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- चिचिंडा नाम की सब्जी के बारे में जानते हैं? गर्मियों में मिलने वाली ये सब्जी लौकी और तोरी के परिवार से आती है। अंग्रेजी में इस सब्जी को स्नेक गार्ड कहते हैं। अगर आपने अभी तक इस सब्जी को नहीं खाया है, तो शुरू कर दीजिए। क्योंकि इसका स्वाद काफी शानदार होता है. साथ ही साथ में इसे खाने से कई किस्म के फायदे मिलते हैं. पीलिया से लेकर डायबिटीज तक की बीमारियों को दूर करने में मदद करती है।आइए जानते हैं इसके खाने के फायदे--पीलिया के इलाज में मददगारइस समय लोगों के अंदर पीलिया को लेकर एक किस्स डर देखा जा रहा है. चिचिंडा को पीलिया के इलाज में मददगार माना जाता है. यह इम्यूनिटी को बूस्ट करता है और लिवर को हेल्दी रखता है. इसके अलावा इंफेक्शन्स को दूर करने में भी मदद करता है.'एलोपेसिया' में फायदेमंद'एलोपेसिया' ऐसे गंभीर बीमारी है, जिसमें बाल गिरते हैं. चिचिंडा 'एलोपेसिया' के रोगियों के लिए काफी फायदेमंद होते हैं. अगर वे अपने बालों में चिचिंडा का जूस लगाएं, तो काफी फायदा पहुंचता है।डायबिटीज को रखती है दूरकुछ सालों में हमारे देश में टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों की संख्या बढ़ी है. इसके पीछे हमारी लाइफस्टाइल को जिम्मेदार माना जाता है. टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों के लिए चिचिंडा काफी फायदेमंद होती है. यह बढ़ते वजन को रोकने का काम करती है. इसके अलावा चाइनीज भी चिचिंडा को इस्तेमाल डायबिटीज के इलाज में करते हैं.स्किन के लिए फायदेमंदस्किन को केयर में चिचिंडा काफी मदद पहुंचती है. इसके सेवन से डेड टिशूज़ खत्म हो जाते हैं. इससे स्किन एजिंग प्रोसेस स्लो हो जाती है. बुढ़ापा जल्द नहीं आता है.तेज बुखार में करें चिचिंडा का इस्तेमालतेज बुखार में चिचिंडा काफी फायदेमंद होता है. दरअसलस चिचिंडा में बुखार के समय शरीर में मौजूद टॉक्सिन्स को बाहर करता हैं. इसके अलावा पाचन क्रिया को भी स्वस्थ्य रखता है।
- मैदा यानी रिफाइंड फ्लोर से बनी चीजों का इस्तेमाल हमारी रोजाना की जिंदगी में बढ़ता ही जा रहा है। हम रोजाना बर्गर, पिज्जा, ब्रेड, डोनट आदि कुछ न कुछ चीजों के रूप में मैदा खा ही लेते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं जितनी स्वादिष्ट यह चीजें खाने में लगती हैं यह हमारे शरीर के लिए उतनी ही हानिकारक होती हैं। यह हमारा वजन तो बढ़ाती ही हैं साथ में हमारे शरीर पर इन चीजों को खाने से बहुत ही बुरा असर पड़ता है। इसलिए यह रिफाइंड फ्लोर यानी मैदा हमारी सेहत के लिए एक जहर के समान है। हमें इसे कम से कम खाना चाहिए।असल में मैदे की प्रोसेसिंग के दौरान उसमें से फाइबर निकाल दिया जाता है, जोकि पाचन क्रिया के लिए बहुत ही आवश्यक होता है। इसके साथ साथ गेहूं से उसके सारे पोषण प्रोसेसिंग के दौरान निकल जाते हैं। इस प्रकार मैदे में मिनरल, विटामिन्स या किसी भी प्रकार का पोषण न होने के कारण उसे हेल्दी नहीं माना जाता है। बहुत से दुकानदार अपने मैदे को बेचने के लिए पैकेट पर लिख देते हैं एनरिच फ्लोर , लेकिन वह असल में कुछ नहीं होता है।यदि मैदे का सेवन रोजाना किया जाए तो इससे फैटी लीवर व बैड कोलेस्ट्रॉल बढऩे जैसी समस्या हो सकती हैं। इसका लगातार सेवन करने से वजन बढ़ सकता है, मूड स्विंग हो सकते हैं, बीपी बढ़ सकता है और लोग मोटापे की तरफ बढ़ सकते हैं। इसलिए मैदा का प्रयोग करना जितना हो सके उतना कम कर देना चाहिए। यदि आप नहीं जानते कि मैदा खाने से आपके शरीर में क्या क्या हानियां हो सकती हैं तो निम्न लिखित पॉइंट्स को जरूर पढ़ें।1. मैदा से पाचन समस्याएंमैदे को हमारे पेट की ग्लू कहा जाता है। आज के समय में बहुत सी चीजें मैदे से बनती हैं और यह सारा मैदा हमारी आंतों में चिपकता जाता है। रिफांइड फ्लोर में कोई फाइबर नहीं होता है और यह पाचन क्रिया को भी धीमा बनाता है, मेटाबॉलिज्म को धीमा करता है और वजन बढऩा, सिर दर्द होना व कब्ज जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।2. रिफाइंड फ्लोर से एसिडिटीजब मैदे की रिफाइनिंग प्रोसेस होती है तो उस दौरान इसके अंदर से सारा पोषण गायब हो जाता है और इसलिए यह एसिडिक बन जाता है। यदि आप एसिड से युक्त डाइट खाते हैं तो आपकी हड्डियों से कैल्शियम खत्म होना शुरू हो जाता है जिस कारण आपकी बोन डेंसिटी कम हो जाती है। यह क्रोनिक बीमारियों का, इन्फ्लेमेशन का व गठिया का मुख्य कारण भी बन सकता है।3. मैदा से पोषण की कमीमैदे की प्रोसेसिंग के दौरान उसमें से सारा फाइबर, सारे आवश्यक मिनरल व विटामिन्स निकल जाते हैं। इसके साथ साथ ब्लीचिंग क्रिया भी की जाती है जिस कारण मैदे को सफेद रंग मिलता है। हालांकि यह सेहत के लिए ज्यादा हानिकारक नहीं है लेकिन चूंकि इसमें आर्टिफिशियल इंग्रेडिएंट्स मिलाए जाते हैं वह आपके लिए ज्यादा अच्छे नहीं होते।4. ब्लड शुगर बढऩे की सम्भावनामैदे में एलोक्सेन होता है जो आपके शरीर के लिए बढिय़ा नहीं होता। यह पैंक्रियाज की बीटा सेल्स को नष्ट करता है और आपके शरीर के लिए टॉक्सिक भी होता है। इसका सेवन रोजाना करने से आप डायबिटीज जैसी बीमारी से भी ग्रस्त हो सकते हैं। स्वयं को पूरी तरह स्वस्थ रखने के लिए आप मैदे को खाना बिल्कुल ही छोड़ दें और इसकी बजाय गेहूं, ज्वार या बाजरे का सेवन करें।
- अदरक और इलायची वाली चाय का मजा ही अलग होता है। जिन लोगों को अदरक से समस्या होती है, वे इलायची को चाय में शामिल कर सकते हैं। चाय ही नहीं इलायची की महक और स्वाद कई डिशेज को खास बना देती है। इलायची में पोटेशियम, मैग्नीशियम, विटामिन बी1, बी6 और विटामिन सी पाया जाता है, जो आपके अतिरिक्त वजन को घटाता है। वहीं इलायची में मौजूद फाइबर और कैल्शियम आपके वजन को नियंत्रित करता है।फैट को जमने नहीं देतापेट के आसपास जमा वसा सबसे जिद्दी होती है और यह किसी के भी व्यक्तित्व को भी खराब कर देती है। हरी इलायची इस जिद्दी फैट को जमा नहीं होने देती है। यह वसा कई हृदय संबंधी बीमारियों की जड़ भी होती है।शरीर से विषैले तत्व बाहर निकालती हैआयुर्वेद की मानें, तो हरी इलायची शरीर में मौजूद विषैले तत्वों को बाहर निकालने में भी मदद करती है। यह तत्व शरीर के रक्त प्रवाह में व्यवधान पैदा कर सकते हैं और हमारी ऊर्जा का स्तर भी घटाते हैं। इलायची की चाय इसके लिए सबसे अच्छा विकल्प हो सकती है।पेट फूलने से बचाती हैहरी इलायची अपच की समस्या से बचाती है, जिससे कभी-कभी पेट फूलने की समस्या भी हो सकती है। यही वजह है कि हरी इलायची को गैस्ट्रोइन्टेस्टाइनल विकारों की प्रचलित दवा कहा जाता है। अच्छा पाचन तंत्र वजन घटाने के लिए अहम है।खराब कोलेस्ट्रॉल को घटाएवसा घटाने के गुणों के कारण इलायची शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल को घटाने का काम करती है। यह एलडीएल कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स को भी घटाने में मदद करती है।
- आपने साउथ इंडिया में लोगों को केले के पत्ते पर खाना खाते हुए देखा होगा। वहीं, कई रेस्टोरेंट्स भी केले के पत्ते पर साउथ इंडियन फूड्स परोसते हैं। केले के पत्ते पर खाना खाने की एक पुरानी परम्परा रही है। वहीं, सेहत के लिहाज से देखें, तो केले के पत्ते पर खाना खाने के कई फायदे हैं। आइए, जानते हैं कुछ फायदे-डाइजेशन सिस्टम के लिएकेले का पत्ता प्लांट-बेस्ड कंपाउंड, पॉलीफेनॉल्स से पूर्ण होता है। पॉलीफेनॉल्स नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जोकि शरीर में मौजूद फ्री-रेडिकल्स और दूसरी बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करने का काम करते हैं। एक ओर जहां केले की पत्तियों को सीधे तौर पर पचाना संभव नहीं है। वहीं, केले के पत्ते में रखे खाद्य पदार्थ इससे पॉलीफेनॉल्स को अवशोषित कर लेते हैं। इससे शरीर को इन ऑक्सीडेंट्स का फायदा भी मिल जाता है।खाने का स्वाद बढ़ता हैकेले की पत्तियों पर मोम के जैसी एक ऊपरी परत होती है। हालांकि, ये परत बहुत पतली होती है लेकिन इसका स्वाद बहुत अलग होता है। जब गर्म खाना केले के पत्ते पर परोसा जाता है, तो ये मोम पिघलकर खाने में मिल जाती है। जिससे खाने का स्वाद और बढ़ जाता है।इको फ्रेंडली भी हैकेले के पत्ते पर खाना खाना पर्यावरण सुरक्षा के लिहाज से एक सार्थक पहल है। आमतौर पर लोग भोज या फिर किसी समारोह में प्लास्टिसक या स्टीरोफोम के प्लेट्स का इस्तेमाल करते हैं। इस्तेमाल के बाद इन्हें यूं ही फेंक दिया जाता है। जबकि केले के पत्तों को डिकंपोज करना बहुत ही आसान है।पूरी तरह स्वच्छकेले की पत्तियों को बहुत अधिक साफ करने की जरूरत नहीं होती है। ये खुद ही बहुत हाइजीएनिक होती हैं। इन्हें सिर्फ थोड़े से पानी से साफ करके इस्तेमाल में लाया जा सकता है। प्लास्टि क की प्लेट में खाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।केमिकल फ्री आहारकेले के पत्ते में खाने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इससे हमारे शरीर में किसी भी प्रकार का कोई रासायनिक पदार्थ प्रवेश नहीं कर पाता है। जबकि प्लास्टिक की प्लेट में खाने से पिघली हुई प्लास्टिाक का कुछ अंश हमारे शरीर में भी चला जाता है। जो कैंसर जैसी भयानक बीमारी का कारण भी बन सकता है। ऐसे में केले के पत्ते पर खाना खाना स्वास्थ्य के लिहाज से बहुत फायदेमंद है।
- गर्मियों में खाने से ज्यादा ड्रिंक्स पर ध्यान देना चाहिए। आज हम आपको बता रहे हैं, ऐसी समर ड्रिंक जिससे न सिर्फ आपको गर्मी से राहत मिलेगी बल्कि डाइजेशन के लिए भी यह ड्रिंक बहुत फायदेमंद है।सामग्री :1 ककड़ी (टुकड़ों में कटी हुई), 1 चम्मच अदरक (कद्दूकस किया हुआ), 1/2 लीटर पानी पुदीने के पत्ते, 1 टीस्पून नींबू का रसकाला, नमक स्वादानुसार।विधि :एक बाउल में पानी, ककड़ी, अदरक और पुदीना पीसकर मिलाएं।इसके बाद इसमें काला नमक डालकर मिक्स कर लें।पानी में नींबू का रस निचोड़ दें।तैयार है ककड़ी और पुदीने का जूस।
- कोरोना वायरस के मामले दिन ब दिन आसमान छू रहे हैं। इस बीच भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने पेन किलर्स नहीं खाने का सुझाव दिया है। आईसीएमआर ने कहा है कि आईब्रूफिन जैसी कुछ अन्य दर्दनिवारक दवाएं कोरोने के लक्षणों को और बढ़ा सकती हैं। इस तरह की दवाओं के सेवन से कोविड -19 के लक्षण और भी गंभीर हो सकते हैं। इसलिए नॉन स्टीरॉयड एंटी इंफ्लेमेटरी दवाएं लेने से बचें। इन दवाओं की जगह जरूरत पडऩे पर आप पैरासीटमऑल का इस्तेमाल कर सकते हैं। आईसीएमआर ने मरीजों द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्न श्रंख्ला में इसका जवाब देते हुए इस तरह की दवाओं को स्वास्थ्य के लिए घातक बताया है। साथ ही बिना बीमारी में बिना चिकित्सक की सलाह के इन दवाओं का सेवन नहीं करने की सलाह दी है।इन रोगों के मरीज दें खास ध्यानआईसीएमआर ने तमाम आशंकाओं को खारिज करते हुए यह साफ कर दिया कि किसी अन्य या सामान्य व्यक्ति की तुलना में हाईपरटेंशन , हृदय रोग और मधुमेह के रोगियों को में कोविड 19 के संक्रमण का अधिक खतरा नहीं है। अब तक ऐसा कोई साक्ष्य़ सामने नहीं आया है। हां लेकिन ऐसे रोगियों में कोरोना के मामले बेहद गंभीर भी हो सकते हैं। इसलिए ऐसे रोगियों को अतिरिक्त देखभाल की आवश्यकता है। साथ ही आईसीएमआर ने किडनी और हृदय रोगों से ग्रस्त लोगों को चेताते हुए पेन किलर नहीं खाने की सलाह दी है।आईसीएमआर ने किया दावाआईसीएमआर का यह दावा है कि देश में 80 प्रतिशत कोरोना मरीजों में खांसी, बुखार और गले में दर्द आदि जैसे सामान्य लक्षण ही देखे जा रहे हैं। आईसीएमआर द्वारा यह कहा गया है कि उच्च रक्तचाप की दवाओं से कोरोना संक्रमण की गंभीरता बढऩे का अभी तक कोई साक्ष्य नहीं मिला है। उच्च रक्तचाप के मरीज अगर इन दवाओं के सेवन को प्रतिबंधित कर देंगे तो यह उन्हीं के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती हैं। उच्च रक्तचाप की दवाएं हार्ट फेल होने से रोकती हैं। इसलिए इनका सेवन न छोड़ें।वैक्सीन के तुरंत बाद पेन किलर न लेंचिकित्सकों के अनुसार हम शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और कोरोना से बचने के लिए वैक्सीन लगवाते हैं, लेकिन अगर वैक्सीन लगवाने के तुरंत बाद किसी प्रकार का दर्द हो तो पेनकिलर लेने से बचें। ऐसा करना हमारी इम्यूनिटी को प्रभावित कर सकता है। इसके बाद भी अगर पेन किलर खाने की आवश्यकता पड़े तो चिकित्सक से पूछकर ही इसका प्रयोग करें। ऐसा करना आपके शरीर को नुकसान भी पहुंचा सकता है।डायबिटीज पर दें ध्यानआईसीएमआर ने डायबिटीज के रोगियों को खासतौर पर अपनी दिनचर्या में बदलाव लाने की सलाह दी है। उन्हें अपने शुगर के स्तर को व्यायाम आदि के जरिए नियंत्रित रखने लिए कहा गया है। आईसीएमआर ने कहा कि आमतौर पर अनियंत्रित डायबिटीज के रोगियों को कोरोना संक्रमण होने का अधिक खतरा रहता है। डायबिटीज के मरीज यदि संक्रमित हो जाएं तो उनके ग्लूकोज के स्तर पर की देखरेख करने के साथ ही उनके शरीर में इंसुलिन की मात्रा को दोबारा से नियंत्रित करने की जरूरत होती है।शारीरिक गतिविधियों में लाएं बदलावकोरोना काल में अपनी गतिविधियों में बदलाव लाना बेहद जरूरी है। ऐसे में कोरोना के खतरे को और बढ़ा देने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करने वाले पदार्थों जैसे शराब और धूम्रपान आदि के सेवन से बचें। साथ ही शारीरिक गतिविधियों पर जोर देते हुए नियमित रूप से व्यायाम करें। खान पान पर विशेष ध्यान देते हुए पौष्टिक आहार जैसे प्रोटीन, फाइबर और सब्जियां आदि का सेवन जरूर करें। अगर आप मांसाहारी हैं तो मांस का सेवन भी जारी रख सकते हैं।
- 18 साल और इससे ऊपर उम्र वाले सभी लोगों के कोरोना वैक्सीनेशन का कार्य आज से शुरू हो गया । इस आलेख के माध्यम से हम जानेंगे कि वैक्सीन बॉडी में जाकर किस तरह रिएक्ट करती है। जिन लोगों ने पहले वैक्सीन लगवाई है उन्होंने हल्के बुखार, थकान और हाथ में भारीपन, सिर में दर्द, बॉडी पेन की शिकायत की । ये सामान्य लक्षण हैं जो किसी भी वैक्सीन के लगने पर देखें जाते हैं। कोरोना वैक्सीन लगवाने से संक्रमित होने की आशंका घट जाती है क्योंकि वैक्सीन शरीर में एंटीबॉडी बनाने का काम करती है। कोरोना वैक्सीन लगवाने वाले लोगों को कोरोना के गंभीर लक्षण होने की आशंका कम होगी। इस बारे में ज्यादा जानकारी लखनऊ के केयर इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फिजिशियन डॉ. सीमा यादव ने दी है।उनके अनुसार वैक्सीन का पहली डोज लगते ही दो तरह के वाइट ब्लड सैल्स एक्टिवेट हो जाएंगे। पहला प्लाज्मा बी सैल्स जो कि एंटीबॉडी बनाने का काम करता है और दूसरा टी सैल्स, जो पैथोजन की पहचान कर उसे खत्म करने का काम करेगा। आसान भाषा में कहें तो वैक्सीन की पहली डोज लेने के बाद शॉट आपके शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी तैयार करेगी जिससे आपको वायरस से बचाया जा सकेगा। ये जरूरी नहीं है कि जिन लोगों को वैक्सीन लगी है उन्हें कोरोना का खतरा नहीं होगा क्योंकि हर व्यक्ति की इम्यूनटिी पॉवर अलग होती है। वैक्सीन के जरिए शरीर में एंटीबॉडी बनाई जाती है जो एक तरह का प्रोटीन है। इसे न्यूट्रलाइजिंंग एंटीबॉडी कहा जाता है। न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी बॉडी में घुसने वाले वायरस के खिलाफ काम करता है।कोरोना वैक्सीन के माइल्ड सिम्टम्स से डरें नहींबहुत से लोगों को वैक्सीन लगवाने में डर लग रहा है क्योंकि उन्हें लगता है कि वैक्सीन उनके शरीर में जाकर नेगेटिव असर करेगी जबकि ऐसा नहीं है। कोविशील्ड और कोवाक्सीन दोनों को ही क्लीनिकल परीक्षण के बाद लोगों को लगाया गया है। जिन लोगों को वैक्सीन लग चुकी है उन्होंने बताया कि वैक्सीन लगने के दिन बुखार आया, वहीं किसी ने कहा कि वैक्सीन से हाथ में भारीपन महसूस हुआ वहीं कुछ ने थकान लगने की शिकायत की. लेकिन इन बातों से डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि ये वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स नहीं है। किसी भी वैक्सीन के लगने पर बुखार आना सामान्य सी बात है, बुखार आना इस बात का प्रूफ है कि ठीक तरह से वैक्सीन लगाई गई है। इन हल्के लक्षणों से डरे नहीं। एक से दो दिन में बिल्कुल नॉमर्ल हो जाएंगे। सभी लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज लेनी है, नहीं तो शरीर में एंटीबॉडी की ग्रोथ ठीक तरह से नहीं हो पाएगी और लोग आसानी से वायरस की चपेट में आ सकते हैं।कोरोना वैक्सीन की पहली डोज कितनी फायदेमंद होगी?अनुमान के मुताबिक वैक्सीन की पहली डोज 52 प्रतिशत इफेक्टिव होगी। हालांकि पहली डोज लेते ही इम्यूनिटी नहीं बनती उसमें समय लगता है इसलिए दूसरी डोज स्किप न करें। दोनों डोज लें ताकि आपकी बॉडी में ज्यादा एंटीबॉडी बने और टी-सैल्स की मात्रा भी ज्यादा हो। अगर वैक्सीन लगने के बाद कोविड हो भी गया तो डॉक्टरों के मुताबिक गंभीर लक्षण होने की आशंका वैक्सीन लगने से कम हो जाएगी।
- जब शरीर इंसुलिन हार्मोन का उत्पादन नहीं कर पाता तो ब्लड शुगर यानी खून में ग्लूकोज का लेवल बढ़ जाता है। लंबे समय तक यही स्थिति बनी रहे तो डायबिटीज की बीमारी हो जाती है। डायबिटीज के मरीज खानपान के तरीके में बदलाव करके काफी हद तक इस बीमारी को कंट्रोल कर सकते हैं। डायबिटीज के मरीजों के लिए अरहर दाल काफी फायदेमंद है।इन वजहों से डायबिटीज में फायदेमंद है दाल-इसका कारण ये है कि अरहर दाल को प्रोटीन का पावर हाउस माना जाता है।-इसके अलावा दाल में आयरन, जिंक, फोलेट और मैग्नीशियम जैसे विटामिन और मिनरल्स भी होते हैं।-दाल में फाइबर ी मात्रा भी काफी अधिक होती है. इसमें घुलनशील और अघुलनशील दोनों तरह का फाइबर होता है।-दाल का ग्लाइसिमिक इंडेक्स भी कम होता है और इसमें कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट होता है।-ये सारी खूबियां शरीर में ब्लड शुगर को मैनेज करने में मदद करती हैं, इसलिए डायबिटीज के मरीजों के लिए दाल खासकर अरहर दाल खाना बेहद फायदेमंद माना जाता है।अरहर दाल के अलावा इन चीजों को भी खाएंएक रिसर्च में यह बात साबित भी हो चुकी है कि अरहर दाल खाने या अरहर दाल का पानी पीने से शुगर को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। अरहर दाल के अलावा चना दाल, राजमा, हरी वाली मूंग दाल, चना या छोले का भी सेवन फायदेमंद होता है। ये सारी चीजें भी ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करती हैं।
- क्या आप जानते हैं कि फेवरेट ड्रिंक से भी खराब हो सकती है किडनी? जी हां। कुछ लोकप्रिय ड्रिंक्स हैं जिन्हें लोग बहुत पसंद करते हैं, लेकिन यह किडनी को नुकसान पहुंचाती है। जानें कौन सी है ये ड्रिंक्स...1. कोल्ड ड्रिंकअगर आप कोल्ड ड्रिंक लवर हैं और हर दिन इसे पीना पसंद करते हैं तो संभल जाइए। कोल्ड ड्रिंक में फॉसफोरिक एसिड होता है जिससे किडनी डिसीज की आशंका बढ़ जाती है। अगर आप किडनी को हेल्दी रखना चाहते हैं वो कोल्ड ड्रिंक का सेवन न करें। साल 2016 में प्रकाशित एक जर्नल के मुताबिक 2382 लोगों के सर्वे में जिन लोगों ने एक हफ्ते में कोल्ड ड्रिंक का सेवन ज्यादा किया, उनमें किडनी डिसीज का खतरा ज्यादा नजर आया बजाय उनके जिन्होंने कोल्ड ड्रिंक का सेवन नहीं किया।2. डाइट सोडाअगर आपको लगता है कि डाइट सोडा एक हेल्दी विकल्प है तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है बल्कि ये आपकी किडनी की सेहत बिगाड़ सकता है। डाइट सोडा में हाई-फ्रूकटोस कॉर्न सिरप मिलाया जाता है जो कि किडनी के लिए अच्छा नहीं होता। जो लोग रोजाना या हफ्ते में तीन बार से ज्यादा डाइट सोडा पीते हैं उनकी किडनी जल्दी खराब हो सकती है। कुछ लोगों को लगता है कि डाइट सोडा कि ड्रिंक्स के मुकाबले हेल्दी और कम शुगर में बनती है जबकि ऐसा नहीं है। अगर आप इसका सेवन करते हैं तो तुरंत बंद कर दें।3. एल्कोहॉलशराब का सेवन रोजना करने से लिवर के साथ ही किडनी भी खराब होती है। जो लोग एल्कोहॉल का ज्यादा सेवन करते हैं उनकी यूरीन में एल्बुमिन प्रोटीन कॉन्टेंट बढ़ा हुआ मिलता है जो कि किडनी डिसीज का एक संकेत माना जाता है इसलिए एल्कोहॉल के सेवन से बचना चाहिए। 6259 लोगों पर की गई एक स्टडी के मुताबिक जो लोग हैवी ड्रिंकर्स होते हैं उनकी किडनी फेल होने की संभावना अधिक होती है।4. पैक्ड जूसलोग पैक्ड जूस को हेल्दी समझकर अपनी डाइट में शामिल कर लेते हैं पर पैक्ड जूस में शुगर की मात्रा बहुत ज्यादा होती है और साथ ही इसमें बहुत अधिक कैलोरीज होती हैं। पैक्ड जूस किडनी को भी बीमार बना सकता है। जो लोग अधिक मीठी ड्रिंक्स का सेवन करते हैं उन्हें किडनी की बीमारी होने की आशंका ज्यादा रहती है।
- आजकल कंप्यूटर पर काम करना लाइफस्टाइल का अहम हिस्सा बन गया है। वर्क फ्रॉम होम लगने के बाद से कंप्यूटर के सामने बैठे रहने का समय भी बढ़ गया है। काम के चक्कर में हम लगातार कई घंटे तक स्क्रीन पर नजरें गड़ाए रहते हैं, लेकिन कुछ समय बाद हमें इस वजह से कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ज्यादा देर तक स्क्रीन के सामने रहने पर सिर दर्द होने लगता है। क्या आप जानते हैं ये किस वजह से होता है और इससे कैसे बचा जा सकता है? आइए हम आपको बताते हैं...1. आंखों पर स्ट्रेनएक्सपट्र्स बताते हैं कि कंप्यूटर स्क्रीन और हमारी आंखों के बीच की दूरी को वर्किंग डिस्टेंस कहते हैं। बहुत देर तक इस डिस्टेंस पर काम करने से आंखें थकने लगती हैं और एक खास पॉइंट पर जाकर रेस्ट करना चाहती हैं, जो कंप्यूट स्क्रीन से बहुत दूर हो और इसे रेस्टिंग पॉइंट कहते हैं। लेकिन काम के बीच आपका दिमाग आंखों को फोर्स करता है कि स्क्रीन पर टिकी रहें। ऐसे में आंखों का स्ट्रगल आपको थकान का अहसास कराता है और सिर दर्द होने लगता है।2. खराब पॉश्चरघर में ऑफिस सा माहौल नहीं होता। ऐसे में आप शायद सीधे न बैठकर टेढ़े-मेढ़े बैठते हों या आगे झुककर बैठते हों। इससे आपके सर्वा?इकल नेक पर स्ट्रेस पड़ता है और आंखों और सिर में दर्द शुरू हो जाता है।3. ज्यादा लाइटकंप्यूटर से आने वाली तेज लाइट हमारी आंखों को थका देती है। यह उसी तरह होता है जैसे खिड़की से आने वाली तेज धूप को आंखें नहीं सह पातीं।4. इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड के बीच रहनास्टडी में पाया गया है कि मोबाइल, टीवी, कंप्यूटर के बीच लगातार रहना माइग्रेन की समस्या पैदा कर सकता है। इसलिए कहा जाता है कि जरूरत न होने पर वाईफाई बंद रखें और फोन को भी सिर के पास रखकर न सोएं।बचने के लिए करें ये उपाय-20-20-20 फॉर्मूला अपनाएं। यानी हर 20 मिनट पर 20 सेकंड के लिए स्क्रीन से आंखें हटाएं और 20 फीट की दूरी तक देखें।-घर के अंदर डिम लाइट का प्रयोग करें, तेज धूप या किसी अन्य रोशनी से बचें।-हैंडल वाली कुर्सी का ही प्रयोग करें।-कंप्यूटर की ब्राइटनेस को इस लेवल पर रखें कि आपकी आंखों को चुभे ना-फॉन्ट साइज को छोटा न रखें। इसे हमेशा बढ़ाकर ही काम करें।-कंप्यूटर की स्क्रीन को लगातार देर तक न देखते रहें।-ओवरहेड लाइट का न करें प्रयोग।-स्क्रीन पर ग्लेयर फिल्टर का इस्तेमाल करें।-कंप्यूटर की स्क्रीन को गरदन की सीधाई में रखें।अगर इन सबके बाद भी सिर और आंखों में दर्द होता है तो डॉक्टर्स से सलाह लें।
- खरबूजे में करीब 95 प्रतिशत पानी होता है जो गर्मियों में आपको फ्रेश फील कराने के साथ साथ बॉडी में पानी की मात्रा को भी मेंटेन रखता है. जानें इसके फायदे...1. स्किन के लिए फायदेमंदखरबूजे में एंटी एजिंग एजेंट तत्व मौजूद होते हैं जो स्किन के लिए काफी फायदेमंद होते हैं. यह बॉडी पर फ्री रेडिकल्स का प्रभाव नहीं पड़ने देते और स्किन डैमेज को भी सुधारते हैं. साथ ही, प्री-मेच्योर एजिंग से दूर रखते हैं. आप चाहें तो इसके गूदे को फेस पैक की तरह इस्तेमाल करें.2. आखों को रखता है दुरुस्तस्टडी में पाया गया है कि खरबूज को नियमित रूप से खाया जाए तो आपकी आंखें हमेशा हेल्दी रह सकती हैं. इतनी ही नहीं, आंखों की कई परेशानियां भी दूर होती हैं. क्योंकि खरबूज में बेटा कैरोटीन मौजूद होता है जो कैटरेक्ट (मोतियाबिंद) से 40% सेफ्टी दे सकता है.3. इन बीमारियों से भी बचाता हैखरबूजे में डाइयुरेटिक क्षमता होती है, जो किडनी की किसी भी बामारी को ठीक करने में मदद करता है. इशके अलावा, खरबूजा एग्जिमा कम करने में भी कारगर है. खरबूजे में नींबू मिलाकर अगर खाया जाए तो इससे गठिया की बीमारी में भी आराम मिलता है.4. ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में मददखरबूजे के अंदर मौजूद पोटैशियम इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस को मेंटेन करता है. यह रक्तचाप को कंट्रोल करता है और दिल की बीमारियों या स्ट्रोक के चांस को कम करता है.5.नर्वस सिस्टम भी रहता है हेल्दीखरबूजे में मौजूद तत्व हमारे नर्वस सिस्टम को स्वस्थ रखने में कारगर हैं. एंग्जाइटी की परेशानी को भी कंट्रोल करने में खरबूजा मदद करता है.
- पान खाना बहुत लोगों का शौक होता है. वहीं, इसे शुभ माना जाता है लेकिन क्या आपने पान के पत्तों से सेहत को फायदे वाली बात सुनी है? अगर नहीं सुनी तो हम सुनाते हैं...1. सिर दर्द होता है छूमंतरपान के पत्तों के सेवन से सिर दर्द में आराम मिलता है. बताया जाता है कि दर्द कम करने के लिए आप पान के कुछ पत्ते लें और एक कपड़े में रखकर उसे कुछ सिर पर बांध लें. इससे दर्द में राहत मिलती है.2. घाव भी जल्दी भर देता हैचोट ठीक करने के लिए भी पान के पत्ते कारगर होते हैं. घाव की जगह पर बस पान का पत्ते को कपड़े से बांधकर छोड़ दें. इससे घाव जल्दी भर सकता है.3. खांसी से मिलता है छुटकाराअगर आप सूखी खांसी से परेशान हैं और जल्द इसे ठीक करना चाहते हैं तो पान के पत्ते से मदद मिल सकती है. इसके लिए बस पत्ते पीसकर उसका रस निकाल लें और शहद मिलाकर खाएं. खांसी में राहत मिलेगी.4. बच्चों को हो सर्दी तो भी मदद करे पानबच्चों की सर्दी ठीक करने के लिए पान का इस्तेमाल किया जाता है. इसके लिए पान के कुछ पत्ते गर्म कर लें और कैस्टर ऑयल के साथ बच्चे के सीने पर रखें. सर्दी ठीक हो सकती है.5. सर्दी-ज़ुकाम में मिलता है आरामपान के पत्तों से सर्दी जुकाम ठीक हो सकता है. इसके लिए आप पान के पत्तों से डंठल अलग कर दें. अब इन डंठलों को पत्थर पर घिसें और थोड़ा शहद मिलाकर इसे खाएं. कफ में भी आराम मिलेगा.6. ब्रेस्ट स्वेलिंग से मिलती है निजातनई मां को कई बार ब्रेस्ट स्वेलिंग की समस्या आती है. ऐसे में वह बच्चे को दूध नहीं पिला पातीं. इस सूजन को दूर करने के लिए पान के पत्तों को हल्का गर्म कर लें और स्तन पर बांध कर रख लें. इससे स्वेलिंग में आराम मिलेगा.
- कोरोना के इस दौर में लोगों का इम्यून सिस्टम मजबूत होना बेहद जरूरी है। इसलिए आज हम इस आर्टिकल में 3 तरह के हर्बल ड्रिंक्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जो इम्युनिटी को स्ट्रॉन्ग बनाने के साथ-साथ बाकी बीमारियों को दूर रखने में भी मददगार हैं..... तो आइये जानते हैं....1. अदरक+हल्दी+एप्पल साइडर विनेगरहल्दी, अदरक और एसीवी से बना ये हरबल ड्रिंक स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है। इस ड्रिंक में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं। एप्पल साइडर सिरका कब्ज, ब्लड शुगर, वजन घटाने और हृदय रोगों से बचाव करने में मददगार होता है। इसके अलावा यह हमारे इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करता है। वहीं, हल्दी और अदरक में एंटी-ऑक्सिडेंट और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं। हल्दी एक आयुर्वेदिक औषधि के रूप में इस्तेमाल की जाती है। वहीं, अदरक भी सफेद रक्त कोशिकाओं (व्हाइट ब्लड सेल्स) की संख्या को बढ़ाने में मददगार होता है, जो वायरस से लडऩे में मददगार है।ऐसे बनाएं ये ड्रिंकइसके लिए आपको एक गिलास पानी में अदरक और हल्दी को मिलाकर 10 मिनट तक उबालना होगा। उबलने के बाद इस पानी तो थोड़ी देर रख दें। हल्का गुनगुना होने पर इसमें शहद और एक चम्मच सेब का सिरका डालें और पी लें। रोजाना इसके सेवन से इम्युन सिस्टम मजबूत होगा।2. अजवाइन+काली मिर्च+ तुलसीअजवाइन एक ऐसा मसाला है, जिसमें तमाम औषधीय गुण होते हैं। कई बीमारियों के इलाज में इसका उपयोग किया जाता है। पेट दर्द, सर्दी-खांसी, जुकाम जैसी अन्य समस्याओं को दूर करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा अजवाइन इम्युनिटी बूस्ट करने में काफी मददगार है।ऐसे बनाएं ये ड्रिंकएक पैन में 1 गिलास पानी, अजवाइन, काली मिर्च और तुलसी के पत्तों को डालकर 5 मिनट तक उबालें। उबलने के बाद इस पानी तो थोड़ी देर रख दें। हल्का गुनगुना होने पर इसमें शहर मिलाएं और पी लें। इससे आपका इम्युन सिस्टम मजबूत होने के साथ-साथ और भी कई समस्याओं से निजात मिलेगी।3. गिलोय + तुलसीगिलोय में कई तरह के औषधीय गुण मौजूद होते हैं। इसके सेवन से इम्युनिटी तो बढ़ती ही है, साथ ही सर्दी-खांसी भी जल्द दूर होती है। इसके अलावा पाचन तंत्र भी सही रहता है। ऐसे ही तुलसी भी कई तरह से फायदेमंद होती है। तुलसी भी कई तरह के मर्ज को ठीक करने में मददगार साबित होती है। आयुर्वेद में दोनों को औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है।ऐसे बनाएं ये ड्रिंकएक पैन में एक कप पानी, तुलसी के 10-15 पत्ते डालें। 5 मिनट तक इस पानी को उबालें। गैस से उतारने के कुछ देर बाद ठंडा किसी बर्तन में रख लें। फिर इसमें 1 कप गिलोय का रस और एक चुटकी काला नमक और नींबू का रस मिला लें और पी जाएं। आप चाहें तो उबालते वक्त लौंग और अदरक भी डाल सकते हैं।
- आपने अपनी रसोई में कई तरह के मसाले, हब्र्स और बीज देखे होगें। उन्हीं में से एक बीज है 'अजवाइन'। अजवाइन न सिर्फ एक मसाला है, बल्कि एक ऐसी औषधि भी है जिसके प्रयोग से मोटापा कम किया जा सकता है और स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है। तो चलिये जानें कि अजवाइन से मोटापे को कैसे कम किया जा सकता है।अजवाइन मोटापे कम करने में भी कारगर होती है। इससे मोपाटा कम करने के लिये रात को एक चम्मच अजवाइन को एक गिलास पानी में भिगो कर रख दें। सुबह उठने पर इसे छानकर एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर पीएं। इसके नियमित सेवन से जल्द ही मोटापा कम होने लगता है। लेकिन अजवाइन या अन्य रोई भी नुस्खा कोई चमत्कार नहीं होता है। इन नुस्खों के साथ-साथ नियमित एक्सरसाइज व पौष्टिक और संतुलित भोजन करने की भी जरूरत होती है। साथ ही शरीर को ठीक से हाइड्रेट भी रखना होता है। इसलिए दिनभर खूब पानी पियें और हरी सब्जियां और मौसमी फल खाएं।दूर होगी पाचन संबंधी समस्यायदि पाचन ठीक न हो तो मोटाबॉलिज्म खराब होता है और इससे मोटापा भी बढ़ता है। अजवाइन पाचन संबधी किसी भी समस्या को ठीक करने में सहायक होती है। यह एक प्रकार का एंटी एसिड होती है जो कि बदहज़मी की समस्या से बचाव करती है। अजवाइन को छाछ के साथ पीने से पाचन संबधी समस्या जैसे अपच आदि से राहत मिलती है।कई समस्याओं का इलाज है अजवाइन-एसिडिटी की समस्या होने पर अजवाइन को चबाकर खाएं और उसके बाद एक कप गर्म पानी पी लें, एसिडिटी की समस्या दूर हो जायेगी।-पेट में कीड़े हैं तो काले नमक के साथ अजवाइन खाएं, लीवर की परेशानी है तो 3 ग्राम अजवाइन और आधा ग्राम नमक भोजन के बाद लेने से फायदा होगा।-पाचन तंत्र में किसी भी तरह की गड़बड़ी होने पर मट्ठे के साथ अजवाइन लेने से आराम मिलता है।-गैस की समस्या के लिए 1-2 ग्राम खुरसानी अजवाइन में गुड़ मिलाकर इसकी गोलियां बना कर खाएं, इससे तुरंत राहत मिलेगी।-पेट में गैस होने पर हल्दी, अजवाइन और एक चुटकी काला नमक लें, इससे भी बहुत जल्दी आराम मिलता है।-एसिडिटी की तकलीफ है तो थोड़ा-थोड़ा अजवाइन और जीरा को एक साथ भून लें, इसे पानी में उबाल कर छान लें। छने हुए पानी में चीनी मिलाकर पीने से एसिडिटी की समस्या दूर होगी।-----
- गर्मियों के मौसम में लस्सी और छाछ पीना लगभग हर किसी को पसंद होता है। वैसे भी ये दही को डाइट में शामिल करने से शरीर को ना केवल पौष्टिक तत्व मिल जाते हैं बल्कि ये शरीर को गर्मी से भी बचाते हैं। आज हम बता रहे हैं स्वादिष्ट छाछ बनाने की विधिछाछ बनाने की सामग्रीआधा कप दही, एक कप पानी, खीरा कद्दूकस किया हुआ, ताजा पुदीने के पत्ते, काला नमक स्वादानुसार, काली मिर्च पाउडर, बर्फ के टुकड़े।छाछ बनाने की विधिसबसे पहले दही और पानी के साथ बर्फ को मिलाकर अच्छे से मिक्सी या ग्लाइंडर में ब्लेंड कर लें। इसमे नमक, काली मिर्च, खीरा डालकर मिक्स करें। अब सर्व करते समय पुदीने की पत्तियों को डालें और छाछ निकालकर गिलास में सर्व करें। तैयार है गर्मियों का देसी ड्रिंक जो आपको तरोताजा रखने के साथ ही सेहतमंद भी बनाएगी।
- देश मे लगातार कोरोना संक्रमण को देखते हुए देश में बड़े स्तर पर टीकाकरण भी किया जा रहा है, ताकि लोग संक्रमण से बचे रहें। वहीं दूसरी तरफ वैक्सीन लगवाने के बाद कुछ लोगों को इसके साइड इफेक्ट्स का भी सामना करना पड़ रहा है। मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक वैक्सीन लगवाने के बाद कुछ लोगों को बुखार या बदन दर्द जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।वैक्सीन लगवाने के बाद होने वाले साइड इफेक्ट्स से बचाव के लिए क्या किया जाए। इसको लेकर हार्वर्ड न्यूट्रीशियन ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर की है। इसके माध्यम से उन्होंने बताया कि वैक्सीन लगवाने से पहले और बाद में अपनी डाइट में कुछ चीजें शामिल कर लें। दरअसल सेहत को बेहतर बनाए रखने में हमारी डाइट की अहम भूमिका होती है। संक्रमण के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए वैक्सीन लगवाएं और कुछ चीजें ध्यान में रखें तो आपको इसका फायदा ही होगा।ताज़ी सब्जियां शामिल करेंअपनी डाइट में हरी सब्जियों को शामिल जरूर करें। हरी सब्जियां कई पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं। पालक, केले और ब्रोकोली जैसी सब्जियां जरूर शामिल करें। ये एंटीऑक्सिडेंट में भरपूर होती हैं, जो शरीर में होने वाली सूजन को दूर करने में मददगार होती हैं।हेल्थी होममेड सूपशरीर की इम्यून पावर को बढ़ाने के लिए बेहतर आहार लेना बहुत जरूरी है. इसके लिए आप स्टू और सूप का सेवन करें।एंटी इंफ्लेमेटरी ब्लूबेरीएंटी इंफ्लेमेटरी फ़ूड में शामिल है ब्लूबेरी। यह शरीर में सेरोटोनिन का स्तर बढ़ाती है। इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जो कई बीमारियों से बचाव और उनकी रोकथाम में सहायक होती है।अच्छे बैक्टीरिया वाले प्याज -लहसुनप्रोबायोटिक्स से समृद्ध हैं प्याज और लहसुन। प्याज फाइबर और प्रीबायोटिक्स(अच्छे बैक्टीरिया) का एक समृद्ध स्रोत है, जो आंतों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं।इम्युनिटी को बढ़ाती हल्दीहमारे शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाती है जिस वजह से तमाम तरह की संक्रामक बीमारियों से बचाव होता है। सूजन से लडऩे में भी कारगर है हल्दी। साथ ही आपके मस्तिष्क को तनाव से भी बचाती है। हल्दी में पाया जाने वाला रसायन करक्यूमिन तनाव को कम करने में सहायक है।
- कोरोना वैक्सीनेशन का तीसरा फेस 1 मई से शुरू होने जा रहा है। 1 मई के बाद हमारे देश में 18 साल से अधिक के लोग वैक्सीन लगा सकते हैं। इससे पहले यह जानना जरूरी है कि वैक्सीनेशन से पहले और बाद में अपने शरीर का किस तरह से ध्यान रखना जरूरी है। हमारे आसपास के लोग वैक्सीनेशन से जुड़े कई टिप्स शेयर कर रहें हैं। इन टिप्स में से कई हमारे लिए लाभकारी भी हो सकते हैं और कुछ ऐसे भी टिप्स हो सकते हैं जो महज एक मिथ है। इसलिए खुद को सुरक्षित रखने के लिए सही जानकारी होना बहुत ही जरूरी है। चलिए जानते हैं वैक्सीनेशन से पहले और बाद में हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं-अमेरिका के सीडीसी (सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन) के अनुसार, वैक्सीनेशन के बाद बेहोशी, मांसपेशियों में दर्द, नजला, फीवर, सिरदर्द जैसे लक्षण दिख रहे हैं। ऐसी स्थिति में भरपूर पानी पीने की जरूरत है। शरीर को डिहाइड्रेट करके और इन लक्षणों को कम कर सकते हैं। साथ ही वैक्सीनेशन से पहले और बाद में शराब न सेवन न करना ही स्वास्थ्य के लिए बेहतर है। शराब के सेवन से न सिर्फ इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, बल्कि इससे डिहाइड्रेशन की समस्या भी बढ़ती है। इतना ही नहीं शराब पीने से स्ट्रेस लेवल भी बढ़ता है और इस स्थिति में मेंटली और फिजीकली स्ट्रॉन्ग होना बहुत ही जरूरी है।खाली पेट न लगाएं वैक्सीनवैक्सीन लगाने से कुछ खा जरूर लें। रात में भूखे पेट न सोएं। ऐसा करने से चक्कर आने की समस्या उत्पन्न हो सकती है। अगर आप वैक्सीन लगाने जा रहे हैं, तो घर में बना खाना- जैसे- दही, अंडे, हेल्दी बार, नट्स या फिर फ्रूट्स का सेवन करें, ताकि बेहोशी की समस्या ना हो। एक्सपर्ट का कहना है कि वैक्सीन लगाने के तुरंत बाद शरीर का इम्यून सिस्टम तेजी से कार्य करने लगता है, जिसके कारण हाथों में दर्द, हल्के-फुल्के बुखार और शरीर में दर्द जैसे साइड-इफेक्ट्स दिख सकते हैं। इसलिए इस दौरान शारीरिक कमजोरी होने से परेशानी बढ़ सकती है। इसलिए अपने पेट को खाली न रखें।क्या वैक्सीनेशन के बाद कर सकते हैं एक्सरसाइज?वैक्सीनेशन के बाद आराम बहुत ही जरूरी है, खासतौर पर जब आप अच्छा फील नहीं कर रहे हैं। लेकिन हल्के-फुल्के एक्सरसाइज जरूरी हैं। इस दौरान हैवी एक्सरसाइज करने की जरूरत नहीं है, लेकिन ब्रिक्स वॉक कर सकते हैं। इसके साथ ही हल्के-फुल्के एक्सरसाइज करें। कोरोनाकाल में हम में से अधिकतर लोगों ने एक्सरसाइज करना बंद कर दिया है, लेकिन हर किसी को प्रतिदिन हेल्दी और एक्सरसाइज की जरूरत होती है। ऐसे समय में बाहर नहीं जा सकते हैं, इसलिए घर में टहलें या फिर योग करें।वैक्सीनेशन के बाद क्या करें?वैक्सीनेशन के बाद कुछ लोगों को उल्टी, मतली की शिकायत हो सकती है। भले ही आपको यह परेशानी न हो, लेकिन वैक्सीनेशन के बाद तरल और आसानी से पचने वाले आहार का सेवन करें। वैक्सीनेशन के बाद वेजी सूप, सेब, केला, खरबूजा, नारियल पानी, ब्राउन राइस और आलू जैसे हेल्दी फूड्स को अपने डाइट में शामिल हैं। इस दौरान हैवी डाइट न लें। वैक्सीनेशन के बाद अगर आपकी भी भूख कम हो गई है, तो न भूख लगने पर भी कुछ घंटों में स्नैक्स लेने की कोशिश करें। ध्यान रहे कि इस दौरान आपके शरीर को संपूर्ण न्यूट्रीएंश की जरूरत होती है। ताकि आपका इम्यूम सिस्टम सुचारू रूप से कार्य कर सके।ंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिन के मुताबिक, महिलाओं के शरीर को प्रति दिन 11 कप यानि 2.7 लीटर तरल पदार्थ की आवश्यकता होती है। वहीं, पुरुषों की बात की जाए, तो उनके शरीर को एक दिन में 3.7 लीटर तरल पदार्थ की आवश्यकता होती है। लगभग 20 प्रतिशत तरल पदार्थ हमारे भोजन से शरीर को मिल जाते हैं, लेकिन बाकि बचा 8-12 कप हमें पानी या फिर ड्रिंक्स से पूरा करने की जरूरत होती है।
- करेले की सब्जी हर किसी को पसंद नहीं आती। इसका स्वाद भले ही कड़वा होता है, लेकिन सेहत के लिए यह काफी फायदेमंद है। करेले के कई औषधीय फायदे भी हैं। आज हम आपको बता रहे हैं कि कैसे करेले के उपयोग से आप कर सकते हैं रोजमर्रा की छोटी-छोटी समस्याओं को दूर...- पथरी की शिकायत है तो करेले के रस का सेवन करें तो बहुत लाभ होगा। इससे पथरी निकलने में मदद मिलेगी। ताजे करेले के रस का ही सेवन करें। कान में दर्द है तो करेले का रस निकालकर 4-4 बूंदें कान में डालें।-अगर करेले की जड़ ना मिले तो करेले के पत्ते को पीसकर थोड़ा गर्म करके पट्टी में बांधकर घाव पर लगा दें। इससे पस निकल जाएगी। घाव में होने वाले दर्द को भी करेले से कम किया जा सकता है.- घाव या फोड़ा होने पर करेले की जड़ को घिसकर फोड़े या घाव वाली जगह पर दें। इससे फोड़ा भी निकल जाएगा और पस भी निकल जाएगी।-पेट संबंधी दिक्कतों को दूर करने में करेला बहुत लाभदायक है। कम ही लोग जानते होंगे करेला और इसके जूस के अलावा करेले की पत्तियां और छिलका भी बहुत लाभदायक होता है।- करेला मधुमेह में रामबाण औषधि का काम करता है। करेले के टुकड़ों को छाया में सुखाकर पीसकर महीन पाउडर बना लें। रोजाना सुबह खाली पेट एक चम्मच पाउडर का पानी के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है। एक-चौथाई कप करेले के रस में समान मात्रा में गाजर का रस मिलाकर पीना फायदेमंद होता है। 10 ग्राम करेले के रस में शहद मिलाकर रोजाना पीने से मधुमेह नियंत्रण में रहता है। 10 ग्राम करेले के रस में 6 ग्राम तुलसी के पत्तों का रस मिलाकर रोज सुबह खाली पेट पीना लाभकारी है। एक करेले को एक कप पानी में अच्छी तरह उबालकर पिएं। आप इसमें हरे सेब का रस, आंवले का रस या 2-3 चुटकी हींग मिलाकर पी सकते हैं।रोजाना 5 ग्राम करेले का रस पीते रहने वाले लोगों को डायबिटीज में फायदा दिखने लगता है>- करेले में मौजूद बिटर्स और एल्केलाइड तत्व रक्त शोधक का काम करते हैं। करेले की सब्जी खाने और मिक्सी में पीस कर बना लेप रात में सोते समय लगाने से फोड़े-फुंसी और त्वचा रोग नहीं होते। दाद, खाज, खुजली, सियोरोसिस जैसे त्वचा रोगों में करेले के रस में नींबू का रस मिलाकर पीना फायदेमंद है।-करेला रक्तशोधक होता है। चर्म रोगी को भी यह लाभकारी है। फोड़े फुंसी तथा अन्य चर्म रोगों पर करेले का रस लगाने से बहुत लाभ होता है। प्रतिदिन सुबह-शाम आधा चम्मच रस बराबर मात्रा में शहद के साथ लेने से खून की खराबियों को दूर करता है तथा खून साफ हो जाता है। करेला खून की शुद्धि करने में पूरी तरह सक्षम है। यदि त्वचा-रोग हो तो भी रक्त-शुध्दि हेतु करेले का रस कुछ दिनों तक आधा-आधा कप पीना लाभदायक है। इस प्रकार करेला अनेक रोगों में औषधि रूप में काम आ सकता है बशर्ते उसे उसी रूप में लिया जाये- रस या सब्जी बनाकर।- करेले में मौजूद खनिज और विटामिन शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं जिससे कैंसर जैसी बीमारी का मुकाबला भी किया जा सकता है।- करेला हमारी पाचन शक्ति को बढ़ाता है जिसके कारण भूख बढ़ती है। करेले ठंडा होता है, इसलिए यह गर्मी से पैदा हुई बीमारियों के उपचार के लिए फायदेमंद है। यदि पाचन शक्ति कमजोर हो तो किसी भी प्रकार करेले का नित्य सेवन करने से पाचन शक्ति मजबूत होती है। करेला स्वयं भी शीघ्र पचता है।-प्रति 100 ग्राम करेले में लगभग 92 ग्राम नमी होती है। साथ ही इसमें लगभग 4 ग्राम कार्बोहाइडेट, 15 ग्राम प्रोटीन, 20 मिलीग्राम कैल्शियम, 70 मिलीग्राम फास्फोरस, 18 मिलीग्राम, आयरन तथा बहुत थोड़ी मात्रा में वसा भी होती है। इसमें विटामिन ए तथा सी भी होती है जिनकी मात्रा प्रति 100 ग्राम में क्रमश: 126 मिलीग्राम तथा 88 मिलीग्राम होती है।
- भोजन का स्वाद बढ़ाना हो या सलाद की प्लेट की शोभा, दोनों ही प्याज के बिना अधूरे से लगते हैं। प्याज न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाता है बल्कि इसका नियमित सेवन व्यक्ति को कई रोगों से भी दूर रखता है। सफेद प्याज में एंटी-इंफ्लेमेट्री, एंटी-एलर्जिक, एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-कार्सिनोजेनिक गुण प्रचूर मात्रा में मौजूद होते हैं। इतना ही नहीं सफेद प्याज में विटामिन ए, बी6, बी-कॉम्प्लेक्स, आयरन, फोलेट और पोटैशियम जैसे तत्व भी पाए जाते हैं। इसका नियमित सेवन करने से व्यक्ति को कई गजब के लाभ मिलते हैं। आइए जानते हैं।सफेद प्याज का सेवन करने के फायदे-इम्यूनिटी-सफेद प्याज में मौजूद सेलेनियम व्यक्ति की इम्यूनिटी बढ़ाने का काम करता है। सेलेनियम वायरल और एलर्जी के मैनेजमेंट में भी एक अच्छी भूमिका निभाता है। अपनी इम्यूनिटी को मजबूत बनाने के लिए आप भी डाइट में सफेद प्याज को शामिल कर सकते हैं।पेट की सेहत का रखता है ध्यान-सफेद प्याज फाइबर और प्रीबायोटिक्स का एक अच्छा स्रोत है जो आपके पेट की सेहत का ध्यान रखता है। प्याज में खासकर प्रीबायोटिक इनुलिन और फ्रुक्टो ओलिगोसैचेराइड्स प्रचूर मात्रा में पाए जाते हैं। और इसके नियमित उपयोग से आपके पेट में अच्छे बैक्टीरिया की संख्या बढ़ जाती है।डायबिटीज-सफेद प्याज में पाए जाने वाले क्वेर्सिटिन और सल्फर में एंटी डायबिटिक गुण मौजूद होते हैं, जो ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। डायबिटीज रोगियों के लिए प्याज का सेवन काफी फायदेमंद माना जाता है।झड़ते बालों की समस्या-बाल झड़ने की समस्या से परेशान हैं तो सफेद प्याज के रस को बालों पर लगाएं। इसके इस्तेमाल से बालों को मजबूत चमकदार और डैंड्रफ व असमय बाल सफेद होने जैसी समस्या से बचाया जा सकता है।स्पर्म काउंट-जिन पुरुषों के स्पर्म काउंट कम होते हैं वे लोग रोजाना सफेद प्याज का रस शहद में मिलाकर ले सकते हैं। ऐसा करने से तेजी से स्पर्म में वृद्धि होती है। प्याज में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट प्राकृतिक रूप से स्पर्म बढाने का कार्य करता है।
- गर्मियों के मौसम में ककड़ी खाने के हजारों फायदे हैं. ककड़ी में बहुत सारा पानी होता है जो हमें डीहाइड्रेशन से बचाता है. इसके साथ ही इसमें विटामिन A, C, K, पोटेशियम, ल्यूटीन, फाइबर जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं. आपको जानकर खुशी होगी कि ककड़ी से वेट लॉस में भी मदद मिलती है. जानें इसके फायदे...1. वेट लॉस में मिलती है मददककड़ी खाने से वजन कम किया जा सकता है. क्योंकि ककड़ी में बहुत कम कैलोरी होती है. इसके अलावा इसमें वजन बढ़ाने वाला कोई तत्व नहीं होता. फाइबर में भी ये बहुत रिच है. इस वजह से इसे खाने के बाद पेट भरा रहता है और कुछ खाने का मन नहीं होता.2. कोलेस्ट्रॉल करे कंट्रोलककड़ी खाने से कोलेस्ट्रॉल लेवल भी मेंटेन किया जा सकता है. इसमें एक तत्व होता है, जिसे हम स्टीरॉल कहते हैं. यह बॉडी में सही कोलेस्ट्रोल स्तर बनाकर रखता है.3. ब्लड प्रेशर भी रहता है सामान्य4. किडनी रहती है हेल्दीहम सब जानते हैं कि ककड़ी में पानी की मात्रा बहुत ज्यादा होती है. यह पोटेशियम के साथ मिलकर यूरिक एसिड और किडनी की अशुद्धियों को बॉडी से बाहर निकाल देता है.5. स्किन के लिए है रामबाणककड़ी स्किन और बालों के लिए अमृत के समान है. नियमिचत रूप से अगर ककड़ी खाई जाए तो बालों की ग्रोथ अच्छी होती है. साथ ही, स्किन भी चमकदार होती है. ककड़ी का जूस पीने से दाग-धब्बे गायब होने लगते हैं.6. हड्डियां होती हैं मजबूतककड़ी खाने से हड्डियां मजबूत होती हैं. इसमें विटामिन-K बहुत ज्यादा मात्रा में पाया जाता है. इससे बोन डेंसिटी बढ़ती है और हड्डियां मजबूत हो सकती हैं.7. कब्ज़ से मिलती है निजातककड़ी के नियमित सेवन से कब्ज़ की समस्या को दूर किया जा सकता है. इसके साथ ही गैस और इनडाइजेशन को भी कम करने में मदद मिलती है.
- देश भर में कोरोना का कहर लगातार जारी है। ऐसे में अपने शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता तो दुरुस्त रखना बहुत जरूरी है। आज हम 3 तरह के आयुर्वेदिक काढ़े के बारे में बताने जा रहे हैं. जो सर्दी-जुकाम को ठीक करने के साथ ही इम्युनिटी को स्ट्रॉन्ग बनाने में भी मददगार है। खास बात ये है कि इसमें इस्तेमाल होने वाली चीजें सभी की रसोई घरों में आसानी से मिल जाती है।ये हैं वो 3 स्पेशल काढ़े1. लौंग, काली मिर्च, अदरक और गुड़ का काढ़ाअगर खांसी, सर्दी-जुकाम या गले में खराश की शिकायत है, तो लौंग, काली मिर्च, अदरक और गुड़ का काढ़ा लाभदायक हो सकता है। इसके लिए लौंग और काली मिर्च को बारीक पीसकर अदरक और गुड़ के साथ पानी में डालकर उबालना होगा। इसमें कुछ तुलसी की पत्तियां भी डाल सकते हैं। जब उबलकर यह पानी आधा हो जाए तो समझ जाएं कि काढ़ा तैयार हो गया है। फिर काढ़े को छान लें और पी लें। इस काढ़े के सेवन से शरीर का इम्यून सिस्टम भी मजबूत होगा।2. अजवाइन का काढ़ाअजवाइन एक ऐसा मसाला है, जिसमें अनेक गुण मौजूद होते हैं। इसका सेवन खांसी, सर्दी-जुकाम जैसी समस्याओं में बेहद लाभकारी होता है। अजवाइन का काढ़ा बनाने के लिए एक पैन में 1 गिलास पानी, अजवाइन, काली मिर्च और तुलसी के पत्ते डाल लें । फिर पानी को 5 मिनट तक उबलने दें। जब यह पानी आधा हो जाए तो गैस बंद कर उतार लें। पीने के पहले चाहें तो इसमें थोड़ा सा शहद भी मिला सकते हैं। यह काढ़ा सर्दी-जुकाम और खांसी में के अलावा कई अन्य बीमारियों को भी दूर रखने में लाभदायक होता है। यह काढ़ा रोगों से लडऩे में शरीर की मदद करता है।3. दालचीनी का काढ़ादालचीनी का उपयोग लगभग हर घर में होता है। इसमें कई तरह के गुण मौजूद होते हैं, जिसके कारण औषधि के रूप में भी इसका उपयोग किया जाता है। दालचीनी का काढ़ा बनाने के लिए आधा चम्मच दालचीनी पाउडर को एक गिलास पानी में उबालना होगा। जब पानी अच्छी तरह से उबल जाए तो गैस बंद कर दें। हल्का गुनगुना रहने पर इसमें शहद मिलाकर पी लें। इससे सर्दी- जुकाम से बहुत जल्द राहत मिलती है। इसके अलावा दालचीनी के सेवन से दिल की बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। ये प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने के साथ ही कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में भी काफी मददगार होता है।
- भारत के ज्यादार घरों में गाय के दूध का इस्तेमाल होता है, लेकिन आजकल वीगन डायट का ट्रेंड बढ़ता जा रहा है। साथ ही कई लोगों को पांरपरिक दूध में पाए जाने वाले लैक्टोस से एलर्जी भी होती है। ऐसे लोगों के पास कुछ विकल्प हैं, जैसे कि .....सोया का दूधसभी प्लांट मिल्क की तुलना में सोया के दूध में सबसे ज्यादा प्रोटीन होता है। एक कप (240 एमएल) सोया के दूध में करीब 6 ग्राम प्रोटीन मिलता है। सोया मिल्क कैल्शियम और विटामिन डी से भी भरपूर होता है।बादाम का दूधबादाम के दूध की दुनिया में काफी डिमांड है। यह इसलिए क्योंकि बादाम खुद काफी पोषक है। इसमें प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, विटामिन ई और गुणकारी मोनोअनसैचुरेटेड फैट होता है. एक कप आल्मंड मिल्क में करीब 1 ग्राम प्रोटीन होता है। बादाम का दूध बच्चों और वयस्कों दोनें के लिए अच्छा विकल्प है, जिन्हें गाय या दूसरे जानवरों के दूध से एलर्जी है।काजू का दूधकाजू के दूध का स्वाद मलाईदार होता है। यह विटामिन, खनिज, हेल्थी फैट और अन्य लाभकारी तत्वों से भरपूर है। यह इम्यूनिटी, दिल, आंख और त्वचा के लिए भी लाभदायक है।नारियल का दूधकोकोनट मिल्क आजकल काफी ट्रेंड में है। यह सैचुरेटेड फैट से भरपूर होता है। एक कप नारियल के दूध में करीब 4 ग्राम प्रोटीन होता है। कोकोनट मिल्क का उपयोग अक्सर कई एशियाई व्यंजनों में किया जाता है।चावल का दूधसोया, पारंपरिक दूध और नट्स की तुलना में चावल में बहुत कम एलर्जेन होते हैं। इसमें करीब 1 ग्राम (एक कप) प्रोटीन होता है। जिन लोगों को लैक्टोस से एलर्जी है, उनके लिए यह एक अच्छा विकल्प है।कीनूआ का दूधकीनूआ एक तरह का अनाज है जिसे अक्सर सलाद के रुप में खाया जाता है। यह बाकी अनाजों की तुलना में ज्यादा प्रोटीन और फाइबर प्रदान करता है। यह ग्लूटेन-फ्री होता है और इसमें सभी आवश्यक अमीनो एसिड होते हैं। यह आयरन, मैग्नीशियम और जिंक से भरपूर है।ओट/जई का दूधओट मिल्क का स्वाद सौम्य और मलाईदार होता है। गाय के दूध की तुलना में ओट मिल्क में अधिक विटामिन बी-2 होता है। ओट/जई के दूध का इस्तेमाल मीठे और नमकीन दोनों प्रकार के व्यंजनों में किया जाता है। एक कप ओट मिल्क में करीब 4 ग्राम प्रोटीन होता है।तीसी का दूधबाजार में कई तरह के दूध के विकल्पों के बीच फ्लैक्स मिल्क भी मिलता है। फ्लैक्स मिल्क में डेयरी मिल्क के मुकाबले कम कैलोरी और कम फैट होता है।मटर का दूधसुनने में थोड़ा अजीब लगेगा लेकिन चिंता की बात नहीं है क्योंकि इस दूध का स्वाद हरे मटर की तरह नहीं होता। मटर के दूध में एक तिहाई सैचुरेटेड फैट होता है। इसमें गाय के दूध की तुलना में 50 प्रतिशत ज्यादा कैल्शियम होता है।
- पुदीने का रायता हो या पुदीने की चटनी, पुदीने का उपयोग स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है। वहीं आज हम बात कर रहे हैं पहाड़ी पुदीने की, जिसे अंग्रेजी में स्पियरमिंट भी कहा जाता है। बता दें कि पहाड़ी पुदीने के अंदर भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसके अंदर कॉपर, आयरन, मैग्नीशियम, वसा के साथ-साथ विटामिन सी, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फोलेट आदि भी मौजूद हैं। ऐसे में इसके उपयोग से कई समस्याएं जैसे मांसपेशियों में ऐंठन, सिर दर्द, गैस आदि समस्याएं दूर हो सकती हैं।पहाड़ी पुदीने के फायदे1 - पहाड़ी पुदीने के सेवन से दांत का दर्द हो दूरपहाड़ी पुदीने का उपयोग मौखिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। इसके उपयोग से ना केवल दांत के दर्द की समस्या दूर होती है बल्कि मसूड़ों को मजबूती मिलती है और गले में खराश की समस्या भी दूर हो जाती है। ऐसे में यदि आप कमजोर दांत से परेशान हैं या दांतों में मजबूती लाना चाहते हैं तो पहाड़ी पुदीने के उपयोग से अपनी इस इच्छा को पूरा कर सकते हैं।2 - पेट फूलने की समस्या को करें दूरस्पियरमिंट के उपयोग से न केवल पेट फूलने की समस्या दूर होती है बल्कि गैस के लक्षणों में राहत और अपच जैसी समस्या भी दूर हो जाती है। पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने और उल्टी और मतली की समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए आप स्पियरमिंट का सेवन कर सकते हैं।3 - प्रतिरक्षा प्रणाली को दें बढ़ावाबता दें कि अगर आप पहाड़ी पुदीने की चाय का सेवन करते हैं तो ये ना केवल प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने में मदद करता है बल्कि शरीर से संक्रमण को भी दूर करता है। जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है तो वह शरीर से रोगों को दूर रखने में मदद कर सकता है।4 - जीवाणुओं से करें मुंह की रक्षास्पियरमिंट का तेल न केवल जीवाणुओं से मुंह की रक्षा करता है बल्कि इसके उपयोग से सांसों की बदबू भी दूर होती है और मुंह के बैक्टीरिया भी खत्म हो जाते हैं।5 - पहाड़ी पुदीने के उपयोग से महिलाओं में हार्मोन का स्तर संतुलित रहता है।6 - पहाड़ी पुदीना उल्टी या जी मचलाने की समस्या को दूर करता है।7 - गैस्ट्रिक अल्सर को रोकने में पहाड़ी पुदीना बेहद उपयोगी है।8 - सूजन को कम करने में पहाड़ी पुदीने का उपयोग आपके बेहद काम आ सकता है।9 - चूंकि इसके अंदर विटामिन सी पाया जाता है ऐसे में यह त्वचा की कई समस्याओं को दूर करने में भी उपयोगी है।पहाड़ी पुदीने के नुकसानअभी तक पहाड़ी पुदीने का कोई नुकसान सामने नहीं आया है लेकिन गर्भवती महिलाएं इसका सेवन या उपयोग करने से पहले एक बार एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें। इसके अलावा जो लोग लीवर की समस्या से परेशान हैं या किडनी की समस्या से ग्रस्त हैं वे इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें। अभी भी पहाड़ी पुदीने पर कई शोध चल रहे हैं ऐसे में यह कहना मुश्किल है कि आप पहाड़ी पुदीने को अपनी डाइट में बिना किसी की सलाह पर जोड़ सकते हैं।पहाड़ी पुदीने का सेवन कैसे करें?आप पहाड़ी पुदीने का सेवन पहाड़ी पुदीने की चाय के रूप में कर सकते हैं। इसके अलावा पहाड़ी पुदीने के पत्तों को सुखाकर भी उसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
- मसालेदार हो या भरवा भिंडी दोनों ही तरह के जायके लोगों को बेहद पसंद आते हैं।स्वाद के अलावा भिंडी को भी सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है।आज हम आपको भिंडी के ऐसे व्यूटी टिप्स बताएंगे, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते है।आइए, जानते हैं कि भिंडी के इस्तेमाल से आप झाईयां, पिम्पल से कैसे छुटकारा पा सकते हैं।विटामिन से भरपूर भिंडीयह विटामिन सी और मैग्नीशियम का भी अच्छा स्त्रोत है।एक गिलास भिंडी के रस में 6 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 80 माइक्रोग्राम फोलेट, 3 ग्राम फाइबर और 2 ग्राम प्रोटीन मिलता है.झाइयों और झुर्रियों को दूर करने के लिए-------------------दो मध्यम आकार की भिंडी लें और उन्हें छोटे टुकड़ों में काट लें और पीसकर पेस्ट बना लें।फिर बिना पानी मिलाए इसे अपने चेहरे पर लगाएं। अगर आप इसे पिंपल्स के लिए इस्तेमाल कर रही हैं, तो इसे सीधे उसी पर लगाएं।इसे अपने चेहरे और गर्दन पर भी लगा सकती हैं।यदि आप इसे सोरायसिस या त्वचा की बीमारियों के लिए उपयोग कर रही हैं, तो इस पेस्ट को उसी क्षेत्र पर लगाएं।आपकी त्वचा भिंडी के जेल को अवशोषित करेगी और उस क्षेत्र पर एक पतली परत छोड़ देगी।इस पैक को सूखने दें और फिर धो लें।मुंहासे और सोरायसिस के लिए-------------------झाइयों और झुर्रियों को दूर करने के लिए2 से 3 ताजा भिंडी लें। इसे साफ करें।पेस्ट बनाने के लिए भिंडी को उबालें।एक बार भिंडी को उबालकर ठंडा होने के बाद पेस्ट बना लें।अब पेस्ट में 2 से 3 बूंद नींबू का रस डालें।मिश्रण को मिलाएं और अपने साफ चेहरे पर लगाएं।जब तक कि यह सूख न जाए इसे चेहरे पर लगाए रखें। बाद में इसे ठंडे पानी से धो लें।
- हेल्दी डाइट, वर्कआउट और समय पर सोना कुछ ऐसी चीजें हैं जो आपकी इम्युनिटी को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। दिनचर्या के अलावा कुछ ऐसी चीजें भी हैं, जो आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाकर आपको बीमारियों से बचाती है. आज हम आपको ऐसा कारगर उपाय बता रहे हैं, जिससे आप फ्लू को 4-5 दिनों में आसानी से ठीक कर सकते हैं, वहीं इससे आपकी इम्युनिटी भी मजबूत होगी।गुणों से भरी अजवाइनअजवाइन में बहुत से पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो शरीर को हेल्दी और फिट रखने में मदद करता है। अजवाइन में एंटी-इंफ्लेमेट्री, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण होता है, जो सर्दी-जुकाम के लिए फायदेमंद है।सामग्री-1/2 चम्मच अजवाइन के बीज5 तुलसी के पत्ते1/2 चम्मच काली मिर्च पाउडर1 बड़ा चम्मच शहदऐसे बनाएं-एक गहरा पैन लें और उसमें 1 गिलास पानी, अजवाइन, काली मिर्च और तुलसी के पत्ते डालें। पानी को 5 मिनट तक उबलने दें। गैस को बंद करें। इसमें शहद मिलाने से पहले मिश्रण को थोड़ी देर के लिए ठंडा होने दें। काढ़ा को अच्छी तरह से मिलाएं और इसे पी लें।इसके फायदे-अजवाइन गुणों से भरी हुई है। इसमें जब काली मिर्च, तुलसी, शहद डालकर काढ़ा बनाया जाता है, तो इसके गुण और भी बढ़ जाते हैं। फ्लू से छुटकारा दिलाने के साथ अजवाइन का काढ़ा इन परेशानियों से भी मुक्ति दिलाता है।-पेट की बीमारियों से छुटकारा।-सर्दी-जुकाम और खांसी में राहत।-मसूड़ों की सूजन।-पीरियड्स के दर्द से छुटकारा।-मुंहासों से छुटकारा।इन बातों का रखें ध्यान-एक दिन में बहुत ज्यादा अजवाइन सेहत के लिए हानिकारक हो सकती है, इसलिए इस काढ़े को दिन में सिर्फ एक ही बार पिएं. वहीं, स्तनपान कराने वाली मां और गर्भवती को इस काढ़े का सेवन नहीं करना चाहिए।