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- लंबे और घने बालों की चाह किसे नहीं होती है, लेकिन कुछ लोगों के बाल कम उम्र से ही झडऩे और टूटने लगते हैं। दिन में कुछ बालों का टूटना प्राकृतिक रूप से नुकसानदेह नहीं है। आमतौर पर दिनभर में कुछ बाल टूटते व गिरते हैं। लेकिन अगर आपके सिर से रोजाना अधिक बाल टूटते हैं तो यह निश्चित तौर पर चिंता का विषय हो सकता है। कई घरेलू नुस्खे आजमाने के बाद भी अगर आपके बालों का टूटना नहीं रुक रहा है तो हम आपको ऐसा नुस्खा बताएंगे, जिसकी मदद से बाल मजबूत और चमकदार बनेंगे। बालों पर आम की पत्तियां लगाने से बालों से जुड़ी तमाम समस्याएं खत्म हो सकती हैं। यही नहीं, इससे बालों के सफेद होने की समस्या को भी कम करते हैं। आम की पत्तियां विटामिन ए और विटामिन सी का अच्छा स्त्रोत होती हैं। जो आपके कोलेजन के उत्पादन को बढ़ाती हैं और बालों को घना और चमकदार बनाने में मदद करती हैं। चलिए जानते हैं इससे होने वाले फायदों के बारे में।1. बालों के विकास में मददगारआम की पत्तियां बालों के विकास में काफी मददगार साबित होती हैं। इन पत्तियों में विटामिन सी और विटामिन ए के साथ एंटीऑक्सीडेंट्स की भी मात्रा पाई जाती है, जो बालों के विकास में मदद करती हैं। यह आपके स्कैल्प में मौजूद रक्त वाहिकाओं को भी क्षति पहुंचने से बचाती हैं। यही नहीं आम की पत्तियों में नैचुरल ऑयल मौजूद होता है, जो प्राकृतिक तरह से बालों की देखभाल करता है। इसमें पाए जाने वाले एंटी ऑक्सीडेंट्स आपके बालों को समय से पहले बूढ़ा या सफेद होने से बचाता है। इसलिए अगर आपके बालों का विकास भी रुक गया है तो स्कैल्प पर आम की पत्तियों का प्रयोग कर सकते हैं। इसके लिए बालों में आम की पत्तियों का पेस्ट लगाएं।2. बालों को सफेद होने से रोकेआम की पत्तियों में पोटैशियम , मैग्नीशियम के साथ ही फ्लेवोनॉइड्स मौजूद होते हैं, जो बालों की ग्रोथ के साथ ही बालों को उम्र से पहले सफेद होने से बचाते हैं। इसमें मौजूद विटामिन सी और विटामिन ए आपके कोलेजन के उत्पादन को बढ़ाते हैं, जिससे बाल बढऩे के साथ ही सफेद होना भी कम होते हैं।3. बालों को घना और चमकदार बनाएबालों को बिना किसी साइड इफेक्ट के काला और घना बनाने के लिए आम की पत्तियों का इस्तेमाल करना कारगर विकल्प माना जाता है। इसमें पाए जाने वाले फ्लेवोनॉइड की मात्रा आपके बालों को प्राकृतिक रूप से काला, घना और चमकदार बनाने में मदद करता है। इसके लिए आम की पत्तियों से बना हेयर मास्क का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। या फिर इसका पेस्ट बनाकर स्कैल्प पर लगा सकते हैं।4. डायबिटीज में मददगारआम की पत्तियों में एंटी-डायबिटिक गुण मौजूद होते हैं, जो डायबिटीज के खतरे को कम करते हैं। इसका सेवन डायबिटीज के मरीजों को ब्लड शुगर लेवल से निजात दिलाता है। इसमें पेक्टिन नामक तत्व पाए जाने के साथ ही विटामिन सी और फाइबर की भी प्रचुरता होती है, जो डायबिटीज के रोगियों के लिए काफी मददगार होती हैं। इसके लिए इसके पत्तों का सेवन करने की जरूरत नहीं है। इसलिए लिए पानी में आम की कुछ पत्तियां डालनी हैं और कुछ देर बाद पत्तियां निकालकर केवल पानी का सेवन करना है। इससे ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहेगा।5. वजन घटाने में मददगारआम की पत्तियां वजन घटाने में भी काफी मददगार मानी जाती हैं। आम की पत्तियां शरीर में लेप्टिन हार्मोन को बढ़ाने में सहायक होती हैं, जिससे वजन नियंत्रित होता है। इसके लिए भी आम की पत्तियों का पानी पीने की जरूरत है। इससे आपका पाचन तंत्र भी दुरुस्त रहता है।6. . पोषक तत्वों से भरपूरआम के साथ ही इसकी पत्तियां भी पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं। आम की पत्तियों में एंटी ऑक्सीडेंट्स, फ्लेवोनॉइड्स, विटामिन सी, विटामिन ए, एंटी डायबिटिक प्रॉपर्टीज, एंटी कैंसर प्रॉपर्टीज, पेप्टिन्, पॉलीफेनॉल्स, मैगनीशियम, तांबा और पोटैशियम आदि जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर में हो रही तमाम परेशानियों से लडऩे में काम आते हैं।
- खुद को सेहतमंद बनाए रखने के लिए हम कई चीजों का इस्तेमाल करते हैं. खास बात यह है कि कई चीजों पर हम पैसा भी बहुत खर्च करते हैं. लेकिन क्या आप जानते है कि लोगों के घर में रखी कुछ चीजें ऐसी होती है, जिनके इस्तेमाल से उन्हें इन बीमारियों से निजात मिल सकती है. जी हां आज हम आपको ऐसी ही एक चीज के बारे में बताने जा रहे हैं. बात कर रहे है अजवाइन की, जो घर-घर में पाई जाती है. अजवाइन के इस्तेमाल से आप कई बीमारियों से खुद को दूर रख सकते हैं. हम आपको अजवाइन के ऐसे ही कई फायदे बताने जा रहे हैं.अजवाइन से दूर होता है मोटापामोटापा आज के वक्त में एक बड़ी समस्या बनती जा रही हैं. लेकिन मोटापा दूर करने में अजवाइन एक अच्छा पदार्थ माना जाता है. अजवाइन का सेवन करने से मोटापा नहीं बढ़ता है. एक चम्मच अजवाइन पानी में भिगो कर रातभर के लिए रख दीजिए. सुबह उठकर इस पानी को उबालकर उसमें थोड़ी सी शहद मिलाकर पीना से शरीर को फायदा मिलता है.अजवाइन से दूर होता है पेट दर्दअगर किसी का पेट दर्द कर रहा है तो अजवाइन इसके लिए रामबाण इलाज है. गैस, अपच और कब्ज बनने की स्थिति में अजवाइन को काले नमक में मिलाकर खाने से तुरंत आराम मिलता है. ऐसा इसलिए क्योंकि अजवाइन में एंटीस्पास्मोडिक और कार्मिनेटिव के साथ थाइमोल नामक कंपाउंड पाया जाता है. जो शरीर में बनी गैस, अपच और कब्ज दूर करने में मदद करता है जिससे इंसान को तुरंत राहत मिलती है. इसलिए जिन लोगों का पेट दर्द ठीक नहीं होता है उन्हें हर दिन एक चुटकी अजवाइन खाने की सलाह दी जाती है.अस्थमा की बीमारी में सहायक अजवाइनआपको शायद ही इस बात की जानकारी होगी की आपके घर में रखी अजवाइन अस्थमा की बीमारी की बेहद कारकर दवा मानी जाती है. जिन लोगों को अस्थमा है उन्हें हर दिन कम से कम एक चम्मच अजवाइन जरूर खाना चाहिए. क्योंकि अजवाइन में एंटी-इन्फ्लेमेशन का गुण भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो अस्थमा दूर करने में असरदार माना जाता है. ऐसे में अस्थमा के मरीजों को अजवाइन का सेवन करने की सलाह दी जाती है. तो अगर किसी को अस्थमा की परेशानी है तो वह डॉक्टर की सलाह पर अजवाइन का सेवन कर सकता है.मुंहासे दूर करने में सहायक अजवाइनअगर आपके मुंह में भी मुंहासे हैं और कई चीजों का इस्तेमाल करने के बाद भी आपको फायदा नहीं मिल रहा है, तो आप अजवाइन का इस्तेमाल करिए. मुंहासे दूर करने के लिए अजवाइन के पाऊडर से पेस्ट बनाएं और मुंह में जहां-जहां भी मुंहासे वहां यह पेस्ट लगाए. कुछ देर के बाद मुंह को ठंडे पानी से थो ले. क्योंकि अजवाइन का पेस्ट लगाने से मुंहासे में तुरंत आराम मिलता है.अजवाइन से गाठिया के दर्द में मिलता है आरामगठिया की बीमारी भी एक बड़ी परेशानी बनती जा रही है. लेकिन अजवाइन का इस्तेमाल करना चाहिए गठिया के दर्द में सहायक माना जाता है. इसके लिए एक उपाय बताया जाता है पहले एक कप पानी को उबाले और फिर उसमें एक चम्मच सोंठ मिक्स कर दें, इसके बाद अजवाइन को एक कपड़े में बांधकर इस पानी में भिगो ले. इसके बाद शरीर में जिस जगह पर गाठियां वहां सिंकाई करने से आराम मिलता है. तो जिन लोगों को गाठिया बीमारी की शिकायत होती है वह अजवाइन का सेवन कर सकते हैं.अजवाइन के ये भी फायदेइसके अलावा भी अजवाइन कई बीमारियों को दूर रखने में सहायक होती है. तो दोस्तों देखा आपके किचन में खाना बनाने में काम आने वाली अजवाइन कई समस्याओं को दूर करने में भी सहायक होती है. यह जितना आपने खाने का स्वाद बढ़ाती है उतना ही आपको बीमारियों से भी दूर रखती है.
- लौंग एक असरदार जड़ी-बूटी है, जो मूल रूप से अपने पेड़ के फूल की कली होती है। इसका साइंटिफिक नाम Syzygium aromaticum होता है। लौंग आसानी से देश की हर रसोई में मिल जाएगा, जो कि फूड व ड्रिंक्स में फ्लेवर व एरोमा डालने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। मगर लौंग का इस्तेमाल सिर्फ खाने-पीने तक ही सीमित नहीं है। इसमें औषधीय गुण भी पाए जाते हैं, जिस कारण इससे कई हेल्थ बेनिफिट्स मिलते हैं। लौंग के फायदे जानने से पहले हम इसमें मौजूद पोषण व गुण की बात कर लेते हैं।लौंग में मौजूद पोषक तत्वएक चम्मच लौंग यानी करीब 2 ग्राम में निम्नलिखित पोषक तत्व मौजूद होते हैं। जैसे-6 कैलोरी1 ग्राम कार्ब्स1 ग्राम फाइबरदैनिक जरूरत का 55 प्रतिशत मैंगनीजदैनिक जरूरत का 2 प्रतिशत विटामिन-केलौंग खाने के फायदेदिमाग और हड्डियों की मजबूतीजैसा कि अभी हमने ऊपर बताया कि लौंग में मैंगनीज होता है। इंसान को दिन में जितने मैंगनीज की जरूरत होती है, 2 ग्राम लौंग उसका तकरीबन 55 प्रतिशत प्रदान करता है। मैंगनीज एक आवश्यक पोषक तत्व है, जो दिमागी क्षमता को बढ़ाने और हड्डियों को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाता है।संक्रमण से बचावलौंग में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं। जिसका मतलब है कि यह बैक्टीरिया या अन्य सूक्ष्मजीवों से होने वाले संक्रमण से बचाव प्रदान कर सकता है और उसके इलाज में मदद कर सकता है। इसके अलावा लौंग मुंह के संक्रमण को दूर रखकर ओरल हेल्थ को भी सुधारता है।लिवर के लिए फायदेमंदजानवरों पर हुए शोध में खुलासा हुआ है कि लौंग में मौजूद यूजेनॉल कंपाउंड खासतौर से लिवर को फायदा पहुंचाता है। यह लिवर की सूजन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करके उसकी कार्यक्षमता बढ़ाने में मदद कर सकता है। हालांकि, इंसानों पर इस बात के पर्याप्त शोध होने बाकी हैं।ब्लड शुगर का नियंत्रणरिसर्च में पाया गया है कि लौंग ब्लड शुगर को नियंत्रण में रखने के लिए फायदेमंद होता है। यह शुगर को ब्लड से सेल्स में ;ट्रांसफर होने में मदद करता है और इंसुलिन उत्पादित करने वाली सेल्स का फंक्शन सुधाकर इंसुलिन का उत्पादन बढ़ाता है। शरीर में ब्लड शुगर के उचित स्तर के लिए इंसुलिन हॉर्मोन की भूमिका अहम होती है।पेट के अल्सर के इलाज में मददगारकई रिसर्च में यह साबित हुआ है कि पेट के अल्सर के इलाज में लौंग काफी मदद कर सकता है। यह अल्सर आमतौर पर पेट की सेफ्टी लेयर के कम हो जाने के कारण हो जाते हैं। जिसके पीछे स्ट्रेस, इंफेक्शन या जेनेटिक कारण हो सकते हैं।हालांकि, लौंग के फायदों के अलावा इसके कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। इसलिए इसका सेवन डॉक्टर या न्यूट्रिशनिस्ट की सलाह के बिना न करें। यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है।
- आम के फायदों के बारे में सुना होगा, लेकिन क्या आपको पता है कि फलों के राजा कहे जाने वाले आम की पत्तियां भी सेहत के लिए बहुत उपयोगी हैं? हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो आम की पत्तियां यह मधुमेह, रक्तचाप और खसरा आदि बीमारियों के उपचार में मदद करती हैं.आम की पत्तियों में विटामिन ए, बी, सी, तांबा, पोटेशियम और मैग्नीशियम जैसे खनिज पदार्थ भरपूर मात्रा में होते हैं. आम के पत्तों में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं क्योंकि इन फ्लेवोनॉयड्स और फिनोल की उच्च मात्रा होती है. आम के पत्तों में एंटीमिक्राबियल गुण भी होते हैं जो विभिन्न बीमारियों के उपचार में मदद कर सकते हैं.पित्त की पथरी का इलाज करने में मददगारआम के पत्ते गुर्दे की पथरी और पित्त की पथरी का इलाज करने में मदद करते हैं. इन पत्तों के पाउडर का दैनिक सेवन (जो कि छाया में सूखाएं गए हो) करें. रात में एक गिलास पानी में पाउडर मिलकर रखें, इससे स्टोन्स को तोड़ने और उन्हें बाहर निकालने में मदद करता है.पेट के लिए लाभकारीपेट को स्वस्थ्य रखने के आम के पत्तों को उबालें और फिर इसे किसी बर्तन में रात भर के लिए ढ़क कर रख दें. अगली सुबह इस पानी को छाने और खाली पेट इसका सेवन करें. ऐसा नियमित करने से पेट से संबंधित समस्याएं दूर होती हैं.रक्तचाप को कम कर करने में मददगारआम के पत्ते रक्तचाप को कम कर सकते हैं, क्योंकि इनमें हाइपोटेंसिव गुण होते हैं, जो रक्त वाहिकाओं को मजबूत करने और वैरिकाज – वेंस की समस्या को भी दूर करने में मदद करता है.कान के दर्द से राहतअगर आपक कान के दर्द से परेसान हैं तो आम के पत्तों का रस कान में डालें. इसके लिए उसे गुनगुना कर लें. ऐसा करने से तुरंत राहत मिलती है.कैसे करें आम की पत्तियों का उपयोगआम की पत्तियां चिकनी और चमकदार होती हैं. इन पत्तियों का उपयोग दो प्रकार से किया जा सकता है. पहला इन्हें सुखाकर पाउडर बना सकते हैं और दूसरा इन पत्तियों को उबाल कर काढ़ा बनाया जा सकता है. इनमें औषधीय गुण होने के कारण बहुत सी आयुर्वेदिक दवा बनाने में आम के पत्तों का उपयोग किया जाता है.
- हर घर में दूध से मलाई निकाली जाती है। मलाई वाला दूध पीना हो , या फिर चाय में डालनी हो या ब्रेड मलाई का सेवन करना हो, मलाई स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी किसी अमृत से कम नहीं है। वहीं मलाई का प्रयोग कुछ सब्जियों में भी किया जाता है। बता दें कि मिलाई के अंदर फैट, प्रोटीन, कैलोरी, कार्बोहाइड्रेट, अन्य विटामिन आदि मौजूद होते हैं। वहीं इसके अंदर विटामिन ए, फास्फोरस, कैल्शियम, विटामिन बी 12, मिनरल्स, आयरन आदि पाए जाते हैं, जो सेहत को कई समस्याओं से दूर रख सकते हैं। आज हम बताएंगे कि मलाई खाने से क्या-क्या फायदे होते हैं और क्या नुकसान होता है।1 - लाल रक्त कोशिकाओं के लिए मलाईरेड सेल्स में मौजूद हीमोग्लोबिन रक्त कोशिकाओं को न केवल ऑक्सीजन देता है बल्कि पोषक तत्व भी प्रदान करता है। ऐसे में लाल रक्त कोशिकाओं के लिए आयरन, ,मिनरल्स जरूरी पोषक तत्वों में से एक है। बता दें कि मलाई के अंदर आयरन और मिनरल्स दोनों भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। ऐसे में मिलाई के सेवन से लाल रक्त कोशिकाओं को बढऩे में मदद मिलती है।2 - शारीरिक विकास के लिए मलाई (शारीरिक विकास के लिए जरूरी विटामिंस में से जरूरी विटामिन बी12 है जो न केवल शारीरिक विकास करता है बल्कि इसके माध्यम से आंखें, बाल आदि को भी बढऩे में मदद मिलती है। यह नाखून के स्वास्थ्य के लिए भी बेहद जरूरी विटामिन है। बता दें कि मलाई के अंदर विटामिन बी 12 मौजूद होता है। ऐसे में हम कह सकते हैं शारीरिक विकास के लिए मलाई का सेवन एक अच्छा विकल्प है।3 - किडनी स्टोन के लिए मलाईमलाई के सेवन से किडनी संबंधित समस्याएं दूर हो सकती हैं। जो लोग पथरी की समस्या से परेशान है वे मलाई का सेवन कर सकते हैं। लेकिन उससे पहले इसकी सीमित मात्रा का पता होना जरूरी है। क्योंकि अधिक मलाई का सेवन किडनी स्टोन की समस्या को बढ़ा भी सकता है। ऐसे में डॉक्टर की सलाह और उनके द्वारा बताई गई मात्रा के अनुसार ही मलाई का सेवन करें।4 - आंखों के लिए मलाईआंखों को स्वस्थ बनाने में विटामिन ए महत्वपूर्ण तत्व होता है। बता दें कि मिलाई के अंदर विटामिन ए मौजूद होता है। ऐसे में उसके माध्यम से आंखों में नमी बरकरार रहती है और व्यक्ति को रात में देखने में परेशानी नहीं होती। मलाई के सेवन से आंखों के अंदर की परत यानि रेटिना स्वस्थ बना रहता है और जो लोग रात को नहीं देख पाते वे मलाई के सेवन से इस समस्या को दूर कर सकते हैं। इसके अलावा आंखों की अन्य समस्याएं जैसे मैकुलर डिजनरेशन, मोतियाबिंद, ग्लूकोमा आदि समस्याओं के जोखिम को लोग मलाई के सेवन से कम कर सकते हैं।5 - इम्यून सिस्टम के लिए मलाईमलाई के सेवन से इम्यूनिटी सिस्टम में वृद्धि होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि मलाई के अंदर विटामिन ए पाया जाता है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और संक्रमण को शरीर से दूर रखता है।6 - मानसिक समस्या के लिए मलाईमलाई के अंदर विटामिन बी 5 पाया जाता है जो न केवल डिप्रेशन, चिंता, तनाव आदि को दूर रखता है बल्कि दिमाग को तंदुरुस्त रखने वाले हार्मोन के काम को सुचारु रुप से करने में मदद करता है।मलाई के अन्य फायदे7 - मलाई के सेवन से हड्डियों को मजबूती मिलती है।8 - मलाई के अंदर फास्फोरस पाया जाता है जो दांतों के लिए बेहद जरूरी तत्व है।9 - मसूड़ों के स्वास्थ्य के लिए मलाई का सेवन एक अच्छा विकल्प है।10 - मलाई के अंदर पाए जाने वाला फास्फोरस हृदय रोग से भी बचाता है।11 - मलाई के सेवन से अल्जाइमर का खतरा भी कम हो जाता है।मलाई के नुकसानकहते हैं किसी भी चीज की अति सेहत के लिए नुकसानदेह हो सकती है। ऐसा ही कुछ मलाई के साथ भी है। क्योंकि मलाई के अंदर अधिक मात्रा में सैच्युरेटेड फैट मौजूद होता है ऐसे में इसका अधिक सेवन उच्च रक्तचाप के साथ-साथ मोटापे की समस्या आदि को भी बढ़ा सकता है। इसलिए इसे डाइट में जोडऩे से पहले सबसे पहले इसकी मात्रा का ज्ञान होना जरूरी है। जानते हैं इसके अन्य नुकसान-1 - मलाई के अधिक सेवन से जी मिचलाना, उल्टी आने की समस्या पैदा हो जाती है।2 - मलाई की सेवन से दस्त या बार बार मल आना शुरू हो सकता है।3 - मलाई के सेवन करने से भूख में कमी आनी शुरू हो जाती है।4 - मलाई के सेवन से कभी-कभी पेट में ऐठन की समस्या भी हो जाती है।5 - पेट फूलने की समस्या मलाई के अधिक सेवन से हो सकती है।6 - मलाई के सेवन से व्यक्ति को ज्यादा प्यास लगती है।---
- देश में कोविड-19 से ठीक हो चुके लोगों में ब्लैक और वाइट फंगस के मामलों ने चिंताएं तो बढ़ाई ही थीं, अब यलो फंगस का मामला भी सामने आया है। इसे म्यूकर सेप्टिकस भी कहते हैं।यलो फंगस के लक्षणविशेषज्ञों के मुताबिक यलो फंगस पीडि़त मरीजों में निम्न लक्षण दिख सकते हैं।सुस्ती महसूस होना, काफी ज्यादा थकावट, भूख न लगना, वजन तेजी से कम होना, वायरस फैलने पर घाव होना, घाव से मवाद निकलना, कुपोषण और अंग विफलता होना, आंखें धंसी होना।यलो फंगस का कारण-साफ-सफाई में कमी की वजह से यलो फंगस फैलने का खतरा ज्यादा रहता है। इसलिए इस दौरान साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।-पुराना या फिर बासी खाना खाने वालों को यलो फंगस होने का खतरा ज्यादा रहा है।-इसके अलावा जिनको घरों में वेंटिलेटर नहीं होता है और जहां नमी ज्यादा होती है वहां यलो फंगस फैलने का खतरा ज्यादा रहता है।-इम्यूनिटी का काफी ज्यादा कमजोर होना।-मौसम में बदलाव की वजह से नमी का बढऩा।शरीर में कैसे ग्रो करता है यलो फंगस?यलो फंगस शरीर के अलग-अलग अंगों को प्रभावित करता है। जैसे- लिवर, किडनी, लंग्स इत्यादि । फंगस अगर पूरी बॉडी में फैल जाए, तो ऑर्गन्स फेल होने की संभावना बढ़ सकती है। यलो फंगस चोट के हीलिंग की पावर को कम कर देता है। आंखे अंदर की ओर धंस जाती हैं। शरीर के विभिन्न अंगों में पस की थैली बनाना शुरू कर देता है। इसकी वजह से मरीज कुपोषण का शिकार हो सकता है।यलो फंगस का इलाजयलो फंगस के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह दें। ताकि बीमारी गंभीर होने से पहले इसका इलाज किया जा सके। यलो फंगस होने पर मरीज को एंटीफंगल की इंजेक्शन दी जाती है, ताकि शरीर में फंगस को फैलने से रोका जा सके। इसके अलावा सर्जरी के द्वारा भी यलो फंगस का इलाज किया जाता है। सर्जरी ऐसे मामलों में की जाती है, जहां पर शरीर के किसी अंगों में पस की थैली बन जाए।यलो फंगस का बचाव-घर में मौजूद नमी के कारण भी यलो फंगस फैलने का खतरा हो सकता है। इसलिए घर में नमी न होने दें। जहां नमी ज्यादा होती है, वहां बैक्टीरिया और फंगस फैलने का खतरा ज्यादा रहता है।-30 प्रतिशत से 40 प्रतिशत सही आद्र्रता मानी जाती है, इसलिए अपने घर में बहुत अधिक नमी न होने दें।-इम्यूनिटी को विकसित करने की कोशिश करें।-वेंटिलर को अच्छा करें।-टॉयलेट की साफ-सफाई का ध्यान रखें।
- कब्ज और गैस की समस्या लोगों के लिए एक बड़ी परेशानी बनती जा रही है. लगभग हर व्यक्ति को यह परेशानियां देखने को मिल जाती हैं. क्योंकि आज के दौर में घंटों तक बैठकर काम करना जैसे एक चलन बन गया है. लेकिन इस तरह की लाइफस्टाइल के कई नुकसान भी उठाने पड़ रहे हैं. ज्यादा देर तक बैठ गए तो गैस और कब्ज बननी शुरू हो जाती है. लेकिन आपको परेशानी होने की जरूरत नहीं है. क्योंकि आज हम आपको आज कुछ ऐसे फूड्स के बारे में बताने जा रहे हैं. जिनका इस्तेमाल करने से आपको कब्ज और गैस की परेशानी नहीं होगी.तरबूजतरबूज जिसे कई जगहों पर खरबूजा भी कहा जाता है. तरबूज एक ऐसा फल होता है, जिसमें पानी की पर्याप्त मात्रा रहती है. इसके अलावा खरबूजा फाइबर और एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर होता है. जिसका सेवन करने से पेट साफ रहता है. इसके अलावा आपके शरीर का पीएच लेवल भी बैलेंस रहता है. यही वजह है कि तरबूज का नियमित सेवन करने से गैस और कब्ज की समस्या नहीं होती.केले का करें सेवनगैस और कब्ज की परेशानी में केला एक ऐसा फल है जो आपके लिए फायदेमंद रहता है. केला लगभग सभी को पसंद होता है. लेकिन अगर आप गैस और कब्ज की समस्या से छुटकारा चाहते हैं तो केले का सेवन करना शुरू कर दे. क्योंकि केले में पोटैशियम और फाइबर पाया जाता है, जो शरीर में पीएच लेवल को कम रखता है. ऐसे में आपके शरीर में ऊर्जा बनी रहती है, जिससे आपको गैस और कब्ज की परेशानी नहीं होगी. खास बात यह है कि केले का नियमित सेवन आपको फिट भी रखता है.सेबसेब का इस्तेमाल लगभग हर घर में होता है. अगर आप अपनी गैस और कब्ज की समस्या से निजात पाना चाहते हैं तो सेब एक ऐसा फल है जिसके नियमित सेवन करने से आपकी यह परेशानी खत्म हो जाएगी. दरअसल, सेब में फाइबर की मात्रा भरपूर पाई जाती है. जिसके सेवन से एसिडिटी नहीं बनती है.पपीतापपीता में भी फाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है. ऐसे में पपीता खाने से भी गैस और कब्ज की समस्या नहीं होती है. खास बात यह है पपीता खाना शरीर के लिए फायदेमंद भी माना जाता है. ऐस में आप अगर हर दिन पीपाता खाना शुरू कर दें तो आपको भी गैस और कब्ज की समस्या निजात मिलेगी.नारियल पानीनारियल पानी भी गैस और कब्ज को दूर करने के लिए एक असरदार साधन है. नारियल पानी में फाइबर कंटेट पर्याप्त मात्रा में रहता है, इसके अलावा ये रिफ्रेशिंग नैचुरल ड्रिंक टॉक्सिंस को शरीर से दूर करने में सहायक होता है. जिससे शरीर में गैस और कब्ज नहीं बनती है.अंगूरकब्ज और गैस को दूर करने के लिए अंगूर भी एक अच्छा विकल्प रहता है. ऐसे में अगर आप गर्मियों में अंगूर का सेवन करते हैं तो यह आपके लिए बहुत फायदेमंद रहेगा. क्योंकि अंगूर गर्मियों के मौसम में बहुत उपयोगी माना जाता है. ऐसे में अगर आप हर दिन एक कटोरी अंगूर का सेवन करते हैं तो इससे आपकी सेहत अच्छी रहेगी.ठंडा दूध और दहीफूड्स के अलावा आप अगर ठंडा दूध और दही के इस्तेमाल से भी गैस और कब्ज की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं. क्योंकि ठंडा दूध पेट में मौजूद एसिड को एब्जॉर्व कर लेता है. जिससे जलन नहीं होती. अगर आपको गैस बनती है तो ठंडा दूध आपके लिए फायदेमंद साबित होगा. इसी तरह दही भी डायजेस्टिव सिस्टम को हेल्दी रखता है. जिससे गैस और कब्ज की परेशानी दूर रहती है. तो दोस्तों अगर आप भी गैस और कब्ज की समस्या से परेशान है इन चीजों के इस्तेमाल से आपको फायदा मिल सकता है.
- मानव शरीर के लिए पानी की बहुत अहमियत है और इसके कई फायदे भी हैं. लेकिन अगर आपको सुबह खाली पेट पानी पीने की आदत है तो इसके कमाल के फायदे मिलते हैं. जापान में तो खाली पेट पानी पीने की परंपरा भी है. तो आइए जानते हैं कि हमें क्यों खाली पेट पानी जरूर पीना चाहिए और इसके क्या फायदे मिलते हैं?हानिकारक तत्वों को शरीर से निकालता है पानीसुबह खाली पेट पानी पीने से सबसे पहला फायदा ये होता है कि यह हमारे शरीर से सभी हानिकारक तत्वों को बाहर निकाल देता है. इससे हमारी बॉडी डिटॉक्स होती है. शरीर से हानिकारक तत्वों के निकलने का फायदा हमारी त्वचा को होता है.पाचन तंत्र को करता है साफसुबह खाली पेट पानी पीने से हमारा पेट साफ होता है और हमारा पाचन तंत्र ठीक से काम कर पाता है. कब्ज आदि की समस्या में खूब पानी पीने से फायदा मिलता है और हमारी बॉडी अंदर से साफ होती है.सिरदर्द नहीं होताआमतौर पर सिरदर्द की समस्या डिहाइड्रेशन के कारण होती है. ऐसे में अगर आप सुबह उठकर पानी पी लेते हैं तो जो रात भर से आपने पानी नहीं पिया है, वो बैलेंस हो जाता है और बॉडी हाइड्रेट रहती है. इसके अलावा सुबह खाली पेट पानी पीने से भूख भी लगती है.एनर्जी बढ़ती हैखाली पेट जैसे ही आप पानी पीते हैं तो यह पानी हमारे ब्लड में मिलता है और हमारी ब्लड सेल्स तेजी से बढ़ती हैं. इसकी वजह से शरीर में एनर्जी आती है.वजन घटाने में भी मददगाररिसर्च में पता चला है कि खाली पेट पानी पीने से हमारा मेटाबॉलिज्म रेट 25 फीसदी तक बढ़ जाता है. इससे हमारा पाचन भी ठीक रहता है और वजन नियंत्रित रहता है. इसके साथ ही पानी पीने से बॉडी से सारे हानिकारक तत्व बाहर निकल जाते हैं और एसिडिटी भी कम होती है. इससे भी मेटाबॉलिज्म बढ़ता है. इससे कैलोरी ज्यादा बर्न होती है और वजन कंट्रोल रहता है.किडनी स्टोन को होने से रोकता हैपर्याप्त मात्रा में पानी पीने से किडनी में पथरी की समस्या नहीं होती. साथ ही ब्लैडर में होने वाले इंफेक्शन से भी राहत मिलती है. दरअसल एसिड पानी में घुल जाते हैं और इससे किडनी में पथरी नहीं बन पाती.
- कुछ आयुर्वेदिक उपायों की मदद से बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाई जा सकती है। ताकि वह किसी भी आने वाले इंफेक्शन या रोग से लड़ने के लिए पहले से तैयार हो जाएं। आइए बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने वाले आयुर्वेदिक उपायों के बारे में जानते हैं।हल्दीहल्दी को आयुर्वेद में काफी फायदेमंद माना जाता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लमेटरी गुण होते हैं, जो बच्चों के इम्यून सिस्टम को मजबूत बना सकते हैं। साथ ही संक्रमण व रोगों से लड़ने में मजबूती प्रदान कर सकते हैं।आंवलाआंवला विटामिन सी का एक बेहतरीन स्त्रोत है। विटामिन सी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए काफी लाभदायक होता है। इससे सर्दी-जुकाम जैसे इंफेक्शन से लड़ने में सहायता मिल सकती है। इसके अलावा आंवला स्किन, हेयर व मधुमेह के रोगियों के लिए काफी लाभकारी होता है।तुलसीतुलसी में औषधीय गुणों का खजाना छिपा हुआ है। इसके अंदर विटामिन ए और विटामिन सी मौजूद होता है। यह इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ-साथ गले व सांस संबंधी इंफेक्शन से लड़ने में मदद कर सकती है।शहदशहद के अंदर काफी मात्रा में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-माइक्रोबियल और एंटीऑक्सीडेंट्स गुण होते हैं। जो किसी भी संक्रमण की वजह से होने वाली खांसी, गले की खराश में राहत प्रदान कर सकते हैं।
- करी पत्ता पेड़ से प्राप्त होता है और इसके पेड़ का नाम मुराया कोएनिजी (Murraya Koenigii) है, जो कि रुतासी फैमिली (Rutaceae) से संबंध रखता है। करी पत्ते में औषधीय गुण पाए जाते हैं, जिस कारण आयुर्वेद में भी इसे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है। इसमें सिट्रस के साथ सुगंधित गुण और एक अलग फ्लेवर होता है। करी पत्ते का पेड़ मूल रूप से भारत से संबंध रखता है और भारतीय पकवानों में फ्लेवर और स्वाद को बढ़ाने के लिए काफी इस्तेमाल किया जाता रहा है। आइए इसके 5 दमदार फायदे जानते हैं।स्वस्थ दिलरिसर्च में साबित हुआ है कि करी पत्ता का सेवन करने से दिल को कई मायनों में फायदे प्राप्त होते हैं। रिसर्च के मुताबिक, इन पत्तों में मौजूद mahanimbine नामक एल्कलॉइड की भारी मात्रा शरीर में कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करने में मदद कर सकती है।ब्लड शुगर का नियंत्रणजानवरों पर किए गए शोध में सामने आया है कि करी पत्ते के एक्सट्रैक्ट की मदद से हाई ब्लड शुगर लेवल को कम करके डायबिटीज, नसों में दर्द और किडनी डैमेज से सुरक्षा प्रदान की जा सकती है।सूजन को कम करने मेंकरी पत्ता में एंटी-इंफ्लमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर में सूजन को कम करने में मदद करते हैं। यह गुण प्रोटीन या जीन से संबंधित सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं।वजन घटानाआपको जानकर आश्चर्य होगा कि करी पत्ता चबाकर खाने से आपके वेट लॉस प्रोग्राम में मदद हो सकती है। जी हां, करी पत्ते में फाइबर की मात्रा मौजूद होती है, जो शरीर में अतिरिक्त फैट व विषाक्त पदार्थ को बाहर निकालने में मदद कर सकता है। इसके साथ ही कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होने से आप स्वस्थ वजन हासिल कर सकते हैं।दस्त से राहतकरी पत्ते में मौजूद कार्बैजोल तत्व इसके एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लमेटरी गुण को बढ़ाता है। जो कि हमारे पेट के लिए काफी लाभदायक होता है। आयुर्वेद के मुताबिक करी पत्ता पित्त दोष को सही करके दस्त दूर करने में मदद कर सकता है।
- पपीता स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। पपीते में मौजूद विटामिन ए, विटामिन सी और विटामिन बी 9 व्यक्ति की इम्यूनिटी को मजबूत बनाने का काम करते हैं। पपीते में मौजूद फाइबर और फोलिक एसिड की अच्छी मात्रा व्यक्ति को दिल से जुड़ी बीमारियों से दूर रखने का काम करती है। इतना ही नहीं पपीते में मौजूद पपैन और चाइमोपपैन जैसे दो खास एंजाइम्स व्यक्ति की पाचन संबंधी दिक्कतों को दूर करने में मदद करते हैं। बावजूद इसके बहुत से लोगों को पपीते का स्वाद पसंद नहीं है तो आप इन फ्रूटस को डाइट में शामिल करके भी पपीते जैसे ही फायदे पा सकते हैं।खरबूजा-पपीते की ही तरह खरबूजे में भी विटामिन सी, फाइबर और विटामिन ए की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जो आंखों की रोशनी बढ़ाने, इम्यूनिटी बूस्ट करने के साथ त्वचा को भी स्वस्थ बनाए रखने में मदद करती है।अनानास-पपीते में पाए जाने वाले विटामिन सी, ए, ई के साथ फोलिक एसिड भी अनानास में मौजूद होता है। जो व्यक्ति की इम्यूनिटी बूस्ट करके उसकी त्वचा की सेहत को भी बनाए रखता है। इतना ही नहीं अनानास का सेवन करने से व्यक्ति के शरीर की सूजन अर्थात इन्फ्लमेशन कम होती है और उसका पाचन को दुरुस्त होता है।आम-फलों का राजा आम भी अपने गुणों में किसी दूसरे फल से कम नहीं है। इसमें भी पपीते वाले कई गुण मौजूद होते हैं। आम और पपीते में 8 फीसद डायटरी फाइबर होता है। इन दोनों फलों में विटामिन सी बराबर मात्रा में होता है। आम का सेवन पाचन, आंखों की सेहत के साथ दिल की सेहत के लिए भी अच्छा होता है।पका हुआ कद्दू-पका हुआ कद्दू भी पपीते की ही तरह विटामिन सी, ए और ई से भरपूर होता है। पके हुए कद्दू और पपीते में 9 ग्राम फाइबर होता है जो पाचन के लिए बहुत अच्छा है।आड़ू-आड़ू भले ही अपने रंग और साइज में पपीते से थोड़ा अलग नजर आता हो, लेकिन इस फल में भी पपीता जैसे ही गुण पाए जाते हैं। आड़ू में मौजूद एंटी-इंफ्लामेटरी गुण कैंसर, हार्ट अटैक जैसे खतरों को दूर रखने के साथ आंखों की सेहत को बनाए रखने में भी मदद करते हैं। आड़ू और पपीते में बराबर मात्रा में विटामिन के (2.6 mcg ) होता है, जो प्लेटलेट काउंट बढ़ाने में मदद करता है।
- सदियों से हम नमक का इस्तेमाल करते आ रहे हैं। नमक से खाने का स्वाद बढ़ाने के अलावा और भी कई काम किए जा सकते हैं। जी हां, नमक के इस्तेमाल से आप रोजाना की कई समस्याएं सुलझा सकते हैं। आइए जानते हैं आखिर किन-किन कामों में नमक का इस्तेमाल किया जा सकता है।1. सिंक को चमकाएबर्तनों को धोते-धोते रसोई की सिंक में काफी दाग और निशान आ जाते हैं, जो जल्दी से जाते नहीं हंै। इससे छुटकारा पाने के लिए थोड़े से गर्म पानी में नमक मिलाएं और फिर इस पानी को सिंक में डालकर उसे धो लें। आपकी सिंक फिर से चमचमाने लगेगी।2. हाथों की गंध भगाएप्याज या लहसुन काटने के बाद भी हाथ से उसकी गंध नहीं जाती। इसे दूर करने के लिए थोड़े से नमक में सिरका मिलाएं और अपने हाथों के बीच रब करें, सारी दुर्गंध जाती रहेगी।3. चेहरा चमकाएनमक का इस्तेमाल करके त्वचा से मृत कोशिकाओं को हटाया जा सकता है। ऐसा करने से रोमछिद्र साफ हो जाते हैं। इसके लिए एक छोटे बर्तन में नमक, नींबू का रस और शहद मिलाएं। अब इस मिक्सचर को धीरे-धीरे चेहरे पर मलें। मसाज के बाद चेहरे को नॉर्मल पानी से धो लें। ऐसा करने से चेहरा चमक उठेगा।4. कपड़ों के दाग हटाएकपड़ों पर दाग लगना आम बात है। मगर यह दिक्कत बड़ी बन जाती है, जब आपकी फेवरेट ड्रेस पर कोई दाग लग जाए। इसके लिए आप नमक के पानी में एक घंटा कपड़े को भिगोकर रख दें और उसके बाद धो लें। सारे दाग साफ हो जाएंगे।5. त्वचा की रंगत सुधारेचेहरे की त्वचा की ठीक तरह से देखभाल नहीं करने से वह बेजान सी नजर आती है। वहीं यदि चेहरा काला पड़ गया है तो पुरानी रंगत पाने के लिए कच्चे दूध में थोड़ा सा नमक मिलाएं और उसे चेहरे में लगा लें और 10 मिनट बाद सादे पानी से धो लें। नियमित रूप से ऐसा करने से पुरानी रंगत वापस आ जाती है।
- योग से शारीरिक व मानसिक सेहत सुधरती है। लेकिन ये आलस है कि मानता नहीं। कुछ लोगों को तो सुबह-सुबह बेड छोड़ने में इतनी मुश्किल आती है, जैसे उनसे उनकी जिंदगी मांग ली हो। मगर हम उनकी इस मुश्किल का हल लेकर आए हैं। अब आपको योगासन करने के लिए बेड से उतरने की जरूरत नहीं है। बल्कि आप उसपर ही ये 5 योगासन कर सकते हैं और शारीरिक और मानसिक सेहत को सुधार सकते हैं। आइए इन योगासनों के बारे में जानते हैं।मार्जरीआसनमार्जरीआसन आपके शरीर का बैलेंस सुधारने के लिए काफी लाभदायक होता है। इसे कैट एंड काऊ पोज भी कहा जाता है। इस योगासन का अभ्यास करने से रीढ़ की हड्डी और गर्दन में लचीलापन आता है। इसे करने के लिए बेड पर ही दोनों हथेलियों को कंधों के ठीक नीचे रखें और घुटनों को कूल्हों की सीध में रखें। अबतक आप किसी डॉग की पोजीशन में आ चुके होंगे। अब अपने सिर को आसमान की तरफ ले जाने की कोशिश करते हुए, पेट को नीचे की तरफ झुकाएं। कुछ सेकेंड बाद सिर को छाती की तरफ लेकर आएं और कमर को ऊपर की तरफ ले जाएं। इसी तरह इस प्रक्रिया को दोहराएं।सुप्त मत्स्येंद्रासनयह योगासन आपकी पीठ और कूल्हों की मांसपेशियों के लिए काफी लाभदायक है। यह आसन इन मसल्स को लचीला बनाने के साथ-साथ मजबूत भी बनाता है। इस योगासन को करने के लिए सबसे पहले बेड पर सीधा लेट जाएं। अब दाएं घुटने को बायीं कमर की तरफ बेड पर टिकाने की कोशिश करें और सिर को उल्टी दिशा वाले कंधे की तरफ घुमाएं। अब बायीं हथेली को दायें घुटने पर रखें और शरीर में खिंचाव महसूस करें। इसी प्रक्रिया को दूसरे घुटने से भी दोहराएं।आनंद बालासनयह योगासन आपके कूल्हों और जांघों की मांसपेशियों को रिलैक्स करता है। इसका अभ्यास करने के लिए बेड पर कमर के बल लेट जाएं। अब दोनों घुटनों को छाती पर टिका लें और तलवों को घर की छत की तरफ रखें। अब दोनों हाथों से अपने दोनों तलवों को पकड़ें। इसके बाद शरीर के निचले हिस्से में खिंचाव महसूस करें और कुछ देर इसी अवस्था में रहें।बालासनबालासन आपके शरीर की थकान और तनाव को मिटाने के लिए काफी असरदार होता है। इससे कूल्हों, जांघों और टखनों को आराम मिलता है। इसे करने के लिए बेड पर घुटनों के बल बैठ जाएं और अपने कूल्हों को दोनों एड़ियों पर बराबर टिका लें। अब अपने सिर को आगे की तरफ बेड पर टच करने की कोशिश करें। इस दौरान अपने दोनों हाथों को आप कूल्हों के किनारे या फिर सिर के आगे की तरफ फैला सकते हैं। कुछ देर इसी पोजीशन में रहने की कोशिश करें।पश्चिमोत्तानासनयह योगासन आपकी रीढ़ की हड्डी, पेट, कूल्हों, घुटनों को मजबूत और तनाव मुक्त बनाने के लिए काफी लाभदायक है। इससे दिमागी शांति भी प्राप्त होती है। इसे करने के लिए बेड पर पैर फैलाकर बैठ जाएं। अब घुटनों को सीधा रखते हुए सिर को घुटनों से टच करने की कोशिश करें और हाथों से पैरों के तलवे पकड़ने की कोशिश करें। इसी अवस्था में रहने की कुछ देर कोशिश करें। शुरुआत में पश्चिमोत्तानासन मुश्किल हो सकता है। लेकिन धीरे-धीरे आप परफेक्ट हो जाएंगे।
- देशभर में ब्लैक फंगस का कहर लगातार बढ़ रहा है। इस बीच एक और खतरे ने भारत में दस्तक दे दी है। यह हमारे फेफड़ों के साथ-साथ दिमाग, अमाशय, स्किन, नाखून, मुंह का अंदरुनी हिस्सा, आंत, किडनी और गुप्तांग जैसे अंग पर बुरा असर डाल सकता है। अब सवाल यह है कि क्या वाकई में ब्लैक फंगस से खतरनाक होता है व्हाइट फंगस ? चलिए इस बारे में जानते हैं एक्सपर्ट की क्या है राय?व्हाइट फंगस पर क्या है डॉक्टर्स की राय?चर्म रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अभिनव सिंह के अनुसार व्हाइट फंगस को मेडिकल भाषा में Candidiasis कहते हैं। यह फंगस हम सभी के शरीर में सामान्यतौर पर रहता ही है। लेकिन जब बॉडी की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है, तो हमारे शरीर को प्रभावित करने लग जाता है। डॉक्टर अभिनव का कहना है कि यह ब्लैक फंगस से अधिक खतरनाक नहीं है। ब्लैक फंगस, व्हाइट फंगस की तुलना में हमारे शरीर में काफी तेजी से ग्रो करता है।मेदांता हॉस्पिटल के चेस्ट सर्जन डॉक्टर अरविंद कुमार का कहना है कि व्हाइट फंगस लंग्स पर भी इफेक्ट करता है। हर तरह का फंगस लंग्स पर इफेक्ट करता है। पहले भी करता था और आज के समय भी करता है। ब्लैक फंगस, व्हाइट फंगस की तुलना में अधिक खतरनाक होता है। क्योंकि ब्लैक फंगस तेजी से शरीर के अन्य अंगों को प्रभावित करता है। लेकिन व्हाइट फंगस इस तरह का प्रभाव नहीं करता। ऐसे में ब्लैक फंगस ही ज्यादा घातक है। क्योंकि ब्लैक फंगस ज्यादा अग्रेसिव किस्म का फंगस है और बहुत ही तेजी से लोगों को अपनी चपेट में लेता है और अधिकतर दवाइयां इसपर काम नहीं करती हैं। केवल एंफोटेरेसिन इसपर काम करती हैं। डॉक्टर अभिनव का कहना है कि स्किन की बात की जाए, तो मुंह के हिस्से पर इसका ज्यादा असर दिखता है। वहीं, शरीर के जिस हिस्से पर नमी रहती है वहां पर इसका ज्यादा असर दिखता है।व्हाइट फंगस लंग्स पर कैसे डालता है असर?डॉक्टर अरविंद कुमार का कहना है कि व्हाइट फंगस सांस के जरिए लंग्स में जाकर फेफड़ों को संक्रमित कर सकता है। इससे मरीज को निमोनिया हो सकता है। लंग्स में फंगल बॉल्ब बन सकते हैं। इस तरह से फेफड़ों को संक्रमित कर सकता है। डॉक्टर अभिनव का कहना है कि व्हाइट फंगस को लोग इसलिए ज्यादा खतरनाक बोल रहे हैं क्योंकि इससे डिटेक्ट करना थोड़ा मुश्किल होता है। अन्य फंगस इंफेक्शन होने पर तेजी से बुखार आने लगता है, जिसे इटेक्ट करना आसान है। लेकिन व्हाइट फंगस में इस तरह के लक्षण नहीं दिखते हैं। इसलिए इसका इलाज थोड़ा लेट शुरू हो पाता है। इसलिए इलाज में थोड़ी परेशानी आती है।व्हाइट फंगस के लक्षणडॉक्टर अरविंद कुमार का कहना है कि व्हाइट फंगस के लक्षण काफी देर से सामने आते हैं। जब इस फंगस से फेफड़े संक्रमित होते हैं, तो आपके शरीर में निम्न तरह के लक्षण दिख सकते हैं-मरीज को खांसी होना।हल्का बुखार होना।सांस फूलनानिमोनिया के सभी लक्षण मरीज में दिख सकते हैं।व्हाइट फंगस होने के कारणडॉक्टर अरविंद कुमार का कहना है कि सभी फंगस हवा में मौजूद होते हैं, ऐसे में जब हम सांस लेते हैं तो यह सभी फंगस हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं। लेकिन शरीर की इम्यूनिटी इन फंगस को पैर जमाने से रोकती है। इन दिनों लोगों को कई तरह की समस्याएं हो रही हैं, इसलिए यह फंगस लोगों के सामने उभरकर आ रहे हैं। इसके अलावा कुछ अन्य कारण निम्न हैं- शरीर पर नमी, इम्यूनिटी कमजोर होना, स्टेरॉयड का अधिक इस्तेमाल, डायटीबिटज होना, लंबे समय तक एंटीबायोटिक का इस्तेमाल करनाकितना है गंभीर व्हाइट फंगस?समय पर हैवी एंटीफंगल डोज नहीं दिया गया, तो यह घातक भी हो सकता है। शरीर में व्हाइट फंगस ज्यादा बढऩे से खाने की नली पर असर पड़ता है। डॉक्टर अभिनव सिंह बताते हैं कि जब यह हमारे ब्लड में इन्वॉल्व होता है, तो इसका असर दिमाग और किडनी पर भी दिखता है। इतना ही नहीं, इससे लंग्स भी संक्रमित हो सकते हैं। लेकिन ब्लैक फंगस की तरह जल्दी ग्रो नहीं करता है।डॉक्टर अरविंद कुमार का व्हाइट फंगस के बारे में कहना है कि ब्लैक फंगस का अगर सही समय पर इलाज नहीं किया गया, तो यह बहुत सारे मरीजों की जान ले सकता है। लेकिन व्हाइट फंगस अन्य फंगस के मुकाबले कम घातक है। किसी भी इंफेक्शन का अगर आप समय पर इलाज नहीं कराते हैं, तो यह आपके लिए घातक हो सकता है।
- अरबी को कई लोग अरवी , घुइया या कोचई भी कहते हैं। यह एक सब्जी है, जिसे आप सभी खाते होंगे। यह आसानी से बाजार में मिल जाती है। इसका स्वाद अन्य सब्जियों से थोड़ा अलग होता है। सामान्यत: अरबी से कई तरह से खाई जाती, सूखी सब्जी (भुजिया) और रसदार सब्जी या फिर दूध के साथ लप्सी के रूप में। कुछ लोग अरबी के पत्तों से भी कई तरह के व्यंजन बनाते हैं। छत्तीसगढ़ में इसके पत्तों को बेसन या फिर उड़द दाल के साथ मिलाकर कढ़ी बनाई जाती है, जिसे ईढर की कढ़ी कहते हैं। वहीं उत्तरप्रदेश में इसे अरकौच की कढ़ी कहा जाता है। आज हम जानेंगे अरबी यानी कोचई खाने के फायदे.....आयुर्वेद में अरबी को बहुत ही गुणकारी आहार बताया गया है। यह वातकारक होते हुए भी हृदय रोगों में फायदेमंद होता है। इसके सेवन से शरीर को पौष्टिक तत्व मिलता है। अरबी को तेल में पकाकर खाने से इसका स्वाद बहुत ही उत्तम हो जाता है।-बालों का झडऩा एक आम परेशानी है, जिससे कई लोग परेशान रहते हैं। महिला हो या पुरुष, सभी बालों को झडऩे से रोकने के लिए अलग-अलग तरह के उपाय करते हैं, लेकिन कई बार उपाय से पूरी तरह फायदा नहीं मिलता है। आयुर्वेद के अनुसार, अरबी के गुण से बालों का झडऩा रुक सकता है। अगर आपके बाल गिर रहे हों तो अरवी के कंद का रस निकालकर सिर पर मालिश करें। इससे बालों का गिरना बंद हो जाता है।-कई लोगों को अक्सर सिर दर्द की शिकायत रहती है। अरबी कन्द के रस में छाछ, या दही मिला लें। इसे पीने से सिर दर्द से आराम मिलता है।-कान बहने या कान के दर्द में भी अरवी का उपयोग कर सकते हैं। इन रोगों में अरबी के पत्ते के 1-2 बूंद रस को कान में डालें। इससे ना सिर्फ कान बहना रुक जाता है, बल्कि कान का दर्द भी ठीक हो जाता है।-आंखों के विभिन्न रोगों में अरबी का प्रयोग लाभ पहुंचाता है। आप अरबी के पत्तों और कन्द की सब्जी बनाकर सेवन करें। इससे आंखों के रोग में फायदा होता है।-अरबी के गुण से सूजन की समस्या ठीक की जा सकती है। अरबी के पत्ते और इसकी डंडियों का रस निकाल लें। इसमें नमक मिला लें। इसका लेप करने से गांठों, और मांसपेशियों की सूजन ठीक हो जाती है।-नींद न आने की परेशानी में अरबी के पत्तों, तथा कन्द का साग बनाकर सेवन करें। इससे अनिद्रा की परेशानी ठीक हो जाती है।-कब्ज एक ऐसी बीमारी है, जिससे कई लोग परेशान रहते हैं। पेट की इस बीमारी के कारण लोगों का खान-पान बहुत बदल जाता है। अरबी के गुण इस रोग में भी काम आते हैं। अरबी के कंद का काढ़ा बनाकर पिएं। इससे कब्ज की परेशानी ठीक होती है।-शारीरिक कमजोरी वाले लोग भी अरबी का सेवन कर सकते हैं। अरबी के छोटे कन्दों को भूनकर भर्ता बना लें। इसका सेवन करने से शरीर स्वस्थ होता है, तथा कमजोरी दूर होती है।-भूख कम लगती है, तो अरबी का प्रयोग कर फायदा ले सकते हैं। अरबी के पत्तों का जूस बना लें। इसमें दालचीनी, इलायची तथा अदरक डालकर पिएं। इससे भूख ना लगने की समस्या ठीक होती है।-हाई ब्लडप्रेशर के मरीज अरबी की सब्जी का सेवन करें। इससे उच्च रक्तचाप में लाभ होता है।(नोट- अरबी पचने में भारी होती है। इसलिए इसका अधिक इस्तेमाल नुकसानदायक होता है। ऊपर लिखे उपाय अपनाने से पहले एक बार किसी योग्य चिकित्सक से सलाह अवश्य ले लें।
- चिरौंजी को चारोली के नाम से भी जाना जाता है। चिरौंजी एक ड्राई फ्रूट है और इसका इस्तेमाल हम कई मीठे व्यंजनों में करते हैं। चिरौंजी के दाने छोटे-छोटे दाल की तरह होते हैं। चिरौंजी में कई ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं. जो स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद माने जाते हैं। चिरौंजी इम्यूनिटी बूस्ट करने के साथ-साथ कब्ज और दस्त से भी राहत दिलाती है.पाए जाते हैं बहुत से पोषक तत्वचिरौंजी को स्वाद ही नहीं सेहत के लिए बहुत गुणकारी माना जाता है। चिरौंजी के अंदर भी ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद मिल सकती है। चिरौंजी में प्रोटीन अच्छी मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा इसमें विटामिन सी और बी भी पर्याप्त मात्रा में होता है। वहीं इससे निर्मित तेल में अमीनो एसिड और स्टीएरिक एसिड भी पाया जाता है। बहुत कम लोगों को चिरौंजी के लाभ के बारे में पता होगा। इसकी तासीर ठंडी होती है और पेट को ठंडक पहुंचाती है, तो चलिए आज हम आपको चिरौंजी के फायदों के बारे में बताते हैं.सर्दी-जुकाम में फायदेमंदचिरौंजी को सर्दी-जुकाम में सेवन करना फायदेमंद माना जाता है। सर्दी-जुकाम की शिकायत होने पर चिरौंजी को दूध में पका कर सेवन करने से सर्दी की समस्या से राहत मिल सकती है ।साफ होती है पाचनतंत्र में जमा गंदगीचिरौंजी के सेवन से पाचनतंत्र में जमा गंदगी साफ होती है। चिरौंजी आंतों की आंतरिक परत को चिकनाहट देकर उसकी मरम्मत का काम करती है। इससे हमें कब्ज, मरोड़ की समस्या में आराम मिलता है और पेट सही से साफ होता है।कब्ज और दस्त की समस्या से मिलेगा छुटकारायदि कब्ज और दस्त की समस्या है तो इन परेशानियों को दूर करने के लिए चिरौंजी के तेल से बनी खिचड़ी, दलिया या ओट्स का सेवन करने से लाभ होता है। नियमित रूप से भी चिरौंजी का सेवन करें या फिर इसका पाउडर बनाकर दूध में मिलाकर पी जाएंं।अल्सर को रोकने में करती है मददचिरौंजी गैस्ट्रिक स्राव को कम करके गैस्ट्रिक अल्सर को रोकने में भी मदद कर सकती है, क्योंकि इसमें एंटी- इंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है।स्किन प्रॉब्लम्स को दूर करेगी चिरौंजीचिरौंजी स्किन के लिए भी फायदेमंद बताई जाती है। जब त्वचा गर्मी या सूरज के संपर्क में होती है, तो हाइपर पिगमेंटेशन की समस्या होने लगती है। हाइपर पिगमेंटेशन से छुटकारा पाने के लिए इस मिश्रण को दिन में एक या दो बार प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं। इसे जैतून या बादाम के तेल के साथ मिलाने से भी स्किन प्रॉब्लम्स को दूर किया जा सकता है। ये फेस की टैनिंग और पिगमेंटेशन को कम करने में मदद करता है, साथ ही ग्लोइंग स्किन भी देता है।दूर होती है शरीरिक कमजोरीचिरौंजी के लगातार सेवन करने से शारीरिक कमजोरी में कमी आती है। इसके लिए 10-12 ग्राम चिरौंजी को पीस लें और दूध में मिलाकर इसका सेवन करें।नोट- चिरौंजी का सेवन पूरी जानकारी होने के बाद ही करना चाहिए। शुगर के रोगियों को चिरौंजी का सेवन कम करना चाहिए। जिन लोगों का पाचनतंत्र कमजोर हो उन्हें चिरौंजी का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए।
- जानिए कुछ खास चटनियां और उनके फायदेआजकल एंटीऑक्सीडेंट कन्ज्यूम करने की सलाह हर कोई देता है, क्योंकि ये इम्युनिटी बढ़ाने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मगर हर चीज़ के लिए सप्लीमेंट लेना सही नहीं है! सबसे अच्छा तरीका है इन्हें आहार में शामिल करना। मगर इससे पहले यह समझते हैं कि आखिर एंटीऑक्सीटेंड क्या होते हैं?एंटीऑक्सीडेंट अणु होते हैं, जो आपके शरीर में मुक्त कणों से लड़ते हैं। मुक्त कण ऐसे यौगिक होते हैं, जो आपके शरीर में उनका स्तर बहुत अधिक हो जाने पर नुकसान पहुंचा सकते हैं। वे मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर सहित कई बीमारियों से जुड़े हुए हैं।एंटीऑक्सीडेंट भोजन में पाए जाते हैं, विशेष रूप से फलों, सब्जियों और अन्य पौधों पर आधारित, संपूर्ण खाद्य पदार्थों में। कई विटामिन, जैसे विटामिन E और C, एक प्रभावी एंटीऑक्सीडेंट हैं।खाने के साथ चटनी का सेवन करना भारतीय खानपान का एक हिस्सा रहा है। पोषक तत्वों को ग्रहण करने का सबसे स्वादिष्ट तरीका है चटनी। इसलिए, एंटीऑक्सीटेंड को कंन्ज्यूम करने का सबसे आसान और स्वादिष्ट तरीका है चटनियां!तो आइये जानते हैं ऐसी ही कुछ एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर चटनियों के बारे में-1. पके आम की चटनीआम फलों का राजा है और इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन A और C, प्रोटीन और फाइबर होते हैं, जो समग्र स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं। साथ ही एंटीऑक्सीडेंट का अच्छा स्रोत होने के नाते आम, इम्युनिटी बढ़ाने से लेकर पाचन तंत्र दुरस्त रखने और कोलेस्ट्रोल जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से लड़ने में सक्षम है। इसके अलावा गर्मियों में आम खाने से लू नहीं लगती है।चटनी बनाने के लिए :एक जार में एक आम के गूदे और चीनी को अच्छी तरह मिक्स कर लें। चीनी के घुल जाने के बाद इसे करीब 4 दिन के लिए धूप में रखकर छोड़ दें। मगर इसे दिन में 2-3 बार जरूर चलाएं। इसके बाद इसमें नमक, लाल मिर्च पाउडर, काली मिर्च पाउडर, गर्म मसाला मिलाएं और तब तक धूप में रखें जब तक चीनी पूरी तरह घुल न जाए। चीनी के घुल जाने के बाद इसे एयर टाइट डिब्बे में भरकर रख दें।2. इमली की चटनीइमली में एंटीऑक्सीडेंट तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं। साथ ही, इसमें टैरट्रिक एसिड होता है जो शरीर में कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकता है। यह मधुमेह रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद है और मोटापे से लड़ने में भी मदद करती है। यह ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने के साथ-साथ रेड ब्लड सेल्स को बनने में मदद करती है। इसके अलावा, इमली में विटामिन C और एंटी ऑक्सीडेंट्स होते हैं जो इम्युनिटी को बेहतर करते हैं।चटनी बनाने के लिए :एक इमली के पल्प में एक कप गुड़ और 1 कप पानी मिला लीजिए। फिर इसे गैस पर पकने रख दीजिए और इसमें काला नमक, लाल मिर्च और किशमिश डालकर उबाल आने दीजिए। चीनी के घुलने और घोल के गाढ़ा होने तक इसे पका लीजिए। आपकी इमली की स्वादिष्ट चटनी तैयार है!3. पुदीने की चटनीये एंटीऑक्सीडेंट का सबसे अच्छा स्रोत है और कई बीमारियों के उपचार में मदद करता है। पुदीने का सेवन करना पाचन तंत्र दुरुस्त रखने और मुंह की बदबू को दूर करने का सबसे अच्छा उपाय है। साथ ही, गर्मियों में यह आपको ठंडक प्रदान करेगा और पोषक तत्वों की कमी नहीं होने देगा।पुदीने की चटनी तैयार करने के लिए :एक कप पुदीने के पत्ते, एक इंच अदरक, 2 हरी मिर्च और स्वादानुसार नमक को मिक्सी में पीस लें। ज़रुरत पड़ने पर पानी भी डाल लें, अब पिसी हुई चटनी को कटोरे में निकालकर उसमें एक बड़ा चम्मच नींबू का रस भी मिला लें। चटनी बनकर तैयार है!4. करौंदे की चटनीविटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट का समृद्ध स्रोत होने की वजह से करौंदे इम्युनिटी बढाने में कारगर हैं। करोंदे का सेवन आपको ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित करने मन मदद करेगा। साथ ही, अगर आप अपने बढ़ते वजन से परेशान है तो करौंदे को अपने आहार में ज़रूर शामिल करें।करौंदे की चटनी तैयार करने के लिए:आप एक कटोरे करौंदे को अच्छे से धोकर, 2 से 3 हरी मिर्च, एक लहसुन की कली, और स्वादानुसार नमक के साथ मिक्सी में पीस सकती हैं। साथ ही ज़रुरत पड़ने पर इसमें थोड़ा पानी भी मिला सकती हैं और आपकी करोंदे की चटनी तैयार है!
- तेजपत्ता एक ऐसा मसाला है जो ज्यादातर घरों में इस्तेमाल होता है और इसका प्रयोग हर सब्जी में किया ही जाता है. खास बात ये है कि ये केवल अपने एक अलग स्वाद के लिए ही नहीं बल्कि अपने औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है.वैसे तो ज्यादातर लोग खाने में स्वाद बढ़ाने के लिए ही इसका इस्तेमाल करते हैं, लेकिन, आपको ये जानना चाहिए ये हमारी सेहत के लिए बहुत गुणकारी है. आप घर पर ही तेजपत्ते की मदद से कई सारी बीमारियों से छुटकारा पा सकती हैं. हम आपको बताएंगे की कैसे आप तेजपत्ते की मदद से उसका काढ़ा बनाकर अपने को हेल्दी रख सकते हैं. आइए जानते हैं इसके फायदे और ये कैसे बनाया जाता है.ये होते हैं पोषक तत्वतेजपत्ता में कॉपर, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सेलेनियम और आयरन से भरा होता है. इतना ही नहीं ये एंटीऑक्सीडेंट्स भी होता है जो कैंसर, ब्लड क्लॉटिंग और दिल से जुड़ी समस्याओं को भी दूर करता है. तेजपत्ते का काढ़ा कई अन्य बीमारियों में भी बेहद फायदेमंद होता है.ऐसे बनाएं तेजपत्ते का काढ़ाकाढ़ा बनाने के लिए आप 10 ग्राम तेजपत्ता, 10 ग्राम अजवायन और 5 ग्राम सौंफ को एक साथ पीसकर मिश्रण तैयार कर लें. अब इस पेस्ट को 1 लीटर पानी में डालकर अच्छी तरह से उबाल लें. जब पानी उबलने के बाद 100-150 मिलीलीटर बच जाए तो गैस बंद कर दें. कुछ देर बाद जब ये मिश्रण ठंडा जाएगा तो आपका काढ़ा पीने के लिए तैयार है.सिर दर्द होने पर पीएं काढ़ासिर दर्द होने पर आप तेजपत्ते का काढ़ा बनाकर पी लें. इसका काढ़ा बनाकर पीने से सिर की दर्द तुरंत ही सही हो जाती है और आपको दर्द से आराम मिल जाता है.चोट या मोच आने परचोट या मोच लगने पर आपको तेजपत्ते का काढ़ा पीना चाहिए और इसी के तेल को लगाना चाहिए. इससे मोच से आई सूजन और दर्द से राहत मिलेगी. आप तेज पत्ते को पीस कर मोच वाली जगह पर लगा सकते हैं आराम मिलेगा.अगर नसों में होता है खिचावकई बार अगर सोते वक्त नसों में खिंचाव हो जाता है या नसों में सूजन आ जाती है. तो ऐसे में तेजपत्तों के केकाढ़ा का सेवन करें, ये आपको आराम देगा.कमर दर्द में फायदेमंदअगर आपको कमर दर्द होती है तो ऐसे में आप तेजपत्ते का काढ़ा कम से कम दिन में 2 बार रोज पिया करें. साथ ही तेजपत्ते का तेल ले लाएं और इसकी मालिश कमर पर करें. इससे आपको काफी फायदा होगा. तेजपत्ते को सरसों के तेल में पका कर आप खुद भी तेल बना सकती हैं.
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बदलते मौसम में भी बुखार आ जाता है जो कि शरीर में मौजूद संक्रमण से लड़ने की यह प्राकृतिक प्रक्रिया है. पर ज्यादा समय तक बुखार रहना खतरे की निशानी हो सकता है. बुखार लगने पर शरीर में कमजोरी हो जाती है, इसके लिए बेहतर डाइट लेना जरूरी है. पौष्टिक और हल्का खाना बुखार में लेना अच्छा होता है. क्या आप जानते हैं कि बुखार में खुद को अच्छा फील करने के लिए और खुद को हेल्दी रखने के लिए अपनी डाइट में किन चीजों का सेवन करना चाहिए, अगर नहीं तो हम आपको बताते हैं कि कैसे, इन हेल्दी खाने से आप बुखार में भी आप अच्छा महसूस कर सकते हैं. तो आइए जानते हैं कि आपके कैसी डाइट लेनी चाहिए----
खिचड़ी का सेवन
खिचड़ी एक हल्का भोजन माना जाता है. बुखार में हमारा लीवर वीक हो जाता है जिसके कारण हम भोजन को पाचने में असमर्थ हो जाते हैं. ऐसे में खिचड़ी एक पौष्टिक भोजन होने के साथ जल्द ही पचने वाला भोजन है. खिचड़ी आसानी से पच जाती है. बुखार आने पर खिचड़ी खाएंगे तो आप फीवर में अच्छा महसूस करेंगे और जल्दी ठीक होंगे.
सूजी का उपमा
बुखार में कमजोरी हो जाती है और अक्सर मरीज को कब्ज की शिकायत रहती है. जिसके कारण मरीज को कैसा भी खाना अच्छा नहीं लगता है और कमजोरी महसूस होती है. ऐसी सिचुएशन होने पर आप डाइट में सूजी का उपमा ले सकते हैं, इससे आपकी कब्ज की परेशानी दूर हो जाएगी. आप खुद को अच्छा महसूस करने लगेंगे.
उबले हुए अंडे
अंडे में प्रोटीन की मात्रा बहुत होती है जो हमारी हेल्थ के लिए जरूरी है. अंडे हमारे शरीर को ऊर्जा देते हैं. अंडे में विटामिन बी 6 और बी12, जिंक और सेलेनियम मौजूद होते हैं, जो हमारे रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने में मदद करता है. यदि आप फीवर में अंडे का भरपूर सेवन करें, तो आप बुखार में खुद को अच्छा महसूस करा सकते है. इसके साथ ही आपकी कमजोरी भी दूर होगी.
ज्यादा सूप पिएं
फीवर में हल्का खाना चाहिए जो कि जल्दी से पच जाए. खिचड़ी के साथ सूप भी बुखार के लिए बेहतर खाना माना जाता है. इसमें मौजूद पोषक तत्व शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं. यदि आप बुखार में सूप को अपने डाइट चार्ट में शामिल कर ले, तो जल्द रिकवरी होगी और कमजोरी दूर हो जाएगी.
बेसन का शीरा
बेसन के शीरे का इस्तेमाल बुखार में बहुत पहले से किया जा रहा है.बेसन का शीरा सर्दी, खांसी जुकाम और फीवर के लिए काफी हेल्दी खाना माना जाता हैं. बुखार में इसका सेवन करने से गले की खराश और बंद नाक की समस्या आसानी से दूर हो सकती है और आप खुद को अच्छा महसूस करेंगे. - अखरोट ड्राई फ्रूट्स की श्रेणी में आता है. अपने गुणों की बदौलत इसे विटामिन्स का राजा कहा जाता है. फाइबर, हेल्दी फैट, विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर अखरोट यानी वॉलनट सिर्फ ब्रेन हेल्थ और मेमोरी के लिए ही फायदेमंद नहीं है बल्कि हमारी संपू्र्ण हेल्थ के लिए लाभकारी है. आप अगर अखरोट (Walnut) को भिगोकर खाते हैं तो इसके आश्चर्यजनक परिणाम सामने आते हैं. आज हम आपको अखरोट से होने वाले फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं.अखरोट आसानी से बाजार में मिल जाता है. इसके सेवन से कई प्रकार की बीमारियों से भी छुटकारा मिल जाता है. आप सिंपल इसको ऐसे ही न खाकर, भिगोकर खाएं. अखरोट का सेवन हार्ट के लिए अच्छा माना जाता है क्योंकि इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है. जो बेड कोलेस्ट्रॉल को कम करके अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है और आपके हार्ट को स्वस्थ रखता है.रोज भिगोकर खाएं दो अखरोटक्या आप ये जानते हैं कि रोजाना सिर्फ 2 भीगे अखरोट खाने से आपके शरीर को कई लाभ मिल सकते हैं. अखरोट को दिमाग के लिए काफी अच्छा माना जाता है. बादाम और अखरोट दो ऐसे ड्राई फ्रूट हैं जिनको सबसे ज्यादा खाया जाता है.पाए जाते हैं ये पोषक तत्वअखरोट में प्रोटीन, वसा, फाइबर और कार्बोहाइड्रेट अच्छी मात्रा में पाया जाता है. इतना ही नहीं इसमें कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन कॉपर, ओमेगा-3 फैटी एसिड, मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड, फॉस्फोरस, सेलेनियम, और जिंक भी पाया जाता है, जो शरीर को कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचाने में मदद कर सकते हैं.कैंसर के खतरे को कम करता है वॉलनटकई अध्ययन में यह बात सामने आ चुकी है कि अखरोट का सेवन करने से ब्रेस्ट कैंसर, प्रॉस्टेट कैंसर और कोलोरेक्टल कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता है. अखरोट में पॉलिफेनॉल इलागिटैनिन्स पाए जाते हैं जो कई तरह के कैंसर के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने में मदद करता है. अखरोट खाने से हॉर्मोन से जु़ड़े कैंसर का खतरा भी कम होता है.हड्डियों और दांतों को मिलेगी मजबूतीभीगे अखरोट में कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो आपकी हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाने में मदद कर सकते हैं. दरअसल अखरोट में अल्फा-लिनोलेनिक एसिड पाया जाता है जो हड्डियों को मजबूत करने में मदद कर सकता है.वजनअगर आपको वजन कम करना है तो आप अपनी डाइट में भीगे अखरोट को शामिल करना शुरू कर दें. भीगे अखरोट में भरपूभरपूर मात्रा में प्रोटीन व कैलोरी कम होती है, जो वजन को कंट्रोल रखने में मदद कर सकती हैं.हार्ट के लिए अच्छाअखरोट को दिल के लिए काफी अच्छा माना जाता है और जब आप इसे भीगो कर खाते हैं तो इसके फायदे और बढ़ जाते हैं. भीगे अखरोट में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है जो खराब कोलेस्ट्रॉल को कम कर अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने और दिल को स्वस्थ रखने क में मदद कर सकता है.डायबीटीज में फायदेमंदब्लड शुगर और डायबिटीज से बचना चाहते हैं तो भीगे हुए अखरोट का सेवन आपके लिए फायदेमंद हो सकता है. कई सर्वे में यह बात सामने आयी है कि जो लोग रोजाना 2 से 3 चम्मच अखरोट का सेवन करते हैं, उनमें टाइप-2 डायबीटीज होने का खतरा कम हो जाता है. अखरोट ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है जिससे डायबीटीज का खतरा कम हो जाता है.कब्ज की समस्या होगी दूरआपको बता दें कि अखरोट में फाइबर अच्छी मात्रा में पाया जाता है, जो आपकी पाचन प्रणाली को दुरुस्त रखने में मदद कर सकता है.वैसे तो अखरोट से किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता है लेकिन आपको किसी तरह की कोई एलर्जी है या कोई समस्या है तो इसका सेवन आप डॉक्टर की सलाह लेकर भी कर सकते हैं.
- शरीर के सभी अंगों को सुचारू रूप से काम करने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है। शरीर में ये ऑक्सीजन खून के जरिए से सभी अंगों तक पहुंचता हैै। इसलिए खून में अगर ऑक्सीजन की कमी होती है तो इससे शरीर के विभिन्न अंगों के विकास पर बुरा प्रभाव पड़ता हैै। इसके लिए जरूरी है कि हम अपनी डाइट में ऐसे फूड्स को शामिल करें जो खून में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाने का काम करता हैै।हालांकि इमरजेंसी में ऑक्सीजन सप्लीमेंट की जरूरत होती ही है, पर आप अपने ऑक्सीजन के स्तर को नेचुरली बनाए रखने के लिए कुछ खास उपाय अपना सकते हैं। आज हम आपको कुछ ऐसी ही फ्रूट्स के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका इस्तेमाल खून में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाकर शरीर को सेहतमंद रखने में मदद करता है।स्ट्रॉबेरी और ब्लूबेरी (नीलबदरी) खाएंनियमित रूप से स्ट्रॉबेरी और ब्लूबेरी (नीलबदरी) खाएं। ये फल कई गुणों से भरपूर होते हैं जो इस संकट के समय में हमें सुरक्षित रख सकते है।किवी का करें सेवनकिवी भी एक ऐसा फल है जो ऑक्सीजन को बढ़ाने में सहायक होता है। . ये विटामिन सी से भरपूर होता हैै। इसलिए पैनडेमिक के दौरान डॉक्टर लोगों को विटामिन सी भरपूर चीजों का सेवन ज्यादा करने की सलाह देते है।केला कर दें खाना शुरूकेला शरीर में ऑक्सीजन स्तर को बढ़ाने में इसलिए मददगार होता है क्योंकि इसमें अल्ककालाइन भरपूर मात्रा में होता हैै।शकरकंदस्वीट पोटैटो यानी शकरकंद, सिर्फ पोटोशियम, मिनरल्स और मैग्नीशियम की ही स्त्रोत नहीं है, ऑक्सीजन का भी हैै। इसे अपनी डाइट में शामिल जरूर करें।पौष्टिक आहार लेंएंटीऑक्सीडेंट शरीर को पाचन में ऑक्सीजन का सेवन बढ़ाने में मदद करते हैंै। एंटीऑक्सीडेंट का सेवन करने के लिए ब्लूबेरी, क्रैनबेरी, रेड किडनी बीन्स, आटिचोक, स्ट्रॉबेरी, प्लम और ब्लैकबेरी जैसे खाद्य पदार्थों को आहार में शामिल करना चाहिएै।ऑक्सीजन लेवल को संतुलित रखने के लिए कैसा हो आहार?शरीर में ऑक्सीजन लेवल बनाए रखने के लिए आयरन, कॉपर, विटामिन ए, विटामिन बी2, विटामिन बी3, विटामिन बी5, विटामिन बी6, विटामिन बी9 और विटामिन 12 की जरूरत होती हैै।इनके अलावा शरीर के लिए जरूरी प्रोटीन विटामिन एफ की मात्रा बढ़ाने के लिए हमें एसिड सोयाबीन, अखरोट और फ्लैक्ससीड्स का सेवन करना जरूरी है जो रक्तप्रवाह में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ाने के लिए काम करते हैं। कोविड पैनडेमिक के दौरान अपनी सेहत का खास ख्याल रखने की जरूरत है। स्वस्थ शरीर और बेहत इम्यूनिटी के साथ ही हमारा शरीर इस वायरस का मुकाबला करने में सक्षम होगा। इम्यूनिटी के साथ ये भी जरूरी है कि शरीर में ऑक्सीजन का लेवल बना रहे।
- गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है, गर्मी का मौसम अपने साथ कई बीमारियां भी लेकर आता है. ये मौसम हमारे इम्यून सिस्टम को भी प्रभावित करता है जिससे पाचन और त्वचा संबंधी परेशानियां होने लगती हैं. ऐसे में अपने शरीर को हाइड्रेट रखना बहुत जरूरी होता है. गर्मी के मौसम में शरीर में पानी की कमी न हो, इसके लिए आपको रोजाना ककड़ी का सेवन करना चाहिए. गर्मी के मौसम में ककड़ी काफी मात्रा में बाजार में मिलती है. ये गर्मियों का फल है. ये खाने में अच्छी लगती है और आपका पाचन तंत्र भी मजबूत करती है.ककड़ी में भरपूर मात्रा में पानी होता है और इसमें फाइबर भी काफी मात्रा में होता है. इसमें कैलोरीज नहीं रहती हैं इसलिए इस मौसम में आप ककड़ी का सेवन कर सकते हैं, इससे आपको भूख भी ज्यादा नहीं लगेगी और आपका वजन भी कंट्रोल में रहेगा.ये खीरा प्रजाति की ककड़ी अपने स्वाद और ठंडी तासीर के लिए जानी जाती है. ककड़ी में 90 प्रतिशत पानी पाया जाता है जो शरीर को डिहाइड्रेशन से बचाने में मदद कर सकती है. इसके अलावा इसमें फाइबर, विटामिन, कैल्शियम, आयोडीन, पोटैशियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम जैसे तत्व पाए जाते हैं जो शरीर को कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचाने में मदद कर सकते हैं.डायबिटीज कंट्रोल करने में सहायकककड़ी में मौजूद मिनरल्स शरीर में इंसुलिन के लेवल को कंट्रोल में रखने में मदद कर सकते हैं. ककड़ी के सेवन से डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल किया जा सकता है.उल्टी औैर दस्त में फायदेमंदगर्मी के मौसम में लोगों को उल्टी दस्त की समस्या हो जाती है. इस मौसम में तला भुना खाने से फूड प्वाइजनिंग भी हो जाती है. ऐसे में आप ककड़ी का सेवन कर सकते हैं जो आपके पाचन तंत्र को मजबूत करेगी.वजन कम करने में मिलती है मददअगर हम ककड़ी खाते हैं तो हमारा वजन बहुत तेजी से कम होता है. इसलिए क्योंकि ककड़ी में बहुत कम कैलोरी पाई जाती है और इसमें ऐसा कोई भी तत्व नहीं होता जिससे वजन बढ़ जाए. ककड़ी में बहुत से फाइबर पाए जाते हैं, जिसकी वजह से इसको खाने के बाद पेट भरा रहता है और भूख बहुत कम लगती है.ब्लड प्रेशर भी रहेगा कंट्रोल मेंककड़ी खाने से ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रहता है. इसमें काफी मात्रा में पोटेशियम पाया जाता है जो रक्तचाप को सामान्य रखने में मदद करता है. बीपी के मरीजों को भी इसका सेवन करना चाहिए.हड्डियां होंगी मजबूतअगर आप ककड़ी खाते हैं तो आप की हड्डियां मजबूत रहती हैं क्योंकि इसमें विटामिन के पाया जाता है. इससे बोन डेंसिटी भी बढ़ती और हड्डियां मजबूत होती जाती है.किडनी रहती है हेल्दीहम सब जानते हैं कि ककड़ी में पानी की मात्रा बहुत ज्यादा होती है. यह पोटेशियम के साथ मिलकर यूरिक एसिड और किडनी की अशुद्धियों को बॉडी से बाहर निकाल देता है.स्किन को बनाए सुंदरबालों और त्वचा संबंधी दिक्कतों को हल करने के करने लिए ककड़ी सबसे अच्छा ऑप्शन है. नियमित ककड़ी को खाने से बालों की ग्रोथ भी अच्छी होती है. ककड़ी खाने से आपकी त्वचा भी चमकदार होती है. अगर आप दिन में एक बार ककड़ी का जूस पीते हैं तो आप के दाग धब्बे गायब होने लगते हैं.गर्मी के मौसम में खान-पान में जरा सी लापरवाही और पानी की कमी सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है. इस मौसम में अगर शरीर में पानी की कमी होती है तो शरीर काफी कमजोर पड़ जाता है. इसलिए इस मौसम में खूब पानी पिएं और मौसमी फल खाएं,
- -गाइडलाइंस में कोरोना मरीज के उपचार में इस्तेमाल रेमडेसिविर को लेकर भी हिदायतकोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली प्लाज्मा थेरेपी को अब कोविड ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल से बाहर कर दिया गया है। को कोरोना के इलाज में ना इस्तेमाल न करने का ये फैसला सरकारी टॉस्कफोर्स की सिफारिश पर की गई है। दरअसल, ये टास्कफोर्स बहुत दिनों से कोरोना के इलाज में इस्तेमाल हो रहे प्लाज्मा थेरेपी पर गहन अध्ययन कर रही थी। पिछले दिनों कोविड पर बनी नेशनल टास्कफोर्स की मीटिंग में इस बात पर चर्चा भी हुई, जिसमें प्लाज्मा थेरेपी के प्रभाविकता पर बात की गई और कहा गया कि कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी से फायदा नहीं होता है। इसके बाद ही हेल्थ मिनिस्ट्री के संयुक्त निगरानी समूह ने कोविड 19 मरीजों के मैनेजमेंट के लिए रिवाइज्ड क्लीनिक गाइडलाइन जारी की है जिसमें कि प्लाज्मा थेरेपी नहीं है। जबकि पहले प्लाज्मा थेरेपी कोविड ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल में शामिल था और कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज में डॉक्टर प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल कर रहे थे।बता दें कि कोविड-19 के भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) भी इसी पक्ष में है कि कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी उतना प्रभावी नहीं है जितना कि माना जा रहा था। इसे लेकर आईसीएमआर ने नई गाइड लाइन भी जारी कर दी है। साथ ही पिछले दिनों ये भी खबर आ रही थी कि प्लाज्मा थेरेपी को प्रोटोकॉल से हटाने के पहले कुछ डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के. विजयराघवन को पत्र लिखा है और देश में कोविड ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल से प्लाज्मा थेरेपी को बाहर करने की बात कही। पत्र में बताया गया कि कैसे ये पद्धति अतार्किक और गैर-वैज्ञानिक है और इसलिए इसे कोरोना के इलाज में प्रभावी इलाज नहीं माना जा सकता।बीते वर्ष जब कोरोना महामारी की शुरुआत हुई थी तब से ही प्लाज्मा थेरेपी इसके इलाज में बेहद कारगर रूप से सामने आई थी। इसका उपयोग न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में डॉक्टरों ने मरीजों पर किया था। प्लाज्मा थेरेपी की बदौलत कई मरीज स्वस्थ्य भी हुए थे। लेकिन अब इसके अचानक इलाज से बाहर कर देने पर ये सवाल सभी के मन में उठ रहा है कि ऐसा फैसला क्यों किया गया।इस सवाल के जवाब में आईसीएमआर का कहना है कि भारत में आई कोरोना की दूसरी लहर में अब प्लाज्मा थेरेपी उतनी कारगर नहीं रह गई है जितनी पहले थी। इसका असर अब कब होता दिखाई दे रहा है। यही वजह है कि इसको कोविड-19 मरीज के इलाज के प्रोटोकोल से बाहर कर दिया गया है। यही वजह है कि आईसीएमआर और एम्स को मिलकर एक नई गाइडलाइन भी जारी करनी पड़ी है। आईसीएमआर की तरफ से कहा गया है कि नीदरलैंड और चीन में प्लाज्मा थेरेपी पर हुए शोध में यही बात सामने आई है कि ये तकनीक मरीजों को स्वस्थ्य करने में कारगर नहीं है।आईसीएमआर का कहना है कि अप्रैल में आई दूसरी लहर के बाद से प्लाज्मा थेरेपी की मांग काफी अधिक बढ़ गई थी। नई गाइडलाइंस के मुताबिक कोरोना मरीजों को तीन श्रेणी में बांटते हुए उनका इलाज किया जाएगा। इसमें हल्के लक्षण वाले मरीज, मध्यम लक्षण वाले मरीज और गंभीर मरीज शामिल हैं। हल्के लक्षण वाले मरीजों को नई गाइडलाइन में घर में ही आइसोलेशन में रहने की सलाह दी गई है। मध्?यम मरीज जिनका ऑक्सीजन लेवल 90-93 के बीच है उनको कोरोना वार्ड में और ऐसे गंभीर मरीजों को जिनका ऑक्सीजन लेवल 90 से नीचे है उन्हें आईसीयू में भर्ती करने का दिशा-निर्देश दिया गया है।प्लाज्मा थेरेपी को कोरोना मरीज के उपचार से हटाने की एक बड़ी वजह ये भी बनी है कि कुछ जगहों पर मरीज के शरीर में ऑक्सीजन का लेवल 90 होने के बाद उन्हें प्लाज्मा दिया जा रहा था, जबकि इस लेवल को ऑक्सीजन देकर ही ठीक किया जा सकता है। आईसीएमआर की नई गाइडलाइंस में कोरोना मरीज के उपचार में इस्तेमाल रेमडेसिविर को लेकर भी हिदायत दी गई है।
- अगर आपके घर में भी कोई शिशु है तो ये खबर आपके काम आ सकती है। इस खबर में हम आपके लिए कुछ ऐसे तेलों के बारे में बता रहे हैं, जिनके उपयोग से बच्चे के बाल घने और काले होने के साथ मजबूत बनते हैं। यदि कम उम्र से ही बच्चों के बालों की देखभाल की जाए और किसी अच्छे तेल से मालिश हो, तो बड़े होकर बच्चों के बाल घने, काले और मजबूत बनते हैं। बालों के लिए तेल मालिश बहुत अहम मानी जाती है, क्योंकि इससे बालों को जड़ों से लेकर सिरे तक पोषण मिलता है।1. नारियल का तेलजब भी बेबी केयर की बात होती है तो नारियल तेल का नाम जरूर आता है। बालों की देखभाल में सदियों से नारियल तेल का उपयोग किया जा रहा है और शिशु की सिर की मालिश के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। दरअसल, नारियल तेल में कोई केमिकल नहीं होता है और इसमें कार्बोहाइड्रेट, कई तरह के विटामिन और पोषक तत्व होते हैं। नारियल तेल में मौजूद तत्व बाल झडऩे और गंजेपन से भी बचाते हैं।2. अरंडी का तेलबच्चों के बालों की ग्रोथ के लिए अरंडी का तेल बेहतर होता है और यह स्कैल्प को इंफेक्शन से भी बचाता है। इसमें विटामिन ई, फैटी एसिड और ओमेगा-9 फैटी एसिड होता है। इससे न सिर्फ बालों की मालिश कर सकती हैं, बल्कि शिशु की बॉडी मसाज भी हो सकती है।3. सरसों का तेलशिशु के सिर और शरीर की मालिश के लिए सरसों के तेल का उपयोग किया जाता है। इससे बालों की ग्रोथ में मदद मिलती है। सरसों के तेल में ओलिएक और लिनोलिक एसिड होता है, जो स्कैल्प पर ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है।--
- करौंदा खाना सेहत के लिए काफी फायदेमंद है. यह एक खट्टा फल होता है जिसे अंग्रेजी में क्रेनबेरी कहते हैं. करौंदे को फल और सब्जी दोनों तरह से खाया जाता है. करौंदे के फलों का इस्तेमाल सब्जी और अचार के लिए किया जाता है. ये एक झाड़ी नुमा पौधा होता है. इसका वैज्ञानिक नाम कैरिसा कैरेंडस है.करौंदा कई गुणों से युक्त है, इसे एंटीबॉयटिक का अच्छा स्रोत मानते हैं, साथ ही इसमें आयोडीन की भरपूर मात्रा भी होती है. इसका जूस भी पीना फायदेमंद है. अगर जूस पीने में कड़वा लगे तो इसमें शुगर भी मिला सकते हैं. चटनी, अचार और मुरब्बे के रूप में प्रयोग होने वाला करौंदा स्वाद के साथ ही सेहत के लिए भी होता है अच्छा. विटामिन सी से भरपूर इस फल का सेवन कई रोगों से छुटकारा दिलाता है.पाए जाते हैं काफ़ी औषधीय गुणकरौंदा की हमेशा हरी-भरी रहने वाली झाड़ी होती है. करौंदे का कच्चा फल कड़वा, खट्टा और स्वादिष्ट होता है. यह एक छोटा-सा फल है, पर इसमें काफ़ी औषधीय गुण पाए जाते हैं. इसके फल, पत्तियों एवं जड़ की छाल औषधीय प्रयोग में लाई जाती है. करौदें के फल पकने के बाद काले पड़ जाते हैं. इस कारण इसको कृष्णपाक फल भी कहते हैं. उपचार के आधार से इसमें साइट्रिक एसिड और विटामिन सी समुचित मात्रा में पाया जाता है. इसमें कई सामान्य बीमारियों को नष्ट करने की अद्भुत क्षमता होती है. करौंदा, सफेद और हल्के लाल और गुलाबी रंग के होते हैं. ये स्वाद में खट्टा होता है. ये गर्मियों के मौसम में होता है. इसका इस्तेमाल चटनी, जैम और जूस के रूप में भी किया जाता है. आइए जानते हैं करौंदा हमारी हेल्थ के लिए कैसे फायदेमंद है.कैंसर को रोकने के लिएकरोंदा में प्रोंथोसाइनिडिन अधिक मात्रा में होता है. ये कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है. इसमें एंटी कैंसर गुण होते हैं. ये कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकते हैं.हड्डियों की मजबूती के लिएकरौंदा में कैल्शियम की मात्रा अधिक होता है. ये हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है.बाल बढ़ने के लिएकरौंदा में विटामिन सी और विटामिन ए होता है. ये बालों को बढ़ने में मदद करता है. इसके जूस का आप नियमित रूप से सेवन कर सकते हैं.आपके बालों को विटामिन मिलेगा और ये हेल्दी हो जाएंगे.वजन कम करने के लिएकरौंदा में फाइबर की मात्रा अधिक होती है. इसका सेवन करने से कई देर तक पेट भरा हुआ महसूस होता है. इसके जूस का आप नियमित रूप से सेवन कर सकते हैं. ये वजन कम करने में मदद कर सकता है.दिमाग होगा अच्छाये बढ़ती उम्र से संबंधित समस्याएं जैसे एकाग्रता की कमी होना आदि को दूर करने में मदद करता है. करौंदा में फाइटोन्यूट्रिएंट्स और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं.इससे याद्दाश्त अच्छी होती है. क्योंकि करौंदे के अंदर एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं यह न केवल मेमोरी को तेज करते हैं बल्कि समझ को बढ़ाते हैं.करौंदे का जूस मसूड़ों के लिए बहुत फायदेमंदकरौंदा मुंह के रोगों को दूर करने में मदद करता है. करौंदे का जूस मसूड़ों के लिए बहुत फायदेमंद है. इसके रस का सेवन करने से मसूड़ों की समस्याएं दूर होती हैं. जिन लोगों में सांस की दुर्गंध की समस्या होती है या पायरिया का संक्रमण होता है, उनके लिए इसका किसी भी रूप में नियमित प्रयोग बहुत फायदा देता है.दिल को रखे दुरुस्तकरौंदा का जूस दिल की बीमारियों में भी बहुत फायदा देता है. इसके नियमित सेवन से कोलेस्ट्रॉल का स्तर संतुलित रहता है और हार्ट अटैक की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है.शरीर की दुर्बलता करता है दूरकरौंदे के जड़ की छाल प्रकृति से कड़वी और गर्म होती है. यह कफ और वात को कम करने वाली, खांसी कम करने में सहायक, ज्यादा मूत्र होने की समस्या तथा सामान्य दूर्बलता को दूर करने में मदद करती है.पाए जाते ये हैं पोषक तत्वकरौंदा पोषक तत्वों से भरपूर होता है इसमें प्रोटीन 1.1 से 2.2, विटामिन सी 1. 6 से 17 .9 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम और खनिज विशेष रूप से लोहा तत्व 39.1 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम कैल्शियम 21 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम फास्फोरस 38 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम पाया जाता है.





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