्तर कंट्रोल में रहता है।-बल्ड प्रेशर को कम करने में होता है मददगार।- वजन घटाने में है असरदार-कब्ज की समस्या नहीं रहती।इसलिए जब कभी आप दही जमाएं तो इसमें किशमिश अवश्य डाल दें और नये स्वाद के साथ सेहतमंद दही खाएं।---
- मेथी के दानों में कई लाभकारी गुण छिपे होते हैं। यह खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ सेहत को भी दुरुस्त रखने में हमारी मदद करता है। झड़ते बालों से लेकर पेट की चर्बी को कम करने में मेथी बहुत ही असरकारी होता है। आयुर्वेद में भी इसका इस्तेमाल काफी सालों से किया जा रहा है। मेथी का इस्तेमाल हम मेथी के बीज, मेथी के पत्ते और अंकुरित मैथी के रूप में कर सकते हैं। यह हर एक रूप में हमारे लिए गुणकारी हो सकता है। अंकुरित मेथी का उपयोग खासतौर पर डायबिटीज, मोटापा, दिल से संबंधित बीमारी, थायराइड, ब्लड प्रेशर इत्यादि बीमारी को कंट्रोल करने के काम आता है।सर्दियों में बालों में होने वाले डैंड्रफ से छुटारा दिलाने में मेथी बहुत ही मददगार साबित हो सकता है। यह आपकी बालों से जुड़ी तमाम समस्याओं और स्किन की खूबसूरती को बढ़ाने में मददगार होता है। मेथी को अंकुरित फार्म में खाने से इसके गुण काफी ज्यादा बढ़ जाते हैं। अंकुरित मेथी में फाइबर, विटामिन ए और कैल्शियम काफी ज्यादा हाई हो जाता है, जो शरीर के लिए फायदेमंद है। इतना ही नहीं अंकुरित मेथी में फोटोकेमिकल्स नामक तत्व बढ़ जाता है, जो पोषक तत्वों के गुणों को हाई करने में आपकी मदद करता है। अंकुरित मेथी का सेवन ज्यादा गुणकारी साबित हो सकता है। पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।डायबिटीज करे कंट्रोलअंकुरित मेथी के सेवन से ब्लड शुगर कंट्रोल में रहता है। इसके सेवन से शरीर में इंसुलिन का उत्पादन बढ़ता है। कई रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है कि अंकुरित मेथी के सेवन से ब्लड में अतिरिक्त शुगर लेवल को कंट्रोल किया जा सकता है। मेथी में भरपूर रूप से एमिनो एसिड होता है, जो मधुमेह रोगियों के शरीर में इंसुलिन उत्पादन को बढ़ाता है।वजन करे कंट्रोलअंकुरित मेथी के सेवन से आप अपना वजन कंट्रोल कर सकते हैं। मेथी में गैलेक्टोमैनन नामक पॉलिसाक्साइड भरपूर रूप से होता है, जो भूख को कंट्रोल करने में शरीर की मदद कर सकता है। इसके अलावा मेथी में लगभग 75 फीसदी घुलनशील फाइबर होता है, जो आपके डायजेशन सिस्टम को ठीक करने में आपकी मदद करता है। साथ ही शरीर से अतिरिक्त वसा को कम करने में मददगार होता है। सुबह खाली पेट अंकुरित मेथी खाएं, इससे पेट की चर्बी तेजी से कम होगी। इसके अलावा डिनर के करीब आधे घंटे बाद अंकुरित मेथी खाएं। यह आपके लिए गुणकारी साबित हो सकता है।दिल संबंधी समस्याओं के लिए सुरक्षितमेथी कार्डियोवैस्कुलर लाभ दिलाने में मददगार होता है। अंकुरित मेथी के सेवन से कोलेस्ट्रॉल लेवल संतुलित रहता है, जो हार्ट अटैक के खतरे को कम करने में मददगार साबित होता है। यह शरीर के ब्लड से ट्राइग्लिसराइड्स नामक फैट के लेवल को कम करने में मददगार होता है, जो दिल से संबंधित समस्याओं को बढ़ाने में कारगर होता है। इसमें पोटेशियम नामक तत्व मौजूद होता है, जो शरीर में उपस्थित सोडियम लेवल को नियंत्रित करता है। इससे ब्लड प्रेशर को कंट्रोल किया जा सकता है।पाचन शक्ति को दुरुस्त करेपाचन शक्ति को दुरुस्त करने में अंकुरित मेथी मददगार साबित हो सकता है। अंकुरित मेथी में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो पेट के गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम को ठीक करने में मददगास होता है। इसके साथ ही इससे इम्युन सिस्टम भी मजबूत रहता है। मेथी और अंकुरित मैथी के दाने में सैपोनिन नामक तत्व होता है, जो आंत और पेट के लिए सुरक्षा कवच की तरह कार्य करता है। यह पेट को हानिकारण बैक्टीरिया से बचाव करता है। अंकुरित मेथी में बी कॉम्पलेक्स हाई हो जाता है, जो पेट से जुड़ी समसस्याओं को दूर करने में मदद कर सकता है। इसके सेवन से पेट फूलना, दस्त, गैस की समस्या इत्यादि परेशानियों से राहत मिलती है।डैंड्रफ की समस्या करे दूरकामिनी ने बताया कि सर्दियों में हेयर फॉल और डैंड्रफ की समस्या काफी ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसे में अंकुरित मेथी के सेवन से डैंड्रफ की परेशानी को दूर कर सकते हैं।आयरन की कमी करे दूरअंकुरित मेथी के दाने में आयरन की मात्रा काफी ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसे में अगर आप अंकुरित मेथी के दानों का सेवन करते हैं, तो शरीर में आयरन की कमी दूर होगी। ऐसे में आप नियमित रूप से अंकुरित मेथी के दानों का सेवन सलाद के रूप में करें।
- संतरे का सेवन हमारे स्वस्थ्य के लिए बहुत ही अच्छा होता है। लेकिन इससे सेहत को कुछ नुकसान भी होते हैं। आइए जानते हैं संतरा खाने के नुकसान....सर्दियों के मौसम में संतरा का स्वाद लेना बहुत ही आम बात है। संतरा विटामिन सी का प्रमुख स्त्रोत होता है। इसके सेवन से सेहत को कई फायदे होते हैं। कोरोनाकाल में इम्यून सिस्टम को बेहतर करने के लिए विटामिन सी लेने की सलाह दी जाती है। ऐसे में संतरा हमारे लिए फायदेमंद साबित होता है। इसके साथ ही संतरे में कैलोरी भी काफी कम होता है, जो वजन को कम करने में मददगार है। एक और जहां संतरा खाने से सेहत को कई फायदे होते हैं, वहीं यदि इसका जरूरत से ज्यादा सेवन किया जाए तो यह सेहत को नुकसान भी पहुंचाता है।इन बातों का रखें खयाल-संतरे को हमेशा दिन में खाएं। शाम के वक्त या फिर रात के समय संतरा खाने से परेशानी हो सकती है। दरअसल, संतरे की तासीर ठंडी होती है। ऐसे में अगर रात में या शाम में संतरा खाया जाता है तो सर्दी-जुकाम जैसी परेशानी हो सकती है। विटामिन सी के साथ-साथ संतरे में फाइबर, , कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस इत्यादि पोषक तत्व पाए जाते हैं। ये सभी तत्व फायदेमंद होते हैैं, लेकिन संतरा खाने से कुछ नुकसान भी होते हैं। आइए जानते हैं इस बारे में-पाचन क्रिया से संबंधित परेशानी होने परपाचन संबंधी परेशानी होने पर संतरा का सेवन ना करें। इसके साथ ही संतरा का अधिक सेवन करने से पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। दरअसल, संतरे में फाइबर की अधिकता होती है। फाइबर हमारे शरीर के लिए काफी अच्छा होता है, लेकिन अगर ज्यादा संतरा खाया जाए तो यही फाइबर पेट संबंधी समस्याओं को बढ़ा सकता है। संतरा के अधिक सेवन से पेट में ऐंठन, दस्त, अपच जैसी परेशानी हो सकती है। अधिक फाइबर के सेवन से डायरिया की शिकायत हो सकती है।दांत हो सकते हैं खराबअधिक संतरा खाने से दांतों से संबंधित परेशानी हो सकती है। दरअसल, संतरे में एसिड होता है, जो दांतों के इनेमल में मौजूद कैल्शियम के साथ मिलता है, तो वैक्टीरियल इंफेक्शन कर सकता है। इसकी वजह से दांतों में कैविटी की परेशानी हो सकती है। इससे दांत धीरे-धीरे खराब होने लगते हैं।बढ़ा सकती है एसिडिटी समस्याएंसंतरा में एसिड होता है। अगर अधिक मात्रा में संतरे का सेवन किया जाए तो एसिडिटी की परेशानी हो सकती है। एसिडिटी होने से सीने और पेट में जलन की परेशानी बढ़ सकती है।छोटे बच्चों को हो सकता है पेट दर्दशिशुओं को संतरा का सेवन नहीं कराना चाहिए क्योंकि संतरे में मौजूद एसिड से उनको पेट से संबधित परेशानी हो सकती है।इसके अलावा हार्ट अटैक के मरीजों को भी संतरा का सेवन कम करना चाहिए।खाली पेट सेवन न करेंविशेषज्ञों के अनुसार खाली पेट संतरा का सेवन नहीं करना चाहिए, इससे पेट से संबंधित कई परेशानियां हो सकती हैं। दरअसल, संतरे में अमिनो एसिड होता है, जिसका खाली पेट सेवन करने से पेट में काफी ज्यादा गैस बनने लगती है।