- Home
- धर्म-अध्यात्म
- पुरुष हो या महिला अपने ससुराल से संबंध खराब ना करेंजिंदगी में कई चीजें किस्मत और मेहनत से मिलती हैं. वहीं कुछ अच्छे-बुरे फल हमें कर्म और आदतों के कारण मिलते हैं. लाल किताब में कुछ ऐसे कामों के बारे में बताया गया है, जो कभी नहीं करने चाहिए. ये काम करने से व्यक्ति की अच्छी-भली जिंदगी में कई मुसीबतें आ सकती हैं. साथ ही यह काम व्यक्ति की कुंडली के ग्रहों पर भी नकारात्मक असर डालते हैं, इससे ग्रह बुरे फल देने लगते हैं.जिंदगी में कभी न करें ये काम- भगवान में भरोसा रखें और कभी भी उनका निरादर न करें.- कई देवताओं को पूजने की बजाए एक देवता को अपना ईष्ट बनाएं.- पैसा कमाने के शॉर्टकट से बचें. मसलन ब्याज का काम करने को धर्म-शास्त्रों में अच्छा नहीं बताया गया है.- ना तो झूठ बोलें और ना किसी पर झूठा आरोप लगाएं. अपमान करने से बचें. विशेषकर महिलाओं का अपमान करना बहुत महंगा पड़ सकता है.- नॉनवेज खाने और शराब पीने से बचें. ऐसा करने से शनि ग्रह बुरा असर देते हैं.- दक्षिणमुखी मकान में ना रहें और घर में पूजाघर बनवाने की बजाय मंदिर जाकर पूजा करें. यदि मंदिर बनवाएं तो कुंडली दिखाकर विशेषज्ञ से सलाह ले लें. साथ ही मंदिर की रोज सफाई करना, भगवान की पूजा करना, दीप जलाना आदि कार्य नियम से करें.- घर में शनि, राहु-केतु से जुड़ी चीजें इकट्ठा न करें. इनमें संतुलन होना बहुत जरूरी है.- कभी किसी पशु-पक्षी को न सताएं और कुत्ता पालने से पहले कुंडली की जांच जरूर कर लें.- विशेषज्ञ से सलाह लिए बिना रत्न न पहनें. टोने-टोटकों से दूर रहें.- पुरुष हो या महिला अपने ससुराल के लोगों से संबंध खराब न करें.-
-
प्राचीन काल से ही नजर उतारने एवं भगवान की प्रतिमा के आगे वातावरण को पवित्र करने के लिए मोर पंख का ही प्रयोग होता आया है। आपने देखा होगा कि जैन मुनि भी अपने साथ मोर पंख की पिच्छिका रखते हैं। दरअसल, मोरपंख सकारात्मकता का प्रतीक है, जिसका शरीर व स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। इसलिए मोरपंखों को छोटे बच्चों के सिर पर लगाने या उनके बिस्तर के नीचे रखने की मान्यता पुरातन-काल से चली आ रही है। द्वापर के कान्हा भी इसीलिए मोरमुकुट से सुशोभित हुए। वस्तुत: मोर ही अकेला एक ऐसा प्राणी है,जो ब्रह्मचर्य को धारण करता है। अत: प्रेम में ब्रह्मचर्य की महान भावना को समाहित करने के प्रतीक रूप में कृष्ण मोरपंख को अपने सिर पर धारण करते हैं। घर में मोर पंख रखना प्राचीनकाल से ही बहुत शुभ माना जाता है। वास्तु के अनुसार भी मोर पंख घर से अनेक प्रकार के वास्तुदोष दूर करता है और सकारात्मक ऊर्जा को अपनी तरफ खीचता है इसलिए तो मोरपंख को वास्तु में बहुत उपयोगी माना गया है।
शांत हो जाते हैं ग्रह दोष
ज्योतिष और वास्तु में मोरपंख को सभी नौ ग्रहों का प्रतिनिधि माना गया है। इसे घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा तो आती ही है,ग्रहदोष भी शांत हो जाते हैं। मोरपंख में सभी देवी-देवताओं का वास माना गया है। घर के वास्तुदोष निवारण में मोरपंख बहुत ही कारगर उपाय है। मोरपंख को घर में रख लेने मात्र से कई समस्याओं का समाधान हो सकता है। घर का वास्तुदोष दूर हो सकता है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि और धन-संपदा आ सकती है।
पूरे होंगे काम
वास्तुशस्त्र की मान्यता है कि यदि आपके कार्यों में रूकावट आती है, कोई काम समय पर पूरा नहीं होता तो अपने घर के पूजास्थल में पांच मोरपंख रखें और प्रतिदिन इनकी पूजा करें। इक्कीस दिन बाद इन मोरपंख को तिजोरी या लॉकर में रख दें,ऐसा करने से धन-संपत्ति में वृद्धि होगी और अटके काम भी बनने लगेंगे।
रिश्तों में मधुरता
शयनकक्ष में पूर्व या उत्तर दिशा में दो मोरपंखों को एक साथ दीवार पर लगाने से दांपत्य जीवन से जुड़ी समस्याओं का अंत होता है और रिश्तों में मधुरता आती है। यदि घर में वास्तु में मान्य पंचतत्वों का संतुलन ठीक न हो और घर में नकारात्मक ऊर्जा का निरंतर प्रवाह हो रहा हो तो घर के पूजास्थल पर 5 मोरपंख रखें। इस कार्य से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
जहरीले जानवरों का भय नहीं
मोर पंख बहुत ही चमत्कारिक होता है। मोर पंख के घर में होने से प्राय: विषैले जीव-जंतु नहीं आते। मोरपंख को ऐसी जगह रखना चाहिए जहां से सभी की नजर उस पर पड़ सके, ऐसा करने से घर की नकारात्मकता दूर होती है।
किताब में रखने से लाभ
जिन लोगों के बच्चे जिद्दी स्वभाव के होते हैं,ऐसे बच्चों की जिद को कम करने के लिए मोरपंख से बने पंखे से 11 बार या 21 बार हवा करनी चाहिए। एवं जिन बच्चों का मन पढ़ाई में न लगता हो उनकी पढऩे की मेज पर सात मोरपंख रखने से लाभ होगा। शुभ परिणामों के लिए उनकी किताब या डायरी में एक मोरपंख अवश्य रखें।
सकारात्मक ऊर्जा का होगा प्रवेश
यदि आपके घर का प्रवेश द्वार शुभ कोण या दिशा जैसे पूर्व, उत्तर या ईशान दिशा में नहीं है या मुख्य द्वार पर किसी और प्रकार का वास्तुदोष है तो प्रवेश द्वार की चौखट के ऊपर बैठी हुई मुद्रा में गणेश जी स्थापित करें और उनके ऊपर तीन मोरपंख लगाएं। ऐसा करने से द्वार का वास्तुदोष दूर होगा। सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होगा।
नकारात्मक ऊर्जा होगी दूर
शयनकक्ष की पश्चिम दिशा की दीवार पर मोरपंख लगाने से राहु-केतु के बुरे प्रभाव से राहत मिलती है। घर से नकारात्मक शक्तियां दूर जाती हैं क्योंकि मोरपंख में सभी देवताओं का वास माना गया है।
- -
ग्रहों में युवराज कहे जाने वाले बुध 26 अगस्त को दोपहर 11 बजकर 18 मिनट पर सिंह राशि की यात्रा समाप्त करके कन्या राशि में प्रवेश कर रहे हैं। इस राशि पर ये 22 सितंबर तक गोचर करेंगे उसके बाद तुला राशि में प्रवेश कर जाएंगे। कन्या राशि इनकी अपनी राशि है और यहां पर ये उच्चराशिगत होते हैं अतः इस राशि के लोगों के लिए ये भद्रयोग का निर्माण करेंगे जो बेहतरीन सफलता दायक रहेगा। जिन जातकों की जन्मकुंडली में बुध केंद्र व त्रिकोण में गोचर कर रहे होंगे उनके लिए तो अतिशुभ फल प्रदान करेंगे किन्तु जिनकी जन्मकुंडली के अशुभ भाव में गोचर करेंगे उन्हें बहुत अच्छा परिणाम नहीं मिलेगा। इनके राशि परिवर्तन का राशियों पर कैसा प्रभाव पड़ेगा इसका ज्योतिषीय विश्लेषण करते हैं।
मेष राशि
राशि से छठे शत्रु भाव में गोचर करते हुए बुध का प्रभाव काफी मिलाजुला रहेगा। स्वास्थ्य उत्तम रहेगा किंतु ऐसे गुप्त शत्रुओं की अधिकता रहेगी जो पढ़े लिखे होंगे। आपके अपने ही लोग नीचा दिखाने की कोशिश में लगे रहेंगे सावधान रहें। कार्य क्षेत्र में भी उच्चाधिकारियों से संबंध बिगड़ने न दें। इस अवधि के मध्य अधिक कर्ज के लेन-देन से बचें। झगड़े विवाद तथा कोर्ट कचहरी से संबंधित मामलों का निर्णय आपके पक्ष में आने के संकेत।
वृषभ राशि
राशि से पंचम विद्या भाव में गोचर करते हुए बुध का प्रभाव आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है। सभी रणनीतियां कारगर सिद्ध होगी। सामाजिक पद प्रतिष्ठा बढ़ेगी। विद्यार्थियों एवं प्रतियोगिता में बैठने वाले छात्रों को आशातीत सफलता मिलेगी। प्रेम संबंधी मामलों में प्रगाढ़ता आएगी। प्रेम विवाह भी करना चाह रहे हों तो अवसर अनुकूल रहेगा। संतान संबंधी चिंता से मुक्ति मिलेगी। नव दंपत्ति के लिए संतान प्राप्ति एवं प्रादुर्भाव के भी योग।
मिथुन राशि
राशि से चतुर्थ सुख भाव में गोचर करते हुए बुध बेहतरीन शुभ परिणाम दायक रहेंगे। आपके लिए भद्रयोग का निर्माण होगा जिसके फलस्वरूप मित्रों तथा संबंधियों से सहयोग की उम्मीद। जमीन जायदाद से जुड़े मामलों का निपटारा होगा। मकान अथवा वाहन का भी क्रय करना चाह रहे हों तो अवसर अनुकूल रहेगा। सरकारी विभागों में प्रतीक्षित पड़े कार्यो का निपटारा होगा। किसी भी तरह के सरकारी टेंडर का आवेदन करना चाह रहे हों तो वह परिणाम भी बेहतर रहेगा।
कर्क राशि
राशि से तृतीय पराक्रम भाव में गोचर करते हुए बुध का प्रभाव साहस और पराक्रम की वृद्धि तो कर आएगा ही भाइयों में आपसी सहयोग भी बढ़ेगा। अध्यात्म के प्रति रुचि बढ़ेगी। विदेशी कंपनियों में सर्विस अथवा नागरिकता के लिए किया गया प्रयास सफल रहेगा। अपनी योजनाओं तथा रणनीतियों को गोपनीय रखते हुए कार्य करेंगे तो अधिक सफल रहेंगे। विद्यार्थियों एवं प्रतियोगिता में बैठने वाले छात्रों को परीक्षा में अच्छे अंक लाने के लिए और प्रयास करने होंगे।
सिंह राशि
राशि से द्वितीय धन भाव में गोचर करते हुए बुध का प्रभाव आर्थिक पक्ष मजबूत करेगा। आकस्मिक धन प्राप्ति का योग बनेगा। रोजगार की दिशा में किया गया सभी प्रयास सार्थक रहेगा। काफी दिनों का दिया गया धन भी वापस आने की उम्मीद। परिवार के सदस्यों का आपसी सामंजस्य बढ़ेगा। जमीन-जायदाद से जुड़े मामलों का निपटारा होगा। अपनी वाणी कुशलता के बलपर कठिन हालात को भी आसानी से नियंत्रित कर लेंगे। लेन-देन के मामलों में अधिक सावधानी बरतें।
कन्या राशि
अपनी स्वयं की राशि में गोचर करते हुए बुध आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है इसलिए कोई भी बड़े से बड़ा कार्य आरंभ करना चाहें अथवा नए अनुबंध पर हस्ताक्षर करना चाहें तो उस दृष्टि से भी अवसर बेहतरीन रहेगा। रोजगार की दिशा में किया गया प्रयास सार्थक रहेगा। मान-सम्मान की वृद्धि होगी। स्थान परिवर्तन के लिए प्रयास करना चाह रहे हों तो सफल रहेंगे। विवाह से संबंधित वार्ता सफल रहेगी। परिवार में मांगलिक कार्यों का सुअवसर आएगा।
तुला राशि
राशि से बारहवें हानि भाव में गोचर करते हुए बुध का प्रभाव काफी मिलाजुला रहेगा हो सकता है। आरम्भ में कुछ कार्य बाधा का सामना भी करना पड़े किंतु अंततः आप सफल रहेंगे। विदेशी कंपनियों में सर्विस अथवा वीजा आदि के लिए आवेदन करना सफल रहेगा। धार्मिक एवं मांगलिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेंगे। संतान के दायित्व की पूर्ति होगी। प्रेम संबंधी मामलों में उदासीनता के योग। भावनाओं में बह कर लिया गया निर्णय नुकसानदेय सिद्ध हो सकता है।
वृश्चिक राशि
राशि से एकादश लाभ भाव में गोचर करते हुए बुध आय के एक से अधिक साधन बनाएंगे। जो भी योजना आरंभ करेंगे कारगर सिद्ध होगी। परिवार के वरिष्ठ सदस्यों एवं बड़े भाइयों से सहयोग मिलेगा। शीर्ष नेतृत्व से भी संबंध बढ़ेंगे। इस अवधि के मध्य किसी भी तरह का नया व्यापार आरंभ करना हो अथवा नए अनुबंध पर हस्ताक्षर करना हो तो अवसर अनुकूल रहेगा। सरकारी विभागों में टेंडर के लिए आवेदन करना चाह रहे हों तो भी सफलता के बेहतरीन योग।
धनु राशि
राशि से दशम कर्म भाव में गोचर करते हुए बुध पूर्ण ‘भद्र योग’का निर्माण करेंगे फलस्वरूप नौकरी में पदोन्नति तथा नए अनुबंध की प्राप्ति के योग बनेंगे। किसी भी तरह का चुनाव से संबंधित निर्णय लेना चाह रहे हों तो परिणाम आपके पक्ष में होगा। मकान अथवा वाहन के क्रय का भी योग। विदेशी मित्रों तथा संबंधियों से लाभ के योग तो हैं ही, वीजा आदि के लिए भी आवेदन करना चाह रहे हों तो अवसर अनुकूल रहेगा। धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेंगे।
मकर राशि
राशि से नवम भाग्य भाव में गोचर करते हुए बुध का प्रभाव आपके लिए भी किसी वरदान से कम नहीं है इसलिए सभी रणनीतियां तथा योजनाएं कारगर सिद्ध होंगी निर्णय लेने में विलंब न करें। विद्यार्थियों एवं प्रतियोगिता में बैठने वाले छात्रों के लिए समय और अनुकूल रहेगा। संतान के दायित्व की पूर्ति होगी। नव दंपति के लिए संतान प्राप्ति एवं प्रादुर्भाव के भी योग। जो लोग आपको नीचा दिखाने की कोशिश में लगे थे वही मदद के लिए आगे आएंगे। स्वास्थ्य उत्तम रहेगा।
कुंभ राशि
राशि से अष्टम आयु भाव में गोचर करते हुए बुध का प्रभाव काफी मिलाजुला रहेगा। स्वास्थ्य विशेष करके पेट संबंधी विकार, दवाओं के रिएक्शन तथा चर्म रोग से बचना पड़ेगा। कार्यक्षेत्र में भी षड्यंत्र का शिकार होने से बचें। बेहतर रहेगा कि कार्य संपन्न करें और सीधे घर आएं। कोर्ट कचहरी से जुड़े मामले भी आपस में सुलझा लेना समझदारी होगी। माता पिता के स्वास्थ्य के प्रति भी चिंतनशील रहें। इस अवधि के मध्य किसी भी तरह का कर्ज के देने से बचें।
मीन राशि
राशि से सप्तम भाव में गोचर करते हुए बुध जीवन में मधुरता तो लाएंगे ही विवाह से संबंधित वार्ता भी सफल रहेगी। कार्य व्यापार में भी उन्नति तो होगी ही किसी भी तरह का बड़े से बड़ा अनुबंध भी हस्ताक्षर करना चाह रहे हों तो वह अवसर भी अनुकूल रहेगा। केंद्र अथवा राज्य सरकार के विभागों में प्रतीक्षित पड़े कार्य संपन्न होंगे। परिवार में आपसी स्नेह बढ़ेगा, माहौल भी खुशनुमा रहेगा। विदेशी कंपनियों में सर्विस अथवा नागरिकता के लिए किया गया प्रयास भी सफल रहेगा।
- जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 376
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के द्वारा दिये गये असंख्य प्रवचन जो आज भी उनकी वाणी में उपलब्ध हैं, उनके द्वारा वेद, शास्त्र सम्मत साहित्य, ऋषि-मुनियों की परंपरा को पुनर्जीवन प्रदान कर रहा है। शास्त्रों, वेदों के गूढ़तम सिद्धान्तों को भी सही रुप में अत्यधिक सरल, सरस भाषा में प्रकट करके एवं उसे जनसाधारण तक पहुँचाकर उन्होंने विश्व का महान उपकार किया है। उन्होंने भारतीय वैदिक संस्कृति को सदा सदा के लिये गौरवान्वित कर दिया है एवं भारत जिन कारणों से विश्व गुरु के रुप में प्रतिष्ठित रहा है, उसके मूलाधार रुप में जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने सनातन वैदिक धर्म की प्रतिष्ठापना की है। आइये 'सत्संग' तथा 'गुरु-महिमा' संबंधी महत्वपूर्ण तत्वज्ञान उनके साहित्य तथा प्रवचनों से प्राप्त करें...
★ 'जगदगुरुत्तम-ब्रज साहित्य'(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज विरचित साहित्य/ग्रन्थ)
बिनु सत्संग कछुक नहिं पाइय, पचि पचि मरिय हजार।सो सत्संग 'कृपालु' जानिये, श्रद्धा बिनु खिलवार।।
भावार्थ ::: महापुरुषों के संग के बिना, चाहे करोड़ों ही प्रयत्न क्यों न किये जायें, कुछ भी नहीं प्राप्त हो सकता और वह महापुरुषों का सत्संग भी श्रद्धा के बिना खिलवाड़ सा ही समझना चाहिये।
• संदर्भ ग्रन्थ ::: प्रेम रस मदिरा, सिद्धान्त माधुरी, पद - 95 से
----------------★ 'जगदगुरुत्तम-श्रीमुखारविन्द'(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा निःसृत प्रवचन का अंश)
...भक्त और भगवान की दो गवर्मेन्ट नहीं हैं - ऐसा नहीं है कि भगवान की भक्ति आपने किया इस समय और गुरु की भक्ति नहीं किया तो गुरु का मूड ऑफ हो जाय। ऐसा नहीं है। गुरु की भक्ति आपने किया, भगवान प्रसन्न होंगे, भगवान की भक्ति किया, गुरु प्रसन्न होगा। वहाँ घपड़-सपड़ नहीं है, दुनियादारी की तरह से। ऐसा मत समझ लेना। भगवान हजार जगह अपने श्रीमुख से कहते हैं वेदों, शास्त्रों में - जो मेरे भक्त के भक्त हैं उन्होंने तो मेरी हजार गुणा भक्ति कर ली है, ये मैंने मान लिया और मैं उनके ऊपर वही कृपा करूँगा हजार गुना वाली। यानी मेरी भक्ति करने से मैं प्रसन्न ना होऊँगा, मैं भक्त की भक्ति से प्रसन्न हो जाऊँगा, ऐसा मेरा मत है - भगवान कहते हैं। इसलिये वहाँ तो झगड़ा नहीं, लेकिन प्रेमदान होगा गुरु के द्वारा ही, ये एक नियम है...
• सन्दर्भ पुस्तक ::: प्राणधन जीवन कुंज बिहारी , पृष्ठ संख्या 113
★★★ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(5) www.youtube.com/JKPIndia(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - चींटियां आकार में बहुत छोटी होती हैं लेकिन वे बड़ी घटनाएं होने के पूर्व संकेत देती हैं. घर में चींटिंयों का निकलना आम बात है लेकिन वे किस दिशा से आ रही हैं, उनका रंग और व्यवहार कैसा है, इससे आने वाली शुभ-अशुभ घटनाओं के अहम संकेत मिलते हैं. ज्योतिष में काली चींटियों को बहुत शुभ बताया गया है.हम चींटियों से मिलने वाले ऐसे ही संकेतों के बारे में जानते हैं-------------------ये हैं सुख-समृद्धि आने का संकेतघर में काली चींटियों का आना बहुत शुभ होता है. यह घर में सुख-समृद्धि आने का संकेत देती हैं. इन चींटियों को शक्कर और आटा डालने से बहुत लाभ होता है.चावल के बर्तन से निकलती चींटियांयदि चावल के भरे हुए बर्तन से चींटियां निकलें तो यह बहुत शुभ होता है. इससे मतलब है कि परिवार की आर्थिक स्थिति जल्द ही मजबूत होने जा रही है.काली चींटियां कुछ खाते हुए दिखेंयदि काली चींटियां गोला बनाकर कुछ खाते हुए दिखें तो यह बहुत ही शुभ होता है. यह करियर में तरक्की और आय में अच्छी बढ़ोतरी का संकेत है.लाल चींटियां दिखना अशुभलाल चींटियां दिखना अच्छा नहीं माना जाता है. यह झगड़ा, मुसीबतों और धन हानि का संकेत देती हैं. हालांकि उनका घर से अंडे लेकर जाना शुभ होता है. चींटियां दिखने पर उन्हें कुछ खाने के लिए जरूर डालें क्योंकि चींटियों का भूखा रहना अच्छा नहीं माना जाता है.चींटियों के आने की दिशा भी देती है संकेतचींटियों का अलग-अलग दिशाओं से आना भी अलग-अलग घटनाओं के इशारे होते हैं. जैसे उत्तर दिशा से चींटियों का आना कई लिहाज से शुभ होता है. दक्षिण दिशा से आना आर्थिक लाभ कराता है. पूर्व से आने पर कोई अच्छी खबर मिलती है और पश्चिम से आने पर दूर की यात्रा के योग बनते हैं.
-
इंसान का भविष्य उसके हाथों की लकीरों में छिपा होता है. कुछ लोगों को भले ही ये बात सिर्फ मजाक लगे, लेकिन हस्तरेखा विज्ञान में हथेली के इन्हीं निशानों को बहुत खास माना गया है. इसके मुताबिक, हथेली पर बनी लकीरें वाकई आपका भविष्य बता सकती हैं. इसलिए आज हम आपकी लकीरों में छिपे उन रहस्यों के बारे में बताएंगे जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे.
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, हथली देखकर किसी इंसान की पर्सनेलिटी और भविष्य के बारे में बताने की कला को किरोमैंसी कहा जाता है. आपने कभी ध्यान भी दिया होगा कि हमारी हथेलियों पर ढेर सारी लकीरें बड़े अव्यवस्थित ढंग से बनी होती हैं. इसमें हर लाइन और कर्व का कुछ ना कुछ मतलब जरूर होता है. अगर आपके हाथ की लकीरें 'एच' की शेप बना रही हों तो उनके जीवन में 40 की उम्र के बाद कुछ सफल परिवर्तन देखने को मिलते हैं.
ऐसा माना जाता है कि 'एच' निशान वाले लोगों का जीवन 40 की उम्र के बाद यूटर्न ले लेता है. ये लोग अचानक से जीवन में धन या बेहतर आर्थिक हालातों को देखते हैं. जबकि 40 साल से पहले इन लोगों को अपने परिश्रम का वो फल नहीं मिल पाता है, जिसकी उन्हें अपेक्षा रहती है. ऐसे लोग 40 साल से पहले अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष करते रहते हैं. सरल शब्दों में कहें तो 40 साल पूरे होने के बाद इन्हें अपनी मेहनत का फल मिलता है.
वहीं, व्यवहार को लेकर बात की जाए तो जिन लोगों के हाथ पर 'एच' बन होता है, वे काफी इमोशनल होते हैं. इसी कारण वे अक्सर लोगों की मदद के लिए अपने रास्ते से हट जाते हैं. इतना ही नहीं, अपने उदार स्वभाव के चलते ऐसे लोग दूसरों से ठगे भी जाते हैं. उन्हें अपने जीवन के हर स्टेप पर परेशानियों और विरोध का सामना करना पड़ता है. ऐसे लोग अपने शुभचिंतकों की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं. लेकिन सकारात्मक रूप से ये धनी होते हैं, और यही उनकी सबसे खास बात होती है. - नींद हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा है। अच्छी नींद का हमारे स्वास्थ्य के ऊपर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह तंदुरुस्त जीवन का कारण मानी जाती है। अगर रात में 8 घंटे की चैन की नींद ली जाए, तो अगले दिन शरीर और मस्तिष्क पूरी तरह तरोताजा रहते हैं। अच्छी नींद लेने से शरीर के भीतर की थकान पूरी तरह दूर हो जाती है और उसमें ऊर्जा का संचार होता है। मान्यता है कि नींद के दौरान इंसान के भीतर लौकिक ऊर्जा आती है। वहीं जो लोग रात में अच्छी नींद नहीं लेते, ऐसे व्यक्तियों को थकान, आलस्य, चिड़चिड़ापन जैसा अनुभव होता है। वास्तु शास्त्र के मुताबिक ठीक से नींद ना ले पाने की वजह व्यक्ति के सोने की दिशा और उसकी आदतें हैं। अगर व्यक्ति वास्तु शास्त्र में बताए गए नियमों के आधार पर सोए तो रात में वह चैन की नींद ले सकता है। इसी सिलसिले में आइए जानते हैं कि वह कौन-कौन से नियम हैं? जिनका सोते वक्त सदा पालन करना चाहिए।वास्तु शास्त्र के मुताबिक हमें पूर्व दिशा में सोना चाहिए। पूर्व दिशा में सिर करके सोने से व्यक्ति के ऊपर सकारात्मक प्रभाव पड़ता। इससे उसकी कार्य करने की क्षमता और ध्यान की शक्ति में वृद्धि होती है। वास्तु कहता है कि आप पश्चिम दिशा में भी सिर करके सो सकते हैं। मान्यता है कि इस दिशा में सोने से व्यक्ति का यश बढ़ने लगता है।उत्तर दिशा में सिर रखकर कभी भी सोना नहीं चाहिए। ऐसा करने से दिमाग में कई प्रकार के नकारात्मक विचार आते हैं। इसके अलावा व्यक्ति कई तरह की बीमारियों से ग्रसित भी हो सकता है। हालांकि आप दक्षिण दिशा में सिर रखकर सो सकते हैं। वास्तु के अनुसार दक्षिण दिशा में सिर करके सोने से घर में सुख-समृद्धि आती है।सोने से पहले अपने हाथ मुंह को धोकर जरूर कुल्ला करें। वास्तुशास्त्र के अनुसार बिस्तर पर जूठे मुंह नहीं सोना चाहिए। जूठे मुंह बिस्तर पर सोने से व्यक्ति को अच्छी नींद नहीं आती है। रात में सोते वक्त उसकी नींद कई बार टूटती है।-
-
जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 375
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज को काशी विद्वत परिषत द्वारा 'पंचम मूल जगदगुरु' के अलावा कुछ अन्य विशिष्ट उपाधियाँ भी प्रदान की गई थीं, जिनमें एक है - 'भक्तियोगरसावतार'। कलिकाल के प्रभाव से जनमानस भगवन्नाम-संकीर्तन के माहात्म्य को भूलता जा रहा था। दूसरी ओर नाना प्रकार के मत, नाना प्रकार के साधन समाज में प्रचलित होने लगे जिससे लोग दिग्भ्रमित होने लगे। ऐसे समय में ऐसे ही किसी अवतार की आवश्यकता थी जो लोगों के हृदय में पुनः भक्ति की ज्योति जगाये और आध्यात्मिक रुप से पुनर्जीवित करे। जगद्गुरुत्तम् श्री कृपालु जी महाराज वही अवतार हैं जिन्होंने कलिकाल में भक्ति की प्राधान्यता और वास्तविकता स्थापित की। आइये आज के अंक में प्रकाशित उनके दिव्य वचनामृत रूपी महारस का पान करें....
★ 'जगदगुरुत्तम-ब्रज साहित्य'(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज विरचित साहित्य/ग्रन्थ)
तेरे सुख को ही सुख मानूँ नित राधे,ऐसी ही मेरी चित्तवृत्ति बना दे।मेरी सब इन्द्रिय मन बुधि राधे,तेरी नित सेवा माँगे ऐसी बना दे।मेरी ओर लखो जनि दयामयी राधे,तू तो है 'कृपालु' बिनु हेतु कृपा दे।।
भावार्थ ::: राधे! मैं सदा तुम्हारे सुख में अपना सुख प्रतीत करूँ, ऐसी मेरी चित्तवृत्ति कब बनेगी? राधे! मेरी समस्त इन्द्रियाँ, मन एवं बुद्धि निरंतर तुम्हारी सेवा याचना करती रहें। हे दयामयी! मेरी तरफ न देखो, तुम अकारण कृपा करती हो, अतः मुझ पर भी कृपा करो!!
• सन्दर्भ ग्रन्थ ::: 'युगल शतक', खंड - राधा माधुरी, कीर्तन - 75----------------★ 'जगदगुरुत्तम-श्रीमुखारविन्द'(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा निःसृत प्रवचन का अंश)
...जो जीव अधिकारी भेद की कक्षा के अनुसार गुरु के अनुगत हो कर चलेगा, वह एक न एक दिन अपने लक्ष्य पर पहुँच जायेगा! गुरु जिस कक्षा का होगा, उसी कक्षा का रस शिष्य को प्रदान कर सकेगा! यदि कोई महापुरुष वात्सल्य भाव वाला हो तो अपने शिष्य को वह वात्सल्य रस ही दे सकता है; वह अपने शिष्य को महारास रस प्रदान नहीं कर सकता! किसी का गुरु महारास रस देने का अधिकारी हो तो शिष्य को महारास का रस प्रदान कर सकता है! जब इतनी सारी बातें बन जाएँ, अंतःकरण शुद्ध हो जाए और उपर्युक्त गुरु मिल जाए, तभी हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे..
• संदर्भ पुस्तक ::: 'महारास अधिकारी', पृष्ठ संख्या 23
★★★ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(5) www.youtube.com/JKPIndia(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - हम सोते समय सपने देखते हैं। ये सपने अच्छे और बुरे दोनों तरह के होते हैं। कई सपने बेहद डरावने, तो कई सपने हसीन होते हैं। सपने महज सपने नहीं होते हैं बल्कि, स्वप्न शास्र के अनुसार, इन सभी सपनों का मतलब होता है। ये सपने हमें भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे में बताते हैं। ये सपने शुभ और अशुभ दोनों प्रकार की घटनाओं के बारे में बताते हैं। स्वप्न शास्त्र के मुताबिक यदि आपको सपने में कुछ विशेष चीजें दिख जाएं या यू कहें की आपके सपने वे चीजें आ जाएं तो ऐसा समझा जाता है कि आपकी आर्थिक स्थिति पलटने वाली है। कुछ विशेष तरह के सपने इस बात का संकेत करते हैं कि निकट भविष्य में आपकी आर्थिक स्थिति बेहद मजबूत हो सकती है। आज हम जानेंगे कि ऐसे कौनसे शुभ सपने होते हैं जिन्हें देखने से आपको धन लाभ हो सकता है।स्वप्न शास्त्र के अनुसार, अगर आप अपने सपने में चूहे को देखते हैं तो यह आपके लिए शुभ संकेत हैं। यह सपना संकेत करता है कि आपके पास कहीं से अचानक धन आने वाला है। माना जाता है सपने में चूहा देखने से दरिद्रता दूर होती है। जीवन में समृद्धि आती है।स्वप्न शास्त्र के अनुसार, सपने में गाय को देखना बेहद शुभ होता है। गाय को अलग-अलग तरह से देखने का मतलब भी अलग होता है। अगर आप सपने में गाय को दूध देते हुए देखते हैं सुख-समृद्धि आने वाली है तो वहीं अगर आप चितकबरी गाय को देखते हैं तो सूद ब्याज के व्यापार में लाभ मिलने के संकेत होते हैं।असल जिंदगी में किसी लड़की को नाचते हुए देखना आपके मनोरंजन का हिस्सा हो सकता है। लेकिन अगर आप अपने सपने में किसी स्त्री को नृत्य करते देखते हैं तो इसका मतलब होता है कि आने वाले दिनों में आपको धन प्राप्त हो सकता है। यह सपना शुभ सपनों में से एक होता है।स्वप्न शास्त्र के अनुसार, अगर आप सपने में भगवान के दर्शन करते हैं तो यह बेहद ही शुभ होता है। स्वप्न शास्त्र में इस सपने का मतलब ये है कि आपके ऊपर दैवीय कृपा बरसने वाली है जिससे आपको आने वाले दिनों में सुख-समृद्धि और धन की प्राप्ति होने वाली है।सपने में जलते हुए दीपक को देखना अति शुभ माना जाता है। स्वप्न शास्त्र के मुताबिक यदि आप सपने में किसी जलते हुए दीये को देखते हैं तो यह संकेत है कि आपको भविष्य में प्रचुर मात्रा में धन प्राप्ति होगी। यह सपना आपके आर्थिक जीवन को संपन्न कर देगा।शास्त्रों में मछली को मां लक्ष्मी के आगमन का सूचक माना गया है। स्वप्न शास्त्र के मुताबिक अगर आपको सपने में मछली दिखाई दे तो जल्दी ही आपके ऊपर मां लक्ष्मी की कृपा बरसने वाली है। इसी प्रकार स्वप्न में आप किसी वृक्ष पर चढ़ रहें हैं तो आपको कहीं से अचानक धन प्राप्ति हो सकती है।
- हिंदू पंचांग के अनुसार रक्षाबंधन पर्व संपन्न होने के साथ ही सावन का महीना भी रविवार को खत्म हो रहा है. इसके बाद 23 अगस्त से भाद्रपद का महीना शुरू हो रहा है. यह महीना 22 सितंबर तक रहेगा.ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक यह भाद्रपद महीना कुछ राशियों के लिए बेहद शुभ रहने वाला है. वहीं कुछ राशियों को खास सजग रहने की जरूरत है. ज्योतिष विद्वानों के अनुसार ग्रहों के राजा सूर्य देव और ग्रहों के सेनापति मंगल ग्रह भाद्रपद महीने में कुछ दिनों तक सिंह राशि में विराजमान रहेंगे. आइये जानते हैं कि विभिन्न राशि वालों के लिए भाद्रपद महीना कैसा रहने वाला है.मेष राशिदांपत्य जीवन में सुख का अनुभव करेंगे. परिवार के सदस्यों का सहयोग प्राप्त होगा. परिवार के सदस्यों का सहयोग प्राप्त होगा. पारिवारिक जीवन में शुभ फल की प्राप्ति होगी. साथ ही धन- लाभ का भी योग रहेगा.वृष राशिपरिवार के सदस्यों के साथ समय व्यतीत करें. नौकरी और व्यापार के लिए समय शुभ है. वृष राशि के जातकों को मिले- जुले परिणाम हासिल होंगे. दांपत्य जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. धन- लाभ होगा, लेकिन धन का खर्च सोच- समझकर ही करें.मिथुन राशिसाहस और पराक्रम में वृद्धि होगी. मान- सम्मान और पद- प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी. व्यवसाय में लाभ के योग बनेंगे. भाई-बहन से मदद मिल सकती है. जीवनसाथी के साथ समय व्यतीत करने का अवसर मिलेगा. हर कार्य में सफलता प्राप्त करेंगे.कर्क राशिनौकरी और व्यापार में लाभ होगा. जीवनसाथी के साथ समय व्यतीत करें. धन का खर्च सोच- समझकर ही करें. आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलेगा. पारिवारिक जीवन में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.सिंह राशिलेन- देन के लिए समय शुभ है. निवेश से लाभ प्राप्त हो सकता है. आत्मविश्वास में वृद्धि होगी. समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होगी.सेहत में बदलाव देखने को मिलेंगे. परिवार का सहयोग प्राप्त होगा.कन्या राशिवाद- विवाद से दूर रहें. सेहत संबंधित समस्याएं हो सकती हैं. मानसिक तनाव हो सकता है. वैवाहिक जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.तुला राशियह समय आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है. इस समय निवेश किया जा सकता है. लेन- देन से लाभ होगा. नया वाहन या मकान खरीद सकते हैं. सरकारी क्षेत्रों में काम कर रहे लोगों को लाभ मिलेगा. कार्यक्षेत्र से जुड़े मामलों में सफलता मिलने के योग बनेंगे.वृश्चिक राशिप्रमोशन या आर्थिक लाभ के भी योग बनेंगे. किसी नए काम की शुरुआत के लिए सूर्य गोचर लाभकारी रहेगा. नौकरी की तलाश कर रहे लोगों को शुभ समाचार मिल सकता है. लेन- देन के लिए समय शुभ है. शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए ये समय किसी वरदान से कम नहीं है. आपको शुभ परिणाम प्राप्त होंगे.धनु राशिवैवाहिक जीवन सुखमय रहेगा. गोचर काल में संतान की उन्नति हो सकती है. आर्थिक पक्ष मजबूत होगा. इस समय निवेश करने से लाभ होगा. अनुकूल परिणाम प्राप्त होंगे. इस दौरान आपको मानसिक शांति भी मिलेगी. इस समय निवेश करने से लाभ होगा.मकर राशिस्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. किसी बाहरी व्यक्ति पर भरोसा करने से पहले अच्छी तरह सोच- विचार कर लें. धन- लाभ होगा. मिले- जुले परिणाम मिलेंगे. वाद- विवाद से दूर रहें.कुंभ राशिवाद- विवाद से दूर रहें. जीवनसाथी से मतभेद हो सकता है. धैर्य से काम लें. इस समय नया कार्य शुरू न करें. सावधान रहने की आवश्यकता है.मीन राशियह समय आपके लिए सामान्य रहेगा. परिवार के सदस्यों का सहयोग मिलेगा. धन- लाभ होगा. इस समय स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें.जीवनसाथी के साथ समय व्यतीत करेंगे.
- ज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक, जब शनि देव किसी पर प्रसन्न होते हैं तो उनके सभी कष्टों को दूर कर लेते हैं। शनि महाराज का आशीर्वाद पाने के लिए शनि चालीसा का पाठ बहुत ही कारगर उपाय है। शानि देव को प्रसन्न करने के लिए शनि चालीसा या पाठ किया जाता है। इसे करने से घर में सुख- समृद्धि आती है। साथ ही घर में धन की कमी नहीं होती है। इस पाठ को करने से सभी परेशानियां दूर हो जाती है। शनि चालीसा का पाठ इस प्रकार है -|| अथ श्री शनिदेव चालीसा पाठ |||| दोहा ||जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज।करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥|| चौपाई ||जयति जयति शनिदेव दयाला। करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥चारि भुजा, तनु श्याम विराजै। माथे रतन मुकुट छबि छाजै॥परम विशाल मनोहर भाला। टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥कुण्डल श्रवण चमाचम चमके। हिय माल मुक्तन मणि दमके॥कर में गदा त्रिशूल कुठारा। पल बिच करैं अरिहिं संहारा॥पिंगल, कृष्णो, छाया नन्दन। यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन॥सौरी, मन्द, शनी, दश नामा। भानु पुत्र पूजहिं सब कामा॥जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं। रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं॥पर्वतहू तृण होई निहारत। तृणहू को पर्वत करि डारत॥राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो। कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो॥बनहूँ में मृग कपट दिखाई। मातु जानकी गई चुराई॥लखनहिं शक्ति विकल करिडारा। मचिगा दल में हाहाकारा॥रावण की गति-मति बौराई। रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई॥दियो कीट करि कंचन लंका। बजि बजरंग बीर की डंका॥नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा। चित्र मयूर निगलि गै हारा॥हार नौलखा लाग्यो चोरी। हाथ पैर डरवायो तोरी॥भारी दशा निकृष्ट दिखायो। तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो॥विनय राग दीपक महं कीन्हयों। तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों॥हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी। आपहुं भरे डोम घर पानी॥तैसे नल पर दशा सिरानी। भूंजी-मीन कूद गई पानी॥श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई। पारवती को सती कराई॥तनिक विलोकत ही करि रीसा। नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा॥पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी। बची द्रौपदी होति उघारी॥कौरव के भी गति मति मारयो। युद्ध महाभारत करि डारयो॥रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला। लेकर कूदि परयो पाताला॥शेष देव-लखि विनती लाई। रवि को मुख ते दियो छुड़ाई॥वाहन प्रभु के सात सुजाना। जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना॥जम्बुक सिंह आदि नख धारी। सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं। हय ते सुख सम्पति उपजावैं॥गर्दभ हानि करै बहु काजा। सिंह सिद्धकर राज समाजा॥जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै। मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी। चोरी आदि होय डर भारी॥तैसहि चारि चरण यह नामा। स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा॥लौह चरण पर जब प्रभु आवैं। धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं॥समता ताम्र रजत शुभकारी। स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी॥जो यह शनि चरित्र नित गावै। कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥अद्भुत नाथ दिखावैं लीला। करैं शत्रु के नशि बलि ढीला॥जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई। विधिवत शनि ग्रह शांति कराई॥पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत। दीप दान दै बहु सुख पावत॥कहत राम सुन्दर प्रभु दासा। शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा॥|| दोहा ||पाठ शनिश्चर देव को, की हों 'भक्त' तैयार।करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार॥
- शुभ रक्षाबन्धन 2021Happy Raksha-Bandhan 2021
(भूमिका - आज रक्षाबन्धन का पावन पर्व है, अतः आप सभी नियमित सुधी पाठक समुदाय को अनंत अनंत शुभकामनायें. विगत एक वर्ष से 'धर्म-अध्यात्म' के इस स्तम्भ में जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा कलिमलग्रसित हम दुःख-संतप्त जीवों के कल्याण के लिये दिये गये दिव्य उपदेशों का, प्रवचनों एवं उनके रस-साहित्यों का पठन-चिन्तन करते आ रहे हैं। भविष्य में भी भगवत्कृपा के आश्रय में रहते हुये उनकी प्रेरणा से इस श्रृंखला को निरन्तर बनाये रखने का प्रयास किया जायेगा। इसके 374-वें अंक में आइये आज 'रक्षाबन्धन' के अवसर पर उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत इस उपदेश का चिन्तन करें कि वास्तविक 'रक्षाबन्धन' क्या है, वास्तविक 'रक्षक' आखिर कौन है..?)....
"'आजु रक्षा बंधन गोविंद राधे,रक्ष रक्ष रक्ष दोउ गलबहियाँ दे..'
'रक्षा करे हरि गुरु गोविंद राधे,मायाधीन भैया रक्षा करे ना बता दे..'
रक्षा तो वो करे जो हमेशा साथ रहे. किस बेटे के साथ बाप हमेशा रहेगा? किस बीबी के साथ उसका पति हमेशा रहेगा? किस बहिन के साथ भाई हमेशा रहेगा? लेकिन भगवान् हमारा बाप, हमारा भाई, हमारा बेटा, ऐसा है जो सदा हमारे साथ रहता है. एक बटा सौ सेकंड को भी हमसे अलग नहीं जाता :
सयुजा सखाया समानं वृक्षम् परिषस्वजाते. (श्वेताश्वेतरोपनिषद 4-6)
समाने वृक्षे पुरुषो निमग्नोनिशया शोचति मुह्यमानः. (श्वेताश्वतरोपनिषद 4-7)
प्रतिक्षण,
एको देवः सर्वभूतेषु गूढ़: सर्वव्यापी सर्वभूतान्तरात्मा. (श्वेताश्वतरोपनिषद 7-11)
ईश्वरः सर्वभूतानां हृद्येशेर्जुन तिष्ठति. (गीता 18-61)
वो बैठा है वहाँ. आता जाता है? नहीं. जीव उसी में रहता है. 'य आत्मनि तिष्ठति' (वेद)
वेद कहता है, ये जीव परमात्मा में रहता है. देखो ! ये जो आप लोगों के यहाँ ये लाइट हो रही है, ये पंखें चल रहे हैं. ये क्या है? इलैक्ट्रिसिटी, बिजली. ये बिजली जो है, पॉवर हाउस से लगी है न. हाँ ! आती जाती है. न न न. आती जाती होगी तो जलती बुझती रहेगी. उससे लगी है तब तक लाइट है. लगना बंद हो गया पॉवर हाउस से, बस अंधेरा हो गया.
चेतनश्चेतनानामेको बहूनां यो विदधति कामान्.(श्वेताश्वतरोपनिषद 6-13)
वेद कहता है - ये चेतन जो है जीव, इसमें चेतना देता रहता है प्रतिक्षण. तब ये हम चेतन हैं. वो अगर चेतना देना बंद करे तो हम जीरो बटे सौ हो जायें. जैसे ये तकिया ऐसे हो जायें (दिखाते हुए). तो वो (भगवान्) हमारी रक्षा करता है. मां के पेट में हम उल्टे टंगे रहे, उल्टे. अगर उसी तरह उल्टा आपको कोई टाँग दे, दो हफ्ते को उल्टा, पैर ऊपर सिर नीचे, तो पहलवान भी जीरो बटे सौ हो जाय. इतना कोमल हमारा शरीर था माँ के पेट में, उल्टे टंगे रहे, लेकिन वो रक्षा करता रहा. रक्षा किया उसने पैदा होते ही, उसने फिर रक्षा किया, माँ के स्तन में दूध बना दिया, फिर संसार बना दिया. फिर रक्षा किया, खाने-पीने का सामान और हर क्षण हमारे साथ चेतना दे रहा है, हमारे पूर्व जन्म के कर्मों के हिसाब का फल दे रहा है. वर्तमान काल के कर्मों को नोट करके जमा कर रहा है. इतनी रक्षा करता है वो (भगवान्)......
...तो रक्षाबंधन के दिन हरि-गुरु से रक्षा की आशा करके और उनके शरणागत होकर के हमको अपनी रक्षा करवानी चाहिए...."
--- जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज
★★★ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(5) www.youtube.com/JKPIndia(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - कई बार कड़ी मेहनत करने के बावजूद हमें वो परिणाम नहीं मिल पाते जिसके हम हकदार हैं. आमतौर पर लोग इसको भाग्य से जोड़कर देखते हैं. ये सच है कि सफलता प्राप्त करने के लिए मेहनत और भाग्य दोनों का कॉम्बिनेशन जरूरी है. लेकिन कई बार हमारे नुकसान का जिम्मेदार भाग्य नहीं, बल्कि हमारी कुछ गलतियां होती हैं, जो हम अनजाने में करते हैं.वास्तु शास्त्र के मुताबिक कुछ चीजें ऐसी हैं, जिन्हें घर में रखने मात्र से ही नकारात्मकता आती है. इससे हमारे कामों में विघ्न आने लगता है. मेहनत के बावजूद सफलता नहीं मिल पाती और आर्थिक नुकसान बहुत होता है. यहां जानिए उन चीजों के बारे में और अगर ये चीजें आपके भी घर में हैं तो इन्हें आज ही घर से बाहर कर दें.1. अगर आपके घर में टूटे बर्तन, चटका शीशा, बंद घड़ी, टूटे दीपक, खराब इलेक्ट्रॉनिक आइट्म और पुरानी झाड़ू है तो इन्हें आज ही घर से बाहर कर दें. इन चीजों से हमारी तरक्की बाधित होती है. ऐसे में मां लक्ष्मी घर में ठहर नहीं पातीं और आर्थिक नुकसान होता है.2. अगर आप अपने पास फटा पर्स रखते हैं या पर्स में भगवान की फटी तस्वीर है तो इसे हटा दें. इससे आपको पैसों का नुकसान होता है. आर्थिक तरक्की के लिए अपने पर्स में 5 इलाएची रखें. इन्हें शुभ माना जाता है. इसके अलावा घर में अगर टूटी तिजोरी हो, तो उसे भी हटा दें.3. घर में कांटेदार पौधे या ऐसे पौधों की तस्वीर, ताजमहल की मूर्ति या तस्वीर, महाभारत या किसी युद्ध की तस्वीर, जंगली हिंसक जानवर या डूबती नाव आदि की तस्वीर नहीं रखनी चाहिए. ये चीजें घर में नकारात्मकता लाती हैं और व्यक्ति को असफलता के मार्ग की ओर धकेलती हैं. इससे घर में क्लेश और झगड़े बढ़ते हैं.4. छत पर कबाड़ इकट्ठा करने और छत को गंदा रखने से भी बरकत नहीं आती है. इससे मानसिक उलझनें खत्म होने का नाम नहीं लेतीं और आर्थिक नुकसान होता है.
-
भाई-बहन के स्नेह का पर्व रक्षाबंधन पर 22 अगस्त को शोभन योग और धनिष्ठा नक्षत्र का संयोग बन रहा है। सुबह शोभन योग और शाम को धनिष्ठा नक्षत्र होने से यह शुभ फलदायी होगा। सुबह से लेकर शाम तक बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांध सकेंगी। सुरेश्वर महादेव पीठ के संस्थापक पंडित राजेश्वरानंद सरस्वती के अनुसार 21 अगस्त को शाम 3.45 बजे से पूर्णिमा तिथि शुरू होकर 22 अगस्त को शाम 5.58 बजे तक रहेगी।
रक्षाबंधन के दिन सुबह 6.15 से लेकर 10.34 बजे तक शोभन योग है और धनिष्ठा नक्षत्र 7.39 बजे तक रहेगा। सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक राखी बांधी जा सकेगी। सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त दोपहर 12.04 से 12.58 बजे तक अभिजीत मुहूर्त और 1.44 से 4.03 बजे तक शुभ मुहूर्त है।
भाई को उत्तर या पूर्व दिशा की तरफ मुख करके बिठाएं। माथे पर तिलक लगाकर आरती उतारें। बड़े भाई के चरण स्पर्श करके मंत्र पढ़ें। यह मंत्र पढ़कर बहनें, भाई को रक्षा सूत्र बांध सुख समृद्धि की कामना करें।
भाई की राशि अनुसार रक्षा सूत्र
मेष - लाल रंग की राखी बांधकर मालपुआ खिलाएं, मानसिक शांति मिलेगी।
वृषभ - सफेद रेशमी डोरी वाली राखी बांध रसमलाई खिलाने से नौकरी व्यापार में लाभ।
मिथुन - हरे रंग की राखी बांध हरी बर्फी, गुलाब जामुन खिलाएं। विचार शक्ति बढ़ेगी।
कर्क - सफ़ेद रेशम वाली राखी बांध कलाकंद, बादाम कतली खिलाने से मान-सम्मान बढ़ेगा।
सिंह - नारंगी राखी बांध घेवर, बालुशाही खिलाने से नौकरी, शिक्षा में लाभ।
कन्या - गणेशजी के प्रतीक वाली राखी बांध, मोतीचूर के लड्डू खिलाने से वैवाहिक जीवन सुखदायी।
तुला - रेशमी हल्के गुलाबी डोरे वाली राखी बांध काजू कतली, मावा बर्फी खिलाएं। व्यवसाय में लाभ।
वृश्चिक - चमकीला लाल रंग की राखी बांधें। पंचमेवा बर्फी, अंजीर कतली खिलाएं। बीमारी में राहत।
धनु - पीले धागे की राखी बांधें। बेसन चक्की, जलेबी खिलाएं। नौकरी, व्यापार में लाभ
मकर - बैंगनी राखी बांधकर गुलाब जामुन खिलाने से बाधा निवारण।
कुंभ - नीले धागे वाली राखी बांध हलवा, सोन पपड़ी खिलाएं। धन संपत्ति लाभ।
मीन - पीले धागे वाली राखी बांध, केसर बाटी खिलाएं। मन पवित्र रहेगा।
== - गरुड़ पुराण में बताया गया है कि किसी भी व्यक्ति के जन्म मरण का सिलसिला तब तक खत्म नहीं होता, जब तक आत्मा को मोक्ष नहीं मिल जाता। मरने के बाद व्यक्ति के कर्मों के हिसाब से आत्मा स्वर्ग, नर्क या पितृलोक में जाती है और कर्मफल को भोगती है। वहां की अवधि समाप्त होने के बाद आत्मा फिर से नया शरीर धारण करके धरती पर जन्म लेती है।धरती पर पुनर्जन्म लेने के बाद व्यक्ति को ये याद नहीं रहता कि जन्म से पहले वो किस लोक में था, लेकिन गरुड़ पुराण में बताया गया है कि अगर कोई व्यक्ति स्वर्ग लोक के सुख भोगकर आया है, तो उसके अंदर जन्म लेने के बाद कुछ विशेष गुण पाए जाते हैं। उन गुणों से आप इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि उस व्यक्ति की आत्मा इस जन्म से पहले स्वर्ग लोक में थी। यहां जानिए उन विशेष गुणों के बारे में.....-स्वर्ग से लौटने वाली आत्मा में दूसरों के प्रति दयाभाव होता है। वो हमेशा दूसरों के हित में सोचते हैं और गरीब, असहायों की नि:स्वार्थ मदद करते हैं। कहा जाता है कि ऐसे कर्म करने वालों के घर पर परमेश्वर हमेशा वास करते हैं, क्योंकि भगवान ने भी जब भी धरती पर जन्म लिया है तो जनहित के ही कार्य किए हैं।- दान से बड़ा कोई धर्म नहीं है। जो व्यक्ति स्वर्ग से लौटकर धरती पर आता है, उसमें दान करने की भावना निहित होती है। वो किसी लाभ के लिए दान नहीं करता, बल्कि लोगों की मदद के लिए ऐसा करता है। ऐसा व्यक्ति दूसरों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहता है और ये सब करने से उसे मानसिक शांति प्राप्त होती है।-स्वर्ग से लौटा व्यक्ति का लोगों के साथ व्यवहार काफी अच्छा होता है। वो सभी का प्रिय होता है और उनके हित के विषय में सोचता है। अपनी वाणी से वो लोगों का मन जीत लेता है और जहां भी जाता है, वहां सम्मान प्राप्त करता है। ऐसा व्यक्ति हमेशा लोगों को प्रोत्साहित करता है और उन्हें धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।- स्वर्ग से धरती पर जन्म लेने वाले व्यक्ति की आत्मा पवित्र होती है। ऐसा व्यक्ति बहुत मिलनसार होता है। अपने कर्मों से वो अपना स्थान स्वयं बनाता है। उसके दांत बहुत सुंदर होते हैं और उसके कर्मों का प्रताप उसके दांतों पर भी नजर आता है।-स्वर्ग से आए व्यक्ति पर हमेशा भगवान की कृृपा रहती है। उसकी सेहत अच्छी रहती है और वो बड़े से बड़े संकट से बाहर निकलने का हौसला रखता है। ऐसा व्यक्ति समाज की सेवा करने का हर संभव प्रयास करता है और तमाम पुण्य करके अपना कीर्तिमान स्थापित करता है।
- संकटमोचन हनुमान जी के चित्र या प्रतिमा को ध्यान में रखते हुए वास्तु में कई नियम बताए गए हैं -संकटमोचन हनुमान भगवान की शरण जो मनुष्य आता है उसके सारे दुख दर्द दूर हो जाते हैं। उस पर भगवान संकटमोचन की कृपा के साथ-साथ भगवान राम और भगवान शंकर की कृपा भी बन जाती है। हर मंदिर में हनुमान जी की प्रतिमा या फिर चित्र जरूर देखने को मिलता है। वास्तुशास्त्र में घर में देवी देवताओं के चित्र को लगाने की सही दिशा होती है जिससे घर में सुख शांति बनी रहती है। वास्तु के नियमों के अनुसार सही दिशा में सही तरह से संकटमोचन हनुमान की तस्वीर लगाई जाए तो कई लाभ हो सकते हैं।1. हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी हैं इसीलिए उनका चित्र या प्रतिमा अपने शयनकक्ष में भूलकर भी ना रखें। उसे अपने घर के मंदिर में या फिर किसी अन्य पवित्र स्थान पर ही रखें।2. हनुमान जी का चित्र दक्षिण दिशा की ओर देखते हुए लगाना चाहिए यह चित्र बैठी मुद्रा में और लाल रंग का होना चाहिए। हनुमानजी का प्रभाव अधिकतर इसी दिशा में दिखाया जाता है- जैसे लंका दक्षिण में थी, सीता माता की खोज दक्षिण से आरंभ हुई और लंका दहन और राम रावण का युद्ध भी दक्षिण दिशा में ही हुआ।3. दक्षिण दिशा में हनुमान जी को विशेष बलशाली दिखाया गया है। इसी प्रकार माना जाता है कि उत्तर दिशा में हनुमान जी का चित्र या प्रतिमा लगाने पर दक्षिण दिशा से आने वाली प्रत्येक दुर्घटना और परेशानियों को हनुमान जी रोक देते हैं .। वास्तु शास्त्र के अनुसार इससे घर में सुख और समृद्धि का समावेश होता है और दक्षिण दिशा से आने वाली हर बुरी ताकत को हनुमान जी रोक देते हैं।4. कहते हैं जिस रूप में संकटमोचन अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर रहे हैं, ऐसे चित्र या प्रतिमा को लगाने से किसी भी तरह की बुरी शक्ति आपके घर में प्रवेश नहीं कर सकती।
- रक्षाबंधन भाई-बहन के पवित्र प्रेम का त्यौहार है। इस दिन बांधा गया राखी का यह सूत्र मात्र एक धागा नहीं बल्कि यह भाई को अकाल मृत्यु के भय से भी बचाता है और उसके जीवन में आने वाली परेशानियों से छुटकारा दिलाता है। रक्षाबंधन को सलोनो नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने के बाद सूर्य को अध्र्य देने से सभी पापों का नाश हो जाता है। इस पवित्र दिन पंडित और ब्राह्मण पुरानी जनेऊ का त्याग कर नई जनेऊ धारण करते हैं। इस मंगलमय पावन और पवित्र त्योहार को मनाते हुए हमें कुछ बातों का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए ....राखी बांध के वक्त बहन कुछ बातों का ध्यान रखें*1*रक्षाबंधन के दिन बहन को सूर्योदय होने से पहले उठकर स्नान कर लेना चाहिए और स्वच्छ वस्त्रों को धारण करना चाहिए ।2*इसके बाद अपने इष्ट देव की पूजा करनी चाहिए ।3*बहन जो राखी अपने भाई के कलाई में बांधनी है उसकी भी पूजा स्वर्ण, केसर, चन्दन, अक्षत और दूर्वा रख कर करनी चाहिए ।4*राखी की खाली सजाते समय थाली के अंदर बहन को रोली, कुमकुम, अक्षत, पीली सरसों के बीज, दीपक और राखी रखनी चाहिए।5*राखी की पूजा के बाद बहन भाई को तिलक लगाकर उसके दाहिने हाथ में रक्षा का पवित्र सूत्र यानी कि राखी बांधें ।6*भाई को तिलक करने के बाद टीके पर अक्षत जरूर लगाएं फिर भाई को मिठाई खिलाएं ।7*भाई को अपनी बहन के पैर छुकर उसका आर्शीवाद लेना चाहिए और अपने सामथ्र्य के अनुसार भाई को अपनी बहन को कुछ भी उपहार भी करना चाहिए ।8*भाई को राखी बांधने से पहले बहनों को कुछ भी ग्रहण नहीं करना चाहिए ।रक्षाबंधन पर भाई क्या ना करें*1*रक्षाबंधन के दिन मास या मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए ।2* भाई को किसी भी प्रकार का झूठ अपनी बहन से नहीं बोलना चाहिए ।3*रक्षाबंधन के दिन बहन को नाराज न करें और न हीं किसी भी स्त्री का अपमान करें ।4*भाई को चाहिये की वह अपनी बहन को राखी के लिए इंतजार न कराएं ।5*भाई को रक्षाबंधन के दिन बहन पर गुस्सा नहीं करना चाहिए औरअगर बहन से कोई गलती भी हो जाए तो उसे माफ कर देना चाहिए ।6.रक्षाबंधन पर भाई को अपनी बहन और अपने से बड़ों का आर्शीवाद लेना चाहिए ।
- रक्षाबंधन एक अति प्राचीन पर्व है जो हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व में बहनें अपने भाइयों के हाथ में रेशम के धागों का एक सूत्र बांधती है और उसकी रक्षा की कामना करती है। किन्तु आपको ये जानकर हैरानी होगी कि सर्वप्रथम रक्षाबंधन का प्रसंग पति और पत्नी के सन्दर्भ में आता है। जब प्रथम देवासुर संग्राम में दैत्य देवों पर भारी पडऩे लगे और देवों की पराजय सामने थी तब देवराज इंद्र अपने गुरु बृहस्पति के पास पहुंचे और उन्हें अपनी व्यथा बताई। उनकी पत्नी इन्द्राणी भी वहीं बैठी थी। उन्होंने अपने वस्त्र से रेशम का एक धागा अलग किया और उसे अभिमंत्रित कर इंद्र की रक्षा हेतु उनकी कलाई पर बांध दिया। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी। उस रक्षा कवच के कारण इंद्र उस संग्राम में विजय हुए। तब से ही रक्षाबंधन के इस पवित्र पर्व का आरम्भ हुआ।रक्षाबंधन हो लेकर कई धार्मिक कहानियां प्रचलित हैं....जैसे--प्राचीन काल में जब हयग्रीव नामक राक्षस ने वेदों का अपहरण कर लिया तब आज ही के दिन भगवान विष्णु ने हयग्रीव अवतार लेकर उसका वध किया और वेदों की रक्षा की। तब से आज के दिन को रक्षा दिवस के नाम से जाना जाता है।-सूर्यदेव की पुत्री यमुना द्वारा भी यमराज को राखी बांधने का प्रसंग हमें पुराणों में मिलता है। भाईदूज की शुरुआत भी यही से हुई।-भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर दैत्यराज बलि का मान मर्दन किया और उन्हें पाताल का राज्य दे दिया। उनकी आज्ञा का पालन करते हुए दैत्यराज बलि पाताल तो चले गए किन्तु वहां जाकर उन्होंने नारायण की घोर तपस्या की। जब श्रीहरि प्रसन्न हुए तब बलि ने वरदान माँगा कि वे वही पाताल में रहें। तब भगवान विष्णु वहीं पाताललोक में स्थित हो गए। जब माँ लक्ष्मी को इस बात की जानकारी हुई तब वे घबरा कर पाताललोक पहुँची और दैत्यराज बलि की कलाई में रेशम की डोर बांध कर अपनी रक्षा की गुहार लगाई। इससे बलि ने देवी लक्ष्मी को अपनी भगिनी मानते हुए उन्हें उनकी रक्षा का वचन दिया। तब देवी लक्ष्मी ने दैत्यराज बलि से अपने पति को वापस मांग लिया। तब से भाइयों द्वारा बहनों को वचन के साथ-साथ कुछ उपहार देने की प्रथा भी चली और दैत्यराज बलि के नाम पर इस पर्व का एक नाम "बलेव" भी पड़ा। यही कारण है कि रक्षासूत्र बांधते हुए हम इस मन्त्र का उच्चारण करते हैं: येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥ - अर्थात: जिस सूत्र से महान दानवेन्द्र बलि को बांधा गया था, उसी रक्षासूत्र से मैं तुम्हें बांधता हूँ। अत: हे रक्षे (राखी) तुम अपने संकल्प से कभी विचलित ना होना। तभी से आज तक ये मन्त्र किसी भी प्रकार के सूत्र को बांधते समय बोला जाता है।-एक बार श्रीगणेश के पुत्रों शुभ एवं लाभ ने अपने पिता को कहा कि उनकी कोई बहन नहीं है। उन्होंने अपने पिता से उन्हें एक बहन देने का अनुरोध किया। तब श्रीगणेश ने अपनी पत्नी रिद्धि एवं सिद्धि के सतीत्व के ताप से "संतोषी माता" को प्रकट किया। तब संतोषी मां द्वारा शुभ एवं लाभ को राखी बांधने का प्रसंग आता है।-रक्षाबंधन का एक प्रसंग महाभारत में तब आता है जब राजसु यज्ञ में शिशुपाल का वध करने के पश्चात सुदर्शन की धार से श्रीकृष्ण का रक्त बह निकला। तब द्रौपदी ने अपनी रेशमी साड़ी को चीर कर श्रीकृष्ण के घाव पर बांधा। तब श्रीकृष्ण ने सदैव द्रौपदी की रक्षा का वचन दिया और चीरहरण के समय अपने इस वचन का पालन भी किया।-महाभारत में ही जब युधिष्ठिर जब श्रीकृष्ण से संकटों से बचने का उपाय पूछते हैं तो श्रीकृष्ण उन्हें राखी का पर्व मनाने की सलाह देते हैं। यशोदा की पुत्री एकानंगा एवं सुभद्रा द्वारा श्रीकृष्ण एवं बलराम को रक्षासूत्र बांधने का प्रसंग भी आता है। इसके अतिरिक्त एक प्रसंग आता है जब युद्ध से पहले कुंती अभिमन्यु की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती हंै।-कम्ब एवं तमिल भाषा में रचित रामायण में भी ऋष्यश्रृंग की पत्नी और श्रीराम की बड़ी बहन शांता द्वारा चारों भाइयों को रक्षासूत्र बांधने का वर्णन भी है।-प्राचीन काल में जब विद्यार्थी अपनी पढ़ाई पूरी कर गुरुकुल से निकलता था तब उसके गुरु उसकी कलाई पर रक्षासूत्र बांधते थे ताकि वो उनके द्वारा प्राप्त की गयी विद्या का सदुपयोग कर सके।इसके अतिरक्त राखी का ऐतिहासिक महत्वव भी है। जब राजपूत युद्ध को जाते थे तब स्त्रियां उन्हें कुमकुम लगाने के साथ उनकी कलाई पर रेशमी रक्षासूत्र भी बांधती थी। एक ऐसा वर्णन है कि सिकंदर की पत्नी ने पोरस को अपनी पति की रक्षा के लिए राखी बंधी थी। यही कारण था कि पोरस सिकंदर पर प्रहार नहीं कर सका और पराजित हुआ। बाद में उसी रक्षासूत्र के कारण सिकंदर ने पोरस को सम्मानसहित उसका राज्य लौटा दिया।
- जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 373(आज से यह श्रृंखला नये रूप में प्रस्तुत की जा रही है!)
भारतवर्ष के 500 शीर्षस्थ शास्त्रज्ञ विद्वानों की सभा 'काशी विद्वत परिषत' द्वारा 14 जनवरी 1957 को 'पंचम मूल जगदगुरु' की उपाधि से विभूषित परमाचार्य जगदगुरु 1008 स्वामी श्री कृपालु जी महाराज द्वारा निःसृत प्रवचन हम सभी कलिमलग्रसित दुःखी जीवों के लिये महौषधि के समान है। अत्यंत सरल, सुगम शैली में आचार्यश्री ने गूढ़तम वैदिक ज्ञान का सार हमारे समक्ष प्रस्तुत किया है, वह निश्चय ही अद्वितीय तथा भगवत्प्रेमपिपासु व सर्व साधारण जनों के लिये अति उपयोगी है। आइये आज के अंक में प्रकाशित उनके दिव्य वचनों पर विचार करें....
★ 'जगदगुरुत्तम-ब्रज साहित्य'(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज विरचित साहित्य/ग्रन्थ)
धीरे धीरे शिशु बने युवा कह बामा।ऐसे ही माँगो सदा देंगी प्रेम श्यामा।।35।।
अर्थ ::: जैसे एक बालक धीरे धीरे ही युवा बनता है, ऐसे ही श्री किशोरी जी की शरण में जाकर उनसे सदा उनका दिव्य प्रेम माँगते रहो, अभ्यास करते करते जिस क्षण तुम्हारी याचना शत-प्रतिशत शरणागतियुक्त हो जायेगी, उसी क्षण किशोरी जी तुम्हें दिव्य प्रेम दे देंगी।
• सन्दर्भ ग्रन्थ ::: 'श्यामा श्याम गीत' दोहा संख्या 35---------------★ 'जगदगुरुत्तम-श्रीमुखारविन्द'(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा निःसृत प्रवचन का अंश)
...भगवान की भक्ति जितनी बढ़ाएगा, उतनी ही दुखों की फीलिंग कम होगी। इस प्वाइन्ट को नोट करो सब लोग। प्रारब्ध काटा नहीं जा सकता। बेटे को मरना है, बाप को मरना है, पति को मरना है, वो मरेगा अपने टाइम पर। तुम भगवान की भक्ति बढ़ाओ तो उसके मरने के दुःख की फीलिंग उतनी ही लिमिट में कम होगी। बस, ये तुम्हारी ड्यूटी है, तुम इतना कर सकते हो। तुम उसको बचा नहीं सकते हो। जो मरेगा, मरेगा। धन समाप्त होना है, दिवालिया बनना है, बनेगा...
• संदर्भ पुस्तक ::: प्रश्नोत्तरी (भाग - 2), पृष्ठ संख्या 81
★★★ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: © राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(5) www.youtube.com/JKPIndia(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - कुशल राजनीतिज्ञ, कूटनीतिज्ञ, समाजशास्त्री और प्रकांड अर्थशास्त्री आचार्य चाणक्य की बातों को आज के समय में भी याद किया जाता है. उनकी क्षमता और दूरदर्शिता का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि लोगों के बीच आज भी उनकी छवि एक मैनेजमेंट गुरू की तरह है जो जीवन की तमाम स्थितियों से सरलता से निपटने के तरीके बताते हैं. आचार्य की बातों का अनुसरण करके व्यक्ति तमाम मुसीबतों को आने से रोक सकता है और उनमें फंसने पर सरलता से बाहर निकल सकता है.आचार्य ने अपने नीति शास्त्र में लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए करीब करीब हर विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए हैं. आचार्य ने आहार से जुड़े तमाम नियमों के बारे में भी बताया है ताकि लोग सेहतमंद रहकर अपना जीवन गुजार सकें. जानिए आहार को लेकर आचार्य द्वारा कही गईं खास बातें.गुरच औषधि सुखन में भोजन कहो प्रमान,चक्षु इंद्रिय सब अंश में, शिर प्रधान भी जान.इस श्लोक के माध्यम से आचार्य ने गुरच यानी गिलोय के गुणों का बखान किया है और इसे सर्वश्रेष्ठ औषधि बताया है. श्लोक में आचार्य कहते हैं कि औषधियों में गुरच सर्वश्रेष्ठ है और सभी सुखों में भोजन परम सुख होता है. सभी इंद्रियों में आंखें सबसे महत्वपूर्ण हैं और मस्तिष्क सबसे प्रमुख है. इसलिए सेहतमंद भोजन करें, गुरच का सेवन करें, आंखों का खयाल रखें और दिमाग को तनावमुक्त रखें.राग बढत है शाकते, पय से बढत शरीर,घृत खाये बीरज बढे, मांस मांस गम्भीर.इस श्लोक में आचार्य ने कहा है कि शाक खाने से रोग बढ़ते हैं और दूध पीने से शरीर बलवान होता है. घी खाने से वीर्य में वृद्धि होती है और मांस आपके शरीर में मांस को ही बढ़ाता है.चूर्ण दश गुणो अन्न ते, ता दश गुण पय जान,पय से अठगुण मांस ते तेहि दशगुण घृत मान.इस श्लोक के माध्यम से आचार्य कहते हैं कि खड़े अनाज की तुलना में पिसा हुआ अन्न 10 गुना ज्यादा पौष्टिक होता है. पिसे अन्न से दस गुना ज्यादा पौष्टिक दूध होता है. दूध से आठ गुना पौष्टिक मांस होता है और मांस से भी 10 गुना पौष्टिक घी होता है.
- हीरा स्टेटस सिंबल भी होता है और इसकी ज्वेलरी भी देखने में काफी आकर्षक लगती है. ज्योतिष के अनुसार हीरा शुक्र ग्रह का रत्न होता है. शुक्र ग्रह मजबूत होने से जीवन विलासितापूर्ण गुजरता है. लेकिन ज्योतिष विशेषज्ञों का मानना है कि हीरा हर किसी को नहीं पहनना चाहिए क्योंकि ये हर व्यक्ति के लिए शुभ फलदायी नहीं होता. अगर आप बगैर किसी परामर्श के हीरा धारण करते हैं तो आपको इसके अशुभ फल प्राप्त हो सकते हैं. ज्योतिष के मुताबिक इन 5 राशियों इन स्थितियों में बगैर ज्योतिषीय परामर्श के हीरा नहीं पहनना चाहिए.मेष : अगर आप मेष राशि के हैं और आपका शुक्र दूसरे या सातवें भाव का स्वामी है तो आपको हीरा नहीं पहनना चाहिए. ऐसे में ये रत्न आपके लिए काफी मुश्किलें पैदा कर सकता है.कर्क : कर्क राशि के लोगों को सामान्य रूप से हीरा धारण नहीं करना चाहिए. लेकिन अगर आप पर शुक्र की महादशा चल रही है तो हीरा आपके लिए लाभकारी साबित हो सकता है. इसलिए किसी ज्योतिषाचार्य से परामर्श के बाद ही इसे पहनें.सिंह : इस राशि के लोगों के लिए शुक्र ग्रह शुभ नहीं माना जाता, इसलिए इन्हें हीरा नहीं पहनना चाहिए. इन्हें कभी भी बगैर परामर्श के हीरा नहीं पहनना चाहिए वर्ना अशुभ फल प्राप्त होते हैं.वृश्चिक : इस राशि के लग्न के स्वामी मंगल हैं और मंगल व शुक्र में शत्रुता होती है. इसलिए इन लोगों के लिए भी हीरा अशुभ फल देने वाला होता है. यदि ये हीरा पहन लें तो इनके जीवन में ढेरों समस्याएं आ सकती हैं.धनु : इस राशि के लोग अगर हीरा पहनें तो इनके जीवन में स्वास्थ्य सबन्धी कई तरह की समस्याएं सामने आती हैं. इसलिए इन्हें हीरा नहीं पहनना चाहिए.मीन : मीन राशि शुक्र ग्रह तीसरे व आठवें भाव के स्वामी हैं. इसके अलावा मीन राशि के लग्न के स्वामी बृहस्पति हैं जो देव गुरू हैं, जबकि शुक्र दैत्य गुरू हैं. इनके बीच शत्रुता होती है. इसलिए मीन राशि के लोग अगर हीरा पहनें तो अशुभ फल प्राप्त होते हैं और तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
- जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 372
(भूमिका - साधक को सदा गुरु के सिद्धान्त के अनुकूल ही सोचना, चलना चाहिये. इसके अतिरिक्त और कुछ महत्वपूर्ण मार्गदर्शन, जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज की श्रीवाणी में...)...मनुष्य में एक ही विशेषता है, वह यह कि वह किसी तत्व का सत्य ज्ञान प्राप्त कर सकता है। लेकिन जब तक उस तत्व के अनुकूल बार-बार विचार न किया जाय, वह ज्ञान मिट जाता है एवं मनुष्य को और भी पतन के गर्त में गिरा देता है।बार-बार विचार हो और सदा हो, और अनुकूल ही हो, बस, यदि यह समझ में कभी आ जायेगा तो भविष्य बन जायेगा। इसके साथ यह भी ध्यान रखना होगा कि इष्टदेव एवं गुरु के प्रति निष्ठा करता रहे। यदु वहीं गड़बड़ हुई तो सब महल ढह जायेगा। और ऐसे व्यवहार से इष्टदेव अथवा गुरु को और भी दुःख देने के हम कारण बन जायेंगे। भावार्थ यह कि चार पैसे की खोपड़ी को उधर न लगाया जाए, सदा अनुकूल चिन्तन एवं कृपा को ही सोचा जाय। संसारी जीवों से कम से कम व्यवहार किया जाय, कम से कम सोचा जाय, कम से कम सुना जाय, कम से कम बोला जाय।केवल गुरु के मिलन का महत्व सोच-सोचकर ही जीव का परम कल्याण हो सकता है क्योंकि वह प्रत्यक्ष है। यदि बुद्धि का व्यापार बंद न होगा तो अनन्त जन्म में भी कुछ न मिलेगा। यही एकमात्र विचारणीय है।०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज०० सन्दर्भ ::: अध्यात्म सन्देश पत्रिका, नवम्बर 1999 अंक०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
+++ ध्यानाकर्षण/नोट ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) -
जीवन में अपने घर के लिए व्यक्ति दिन-रात जुटा रहता है। वर्तमान में जमीन की कमी और अधिक लोगों को आवास उपलब्ध कराने के लिए फ्लैट का चलन बढ़ा है। शहरों में मल्टीस्टोरी बिल्डिंग बन रही हैं। आवास में सुख-शांति और समृद्धि के लिए वास्तु के नियमों का पालन करना बहुत जरुरी है। मकान केवल चार दीवारों से घिरी हुई आकृति नहीं है। यदि घर में शांति नहीं है तो सब बेकार है। ऐसे में यदि आप भी फ्लैट लेने का विचार कर रहे हैं तो वास्तु के नियमों का आकलन अवश्य कराएं। जानिए फ्लैट खरीदते वक्त किन बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए।
-भूमि के बारे में पूरी जानकारी अवश्य लें। जमीन कैसी है, भवन निर्माण से पहले भूमि किस काम के लिए प्रयुक्त होती थी, इसका पता करें। बिल्डिंग बनाने से पहले जमीन पर कोई क्रब या कब्रिस्तान तो नहीं था। वास्तु नियमों के अनुसार बिल्डिंग के नीचे दबी वस्तु सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती हैं। हालांकि तीन मंजिल से ऊपर फ्लैट पर इस तरह के दोष का असर नहीं होता। यानी तीन मंजिल से ऊपर का फ्लैट है तो फिर बिल्डिंग की जमीन की पूर्व स्थिति अधिक मायने नहीं रखती।
-घर में रसोई सबसे महत्वपूर्ण है। फ्लैट में रसोई की स्थिति को अवश्य जांच लें। आग्नेय कोण में बनी रसोई सबसे श्रेष्ठ होती है। इस दिशा में बिजली के उपकरण रखने में भी कोई परेशानी नहीं होती है। यदि फ्लैट वास्तु के अनुसान निर्मित है तो इस दिशा के स्वामी ग्रह प्रसन्न रहते हैं। इससे घर में सुख-समृद्धि और प्रसन्नता बनी रहती है।
-फ्लैट में ध्यान रखें बाथरूम और टॉयलेट नैऋत्य दिशा यानी दक्षिण-पश्चिम और ईशान कोण में नहीं होना चाहिए। यदि ऐसा है तो घर में कलह और तनाव बना रहेगा। उत्तर-पूर्वी यानी ईशान कोण जल का प्रतीक है। यहां पीने के पानी का स्रोत होना चाहिए। वायव्य कोण में सेप्टिक टैंक एवं शौचालय हेाना उत्तम रहता है।
-भवन में बेडरूम पूर्व-दक्षिण दिशा में नहीं होना चाहिए। ऐसा होने पर जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। खुशियां प्रभावित होने लगती हैं। - जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 371
(भूमिका - परमार्थ के विषय में विचार करते हुये हमें इस निष्कर्ष पर पहुँचकर कि हरि और गुरु ही हमारे वास्तविक हितैषी हैं; इसे दृढ़तापूर्वक बुद्धि में बिठा लेना है। जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा निःसृत इस प्रवचन में इसी सत्य को सरलतम रूप में निरुपित किया गया है। आचार्यश्री ने यह प्रवचन 13 नवम्बर 2006 को भक्तिधाम मनगढ़ में दिया था....)
हरि गुरु सोइ तेरा गोविन्द राधे।स्वार्थ सिद्ध होगा यह मन में बिठा दे।।(स्वरचित दोहा)
परमार्थ के लाभ के लिये केवल एक बात बुद्धि में बैठाना है, बैठाना है, उठने न पावे ऐसा बैठाओ अर्थात सदा सर्वत्र ये ज्ञान बना रहे कि हमारा स्वार्थ हरि-गुरु से 'ही' सिद्ध होगा, 'भी' नहीं। हरि, गुरु से 'ही' हमारा स्वार्थ सिद्ध होगा। वेद कहता है;
न वा अरे पत्यु: कामाय पतिः प्रियो भवात्यात्मनस्तु कामाय पतिः प्रियो भवति। न वा अरे सर्वस्य कामाय सर्वं प्रियं भवात्यात्मनस्तु कामाय सर्वं प्रियं भवति। आत्मा वा अरे द्रष्टव्य: श्रोतव्यो मन्तव्यो निदिध्यासितव्यो मैत्रेयी।(बृहदारण्यकोपनिषद 4-5-6)
अर्थात संसार में सब जीव स्वार्थ से ही प्यार करते हैं। जहाँ उनकी बुद्धि ने बताया, यहाँ स्वार्थ सिद्ध होगा बस वहाँ प्यार हो गया। हो गया, करना नहीं पड़ता, प्रैक्टिस नहीं करना और वो भी जितनी मात्रा में स्वार्थ सिद्ध होने की बात बुद्धि में बैठी उतनी मात्रा का प्यार होगा, जैसे पड़ोसी से थोड़ा सा स्वार्थ सिद्ध होगा, तो थोड़ा सा प्यार होगा, नौकर से ज्यादा स्वार्थ सिद्ध होगा तो उससे अधिक प्यार होगा, दोस्त से और स्वार्थ सिद्ध होगा, बेटा-बेटी से और अधिक स्वार्थ सिद्ध होगा, स्त्री-पति से और अधिक स्वार्थ सिद्ध होगा, ऐसा संसार में हम अनुभव करते हैं और उसी के आधार पर हम प्यार करते हैं।
नम्बर दो; जिस सेकण्ड में उसी स्त्री, पति या बेटे किसी से भी हमारी बुद्धि में आया कि नहीं वो जो हमने सोचा था इससे सेन्ट परसेन्ट स्वार्थ सिद्ध होगा, गलत था। फिफ्टी परसेन्ट होगा, वो डाउन हो गया आपका प्यार। अरे! नहीं बिल्कुल नहीं होगा, ये तो हमारा दुश्मन है बस एबाउट टर्न हो गया। रोज डेली दिन भर आप लोग ये अनुभव करते हैं, हर जगह। यह बृहदारण्यकोपनिषद का बड़ा इम्पोर्टेन्ट मंत्र है ये। सब अपनी आत्मा से प्यार करते हैं, अपने स्वार्थ से प्यार करते हैं, जहाँ कहीं भी, ये बुद्धि ने बता दिया। सारा दारोमदार बुद्धि पर है और परिवर्तन करती रहती है बुद्धि। एक ही पति, एक ही बीबी, एक ही बेटे से दिन में दस बार बदलता रहता है बुद्धि का ज्ञान। उसी हिसाब से हमारा प्यार भी बदलता रहता है।
सर्व: स्वार्थम् समीहते।(अध्यात्म रामायण)
जाते कछु निज स्वारथ होई। तापर ममता करै सब कोई।।सुर नर मुनि सबकी यह रीती। स्वारथ लागि करहिं सब प्रीती।।
ऐ तीन बजे रात को उठ करके हम आप लोगों की ये जो सेवा करते हैं, इसमें स्वार्थ है, ऐसे ही पागल थोड़े ही हैं हम। हमारा ये स्वार्थ है कि आप लोग भगवान की ओर चलें। चले, बहुत खुशी हुई, अब कम चले, खुशी कम हो गई। अब आप संसार में चले गये। अरे राम-राम! अच्छा-खासा चल रहा था, मर गया। अपना-अपना व्यापार है। जब किसी को व्यापार में अधिक लाभ होता है तो खुशी होती है और जब कभी कहता है कि आजकल ठण्डा है, ठण्डा है आजकल, बिजनैस डाउन है। ऐसे हमारा भी होता रहता है क्योंकि हमारे हाथ में तो है नहीं, ये तो आप लोगों के हाथ में है।
तो सब स्वार्थ से ही प्यार करते हैं। ये नियम है, ये अकाट्य नियम है। लेकिन हमारी बुद्धि में ये ज्ञान गलत बैठ गया है कि हम शरीर हैं। बस इसी से सब गड़बड़ हो गई। हम आत्मा हैं, हमारा स्वार्थ हरि-गुरु से ही पूरा होगा। नम्बर एक; सच तो ये है कि गुरु से ही हमारा सिद्ध होगा, हरि से तो जब होगा, तब होगा। प्रारम्भ में भी गुरु, मध्य में भी गुरु, अन्त में भी गुरु, वही हमारे साथ लेबर करेगा, परिश्रम करेगा और हमको वास्तविक स्वार्थ का ज्ञान कराने से लेकर वास्तविक स्वार्थ सिद्ध कराने तक साथ देगा। वही हमारा असली मित्र है, हितैषी है ये बात बुद्धि में बैठा दो और बैठी रहे, चौबीस घण्टे ऐसा बैठाओ यानी बार-बार सोचो, बार-बार सोचो, बार-बार। तो गड़बड़ी न करोगे, संसार में अटैचमेंट नहीं करोगे, तो बात बन जायेगी और दो मिनट को सोचा, बाकी टाइम में सोचा कि यहाँ स्वार्थ सिद्ध होगा जगत में, तो वो फिर दो मिनट का सोचना क्या काम देगा?
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज०० सन्दर्भ ::: 'कृपालु भक्ति धारा' (भाग - 3, प्रवचन - 32)०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
+++ ध्यानाकर्षण/नोट ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - रक्षा बन्धन का पर्व हर साल सावन महीने की पूर्णिमा पर मनाया जाता है जो इस बार 22 अगस्त, रविवार को है. यह दिन सावन महीने का अंतिम दिन होता है और अगले दिन से भाद्रपद महीना शुरु हो जाता है. इस बार राखी का त्योहार कई कारणों से अद्वितीय रहेगा. ज्योतिषाचार्य मदन गुप्ता सपाटू के मुताबिक इस बार रक्षा बंधन के दिन भद्रा (Bhadra) जैसा अशुभ काल नहीं है. साथ ही इस दिन चंद्रमा, मंगल के नक्षत्र और कुंभ राशि में होगे. इसके अलावा इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र और शोभन योग है जो कि भाई-बहन दोनों के लिए बेहद शुभ साबित होगा. ये शुभ संयोग भाई-बहनों के भाग्य में वृद्धि करेंगे. आमतौर पर शादीशुदा बहनें रक्षा बंधन के मौके पर अपने मायके आती हैं और भाई को राखी बांधती हैं. हालांकि इस साल कोरोना के चलते ऐसा करना सभी के लिए शायद संभव न हो पाए. ऐसे में भाई को कुरियर आदि से राखी भेज दें. यदि यात्रा करें तो कोरोना प्रोटोकॉल का ध्यान रखें.इस विधि से बांधें राखीजो बहन-भाई साथ हैं, वे इस त्योहार का साथ में आनंद ले सकेंगे. बहनें भाई को राखी बांध पाएंगी. इस दौरान ध्यान रखें कि राखी सही विधि से बांधें. इसके लिए पहले भाई को लाल रोली या कुमकुम से तिलक लगाएं. अक्षत लगाएं. उसकी आरती करते हुए लंबी उम्र की कामना करें. उसे मिठाई खिलाएं और फिर उसे राखी बांधें. भाई अपनी सामर्थ्य के अनुसार बहन को शगुन या उपहार जरूर दें.