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- लंबे सफर के दौरान जी मिचलाना या उल्टी जैसा महसूस होना सामान्य बात है। कई बार कुछ उल्टा-सीधा खा लेने पर भी एसिडिटी और उल्टी का मन हो जाता है। तबियत खराब होने या उल्टी जैसा मन होने पर लोग अक्सर दवा खाते हैं। ऐसे में कुछ घरेलू नुस्खे अपनाकर उल्टी आने से रोका जा सकता है।उल्टी रोकने के घरेलू उपाय- संतरे का रस पीने से या संतरा खाने से उल्टी जैसा महसूस होना बंद हो जाता है।- उल्टी जैसा महसूस होने पर पानी या नींबू पानी पिएं। इसे थोड़ा-थोड़ा करके पिएं, एकबार में बहुत सारा पीने से उल्टी बढ़ सकती है।- नमक और चीनी का पानी पीने से आपको राहत महसूस होगी।- नींबू चूसने से उल्टी रुकने में मदद मिलती है।- एक चम्मच सौंफ को एक कप पानी में 10 मिनट उबालकर पीने से भी उल्टी होना रुक जाती है।- गहरी और लंबी सांसें लें और कुछ अच्छे पलों को सोचने की कोशिश करें। सफर के दौरान उल्टी महसूस होने पर ये तरीका बहुत असरदार होता है।- एक कप गर्म पानी में एक चम्मच लौंग डालकर उबालें और छान कर पी लें। ये सफर में होने वाली उल्टी से राहत दिलाता है।- अदरक खाना उल्टी रोकने में फायदेमंद होता है। आप अदरक को पानी में हल्का गरम करके भी पी सकते हैं।देसी उपाय करने के बाद करें आरामउल्टी रोकने के ये देसी उपाय करने के बाद आप कुछ मिनट के लिए टहलें या बैठें। ऐसा करने से वे उपाय आराम करने लगते हैं। फिर आप बिस्तर पर आराम करें। आप महसूस करेंगे कि थोड़ी ही देर में आपका जी मिचलना बंद हो जाएगा और उल्टी नहीं आएगी।
- आजकल की खराब जीवनशैली का असर हमारे स्वास्थ्य पर बुरी तरह से पड़ रहा है। हम खाना खाते हैं, फिर लेट जाते हैं या लंबे समय तक एक ही जगह पर बैठे रहते हैं, इसका सीधा असर हमारे पाचन तंत्र पर पड़ता है। पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने के लिए शारीरिक रूप से सक्रिय रहना जरूरी होता है, खाना खाने के बाद तो वॉक करना ज्यादा जरूरी हो जाता है। क्योंकि इससे पाचन क्रिया में सुधार होता है, हम कई सामान्य से लेकर गंभीर बीमारियों से बचे रहते हैं। हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, मोटापा, गैस्ट्रिक जैसी बीमारियों में खाना खाने के बाद वॉक करना बहुत जरूरी होता है।खाने के बाद वॉक के फायदे1.खाना खाने के बाद घूमने से पाचन में सुधार होता है। इससे पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है। गैस, अपच और कब्ज की संभावना कम रहती है।2.खाना खाने के बाद वॉक करने से वजन भी कंट्रोल में रहता है। जिन लोगों को मोटापे की समस्या है, उन्हें खाने के बाद वॉक जरूर करना चाहिए। वजन को कंट्रोल में रखने के लिए भी वॉक करना जरूरी है।3.खाना खाने के बाद वॉक करने से मेटाबॉलिज्म में सुधार होता है। मेटाबॉलिज्म सही से कार्य करता है, इससे हम हमेशा स्वस्थ रहते हैं।4.वॉक करने से पाचन तंत्र में सुधार होता है, साथ ही इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है।5.खाने के बाद घूमने से आंतरिक अंग स्वस्थ रहते हैं। वॉक करने से हमारी आंतों को खाना पचाने में अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ती है।6.खाना खाने के बाद पैदल चलने से शरीर में एंडोर्फिन हार्मोन रिलीज होता है, इससे तनाव कम होता है।7.वॉक करने से ब्लड सर्कुलेशन में भी सुधार होता है। इससे ब्लड सर्कुलेशन में आई रुकावट की समस्या दूर होती है।8.डायबिटीज रोगियों के लिए खाना खाने के बाद घूमने काफी फायदेमंद होता है। इससे रक्त शर्करा का स्तर संतुलन में रहता है।खाना खाने के बाद कितनी देर तक टहलना चाहिए?वॉक करने का सबसे अच्छा समय खाना खाने के बाद होता है। इससे पाचन में मदद मिलती है, थकान कम होती है। साथ ही कैलोरी भी बर्न होती है। शुरुआत में खाना खाने के बाद 10-20 मिनट वॉक करना सही रहता है। इससे पाचन तंत्र में सुधार होता है, गैस्ट्रिक समस्याएं दूर होती हैं। धीरे-धीरे आप वॉक के समय को 30-40 मिनट तक बढ़ा सकते हैं। खाना खाने के बाद करीब आधा घंटा वॉक करने से आप हमेशा स्वस्थ रह सकते हैं।
- मूंग दाल या हरी दाल में आयरन, पोटैशियम, मैग्नीशियम और कॉपर जैसे मिनरल्स होते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि इसमें फोलेट, फाइबर और विटामिन बी6 से भरपूर होने के साथ-साथ उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन भी होता है. इसमें विटामिन बी होता है. कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं हो जाने पर डॉक्टर अक्सर इस दाल का सेवन करने की सलाह देते हैं. ये आपके शरीर को ऊर्जा पैदा करती है. फोलिक एसिड हमारे मस्तिष्क के लिए बहुत फायदेमंद है. मूंग दाल का सेवन आप करी और स्प्राउट्स के रूप में कर सकते हैं. अपनी डाइट में मूंग दाल को शामिल करना बहुत फायदेमंद है. आइए जानें इसके स्वास्थ्य लाभ.हृदय को स्वस्थ रखता हैसप्ताह में कम से कम एक बार इस दाल का सेवन करना चाहिए. ये हाई ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करती है. ये मांसपेशियों की ऐंठन से बचाती है. ये हृदय को स्वस्थ रखने में मदद करती है. हृदय रोगों से बचे रहने के लिए आप अंकुरित मूंग दाल का सेवन कर सकते हैं.वजन घटाने के लिएमूंग दाल कोलीसिस्टोकाइनिन हार्मोन के कार्य में सुधार के लिए बहुत अच्छी है. ये हार्मोन हमें भरा हुआ महसूस कराता है. ये मेटाबॉलिज्म दर में भी सुधार करता है. इस प्रकार वजन घटाने में मदद मिलती है. इसे चावल या रोटी के साथ दोपहर के भोजन में लें या शाम को नाश्ता करने का मन करें तो एक कटोरी स्प्राउट्स के रूप में लें.डायबिटीजमूंग दाल अपने कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स के लिए जानी जाती है. ये ब्लड शुगर के स्तर और डायबिटीज को नियंत्रण में रखता है. अंकुरित हरी मूंग दाल का सेवन डायबिटीज के मरीज के लिए बहुत फायदेमंद है.पाचनमूंग दाल आंत में ब्यूटायरेट नामक फैटी एसिड के उत्पादन में मदद करती हैं. ये हमारी आंतों के लिए बहुत अच्छा होता है. इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं. ये गैस को रोकने में मदद करते हैं. इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर होता है. ये पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है.ब्लड सर्कुलेशनइस दाल का सेवन आपके ब्लड सर्कुलेशन के लिए बहुत अच्छा है. इसमें आयरन होता है जो लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में मदद करता है. ये एनीमिया को रोकने में भी मदद करता है.इम्युनिटी को बढ़ाता हैमूंग दाल में इम्यून सेल्स को मजबूत बनाए रखने वाले विशेष गुण होते हैं. ये इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद करते हैं. सर्दी-जुकाम आदि की समस्या को दूर रखने में मदद करते हैं.
- हनी चिली पोटैटो एक बहुत ही पसंदीदा स्नैक है. ये सबसे लोकप्रिय स्ट्रीट फूड (Honey Chilli Potatoes) में से एक है. हनी चिली पोटैटो आप घर पर आसानी से बना सकते हैं. हनी चिली पोटैटो को डीप फ्राई आलू फिंगर्स से बनाया जाता है और टोमैटो चिली सॉस, शहद और लहसुन, सिरका, नमक, काली मिर्च और चिली फ्लेक्स के मिश्रण से कोट किया जाता है. आप इस स्नैक (Snack) को पार्टियों और गेट-टुगेदर के लिए बना सकते हैं. हनी चिली पोटैटो बच्चों (Chilli Potatoes) को पंसद है. आप इसे किसी भी पंसदीदा स्नैक के साथ परोस सकते हैं. इसे अक्सर स्टार्टर के रूप में परोसा जाता है. आइए जानें इसकी रेसिपी.हनी चिली पोटैटो की सामग्री500 ग्राम आलू1 बारीक कटी लाल मिर्च1 कप रिफाइंड तेल2 बड़े चम्मच तिल5 लौंग बारीक कटा लहसुन2 बड़े चम्मच मक्के का आटाआवश्यकता अनुसार नमक1 प्याजटॉपिंग के लिए2 चम्मच चिल्ली फ्लेक्स1 चम्मच सिरका1 छोटा चम्मच टमाटर चिली सॉस2 बड़े चम्मच शहदहनी चिली पोटैटो बनाने की विधिस्टेप – 1 आलू को प्रेशर कुक करेंहनी चिली पोटैटो को बनाने के लिए आलू को धोकर एक तरफ रख दें. एक प्रेशर कुकर को मध्यम आंच पर रखें और इसमें पर्याप्त पानी के साथ आलू डालें. साथ ही आधा चम्मच नमक भी मिला लें. इन्हें 1 सीटी के लिए प्रेशर कुक करें और भाप को अपने आप निकलने दें. आलू नरम होना चाहिए. आलू को ज्यादा न पकाएं. एक बार जब भाप निकल जाए, तो पानी निकाल दें और इन्हें एक बड़ी ट्रे में छील लें. इन्हें फ्रेंच फ्राई की तरह लंबे आकार में अच्छी तरह से काट लें और आवश्यकता होने तक एक तरफ रख दें.स्टेप – 2 कॉर्नफ्लोर का घोल तैयार करेंएक बड़ा कटोरा लें और इसमें कुटा हुआ लहसुन, लाल मिर्च, नमक और कॉर्नफ्लोर मिलाएं. घोल तैयार करने के लिए थोड़े से पानी का इस्तेमाल करें. इसे अच्छी तरह मिलाएं. 3 से 5 मिनट के लिए अलग रख दें. अब इसमें आलू डालें और अच्छी तरह टॉस करें ताकि मिश्रण आलू पर पूरी तरह से लग जाए.स्टेप – 3 आलू को डीप फ्राई करेंअब एक कड़ाही को मध्यम आंच पर रखें और इसमें तेल गर्म करें. जब तेल अच्छे से गर्म हो जाए तो इसमें आलू को क्रिस्पी होने तक डीप फ्राई कर लें. आवश्यक कुरकुरापन मिलने तक इन्हें डबल फ्राई भी कर सकते हैं.स्टेप – 4 तले हुए आलू की सीजनिंगअधिक तेल निकालने के लिए इसे अब्सॉर्बेंट पेपर पर रख दें. अब एक कढा़ई में थोड़ा सा तेल गरम करें. जब तेल पर्याप्त गर्म हो जाए तो आलू के साथ 2 कटी हुई लहसुन की कलियां, तिल, सिरका और टोमैटो चिली सॉस डालें. एक मिनट तक पकाएं और फिर आंच बंद कर दें. इसमें शहद, मसाला और प्याज डालें.स्टेप – 5 गार्निश करके सर्व करेंअच्छी तरह से टॉस करें और कुछ तिल छिड़कें और तुरंत परोसें. आप कटे हुए हरे प्याज को गार्निश के रूप में भी डाल सकते हैं.
- स्वस्थ आंत एक सुखी जीवन जीने और स्वस्थ शरीर रखने की कुंजी है. आप कुछ ऐसे व्यंजन डाइट में शामिल कर सकते हैं जो आंत को स्वस्थ रखने में मदद करते हों. ये व्यंजन आंत की समस्याओं (Healthy Recipes) का इलाज कर सकते हैं. आप फाइबर और प्रोटीन से भरपूर व्यंजन (Dishes) को डाइट में शामिल कर सकते हैं. इन भारतीय व्यंजनों (Indian foods) को बनाना बहुत आसान है. आप अपनी डाइट में आयुर्वेदिक खिचड़ी, कांजी, निंबू का अचार और घर के बने आंवले के अचार का सेवन कर सकते हैं. ये व्यंजन न केवल बहुत स्वादिष्ट हैं बल्कि ये आपको स्वस्थ रखने में भी मदद करते हैं.आयुर्वेदिक खिचड़ीआयुर्वेदिक खिचड़ी हेल्दी व्यंजन है. ये बच्चों और बुजुर्गों के पाचन के लिए अच्छा है. आयुर्वेद दिन में कम से कम एक बार हल्का भोजन करने की सलाह देता है. आयुर्वेदिक खिचड़ी पेट को साफ करने, कब्ज से राहत दिलाने और समग्र स्वास्थ्य में सुधार के लिए फायदेमंद होती है. आयुर्वेदिक खिचड़ी में मौजूद तत्व पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं. ये आपकी इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद करता है. इसमें जीरा, हल्दी, सौंफ, सरसों के बीज, हींग, दालचीनी और इलायची जैसी सामग्री होती है. ये सामग्री एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती हैं. ये मतली, सूजन और कब्ज सहित कई पाचन समस्याओं को दूर करने में मदद करती हैं.कांजी ड्रिंककांजी चावल और पानी से बना एक प्राकृतिक घर का बना प्रोबायोटिक है. ये आंत को स्वस्थ रखने के लिए एक दक्षिण भारतीय रेसिपी है. ये हेल्दी, स्वादिष्ट और बनाने में आसान है. अगर आप बीमार हैं या आप पेट खराब है तो आप इसका सेवन कर सकते हैं. इसे बनाने के लिए चावल को धोकर 4 कप पानी के साथ प्रेशर कुकर में डाल दें. हाई प्रेशर पर 6 से 7 सीटी आने तक पकाएं और फिर कम प्रेशर में 15 मिनट तक पकाएं. 15 मिनट के बाद इसे आंच से हटा दें. अगर आवश्यक हो चावल कांजी की स्थिरता को समायोजित करने के लिए और पानी डालें. तड़का लगाने के लिए एक तड़का पैन में नारियल का तेल गर्म करें फिर इसमें राई और करी पत्ता डालें और महक आने तक भूनें. अब तड़के को तैयार कांजी के ऊपर डालें. कटे हरे धनिये से गार्निश करें और सर्व करें.क्लासिक घर का बना निंबू अचारघर का बना नींबू का अचार एक प्राकृतिक पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है. ये पाचन में सहायता करता है. अपने भोजन में एक चम्मच अचार को शामिल करने से न केवल स्वाद में सुधार होता है बल्कि पाचन में भी मदद मिलती है.घर का बना आंवला अचारआंवला का अचार पोषक तत्वों से भरपूर होता है. आंवला के अचार में मौजूद सामग्री जैसे धनिया के बीज, सौंफ और अजवाइन जैसी सामग्री पाचन में सहायता करती है और अपच को कम करती है. आंवला का अचार उन सामग्रियों से बनाया गया है जो डायबिटीज रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद है. ये अपच, सूजन और गैस से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं.
- विटामिन हमारे लिए पोषण का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत हैं. शरीर अपने कार्यों को कुशलता से तभी करता है, जब ये अच्छी तरह से पोषित हो और किसी भी विटामिन या अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से गंभीर स्थिति और बीमारियां हो सकती हैं. विटामिन स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है. ये मस्तिष्क से लेकर हड्डियों तक शरीर के हर कार्य को बढ़ावा देते हैं. विटामिन आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं. अपनी डाइट (Diet) में विटामिन शामिल करने का सबसे आसान तरीका है विटामिन से भरपूर फूड्स का सेवन करना. आपके स्वास्थ्य के लिए कौन से विटामिन आवश्यक हैं आइए जानें.विटामिन एएक स्वस्थ इम्यून सिस्टम, अच्छी कोशिका वृद्धि और आंखों की रोशनी में सुधार के लिए आपको ये विटामिन जरूर लेना चाहिए. विटामिन ए मुंहासे, झुर्रियों और अन्य त्वचा की समस्याओं को ठीक करने के लिए बहुत अच्छा है. ये पाचन समस्याओं को दूर करने में मदद करता है. इस विटामिन का नियमित सेवन आपके इम्यूम सिस्टम को मजबूत रखता है. इसके लिए आप डाइट में अंडे और होल मिल्क आदि शामिल कर सकते हैं.विटामिन बीविटामिन बी में 8 प्रकार बी 1, बी 2, बी 3, बी 5, बी 6, बी 7, बी 9 और बी 12 शामिल हैं. ये सभी सामूहिक रूप से बी विटामिन का एक समूह बनाते हैं जो शरीर के विभिन्न कार्यों के लिए जिम्मेदार होते हैं. ये विटामिन तंत्रिका तंत्र को स्वस्थ रखते हैं. विटामिन बी के लिए आप अपनी डाइट में सादा दही, दूध, केला और मशरूम आदि शामिल कर सकते हैं.विटामिन सीये एस्कॉर्बिक एसिड के रूप में भी जाना जाता है. विटामिन सी सबसे महत्वपूर्ण विटामिनों में से एक है. ये न केवल इम्युनिटी को बढ़ाता है बल्कि इसमें एंटीऑक्सीडेंट होते हैं. ये शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले फ्री रेडिकल्स को रोकने में मदद करते हैं. ये आपकी त्वचा के लिए भी बहुत फायदेमंद है. इसके लिए आप डाइट में खट्टे फल, टमाटर और हरी सब्जियां शामिल कर सकते हैं.विटामिन डीकैल्सिफेरॉल इसे आमतौर पर विटामिन डी के रूप में जाना जाता है. विटामिन डी एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है क्योंकि ये हड्डियों और दांतों को स्वस्थ रखने में मदद करता है. ये डायबिटीज टाइप 1 जैसी स्थितियों को ठीक कर सकता है. इतना ही नहीं विटामिन डी मस्तिष्क के कार्यों को बढ़ावा देता है और हृदय को स्वस्थ रखता है.विटामिन ईविटामिन ई त्वचा और बालों को बेहतर बनाने में मदद करता है. इसके अलावा भी ये कई अन्य स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाने में मदद करते हैं. ये मेटाबॉलिज्म सुधार करने में मदद करते हैं. विटामिन ई के लिए आप अपनी डाइट में एवोकैडो, लाल शिमला मिर्च, मूंगफली, कद्दू आदि शामिल कर सकते हैं.विटामिन केविटामिन के आपको कुछ प्रकार के कैंसर, स्पाइडर वेन्स और मॉर्निंग सिकनेस से लड़ने में भी मदद कर सकता है. इस विटामिन के लिए आप अपनी डाइट में पत्तेदार हरी सब्जियां और फिश शामिल कर सकते हैं.
- पेट को कई बीमारियों की जड़ माना जाता है. कहा जाता है कि अगर आप वाकई स्वस्थ रहना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने पेट को साफ रखिए. लेकिन आजकल के गलत खानपान के कारण हमारा पाचन तंत्र गड़बड़ा जाता है. इसके कारण पेट फूलने की समस्या बहुत आम हो गई है. कई बार तो हालत ऐसी हो जाती है कि हम अपनी भूख से कम भी खाएं तो भी कुछ देर में पेट फूलना शुरू हो जाता है. पेट गड़बड़ होने के कारण बेचैनी महसूस होती है और कोई काम ठीक तरीके से नहीं हो पाता. अगर आपके साथ भी ये परेशानी है, तो आपको कुछ घरेलू उपाय आजमाने चाहिए. इन उपायों से आपको काफी मदद मिल सकती है.ये हो सकते हैं कारणअनहेल्दी फूड, खाना ठीक से न चबाकर खाना, अत्यधिक कार्बोहाइड्रेटयुक्त भोजन, अधिक तेल और मसाले वाला भोजन करना, डिप्रेशन या तनाव, ऑक्सीजन की कमी, लंबे समय से दवाओं का सेवन करना, गैस और कब्ज की समस्या के कारण. इसके अलावा रोज रोज खाने के बाद पेट का फूलना किसी बीमारी का भी संकेत हो सकता है.ये हैं सामान्य उपाय– अगर आपको अक्सर पेट फूलने की समस्या रहती है तो आपको रोजाना खाने से पहले ईसबगोल की भूसी और सेब के सिरके का इस्तेमाल करना चाहिए. इसके लिए आप एक चम्मच ईसबगोल की भूसी में एक चम्मच सिरका मिक्स करें और इसमें पानी मिक्स कर दें. दोनों चीजों को मिलाकर खाने से आधे घंटे पहले पी लें.– खाना खाने के करीब 15 से 20 मिनट बाद आप आधा चम्मच अजवाइन को गुनगुने पानी से पी लें. अजवाइन शरीर में गैस की समस्या को दूर करती है. इससे आपको काफी राहत महसूस होगी.– रोजाना खाना खाने के बाद हरी इलायची खाने की आदत डालें. इसे मुंह में रखकर टॉफी की तरह चबाएं. इससे आपके पेट को काफी आराम महसूस होता है और ब्लोटिंग की समस्या कंट्रोल होती है.– खाने के बाद 4 से 5 पुदीने के पत्तों को काले नमक के साथ चबाएं. इसके बाद एक या दो घूंट गुनगुना पानी पी लें. इससे भी पेट फूलने की समस्या में काफी आराम मिलता है.ध्यान रहेपेट फूलने की समस्या अगर आपको रोज रोज होती है और इन उपायों से किसी तरह की राहत नहीं मिलती, तो आपको इसके बारे में किसी विशेषज्ञ की सलाह जरूर ले लेनी चाहिए. अगर ये किसी बीमारी का संकेत है, तो इसका सही तरीके से समय रहते इलाज किया जा सकेगा.
- बढ़ती उम्र के साथ कई लोगों को जोड़ों का दर्द (Joint Pain) अपनी जकड़ में लेने लगता है जिससे काफी तकलीफ होती है और इंसान बेहद परेशान हो जाता है. जोड़ों और गठिया के दर्द से आराम चाहते हैं तो अपने फूड हैबिट्स का जरूर ध्यान रखें.गठिया का बचाव है मुमकिनकई रिसर्च से पता चला है कि जो लोग नियमित रूप से खाने में लहसुन (Garlic) और प्याज (Onion) लेते हैं उनमें गठिया होने की संभावना कम हो जाती है. इसके अलावा, जोड़ों के दर्द में प्राकृतिक इलाज भी काफी फायदेमंद होता है. इस रोग का उपचार करने में तुलसी (Tulsi) बड़ी कारगर भूमिका निभाती है क्योंकि तुलसी में प्राकृतिक गुण होता है, इसका तेल बनाकर दर्द वाली जगह लगाने से तुरंत आराम मिलता है.गठिये के दर्द से छुटकारा पाने के लिए आजमाएं ये 4 तरीकें1. हॉट और कोल्ड थैरेपीहॉट और कोल्ड थैरेपी जोड़ों के दर्द में काफी आरामदेहक साबित होती है. एक पतीले में पानी गर्म करके उसमें एप्सम सॉल्ट मिलाएं. इस पानी में पैरों को 10 से 15 मिनट तक डुबोकर रखें. इस दौरान पैरों को हल्का-हल्का मलते रहें. पानी की गर्मी और मालिश से त्वचा के रोम-छिद्र खुल जाते हैं और एप्सम सॉल्ट शरीर के अंदर से यूरिक एसिड को बाहर खींच लेता है. पैरों को पोंछ लें और ढंक दें.इसके बाद हाथ और कोहनी को भी डुबोएं. ध्यान रहे कि पानी गर्म ही रहे. 10 से 15 मिनट बाद हाथों को भी पोंछकर ढंक लें. ताकि पसीना आ जाए. दिन भर में तीन बार इस क्रिया को दोहराएं.2. अपने खाने में सही फैटी एसिड शामिल करेंप्रत्येक व्यक्ति को अनुकूल स्वास्थ्य के लिए अपने खाने में ओमेगा-3 फैटी एसिड को शामिल करना चाहिए. इसमें शामिल वसा से भी गठिया के दर्द में फायदा मिलता है. फिश ऑइल में काफी मात्रा में ओमेगा-3 एसिड होता है. इसका सेवन जोड़ों के दर्द और गठिया में लाभकारी होता है.3. जमकर एक्सरसाइज करेंआप जितना ज्यादा एक्सरसाइज करते हैं आपको उतना फायदा होता है. एक्सरसाइज करने से वजन कम तो होता ही है साथ में जोड़ों के दर्द से भी निजात मिलता है. रोज एक्सरसाइज करने से जोड़ों में फेक्सविलिटी आती है और दर्द की संभावना कम रहती है. आप दौड़ने के अलावा, एरोबिक और तैराकी भी कर सकते हैं.4. अपना वजन कम करेंजोड़ो और गठिए के दर्द में बढ़ा हुआ वजन भी अहम भूमिका निभाता है. हम जानते हैं कि ज्यादा वजन जोड़ों में ज्यादा दवाब देता है और हमारे ज्वॉइन्ट्स में पेन होने लगता है. वजन बढ़ने से खासकर घुटनों, पैरों के तलवों और हिप्स में काफी दर्द होता है. इसलिए, अगर आप जोडो़ं के दर्द से निजात पाना चाहते हैं तो अपना वजन कम करें.
- किसी भी इंसान की जिंदगी में बढ़ती उम्र के साथ जिम्मेदारियां काफी बढ़ जाती है जिसकी वजह से टेंशन, गुस्सा, चिड़चिड़ापन और झुंझलाहट होना आम बात हो गई है, लेकिन ज्यादा इरिटेशन से वर्क लाइफ बैलेंस पूरी तरह बिगड़ जाता है और आप खुशहाल दिखने की जगह गुस्सैल हो जाते हैं. अगर आपको ऐसी परेशानी है तो इससे तुरंत छुटकारा पाना बेहद जरूरी है.1. ड्राई फ्रूट्सड्राई फ्रूट्स एक गर्म फूड है जिसकी वजह से दिमाम में गुस्सा बढ़ सकता, बेहतर है कि इसे रात भर पानी में भिगोएं और सुबह उठकर खा लें.2. बैंगनबैंगन को ज्यादा मात्रा में न खाएं क्योंकि ये गुस्से को काफी ज्यादा बढ़ा सकता है3. टमाटरटमाटर आपके शरीर में गर्मी को बढ़ा सकता है और इसे ज्यादा खाने से गुस्सा भी आता है, टमाटर को ज्यादा न खाएं.
- अपने हाथों को धोना कीटाणुओं, बैक्टीरिया और धूल से छुटकारा पाने (Health Tips) का एक प्रभावी तरीका है. अपने आप को बीमार होने से बचाने के लिए हाथों की अच्छी स्वच्छता बनाए रखना जरूरी है. अपने हाथों को बार-बार धोना ये सुनिश्चित करता है कि आप कीटाणुओं और अन्य जीवाणुओं को न फैलाएं. खाना खाने से पहले या खाना बनाने से पहले आपको अपने हाथ धोने (Hand wash) चाहिए. दिन भर हम लिफ्ट और हमारे कंप्यूटर आदि सहित (Hand wash tips) कीटाणुओं से भरी सतहों को छूते हैं. जब भी आप किसी व्यक्ति को छूते हैं, या सतह या वस्तु को छूते हैं तो आपका हाथ कीटाणुओं को इकट्ठा करता है.हाथों को धोते समय इन बातों का रखें ध्यानकम से कम 20 सेकंड के लिए हाथ धोएंआपको कम से कम 20 सेकंड के लिए अपने हाथों को धोना चाहिए. हाथों को धोते समय अपने नाखूनों को भी साफ करें. घर पर हों या यात्रा के दौरान आपको अपने हाथों को कीटाणु मुक्त रखने के लिए समय-समय पर हाथ धोते रहना चाहिए.अपने हाथों के पिछले हिस्से को धोएंअपने हाथों के पिछले हिस्से को धोना न भूलें. जब हम जल्दी में होते हैं तो हाथों को धोने में बड़ी लापरवाही करते हैं. लेकिन ये आपके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकता है. इसलिए जब भी आप हाथ धोएं तो अपने हाथों के पिछले हिस्से को भी साफ करें. अपने हाथों पर चिपके हुए कीटाणुओं को मारने के लिए अपने हाथों पर साबुन को अच्छी तरह से लगाना सुनिश्चित करें.अपने हाथों को सुखाएंअपने हाथों को धोने के बाद महत्वपूर्ण चरणों में से एक इन्हें सुखाना है. हाथ धोने के बाद अपनी हथेलियों को सुखाना जरूरी है. वरना इन पर फिर से गंदगी जमा हो जाएगी. गीले हाथों पर कीटाणु बहुत जल्दी इकट्ठा हो जाते हैं. अपने हाथों की स्वच्छता को प्रभावी ढंग से बनाए रखने के लिए ये सरल तरीके हैं.किसी भी नियमित साबुन का इस्तेमाल करेंहाथ धोने के लिए आप किसी भी नियमित साबुन का इस्तेमाल कर सकते हैं. साबुन का मुख्य कार्य आपके हाथों में मौजूद कीटाणुओं को मारना होता है. इसलिए हाथ धोने के लिए किसी भी नियमित साबुन का इस्तेमाल करना ठीक है.साबुन और पानी उपलब्ध न होने पर हाथ साफ करना न भूलेंहर जगह साबुन और पानी मिलना मुश्किल है. इसका मतलब ये नहीं है कि आप अपने हाथ साफ नहीं कर सकते हैं. इसके लिए आप हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल कर सकते हैं.-
- आयुर्वेद के अनुसार आंवला (Amla) एक बहुत ही हेल्दी फूड है. ये पोषक तत्वों, एंटीऑक्सीडेंट, कैंसर विरोधी और एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होता है. आंवला सर्दियों में आसानी से मिल जाता है. मौसम खत्म होने से पहले आपको इस सुपरफूड का भरपूर लाभ उठाना चाहिए. ये आवश्यक विटामिन और मिनरल से भरपूर होता है. ये स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है. आंवला इम्युनिटी (Amla Benefits) में सुधार करता है, कब्ज रोकता है, वजन कम (Weight loss) करने में मदद करता है, शरीर को डिटॉक्सीफाई करता है, आंखों की रोशनी में सुधार करता है और दर्द से राहत दिलाने में मदद करता है. आइए जानें किन तरीकों से आप इसे अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं.आंवला राइसइसके लिए आपको 3 कप पके हुए चावल, 1 कप कटा हुआ आंवला, 1/2 छोटा चम्मच सरसों के बीज, मुट्ठी भर करी पत्ते, 1 छोटा चम्मच चना दाल, 1 चम्मच उड़द दाल, तेल आवश्यकता अनुसार, 1 बड़ा चम्मच कटा हुआ अदरक, 1 छोटा चम्मच लाल मिर्च पाउडर और चुटकी भर हल्दी पाउडर की जरूरत पड़ेगी. एक ब्लेंडर में कटे हुए आंवला के टुकड़े डालें. इसे बाउल में निकाल लीजिए. नमक, हल्दी और लाल मिर्च पाउडर डालें. एक पैन में थोड़ा सा तेल, राई, उड़द दाल डालें. सुनहरा होने तक भूनें. करी पत्ता और अदरक डालें और भूनें. पैन में आंवला पेस्ट डालकर पकाएं. इस मिश्रण में पके हुए चावल डालकर अच्छी तरह मिला लें. चावल को पूरी तरह से ठंडा करें और आनंद लें.आंवला फ्राईइसके लिए 250 ग्राम आंवला , चुटकी भर हींग, तेल आवश्यकता अनुसार, 1 छोटा चम्मच अजवाइन बीज, 1/2 छोटा चम्मच हल्दी पाउडर, 1 छोटा चम्मच धनिया बीज पाउडर, 1/2 छोटा चम्मच लाल मिर्च पाउडर, नमक स्वादानुसार और 100 ग्राम हरी मिर्च की जरूरत होगी. आंवले को धो कर छोटे छोटे टुकड़े कर लीजिए. एक पैन में हींग, जीरा, अजवाइन डालें. इसके बाद हल्दी पाउडर और धनियां पाउडर डालें और भूनें. हरी मिर्च, लाल मिर्च पाउडर और कटा हुआ आंवला डालें. 3-5 मिनट तक इसे पकाएं. ढककर 5-10 मिनट तक पकाएं जब तक कि आंवला थोड़ा नरम न हो जाए. आंवला फ्राई तैयार है.आंवला मुरब्बाइसके लिए आपको 1 किलो आंवला, 1/2 किलो चीनी, 1 चम्मच काली इलायची के बीज, केसर के धागे और 10-15 कटे हुए बादाम की जरूरत होगी. सबसे पहले एक पैन में आंवला और पानी डालें. ढककर धीमी आंच पर तब तक पकाएं जब तक कि आंवला नर्म न हो जाए. पानी निथार लें और आंवले से बीज निकाल दें. दूसरे पैन में 1/2 लीटर पानी और चीनी डालें. अच्छी तरह मिलाएं और चीनी को पूरी तरह घुलने तक पकाएं. चाशनी में आंवला डालें. काली इलायची के दाने, केसर के धागे और बादाम डालें. तब तक पकाएं जब तक कि मिश्रण गाढ़ा न होने लगे. इसे आंच से उतारें और ठंडा होने दें. एक हवाबंद कंटेनर में भरकर रखें.
- भारत एक विविध संस्कृति वाला देश है. इसलिए हर संस्कृति के रीति-रिवाज और परंपराएं हैं. सभी अपने रीति-रिवाजों और परंपराओं को वैसे ही निभाते हैं जैसा कि सदियों (Indian Traditions) पहले निभाया करते थे. लेकिन इनमें से कुछ पुरानी परंपराओं के पीछे कई स्वास्थ्य लाभ भी जुड़े हैं जो शायद लोग नहीं जानते हैं. इसमें नमस्ते, मेडिटेशन, हल्दी से खाना बनाना, तांबे के बर्तन से पीने का पानी और हाथ से खाना आदि शामिल हैं. आज हम भारत की इन सदियों पुरानी परंपराओं के पीछे छुपे स्वास्थ्य लाभों के बारे में बताने जा रहे हैं. आइए जानें इन परंपराओं के पीछे छुपे स्वास्थ्य लाभ.नमस्ते भाव का महत्वनमस्ते नम्रता और कृतज्ञता व्यक्त करने वाला एक भाव है. ये अभिवादन करने के लिए किया जाता है. जब हम अपने हाथों की हथेलियों को नमस्ते में जोड़ते हैं तो इसे अंजलि मुद्रा कहते हैं. अंजलि मुद्रा का अभ्यास नियमित रूप से एकाग्रता को बढ़ाता है, मन को शांत करता है और तनाव को दूर करने में मदद करता है. अंजलि मुद्रा हमारी विचार प्रक्रिया को अस्थायी रूप से व्यवस्थित करती है. ये अधिवृक्क और पिट्यूटरी ग्रंथियों के काम को संतुलित करती है.मंदिरों में बजती घंटियांपरंपरागत रूप से पूजा की शुरुआत मंदिर में घंटी बजाने से होती है. घंटी की शांत ध्वनि व्यक्ति को ध्यान केंद्रित करने और स्वयं के साथ जुड़ने में मदद करती है. घंटी की सुखदायक ध्वनि मस्तिष्क के बाएं और दाएं भाग के बीच एक सामंजस्य स्थापित करती है. ये ध्वनि मानव शरीर के सात चक्रों को सक्रिय कर देती है. ये सभी नकारात्मक विचारों को दूर करती है.ध्यान या मेडिटेशन का महत्वध्यान का उद्देश्य अभ्यासी की आत्मा ( जीवात्मा ) और परमात्मा के बीच एकता प्राप्त करना है. ध्यान आपके शरीर, मन और इंद्रियों को शांत करता है. ध्यान करने से एकाग्रता का स्तर बढ़ता है. ये आपके भावनात्मक स्वास्थ्य का खयाल रखने के अलावा सिरदर्द, अनिद्रा, जोड़ों और मांसपेशियों की समस्याओं को कम करने में मदद करता है.हल्दी से खाना बनानाहल्दी भारत में पीढ़ियों से इस्तेमाल किया जाने वाला मसाला है. इसका इस्तेमाल कई चीजों के लिए जाता है. ये न केवल खाने का स्वाद बढ़ाता है बल्कि कई धार्मिक समारोहों में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. हल्दी में कई औषधीय गुण भी होते हैं. हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट के साथ-साथ करक्यूमिन नामक एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है. ये इम्युनिटी बढ़ाने और हृदय रोगों के जोखिम को कम करता है.हाथ से खानाउंगलियों के तंत्रिका अंत पाचन को बढ़ावा देते हैं. आयुर्वेद के अनुसार हमारी पांच उंगलियां पांच तत्वों के समान हैं. इसमें भूमि, जल, अग्नि, आकाश और वायु आदि शामिल है. इससे शरीर के पांचों तत्व जागृत हो जाते हैं. इससे सिर्फ भूख ही नहीं मन भी तृप्त होता है. वेदों के अनुसार हमरी उंगलियों के पोर तीसरी आंख, हृदय, गले, सोलर प्लेक्सस, यौन, रूट चक्र से संबंधित होते हैं. इसलिए हाथ से खाना खाते समय स्पर्श करने से चक्र उत्तेजित हो जाते हैं और इससे कई फायदे मिलते हैं.तांबे के बर्तन से पीने का पानीकॉपर मानव स्वास्थ्य के लिए एक आवश्यक मिनरल है. ये पानी में मौजूद मोल्ड्स, फंगस और बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्मजीवों को मार सकता है जो शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं. तांबे के बर्तन का पानी शरीर के पीएच संतुलन को बनाए रखने में भी मदद करता है. कॉपर एनीमिया को रोकने, कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करने के लिए जाना जाता है.
- कैंडीबच्चे ही नहीं बड़ों को भी कैंडी काफी अच्छी लगती है, पर आपको बता दें कि ये दांतों को बहुत नुकसान पहुंचाती है. ये जीभ का रंग बदलने के अलावा दांतों में दाग भी बन जाते हैं, इसलिए कैंडीज को हद से ज्यादा न खाएं.कार्बोहाइड्रेट ड्रिंककोला व अन्य कार्बोहाइड्रेट ड्रिंक्स भी दांतों को खासा नुकसान पहुंचाती हैं. इन ड्रिंक्स को ऐसे केमिकल्स से बनाया जाता है, जो दांतों के लिए हानिकारक मानी जाती हैं. ऐसे में इनसे दूरी बनाए रखना ही बेहतर है.सॉसबच्चों को सॉस से बनी चीजें खाना काफी पसंद होती हैं और कभी-कभी वे हद से ज्यादा इसका सेवन करने लगते हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक अगर आपका बच्चा सॉस पसंद करता है, तो उसे हल्के रंग वाले सॉस खिला सकते हैं.चायभले ही ये हमारे रूटीन का एक जरूरी हिस्सा हो, लेकिन इसका भी हद से ज्यादा सेवन दांतों के लिए ठीक नहीं होता. चाय में दांतों की बाहरी परत इनेमल को नुकसान पहुंचाती है और इस कारण वे पीले पड़ने लगते हैं.आलू के चिप्सलगातार आलू के चिप्स खाने से दांतों की हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है. दरअसल, आलू के चिप्स में स्टार्च अधिक मात्रा में होता है और इस कारण ये दांतों में फंस जाता है. एक समय पर कैविटी हो जाती है और इसे दांतों के लिए ठीक नहीं माना जाता.
- लोगों की अक्सर ये शिकायत होती है कि उनके पैरों में बहुत जलन होती है। इसके बहुत से कारण हो सकते हैं। जैसे-किडनी का हेल्दी न होना, फंगल इंफेक्शन, विटामिन की कमी, शराब का सेवन आदि। ये समस्या दिखने में छोटी है पर इसे नजरअंदाज करना ठीक नहीं है।1. किडनी डिसीज होने पर होती है पैरों में जलनजिन लोगों की किडनी स्वस्थ्य नहीं होती उन्हें भी पैरों में जलन की समस्या हो सकती है। किडनी के सही तरह से काम न करने के कारण ब्लड में दषित तत्व मिलने लगते हैं जिससे पैरों में जलन या खुजली की समस्या हो सकती है। इसके साथ सांस लेने में परेशानी, यूरीन कम बनना, उल्टी का अहसास, थकान आदि लक्षण नजर आ सकते हैं। इन लक्षणों के नजर आने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।2. विटामिन बी की कमीन्यूट्रिशन की कमी भी पैरों में जलन का एक कारण है। शरीर में विटामिन बी की कमी के चलते भी पैरों में जलन का अहसास हो सकता है। विटामिन बी की कमी होने पर शरीर में कई बीमारियां हो सकती हैं। जैसे एनीमिया। खून की कमी की बीमारी एनीमिया होने पर शरीर में रेड ब्लड सैल्स की कमी हो जाती है जिसका एक कारण विटामिन बी की कमी भी है। विटामिन की कमी से होने वाली अन्य समस्याओं में थकान, चक्कर आना, सांस लेने में परेशानी होना शामिल है।3. इंफेक्शन के कारण हो सकती है पैरों में जलनकई तरह के इंफेक्शन के चलते पैरों में जलन की समस्या हो सकती है जैसे शिगल्स, लिम्प डिसीज आदि। पैरों में इंफेक्शन फैल सकता है इसलिए लक्षण नजर आने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। पैरों में जलन होना नर्व डैमेज होने का संकेत हो सकता है जो कि ज्यादातर डायबिटीज से जोड़ा जाता है। अगर जलन के साथ दर्द भी है तो इलाज में देरी नहीं करनी चाहिए।4. एथलीट फुट के कारण हो सकती है पैरों में जलनएथलीट फुट होना भी पैरों में जलन का एक कारण हो सकता है। एथली फुट एक तरह का फंगल इंफेक्शन होता है जिसे एथलीट्स के पैरों में ज्यादातर देखा जाता है इसलिए इसे हम एथलीट फुट कहते हैं। एथलीट फुट होने पर पैरों में जलन, खुजली की समस्या हो सकती है। अगर पैरों में जलन के साथ आपको ड्राय स्किन, क्रैक स्किन, पैर से पील निकलने जैसे लक्षण नजर आएं तो समझ जाइए कि ये एथलीट फुट है और अपने डॉक्टर से इसका इलाज करवाएं।5. शराब का सेवनजो लोग शराब का ज्यादा सेवन करते हैं उन्हें भी पैरों में जलन की समस्?या हो सकती है। एल्कोहॉल का असर नसों पर पड़ता है जिसके चलते पैरों में जलन का अहसास हो सकता है। शराब का सेवन वैसे भी शरीर के लिए हानिकारक है इसलिए आपको इसका सेवन करने से बचना चाहिए।पैरों में जलन होने पर क्या करें?- पैरों की जलन दूर करने के लिए आप हल्दी -दूध पिएं। हल्दी में करक्यूमिन होता है जिससे नसों को आराम मिलता है।-अगर इंफेक्शन के चलते पैरों में जलन हो रही है तो जलन दूर करने के लिए नीम का तेल या नीम का लेप पैरों पर लगाएं। नीम में एंटी-बैक्टिीरियल गुण होते हैं।-पैरों की जलन दूर करने के लिए पैरों को ठंडे पानी में डुबोएं। आप चाहें तो पानी में बर्फ के क्यूब भी डाल सकते हैं। ठंडे पानी से पैरों की जलन दूर हो जाएगी। 15 मिनट तक पैरों को पानी में डुबोकर रखें, फिर साफ तौलिए से पोछकर पैरों को थोड़ा आराम दें और अच्छा फुट मॉइश्चराइजर या नार?ियल का तेल लगा लें।- पैरों को एप्पल साइडर विनेगर और पानी के मिश्रण में भी डाल सकते हैं, लेकिन ये तरीका डायबिटीज रोगियों के लिए नहीं है।-पैरों की जलन दूर करने के लिए पैरों की मसाज करें, इससे ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होगा और जलन कम हो जाएगी। पैरों की मसाज करने के लिए आप कोई भी कैरियर ऑयल जैसे बादाम का तेल या नारियल तेल इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें आप कुछ बूंद एसेंशियल ऑयल जैसे लैवेंडर ऑयल को भी मिक्स कर सकते हैं।-अगर जलन ज्यादा है तो डॉक्टर की सलाह पर मैगनेट थैरेपीली जा सकती है।
- कई स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने के लिए कई तरह के प्राकृतिक फूड्स को डाइट में शामिल कर सकते हैं. जब बीमारियों को दूर करने के लिए प्राकृतिक प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करने की बात आती है तो नीम और हल्दी सूची में सबसे ऊपर हैं. चिकित्सीय गुणों के कारण लंबे समय से ही नीम और हल्दी का इस्तेमाल घरेलू उपचार के रूप में किया जाता रहा है. नीम के पत्तों के रस को एक चुटकी हल्दी के साथ गुनगुने पानी में मिलाकर सेवन करें. इससे सेहत अच्छी रहती है. ये नुस्खा आम सर्दी से लेकर गंभीर बीमारियों तक की रोकथाम में मदद करता है.बैक्टीरिया को मारता हैअपने चिकित्सीय गुणों के कारण नीम और हल्दी शरीर में कीटाणुओं और फंगस से संक्रमित होने से बचाने में मदद कर सकते हैं. इसकी एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं.फ्लू से बचावमौसम बदलने के साथ सर्दी, खांसी और बंद नाक की समस्या होना आम है. ऐसे में वायरल फ्लू के इलाज में नीम और हल्दी का सेवन बेहद कारगर हो सकता है. हल्दी के एंटीवायरल गुण वायरल फ्लू से जल्दी छुटकारा दिलाने में मदद करते हैं.ये इम्युनिटी को बढ़ाता हैनीम और हल्दी में एंटी बैक्टीरियल और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं. नीम और हल्दी का सेवन करन से इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद मिलती है.आपकी त्वचा को ग्लोइंग बनाता हैनीम और हल्दी के सेवन से त्वचा की मृत कोशिकाएं गायब होने लगती हैं. इसके अलावा ये शरीर की सफाई करते हैं. इससे आपकी सेहत के साथ-साथ आपकी त्वचा भी निखरने लगती है. ये त्वचा पर प्राकृतिक ग्लो लाने में मदद करता है.नीम और हल्दी के फायदेनीम औषधीय तत्वों से भरपूर होती है. इसकी पत्तियां, तने से लेकर जड़ तक का इस्तेमाल तमाम समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है. नीम एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीबायोटिक और एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है. हल्दी में करक्यूमिन नामक एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट होता है. हल्दी में एंटीफंगल, एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल होते हैं. ये स्वास्थ्य संबंधित कई समस्याओं को दूर करने में मदद करता है. हल्दी सर्दी, खांसी, जोड़ों के दर्द और अपच से राहत दिलाने में मदद करती है. ये लिवर के कार्य को बेहतर बनाने में मदद करती है. ये पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करती है. ये शरीर से टॉक्सिन को बाहर निकाले में मदद करती हैं. हल्दी बैक्टीरिया के संक्रमण को खत्म करने में मदद करती है.
- अगर चेहरे पर भी समय से पहले एजिंग साइंस जैसे रिंकल्स, डल स्किन, फाइन लाइंस की समस्या नजर आने लगी है तो त्वचा को जवां बनाने के लिए दही का इस्तेमाल फायदेमंद होता है । दही में विटामिन डी होता है जिससे में प्रीमेच्योर एजिंग की समस्या नहीं होती और दही में लैक्टिक एसिड भी होता है जिससे डैड स्किन सैल्स निकल जाते हैं। आज हम दही से बनने वाले 5 आसान फेस मास्क के फायदे और उसे बनाने का तरीका जानेंगे।1. दही + ग्रीन टी फेस मास्कदही और ग्रीन टी से बना फेस मास्क त्वचा को रिंकल्स और फाइन लाइंस जैसी समस्या से बचाता है। ग्रीन टी में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं सिसे एजिंंग की समस्या दूर होती है। ग्रीन टी स्किन को यूवी रेज से भी बचाता है। आप उसे दही के साथ मिलाकर लगाएंगे तो त्वचा से डॉर्क सर्कल की समस्या भी दूर हो जाएगी। ग्रीन टी और दही का फेस मास्क बनाने के लिए ग्रीन टी की ताजी पत्तियों को तोड़कर पाउडर बना लें या ग्रीन टी पाउडर को बाजार से ले आएं और उसमें दो चम्मच दही ्मिलाकर चेहरे पर लगा लें। 15 मिनट के बाद साफ पानी से चेहरे को धोकर मॉइश्चराइजर लगा लें।2. दही + कॉफी फेस मास्कदही और कॉफी को मिलाकर आप फेसमास्क बना सकते हैं। कॉफी से सैल्युलाइट की मात्रा घटती है और स्किन में एंटीऑक्सीडेंट्स की मात्रा बढ़ती है जिससे त्वचा जवां नजर आती है। कॉफी और दही का पैक लगाने से त्वचा को यूवी रेज़ से भी प्रोटैक्शन मिलता है और एजिंग का प्रोसेस धीमा होता है। इस फेस मास्क को चेहरे पर लगाकर 30 मिनट के बाद सादे पानी से धो लें।3. दही + जोजोबा ऑयल फेस मास्कदही और जोजोबा ऑयल का मिश्रण चेहरे पर लगाने से भी एजिंग के लक्षण कम हो जाते हैं। इसे चेहरे पर केवल 15 मिनट लगाएं। इसे आप हफ्ते में दो बार कर सकते हैं। जोजोबा ऑयल में विटामिन ई, जिंक, बी कॉम्प्लैक्स जैसे तत्व मौजूद होते हैं जिससे एजिंग के साइंस कम होते हैं। इससे आंखों के नीचे नजर आने वाली सूजन भी कम होती है।4. दही + संतरा फेस मास्कआप दही के साथ संतरे का रस मिलाकर भी फेसपैक बना सकते हैं। ये संतरे में विटामिन सी मौजूद होता है जिससे त्वचा का कोलाजन बढ़ता है और स्किन में फाइन लाइंस और रिंकल्स की समस्या नहीं होती।5. दही + विटामिन ई फेस मास्कत्वचा को जवां बनाने के लिए आप दही और विटामिन ई ऑयल का इस्तेमाल करें। इसके लिए आप विटामिन ई के दो कैप्सूल को तोड़कर उसका तेल एक बाउल में निकाल लें, उसमें आप दही को मिलाएं और 5 मिनट के लिए छोड़ दें। इसके बाद मिश्रण को चेहरे पर लगाएं और आधे घंटे के बाद सामान्य पानी से चेहरा साफ कर लें।आप इन फेसमास्क को हफ्ते में दो या तीन बार लगा सकते हैं, वहीं केवल दही को चेहरे पर रोजाना लगाया जा सकता है।
- ग्रीन टी को सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। ग्रीन टी को रोजाना पीने से वेट कंट्रोल भी होता है और स्किन के लिए भी यह बहुत अच्छी होती है। इसमें एंटी-ऑक्सिडेंट भरपूर मात्रा में पाया जाता है जिससे ये सेहत ही नहीं बल्कि स्किन के लिए भी बहुत फायदेमंद होती है। ग्रीन टी की गुडनेस बढ़ाने के लिए आप ग्रीन टी में कुछ चीजें मिला सकते हैं।स्टीविया के पत्तेस्टीविया को नेचुरल स्वीटनर माना जाता है। जिन लोगों को ग्रीन टी कड़वी लगती है, वे ग्रीन टी में स्टीविया के पत्ते डाल सकते हैं. इसे पीने से कैलोरी कम होने के साथ ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल रहता है।शहदग्रीन टी में चीनी मिलाने का कोई फायदा नहीं है लेकिन इसमें शहद मिलाने के कई फायदे हैं। ग्रीन-टी में एंटीऑक्सिडेंट शहद में प्रचुर मात्रा में विटामिन और खनिज के साथ मिलकर इसे एक सुपर हेल्दी ड्रिंक बनाते हैं। इससे स्किन प्रॉब्लम्स भी ठीक होती हैं।लेमन जूसआपको अगर ग्रीन टी कड़वी लगती है, तो आप ग्रीन टी में नींबू का रस मिला सकते हैं। साइट्रस जूस ग्रीन-टी के एंटीऑक्सिडेंट को बढ़ाता है। ग्रीन टी में लेमन जूस तब ही डाले, जब ग्रीन टी थोड़ी ठंडी हो जाए।मिंट और दालचीनीग्रीन-टी में पुदीने के पत्ते डालने से डाइजेशन सिस्टम बेहतर होता है और भूख भी कंट्रोल में रहती है। साथ ही दालचीनी वजन घटाने में मदद करती है। इनसे ग्रीन टी का स्वाद भी बढ़ जाता है।अदरकइम्युनिटी बढ़ाने के साथ यह कैंसर को रोकने में भी मदद करता है। साथ ही इसका उपयोग अस्थमा, मधुमेह, और मासिक धर्म के लक्षणों को दूर करने के लिए किया जाता है।
- अर्जुन की छाल और दालचीनी का एक साथ सेवन करने से हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर जैसी समस्याओं को दूर किया जा सकता है। साथ ही यह हार्ट ब्लॉकेज की समस्या को दूर करने में प्रभावी हो सकता है। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से -1. हृदय रोगियों के लिए फायदेमंदआयुर्वेदाचार्य का कहना है कि दालचीनी और अर्जुन की छाल से बना काढ़ा दिल के लिए काफी फायदेमंद होता है। दरअसल, इन दोनों का मिश्रण शरीर में बैड कोल्स्ट्रॉल की मात्रा को कम करता है। जिससे आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल संतुलित रहता है।2. कैंसररोधी गुणों से भरपूरआयुर्वेद एक्सपर्ट का कहना है कि दालचीनी और अर्जुन की छाल एंटीकैंसर गुणों से भरपूर होता है, जो कैंसर रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है। इसके अलावा यह कैंसर के जोखिमों को कम करने में लाभकारी हो सकता है।3. डायबिटीज को रखे नियंत्रितप्राकृतिक गुणों से भरपूर दालचीनी और अर्जुन की छाल में ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के गुण होता है। साथ ही यह पॉलीपेनॉल्स सीरम ग्लूकोज और इंसुलिन को कम करने का गुण होता है, जो डायबिटीज के खतरे को कम कर सकता है।4. इम्यूनिटी करे बूस्टदालचीनी और अर्जुन की छाल में नैचुरल फ्लेवोनोइड्स और एंटीऑक्सीडेंट्स होता है, जो कई तरह की बीमारियों से लडऩे में शरीर की मदद कर सकता है। आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर अर्जुन की छाल और दालचीनी की चाय का सेवन करने से इम्यूनिटी मजबूत हो सकती है। यह सर्दी-जुकाम और वायरस से राहत दिलाने में असरदार है।5. ब्लड सर्कुलेशन को करे बेहतरब्लड सर्कुलेशन को बेहतर करने में भी अर्जुन की छाल और दालचीनी लाभकारी हो सकता है। अर्जुन की छाल और दालचीनी का काढ़ा पीते हैं, तो यह आपके शरीर में ब्लड क्लॉटिंग की समस्या को दूर करके ब्लड को पतला करता है। जिससे आपके शरीर में ब्लड का फ्लो बेहतर तरीके से होता है। साथ ही यह हृदय की पम्पिंग क्षमता में सुधार ला सकता है।6. मोटापा करे कमअगर आप रोजाना 1 कप खाली पेट अर्जुन की छाल और दालचीनी का काढ़ा या चाय पीते हैं, तो इससे आपका मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है। जिससे आपकी पाचन क्रिया दुरुस्त होती है। साथ ही शरीर की एक्स्ट्रा चर्बी कम हो सकती है। ऐसे में अगर आप अपने शरीर का वजन संतुलित रखना चाहते हैं, तो रोजाना 1 कप खाली पेट दालचीनी और अर्जुन की छाल का काढ़ा पिएं।7. स्किन की झुर्रियों को करे कमफेसमास्क तैयार करने के लिए 1 चम्मच अर्जुन की छाल का पाउडर लें। अब इसमें आधा चम्मच दालचीनी पाउडर और 1 चम्मच शहद मिक्स करके अपने फेस पर लगाएं। चेहरे पर मास्क लगाने के करीब 20-30 मिनट बाद अपने फेस को धो लें। इससे स्किन की झुर्रियां और दाग धब्बे कम हो सकते हैं।कैसे तैयार करें अर्जुन की छाल और दालचीनी की चाय ?एक गिलास पानी को अच्छे से उबाल लें। अब इसमें आधा चम्मच अर्जुन की छाल का पाउडर डालें। इसके बाद इसमें एक चौथाई चम्मच दालचीनी का पाउडर डालकर इसे अच्छे से उबाल लें। अब आप इसमें अपने स्वादानुसार दूध और गुड़ मिला सकते हैं।अर्जुन की छाल और दालचीनी का काढ़ा कैसे बनाएं ?अर्जुन की छाल और दालचीनी का काढ़ा तैयार करने के लिए 1 चम्मच अर्जुन की छाल का पाउडर लें। अब इसमें आधा चम्मच दालचीनी पाउडर मिक्स करें। इसके बाद इन दोनों मिश्रण को 1 गिलास पानी में अच्छे से उबालें। जब पानी आधा रह जाए, तो इसे छानकर पी जाएं। इससे आपके शरीर का वजन तेजी से घट सकता है।
- बथुआ एक तरह का साग है जिसका सेवन ज्यादातर ठंड के मौसम में किया जाता है। ज्यादातर बथुआ की सब्जी, रायता या पराठा बनाया जाता है। आज हम आपको बथुवा की रोटी के फायदे बताने जा रहे हैं। बथुआ में फाइबर, मिनरल, ए, बी, सी जैसे विटामिन मौजूद होते हैं।वजन कम होता हैजिन लोगों को वजन कम करना है उन्हें बथुआ रोटी बनाकर खाना चाहिए, बथुए में फाइबर की अच्छी मात्रा मौजूद होती है। इसका सेवन करने से वजन नहीं बढ़ेगा केवल आपको गेहूं के आटे की जगह होल ग्रेन आटा लेना है। बथुआ रोटी का सेवन करने से आंखों की रौशनी भी अच्छी रहती है। बथुआ में विटामिन ए, जिंक, आयरन मौजूद होता है जिसका सेवन करना फायदेमंद माना जाता है। 100 ग्राम बथुआ में करीब 35 से 40 कैलोरीज होती हैं, इसमें प्रोटीन भी होता है जिससे वजन कम होता है।त्वचा के लिए फायदेमंदबथुआ में जिंक, आयरन, कैल्शियम, पोटैशियम, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, विटामिन ए, विटामिन सी, फॉस्फोरस आदि पोषक तत्व शामिल होते हैं। बथुआ में एमिनो एसिड भी मौजूद होते हैं जो शरीर के सैल्स रिपेयर करने का काम करते हैं। बथुआ आपके शरीर को हाइड्रेट रखने में फायदेमंद है, बथुआ में फाइबर की अच्छी मात्रा मौजूद होती है, इसका सेवन करने से कॉन्सटिपेशन की समस्या नहीं होती। स्किनि के लिए भी बथुआ फायदेमंद होता है। इसका सेवन करने से एक्ने की समस्या नहीं होती और त्वचा सुंदर बनती है।बथुआ रोटी बनाने का तरीकासामग्री: बथुआ रोटी बनाने के लिए बथुआ, नमक, पानी, तेल या घी, जीरा, अजवाइन, लहसुन का पेस्ट, आटा।विधि- बथुआ की पत्तियों को पानी में साफ कर लें, अब बथुआ की पत्तियों को 10 मिनट उबालकर रख लें और पानी निकाल लें और पत्तियों का पेस्ट बना लें। बाउल में आटा डालें और बथुए का पेस्ट डाल दें। इसमें अजवाइन, जीरा, लहसुन का पेस्ट और नमक डालें। अब सारी चीजों को मिलाकर आटे को मुलायम गूंथ लें। अब इसकी रोटी बनाएं। रोटी को आंच में ना सेंके, बल्कि पराठे जैसे तेल या घी डालकर तवे पर ही पका लें। रोटी को चटनी या फिर सब्जी के साथ गर्म- गर्म परोसें।बथुआ की रोटी में कैलोरी की मात्राबथुआ की एक रोटी में करीब 70 से 80 कैलोरीज होती हैं। बथुआ की रोटी में कॉब्र्स, प्रोटीन, करीब 4 ग्राम फैट, फाइबर, सोडियम की मात्रा मौजूद होगी।
- पिंपल्स आपको अंडर कॉन्फिडेंट महसूस करा सकते हैं. मुंहासों के निशानों को हटाना भी बहुत मुश्किल होता है. ऐसे में आप शहद का इस्तेमाल कर सकते हैं. शहद (Honey) में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन ए, बी, सी, ज़िंक, कॉपर, आयरन, मैग्नीशियम, कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम और सोडियम जैसे कई पोषक तत्व भी पाए जाते हैं. इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं. ये हमारे शरीर को डिटॉक्सीफाई करता है, खून को साफ करता है और मुंहासों को दूर रखता है. आप बेदाग त्वचा के लिए के लिए भी शहद (Skin Care Tips) का इस्तेमाल कर सकते हैं. आइए जानें फेस पैक बनाने के लिए किस तरह कर सकते हैं इसका इस्तेमाल.बेकिंग सोडा के साथ शहदबेकिंग सोडा मृत त्वचा को हटाता है. इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण भी होते हैं. ये मुंहासों के निशान को भी कम करते हैं. 2 चम्मच शहद में 1 चम्मच बेकिंग सोडा मिलाएं और इस पेस्ट को प्रभावित जगह पर लगाएं. इस पेस्ट से 5-8 मिनट तक मसाज करें और धो लें.टमाटर के साथ शहदमुंहासों के निशान दूर करने के लिए आप टमाटर का इस्तेमाल कर सकते हैं. ये आपकी त्वचा को मॉइस्चराइज करते हैं. एक चम्मच शहद और 1 टमाटर की प्यूरी मिलाएं. अपना चेहरा धोने के बाद इस मिश्रण को अपने चेहरे पर लगाएं. 15-20 मिनट तक मसाज करें और गुनगुने पानी से धो लें.दालचीनी पाउडर के साथ शहदशहद और दालचीनी में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण होते हैं. ये मुंहासों और निशानों को दूर रखने में मदद करते हैं. इसके लिए 3 बड़े चम्मच शहद और 1 चम्मच दालचीनी को एक साथ मिलाकर पेस्ट तैयार करें. इस मिश्रण को अपने चेहरे पर लगाएं और 30 मिनट तक मसाज करें. इसके बाद इसे गुनगुने पानी से धो लें.ऑट्स और शहदऑट्स त्वचा का एक्सफोलिएट करने में मदद करते हैं. ये सूजन को शांत करने में मदद करता है. ये त्वचा के पीएच संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं. ऑट्स को पकाएं. इसमें शहद मिलाएं. इस पैक को अपने चेहरे पर लगाएं. इसे 20-30 मिनट के लिए छोड़ दें. अपने चेहरे को गुनगुने पानी से धो लें और सुखा लें. ये आपकी त्वचा को मॉइस्चराइज करने के साथ हाइड्रेट भी करेगा.ग्रीन टी और शहदग्रीन टी में एंटीऑक्सीडेंट, एस्कॉर्बिक एसिड और कैरोटेनॉयड्स और अन्य मिनरल होते हैं. ये मुंहासों को दूर करने में मदद करता है. टी बैग को गर्म पानी में कुछ मिनट के लिए भिगो दें. इसे ठंडा होने दें और टी बैग को खोलें. गर्म चाय की पत्तियों में एक चम्मच शहद मिलाकर पेस्ट बना लें. अपने चेहरे को ठंडी ग्रीन टी से धो लें और पेस्ट को अपने चेहरे पर 20 मिनट के लिए लगाएं. अपने चेहरे को गुनगुने पानी से धो लें.
- कई पोषक तत्वों की कमी का स्वास्थ्य पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है. ऐसे में बहुत से लोगों को कम हीमोग्लोबिन की शिकायत रहती है. हीमोग्लोबिन (Hemoglobin level) लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जाने वाला एक आयरन युक्त प्रोटीन है, जो पूरे शरीर में ऑक्सीजन ले जाने और मेटाबॉलिज्म क्रिया को बनाए रखने में मदद करता है. हीमोग्लोबिन कम होने पर एनीमिया की समस्या का सामना करना पड़ता है जो शरीर में आयरन की कमी के कारण होती है. आप कम हीमोग्लोबिन (Health Tips) के स्तर का इलाज अपनी जीवनशैली में बदलाव करके भी कर सकते हैं. यहां कुछ तरीके दिए गए हैं जिनसे आप घर पर प्राकृतिक रूप से शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ा सकते हैं.अपने खान-पान का खास खयाल रखेंहीमोग्लोबिन की कमी वाले लोगों को आयरन, विटामिन सी और फोलिक एसिड से भरपूर फूड्स का सेवन करना चाहिए. आयरन शरीर में हीमोग्लोबिन के उत्पादन के लिए एक महत्वपूर्ण मिनरल है. आयरन से भरपूर कुछ फूड्स जैसे हरी पत्तेदार सब्जियां, टमाटर, अंडा, चिकन, सी फूड, खजूर, बादाम, बीन्स, होल ग्रेन, दही और बीज शामिल हैं. विटामिन सी के लिए संतरा, नींबू, ब्रोकली, अंगूर, टमाटर और पपीता आदि का सेवन करें. फोलिक एसिड से भरपूर फूड्स में पालक, मूंगफली, राजमा, एवोकैडो, लेट्यूस आदि को शामिल करें.आयरन से भरपूर हर्बल चाय का सेवन करेंकुछ हर्बल चाय में शक्तिशाली तत्व होते हैं. सिंहपर्णी और लाल रास्पबेरी की पत्तियां में आयरन होता है. इनमें विटामिन ए, सी, के, कैल्शियम और पोटैशियम जैसे अन्य पोषक तत्व भी होते हैं. इन हर्बल चाय का पर्याप्त दैनिक सेवन न केवल आपकी नसों को शांत करने में मदद करेगा बल्कि लाल रक्त कोशिका के उत्पादन को भी बढ़ावा देगा. इससे एक अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होगा.तांबे के बर्तन में पानी पिएंलंबे समय तक तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से शरीर को आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं. इससे आयरन का स्तर बढ़ता है. ये प्राचीन आयुर्वेद प्रथाओं में से एक है, जो हमारे समग्र स्वास्थ्य पर कई सकारात्मक प्रभावों के लिए जाना जाता है. ये पाचन स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देने में मदद करता है. रात भर तांबे की बोतल या जग में पानी भरकर रखें और अच्छे परिणाम के लिए सुबह सबसे पहले इसका सेवन करें.आयरन ब्लॉक करने वाले फूड्स से बचेंकुछ प्रकार के फूड्स आयरन के अवशोषण को कम कर सकते हैं. दूध और पनीर जैसे बहुत अधिक डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन करने से बचें, चाय, सोडा, कॉफी या शराब के अधिक सेवन से बचें. हीमोग्लोबिन के पर्याप्त स्तर को बनाए रखने के लिए ग्लूटेन आधारित उत्पादों का सेवन कम से कम करें.
- सर्दियों में अधिकतर लोग सुबह उठकर गर्म पानी पीते हैं. पीने के अलावा लोग नहाने के लिए भी गर्म पानी (Hot water) का ही इस्तेमाल करते हैं। गर्म पानी हमारे शरीर को कई फायदे पहुंचाता है. लेकिन गर्म पानी के ये फायदे केवल सुबह के समय ही नहीं बल्कि रात के टाइम भी पीने से मिलते हैं।-गर्म पानी हमारे शरीर को डिटॉक्स यानी विषैले-तत्वों से मुक्त करता है। साथ ही हमारी इम्यूनिटी भी मजबूत करता है। इसके अलावा संक्रामक रोगों से भी बचाए रखता है। इससे होने वाले दूसरे फायदों के अलावा रात में गर्म पानी पीने से हमें नींद भी अच्छी आती है, लेकिन बता दें कि गर्म पानी पीने के फायदे केवल सुबह के समय ही नहीं मिलते। रात के समय भी गर्म पानी पीना सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद हो सकता है।- गर्म पानी पीने से अपच की दिक्कत दूर होती है और पाचन-क्रिया बेहतर बनती है, क्योंकि गर्म पानी पेट में खाना पचाने के लिए निकलने वाले पाचक-रसों का स्राव बढ़ा देता है। पाचन सही होने पर गैस या एसिडिटी से भी बचाव होता है। रात में गर्म पानी पीने के बाद खाना जल्दी पचेगा और आप अच्छा भी फील करेंगे।-अगर आप रात में सोते समय एक गिलास गर्म पानी पीकर सोते हैं, तो इससे वजन घटाने में बहुत मदद मिलती है। डॉक्टर भी रात में गर्म पानी पीने की सलाह देते हैं। कहते हैं कि गर्म पानी पीने से शरीर का एक्स्ट्रा फैट कम होता है।-एक्सपर्ट्स की मानें तो रात में गर्म पानी पीने से मानसिक तनाव भी कम होता है। मानसिक तनाव नहीं होगा तो आपको नींद भी अच्छी आएगी और सुबह उठकर आप फ्रेश भी फील करेंग।. इससे डिप्रेशन की समस्या में भी बहुत राहत मिलती है।-गर्म पानी पीने से पेट ही नहीं स्किन को भी कई फायदे होते हैं। कहते हैं कि रात में सोते समय गर्म पानी पीने से स्किन ग्लो करती है और कई बीमारियां भी स्किन से कोसों दूर रहती हैं।
- नींबूजिन लोगों को स्किन पर टैनिंग फेस करनी पड़ रही हो, वे नींबू और नारियल तेल से इसे कम कर सकते हैं. नींबू में मौजूद विटामिन सी टैन को कम करेगा और नारियल तेल उसे पोषण के साथ-साथ सॉफ्ट भी बनाएगा.बेकिंग सोडानारियल तेल और बेकिंग सोडा का पेस्ट भी डी टैन से छुटकारा दिलाने में कारगर है. इन दोनों के बनाए हुए पेस्ट को स्किन पर लगाएं और पांच मिनट बाद गुनगुने पानी से धो लें. दो से तीन बार ऐसा करने के बाद आप स्किन पर फर्क देख पाएंगे.मुल्तानी मिट्टीनारियल तेल के अलावा मुल्तानी मिट्टी भी डीटैन को खत्म कर सकती है. मुल्तानी मिट्टी में तेल लें और इस पैक को चेहरे पर लगाएं. सूख जाने पर इसे नॉर्मल पानी से रिमूव करें. चेहरा साफ करने के बाद मॉइश्चराइजर जरूर लगाएं.शहदनारियल तेल और शहद की मदद से स्किन में नमी को बरकरार रखा जा सकता है. इसके लिए दो चम्मच नारियल का तेल लें और इसमें एक चम्मच शहद मिलाएं. इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं और कुछ मिनटों बाद नॉर्मल वाटर से धो लें.आलू का रसस्किन से टैनिंग को रिमूव करने में आलू का रस बहुत कारगर माना जाता है. दो चम्मच नारियल का तेल लें और इसमें एक चम्मच आलू का रस मिलाएं. इसे चेहरे पर लगाएं और फिर ठंडे पानी से साफ कर लें. इस टिप को हफ्ते में 3 से 4 बार फॉलो करें.-
- लीवर हमारे शरीर का वो हिस्सा होता है, जिसे अगर समस्याएं होने लगे, तो शरीर कई बीमारियों चपेट में आ जाता है. लीवर खाने को पचाने के अलावा पाचन तंत्र को ठीक रखने का काम भी करता है. साथ ही ये बॉडी को इंफेक्शन से लड़ने की ताकत देता और पूरी बॉडी को डिटॉक्स भी करता है. अगर बार-बार पाचन में दिक्कतें आ रही हो, तो ये कमजोर लीवर की निशानी मानी जाती है. खराब खानपान के कारण भी लीवर कमजोर पड़ने लगता है.दरअसल, आजकल लोग पौष्टिक आहार की जगह फास्ट फूड ज्यादा खाते हैं. ये फूड लीवर ही नहीं हेल्थ को और भी कई दूसरे तरीकों से नुकसान पहुंचाते हैं. लीवर को हेल्दी रखने के लिए घरेलू नुस्खों की मदद ली जा सकती है. हम आपको ऐसी ही कुछ होम रेमेडीज के बारे में बताने जा रहे हैं.डाइटलीवर को हेल्दी रखने के लिए डॉक्टर भी सलाह देते हैं कि कम से कम फास्ट फूड का सेवन किया जाना चाहिए. इतना ही नहीं हाई कैलोरी फूड, ज्यादा फैट, रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट और अत्यधिक शुगर का सेवन करने से लीवर को नुकसान पहुंचता है. इसकी जगह बैलेंस डाइट के रूटीन को फॉलो करना बेस्ट रहता है. आप लो कैलोरी, डेयरी और फाइबर युक्त फूड्स को अपनी डाइट का हिस्सा बना सकते हैं.हाइजीनजिन आइटम्स में आप खाना या चीजों का सेवन करते हैं, उसमें किसी दूसरे को खाना परोसने की भूल न करें. ऐसा करने से हाइजीन मेंटेन करने में प्रॉब्लम आती है. ऐसा होने पर लीवर की हेल्थ को भी नुकसान पहुंचता है.एक्सरसाइजकिसी भी बीमारी को खत्म करने या उसके शरीर में उसके प्रभाव को कम करने में एक्सरसाइज अहम रोल निभाती है. इतना ही नहीं इसे करने से फिट रहने में भी मदद मिलती है. कमजोर लीवर के मरीजों को भी रोजाना एक्सरसाइज करने की सलाह दी जाती है. जिन लोगों का शुगर लेवल अचानक बढ़ गया है, वे एक्सरसाइज का रूटीन अपनाकर इसे कम कर सकते हैं. हालांकि, जो लोग एक्सरसाइज नहीं करने में सक्षम नहीं है, वे व्यायाम कर सकते हैं.आंवलाये विटामिन सी से भरपूर होता है और अग्न्याशय के अच्छे कामकाज को भी बढ़ावा देता है. एक कप करेले के जूस में एक चम्मच आंवले का पाउडर मिलाकर कुछ महीनों तक रोजाना पीना चाहिए.
- हरी मटर सर्दियों के सबसे पसंदीदा फूड्स में से एक है. हरी मटर सर्दियों की लगभग सभी रेसिपी में शामिल होती है. छोटे और स्वादिष्ट हरे मटर फाइबर, प्रोटीन, विटामिन और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं. हरी मटर न केवल हमारे पसंदीदा सर्दियों के व्यंजनों के स्वाद को बढ़ाती है बल्कि हमारे शरीर को आवश्यक पोषक तत्व भी प्रदान करती है. हरी मटर में विटामिन के और प्रोटीन अच्छी मात्रा में होता है जो आपको हड्डियों के रोगों से छुटकारा दिलाने में मदद करता है. हरी मटर का सेवन ऑस्टियोपोरोसिस को रोकने में मदद करता है. आइए जानें इसके अन्य स्वास्थ्य लाभ----हरी मटर के स्वास्थ्य लाभ----------वजन कम करने में मदद करता हैहरी मटर फाइबर और प्रोटीन से भरपूर होने के कारण आपका पेट लंबे समय तक भरा रखती है, क्योंकि प्रोटीन और फाइबर को पचने में अधिक समय लगता है. आप वजन घटाने के लिए इसे अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं. ये आपकी भूख को कम करने में मदद करेंगे. इससे आप अनहेल्दी खाने से खुद को बचा पाएंगे.हरी मटर डायबिटीज रोगियों के लिए फायदेमंद होते हैंहरी मटर का सेवन करने से आपको ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है. हरी मटर का ग्लाइसेमिक इंडेक्स स्कोर कम होता है जो इन्हें डायबिटीज के अनुकूल भोजन बनाता है. कई अध्ययनों के अनुसार हरी मटर शरीर में ब्लड शुगर के स्तर को बढ़ने से रोकने में मदद करती है. इसे अपने नियमित आहार का हिस्सा बनाने से भी डायबिटीज के खतरे को कम करने में मदद मिलती है.हरी मटर हाई ब्लड प्रेशर को रोकता हैहाई ब्लड प्रेशर हृदय की समस्याओं के पीछे सबसे बड़े कारणों में से एक है. हरी मटर में मैग्नीशियम, पोटैशियम और कैल्शियम मौजूद होता है जो हाई ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करता है. हरी मटर में मौजूद फाइबर सामग्री शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में भी मदद करती है. हरी मटर में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट हृदय की सेहत को भी बूस्ट करते हैं.हरी मटर रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती हैहरी मटर विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है जो इम्युनिटी बढ़ाने में मदद करती है. इम्युनिटी बढ़ाने के लिए आप इसे अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं.हरी मटर को आहार में शामिल करने के तरीकेआप चावल में हरी मटर शामिल कर सकते हैं. मटर के पुलाव का आनंद आप अपनी पसंद के रायते या ग्रेवी के साथ ले सकते हैं. इन्हें सैंडविच, कटलेट जैसे रोजमर्रा के स्नैक्स में शामिल किया जा सकता है. अगर आप सूप के शौकीन हैं, तो आप अपने सूप में कुछ उबले हुए हरे मटर मिला सकते हैं. हरी मटर को अपने आहार में शामिल करने का एक और आसान तरीका है कि आप अपने घर के बने सलाद के साथ इससे टॉपिंग करें.