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- शकरकंद के फायदे लेकर आए हैं. ये बच्चों की सेहत के लिए बेहद लाभकारी है, जो सर्दियों में आराम से मिल जाती है. इसका सेवन चाट, सब्जी के रूप में किया जा सकता है. विटामिन ए के अलावा शकरकंद में विटामिन सी, विटामिन ई, विटामिन के, विटामिन बी1, विटामिन बी6 और विटामिन बी9 भी होता है, जो शिशु के शारीरिक विकास में अहम रोज निभाते हैं.शकरकंद में पाए जाने वाले पोषक तत्व---शकरकंद में पाए जाने वाले पोषक तत्वों की बात करें तो इसमें कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम और सोडियम काफी मात्रा में पाया जाता है. इसमें जिंक भी होता है. ये सभी पोषक तत्व शिशुओं के लिए जरूरी होते हैं.शकरकंद के फायदे---1. आंखों के लिए लाभकारी- शकरकंद में पाए जाने वाला विटामिन ए बच्चों की आंखों का खास ख्याल रखता है.2. मेटाबलिज्म को बनाता है मजबूत- शकरकंद मेटाबॉलिज्म को मजबूत करता है. इससे वजन कंट्रोल में रहता है.3. शारीरिक विकास के लिए लाभकारी- शकरकंद शिशुओं के शारीरिक विकास में मदद करता है. इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व हर एक अंग को विकसित करने में योगदान देते हैं.4. इम्युनिटी को मजबूत करता है- शकरकंद में पाए जाने वाला विटामिन सी और ई इम्युनिटी को मजबूत करता है.5. कब्ज से राहत दिलाता है- शकरकंद का सेवन छोटे बच्चों कब्ज की समस्या से राहत दिलाता है. इसमें डाइटरी फाइबर होता है, जिससे कब्ज से राहत मिलती है.6. ऊर्जावान बनता है शिशु- शकरकंद में स्टार्च और विटामिंस होते हैं, जो शिशु को एनर्जेटिक बनाते हैं. शकरकंद एक सुपर फूड है, इसलिए बच्चों को इसे जरूर खिलाएं.इस समय खिलाएं बच्चों को शकरकंद?डाइट एक्सपर्ट डॉक्टर रंजना सिंह कहती हैं कि 6 महीने के बाद बच्चे को शकरकंद खिलाया जा सकता है, लेकिन शकरकंद पूरी तरह से पकाया हुआ और नरम होना चाहिए. अगर बच्चा उसे खाने से मना करे तो जबरदस्ती न करें. शकरकंद की सभी किस्में शिशुओं के लिए फायदेमंद होती हैं. इनमें विटामिन ए, एंथोसायनिन होता है. इससे बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनती है.
- उम्र बढ़ने के साथ ही हमारी बॉडी में कई तरह के चेंज आते हैं. अगर आप भी 30 की उम्र का पड़ाव पार कर गए हैं तो जान लें कि अब आपको अपने लाइफस्टाइल और खान-पान का खास ध्यान रखना है. दरअसल, इस दौर में हमारी बॉडी, सेहत और दिमाग में फर्क आता है. ऐसे में सही डाइट का फॉलो किया जाना बेहद जरूरी है. देखा जाए तो 30 की उम्र के दौरान या इसके बाद हमारे ऊपर जिम्मेदारियों काफी होती हैं. जिम्मेदारियों को निभाने के लिए आपको हेल्दी रहना है. बेहतर लाइफस्टाइल तो फॉलो करना बनता ही है, लेकिन हेल्दी रहने में सही डाइट का भी अहम रोल रहता है. हम आपको ऐसी चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें डाइट का हिस्सा बनाकर आप सेहतमंद रह सकते हैं. जानें उन चीजों के बारे में…ब्रोकलीप्रोटीन से भरपूर ब्रोकली से हड्डियों को मजबूत रखने में मदद मिलती है. इतना ही नहीं ब्रोकली से इम्यूनिटी को बूस्ट भी किया जा सकता है. इसे खाने के लिए एक बर्तन में लें और थोड़े से पानी के साथ माइक्रोवेव में रखें. अब इसे सलाद की तरह खाएं और हेल्दी रहे.विटामिन सीविटामिन सी से बने फल खाने से आप काफी हेल्दी रह पाएंगे. इसके फायदे ये हैं इससे वजन तो मेनटेन रहेगा साथ ही आप दिल की बीमारियों से भी दूर रहेंगे.ड्राई फ्रूट्सड्राई फ्रूट्स को खाने से आपका पेट भरा रहेगा और इस कारण ज्यादा खाने से भी बचा जा सकता है. जितना लाइट फूड लेंगे उतना ही बॉडी के लिए अच्छा है. ध्यान रहे कि ड्राई फ्रूट्स को भी अधिक मात्रा में नहीं खाना है.लहसुनलहसुन कई मायनों में बॉडी के लिए फायदेमंद होता है. इसकी मदद से बॉडी में बैक्टीरिया को मारा जा सकता है. साथ ही ये प्रतिरक्षा प्रणाली को भी दुरुस्त करता है.मछलीअगर आप नॉनवेज खाने के शौकीन है तो फिर मछली का सेवन करना आपके लिए बेस्ट रहेगा. हालांकि मुर्गा और मटन भी हेल्दी हैं, लेकिन फिश में ओमेगा-3 फैटी एसिड है जो बॉडी के लिए बेहद फायेदमंद माना जाता है.शहदशहद में कई एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं. इसे आप किसी भी तरह से इस्तेमाल में ले सकते हैं. आप चाहे तो नींबू पानी में शहद मिलाकर पीएं. इससे विटामिन सी की कमी भी पूरी होगी.-
- आज हम बात करेंगे नाश्ते में खिचड़ी खाना चाहिए या नहीं? अगर खाना चाहिए तो कौन सी खिचड़ी खाएं जिसे खाने से पेट भारी भी ना लगे, वजन भी ना बढ़े और हम हेल्दी भी रहें।आइए जानते हैं सबके बारे में विस्तार से।1. इंस्टेंट एनर्जी देती है खिचड़ीजब आप नाश्ते में खिचड़ी खाते हैं तो ये आपके शरीर को इंस्टेंट एनर्जी देने का काम करती है। खिचड़ी में कार्बोहाइड्रेट्स, विटामिन्स, मिनरल्स, फाइबर और भरपूर मात्रा में पानी होता है। साथ ही इसे पचाने में हमारे शरीर को ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती जिस वजह से इसे खाने से हमें इंस्टेंट एनर्जी मिलती है।2. वजन संतुलित रहता हैखिचड़ी खाने से आपका वजन संतुलित रह सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि खिचड़ी में प्रोटीन की अच्छी मात्रा होती है जो कि हमारे भूख और हार्मोनल फंक्शन को कंट्रोल करने में मदद करती है। दूसरा सुबह-सुबह इसे खाने से आपको दिन भर बेकार की भूख नहीं लगती और इस तरह ये आपको वजन संतुलित रखने में मदद करती है।3. गैस और पाचन तंत्र की समस्या नहीं होतीजब आप सुबह-सुबह खिचड़ी खाते हैं तो आपको गैस और पाचन तंत्र की समस्या नहीं होती। ये एक ऐसा नाश्ता है जिसे खाने के बाद आपको ऐसा नहीं लगता कि आपको अपच हो रही है और गैस बन रही है। आप इसे फटाफट खा कर आसानी से पचा सकते हैं।4. शुगर और ब्लड प्रेशर सही रहता हैजो लोग नाश्ते में खिचड़ी खाते हैं उनका शुगर बैलेंस रहता है। रागी, बाजरा, ओट्स और मूंग दाल की खिचड़ी भी शुगर के मरीजों के लिए बेहद ही फायदेमंद है। इसके अलावा नाश्ते में खिचड़ी खाने से ब्लड प्रेशर भी बैलेंस रहता है।नाश्ते में कौन सी खिचड़ी है ज्यादा फायदेमंद?1. रागी की खिचड़ीरागी में फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है जो कि पेट के लिए बहुत फायदेमंद है। रागी की खिचड़ी हल्की भी होती है और इसका अमीनो एसिड डायबिटीज जैसी बीमारियों के रोगियों के लिए भी फायदेमंद है।2. ओट्स की खिचड़ीओट्स की खिचड़ी हर किसी के लिए फायदेमंद है। ओट्स में फाइबर होता है जो कि पेट के लिए फायदेमंद है। इसके अलावा डाइजेशन में भी मददगार है। ओट्स की एक खास बात ये भी है कि ये एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है जो कि इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ आपको दिन की बीमारियों से भी बचाता है।3. मूंग दाल की खिचड़ीमूंग दाल की खिचड़ी सबसे हेल्दी खिचड़ी में से एक है। इसे खाना कई बीमारियों में फायदेमंद है। नाश्ते में इसे खाने से आपको एनर्जी मिलेगी। साथ ही ये आपके शुगर और ब्लड प्रेशर को भी मैनेज करने में मदद करेगा। तो, अपनी नाश्ते में हफ्ते में एक बार मूंग दाल की खिचड़ी जरूर खाएं।
- भारत में भी रेसिपीज (Recipes) की कमी नहीं है, स्पाइसी से लेकर हैवी डिशेज की भारत में भरमार है. वैरायटीज होने की वजह से कभी-कभी लोग कंफ्यूज हो जाते हैं कि उन्हें क्या खाना है. हैवी और स्पाइसी से उब जाने के बाद अगर लाइट और कंफर्ट का रुख किया जाए तो इसमें गलत नहीं होगा. जब लाइट फूड की बात की जाए तो दिमाग में साउथ इंडियन फूड ही आता है. चाहे ब्रेकफास्ट हो या डिनर साउथ इंडियन फूड का टेस्ट कभी भी लिया जा सकता है. इसमें इडली, सांभर, डोसा व अन्य फूड्स शामिल हैं.हम आज आपको आटा डोसा (Aata Dosa) की रेसिपी बताने जा रहे हैं. दरअसल, नॉर्मल डोसा बनाने में मेहनत भी ज्यादा लगती है और वह टाइम टेकिंग भी होता है. कई बार तो लोग इस वजह से डोसा बनाने से परहेज कर जाते हैं इसलिए हम आपके लिए आटा डोसा की रेसिपी लाए हैं, जिसे बनाना आसान है और ये खाने में भी काफी स्वादिष्ट होता है. खास बात है कि इसे बनाने में आपको महज 15 से 20 मिनट का टाइम लगेगा.जैसा कि नाम से ही जाहिर है इसे बनाने के लिए आपको आटे की जरूरत पड़ेगी. साथ ही थोड़ा सा नमक और ऑयल.सामग्रीएक कप आटाथोड़ा सा चावल का आटादो हरी मिर्चलाल मिर्च (ओपशनल)करी पताजीराचाट मसालाबनाने की विधिएक बर्तन में आटा लें और इसमें जरूरत के मुताबिक पानी मिलाएं.इसमें चावल का आटा और नमक स्वाद अनुसार मिला लें.अब इसमें हरी मिर्च, लाल मिर्च और जीरा भी मिक्स कर दें और इस बैटर को अच्छे से मिलाएं.फ्राई पैन में ऑयल डालें और बैटर को डालें.डोसे को एक तरफ से पकने दें और ऊपर से ऑयल डाल दें.अब डोसा पलट दें और दूसरी तरफ से पकने दें.आपका डोसा तैयार है, इसे चटनी के साथ सर्व करें.
- सर्दियों में कई लोगों का दिन पानी पीने और फिर बार-बार टॉयलेट जाने में ही गुजर जाता है। वैसे, तो ठंड के मौसम में 5-6 बार से ज्यादा टॉयलेट लगना आम बात है लेकिन अगर आप कम पानी पीते हैं और फिर भी आपको ज्यादा टॉयलेट आता है, तो आपको कारण जानने की कोशिश करनी चाहिए।सामान्य तौर पर कितनी बार आता है टॉयलेटहेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार हर व्यक्ति के साथ टॉयलेट आने की परिस्थिति अलग-अलग होती है। फिर भी एक स्वस्थ व्यक्ति दिन में 4 से 10 बार कभी भी टॉयलेट जा सकता है। टॉयलेट आने का समया या मात्रा आपकी उम्र, दवा, डायबिटीज, मूत्राशय का आकार, जैसे कई कारकों पर निर्भर करता है। वहीं, प्रेगनेंसी और डिलीवरी के बाद के सप्ताह में टॉयलेट बार-बार आना सामान्य है।यूरिनरी ब्लैडर का ज्यादा एक्टिव होनाबार-बार टॉयलेट आने का सबसे बड़ा कारण हो सकता है कि यूरिनरी ब्लैडर (मूत्राशय) का ज्यादा एक्टिव होना। इसकी वजह से बार-बार टॉयलेट आता है, अगर पेशाब को एकत्र करने में ब्लैडर की क्षमता कम होने या दबाव बढ़ने पर थोड़ा भी पानी पीने पर टॉयलेट बहुत तेजी से आता है और कई बार इसे रोककर रखना बहुत मुश्किल हो जाता है।शरीर में शुगर बढ़ने परडायबिटीज में भी बार-बार टॉयलेट आता रहता है। खासकर टाइप-2 डायबिटीज वाले लोगों को बहुत परेशानी होती है। ब्लड में शुगर की मात्रा बढ़ने पर यह समस्या बढ़ जाती है। इससे आपको टॉयलेट करने में थोड़ी जलन भी महसूस हो सकती है।यूरीनल ट्रैक्ट इंफेक्शनअगर आपको यूरीनल ट्रैक्ट इंफेक्शन है, तो आपको इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इस स्थिति में बार-बार टॉयलेट आने के साथ ही टॉयलेट में जलन और कई बार दर्द भी होता है।किडनी में इंफेक्शनकम पानी पीने का असर सबसे ज्यादा आपकी किडनी पर पड़ता है। किडनी में इंफेक्शन होने पर भी बार-बार टॉयलेट आता रहता है। वहीं, हर बार टॉयलेट करने पर जलन भी बढ़ती रहती है, इसलिए कोई भी परेशानी होने पर टेस्ट जरूर कराएं
- अगर आपके घर में छिपकलीयां ज्यादा संख्या मौजूद रहती हंै तो आपको सतर्क रहने की जरूरत है। इस लेख में हम छिपकली के कारण होने वाली बीमारी और उसको भगाने के उपायों पर चर्चा करेंगे।छिपकली को कमरे से भगाने के उपाय1. काली मिर्च पाउडरछिपकली से बचने के लिए आपको काली मिर्च का इस्तेमाल करना चाहिए। काली मिर्च के इस्तेमाल से छिपकली कमरे से निकल जाती हैं। काली मिर्च के पाउडर को आप घर की दीवारों पर छिड़क दें, इससे छिपकली कमरे से निकल जाएगी। आप काली मिर्च के पाउडर में पानी मिलाकर उसे स्प्रे बॉटल में डालें और दीवार या जहां छिपकली आती है वहां छिड़क दें ।2. अंडे का छिलकाछिपकली को भगाने के लिए आप अंडे के छिलके का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए खाली अंडे के छिलके को छिपकली आने की जगह पर टांग कर रखे दें।3. लहसुनआप छिपकली को भगाने के लिए लहसुन का इस्तेमाल कर सकते हैं। लहसुन की गंध से कीड़े-छिपकली भाग जाते हैं। आप खिड़की और दरवाज पर या फिर जहां से छिपकली के आने की गुंजाइस रहती है, लहसुन की कलियां रख दें।4. मोर पंखछिपकली को भगाने के लिए आप मोरपंख का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसका कोई वैज्ञानिक तथ्य मौजूद नहीं है पर घरेलू नुस्खों के आधार पर आप इस तरीके को ट्राय कर सकते हैं। आपको मोर पंख को कमरे के एक कोने में बांधकर रखना है या चारों कोनों में रख सकते हैं या जिस जगह छिपकली आती-जाती हो, लोगों का मानना है कि इससे छिपकली नहीं आती है। .5. लाल मिर्च पाउडरछिपकली के आने-जाने वाली जगह पर लाल मिर्र्च का पाउडर रख दें। छिपकली नहीं आएगी।छिपकली से होने वाली बीमारियांछिपकली की लार के संपर्क में आने से फूड प्वाइजनिंग का खतरा हो सकता है। छिपकली की लार और मल में सल्मोनेला नाम का बैक्टीरिया मौजूद होता है जिसस फूड प्वाइजनिंग हो सकती है। इसके अलावा पेट में दर्द, सिर दर्द, उल्टी आना जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं। छिपकली की लार के संपर्क में आने से आपको रैशेज, खुजली, रेडनेस जैसी समस्या हो सकती है। वहीं इनके काटने से होने वाले घाव में इंफेक्शन का डर भी रहता है। इसलिए यदि हमारे बुजुर्ग शरीर में छिपकली गिरने पर तुरंत नहाने की सलाह देते हैं।मार्केट में छिपकली भगाने के लिए कई कैमिकल युक्त विषैले प्रोडक्ट मौजूद हैं, जिससे छिपकली मर तो जाती हैं लेकिन मरी हुईं छिपकलियों को खोजना और बाहर फेंकना मुश्किल हो जाता है। साथ ही ये विषैले प्रोडक्ट घर में बच्चों के लिए भी हानिकारक हो सकते हैं, इसलिए इन्हेें इस्तेमाल करने से बचना चाहिए।
- पानी हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी तत्व है। यह शरीर को हाइड्रेट रखते हुए कई बीमारियों को दूर करता है। यह विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने, पोषक तत्वों और ऑक्सीजन को कोशिकाओं तक ले जाने, त्वचा को स्वस्थ रखने , शरीर के तापमान को नियंत्रित करने और मास्तिष्क को कार्य करने में भी मददगार है। यहां तक की जोड़ों को चिकनाई देने के लिए भी पानी की जरूरत होती है।विशेषज्ञ व्यक्ति को दिनभर में 3 -5 लीटर पानी पीने की सलाह देते हैं। लेकिन दिनभर में पर्याप्त पानी पीना ही काफी नहीं है, बल्कि इसका लाभ तभी लिया जा सकता है , जब इसे सही तरह से पियें। यह बात पूरी तरह से सच है। यदि आप उन लोगों में से एक है, जो एक बार में बहुत कम पानी पीते हैं, तो आपको अभी से ही ऐसा कर देना बंद कर देना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार, गलत तरीके से पानी पीने से पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। तो आइए जानते हैं आयुर्वेद के अनुसार, कैसे गलत तरीके से पानी का सेवन पाचन क्रिया पर असर डालता है और वास्तव में पानी पीने का सही तरीका क्या है।पानी कैसे पाचन क्रिया को बाधित करता हैपोषक तत्वों के बेहतर अवशोषण के लिए भोजन का पचना बहुत जरूरी है। जब आप भोजन शुरू करने से पहले या भोजन के बीच में पानी पीते हैं, तो इससे पाचन स्वास्थ्य खराब हो सकता है। आयुर्वेद कहता है कि ऐसा करने से पेट में भोजन की स्थिति पर सीधा असर पड़ता है। पानी एक कूलेंट है और भोजन के समय पाचक अग्रि को शांत कर सकता है। भोजन के दौरान नियमित रूप से पानी पीने से वजन बढऩे में देर नहीं लगती।आयुर्वेद के अनुसार, ये है पानी पीने का सही तरीकासबसे पहले तो एक बार में एक गिलास पानी बिल्कुल भी ना पीएं। इसके बजाय धीरे-धीरे घूंट करके पीएं।खाना खाने के ठीक बाद या पहले कभी पानी ना पीएं। दरअसल, पानी पीने का यह तरीका गैस्ट्रिक जूस को पतला कर देता है, जिससे आपके सिस्टम के लिए भोजन से पोषक तत्वों को पचाना और अवशोषित करना मुश्किल हो जाता है।दिनभर में 7 बार इस समय जरूर पीएं पानी, नहीं पड़ेंगे कभी बीमार-यदि आपको प्यास लगी है , तो भोजन करने से 30 मिनट पहले पानी पीएं। या फिर भोजन करने के 30 मिनट बाद तक इंतजार करें और फिर पानी पीएं।-भोजन करने के दौरान अगर आपको प्यास लगी है, तो सीधे एक गिलास पानी नहीं बल्कि एक या दो घूंट पानी पी सकते हैं।-अगर आपको भोजन पचाने में मुश्किल होती है, तो भोजन के बेहतर पाचन के लिए गर्म पानी पीना अच्छा माना जाता है। एक गिलास ठंडे पानी की तुलना में गर्म पानी ज्यादा हाइड्रेटिंग होता है।खड़े होकर पानी पीने के नुकसानअक्सर जल्दबाजी या आलस में हम खड़े होकर पानी पी लेते हैं। लेकिन पानी पीने का यह तरीका एकदम गलत और नुकसानदायक है। दरअसल, जब आप खड़े होकर पानी पीते हैं, तो कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो जाती हैं। ऐसा करने से पानी सीधे झटके से खाद्य नलिका में जाकर निचले पेट की दीवार पर गिरता है। यह आपके शरीर से आसानी से निकलकर कोलोन में पहुंच जाता है। इससे किडनी और ब्लैडर से विषाक्त पदार्थ जमा होने लगते हैं। इसके अलावा पानी को निगलने से वास्तव में आपकी प्यास पूरी तरह से नहीं बुझ पाती।तो अगर आप भी पानी पीते वक्त ये गलतियां करते हैं, तो इन्हें दोहराएं नहीं। पाचन संबंधी समस्याओं से निजात पाने के लिए यहां पानी पीने का सही तरीका जरूर ट्राय करें।
- मालपुआ एक ऐसा व्यंजन है, जिसका नाम सुनते ही आमतौर पर हर किसी के मुंह में पानी आ जाता है. मालपुआ भारत का फेमस स्वीट डिश है. जिसको अक्सर बचपन में दादी-नानी किसी खास मौके पर बनाती थीं. बच्चे हों या फिर बड़े मालपुआ खाने का चाव हर किसी को होता है. भले ही समय के साथ कई मीठी चीजें आ गई हों, लेकिन मालपुआ का क्रेज अपना ही होता है.आप सिंपल आटे से इसे आसानी से बना सकती हैं, इतना ही नहीं इसको मैदे से भी बनाया जाता है और चाशनी में डुबोने के बाद ड्राई फ्रूट्स से गार्निश किया जाता है.कई ऐसे त्योहार होते हैं जिन पर आज भी घरों में मालपुआ तो बनाया जाता है.शायद आपको ना पता हो कि ये डिश भारत ही नहीं और भी देशों में फेमस है.मालपुआ भारत के अलावा बांग्लादेश, नेपाल और पाकिस्तान जैसे देशों में काफी पसंद किया जाता है. लेकिन स्वाद को बढ़ाने वाले इस फेमस स्वीट डिश का इतिहास आप जानते हैं. तो आइए जानते हैं इसका इतिहास और इसकी विधि-ऋग्वेद में सबसे पहले किया गया उल्लेखचारों वेद में सबसे पुराना है ऋग्वेद है, जिसमें सबसे पहले मालपुआ का उल्लेख ‘अपुपा’ के रूप में किया गया था. कहा जाता है कि शुरू में इसको जौ से बनाया जाता था. फिर इसमें घी में तला जाता था और शहद में डुबोया जाता था. आपको बता दें कि ऋग्वेद में भोजन एक महत्वपूर्ण पहलू बताया गया है, जिसमें अपुपा का जिक्र किया गया है. हालांकि वक्त के साथ इसने मालपुआ का रूप ले लिया है. दूसरी शताब्दी में इसका एक और नाम सामने आया. अब इसे ‘पुपालिके’ के नाम से परोसा जाने लगा, जबकि कुछ स्थानों पर इसे ‘भरवां अपुपा’ भी कहा जाता था.मालपुआ कई हैं वैरायटीजैसे-जैसे लोगों को मालपुआ का स्वाद मिलता गया, वैसे-वैसे इसकी वैरायटी में बदलाव आता गया. आसानी से घरों में बनने वाले मालपुआ को अंडे और मावा के साथ तैयार भी किया जाता है. फेस्टिव सीजन पर कुछ जगहों पर मालपुआ अंडे और मावा तैयार कर परोसा जाता है. कहते हैं कि बांग्लादेश में इसको फल के साथ मैश करके बनाया जाता है. फलों के साथ बनाने के लिए केला या फिर अन्य फलों को मैश कर मिक्स किया जाता है.नेपाल में इसे ‘मारपा’ कहा जाता है, और मैदा, केले, सौंफ के बीज, दूध और चीनी के मिश्रण से तैयार किया जाता है.जगन्नाथ मंदिर का प्रसाद है मालपुआकहते हैं कि भारत के मशहूर जगन्नाथ मंदिर में पुरी में मालपुआ भी हर दिन सुबह सबसे पहले प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है. वहां मालपुआ को अमालू के नाम से जाना जाता है. भगवान जगन्नाथ को जो छप्पन भोग का प्रसाद चढ़ाया जाता है उसमें से एक अमालू भी शामिल हैं. इसे शाम में पूजा के वक्त भी चढ़ाया जाता है.
- यूरिन इंफेक्शन की समस्या वैसे तो किसी को भी हो सकती है, लेकिन ज्यादातर ये परेशानी पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को होती है. यूरिन इंफेक्शन यूरिनरी कॉर्ड में होने वाले संक्रमण के कारण होता है. इसे यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन यानी यूटीआई के नाम से भी जाना जाता है. यूरिन इंफेक्शन के दौरान यूरिनरी कॉर्ड में बैक्टीरिया के कारण संक्रमण या सूजन हो जाती है.आमतौर पर इस संक्रमण का मुख्य कारण ई-कोलाई बैक्टीरिया माना जाता है. ये बैक्टीरिया यूरिनरी ट्रैक्ट के जरिए शरीर में घुसकर ब्लैडर और किडनी को नुकसान पहुंचाते हैं. इसके अलावा यूरिन को रोककर रखना, पानी कम पीना और हाइजीन की कमी आदि भी यूटीआई के अन्य कारण हो सकते हैं. यहां जानिए इसके बारे में.ये लक्षण आते सामने– यूरिन के दौरान तेज जलन महसूस होना.– पेट के निचले हिस्से और कमर में असहनीय पीड़ा होना.– यूरिन बहुत अधिक पीला या मटमैले रंग का आना.– यूरिन कम मात्रा लेकिन थोड़ी-थोड़ी देर में आना.– बहुत तेज प्रेशर महसूस होना, लेकिन यूरिन पास करने पर कुछ ड्रॉप आना.– थकान अधिक महसूस होना.– ठंड लगना और बुखार आना.ये घरेलू नुस्खे आ सकते हैं काम– पांच से छह छोटी इलायची के दानों को पीसकर आधे चम्मच सौंठ के पाउडर में मिलाकर रख लें. थोड़े सेंधा नमक और अनार के रस के साथ गुनगुने पानी से पिएं.– एक चम्मच आंवले के चूर्ण में चार से पांच इलायची के दानों को पीसकर मिक्स करें. इससे काफी आराम मिलेगा.– यूरिन इंफेक्शन के दौरान दही या छाछ के सेवन से भी आराम मिलता है. इससे यूरिन की जलन शांत होती है. दही में ऐसे तमाम गुण होते हैं जो शरीर को संक्रमण से बचाने का काम करते हैं. दही को दोपहर के भोजन के साथ डाइट में शामिल करें.– यूरिन इंफेक्शन के दौरान नारियल पानी लेना भी काफी लाभदायक है. नारियल पानी शरीर को अंदर से हाइड्रेट करता है और जलन को शांत करता है.– एक चम्मच गुनगुने पानी में दो चम्मच सेब का सिरका डालें और इसमें शहद मिलाकर सेवन करें, इससे भी काफी आराम मिलता है.बचाव के लिए ये सावधानियां जरूरी– यूरिन रोकने की कोशिश न करें.– भरपूर मात्रा में पानी पीएं, ताकि विषैले तत्व शरीर से बाहर निकल सकें.– हाइजीन का विशेष खयाल रखें.
- महिलाओं और पुरुषों की शारीरिक बनावट और क्षमता भिन्न होती है, यही कारण है कि दोनों को अपने स्वास्थ्य की देखभाल के लिए अलग-अलग तरह से ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। महिलाओं पर पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ के बीच सही संतुलन बनाए रखने का काफी दबाव होता है। घर का काम, बच्चों और बुजुर्गों की देखभाल करना और फिर ऑफिस के काम, इन सब चीजों को करने के बाद वे मुश्किल से अपने लिए समय निकाल पाती हैं। यही कारण है कि शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए महिलाओं को नियमित रूप में दिनचर्या में योग को शामिल करने की सलाह दी जाती है। योग न सिर्फ आपको शारीरिक, बल्कि मानसिक रूप से भी फिट बनाए रखने में सहायक होता है। आइए उन योगासनों के बारे में जानते हैं, जिनका सभी महिलाओं को रोजाना अभ्यास जरूर करना चाहिए। संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए इनका अभ्यास करना बेहद फायदेमंद हो सकता है।ब्रिज पोज का अभ्यासस्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक हर महिला को रोजाना ब्रिज पोज या सेतुबंधासन योग का अभ्यास जरूर करना चाहिए। यह योग पीठ, ग्लूट्स, पैरों और टखनों को मजबूत करता है। इसके अलावा शरीर और मन को शांत रखने, तनाव और अवसाद को कम करने में भी इस योगासान को लाभदायक माना जाता है। दिन भर काम के कारण कमर में होने वाले दर्द को कम करने में भी इस योग का अभ्यास फायदेमंद हो सकता है।प्राणायामशारीरिक और मानसिक दोनों स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए प्राणायाम का अभ्यास करना सभी के लिए फायदेमंद हो सकता है। प्राणायाम मस्तिष्क में रक्त के संचार को बढ़ावे देने के साथ अवसाद, तनाव और चिंता जैसी तमाम समस्याओं को कम करने में लाभदायक माने जाते हैं। यह स्थितियां कई प्रकार की शारीरिक स्वास्थ्य की समस्याओं का कारण बन सकती हैं।चाइल्ड पोज या बालासन का अभ्यासस्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक सभी महिलाओं को रोजाना 5-10 मिनट तक बालासन योग का अभ्यास जरूर करना चाहिए। यह योग आपकी रीढ़, जांघों, कूल्हों और टखनों को फैलाने में सहायक है। इसके अलावा मन को शांत करने, चिंता और थकान को कम करने में भी इस योग के अभ्यास को काफी फायदेमंद माना जाता है। सिर में रक्त परिसंचरण को बढ़ाने में भी यह लाभदायक योग है।
- डाइट पर ध्यान देना भी बहुत जरूरी है। जैसे, हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार जिंक लेना बेहद जरूरी है। खाने में रोजाना जिंक की 100-200 ग्राम मात्रा लेनी ही चाहिए। जिंक की कमी से इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है और इससे दिल भी कमजोर हो जाता है। जिंक की कमी से बच्चों में मलेरिया निमोनिया और लूज मोशन जैसी परेशानियां होती है। वहीं, शरीर में जिंक की कमी से ओमिक्रॉन का खतरा भी होता है। आइए, जानते हैं किन फूड्स में जिंक की ज्यादा मात्रा होती है।तिलकाला और सफेद दोनों तरह के तिल सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है। विटामिन ए और सी को छोड़कर इसमें सभी जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं। तिल में भरपूर मात्रा में जिंक के साथ विटामिन बी6 और आयरन पाया जाता है।बाजराबाजरा पोषक तत्वों से भरा होता है। साथ ही इसमें पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन और फाइबर भी पाया जाता है। बाजरे का सेवन करने से इम्यूनिटी ही स्ट्रॉन्ग नहीं होती बल्कि इससे वेट लॉस भी होता है।पनीरवेजिटेरियन लोगों के लिए पनीर खाना बेहद जरूरी है। पनीर प्रोटीन से भरपूर होता है। साथ ही दूध, दही और पनीर सभी डेयरी प्रोडक्ट्स में भरपूर मात्रा में प्रोटीन कैल्शियम और विटामिन के साथ जिंक पाया जाता है। रोजाना दूध या पनीर खाने से शरीर में जिंक की कमी दूर होती है।मशरूममशरूम में कैलोरीज और भरपूर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। इसमें जिंक की भी अच्छी मात्रा पाई जाती है। मशरूम विटामिन डी का भी एक अच्छा स्रोत है, जो हड्डियों को मजबूत बनाता है। इसके अलावा इसे खाने से हार्मोन भी बैलेंस होते हैं।
- तिल स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है। खासकर काला तिल। मकरसंक्राति के मौके पर तिल के लड्डू तो बनाए ही जाते हैं, लेकिन भारतीय रसोई में भी तिल का इस्तेमाल खूब किया जाता है।काले तिल के पोषक तत्वकाले तिल में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व होता है। इसमें अच्छी मात्रा में प्रोटीन, ऊर्जा, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटैशियम, जिंक, कॉपर, मैंगनीज, थायमिन, राइबोफ्लेविन, नियासिन, फोलेट, फैटी एसिड्स, टोटल सैचुरेटेड, फैटी एसिड्स आदि हैं।काले तिल के फायदेरोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में - काले तिल में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होते है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है। यह एंटीऑक्सीडेंट्स व कॉपर रोगो से लडऩे में कारगर होते हैं। कुछ शोध के अनुसार काले तिल रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में फायदेमंद होते है।बाल के लिए फायदेमंद - कुछ अध्ययन के अनुसार काला तिल बालों के लिए बहुत उपयोगी होता है। इसमें अच्छी मात्रा में विटामिन बी व आयरन होता है जो बालों का झडऩा कम करता है। इसके अलावा बालों को सफ़ेद होने से बचाव करता है। जैसा की आपको पता है पोषक तत्वों की कमी होने से बालों में झडऩे की समस्या होने लगती है।डायबिटीज को नियंत्रित करने में - डायबिटीज के मरीजों के लिए काले तिल फायदेमंद हो सकते है। यदि रक्त शर्करा का स्तर बढ़ा हुआ है तो ऐसे में काले तिल उपयोगी होते है जो बढ़े रक्त शर्करा के स्तर को कम करते हैं। लेकिन पहले से रक्त शर्करा का स्तर कम है तो ऐसे में काले तिल का उपयोग न करें, क्योंकि शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ सकता हैं।त्वचा के लिए फायदेमंद - त्वचा के लिए विटामिन इ जैसे पोषक तत्व जरुरी होता है जो त्वचा को प्रोटीन देते है। कुछ वैज्ञानिक के अनुसार त्वचा में निखार व स्वस्थ रखने के लिए काले तिल बहुत उपयोगी माने जाते है। काले तिल त्वचा को और खूबसूरत व जवां बनाये रखते है।हृदय के लिए फायदेमंद - हृदय के स्वास्थ्य को स्वस्थ रखने में काले तिल फायदेमंद माने जाते है। यह बुरे कोलस्ट्रोल को कम करने व अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मदद करते है। कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण में रहने से हृदय का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। हृदय स्वास्थ्य अच्छा होने से स्ट्रोक का जोखिम नहीं रहता है।रक्तचाप को सामान्य करें - रक्तचाप की समस्या किसी को भी हो सकती है। यह जीवनशैली के बिगडऩे पर प्रभावकारी बन जाता है। रक्तचाप एक ऐसी ही समस्या है जिसको सामान्य रखना जरुरी होता है। कुछ अध्ययन के अनुसार काले तिल रक्तचाप में सुधार करने में फायदेमंद माने जाते है। रक्तचाप के मरीजों को अपने डाइट में काले तिल को जरूर शामिल करना चाहिए।
- जिमीकंद या सूरन की सब्जी छत्तीसगढ़ में भी खूब चाव से खाई जाती है। इसका अचार और चटनी भी काफी स्वादिष्ट होती है। यह एक ऐसा कंद है जिसे साल भर तक स्टोर करके रखा जा सकता है। आइये आज हम जानते हैं कि फाइबर से भरपूर जिमीकंद में और क्या- क्या पोषक तत्व मौजूद होते हैं।जिमीकंद में मौजूद पोषक तत्व -फाइबर, विटामिन सी, विटामिन बी6 , विटामिन बी1 , फोलिक एसिड, पोटैशियम, आयरन, मैग्नीशियम , कैल्शियम, फॉस्फोरस, एंटीऑक्सीडेंट, बीटा कैरोटीन, प्रोटीन , कार्बोहाइड्रेट , जिंक, वसा।जिमीकंद के फायदेजिमीकंद खाने से सेहत को कई फायदे मिल सकते हैं। इसके सेवन से आप अपनी मेमोरी पावर बढ़ा सकते हैं। साथ ही जिमीकंद के सेवन से खून की कमी भी दूर होती है।इम्यूनिटी बढ़ाएजिमीकंद का सेवन अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए कर सकते हैं। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी पाया जाता है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगार होता है।पेट के रोगों में लाभकारीअगर आप पेट में गैस, एसिडिटी, कब्ज और अपच से परेशान हैं, तो ऐसे में जिमीकंद का सेवन करना फायदेमंद हो सकता है। इसके उच्च मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जो पेट के सभी रोगों को दूर करने में लाभकारी होता है। पेट के रोगों में इसके जड़ का इस्तेमाल औषधि के रूप में किया जाता है।कैंसर से करे बचावजिमीकंद में पर्याप्त मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन सी और बीटा कैरोटीन पाया जाता है। यह कैंसर पैदा करने वाले फ्री रैडिकल्स से लडऩे में सहायक होता है।हीमोग्लोबिन बढ़ाएअगर आपके शरीर में खून की कमी है तो जिमीकंद का सेवन करना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। इसमें काफी अधिक मात्रा में आयरन पाया जाता है, जो शरीर से खून की कमी को दूर करता है।जिमीकंद के अन्य फायदे- जिमीकंद में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, तो गठिया और अस्थमा के रोगियों के लिए लाभकारी हो सकता है।- यह शरीर में ब्लड फ्लो को तंदुरुस्त रखता है। ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाने में भी जिमीकंद मदद करता है।- जिमीकंद में विटामिन बी6 काफी अच्छी मात्रा में पाया जाता है, जो दिल को स्वस्थ रखने में मदद करता है।- यह ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल में रखता है।- इसमें फाइबर पाया जाता है, जो वजन कम करने या कंट्रोल करने में मदद करता है।- पाचन क्रिया को दुरुस्त करने के लिए जिमीकंद का सेवन किया जा सकता है।(नोट-गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही जिन लोगों को स्किन रिलेटेड प्रॉब्लम होती है, वे भी इसका सेवन करने से बचें। इसका सेवन हमेशा सीमित मात्रा में ही करना चाहिए, ज्यादा मात्रा में इसे खाने से नुकसान भी हो सकता है।)
- सर्दी में कौन-सा आटा खाना फायदेमंद होता है? सर्दियों में अधिकतर लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है, जिसकी वजह से उन्हें बार-बार वायरल, सर्दी-जुकाम और बुखार से परेशान होना पड़ता है। अकसर सभी लोग हर सीजन में गेहूं से बनी रोटियों का सेवन करते हैं, लेकिन सर्दियों में आप कुछ अलग तरह के आटे से बनी रोटियां खा सकते हैं। सर्दियों में बाजरा, ज्वार, रागी और मक्के के आटे से बनी रोटियां खाना काफी फायदेमंद होता है। इन आटे से बनी रोटियों को खाने से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है, शरीर बीमारियों से लडऩे के लिए तैयार होता है। सर्दियों में गर्म तासीर वाले खाद्य पदार्थों का सेवन अधिक मात्रा में किया जाना चाहिए।1. कुट्टू का आटाकुट्टू का आटा सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। कुट्टू के आटे में विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, विटामिन बी 2, राइबोफ्लेविन और नियासिन होता है। कुट्टू के आटे में प्रोटीन, फैट, काब्र्स, फाइबर, पौटेशियम, फॉस्फोरस, कैल्शियम और आयरन भी होता है। कुट्टू के आटे की तासीर गर्म होती है, इसलिए सर्दी में इस आटे को खाना काफी फायदेमंद होता है। कुट्टू के आटे से बनी रोटियां खाने से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है।2. रागी का आटाउत्तराखंड में सर्दी के मौसम में शरीर को गर्म रखने के लिए अकसर ही रागी के आटे से बनी रोटियां खाई जाती हैं। उत्तराखंड में इस आटे को मंडुआ के नाम से जाना जाता है। रागी के आटे की तासीर बेहद गर्म होती है, इसलिए सर्दियों में इसका सेवन करना लाभदायक होता है। रागी के आटे में कैल्शियम, प्रोटीन, पोटैशियम, आयरन, फाइबर भरपूर मात्रा में होता है। रागी के आटे में मौजूद डायटरी फाइबर वेट लॉस में मददगार होता है। इसमें कोलेस्ट्रॉल, सोडियम नहीं होता है, साथ ही फैट भी कम ही होता है। डायबिटीज रोगियों के लिए भी रागी का आटा फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद आयरन एनीमिया से भी बचाता है।3. मक्के का आटामक्के का आटा फायदेमंद होता है। मक्के का आटा तासीर में बहुत गर्म होता है, इसलिए आप अपनी विंटर में मक्के के आटे से बनी रोटियों का सेवन कर सकते हैं। मक्के की रोटी और सरसों का साग सर्दियों में अकसर ही खाया जाता है। मक्के के आटे में विटामिन ए, विटामिन सी, बीटा-कैरोटीन, विटामिन के, सेलेनियम समेत कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसके साथ ही मक्के के आटे में आयरन भी अच्छी मात्रा में पाया जाता है, इसलिए एनीमिया रोगियों के लिए मक्का लाभकारी अनाज है।4. ज्वार का आटासर्दियों में शरीर को गर्माहट देने के लिए ज्वार के आटे से बनी रोटियां खाना काफी फायदेमंद होता है। ज्वार का आटा ग्लूटेन फ्री होता है। ज्वार का आटा स्वास्थ्य के लिए बेहत लाभदायक होता है। यह पाचन तंत्र में सुधार करता है। ज्वार का सेवन आप उपमा, डोसा, रोटी आदि के रूप में कर सकते हैं। इसके सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत बनती है। ज्वार के आटे में मिनरल्स, प्रोटीन, विटामिन बी जैसे तत्व पाए जाते हैं। इसके अलावा इसमें पोटैशियम, फॉस्फोरस, कैल्शियम और आयरन भी अच्छी मात्रा में पाया जाता है। ज्वार का आटा खाने के कई फायदे होते हैं। यह शरीर को गर्माहट भी देता है।5. बाजरे का आटाबाजरे का आटा स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होता है। इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर, पोटैशियम होता है। बाजरे में प्रोटीन, फाइबर, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, फाइबर और आयरन जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाने के साथ ही कई अन्य बीमारियों से भी बचाता है। ठंड में बाजरे की रोटियां खाना लाभकारी है।नोट- मक्का, ज्वार, रागी, बाजरा और कुट्टू का आटा तासीर में गर्म होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार पित्त प्रकृति के लोगों को इन आटे से बनी रोटियां नहीं खानी चाहिए। इसके अलावा अगर आप किसी बीमारी से जूझ रहे हैं, तो भी इन आटे की रोटियों को डॉक्टर की सलाह पर ही लें।
- ज्यादातर लोग दांतों की केयर करने को सिर्फ ब्रश करने तक ही सीमित रखते हैं और अपने खानपान की आदतों पर गौर नहीं करते। विशेषज्ञों के मुताबिक, आपकी डाइट का भी दांतों पर असर पड़ता है और कुछ चीजें खाने से दांत तेजी से खराब होते हैं।ड्राई फ्रूट्सड्राई फ्रूट्स का सेवन वैसे तो फायदेमंद माना जाता है, लेकिन खुबानी और किशमिश जैसे ड्राई फ्रूट्स ज्यादा मात्रा में खाने से आपके दांत खराब हो सकते हैं. इन चीजों का सेवन सीमित मात्रा में करें।आलू के चिप्सस्टार्च युक्त चीजें दांतों में फंस जाती हैं और ठीक से साफ न करने पर कैविटी का कारण बनती हैं। दांतों को हेल्दी रखना है तो आलू के चिप्स और स्टार्च युक्त ऐसी चीजें न खाएं।वाइनवाइन का सेवन भी दांतों को नुकसान पहुंचाता है। वाइन, कॉफी और चाय जैसी चीजों से दांत पीले पड़ सकते हैं। इससे दांतों में एनामल एरोशन की समस्या हो सकती है।मीठे पेय पदार्थमीठे पेय पदार्थ का सेवन वजन बढऩे से लेकर शरीर में कई तरह की समस्याओं को बढ़ा सकता है। इससे दांतों को एसिडिक नुकसान होता है। सॉफ्ट ड्रिंक, कार्बोनेटेड पेय पदार्थ, फ्रूट जूस, एनर्जी ड्रिंक, स्मूदी जैसी चीजों का सेवन बहुत अधिक मात्रा में न करें। कैंडी जैसी चीजें खाना भी दांतों के लिए नुकसानदेह है।-
- मूली के पत्ते प्रोटीन, क्लोरीन, कार्बोहाइड्रेट, आयरन सोडियम, और मैग्नीशियम से भरपूर होते हैं जिनका सेवन करने से कई तरह के रोग दूर होते हैं। मूली के पत्तों (Radish Leaves) में विटामिन ए, विटामिन बी और विटामिन सी जैसे न्यूट्रिएंट्स भी पाए जाते हैं।कब्जमूली के पत्तों में फाइबर पर्याप्त मात्रा में मौजूद होता है। जिससे व्यक्ति को कब्ज की परेशानी में राहत मिलती है। मूली के पत्तों के रस को पानी और मिश्री के साथ पीने से पीलिया रोग में भी लाभ मिलने के साथ बालों का झड़ना भी कम होता है।डाइजेशन करें ठीकमूली के पत्तों में पर्याप्त मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जो डाइजेस्टिव सिस्टम के लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद है। जिस व्यक्ति का डाइजेशन ठीक नहीं रहता है उसे रोजाना मूली के पत्तों (Radish Leaves) से बने रस का सेवन करना चाहिए।ब्लड प्रेशरमूली के पत्तों में मौजूद सोडियम शरीर में नमक की कमी को पूरा करने का काम करता है। इसका सेवन लो ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए भी बेहद लाभकारी है। इसमें मौजूद एंथेकाइनिन दिल के लिए फायदेमंद होता है।
- आपने आज तक अपना वजन बढ़ाने के लिए तो केले का सेवन कई बार किया होगा लेकिन क्या आपने कभी वजन घटाने के लिए भी केला खाया है? जी हां, पीला, नीला नहीं इस बार बात हो रही है लाल केले की। लाल केले में मौजूद प्राकृतिक गुण शरीर को पोषण देने के साथ कई बीमारियों से भी रक्षा प्रदान करते हैं। आइए जानते हैं इसे खाने के फायदे।ब्लड प्रेशरलाल केले में भरपूर मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट मौजूद होता है। रोजाना लाल केले का सेवन करने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहता है। इसमें मौजूद पोटैशियम दिल से जुड़े खतरों को भी कम करने में मददगार हो सकता है।एनिमिया का खतरा करें दूरलाल केले में मौजूद विटामिन और एंटी-ऑक्सीडेंट शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ाने का काम करते हैं। इसके अलावा इसका सेवन करने से विटामिन बी6 की आपूर्ति भी हो जाती है। बी6 की कमी से ही एनिमिया होने का खतरा बढ़ता है।किडनी के स्टोन से बचावलाल केले में भरपूर मात्रा में पोटैशियम पाया जाता है जो किडनी में स्टोन को बनने से रोकता है। इसके अलावा ये दिल से जुड़ी बीमारियों और कैंसर जैसे रोग से भी सुरक्षा देता है। इसके नियमित सेवन से हड्डियां भी मजबूत बनती हैं।इम्यून सिस्टमलाल केले में प्रचूर मात्रा में विटामिन सी और विटामिन बी6 पाया जाता है। जो शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी है। विटामिन बी6 शरीर में व्हाइट ब्लड सेल्स की सुरक्षा बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है। जिससे शरीर में एंटीबॉडी मजबूत बनती हैं और शरीर को रोगों से लड़ने में मदद मिलती है।वजन- वजन बढ़ाने के लिए ही नहीं वजन कम करने में भी लाल केला आपकी मदद कर सकता है। जो लोग अपने बढ़ते वजन से परेशान हैं उनके लिए लाल केला काफी फायदेमंद हो सकता है। रोजाना लाल केले को डाइट में शामिल करने से वजन घटने लगता है। यह डाइटरी फाइबर का एक अच्छा स्त्रोत है। इसमें फैट की मात्रा काफी कम होती है।
- दुनियाभर के वैज्ञानिक एवं पर्यावरणविद प्लास्टिक की बोतलों को रिसाइकिल करने के सार्थक तरीके निकालने के लिए प्रयासरत हैं। कोई घर बनाने के लिए इनके इस्तेमाल का दावा करता है तो कोई अन्य तरीके बताता है। हालांकि एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने प्लास्टिक की बेकार बोतलों से स्वादिष्ट वनीला आइसक्रीम बनाने का अनोखा रास्ता ढूंढ निकाला है।रिपोर्ट के मुताबिक वैज्ञानिक प्लास्टिक की बेकार बोतलों से वैनिलिन निकालकर वनीला फ्लेवर तैयार करने का तरीका ढूंढ चुके हैं। अब तक वनीला एसेंस में इस्तेमाल होने वाले फ्लेवर को 85 फीसदी वैलिनिन को कैमिकल्स से, जबकि बाकी वनीला बींस से लिया जाता है। अब वैज्ञानिक इस पद्धति में थोड़ा बदलाव करके प्लास्टिक की बोतलों से भी वनीला एसेंस तैयार करने की तकनीक खोज चुके हैं।बेकार प्लास्टिक से पैदा होगा स्वाद !वनीला फ्लेवर का इस्तेमाल खाने-पीने से लेकर कॉस्मेटिक, फार्मा, क्लीनिंग और हर्बीसाइड प्रोडक्ट्स में भी होता है। वैज्ञानिक अब इसे सिंथेटिक तौर पर पैदा करेंगे। नए शोध में शोधकर्ताओं ने बताया है कि प्लास्टिक से वैनिलिन तैयार किया जा सकता है, जिससे प्लास्टिक पॉल्यूशन भी कम होगा।यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग के दो शोधकर्ताओं ने प्लास्टिक बोतल बनाने में इस्तेमाल होने के टेरेफथैलिट एसिड को जेनेटिक इंजीनियरिंग के जरिए वैनिलिन में तब्दील करेंगे। इन दोनों ही तत्वों में एक ही कैमिकल पाया जाता है। गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक इसमें थोड़ा बदलाव करे इन्हें एक दिन के लिए जब 37 डिग्री सेल्सियस पर रखा गया तो 79 फीसदी टेरेफथैलिक एसिड वैनिलिन में तब्दील हो गया।प्लास्टिक कचरा कम होगाएक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018 में वैनिलिन की ग्लोबल डिमांड 40,800 टन थी, जिसे साल 20025 तक 65 हजार टन तक होने की उम्मीद है। ऐसे में अगर प्लास्टिक वेस्ट से वनीला एसेंस तैयार होने लगा तो प्लास्टिक के कचरे को भी कम किया जा सकेगा और वनीला की मांग भी पूरी की जा सकेगी। दुनिया में हर मिनट 10 लाख प्लास्टिक बोतलें बिकती हैं और इनमें से सिर्फ 14 फीसदी रिसाइकिल ही पाती हैं। ऐसे में इस तकनीक को अगर बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया तो प्लास्टिक वेस्ट का प्रबंधन आसान होगा।
- आयुर्वेद के मुताबिक, गलत तरीके से पानी पीने से कई समस्याएं हो सकती हैं, उनमें से एक पाचन प्रक्रिया को बाधित करना है। जब आप भोजन शुरू करने से पहले ज्यादा पानी पीते हैं या भोजन के बीच में पीते हैं, तो इससे पाचन स्वास्थ्य खराब हो सकता है। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से पेट में भोजन की स्थिति पर सीधा प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा, पानी कूलेंट है और भोजन के समय डाइजेस्टिव फायर को शांत कर सकता है। भोजन के दौरान नियमित रूप से पानी पीने से भी मोटापा हो सकता है।पानी पीने का सही तरीका-सबसे पहले तो एक बार में एक गिलास पानी कभी न पिएं। इसे धीरे-धीरे घूंट-घूंट करके पिएं।-दूसरी बात, खाना खाने से ठीक पहले या बाद में कभी भी पानी न पिएं। ये गैस्ट्रिक जूस को पतला कर सकता है, जिससे आपके सिस्टम के लिए भोजन से पोषक तत्वों को पचाना और एब्जॉर्व करना मुश्किल हो जाता है।-अगर आप प्यासे हैं, तो भोजन से 30 मिनट पहले पानी पिएं या भोजन के 30 मिनट बाद तक इंतजार करें।-भोजन करते समय अगर आपको प्यास लगती है, तो एक गिलास पानी नहीं बल्कि 1-2 घूंट पानी लें।-साथ ही भोजन के बेहतर पाचन के लिए गर्म पानी पिएं. एक गिलास ठंडे पानी की तुलना में गर्म पानी ज्यादा हाइड्रेटिंग होता है।खड़े होकर पानी क्यों नहीं पीना चाहिए?जब आप खड़े होकर एक गिलास पानी पीते हैं, तो आप अपने आप को कई हेल्थ प्रॉब्लम्स के जोखिम में डाल देते हैं। दरअसल जब आप खड़े होकर पानी पीते हैं, तो ये सीधे झोंके के साथ सिस्टम से होकर गुजरता है। ये आपके शरीर से आसानी से निकलकर कोलन में पहुंच जाता है। इसे धीरे-धीरे पीने से लिक्विड शरीर के सभी अंगों तक पहुंच जाता है, जहां इसे काम करना होता है। इससे किडनी और ब्लाडर से टॉक्सिन्स का जमाव होता है। इसके अलावा, पानी को गटकने से हकीकत में आपकी प्यास नहीं बुझती है।
- खाना खाने के बाद अक्सर हमारा कुछ मीठा खाने का मन करता है, लेकिन रोज रोज मिठाई को खाना भी सेहत के लिए अच्छा नहीं होता है। इसी कारण से खाने के बाद रेस्टोरेंट या फिर घर में हम सौंफ और मिश्री का सेवन करते हैं। हालांकि सौंफ और मिश्री को खाते समय आपने यह नहीं सोचा होगा कि यह स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद भी हो सकती है? हालांकि ये बात सुनकर कुछ लोगों को भरोसा नहीं होगा, लेकिन ये सच है, क्योंकि हम सभी को लगता है कि यह बस एक माउथ फ्रेशनर है। क्योंकि हम सभी को सौंफ और मिश्री का स्वाद ही कुछ ज्यादा पसंद होता है। स्वाद को बढ़ाने वाली सौंफ और मिश्री के कई फायदे हैं, सौंफ और को साथ में खाने से सेहत को कई फायदे हो सकते हैं, जिनके बारे में हम बताएंगे। ये दोनों जिंक, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट्स, कैल्शियम, पोटैशियम आदि तत्वों से भरपूर होते हैं।1. पाचन तंत्र के लिए फायदेमंदआमतौर पर ऐसे तो मिश्री और सौंफ का सेवन माउथ फ्रेशनर के रूप में किया जाता है, लेकिन ये खाना पचाने के रूप में भी लाभदायक होता है। आपको खाने के बाद मिश्री के कुछ टुकड़े खाने चाहिए, यह आपके भोजन को सही तरह से पचाने में मदद पहुंचाएगी।2. हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाएकम हीमोग्लोबिन के स्तर कमी होने से एनीमिया, त्वचा का पीला पडऩा, चक्कर आना, कमजोरी जैसी तमाम समस्याएं हो सकती हैं। सौंफ और मिश्री का अगर आप सेवन करते हैं तो आप अपने खून की मात्रा को आसानी से बढ़ा सकते हैं,यह न केवल हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने में मदद करती है, बल्कि शरीर में रक्त परिसंचरण को भी सुधारती है।3. खांसी - जुकाम से राहत दिलायेठंड का मौसम आने से आमतौर पर हर किसी को खांसी और गले में खराश हो जाती है, इसमें इससे राहत के लिए सौंफ और मिश्री को जीवन में शामिल कर लें। माना जाता है कि मिश्री में मौजूद औषधीय गुण और आवश्यक पोषक तत्व इन स्थितियों से तुरंत राहत दिलाने में मदद करते हैं।4. ओरल हेल्थ के लिए फायदेमंदकभी-कभी हम कुछ ऐसी चीजें खातें हैं जिससे मुंह से गंध आने लगती है, तो ऐसे में सौंफ और मिश्री सांस की बदबू दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है, इसके अलावा यह बैक्टीरिया को पनपने से रोकती है।5. दृष्टि के लिए फायदेमंदसौंफ और मिश्री का सेवन आंखों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है और दृष्टि में सुधार करते हैं। इस मिश्रण के नियमित सेवन से न केवल दृष्टि में सुधार हो सकता है।
- हल्दी में कई औषधीय गुण होते हैं। तमाम समस्याओं में भी हल्दी के सेवन या लेप से लोगों को आराम मिलता है। हल्दी में कैल्शियम, फास्फोरस, सोडियम, पोटैशियम और आयरन जैसे कई तत्व मौजूद होते हैं। इसके अलावा हल्दी में एंटीबैक्टीरियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं, जो पाचन क्रिया से लेकर त्वचा की समस्याओं में भी कारगर है। इसके अलावा आप हल्दी का कई प्रकार से उपयोग भी कर सकते हैं। कई तरह की परेशानियों में हल्दी के सेवन से लेकर उसका लेप भी लगाया जाता है। नाभि हल्दी लगाने से आपको कई तरह के लाभ मिलते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं नाभि में हल्दी लगाने के फायदे।1. इंफेक्शन से करे बचावहल्दी में एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो, सर्दियों के मौसम में कई तरह की वायरल बीमारियां और सर्दी-जुकाम ठीक करने में आपकी मदद करता है। नाभि पर हल्दी और सरसों का तेल मिलाकर लगाने पर बीमारियां दूर रहती है। इसके अलावा सर्दी-खांसी में भी जल्दी राहत मिलती है।2. पाचन तंत्र में सहायकपाचन तंत्र शरीर के सबसे जरूरी भागों में से एक है। अगर खाने का सही ढंग से पाचन न हो तो शरीर में कई बीमारियां हो सकती है और हम जानते हैं कि हल्दी में फाइबर की मात्रा भी पाई जाती है। भोजन पचाने के लिए फाइबर एक जरूरी तत्व है। इसलिए पेट दर्द या अपच की स्थिति में आप नाभि पर हल्दी रखकर आराम कर सकते हैं।3. पीरियड्स में दर्द से राहतहम जानते हैं कि नाभि हमारे शरीर का मुख्य केंद्र होता है। कई महिलाओं को पीरियड्स के दौरान असहनीय दर्द और पेट में ऐंठन की शिकायत होती है। ऐसे में आप अगर नाभि में हल्दी का इस्तेमाल करते हैं तो इससे आपको पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द और परेशानी में लाभ मिलेगा।4. पेट में सूजन या घाव होने परअपच या कब्ज के कारण पेट में दर्द या सूजन की समस्या हो रही है तो आप नाभि पर हल्दी और नारियल का तेल मिलाकर लगा सकते हैं। इससे आपको सूजन में भी राहत मिलेगी। इसके अलावा नाभि में घाव होने पर भी आप हल्दी का लेप लगा सकते हैं।5. इम्यूनिटी सिस्टम रखे मजबूतहल्दी में कई एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो, रोगों से लड़कर आपकी इम्यूनिटी को मजबूत बनाते हैं। इसके लिए आप रात में नाभि में हल्दी लगाकर सो सकते हैं। इसके अलावा हल्दी वजन कम करने में भी मदद करता है।कब और कैसे लगाना चाहिए नाभि में हल्दीनाभि में हल्दी हमेशा ऐसे समय लगाए जब आप कम-से-कम 1-2 घंटे आराम करने जा रहे हो ताकि नाभि के द्वारा आपका शरीर हल्दी के गुणों का अवशोषण कर सके। इसके लिए बेहतर होगा कि आप रात में सोते समय नाभि में हल्दी लगाकर आराम करें। हालांकि अगर आप दिन में भी 1-2 घंटे आराम करते हैं तो दिन में नाभि में हल्दी लगाकर सो सकते हैं। इसके अलावा नाभि में हल्दी सरसों या नारियल तेल के साथ लगाएं क्योंकि तेल में मिलाकर लगाने पर हल्दी के गुण त्वचा पर जल्दी काम करेंगे। साथ ही पेट में दर्द की शिकायत होने पर नाभि में हल्दी लगाने के बाद हल्के हाथों से पेट की मालिश भी कर सकते हैं।
- बाजरे को वेट लॉस के लिए बेहद कारगर माना जाता है। साथ ही सप्ताह में दो दिन खाने से आपकी इम्यूनिटी भी बढ़ती है। बाजरा प्रोटीन, फाइबर, मैग्नीशियम, फास्फोरस, फाइबर और आयरन जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है। बाजरा ग्लूटेन फ्री होता है, जो शरीर के लिए फायदेमंद है। आप बाजरे की रोटी के अलावा बाजरे की खिचड़ी भी खाने में शामिल कर सकते हैं। -----आइए, जानते हैं बाजरे की खिचड़ी बनाने की रेसिपी-बाजरे की खिचड़ी बनाने के लिए सामग्री :बाजरा - 1 कपगाजरा (कटी हुई) : 1/2 कपबींस - 1/2 कपमटर - 1/2 कपहरी धुली मूंग दाल - 1/2 कपप्याधज - 1/2 कपहल्दीु - एक चौथाई टेबलस्पूपननमक - 1 टेबलस्पूौनजीरा - 1 टेबलस्पूौनलाल मिर्च - 1 टेबलस्पूपनतेल - 1 टेबलस्पूटनबाजरे की खिचड़ी बनाने की विधि :मूंग दाल धोकर आधे घंटे तक भिगोने के लिए रख दें। बाजरा को धोएं और उसे पानी में एक घंटे के लिए भिगोकर रख दें। प्रेशर कुकर लें और इसमें एक टेबलस्पूकन तेल डालें। इसके बाद एक टेबलस्पूेन जीरा डालें। कटी हुई प्यालज डालकर धीमी आंच पर पकाएं। प्याबज के हल्का भूरा होने पर इसमें गाजर डालें। अब कटे हुए बींस और मटर डालें। अच्छी तरह से मिक्सम करें। हल्काट पकने के बाद इसमें मूंग दाल के साथ उसका पानी भी डाल दें। अब प्रेशर कुकर में बाजरे के साथ उसका पानी भी डाल दें। इसमें थोड़ा और पानी डालकर इसे उबाल लें। अब 1 टेबलस्पूलन नमक, लाल मिर्च और हल्दीड पाउडर डाले। खिचड़ी जैसा गाढ़ापन लाने के लिए इसमें थोड़ा और पानी डालें। अब प्रेशर कुकर का ढक्कैन ढक दें। प्रेशर कुकर में तीन से चार सीटियां लगने दें। 10 मिनट के लिए ठंडा होने दें। दही के साथ गरमागरम खिचड़ी सर्व करें।
- बच्चों को खाना खिलाना किसी चैलेंज से कम नहीं है। खासकर सर्दियों में बच्चे स्नैक्स खाना ज्यादा पसंद करते हैं लेकिन फिर भी बच्चों की पसंद और नापसंद का ख्याल रखते हुए सिर्फ उन्हें स्नैक्स या अनहेल्दी चीजें नहीं खिला सकते। ऐसी कई हेल्दी चीजें हैं, जो बच्चों को विंटर में खिला सकते हैं। ये चीजें सिर्फ हेल्दी ही नहीं टेस्टी भी होगी।शकरकंदीशकरकंदी यानी स्वीट पौटेटो की कई रेसिपीज बच्चों को बेहद पसंद आती है। आप बच्चों को शकरकंदी ऑलिव ऑयल में फ्राई करके इसे चीज या फिर पनीर के साथ खिला सकते हैं।चुकंदरआमतौर पर बच्चों को चुकंदर पसंद नहीं आता। ऐसे में विंटर में सबसे बड़ी चुनौती है, बच्चों को चुकंदर खिलाना। बच्चों को चुकंदर खिलाने के लिए आपको चुकंदर की स्मूदी बनाती है या फिर चुकंदर के कप केक भी बहुत स्वादिष्ट लगते हैं।सेलमन फिशमछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड, प्रोटीन जैसे कई पोषक तत्व होते हैं। इसे खाने से बच्चों की आंखों की रोशनी तेज होती है। इसके अलावा बच्चोंं का दिमाग तेज होता है और इम्यूनिटी मजबूत होती है।गर्म दूधबच्चों को हमेशा गर्म दूध ही पिलाना चाहिए। गर्म दूध पीने से बच्चों को नींंद बहुत अच्छी आती है और अगले दिन बच्चा एक्टिव रहता है। बच्चा अगर दूध नहीं पीता, तो इसमें दो बादाम पीसकर डाल दें या फिर चॉकलेट डालकर बच्चे को गर्म दूध दें।बाजरे की रोटीबच्चों को बाजरे की रोटी जरूर खिलाएं। बाजरे में गेहूं की रोटी से भी ज्यादा पोषक तत्व होते हैं। आप बाजरे की रोटी को दही या फिर अचार के साथ खिला सकते हैं। बाजरा प्रोटीन, फाइबर, मैग्नीशियम, फास्फोरस, फाइबर और आयरन जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है।अंडेप्रोटीन की पूर्ति करने के लिए बच्चों को उबले अंडे जरूर खिलाएं। खासकर बढ़ते बच्चों को अंडे जरूर खिलाएं, इससे उनकी ग्रोथ अच्छी होती है और वे विंटर में सर्दी-जुकाम से भी बचे रहते हैं।
- शरीर के संपूर्ण पोषण के लिए स्वस्थ और पौष्टिक आहार का सेवन करना सबसे महत्वपूर्ण माना जात है। विशेषकर सर्दियों के मौसम में, जब तापमान में तेजी से गिरावट आ रही होती है, ऐसे में हमें उन चीजों के सेवन को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए जो शरीर को अंदरूनी गर्मी और ऊर्जा प्रदान करने में सहायक हों। आयुर्वेद विशेषज्ञों के मुताबिक सर्दियों के इस मौसम में सभी लोगों को रोजाना गुड़ का सेवन जरूर करना चाहिए। गुड़ खाना, हमारे स्वास्थ्य के लिए विशेष लाभदायक हो सकता है। गुड़ कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, पोटेशियम और फास्फोरस से भरपूर होता है, जिसकी नियमित रूप से एक नियत मात्रा में शरीर को आवश्यकता होती है। अध्ययनों से पता चलता है कि गुड़ में विटामिन बी, कुछ मात्रा में प्रोटीन और फाइटोकेमिकल्स तथा एंटीऑक्सिडेंट भी होते हैं। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि गुड़ खाने से, खासकर सर्दियों के मौसम में, कई संभावित लाभ होते हैं। आइए आगे की स्लाइडों में गुड़ खाने से सेहत को होने वाले ऐसे ही कुछ फायदों के बारे में जानते हैं।शरीर को करता है डिटॉक्सफूड केमिस्ट्री जर्नल में प्रकाशित साल 2009 के एक अध्ययन के अनुसार, गुड़ में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट और खनिज इसे साइटोप्रोटेक्टिव गुण देते हैं, जिसका अर्थ है कि यह न केवल फेफड़ों से बलगम को साफ कर सकता है बल्कि श्वसन और पाचन तंत्र को अंदर से भी साफ करने में भी सहायक है। रोजाना गुड़ खाने से पूरे शरीर को डिटॉक्स करने में मदद मिल सकती है।पेट के लिए फायदेमंद है गुड़आमतौर पर खाने के बाद मिठाई के रूप में गुड़ का सेवन करना सेहत के लिए फायदेमंद हो सकता है। यह आंतों को स्वस्थ रखने के साथ पाचन एंजाइमों को बढ़ाने में मदद करता है। अध्ययनों से पता चलता है कि जिन लोगों को अक्सर कब्ज और अन्य पाचन संबंधी समस्याएं बनी रहती हैं उनके लिए गुड़ खाना फायदेमंद हो सकता है।इम्यूनिटी को बढ़ाने में मददगारस्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक कोई भी भोजन जो पोषक तत्वों से भरा हो और शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करता है, वह आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए भी बेहतर हो सकता है। यही कारण है कि गुड़ को प्रतिरक्षा-बढ़ाने वाले सर्वोत्तम खाद्य पदार्थों में से एक माना जाता है। सर्दियों के दौरान गुड़ का अधिक सेवन किया जाता है। यह शरीर को ठंडक, फ्लू और अन्य बीमारियों को दूर रखने में मदद करने के साथ प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने में भी सहायक है।
- पिछले एक-दो दशकों में जीवनशैली और आहार में गड़बड़ी के कारण लोगों में तमाम तरह की गंभीर बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ता जा रहा है। इसमें भी हृदय रोगों के मामले सबसे अधिक देखे जा रहे हैं, स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसे दुनियाभर में मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक मानते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक कोलेस्ट्रॉल, विशेषकर बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर का बढ़ना, हृदय रोगों के खतरे को बढ़ा देता है। अगर कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल कर लिया जाए तो न सिर्फ हृदय रोगों से बचा जा सकता है, साथ ही आप स्वस्थ और लंबी जिंदगी जीने का सपना भी पूरा कर सकते हैं। इस बीच हाल ही में प्रकाशित हुए एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने एक खास पेय पदार्थ ग्रीन-टी के बारे में बताया है जिसे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखने में बेहद कारगर माना जा रहा है। जर्नल ऑफ़ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन में प्रकाशित इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने ग्रीन-टी के सेवन को स्वास्थ्य के लिए विशेष फायदेमंद बताया है। आइए इस अध्ययन के बारे में विस्तार से जानते हैं।एंटीऑक्सिडेंट्स का खजाना है ग्रीन-टीअध्ययनकर्ताओं के मुताबिक स्वस्थ और लंबी जिंदगी जीने का सपना देखने वाले लोगों को उन चीजों का सेवन अधिक करना चाहिए जिसमें एंटीऑक्सिडेंट्स की मात्रा ज्यादा होती है। एंटीऑक्सिडेंट्स, शरीर से विषाक्तता को कम करने के साथ कैंसर और हृदय रोगों के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं। वहीं ग्रीन टी में पाए जाने वाले एंटीऑक्सिडेंट्स, अन्य खाद्य और पेय पदार्थों की तुलना में अधिक प्रभावी माने जाते हैं।हृदय रोगों के कारण मौत का खतरा होगा कमजापान के ओहसाकी अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया कि ग्रीन टी का सेवन, हृदय रोगों के कारण होने वाली मृत्यु दर को कम करने में सहायक है। 11 साल तक किए गए इस अध्ययन में 40-79 की आयु वाले 40 हजार से अधिक लोगों को शामिल किया गया। इसमें पाया गया कि जिन प्रतिभागियों ने प्रतिदिन कम से कम पांच कप ग्रीन टी पी थी, उनमें हृदय रोगों के कारण मृत्यु दर का जोखिम अन्य की तुलना में कम था।पॉलीफेनोल्स, शरीर के लिए बहुत फायदेमंदइंटरनेशनल जर्नल ऑफ कार्डियोलॉजी द्वारा प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में भी ग्रीन टी के सेवन को कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों को कम करने में विशेष लाभदायक बताया गया। अध्ययन में बताया गया कि ग्रीन टी में पॉलीफेनोल्स होते हैं जो रक्तचाप और सूजन को कम करने के साथ बैड कोलेस्ट्रॉल और शरीर से विषाक्तता को घटाने में सहायक हैं। इसके अलावा ग्रीन टी पीने वाले लोगों में मधुमेह का खतरा भी कम पाया गया है।क्या है अध्ययन का निष्कर्ष?अध्ययन के निष्कर्ष में वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्रीन-टी का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक हो सकता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स और अन्य पोषक तत्व शरीर को तमाम तरह की गंभीर बीमारियों के खतरे से बचा सकते हैं, जिससे न सिर्फ आप रोग मुक्त होते हैं, साथ ही यह आदत आपको दीर्घायु बनाने में भी सहायक है। हालांकि एक दिन में ग्रीन-टी का बहुत अधिक सेवन करना भी सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है, इसको लेकर सावधानी बरतने की आवश्यकता है।