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- हड्डियों के बेहतर फंक्शन के लिए हेल्दी डाइट जरूरी हैैं। कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर डाइट हड्डियों को मजबूत रखती है। वहीं कुछ ऐसी चीजें हैं जो आपकी हड्डियों को कमजोर कर सकती हैं। रोज खाई जाने वाली ये चीजें शरीर को कैल्शियम अवशोषित करने से रोक सकती हैं. इससे हड्डियां कमजोर होने लगती हैं।अधिक सोडियम वाली चीजेंनमक के अधिक मात्रा में सेवन से शरीर में कैल्शियम कम होता है। इससे ओस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है। एशिया पैसिफिक जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन में प्रकाशित एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि जिन लोगों को नमकीन खाद्य पदार्थ ज्यादा खाने की आदत थी, उनमें ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा अधिक था।मीठी चीजेंज्यादा मात्रा में मीठे का सेवन भी बोन हेल्थ के लिए नुकसानदेह होगा। जब लोग बहुत अधिक चीनी का सेवन करते हैं और उन्हें आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर भोजन नहीं मिलता है, इससे हड्डियां कमजोर होती हैं।कैफीनकैफीन का सेवन भी महिलाओं में हड्डियों के घनत्व को कम कर सकता है। कैफीन हड्डियों से कैल्शियम का रिसाव करता है, जिससे ये कमजोर होने लगती हैं।सोडाअगर आप अधिक सोडा पीते हैं, तो ये आपकी हड्डियों के लिए हानिकारक हो सकता है। ये महिलाओं में हिप फ्रैक्चर के जोखिम को भी बढ़ा देता है। द अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक, सोडा वाली चीजें पीने से हड्डियां कमजोर होती हैं।चिकनबहुत ज्यादा चिकन खाने से भी हड्डियों को नुकसान हो सकता है। एनिमल प्रोटीन से रक्त थोड़ा अम्लीय हो जाता है। ऐसे में शरीर रक्त में श्चद्ध के इस परिवर्तन पर तुरंत प्रतिक्रिया करता है और हड्डियों से कैल्शियम निकालकर इसे निष्क्रिय कर देता है। प्रकृति में क्षारीय होने के कारण, कैल्शियम इसे निष्क्रिय करने में मदद करता है, लेकिन शरीर में कैल्शियम की मात्रा कम होने लगती है।शराब का सेवनसाल 2015 में बीएमजे ओपन में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक, शराब के सेवन से बोन डेनसिटी स्कोर कम हो सकता है। इसलिए हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए शराब का सेवन न करें। नेशनल ऑस्टियोपोरोसिस फाउंडेशन के अनुसार, अगर आप पूरी तरह इसे छोड़ नहीं सकते तो मात्रा को कम करें।रेड मीटअगर आप ऑस्टियोपीनिया या ऑस्टियोपोरोसिस से पीडि़त हैं, तो रेड मीट का अधिक मात्रा में सेवन न करें। एक स्टडी के मुताबिक, रेड और प्रोसेस्ड मीट के साथ कोल्ड ड्रिंक्स और मिठाइयों का सेवन हड्डियों को नुकसान पहुंचा सकता है।
- काले चने में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन और विटामिन्स प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं। इसके अलावा काले चने एंटीऑक्सीडेंट्स से भी भरपूर होते हैं। काला चना शरीर में मौजूद एक्स्ट्रा ग्लूकोज की मात्रा को कम करके शुगर को कंटेरोल रखने में भी मदद करता है। आइए जानते हैं काले चने का पानी पीने से सेहत को मिलते हैं कौन-कौन से लाभ और क्या है काले चने का पानी पीने का सही तरीका।जानें कब और कैसे करें इसका सेवन-डायबिटीज रोगी रोजाना दो मुट्ठी चने अच्छी तरह धोकर भिगो दें। सुबह इस चने के पानी को खाली पेट पिएं। रोजाना इसे पीने से आपको ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में आने लगेगा।इम्यूनिटी बढ़ाए-रोगों को दूर रखने के लिए इम्यूनिटी का अच्छा होना बेहद जरूरी है। इसके लिए चने का पानी आपकी मदद कर सकता है। काले चने विटामिन्स से भरपूर होने के साथ क्लोरोफिल और फास्फोरस से भी भरपूर होते हैं। भी प्रचुर मात्रा में मौजूद होती है। यदि डायबिटीज के रोगी के अलावा अन्य लोग भी इसका प्रतिदिन सेवन करें, तो वह हमेशा स्वस्थ बने रह सकते है।पेट की चर्बी करें कम-नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन के अनुसार रात को भीगे हुए चने को उबालकर सुबह उसका पानी छानकर उसमें काला नमक, पुदीना, जीरा पाउडर मिला कर पीने से बैली फैट बर्न करने में मदद मिलती है।पेट की समस्या में राहत-पेट की समस्याएं ज्यादातर रोगों का घर बनती हैं। ऐसे में पेट दर्द और कब्ज जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए भीगे हुए चने का सेवन बेहद फायदेमंद होता है। इसके लिए आप भीगे हुए चने के पानी में जीरा और काला नमक मिलाकर पीएं।
- अधिकांश लोगों का बैंगन की सब्जी का स्वाद पसंद नहीं आता है वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनका मानना है कि बैंगन से सेहत को कोई फायदा नहीं होता है। जबकि ऐसा नहीं है, बैंगन हमारी सेहत के लिए बहुत ही गुणकारी है। यह पेट के रोगों से लेकर बवासीर जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज में फायदा पहुंचाता है। आइए आगे बैंगन के फायदों के बारे में विस्तार से जानते हैं :कान के दर्द से राहतअगर आप कान दर्द से परेशान हैं तो बैंगन का उपयोग करके आप इस समस्या से राहत पा सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार बैंगन के जड़ के रस की 1-2 बूँद मात्रा कान में डालने से कान का दर्द और सूजन कम होता है।दांत दर्द से आराम दिलाने में सहायक है बैंगनदांत में दर्द होना एक आम समस्या है, ठीक से दांतों की साफ-सफाई का ध्यान ना रखना इसका मुख्य कारण है। अगर आप भी दांतों के दर्द से परेशान हैं तो बैंगन की जड़ का इस्तेमाल करें.ॉ। बैंगन की जड़ का पाउडर बना लें और इसे दांतों पर रगड़ें. इससे दांतों का दर्द दूर होता है।पेट के रोगों में उपयोगीपेट फूलना, अपच और भूख ना लगने जैसी समस्याओं से राहत पाने के लिए भी बैंगन का उपयोग किया जा सकता है। इन समस्याओं से राहत पाने के लिए कच्चे बैंगन की सब्जी बनाकर खाएं।उल्टी रोकने में मदद करता है बैंगनउल्टी हो रही है या जी मिचला रहा है तो इसे रोकने के लिए बैंगन का उपयोग करें। विशेषज्ञों के अनुसार, 5 मिली बैंगन की पत्तियों के रस में 5 मिली अदरक का रस मिलाकर पीने से उल्टी रुक जाती है।बवासीर के रोगियों के लिए उपयोगीबवासीर होने पर बैंगन के पत्तों को महीन पीसकर उसमें जीरा और शक्कर मिलाकर सेवन करें। इसके सेवन से बवासीर में रक्तस्राव और दर्द दोनों से आराम मिलता है।पेशाब के समय होने वाले दर्द से राहतकई लोग पेशाब करते समय जलन एवं दर्द की समस्या से परेशान रहते हैं। इसके लिए बैंगन के जड़ के रस की 5 मिली मात्रा का सेवन करें। इस समस्या से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए नजदीकी आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क करें।जोड़ों के दर्द से राहतजाड़ों का मौसम आते ही कई लोग जोड़ों के दर्द से परेशान हो जाते हैं, खासतौर पर बुजुर्गों में यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। इसके लिए बैंगन को भूनकर उसे पीस लें और दर्द वाली जगह पर कपड़े में लपेटकर बांधें। इससे दर्द जल्दी दूर होता है।घाव को जल्दी भरने में सहायकविशेषज्ञों के अनुसार बैंगन की जड़ के चूर्ण को पानी में उबालकर और फिर ठंडा करके घाव को धोने से घाव जल्दी ठीक होता है।खुजली दूर करेखुजली की समस्या दूर करने के लिए बैंगन के पत्तों और फलों को कुचलकर उसमें शक्कर मिलाकर खुजली वाली जगह पर लगाएं। इस लेप को लगाने से खुजली जल्दी मिटती है।बैंगन का इस्तेमाल कैसे करें?अगर आप बैंगन का इस्तेमाल सब्जी या भोजन के रूप में कर रहे हैं तो बाकी सब्जियों की तरह की इसका सेवन करें, लेकिन अगर आप किसी बीमारी के घरेलू उपाय के रूप में इसका उपयोग करना चाहते हैं तो खुराक की सही जानकारी के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क करें।
- भारतीय रसोई में धनिया का इस्तेमाल आमतौर से किया जाता है। धनिया के स्वाद और खुशबू को कई तरीके से प्रयोग में लाते हैं। चाहें तो धनिया के पत्तों की चटनी बनानी हो या फिर किसी सब्जी को धनिया पत्तियों से गार्निश करना हो। सब्जी मसाले के तौर पर भी धनिया का इस्तेमाल किया जाता है। धनिया स्वाद और सुगंध के साथ ही औषधीय गुणों से भरपूर होती है। इसके सेवन से कई बीमारियों से बचाव हो सकता है। सेहतमंद रहने के लिए रोजाना हरा धनिया या धनिया के बीजों का सेवन करना लाभदायक होता है। थायराइड और वजन कम करने जैसी समस्याओं में धनिया रामबाण का काम करता है। धनिया के सेवन का एक बेहतर तरीका रोजाना सुबह धनिया के पानी को खाली पेट पीना हो सकता है। चलिए जानते हैं कि खाली पेट धनिया पानी पीने के क्या फायदे हैं, और सेवन का सही तरीका क्या है?पाचन में सुधारधनिया का पानी पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने का काम करता है। रोजाना धनिया पानी का सेवन शरीर के पाचन अग्नि को नियंत्रित करता है, जिससे पेट में एसिडिटी का स्तर बढ़ने से रोकता है। पेट दर्द, जलन और गैस जैसी समस्याओं से निजात मिलता है।वजन घटता हैअगर आप वजन कम करना चाहते हैं तो धनिया के पानी को डाइट में शामिल करें। धनिया पानी में ऐसे तत्व होते हैं जो मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया को तेज करते हैं। इससे शरीर में जमा फैट कम होने लगता है और तेजी से वजन कम होने लगता है।थायराइड की समस्या में फायदेमंदथायराइड के मरीजों को भी धनिया के पानी को प्रतिदिन सुबह खाली पेट पीना चाहिए। थायराइड की कमी हो या अधिकता दोनों में यह फायदेमंद है। धनिया में पाए जाने खनिज और विटामिन थायराइड हार्मोन को विनियमित करने में मदद करते हैं।इम्युनिटी बढ़ती हैधनिया पानी के सेवन से इम्यूनिटी लेवल बढ़ता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट शरीर में फ्री रेडिकल्स को कम करता है, जो कई बीमारियों से लड़ने में मदद करता है।बालों की मजबूतीधनिया में विटामिन के, सी और ए से भरपूर होता है। धनिया पानी का सेवन बालों को मजबूत बनाने और तेजी से ग्रोथ में मदद करता है। रोजाना धनिया के पानी के सेवन से बालों का झड़ना और टूटना कम हो सकता है। इसके अलावा आप धनिया के तेल और हेयरमास्क के तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं।
- कोविड-19 महामारी के इस दौर में इस बात को लेकर सबको चिंता रहती है कि खाने में कौन सी चीजों का इस्तेमाल करें कि शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी हो. दूसरी तरफ किन चीनों का सेवन करें कि प्रतिरोधक क्षमता में किसी भी तरह का प्रभाव न पड़े। ऐसे में आज उन वस्तुओं के बारें में बताने जा रहे हैं, जिनको खाने से दूर रखकर प्रतिरोधक क्षमता को बरकरार रख सकते हैं।बाहर का खाना खाने से बचेंजहां तक संभव हो, घर पर बना खाना ही खाना चाहिए। बाहर के खाने से परहेज करना चाहिए। बाहर का खाना देखने में भले ही अच्छा हो सकता है, लेकिन यह स्वास्थ्य के हिसाब से ठीक नहीं रहता। इसको खाने से शरीर की प्रतिरोधनक क्षमता बढऩे की बजाय कम हो सकती है।फास्ट फूड से दूरी बनाएंबाजार जाते हैं, तो अक्सर चाट, गोल-गप्पे, बर्गर, चाउमीन आदि देखकर मुंह में पानी आ जाता है, लेकिन क्या आपको पता है कि फास्ट फूड सेहत के नजरिए से बिल्कुल भी अच्छे नहीं होते हैं। ये न केवल शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कम कर सकते है, बल्कि आपको बीमार भी बना सकते हैं।पैक्ड फूड से करें तौबाडिब्बाबंद और प्रोसेस्ड फूड शरीर के लिए अच्छे नहीं माने जाते हैं। ऐसे में चिप्स, केक और कुकीज़, डेयरी के मीठे प्रोडक्ट आदि का सेवन करने से बचें।बिना कार्बोहाइड्रेट वाला खानाजिन भी वस्तुओं में अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेड हो, उनसे दूरी बनाने में ही भलाई हैै। सफेद आटा, सफेद चावल और कुकीज़, केक, ब्रेड आदि कार्बोहाइड्रेट की मात्रा होती हैै। ऐसे में इन वस्तुओं का सीमित मात्रा में ही सेवन करें ।नमक व चीनी का करें कम इस्तेमालशुगर का अधिक मात्रा में सेवन शरीर के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं हैै। इससे शरीर की प्रतिरोधम क्षमता में कमी आती हैै। इसकी बजाय जिन वस्तुओं में नैचुरल शुगर होता है, जैसे कि फल, उनका सेवन करें। वहीं, नमक का अधिक इस्तेमाल से जहां बीमारियों को दावत देती है, यह प्रतिरोधक क्षमता पर भी गलत असर डालता हैै। खाने में नमक को अधिक मात्रा में लेने से ब्लड-प्रेशर की समस्या भी हो सकती है।
- जिन्को बाइलोबा या गिंको बाइलोबा एक औषधीय बूटी है। इसके अर्क का उपयोग हर्बल दवा के रूप में किया जाता है। इस औषधीय बूटी में कई एंटी इंफ्लामेटरी और एंटीऑक्सीडेंट्स गुणों से भरपूर है। यह आयुर्वेदिक बूटी आपको शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मददगार है। यह औषधीय जड़ी बूटी ऑनलाइन आपको आसानी से मिल सकती है। आइए यहां हम आपको जिन्को बाइलोबा के कुछ फायदे बताते हैं।मानसिक स्वास्थ्य के लिएजिन्को बाइलोबा एक ऐसी बूटी है, जो आपकी सभी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में मदद करती है। अल्जाइमर या डिमेंशिया से लेकर डिप्रेशन और एंग्जायटी के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है। जिन्को बाइबोला के अर्क में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो चिंता, तनाव और डिप्रेशन को कम करने में मददगार हैं। यह हर्बल दवा में न्यूरोडीजेनेरेटिव विकारों के इलाज और संज्ञानात्मक कार्यों मे सुधार करने में सहायक है। मिर्गी जैसी गंभीर स्थिति के इलाज में भी जिन्को बाइलोबा संभावित रूप से मददगार हो सकता है।आंखों के लिएजिन्को बाइलोबा आपकी आंखों की सेहत के लिए भी फायदेमंद है। यह आपकी नजर को तेज और ग्लूकोमा के संभावित उपचार के रूप में काम कर सकता है। एक अध्ययन में पाया गया है कि जिन्को बाइलोबा अर्क में आंखों की रोशनी में सुधार के लिए लाभकारी प्रभाव पाए गए हैं। इसके अलावा, एक अध्ययन में पाया गया है कि जिन्को बाइलोबा इंफ्लेमेशन को कम करने में भी मदद करता है और यह गठिया के दर्द को कम करने व राहत पाने में भी मदद करता है।हृदय के लिएजिन्को बाइलोबा अर्क आपके हृदय स्वास्थ्य में बढ़ावा देने में भी मददगार है। जिन्को बाइलोबा अर्क का उपयोग रक्त परिसंचरण में मददगार है और रक्त वाहिकाओं के स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। एक अध्ययन में पाया गया है कि जिन्को बाइलोबा कोरनरी आर्टरी डिजीज से बचाने में मदद करता है। इतना हही नहीं, यह न्यूरोलॉजिकल, कार्डियो-सेरेब्रोवास्कुलर विकारों और डायबिटिक मायोकार्डियल इंजरी (दिल की झिल्ली से संबंधित समस्या) के इलाज में मददगार है।सिरदर्द और माइग्रेन के लिएजिन्को बाइलोबा एक चीनी हर्बल दवा है, जो इंफ्लेमेशन से लडऩे में भी मदद करता है और रक्त प्रवाह को बढ़ाने में भी मददगार है। इसके अलावा, जिन्को बाइबोला आपको वजन घटाने में भी मदद करता है। यह इंसुलिन प्रतिरोध में सुधार कर सकता है और ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करता है। यह महिलाओं को रजोनिवृत्ति से संबंधित मोटापे को भी कम करने में सहायक है।त्वचा और बालों के लिएजिन्को बाइलोबा में एंटी-एजिंग गुण होते हैं। जिन्को बाइलोबा के अर्क में क्वेरसेटिन और केम्पफेरोल होते हैं, जो फ्लेवोनोइड्स जो एंटीऑक्सिडेंट के रूप में कार्य करते हैं और आपको फ्री रेडिकल्स से लडऩे में मदद करते हैं। यह आपकी त्वचा की उम्र बढऩे के संकेतों को धीमा करने में मदद करता है। जिससे कि आप जवां और खूबसूरत दिख सकते हैं। इसके अलावा, यह आपके बालों को झडऩे से रोकने और बालों के विकास को बढ़ावा देने में मदद करता है।
- शरीर को अन्य पोषक तत्वों की तरह विटामिन डी की भी आवश्यकता होती है। विटामिन डी को सनशाइन विटामिन के नाम से भी जाना जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ शरीर में विटामिन डी की पूर्ति के लिए सूरज की रोशनी लेने की सलाह देते हैं। यह विटामिन डी की पूर्ति का अच्छा तरीका है। हालांकि इसके अलावा भरपूर पौष्टिक चीजों के सेवन से भी विटामिन डी की कमी पूरी की जा सकती है। विटामिन डी से सेहत को होने वाले फायदे की बात करें तो यह शरीर की इम्यूनिटी को मजबूत करने का काम करता है। इसके साथ ही मांसपेशियों की कोशिकाओं को सेहतमंद रखता है। विटामिन डी के फायदे और विटामिन डी की पूर्ति के स्रोत के बारे में तो आपने जान लिया लेकिन क्या आपको पता है कि शरीर को कितना विटामिन डी चाहिए होता है? आपके शरीर में विटामिन डी की कमी है, इसके क्या लक्षण हैं? और विटामिन डी का अगर जरूरत से ज्यादा सेवन कर लिया जाएं तो क्या नुकसान हो सकते हैं? चलिए जानते हैं शरीर में विटामिन डी की कमी के लक्षण, विटामिन डी अधिक होने के नुकसान के बारे में...विटामिन डी की कमी के लक्षणशरीर में विटामिन डी की कमी होने पर थकान और कमजोरी महसूस होती है। विटामिन डी की कमी से हड्डियों में दर्द, मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन हो सकती है। घुटनों में भी दर्द की समस्या रहती है।विटामिन डी की कमी को कैसे पूरा करें?विटामिन डी अन्य विटामिनों से अलग है। विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए आहार में बहुत ही कम विकल्प हैं। सूरज की रोशनी विटामिन डी की पूर्ति का बड़ा और प्रमुख स्त्रोत है। ये एक तरह का हार्मोन होता है, जो सूर्य की रोशनी पड़ने पर त्वचा से निकलता है। सर्दियों में धूप न निकलने पर विटामिन डी की कमी बढ़ सकती है। ऐसे में विटामिन डी की पूर्ति के लिए सूरज की रोशनी के अलावा विटामिन डी की गोलियों का सेवन कर सकते हैं लेकिन अधिक विटामिन डी की दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए।विटामिन डी ज्यादा होने के नुकसानसूर्य के प्रकाश से विटामिन डी शरीर में ज्यादा नहीं होता लेकिन अगर आप विटामिन डी सप्लीमेंट का अधिक मात्रा में सेवन करते हैं तो शरीर में जरूरत से ज्यादा विटामिन डी बढ़ जाता है। ऐसा होने पर सबसे पहले आपको विटामिन डी की गोलियां लेने पर रोक लगा देनी चाहिए। शरीर में विटामिन डी बढ़ जाना या हाइपरविटामिनोसिस डी होना एक खतरनाक स्थिति है। ऐसा होने से शरीर को कई तरह के नुकसान हो सकते हैं।हड्डियों में दर्दविटामिन डी बढ़ने के कारण रक्त प्रवाह में ज्यादा कैल्शियम बढ़ सकता है। इससे हार्मोन के लिए हड्डियों को पोषक तत्व पहुंचाना मुश्किल हो जाता है। इस वजह से हड्डियों में दर्द होने लगता है और फ्रेक्चर या अंदरूनी चोट का खतरा बढ़ जाता है।किडनी में दिक्कतविटामिन डी की अधिकता से किडनी डैमेज का खतरा हो सकता है। विटामिन डी बढ़ने से खून में कैल्शियम का स्तर बढ़ने लगता है, जो यूरिन की मात्रा को भी बढ़ा सकता है। यूरिन बढ़ने हमेशा टॉयलेट जाने की परेशानी होती है। इस दिक्कत को ‘पॉल्यूरिया’ कहा जाता है।
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मूंगफली का सेवन आमतौर पर हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। हममें से ज्यादातर लोग मूंगफली और उससे बने प्रोडक्ट्स का सेवन करते हैं। मूंगफली एक ऐसा स्नैक्स है, जिसे बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सभी पसंद करते हैं। लेकिन मूंगफली का सेवन सभी के लिए फायदेमंद नहीं होता। क्योंकि कुछ लोगों को मूंगफली से एलर्जी होती है। मूंगफली के सेवन से होने वाली समस्या से अगर आप अपने बच्चों को बचाना चाहते हैं तो उन्हें छोटी उम्र में ही मूंगफली का सेवन शुरू कराएं। प्रतिष्ठित पत्रिका द लैंसेट में प्रकाशित शोध में सामने आया है कि छोटी उम्र से बच्चों को मूंगफली का सेवन शुरू कराने से पीनट एलर्जी से बचाया जा सकता है।
मूंगफली प्रोटीन से भरा एक सस्ता और बढ़िया स्नैक्स है, लेकिन कुछ लोगों को ये एलर्जी करती है। इसे खाते ही उन्हें कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्या होने लगती हैं। ये समस्या विश्वभर में बच्चों से लेकर बड़ों तक में देखी जा रही है। इस समस्या से निजात पाने के लिए वैज्ञानिक सलाह देते हैं कि बच्चों को कम उम्र में ही मूंगफली का सेवन कराए जाए। इससे उन्हें पीनट एलर्जी से बचाया जा सकता है।
146 बच्चों को किया गया शामिल
शोधकर्ताओं ने अपने शोध में पीनट एलर्जी से जूझ रहे जीरो से तीन साल तक के बच्चों को शामिल किया। इनमें से 96 बच्चों को हर दिन मूंगफली प्रोटीन का पाउडर दिया गया। इनकी खुराक को धीरे-धीरे बढ़ाया गया। जबकि अन्य बच्चों को जई के आटे से बनी खुराक दी गई। शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन बच्चों को पीनट डाइट दी गई थी, उनमें से बीस बच्चों में पीनट एलर्जी की समस्या पूरी तरह खत्म हो गई थी और थैरेपी दिए जाने के छह महीने बाद उनमें पीनट एलर्जी के कोई लक्षण नहीं नजर आए। इनमें से हर बच्चा कम से कम सोलह मूंगफली की बराबर खुराक सहन कर सकता था। शोधकर्ता स्टेसी जोंस ने कहा कि कम उम्र में मूंगफली के सेवन से इससे संबंधित एलर्जी का खतरा कम हो जाता है। इस थैरेपी का सबसे ज्यादा असर 12 महीने की उम्र के बच्चों में देखा गया जो जल्द ही एलर्जी की समस्या से दूर हो गए थे।
दो प्रतिशत बच्चे होते हैं प्रभावित
शोधकर्ताओं का कहना है कि पश्चिमी देशों में पीनट एलर्जी से दो प्रतिशत बच्चें प्रभावित होते हैं, जो उम्रभर इससे जूझते रहते हैं। हालांकि प्रभावित बच्चों को मूंगफली का सेवन नहीं करना चाहिए। शोधकर्ताओं का कहना है कि पीनट एलर्जी के लक्षण तब भी सामने आ सकते हैं, जब किसी व्यक्ति ने मूंगफली खाई हो और बच्चे के संपर्क में आ गया हो। इस एलर्जी के उपचार का कोई विकल्प अभी नहीं है, जो बच्चों में जोखिम को काफी बढ़ा देता है। - भूलने की बीमारी काफी परेशान कर सकती है. वैसे इस बीमारी का सामना ज्यादातर बुजुर्गों को करना पड़ता है, क्योंकि उम्र के साथ-साथ याददाश्त कम होने लगती है. हालांकि, कॉम्पटीशन के इस टाइम में भूलने की समस्या आजकल युवाओं में भी आम बनती जा रही है. याद करने के बावजूद चीजों को भूलने की वजह से स्टूडेंट्स को स्ट्रैस परेशान करता है और वे मानसिक तौर पर डिस्टर्ब रहते हैं. कहते हैं कि अगर भूलने की बीमारी बच्चे को तंग कर रही है, तो इससे एकाग्रता में भी कमी आ सकती है.जो लोग भूलने जैसी गंभीर समस्या को फेस कर रहे हैं, वे पहले डॉक्टर की सलाह लें. इसके लिए डाइट में ऐसी चीजों को शामिल किया जा सकता है, जो याददाश्त को बढ़ाने में कारगर होती हैं. जानें इन मेमोरी बढ़ाने वाली चीजों के बारे में…हरी पत्तेदार सब्जियांशरीर के लिए बेहद फायदेमंद मानी जाने वाली हरी पत्तेदार सब्जियों में कई ऐसे विटामिन्स होते हैं, जो याददाश्त को बढ़ाने में कारगर होते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करने से याददाश्त में कमी को रोका जा सकता है.अखरोटदिमाग को तेज करने के लिए अखरोट का सेवन बेस्ट रहता है. इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है, जो दिमाग के लिए बहुत जरूरी माना जाता है. इसमें मौजूद अल्फा लिनोलेनिक एसिड दिल और दिमाग दोनों की हेल्थ के लिए अच्छा होता है.ऑयली फिशऑयली फिश में ओमेगा-3 फैटी एसिड की मात्रा अधिक होती है. ये मस्तिष्क के विकास और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है. ओमेगा -3 फैटी एसिड कोशिका के निर्माण के लिए आवश्यक होते हैं. सैल्मन, मैकेरल, ताज़ी टूना, सार्डिन और हेरिंग जैसी मछलियों में ओमेगा -3 फैटी एसिड अधिक होता है और इसका सेवन सप्ताह में एक बार कर सकते हैं.जामुनइसमें कई ऐसे एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जिनकी मदद से बढ़ती उम्र के साथ याददाश्त की होने वाली कमी को रोका जा सकता है. इतना ही नहीं इसमें मौजूद विटामिन ई दिमाग की हेल्थ के लिए बेहद फायदेमंद होता है. दिन में करीब 8 से 10 जामुन का सेवन करना बेस्ट रहता है, इसलिए आज से ही इसे अपनी डाइट का हिस्सा बनाएं.दूध, दही और पनीरदूध, दही और पनीर में प्रोटीन और बी विटामिन की मात्रा अधिक होती है, जो मस्तिष्क के टिश्यू, न्यूरोट्रांसमीटर और एंजाइम के विकास के लिए आवश्यक हैं, ये सभी मस्तिष्क में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इन फूड्स में कैल्शियम भी अधिक होता है, जो मजबूत और स्वस्थ दांतों और हड्डियों के विकास के लिए आवश्यक हैं. बच्चों में कैल्शियम की आवश्यकता उनकी उम्र के आधार पर अलग-अलग होती है, लेकिन उन्हें हर दिन दो से तीन कैल्शियम युक्त भोजन का सेवन करना चाहिए.
- उम्र का असर (Age Effect) हमारी स्किन पर भी नजर आता है. विशेषज्ञों की मानें तो ज्यादातर 40 साल की उम्र के बाद हमारी स्किन में फर्क पड़ने लगता है. कोलेजन के निर्माण (Collagen Production) में कमी आने से स्किन ड्राई होने लगती है और स्किन में ढीलापन आना शुरू हो जाता है. इसके कारण बढ़ती उम्र का असर चेहरे (Face) पर नजर आने लगता है. ऐसे में स्किन को खास देखभाल की जरूरत होती है. अगर आप भी उम्र के इस पड़ाव पर पहुंच चुकी हैं, या इसके करीब हैं, तो अभी से अपनी स्किन की केयर शुरू कर दीजिए. इससे आप खुद को लंबे समय तक जवां बनाकर रख सकती हैं.हफ्ते में एक बार स्क्रब जरूर करेंहफ्ते में कम से कम एक बार स्किन को स्क्रब जरूर करें. इसके लिए अपनी स्किन टाइप का स्क्रब चुनें या आप देसी चीजों के जरिए भी स्क्रब कर सकती हैं. इससे आपकी डेड स्किन बाहर निकल जाएगी. इसके अलावा हर दिन स्किन को मॉइश्चराइज जरूर करें. अगर आपकी स्किन ऑयली है तो जेल बेस्ड स्क्रब को चुनें.स्किन पर जेंटल प्रोडक्ट्स यूज करेंइस उम्र में कभी भी स्किन पर हार्ड चीजों का इस्तेमाल न करें, उनका नेगेटिव असर होता है. इसलिए हमेशा लाइट और जेंटल प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें. आप हर्बल प्रोडक्ट्स का विकल्प भी चुन सकती हैं.विटामिन सी युक्त चीजें लेंविटामिन सी युक्त चीजों को अपनी डाइट में शामिल करें. विटामिन सी आपकी स्किन में कसाव लाने का काम करता है. इसके अलावा अलसी, अखरोट, बादाम आदि नट्स खाएं. ज्यादा से ज्यादा पानीदार सब्जियां, फल आदि लें और भरपूर मात्रा में पानी पीएं ताकि स्किन हाइड्रेट रहे.सनस्क्रीन का इस्तेमाल करेंअपनी स्किन टाइप के हिसाब से सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें. ये आपकी स्किन को सूरज की हानिकारक अल्ट्रावॉयलेट किरणों से बचाने का काम करता है. सर्दियों में भी धूप लेते समय सनस्क्रीन क्रीम का इस्तेमाल जरूर करें.रात के समय स्किन को क्लीन करेंरात को सोते समय रोजाना स्किन को क्लीन करना बहुत जरूरी है. इसलिए रात के समय मुंह को माइल्ड फेसवॉश से अच्छे से साफ करें. इसके बाद बादाम, नारियल या जैतून के तेल से चेहरे की हल्के हाथों से मसाज करें. आप मसाज के लिए एलोवेरा जेल का इस्तेमाल भी कर सकती हैं. अगर मेकअप किया है तो रात को मेकअप हटाकर स्किन को क्लीन करने के बाद ही सोएं.
- सेहत के लिहाज से अदरक के तमाम फायदे हैं. अदरक आपके पाचन क्रिया को दुरुस्त करती है, सर्दी के असर से बचाती है, खांसी, जुकाम और खराश जैसी समस्याओं में राहत देती है. यही वजह है कि सर्दियों में अक्सर लोग अदरक को चाय में डालकर या सब्जियों में डालकर इस्तेमाल करते हैं. लेकिन तमाम लोगों को अदरक स्वाद पसंद नहीं होता, ऐसे लोगों को अदरक के फायदे दिलाने के लिए आप इसका मुरब्बा (Ginger Murabba) बना सकते हैं. अदरक का मुरब्बा खाने में बहुत स्वादिष्ट होता है और शरीर की तमाम समस्याओं को दूर करने में भी मददगार माना जाता है. सर्दी के दिनों में अस्थमा रोगियों के लिए ये किसी वरदान से कम नहीं. इसे बनाने के लिए आपको बहुत ज्यादा मेहनत की जरूरत नहीं. यहां जानिए अदरक का मुरब्बा बनाने का आसान तरीका (Ginger Murabba Recipe).अदरक के मुरब्बे की सामग्रीअदरक का मुरब्बा बनाने के लिए आपको मुश्किल से आधा घंटे का समय खर्च करने की जरूरत होगी. इसे बनाने के लिए बहुत ज्यादा सामग्री की जरूरत नहीं पड़ती. 1 किलो अदरक का मुरब्बा बनाने के लिए 1 किलो चीनी, 20 ग्राम इलायची पाउडर, 10 ग्राम गुलाब जल और एक नींबू की आवश्यकता पड़ेगी.अदरक का मुरब्बा बनाने की विधि– सबसे पहले अदरक को धोकर और इसका छिलका हटा दें. इसके बाद अदरक को छोटे छोटे टुकड़ों में काट लें. अब गैस पर कड़ाही रखें और गैस को जलाएं. इसमें एक गिलास भरकर पानी डालें और चीनी डाल दें.– पानी और चीनी को उबलने दें और इसकी एक तार की चाशनी बनाएं. अब एक अन्य बर्तन लेकर अदरक डालें और इसे उबालें. इसके बाद अदरक के टुकड़ों को चाशनी में डालकर मिक्स करें. इसमें इलायची पाउडर, नींबू अच्छी तरह मिलाएं और धीमी आंच पर पकाएं.– जब ये अच्छे से पक जाए, तो समझिए तैयार है अब अदरक का मुरब्बा. ठंडा होने के बाद इसे किसी कांच के कंटेनर में भर दें और इसका आनंद लें.अदरक के मुरब्बे के फायदेअदरक का मुरब्बा गर्म तासीर का होता है, इसे आप खांसी, सर्दी-जुकाम के दौरान खा सकते हैं. इसके अलावा पेट में गैस, अपच, मितली आदि की समस्या में भी इसका सेवन आराम से कर सकते हैं. इससे काफी लाभ मिलेगा. सैंडविच में स्प्रैड के तौर पर भी आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.
- वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण या फिर कई दूसरे कारणों से गले में खराश की समस्या हो सकती है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया से होनेवाला स्ट्रेप थ्रोट इंफेक्शन खतरनाक होता है. इसकी वजह से तेज बुखार भी आ सकता है. वायरल थ्रोट इंफेकशन भी सर्दियों में होने वाली एक आम समस्या है. इसमें आप दवाइयों के अलावा कुछ घरेलू नुस्खे भी अपना सकते हैं. इससे गले की खराश की समस्या में आराम मिलेगा.शहदगले की खराश की समस्या में शहद का सेवन भी आपको फायदा पहुंचाएगा. आप चाय में शहद डालकर पी सकते हैं. शहद में पाए जाने वाले पोषक तत्व आपको वायरल संक्रमण से बचाते हैं. इससे गले की खराश भी दूर होगी.हल्दी की चायअगर आपको भी गले में खराश की समस्या परेशान कर रही है, तो हल्दी वाली चाय का सेवन करें. हल्दी का सेवन इंफ्लामेशन को कम करके गले की खराश, सूजन और सर्दी-जुकाम को भी ठीक करने में मदद कर सकती है.तुलसी का काढ़ागले की खराश की समस्या में तुलसी की चाय या काढ़े का सेवन आपके लिए फायदेमंद होगा. इससे इम्यूनिटी मजबूत होगी और वायरल संक्रमण दूर होगा.
- हरे और लाल रंग के स्वाद में खट्टे-मीठे बेर तो आपने खूब खाए होंगे। प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर करने के लिए बेर काफी अच्छे माने जाते हैं। ये आपकी हड्डियों को भी मजबूती देने का काम करते हैं और कैंसर जैसी बीमारी से बचाव करने में मददगार माने जाते हैं क्योंकि बेर में कैंसर कोशिकाओं को पनपने से रोकने का गुण पाया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बेर की तरह ही बेर के पेड़ के पत्ते भी औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। वजन कम करने से लेकर गले की खराश और यूरिन संबन्धी परेशानियों को दूर करने तक, बेर के पत्ते उपयोगी साबित हो सकते हैं। आइए आपको बताते है कि बेर की पत्तों के फायदे और इस्तेमाल करने का तरीका।यूरिन संबन्धी समस्याओं में उपयोगीअगर यूरिन में जलन की परेशानी है, या यूटीआई इन्फेक्शन है तो आप बेर के पत्तों का रस निकालकर आप उसमें भुना हुआ जीरा मिलाएं और गुनगुने पानी में मिलाकर इसका सेवन करें। आपको काफी लाभ महसूस होगा।गुहेरी और फुंसी की समस्या का निदान करतेकई बार आंख में गुहेरी या फुंसी हो जाती है, जिसमें काफी दर्द होता है। कई बार आंख में सूजन भी आ जाती है। ऐसे में आप बेर के पत्तों का रस निकालकर आंख के बाहरी हिस्से पर कॉटन की मदद से लगाएं। काफी आराम मिलेगा।वजन नियंत्रित करतेअगर आप वजन नियंत्रित करना चाहते हैं, तो बेर के पत्ते मददगार हो सकते हैं। इसके लिए आप बेर के पत्तों को अच्छे से धोकर और कूटकर रात में एक गिलास पानी में डाल दें और रात भर भीगने दें। सुबह तक इसके तत्व पानी में आ जाएंगे। सुबह उठकर इस पानी को छानकर आप खाली पेट पीएं। रोजाना ऐसा करने से कुछ ही समय में आपका वजन कम होने लगेगा। हालांकि इस नियम के साथ आपको अपनी डाइट को भी नियंत्रित करना होगा।गले की खराश दूर करतेसर्दियों के मौसम में अक्सर लोगों को गले की खराश की समस्या परेशान करती है। ऐसे में बेर के पत्तों का रस निकालकर गुनगुने पानी में डालें। थोड़ा सा सेंधा नमक और काली मिर्च पाउडर डालें और इस पानी को पी लें। इससे आपके गले का कफ साफ होगा और खराश दूर हो जाएगी।शरीर में चोट लगने परशरीर में चोट लगने पर या जलन महसूस होने पर आप बेर के पत्तों को धोकर, पीसकर इसका लेप बनाकर लगाएं। काफी आराम मिलेगा। आप चाहें तो इसमें हल्दी भी मिक्स कर सकते हैं।
- विटामिन बी-12 शरीर को कई खतरनाक बीमारियों से बचाता है. अगर आपके शरीर में विटामिन बी-12 की कमी है तो इससे डिमेंशिया, एनीमिया और हड्डियों के रोग होने का खतरा बढ़ जाता है. विटामिन बी-12 की कमी दिमाग और नर्वस सिस्टम पर असर डालती है. वहीं शरीर में रेड ब्लड सेल्स के निर्माण के लिए विटामिन बी-12 बहुत जरूरी है. फोलिक एसिड को शरीर तक पहुंचाने में भी विटामिन बी-12 मदद करता है. अगर आपको बैलेंस डाइट लेने के बाद भी हमेशा थकान महसूस होती है तो ये विटामिन बी 12 की कमी की वजह से हो सकता है. इससे हाथ-पैर सुन्न होने लगते हैं. शरीर में विटामिन बी 12 की कमी होने पर ये लक्षण नजर आएंगे.स्किन पर प्रभावविटामिन बी 12 की कमी होने पर त्वचा पीली पड़ सकती है. जीभ में दाने या फिर जीभ का लाल हो जाना भी विटामिन बी 12 की कमी के संकेत हैं. इससे मुंह में छाले होने की समस्या भी हो सकती है.आंखों की रोशनी पर असरविटामिन बी 12 की कमी होने से आंखो की रोशनी पर भी असर पड़ता है. इससे आंखों से जुड़ी कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं.डिप्रेशन और कमजोरीडिप्रेशन, कमजोरी और सुस्ती जैसे लक्षण भी विटामिन बी 12 की कमी के संकेत हैं. इससे सांस फूलने की समस्या हो सकती है.सिरदर्दसिरदर्द, कान बजना और भूख कम लगना भी विटामिन बी 12 की कमी के संकेत हैं.इन चीजों को खाने से दूर होगी कमीअंडाअंडे में विटामिन B12 की भरपूर मात्रा होती है. रोजाना 2 अंडे खाएं. इससे शरीर में विटामिन बी-12 की कमी दूर होगी. इसके सेवन से विटामिन बी 12 की दैनिक जरूरत की 46 प्रतिशत मात्रा को पूरा किया जा सकता है.सोयाबीनसोयाबीन में विटामिन बी12 की अच्छी मात्रा होती है. सोया मिल्क, टोफू या सोयाबीन की सब्जी खाना आपके लिए फायदेमंद होगा.दहीदही का सेवन भी आपको फायदा पहुंचाएगा. दही में विटामिन बी2, बी1 और बी12 पाया जाता है. बी-12 की कमी को पूरा करने के लिए डाइट में लो फैट दही को शामिल करें.ओट्सओट्स में फाइबर और विटामिन की भरपूर मात्रा होती है. इसका सेवन भी आपको फायदा पहुंचाएगा.दूध और पनीरविटामिन बी12 के लिए आप डाइट में दूध को जरूर शामिल करें. इसमें विटामिन बी 12 की अच्छी मात्रा होती है. इसके अलावा पनीर खाना भी आपको फायदा पहुंचाएगा. कॉटेज चीज़ भी खास सकते हैं.ब्रोकलीब्रोकली खाना भी आपको फायदा पहुंचाएगा. ब्रोकली में विटामिन बी 12 के साथ फोलेट यानी फोलिक एसिड होता है, जो शरीर में हीमोग्लोबिन को बढ़ाने में मदद करता है.मछली और चिकनअगर आप नॉन वेजीटेरियन हैं तो विटामिन बी-12 की कमी को पूरा करने के लिए डाइट में मछली और चिकन को भी शामिल कर सकते हैं.
- अपनी इम्यूनिटी पावर बढ़ाने के लिए लोग तरह-तरह के पारंपरिक और आयुर्वेदिक चीजों का सेवन कर रहे हैं. एक्सपर्टो के मुताबिक अनार (Pomegranates) ऐसा ही एक फल है, जिसे सेहत का खजाना कहा जाता है. यह न केवल स्वादिष्ट होता है बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी काफी गुणकारी माना जाता है. एक्ट्रेस भाग्यश्री ने भी सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर अनार के गुणों के बारे में बताया है. आइए आपको अनार के 5 बड़े फायदों के बारे में बताते हैं, जिनके बारे में जानकर आप भी चौंक उठेंगे.अनार खाने के फायदेअनार के सेवन से पेट की पाचन शक्ति मजबूत होती है. जिन लोगों को पेट की गड़बड़ी रहती है. उनके लिए रोज एक अनार का सेवन करना काफी फायदेमंद माना जाता है. ऐसा करने से उन्हें कब्ज और दस्त जैसी दिक्कत से राहत मिल जाती है.शरीर की मांसपेशियां होती हैं मजबूतमेडिकल एक्सपर्ट के मुताबिक अनार में पोषण के कई सारे तत्व शामिल होते हैं. अनार में प्रोटीन, विटामिन सी, फाइबर, विटामिन के, फोलेट और पौटेशियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं. अनार के सेवन से शरीर की मांसपेशियां मजबूत होती है और आंखों की रोशनी बढ़ती है.अनार को खून बनाने का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है. जिन लोगों में खून की कमी होती है, उन्हें डॉक्टर अक्सर रोज एक अनार खाने की सलाह देते हैं.ब्लड प्रेशर रहता है कंट्रोलएक्सपर्टों के अनुसार ब्लड प्रेशर को संतुलित रखने में भी अनार (Pomegranates) काफी फायदेमंद होता है. माना जाता है कि अगर दो हफ्ते तक रोजाना एक-एक अनार खाया जाए तो शरीर में ब्लड प्रेशर मेंटेन रहता है. इससे लो बीपी और हाई बीपी की समस्या भी काफी हद तक दूर हो जाती है.मोटापे से मिलती है निजातअनार (Pomegranates) में एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण पाए जाते हैं. जो शरीर को मोटापे और टाइप-2 डायबिटीज से बचाते हैं. यानी जो लोग नियमित रूप से अनार का सेवन करते हैं, उन्हें शुगर की बीमारी से राहत रहती है.
- बाग फूल के नाम से जाने जाने वाली भारंगी सेहत के लिए बेहद उपयोगी है। इसे ग्लोरी बोवल के रूप में भी जाना जाता है। इसकी जड़ें, पत्ते और छाल कफ और वात दोष को शांत करने के लिए बेहद उपयोगी है। भूख बढ़ाने हो या कफ को दूर करना हो, बुखार को कम करना हो या सूजन को कम करना है, भारंगी बेहद उपयोगी है। बता दें कि इसके अंदर एंटी इन्फ्लेमेटरी, एंटी टॉक्सिक, एंटीसेप्टिक ऐपेटाइजर, एस्ट्रीनजेंट आदि पाया जाता है जो शरीर को कई समस्याओं से दूर रख सकता है।आज जानते हैं भारंगी के फायदों के बारे में .....1 - सिर दर्द को दूर करें भारंगीजो लोग सिरदर्द की समस्या से परेशान रहते हैं या जिन लोगों को माइग्रेन रहता है , वे भारंगी की जड़ से बने पाउडर को पानी में मिलाकर उसका पेस्ट बनाएं और उसे अपने माथे पर लगाएं। ऐसा करने से सिर दर्द की समस्या दूर हो जाती है।2 - बुखार से लड़े भारंगीभारंगी के अंदर एंटीपायरेटिक गुण मौजूद होते हैं जो सर्दियों में होने वाले बुखार को दूर करने के साथ-साथ सर्दी, जुकाम से भी लडऩे में मदद करते हैं। यह गंभीर बुखार जैसे मलेरिया आदि को भी दूर रखते हैं। यह शरीर के तापमान को नियंत्रित करने और शरीर में ठंडक पहुंचाने का काम करते हैं।3 - फोड़े और घाव कुमारी भारंगीघाव को भरने में भी भारंगी बेहद उपयोगी है। यह एंटीसेप्टिक गुणों से भी भरपूर है। इसके उपयोग के तौर पर आपको भारंगी के पत्तों का पेस्ट बनाना होगा और उसे घाव पर लगाना होगा ऐसा करने से घाव जल्दी भरता है।4 - त्वचा के लिए भारंगीभारंगी के पत्तों से बना पेस्ट और जड़ चेहरे की कई समस्याओं को दूर करने में बेहद उपयोगी है। पर इसे त्वचा पर लगाने से पहले एक बार टेस्ट अवश्य कर लें।5 - जोड़ों के दर्द के लिए भारंगीयदि कोई व्यक्ति अर्थराइटिस, सूजन, दर्द, गाउट आदि से परेशान है तो इस समस्या से लडऩे में भारंगी की मदद ली जा सकती है। वहीं अगर किसी व्यक्ति को जोड़ों को हिलाने में कठिनाई महसूस होती है या जोड़ों में सूजन है तो वे भारंगी के उपयोग से इस समस्या को दूर कर सकते हैं।6 - सांस से संबंधित परेशानी के लिए भारंगीसांस से संबंधित परेशानी जैसे अस्थमा, राइनाइटिस, सर्दी, जुकाम आदि को दूर करने में भी भारंगी बेहद उपयोगी है।भारंगी के नुकसानबता दें कि किसी भी चीज की अति सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है ऐसा ही भारंगी के साथ भी है। अगर इसका सेवन सीमित मात्रा से बाहर किया जाए तो यह शरीर में कई प्रकार की एलर्जी को पैदा कर सकती है। हालांकि अभी तक इस तरह के कोई मामले सामने नहीं आए हैं। फिर भी इसके सेवन करने से पहले एक बार एक्सपर्ट से इसकी सीमित मात्रा का ज्ञान लेना जरूरी होता है।
- विशेषज्ञों का मानना है कि डायबिटीज से ग्रस्त लोगों की डाइट में नॉन स्टार्च वाले फूड्स का शामिल रहना ही बेस्ट होता है. स्टार्च वाली सब्जियों में कार्बोहाइड्रेट ज्यादा होता है, लेकिन शुगर का लेवल भी बढ़ा देते हैं. इन्हें इग्नोर करना ही बेस्ट रहता है. आप इन 5 नॉन स्टार्च फूड्स को डाइट में शामिल कर सकते हैं.गाजरसर्दी में आसानी से मिलने वाली गाजर डायबिटीज के रोगियों के लिए अच्छा मानी जाती है. डॉक्टरों का मानना है कि इन रोगियों को गाजर पकाने के बजाय कच्ची खानी चाहिए. ज्यादा फाइबर होने की वजह से ये खून में शुगर को धीरे-धीरे रिलीज करती है.पत्ता गोभीइसमें विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट्स जैसे तत्व काफी मात्रा में मौजूद होते हैं. डॉक्टर सलाह देते हैं कि डायबिटीज के रोगियों को हफ्ते में एक बार पत्ता गोभी का सेवन करना चाहिए.बैंगनये भी एक बिना स्टार्च वाली सब्जी है और इसकी खासियत है कि इसमें कोलेस्ट्रॉल भी नहीं होता है. कहते हैं कि डायबिटीज के मरीजों के लिए ये सब्जी किसी रामबाण से कम नहीं होती है.भिंडीफाइबर से भरपूर भिंडी को पचाना काफी आसान है और यह शुगर लेवल को कंट्रोल करने में भी कारगर मानी जाती है. कहते हैं कि इसके तत्व इंसुलिन में इजाफा करते हैं.खीराफाइबर की बात हो, तो खीरे का ख्याल भी मन में आता है. पानी की कमी पूरी करने वाले खीरे से शुगर को नियंत्रित किया जा सकता है. डायबिटीज का सामना कर रहे रोगियों को डॉक्टर ज्यादा खीरा खाने की सलाह देते हैं.-
- कद्दू या कुम्हड़ कई पौष्टिक तत्वों का खजाना है जो कि हड्डियों के लिए बेहद जरूरी है। इसमें बीटा कैरोटीन, विटामिन बी 6 और विटामिन सी होता है जो कि एंटी इंफ्लेमेटरी की तरह काम करते हैं और हड्डियों के दर्द को होने से रोकते हैं। इतना ही नहीं सर्दियों में कद्दू खाने के फायदे भी कई हैं।1. ब्लड शुगर बैलेंस करने में मदद करता हैसर्दियों में ब्लड शुगर बैलेंस करना आसान नहीं होता है। ऐसे में डायबिटीज के रोगी को त्वचा संक्रमण, तंत्रिका क्षति, आंखों से जुड़ी समस्याएं और हृदय रोग जैसी अधिक गंभीर जटिलताओं को रोकने के लिए ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करना बेहद जरूरी होता है। ऐसे में कुम्हड़ा काफी मददगार है। इसका फाइबर पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर करता है और ब्लड शुगर मैनेज करने में मदद करता है। इसके अलावा कद्दू का ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी काफी कम होता है जिसकी वजह से ये ब्लड शुगर लेवल को संतुलित करने में मदद करता है।2. कब्ज की समस्या को दूर करता हैकद्दू में फाइबर की मात्रा काफी अधिक होती है। एक कप पके हुए कद्दू में 3 ग्राम फाइबर होता है। इसके अलावा कद्दू के बीज में कुछ फाइबर होता है। ऐसे में आप उबले हुए, भुने हुए या पके हुए कद्दू का सेवन कर सकते हैं। आप कद्दू का उपयोग सूप, ब्रेड और सब्जी बनाने के लिए भी कर सकते हैं। इस तरह कद्दू का फाइबर मेटाबोलिज्म ठीक करता है, खाना सही से पचाता है और बॉवेल मूवमेट को सही करके कब्ज की समस्या से बचाता है।3. सर्दी-जुकाम से बचाता हैकुम्हड़ा विटामिन सी से भरपूर है और इसका ये एक गुण आपको सर्दियों में संक्रामक बीमारियों से बचाव में मदद कर सकता है। विटामिन सी शरीर के सभी हिस्सों में ऊतकों की वृद्धि और मरम्मत के लिए जरूरी होता है। इसके अलावा इसका विटामिन ए और के आंखों को स्वस्थ रखने में मददगार है। यह हड्डियों के विकास को बढ़ावा देने के साथ प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखता है। साथ ही इसका बीटा कैरोटीन और विटामिन के दिल की सेहत को सही रखने में भी मददगार है।4. आयरन, पोटैशियम और मैग्नीशियम से भरपूर है कुम्हड़ाकुम्हड़ा में आयरन, पोटैशियम और मैग्नीशियम की अच्छी मात्रा होती है । आयरन शरीर के रेड ब्लड सेल्स को बढ़ावा देता है और शरीर में खून की कमी को दूर करता है। साथ ही पोटैशियम दिल को स्वस्थ रखने में मददगार है और ब्लड सर्कुलेशन को सही रखने के लिए जाना जाता है। इसके अलावा हमारे शरीर के सामान्य मांसपेशियों के कार्य को बनाए रखने और हमारे प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए मैग्नीशियम की भी जरूरत होती है और कद्दू व इसके बीज इस काम को पूरा करते हैं।कुम्हड़ा बीटा-कैरोटीन में हाई है, जो एक प्राकृतिक सनब्लॉक के रूप में कार्य करता है। इसमें विटामिन सी और ई, साथ ही ल्यूटिन और ज़ेक्सैंथिन भी होते हैं, जो आपकी त्वचा को मजबूत और स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा रेगुलर इसे खाना ब्लड प्रेशर और कॉलेस्ट्रोल लेवल कंट्रोल करने में मदद करता है। इसलिए इन तमाम कारणों से हमें सर्दियों में कुम्हड़ा अवश्य खाना चाहिए।
- गाजर को सर्दियों का सुपरफूड कहा जाता है। ये ना सिर्फ खाने में स्वादिष्ट बल्कि होती है बल्कि कई तरह के पोषक तत्वों से भी भरपूर होती है। सर्दियों के मौसम में गाजर खाना आपको कई तरह से फायदा पहुंचाता है. गाजर में विटामिन के, ए,सी के साथ कई मिनरल्स की भरपूर मात्रा होती है, जो हमारी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद हैं । इसे आप सलाद, सब्जी, सूप, जूस या हलवे के रूप में खा सकते हैं।-कई शोध में ये सामने आया है कि गाजर में फाल्केरिनोल नाम का प्राकृतिक कीटनाशक पाया जाता है, जो कैंसर के खतरे को कम करता है।-गाजर खाना बढ़ती उम्र के असर को भी कम करता है। इसमें मौजूद पोषक तत्व एंटी एजिंग एजेंट की तरह काम करते हैं।-गाजर के जूस में काला नमक, धनिया पत्ती, भुना जीरा, काली मिर्च और नींबू का रस मिला कर पिएं। इसके डाइजेशन से जुड़ी प्रॉब्लम दूर होगी।-इम्युनिटी को मजबूत करने के लिए भी आपको गाजर का सेवन करना चाहिए। इसमें विटामिन ए और सी की मात्रा होती है और ये दोनों एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करते हैं।--
- पपीता फाइबर और मिनरल, विटामिन ए, बी और सी का बेहतरीन स्रोत है। पपीता न केवल आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है बल्कि ये त्वचा संबंधित समस्याओं को भी दूर करने में मदद करता है। पपीते में पाया जाने वाला एंजाइम पापेन मृत त्वचा, दाग-धब्बों, सुस्ती, रंजकता और बंद रोमछिद्रों जैसी त्वचा संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। ये त्वचा को पोषण प्रदान करता है। त्वचा के लिए आप कई तरीके से पपीते का इस्तेमाल कर सकते हैं। आप त्वचा के लिए पपीते का इस्तेमाल फेस क्लींजर, फेस स्क्रब और फेस मास्क के लिए भी कर सकते हैं।पपीते से बना फेस क्लींजरपपीते में एक्सफोलिएटिंग गुण होते हैं। ये त्वचा को साफ करने में मदद करता है। आप त्वचा के रोमछिद्रों को गहराई से साफ करने के लिए पपीता फेस क्लींजर का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए आपको पपीते को मैश करना है और इसमें कद्दूकस किया हुआ खीरा और विटामिन ई तेल की कुछ बूंदें मिलाएं। पेस्ट को त्वचा पर लगाएं और हल्के हाथों से मसाज करें। इसके बाद ठंडे पानी से धो लें।पपीता फेस स्क्रबत्वचा के एक्सफोलिएशन के लिए भी आप पपीते का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए मैश किए हुए पपीते में ओट्स और ब्राउन शुगर मिलाएं। इन सभी को बराबर मात्रा में मिलाएं। इससे त्वचा को स्क्रब करें। ये आपकी त्वचा की सुस्ती, मृत त्वचा और रूखेपन से छुटकारा दिलाएंगे। ये त्वचा को मुलायम बनाने में मदद करेगा।पपीता फेस मास्कपपीता विटामिन सी से भरपूर होता है। इसमें विटामिन ए होता है जो सूजन को कम करता है। इसमें मौजूद पापेन एंजाइम मुंहासों को होने से रोकता है। अगर आप त्वचा के रूखेपन से परेशान हैं तो पपीते से बने फेस मास्क का इस्तेमाल कर सकते हैं। पपीते का फेस मास्क बनाने के लिए एक कटोरी में मैश किए हुए पके पपीते में आवश्यकता अनुसार शहद और दूध अच्छी तरह से मिलाएं। दूध और शहद ब्राइटनिंग और सॉफ्टनिंग इफेक्ट को बढ़ाते हैं। आप इसमें एक चुटकी हल्दी या अंडे का सफेद भाग भी मिला सकते हैं।सन-टैन दूर करने के लिए फेस पैकइस फेस पैक को बनाने के लिए आपको 1/4 कप पपीता, 2 विटामिन ई कैप्सूल और 1 बड़ा चम्मच गुलाब जल की जरूरत होगी। इन सारी सामग्री को एक बाउल में डालकर अच्छे से मिला लें। इस फेस पैक को चेहरे पर लगाएं। सूखने तक इसे लगा रहने दें। इसके बाद ताजा पानी से चेहरा धो लें।
- सर्दियों के मौसम में सबसे ज्यादा पसंद सरसों के साग और मक्के की रोटी को किया जाता है। साथ में अगर गुड़ भी हो तो और ज्यादा मजा आ जाता है। आपने ऐसा जरूर सोचा होगा कि सरसों के साग में ऐसे क्या गुण होते हैं जो इसे इतना स्वादिष्ट बना देते हैं। यह साग केवल स्वादिष्ट ही नहीं होता है बल्कि इससे काफी सारे स्वास्थ्य लाभ भी मिल सकते हैं। इस साग में एंटी ऑक्सीडेंट्स होते हैं जो आपको कई बीमारियों से बचा सकते हैं। इस साग में कैलोरीज़ भी काफी कम होती है। इसलिए अगर स्वाद स्वाद में कभी-कभार थोड़ा ज्यादा भी खाया जाएं, तो वजन बढऩे की अधिक चिंता नहीं करनी चाहिए।एक कप सरसों के साग में लगभग 95 प्रतिशत दैनिक जरूरत का विटामिन ए, आधा ग्राम फैट, 4-6 ग्राम काब्र्स जिसमें लगभग 2.5 ग्राम फाइबर होता है। यही नहीं 3-4 ग्राम के आसपास प्रोटीन और लगभग दैनिक जरूरत का 680 प्रतिशत विटामिन के होता है (अगर सब्जी बिना तेल के बनाई जाए तो)। विटामिन के एक ऐसा एंटी ऑक्सिडेंट है जो लगभग हर हरी-सब्जी में आम तौर पर पाया जाता है। इसलिए आप हरी सब्जियों को डाइट में जरूर शामिल करें। यही नहीं साग में पोटेशियम व कैल्शियम की भी भरपूर मात्रा होती है। जिससे हमारी हड्डियों की हेल्थ ठीक रहती है। इसलिए इसका सेवन गठिया के रोगियों या जोड़ों के दर्द में भी फायदेमंद है। आइए जानते हैं इससे मिलने वाले अन्य फायदों के बारे में।1. वजन कम करता है सरसों का सागसरसों के साग में फाइबर की मात्रा अधिक और कैलोरी कम होने की वजह से यह वेट लॉस में काफी फायदेमंद है। इसका सेवन मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करता है। इसलिए वजन नियंत्रण में रहता है।2. दिल के स्वास्थ्य के लिए है फायदेमंदसरसों का साग दिल के लिए भी फायदेमंद है क्योंकि इसके सेवन से शरीर में फोलेट बनता है और कार्डियोवैस्कुलर रोग व कोलेस्ट्रोल का स्तर कम होता है।3. सरसों के साग से मिलती है एनर्जीएनर्जी मिलने का मुख्य कारण है इस में प्रयोग किए जाने वाला पालक। क्योंकि पालक भी पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है। जैसे कि सोडियम, प्रोटीन, एंटीऑक्सीडेंट्स, विटामिन ए, सी, के आदि। साथ ही इसमें आयरन की भी भरपूर मात्रा होती है। इसलिए सरसों के साथ इसका मिक्सचर एनर्जी से भरपूर रखता है।4. आंखों की हेल्थ रखता है ठीकयदि आप अपनी आंखों को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो आपको सरसों के साग का सेवन करना चाहिए। क्योंकि यह विटामिन ए से भरपूर होता है। आंखों के स्वास्थ्य के लिए विटामिन ए बेहद जरूरी है।5. दरअसल सरसों का साग आयरन से भी भरपूर होता है और खून की कमी को आयरन के सेवन से पूरा किया जा सकता है। इसीलिए सरसों के साग के सेवन से एनीमिया रोग में आराम मिलता है।----
- कई लोगों को दोपहर के खाने के बाद तुरंत सोने की आदत होती है। ये भी आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है। आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि खाना खाने के बाद उसे पचने में 3-4 घंटे का समय लगता है लेकिन अगर उस दौरान आप सो जाते हैं, तो खाना दोनों आंतों में ठीक से पच नहीं पाता और आपके पूरे शरीर में खाने के पोषक तत्व अच्छे से नहीं पहुंच पाते हैं। दोपहर या रात के खाने के बाद तुरंत सोने के कई नुकसान है। इससे आपका शरीर कई बीमारियों का घर भी बन सकता है। इसलिए अगर आप भी ऐसा करते हैं,तो सावधान हो जाइए।1. पाचन तंत्र प्रभावित होता हैअगर आप दोपहर या रात के खाने के बाद तुरंत सो जाते हैं, तो आपका पाचन तंत्र प्रभावित होता है। इससे आपका खाना अच्छे से पच नहीं पाता है। दरअसल तुरंत सोने के बाद शरीर में कोई एक्टिविटी नहीं होती है, जिसके कारण शरीर को भोजन पचाने में अधिक समय लगता है और उठने के बाद भी आपको फ्रेश फील नहीं होता है।2. हार्ट की समस्याखाना खाने के बाद तुरंत सोने से भोजन का पाचन से अच्छे से नहीं होता है और अगर आप अधिक तैलीय खाना खाते हैं, तो इससे आपको हार्ट समस्या भी हो सकती है। इससे आपको कोलेस्ट्रोल लेवल बढ़ सकता है, जिससे हार्ट स्ट्रोक, ब्लॉक और अटैक का खतरा बढ़ जाता है।3. एसिडिटी की परेशानीखाना खाकर अगर आप टहलते हैं, तो खाना अच्छे से पचता है, लेकिन सोने से बात बिगड़ सकती है। इससे एसिडिटी की समस्या बढ़ जाती है क्योंकि लेटने से एसिड रिफलक्स होने लगता है, जिसकी वजह से अपच, गैस और कब्ज की समस्या भी होने लगती है।4. वजन बढऩाखाना खाने के तुरंत सोने के बाद कैलोरी बर्न नहीं होती है, जिसके कारण अचानक आपका वजन बहुत ज्यादा बढऩे लगता है। फिर अगर आप एक्सरसाइज भी करते हैं, तो आपका वजन आसानी से कम नहीं होता है इसलिए हमेशा कोशिश करनी चाहिए कि खाना खाने के बाद कुछ काम कर लें या थोड़ी देर टहलें।5. अनिद्रा और थकानखाना खाने के तुरंत सोने के बाद अपच की वजह से आपको अच्छे से नींद नहीं आती है, जिसके बाद धीरे-धीरे आपको अनिद्रा की शिकायत होने लगती है। अनिद्रा के कारण आपकी दिनचर्या बिगड़ सकती है और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या भी हो सकती है।6. डायबिटीज की समस्याअगर खाने के बाद तुरंत सोते हैं, तो रक्त में शुगर की मात्रा बढ़ सकती है क्योंकि सोने की वजह से शरीर एक्स्ट्रा फैट और शुगर को पचा नहीं पाता है, जो आपके लिए डायबिटीज का खतरा उत्पन्न कर सकता है। खाना खाने के बाद शारीरिक गतिविधियां जरूरी होती है।खाना खाने के बाद कैसे सो सकते हैंअगर आप बहुत थक गए हैं, तो दोपहर के खाने के बाद सोफे या कुर्सी पर बैठकर कुछ देर आराम कर सकते हैं लेकिन आपको बेड पर सोना नहीं चाहिए। हां लेकिन दोपहर या रात के खाने के बाद बुजुर्ग, बच्चे या गर्भवती महिलाएं अगर सोना चाहती है , तो सो सकती हैं। इसके अलावा अगर कोई बीमार व्यक्ति है या डॉक्टर ने खाना खाने के बाद आराम करने को कहा है, तो वैसे लोगों को जरूर आराम करना चाहिए। एक स्वस्थ व्यक्ति को रात के खाने के 2-3 घंटे बाद ही सोना चाहिए इसलिए आप कोशिश करें कि रात को 6-7 बजे के बीच डिनर कर लें। अगर आप बहुत देर से खाते हैं, तो बिल्कुल हल्का खाना खाएं और कम से कम 1 घंटे बाद ही सोने की कोशिश करें। इससे आपका स्वास्थ्य अच्छा बना रहेगा।खाना खाने के बाद कैसे सोना या बैठना चाहिएखाना खाने के बाद कभी पेट के बल या पीठ के बल नहीं सोना चाहिए। इसे खाने के पाचन में परेशानी हो सकती है। इसके अलावा आपके पेट में दर्द भी हो सकता है। हमेशा खाने के बाद करवट लेकर सोने की कोशिश करें या फिर अगर आप खाना खाने के बाद बैठना चाहते हैं , तो बिल्कुल आराम की मुद्रा में बैठें। पैरों पर पैर चढ़ाकर बैठने या गलत पोजिशन में न बैठें। इससे पेट में दर्द या भारीपन महसूस हो सकता है। हमेशा हल्का खाना खाने की कोशिश करें ताकि आपको भारीपन का अनुभव न हो।खाना खाने के बाद कौन सा आसन करेंखाना खाने के बाद वज्रासन करने के कई लाभ है। इससे खाना अच्छे से पचता है। साथ ही आपको एनर्जी भी मिलती है और पैरों की मांसपेशियों में भी आराम मिलता है। इसकी मदद से वजन भी नियंत्रित रहता है और अपच की परेशानी भी नहीं होती है।
- कुछ लोगों की आदत होती है कि जरा दर्द हुआ और वो फौरन पेन किलर खा लेते हैं. लेकिन ज्यादा पेन किलर सेहत के लिए नुकसानदायक होतें हंै। पेन किलर्स किडनी और लिवर पर बुरा असर डालते हैं। ऐसे में जब तक बहुत जरूरी न हो, इन्हें नहीं खाना चाहिए. साथ ही किसी विशेषज्ञ से परामर्श करने के बाद ही पेनकिलर का सेवन करना चाहिए। रोजमर्रा की छोटी मोटी परेशानियों से राहत दिलाने वाली तमाम चीजें घर की रसोई में मौजूद हैं। ये नेचुरल पेनकिलर्स कई तरह के दर्द और अन्य परेशानियों को दूर करने की क्षमता रखते हैं।अदरकअगर सिर में दर्द हो तो अदरक को पानी के साथ पीसकर पेस्ट बनाकर माथे पर लगाएं। अदरक में दर्द निवारक गुण होते हैं जो दर्द से राहत देते हैं। इसके अलावा अदरक वात को भी दूर करती है। पेट में गैस बनने पर अदरक को काले नमक के साथ खाने से काफी आराम मिलता है। अदरक जुकाम और खांसी जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए भी काफी फायदेमंद मानी जाती है।हल्दीहल्दी में भी दर्द निवारक गुण पाए गए हैं। चोट लगने पर, कहीं पकने पर, सूजन आने पर हल्दी को सरसों के तेल में गुनगुना करके प्रभावित स्थान पर लगाएं। इससे दर्द और सूजन कम हो जाती है। दूध के साथ हल्दी का सेवन करने से मांसपेशियों में अंदरूनी दर्द दूर होता है। इसके अलावा जुकाम खांसी की समस्या में भी हल्दी राहत देती है।प्याजप्याज के रस में सूजन और दर्द निवारण के गुण पाए जाते हैं। प्याज को तवे पर गर्म करने के बाद इसका रस निकालकर जोड़ों पर लगाने से दर्द में काफी आराम मिलता है। इसके अलावा मोच आने पर सूजन और दर्द को कम करने के लिए भी प्याज अच्छा काम करता है।लहसुनशरीर के किसी भी हिस्से में अगर दर्द है तो लहसुन के तेल की मालिश करें। दर्द में काफी आराम मिलेगा। सीने में दर्द या भारीपन होने पर, गैस की परेशानी होने पर लहसुन की कलियों को पानी के साथ निगलने से आराम मिलता है।अजवाइनपेट में गैस की समस्या हो, या पेट दर्द हो, तो अजवाइन खाने से काफी आराम मिलता है। इसके अलावा महिलाओं को पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द में भी अजवाइन काफी लाभ पहुंचाती है। अजवाइन का तेल बनाकर अगर लगाया जाए तो शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द में राहत पायी जा सकती है।
- मूली ठंड के दिनों में खाई जाने वाली एक बेहतरीन सब्जी है। हम कई तरह से मूली का सेवन करते हैं जैसे सलाद में, मूली के पराठे भी खाए जाते हैं, मूली की भुरजी या सब्जी भी बनाकर खाई जाती है। हालांक?ि मूली में कई पोषक तत्व होने के बाद भी इसका सेवन कई चीजों के साथ नहीं करना चाहिए। आज हम उन्हीं सब चीजों के बारे में जानेंगे।1. मूली के साथ दूध का सेवन न करेंमूली खा रहे हैं तो आपको दूध से बनी चीज या दूध का सेवन नहीं करना चाहिए। दूध का सेवन खट्टी चीजों के साथ नहीं किया जाता। इससे आपको त्वचा से जुड़ी समस्या हो सकती है। अगर आपने दूध का सेवन सुबह किया है तो ध्यान रखें कि मूली का सेवन शाम से पहले न करें। कोशिश करें कि ये दोनों चीजें एक दिन में न खाएं। दोनों के बीच गैप रखना जरूरी है।2. मूली के साथ खीरे का सेवन न करेंकई लोग सलाद में मूली और खीरे का सेवन साथ करते हैं पर इन 2 चीजों का सेवन भी साथ में नहीं करना चाहिए। खीरे में एस्कॉर्बिनाज़ होता है, ये विटामिन सी को सोखने का काम करता है। इन दोनों चीजों का सेवन साथ नहीं किया जाना चाहिए। आपको सलाद में भी इन 2 चीजों का मिश्रण नहीं बनाना है, कई लोग इसे सब्जी में साथ इस्तेमाल करते हैं पर आपको इससे त्वचा संबंधी शिकायत हो सकती है।3. मूली के साथ संतरे का सेवन न करेंमूली के साथ संतरे का सेवन नहीं करना चाहिए। ये आपकी तबीयत बिगाड़ सकता है। अगर आपने मूली की सब्जी का सेवन किया है तो उसके तुरंत बाद संतरा न खाएं। मूली और संतरे का एक साथ सेवन खासकर बड़ी उम्र के लोगों को नहीं करना चाहिए। उनका पाचन तंत्र युवकों के मुकाबले ज्यादा कमजोर होता है। आप दोनों चीजों के बीच 4 से 5 घंटे का अंतराल कर सकते हैं।4. मूली के साथ करेला न खाएंआपको मूली के साथ करेले का सेवन नहीं करना चाहिए। एक्सपर्ट के मुताबिक इससे सांस से जुड़ी समस्या हो सकती है। मूली में लैक्सेटिव गुण पाए जाते हैं जिससे पेट खराब होने की समस्या हो सकती है। आप दोनों के बीज सुबह और शाम का अंतराल जरूर करें।5. मूली के साथ चाय न पिएंमूली के साथ चाय का सेवन करने से आपको एसिडिटी, कब्ज की समस्या हो सकती है। आपको चाय पीने के बाद मूली का सेवन नहीं करना चाहिए। मूली की तासीर ठंडी होती है, जब इसे गरम चीजों के साथ लिया जाता है तो उसका बुरा असर सेहत पर पड़ता है।मूली का सेवन करने से ब्लड शुगर लेवल लो होता है जिन्हें लो शुगर की समस्या है उन्हें डॉक्टर की सलाह लेकर ही इसका सेवन करना चाहिए।
- आमतौर पर शरीर में होने वाले दर्द को हम सभी सामान्य मानकर नजरअंदाज कर देते हैं, कुछ दर्दनिवारक गोलियों से आमतौर पर इसमें राहत भी मिल जाती है। पर आपकी यह आदत गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती है। जी हां, शरीर के कुछ हिस्सों में लगातार रहने वाला दर्द, गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं की ओर संकेत हो सकता है। रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि शरीर में होने वाले दर्द की समस्या कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने का संकेत भी हो सकती है, ऐसे में इसे नजरअंदाज करना हृदय रोग की गंभीर समस्याओं का कारण भी बन सकता है।कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ना हृदय रोगों के प्रमुख जोखिम कारकों में से एक माना जाता है। कोलेस्ट्रॉल मोमनुमा रक्त में पाया जाने वाला एक पदार्थ है। स्वस्थ कोशिकाओं के निर्माण के लिए शरीर को कोलेस्ट्रॉल की आवश्यकता होती है, लेकिन कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर हृदय रोग के जोखिम को बढ़ा सकता है। हाई कोलेस्ट्रॉल के कारण रक्त वाहिकाओं में वसायुक्त जमाव हो सकता है, जिससे हृदय का सामान्य कामकाज प्रभावित हो सकता है। जानते हैं कि किन हिस्सों में दर्द को कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का संकेत माना जा सकता है?जबड़ों में दर्द और असुविधास्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक जबड़ों में होने वाले दर्द की समस्या को हल्के में नहीं लेना चाहिए, यह कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का संकेत हो सकता है। ऐसी स्थिति में जबड़े में तेज दर्द या कसाव जैसी असुविधा होती है। आमतौर पर यह दर्द ज्यादातर एनजाइना से जुड़ा होता है। एनजाइना वह स्थिति है जिसमें रक्त का हृदय तक सही से प्रवाह न होने के कारण दर्द की समस्या हो सकती है।हाथों में दर्द की समस्याशरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कारण हाथों में भी दर्द की समस्या हो सकती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, एथेरोस्क्लेरोसिस के कारण यह समस्या होना सामान्य है, यह ऐसी स्थिति है जिसमें धमनियों के अंदर 'प्लाक' बनने लगता है। इस वजह से शरीर के अंगों में रक्त का संचार प्रभावित हो जाता है। शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से हाथों में दर्द होता सकता है, ऐसे लक्षणों पर लोगों को विशेष ध्यान देते रहने की आवश्यकता है।पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (पीएडी)रक्त वाहिकाओं में कोलेस्ट्रॉल जमा होने से खून के संचार में रुकावट की समस्या होती है, जिसके कारण शरीर के कुछ हिस्सों में दर्द हो सकता है। जब यह स्थिति गंभीर रूप ले लेती है तो इसे पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (पीएडी) कहा जाता है। इस स्थिति में हाथों और पैर, दोनों में तेज दर्द की समस्या हो सकती है। कुछ स्थितियों में इस वजह से चलने और दौड़ने जैसी गतिविधियों में भी दिक्कत होने लगती है। पीएडी अंगों की क्षति का भी कारण बन सकता है।