- Home
- धर्म-अध्यात्म
-
घर को सुंदर बनाने के लिए लोग कई तरह के इंतजाम करते हैं। किसी भी प्रकार के वास्तु दोष से बचने के लिए वे अपने घर के भीतर विशेष तरह के पेड़ पौधों को लगाते हैं। वास्तु शास्त्र में एक विशेष पौधे का उल्लेख किया गया है, जो आपके घर की सुंदरता को तो बढ़ाता है। इसके अलावा घर की तरक्की में भी अहम भूमिका निभाता है। इस पौधे का नाम है मनी प्लांट। घर में मनी प्लांट को लगाने से कई तरह के वास्तु दोष मिटते हैं। वास्तु शास्त्र में मनी प्लांट के पौधे का विशेष महत्व बताया गया है। अक्सर लोग इस पौधे को अपने घर में किसी भी स्थान पर रख देते हैं, जो कि गलत है। आपको बता दें कि वास्तु में मनी प्लांट को घर में लगाने के विशेष प्रकार के कुछ नियम बताए गए हैं। अगर आप इन नियमों का ठीक ढंग से पालन करके इस पौधे को घर में लगाते हैं, तो आपकी भी रूठी हुई किस्मत जाग सकती है।
वास्तु शास्त्र के मुताबिक मनी प्लांट को घर के आग्नेय दिशा में लगाना चाहिए। इसके चलते घर के भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार बना रहता है और आर्थिक गतिविधियों में काफी लाभ होता है। मान्यता है कि मनी प्लांट को घर के दक्षिण पूर्व दिशा में रखना काफी शुभ होता है। आपको बता दें कि दक्षिण पूर्व दिशा भगवान श्री गणेश की दिशा है। इस दिशा में मनी प्लांट को रखने से घर के सदस्यों का भाग्य सुधरता है और आर्थिक लाभ का अर्जन होता है।
मनी प्लांट को घर के उत्तर पूर्व दिशा में कभी भी नहीं रखना चाहिए। इसके चलते घर के अंदर नकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस दिशा का प्रतिनिधित्व देवगुरु बृहस्पति करते हैं। शुक्र और बृहस्पति एक-दूसरे के विरोधी हैं। इस कारण उत्तर-पूर्व दिशा में मनी प्लांट लगाने से कई अशुभ चीजें होती हैं।
घर के पूर्व और पश्चिम दिशा में भी मनी प्लांट को कभी नहीं लगाना चाहिए। इस दिशा में मनी प्लांट रखने से घर के सदस्यों के भीतर मानसिक तनाव जन्म लेता है, जिसके चलते आपसी मतभेद होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा आपको यह भी ध्यान रखना चाहिए कि मनी प्लांट की बेल जमीन को ना छूए। अगर ऐसा होता है तो ये काफी अशुभ संकेत है। इसके चलते आपको आर्थिक हानि और घर की सुख-समृद्धि में रुकावट देखने को मिल सकती है।
आप मनी प्लांट को किसी रस्सी या डंडे के सहारे ऊपर की तरफ बांध भी सकते हैं। इससे आर्थिक स्थिति सुधरेगी और भाग्य ऊर्जा में सकारात्मकता आएगी। मनी प्लांट को जल देते वक्त पानी में कुछ दूध के अंश को जरूर मिलाना चाहिए। इससे धन अर्जन की संभावना बढ़ जाती है। रविवार के दिन इस पौधे को जल नहीं देना चाहिए। -
हर व्यक्ति चाहता है कि उसके घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहे लेकिन कभी-कभी घर में लड़ाई-झगड़े होना स्वाभाविक सी बात है लेकिन कई बार अचानक से ये झगड़े बहुत ज्यादा बढ़ने लगते हैं, क्या आपको पता है कि कई बार इन झगड़ो के पीछे का कारण आपसी मतभेद नहीं होते हैं बल्कि हमारे द्वारा घर में जाने-अनजाने की गई कुछ गलतियों के कारण भी घर की सुख-शांति भंग हो जाती है। वास्तु के अनुसार रसोई घर में की गई कुछ गलतियों की वजह से भी आपके घर में अशांति आने लगती है। रसोई एक ऐसा स्थान होता है जहां पूरे परिवार के लिए भोजन बनता है, इसलिए इस स्थान का सीधा संबंध परिवार के सभी सदस्यों की सेहत और मन पर पड़ता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार रसोई में कुछ बातों को ध्यान में रखना बहुत ही आवश्यक होता है। वास्तु के अनुसार रसोई में कुछ चीजों को रखने के लिए मना किया जाता है। इन चीजों को भूलकर भी अपनी रसोई में नहीं रखना चाहिए अन्यथा आपको घर में कलह-क्लेश और आर्थिक तंग बढ़ने लगती है। तो आइए जानते हैं कि कौन सी चीजें रसोई में नहीं रखनी चाहिए।
रसोई में न रखें दवाइयों का डिब्बा
रसोई में कई बार काम करते हुए थोड़ी-बहुत चोट जैसे कटना, जलना लग जाती है इसलिए कई बार महिलाएं रसोई में ही दवाई रखकर भूल जाती हैं। वास्तु के अनुसार रसोई घर में कभी भी दवाइयां नहीं रखनी चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से रोग बढ़ने की संभावना रहती है। इसका सबसे अधिक प्रभाव घर के मुखियां से स्वास्थ्य पर पड़ता है और इलाज करवाने में ही आपके घर के पैसा खर्च होता चला जाता है। जिसके कारण घर में आर्थिक परेशानी और अशांति बढ़ने लगती है।
गुथा हुआ बासी आटा
अक्सर देखने में आता है कि कई बार गुथा हुआ आटा बच जाने पर उसे फ्रिज में करके रख दिया जाता है। यह स्वास्थ की दृष्टि से तो नुकसानदायक रहता ही है साथ ही में इससे शनि और राहु का नकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है जिससे आपके घर में आर्थिक तंगी और क्लेश बढ़ने लगता है। इसके अलावा शास्त्रों में भी गुथें हुए आटे को रखना गलत माना गया है। मान्यताओं के अनुसार गुथे हुए आटे को जब रखा जाता है तो उसका संबंध पितरों से माना जाता है इसलिए मानते हैं कि यदि गुथा हुआ आटा घर में रखा हो तो पितर तृप्ति के लिए आपके घर में विचरण करते हैं और जब आप बाद में उस आटे की रोटियां बनाकर खाते हैं तो इससे नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगता है।
गुथा हुआ बासी आटा
अक्सर देखने में आता है कि कई बार गुथा हुआ आटा बच जाने पर उसे फ्रिज में करके रख दिया जाता है। यह स्वास्थ की दृष्टि से तो नुकसानदायक रहता ही है साथ ही में इससे शनि और राहु का नकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है जिससे आपके घर में आर्थिक तंगी और क्लेश बढ़ने लगता है। इसके अलावा शास्त्रों में भी गुथें हुए आटे को रखना गलत माना गया है। मान्यताओं के अनुसार गुथे हुए आटे को जब रखा जाता है तो उसका संबंध पितरों से माना जाता है इसलिए मानते हैं कि यदि गुथा हुआ आटा घर में रखा हो तो पितर तृप्ति के लिए आपके घर में विचरण करते हैं और जब आप बाद में उस आटे की रोटियां बनाकर खाते हैं तो इससे नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगता है।
रसोई में न बनाएं मंदिर
अक्सर देखने में आता है कि कुछ घरों में रसोई के अंदर एक छोटा सा मंदिर भी बना होता है। वैसे तो रसोई अन्नपूर्णा का स्थान होती है साथ ही अग्नि देव भी रसोई में विराजते हैं लेकिन वास्तु के अनुसार कभी भी रसोई में देव स्थान नहीं बनाना चाहिए क्योंकि रसोई में सात्विक भोजन के साथ तामसिक भोजन भी बनता है। यदि तामसिक भोजन न भी बने तो भी प्याज, लहसुन का प्रयोग तो अवश्य ही किया जाता है। ऐसे में यदि आप रसोई में देवी-देवताओं का स्थान बनाते हैं तो आपको नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है। इससे आपके घर में अशांति के साथ ही बीमारियां भो बढ़ने लगती हैं।
टूटे चटके बर्तन
ज्यादतर घरों में अक्सर देखने में आता है कि यदि कोई बर्तन थोड़ा सा चटका या टूटा हुआ है तो उसे इस्तेमाल करते रहते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि इससे आपके घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के साथ ही घर के मुखिया के ऊपर कर्ज बढ़ने लगता है। जो लोग इन बर्तनों में भोजन करते हैं उनके बीच मतभेद होने लगते हैं जिसके कारण आपके घर में अशांति का वातावरण बन जाता है। यदि आपके घर की रसोई में कोई भी टूटा या चटका हुआ बर्तन हो तो उसे तुरंत हटा देना चाहिए।
जूते और चप्पल
किसी की भी रसोई में वैसे तो जूते चप्पल नहीं रखे जाते हैं लेकिन हम अक्सर जूते-चप्पल पहनकर ही रसोई में चले जाते हैं। यह बहुत ही गलत होता है। जूते-चप्पलों के साथ रसोई में गंदगी और कई तरह के किटाणु भी पहुंचने की आशंका रहती है, जिसकी वजह से घर के सदस्यों में रोग पनपने की संभावना बढ़ जाती है। इसके साथ ही रसोई अन्नपूर्णा का स्थान है यहां पर जूते पहनकर जाने से उनका अपमान होता है। जिससे आपके घर में अन्न और धन की किल्लत हो सकती है। खासतौर पर खाना बनाते समय तो बिलकुल भी चप्पल नहीं पहननी चाहिए। -
डॉ विनीत शर्मा, ज्योतिषी वास्तु शास्त्री
संवत 2078 में हरितालिका तीज, तीजा ,गौरी व्रत, साम श्रावणी का पर्व भाद्र पद शुक्ल पक्ष की तृतीया 9 सितंबर गुरुवार के दिन मनाया जाएगा इस दिन हस्त नक्षत्र शुक्ला योग तैतिल और गर करण का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ रहा है आज के दिन कन्या और तुला राशि में चंद्रमा का प्रभाव रहने वालाहै।छत्तीसगढ़ में इस पर्व को तीजा के नाम से सभी सौभाग्यवती नारियां मनाती हैं।इस व्रत को माताएं बहने मायके में जाकर उत्साह के साथ मनाती हैं।छत्तीसगढ़ या कुशावर्त राज्य में बहुत प्राचीन काल से इस पर्व को मनाया जा रहा है।
भारतीय महिलाओं के इस विशिष्ट पावन पर्व पर भद्र योग, वेशि योग ,शश योग और मालव्य योग का शुभ योग निर्माण हो रहा है।इस दिन महिलाएं अलग-अलग रंगों के फूलों से फुलेरा का भी निर्माण करती है।
यह त्यौहार सुहागिन महिलाएं अपने पति के अखंड सौभाग्य की रक्षा हेतु करती हैं यह एक कठिन उपवास माना गया है इस उपवास में निर्जला एवं निराहार रहकर इस व्रत को किया जाता है ।प्राचीन मान्यता है कि आज के दिन माता पार्वती जी ने शिव को प्राप्त करने के लिए तीजा के दिन निर्जला और निराहार रहकर घनघोर तप किया था जिसके फलस्वरूप भगवान शंकर पार्वती से प्रसन्न हो जाते हैं और उन्हें अपने जीवन में पत्नी के रूप में स्थान देते हैं।भारतवर्ष में महिलाएं अपने पति की लंबी आयु सुख सौभाग्य ऐश्वर्या और कीर्ति के लिए इस उपवास को करती हैं कुंवारी कन्याए भी अभिलाषित पति की प्राप्ति हेतु इस उपवास को कर सकती हैं ।उड़ीसा में यह गौरी व्रत के नाम से जाना जाता इस शुभ दिन भद्र योग मालव्य योग का स्पष्ट प्रभाव में देखने को मिल रहा है।
निर्जला व्रत को करते समय महिलाओं को विशेष ध्यान रखना चाहिए कि वे शीतकारी और शीतली प्राणायाम के साथ अनुलोम विलोम और कपालभाति क्रिया के द्वारा अपने शरीर में ऊर्जा और जल के स्तर को बरकरार रख सकती हैं। व्रत करने के एक दिनपूर्व करेला और भात को खाने का विधान है इसे करूभात भी कहा जाता है । जिससे शरीरको विशेष तरह की ऊर्जा मिलती है। - जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 389
(भूमिका - जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रदत्त कुछ दिशा-निर्देश जो कि साधक-समुदाय सहित जनसाधारण के लिये भी पालनीय थे, कल के अंक में प्रकाशित किये गये थे। आज उसी के आगे का शेष भाग प्रकाशित किया जा रहा है। इन निर्देशों पर भली-भाँति विचार कर उन्हें व्यवहार में उतारने से अवश्य ही भौतिक जगत में भी लाभ प्राप्त होगा, आध्यात्मिक क्षेत्र में तो निश्चय लाभप्रद है ही। आइये इन बिन्दुओं को समझने का प्रयास करें....)
(1) दीनता लाना और अभिमान का त्याग :::
अहंकार से बचना और अपमान फील न करना भक्ति की आधारशिला है। तृण से अधिक दीन भाव रहे, वृक्ष से भी अधिक सहिष्णु भाव रहे, सबको सम्मान दो, स्वयं सम्मान न चाहो। मूड ऑफ होने पर बोलो मत। अन्दर जितनी देर तक गुस्सा आये उसको विवेक से काटते रहो। सोचो इससे हमारे शरण्य को कष्ट होगा। अपनी गलती मान लो। अगर कोई भला बुरा कहता है तो सोचो इसने कौन सी नई बात कह दी। भगवत्प्राप्ति से पहले हममें सब अवगुण ही तो भरे पड़े हैं।
(2) सहनशीलता का गुण धारण करना :::
द्वेष करने वाले के प्रति भी द्वेष न करो। दूसरों की गलती के प्रति सहनशील बनो। गलती प्रत्येक व्यक्ति करता है, अतः सबसे नम्रता व दीनता का व्यवहार करो।
(3) युवा लड़के-लड़कियों के लिये सावधानी :::
युवा लड़के-लड़कियाँ ध्यान रखें, किसी की वाणी और व्यवहार के चक्कर में न आयें। कोई भी लड़की किसी भी लड़के को किसी प्रकार के शारीरिक कॉन्टैक्ट की फ्रीडम न दे। जैसे आप दाँत काढ़ रहे हैं, मज़ाक कर रहे हैं, कंधे पर हाथ रख दिया। यह तो हमारा भैया, चाचा का लड़का, ताऊ का लड़का है। तुरंत संभल जाओ। शरीर से दूर और आँखों से संभल कर व्यवहार करो।
(4) कुसंग से अपनी साधना का बचाव :::
कुसंग से बचो। भक्ति विरोधी हर ज्ञान, वस्तु, व्यक्ति कुसंग है। अपने गुरु, मार्ग, इष्ट को छोड़कर अन्य का संग कुसंग है।
(5) दूसरों के दोष न देखना, अपने दोषों का सुधार करना :::
जब गुरु कोई बात पूछे तो भोले बच्चे की भाँति सीधा सा उत्तर दिया करो। उनसे कुछ भी छिपाना सर्वनाश का कारण है। जो दोष बताया जाय तो निरन्तर उसका चिन्तन करो और कोशिश करो कि भविष्य में वह न होने पाये। दूसरे के दोष न देखो, परनिंदा न करो। दूसरों को सुधारने के लिये भी उनके दोष न देखो। लोगों को दूसरों की तो बड़ी भारी फिक्र है लेकिन हमारा क्या होगा, इसकी फिक्र क्यों नहीं करते हो?
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज०० सन्दर्भ ::: साधन साध्य पत्रिका, 2012 अंक०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
★★★ध्यानाकर्षण/नोट :::
जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vedik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 388
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज ऐसे जगदगुरु हुये जिन्होंने श्रीराधारानी गुणगान को विश्वव्यापी बनाया। वस्तुतः दिव्य प्रेम रस स्वरूप श्री कृपालु महाप्रभु के रूप में भगवान की कृपाशक्ति का ही अवतरण हुआ अतः उनके अलौकिक चरित्र का उनकी कृपा द्वारा वर्णन हो सकता है। जीवन पर्यन्त उन्होंने श्रीराधारानी को ही अपनी स्वामिनी मानते हुये श्रीराधा गुणगान का ही दिव्य सन्देश दिया है। जो राधा तत्व पुस्तकों तक सीमित था, उसे अत्यधिक सरल भाषा में उन्होंने समझाया है। आइये उनके साहित्य तथा प्रवचनों में समाहित 'श्रीराधा-तत्व' सम्बन्धी कुछ चिन्तन प्राप्त करें...
★ 'जगदगुरुत्तम-ब्रज साहित्य'(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज विरचित साहित्य/ग्रन्थ)
जहाँ जब रहो सोचो सदा उर धामा।मन की करतूत सारी लिखें नित श्यामा।।
भावार्थ ::: जीव जिस किसी भी स्थान पर रहे, उसे सदा यह चिन्तन करना चाहिये कि मेरे हृदय में विराजमान श्रीराधा मेरे मन के शुभ अशुभ समस्त संकल्पों को जानकर उनके अनुसार मुझे मेरे कर्मों का फल प्रदान करेगी।
• संदर्भ ग्रन्थ ::: श्यामा श्याम गीत, दोहा संख्या - 71----------------★ 'जगदगुरुत्तम-श्रीमुखारविन्द'(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा निःसृत प्रवचन का अंश)
...सब आत्माओं की आत्मा श्रीकृष्ण हैं। तो जैसे आत्मा के सर्वेन्ट हैं ये शरीरेन्द्रीय मन बुद्धि, ऐसे आत्मा सर्वेन्ट है, दास है श्रीकृष्ण का। नहीं मानते इसलिये रो रहे हैं, 84 लाख में घूम रहे हैं। माया को मान लिया स्वामिनी। तो श्रीकृष्ण हमारे स्वामी और आत्मा उनकी दास। ऐसे ही श्रीकृष्ण की आत्मा हैं राधा और श्रीकृष्ण उनके दास हैं। आत्मा राधा उनके शरीर के समान श्रीकृष्ण और श्रीकृष्ण आत्मा इस आत्मा के और ये आत्मा इस शरीर की आत्मा। यानी ये शरीर की आत्मा की आत्मा श्रीकृष्ण की आत्मा राधा!! इसलिये श्रीकृष्ण राधा की आराधना करते हैं...
• संदर्भ पुस्तक ::: साधन साध्य पत्रिका, जुलाई 2017 अंक
★★★ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: © राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(5) www.youtube.com/JKPIndia(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - सभी की जिंदगी में किसी न किसी रूप में उतार-चढ़ाव आते हैं. इसके लिए व्यक्ति के कर्म और भाग्य दोनों जिम्मेदार होते हैं. जब व्यक्ति का भाग्य जागता है तो उसकी जिंदगी बदल देता है. उसे धन-दौलत, तरक्की, खुशहाल रिश्ते सब कुछ देता है. व्यक्ति की जिंदगी में जब यह परिवर्तन होने का समय आता है तो उसे इसका संकेत (Indication) कई तरीकों से मिलने लगता है. आज हम जानते हैं कि धन की देवी लक्ष्मी की कृपा होने से पहले व्यक्ति को सपनों में कौन सी चीजें दिखाई देने लगती हैं.सपने में सांप और उसका बिल दिखना=सपने में सांप का दिखना आम बात है लेकिन सांप का उसके बिल के साथ दिखना बेहद शुभ होता है. यह अचानक ढेर सारा पैसा मिलने का संकेत है.सपने में सोना देखना--सपने में सोना दिखे तो साफ है कि मां लक्ष्मी आप पर मेहरबान होने वाली हैं.सपने में मधुमक्खी का छत्ता देखना--यदि सपने में मधुमक्खी का छत्ता दिखे तो यह बहुत शुभ होता है. यह पैसा आने का इशारा देता है.सपने में चूहा देखना--सपने में चूहा दिखे तो समझ लें घर धन-धान्य से भरने वाला है. अब आपकी जिंदगी में किसी भौतिक सुख की कमी नहीं रहेगी.सपने में देवी-देवता दिखना--सपने में किसी भी भगवान का दिखना बहुत शुभ माना गया है. यह जिंदगी में सफलता मिलने और खूब सारा पैसा मिलने का इशारा है.सपने में जलता हुआ दीपक देखना--सपने में जलता हुआ दीपक दिखना जातक को अपार धन-दौलत मिलने की पूर्व सूचना देता है. यह सपना भी बहुत शुभ माना गया है.सपने में खुद को अंगूठी पहने देखना--यदि सपने में खुद को अंगूठी पहने हुए देखना जिंदगी में समृद्धता आने का संकेत है. यदि लड़की ऐसा सपना देखे तो उसका जल्दी ही विवाह हो जाता है.
- अपना घर लेना सबका सपना होता है. कुछ लोग छोटा सा खूबसूरत घर पाने की इच्छा रखते हैं तो कुछ लोगों को बड़े लग्जरी होम में रहने की ख्वाहिश होती है. हस्तरेखा (Hast Rekha) के जरिए व्यक्ति जान सकता है कि उसे कितना बड़ा और कैसा घर मिलेगा. यह जानकारी हाथ की रेखाओं के अलावा हथेली के कुछ चिह्नों के जरिए मिलती है. आज हम जानते हैं कि कौन सी रेखाएं (Lines) और चिह्न यह बताते हैं कि जातक का घर कैसा होगा.- जिन लोगों के हाथ के अंगूठे और तर्जनी के बीच की दूरी कम होती है, उनका घर छोटा रहता है. वहीं इन लोगों का खुद का घर होगा इसकी संभावना भी कम ही होती है. किराए के घर में ही इनका जीवन बीत जाता है.- मंगल पर्वत का ऊंचा होना जातक को अपने घर का सुख जरूर देता है. मंगल ग्रह भूमि का कारक होता है. यदि मंगल ग्रह का प्रतिनिधित्व करने वाले मंगल पर्वत पर मछली या शंख जैसे शुभ चिह्न हों तो ऐसे व्यक्ति के पास काफी पैसा और जमीन होती है.- हथेली में भाग्य रेखा, जीवन रेखा, सूर्य रेखा मिलकर त्रिकोण की आकृति बनाएं तो ऐसे लोग कम उम्र में अपना घर बना लेते हैं. ये लोग अपनी मेहनत से जिंदगी में बड़ा मुकाम पाते हैं. ये लोग भविष्य में बड़े बंगले में रहने का सुख भी पा लेते हैं.- यदि हथेली में चंद्र पर्वत या शनि पर्वत से रेखाएं निकलकर भाग्य रेखा और जीवन रेखा तक जाएं तो ऐसे लोगों के पास अक्सर फ्लैट होता है. इन लोगों को अपनी ससुराल से भी भूमि लाभ मिलता है.
- छिपकली देखने में बहुत गंदी लगती है और बहुत लोग इससे डरते भी हैं पर क्या आप जानते हैं? कि इसे देखने के और या फिर अगर यह आपके शरीर के किसी अंग पर गिर जाती है तो इसके शुभ और अशुभ दोनों तरह के फायदे और नुकसान होते हैं.आइए आज हम इसके बारे में जान लेते हैंछिपकली देखने और उसके गिरने के फायदे और नुकसान -छिपकली देखने से दिवाली की रात को फायदे -दिवाली की रात में अगर आपको घर में छिपकली दिखाई पड़ जाती है तो शास्त्रों में लिखा है छिपकली को लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है और आप वर्ष भर धन-धान्य सुख समृद्धि के झूले में झूलते रहेंगे।खाना खाते वक्त -अगर आपको छिपकली की आवाज खाना खाते वक्त सुनाई पड़ती है तो आपको कोई शुभ समाचार या फिर कुछ अच्छी प्राप्ति होने होने वाली है यह शुभ माना जाता है।छिपकली देखने से मन की मुराद पूरी होती है -अगर आप मन की मनोकामना को पूरा करते करना चाहते हैं तो आपको अपने घर में जब छिपकली दिख जाती है तो तुरंत जाकर अपने मंदिर घर से कंकू चावल ले आए और इसे छिपकली पर छिड़क दें और अपने मन की बात को मन ही मन बोले ..इससे आपकी मनोकामना पूरी हो जाएगी।मरी हुई छिपकली का दिखना -दिवाली की साफ सफाई के दौरान अगर आपके सामने मरी हुई छिपकली आ जाती है तो यह अशुभ माना जाता है और अगर सफाई करते वक्त छिपकली या उसका बच्चा जाने-अनजाने आपसे मर जाता है तो उसका तुरंत ही संस्कार कर दें। ऐसा करने से लक्ष्मी आपसे नाराज नहीं होगी और आप हत्या के पाप से बच जाएंगे।छिपकली के अंग पर गिरने से फायदे --अगर छिपकली सिर पर गिर जाती है तो राज्य लाभ होता है,मान सम्मान में वृद्धि होती है,प्रमोशन होता है और सरकारी काम बनता है।-माथे पर गिरती है तो अपने किसी प्रियमित्र से मिलाप होता है ,विजय प्राप्त होती है और संपत्ति मिलने की संभावना होती है।-पुरुष के दाएं कान पर गिरती है तो आयु में वृद्धि होती है और अगर औरत के बाएं कान पर गिरती है तो आयु में वृद्धि होती है।-गर्दन पर गिरने से यश की प्राप्ति होती है।-नाक पर गिरने से जल्दी भाग्य में बढ़ोतरी होने वाली है।-छिपकली दाएं कंधे पर गिरती है तो विजय की प्राप्ति होती है।-हाथों पर गिरती है तो वस्तु लाभ होता है और दाहिनी हथेली पर छिपकली गिरने से कपड़े मिलते हैं।-छिपकली अगर सीने पर गिरती है तो सौभाग्य में वृद्धि होती है।-नाभि पर छिपकली गिरने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।-पेट पर गिरती है तो राज्य संबंधी लाभ होता है और आभूषण प्राप्त हो सकता है।-छिपकली अगर पीठ के दाहिनी और गिरती है तो सुख प्राप्त होता है।-दाहिनी जांघ पर गिरने से सुख की प्राप्ति होती है. छिपकली पैरों पर गिरती है तो यह यात्रा की तरफ संकेत देती है।-दाएं पैर के तलवे पर छिपकली गिरने का मतलब ऐश्वर्य की प्राप्ति है।छिपकली के अंग पर गिरने के नुकसान --छिपकली अगर बालों पर गिरती है तो यह मृत्युतुल्य समान कष्ट की ओर इशारा है।-पुरुष के बाएं कान पर गिरती है तो बीमारी का संकेत देती हैऔर स्त्री के दाएं कान पर गिरती है तो बीमारी का सूचक है।-छिपकली अगर दाढ़ी पर गिरती है तो इसका अर्थ है कि आपके सामने जल्द ही कोई भयानक घटना घट सकती है।-छिपकली अगर बाएं कंधे पर गिरती है शत्रु बनते हैं और बाएं हथेली पर छिपकली गिरने पर धन की हानि होती है और कलाई पर गिरती है तो मानसिक कष्ट प्राप्त होता है।-छिपकली पीठ के बीच में गिरती है तो कोई बड़ी परेशानी आने वाली है और गृहक्लेश होते हैं और के पीठ के बाई तरफ गिरने का अर्थ रोग का दस्तक देना है।-बाई जांघ पर गिरने से दुख यानी शारीरिक पीड़ा उठानी पड़ती है।-एड़ी के पास गिरती है तो मृत्यु तुल्य कष्ट हो सकता है।-बाएं पैर के तलवे पर छिपकली गिरने का मतलब व्यापार में नुकसान होगा और पैरों के तलवे के बीच पत्नी को कष्ट का इशारा देती है।निवारण *अगर आपके साथ ऐसा कुछ भी होता है तो आप बिना किसी परेशानी को महसूस करते हुए तुरंत स्नान कर ले या फिर गंगाजल लेकर सोने की अंगूठी से जहां पर छिपकली गिरी है, उस स्थान को उस अंग को साफ करें ऐसा करने से अपशगुन का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
- जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 387
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज की भक्तवत्सलता और भक्तवश्यता भी अनुपम है। कोई भी सत्संगी इनकी छोटी से छोटी सेवा करता, ये उसके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते। यद्यपि अंदर से शक्ति देने वाले, प्रेरणा देने वाले ये स्वयं ही हैं किंतु किसी भी सत्संगी के द्वारा कोई भी सेवा की जाय ये उसका श्रेय उसे ही देते थे, यश का सेहरा उसी के सिर पर बाँधते थे। प्रेम-मंदिर, भक्ति-मंदिर जैसे दिव्यातिदिव्य स्मारक इनके कठिन प्रयास से ही बनें किन्तु कभी भी इन्होंने अपना सम्मान, अपना यश नहीं चाहा, उसमें जिन सत्संगियों ने सेवा की उन्हीं को इस महान कार्य का श्रेय दिया। आइये ऐसे भक्तवत्सल, भक्तवश्य अति कृपालु रसिकवर की अलौकिक वाणी से निःसृत तत्वज्ञान को आत्मसात करें....
★ 'जगदगुरुत्तम-ब्रज साहित्य'(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज विरचित साहित्य/ग्रन्थ)
मम ठाकुर नंदकुमार, मम ठकुरानी सुकुमार।मम दोऊ प्राणाधार, जय जयति युगल सरकार।।भज प्यारिहिं नंदकुमार, भज प्यारिहुँ पिय रिझवार।दोउ सुख महँ दोउ बलिहार, जय जयति युगल सरकार।।
भावार्थ ::: भक्त कहता है - मेरे आराध्य नंदनंदन श्रीकृष्ण हैं। मेरी आराध्या सुकुमारी राधा है। दोनों ही मेरे प्राणों के अवलम्ब हैं। युगल सरकार की सदा जय हो। नंदपुत्र श्रीराधा का सेवन करते हैं। श्रीराधा रसिक शेखर श्रीकृष्ण की उपासना करती हैं। दोनों, दोनों के सुख पर बलिहार जाते हैं। युगल सरकार की सदा जय हो।
• संदर्भ ग्रन्थ ::: युगल रस, कीर्तन संख्या - 2----------------★ 'जगदगुरुत्तम-श्रीमुखारविन्द'(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा निःसृत प्रवचन का अंश)
कोई भगवान या संत की निंदा करे तो उसके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए?-- अगर किसी से तुम्हारा 24 घंटे का घनिष्ट संबंध है, वह अगर कुछ कहता है तो मुस्कुरा कर सुन लो। यह देखकर कि इसको तो कुछ दुःख ही नहीं हुआ, वह खिसिया जायेगा फिर नहीं कहेगा। अगर अन्य कोई व्यक्ति है तो उसे झिड़क दो। उससे संबंध खत्म कर देने में कोई हानि नहीं है।
• संदर्भ पुस्तक ::: प्रश्नोत्तरी, भाग - 1, प्रश्न संख्या 120
★★★ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: © राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(5) www.youtube.com/JKPIndia(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - ऊर्जा, भाई, भूमि, शक्ति, साहस, पराक्रम, शौर्य, गतिशीलता और जीवन शक्ति के कारक ग्रह मंगल देव 6 सितंबर को कन्या राशि में प्रवेश कर जाएंगे। मंगल के कन्या राशि में प्रवेश करने से सभी राशियों पर प्रभाव पड़ेगा, लेकिन मेष, कर्क, वृश्चिक और धनु राशि वालों पर मंगल का सबसे अधिक प्रभाव पड़ने जा रहा है। मेष, कर्क, वृश्चिक और धनु राशि वालों पर 22 अक्टूबर तक मंगल देव की विशेष कृपा रहेगी। मंगल के शुभ प्रभावों से व्यक्ति का भाग्योदय हो जाता है। आइए जानते हैं 22 अक्टूबर तक कैसा रहेगा मेष, कर्क, वृश्चिक और धनु राशि का हाल....आत्मविश्वास में वृद्दि होगी।कार्यक्षेत्र में आपके द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की जाएगी।धन- लाभ होगा।आय के स्रोतों में वृद्दि होगी।स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से छुटकारा मिलेगा।कार्यों में सफलता प्राप्त करेंगे।वैवाहिक जीवन सुखमय रहेगा।आर्थिक पक्ष मजबूत होगा।कार्यों में सफलता प्राप्त करने के लिए अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ेगी।लेन- देन के लिए समय शुभ है।निवेश करने से लाभ होगा।नौकरी और व्यापार में तरक्की के योग बन रहे हैं।मान- सम्मान और पद- प्रतिष्ठा में वृद्दि होगी।नौकरी और व्यापार के लिए समय शुभ है।मित्रों का सहयोग प्राप्त होगा।आपके द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की जाएगी।ये समय किसी वरदान से कम नहीं कहा जा सकता है।भाग्योदय होना तय है।पारिवारिक जीवन सुखमय रहेगा।
- कुंडली की तरह अंक ज्योतिष से भी अपनी शादी के बारे में कई बातें जानी जा सकती हैं, जैसे-लव मैरिज होगी या अरेंज मैरिज , या किस मूलांक वाले व्यक्ति के साथ कम्पैटिबिलिटी अच्छी रहेगी. यह सब जानने के लिए केवल मूलांक की जरूरत होती है. मूलांक व्यक्ति की जन्म तारीख का जोड़ होता है, जैसे 15 तारीख को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 6 होगा. आज न्यूमेरोलॉजी के जरिए सभी मूलांक वाले लोगों के विवाह के बारे में जानते हैं.किसी भी महीने की 1 या 10 तारीख को जन्मे लोग स्वभाव से बहुत प्रैक्टिकल होते हैं लेकिन प्यार-शादी के मामले में शर्मीले होते हैं. बचपन के प्यार को प्रपोज करने में ही ये कई साल लगा देते हैं लेकिन आखिर में शादी उसी से करते हैं. इनके लिए 2, 4 और 6 मूलांक वाले पार्टनर अच्छे रहते हैं.किसी भी महीने की 2, 11 या 20 तारीख को जन्मे लोगों का मूलांक 2 होता है. ये लोग मूडी होते हैं लेकिन प्यार बहुत सोच-समझकर करते हैं. आमतौर पर यह लव मैरिज ही करते हैं. इसके लिए 1,3 या 6 मूलांक वाला पार्टनर अच्छा रहता है.किसी भी महीने की 3, 12, 21, 30 तारीख को जन्मे लोगों का मूलांक 3 होता है. ये रोमांटिक नहीं होते और अपने पार्टनर को डोमिनेट करते हैं. इनके लिए 2, 6 या 9 मूलांक वाले पार्टनर अच्छे रहेंगे.4, 13, 22, 31 तारीख को जन्मे लोगों का मूलांक 4 होता है. अक्सर ये लोग एक से ज्यादा रिलेशनशिप में होते हैं. लव मैरिज करने के बाद भी इनके दूसरों से रिश्ते शादी टूटने की नौबत ला देते हैं. इनके लिए 1,2,7 या 8 अंक वाले लोग बेहतर जीवनसाथी साबित हो सकते हैं.किसी भी महीने की 5, 14, 23 तारीख को जन्मे लोगों का मूलांक 5 होता है. इन लोगों के लिए परिवार की मर्जी बहुत मायने रखती है, यदि लव मैरिज भी करें तो भी परिवार को इसके लिए राजी कर लेते हैं. 5 और 8 मूलांक वाले इनके लिए बेहतर पार्टनर साबित होंगे.किसी भी महीने की 6, 15, 24 तारीख को जन्मे लोगों का मूलांक 6 होता है. ये लोग बहुत आकर्षक होते हैं. लोग जल्दी ही इनसे इंप्रेस हो जाते हैं और प्रपोज कर बैठते हैं. हालांकि ये लोग बहुत जल्दी अपने पार्टनर से इमोशनली अटैच नहीं होते हैं. इनकी सभी लोगों से पट जाती है, ये किसी भी मूलांक वाले से शादी कर सकते हैं.7, 16 या 25 तारीख को जन्मे लोगों का मूलांक 7 होता है. ये बहुत रोमांटिक होते हैं. साथ ही अपने पार्टनर से सच्चा प्यार करते हैं. इनके लिए मूलांक 2 वाले पार्टनर सबसे अच्छे होते हैं.8, 17 या 26 तारीख को जन्मे लोगों का मूलांक 8 होता है. आमतौर पर यह प्यार में पड़ते नहीं हैं और यदि किसी से प्यार करें तो शादी करके ही दम लेते हैं. यह बहुत वफादार साबित होते हैं. इनके लिए मूलांक 8 वाला पार्टनर ही अच्छा रहता है.9, 18, 27 तारीख को जन्मे लोगों का मूलांक 9 होता है. ये लोग आमतौर पर अरेंज मैरिज करते हैं लेकिन शादी के बाद भी अफेयर कर लेते हैं. इनके लिए 2 और 6 मूलांक वाले पार्टनर अच्छे रहते हैं.
- चंद्रमा मन का कारक है। ज्योतिष में चंद्रमा को इंसान के सबसे करीब माना गया है। जिस तरह चंद्रमा कुंडली में व्यक्ति का भाग्य तय करता है उसी तरह हाथ में चद्रमा की स्थिति भी व्यक्ति के जीवन के बारे में बहुत कुछ स्पष्ट करता है। हथेली में चंद्रमा शुक्र ग्रह के ठीक उल्टी तरफ होता है। ज्योतिष विज्ञान में चंद्रमा को सुंदरता एवं भावना का ग्रह भी माना गया है। यदि किसी व्यक्ति की हथेली में चंद्र पर्वत विकसित है तो वह बेहद भावुक एवं कल्पनाशील होता है। विकसित चंद्रमा वाले लोग प्रकृति प्रेमी, सौंदर्यप्रिय और सपनों की दुनिया में विचरण करने वाले हाते हैं।ऐसे लोग हमेशा सपनों में रहते हैं। ऐसे लोगों में जीवन में कठिनाइयां झेलने की क्षमता नहीं होती। ऐसे जातक एकांत पसन्द करते हैं। मुख्यत: ऐसे व्यक्ति वाचक, कलाकार, संगीतज्ञ और साहित्यकार होते हैं। ऐसे व्यक्ति किसी के गुलाम होकर कार्य नहीं करते। यदि चंद्र पर्वत सामान्य रूप में ही विकसित हो तो जातक हद से ज्यादा भावुक हो जाते हैं। छोटी-छोटी बातें ऐसे लोगों को झकझोर देती है। इनके अंदर किसी भी स्थिति का सामना करने का साहस नहीं होता। ये लोग निराश होकर जल्दी पलायन कर जाते हैं। यदि चंद्र पर्वत का झुकाव शुक्र पर्वत की ओर हो तो जातक कामुक प्रवृत्ति का होता है। यदि चंद्र पर्वत पर आड़ी-टेड़ी रेखाएं हों तो जातक अपने जीवन में जल यात्रा करता है।
-
तीज व्रत हिन्दू धर्म में सुहागिन महिलाओं द्वारा रखा जाने वाला अत्यंत कठिन और अति शुभ फलदायी व्रत माना गया है. हरतालिका तीज व्रत हर साल भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला और निराहार व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन करती हैं तथा उनसे अखंड सौभाग्यवती होने, पति की लंबी आयु की प्राप्ति और उनके जीवन में सुख शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं. इसके बाद अगले दिन पूजा के बाद महिलाएं अपने व्रत का पारण करती हैं.
हिंदी पंचांग के अनुसार, इस बार हरतालिका तीज व्रत पर रवियोग का निर्माण हो रहा है. इस दिन यह अद्भुत संयोग शाम को 5 बजकर 14 मिनट से शुरू हो रहा है. वहीं हरतालिका तीज व्रत के पूजन के लिए शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 10 मिनट से रात 7 बजकर 54 मिनट तक है. ऐसे में हरतालिका व्रत की पूजा के समय रवियोग रहेगा. ज्योतिष गणनाओं के मुताबिक इस अवसर पर रवियोग का दुर्लभ संयोग करीब 14 वर्ष बाद बन रहा है. ज्योतिशास्त्र में रवियोग को सभी प्रकार के दोषों का विनाश करने वाला बताया गया है. रवियोग बेहद प्रभावशाली होता है.
ज्योतिष शास्त्र की मान्यता है कि इस योग में कई अशुभ योगों के प्रभाव को कम करने की क्षमता है. जिन लोगो के वैवाहिक जीवन में कुछ बाधाएं है, तो उन्हें इस रवियोग में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करनी चाहिए. इससे रिश्तों में मजबूती आयेगी. अविवाहित कन्याएं यदि इस योग में शिव-पार्वती का पूजन करती हैं, तो विवाह में आने वाली बाधाएं दूर रहती है. धार्मिक मान्यता है कि हरतालिका तीज व्रत का पूजन रवियोग में करने से सभी मुरादें पूरी होती हैं. - जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 386
भक्तियोगरसावतार जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज अक्सर मृदंग बजाकर 'हरे राम' संकीर्तन कराते थे। जैसे ही मृदंग उनके हाथ में आता, संकीर्तन में प्राण आ जाते। उनकी लम्बी लम्बी अंगुलियों का थिरकना, उनकी थाप सभी कुछ अलौकिक था। सभी भक्त भक्तिरस में डूब जाते और अश्रुपूरित नेत्रों से उनकी उस मधुरातिमधुर मनोहारी छवि का दर्शन करते। ऐसा लगता, जड़-चेतन सभी प्रेमरस सिन्धु में डूबते चले जा रहे हैं। कभी कभी 'हरे राम' संकीर्तन के मध्य वे भावस्थ अवस्था में ही 'हरि-हरि बोल' संकीर्तन करते हुये दोनों भुजायें ऊपर उठाकर खड़े हो जाते थे। सामूहिक कीर्तन 'हरे राम' की जगह 'हरि बोल' में परिवर्तित हो जाता था। फिर आगे जो दिव्य दृश्य प्रगट होता था, उसका वर्णन लेखनी से सर्वथा असम्भव है। भक्तिरस का जन-जन में महान दान करने वाले रसिकवर श्री कृपालु महाप्रभु जी की दिव्य वाणी के अमृत कणों का आइये पान करें...
★ 'जगदगुरुत्तम-ब्रज साहित्य'(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज विरचित साहित्य/ग्रन्थ)
भक्त के भीतर देखो गोविन्द राधे।बाहर का देखना है धोखा बता दे।।
भावार्थ ::: भक्तों की बाहरी क्रियाओं पर कभी ध्यान नहीं देना चाहिये। बाहर का व्यवहार, चेष्टा, क्रिया देखकर भ्रम हो सकता है। स्वयं को छिपाने के लिये अथवा साधक की मन, बुद्धि की शरणागति की परीक्षा लेने के लिये महापुरुष विपरीत क्रिया एवं चेष्टा भी करते हैं। अतः महापुरुष की आन्तरिक स्थिति पर ही ध्यान देना चाहिये।
• संदर्भ ग्रन्थ ::: गुरु गोविन्द, पृष्ठ संख्या 91 एवं 92----------------★ 'जगदगुरुत्तम-श्रीमुखारविन्द'(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा निःसृत प्रवचन का अंश)
...हमने अपने आपको शरीर समझ लिया और उस शरीर के उपभोग के चक्कर में पड़ गये और संसार के समस्त पदार्थों को इस शरीर रूपी कुण्ड में डाल डालकर के अनन्त जन्म बिता दिये कि आत्मा को आनंद मिल जायेगा। आत्मा का सब्जेक्ट ही नहीं है क्योंकि आत्मा स्प्रिचुअल है। आध्यात्मिक है, तो आध्यात्मिक मैटर का सब्जेक्ट होता है ये आँख, कान, नासिका, रसना, त्वचा - ये पंचमहाभूत के अंश हैं इसलिये पंचमहाभूत के पदार्थ इनके सब्जेक्ट हैं। आत्मा ईश्वर का अंश है इसलिए ईश्वर आत्मा का सब्जेक्ट है सीधा सीधा...
• संदर्भ पुस्तक ::: प्राणधन जीवन कुंज बिहारी, पृष्ठ संख्या 184
★★★ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: © राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(5) www.youtube.com/JKPIndia(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) -
शनि को ज्योतिष में पापी और क्रूर ग्रह कहा जाता है। शनि के अशुभ प्रभावों से हर कोई भयभीत रहता है। इस समय शनि वक्री अवस्था में हैं। 11 अक्टूबर तक शनिदेव वक्री अवस्था में ही रहेंगे। शनिदेव के वक्री अवस्था में रहने से सभी राशियों पर शुभ- अशुभ प्रभाव पड़ता है। शनि के शुभ होने पर जहां व्यक्ति का भाग्य बदल जाता है तो वहीं शनि के अशुभ होने पर व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
आइए जानते हैं 11 अक्टूबर तक कैसा रहेगा सभी राशियों का हाल...
मेष राशि
मिले- जुले परिणाम मिलेंगे।
मेहनत करने से कार्यों में सफलता अवश्य प्राप्त करेंगे।
मानसिक तनाव को दूर करने के लिए योग करें।
आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए धन का खर्च अधिक न करें।
वृष राशि
आर्थिक पक्ष कमजोर हो सकता है।
सफलता प्राप्त करने के लिए आपको कड़ी मेहनत करनी होगी।
शनि के वक्री रहने तक आपको विशेष सावधानी बरतनी होगी।
मिथुन राशि
मिथुन राशि इस समय शनि की ढैय्या से प्रभावित है, जिस वजह से मिथुन राशि के जातकों को विशेष ध्यान रखना होगा।
आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
सोच- समझकर ही धन खर्च करें, नहीं तो मुश्किल में पड़ सकते हैं।
स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है।
मिथुन राशि के जातकों को शनि के वक्री रहने तक विशेष सतर्कता बरतनी होगी।
पंचांग-पुराण से और
सिंह, कन्या, तुला और वृश्चिक राशि वालों को 22 सितंबर तक मिलेंगे शुभ समाचार, मान- सम्मान और पद- प्रतिष्ठा में होगी वृद्धि
सिंह, कन्या, तुला और वृश्चिक राशि वालों को 22 सितंबर तक होगा महालाभ
आने वाले 2 दिन मिथुन, सिंह, तुला, धनु और कुंभ राशि के लिए बेहद फलदायी, शुक्र देव रहेंगे मेहरबान
आने वाले 2 दिन मिथुन, सिंह, तुला, धनु और कुंभ राशि के लिए बेहद फलदायी
वृश्चिक, धनु और मीन राशि पर हैं वक्री गुरु मेहरबान, 14 सितंबर तक सूर्य की तरह चमकेगा भाग्य
वृश्चिक, धनु और मीन राशि पर हैं वक्री गुरु मेहरबान, चमक उठेगा भाग्य
कुंभ, मकर, धनु, मिथुन और तुला राशि वाले शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति के लिए शनि प्रदोष व्रत के दिन करें ये छोटा सा काम
कुंभ, मकर, धनु, मिथुन और तुला राशि वाले शनि प्रदोष व्रत पर करें ये काम
आने वाले 2 दिन मिथुन, सिंह, तुला, धनु और कुंभ राशि के लिए बेहद फलदायी, शुक्र देव रहेंगे मेहरबान
कर्क राशि
विशेष सावधान रहना होगा।
दांपत्य जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
जीवनसाथी के साथ समय व्यतीत करने से रिश्ते मधुर होंगे।
आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
परिवार के सदस्यों के साथ मनमुटाव हो सकता है।
परिवार के सदस्यों के साथ समय व्यतीत करने से मनमुटाव दूर होगा।
सिंह राशि
स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना होगा।
शनि के वक्री होने से स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए धन का सोच- समझकर खर्च करें।
मानसिक तनाव की स्थिति रहेगी।
मानसिक तनाव को दूर करने के लिए ध्यान करें।
कन्या राशि
शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए यह समय शुभ नहीं कहा जा सकता है।
इस समय वाद- विवाद से दूर रहें।
परिवार के सदस्यों के साथ समय व्यतीत करें।
स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए स्वास्थ्या का विशेष ध्यान रखें।
तुला राशि
परिवार के सदस्यों से मनमुटाव हो सकता है।
परिवार के किसी भी सदस्य से वाद- विवाद न करें।
परिवरा के सदस्यों के साथ प्रेम से रहें।
यह समय धैर्य से काम लेने का है।
आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
शनि के वक्री रहने तक आपको अपना विशेष ध्यान रखना होगा।
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के जातकों का आर्थिक पक्ष कमजोर हो सकता है।
इस समय सोच- समझकर ही लेन- देन संबंधित कार्य करें।
परिवार के सदस्यों से किसी भी तरह का वाद- विवाद न करें।
परिवार के सदस्यों के साथ समय व्यतीत करें
धन सोच- समझकर ही खर्च करें, नहीं तो समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
धनु राशि
धनु राशि के लिए यह समय शुभ नहीं कहा जा सकता है।
धनु राशि के जातकों को सोच- समझकर बोलने की सलाह दी जाती है।
आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
इस समय लेन- देन न करें।
स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
मकर राशि
मकर राशि के जातकों को तनाव का सामना करना पड़ सकता है।
मन को शांत रखने के लिए ध्यान करें।
स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
परिवार के सदस्यों के साथ मनमुटाव हो सकता है।
परिवार के सदस्यों के साथ समय व्यतीत करें।
कुंभ राशि
कुंभ राशि के जातकों को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
इस समय धन की कमी हो सकती है।
कार्यों में सफलता के लिए अधिक मेहनत करनी होगी।
मेहनत करेंगे तो सफलता जरूर मिलेगी।
इस समय धैर्य से काम लें।
मीन राशि
मीन राशि के जातकों का आर्थिक पक्ष कमजोर हो सकता है।
मीन राशि के जातक धन का खर्च सोच- समझकर ही करें।
धन- हानि हो सकती है।
इस समय आपको विशेष सावधानी बरतनी होगी।। - जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 385
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज शास्त्रज्ञ वेदज्ञ होने के साथ साथ भक्तिरस के महान आचार्य हैं। उनके रोम रोम से भक्तिरस प्रवाहित होता था। उनकी उपस्थिति मात्र शुष्क से शुष्क हृदयों में भी भक्तिरस का संचार करती थी। सदैव प्रेमानंद में निमग्न वे राधाकृष्ण भक्ति के मूर्तिमान स्वरूप ही थे यद्यपि उनका बाहरी रूप देखकर श्रद्धाहीन भ्रमित हो जाते थे। यश-ऐश्वर्य, श्री - सबके स्वामी होते हुये भी विरक्तों के शिरोमणि थे। गृहस्थ धर्म निभाते हुये भी संन्यासियों के सिरमौर थे। विश्व का परम सौभाग्य है कि ऐसी दिव्यतम विभूति धराधाम पर अवतरित हुई। आइये उनके द्वारा प्रदत्त तत्वज्ञान से हम भगवद-स्मरण हेतु सामग्री प्राप्त करें....
★ 'जगदगुरुत्तम-ब्रज साहित्य'(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज विरचित साहित्य/ग्रन्थ)
गौरी सों सहस्त्र गुना गोरी मम श्यामा।फिर भी अचम्भो लखु श्यामा कहे धामा।।
भावार्थ ::: वस्तुतः श्याममयी अर्थात श्याम के प्रेम में तल्लीन होने के कारण ही श्रीराधा 'श्यामा' कही जाती हैं। किन्तु 'श्यामा' का एक अर्थ काले वर्ण वाली भी होता है। यहाँ इसी अर्थ को लेकर रसिक लेखक विनोद में कहते हैं - श्रीराधा अत्यंत गौरवर्णा पार्वती से भी सहस्त्र गुना गोरी हैं किन्तु फिर भी आश्चर्य देखो, संसार उन्हें श्यामा कहकर पुकारता है..
• संदर्भ ग्रन्थ ::: श्यामा श्याम गीत, दोहा संख्या 456----------------★ 'जगदगुरुत्तम-श्रीमुखारविन्द'(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा निःसृत प्रवचन का अंश)
...जितने श्वांस बचे हैं मृत्यु के पहले वाले, उनको काम में लेना चाहिये। चाहे हजार लोग बैठे हों हम श्वांस श्वांस से राधे-राधे बोलें। कौन क्या जानेगा क्या कर रहे हैं हम। ये अवसर फिर नहीं मिलेगा। मनुष्य का शरीर, भारतवर्ष में जन्म और तत्वदर्शी का मिलना, तत्वज्ञान प्राप्त कर लेना, सब बनाव तो बन गया और अब कौन सी कृपा बाकी है भगवान की। अब तो तुम्हारी कृपा आवश्यक है। भगवान की तो सब हो गई..
• संदर्भ पुस्तक : प्रश्नोत्तरी भाग 2 , पृष्ठ संख्या 98 एवं 99
★★★ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: © राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(5) www.youtube.com/JKPIndia(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 384
जगद्गुरु बनने के उपरान्त श्री कृपालु जी महाराज ने राधाकृष्ण की माधुर्यमयी भक्ति के सिद्धांत का जन-जन में प्रचार किया। कलियुग के इस चरण में जीवों को भक्ति के लिए तत्वज्ञान की परम अनिवार्यता को जानकर आपने वेदों, शास्त्रों, उपनिषदों, पुराणों और अन्यान्य धर्मग्रंथों के वास्तविक रहस्य को संसार के मध्य बारम्बार प्रकट किया। वेदों के 'आवृत्ति रसकृदुपदेशात्' और गौरांग महाप्रभु के 'सिद्धांत बलिया चित्ते न कर आलस' की उक्तियों को लोगों की बुद्धि में भरकर बार बार महापुरुषों के सिद्धांतों को सुनने पर जोर दिया। जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित वैदिक रहस्य हमारे भवरोग निवारण हेतु महान औषधि है, जिनका बारम्बार चिन्तन मनन और अधिक अधिक लाभ प्रदान करता जाता है। आइये आज के प्रकाशित अंक से उनके सिद्धान्त का लाभ लें....
★ 'जगदगुरुत्तम-ब्रज साहित्य'(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज विरचित साहित्य/ग्रन्थ)
ब्रह्म एक मधु रूप है, एक भ्रमर उनमान।एक रूप रस देत है, एक आपु कर पान।।52।।
भावार्थ ::: रस रूप ब्रह्म के दो स्वरूप होते हैं। एक रस रूप। दूसरा रसिक रूप। अर्थात् एक मधु के समान। दूसरा भौंरे के समान। एक रूप से स्वयं रस पान करते हैं। दूसरे रूप से जीवों को भी वही रस पान कराते है।
• संदर्भ ग्रन्थ ::: भक्ति-शतक, दोहा संख्या 52----------------
★ 'जगदगुरुत्तम-श्रीमुखारविन्द'(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा निःसृत प्रवचन का अंश)
...डर से भक्ति नहीं, प्यार से भक्ति करनी चाहिये। हम मनुष्य हैं, ये देह हमको इसीलिये मिला है कि हम भगवान् की भक्ति करें। एक उद्देश्य है दूसरा नहीं है। पेट पालने के लिये नहीं, विषय के लिये नहीं कि आँख से संसार देखो, कान से संसार सुनो, नासिका से संसार सूँघो। इन्द्रियों से संसार के विषय का भोग करके और आनन्द लो। ये तो कुत्ते, बिल्ली, गधे भी करते हैं। फिर तुम मनुष्य होकर के क्या विशेषता रही तुम्हारी। तो, हमारी यही विशेषता है कि हमको भगवान् ने ज्ञान दिया है, भगवान् की भक्ति करने के लिये। उसका सदुपयोग न करेंगे तो फिर दुरुपयोग भी नम्बर एक होगा। फिर पाप करेंगे और बड़े-बड़े पाप करेंगे। कुछ चोरी चोरी करते हैं पाप और कुछ डिक्लेयर्ड पाप करते हैं। सब पाप करेंगे, कोई नहीं बच सकता। एक सैकिंड को आपने मन भगवान् से अलग किया, तो पाप ही करेंगे...
• संदर्भ पुस्तक ::: साधना नियम, पृष्ठ संख्या 77
★★★ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: © राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(5) www.youtube.com/JKPIndia(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - हर कोई व्यक्ति अपने जीवन को सुख, शांति और सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए दिन से लेकर रात तक मेहनत करता है। पैसे से वह अपनी और अपने परिवार की हर जरूरत को पूरा करने की कोशिश में लगा रहता है। लेकिन कई लोग ऐसे भी होते हैं जो दिनभर कड़ी मेहनत करने बाद भी उनको वैसी सफलता नहीं मिलती जितनी मिलनी चाहिए। कई ऐसे लोग भी होते हैं जो पैसा तो खूब कमाते हैं लेकिन उनके पास कमाया हुआ धन ज्यादा देर तक नहीं टिक पाता है। वास्तु शास्त्र में घर और धन से जुड़ी हुई कई परेशानियों के उपाय बताए गए हैं। इन वास्तु उपायों में घर के मुख्य द्वार से जुड़ी है जिसे करने से आपके घर पर सुख और शांति आती है।घर से जुड़े मुख्य द्वार के वास्तु उपायघर पर तुलसी का पौधा लगाना बहुत ही शुभ माना जाता है। हिंदू धर्म में यह एक पवित्र पौधा माना जाता है। तुलसी में माता लक्ष्मी का स्वरूप है जिस कारण से भगवान विष्णु को बेहद प्रिय होती हैं। वास्तु के अनुसार घर के मुख्य द्वार के सामने तुलसी का पौधा लगाने से घर में सुख समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बना रहता है। घर पर तुलसी का पौधा लगाने से उस घर में रहने वाले सदस्यों की आर्थिक स्थिति अच्छी रहती है।\अगर घर के किसी कोने में वास्तु दोष है तो इसका प्रभाव वहां पर रहने वाले सभी सदस्यों पर पड़ता है। घर पर वास्तु दोष होने पर परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं होता। वास्तु शास्त्र में घर से वास्तुदोष को दूर करने के लिए घर के मुख्य द्वार पर लाल रंग से स्वास्तिक का निशान बनाना चाहिए। इसके अलावा घर के दरवाजे के दोनों तरफ शुभ-लाभ भी लिख देना चाहिए।अगर आपके परिवार में लगातार धन से संबंधित कोई न कोई परेशानी चलती है तो घर के मुख्य द्वार पर बंदनवार बांधना चाहिए। मान्यता है कि जिन घरों के मुख्य द्वार पर बंदनवार होता है वहां पर मां लक्ष्मी सौभाग्य का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। बंदनवार में आम या अशोक के पत्तों का प्रयोग करना चाहिए।सूर्य से सभी प्राणियों को ऊर्जा और भोजन प्राप्त होता है। सूर्य को सभी ग्रहों का राजा कहा गया है। सूर्य आत्मा के कारक ग्रह भी है। ऐसे मे सूर्य से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए उनको प्रतिदिन प्रणाम और जल अर्पित करना चाहिए। इसके अलावा मुख्य द्वार पर सूर्य यंत्र भी स्थपित करें ताकि घर पर नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश न कर सके और आपके परिवार में सुख समृद्धि का वास बना रहें।
- सनातन धर्म में पूजा-पाठ के दौरान नारियल का महत्व माना जाता है. माना जाता है कि इसमें 'त्रिदेव' का वास होता है. पूजा-पाठ में शुभ माना जाने वाला नारियल हमारे स्वास्थ्य के लिए भी काफी शुभ है. नारियल के फायदे इतने हैं कि आप हैरान हो जाएंगे. बता दें कि हर साल 2 सितंबर को विश्व नारियल दिवस मनाती है.नारियल एक ऐसा फूड है, जिसके अंदर के फल, पानी और छिलके सभी चीजों का इस्तेमाल किया जाता है. नारियल पानी को तो सेहत के लिए काफी फायदेमंद () माना जाता है, जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है. आइए, कोकोनट के स्वास्थ्य लाभ जानते हैं.पोषण का खजाना है नारियल1 सितंबर से 7 सितंबर तक national nutrition week भी मनाया जाता है. वर्ल्ड कोकोनट डे और न्यूट्रिशन वीक के मौके पर नारियल में मौजूद पोषण के बारे में जान लेते हैं. हेल्थलाइन के मुताबिक, नारियल में न्यूट्रिशन भरपूर होता है. इसमें प्रोटीन, फाइबर, मैंगनीज, कॉपर, सेलेनियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, आयरन, पोटैशियम, कार्ब्स और प्रचुर मात्रा में फैट होता है. यह फैट अन्य फैट की तुलना में जल्दी अवशोषित होता है और अलग तरीके से काम करता है. नारियल में मौजूद फैट तुरंत ऊर्जा देने और फैट लॉस में मदद कर सकता है.ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है नारियलनारियल में कार्ब्स काफी कम मात्रा में होते हैं और फाइबर व फैट्स अधिक होता है. जिस कारण यह शरीर में ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद कर सकता है. नारियल के गुदे में मौजूद फाइबर धीरे-धीरे पचता है और इंसुलिन की संवेदनशीलता को सुधारता है.शरीर के लिए जरूरी एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूरबता दें कि नारियल के गुदे में फेनोलिक कंपाउंड होता है, जो सेल्स को ऑक्सीडेटिव डैमेज से बचाता है. यह एंटीऑक्सीडेंट्स होता है. वहीं, इसमें मौजूद पॉलीफेनॉल कोलेस्ट्रॉल के कारण रक्त वाहिकाओं में जमने वाले प्लाक को भी रोकता है.दिल के लिए फायदेमंदहेल्थलाइन के मुताबिक, कई शोधों में पाया गया है कि नारियल का सेवन करने वाले लोगों में दिल के रोगों का खतरा कम होता है. वर्जिन नारियल तेल का इस्तेमाल बेली फैट को घटाने और दिल के रोग व डायबिटीज का खतरा कम करने में मदद करता है.नारियल के अनेक इस्तेमालनारियल की सबसे अच्छी बात है कि आप इसका इस्तेमाल कई तरीकों से कर सकते हैं. आप कच्चा नारियल खा सकते हैं, नारियल पानी पी सकते हैं, खाने में नारियल के आटे व नारियल तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं, नारियल की चटनी बना सकते हैं, कई मिठाई और डिश में कद्दूकस किया हुआ नारियल या नारियल का दूध (coconut milk) डाल सकते हैं. आप जैसे चाहे वैसे इस्तेमाल करके नारियल का फायदा प्राप्त कर सकते हैं.
- हर युवा का ये सपना होता है कि पढ़ाई पूरी करने के बाद उसको अच्छी नौकरी मिले। अपने इस सपने को पूरा करने के लिए वह जी जान से मेहनत करता है। कई लोगों को मनचाही नौकरी बहुत ही जल्दी प्राप्त हो जाती है, तो कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो कई बार प्रसास करने के बाद भी उन्हें दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं। लोगों के मन में यह सवाल पैदा होता है कि आखिर कुछ लोगों को जल्दी और कुछ को बहुत मेहनत करने पर बाद नौकरी क्यों मिलती है। इसका जवाब आपको हस्तरेखा ज्योतिष शास्त्र में मिलता है। आइए जानते हैं आपकी हथेली पर नौकरी के संकेत किन रेखाओं में छिपे हुए होते हैं।उन लोगों को नौकरी मिलने में किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं होती है जिनकी हथेली में भाग्य रेखा सीधे निकलकर शनि पर्वत पर मिलती हो। हथेली पर यह रेखा बहुत ही शुभ और जीवन में लाभ पहुंचाने वाली रेखा होती है। ऐसे लोगों को बहुत की कम उम्र में मनचाही नौकरी मिल जाती है। इसके अलावा ये लोग नौकरी में काम करते हुए उच्च पदों पर आसीन होते हैं।ज्योतिष में शनिदेव को नौकरी का कारक ग्रह माना गया है। अगर किसी व्यक्ति की हथेली में शनि पर्वत में उभार बना हो और साथ ही उस जगह पर किसी भी तरह का कटा हुआ निशान न हो तो व्यक्ति को अच्छी नौकरी मिलने की संभावना होती है। ऐसे जातकों को नौकरी थोड़े से ही प्रयास में जल्दी मिल जाती है। शनि के अलावा सूर्य और गुरु दो ग्रह भी होते हैं जो नौकरी के कारक ग्रह माने गए हैं। अगर जातक की हथेली पर गुरु और सूर्य पर्वत उठा हुआ हो तो व्यक्ति को मनचाही नौकरी मिलती है।हस्तरेखा ज्योतिष के अनुसार हथेली पर मस्तिष्क रेखा भी अच्छी नौकरी और व्यवसाय शुरू करने का संकेत देती हैं। जिन लोगों की हथेली पर मस्तिष्क रेखा एकदम साफ और स्पष्ट होती है उन्हें भी मनचाही और कम समय में नौकरी की प्राप्ति होती है। वहीं दूसरी तरफ हथेली पर चंद्र पर्वत में उभार हो साथ कोई रेखा बुध पर्वत की तरफ जाती हो यह शुभ फल देने वाली रेखा होती है। ऐसे जातकों को अच्छी नौकरी और व्यापार में सफलता प्राप्त होती है। अगर किसी व्यक्ति की हथेली पर शनि पर्वत के ऊपर कोई चक्र का निशान बना हुआ दिखाई देता हो तो ऐसे जातकों को नौकरी में उच्च पद की प्राप्ति होती है।
- वास्तु भवन निर्माण करने की कला है जिसके माध्यम से घर में आने वाली विघ्न बाधाएं दूर हो जाती हैं। वास्तु प्राचीन भारत का एक महत्वपूर्ण और उपयोगी शास्त्र है। जिसमें भवन निर्माण के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गई है। इसमें बताए गए सिद्धांत प्रकृति में संतुलन बनाए रखते हैं। ये संतुलन पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश के माध्यम से बनाया जाता है। अगर आपके घर में इन चीजों का संतुलन सही नहीं है तो इससे घर में वास्तु दोष होता है, जिसके परिणाम से घर में कई तरह के परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जिसमें आर्थिक तंगी, पारिवारिक कलह, वैवाहिक जीवन में परेशानी बनी रहती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर दिशा में कुछ विशेष तस्वीरों को लगाने पर आर्थिक तंगी से निजात मिल जाती है।घर के उत्तर-पूर्वी दिशा में नदियों और झरनों की तस्वीर लगाने से घर पर सकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है। यदि आपने घर में पूजा घर बना रखा है तो शुभ फलों की प्राप्ति के लिए उसमें नियमित रूप से पूजा होनी चाहिए एवं दक्षिण-पश्चिम की दिशा में निर्मित कमरे का प्रयोगपूजा-अर्चना के लिए नहीं किया जाना चाहिए।ऐसे में वास्तु कहता है कि अपने घर में मां लक्ष्मी और कुबेर की प्रतिमा को शुभ स्थान पर जरूर रखें। इसके लिए वास्तु में घर की उत्तर दिशा शुभ होती है। धन प्राप्ति के लिए उत्तर दिशा वास्तु शास्त्र में अच्छी मानी गई है।घर की दीवारों पर जहां सुंदर तस्वीरें लगाने पर घर की खूबसूरती बढ़ जाती है वहीं यह धन दौलत में वृद्धि होती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के दक्षिण और पूर्व दिशा की दीवारों में प्रकृति से जुड़ी चीजें की तस्वीर लगानी चाहिए।वास्तु शास्त्र के अनुसार घर पर हंसते हुए छोटे बच्चों की तस्वीर लगाने से घर पर हमेशा सकारात्मक ऊर्जा पैदा होती रहती है। बच्चों की तस्वीरों को पूर्व और उत्तर की दिशा में लगाना शुभ रहता है।
- जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 383
साधक का प्रश्न ::: मन से बुद्धि को कन्ट्रोल किया जा सकता है क्या?
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु महाप्रभु जी द्वारा उत्तर ::: उल्टा बोल रहे हो। बुद्धि से मन पर कंट्रोल होता है। वो तो होता ही है, करते ही हो। अब मन कह रहा है महाराज जी के पास मत जाओ। बुद्धि कह रही है, नहीं जाओगे तो फिर यह नुकसान हो जायेगा, बच्चे कैसे पढ़ेंगे, भविष्य क्या होगा? तो बुद्धि से तो मन पर कंट्रोल नैचुरल होता ही है। सब छोटे-छोटे बच्चों का भी होता है।
इस समय देखो! ये बच्चे बोल रहे हैं, चंचल हैं। जब हम लैक्चर देते हैं तो कोई बच्चा जरा सा हिलता नहीं, चुपचाप बैठे रहते हैं, समझते कुछ नहीं। उनकी बुद्धि से ही उनका मन कंट्रोल है। अगर बुद्धि से कंट्रोल न करे मन पर मनुष्य, तो ये सारा संसार लड़-कटकर मर जाये, एक दिन में समाप्त हो जाय।
मन करता है इसको झापड़ लगा दें, मन करता है इसको गाली दे दें, मन करता है ये सामान उठा लें, लेकिन बुद्धि कहती है पिट जाओगे, चुप। चोरी-चोरी जो सोचते हो, उसको बुद्धि काट देती है, ऐसा करोगे तो ये नुकसान हो जायेगा, मन पर कंट्रोल कर लेती है।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज०० सन्दर्भ ::: अध्यात्म संदेश पत्रिका, जुलाई 2007 अंक०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
★★★ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: © राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(5) www.youtube.com/JKPIndia(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) -
हिंदू कैलेंडर के हिसाब से भाद्रपद मास की शुरुआत हो चुकी है. इस माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है. वैसे देखा जाए तो हर माह की चतुर्थी भगवान गणेश को ही समर्पित हैं, लेकिन भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को बेहद खास माना जाता है. मान्यता है कि इसी चतुर्थी को गणपति का जन्म हुआ था. इस बार गणेश चतुर्थी 10 सितंबर को पड़ रही है.
देशभर में इस गणेश चतुर्थी को भव्य उत्सव के रूप में मनाया जाता है. ये उत्सव पूरे दस दिनों तक चलता है. महाराष्ट्र में इस उत्सव की धूम को देखने के लिए दूर दूर से श्रद्धालु आते हैं. गणपति के भक्त चतुर्थी के दिन अपने बप्पा को ढोल नगाड़ों के साथ घर लेकर आते हैं और उन्हें घर में बैठाते हैं यानी स्थापित करते हैं. ये स्थापना 5, 7,9 या पूरे 10 दिन की होती है. इन दिनों में गणपति की भक्त गण खूब सेवा करते हैं. उनके पसंदीदा भोग उन्हें अर्पित करते हैं. पूजा पाठ और कीर्तन किया जाता है. इसके बाद उनका विसर्जन कर दिया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि गणेश स्थापना से लेकर विसर्जन तक के पीछे की मान्यता.
ये है कथा
धर्म ग्रंथों के अनुसार महाभारत की रचना महर्षि वेद व्यास ने की थी, लेकिन उसे लिखने का काम गणपति जी ने पूर्ण किया था. लेखन का कार्य पूरे 10 दिनों तक चला था. उस दौरान गणपति ने दिन और रात ये काम किया था. कार्य के दौरान गणपति के शरीर के तापमान को नियंत्रित रखने के लिए महर्षि वेदव्यास जी ने उनके शरीर पर मिट्टी का लेप कर दिया था.
कहा जाता है कि चतुर्थी के दिन ही महाभारत के लेखन का ये कार्य पूरा हुआ था. कार्य पूर्ण होने के बाद वेद व्यास जी ने चतुर्थी के दिन उनकी पूजा की. लेकिन कार्य करते करते गणपति काफी थक गए थे और लेप सूखने से उनके शरीर में अकड़न आ गई थी और उनके शरीर का तापमान भी बढ़ गया था और मिट्टी सूखकर झड़ने लगी थी. इसके बाद वेद व्यास जी ने उन्हें अपनी कुटिया में रखकर उनकी काफी देखरेख की. उन्हें खाने पीने के लिए तमाम पसंदीदा व्यंजन दिए और उनके शरीर को ठंडक पहुंचाने के लिए सरोवर में डुबोया. तभी से चतुर्थी के दिन गणपति को घर लाने की प्रथा चल पड़ी. चतुर्थी के दिन गणपति के भक्त उन्हें घर लेकर आते हैं. उन्हें 5, 7, 9 दिनों तक घर में रखकर उनकी सेवा करते हैं. उनके पसंदीदा व्यंजन उन्हें अर्पित करते हैं और उसके बाद जल में उनकी प्रतिमा को विसर्जित कर देते हैं. -
हर साल भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से गणेशोत्सव की शुरुआत होती है. इस दिन लोग धूमधाम से गणपति को घर लेकर आते हैं और उन्हें 5, 7 या 10 दिनों के लिए घर में स्थापित करते हैं. आखिरी दिन पूजन के बाद धूमधाम से उनका विसर्जन किया जाता है.
वैसे तो हर महीने की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है, लेकिन भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को सबसे बड़ी गणेश चतुर्थी माना जाता है. माना जाता है कि इसी दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था. इस दिन लोग गणपति बप्पा को अपने घर लेकर आते हैं और 10 दिनों तक उनकी सेवा की जाती है.
मान्यता है कि घर में गणपति को लाने से वे घर के सारे विघ्न हर लेते हैं. गणेशोत्सव की धूम महाराष्ट्र में तो खासतौर पर होती है. दूर-दूर से गणेश भगवान के भक्त गणेशोत्सव को देखने के लिए महाराष्ट्र में आते हैं. अनन्त चतुर्दशी के दिन धूमधाम से गणपति का विसर्जन किया जाता है. इस बार गणेश उत्सव 10 सितंबर से शुरू हो रहा है. जानिए गणपति की स्थापना और पूजा के नियम.
गणपति स्थापना के नियम
चतुर्थी के दिन स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र पहनकर गणपति बप्पा को लोगों के साथ लेने जाएं. गणपति की मूर्ति खरीदते समय ध्यान रखें कि मूर्ति मिट्टी की होनी चाहिए, प्लास्टर ऑफ पेरिस या अन्य केमिकल्स की नहीं. इसके अलावा बैठे हुए गणेशजी की प्रतिमा लेना शुभ माना गया है. उनकी सूंड बांई और मुड़ी हुई होनी चाहिए और साथ में मूषक उनका वाहन जरूर होना चाहिए. मूर्ति लेने के बाद एक कपड़े से ढककर उन्हें ढोल नगाड़ों के साथ धूमधाम से घर पर लेकर आएं.
मूर्ति स्थापना के समय प्रतिमा से कपड़े को हटाएं और घर में मूर्ति के प्रवेश से पहले इस पर अक्षत जरूर डालें. पूर्व दिशा या उत्तर पूर्व दिशा में चौकी बिछाकर मूर्ति को स्थापित करें. स्थापना के समय चौकी पर लाल या हरे रंग का कपड़ा बिछाएं और अक्षत के ऊपर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें. भगवान गणेश की मूर्ति पर गंगाजल छिड़कें और गणपति को जनेऊ पहनाएं. मूर्ति के बाएं ओर अक्षत रखकर कलश स्थापना करें. कलश पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं और आम के पत्ते और नारियल पर कलावा बांधकर कलश के ऊपर रखें. इसके बाद विधि विधान से पूजा आरंभ करें.
ये हैं पूजन के नियम
स्वच्छ आसन पर बैठकर सबसे पहले गणपति को पंचामृत से स्नान करवाएं. इसके बाद केसरिया चंदन, अक्षत, दूर्वा, पुष्प, दक्षिणा और उनका पसंदीदा भोग अर्पित करें. जब तक गणपति घर में रहें, उस दौरान गणेश चतुर्थी की कथा, गणेश पुराण, गणेश चालीसा, गणेश स्तुति, श्रीगणेश सहस्रनामावली, गणेश जी की आरती, संकटनाशन गणेश स्तोत्र आदि का पाठ करें. अपनी श्रद्धानुसार गणपति के मंत्र का जाप करें और रोजाना सुबह और शाम उनकी आरती करें. माना जाता है कि ऐसा करने से गणपति परिवार के सभी विघ्न दूर करते हैं. -
ज्योतिष में मंगल और सूर्य को मित्र ग्रह कहा जाता है। इस समय दो मित्र ग्रहों की युति से कुछ राशियों को लाभ हो रहा है। सूर्य और मंगल की युति 6 सितंबर तक रहेगी। इस समय सूर्य और मंगल सिंह राशि में हैं। सूर्य को सभी ग्रहों का राजा माना जाता है और मंगल को सभी ग्रहों का सेनापित कहा जाता है। आइए जानते हैं सूर्य और मंगल की युति से किन राशियों को फायदा हो रहा है...
मिथुन राशि-----------
कार्यों में सफलता के योग बन रहे हैं।
भाग्य का साथ मिलेगा।
नौकरी और व्यापार के लिए समय शुभ रहेगा।
आपके द्वारा किए गए कार्यों की सराहना होगी।
परिवार के सदस्यों के साथ समय व्यतीत करने का अवसर मिलेगा।
दांपत्य जीवन में सुख का अनुभव करेंगे।
परिवार से अचानक शुभ समाचार की प्राप्ति हो सकती है।
धन- लाभ होगा, जिससे आर्थिक पक्ष मजबूत होगा।
व्यवसाय में लाभ के योग बनेंगे।
भाई-बहन से मदद मिल सकती है।
साहस और पराक्रम में वृद्धि होगी।
मान- सम्मान और पद- प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।
जीवनसाथी के साथ समय व्यतीत करने का अवसर मिलेगा।
वृश्चिक राशि---
आपको शुभ परिणाम प्राप्त होंगे।
नौकरी की तलाश कर रहे लोगों को शुभ समाचार मिल सकता है।
प्रमोशन या आर्थिक लाभ के भी योग बनेंगे।
किसी नए काम की शुरुआत के लिए सूर्य गोचर लाभकारी रहेगा।
शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए ये समय किसी वरदान से कम नहीं है।
लेन- देन के लिए समय शुभ है।
नौकरी और व्यापार के लिए समय शुभ है।
मान- सम्मान मिलेगा।
कार्यों में सफलता मिलेगी।
दांपत्य जीवन सुखमय रहेगा।
परिवार के सदस्यों के साथ समय व्यतीत करेंगे।