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- लोहड़ी का त्योहार इस बार 13 जनवरी को मनाया जाएगा। इस त्योहार पर खीर बनाने की परंपरा है। जिसे अगले दिन खाया जाता है। चलिए इस बार लोहड़ी में कुछ अलग ट्राई करते हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं मखाने और चिरौंजी से बनी खीर की रेसिपी, जो स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहत के लिए भी फायदेमंद है। आप ये खीर किसी भी त्योहार में बना सकते है। फलाहारी के रूप में यह खीर चाव से खाई जाती है।सामग्री- खीर बनाने के लिए जरूरत होगी दूध एक लीटर, मखाना सौ ग्राम, चिरौंजी 50 ग्राम, मनचाहे ड्राई फ्रूट्स और चीनी की बजाय गुड़। गुड़ से इस खीर का स्वाद बिल्कुल अलग आता है। आप चाहे तो इसमें शक्कर भी डाल सकते हैं।मखाने की खीर बनाने के लिए एक मोटे तले के बर्तन में दूध गर्म करें। जब इसमे उबाल आ जाए तो गैस को धीमी कर कुछ देर तक पका लें। अब इसमे मखाने को छोटे टुकड़ों में काटकर डालें। साथ में चिरौंजी भी डाल दें। अब मखाने और चिरौंजी मिले दूध को अच्छी तरह से पकाएं। जब ये गाढ़ा हो जाए तो इस दूध में गुड़ को डाल दें। ध्यान रहे कि गुड़ को छोटे टुकड़ों में करके डालें। जिससे कि घुलने में आसानी हो। साथ में दूध को चलाते रहें। सबसे आखिर में इस खीर में अपने मनपसंद ड्राई फ्रूट्स को काटकर डाल दें। तैयार है मखाने की खीर, बस इसे गर्मागर्म या फिर ठंडा कर परोंसे। आप चाहें तो सजावट के लिए ऊपर से भी ड्राई फ्रूट्स डाल सकती हैं।यदि आप शक्कर का इस्तेमाल कर रही हैं, तो इसमें केसर अवश्य डालें। इससे खीर में रंग भी अच्छा आता है और स्वाद भी बढ़ जाता है।मखाने में कैलोरी बहुत कम होती है और फाइबर काफी अच्छी मात्रा में पाया जाता है। इसका सेवन किडनी और दिल की सेहत के लिए फायदेमंद है। इससे आपकी शारीरिक कमजोरी दूर होती है और शरीर में तुरंत एनर्जी आती है। मखाना कैल्शियम से भरपूर होता है इसलिए हड्डियों के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
- जीवनशैली की गड़बड़ी के कारण लोगों में तमाम तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ गया है। आर्थराइटिस या गठिया की समस्या भी इसी तरह की है। आर्थराइटिस में जोड़ों में सूजन और तेज दर्द की दिक्कत होती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक चोट, मोटापा, ऑटोइम्यून विकार, जीन या पारिवारिक इतिहास और मांसपेशी में कमज़ोरी जैसी स्थितियां गठिया रोग के जोखिम को बढ़ा देती हैं।डॉक्टर्स के मुताबिक जिन लोगों को गठिया की समस्या होती है उन्हें अपने सेहत के विशेष देखभाल की जरूरत होती है। आइए आगे की स्लाइडों में जानते हैं, गठिया से पीडि़त रोगियों को क्या चीजें नहीं करनी चाहिए, जिससे दर्द और सूजन को रोकने में मदद मिल सके।गतिहीन जीवन शैली है नुकसानदायकगठिया के रोगी सामान्यतौर पर दर्द के डर के कारण ज्यादा चलते या काम नहीं करते हैं, जिससे शरीर को निष्क्रियता बढ़ जाती है। हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस तरह की सेडेंटरी लाइफस्टाइल को काफी नुकसानदायक मानते हैं। डॉक्टर्स के मुताबिक ऐसे रोगियों को डॉक्टर की सलाह पर हल्के-फुल्के व्यायाम, वॉकिंग जैसे अभ्यास करते रहने चाहिए। गतिहीन जीवन आपकी दिक्कतों को और बढ़ा सकती है।अस्वास्थ्यकारी आहार से रहें दूरआप भी सोच रहे होंगे कि आखिर आहार का गठिया से क्या संबंध है? डॉक्टर्स बताते हैं, यदि किसी व्यक्ति को गठिया है आपको पौष्टिक भोजन का सेवन अधिक से अधिक करना चाहिए। इससे शरीर का वजन नियंत्रित रहता है और गठिया की जटिलताएं कम होती हैं। शरीर का वजन अधिक होने से जोड़ों पर अधिक तनाव पड़ता है जिसके कारण जोड़ों में दर्द और सूजन बढ़ सकती है।धूम्रपान की आदत है नुकसानदायकस्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक जिन लोगों को गठिया की समस्या हो, उन्हें धूम्रपान से तुरंत दूरी बना लेनी चाहिए। अप्रैल 2019 में द जर्नल ऑफ रुमेटोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार धूम्रपान जोड़ों में सूजन की समस्या को बढ़ा सकता है। इसके अलावा, आर्थराइटिस फाउंडेशन के अनुसार, धूम्रपान हड्डियों के द्रव्यमान को कम कर देता है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
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दूध में मौजूद कैल्शियम व अन्य पोषक तत्व हमारी बॉडी को हेल्दी रखने में मददगार होते हैं. बच्चे ही क्या बड़ों को भी इसके रोजाना सेवन की सलाह दी जाती है. ज्यादातर घरों में ये तक कहा जाता है कि जो बच्चा रोजाना दूध पीता है वो हमेशा हेल्दी और एक्टिव रहता है. देखा जाए तो ये सच भी है. लेकिन दूध के साथ किन चीजों का सेवन किया जाए हमें इसकी जानकारी भी होनी चाहिए. अधिकतर मामलों में लोग आजकल दूध के साथ किसी भी तरह की चीजों का सेवन करते हैं, लेकिन ऐसा करने से दूध फायदा करने के बजाय शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है.
हम आपको ऐसी ही चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें अगर दूध के साथ खाया जाए तो ये सेहत पर बुरा प्रभाव डालती हैं. इन चीजों का दूध के साथ किसी भी सूरत में सेवन नहीं किया जाना चाहिए. जानें इन चीजों के बारे में….
मूली
ऐसा देखा गया है कि लोग नाश्ते में मूली की सब्जी के साथ पराठे खाकर तुरंत दूध पीना पसंद करते हैं. लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो इससे दूध जहरीला हो सकता है. इस कारण स्किन से जुड़े रोग भी हो सकते हैं. सलाह दी जाती है कि मूली खाने के करीब 2 घंटे बाद दूध का सेवन करना चाहिए.
उड़द की दाल
उड़द ही क्या दूध के साथ किसी भी तरह के दाल के सेवन से बचना चाहिए. खासतौर पर इनमें नमक या अम्लीय पर्दाथ मिला हो तो दूध बिल्कुल नहीं पीना चाहिए. आजकल लोग अंकुरित दाल खाने के बाद दूध पीने की गलती कर रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक ये कदम हानिकारक साबित हो सकता है. कहा जाता है कि दूध के साथ उड़द की दाल खाने से दिल के दौरे का खतरा बढ़ जाता है.
नमकीन चीजें
दूध और खटाई का बैर हम सभी जानते हैं. इसके बावजूद कई लोग नमकीन नाश्ता करके दूध पी जाते हैं. या फिर रात का खाना खाने के बाद तुरंत दूध पीना पसंद करते हैं. आयुर्वेद के मुताबिक इस कारण दूध विषैला हो सकता है और इससे स्किन की प्रॉब्लम भी हो सकती है.
फल
जिन फ्रूट्स की तासीर खट्टी होती है उनका सेवन भी दूध के साथ नहीं किया जाना चाहिए. खटास के कारण दूध की प्रवृति विषैली हो सकती है. वैसे केले से साथ भी दूध का सेवन ठीक नहीं होता. दूध और केले को साथ खाने से कफ की समस्या बनती है और इससे पाचन क्रिया पर भी असर पड़ता है. -
कोरोना के कारण ज्यादातर लोगों को घर से ही अपनी प्रोफेशनल लाइफ को रन करना पड़ रहा है. इस वजह से व्यक्ति का एक्टिव रहना थोड़ा कम हो गया है और अन्य बीमारियां भी उन्हें चपेट में ले रही हैं. इन्हीं बीमारियों में से एक है यूरिक एसिड. इसकी वजह कई हैं, लेकिन अहम कारण हमारा खानपान है. देखा जाए तो यूरिक एसिड (Uric Acid) की समस्या आजकल आम हो गई है. 30 की उम्र पार कर चुके लोगों में ये बीमारी को ज्यादा देखी जा रही है. यूरिक एसिड के बढ़ जाने से शरीर में जोड़ों में दर्द, सूजन, और गठिया की समस्या हो जाती है.
इतना ही नहीं ये किडनी की कार्य क्षमता को भी प्रभावित करता है. यहां तक कि ये खून और यूरिन को काफी एसिडिक भी बना सकता है. वैसे तो यूरिक एसिड की समस्या होने पर डॉक्टर की सलाह लेना ही जरूरी माना जाता है, लेकिन कुछ घरेलू नुस्खों की मदद से इससे काफी हद तक निजात पाया जा सकता है. जानें वो घरेलू नुस्खे
पानी
पानी शरीर के जुड़ी हर समस्या के लिए रामबाण का काम करता है. ज्यादा से ज्यादा पानी से बॉडी से हानिकारक तत्व बाहर निकलते हैं और किडनी भी बेहतर काम करने लगती है. इसलिए आज से ही ज्यादा से ज्यादा पानी पीने का रूटीन बनाएं.
प्यूरीन वाले फूड्स न खाएं.
माना जाता है कि यूरिक एसिड का निर्माण प्यूरीन युक्त खाद्य पदार्थों की पाचन प्रक्रिया के दौरान होता है. प्यूरीन मटर, पालक, मशरूम, सूखे सेम, पोर्क, मुर्गा, मछली, मटन, फूल गोभी, राजमा और बीयर आदि में पाया जाता है. इसलिए इन फूड्स को कम मात्रा में ही खाएं.
अलसी
कई मायनों में शरीर के लिए फायदेमंद मानी जाने वाली अलसी भी यूरिक एसिड की समस्या से निजात पाने में कारगर है. रात भी अलसी को भिगोने के बाद सुबह खाली पेट इसे चबा-चबाकर खाएं. इससे यूरिक एसिड कंट्रोल में रहेगा.
ऑलिव ऑयल
ऑलिव ऑयल में विटामिन ई भरपूर मात्रा में मौजूद होता है और इसका सेवन यूरिक एसिड को कंट्रोल करने में मदद करता है. हालांकि सलाह दी जाती है कि हद से ज्यादा ऑलिव ऑयल का सेवन न करें.
एक्सरसाइज
बॉडी को हेल्दी रखने के लिए एक्सरसाइज जरूर करनी चाहिए. अगर आप नियमित रूप से एक्सरसाइज करते हैं तो इससे भी यूरिक एसिड को कंट्रोल में रखने में मदद मिलती है. अगर एक्सरसाइज करने में दिक्कत है, तो सुबह-सुबह वॉक पर जरूर जाएं. ऐसा करने से शरीर की दूसरी परेशानियां आपसे दूर रहेंगी. - गुड़ और घी का कॉम्बिनेशन सुपरफूड की तरह काम करता है। आयुर्वेद के अनुसार गुड़ और घी को साथ में लेने से कई तरह की स्वास्थ्यगत समस्याएं दूर होती हैं। गुड़ और घी का मिक्सचर इम्यूनिटी बढाऩे, हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है। इससे खून की कमी भी दूर होती है। सर्दियों में गुड़ और घी खाना अधिक लाभदायक माना जाता है। इसे खाने से आप हमेशा फिट और हेल्दी रह सकते हैं।गुड़ में मौजूद पोषक तत्वगुड़ में आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम, मैंगनीज, जिंक और सेलेनियम काफी अधिक मात्रा में पाया जाता है।घी में मौजूद पोषक तत्वघी विटामिन ए, विटामिन ई और विटामिन डी से समृद्ध होता है। इसके अलावा इसमें फैटी एसिड भी पाया जाता है। आयुर्वेद में गाय के देसी घी को सबसे श्रेष्ठ माना गया है।गुड़ और घी खाने के फायदे1. हड्डियां मजबूत बनाएगुड़ और घी को साथ में खाने से हड्डियां मजबूत होती हैं। गुड़ में कैल्शियम होता है। वही घी में विटामिन के2 होता है, जो हड्डियों में कैल्शियम को अवशोषित करने में मदद करता है। इससे हड्डियां मजबूत बनती हैं। शारीरिक कमजोर को दूर करने के लिए भी इस कॉम्बिनेशन का उपयोग किया जा सकता है। गुड़ और घी खाने से हड्डियों, जोड़ों में दर्द की समस्या नहीं होती है। यह हड्डियां मजबूत बनाने का आसान उपाय है।2. पेट के लिए फायदेमंदगुड़ और घी का कॉम्बिनेशन पेट की समस्याओं को दूर करने में काफी फायदेमंद होता है। गुड़ और घी साथ में लेने से कब्ज की समस्या दूर होती है। गुड़ और घी मल त्याग को आसान बनाता है और कब्ज से राहत दिलाता है। पीरियड्स के दर्द से राहत पाने के लिए भी गुड़ और घी का सेवन किया जा सकता है। इससे एसिडिटी में भी आराम मिलता है।3. खून साफ करेगुड़ को एक अच्छा ब्लड डिटॉक्सीफायर भी कहा जाता है। इसलिए इसे त्वचा के लिए अच्छा माना जाता है। गुड़ और घी साथ में लेने से त्वचा हेल्दी बनती है। इससे शरीर में मौजूद टॉक्सिंस आसानी से निकल जाते हैं, त्वचा में निखार आता है।4. मूड ठीक करे गुड़ और घी कॉम्बिनेशनगुड़ और घी साथ में लेने से मूड भी ठीक होता है। इसे खाने से स्ट्रेस, तनाव और टेंशन दूर होती है। आप चाहें तो स्ट्रेस फ्री होने के लिए गुड़ और घी का सेवन कर सकते हैं। यह मूड स्विंग को भी ठीक करता है।5. एनीमिया से राहतएनीमिया यानी शरीर में खून की कमी। गुड़ में आयरन होता है, इसलिए यह खून की कमी को दूर करता है। एनीमिया से पीडि़त महिलाओं को गुड़ और घी का साथ में सेवन जरूर करना चाहिए। इससे शरीर में खून की पूर्ति होगी।गुड़ और घी खाने का तरीकाअधिकतर लोगों के मन में सवाल होता है कि आखिर गुड़ और घी कब खाना चाहिए? गुड़ और घी सेहत के लिए कई मायनों में फायदेमंद होता है। आप दोपहर का भोजन करने के लिए गुड़ और घी का साथ में सेवन कर सकते हैं। यानी लंच के बाद गुड़ और घी खाया जा सकता है। इसके लिए आप एक चम्मच देसी गाय का घी लें। इसमें एक टुकड़ा गुड़ डालें। अब इस कॉम्बिनेशन को लंच के 10 मिनट बाद खा लें। इससे आपकी इम्यूनिटी बढ़ेगी, आप जल्दी से बीमार नहीं पड़ेंगे। गुड़ और घी सर्दी-जुकाम और खांसी से भी राहत दिलाता है। गुड़ की तासीर गर्म होती है, इसलिए सर्दियों में इसका सेवन करना अधिक फायदेमंद माना जाता है।नोट- किसी बीमारी का सामना करने वाले व्यक्ति डॉक्टर की सलाह पर ही इनका सेवन करें। डायबिटीज रोगी बिना डॉक्टर की सलाह के गुड़ का सेवन करने से बचें।---
- सर्दी के मौसम में ज्यादातर लोग टमाटर का सूप पीना पसंद करते हैं। इसकी वजह एक तो ये काफी स्वादिष्ट होता है और इसे बनाना काफी आसान है। आप टमाटर सूप से बोर हो गए हैं, तो इस सर्दी में आप कुछ नया ट्राई कर सकते हैं। हम आपको कुछ ऐसे सूप बताने जा रहे हैं, जो हेल्दी तो हैं ही, साथ ही उनका स्वाद भी लाजवाब है।पत्ता गोभी सूपपैन में तेल लें और इसमें पत्ता गोभी को थोड़ा सा फ्राई करें । इसमें मटर, हरा प्याज व अन्य को मिला लें । साथ ही नमक भी स्वाद अनुसार डालें । अब इसमें दो गिलास पानी डालें और पकने दें । इस बीच इसमें थोड़ा सा कॉर्न फ्लोर भी जोड़ लें । आपका सूप 30 मिनट में तैयार हो जाएगा। काली मिर्च के साथ गर्म-गर्म परोसें।गाजर का सूपइसे बनाना भी काफी आसान ह। एक बर्तन में तेल लें और उसमें गाजर के टुकड़े समेत मटर, हरा प्याज, लहसुन और अदरक डालें। इन्हें गर्म होने के लिए धीमी आंच पर गैस पर रखें। इसमें 2 टेबल स्पून कॉर्न स्टार्च मिलाना न भूलें। नमक भी स्वाद अनुसार मिलाएं। अब पानी डालें और इसे पकाएं। कुछ देर में आपका सूप तैयार हो जाएगा।मशरूम सूपएक बर्तन में तेल डालें और उसमें कुछ कटा हुआ हरा प्याज, अजवाइन, फूलगोभी, प्याज, लहसुन जोड़ें। इसमें एक कप कटा हुआ मशरूम डालें। डायजोन सरसों के 1 बड़े चम्मच, वनस्पति स्टॉक के 2 कप, 1 बड़ा चम्मच बलसैमिक विनेगर और 1 बड़ा चम्मच अजवाइन डालें। 20 मिनट तक इन्हें पकाएं। स्मूथ होने तक ब्लेंड करें और थोड़ा नमक और काली मिर्च के साथ सर्व करें।कॉर्न सूपएक बर्तन में, 1 कप कॉर्न, आधा कप कॉर्न और 2 कप वेजिटेबल स्टॉक (कुछ कटे हुए प्याज, अजवाइन, गाजर, अजवायन के फूल, लहसुन और अजमोद को नमक के साथ तेल में मिलाकर 30 मिनट के लिए पानी में उबालें)। मध्यम आंच पर 20-25 मिनट तक इन्हें पकाएं। एक पैन में, कुछ कटा हुआ प्याज भूनें और इसमें 1 बड़ा चम्मच मिसो डालें। मकई मिक्सचर जोड़ें और कुछ मिनट के लिए इन्हें पकाएं। इस मिश्रण और स्ट्रेन को ब्लेंड करें। थोड़ा सा नमक और काली मिर्च के साथ इसे गरमा-गरम परोसें।
- अकसर आपने सुना होगा कि सुबह उठकर गर्म पानी पीना सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है। इससे न केवल मेटाबॉलिज्म के कार्य में सुधार आ सकता है बल्कि इम्यूनिटी भी मजबूत बनती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रात को सोने से पहले गर्म पानी पीना भी सेहत के लिए बेहद उपयोगी है। इससे शरीर को कई लाभ मिलते हैं।1 - विषाक्त पदार्थ हों दूररात को सोने से पहले गर्म पानी का सेवन करता है तो ऐसा करने से उसके शरीर का आंतरिक तापमान बढ़ सकता है, जिससे उसे पसीना आज सकता है और रक्त संचार बेहतर बन सकता है। यह प्रक्रिया शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में उपयोगी साबित हो सकती है।2 - पाचन क्रिया होती है तंदुरुस्तयदि व्यक्ति रात को सोने से पहले गर्म पानी का सेवन करता है तो इससे कमजोर पाचन तंत्र में मजबूती आ सकती हैं। गर्म पानी ना केवल आंतों के लिए उपयोगी है बल्कि कब्ज, गैस आदि पेट से संबंधित समस्याओं को दूर करने में भी बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है। इसके अलावा रात को गर्म पानी पीने से खाना जल्दी पच सकता है।3 - मानसिक स्वास्थ्य हो बेहतरयदि व्यक्ति रात को सोने से पहले गर्म पानी का सेवन नियमित रूप से करता है तो ऐसा करने से न केवल तनाव की समस्या दूर हो सकती है बल्कि अवसाद यानी डिप्रेशन की समस्या से भी राहत मिल सकती है। बता दें कि जिस व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होगा तो इससे उसका मूड भी फ्रेश बना रह सकेगा।4 - वजन घटाने में है उपयोगीआज के समय में लोग अपने बढ़ते वजन से काफी परेशान है। ऐसे में मोटापे की समस्या से पेरशान लोगों को बता दें कि यदि वह रात को सोने से पहले गर्म पानी का सेवन करते हैं तो इससे शरीर की अतिरिक्त चर्बी को दूर किया जा सकता है। गर्म पानी पीने से व्यक्ति की पाचन क्रिया तंदुरुस्त रह सकती है। ऐसे में हम कह सकते हैं कि व्यक्ति का वजन भी नियंत्रित रह सकता है।5 - बेहतर आती है नींदयदि आपको अनिद्रा की समस्या है या आप नींद की कमी से परेशान हैं तो आपको बता दें कि रात को सोने से पहले गर्म पानी का सेवन आपकी इस समस्या को दूर करने में उपयोगी है। जैसा कि हमने पहले भी बताया कि रात को सोने से पहले यदि गर्म पानी का सेवन किया जाए तो डिप्रेशन और तनाव दोनों से दूर रहा जा सकता है। ऐसे में व्यक्ति को बेहतर नींद भी आ सकती है।नोट - ज्यादा तेज गर्म पानी भी सेहत के नुकसान भी हो सकता है। ऐसे में रात को सोने से पहले गुनगुने पानी का ही सेवन करें। इससे अलग यदि आपको सेहत से जुड़ी कुछ समस्या है या आप कोई स्पेशल डाइट फोलो कर रहे हैं तो अपनी डाइट में गुनगुने पानी को जोडऩे से पहले एक बार एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।
- अजवाइन का पराठा उन लोगों के लिए बेहद हेल्दी है जो कि सुबह गैस बनने के कारण नाश्ते से बचते हैं। जानते हैं इसकी रेसिपी और फायदे।-अजवाइन का पराठा बनाने के लिए सबसे पहले 2 कटोरी आटा लें।-इसमें कटी हुई बारीक अजवाइन के पत्ते डालें या फिर 2 चम्मच अजवाइन के बीज डालें।-एक छोटा चम्मच नमक, 2 चम्मच देसी घी डालें।-आप चाहें तो इसमें स्वाद के लिए बारीक कटी हुई प्याज, हरी मिर्च और लहसुन भी डाल सकते हैं।-अब रोटी के जैसा आटा तैयार करते हैं, वैसे ही इस पराठे का आटा तैयार कर लें और अब छोटी-छोटी लोई बनाएं और फिर इससे पराठा बनाएं। इसे चटनी और दही के साथ खाएं।अजवाइन पराठा खाने के फायदे1. सर्दियों में शरीर गर्म रखता हैसर्दियों में अजवाइन का पराठा खाना बेहद ही फायदेमंद है। इसलिए कि इसकी तासीर गर्म होती है जो सर्दियों में शरीर को गर्म रखने का काम करता है। दूसरा कि इसका एंटीऑक्सीडेंट गुण इम्यूनिटी बूस्ट करता है और शरीर को मौसमी संक्रमण से बचाने में मददगार है। अजवाइन बलगम को आसानी से बाहर निकालकर बंद नाक की समस्या से बचाव में मदद करता है। साथ ही ये अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी सांस की बीमारियों के मरीजों के लिए भी फायदेमंद है।2. गैस और बदहजमी की समस्या को दूर करता हैगैस और बदहजमी के लिए अजवाइन हमेशा से ही एक कारगर उपाय रहा है। ऐसे में जिन लोगों को सुबह उठते ही गैस और रात के खाने के कारण बदहजमी की समस्या हो जाती है उनके लिए अजवाइन के पराठे खाना बेहद ही फायदेमंद है। पहले तो इसे खाने से आपके पाचक एंजाइम्स एक्टिवेट हो जाते हैं और आसानी से खाना पचाने में मदद करते हैं। उसके बाद ये पेट के पीएच को बैलेंस करता है और मेटाबोलिज्म को ठीक करने में मदद करता है। इस तरह से गैस और ब्लॉटिंग की समस्या को दूर करता है।3. प्रेग्नेंसी में मतली दूर करता हैप्रेग्नेंसी में अजवाइन के पराठे बहुत ही फायदेमंद है। दरअसल, प्रेग्नेंसी में महिलाओं को मॉर्निंग सिकनेस हो जाती है। इसमें अक्सर मतली और उल्टी महसूस होती है। अजवाइन के पराठे का स्वाद टेस्ट बड को बेहतर बना कर इसे रोकता है। साथ ही ये प्रेग्नेंसी में गैस की समस्या को भी दूर करता है। बस ध्यान रहे कि आपको इसे ज्यादा नहीं खाना है। बस एक या दो पराठे खाएं।अजवाइन के एक पराठे में लगभग 70 से 80 कैलोरी होती है जो कि नाश्ते के लिए पर्याप्त है। इसे वजन घटाने वाले लोग भी आराम से खा सकते हैं और डायबिटीज में भी ये फायदेमंद है। ऐसा इसलिए कि अजवाइन के पत्ते या बीज ब्लड शुगर को रेगुलेट करने में मदद करते हैं। इसके अलावा जिन लोगों को सर्दियों में जोड़ों के दर्द या फिर गठिया की समस्या ज्यादा महसूस होती है उनके लिए भी अजवाइन के पराठे खाने बेहद ही फायदेमंद है। तो, अगर आपने आज तक अजवाइन के पराठे नहीं खाएं हैं तो, आपको इसे एक बार जरूर ट्राई करना चाहिए।
- स्वस्थ जीवन जीने के लिए अच्छी नींद लेना बहुत महत्वपूर्ण है। आज के समय में ज्यादातर लोग यही शिकायत करते मिलते हैं कि उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती। दफ्तर हो या घर या फिर स्कूल कॉलेज, यह शिकायत हर उम्र-वर्ग में आम है। यहां तक कि नींद लाने की तमाम सर्वोत्तम व्यवस्थाएं भी इस शिकायत को दूर नहीं कर पातीं। सुबह उठने के बाद इंसान खुद को तरोताजा महसूस नहीं करता और फिर पूरे दिन इसका बुरा असर उसके रूटीन पर बना रहता है।नींद की कमी का सीधा असर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ सकता है। भरपूर नींद मतलब पूरे शरीर सहित दिमाग की सेहत का भी दुरुस्त रहना। खासकर कोरोना के दौर में इम्युनिटी को बनाए रखने और कोरोना से रिकवरी में भी नींद की भूमिका अहम है, इसलिए जरूरी है कि नींद पूरी करने पर विशेष ध्यान दिया जाए, हालांकि हो इसका उल्टा रहा है। डॉक्टर के पास ऐसे पेशेंट्स की भीड़ बढ़ रही है जो अनिद्रा या नींद में बाधा आने जैसी तकलीफों से जूझ रहे हैं।कोरोना और गैजेट्स ने समस्या को कर दिया है दोगुनाकई शोध यह साबित कर चुके हैं कि इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स जैसे कि लैपटॉप, मोबाइल, टीवी, टैबलेट्स आदि का अधिक उपयोग नींद पर बुरा असर डालता है। कोरोनाकाल में न केवल इस उपयोग में कई प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, बल्कि हर उम्र और वर्ग ने देर रात तक जागकर स्क्रीन टाइम को खूब बढ़ाया भी है। इसका नतीजा बच्चों की आंखों पर चढ़े चश्मे और सबकी नींद के रूटीन को हुए नुकसान के रूप में सामने आया है। कुल मिलाकर अच्छी और भरपूर नींद न ले पाने वालों का प्रतिशत कई गुना बढ़ चुका है और अनिद्रा जैसी समस्याएं आम हो रही हैं।अच्छी नींद का मतलब क्या है?एक स्वस्थ वयस्क व्यक्ति को सामान्यतः 7-8 घंटे की नींद लेनी चाहिए लेकिन नींद की यह अवधि व्यक्ति की अन्य कई स्थितियों पर भी निर्भर करती है। यही कारण है कि कुछ लोग 4 घंटे की नींद के बाद भी तरोताजा महसूस करते हैं, तो कुछ लोगों के लिए 9 घंटे की नींद भी अपर्याप्त होती है। बच्चों के लिए यह अवधि 10-12 घंटे की हो सकती है और बुजुर्गों के लिए 7 घंटे से भी कम। जरूरी यह है कि जब आप सोकर उठें तो खुद को तरोताजा महसूस करें और दिनभर ऊर्जा से भरे रहें। अच्छी नींद का मतलब यही है।अच्छी नींद पाने के तरीकेविशेषज्ञों का मानना है कि बिस्तर पर जाने के बाद यदि आपको नींद आने में आधे घंटे से अधिक का समय लगता है तो इसका मतलब है कि आपको अपनी नींद के पैटर्न को समझने और अच्छी नींद के लिए उपाय करने की जरूरत है। अच्छी नींद लाने के लिए इन उपायों का पालन किया जा सकता है।सबसे पहले अपने सोने और जागने का एक निश्चित समय तय करें। आपको हर दिन इसी समय पर सोना और जागना है।सोने से ठीक पहले कुछ भी न खाएं, न ही पानी पीएं। पेट के बहुत ज्यादा भरे होने से शरीर असहज महसूस करता है और सही पोश्चर में सोने में भी दिक्क्त आती है।सोने के कम से कम 1 घंटे पहले भोजन कर लें और 15 मिनट्स टहल लें। अगर आप सोने से पहले नहाना पसंद करते हैं तो वो करें, वरना हाथ-पैर अच्छे से धो लें।अपनी फिजिकल एक्टिविटीज की दर बढ़ाएं। जब शरीर एक्टिविटीज की थकान महसूस करेगा तो बिस्तर पर जाने के तुरंत बाद नींद आएगी।गैजेट्स को बिस्तर से दूर रखें और बिस्तर पर जाने के पहले सभी जरूरी काम निपटा लें। ताकि आपके दिमाग में कोई टास्क फंसा न रहे और नींद आने में बाधा न बने।यह उपाय भी हो सकते हैं कारगरआंखें बंद करके धीरे-धीरे डीप ब्रीद शुरू करें।मेडिटेशन एक ऐसी तकनीक है जो केवल नींद लाने में ही मदद नहीं करती। यह पूरे शरीर और मन को तनावमुक्त करने का काम भी करती है। इससे भी नींद में सुधार किया जा सकता है।सोने से पहले बच्चों के साथ समय बिताएं, मस्ती करें, खेलें। यह आपके दिमाग से चिंता को दूर करेगा और जल्दी नींद लाने में मदद भी कर सकता है।
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शरीर में विटामिन डी की कमी से कई बीमारियां आपको घेर सकती हैं. हड्डियों के मेटाबॉलिज्म को बनाए रखने के लिए भी विटामिन डी जरूरी है. विटामिन डी फैट में घुलनशील विटामिन है जो भोजन में मौजूद होता है या शरीर के अंदर उत्पन्न होता है. धूप विटामिन डी का सबसे अच्छा सोर्स है. अगर आपके शरीर में विटामिन डी की कमी है तो आपको इसके कुछ खास लक्षण नजर आएंगे.
वजन बढ़ना
विटामिन डी हमारे शरीर को नाइट्रिक ऑक्साइड देता है. नाइट्रिक ऑक्साइड एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है, जो हमें ओवरइटिंग से रोकता है और आपके मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है. इससे वजन को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है। विटामिन डी की कमी वजन बढ़ने का कारण बन सकती है.
थकान
विटामिन डी की कमी से आपको थकान महसूस होगी. अगर आप सही तरह से खाने और रात में 7-8 घंटे सोने के बाद भी थकान महसूस करते हैं तो ये शरीर में विटामिन डी कमी की वजह से हो सकता है.
मूड पर असर
बिना कारण उदास और दुखी महसूस करना भी शरीर में विटामिन डी की कमी के संकेत हैं. सूरज की रोशनी हमारे मूड को लिफ्ट करने में मुख्य भूमिका निभाती है. यह आपके दिमाग में हार्मोन सेरोटोनिन के उत्पादन को बढ़ाती है जो आपको खुश रखने में मदद करता है.
हड्डियों और जोड़ों में दर्द
विटामिन डी शरीर में कैल्शियम के अवशोषण जरूरी है. अगर आपके शरीर में विटामिन डी की कमी है तो इससे कैल्शियम पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलेगा और इससे हड्डियों और मांसपेशियों में दर्द की समस्या हो सकती है. दांतों को स्वस्थ रखने के लिए भी कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा आवश्यक है. अगर अक्सर पीठ या मांसपेशियों में दर्द रहता है तो ये शरीर में विटामिन डी की कमी के संकेत हो सकते हैं.
हेयर फॉल
विटामिन डी की कमी से हेयर फॉल की समस्या हो सकती है. ये पोषक तत्व बालों के फॉलिकल्स को बढ़ने के लिए उत्तेजित करता है. अगर शरीर में विटामिन डी की कमी है तो इससे हेयर हेल्थ पर असर पड़ेगा और बालों के झड़ने की समस्या हो सकती है.
डाइट में शामिल करें ये चीजें
-मशरूम विटामिन डी का अच्छा सोर्स है. अंडे में भी विटामिन डी की भरपूर मात्रा होती है.
-गाय का दूध, सोया मिल्क, संतरे का जूस इन सभी चीजों का सेवन आपको फायदा पहुंचाएगा.
-इसके अलावा वसायुक्त मछली, टूना और साल्मन का सेवन कर सकते हैं.
-पनीर, दूध, टोफू, दही, अंडे जैसे डेयरी प्रोडक्ट्स को डाइट में शामिल करें. बिना सनब्लॉक के धूप में बाहर समय बिताएं. - नाभि पर शहद लगाना स्किन प्रॉब्लम से लेकर डाइजेशन से जुड़ी समस्याओं का कारगर इलाज है। ये किसी भी तरह के इंफेक्शन को दूर करता है। नाभि पर शहद लगाने से त्वचा का रूखापन और मुहांसों की समस्या दूर होगी. जानिए इसके फायदे-स्किन की ड्राईनेस दूर होगीस्किन से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए नाभि पर शहद लगाएं. इससे त्वचा मुलायम और चमकदार बनेगी। ये स्किन की ड्राईनेस को दूर करता है.शहद में मॉयश्चराइजिंग गुण होते हैं, इसका फायदा मिलता है। शहद इंफेक्शन से भी बचाव करता है। मुहांसों की समस्या में शुद्ध शहद की कुछ बूंदें नाभि पर डालें. मुहांसों की प्रॉब्लम दूर होगी।इंफेक्शन से बचावशहद में एंटीबैक्टीरियल और एंटी फंगल गुण होते हैं। इसका सेवन सर्दी-जुकाम को ठीक करने में मददगार है। एक बूंद अदरक का रस और शहद मिलाकर नाभि पर लगाएं. इससे फायदा मिलेगा। नाभि की सफाई सही तरीके से न करने से इंफेक्शन हो सकता है। शहद में मौजूद एंटी फंगल और एंटी बैक्टीरियल गुण नाभि के इंफेक्शन को ठीक करते हैं।पेट दर्द में आरामशहद का सेवन पेट दर्द और अपच की समस्या को दूर करता है। अदरक के रस में शहद मिलाकर लगाने से पाचन तंत्र ठीक रहता है। ये पेट दर्द को दूर करने का घरेलू नुस्खा है।कब्ज से राहतकब्ज की समस्या में शहद का सेवन बहुत फायदेमंद है। रात को सोने से पहले एक गिलास दूध में शहद मिलाकर पीने से कब्ज से राहत मिलती है। नाभि पर शहद लगाने से भी फायदा मिलेगा। शहद का सेवन डाइजेशन को दुरुस्त करता है।कब और कैसे लगाएंनाभि पर शहद हमेशा ऐसे समय पर लगाएं, जब आप कम से कम 1-2 घंटे के लिए आराम करने जा रहे हों। इससे नाभि को शहद में मौजूद गुणों को अवशोषित करने में मदद मिलेगी। आप चाहें तो रात को सोते समय भी नाभि पर शहद लगा सकते हैं।
- लोगों में हृदय रोग की समस्या बढ़ती जा रही है। जिसके कारण तेजी से दिल की बीमारी से होने वाली मौतों के आंकड़ों में भी वृद्धि हुई है। आहार एवं पोषण विशेषज्ञों के मुताबिक, स्वस्थ और पौष्टिक आहार हृदय रोग के खतरे को कम कर सकता है। वैज्ञानिकों की एक टीम ने भी आहार को हृदय रोग कम करने में सहायक बताया है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, मूंगफली का रोजाना सेवन इस्केमिक स्ट्रोक या हृदय रोग के खतरे को कम करता है। मूंगफली दिल की बीमारी के खतरे से बचाव में कारगर है। जापान के लोगों पर एक अध्ययन में मिले परिणाम के आधार पर भी दावा किया गया कि जो लोग रोजाना मूंगफली खाते है, उनका हृदय, अन्य लोगों के मुकाबले ज्यादा स्वस्थ रहता है। इसके पहले अमेरिका में भी एक शोध में कहा गया कि मूंगफली का सेवन हृदय को मजबूत बनाता है। इस अध्ययन के निष्कर्ष को अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के जर्नल 'स्ट्रोक' में प्रकाशित किया गया था। चलिए जानते हैं कि मूंगफली हृदय रोगियों के लिए कैसे है फायदेमंद।जापान स्थित यूनिवर्सिटी ग्रेजुएट स्कूल ऑफ मेडिसिन में प्रोफेसर और अध्ययन के प्रमुख लेखक सतोयो इकेहारा के बताया कि अध्ययन में पाया गया है कि मूंगफली के सेवन से इस्केमिक स्ट्रोक का खतरा काफी हद तक कम हो सकता है। अध्ययन से मिले निष्कर्ष से पता चला है कि मूंगफली को अपने आहार में शामिल करके गंभीर समस्या की रोकथाम की जा सकती है। इस्केमिक स्ट्रोक, मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं में रक्त के थक्के बन जाने के कारण होने वाली गंभीर और जानलेवा समस्या है।जापान में 74 हजार से अधिक पुरुषों और महिलाओं पर यह अध्ययन किया गया। जिसमें वैज्ञानिकों ने कई स्तर से मंगफूली के सेवन और हृदय रोगों के जोखिमों में कमी की जांच की। तमाम स्तर पर किए गए जांच में वैज्ञानिकों ने पाया कि रोजाना सिर्फ 4-5 मूंगफली खाने से इस्केमिक स्ट्रोक का जोखिम 20 फीसदी कम होता है। वहीं सामान्य स्ट्रोक का जोखिम 16 फीसदी तक कम हो सकता है। मूंगफली हृदय रोग के जोखिम को 13 फीसदी तक कम कर सकती है।मूंगफली स्वास्थ्य के लिए जरूरी तमाम पोषक तत्वों से भरपूर होती है। इसमें मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड, पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड, खनिज, विटामिन और डाइड्री फाइबर मौजूद होते हैं। यह सभी पोषक तत्व बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करते है, साथ ही हाई-ब्लड प्रेशर और क्रोनिक इंफ्लामेशन के खतरे को कम कर सकते हैं। जिसकी स्वाभाविक तौर पर हृदय रोगों का जोखिम कम हो जाता है।अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन ने हृदय रोगों के खतरे से बचे रहने के लिए हर सप्ताह सभी लोगों को कम से कम पांच दिन 2 बड़े चम्मच तमाम तरह के नट्स के सेवन की सलाह दी है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की सलाह के मुताबिक मूंगफली के अलावा, अखरोट, काजू, पेकान, मैकाडामिया और हेज़लनट्स का सेवन भी हृदय रोगों के खतरे को कम करने में सहायक है।
- सर्दियों में फिट और हेल्दी रहने के लिए टमाटर का सूप पीना काफी फायदेमंद होता है। टमाटर सूप पोषक तत्वों से भरपूर होता है। यह विटामिन ए और विटामिन सी का अच्छा सोर्स है। इसके अलावा टमाटर का सूप एंटीऑक्सीडेंट्स से भी भरपूर होता है। टमाटर का सूप पीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनती है। इसके अलावा टमाटर का सूप वेट लॉस में भी मददगार है। जानें टमाटर का सूप पीने के फायदे1. वेट लॉस में सहायकटमाटर का सूप वजन घटाने में सहायक होता है। दरअसल, टमाटर के सूप में फाइबर और पानी अधिक मात्रा में होता है। इसे पीने से भूख नहीं लगती और वजन कम करने में मदद मिलती है। वेट लॉस के लिए आप टमाटर का सूप ऑलिव ऑयल में बना सकते हैं।2. हड्डियां बनाए मजबूतसर्दियों में टमाटर का सूप पीने से आप अपनी हड्डियों को मजबूत बना सकते हैं। दरअसल, शरीर में लाइकोपीन की कमी होने से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। टमाटर सूप में लाइकोपीन होता है, ऐसे में इसके सेवन से हड्डियों से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं। टमाटर सूप में विटामिन के और कैल्शियम भी होता है, जिससे हड्डियां मजबूत बनती हैं।3. विटामिंस से भरपूर टमाटर का सूपटमाटर के सूप में कई तरह के विटामिंस पाए जाते हैं। इसमें विटामिन ए, सी, ई और विटामिन के की अच्छी मात्रा होती है। नियमित रूप से टमाटर का सूप पीने से शरीर में विटामिंस की कमी दूर होती है और इम्यूनिटी मजबूत बनती है।4. ब्लड शुगर कंट्रोल रखेटमाटर के सूप में क्रोमियम नामक तत्व पाया जाता है, जो ब्लड शुगर को नियंत्रण में रखता है। इसलिए डायबिटीज रोगियों को हेल्दी रहने के लिए टमाटर का सूप पीना चाहिए। यह ब्लड शुगर कंट्रोल करने का आसान टिप्स है।5. दिमाग के लिए फायदेमंदटमाटर का सूप दिमाग को दुरुस्त रखने में भी लाभकारी होता है। टमाटर के सूप में पोटैशियम और कॉपर होता है। ये दोनों तत्व दिमाग और नर्वस सिस्टम को मजबूत बनाते हैं।6. एनीमिया से बचाएसर्दी में नियमित रूप से टमाटर का सूप पीने से एनीमिया से बचा जा सकता है। टमाटर में मौजूद तत्व शरीर में खून की कमी पूरा करते हैं। इसके अलावा टमाटर के सूप में मौजूद सेलेनियम रक्त प्रवाह को भी बेहतर बनाता है।टमाटर सूप रेसिपीटमाटर का सूप बनाने के लिए सबसे पहले टमाटर को अच्छी तरह से धो लें। अब टमाटर और अदरक को मिक्सी में पीस लें। इसके बाद इस मिश्रण को एक पैन में रखें। 10-15 मिनट तक इसे उबालें। फिर इस पेस्ट को छलनी से छान लें। अब कॉर्न फ्लोर का घोल तैयार करें। इसमें गुठलियां न पडऩे दें। एक कढ़ाई लें, इसमें मक्खन डालें और गर्म करें। इसमें मटर, गाजर डालें और 3-4 मिनट तक भून लें। सब्जियों को नरम होने दें। इसके बाद इसमें कॉर्न फ्लोर का घोल डाल दें। अब इसमें छना हुआ टमाटर का सूप, नमक और काली मिर्च डालें। आवश्यकतानुसार पानी मिला लें। उबाल आने के बाद 4-5 मिनट तक इसे पकाएं। अब इस सूप को गर्मा-गर्म परोसें। आप इसका स्वाद बढ़ाने के लिए ऊपर से क्रीम भी डाल सकते हैं।
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अगर आप माइक्रोवेव में बार-बार खाना गर्म करते हैं, तो आपकी ये आदत सेहत के लिए बेहद नुकसानदायक हो सकती है. आयुर्वेद के अनुसार, इस तरह का खाना हेल्थ प्रॉब्लम्स को बढ़ा सकता है. एक्सपट्र्स के मुताबिक, माइक्रोवेव में खाना गर्म करने और बनाते समय इसके अंदर विद्युत और चुंबकीय ऊर्जा की तरंगें निकलती हैं यानी एक तरह से रेडिएशन भोजन के संपर्क में आता है और ये आपके लिए हानिकारक हो सकता है.
माइक्रोवेव में इन चीजों को भूलकर भी गर्म न करें--
चिकन
चिकन को माइक्रोवेव में गर्म करने से उसकी प्रोटीन की संरचना में बदलाव हो जाता है, जो हमारे डाइजेशन के लिए नुकसानदायक होता है। ऐसे में चिकन को दोबारा माइक्रोवेव में गर्म नहीं करना चाहिए।
अंडा
अंडे से बनी कोई भी चीज को माइक्रोवेव में गर्म नहीं करना चाहिए। अगर आप माइक्रोवेव में अंडे उबलते हैं तो इसे आज से बंद कर दीजिए, क्योंकि माइक्रोवेव में अंडे को गर्म करने पर उसके अंदर का तापमान बढ़ता है, मगर माइक्रोवेव की तरंगें अंडे के खोल को इतना गर्म नहीं करती कि वह टूट सके। इस वजह से अंडा फट जाता है।
मशरूम
मशरूम को माइक्रोवेव में गर्म करने से बचना चाहिए, क्योंकि मशरूम में मौजूद प्रोटीन इससे खत्म हो जाते हैं। मशरूम को खाने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि इसे तुरंत बनाएं और तुरंत खाएं। माइक्रोवेव में गर्म किए मशरूम खाने से पेट से जुड़ी समस्या हो सकती है।
--- - कमल के फूल का बीज और इसकी जड़ों का इस्तेमाल खाने में भी किया जाता है। कमल के फल से निकलने वाले बीज जिसे कमल गट्टा कहा जाता है, का सेवन भी सेहत के लिए बहुत लाभदायक होता है। कमल गट्टा का हलवा भी बहुत फायदेमंद और पौष्टिक माना जाता है। सेहत के लिए कमल गट्टे का हलवा के फायदे बहुत हैं। इसका सेवन डायबिटीज की समस्या से लेकर शरीर की कई गंभीर बीमारियों में उपयोगी माना जाता है। कमल के बीज या कमल गट्टा में पोटैशियम, मैग्नीशियम, विटामिन बी -6 और आयरन भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। आज जानते हैं कमल गट्टा का हलवा खाने के फायदे और इसकी रेसिपी-----1. डायरिया की समस्या में फायदेमंदकमल गट्टा का हलवा खाने से डायरिया या दस्त की समस्या में फायदा मिलता है। इसमें कसैले गुण मौजूद होते हैं जो भूख बढ़ाने का काम करते हैं। डायरिया के अलावा कमल गट्टा का हलवा खाने से कब्ज और गैस की समस्या में भी फायदा मिलता है। कमल गट्टा का हलवा नियमित रूप से खाने से पाचन तंत्र भी बेहतर होता है।2. इनफर्टिलिटी की समस्या में फायदेमंदकमल गट्टा का हलवा इनफर्टिलिटी की समस्या में फायदेमंद माना जाता है। कमल गट्टे का सेवन करने से महिलाओं में इनफर्टिलिटी की समस्या में बहुत फायदा मिलता है। इसका सेवन करने से गर्भाशय स्वस्थ रहता है और प्रेगनेंसी के दौरान मिसकैरेज जैसी गंभीर स्थितियों में फायदा मिलता है।3. वजन कम करने में उपयोगीमोटापे की समस्या से बचने के लिए और प्रभावी तरीके से वजन कम करने के लिए कमल गट्टा का हलवा बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसका नियमित रूप से सेवन करने से आपके शरीर में पोषक तत्वों की आपूर्ति बनी रहती है और बार-बार भूख भी नहीं लगती है।4. डायबिटीज की समस्या में बहुत फायदेमंदडायबिटीज के मरीजों के लिए कमल के बीज औषधि की तरह काम करते हैं। हाई ब्लड शुगर की समस्या में कमल के बीज बहुत फायदेमंद माने जाते हैं। लेकिन जिन लोगों का ब्लड शुगर लो है उन्हें इसका सेवन करने से बचना चाहिए। कमल गट्टे का हलवा बनाते समय डायबिटीज के मरीजों को चीनी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।5. हाई ब्लड प्रेशर की समस्या में फायदेमंदइसमें सेहत के लिए फायदेमंद पोटैशियम और आयरन मौजूद होते हैं जो शरीर में ब्लड प्रेशर को संतुलित रखने में बहुत लाभदायक माने जाते हैं।कमल गट्टा का हलवा बनाने का तरीकाआवश्यक सामग्री - कमल गट्टा या कमल के बीज आधा कटोरी, पोस्तादाना 1 चम्मच, मखाना 8 से 10, काजू 7-8, किसमिस 50 ग्राम, चिरौंजी 1 चम्मच, बादाम 5-7, चीनी 4 से 5 चम्मच, फ्रेश मलाई 6 चम्मच, दूध 500 मिली, देसी घी 4 चम्मच।विधि- कमल गट्टे का हलवा बनाने के लिए सबसे पहले बीजों से छिलके को निकालकर रख लें। इसके बाद इसमें पोस्ता दाना, काजू, बादाम, किसमिस, मखाना, नारियल, चिरौंजी अदि मिलाकर मिक्सर में डालकर पीस लें। अब एक कड़ाही या पैन में घी डालकर उसमें इस पेस्ट को डालें और अच्छी तरह से भुनें। इसके बाद इसमें कीम या मलाई मिलाएं और भुने। अच्छी तरह से भुन जाने पर इसमें दूध और चीनी मिलाएं और 5 से 7 मिनट तक भुने। इसके बाद हलवा को निकलकर थोड़ा ठंडा होने के लिए रख दें। अब आपका हलवा बनकर तैयार है।
- कई बार दांत साफ करने के बावजूद दांतों में पीलापन आ जाता है। इसके अलावा दांतों के पीलापन का कारण प्लेक जमना हो सकता है जो दांतों की अच्छी तरह से सफाई न करने के कारण होता है। आप भी पीले दांतों से छुटकारा पाना चाहते हैं तो इन नुस्खों को अपना सकते हैं।हाइड्रोजन पेरॉक्साइड से चमका सकते हैं दांतहाइड्रोजन पेरॉक्साइड एक नेचुरल ब्लीचिंग एजेंट है जो बैक्टीरियां को मारने और घाव को ठीक करने में मदद करता है। स्टडी में पाया गया कि जिस टूथपेस्ट में बेकिंग सोडा और एक प्रतिशत हाइड्रोजन पेरॉक्साइड का इस्तेमाल किया जाता है उससे दांत सफेद होते हैं। इसमें हमेशा ध्यान रखने वाली बात है कि डाइल्यूट हाइड्रोजन पेरॉक्साइड का इस्तेमाल करना चाहिए नहीं तो आपके दांतों के मसूड़ों में जलन हो सकती है।बेकिंग सोडा से चमकाएं दांतबेकिंग सोडा दांतों को नेचुरली साफ करने का काम करता है। इसका इस्तेमाल टूथपेस्ट में भी किया जाता है। यह एल्काइन नेचर का होता है जिसकी वजह से बैक्टीरियां नहीं पनपते हैं। हालांकि विज्ञान में इसका कोई सबूत नहीं मिला है कि बेकिंग सोडा से दांत सफेद होते हैं। एक स्टडी में यह बात सामने आयी है कि टूथपेस्ट में बेकिंग सोडा मिलाकर करने से दांत चमकदार और सफेद होते हैं।सूरजमुखी से तेल से दांतों का पीलापन दूरदांतों में तेल लगाना पुराना घरेलू नुस्खा है। इसकी वजह से आपके मुंह में बैक्टीरियां नहीं पनपते हैं। साथ ही शरीर से टॉक्सिक पदार्थों को बाहर निकालने का काम करता है। दांतों में सूरजमुखी और शीशम का तेल कारगर साबित हो सकता है। इसके अलावा नारियल के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें लोरिक एसिड की भरपूर मात्रा होती है जो सूजन को कम करने और बैक्टीरियां को मारने का काम करता है।कैल्शियम की भरपूर मात्रा लें तो दांत होते हैं मजबूतशरीर में कैल्शियम की कमी होने से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। इसलिए जरूरी है कि आप अपनी डाइट में कैल्शियम और विटामिन डी की भरपूर मात्रा लें। लोगों में कैल्शियम की कमी होने के कारण दांतों में पीलपन की समस्या होती है। ऐसे में अपनी डाइट में कैल्शियम और विटामिन डी की भरपूर मात्रा लेनी चाहिए।-----
- कान में भरे मैल से लोगों को घिन आती है लेकिन क्या आप जानते कि इसका भी हमारे कान में एक अहम काम होता है. कान का मैल हमारे शरीर से होने वाला प्राकृतिक रिसाव है इसीलिए कान के मैल को बहुत सावधानी से साफ करना चाहिए. जरा सी चूक आपको बहरा भी बना सकती है. आपके कान में तेज दर्द हो सकता है.कान में मैल का क्या है काम?जान लें कि कान का मैल हमारे कानों के अंदर मौजूद ग्रंथियों में पैदा होता है. इसके कई महत्वपूर्ण काम होते हैं. कान का मैल हमारे कानों को स्वस्थ्य रखता है. कान का मैल हमारे कान की नलिकाओं की ऊपरी परत को सूखने और उसमें दरार पडऩे से रोकता है. कान का मैल कान को पानी और धूल के कणों से बचाता है. ये इंफेक्शन को भी रोकता है. इसे साफ करने के लिए ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि ज्यादातर बार कर्ण नलिकाएं खुद ही कान के मैल की सफाई कर लेती हैं.कान के मैल से कब होने लगती है समस्या?दरअसल जब हम कुछ खाते हैं या दांतों से चबाते हैं तो कान का मैल धीरे-धीरे कान के पर्दे से कान के छेद की तरफ बढऩे लगता है. ज्यादातर बार कान का मैल सूखकर अपने आप कान से बाहर निकल आता है लेकिन कई बार कान का मैल सामान्य से ज्यादा जमा जाता है तो हमें समस्या होने लगती है. कान में मैल ज्यादा होने से दर्द हो सकता है और कई बार तो ये हमारे सुनने की क्षमता पर भी प्रभाव डालता है. कई लोग माचिस की तीली या अन्य चीजों से कान साफ करने की कोशिश करते हैं लेकिन ये खतरनाक है. इससे कान का पर्दा भी फट सकता है और आप बहरे हो सकते हैं.कान के मैल को साफ करने के सही तरीके क्या हैं?1- कॉटन बड्स से आप अपने कान के मैल को साफ कर सकते हैं. लेकिन ध्यान रखें कि कॉटन बड्स से कभी कर्ण नलिकाओं को साफ ना करें. कॉटन बड्स के पैकेट पर भी ये लिखा होता है. कॉटन बड्स को कान में ज्यादा गहराई तक ले जाने से कान के पर्दे को नुकसान पहुंच सकता है.2- कुछ लोग ईयर कैंडल्स से भी कान का मैल साफ करते हैं. लेकिन कुछ रिसर्च में दावा किया गया है कि ईयर कैंडल्स से कान साफ करना खतरनाक है. ईयर कैंडल्स से कान और चेहरा जल सकता है.3- ईयर ड्रॉप्स की मदद से भी कुछ लोग कान का मैल साफ करते हैं. ईयर ड्रॉप्स से कान का मैल नम हो जाता है और खुद ही बाहर निकलने लगता है. लेकिन ध्यान रखें कि बाजार में कई ईयर ड्रॉप्स ऐसे हैं जिनमें सोडियम बाईकार्बोनेट या सोडियम क्लोराइड होता है जो आपके कान की संवेदनशील त्वचा को नुकसान पहुंचा सकता है.4- कान का मैल साफ करने के लिए जैतून या बादाम का तेल भी लोग कान में डालते हैं. इससे कान का मैल नम हो जाता है. लेकिन ध्यान रखें कि तेल का तापमान हमारे शरीर के तापमान से ज्यादा नहीं होना चाहिए.5- कुछ मामलों में डॉक्टर कान की सफाई पानी से कराने की सलाह देते हैं. इसे सिरिंजिंग कहा जाता है. इसमें कर्ण नलिकाओं पर पानी की फुहार डाली जाती है. हालांकि इससे कान साफ हो जाते हैं लेकिन कई मामलों में ये तकलीफदेह भी साबित होता है. इससे कान के पर्दे को नुकसान भी हो सकता है.6- कान का मैल साफ करने के लिए माइक्रोसक्शन का तरीका सबसे अच्छा है. माइक्रोसक्शन में स्पेशलिस्ट डॉक्टर कान को माइक्रोस्कोप से देखते हैं और कान के मैल को छोटे उपकरणों की मदद से निकाल लेते हैं.
- सर्दियां शुरू होते ही खाने की थाली में परोसी गई अलग-अलग तरह की चटनियां, न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाती हैं बल्कि व्यक्ति की भूख भी बढ़ा देती है। यूं तो आपने अपनी रसोई में कई तरह की चटनियों का स्वाद चखा होगा। लेकिन क्या आपने कभी टमाटर करी पत्ते की चटनी ट्राई की है? यह चटनी खाने में स्वादिष्ट होने के साथ बनाने में भी बेहद आसान और सेहतमंद होती है। तो आइए जान लेते हैं कैसे बनाई जाती है यह टेस्टी चटनी।टमाटर करी पत्ते की चटनी बनाने के लिए सामग्री--2 कप कटे हुए टमाटर-1 मीडियम साइज प्याज कटा हुआ-2-3 हरी मिर्च-1/2 इंच का अदरक का टुकड़ा (ग्रेट किया हुआ)-3-4 लहसुन की कलियां (क्रश की हुई)-1.5 छोटा चम्मच लाल मिर्च पाउडर-1/2 छोटा चम्मच हल्दी पाउडर-1 छोटा चम्मच जीरा-10-12 करी पत्ते-1 छोटी चम्मच राई-1/2 छोटा चम्मच इमली का पल्प-2 छोटे चम्मच गुड़-नमक स्वादानुसार-1-2 बड़े चम्मच तेलटमाटर करी पत्ते की चटनी बनाने की विधि-टमाटर करी पत्ते की चटनी बनाने के लिए सबसे पहले एक पैन में तेल गर्म करके उसमें जीरा, राई, करी पत्ते फ्राई करें। इसके बाद इसमें अदरक, लहसुन डालकर भूनें और फिर हरी मिर्च और प्याज डालकर सॉफ्ट होने तक भूनें। अब इसमें नमक, टमाटर डालकर अच्छे से पका लें। इसके बाद इसमें सारे सूखे मसाले मिलाकर 3-4 मिनट और पकाएं। अब इसमें इमली का पल्प और गुड़ का मिक्सचर डालकर थोड़ी देर और पकाएं। आपकी तीखी टमाटर की चटनी बनकर तैयार है।
- सर्दी का मौसम है और लोग इस मौसम में जोड़ों के दर्द (Joint Pain) से काफी परेशान रहते हैं. आज हर उम्र के लोग गठिया और जोड़ों की समस्या से पीड़ित हैं और ऐसे लोगों के लिए ठंड का समय मुश्किल होता है. ऐसे समय में पुरानी चोट और जोड़ों का दर्द बढ़ने लगता है. इस दर्द से छुटाकारा पाने के लिए आप कुछ घरेलू नुस्खे आजमा सकते हैं. ये घरेलू उपचार (home remedies) दर्द से राहत दिलाने में मददगार साबित हो सकते हैं. गर्म और ठंडे पानी की पट्टियों से सेंकने से जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है. सूजन ज्यादा हो तो बर्फ को कपड़े में लपेट कर इस्तेमाल करने से भी फायदा होता है.अदरक में दर्द और सूजन को कम करने वाले तत्व होते हैं. आप जोड़ों के दर्द में भी अदरक के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं. जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए नियमित रूप से तिल के तेल की मालिश भी कर सकते हैं. कुछ अध्ययनों के अनुसार अदरक का तेल जोड़ो के दर्द के लिए बहुत फायदेमंद है. ये प्रभावित हिस्से में दर्द को कम करता है.पुरानी चोट और जोड़ों के दर्द के लिए हल्दी का इस्तेमाल करें. इसमें मौजूद करक्यूमिन तत्व जोड़ों की सूजन को कम करता है. इसके लिए आप एक चम्मच हल्दी में आधा चम्मच पिसी हुई अदरक मिलाएं. इस मिश्रण को एक कप पानी में डालकर 10 से 15 मिनट तक उबालें. इसे जोड़ों पर दिन में दो से तीन बार लगाएं. ये जोड़ों के दर्द और सूजन के लक्षणों को कम करने में मदद करता है. एक गिलास पानी में अदरक और हल्दी डालकर 12-15 मिनट तक उबालें. राहत के लिए इस मिश्रण को रोजाना पिएं.पुरानी चोट और जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए नींबू, आंवला और पपीता का इस्तेमाल किया जा सकता है. ये सभी विटामिन सी से भरपूर होते हैं. विटामिन सी शरीर की इम्युनिटी को मजबूत करता है.जोड़ों के दर्द के लिए आप ब्रोकली का सेवन करें. मैदा से बनी चीजों से परहेज करें. साथ ही चीनी, मिठाई और ठंडी चीजों से भी परहेज करें.सेंधा नमक में मैग्नीशियम और सल्फेट होते हैं ये दोनों शक्तिशाली दर्द निवारक एजेंट हैं. ये सूजन को कम करता है और दर्द को कम करता है. आप नहाने के पानी में एक चम्मच सेंधा नमक डाल सकते हैं. 30 मिनट तक प्रभावित क्षेत्रों को इसमें डुबोकर रखें.इन प्राकृतिक घरेलू उपचारों के अलावा, व्यायाम करने से भी मदद मिल सकती है. अगर दर्द लंबे समय तक बना रहे तो डॉक्टर से सलाह लें.
- आजकल बाजार में सोया साग काफी देखने को मिल रहा है। धनिया के पत्तों की तरह दिखने वाला सोया पत्ता जड़ी- बूटी के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके पोषक तत्व सर्दियों में बेहतर इम्युनिटी देकर बीमार पडऩे से बचाते हैं। सूप या सूखी सब्जियों में इसे गार्निशिंग के रूप में इस्तेमाल करें। इसे ठंडे खीरे के सलाद के ऊपर छिड़कें। आलू के साथ इसकी सब्जी भी बनाई जा सकती है। इसे दही से बने डिप्स में मिलाएं। इसे सॉस, मैरिनेशन या सलाद ड्रेसिंग में शामिल करें।जानिए ताजा सोया साग में मौजूद पौष्टिक तत्वताजा सोया की टहनी में विटामिन ए, सी, डी, राइबोफ्लेविन, मैंगनीज, फोलेट, आयरन, कॉपर, पोटेशियम, मैग्नीशियम, जिंक और फाइबर सहित कई पोषक तत्व होते हैं। इस प्रकार, ये एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं।यहां हैं सोया साग को सर्दियों में खाने से मिलते हैं ये लाभ1. मधुमेह को नियंत्रित करता हैसोया के पत्तों में बायोएक्टिव घटक यूजेनॉल की उपस्थिति शक्तिशाली एंटी डायबिटिक गुणों को दर्शाती है। जो शरीर के भीतर रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह स्टार्च के ग्लूकोज में टूटने को कम करने में भी व्यापक रूप से मदद करता है। जो बदले में अचानक शुगर स्पाइक्स को रोकता है और संतुलित मधुमेह रीडिंग प्रदान करता है।2. पाचन को बढ़ावा देता हैइसमें फाइबर की प्रचुरता शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालकर पाचन गति को उत्तेजित करने में मदद करती है। इस प्रकार यह कब्ज के लिए एक शक्तिशाली उपाय है। इसके अतिरिक्त, इसके एंटासिड गुण पेट में अत्यधिक एसिड के गठन को रोकते हैं। जिससे अपच, अल्सर, गैस्ट्र्रिटिस का इलाज होता है और शरीर में पोषक तत्वों के बेहतर अवशोषण को बढ़ावा मिलता है।3. हड्डी के स्वास्थ्य को मजबूत करता हैइसे दैनिक आहार में शामिल करने से शरीर में कैल्शियम का अवशोषण बढ़ता है, हड्डियों का नुकसान कम होता है जिससे ऑस्टियोपोरोसिस जैसी स्थितियों को रोका जा सकता है।4. संक्रमण को रोकता हैअपने मजबूत एंटी-माइक्रोबियल गुणों के कारण सोया के पत्तों का उपयोग न केवल शरीर से बैक्टीरिया या कीटाणुओं को हटाने के लिए किया जाता है, बल्कि घावों के उपचार के लिए भी किया जाता है। सोया का साग खांसी और सर्दी के इलाज, सामान्य दुर्बलता, कमजोरी, थकान को कम करने और शरीर की समग्र जीवन शक्ति में सुधार करने में भी बेहद फायदेमंद है।5. अनिद्रा को करे दूरसोया के पत्तों में फ्लेवोनोइड्स और बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन की प्रचुरता इसे अनिद्रा के लिए वन-स्टॉप प्राकृतिक उपचार बनाती है। इस जड़ी बूटी को अपने दैनिक आहार में शामिल करने से न केवल विभिन्न हार्मोन और एंजाइम के स्राव सक्रिय होंगे, बल्कि इसका मस्तिष्क और शरीर पर शांत प्रभाव पड़ता है।ध्यान रहे, अधिक सोया पत्ते का सेवन है हानिकारकसोया के पत्तों के असंख्य स्वास्थ्य लाभ हैं। लेकिन कभी-कभी इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से दस्त, उल्टी, मुंह में खुजली, पित्त, जीभ और गले में सूजन जैसी कुछ एलर्जी हो सकती है।
- सर्पगंधा इसे भारतीय स्नैकरूट भी कहा जाता है. ये पौधा बहुत ही स्वास्थ्यवर्धक है. आयुर्वेद में इस पौधे का बहुत महत्व है. आयुर्वेद में पौधे की जड़ों का इस्तेमाल विभिन्न रोगों के इलाज के लिए किया जाता है.भारतीय स्नैकरूट पर छोटे गुलाबी और सफेद फूल आते हैं. ये पौधा कई स्वास्थ्य समस्याओं का दूर करने में मदद करता है. आइए जानें इसके स्वास्थ्य लाभ.आयुर्वेद के अनुसार इस पौधे के स्वास्थ्य लाभब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता हैक्या आप जानते हैं, भारतीय स्नैकरूट का व्यापक रूप से ब्लड प्रेशर की दवाओं की तैयारी में इस्तेमाल किया जाता है? ऐसा इसलिए है क्योंकि पौधे में रेस्परपाइन नामक एक रासायनिक तत्व होता है. ये हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करता है.तनाव और चिंता को दूर करता हैभारतीय स्नैकरूट पौधे की जड़ को चबाने से मन को शांत करने, तनाव और चिंता को कम करने में मदद मिलती है. इसका सेवन अनिद्रा के इलाज में भी बहुत मददगार होता है.पेट संबंधित समस्याओं को दूर करता हैये मासिक धर्म की समस्याओं के इलाज में भी उपयोगी है. ये पेट को साफ करने में मदद करता है और इसके सामान्य कामकाज को बढ़ावा देता है. इसका सेवन करने से कब्ज, डायरिया जैसी सामान्य समस्याओं का इलाज होता है.त्वचा संबंधित समस्याओं का इलाज करता हैआयुर्वेद में इस पौधे का इस्तेमा त्वचा की समस्याओं जैसे मुंहासे, फोड़े, एक्जिमा आदि के इलाज के लिए भी किया जाता है. सर्पगंधा में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण होते हैं. ये त्वचा के संक्रमण को दूर करने में मदद करते हैं.अस्थमा का इलाज करता हैऐसा माना जाता है कि भारतीय सनेरूट से तैयार रस या सूखी जड़ों से बने चूर्ण का सेवन करने से अस्थमा का इलाज किया जाता है.हृदय के लिएकई हृदय विकारों के इलाज के लिए पौधे का इस्तेमाल एक सामान्य उपाय के रूप में किया जाता है. आज के समय में अनहेल्दी खान-पान और जीवनशैली की वजह से हृदय की बीमारियां होना आम बात है. पौधे को हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के लिए भी जाता है. इस प्रकार ये हृदय संबंधी समस्याओं को रोकता है.आपको सोने में मदद करता हैअनिद्रा एक नींद विकार है जिसमें व्यक्ति सो नहीं पाता है. ये आमतौर पर सुस्ती, थकान जैसे लक्षणों के साथ होता है. भारतीय स्नैकरूट के सेवन से अनिद्रा की समस्या से राहत मिल सकती है.मासिक धर्मबहुत सी महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान पेट दर्द और थकान जैसी समस्या का सामना करना पड़ता है. इस पौधे में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं. ये पौधा मासिक धर्म में ऐंठन और सूजन के इलाज में प्रभावी है.सर्पगंधा का पौधा पाउडर, टैबलेट और कैप्सूल के रूप में आसानी से उपलब्ध होता है. हालांकि, इसका सेवन केवल अपने डॉक्टर से सलाह करने के बाद ही किया जाना चाहिए, खासकर अगर आपका एक मेडिकल ट्रीटमेंट चल रहा है.
- इम्यूनिटी स्ट्रांगकोविड के इस दौर में इम्यूनिटी का महत्व हम सभी जानते हैं. धूप में बैठने से इम्यूनिटी स्ट्रांग होती है और इस कारण शरीर को कई बीमारियों से लड़ने के लिए शक्ति मिलती है.नींद अच्छी आती हैधूप के कारण शरीर में मेलाटोनिन हार्मोन बनता है और इसे अच्छी नींद के लिए जरूरी माना जाता है.खून साफ होता हैसर्दी में धूप सेकने से खून भी साफ होता है और इस कारण स्किन से जुड़ी कई परेशानियां हमसे कौसों दूर रहती हैं.कैंसर से लड़ने वाले तत्वसूर्य से जो किरणों को हम अब्जॉर्ब करते हैं उसने कैंसर से लड़ने की ताकत मिलती है.कफ से छुटकाराअगर आपका बच्चा कफ की समस्या का सामना कर रहा है तो उसे सुबह-सुबह की धूप दिखाएं. इससे उसे कफ से छुटकारा पाने में मदद मिलेगी.बीपी को मेंटेनऐसा माना गया है कि सर्दी में धूप लेने से हाई बीपी की प्रॉब्लम से लड़ने में मदद मिलती है.
- सर्दियों में ड्राई फ्रूट्स जरूर खाने चाहिए, इन्हें खाने से न सिर्फ पोषण मिलता है बल्कि शरीर भी गर्म रहता है। कई लोगों को ड्राई फ्रूट्स आसानी से डाइजेस्ट नहीं हो पाते यानी बादाम या फिर अखरोट खाते ही उनके पेट में दर्द, एसिडिटी या फिर गैस बनने की प्रॉब्लम शुरू हो जाती है। ऐसे में ड्राई फ्रूट्स छोड़ने की बजाय कुछ बातों का ध्यान रखते हुए ड्राई फ्रूट्स को रोस्ट करके खाया जा सकता है। इससे शरीर गर्म रहेगा और इसके कोई साइड इफेक्ट्स भी नहीं होंगे। जिन लोगों को ड्राई फ्रूट्स नहीं पचते उन्हें खाली पेट ड्राई फ्रूट्स खाने से बचना चाहिए। रोस्टेड ड्राई फ्रूट्स खाने से वेट कंट्रोल भी किया जा सकता है। दूध के साथ इन्हें ब्रेकफास्ट में ले सकते हैं।सामग्री-50 ग्राम काजू50 ग्राम बादाम50 ग्राम किशमिश2-3 टेबलस्पून खरबूजे के बीज2-3 टेबलस्पून सफेद तिलघी जरूरत के अनुसारविधि-सबसे पहले मीडियम आंच पर एक पैन में घी गरम करने के लिए रखें। घी के गरम होते ही बारी-बारी कर सभी चीजों को हल्का रोस्ट कर लें। इसके बाद सभी चीजों को एक साथ मिक्स कर ठंडा होने के लिए रख दें। तैयार है रोस्टेड मेवा। एयर टाइट कंटेंनर में भरकर इन्हें रख दें।कुकिंग टिप्सआप घी की बजाय घर के बने बटर में भी ड्राई फ्रूट रोस्ट कर सकते हैं।जिन लोगों को ड्राई फ्रूट आसानी से नहीं पचता, वे रात में ड्राई फ्रूट को पानी में भिगाकर सुबह रोस्ट कर सकते हैं।मखाने को बिना भिगाए रोस्ट कर सकते हैं।-
- सुबह ब्रश करना और पूरे मुंह की सफाई करना एक जरूरी डेली रुटीन है। यह न सिर्फ मुंह की बदबू से बचाता है, बल्कि इसका सीधा असर हमारे पाचन तंत्र पर पड़ता है। रात भर मुंह में इकट्ठे होने वाले कीटाणुओं को अगर सुबह बाहर न निकाला जाए तो यह पाचन संबंधी गड़बड़ियों को पैदा कर सकते हैं। सीडीएस यानी सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल (Center of disease control) के अनुसार, जो लोग ओरल हाइजीन का ध्यान नहीं रखते उनमें हृदय संबंधी बीमारियों का जोखिम 70 फीसदी तक बढ़ जाता है। मुंह की सफाई ठीक से न की जाए, तो मुंह के बैक्टीरिया खून में मिलकर समग्र स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए ज्यादातर डॉक्टर पानी से कुल्ला और गरारा करने की सलाह देते हैं।सुबह उठकर मुंह धोना और कुल्ला करना (Rinsing) व्यक्तिगत स्वच्छता (Personal hygiene) का अपरिहार्य हिस्सा है। इसके अलावा हर बार खाना खाने के बाद कुल्ला करना भी हेल्दी हेबिट्स (Healthy habits) का एक हिस्सा है। हालांकि ज्यादातर लोग इसके लिए सिर्फ सादे पानी का ही इस्तेमाल करते हैं। पर पानी में कुछ चीजें मिलाकर कुल्ला करना ओरल हाइजीन (Oral hygiene) और गट हेल्थ (Gut health) के लिए और भी ज्यादा फायदेमंद हो जाता है।अगर ठंड का मौसम आपकी इस आदत को भुलाने लगा है, तो थोड़ा अलर्ट हो जाइए। क्योंकि कुल्ला करना न आपको एक परफेक्ट जॉ लाइन (Jawline) देने के अलावा और भी बहुत से फायदे देता है।1 आंखों की रोशनी बढ़ाता है सादे पानी से कुल्ला करना7 से 8 घंटे की लंबी नींद के दौरान हमारे मुंह में कई प्रकार के बैक्टीरिया इक_ा हो जाते हैं। इन्हें बाहर करने का सबसे आसान तरीका है सुबह उठकर सादे पानी से कुल्ला करना। इसके अलावा यदि किसी व्यक्ति के गले में खराश है या खांसी-जुकाम जैसा इन्फेक्शन हो गया है, तो पानी के गरारे बेहद काम आते हैं। कोरोना वायरस महामारी में लोगों को गले के दर्द की शिकायत में गरारा करने की सलाह दी जा रही थी। पानी का कुल्ला करने से नेत्र ज्योति भी ठीक रहती है। इसके लिए आपको, मुंह में पानी का कुल्ला भर कर अपनी आंखों को पानी से धोना है। अपने गीले हाथों को रगड़कर चेहरा व कानों तक मलें। आयुर्वेद के अनुसार इससे आंखों की रोशनी बढ़ती है।2 मौसमी संक्रमण से बचाता है सेंधा नमक के पानी से कुल्ला करनामौसम बदलने के कारण कई संक्रमण हम पर हावी हो जाते हैं जिसके कारण गले में खराश, सर्दी और साइनस जैसी समस्याएं उत्पन्न होने लगती है। ऐसे में सेंधा नमक का गुनगुना पानी आपके बेहद काम आ सकता है। सेंधा नमक के पानी से गरारा या कुल्ला करने से वायरस और बैक्टीरिया ब्लॉक हो जाते हैं। इसके अलावा नमक के पानी से गरारे से मसूड़ों को भी फायदा पहुंचता है। ये दांतों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। नमक के पानी को काफी आसानी से तैयार किया जा सकता है इसके लिए आपको बस गर्म पानी में सेंधा नमक मिलाना है। गले की खराश को दूर करने का यह बहुत पुराना आयुर्वेदिक नुस्खा है।3 बॉडी डिटॉक्स करता है तेल का कुल्लापिपरमेंट ऑयल को आप अपने रेगुलर हेयर ऑयल में मिक्स कर सकती हैं। ऑयल पुलिंग आपके मुंह के अंदर के बैक्टीरिया को खत्म कर देती है। आयुर्वेद में तेल का कुल्ला करने की विधि को गण्डूषकर्म के नाम से जाना जाता है। वहीं पश्चिम जगत में इसको ऑयल पुलिंग कहते हैं। यह विधि सुबह बासी मुंह की जाती है। ज्यादातर लोग सरसों या तिल के तेल से कुल्ला करते हैं। हालांकि यदि आप यह कुल्ला कर रहे हैं, तो आपको ध्यान देना चाहिए कि आप इसको निगले नहीं। ऐसा करने से मुंह और दांतों के रोग तो ठीक होंगे ही, साथ में पूरी बॉडी डिटोक्सिफाई होगी।4 मुंह के छाले ठीक करता है दूध का कुल्लाकई बार पेट खराब होने के कारण मुंह के छाले गले तक पहुंच जाते हैं। जिसे ठीक करना काफी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में दूध का कुल्ला आपको काफी राहत दे सकता है। इसके लिए आपको एक या दो घूंट दूध अपने मुंह में 15 से 20 मिनट के लिए बनाए रखना है। और फिर धीरे-धीरे सटकना है। इससे आपके मुंह के छाले ठीक हो जाएंगे।5 परफेक्ट जॉ लाइन देता है सही तरीके से कुल्ला करनाकुल्ला करना एक फेशियल योगा टेक्नीक है। मुंह में पानी भर के अपने गालों को इधर-उधर फुलाना आपकी जो लाइन के लिए काफी फायदेमंद है। कुल्ला करने से आपके मसल्स में स्ट्रेच आएगा और धीरे-धीरे आप चेहरे के मसल्स में कसाव महसूस करने लगेंगी। इसके लिए आपको इसे 60 सेकंड तक दिन में 2 बार करना है।
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हम आपके लिए मूंग दाल के फायदे लेकर आए हैं. बुखार और कब्ज के रोगियों के लिए इसका सेवन बेहद फायदेमंद है. इस दाल के सेवन से शरीर को जरूरी पोषक तत्व मिलते है. मूंग की दाल डेंगू जैसी खतरनाक बीमारी से भी बचाव करती है. भारतीय भोजन में मूंग का खूब प्रयोग किया जाता है.
मूंगदाल में पाए जाने वाले पोषक तत्व-
मूंगदाल में विटामिन 'ए', 'बी', 'सी' और 'ई' की भरपूर मात्रा होती है. साथ ही पॉटेशियम, आयरन, कैल्शियम मैग्नीशियम, कॉपर, फोलेट, फाइबर की मात्रा भी बहुत होती है, जबकि कैलोरी की मात्रा बहुत कम होती है. यही वजह है कि मूंगदाल शरीर को कई रोगों से बचाने के साथ ही वजन को संतुलित रखने में भी मदद करती है.
वैसे तो सभी दालें प्रोटीन से भरपूर और सेहत का खजाना हैं. लेकिन इन सब में मूंग की दाल (moong dal) को सर्वश्रेष्ठ माना गया है. जो लोग अपने वजन को लेकर काफी कॉन्शियस रहते हैं उन्हें अपनी डाइट में मूंग की दाल को शामिल करना चाहिए. आइये जानते हैं इसके फायदे (health benefits of moong dal)
मूंगदाल के सेवन से मिलने वाले जबरदस्त फायदे--
मूंग की दाल का सेवन करने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहता है.
दाल में मौजूद फाइबर आंतों से गंदगी निकालने में मदद करता है.
हाई प्रोटीन युक्त यह दाल आपकी भूख को कम करती है और इससे वजन कंट्रोल रहता है.
नियमित सेवन से डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है.
एक शोध के मुताबिक, यह एलडीएल कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित करने में सक्षम है, जिस वजह से हार्ट की समस्या को दूर रखने के लिए इसका सेवन जरूर करना चाहिए.
मूंग की दाल मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में काफी मददगार होता है. जिससे एसिडिटी, कब्ज, मरोड़ और अपच की समस्या को कंट्रोल में रहती है.
मूंगदाल का सेवन करने का सही तरीका--
डाइट एक्सपर्ट के अनुसार, महिला हो या फिर पुरुष, सुबह-सुबह अगर अंकुरित मूंग दाल खाई जाए तो शारीरिक कमजोरी दूर हो सकती है, क्योंकि इसमें अधिक मात्रा में प्रोटीन, अमीनो एसिड और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो शरीर को कई गंभीर बीमारियों (Chronic Diseases) से बचाते हैं.