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- ग्रह-नक्षत्रों के लिहाज से दिसंबर का महीना खास है। इस महीने कई ग्रह-नक्षत्र राशि परिवर्तन करेंगे। ग्रहों के राशि परिवर्तन का प्रभाव सभी 12 राशियों पर पड़ता है। 5 दिसंबर को मंगल वृश्चिक राशि में गोचर करेंगे। उसके बाद 8 दिसंबर को शनि की राशि मकर में शुक्र का प्रवेश होगा। फिर 10 दिसंबर को धनु राशि में बुध का गोचर होगा। इसके बाद 16 दिसंबर को सूर्य और बुध की युति से धनु राशि में बुधादित्य योग बनेगा। दिसंबर महीने में शुक्र उल्टी चाल चलना भी शुरू करेंगे। 19 दिसंबर को शुक्र मकर राशि में वक्री अवस्था में आ जाएंगे। फिर 29 दिसंबर को धनु राशि से निकलकर बुध मकर राशि में प्रवेश करेंगे। उसके बाद 30 दिसंबर को शुक्र वक्री गति में फिर से धनु राशि में गोचर कर जाएंगे। जानिए ग्रह-नक्षत्रों के परिवर्तन का किन राशियों को होगा लाभ-1. मेष- दिसंबर का महीना मेष राशि वालों के जीवन में कई बड़े बदलाव करेगा। इस दौरान गुरु आपके लाभ भाव में विराजमान रहेंगे। गुरु के प्रभाव से आपको नौकरीपेशा और कारोबार में तरक्की मिल सकती है। इस दौरान मानसिक तनाव कम होगा। कई मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। भाई-बहन का साथ मिलेगा।2. मिथुन- मिथुन राशि वालों के लिए दिसंबर का महीना अच्छा रहेगा। इस दौरान शिक्षा विभाग से जुड़े लोगों को तरक्की मिलने की संभावना है। माता-पिता के साथ संबंध में सुधार होगा। इस महीने भाग्य का साथ मिलेगा। रुका हुआ धन वापस मिलने के योग बनेंगे।3. सिंह- आपके वैवाहिक जीवन में सुखद बदलाव हो सकते हैं। साथी के साथ मनमुटाव दूर हो सकता है। पार्टनरशिप के कारोबार में लाभ हो सकता है। मान-सम्मान की प्राप्ति हो सकती है। जीवन को सुधारने के लिए प्लानिंग बना सकते हैं।4. धनु- झनु राशि वालों को इस महीने उनकी मेहनत का पूरा फल मिलेगा। इस दौरान आपके आत्मविश्वास व पराक्रम में वृद्धि होगी। धनु राशि वाले अपनी भावनाओं को जाहिर कर सकते हैं। पारिवारिक जीवन सुखद रहेगा। नया व्यापार शुरू करने की प्लानिंग कर रहे हैं तो यह माह उत्तम है।5. कुंभ- कुंभ राशि वालों को कार्यक्षेत्र में तरक्की मिलने का आसार रहेंगे। इस दौरान मेहनत का पूरा फल मिलेगा। पहले किए गए धन निवेश का लाभ मिल सकता है। घर के किसी सदस्य की तबीयत खराब है तो ठीक हो सकती है। इस राशि के जातकों को धन लाभ हो सकता है।
- हस्तरेखा शास्त्र (Palmistry) में केवल हाथ पर उकरी लकीरों के बारे में ही बात नहीं की जाती बल्कि इसके जरिए किसी भी इंसान का संपूर्ण व्यक्तित्व तक जांचा जा सकता है. माना जाता है कि जिन लोगों की उंगलियां खास शेप वाली हों, उनसे हमेशा बचकर रहना चाहिए. ऐसे लोग किसी को भी धोखा दे सकते हैं. आइए जानते हैं कि उंगलियों के वे विशेष आकार क्या हैं.जिनकी उंगलियां हों लंबीअगर किसी जातक की उंगलियां सामान्य से ज्यादा लंबी हों तो वे हर बात की जड़ कुरेदने वाले होते हैं. ऐसे लोग कोई भी बात सुनने पर उसकी गहराई तक जानने की कोशिश करते हैं. ऐसे लोगों से नॉर्मल बात तो की जा सकती है लेकिन निजी बातें कहने से बचना चाहिए.ऐसे लोगों पर यकीन करने से बचेंहस्तरेखा शास्त्र (Hastarekha Shastra) के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की उंगलियां ज्यादा चौड़ी हो तो उस पर आप आंख बंद करके यकीन करने से बचें. मान्यता है कि ऐसे लोग स्वच्छंद प्रकृति के होते हैं. वे केवल अपने फायदे के बारे में सोचते हैं और दूसरे की इच्छाओं पर कोई ध्यान नहीं देते. इसलिए ऐसे लोगों पर भरोसा करने से पहले एक बार उन्हें अच्छी तरह परख लें.इन लोगों से रहें सतर्कअगर किसी जातक की उंगली ज्यादा मुड़ी हुई हों तो आप उससे सतर्क हो जाइए. माना जाता है कि ऐसे लोग दिखावा करने वाले होते हैं और इनकी मीठी बातें केवल दिखावटी होती हैं. अपना काम निकालने के लिए ये किसी के साथ भी चीनी की तरह मीठे बन सकते हैं लेकिन काम निकलने के बाद उस आदमी से बात करना भी पसंद नहीं करते.इनसे दोस्ती करना फायदेमंदहस्तरेखा शास्त्र (Palmistry) के मुताबिक अगर किसी इंसान की उंगलियों के सिरे वर्गाकार हों तो उनसे दोस्ती करना फायदेमंद होता है. माना जाता है कि ऐसे लोग अपना हर रिश्ता बेहद ईमानदारी से निभाते हैं. कोई भी परेशानी आने पर वे किसी का साथ नहीं छोड़ते. ऐसे लोग दार्शनिक प्रवृति के माने जाते हैं.
- हिंदू धर्म में विवाह से पहले कुंडली मिलान किया जाता है। कुंडली मिलान में राशि का ध्यान भी किया जाता है। ज्योतिषशास्त्र में 12 राशियां होती हैं। इन राशियों के आधार पर व्यक्ति के भविष्य और स्वभाव के बारे में जानकारी प्राप्त हो जाती है। ज्योतिष के अनुसार कुछ राशि वाले परफेक्ट कपल बनते हैं। इन राशि वालों का वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। इन लोगों को वैवाहिक जीवन में समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है।मेष और कुंभ राशि----ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मेष और कुंभ राशि वाले परफेक्ट कपल बनते हैं।इन राशि वालों का वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है।ये राशि वाले आपस में प्रेम से रहते हैं।ये दोनों ही खुलकर जीवन जीना पसंद करते हैं।इन लोगों के बीच मनमुटाव नहीं होता है।मेष और कुंभ राशि वाले रिश्ते को निभाने में माहिर माने जाते हैं।सिंह और धनु राशि----ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सिंह और धनु राशि के जातक परफेक्ट कपल साबित होते हैं।सिंह और धनु राशि के जातकों का दांपत्य जीवन खुशियों से भरा रहता है।सिंह और धनु राशि वाले लोग जीवनसाथी की खुशी के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं।ये दोनों ही मेहनती और ईमानदार स्वभाव के होते हैं।सिंह और धनु राशि वाले जीवन को खुलकर जीना पसंद करते हैं।ये लोग रिश्ते के प्रति काफी ईमानदार होते हैं।वृष और कन्या राशि--ज्योतिषशास्त्र के अनुसार वृष और कन्या राशि वाले सबसे प्यारे कपल साबित होते हैं।वृष और कन्या राशि वाले प्रेम के मामले में लकी होते हैं।ये दोनों ही जीवनसाथी का पूरा ध्यान रखते हैं।वृष और कन्या राशि वाले कभी भी अपने जीवनसाथी का साथ नहीं छोड़ते हैं।ये दोनों ही काफी ईमानदार होते हैं।ये लोग भरोसेमंद होते हैं।
- देवगुरु बृहस्पति को ज्योतिष में विशेष स्थान प्राप्त है। देवगुरु बृहस्पति को ज्ञान, शिक्षक, संतान, बड़े भाई, शिक्षा, धार्मिक कार्य, पवित्र स्थल, धन, दान, पुण्य और वृद्धि आदि का कारक ग्रह कहा जाता है। बृहस्पति ग्रह 27 नक्षत्रों में पुनर्वसु, विशाखा, और पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र के स्वामी होते हैं। देवगुरु बृहस्पति ने 21 नवंबर को कुंभ राशि में प्रवेश कर लिया है। गुरु अप्रैल 2022 तक इसी राशि में विराजमान रहेंगे। देवगुरु बृहस्पति 13 अप्रैल, 2022 को कुंभ से मीन राशि में प्रवेश करेंगे। 13 अप्रैल 2022 तक का समय कुछ राशियों के लिए बेहद शुभ कहा जा सकता है। इन राशियों पर देवगुरु बृहस्पति की विशेष कृपा रहेगी।मेष राशिशुभ परिणाम मिलेंगे।धन- लाभ होगा।आध्यात्मिक और धार्मिक कार्यों में हिस्सा लेने का अवसर मिलेगा।नौकरी और व्यापार में तरक्की करेंगे।वैवाहिक जीवन सुखमय रहेगा।नया वाहन या मकान खरीदने के योग भी बन रहे हैं।कार्यों में सफलता प्राप्त करेंगे।मिथुन राशिधन- लाभ होगा, जिससे आर्थिक पक्ष मजबूत होगा।किस्मत का पूरा साथ मिलेगा।मिथुन राशि के जातकों के लिए ये समय वरदान के समान है।वैवाहिक जीवन सुखमय रहेगा।परिवार के सदस्यों का सहयोग मिलेगा।खूब मान- सम्मान मिलेगा।पद- प्रतिष्ठा में वृद्धि के योग बन रहे हैं।तुला राशितुला राशि के जातकों के लिए समय बेहद फलदायी रहने वाला है।नौकरी और व्यापार के लिए ये समय शुभ रहेगा।वैवाहिक जीवन में सुख का अनुभव करेंगे।धन- लाभ होगा।कार्यक्षेत्र में आपके द्वारा किए गए कार्यों की सराहना होगी।आपको नौकरी में नए अवसर प्राप्त होंगे।धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों में हिस्सा लेंगे।वृश्चिक राशिधन लाभ होगा जिससे आर्थिक पक्ष मजबूत होगा।मान- सम्मान और पद- प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।नौकरी और व्यापार में लाभ के योग बन रहे हैंशिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों को शुभ फल की प्राप्ति होगी।दांपत्य जीवन सुखमय रहेगा।कार्यक्षेत्र में सब आपके कार्य की तारीफ करेंगे।परिवार के सदस्यों का सहयोग प्राप्त होगा।सिंह राशिआर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलेगा।नया वाहन या मकान खरीदने के योग बन रहे हैं।कार्यों में सफलता प्राप्त करेंगे।दांपत्य जीवन सुखमय रहेगा।परिवार के सदस्यों और मित्रों का सहयोग मिलेगा।यह समय आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं रहने वाला है।
- लकी बैम्बू प्लांटएक अध्ययन के अनुसार जो छात्र अपने कमरे में लकी बैम्बू प्लांट रखते हैं, वे बेहतर तरीके से पढ़ाई में फोकस कर पाते हैं. लकी बैम्बू प्लांट के आसपास सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होगा. इस पौधे को कम रोशनी और नियमित रूप से पानी देने की जरूरत होती है. ये पौधा जीवन में कई सकारात्मक बदलाव लाएगा.चमेली का पौधाचमेली एक इनडोर और आउटडोर दोनों तरह का पौधा है. इस महक बहुत अच्छी होती है. ये मोहक सुगंध इंद्रियों को शांत करने और अच्छी नींद को बढ़ावा देने में मदद करती है. ऐसा माना जाता है कि चमेली के पौधे को स्टडी रूम में रखने से लोगों का तनाव और चिंता दूर हो जाती है. एक बार जब मन आराम महसूस करता है, तो ये बेहतर निर्णय लेने की प्रक्रिया में मदद करता है. बेहतर एकाग्रता और बेहतर निर्णय लेने की क्षमता के साथ, छात्र जीवन में अधिक आत्मविश्वास लाता है.ऑर्किड प्लांटइन पौधों के फूल देखने में काफी आकर्षक होते हैं और सबसे अच्छी बात ये है कि ये पूरे साल खिलते रहते हैं. ऑर्किड रंगीन और मनोरम होते हैं और ये सकारात्मक ऊर्जा भी फैलाते हैं. ये मूड को बेहतर करने में भी मदद करते हैं. एक बार जब मूड खुशनुमा हो जाता है, तो व्यक्ति बेहतर तरीके से सोच-विचार कर पाता है.पीस लिली प्लांटपीस लिली सबसे अच्छे इनडोर पौधों में से एक है. इसे न्यूनतम देखभाल की आवश्यकता होती है. सफेद फूलों वाले पौधे को स्टडी रूम में कहीं भी रखा जा सकता है. एक रिपोर्ट के अनुसार ये हवा की गुणवत्ता में सुधार करता है. ये वातावरण को साफ और मन को शांत करता है जिससे आप एकाग्रता से पढ़ाई कर पाते हैं.
- ज्योतिषशास्त्र के अनुसार हर साल मार्गशीर्ष माह और पौष माह के मध्य खरमास लगता है. इस दौरान सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं. इसके साथ ही खरमास की शुरुआत हो जाती है. एक माह तक धनु में रहकर जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब खरमास का समापन हो जाता है. खरमास के महीने को ज्योतिष में पूजा पाठ के लिए तो शुभ माना जाता है, लेकिन इसमें किसी भी तरह के मांगलिक कार्यों की मनाही होती है.इस बार खरमास का महीना 14 दिसंबर से शुरू हो रहा है और 14 जनवरी तक चलेगा. इसी के साथ शादी, सगाई, यज्ञोपवीत, गृह प्रवेश, मुंडन आदि तमाम शुभ कार्यों पर भी रोक लग जाएगी. इसके अलावा नया घर या नया वाहन खरीदने जैसे कार्य भी नहीं किए जाएंगे. यहां जानिए क्या होता है खरमास और इसमें मांगलिक कार्यों की क्यों है मनाही.इसलिए नहीं किए जाते हैं शुभ कार्यज्योतिष के मुताबिक सूर्य हर राशि में करीब एक माह तक रहते हैं और इसके बाद राशि बदल देते हैं. इसी क्रम में जब वे धनु राशि में प्रवेश करते हैं तो खरमास लग जाता है. धनु गुरु बृहस्पति की राशि है. मान्यता है कि सूर्यदेव जब भी देवगुरु बृहस्पति की राशि पर भ्रमण करते हैं तो उसे प्राणी मात्र के लिए अच्छा नहीं माना जाता. ऐसे में सूर्य कमजोर हो जाते हैं और उन्हें मलीन माना जाता है. सूर्य के मलीन होने के कारण इस माह को मलमास भी कहा जाता है. वहीं इस बीच गुरु के स्वभाव में उग्रता आ जाती है. चूंकि सनातन धर्म में सूर्य को महत्वपूर्ण कारक ग्रह माना जाता है, ऐसे में सूर्य की कमजोर स्थिति को अशुभ माना जाता है. इसके अलावा बृहस्पति को देवगुरु कहा जाता है और उनके स्वभाव में उग्रता शुभ नहीं होती. इस कारण खरमास में किसी भी तरह के मांगलिक कार्यों पर रोक लगा दी जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार ये महीना पौष का होता है, इसलिए इसे पौष मास के नाम से भी जाना जाता है.ये है पौराणिक कथाखरमास को लेकर प्रचलित कथा के अनुसार भगवान सूर्यदेव सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर लगातार ब्रह्मांड की परिक्रमा करते रहते हैं. उन्हें कहीं पर भी रुकने की इज़ाजत नहीं है. लेकिन जो घोड़े उनके रथ में जुड़े होते हैं, वे लगातार चलने व विश्राम न मिलने के कारण भूख-प्यास से बहुत थक जाते हैं. उनकी इस दयनीय दशा को देखकर एक बार सूर्यदेव का मन भी द्रवित हो गया. भगवान सूर्यदेव उन्हें एक तालाब के किनारे ले गए, लेकिन उन्हें तभी यह भी आभास हुआ कि अगर रथ रुका तो अनर्थ हो जाएगा.लेकिन जब सूर्य देव घोड़ों को लेकर तालाब के पास पहुंचे तो देखा कि वहां दो खर मौजूद हैं. भगवान सूर्यदेव ने घोड़ों को पानी पीने व विश्राम देने के लिए वहां पर छोड़ दिया और खर यानी गधों को अपने रथ में जोड़ लिया. घोड़े के मुकाबले गधों को रथ खींचने में काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है. इस दौरान रथ की गति धीमी हो जाती है. किसी तरह सूर्यदेव इस दौरान एक मास का चक्र पूरा करते हैं. इस बीच घोड़े भी विश्राम कर चुके होते हैं. इसके बाद सूर्य का रथ फिर से अपनी गति में लौट आता है. इस तरह हर साल ये क्रम चलता रहता है. इसीलिए हर साल खरमास लगता है.
- हिंदू धर्म में पंचांग के सभी 12 महीनों का अलग-अलग महत्व है. ये महीने अलग-अलग देवी-देवताओं को समर्पित हैं और उन महीनों में संबंधित भगवान की पूजा-आराधना करने से वे जल्दी प्रसन्न होते हैं. 20 नवंबर 2021 मार्गशीर्ष मास (Margshirsh Maas) शुरू हो चुका है. इसे अगहन का महीना भी कहते हैं. यह महीना भगवान कृष्ण का प्रिय महीना है और इसमें शंख की पूजा (Shankh Puja) करने का बहुत महत्व है.सामान्य शंख को मान लें पांचजन्य शंखइस महीने में सामान्य शंख को भी भगवान श्रीकृष्ण का पांचजन्य शंख मानकर पूजा करने से भगवान बहुत प्रसन्न होते हैं और अपने भक्त की इच्छा पूरी करते हैं. मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय शंख भी प्रकट हुआ था. पुराणों के मुताबिक मां लक्ष्मी (Maa Laxmi) समुद्र की पुत्री हैं और शंख को मां लक्ष्मी का भाई माना गया है. इसलिए शंख की पूजा करने से मां लक्ष्मी भी कृपा करती हैं. यही वजह है कि लक्ष्मी पूजा में शंख बजाना बहुत शुभ माना जाता है. साथ ही आरती के बाद भक्तों पर शंख से जल छिड़का जाता है.धन-प्राप्ति के लिए कर लें शंख के ये उपायअगहन महीना खत्म होने में अभी 25 दिन बाकी हैं. तब तक किसी भी दिन शंख के यह उपाय करने से जातक पर पैसा बरसने लगता है.- दक्षिणावर्ती शंख में दूध भरकर उससे भगवान विष्णु का अभिषेक करें. इससे नारायण की कृपा से खूब धन लाभ होगा.- अगहन मास में मोती शंख में साबूत चावल भरें और फिर इसकी पोटली बनाकर अपनी तिजोरी में रख लें. कुछ ही दिन में पैसा बरसने लगेगा.- विष्णु मंदिर में शंख का दान करना भी पैसों की सारी समस्याओं को दूर कर देता है.- मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए अगहन महीने में दक्षिणावर्ती शंख में गंगाजल और केसल मिलाकर उनका अभिषेक करें. मां लक्ष्मी की कृपा से धनवान हो जाएंगे.- शंख की विधि-विधान से स्थापना करने के लिए अगहन का महीना सबसे ज्यादा शुभ होता है. जिस घर में दक्षिणावर्ती शंख स्थापित होता है, वहां कभी सुख-समृद्धि कम नहीं होती.- यदि धनवान बनने में शुक्र दोष आड़ आ रहा है तो एक सफेद कपड़े में सफेद शंख, चावल और बताशे लपेटकर नदी में प्रवाहित कर दें. दिन बदलते देर नहीं लगेगी.
- प्रकृति के बिना जीवन संभव नही हमारे जीवन में पेड़ पौधों का काफी ज्यादा महत्व होता है। वास्तु शास्त्र के मुताबिक कई प्रकार के ऐसे पेड़ हैं जिन्हें घर में लगाने से सुख संपत्ति का आगमन होता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का बनी रहती है। लेकिन आज हम आप लोगों को ऐसे पौधों के बारे में बताने जा रहे हैं जो सूख जाता है या फिर मुरझा जाता है तो वह धन हानि का संकेत देता है।शमी का पौधाजैसा कि हम जानते है कि शमी का पेड़, शनिदेव को बेहद प्रिय माना जाता है और ऐसी मान्यता है कि शनि ग्रह से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए शमी का पौधा लगाना एक अच्छा उपाय है। साथ ही शमी का पेड़ शिवजी को भी प्रिय है। ऐसे में शमी के पेड़ का सूखना या मुरझाना शनि की खराब स्थिति या शिवजी के नाराज होने का संकेत देता है। ऐसा होने पर कार्यों में बाधा आ सकती है और कई तरह की समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है। अगर घर पर शमी का पौधा हो तो उसकी अच्छे से देखभाल करें।मनी प्लांटवास्तु शास्त्र की मानें तो मनी प्लांट को हमेशा दक्षिण-पूर्व दिशा में ही लगाना चाहिए क्योंकि इस दिशा के देवता गणेशजी हैं और इस दिशा में मनी प्लांट लगाने से घर में कभी धन की कमी नहीं होती और घर में सुख-शांति बनी रहती है। ऐसी मान्यता है कि जिस घर में मनी प्लांट खूब हरा-भरा रहता है उस घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। मनीप्लांट जब भी लगाएं ये ध्यान दे कि इसकी बेल ऊपर की तरफ हो। मनी प्लांट का मुरझाना या सूखना भी धन हानि का संकेत है।अशोक का पेड़वास्तु शास्त्र में अशोक के पेड़ को सकारात्मक ऊर्जा देने वाला पौधा माना गया है, इसलिए लोग घर के आंगन या मुख्य द्वार पर अशोक का पौधा लगाते हैं। ये बेहद शुभ होता है इस पेड़ का सूखना या मुरझाना घर की शांति भंग होने का संकेत देता है। ऐसे में रोजाना अशोक के पेड़ का ध्यान रखें और अगर किसी वजह से यह पौधा सूख जाए तो तुरंत इसे बदलकर दूसरा पौधा लगा दें।----
- धन वृद्धि के लिए कुछ लोग मनी प्लांट लगाते हैं, लेकिन इस बात की जानकारी बहुत कम लोगों को होगी कि क्रोसुला मनी प्लांट से भी ज्यादा फायदेमंद पौधा है। आइए जानते हैं इस पौधे के बारे में-क्रासुला को मनी ट्री भी कहा जाता है। फेंगशुई में इसका काफी महत्व है। कहते हैं यह पौधा चुंबक की तरह पैसों को अपनी ओर खींचता है। यह छोटा सा मखमली पौधा गहरे हरे रंग का होता है। इसकी पत्तियां चौड़ी होती हैं और यह फैलावदार होता है। इसे लगाने में ज्यादा मेहनत नहीं लगती। इसका पौधा खरीद के किसी गमले या जमीन में लगा दें, फिर यह अपने आप फैलता रहेगा। इसे धूप या छांव कहीं भी लगाया जा सकता है। इस पौधे के बारे में मान्यता है कि यह सकारात्मक ऊर्जा और धन को अपनी ओर खींचता है। इसे घर के मुख्य द्वार के दायीं तरफ लगाएं। फिर देखिए, कैसे आपके घर में धन की वर्षा होने लगेगी।क्रासुला प्लांट को हिंदी में पुलाव का पौधा कहा जाता है। क्रासुला एक बहुत ही मुलायम और फैलावदार पौधा है जिसकी पत्तियां चौड़ी होती है। इनकी पत्तियों का रंग हरा और पीला मिश्रित होता है।क्रासुला का पौधा दिखने में सुंदर और छूने में मुलायम होता है। सबसे ख़ास बात यह है की इस पौधे की पत्तियां मजबूत होती है, क्योंकि यह रबड़ जैसी होती है जिससे छुने से टूटने का डर नहीं रहता। फेंगसुई के अनुसार क्रासुला का पौधा घर के प्रवेश द्वार दाहिनी दिशा में रखना चाहिए, जहां से सूर्य की रौशनी इस पर पड़े। फेंगसुई में क्रासुला का पौधा सकारात्मक ऊर्जा को प्रवेश देता है। इस पौधे को घर में रखने से धन में वृद्धि होती है। पैसों के लिए क्रसुला का पौधा बहुत अच्छा माना गया है । यह पौधा धन को आपके घर की और खींचता है। अगर आपके घर में धन नहीं रहता और आते ही चला जाता है तो आप इस पौधे को घर में रखें, आपको बहुत फायदा मिलेगा। इससे घर में पॉजिटिव एनर्जी आएगी और बरकत बढ़ेगी।कहा जाता है की इस पौधे को लगाने के बाद आपको धन-प्राप्ति के नए-नए अवसर मिलेंगे और आपका मन भी खुश रहेगा। माना जाता है कि यह पैसे को चुम्बक की तरह आपके घर की और खींचता है।
- ऐसे लोग फेयरीटेल रोमांस में विश्वास करते हैं और सनकी लोगों को अपने पास नहीं आने देते. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, 3 ऐसी राशियों वाले लोग हैं जो सच्चे प्यार की शक्ति में विश्वास करते हैं.राशियां अपने व्यक्तित्व गुणों के कारण लोगों के बीच जानी जाती हैं और उसी कए अनुरूप वो जीवन में होने वाले सारे कार्यों का निष्पादन करती हैं. कुछ राशियां प्रेम का सही अर्थ समझ पाती हैं तो कुछ नहीं समझ पातीं. प्रेम सही अर्थों में किसी सीमा में बंधता नहीं है, वो स्वछंद होता है.कुछ राशियों वाले लोग बहुत अधिक रोमांटिक होते हैं और वो सच्चे प्रेम में विश्वास करते हैं. आज यहां हम आपको कुछ ऐसी ही राशियों के बारे में बताने जा रहे हैं जो बहुत अधिक रोमांटिक होते हैं. कुछ लोग ऐसे होते हैं जो इतने निंदक होते हैं कि सच्चे प्यार और रोमांस में विश्वास नहीं करते. उन्हें लगता है कि बिना शर्त प्यार जैसी कोई चीज नहीं होती है और ये व्यावहारिक और यथार्थवादी होने में मदद नहीं कर सकता. दूसरी ओर, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो कट्टर रोमांटिक और आशावादी होते हैं. उनका मानना है कि वहां कोई खास उनका इंतजार कर रहा है. ऐसे लोग फेयरीटेल रोमांस में विश्वास करते हैं और सनकी लोगों को अपने पास नहीं आने देते. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, 3 ऐसी राशियों वाले लोग हैं जो सच्चे प्यार की शक्ति में विश्वास करते हैं.इन राशियों पर एक नजर डालें.कर्क राशिकर्क राशि के लोग प्यार में विश्वास करने वाले होते हैं. वो अविश्वसनीय रूप से रोमांटिक होते हैं और अपनी इमोशंस और फीलिंग्स के आधार पर अधिकांश निर्णय लेने की प्रवृत्ति रखते हैं. वो दृढ़ता से मानते हैं कि वहां कोई है जो उनके साथ रहने के लिए है.तुला राशितुला राशि के लोग हर चीज के अच्छे पक्ष को देखते हैं. वो आशावादी होते हैं और प्यार और रोमांस में विश्वास करते हैं. उनके लिए कुछ भी संभव होता है.वो उस तरह के लोग हैं जो अपने प्रियजनों के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं और जिन्हें वो गहराई से और बेहद प्यार करते हैं और उन्हें प्राथमिकता देते हैं.मीन राशिमीन राशि के जातक सपनों और कल्पनाओं की अपनी ही दुनिया में जीते हैं. वो बेहद रोमांटिक हैं और बिना शर्त और अमर प्रेम की अवधारणा में विश्वास करते हैं.वो एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जो वास्तविकता से बहुत अलग है और इसमें कोई सनकीपन शामिल नहीं है.
- रुद्राक्ष शब्द हिंदू धर्म से संबंधित है. रुद्राक्ष वृक्ष और बीज दोनों ही रुद्राक्ष कहलाते हैं. संस्कृत में, रुद्राक्ष का अर्थ रुद्राक्ष फल के साथ-साथ रुद्राक्ष का पेड़ भी है. रुद्राक्ष का पेड़ नेपाल, इंडोनेशिया, जावा, सुमात्रा और बर्मा के पहाड़ों और पहाड़ी क्षेत्रों में उगता है. इसके पत्ते हरे रंग के और फल भूरे रंग के और स्वाद में खट्टे होते हैं. रुद्राक्ष के फल आध्यात्मिक मूल्यों के कारण मनुष्य को भी सुशोभित करते हैं. प्राचीन भारतीय शास्त्रों के अनुसार रुद्राक्ष भगवान शिव की आंखों से विकसित हुआ है, इसलिए इसे रुद्राक्ष कहा जाता है. रुद्र का अर्थ है शिव और अक्ष का अर्थ है आंखें शिव पुराण में रुद्राक्ष की उत्पत्ति को भगवान शिव के आंसू के रूप में वर्णित किया गया है. सभी प्राणियों के कल्याण के लिए कई वर्षों तक ध्यान करने के बाद जब भगवान शिव ने अपनी आंखें खोलीं, तो आंसुओं की बूंदें गिरी और धरती मां ने रुद्राक्ष के पेड़ों को जन्म दिया.शरीर और मन के लिए लाभदायकरुद्राक्ष शरीर में शक्ति उत्पन्न करता है, जो रोगों से लड़ता है जिससे स्वास्थ्य में सुधार होता है. आयुर्वेद के अनुसार रुद्राक्ष शरीर को मजबूत करता है. ये रक्त की अशुद्धियों को दूर करता है. ये मानव शरीर के अंदर के साथ-साथ बाहर के बैक्टीरिया को भी दूर करता है. रुद्राक्ष सिर दर्द , खांसी , लकवा, ब्लड प्रेशर और हृदय रोग से संबंधी समस्याओं को दूर करता है. रुद्राक्ष को धारण करने से चेहरे पर चमक आती है, जिससे व्यक्तित्व शांत और आकर्षक होता है. जप के लिए रुद्राक्ष की माला का इस्तेमाल किया जाता है. जप की प्रक्रिया जीवन में आगे बढ़ने के लिए आध्यात्मिक शक्ति और आत्मविश्वास को बढ़ाती है. इसलिए रुद्राक्ष के बीज स्वास्थ्य लाभ और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करने के लिए उपयोगी हैं. रुद्राक्ष को धारण करने से पूर्व जन्म के पापों का नाश होता है जो वर्तमान जीवन में कठिनाइयों का कारण बनता है. रुद्राक्ष धारण करने से भगवान रुद्र का रूप प्राप्त कर सकते हैं. ये सभी पापों से छुटकारा पाने में मदद करता है और अपने जीवन में सर्वोच्च लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करता है.रुद्राक्ष बुराई और नकारात्मक प्रभाव को दूर करता हैरुद्राक्ष को आध्यात्मिक मनका माना जाता है. प्राचीन काल से आध्यात्मिक शक्ति, आत्मविश्वास, साहस को बढ़ाने और सकारात्मक दृष्टिकोण के निर्माण के लिए उपयोग किया जाता है.
- हिंदू धर्म में पेड़ पौधों का विशेष महत्व होता है। एक तरफ जहां पेड़ पौधे से चारों तरफ का वातावरण साफ और सुंदर बनता है तो वहीं दूसरी तरफ यह व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और भाग्य में चमत्कारी परिवर्तन भी लाता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार घर पर पेड़ पौधे लगने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। पेड़ लगाने से कौन से शुभ फल की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि पेड़- पौधें में देवताओं का निवास स्थान होता है। वास्तु के अनुसार घर पर तुलसी का पौधा, केले का पौधा और शमी का पौधा लगाने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। वास्तुशास्त्र में जहां कुछ पौधों को लगाने से शुभ फल की प्राप्ति होती तो कुछ पेड़-पौधों को लगाना वर्जित माना गया है। ऐसा ही एक पौधा है पीपल।हिंदू धर्म में पीपल के पेड़ का विशेष महत्व होता है। पीपल के पेड़ में देवताओं और पितर देवों का वास माना जाता है। लेकिन वास्तु के अनुसार घर पर पीपल का पेड़ नहीं लगाना चाहिए। वास्तु के अनुसार घर पर पीपल के पेड लगाने या उगने से दुर्भाग्य पैदा होता है। हालांकि घर के बाहर या मंदिर के आसपास पीपल के पेड़ को बहुत ही शुभ माना गया है। पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाने और दीपक जलाने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है इसके अलावा शनि दोष से छुटकारा भी मिलता है। घर पर पीपल के पौधे का उगना शुभ नहीं माना जाता है। पीपल का पेड़ वैराग्य का प्रतीक होता है। ऐसे में वैवाहिक जीवन के लिए यह अच्छा नहीं माना जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में पीपल के पेड़ लगाने से वहां के बच्चे अक्सर बीमार रहते हैं।
- 20 नवंबर की रात को 11:15 बजे गुरु ग्रह कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे. गुरु 13 अप्रैल 2022 तक कुंभ राशि में रहेंगे. गुरु ग्रह को ज्योतिष में देवगुरु का दर्जा दिया गया है. गुरु का राशि परिवर्तन सभी राशियों के जातकों की जिंदगी में बड़ा बदलाव लाता है. इस बार का परिवर्तन 5 राशियों के लिए शुभ रहेगा.गुरु का राशि परिवर्तन मेष राशि के जातकों के लिए शुभ रहेगा. इस राशि के जातकों की आय बढ़ेगी. इससे आर्थिक स्थिति में मजबूती आएगी. रुके हुए काम अब बनने लगेंगे. घर में खुशियां आएंगी. कारोबारियों को भी लाभ होगा. अविवाहितों की शादी हो सकती है.वृषभ राशि के जातकों के गुरु का कुंभ में प्रवेश करियर में फायदा देगा. वर्कप्लेस पर स्थितियां अनुकूल रहेंगी. मेहनत का पूरा फल मिलेगा, बॉस तारीफ करेंगे. प्रमोशन भी हो सकता है. अप्रत्याशित पैसा मिलेगा.सिंह राशि के जातकों के लिए यह समय विशेष तौर पर फैमिली लाइफ के लिए बहुत अच्छा रहेगा. लाइफ पार्टनर से अच्छी निभेगी. आय बढ़ेगी. लेकिन निवेश करने से बचना इस समय ठीक रहेगा.धनु राशि के जातकों के लिए यह समय भाग्य बढ़ाने वाला साबित होगा. हर काम में सफलता मिलेगी. शादी हो सकती है. लाभदायक यात्रा के प्रबल योग हैं. बेरोजगार लोगों को पसंद की नौकरी मिल सकती है. कुल मिलाकर यह समय हर लिहाज से अनुकूल है.मकर राशि के जातकों को यह राशि परिवर्तन धन लाभ कराएगा. भौतिक सुख का आनंद लेंगे. करियर में बेहतरी आएगी. लेकिन इस दौरान जोखिम लेने से बचें.-
- देवों में प्रथम पूजनीय माने जाने वाले भगवान गणेश की पूजा सभी प्रकार से फलदायी है. गणपति की विधि-विधान से पूजा करने पर जीवन में किसी भी प्रकार की बाधा नहीं आती है और घर में सुख-समृद्धि यानी रिद्धि-सिद्धि का आगमन होता है. गणपति की कृपा से घर-परिवार में शुभ-लाभ बना रहता है. जिस तहर भगवान शिव की पूजा के लिए द्वादश ज्योतिर्लिंग और शक्ति की साधना के लिए 51 शक्तिपीठ हैं, उसी तरह गणपति के आठ पावन धाम हैं, जिसे अष्टविनायक कहा जाता है. गणपति के ये सभी आठों पावन धाम महाराष्ट में स्थित हैं. आइए आज बुधवार के दिन गणपति की कृपा दिलाने वाले इन आठ मंदिरों के बारे में जानते हैं.मयूरेश्वर मंदिर, पुणेगणपति का यह पावन धाम पुणे शहर से तकरीबन 75 किमी की दूरी पर स्थित है. मान्यता है कि भगवान गणेश ने इसी स्थान पर सिंधुरासुर नाम के राक्षस का वध मोर पर सवार होकर किया था, इसीलिए इस मंदिर को मयूरेश्वर कहते हैं. गणपति के इस सिद्ध मंदिर में दर्शन एवं पूजन का विशेष महत्व है.सिद्धिविनायक मंदिर, अहमदनगरगणपति का यह पावन धाम महाराष्ट्र के अहमदनगर में भीम नदी के किनारे स्थित है. पहाड़ की चोटी पर बने गणपति के इस सिद्ध मंदिर के बारे में मान्यता है कि कभी इसी पावन स्थल पर भगवान विष्णु ने सिद्धियां हासिल की थीं. गणपति के इस मंदिर की परिक्रमा करने के लिए पहाड़ की यात्रा करनी पड़ती है.बल्लालेश्वर मंदिर, पालीगणपति का यह सिद्ध मंदिर महाराष्ट्र के कुलाबा जिले के पाली नामक स्थान पर है. गणपति के इस मंदिर का नाम उनके अनन्य भक्त बल्लाल के नाम पर रखा गया है. बल्लालेश्वर गणपति मंदिर में प्रात:काल भगवान सूर्य की किरणें सीधे उनकी मूर्ति पर पड़ती है.वरदविनायक मंदिर, रायगढ़भगवान गणेश का वरदविनायक मंदिर रायगढ़ के कोल्हापुर नामक स्थान पर है. मान्यता है कि गणपति के इस मंदिर में दर्शन करने वाले हर व्यक्ति की मनोकामना पूरे होने का वरदान मिलता है.चिंतामणी मंदिर, पुणेअपने भक्तों की सभी चिंताओं को हरने वाले भगवान गणेश का यह मंदिर महाराष्ट्र के पुणे शहर से 25 किमी की दूरी पर थेऊर गांव में स्थित है. इस मंदिर की स्थापना उनके परम भक्त मोरया गोसावी ने की थी.गिरिजात्मज अष्टविनायक मंदिर, पुणेभगवान श्री गणेश का यह सिद्ध मंदिर पूना से तकरीबन 100 किमी की दूरी पर लेण्याद्रि गांव में स्थित है. गिरिजात्मज मंदिर को पर्वत की खुदाई करके बनाया गया है.विघ्नेश्वर अष्टविनायक मंदिर, ओझरभगवान विघ्नेश्वर का मंदिर पुणे से तकरीबन 85 किमी दूर ओझर जिले के जूनर क्षेत्र में स्थित है. मान्यता है कि गणपति ने विघनासुर नाम के राक्षस का वध करके इस क्षेत्र के लोगों को सुख-चैन से रहने का कभी आशीर्वाद दिया था. भगवान गणपति की इस मूर्ति के दर्शन से सभी बाधाएं दूर होती हैं.महागणपति मंदिर, राजणगांवमहागणपति मंदिर पुणे से 55 किमी की दूरी पर राजणगांव में स्थित है. गणपति का यह मंदिर काफी प्राचीन है, जिसे नौवीं से दसवीं सदी के बीच माना जाता है. यहां गणपति को महोत्कट के नाम से भी जाना जाता है.
- वास्तुशास्त्र में घर को लेकर कई खास चीजों का उल्लेख किया गया था. वास्तु टिप्स में जहां घर के दिशा, से लेकर कहां पर कौन सी चीज रखी जानी चाहिए हर एक के बारे में बताया गया है. वास्तु में साफ किया गया है कि हर एक घर की बनावट से सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह की ऊर्जाएं प्राप्त होती हैं. जहां सकारात्मक ऊर्जा से जीवन में प्रसन्न आती है और वहीं नकारात्मक ऊर्जा से आर्थिक परेशानियां और बीमारियां आती हैं. घर में वास्तुदोष होने से जीवन में बस परेशानियां ही आती हैं, जीवन में भी केवल असफलता प्राप्त होती है और मानसिक पीड़ा भी जीवन में आ जाती है. ऐसे में वास्तुशास्त्र में कुछ उपाय बताए गए हैं जिनको अपनाकर हम घर के वास्तुदोष को दूर कर सकते हैं और घर पर समृद्धि ला सकते हैं. वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि घर में हम किन चीजों की तस्वीर लगाकार सुख समृद्धि आदि को बढ़ा सकते हैं.धन लाभ के लिएअगर आपके जीवन में तमाम प्रयासों के बाद भी आर्थिक तंगी बनी रहती है तो अपने घर में मां लक्ष्मी और कुबेर की प्रतिमा वाली फोटो जरूर रखें. लेकिन इसको रखते हुए ध्यान रखें आप इन तस्वीरों को घर के उत्तर दिशा में लगा रहे हैं. कहते हैं कि धन प्राप्ति के लिए उत्तर दिशा वास्तु शास्त्र में अच्छी मानी गई है. अगर आप इन तस्वीरों को लगाते हैं तो धन की प्रात्ति होगी.सुंदर तस्वीरेंघर की दीवारों पर सुंदर तस्वीरें लगानी चाहिए. अगर आप ऐसा करते हैं तो जहां घर की खूबसूरती बढ़ जाती है वहीं यह धन दौलत में वृद्धि होती है. आपको बता दें कि वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के दक्षिण और पूर्व दिशा की दीवारों में प्रकृति से जुड़ी हुई चीजों की तस्वीर ही लगानी चाहिए.हंसते हुए बच्चे की तस्वीरवास्तु शास्त्र के अनुसार घर पर हंसते हुए छोटे बच्चों की तस्वीर लगाना बहुत अच्छा होता है. घर में हंसते हुए बच्चे की तस्वीर लगाने से घर पर हमेशा सकारात्मक ऊर्जा पैदा होती रहती है. इतना ही नहीं पूर्व और उत्तर की दिशा में बच्चे की तस्वीर लगाना शुभ रहता है.नदी और झरने की तस्वीरघर के उत्तर-पूर्वी दिशा में नदियों और झरनों की तस्वीर लगाने से भी सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है. यदि आपने घर में पूजा घर बना रखा है याद रखें कि दक्षिण-पश्चिम की दिशा में निर्मित कमरे का प्रयोगपूजा-अर्चना के लिए नहीं किया जाना चाहिए.
- हिन्दू धर्म में तुलसी के पौधे को काफी शुभ माना जाता है, यहां तक कि कई घरों में इसकी पूजा तक की जाती है. लेकिन तुलसी के अलावा एक और पौधा है जिसे घर में लगाना काफी लाभकारी होता है, यह है शमी का पौधा. इस पौधे को घर में लगाने से न सिर्फ सुख-समृद्धि आती है बल्कि पैसे की तंगी भी दूर हो जाती है. साथ ही शमी का पौधा लगाने से शनि के प्रकोप से भी बचा जा सकता है.पैसों की तंगी होगी दूरशमी के पौधे को भगवान शिव का सबसे प्रिय माना जाता है और वास्तु के अनुसार इसे घर में लगाने से सुख-समृद्धि (Wealth) आती है साथ ही पैसे की तंगी दूर होती है. यह पौधा आपके घर की कलह को भी खत्म कर सकता है और मान्यता है कि इस पौधे को लगाने से शनि साढ़े साती (Sade Sati) और ढैय्या के बुरे असर से बचा जा सकता है. इसके अलावा विवाह संबंधी दिक्कते दूर करने में भी यह पौधा कारगर माना जाता है.इस पौधे को लगाने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. सबसे पहले इस पौधे को शनिवार के दिन लगाना लाभकारी माना जाता है और खासतौर पर दशहरे के दिन इसे लगाना ज्यादा शुभ माना जाता है. पूजा योग्य इस पौधे को लगाने के लिए साफ मिट्टी का इस्तेमाल करना चाहिए.ऐसे करें पौधे की पूजाशमी का पौधा कभी भी घर के भीतर नहीं लगाना चाहिए. इसे हमेशा घर के मुख्य दरवाजे पर लगाएं और ऐसी दिशा में हो जो घर से निकलते हुए आपके दाएं तरफ पड़े. मतलब पौधे को मेन गेट के बाएं ओर लगाना शुभ होता है. अगर आप इस पौधे को मेन गेट पर नहीं लगाना चाहते या ऊपरी फ्लोर पर रहते हैं तो इसे छत पर दक्षिण दिशा में लगा सकते हैं. साथ ही धूप के लिए इसे छत की पूर्व दिशा में भी लगाया जा सकता है.पौधे की कृपा पाने के लिए शाम के वक्त घर के मंदिर में दीपक जलाने के बाद शमी के पौधे की भी पूजा करें. साथ ही एक दीया पौधे के सामने भी जरूर जलाएं. ऐसा माना जाता है कि इससे आर्थिक स्थिति में मजबूती आती है और फिजूलखर्च भी कम होता है.
- जीवन में हर कोई चाहता है कि उसे सुख समृद्धि और तरक्की मिले. इस चाहत को पूरा करने के लिए लोग भरपूर मेहनत भी करते हैं. इसके बावजूद हर किसी की यह ख्वाहिश पूरी नहीं हो पाती.इसकी वजह प्लानिंग में कमी के साथ ही भाग्य और ग्रहों का साथ न मिलना भी होता है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक प्रत्येक राशि का कोई न कोई स्वामी ग्रह होता है. अगर वह ग्रह आप पर प्रसन्न हो जाए तो आपकी जिंदगी के वारे-न्यारे हो सकते हैं. वहीं उसके अप्रसन्न रहने पर उल्टा भी हो सकता है. ऐसे में ग्रहों को प्रसन्न करने के लिए विशेष उपाय करने पड़ते हैं. आइए जानते हैं कि वे कौन से उपाय हैं, जिन्हें अपनाकर आप अपनी किस्मत चमका सकते हैं.भगवान विष्णु की करें नियमित पूजा- अगर आपकी कुंडली में देवगुरु बृहस्पति शुभ फल न दे रहे हों तो उन्हें प्रसन्न करने के लिए आप भगवान विष्णु की पूजा करें. इसके साथ ही प्रत्येक गुरुवार को पीली वस्तुओं का दान करना शुरू करें.- यदि आपको मंगल ग्रह का आशीर्वाद नहीं मिल रहा है तो तो प्रत्येक मंगलवार को सुंदरकांड का पाठ करें. साथ ही लाल मसूर का दान करें और जरूरतमंद तबकों के बच्चों को मिष्ठान्न बांटें.प्रतिदिन हनुमान चालीसा का करें पाठ- अगर शनि देव आपसे रुष्ट बने हुए हैं तो उन्हें प्रसन्न करने के लिए प्रतिदिन हनुमान चालीसा और शनि चालीसा का पाठ करें. प्रत्येक शनिवार को नीले और काले रंग के वस्त्र धारण करने से बचें.- सूर्य देव को ग्रहों का राजा माना जाता है. यदि आपने सूर्य देव को प्रसन्न कर लिया तो आपका भाग्य अपने आप चमक जाएगा. सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए आप प्रतिदिन उगते हुए सूर्य को जल दें और गायत्री मंत्र का जाप करें.शुक्र देव को प्रसन्न करना है जरूरी- अगर आपसे शुक्र देव रुठे हुए हैं तो आप हमेशा कष्ट में रहेंगे. इसलिए उन्हें प्रसन्न करना अति आवश्यक होता है. इसके लिए आपको रोजाना स्फटिक की माला से ऊं शुं शुक्राय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए. ऐसा करने से शुक्र देव प्रसन्न होकर जातक को आशीर्वाद देते हैं.- यदि आपको बुध ग्रह शुभ फल नहीं दे रहे हैं तो आप कुछ खास उपाय करके उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं. इसके लिए लड़कियों को बायें हाथ और लड़कों को दाहिने हाथ में तांबे का कड़ा धारण करना चाहिए.
- ये तो हम सभी जानते हैं कि परमपिता ब्रह्मा से ही इस सारी सृष्टि का आरम्भ हुआ। सर्वप्रथम ब्रह्मा ने पृथ्वी सहित सारी सृष्टि की रचना की। तत्पश्चात उन्होंने जीव रचना के विषय में सोचा और तब उन्होंने अपने शरीर से कुल 59 पुत्र उत्पन्न किये। इन 59 पुत्रों में उन्होंने सर्वप्रथम जो 16 पुत्र अपनी इच्छा से उत्पन्न किये वे सभी "मानस पुत्र" कहलाये। इन 16 मानस पुत्रों में 10 "प्रजापति" एवं उनमें से 7 "सप्तर्षि" के पद पर आसीन हुए। आइये इनके विषय में संक्षेप में जानते हैं:-मन से मरीचि - (सप्तर्षि एवं प्रजापति): इन्हे द्वितीय ब्रह्मा भी कहा जाता है। इनकी सम्भूति, कला एवं ऊर्णा नामक तीन पत्नियां थी। ऋषियों में श्रेष्ठ महर्षि कश्यप इन्ही के पुत्र हैं।-नेत्र से अत्रि - (सप्तर्षि एवं प्रजापति): उन्होंने अपनी पत्नी अनुसूया से त्रिदेवों को पुत्र के रूप में पाया। माता अनुसूया के गर्भ से ब्रह्मा के अंश से चंद्र, विष्णु के अंश से दत्तात्रेय एवं शिव के अंश से दुर्वासा का जन्म हुआ। -मुख से अंगिरस - (सप्तर्षि एवं प्रजापति): परमपिता ब्रह्मा से वेदों की शिक्षा प्राप्त करने वाले पहले सप्तर्षि महर्षि अंगिरा ही थे। उन्होंने ने ही सर्वप्रथम अग्नि को उत्पन्न किया था। इनकी सुरूपा, स्वराट, पथ्या एवं स्मृति नामक 4 पत्नियाँ हैं। देवगुरु बृहस्पति एवं महर्षि गौतम इन्हीं के पुत्र हैं। इन्होंने ही रानी चोलादेवी को देवी लक्ष्मी के श्राप से मुक्ति दिलवाई थी।-नाभि से पुलह - (सप्तर्षि एवं प्रजापति): उन्होंने ब्रह्माण्ड के विस्तार में अपने पिता को सहयोग दिया था। इनकी क्षमा एवं गति नामक दो पत्नियां थी। इसके अतिरिक्त किंपुरुष भी इन्हीं के पुत्र माने जाते हैं। काशी का पुहलेश्वर शिवलिंग इन्हीं के नाम पर पड़ा है।-हाथ से क्रतु - (सप्तर्षि एवं प्रजापति): उन्होंने ने ही सर्वप्रथम वेदों का विभाजन किया था। इनकी पत्नी का नाम सन्नति था जिनसे इन्हें 60 हजार पुत्रों की प्राप्ति हुई जो बालखिल्य कहलाये।-कान से पुलस्त्य - (सप्तर्षि एवं प्रजापति): ये रावण के पितामह एवं महर्षि विश्रवा के पिता थे। इनकी प्रीति एवं हविर्भुवा नामक पत्नियां थी और महान अगस्त्य इन्हंीं के पुत्र माने जाते हैं।-प्राण से वशिष्ठ - (सप्तर्षि एवं प्रजापति): ये श्रीराम के कुलगुरु थे और देवी अनुसूया की छोटी बहन अरुंधति इनकी पत्नी थी। गौ माता कामधेनु की पुत्री नंदिनी इन्ही के गौशाला में रहती थी।-त्वचा से भृगु - (प्रजापति): इनका वंश प्रसिद्ध भार्गव वंश कहलाया जिस कुल में आगे चल कर भगवान परशुराम ने जन्म लिया। इन्हीं के पुत्र शुक्राचार्य दैत्यों के गुरु के पद पर आसीन हुए। माता लक्ष्मी भी इन्हीं की पुत्री मानी जाती हैं।-पांव के अंगूठे से दक्ष - (प्रजापति): ये प्रजापतियों में सबसे प्रसिद्ध माने जाते हैं। इनकी पुत्रियों से ही मानव वंश का अनंत विस्तार हुआ। इन्होंने अपनी पत्नियों प्रसूति एवं वीरणी से 74 कन्याओं को प्राप्त किया । इन्हीं की पुत्री सती महादेव की पहली पत्नी थी।-छाया से कर्दम - (प्रजापति): इन्होंने स्वयंभू मनु की पुत्री देवहुति से विवाह कर 9 पुत्रियों - कला, अनुसूया, श्रद्धा, हविर्भू, गति, क्रिया, ख्याति, अरुन्धती एवं शान्ति तथा एक पुत्र कपिल मुनि को प्राप्त किया।गोद से नारद: ये श्रीहरि के महान भक्त थे जिन्हें देवर्षि का पद प्राप्त है। इन्होंने सनत्कुमारों को दीक्षा देकर संन्यासी बना दिया जिससे क्रुद्ध होकर इनके पिता ब्रह्मा ने इन्हे एक जगह स्थिर ना होने का श्राप दे दिया।इच्छा से 4 सनत्कुमार: इन चारों को ब्रह्मा ने मैथुनी सृष्टि रचने के लिए उत्पन्न किया किन्तु देवर्षि नारद ने इन्हें दीक्षा देकर संन्यासी बना दिया। तब ब्रह्मा ने नारद को स्थिर ना रहने का और इन चारों को 5-5 वर्ष के बालक रूप में रहने का श्राप दिया। ये महादेव के अनन्य भक्त हैं।शरीर से मनु एवं शतरूपा: सनत्कुमारों के संन्यास ग्रहण करने के पश्चात ब्रह्मा ने अपने शरीर से स्वयंभू मनु एवं शतरूपा को प्रकट किया जिनसे अनंत पुत्र-पुत्रियों की उत्पत्ति हुई। मनु के नाम से ही हम मानव कहलाते हैं। ये ही प्रथम मन्वन्तर के अधिष्ठाता हैं ।वाम अंग से शतरूपा, दक्षिण अंग से स्वयंभू मनु।धयान से चित्रगुप्त: ये कायस्थ वंश के जनक हैं और यमराज के मंत्री के रूप में इनकी प्रतिष्ठा है। सभी इंसानों के कर्मों का लेखा-जोखा यही रखते हैं। इन्होंने दो कन्याओं - इरावती एवं नंदिनी से विवाह किया जिससे 12 पुत्र जन्में जिससे समस्त कायस्थ वंश चला।
- सनातन परंपरा में भगवान शिव और माता पार्वती के लिए रखे जाने वाले प्रदोष व्रत का बहुत महत्व है. प्रदोष सूर्यास्त और रात्रि के संधिकाल को कहा जाता है. 16 नवंबर को पड़ेगा भौम प्रदोष व्रत. प्रदोष काल सूर्यास्त से 45 मिनट पहले प्रारम्भ होकर सूर्यास्त के बाद 45 मिनट तक रहता है. प्रत्येक मास के कृष्ण व शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन रखे जाने वाले इस व्रत से सुख-संपत्ति और सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है. वैसे तो पूरी त्रयोदशी तिथि ही भगवान शिव के व्रत के लिए शुभ है लेकिन प्रदोषकाल में शिव जी की पूजा अत्यंत ही मंगलकारी मानी गई है.साल 2021 में कब-कब पड़ेगा प्रदोष व्रतइस साल के अंतिम दो बचे महीनों में यदि प्रदोष व्रत की बात जाए तो अगला प्रदोष व्रत जो कि मंगलवार के दिन पड़ने के कारण भौम प्रदोष कहलाएगा, वह कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी के दिन 16 नवंबर 2021 को पड़ेगा. इसके बाद दिसंबंर माह में कुल तीन प्रदोष व्रत पड़ेंगे. जिसमें से पहला मार्गशीर्ष कृष्ण त्रयोदशी यानि 02 दिसंबर 2021 को और दूसरा मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष की त्रयोदशी यानि 16 दिसंबर को और तीसरा और साल का आखिरी प्रदोष व्रत पौष कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी यानि कि 31 दिसंबर को पड़ेगा.भौम प्रदोष व्रत के लाभकिसी भी माह में पड़ने वाला प्रदोष व्रत जिस दिन को पड़ता है, उसे उसी नाम से जाना जाता है. जैसे सोमवार को आने वाले प्रदोष को सोम प्रदोष या फिर मंगलवार को होने वाले प्रदोष को भौम प्रदोष आदि कहते हैं. यदि बात करें भौम प्रदोष व्रत की तो मंगलवार के दिन रखे जाने वाले इस पावन व्रत को रखने से जीवन के तमाम कष्टों से मुक्ति मिलती है. भौम प्रदोष के पुण्यफल से व्रती को जाने-अनजाने किए गए पाप से मुक्ति मिलती है.प्रदोष व्रत को करने के लाभमान्यता है कि प्रदोष व्रत को विधि-विधान से रखने पर सौ गायों के दान के बराबर पुण्य फल मिलता है. दिन विशेष पर पड़ने वाले प्रदोष व्रत की बात करें तो रवि प्रदोष व्रत से सुख-समृद्धि, आजीवन आरोग्यता और लंबी आयु का आशीर्वाद मिलता है तो वहीं भौम प्रदोष व्रत से रोग-शोक दूर होते हैं, बुध प्रदोष व्रत से कार्य कार्य विशेष में सफलता प्राप्त होती है. गुरु प्रदोष व्रत से शत्रुओं का नाश होता है और जीवन में आ रही सभी अड़चनें दूर होती हैं. शुक्र प्रदोष व्रत से सौभाग्य की प्राप्ति होती है. उसके परिवार में सुख और समृद्धि हमेशा कायम रहती है. शनि प्रदोष व्रत से संतान प्राप्ति और उसकी उन्नति होती है.
- ज्योतिषी/वास्तु शास्त्री विनीत शर्मा ने बताया कि सर्व प्राचीन वेदों में वर्तमान मास् को सहस मास बताया गया है।राक्षस संवत्सर के कार्तिक शुक्ल पक्ष को एकादशी पर्व को lतुलसी विवाह भी कहा जाता है इस पर्व के दिन माता तुलसी का शालिग्राम भगवान से विवाह किया जाता है गन्ने के शुभ मंडप के माध्यम से पूजा की जाती है गन्ना सबसे विशुद्ध फल माना गया है गन्ने से प्राप्त होने वाली मिश्री और गुड़ शरीर के लिए आयुष्य वर्धक होते है ।इसलिए इस पवित्र त्यौहार में गन्ने का उपयोग किया जाता है आज के दिन पांच-पांच सुंदर योग बन रहे हैं सर्वार्थ सिद्धि योग नीच भंग राजयोग शश योग वज्र योग रवि योग गद योग आदि योगों की बेला में इस पर्व को मनाया जाएगा ।आज से ही मांगलिक वैवाहिक गृह प्रवेश अन्नप्राशन जाति कर्म संस्कार अन्नप्राशन संस्कार चूड़ाकर्म नामकरण संस्कार विद्यारंभ संस्कार और समस्त संस्कार प्रारंभ हो जाएंगे।आज के शुभ दिन से ही चातुर्मास समाप्त हो जाएंगे और श्री हरि विष्णु का आज से जागरण हो जाएगा।फलस्वरूप मांगलिक व शुभ कार्य प्रारंभ हो जाएंगे।प्राकृतिक एयर प्यूरीफायर है यह भर अधिक मात्रा में ऑक्सीजन छोड़ता है इससे प्रदूषण कम होता हैब्रह्मावैवर्त पुराण के अनुसार आज के दिन सुबह तुलसी का दर्शन करने से अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
- होम डेकोर के लिए मनी प्लांट बहुत पसंद किया जाने वाला पौधा है. इन दिनों लोग मनी प्लांट को साज सज्जा के लिए अपने घर पर खास रूप से इस्तेमाल करने लगे हैं. मनी प्लांट एक बेल की तरह होता है. ये काफी हराभरा और आकर्षक होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपके घर में मनी प्लांट लाने से आपके वित्तीय स्थिती पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है? मनी प्लांट लाने के बाद, आपको ये सुनिश्चित करना होगा कि आप इसकी सही देखभाल करें. वरना ये आपके जीवन में केवल तनाव और वित्तीय संकट ही लाएगा.वास्तु शास्त्र और फेंगशुई के अनुसार मनी प्लांट लगाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए आइए जानें.मनी प्लांट लगाते समय इन बातों का रखें ध्यानसही दिशावास्तु शास्त्र के अनुसार, मनी प्लांट आपके घर के दक्षिण-पूर्व कोने में स्थित होना चाहिए. ये समृद्धि को आकर्षित करने और नकारात्मक ऊर्जा को दूर रखने में मदद करता है. वहीं, इसे ईशान कोण में रखने से आपके जीवन में तनाव ही आएगा.इसे पानी देंसुनिश्चित करें कि आप इसे रोजाना पानी दें ताकि ये बना रहे. क्योंकि एक सूखा और मुरझाया हुआ मनी प्लांट केवल आपके लिए दुर्भाग्य लाएगा. इसके अलावा, पौधे को फर्श से छूने न दें, क्योंकि इसका नकारात्मक प्रभाव होगा.इसे उत्तर प्रवेश द्वार पर रखेंकहा जाता है कि अपने मनी प्लांट को उत्तर प्रवेश द्वार पर रखने से आय के नए स्रोत और कई करियर के अवसर हासिल होते हैं. लेकिन सुनिश्चित करें कि मनी प्लांट के गमले का रंग नीला होना चाहिए.खरीदने से पहले पत्तियों के आकार की जांच करेंजब आप मनी प्लांट की खरीदारी कर रहे हों, तो सुनिश्चित करें कि पत्ते दिल के आकार के हों. ये धन, समृद्धि को आकर्षित करता है और स्वस्थ संबंधों को बढ़ावा देता है.बड़े गमले का इस्तेमाल करेंअपने मनी प्लांट के लिए एक बड़े गमले का इस्तेमाल करें क्योंकि इससे उन्हें तेजी से और अधिक हरियाली बढ़ने में मदद मिलेगी. वास्तु के अनुसार, पत्ते जितने हरे होंगे, आपकी आर्थिक स्थिति उतनी ही बेहतर होगी.दूसरों को इसे काटने न देंअपने मनी प्लांट को कभी भी किसी को छूने या काटने न दें. ऐसा माना जाता है कि इससे आपका धन आपसे छीन जाएगा और दूसरे व्यक्ति को मिल जाएगा.
- पूर्णिमा हर महीने के शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को पड़ती है. इस बार कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि 19 नवंबर 2021, शुक्रवार पड़ रही है. कार्तिक मास की पूर्णिमा का विशेष महत्व है. इतना ही नहीं इस दिन स्नान और दान आदि का विशेष महत्व है. पूर्णिमा का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है. इस दिन चंद्रमा के साथ-साथ भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है.पूर्णिमा तिथि कार्तिक मास की अंतिम तिथि होती है, जिसे कार्तिक पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. इस साल कार्तिक पूर्णिमा 19 नवंबर को पड़ रही है. मार्गशीर्ष का महीना 20 नवंबर से शुरू होगा. कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा 2021 भी कहा जाता है. इस दिन भगवान भोलेनाथ ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था. इसी खुशी में देवताओं ने दीप जलाकर खुशियां मनाई. इसे देव दिवाली के नाम से जाना जाता है. इतना ही नहीं इस दिन पवित्र नदी में स्नान और दान आदि करने से पुण्य की प्राप्ति होती है, वहीं इस दिन श्री हरि आदि की पूजा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं तिथि, शुभ मुहूर्त और कार्तिक पूर्णिमा के महत्व के बारे में.कार्तिक पूर्णिमा तिथि 2021कार्तिक पूर्णिमा तिथि की शुरुआत – 18 नवम्बर 2021, दोपहर 12:00 बजेकार्तिक पूर्णिमा तिथि खत्म – नवम्बर 19, 2021, 02:26 बजेकार्तिक पूर्णिमा चंद्रमा निकलने का समय – 17:28:24कार्तिक पूर्णिमा पूजन विधिकार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली के नाम से भी जाना जाता है. इसलिए इस दिन किसी भी सरोवर या धर्म स्थान पर दीपक का दान करना चाहिए. कहा जाता है कि इस दिन ब्रह्ममुहूर्त में पवित्र स्नान करना चाहिए या घर में गंगा जल डालकर स्नान करना चाहिए. इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु के सम्मुख शुद्ध देसी घी का दीपक जलाना चाहिए. श्री हरि का तिलक करने के बाद धूप, दीपक, फल, फूल और नैवेद्य आदि से पूजा करें. शाम को फिर से भगवान विष्णु की पूजा करें. भगवान को देसी घी में भूनकर सूखे आटे का कसार और पंचामृत चढ़ाएं. इसमें तुलसी जरूर शामिल करें. इसके बाद विष्णु सहित मां लक्ष्मी की पूजा और आरती करें. रात को चांद निकलने के बाद अर्घ्य दें और फिर व्रत खोलें.कार्तिक पूर्णिमा का महत्वसभी पूर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व है. इस दिन स्नान और दीप दान करना शुभ और पुण्य प्रदान करने वाला माना गया है. यही कारण है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन बड़ी संख्या में लोग पवित्र नदियों में स्नान कर पुण्य कार्य करते हैं. इस दिन पूजा, हवन, जप और तप का भी विशेष महत्व है.
- हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को जब श्री हरि विष्णु चार माह की निद्रा से जागते हैं तो उनके विग्रह स्वरूप शालीग्राम और देवी तुलसी का विवाह किया जाता है। हिंदू धर्म में तुलसी विवाह का विशेष महत्व माना जाता है, लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर तुलसी से क्यों किया जाता है शालीग्राम और तुलसी विवाह। आखिर क्यों विष्णु जी ने लिया पाषाण का रूप। यहां जानिए पूरी कथा।क्यों किया जाता है तुलसी-शालीग्राम का विवाह-तुलसी और शालिग्राम जी के विवाह के संबंध में मिलने वाली पौराणिक कथा के अनुसार, देवी वृंदा भगवान विष्णु की अनन्य भक्त थी। उनका विवाह जलंधर नामक राक्षस से हुआ था। सभी उस राक्षस के अत्याचारों से उद्वविग्न थे। जब देवों और जलंधर के बीच युद्ध हुआ तो वृंदा अपने पति की रक्षा हेतु अनुष्ठान करने बैठ गई और संकल्प लिया कि जब तक उनके पति युद्ध से वापस नहीं आ जाते अनुष्ठान नहीं छोड़ेंगी। देवी वृंदा के सतीत्व के कारण जलंधर को मारना असंभव हो गया था। तब सभी देव गण विष्णु जी के पास गए और उनसे सहायता मांगी। इसके बाद विष्णु जी जलंधर का रुप धारण करके वृंदा के समक्ष गए।नारायण को अपना पति समझकर वृंदा पूजा से उठ गई, जिससे उनका व्रत टूट गया। परिणाम स्वरुप युद्ध में जलंधर की मृत्यु हो गई और जलंधर का सिर महल में जाकर गिरा। यह देख वृंदा ने कहा कि जब मेरे स्वामी की मृत्यु हो गई है, तो यहां मेरे समक्ष कौन है। इसके बाद विष्णु जी अपने वास्तविक रूप में आ गए।जब वृंदा को सारी बात ज्ञात हुई तो उन्होंने विष्णु जी से कहा कि 'हे नारायण मैंने जीवनभर आपकी भक्ति की है फिर आपने मेरे साथ ऐसा छल क्यों किया? विष्णु जी के पास वृंदा के प्रश्नों का कोई उत्तर नहीं था। वे चुपचाप खड़े होकर सुनते रहे और वृंदा की बात का कोई उत्तर नहीं दिया। उत्तर प्राप्त न होने पर वृंदा ने क्रोधित होकर कहा कि आपने मेरे साथ इतना बड़ा छल किया है, फिर भी आप पाषाण की भांति चुपचाप खड़े हैं। जिस प्रकार आप पाषाण की तरह व्यवहार कर रहे हैं, आप भी पाषाण के हो जाएं।वृंदा के द्वारा दिए गए श्राप के कारण नारायण पत्थर के बन गए। जिससे सृष्टि का संतुलन बिगड़ने लगा। तब सभी देवों ने वृंदा से प्रार्थना की। उनकी प्रार्थना को स्वीकार करते हुए वृंदा ने नारायण को क्षमा कर दिया और अपने पति के सिर को लेकर सती हो गई। उनकी राख से एक पौधा उत्पन्न हुआ तो तुलसी कहलाया। विष्णु जी अपने द्वारा किए गए छल के कारण पश्चाताप में थे। जिसके कारण उन्होंने अपने एक स्वरुप को पत्थर का कर दिया। उसके बाद विष्णु जी ने कहा कि उनकी पूजा तुलसी दल के बिना अधूरी मानी जाएगी। वृंदा का मान रखते हुए सभी देवों ने उनका विवाह पत्थर स्वरुप विष्णु जी से करवा दिया। इसलिए तुलसी और शालीग्राम का विवाह किया जाता है।
- सपने आने के पीछे कई कारण हैं और वे कई तरह के संकेत भी देते हैं. लिहाजा सपनों को नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता है. वहीं लगातार आने वाले एक जैसे सपने या डरावने सपने कई तरह के वहम भी पैदा कर देते हैं. कई बार हालत इस तरह बिगड़ जाती है कि दिन में जागने के बाद भी रात की नींद में देखे गए सपने पीछा नहीं छोड़ते हैं. ऐसे डरावने सपनों से पीछा छुड़ाने के लिए अग्नि पुराण में कुछ आसान उपाय (Easy Remedies) बताए गए हैं. यदि इनमें से एक उपाय भी कर लें तो आसानी से डरावने सपनों से पीछा छुड़ाया जा सकता है.ऐसे पाएं डरावने सपनों से निजात- यदि सपने में सांप बार-बार डराते हों तो चांदी के नाग-नागिन किसी शिव मंदिर में पूजा करके दान कर दें. सपने में सांप दिखना बंद हो जाएगा.- सपने ही नहीं बल्कि कई तरह की समस्याओं से निजात पाने के लिए महामत्युंजय पाठ बहुत प्रभावी है. यदि बार-बार डरावने सपने आएं तो कुछ दिन तक महामत्युंजय पाठ पढ़ें. जल्द ही राहत मिल जाएगी.- रोज शाम को तुलसी जी के पौधे के नीचे दीपक लगाएं. इससे भी आपका मन शांत और सकारात्मक रहेगा. इससे सपने आना बंद हो जाएंगे.- कोई अशुभ सपना देख लें तो सुबह जल्दी नहाकर किसी योग्य ब्राह्मण को अन्न या कपड़े दान कर दें.- अशुभ सपना आए तो मंदिर जाकर अपने ईष्ट देव के दर्शन कर लें.- सूर्य को सुबह जल चढ़ाएं. इससे व्यक्ति के मन और विचार सकारात्मक होते हैं. साथ ही उसे बुरे सपने आने भी बंद हो जाते हैं.
- वैसे तो भगवान श्रीकृष्ण के रूप अनंत हैं और उनके द्वारा प्रदत्त गीता ज्ञान भी अनंत ही है, किन्तु श्रीमद्भगवद्गीता के दसवें अध्याय विभूति योग के श्लोक २० से लेकर श्लोक ४० तक श्रीकृष्ण ने अपनी विभिन्न विभूतियों का वर्णन किया है। यदि केवल विभूतियों की बात की जाये तो श्रीकृष्ण स्वयं कहते हैं "मेरी विभूतियाँ असंख्य हैं, किन्तु यहां पर केवल संक्षेप में विभूतियों का वर्णन किया गया है।" आइये देखते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं को किस विभूति में क्या कहा है:-सृष्टि में आदि, मध्य एवं अंत-भूतमात्र के हृदय में आत्मा-आदित्यों में विष्णु (वामन)-ज्योतियों में अंशुमान (सूर्य)-मरुतों में तेज (मरीचि)-नक्षत्रों में चन्द्रमा-वेदों में सामवेद-देवों में वासव (इंद्र)-इन्द्रियों में मन-भूतों (प्राणियों) में चेतना-रुद्रों में शंकर-यक्ष-राक्षसों में कुबेर-वसुओं में पावक (अग्नि)-शिखर वाले पर्वतों में सुमेरु-पुरोहितों में बृहस्पति-सेनापतियों में स्कन्द (कार्तिकेय)-जलाशयों में सागर-महर्षियों में भृगु-शब्दों में ॐकार-यज्ञों में जपयज्ञ-स्थावरों (स्थिर रहने वालों) में हिमालय-वृक्षों में अश्वथ (पीपल)-देवर्षियों (दिव्य ऋषियों) में नारद-गंधर्वों में चित्ररथ-सिद्धों में कपिल मुनि-अश्वों (घोड़ों) में उच्चैःश्रवा-गजों (हाथियों) में ऐरावत-मनुष्यों में नृप (राजा)-आयुधों में वज्र-धेनुओं (गायों) में कामधेनु-प्रजनन करने वालों में कंदर्प (कामदेव)-सर्पों में वासुकि-नागों में शेषनाग-जलचर अधिपतियों में वरुण-पितरों में अयर्मा-शासकों में यमराज-दैत्यों में प्रह्लाद-गणना करने वालों में समय-पशुओं में सिंह-पक्षियों में गरुड़-पवित्र करने वालों में वायु-शस्त्रधारियों में राम-मछलियों में मकर-नदियों में गंगा-सर्गों में आदि, मध्य एवं अंत-विद्याओं में अध्यात्म विद्या-शास्त्रार्थ में वाद (तर्क)-अक्षरों में अकार-समासों में द्वन्द-कालों में महाकाल-विश्वोत्तमुख में धाता-भक्षकों में मृत्यु-उत्पत्ति में उद्भव-स्त्रियों के गुणों में कीर्ति, श्री, वाक्, स्मृति, मेधा, धृति एवं क्षमा-सामों (स्तोत्रों) में बृहत्साम-छंदों में गायत्री-महीनों में मार्गशीर्ष-ऋतुओं में वसंत-छल करने वालों में द्यूत (जुआ)-तेजस्वियों में तेज-जीतने वालों में विजय--व्यवसायों में उद्यम-सात्विक पुरुषों में सत्व-वृष्णिवंशों में वासुदेव (कृष्ण)-पांडवों में धनञ्जय (अर्जुन)-मुनियों में वेदव्यास-कवियों में उशना (शुक्राचार्य)-दमन करने वालों में दंड-विजय चाहने वालों में नीति-गुह्यों (गोपनीय भावों) में मौन-ज्ञानवानों में ज्ञान