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- खूब मसालेदार और तला हुआ खाने के बाद एसिडिटी की दिक्कत होने लगती है। ऐसे में एंटेसिड की गोली ले लेना आसान तो लगता है लेकिन यह नुकसान भी करती है। बेहतर है, ये घरेलू नुस्खे अपनाएं..केलाकेला में ढेर सारा फाइबर होता है और भारी मात्रा में पोटैशियम भी। एंटेसिड की गोलियों में भी अधिकतर कैल्शियम और पोटैशियम होते हैं, जो एसिड पर वार करते हैं, लेकिन जरूरत से ज्यादा मात्रा में इन्हें लेने से ये कैल्शियम शरीर में ही जमा होने लगता है और किडनी स्टोन का रूप ले लेता है। इसलिए केला का सेवन फायदेमंद होता है।तुलसीखाना खाने के बाद चार-पांच तुलसी के पत्ते खा लेंं। इससे आपका हाजमा भी अच्छा रहेगा और एसिडिटी भी नहीं होगी। तुलसी के पत्तों को गर्म पानी में डाल कर, उसे ग्रीन टी के तौर पर भी पी सकते हैं।दूधआधे ग्लास ठंडे दूध में आधा ग्लास पानी मिला लें। इससे भी एसिडिटी में फायदा मिलता है। दूध पसंद नहीं है तो आइसक्रीम भी खा सकते हैं, लेकिन चौकलेट या स्ट्रॉबेरी फ्लेवर वाली नहीं, सिर्फ दूध वाली सफेद आइसक्रीम और ध्यान दें कि ज्यादा ना खाएं।सौंफखाने के बाद सौंफ चबाने से पेट में एसिड नहीं बनता। एसिडिटी के कारण सीने में जो जलन महसूस होती है, उससे छुटकारा पाने में भी सौंफ मदद करती है।जीराखाने में प्याज या लहसुन की जगह जीरे का तड़का लगाना लाभकारी होता है। एसिडिटी होने पर जीरे के कुछ दाने चबाएं या फिर एक चम्मच जीरे को एक ग्लास पानी में उबाल लें और पानी को ठंडा कर के पिएं।इलाइचीखाने की खुशबू बढ़ाने वाली इलाइची भी एसिडिटी दूर करने में मददगार होती है एसिडिटी गोली लेने की जगह, दो इलाइचियां मुंह में रख लें और टॉफी की तरह इसे चूसते रहें।लौंगइलाइची के साथ लौंग मिला दें तो और भी अच्छा। खाना खाने के बाद एक लौंग और एक इलाइची मुंह में रखना अच्छी आदत है। अगर चाय से एसिडिटी होती है, तो चाय में भी एक लौंग और एक इलाइची मिला सकते हैं।अदरकसर्दी जुकाम और खांसी में मदद करने वाला अदरक एसिडिटी में भी फायदेमंद होता है। गर्म पानी में अदरक काट कर डालें और ठंडा होने पर इसे धीरे धीरे पिएं। इसमें थोड़ी सी चीनी और बर्फ डाल कर आइस टी भी बना सकते हैं।पुदीनाअदरक वाले ही पानी में पुदीना भी मिला सकते हैं। पुदीने से ठंडक का अहसास होता है और एसिडिटी के कारण कलेजे में होने वाली जलन से फौरन राहत मिलती है।आंवलाआंवला में भारी मात्रा में विटामिन सी मौजूद होता है, जो इम्यूनिटी बढ़ाने में फायदेमंद होता है और पेट की अंदरूनी लाइनिंग को एसिड से बचाता है। रोज सुबह आंवले का चूरन या मुरब्बा खाना फायदेमंद होता है।-----
- सर्दियों में रागी, बाजरा, कुट्टू आदि से बनी रोटियों का सेवन किया जाता है। लेकिन गर्मियों में भी आपको आटा बदलने की जरूरत होती है। गर्मियों में आपको ठंडी तासीर वाले आटे से बनी रोटियों का सेवन करना चाहिए। इससे पेट में गर्मी नहीं बनेगी, आपको हल्का और अच्छा महसूस होगा। चलिए जानते हैं गर्मियों में कौन-कौन से आटे की बनी रोटियां खानी चाहिए।1. गेहूं का आटावैसे तो अधिकतर लोग गेहूं से बनी रोटियां ही खाते हैं। लेकिन सर्दियों में इसकी जगह बाजरा, मक्का आदि की रोटियां खाना पसंद करते हैं। अब गर्मी का मौसम आ गया है, तो आप दोबारा से गेहूं की रोटियों को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। गेहूं की तासीर ठंडी होती है, इसलिए गर्मियों में इसका सेवन किया जा सकता है। गेहूं का आटा पोषक तत्वों से भरपूर होता है। चोकर वाला गेहूं खाने से पाचन क्रिया में सुधार होता है। गेहूं के गुण रक्त को भी साफ करते हैं। गेहूं में फाइबर अधिक होता है, जो वजन घटाने में कारगर होता है। थायराइड रोगियों के लिए भी गेहूं का आटा फायदेमंद होता है।2. चने का आटागर्मियों में चने के आटे से बनी रोटियां भी खाई जा सकती हैं। चने के आटे की तासीर ठंडी होती है, इसलिए यह गर्मी के मौसम के अनुकूल होती है। चने के आटे में प्रोटीन अधिक होता है। 1 कप चने के आटे में करीब 20 ग्राम प्रोटीन होता है। चने का आटा मांसपेशियों का निर्माण करने, वजन को कंट्रोल रखने में भी सहायक होता है। अधिकतर लोग बेसन को ही चने का आटा समझ लेते हैं, लेकिन ये बेसन और चने का आटा एक-दूसरे से अलग होते हैं। बेसन को रिफाइन किया जाता है, इससे इसका सारा फाइबर निकल जाता है। वही आटे को छिलके सहित पीसा जाता है, यह बेसन से मोटा होता है और इसमें फाइबर भी भरपूर होता है।3. जौ का आटागर्मियों में अधिकतर लोग पेट को ठंडा रखने के लिए जौ का पानी पीते हैं। लेकिन आप चाहें तो जौ को पीसकर इसका आटा भी तैयार कर सकते हैं, गर्मियों में इसकी रोटियां बना सकते हैं। गर्मियों में जौ को इसलिए फायदेमंद माना जाता है, क्योंकि इसकी तासीर ठंडी होती है। साथ ही जौ पोषक तत्वों से भी भरपूर होता है। जौ के आटे से बनी रोटियां खाने से पेट से संबंधित समस्याएं दूर होती हैं। जौ ठंडा होता है, इसलिए यह गर्मी से होने वाले कील मुहांसों से भी बचाता है। डायबिटीज रोगियों के लिए भी जौ की रोटियां लाभकारी होती है।4. ज्वार का आटाज्वार में पोषक तत्व होते हैं। ज्वार प्रोटीन, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स और मिनरल्स से भरपूर होता है। इसके अलावा ज्वार में पोटैशियम, फॉस्फोरस, कैल्शियम और आयरन भी होता है। ज्वार की तासीर ठंडी होती है, इसलिए पित्त प्रकृति के लोग भी इसकी रोटियां खा सकते हैं। वात के लोगों को इसका सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए। ज्वार का आटा पित्त और कफ को शांत करता है। ज्वार में कैलोरी कम होती है, पोषण अधिक होता है। इससे वजन घटाने में मदद मिलती है। ज्वार के आटे की रोटियां खाने से थकान दूर होती है, शरीर को बल मिलता है।गर्मियों में आप भी ज्वार, जौ, गेहूं और चने के आटे से बनी रोटियां खा सकते हैं। लेकिन वात वाले लोगों ज्वार का आटा खाने से बचना चाहिए।
- बढ़ती उम्र के साथ ज्यादातर लोगों को घुटने और जोड़ों के दर्द की समस्या हो जाती है। ये समस्या सुनने में तो आम समस्या लगती है, लेकिन इस दर्द को झेलना बहुत मुश्किल होता है। ऐसे में लोग तमाम तरह की दवाइंया और तेलों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन ये दर्द आसानी से पीछा नहीं छोड़ता। ऐसे में घर में बनाया लहसुन का तेल जोड़ों के दर्द से राहत दिलाने में काफी कारगर होता है।लहसुन का तेल बनाने की विधिलहसुन का तेल बनाने के लिए 250 एमएल सरसों के तेल में लहसुन की 10-12 कलियां छीलकर कूटकर डालें। इसके साथ ही इसमें 2 जायफल को कूटकर डालें। अब इसमें 50-60 ग्राम गुडूची (गिलोय) की सूखी डंठल को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर डाल लें। इन सभी चीजों को सरसों के तेल में डालकर 1 घंटे तक धीमी आंच पर पकाते रहें। इस तेल को पकाने के बाद ठंडा करके छान लें और एक शीशी में करके रख लें। अब आपका तेल तैयार है। अब आप इस तेल को जोड़ों के दर्द से निजात पाने के लिए रोजाना इस्तेमाल कर सकते हैं।लहसुन के तेल को इस्तेमाल करने का तरीकाजोड़ों के दर्द से निजात पाने के लिए लहसुन के तेल से जोड़ों पर 5-7 मिनट तक मालिश करनी चाहिए। वैसे तो ठंडा तेल भी फायदेमंद होता है, लेकिन हल्का गर्म तेल दर्द और सूजन को जल्दी दूर करने में कारगर होता है। हर रोज रात को सोने से पहले लहसुन के तेल से जोड़ों की मालिश करनी चाहिए। हफ्तेभर में आपको दर्द से आराम मिलना शुरू हो जाएगा।लहसुन है अच्छा दर्दनिवारकलहसुन एक अच्छा दर्दनिवारक माना जाता है। आयुर्वेद में भी लहसुन की खास अहमियत है। दरअसल, लहसुन में विटामिन, एंटी-बैक्टीरियल, मिनरल्स और एंटीफंगल गुण पाए जाते हैं, जो कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने में कारगर माने गए हैं। लहसुन को कच्चा खाने से जोड़ों के दर्द की तो समस्या दूर होती ही है, साथ ही ये हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से भी निजात दिलाने में सहायक होता है। वहीं, बढ़े हुए वजन को कंट्रोल करने और आंखों की रोशनी बढ़ाने में भी कच्चा लहसुन काफी फायदेमंद होता है।जायफल के लाभजायफल जोड़ों के दर्द को ही नहीं बल्कि किसी भी तरह के दर्द को दूर करने में कारगर होता है। दरअसल, जायफल में प्रचुर मात्रा में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द को दूर करने में कारगर होते हैं। दर्द के साथ ही जायफल सूजन को भी कम करने का काम करता है। आयुर्वेद के अनुसार, जायफल को पीसकर तेल में पकाने और फिर उस तेल से मालिश करने से हर तरह के दर्द की छुट्टी हो जाती है। इसके अलावा जायफल का इस्तेमाल चेहरे से दाग-धब्बों और मुहांसों को दूर कर स्किन में चमक लाने के लिए भी किया जाता है।जोड़ों के दर्द में गुडूची (गिलोय) के फायदेगुडूची को ज्यादातर लोग गिलोय के नाम से जानते हैं। गिलोय एक आयुर्वेदिक औषधि होती है, जो कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद करती है। गिलोय एंटी-वायरल होने के साथ-साथ दर्दनिवारक भी होता है। इसके प्रयोग से बने तेल से घुटनों की मालिश करने से दर्द जल्द ही दूर हो जाता है। आयुर्वेद में कहा गया है कि नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय की बेल सबसे ज्यादा फायदेमंद होती है, क्योंकि नीम के गुण भी गिलोय की बेल में आ जाते हैं। दरअसल, गिलोय के बारे में कहा जाता है कि ये जिस पेड़ पर चढ़ती है, उसी पेड़ के गुण अपना लेती है। इसलिए नीम के पेड़ पर चढ़ी हुई बेल काफी फायदेमंद होती है, क्योंकि उसमें नीम के गुण भी आ जाते हैं।
- चना और किशमिश एक साथ खाने से सेहत को तमाम फायदे मिलते हैं। रोजाना सुबह चना और किशमिश को भिगोकर खाने से शरीर में मौजूद कई समस्याओं में फायदा मिलता है। चना का सेवन करने से विशेष रूप से मांसपेशियों, हड्डियों, त्वचा और बालों के साथ-साथ चयापचय के सिलसिले में उत्पन्न सभी प्रकार के अपशिष्ट जमाओं को हटाने में फायदा मिलता है। वहीं किशमिश शरीर की कई गंभीर परेशानियों को दूर करने के लिए भी उपयोगी मानी जाती है। चना और किशमिश का एकसाथ सेवन करने से मिलने वाले फायदे इस प्रकार से हैं।1. शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए उपयोगीचना और किशमिश का सेवन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में बहुत उपयोगी माना जाता है। चने में मौजूद प्रोटीन, कार्बोहायड्रेट, विटामिन, आयरन और कैल्शियम आदि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में उपयोगी माने जाते हैं। किशमिश में भी सेहत के लिए फायदेमंद पोटेशियम, आयरन, विटामिन बी 6 आदि शरीर में पोषक तत्वों की कमी को दूर करने में बहुत उपयोगी होते हैं। चना और किशमिश को एक साथ भिगोकर रोजाना सुबह खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।2. खून की कमी दूर करने में फायदेमंदशरीर में खून की कमी दूर करने के लिए चना और किशमिश खाना फायदेमंद होता है। खानपान में गड़बड़ी और खराब जीवनशैली के कारण शरीर में खून की कमी की समस्या या एनीमिया की समस्या होती है। चना और किशमिश में आयरन की प्रचुर मात्रा होती है जो खून बढ़ाने में बहुत मदद करता है। एनीमिया की समस्या में चना और किशमिश का सेवन बहुत फायदेमंद होता है।3. कब्ज की समस्या में फायदेमंदकब्ज की समस्या में चना और किशमिश का सेवन बहुत फायदेमंद माना जाता है। रोजाना सुबह में भिगोए हुए चने और किशमिश का सेवन करने से कब्ज और पाचन से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं। चने में मौजूद फाइबर का सेवन कब्ज की समस्या में बहुत फायदेमंद माना जाता है।4. मोटापे की समस्या को दूर करने में फायदेमंदचने में फैट को कम करने वाले मॉलिक्यूल्स होते हैं। जिनसे वजन कम होता है। इसके अलावा चने में आयरन, विटामिन-बी जैसे पोषक तत्व होते हैं। वहीं किशमिश में मौजूद पोषक तत्व भी शरीर के लिए उपयोगी होते हैं और इसके सेवन से शरीर में एनर्जी कम नहीं होती है। इसके सेवन से मोटापे की समस्या को दूर करने में फायदा मिलता है।5. आंख की रोशनी बढ़ाने में फायदेमंदआंख की सेहत के लिए चना और किशमिश खाना बहुत फायदेमंद होता है। किशमिश और चना उन लोगों के लिए बहुत फायदेमंद है जिनकी आंखें कमजोर हैं या रोशनी कम हो गयी हैं। किशमिश में पॉलीफेनोल्स से भरपूर है, जो कि एक ऐसा एंटीऑक्सीडेंट है जो कि आंखों की सेल्स की रक्षा करता है। ये फ्री रेडिकल्स के कारण आंखों को होने वाले नुकसान को कम करता है। इस तरह ये आंखों से जुड़ी बीमारियों को रोकता है। जैसे कि मस्कुलर डीजेनरेशन और मोतियाबिंद। चने और किशमिश को एक साथ भिगोकर खाने से आंखों को फायदा मिलता है।नोट-डायबिटीज की समस्या में इनका सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह बहुत जरूरी है।
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. हमारी रसोई में मसालों के साथ मौजूद रहने वाला अजवाइन अनेक औषधीय गुणों से भरपूर है। इसमें एंटी-ऑक्सिडेंट्स होते हैं जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को सुदृढ़ बनाता है एवं श्वसन क्रिया को मजबूत करता है। साथ ही यह पाचन क्रिया में भी लाभदायक होता है व अपच को दूर करता है। अजवाइन, काला नमक और सोंठ को पीसकर चूर्ण बनाकर भोजन के बाद सेवन करने से पेट में अशुद्ध वायु का बनना और ऊपर चढ़ना बंद होता है। गर्भकाल में अजवाइन के सेवन से न सिर्फ खून साफ होता है, बल्कि इससे शरीर में रक्त का प्रवाह भी बेहतर होता है। औषधीय गुणों से भरपूर अजवाइन पाचक, रूचि कारक, तीक्ष्ण, अग्नि प्रदीप्त करने वाली, पित्तकारक तथा शूल, वात, कफ, उदर आनाह, प्लीहा एवं कृमि का नाश करने वाली होती है।
शासकीय आयुर्वेदिक कॉलेज, रायपुर के सह-प्राध्यापक डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि अजवाइन की ताजा पत्ती में प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व और विटामिन के साथ एंटी-बैक्टीरियल भी होता है। इसकी पत्तियां विटामिन सी, विटामिन-ए, आयरन, मैंगनीज और कैल्शियम युक्त ओमेगा-3 फैटी एसिड का अच्छा स्रोत है। अजवाइन में कैल्शियम, फास्फोरस, सोडियम व पोटेशियम जैसे तत्व पाए जाते हैं। अजवाइन वात और कफ दोष का नाश करता है। इसलिए नजला और सांस लेने में परेशानी होने पर इसकी भाप लेने से आराम मिलता है। पेट दर्द में गरम पानी के साथ इसका सेवन करने और इसका लेप लगाने से भी लाभ मिलता है।डॉ. शुक्ला ने बताया कि घरेलू औषधि से लेकर मसालों और आयुर्वेदिक दवाओं तक में अजवाइन का इस्तेमाल होता है। मासिक धर्म के दौरान पीड़ा होने पर 15 से 30 दिनों तक खाना खाने के बाद गुनगुने पानी के साथ अजवाइन के सेवन से दर्द में राहत मिलती है। अजवाइन तेल की कुछ बूंदें गुनगुने पानी में मिलाकर कुल्ला करने से मसूड़ों के सूजन में आराम मिलता है। चोट लगने पर अजवाइन और हल्दी बांधने से सूजन और दर्द में आराम आता है। पेट का दर्द, दांत का दर्द, वात व्याधि, कृमि रोग, चर्म रोग, रजो दोष में भी अजवाइन लाभकारी होता है। अजवाइन का औषधि के रूप में प्रयोग किसी आयुर्वेद विशेषज्ञ के परामर्श और मार्गदर्शन में ही करना चाहिए।
- गर्मियों में शरीर को ठंडा रखने, हाइड्रेट रखने के लिए तरबूज काफी फायदेमंद होता है। तरबूज में पानी और नैचुरल शुगर होता है। कई लोग वजन घटाने के लिए तरबूज का सेवन करते हैं, कुछ तरबूज खाकर पानी की कमी पूरी करते हैं। यानी सभी लोग किसी न किसी वजह से तरबूज जरूर खाते हैं। लेकिन ऐसे में डायबिटीज रोगियों को कंफ्यूजन रहती है, कि वे तरबूख खा सकते हैं या नहीं।दरअसल, डायबिटीज रोगियों को अपना ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रखने के लिए खान-पान पर खास ध्यान देने की जरूरत होती है। ऐसे में उन्हें ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना होता है, जो रक्त में शुगर लेवल न बढ़ाए। डायबिटीज रोगियों को मौसमी फल और सब्जियां खाने की भी सलाह दी जाती है। इस समय तरबूज मार्केट में मिल रहा है, तो क्या डायबिटीज रोगी इस फल को खा सकते हैं.डायबिटीज रोगियों को रिफाइंड शुगर या शुगर खाने से मना किया जाता है। लेकिन वे नैचुरल शुगर का सेवन सीमित मात्रा में कर सकते हैं, जो फलों से पर्याप्त होता है। ऐसे में डायबिटीज रोगी गर्मी का मौसमी फल तरबूज भी खा सकते हैं। इससे डायबिटीज रोगियों को अपना वजन कम करने में मदद मिलेगी। साथ ही प्रोटीन और अन्य पोषक तत्व भी भरपूर मात्रा में मिलेंगे। डायबिटीज के रोगियों के लिए तरबूज कम मात्रा में खाना सुरक्षित हो सकता है। तरबूज का सेवन ऐसे खाद्य पदार्थों के साथ करना चाहिए, जो हेल्दी फैट, फाइबर और प्रोटीन से भरपूर होते हैं। हालांकि तरबूज जीआई स्केल पर उच्च होता है, लेकिन इसका ग्लाइसेमिक लोड कम होता है। इसका मतलब है इसे खाने के बाद किसी व्यक्ति के रक्त शर्करा के स्तर पर इसका थोड़ा प्रभाव पड़ सकता है। तरबूज में लगभग 286 ग्राम के मध्यम आकार के टुकड़े में 17.7 ग्राम चीनी होती है। इसलिए अगर आप शुगर रोगी है, तो तरबूज का सेवन सीमित मात्रा में ही करें।डायबिटीज रोगियों के लिए तरबूज के फायदे1. तरबूज में विटामिन ए, विटामिन बी1, विटामिन बी6, विटामिन सी, पोटैशियम, मैग्नीशियम , आयरन, कैल्शियम और लाइकोपीन होता है। ये सभी विटामिन्स और मिनरल्स सेहत के लिए काफी फायदेमंद होते हैं।2. तरबूज में विटामिन ए होता है। जो हृदय, गुर्दे और फेफड़ों में कार्य को संरक्षित रखने में मदद करता है। इसके अलावा यह आंखों के लिए भी अच्छा होता है।3. डायबिटीज रोगियों की इम्युनिटी अकसर कमजोर पड़ जाती है। ऐसे में तरबूज में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देता है। तरबूज खाने से शुगर रोगी अपनी इम्युनिटी बढ़ा सकते हैं।4. डायबिटीज रोगियों को अपने हृदय स्वास्थ्य की अधिक देखभाल करने की जरूरत होती है। ऐसे में वे तरबूज को सीमित मात्रा में अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। तरबूज के एक टुकड़े में लगभग 320 मिलीग्राम पोटेशियम होता है, जो रक्तचाप को नियंत्रण में रखने में मदद करता है।डायबिटीज रोगियों को तरबूज का सेवन हमेशा सीमित मात्रा में करना चाहिए। अगर आपका ब्लड शुगर लेवल पहले से बढ़ा हुआ है, तो इस स्थिति में तरबूज का सेवन करने से बचना चाहिए। या फिर आप डॉक्टर की सलाह पर तरबूज खा सकते हैं। अगर तरबूज खाने के बाद आपको कोई दिक्कत महसूस होती है, तो भी एक बार डॉक्टर से सलाह ले लें।
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एक चुटकी नमक न सिर्फ आपके खाने का स्वाद बढ़ाता है, बल्कि इसे और भी पौष्टिक बना देता है। यूं मानिए कि नमक के बिना जिंदगी बेस्वाद है। पर जरूरी है संतुलित मात्रा में और सही तरीके से इसका सेवन करना। भारतीय स्वाद की परंपरा में कई तरह के नमक मौजूद हैं। इनमें से एक नमक है, सेंधा नमक। हां वही, जिसका आपने अभी उपवास में सेवन किया होगा। पर क्या आप जानती हैं कि इसकी खास प्रोपर्टीज इसे वेट लॉस के लिए भी मददगार बनाती हैं। जी हां, ये बिल्कुल सच है। बस आपको इसके सेवन का तरीका पता होना चाहिए। आइए जानते हैं कैसे किया जाए वेट लॉस के लिए सेंधा नमक का इस्तेमाल।
क्यों जरूरी है नमक
नमक, सामान्य तौर पर, सोडियम-क्लोराइड होता है। यह हमारे शरीर द्वारा पोषक तत्वों के परिवहन और अवशोषण, रक्तचाप को बनाए रखने और तंत्रिका संकेतों को प्रसारित करने जैसे कई कार्यों के लिए आवश्यक खनिज है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए हर दिन संतुलित मात्रा में नमक का सेवन करना जरूरी है। बशर्ते कि इसे कम मात्रा में लिया जाए। नमक का अधिक सेवन करने से वजन बढ़ने जैसी कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। भोजन में अत्यधिक सोडियम शरीर में वॉटर रिटेंशन का कारण बनता है, जिससे आपके वजन में उतार-चढ़ाव हो सकता है। मगर सेंधा नमक का सेवन करने से वजन कम भी किया जा सकता है।
क्या है सेंधा नमक?
सेंधा नमक कम प्रोसेस्ड होता है और इसमें अधिक पोषक तत्व होते हैं। यह हिमालय की तलहटी से निकाला जाता है और प्राकृतिक रूप से गुलाबी रंग का होता है। इसका यह हल्का गुलाबी रंग आयरन की मौजूदगी का संकेत है। यही कारण है कि इसे हिमालयन पिंक सॉल्ट या हिमालयन सॉल्ट के नाम से भी जाना जाता है।
ऐसा अनुमान है कि सेंधा नमक में 84 विभिन्न खनिज और ट्रेस तत्व होते हैं। इस प्रकार के नमक को फिनिशिंग सॉल्ट के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि आमतौर पर इसका उपयोग खाना पकाने के अंत में स्वाद और क्रंच जोड़ने के लिए किया जाता है।
सेंधा नमक और वेट लॉस
इसमें कोई शक नहीं कि सेंधा नमक टेबल सॉल्ट की तुलना में स्वास्थ्यवर्धक होता है, क्योंकि यह कम परिष्कृत होता है और इसमें अधिक पोषक तत्व होते हैं। सेंधा नमक के सेवन से आपको जिंक, आयरन, कैल्शियम और यहां तक कि आयोडीन भी मिल सकता है।
जब वज़न घटाने की बात आती है, तो रेगुलर नमक के मुकाबले सेंधा नमक ज़्यादा असरदार साबित हो सकता है। हालांकि, दोनों प्रकार के नमक में वजन के हिसाब से सोडियम की मात्रा समान होती है। इसका मतलब यह है कि अगर आपके नमक का सेवन अधिक है, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस तरह के नमक का सेवन करते हैं और वजन बढ़ना अपरिहार्य है।
इसलिए कोशिश करें कि नमक का सेवन कम मात्रा में करें और इसे अपने पके हुए भोजन के ऊपर छिड़कने से बचें। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार एक व्यक्ति को रोजाना नमक का सेवन 5 ग्राम से कम होना चाहिए, जो कि एक चम्मच के बराबर होता है।
वज़न घटाने के लिए कैसे करें सेंधा नमक का सेवन-----
स्टेप 1
बस एक एयरटाइट जार में 2 बड़े चम्मच सेंधा नमक डालें।
स्टेप 2
अब इस जार को ऊपर तक पानी में मिक्स कर लें। रात भर इस जार का ढक्कन लगाकर रख दें।
स्टेप 3
सुबह उठकर इस पानी में से दो बड़े चम्मच निकालें और अलग गिलास में डाल लें।
स्टेप 4
फिर इसमें आधा कप गुनगुना पानी डालकर मिक्स करें और पिएं। इसे अगर आप खाली पेट पिएंगी तो ज्यादा फायदेमंद होगा।
स्टेप 5
ध्यान रखें कि दिन भर में दो बार से ज्यादा इस पानी का सेवन न करें। - सूखे अंजीर स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। अंजीर प्रोटीन, फाइबर, विटामिन ए और विटामिन बी का काफी अच्छा सोर्स होता है। अंजीर एंटीऑक्सीडेंट से भी भरपूर होता है। आज हम बात कर रहे हैं सुबह खाली पेट अंजीर खाने के फायदे। सुबह-सुबह कुछ हेल्दी खाना चाहिए, ऐसे में आप अंजीर का सेवन कर सकते हैं। सुबह खाली पेट अंजीर खाने से सेहत को भी कई लाभ मिलते हैं।1. कब्ज की समस्या दूर करे अंजीरअंजीर पेट के लिए काफी फायदेमंद होता है। अंजीर में फाइबर की अच्छी मात्रा होती है, ये कब्ज की समस्या को दूर करने का काम करता है। फाइबर पाचन में सुधार करता है, इससे गैस, एसिडिटी और अपच की समस्या से भी राहत मिलती है।2. वजन कम करने में लाभकारी अंजीरवजन कम करने वाले लोगों के लिए सुबह खाली पेट अंजीर खाना अधिक लाभकारी होता है। अंजीर में फाइबर होता है, इससे लंबे समय तक भूख नहीं लगती है और वजन कम करने में मदद मिलती है। मोटापे से परेशान लोग इसे अपनी मॉर्निंग डाइट में शामिल कर सकते हैं।3. पोषक तत्वों का अवशोषणअंजीर पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसके सभी फायदे प्राप्त करने के लिए इसे सुबह खाना फायदेमंद माना जाता है। दरअसल, खाली पेट अंजीर खाने से शरीर इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और विटामिंस को पूरी तरह से अवशोषित कर लेता है।4. ब्लड प्रेशर कंट्रोल रखे अंजीरअंजीर ब्लड प्रेशर के लिए काफी फायदेमंद होता है। अंजीर में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट, पोटैशियम ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है। हृदय को स्वस्थ रखने में मदद करता है। लेकिन अगर आपको ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है, तो डॉक्टर की सलाह पर ही अंजीर का सेवन करें।5. हड्डियां मजबूत बनाए अंजीरअंजीर में कैल्शियम पाया जाता है, जो शरीर की हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है। अगर आपको हड्डियों में अक्सर दर्द रहता है, तो आपको अंजीर का सेवन जरूर करना चाहिए।6. एनर्जी से भरपूर अंजीरअंजीर पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट होता है, इससे आपको हमेशा ऊर्जावान रह सकते हैं। अंजीर और दूध का साथ में सेवन करने से आपको एनर्जी मिलेगी। आप चाहें तो सुबह खाली पेट भी अंजीर खा सकते हैं, इससे आप पूरे दिनभर एनर्जेटिक महसूस कर सकते हैं।अंजीर खाने का सही तरीकाभीगे हुए अंजीर खाना स्वास्थ्य के लिए अधिक लाभकारी होते हैं। इसके लिए आप आधे कप पानी में 2-3 सूखे अंजीर भिगोकर रख दें। सुबह खाली पेट इनका सेवन करें। आप चाहें तो इसके साथ बादाम, किशमिश या अखरोट भी भिगोकर ले सकते हैं।अगर आप किसी बीमारी का सामना कर रहे हैं, तो अपने डॉक्टर की सलाह पर ही अंजीर का सेवन करें। साथ ही सीमित मात्रा में ही अंजीर खाने चाहिए।
- जीरा, अजवाइन और सौंफ के मिश्रण में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। इनके मिश्रण में एंटीऑक्सीडेंट, प्रोटीन, फाइबर, आयरन, मैग्नीशियम, पोटैशियम और कैल्शियम पाए जाते हैं। इसके अलावा इसमें मैगनीज, जिंक, विटामिन सी, विटामिन के और ई पाया जाता है। जीरा, अजवाइन और सौंफ के मिश्रण का इस्तेमाल पाचन से लेकर वजन कम करने तक में सहायक होता है।जीरा, अजवाइन और सौंफ के फायदे1. कोलेस्ट्रोल कम करेंजीरा, सौंफ और अजवाइन का पानी पीने से कोलेस्ट्रोल और शरीर का अतिरिक्त फैट कम करने में मदद मिलती है। अगर आप अपना वजन कम करना चाहते हैं तो, इनका मिश्रण आपके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। इसके अलावा इसमें कैलोरी की मात्रा भी बेहद कम पाई जाती है।2. डायबिटीज रखे संतुलितजीरा, अजवाइन और सौंफ के सेवन से आपके रक्त में शुगर का लेवल भी कंट्रोल रहता है। साथ ही इनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी कम होता है। इनके सेवन से जोड़ों के दर्द में भी काफी आराम मिलता है।3. पेट की समस्याओं में कारगरपेट की समस्याओं के लिए सौंफ, अजवाइन और जीरा काफी फायदेमंद होता है। इनमें फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है, जिसकी मदद से पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में मदद मिलती है। साथ ही अजवाइन और जीरा की मदद से पेट में अपच , कब्ज और गैस की समस्या से निजात मिलती है। इसका सेवन आप दिन में दो-तीन बार कर सकते हैं।4. इम्यूनिटी बढ़ाएसर्दियों में लोग खांसी -जुकाम और गले की खराश जैसी परेशानियों का सामना करते हैं। ऐसे में शरीर का इम्यूनिटी सिस्टम अच्छा होने पर आप इन बीमारियों से बच सकते हैं। जीरा, अजवाइन और सौंफ तीनों सर्दी-खांसी ठीक करने में कारगर है। साथ ही जीरा और अजवाइन की तासीर गर्म होती है, जो आपकी गले की खराश को ठीक करने के लिए बेहद जरूरी है।5. ब्लड प्रेशर रखे कंट्रोलहाई ब्लड प्रेशर में शरीर में सोडियम की मात्रा काफी बढ़ जाती है। ऐसे में अजवाइन, सौंफ और जीरा का मिश्रण काफी कारगर साबित होता है। इनके मिश्रण में पोटैशियम, मैग्नीशियम और विटामिन भरपूर मात्रा में पाई जाती है। इनके सेवन से आपका बीपी कंट्रोल में रहता है। साथ ही यह कोलेस्ट्रोल को भी बढऩे नहीं देता है, जो हाई ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए बेहद जरूरी है।जीरा, अजवाइन और सौंफ का इस्तेमाल1. जीरा, अजवाइन और सौंफ को भुनकर इनका पाउडर बना लें। सुबह-शाम खाने के बाद इसका सेवन कर सकते हैं।2. सुबह खाली पेट में जीरा, अजवाइन और सौंफ के पानी का सेवन करें। इससे आपको अपच और गैस की समस्या नहीं होती है।3. जीरा, अजवाइन और सौंफ का सेवन आप दाल-सब्जी में भी कर सकते हैं। इससे प्रोटीन का पाचन आसानी से होता है और खाने का स्वाद भी आता है।4. जीरा, अजवाइन और सौंफ तीनों के मिश्रण का इस्तेमाल आप माउथ फ्रेशनर के रूप में भी कर सकते है।5. जीरा, अजवाइन और सौंफ को उबालकर भी आप इस पानी का सेवन कर सकते हैं।हालांकि जीरा, अजवाइन और सौंफ के मिश्रण का सेवन करने के कोई नुकसान नहीं है लेकिन इनका संतुलित मात्रा में इस्तेमाल करना बेहद जरूरी है। अधिक मात्रा में इनका सेवन करने से आपको कब्ज और गैस की परेशानी हो सकती है। साथ ही किसी तरह की एलर्जी होने पर आप अपने डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।
- तरबूज और खरबूज गर्मियों में सबसे अधिक खाए जानें वाले फलों में से है। इन फलों के सेवन से शरीर की कई परेशानियां दूर हो सकती हैं। खरबूजे की बात कि जाए, तो यह गर्मी के सीजन में आपको हाइड्रेटेड रखता है। साथ ही इससे कई अन्य फायदे होते हैं। लेकिन क्या आप खरबूजे के बीजों के फायदों से वाकिफ हैं? इसमें कई तरह के पोषक तत्व जैसे- विटामिन ए, सी, ई, के, नियासिन, जिंक, मैग्नीशियम इत्यादि पाए जाते हैं। इन पोषक तत्वों से शरीर की कई समस्याएं दूर रहती हैं।खरबूजे के बीज खाने के फायदे1. इम्यूनिटी करे बूस्टखरबूजे के बीजों को अपने आहार में शामिल करने से आपके शरीर को भरपूर रूप से विटामिन सी प्राप्त होता है। दरअसल, इसका सेवन करने से ब्लड में व्हाइट ब्लड सेल्स की कोशिकाओं को बढाया जा सकता है। ब्लड में व्हाइट ब्लड सेल्स बढऩे से इम्यूनिटी बेहतर हो सकती है।2. गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंदखरबूजे के बीजों में फोलेट की अच्छी होती है, जो आपके शरीर से अतिरिक्त सोडियम को हटा देती है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं में वॉटर रिटेशन की समस्या कम हो सकती है। इसलिए गर्भवती महिलाओं के लिए भी खरबूजे का बीज फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, गर्भावस्था में एक्सपर्ट की सलाह के अनुसार ही इसका सेवन करें।3. ब्लड प्रेशर को करे कमखरबूजे के बीज में पोटैशियम भरपूर रूप से होता है। पोटैशियम युक्त आहार का सेवन करने से ब्लड प्रेशर को कम किया जा सकता है। साथ ही यह हृदय स्वास्थ्य के लिए भी काफी अच्छा होता है। खरबूजे के बीजों का सेवन करने से स्ट्रोक के खतरे को कम किया जा सकता है।4. आंखों को रखे सुरक्षितखरबूजे के बीजों में विटामिन ए और बीटा कैरोटीन की अधिकता होती है, जो आपकी आंखों के लिए काफी अच्छा माना जाता है। नियमित रूप से खरबूजे के बीजों का सेवन करने से मोतियाबिंद होने के खतरे को कम किया जा सकता है। साथ ही यह आंखों की रोशनी को प्रोटेक्ट करने में भी लाभकारी है।5. नाखून और बालों को रखे सुरक्षितबालों और नाखून के लिए भी खरबूजे का बीज फायदेमंद है। इसमें मौजूद हाई प्रोटीन, टिश्यूज के विकास में सहायक होते हैं। साथ ही यह बालों और नाखून की प्रोटीन को बढ़ावा देता है। नियमित रूप से खरबूजे के बीजों का सेवन करने से नाखून और बालों को सुरक्षित रखा जा सकता है।6. स्ट्रेस करे कमखरबूजे के बीजों का सेवन करने से मस्तिष्क में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है, जो आपके मस्तिष्क को शांत करता है। ऐसे में खरबूजे के बीजों का सेवन करने से स्ट्रेस फ्री की परेशानी दूर हो सकती है।7. एसिडिटी करे कमखरबूजे के बीजों में न्यूट्रल पीएच होता है। यह एसिड रिफ्लक्स या पेट की अन्य समस्याओं को दूर करने में प्रभावी हो सकता है। कब्ज, गैस, एसिडिटी जैसी समस्या को दूर करने के लिए आप खरबूजे के बीजों का सेवन कर सकते हैं।खरबूजे के बीज के नुकसानखरबूजे के बीजों का सेवन करने से शरीर को कई तरह के लाभ हो सकते हैं। हालांकि, इससे शरीर को कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। ऐसे में एक्सपर्ट की सलाह पर ही इसका सेवन करें। खरबूजे के बीजों का सेवन करने से लो ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है। खासतौर पर ऐसे लोगों को जो पहले से ही ब्लड प्रेशर कम करने की दवा ले रहे हैं। अधिक मात्रा में खरबूजे के बीजों का सेवन करने से बार-बार यूरिन पास करने की परेशानी हो सकती है।
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स्मरण शक्ति का कम होना आमतौर पर बढ़ती उम्र का लक्षण माना जाता है। लेकिन कई बार कम उम्र में ही व्यक्ति की याददाश्त कमजोर होने लगती है। ऐसे में व्यक्ति अपनी मेमोरी को तेज करने के लिए कभी बादाम तो कभी अखरोट का सहारा लेता है। कई बार तो इन उपायों का भी कोई फायदा नहीं होता है। जिसकी वजह आपकी डाइट में कुछ ऐसी चीजों का शामिल होना होता है जो धीरे-धीरे आपकी मेमोरी को कमजोर करने का काम कर रही होती हैं।
आइए जानते हैं इनके बारे में....
मेमोरी कमजोर होने के कारण-
यूं तो मस्तिष्क से जुड़ा कोई रोग जैसे ब्रेन ट्यूमर, सिर में चोट, तनाव, अपर्याप्त नींद आदि समस्याएं भी व्यक्ति की स्मरण शक्ति को कमजोर बनाती है। इसके अलावा व्यक्ति की याददाश्त कमजोर बनाने के पीछे कई खाद्य पदार्थों का भी हाथ हो सकता है। आइए जानते हैं आखिर क्या हैं ये गलत खाद्य पदार्थ।
चर्बी और कोलेस्ट्रोल वाले पदार्थ-
व्यक्ति की स्मरण शक्ति पर हुए एक शोध के अनुसार जिन खाद्य पदार्थों में कोलेस्ट्रोल और सैचुरेटेड फैट की मात्रा अधिक होती है वे व्यक्ति के मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव डालते हैं। ऐसे खाद्य पदार्थ शरीर में पहुंचकर शरीर की तंत्रिकाओं एवं कोशिकाओं में सूजन पैदा करते है। जिसकी वजह से व्यक्ति की याददाश्त कमजोर होने लगती है। इसलिए इस तरह के खाद्य पदार्थों का सेवन कम से कम करना चाहिए।
घी, पनीर का कम से कम इस्तेमाल-
पनीर, घी, दही में वसा एवं कोलेस्ट्रोल काफी मात्रा में पाए जाते हैं जो व्यक्ति के स्वास्थ्य एवं दिमाग के लिए ठीक नहीं होते। आप सोच रहे होंगे कि दही तो सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है तो फिर भला इसका सेवन करने से नुकसान कैसे हो सकता है। तो बता दें, दही में मौजूद वसा फायदा पहुंचाने की जगह नुकसान पहुंचाती है। इसलिए दही का सेवन उसका मट्ठा यानि छांछ बनाकर करें।
शराब-
शराब से न सिर्फ व्यक्ति का लीवर कमजोर होता है बल्कि याददाश्त भी कमजोर होती है। अधिक मात्रा में शराब का सेवन करने से व्यक्ति की सोचने समझने की शक्ति घटने लगती है।
सोया-
सोया को प्रोटीन का अच्छा स्त्रोत माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं सोया का अधिक मात्रा में सेवन करने से आपको मस्तिष्क सम्बन्धी विकार घेर सकते हैं।
मीठे पदार्थ-
अधिक मीठा खाने से या चीनी से बने पदार्थों का अधिक सेवन करने से भी दिमाग पर बुरा असर पड़ता है। -
नमक पानी का कुल्ला---
जब तक आप दंत चिकित्सक के पास नहीं पहुंचते, तब तक नमक डाले हुए गुनगुने पानी से कुल्ला करने से आपके दांतों को दर्द में आराम मिलेगा। इसके एक गिलास गुनगुने पानी में आधा चम्मच टेबल सॉल्ट डालकर मिला लें। कुल्ला कर के थूक दें। यह प्रक्रिया करते हुए ध्यान रखें कि आपको यह पानी पीना नहीं है।
कई बार दांतों के बीच फंसे हुए भोजन के टुकड़े के कारण दांतों में दर्द होता है। कुल्ला करने से सब पानी के साथ बाहर आ जाएगा और नमक, दर्द में राहत देने का काम करेगा। कुल्ला करने के अलावा आप खाने के टुकड़े हटाने के लिए बाजार में मिलने वाले फ्लॉस का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
हाइड्रोजन पेरोक्साइड से कुल्ला--
नमक वाले पानी की जगह हाइड्रोजन पेरोक्साइड वाले पानी का इस्तेमाल भी कर सकती हैं। हाइड्रोजन पेरोक्साइड और पानी को बराबर मात्रा में मिला कर घोल बना लें और फिर इस मिश्रण से कुल्ला करें। ध्यान रहे हाइड्रोजन पेरोक्साइड और पानी के इस मिश्रण को निगलना नहीं है।
ओटीसी दर्द निवारक--
दंत चिकित्सक बच्चों के लिए एसिटामिनोफेन का सुझाव देते हैं। वयस्कों के लिए, इबुप्रोफेन और नेप्रोक्सन जैसी ओवर-द-काउंटर दवाएं ले सकती हैं। पर ये दवाएं चिकित्सीय परामर्श के बाद लेना ही बेहतर होगा। यदि आप दांत दर्द से निजात पाने के लिए एस्पिरिन खाने वाली हैं, तो इसे निगल लें। इसे दांत या अपने मसूड़ों पर न डालें। आपके मुंह के अंदरूनी हिस्से को नुकसान पहुंच सकता है ।
आइस पैक का ठंडा सेंक---
अगर आपका चेहरा सूज गया है, तो पहले 24-36 घंटों के लिए अपने गाल पर आइस पैक लगाएं। यह दर्द को कम करने में मदद कर सकता है। अगर आपके दांत का कोई हिस्सा टूट गया है या ढीला हो गया है, तो आपके मसूड़ों में सूजन के साथ तेज दर्द हो सकता है। सूजन का मतलब यह भी हो सकता है कि आपके दांत की जड़ों में फोड़ा (gum sore), मवाद या गंदगी हो ।
ओटीसी एनेस्थेटिक्स---
ये ऐसे दर्द निवारक जैल या तरल पदार्थ हैं, जिनको सीधे दांत और आस-पास के मसूड़ों पर लगाया जाता है। इनमें बेंज़ोकेन होता है, जो थोड़ी देर के लिए आपके मुंह को सुन्न कर देता है। लेकिन ये जेल आपको केवल कुछ समय के लिए दर्द से राहत देते हैं।
लौंग का तेल--
लौंग के तेल का इस्तेमाल एक प्राकृतिक उपचार है जो दर्द को कम करता है। इसे सीधे दर्द वाली जगह पर मलें या रुई को भिगोकर दांतों और मसूड़ों पर लगाएं। लौंग का तेल बेंज़ोकेन जितना प्रभावी हो सकता है, जो बिना पर्ची के मिलने वाले दांत दर्द जैल में सुन्न करने वाला घटक है ।
पिपरमिंट बैग या पुदीना चाय--
एक ठंडा पिपरमिंट टी बैग या पुदीने की चाय आपके दर्द वाले दांत और मसूड़ों के दर्द को शांत कर सकता है। पुदीने की चाय बनाने के लिए एक कप पानी में बीस से पच्चीस पुदीने की पत्तियां डालें और पानी के आधा रह जाने तक उबाल लें। इस चाय को सिप सिप करके पिएं।
वेनीला अर्क ---
वेनिला अर्क में अल्कोहल होता है। शराब थोड़ी देर के लिए दर्द वाली जगह को सुन्न कर देगी, और वेनिला में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट इसे ठीक करने में मदद करते हैं। अपने दर्द वाले दांत और मसूड़े पर इसे थोड़ी मात्रा में लगाने के लिए अपनी उंगली या कॉटन बॉल का इस्तेमाल करें।
कब मिलें डेंटिस्ट से---
आपके दांत में दर्द लगातार बना हुआ हो। दांतों में होने वाली समस्या किसी ऐसी बड़ी दिक्कत की ओर इशारा करती है जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। पॉपिंग या क्लिकिंग जबड़े में दर्द के कारण होता है; यह टेम्पोरोमैंडिबुलर जॉइंट डिसऑर्डर का संकेत दे सकता है । -
गर्मियों के मौसम में फल खाना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यह बात हम सभी लोग जानते हैं। फल खाने से बॉडी हाइड्रेट रहती है और इम्यूनिटी भी स्ट्रॉन्ग होती है। जो लोग वेट लॉस मिशन पर हैं, उन्हें भी ब्रेकफास्ट में फल जरूर खाने चाहिए। गर्मी के मौसम में आम, संतरे, तरबूज, खरबूज फलों की गुडनेस कहीं ज्यादा बढ़ जाती है लेकिन गर्मियों में फल खाते समय कुछ सावधानियां भी जरूर रखनी चाहिए जिससे कि आपको हेल्थ प्रॉब्लम्स न हो। कई बार ऐसा होता है कि लोग पौष्टिक से पौष्टिक फलों को भी गलत तरीके से खा लेते हैं, जिससे उन्हें सबसे पहले डाइजेशन से जुड़ीं प्रॉब्लम्स हो जाती हैं। इसके साथ ही स्किन एलर्जी होने की सम्भावना भी बनी रहती है।
धूप में से आते ही न खाएं
आप अगर धूप में से आए हैं, तो कम से कम आधे घंंटे तक कुछ भी न खाएं। बाहर से आने पर शरीर गर्म रहता है। ऐसे में फल खाने से शरीर की उष्मा का असर आपके डाइजेशन पर पड़ सकता है। इससे उल्टी, लूज मोशन जैसी प्रॉब्लम्स हो सकती हैं।
धूप में रखे फल लाते ही न खाएं
तरबूज, खरबूज या फिर आम ये तीनों ही फल ऐसे हैं, जिन्हें गर्मियों में बहुत खाया जाता है। आप अगर मार्केट से इन फलों को खरीदकर तुंरत घर लाए हैं, तो इन फलों को धो कर कम से कम एक घंटे के लिए फ्रिज में ठंडा होने के लिए रख दें। आप अगर फलों को फ्रिज में नहीं रखना चाहते, तो इन्हें एक घंटे के लिए ठंडे पानी में भिगाकर रख दें।
फल खाकर पानी न पिएं
आयुर्वेद के अनुसार आपको कोई भी फल खाकर पानी नहीं पीना चाहिए। फलों में प्राकृतिक रूप से मिठास होती है, इसलिए कई लोगों को फल खाने के बाद बहुत तेज प्यास लगती है, लेकिन ऐसा करने से आपके मसूड़ों में प्रॉब्लम हो सकती है। वहीं, पेट दर्द, एसिडिटी का रिस्क भी रहता है।
फलों को काटकर देर तक न रखें
कई लोग आलस या जल्दबाजी के चलते फलों को काटकर फ्रिज में रख देते हैं। ऐसा करने से फलों के पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं, इसलिए फलों को तुंरत काटकर खाना चाहिए। फलों को काटकर ज्यादा देर तक खुला भी न छोड़ें। फलों को ज्यादा देर रखने से इसके फायदे कुछ कम ही हो जाते हैं।
फलों को न पकाएं
आपने फलों की कई रेसिपीज के वीडियो देखे होंगे, जिनमें फलों को पकाकर कोई रेसिपी बनाई जाती है। आयुर्वेद के अनुसार फलों को कभी भी पकाना नहीं चाहिए। इससे आपको हेल्थ प्रॉब्लम्स हो सकती है। आपको फलों को नेचुरल तरीके से ही खाना चाहिए। फलों को कभी भी आग पर न पकाएं।
चाय-कॉफी के साथ फल न खाएं
चाय और कॉफी के साथ कभी भी फल नहीं खाने चाहिए। ऐसा करने से आपको स्किन एलर्जी और डाइजेशन से जुड़ीं प्रॉब्लम्स हो सकती हैं। फल खाने के एक घंटे बाद ही चाय-कॉफी लें। आपने अगर चाय-कॉफी पी है, तो तुंरत फलों को न खाकर एक-दो घंंटे का गैप जरूर रखें। -
गर्मियों के मौसम में अक्सर ज़्यादा खाने का मन नहीं करता है। बजाए इसके कुछ पीने का मन करता है, कुछ ऐसा जो टेस्टी हो और रिफ्रेशिंग भी और आपके मूड को बेहतर बना सके। ऐसे में एक ही ड्रिंक है जो इन सभी चीजों को पूरा करता है और वो है जलजीरा...
गर्मियों में जलजीरे से बेहतर ड्रिंक और कोई हो ही नहीं सकता है। नींबू (Lemon) और पुदीने (Mint) से बना ये ड्रिंक आपके मन को तरोताजा कर देगा। जलजीरा ताजा धनिया, सेंधा नमक, पुदीना, भुना जीरा, काली मिर्च, काली मिर्च पाउडर, काला नमक और सूखे आम पाउडर सहित विभिन्न सामग्रियों से बनाया जाता है।
जलजीरा बनाने की रेसिपी-------
जीरा भुने हुए 2 बड़े चम्मच
अमचूर पाउडर 1 छोटा चम्मच
नींबू के टुकड़े गार्निश के लिए
ताज़े पुदीने के पत्ते 2 बड़े चम्मच
ताज़ा हरा धनिया 1/2 छोटा चम्मच
नींबू का रस 2 बड़े चम्मच
काला नमक स्वादानुसार
बर्फ के टुकड़े आवश्यकता अनुसार
सोडा 1/2 लीटर
जलजीरा बनाने की विधि------
जीरा, काला नमक और अमचूर को एक साथ पीस लें। पुदीने के पत्ते और धनिया पत्ती को पर्याप्त पानी के साथ पीसकर मुलायम पेस्ट बना लें।
नींबू का रस और पिसा हुआ मसाला डालें और अच्छी तरह मिलाएं। दो लम्बे गिलासों में बर्फ के टुकड़े डालें। लिक्विड को दोनों ग्लासों में डालें और सोडा के साथ टॉप करें।
अब जानिए जल जीरा के पोषण मूल्य ----------
कैलोरी : 83
कार्बोहाइड्रेट: 11.1 ग्राम
प्रोटीन: 3.4 ग्राम
वसा: 2.8 ग्राम
फाइबर- 4.8gm
आपके समग्र स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है जलजीरा-----
विटामिन सी की कमी में सुधार करता है: चूंकि इसमें सूखे आम या ‘अमचूर’ पाउडर है, जो विटामिन सी में उच्च होता है। इसलिए यह प्रतिरक्षा में सुधार करने में मदद करता है और स्कर्वी को दूर रखता है।
कैलोरी बर्न करता है: कैलोरी के प्रति जागरूक लोगों के लिए, यह एक बेहतरीन ड्रिंक है जिसे वे ले सकते हैं क्योंकि यह बहुत कम कैलोरी होती हैं।
एनीमिया को रोकता है: जीरा एनीमिया को रोकने और उसका इलाज करने में मदद करता है क्योंकि यह आयरन का उत्कृष्ट स्रोत है। यह प्रतिरक्षा में सुधार भी करता है और आपके शरीर को ठंडा रखता है। - झालमुड़ी एक बंगाली डिश है, जो शरीर के लिए काफी फायदेमंद है। शरीर को इंस्टेंट एनर्जी देने के लिए आप झालमुड़ी का सेवन कर सकते हैं। अगर हम इसमें मौजूद कैलोरीज की बात करें तो 100 ग्राम झालमुड़ी में करीब 40 कैलोरीज होती हैं इसलिए इसका सेवन करके खुद को फिट रख सकते हैं। मोटापा कम करने के लिए झालमुड़ी का सेवन एक अच्छा विकल्प है।झालमुड़ी कैसे बनाते हैं?झालमुड़ी बनाने के लिए आपको धनिया, नारियल, सरसों का तेल, लाल मिर्च पाउडर, हरी मिर्च, काला नमक, जीरा पाउडर, मुरमुर या मुर्राकी जरूरत होगी।झालमुड़ी बनाने के लिए आप सबसे पहले आलू, टमाटर, प्याज, धनिया आदि को बाउल में काटकर रख लें। अब उसमें सारे मसाले डालकर अच्छी तरह से मिला लें। फिर इसमें नींबू का रस मिला दें। अगर आपके पास घर के बने सेव हैं तो आप उसे भी एड कर सकते हैं। बंगाली झालमुड़ी में सरसों का तेल भी डाला जाता है, आप उसे भी मिला सकते हैं। झालमुड़ी को हेल्दी रखने के लिए आप उसमें 60 प्रतिशत सब्जी और 40 फीसदी मुरमुरे मिलाएं। इसमें स्वाद के लिए अनार के दाने भी मिलाएं।झालमुड़ी खाने के फायदे1. बीपी कंट्रोल करता है झालमुड़ीअगर आप झालमुड़ी का सेवन करेंगे तो बीपी कंट्रोल में रहेगा। बीपी कंट्रोल में रहने का सबसे बड़ा कारण है मुरमुरे में सोडियम मौजूद होना। इसके अलावा शरीर को एनर्जी देने के लिए भी झालमुड़ी का सेवन फायदेमंद होता है। अगर आपको थकान महसूस हो रही है तो आप झालमुड़ी का सेवन कर सकते हैं।2. झालमुड़ी खाकर घटाएं वजनझालमुड़ी खाकर आप वजन आसानी से घटा सकते हैं। डाइट में झालमुड़ी को एड करें और इसमें सब्जियों की मात्रा बढ़ा दें, इसका सेवन करने से आपका पेट भी भरा हुआ रहेगा और आपको भूख भी कम लगेगी। सब्जियां अधिक होने के कारण शरीर को फाइबर मिलेगा जिससे लंबे समय पर आपको कुछ खाने का मन नहीं होगा।3. डाइजेशन को बेहतर करती है झालमुड़ीजिन लोगों को गैस की समस्या है उन्हें झालमुड़ी का सेवन जरूर करना चाहिए। अगर आपको कब्ज की समस्या रहती है तो भी आप झालमुड़ी खाएं, इसका सेवन करने से पाचन तंत्र अच्छा रहता है। झालमुड़ी में मौजूद मुरमुरे में फाइबर की अच्छी मात्रा होती है, इससे पाचन तंत्र बेहतर होता है।4. मस्तिष्क के लिए फायदेमंदमस्तिष्क की बेहतर सेहत के लिए भी भी झालमुड़ी फायदेमंद मानी जाती है। याद्दाश्त बढ़ाने और ब्रेन पॉवर तेज करने के लिए आप बच्चों को झालमुड़ी खाने की सलाह दे सकते हैं पर उसे हेल्दी तरीके से घर में ही तैयार करें।5. हड्डियों के लिए फायदेमंदअगर आप झालमुड़ी का सेवन करते हैं तो आपकी हड्डियों को मजबूती मिलती है क्योंकि झालमुड़ी में पडऩे वाले मुरमुरे में विटामिन बी1 और विटामिन बी2 पाया जाता है। मुरमुरे में विटामिन डी भी होता है जिससे हहड्डियों को मजबूती मिलती है, आप कह सकते हैं कि इस डिश में भरपूर मात्रा में कैल्शियम मौजूद होता है, इसलिए आप आराम से इसका सेवन कर सकते हैं।
- गर्मी में स्वस्थ रहने के लिए आप धनिया और मूंगफली की चटनी बना सकते हैं। यह दोनों आसानी से बाजार में मिल जाती है और गर्मी में इससे बनी चटनी खाने का स्वाद बढ़ा देती है और पेट के लिए काफी फायदेमंद होती है। दरअसल मूंगफली और धनिया हृदय स्वास्थ्य, कोलेस्ट्रोल कम करने, हड्डियों को मजबूत बनाने औऱ पाचन क्रिया को बढ़ावा देने में मदद करता है। मूंगफली और धनिया में प्रोटीन, वसा, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, मिनरल, कैल्शियम और पोटैशियम पाए जाते हैं, जिससे शरीर को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है।मूंगफली और धनिया चटनी के फायदे1. मूंगफली और धनिया से बनी चटनी गर्मी में आपको हाइड्रेट रखने में मदद कर सकती है और बाहर की तेज धूप सहने में भी मददगार हो सकती है।2. मूंगफली और धनिया चटनी के सेवन से आपका कोलेस्ट्रोल लेवल नियंत्रित रहता है और यह हृदय रोगों को भी ठीक करने में सहायता करता है। इससे हार्ट स्ट्रोक और अटैक का खतरा कम हो सकता है।3. शरीर में सूजन होने पर भी ये काफी कारगर होता है। मूंगफली में पाया जाने वाले ओमेगा-3 फैटी एसिड दर्द और सूजन कम कर सकता है।4. मूंगफली और धनिया में भरपूर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है, जो सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। इससे शरीर के ऊतकों के निर्माण में मदद मिलती है।5. मूंगफली और धनिया में फाइबर पाया जाता है, जो कब्ज, अपच और एसिडिटी की समस्या में आराम दिलाता है।6. मूंगफली और धनिया से बनी चटनी में कैल्शियम और विटामिन डी पाए जाते हैं, जिससे हड्डियां मजबूत होती है और दांतों में भी मजबूती आती है।इस तरह से बनाएं मूंगफली और धनिया की चटनी1. मूंगफली को साफ करके उसमें धनिया पत्ती मिलाकर चटनी बनाएं और आप इसमें हरी मिर्च, टमाटर और लहसुन भी मिला सकते हैं।2. हालांकि आपको इसमें मूंगफली का उपयोग बेहद सीमित मात्रा में करना चाहिए ताकि पेट से जुड़ी कोई परेशानी न हो और आप आराम से इसका सेवन कर सकें।3. आप चाहे तो मूंगफली को अच्छे से साफ कर लें। उसे धूप में कुछ देर सूखा लें और फिर इसमें धनिया की पत्ती को धोकर डालें। आप चाहे तो इसमें थोड़ी अजवाइन की मात्रा और दही मिला सकते हैं।4. इसके अलावा अगर आप चाहे तो इसमें चना दाल भी डालकर अच्छी चटनी तैयार कर सकते हैं। इससे भी चटनी का स्वाद बढ़ जाता है।5 . आप इसमें ज्यादा मात्रा में हरी धनिया पत्ती रखने की कोशिश करें ताकि स्वाद और सेहत बनी रहे।
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गर्मियों के मौसम में लू सबसे ज्यादा परेशान कर देती है। अगर ये किसी को लग जाए तो परेशानी दोगुनी बढ़ जाती है। जैसे जैसे गर्मी के दिन आते हैं गर्म हवा, सूखापन तेजी से बढ़ने लगता है। आयुर्वेद के मुताबिक इसी दौरान हमारा वात दोष बढ़ना शुरू हो जाता है जिससे स्किन पर चकत्ते, धूप की कालिमा और डीहाईड्रेशन जैसी परेशानी होती हैं। गर्मी के मौसम में एसिडिटी, अपच, एसिड रिफ्लक्स और जी मिचलना जैसी पाचन समस्याएं भी आमतौर पर होती हैं। ऐसे में एक्सपर्ट ने लू से बचने के लिए कुछ आयुर्वेदिक हेल्थ टिप्स बताए हैं, जिन्हें अपनाकर आप इन सभी चीजों से छुटकारा पा सकते हैं।
लू से निपटने के लिए इन चार चीजों को खाएं------------
1) ईसबगोल
तापमान के बढ़ने से आपका पाचन तंत्र स्लो और कमजोर होता जाता है, जिसके वजह से पाचन संबंधी समस्याएं होती हैं। यह अजीब लग सकता है, लेकिन जब मौसम बदलते हैं, तो हमारे पेट अलग तरह से रिएक्ट करते हैं। गर्मियों में डीहाईड्रेशन, गर्मी की थकावट, स्ट्रोक और भूख न लगना सभी परेशानियां हैं। शोध के अनुसार, इसबगोल या साइलियम आंतों के हेल्थ को बनाए रखने में मदद कर सकता है, खासकर गर्मियों में। साइलियम में म्यूसिलेज और एलिमेंटरी फाइबर भरपूर होते हैं।
2) आंवला
आयुर्वेद के अनुसार कूलिंग गुण वात और पित्त दोष दोनों को संतुलित करते हैं, जबकि सुखाने की क्षमता कफ दोष को संतुलित करती है। यह हरा, खट्टा स्वाद वाला फल गर्मी में ठंडा रहने का एक बेहतरीन तरीका है। गर्मियों में कच्चे आंवले का सेवन शरीर को ठंडा रखता है और 'लू' या चिलचिलाती हवाओं से बचाता है। इसको कई तरह से खाया जा सकता है जैसे इसका जूस, कच्चा, अचार, पाउडर, या घर के बने मीठे मुरब्बे की तरह।
3) व्हीटग्रास
व्हीटग्रास में विटामिन सी की मात्रा होती है, जो इस गर्मी को मात देने में आपकी मदद कर सकता है। यह न केवल स्किन के संक्रमण से बचाता है बल्कि हीट रैश और थकान से बचाने में भी मदद करता है। व्हीटग्रास जूस पूरे शरीर से टॉक्सिन को बाहर निकालने में मदद करता है। व्हीटग्रास कार्ब्स को एनर्जी में बदलने में भी मदद करता है, जिससे आप एनर्जेटिक बने रहते हैं।
4) गुलकंद
गर्मी से थकावट, सुस्ती और थकान के साथ-साथ हथेलियों और तलवों पर जलन होती है। यह प्रणाली को फिर से जीवंत करता है और इसमें एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव होता है। गर्मियों में एसिडिटी या पेट फूलने के कारण पेट में जलन का अनुभव होता है। गुलकंद एक ही समय में आंतों को सुखदायक करते हुए पेट की परेशानी से राहत देता है। - परिजात या हरसिंगार की पत्तियां स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होती है। आयुर्वेद के अनुसार यह कई बीमारियों को ठीक करने में कारगर साबित हो सकता है। हरसिंगार के फूल का उपयोग भी कई समस्याओं के इलाज में किया जा सकता है। हरसिंगार की पत्तियां ऑर्थराइटिस के दर्द, सर्दी-खांसी, बुखार और पेट में कीड़ों की परेशानी को भी ठीक करने में मददगार साबित हो सकता है। इससे शरीर की सूजन और जलन में भी राहत मिलती है। दरअसल हरसिंगार की पत्तियों में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जो कई बीमारियों से लडऩे में सहायक साबित हो सकता है।हरसिंगार की पत्तियों के फायदे1. ऑर्थराइटिस के दर्दऑर्थराइटिस के दर्द में आपके हाथ-पैर और घुटनों के जोड़ों में दर्द हो सकता है। कई लोगों के लिए तो ये स्थिति ऐसी हो जाती है कि उन्हें चलने-फिरने में भी परेशानी होती है। इसकी पत्तियों के इस्तेमाल से जोड़ों के दर्द और सूजन में काफी राहत मिल सकती है। साथ ही यह हड्डियों से जुड़ी बीमारियों के लक्षणों को कम करने में भी मददगार साबित हो सकता है।2. सर्दी-खांसी से राहतमौसम बदलते ही कई लोगों को सर्दी-जुकाम और सिरदर्द जैसी समस्याएं होने लगती है। ऐसे में उनके लिए दैनिक काम भी कर पाना मुश्किल होता है और काम भी प्रभावित होता है लेकिन हरसिंगार की पत्तियों में एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जो सर्दी-खांसी के कारणों को समाप्त कर सकते हैं। यह बुखार आने पर भी कारगर तरीके से काम कर सकता है।3. सूजन और दर्द से आरामशरीर में दर्द और सूजन की समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है। ऐसे में आप अगर तमाम तरह की दवाओं के सेवन से बचना चाहते हैं, तो आपके लिए हरसिंगार की पत्तियां फायदेमंद हो सकती है। इसके एंटीइंफ्लेमेटरी गुण शरीर के दर्द और सूजन में लाभकारी हो सकता है। इससे गले में सूजन और साइटिका दर्द में भी राहत मिलती है।4. पेट में कीड़े होनायह समस्या ज्यादातर बच्चों में देखी जाती है कि उनके पेट में कीड़े हो जाते हैं और फिर वे इससे काफी परेशान रहते हैं। कई बच्चे या बड़े तो पेट में कीड़े होने पर मिट्टी या पत्थर खाना शुरू कर देते हैं। इससे उनका स्वास्थ बिगड़ सकता है। इसके समाधान के लिए आपको उन्हें हरसिंगार की पत्तियों का अर्क देना चाहिए। इसके एंटीबैक्टीरियल गुण कीड़ों को जड़ से खत्म करने में सहायक हो सकते हैं।5. घाव भरने में उपयोगीकई बार हमारे शरीर के घाव और खरोंच सही समय से नहीं भर पाते हैं। ऐसा कई अंदरूनी समस्याओं और बीमारियों के कारण हो सकता है। घाव या जख्म जल्दी न भरने पर इंफेक्शन और गंभीर स्थिति उत्पन्न होने की आंशका रहती है। लेकिन, आप हरसिंगार की पत्तियों से गंभीर घाव को भी आसानी से भर सकते हैं। इसके एंटीसेप्टिक और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण घाव को भरने के साथ-साथ दर्द में भी आराम दिलाते हैं।हरसिंगार की पत्तियों का ऐसे करें उपयोग1. दर्द में इसकी पत्तियों को पानी के साथ उबालकर पी सकते हैं। इसे पानी में उबालकर छान लें और फिर खाली पेट इसका सेवन करें।2. सर्दी-खांसी में इसके पत्तों को पीस लें और उसके शहद की कुछ मात्रा मिलाकर इसका सेवन करने से काफी आराम मिलता है।3. आप इसकी पत्तियों, तुलसी की पत्तियों और अजवाइन को साथ उबालकर इसके पानी का सेवन कर सकते हैं। इससे पेट के कीड़ों की समस्या में राहत मिल सकती है।4. इसकी पत्तियों को पीसकर घाव या चोट वाले हिस्से में लगाने से जख्म जल्दी भर सकता है।5. इसकी पत्तियों को धोकर आप ऐसे भी खा सकते हैं और इसके अलावा आप इसे शहद के साथ भी चबा सकते हैं।
- गर्मियों का यह मौसम हमारी सेहत के लिए बहुत ही चुनौतीपूर्ण माना जाता है। इस दौरान बरती गई थोड़ी सी भी लापरवाही कई तरह की समस्याओं का कारण बन सकती है। गर्मियों में डिहाइड्रेशन, पेट की खराबी और हीट स्ट्रोक की समस्या होना बहुत आम है। कुछ स्थितियों में यह समस्याएं बड़ी मुश्किलों का भी कारण बन सकती हैं, यही कारण है कि सभी लोगों को लगातार गर्मी से बचाव के उपाय करते रहने की सलाह दी जाती है। विशेषकर इस मौसम में हाइड्रेशन का विशेष ध्यान रखना जरूरी होता है, क्योंकि तेज धूप और बढ़े हुए तापमान के कारण पसीना अधिक होता है, जिससे शरीर में मौजूद पानी खत्म होने लगता है।गर्मी के दिनों में तो वैसे कई प्रकार का ठंडे पेय बाजार में उपलब्ध होते हैं, पर सेहत के लिहाज से स्वास्थ्य विशेषज्ञ इन्हें काफी नुकसानदायक मानते हैं। ऐसे में आपको उन पेय पर ध्यान देना चाहिए जो डिहाइड्रेशन से बचाने के साथ शरीर को लाभ भी दे सकें। नारियल पानी ऐसा ही एक पेय है जिसे गर्मियों का सबसे फायदेमंद और स्वास्थवर्धक माना जाता है। अध्ययन भी इससे होने वाले लाभ की पुष्टि करते हैं। आइए नारियल पानी से सेहत को होने वाले ऐसे ही कुछ फायदों के बारे में जानते हैं।हृदय रोग से बचाव के लिए किए गए अध्ययनों में नारियल पानी पीने को फायदेमंद बताया गया है। यह हृदय रोगों का कारण बनने वाले वसा और कोलेस्ट्रॉल को कम करने में फायदेमंद है। साल 2008 में किए गए एक शोध से पता चलता है कि नारियल पानी 45 दिनों में कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करने में सहायक है।हालांकि यह पशु आधारित अध्ययन का परिणाम है, इंसानों में इसकी पुष्टि के लिए अधिक शोध की आवश्यकता है। नारियल पानी में मौजूद पोषक तत्वों की श्रंखला शरीर को स्वस्थ रखने में विशेष लाभप्रद हो सकती है।गर्मियों में सेहत का ख्याल रखने के लिए नारियल पानी अच्छा विकल्प हो सकता है। स्वाद के साथ इसे बेहतर सेहत के लिहाज से भी काफी फायदेमंद माना जाता है। अध्ययनों से पता चलता है कि नारियल पानी में पोटेशियम, सोडियम और मैग्नीशियम और इलेक्ट्रोलाइट्स की प्रचुरता होती है, जो आपके शरीर को स्वस्थ रखने के लिए बहुत आवश्यक है। नारियल पानी में कैलोरी और कार्ब्स की मात्रा भी कम होती है, ऐसे में यह सेहत के लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है।नारियल पानी को लेकर हुए शोध इस बात की ओर इशारा करते हैं कि यह डायबिटीज रोगियों के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। शोध से चलता है कि नारियल पानी, ब्लड शुगर के लेवल को नहीं बढ़ाता है।0इसी से संबंधित साल 2015 में चूहों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि यह ब्लड शुगर को नियंत्रित बनाए रखने में सहायक है। अध्ययन में जिन चूहों को नारियल पानी दिया गया उनका हीमोग्लोबिन A1c स्तर कम पाया गया। हालांकि इंसानों में इसके प्रभावों की पुष्टि के लिए और अधिक अध्ययन की आवश्यकता है। डॉक्टर की सलाह पर ही इसका सेवन करें।किडनी स्टोन की रोकथाम के लिए भी नारियल पानी का सेवन करना बेहतर विकल्प हो सकता है। साल 2013 में गुर्दे की पथरी वाले चूहों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि नारियल पानी, क्रिस्टल को किडनी और मूत्र पथ में चिपकने से रोकने से सहायक है। यही क्रिस्टल एकत्रित होकर स्टोन बनते हैं। इसके अलावा इसमें मौजूद पोषक तत्व किडनी की विषाक्तता को कम करने में भी मददगार हैं, जिससे किडनी स्टोन बनने का जोखिम कम हो जाता है।
- फिलहाल गर्मी के मौसम में लोग बेहाल है, दिन में तापमान 45 डिग्री के पार पहुंचने लगा है, इन हालात में लोगों को ऐसी चीजों का सेवन बढ़ा देना चाहिए जिससे इस मौसम सें राहत मिल सके. गर्मियों में पुदीना किसी औषधि से कम नहीं है. पुदीना विटामिन-सी और मिनरल्स का रिच सोर्स है. आइए जानते हैं कि ये हमारे शरीर को कैसे फायदे पहुंचाता है.पुदीने के पत्ते के 7 बड़े फायदे1. स्किन के लिए फायदेमंदपुदीना की वजह से स्किन को एनर्जी मिलती है, यही वजह है कि कई ब्यूटी प्रोडक्ट्स में इसके पत्तों को यूज किया जाता है. पुदीना से त्वचा की नमी बरकरार रहती है. इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जिससे स्किन की गंदगी दूर हो जाती है.2. डाइजेशन होगा बेहतरअगर आपको डाइजेशन की प्रॉब्लम है, तो पुदीना आपके काफी काम आ सकता है. इसमें एंटीबैक्टीरियल और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं जिससे पेट की परेशानियां दूर हो जाती है. इसके लिए एक कप पानी को हल्का गर्म कर लें और इसमें आधा चम्मच पुदीना का रस मिक्स करने के बाद इसे पी लें.3. सर्दी जुकाम में आरामअगर बदलते तापमान में आपको सर्दी और जुकाम की परेशानी पेश आए तो पुदीने के पत्ते का इस्तेमाल जरूर करें, गले में खराश हो तो पुदीने का काढ़ा पी लें, इसके अलावा अगर नाक बंद हो जाए तो पुदीने के पत्ते सूंघ लें.4. वजन कम करने में मददगारपुदीने में कैलोरी की मात्रा काफी कम होते हैं, इसका सेवन करने से शरीर में एक्ट्रा कैलोरी नहीं पहुंचती और आपका वजन कम होने लगता है. यही वजह है कि पेट की चर्बी बढ़ने पर पुदीने के सेवन की सलाह दी जाती है.5. टेंशन को करे दूरकाफी कम लोग इस बात को जानते हैं कि पुदीना मेंटल हेल्थ के लिए भी काफी फायदेमंद है. स्ट्रेस की वजह से कई अन्य परेशानियां पैदा हो जाती हैं, चूंकि पुदीने के पत्तों में ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस घटाने के गुण इसलिए इनका सेवन जरूर करना चाहिए.6. मुंह की बदबू से मिलेगी आजादीपुदीना में मुंह के बैक्टीरिया को मारने की ताकत होती है. अगर हम काफी देर तक मुंह साफ नहीं करते तो सांसों से बदबू आने लगती है. जब भी ये परेशानी आए तो पुदीने के कुछ पत्तों को चबा लें.7. सिरदर्द में राहतगर्मी के मौसम में कई लोगों को सिर में तेज दर्द होता उनके लिए पुदीने से बनी चीजें राहत पहुंचा सकती हैं. पुदीना का तेल या इससे बना बाम सिर पर लगा लें तो सिरदर्द से आराम मिल जाएगा.--
- दाद, खाज और खुजली ऐसी समस्याए हैं जो अगर आपको हो जाए, तो आसपास के लोगों को भी फैलने का खतरा है. असल में दाल एक फंगल इंफेक्शन है जो शरीर की त्वचा में कहीं भी हो सकता है. ऐसे में आपको बार-बार स्किन को खुजलाने की जरूरत पड़ती है जिससे रैशेज भी हो सकता है. इस परेशानी का हल आपके घर में ही मौजूद है....आइए जानते हैं.नारियल तेल कई बीमारियों के खिलाफ उपयोगी है. इस तेल को लेमन ग्रास और तिल के तेल के साथ मिक्स कर लें और फिर पेस्ट को खुजली वाले एरिया में लगाएं, इसे परेशानी से जल्द निजात मिलेगी. हेल्थ एक्सपर्ट भी इसे लगाने की सलाह देते हैं.नीम के औषधीय गुणों के बारे हम सभी वाकिफ हैं, दाद, खाज और खुजली में नीम के पत्ते रामबाण की तरह काम करेंगे. इन पत्तों को पीसकर पेस्ट तैयार कर लें और खुजली वाली जगहों पर लगा लें. इस पौधे में फंगस को मारने की ताकत होती है.हल्दी को स्किन से जुड़ी कई बीमारियों का रामबाण इलाज कहा जाता है. हल्दी के टुकड़े को पानी में मिक्स करके पेस्ट तैयार कर लें और फिर इसे एफेक्टेड एरिया पर लगा लें और सूखने का इंतजार करें. फिर एक बाद फिर लेयर एड करें. कुछ दिनों तक ऐसा करने पर दाद गायब हो जाएंगे और खुजली से भी छुटकारा मिल जाएगा.सनाय का पौधा जिसे कैसिया एन्गस्टिफोलिया भी कहते हैं, इस पौधे को पीसकर मलहम तैयार कर लें, इससे दाद, खाज और खुजली वाली जगहों पर लगा लें. इससे जल्द आराम मिल जाएगा.गेंदे का फूल खूबसूरती शादी और पार्टी में रौनक बढ़ाने के लिए किया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस फूल की मदद से दाद, खाज और खुजली से भी छुटकारा मिल सकता है. इस खुशबुदार फूल में एंटी एलर्जी और एंटीफंगल गुण होते हैं जो खुजली से राहत दिला सकते हैं.--
- जब मुंह के कोने में मौजूद अकल की दाढ़ (Wisdom Teeth) ज्यादा बड़े हो जाते हैं दर्द काफी ज्यादा बढ़ने लगता है. ये तकलीफ कभी-कभी इतनी ज्यादा हो जाती है कि इंसान का चैन और सुकून छिनने लगता है. विजडम टीथ में दर्द होने से मसूढ़ों में सूजन आने लगती है, कई बार खून भी निकलने लगता है. ऐसे में दांत को पूरी तरह रिमूव कर देना ही एक मात्र उपाय होता है, लेकिन अगर आपके आसपास डेंटल क्लीनिक न हो और दर्द से तुरंत राहत चाहते हैं, तो कुछ घरेलू उपाय कर सकते हैं.विजडम टीथ की तकलीफ कैसे करें दूर1. बर्फ से सिकाईजब भी शरीर में चोट लगती है तब बर्फ की सिल्लियों को एफेक्टेड एरिया के आसपास रखकर सिकाई की जाती है. दांतों के लिए भी इसे कारगर उपाय है. इसके लिए किसी कपड़े में बर्फ के छोटे टुकड़ों को रखकर गालों पर हल्की सिकाई करें. ये दर्द दूर करने का सबसे तेज उपाय है.2. नमक का कुल्लानकम को दांतों के लिए एक बेहतरीन औषधि माना जाता है जब अकल की दाढ़ में दर्द बर्दाश्त से बाहर हो जाए तो नमक के पानी का कुल्ला जरूर कर लें. इससे तुरंत तकलीफ कम होने लगती है.3. लौंग का तेललौंग को ओरल हेल्थ के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है. दर्द और सूजन में लौंग किसी रामबाण से कम नहीं है. अकल की दाढ़ की तकलीफ हो इसके लिए कॉटन पैड या रूई में लौंग के तेल लगा लें. इससे दर्द और सूजन दोनों दूर हो जाएंगे.4. हल्दीहल्दी कई रोगों का रामबाण इलाज है क्योंकि इस मसाले में एंटीसेप्टिक और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते है. अकल की दाढ़ (Wisdom Teeth) के दर्द को दूर करने के लिए हल्दी नमक और सरसों के लेत को मिक्स करते हुए एक पेस्ट तैयार कर लें. फिर इसे विजडम टीथ पर लगाए, ध्यान रहे कि इस पेस्ट को गले के नीचे उतरने न दें.-
- नीम को आयुर्वेद में बहुत ही कारगर औषधि माना जाता है। नीम में मौजूद गुण शरीर के लिए कई तरीके से फायदेमंद माने जाते हैं। नीम का इस्तेमाल कई तरह की दवाओं को बनाने में भी किया जाता है। नीम की पत्तियां, तना, जड़, फूल और फल सभी शरीर के लिये बहुत फायदेमंद होते हैं। नीम की पत्तियों का रोजाना सेवन करने से खून साफ करने से लाकर स्किन को बेहतर बनाने तक में बहुत फायदा मिलता है। इसमें मौजूद एंटी फंगल गुण, एंटीइंफ्लेमेटरी गुण और एंटी बैक्टीरियल गुण शरीर के लिए बहुत उपयोगी होते हैं। नीम के फूलों का इस्तेमाल भी कई गंभीर समस्याओं को दूर करने में बहुत फायदेमंद होता है। नीम के फूल का शरबत सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है।नीम के फूल का शरबत पीने के फायदेनीम के फूल का इस्तेमाल दक्षिण भारत में कई तरह के व्यंजनों को बनाने में भी किया जाता है। हैदराबाद में सबसे ज्यादा नीम के फूलों का इस्तेमाल शरबत बनाने के लिए किया जाता है। इसका शरबत गर्मी के मौसम में शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। आइये जानते हैं नीम के फूल का शरबत पीने के फायदे।1. पेट के लिए बहुत फायदेमंदनीम के फूल में मौजूद गुण पेट के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। इसमें मौजूद गुण पेट को साफ और पाचन तंत्र को हेल्दी रखने के लिए बहुत उपयोगी माने जाते हैं। कब्ज, गैस और अपच की समस्या में नीम के फूलों का इस्तेमाल बहुत उपयोगी होता है।2. स्किन से जुड़ी समस्याओं में बहुत उपयोगीनीम के फूलों में एंटी फंगल, एंटी बैक्टीरियल और एंटी सेप्टिक गुण पाए जाते हैं। स्किन पर इन्फेक्शन की समस्या को दूर करने के लिए भी नीम के फूलों का शरबत पीना चाहिए। नीम के फूलों का शरबत पीने से त्वचा ग्लोइंग और समस्याओं से मुक्त होती है।3. शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने में उपयोगीनीम के फूलों में मौजूद गुण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में बहुत फायदेमंद माने जाते हैं। इसका नियमित सेवन करने से शरीर की इम्यूनिटी मजबूत होती है ।4. गर्मी के मौसम में सेहत के लिए फायदेमंदगर्मी के मौसम में बढ़ते तापमान के कारण सेहत से जुड़ी कई तरह की समस्याएं होती हैं। इस मौसम में बढ़ते तापमान के प्रभाव से शरीर को बचाने के लिए नीम के फूलों का शरबत पीना बहुत फायदेमंद होता है।5. वजन कम करने के लिए उपयोगीनीम के फूलों से बना शरबत पीने से आपको वजन कम करने में भी फायदा मिलता है। रोजाना इसका सेवन करने से आपको आसानी से वजन कम करने में सफलता मिलेगी। नीम के फूलों में मौजूद गुण वजन कम करने और शरीर को हेल्दी रखने में फायदेमंद होते हैं।नीम के फूलों का शरबत बनाने का तरीकानीम के फूलों का जूस बनाने के लिए सबसे पहले नीम के फूलों साफ करके लें। इसके बाद एक जग में ठंडा पानी लेकर इसमें गुड़ का पाउडर मिलाएं। अब इसे अच्छी तरह से मिलाकर एक गिलास में निकाल लें। अब गिलास में 1 चम्मच नीम का फूल डालें। इसके बाद स्वादानुसार नमक और एक चुटकी काली मिर्च पाउडर मिलाएं। अब इसमें आधा छोटा चम्मच पिसा हुआ अदरक मिलाएं और कच्चे आम के टुकड़े भी डालें। इसे आराम से मिलाकर कुछ देर के लिए रखें और फिर इसका सेवन करें।नीम के फूलों के शरबत के अलावा नीम के फूल की चाय भी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होती है। आप वजन कम करने के लिए नीम के फूल की चाय का सेवन भी कर सकते हैं। किसी भी बीमारी या समस्या में इसका इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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भारतीय खाने में हल्दी एक जरूरी मसाला है, केवल मसाला ही नहीं इसे सदियों से औषधि के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता रहा है। हल्दी में करक्यूमिन मौजूद होती है जो हमारी सेहत के लिए कई मायनों में फायदेमंद होती है। हल्दी का स्वाद कड़वा, गरम होता है, आप इसका सेवन रॉ फॉर्म में नहीं कर सकते है इसलिए आपको इसे अन्य चीजों के साथ मिलाकर खाने की सलाह दी जाती है। सब्जियों में तो हल्दी डाली ही जाती है पर इसके अलावा आप हल्दी का इस्तेमाल अलग-अलग तरीकों से कर सकते हैं।
1. सूप के साथ मिलाएं हल्दी
अगर आपको डाइजेशन से संबंधित कोई शिकायत है तो आपको हल्दी का इस्तेमाल सूप के साथ करना चाहिए। आप सब्जियों के सूप के साथ हल्दी मिला दें, स्वाद भी बढ़ेगा और डाइजेशन भी बेहतर होगा। अगर दस्त की समस्या हो रही है या सर्दी-जुकाम है तो भी हल्दी का सेवन करना चाहिए। हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जिससे इम्यूनिटी बढ़ती है।
2. हल्दी के दूध का सेवन
हल्दी - दूध बच्चों को हल्दी खिलाने का ये सबसे अच्छा तरीका है। आप कोकोनट मिल्क या ,साधारण दूध के साथ भी हल्दी का सेवन कर सकते हैं। हल्दी वाला दूध बनाने के लिए आप दूध को हल्दी के साथ गर्म करें। यह दूध बुखार, एलर्जी या सर्दी-जुकाम में इस्तेमाल करना चाहिए। यह दूध हड्डियों को भी मजबूत करता है।
3. चावल के साथ मिलाएं हल्दी
आप हल्दी का सेवन ब्राउन राइस के साथ भी कर सकते हैं। जो लोग बिरयानी या ज्यादा तेल व मसाले वाले चावल का सेवन करते हैं , उनके लिए हल्दी वाला चावल खाना फायदेमंद हो सकता है। ये राइस खाने का सबसे हेल्दी तरीका है, हल्दी डालने से फ्लेवर तो आएगा ही साथ ही आपके ज्वॉइंट्स और हार्ट भी मजबूत रहेगा। हल्दी में एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं, इससे इंफेक्शन का खतरा भी नहीं होता।
4. हल्दी वाली चाय
हल्दी की चाय का सेवन करने के लिए आप अपनी पसंद की पत्ती को पहले पानी में उबालें फिर उस पानी में एक टीस्पून हल्दी मिला दें। उसके बाद आप मध्यम आंच पर 5 मिनट के लिए पकाएं। इसमें काली मिर्च और अदरक मिलाने से स्वाद और बढ़ जाता है। गले में खराश की समस्या को दूर करने के लिए हल्दी की चाय का सेवन फायदेमंद माना जाता है।
5. सलाद के साथ करें हल्दी का सेवन
हल्दी का सेवन आप सलाद के साथ भी कर सकते हैं। हल्दी में एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं। इंफेक्शन की समस्या होने पर सलाद में हल्दी जरूर मिलाकर करके खाना चाहिए।
- मौजूदा दौर की बिजी लाइफस्टाइल और अनहेल्दी फूड हैबिट्स के कारण शरीर में कई समस्याओं का जन्म होता है. इनमें से कब्ज (Constipation) भी एक बड़ी परेशानी है. अगर इसे वक्त पर नहीं रोका गया तो बवासीर जैसी बीमारियों का खतरा पैदा हो जाए. हांलाकि इसका इलाज डॉक्टर्स के पास मौजूद है, लेकिन अगर आप घरेलू नुस्खों की मदद लेना चााहिए तो 5 तरीके अपना सकते हैं.कब्ज की परेशानी का घरेलू इलाज1. डाइट में करें बदलावहमलोग अक्सर ऐसी चीजें खाते हैं जिसमें तेल का इस्तेमाल ज्यादा होता है. कब्ज से राहत पाना है तो इन तैलीय भोजन से दूरी बना लें और ऐसी डाइट लेना शुरू करें जो हेल्दी हो और इस पचाने में पेट को ज्यादा मुश्किलें न आएं. दो मील के बीच ब्रेक भी जरूरी है, इसलिए हर घंटे कुछ न कुछ खाने की आदत छोड़ दें.2. अजवाइन और जीराकब्ज की परेशानी दूर करने के लिए अजवाइन और जीरे का इस्तेमाल किया जा सकता है. इन दोनों मसाले को हल्की आंच पर भूनकर चूर्ण तैयार कर लें. फिर इस चूर्ण में काला नामक मिक्स कर लें. आगर रेगुलर ऐसा करेंगे तो कब्ज की परेशानी दूर हो जाएगी.3. गुनगुने पानी का करें सेवनअगर आप सुबह उठकर बाथरूम जाने से पर एक ग्लास गुनगुने पानी का सेवन करेंगे तो आपको कब्ज से राहत मिल जाएगी. जब गर्म पानी पिएंगे तो एक प्रेशर सा महसूस होगा. अगर ऐसा न हो तो थोड़ी देर इंतजार करें और फिर मलत्याग के लिए जाएं4. गर्म दूध में घी मिलाकर पिएंदूध को कंप्लीट फूड कहा जाता है, क्योंकि इस सुपरफूड में कई सारे न्यूट्रिएंट्स एक साथ मिल जाते हैं. आप रात को सोने से पहले एक ग्लास गर्म दूध में थोड़ी घी मिलाकर पिएं, नियमित रूप से ऐसा करने से पेट साफ हो जाएगा और कब्ज की समस्या भी दूर हो जाएगी.