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- काले रंग को अच्छा नहीं माना जाता है, इसलिए हमारे मन में काली चीजों के लिए एक गलत राय पहले से ही कायम हो जाती है. लेकिन यहां आपको कुछ काली चीजों के बारे में जानने को मिलेगा, जो आपके स्वास्थ्य के लिए वरदान साबित हो सकती हैं. आप इन काले फूड्स को सेहत को बुरी नजर (स्वास्थ्य समस्याएं) से बचाने वाले नजरबट्टू की तरह भी देख सकते हैं. इन काले फूड्स को आप हरी और पत्तेदार सब्जियों से कम समझने की भूल बिल्कुल ना करें. ये 5 काले फूड्स पोषण से भरपूर हैं और आपकी सेहत को मजबूत बनाते हैं.स्वास्थ्यवर्धक 5 काले फूड्सआयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉ. अबरार मुल्तानी के मुताबिक यहां बताए जा रहे काले फूड्स काफी स्वास्थ्यवर्धक माने जाते हैं. जिससे शरीर को जरूरी पोषण प्राप्त होता है और आप शरीर और दिमाग दोनों से मजबूत बनते हैं.काले अंगूरकाले अंगूर में काफी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं. जो आपकी कोशिकाओं को डायबिटीज, अल्जाइमर, दिल की बीमारी आदि से सुरक्षा प्रदान करते हैं. यह आपके दिल और दिमाग के लिए काफी फायदेमंद फूड है और इसके सेवन से स्वस्थ बाल और त्वचा प्राप्त की जा सकती है.काले तिलकाले तिल में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं. इनका इस्तेमाल करने से बाल झड़ने, सफेद बाल, दांतों के रोग, खांसी आदि समस्याओं से राहत पाई जा सकती है. सोंठ के साथ तिल का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से जोड़ों के दर्द से भी राहत मिलती है. इसमें कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व भी पाए जाते हैं. यह ब्लीडिंग रोकने के भी काम आते हैं.चिया सीड्सचिया सीड्स छोटे-छोटे काले बीज होते हैं. जिनमें फाइबर, प्रोटीन, कैल्शियम, मैंगनीज, मैग्नेशियम, फोस्फोरस आदि जरूरी पोषक तत्व मौजूद हैं. आपको चिया सीड्स के अंदर काफी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स भी मिलेंगे, जो कोशिकाओं को फ्री-रेडिकल्स से बचाते हैं. आपको इन बीज के सेवन से मोटापा घटाने, दिल के रोगों से बचाने, हड्डियों को मजबूत बनाने आदि फायदे प्राप्त होते हैं. इसे वीर्यवर्धक के रूप में भी काफी बेहतरीन माना जाता है.काली मिर्चकाली मिर्च भारतीय रसोई में आसानी से मिलने वाला मसाला है और यह एंटी-कैंसरस भी है. स्वास्थ्य की दृष्टि से यह काफी फायदेमंद होता है. काली मिर्च में एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं. काली मिर्च का सेवन आपके दिमाग, ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल लेवल आदि को संतुलित बनाने में मदद करता है. इसके इस्तेमाल से दर्द से भी राहत प्राप्त की जा सकती है.काली उड़द की दालकाली उड़द की दाल में अधिकतर दालों के मुकाबले ज्यादा प्रोटीन होता है. इसके अलावा इसमें विटामिन ए, सोडियम, पोटैशियम, फोलेट, जिंक जैसे कई पोषक तत्व होते हैं. इसके इस्तेमाल से सिरदर्द, डैंड्रफ, नक्सीर आदि से राहत पाई जा सकती है. यह लिवर, पुरुषों व महिलाओं के यौन स्वास्थ्य आदि के लिए काफी बढ़िया फूड है.
- हाथ या पांव में मोच आना आम बात है, लेकिन जब मोच आ जाती है तब असहनीय दर्द होता है, ये दुखदायी हो जाता है। इस मोच को ठीक करने में हल्दी और चूना का इस्तेमाल रामबाण है।मोच को ठीक करने के लिए कैसे तैयार करें ये देसी दवापैर या हाथ की मोच को ठीक करने में हल्दी और चूना की ये देसी दवा बहुत कारगर है। आज भी कई घरों में इस नुस्खे का इस्तेमाल किया जाता है। हल्दी चूना का ये नुस्खा निम्न तरीके से करें तैयार--सबसे पहले एक चम्मच हल्दी और एक चम्मच चूना लें।-चूना और हल्दी को मिलाएं। इसे थोड़ा गर्म कर लें।-गुनगुने से इस इस पेस्ट को मोच वाली जगह पर लेप की तरह लगाएं।-लेप लगाने के बाद पट्टी बांध दें।-जब तक पैर या हाथ की सूजन चली न जाए तब तक इस नुस्खे का इस्तेमाल करें।-इस तरह हल्दी-चूना लगाने से आपके पैर या हाथ की सूजन जल्द से जल्द खत्म हो जाएगी। साथ ही दर्द में भी आराम मिलेगा।हल्दी के फायदेहल्दी में एंटी-इंफ्लामेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं। जो जोड़ों के दर्द से लेकर हाथ या पांव में आने वाली सूजन में भी लाभकारी होती है। अमूमन भारतीय घरों में हल्दी का प्रयोग खाने-पीने में होता है। लेकिन इसे शरीर पर लगाने से भी कई फायदे मिलते हैं। हल्दी में पाया जाने वाला करक्युमिन दर्द को ठीक करने में बहुत लाभकारी है। हल्दी की तासीर गर्म होती है। जब मोच आ जाती है, तब उस जगह आई सूजन को हील करने में हल्दी बहुत गुणकारी तरीके से काम करती है। हल्दी की गर्माहट की वजह से सूजन कम होने लगती है।चूना के फायदेचूना को कैल्शियम कार्बोनेट भी कहा जाता है। चूना कैल्शियम का अच्छा स्रोत माना जाता है। कैल्शियम हड्डियों की मजबूत के लिए फायदेमंद है। जब आप हल्दी और चूना से बना ये घरेलू नुस्खा मोच को ठीक करने के लिए करते हैं तो चूना और हल्दी दोनों मिलकर काम करते हैं और सूजन को कम करते हैं।
- कुछ ऐसी चीजों के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जिनका सेवन करने से आपको एसिडिटी से राहत मिल सकती है. उल्टा सीधा खानपान और खराब लाइफस्टाइल की वजह से एसिडिटी की समस्या हो जाती है, जो लोग ज्यादा खट्टा और मसाले वाले खाने का अधिक सेवन करते हैं और पानी कम पीते हैं उन्हें भी यह परेशानी होती है.यह पाचन तंत्र से संबंधित आम समस्या है, अत्यधिक तैलीय और मसालेदार भोजन करने से पेट में पित्त के बढ़ने से एसिडिटी की शिकायत हो जाती है और पेट में जलन एवं खट्टी डकारों का सामना व्यक्ति को करना पड़ता है. हमारे पेट में हाइड्रोक्लोरिक एसिड पेपसीन मौजूद होता है जो भोजन के पाचन में अहम भूमिका निभाता है.तरबूज का सेवन करेंनैचुरल तरीके से एसिडिटी की समस्या में तरबूज आराम दिलाता है. क्योंकि इसमें अधिक मात्रा में फाइबर होता है, जो डाइजेशन को बढ़िया रखता है. इसके साथ ही खाने को पचाने में मदद करता है. लिहाजा अगर आप एसिडिटी की समस्या से नैचुरल तरीके से राहत चाहते हैं तो तरबूज खाना आज से शुरू कर दें.खीरा का करें सेवनखीरा सेहत के लिए बेहद लाभकारी है. कई लोग तो ऐसे होते हैं कि अगर सलाद में खीरा नहीं हुआ तो उनका पेट भी नहीं भरता. इसके सेवन से एसिडिटी की समस्या में राहत मिल सकती है. इसमें प्रचुर मात्रा में पानी होता है, जो शरीर को हाइड्रेट रहता है. इसे खाने से एसिड रिफ्लैक्स कम हो जाता है, जिससे कि एसिडिटी की समस्या में आराम मिलता है.नारियल पानी भी जरूरीनारियल पानी को सुबह पीने से शरीर डिटॉक्सीफाई होता है, जिससे कि गैस की समस्या में आराम मिलता है. नारियल पानी में फाइबर और एंटी ऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में होता है. अगर आपको गैस की समस्या है तो आप डाइट में नारियल पानी शामिल करें.केले का सेवन जरूरीकेला सेहत के लिए बेहद लाभाकारी होता है. इसका सेवन करने से भी आपको काफी हद तक गैस की समस्या में आराम मिलेगा. केले में एसिड रिफ्लैक्स होता है. इसके साथ ही इसमें कैल्शियम, आयरन, एंटी ऑक्सीडेंट्स और पोटैशियम जैसे पोषक तत्व होते हैं, ये सभी तत्व म्यूकस पैदा करते हैं, इससे पीएच का स्तर कम होता है और एसिडिटी की समस्या कंट्रोल होती है.
- हरी मिर्च ज्यादातर लोग खाना पसंद करते हैं. खाने को स्वादिष्ट बनाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है. कई तरह की चटनियों में भी हरी मिर्च मिलाई जाती है. हाल में हुए कई शोध के अनुसार, हरी मिर्च खाने से कई स्वास्थ्य संबंधी कई तरह की समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो हरी मिर्च में विटामिन सी पर्याप्त मात्रा में होता है, जो सेहत को कई बीमारियों से बचाता है. हरी मिर्च में विटामिन ए, बी6, सी, आयरन, कॉपर, पोटेशियम, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट भरपूर मात्रा में पाया जाता है. इसमें बीटा कैरोटीन, क्रीप्टोक्सान्थिन, लुटेन -जॅक्सन्थिन आदि स्वास्थ्यवर्धक चीजें मौजूद हैं, जो शरीर को स्वस्थ्य रखने में अहम रोल अदा करती हैं.कई गंभीर बीमारियों से बचाती है हरी मिर्चखाने में तीखापन लाने वाली हरी मिर्च स्वाद के साथ सेहत के लिए भी फायदेमंद होती है. हरी मिर्च का सेवन कर हम कई गंभीर बीमारियों से भी बच सकते हैं. यह वजन घटाने से लेकर ब्लड सर्कूलेशन में तेजी लाने का काम करती है.इम्युनिटी करती है मजबूतअगर आपके शरीर की इम्युनिटी कमजोर है तो हरी मिर्च आपके काम आ सकती है, क्योंकि यह इम्यूनिटी को मजबूत करती है. यही वजह है कि कोरोना काल में हरी मिर्च खाने पर जोर दिया जा रहा है. हरी मिर्च में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो शरीर को बैक्टीरिया-फ्री रखने में मदद कर सकता है.खून का फ्लो तेज होता हैहरी मिर्च में कैप्सियासिन नामक यौगिक मौजूद होता है, जो इसे तीखा बनाता है. मिर्च खाने से खून साफ होता है और नसों में खून का फ्लो तेजी से होता है, जिससे चेहरे पर पिंपल्स की समस्या से भी छुटाकारा पाया जा सकता है.स्किन को हेल्दी बनाती है हरी मिर्चहरी मिर्च आपके चेहरे पर निखार लाने में मदद करती है. इसमें विटामिन ई और विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो आपकी स्किन को हेल्दी रखने में मदद कर सकता है.आंखों के लिए भी है लाभकारीहरी मिर्च आंखों की रोशनी को बढ़ाने में मददगार होती है, क्योंकि इसमें विटामिन ए पाया जाता है, जो आंखों की रोशनी को बढ़ाने में मदद कर सकता है.
- महामारी से लड़ने के लिए शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का मजबूत होना बेहद जरूरी है. भारत सरकार के आयुष मंत्रालय की ओर से इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए कई उपाय बताए गए हैं. जिसमें से एक है गिलोय का काढ़ा. इस खबर में हम आपके लिए लेकर आए हैं गिलोय का काढ़े से होने वाले फायदे और उसको बनाने का तरीका.गिलोय का काढ़ा तैयार करने का सामानदो कप पानीएक चम्मच हल्दी2 इंच अदरक का टुकड़ागिलोय के एक-एक इंच के 5 टुकड़े6-7 तुलसी के पत्तेस्वादानुसार गुड़गिलोय का काढ़ा बनाने का तरीकाएक पैन में 2 कप पानी लेंअब इसे मीडियम आंच पर उबलने के लिए रख दें.बाकी सभी सामग्री को डालें और गिलोय भी डाल दें.फिर धीमी आंच पर इसे कुछ समय के लिए पकने दें.जब पानी आधा रह जाए और सभी चीजें अच्छे से पक जाएं तो गैस बंद कर दें.किसी कपड़े या छन्नी से इसे छानकर कप में डालें और चाय की तरह पीएं.इसलिए भी खास है गिलोय का काढ़ाआयुर्वेद में कई रोगों के इलाज में गिलोय का इस्तेमाल किया जाता है. यह काफी सस्ती आयुर्वेदिक औषधि है. गिलोय को गुडूची या अमृता के नाम से भी जाना जाता है. गिलोग का रस, और काढ़ा डेंगू, चिकनगुनिया, बुखार जैसी गंभीर बीमारियों में दिया जाता है. इसके अलावा बदलते मौसम में गिलोय कई तरह के वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन से भी बचाता है.कितनी मात्रा में पीएं गिलोय का काढ़ाआप गिलोय का काढ़ा प्रतिदिन एक कप पी सकते हैं. इससे ज्यादा नहीं पीना चाहिए, क्योंकि ज्यादा का सेवन आपको नुकसान पहुंचा सकता है. अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो आपको डॉक्टर की परामर्श के बाद ही इसे पीना चाहिए.गिलोय का काढ़ा पीने के 5 फायदे?गठिया रोग में भी गिलोय बहुत फायदेमंद होता है.इसे पीने से शरीर कई तरह के संक्रमण और संक्रामक तत्वों से बच सकता है.इसमें मौजूद अदरक और हल्दी मिलकर इम्यूनिटी बढ़ाने का काम करते हैं.ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए भी फायदेमंद है गिलोय.आयुर्वेद में डायबिटीज के मरीजों को गिलोय खाने की सलाह दी जाती है.
- सेब का सिरका कई स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है. वजन घटाने के लिए लोकप्रिय रूप से इसका इस्तेमाल किया जाता है. सेब का सिरका आपको कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से लड़ने में मदद कर सकता है. ये डायबिटीज रोगियों के लिए काफी फायदेमंद है. क्योंकि ये बल्ड शुगर के लेवल को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है. ऐप्पल साइडर सिरका सौंदर्य लाभों से भरपूर होता है. सेब का सिरका गले में खराश के लक्षणों को भी कम करने में आपकी मदद कर सकता है. गले की खराश को दूर करने के लिए आप इसका सेवन कर सकते हैं. गले में खराश एक आम समस्या है जो अक्सर बदलते मौसम के कारण होती है. इस स्वास्थ्य समस्या को दूर करने के लिए सेब के सिरके का इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं आइए जानें.सेब के सिरके का इस्तेमालसेब के सिरके में कई गुण होते हैं जो गले की खराश से लड़ने में आपकी मदद कर सकते हैं. सेब के सिरके में कई विटामिन, एंजाइम, प्रोटीन और लाभ पहुंचाने वाले बैक्टीरिया होते हैं. कई अध्ययनों के अनुसार गले में खराश के लिए सेब के सिरके का इस्तेमाल कई तरीको से कर सकते हैं.एक गर्म पानी लें और उसमें एक बड़ा चम्मच एप्पल साइडर विनेगर मिलाएं. अच्छी तरह मिलाने के बाद इसमें 2 बड़े चम्मच शहद मिलाएं. इस मिश्रण को दिन में एक बार पी सकते हैं. ये खांसी से लड़ने में भी मदद कर सकता है.एक बड़े गिलास गर्म पानी में एक बड़ा चम्मच एप्पल साइडर विनेगर मिला सकते हैं. इसे दिन में एक बार पी सकते हैं.गले में खराश से लड़ने के लिए एक बहुत ही प्रभावी मिश्रण तैयार कर सकते हैं. इसके लिए आप सेब के सिरके को दालचीनी और अन्य रसोई सामग्री के साथ मिला सकते हैं. एक कप गर्म पानी में एक बड़ा चम्मच एप्पल साइडर विनेगर, एक बड़ा चम्मच दालचीनी, एक बड़ा चम्मच शहद और एक बड़ा चम्मच नींबू मिलाएं. आप इसे चाय के रूप में पी सकते हैं. इस मिश्रण से गरारे भी कर सकते हैं.गले में खराश के लिए नमक का पानी एक लोकप्रिय घरेलू उपचार है. आप गरारे करने के लिए नमक के पानी में एक बड़ा चम्मच सेब का सिरका मिला सकते हैं. इसके लिए गर्म पानी का इस्तेमाल करें.
- गुलाब का नाम सुनते ही होंठो पर एक हल्की मुस्कान आ जाती है, हैं न। गुलाब एक ऐसा फूल है जिसका पौधा कंटीला होने के बावजूद फूल इतना मनमोहक होता है कि सबका दिल महक और सुंदरता से मोह लेता है। इसके मुग्ध रूप के अलावा औषधीय गुण भी अनगिनत हैं। आयुर्वेद में गुलाब का इस्तेमाल कई बीमारियों के लिए इलाज के रूप में प्रयोग किया जाता है। चलिये इसके बारे में आगे विस्तार से जानते हैं।गुलाब मधुर, कड़वा, तीखा, शीतल, लघु, चिकना, वातपित्त कम करने वाला, लिबिडो, हृदय संबंधी बीमारी, पौष्टिकता सोखने का गुण, रुचिकारक, खाना पचाने में सहायक, आंखों के लिए फायदेमंद, शुक्रल , दीपन , वर्ण्य तथा रसायन गुण से भरपूर होता है। गुलाब के फूल शीतल, वर्ण्य, वातपित्त कम करने वाला, विदाह नाशक या जलने की अनुभूति कम करने में सहायक, कास या खांसी, श्वसनिकाशोथ , व्रण या अल्सर (घाव), श्वास दौर्गन्ध्य (सांस की बदबू), अजीर्ण या बदहजमी, आध्मान या पेट फूलना, उदरशूल या पेट में दर्द, त्वक् रोग या चर्म रोग, हृदय रोग, ज्वर, विसर्प या हर्पिज, अर्श या बवासीर तथा सामान्य दौर्बल्य या कमजोरी में लाभप्रद होते हैं।मुंह संबंधी रोगगुलाब के फूलों का हिम बनाकर गरारा करने से मुंह की सूजन, सांस की बदबू, तथा गले के दर्द के इलाज में मदद मिलती है। इसके अलावा गुलाब के पत्तों को चबाने से भी मुंह और होंठों की सूजन कम होती है।सिर में होने वाले घावगुलाब के पत्तों को पीसकर लेप करने से सिर में होने वाले घाव, नेत्राभिष्यन्द या केटेरेक्ट (मोतियाबिंद) , दंतरोग तथा अर्श या पाइल्स में लाभ पहुंचाता है।पलकों की सूजनगुलाब के फूलों को पीसकर लगाने से पलकों की सूजन कम होने लगती है। इसके अलावा दांत पर मलने से दांत संबंधी रोगों से निजात पाने में मदद मिलती है। इसके अलावा गुलाब के अर्क को 2-2 बूंद आंखों में डालने से आंखों के बीमारी से राहत दिलाने में बहुत फायदेमंद होता है।ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के इलाज मेंगुलाब के फूलों का प्रयोग फेफड़ों की बीमारी, टी.बी. की चिकित्सा में किया जाता है। इससे इस रोग के इलाज में मदद मिलती है।पेट संबंधी रोग में फायदेमंद गुलाब2-4 ग्राम गुलाब फूल के चूर्ण को शहद के साथ सेवन करने से कब्ज, उदावर्त तथा अतिसार या दस्त में लाभ होता है।यकृत रोग के इलाज मेंलाल गुलाब के फूलों का प्रयोग रक्तज-विकार तथा यकृत से संबंधित बीमारियों की चिकित्सा में किया जाता है।घाव को ठीक करने मेंगुलाब के फलों को पीसकर घाव के ऊपर डालने से घाव से बहता हुआ खून कम होने लगता है और घाव जल्दी सूखने लगता है।बुखार से राहतअगर बुखार कम होने का नाम नहीं ले रहा है तो गुलाब से बने गुलकन्द का सेवन करने से पित्त ज्वर में लाभ होता है।गुलाब का इस्तेमाल कैसे करना चाहिएयदि आप किसी ख़ास बीमारी के घरेलू इलाज के लिए गुलाब का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही इसका उपयोग करें।
- फिटकरी सेहत के साथ स्किन के लिए भी फायदेमंद है. हमने देखा है कि जब पिछले दिनों कोरोना की दूसरी लहर अपने पीक पर थी तब गले और सांस संबंधी दिक्कतों को दूर करने के लिए लोगों को फिटकरी के गरारे करने की सलाह दी जा रही थी. फिटकरी कई तरह से फायदेमंद है. यदि आपको सूखी खांसी हो रही है या खांसने पर बहुत अधिक बलगम निकल रहा है तो दोनों ही परिस्थितियों में फिटकरी का उपयोग आपके लिए बहुत लाभकारी है.खांसी के साथ बलगम आने पर ऐसे करें उपयोगआयुर्वेद डॉक्टर अबरार मुल्तानी के अनुसार, खांसी के साथ बलगम आने पर आप फिटकरी के पानी से गरारे कर सकते हैं. इसके अलावा फिटकरी पर शहद लगाकर चाटने से भी आपकी समस्या का उपचार हो जाएगा. उन्होंने बताया कि फिटकरी का चूर्ण बनाकर भी शहद के साथ आप उसका आसानी से सेवन कर सकते हैं, इससे खांसी से राहत मिलेगी.दांत दर्द से राहत दिलाएगी फिटकरीडॉक्टर अबरार मुल्तानी कहते हैं कि अगर आपको दांत में दर्द है तो राहत पाने के लिए आप फिटकरी का इस्तेमाल कर सकते हैं. फिटकरी के पाउडर को एक गिलास पानी में मिलाकर इससे कुछ मिनट तक गरारे करें. ऐसा करने से दांद दर्द से राहत मिलेगी साथ ही मुंह से आने बदबू से निजात मिलेगी.यूरीन इंफेक्शन में लाभकारी है फिटकरीडॉक्टर अबरार मुल्तानी कहते हैं किगर्मियों के मौसम में कई लोगों को यूरीन इंफेक्शन हो जाता है, ऐसे में वेजाइना को फिटकरी के पानी से दिन में दो से तीन बार साफ करें. ऐसा करने से इंफेक्शन के कारण हो रही खुजली, लालपन, जलन आदि से आपको राहत मिल जाएगी, इसलिए प्राथमिक उपचार के तौर पर इसे जरूर आजमाकर देखें.बुखार में लाभकारी है फिटकरीअगर आपको बुखार है तो फिटकरी का उपयोग बहुत लाभकारी होता है. डॉक्टर अबरार मुल्तानी कहते हैं कि बुखार आने पर आप फिटकरी के पानी से स्नान जरूर करें. बुखार यदि अधिक है तो एक चुटकी फिटकरी का पाउडर लें, उसमें सौंठ को मिलाएं और बताशे के साथ इस मिश्रण का सेवन करें. दिन में दो बार इस उपाय को करने से धीरे- धीरे आपके शरीर का तापमान कम होने लगेगा.झुर्रियां कम करेअगर आपके चेहरे या हाथ-पैर में झुर्रियां दिखने लगी हैं तो इन्हें कम करने के लिए भी आप फिटकरी का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए आप फिटकरी के टुकड़े से कुछ मिनट के लिए चेहरे और हाथ-पैर की मसाज करें फिर पानी से धो लें.
- आयुर्वेद, चरक संहिता, सुश्रुत संहिता आदि में पान के पत्ते को काफी स्वास्थ्यवर्धक बताया गया है। पुराने समय में राजा-महाराजा हर रात खाना खाने के बाद पान चबाना पसंद करते थे। पान के सेवन से शादीशुदा पुरुषों को कमाल के फायदे मिलते हैं। यह उनकी सेक्शुअल लाइफ के लिए लौंग, सौंफ या इलायची के नुस्खों से बहुत ही ज्यादा कारगर उपाय साबित होता है. लेकिन पान के फायदे और भी बहुत होते हैं...पान के पत्ते हृदय के लिए बेहतरीन टॉनिक का भी काम करता है. इसमें एंटी-डायबिटिक, एंटी-इंफ्लामेटरी, एंटी-इंफेक्टिव, एंटी-सेप्टिक और दुर्गंध दूर करने वाले गुण होते हैं. इसके साथ इसमें सौंफ, सुपारी, इलायची, लौंग व गुलकंद मिलाने से यौन स्वास्थ्य को मजबूती भी मिलती है.पुरुषों के लिए ज्यादा गुणकारीपान खाने से पुरुषों की सेक्शुअल लाइफ को चमत्कारिक फायदे प्राप्त होते हैं. यह लौंग, सौंफ या इलायची के किसी भी नुस्खे से बहुत ज्यादा असरदार होता है. क्योंकि, इसमें आपको इन चीजों के साथ गुलकंद और सुपारी भी मिलती हैं. पान के साथ यह सभी चीजें शादीशुदा पुरुषों के यौन स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा प्रभावशाली हो जाती हैं. इससे पुरुषों में कामेच्छा में कमी (लिबिडो), नपुंसकता, टेस्टोस्टेरोन में कमी, जननांगों में रक्त प्रवाह आदि सुधर जाता है.कब्ज से राहत दिलाता है पानआयुर्वेद में कब्ज के इलाज के लिए पान को काफी असरदार बताया गया है. यह शरीर में पीएच लेवल को सामान्य बनाता है और पेट की परेशानी से राहत प्रदान करता है. इसके लिए आप पान के पत्ते के टुकड़े करके एक गिलास पानी में डालकर रातभर रख दें. यह पानी अगली सुबह खाली पेट पी लें.कटने, खुजली व जलन से राहतअगर किसी चीज से कटने, खुजली व जलन के कारण आपको समस्या हो रही है, तो आप पान के पत्ते का उपयोग कर सकते हैं. इसके एनलजेसिक गुण तुरंत राहत प्रदान करते हैं. इसके लिए पान के पत्ते का पेस्ट बनाएं और प्रभावित जगह पर लगाएं. यह त्वचा के अंदर जाकर दर्द व जलन से राहत दिलाता है.संक्रमण या सेप्टिक से राहतपान के पत्ते में एंटी-सेप्टिक व एंटी-फंगल गुण होते हैं, जो फंगल इंफेक्शन व सेप्टिक होने से राहत देते हैं. इसके लिए आपको पान के पत्ते का पेस्ट प्रभावित जगह पर लगाना होता है. पान के पत्ते का उपयोग जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए भी किया जाता है.मुंह की दुर्गंध के लिए पानपान खाने से मुंह की दुर्गंध दूर होती है. इसमें काफी मात्रा में एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं, जो मुंह की दुर्गंध का कारण बनने वाले बैक्टीरिया का खात्मा कर देते हैं. इसके अलावा यह दांतों में होने वाली कैविटी, प्लेक, सड़न, सूजन, दर्द आदि से भी राहत देता है. राजा-महाराजा अपना यौन स्वास्थ्य सुधारने के साथ मुंह की दुर्गंध भागने के लिए भी हर रात खाना खाने के बाद पान चबाना पसंद करते थे.
- हम में से अधिकतर लोग फ्रिज में खाने-पीने का लगभग हर एक सामान फ्रिज में रखते हैं। खासतौर पर ऐसी चीजें, जो जल्दी खराब होने की संभावना होती है। इन्हीं में से एक है दूध। फ्रिज में हम दूध को इसलिए रखते हैं, ताकि वह फटे न और लंबे समय तक उसका इस्तेमाल किया जा सके। लेकिन आपको बता दें कि फ्रिज में खाद्य पदार्थ को रखने का भी एक तरीका होता है। अगर आप गलत तरीके से फ्रिज में दूध या फिर कोई अन्य खाद्य पदार्थ रखते हैं, तो इससे आपके सेहत को नुकसान हो सकता है। साथ ही उन खाद्य पदार्थों में बैक्टीरिया पनपने का खतरा ज्यादा रहता है। आज हम आपको इस लेख में दूध और रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली खाद्य सामाग्री को फ्रिज में रखने का सही तरीका बताने जा रहे हैं, ताकि आपकी इन चीजों में बैक्टीरिया पनपने का खतरा कम हो सके। चलिए जानते हैं इस बारे में-दूध को सही तरीके से स्टोर करने का तरीकाअगर आप दूध को फ्रिज के सबसे ऊपर वाले शेल्फ पर रखते हैं, तो यह आपके दूध रखने का सबसे गलत तरीका है। एक्सपर्ट का मानना है कि फ्रिज के ऊपर की सबसे ऊपर की शेल्फ तुलनात्मक रूप से सबसे थोड़ी गर्म होती है। ऐसे में हाई रिस्क फूड्स जैसे- दूध, रॉ मीट ऐसे स्थान पर रखना सेफ नहीं होता है। इसलिए दूध या फिर रॉ मीट को फ्रिज के निचले शेल्फ पर रखें। या फिर फ्रिज के बैक पोर्शन के पास दूध रखें। इस तरह दूध में बैक्टीरिया पनपने का खतरा कम होता है।वहीं, अगर आप आलू फ्रिज में रखते हैं, तो यह आपकी सबसे बड़ी गलती हो सकती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि आलू को कभी भी फ्रिज में नहीं रखना चाहिए। दरअसल, ठंडे तापमान में आलू में मौजूद स्टार्च चीनी में बदल जाता है। ऐसे में अगर आप इस आलू को बैक्ड करते हैं या फिर तलते हैं, तो यह शक्कर एनीमा एसिड के साथ मिलकर एक्रिलामाइड का उत्पादन करता है, जो स्वास्थ्य के लिए काफी नुकसानदेय है।टॉप और मिडिल शेल्फ में क्या रखें?टॉप या मिडिल शेल्फ में आप रेडी-टू-ईट, डेयरी प्रोडक्ट्स (पनीर, दही, चीज इत्यादि), पका हुआ मीट, पैकेड फूड्स, बचा हुआ पका खाना और सलाद जैसी चीजें रख सकते हैं। इन चीजों को टॉप या फिर मिडिल शेल्फ में रखने से बैक्टीरिया पनपने का खतरा कम होता है। क्योंकि इनके खराब होने की संभावना काफी कम होती हैं।सबसे निचले शेल्फ में क्या रख सकते हैं?फ्रिज में अगर आप कच्चा मीट, चिकन, मछली और अन्य कच्चे खाद्य पदार्थों को रख रहे हैं, तो इसे सीलबंद डिब्बे में सबसे निचले शेल्फ में रखें। खासतौर पर कच्चे मांस को इस स्थान पर रख़ने से यह जल्दी खराब नहीं होते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि फ्रिज के निचले शेल्फ में रखी चीजों को अच्छे से लपेटे या फिर सीलबंद कंटेनर में रखें। ताकि ये अन्य खाद्य पदार्थों के संपर्क में आने से बच सके।कैसे रखें सलाद ड्रॉवर में सामान?फ्रिज के इस हिस्से में कच्चे फल और सब्जियों को रखने से पहले इन्हें अच्छे से धोएं। सब्जियों को खराब होने से बचाने के लिए इन्हें किसी कागज या फिर हवादार कपड़े में लपेटें। धनिया पत्ती या फिर अन्य पत्ते वाली चीजों को रखने के लिए किसी नम कपड़े से उन्हें लपेटें, इससे पत्तेदार सब्जियां जल्द खराब नहीं होंगी।फ्रिज में खाद्य पदार्थों को रखने से पहले यह जानना जरूरी है कि कौन सी चीजें कहां रखना सही है। ऐसा करने से आप अपने खाद्य पदार्थों को खराब होने से बचा सकेंगे। साथ ही इससे बीमारियों का खतरा भी कम हो सकेगा। इसके अलावा आप इन खाद्य पदार्थों का इस्तेमाल लंबे समय तक कर सकते हैं।
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सरसों का तेल न सिर्फ खाने को स्वादिष्ट बनाता है बल्कि इसके सेवन से सेहत को भी कई फायदे होते हैं. उत्तर भारत में मुख्य रूप से इसका इस्तेमाल खाना बनाने के लिए किया जाता है. गर्म तासीर का यह तेल जीवाणुरोधी भी होता है. आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल कई बीमारियों को दूर करने के लिए भी किया जाता है. सरसों का तेल दरअसल सरसों के पौधे के बीज से बनाया जाता है जो कई तरह का होता है. काले सरसों जिसे ब्रैसिका निग्रा कहते हैं जबकि भूरे रंग के भारतीय सरसों को ब्रैसिका जुनसिया कहा जाता है. इसके अलावा, सफेद सरसों भी पाया जाता है जिसे ब्रैसिका हिर्टा कहा जाता है. सरसों के कच्चे तेल में भरपूर मात्रा में ओमेगा 3 पाया जाता है. इसके अलावा, इसमें ओमेगा-6 लिनोलेनिक एसिड, मोनोअनसेचुरेटेड फैटी एसिड होते हैं. इसके फायदों की बात करें तो यह त्वचा संबंधी समस्याओं से लेकर ज़ुकाम-खासी, मांसपेशियों में दर्द को ठीक करने के लिए भी प्रयोग किया जाता है. आइए जानते हैं इसके अन्य फायदों (Benefits) के बारे में.
सरसों के तेल के कई फायदे-
-यह पाचनतंत्र को ठीक रखता है और भूख बढ़ाने में भी मदद करता है. अगर आप भूख न लगने की समस्या से जूझ रहे हैं तो खाने में सरसों के तेल का इस्तेमाल शुरू कर दें.
- इसके नियमित सेवन से वजन घटाने में मदद मिलती है. इसकी मालिश कर भी शरीर की एक्स्ट्रा चर्बी कम कर सकते हैं.
- सरसों का तेल अस्थमा पीड़ित लोगों के लिए भी काफी असरदार है. सरसों के तेल में कपूर को डालकर गर्म करें और पीठ और सीने पर मालिश करें, अस्थमा में आराम मिलेगा.
-सरसों के तेल की मालिश से नवजात शिशु के शरीर की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और ब्लड सर्कुलेशन भी बेहतर होता है.
-जो लोग गठिये से परेशान हैं उन्हें सरसों के तेल में कपूर मिलाकर मालिश करनी चाहिए. इससे दर्द में काफी आराम मिलता है.
-अगर आप खांसी से परेशान हैं तो दवा की तरह 1 चम्मच सरसों का तेल पी लें. खांसी व गले के दर्द में काफी आराम मिलेगा.
-नाभि में सरसों का तेल डालने से फटे होंठ की समस्या ठीक हो जाती है.
- सरसों का तेल नाक में डालने से जुकाम में राहत मिलता है. एंटीबैक्टीरियल खूबियों से भरपूर इन तेल से नाक में खुजली और सूखापन जैसी समस्याओं में भी आराम मिलता है.
-सरसों के तेल को हल्दी से बने उबटन में मिलाकर लगाएं तो स्किन की ड्राईनेस खत्म होती है.
-दांत दर्द हो तो आप सरसों के तेल में हल्दी और नमक मिलाकर नियमित रूप से दांतों और मसूड़ों की मसाज करें. दांत दर्द की समस्या में आराम मिलेगा.
- यह बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करता है, ऐसे में रिफाइंड ऑयल की तुलना में सरसों के तेल में खाना पकाने से हृदय रोग की संभावना लगभग 70 फीसदी तक कम हो सकती है.
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भागदौड़ भरी जिंदगी में कुछ लोग अपनी सेहत का खास ख्याल नहीं रख पाते. उल्टा-सीधा खानपान और पर्याप्त नहीं नहीं लेना शरीर में आलस ला देती है, लिहाजा कई बार सुबह उठकर भी शरीर से आलस नहीं जाता और दिनभर थकावट बनी रहती है. अगर आपके साथ भी इस तरह की समस्या है तो ये खबर आपके काम आ सकती है. हम आपके लिए कुछ ऐसी चीजों के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जिनके सेवन से आप मिनटों में शरीर की एनर्जी वापस ला सकते हैं. अपने रुटीन में दूध, फल, सौंफ, ड्राई फ्रूट्स और गाजर को शामिल करना चाहिए. ये ऐसी चीजें हैं जो शरीर को मिनटों में ऊर्जा देती हैं. अगर नियमित तौर पर इन चीजों का सेवन किया जाए तो शरीर में कमजोरी और थकान नहीं रहती है.
सौंफ रखेगा फ्रेश
सौंफ आपको कई बीमारियों से बचाता है. यह आंखों के लिए फायदेमंद है साथ ही सौंफ में पाए जाने वाले कैल्शियम, सोडियम, आयरन और पोटैशियम शरीर में होने वाली थकान वाले हार्मोंस को खत्म कर डालते हैं. इसलिए सौंफ को चबा-चबा कर खाइए. इससे आप तरोताजा महसूस करेंगे.
केला का सेवन करें
रोज एक केला खाना चाहिए, क्योंकि अकसर शरीर में ग्लूकोज की कमी से कमजोरी महसूस होती है. ऐसे में केले का सेवन आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. केले में प्राकृतिक ग्लूकोज और चीनी की मात्रा अधिक होती है, इसलिए इसका सेवन करने के बाद बॉडी को तुरंत एनर्जी मिलती है.
गाजर से दूर करें थकावट
शरीर के लिए गाजर बेहद लाभकारी है. गाजर में विटामिन और मिनरल्स के गुण पाए जाते हैं. ऐसे में इसका सेवन हमें सेहतमंद बनाए रखने में मदद करता है. साथ ही शरीर में एनर्जी बढ़ाने में भी गाजर मददगार है.
दूध और ड्राई फ्रूट्स खाएं
अगर आपको शरीर में थकान और कमजोरी महसूस हो रही है तो दूध का सेवन करें. क्योंकि दूध में विटामिन, मिनरल्स और अन्य डाइटरी सप्लीमेंट्स मौजूद होते हैं. वहीं शरीर में मैग्नीशियम की कमी होने पर ड्राई फ्रूट्स की मदद लें.
डार्क चॉकलेट रिलेक्स करती है
डाइट एक्सपर्ट डॉक्टर रंजना सिंह कहती हैं कि डार्क चॉकलेट में मौजूद कोको शरीर की मांसपेशियों को रिलेक्स करने में मददगार होता है. यही वजह है कि चॉकलेट खाने के बाद तरोताजा महसूस होता है. इसके अलावा भरपूर नींद और पर्याप्त पानी पीना चाहिए. इससे सेहतमंद रहने में मदद मिलती है और शरीर में एनर्जी रहती है. -
त्वचा में मेलानिन के ज्यादा होने के कारण तिल या मस्से विकसित हो जाते हैं. तिल और मस्से जन्मजात भी हो सकते हैं. हालांकि, यह अधिकतर मामलों में कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं, लेकिन फिर भी कुछ लोगों को अपने चेहरे या त्वचा पर तिल व मस्से (Mole Removal Home Remedies) अच्छे नहीं लगते हैं और वे उसे हटाना चाहते हैं. यहां आपको तिल और मस्से हटाने का इलाज (Warts and Mole on Face) मिलेगा, जिसके लिए आपको सिर्फ 1 लहसुन की जरूरत होगी.
शरीर के लिए लहसुन काफी फायदेमंद (Garlic Benefits for Skin) होता है. लहसुन का इस्तेमाल करने से त्वचा में मेलानिन का स्तर कम होता है और तिल व मस्से का रंग हल्का पड़ने लगता है और वह धीरे-धीरे दिखना बंद हो सकते हैं. तिल व मस्से को हटाने के लिए आप सिर्फ 1 लहसुन की मदद लेकर कई तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं.
1 लहसुन की मदद से तिल हटाने का तरीका
चेहरे पर मौजूद तिल व मस्से हटाने के लिए आपको सिर्फ 1 लहसुन लेना है. अब 4-5 लहसुन की कली को छिलकर छोटे टुकड़ों में काट लें. इसके बाद लहसुन के इन टुकड़ों को तिल व मस्से पर लगाकर बैंडएज (Bandage) लगा लें. इस बैंडएज को 4-5 घंटे के लिए लगा रहने दें. उसके बाद बैंडएज हटाकर साफ पानी से धो लें. मस्से व तिल हटाने के लिए इस तरीके को दिन में तीन बार अपनाएं.
मस्सा हटाने के लिए लहसुन और सिरके का इस्तेमाल
तिल व मस्सा हटाने के लिए आप साधारण या सेब के सिरके में से किसी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. सबसे पहले लहसुन की कुछ कलियों को पीसकर पेस्ट बना लें और उसमें सिरका मिला दें. अब लहसुन और सिरके के पेस्ट को तिल या मस्से पर लगाकर 30 मिनट बाद पानी से धो लें.
तिल और मस्से का इलाज: प्याज और लहसुन का उपयोग
मस्से व तिल हटाने के लिए आप प्याज और लहसुन को अच्छी तरह पीसकर रस निकाल लें. इन दोनों के रस को मिलाकर कॉटन बॉल की मदद से तिल या मस्से पर 15 मिनट के लिए लगा रहने दें. इसके बाद चेहरे या त्वचा को साफ पानी से धो लें. आप दिन में दो बार इस उपाय को अपना सकते हैं.
कैस्टर ऑयल और लहसुन
तिल व मस्से का घरेलू इलाज करने के लिए कुछ बूंद कैस्टर ऑयल और लहसुन की 2 से 3 कली चाहिए. लहसुन की कलियों को महीन पीसकर पेस्ट बना लें और फिर इसमें कैस्टर ऑयल मिला लें. इस पेस्ट को तिल व मस्से पर रात भर लगा रहने दें और अगली सुबह पानी से धो लें. -
बारिश का मौसम सुहावना जरूर लगता है, लेकिन ये कई तरह की समस्याएं भी अपने साथ लेकर आता है. इस मौसम में पाचन तंत्र अक्सर गड़बड़ा जाता है, साथ ही इम्युनिटी भी कमजोर हो जाती है. ऐसे में गैस, बदहजमी, पेट दर्द, खट्टी डकार जैसी समस्याएं होने के साथ अन्य रोगों की चपेट में आने का खतरा काफी बढ़ जाता है. यहां जानिए कुछ ऐसे उपाय जो आपके पाचन तंत्र को दुरुस्त करने में कारगर साबित होंगे, साथ ही आपके इम्यून सिस्टम को भी मजबूती देंगे.
1. तांबे के बर्तन में पानी पीने के चमत्कारी असर होते हैं. पेट की तमाम समस्याओं के लिए तो तांबे के बर्तन का पानी बहुत ही लाभकारी है. ये बात कई शोध में भी साबित हो चुकी है. इसलिए आप अभी से तांबे के बर्तन का पानी पीने की आदत डाल लें. लेकिन तांबे के बर्तन को किसी लकड़ी या तख्ते की मेज पर रखें.
2. फाइबर से भरपूर डाइट पाचन तंत्र को मजबूत करने का काम करती है. इसलिए अपनी डाइट में रेशेदार फल, साबुत अनाज, सब्जियां, फलियां आदि अधिक से अधिक फाइबर युक्त चीजों शामिल करें.
3. आजकल देर से खाना लोगों की आदत का हिस्सा बन गया है. देर से खाना खाने के बाद लोग सीधे बिस्तर पर चले जाते हैं. ऐसे में खाने को पचने का समय नहीं मिल पाता और पाचन तंत्र गड़बड़ा जाता है. चूंकि बारिश के मौसम में पाचन तंत्र कहीं ज्यादा संवेदनशील होता है, ऐसे में इसके गड़बड़ाने की आशंका भी सामान्य दिनों की अपेक्षा ज्यादा होती है. इसलिए रोजाना समय से भोजन करने की आदत डालें. साथ ही हर निवाले को अच्छे से चबाकर खाएं.
4. खाने के करीब आधा घंटे बाद गुनगुना पानी पीने से पाचन तंत्र को खाना पचाने में मदद मिलती है. इससे पाचन शक्ति मजबूत होती है. रोजाना कम से कम सुबह खाली पेट और दोनों समय खाने के आधे घंटे बाद गुनगुना पानी जरूर पिएं.
5. पाचन तंत्र को दुरुस्त रखना है तो हर व्यक्ति को सप्ताह में एक दिन का व्रत जरूर रखना चाहिए. व्रत के दिन फल और जूस आदि का सेवन करें. व्रत रखने से पाचन तंत्र को आराम मिलता है और वो खुद को रीसेट करने का काम करता है.
6. ठंडी चीजें पाचन तंत्र को धीमा कर देती हैं, इसलिए बारिश के मौसम में ठंडी चीजों को लेने से परहेज करें. पानी भी पीना हो तो मटके में रखा हुआ पानी ही पिएं.
7. रोजाना सुबह व शाम वॉक जरूर करें. सुबह के समय योग व प्राणायाम जरूर करें, इससे पाचन तंत्र मजबूत होता है. त्रिकोणासन, पश्चिमोत्तानासन और पवनमुक्तासन पाचन तंत्र के लिए काफी लाभकारी है. सुबह के समय वॉक करते समय चलने की स्पीड तेज रखें और शाम को सामान्य स्पीड से वॉक करें. शाम की वॉक हमेशा खाना खाने के बाद करें. -
घर पर खाना बनाते समय अगर चावल ज्यादा बन जाए तो समझ नहीं आता कि इसे कैसे यूज करें. ज्यादातर लोग खीर या फ्राइड राइस बनाकर अक्सर इसे मैनेज करते हैं. लेकिन आज हम आपको बताएंगे बासी चावल से बनाए जाने वाले टेस्टी चीले की रेसिपी, जिसे एक बार खाने के बाद आपके घर के सदस्य बार बार उसकी डिमांड करेंगे. इसे आप नाश्ते के तौर पर सबको खिला सकती हैं.
यहां जानिए चावल के लाजवाब चीले की रेसिपी.
सामग्री
बासी चावल दो कटोरी, बारीक सूजी एक कटोरी, दही एक बड़ा चम्मच, तेल 2 बड़े चम्मच, धनिया मसाला पाउडर एक छोटी चम्मच, करी पत्ता 8 से 10 पत्तियां, सरसों के बीज एक चम्मच राई, बारीक बारीक कटी हुई प्याज एक चम्मच, बारीक कटी हुई 2 हरी मिर्च, थोड़ा सा हरा धनिया बारीक कटा और नमक स्वादानुसार.
ऐसे करें तैयार
– सबसे पहले बासी चावल को मिक्सर जार में डालकर आधा कप पानी मिलाकर चिकना पेस्ट तैयार करें.
– चावल का पेस्ट तैयार होने के बाद इसे एक कटोरी में निकालें और इस पेस्ट में बारीक सूजी और दही मिलाएं और अच्छे से मिक्स कर लें. यदि ज्यादा गाढ़ा लगे तो थोड़ा सा पानी डाल दें. इस मिक्सचर को 10-15 मिनट के लिए रख दें.
– अब इसमें स्वादानुसार नमक, धनिया पाउडर, बारीक कटी हुई हरी मिर्च, हरा धनिया, सरसों, कड़ी पत्ता, धनिया पाउडर और बहुत ही बारीक कटी हुई प्याज डालें और सारी चीजों को अच्छी तरह से मिक्स करें.
– धीमी आंच पर तवा या पैन गर्म करें और उसमें थोड़ा सा रिफाइंड लगाए. गर्म होने पर मिश्रण को चीले की तरह से फैलाएं. 2 मिनट बाद सावधानी से पलटा दे और दूसरी तरफ से भी 1-2 मिनट तक हल्का सा रिफाइंड लगाकर सेकें. इसके बाद गर्मागर्म सॉस या चटनी के साथ सर्व करें.
सुझाव
– चीला बनाते समय पेस्ट न ज्यादा पतला होना चाहिए और न ही ज्यादा गाढ़ा नहीं होना चाहिए.
– तवे पर फैलाने के बाद इसे तुरंत न हिलाएं, दो मिनट बाद बहुत सावधानी से पलटें वर्ना ये टूट सकता है.
– चीले को थोड़े छोटे छोटे साइज में ही बनाएं, अगर आप बड़े बड़े साइज में बनाते हो तो यह बनाते वक्त टूट भी सकता है.
- नींबू से मिलने वाले फायदे बहुत अधिक हैं। एक छोटे से नींबू में शरीर के लिए जरूरी विटामिन-सी, फाइबर, प्रोटीन, पानी की मात्रा आदि पोषक तत्व मौजूद होते है। नींबू का भरपूर फायदा उठाने के लिए उसके पल्प यानी गुदे का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए? अगर नींबू पानी का सेवन कर रहे हैं, तो उसमें भी नींबू के रेशे रहने दें- जो कि निम्नलिखित फायदे प्रदान करते हैं।वेट लॉस के लिए नींबूमोटापे से परेशान व्यक्ति वजन कम करने के लिए नींबू का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें पेक्टिन नामक सॉल्यूबल फाइबर होता है, जो पेट को देर तक भरा रखकर भूख को नियंत्रित करता है। इसके अलावा, इसे गर्म पानी के साथ लेने पर शरीर में कैलोरी बर्न होने के प्रक्रिया को थोड़ी देर के लिए ज्यादा तेज किया जा सकता है।दिल के लिए नींबू खाने के फायदेनींबू में विटामिन-सी भरपूर मात्रा में होता है। एक अकेला नींबू 31 एमजी विटामिन-सी प्रदान करता है। कई शोध में यह खुलासा हुआ है कि विटामिन-सी युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करने से स्ट्रोक व दिल के रोगों का खतरा कम हो जाता है। इस खतरे को कम करने में नींबू में मौजूद फाइबर और प्लांट कंपाउंड भी अहम भूमिका निभाते हैं।त्वचा और बालों के लिए नींबूत्वचा और बालों की सेहत के लिए नींबू काफी लाभकारी होता है। इसमें मौजूद विटामिन-सी, कैल्शियम, फोस्फोरस, पोटैशियम, मैगनीशियम बाल व त्वचा को स्वस्थ बनाने में मदद करते हैं। वहीं, इसमें मौजूद अल्फा हाइड्रोक्सी एसिड त्वचा से मृत कोशिकाओं को हटाने और नई कोशिकाओं को विकसित होने में मदद करता है। नींबू से रूखी त्वचा, त्वचा की गहरी रंगत, मुंहासे, डैंड्रफ आदि समस्याओं से राहत पाई जा सकती है।पेट और मधुमेह रोगी के लिए फायदेमंद है नींबूनींबू में सॉल्यूबल फाइबर और सिंपल शुगर के रूप में करीब 10 प्रतिशत तक काब्र्स होता है। पेक्टिन नामक सॉल्यूबल फाइबर स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है और शरीर में शुगर व स्टार्च का पाचन धीमा करता है। जिससे ब्लड शुगर का स्तर घटता है।नींबू से गुर्दे की पथरी का इलाजगुर्दे में वेस्ट प्रॉडक्ट्स के इकट्ठा हो जाने के कारण पथरी बनने लगती है, लेकिन नींबू में मौजूद सिट्रिक एसिड पेशाब का पीएच लेवल बढ़ाकर पथरी की समस्या को और गंभीर बनने से रोक सकता है। गुर्दे की पथरी की समस्या का सामना कर रहे लोग रोजाना नींबू का सेवन कर सकते हैं।एनीमिया की समस्या ठीक होती हैशरीर में आयरन की कमी के कारण खून की कमी हो जाती है। जिसे एनीमिया की समस्या कहते हैं। नींबू में आयरन काफी कम मात्रा में होता है, लेकिन इसमें मौजूद सिट्रिक एसिड और विटामिन-सी प्लांट फूड्स से मिलने वाले आयरन के अवशोषण में मदद करता है।
- चाय पीना किसे पसंद नहीं है। दूध वाली चाय से लेकर ब्लैक टी व ग्रीन टी तक, हर प्रकार की चाय के लाखों दीवाने हैं, लेकिन आज हम आपको लाल चाय के फायदे के बारे में बताने जा रहे हैं।लाल चाय के फायदेलाल चाय एस्पैलैथस लाइनेरिस के छोटे से पौधे की पत्तियों से बनाई जाती है। यह एक हर्बल चाय है, जिसे रूइबोस टी के नाम से भी जाना जाता है। इसमें कैफीन बिल्कुल भी नहीं होता है और यह एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन और मिनरल से भरपूर होती है। आप इस चाय को ब्लैक टी, ग्रीन टी या दूध वाली चाय की तरह कैसे भी बना सकते है।दिल को स्वस्थ बनाती है लाल चायलाल चाय में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स आपके दिल को स्वस्थ बनाने में मददगार देखे गए हैं। यह शरीर में एसीई को बाधित करती है और ब्लड प्रेशर पर सकारात्मक प्रभाव डालती है । एसीई के कारण रक्त धमनियां सिकुड़ जाती है और ब्लड प्रेशर अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ जाता है। इसके अलावा यह कोलेस्ट्रॉल का स्तर पर भी कम करती है और दिल स्वस्थ बनती है।हर्बल चाय के फायदे:रूइबोस टी में एक विशेष प्रकार का एंटीऑक्सीडेंट होता है। जानवरों पर की गई स्टडी के मुताबिक इस एंटी-ऑक्सीडेंट्स में एंटी-डायबिटिक गुण पाए जाते हैं। इस स्टडी में पाया गया है कि यह टाइप-2 डायबिटीज के कारण बढ़े ब्लड शुगर का स्तर संतुलित करने में मदद कर सकता है। हालांकि, इसके बारे में अभी और शोध होने बाकी हैं।कैफीन-फ्री ड्रिंकब्लैक टी, ग्रीन टी आदि में कैफीन शामिल होता है। संतुलित मात्रा में कैफीन का सेवन सुरक्षित होता है, लेकिन इसका अत्यधिक सेवन तनाव, सिरदर्द, नींद आने की समस्या, तेज धड़कन आदि की समस्या का कारण बन सकता है। इसलिए अगर आप किसी कैफीन-फ्री ड्रिंक को ढूंढ रहे हैं, तो यह आपका बेहतर चुनाव हो सकता है।मजबूत हड्डियांलाल चाय में पॉलीफेनॉल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं। एक स्टडी के मुताबिक रूइबोस टी शरीर में हड्डियों की मिनरल डेंसिटी को बढ़ाने में मदद कर सकती है जिससे कमजोर हड्डियों के कारण होने वाली ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या से सुरक्षा मिल सकती है।
- दूध की मलाई सेहत को कई गंभीर बीमारियों से बचाती है। मलाई इम्युनिटी पॉवर को मजबूत करती हैै। इसमें विटामिए,डी, के, विटामिन बी 5,12, कैल्शियम, फास्फोरस, मिनरल्स, आयरन आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं, इसके नियमित सेवन से कई सारी समस्याएं दूर हो जाती है। 250 ग्राम मलाई में 61 ग्राम प्रोटीन पाया जाता हैै। त्वचा पर मलाई लगाने से भी शरीर को कई सारे फायदे पहुंचते हैं, लेकिन सेवन अधिक लाभकारी है। मलाई प्राकृतिक प्रोबायोटिक है, जो पाचन के लिए अच्छी है। इससे आंतों का स्वास्थ्य अच्छा रहता हैै। प्रोटीन का अच्छा स्त्रोत होने के साथ यह रोगों को रोकती हैै।अगर आप जिम जाते हैं और वर्कआउट के पहले कुछ खाना चाहते हैं तो एक छोटी कटोरी मलाई खा सकते हैै। यह प्रोटीन का अच्छा स्त्रोत माना गया हैै। वहीं इसमें पाए जाने वाला कैल्शियम न केवल हड्डियों के लिए अच्छा है, बल्कि नाखूनों को भी स्वस्थ रखता हैै। इसे बिना शक्कर के लेना ज्यादा बेहतर हैै।मलाई इम्यून सिस्टम को बनाती है मजबूतमलाई में लैक्टिक फर्मेंटेशन प्रोबायोटिक होता है, यह सूक्ष्मजीव आंतों को सेहतमंद रखते हैं, जिससे पेट से जुड़े रोग दूर रहते हैंै। इसके अलावा इसमें मौजूद विटामिन-ए और प्रोटीन होता है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैंै।तनाव से राहतविटामिन बी 5 मानसिक समस्याओं से निजात दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैै। मलाई में यह विटामिन अच्छी मात्रा में मौजूद होता हैै। ये हार्मोन को सही तरीके से काम करने और दिमाग को स्वस्थ रखने में सहायता करता हैै। इसलिए तनाव से राहत के लिए मलाई का सेवन करना चाहिएै।आंखों के लिए लाभकारीमलाई में विटामिन-ए पाया जाता है, जो कि आंखों में नमी बनाए रखने के साथ ही रेटिना को स्वस्थ रखते हुए आंखों की रोशनी बढ़ाने में हमारी सहायता करता हैै।
- कभी-कभी ऐसा होता है कि हमें बहुत तेज भूख लग जाती है और हम उस वक्त हमें जो भी उपलब्ध होता है, वो खाने लग जाते हैं लेकिन ऐसा करना आपके लिए घातक हो सकता है। आयुर्वेद के मुताबिक तेज भूख लगने पर कुछ ऐसी चीजें है, जिन्हें नहीं खाना चाहिए।आइए, जानते हैं कौन-सी हैं वो चीजें-अमरुदअमरुद एक ऐसा फल है, जिसे अलग-अलग स्थितियों में खाने पर अलग-अलग परिणाम देखने को मिलते हैं यानी अगर आप सर्दियों में सुबह के वक्त खाली पेट अमरुद खाएंगे, तो आपको पेट दर्द की शिकायत हो सकती है। वहीं, गर्मी में खाली पेट अमरूद खाएंगे, तो यह फायदा देता है। ऐसे में आपको खाली पेट अमरूद नहीं खाना चाहिए।सेबसर्दियों में खाली पेट सेब खाने से बीपी बढ़ सकता है, अगर सुबह सबसे पहले यानी बिना कुछ खाए आप सेब खा लेते हैं, तो इस दिक्कत का सामना आपको करना पड़ सकता है लेकिन गर्मी में आप खाली पेट सेब खा सकते हैं।टमाटरटमाटर की तासीर गर्म होती है। इसे आप सर्दी के मौसम में तो खाली पेट खा सकते हैं लेकिन गर्मी के मौसम में ऐसा करने पर पेट में या सीने में जलन की समस्या हो सकती है। आपको सुबह के समय टमाटर खाने से परहेज करना चाहिए।चाय-कॉफीचाय या कॉफी को खाली पेट पीने से बचना चाहिए।आप चाय या कॉफी को बिस्किट, ब्रेड के साथ ले सकते हैं लेकिन खाली पेट या तेज भूख लगने पर सिर्फ चाय-कॉफी न लें, इससे आपके पेट में गैस बन सकती है।दहीबहुत से लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें दही फायदे की जगह पर हानि पहुंचा देती है।ऐसे में दही को सुबह के समय खाली पेट खाने से बचना चाहिए, वर्ना आपकी सेहत बिगड़ सकती है।
- भागदौड़ भरी लाइफ में ज्यादातर लोग अपनी सेहत पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते और कमजोरी उन्हें घेर लेती है. इसका कारण ये है कि नौकरी के सिलसिले में कई लोग घर से बाहर रहते हैं, ऐसे में वे ज्यादातर बाहर का खाना खाते हैं, जिससे उनके शरीर को पर्याप्त न्यूट्रीशन्स नहीं मिल पाते हैं. ऐसे में उनका शरीर धीरे-धीरे कमजोर होने लगता है. इससे दूसरी बीमारियों का भी खतरा बढ़ जाता है. कमजोरी से परेशान लोगों को अंजीर का सेवन जरूरी करना चाहिए, क्योंकि अंजीर न सिर्फ आपकी थकान दूर करता है बल्कि यह आपको कई गंभीर बीमारियों से भी बचाता है.अंजीर में क्या पाया जाता हैअंजीर में पाए जाने वाले तत्वों की बात करें तो इसमें आयरन, कैल्शियम, विटामिन्स, पोटैशियम, मैग्नीशियम और प्रोटीन की भरपूर मात्रा पाई जाती है. साथ ही कार्बोहाइड्रेट, फाइबर और कैलोरी भी पर्याप्त रहती है.कैसे करें अंजीर का सेवनआप तीन या चार सूखी अंजीर रात में पानी में भिगोकर रख देंसुबह उठकर खाली पेट भीगी हुई अंजीर खाएंयह आपके शरीर के लिए बहुत फायदेमंद रहेगा.अंजीर के फायदेहाई ब्लड प्रेशर ठीक रखता हैआयुर्वेद डॉक्टर अबरार मुल्तानी के अनुसार, अंजीर का सेवन करने से हाई ब्लड प्रेशर भी ठीक रहता है. अंजीर में पोटेशियम और फ्लेवोनॉइड भरपूर मात्रा में पाया जाता है. जो शरीर में ब्लड प्रेशर को संतुलित बनाए रखने के लिए जरूरी माना जाता है.दिनभर बनाए रखता है एनर्जीसुबह खाली पेट अंजीर का सेवन करने से शरीर में दिनभर दिनभर एनर्जी बनी रहती है, क्योंकि इसमें विटामिन, सल्फर, क्लोरिन पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. ये सभी तत्व शरीर में एनर्जी बनाए रखते हैं.थकान दूर करता है अंजीरजो लोग काम करते वक्त जल्दी थक जाते हैं उन्हें अंजीर का सेवन करना चाहिए. इसमें मौजूद मैग्नीशियम, जस्ता और मैंगनीज जैसे खनिज पदार्थ शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते हैं. इससे तंत्रिका तंत्र भी ठीक से काम करता है.पुरुषों के चेहरे पर झुर्रियां नहीं आतीअंजीर का सेवन लंबे समय तक जवां रखने में भी मदद करता है. इसमें मौजूद खनिज पदार्थ और विटामिन्स नए सेल्स को विकसित करते हैं. इससे पुरुषों के चेहरे पर झुर्रियां नहीं आती हैं.पुरुषों के लिए लाभकारीअंजीर का सेवन पुरुषों के लिए लाभकारी माना जाता है. इसके नियमित सेवन से पुरुषों की फर्टिलिटी बेहतर होती है और उनका स्पर्म काउंट बढ़ता है. अंजीर विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर होता है, लिहाजा यह शरीर को कई तरह की दूसरी बीमारियों से भी दूर रखता है. पुरुष दूध के साथ भी अंजीर खा सकते हैं.
- पुराने समय में लोग मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाते थे. धीमी आंच पर धीरे धीरे पकने वाले इस खाने का स्वाद कमाल का होता था. हालांकि वक्त बदलने के साथ ही किचन में मिट्टी के बर्तनों की जगह स्टील के बर्तनों ने ले ली है. लेकिन आज हम आपको यहां मिट्टी के बर्तनों में बने खाने के फायदे बता रहे हैं, जिन्हें जानकर शायद आपको अपनी नासमझी पर पछतावा हो कि आपको अभी तक ये बातें क्यों नहीं पता थी!मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने के फायदेआयरन, कैल्शियम आदि मिलता है: मिट्टी एल्कलाइन नेचर की होती है. इससे मिट्टी के बने बर्तन में खाने का पीएच लेवल सही रहता है. इससे ना सिर्फ खाना स्वास्थ्यप्रद होता है बल्कि खाने का स्वाद भी बढ़ता है. मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से खाने में आयरन, फास्फोरस, कैल्शियम और मैग्नीशियम की मात्रा भी खूब पाई जाती है, जो शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं.खाने के पोषक तत्व रहते हैं सुरक्षितमिट्टी के बर्तनों में होने वाले छोटे छोटे छिद्र आग और नमी को बराबर सर्कुलेट करते हैं. इससे खाने के पोषक तत्व सुरक्षित रहते हैं. यही वजह है कि मिट्टी के बर्तन में बने खाने में पोषक तत्व अन्य बर्तनों में बने खाने की तुलना में ज्यादा पाए जाते हैं.दिल के लिए भी फायदेमंददरअसल मिट्टी के बने बर्तनों में तेल कम इस्तेमाल होता है. इसकी वजह ये है कि मिट्टी के बर्तनों में खाना बनने की प्रक्रिया धीमी होती है और यह ज्यादा लंबी चलती है. इसलिए खाने में नैचुरल तेल और प्राकृतिक नमी होती है. जिसके चलते खाने में ज्यादा तेल इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं होती. चूंकि ज्यादा तेल इस्तेमाल नहीं होता तो इसका सीधा मतलब है कि हमारे दिल के लिए भी यह अच्छा है.खाना बनता है स्वादिष्टइस बात से शायद ही कोई इंकार करे कि मिट्टी के बने बर्तनों में खाना स्वादिष्ट बनता है. खाने की सुगंध अच्छी होती है. साथ ही मिट्टी के बर्तन जेब के लिए भी किफायती होते हैं. सबसे बड़ी बात यह प्रकृति के लिए भी फायदेमंद हैं. क्योंकि मिट्टी के बर्तन मिट्टी से बनते हैं और वापस मिट्टी में मिल जाते हैं. इसलिए मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाना हमारे साथ साथ प्रकृति के लिए भी बेहद फायदेमंद है.कैसे करें मिट्टी के बर्तनों को इस्तेमाल?सबसे पहले मिट्टी का बर्तन लाने के बाद उस पर पूरे पर खाद्य तेल जैसे सरसों का तेल, रिफाइंड आदि लगाकर बर्तन को तीन चौथाई पानी से भर दें और फिर धीमी आंच पर इसे ढककर रख दें. 2-3 घंटे पकने के बाद इसे उतार लें और ठंडा होने दें. इससे मिट्टी का बर्तन सख्त और मजबूत हो जाएगा. साथ ही इससे बर्तन में कोई लीक भी नहीं होगा और मिट्टी की गंध भी बर्तन से चली जाएगी.बर्तन में खाना बनाने से पहले उसे पानी में डुबोकर 15-20 मिनट के लिए रख दें. उसके बाद सुखाकर उसमें खाना बनाएं उसका आनंद लें.-
- सुबह सबसे पहले आपको खाली पेट 4 भीगे हुए बादाम खाने चाहिए. जिससे हमें कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं. बादाम में भरपूर मात्रा में विटामिन, मिनरल, एंटीऑक्सीडेंट्स, हेल्दी फैट्स आदि सबकुछ होता है, जिसकी शरीर को जरूरत हो सकती है. आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉ. अबरार मुल्तानी कहते हैं कि आप रात में एक कटोरी पानी में 4 बादाम भिगोकर रख दें और सुबह पेट साफ होने के बाद इन बादाम का छिलका उतारकर खा लें. इससे आपको निम्नलिखित फायदे प्राप्त होंगे. एक्सपर्ट के मुताबिक बादाम में विटामिन ई प्रचुर मात्रा में होता है. जो कि आपकी दिमागी क्षमता बढ़ाता है. इससे आपकी याद्दाश्त और सीखने की क्षमता बढ़ जाती है. इसके अलावा कई शोध में विटामिन ई का सेवन अल्जाइमर जैसी दिमागी समस्या को कम करने में भी मददगार देखा गया है.ग्लोइंग स्किन मिलती हैअगर आप ग्लोइंग स्किन पाना चाहते हैं, तो खाली पेट 4 भीगे हुए बादाम खाना फायदेमंद हो सकता है. इसमें विटामिन ई के साथ एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं, जो आपकी कोशिकाओं को डैमेज होने से बचाते हैं और झुर्रियां व बेजान त्वचा से राहत भी दिलाते हैं.वजन घटाने में मददगारडॉ. अबरार मुल्तानी के मुताबिक बादाम में प्रोटीन और फाइबर काफी होता है, जो पेट को देर तक भरा रखता है और अस्वस्थ चीजें खाने की आशंका कम कर देता है. इसके अलावा कई अध्ययन बताते हैं कि बादाम जैसे नट्स खाने से मेटाबॉलिज्म तेज हो जाता है और शरीर तेजी से फैट बर्न करता है.डायबिटीज से राहतडायबिटीज के मरीजों में अक्सर मैग्नीशियम की कमी देखी जाती है. मैग्नीशियम की कमी के कारण इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ जाता है, जिससे ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने लगता है. शरीर में इसकी पर्याप्त मात्रा ब्लड शुगर प्रोफाइल और मेटाबॉलिक सिंड्रोम को बेहतर बनाती है.
- बारिश का मौसम आते ही शुरुआत से ही बाजार में कुछ जगह भुट्टे नजर आने लगे हैं। आजकल तो वैसे भी भुट्टे न मिलने पर घरों में फ्रोजन कॉर्न का आसानी से उपयोग कर ही लिया जाता है क्योंकि ये आसानी से मिल तो जाता ही है साथ ही इसकी कीमत बहुत अधिक भी नहीं होती है। बारिश हो जाने पर मौसम में थोड़ी ठंडक घुल जाती है, ऐसे में लगता है कि पीने के लिए गर्मागर्म कोई सूप मिल जाए तो मजा ही आ जाए। टमाटर का सूप अधिकतर घरों में बनाया जाता है लेकिन यह अब बहुत कॉमन हो चुका है। ऐसे में आप घर पर कॉर्न सूप भी तैयार कर सकते हैं। ये सभी को अच्छा लगेगा।सामग्री-मक्के के दाने - 1 कटोरागाजर - 1प्याज - 1मैदा - 2 चम्मचबटर- 50 ग्रामकाली मिर्च पाउडर- आधा चम्मचनमक - स्वादानुसारथोड़ा सा विनेगरबनाने की विधि-मक्के के उबले हुए दाने या फ्रोजन भुट्टे के कुछ दाने पानी डालकर मिक्सर में पीस लें। अब नॉन स्टीक पैन रखें और उसमें मक्के के दाने, गाजर और प्याज डालकर 10 मिनट तक इन्हें पका लें। अब इन सब्जियों के साथ मक्के का पेस्ट डालकर थोड़ी देर और पकाएं। अब थोड़ा विनेगर और नमक डालें। थोड़ा पानी उबाल लें। अब इस पानी को सब्जियों में डाल लें और 2 चम्मच मैदा मिलाएं। ऊपर से काली मिर्च का पाउडर और बटर भी डालें और थोड़ी देर तक इन्हें पकने दें। जब यह मिलजुलकर एक जैसा हो जाए तो गैस को बंद कर दें। आपका सूप बनकर तैयार है।
- ड्रैगन फ्रूट मुख्य रूप से दक्षिण अमेरिका में पाया जाता है. ये एक तरह का फल है. ये बेल पर लगने वाला फल है. ये कैक्टेसिया परिवार से संबंधित है. ड्रैगन फ्रूट के तने गूदेदार और रसीले होते हैं. ये दो प्रकार का होता है. ये सफेद गूदे वाला और लाल गूदे वाला होता है. औषधि के रूप में भी ड्रैगन फ्रूट का इस्तेमाल किया जाता है. ये स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है. ड्रैगन फ्रूट में कई सारे पोषक तत्व होते हैं. इसमें फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट, मिनरल और विटामिन जैसे पोषक तत्व होते हैं. ये स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है. ड्रैगन फ्रूट में कैलोरी, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फाइबर होता है. आप ड्रैगन फ्रूट का नियमित रूप से सेवन कर सकते हैं. ये सेहत के लिए काफी फायदेमंद है.वजन घटाने में मदद करता हैवजन घटाने के लिए आप अपनी डाइट में ड्रैगन फ्रूट भी शामिल कर सकते हैं. ये फैट बर्न करने में मदद करता है. ड्रैगन फ्रूट में कैलोरी कम होती है. आप नाश्ते के रूप में इसका सेवन कर सकते हैं. इससे आपको देर तक भरा हुआ महसूस होता है. ये अधिक खाने की इच्छा को कम करता है. ये वजन कम करने में आपकी मदद कर सकता है.सूजन को रोकता हैआप अगर क्रोनिक गठिया के दर्द से पीड़ित हैं, तो ड्रैगन फ्रूट का सेवन कर सकते हैं. ड्रैगन फ्रूट में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं. ये जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द में राहत दिलाने का काम करता है. गठिया रोग से पीड़ित लोगों को अक्सर डाइट में ड्रैगन फ्रूट शामिल करने की सलाह दी जाती है.त्वचा के स्वास्थ्य में सुधार करता हैड्रैगन फ्रूट त्वचा को हेल्दी रखने का काम करता है. ड्रैगन फ्रूट में विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है जो त्वचा के स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है. ड्रैगन फ्रूट के सेवन से मुंहासों को कम करने, ड्राई स्किन का इलाज करने के लिए और मुंहासों को कम करने के लिए इसका सेवन कर सकते हैं.पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने के लिएड्रैगन फ्रूट में फाइबर की मात्रा अधिक होती है. ये पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने का काम करता है. ये कब्ज और अन्य पाचन संबंधित समस्याओं को दूर रखने में मदद करता है.हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता हैड्रैगन फ्रूट लोगों के बीच लोकप्रिय होने का एक सबसे बड़ा कारण ये है कि ये हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है. ड्रैगन फ्रूट खाने से स्ट्रोक और हार्ट अटैक के खतरे को कम किया जा सकता है. फल के बीज शरीर को आवश्यक ओमेगा -3 और ओमेगा -6 फैटी एसिड देते हैं, जो हृदय स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं.ड्रैगन फ्रूट का सेवनड्रैगन फ्रूट का सेवन आप कई तरह से कर सकते हैं. इसकी स्मूदी और सलाद भी बना सकते हैं. ड्रैगन फ्रूट स्मूदी बनाने के लिए आपको 1 ड्रैगन फ्रूट, पुदीने के पत्ते और 1 कप दही की जरूरत होगी. इसके लिए आप ड्रैगन फ्रूट को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें या एक चम्मच लें और गूदे को निकाल लें. पुदीने की पत्तियां लें और काट लें. अब एक ब्लेंडर में दही डालें. तब तक ब्लेंड करें जब तक कोई गांठ न बने. मिश्रण को गिलास में डालें और बर्फ और ताजी पुदीने की पत्तियों के साथ परोसें.
- हेल्दी बॉडी के लिए प्रोटीन बहुत ही जरूरी तत्व है. यह हमारे मसल्स, स्किन, एन्जाइम्स और हॉर्मोंस के लिए एक बिल्डिंग ब्लॉक की तरह काम करता है. यही नहीं, ये सभी बॉडी टिश्यू के निर्माण में भी एक जरूरी एसेंशियल की तरह काम करता है. ऐसे में जब शरीर की जरूरत के हिसाब से पर्याप्त प्रोटीन इंटेक नहीं हो पाता तो इसे प्रोटीन डिफिशिएंसी कहा जाता है. हेल्थलाइन के मुताबिक, दुनियाभर में करीब एक अरब लोग प्रोटीन डिफिशिएंसी से जूझ रहे हैं. इनमें से अधिकतर लोग सेंट्रल अफ्रिका और साउथ एशिया से हैं . यह समस्या आमतौर पर बच्चों, बूढ़ों और मरीजों में देखने को मिलता है.प्रोटीन की कमी के ये हैं लक्षण-अगर आपके चेहरे, स्किन, पेट आदि में सूजन है तो हो सकता है कि आपके शरीर में प्रोटीन की कमी हो.-यदि तमाम प्रयासों के बाद भी बालों की खूबसूरती जा रही हो और बाल रूखे, बेजान हो रहे हों तो यह भी प्रोटीन की कमी के लक्षण हो सकते हैं.-शरीर में प्रोटीन की कमी की वजह से मांसपेशियां अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए हड्डियों से प्रोटीन सोखने लगती हैं. इससे हड्डियों में कमजोरी तो आती ही है, मांसपेशियों को अधिक ऊर्जा खर्च करना पड़ता है. इस वजह से मसल्स पेन की शिकायत देखने को मिलती है.-कैल्शियम की कमी के कारण नाखून बार-बार टूटते तो है और नाखूनों की सुंदरता कम होने लगती है. यही नहीं, कई बार नाखूनों में अंदर संक्रमण भी हो जाता है और ये काले और कमजोर हो जाते हैं.-प्रोटीन की कमी से हर समय थकान का अनुभव होता है. दरअसल प्रोटीन हमारे शरीर में ईंधन की तरह काम करता है और इसके अवशोषण से ही शरीर को एनर्जी मिलती है.-अगर आप तुरंत बीमार पड़ जाते हैं और आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है तो इसकी एक वजह प्रोटीन की कमी है.-कई बार हमारा शरीर अचानक से फूला हुआ और मोटा लगने लगता है जो दरअसल प्रोटीन की कमी के कारण हो सकता है. प्रोटीन की कमी से पर्याप्त ऊर्जा शरीर को नहीं मिल पाती और जिस वजह से उर्जा बनाने में अतिरिक्त तनाव होता है.टिश्यूज में प्रोटीन की कमी का प्रभाव-अगर शरीर में पर्याप्त प्रोटीन की आपूर्ति ना हो तो संक्रमित रोग और बैक्टीरिया-वायरस जनित दूसरी कई बीमारियां घेर लेती हैं.-प्रोटीन की कमी के कारण बच्चों की लंबाई बढ़ना रुक जाता है इसलिए प्रोटीन रिच फूड बच्चों के भोजन में जरूर शामिल करें.- प्रोटीन की कमी से हीलिंग प्रक्रिया कम हो जाती है. शरीर में रक्त का प्रभाव प्रभावित होता है और नई कोशिकाओं के निर्माण में देरी होती है.प्रोटीन की कमी को ऐसे करें दूरशरीर में प्रोटीन की कमी ना हो इसके लिए दूध और अंडा भोजन में जरूर शामिल करें. अगर आप नॉनवेज खाते हैं तो सप्ताह में तीन से चार दिन फिश या सीफूड खा सकते हैं. इसके अलावा प्रोटीन रिच फूड को अपने डाइट में शामिल करें.कितना प्रोटीन जरूरीहेल्थलाइन के मुताबिक, हर किसी की जरूरत के आधार पर ही प्रोटीन की जरूरत होती है. उदाहरण के तौर पर बॉडी वेट, फिजिकल एक्टिविटी, उम्र आदि. एक शोध में पाया गया कि प्रोटीन की सबसे ज्यादा जरूरत बुजुर्गों और एथलीट को होती है.