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- थकान, चिंता और तनाव जैसी समस्याओं को जब दूर करने की बात आती है, तो तेल से शरीर की मालिश करने से बहुत फायदा मिलता है। सिर की मालिश करने से सिरदर्द दूर होता है, वहीं अगर शरीर के अंगों की मालिश करते हैं तो उनमें भी ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाने के साथ ही कई लाभ मिलते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं, पैर के तलवों में तेल लगाना भी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है?पैर के तलवों में तेल लगाने के फायदे-फटी एडिय़ों से छुटकारा मिलता है: अगर आप नियमित रूप से पैर के तलवों में तेल लगाते हैं तो इससे फटी एडिय़ां, दरारें ठीक करने में मदद मिलती है। यह आपको कोमल मुलायम पैर पाने में मदद करता है। एडिय़ों की सूजन और दर्द कम करने में भी मदद करते हंै।दबी नसें खुलती हैं: पैर के तलवों में तेल लगाने और मालिश करने से ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है, जिससे पैर की दबी नसें खोलने में मदद मिलती है। इससे नसों में दर्द की समस्या भी नहीं होती है।जोड़ों में दर्द की समस्या दूर होती है: पैर के टखनों और हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए पैर और तलवों में तेल लगाकर मालिश करना बहुत लाभकारी है। इससे जोड़ों में दर्द और जकडऩ से छुटाकारा मिलता है।तनाव और चिंता कम होती है: चिंता और तनाव जैसी समस्याओं से राहत पाने के लिए पैर के तलवों में तेल लगाना एक प्रभावी उपाय है। अगर आप तेल लगाकर हल्के हाथ से मालिश करते हैं, तो आप शांत महसूस करते हैं।नींद अच्छी आती है: रात में सोने से पहले पैर के तलवों में तेल लगाने से नींद न आने, बेचैन नींद और नींद के दौरान बार-बार आंख खुलने की समस्या दूर होती है। यह आपको जल्दी सोने और गहरी नींद लेने में मदद करता है।पैर के तलवों की मालिश के लिए कौन सा तेल अच्छा है-पैर के तलवों की मालिश के लिए आप सरसों और नारियल तेल का प्रयोग कर सकते हैं। साथ ही आप पैर के तलवों में देसी घी भी लगा सकते हैं। इससे भी सेहत को जबरदस्त फायदे मिलते हैं। बस आपको तेल या घी को पैर के तलवों पर लगाने से पहले हल्का गर्म कर लेना, उसके बाद पैरों की अच्छी तरह मालिश करनी है।
- दही और प्याज खाने से आपकी सेहत को कई फायदे मिल सकते हैं। दही और प्याज में मौजूद गुण शरीर को ठंडक देने के लिए अलावा आपके पाचन तंत्र को भी दुरुस्त रखने का काम करते हैं। आइए जानते हैं सेहत के लिए दही और प्याज खाने के फायदे और सावधानियों के बारे में।1. पाचन के लिए बेहतरीनपाचन तंत्र को मजबूत बनाने के लिए दही और प्याज का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। दही और प्याज खाने से आपकी आंतों को फायदा मिलता है और पेट में खराबी की समस्या से छुटकारा मिलता है। दही में मौजूद गुण आंतों में फायदेमंद बैक्टीरिया बढ़ाने का काम करते हैं।2. स्किन के लिए फायदेमंददही और प्याज खाना स्किन के लिए भी बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसमें मौजूद गुण आपकी स्किन को बेहतर बनाते हैं और कई समस्याओं से छुटकारा दिलाने में फायदेमंद होते हैं। इसका सेवन करने से आपकी स्किन को संक्रमण से बचाने में भी फायदा मिलता है।3. इम्यूनिटी बढ़ाने में फायदेमंददही और प्याज खाने से आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी बूस्ट होती है। इन दोनों में मौजूद गुण शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाकर बीमारियों और संक्रमण से लडऩे की क्षमता बढ़ाते हैं। कई शोध और अध्ययनों में भी इस बात की पुष्टि की गयी है।4. वेजाइनल इन्फेक्शन में फायदेमंददही और प्याज खाने से आपको वेजाइनल इन्फेक्शन की समस्या में भी फायदा मिलता है। इसलिए महिलाओं को दही और प्याज खाने की सलाह दी जाती है। इसमें मौजूद गुण यीस्ट इन्फेक्शन के खतरे को कम करने में फायदेमंद होते हैं।5. हाई ब्लड प्रेशर में फायदेमंदहाई ब्लड प्रेशर की समस्या में दही और प्याज का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के एक सर्वे में कहा गया है कि दही का सेवन करने वाले लोगों में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या का खतरा अन्य लोगों की तुलना में बेहद कम होता है।6. हड्डियों के लिए फायदेमंदहड्डियों को मजबूत बनाने के लिए दही और प्याज का सेवन बहुत फायदेमंद है। दही और प्याज दोनों में ही कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा होती है। इसका सेवन करने से आपकी हड्डियां मजबूत होती हैं और बोन डेंसिटी बढ़ाने में मदद मिलती है।हालांकि जिस तरह से किसी भी फूड का सेवन फायदे के साथ-साथ कुछ लोगों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। उसी तरह से प्याज और दही खाना भी कुछ लोगों के लिए नुकसानदायक माना जाता है। कई लोगों में दही और प्याज खाने से एसिडिटी, एक्जिमा, सोराइसिस जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए इसका सेवन करते समय सावधानियों का ध्यान रखें। दही के रायते में प्याज मिलाकर खाना फायदेमंद होता है। .
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सिरदर्द सबसे आम परेशानी। शायद ही दुनिया में कोई ऐसा व्यक्ति होता जिसे कभी सिरदर्द नहीं हुआ होगा। कुछ लोग तो ऐसे होते हैं, जिनकी सुबह की शुरुआत ही सिरदर्द से होती है। सिरदर्द के कई कारण होते हैं। नींद पूरी न होना, स्ट्रेस, थकान, मेडिकल कंडीशन, शोर आदि। कई बार ऐसा भी होता है कि हमें सिरदर्द की कोई वजह समझ नहीं आती। ऐसे में कई लोग तो सिरदर्द होने पर हमेशा पेनकिलर का सहारा लेते हैं। उन्हें पेनकिलर्स खाने की इतनी आदत पड़ जाती है कि माइल्ड पेन होने पर भी वे बार-बार पेनकिलर्स लेने लगते हैं जबकि हमेशा पेनकिलर खाना सेहत पर भारी पड़ सकता है। इससे आपको कई हेल्थ इश्यू भी हो सकते हैं। आइए, जानते हैं सिरदर्द होने पर आप क्या उपाय कर सकते हैं-
हेड मसाज
सिर की मालिश को कभी भी लाइट न लें, खासकर अगर आपके सिर में दर्द हो रहा है, तो आपको किसी भी ऑयल से हेड मसाज जरूर करानी चाहिए। इससे आपकी नसों को काफी आराम मिलता है और सिरदर्द से भी राहत मिलती है।
आइस पैक
बर्फ के टुकड़ों को किसी कपड़े में लपेटकर माथे पर हल्के हाथों से दबाएं। इससे आपको दर्द से आराम मिलेगा। आप थोड़ी-थोड़ी देर में भी आइस पैक को माथे पर लगा सकते हैं। सिरदर्द को ठीक करने में यह सबसे कारगर उपाय है।
हॉट राइस बैक
इसके लिए आपको कच्चे चावल को तवे पर गर्म करना है। इसके बाद इन चावलों को किसी पॉलीबैग में भर लें। इससे आप माथे पर सेंक लगा सकते हैं। इससे भी आपका सिरदर्द काफी हद तक ठीक हो जाता है।
लैवेंडर ऑयल
लैवेंडर ऑयल का इस्तेमाल अरोमा थेरेपी में किया जाता है। इससे आपको शांति और सुकून मिलता है। इसके लिए सबसे पहले लैवेंडर ऑयल को गर्म कर लें और इसे किसी ऐसी जगह पर रख दें, जिससे इसकी महक अच्छी तरह आए।
पानी
कभी-कभी पानी की कमी से भी शरीर खासकर सिर में दर्द होता है। ऐसे में शरीर को हाइड्रेट रखें और तेजी से कम से कम दो गिलास ठंडा पानी पिएं। इससे भी सिरदर्द में काफी आराम मिलता है।
ब्रीदिंग एक्सरसाइज
ब्रीदिंग एक्सरसाइज को कम से कम 10 मिनट तक करें। इस एक्सरसाइज को करने से आपको काफी आराम मिलता है। ब्रीदिंग एक्सरसाइज से नसें काफी रिलेक्स हो जाती हैं।
आयुर्वेदिक चाय
आयुर्वेदिक चाय भी सिरदर्द को ठीक करने में कारगर मानी जाती हैं। आप मसाला चाय भी पी सकते हैं। कोशिश करें कि चाय को गर्म सिप-सिप करके पिएं। ठंडी चाय आपका सिरदर्द बढ़ा सकती है। -
टमाटर में लाइकोपीन नाम का एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है, जो इम्युनिटी बढ़ाने में मदद करता है। टमाटर और उससे बनी गोलियों को कई बीमारियों का इलाज माना जाता था। इसके अलावा, हल्दी और काली मिर्च जैसे मसाले भी बरसात के मौसम में गले की खराश और मौसमी बीमारियों को ठीक करने में कारगर होते हैं। आज हम आपको कच्चे टमाटर का अचार बनाना सिखा रहे हैं, जो मानसून स्पेशल रेसिपी है। इस अचार की रेसिपी में सामग्री का एक सही अनुपात है, जो मौसमी बीमारियों से बचाव के साथ आपकी इम्यूनिटी भी स्ट्रॉन्ग करती है। इस अचार में फाइबर की मात्रा बेहतर होने के साथ इससे डाइजेशन सिस्टम भी बेहतर होता है।
किन सामग्री का करें इस्तेमाल-
कच्चा टमाटर
सरसों का तेल
राई
लहसुन का पेस्ट
करी पत्ता
साबुत लाल मिर्च
नमक
काली मिर्च
नींबू
कैसे बनाएं-
टमाटर की इस आसान रेसिपी से शुरुआत करने के लिए 200 ग्राम हरे टमाटर को धोकर साफ कर लें। इसके बाद इन्हें छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें और एक तरफ रख दें। इस बीच, एक पैन गरम करें और उसमें 2 बड़े चम्मच सरसों का तेल डालें। तेल के गरम होने पर इसमें 1 छोटा चम्मच राई, 1 छोटा चम्मच लहसुन का पेस्ट, करी पत्ता और साबुत लाल मिर्च डालें। इसे अच्छी तरह से टॉस करें और इन्हें फूटने दें। इसके बाद, कुछ 1 बड़ा चम्मच चना दाल और 1/2 कप नारियल डालें, इसे 1 चम्मच लाल मिर्च पाउडर, 1/2 चम्मच हल्दी, 1/2 चम्मच काली मिर्च के साथ अच्छी तरह से टॉस करें और हरा टमाटर डालें। स्वादानुसार नमक डालें। अचार को पकाएं, थोड़ी चीनी और नींबू का रस (वैकल्पिक) डालें। टमाटर के गलने तक पकाते रहें। इसे रोटी, परांठे या चावल के खाने के साथ खाएं। - -स्वस्थ लीवर के लिए प्रतिदिन 4-5 आंवले का सेवन है लाभकारीरायपुर। आजकल प्रत्येक व्यक्ति को पेट से संबंधित कुछ न कुछ परेशानी लगी रहती है। इस परेशानी का प्रमुख कारण यकृत यानि लीवर की कार्यप्रणाली में अवरोध भी है। आजकल लोग अपने खान-पान पर विशेष ध्यान नहीं दे पाते हैं, जिसकी वजह से लीवर संक्रमित हो जाता है, या लीवर संबंधी अन्य परेशानी हो जाती है। जैसे लीवर का फैटी होना, सूजन आ जाना और लीवर में इन्फेक्शन हो जाना इत्यादि। हमारा खाना ठीक प्रकार से नहीं पच रहा है या हमें पेट में किसी प्रकार की परेशानी आ रही है तो हमें समझ जाना चाहिए कि ये लीवर में संक्रमण के लक्षण हैं। इसे अनदेखा करना घातक साबित हो सकता है।शासकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय, रायपुर के सह-प्राध्यापक डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि ज्यादातर लीवर संक्रमण अधिक तेल-मसाले वाला भोजन, ज्यादा शराब पीने या बाहर का खाना अधिक खाने की वजह से होता है। लीवर संक्रमण के कई लक्षण हो सकते हैं जैसे- मुंह से गंदी बदबू आना, आंखों के नीचे काले धब्बे पड़ना, पेट में हमेशा दर्द रहना, भोजन का सही ढंग से नहीं पचना, त्वचा पर सफेद धब्बे पड़ना, पेशाब या मल गहरे रंग का होना इत्यादि। ये लीवर की खराबी के सामान्य लक्षण हैं। लीवर की खराबी के कुछ अन्य लक्षण भी हो सकते हैं जो हमें जांच के बाद ही पता चल पाता है।यदि पाचन तंत्र में खराबी हो या लीवर पर वसा जमा हो या फिर वह बड़ा हो गया हो तो ऐसे में पानी भी नहीं हजम होगा। इनके चलते त्वचा पर सफेद धब्बे पड़ने लगते हैं जिसे लीवर स्पॉट भी कहा जाता है। अगर हमारा लीवर सही से कार्य नहीं कर रहा होता है, तो मुंह से गन्दी बदबू भी आने लगती है क्योंकि मुंह में अमोनिया ज्यादा रिसता है, आंखों के नीचे धब्बे पड़ने लगते हैं जिस पर आपके खराब स्वास्थ्य का असर साफ दिखाई देने लगता है। लीवर को स्वस्थ रखने के लिए आयुर्वेद में कुछ उपाय बताए गए हैं।डॉ. शुक्ला ने बताया कि आंवला विटामिन-सी का सबसे अच्छा स्त्रोत है। यह लीवर को कार्यशील बनाने में मदद करता है। स्वस्थ लीवर के लिए दिन में 4 से 5 आवंले का सेवन जरूर करें। पालक और गाजर के रस का मिश्रण लीवर सिरोसिस के लिए फायदेमंद उपाय है। इसी तरह पपीते के रस में आधा चम्मच नींबू का रस मिलाकर पीने से पेट संबंधी कई परेशानियों से निजात मिलती है। स्वस्थ लीवर के लिए आवश्यक है कि अपने आहार को नियंत्रित रखें तथा इसमें विटामिन-सी युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करें। लीवर संबंधी कोई भी शिकायत होने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेवें।
- हाई ब्लड प्रेशर यानी हाइपरटेंशन खराब जीवनशैली की वजह से होने वाली एक सामान्य समस्या है। जो कई बार रोगी की मौत का कारण भी बन सकती है। यही वजह है कि इस रोग को साइलेंट किलर भी कहा जाता है।हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को हार्ट अटैक, हार्ट फेल्योर, किडनी फेल्योर, कार्डियक अरेस्ट आदि बीमारियों का खतरा ज्यादा रहता है। हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों को अपना ब्लड प्रेशर कंट्रोल रखने के लिए दवा का सहारा लेना पड़ता है। लेकिन क्या आप जानते हैं अपनी डाइट में कुछ बदलाव करके भी आप अपने ब्लडप्रेशर को कंट्रोल कर सकते हैं। जी हां और ऐसी ही एक चीज है खीरे का जूस। खीरे का जूस पीने से न सिर्फ आपका ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहता है बल्कि ये आपके शरीर में मौजूद टॉक्सिन्स को भी बाहर निकाल देता है। आइए जानते हैं खीरे का जूस पीने से व्यक्ति को मिलते हैं क्या फायदे और क्या है इसे बनाने का सही तरीका।खीरे में मौजूद पोषक तत्व-खीरे में कैल्शिमय, नेट्रियम, पोटैशियम आदि कई मिनरल्स पाए जाते हैं। खीरे में कैलोरी बहुत कम होती है क्योंकि इसका ज्यादातर हिस्सा पानी होता है। इसलिए खीरे के खाने से वजन भी घटता है। इन मिनरल्स के अलावा खीरे में कार्बोहाइड्रेट, फैट, फाइबर, ग्लूकोज, प्रोटीन, विटामिन ए, विटामिन बी 12, विटामिन बी 6, विटामिन सी और विटामिन डी भी भरपूर पाया जाता है।कैसे बनाया जाता है खीरे का जूस-खीरे का जूस बनाने के लिए जरूरी सामान--3 मध्यम आकार के खीरे-पानी जरूरत अनुसार-नींबू का रसखीरे का जूस बनाने का तरीका-खीरे का जूस बनाने के लिए सबसे पहले खीरे के छिलके निकालकर उसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। अब खीरे के इन टुकड़ों को ब्लेंडर में डालकर अच्छी तरह ब्लेंड कर लें। ब्लेंड करने के बाद इसे बर्तन में सूती कपड़े या महीन छन्नी से छान लें। इसे दबाकर जितना संभव हो जूस निकाल लें।अगर जूस ज्यादा गाढ़ा लग रहा हो तो इसमें थोड़ा सा पानी मिला लें। इस जूस में एक चम्मच नींबू का रस मिलाकर इसे फ्रिज में रख लें। ठंडा होने पर सर्व करें।खीरे का जूस पीने के फायदे-वेट लॉस-खीरे के जूस में कई तरह के विटामिन और मिनरल तत्व मौजूद होते हैं जो शरीर को डिटॉक्स करके वेट लॉस में मदद करते हैं।स्ट्रेस लेवल करें कम-खीरे के जूस में मैग्नीशियम भी अधिक मात्रा में होता है, जो रक्तचाप को बहुत कम या बहुत अधिक होने से रोकता है। ये मैग्नीशियम स्ट्रेस कम करने के साथ-साथ नींद अच्छी लेने में मदद करता है।ब्लड प्रेशर में खीरा-ब्लड प्रेशर में पोटैशियम वाले आहारों का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। पोटैशियम ब्लड प्रेशर को रेगुलेट करता है। एक बड़े खीरे में लगभग 442 मिलीग्राम पोटैशियम होता है। इसलिए हाइपरटेंशन के मरीजों को इसका नियमित सेवन करना चाहिए।पेट संबंधित दिक्कत करें दूर-पेट संबंधित समस्याएं जैसे गैस, अपच, ब्लोटिंग, पेट में सूजन, पेट या सीने में जलन होती है तो आपको खीरे का जूस जरूर ट्राई करना चाहिए। इसे पीने से राहत मिलती है।
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अगर शुद्ध घी खाया जाए तो ये हमारी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। घी खाने से हमारा शरीर हेल्दी रहता है, साथ ही इससे शरीर डिटॉक्सीफाई भी होता है। घी में गुड कोलेस्ट्रॉल पाया जाता है, जो दिल के लिए काफी अच्छा होता है।आजकल बाजार में कई कंपनियां घी बेच रही हैं और सभी शुद्ध घी बेचने का दावा कर रही हैं। लेकिन क्या जो बाजार में मिलने वाला घी हम खा रहे हैं, वो वाकई शुद्ध है? या मिलावटी को पहचानने के क्या तरीके हैं और ये सेहत को कैसे नुकसान पहुंचा सकता है? इस लेख में हम इन बातों को जानेंगे।
घी के डिब्बे से 4 से 5 चम्मच घी निकालिए। उसे गैस पर रखकर थोड़ा सा उबालें। ध्यान रखें गैस को धीमी आंच पर ही रखें। फिर इस घी 24 घंटों के लिए अलग रख दें। अगर 24 घंटे के बाद भी घी से महक आए और यह दानेदार दिखे, तो समझिए कि घी असली है। अगर घी में से अजीब सी गंध आए, तो घी नकली हो सकता है।हथेलियों पर घी को मलेंघी की पहचान करने के लिए थोड़ा सा घी हथेली पर रखकर उसे अच्छी तरह से रगड़ें। 7-8 मिनट के बाद उसे सूंघकर देखें। अगर वह घी शुद्ध होगा, तो उससे अच्छी खुशबू आएगी। अगर महक आनी बंद हो गई है या अजीब सी महक आ रही है, तो घी नकली है।हाइड्रोक्लोरिक एसिडमिलावटी घी को चेक करने के लिए एक चम्मच घी में 5 मिलीलीटर हाइड्रोक्लोरिक एसिड डालें। अगर घी का रंग बदलकर लाल हो जाता है, तो समझ जाइए कि घी में डाई मिक्स की गई है, जो सेहत के लिए काफी हानिकारक हो सकती है।पानी का इस्तेमालनकली घी पता करने के लिए पानी का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। इसके लिए एक गिलास पानी में एक चम्मच घी डालें। अगर घी पानी के ऊपर तैरने लगे, तो आप समझें कि घी असली है। अगर घी पानी के नीचे बैठ जाता है, तो घी नकली हो सकता है।घी को गर्म करके देखेंघी के रंग को पहचानकर भी हम नकली घी की पहचान कर सकते है। इसके लिए एक चम्मच घी को पिघलाकर देखें। अगर घी पिघल कर गहरे भूरे रंग में बदल जाता है, तो यह शुद्ध है। अगर पिघलने में समय लगता है और हल्के पीले रंग में बदल जाता है, तो वह मिलावटी हो सकता है।नकली घी खाने के नुकसान-नकली घी खाने से हार्ट की बीमारी और हाई बीपी की समस्या हो सकती है।-नकली घी खाने से लिवर खराब होने की संभावना काफी बढ़ जाती है।-नकली घी खाने से गर्भपात का खतरा भी बढ़ जाता है। गर्भवती महिला कोशिश करें कि घर का बना हुआ घी ही खाएं।-नकली घी खाने से दिमाग में सूजन भी आ सकती है।-मिलावटी घी खाने से पेट खराब, अपच और गैस जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।-मिलावटी घी में अनहेल्दी फैट भी मिला हो सकता है, जिससे आपका कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है। - रात में दूध पीना सेहत के लिए फायदेमंद होता है, ये आपने जरूर सुना होगा। कई बार हम दूध को टेस्टी और पौष्टिक बनाने के लिए दूध में बाजार से लाये हुए विभिन्न तरह के पाउडर मिलाते हैं। ये पाउडर दूध का टेस्ट तो बढ़ा देते हैं, लेकिन कई बार शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं। दूध को पौष्टिक और टेस्टी बनाने के लिए रात को दूध में खजूर डालकर पिएं। ये आपकी सेहत को तो हेल्दी रखेगा ही, इसका टेस्ट भी आपको बहुत पसंद आएगा। खजूर और दूध मिलकर शरीर को ताकत देते हैं, साथ ही ये पेट के लिए भी काफी फायदेमंद होता है। आइये जानते है रात में दूध में खजूर डालकर खाने के फायदे।अच्छी नींददूध कैल्शियम का अच्छा स्रोत है और खजूर मैग्नीशियम का। दूध में खजूर डालकर खाने से दूध का टेस्ट काफी अच्छा हो जाता है। सोने से पहले दूध में 4-5 खजूर डालकर खाने से नींद काफी अच्छी आती है क्योंकि इसमें मौजूद मैग्नीशियम नींद लाने में मदद करता है। जिन लोगों को अनिद्रा की शिकायत रहती है, उन लोगों के लिए रात को दूध में खजूर डालकर पीना काफी फायदेमंद होता है।स्किन के लिएखजूर में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जो एजिंग के साइन को धीमा करने में मददगार होते हैं। इसके सेवन से स्किन पर बढ़ती उम्र का असर कम होता है। दूध में खजूर डालकर नियमित रुप से पीने से चेहरे पर ग्लो बढ़ता है। इसको पीने से शरीर में ताकत भी आती है।एनीमिया की समस्या को करे दूरदूध और खजूर खाने से एनीमिया की समस्या कुछ ही दिनों में आसानी से दूर हो जाती है। खजूर आयरन का बहुत अच्छा स्रोत माना जाता है। आयरन की कमी की वजह से ही एनीमिया की शिकायत होती है। इस समस्या को दूर करने के लिए दूध में खजूर डालकर खाएं। इससे आपका हीमोग्लोबीन बढ़ता है और एनीमिया की समस्या दूर होती है।प्रेग्नेंसी में फायदेमंदप्रेग्नेंसी में कई बार महिलाओं में हीमोग्लोबीन की मात्रा काफी कम हो जाती है। ऐसे में दूध में खजूर डालकर खाने से ये समस्या दूर की जा सकती है। दूध में मिलाकर खजूर खाने से भ्रूण का विकास भी अच्छे से होता है। दूध में भिगोकर खजूर खाने से ऑक्सिटोसिन की मात्रा बढ़ती है जो डिलीवरी के समय यूटरस की सेंसिटिविटी को बढ़ाने का कार्य करता है। ध्यान रखें प्रेग्नेंसी में दूध में खजूर मिलाकर खाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर परामर्श लें। गर्भावस्था में इसका सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।पाचन तंत्र में सुधाररात में दूध में खजूर डालकर पीने पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है। खजूर में भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जो पेट को साफ रखने में मदद करता है। इसे नियमित रूप से पीने पर कब्ज की समस्या नहीं होती। खजूर पेट को साफ रखने में मदद करता है।कैसे करें दूध और खजूर का सेवनदूध को धीमी आंच पर रखें। जब दूध थोड़ा गर्म हो जाए, तो उसमें 5 से 6 खजूर डालें। दूध और खजूर को थोड़ी देर पकने दें ताकि खजूर का सारा फ्लेवर दूध में आ जाए। इसके बाद खजूर खा लें और दूध को हल्का गर्म पी लें।
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आजकल ज्यादातर महिलाएं घुटनों के दर्द की समस्या से परेशान रहती हैं। जिसका मुख्य कारण आधुनिक जीवन शैली और खानपान की गलत आदतें हो सकती हैं। मांसपेशियों में जकड़न और जोड़ों का दर्द ज्यादातर लोगों को रात में परेशान करता है। लेकिन अकसर लोग इस दर्द को नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे यह समस्या भविष्य में और ज्यादा बढ़ जाती है। अगर आप भी घुटनों के दर्द से परेशान रहते हैं तो सबसे पहले जानें क्या हैं इसके पीछे छिपे कारण और बचाव के उपाय।
पुरुषों की तुलना में महिलाओं को इन वजहों से होता है घुटनों में ज्यादा दर्द-
-महिलाओं की शारीरिक संरचना कुछ इस प्रकार की होती है कि उनके जॉइंट्स की मूवमेंट्स अधिक होने के अलावा उनके लिगामेंट्स भी अधिक लचीले होते हैं, जिससे वो घुटनों की मूवमेंट अधिक करती हैं। जिसकी वजह से दर्द की आशंका अधिक बढ़ जाती है।
-घुटनों को हेल्दी रखने में फीमेल हार्मोन एस्ट्रोजन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लेकिन पीरिड्स के दौरान और मेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजन हार्मोंन के लेवल में कमी आ जाती है। एस्ट्रोजन का स्तर कम होने से घुटनों के जोड़ों को सहारा देने वाले गद्देदार कार्टिलेज पर असर पड़ता है।
-महिलाएं, पुरुषों की तुलना में मोटापे की शिकार अधिक होती हैं, इस कारण दबाव पड़ने से घुटने खराब होते हैं। वजन बढ़ने से घुटनों पर दबाव ज्यादा पड़ता है। आपका वजन जितना अधिक होगा उससे पांच गुना अधिक घुटनों पर दबाव पड़ेगा। अगर आपका वजन सामान्य से 5 किलो अधिक है तो घुटनों पर 25 किलो अधिक दबाव पड़ता है।
-दर्द की अनदेखी करने से भी घुटनों में दर्द की आशंका बढ़ जाती है। घुटनों में अगर लगातार दर्द हो रहा हो, सूजन आ रही हो या उन्हें मोड़ने में समस्या हो रही हो तो इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए। अधिक समय तक अनदेखा करने से घुटने खराब हो सकते हैं। ऑस्टियोआर्थराइटिस रिसर्च सोसायटी इंटरनेशनल के अनुसार, अगर एक वर्ष से अधिक समय तक घुटनों में दर्द रहता है तो उसका कारण सामान्यत: ऑस्टियोअर्थराइटिस होता है।
-अगर घुटनों पर चोट लगी है तो उसका तुरंत इलाज कराएं, समय रहते इलाज नहीं कराया तो भविष्य में दर्द का खतरा बढ़ सकता है। घुटनों के लिगामेंट्स खिंच जाना या टूट जाना भी घुटनों की खराबी का कारण बन सकते हैं।
-जरूरत से ज्यादा व्यायाम भी आपके घुटनों की सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। ज्यादा एक्सरसाइज और रनिंग करने से नी-कैप और टेंडन पर अत्यधिक दबाव पड़ता है, जिससे उनके डैमेज होने की आशंका बढ़ जाती है।
-महिलाएं पुरुषों की तुलना में बोन मास जल्दी खोती हैं, इससे उनकी हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और जोड़ों के खराब होने की आशंका बढ़ जाती है।
घुटनों को स्वस्थ रखने के लिए अपनाएं ये तरीके-
संतुलित वजन बनाए रखें-
शरीर का अतिरिक्त वजन घुटनों पर बहुत ज्यादा प्रेशर डालता है। इसलिए अपने घुटनों की सेहत बनाए रखने के लिए संतुलित वजन बनाए रखें।
लो इम्पेक्ट एक्सरसाइज करें-
घुटनों की कार्टिलेज की रक्षा के लिए तैराकी और साइकिल चलाना जैसी कार्जियोवैस्कुलर ऐक्टिविटी फायदेमंद साबित होती है। इसके अलावा यह भविष्य में होने वाले नुकसान को रोकने में भी मददगार साबित हो सकती है।
अति-उत्साह से बचें-
जुम्बा, फंक्शनल वर्कआउट जिसमें कूदना, बैठना और तेजी से आगे पीछे होना शामिल होता है या फिर कुछ ऐसे योग आसन ( सूर्यनमस्कार, पद्मासन घुटनों के दर्द को और बढ़ा सकते हैं। इन्हें करते हुए सतर्कता बरतें।
डॉक्टर की सलाह-
घुटनों में दर्द, सूजन जैसी समस्या फील होने पर तुरंत अपने डॉक्टर की सलाह लें। घुटनों की समस्या को अनदेखा करने पर परेशानी और अधिक बढ़ सकती है। -
घंटों लैपटॉप पर बैठकर ऑफिस का काम करने या फिर ठीक से न सो पाने की वजह से अकसर लोग सिरदर्द की शिकायत करते हैं। जिससे राहत पाने के लिए ज्यादातर लोगों को पेनकिलर का सहारा लेना पड़ता है। लेकिन हर बार सिरदर्द को दूर करने के लिए पेनकिलर लेने की आदत आपकी सेहत पर भारी पड़ सकती है।
दरअसल, दर्द दबाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली इन दवाओं में एस्टेरॉएड का इस्तेमाल किया जाता है जो भविष्य में कई साइड इफेक्ट्स का कारण बन सकता है। यही वजह है कि घर के बड़े बुर्जुग सिर दर्द होने पर दवा लेने से पहले घरेलू उपाय आजमाने की सलाह पहले देते हैं।
अगर आप भी सिरदर्द से परेशान रहते हैं तो तुरंत राहत पाने के लिए घर पर ही बनाए ये असरदार बाम। जिसे लगाते ही कुछ ही देर में आपका सिरदर्द गायब हो जाएगा। इस बाम में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण छुपे होते हैं जिससे दर्द कम होता है और सूजन दूर होती है। तो आइए देर किस बात की जान लेते हैं क्या है इसे बनाने का सही तरीका।
सिर दर्द दूर करने वाले बाम को बनाने के लिए सामग्री-
-मोम- 3 चम्मच
-नारियल तेल- 3 चम्मच
-शिया बटर- 3 चम्मच
-पिपरमिंट ऑयल- 20 बूंदे
-लैवेंडर ऑयल- 15 बूंदे
सिर दर्द दूर करने वाले बाम बनाने की विधि-
सिर दर्द को दूर भगाने वाले बाम को बनाने के लिए सबसे पहले एक बाउल में मोम, नारियल का तेल और शिया बटर ले लें। अब इसे माइक्रोवेव में 1 मिनट तक गर्म करें। जब यह पूरी तरह से पिघल जाए तब इसे निकालकर ठंडा होने के लिए रख दें। जब बाउल ठंडा हो जाए तो इसमें एक-एक करके सारे तेल मिलाएं।
अब इस मिश्रण को शीशी में भर दें और ठंडा होने दें। आप इसे कुछ देर के लिए ठंडा करके जमाने के लिए फ्रिज में भी रख सकती हैं।आपका होममेड सिरदर्द दूर करने वाला बाम बनकर तैयार है। जब कभी आपके सिर में दर्द हो आप इसे अपने माथे पर लगा लें। इसे लगाने के कुछ देर बाद ही आपको आराम महसूस होने लगेगा। -
आपकी बालकनी में लगा सदाबहार का पौधा न सर्फ घर की खूबसूरती बढ़ाने का काम करता है बल्कि आपको डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसे रोगों से दूर रखने में भी आपकी मदद करता है। पांच पंखुड़ियों वाला यह फूल सफेद, गुलाबी, फालसाई, जामुनी आदि रंगों का होता है, जिसे अंग्रेजी में विंका के नाम से जाना जाता है। सदाबहार के फूल के कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। आइए जानते हैं आखिर सदाबहार का ये पौधा कौन-कौन से रोग दूर रखने में मदद करता है।
डायबिटीज करता है दूर-
सदाबहार की जड़ों में रक्त शर्करा को कम करने का गुण मौजूद होता है। ये पैंक्रियास की बीटा सेल्स को शक्ति प्रदान करता है, जिस से पैंक्रियास सही मात्रा से इन्सुलिन निकालने लगती है। इन्सुलिन ही वो हॉर्मोन है जो ब्लड में शुगर की मात्र को संतुलित करके रखता है।हाई ब्लड प्रेशर-सदाबहार की जड़ में अजमलिसिन और सर्पटाइन नामक क्षाराभ पाए जाते हैं, जो के एंटी अतिसंवेदनशील होते हैं। ये गुण उच्च रक्तचाप के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। इसकी जड़ को साफ करके सुबह चबाकर के खाने से हाई ब्लड प्रेशर में काफी आराम मिलता है।पेट के लिए फायदेमंद-सदाबहार की जड़ का उपयोग पेट की सेहत को बनाए रखने के लिए भी किया जाता है। जिन लोगों को कब्ज रहता है या फिर पेट के अन्य रोग परेशान करते हैं, उनके लिए भी यह पौधा बहुत लाभदायक होता है।मुंह व नाक से खून निकलना-विकां का उल्लेख ब्रिटेन औषधीय शास्त्र में सातवीं शताब्दी में मिलता है। कल्पचर नामक ब्रिटिश औषधी विशेषज्ञ ने मुंह व नाक से खून निकलने इसके प्रयोग की सलाह दी थी। लॉर्ड बेकन ने भी अंगों की जकड़न में इसका प्रयोग को लाभदायक बताया। वैसे स्कर्वी, अतिसार, गले में दर्द, टांसिल्स में सूजन, रक्तस्नव आदि में भी यह लाभदायक होता है।डिप्थीरिया रोग में फायदेमंद-सदाबहार की पत्तियों में मौजूद विण्डोलीन नामक क्षार डिप्थीरिया के जीवाणु कारिनेबैक्टिीरियम डिप्थेरी के खिलाफ सक्रिय होता है। इसलिये इसकी पत्तियों के सत्व का उपयोग डिप्थिीरिया रोग के उपचार में किया जा सकता है। - ज्यादातर लोगों के बीच जोड़ों का दर्द और सूजन एक आम समस्या बन गया है। इसके पीछे कहीं न कहीं हमारा खानपान, हमारी खराब दिनचर्या और हमारा अनुशासन का पालन न करना शामिल है। सिर्फ बुजुर्ग ही नहीं, बल्कि युवा भी काफी संख्या में इस बीमारी से ग्रसित हैं। जोड़ों का दर्द एक ऐसी समस्या है जो किसी भी उम्र में आपको परेशान कर सकती है। इस दर्द के कारण पैरों या हाथों को हिलाना भी मुश्किल हो जाता है। हालांकि कई बार यह दर्द असहनीय हो जाता है जो इलाज के बाद भी बंद नहीं होता है। ऐसे में आप भी अगर जोड़ों के दर्द से परेशान रहते हैं तो राहत पाने के लिए इन 5 तेलों से रोजाना करें मालिश।जैतून का तेल-इस तेल से हड्डियों की मालिश करने से ब्लड सर्कुलेशन बढ़ने के साथ मांसपेशियों में ऐंठन, दर्द, तनाव को भी दूर किया जा सकता है। इसके अलावा यह स्किन में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को भी कम करने में मदद कर सकता है।अरंडी का तेलअरंडी के तेल से मालिश करने से जोड़ों का दर्द कम होता है और सूजन की भी परेशानी कम होती है। इस तेल से मालिश करने से शरीर का दर्द धीरे-धीरे गायब हो जाता है।बादाम का तेल-हड्डियों की मजबूती के लिए बादाम तेल का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इस तेल में विटामिन ई पाया जाता है, जो अल्ट्रा-वॉयलेट किरणों से स्किन को सुरक्षा प्रदान करता है।नारियल का तेल-घुटने के दर्द के इलाज के लिए नारियल का तेल फायदेमंद हो सकता है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक गुणों के साथ-साथ लॉरिक एसिड का उच्च स्तर होता है। जो आपके घुटने के दर्द को कम कर सकता है।तिल का तेलतिल के तेल में ओमेगा-3 फैटी एसिड, कॉपर, जिंक, कैल्शियम, मैग्नीशियम, प्रोटीन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। ऐसे में इस तेल से हड्डियों की मालिश करने से आपकी हड्डियों को मजबूती मिलती है। नियमित रूप से तिल के तेल का इस्तेमाल करने से आपकी स्किन भी मॉइस्चराइज रहती है।फिश ऑयल-हड्डियों और ज्वाइंट्स पेन की समस्याओं को दूर करने के लिए फिश ऑयल यानी मछली का तेल भी एक सप्लीमेंट्स के रूप में यूज किया जा सकता है। यह तेल ओमेगा -3 फैटी एसिड से भरपूर होता है। इस तेल का इस्तेमाल करने से सिर्फ हड्डियां ही मजबूत नहीं बनती बल्कि इम्यूनिटी भी अच्छी हो सकती है।सरसों का तेलसरसों का तेल हड्डियों की मजबूती के साथ शरीर की सूजन और ज्वाइंट पेन को भी कम करने में मदद करता है। इसके लिए आपको आधी कटोरी तेल को गर्म कर उसमें एक या दो लहसुन की कली डाल दें। अब तेल को ठंडा करें और फिर इस तेल से हाथों और पैरों की जमकर मालिश करें। इससे आपको जोड़ों के दर्द में आराम मिलेगा। हड्डियों की मजबूती के लिए आप इसे भोजन पकाते समय भी इस्तेमाल कर सकती हैं।
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स्किन केयर के लिए कोलेजन ट्रेंडी मंंत्र है। अगर इसका सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो आपकी कई स्किन प्रॉब्लम्स हील हो सकती है। आपकी स्किन प्रॉब्लम को ठीक करने के साथ एजिंग प्रोसेस को भी स्लो डाउन करने के लिए कोलेजन काफी फायदेमंद है। अगर आप उन लोगों में से हैं, जो अपनी स्किन की बहुत देखभाल करना पसंद करते हैं और अपनी स्किन को लेकर अवेयर हैं, तो यह आपके लिए है। कोलेजन की खुराक लेने से हाइड्रेट रहती है। कोलेजन मुख्य घटकों में से एक है जो आपकी स्किन को सॉफ्ट बनाता है। कुछ फूड्स ऐसे हैं, जिन्हें खाने से आपकी शरीर में कोलेजन का लेवल बढ़ता है।
अंडेअंडे में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। खासकर अंडे की सफेदी में अमीनो एसिड ग्लाइसिन और प्रोलाइन की मात्रा विशेष रूप से अधिक होती है, ये दोनों ही शरीर में कोलेजन बनाने के लिए जरूरी हैं। अंडे का सेवन आपके शरीर को कोलेजन प्रदान करता है।मीटमीट जिनमें पोक और रेड मीट शामिल है, वे बहुत फायदेमंद है। इन जानवरों में बहुत सारे कनेक्टिव टिश्यू होते हैं, जो इंसानों के लिए बहुत फायदेमंद है। इससे कोलेजन लेवल बढ़ता है। साथ ही आपके बाल भी हेल्दी रहते हैं।फिशमीट और अंडे की तरह ही फिश भी बहुत फायदेमंद है। मछली खाने से न सिर्फ आपकी स्किन बेहतर होती है बल्कि आपकी आंखों और बालों के लिए भी फिश बहुत फायदेमंद है।संतरासंतरा विटामिन-सी का सबसे अच्छा स्त्रोत है। संतरे खाने से भी आप स्किन की कई प्रॉब्लम्स को दूर कर सकते हैं। जिस तरह डॉक्टर रोजाना एक सेब खाने की सलाह देते हैं, उसी तरह एक संतरा भी रोजाना खाना चाहिए। - पौष्टिक गुणों से भरपूर शलजम एक स्वास्थ्यवर्धक कन्दीय मूल सब्जी है। शलजम को सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। मौसमी बीमारियों जैसे सर्दी, खांसी, बुखार से बचाने में शलजम मददगार है । इसे औषधीय गुणों की खान माना जाता है। शलजम एक ऐसा कंद (सब्जी) है जिसका सेवन शरीर में कई पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए किया जाता है। शलजम में विटामिन-सी, विटामिन-के, बीटा कैरोटिन और पोटैशियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर को कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचाने में मदद कर सकते हैं। शलजम को आहार में जूस और सलाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। शलजम के सेवन से इम्यूनिटी को मजबूत बनाया जा सकता है। शलजम में एंटी-ऑक्सीडेंट गुण पाया जाता है, जो सेहत के साथ-साथ स्किन के लिए भी अच्छा माना जाता है।शासकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय, रायपुर के सह-प्राध्यापक डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि शलजम को आयुर्वेद में औषधि के रुप में प्रयोग किया जाता है। शलजम मधुर, थोड़ा गर्म, छोटा तथा वात, पित्त और कफ को दूर करने वाला होता है। यह खाने में रुचि बढ़ाने वाला, पेट संबंधी समस्या तथा ज्वर में फायदेमंद होता है। इसकी जड़ें और पत्तियां पित्त को बढ़ाने वाला और कृमि से निजात दिलाने वाला होता है। शलजम श्वास संबंधी समस्या, खांसी, अश्मरी या पथरी, अर्श या बवासीर, अरुचि व गर्भावस्था के बाद के रक्तस्राव में हितकर होता है। शलजम खाने से शरीर में खून की कमी नही रहती है क्योंकि इसमें आयरन प्रचुर मात्रा में होता है जिससे अनीमिया के रोगियों को फायदा मिलता है।शलजम के सेवन के अनेक फायदे हैं। इससे शरीर की सुस्ती व भारीपन दूर होता है। यह नेत्रों के लिए उपयोगी और पेट संबंधी बीमारियों को दूर करता है। यह शरीर की मांसपेशियों एवं हड्डियों के लिए बहुत फायदेमंद होती है। इसके सेवन से चेहरे पर चमक आती है। हाथ व पैरों के नाखून मजबूत होते हैं । बालों के लिए भी यह काफी फायदेमंद होता है। इसका उपयोग हाजमे को दुरूस्त करता है व पेशाब संबंधी रोगों के लिए भी लाभदायक है। सुजाक आतशक के रोगों में पेशाब की रूकावट को दूर करती है। गले में सूजन एवं आवाज भारी होने पर शलजम का उपयोग लाभकारी है।शलजम के जड़ तथा पत्ते का प्रयोग सलाद के रुप में तथा सब्जी के रुप में किया जाता है। इसके पत्ते मूली के पत्ते जैसे होते हैं। इसके फूल पीले रंग के होते हैं। इसकी जड़ कुंभरुपी, गोल, सफेद तथा हल्के बैंगनी व गुलाबी रंग की आभा से युक्त होती है। शलजम के अनेक औषधीय गुण हैं किंतु बीमारियों के उपचार के लिए शलजम का प्रयोग चिकित्सकीय परामर्श के अनुसार ही करें।
- मॉनसून के दौरान त्वचा के रोग और बीमारियां बढ़ने लगती हैं। मौसमी बीमारियों से बचने के लिए इम्यूनिटी का मजबूत होना जरूरी है। इम्यूनिटी को बेहतर करने के लिए तुलसी और काली मिर्च फायदेमंद मानी जाती है। तुलसी और काली मिर्च में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। इंफेक्शन, सूजन, चोट आदि समस्याओं को दूर करने के लिए आप तुलसी और काली मिर्च का सेवन कर सकते हैं। काली मिर्च की मदद से शरीर में ई-कोलाई जैसे बैक्टीरिया को दूर करने में मदद मिलती है। वहीं तुलसी में एंटीऑक्सीडेंट कंपाउंड्स पाए जाते हैं। इन कंपाउंड्स की मदद से माइक्रोब्स के खिलाफ शरीर को सुरक्षा मिलती है। आप मॉनसून के दौरान तुलसी और काली मिर्च की मदद से कुछ हेल्दी ड्रिंक्स बना सकते हैं। जानते हैं ऐसी 5 हेल्दी ड्रिंक्स के बारे में।1. हर्बल टी-तुलसी और काली मिर्च से बनने वाली चाय पीने में स्वादिष्ट और सेहत के लिए फायदेमंद होती है। मॉनसून के दौरान होने वाली सर्दी-खांसी और गले में इंफेक्शन जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए आप चाय की पत्तियों के साथ तुलसी और काली मिर्च को उबालें और छानकर चाय का सेवन करें।2. काढ़ामॉनसून में इम्यूनिटी बढ़ाने, बैक्टीरियल इंफेक्शन और बुखार आदि समस्याओं से बचने के लिए आप तुलसी और काली मिर्च से बनने वाले काढ़े का सेवन करें। काढ़ा बनाने के लिए एक बर्तन में पानी को उबालें। उसमें लौंग, काली मिर्च, अदरक और तुलसी को डालकर उबालें। धीमी आंच पर पकाने के बाद जब पानी आधा हो जाए, तो उसमें शहद डालकर काढ़े का सेवन करें।3. काली मिर्च- तुलसी का पानीकाली मिर्च और तुलसी का पानी पीने से मॉनसून में गले की खराश दूर होती है। शरीर से जहरीले पदार्थ निकल जाते हैं। इस पानी का सेवन करने से इम्यूनिटी मजबूत होती है। सुबह-सुबह खाली पेट तुलसी और काली मिर्च से बने पानी का सेवन कर सकते हैं। इस पानी को बनाने के लिए काली मिर्च और तुलसी को पानी में डालकर उबालें और छानकर पी लें।4. बेसिल लेमोनेडतुलसी की मदद से आप लेमोनेड तैयार कर सकते हैं। मॉनसून में इसका सेवन करने से पाचन तंत्र बेहतर रहेगा। खास बात ये है कि इस ड्रिंक में आप काली मिर्च को भी शामिल कर सकते हैं। काली मिर्च, नींबू और तुलसी से बनने वाला ये लेमोनेड पीने में बेहद रिफ्रेशिंग लगता है। इस ड्रिंक को बनाने के लिए एक गिलास पानी में नींबू का रस मिलाएं। उसमें एक चुटकी पीसी काली मिर्च और तुलसी का रस मिलाएं। फिर आप इस ड्रिंक में मिक्सी में चलाकर पी सकते हैं।5. काली मिर्च तुलसी सूपमॉनसून के मौसम में शरीर को गरम रखने वाले पेय पदार्थ ज्यादा लाभदायक होते हैं। आपने काली मिर्च और तुलसी की चाय (tulsi tea), तो कई बार पी होगी पर क्या कभी तुलसी से बनने वाले सूप का सेवन किया है? अगर नहीं, तो इस मॉनसून में तुलसी और काली मिर्च से बनने वाले सूप (soup) का सेवन जरूर करें। तुलसी का सूप बनाने के लिए तुलसी की पत्तियों को पानी में उबाल लें। फिर उसमें उबले हुए टमाटर की प्यूरी मिलाएं। धीमी आंच पर पकाएं फिर उसमें नमक और काली मिर्च डालकर पकाएं। सूप को गरम-गरम पिएं।इन आसान ड्रिंक्स की मदद से आप मॉनसून में मौसमी बीमारियों से बच पाएंगे। इन्हें अपनी डाइट में शामिल करें।
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अदरक का इस्तेमाल कई तरह की परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए किया जाता है। इसके कई मेडिकल फायदे हैं, जिसमें से एक यह है कि ये गले की खराश को दूर करने में मदद करता है। गले में खराश होने पर आपको जो दर्द होता है वह गले में सूजन और खुजली के कारण होता है। सूजन आपके शरीर की संक्रमण के प्रति प्रतिक्रिया करने वाली इम्यूनिटी का परिणाम है। ऐसे में अदरक शरीर में प्रो-इंफ्लेमेटरी प्रोटीन को ब्लॉक करने में मदद करता है। ये प्रोटीन सूजन दर्द और खुजली का कारण बनते हैं। इसे अलग अलग तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है।
सोंठ को चबाएं
गले की खराश से छुटकारा पाने के लिए आप सोंठ यानी कच्चे अदरक का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये आपकों किसी भी किराना स्टोर पर मिल जाएगा। इले हल्का सा छील लें और फिर एक इंच अदरक के टुकड़े को काट कर चबा लें। थाड़ी देर चबाने के बाद इसका रस खत्म हो जाए तब आप इसकी जड़ को निगल सकते हैं।
अदरक की चाय
सबसे बेस्ट और आसान तरीकों की बात करें तो आप अदरक की चाय पी सकते हैं। गर्म अदरक की चाय गले की खराश को शांत करने का एक फेमस और इफेक्टिव तरीका है। ये चाय गले की सूजन में आराम देती है। इसे बनाने के लिए एक कप पानी में 2 इंच कच्ची अदरक को घिसकर डालें और चाय बनाएं। चाय को पांच मिनट तक ऐसे ही रहने दें, फिर छान लें।
सेक कर खाएं अदरक
अगर गले में बहुत ज्यादा खराश है और चाय नहीं पी सकते हैं तो अदरक के छोटे टुकड़े कर लें। फिर इसे सेकें और इस पर काला नमक डालें। इसे कुछ देर तक मुंह में रखें और इसके रस को निगलते रहें। दादी-नानी का ये नुस्खा बड़े काम का है। -
एड़ी का दर्द पैर की एक आम स्थिति है। यह आमतौर पर चलते समय एड़ी का उपयोग करते समय तीव्र दर्द के रूप में महसूस किया जाता है। एड़ी का दर्द आमतौर पर धीरे-धीरे बढ़ता है और समय के साथ खराब होता जाता है। जब भी चलते समय आप अपनी एड़ी पर भार डालती हैं, तो ये बहुत तेजी के साथ होता है और लगातार बढ़ता जाता है। इस दर्द को नजरंदाज करने से बेहतर है, इसके कारणों को जानना। ताकि आप इसका समय रहते समाधान किया जा सके। ज्यादातर मामलों में, केवल एक एड़ी प्रभावित होती है, हालांकि अनुमान बताते हैं कि लगभग एक तिहाई लोगों को दोनों एड़ियों में दर्द होता है।
ये हो सकते हैं एड़ी में दर्द के कुछ सामान्य कारण---
00 कैल्शियम
00 मोटापा
00 कठिन एक्सरसाइज़
1. प्लांटर फशिया
आपकी एड़ी के नीचे दर्द का सबसे आम कारण, यह स्थिति हर साल 2 मिलियन लोगों को प्रभावित करती है। न्यूयॉर्क शहर में एनवाईयू लैंगोन मेडिकल सेंटर में हुए एक शोध के अनुसार प्लांटर फशिया ऊतक का एक बैंड है जो आपके पैर के आर्च को नीचे की ओर चलाता है, पैर की उंगलियों को एड़ी से जोड़ता है। यह पैर को झटके को अवशोषित करने में मदद करता है, लेकिन चलने या दौड़ने से बार-बार दबाव पड़ने से इसमें सूजन पैदा हो सकती है। यह दर्द अक्सर सुबह सुबह होता है, खासकर बैठने या खड़े होने के बाद।
2. फैट पैड एट्रोफी
जीवन भर में, हमारे पैर 100,000 मील से अधिक की दूरी तय करते हैं। तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि प्राकृतिक कुशनिंग खराब हो जाती है, जैसे आपके स्नीकर्स की। एनल्स ऑफ रिहैबिलिटेशन मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, पतले फैट पैड आपकी एड़ी पर दबाव बढ़ाते हैं। यही कारण है कि यह एड़ी के दर्द का दूसरा सबसे आम कारण है।
3. अकिलीज़ टेंडन
आपके शरीर का सबसे बड़ा हिस्सा, अकिलीज़ टेंडन आपके काल्व्स को आपकी एड़ी की हड्डी से जोड़ता है। इनमें अक्सर चलने और जॉगिंग जैसी गतिविधियों के कारण होता है। काल्व्स की तंग मांसपेशियां भी इसमें तनाव जोड़ सकती हैं। इसलिए, यदि आपको बहुत ज़्यादा दर्द है तो डॉक्टर को दिखाएं। - बढ़ती उम्र के साथ आपके चेहरे पर दाग-धब्बे और झुर्रियां दिखाई देने लगते हैं। इन लक्षणों को कम करने के लिए कई लोग बाजार में पाए जाने वाले स्किन केयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन इन प्रोडक्ट्स में मौजूद केमिकल आपकी त्वचा को खराब कर सकते हैं। ऐसे में आप स्किन पर नारियल तेल और हल्दी का पैक लगा सकते हैं। इससे स्किन ग्लोइंग और साफ नजर आती है। हल्दी और नारियल में एंटीबैक्टीरियल, एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीसेप्टिक गुण पाए जाते हैं, जो त्वचा को इंफेक्शन और रैशेज से बचा सकता है। हल्दी में करक्यूमिन होता है, जो घाव को जल्द ठीक करने में मदद करता है। इसके अलावा इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स स्किन को लचीला और टाइट बनाए रखते हैं। इससे स्किन में झुर्रियां, फाइन लाइन्स और रिंकल्स नजर नहीं आते हैं। आइए नारियल तेल और हल्दी के फायदे और इस्तेमाल के बारे में विस्तार से जानते हैं।स्किन के लिए नारियल तेल और हल्दी के फायदे1. ग्लोइंग स्किनहल्दी और नारियल तेल में एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। जो स्किन को चमकदार बनाए रखने में मदद करता है। ये नैचुरली स्किन में निखार लाता है और बेदाग बनाता है। इसके लिए आप एक कटोरी में दही, नारियल तेल और हल्दी ले लें। इन तीनों चीजों को अच्छे से मिला लें। इस पेस्ट को चेहरे और गर्दन वाले हिस्से पर लगाकर 20 मिनट तक छोड़ दें। फिर ठंडे पानी से चेहरे को धो लें।2. कील-मुहांसों से छुटकाराकील-मुहांसों की समस्या कई लोगों को होती है। हल्दी और नारियल तेल में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं, जो त्वचा में मौजूद बैक्टीरिया और सूजन को कम कर सकता है। इसके लिए आप एक चम्मच नारियल तेल और आधा चम्मच हल्दी लेकर उसे अच्छे से मिक्स कर लें। फिर उसे चेहरे पर मसाज कराते हुए लगाएं। इसके अलावा चेहरे के कील-मुहांसों पर हल्दी और नारियल तेल का पेस्ट रातभर रखकर छोड़ दें। सुबह उठकर इसे साफ कर लें।3. डार्क सर्कल्स की समस्याहल्दी और नारियल तेल का इस्तेमाल आपके आँखों के नीचे आने वाले डार्क सर्कल्स से छुटकारा दिला सकता है। दरअसल यह आंखों को आराम दिलाता है और इससे नींद अच्छी आ सकती है। इसलिए रात को सोने से पहले आप आंखों के नीचे आप हल्दी और नारियल तेल का पेस्ट लगाकर सो सकते हैं। इससे आपको काफी आराम मिलता है। हालांकि आप चाहे तो आंखों के नीच हल्के हाथों से मसाज भी कर सकते हैं।4. सनबर्न से बचाएनारियल तेल और हल्दी का पैक लगाने से आपकी सनबर्न की समस्या खत्म हो सकती है। यह स्किन के टैन को दूर करके निखार लाता है। इसके लिए आप आधा चम्मच हल्दी, एक चम्मच नारियल तेल और एक चम्मच ऑलिव ऑयल ले लें। इससे स्किन पर पडऩे वाली धूप का असर आप पर कम पड़ता है।5. स्ट्रेच माक्र्स हल्का करेआप स्ट्रेच माक्र्स को दूर करने के लिए हल्दी और नारियल तेल का इस्तेमाल कर सकते है। यह दाग के निशान को हल्का बनाने और रंगत निखारने में मदद करता है। हल्दी और नारियल तेल आपके लिए काफी फायदेमंद हो सकता है।
- चेहरे पर घी लगाने त्वचा की कई समस्याओं से छुटकारा मिलता है। हम त्वचा पर दो तरह के घी का सबसे ज्यादा प्रयोग एक भैंस के दूध से बना घी और दूसरा गाय के दूध से बना घी। दोनों ही त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होता है। लेकिन गाय का घी चेहरे पर लगाने थोड़ा ज्यादा फायदेमंद होता है। गाय का घी हेल्दी फैट्स के साथ ही लिनोलिक एसिड से भरपूर होता है। यह मॉइस्चराइजिंग और एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों से भी भरपूर होता है, जिससे यह त्वचा की कई समस्याओं को दूर करने में बहुत प्रभावी है। इस लेख में हम आपको चेहरे पर गाय का लगाने के 5 फायदे.....-प्राकृतिक मॉइस्चराइजर है: चेहरे पर गाय का घी लगाने से त्वचा नैचुरली मॉइस्चराइज होती है। यह ड्राई स्किन की समस्या से छुटकारा दिलाता है और त्वचा को कोमल बनाता है।-एजिंग के लक्षण कम होते हैं: यह त्वचा को टाइट करने में मदद करता है, जिससे झुर्रियां, फाइन लाइन्स और रोम छिद्र कम होते हैं और आप जवां नजर आते हैं।-त्वचा के घाव ठीक करता है: रात में सोने से पहले अगर आप चेहरे पर गाय का घी लगाकर सोते हैं, तो इससे चेहरे की दरारें, त्वचा पर कट या घाव और फटी त्वचा को ठीक करने में मदद मिलती है। यह फटे होंठों से भी छुटकारा दिलाता है।-मुंहासे की समस्या में फायदेमंद है: चेहरे की गहराई से सफाई करने में गाय का घी बहुत प्रभावी है। यह त्वचा के रोम की गंदगी को साफ करता है साथ ही हानिकारक बैक्टीरिया को हटाता है। यह त्वचा पर अतिरिक्त तेल के उत्पादन को कंट्रोल करता है, जिससे मुंहासे कम होते हैं।-त्वचा में निखार आता है: गाय का घी त्वचा पर त्वचा पर लगाने से त्वचा की रंगत में सुधार होता है। यह त्वचा के मृत कोशिकाओं को हटाने में भी मदद करता है। त्वचा के दाग-धब्बों, टैनिंग, पिगमेंटेशन और कालेपन के लिए यह बहुत प्रभावी उपाय है।चेहरे पर गाय की घी कैसे लगाएं-चेहरे पर गाय का घी लगाने के लिए आपको सबसे पहले घी को थोड़ा गर्म कर लेना है। गुनगुने घी से चेहरे की अच्छी तरह मालिश करनी है। रात में चेहरे पर घी लगाना ज्यादा फायदेमंद होता है। बस रात को फेस वॉश करने के बाद चेहरे पर गाय का घी लगाएं और रात भर के लिए छोड़ दें। सुबह सादे पानी से धो लें।
- रक्षाबंधन का त्योहार 11 अगस्त को मनाया जाएगा। इस त्योहार में पूरा परिवार साथ होता है, ऐसे में इस दिन मीठा अवश्य बनाया जाता है। रक्षाबंधन के मौके पर अगर आप भी कुछ मीठा लेकिन हेल्दी बनाने की सोच रही हैं, तो हम आपको बता रहे हैं 5 स्पेशल खीर की रेसिपीज, जो स्वाद में तो अनूठी हैं ही, साथ ही सेहत के लिए भी फायदेमंद साबित होंगी। ये 5 तरह की खीर बनाकर घर पर आए मेहमानों को आसानी से खिला सकती हैं। ये सभी खीर आसानी से बन जाती हैं, साथ ही हेल्थ के लिए काफी अच्छी होती हैं। ये खीर बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी को काफी पसंद आती हैं। आइये जानते है कैसे बनाएं ये खीर।साबूदाना खीरसाबूदाना सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। साबूदाना खीर बनाने के लिए साबूदाना को पानी में 2-3 बार अच्छे से धो कर 1-2 घंटे के लिए भिगो कर रख दें। अब एक पैन में दूध को चढ़ाएं। जब दूध अच्छे से गर्म हो जाए, तो उसमें साबूदाना डालें। साबूदाना को अच्छे से उबलने के बाद इसमें चीनी, इलायची पाउडर डालकर अच्छे से मिक्स कर लें। थोड़ी देर बाद जब साबूदाना पक जाए, तो गैस का फ्लेम बंद कर दें। साबूदाना खीर तैयार है। गर्निश करने के लिए किशमिश का इस्तेमाल करें।मखाने की खीरमखाने की खीर बनाने के लिए एक पैन में मखाने को भून लें और उसे ठंडा होने के लिए अलग रख दें। अब एक पैन में दूध को गर्म करें। दूध जब अच्छे से गर्म हो जाए, तो उसमें घी में तले हुए या ड्राई रोस्ट हुए मखाने डालें। जब मखाना अच्छे से पक जाए तो उसमें इलायची पाउडर और ड्राई फ्रूट्स डाल कर अच्छे से मिक्स करें। धीमी गैस पर कुछ देर मखाने की खीर को पकने दें। फिर गैस बंद करें और मखाने की खीर तैयार है।एप्पल खीरएप्पल खीर स्वादिष्ट होने के साथ- साथ सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद होती है। इसे बनाने के लिए सेब को कद्दूकस कर लें और घी में अच्छे से भूनकर अलग रख लें। अब गैस पर एक पैन में दूध को अच्छे से गर्म करें। गैस को बंद करने के बाद दूध को ठंडा होने के लिए कुछ देर के लिए रखें। दूध ठंडा होने के बाद उसमें कद्दूकस किया हुआ सेब मिक्स करें। फ्लेवर के लिए इलायची पाउडर और ड्राई फ्रूट्स इसमें मिक्स करें। ठंडा करके इस खीर को परोसें।लौकी की खीरलौकी की खीर सेहत के लिए काफी पौष्टिक होती है। इसे बनाने के लिए सबसे पहले लौकी को कद्दूकस करके भून लें। एक पैन में दूध को उबालें। दूध उबलने के बाद उसमें लौकी डालकर 10 मिनट तक पकाएं। ठंडा होने के बाद उसमें इलायची और ड्राईफ्रूट्स डालकर सर्व करें।पाइनएप्पल की खीरपाइनएप्पल की खीर बनाने के लिए पाइनप्पल को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। अब पाइनएप्पल और चीनी को साथ में मिलाकर पीसें। कड़ाही में अनानास का पेस्ट डालें और उसे अच्छे से पकाएं। जब पेस्ट गाढ़ा हो जाए, तो उसमें दूध डालकर अच्छे से मिलाएं। दूध और पेस्ट को अच्छे से मिलाएं। ध्यान रखें उसमें कोई गांठ न पड़े। अब इसमें खोया डालकर मिक्स करें। 4 से 5 मिनट में ये तैयार हो जायेगा। सूखे मेवे डालकर गर्निश करें।
- जई, गेहूं, राई और चावल जैसे अनाज हमारी डाइट में अहम भूमिका निभाते हैं क्योंकि साबुत अनाजों में भरपूर पोषक तत्व होते हैं। इनमें प्रोटीन, फाइबर, बी विटामिन समेत आयरन, जिंक जैसे मिनरल्स भी शामिल हैं। इन्हीं अनाजों में से एक जौ भी है जिसे बार्ले भी कहा जाता है। आज के लेख में हम जानते हैं जौ खाने के फायदे-वजन कम करने में मददगारजौ काफी स्वस्थ होते हैं और जब वजन घटाने की बात आती है तो इन्हें बेहद अच्छा माना जाता है। जौ भूख को कम करने में मदद कर सकते हैं और आपके पेट को लंबे समय तक भरे रखते हैं। इसलिए यह वजन कम करने में मदद कर सकते हैं।डाइजेशन में सुधारजौ आपके डाइजेशन में सुधार करते हैं। इनमें हाई फाइबर कंटेन्ट होता है, विशेष तौर पर इनसोल्यूबल फाइबर। ये फाइबर अघुलनशील होते हैं जो पानी में नहीं घुलते जिससे ये आपके बोवेल मूवमेंट्स में सुधार करते हैं और कब्ज की संभावनाओं को कम करते है।कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल होता हैजौ आपके कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी कम करने में मदद कर सकते हैं। जौ में पाए जाने वाले बीटा-ग्लूकन्स बाइल एसिड को कम करके 'खराबÓ एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करते हैं। एक अध्ययन में देखा गया है कि हाई कोलेस्ट्रॉल वाले पुरुषों को साबुत गेहूं, ब्राउन राइस या जौ से भरपूर डाइट दी गई। पांच हफ्तों के बाद, जौ का सेवन करने वाले पुरुषों में कोलेस्ट्रॉल का स्तर 7 प्रतिशत कम हुआ।शुगर लेवल नियंत्रित होता हैजौ ब्लड शुगर के स्तर को कम करके और इंसुलिन रिलीजमें सुधार करके टाइप 2 डायबिटीज के रिस्क को कम कर सकता है। ऐसा जौ में मौजूद मैग्नीशियम कंटेन्ट के कारण होता है। यह मिनरल इंसुलिन उत्पादन और शरीर द्वारा शुगर के उपयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।भरपूर विटामिन्स और एंटीऑक्सीडेंट्सजौ में विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर होते हैं जो सेल्स की स्वस्थ ग्रोथ में मदद करते हैं। इसमें फोलेट, आयरन, सोडियम, कॉपर और मैंगनीज और बी विटामिन्स होते हैं। साथ ही इसमें फाइबर और प्रोटीन की भी अच्छी मात्रा होती है। जौ 'खराबÓ एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करते हैं और साथ ही जौ में मौजूद फाइबर रक्तचाप के स्तर को कम करते हैं।ब्रेकफास्ट के लिए परफेक्टजौ पोषक तत्वों से भरपूर होते है और नाश्ते के लिए एक परफेक्ट मील है। इसमें फाइबर और आवश्यक मिनरल्स होते हैं जैसे सेलेनियम, कॉपर, ट्रिप्टोफैन और मैंगनीज। ये आपको दिनभर के लिए एनर्जी देते हैं और आपको दिन भर तक संतुष्ट महसूस कराते हैं। जौ में मैंगनीज होने से यह खुश और ऊर्जावान महसूस कराता है, और यह आपके नर्वस सिस्टम को भी शांत करता है।अर्थराइटिस के लक्षण कम करेंजौ में कॉपर अच्छी मात्रा होता है, जो गठिया के लक्षणों को कम करने में भी सहायक हो सकता है। कॉपर फ्री रेडिकल्स को बेअसर करता है जिससे यह सेल्स को रेनोवेट करने में मदद करता है। क्रॉस-लिंकिंग कोलेजन के उत्पादन में भी कॉपर आवश्यक है।इम्यून सिस्टम को बूस्ट करता हैजौ के पौधे में लिगनन्स होते हैं, जो आपकी आंतों के लिए अच्छे होते हैं। जौ आपके इम्यून सिस्टम को बूस्ट करता है। इसके अतिरिक्त, जौ विटामिन सी में हाई होते हैं जो इम्यूनिटी को बढ़ाते हैं। जौ आपको पूर्ण, संतुष्ट और तनाव मुक्त रखते हैं।
- चने पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। चने में प्रोटीन, काब्र्स, आयरन, फाइबर और फोलेट अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं। फिट और हेल्दी रहने के लिए हेल्थ एक्सपट्र्स भी काले चने खाने की सलाह देते हैं। यही वजह है कि अधिकतर लोग अकसर चने खाते भी हैं। कुछ लोग चने भूनकर खाते हैं, तो कुछ अंकुरित करके या फिर उबालकर खाना पसंद करते हैं। ऐसे में अकसर लोगों मन में सवाल रहता है कि किस तरह के चने खाना अधिक फायदेमंद होते हैं?भुने हुए चनेअधिकतर लोग चने भूनकर खाना पसंद करते हैं। क्योंकि भुने हुए चने स्वाद में काफी अच्छे लगते हैं। अगर आपको सर्दी-जुकाम या कोई अन्य कफ विकार है, तो आप भुने हुए चने खा सकते हैं। डायबिटीज और थायराइड रोगियों के लिए भी भुने हुए चने अधिक फायदेमंद होते हैं। ओवरवेट होने पर भी आप भुने हुए चने खा सकते हैं। लेकिन जो लोग पतले हैं, उन्हें चने से परहेज करना चाहिए।अंकुरित चनेहेल्थ एक्सपट्र्स हमेशा अंकुरित चने खाने की सलाह देते हैं। दरअसल, अंकुरित चने खाने से शरीर को अधिक लाभ मिल सकता है। अंकुरित चने में अधिक पोषक तत्व पाए जाते हैं। अंकुरित चने खाने से आपको पर्याप्त मात्रा में विटामिन बी कॉम्पलेक्स मिल सकता है। चने को अंकुरित करके खाने से प्रोटीन की मात्रा भी बढ़ जाती है। इससे आपकी मसल्स स्ट्रान्ग बनती हैं। अंकुरित चने को पचाने में थोड़ी दिक्कत आती है, इसलिए अगर आपको कोई दिक्कत होती है तो आपको अंकुरित चने खाने से बचना चाहिए। अंकुरित चने में आप प्याज, खीरा और टमाटर मिलाकर खा सकते हैं।उबले हुए चनेआप उबले हुए चने भी खा सकते हैं। उबले हुए चने खाने में स्वादिष्ट होते हैं, साथ ही पोषक तत्वों से भी भरपूर होते हैं। अगर आप उबले हुए चने खाना चाहते हैं, तो इसके लिए इन्हें घी में रोस्ट कर लें। रोस्टेड चने में नमक डालकर खाया जा सकता है। आप इनमें ऊपर से नींबू भी निचोड़ सकते हैं। इससे उबले हुए चने खाने से शरीर में इम्यूनिटी बढ़ेगी और आपको स्वाद भी पसंद आएगा।चना किसे नहीं खाना चाहिए?वैसे तो चना खाना सेहत के लिए फायदेमंद होता है। लेकिन कुछ खास लोगों को चना खाने से परहेज करना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार वात प्रकृति के लोगों को चने नहीं खाने चाहिए। इसके अलावा जो लोग काफी दुबले-पतले और कमजोर हैं, उन्हें भी काले चने खाने से बचना चाहिए। जिन लोगों को अकसर ही कब्ज रहती है, उन्हें काले चने से परहेज करना चाहिए। अगर आपकी स्किन ड्राई या रूखी रहती है, तो आपको भी चने नहीं खाने चाहिए। आप भी अपनी डाइट में चने शामिल कर सकते हैं, लेकिन अगर आपको कब्ज रहती है तो चने खाने से बचें।
- डायबिटीज के मरीजों को अपने खानपान का खास ध्यान रखने की जरूरत होती है। ऐसे में ड्राई नट्स का सेवन करना उनके लिए काफी उपयोगी साबित हो सकता है। डायबिटीज के मरीजों के लिए कुछ खास प्रकार के नट्स काफी फायदेमंद होता है। इनके सेवन से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल रहता है और अन्य फूड्स की तुलना में ये लाभकारी हो सकता है। दरअसल ड्राई नट्स में अनसैचुरेटेड फैट, विटामिन, थायमिन, कैरोटीनॉयड, एंटीऑक्सीडेंट और फाइटोस्टेरॉल और प्रोटीन से भरपूर होते हैं। इसके सेवन से डायबिटीज, टाइप-2 डायबिटीज, हृदय रोगों और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से बचा जा सकता है। साथ ही ये सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद हो सकता है। आइए डायबिटीज में ड्राई नट्स खाने के फायदे के बारे में विस्तार से जानते हैं।डायबिटीज में ड्राई नट्स खाने के फायदे1. बादामबादाम का सेवन करने से आपको कई तरह के लाभ मिल सकते हैं। इससे टाइप-2 डायबिटीज का खतरा कम हो सकता है। बादाम में मौजूद पोषक तत्व ब्लड शुगर को कंट्रोल कर शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है, जिससे धमनियों में रक्त का प्रवाह अच्छे से हो पाता है। इसके अलावा बादाम एचडीएल की मात्रा बढ़ाते हैं, जिससे हाई ब्लड प्रेशर और हृदय समस्याओं का खतरा कम हो सकता है।2. अखरोटदरअसल अखरोट में कैलोरी की मात्रा बहुत कम पाई जाती है। इसके सेवन से डायबिटीज के मरीजों का वजन संतुलित रहता है। इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, शुगर, डाइटरी फाइबर, कैल्शियम, आयरन और फास्फोरस पाए जाते हैं। इससे आपका पाचन तंत्र भी सही रहता है और हड्डियां भी मजबूत होती है।3. मूंगफलीमूंगफली के सेवन से मोटापा का खतरा कम हो सकता है। इसके सेवन से डायबिटीज के मरीजों का ब्लड शुगर कंट्रोल हो सकता है और भूख भी कम लगती है। इसमें प्रोटीन भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो कोशिकाओं के विकास के लिए आवश्यक है। डायबिटीज के मरीज कम मात्रा में मूंगफली का सेवन करें क्योंकि इसमें कैलोरी की मात्रा बहुत अधिक होती है।4. पिस्तापिस्ता खाने से शरीर को भरपूर एनर्जी मिलती है। इसमें फाइबर, फैट्स और ओमेगा 3 फैटी एसिड पाए जाते हैं, जो पेट को अधिक देर तक भरा हुआ महसूस कराते हैं। डायबिटीज के रोगी अपने कोलेस्ट्रॉल लेवल को संतुलित करने के लिए पिस्ता का सेवन कर सकते हैं। पिस्ता खाने से शरीर में ट्राइग्लिसराइड का स्तर काफी कम हो जाता है, जो हृदय समस्याओं को दूर कर सकता है।5. काजूकाजू टाइप-2 डायबिटीज के जोखिमों को कम करने में मदद कर सकता है। इससे ब्लड प्रेशर की समस्या कम हो सकती है। इसमें मैग्नीशियम, जिंक, कॉपर, फास्फोरस, कैल्शियम, विटामिन बी और पोटैशियम जैसे तत्व पाए जाते हैं। ये सभी डायबिटीज के लक्षणों को कम कर सकते हैं। डायबिटीज के मरीज रोजाना एक मु_ी काजू खा सकते हैं।
- कोचई यानी अरबी के पत्ते सेहत के लिए काफी फायदेमंद रहते हैं। ये पत्ते स्वादिष्ट होने के साथ-साथ शरीर के लिए काफी पौष्टिक भी होते हैं। मानसून के मौसम में आप इसकी सब्जी और पकौड़े बनाकर खा सकते हैं। अरबी के पत्तों में विटामिन ए, बी, सी, कैल्शियम, पोटैशियम और एंटीऑक्सीडेंट्स आदि भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इसका सेवन करने से पेट संबंधी बीमारी से बचा जा सकता है और वजन कम किया जा सकता है। आइए जानते हैं अरबी के पत्तों के फायदों के बारे में।150 ग्राम अरबी के पत्तों में मौजूद पोषक तत्वकैलोरीज- 35, काब्र्स- 6 ग्राम, प्रोटीन- 4 ग्राम, फाइबर- 3 ग्राम, फैट- 1 ग्राम, विटामिन सी- 57 प्रतिशत, विटामिन ए- 34 प्रतिशत, फोलेट- 17 प्रतिशत, पोटेशियम- 14 प्रतिशत, कैल्शियम- 13 प्रतिशत, आयरन- 10 प्रतिशत।अरबी के पत्ते खाने के फायदेब्लड प्रेशर कम करेअरबी के पत्तों के सेवन से ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहता है। अरबी के पत्तों में एंटी-हाइपरटेंसिव गुण मौजूद होता है, जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में सहायता करता है। इसके लगातर सेवन से तनाव में भी कमी आती है। अरबी के पत्तों का सेवन आप सब्जी और पकौड़े के तौर पर कर सकते हैं।वजन कम करने में मददगारअरबी के पत्तों में भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है। फाइबर के सेवन से भूख कम लगती है और शरीर में एनर्जी बनी रहती है। इसलिए वजन कम करने की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए अरबी के पत्ते काफी लाभदायक हो सकते हैं।आंखों के लिएअरबी के पत्तों में बीटा-कैरोटीन पाया जाता है, जो आंखों के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसके सेवन से आंखो की रोशनी तेज होती है। इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन ए पाया जाता है, जो शरीर की हड्डियों को मजबूत बनाता है और आंखों की रोशनी को तेज करता है।हृदय के लिएकई रिसर्च बताती हैं कि हरी पत्तेदार सब्जियों के सेवन से दिल की बीमारियों का खतरा लगभग 16 प्रतिशत तक कम हो जाता है। अरबी के पत्तों में नाइट्रेट होता है, जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखने में मदद करता है। इसलिए दिल को स्वस्थ रखने के लिएअरबी के पत्ते खाएं। ध्यान रखें जब भी अरबी के पत्तों का सेवन करें, तो उसे तेल में ज्यादा न तलें। हल्के तेल में ही सेंक कर खाएं।एनीमिया में लाभकारीअरबी के पत्तों में भरपूर मात्रा में आयरन होता है, जो एनीमिया की समस्या दो दूर करता है। इसके सेवन से हीमोग्लोबीन का स्तर सही रहता है। इसके लगातार सेवन से आपको कमजोरी बिल्कुल अनुभव नहीं होगी। अरबी के पत्तों में आयरन, फाइबर और अन्य आवश्यक पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
- अजवाइन और सौंफ का पानी पीने आपकी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। इनके मिश्रण में एंटीऑक्सीडेंट, प्रोटीन, फाइबर, आयरन, मैग्नीशियम, पोटैशियम और कैल्शियम पाए जाते हैं। इसके अलावा सौंफ और अजवाइन में मैगनीज, जिंक, विटामिन सी, विटामिन के और ई पाए जाते हैं। इनका इस्तेमाल करने से आपका वजन कम हो सकता है और साथ ही पाचन तंत्र भी सही रहता है। अजवाइन और सौंफ का पानी सर्दी-जुकाम और गले की खराश भी ठीक कर सकता है। इससे आपका इम्यून सिस्टम भी मजबूत होता है। आइए अजवाइन और सौंफ का पानी पीने के फायदे और इस्तेमाल के बारे में विस्तार से जानते हैं।अजवाइन और सौंफ का पानी पीने के फायदे1. इम्यून सिस्टम मजबूत बनाएबारिश के मौसम में आपका इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है। अपने आपको अंदर से मजबूत बनाने के लिए अजवाइन और सौंफ का पानी पी सकते हैं। दरअसल इसमें विटामिन सी, एंटीऑक्सीडेंट और आयरन पाए जाते हैं। जो वायरल बीमारियों और अन्य समस्याओं को दूर कर सकते हैं। इसे आप सुबह खाली पेट में पी सकते हैं।2. कोलेस्ट्रोल कम करेअजवाइन और सौंफ का पानी पीने से कोलेस्ट्रॉल लेवल नियंत्रित किया जा सकता है। यह आपके शरीर में जमा अतिरिक्त फैट को कम कर सकता है। अजवाइन और सौंफ का पानी वजन कम करने में भी मददगार साबित हो सकता है। इसमें काफी कम मात्रा में कैलोरी पाई जाती है।3. पेट की समस्याओं में कारगरपेट की समस्याओं के लिए सौंफ और अजवाइन काफी फायदेमंद होता है। इस मिश्रण में फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, यह पाचन तंत्र को ठीक कर सकता है। इसके सेवन से पेट में अपच, गैस, कब्ज और एसिडिटी की दिक्कत नहीं होती है। इसे आप दिन में दो बार पी सकते हैं।4. मार्निंग सिकनेसकई लोगों को सुबह उठने पर मार्निंग सिकनेस की समस्या होती है। अगर सुबह उठने पर आपको भी उल्टी, जी मिचलाना और मतली की दिक्कत होती है, तो आप अजवाइन और सौंफ का पानी जरूर पिएं। इससे सुबह उठने पर आप फ्रेश और ताजगी का अनुभव करते हैं।5. स्किन के लिए फायदेमंदस्किन को ग्लोइंग बनाने के लिए आप अजवाइन और सौंफ का पानी पी सकते हैं। यह स्किन को डिटॉक्स करने में मदद करते हैं। इनका मिश्रण आपको पिंपल फ्री और बेदाग त्वचा दे सकता है।