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- - देश में तेजी से फैल रहा कंजंक्टिवाइटिसवरिष्ठ नेत्र विशेषज्ञ डॉ दिनेश मिश्र ने कहा कंजंक्टीवाईटिस आँख का आना या नेत्र ''शोथ आँखों'' का एक आम संक्रमण है। कंजंक्टीवाइटिस के शिकार लोग साल भर होते रहते हैं। कभी-कभी यह बरसात में काफी तीव्रता से एक बड़े क्षेत्र की जनसंख्या को प्रभावित करती है, यह एक छुतहा इंफेक्शन (संक्रमण) है और निकट सम्पर्ग के कारण एक से दूसरे व्यक्ति में फैलता रहता है। जैसा कि वर्तमान में हो रहा है.देश के अनेक हिस्सों से कंजंक्टिवाइटिस के सामूहिक रूप से फैलने के समाचार मिल रहे हैं .डॉ दिनेश मिश्र ने कहा आँखों में कंजंक्टाइवा नामक श्लेष्मा झिल्ली होती है जो पलकों के भीतरी हिस्सों तथा नेत्र गोलक में कार्निया को छोड़कर नेत्र गोलक को घेरे रहती है। इस झिल्ली में ही होने वाला इन्फेक्शन कंजंक्टीवाइटिस कहलाता है.इसमें कंजंक्टिवा गुलाबी,लाल रंग की दिखने लगती है इस लिए इसे पिंक आई ,रेड आई भी ,आँखे आना भीकहते हैं .कंजंक्टीवाइटिस की तीव्रता तथा लक्षण संक्रमण करने वाले रोगाणु की घातक क्षमता पर निर्भर है। कंजंक्टीवाइटिस मुख्यत: इन्फेक्शन (संक्रमण) एलर्जी तथा चोट लगने से होती है। संक्रमण के कारण होने वाली कंजंक्टीवाइटिस बैक्टीरिया तथा वायरस दोनों में से ही किसी के भी संक्रमण से हो सकती है। ये रोगाणु अनुकूल मौसम में तेजी से वृद्धि करते हैं,एक से दूसरे व्यक्ति मेंनिकट सम्पर्क के कारण कंजंक्टाइवा में पहुँचते हैं तथा संख्या में बढऩे लगते हैं। जिससे लक्षण प्रकट होने लगते हैं.कंजंक्टीवाइटिस होने पर आँखों का लाल हो जाना, पलकों का सूजना, हल्का सिर दर्द, आँखों से पानी आना, आँखों से सफेद कचरा, डिस्चार्ज आना, पलकों का चिपक जाना, इत्यादि की शिकायतें मरीज करते हैं। संक्रमण के कारण होने वाली कंजंक्टभ्वाइटिस सामान्य सर्दी, बुखार, खाँसी के साथ या बाद में भी हो सकती है। एलर्जी के कारण होने वाली कंजंक्टीवाइटिस में मुख्य कारण पराग कण धूल से दवाओं से एलर्जी हो जाना होता है। इसमें मरीज आँखों में सूजन, लालिमा, खुजलाहट, पानी आना, जलन की शिकायत करते हैं। आँखों में बाहरी कण चले जाने, चोट लगने के कारण भी कंजंक्टीवाइटिस हो जाती है, जिसके कारण आँख लाल होना, पानी आना, दर्द होना आम लक्षण हैं। एलर्जी के कारण होने वाली कंजंक्टभ्वाइटिस का इलाज के कारण का निदान करने से ही हो जाता है। यदि किसी दवा के कारण एलर्जी हो गई हो तो उस दवा को बंद कर एलर्जी प्रतिरोधक दवा लेने से ठीक हो जाती है। आँख में कचरा जाने, चोट लगने के कारण होने वाली कंजंक्टीवाइटिस कण निकालने, चोट के ठीक होने पर ही ठीक हो सकती है। संक्रमण के कारण होने वाली कंजंक्टीवाइटिस सबसे आम है। यह बरसात में स्कूल के बच्चों में, ऑफिस में, हॉस्टल में निकट सम्पर्क के कारण सामूहिक रूप से प्रभावित करती है। डॉ दिनेश मिश्र ने कहा कंजंक्टीवाइटिस से बचने के लिए आवश्यक है कि मरीज के सम्पर्क से यथासम्भव बचा जावे। यदि फिर भी कंजंक्टीवाइटिस के प्रकोप के शिकार हो जावे, तब रंगीन चश्मे का उपयोग करें, जिससे आँखों को आराम मिलेगा। अपना तौलिया, रूमाल, पेन इत्यादि व्यक्तिगत वस्तुएँ अलग रखें। ऑफिस, शाला से अवकाश लेकर विश्राम करें, जिससे संक्रमण सहकर्मियों व दोस्तों में न फैल जावे। आँखों से पानी, डिस्चार्ज साफ रूमाल से साफ करें, आँखे बार बार साफ करें. हाथ साबुनसे धोवें।.डॉ दिनेश मिश्र ने कहा कंजंक्टीवाइटिस के फैलने के बारे में कुछ भ्रांतियाँ हैं, जैसे कि पहले यह माना जाता था यह मरीज की आँखों में देख लेने से ही हो जाती है, जबकि वास्तविकता यह नहीं है।यह सिर्फ देखने से नहीं होता बल्कि किसी मरीज के निकट सम्पर्क में जाने से,स्पर्श, हाथ मिलाने, संक्रमित व्यक्ति की व्यक्तिगत वस्तुओं के उपयोग से हो सकता है।.कंजक्टिवाइटिस होने पर आँखों में लालिमा,दर्द, धुँधला दिखने पर नेत्र विशेषज्ञ से सम्पर्क करें। रोगी का चश्मा न लगावें। यथासम्भव रेल, बस इत्यादि साधनों से यात्रा न करें। स्विमिंग पुल में न जाए, सामूहिक कार्यक्रम में जाने से बचें.आँखों में सूरमा, काजल का प्रयोग न करें।कॉन्टेक्ट लेंस न लगाएं. आंखों को बार बार न रगड़े.मूवी,वीडियो गेम देखते रहने की बजाय आँखों को आराम दें. अपनी आँखों में कोई भी दवा किसी परामर्श के स्वयं ही न डालें। स्टेरॉयड युक्त दवा न डालें. आँख में दवाएँ नेत्र विशेषज्ञ से सम्पर्क तथा परामर्श के बाद ही डालनी चाहिए। आँखों में दवा डालने के पूर्व उसकी एक्सपायरी तारीख ठीक से देख लेवें, ताकि वह बाद में हानिकारक सिद्ध न हो।डॉ. दिनेश मिश्रवरिष्ठ नेत्र विशेषज्ञरायपुर नेत्र चिकित्सालयनयापारा फूल चौक रायपुर
- हमारे पूरे शरीर के अंगों से नसें जुड़ी हुई हैं। जब नस पर किसी तरह का दबाव पड़ता है, तो नसें दब जाती हैं। यह समस्या पैर, हाथ, कमर, पीठ या अन्य किसी भाग में भी हो सकती है। नस पर दबाव पड़ने से नस संकुचित और सुन्न हो जाती है, साथ ही दर्द महसूस होता है। नस पर दबाव पड़ने से सुई चुभने जैसा एहसास होता है। जिन लोगों की उम्र ज्यादा होती है या जिनकी नसें कमजोर होती हैं, उन्हें नस दबने की समस्या ज्यादा होती है। वैसे तो यह समस्या शरीर के कई भागों में हो सकती है लेकिन आज हम पैर की दबी नस को खोलने के उपायों पर बात करेंगे।पैर की दबी हुई नस खोलने के घरेलू उपाय-1. बर्फ की सिंकाई करें-नस दबने के कारण पैर के उस हिस्से में सूजन नजर आ सकती है। इसका इलाज करने के लिए बर्फ की सिंकाई करें। जब त्वचा में ठंडी सिंकाई होती है, तो रक्त का संचार बढ़ता है और दर्द कम करने में मदद मिलती है। सूजन कम करने के लिए 10 से 15 मिनट सिंकाई करें। दिन में 2 बार सिंकाई करना फायदेमंद होता है।2. नमक से सिंकाई करें-जिस तरह दबी नस को खोलने के लिए ठंडी सिंकाई की जाती है, उसी तरह गर्म सिंकाई से भी नस खोलने में मदद मिलती है। गर्म सिंकाई करने के लिए नमक को तवे पर गर्म कर लें। फिर सूती कपड़ा लें। नमक की पोटली बांध लें। इस पोटली से पैर की सिंकाई करें, तो दर्द में आराम मिलेगा और नसें खुल जाएंगी।3. अदरक के तेल से पैर की मालिश करेंपैर की दबी हुई नस को खोलने के लिए अदरक के तेल का इस्तेमाल करें। अदरक की तासीर गर्म होती है। अदरक में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण भी पाए जाते हैं। सूजन और दर्द को कम करने के लिए अदरक के तेल से पैर की मालिश करें। तेल को पैरों पर लगाएं और हल्के हाथ से मालिश करें। इस तरह आपको आराम मिलेगा। तेल बनाने का तरीका बेहद आसान है। नारियल तेल को हल्का गर्म करें। तेल में अदरक के छोटे टुकड़ों को डालकर उबालें। जब तेल के साथ अदरक का अर्क मिल जाए, तो तेल को छान लें। इसे एक एयरटाइट कंटेनर में स्टोर करें और इससे पैरों की मालिश करें।4. पैर की दबी नस का इलाज है हल्दीहल्दी में करक्यूमिन होता है। हल्दी को कई तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं। बंद नसों को खोलने के लिए हल्दी के दूध का सेवन फायदेमंद होता है। मालिश करने के लिए हल्दी के तेल की मालिश भी कर सकते हैं। हल्दी को गुनगुने पानी के साथ मिलाकर पेस्ट बनाएं। इस पेस्ट को नीम के पत्ते पर रखकर त्वचा पर लगाएं। इससे दर्द जल्दी दूर होगा। नीम और हल्दी के इस्तेमाल से नसों का ब्लॉकेज खोलने में मदद मिलती है।5. नीलगिरी का तेल लगाएंपैर की दबी हुई नस का इलाज करने के लिए नीलगिरी तेल का इस्तेमाल करें। नीलगिरी तेल में दर्द-निवारक गुण पाए जाते हैं। नीलगिरी तेल को किसी अन्य कैरियर ऑयल के साथ मिलाकर दिन में 2 बार मालिश करना फायदेमंद होता है।
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भुट्टा बारिश के दिनों में मिलने वाला सुपरफूड है। यह सेहत के लिए बहुत लाभकारी होता है। इसमें आयरन, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम जैसे मिनरल्स के साथ ही विटामिन ए और बी कॉम्प्लेक्स जैसे विटामिन की अच्छी मात्रा होती है। अगर आप मानसून में इसका नियमित सेवन करते हैं, तो इससे आपकी सेहत को कई लाभ मिल सकते हैं।
भुना हुआ भुट्टा खाने के फायदे-कफ और पित्त प्रकृति वाले लोगों के लिए भुट्टा बहुत लाभकारी माना जाता है। आयुर्वेद में भुट्टा को कफ और पित्त के संतुलन को बनाए रखने के लिए जाना जाता है। यह आपकी इम्यूनिटी को मजबूत बनाता है और आपको बारिश के मौसम में संक्रमण से बचाने में मदद करता है। यह गर्मियों का एक बेहतरीन नाश्ता है, क्योंकि यह पित्त को शांत कर सकता है। यह रस धातु (प्लाज्मा) को पोषण देते हुए ब्लड प्रेशर और वॉटर रिटेंशन को भी को कम करता है। इसके अलावा, इसमें मैक्रो और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स के साथ ही कई जरूरी पोषक तत्व बहुत अच्छी मात्रा में मौजूद होते हैं जैसे विटामिन ए, बी6।" इसका नियमित करने से आपको कई लाभ मिल सकते हैं जैसे,-यह कोलेस्ट्रॉल को कम करता है-ब्लड प्रेशर को सामान्य रखता है-वजन प्रबंधन में मदद करता है-यह ग्लूटेन फ्री होता है-इसे डाइट में शामिल करने से डाइजेशन मजबूत होता है-किडनी में पथरी वाले लोगों के लिए भी यह लाभकारी है। इसके रेशों को पानी में घोलकर पीने से पथरी के उपचार में मदद मिलती है।-हृदय रोगों के जोखिम को कम करने में मदद करता है और दिल को स्वस्थ रखता हैतो अब अपनी डाइट से जंक फूड को बाहर करें और इस हेल्दी स्नैक को शामिल करें। इससे न सिर्फ आपको पेट भरेगा, बल्कि सेहत को भी जबरदस्त लाभ मिलेंगे। - आजकल आधे से ज्यादा बीमारियों की जड़ गलत खान-पान है। अगर आप हेल्दी डाइट लेते हैं और उसके बाद भी बीमार रहते हैं या आपका पेट खराब रहता है, तो संभव है कि आपके खाने-पीने की टाइमिंग गड़बड़ है। गलत टाइम पर सही चीज खाने से भी कोई फायदा नहीं होता है। अक्सर देखा जाता है कि लोग रात को हैवी खाना खाते हैं। कुछ लोग शराब का भी सेवन करते हैं। पेट भरकर खाने या शराब पीने से नींद तो अच्छी आएगी,लेकिन इससे पाचन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। आज जानते हैं कि रात में किन चीजों के सेवन से बचना चाहिए।हैवी फूडरिपोर्ट के अनुसार भारी भोजन को पचने में अधिक समय लगता है। रात को फैट और ऑयली फूड खाने से अपच की समस्या हो सकती है नींद बाधित हो सकती है। रात को चीज़बर्गर, फ्राइज़, फ्राई आइटम्स और मीट खाने से बचें।कैफीनचाय, कॉफी और सोडा जैसी चीजों में कैफीन होता है और इनके अलावा कुछ आइसक्रीम और डेसर्ट में भी यह पाया जाता है। ऐसी चीजों के सेवन से नींद बाधित हो सकती है और यह चीजें पेट में भयंकर एसिड बना सकती हैं।मीठे खाद्य पदार्थों से करें तौबाआपको रात को सोने से पहले मीठे स्नैक्स से बचना चाहिए जो आपके ब्लड शुगर को बढ़ा सकते हैं। रात को कैंडी या मिठाई खाने से आपकी नींद उड़ सकती है और गैस-एसिडिटी का कारण बन सकती हैं।टायरामाइन-रिच फूड्सनींद में खलल न पड़े इसलिए सोने से पहले टायरामाइन वाले फूड्स से बचना चाहिए। यह अमीनो एसिड दिमाग को उत्तेजित करता है और नींद को दूर भगाता है। यह टमाटर, सोया सॉस, बैंगन, रेड वाइन जैसी चीजों में पाया जाता है।स्पाइसी फूडरात को सोने से पहले मसालेदार चीजें खाने से पेट में तेजाब बनने की समस्या हो सकती है। यह नींद को भी प्रभावित कर सकते हैं। अगर आप चटपटा या मसालेदार खाना पसंद करते हैं, तो बेहतर है कि इसे रात के खाने के बजाय नाश्ते या दोपहर के भोजन में खाने की कोशिश करें।एसिड बनाने वाले फूडसाइट्रस जूस, कच्चा प्याज, व्हाइट वाइन और टोमैटो सॉस जैसी चीजें रात को नहीं खाने चाहिए। यह चीजें पेट में भयंकर तेजाब बनाती हैं और नींद में खलल डाल सकती हैं। पेट और पाचन को दुरुस्त रखने और अच्छी नींद लेने के लिए रात को हमेशा हल्का और कम मसालेदार भोजन करना चाहिए।शराबबहुत से लोग रात को सोने से पहले बियर या शराब पीते हैं, यह सोचकर कि उन्हें अच्छी नींद आएगी। बेशक किसी-किसी को इससे अच्छी नींद आती है लेकिन इसके कई नुकसान है। इससे ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया या खर्राटों की समस्या बढ़ सकती है। इससे इसोफेजियल स्फिंक्टर पर प्रभाव पड़ता है जिससे एसिड रिफ्लक्स की समस्या हो सकती है।पानी वाली चीजेंरात को पानी से भरपूर खाद्य पदार्थों को खाने से आपकी नींद बाधित हो सकती है और आपको बार-बार पेशाब आ सकता है। सोने से पहले अजवाइन, तरबूज और खीरा जैसे पदार्थों को खाने से बचना चाहिए।(नोट- यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।)
- गर्म पानी पीना स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है। इससे शरीर डिटॉक्स होता है, मोटापा कम होता है और डाइजेस्टिव सिस्टम भी हेल्दी रहता है। यही कारण है कि मौजूदा समय में कई लोग ठंडे पानी के बजाय गर्म पानी पीना पसंद करते हैं। वहीं, कुछ लोग गर्म पानी इसलिए पीते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि गर्म पानी पीने से लिवर स्वस्थ रहता है और बीमारियों से सुरक्षा भी प्रदान करता है। मगर, सवाल है कि क्या यह वाकई सच है? क्या यह महज एक मिथ या फिर सही मायनों में गर्म पानी पीने से लिवर स्वस्थ रह सकता है? आइए जानते हैं, इस बारे में विस्तार से।लिवर के स्वास्थ्य के लिए सिर्फ गर्म पानी पीना पर्याप्त नहीं है। क्योंकि यह सीधे-सीधे तौर पर लिवर को प्रभावित नहीं करता है। हालांकि, पानी पीने से शरीर हाइड्रेट रहता है, जो कि संपूर्ण स्वास्थ्य के फायदेमंद होता है। असल में पानी पीने से शरीर से टॉक्सिंस बाहर निकालने में मदद मिलती है, जिससे पाचन शक्ति बेहतर रहती है, जिसका पोजिटिव असर लिवर पर भी पड़ता है।" मेडिकल न्यूज टुडे के अनुसार, "जब कोई व्यक्ति पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीता है, तो इससे डिहाइड्रेशन की समस्या हो जाती है और मल त्यागने में भी दिक्कत आने लगती है। ऐसा पानी की कमी के कारण, स्मॉल इंटेस्टाइन में हो रही प्रॉब्लम की वजह से होता है। कई बार डिहाइड्रेशन के कारण कब्ज हो सकता है और मल त्यागने के दौरान व्यक्ति को काफी दर्द, बवासीर और सूजन जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। ठंडे पानी की तुलना में गर्म पानी पीना ज्यादा लाभकारी होता है, क्योंकि इससे भोजन तेजी से पचता है और मल त्यागने में भी मदद मिलती है।" कहने की जरूरत नहीं है, जब आपके शरीर में पानी की कमी होगी और शरीर में अन्य समस्याएं पैदा होंगी, तो इसका बुरा प्रभाव आपके लिवर पर भी पड़ेगा।पानी पीने के अन्य फायदे-गर्म पानी पीने से ब्लड वेसल्स खुलती हैं, जिससे ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होने में मदद मिलती है। इससे मसल्स रिलैक्स होती हैं और आपको शरीर में हो रहे दर्द से भी राहत मिलती है।-गर्म पानी पीने से वजन कम करने में भी मदद मिलती है। विशेषज्ञों की मानें, तो आप जितना पानी पीते हैं, शरीर से उतने टॉक्सिंस बाहर चले जाते हैं और अगर आप गर्म पानी पीते हैं, तो इससे बॉडी इंफ्लेमेशन में भी कमी आती है।-गर्म पानी पीने से सर्दी-जुकाम से रिकवरी में भी मदद मिलती है। यही नहीं, गर्म पानी पीने के कारण बंद नाक से छुटकारा मिल सकता है, क्योंकि यह नाक में बन रहे म्यूकस (बलगम) को तेजी से मूव करने में मदद करता है। इससे नाक खुल जाती है और सर्दी-जुकाम से भी राहत मिल जाती है।लिवर को स्वस्थ्य रखने के उपायहाइड्रेटेड रहेंः पूरे दिन खूब पानी पिएं। आप चाहें, तो ठंडा पानी भी पी सकते हैं। इससे बॉडी को हाइड्रेट रखने में मदद मिलती है, जिससे शरीर कई तरह की संभावित बीमारियों से बचा रह सकता है।शराब का सेवन सीमित करेंः वैसे तो लोगों को शराब पीना ही नहीं चाहिए। लेकिन, अगर आपको शराब पीना ही है, तो इसकी मात्रा सीमित रखें। आपको बता दें कि शराब का सेवन करने से सबसे पहले लिवर प्रभावित होता है। अगर समय रहते खुद को कंट्रोल न किया जाए या लिवर के स्वास्थ्य पर ध्यान न रखा जाए, तो इससे लिवर फेलियर की समस्या भी हो सकती है।संतुलित आहार लेंः फल, सब्जियां, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन से भरपूर आहार लें। प्रीजर्व्ड फूड और शुगर बेस्ड फूड आइटम खाने से बचें।रेगुलर एक्सरसाइज करेंः किसी भी तरह की बीमारी से बचने के लिए रेगुलर एक्सरसाइज करना बहुत जरूरी है। इससे आपकी ओवर ऑल हेल्थ पर भी अच्छा असर पड़ता है।वजन कंट्रोल करेंः बढ़ता वजन लिवर के लिए सही नहीं होता है। मोटापे के कारण फैटी लिवर की समस्या हो सकती है। इसलिए, अपने वजन को कंट्रोल करने की कोशिश करें। इसके लिए, बैलेंस्ड डाइट लें और नियमित रूप से एक्सरसाइज करें।
- मौजदा समय में लोगों में मोटापा भी काफी तेजी से बढ़ रहा है। वहीं, हर कोई यह भी चाहता है कि वह अपनी डाइट को कंट्रोल में रखे और एक्सरसाइज की मदद से अपने मोटापे कम करे। इसी क्रम में, कई लोग चावल खाना छोड़ देते हैं। माना जाता है कि चावल खाने से मोटापा बढ़ता है? यहां सवाल उठता है कि क्या वाकई चावल न खाने से मोटापे पर कोई फर्क पड़ता है? किसी भी कार्बोहाइड्रेट रिच फूड की तरह चावल से आपको कैलोरी के रूप में एनर्जी मिलती है। वहीं, अगर आप रोजाना की जरूर से ज्यादा कैलोरी का सेवन करते हैं, तो इससे आपका वजन बढ़ने की संभावना भी बढ़ जाती है। इसके उलट, अगर आप जरूर के अनुसार कम कैलोरी का सेवन करते हैं, वजन घटने में मदद मिलती है।” जब कोई व्यक्ति चावल खाना कम करता है, तो इससे कैलोरी काउंट अपने आप कम होने लगता है। वहीं, अगर आप रोजाना की जरूरत भर की कैलोरी में कटौती करते हैं, तो इससे वजन घटने की संभावना बढ़ने लगती है।”हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्सचावल में ग्लाइसेमिक ज्यादा होता है। ग्लाइसेमिक इंडेक्स एक तरह की मापन प्रणाली होती है। इसके माध्यम से पता लगाया जा सकता है कि आपके खानपान की चीजों में मौजूद कार्बोहाइड्रेट कितनी तेजी से ग्लूकोज में बदल सकता है और ब्लड फ्लो में एंटर (प्रवेश) कर सकता है। हाई ग्लाइसेमिक फूड होने के कारण चावल खाने के तुरंत बाद ही ब्लड शुगर का स्तर बढ़ सकता है। यही नहीं, अगर आप हाई ग्लाइसेमिक फूड का सेवन करते हैं, तो इससे आपके और भी खाने की चाह बढ़ सकती है, जिससे आप ओवर ईटिंग तक कर सकते हैं। इसीलिए, अगर आप चावल के अन्य विकल्पों को चुनें, तो बेहतर रहेगा। वजन कम करने के लिए आपको अपनी डाइट में लो ग्लाइसेमिक फूड शामिल करने चाहिए और ओवर कैलोरी इनटेक को भी कम करना चाहिए।”पोषक तत्वों की कमीचावल कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होता है। इसके अलावा, इसमें अन्य पोषक तत्वों की काफी कमी होती है। इसलिए, अगर आप डाइट में से चावल को कम कर, अन्य विकल्पों को चुनें, जैसे फल और सब्जियां, तो आपको भरपूर पोषक तत्व, जैसे प्रोटीन, हेल्दी फैट आदि मिल सकता है। अगर आपको चावल खाने ही हैं, तो बेहतर होगा कि इसके पोर्शन साइज को कम कर लें। जब आप कम मात्रा में चावल खाएंगे, तो अपने आप कैलोरी इनटेक कम हो जाएगा।”वजन कम करने के लिए क्या करेंसबका शरीर अलग-अलग होता है। कई लोगों का मेटाबॉलिज्म रेट काफी हाई होता है, जिस कारण वे जो भी खाते हैं, उनका वजन नहीं बढ़ता है। वहीं, कुछ लोगों इतनी सारी फिजिकल एक्टिविटी करते हैं कि वजन बढ़ने की संभावना न के बराबर होती है। ऐसे लोग अगर चावल खाएं, तो भी उनके वजन में कोई विशेष फर्क नजर नहीं आएगा। वहीं, इसके उलट कुछ लोग ऐसे हैं, जो अपनी डाइट में जरा-सा भी फेरबदल करते ही मोटापे का शिकार हो जाते हैं। ऐसे लोगों को अपने वजन को कंट्रोल करने के लिए फिजिकल एक्टिविटी करनी चाहिए, हेल्दी ईटिंग पैटर्न अपनाना चाहिए और जरूर पड़ने पर एक्सपर्ट की मदद लेनी चाहिए।”
- भारत में चाय को एनर्जी ड्रिंक की तरह पिया जाता है। कुछ लोगों के लिए यह नींद भगाने का उपाय है तो कुछ इसे पेट साफ करने की दवा मानते हैं। लेकिन चाय के साथ कुछ चीजें कभी नहीं खानी चाहिए। जिनमें से एक बिस्कुट है। अधिकतर लोग इस स्नैक को चाय के साथ खाते हैं।विशेषज्ञों के अनुसार चाय के साथ बिस्कुट खाने से कई सारी बीमारियां पैदा हो सकती हैं। यह आपका डीएनए तक डैमेज कर सकता है। बिस्कुट का हेल्दी ऑप्शन है, जो एकदम देसी और स्वास्थ्यवर्धक है। दरअसल बिस्कुट में सोडियम ज्यादा होता है, जो ब्लड प्रेशर बढ़ाता है। जो कि हार्ट अटैक और दिल की बीमारी का कारण बन सकता है।डायबिटीज का खतराबिस्कुट बनाने के लिए रिफाइंड शुगर का इस्तेमाल किया जाता है। जो कि इंसुलिन के अवशोषण में बाधा डाल सकता है। यह इंसुलिन हॉर्मोन को असंतुलित करके डायबिटीज का खतरा बढ़ा सकता है। वहीं, रिफाइंड फ्लोर पाचन को खराब कर देता है। जिससे कब्ज हो सकती है।डीएनए डैमेज और हॉर्मोन इम्बैलेंसयह हाई प्रोसेस्ड फूड है, जिसमें डीएनए डैमेज करने वाले बीएचए और बीएचटी होता है। इस फूड में हाइड्रोजेनेटेड वेजिटेबल ऑयल भी होता है, जो शरीर के हॉर्मोन बिगाड़ सकता है।चाय के साथ खाएं भुना चनाभुना चना इंसुलिन रेगुलेट करके ब्लड शुगर कंट्रोल रखता है। इसमें इम्युनिटी बढ़ाने वाला बी-कॉम्प्लैक्स होता है। डायजेशन बढ़ाने वाला फाइबर होता है। हड्डियों को मजबूत बनाने वाला कैल्शियम, मैग्नीशियम मिलता है। सूजन घटाने वाला कोलीन होता है।( नोट- यह केवल एक सामान्य जानकारी है। कोई समस्या होने पर पहले विशेषज्ञ की सलाह लें।
- बालों की समस्याओं को दूर करने के लिए आप करी पत्ते और कलौंजी का उपयोग कर सकते हैं। करी पत्ते और कलौंजी के तेल से बालों की कई समस्याए सदियों से दूर की जा रही हैं। इस तेल में बीटा-कैरोटीन और प्रोटीन पाया जाता है, जो बालों के झड़ने को रोकने और बालों की ग्रोथ में सहायक होता है। इससे सिर की त्वचा मॉइस्चर होती है जिससे बालों के रूखे होने और डैंड्रफ की समस्या से छुटकारा मिलता है।करी पत्ते और कलौंजी के तेल से बालों को मिलते हैं कई फायदेबालों की ग्रोथ में सहायककरी पत्ते और कलौंजी के तेल से आपके बाल तेजी से बढ़ते हैं। इन दोनों के तेल में फैट एसिड पाया जाता है, जो बालों की जडों को पोषित करने का काम करता है। इस तेल के नियमित इस्तेमाल से बालों की ग्रोथ बेहतर होती है और आपके बाल कुछ ही दिनों में बढ़ने लगते हैं। इसके साथ ही आपके बाल घने भी होते हैं। इस तेल पाए जाने वाले एंटी ऑक्सीडेंट बालों को फ्री रेडिकल्स से होने वाले डैमेज से बचाते हैं। जिससे बालों की ग्रोथ होती है।बालों का झड़न करें कमकरी पत्ते और कलौंजी के तेल में बीटा कैरोटीन पाया जाता है। इसके साथ ही इसमें प्रोटीन की भी उच्च मात्रा होती है। इन दोनों ही पोषक तत्वों से बालों के झड़ने की समस्या कम होती है और बालों को गहराई से पोषण मिलता है।बालों को रखें कालापोषण की कमी की वजह बाल समय से पहले ही सफेद होने लगते हैं। यदि आपको भी इस तरह की परेशानी है तो ऐसे में आप करी पत्ते और कलौंजी के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस तेल के नियमित इस्तेमाल से बालों की जड़ों को पोषण मिलता है और वह समय से सफेद नहीं होते हैं।ब्लड सर्कुलेशन होता है ठीकबालों में करी पत्ते और कलौंजी के तेल की मसाज करने से सिर की त्वचा में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है। इससे बालों की जड़ों तक ऑक्सीजन आसानी से पहुंचती है और बालों से जुड़ी समस्याएं कम होती है।बालों को बनाएं शाइनीकरी पत्ते और कलौंजी के तेल से आप बालों को शाइनी बना सकते हैं। इस तेल में मौजूद गुणों से बालों को पोषण मिलता है। साथ ही बालों की समस्याएं कम होती है, जिसकी वजह से बालों में चमक आती है।इस तेल को बनाने का तरीकाइसे बनाने के लिए आप नारियल तेल में कुछ करी पत्ते और करीब आधा चम्मच कलौंजी के बीज डाल उबाल लें। जब तेल गर्म हो जाए तो गैस को बंद करें और इसे ठंडा होने पर एक बोतल में भर लें। जब जरुरत हो इस तेल से सिर की मसाज करें। कुछ ही दिनों में आपको बालों पर फर्क देखने को मिलेगा।
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हाल के सालों में हमने देखा है कि ज्यादातर युवा वर्ग एमएनसी में काम करते हैं, जो लंबे समय तक एक ही जगह पर बैठे-बैठे काम करते हैं। जब व्यक्ति की शारीरिक गतिविधियां कम हो जाती हैं, धूप के साथ संपर्क कम हो जाता है, तो व्यक्ति की ज्वाइंट्स, कमर और रीढ़ की हड्डी में दर्द होने लगते हैं। वहीं, अगर व्यक्ति एसी में ज्यादा समय बिताता है, तो उसकी हड्डियों में हो रहे दर्द में इजाफा हो सकता है। यही नहीं, अगर किसी को अर्थराइटिस है, तो उसकी स्थिति बिगड़ सकती है। आपको बता दें कि एसी में बैठे रहने के कारण ज्वाइंट्स और मसल्स में हो रहा दर्द बढ़ सकता है, जो कि हड्डी की किसी बीमारी जैसा प्रतीत हो सकता है। अगर समय रहते इलाज न कराया जाए या सावधानियां न बरती जाएं, तो सामान्य ज्वाइंट पेन अर्थराइटिस में बदल सकता है।
एसी के कारण हो रहे हड्डी के दर्द से कैसे बचेंअगर आपके ऑफिस या घर में लंबे समय तक एसी चलता है, तो कोशिश करें कि एसी का टेंप्रेचर 20 डिग्री सेल्सियस से नीचे ने ले जाएं। वैसे, विशेषज्ञों की सलाह है कि 25 से 27 डिग्री उपयुक्त तापमान होता है। इस तापमान में रखने से हड्डियों को एसी के कारण किसी तरह का नुकसान नहीं होता है। इसके अलावा, अगर संभव हो, तो एसी में लंबे समय तक रहने से बचें। पूरे दिन में कम से कम दो से तीन बार एसी रूम से बाहर जरूर जाएं। वहां वॉक करें। शरीर को सामान्य तापमान में एड्जेस्ट करने का मौका दें। इस तरह, ज्वाइंट पेन में आराम मिलने की संभावना बढ़ सकती है।एसी से होने वाले अन्य नुकसान-शरीर डिहाइड्रेट हो जाता हैः सामान्यतौर पर एसी कमरे का सारा मॉइस्चर खींच लेता है। कमरा तो ठंडा हो जाता है, लेकिन स्किन, आंखें की नमी भी खत्म हो जाती है। वहीं, तामान ठंडा होने के कारण व्यक्ति को लंबे समय तक प्यास भी नहीं लगती है, जो कि बॉडी को डिहाइड्रेट कर सकता है। ऐसा आपके साथ न हो, इसके लिए जरूरी है कि आप समय-समय पर पानी पीते रहें।-सांस संबंधी समस्या हो सकती हैः जब व्यक्ति लंबे समय तक एसी में अपना वक्त बिताता है, तो उसे सांस संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। खासकर, नाक, गले और आंखों में संक्रमण देखने को मिल सकता है। कई बार, एसी के कारण नाक भी बंद हो जाता है। अगर समय रहते इलाज न किया जाए, तो यह समस्या वायरल इंफेक्शन में बदल सकता है।-सिरदर्द हो सकता हैः अगर लंबे समय तक एसी में रहने के कारण बॉडी डिहाईड्रेट हो गई है, तो इससे आपको माइग्रेन या सिरदर्द की समस्या हो सकती है। विशेषकर, ऐसा तब होता है, जब व्यक्ति बार-बार एसी के कमरे के अंदर और कमरे से बाहर निकलता है। कमरे के अंदर ठंड, वहीं कमरे के बाहर तापमान सामान्य होता है। ऐसे में जब व्यक्ति अचानक ठंडे तापमान से बाहर जाता है, तो वह उसे गर्म महसूस होता है। गर्म-ठंडे के कारण अचानक सिर में तीव्र दर्द उठ सकता है। इसलिए, कोशिश करें कि एक मॉडरेट टेंप्रेचर में रहें। - मानसून बारिश के अलावा अपने साथ कई तरह की मौसमी बीमारियां भी लेकर आता है। इस मौसम में सर्दी-जुकाम, बुखार, फूड पॉइजनिंग, डेंगू, मलेरिया, टाइफाइड और हेपेटाइटिस-ए जैसी बीमारियों का जोखिम काफी अधिक बढ़ जाता है। इस मौसम में शरीर की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है, जिसकी वजह से लोग बीमारियों और वायरल संक्रमण की चपेट में जल्दी आ सकते हैं। इसलिए, मानसून में स्वस्थ रहने से और बीमारियों से बचाव के लिए इम्यूनिटी का मजबूत होना बहुत जरूरी है। इस मौसम में इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए आपको अपने खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। मानसून में घी का सेवन काफी फायदेमंद माना जाता है। इसमें विटामिन, प्रोटीन, हेल्दी फैट्स और एंटीऑक्सीडेंट जैसे कई पोषक तत्व भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं। मानसून में घी खाने से इम्यूनिटी बूस्ट होती है, शरीर को ऊर्जा मिलती है और पाचन-तंत्र दुरुस्त रहता हैमानसून में घी खाने के फायदे -इम्यूनिटी मजबूत करेमानसून में घी खाने से इम्यूनिटी बूस्ट हो सकती है। इसमें विटामिन-ए, विटामिन-डी, विटामिन-ई, विटामिन-के और हेल्दी फैट्स मौजूद होते हैं, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं, जो शरीर को संक्रमण से बचाने में मदद करते हैं। नियमित रूप से घी का सेवन करने से आप कई तरह की मौसमी बीमारियों और इंफेक्शन की चपेट में आने से बच सकते हैं।पाचन-तंत्र को दुरुस्त करेघी का सेवन पाचन स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर करने मदद करते हैं। रोजाना थोड़ी मात्रा में घी का सेवन करने से पाचन क्रिया बेहतर होती है। यह मल त्याग की प्रक्रिया को आसान बनाता है, जिससे कब्ज से राहत मिल सकती है। मानसून के दौरान पेट के संक्रमण से बचने के लिए आप रोजाना घी का सेवन कर सकते हैं।दिल को हेल्दी रखेघी का सेवन दिल के स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद गुण न सिर्फ बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करते हैं, बल्कि गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में भी मदद करते हैं। नियमित रूप से घी का सेवन करने से दिल से जुड़ी बीमारियों के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है।शरीर को गर्म रखेंघी शरीर को गर्म रखने के लिए अच्छा माना जाता है। इसमें मौजूद गुण संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं, जिससे मानसून में सर्दी-जुकाम की समस्या में बहुत फायदा मिलता है। इसके लिए आप एक चम्मच घी को गर्म कर लें। इसमें थोड़ी सी काली मिर्च और मिश्री मिलाकर सेवन करें। दिन में 1-2 बार इसका सेवन करने से आपको जल्द राहत मिलेगी।एनर्जी से भरपूरघी हेल्दी फैट का एक अच्छा स्त्रोत है, जो शरीर में एनर्जी बढ़ाने का काम करता है। रोज एक चम्मच घी खाने से कमजोरी और थकान से निपटने में मदद मिलती है। यह शरीर में मौजूद एक्सट्रा फैट को कम करने में भी मदद करता है। इसके सेवन से आप एक्टिव महसूस करेंगे। हालांकि, ध्यान रखें कि घी का सेवन हमेशा सीमित मात्रा में ही करें।मानसून में घी का सेवन सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। हालांकि, अगर आप किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे हैं, तो इसका सेवन करने से पहले हेल्थ एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।
- सावन माह शुरू हो चुका है। इस माह में ही भगवान शिव के भक्त सावन व्रत रखते हैं। व्रत रखना सेहत के लिए फायदेमंद होता है। कुछ लोग पूरे दिन व्रत रखते हैं, तो कुछ शाम के समय व्रत खोलते हैं। शाम को व्रत खोलते समय अगर आपने डाइट पर ध्यान नहीं दिया, तो सेहत बिगड़ भी सकती है। यह जानना उन लोगों के लिए जरूरी है जो इस साल पहली बार व्रत रख रहे हैं। व्रत के दौरान शरीर में एनर्जी कम होती है और ब्लड शुगर लेवल लो रहता है। ऐसे में एक्सपर्ट कुछ चीजों से परहेज करने के लिए कहते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हम आपको बताने जा रहे हैं कि शाम के दौरान व्रत में क्या खाएं और क्या नहीं।सावन व्रत में शाम को क्या खाना चाहिए?--व्रत खोलने के बाद आलू चाट, साबुदाने की खीर, फ्रूट चाट और छाछ का सेवन कर सकते हैं।-सावन व्रत के दौरान या बाद में खीरा खा सकते हैं। व्रत में लोग पानी कम पीते हैं जिससे डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है। डिहाइड्रेशन के लक्षणों से बचने के लिए खीरे का सेवन करें।-व्रत के दौरान या इसके बाद आलू खा सकते हैं। आलू खाने से पेट भरा रहता है और एनर्जी भी बरकरार रहती है।-व्रत में केला खाएं। केले में पोटेशियम होता है और इसे खाने से भूख भी नहीं लगती।-व्रत खोलते समय आपको सौंफ और अजवाइन का पानी पीना चाहिए। इससे ब्लोटिंग और डायरिया की समस्या से निजात मिलेगा।-सावन व्रत में शाम को न खाएं ये चीजें--सावन व्रत में बेसन, मैदा, अनाज से परहेज किया जाता है। व्रत रखने से शरीर को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है इसलिए आपको इस दौरान मांस, मछली और अंडे का सेवन करने से भी बचना चाहिए।-सावन व्रत में कुछ लोग सफेद नमक का सेवन नहीं करते। इसकी जगह आप सेंधा नमक खा सकते हैं।-अगर आपका उपवास है, तो मीठी चीजों का सेवन करने से भी बचें। ज्यादा मीठी चीजों का सेवन करने से ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है।-सावन व्रत में ज्यादा तेल या मिर्च-मसाले वाले भोजन को खाने से बचें। इस तरह के खाने से अपच या कब्ज हो सकता है।-सावन व्रत में फल-सब्जियों को खाते समय सावधानी बरतें। हरी पत्तेदार सब्जियां, ज्यादा पके फल खाने से बचें। ऐसे फल या सब्जी में बरसाती कीड़े हो सकते हैं।व्रत के दौरान इन सावधानियों का ख्याल रखें--व्रत के दौरान आपको ज्यादा शारीरिक मेहनत करने से बचना चाहिए। इससे आप कैलोरीज बचा पाएंगे। खाली पेट शारीरिक श्रम करने से कमजोरी और चक्कर आ सकते हैं।-व्रत में मानसिक तनाव से दूर रहें। खाली पेट रहने और तनाव महसूस करने से आपको हाई बीपी की समस्या हो सकती है।-व्रत में डॉक्टर प्रेग्नेंट महिलाओं को व्रत रखने की सलाह नहीं देते। इससे भ्रूण की सेहत पर नकारात्मक असर पड़ता है।
- हल्दी का उपयोग कई तरह से किया जाता है। हल्दी के फेस पैक से आप त्वचा के पिंपल्स, मुंहासे, दानें, रैशेज, झाइया, झुर्रियां और टैन की समस्या को आसानी से दूर कर सकते हैं। इस लेख में आपको हल्दी से टैनिंग दूर करने के तरीके को बताया गया है।हल्दी और नींबू के पैक से टैन को करें दूरइस फेसपैक को बनाने के लिए आप एक चम्मच हल्दी ले लें। इसके साथ ही आपको करीब दो नींबू के रस की आवश्यकता होगी। चेहरे या त्वचा की टैनिंग को दूर करने के लिए आप एक बाउल में हल्दी और नींबू को मिक्स कर लें। इसके बाद इस पैक को प्रभावित त्वचा पर करीब 20 मिनट के लिए लगाकर छोड़ दें। जब पैक हल्का सूख जाए तो इसे नॉर्मल पानी से धोकर साफ कर लें। बेहतर रिजल्ट पाने के लिए आप इस पैक को सप्ताह में तीन बार लगा सकते हैं। इस पैक में मौजूद साइट्रिक एसिड त्वचा की टैनिंग को दूर कर, उसके रंग को एक समान बनाता है।हल्दी और दही के उपयोग से टैन को करें दूरहल्दी और दही के पैक से मेलेनिन को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। इससे चेहरे और त्वचा का कालापन दूर होता है। दही से रंग में निखार आता है, साथ ही ये सन टैन की समस्या को दूर करने में सहायक होते हैं। इस पैक को बनाने के लिए एक बड़ा चम्मच दही लें। एक बाउल में दही और हल्दी को मिला लें। इसके साथ ही आप पैक में गुलाब जल करीब एक चम्मच मिलाएं। इस पैक को चेहरे पर करीब 20 से 25 मिनट तक लगाएं। जब ये पैक हल्का सूख जाए तो आप इसे पानी से साफ कर लें।बेसन और हल्दी से सन टैन दूर करेंइस पैक से आप त्वचा को एक्सफोलिएट कर सकते हैं। इस पैक को बनाने के लिए आप एक चम्मच बेसन और एक चौथाई चम्मच हल्दी को लें। इन दोनों को एक बाउल में मिक्स कर लें। इस पैक को त्वचा पर करीब 20 मिनट के लिए लगाएं। इसके बाद इसे नॉर्मल पानी से धो लें।
- केला हमारी सेहत के लिए बेहद उपयोगी होता है। ये हमारी सेहत के साथ ही त्वचा के लिए भी काफी फायदेमंद होता है। केले में पाए जाने वाले पोषक तत्व त्वचा को चमकाने के साथ ही हेल्दी बनाने का भी काम करते हैं। केले और शहद के फेस मास्क से त्वचा की झाइयां, डार्क स्पॉट, दाने, मुंहासों और कई समस्याओं को दूर किया जा सकता है। केले और शहद के फेस मास्क में विटामिन ए, बी, सी, एंटीऑक्सीडेंट्स जैसे कई तत्व और गुण पाए जाते हैं। इस मास्क से आप अपने चेहरे की डीप क्लीनिंग भी कर सकते हैं। चेहरे व त्वचा पर आने वाले एक्सट्रॉ ऑयल को भी इस मास्क से दूर किया जा सकता है।केले और शहद के फेस मास्क से चेहरे को चमकाएंत्वचा की रंगत निखारने में सहायककेले में नैचुरल एंजाइम पाए जाते हैं, जो त्वचा को गहराई से साफ करते हैं। इससे चेहरे में जमा होने वाले डेड सेल्स साफ होते हैं और त्वचा पहले की अपेक्षा साफ और चमकदार बनती है। दरअसल डेड सेल्स के हटने से त्वचा को ऑक्सीजन मिलती है, जिससे उसमें निखार आने लगता है। साथ ही त्वचा का रंग एक समान बनता है।मुंहासों को दूर कर त्वचा को चमकाएंकेले और शहद के फेस मास्क से आप त्वचा के मुंहासों को दूर कर सकते हैं। इससे त्वचा साफ होने लगती है और उसका निखार बढऩे लगता है।त्वचा को मॉइस्चराइज करेंकेले और शहद में कई विटामिन और मिनरल्स पाए जाते हैं, जो आपकी त्वचा को पोषित करने का काम करते हैं। त्वचा को पोषण मिलने से उसकी समस्याएं दूर होने लगती हैं और वह ग्लो करने लगती है।झुरियां दूर होती है और चेहरे में चमक आती हैकेले और शहद के फेस मास्क से त्वचा की झुर्रियों को कम किया जा सकता है। इस मास्क में विटामिन सी होता है, जो कोलेजन को बढ़ावा देता है। इससे त्वचा में कसाव आता है और आप पहले से ज्यादा जवां दिखने लगते हैं।केले और शहद का फेस मास्क कैसे बनाएं?केले, शहद और नींबू का फेस मास्कइसे बनाने के लिए आप पका केला लें। इस केले को मैश कर लें। इसके बाद इसमें एक चम्मच शहद और एक नींबू का रस मिला दें। इस पेस्ट को चेहरे पर करीब 20 से 25 मिनट तक लगाएं। जब मास्क हल्का सूख जाए तो इसे नॉर्मल पानी से साफ कर लें।केले, शहद और दही का फेस मास्कइस मास्क बनाने के लिए आप एक पका केले को मैश कर लें। इस केले में एक चम्मच शहद और एक चम्मच दही को मिला लें। इस फेस मास्क को चेहरे व त्वचा पर करीब 20 से 30 मिनट तक लगाएं। फेस मास्क सूख जाए तो इसे पानी से साफ कर लें।इस फेस मास्क के नियमित इस्तेमाल से आपकी त्वचा पर फर्क दिखने लगेगा। चेहरे में शहद और केले का मास्क लगाने से कई तरह की समस्याओं को दूर किया जा सकता है।
- आज कल हर उम्र के लोगों में हेयर फॉल की समस्या देखने को मिल रही है। बारिश के दिनों में यह समस्या और बढ़ जाती है। आज हम एक ऐसा हेयर स्प्रे घर में बनाने की विधि बता रहे हैं, जिससे निश्चय ही झड़ते बालों की समस्या से छुटकारा मिल जाएगा।सामग्री-1 गिलास - पानी, 1 कटोरी - कलौंजी पाउडर, 1 कटोरी - मेथी दाना पाउडर,1 कटोरी - रोजमेरी की पत्तियां, मुठ्ठीभर - कड़ी पत्तीबनाने का तरीका जानेंएक पैन लें और उसे गैस पर चढ़ा दें। उसमें पानी डालें और उसे गरम करें फिर उसमें एक-एक कर के सारी सामग्रियां डालती जाएं। पानी में उबाल आ जाए तब गैस बंद कर दें। पानी को ठंडा कर के एक इसे छान लें और स्प्रे बॉटल में भर लें।जब इन सामग्रियों को एक साथ उबाला जाता है, तो उनके सभी पोषक तत्व पानी में निकल जाते हैं, जिससे एक मिश्रण बनता है। इस मिश्रण को आप अपने बालों और स्कैल्प पर लगा सकती हैं। इस मिश्रण का उपयोग बाल धोने या स्प्रे के रूप में आराम से कर सकते हैं।पानी में मौजूद पोषक तत्व स्कैल्प को पोषण देते हैं, बालों की जड़ों को मजबूती प्रदान करते हैं और नियमित रूप से उपयोग करने पर बालों का गिरना कम करते हैं।इस मिश्रण को आप 30 दिनों तक फ्रिज में स्टोर कर के रख सकती हैं। इसे हेयर वॉश करने के बाद लगाएं। अच्छा रिजल्ट पाने के लिए लगातार 40 दिनों तक प्रयोग करें।अगर आपके बाल उम्र के साथ पतले हो रहे हैं और आपको उन्हें घना बनाना है तो रोजमेरी फायदेमंद हो सकता है। यह स्कैल्प में जाकर बालों की जड़ में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है। इसमें मेनॉक्सड्रिल नामक कंपाउंड पाया जाता है, जो बालों की ग्रोथ में मदद करता है।करी पत्ते में एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं और यह स्कैल्प को स्वस्थ रखता है। यह अगर किसी भी तेल के साथ मिलाकर लगाया जाए तो एक हेयर टॉनिक का काम करता है। इसमें विटमिन, आयरन, फॉस्फोरस, फोलिक एसिड जैसे गुणकारी तत्व होते हैं, जो हेयर ग्रोथ के साथ साथ सफेद बालों को भी काला करने में मदद करते हैं।मेथी बालों को मजबूत और घना बनाती है। इसमें भारी मात्रा में आयरन और प्रोटीन पाया जाता है। मेथी हेयर फॉल से लेकर डैंड्रफ और ड्राय हेयर के लिए काफी अच्छी मानी जाती है। आप इसे पाउडर बनाकर सीधे तौर पर भी स्कैल्प पर लगा सकती हैं। स्टडी में भी पाया गया है कि यदि आप मेथी को किसी हर्बल ऑयल के साथ प्रयोग करती हैं तो आपकी हेयर ग्रोथ होगी और बाल मोटे भी होंगे।कलौंजी थाइमोक्विनोन, लिनोलिक और लिनोलेनिक एसिड से भरपूर होता है। इन्हीं तीनों की वजह से कलौंजी एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल मानी जाती है, जो सिर की छोटी-मोटी समस्याओं से छुटकारा दिलाती है और बालों को कंडीशन करती है।-----
- ड्राई फ्रूट्स का सेवन सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। इसमें सभी प्रकार से पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए असरदार है। हर सीजन में अलग-अलग प्रकार से ड्राई फ्रूट्स फायदेमंद माने जाते हैं। इसके साथ ही इनका सही मात्रा में और सही तरीके से सेवन करना भी जरूरी है। कई लोग बच्चों को ड्राई फ्रूट्स देने के सही तरीके को लेकर हमेशा कंफ्यूज रहते हैं।बच्चों के लिए ड्राई फ्रूट्स के फायदे-पाचन तंत्र स्वस्थ बनाए रखेपाचन स्वस्थ बनाए रखने के लिए ड्राई फ्रूट्स फायदेमंद माने जाते हैं। ड्राई फ्रूट्स में अधिक मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जो पाचन शक्ति बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। वहीं इसमें प्रोबायोटिक्स भी अधिक मात्रा में पाए जाते है, जो गट हेल्थ बेहतर बनाए रखने के साथ संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।ग्रोथ में मदद करेबच्चों की सही ग्रोथ के लिए डाइट में पोषण होना बेहद जरूरी है। ऐसे में ड्राई फ्रूट्स बेहद फायदेमंद साबित हो सकते हैं। ड्राई फ्रूट्स में अधिक मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है, जो सही ग्रोथ और मसल्स मास के लिए फायदेमंद माना जाता है। इसलिए जरूरी है बच्चों की डाइट में सही मात्रा में ड्राई फ्रूट्स दिये जाए।एनिमिया का खतरा कम करेअक्सर छोटे बच्चों को एनिमिया का खतरा ज्यादा हो सकता है। इसलिए उन्हें शुरुआत से ही पोषक तत्वों से भरपूर डाइट देनी चाहिए। ड्राई फ्रूट्स में आयरन की अधिक मात्रा पायी जाती है, जिससे इसका सेवन एनिमिया का खतरा कम करने में मदद कर सकता है।बोन हेल्थ के लिए फायदेमंदड्राई फ्रूट्स में विटामिन्स और कैल्शियम की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जो हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए बेहद जरूरी है। इनका सेवन संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है, जो बच्चों की इम्यूनिटी बनाए रखने में भी मदद कर सकता है।बच्चों को ड्राई फ्रूट्स देना कब शुरू करेंबच्चे को शुरुआती 6 माह के दौरान मां का दूध या फार्मूला मिल्क ही देना चाहिए। इस दौरान बच्चे का शरीर दूध के जरिए ही सभी पोषक तत्व ले रहा होता है। एक्सपर्ट की माने तो बच्चों को 6 माह की उम्र के बाद ही ड्राई फ्रूट्स देना शुरू करना चाहिए। इस उम्र के बाद बच्चे का शरीर ठोस पदार्थ को पचाने के लिए तैयार हो जाता है। इसके साथ ही कई बच्चों को ड्राई फ्रूट्स से एलर्जी भी होती है, इसलिए बच्चों को एक ही ड्राई फ्रूट 3 से 4 दिन तक देने की सलाह दी जाती है।बच्चों को ड्राई फ्रूट्स कैसे देने चाहिए-बच्चों को ड्राई फ्रूट्स सीधा नहीं देना चाहिए। दरअसल, 6 माह की उम्र तक बच्चों के दांत नहीं निकले होते हैं, ऐसे में किसी भी ठोस पदार्थ का सेवन करना मुश्किल हो सकता है। इसलिए बच्चों के हर चीज पानी के रूप में दी जाती है जिससे बच्चे इसे आसानी से पचा पाएं। एक्सपर्ट के मुताबिक बच्चों को ड्राई फ्रूट्स पाउडर बनाकर और स्मूदी में मिलाकर दिया जा सकता है। इसके साथ ही शुरुआत में कम मात्रा में ही ड्राई फ्रूट्स देने चाहिए।अगर बच्चे को स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या है, तो बच्चे को ड्राई फ्रूट्स देने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर करें।
- मौसम के बदलते ही वातावरण में बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। इस समय जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है उनको संक्रमण की समस्या होने लगती है। यदि आपको संक्रमण की वजह से गले में खराश या दर्द हो रहा है तो समस्या को दूर करने के लिए आप घरेलू उपायों का उपयोग कर सकते हैं। इससे आपको काफी हद तक आराम मिलता है। गले की कई समस्याओं को दूर करने के लिए सालों से अदर का उपयोग किया जा रहा है। इसमें मौजूद एंटी वायरल और एंटी बैक्टीरियल गुण से आप संक्रमण के लक्षणों को आसानी से कम कर सकते हैं।गले की खराश में अदरक का इस्तेमाल किस तरह करें?अदरक की चायअदरक की चाय से आप गले की कई समस्याओं को दूर कर सकते हैं। अदरक के एक टुकड़े को कद्दूकस कर लें। इसे पानी में उबाल लें। जब पानी उबल जाए, तो इसे गैस से उतार ले। इसके बाद इसमें शहद मिला लें। इस चाय को दिन में दो बार पिया जा सकता है।कच्चा अदरक का करें सेवनगले की खराश की समस्या में आप अदरक के टुकड़ें का सेवन कर सकते हैं। इसके मुंह में रखकर इसे चबाते रहे। इसके रस से गले की समस्या में आराम मिलता है। इस उपाय को आप दिन में दो से तीन बार अपना सकते हैं।कैंडी के रूप में करे सेवनगले में खराश होने पर आप अदरक की कैंडी का उपयोग कर सकते हैं। इसकी कैंडी को चूसने से आप खराश की समस्या को कम कर सकते हैंं। आप घर पर भी अदरक की कैंडी को बना सकते हैं।सूखा अदरकआप अदरक को कद्दूकस करके धूप में सुखा लें, ताकि इसे आसानी से स्टोर कर सकें। जब भी आप भोजन तैयार करें, आप भोजन को स्वादिष्ट बनाने के लिए इसके कुछ टुकड़े का उपयोग कर सकते हैं।अदरक का पाउडरआप अदरक को सूखाकर इसका पाउडर बना लें और गले की समस्या होने पर इसे रोज रात को गर्म पानी के साथ पिएं। एक गिलास में आधा चम्मच अदरक का पाउडर को मिलाकर पीने से गले की खराश में जल्द आराम मिलता है।अदरक का सेवन करने से आप रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बेहत कर सकते हैं। यदि आपको अदरक का सेवन करने से किसी तरह की परेशानी महसूस हो तो इसका सेवन बंद कर दें।
- आयुर्वेद में हरड़ (हरीतकी) के कई फायदों का जिक्र मिलता है। इसका इलाज पेट फूलन, पेट में गैस, कपच और बुखार आदि में भी किया जाता है। इसके फायदों के कारण हरड़ का इस्तेमाल त्रिफला में भी किया जाता है। इससे बॉडी डिटॉक्स होती है और आपकी इम्यूनिटी बेहतर होती है। आयुर्वेदाचार्य अनिल बंसल से जानते हैं कि खाली पेट हरड़ का सेवन करने से सेहत को क्या लाभ मिलते हैं।खाली पेट हरड़ का सेवन करने से क्या फायदे मिलते हैं -बॉडी को करें डिटॉक्सहरड़ में बॉडी को डिटॉक्स करने वाले गुण होते हैं। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होते है, जो शरीर को फ्री रेडिकल्स से होने वाले डैमेज से बचाने का काम करते हैं। इसके सेवन से लिवर स्वस्थ रहता है। इसके लिए अपने दिन की शुरुआत एक कप गर्म पानी में एक चम्मच हरड़ पाउडर मिलाकर पीने से करें। इस उपाय से आपकी बॉडी के टॉक्सिन बाहर निकल जाएंगे और आपको बीमारियों का खतरा कम होगा।खाली पेट हरड़ खाने से वजन को करें कंट्रोलयदि आप अपना अतिरिक्त वजन कम करना चाहते हैं, तो खाली पेट हरड़ का सेवन करना फायदेमंद हो सकता है। हरड़ में ऐसे तत्व होते हैं जो मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में मदद करते हैं। इसके सेवन से आपकी भूख नियंत्रित रहती है, जिसेस अनावश्यक खाने की वजह से आपका वजन नहीं बढ़ता है। हरड़ के छोटे टुकड़े को पीसकर पाउडर बना लें. इसके बाद इसे गर्म पानी के साथ पिएं। कुछ ही दिनों में आपको फर्क दिखने को मिलेगा।पाचन क्रिया को करें बेहतरखाली पेट हरड़ का सेवन करने से पाचन क्रिया में काफी सुधार हो सकता है। यह जड़ी बूटी पाचन एंजाइमों को बढाने में मदद करती है। साथ ही, पोषक तत्वों के टूटने और अवशोषण की प्रक्रिया को बेहतर करती है। यह सूजन, अपच और कब्ज जैसी सामान्य पाचन समस्याओं से राहत दिलाने में मदद करती है। इसके लिए आप हरड़ का एक छोटा सा टुकड़ा सुबह खाली पेट चबा लें।एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूरहरड़ में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं,जो शरीर की सूजन को कम करने में फायदेमंद होते हैं। गठिया और जोड़ों के दर्द में होने वाली सूजन को कम करने के लिए आप सुबह खाली पेट हरड़ का सेवन कर सकते हैं। आप हरड़ का सेवन सब्जी में भी कर सकते हैं।इम्यूनिटी को करें मजबूतखाली पेट हरड़ खाने से आपका इम्यून सिस्टम मजबूत हो सकता है। इसके एंटी बैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुण संक्रमण और बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं। हरड़ के नियमित सेवन आपके शरीर का इम्यून सिस्टम बेहतर होता है। आपको संक्रमण से सुरक्षित रहते हैं।खाली पेट हरड़ का सेवन कैसे करें --रात में एक कटोरी में थोड़ी से हरड़ को भिगोकर रख दें। सुबह इस पानी का सेवन करें।-सुबह के समय एक कप गर्म पानी में एक चम्मच हरड़ मिलाकर सेवन करें।-सलाद में आप ऊपर से हरड़ का छिड़काव कर सेवन कर सकते हैं। इससे पाचन क्रिया बेहतर होती है।-आयुर्वेद में हरड़ के कई फायदों के बारे में बताया गया है। लेकिन, यदि आपको पहले से कोई समस्या हो, तो ऐसे में आप आयुर्वेदाचार्य की सलाह के बाद इस औषधि की सेवन करें।
- लौकी का सेवन कई बीमारियों में किया जाता है। दरअसल, लौकी पौष्टिक गुणों से भरपूर होने के साथ ही पचाने में भी आसान होती है। इस वजह से मरीजों को लौकी दी जाती है। इसमें फाइबर की मात्रा अधिक होती है। इसके अलावा, लौकी में विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन सी और ई के साथ ही ही फोलेट, पोटेशियम, आयरन और मैग्नीशियम सहित कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। डायबिटीज और हार्ट रोगियों के लिए इसका सेवन करना फायदेमंद माना जाता है। इससे वजन कंट्रोल में रहता है और आपके लिवर भी मजबूत बनता है। इलौकी के जूस से लिवर को होने वाले फायदेलिवर को करें डिटॉक्सलौकी का जूस एक नेचुरल डिटॉक्सीफायर के रूप में कार्य करता है, जो शरीर से विषाक्त पदार्थों और हानिकारक तत्वों को बाहर निकालने में लिवर की सहायता करता है। लौकी के जूस में पानी और फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो बॉडी को डिटॉक्स करने में मदद करती है। लोकी के जूस का नियमित सेवन करने से लिवर का कार्य बेहतर होता है।एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण से भरपूरलिवर में लंबे समय से होने वाली सूजन से अन्य रोग होने की संंभावना बढ़ सकती है। लौकी के जूस में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो लिवर की सूजन को कम करने में मदद करते हैं। लौकी में फ्लेवोनोइड्स जैसे नेचुरल एंटी-इंफ्लेमेटरी एजेंट होते हैं, जो लिवर की सूजन को कम करने और डैमेज करने से बचाते हैं।फैटी लिवर को कम करने में सहायकलौकी के जूस से लिवर की डिटॉक्स होने की प्रक्रिया बेहतर होती है। इससे लिवर का फैट कम होने लगता है। जिससे व्यक्ति को फैटी लिवर की समस्या में आराम मिलता है। लौकी का जूस नियमित पीने से व्यक्ति को नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर होने का खतरा कम हो जाता है।डायबिटीज को करें कंट्रोलब्लड शुगर के अनियंत्रित होने से व्यक्ति के लिवर के कार्य पर प्रभाव पड़ता है। लौकी के जूस का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है। ऐसे में लौकी का जूस पीने से ब्लड शुगर का लेवल कंट्रोल में रहता है और आपका इंसुलिन स्तर सही बना रहता है। इससे लिवर पर दबाव नहींं पड़ता है।एंटीऑक्सीडेंट से भरपूरफ्री रेडिकल्स लिवर को नुकसान पहुंचा सकते हैं। लौकी के जूस में विटामिन सी, विटामिन ए व कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। इन पोषक तत्वों की वजह से लौकी में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो शरीर के फ्री रेडिकल्स को दूर करने में सहायक होते हैं। लौकी के जूस के नियमित सेवन से लिवर डैमेज होने के खतरा कम होता है।कैसे करें लौकी के जूस का सेवन --लौकी का जूस बनाने से पहले आप चेक कर लें, की लौकी कड़वी न हो। क्योंकि कड़वी लौकी से आपको अन्य समस्याएं हो सकती हैं।लौकी को छीलें और इसे बड़े-बड़े पीस में काट लें।-इसके बाद मिक्सी में इसका जूस निकाल लें।-अब इस जूस में थोड़ी सी काली मिर्च और थोड़ा सा काला नमक मिलाकर पिएं।-रोज सुबह खाली पेट इसका सेवन करने से आपको कई तरह के फायदे मिलते हैं।अगर, आपको पहले से कोई रोग है, तो ऐसे में डॉक्टर की सलाह के बाद ही लौकी का जूस पिएं। इसके जूस के अलावा, आप लौकी का सूप या सब्जी का भी सेवन कर सकते हैं।
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आलू को सब्जियों का राजा माना जाता है। अधिकतर बनने वाली सब्जियों में आलू का इस्तेमाल जरूर किया जाता है। यह स्वादिष्ट होने के साथ सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद माना जाता है। । लेकिन क्या आप जानते हैं आलू हमारी त्वचा के लिए भी फायदेमंद है? जी हां, आलू का सेवन करने के साथ इसे चेहरे पर लगाया भी जा सकता है। त्वचा की कई समस्याओं के लिए आलू असरदार हो सकता है। वहीं अगर आलू से फेस मास्क बनाकर इस्तेमाल किया जाए, तो यह झुर्रियों और फाइन लाइंस से छुटकारा दिलाने में भी मदद कर सकता है।
चेहरे पर आलू लगाने के फायदे
आलू में अधिक मात्रा में आयरन पाया जाता है, जो चेहरे की रंगत सुधारने में फायदेमंद माना जाता है। आलू के रस में ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जिससे इसका इस्तेमाल करने पर डार्क स्पॉट्स, पिगमेंटेशन, सूजी आखों की समस्या को कम करने में मदद कर सकते हैं। इसके साथ ही इसमें विटामिन-सी, जिंक और कॉपर भी पाया जाता है, जो झुर्रियों और फाइन लाइन्स की समस्या से छुटकारा देने में असरदार हो सकता है।
आलू का फेस मास्क कैसे बनाएं
सामग्री- आलू - 1 उबला हुआ. शहद - 1 चम्मच. दही - 2 चम्मच
बनाने की विधि
आलू का फेस मास्क बनाना बेहद आसान है। आप पीसे हुए आलू या आलू का रस दोनों का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस विधि में हम उबले आलू का इस्तेमाल करने वाले हैं -
सबसे पहले एक उबला आलू लीजिए। अब इसे एक बाउल में डालकर पीस लें। अगले स्टेप में इसमें 1 चम्मच शहद और 2 चम्मच दही मिलाएं। सभी चीजों को मिलाकर गाढा पेस्ट तैयार कर लें।
आलू का फेस मास्क कैसे लगाएं
आप आलू का फेस मास्क ब्रश या हाथ दोनों की मदद से लगा सकते हैं। सबसे पहले किसी क्लींजर का इस्तेमाल करते हुए चेहरा साफ कर लें। अब इस फेस मास्क की थोड़ी-थोड़ी मात्रा लेकर चेहरे और गर्दन पर लगाएं। इसे 15 से 20 मिनट तक लगाएं रखें और सूखने के बाद सादे पानी से चेहरा धो लें। आखिर में किसी लाइट मॉइस्चराइजर लगा लें।
इस तरह से आप आलू का फेस मास्क घर पर ही तैयार कर सकते हैं। यह झुर्रियां और फाइन लाइंस की समस्या को कम करने में मदद करेगा, साथ ही चेहरे पर प्राकृतिक निखार भी बनाए रखेगा।
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चेहरे के डार्क सर्कल्स को दूर करने के लिए बाजार में कई तरह के ब्यूटी प्रोडक्ट मौजूद हैं। लेकिन, इन प्रोडक्ट्स में मौजूद केमिकल स्किन को नुकसान पहुंचा सकते हैं। ऐसे में आप दादी और नानी के घरेलू नुस्खों को अपना सकते हैं। डार्क सर्कल्स को दूर करने के लिए फायदेमंद है शहद और केसर का फेस पैक। जानिए इसके फायदे-----
एंटीइंफ्लेमेटरी गुण
केसर और शहद में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। इसकी वजह से आपकी स्किन पर होने वाली सूजन को कम करने में सहायक होता है। केसर और शहद का फेस पैक आंखों के नीचे नियमित रूप से लगाने से डार्क सर्कल की समस्या दूर होती है। साथ ही, इसके उपयोग से त्वचा हाइड्रेट होती है और उसका रंग ठीक होने लगता है।
एंटीऑक्सीडेंट गुण से युक्त
केसर और शहद के फेस पैक में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो स्किन के इंफेक्शन को दूर करने में लिए मदद करते हैं। इस पैक से स्किन के बैक्टीरिया साफ होते हैं और त्वचा में निखार आने लगता है। दाग-धब्बों को करें दूर केसर और शहद के पैक के इस्तेमाल से चेहरे के दाग-धब्बे तेजी से दूर होने लगते हैं। साथ ही, मुंहासे भी कम होने लगते हैं। इस पैक के इस्तेमाल से आप डार्क सर्कल की समस्या दूर होती है।
केसर और शहद का फेस पैक कैसे उपयोग करें - -इस फेस पैक को बनाने के लिए एक बाउल में करीब एक चुटकी केसर लें।
-इसके बाद इसमें करीब एक चम्मच शहद मिलाएं।
-इन दोनों ही चीजों को अच्छे से मिक्स कर लें। इसके अलावा आप इसमें आधा चम्मच गुलाब जल भी मिला सकते हैं।
-अब, चेहरे को साफ पानी से धोने के बाद पैक को आंखों के नीचे लगाएं। -दोनों आंखों के नीचे पैक की एक लेयर को करीब 15 से 20 मिनट तक लगाकर छोड़ दें।
-जब यह थोड़ा सूख जाए, तो इसे गुनगुने पानी से साफ कर लें।
-कुछ ही दिनों में आपको डार्क सर्कल कम होते नजर आएंगे।
बेहतर और जल्द रिजल्ट पाने के लिए आप इस उपाय को सप्ताह में दो से तीन बार इस्तेमाल कर सकते हैं। पैक को साफ करते समय आंखों के नीचे की स्किन को न रगड़ें। इससे त्वचा में जलन हो सकती है। किसी भी उपाय को करने से पहले पैच टेस्ट अवश्य कर लें। यदि स्किन पर कोई समस्या महसूस हो, तो इस उपाय को पर्सनल एक्सपर्ट की सलाह पर ही उपयोग करें।
- बारिश के दिनों में लोग काफी जल्दी बीमार पड़ जाते हैं। क्योंकि जब मौसम में परिवर्तन होता है, तो हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मौसम के अनुसार बदलने में थोड़ा समय लगता है। मानसून में खुद को स्वस्थ रखने के लिए सबसे आसान काम जो आप कर सकते हैं वह है दिन में 2-3 बार कुछ स्पेशल चाय का सेवन करना। लेकिन हम सामान्य दूध वाली चाय की बात नहीं कर रहे हैं, कुछ ऐसी हर्बल चाय हैं, जो इम्यूनिटी मजबूत बनाने में बहुत मदद करती हैं।"बरसात के मौसम में हेल्दी रहने के लिए 5 चाय-1. मसाला चायइस चाय का सेवन करने से इम्यूनिटी बढ़ती है। इसके अलावा, यह फ्लू के आम लक्षण जैसे मतली, सिरदर्द और खराब पेट आदि की समस्या से भी राहत प्रदान करती है। इसका सेवन गर्भवती महिलाओं के लिए भी बहुत लाभकारी साबित हो सकती है।2. तुलसी की चायतुलसी को सर्दी-जुकाम, खांसी और वायरल संक्रमण जैसी समस्याओं से राहत के लिए एक रामबाण उपाय माना जाता है। यह गले व छाती की सूजन कम करने, छाती में जमा बलगम को बाहर निकालने और खांसी से छुटकारा दिलाने में मदद करती है। संक्रमण के खिलाफ अपनी इम्यूनिटी को मजबूत बनाने के लिए आप दिन में 2-3 बार तुलसी की चाय पी सकते हैं।3. नींबू और शहद की चायनींबू में विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है। वहीं शहद की बात करें, तो इसमें कई औषधीय गुण होते हैं। इन दोनों की चाय एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती है। यह शरीर में मौजूद हानिकारक कण और बैक्टीरिया को बेअसर करती है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है। दिन में 2-3 बार इसका सेवन करने से आपको स्वस्थ रहने में मदद मिलेगी।4. ग्रीन टीइस हर्बल चाय में एंटीऑक्सीडेंट की अच्छी मात्रा होती है। यह भी इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करती है। यह संक्रमण से लड़ने में मदद करती है और आपको बारिश के दिनों में भी सेहतमंद रखती है।5. लेमनग्रास और अदरक की चायमानसून में लोगों को उल्टी, बुखार, पेट दर्द, थकावट और खांसी जैसी समस्याएं बहुत परेशान करती हैं। इस तरह की समस्याओं के लिए लेमनग्रास और अदरक की चाय एक रामबाण उपाय है। यह इन समस्याओं को ठीक करने और बचाव में भी मदद करती है।
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मुनगा, सहजन या मोरिंगा के पाउडर में विटामिन और मिनरल्स पाए जाते हैं। यह हमारी सेहत के लिए फायदेमंद होता है, इसका उपयोग कई बीमारियों को लिए किया जा सकता है। फाइबर और अन्य पोषक तत्वों के कारण मोरिंगा पेट संबंधी समस्या को दूर करने और इम्यून सिस्टम को बेहतर करने का काम करता है। मुनगा पाउडर का इस्तेमाल कर किडनी के स्वास्थ्य को भी बेहतर किया जा सकता है। एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण से भरपूर गुर्दे की बीमारियों में सूजन होना एक मुख्य कारक मानी जाती है। मुनगा पाउडर में आइसोथियोसाइनेट्स जैसे शक्तिशाली एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व होते हैं, जो किडनी में सूजन को कम करने में सहायक होते हैं। मुनगा पाउडर किडनी के स्वास्थ्य को बेहतर करने में सहायक होता है और किडनी डैमेज को रोकने में मदद करता है। किडनी को डिटॉक्स करें मुनगा पाउडर एक नेचुरल रूप से ड्यूरेटिक (मूत्रवर्धक) के रूप में कार्य करता है, जो शरीर से विषाक्त पदार्थों और अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने में सहायता करता है। यह हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है, किडनी पर पडऩे वाला दबाव को कम करता है और किडनी को डिटॉक्स करने की प्रक्रिया को बढ़ाता है। एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर मुनगा पाउडर में अधिक मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो किडनी को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और हानिकारक फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये एंटीऑक्सिडेंट फ्री रेडिकल्स के प्रभाव को कम करते हैं। जिससे किडनी संबंधी रोग होने का जोखिम कम होता है। यूटीआई का संक्रमण कम होना मुनगा पाउडर में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो यूरिनरी ट्रैक के संक्रमण (यूटीआई) को रोकने में मदद कर सकते हैं। यूटीआई किडनी के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली एक आम समस्या है। इसके नेचुरल गुण यूरिनरी ट्रैक में बैक्टीरिया होने के जोखिम को कम करते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा कम हो जाता है। बीपी को करें बैलेंस किडनी के स्वास्थ्य के लिए बीपी को बैलेंस रखना महत्वपूर्ण है। मुनगा पाउडर में हाइपोटेंशन गुण पाए जाते हैं, जो बीपी के स्तर को कम करने में मदद करते हैं। बीपी को प्रभावी ढंग से मैनेज करके, मोरिंगा पाउडर किडनी पर दबाव कम करता है और किडनी के कार्य को बेहतर करता है। मुनगा पाउडर का सेवन कैसे करें? -आप आटे में मुनगा पाउडर मिलाकर, उसकी रोटियों का सेवन कर सकते हैं। -आप सलाद के साथ मुनगा पाउडर का सेवन कर सकते हैं। -मुनगा पाउडर को एक कप गर्म पानी में मिलाकर भी पिया जा सकता है। -आप सब्जी बनाते समय भी मुनगा पाउडर का उपयोग कर सकते हैं। मुनगा पाउडर का सेवन नियमित और निश्चित मात्रा में करने से फायदे मिलते हैं। यदि किडनी संबंधी कोई रोग है, तो डॉक्टर से सलाह करने के बाद ही मुनगा पाउडर का सेवन करें।
- जंक फूड और ज्यादा तला भुना खाना शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाने का काम करता है। इससे हमारे शरीर में मोटापा बढ़ने लगता है। साथ ही, कोलेस्ट्रॉल धमनियों में प्लाक बनाने में भी मुख्य भूमिका निभाता है। धमनियों में प्लाक बनने से ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है औरइ इससे आपको हार्ट संबंधी समस्याएं होने का जोखिम बढ़ जाता है। लेकिन, यदि आप अपने आहार में कद्दू के जूस को शामिल करें, तो कोलेस्ट्रॉल की समस्या को काफी हद तक कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है।एंटीऑक्सीडेंट से भरपूरकद्दू के जूस में मौजूद बीटा-कैरोटीन इसे एंटीऑक्सीडेंट बनाता है। कद्दू का जूस फ्री रेडिकल्स से होने वाले प्रभावों को कम करने और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने में मदद करता है। ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस की वजह से कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की समस्या हो सकती है। डाइट में कद्दू का जूस शामिल करने से आप एंटीऑक्सीडेंट प्राप्त करते हैं। जिससे आपका हृदय स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है।फाइबर की उच्च मात्राफाइबर कोलेस्ट्रॉल के साथ जुड़कर उसके शरीर से बाहर करने में सहायक होता है। साथ ही, इसके सेवन से शरीर में कोलेस्ट्रॉल कम होने लगता है। कद्दू के जूस में डाइट्री फाइबर होते हैं, जो आंतों में कोलेस्ट्रॉल के अवशोषण को धीमा करने में मदद करते हैं। इससे आपके ब्लड में खराब कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) का स्तर कम हो जाता है।हार्ट हेल्थ के लिए आवश्यकहार्ट रोग की वजह से लोगों को जान को जोखिम अधिक होता है। इसमें हाई कोलेस्ट्रॉल की मुख्य कारक हो सकता है। कददू का रस हार्ट हेल्थ के लिए आवश्यक हो सकता है। दरअसल, इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर एलडीएल कोलेस्ट्रॉल और सूजन को कम करने में सहयाक होते हैं। जिससे आपकी हार्ट हेल्थ सही रहती है।मोटापा करें कंट्रोलकोलेस्ट्रॉल के स्तर को कंट्रोल करने के लिए वजन को कंट्रोल करना आवश्यक है। कद्दू का रस वजन घटाने में सहायक हो सकता है। इस जूस में कैलोरी की मात्रा कम होती है। साथ ही, फाइबर की अधिकता के कारण आपको कम भूख लगती है और मोटापा कंट्रोल होने लगता है। इसकी वजह से वजन का स्तर सही रहता है और कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की संभावना कम होती है।पोषक तत्वों से भरपूरकद्दू के जूस में आवश्यक पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इसमें विटामिन ए, सी और ई होते हैं, जो बेहतरीन एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। इसके अलावा, जूस में मौजूद मैग्नीशियम, पोटेशियम जैसे मिनरल्स आपके बीपी को कंट्रोल में रखते हैं। इससे आपको अन्य बीमारियों का जोखिम भी कम हो जाता है।कद्दू का जूस कैसे बनाएं?-कदूद का जूस बनाने के लिए आप करीब 300 से 400 ग्राम कद्दू लें।-अब इसे काटकर इसे मिक्सी में पीस कर जूस निकाल लें।-इसके बाद इसें छानकर गिलास में डालें।-इस जूस में एक चम्मच शहद मिलाएं और खाली पेट सेवन करें।कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए एक सरल उपाय हो सकता है। लेकिन, यदि आपको इसे पीने से किसी तरह से समस्या हो रही है, तो इसका सेवन तुरंत बंद करें और डॉक्टर की सलाह के बाद ही इसे दोबारा शुरू कर सकते हैं।
- अगर आप रोज नारियल पानी पीकर बोर हो गए हैं, तो आप इसकी जगह नारियल के शेक का सेवन भी कर सकते हैं। नारियल का शेक शरीर को ठंडक देने में फायदेमंद माना जाता है। इतना ही नहीं,बल्कि इसका सेवन कई स्वास्थ्य समस्याओं के लिए समाधान भी साबित हो सकता है।सेहत के लिए नारियल शेक के फायदेपोषक तत्वों से भरपूरनारियल के तेल में हेल्दी फैट्स, मिनरल्स, विटामिन -सी, ई, बी1,बी3, बी6 की अधिक मात्रा पायी जाती है। इसके साथ ही इसमें आयरन, सेलेनियम, सोडियम, कैल्शियल, मैग्नीशियम और फोस्फोरस भी पाया जाता है, जो हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।इम्यूनिटी बेहतर बनाए रखेंकोकोमट मिल्क में लौरिक एसिड पाया जाता है, इसके एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण शरीर की इम्यूनिटी बनाए रखने में मदद करता है।वीगन डाइट का परफेक्ट ऑपशनकोकोनट मिल्क उन लोगों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है जो लैक्टोज अवॉइड करते हैं या पूरी तरह से शाकाहारी आहार लेना पसंद करते हैं। कोकोनट मिल्क में लैक्टोज नहीं होता है, जिससे इसे कई व्यंजनों में दूध की इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके साथ ही कोकोनट शेक में फास्फोरस की अधिक मात्रा होती है जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद कर सकती है।हार्ट हेल्थ बनाए रखेनारियल के दूध में मीडियम-चेन ट्राइग्लिसराइड्स (एमसीटी) होता है, जोहार्ट हेल्थ बनाए रखने के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। ऐसा माना जाता है कि एमसीटी गुडकोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) बढ़ाने के साथ-साथ बेड कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) कम करने में मदद कर सकता है।वजन घटाने में मदद करेंनारियल के शेक में हेल्दी फेट्स पाया जाता है, जो शरीर को एनर्जी देने में मदद कर सकता है। इसके सेवन के बाद लंबे समय तक भूख नहीं लगती, जिससे आप अपने अगले मील में कम कैलोरी का सेवन करते हैं।इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस करेनारियल के दूध में भरपूर मात्रा में मैग्नीशियम, पोटेशियम और फॉस्फोरस जैसे इलेक्ट्रोलाइट पाए जाते हैं, जो शरीर को हाइड्रेटेड रखने के साथ पाचन बेहतर बनाए रखने में मदद करते हैं।पाचन तंत्र दुरूरत रखेंनारियल शरीर को हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है, जिससे शरीर में पानी की कमी नहीं होती है। पर्याप्त हाइड्रेशन मिलने से पाचन तंत्र दुरूस्त रहता है। इससे आपको गैस या कब्ज जैसी समस्याएं नहीं होती हैं। वहीं नारियल पानी में फाइबर की मात्रा भी ज्यादा पायी जाती है, जो पाचन बेहतर बनाए रखने के लिए जरूरी है।त्वचा और बाल बेहतर बनाएंनारियल में मौजूद आवश्यक एंटीऑक्सीडेंट्स और मिनरल्स त्वचा और बालों में नमी बनाए रखते हैं। नारियल का दूध स्कैल्प को नमी देकर खुजली और इरीटेशन से राहत दे सकता है। इसलिए कई लोग नारियल के दूध को चेहरे और बालों पर लगाना पसंद करते हैं।नारियल शेक बनाने की विधिसामग्रीनारियल पानी - 2 कपदूध - 1 कपनारियल - आधा कप नारियलदेसी खांड - 2 चम्मचबनाने की विधिनारियल का शेक तैयार करने के लिए एक कोकोनट का पानी निकालकर अलग रख लें। अगर आपको क्रीमी शेक चाहिए तो आप इसकी मलाई भी साथ में इस्तेमाल कर सकते हैं।अब मिक्सी में फेट फ्री मिल्क डालें और इसके साथ 2 चम्मच देसी खांड मिला लें। इसे ग्राइंड कर लें।अगले स्टेप में इसमें नारियल पानी और आधा कप नारियल का बरूदा डालें। अब अपनी जरूर अनुसार इसमें आइस क्यूब्स डालें और ग्राइंड कर लें।नारियल के मिल्क शेक को ठंड़ा-ठंड़ा सर्व करें और इसका आनंद लें।याद रखें कि कोकोनट मिल्कशेक का सेवन कम मात्रा में करें क्योंकि इनमें कैलोरी और फैट्स अधिक होती है। इसके अलावा, कुछ लोगों को नारियल से एलर्जी भी हो सकती है, इसलिए इसका ध्यान रखना जरूरी है
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मानसून का महीना बैक्टीरिया के पनपने के लिए सबसे अच्छा होता है। चारों तरफ फैली नमी वायरस और बैक्टीरिया के लिए बिल्कुल परफेक्ट माहौल बना देती है। जिसकी वजह से काफी सारे इफेक्शन वाली बीमारियों का खतरा हो जाता है। पानी से फैलने वाली बीमारी तो कभी ठंड और गर्मी से सर्दी-जुकाम होने का डर बना रहता है। खासतौर पर बच्चों के लिए ये मौसम काफी नाजुक होता है। इसलिए उनकी बारिश के मौसम में ठीक से देखभाल करनी चाहिए। पानी में पनपने वाले मच्छर और कीड़े भी डेंगू, मलेरिया फैला देते हैं। ऐसे में जरूरी है अपने बच्चे की सेहत का इस तरह से बचाव करें।
पानी और नमी वाली जगह पर ना जाने दें
अपने बच्चे को ऐसी जगह पर ना जाने दें। जहां नमी हो या फिर पानी रुका हो। ज्यादा पानी वाली जगह बैक्टीरिया का घर हो सकती है। जहां पर मच्छरों के काटने का भी ज्यादा डर होता है। साथ ही ऐसी जगहों पर खुले ड्रेन और मेनहोल होते हैं। जो पानी भरने की वजह से दिखते नही है। इसलिए बच्चों को पानी भरने वाले पार्क और गली में खेलने के लिए बिल्कुल भी ना जाने दें।
बच्चे के फुटवियर का रखें ध्यान
बच्चों के लिए मानसून के मौसम में पहनने के लिए ऐसे शूज दें। जो कि उनके पैरों को अच्छी तरह से ढंककर रखें। और साथ ही उनमे हवा भी पहुंचे। जिससे कि पैरों में होने वाली नमी और पसीना सूखता रहे। बच्चों को ऐसा फुटवियर पहनाएं जो फिसले नहीं और फिसलन वाली जगह पर आराम से वो चल सकें।
मच्छरों से करें बचाव
बारिश के मौसम में जरा सा पानी लगते ही उनमे डेंगू और मलेरिया वाले मच्छर पनपने लगते हैं। इसलिए बच्चों को बच्चों के काटने से बचाएं। मॉस्किटो रेपेलेंट का इस्तेमाल करें। बच्चों के शरीर पर बाहर निकलने पर मॉस्किटो भगाने वाली क्रीम लगाकर रखें। उन्हें फुल बाजुओं वाला कपड़ा पहनाएं और घर में भी जालीदार खिड़की और दलवाजे लगाएं। जिससे कि मच्छरों को घर में घुसने से रोका जा सके।
साफ-सफाई का ध्यान रखें
बारिश के मौमस में बच्चों को साफ-सफाई और हाईजीन का ख्याल रखना सिखाना जरूरी है। बच्चों को हाथ धोना सिखाना, जिससे बच्चों के मुंह में बैक्टीरिया ना जाएं।










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