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- गरुड़ पुराण सिर्फ जीवन और मृत्यु के तमाम रहस्यों को ही उजागर नहीं करता, बल्कि लाइफ मैनेजमेंट को लेकर भी काफी कुछ कहता है. मान्यता है कि गरुड़ पुराण में लिखी हर बात भगवान विष्णु और उनके वाहन गरुड़ की वार्तालाप का संग्रह है. यदि इसकी बातों को व्यक्ति अपने जीवन में उतार ले, तो न सिर्फ अपना वर्तमान जीवन सुधार सकता है, बल्कि मृत्यु के बाद भी मोक्ष की राह की ओर अग्रसर हो सकता है. यहां जानिए गरुड़ पुराण में बताई गईं उन आदतों के बारे में जो इंसान के सुख की शत्रु मानी जाती हैं. इन्हें त्यागने के बाद भी व्यक्ति जीवन में आनंद और खुशियों को प्राप्त कर सकता है.1. संसार में ऐसे तमाम उदाहरण हैं जो ये बताते हैं कि जिसने भी घमंड किया, उसका नाश हो गया. इसलिए कभी खुद में अहंकार न आने दें. जो लोग अंहकार से ग्रसित होते हैं, वे दूसरों को तुच्छ दिखाने का प्रयास करते हैं. इससे दूसरों को कष्ट पहुंचता है और वे दुखी होते हैं. इसे महापाप माना गया है. इसलिए घमंड को कभी हावी न होने दें और विनम्रतापूर्ण व्यवहार करें.2. ईर्ष्या से भी व्यक्ति स्वयं का नाश करता है क्योंकि ऐसा व्यक्ति दूसरों की खुशियों से जलता है और स्वयं के बहुमूल्य समय को दूसरे को नुकसान पहुंचाने के लिए इस्तेमाल करता है. इसलिए यदि आप ईर्ष्या करेंगे तो खुद ही परेशान होंगे और जीवन में कभी खुशियों का आनंद नहीं ले पाएंगे.3. जब हम मेहनत करके धन कमाते हैं, तो ही हमें खुशी मिलती है. लेकिन अगर आप दूसरों के धन का लालच करेंगे और उसके धन को हड़पने का प्रयास करेंगे, तो आपके जीवन में कभी खुशियां नहीं आ सकतीं. आप चाहे कितना ही धन जुटा लें, लेकिन आपको जीवन में सुकून नहीं मिल सकता.4. दूसरों की बुराई करके आप अपने ही अंदर नकारात्मकता लेकर आते हैं. साथ ही ऐसे लोगों को खुद भी कई तरह की बुराइयां झेलनी पड़ती हैं. ये आदत कभी आपका भला नहीं कर सकती. इसे बहुत बड़ा पाप माना गया है. ऐसे लोग इधर उधर की बातों में ही अपना समय गवां देते हैं और काफी पीछे रह जाते हैं. अगर आपको वाकई सफल होना है तो आपको दूसरों की बुराई से बचना चाहिए.
- सनातन परंपरा में पेड़ों को ईश्वर का दूसरा रूप माना जाता है. मान्यता है कि हरा सोना कहलाने वाले इन दिव्य वृक्षों पर देवी-देवताओं का हमेशा वास बना रहता है. हिंदू धर्म में पीपल के पेड़ को बहुत ही ज्यादा पवित्र और मंगलकारी माना गया है. मान्यता है कि इसमें देवताओं का वास रहता है. भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में स्वयं कहा है कि “मैं वृक्षों में पीपल हूं.” वैसे मान्यता है कि पीपल के जड़ में ब्रह्मा जी, तने में भगवान विष्णु और सबसे ऊपरी भाग में शिव का वास होता है. न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से बल्कि वनस्पति विज्ञान और आयुर्वेद के अनुसार भी पीपल का पेड़ कई तरह से फायदेमंद माना गया है.इस दिन न चढ़ाएं पीपल पर जलशास्त्रों के मुताबिक शनिवार को पीपल के वृक्ष में लक्ष्मी का वास होता है. इस दिन पीपल में जल चढ़ाना बेहद शुभ माना गया है. गुरुवार एवं शनिवार के दिन जहां पीपल पर जल चढ़ाने का विशेष लाभ माना गया है, वहीं रविवार के दिन पीपल में जल चढ़ाने को लेकर मनाही है. मान्यता है कि इस दिन पीपल में जल अर्पण करने से धन की हानि होती है. साथ ही हमेशा पैसों की तंगी बनी रहती है. इसी तरह पीपल के पेड़ को काटना भी अत्यंत अशुभ माना गया है. ऐसा करने पर वंश वृद्धि में बाधा आती है.पीपल की पूजा से पाएं शनि दोष से मुक्तिपीपल के पेड़ को दीर्घायु प्रदान करने वाला माना जाता है. शनि के दोष को दूर करने के लिए पीपल के पेड़ की विशेष रूप से रूप से पूजा की जाती है. मान्यता है कि शनिवार के दिन पीपल के नीचे सरसों के तेल का दिया जलाने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं.पीपल की पूजा से जुड़े उपायमान्यता है कि पवित्र पीपल के नीचे हनुमत साधना करने पर पवनपुत्र हनुमान जी शीघ्र प्रसन्न होते हैं और अपने साधक को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.पीपल के पेड़ के नीचे शिवलिंग स्थापित करके प्रतिदिन पूजा करने पर अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और साधक को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है.यदि कुंडली में शनि अशुभ फल दे रहे हों या फिर कोई व्यक्ति शनि की ढैय्या या साढ़ेसाती से परेशान हो तो उसे हर शनिवार को पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाकर सात बार परिक्रमा करनी चाहिए. साथ ही शाम के समय सरसों के तेल का दिया जलाना चाहिए.
- हर साल भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है. मान्यता है कि द्वापरयुग में इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने धरती पर देवकी नंदन के रूप में जन्म लिया था. जन्माष्टमी के दिन लोग भगवान श्रीकृष्ण के लिए व्रत रखते हैं और रात में 12 बजे श्रीकृष्ण के जन्म के समय उनका पूजन करते हैं. तमाम मेवा, मिष्ठान और 56 भोग अर्पित करते हैं और पूजन के बाद अपना व्रत खोलते हैं.श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन हर तरफ कान्हा के नाम की ही गूंज होती है. इस बार जन्माष्टमी का ये पर्व 30 अगस्त सोमवार को पड़ रहा है. शास्त्रों में इस व्रत को 100 पापों से मुक्त करने वाला व्रत बताया गया है. कृष्ण जन्माष्टमी के इस अवसर पर जानिए इस व्रत की महिमा.हजार एकादशी के समानशास्त्रों में एकादशी के व्रत को मोक्षदायी और श्रेष्ठ व्रतों में से एक माना गया है. लेकिन इसके नियम काफी कठिन होते हैं, इसलिए एकादशी व्रत रख पाना हर किसी के लिए संभव नहीं होता. ऐसे में आप जन्माष्टमी का व्रत रखकर एकादशी के समान पुण्य अर्जित कर सकते हैं. शास्त्रों में इस जन्माष्टमी के व्रत को एक हजार एकादशी व्रत के समान माना गया है.जाप का अनन्त गुना फल देने वालाजन्माष्टमी के दिन ध्यान, जाप और रात्रि जागरण का विशेष महत्व माना गया है. माना जाता है कि इस दिन जाप और ध्यान करने का अनन्त गुना फल प्राप्त होता है. इसलिए जन्माष्टमी की रात में जागरण करके भगवान के भजन कीर्तन करने चाहिए.अकाल मृत्यु से होती रक्षाभविष्यपुराण के मुताबिक जन्माष्टमी का व्रत अकाल मृत्यु से रक्षा करने वाला है. साथ ही कहा जाता है कि यदि गर्भवती महिला इस व्रत को रहे तो उसका बच्चा गर्भ में एकदम सुरक्षित रहता है. उसे श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है.इन बातों का रखें खयालजन्माष्टमी के व्रत के दिन पूरी श्रद्धा के साथ इस व्रत को रखें क्योंकि भगवान सिर्फ प्रेम के भूखे होते हैं. उन्हें श्रद्धा के साथ जो भी अर्पित करेंगे वे उसे अवश्य स्वीकार करते हैं. इसके अलावा व्रत वाले दिन ईश्वर का ज्यादा से ज्यादा ध्यान करें. संभव हो तो गीता पढ़ें या सुनें. पूजा के दौरान श्रीकृष्ण को पंचामृत और तुलसी पत्र जरूर अर्पित करें. किसी की चुगली न करें और न ही झूठ बोलें और न ही किसी को सताएं.
- आजकल काफी लड़कियां अपने बालों को खुला रखना पसंद करती हैं. ऐसा करना वे फैशन स्टाइल के साथ ही सुविधा के लिहाज से भी उचित मानती हैं. हालांकि धर्म शास्त्रों के हिसाब से देखा जाए तो बालों को खुला रखना अशुभ माना जाता है. मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में अनेक परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं.बाल खुले रखने से बिखर जाते हैं रिश्तेपौराणिक मान्यताओं के अनुसार सीता स्वयंवर के बाद जब देवी सीता ने प्रभु श्रीराम के साथ फेरे लिए थे तो माता सुनयना ने अपनी बेटी सीता के बालों को बांधा धा. तब बेटी को विदा करते वक्त उन्होंने यह सीख दी थी कि बालों को कभी भी खुला नहीं रखना चाहिए. ऐसा करने से रिश्ते बिखर जाते हैं. वहीं बाल अगर बंधे हो तो रिश्ते भी बंधकर रहते हैं.अपमान के बाद द्रोपदी ने खोल दिए थे केशकहते हैं कि खुले और उलझे बाल अमंगलकारी होते हैं. एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार माता कैकेयी जब नाराज होकर कोपभवन में गईं तो उन्होंने भी अपने केश खोल रखे थे. उसी अवस्था में उन्होंने रुदन किया, जिसका गंभीर परिणाम भी देखने को मिला. वहीं द्रोपदी का भरी सभा में अपमान होने के बाद उन्होंने अपने केश खोल दिए थे. जिसका परिणाम धृतराष्ट्र के समूचे पुत्रों और अन्य रिश्तेदारों की तबाही के रूप में देखने को मिला था.रात में बांधकर सोएं अपने बालमान्यताओं के अनुसार रात में अगर आप अकेले या परिवार के साथ सो रहे हों, तब भी बालों को खुला रखकर नहीं सोना चाहिए. माना जाता है कि ऐसा करने से परिवार में दुख-तकलीफें बढ़ती हैं. हालांकि अगर आप पति के साथ सो रहे हैं तो बाल खुले रखे जा सकते हैं. धर्म शास्त्रों के मुताबिक शोक के समय ही स्त्रियां को अपने बाल खुले रखने की छूट दी गई है.खुले बालों पर तंत्र क्रिया का असरयह भी मान्यता है कि बालों से कई तरह की तंत्र क्रियाएं भी की जाती हैं. ऐसे में अगर आप बाल खुले (Open Hair) रखकर घर से बाह निकलती हैं तो आप आसानी से नकारात्मक शक्तियों और तंत्र क्रिया का शिकार हो सकती हैं. धार्मिक मान्यताओं से अलग हटकर अगर वैज्ञानिक दृष्टि से भी देखें तो बालों को खुले रखने से मुश्किलें होती है. इससे बालों में धूल-मिट्टी घुस जाती है. जिससे उनमें रुखापन आने लगते है. इससे उनकी जड़ कमजोर होने लगती है और वे तेजी से झड़ने लगते हैं.
- भारत में दो ऐसे युग पुरुष हुए हैं जिनके जन्मोत्सव, सदियों से धार्मिक आयोजन के रुप में मनाए जाते हैं. इतिहासकारों के अनुसार भगवान राम का जन्म लगभग 10 हजार वर्ष पूर्व हुआ था और भगवान कृष्ण का करीब 5 हजार साल पहले हुआ था. ज्योतिषाचार्य मदन गुप्ता सपाटू कहते हैं कि हिंदू धर्म-पंचांग और ज्योतिष के मुताबिक भगवान राम का जन्म नवमी के दिन अभिजीत मुहूर्त (Abhijit Muhurat) में अर्थात दोपहर के दोपहर 12 बजे हुआ था, वहीं भगवान कृष्ण का जन्म भी अष्टमी की मध्यरात्रि में अभिजीत मुहूर्त में ही हुआ था. यह एक ऐसा मुहूर्त होता है जो हर कार्य में विजय दिलाता है. इस बार जन्माष्टमी (Janmashtami 2021) पर कृष्ण जन्म का दुर्लभ संयोग बन रहा है.जन्माष्टमी पर बन रहा है दुर्लभ संयोगश्रीमद्भागवत के मुताबिक श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद महीन के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को बुधवार के दिन रोहिणी नक्षत्र और वृष राशि के चंद्रमा-कालीन समय में मध्य रात्रि में हुआ था. अमूमन जन्माष्टमी के मौके पर वृष राशि का चंद्रमा तो रहता है लेकिन रोहिणी नक्षत्र नहीं होता है. इस बार 30 अगस्त को पड़ रही जन्माष्टमी पर 8 साल बाद ऐसा दुर्लभ संयोग बना है, जब न केवल रोहिणी नक्षत्र और वृष राशि का चंद्र है, बल्कि सोमवार (Monday) भी है. गौतमी तंत्र नाम के ग्रन्थ और पदमपुराण के अनुसार, यदि कृष्णाष्टमी सोमवार या बुधवार को पड़े तो यह अत्यंत शुभ मानी जाती है.शुभ मुहूर्त में इन मंत्रों का करें जाप30 अगस्त को पूजा के लिए शुभ मुहूर्त रात के 11:59 बजे से देर रात 12:44 बजे तक का रहेगा. यानी कि मुहूर्त 45 मिनट का रहेगा. इस समय में कुछ खास मंत्रों का जाप करने से भगवान श्रीकृष्ण मनोकामनाएं पूरी करते हैं. यदि देर रात जाप करना संभव न हो तो 30 अगस्त को दिन में ही कम से कम 108 बार इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं.भगवान कृष्ण की आराधना के लिए मंत्र: ज्योत्स्नापते नमस्तुभ्यं नमस्ते ज्योतिशां पते!नमस्ते रोहिणी कान्त अर्घ्य मे प्रतिगृह्यताम्!!संतान प्राप्ति के लिए मंत्र: इस मंत्र का जाप पति-पत्नी दोनों करें. इसके लिए 2 मंत्र हैं, पहला मंत्र- देवकी सुत गोविंद वासुदेव जगत्पते! देहिमे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः!!दूसरा मंत्र-! क्लीं ग्लौं श्यामल अंगाय नमः !!विवाह में देरी से निजात पाने के लिए मंत्र: ओम् क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्ल्भाय स्वाहा.
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सरकारी नौकरी में मिलने वाली सुविधाएं और जॉब सिक्योरिटी के कारण लाखों लाखों युवा इसकी ओर आकर्षित होते हैं। वे सरकारी जॉब पाने की के लिए जमकर तैयारी भी करते हैं। लेकिन सीमित पदों के चलते हर किसी का यह सपना साकार नहीं हो पाता है। सरकारी नौकरी पाने के लिए मेहनत के साथ-साथ भाग्य की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हस्तरेखा विज्ञान में बताया गया है कि हथेली की लकीरों से यह ज्ञात किया जा सकता है कि व्यक्ति के भाग्य में सरकारी नौकरी के योग हैं या नहीं। हथेली में बनने वाले उभार, लकीर और निशान व्यक्ति के भाग्य बारे में बहुत कुछ बातें बताते हैं। इन्हीं में कुछ ऐसे निशान होते हैं जिनके माध्यम से सरकारी नौकरी का विचार किया जाता है। जैसे हथेली में सूर्य की दोहरी रेखा हो और बृहस्पति पर्वत पर क्रास हो तो व्यक्ति को सरकारी नौकरी की संभावना रहती है।
हथेली में सरकारी जॉब के संकेत
हथेली पर सूर्य पर्वत का बहुत महत्व होता है। सूर्य के प्रबल होने पर व्यक्ति का मान-सम्मान जीवनभर में बढ़ता रहता है। हथेली पर सूर्य पर्वत सबसे छोटी उंगुली के पहले वाली उंगली के नीचे होती है। (रिंग फिंगर के नीचे) अगर सूर्य पर्वत उभरा हुआ होता है और सूर्य पर्वत से सीधी रेखा निकलती हो तो ऐसे लोगों को सरकारी नौकरी मिलने की संभावना सबसे ज्यादा होती है।
हथेली में गुरु पर्वत का करते हैं विचार
हथेली पर गुरु पर्वत इंडेक्स फिंगर के नीचे होता है। गुरु पर्वत का उभार शुभ माना जाता है। साथ ही इस पर सीधी रेखा होने से ऐसे लोगों को भी सरकारी नौकरी मिलने की संभावना काफी ज्यादा रहती हैं।
गुरु पर्वत और भाग्यरेखा का संबंध
अगर जिनकी हथेली में भाग्य रेखा से कोई लकीर निकलकर गुरु पर्वत की और जाती है तो वह व्यक्ति बहुत भाग्यशाली होता है। ऐसा व्यक्ति प्रशासनिक अधिकारी बनता है। सरकारी क्षेत्र में व्यक्ति को उच्च पद प्राप्त होता है।
सूर्य पर्वत और भाग्यरेखा के शुभ संकेत
भाग्य रेखा से निकलकर कोई लकीर सीधे सूर्य पर्वत पर जाकर मिलने पर ऐसा व्यक्ति भाग्यशाली होता है। ऐसे लोग सरकारी सेवा से जुड़े रहते हैं। सरकारी क्षेत्र में ऐसे जातक बड़े पदाधिकारी बनते हैं। -
अमावस्या को विशेष तिथि माना जाता है। मान्यता है कि अमावस्या पर कुछ विशेष उपाय करने से जीवन में आ रही परेशानियों से मुक्ति पाई जा सकती है। इस दिन कुछ विशेष उपाय अवश्य करना चाहिए। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में। इस तिथि पर चंद्रमा दिखाई नहीं देता। इस दिन दान व उपाय करने से पितृ दोष, छाया दोष, मानसिक समस्याएं दूर हो जाती हैं। अमावस्या तिथि पितरों की तिथि कहलाती है। अमावस्या के दिन भूखे प्राणियों को भोजन कराएं। इस दिन चींटी, पक्षी, गाय, कुत्ता, कौवा आदि के लिए अन्न-जल की व्यवस्था करें। इस दिन व्यसनों से दूर रहना चाहिए। इसके सेवन से शरीर पर दुष्परिणाम हो सकते हैं। इस दिन चांदी या तांबे के गिलास में ही पानी पीना चाहिए। माथे पर चंदन या केसर का तिलक लगाएं। पीला वस्त्र, धार्मिक पुस्तक, पीले खाद्य पदार्थ दान करें। अमावस्या के दिन पितरों के निमित दान करना चाहिए। घर में सफाई कर चारों कोनों में गंगाजल का छिड़काव करें। अमावस्या के दिन पीपल का पूजन करना अति उत्तम माना जाता है। अमावस्या को खीर बनाकर ब्राह्मण को भोजन कराने से जीवन से अस्थिरता दूर हो जाती है। कालसर्प दोष निवारण के लिए सुबह स्नान के बाद चांदी से निर्मित नाग-नागिन की पूजा करें। सफेद पुष्प के साथ इसे बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। शाम के समय घर के ईशान कोण में गाय के घी का दीपक लगाएं। बत्ती में रूई के स्थान पर लाल रंग के धागे का उपयोग करें। दीये में थोड़ी-सी केसर भी डाल दें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
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हर साल कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह तिथि 30 अगस्त, दिन सोमवार को पड़ रही है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र और वृषभ लग्न में हुआ था। इस दिन घरों और मंदिरों में बाल गोपाल का विधि-विधान से पूजा की जाती है। भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए लोग व्रत रखते हैं। इस दिन वंशी वाले को उनकी प्रिय चीजों का भोग लगाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इस साल जन्माष्टमी पर राशि के हिसाब से लगाएं भगवान श्रीकृष्ण को भोग-
मेष- इस राशि के लोग भगवान श्रीकृष्ण को माखन मिश्री का भोग लगाएं। इसके साथ ही उनका लाल रंग के वस्त्रों से श्रृंगार करें।
वृषभ- इस राशि के जातकों को माखन का भोग लगाना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से सभी दुखों से मुक्ति मिलती है।
मिथुन- इस राशि के जातकों को दही का भोग लगाना चाहिए। इसके साथ ही भगवान श्रीकृष्ण को चंदन का तिलक लगाएं।
कर्क- इस राशि के जातक बाल गोपाल को दूध और केसर का भोग लगाएं। इसके साथ ही उन्हें सफेद वस्त्र से श्रृंगार करें।
सिंह- इस राशि के जातक माखन और मिश्री का भोग लगाएं। इसके साथ ही कान्हा जी का श्रृंगार गुलाबी वस्त्रों से करें।
कन्या- इस राशि के जातक मावे का भोग लगाएं और बाल गोपाल का हरे रंग से श्रृंगार करें।
तुला- इस राशि के जातक भगवान श्रीकृष्ण को घी का भोग लगाएं और उनका गुलाबी रंग के वस्त्र से श्रृंगार करें।
वृश्चिक- इस राशि के लोग भगवान को माखन और दही अर्पित करें। इसके साथ ही उन्हें लाल वस्त्र पहनाएं।
धनु- इस राशि के जातक बाल गोपाल को पीले रंग से बनी मिठाई अर्पित करें और उन्हें पीले वस्त्र पहनाएं।
मकर- मकर राशि के लोग भगवान श्रीकृष्ण को मिश्री का भोग लगाएं। कान्हा जी को नीले रंग के वस्त्र पहनाएं।
कुंभ- जन्माष्टमी के दिन कुंभ राशि क जातक कान्हा को बालूशाही का भोग लगाएं और नीले रंग के वस्त्र पहनाएं।
मीन- मीन राशि के लोग कान्हा को केसर और बर्फी का भोग लगाएं और भगवान कृष्ण को पीले रंग के वस्त्र पहनाएं
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जन्माष्टमी का त्योहार हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों को इस खास दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है। इस दिन लोग रात 12 बजे बाल गोपाल की पूजा करने के बाद व्रत खोलते हैं। भगवान विष्णु के 8वें अवतार भगवान कृष्ण ने कंस के कारागृह में देवकी की आठवीं संतान के रूप में जन्म लिया था।
साल 2021 में जन्माष्टमी का त्योहार 30 अगस्त को मनाया जाएगा। अष्टमी तिथि 29 अगस्त को रात 11 बजकर 25 मिनट पर शुरू होगी और 31 अगस्त की रात 1 बजकर 59 मिनट पर समाप्त होगी। रोहिणी नक्षत्र 30 अगस्त को सुबह 6 बजकर 39 मिनट पर प्रारंभ होगा, जो कि 31 अगस्त को सुबह 09 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगा। पूजा का समय 30 अगस्त की रात 11 बजकर 59 मिनट से 12 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। पूजा के शुभ समय की कुल अवधि 45 मिनट की है।
जन्माष्टमी के दिन न करें ये काम
भगवान ने प्रत्येक इंसान को समान बनाया है इसलिए किसी का भी अमीर-गरीब के रूप में अनादर या अपमान न करें। लोगों से विनम्रता और सहृदयता के साथ व्यवहार करें। आज के दिन दूसरों के साथ भेदभाव करने से जन्माष्टमी का पुण्य नहीं मिलता।
शास्त्रों के अनुसार, एकादशी और जन्माष्टमी के दिन चावल या जौ से बना भोजन नहीं खाना चाहिए। चावल को भगवान शिव का रूप भी माना गया है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जन्माष्टमी का व्रत करने वाले को भगवान श्रीकृष्ण के जन्म होने तक यानी रात 12 बजे तक ही व्रत का पालन करना चाहिए। इससे पहले अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए। बीच में व्रत तोडऩे वालों को व्रत का फल नहीं मिलता।
मान्यता है कि जन्माष्टमी के दिन स्त्री-पुरुष को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। ऐसा न करने वालों को पाप लगता है।
मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण को गौ अति प्रिय हैं। इस दिन गायों की पूजा और सेवा करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। किसी भी पशु को सताना नहीं चाहिए।
मान्यता है कि जिस घर में भगवान की पूजा की जाती हो या कोई व्रत रखता हो उस घर के सदस्यों को जन्माष्टमी के दिन लहसुन और प्याज जैसी तामसिक चीजों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इस दिन पूरी तरह से सात्विक आहार की ग्रहण करना चाहिए। -
जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 377
'काशी विद्वत परिषत' ने श्री कृपालु जी महाराज को 'पंचम मूल जगदगुरु' की उपाधि से विभूषित करते हुये उन्हें सम्मान स्वरूप 'पद्यप्रसूनोपहार' अर्पित किया था, जिसके तीसरे श्लोक में उन्होंने यह भाव व्यक्त किये थे (केवल भावार्थ लिखा जा रहा है) -
'...श्री कृपालु जी का प्रवचन नूतन जलधार की गर्जना के समान है। यह नास्तिकता से पीड़ित मन की व्यथा को हरने वाला है। प्रवचन को सुनकर चित्तरूपी वनस्थली दिव्य भगवदीय ज्ञान के अंकुर को जन्म देती है। कुतर्क युक्त विचारों से विक्षिप्त तथा दुर्भावना के भूत से पीड़ित मनुष्यों की रक्षा करने में श्री कृपालु जी महाराज अमृत औषधि के समान हैं। इनकी सदा ही जय हो...' (मकर संक्रान्ति, वि. 2023)उपरोक्त उक्ति सहज ही अनुभवगम्य है, आचार्यवर जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज का प्रवचन भवबंधन का नाश कर प्रेमामृत का दान कर देने वाला है। आइये आज के अंक में उनके श्रीमुख से निःसृत अमृत कणों का रसपान करें...★ 'जगदगुरुत्तम-ब्रज साहित्य'(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज विरचित साहित्य/ग्रन्थ)श्याम मारि असुरन देवें निज धामा।श्यामा बिनु हेतु बाँटें प्रेम निष्कामा।।भावार्थ ::: नंदनंदन असुरों का वध कर तब उन्हें अपना धाम प्रदान कर पाते हैं। पूतना, शकटासुर, तृणावर्त, बकासुर, अघासुर आदि को मारकर ही श्रीकृष्ण ने उन्हें अपना धाम प्रदान किया। प्रेममयी राधा तो बिना किसी कारण के ही निष्काम प्रेम बाँटती रहती हैं।• सन्दर्भ ग्रन्थ ::: श्यामा श्याम गीत, दोहा संख्या 488----------------★ 'जगदगुरुत्तम-श्रीमुखारविन्द'(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा निःसृत प्रवचन का अंश)श्री राधारानी की कृपा प्राप्त करने के लिए क्या साधना करनी होगी?– अरे ! ये ही तो साधना है कि वो बिना कारण के कृपा करती हैं ये फेथ करो। यही साधना है। जो कीर्तन करते हो तुम यही तो साधना करते हो न। उस कीर्तन का मतलब क्या? रोकर उनको पुकारो कि तुम कृपा करो। यही साधना है। इसी से अंतःकरण शुद्ध होता है। मन को शुद्ध करने के लिए साधना होती है। फिर उसके बाद वो कृपा से प्रेम देती हैं। उनका लाभ तो कृपा से मिलता है। तुम्हारा काम तो मन को शुद्ध करना है। और मन शुद्ध करने के लिए उनको पुकारना है। बस यही साधना है।• संदर्भ पुस्तक ::: प्रश्नोत्तरी भाग – 3, पृष्ठ संख्या 9★★★ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: © राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(5) www.youtube.com/JKPIndia(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - हाथ की लकीरें जिंदगी के बारे में अच्छी-बुरी तमाम जानकारियां देती हैं. यदि कुछ घटनाओं के बारे में पहले से जानकारी मिल जाए तो उनके शुभ फल को बढ़ाया जा सकता है और अशुभ फल को कम किया जा सकता है. आज हम ऐसी रेखाओं के बारे में जानते हैं जो व्यक्ति को गरीब (Poor) बनाती हैं या धन हानि होने का संकेत देती हैं. यदि समय पर उपाय कर लिया जाए तो ऐसी स्थितियों को टाला जा सकता है. इसके लिए विशेषज्ञ से मार्गदर्शन लेना उचित होता है.- यदि जातक की हथेली में भाग्य रेखा हृदय रेखा पर आकर खत्म हो या शरीर के बाकी अंगों की तुलना में हथेली ज्यादा सख्त हो तो ऐसे लोगों को जिंदगी में पैसे की समस्या से जूझना पड़ता है. साथ ही बहुत मेहनत के बाद उन्हें पर्याप्त आय नहीं होती है. ऐसे लोगों को अपने कार्यस्थल पर सियार सिंगी यंत्र की स्थापना करने और उसके बाद सोने की भस्म से स्नान करने से लाभ होगा.- भाग्य रेखा का मोटा होना या जीवन रेखा के पास होना भी पैसे की समस्याएं होने का संकेत है. इन लोगों को विशेषज्ञ से सलाह लेकर नवग्रह पूजा कराने से लाभ होगा. साथ ही उन्हें गृह शुद्धि भी करवानी चाहिए.- भाग्य रेखा अस्पष्ट होना भी पैसे की तंगी का इशारा देता है.- शनि, बुध और गुरु पर्वत का कम विकसित होना भी आर्थिक समस्याओं का इशारा देता है. ऐसे लोगों को बिजनेस में नुकसान हो सकता है. इससे बचने के लिए मां बगलामुखी और मां लक्ष्मी की आराधना करनी चाहिए.- जीवन रेखा का एकदम सीधी होना या भाग्य रेखा का मस्तिष्क रेखा पर खत्म होना भी अच्छा नहीं माना जाता है. इन लोगों को भी शनिदेव और मां लक्ष्मी की पूजा-उपासना करना चाहिए, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति संभली रहे.
- पुरुष हो या महिला अपने ससुराल से संबंध खराब ना करेंजिंदगी में कई चीजें किस्मत और मेहनत से मिलती हैं. वहीं कुछ अच्छे-बुरे फल हमें कर्म और आदतों के कारण मिलते हैं. लाल किताब में कुछ ऐसे कामों के बारे में बताया गया है, जो कभी नहीं करने चाहिए. ये काम करने से व्यक्ति की अच्छी-भली जिंदगी में कई मुसीबतें आ सकती हैं. साथ ही यह काम व्यक्ति की कुंडली के ग्रहों पर भी नकारात्मक असर डालते हैं, इससे ग्रह बुरे फल देने लगते हैं.जिंदगी में कभी न करें ये काम- भगवान में भरोसा रखें और कभी भी उनका निरादर न करें.- कई देवताओं को पूजने की बजाए एक देवता को अपना ईष्ट बनाएं.- पैसा कमाने के शॉर्टकट से बचें. मसलन ब्याज का काम करने को धर्म-शास्त्रों में अच्छा नहीं बताया गया है.- ना तो झूठ बोलें और ना किसी पर झूठा आरोप लगाएं. अपमान करने से बचें. विशेषकर महिलाओं का अपमान करना बहुत महंगा पड़ सकता है.- नॉनवेज खाने और शराब पीने से बचें. ऐसा करने से शनि ग्रह बुरा असर देते हैं.- दक्षिणमुखी मकान में ना रहें और घर में पूजाघर बनवाने की बजाय मंदिर जाकर पूजा करें. यदि मंदिर बनवाएं तो कुंडली दिखाकर विशेषज्ञ से सलाह ले लें. साथ ही मंदिर की रोज सफाई करना, भगवान की पूजा करना, दीप जलाना आदि कार्य नियम से करें.- घर में शनि, राहु-केतु से जुड़ी चीजें इकट्ठा न करें. इनमें संतुलन होना बहुत जरूरी है.- कभी किसी पशु-पक्षी को न सताएं और कुत्ता पालने से पहले कुंडली की जांच जरूर कर लें.- विशेषज्ञ से सलाह लिए बिना रत्न न पहनें. टोने-टोटकों से दूर रहें.- पुरुष हो या महिला अपने ससुराल के लोगों से संबंध खराब न करें.-
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प्राचीन काल से ही नजर उतारने एवं भगवान की प्रतिमा के आगे वातावरण को पवित्र करने के लिए मोर पंख का ही प्रयोग होता आया है। आपने देखा होगा कि जैन मुनि भी अपने साथ मोर पंख की पिच्छिका रखते हैं। दरअसल, मोरपंख सकारात्मकता का प्रतीक है, जिसका शरीर व स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। इसलिए मोरपंखों को छोटे बच्चों के सिर पर लगाने या उनके बिस्तर के नीचे रखने की मान्यता पुरातन-काल से चली आ रही है। द्वापर के कान्हा भी इसीलिए मोरमुकुट से सुशोभित हुए। वस्तुत: मोर ही अकेला एक ऐसा प्राणी है,जो ब्रह्मचर्य को धारण करता है। अत: प्रेम में ब्रह्मचर्य की महान भावना को समाहित करने के प्रतीक रूप में कृष्ण मोरपंख को अपने सिर पर धारण करते हैं। घर में मोर पंख रखना प्राचीनकाल से ही बहुत शुभ माना जाता है। वास्तु के अनुसार भी मोर पंख घर से अनेक प्रकार के वास्तुदोष दूर करता है और सकारात्मक ऊर्जा को अपनी तरफ खीचता है इसलिए तो मोरपंख को वास्तु में बहुत उपयोगी माना गया है।
शांत हो जाते हैं ग्रह दोष
ज्योतिष और वास्तु में मोरपंख को सभी नौ ग्रहों का प्रतिनिधि माना गया है। इसे घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा तो आती ही है,ग्रहदोष भी शांत हो जाते हैं। मोरपंख में सभी देवी-देवताओं का वास माना गया है। घर के वास्तुदोष निवारण में मोरपंख बहुत ही कारगर उपाय है। मोरपंख को घर में रख लेने मात्र से कई समस्याओं का समाधान हो सकता है। घर का वास्तुदोष दूर हो सकता है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि और धन-संपदा आ सकती है।
पूरे होंगे काम
वास्तुशस्त्र की मान्यता है कि यदि आपके कार्यों में रूकावट आती है, कोई काम समय पर पूरा नहीं होता तो अपने घर के पूजास्थल में पांच मोरपंख रखें और प्रतिदिन इनकी पूजा करें। इक्कीस दिन बाद इन मोरपंख को तिजोरी या लॉकर में रख दें,ऐसा करने से धन-संपत्ति में वृद्धि होगी और अटके काम भी बनने लगेंगे।
रिश्तों में मधुरता
शयनकक्ष में पूर्व या उत्तर दिशा में दो मोरपंखों को एक साथ दीवार पर लगाने से दांपत्य जीवन से जुड़ी समस्याओं का अंत होता है और रिश्तों में मधुरता आती है। यदि घर में वास्तु में मान्य पंचतत्वों का संतुलन ठीक न हो और घर में नकारात्मक ऊर्जा का निरंतर प्रवाह हो रहा हो तो घर के पूजास्थल पर 5 मोरपंख रखें। इस कार्य से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
जहरीले जानवरों का भय नहीं
मोर पंख बहुत ही चमत्कारिक होता है। मोर पंख के घर में होने से प्राय: विषैले जीव-जंतु नहीं आते। मोरपंख को ऐसी जगह रखना चाहिए जहां से सभी की नजर उस पर पड़ सके, ऐसा करने से घर की नकारात्मकता दूर होती है।
किताब में रखने से लाभ
जिन लोगों के बच्चे जिद्दी स्वभाव के होते हैं,ऐसे बच्चों की जिद को कम करने के लिए मोरपंख से बने पंखे से 11 बार या 21 बार हवा करनी चाहिए। एवं जिन बच्चों का मन पढ़ाई में न लगता हो उनकी पढऩे की मेज पर सात मोरपंख रखने से लाभ होगा। शुभ परिणामों के लिए उनकी किताब या डायरी में एक मोरपंख अवश्य रखें।
सकारात्मक ऊर्जा का होगा प्रवेश
यदि आपके घर का प्रवेश द्वार शुभ कोण या दिशा जैसे पूर्व, उत्तर या ईशान दिशा में नहीं है या मुख्य द्वार पर किसी और प्रकार का वास्तुदोष है तो प्रवेश द्वार की चौखट के ऊपर बैठी हुई मुद्रा में गणेश जी स्थापित करें और उनके ऊपर तीन मोरपंख लगाएं। ऐसा करने से द्वार का वास्तुदोष दूर होगा। सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होगा।
नकारात्मक ऊर्जा होगी दूर
शयनकक्ष की पश्चिम दिशा की दीवार पर मोरपंख लगाने से राहु-केतु के बुरे प्रभाव से राहत मिलती है। घर से नकारात्मक शक्तियां दूर जाती हैं क्योंकि मोरपंख में सभी देवताओं का वास माना गया है।
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ग्रहों में युवराज कहे जाने वाले बुध 26 अगस्त को दोपहर 11 बजकर 18 मिनट पर सिंह राशि की यात्रा समाप्त करके कन्या राशि में प्रवेश कर रहे हैं। इस राशि पर ये 22 सितंबर तक गोचर करेंगे उसके बाद तुला राशि में प्रवेश कर जाएंगे। कन्या राशि इनकी अपनी राशि है और यहां पर ये उच्चराशिगत होते हैं अतः इस राशि के लोगों के लिए ये भद्रयोग का निर्माण करेंगे जो बेहतरीन सफलता दायक रहेगा। जिन जातकों की जन्मकुंडली में बुध केंद्र व त्रिकोण में गोचर कर रहे होंगे उनके लिए तो अतिशुभ फल प्रदान करेंगे किन्तु जिनकी जन्मकुंडली के अशुभ भाव में गोचर करेंगे उन्हें बहुत अच्छा परिणाम नहीं मिलेगा। इनके राशि परिवर्तन का राशियों पर कैसा प्रभाव पड़ेगा इसका ज्योतिषीय विश्लेषण करते हैं।
मेष राशि
राशि से छठे शत्रु भाव में गोचर करते हुए बुध का प्रभाव काफी मिलाजुला रहेगा। स्वास्थ्य उत्तम रहेगा किंतु ऐसे गुप्त शत्रुओं की अधिकता रहेगी जो पढ़े लिखे होंगे। आपके अपने ही लोग नीचा दिखाने की कोशिश में लगे रहेंगे सावधान रहें। कार्य क्षेत्र में भी उच्चाधिकारियों से संबंध बिगड़ने न दें। इस अवधि के मध्य अधिक कर्ज के लेन-देन से बचें। झगड़े विवाद तथा कोर्ट कचहरी से संबंधित मामलों का निर्णय आपके पक्ष में आने के संकेत।
वृषभ राशि
राशि से पंचम विद्या भाव में गोचर करते हुए बुध का प्रभाव आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है। सभी रणनीतियां कारगर सिद्ध होगी। सामाजिक पद प्रतिष्ठा बढ़ेगी। विद्यार्थियों एवं प्रतियोगिता में बैठने वाले छात्रों को आशातीत सफलता मिलेगी। प्रेम संबंधी मामलों में प्रगाढ़ता आएगी। प्रेम विवाह भी करना चाह रहे हों तो अवसर अनुकूल रहेगा। संतान संबंधी चिंता से मुक्ति मिलेगी। नव दंपत्ति के लिए संतान प्राप्ति एवं प्रादुर्भाव के भी योग।
मिथुन राशि
राशि से चतुर्थ सुख भाव में गोचर करते हुए बुध बेहतरीन शुभ परिणाम दायक रहेंगे। आपके लिए भद्रयोग का निर्माण होगा जिसके फलस्वरूप मित्रों तथा संबंधियों से सहयोग की उम्मीद। जमीन जायदाद से जुड़े मामलों का निपटारा होगा। मकान अथवा वाहन का भी क्रय करना चाह रहे हों तो अवसर अनुकूल रहेगा। सरकारी विभागों में प्रतीक्षित पड़े कार्यो का निपटारा होगा। किसी भी तरह के सरकारी टेंडर का आवेदन करना चाह रहे हों तो वह परिणाम भी बेहतर रहेगा।
कर्क राशि
राशि से तृतीय पराक्रम भाव में गोचर करते हुए बुध का प्रभाव साहस और पराक्रम की वृद्धि तो कर आएगा ही भाइयों में आपसी सहयोग भी बढ़ेगा। अध्यात्म के प्रति रुचि बढ़ेगी। विदेशी कंपनियों में सर्विस अथवा नागरिकता के लिए किया गया प्रयास सफल रहेगा। अपनी योजनाओं तथा रणनीतियों को गोपनीय रखते हुए कार्य करेंगे तो अधिक सफल रहेंगे। विद्यार्थियों एवं प्रतियोगिता में बैठने वाले छात्रों को परीक्षा में अच्छे अंक लाने के लिए और प्रयास करने होंगे।
सिंह राशि
राशि से द्वितीय धन भाव में गोचर करते हुए बुध का प्रभाव आर्थिक पक्ष मजबूत करेगा। आकस्मिक धन प्राप्ति का योग बनेगा। रोजगार की दिशा में किया गया सभी प्रयास सार्थक रहेगा। काफी दिनों का दिया गया धन भी वापस आने की उम्मीद। परिवार के सदस्यों का आपसी सामंजस्य बढ़ेगा। जमीन-जायदाद से जुड़े मामलों का निपटारा होगा। अपनी वाणी कुशलता के बलपर कठिन हालात को भी आसानी से नियंत्रित कर लेंगे। लेन-देन के मामलों में अधिक सावधानी बरतें।
कन्या राशि
अपनी स्वयं की राशि में गोचर करते हुए बुध आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है इसलिए कोई भी बड़े से बड़ा कार्य आरंभ करना चाहें अथवा नए अनुबंध पर हस्ताक्षर करना चाहें तो उस दृष्टि से भी अवसर बेहतरीन रहेगा। रोजगार की दिशा में किया गया प्रयास सार्थक रहेगा। मान-सम्मान की वृद्धि होगी। स्थान परिवर्तन के लिए प्रयास करना चाह रहे हों तो सफल रहेंगे। विवाह से संबंधित वार्ता सफल रहेगी। परिवार में मांगलिक कार्यों का सुअवसर आएगा।
तुला राशि
राशि से बारहवें हानि भाव में गोचर करते हुए बुध का प्रभाव काफी मिलाजुला रहेगा हो सकता है। आरम्भ में कुछ कार्य बाधा का सामना भी करना पड़े किंतु अंततः आप सफल रहेंगे। विदेशी कंपनियों में सर्विस अथवा वीजा आदि के लिए आवेदन करना सफल रहेगा। धार्मिक एवं मांगलिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेंगे। संतान के दायित्व की पूर्ति होगी। प्रेम संबंधी मामलों में उदासीनता के योग। भावनाओं में बह कर लिया गया निर्णय नुकसानदेय सिद्ध हो सकता है।
वृश्चिक राशि
राशि से एकादश लाभ भाव में गोचर करते हुए बुध आय के एक से अधिक साधन बनाएंगे। जो भी योजना आरंभ करेंगे कारगर सिद्ध होगी। परिवार के वरिष्ठ सदस्यों एवं बड़े भाइयों से सहयोग मिलेगा। शीर्ष नेतृत्व से भी संबंध बढ़ेंगे। इस अवधि के मध्य किसी भी तरह का नया व्यापार आरंभ करना हो अथवा नए अनुबंध पर हस्ताक्षर करना हो तो अवसर अनुकूल रहेगा। सरकारी विभागों में टेंडर के लिए आवेदन करना चाह रहे हों तो भी सफलता के बेहतरीन योग।
धनु राशि
राशि से दशम कर्म भाव में गोचर करते हुए बुध पूर्ण ‘भद्र योग’का निर्माण करेंगे फलस्वरूप नौकरी में पदोन्नति तथा नए अनुबंध की प्राप्ति के योग बनेंगे। किसी भी तरह का चुनाव से संबंधित निर्णय लेना चाह रहे हों तो परिणाम आपके पक्ष में होगा। मकान अथवा वाहन के क्रय का भी योग। विदेशी मित्रों तथा संबंधियों से लाभ के योग तो हैं ही, वीजा आदि के लिए भी आवेदन करना चाह रहे हों तो अवसर अनुकूल रहेगा। धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेंगे।
मकर राशि
राशि से नवम भाग्य भाव में गोचर करते हुए बुध का प्रभाव आपके लिए भी किसी वरदान से कम नहीं है इसलिए सभी रणनीतियां तथा योजनाएं कारगर सिद्ध होंगी निर्णय लेने में विलंब न करें। विद्यार्थियों एवं प्रतियोगिता में बैठने वाले छात्रों के लिए समय और अनुकूल रहेगा। संतान के दायित्व की पूर्ति होगी। नव दंपति के लिए संतान प्राप्ति एवं प्रादुर्भाव के भी योग। जो लोग आपको नीचा दिखाने की कोशिश में लगे थे वही मदद के लिए आगे आएंगे। स्वास्थ्य उत्तम रहेगा।
कुंभ राशि
राशि से अष्टम आयु भाव में गोचर करते हुए बुध का प्रभाव काफी मिलाजुला रहेगा। स्वास्थ्य विशेष करके पेट संबंधी विकार, दवाओं के रिएक्शन तथा चर्म रोग से बचना पड़ेगा। कार्यक्षेत्र में भी षड्यंत्र का शिकार होने से बचें। बेहतर रहेगा कि कार्य संपन्न करें और सीधे घर आएं। कोर्ट कचहरी से जुड़े मामले भी आपस में सुलझा लेना समझदारी होगी। माता पिता के स्वास्थ्य के प्रति भी चिंतनशील रहें। इस अवधि के मध्य किसी भी तरह का कर्ज के देने से बचें।
मीन राशि
राशि से सप्तम भाव में गोचर करते हुए बुध जीवन में मधुरता तो लाएंगे ही विवाह से संबंधित वार्ता भी सफल रहेगी। कार्य व्यापार में भी उन्नति तो होगी ही किसी भी तरह का बड़े से बड़ा अनुबंध भी हस्ताक्षर करना चाह रहे हों तो वह अवसर भी अनुकूल रहेगा। केंद्र अथवा राज्य सरकार के विभागों में प्रतीक्षित पड़े कार्य संपन्न होंगे। परिवार में आपसी स्नेह बढ़ेगा, माहौल भी खुशनुमा रहेगा। विदेशी कंपनियों में सर्विस अथवा नागरिकता के लिए किया गया प्रयास भी सफल रहेगा।
- जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 376
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के द्वारा दिये गये असंख्य प्रवचन जो आज भी उनकी वाणी में उपलब्ध हैं, उनके द्वारा वेद, शास्त्र सम्मत साहित्य, ऋषि-मुनियों की परंपरा को पुनर्जीवन प्रदान कर रहा है। शास्त्रों, वेदों के गूढ़तम सिद्धान्तों को भी सही रुप में अत्यधिक सरल, सरस भाषा में प्रकट करके एवं उसे जनसाधारण तक पहुँचाकर उन्होंने विश्व का महान उपकार किया है। उन्होंने भारतीय वैदिक संस्कृति को सदा सदा के लिये गौरवान्वित कर दिया है एवं भारत जिन कारणों से विश्व गुरु के रुप में प्रतिष्ठित रहा है, उसके मूलाधार रुप में जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने सनातन वैदिक धर्म की प्रतिष्ठापना की है। आइये 'सत्संग' तथा 'गुरु-महिमा' संबंधी महत्वपूर्ण तत्वज्ञान उनके साहित्य तथा प्रवचनों से प्राप्त करें...
★ 'जगदगुरुत्तम-ब्रज साहित्य'(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज विरचित साहित्य/ग्रन्थ)
बिनु सत्संग कछुक नहिं पाइय, पचि पचि मरिय हजार।सो सत्संग 'कृपालु' जानिये, श्रद्धा बिनु खिलवार।।
भावार्थ ::: महापुरुषों के संग के बिना, चाहे करोड़ों ही प्रयत्न क्यों न किये जायें, कुछ भी नहीं प्राप्त हो सकता और वह महापुरुषों का सत्संग भी श्रद्धा के बिना खिलवाड़ सा ही समझना चाहिये।
• संदर्भ ग्रन्थ ::: प्रेम रस मदिरा, सिद्धान्त माधुरी, पद - 95 से
----------------★ 'जगदगुरुत्तम-श्रीमुखारविन्द'(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा निःसृत प्रवचन का अंश)
...भक्त और भगवान की दो गवर्मेन्ट नहीं हैं - ऐसा नहीं है कि भगवान की भक्ति आपने किया इस समय और गुरु की भक्ति नहीं किया तो गुरु का मूड ऑफ हो जाय। ऐसा नहीं है। गुरु की भक्ति आपने किया, भगवान प्रसन्न होंगे, भगवान की भक्ति किया, गुरु प्रसन्न होगा। वहाँ घपड़-सपड़ नहीं है, दुनियादारी की तरह से। ऐसा मत समझ लेना। भगवान हजार जगह अपने श्रीमुख से कहते हैं वेदों, शास्त्रों में - जो मेरे भक्त के भक्त हैं उन्होंने तो मेरी हजार गुणा भक्ति कर ली है, ये मैंने मान लिया और मैं उनके ऊपर वही कृपा करूँगा हजार गुना वाली। यानी मेरी भक्ति करने से मैं प्रसन्न ना होऊँगा, मैं भक्त की भक्ति से प्रसन्न हो जाऊँगा, ऐसा मेरा मत है - भगवान कहते हैं। इसलिये वहाँ तो झगड़ा नहीं, लेकिन प्रेमदान होगा गुरु के द्वारा ही, ये एक नियम है...
• सन्दर्भ पुस्तक ::: प्राणधन जीवन कुंज बिहारी , पृष्ठ संख्या 113
★★★ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(5) www.youtube.com/JKPIndia(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - चींटियां आकार में बहुत छोटी होती हैं लेकिन वे बड़ी घटनाएं होने के पूर्व संकेत देती हैं. घर में चींटिंयों का निकलना आम बात है लेकिन वे किस दिशा से आ रही हैं, उनका रंग और व्यवहार कैसा है, इससे आने वाली शुभ-अशुभ घटनाओं के अहम संकेत मिलते हैं. ज्योतिष में काली चींटियों को बहुत शुभ बताया गया है.हम चींटियों से मिलने वाले ऐसे ही संकेतों के बारे में जानते हैं-------------------ये हैं सुख-समृद्धि आने का संकेतघर में काली चींटियों का आना बहुत शुभ होता है. यह घर में सुख-समृद्धि आने का संकेत देती हैं. इन चींटियों को शक्कर और आटा डालने से बहुत लाभ होता है.चावल के बर्तन से निकलती चींटियांयदि चावल के भरे हुए बर्तन से चींटियां निकलें तो यह बहुत शुभ होता है. इससे मतलब है कि परिवार की आर्थिक स्थिति जल्द ही मजबूत होने जा रही है.काली चींटियां कुछ खाते हुए दिखेंयदि काली चींटियां गोला बनाकर कुछ खाते हुए दिखें तो यह बहुत ही शुभ होता है. यह करियर में तरक्की और आय में अच्छी बढ़ोतरी का संकेत है.लाल चींटियां दिखना अशुभलाल चींटियां दिखना अच्छा नहीं माना जाता है. यह झगड़ा, मुसीबतों और धन हानि का संकेत देती हैं. हालांकि उनका घर से अंडे लेकर जाना शुभ होता है. चींटियां दिखने पर उन्हें कुछ खाने के लिए जरूर डालें क्योंकि चींटियों का भूखा रहना अच्छा नहीं माना जाता है.चींटियों के आने की दिशा भी देती है संकेतचींटियों का अलग-अलग दिशाओं से आना भी अलग-अलग घटनाओं के इशारे होते हैं. जैसे उत्तर दिशा से चींटियों का आना कई लिहाज से शुभ होता है. दक्षिण दिशा से आना आर्थिक लाभ कराता है. पूर्व से आने पर कोई अच्छी खबर मिलती है और पश्चिम से आने पर दूर की यात्रा के योग बनते हैं.
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इंसान का भविष्य उसके हाथों की लकीरों में छिपा होता है. कुछ लोगों को भले ही ये बात सिर्फ मजाक लगे, लेकिन हस्तरेखा विज्ञान में हथेली के इन्हीं निशानों को बहुत खास माना गया है. इसके मुताबिक, हथेली पर बनी लकीरें वाकई आपका भविष्य बता सकती हैं. इसलिए आज हम आपकी लकीरों में छिपे उन रहस्यों के बारे में बताएंगे जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे.
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, हथली देखकर किसी इंसान की पर्सनेलिटी और भविष्य के बारे में बताने की कला को किरोमैंसी कहा जाता है. आपने कभी ध्यान भी दिया होगा कि हमारी हथेलियों पर ढेर सारी लकीरें बड़े अव्यवस्थित ढंग से बनी होती हैं. इसमें हर लाइन और कर्व का कुछ ना कुछ मतलब जरूर होता है. अगर आपके हाथ की लकीरें 'एच' की शेप बना रही हों तो उनके जीवन में 40 की उम्र के बाद कुछ सफल परिवर्तन देखने को मिलते हैं.
ऐसा माना जाता है कि 'एच' निशान वाले लोगों का जीवन 40 की उम्र के बाद यूटर्न ले लेता है. ये लोग अचानक से जीवन में धन या बेहतर आर्थिक हालातों को देखते हैं. जबकि 40 साल से पहले इन लोगों को अपने परिश्रम का वो फल नहीं मिल पाता है, जिसकी उन्हें अपेक्षा रहती है. ऐसे लोग 40 साल से पहले अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष करते रहते हैं. सरल शब्दों में कहें तो 40 साल पूरे होने के बाद इन्हें अपनी मेहनत का फल मिलता है.
वहीं, व्यवहार को लेकर बात की जाए तो जिन लोगों के हाथ पर 'एच' बन होता है, वे काफी इमोशनल होते हैं. इसी कारण वे अक्सर लोगों की मदद के लिए अपने रास्ते से हट जाते हैं. इतना ही नहीं, अपने उदार स्वभाव के चलते ऐसे लोग दूसरों से ठगे भी जाते हैं. उन्हें अपने जीवन के हर स्टेप पर परेशानियों और विरोध का सामना करना पड़ता है. ऐसे लोग अपने शुभचिंतकों की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं. लेकिन सकारात्मक रूप से ये धनी होते हैं, और यही उनकी सबसे खास बात होती है. - नींद हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा है। अच्छी नींद का हमारे स्वास्थ्य के ऊपर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह तंदुरुस्त जीवन का कारण मानी जाती है। अगर रात में 8 घंटे की चैन की नींद ली जाए, तो अगले दिन शरीर और मस्तिष्क पूरी तरह तरोताजा रहते हैं। अच्छी नींद लेने से शरीर के भीतर की थकान पूरी तरह दूर हो जाती है और उसमें ऊर्जा का संचार होता है। मान्यता है कि नींद के दौरान इंसान के भीतर लौकिक ऊर्जा आती है। वहीं जो लोग रात में अच्छी नींद नहीं लेते, ऐसे व्यक्तियों को थकान, आलस्य, चिड़चिड़ापन जैसा अनुभव होता है। वास्तु शास्त्र के मुताबिक ठीक से नींद ना ले पाने की वजह व्यक्ति के सोने की दिशा और उसकी आदतें हैं। अगर व्यक्ति वास्तु शास्त्र में बताए गए नियमों के आधार पर सोए तो रात में वह चैन की नींद ले सकता है। इसी सिलसिले में आइए जानते हैं कि वह कौन-कौन से नियम हैं? जिनका सोते वक्त सदा पालन करना चाहिए।वास्तु शास्त्र के मुताबिक हमें पूर्व दिशा में सोना चाहिए। पूर्व दिशा में सिर करके सोने से व्यक्ति के ऊपर सकारात्मक प्रभाव पड़ता। इससे उसकी कार्य करने की क्षमता और ध्यान की शक्ति में वृद्धि होती है। वास्तु कहता है कि आप पश्चिम दिशा में भी सिर करके सो सकते हैं। मान्यता है कि इस दिशा में सोने से व्यक्ति का यश बढ़ने लगता है।उत्तर दिशा में सिर रखकर कभी भी सोना नहीं चाहिए। ऐसा करने से दिमाग में कई प्रकार के नकारात्मक विचार आते हैं। इसके अलावा व्यक्ति कई तरह की बीमारियों से ग्रसित भी हो सकता है। हालांकि आप दक्षिण दिशा में सिर रखकर सो सकते हैं। वास्तु के अनुसार दक्षिण दिशा में सिर करके सोने से घर में सुख-समृद्धि आती है।सोने से पहले अपने हाथ मुंह को धोकर जरूर कुल्ला करें। वास्तुशास्त्र के अनुसार बिस्तर पर जूठे मुंह नहीं सोना चाहिए। जूठे मुंह बिस्तर पर सोने से व्यक्ति को अच्छी नींद नहीं आती है। रात में सोते वक्त उसकी नींद कई बार टूटती है।-
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जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 375
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज को काशी विद्वत परिषत द्वारा 'पंचम मूल जगदगुरु' के अलावा कुछ अन्य विशिष्ट उपाधियाँ भी प्रदान की गई थीं, जिनमें एक है - 'भक्तियोगरसावतार'। कलिकाल के प्रभाव से जनमानस भगवन्नाम-संकीर्तन के माहात्म्य को भूलता जा रहा था। दूसरी ओर नाना प्रकार के मत, नाना प्रकार के साधन समाज में प्रचलित होने लगे जिससे लोग दिग्भ्रमित होने लगे। ऐसे समय में ऐसे ही किसी अवतार की आवश्यकता थी जो लोगों के हृदय में पुनः भक्ति की ज्योति जगाये और आध्यात्मिक रुप से पुनर्जीवित करे। जगद्गुरुत्तम् श्री कृपालु जी महाराज वही अवतार हैं जिन्होंने कलिकाल में भक्ति की प्राधान्यता और वास्तविकता स्थापित की। आइये आज के अंक में प्रकाशित उनके दिव्य वचनामृत रूपी महारस का पान करें....
★ 'जगदगुरुत्तम-ब्रज साहित्य'(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज विरचित साहित्य/ग्रन्थ)
तेरे सुख को ही सुख मानूँ नित राधे,ऐसी ही मेरी चित्तवृत्ति बना दे।मेरी सब इन्द्रिय मन बुधि राधे,तेरी नित सेवा माँगे ऐसी बना दे।मेरी ओर लखो जनि दयामयी राधे,तू तो है 'कृपालु' बिनु हेतु कृपा दे।।
भावार्थ ::: राधे! मैं सदा तुम्हारे सुख में अपना सुख प्रतीत करूँ, ऐसी मेरी चित्तवृत्ति कब बनेगी? राधे! मेरी समस्त इन्द्रियाँ, मन एवं बुद्धि निरंतर तुम्हारी सेवा याचना करती रहें। हे दयामयी! मेरी तरफ न देखो, तुम अकारण कृपा करती हो, अतः मुझ पर भी कृपा करो!!
• सन्दर्भ ग्रन्थ ::: 'युगल शतक', खंड - राधा माधुरी, कीर्तन - 75----------------★ 'जगदगुरुत्तम-श्रीमुखारविन्द'(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा निःसृत प्रवचन का अंश)
...जो जीव अधिकारी भेद की कक्षा के अनुसार गुरु के अनुगत हो कर चलेगा, वह एक न एक दिन अपने लक्ष्य पर पहुँच जायेगा! गुरु जिस कक्षा का होगा, उसी कक्षा का रस शिष्य को प्रदान कर सकेगा! यदि कोई महापुरुष वात्सल्य भाव वाला हो तो अपने शिष्य को वह वात्सल्य रस ही दे सकता है; वह अपने शिष्य को महारास रस प्रदान नहीं कर सकता! किसी का गुरु महारास रस देने का अधिकारी हो तो शिष्य को महारास का रस प्रदान कर सकता है! जब इतनी सारी बातें बन जाएँ, अंतःकरण शुद्ध हो जाए और उपर्युक्त गुरु मिल जाए, तभी हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे..
• संदर्भ पुस्तक ::: 'महारास अधिकारी', पृष्ठ संख्या 23
★★★ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(5) www.youtube.com/JKPIndia(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - हम सोते समय सपने देखते हैं। ये सपने अच्छे और बुरे दोनों तरह के होते हैं। कई सपने बेहद डरावने, तो कई सपने हसीन होते हैं। सपने महज सपने नहीं होते हैं बल्कि, स्वप्न शास्र के अनुसार, इन सभी सपनों का मतलब होता है। ये सपने हमें भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे में बताते हैं। ये सपने शुभ और अशुभ दोनों प्रकार की घटनाओं के बारे में बताते हैं। स्वप्न शास्त्र के मुताबिक यदि आपको सपने में कुछ विशेष चीजें दिख जाएं या यू कहें की आपके सपने वे चीजें आ जाएं तो ऐसा समझा जाता है कि आपकी आर्थिक स्थिति पलटने वाली है। कुछ विशेष तरह के सपने इस बात का संकेत करते हैं कि निकट भविष्य में आपकी आर्थिक स्थिति बेहद मजबूत हो सकती है। आज हम जानेंगे कि ऐसे कौनसे शुभ सपने होते हैं जिन्हें देखने से आपको धन लाभ हो सकता है।स्वप्न शास्त्र के अनुसार, अगर आप अपने सपने में चूहे को देखते हैं तो यह आपके लिए शुभ संकेत हैं। यह सपना संकेत करता है कि आपके पास कहीं से अचानक धन आने वाला है। माना जाता है सपने में चूहा देखने से दरिद्रता दूर होती है। जीवन में समृद्धि आती है।स्वप्न शास्त्र के अनुसार, सपने में गाय को देखना बेहद शुभ होता है। गाय को अलग-अलग तरह से देखने का मतलब भी अलग होता है। अगर आप सपने में गाय को दूध देते हुए देखते हैं सुख-समृद्धि आने वाली है तो वहीं अगर आप चितकबरी गाय को देखते हैं तो सूद ब्याज के व्यापार में लाभ मिलने के संकेत होते हैं।असल जिंदगी में किसी लड़की को नाचते हुए देखना आपके मनोरंजन का हिस्सा हो सकता है। लेकिन अगर आप अपने सपने में किसी स्त्री को नृत्य करते देखते हैं तो इसका मतलब होता है कि आने वाले दिनों में आपको धन प्राप्त हो सकता है। यह सपना शुभ सपनों में से एक होता है।स्वप्न शास्त्र के अनुसार, अगर आप सपने में भगवान के दर्शन करते हैं तो यह बेहद ही शुभ होता है। स्वप्न शास्त्र में इस सपने का मतलब ये है कि आपके ऊपर दैवीय कृपा बरसने वाली है जिससे आपको आने वाले दिनों में सुख-समृद्धि और धन की प्राप्ति होने वाली है।सपने में जलते हुए दीपक को देखना अति शुभ माना जाता है। स्वप्न शास्त्र के मुताबिक यदि आप सपने में किसी जलते हुए दीये को देखते हैं तो यह संकेत है कि आपको भविष्य में प्रचुर मात्रा में धन प्राप्ति होगी। यह सपना आपके आर्थिक जीवन को संपन्न कर देगा।शास्त्रों में मछली को मां लक्ष्मी के आगमन का सूचक माना गया है। स्वप्न शास्त्र के मुताबिक अगर आपको सपने में मछली दिखाई दे तो जल्दी ही आपके ऊपर मां लक्ष्मी की कृपा बरसने वाली है। इसी प्रकार स्वप्न में आप किसी वृक्ष पर चढ़ रहें हैं तो आपको कहीं से अचानक धन प्राप्ति हो सकती है।
- हिंदू पंचांग के अनुसार रक्षाबंधन पर्व संपन्न होने के साथ ही सावन का महीना भी रविवार को खत्म हो रहा है. इसके बाद 23 अगस्त से भाद्रपद का महीना शुरू हो रहा है. यह महीना 22 सितंबर तक रहेगा.ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक यह भाद्रपद महीना कुछ राशियों के लिए बेहद शुभ रहने वाला है. वहीं कुछ राशियों को खास सजग रहने की जरूरत है. ज्योतिष विद्वानों के अनुसार ग्रहों के राजा सूर्य देव और ग्रहों के सेनापति मंगल ग्रह भाद्रपद महीने में कुछ दिनों तक सिंह राशि में विराजमान रहेंगे. आइये जानते हैं कि विभिन्न राशि वालों के लिए भाद्रपद महीना कैसा रहने वाला है.मेष राशिदांपत्य जीवन में सुख का अनुभव करेंगे. परिवार के सदस्यों का सहयोग प्राप्त होगा. परिवार के सदस्यों का सहयोग प्राप्त होगा. पारिवारिक जीवन में शुभ फल की प्राप्ति होगी. साथ ही धन- लाभ का भी योग रहेगा.वृष राशिपरिवार के सदस्यों के साथ समय व्यतीत करें. नौकरी और व्यापार के लिए समय शुभ है. वृष राशि के जातकों को मिले- जुले परिणाम हासिल होंगे. दांपत्य जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. धन- लाभ होगा, लेकिन धन का खर्च सोच- समझकर ही करें.मिथुन राशिसाहस और पराक्रम में वृद्धि होगी. मान- सम्मान और पद- प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी. व्यवसाय में लाभ के योग बनेंगे. भाई-बहन से मदद मिल सकती है. जीवनसाथी के साथ समय व्यतीत करने का अवसर मिलेगा. हर कार्य में सफलता प्राप्त करेंगे.कर्क राशिनौकरी और व्यापार में लाभ होगा. जीवनसाथी के साथ समय व्यतीत करें. धन का खर्च सोच- समझकर ही करें. आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलेगा. पारिवारिक जीवन में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.सिंह राशिलेन- देन के लिए समय शुभ है. निवेश से लाभ प्राप्त हो सकता है. आत्मविश्वास में वृद्धि होगी. समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होगी.सेहत में बदलाव देखने को मिलेंगे. परिवार का सहयोग प्राप्त होगा.कन्या राशिवाद- विवाद से दूर रहें. सेहत संबंधित समस्याएं हो सकती हैं. मानसिक तनाव हो सकता है. वैवाहिक जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.तुला राशियह समय आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है. इस समय निवेश किया जा सकता है. लेन- देन से लाभ होगा. नया वाहन या मकान खरीद सकते हैं. सरकारी क्षेत्रों में काम कर रहे लोगों को लाभ मिलेगा. कार्यक्षेत्र से जुड़े मामलों में सफलता मिलने के योग बनेंगे.वृश्चिक राशिप्रमोशन या आर्थिक लाभ के भी योग बनेंगे. किसी नए काम की शुरुआत के लिए सूर्य गोचर लाभकारी रहेगा. नौकरी की तलाश कर रहे लोगों को शुभ समाचार मिल सकता है. लेन- देन के लिए समय शुभ है. शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए ये समय किसी वरदान से कम नहीं है. आपको शुभ परिणाम प्राप्त होंगे.धनु राशिवैवाहिक जीवन सुखमय रहेगा. गोचर काल में संतान की उन्नति हो सकती है. आर्थिक पक्ष मजबूत होगा. इस समय निवेश करने से लाभ होगा. अनुकूल परिणाम प्राप्त होंगे. इस दौरान आपको मानसिक शांति भी मिलेगी. इस समय निवेश करने से लाभ होगा.मकर राशिस्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. किसी बाहरी व्यक्ति पर भरोसा करने से पहले अच्छी तरह सोच- विचार कर लें. धन- लाभ होगा. मिले- जुले परिणाम मिलेंगे. वाद- विवाद से दूर रहें.कुंभ राशिवाद- विवाद से दूर रहें. जीवनसाथी से मतभेद हो सकता है. धैर्य से काम लें. इस समय नया कार्य शुरू न करें. सावधान रहने की आवश्यकता है.मीन राशियह समय आपके लिए सामान्य रहेगा. परिवार के सदस्यों का सहयोग मिलेगा. धन- लाभ होगा. इस समय स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें.जीवनसाथी के साथ समय व्यतीत करेंगे.
- ज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक, जब शनि देव किसी पर प्रसन्न होते हैं तो उनके सभी कष्टों को दूर कर लेते हैं। शनि महाराज का आशीर्वाद पाने के लिए शनि चालीसा का पाठ बहुत ही कारगर उपाय है। शानि देव को प्रसन्न करने के लिए शनि चालीसा या पाठ किया जाता है। इसे करने से घर में सुख- समृद्धि आती है। साथ ही घर में धन की कमी नहीं होती है। इस पाठ को करने से सभी परेशानियां दूर हो जाती है। शनि चालीसा का पाठ इस प्रकार है -|| अथ श्री शनिदेव चालीसा पाठ |||| दोहा ||जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज।करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥|| चौपाई ||जयति जयति शनिदेव दयाला। करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥चारि भुजा, तनु श्याम विराजै। माथे रतन मुकुट छबि छाजै॥परम विशाल मनोहर भाला। टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥कुण्डल श्रवण चमाचम चमके। हिय माल मुक्तन मणि दमके॥कर में गदा त्रिशूल कुठारा। पल बिच करैं अरिहिं संहारा॥पिंगल, कृष्णो, छाया नन्दन। यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन॥सौरी, मन्द, शनी, दश नामा। भानु पुत्र पूजहिं सब कामा॥जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं। रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं॥पर्वतहू तृण होई निहारत। तृणहू को पर्वत करि डारत॥राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो। कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो॥बनहूँ में मृग कपट दिखाई। मातु जानकी गई चुराई॥लखनहिं शक्ति विकल करिडारा। मचिगा दल में हाहाकारा॥रावण की गति-मति बौराई। रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई॥दियो कीट करि कंचन लंका। बजि बजरंग बीर की डंका॥नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा। चित्र मयूर निगलि गै हारा॥हार नौलखा लाग्यो चोरी। हाथ पैर डरवायो तोरी॥भारी दशा निकृष्ट दिखायो। तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो॥विनय राग दीपक महं कीन्हयों। तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों॥हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी। आपहुं भरे डोम घर पानी॥तैसे नल पर दशा सिरानी। भूंजी-मीन कूद गई पानी॥श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई। पारवती को सती कराई॥तनिक विलोकत ही करि रीसा। नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा॥पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी। बची द्रौपदी होति उघारी॥कौरव के भी गति मति मारयो। युद्ध महाभारत करि डारयो॥रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला। लेकर कूदि परयो पाताला॥शेष देव-लखि विनती लाई। रवि को मुख ते दियो छुड़ाई॥वाहन प्रभु के सात सुजाना। जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना॥जम्बुक सिंह आदि नख धारी। सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं। हय ते सुख सम्पति उपजावैं॥गर्दभ हानि करै बहु काजा। सिंह सिद्धकर राज समाजा॥जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै। मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी। चोरी आदि होय डर भारी॥तैसहि चारि चरण यह नामा। स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा॥लौह चरण पर जब प्रभु आवैं। धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं॥समता ताम्र रजत शुभकारी। स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी॥जो यह शनि चरित्र नित गावै। कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥अद्भुत नाथ दिखावैं लीला। करैं शत्रु के नशि बलि ढीला॥जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई। विधिवत शनि ग्रह शांति कराई॥पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत। दीप दान दै बहु सुख पावत॥कहत राम सुन्दर प्रभु दासा। शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा॥|| दोहा ||पाठ शनिश्चर देव को, की हों 'भक्त' तैयार।करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार॥
- शुभ रक्षाबन्धन 2021Happy Raksha-Bandhan 2021
(भूमिका - आज रक्षाबन्धन का पावन पर्व है, अतः आप सभी नियमित सुधी पाठक समुदाय को अनंत अनंत शुभकामनायें. विगत एक वर्ष से 'धर्म-अध्यात्म' के इस स्तम्भ में जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा कलिमलग्रसित हम दुःख-संतप्त जीवों के कल्याण के लिये दिये गये दिव्य उपदेशों का, प्रवचनों एवं उनके रस-साहित्यों का पठन-चिन्तन करते आ रहे हैं। भविष्य में भी भगवत्कृपा के आश्रय में रहते हुये उनकी प्रेरणा से इस श्रृंखला को निरन्तर बनाये रखने का प्रयास किया जायेगा। इसके 374-वें अंक में आइये आज 'रक्षाबन्धन' के अवसर पर उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत इस उपदेश का चिन्तन करें कि वास्तविक 'रक्षाबन्धन' क्या है, वास्तविक 'रक्षक' आखिर कौन है..?)....
"'आजु रक्षा बंधन गोविंद राधे,रक्ष रक्ष रक्ष दोउ गलबहियाँ दे..'
'रक्षा करे हरि गुरु गोविंद राधे,मायाधीन भैया रक्षा करे ना बता दे..'
रक्षा तो वो करे जो हमेशा साथ रहे. किस बेटे के साथ बाप हमेशा रहेगा? किस बीबी के साथ उसका पति हमेशा रहेगा? किस बहिन के साथ भाई हमेशा रहेगा? लेकिन भगवान् हमारा बाप, हमारा भाई, हमारा बेटा, ऐसा है जो सदा हमारे साथ रहता है. एक बटा सौ सेकंड को भी हमसे अलग नहीं जाता :
सयुजा सखाया समानं वृक्षम् परिषस्वजाते. (श्वेताश्वेतरोपनिषद 4-6)
समाने वृक्षे पुरुषो निमग्नोनिशया शोचति मुह्यमानः. (श्वेताश्वतरोपनिषद 4-7)
प्रतिक्षण,
एको देवः सर्वभूतेषु गूढ़: सर्वव्यापी सर्वभूतान्तरात्मा. (श्वेताश्वतरोपनिषद 7-11)
ईश्वरः सर्वभूतानां हृद्येशेर्जुन तिष्ठति. (गीता 18-61)
वो बैठा है वहाँ. आता जाता है? नहीं. जीव उसी में रहता है. 'य आत्मनि तिष्ठति' (वेद)
वेद कहता है, ये जीव परमात्मा में रहता है. देखो ! ये जो आप लोगों के यहाँ ये लाइट हो रही है, ये पंखें चल रहे हैं. ये क्या है? इलैक्ट्रिसिटी, बिजली. ये बिजली जो है, पॉवर हाउस से लगी है न. हाँ ! आती जाती है. न न न. आती जाती होगी तो जलती बुझती रहेगी. उससे लगी है तब तक लाइट है. लगना बंद हो गया पॉवर हाउस से, बस अंधेरा हो गया.
चेतनश्चेतनानामेको बहूनां यो विदधति कामान्.(श्वेताश्वतरोपनिषद 6-13)
वेद कहता है - ये चेतन जो है जीव, इसमें चेतना देता रहता है प्रतिक्षण. तब ये हम चेतन हैं. वो अगर चेतना देना बंद करे तो हम जीरो बटे सौ हो जायें. जैसे ये तकिया ऐसे हो जायें (दिखाते हुए). तो वो (भगवान्) हमारी रक्षा करता है. मां के पेट में हम उल्टे टंगे रहे, उल्टे. अगर उसी तरह उल्टा आपको कोई टाँग दे, दो हफ्ते को उल्टा, पैर ऊपर सिर नीचे, तो पहलवान भी जीरो बटे सौ हो जाय. इतना कोमल हमारा शरीर था माँ के पेट में, उल्टे टंगे रहे, लेकिन वो रक्षा करता रहा. रक्षा किया उसने पैदा होते ही, उसने फिर रक्षा किया, माँ के स्तन में दूध बना दिया, फिर संसार बना दिया. फिर रक्षा किया, खाने-पीने का सामान और हर क्षण हमारे साथ चेतना दे रहा है, हमारे पूर्व जन्म के कर्मों के हिसाब का फल दे रहा है. वर्तमान काल के कर्मों को नोट करके जमा कर रहा है. इतनी रक्षा करता है वो (भगवान्)......
...तो रक्षाबंधन के दिन हरि-गुरु से रक्षा की आशा करके और उनके शरणागत होकर के हमको अपनी रक्षा करवानी चाहिए...."
--- जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज
★★★ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(5) www.youtube.com/JKPIndia(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - कई बार कड़ी मेहनत करने के बावजूद हमें वो परिणाम नहीं मिल पाते जिसके हम हकदार हैं. आमतौर पर लोग इसको भाग्य से जोड़कर देखते हैं. ये सच है कि सफलता प्राप्त करने के लिए मेहनत और भाग्य दोनों का कॉम्बिनेशन जरूरी है. लेकिन कई बार हमारे नुकसान का जिम्मेदार भाग्य नहीं, बल्कि हमारी कुछ गलतियां होती हैं, जो हम अनजाने में करते हैं.वास्तु शास्त्र के मुताबिक कुछ चीजें ऐसी हैं, जिन्हें घर में रखने मात्र से ही नकारात्मकता आती है. इससे हमारे कामों में विघ्न आने लगता है. मेहनत के बावजूद सफलता नहीं मिल पाती और आर्थिक नुकसान बहुत होता है. यहां जानिए उन चीजों के बारे में और अगर ये चीजें आपके भी घर में हैं तो इन्हें आज ही घर से बाहर कर दें.1. अगर आपके घर में टूटे बर्तन, चटका शीशा, बंद घड़ी, टूटे दीपक, खराब इलेक्ट्रॉनिक आइट्म और पुरानी झाड़ू है तो इन्हें आज ही घर से बाहर कर दें. इन चीजों से हमारी तरक्की बाधित होती है. ऐसे में मां लक्ष्मी घर में ठहर नहीं पातीं और आर्थिक नुकसान होता है.2. अगर आप अपने पास फटा पर्स रखते हैं या पर्स में भगवान की फटी तस्वीर है तो इसे हटा दें. इससे आपको पैसों का नुकसान होता है. आर्थिक तरक्की के लिए अपने पर्स में 5 इलाएची रखें. इन्हें शुभ माना जाता है. इसके अलावा घर में अगर टूटी तिजोरी हो, तो उसे भी हटा दें.3. घर में कांटेदार पौधे या ऐसे पौधों की तस्वीर, ताजमहल की मूर्ति या तस्वीर, महाभारत या किसी युद्ध की तस्वीर, जंगली हिंसक जानवर या डूबती नाव आदि की तस्वीर नहीं रखनी चाहिए. ये चीजें घर में नकारात्मकता लाती हैं और व्यक्ति को असफलता के मार्ग की ओर धकेलती हैं. इससे घर में क्लेश और झगड़े बढ़ते हैं.4. छत पर कबाड़ इकट्ठा करने और छत को गंदा रखने से भी बरकत नहीं आती है. इससे मानसिक उलझनें खत्म होने का नाम नहीं लेतीं और आर्थिक नुकसान होता है.
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भाई-बहन के स्नेह का पर्व रक्षाबंधन पर 22 अगस्त को शोभन योग और धनिष्ठा नक्षत्र का संयोग बन रहा है। सुबह शोभन योग और शाम को धनिष्ठा नक्षत्र होने से यह शुभ फलदायी होगा। सुबह से लेकर शाम तक बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांध सकेंगी। सुरेश्वर महादेव पीठ के संस्थापक पंडित राजेश्वरानंद सरस्वती के अनुसार 21 अगस्त को शाम 3.45 बजे से पूर्णिमा तिथि शुरू होकर 22 अगस्त को शाम 5.58 बजे तक रहेगी।
रक्षाबंधन के दिन सुबह 6.15 से लेकर 10.34 बजे तक शोभन योग है और धनिष्ठा नक्षत्र 7.39 बजे तक रहेगा। सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक राखी बांधी जा सकेगी। सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त दोपहर 12.04 से 12.58 बजे तक अभिजीत मुहूर्त और 1.44 से 4.03 बजे तक शुभ मुहूर्त है।
भाई को उत्तर या पूर्व दिशा की तरफ मुख करके बिठाएं। माथे पर तिलक लगाकर आरती उतारें। बड़े भाई के चरण स्पर्श करके मंत्र पढ़ें। यह मंत्र पढ़कर बहनें, भाई को रक्षा सूत्र बांध सुख समृद्धि की कामना करें।
भाई की राशि अनुसार रक्षा सूत्र
मेष - लाल रंग की राखी बांधकर मालपुआ खिलाएं, मानसिक शांति मिलेगी।
वृषभ - सफेद रेशमी डोरी वाली राखी बांध रसमलाई खिलाने से नौकरी व्यापार में लाभ।
मिथुन - हरे रंग की राखी बांध हरी बर्फी, गुलाब जामुन खिलाएं। विचार शक्ति बढ़ेगी।
कर्क - सफ़ेद रेशम वाली राखी बांध कलाकंद, बादाम कतली खिलाने से मान-सम्मान बढ़ेगा।
सिंह - नारंगी राखी बांध घेवर, बालुशाही खिलाने से नौकरी, शिक्षा में लाभ।
कन्या - गणेशजी के प्रतीक वाली राखी बांध, मोतीचूर के लड्डू खिलाने से वैवाहिक जीवन सुखदायी।
तुला - रेशमी हल्के गुलाबी डोरे वाली राखी बांध काजू कतली, मावा बर्फी खिलाएं। व्यवसाय में लाभ।
वृश्चिक - चमकीला लाल रंग की राखी बांधें। पंचमेवा बर्फी, अंजीर कतली खिलाएं। बीमारी में राहत।
धनु - पीले धागे की राखी बांधें। बेसन चक्की, जलेबी खिलाएं। नौकरी, व्यापार में लाभ
मकर - बैंगनी राखी बांधकर गुलाब जामुन खिलाने से बाधा निवारण।
कुंभ - नीले धागे वाली राखी बांध हलवा, सोन पपड़ी खिलाएं। धन संपत्ति लाभ।
मीन - पीले धागे वाली राखी बांध, केसर बाटी खिलाएं। मन पवित्र रहेगा।
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