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-सीमा उपाध्याय से जानिए रेसिपी
भोजन की थाली में चटनी की एक अलग जगह होती है। यही वजह है कि भारतीय रसोई में आपको चटनी की ढ़ेरों वैराइटीज देखने और खाने को मिल जाती है। यहां मौसम के अनुसार अलग-अलग तरह की चटनी का स्वाद लिया जाता है। गर्मियों में जहां लोगों को पुदीना,कच्चे आम की चटनी स्वादिष्ट लगती है वहीं सर्दियों में मूली, अमरूद जैसी चटनियां लोगों का जायका दुरुस्त करती हैं। लेकिन टमाटर की चटनी हर मौसम में आपके स्वाद और सेहत का ख्याल रखती है। भुने हुए टमाटर की इस चटनी की खासियत यह है कि इसे बनाने में ज्यादा समय भी नहीं लगता है। तो आइए बिना देर किए जान लेते हैं कैसे बनाई जाती है चटपटी टमाटर की चटनी।
टमाटर की चटनी बनाने के लिए सामग्री-
-2-3 बड़े टमाटर
-2-3 हरी मिर्च
-लहसुन की 4-5 कलियां
-1 चम्मच लाल मिर्च पाउडर
-नमक स्वाद अनुसार
-1 मीडियम कटा हुआ प्याज
- फ्रेश कटा हुआ धनिया
-1 बड़ा चम्मच नींबू का रस
-2 चम्मच सरसों का तेल
टमाटर की चटनी बनाने का तरीका-
टमाटर की चटनी बनाने के लिए सबसे पहले टमाटर को दो हिस्सों में काट लें। इसके बाद एक पैन में सरसों का तेल गर्म करके उसमें टमाटर,लहसुन की कली और हरी मिर्च डालकर धीमी आंच पर भूनते हुए पकने दें। टमाटर को ढक्कन से ढककर दोनों तरफ से नरम होने तक पकाएं। इसके बाद टमाटर का छिलका हटा दें। पैन में थोड़ा सा तेल, लाल मिर्च पाउडर डालकर पकाएं। अब टमाटर,लहसुन,मिर्च को एक कटोरे में नमक के साथ डालें और दरदरा पीस लें। अब इसमें कटा हुआ प्याज,ताजा धनिया पत्ती,नींबू का रस डालें। सभी चीजों को एक साथ अच्छी तरह मिला लें। आपकी टेस्टी और चटपटी टमाटर की चटनी बनकर तैयार है। आप इस चटनी का मजा रोटी, पराठा, चावल या ब्रेड, हर किसी के साथ ले सकते हैं। -
-संध्या शर्मा
बच्चों की इम्यूनिटी कमजोर होने की वजह से बदलते मौसम का सबसे पहला असर उनकी सेहत पर पड़ता है। यही वजह है कि आजकल ठंड बढ़ने से ज्यादातर बच्चे सर्दी, खांसी और जुकाम से परेशान रहते हैं। अगर आपके घर पर भी ठंड की वजह से परिवार के किसी सदस्य को सर्दी-जुकाम या खांसी जैसी किसी समस्या से परेशान होना पड़ रहा है तो ये जिंजर गार्लिक सूप बनाने के किचन टिप्स आपके बेहद काम आ सकते हैं। जिंजर गार्लिक सूप ना सिर्फ स्वाद में बेहद टेस्टी है बल्कि सेहत के लिए भी कई तरह से बेहद फायदेमंद है। इस सूप में एंटी ऑक्सीडेंट्स की भरपूर मात्रा पाई जाती है, जो आपको छोटी-मोटी समस्याओं जैसे सर्दी, खांसी और जुकाम आदि से बचाने में मदद करते हैं। इस सूप का सेवन करने से शरीर में यूरिक एसिड का भी स्तर संतुलित रहता है। तो आइए बिना देर किए जान लेते हैं जिंजर गार्लिक सूप बनाने के लिए फॉलो करने होंगे क्या-क्या कुकिंग टिप्स।
जिंजर गार्लिक सूप बनाने के लिए फॉलो करें ये टिप्स-
जिंजर गार्लिक सूप बनाने के लिए सबसे पहले एक पैन में एक चम्मच तेल गर्म करके उसमें बारीक कद्दूकस किया हुआ लहसुन और अदरक डालकर एक मिनट के लिए भून लें। इसके बाद पैन में एक चौथाई कप कटी हुई बींस, गाजर, पत्ता गोभी डालकर अच्छी तरह दो मिनट तक पकाएं। इसके बाद पैन में 4 कप पानी डालें। अब आधा बड़ा चम्मच कॉर्न स्टार्च का पेस्ट, स्वाद अनुसार नमक और काली मिर्च का पाउडर बनाकर डालने के बाद अच्छी तरह मिलाकर 10 मिनट तक कम आंच पर तब तक पकाएं जब तक सूप हल्का गाढ़ा ना लगने लगे। आपका टेस्टी और हेल्दी जिंजर गर्लिक सूप बनकर तैयार है।
जिंजर गार्लिक सूप पीने के फायदे-
इम्यूनिटी बूस्ट करता है यह सूप-
इम्यूनिटी बढ़ाने में लहसुन और अदरक दोनों ही काफी कारगर हैं। संक्रमण से लड़ने के लिए लहसुन में एंटी बैक्टीरियल, एंटी सेप्टिक और एंटी फंगल गुण मौजूद होते हैं, जो इम्यून सिस्टम की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए बहुत कारगर होते हैं। जबकि अदरक में एंटी इन्फ्लामेटरी और एंटी ऑक्सीडेंट्स की भरपूर मात्रा पाई जाती है, जिसके सेवन से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है।
हार्ट के लिए हेल्दी -
अदरक और लहसुन दोनों ही आपके हार्ट के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। सूप में अदरक की मात्रा होने से यह एंटी ऑक्सीडेंट्स से भर जाता है, जो आपकी धमनियों में हो रही सिकुड़न और कोलेस्ट्रॉल को रोकने में मददगार साबित होता है।वहीं लहसुन में पाए जाने वाले पावरफुल एंटीऑक्सीडेंट्स आपकी शरीर में रक्त का बहाव सुचारू रखते हैं साथ ही हृदय की कोशिकाओं को क्षति पहुंचने से भी रोकते हैं।
डायबिटीज में फायदेमंद-
डायबिटीज रोगियों को यह सूप पीना चाहिए इससे उनका ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है। अदरक की मात्रा आपके शरीर में बढ़े हुए शुगर के स्तर को घटाने के साथ ही ए 1 सी नामक हीमोग्लोबिन को भी नियंत्रित करती है। जिससे डायबिटीज का खतरा कम होता है। - हाथ से फिसला नहीं कि खूबसूरत और महंगे क्रॉकरी के बर्तन से लेकर सजावटी सामान टूट जाते हैं। ऐसे में इन्हें फेंकना बड़ा मुश्किल लगता है। लेकिन अब इन महंगे क्रॉकरी के सामान को फेंकने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इन क्रिएटिव आइडिया की मदद से आप टूटी-फूटी क्रॉकरी से भी सजावटी सामान बना सकते हैं। तो चलिए जानें टूटी क्रॉकरी से बनने वाले सजावटी सामान।1) क्रॉकरी के टुकड़ों को इकट्ठा करें। मनपसंद आकार का सांचा लें। उसमें प्लास्टर ऑफ पेरिस का घोल डालें और क्रॉकरी के टुकड़ों को उस पर चिपका दें। एक दिन के लिए सूखने दें। सांचे से तैयार डिजाइन को निकालें। उसके पीछे चुंबक चिपकाएं। फ्रिज को सजाने के लिए खूबसूरत मैग्नेट तैयार है।2) पुराने फोटो फ्रेम को नया रूप देने के लिए उसके किनारों को अच्छी तरह से रगड़कर साफ करें। अब ग्लू की मदद से क्रॉकरी के टुकड़ों को फोटो फ्रेम के बॉर्डर पर बीच में जगह छोड़े बिना चिकपाएं। नया फोटो फ्रेम तैयार है।3) क्या आपको भी चाबियों के छल्ले (कीचेन) इकट्ठा करने का शौक है? तो अब इन्हें खुद भी बनाइए। टूटी हुई क्रॉकरी में से मनपसंद टुकड़ा चुनें। उसमें ड्रिलिंग मशीन की मदद से हल्का-सा दबाव डालकर छेद कीजिए। अब रंग उस छेद में डालें। इस नए कीचेन को अपने कलेक्शन में शामिल करें।4) बागवानी का शौक है,तो आप अपने गमलों को भी क्रॉकरी के टुकड़ों की मदद से सजा सकती हैं। अपने मिट्टी या प्लास्टिक के गमलों को आप इससे सजा सकती हैं। गोंद की मदद से क्रॉकरी के टुकड़ों को गमलों पर चिपकाएं और उसे नया रूप दें।5) बिल्कुल एक आकार और रंग के टुकड़ों को टूटी हुई क्रॉकरी में से तलाशें। किसी पुराने ईयररिंग का हुक, पतली तार और पाइलर लें। हुक में उस पतली तार को फंसाएं और पाइलर की मदद से क्रॉकरी के टुकड़े के चारों ओर तार को लपेट लें। ऐसे ही दोनों ईयर्रंरग को तैयार कर लें।
- पूरी दुनिया जानती हैं कि बेटियां पिता को ज्यादा प्यारी होती हैं। अब इस संबंध में हुए एक नए अध्ययन के मुताबिक बेटियों के पिता उन लोगों की तुलना में ज्यादा जीते हैं, जिन्हें बेटी नहीं है। पोलैंड की यूनिवर्सिटी के द्वारा 4, 310 लोगों पर किए गए अध्ययन के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया है। अध्ययन में बेटी के जन्म और पिता की लंबी उम्र के बीच सीधा संबंध पाया गया। अध्ययन में यह भी पाया गया कि जिस व्यक्ति की जितनी ज्यादा बेटियां होती हैं, उसकी औसत उम्र उतनी ज्यादा होती है। अध्ययन के मुताबिक प्रत्येक बेटी के जन्म से पिता के औसत उम्र में 74 सप्ताहों का इजाफा होता है। अध्ययन की रिपोर्ट अमेरिकन जर्नल ऑफ ह्यूमन बायोलॉजी में प्रकाशित हुई है।
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-सीमा उपाध्याय
डायबिटीज कंट्रोल करने से लेकर खून साफ करने तक, करेला खाने से व्यक्ति को अनेक फायदे मिलते हैं। सेहत के लिए इतना फायदेमंद होने के बावजूद उसकी कड़वाहट की वजह से कई घरों में लोग करेला खाने से परहेज करते हैं। अगर आपके घर पर भी परिवार के सदस्य सिर्फ करेले के कड़वे स्वाद की वजह से उसे खाने से मना कर देते हैं तो ये किचन टिप्स आपकी मदद कर सकते हैं। इन किचन टिप्स को आजमाकर आप करेले की कड़वाहट को बड़ी आसानी से दूर कर सकते हैं। आइए जानते हैं कैसे।
करेले की कड़वाहट दूर करने के टिप्स-
नमक-
करेले का कड़वापन दूर करने के लिए सबसे पहले करेले को काटकर उसके ऊपर नमक छिड़क कर उसे 20 मिनट के लिए अलग रख दें। करेले पर नमक लगाकर छोड़ने से उसका सारा कड़वा रस निकल जाता है। 20 मिनट बाद करेले को निचोड़कर आप उसकी सब्जी बना सकते हैं। करेला कड़वा नहीं लगेगा।
इमली-
करेले का कड़वापन दूर करने के लिए इमली के गूदे और पानी का एक घोल तैयार करके उसमें कटे हुए करेले को लगभग आधे घंटे के लिए भिगोकर छोड़ दें। इमली का खट्टापन करेले की कड़वाहट कम करने में मदद करता है। सब्जी बनाने से पहले इमली के पानी से करेले निकालकर उन्हें साफ पानी से धो लें। ऐसा करने से आपकी सब्जी बहुत टेस्टी बनेगी।
नींबू-
करेले का कड़वापन दूर करने के लिए सबसे पहले करेले को स्लाइस में काटकर नींबू के रस में 15 से 20 मिनट के लिए रख दें। नींबू के रस का खटासपन करेले की कड़वाहट को कम करने में मदद करता है। सब्जी बनाने से पहले करेले को साफ पानी से जरूर धो लें।
ब्लैंचिंग-
करेले की कड़वाहट दूर करने के लिए आप ब्लैंचिंग का उपाय भी आजमा सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले एक बर्तन में पानी उबालकर उसमें कटा हुआ करेला डालकर उसे 5 मिनट उबाल लें। अब एक बर्तन में करेला डालकर उसके ऊपर बर्फ के टुकड़े डाल दें। इसके बाद करेले का पानी निकाल कर सब्जी तैयार कर लें। -
- संध्या शर्मा
अचारी पनीर, छोले और आलू की सूखी सब्जी बनाते समय थोड़ा-सा मेथी पाउडर डालें, स्वाद बढ़ जाएगा। वर्षों पहले बच्चों को सर्दियों में यदि हल्का बुखार या सर्दी-जुकाम हो जाया करती थी तो मां हमेशा मेथी दानों को चाय की तरह उबालकर छानकर शहद व नींबू मिलाकर पीने को देती थीं। मेथी दाना बहुत कड़वा होता था, इसलिए इसकी तीखी गंध अच्छी नहीं लगती थी। पर, धीरे-धीरे समझ में आने लगा कि यह एक ऐसा मसाला है जो हमारी सेहत के लिए भी अच्छा होता है। यह सच है कि हम सब दैनिक जीवन में हरी मेथी की सब्जी खाते हैं। सूखी मेथी जिसे कसूरी मेथी के नाम से जाना जाता है, उसका उपयोग भी पनीर,छोले,पराठे आदि में करते हैं। पर, मेथी दाने का उपयोग उसके कड़वे होने के कारण बहुत कम करते हैं। मेथी के बीज छोटे आकार और भूरे-पीले रंग के होते हैं। इसकी खुशबू और स्वाद दोनों भोजन को स्वादिष्ट बनाते हैं। मेथी दाना प्रोटीन,आयरन, विटामिन्स,मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट जैसे पोषक तत्वों से भरपूर है, जो सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं।
यूं करें मेथी का इस्तेमाल
-लाल और हरी मिर्च का अचार सर्दियों में डालते वक्त अन्य मसालों के साथ उसमें मेथी दाने को भी हल्का भूनकर दरदरा पीसकर मिला दें।
-घर में सांबर पाउडर बनाते वक्त या भरवां सब्जियों के लिए सूखा मसाला पाउडर बनाते वक्त मैं उसमें संतुलित मात्रा में मेथी पाउडर जरूर डालती हूं। इससे मसाले को एक अच्छा स्वाद व सुगंध मिलती है।
-स्वादिष्ट करी ,दाल का सूप या मैरिनेड के लिए खुद का मसाला तैयार करते समय जीरा,धनिया, अजवाइन के साथ मेथी दाने को भी हल्का भूनकर और पीसकर पाउडर तैयार करें। बेहतरीन स्वाद मिलेगा।
-मेथी दाने की तासीर गर्म होती है, अत: सर्दियों में इसके लड्डू भी बनते हैं। रातभर मेथी दाने को दूध में भिगोकर सुबह उसे सुखा कर और पीस कर पहले भूना जाता है। फिर उसे तरह-तरह के मेवे व चीनी आदि के साथ मिलाकर स्वादिष्ट लड्डू बनाया जाता है।
-मेथी दाने की लौंजी भी बनती है। इसे बनाने के लिए आधा कप मेथी दाने को रात भर पानी में भिगोकर फिर किशमिश,सौंफ, लाल मिर्च, सोंठ पाउडर और गुड़ आदि के साथ पीसकर थोड़ा अमचूर डालें। खट्टी-मीठी स्वादिष्ट लौंजी तैयार है।
अंकुरित मेथी दाना इस तरह करें इस्तेमाल-
क्या आप जानती हैं कि मेथी दाने से स्प्राउट्स भी बनाया जा सकता है? इसके लिए मेथी दाने को 7- 8 घंटे भिगोकर फिर पानी से निथार कर एक साफ-सूती कपड़े में बांधकर लटका दें। एक दिन में इनमें स्प्राउट्स निकल जाएंगे। इसका इस्तेमाल आप सैंडविच के भरावन में अन्य सामग्री के साथ मिलाकर कर सकती हैं। अंकुरित मेथी दाने को एक कप अंकुरित मूंग के साथ छौंककर अन्य मसाले मिलाकर आप भरवां पराठा भी बना सकती हैं। साथ ही मेथी स्प्राउट्स का इस्तेमाल सलाद व सूप आदि की ड्रेसिंग में भी किया जा सकता है।
ऐसे तैयार करें मेथी का तड़का-
अधिकांशत: मैं तड़के में मेथी दाने का उपयोग सब्जी व दाल आदि बनाने से पहले करती हूं। मसलन मूली की सब्जी बनाते समय पंचफोड़न का तड़का लगाकर बनाएं तो सब्जी का स्वाद ही अलग होता है। पंचफोड़न में मेथी का उपयोग होता है। कढ़ी को पकाने से पहले थोड़े से मेथी दाने, जीरा, हींग व साबुत लाल मिर्च का मैं तड़का लगा देती हूं। इससे बीज भी गल जाते हैं और कढ़ी का स्वाद भी अच्छा हो जाता है । कद्दू की सब्जी बनानी हो या बैंगन की... मैं मेथी दाने का तड़का लगाकर ही पकाती हूं।
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वेबसीरीज मिर्जापुर से लाइमलाइट में आए एक्टर विक्रांत मैसी इन दिनों अपनी नई फिल्म 12वीं फेल को लेकर काफी चर्चा में हैं। वे काफी फिट और यंग हैं। अपनी फिटनेस को बरकरार रखने के लिए विक्रांत एक्सरसाइज और डाइट के प्रति काफी सतर्क रहते हैं। फिल्म में वे 19 साल के यूपीएससी एसपिरेंट का किरदार निभा रहे हैं, जिसके लिए उन्होंने अपनी शरीर पर काफी मेहनत की है। आइये जानते हैं फिल्म की शूटिंग के दौरान कैसा था विक्रांत का फिटनेस रूटीन और डाइट प्लान।
फिटनेस को लेकर काफी डेडिकेटेड थे विक्रांत
36 वर्षीय विक्रांत ने फिल्म में 19 वर्षीय यूपीएससी एसपिरेंट का किरदार निभाने के लिए अपनी फिटनेस पर जी तोड़ मेहनत की है। इस दौरान उन्होंने एक्सरसाइज और डाइट से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया है। नियमित तौर पर जिम जाने से लेकर सख्त डाइट का पालन करने तक विक्रांत ने ये सभी चीजें फॉलो की हैं।विक्रांत मैसी का फिटनेस रूटीनआमतौर पर भी विक्रांत फिटनेस को लेकर काफी एक्टिव रहते हैं। वे नियमित तौर पर जिम जाते हैं, जहां वे स्क्वैट्स, डेडलिफ्ट, वेट लिफ्टिंग, पिलाटे, डंबल प्रेस, बेंच प्रेस, पुशअप्स, पुलअप्स आदि जैसी एक्सरसाइज करते हैं। विक्रांत कार्डियो एक्सरसाइज करने के साथ ही साथ बर्पी और लंजीज आदि भी करते हैं। साथ ही वे स्विमिंग, साइकिलिंग और एरोबिक्स जैसी अन्य शारीरिक गतिविधियों में भी शामिल रहते हैं।विक्रांत का डाइट प्लानविक्रांत जितना अपनी एक्सरसाइज और वर्कआउट रूटीन को लेकर सख्त हैं उससे कहीं ज्यादा ध्यान वे डाइट पर देते हैं। फिल्म की शूटिंग के दौरान स्ट्रिक्ट डाइट फॉलो कर अपना वजन घटाया। इस दौरान उन्होंने 20 दिनों तक उन्होंने सेमी लिक्विड और मैश्ड फूड का ही सेवन किया। आमतौर पर भी वे बाहर का कुछ भी खाने के बजाय घर का बना खाना खाना ज्यादा पसंद करते हैं। एक इंटरव्यू के दौरान विक्रांत ने बताया कि वे सब्जियों और फलों का सेवन ज्यादा करते हैं। वे दही और चावल खाने के भी शौकीन हैं। डाइट में विक्रांत पोषक तत्वों को शामिल करना नहीं भूलते हैं। -
- संध्या शर्मा
उत्तराखंड के गढ़वाल और आसपास के क्षेत्रों में रंगीन और खुशबूदार नमक बनाते हैं। पहाड़ों पर खाए जाने वाले इसे नमको को पिस्युन लूण, हरा नमक या हरा लहसुन नमक के नाम से जानते हैं। इसे सर्दियों के मौसम में फलों, सब्जी और चाट तक में डालकर खाया जाता है। वैसे तो यह नमक आपको बाजार में भी मिल जाएगा, लेकिन घर में बने नमक का स्वाद जबरदस्त होता है। कई लोग पसंदीदा पहाड़ी नमक को सिल-बट्टे पर सेंधा नमक के साथ बनाते हैं। हालांकि आप कम मेहनत में भी इसे बहुत आसानी से तैयार कर सकते हैं। यहां जानिए इसे बनाने का तरीका-पहाड़ी नमक बनाने का तरीकासामग्रीहरा लहसुन- आधा कपधनिया- 1/4 कपभुना हुआ जीरा- 2 बड़े चम्मचअदरक-(1 इंच)हरी मिर्च- 2नमक- आधा कपकैसे बनाएं नमकपहाड़ी नमक बनाने के लिए सबसे पहले कटी हुई हरी लहसुन, धनिया, भुना जीरा, अदरक और हरी मिर्च समेत सभी चीजें लें। अब इन सभी को एक साथ मिला लें। अच्छे से मिक्स करने के बाद इसे पीस लें। इसका मोटा पेस्ट बनाना है। अब, आप पेस्ट में नमक मिला सकते हैं। आप इसमें पिंक सॉल्ट मिला सकते हैं। अब इसे अच्छी तरह से सुखा लें। अगर धूप नहीं है और घर में ओवन है तो आप इसे ओवन में बेक कर सकते हैं। सूखने के बाद इसे दोबारा पीस लें और पाउडर बना लें। हरा लहसुन नमक तैयार है।ध्यान रखें ये बात-नमक को पीसने के बाद इसे धूप में सुखाना होता है। अगर आपके एरिया में धूप अच्छी तरह से नहीं निकल रही है तो आप नमक को ओवन में सुखा सकते हैं। ध्यान रखें इसे अच्छी तरह से सुखा लेना जरूरी है, वरना ये जल्दी खराब हो सकता है। इसके अलावा सूखने के बाद इसमें पानी बिल्कुल भी ना डालें। संतरा या मालटा के साथ इस नमक का स्वाद जबरदस्त लगता है। - -सीमा उपाध्यायलहसुन को छीलना काफी टाइम वाला काम होता है। ऐसे में अक्सर महिलाएं इसे छीलकर रखना पसंद करती हैं। काफी सारी महिलाएं तो बाजार से ही छीले लहसुन लेती हैं। लेकिन ये लहसुन घर आने के बाद जल्दी ही खराब होने लगते हैं। कभी उनमे अंकुर फूट जाता है तो कभी ये लहसुन सूखने लगते हैं। वहीं लहसुन में काले फफूंद का लग जाना कॉमन है। लेकिन अगर आप अपने छिले लहसुन को स्टोर करना चाहते हैं। जिससे कि जल्दबाजी में लहसुन छीलने में वक्त ना खराब हो तो इस एक टिप्स को फॉलो करें।ऐसे करें लहसुन स्टोर-छीले लहसुन को स्टोर करने के लिए बस इन छोटे स्टेप को फॉलो करें। इससे महीनों तक लहसुन खराब नहीं होंगे।-सबसे पहले अच्छे क्वालिटी के लहसुन मार्केट से ले आएं। जो बिल्कुल फ्रेश हों और जरा भी खराब ना हों।-इन सारे लहसुन को छीलकर रख लें।-इन लहसुन को एक दिन धूप में सुखा लें। जिससे कि ऊपर का मॉइश्चर खत्म हो जाए।-फिर किसी टिश्यू पेपर पर लहसुन को रखकर पोछें। जिससे कि सारे लहसुनों पर से मॉइश्चर हट जाए।-अब किसी कांच के जार में कागज के टिश्यू पेपर को नीचे बिछाएं। फिर इसके ऊपर अच्छी तरह से छीले-सूखे लहसुनों को भर दें।-एयर टाइट ढक्कन बंद करें और फ्रिज में रख दें। महीनों तक इस तरह से छिले लहसुन खराब नही होंगे और फ्रेश बने रहेंगे।-बस जब सब्जी या किसी डिश में लहसुन डालना हो तो निकालकर इस्तेमाल करें।कटे लहसुन को ऐसे करें स्टोरअगर गलती से ज्यादा लहसुन काट लिया है या उसे पीस लिया है तो ऐसे लहसुन को स्टोर करने के लिए केवल एयर टाइट टिफिन या डिब्बे का इस्तेमाल करें। बस लहसुन को रखकर फ्रिज या फ्रीजर में स्टोर कर दें।
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-सीमा उपाध्याय से जानिए रेसिपी
मकर संक्राति के मौके पर गुड़ की काफी सारी मिठाईयां बनती है। केवल तिल के साथ ही नहीं बल्कि बेसन, मुरमुरे, बाजरा को गुड़ में मिलाकर टेस्टी लड्डू तैयार किए जाते हैं। लेकिन मूंगफली की चिक्की का स्वाद हर किसी को पसंद आता है। सबसे खास बात कि ये घर में उतनी अच्छी नहीं बनती। जैसी बाजार की होती है। घर में बनाने में अक्सर चिक्की कभी काफी सख्त हो जाती है तो कभी मुलायम। अगर बाजार जैसी चिक्की बनाना चाहती हैं तो इस सीक्रेट टिप्स को फॉलो करें। बिल्कुल बाजार जैसी चिक्की बनकर तैयार होगी।
मूंगफली की चिक्की बनाने की सीक्रेट टिप्स
मूंगफली की चिक्की अगर मार्केट जैसी बनानी है तो हमेशा मूंगफली और गुड़ की मात्रा को बराबर रखें। जैसे सौ ग्राम मूंगफली के साथ सौ ग्राम गुड़ लें।
-बाजार से अच्छे क्वालिटी के गुड़ को ही खरीदें। काले वाले गुड़ की बजाय सफेद रंग के अच्छे गुड़ को खरीदकर बनाएं। जिससे कि चिक्की का रंग बहुत काला ना होकर परफेक्ट बनें।
-मूंगफली को ड्राई रोस्ट करने के बाद छिलका उतार दें। फिर इस मूंगफली को दरदार पीस लें। जिससे कि मूंगफली के दो से तीन टुकड़े हो जाएं।
-गुड़ को पिघलाने के लिए मात्र एक चम्मच देसी घी डालें। ज्यादा घी गुड़ को मुलायम कर देगा। जब गुड़ बिल्कुल पिघल जाए फिर दो चम्मच पानी डालकर पकाएं।
-जब पानी में गुड़ कुछ देर पक जाए तो कटोरी में पानी लें और उसमे गुड़ डालकर देखें। जब गुड़ पानी से निकालने पर मुलायम दिखे तो मतलब अभी और पकाना है।
-अब इस पिघले गुड़ में एक चम्मच बेकिंग पाउडर डाल दें। इससे गुड़ का कलर सफेद होगा और गुड़ हल्का हो जाएगा। धीमी आंच पर कुछ देर पकाने के बाद गुड़ को पानी में डालकर देखें। जब पानी से बाहर निकालने पर गुड़ बिल्कुल सख्त होकर कट-कट की आवाज करने लगे तो समझ जाएं कि गुड़ तैयार है।
-इस स्टेज पर इसमे मूंगफली को मिक्स कर दें। फिर किसी पॉलीथिन पर इस मिक्सचर को निकालकर कूट लें। अच्छी तरह से कूटने के बाद जब ये थोड़ा ठंडा हो जाए तो बेलन से बेलकर आकार दें। फिर चाकू से काट लें। बस ठंडा हो जाने दे और तैयार है टेस्टी बाजार जैसी मूंगफली की चिक्की। -
- संध्या शर्मा से जानिए रेसिपी
क्या आप भी उन लोगों में शामिल हैं, जो चुकंदर के फायदे तो लेना चाहते हैं लेकिन उसके स्वाद की वजह से उसे अपनी डाइट में शामिल करने से परहेज करते हैं। अगर जवाब हैं में है तो टेंशन छोड़ चुकंदर के अचार की इस रेसिपी को जरूर ट्राई करें। चुकंदर का अचार ना सिर्फ खाने में बेहद टेस्टी होता है बल्कि बनाने में भी बेहद आसान है। आप इस रेसिपी को खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए पराठे,चावल के साथ परोस सकते हैं। तो आइए बिना देर किए जान लेते हैं चुकंदर का अचार बनाने के लिए फॉलो करने होंगे कौन से कुकिंग टिप्स।
चुकंदर का अचार बनाने के लिए जरूरी चीजें-
-500 ग्राम चुकंदर
-5-6 लहसुन की कलियां
-5 करी पत्ते
-1/2 इंच अदरक
-4 बारीक कटी हुई हरी मिर्च
-1/2 चम्मच हल्दी
-1/2 चम्मच लाल-कश्मीरी मिर्च पाउडर
-1/2 कप सरसों का तेल
-2 चम्मच अचारी मसाला
-2 चम्मच राई
-1/2 चम्मच मेथी दाना
-1 चम्मच सिरका
-नमक स्वादानुसार
-1/2 चम्मच हींग
-2 चम्मच अमचूर पाउडर
चुकंदर का अचार बनाने का तरीका-
चुकंदर का अचार बनाने के लिए सबसे पहले चुकंदर को धोकर उसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर धूप में सुखा लें। एक पैन में तेल गर्म करके उसमें राई,लहसुन,अदरक,मिर्च,करी पत्ता,हल्दी, लाल मिर्च पाउडर डालकर कुछ देर भूनें। अब इसमें चुकंदर के टुकड़े डालकर लगभग 10 मिनट तक अच्छे से भून लें। इसके बाद चुकंदर में नमक,अमचूर पाउडर,अचारी मसाला,मेथी दाना पाउडर डालकर अच्छे से मिक्स करके 10 मिनट ढककर पका लें। चुकंदर को पकाते समय बीच में एक- दो बार चला भी लें। उसके बाद गैस बंद कर दें और अचार को 2-3 दिन धूप में रख दें। इसके बाद अचार को जार में डालकर गर्म सरसों का तेल डाल दें। आपका टेस्टी चुकंदर का अचार बनकर तैयार है। -
2024 में कई कपल्स पेरेंट्स बनने वाले हैं। घर में बच्चे का जन्म जितना खास होता है उससे भी कहीं ज्यादा खास होता है उसका नाम। वो नाम जो बच्चे के लिए पेरेंट्स सेलेक्ट करते हैं और ताउम्र उसे उसी से जाना जाता है। बच्चे का नाम सुनने में प्यारा और अर्थ में खूबसूरत हो इसके लिए पेरेंट्स कई किताबें, बेवसाइट और न्यूज पेपर को छान जाते हैं। खासकर जब बात लड़कियों के नाम की आती है, तो पेरेंट्स को ज्यादा उत्सुकता होती है। नए साल में आप भी घर में नन्ही परी की उम्मीद लगाए बैठे हैं और उसके लिए किसी नाम की तलाश कर रहे हैं, तो वो खत्म होने वाली है। इस आर्टिकल में हम आपको बताने वाले हैं 2024 में ट्रेडिंग रहने वाले लड़कियों के नाम और उसके अर्थ।
आम्या
आप अपनी बेटी का नाम अ यानी की A से रखने की सोच रहे हैं तो आम्या नाम रख सकते हैं। आम्या का अर्थ होता है मुलायम या कोमल। आम्या नाम की लड़कियां बहुत ही शांत स्वभाव की होती हैं और अपने आसपास खुशियां बिखेरती हैं।इन्द्राक्षीइन्द्राक्षी नाम बहुत ही यूनिक है। इंद्राक्षी नाम का मतलब सुंदर आंखों का होना होता है। इन्द्राक्षी नाम वाली लड़कियां स्वाभिमानी स्वभाव की होती हैं। इन्हें खुद पर विश्वास करना और आत्मनिर्भर रहना ही पसंद होता है।वैदेहीवैदेही नाम का अर्थ विदेहों की राजकुमारी है। राजा जनक की बेटी और श्रीराम की पत्नी माता सीता का एक नाम वैदेही भी था। इसलिए वैदेही नाम लड़कियों के लिए काफी खास होता है।दक्षतादक्षता नाम का अर्थ होता है कौशल। जो लोग अपनी लड़कियों को कौशल से भरपूर देखना चाहते हैं वो दक्षता नाम का चुनाव कर सकते हैं। कहा जाता है कि दक्षता नाम की लड़कियां एक मुद्दे के सभी पक्षों को देखने में सक्षम होती हैं। वह सभी स्थितियों में सामंजस्य पूर्ण परिणाम की तलाश करती हैं।फ्रेयाफ्रेया एक स्कैंडिनेवियाई नाम है जिसका अर्थ होता है एक महान महिला। फ्रेया नाम की लड़कियां हमेशा दूसरों की मदद करती हैं। इस नाम की लड़कियों के व्यक्तित्व में प्यार, भरोसा और दूसरों की मदद करना देखा जाता है।गिन्नी2000-2002 के करीब गिन्नी नाम टीवी सीरियल्स में काफी फेमस हुआ था। यह नाम लड़कियों के लिए बहुत ही खास है। गिन्नी नाम का अर्थ होता है सोना। कहा जाता है कि गिन्नी नाम की लड़कियां अपने जीवन में बहुत शौर्य और प्यार कमाती हैं।लाखीलाखी नाम सुनने में थोड़ा छोटा जरूर है, लेकिन इसका अर्थ बहुत ही खूबसूरत है। लाखी नाम का कनेक्शन माता लक्ष्मी से है। मान्यता है कि लाखी नाम की लड़कियों के जीवन में धन-धान्य की कमी कभी नहीं होती है।आद्रिकाअपने घर पर नन्ही परी के लिए आपने अभी से बड़े-बड़े सपने देख लिए हैं तो आद्रिका नाम आपके लिए बेस्ट है। आद्रिका नाम का अर्थ होता है गगनचुंबी यानी की आसमान को छूने वाली। - - संध्या शर्मासमय बचाने के लिए अक्सर गृहणियां खाने की कुछ तैयारी पहले से करके रखती हैं। जिसमे आटा गूंथकर फ्रिज में रखने से लेकर सब्जियां काटने तक शामिल हैं। लेकिन ये कटी हुई सब्जियां मात्र रात के बाद सुबह तक ही चलती हैं। इसके बाद या तो काली पड़ने लगती हैं या फिर सड़ने लगती हैं। ऐसे में सब्जी काटकर फ्रिज में रखने की ऐसी ट्रिक यहां आप जान सकती हैं। जो ना केवल आपका कीमती समय बचाएंगी बल्कि सुबह की भागमभाग में भी स्वादिष्ट खाना बनाकर तैयार कर पाएंगी। इन तरीकों से सब्जियों को फ्रिज में प्रिजर्व करने से हफ्तेभर तक ये बिल्कुल फ्रेश बनी रहती हैं।फ्रीजिंगहरी मटर को छीलकर फ्रिज में रखने का तरीका तो सबको पता ही होगा। लेकिन आप चाहें तो पालक के पत्तों को पानी में ब्लांच कर फ्रीजर में स्टोर कर सकते हैं। इससे ना केवल हरा रंग बना रहेगा बल्कि ये पालक पनीर, पालक मटर और पालक की स्पाइसी ग्रेवी वाली सब्जी और सूप के लिए फौरन इस्तेमाल में लिया जा सकेगा। ये ट्रिक आपको हर दिन हेल्दी और हरी पत्तेदार सब्जी बनाने में मदद करेगा।ऑयलिंगआलू, बैंगन जैसी सब्जियों को काटकर उस पर हल्का तेल की कोटिंग कर दें। इससे हवा और सब्जी के बीच में बैरियर बन जाएगा और सब्जी लंबे समय तक फ्रेश बनी रहेंगी। कटी सब्जियों को लंबे समय तक फ्रेश रखने का ये तरीका काफी कारगर है और गृहिणियों की खूब मदद करता है।नींबू का रस लगा देंकद्दू, कटहल जैसी सब्जियों को अगर काटकर फ्रिज में रखना चाहती हैं तो इसके ऊपर खट्टा रस या नींबू का रस लगा दें। इससे सब्जियां लंबे समय तक खराब नहीं होती और फ्रेश बनी रहती हैं।एयर टाइट डिब्बे में रखेंसब्जियों को काटकर प्रिजर्व करना है तो हमेशा एयर टाइट डिब्बों में रखें। जिससे कि खुली हवा के संपंर्क में ना आएं। हवा के संपंर्क में आने से सब्जियां जल्दी खराब होना शुरू कर देती हैं।कपड़े या पेपर टॉवेल का इस्तेमालडिब्बे में कटी सब्जियां रखने से पहले नीचे कपड़ा या पेपर टॉवेल बिछा दें। इससे सब्जियों की नमी कपड़ा सोख लेगा। नहीं तो नमी की वजह से सब्जियां खराब होने लगती हैं।
- -सीमा उपाध्याय से जानिए रेसिपीअगर आप भी उन लोगों में से एक हैं जो फूलगोभी काटते समय उसके डंठल काटकर अलग फेंक देते हैं तो अगली बार ऐसा करने से पहले ये खबर जरूर पढ़ लें। क्योंकि इस खबर को पढ़ने के बाद आप ऐसा नहीं कर पाएंगे। जी हां, आज आपको कुकिंग के कुछ ऐसे हैक्स बताने जा रहे हैं, जिनकी मदद से आप फूलगोभी के डंठल से ही टेस्टी सब्जी, पराठा और पकोड़े तैयार कर सकते हैं।फूलगोभी के डंठल के पकोड़े-फूलगोभी के डंठल से पकोड़े तैयार करने के लिए सबसे पहले एक कड़ाही में घी गर्म करके उसमें डंठल डालकर उन्हें 5 मिनट भूनने के बाद अलग प्लेट में निकालकर रख लें। अब एक बर्तन में बेसन, नमक, हींग, हल्दी पाउडर, हरा धनिया और हरी मिर्च और पानी डालकर एक गाढ़ा घोल तैयार कर लें। इस घोल में डंठल डालकर बेसन में अच्छी तरह कोट करते हुए कड़ाही के गर्म तेल में डंठलों को सुनहरा होने तक तल लें। आपके फूलगोभी के डंठल के पकोड़े बनकर तैयार हैं।फूलगोभी के डंठल से बनाएं पराठा-फूलगोभी के डंठल से पराठा बनाने के लिए सबसे पहले गोभी को उसके डंठल के साथ ही कद्दूकस करके अलग रख लें। कद्दूकस की हुई गोभी में थोड़ा-सा नमक मिलाकर 5 मिनट के लिए अलग छोड़ दें। इसके बाद, नरम आटा गूंथकर उसे रेस्ट करने के लिए 10 मिनट अलग ढककर रख दें। गोभी के पराठे बनाने से पहले गोभी को एक बार अच्छी तरह निचोड़ लें। इसके बाद कद्दूकस की हुई गोभी में हल्दी, हरी मिर्च और भुना हुआ जीरा डालकर मसाला बना लें। आटे की लोई को थोड़ा-सा बेलकर उसमें 1 चम्मच गोभी का मसाला भरकर लोई का मुंह बंद कर दें। पराठे को बेलकर गर्म तवे में डालकर ऊपर से देसी घी लगाकर दोनों तरफ से सेंक लें।
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मूली का इस्तेमाल कई घरों में सलाद, पराठे और चटनी जैसी चीजें बनाने के लिए किया जाता है। मूली में प्रोटीन,कैल्शियम और एस्कॉर्बिक एसिड के साथ आयरन,विटामिन के, विटामिन सी,फोलिक एसिड और फॉस्फोरस जैसे खनिज प्रचूर मात्रा में मौजूद होते हैं। जो सर्दियों में व्यक्ति के शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद कर सकते हैं। लेकिन कई घरों में मूली का उपयोग करते समय उसके पत्ते बेकार समझकर फेंक दिए जाते हैं। अगर आप भी ऐसी गलती हैं तो अगली बार ऐसा करने से बचें। जी हां, मूली के पत्ते ना सिर्फ खाने में बेहद टेस्टी बनते हैं बल्कि पाइल्स, कब्ज और एनीमिया जैसी समस्याओं को भी दूर रखने में मदद करते हैं। आइए जानते हैं मूली के पत्ते खाने से सेहत को मिलते हैं क्या-क्या गजब के फायदे।
मूली के पत्ते खाने से सेहत को मिलते हैं ये फायदे-
इम्यूनिटी बूस्ट-
मूली के पत्तों का सेवन करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है। इसमें मौजूद आयरन और विटामिन्स शरीर की इम्यूनिटी बूस्ट करने में मदद करते हैं। मूली के पत्तों का सेवन करने से हीमोग्लोबिन बेहतर होने से एनीमिया की समस्या भी ठीक होती है।
पाचन रखें बेहतर-
पेट की समस्याओं को दूर करने के लिए भी आप मूली के पत्तों का सेवन कर सकते हैं। मूली के पत्तों में भरपूर मात्रा में फाइबर मौजूद होता है, जो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फंक्शन को बेहतर बनाकर कब्ज और अपच जैसी समस्याओं को कम करने में मदद करता है।
यूरिक एसिड की समस्या-
एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर मूली के हरे पत्तों का सेवन करने से यूरिक एसिड की समस्या में राहत मिल सकती है। मूली के पत्तों का सेवन करने से खून साफ होता है,जिससे यूरिक एसिड का समस्या कम हो सकती है।
पाइल्स में राहत-
फाइबर से भरपूर मूली के पत्तों का सेवन करने से बवासीर की समस्या में भी राहत मिल सकती है। इसके सेवन से मल त्याग में आसानी होती है।एक रिसर्च के अनुसार,मूली के पत्ते सूजन और इंफ्लेमेशन जैसी समस्या कम कर सकते हैं। पाइल्स के घरेलू उपचार के तौर पर मूली के सूखे पत्तों के चूर्ण में बराबर मात्रा में चीनी और पानी मिलाकर सेवन करने से लाभ मिल सकता है। इसके अलावा इस पेस्ट को प्रभावित हिस्से में लगाने से भी फायदा हो सकता है।
डायबिटीज-
डायबिटीज से परेशान लोग मूली के पत्तों को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। मूली के पत्तों का पानी से बना अर्क अल्फा – ग्लूकोसाइडेज गतिविधि को बाधित करके डायबिटीज की परेशानी को कम कर सकता है। -
-संध्या शर्मा
बात जब भी विंटर स्पेशल फूड की होती है तो उसमें सबसे पहला नाम सरसों के साग और मक्की की रोटी का लिया जाता है। यूं तो सरसों का साग पंजाब की पारंपरिक डिश है, लेकिन इसके स्वाद और हेल्थ बेनिफिट्स की वजह से इसे देश ही नहीं दुनियाभर में खाना पसंद किया जाता है। हालांकि कई बार सोशल मीडिया पर सरसों के साग की कई रेसिपी फॉलो करने के बाद भी महिलाओं की यह शिकायत बनी रहती है कि सरसों के साग में पंजाबी रसोई जैसा देसी स्वाद नहीं आता। अगर आपकी भी यही शिकायत है तो हो सकता है आप सरसों का साग बनाते समय ये कुछ कॉमन गलतियां कर रही हों। आइए जानते हैं इन गलतियों के बारे में।
सरसों का साग बनाते समय की गई गलतियां-
ज्यादा पानी का इस्तेमाल करने से बचें-
कई बार लोग सरसों का साग पकाते समय उसकी मात्रा बढ़ाने के लिए उसमें पानी का ज्यादा यूज करके साग को पतला कर देते हैं। सरसों का साग पकाते समय इस बात का खास ख्याल रखें कि सरसों के साग में बाकी हरी सब्जियों की तरह अपना भी पानी होता है। ऐसे में साग में ज्यादा पानी डालने से उसका स्वाद खराब हो जाता है। साग में कम पानी डालकर उसे ढककर धीमी आंच पर पकाने से साग स्वादिष्ट बनता है।
नमक बिगाड़ सकता है स्वाद-
सरसों के साग स्वाद में नमकीन होता है। ऐसे में सरसों का साग पकाते समय उसमें डाला गया थोड़ा सा भी अधिक नमक उसे बहुत ज्यादा नमकीन बना सकता है। यही वजह है कि सरसों का साग पकाते समय उसमें नमक की मात्रा का खास ख्याल रखना चाहिए।
मक्की का आटा हे जरूरी-
सरसों का साग पकाते समय अगर उसमें थोड़ा सा मक्की का आटा मिला दिया जाए तो साग गाढ़ा और टेस्टी बनता है। -
-सीमा उपाध्याय
सर्दियां शुरू होते ही कुछ गर्मागर्म टेस्टी और चटपटा खाने की क्रेविंग भी तेज होने लगती है। आपकी ऐसी ही क्रेविंग को शांत करने के लिए राजस्थानी कढ़ी कचौड़ी एक परफेक्ट रेसिपी हो सकती है। कढ़ी कचौड़ी राजस्थान की फेमस डिश में से एक मानी जाती है। जिसे राजस्थान के नाश्ते में तैयार किया जाता है। आपने आज तक कचौड़ी का स्वाद आलू की सब्जी के साथ लिया होगा। लेकिन ये स्पेशल कचौड़ी आलू की सब्जी के साथ नहीं बल्कि राजस्थानी स्पेशल कढ़ी के साथ सर्व की जाती है। अगर आप भी इस न्यू ईयर स्पेशल नाश्ते की रेसिपी को अपनी रसोई में ट्राई करना चाहते हैं तो फॉलो करें ये आसान टिप्स।
राजस्थानी कढ़ी बनाने के लिए फॉलों करें ये टिप्स- राजस्थानी कढ़ी बनाने के लिए सबसे पहले एक मिक्सिंग बाउल में पानी और बेसन लें। इसके बाद मसाले में लाल मिर्च पाउडर,अमचूर पाउडर और हल्दी डालकर अच्छे से मिलाएं। अब एक पैन में तेल गर्म करके उसमें राई डालकर धीमी आंच पर चटकने दें। इसके बाद इसमें हींग डालकर आंच बंद कर दें। अब पैन में घोले हुए मिश्रण को डालकर आंच पर रखकर लगभग 45 मिनट तक उबलने दें। एक बार जब ये उबल जाएं तो इसमें नमक डालकर दो मिनट और पकाएं। आपकी टेस्टी कढ़ी बनकर तैयार है।
राजस्थानी कचौड़ी बनाने के लिए फॉलो करें ये टिप्स- राजस्थानी कचौड़ी का आटा तैयार करने के लिए आटे में नमक, मिर्च, सूखी मेथी और 2 चम्मच तेल डालकर कम से से कम पानी की मदद से गूंथ लें।
राजस्थानी कचौड़ी की स्टफिंग तैयार करने के लिए सबसे पहले एक नॉन स्टिक पैन में तेल गरम करके उसमें जीरा, अरदक, लहसुन, सौंफ, धनिया, हरी मिर्च और कुटी लाल मिर्च डालकर अच्छे से मिलाकर भून लें। अब इसमें अमचूर पाउडर, लाल मिर्च पाउडर और नमक, धनिया पत्ती डालकर अच्छे से मिलाएं। अब इस मसाले को ठंडा होने के लिए रख दें। कचौड़ी के आटे को बराबर भागों में बांटकर उनमें एक चम्मच स्टफिंग भरकर लोई को बंद करके बेल लें। अब कढ़ाई में तेल गरम करके बेली हुई कचौड़ियां तल लें। आपकी टेस्टी राजस्थानी कचौड़ी बनकर तैयार है। -
-संध्या शर्मा
लगभग डेढ़ दशक पहले तक मैं सोया सॉस का इस्तेमाल सिर्फ नूडल्स, चाउमीन, वानटन सूप और थाई व्यंजनों के लिए ही करती थी। पर धीरे-धीरे इसका उपयोग मैं गोभी मंचूरियन, चिली पोटैटो, वेज फ्राइड राइस आदि बहुत सारी डिशेज में करने लगी हूं। हमारे दिमाग में यही बात बैठी थी कि सोया सॉस का इस्तेमाल सिर्फ चाइनीज, जापानी व थाई व्यंजनों में ही किया जाता है। पर, अब ऐसा नहीं है। इससे कई तरह के शाकाहारी व्यंजनों जैसे मंचूरियन, मोमोज ,परांठे आदि को भी अद्वितीय स्वाद मिलता है। इससे हमारे पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद बहुत ही अच्छा हो जाता है। इसके इस्तेमाल से सामान्य डिश को भी एक नया आयाम मिलता है। सोया सॉस का उपयोग सलाद ड्र्रेंसग, सूप, ग्रेवी वाली सब्जियों में किया जा सकता है।
कैसे बनता है सोया सॉस?
सोया सॉस सोयाबीन के बीज से बनता है। सोया का अच्छी तरह संतुलित चिकना समृद्ध स्वाद इसकी नमकीन स्वाद से परे जाता है। इसको बहुत सारे मसालों के साथ इतनी अच्छी तरह मिश्रित किया जाता है कि नमक को भी याद नहीं किया जाता। यह मार्केट में दो तरह का मिलता है। एक, डार्क सोया सॉस, दूसरा लाइट सॉस। जिस व्यंजन में ज्यादा गहरा रंग देना होता है, उसमें डार्क सोया सॉस का इस्तेमाल करते हैं। लाइट सोया सॉस का प्रयोग मैरिनेट करने के लिए व कई खाद्य पदार्थों के लिए किया जाता है। वैसे डार्क सोया सॉस को लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है। सोया सास की मुख्य विशेषता यह है कि हमारे जैसे शाकाहारी लोगों के लिए मांस और डेयरी उत्पादों का अच्छा विकल्प है। कहते हैं कि इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स भी विभिन्न बीमारियों से बचाव करने में मददगार होते हैं।
ऐसे करें इस्तेमाल
• पनीर मंचूरियन बनाना हो या ओरिएंटल स्टाइल पनीर पराठा, मंचाऊ सूप अथवा चाइनीस स्वीट कॉर्न सूप, सभी में सोया सॉस का इस्तेमाल स्वाद को बेहतर बनाता है।
• पनीर पराठा बनाना हो तो तीनों तरह की शिमला मिर्च बारीक काटें, पनीर कद्दूकस करें, प्याज आदि डालें, साथ ही थोड़ा सा सोया सास मिला दें। लिफाफे की तरह पराठे में भरें या दो पतली रोटियां के बीच पनीर सोया सॉस मिला मिश्रण भरकर किनारे सील करें और तवे पर सेंक लें। बढ़िया सोया सॉस युक्त पराठा तैयार है।
• इसका डिप बनाना हो तो सोया सॉस में कटी हरी मिर्च, थोड़ा-सा सिरका आदि मिला दें। चाहे तो चिली फ्लेक्स भी। पकोड़े आदि के साथ एक बढ़िया स्वाद मिलेगा।
• इसके अलावा बरसाती मौसम में जब भुट्टे आते हैं तो सेंकने के बाद नमक, मिर्च, नीबू के अलावा थोड़ा सा सोया सॉस भी मिला दें। एक नए स्वाद का आनंद उठाइए।
• इडली बच गई है या चिली इडली बना रही हैं तो थोड़ा-सा सोया सॉस डाल दें।
• मैं कई बार समयाभाव के कारण चटनी नहीं बना पाती हूं। ऐसे में अकसर स्नैक्स के साथ मैं, तीखी-मीठी सोया सॉस की चटनी बना लेती हूं। इसके लिए चार टेबल स्पून सोया सॉस में दो टेबल स्पून चीनी और चार टेबल स्पून सफेद सिरका डालकर उबालें। दूसरी तरफ, एक छोटे चम्मच ऑलिव ऑयल में आधा छोटा चम्मच कद्दूकस किया लहसुन भूनें। उसी में एक चम्मच तिल,साथ में थोड़े-से चिली फ्लेक्स, एक चम्मच बारीक कटा हरा प्याज और एक चौथाई चम्मच नमक मिला दें। इस मिश्रण को उबले हुए सॉस में मिलाएं। बढ़िया डिप तैयार है।
यूं बनाएं इंस्टेट सोया सॉस
चार चम्मच चीनी को कैरेमलाइज्ड कर उसमें पानी, विनिगर और थोड़ा-सा नमक मिलाएं। सोयाबीन के बीज को को भूनकर पीस लें। एक चम्मच सोयाबीन पाउडर को इस मिश्रण में डालकर मिलाएं। इंस्टेंट सोया सॉस तैयार है। इसे फ्रिज में तीन से चार दिन स्टोर किया जा सकता है।
इन बातों का रखें ध्यान
1 सोया सॉस का उपयोग करें तो खाद्य सामग्री में नमक कम ही डालें क्योंकि इसमें नमक होता है। शीशी खोलने के बाद फ्रिज में ही स्टोर करें।
2 पनीर या किसी भी खाद्य सामग्री को मैरिनेट करते समय लाइट सोया सॉस का ही प्रयोग करें।
3 यदि थायरॉइड या उच्च रक्तचाप की समस्या है, तो सोया सॉस का इस्तेमाल खाने में कम करें। -
-सीमा उपाध्याय
जब कभी तीखे मसालेदार खाने का जिक्र होता है तो सबसे पहले राजस्थानी व्यंजनों का नाम लिया जाता है। अगर आप भी तीखा खाने के शौकीन हैं और खाने की थाली में तीखी हरी मिर्च का अचार साथ रखना बिल्कुल नहीं भूलते तो ये किचन हैक्स आपके काम आ सकते हैं। अक्सर लोग खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए खाने की थाली में चटपटा अचार साथ रख लेते हैं। लेकिन ऐसा करने के लिए उन्हें महीनों पहले अचार को धूप में रखना पड़ता है। लेकिन आज जो किचन टिप्स आपको बताने जा रहे हैं, उनकी मदद से आप इंस्टेंट हरी मिर्च का अचार बनाकर तैयार कर सकते हैं।
आइए जान लेते हैं क्या हैं इंस्टेंट हरी मिर्च का अचार बनाने के टिप्स।
इंस्टेंट हरी मिर्च का अचार बनाने के लिए टिप्स-
-250 ग्राम कटी हुई हरी मिर्च
2 बड़े चम्मच सौंफ
-1 टीस्पून जीरा
-1 बड़ा चम्मच मेथी
-2 बड़े चम्मच राई
-2 बड़े चम्मच साबुत धनिया
-1 बड़ा चम्मच नमक
1/2 छोटा चम्मच हल्दी पाउडर
-2 बड़े चम्मच आमचूर पाउडर
-1/2 कप गर्म किया हुआ सरसों का तेल
-काला नमक स्वादानुसार
इंस्टेंट हरी मिर्च का अचार बनाने की विधि-
इंस्टेंट हरी मिर्च का अचार बनाने के लिए सबसे पहले हरी मिर्च को अच्छी तरह पानी से धो लें। उसके बाद हरी मिर्च का पानी अच्छी तरह पोंछने के बाद उसमें बीच से एक चीरा लगाकर उसके दो टुकड़े कर लें।
-मीडियम आंच में एक पैन में मेथी दाना, राई, सौंफ, जीरा, साबुत धनिया डालकर 1-2 मिनट तक ड्राई रोस्ट करके मिक्सी में डालकर दरदरा पीस लें।
-एक प्लेट में कटी हुई हरी मिर्च, पिसा हुआ मसाला, हल्दी पाउडर, काला नमक, सादा नमक और आमचूर पाउडर डालकर सभी चीजों को अच्छी तरह मिक्स कर दें।
-प्लेट में रखी कटी मिर्च पर गर्म किया हुआ सरसों का तेल डालकर एक बार फिर मिर्च को मसालों के साथ अच्छी तरह मिला दें। आपका टेस्टी इंस्टेंट हरी मिर्च का अचार बनकर तैयार है। आप इसे कांच की बोतल में भरकर कुछ दिन तक स्टोर करके भी रख सकते हैं। -
-संध्या शर्मा
सर्दियों के मौसम में लोग उस तरह की चीजों को खाना पसंद करते हैं जो गर्म हों और शरीर को भी गर्म रखें। शरीर को गरम रखने के लिए आप बाजरे की राब बना सकते हैं। ये एक राजस्थानी डिश है, जो खासतौर पर सर्दियों के दिनों में बनाई जाती है। इसे गुड़ और बाजरे के आटे के साथ मिलाकर बनाया जाता है। इसे देसी सूप भी कहते हैं। जो इम्यूनिटी को मजबूत करने के साथ कई समस्याओम को दूर करने में मददगार है।
कैसे बनती है बाजरे की राब
बाजरे की राब बनाने के लिए आपको चाहिए...
4 बड़े चम्मच बाजरे का आटा
1 बड़ा चम्मच गुड पाउडर
1 छोटा चम्मच सोंठ पाउडर
2 कप पानी
1 बड़ा चम्मच ड्राई फ्रूट्स
आधा छोटा चम्मच नमक
एक बड़ा चम्मच अदरक पाउडर
1 बड़ा चम्मच अजवायन
2 चम्मच घी
कैसे बनाएं बाजरे क राब
बाजरे की राब बनाने के लिए सबसे पहले 1 बड़े बर्तन में घी गर्म करें और फिर इसमें अजवायन को डालकर अच्छे से भूने। घी में जब अजवायन अच्छे से भुन जाए, तब इसमें बाजरे का आटा डालकर पकाएं। इसे अच्छे से भून लें।अब आप इसमें गुड़, थोड़ा नमक, अदरक पाउडर और पानी डालें। अब इस मिक्स को अच्छे से पकाइए। ध्यान रखें कि इसमें गांठे बिल्कुल न रहें। एक उबाल आने के बाद इस मिक्स को सिर्फ 5 मिनट के लिए पकाएं। फिर बाजरे के राब को ड्राई फ्रूट्स डालकर सर्व करें। -
-सीमा उपाध्याय
सर्दियों का मौसम आते ही मार्केट में ढेर सारी गाजर मिलने लगती है। ऐसे में आप इसका टेस्टी अचार बनाकर तैयार कर सकती हैं। ये अचार स्वादिष्ट होने के साथ ही सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है। गाजर को अगर कच्चा खाकर बोर हो गए हैं तो उसे अचार के रूप में भी खाया जा सकता है। तो चलिए जानें कैसे बनाएं गाजर का टेस्टी खट्टा-मीठा अचार।
गाजर का अचार बनाने की सामग्री
10-12 गाजर
आधा चम्मच कलौंजी
2 चम्मच मेथी के दाने
2 चम्मच पीली सरसों
एक चौथाई चम्मच हींग
1 चम्मच हल्दी पाउडर
नमक स्वादानुसार
डेढ़ चम्मच सरसों का तेल
गाजर का ताजा अचार बनाने की विधि
-सबसे पहले गाजर को अच्छी तरह से धोकर छील लें। साथ ही किसी कपड़े की मदद से इन सारे गाजर के पानी को सुखा लें।
-फिर इन सारे छीले गाजरों के पतले, लंबे टुकड़े का काट लें। कुछ घंटे धूप में डाल दें। जिससे कि गाजर का पानी सूख जाए।
-सारे गाजर को किसी कांच के बाउल में रखें और फिर इसमे कलौंजी डाल दें।
-साथ में मेथी दानें डालें। पीली सरसों के दाने को मिक्सी के जार में दरदरा पीसकर मिला लें। साथ में लाल मिर्च पाउडर, हल्दी पाउडर, अमचूर पाउडर, नमक स्वादानुसार और हींग डालें।
-अब पैन में सरसों का तेल गर्म करें और इसमे गाजर और मसालों के मिक्सचर को डाल दें। थोड़ी देर चलाएं और गैस की फ्लेम को बंद कर दें। कांच के जार में भरे और कुछ देर के लिए धूप दिखाएं। जिससे कि गाजर का एक्स्ट्रा पानी सूख जाए और ये अचार कुछ दिनों तक टिका रहे। हालांकि ये फ्रेश अचार मुश्किल से तीन से चार दिनों के लिए ही बनाया जाता है। -
-सीमा उपाध्याय
सर्दियों के मौसम में भी रसोई में रखी चीजें खराब होने का डर रहता है। इस मौसम में भी ठंड और नमी घर में रहती है और धूप की कमी रहती है। ऐसे में कई बार डिब्बे में रखा आटा, मैदा, सूजी वगैरह में कीड़े लग जाते हैं। आटे के डिब्बे में कीड़े और जाले ना लगें इसके लिए कुछ स्टोरेज टिप्स बता रही हैं उर्मिला सिंह।
आटे को सही तरीके से स्टोर करने के टिप्स
• आटा को हमेशा एयरटाइट डब्बे में स्टोर करें। आटे में जब नमी पहुंचती है, तभी उसमें कीड़े या इल्लियां लगती है। नमी या हवा से बचाने के लिए आटा को स्टील या प्लास्टिक के कंटेनर में रखें।
• नमक के स्वाद के कारण आटे में जल्दी कीड़े नहीं लगते हैं। ऐसे में नमक के बड़े-बड़े टुकड़ों को आटे वाले डब्बे में रखें।
• माचिस की तीली में सल्फर होती है, जो कि आटा में किसी प्रकार के कीड़े मकोड़े को पनपने से रोकती है। माचिस के डिब्बे में कुछ तिली डालकर उसे थोड़ा खोलें और आटे वाले कंटेनर में रखें।
• हींग के बड़े-बड़े टुकड़ों को कपड़े में बांध कर पोटली बना लें और 3-4 पोटली को आटे वाले डिब्बे में रखें। हींग की तेज गंध और महक से कीड़े-मकोड़े आटे में नहीं लगेंगे।
• काली मिर्च और कपूर को खाली माचिस की डिब्बी में भरकर डिब्बी को थोड़ा खोल लें और इसे आटे के डब्बे में डालकर रखें।
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-संध्या शर्मा
सफेद मक्खन का स्वाद तो बिल्कुल अलग ही होता है। जिसे खाने के लिए लोग दीवाने रहते हैं। लेकिन ये फ्रेश मक्खन घर में बनाना मुश्किल होता है। ऐसे में सोशल मीडिया पर सफेद मक्खन बनाने की एक रेसिपी वायरल हो रही है। जो कि बेहद आसान है और इस तरीके से फटाफट कम समय में ही व्हाइट बटर तैयार किया जा सकता है। तो अब जब भी परांठे के ऊपर मक्खन डालकर खाने का मन हो तो इस तरीके से आप भी मक्खन बनाकर तैयार कर सकती हैं। जानें व्हाइट बटर बनाने का वायरल तरीका।
सफेद मक्खन बनाने के लिए बस दो चीजों की जरूरत होगी और ये मक्खन फटाफट बन जाएगा।
देसी घी
8-10 बर्फ के टुकड़े
देसी घी से मक्खन बनाने का तरीका
देसी घी से मक्खन बनाने के लिए किसी बड़े और चौड़े तले के बर्तन में देसी घी लें। अब इस घी में बर्फ के टुकड़े डाल दें। फिर हाथों की मदद से इसे फेंटे। तेजी से फेंटने की वजह से कुछ ही देर में घी मक्खन में बदलने लगेगा। अगर बर्फ गल जाए तो इसमे कुछ बर्फ के टुकड़े और डालकर खूब तेजी से फेंटे। 15-20 मिनट तक लगातार फेंटने के बाद देसी घी जमकर मक्खन के रूप में आ जाएगी। बस रेडी है टेस्टी और घर का बना हेल्दी मक्खन। आप चाहें तो बटर बनाते वक्त घी में नमक और पीला कलर भी मिला सकती हें। जिससे कि बिल्कुल बाजार जैसा बटर बनकर तैयार हो जाएगा। -
-संध्या शर्मा
कुछ लोग घर पर भी कढ़ी बनाते हैं। खट्टे दही से बनी कढ़ी स्वाद में अच्छी लगती, हालांकि जब इसे ताजे दही से बनाया जाता है तो इसमें खटास कम रह जाती है। ऐसे में इसका खट्टापन बढ़ाने के लिए आप इन तरीकों को अपना सकती हैं।
कैसे बढ़ाएं कढ़ी में खटास
- कढ़ी में खट्टापन बढ़ाने के लिए आप नींबू का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए कढ़ी को अच्छे से उबाल लें। इसके पक जाने के बाद इसमें नींबू का रस इसमें मिला दें। इससे कढ़ी में खट्टापन बढ़ जाएगा।
- कढ़ी को खट्टा करने के लिए आप अमचूर पाउडर का इस्तेमाल कर सकती हैं। इसके लिए कढ़ी को पहले तैयार कर लें और फिर अमचूर पाउडर को पानी में मिलाकर घोल तैयार करें। ऐसा करने से आपकी कढ़ी में खट्टास आ जाएगी।
- कढ़ी की खटास बढ़ाने के लिए इमली के पानी का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए इमली को पानी में भिगो दें। फिर इसके गूदे को अच्छी तरह से मैश कर लें और पानी को छान कर अलग रख लें। अब कढ़ी बना लें और जब ये तैयार हो जाए तो ऊपर से इमली का पानी डाल कर अच्छे से कढ़ी में मिक्स करें। -
-सीमा उपाध्याय
भारतीय रसोई में खाना पकाने के लिए ज्यादातर महिलाएं सरसों के तेल का इस्तेमाल करती हैं। शुद्ध सरसों का तेल स्वाद के साथ सेहत और खूबसूरती का भी ख्याल रखता है। लेकिन सरसों का तेल अगर मिलावटी हो तो वो सेहत और खूबसूरती को बनाए रखने की जगह बिगाड़ भी सकता है। ऐसे में खुद को मिलावटी तेल के इस्तेमाल से बचाने के लिए उसकी पहचान करना बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं कैसे कुछ आसान किचन टिप्स आजमाकर आप घर पर ही बड़ी आसानी से मिलावटी सरसों के तेल का पता लगा सकती हैं।
मिलावटी सरसों के तेल की पहचान करने के टिप्स-
फ्रिज का करें यूज-
सरसों के तेल में मिलावट का पता करने के लिए सबसे पहले उसका फ्रीजिंग टेस्ट करें। यह सरसों के तेल में मिलावट का पता करने का सबसे आसान तरीका है। इस उपाय को करने के लिए एक कटोरे में थोड़ा सा सरसों का तेल निकालकर उसे कुछ घंटों के लिए फ्रिज में रख दें। बाहर निकालने पर अगर तेल जमा हुआ रहे या फिर उसमें सफेद धब्बे दिखाई दें तो जाएं कि तेल में मिलावट की गई है।
रबिंग टेस्ट-
सरसों का तेल असली है या नकली, इसकी जांच करने के लिए अपने हाथों में थोड़ा तेल लेकर उसे अच्छे से दोनों हाथों के बीच रगड़कर देखें। अगर ऐसा करते समय आपको लगे कि तेल से किसी तरह का कोई रंग या केमिकल की बदबू आ रही है तो तेल मिलावटी है।
बैरोमीटर टेस्ट-
सरसों के तेल की रीडिंग अगर तय मानक से ज्यादा हो तो तेल नकली होता है। जब भी तेल खरीदकर लाएं, उसकी बैरोमीटर रीडिंग से पहचान कर लें कि तेल असली है या नकली।
तेल की गंध-
शुद्ध सरसों के तेल की अपनी एक अलग गंध होती है, जिसको HCN (हाइड्रो साइनिंग एसिड) कहते हैं। यह गंध सेहत के लिए हानिकारक नहीं होती है। लेकिन तेल अगर मिलावटी है तो उसकी गंध के सामने आप ज्यादा देर तक खड़े नहीं रह पाएंगे।
हाइड्रोक्लोरिक एसिड टेस्ट-
इस टेस्ट को करने के लिए सबसे पहले एक टेस्ट ट्यूब में पांच मिली सरसों का तेल लेकर उसमें 5एमएल हाइड्रोक्लोरिक एसिड मिला दें। इस टेस्ट ट्यूब को हिलाने पर हाइड्रोक्लोरिक एसिड नीचे साफ दिखता है और अगर तेल का कलर चेंज नहीं होता है तो यह शुद्ध सरसों का तेल है, जबकि मिलावटी तेल हाइड्रोक्लोरिक एसिड की वजह से रंग में बदलाव करेगा।