- Home
- सेहत
- कई बार दांत साफ करने के बावजूद दांतों में पीलापन आ जाता है। इसके अलावा दांतों के पीलापन का कारण प्लेक जमना हो सकता है जो दांतों की अच्छी तरह से सफाई न करने के कारण होता है। आप भी पीले दांतों से छुटकारा पाना चाहते हैं तो इन नुस्खों को अपना सकते हैं।हाइड्रोजन पेरॉक्साइड से चमका सकते हैं दांतहाइड्रोजन पेरॉक्साइड एक नेचुरल ब्लीचिंग एजेंट है जो बैक्टीरियां को मारने और घाव को ठीक करने में मदद करता है। स्टडी में पाया गया कि जिस टूथपेस्ट में बेकिंग सोडा और एक प्रतिशत हाइड्रोजन पेरॉक्साइड का इस्तेमाल किया जाता है उससे दांत सफेद होते हैं। इसमें हमेशा ध्यान रखने वाली बात है कि डाइल्यूट हाइड्रोजन पेरॉक्साइड का इस्तेमाल करना चाहिए नहीं तो आपके दांतों के मसूड़ों में जलन हो सकती है।बेकिंग सोडा से चमकाएं दांतबेकिंग सोडा दांतों को नेचुरली साफ करने का काम करता है। इसका इस्तेमाल टूथपेस्ट में भी किया जाता है। यह एल्काइन नेचर का होता है जिसकी वजह से बैक्टीरियां नहीं पनपते हैं। हालांकि विज्ञान में इसका कोई सबूत नहीं मिला है कि बेकिंग सोडा से दांत सफेद होते हैं। एक स्टडी में यह बात सामने आयी है कि टूथपेस्ट में बेकिंग सोडा मिलाकर करने से दांत चमकदार और सफेद होते हैं।सूरजमुखी से तेल से दांतों का पीलापन दूरदांतों में तेल लगाना पुराना घरेलू नुस्खा है। इसकी वजह से आपके मुंह में बैक्टीरियां नहीं पनपते हैं। साथ ही शरीर से टॉक्सिक पदार्थों को बाहर निकालने का काम करता है। दांतों में सूरजमुखी और शीशम का तेल कारगर साबित हो सकता है। इसके अलावा नारियल के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें लोरिक एसिड की भरपूर मात्रा होती है जो सूजन को कम करने और बैक्टीरियां को मारने का काम करता है।कैल्शियम की भरपूर मात्रा लें तो दांत होते हैं मजबूतशरीर में कैल्शियम की कमी होने से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। इसलिए जरूरी है कि आप अपनी डाइट में कैल्शियम और विटामिन डी की भरपूर मात्रा लें। लोगों में कैल्शियम की कमी होने के कारण दांतों में पीलपन की समस्या होती है। ऐसे में अपनी डाइट में कैल्शियम और विटामिन डी की भरपूर मात्रा लेनी चाहिए।-----
- कान में भरे मैल से लोगों को घिन आती है लेकिन क्या आप जानते कि इसका भी हमारे कान में एक अहम काम होता है. कान का मैल हमारे शरीर से होने वाला प्राकृतिक रिसाव है इसीलिए कान के मैल को बहुत सावधानी से साफ करना चाहिए. जरा सी चूक आपको बहरा भी बना सकती है. आपके कान में तेज दर्द हो सकता है.कान में मैल का क्या है काम?जान लें कि कान का मैल हमारे कानों के अंदर मौजूद ग्रंथियों में पैदा होता है. इसके कई महत्वपूर्ण काम होते हैं. कान का मैल हमारे कानों को स्वस्थ्य रखता है. कान का मैल हमारे कान की नलिकाओं की ऊपरी परत को सूखने और उसमें दरार पडऩे से रोकता है. कान का मैल कान को पानी और धूल के कणों से बचाता है. ये इंफेक्शन को भी रोकता है. इसे साफ करने के लिए ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि ज्यादातर बार कर्ण नलिकाएं खुद ही कान के मैल की सफाई कर लेती हैं.कान के मैल से कब होने लगती है समस्या?दरअसल जब हम कुछ खाते हैं या दांतों से चबाते हैं तो कान का मैल धीरे-धीरे कान के पर्दे से कान के छेद की तरफ बढऩे लगता है. ज्यादातर बार कान का मैल सूखकर अपने आप कान से बाहर निकल आता है लेकिन कई बार कान का मैल सामान्य से ज्यादा जमा जाता है तो हमें समस्या होने लगती है. कान में मैल ज्यादा होने से दर्द हो सकता है और कई बार तो ये हमारे सुनने की क्षमता पर भी प्रभाव डालता है. कई लोग माचिस की तीली या अन्य चीजों से कान साफ करने की कोशिश करते हैं लेकिन ये खतरनाक है. इससे कान का पर्दा भी फट सकता है और आप बहरे हो सकते हैं.कान के मैल को साफ करने के सही तरीके क्या हैं?1- कॉटन बड्स से आप अपने कान के मैल को साफ कर सकते हैं. लेकिन ध्यान रखें कि कॉटन बड्स से कभी कर्ण नलिकाओं को साफ ना करें. कॉटन बड्स के पैकेट पर भी ये लिखा होता है. कॉटन बड्स को कान में ज्यादा गहराई तक ले जाने से कान के पर्दे को नुकसान पहुंच सकता है.2- कुछ लोग ईयर कैंडल्स से भी कान का मैल साफ करते हैं. लेकिन कुछ रिसर्च में दावा किया गया है कि ईयर कैंडल्स से कान साफ करना खतरनाक है. ईयर कैंडल्स से कान और चेहरा जल सकता है.3- ईयर ड्रॉप्स की मदद से भी कुछ लोग कान का मैल साफ करते हैं. ईयर ड्रॉप्स से कान का मैल नम हो जाता है और खुद ही बाहर निकलने लगता है. लेकिन ध्यान रखें कि बाजार में कई ईयर ड्रॉप्स ऐसे हैं जिनमें सोडियम बाईकार्बोनेट या सोडियम क्लोराइड होता है जो आपके कान की संवेदनशील त्वचा को नुकसान पहुंचा सकता है.4- कान का मैल साफ करने के लिए जैतून या बादाम का तेल भी लोग कान में डालते हैं. इससे कान का मैल नम हो जाता है. लेकिन ध्यान रखें कि तेल का तापमान हमारे शरीर के तापमान से ज्यादा नहीं होना चाहिए.5- कुछ मामलों में डॉक्टर कान की सफाई पानी से कराने की सलाह देते हैं. इसे सिरिंजिंग कहा जाता है. इसमें कर्ण नलिकाओं पर पानी की फुहार डाली जाती है. हालांकि इससे कान साफ हो जाते हैं लेकिन कई मामलों में ये तकलीफदेह भी साबित होता है. इससे कान के पर्दे को नुकसान भी हो सकता है.6- कान का मैल साफ करने के लिए माइक्रोसक्शन का तरीका सबसे अच्छा है. माइक्रोसक्शन में स्पेशलिस्ट डॉक्टर कान को माइक्रोस्कोप से देखते हैं और कान के मैल को छोटे उपकरणों की मदद से निकाल लेते हैं.
- सर्दियां शुरू होते ही खाने की थाली में परोसी गई अलग-अलग तरह की चटनियां, न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाती हैं बल्कि व्यक्ति की भूख भी बढ़ा देती है। यूं तो आपने अपनी रसोई में कई तरह की चटनियों का स्वाद चखा होगा। लेकिन क्या आपने कभी टमाटर करी पत्ते की चटनी ट्राई की है? यह चटनी खाने में स्वादिष्ट होने के साथ बनाने में भी बेहद आसान और सेहतमंद होती है। तो आइए जान लेते हैं कैसे बनाई जाती है यह टेस्टी चटनी।टमाटर करी पत्ते की चटनी बनाने के लिए सामग्री--2 कप कटे हुए टमाटर-1 मीडियम साइज प्याज कटा हुआ-2-3 हरी मिर्च-1/2 इंच का अदरक का टुकड़ा (ग्रेट किया हुआ)-3-4 लहसुन की कलियां (क्रश की हुई)-1.5 छोटा चम्मच लाल मिर्च पाउडर-1/2 छोटा चम्मच हल्दी पाउडर-1 छोटा चम्मच जीरा-10-12 करी पत्ते-1 छोटी चम्मच राई-1/2 छोटा चम्मच इमली का पल्प-2 छोटे चम्मच गुड़-नमक स्वादानुसार-1-2 बड़े चम्मच तेलटमाटर करी पत्ते की चटनी बनाने की विधि-टमाटर करी पत्ते की चटनी बनाने के लिए सबसे पहले एक पैन में तेल गर्म करके उसमें जीरा, राई, करी पत्ते फ्राई करें। इसके बाद इसमें अदरक, लहसुन डालकर भूनें और फिर हरी मिर्च और प्याज डालकर सॉफ्ट होने तक भूनें। अब इसमें नमक, टमाटर डालकर अच्छे से पका लें। इसके बाद इसमें सारे सूखे मसाले मिलाकर 3-4 मिनट और पकाएं। अब इसमें इमली का पल्प और गुड़ का मिक्सचर डालकर थोड़ी देर और पकाएं। आपकी तीखी टमाटर की चटनी बनकर तैयार है।
- सर्दी का मौसम है और लोग इस मौसम में जोड़ों के दर्द (Joint Pain) से काफी परेशान रहते हैं. आज हर उम्र के लोग गठिया और जोड़ों की समस्या से पीड़ित हैं और ऐसे लोगों के लिए ठंड का समय मुश्किल होता है. ऐसे समय में पुरानी चोट और जोड़ों का दर्द बढ़ने लगता है. इस दर्द से छुटाकारा पाने के लिए आप कुछ घरेलू नुस्खे आजमा सकते हैं. ये घरेलू उपचार (home remedies) दर्द से राहत दिलाने में मददगार साबित हो सकते हैं. गर्म और ठंडे पानी की पट्टियों से सेंकने से जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है. सूजन ज्यादा हो तो बर्फ को कपड़े में लपेट कर इस्तेमाल करने से भी फायदा होता है.अदरक में दर्द और सूजन को कम करने वाले तत्व होते हैं. आप जोड़ों के दर्द में भी अदरक के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं. जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए नियमित रूप से तिल के तेल की मालिश भी कर सकते हैं. कुछ अध्ययनों के अनुसार अदरक का तेल जोड़ो के दर्द के लिए बहुत फायदेमंद है. ये प्रभावित हिस्से में दर्द को कम करता है.पुरानी चोट और जोड़ों के दर्द के लिए हल्दी का इस्तेमाल करें. इसमें मौजूद करक्यूमिन तत्व जोड़ों की सूजन को कम करता है. इसके लिए आप एक चम्मच हल्दी में आधा चम्मच पिसी हुई अदरक मिलाएं. इस मिश्रण को एक कप पानी में डालकर 10 से 15 मिनट तक उबालें. इसे जोड़ों पर दिन में दो से तीन बार लगाएं. ये जोड़ों के दर्द और सूजन के लक्षणों को कम करने में मदद करता है. एक गिलास पानी में अदरक और हल्दी डालकर 12-15 मिनट तक उबालें. राहत के लिए इस मिश्रण को रोजाना पिएं.पुरानी चोट और जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए नींबू, आंवला और पपीता का इस्तेमाल किया जा सकता है. ये सभी विटामिन सी से भरपूर होते हैं. विटामिन सी शरीर की इम्युनिटी को मजबूत करता है.जोड़ों के दर्द के लिए आप ब्रोकली का सेवन करें. मैदा से बनी चीजों से परहेज करें. साथ ही चीनी, मिठाई और ठंडी चीजों से भी परहेज करें.सेंधा नमक में मैग्नीशियम और सल्फेट होते हैं ये दोनों शक्तिशाली दर्द निवारक एजेंट हैं. ये सूजन को कम करता है और दर्द को कम करता है. आप नहाने के पानी में एक चम्मच सेंधा नमक डाल सकते हैं. 30 मिनट तक प्रभावित क्षेत्रों को इसमें डुबोकर रखें.इन प्राकृतिक घरेलू उपचारों के अलावा, व्यायाम करने से भी मदद मिल सकती है. अगर दर्द लंबे समय तक बना रहे तो डॉक्टर से सलाह लें.
- आजकल बाजार में सोया साग काफी देखने को मिल रहा है। धनिया के पत्तों की तरह दिखने वाला सोया पत्ता जड़ी- बूटी के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके पोषक तत्व सर्दियों में बेहतर इम्युनिटी देकर बीमार पडऩे से बचाते हैं। सूप या सूखी सब्जियों में इसे गार्निशिंग के रूप में इस्तेमाल करें। इसे ठंडे खीरे के सलाद के ऊपर छिड़कें। आलू के साथ इसकी सब्जी भी बनाई जा सकती है। इसे दही से बने डिप्स में मिलाएं। इसे सॉस, मैरिनेशन या सलाद ड्रेसिंग में शामिल करें।जानिए ताजा सोया साग में मौजूद पौष्टिक तत्वताजा सोया की टहनी में विटामिन ए, सी, डी, राइबोफ्लेविन, मैंगनीज, फोलेट, आयरन, कॉपर, पोटेशियम, मैग्नीशियम, जिंक और फाइबर सहित कई पोषक तत्व होते हैं। इस प्रकार, ये एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं।यहां हैं सोया साग को सर्दियों में खाने से मिलते हैं ये लाभ1. मधुमेह को नियंत्रित करता हैसोया के पत्तों में बायोएक्टिव घटक यूजेनॉल की उपस्थिति शक्तिशाली एंटी डायबिटिक गुणों को दर्शाती है। जो शरीर के भीतर रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह स्टार्च के ग्लूकोज में टूटने को कम करने में भी व्यापक रूप से मदद करता है। जो बदले में अचानक शुगर स्पाइक्स को रोकता है और संतुलित मधुमेह रीडिंग प्रदान करता है।2. पाचन को बढ़ावा देता हैइसमें फाइबर की प्रचुरता शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालकर पाचन गति को उत्तेजित करने में मदद करती है। इस प्रकार यह कब्ज के लिए एक शक्तिशाली उपाय है। इसके अतिरिक्त, इसके एंटासिड गुण पेट में अत्यधिक एसिड के गठन को रोकते हैं। जिससे अपच, अल्सर, गैस्ट्र्रिटिस का इलाज होता है और शरीर में पोषक तत्वों के बेहतर अवशोषण को बढ़ावा मिलता है।3. हड्डी के स्वास्थ्य को मजबूत करता हैइसे दैनिक आहार में शामिल करने से शरीर में कैल्शियम का अवशोषण बढ़ता है, हड्डियों का नुकसान कम होता है जिससे ऑस्टियोपोरोसिस जैसी स्थितियों को रोका जा सकता है।4. संक्रमण को रोकता हैअपने मजबूत एंटी-माइक्रोबियल गुणों के कारण सोया के पत्तों का उपयोग न केवल शरीर से बैक्टीरिया या कीटाणुओं को हटाने के लिए किया जाता है, बल्कि घावों के उपचार के लिए भी किया जाता है। सोया का साग खांसी और सर्दी के इलाज, सामान्य दुर्बलता, कमजोरी, थकान को कम करने और शरीर की समग्र जीवन शक्ति में सुधार करने में भी बेहद फायदेमंद है।5. अनिद्रा को करे दूरसोया के पत्तों में फ्लेवोनोइड्स और बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन की प्रचुरता इसे अनिद्रा के लिए वन-स्टॉप प्राकृतिक उपचार बनाती है। इस जड़ी बूटी को अपने दैनिक आहार में शामिल करने से न केवल विभिन्न हार्मोन और एंजाइम के स्राव सक्रिय होंगे, बल्कि इसका मस्तिष्क और शरीर पर शांत प्रभाव पड़ता है।ध्यान रहे, अधिक सोया पत्ते का सेवन है हानिकारकसोया के पत्तों के असंख्य स्वास्थ्य लाभ हैं। लेकिन कभी-कभी इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से दस्त, उल्टी, मुंह में खुजली, पित्त, जीभ और गले में सूजन जैसी कुछ एलर्जी हो सकती है।
- सर्पगंधा इसे भारतीय स्नैकरूट भी कहा जाता है. ये पौधा बहुत ही स्वास्थ्यवर्धक है. आयुर्वेद में इस पौधे का बहुत महत्व है. आयुर्वेद में पौधे की जड़ों का इस्तेमाल विभिन्न रोगों के इलाज के लिए किया जाता है.भारतीय स्नैकरूट पर छोटे गुलाबी और सफेद फूल आते हैं. ये पौधा कई स्वास्थ्य समस्याओं का दूर करने में मदद करता है. आइए जानें इसके स्वास्थ्य लाभ.आयुर्वेद के अनुसार इस पौधे के स्वास्थ्य लाभब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता हैक्या आप जानते हैं, भारतीय स्नैकरूट का व्यापक रूप से ब्लड प्रेशर की दवाओं की तैयारी में इस्तेमाल किया जाता है? ऐसा इसलिए है क्योंकि पौधे में रेस्परपाइन नामक एक रासायनिक तत्व होता है. ये हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करता है.तनाव और चिंता को दूर करता हैभारतीय स्नैकरूट पौधे की जड़ को चबाने से मन को शांत करने, तनाव और चिंता को कम करने में मदद मिलती है. इसका सेवन अनिद्रा के इलाज में भी बहुत मददगार होता है.पेट संबंधित समस्याओं को दूर करता हैये मासिक धर्म की समस्याओं के इलाज में भी उपयोगी है. ये पेट को साफ करने में मदद करता है और इसके सामान्य कामकाज को बढ़ावा देता है. इसका सेवन करने से कब्ज, डायरिया जैसी सामान्य समस्याओं का इलाज होता है.त्वचा संबंधित समस्याओं का इलाज करता हैआयुर्वेद में इस पौधे का इस्तेमा त्वचा की समस्याओं जैसे मुंहासे, फोड़े, एक्जिमा आदि के इलाज के लिए भी किया जाता है. सर्पगंधा में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण होते हैं. ये त्वचा के संक्रमण को दूर करने में मदद करते हैं.अस्थमा का इलाज करता हैऐसा माना जाता है कि भारतीय सनेरूट से तैयार रस या सूखी जड़ों से बने चूर्ण का सेवन करने से अस्थमा का इलाज किया जाता है.हृदय के लिएकई हृदय विकारों के इलाज के लिए पौधे का इस्तेमाल एक सामान्य उपाय के रूप में किया जाता है. आज के समय में अनहेल्दी खान-पान और जीवनशैली की वजह से हृदय की बीमारियां होना आम बात है. पौधे को हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के लिए भी जाता है. इस प्रकार ये हृदय संबंधी समस्याओं को रोकता है.आपको सोने में मदद करता हैअनिद्रा एक नींद विकार है जिसमें व्यक्ति सो नहीं पाता है. ये आमतौर पर सुस्ती, थकान जैसे लक्षणों के साथ होता है. भारतीय स्नैकरूट के सेवन से अनिद्रा की समस्या से राहत मिल सकती है.मासिक धर्मबहुत सी महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान पेट दर्द और थकान जैसी समस्या का सामना करना पड़ता है. इस पौधे में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं. ये पौधा मासिक धर्म में ऐंठन और सूजन के इलाज में प्रभावी है.सर्पगंधा का पौधा पाउडर, टैबलेट और कैप्सूल के रूप में आसानी से उपलब्ध होता है. हालांकि, इसका सेवन केवल अपने डॉक्टर से सलाह करने के बाद ही किया जाना चाहिए, खासकर अगर आपका एक मेडिकल ट्रीटमेंट चल रहा है.
- इम्यूनिटी स्ट्रांगकोविड के इस दौर में इम्यूनिटी का महत्व हम सभी जानते हैं. धूप में बैठने से इम्यूनिटी स्ट्रांग होती है और इस कारण शरीर को कई बीमारियों से लड़ने के लिए शक्ति मिलती है.नींद अच्छी आती हैधूप के कारण शरीर में मेलाटोनिन हार्मोन बनता है और इसे अच्छी नींद के लिए जरूरी माना जाता है.खून साफ होता हैसर्दी में धूप सेकने से खून भी साफ होता है और इस कारण स्किन से जुड़ी कई परेशानियां हमसे कौसों दूर रहती हैं.कैंसर से लड़ने वाले तत्वसूर्य से जो किरणों को हम अब्जॉर्ब करते हैं उसने कैंसर से लड़ने की ताकत मिलती है.कफ से छुटकाराअगर आपका बच्चा कफ की समस्या का सामना कर रहा है तो उसे सुबह-सुबह की धूप दिखाएं. इससे उसे कफ से छुटकारा पाने में मदद मिलेगी.बीपी को मेंटेनऐसा माना गया है कि सर्दी में धूप लेने से हाई बीपी की प्रॉब्लम से लड़ने में मदद मिलती है.
- सर्दियों में ड्राई फ्रूट्स जरूर खाने चाहिए, इन्हें खाने से न सिर्फ पोषण मिलता है बल्कि शरीर भी गर्म रहता है। कई लोगों को ड्राई फ्रूट्स आसानी से डाइजेस्ट नहीं हो पाते यानी बादाम या फिर अखरोट खाते ही उनके पेट में दर्द, एसिडिटी या फिर गैस बनने की प्रॉब्लम शुरू हो जाती है। ऐसे में ड्राई फ्रूट्स छोड़ने की बजाय कुछ बातों का ध्यान रखते हुए ड्राई फ्रूट्स को रोस्ट करके खाया जा सकता है। इससे शरीर गर्म रहेगा और इसके कोई साइड इफेक्ट्स भी नहीं होंगे। जिन लोगों को ड्राई फ्रूट्स नहीं पचते उन्हें खाली पेट ड्राई फ्रूट्स खाने से बचना चाहिए। रोस्टेड ड्राई फ्रूट्स खाने से वेट कंट्रोल भी किया जा सकता है। दूध के साथ इन्हें ब्रेकफास्ट में ले सकते हैं।सामग्री-50 ग्राम काजू50 ग्राम बादाम50 ग्राम किशमिश2-3 टेबलस्पून खरबूजे के बीज2-3 टेबलस्पून सफेद तिलघी जरूरत के अनुसारविधि-सबसे पहले मीडियम आंच पर एक पैन में घी गरम करने के लिए रखें। घी के गरम होते ही बारी-बारी कर सभी चीजों को हल्का रोस्ट कर लें। इसके बाद सभी चीजों को एक साथ मिक्स कर ठंडा होने के लिए रख दें। तैयार है रोस्टेड मेवा। एयर टाइट कंटेंनर में भरकर इन्हें रख दें।कुकिंग टिप्सआप घी की बजाय घर के बने बटर में भी ड्राई फ्रूट रोस्ट कर सकते हैं।जिन लोगों को ड्राई फ्रूट आसानी से नहीं पचता, वे रात में ड्राई फ्रूट को पानी में भिगाकर सुबह रोस्ट कर सकते हैं।मखाने को बिना भिगाए रोस्ट कर सकते हैं।-
- सुबह ब्रश करना और पूरे मुंह की सफाई करना एक जरूरी डेली रुटीन है। यह न सिर्फ मुंह की बदबू से बचाता है, बल्कि इसका सीधा असर हमारे पाचन तंत्र पर पड़ता है। रात भर मुंह में इकट्ठे होने वाले कीटाणुओं को अगर सुबह बाहर न निकाला जाए तो यह पाचन संबंधी गड़बड़ियों को पैदा कर सकते हैं। सीडीएस यानी सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल (Center of disease control) के अनुसार, जो लोग ओरल हाइजीन का ध्यान नहीं रखते उनमें हृदय संबंधी बीमारियों का जोखिम 70 फीसदी तक बढ़ जाता है। मुंह की सफाई ठीक से न की जाए, तो मुंह के बैक्टीरिया खून में मिलकर समग्र स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए ज्यादातर डॉक्टर पानी से कुल्ला और गरारा करने की सलाह देते हैं।सुबह उठकर मुंह धोना और कुल्ला करना (Rinsing) व्यक्तिगत स्वच्छता (Personal hygiene) का अपरिहार्य हिस्सा है। इसके अलावा हर बार खाना खाने के बाद कुल्ला करना भी हेल्दी हेबिट्स (Healthy habits) का एक हिस्सा है। हालांकि ज्यादातर लोग इसके लिए सिर्फ सादे पानी का ही इस्तेमाल करते हैं। पर पानी में कुछ चीजें मिलाकर कुल्ला करना ओरल हाइजीन (Oral hygiene) और गट हेल्थ (Gut health) के लिए और भी ज्यादा फायदेमंद हो जाता है।अगर ठंड का मौसम आपकी इस आदत को भुलाने लगा है, तो थोड़ा अलर्ट हो जाइए। क्योंकि कुल्ला करना न आपको एक परफेक्ट जॉ लाइन (Jawline) देने के अलावा और भी बहुत से फायदे देता है।1 आंखों की रोशनी बढ़ाता है सादे पानी से कुल्ला करना7 से 8 घंटे की लंबी नींद के दौरान हमारे मुंह में कई प्रकार के बैक्टीरिया इक_ा हो जाते हैं। इन्हें बाहर करने का सबसे आसान तरीका है सुबह उठकर सादे पानी से कुल्ला करना। इसके अलावा यदि किसी व्यक्ति के गले में खराश है या खांसी-जुकाम जैसा इन्फेक्शन हो गया है, तो पानी के गरारे बेहद काम आते हैं। कोरोना वायरस महामारी में लोगों को गले के दर्द की शिकायत में गरारा करने की सलाह दी जा रही थी। पानी का कुल्ला करने से नेत्र ज्योति भी ठीक रहती है। इसके लिए आपको, मुंह में पानी का कुल्ला भर कर अपनी आंखों को पानी से धोना है। अपने गीले हाथों को रगड़कर चेहरा व कानों तक मलें। आयुर्वेद के अनुसार इससे आंखों की रोशनी बढ़ती है।2 मौसमी संक्रमण से बचाता है सेंधा नमक के पानी से कुल्ला करनामौसम बदलने के कारण कई संक्रमण हम पर हावी हो जाते हैं जिसके कारण गले में खराश, सर्दी और साइनस जैसी समस्याएं उत्पन्न होने लगती है। ऐसे में सेंधा नमक का गुनगुना पानी आपके बेहद काम आ सकता है। सेंधा नमक के पानी से गरारा या कुल्ला करने से वायरस और बैक्टीरिया ब्लॉक हो जाते हैं। इसके अलावा नमक के पानी से गरारे से मसूड़ों को भी फायदा पहुंचता है। ये दांतों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। नमक के पानी को काफी आसानी से तैयार किया जा सकता है इसके लिए आपको बस गर्म पानी में सेंधा नमक मिलाना है। गले की खराश को दूर करने का यह बहुत पुराना आयुर्वेदिक नुस्खा है।3 बॉडी डिटॉक्स करता है तेल का कुल्लापिपरमेंट ऑयल को आप अपने रेगुलर हेयर ऑयल में मिक्स कर सकती हैं। ऑयल पुलिंग आपके मुंह के अंदर के बैक्टीरिया को खत्म कर देती है। आयुर्वेद में तेल का कुल्ला करने की विधि को गण्डूषकर्म के नाम से जाना जाता है। वहीं पश्चिम जगत में इसको ऑयल पुलिंग कहते हैं। यह विधि सुबह बासी मुंह की जाती है। ज्यादातर लोग सरसों या तिल के तेल से कुल्ला करते हैं। हालांकि यदि आप यह कुल्ला कर रहे हैं, तो आपको ध्यान देना चाहिए कि आप इसको निगले नहीं। ऐसा करने से मुंह और दांतों के रोग तो ठीक होंगे ही, साथ में पूरी बॉडी डिटोक्सिफाई होगी।4 मुंह के छाले ठीक करता है दूध का कुल्लाकई बार पेट खराब होने के कारण मुंह के छाले गले तक पहुंच जाते हैं। जिसे ठीक करना काफी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में दूध का कुल्ला आपको काफी राहत दे सकता है। इसके लिए आपको एक या दो घूंट दूध अपने मुंह में 15 से 20 मिनट के लिए बनाए रखना है। और फिर धीरे-धीरे सटकना है। इससे आपके मुंह के छाले ठीक हो जाएंगे।5 परफेक्ट जॉ लाइन देता है सही तरीके से कुल्ला करनाकुल्ला करना एक फेशियल योगा टेक्नीक है। मुंह में पानी भर के अपने गालों को इधर-उधर फुलाना आपकी जो लाइन के लिए काफी फायदेमंद है। कुल्ला करने से आपके मसल्स में स्ट्रेच आएगा और धीरे-धीरे आप चेहरे के मसल्स में कसाव महसूस करने लगेंगी। इसके लिए आपको इसे 60 सेकंड तक दिन में 2 बार करना है।
-
हम आपके लिए मूंग दाल के फायदे लेकर आए हैं. बुखार और कब्ज के रोगियों के लिए इसका सेवन बेहद फायदेमंद है. इस दाल के सेवन से शरीर को जरूरी पोषक तत्व मिलते है. मूंग की दाल डेंगू जैसी खतरनाक बीमारी से भी बचाव करती है. भारतीय भोजन में मूंग का खूब प्रयोग किया जाता है.
मूंगदाल में पाए जाने वाले पोषक तत्व-
मूंगदाल में विटामिन 'ए', 'बी', 'सी' और 'ई' की भरपूर मात्रा होती है. साथ ही पॉटेशियम, आयरन, कैल्शियम मैग्नीशियम, कॉपर, फोलेट, फाइबर की मात्रा भी बहुत होती है, जबकि कैलोरी की मात्रा बहुत कम होती है. यही वजह है कि मूंगदाल शरीर को कई रोगों से बचाने के साथ ही वजन को संतुलित रखने में भी मदद करती है.
वैसे तो सभी दालें प्रोटीन से भरपूर और सेहत का खजाना हैं. लेकिन इन सब में मूंग की दाल (moong dal) को सर्वश्रेष्ठ माना गया है. जो लोग अपने वजन को लेकर काफी कॉन्शियस रहते हैं उन्हें अपनी डाइट में मूंग की दाल को शामिल करना चाहिए. आइये जानते हैं इसके फायदे (health benefits of moong dal)
मूंगदाल के सेवन से मिलने वाले जबरदस्त फायदे--
मूंग की दाल का सेवन करने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहता है.
दाल में मौजूद फाइबर आंतों से गंदगी निकालने में मदद करता है.
हाई प्रोटीन युक्त यह दाल आपकी भूख को कम करती है और इससे वजन कंट्रोल रहता है.
नियमित सेवन से डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है.
एक शोध के मुताबिक, यह एलडीएल कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित करने में सक्षम है, जिस वजह से हार्ट की समस्या को दूर रखने के लिए इसका सेवन जरूर करना चाहिए.
मूंग की दाल मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में काफी मददगार होता है. जिससे एसिडिटी, कब्ज, मरोड़ और अपच की समस्या को कंट्रोल में रहती है.
मूंगदाल का सेवन करने का सही तरीका--
डाइट एक्सपर्ट के अनुसार, महिला हो या फिर पुरुष, सुबह-सुबह अगर अंकुरित मूंग दाल खाई जाए तो शारीरिक कमजोरी दूर हो सकती है, क्योंकि इसमें अधिक मात्रा में प्रोटीन, अमीनो एसिड और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो शरीर को कई गंभीर बीमारियों (Chronic Diseases) से बचाते हैं. -
आप एक ग्लोइंग स्किन पाना चाहती हैं तो ये खबर आपके काम की है. इस खबर में हम आपके लिए स्ट्रॉबेरी फेस पैक के फायदे लेकर आए हैं. स्ट्रॉबेरी का सेवन जितना सेहत के लिए फायदेमंद है उतना ही स्किन के लिए भी उपयोगी है. इसमें मौजूद विटामिन सी और एंटी-ऑक्सीडेंट बढ़ती उम्र के लक्षणों को कम करता है साथ ही रंगत में निखार भी लाता है. स्किन एक्सपर्ट्स कहते हैं कि स्ट्रॉबेरी से चेहरे के कील-मुहांसों और डेड स्किन से मुक्ति मिलती है. नीचे जानिए इसके इस्तेमाल का तरीका और जबरदस्त लाभ...
1. स्ट्रॉबेरी और दही
एक कटोरी में स्ट्रॉबेरी प्यूरी, दही और एक बड़ा चम्मच शहद मिलाएं.
इन्हें अच्छे से मिलाएं और अपने चेहरे पर लगाएं.
लगभग 10 मिनट तक लगा रहने दें.
इसके बाद गर्म पानी से धो लें.
फायदा- ये मास्क मुंहासों के इलाज में कारगर हो सकता है.
2. स्ट्रॉबेरी और नींबू
एक कटोरी में स्ट्रॉबेरी और एक बड़ा चम्मच नींबू का रस मिलाना होगा.
इन्हें अच्छे से मिलाएं और फिर पूरे चेहरे पर लगाएं.
लगभग 15 मिनट तक लगा रहने दें और फिर गर्म पानी से धो लें.
फायदा- अगर आपकी त्वचा पर टैनिंग और पिगमेंटेशन है तो आपको इस मास्क का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए.
3. स्ट्रॉबेरी और शहद
सबसे पहले आपको कुछ स्ट्रॉबेरी को मैश करके पेस्ट बनाना होगा.
अब इसमें एक बड़ा चम्मच शहद मिलाएं और अच्छी तरह मिला लें.
इसे अपने चेहरे पर लगाएं और 15 मिनट के लिए छोड़ दें.
इसके बाद आप अपने चेहरे को हल्के गर्म पानी से धो लें.
फायदा- शहद में एंटीऑक्सीडेंट होता है. ये त्वचा की गंदगी से छुटकारा दिलाने और मुंहासों का इलाज करने में मदद कर सकता है.
4. स्ट्रॉबेरी और चॉकलेट मास्क
एक चम्मच कोको पाउडर और शहद के साथ स्ट्रॉबेरी को मैश कर लें.
इस पेस्ट को 15 मिनट के लिए चेहरे पर लगाएं.
फिर हल्के गर्म पानी से धो लें.
फायदा- ये आपकी त्वचा को ग्लोइंग बनाने के साथ-साथ मुलायम भी बनाने में मदद करता है.
- -
ठंड का मौसम पूरे चरम पर है और लोग इसका लुत्फ उठा रहे हैं. लेकिन ये मत भूल जाइए कि सर्दी में कुछ बीमारियों का खतरा बहुत ज्यादा होता है. इसमें से कुछ बीमारियां ऐसी भी होती हैं, जो आपको सीधा अस्पताल पहुंचा सकती है.
1. गले में सूजन
गले में सूजन का मुख्य कारण वायरल इंफेक्शन होता है. जो कि बार-बार शारीरिक तापमान बदल जाने के कारण सर्दी में सबसे ज्यादा होता है. इसलिए, अगर आप घर से बाहर जा रहे हैं, तो सर्दियों में चेहरे को ढककर रखें और गले में सूजन होने पर नमक के पानी से गरारे करें.
2. हार्ट अटैक
आपने कई बार देखा होगा कि सर्दियों में हार्ट अटैक के मामले काफी बढ़ जाते हैं. क्योंकि, ठंड के कारण हाई ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, जिससे दिल पर दबाव पड़ता है. सर्दी की यह बीमारी आपको सीधा अस्पताल पहुंचा सकती है. इसलिए जितना हो सके घर में रहें और गर्म कपड़ों का खास ख्याल रखें. ताकि ठंड से बच सकें.
3. होंठ पर छाले
ठंड के कारण होने वाले होंठ पर छालों को cold sores कहा जाता है. इससे बचने के लिए पर्याप्त नींद लें और शरीर को आराम दें. आप होंठो को मॉश्चराइज भी रखें.
4. अस्थमा
सर्दी में ठंडी हवा के कारण अस्थमा का अटैक आ सकता है. यह काफी आम सर्दी की बीमारी है. इसलिए अपने आप को ढककर रखें और गर्म कपड़े पहनें. जितना हो सके, घर में रहें और इनहेलर्स को अपने पास रखें.
5. ड्राई स्किन
ठंड के मौसम में त्वचा रूखी होना काफी आम स्किन प्रॉब्लम्स है. जिससे बचने के लिए स्किन को मॉश्चराइज रखना चाहिए. खासतौर से नहाने के बाद और ठंड के संपर्क में त्वचा को ना आने दें. इसलिए गर्म कपड़े पहनें.
6. कान का इंफेक्शन
किसी भी मौसम के मुकाबले सर्दी में कान का इंफेक्शन बहुत ज्यादा होता है. ऐसा मौसम में बदलाव होने के कारण होता है. कान के इंफेक्शन से बचने के लिए धुएं से दूर रहें, बीमार लोगों से उचित दूरी रखें और पर्याप्त आराम लें.
7. कोल्ड और फ्लू
सर्दियों में सर्दी और फ्लू से काफी बचना होता है. क्योंकि, ठंड में फ्लू के संपर्क में आने का बड़ा खतरा होता है. इससे बचने के लिए बीमार व्यक्तियों से उचित दूरी बनाकर रखें और हाथों को अच्छी तरह धोएं. आंख या नाक को बार-बार ना छुएं और हर साल फ्लू से बचाव का टीका जरूर लें.
8. जोड़ों में दर्द
अगर आपको जोड़ों में दर्द रहता है, तो सर्दी में यह दर्द बढ़ सकता है. इससे आपके जोड़ों के कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है. इससे बचने के लिए शरीर को गर्म रखने के लिए गर्म कपड़े पहनें और एक्सरसाइज करें.
9. अर्थराइटिस
ठंड में अर्थराइटिस की बीमारी गंभीर हो जाती है. डॉक्टर के मुताबिक, इसके पीछे का कोई पुख्ता प्रमाण तो नहीं मिला है, लेकिन यह समस्या आपको सर्दी में काफी परेशान करती है. इससे बचने के लिए शारीरिक गतिविधि को बढ़ाने की कोशिश करें.
- - खाली पेट अमरूद के पत्तों का सेवन सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है. अमरूद के पत्तों में विटामिन सी, विटामिन बी, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम, प्रोटीन जैसे कई पोषक तत्वों होते हैं. सेहत से जुड़ी कई समस्याओं में इसका सेवन आपको फायदा पहुंचाएगा.सांस से जुड़ी समस्याओं मेंसांस से जुड़ी समस्याओं में अमरूद के पत्तों का सेवन आपको फायदा पहुंचाएगा. अमरूद के पत्तों में एंटी इन्फ्लामेट्री गुण होते हैं. ब्रोंकाइटिस की समस्या में अमरूद के पत्तों का सेवन लाभकारी होगा.डाइजेशन के लिएअमरूद के पत्तों में एंटी बैक्टीरियल और एंटीमाइक्रोबियल्स होते हैं. ये गैस्ट्रिक अल्सर से बचाव में मददगार है. साथ ही इससे डाइजेशन भी अच्छा होगा.वजन घटाने में मददगारवजन को कम करने के लिए अमरूद के पत्तों का सेवन कर सकते हैं. इसके पत्तों में कई ऐसे बायोएक्टिव कंपाउंड मौजूद होते हैं जो शरीर में शुगर और कार्बोहाइड्रेट के अवशोषण को रोकने में मदद करते हैं. खाली पेट इसका सेवन वेट लॉस में मदद करेगा.डायरिया मेंडायरिया की समस्या में भी अमरूद के पत्तों का सेवन लाभकारी है. खाली पेट अमरूद के पत्तों का अर्क डायरिया की समस्या में राहत देगा.एलर्जी को दूर करेअमरूद के पत्तों में एंटी एलर्जिक गुण होते हैं. इससे एलर्जी के लक्षणों जैसे खांसी, छींक और खुजली को दूर करने में मदद मिलती है. अमरूद के पत्तों का सेवन धोकर करें. बासी पत्तों का इस्तेमाल न करें. इसे अधिक मात्रा में न खाएं.-
- जीरा, अजवाइन और सौंफ के मिश्रण में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। इनके मिश्रण में एंटीऑक्सीडेंट, प्रोटीन, फाइबर, आयरन, मैग्नीशियम, पोटैशियम और कैल्शियम पाए जाते हैं। इसके अलावा इसमें मैगनीज, जिंक, विटामिन सी, विटामिन के और ई पाया जाता है। जीरा, अजवाइन और सौंफ के मिश्रण का इस्तेमाल पाचन से लेकर वजन कम करने तक में सहायक होता है।जीरा, अजवाइन और सौंफ के फायदे1. कोलेस्ट्रोल कम करेंजीरा, सौंफ और अजवाइन का पानी पीने से कोलेस्ट्रोल और शरीर का अतिरिक्त फैट कम करने में मदद मिलती है। अगर आप अपना वजन कम करना चाहते हैं तो, इनका मिश्रण आपके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। इसके अलावा इसमें कैलोरी की मात्रा भी बेहद कम पाई जाती है।2. डायबिटीज रखे संतुलितजीरा, अजवाइन और सौंफ के सेवन से आपके रक्त में शुगर का लेवल भी कंट्रोल रहता है। साथ ही इनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी कम होता है। इनके सेवन से जोड़ों के दर्द में भी काफी आराम मिलता है।3. पेट की समस्याओं में कारगरपेट की समस्याओं के लिए सौंफ, अजवाइन और जीरा काफी फायदेमंद होता है। इनमें फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है, जिसकी मदद से पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में मदद मिलती है। साथ ही अजवाइन और जीरा की मदद से पेट में अपच , कब्ज और गैस की समस्या से निजात मिलती है। इसका सेवन आप दिन में दो-तीन बार कर सकते हैं।4. इम्यूनिटी बढ़ाएसर्दियों में लोग खांसी -जुकाम और गले की खराश जैसी परेशानियों का सामना करते हैं। ऐसे में शरीर का इम्यूनिटी सिस्टम अच्छा होने पर आप इन बीमारियों से बच सकते हैं। जीरा, अजवाइन और सौंफ तीनों सर्दी-खांसी ठीक करने में कारगर है। साथ ही जीरा और अजवाइन की तासीर गर्म होती है, जो आपकी गले की खराश को ठीक करने के लिए बेहद जरूरी है।5. ब्लड प्रेशर रखे कंट्रोलहाई ब्लड प्रेशर में शरीर में सोडियम की मात्रा काफी बढ़ जाती है। ऐसे में अजवाइन, सौंफ और जीरा का मिश्रण काफी कारगर साबित होता है। इनके मिश्रण में पोटैशियम, मैग्नीशियम और विटामिन भरपूर मात्रा में पाई जाती है। इनके सेवन से आपका बीपी कंट्रोल में रहता है। साथ ही यह कोलेस्ट्रोल को भी बढऩे नहीं देता है, जो हाई ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए बेहद जरूरी है।जीरा, अजवाइन और सौंफ मिश्रण के इस्तेमाल का तरीका1. जीरा, अजवाइन और सौंफ को भुनकर इनका पाउडर बना लें। सुबह-शाम खाने के बाद इसका सेवन कर सकते हैं।2. सुबह खाली पेट में जीरा, अजवाइन और सौंफ के पानी का सेवन करें। इससे आपको अपच और गैस की समस्या नहीं होती है।3. जीरा, अजवाइन और सौंफ का सेवन आप दाल-सब्जी में भी कर सकते हैं। इससे प्रोटीन का पाचन आसानी से होता है और खाने का स्वाद भी आता है।4. जीरा, अजवाइन और सौंफ तीनों के मिश्रण का इस्तेमाल आप माउथ फ्रेशनर के रूप में भी कर सकते है।5. जीरा, अजवाइन और सौंफ को उबालकर भी आप इस पानी का सेवन कर सकते हैं।
- सर्दियों के इस मौसम में खाने-पीने के लिए कई सारी चीजें उपलब्ध होती हैं। इनमें से कुछ चीजें देखने में तो बहुत सामान्य सी होती हैं, हालांकि सेहत के लिए इसे बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। मूंगफली ऐसा ही एक खाद्य पदार्थ है, जिसका सर्दियों के मौसम में सेवन करना सेहत के लिए विशेष लाभदायक हो सकता है। देश के कुछ हिस्सों में इस बादाम भी कहा जाता है, असल में इसमें मौजूद गुण आपको बादाम जितनी पौष्टिकता दे सकते हैं। वजन घटाने, बेहतर पाचन स्वास्थ्य और विटामिन-डी की प्राप्ति, मूंगफली का सेवन करना कई तरीकों से सेहत के लिए लाभदायक माना जाता है।आहार विशेषज्ञ बताते हैं, मूंगफली के सेवन से आप प्रोटीन, विटामिन, खनिज और स्वस्थ वसा प्राप्त कर सकते हैं। इसमें फाइबर की भी अच्छी मात्रा मौजूद होती है, ऐसे में इसका सेवन करना पेट के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। यह भूख को नियंत्रित करता है और आपको लंबे समय तक पेट भरा हुआ महसूस करा सकता है। आइए मूंगफली खाने से सेहत को होने वाले फायदों के बारे में जानते हैं।पाचन स्वास्थ्य के लिए बेहतरमूंगफली में हाई फाइबर की मात्रा होती है, जो पाचन स्वास्थ्य को बेहतर रखने में मदद करती है। कब्ज को रोकने और आंत के माइक्रोबायोम में सुधार करने के लिए मूंगफली का सेवन करना विशेष लाभदायक हो सकता है। इसके अतिरिक्त मूंगफली का सेवन शरीर के सूजन को कम करने में भी सहायक है, जिससे क्रोनिक बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता है।हृदय के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंदस्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि मूंगफली का सेवन करना हृदय रोग के जोखिम को कम करने में भी फायदेमंद हो सकता है। मूंगफली में स्वस्थ वसा मैग्नीशियम, एंटीऑक्सिडेंट, कॉपर और अन्य आवश्यक पोषक तत्व पाए जाते हैं जो वाहिकाओं को स्वस्थ रखने में मदद करती हैं, जिससे हृदय पर अधिक दबाव नहीं पड़ता है। हृदय रोग के खतरे को कम करने के लिए मूंगफली खाना फायदेमंद हो सकता है।मधुमेह को कम करने में सहायकमधुमेह के रोगियों के लिए लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थ खाने की सलाह दी जाती है। ग्लाइसेमिक इंडेक्स उस दर को कहा जाता है जिसपर खाद्य पदार्थों का रक्तप्रवाह में ब्रेकडाउन होता है। मूंगफली का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, ऐसे में यह ब्लड शुगर के स्तर को बढ़ाने नहीं देता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक 55 से कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थ डायबिटीज रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकते हैं, मूंगफली का ग्लाइसेमिक इंडेक्स 13 होता है।
- भारत में प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों को लेकर काफी भ्रांतियां फैली हुई है।, जैसे कि शाकाहारी खाने से प्रोटीन प्राप्त करना काफी मुश्किल है. मगर ऐसा मानना गलत है, क्योंकि वेजिटेरियन फूड्स में सिर्फ सब्जियां भी जरूरी प्रोटीन दे सकती हैं। इसके साथ ही आपको जानकर हैरानी होगी कि हम हरी मटर खाकर पालक से ज्यादा प्रोटीन प्राप्त कर सकते हैं।आइए, प्रोटीन से भरपूर सब्जियों के बारे में जानते हैं---हरी मटरबहुत कम लोग हरी मटर के फायदों के बारे में जानते हैं। हरी मटर खाकर पालक से ज्यादा प्रोटीन प्राप्त किया जा सकता है। यह एक बेहतरीन हाई प्रोटीन रिच वेजिटेबल है। प्रोटीन के अलावा, हरी मटर खाने से कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम, जिंक, कॉपर, फॉस्फोरस आदि भी प्राप्त होता है। इसके साथ ही हरी मटर एक फाइबर से भरपूर फूड भी है।हाक सागपालक से ज्यादा हाक साग भी प्रोटीन से भरपूर हरी सब्जी है। हाक साग को अंग्रेजी में collard greens कहा जाता है, जिसकी खेती भारत में कश्मीर में होती है। हाक साग फाइबर (fiber rich foods), फोलेट और विटामिन बी का बेहतरीन स्त्रोत है, जो कि दिमाग और शरीर को हेल्दी बनाता है।पालकप्रोटीन से भरपूर सब्जियों में अब बारी पालक की आती है। पालक एक सुपरफूड है, जो प्रोटीन की भारी मात्रा देता है। इसके अलावा, पालक का सेवन करके फाइबर, कैल्शियम, पोटैशियम, विटामिन बी-6, फोलेट, आयरन (Iron rich foods) जैसे अन्य पोषक तत्व भी प्राप्त किए जा सकते हैं।शतावरीआयुर्वेद में शतावरी एक जबरदस्त जड़ी-बूटी है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि हिमाचल प्रदेश में उगाई जाने वाली ये फसल सब्जी के रूप में भी खाई जा सकती है। यह प्रोटीन का शानदार शाकाहारी सोर्स है, जो पेट में अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ाने और पोटैशियम देने में मदद करती है।।कॉर्नसर्दियों में सड़क किनारे भूने जा रहे भुट्टे का स्वाद कौन नहीं लेना चाहेगा और अब इस स्वाद को लेने की एक वाजिब वजह आपके पास है। दरअसल, भुट्टे के दानों में भरपूर फाइबर के साथ प्रोटीन भी मौजूद होता है। बस ध्यान रखें कि यह हाई कैलोरी फूड है, जिसके कारण आपको ज्यादा मेहनत करके कैलोरी बर्न करनी पड़ सकती है।
- शकरकंद के फायदे लेकर आए हैं. ये बच्चों की सेहत के लिए बेहद लाभकारी है, जो सर्दियों में आराम से मिल जाती है. इसका सेवन चाट, सब्जी के रूप में किया जा सकता है. विटामिन ए के अलावा शकरकंद में विटामिन सी, विटामिन ई, विटामिन के, विटामिन बी1, विटामिन बी6 और विटामिन बी9 भी होता है, जो शिशु के शारीरिक विकास में अहम रोज निभाते हैं.शकरकंद में पाए जाने वाले पोषक तत्व---शकरकंद में पाए जाने वाले पोषक तत्वों की बात करें तो इसमें कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम और सोडियम काफी मात्रा में पाया जाता है. इसमें जिंक भी होता है. ये सभी पोषक तत्व शिशुओं के लिए जरूरी होते हैं.शकरकंद के फायदे---1. आंखों के लिए लाभकारी- शकरकंद में पाए जाने वाला विटामिन ए बच्चों की आंखों का खास ख्याल रखता है.2. मेटाबलिज्म को बनाता है मजबूत- शकरकंद मेटाबॉलिज्म को मजबूत करता है. इससे वजन कंट्रोल में रहता है.3. शारीरिक विकास के लिए लाभकारी- शकरकंद शिशुओं के शारीरिक विकास में मदद करता है. इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व हर एक अंग को विकसित करने में योगदान देते हैं.4. इम्युनिटी को मजबूत करता है- शकरकंद में पाए जाने वाला विटामिन सी और ई इम्युनिटी को मजबूत करता है.5. कब्ज से राहत दिलाता है- शकरकंद का सेवन छोटे बच्चों कब्ज की समस्या से राहत दिलाता है. इसमें डाइटरी फाइबर होता है, जिससे कब्ज से राहत मिलती है.6. ऊर्जावान बनता है शिशु- शकरकंद में स्टार्च और विटामिंस होते हैं, जो शिशु को एनर्जेटिक बनाते हैं. शकरकंद एक सुपर फूड है, इसलिए बच्चों को इसे जरूर खिलाएं.इस समय खिलाएं बच्चों को शकरकंद?डाइट एक्सपर्ट डॉक्टर रंजना सिंह कहती हैं कि 6 महीने के बाद बच्चे को शकरकंद खिलाया जा सकता है, लेकिन शकरकंद पूरी तरह से पकाया हुआ और नरम होना चाहिए. अगर बच्चा उसे खाने से मना करे तो जबरदस्ती न करें. शकरकंद की सभी किस्में शिशुओं के लिए फायदेमंद होती हैं. इनमें विटामिन ए, एंथोसायनिन होता है. इससे बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनती है.
- उम्र बढ़ने के साथ ही हमारी बॉडी में कई तरह के चेंज आते हैं. अगर आप भी 30 की उम्र का पड़ाव पार कर गए हैं तो जान लें कि अब आपको अपने लाइफस्टाइल और खान-पान का खास ध्यान रखना है. दरअसल, इस दौर में हमारी बॉडी, सेहत और दिमाग में फर्क आता है. ऐसे में सही डाइट का फॉलो किया जाना बेहद जरूरी है. देखा जाए तो 30 की उम्र के दौरान या इसके बाद हमारे ऊपर जिम्मेदारियों काफी होती हैं. जिम्मेदारियों को निभाने के लिए आपको हेल्दी रहना है. बेहतर लाइफस्टाइल तो फॉलो करना बनता ही है, लेकिन हेल्दी रहने में सही डाइट का भी अहम रोल रहता है. हम आपको ऐसी चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें डाइट का हिस्सा बनाकर आप सेहतमंद रह सकते हैं. जानें उन चीजों के बारे में…ब्रोकलीप्रोटीन से भरपूर ब्रोकली से हड्डियों को मजबूत रखने में मदद मिलती है. इतना ही नहीं ब्रोकली से इम्यूनिटी को बूस्ट भी किया जा सकता है. इसे खाने के लिए एक बर्तन में लें और थोड़े से पानी के साथ माइक्रोवेव में रखें. अब इसे सलाद की तरह खाएं और हेल्दी रहे.विटामिन सीविटामिन सी से बने फल खाने से आप काफी हेल्दी रह पाएंगे. इसके फायदे ये हैं इससे वजन तो मेनटेन रहेगा साथ ही आप दिल की बीमारियों से भी दूर रहेंगे.ड्राई फ्रूट्सड्राई फ्रूट्स को खाने से आपका पेट भरा रहेगा और इस कारण ज्यादा खाने से भी बचा जा सकता है. जितना लाइट फूड लेंगे उतना ही बॉडी के लिए अच्छा है. ध्यान रहे कि ड्राई फ्रूट्स को भी अधिक मात्रा में नहीं खाना है.लहसुनलहसुन कई मायनों में बॉडी के लिए फायदेमंद होता है. इसकी मदद से बॉडी में बैक्टीरिया को मारा जा सकता है. साथ ही ये प्रतिरक्षा प्रणाली को भी दुरुस्त करता है.मछलीअगर आप नॉनवेज खाने के शौकीन है तो फिर मछली का सेवन करना आपके लिए बेस्ट रहेगा. हालांकि मुर्गा और मटन भी हेल्दी हैं, लेकिन फिश में ओमेगा-3 फैटी एसिड है जो बॉडी के लिए बेहद फायेदमंद माना जाता है.शहदशहद में कई एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं. इसे आप किसी भी तरह से इस्तेमाल में ले सकते हैं. आप चाहे तो नींबू पानी में शहद मिलाकर पीएं. इससे विटामिन सी की कमी भी पूरी होगी.-
- आज हम बात करेंगे नाश्ते में खिचड़ी खाना चाहिए या नहीं? अगर खाना चाहिए तो कौन सी खिचड़ी खाएं जिसे खाने से पेट भारी भी ना लगे, वजन भी ना बढ़े और हम हेल्दी भी रहें।आइए जानते हैं सबके बारे में विस्तार से।1. इंस्टेंट एनर्जी देती है खिचड़ीजब आप नाश्ते में खिचड़ी खाते हैं तो ये आपके शरीर को इंस्टेंट एनर्जी देने का काम करती है। खिचड़ी में कार्बोहाइड्रेट्स, विटामिन्स, मिनरल्स, फाइबर और भरपूर मात्रा में पानी होता है। साथ ही इसे पचाने में हमारे शरीर को ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती जिस वजह से इसे खाने से हमें इंस्टेंट एनर्जी मिलती है।2. वजन संतुलित रहता हैखिचड़ी खाने से आपका वजन संतुलित रह सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि खिचड़ी में प्रोटीन की अच्छी मात्रा होती है जो कि हमारे भूख और हार्मोनल फंक्शन को कंट्रोल करने में मदद करती है। दूसरा सुबह-सुबह इसे खाने से आपको दिन भर बेकार की भूख नहीं लगती और इस तरह ये आपको वजन संतुलित रखने में मदद करती है।3. गैस और पाचन तंत्र की समस्या नहीं होतीजब आप सुबह-सुबह खिचड़ी खाते हैं तो आपको गैस और पाचन तंत्र की समस्या नहीं होती। ये एक ऐसा नाश्ता है जिसे खाने के बाद आपको ऐसा नहीं लगता कि आपको अपच हो रही है और गैस बन रही है। आप इसे फटाफट खा कर आसानी से पचा सकते हैं।4. शुगर और ब्लड प्रेशर सही रहता हैजो लोग नाश्ते में खिचड़ी खाते हैं उनका शुगर बैलेंस रहता है। रागी, बाजरा, ओट्स और मूंग दाल की खिचड़ी भी शुगर के मरीजों के लिए बेहद ही फायदेमंद है। इसके अलावा नाश्ते में खिचड़ी खाने से ब्लड प्रेशर भी बैलेंस रहता है।नाश्ते में कौन सी खिचड़ी है ज्यादा फायदेमंद?1. रागी की खिचड़ीरागी में फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है जो कि पेट के लिए बहुत फायदेमंद है। रागी की खिचड़ी हल्की भी होती है और इसका अमीनो एसिड डायबिटीज जैसी बीमारियों के रोगियों के लिए भी फायदेमंद है।2. ओट्स की खिचड़ीओट्स की खिचड़ी हर किसी के लिए फायदेमंद है। ओट्स में फाइबर होता है जो कि पेट के लिए फायदेमंद है। इसके अलावा डाइजेशन में भी मददगार है। ओट्स की एक खास बात ये भी है कि ये एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है जो कि इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ आपको दिन की बीमारियों से भी बचाता है।3. मूंग दाल की खिचड़ीमूंग दाल की खिचड़ी सबसे हेल्दी खिचड़ी में से एक है। इसे खाना कई बीमारियों में फायदेमंद है। नाश्ते में इसे खाने से आपको एनर्जी मिलेगी। साथ ही ये आपके शुगर और ब्लड प्रेशर को भी मैनेज करने में मदद करेगा। तो, अपनी नाश्ते में हफ्ते में एक बार मूंग दाल की खिचड़ी जरूर खाएं।
- भारत में भी रेसिपीज (Recipes) की कमी नहीं है, स्पाइसी से लेकर हैवी डिशेज की भारत में भरमार है. वैरायटीज होने की वजह से कभी-कभी लोग कंफ्यूज हो जाते हैं कि उन्हें क्या खाना है. हैवी और स्पाइसी से उब जाने के बाद अगर लाइट और कंफर्ट का रुख किया जाए तो इसमें गलत नहीं होगा. जब लाइट फूड की बात की जाए तो दिमाग में साउथ इंडियन फूड ही आता है. चाहे ब्रेकफास्ट हो या डिनर साउथ इंडियन फूड का टेस्ट कभी भी लिया जा सकता है. इसमें इडली, सांभर, डोसा व अन्य फूड्स शामिल हैं.हम आज आपको आटा डोसा (Aata Dosa) की रेसिपी बताने जा रहे हैं. दरअसल, नॉर्मल डोसा बनाने में मेहनत भी ज्यादा लगती है और वह टाइम टेकिंग भी होता है. कई बार तो लोग इस वजह से डोसा बनाने से परहेज कर जाते हैं इसलिए हम आपके लिए आटा डोसा की रेसिपी लाए हैं, जिसे बनाना आसान है और ये खाने में भी काफी स्वादिष्ट होता है. खास बात है कि इसे बनाने में आपको महज 15 से 20 मिनट का टाइम लगेगा.जैसा कि नाम से ही जाहिर है इसे बनाने के लिए आपको आटे की जरूरत पड़ेगी. साथ ही थोड़ा सा नमक और ऑयल.सामग्रीएक कप आटाथोड़ा सा चावल का आटादो हरी मिर्चलाल मिर्च (ओपशनल)करी पताजीराचाट मसालाबनाने की विधिएक बर्तन में आटा लें और इसमें जरूरत के मुताबिक पानी मिलाएं.इसमें चावल का आटा और नमक स्वाद अनुसार मिला लें.अब इसमें हरी मिर्च, लाल मिर्च और जीरा भी मिक्स कर दें और इस बैटर को अच्छे से मिलाएं.फ्राई पैन में ऑयल डालें और बैटर को डालें.डोसे को एक तरफ से पकने दें और ऊपर से ऑयल डाल दें.अब डोसा पलट दें और दूसरी तरफ से पकने दें.आपका डोसा तैयार है, इसे चटनी के साथ सर्व करें.
- सर्दियों में कई लोगों का दिन पानी पीने और फिर बार-बार टॉयलेट जाने में ही गुजर जाता है। वैसे, तो ठंड के मौसम में 5-6 बार से ज्यादा टॉयलेट लगना आम बात है लेकिन अगर आप कम पानी पीते हैं और फिर भी आपको ज्यादा टॉयलेट आता है, तो आपको कारण जानने की कोशिश करनी चाहिए।सामान्य तौर पर कितनी बार आता है टॉयलेटहेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार हर व्यक्ति के साथ टॉयलेट आने की परिस्थिति अलग-अलग होती है। फिर भी एक स्वस्थ व्यक्ति दिन में 4 से 10 बार कभी भी टॉयलेट जा सकता है। टॉयलेट आने का समया या मात्रा आपकी उम्र, दवा, डायबिटीज, मूत्राशय का आकार, जैसे कई कारकों पर निर्भर करता है। वहीं, प्रेगनेंसी और डिलीवरी के बाद के सप्ताह में टॉयलेट बार-बार आना सामान्य है।यूरिनरी ब्लैडर का ज्यादा एक्टिव होनाबार-बार टॉयलेट आने का सबसे बड़ा कारण हो सकता है कि यूरिनरी ब्लैडर (मूत्राशय) का ज्यादा एक्टिव होना। इसकी वजह से बार-बार टॉयलेट आता है, अगर पेशाब को एकत्र करने में ब्लैडर की क्षमता कम होने या दबाव बढ़ने पर थोड़ा भी पानी पीने पर टॉयलेट बहुत तेजी से आता है और कई बार इसे रोककर रखना बहुत मुश्किल हो जाता है।शरीर में शुगर बढ़ने परडायबिटीज में भी बार-बार टॉयलेट आता रहता है। खासकर टाइप-2 डायबिटीज वाले लोगों को बहुत परेशानी होती है। ब्लड में शुगर की मात्रा बढ़ने पर यह समस्या बढ़ जाती है। इससे आपको टॉयलेट करने में थोड़ी जलन भी महसूस हो सकती है।यूरीनल ट्रैक्ट इंफेक्शनअगर आपको यूरीनल ट्रैक्ट इंफेक्शन है, तो आपको इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इस स्थिति में बार-बार टॉयलेट आने के साथ ही टॉयलेट में जलन और कई बार दर्द भी होता है।किडनी में इंफेक्शनकम पानी पीने का असर सबसे ज्यादा आपकी किडनी पर पड़ता है। किडनी में इंफेक्शन होने पर भी बार-बार टॉयलेट आता रहता है। वहीं, हर बार टॉयलेट करने पर जलन भी बढ़ती रहती है, इसलिए कोई भी परेशानी होने पर टेस्ट जरूर कराएं
- अगर आपके घर में छिपकलीयां ज्यादा संख्या मौजूद रहती हंै तो आपको सतर्क रहने की जरूरत है। इस लेख में हम छिपकली के कारण होने वाली बीमारी और उसको भगाने के उपायों पर चर्चा करेंगे।छिपकली को कमरे से भगाने के उपाय1. काली मिर्च पाउडरछिपकली से बचने के लिए आपको काली मिर्च का इस्तेमाल करना चाहिए। काली मिर्च के इस्तेमाल से छिपकली कमरे से निकल जाती हैं। काली मिर्च के पाउडर को आप घर की दीवारों पर छिड़क दें, इससे छिपकली कमरे से निकल जाएगी। आप काली मिर्च के पाउडर में पानी मिलाकर उसे स्प्रे बॉटल में डालें और दीवार या जहां छिपकली आती है वहां छिड़क दें ।2. अंडे का छिलकाछिपकली को भगाने के लिए आप अंडे के छिलके का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए खाली अंडे के छिलके को छिपकली आने की जगह पर टांग कर रखे दें।3. लहसुनआप छिपकली को भगाने के लिए लहसुन का इस्तेमाल कर सकते हैं। लहसुन की गंध से कीड़े-छिपकली भाग जाते हैं। आप खिड़की और दरवाज पर या फिर जहां से छिपकली के आने की गुंजाइस रहती है, लहसुन की कलियां रख दें।4. मोर पंखछिपकली को भगाने के लिए आप मोरपंख का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसका कोई वैज्ञानिक तथ्य मौजूद नहीं है पर घरेलू नुस्खों के आधार पर आप इस तरीके को ट्राय कर सकते हैं। आपको मोर पंख को कमरे के एक कोने में बांधकर रखना है या चारों कोनों में रख सकते हैं या जिस जगह छिपकली आती-जाती हो, लोगों का मानना है कि इससे छिपकली नहीं आती है। .5. लाल मिर्च पाउडरछिपकली के आने-जाने वाली जगह पर लाल मिर्र्च का पाउडर रख दें। छिपकली नहीं आएगी।छिपकली से होने वाली बीमारियांछिपकली की लार के संपर्क में आने से फूड प्वाइजनिंग का खतरा हो सकता है। छिपकली की लार और मल में सल्मोनेला नाम का बैक्टीरिया मौजूद होता है जिसस फूड प्वाइजनिंग हो सकती है। इसके अलावा पेट में दर्द, सिर दर्द, उल्टी आना जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं। छिपकली की लार के संपर्क में आने से आपको रैशेज, खुजली, रेडनेस जैसी समस्या हो सकती है। वहीं इनके काटने से होने वाले घाव में इंफेक्शन का डर भी रहता है। इसलिए यदि हमारे बुजुर्ग शरीर में छिपकली गिरने पर तुरंत नहाने की सलाह देते हैं।मार्केट में छिपकली भगाने के लिए कई कैमिकल युक्त विषैले प्रोडक्ट मौजूद हैं, जिससे छिपकली मर तो जाती हैं लेकिन मरी हुईं छिपकलियों को खोजना और बाहर फेंकना मुश्किल हो जाता है। साथ ही ये विषैले प्रोडक्ट घर में बच्चों के लिए भी हानिकारक हो सकते हैं, इसलिए इन्हेें इस्तेमाल करने से बचना चाहिए।
- पानी हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी तत्व है। यह शरीर को हाइड्रेट रखते हुए कई बीमारियों को दूर करता है। यह विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने, पोषक तत्वों और ऑक्सीजन को कोशिकाओं तक ले जाने, त्वचा को स्वस्थ रखने , शरीर के तापमान को नियंत्रित करने और मास्तिष्क को कार्य करने में भी मददगार है। यहां तक की जोड़ों को चिकनाई देने के लिए भी पानी की जरूरत होती है।विशेषज्ञ व्यक्ति को दिनभर में 3 -5 लीटर पानी पीने की सलाह देते हैं। लेकिन दिनभर में पर्याप्त पानी पीना ही काफी नहीं है, बल्कि इसका लाभ तभी लिया जा सकता है , जब इसे सही तरह से पियें। यह बात पूरी तरह से सच है। यदि आप उन लोगों में से एक है, जो एक बार में बहुत कम पानी पीते हैं, तो आपको अभी से ही ऐसा कर देना बंद कर देना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार, गलत तरीके से पानी पीने से पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। तो आइए जानते हैं आयुर्वेद के अनुसार, कैसे गलत तरीके से पानी का सेवन पाचन क्रिया पर असर डालता है और वास्तव में पानी पीने का सही तरीका क्या है।पानी कैसे पाचन क्रिया को बाधित करता हैपोषक तत्वों के बेहतर अवशोषण के लिए भोजन का पचना बहुत जरूरी है। जब आप भोजन शुरू करने से पहले या भोजन के बीच में पानी पीते हैं, तो इससे पाचन स्वास्थ्य खराब हो सकता है। आयुर्वेद कहता है कि ऐसा करने से पेट में भोजन की स्थिति पर सीधा असर पड़ता है। पानी एक कूलेंट है और भोजन के समय पाचक अग्रि को शांत कर सकता है। भोजन के दौरान नियमित रूप से पानी पीने से वजन बढऩे में देर नहीं लगती।आयुर्वेद के अनुसार, ये है पानी पीने का सही तरीकासबसे पहले तो एक बार में एक गिलास पानी बिल्कुल भी ना पीएं। इसके बजाय धीरे-धीरे घूंट करके पीएं।खाना खाने के ठीक बाद या पहले कभी पानी ना पीएं। दरअसल, पानी पीने का यह तरीका गैस्ट्रिक जूस को पतला कर देता है, जिससे आपके सिस्टम के लिए भोजन से पोषक तत्वों को पचाना और अवशोषित करना मुश्किल हो जाता है।दिनभर में 7 बार इस समय जरूर पीएं पानी, नहीं पड़ेंगे कभी बीमार-यदि आपको प्यास लगी है , तो भोजन करने से 30 मिनट पहले पानी पीएं। या फिर भोजन करने के 30 मिनट बाद तक इंतजार करें और फिर पानी पीएं।-भोजन करने के दौरान अगर आपको प्यास लगी है, तो सीधे एक गिलास पानी नहीं बल्कि एक या दो घूंट पानी पी सकते हैं।-अगर आपको भोजन पचाने में मुश्किल होती है, तो भोजन के बेहतर पाचन के लिए गर्म पानी पीना अच्छा माना जाता है। एक गिलास ठंडे पानी की तुलना में गर्म पानी ज्यादा हाइड्रेटिंग होता है।खड़े होकर पानी पीने के नुकसानअक्सर जल्दबाजी या आलस में हम खड़े होकर पानी पी लेते हैं। लेकिन पानी पीने का यह तरीका एकदम गलत और नुकसानदायक है। दरअसल, जब आप खड़े होकर पानी पीते हैं, तो कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो जाती हैं। ऐसा करने से पानी सीधे झटके से खाद्य नलिका में जाकर निचले पेट की दीवार पर गिरता है। यह आपके शरीर से आसानी से निकलकर कोलोन में पहुंच जाता है। इससे किडनी और ब्लैडर से विषाक्त पदार्थ जमा होने लगते हैं। इसके अलावा पानी को निगलने से वास्तव में आपकी प्यास पूरी तरह से नहीं बुझ पाती।तो अगर आप भी पानी पीते वक्त ये गलतियां करते हैं, तो इन्हें दोहराएं नहीं। पाचन संबंधी समस्याओं से निजात पाने के लिए यहां पानी पीने का सही तरीका जरूर ट्राय करें।
- मालपुआ एक ऐसा व्यंजन है, जिसका नाम सुनते ही आमतौर पर हर किसी के मुंह में पानी आ जाता है. मालपुआ भारत का फेमस स्वीट डिश है. जिसको अक्सर बचपन में दादी-नानी किसी खास मौके पर बनाती थीं. बच्चे हों या फिर बड़े मालपुआ खाने का चाव हर किसी को होता है. भले ही समय के साथ कई मीठी चीजें आ गई हों, लेकिन मालपुआ का क्रेज अपना ही होता है.आप सिंपल आटे से इसे आसानी से बना सकती हैं, इतना ही नहीं इसको मैदे से भी बनाया जाता है और चाशनी में डुबोने के बाद ड्राई फ्रूट्स से गार्निश किया जाता है.कई ऐसे त्योहार होते हैं जिन पर आज भी घरों में मालपुआ तो बनाया जाता है.शायद आपको ना पता हो कि ये डिश भारत ही नहीं और भी देशों में फेमस है.मालपुआ भारत के अलावा बांग्लादेश, नेपाल और पाकिस्तान जैसे देशों में काफी पसंद किया जाता है. लेकिन स्वाद को बढ़ाने वाले इस फेमस स्वीट डिश का इतिहास आप जानते हैं. तो आइए जानते हैं इसका इतिहास और इसकी विधि-ऋग्वेद में सबसे पहले किया गया उल्लेखचारों वेद में सबसे पुराना है ऋग्वेद है, जिसमें सबसे पहले मालपुआ का उल्लेख ‘अपुपा’ के रूप में किया गया था. कहा जाता है कि शुरू में इसको जौ से बनाया जाता था. फिर इसमें घी में तला जाता था और शहद में डुबोया जाता था. आपको बता दें कि ऋग्वेद में भोजन एक महत्वपूर्ण पहलू बताया गया है, जिसमें अपुपा का जिक्र किया गया है. हालांकि वक्त के साथ इसने मालपुआ का रूप ले लिया है. दूसरी शताब्दी में इसका एक और नाम सामने आया. अब इसे ‘पुपालिके’ के नाम से परोसा जाने लगा, जबकि कुछ स्थानों पर इसे ‘भरवां अपुपा’ भी कहा जाता था.मालपुआ कई हैं वैरायटीजैसे-जैसे लोगों को मालपुआ का स्वाद मिलता गया, वैसे-वैसे इसकी वैरायटी में बदलाव आता गया. आसानी से घरों में बनने वाले मालपुआ को अंडे और मावा के साथ तैयार भी किया जाता है. फेस्टिव सीजन पर कुछ जगहों पर मालपुआ अंडे और मावा तैयार कर परोसा जाता है. कहते हैं कि बांग्लादेश में इसको फल के साथ मैश करके बनाया जाता है. फलों के साथ बनाने के लिए केला या फिर अन्य फलों को मैश कर मिक्स किया जाता है.नेपाल में इसे ‘मारपा’ कहा जाता है, और मैदा, केले, सौंफ के बीज, दूध और चीनी के मिश्रण से तैयार किया जाता है.जगन्नाथ मंदिर का प्रसाद है मालपुआकहते हैं कि भारत के मशहूर जगन्नाथ मंदिर में पुरी में मालपुआ भी हर दिन सुबह सबसे पहले प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है. वहां मालपुआ को अमालू के नाम से जाना जाता है. भगवान जगन्नाथ को जो छप्पन भोग का प्रसाद चढ़ाया जाता है उसमें से एक अमालू भी शामिल हैं. इसे शाम में पूजा के वक्त भी चढ़ाया जाता है.
- यूरिन इंफेक्शन की समस्या वैसे तो किसी को भी हो सकती है, लेकिन ज्यादातर ये परेशानी पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को होती है. यूरिन इंफेक्शन यूरिनरी कॉर्ड में होने वाले संक्रमण के कारण होता है. इसे यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन यानी यूटीआई के नाम से भी जाना जाता है. यूरिन इंफेक्शन के दौरान यूरिनरी कॉर्ड में बैक्टीरिया के कारण संक्रमण या सूजन हो जाती है.आमतौर पर इस संक्रमण का मुख्य कारण ई-कोलाई बैक्टीरिया माना जाता है. ये बैक्टीरिया यूरिनरी ट्रैक्ट के जरिए शरीर में घुसकर ब्लैडर और किडनी को नुकसान पहुंचाते हैं. इसके अलावा यूरिन को रोककर रखना, पानी कम पीना और हाइजीन की कमी आदि भी यूटीआई के अन्य कारण हो सकते हैं. यहां जानिए इसके बारे में.ये लक्षण आते सामने– यूरिन के दौरान तेज जलन महसूस होना.– पेट के निचले हिस्से और कमर में असहनीय पीड़ा होना.– यूरिन बहुत अधिक पीला या मटमैले रंग का आना.– यूरिन कम मात्रा लेकिन थोड़ी-थोड़ी देर में आना.– बहुत तेज प्रेशर महसूस होना, लेकिन यूरिन पास करने पर कुछ ड्रॉप आना.– थकान अधिक महसूस होना.– ठंड लगना और बुखार आना.ये घरेलू नुस्खे आ सकते हैं काम– पांच से छह छोटी इलायची के दानों को पीसकर आधे चम्मच सौंठ के पाउडर में मिलाकर रख लें. थोड़े सेंधा नमक और अनार के रस के साथ गुनगुने पानी से पिएं.– एक चम्मच आंवले के चूर्ण में चार से पांच इलायची के दानों को पीसकर मिक्स करें. इससे काफी आराम मिलेगा.– यूरिन इंफेक्शन के दौरान दही या छाछ के सेवन से भी आराम मिलता है. इससे यूरिन की जलन शांत होती है. दही में ऐसे तमाम गुण होते हैं जो शरीर को संक्रमण से बचाने का काम करते हैं. दही को दोपहर के भोजन के साथ डाइट में शामिल करें.– यूरिन इंफेक्शन के दौरान नारियल पानी लेना भी काफी लाभदायक है. नारियल पानी शरीर को अंदर से हाइड्रेट करता है और जलन को शांत करता है.– एक चम्मच गुनगुने पानी में दो चम्मच सेब का सिरका डालें और इसमें शहद मिलाकर सेवन करें, इससे भी काफी आराम मिलता है.बचाव के लिए ये सावधानियां जरूरी– यूरिन रोकने की कोशिश न करें.– भरपूर मात्रा में पानी पीएं, ताकि विषैले तत्व शरीर से बाहर निकल सकें.– हाइजीन का विशेष खयाल रखें.