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सर्दियों में स्किन काफी रूखी और बेजान हो जाती है। इस मौसम में सर्द हवाएं त्वचा की नमी छीनकर उसे बेजान बना देती है। ऐसे में जरूरी है कि इस मौसम में व्यक्ति अपनी त्वचा का खास ख्याल रखें। स्किन को रूखेपन से बचाने के लिए कई लोग महंगे प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करना शुरू कर देते हैं। ये प्रोडक्ट्स कुछ घंटे तो त्वचा की नमी बनाए रखते हैं लेकिन कुछ समय बाद त्वचा पर रूखापन वापस लौटने लगता है। अगर आपकी भी यही समस्या है तो आप इस समस्या से निजात पाने के लिए दादी-नानी के जमाने से चले आ रहे कुछ असरदार घरेलू नुस्खे अपना सकते हैं। जो शरीर की ड्राईनेस को दूर करने में आपकी मदद कर सकते हैं। आइए जानते हैं कैसे-
नारियल तेल-
त्वचा की ड्राईनेस दूर करने के लिए नारियल तेल का इस्तेमाल बेहद कारगर उपाय हो सकता है। इस उपाय को करने के लिए नहाने से पहले नारियल तेल से शरीर की मालिश करें। ऐसा करने से शरीर को पोषण मिलता है और त्वचा मुलायम बनी रहती है।
ओटमील-
ओटमील शरीर की ड्राईनेस को दूर करने में मदद करता है। ओटमील को शरीर पर लगाने के लिए इसे पानी के साथ मिलाकर शरीर पर 10 से 15 मिनट के लिए लगा के रखें। उसके बाद नहा लें। ऐसा करने से शरीर को पोषण मिलेगा और डाईनेस की समस्या भी दूर होगी।
एलोवेरा -
शरीर की ड्राईनेस को दूर करने के लिए नहाने के बाद एलोवेरा को शरीर पर लगाकर हल्के हाथ से मसाज करें। ऐसा करने से शरीर पर खुश्की की समस्या आसानी से दूर होगी। एलोवार स्किन को माश्चराइज करके स्किन को कोमल बनाने में मदद करता है। -
लोगों के बीच इस वक्त किचन और रूफ गार्डनिंग का चलन तेजी से बढ़ा है. इससे आपके घर के अंदर की हवा साफ बना रहती है. साथ ही आपकी घर की खूबसूरती में भी चार चांद लगते हैं. कई पौधे ऐसे हैं जिन्हें, अपनी बालकनी में लगाकर सेहत लाभ भी ले सकते हैं. वहीं कुछ पौधे के फल या सब्जी का इस्तेमाल रसोई में पकवान बनाने का काम भी किया जा सकता है.
किचन गार्डन में लगाएं रोजमेरी का पौधा
रोजमेरी का पौधा आप अपने किचन गार्डन में लगा सकते हैं. इस फ्रूट में आयरन, कैलशियम और विटामिन बी6 की भरपूर. इसे गमले में लगाने के बाद ऐसी जगह लगाएं, जहां डायरेक्ट सूरज की रोशनी नहीं पड़े.
गमले में लगाएं पुदीना का पौधा
पुदीना किचन का सबसे जरूरी हर्ब माना जाता है. घर की बालकनी में इसे गमले में लगा सकते हैं. मिन्ट या पुदीने की चटनी लोग बड़े चाव से खाते हैं. साथ ही इसका उपयोग हर्बल टी बनाने में भी किया जाता है. इसका उपयोग सलाद वगैरह में भी किया जाता है.
स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद लेमन बाम
लेमन बाम आपके स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है. यह अनिद्रा के खिलाफ काफी कारगर हर्बल है. साथ ही पेट भी साफ रखने में ये अहम भूमिका निभाता है.. यह पौधा एक पेस्ट कन्ट्रोलर के तौर पर काम करता है. ये कीटाणुओं को दूर रखने में मदद करता है.
तुलसी के पौधे में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं
तुलसी के पौधे में एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल और एंटीबायोटिक गुण होते हैं. इसकी पत्तियां शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं. इम्यूनिटी को बढ़ाते हैं. यह शरीर को अंदरूनी रूप से भी मजबूती प्रदान करता है. -
भारत में अधिकतर लोग चाय पीना पसंद करते हैं। सुबह की भागदौड़ में ये मिस हो जाती है लेकिन शाम की चाय को टी लवर्स कभी मिस नहीं करते हैं। लेकिन क्या शाम को चाय पीना हेल्दी है? मेडिकल साइंस के अनुसार- सोने से 10 घंटे पहले कैफीन से बचना सबसे अच्छा है, इष्टतम लिवर डिटॉक्स, कम कोर्टिसोल (सूजन) और स्वस्थ पाचन के लिए।
आयुर्वेद एक्सपर्ट डॉ दीक्षा भावसार ने अपने हालिया इंस्टाग्राम पोस्ट में चाय पीने से जुड़े कुछ पॉइंट्स को शेयर किया है। इन पॉइंट्स को ध्यान में रखते हुए, अपने लिए देखें कि शाम को चाय पीना या चाय से बचना आपके लिए सबसे अच्छा है या नहीं।
शाम को चाय कौन पी सकता है?-----------
1) जो लोग नाइट शिफ्ट में काम करते हैं।
2) जिन्हें एसिडिटी या गैस्ट्रिक की समस्या नहीं है।
3) जिनका पाचन हेल्दी है।
4) जिसे चाय की लत नहीं है।
5) जिन लोगों को नींद की समस्या नहीं हो।
6) जो रोजाना समय पर खाना खाते हैं।
7) जो आधा या 1 कप से कम चाय पीते हैं।
शाम की चाय से किसे बचना चाहिए?----------
1) जो लोग अनिद्रा के शिकार हैं।
2) जो चिंता से ग्रस्त हैं और तनावपूर्ण जीवन जीते हैं।
3) जिनको ज्यादा वात की समस्या है (शुष्क त्वचा और बाल)
4) जो वजन बढ़ाना चाहते हैं।
5) जिन लोगो को अनियमित भूख लगती है।
6) जो लोग हार्मोनल मुद्दों से पीड़ित हैं।
7) जिन्हें कब्ज/एसिडिटी या गैस की समस्या है।
8) मेटाबॉलिक और ऑटो-इम्यून बीमारियों वाले।
9) जिनका वजन कम है।
10) जो हेल्दी त्वचा, बाल और आंत की इच्छा रखते हैं। - डेड स्किन को रिमूव करने के लिए स्क्रबिंग करना बेहद जरूरी है। इसके लिए यह जरूरी नहीं है कि आप केमिकल वाले स्क्रब का इस्तेमाल करें बल्कि आप घर पर भी स्क्रब तैयार कर सकते हैं। यह स्क्रब न सिर्फ आपकी डेड स्किन को रिमूव कर देगा बल्कि इससे आपकी स्किन प्रॉब्लम्स भी काफी हद तक ठीक हो जाएगी और फिर आपकी स्किन नेचुरल ग्लो नजर आएगी। आइए, जानते हैं कि कैसे नेचुरल स्क्रब कैसे बनाएं।नेचुरल हल्दी और चावल का स्क्रबहल्दी और चावल का स्क्रब बनाने के लिए सबसे पहले चावल को लेकर भिगा दें। अब भिगाए हुए चावल को बारीक पीस लें। अब इसमें एक चम्मच हल्दी, एक चम्मच एलोवेरा और टी ट्री ऑयल डालकर मिक्सचर बना लें। अब चेहरे को धोकर साफ कर लें। अब इस पर यह मिक्सचर अप्लाई करके चेहरे की अच्छी तरह से मसाज करें। याद रखें कि आपको बहुत तेज से चेहरे को नहीं रगडऩा है, वरना आपको पिम्पल्स हो सकते हैं। 5-7 मिनट तक चेहरे पर हल्के हाथों से मसाज करें। इससे बाद सादे पानी से चेहरे को धो लें।शहद का फेस मास्कचेहरे को क्लीन करके अब चेहरे पर फेस मास्क लगाएं। फेस मास्क बनाने के लिए आप एक चम्मच गुलाब पाउडर लेकर इसमें दो चम्मच शहद डालकर मिक्स कर लें। अब इसे चेहरे पर अप्लाई कर लें। इसे 20 मिनट तक चेहरे पर लगे रहने दें। अब जब यह सूख जाए, तो इसे पानी से धो लें। आप देखेंगे कि आप चेहरा काफी ग्लोइंग नजर आएगा। इस तरीके को सप्ताह में दो बार अपनाएं।
- सर्दियों के मौसम में सर्दी-खांसी, जुकाम और बुखार जैसी कई समस्याएं होने लगती हैं। सर्दी के मौसम में कई लोगों के सीने या छाती में कफ या बलगम जम जाता है। बलगम हमारे फेफड़ों में बनने वाला एक पदार्थ है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए बलगम जरूरी होता है। बलगम हमारे फेफड़ों में धूल कणों को जमने से बचाता है और बैक्टीरिया-वायरस से रक्षा करता है। लेकिन, जब किसी व्यक्ति के शरीर में बलगम बढ़ जाता है, तो उसे कई तरह की परेशानियां होने लगती हैं। इसकी वजह से व्यक्ति को खांसी, जुकाम, नाक और गले में जलन और सांस लेने में भी समस्या हो सकती है। छाती में कफ या बलगम जमने पर आपको अपने खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। कुछ लोगों का यह सवाल होता है कि छाती में बलगम निकालने के लिए क्या खाना चाहिए? कुछ ऐसी सब्जियां हैं, जो छाती में जमा बलगम को बाहर निकालने में मदद करती हैं। अगर आप छाती और गले में जमा बलगम से परेशान हैं, तो आप इन सब्जियों का सेवन कर सकते हैं1. अदरकअदरक को नैचुरल डिकॉन्गेस्टेंट और एंटीहिस्टामाइन के रूप में जाना जाता है। छाती में जमा बलगम को बाहर निकालने के लिए अदरक का सेवन फायदेमंद साबित हो सकता है। अदरक के एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो खांसी-जुकाम और कफ की समस्या को दूर करते हैं। अदरक का सेवन करने से छाती और गले में जमा अतिरिक्त बलगम आसानी से बाहर निकाल सकता है। इसके लिए आप अदरक की चाय या काढ़ा पी सकते हैं।2. प्याजसर्दी-जुकाम और छाती में जमे बलगम को दूर करने के लिए आप प्याज का इस्तेमाल कर सकते हैं। प्याज बुखार और गले की खराश में भी काफी फायदेमंद होता है। अगर आप सीने या छाती में जमा बलगम से परेशान हैं, तो इसके लिए एक प्याज को कद्दूकस करके 6 से 8 घंटे के लिए पानी में भिगो दें। रोजाना तीन से चार चम्मच इस पानी को पीने से बलगम और कफ की समस्या जल्द दूर होगी।3. लाल मिर्चहर भारतीय रसोई में आपको लाल मिर्च मिल जाएगी। लाल मिर्च का इस्तेमाल खाने में मसाले के तौर पर किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि छाती में जमा बलगम के इलाज के लिए भी लाल मिर्च का इस्तेमाल किया जा सकता है। लाल मिर्च बलगम और खांसी को दूर करने में प्रभावी है। लाल मिर्च में कैपसाइसिन नामक यौगिक होता है, जो बलगम को पतला करने में मदद करता है। लाल मिर्च के सेवन से छाती में जमा बलगम टूटकर आसानी से बाहर निकल सकता है।4. लहसुनलहसुन न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाता है, बल्कि हमारी सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। लहसुन में नेचुरल एक्सपेक्टोरेंट होते हैं, जो बलगम बनने से रोकते हैं। लहसुन में एंटीबैक्टीरियल और एंटी फंगल गुड भी मौजूद होते हैं। लहसुन का सेवन करने से शरीर से कफ बाहर निकालने में मदद मिलती है।5. अजमोदअजमोद एक ऐसी सब्जी है, जिससे बलगम या कफ को खत्म करने में मदद मिलती है। अजमोद में कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो गले की सूजन, खराश और दर्द से राहत दिलाते हैं। अजमोद का सेवन आप सब्जी, सलाद या सूप के रूप में कर सकते हैं।
- भारतीय खानपान में टमाटर बहुत खास है। सलाद से लेकर करी तक, इसके बिना भारतीय व्यंजनों का स्वाद अधूरा है। इसके अलावा जो लोग खाने में प्याज का इस्तेमाल नहीं करते हैं उनके लिए टमाटर ही सब्जी में स्वाद और ग्रेवी जोड़ने के काम आता है। कई लोग इसे सलाद के तौर पर भी खाना पसंद करते हैं, क्योंकि इसमें भरपूर मात्रा में पोषक तत्व मौजूद होते हैं। मगर क्या आप जानती हैं कि टमाटर आपका वज़न घटाने में भी मदद कर सकता है? जी हां… टमाटर आपके पाचन तंत्र के लिए भी बहुत फायदेमंद है। जानिए इससे जुड़े अध्ययन में क्या सामने आया।माइक्रोबायोलॉजी स्पेक्ट्रम जर्नल में प्रकाशित हुए एक अध्ययन के अनुसार टमाटर वज़न घटाने में मदद कर सकता है। साथ ही, यह गट हेल्थ के लिए भी फायदेमंद है और इन्टेस्टाइन में मौजूद माइक्रोब्स को बढ़ाने में मदद करता है।जानिए इस अध्ययन में क्या सामने आया?ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी में किये गए इस अध्ययन में टमाटर और गट हेल्थ से जुड़े इस अध्ययन में सूअरों पर एक्सपेरिमेंट किया गया। जिसमें यह सामने आया कि यह सूअरों पर बहुत प्रभावी साबित हुआ।शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन सूअरों नें दो हफ्ते तक टमाटर से भरपूर डाइट ली उनमें रोगाणुओं की विविधता में वृद्धि हुई है। यह डाइट फाइबर, शुगर, प्रोटीन, वसा और कैलोरी दोनों में समान थी। साथ ही, यह कुछ प्रकार के कैंसर और ह्रदय रोग के जोखिम को कम करने में भी मददगार साबित हुई।जिन सूअरों को टमाटर से भरपूर आहार खिलाया गया था उनका वज़न कम होते हुए देखा गया। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि टमाटर से भरपूर डाइट की वजह से सूअरों का वज़न 10% तक कम हुआ।ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी में बागवानी और फसल तकनीकी ज्ञान और भोजन प्रौद्योगिकी और पीढ़ी के सहायक प्रोफेसर, वरिष्ठ लेखक जेसिका कूपरस्टोन ने कहा, ‘’टमाटर गट माइक्रोबायोम के मॉड्यूलेशन के माध्यम से लाभ प्रदान करते हैं।’’वज़न घटाने में कैसे मदद कर सकते हैं टमाटर?माइक्रोबायोम में मौजूद बैसिलोटा की तुलना में फ़ाइला बैक्टेरॉइडोटा का यह उच्च अनुपात सेहत के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। मगर अन्य अध्ययनों ने इस अनुपात को रिवर्स में, बैक्टेरियोडोटा की तुलना में उच्च बैसिलोटा यानी, मोटापे से जोड़ा है।विशेषज्ञों की मानें तो टमाटर में पानी और फाइबर कि काफी अच्छी मात्रा में होती है। इसलिए, टमाटर का वजन घटाने में सहायक साबित हो सकते हैं।मगर इस बारे में अभी और भी शोध होना बाकी है। टमाटर पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद है, लेकिन यह वज़न घटाने में मदद कर सकता है कि नहीं, इस बारे में अभी और पुख्ता जांच की ज़रुरत है।इस तरह करें अपने आहार में टमाटर को शामिल--1 जब भी आप सैंडविच खाएं तो उसमें एक स्लाइस टमाटर का ज़रूर लगाएं। इससे आपके सैंडविच का स्वाद भी बढ़ जायेगा।2 अपने सलाद को ताज़े कटे टमाटरों और या वेजीस से सजाएं।3 उबले अंडे और आमलेट में कच्चे कटे हुए टमाटर भी मिला सकती हैं आप।4 आप जन भी पिज़्ज़ा या पास्ता बनाएं तो इसमें टमाटर का सौस ज़रूर एड करें। साथ ही, अआप जब भी पानीर की या कोई अन्य सब्जी बनाएं तो टमाटर की ग्रेवी रख सकती हैं।5 आप टमाटर का रस, सूप, जूस स्मूदी आदि कुछ भी बना सकती हैं।6 खाने के साथ आप टमाटर का सलाद भी खा सकती हैं।
- च्यवनप्राश एक आयुर्वेदिक औषधि मानी जाती है। सर्दियों का मौसम आते ही ज्यादातर भारतीय घरों में च्यवनप्राश का सेवन बहुत ही अधिक मात्रा में किया जाता है। सर्दियों में च्यवनप्राश खाने का मुख्य कारण है इसके पोषक तत्व। च्यवनप्राश के पोषक तत्व शरीर की इम्यूनिटी को बूस्ट करने में मददगार साबित होते हैं। शहद, नागकेसर, सफेद मूसली, पिप्पली, तेजपत्ता, पाटला, अरणी, गंभारी, कमल गट्टा जैसी कई जड़ी बूटियों को मिलाकर बनाए गए च्यवनप्राश की जब बात होती है तो ज्यादातर लोगों के मुंह से आप सिर्फ इसके फायदों के बारे में ही सुनेंगे। लेकिन हैरानी की बात ये है कि कुछ स्थितियों में च्यवनप्राश का सेवन न करने की सलाह दी जाती है। आज इस लेख में हम आपको बताएंगे च्यवनप्राश का सेवन किन लोगों को नहीं करना चाहिए।डायबिटीज के मरीजों के लिए है हानिकारकडायबिटीज के मरीजों को च्यवनप्राश का सेवन न करने की सलाह दी जाती है। क्योंकि च्यवनप्राश के स्वाद को बैलेंस करने के लिए मीठे का इस्तेमाल होता है। च्यवनप्राश में मौजूद मीठा शरीर का ब्लड शुगर लेवल बढ़ा सकता है। अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं और च्यवनप्राश का सेवन करना चाहते हैं इसके लिए अपने डॉक्टर या डाइटिशियन से सलाह जरूर लें।किडनी के मरीजों कोच्यवनप्राश की तासीर गर्म होती है इसलिए इसको पचाना मुश्किल होती है। अगर कोई व्यक्ति किडनी संबंधी बीमारियों से जूझ रहा है तो उसे च्यवनप्राश पचाने में मुश्किल हो सकती है। ऐसे में किडनी के मरीजों को च्यवनप्राश का सेवन न करने की सलाह दी जाती है।पेट संबंधी परेशानियों के लिएच्यवनप्राश का सेवन उन लोगों को नहीं करना चाहिए जिन्हें पेट में दर्द, गैस, कब्ज जैसी समस्याएं अक्सर परेशान करती हैं। च्यवनप्राश को पचाने में थोड़ी मुश्किल होती है इसलिए जिन लोगों को पेट संबंधी बीमारियां उन्हें इसका सेवन न करने की सलाह दी जाती है।एक दिन में कितना च्यवनप्राश खाना चाहिए?हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि च्यवनप्राश या किसी भी चीज का सेवन एक सीमित मात्रा में करना चाहिए। किसी भी चीज का अधिक मात्रा में सेवन करने से स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। हेल्थ एक्सपट्र्स के मुताबिक एक व्यस्क आदमी को प्रतिदिन 1 चम्मच च्यवनप्राश और छोटे बच्चों को प्रतिदिन आधा चम्मच च्यवनप्राश का सेवन करना चाहिए।
- सेहत को लेकर हुए 30 साल लंबे शोध में पाया गया है कि जो लोग बचपन से ही नियमित रूप से अखरोट खाते हैं, उनके दिल और सेहत बेहतर होने की ज्यादा संभावना होती है। ऐसे लोगों अपने जीवन के बाद के सालों में शारीरिक तौर पर ज्यादा सक्रिय तो होते ही हैं। उनमें दिल, मोटापा, डाइबिटीज जैसी लाइफस्टाइल संबंधित बीमारियां होने का जोखिम भी बहुत कम हो जाता है।अखरोट उन सूखे मेवों में से है जिसे सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसे दिमाग की सेहत के लिए बहुत अच्छा फल माना जाता है साथ ही इसे प्रतिरोधक क्षमता के लिए भी फायदा पहुंचाने वाला मेवा माना जाता है । लंबे समय तक किए गए अध्ययन मे पाया गया है, अखरोट को खुराक में नियमित रूप से शामिल करने से लोगों को सेहतमंद लाइफस्टाइल की आदतें अपनाने में मदद मिलती है। इस अध्ययन नतीजे इस विचार का भी समर्थन करते हैं कि बचपन से लेकर यौवन काल तक अखरोट खाने से बाद में दिल की बीमारी होने का जोखिम कम हो जाता है।शोधगकर्ताओ ने पाया कि जिन प्रतिभागियों ने जीवन की शुरुआत अखरोट खाए थे उनके जीवन में आगे शारीरिक रूप से ज्यादा सक्रिय रहने की संभावना पाई गई। उनके खुराक की गुणवत्ता ज्यादा अच्छी थी और उनकी दिल की बीमारी के जोखिम की प्रोफाइल ज्यादा अच्छी थी जब 20 साल बाद उनकी सेहत का मूल्यांकन किया गया। शोधकर्ता मुख्य रूप से समय के साथ दिल की बीमारी विकसित होने की संभावनाओं का अध्ययन कर रहे थे.।अखरोट अकेला ऐसा पेड़ है जिसमें से ओमेगा-3 एल्पा लिनोलेनिक एसिड का स्रोत होता है जिसका दिल, दिमाग और बढ़ती उम्र संबंधी सेहत से गहरा संबंध होता है। अखरोट में प्रोटीन फाइबर, मैग्नीशियम, और बहुत से एंटीऑक्सीडेंट भी मिलते हैं। शोधकर्ताओं का कहना कि अखरोट खाने वाले लोगों की शरीर में खास बॉडी फीनोटाइप होता है जिससे बेहतर खुराक की गुणवत्ता जैसे सकारात्मक फायदे देखने को मिलते हैं, खास तौर से अगर व्यक्ति ने बचपन से ही अखरोट खाए हों तो। इसके अलावा दिल की बीमारी, मोटापा और डायबिटीज जैसी बीमारियों का खतरा भी कम होता है।
- सर्दी के मौसम में कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं। दरअसल, सर्दियों में हमारी इम्यूनिटी काफी ज्यादा कमजोर हो जाती है, जिसके कारण कई तरह की बीमारियों और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इस मौसम में सर्दी-खांसी और जुकाम की परेशानी होना काफी आम है।लेकिन, अगर यह समस्या ज्यादा बढ़ जाए तो इससे छाती में कफ जमने और सांस की तकलीफ हो सकती है। ज्यादातर लोग सर्दी-खांसी होने पर दवाइयों या कफ सिरप का सेवन करते हैं। लेकिन आप चाहें तो सर्दी-खांसी दूर करने के लिए आयुर्वेदिक काढ़े का सेवन कर सकते हैं। इन काढ़ों को पीने से आपकी इम्यूनिटी मजबूत होगी। आज हम आपको सर्दी-खांसी दूर करने के लिए 3 तरह के आयुर्वेदिक काढ़े बनाने की विधि बता रहे हैं1. अदरक का काढ़ासर्दी-खांसी की समस्या को दूर करने के लिए अदरक का काढ़ा पीना अच्छा विकल्प हो सकता है। अदरक का काढ़ा सेहत के लिए बहुत लाभकारी होता है। अदरक में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जिससे सर्दी-खांसी खत्म होती है। अदरक की तासीर भी गर्म होती है, इसलिए यह शरीर को गर्माहट देता है। अदरक का काढ़ा पीने से गले की खराश और गले में दर्द से भी राहत मिलती है। अदरक का काढ़ा बनाने के लिए एक पैन में एक गिलास पानी डालकर उबाल लें। फिर इसमें अदरक, तुलसी, काली मिर्च, अजवाइन और हल्दी डालकर उबालें। जब काढ़ा आधा रह जाए तो इसे छान लें। फिर इसमें थोड़ा नींबू का रस और शहद मिलाएं। दिन में दो बार इस काढ़े को पीने से सर्दी-खांसी की परेशानी दूर हो सकती है।2. लौंग और काली मिर्च का काढ़ासर्दी-खांसी दूर करने के लिए लौंग और काली मिर्च का काढ़ा पिया जा सकता है। यह जुकाम और पेट में दर्द को भी कम करने में आपकी मदद कर सकता है। दरअसल, लौंग और काली मिर्च की तासीर गर्म होती है, इसलिए इसे पीने से सर्दी-खांसी जैसी समस्याएं दूर होती हैं। इस काढ़े को बनाने के लिए एक पैन में एक गिलास पानी डालकर उबाल लें। इसके बाद इसमें दो लौंग, 3-4 काली मिर्च के दाने, एक इलायची, और आधा चम्मच चाय पत्ती डालें। इसमें 4-5 तुलसी की पत्ती, एक टुकड़ा अदरक और थोड़ा सा गुड़ का टुकड़ा डालकर अच्छी तरह से उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो इसे गिलास में छानकर पिएं। इससे सर्दी-खांसी और गले की खराश से जल्द आराम मिलेगा।3. अजवाइन का काढ़ासर्दी-खांसी की परेशानी को दूर करने के लिए आप अजवाइन का काढ़ा पी सकते हैं। अजवाइन का काढ़ा आपके स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। बच्चों को सर्दी-खांसी होने पर उन्हें भी अजवाइन का काढ़ा दिया जा सकता है। यह सर्दी-जुकाम के साथ-साथ पेट में दर्द को भी कम कर सकता है। अजवाइन का काढ़ा बनाने के लिए एक पैन में एक गिलास पानी डालकर अच्छी तरह से उबाल लें। फिर इसमें आधा चम्मच अजवाइन और थोड़ा सा गुड़ डालकर उबालें। जब पानी आधा रह जाए, तो इसे गिलास में छानकर पी जाएं। इससे सर्दी-खांसी और कफ की समस्या जड़ से दूर होगी।सर्दी-खांसी और बुखार जैसी समस्याओं से परेशान हैं, तो आप इन काढ़ों का सेवन कर सकते हैं। इन काढ़ों को पीने से इम्यूनिटी मजबूत होती है और बीमारियों से लडऩे में मदद मिलती है। हालांकि, अगर आपकी परेशानी ज्यादा बढ़ रही है, तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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सर्दियों के मौसम में शरीर को स्वस्थ रखने के लिए नारियल पानी पीना बेहद फायदेमंद माना जाता है. नारियल पानी में पोटैशियम, मैंगनीज, विटामिन सी, और कैल्शियम जैसे तमाम पोषक तत्व पाए जाते हैं. आईए जानते हैं कि सर्दियों में नारियल पानी पीने के क्या-क्या फायदे हैं.
सर्दियों में नारियल पानी का सेवन करने से इम्यूनिटी मजबूत होती है. नारियल पानी विटामिन C से भरपूर होता है, जो आपको सर्दियों के मौसम में वायरस और बैक्टीरिया से सुरक्षित रखने में मदद करते हैं.
हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होने पर नारियल पानी का सेवन फायदेमंद होता है. नारियल पानी पोटेशियम से भरपूर होता है, जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मदद करता है.
सर्दियों में प्यास न लगने की वजह से डिहाइड्रेशन की शिकायत हो जाती है. लेकिन अगर आप सर्दियों में नारियल पानी का सेवन करते हैं, तो इससे शरीर में पानी की कमी नहीं होती है और शरीर हाइड्रेट रहता है.
सर्दियों के मौसम में स्किन संबंधी समस्या ज्यादा देखने को मिलती है, लेकिन अगर आप सर्दियों के मौसम में नारियल पानी का सेवन करते हैं, तो इससे स्किन हेल्दी रहती है और स्किन हाइड्रेट भी रहती है. - उसना चावल यानी अधपका चावल जिसे अंग्रेजी में पारबॉइल्ड राइस कहा जाता है , एक खास तरीके से तैयार किया गया चावल होता है, जिसे सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसे तैयार करने के लिए एक विशेष तरीका फॉलो किया जाता है। दुनिया में हुए कई शोध और अध्ययन भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि पारबॉइल्ड राइस सेहत के लिए सामान्य राइस की तुलना में ज्यादा फायदेमंद होता है। आइये विस्तार से जानते हैं क्या है पारबॉइल्ड राइस और सेहत के लिए फायदे क्या हैं?पारबॉइल्ड राइस क्या है?पारबॉइल्ड राइस के फायदों को देखते हुए पूरी दुनिया में इसकी डिमांड काफी बढ़ गयी है। इस चावल को तैयार करने के लिए धान की भूसी निकलने से पहले इसे उबाला जाता है। पारबॉइल्ड राइस को तैयार करने के लिए धान को सबसे पहले कुछ समय के लिए पानी में भिगोकर रखा जाता है और इसके बाद भाप में इसे पकाया जाता है। फिर इसे सुखाकर इसकी भूसी निकाली जाती है। इस चावल को भले ही अलग तरीके से तैयार किया जाता है लेकिन खाद्य मंत्रालय या कोई अन्य संस्था ने इसे अलग तरीके से परिभाषित नहीं किया है।पारबॉइल्ड राइस खाने के फायदेउसना चावल या पारबॉइल्ड राइस खाना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। यह कहा जाता है कि इस चावल में मौजूद पौष्टिक तत्व सामान्य चावल की तुलना में कहीं ज्यादा होते हैं। वहीं इसको तैयार करने के लिए अपनाए गए खास तरीके के कारण इसे लंबे समय तक आसानी से स्टोर किया जा सकता है और इसमें कीड़े लगने का खतरा कम होता है। चूंकि उसना चावल या अधपका चावल को तैयार करने के इसे पानी में भिगोकर इसे भाप में पकाया जाता है इसलिए इस दौरान इसके छिलके पर मौजूद विटामिन चावल में आ जाते हैं। खास प्रक्रिया की वजह से इस चावल में विटामिन की मात्रा ज्यादा होती है और काब्र्स कम हो जाते हैं। उसना चावल या पारबॉइल्ड राइस खाने के फायदे इस प्रकार से हैं।1. यह माना जाता है कि उसना चावल या पारबॉइल्ड राइस में सामान्य चावलों की तुलना में पोषक तत्व अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। इस चावल में फाइबर, कैल्शियम, विटामिन और पोटेशियम पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। इसका सेवन करने से शरीर को अधिक पौष्टिक तत्व की आपूर्ति होती है।2. पारबॉइल्ड राइस में मैंगनीज की मात्रा सामान्य चावल की तुलना में ज्यादा पाया जाता है जिसकी वजह से इसका सेवन ब्लड प्रेशर के खतरे को कम करने में फायदेमंद माना जाता है। दिल के दौरे और दिल से जुड़ी अन्य समस्याओं के खतरे को कम करने के लिए भी इस चावल का सेवन बहुत फायदेमंद माना जाता है।3. डायबिटीज के मरीजों के लिए उसना चावल बहुत फायदेमंद माना जाता है। कई शोध और अध्ययन भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि पारबॉइल्ड राइस का सेवन करने से डायबिटीज की समस्या में बहुत फायदा मिलता है। पारबॉइल्ड राइस में मौजूद पोषक तत्व डायबिटीज की समस्या में बहुत फायदेमंद माने जाते हैं।4. इस चावल में एंटीऑक्सीडेंट पर्याप्त मात्रा पायी जाती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट आपको इन्फ्लेमेशन और कैंसर जैसी गंभीर समस्या से बचाने का काम करते हैं।5. पारबॉइल्ड राइस में काब्र्स की मात्रा अन्य चावल की तुलना में कम होती है और इसे पाचन के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। यह चावल पचने में आसान होता है।नोट- पारबॉइल्ड राइस सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है लेकिन किसी भी बीमारी में इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
- कैंसर एक जानलेवा बीमारी है। सारे कैंसर से बचना संभव नहीं है। लेकिन ज्यादातर कैंसर बचाव और उपचार योग्य होते हैं। अध्ययनों के अनुसार, कैंसर के जोखिम को हेल्दी लाइफस्टाइल की आदतों और डाइट से कम किया जा सकता है।कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जो असामान्य डीएनए कोशिकाओं में वृद्धि के कारण होती है। यह शरीर के कामों में बाधा उत्पन्न करती है। कैंसर के लक्षणों की अनदेखी आपके जान को खतरे में डाल सकती है। ऐसे में शुरुआती स्टेज में इसकी पहचान फायदेमंद होता है। लेकिन कई तरह के कैंसर इतने मामूली संकेत देते हैं, कि आखिरी स्टेज पर मरीज को अपनी बीमारी का पता चलता है। ऐसे में इससे बचाव के उपाय को जान लेना आपके लिए सेहतमंद साबित हो सकता है।अध्ययनों से पता चलता है कि आहार में कैंसर के विकास को रोकने की क्षमता होती है। ऐसा ही एक आहार व्हीटग्रास यानी ज्वारे का रस है। एक्सपर्ट के अनुसार, व्हीटग्रास के सेवन से ब्लड में कैंसर कोशिकाओं को कुछ ही दिनों में 65 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।कैंसर के सामान्य लक्षणमल-मूत्र त्याग की आदतों में बदलावघाव जो जल्दी ठीक न होब्लीडिंग या डिस्चार्जगांठ बननाअपच या निगलने में कठिनाईमस्से या तिल के रंग आकार में परिवर्तनलगातार खांसीआवाज बैठनाशोध के अनुसार व्हीटग्रास के संपर्क में आने के बाद क्रमश: 24, 48 और 72 घंटों के लिए ल्यूकेमिया कोशिकाओं की मृत्यु में वृद्धि हुई, जो लगभग 65 प्रतिशत तक था। ऐसे में शोधकर्ताओं ने माना कि कैंसर से बचाव और उपचार में ज्वारे का रस का सेवन प्रभावी काम कर सकता है।वैज्ञानिकों ने पाया है कि व्हीटग्रास में हीमोग्लोबिन के समान तत्व होते हैं, जो एक प्रोटीन है। यह ऑक्सीजन को रक्त में पहुंचाने का काम करता है। ऐसे में व्हीटग्रास का सेवन ब्लड में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाता है। क्योंकि ऑक्सीजन से वंचित स्थितियों में कैंसर कोशिकाएं सबसे अच्छी तरह से बढ़ती हैं, इसलिए व्हीटग्रास कैंसर सेल के विकास को रोक सकती है। इसके साथ ही व्हीटग्रास कैंसर के उपचार में भी उपयोगी हो सकता है।व्हीटग्रास में एंटी कैंसर वाले गुण होने के साथ कई तरह के विटामिन्स, मिनरल्स और एंटी ऑक्सीडेंट मौजूद होते हैं। जिसमें मुख्य रूप से ग्लूटेथिओन, आयरन, मैग्नीशियम, कैल्शियम, फाइटोन्यूट्रिएंट्स, एमिनो एसिड, विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन ई, विटामिन के और बी कॉम्प्लेक्स, क्लोरोफिल और प्रोटीन शामिल है।कैसे करें गेंहू के ज्वारे का सेवनएक्सपर्ट बताते हैं कि इसका उपयोग किसानों द्वारा वर्षों से पशु आहार के रूप में किया जाता रहा है, लेकिन यह हाल ही में अपने प्रभावशाली स्वास्थ्य लाभों के कारण एक सुपर फूड के रूप में उभर रहा है। इसे कच्चा खाया जा सकता है या कैप्सूल के रूप में सेवन किया जा सकता है। लेकिन इसका उपयोग आमतौर पर पाउडर या स्मूदी और जूस जैसी चीजों में शामिल किया जाता है।
- अजवाइन का इस्तेमाल भारतीय रसोई में मसाले के रूप में किया जाता है। अजवाइन में मौजूद गुण शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। अजवाइन स्वाद में कड़वा होता है, इसका तड़का किसी भी डिश के फ्लेवर को बेहतर करने का काम करता है। मसाले के अलावा आयुर्वेद में अजवाइन को औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। सर्दी-जुकाम की समस्या हो या पेट आदि से जुड़ी कोई गंभीर परेशानी, इन सबमें अजवाइन का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद माना जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि अजवाइन के बीज के अलावा इसके पौधे की पत्तियां भी कई गंभीर बीमारियों में रामबाण होती हैं।अजवाइन की पत्तियों के फायदेअजवाइन की पत्तियों में एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बायोटिक गुण पाए जाते हैं। इसकी पत्तियों का आयुर्वेद में औषधि के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। सर्दी-जुकाम से लेकर पेट और पाचन से जुड़ी बीमारियों में अजवाइन की पत्तियों का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। अजवाइन की पत्तियों का सेवन करने से आपको इन समस्याओं में बहुत फायदा मिलता है-1. सर्दी-जुकाम में फायदेमंदअजवाइन की पत्तियों में मौजूद गुण सर्दी-खांसी और जुकाम की समस्या में बहुत फायदेमंद होते हैं। अजवाइन की पत्तियों का काढ़ा पीने से आपको सर्दी-जुकाम और खांसी में तुरंत फायदा मिलता है। अजवाइन की पत्तियों में मौजूद एंटी-बायोटिक और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण इन्फेक्शन को दूर करने का काम करते हैं।2. पेट और पाचन से जुड़ी परेशानियों मेंपेट और पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए अजवाइन की पत्तियों का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। अजवाइन की पत्तियां आप सुबह खाली पेट चबाएं, इससे पाचन ठीक होगा और पेट से जुड़ी अन्य परेशानियों में भी फायदा मिलेगा। भोजन के बाद अजवाइन की 2-3 पत्तियों को चबाने से आपका डाइजेशन ठीक रहता है।3. फेफड़ों को रखे हेल्दीफेफड़ों के लिए अजवाइन की पत्तियां बहुत फायदेमंद होती हैं। अजवाइन की पत्तियों में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण फेफड़ों की समस्याओं को दूर करने का काम करते हैं। आप फेफड़ों से जुड़ी परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए अजवाइन की पत्तियों का सेवन डॉक्टर की सलाह के आधार पर कर सकते हैं।4. बॉडी को डिटॉक्स करने में फायदेमंदअजवाइन की पत्तियों में मौजूद गुण शरीर में मौजूद टॉक्सिक पदार्थों को बाहर निकालने में बहुत फायदेमंद होता है। बॉडी को डिटॉक्स करने के लिए अजवाइन की पत्तियां का सेवन और इससे बनी चाय का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। अजवाइन की पत्तियों में मौजूद फोलेट, नियासिन और कैल्शियम जैसे गुण भी आपके लिए बहुत फायदेमंद होते हैं।5. अर्थराइटिस की समस्या में फायदेमंदअर्थराइटिस के मरीजों के लिए अजवाइन का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। अजवाइन की पत्तियों का सेवन करने से अर्थराइटिस में दर्द और सूजन को कम करने में बहुत फायदा मिलता है। इस बीमारी में आप अजवाइन की पत्तियों के जूस का सेवन कर सकते हैं।अजवाइन की पत्तियों में मौजूद गुण शरीर के इम्यून सिस्टम को भी बेहतर बनाने का काम करते हैं। आप अजवाइन की पत्तियों को सुबह खाली पेट चबाएं, इससे कई गंभीर समस्याएं दूर होंगी। इसके अलावा अजवाइन की पत्तियों से बनी चाय या काढ़े का सेवन करने से भी आपको बहुत फायदा मिलता है। किसी भी बीमारी या समस्या में अजवाइन की पत्तियों का औषधीय इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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हाई यूरिक एसिड की समस्या से जूझ रहे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यूरिक एसिड ज्यादा बढ़ जाता है तो यह हाथ-पैर के छोटे जॉइंट्स में जमा हो जाता है और गाउट की समस्या हो जाती है। यूरिक एसिड की वजह से किडनी स्टोन की समस्या होना भी आम है। अगर व्यक्ति किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहा है और उसका यूरिक एसिड बढ़ जाए तो सीवियर मामलों में किडनी फेलियर की नौबत आ जाती है।
क्या आप जानते हैं कि यूरिक एसिड की समस्या महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों को ज्यादा होती है. आखिर इसकी क्या वजह होती है और इससे किस प्रकार बचा जा सकता है? एक्सपर्ट से जान लेते हैं---
नई दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल के यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. अमरेंद्र पाठक कहते हैं कि यह बात सही है कि हाई यूरिक एसिड की समस्या पुरुषों में महिलाओं की अपेक्षा करीब तीन गुना ज्यादा होती है. इसकी वजह दोनों की बॉडी और हार्मोनल फंक्शनिंग में अंतर हो सकता है. हालांकि यह कहना गलत होगा कि महिलाओं का यूरिक एसिड हाई नहीं हो सकता. इस बीमारी की चपेट में कोई भी आ सकता है. वर्तमान समय में यूरिक एसिड के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और इसकी कई वजह हैं. किडनी या लिवर की बीमारी, अनहेल्दी लाइफस्टाइल, नॉनवेज का ज्यादा सेवन और हाई प्रोटीन फूड्स से यूरिक एसिड बढ़ सकता है.
कैसे करें यूरिक एसिड से बचाव?
लाइफस्टाइल में करें जरूरी बदलाव : डॉ. अमरेंद्र पाठक के मुताबिक यूरिक एसिड की समस्या से बचने के लिए लोगों को हेल्दी लाइफस्टाइल फॉलो करनी चाहिए. सभी को समय से सोना-जागना और खाना-पीना चाहिए. हर दिन करीब 30 मिनट एक्सरसाइज करनी चाहिए. इससे शरीर को हेल्दी रखने में मदद मिलेगी और आपका वजन भी कंट्रोल रहेगा.
नॉन वेज और हाई प्रोटीन फूड्स न खाएं : डॉक्टर की मानें तो हाई यूरिक एसिड की समस्या की एक बड़ी वजह नॉन वेज का ज्यादा सेवन भी हो सकता है. इसलिए लोगों को नॉन वेज से दूरी बनानी चाहिए और हाई प्रोटीन फूड्स को भी लिमिट में खाना चाहिए. इनका ज्यादा सेवन करने से कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
पर्याप्त मात्रा में पीएं पानी : यूरिक एसिड एक वेस्ट प्रोडक्ट होता है जो हमारे शरीर से यूरिन के जरिए बाहर निकल जाता है. अगर आप पर्याप्त मात्रा में पानी पिएंगे तो यूरिक एसिड को बाहर निकलने में मदद मिलेगी. किडनी स्टोन से बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए. डाइट में फ्लूड भी शामिल कर सकते हैं. इस समस्या से बचने के लिए खुद को हाइड्रेट रखें.
समय-समय पर कराएं ब्लड टेस्ट: लोगों को समय समय पर अपना ब्लड टेस्ट के जरिए यूरिक एसिड की जांच कराते रहना चाहिए. खासतौर से 40 की उम्र के बाद यूरिक एसिड की समय-समय पर जांच करानी चाहिए. अगर शुरुआत में ही इसका इलाज कराया जाए तो कुछ ही महीनों में बीमारी को खत्म किया जा सकता है. यह कोई लाइलाज बीमारी नहीं है. - सर्दियों आते ही लोग हल्दी वाला दूध पीना शुरू कर देते हैं। ये हमें मौसम में बदलाव के कारण होने वाले कई रोगों से सुरक्षित रखने में सहायक होता है। यदि सर्दियों के मौसम में हल्दी वाला दूध नियमित रूप से पिया जाए तो आप वायरल इंफेक्शन और सर्दी-जुकाम से बचे रहते हैं। इस दूध से आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है। हल्दी में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। इसके साथ ही दूध के साथ हल्दी लेने से इसके फायदे कई गुना बढ़ जाते हैं। हल्दी वाले दूध से आप घर के बच्चों और बुजुर्गों को बीमार होने से बचा सकते हैं। आगे जानते हैं हल्दी वाला दूध पीने के फायदों के बारे में ।किस तरह पीएं हल्दी वाला दूधइसे बनाने के लिए आपके पास दूध व हल्दी होनी चाहिए। सामान्य तौर पर एक गिलास गर्म दूध में एक चुटकी हल्दी डालकर इसे तैयार किया जाता है, लेकिन अब लोग इसमें भी कई प्रयोग करने लगे हैं। अब आप हल्दी वाले दूध में अपनी पसंद के अनुसार कोई फ्लेवर को मिक्स कर सकते हैं। दूध में पिसी इलायची, काली मिर्च पाउडर या लौंग भी मिला सकते हैं। ये सभी हल्दी दूध के औषधीय गुणों में इजाफा करते हैं। जिन लोगों को दूध और हल्दी के मिश्रण का स्वाद पसंद नहीं है, उनके लिए सुगंधित मसाले मिलाना एक अच्छा विकल्प हो सकता है।हल्दी दूध के फायदेआकाश हेल्थकेयर सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की सीनियर डायटिशियन डॉक्टर अनुजा गौर के मुताबिक हल्दी के दूध में प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं और ये एंटीऑक्सिडेंट से भी भरपूर होता है। हल्दी दूध में पाया जाने वाला कम्पाउंड करक्यूमिन सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। हल्दी वाला दूध इम्यूनिटी को बढ़ाता है, जिससे हार्ट डिजीज और अन्य जोखिमों का खतरा कम होता है। त्वचा के लिए फायदेमंद होने के साथ ही हल्दी वाला दूध हड्डियों के लिए भी एक बेहतरीन ड्रिंक होता है। हल्दी का दूध पाचन तंत्र को भी बेहतर बनाता है।सर्दी-जुकाम से राहतबदलते मौसम में वायरल इंफेक्शन का शिकार होने वाले लोगों के लिए हल्दी वाला दूध बहुत फायदेमंद होता है। रात में सोने से पहले गर्म हल्दी वाले दूध को पीने से सर्दी-फ्लू से बचा जा सकता है। हल्दी के एंटी-वायरल गुण इंफेक्शन से लड़ने में मदद करते हैं और इसके एंटी-इनफ्लेमेटरी गुण खांसी और सर्दी से राहत दिलाने में मदद करते हैं।बॉडी को करता है डिटॉक्सहल्दी वाला दूध पाचन को बेहतर बनाता है। ये गैस और ब्लोटिंग जैसी समस्याओं से भी छुटकारा दिलाता है। हल्दी वाले दूध के एंटी-इनफ्लेमेटरी गुण ठंड के मौसम में जोड़ों और मांसपेशियों में होने वाले दर्द से भी राहत दिलाने का काम करते हैं।साइनस को करता है ठीकरोजाना हल्दी वाला दूध पीने से बलगम बढ़ सकता है। इसके बावजूद ये साइनस से होने वाले सिरदर्द को भी कम करने का काम करता है, क्योंकि हल्दी में ब्लड को पतला करने वाले गुण होते हैं। इससे बॉडी में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर बनाता है।कब पीना चाहिए हल्दी वाला दूधहल्दी वाले दूध को रात में सोने से ठीक पहले और गर्म करके पीना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि हल्दी वाला दूध पीने से नींद बहुत अच्छी आती है और इसे पीने से गहरी नींद आती है। अगर आपको दूध पीना पसंद नहीं है तो आप छाछ में भी हल्दी मिलाकर पी सकते हैं।
- दूध का सेवन सेहत के लिए तो बहुत फायदेमंद होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं, त्वचा की कई समस्याएं दूर करने में भी दूध बहुत लाभकारी होता है। हम में से ज्यादातर लोग चेहरे पर दूध या इसकी मलाई लगाते हैं, क्योंकि यह आपकी त्वचा को मॉइश्चराइज रखता है और त्वचा को कोमल बनाता है। हालांकि इसके अलावा भी चेहरे पर दूध लगाने से त्वचा को कई फायदे मिलते हैं। अक्सर कुछ लोग चेहरे पर काले धब्बों की समस्या का सामना करते हैं। ऐसा कई बार कील-मुंहासों के कारण देखने को मिलता है, या फिर यह धूप के संपर्क में अधिक समय बिताने या पिगमेंटेशन के कारण भी हो सकता है। चेहरे के काले धब्बों से छुटकारा पाने के लिए लोग तरह-तरह के घरेलु नुस्खे ट्राई करते हैं, साथ ही कुछ लोग महंगी-महंगी क्रीम और अन्य स्किन केयर प्रोडक्ट्स का भी प्रयोग करते हैं। लेकिन फिर काले धब्बों से छुटकारा नहीं मिलता है।लेकिन क्या आप जानते हैं, चेहरे के काले धब्बे दूर करने में कच्चा दूध बहुत कारगर साबित हो सकता है? ऐसा इसलिए क्योंकि दूध में लैक्टिक एसिड मौजूद होता है, अध्ययन में पाया गया है कि लैक्टिक एसिड त्वचा की रंगत में सुधार करने और चेहरे के कालेपन को दूर करने में मदद कर सकता है। यह काले धब्बों को साफ करने के लिए भी एक रामबाण उपाय साबित हो सकता है। बस आपको सही तरीके से चेहरे पर इसका प्रयोग करना है। अब सवाल यह उठता है कि चेहरे के काले धब्बे साफ करने के लिए कच्चे दूध का प्रयोग कैसे करें? इस लेख में हम आपको इसके बारे में विस्तार से बता रहे हैं।काले धब्बे साफ करने के लिए कच्चे दूध का प्रयोग कैसे करें?-1. सीधे तौर पर प्रयोग हैआप चेहरे के काले धब्बे दूर करने के लिए दूध को सीधे अपनी त्वचा पर लगा सकते हैं और इससे त्वचा की सफाई कर सकते हैं। इसका प्रयोग करना भी बहुत आसानी है। बस 2 चम्मच दूध लें और इसे रूई की मदद से चेहरे पर लगाएं और क्लींजर की तरह प्रयोग करें। ऐसा तब तक करें, जब कि दूध पूरा खत्म न हो जाए। उसके बाद चेहरे को 10-15 मिनट के लिए या रात भर के लिए ऐसे ही छोड़ दें। फिर सादे पानी से धो लें।2. एक्सफोलिएटर के रूप में प्रयोग कर सकते हैंकच्चा दूध त्वचा के लिए एक बेहतरीन क्लींजर के रूप में काम करता है। आप इसका प्रयोग त्वचा को एक्सफोलिएट करने के लिए भी कर सकते हैं। इसके लिए आपको 2-3 बड़े चम्मच कच्चा दूध लेना है, फिर इसमें आपको समान मात्रा में गाजर का रस, साथ 1 चम्मच दही डालकर अच्छी तरह मिलाना है। इस मिश्रण को चेहरे पर लगाएं, फिर इससे चेहरे की कुछ मिनट सर्कुलर मोशन में मालिश करें। फिर कम से कम 10 मिनट के लिए चेहरे पर छोड़ दें। उसके बाद सादे या ठंडे पानी से धो लें। इसके बाद त्वचा को मॉइस्चराइज जरूर करें।3. फेस पैक की तरह प्रयोग करेंचेहरे के काले धब्बे हटाने के लिए आप कच्चे दूध को होममेड फेस पैक के रूप में अप्लाई कर सकते हैं। इसके लिए आप दूध में मुल्तानी मिट्टी, बेसन, चंदन पाउडर या कोई भी अन्य सामग्री मिलाकर इसका प्रयोग कर सकते हैं। इसके लिए आप दो चम्मच बेसन या मुल्तानी मिट्टी लेनी है, फिर उसमें बराबर मात्रा में कच्चा दूध मिलाना है। अगर पेस्ट गाढ़ा हो जाता है, तो आप जरूरत के अनुसार इसमें थोड़ा और दूध या नींबू का रस या फिर गुलाब जल भी मिला सकते हैं। फिर चेहरे पर एक अच्छा मॉइश्चराइजर लगाएं ।
- नारियल तेल का इस्तेमाल लगभग हर घर में होता है। सर्दियों में चेहरे पर अत्याधिक रूखेपन के कारण कई लोग चेहरे पर नारियल तेल लगाना पसंद करते हैं। सर्दियों में नारियल तेल चेहरे पर नियमित लगाने स्किन चमकदार बनती है और एक्ने की समस्या भी आसानी से दूर होती हैं। नारियल तेल चेहरे पर लगाने से त्वचा की कई समस्याएं आसानी से दूर होती हैं। नारियल तेल को चेहरे पर कभी भी आसानी से लगाया जा सकता हैं। लेकिन ध्यान रखें नारियल तेल को जब भी चेहरे पर लगाएं इससे चेहरे की 1 मिनट तक हल्के हाथ स मसाज करें। ऐसा करने से नारियल तेल को स्किन आसानी से सूख लेगी। आइए जानते हैं सर्दियों में चेहरे पर नारियल तेल लगाने के फायदों के बारे में।रूखेपन की समस्या कम होगीचेहरे पर सर्दियों में नारियल तेल लगाने से ड्राई स्किन की समस्या आसानी से दूर होती है। सर्दियों में कई बार स्किन फटने की वजह से चेहरे की खूबसूरती कम होती है। ऐसे में नारियल तेल चेहरे पर लगाने से स्किन फटने की समस्या दूर होती है और स्किन को भी पोषण मिलता है।दाग-धब्बे होते हैं दूरसर्दियों में चेहरे पर नारियल तेल लगाने से दाग-धब्बों की समस्या आसानी से दूर होती हैं। नारियल तेल में पाए जाने वाले गुण दाग-धब्बों को दूर करने के साथ स्किन भी ग्लोइंग बनती है। चेहरे के दाग-धब्बे हटाने के लिए सोने से पहले नारियल तेल से चेहरे की मसाज करें। ऐसा नियमित करने से पिंपल्स के दाग-धब्बे आसानी से दूर होंगे।टैनिंग से करें रक्षासर्दियों में चेहरे पर नारियल तेल लगाने से टैनिंग की समस्या भी दूर होती है। बाहर जाने से 10 मिनट पहले नारियल तेल से चेहरे की मसाज करें। ऐसा नियमित करने से सनबर्न की समस्या दूर होती है। नारियल तेल चेहरे से धूप के प्रभाव को बचाता है।ग्लोइंग स्किनअगर आप भी ग्लोइंग स्किन पाने की चाहत में महंगे प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं और आपको मन मुताबिक रिजल्ट नहीं मिलता, तो चेहरे पर नारियल तेल से अवश्य करें। ऐसा करने से स्किन चमकदार बनती है और दाग- धब्बे भी दूर होते हैं।झुर्रियों की समस्या होती है दूरचेहरे पर नारियल तेल लगाने से झुर्रियों की समस्या आसानी से दूर होती है। नारियल तेल में पाए जाने वाले एंटी एजिंग गुण झुर्रियों की समस्या को दूर करते हैं। चेहरे पर नियमित नारियल तेल से मालिश करने से बढ़ती उम्र के निशान भी दूर होते हैं।सर्दियों में नारियल तेल चेहरे पर लगाने से कई समस्याएं दूर होती हैं। लेकिन ध्यान रखें अगर आपने फेस पर कोई ट्रीटमेंट कराया हैं, तो ब्यूटी एक्सपर्ट की सलाह पर ही इसका इस्तेमाल करें। नारियल तेल को लगाने से पहले पैच टेस्ट अवश्य करें।
- प्रीति निगमठंड की वजह से होने वाला गले में खराश ज्यादातर एक हफ्ते में खुद-ब-खुद ठीक हो जाता है। लेकिन डॉक्टर जल्दी रिकवरी के लिए एंटीबायोटिक लिख सकते हैं। हालांकि, कुछ घरेलू नुस्खों से भी आप इस परेशानी को खत्म कर सकते हैं।शहदरिसर्च गेट में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, गले में इन्फेक्शन के लिए शहद सबसे अच्छा घरेलू उपाय है। शहद में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं, जो खांसी और सर्दी के लक्षणों को दूर करने में मदद करते हैं। इसके अलावा, यह गले के दर्द के लिए भी एक प्रभावी उपाय है। गले में खराश और खांसी से राहत पाने के लिए ताजे अदरक के पेस्ट के साथ शहद का उपयोग आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।अदरकएनसीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, अदरक में जिंजरोन और जिंजरोल जैसे यौगिक होते हैं, जो शरीर में प्रवेश करने वाले बैक्टीरिया और वायरस को रोकने का काम करते हैं। जिससे गले में खराश सहित कई स्थितियों के जोखिम को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। एक कप पानी में ताजा अदरक के कुछ स्लाइस उबालकर अदरक की चाय बनाएं, और राहत के लिए इसे दिन में 2-3 बार पिएं।हल्दीहल्दी में करक्यूमिन नामक एक पॉलीफेनोल होता है। इसमें एंटीवायरस, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी फंगल गुण होते हैं। यह वायरल संक्रमण के लक्षणों को रोकने के लिए इम्यूनिटी को बूस्ट करने का काम करता है। ऐसे में हल्दी गले के दर्द के लिए एक प्रभावी उपचार हो सकता है। गर्म दूध में थोडा सा हल्दी पाउडर डाल कर अच्छी तरह से मिला लें और इसे दिन में 2-3 बार पिएं।काली मिर्चकाली मिर्च में क्वेरसेटिन होता है जो सर्दी और खांसी के लक्षणों को कंट्रोल करने और इम्यूनिटी को बूस्ट करने का कार्य करता है। इसमें एंटीवायरस, एंटी बैक्टीरियल और एक्सपेक्टोरेशन गुण भी होते हैं, जो श्वसन पथ में बलगम और कफ के जमाव को हटाने में मदद करते हैं। थोड़ा गर्म पानी लें और दो चुटकी भर काली मिर्च पाउडर मिलाएं। अब इसे अच्छे से मिलाकर इसका सेवन करें।दालचीनीदालचीनी में एंटीवायरस, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीमाइक्रोबियल और एंटी फंगल गुण होते हैं। जो इम्यूनिटी सिस्टम को बेहतर बनाते हैं। दालचीनी के नियमित सेवन से गले में संक्रमण होने की संभावना कम हो सकती है। थोड़े से दूध में एक चुटकी दालचीनी और अदरक का पाउडर और थोड़ा सा शहद मिलाएं। गले के दर्द से राहत पाने के लिए इस दालचीनी वाले दूध को दिन में दो बार पिएं।हींगहींग की जड़ें प्राकृतिक एंटीवायरस यौगिक पैदा करती हैं। जो कफ के दवा के रूप में काम करती है। इसलिए यह काली खांसी में बहुत फायदेमंद मानी जाती है। हींग की गंध मात्र में बैक्टीरिया से लडऩे की क्षमता होती है। ऐसे में गले के दर्द के लिए आप हींग का सेवन कर सकते हैं। एक गिलास पानी में एक चम्मच हींग पाउडर, थोड़ी मात्रा में अदरक पाउडर और शहद मिलाएं। गले की खराश से राहत पाने के लिए इस मिश्रण को दिन में दो बार पिएं।
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शादियों और पार्टी का सीजन शुरू हो चुका है। ऐसे में जरूरत से ज्यादा बाहर का तला भुना और फ्राइड खाना खाने से आपको एसिडिटी और पेट में जलन की समस्या हो सकती है। अगर आप भी पेट की जलन और एसिडिटी से परेशान रहते हैं तो ये असरदार ड्रिंक आपकी परेशानी तुरंत ठीक करने में आपकी मदद कर सकते हैं। खास बात यह है कि इन ड्रिंक्स का सेहत पर कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है।
जीरा पानी-
पेट की जलन तुरंत शांत करने के लिए जीरा पानी बेहद फायदेमंद है। जीरे में मौजूद फाइबर और मिनरल पाचन तंत्र सुधारने का काम करते हैं। इससे आपका मेटाबॉलिज्म ठीक रहता है और पेट में होने वाले दर्द से निजात भी मिलती है। इस उपाय को करने के लिए जीरे को 15 मिनट पानी में उबालकर उसका पानी छानकर भी पीना है।
सौंफ का पानी-
पेट की जलन, डायरिया जैसी समस्याओं को दूर करने के साथ खून साफ और वेट लॉस में भी बेहद मददगार है सौंफ। इसके लिए सौंफ के कुछ दाने हाथ में लेकर उसे कच्चा या भुना दोनों तरह से खा सकते हैं। इसके अलावा पेट की जलन को ठीक करने के लिए रातभर पानी में भिगोकर रखी हुई सौंफ के पानी को सुबह उठकर पी लें। इसके अलावा एसीडिटी दूर करने के लिए अगर आपको इंस्टेंट उपाय करना है तो 1 गिलास गरम पानी के साथ सौंफ खा लें।
जिंजर ड्रिंक-
अदरक में मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण एसिडिटी के लएि जिम्मेदार बैक्टेरिया को मारने में फायदेमंद होते हैं। इस ड्रिंक को बनाने के लिए अदरक को कुछ देर पानी में भिगोकर रख दें। पानी का रंग बदलने पर उसमें शहद मिलाकर पी लें। आप चाहें तो पानी को उबाल भी सकते हैं। इससे गैस की समस्या भी दूर होती है। अदरक का सेवन करने से गले की खराश भी दूर होती है। सर्दियों में आप रोज जिंजर ड्रिंक पी सकते हैं।
एलोवेरा जूस-
एलोवेरा में एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं। जो पाचन तंत्र को मजबूत बनाकर पेट की कई समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं। इसका जूस पीने से व्यक्ति को पेट की जलन और दर्द दोनों से राहत मिलती है। अगर आपको एलोवेरा का स्वाद पसंद नहीं है तो आप इसे नारियल पानी के साथ पी सकते हैं। - दूध को सेहत का खजाना माना जाता है। रोजाना दूध पीने से न सिर्फ सेहत दुरुस्त रहती है बल्कि स्किन और बालों की समस्या से भी निजात पाई जाती है। दूध में भरपूर मात्रा में कैल्शियम, मैग्नीशियम और विटामिन पाए जाते हैं, जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा दूध विटामिन ए, डी, के और ई सहित फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, आयोडीन व कई खनिज का भी अच्छा सोर्स माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं दूध के साथ कुछ चीजों का सेवन करने की मनाही होती है। आयुर्वेद के अनुसार दूध के साथ नमक का सेवन करने से शरीर को कई बीमारियां घेर लेती हैं, साथ ही ये पाचन संबंधी समस्याओं का भी कारण बन सकता है।दूध के साथ नमक खाने के नुकसान1. चर्म रोग का कारणदूध के साथ नमक खाने से सफेद दाग यानी कि चर्म रोग की समस्या हो सकती है। दरअसल, दूध और नमक दोनों विपरीत प्रकृति के पदार्थ हैं। अगर इनका एक साथ सेवन किया जाता है तो शरीर पर बुरा प्रभाव डालते हैं।2. बालों का झड़नादूध के साथ नमक खाने से बालों का झड़ना, टूटना और गिरना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। दूध के साथ नमक का सेवन करने से बाल समय से पहले सफेद हो सकते हैं।3. बेचैनी महसूस होनादूध के साथ नमक का सेवन करने से बेचैनी या अचानक सीने में दर्द की समस्या भी हो सकती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि नमक और दूध का सेवन जब एक साथ किया जाता है, तो ये शरीर के अंगों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, जिसकी वजह से बेचैनी की समस्या हो सकती है और ये लंबे समय तक रह सकती है।दूध के साथ क्या नहीं खाना चाहिए?आयुर्वेद के अनुसार दूध के साथ दही, नमक, इमली, खरबूजा, बेल, नारियल, मूली, तोरई, तिल, तेल, कुल्थी, सत्तू जैसी चीजों को खाने से बचना चाहिए। दूध के साथ इस तरह के खाद्य पदार्थों का सेवन करने से पाचन, स्किन और बाल संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
- नई दिल्ली। दिल का दौरा पड़ने के मामले आमतौर पर 'मोटापे' और 'हाई कोलेस्ट्रॉल' के शिकार लोगों के बीच देखने को मिलते हैं। लेकिन, हाल ही में युवाओं में सामने आईं ऐसी घटनाएं एक अलग और चिंताजनक तस्वीर पेश करती हैं। ऐसे कई वीडियो सामने आए हैं, जिनमें सैर, जिम में कसरत जैसी रोजमर्रा की गतिविधियां करते और शादी में नाचते समय लोग हार्ट अटैक के शिकार हो गए। ऐसे में प्रख्यात हृदय रोग विशेषज्ञों का मानना है कि 'असामान्य व्यायाम' या 'अति व्यायाम' युवाओं में दिल के दौरे का कारण बन सकता है। पिछले कुछ वर्षों में हार्ट अटैक के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। विशेष रूप से 25 से 50 वर्ष की आयु के लोगों के बीच। हाल ही में कन्नड़ सुपरस्टार पुनीत राजकुमार, गायक केके और हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव जैसी कई हस्तियों का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। इसके बाद हृदयाघात के बारे में कुछ व्यापक रूप से गलत धारणाएं सामने आई हैं और उन्हें दूर करने की आवश्यकता है।कैसे पड़ता है दिल का दौरा?यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के हृदय रोग विभाग के प्रोफेसर डॉ. नीतीश नाइक कहते हैं, 'हृदय को रक्त और पोषण की आपूर्ति करने वाली धमनियों में अचानक रुकावट के कारण दिल का दौरा पड़ता है।'फोर्टिस अस्पताल, नोएडा के ‘कार्डियक साइंसेज’ के अध्यक्ष और ‘कार्डियक सर्जरी’ के प्रभारी डॉ. अजय कौल बताते हैं, 'धमनी में वसा की परत का निर्माण होता है। यह परत टूटकर रक्त वाहिका में प्रवेश कर जाती है, जिससे वाहिका में रक्त का थक्का बन जाता है, और वह बंद हो जाती है।'नाइक कहते हैं, 'धूम्रपान के आदी, सुस्त जीवन शैली वाले, मोटापे, खराब रक्तचाप से ग्रस्त, मधुमेह से पीड़ित या उच्च कोलेस्ट्रॉल के शिकार लोगों के साथ इस तरह की दिक्कत हो सकती हैं।'उन्होंने कहा कि इसके केवल यही कारण नहीं हैं। जिम में अत्यधिक कसरत करने से भी ऐसा हो सकता है।पैन मैक्स- कार्डिएक साइंसेज में कैथ लैब के प्रमुख निदेशक और प्रमुख डॉ. विवेक कुमार कहते हैं, 'अनियमित व्यायाम से दिल का दौरा पड़ सकता है, इसलिए बिना प्रशिक्षण के व्यायाम नहीं करना चाहिए।'ज्यादा व्यायाम से क्या हार्ट अटैक आ सकता है?उजाला सिग्नस ब्राइटस्टार हॉस्पिटल, मुरादाबाद के सीनियर कंसल्टेंट और ‘इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट’ डॉ. विजया कुमार कहते हैं, 'हां, ज्यादा व्यायाम करने से कोरोनरी वाहिकाओं में जमी परत फट सकती है, जिससे दिल का दौरा पड़ सकता है।'नई दिल्ली के पटपड़गंज में स्थित मैक्स अस्पताल में हृदय रोग विभाग के एसोसिएट डायरेक्टर विनीत भाटिया ने कहा, 'आंकड़ों की बात की जाए तो युवाओं में इसके 15-18 प्रतिशत मामले होते हैं।' लेकिन युवाओं में हृदयाघात के मामले केवल अत्यधिक व्यायाम के कारण नहीं देखे गए हैं। कोविड से भी दिल का दौरा पड़ने के मामले बढ़े हैं।कोविड से हार्ट अटैक का क्या है कनेक्शन?कौल कहते हैं, 'यह सच है कि कोविड ने बहुत दिक्कतें पैदा की हैं। कोविड से रक्त के थक्के जम सकते हैं। कोविड से हृदय और फेफड़ों की समस्याएं पैदा होती हैं।' ऐसे में सवाल उठता है कि कोई कैसे जान सकता है कि कोविड या अधिक व्यायाम हृदय की समस्याओं का कारण है?कौल कहते हैं, 'मूल्यांकन। किसी डॉक्टर के पास जाएं, और वह आपको बताएगा कि क्या कोविड केवल आपके फेफड़ों तक ही सीमित था या नहीं।' कोविड के खिलाफ लड़ाई में टीकों का अहम योगदान रहा है। हालांकि, कोविड रोधी टीके कुछ मामलों में हृदयाघात का कारण भी बने हैं। ऐसे में इस तरह के मामलों से कितना चिंतित होने की जरूरत है?इस बारे में कौल कहते हैं, 'लाभ, जोखिमों से कहीं अधिक हैं। टीकाकरण में कई अन्य समस्याएं हैं। हां, ऐसा है। लेकिन संख्या इतनी कम है कि उन्हें अनदेखा किया जा सकता है। दूसरा, यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि कोविड हृदय की समस्याओं को और अधिक बढ़ा सकता है।'
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सर्दियों में अजवाइन का पानी पीने से पाचन शक्ति ठीक होती है. दरअसल, सर्दियों में अक्सर लोग तरह-तरह के व्यंजनों का जमकर लुत्फ उठाते हैं. इसकी वजह से कई बार पेट भी खराब हो जाता है. ऐसी स्थिति में अजवाइन का पानी लाभकारी साबित हो सकता है.
अगर आप एसिडिटी से परेशान हैं तो अजवाइन का पानी आपके लिए बहुत ही अच्छा है. दरअसल, अजवाइन के पानी में एंटी- हाइपरएसिडिटी के गुण पाए जाते हैं जो एसिडिटी को कंट्रोल करने में मदद करते हैं
सर्दियों में आलस भरी जीवनशैली और गलत खानपान की वजह से लोगों का वजन बढ़ने लगता है. ऐसे में अजवाइन का पानी काफी फायदेमंद साबित होता है. इसमें लैक्सेटिव होता है जो वजन को कंट्रोल करने में मददगार है. अगर आप रोज एक गिलास अजवाइन का पानी पीते हैं तो आप आसानी से अपना वेट मेंटेन रख सकते हैं.
अजवाइन का पानी पीने से सर्दी और फ्लू को दूर रखा जा सकता है. दरअसल, अजवाइन के अंदर एंटी वायरल गुण होते हैं, जो सर्दियों में वायरल और फ्लू होने का खतरा कम करने में मददगार साबित होता है. -
आज की भागदौड़ वाली लाइफस्टाइल में रेडी टू ईट फू्ड्स का सेवन बहुत तेजी से बढ़ रहा है. रेडी टू ईट फूड्स में दाल, चावल, सब्जी समेत सभी तरह के स्नैक्स और मील शामिल हैं. ये एक तरह से रेडीमेड खाद्य पदार्थ होते हैं जिन्हें सिर्फ उबालने या फिर कुछ देर के लिए गर्म करने की जरूरत होती है. लेकिन ये रेडी टू ईट फूड्स आपको कई बीमारियों का शिकार बनाते हैं और ये आपके जीवन के कुछ साल छीन सकता है.
ब्राजील में हुई एक स्टडी में ये सामने आया है कि रेडी टू ईट मील का सेवन समय से पहले मृत्यु के खतरे को 10 फीसदी तक बढ़ाते हैं. ब्राजील में 2019 में हुई इस स्टडी में ये बताया गया है कि अगर आप इन 5 रेडी टू ईट मील का सेवन करते हैं तो आप समय से पहले मौत का शिकार बन सकते हैं.
क्या कहती है स्टडी
ये रिसर्च अमेरिकन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव मेडिसिन में प्रकाशित हुई थी. शोधकर्ताओं ने बताया कि लंबे समय तक अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का सेवन मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर जैसी बीमारियों का जोखिम बढ़ाता है.
ब्राजील के साओ पाउलो विश्वविद्यालय के प्रमुख और इस रिसर्च के लेखक एडुआर्डो निल्सन ने बताया, ''इन नतीजों के लिए उन्होंने स्वास्थ्य पर पड़ने वाले अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों के जोखिम का तुलनात्मक मूल्यांकन किया था.''
रिसर्च में शोधार्थियों ने पाया कि 2019 में 30 से 69 वर्ष की आयु के पांच लाख से अधिक वयस्क लोगों की मौत हुई जिनमें 57,000 लोगों यानी करीब 10.5 प्रतिशत की मौत समय से पहले हुई जिसकी वजह अल्ट्रा-प्रॉसेस्ड फूड्स थे.
निल्सन ने ये भी कहा कि ये आंकड़ें उन देशों में और भी भयावह हो सकते हैं जहां बड़े पैमाने पर लोग रेडी टू ईट फूड्स का सेवन करते हैं.
क्या होते हैं रेडी टू ईट फूड्स
बदलती जीवनशैली में लोगों के पास समय की कमी है और उनके पास घर में खाना बनाने का समय नहीं है. ऐसे में लोग बाजार में मिलने वाले पैक्ड फूड्स का सेवन करने लगे हैं. पिछले कुछ सालों में रेडी टू ईट फूड का चलन तेजी से बढ़ा है. बाजार में मिलने वाले रेडी टू ईट फूड या पैकेज्ड फूड हेल्दी नहीं होते हैं. ये कितना भी हेल्दी होने का दावा कर लें लेकिन ये प्रिजर्वेटिव्स कार्ब्स, शुगर और सॉल्ट से भरपूर होते. इनमें अत्यधिक मात्रा में फ्लेवर्स डाले जाते हैं जो आपकी इम्युनिटी घटाते हैं. इनमें पोषक तत्व नहीं होते. लंबे समय तक इनका सेवन डायबिटीज, मोटापा, बैड कोलेस्ट्रोल और हृदय रोग का जोखिम बढ़ाते हैं.
क्या होते हैं अल्ट्रा-प्रॉसेस्ड फूड
लगभग सभी प्रकार के रेडी टू ईट फूड अल्ट्रा-प्रॉसेस्ड होते हैं. अल्ट्रा-प्रॉसेस्ड खाद्य पदार्थ वसा, स्टार्च, एडेड शुगर और अनहेल्दी फैट्स से भरपूर होते हैं. ये फैक्ट्रियों में कई प्रक्रियाओं से गुजरते हैं. इसमें खाने के नैचुरल तत्व हटा कर कृत्रिम तत्व डाल दिए जाते हैं. अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स में अत्यधिक कैलोरी, चीनी नमक से भरपूर होते हैं. फ्रोजन फूड जैसे पिज्जा, आलू टिक्की, कटलेट, चिप्स, पैक्ड सूप, ब्रेकफास्ट सीरियल्स, कुकीज जैसे फूड्स अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ की कैटेगरी में आते हैं.
अल्ट्रा-प्रॉसेस्ड फूड्स पर क्या कहते हैं डॉक्टर
निल्सन बताते हैं, ''अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड ताजा भोजन का विकल्प नहीं हो सकते. वास्तव में मुनाफा कमाने के लिए रेडी टू ईट फूड्स का औद्योगिकीकरण हुआ है. इसमें बहुत कम ताजी और हेल्दी चीजें होती हैं जबकि ये बहुत ज्यादा स्टार्च, अनहेल्दी फैट और प्रोटीन से भरपूर होते हैं. इन्हें सालों तक स्टोर करने और बड़े पैमाने पर बेचने के लिए बनाया जाता है. इनका प्रोडक्शन और स्टोर करने की लागत भी बहुत कम होती है.''
उन्होंने आगे कहा, ''इन खाद्य पदार्थों का अक्सर कम आय वाले समुदायों के लोग सबसे अधिक सेवन करते हैं क्योंकि वो खानपान पर ज्यादा खर्च नहीं कर पाते हैं. रेडी टू ईट खाद्य पदार्थ ताजा भोजन की तुलना में सस्ते और आसानी से मिलते हैं.' - पेट में कब्ज होना, पेट से जुड़ी सबसे आम समस्याओं में से एक है। हम सभी अक्सर ही ज्यादा मसालेदार भोजन करने, देर रात खाने, भोजन के खराब पाचन और कई अन्य कारणों के कब्ज का सामना करते हैं। जब हम पानी कम पीते हैं और गलत या मसालेदार भोजन करते हैं, तो इससे हमारा पाचन प्रभावित होता है। आज इस लेख में हम आपको उनके पोस्ट से प्राप्त जानकारी के माध्यम से कब्ज क्यों होती है और कब्ज से छुटकारा पाने के लिए सुबह खाए जाने वाले 5 फूड्स बता रहे हैं।कब्ज दूर करने के लिए सुबह क्या खाएं-1. खजूर खाएंखजूर स्वाद में मीठे और प्रकृति में ठंडे होते हैं। शरीर में वात और पित्त दोनों के संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं। साथ ही यह फाइबर से भी भरपूर होते हैं, जिससे ये कब्ज से भी राहत प्रदान करते हैं। इसके लिए आपको बस रातभर पानी में भीगे 2-3 भीगे सुबह खाली पेट गर्म पानी के साथ खाने हैं।2. मेथी के बीज खाएंआपको 1 चम्मच मेथी के बीज को रातभर पानी में भिगोकर रखना है, फिर सुबह खाली पेट इनका सेवन करना है। इसके अलावा मेथी के बीज का पाउडर बनाकर रात में सोने से पहले एक चम्मच गर्म पानी के साथ भी ले सकते हैं। यह अतिरिक्त वात और कफ वाले लोगों के लिए बेस्ट विकल्प है। हालंकि पित्त प्रकृति (गर्मी की समस्या) वाले लोगों को इसके सेवन से बचना चाहिए।3. गाय का घी खाएंयह एक नेचुरल मेटाबलिज्म बूस्टर है। यह आपको हेल्दी फैट प्रदान करता है, जो कि फैट में घुलनशील विटामिन और मिनरल्स के अवशोषण में मदद करता है जैसे विटामिन ए, डी, ई और के। आप कब्ज से छुटकारा पाने के लिए एक गिलास गर्म गाय के दूध में 1 चम्मच गाय का घी मिलाकर पी सकते हैं, यह पुरानी कब्ज वाले लोगों के लिए बेस्ट नुस्खा है।4. आंवला खाएंआंवला में रेचक गुण होते हैं, आप एक चम्मच आंवला पाउडर या ताजे आंवला का रस (3 आंवला) के रूप में इसका सेवन कर सकते हैं। यह सभी के लिए फायदेमंद है।5. भीगी किशमिश खाएंरातभर पानी में भीगी काली किशमिश खाने से भी बाउल मूवमेंट को ठीक करने में मदद मिलती है, क्योंकि ये फाइबर से भरपूर होती हैं। लेकिन किशमिश को भिगोकर ही खाएं। कब्ज के लिए आप लिए आप मुठ्ठी भर भीगी किशमिश खा सकते हैं।
- सर्दियों के मौसम में मूली, गाजर, गोभी और साग सहित विभिन्न सब्जियों की खूब उपज होती है। सब्जियों का सेवन स्वास्थ्य के लिए सबसे बेहतर माना गया है क्योंकि सब्जियों में वो सभी पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर को स्वस्थ और मजबूत बनाने के लिए जरूरी हैं। सब्जियों में विटामिन, मिनरल्स, फाइबर और प्रोटीन समेत सभी पोषक तत्व पाए जाते हैं।विभिन्न पोषक तत्वों से भरपूर एक ऐसी ही सब्जी मूली है जिसका ठंड में खूब सेवन किया जाता है। मूली को सलाद, अचार, पराठा और सब्जी के रूप में खाया जाता है। मूली विटामिन ए, बी और सी, प्रोटीन, कैल्शियम और आयरन जैसे कई खनिजों से भरपूर मानी जाती है। यह पाचन के लिए एक बेहतरीन सब्जी और इससे गैस की समस्या में काफी राहत मिलती है। लेकिन इस सब्जी का सेवन करते समय कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ होते हैं, जिनका सेवन करने से बचना चाहिए, क्योंकि ये व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकते हैं।मूली के साथ दूध पीने से बचेंअगर आपने मूली का सेवन किया है, तो आपको इसके बाद दूध का सेवन कभी नहीं करना चाहिए। इसकी वजह यह है कि इससे आपको स्किन की प्रॉब्लम होती है और कभी- कभी ये ठीक होने बहुत समय लेती है।मूली के साथ खीरमूली या इससे बनी कोई भी डिश खाने से पहले या बाद में आपको दूध से बनी खीर बिल्कुल भी नहीं खानी चाहिए। इसकी वजह यह है कि इससे आपको त्वचा से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।मूली के साथ करेलासर्दियों में करेला भी सबसे ज्यादा खाई जाने वाली सब्जी है। लेकिन ध्यान रहे कि मूली के साथ कभी भी करेला नहीं खाना चाहिए। इसकी वजह यह है कि इससे आपको सांस की प्रॉब्लम होती है। रात को ये प्रॉब्लम और ज्यादा बढ़ जाती है।मूली के साथ संतरासर्दियों में संतरे की खूब उपज होती है और खाया जाता है। लेकिन आपको मूली के साथ कभी भी संतरे नहीं खाने चाहिए क्योंकि इससे आप को कब्ज की शिकायत हो सकती है। इतना ही नहीं यह कॉम्बिनेशन आपके पेट के लिए कई जोखिम पैदा कर सकता है।मूली के साथ चाययह कॉम्बिनेशन बेहद खतरनाक है क्योंकि इससे कब्ज और एसिडिटी हो सकती है। क्योंकि मूली ठंडी होती है और चाय की तासीर गर्म बताई जाती है और दोनों एक दूसरे के बिल्कुल विपरीत होती हैं। यही वजह है कि चाय और मूली का मेल बेमेल बताया जाता है।मूली के साथ खीरालोग खीरे और मूली को बेस्ट कॉम्बिनेशन मानते हैं और सलाद के रूप में खाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि खीरा और मूली को एक साथ नहीं खाना चाहिए क्योंकि खीरे में एस्कॉर्बेट होता है, जो विटामिन सी को अवशोषित करने का काम करता है।मूली के साथ पनीरसर्दियों में मूली और पनीर दोनों का ही खूब सेवन किया जाता है। अगर आप मूली खा रहे हैं, तो आपको इसके बाद पनीर नहीं खाना चाहिए। जाहिर है इससे आपको चर्म रोगों का जोखिम बढ़ सकता है।