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- कुछ लोग ऐसे होते हैं जो विनम्र, जमीन से जुड़े और बहुत ही सरल स्वभाव के होते हैं। उनके पास कोई हवा या हैंगअप नहीं होता है और बिना किसी एक्स्ट्रा सामान के एक आसान जीवन जीने की कोशिश करते हैं। वहीं, दूसरी ओर कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो रूखे, घमंडी और अटके हुए होते हैं। उनके पास एक सुपेरियॉरिटी कॉम्प्लेक्स है और वे दृढ़ता से मानते हैं कि वो मानव जाति के लिए भगवान का उपहार हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मुख्य रूप से 4 ऐसी राशियां होती हैं जो स्वयं को दूसरों से बेहतर मानती हैं और धूर्त होती हैं। नीचे इन राशियों पर एक नजर डालें...मेष राशिमेष राशि के जातक राशियों की सूची में सबसे ऊपर होते हैं। उन्हें लगता है कि वो हर सूची में सबसे ऊपर होने के लायक हैं और वो जो कुछ भी करते हैं उसमें वो सर्वश्रेष्ठ हैं। वो किसी को भी अपने से बेहतर किसी भी चीज में नहीं मानते हैं।सिंह राशिये कोई रहस्य नहीं है कि सिंह राशि वाले लोग स्वयं को इस हद तक प्यार करते हैं कि बाकी सभी को नीचे खींच कर उन्हें कम आंकते हैं। सिंह राशि वाले लोगों को लगता है कि वो एक स्टार हैं और इस तरह उन्हें घमंडी और दंभी होने का पूरा अधिकार है।कन्या राशिकन्या राशि के जातक जो कुछ भी करते हैं उसमें परफेक्शन हासिल करने का लक्ष्य रखते हैं। उन्हें लगता है कि वो सबसे अच्छी तरह जानते हैं और अक्सर दूसरे लोगों को मूर्ख की तरह महसूस कर सकते हैं।धनु राशिधनु राशि के लोग स्वयं को बहुत अधिक सम्मान में रखते हैं। उन्हें लगता है कि वो कभी गलत नहीं हो सकते हैं और इस बात पर गर्व करते हैं कि वो ब्लंट और ईमानदार हैं। वो सेल्फ-लव की अवधारणा को कुछ ज्यादा ही गंभीरता से लेते हैं और अंत में बॉस के जैसा व्यवहार करने वाला और अहंकारी के रूप में सामने आते हैं।
- वास्तु शास्त्र के अनुसार जिन घरों में वास्तु से संबंधित किसी भी प्रकार का दोष होता है वहां पर बीमारियां, परेशानियां, धनहानि, मनमुटाव और विवाद अक्सर पीछा करते हैं। इसके अलावा ये भी देखा जाता है कि कई बार दिन-रात व्यक्ति मेहनत करता है लेकिन वह वैसी सफलता नहीं प्राप्त करता जैसी उसको अपेक्षा रहती है। वास्तु शास्त्र के कुछ आसान उपाय से आप अपनी जिंदगी को संवार सकते हैं। वास्तु के उपाय घर, ऑफिस या फिर व्यापारिक अनुष्ठान आदि में वास्तु दोष को दूर करने में कारगर होते हैं। आज हम आपको ऐसे दस वास्तु शास्त्र के उपाय बताएंगे जो आपकी जिंदगी में खुशियों के रंग घोल सकते हैं। ये उपाय इस प्रकार हैं।1. सुबह घर की सफाई के उपरांत हल्दी को जल में घोलकर एक पान के पत्ते की सहायता से अपने सम्पूर्ण घर में छिड़काव करें, इससे घर में लक्ष्मी का वास तथा शांति भी बनी रहती है। इसी प्रकार घर में सफाई करने के उपरांत गंगाजल के छिड़काव से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और वास्तुदोष दूर भागता है।2. गलत दिशा में रखी गईं धार्मिक पुस्तकें वास्तु दोष का कारण बनती हैं। वास्तु के अनुसार धार्मिक पुस्तकों और ग्रंथों को हमेशा पश्चिम की तरफ ही रखना चाहिए। किसी दूसरी दिशा में, बेड के अंदर अथवा गद्दे या तकिये के नीचे धार्मिक पुस्तकें रखना शुभ नहीं होता।3. अपने घर के मंदिर में घी का एक दीपक नियमित जलाएं तथा घंटी भी बजाना चाहिए जिससे सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा घर से बहार निकलती है। इसी तरह घर में शंख रखने और बजाने से घर का वास्तु दोष दूर होता है। घर के पूजा-स्थल में देवी-देवताओं पर चढ़ाए गए पुष्प-हार दूसरे दिन हटा देने चाहिए और भगवान को नए पुष्प-हार अर्पित करने चाहिए। इसी प्रकार पूजा घर में देवताओं के चित्र भूलकर भी आमने-सामने नहीं रखने चाहिए इससे बड़ा दोष उत्पन्न होता है।4.घर में सफाई हेतु रखी झाडू को दरवाजे के पास नहीं रखें यदि। यदि झाडू के बार-बार पैर लगता है, तो यह धन-नाश का कारण होता है। झाडू के ऊपर कोई वजनदार वस्तु भी नहीं रखें।5.अपने घर में दीवारों पर सुन्दर, हरियाली से युक्त और मन को प्रसन्न करने वाले चित्र लगाएं। इससे घर के मुखिया को होने वाली मानसिक परेशानियों से निजात मिलती है।
- जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 391
साधक का प्रश्न ::: श्री राधारानी की कृपा प्राप्त करने के लिये क्या साधना करनी होगी?
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा उत्तर ::: अरे! ये ही तो साधना है कि वो बिना कारण के कृपा करती हैं ये फेथ (विश्वास) करो। यही साधना है। जो कीर्तन करते हो तुम, यही तो साधना करते हो न। उस कीर्तन का मतलब क्या? रोकर उनको पुकारो कि तुम कृपा करो। यही साधना है। इसी से अन्तःकरण शुद्ध होता है। मन को शुद्ध करने के लिये साधना होती है। फिर उसके बाद वो कृपा से प्रेम देती हैं। उनका लाभ तो कृपा से मिलता है। तुम्हारा काम तो मन को शुद्ध करना है। और मन शुद्ध करने के लिये उनको पुकारना है। बस यही साधना है। और साधना कोई मूल्य थोड़े ही है कृपा का। साधना तुम करते हो गन्दे मन से और कृपा से तो दिव्य वस्तु मिलेगी। तो तुम्हारा रोना कोई दाम थोड़े ही है। तुम जाओ किसी दुकानदार के आगे रोओ कि हमको कार दे, दो पैसा नहीं है हमारे पास। तो वो कहेगा भाग जाओ, पागल है तू। तो उसी प्रकार अगर हम रोवें भी भगवान के आगे, वो कहें भाग जाओ पहले दाम दो, हम जो दे रहे हैं तुमको सामान उसका। तो हमारे पास दाम है ही नहीं, क्या देंगे? वो दिव्य प्रेम है भगवान का। हमारी इन्द्रियाँ, हमारा मन, हमारी बुद्धि, हमारा शरीर सब गन्दा। हम क्या दे करके वो दिव्य प्रेम लेंगे? इसलिये साधना मूल्य नहीं है। साधना तो केवल बर्तन बनाना है। मन का बर्तन शुद्ध कर लो तो उसमें दिव्य सामान कृपा से मिलेगा।
०० सन्दर्भ ::: साधन साध्य पत्रिका
★★★ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: © राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(5) www.youtube.com/JKPIndia(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - इस महीने में चार राशि के लोगों को सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि देवगुरू बृहस्पति 14 सितंबर 2021 को मंगलवार के दिन मकर राशि में प्रवेश करेंगे. इसलिए गुरू के राशि परिवर्तन से सभी 12 राशियों पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा. अभी शनि का भी अपनी स्वराशि मकर में गोचर हुआ है, ऐसे में गुरू का मकर राशि में आने से दोनों वक्री अवस्था में हैं. गुरू मकर राशि में 'नीचभंग राजयोग' बनाने जा रहे हैं. वक्री ग्रहों की इस अवस्था से 4 राशियों के जातकों को विशेष लाभ मिलेगा, जबकि अन्य राशि के जातकों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है.इन राशियों के लिए रहेगा शुभदेवगुरू बृहस्पति 14 सितंबर 2021 मंगलवार को सुबह 11 बजकर 43 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे. इस बदलाव से वृषभ, कर्क, तुला और मकर राशि वालों के लिए लाभ के योग बन रहे हैं. इन राशि वालों के लंबे समय से अटके हुए काम पूरे होंगे. करियर और कारोबार में लाभ होगा साथ ही प्रियजनों का भी साथ मिल सकेगा.इस राशि के लोग रहें खास सावधानमकर राशि में एक साथ शनि और गुरू की युति मेष, मिथुन, सिंह और वृश्चिक राशि के लिए कष्टकारी साबित हो सकती है. इन 4 राशियों के जातकों को आर्थिक नुकसान हो सकता है. इन्हें किसी भी प्रकार के विवाद से बचने की खास आवश्यकता है. वाहन चलाते समय सावधान रहें.शुभ समाचार की उम्मीदइसके साथ ही कन्या, धनु, कुंभ और मीन राशि वालों के लिए इस परिवर्तन का प्रभाव सामान्य रहेगा. हालांकि इन राशि के जातकों को नौकरी और व्यापार में शुभ समाचार मिल सकता है. सेहत को लेकर सावधान रहें.
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कन्या संक्रांति इस साल 17 सितंबर शुक्रवार को है। हिन्दू धर्म में संक्रांति पर्व का विशेष महत्व होता है। इस दिन सूर्य देव की आराधना करने का विधान है। कन्या संक्रांति तिथि स्नान, दान आदि धार्मिक कार्यों के लिए बेहद लाभदायक मानी गई है। पितरों की आत्मा की शांति के लिए इस दिन पूजा करना फायदेमंद माना गया है। कन्या संक्रांति पर विश्वकर्मा पूजन भी किया जाता है जिस वजह से इस तिथि का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है। इस दिन पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है। ज्योतिष विज्ञान में सूर्य जब एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो इसे संक्रांति कहते हैं। सूर्य हर माह अपनी राशि बदलते हैं। इस प्रकार एक वर्ष में सूर्य इन 12 राशियों में चक्कर लगाते हैं जिस कारण एक साल में 12 संकांतियां आती हैं। कन्या राशि में बुध देव पहले से मौजूद हैं जिससे कन्या संक्रांति के दिन सूर्य और बुध का मिलन होगा और दोनों इस राशि में बुधादित्य योग का निर्माण करेंगे।
कन्या संक्रांति का शुभ मुहूर्त
पुण्य काल मुहूर्त: 17 सितंबर 2021 सुबह 06:17 से दोपहर 12:15 तक
महापुण्य काल मुहूर्त: 17 सितंबर 2021 सुबह 06:17 से 08:10 तक
कन्या संक्रांति पर सूर्योदय: 17 सितंबर 2021 सुबह 06:17
कन्या सक्रांति पर सूर्यास्त: 17 सितंबर 2021 शाम 06:24
कन्या राशि पर सूर्य का प्रभाव
कन्या राशि के जातकों का समाज में मान-सम्मान बढ़ेगा। जॉब में प्रमोशन मिल सकता है। इस अवधि में आपको शुभ समाचार मिलने की संभावना है। अन्य क्षेत्र में भी सुखद नतीजे मिलेंगे। नई जॉब की तलाश कर रहे जातकों को लाभ मिल सकता है। वैवाहिक जीवन के लिए सूर्य का आपकी राशि में आना बहुत ज्यादा अनुकूल नहीं है। जीवनसाथी से विवाद की स्थिति बन सकती है। इसलिए विशेष ध्यान रखें।
सूर्य देव का आशीर्वाद पाने के लिए करें ये उपाय
रविवार के दिन सूर्य को जल चढ़ाएं। कन्या संक्रांति के दिन दान दें। पिताजी की सेवा करें। बुराई और किसी गलत आचरण से बचें। ऐसा करने से आपको सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त होगा। समाज में आपका मान-समान बढ़ेगा
- भारतीय शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि पितृगण पितृपक्ष में पृथ्वी पर आते हैं और 15 दिनों तक पृथ्वी पर रहने के बाद अपने लोक लौट जाते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि पितृपक्ष के दौरान पितृ अपने परिजनों के आस-पास रहते हैं इसलिए इन दिनों कोई भी ऐसा काम नहीं करें जिससे पितृगण नाराज हों। पितरों को खुश रखने के लिए पितृ पक्ष में कुछ बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।पितृ पक्ष के दौरान ब्राह्मण, जामाता, भांजा, गुरु, नाती को भोजन कराना चाहिए। इससे पितृगण अत्यंत प्रसन्न होते हैं। ब्राह्मणों को भोजन करवाते समय भोजन का पात्र दोनों हाथों से पकड़कर लाना चाहिए अन्यथा भोजन का अंश राक्षस ग्रहण कर लेते हैं जिससे ब्राह्मणों द्वारा अन्न ग्रहण करने के बावजूद पितृगण भोजन का अंश ग्रहण नहीं करते हैं। पितृ पक्ष में द्वार पर आने वाले किसी भी जीव-जंतु को मारना नहीं चाहिए बल्कि उनके योग्य भोजन का प्रबंध करना चाहिए।हर दिन भोजन बनने के बाद एक हिस्सा निकालकर गाय, कुत्ता, कौआ को देना चाहिए। मान्यता है कि इन्हें दिया गया भोजन सीधे पितरों को प्राप्त हो जाता है। शाम के समय घर के द्वार पर एक दीपक जलाकर पितृगणों का ध्यान करना चाहिए। हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार जिस तिथि को जिसके पूर्वज गमन करते हैं, उसी तिथि को उनका श्राद्ध करना चाहिए।इस पक्ष में जो लोग अपने पितरों को जल देते हैं तथा उनकी मृत्युतिथि पर श्राद्ध करते हैं, उनके समस्त मनोरथ पूर्ण होते हैं। जिन लोगों को अपने परिजनों की मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं होती, उनके लिए पितृ पक्ष में कुछ विशेष तिथियां भी निर्धारित की गई हैं, जिस दिन वे पितरों के निमित्त श्राद्ध कर सकते हैं।आश्विन कृष्ण प्रतिपदाइस तिथि को नाना-नानी के श्राद्ध के लिए सही बताया गया है। इस तिथि को श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। यदि नाना-नानी के परिवार में कोई श्राद्ध करने वाला न हो और उनकी मृत्युतिथि याद न हो, तो आप इस दिन उनका श्राद्ध कर सकते हैं।पंचमीजिनकी मृत्यु अविवाहित स्थिति में हुई हो, उनका श्राद्ध इस तिथि को किया जाना चाहिए।नवमीसौभाग्यवती यानि पति के रहते ही जिनकी मृत्यु हो गई हो, उन स्त्रियों का श्राद्ध नवमी को किया जाता है। यह तिथि माता के श्राद्ध के लिए भी उत्तम मानी गई है। इसलिए इसे मातृनवमी भी कहते हैं। मान्यता है कि इस तिथि पर श्राद्ध कर्म करने से कुल की सभी दिवंगत महिलाओं का श्राद्ध हो जाता है।एकादशी और द्वादशीएकादशी में वैष्णव संन्यासी का श्राद्ध करते हैं। अर्थात् इस तिथि को उन लोगों का श्राद्ध किए जाने का विधान है, जिन्होंने संन्यास लिया हो।चतुर्दशीइस तिथि में शस्त्र, आत्म-हत्या, विष और दुर्घटना यानि जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो उनका श्राद्ध किया जाता है जबकि बच्चों का श्राद्ध कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को करने के लिए कहा गया है।सर्वपितृमोक्ष अमावस्याकिसी कारण से पितृपक्ष की अन्य तिथियों पर पितरों का श्राद्ध करने से चूक गए हैं या पितरों की तिथि याद नहीं है, तो इस तिथि पर सभी पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है। शास्त्र अनुसार, इस दिन श्राद्ध करने से कुल के सभी पितरों का श्राद्ध हो जाता है। यही नहीं जिनका मरने पर संस्कार नहीं हुआ हो, उनका भी अमावस्या तिथि को ही श्राद्ध करना चाहिए। बाकी तो जिनकी जो तिथि हो, श्राद्धपक्ष में उसी तिथि पर श्राद्ध करना चाहिए। यही उचित भी है। पिंडदान करने के लिए सफेद या पीले वस्त्र ही धारण करें। जो इस प्रकार श्राद्धादि कर्म संपन्न करते हैं, वे समस्त मनोरथों को प्राप्त करते हैं और अनंत काल तक स्वर्ग का उपभोग करते हैं।श्राद्ध सदैव दोपहर के समय ही करें। प्रातः एवं सायंकाल के समय श्राद्ध निषेध कहा गया है।
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Happy Ganesh Chaturthi
& Happy Shri Krishna Barhaun
आज 2 पावन पर्व हैं। प्रथम; आज श्री गणेश चतुर्थी है। आदि पूज्य देव भगवान श्री गणेश की स्तुति-वंदन का महापर्व और दूसरा; आज भगवान श्रीकृष्ण की 'बरहौं' का पर्व भी है। अर्थात जन्माष्टमी में जन्म से आज बालगोपाल 12-दिन के हो गये हैं। ब्रजधाम में समस्त ब्रजवासी अपने ब्रजचंद्र नीलमणि यशोदानन्दन कृष्ण को पालने में झूलते देखकर आनन्द में मग्न हैं और उनकी जय-जयकार करते हुए आशीष प्रदान कर रहे हैं। इन दोनों महापर्वों में हम भी आनन्दपूर्वक सम्मलित होवें।
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज ने अपने साहित्यों में आदि पूज्य देव श्री गणेश जी की वंदना में अनेक दोहों तथा कीर्तनों की रचना की है, जिसमें उन्होंने उनके स्वरूप तथा गुणों की निष्कामतापूर्वक स्तुति की है तथा उनसे श्रीराधाकृष्ण का दर्शन, प्रेम और सेवा की ही याचना की है। आइये हम भी उन्हीं के शब्दों में भगवान श्री गणेश की स्तुति करें :::
गाइये गणपति जगवंदन।
सिद्धि सदन शिव शंकर नंदन।
भक्त जनन के विघ्न विनाशन।
भक्ति भाव ते करु नित अर्चन ।
मन ते करु नित गणपति चिंतन।
रसना ते गाइय उन गुनगन।
जय हो जय हो गणपति त्रिभुवन वंदन।
तुम्हरो कोटि कोटि अभिनंदन।
कोउ भल गन भी ले, जग भू रज कन।
पै गणपति तव गुन नहिं सक गन।
हे गणेश गजपति लंबोदर।
कृष्ण प्रेम पाऊँ यह दो वर।
अति कृपालु तुम गौरी नंदन।
अस वर दो दे राधा दरसन।।
• संदर्भ ग्रन्थ ::: ब्रज रस माधुरी (भाग - 1)
आदि पूज्य देव भगवान श्री गणेश की स्तुति में श्री कृपालु जी महाराज ने अन्यत्र कहा है;
"...सम्पूर्ण संसार में जो पृथ्वी है, इसके जो रज हैं, धूल, इसके जो कण हैं, उसको भी कोई गिन ले; असम्भव है, 4 फुट जमीन के धूल के कण को कोई नहीं गिन सकता, फिर सम्पूर्ण जग की पृथ्वी के कण को कोई गिन ले, असम्भव है। लेकिन फिर भी, भले ही कोई गिन ले, लेकिन हे गणपति! तुम्हारे गुण-गन को कोई नहीं गिन सकता। तुम्हारे इतने गुण हैं कि उनको कोई नहीं गिन सकता, भले ही सम्पूर्ण पृथ्वी के रज-कण को गिन ले..."
अनन्त गुणों की खान गौरीनंदन, शंकरसुवन, गणनायक भगवान श्री गणेश की सदा जय हो!! पुनः आप सभी पाठक जनों को 'श्री गणेश चतुर्थी' और भगवान श्रीकृष्ण की 'बरहौं' की हार्दिक शुभकामनायें!!
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ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)
- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: © राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।
- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -
(1) www.jkpliterature.org.in (website)
(2) JKBT Application (App for 'E-Books')
(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)
(4) Kripalu Nidhi (App)
(5) www.youtube.com/JKPIndia
(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.)
- पढ़ें मेष से लेकर मीन राशि तक का हाल10 सितंबर, 2021, शुक्रवार को गणेश चतुर्थी का पावन पर्व है। इस दिन विधि- विधान से भगवान गणेश की पूजा- अर्चना की जाती है। इसी दिन से 10 दिनों तक चलने वाले गणेश महोत्सव भी शुरू हो जाता है। वैदिक ज्योतिष में हर दिन ग्रह-नक्षत्रों की चाल से राशिफल का आंकलन किया जाता है। जानिए पं. राघवेंद्र शर्मा से 10 सितंबर, 2021 के दिन किन राशि वालों को होगा लाभ और किन राशि वालों को रहना होगा सावधान।मेष राशिमानसिक शान्ति रहेगी। शैक्षिक कार्यों के लिए विदेश प्रवास के भी योग बन रहे हैं। शासन-सत्ता का सहयोग मिलेगा। स्वभाव में चिड़चिड़ापन हो सकता है। रहन-सहन अव्यवस्थित रहेगा। कारोबार का विस्तार हो सकता है। आय में वृद्धि होगी। तरक्की के योग बन रहे हैं।वृष राशिआत्मसंयत रहें। क्रोध के अतिरेक से बचें। भौतिक सुखों में वृद्धि होगी। नौकरी में अफसरों से सद्भाव बनाये रखने के प्रयास करें। आय में कमी एवं खर्च अधिक की स्थिति रहेगी। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। माता के सहयोग से आय के स्रोत विकसित होंगे। तनाव से बचें।मिथुन राशिशैक्षिक कार्यों के सुखद परिणाम मिलेंगे। परिवार में सदभाव बनाये रखें। सम्पत्ति से आय के साधन बन सकते हैं। कार्यक्षेत्र में व्यवधान आ सकते हैं। स्वभाव में चिड़चिड़ापन रहेगा। परिवार में सुख-शान्ति रहेगी। वाहन सुख में वृद्धि होगी। मानसिक शान्ति रहेगी।कर्क राशिमन प्रसन्न रहेगा। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। कारोबार का विस्तार होगा। आय में वृद्धि होगी। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। नौकरी में स्थान परिवर्तन की सम्भावना बन रही हैं। अनियोजित खर्च बढ़ेंगे। भाइयों का सहयेाग मिलेगा। परिवार में धार्मिक कार्यक्रम होंगे।सिंह राशिबातचीत में सन्तुलित रहें। धैर्यशीलता बनाये रखने के प्रयास करें। नौकरी में परिवर्तन के योग बन रहे हैं। परिवार से दूर रहना पड़ सकता है। कला एवं संगीत के प्रति रुझान बढ़ेगा। शैक्षिक कार्यों के सुखद परिणाम मिलेंगे। भाई-बहनों के सहयोग से कारोबार का विस्तार हो सकता है।कन्या राशिआत्मविश्वास तो भरपूर रहेगा, परन्तु धैर्यशीलता बनाये रखने के लिए प्रयास करें। पारिवारिक जीवन कष्टमय हो सकता है। घर-परिवार में धार्मिक कार्य होंगे। परिश्रम की अधिकता रहेगी। वाहन सुख की प्राप्ति हो सकती है। मित्रों के सहयोग से कारोबार के योग बनेंगे।तुला राशिमन में शान्ति एवं प्रसन्नता के भाव रहेंगे। कला या संगीत के प्रति रुझान बढ़ सकता है। जीवनसाथी के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। मानसिक तनाव रहेगा। दिनचर्या अव्यवस्थित रहेगी। सन्तान की ओर से सुखद समाचार मिल सकते हैं। सुस्वादु खानपान में रुचि रहेगी।वृश्चिक राशिबातचीत में सन्तुलित रहें। मन परेशान हो सकता है। परिवार के साथ किसी धार्मिक स्थान पर जा सकते हैं। वस्त्रों पर खर्च बढ़ेंगे। आत्मविश्वास में कमी रहेगी। व्यर्थ के विवाद एवं झगड़े आदि से बचें। नौकरी में कोई अतिरिक्त जिम्मेदारी मिल सकती है। यात्रा के योग हैं।धनु राशिधर्म-कर्म में व्यस्तता बढ़ सकती है। नौकरी में कार्यक्षेत्र में परिवर्तन हो सकता है। परिश्रम अधिक रहेंगे। मित्रों का सहयोग मिलेगा। पठन-पाठन में रुचि रहेगी। नौकरी में परिवर्तन की सम्भावना बन रही हैं। आय में वृद्धि होगी, परन्तु खर्च भी बढ़ेंगे। विवादों से दूर रहें।मकर राशिआत्मविश्वास तो भरपूर रहेगा, परन्तु बातचीत में संयत रहें। सम्पत्ति में वृद्धि हो सकती है। किसी मित्र के सहयोग से निवेश हो सकता है। भवन सुख में वृद्धि हो सकती है। घर को सुख-सुविधाओं का विस्तार होगा। घर में धार्मिक कार्य होंगे। सुखद समाचार मिलेगा।कुंभ राशिमन परेशान हो सकता है। नौकरी में परिवर्तन की सम्भावना बन रही है। तरक्की के अवसर भी मिल सकते हैं। आय में वृद्धि होगी। नौकरी में तरक्की के मार्ग प्रशस्त होंगे। आय में वृद्धि होगी। कार्यक्षेत्र का विस्तार होगा। शासन सत्ता का सहयोग मिलेगा।मीन राशिआत्मसंयत रहें। सन्तान के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। किसी पैतृक सम्पत्ति से धन की प्राप्ति हो सकती है। वाहन के रख-रखाव पर खर्च बढ़ेंगे। आत्मविश्वास भरपूर रहेगा, परन्तु परिवार की समस्या परेशान कर सकती हैं। पिता का साथ मिलेगा। खर्च अधिक रहेंगे।
- पढ़िए ज्योतिषी वास्तुशास्त्री विनीत शर्मा का आलेखकन्या लग्न में 6.20 am से 8.29 तकतुला लग्न में 8.29 am से 10.42सूर्योदय सिंह लग्न में 5.53 से 6.20 am तकबुद्धि ज्ञान और सुमति के देने वाले श्री गणेश भगवान श्री विनायक प्रथम पूज्य प्रथमेश श्री लंबोदर महाराज का जन्म कन्या लग्न और कन्या राशि में हुआ ऐसा माना गया है । संवत 2078 भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन चित्रा नक्षत्र ब्रह्म योग मुसल योग और तुला राशि का संयोग बन रहा है आज के शुभ दिन चंद्रमा तुला राशि में विराजमान रहेंगे।तुला राशि का चंद्रमा शुक्रवार और गणेश चतुर्थी यह संयोग कई वर्षों के बाद बन रहा है । सर्व प्रथम पूज्य होने वाले भगवान श्री लंबोदर महाराज जो स्वयं विध्नहर्ता हैं यह सौभाग्य चतुर्थी वर्ग चतुर्थी और श्री गणेश चतुर्थी के नाम से समस्त भारतवर्ष में त्यौहार मनाया जाता है गणपति भगवान सुमंगल सुमति और ज्ञान और विज्ञान के देवता हैं गणेश जी की पूजा पाठ करने से हमारी मेधा बुद्धि बहुत विकसित होती है।भगवान श्री एकदंत जी की चार भुजाएं चार पुरुषार्थ चातुष्टय की प्रतीक हैंचारभुजा धर्म अर्थ काम और मोक्ष को प्रतिनिधित्व करती हैं संपूर्ण जगत को गणेश जी के चार हाथों से कर्म करने उद्यमिता व कर्मशील श्रमशील रहने की प्रेरणा मिलती है ।गणेश जी गृहस्थी के देवता भी माने जाते हैं इनके गृहस्थी सुखमय और आनंदमय हैं शुभ और लाभ के रूप में आप के दो पुत्र हैं जो जीवन में सकारात्मकता धनात्मकता व शुभता के द्योतक हैं। रिद्धि और सिद्धि का वर देने वाली श्री गणेश जी की धर्मपत्नीधर्म पत्नियां हैं मुख्य रूप से आठ सिद्धियां और नव रिद्धियां होती हैं यह मानव मात्र के जीवन को कल्याण उत्कर्ष और उत्थान से समाहित कर देती हैं। वास्तव में श्री गणेश भगवान मानव मात्र को उन्नयन उत्थान व सुमतिवान बनाने वाले देवता हैं।आज के शुभ दिन भगवान श्री लंबोदर भगवान को मोदक के लड्डू और केले जैसे ऋतु फल का भोग लगाना बहुत ही शुभ माना गया है।भगवान गणेश जी प्रकृति प्रेमी है इसलिए मिट्टी के गणेश की स्थापना कर उन्हें प्रकृति में ही समाहित करने का विधान है।भगवान श्री गणेश का लंबा उदर जीवन मे सहनशीलता दयालुता उदारता क्षमाशीलता सुधीरता के गुणों को विकसित करने का संदेश देतेहै।
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शनि भाग्य का स्वामी है। शनि पर्वत पर बनने वाले निशान व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करते हैं। यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि शनि पर्वत पर चिह्न कैसा है। जानिए शनि पर्वत पर ऐसे ही कुछ चिह्नों के बारे में जो व्यक्ति को प्रभावित करते हैं।
-यदि शनि पर्वत पर तारे का निशान है तो यह व्यक्ति के जीवन में दुर्घटना, चोट और गंभीर बीमारी की आशंका बनी रहती है। ऐसे व्यक्ति को किसी कारण जेल जाना भी पड़ सकता है।
-शनि पर्वत पर वर्ग का निशान शुभ माना जाता है। यदि इस पर वर्ग का निशान है तो व्यक्ति मुश्किलों से बच निकलते हैं। ये लोग हर संकट से बच जाते हैं। वर्ग का निशान व्यक्ति को अच्छे लोगों का साथ भी दिलाता है।
-यदि व्यक्ति के शनि पर्वत पर सीढ़ीनुमा संरचना बनी हुई है तो यह उच्च मुकाम की ओर इशारा करता है। इस योग से व्यक्ति अपने जीवन में अकूत धन कमाते हैं। यह निशान व्यक्ति को सफलता दिलाता है।
-शनि पर्वत पर यदि कोई एक खड़ी रेखा है तो ऐसा व्यक्ति भाग्यशाली होता है। ऐसे लोगों के साथ जो भी आते हैं उनकी किस्मत भी चमकने लगती है। हालांकि यदि शनि पर्वत पर दो खड़ी रेखाएं है तो यह कड़ी मेहनत और संघर्ष से ही सफलता मिलने का इशारा करती है।
-शनि पर्वत पर क्रॉस का निशान शुभ नहीं माना जाता। ऐसा व्यक्ति परेशान और दुखी रहता है। यह निशान जीवन में दुर्घटना और अकाल मृत्यु का भी इशारा करता है।
-शनि पर्वत पर त्रिशूल का निशान बहुत ही शुभ माना गया है। ऐसे लोगों पर भगवान शिव की कृपा रहती है। यदि व्यक्ति के शनि पर्वत पर त्रिशूल का निशान है तो यह कम समय और कम मेहनत से सफलता मिलने को दर्शाता है।-file photo
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गजानन गणपति का जन्मोत्सव गणेश चतुर्थी 10 सितंबर शुक्रवार को है। हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को ये उत्सव शुरू होता है और अनंत चतुर्दशी तक चलता है। मान्यता है कि इस चतुर्थी को दोपहर के समय गणपति का जन्म हुआ था। गणपति का जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में चलने वाले 10 दिन के इस उत्सव को देश के तमाम हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है।
भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को पत्थर चौथ और कलंक चतुर्थी भी कहा जाता है। इस दिन चंद्रमा के दर्शन करने की मनाही होती है। मान्यता है कि इस दिन अगर भूलवश भी चंद्र दर्शन हो जाए तो व्यक्ति को पाप लगता है और झूठा आरोप झेलना पड़ता है। जानिए इस दिन को क्यों कहा जाता है पत्थर चौथ और कलंक चतुर्थी और अगर भूलवश चंद्र दर्शन हो जाएं, तो उसका क्या निवारण है !
ये है कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार गणपति प्रेमपूर्वक अपने पसंदीदा मिष्ठान खा रहे थे। उनके आसपास मिष्ठान के थाल सजे हुए थे। तभी चंद्रदेव वहां से गुजरे। गणपति को खाते हुए देख वे उनके पेट और सूंड को लेकर मजाक बनाने लगे और जोर-जोर से हंसने लगे। चंद्र देव का ये रूप देखकर गणेश भगवान को बहुत क्रोध आया और उन्होंने चंद्रमा को श्राप दे दिया कि तुम्हें अपने रूप का गुमान है, इसलिए मैं श्राप देता हूं कि तुम अपना रूप खो दोगे। तुम्हारी सारी कलाएं नष्ट हो जाएंगी और जो भी तुम्हारे दर्शन करेगा, उसे कलंकित होना पड़ेगा। जिस दिन ये घटना घटी, उस दिन भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि थी।
गणपति के इस श्राप के बाद चंद्रदेव को अपनी भूल का अहसास हो गया। उन्होंने सभी देवी देवताओं के साथ मिलकर गणपति की पूजा की और उन्हें प्रसन्न कर अपनी भूल की क्षमा याचना की। तब गणपति ने उनसे एक वरदान मांगने को कहा। सभी देवताओं ने चंद्रदेव को माफ करने और श्राप को निष्फल करने का वरदान मांगा। तब गणपति ने कहा कि मैं अपना श्राप तो वापस नहीं ले सकता, लेकिन इसे सीमित जरूर कर सकता हूं।
भगवान गणेश ने कहा कि चंद्रमा की कलाएं माह के 15 दिन घटेंगी और 15 दिन बढ़ेंगी। चंद्र दर्शन से कलंकित होने का श्राप सिर्फ चतुर्थी के दिन ही मान्य होगा। चतुर्थी के दिन कोई भी चंद्रमा के दर्शन नहीं करेगा। लेकिन अगर उसे भूलवश दर्शन हो गए तो उसे इस श्राप के प्रभाव से बचने के लिए 5 पत्थर किसी दूसरे की छत पर फेंकने होंगे। इससे वो दोष मुक्त हो जाएगा। तब से इस दिन को कलंक चौथ और पत्थर चौथ कहा जाने लगा। मध्यप्रदेश के कुछ ग्रामीण इलाकों और राजस्थान के कुछ क्षेत्रों में आज भी कलंक चौथ के दिन दूसरे की छत पर पत्थर फेंकने की परंपरा है। -
कुछ लोगों में रिश्ते निभाने की काबिलियत बहुत अच्छी होती है, इसलिए वे छोटी मोटी बातों को अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन अपने रिलेशनशिप को खराब नहीं होने देते। वहीं कुछ लोगों में बर्दाश्त करने की क्षमता बहुत कम होती है, इसलिए वे छोटी सी बात पर भी अपना धैर्य खो देते हैं और सब कुछ खत्म करने को तैयार हो जाते हैं।
ज्योतिषशास्त्र की मानें तो व्यक्ति में ये गुण उसकी परवरिश और माहौल की वजह से भी होते हैं और राशि की वजह से भी। माहौल से विकसित गुणों को बदलना आसान होता है, लेकिन जो गुण राशि की वजह से होते हैं, वे जन्म से व्यक्ति में मौजूद रहते हैं। उन्हें कम करने की कितनी ही कोशिश करें, थोड़ा बहुत उन गुणों का अंश रह ही जाता है। आज जानते हैं ऐसी पांच राशियों के बारे में जो रिश्ते निभाने काफी कच्चे होते हैं।
मेष राशि
इस राशि के लोगों को दिलफेंक माना जाता है। ये बहुत जल्दी किसी से भी प्रभावित हो जाते हैं और अपना दिल दे बैठते हैं। इस कारण इन लोगों के कई अफेयर हो जाते हैं। अपने एक झूठ को छिपाने के लिए ये बार बार झूठ बोलते हैं। जब इनकी बातों में कोई न आए तो ये सालों पुराने रिश्ते को भी एक झटके में तोडऩे को तैयार हो जाते हैं। हालांकि बाद में इन्हें अपनी गलती का अहसास होता है, लेकिन तब तक देर हो चुकी होती है।
मिथुन राशि
इस राशि के लोगों के लिए कहा जाता है कि ये एक साथ कई रिलेशनशिप चला सकते हैं। इन्हें पकड़ पाना आसान नहीं होता, लेकिन ये जितनी जल्दी किसी के प्यार में पड़ते हैं, उतनी ही जल्दी प्यार से नाता भी तोड़ देते हैं।
कन्या राशि
इस राशि के लोग प्यार के मामले में सच्चे होते हैं। ये न तो धोखा देते हैं और न ही देना पसंद करते हैं, लेकिन अगर एक बार ये किसी बात से चिढ़ जाएं या इनका दिल दुख जाए तो ये एक सेकंड में उस रिश्ते को खत्म कर देते हैं। फिर पलटकर भी नहीं देखते।
धनु राशि
इस राशि के लोग आजाद खयालों वाले होते हैं। ये प्यार में धोखा तो नहीं देते, लेकिन यदि इनकी आजादी पर कोई अंकुश लगाने की कोशिश करे तो ये रिश्ते को दो मिनट में तोडऩे को तैयार हो जाते हैं। अपने रिश्ते से कहीं ज्यादा प्यारी इन्हें अपनी आजादी होती है।
मीन राशि
माना जाता है कि इस राशि के लोग थोड़े स्वार्थी होते हैं। ये अपने पार्टनर से बहुत उम्मीदें रखते हैं और अगर इनकी उम्मीद पूरी न हो, तो ये रिश्ता खत्म करने में जरा भी संकोच नहीं करते। - भगवान गणेश सब के दुलारे हैं और हर शुभ कार्य करने से पहले भगवान गणेश जी का स्मरण किया जाता है और विघ्नहर्ता गणेश प्रसन्न होकर कार्यों में आने वाली रुकावटों को दूर करते हैं। भगवान गणेश जी के 108 नाम के जाप मात्र से ही मनुष्य के समस्त भय दूर हो जाते हैं। भगवान गणेश विघ्नकर्ता और विघ्नहर्ता दोनों ही हैं। लंबोदर जिस घर में निवास करते हैं वहां ऋद्धि-सिद्धि और कीर्ति से भंडार भरा रहता है।गणेश जी के 108 नाम अर्थ सहित1*गणेश्वर—गणों के स्वामी2*गजकर्णक—हाथी के कान वाले3*लम्बोष्ठ—बड़े-बड़े होंठ वाले4*लम्बनासिक—लम्बी नाक वाले5*गणक्रीड—गणों के साथ क्रीडा करने वाले6*भगवान्—अनन्त, छहों ऐश्वर्य सम्पन्न7*भव्य—सुन्दर8*भूतालय—भूतसमूह के आश्रय9*भोगदाता—भोग प्रदान करने वाले10*भक्तिसुलभ—भक्ति द्वारा शीघ्र प्राप्त होने वाले11*विजयावह—विजयप्रदाता12*विश्वकर्ता—सबको उत्पन्न करने वाले13*वीरासनाश्रय—वीरासन में विराजमान14*वरेण्य—श्रेष्ठ15*वामदेव—सुन्दर स्वरूप वाले16*वन्द्य—वन्दन करने योग्य17*वज्रनिवारण—क्लेशों से रक्षा करने वाले18*विश्वकर्ता—सर्वस्रष्टा, सब कुछ करने वाले19*विश्वचक्षु—सब कुछ देखने वाले20*विश्वमुख—सभी ओर मुख वाले21*दुर्जय—अजेय22*धूर्जय—जीतने को उत्सुक23*धनद—समृद्धि देने वाले24*धरणीधर—पृथ्वी को धारण करने वाले25*जय—जय26*महामना—जिनका हृदय विशाल है27*महागणपति—महागणपति28*योगाधिप—योग के अधिष्ठाता29*चित्रांग—दीप्तिमान अंगों वाले30*श्यामदशन—श्याम आभायुक्त दांत वाले31*भालचन्द्र—मस्तक पर चन्द्रकला धारण करने वाले32*चतुर्भुज—चार भुजाओं वाले33*शम्भुतेज—शम्भु के तेज से उत्पन्न34*सर्वावयवसम्पूर्ण—सभी अंगों से परिपूर्ण35*सर्वलक्षणलक्षित—सभी शुभ लक्षणों से युक्त36*स्वतन्त्र—स्वाधीन37*सत्यसंकल्प—संकल्पवान्38*सहस्त्रशीर्षा पुरुष—अनन्तरूप में प्रकट विराट् पुरुष39*सहस्त्राक्ष—अनन्त दृष्टिसम्पन्न40*सहस्त्रपात—अनन्त गतिसम्पन्न41*सौभाग्यवर्धन—सौभाग्य बढ़ाने वाले42*सर्वात्मा—सबके आत्मस्वरूप43*सुरुप—सुन्दर रूप वाले44*सर्वनेत्राधिवास—सबकी आंखों में बसने वाले45*सामबृंहित—सामवेद में गाए गए46*कुलाचलांस—कुल पर्वतों के समान कांधों वाले47*व्योमनाभि—आकाश की सी नाभि वाले48*कल्पद्रुमवनालय—कल्पवृक्ष के वन में रहने वाले49*निम्ननाभि—गहरी नाभि वाले50*स्थूलकुक्षि—मोटे पेट वाले51*पीनवक्षा—चौड़ी छाती वाले52*बृहद्भुज—लम्बी भुजाओं वाले53*पीनस्कन्ध—चौड़े कन्धों वाले54*याज्ञिक—यज्ञप्रक्रिया के पूर्ण ज्ञाता55*यज्ञकाय—यज्ञस्वरूप56*याजकप्रिय-जिन्हें यज्ञकर्ता प्रिय हैं57*इन्दीवरदलश्याम—नीलकमलपत्र के समान श्याम वर्ण वाले58*इन्दुमण्डलनिर्मल—चन्द्रमण्डल के समान निर्मल59*इक्षुचापधर—ईख के धनुष को धारण करने वाले60*इन्दुमण्डलनिर्मल—चन्द्रमण्डल के समान निर्मल61*पुरुष—पुरुष62*शूली—शूल धारण करने वाले63*ज्ञानमुद्रावान्—ज्ञानमुद्रा में स्थित64*कामिनीकामनाकाममालिनीकेलिलालित—कामिनियों की कामनारूपी कामकला की क्रीडा से प्रसन्न होने वाले65*दुष्टचित्तप्रसादन—चित्त के दोषों को मिटा देने वाले।66*अमोघसिद्धि—अमोघ सिद्धिस्वरूप67*अक्षमालाधर—अक्षमाला धारण करने वाले68*आधार—आधारस्वरूप69*आधाराधेयवर्जित—जिनका कोई आधार नहीं और जो किसी पर आश्रित नहीं70*कम्बुकण्ठ—शंख के समान कण्ठ वाले71*कर्मसाक्षी—सभी कर्मों के साक्षी72*कर्मकर्ता—सभी कर्मों की मूलशक्ति73*कान्तिकन्दलिताश्रय—शोभायमान गण्डस्थल वाले74*कर्माकर्मफलप्रद—पुण्य और पाप का फल देने वाले75*कमण्डलुधर—कमण्डलु धारण करने वाले76*कल्प—नियम के स्वरूप77*कपर्दीकामरूप—इच्छानुसार रूप ग्रहण करने वाले78*कामगति—इच्छानुसार गति वाले79*कटिसूत्रभृत—कमर में मेखला धारण किए हुए80*कारुण्यदेह—करुणामूर्ति81*कपिल—रक्त आभायुक्त82*गुह्यागमनिरुपित—रहस्यमय तन्त्रों में वर्णित83*गुहाशय—भक्तों के हृदय में विराजमान84*गुहाब्धिस्थ—हृदयसमुद्र में स्थित85*घटकुम्भ—घड़े के समान गण्डस्थल वाले86*घटोदर—घड़े के समान पेट वाले87*पूर्णानन्द—पूर्णानन्दस्वरूप88*परानन्द—आनन्द की पराकाष्ठा89*बृहत्तम—सबसे बड़े90*ब्रह्मपर—परब्रह्म91*ब्रह्मण्य—ब्रह्मानुवर्ती92*ब्रह्मवित्प्रिय—ब्रह्मज्ञानियों के प्रिय93*हवन—यज्ञस्वरूप94*हव्यकव्यभुक्—हव्य और कव्य के भोक्ता95*कीर्तिद—कीर्ति देने वाले96*शोकहारी—शोक मिटाने वाले97*त्रिवर्गफलदायक—धर्म,अर्थ,काम तीनों पुरुषार्थों के प्रदाता98*चतुर्बाहु—चार भुजाओं वाले99*चतुर्दन्त—चार दांतों वाले100*चतुर्थीतिथिसम्भव—चतुर्थी तिथि को अवतार ग्रहण करने वाले101*तारकस्थ—तारकमन्त्र में निवास करने वाले102*द्विरद—दो दांत वाले103*द्वीपरक्षक—समस्त धरती के रक्षक104*क्षेत्राधिप—समस्त क्षेत्र के अधिष्ठाता105*क्षमा-भर्ता—क्षमा धारण करने वाले106*लयस्थ—गानप्रिय107*लड्डुकप्रिय—जिन्हें लड्डू प्रिय हैं108*प्रतिवादिमुखस्तम्भ—विरोधी का मुख बन्द कर देने वाले
- जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 389★ भूमिका - आज के अंक में प्रकाशित दोहा तथा उसकी व्याख्या जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा विरचित ग्रन्थ 'भक्ति-शतक' से उद्धृत है। इस ग्रन्थ में आचार्यश्री ने 100-दोहों की रचना की है, जिनमें 'भक्ति' तत्व के सभी गूढ़ रहस्यों को बड़ी सरलता से प्रकट किया है। पुनः उनके भावार्थ तथा व्याख्या के द्वारा विषय को और अधिक स्पष्ट किया है, जिसका पठन और मनन करने पर निश्चय ही आत्मिक लाभ प्राप्त होता है। आइये उसी ग्रन्थ के 35-वें दोहे पर विचार करें, जिसमें आचार्यश्री ने यह बताया है कि सत्य, अहिंसा जैसे दैवीय गुणों की प्राप्ति के लिये भी भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति अनिवार्य है। आइये इस रहस्य को दोहे तथा व्याख्या के रूप में समझने का प्रयत्न करें....सत्य अहिंसा आदि मन!, बिन हरिभजन न पाय।जल ते घृत निकले नहीं, कोटिन करिय उपाय।।35।।भावार्थ ::: सत्य, अहिंसादि दैवीगुण केवल श्रीकृष्ण भक्ति से ही मिल सकते हैं । जैसे पानी मथने से घी नहीं निकल सकता। ऐसे ही अन्य करोड़ों उपायों से भी दैवीगुण नहीं मिलते।व्याख्या ::: सत्य बोलना आदि दैवी गुण हैं। सभी व्यक्ति इन गुणों से प्यार भी करते हैं। क्योंकि दैवी गुणों के अध्यक्ष श्री कृष्ण के अंश हैं। हम दूसरों से जो चाहते हैं वही हमारा स्वभाव है। किसी के झूठ बोलने आदि पर हम लोग एतराज़ करते हैं, भले ही स्वयं दिन में सैकड़ों झूठ बोलते हों। इससे सिद्ध हुआ कि दैवी गुण सत्य अहिंसादि भगवान् से ही संबंध रखते हैं एवं इसके विपरीत झूठ, हिंसादि, माया से संबंध रखते हैं। इसी से मायिक वस्तुओं के लोभ में हम लोग झूठ आदि का अवलंब लेते हैं। अतः जब तक भगवान् की भक्ति न की जायगी तब तक अंत : करण शुद्ध ही न होगा। बिना अंतःकरण शुद्ध हुये हम सत्य आदि दैवीगुणों का प्रदर्शन मात्र कर सकते हैं किंतु वास्तव में दैवीगुण युक्त नहीं हो सकते। केवल मन से सोचने मात्र से हमारा मन शुद्ध न होगा। हाँ यह हो सकता है कि बार-बार सोचने से, परलोक के भय से कुछ मात्रा में बहिरंग रूप से इन गुणों का दिखावा कर लें।• संदर्भ पुस्तक ::: भक्ति-शतक, दोहा संख्या 35
★★★ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: © राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(5) www.youtube.com/JKPIndia(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - हिंदू धर्म में तीज का काफी महत्व है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और संतान प्राप्ति होती है.हिंदू कैलेंडर के अनुसार साल में कुल तीन तीज आती हैं. भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आने वाली तीज को हरतालिका तीज (Hartalika Teej) कहा जाता है. इस दिन भगवान शिव और पार्वती की पूजा की जाती है. इस बार हरतालिका तीज 9 सितंबर को है. इस दिन भोले शंकर और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए विशेष उपाय करने चाहिएं. ऐसा करने से श्रद्धालुओं की हरेक मनोकामना पूरी हो जाती है. आइये जानते हैं क्या हैं वे विशेष उपाय:-ऐसे करें मां पार्वती का अभिषेकहरतालिका तीज पर व्रत रखने के साथ ही कर्पूर, अगरु, केसर, कस्तूरी और कमल के जल से माता पार्वती का अभिषेक करना चाहिए. ऐसा करने से सभी प्रकार के पापों का नाश हो जाता है. इतना ही नहीं, व्यक्ति को थोड़े प्रयासों से ही सफलता मिलती है.माता पार्वती को शहद का भोग लगाकर उस शहद को दान कर देना चाहिए. ऐसा करने से व्यक्ति के भाग्य में धन प्राप्ति के योग बनते हैं. वहीं, गुड़ की चीजों को भोग लगाकर दान करने से परिवार की दरिद्रता दूर होती है.पति-पत्नी के बीच प्रेम होगा मजबूतवैवाहिक जीवन में प्यार और रस बना रहे. इसके लिए हरतालिका तीज के दिन माता पार्वती को खीर का भोग लगाएं. ऐसा करने से पति-पत्नी के बीच प्रेम कभी कम नहीं होता.अगर पति-पत्नी के बीच मतभेद रहता है तो दोनों को इस दिन दूध में केसर मिलाकर माता पार्वती का अभिषेक करना चाहिए. इससे उनके बीच के विवाद खत्म होने लगते हैं और आपसी संबंधों में मधुरता आती है.चावल चढ़ाने से धन की प्राप्तिभगवान शिव को चावल चढ़ाने से धन की प्राप्ति होती है. वहीं तिल का अर्पण करने से पापों का नाश होता है. शिवपुराण के अनुसार लाल और सफेद रंग के फूल से भोलेनाथ का पूजन करने पर भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है.ससुराल में मान-सम्मान बढ़ता रहे. इसके लिए हरतालिका तीज (Hartalika Teej 2021) की थाली अपनी सास को भेंट करें और उनका आर्शीवाद लें. इसके बाद थाली से कुछ चीजें अपनी सास से मांग लें या चुपके से निकाल कर माता पार्वती को अर्पित करें.इस उपाय से मिलता है वाहन सुखशिवपुराण के अनुसार भगवान शिव को चमेली के फूल चढ़ाने से वाहन का सुख मिलता है. अलसी के फूलों से भगवान शिव का पूजन करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं. जिससे आपको शुभ लाभ प्राप्त होते हैं.
- भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) मनाई जाती है. इस दिन गणेश स्थापना (Ganesh Sthapana 2021) होती है और भगवान 10 दिनों तक अपने भक्तों के साथ रहते हैं. इस दौरान भक्त अपने भगवान को प्रसन्न करने के लिए कई काम करते हैं. नए कपड़े पहनते हैं, उत्सव मनाते हैं, भगवान की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं, उन्हें तरह-तरह के भोग लगाते हैं. भगवान गणेश (Lord Ganesha) को कुछ चीजें बहुत प्रिय हैं, यदि गणेश चतुर्थी और गणेशोत्सव के दौरान उन्हें ये चीजें अर्पित की जाएं तो वे प्रसन्न होकर सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.गणपति को अर्पित करें ये चीजें10 सितंबर से शुरू हो रहे गणेशोत्सव के दौरान गणपति की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए. इससे घर में सुख-समृद्धि आती है. इसके अलावा गणेश जी को कुछ खास चीजें जरूर अर्पित करनी चाहिए.सिंदूर: भगवान गणेश की पूजा करते समय उन्हें सिंदूर का तिलक जरूर लगाएं. साथ ही भगवान को तिलक करने के बाद खुद को भी तिलक लगा लें, ऐसा करने से व्यक्ति को सफलता-समृद्धि मिलती है.दूर्वा: गणपति को पूजा में दूर्वा जरूर चढ़ानी चाहिए. इसके लिए ऐसी दूर्वा अर्पित करें जिसके ऊपरी हिस्से में 3 या 3 पत्तियां हों.मोदक: गणपति को मोदक और मोतिचूर के लड्डू बेहद प्रिय हैं. गणेशोत्सव के दौरान भगवान को मोदक और लड्डू का भोग जरूर लगाएं.केला: गणपति बप्पा को केला भी बहुत प्रिय है इसलिए उन्हें भोग में केला जरूर अर्पित करना चाहिए लेकिन याद रखें कि उन्हें एक साथ जुड़े हुए दो केले चढ़ाएं.खीर: भगवान गणेश को खीर भी बहुत प्रिय है. भोग में खीर अर्पित करना गणपति की कृपा पाने का अच्छा तरीका है.
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घर को सुंदर बनाने के लिए लोग कई तरह के इंतजाम करते हैं। किसी भी प्रकार के वास्तु दोष से बचने के लिए वे अपने घर के भीतर विशेष तरह के पेड़ पौधों को लगाते हैं। वास्तु शास्त्र में एक विशेष पौधे का उल्लेख किया गया है, जो आपके घर की सुंदरता को तो बढ़ाता है। इसके अलावा घर की तरक्की में भी अहम भूमिका निभाता है। इस पौधे का नाम है मनी प्लांट। घर में मनी प्लांट को लगाने से कई तरह के वास्तु दोष मिटते हैं। वास्तु शास्त्र में मनी प्लांट के पौधे का विशेष महत्व बताया गया है। अक्सर लोग इस पौधे को अपने घर में किसी भी स्थान पर रख देते हैं, जो कि गलत है। आपको बता दें कि वास्तु में मनी प्लांट को घर में लगाने के विशेष प्रकार के कुछ नियम बताए गए हैं। अगर आप इन नियमों का ठीक ढंग से पालन करके इस पौधे को घर में लगाते हैं, तो आपकी भी रूठी हुई किस्मत जाग सकती है।
वास्तु शास्त्र के मुताबिक मनी प्लांट को घर के आग्नेय दिशा में लगाना चाहिए। इसके चलते घर के भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार बना रहता है और आर्थिक गतिविधियों में काफी लाभ होता है। मान्यता है कि मनी प्लांट को घर के दक्षिण पूर्व दिशा में रखना काफी शुभ होता है। आपको बता दें कि दक्षिण पूर्व दिशा भगवान श्री गणेश की दिशा है। इस दिशा में मनी प्लांट को रखने से घर के सदस्यों का भाग्य सुधरता है और आर्थिक लाभ का अर्जन होता है।
मनी प्लांट को घर के उत्तर पूर्व दिशा में कभी भी नहीं रखना चाहिए। इसके चलते घर के अंदर नकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस दिशा का प्रतिनिधित्व देवगुरु बृहस्पति करते हैं। शुक्र और बृहस्पति एक-दूसरे के विरोधी हैं। इस कारण उत्तर-पूर्व दिशा में मनी प्लांट लगाने से कई अशुभ चीजें होती हैं।
घर के पूर्व और पश्चिम दिशा में भी मनी प्लांट को कभी नहीं लगाना चाहिए। इस दिशा में मनी प्लांट रखने से घर के सदस्यों के भीतर मानसिक तनाव जन्म लेता है, जिसके चलते आपसी मतभेद होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा आपको यह भी ध्यान रखना चाहिए कि मनी प्लांट की बेल जमीन को ना छूए। अगर ऐसा होता है तो ये काफी अशुभ संकेत है। इसके चलते आपको आर्थिक हानि और घर की सुख-समृद्धि में रुकावट देखने को मिल सकती है।
आप मनी प्लांट को किसी रस्सी या डंडे के सहारे ऊपर की तरफ बांध भी सकते हैं। इससे आर्थिक स्थिति सुधरेगी और भाग्य ऊर्जा में सकारात्मकता आएगी। मनी प्लांट को जल देते वक्त पानी में कुछ दूध के अंश को जरूर मिलाना चाहिए। इससे धन अर्जन की संभावना बढ़ जाती है। रविवार के दिन इस पौधे को जल नहीं देना चाहिए। -
हर व्यक्ति चाहता है कि उसके घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहे लेकिन कभी-कभी घर में लड़ाई-झगड़े होना स्वाभाविक सी बात है लेकिन कई बार अचानक से ये झगड़े बहुत ज्यादा बढ़ने लगते हैं, क्या आपको पता है कि कई बार इन झगड़ो के पीछे का कारण आपसी मतभेद नहीं होते हैं बल्कि हमारे द्वारा घर में जाने-अनजाने की गई कुछ गलतियों के कारण भी घर की सुख-शांति भंग हो जाती है। वास्तु के अनुसार रसोई घर में की गई कुछ गलतियों की वजह से भी आपके घर में अशांति आने लगती है। रसोई एक ऐसा स्थान होता है जहां पूरे परिवार के लिए भोजन बनता है, इसलिए इस स्थान का सीधा संबंध परिवार के सभी सदस्यों की सेहत और मन पर पड़ता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार रसोई में कुछ बातों को ध्यान में रखना बहुत ही आवश्यक होता है। वास्तु के अनुसार रसोई में कुछ चीजों को रखने के लिए मना किया जाता है। इन चीजों को भूलकर भी अपनी रसोई में नहीं रखना चाहिए अन्यथा आपको घर में कलह-क्लेश और आर्थिक तंग बढ़ने लगती है। तो आइए जानते हैं कि कौन सी चीजें रसोई में नहीं रखनी चाहिए।
रसोई में न रखें दवाइयों का डिब्बा
रसोई में कई बार काम करते हुए थोड़ी-बहुत चोट जैसे कटना, जलना लग जाती है इसलिए कई बार महिलाएं रसोई में ही दवाई रखकर भूल जाती हैं। वास्तु के अनुसार रसोई घर में कभी भी दवाइयां नहीं रखनी चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से रोग बढ़ने की संभावना रहती है। इसका सबसे अधिक प्रभाव घर के मुखियां से स्वास्थ्य पर पड़ता है और इलाज करवाने में ही आपके घर के पैसा खर्च होता चला जाता है। जिसके कारण घर में आर्थिक परेशानी और अशांति बढ़ने लगती है।
गुथा हुआ बासी आटा
अक्सर देखने में आता है कि कई बार गुथा हुआ आटा बच जाने पर उसे फ्रिज में करके रख दिया जाता है। यह स्वास्थ की दृष्टि से तो नुकसानदायक रहता ही है साथ ही में इससे शनि और राहु का नकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है जिससे आपके घर में आर्थिक तंगी और क्लेश बढ़ने लगता है। इसके अलावा शास्त्रों में भी गुथें हुए आटे को रखना गलत माना गया है। मान्यताओं के अनुसार गुथे हुए आटे को जब रखा जाता है तो उसका संबंध पितरों से माना जाता है इसलिए मानते हैं कि यदि गुथा हुआ आटा घर में रखा हो तो पितर तृप्ति के लिए आपके घर में विचरण करते हैं और जब आप बाद में उस आटे की रोटियां बनाकर खाते हैं तो इससे नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगता है।
गुथा हुआ बासी आटा
अक्सर देखने में आता है कि कई बार गुथा हुआ आटा बच जाने पर उसे फ्रिज में करके रख दिया जाता है। यह स्वास्थ की दृष्टि से तो नुकसानदायक रहता ही है साथ ही में इससे शनि और राहु का नकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है जिससे आपके घर में आर्थिक तंगी और क्लेश बढ़ने लगता है। इसके अलावा शास्त्रों में भी गुथें हुए आटे को रखना गलत माना गया है। मान्यताओं के अनुसार गुथे हुए आटे को जब रखा जाता है तो उसका संबंध पितरों से माना जाता है इसलिए मानते हैं कि यदि गुथा हुआ आटा घर में रखा हो तो पितर तृप्ति के लिए आपके घर में विचरण करते हैं और जब आप बाद में उस आटे की रोटियां बनाकर खाते हैं तो इससे नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगता है।
रसोई में न बनाएं मंदिर
अक्सर देखने में आता है कि कुछ घरों में रसोई के अंदर एक छोटा सा मंदिर भी बना होता है। वैसे तो रसोई अन्नपूर्णा का स्थान होती है साथ ही अग्नि देव भी रसोई में विराजते हैं लेकिन वास्तु के अनुसार कभी भी रसोई में देव स्थान नहीं बनाना चाहिए क्योंकि रसोई में सात्विक भोजन के साथ तामसिक भोजन भी बनता है। यदि तामसिक भोजन न भी बने तो भी प्याज, लहसुन का प्रयोग तो अवश्य ही किया जाता है। ऐसे में यदि आप रसोई में देवी-देवताओं का स्थान बनाते हैं तो आपको नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है। इससे आपके घर में अशांति के साथ ही बीमारियां भो बढ़ने लगती हैं।
टूटे चटके बर्तन
ज्यादतर घरों में अक्सर देखने में आता है कि यदि कोई बर्तन थोड़ा सा चटका या टूटा हुआ है तो उसे इस्तेमाल करते रहते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि इससे आपके घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के साथ ही घर के मुखिया के ऊपर कर्ज बढ़ने लगता है। जो लोग इन बर्तनों में भोजन करते हैं उनके बीच मतभेद होने लगते हैं जिसके कारण आपके घर में अशांति का वातावरण बन जाता है। यदि आपके घर की रसोई में कोई भी टूटा या चटका हुआ बर्तन हो तो उसे तुरंत हटा देना चाहिए।
जूते और चप्पल
किसी की भी रसोई में वैसे तो जूते चप्पल नहीं रखे जाते हैं लेकिन हम अक्सर जूते-चप्पल पहनकर ही रसोई में चले जाते हैं। यह बहुत ही गलत होता है। जूते-चप्पलों के साथ रसोई में गंदगी और कई तरह के किटाणु भी पहुंचने की आशंका रहती है, जिसकी वजह से घर के सदस्यों में रोग पनपने की संभावना बढ़ जाती है। इसके साथ ही रसोई अन्नपूर्णा का स्थान है यहां पर जूते पहनकर जाने से उनका अपमान होता है। जिससे आपके घर में अन्न और धन की किल्लत हो सकती है। खासतौर पर खाना बनाते समय तो बिलकुल भी चप्पल नहीं पहननी चाहिए। -
डॉ विनीत शर्मा, ज्योतिषी वास्तु शास्त्री
संवत 2078 में हरितालिका तीज, तीजा ,गौरी व्रत, साम श्रावणी का पर्व भाद्र पद शुक्ल पक्ष की तृतीया 9 सितंबर गुरुवार के दिन मनाया जाएगा इस दिन हस्त नक्षत्र शुक्ला योग तैतिल और गर करण का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ रहा है आज के दिन कन्या और तुला राशि में चंद्रमा का प्रभाव रहने वालाहै।छत्तीसगढ़ में इस पर्व को तीजा के नाम से सभी सौभाग्यवती नारियां मनाती हैं।इस व्रत को माताएं बहने मायके में जाकर उत्साह के साथ मनाती हैं।छत्तीसगढ़ या कुशावर्त राज्य में बहुत प्राचीन काल से इस पर्व को मनाया जा रहा है।
भारतीय महिलाओं के इस विशिष्ट पावन पर्व पर भद्र योग, वेशि योग ,शश योग और मालव्य योग का शुभ योग निर्माण हो रहा है।इस दिन महिलाएं अलग-अलग रंगों के फूलों से फुलेरा का भी निर्माण करती है।
यह त्यौहार सुहागिन महिलाएं अपने पति के अखंड सौभाग्य की रक्षा हेतु करती हैं यह एक कठिन उपवास माना गया है इस उपवास में निर्जला एवं निराहार रहकर इस व्रत को किया जाता है ।प्राचीन मान्यता है कि आज के दिन माता पार्वती जी ने शिव को प्राप्त करने के लिए तीजा के दिन निर्जला और निराहार रहकर घनघोर तप किया था जिसके फलस्वरूप भगवान शंकर पार्वती से प्रसन्न हो जाते हैं और उन्हें अपने जीवन में पत्नी के रूप में स्थान देते हैं।भारतवर्ष में महिलाएं अपने पति की लंबी आयु सुख सौभाग्य ऐश्वर्या और कीर्ति के लिए इस उपवास को करती हैं कुंवारी कन्याए भी अभिलाषित पति की प्राप्ति हेतु इस उपवास को कर सकती हैं ।उड़ीसा में यह गौरी व्रत के नाम से जाना जाता इस शुभ दिन भद्र योग मालव्य योग का स्पष्ट प्रभाव में देखने को मिल रहा है।
निर्जला व्रत को करते समय महिलाओं को विशेष ध्यान रखना चाहिए कि वे शीतकारी और शीतली प्राणायाम के साथ अनुलोम विलोम और कपालभाति क्रिया के द्वारा अपने शरीर में ऊर्जा और जल के स्तर को बरकरार रख सकती हैं। व्रत करने के एक दिनपूर्व करेला और भात को खाने का विधान है इसे करूभात भी कहा जाता है । जिससे शरीरको विशेष तरह की ऊर्जा मिलती है। - जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 389
(भूमिका - जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रदत्त कुछ दिशा-निर्देश जो कि साधक-समुदाय सहित जनसाधारण के लिये भी पालनीय थे, कल के अंक में प्रकाशित किये गये थे। आज उसी के आगे का शेष भाग प्रकाशित किया जा रहा है। इन निर्देशों पर भली-भाँति विचार कर उन्हें व्यवहार में उतारने से अवश्य ही भौतिक जगत में भी लाभ प्राप्त होगा, आध्यात्मिक क्षेत्र में तो निश्चय लाभप्रद है ही। आइये इन बिन्दुओं को समझने का प्रयास करें....)
(1) दीनता लाना और अभिमान का त्याग :::
अहंकार से बचना और अपमान फील न करना भक्ति की आधारशिला है। तृण से अधिक दीन भाव रहे, वृक्ष से भी अधिक सहिष्णु भाव रहे, सबको सम्मान दो, स्वयं सम्मान न चाहो। मूड ऑफ होने पर बोलो मत। अन्दर जितनी देर तक गुस्सा आये उसको विवेक से काटते रहो। सोचो इससे हमारे शरण्य को कष्ट होगा। अपनी गलती मान लो। अगर कोई भला बुरा कहता है तो सोचो इसने कौन सी नई बात कह दी। भगवत्प्राप्ति से पहले हममें सब अवगुण ही तो भरे पड़े हैं।
(2) सहनशीलता का गुण धारण करना :::
द्वेष करने वाले के प्रति भी द्वेष न करो। दूसरों की गलती के प्रति सहनशील बनो। गलती प्रत्येक व्यक्ति करता है, अतः सबसे नम्रता व दीनता का व्यवहार करो।
(3) युवा लड़के-लड़कियों के लिये सावधानी :::
युवा लड़के-लड़कियाँ ध्यान रखें, किसी की वाणी और व्यवहार के चक्कर में न आयें। कोई भी लड़की किसी भी लड़के को किसी प्रकार के शारीरिक कॉन्टैक्ट की फ्रीडम न दे। जैसे आप दाँत काढ़ रहे हैं, मज़ाक कर रहे हैं, कंधे पर हाथ रख दिया। यह तो हमारा भैया, चाचा का लड़का, ताऊ का लड़का है। तुरंत संभल जाओ। शरीर से दूर और आँखों से संभल कर व्यवहार करो।
(4) कुसंग से अपनी साधना का बचाव :::
कुसंग से बचो। भक्ति विरोधी हर ज्ञान, वस्तु, व्यक्ति कुसंग है। अपने गुरु, मार्ग, इष्ट को छोड़कर अन्य का संग कुसंग है।
(5) दूसरों के दोष न देखना, अपने दोषों का सुधार करना :::
जब गुरु कोई बात पूछे तो भोले बच्चे की भाँति सीधा सा उत्तर दिया करो। उनसे कुछ भी छिपाना सर्वनाश का कारण है। जो दोष बताया जाय तो निरन्तर उसका चिन्तन करो और कोशिश करो कि भविष्य में वह न होने पाये। दूसरे के दोष न देखो, परनिंदा न करो। दूसरों को सुधारने के लिये भी उनके दोष न देखो। लोगों को दूसरों की तो बड़ी भारी फिक्र है लेकिन हमारा क्या होगा, इसकी फिक्र क्यों नहीं करते हो?
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज०० सन्दर्भ ::: साधन साध्य पत्रिका, 2012 अंक०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
★★★ध्यानाकर्षण/नोट :::
जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vedik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 388
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज ऐसे जगदगुरु हुये जिन्होंने श्रीराधारानी गुणगान को विश्वव्यापी बनाया। वस्तुतः दिव्य प्रेम रस स्वरूप श्री कृपालु महाप्रभु के रूप में भगवान की कृपाशक्ति का ही अवतरण हुआ अतः उनके अलौकिक चरित्र का उनकी कृपा द्वारा वर्णन हो सकता है। जीवन पर्यन्त उन्होंने श्रीराधारानी को ही अपनी स्वामिनी मानते हुये श्रीराधा गुणगान का ही दिव्य सन्देश दिया है। जो राधा तत्व पुस्तकों तक सीमित था, उसे अत्यधिक सरल भाषा में उन्होंने समझाया है। आइये उनके साहित्य तथा प्रवचनों में समाहित 'श्रीराधा-तत्व' सम्बन्धी कुछ चिन्तन प्राप्त करें...
★ 'जगदगुरुत्तम-ब्रज साहित्य'(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज विरचित साहित्य/ग्रन्थ)
जहाँ जब रहो सोचो सदा उर धामा।मन की करतूत सारी लिखें नित श्यामा।।
भावार्थ ::: जीव जिस किसी भी स्थान पर रहे, उसे सदा यह चिन्तन करना चाहिये कि मेरे हृदय में विराजमान श्रीराधा मेरे मन के शुभ अशुभ समस्त संकल्पों को जानकर उनके अनुसार मुझे मेरे कर्मों का फल प्रदान करेगी।
• संदर्भ ग्रन्थ ::: श्यामा श्याम गीत, दोहा संख्या - 71----------------★ 'जगदगुरुत्तम-श्रीमुखारविन्द'(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा निःसृत प्रवचन का अंश)
...सब आत्माओं की आत्मा श्रीकृष्ण हैं। तो जैसे आत्मा के सर्वेन्ट हैं ये शरीरेन्द्रीय मन बुद्धि, ऐसे आत्मा सर्वेन्ट है, दास है श्रीकृष्ण का। नहीं मानते इसलिये रो रहे हैं, 84 लाख में घूम रहे हैं। माया को मान लिया स्वामिनी। तो श्रीकृष्ण हमारे स्वामी और आत्मा उनकी दास। ऐसे ही श्रीकृष्ण की आत्मा हैं राधा और श्रीकृष्ण उनके दास हैं। आत्मा राधा उनके शरीर के समान श्रीकृष्ण और श्रीकृष्ण आत्मा इस आत्मा के और ये आत्मा इस शरीर की आत्मा। यानी ये शरीर की आत्मा की आत्मा श्रीकृष्ण की आत्मा राधा!! इसलिये श्रीकृष्ण राधा की आराधना करते हैं...
• संदर्भ पुस्तक ::: साधन साध्य पत्रिका, जुलाई 2017 अंक
★★★ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: © राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(5) www.youtube.com/JKPIndia(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - सभी की जिंदगी में किसी न किसी रूप में उतार-चढ़ाव आते हैं. इसके लिए व्यक्ति के कर्म और भाग्य दोनों जिम्मेदार होते हैं. जब व्यक्ति का भाग्य जागता है तो उसकी जिंदगी बदल देता है. उसे धन-दौलत, तरक्की, खुशहाल रिश्ते सब कुछ देता है. व्यक्ति की जिंदगी में जब यह परिवर्तन होने का समय आता है तो उसे इसका संकेत (Indication) कई तरीकों से मिलने लगता है. आज हम जानते हैं कि धन की देवी लक्ष्मी की कृपा होने से पहले व्यक्ति को सपनों में कौन सी चीजें दिखाई देने लगती हैं.सपने में सांप और उसका बिल दिखना=सपने में सांप का दिखना आम बात है लेकिन सांप का उसके बिल के साथ दिखना बेहद शुभ होता है. यह अचानक ढेर सारा पैसा मिलने का संकेत है.सपने में सोना देखना--सपने में सोना दिखे तो साफ है कि मां लक्ष्मी आप पर मेहरबान होने वाली हैं.सपने में मधुमक्खी का छत्ता देखना--यदि सपने में मधुमक्खी का छत्ता दिखे तो यह बहुत शुभ होता है. यह पैसा आने का इशारा देता है.सपने में चूहा देखना--सपने में चूहा दिखे तो समझ लें घर धन-धान्य से भरने वाला है. अब आपकी जिंदगी में किसी भौतिक सुख की कमी नहीं रहेगी.सपने में देवी-देवता दिखना--सपने में किसी भी भगवान का दिखना बहुत शुभ माना गया है. यह जिंदगी में सफलता मिलने और खूब सारा पैसा मिलने का इशारा है.सपने में जलता हुआ दीपक देखना--सपने में जलता हुआ दीपक दिखना जातक को अपार धन-दौलत मिलने की पूर्व सूचना देता है. यह सपना भी बहुत शुभ माना गया है.सपने में खुद को अंगूठी पहने देखना--यदि सपने में खुद को अंगूठी पहने हुए देखना जिंदगी में समृद्धता आने का संकेत है. यदि लड़की ऐसा सपना देखे तो उसका जल्दी ही विवाह हो जाता है.
- अपना घर लेना सबका सपना होता है. कुछ लोग छोटा सा खूबसूरत घर पाने की इच्छा रखते हैं तो कुछ लोगों को बड़े लग्जरी होम में रहने की ख्वाहिश होती है. हस्तरेखा (Hast Rekha) के जरिए व्यक्ति जान सकता है कि उसे कितना बड़ा और कैसा घर मिलेगा. यह जानकारी हाथ की रेखाओं के अलावा हथेली के कुछ चिह्नों के जरिए मिलती है. आज हम जानते हैं कि कौन सी रेखाएं (Lines) और चिह्न यह बताते हैं कि जातक का घर कैसा होगा.- जिन लोगों के हाथ के अंगूठे और तर्जनी के बीच की दूरी कम होती है, उनका घर छोटा रहता है. वहीं इन लोगों का खुद का घर होगा इसकी संभावना भी कम ही होती है. किराए के घर में ही इनका जीवन बीत जाता है.- मंगल पर्वत का ऊंचा होना जातक को अपने घर का सुख जरूर देता है. मंगल ग्रह भूमि का कारक होता है. यदि मंगल ग्रह का प्रतिनिधित्व करने वाले मंगल पर्वत पर मछली या शंख जैसे शुभ चिह्न हों तो ऐसे व्यक्ति के पास काफी पैसा और जमीन होती है.- हथेली में भाग्य रेखा, जीवन रेखा, सूर्य रेखा मिलकर त्रिकोण की आकृति बनाएं तो ऐसे लोग कम उम्र में अपना घर बना लेते हैं. ये लोग अपनी मेहनत से जिंदगी में बड़ा मुकाम पाते हैं. ये लोग भविष्य में बड़े बंगले में रहने का सुख भी पा लेते हैं.- यदि हथेली में चंद्र पर्वत या शनि पर्वत से रेखाएं निकलकर भाग्य रेखा और जीवन रेखा तक जाएं तो ऐसे लोगों के पास अक्सर फ्लैट होता है. इन लोगों को अपनी ससुराल से भी भूमि लाभ मिलता है.
- छिपकली देखने में बहुत गंदी लगती है और बहुत लोग इससे डरते भी हैं पर क्या आप जानते हैं? कि इसे देखने के और या फिर अगर यह आपके शरीर के किसी अंग पर गिर जाती है तो इसके शुभ और अशुभ दोनों तरह के फायदे और नुकसान होते हैं.आइए आज हम इसके बारे में जान लेते हैंछिपकली देखने और उसके गिरने के फायदे और नुकसान -छिपकली देखने से दिवाली की रात को फायदे -दिवाली की रात में अगर आपको घर में छिपकली दिखाई पड़ जाती है तो शास्त्रों में लिखा है छिपकली को लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है और आप वर्ष भर धन-धान्य सुख समृद्धि के झूले में झूलते रहेंगे।खाना खाते वक्त -अगर आपको छिपकली की आवाज खाना खाते वक्त सुनाई पड़ती है तो आपको कोई शुभ समाचार या फिर कुछ अच्छी प्राप्ति होने होने वाली है यह शुभ माना जाता है।छिपकली देखने से मन की मुराद पूरी होती है -अगर आप मन की मनोकामना को पूरा करते करना चाहते हैं तो आपको अपने घर में जब छिपकली दिख जाती है तो तुरंत जाकर अपने मंदिर घर से कंकू चावल ले आए और इसे छिपकली पर छिड़क दें और अपने मन की बात को मन ही मन बोले ..इससे आपकी मनोकामना पूरी हो जाएगी।मरी हुई छिपकली का दिखना -दिवाली की साफ सफाई के दौरान अगर आपके सामने मरी हुई छिपकली आ जाती है तो यह अशुभ माना जाता है और अगर सफाई करते वक्त छिपकली या उसका बच्चा जाने-अनजाने आपसे मर जाता है तो उसका तुरंत ही संस्कार कर दें। ऐसा करने से लक्ष्मी आपसे नाराज नहीं होगी और आप हत्या के पाप से बच जाएंगे।छिपकली के अंग पर गिरने से फायदे --अगर छिपकली सिर पर गिर जाती है तो राज्य लाभ होता है,मान सम्मान में वृद्धि होती है,प्रमोशन होता है और सरकारी काम बनता है।-माथे पर गिरती है तो अपने किसी प्रियमित्र से मिलाप होता है ,विजय प्राप्त होती है और संपत्ति मिलने की संभावना होती है।-पुरुष के दाएं कान पर गिरती है तो आयु में वृद्धि होती है और अगर औरत के बाएं कान पर गिरती है तो आयु में वृद्धि होती है।-गर्दन पर गिरने से यश की प्राप्ति होती है।-नाक पर गिरने से जल्दी भाग्य में बढ़ोतरी होने वाली है।-छिपकली दाएं कंधे पर गिरती है तो विजय की प्राप्ति होती है।-हाथों पर गिरती है तो वस्तु लाभ होता है और दाहिनी हथेली पर छिपकली गिरने से कपड़े मिलते हैं।-छिपकली अगर सीने पर गिरती है तो सौभाग्य में वृद्धि होती है।-नाभि पर छिपकली गिरने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।-पेट पर गिरती है तो राज्य संबंधी लाभ होता है और आभूषण प्राप्त हो सकता है।-छिपकली अगर पीठ के दाहिनी और गिरती है तो सुख प्राप्त होता है।-दाहिनी जांघ पर गिरने से सुख की प्राप्ति होती है. छिपकली पैरों पर गिरती है तो यह यात्रा की तरफ संकेत देती है।-दाएं पैर के तलवे पर छिपकली गिरने का मतलब ऐश्वर्य की प्राप्ति है।छिपकली के अंग पर गिरने के नुकसान --छिपकली अगर बालों पर गिरती है तो यह मृत्युतुल्य समान कष्ट की ओर इशारा है।-पुरुष के बाएं कान पर गिरती है तो बीमारी का संकेत देती हैऔर स्त्री के दाएं कान पर गिरती है तो बीमारी का सूचक है।-छिपकली अगर दाढ़ी पर गिरती है तो इसका अर्थ है कि आपके सामने जल्द ही कोई भयानक घटना घट सकती है।-छिपकली अगर बाएं कंधे पर गिरती है शत्रु बनते हैं और बाएं हथेली पर छिपकली गिरने पर धन की हानि होती है और कलाई पर गिरती है तो मानसिक कष्ट प्राप्त होता है।-छिपकली पीठ के बीच में गिरती है तो कोई बड़ी परेशानी आने वाली है और गृहक्लेश होते हैं और के पीठ के बाई तरफ गिरने का अर्थ रोग का दस्तक देना है।-बाई जांघ पर गिरने से दुख यानी शारीरिक पीड़ा उठानी पड़ती है।-एड़ी के पास गिरती है तो मृत्यु तुल्य कष्ट हो सकता है।-बाएं पैर के तलवे पर छिपकली गिरने का मतलब व्यापार में नुकसान होगा और पैरों के तलवे के बीच पत्नी को कष्ट का इशारा देती है।निवारण *अगर आपके साथ ऐसा कुछ भी होता है तो आप बिना किसी परेशानी को महसूस करते हुए तुरंत स्नान कर ले या फिर गंगाजल लेकर सोने की अंगूठी से जहां पर छिपकली गिरी है, उस स्थान को उस अंग को साफ करें ऐसा करने से अपशगुन का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
- जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 387
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज की भक्तवत्सलता और भक्तवश्यता भी अनुपम है। कोई भी सत्संगी इनकी छोटी से छोटी सेवा करता, ये उसके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते। यद्यपि अंदर से शक्ति देने वाले, प्रेरणा देने वाले ये स्वयं ही हैं किंतु किसी भी सत्संगी के द्वारा कोई भी सेवा की जाय ये उसका श्रेय उसे ही देते थे, यश का सेहरा उसी के सिर पर बाँधते थे। प्रेम-मंदिर, भक्ति-मंदिर जैसे दिव्यातिदिव्य स्मारक इनके कठिन प्रयास से ही बनें किन्तु कभी भी इन्होंने अपना सम्मान, अपना यश नहीं चाहा, उसमें जिन सत्संगियों ने सेवा की उन्हीं को इस महान कार्य का श्रेय दिया। आइये ऐसे भक्तवत्सल, भक्तवश्य अति कृपालु रसिकवर की अलौकिक वाणी से निःसृत तत्वज्ञान को आत्मसात करें....
★ 'जगदगुरुत्तम-ब्रज साहित्य'(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज विरचित साहित्य/ग्रन्थ)
मम ठाकुर नंदकुमार, मम ठकुरानी सुकुमार।मम दोऊ प्राणाधार, जय जयति युगल सरकार।।भज प्यारिहिं नंदकुमार, भज प्यारिहुँ पिय रिझवार।दोउ सुख महँ दोउ बलिहार, जय जयति युगल सरकार।।
भावार्थ ::: भक्त कहता है - मेरे आराध्य नंदनंदन श्रीकृष्ण हैं। मेरी आराध्या सुकुमारी राधा है। दोनों ही मेरे प्राणों के अवलम्ब हैं। युगल सरकार की सदा जय हो। नंदपुत्र श्रीराधा का सेवन करते हैं। श्रीराधा रसिक शेखर श्रीकृष्ण की उपासना करती हैं। दोनों, दोनों के सुख पर बलिहार जाते हैं। युगल सरकार की सदा जय हो।
• संदर्भ ग्रन्थ ::: युगल रस, कीर्तन संख्या - 2----------------★ 'जगदगुरुत्तम-श्रीमुखारविन्द'(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा निःसृत प्रवचन का अंश)
कोई भगवान या संत की निंदा करे तो उसके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए?-- अगर किसी से तुम्हारा 24 घंटे का घनिष्ट संबंध है, वह अगर कुछ कहता है तो मुस्कुरा कर सुन लो। यह देखकर कि इसको तो कुछ दुःख ही नहीं हुआ, वह खिसिया जायेगा फिर नहीं कहेगा। अगर अन्य कोई व्यक्ति है तो उसे झिड़क दो। उससे संबंध खत्म कर देने में कोई हानि नहीं है।
• संदर्भ पुस्तक ::: प्रश्नोत्तरी, भाग - 1, प्रश्न संख्या 120
★★★ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: © राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(5) www.youtube.com/JKPIndia(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.)