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- जीभ पर छाले होना एक सामान्य समस्या है। अक्सर कुछ गर्म चीज खाने, पेट में पित्त बनने, चोट लगने या किसी अंदरूनी बीमारी की वजह से जीभ पर छाले हो जाते हैं। छाले होने की स्थिति में जीभ पर छोटे-छोटे लाल या सफेद रंग के दाने हो जाते हैं। वैसे तो जीभ के छाले आमतौर पर 10 से 12 दिनों में ठीक हो जाते हैं। लेकिन कई बार छालों की वजह से काफी ज्यादा दर्द होता है और कुछ खाने-पीने में भी दिक्कत होती है। जीभ के छालों से छुटकारा पाने के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपायों की जानकारी हम आज दे रहे हैं।मुलेठीजीभ के छालों को ठीक करने के लिए आप मुलेठी का प्रयोग कर सकते हैं। आयुर्वेद में मुलेठी को एक बेहद शक्तिशाली जड़ी-बूटी माना गया है। इसमें मौजूद गुण जलन और गर्मी को कम करते हैं और छालों को दूर करने में मदद करते हैं। इसके लिए आप मुलेठी पाउडर को देसी घी के साथ मिलाकर गर्म पानी के साथ लें।तुलसीतुलसी औषधीय गुणों से भरपूर होती है। तुलसी के पत्तों में एंटी-बैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं, जो संक्रमण से लडऩे में मदद करते हैं। तुलसी की पत्तियों को पानी में उबालकर, इसके पानी से कुल्ला करने से जीभ के छालों से छुटकारा मिल सकता है।एलोवेराआयुर्वेद में एलोवेरा का प्रयोग कई बीमारियों के इलाज के लिए सदियों से किया जा रहा है। एलोवेरा में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं, जो जीभ के छालों और सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं। इसके लिए आप एलोवेरा के पत्तों से ताजा जेल निकालकर अपनी जीभ पर लगाएं। 5 से 10 मिनट बाद पानी से कुल्ला कर लें। दिन में दो से तीन बार इस प्रक्रिया को दोहराने से आपको जल्द राहत मिल सकती है।लौंग का तेलजीभ के छालों से राहत पाने के लिए आप लौंग के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो छालों के दर्द और सूजन को दूर करने में मदद करते हैं। इसके लिए आप रूई को लौंग के तेल में डुबोकर छाले वाली जगह पर लगाएं। 10 से 15 मिनट बाद पानी से कुल्ला कर लें।शहदजीभ के छालों की समस्या को दूर करने के लिए शहद का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। शहद में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो घाव को जल्दी ठीक करने में मदद करते हैं। इसके लिए शहद में चुटकीभर हल्दी मिलाकर अपनी जीभ पर लगाएं। लगभग 10 मिनट बाद गुनगुने पानी से साफ कर लें। बेहतर परिणाम के लिए दिन में दो से तीन बार इस प्रक्रिया को दोहराएं।जीभ के छालों की समस्या से राहत पाने के लिए आप ऊपर बताए गए आयुर्वेदिक उपाय को आजमा सकते हैं। हालांकि, किसी भी उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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पूरे दिन लैपटॉप पर एकटक देखना, मोबाइल चलाना, नींद पूरी ना होना, तेज रोशनी और एलर्जी के कारण आंखों में थकान होने लगती है। हमारी आंखें हमेशा एक्टिव रहती हैं, ऐसे में ज्यादातर लोग आंखों में जलन, लालपन, खुजली का शिकार हो जाते हैं। इसके अलावा कुछ लोगों की आंखों में पानी आता है, तो कुछ लोगों को धुंधला दिखने लगता है। अगर आपके साथ ऐसा होता है तो आपको रोजाना कुछ एक्सरसाइज करनी चाहिए जो आंखों की थकान से छुटकारा दिलवा सकते हैं।
ब्लिंकिंग
ज्यादा देर तक स्क्रीन पर एक्टिव रहने वाले लोग इस एक्सरसाइज को कर सकते हैं। इसे करने के लिए आपको अपनी पलकों को जल्दी-जल्दी झपकाना है, जिससे आंखे साफ होती है। ऐसा करने पर आपकी आंखों से ड्राईनेस खत्म होती है। ऐसा करने पर आंखों को खूब आराम मिलता है।
फोकस करें
आंखों के लिए फोकसिंग एक्सरासइज भी बेहतरीन है। इसके लिए अपने आंखों के सामने किसी ऑब्जेक्ट को रखें और उस पर फोकस बनाएं। ऐसा करने पर आपको खूब आराम मिलेगा, साथ ही इससे फोकस पॉवर बढ़ेगी।
हथेलियां लगाएं
आंखों में भारीपन होने पर आप पामिंग एक्सरसाइज कर सकते हैं। इसे करने के लिए अपनी दोनों हथेलियों को आपस में थोड़ी देर के लिए रगड़ें, अब गर्म हथेली को बंद आंखों पर रखें। इसे करते समय ध्यान रखें कि आंखों पर बिल्कुल रोशनी नहीं आए। - कब्ज की समस्या से निपटने के लिए आप फल और सब्जियों से बनी स्मूदी पी सकते हैं। दरअसल, स्मूदी में फाइबर की मात्रा काफी ज्यादा होती है, जिससे कब्ज की प्रॉब्लम से छुटकारा आसानी से मिल जाता है। इसके अलावा, स्मूदी आंत के स्वास्थ्य में सुधार कर पाचन क्षमता को बेहतर करता है। इसके साथ-साथ स्मूदी पीने में बहुत टेस्टी होती है, जिसे लोग आसानी से अपनी डाइट का हिस्सा बना लेते हैं।चिया सीड स्मूदीअगर आपकी पाचन क्षमता कमजोर है और अक्सर कब्ज की समस्या बनी रहती है, तो आपको चिया सीड्स से नबी स्मूदी को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए। चिया सीड से बने इस स्मूदी की मदद से आपकी आंत क्लीन होती है, पाचन तंत्र बेहतर होता है और प्रतिरक्षा प्रणाली भी सही तरह से काम करने लगती है। चिया सीड से स्मूदी बनाने के लिए आपको चाहिए दो कप पालक, एक कसा हुआ अदरक, 1 कप जमी हुई रसभरी, 1/2 एवोकैडो, 2 बड़े चम्मच चिया सीड्स, 2 बड़े चम्मच दही और 250 मिली पानी या दूध। अब इन सभी सामग्रियों को अच्छी रतह से पीस लें। ध्यान रहे, कि मिक्सचर में किसी तरह की गांठ बाकी न रह जाए। अच्छी तरह स्मूदी तैयार होने के बाद इसे गिलास में डालें और पी लें।कीवी, तोरी और सेब की स्मूदीकीवी, सेब और तोरी को कब्ज दूर करने के लिए बेहतरीन माना जाता है। जहां, एक ओर कीवी में पाचक एंजाइम्स होते हैं, जो पाचन तंत्र को मजबूत बनाने का काम करते हैं, आंत में रुकावट को कम करते हैं और मल को नर्म करने का काम भी करते हैं। सेब की बात करें, तो इसमें फ्रुक्टोज होता है, यह एक ऐसा तत्व है, जो पेट को साफ रखने में मदद करता है। जबकि तोरी भी अघुलनशील यानी इनसॉल्यूबल फाइबर (फाइबर, जो पानी में नहीं घुलते) का एक स्रोत है। इस स्मूदी को बनाने के लिए आप चाहें, तो सभी सामग्रियों को उबाल लें। तीनों सामग्री की मात्रा एक समान रखें। आप अपने स्वाद अनुसार मात्रा कम-ज्यादा कर सकते हैं। स्वाद अनुसार अन्य चीजें जैसे चीनी या क्रीम भी इसमें मिक्स कर सकते हैं। उबालने के बाद सामग्री को ठंडा होने दें। अब इसे मिक्सर में पीस लें। इसमें जरूरत अनुसार पानी भी मिक्स करें।आम से बनी स्मूदीआम पेट के लिए बहुत ही अच्छा फल माना जाता है। गर्मी के सीजन में लोग इसे बहुत ही चाव से खाना पसंद करते हैं। लोग आम से बनी स्मूदी, शेक आदि खूब खाना पसंद करते हैं। अगर आप आम से बनी स्मूदी पीना चाहते हैं, तो इसमें चिया सीड, दही, 250 मिली लीटर बादाम का दूध और आधा चम्मच नींबू का रस भी मिक्स कर लें। इन्हें अच्छी तरह ग्राइंड करें। गिलास में डालें। अब इसे पी लें। इस स्मूदी में पाचन एंजाइम होते हैं, जो कब्ज की समस्या को दूर करने में मददगारा साबित होते हैं।ध्यान रखें की अगर यहां बताए गए किसी भी खाने की चीज से आपको एलेर्जी है, तो उसे अपनी स्मूदी में न डालें।
- दलिया का नाम सुनते ही ज्यादातर लोग मुंह बना लेते हैं। उन्हें लगता है कि दलिया सिर्फ बीमार लोगों के खाने वाली चीज है, लेकिन यह बहुत हेल्दी होता है। दलिया में फास्फोरस, थायमिन, फोलेट, मैग्नीशियम, पोटैशियम, आयरन, जिंक, फाइबर और प्रोटीन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। भारत के विभिन्न हिस्सों में दलिया कई तरीकों से खाया जाता है। कुछ लोग मीठा दलिया बनाते हैं, तो कुछ इसमें बहुत सारी सब्जियां डालकर खाते हैं। हालांकि दलिया से जुड़ी ये सारी रेसिपी अब बोरिंग हो चुकी हैं। ऐसे में अगर आप दलिया के साथ कुछ नया ट्राई करना चाहते हैं, तो दलिया लड्डू ट्राई कर सकते हैं।दलिया लड्डू की रेसिपी -सामग्री की लिस्टदलिया - 1 से 2 कपदूध - 2 से 3 कपघी- 2 बड़े चम्मचनट्स - काजू, बादाम और सूखा नारियल (बारीक कटे हुए)चीनी - 1 कपबनाने का तरीकासबसे पहले कुकर पर गैस को गर्म होने के लिए रखें। गर्म होने के बाद उसमें घी पिघलने दें। जब घी गर्म हो जाए तो इसमें दलिया डालकर हल्का ब्राउन होने तक भून लें। दलिया भूनने के बाद उसमें दूध डालें और कुकर का ढक्कन बंद करके दो सीटी तक पकाएं। जब कुकर ठंडा हो जाए इसे खोलकर बचे हुए दूध को सुखा लें। अब एक पैन को गर्म करके पका हुआ दलिया उसमें डालें और चीनी के साथ पकाएं। आप चाहें तो चीनी की जगह पर गुड़ या गुड़ के बुरादे का भी प्रयोग कर सकते हैं। अब दलिया के मिश्रण में इलायची का पाउडर और कटे हुए नट्स (काजू, बादाम और सूखा नारियल) को मिला लें। इस मिश्रण को थोड़ी देर ठंडा होने के लिए छोड़ दें और बाद में लड्डू का शेप दें।आपके टेस्टी और हेल्दी दलिया के लड्डू खाने के लिए तैयार हो चुके हैं।दलिया लड्डू खाने के फायदे -1. दलिये के लड्डू में प्रोटीन, फाइबर और आयरन पाया जाता है। इसका सेवन करने से पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है।2. लड्डू फाइबर का अच्छा सोर्स होते हैं, इसलिए यह वजन घटाने में भी मददगार साबित होते हैं।3. दलिया के लड्डू में कैल्शियम पाया जाता है, जो हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाने में मदद करता है। जिन बच्चों की हड्डियां कमजोर होती हैं उन्हें रोजाना सुबह दलिया के लड्डू खाने की सलाह दी जाती है।4. दलिया के लड्डूबनाने में कई तरह के ड्राई फ्रूट्स और दूध का इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए यह शरीर को एनर्जी देने में बहुत फायदेमंद होता है।5. दलिया के पोषक तत्व शरीर की सूजन को भी कम करने में मदद करते हैं। जिन महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान हाथ और पैर में सूजन हो जाती है, उन्हें रोजाना 1 दलिया का लड्डू खाना चाहिए।
- गर्मियों में शरीर को ठंडा रखने के लिए छाछ का सेवन फायदेमंद माना जाता है। जो लोग गर्मियों में, पानी की कमी से डिहाइड्रेशन का शिकार हो जाते हैं, वो लोग भी छाछ का सेवन कर सकते हैं। छाछ पीने से शरीर को हाइड्रेट रखने में मदद मिलती है। आयुर्वेद में भी छाछ को, शरीर के लिए फायदेमंद बताया गया है। छाछ का सेवन करने से कफ और वात दोष को शांत रखने में मदद मिलती है। एक गिलास छाछ पी लेंगे, तो लंबे समय तक भूख भी नहीं लगेगी। जानें टेस्टी रेसिपीज...1. प्लेन छाछ का सेवन करेंप्लेन छाछ बनाने के लिए दही और पानी को एक बर्तन में मिलाकर, अच्छी तरह से मथ लें।दही को मथाने के लिए मिक्सी या हैंड ब्लेंडर का इस्तेमाल कर सकते हैं।फिर उसमें धनिया पत्तियों डालकर पी सकते हैं।छाछ का सेवन करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।छाछ का सेवन करने से ब्लड प्रेशर को सामान्य रखने में भी मदद मिलती है।2. जीरे वाली छाछजीरे वाली छाछ बनाने के लिए दही और पानी को मिलाकर छाछ तैयार करें।तैयार छाछ में जीरा और सेंधा नमक डालकर पी सकते हैं।जीरे वाली छाछ, शरीर के लिए एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है।जीरे वाली छाछ का सेवन करने से पाचन दुरुस्त होता है और ब्लड शुगर लेवल भी कंट्रोल रहता है।जीरे वाली छाछ का सेवन करने से मेटाबॉलिज्म मजबूत होता है और वजन घटाने में मदद मिलती है।3. मिंट वाली छाछमिंट वाली छाछ बनाने के लिए दही के साथ मिंट की पत्तियों को पीसकर मिला लें।इस मिश्रण को पानी डालकर पीस लें और छाछ तैयार कर लें। छाछ में खीरा भी डालकर पी सकते हैं।मिंट की छाछ पीने से पाचन तंत्र मजबूत रहता है।पेट दर्द और इन्डाइजेशन की समस्या दूर करने के लिए मिंट वाली छाछ का सेवन फायदेमंद होता है।4. सत्तू वाली छाछगर्मियों में कब्ज और एसिडिटी की समस्या दूर करने के लिए सत्तू वाली छाछ का सेवन करें।सत्तू वाली छाछ को बनाने का तरीका आसान है। पानी में दही और सत्तू पाउडर मिला लें।इस मिश्रण को पीस लेने के बाद मिश्रण का सेवन करें।सत्तू में फाइबर पाया जाता है, फाइबर रिच ड्रिंक का सेवन करने से पेट लंबे समय तक भरा रहता है और जल्दी भूख नहीं लगती।गट की समस्या और कब्ज दूर करने के लिए सत्तू वाली छाछ का सेवन कर सकते हैं।5. मसाला छाछमसाला छाछ बनाने के लिए पहले मसाला का पाउडर बना लें। एक चम्मच सूखा धनिया, आधा चम्मच अजवाइन, आधा चम्मच जीरा, आधा चम्मच सौंफ को भूनकर पीस लें। इसमें स्वाद अनुसार हींग, काला नमक, सेंधा नमक और पोदिना पाउडर मिला दें। बन गया छाछ मसाला। मसाला छाछ पीने से पेट में गैस की समस्या दूर होती है और पाचन भी दुरुस्त होता है।छाछ पीने का सही समयदोपहर के समय छाछ का सेवन कर सकते हैं। दोपहर के समय, छाछ आसानी से पच जाती है। रात को छाछ नहीं पीना चाहिए। छाछ, दही से बनता है। दही की तासीर ठंडी होती है। रात को छाछ पीने से सर्दी-जुकाम, गले में खराश की समस्या हो सकती है। यही कारण है कि रात के दौरान छाछ का सेवन नहीं करना चाहिए।
- मीठी लस्सी शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होती है। इसमें भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, सोडियम, प्रोटीन, कैल्शियम और फाइबर आदि पाए जाते हैं। इसके सेवन से पाचन तंत्र मजबूत होने के साथ हड्डियां भी हेल्दी रहती हैं। गर्मियों में लस्सी पीना स्वास्थ्य की दृष्टि से काफी अच्छा होता है। ये पेट को ठंडा रखने के साथ शरीर में गर्मी लगने से भी बचाती है। मीठी लस्सी पीने में काफी स्वादिष्ट होने के साथ शरीर के लिए भी अनेक फायदे लेकर आती है। इसमें मौजूद इलेक्ट्रोलाइट शरीर में पानी की कमी नहीं होने देते और पेट को हेल्दी रखते हैं। मीठी लस्सी पीने से इम्यूनिटी भी मजबूत होती हैं। आइए जानते हैं मीठी लस्सी पीने के अन्य फायदों के बारे में।पाचन तंत्र को मजबूत करेगर्मियों में मीठी लस्सी पीने से पाचन तंत्र मजबूत होता है और पेट स्वस्थ रहता है। मीठी लस्सी पोषक तत्वों से भरपूर होती है। इसमें मौजूद फाइबर पेट में कब्ज, गैस और एसिडिटी की समस्या को आसानी से दूर करता है। मीठी लस्सी को दिन में पीना शरीर के लिए अधिक फायदेमंद होता है।हड्डियों को मजबूत करेगर्मियों में मीठी लस्सी पीने से हड्डियां मजबूत होने के साथ मांसपेशियों का दर्द भी आसानी से दूर होता हैं। मीठी लस्सी में मौजूद कैल्शियम थकान को भी आसानी से दूर करता है। इसको रोजाना पीने से दांत भी मजबूत और हेल्दी रहते है।लू से बचाएगर्मी में मीठी लस्सी पीने से शरीर का लू से बचाव होता है। गर्मियों में लू के प्रकोप से बचने के लिए इसे रोज दिन में अवश्य पिएं। घर से बाहर निकलने पर लस्सी पीने से लू नहीं लगती और शरीर भी स्वस्थ रहता है। कई बार धूप से आने के बाद सिरदर्द की समस्या हो जाती है। लस्सी पीने से लू से होने वाला सिरदर्द भी आसानी से दूर होता है।वजन घटाने में मददगारअगर आप लंबे समय से वजन घटाने के बारे में सोच रहे हैं, तो गर्मियों में डाइट में मीठी लस्सी को अवश्य शामिल करें। मीठी लस्सी पीने से वजन घटाने में मदद मिलती है और बेली फैट भी कम होता है। लेकिन ध्यान रखें वजन घटाने के लिए लस्सी में चीनी की जगह किसी और चीज का इस्तेमाल करें।तनाव होता है दूरगर्मियों में मीठी लस्सी पीने से दिमाग ठंडा रहता है और तनाव दूर होता है। ये शरीर को इंस्टैट एनर्जी देती है। जिससे मूड फ्रेश होता है और शरीर हेल्दी रहता है। गर्मियों में मीठी लस्सी पीने से शरीर की कई बीमारियां दूर होती हैं और शरीर स्वस्थ रहता है।मीठी लस्सी पीने से शरीर को कई तरह के फायदे मिलते हैं। लेकिन ध्यान रखें अगर आपको कोई बीमारी या एलर्जी की समस्या हैं, तो डॉक्टर से पूछ कर ही इसका सेवन करें।
- क्या आपको भी चलते समय टखनों (एंकल) में दर्द होता है? इसके पीछे कई कारण या लाइफस्टाइल से जुड़ी गलतियां हो सकती हैं। इस लेख में हम ऐसी ही 5 गलतियों के बारे में बात करेंगे।1. कैल्शियम रिच डाइट न लेना40 की उम्र के बाद हड्डियां अपनी ताकत खोने लगती हैं। इसी कारण ज्यादातर लोगों को हड्डियों से जुड़ी शिकायत शुरू हो जाती है। इसका कारण है कैल्शियम रिच डाइट का सेवन न करना। कैल्शियम की कमी दूर करने के लिए नट्स का सेवन करें। अखरोट, पिस्ता, मूंगफली, अंजीर में कैल्शियम की अच्छी मात्रा होती है। तिल के बीज, चिया सीड्स में भी कैल्शियम होता है। इन चीजों को अपनी डाइट में शामिल करेंं। इसके अलावा डेयरी प्रोडक्ट्स को डाइट में एड करें। दही और पनीर सेहत के लिए फायदेमंद आहार हैं।2. वजन कंट्रोल न करनावजन ज्यादा है, तो चलते समय टखनों में या एंकल में दर्द उठ सकता है। 40 की उम्र के बाद वेट मैनेजमेंट पर गौर करें। वजन कंट्रोल करके आप शरीर को कई तरह से फिट रख सकते हैं। ज्यादा वजन का भार हड्डियों पर पड़ता है। लंबे समय तक हड्डियों पर वजन का भार पड़ने से हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। जिन लोगों का वजन ज्यादा होता है, उन्हें चलते समय हड्डियों का फ्रैक्चर भी हो सकता है। 40 की उम्र के बाद संतुलित आहार का सेवन करें, तेल और मसालों से दूर रहें और रोजाना एक्सरसाइज करें जिससे वजन कंट्रोल रहेगा।3. आरामदायक जूते न पहननानिजी अनुभव के आधार पर मैं ये कह सकती हूं कि आपको चलने के लिए आरामदायक जूतों का चयन करना चाहिए। ऐसा न करने पर चलते-चलते भी फ्रैक्चर हो सकता है। मेरे पेरेंट्स को अलग-अलग मौकों पर एंकल फ्रैक्चर हुआ है। दोनों ही समय फ्रैक्चर का सबसे बड़ा कारण था आरामदायक जूते न पहनना। चलने के दौरान पैर में उठने वाले दर्द का कारण पता किया, तो फ्रैक्चर निकला। डॉक्टर से सलाह लेने पर उन्होंने बताया कि 40 की उम्र के बाद हड्डियां कमजोर होने लगती हैं और हल्के से झटके से भी फ्रैक्चर हो सकता है। पैरों को सपोर्ट देने के लिए आरामदायक जूते ही पहनें। जूते खरीदते समय गौर करें कि जूता ज्यादा भारी न हो। अगर पैर की बनावट चौड़ी है, तो नैरो टो वाले शूज खरीदें।4. मीठी चीजों का ज्यादा सेवन करनाचलते समय टखनों में दर्द हो रहा है, तो इसका एक कारण ये भी हो सकता है कि आप मीठी चीजों का ज्यादा सेवन करते हैं। मीठी चीजों का सेवन करने से ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है जिसके कारण हाथ-पैरों में दर्द हो सकता है। मीठी चीजों का ज्यादा सेवन करने से वजन भी बढ़ जाता है जिसके कारण चलते समय हड्डियों पर जोर पड़ता है और दर्द उठ सकता है। 40 की उम्र के बाद मीठी चीजों से दूरी बनाएं। मीठा खाने की क्रेविंग होने पर फ्रूट सलाद का सेवन कर सकते हैं। चीनी, गुड़, जूस, मिठाई, बिस्किट्स, कुकीज आदि के सेवन से बचें।5. एक्सरसाइज न करना40 की उम्र के बाद एक्सरसाइज न करने के कारण एंकल पेन हो सकता है। कसरत न करने से मांसपेशियों में लचीलापन कम हो जाता है और टखनों का दर्द चलते समय बढ़ सकता है। इस समस्या से बचने के लिए अपने रोज के रूटीन में एक्सरसाइज का समय फिक्स करें। 40 से 50 मिनट फिजिकल वर्कआउट को दें। इसमें ब्रिस्क वॉक, जॉगिंग, योगा, साइकिल चलाना, रनिंग, जंपिंग आदि को शामिल कर सकते हैं। कसरत करने से पहले वार्मअप जरूर करें, इससे मसल्स में ट्विस्ट होना या मोच आने जैसी समस्या से बचाव होता है।इन 5 गलतियों को सुधार लेंगे, तो 40 की उम्र के बाद चलने में तकलीफ नहीं आएगी और न ही टखनों का दर्द सताएगा।
- पेट में जमा जिद्दी चर्बी कम करना कोई सरल काम नहीं है, लेकिन अगर आप सही डाइट और रूटीन को फॉलो करें, तो इससे आसानी से छुटकारा पा सकते हैं। बहुत से लोगों के साथ एक समस्या काफी देखने को मिलती है, कि उनका पेट की चर्बी तो कम हो जाती है, लेकिन ऊपरी और बीच वाले हिस्से की चर्बी तो कम हो जाता है, लेकिन निचले हिस्से की चर्बी कम नहीं होती। इस लेख में हम आपके साथ पेट के निचले हिस्से की चर्बी कम करने के लिए 5 सरल टिप्स शेयर कैसे कर रहे हैं।1. सुबह की शुरुआत गर्म पानी या हर्बल चाय के साथ करेंकोशिश करें कि आप सुबह उठने के बाद सबसे पहले गुनगुने पानी का सेवन करें। उसके बाद आप गर्म पानी में दालचीनी, मेथी के बीज, सौंफ या जीरा (किसी भी एक) को पानी में उबालकर, छानकर इसमें शहद और नींबू का रस मिलाकर सेवन कर सकते हैं। आप ग्रीन टी, कैमोमाइल टी आदि जैसी हर्बल चाय भी पी सकते हैं। इससे इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार करने में मदद मिलेगी। साथ ही मेटाबॉलिज्म भी बढ़ेगा। जिससे आपको अधिक एनर्जी या कैलोरी खर्च करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा इससे पाचन को दुरुस्त रखने में भी मदद मिलेगी। पूरा दिन गुनगुना पानी पीने से भी अधिक कैलोरी बर्न करने में मदद मिलेगी।2. संतुलित आहार जरूर लेंअक्सर लोग गलती करते हैं, कि वे संतुलित आहार नहीं लेते हैं। वे कार्ब और फैट से परहेज करते हैं। जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए। वेट लॉस हो या फैट लॉस हमें एक ऐसा आहार लेने की जरूरत होती है, जिसमें काब्र्स, फैट्स और प्रोटीन प्रचुर मात्रा में मौजूद हों। इस दौरान बस आपको अधिक कैलोरी के सेवन से बचना होता है। इसलिए कोशिश करें, कि अपनी डाइट में फल, सब्जियां, दूध और इससे बने उत्पाद, मीट, मछली आदि का सेवन करें।3. पेट की एक्सरसाइज करेंकुछ सरल पेट की एक्सरसाइज जैसे क्रंचेस या अन्य पेट की एक्सरसाइज जरूर करनी चाहिए। इससे पेट की मांसपेशियों को टोन करने में मदद मिलती है। संपूर्ण शारीरिक व्यायाम के साथ सप्ताह में 2-3 बार पेट की एक्सरसाइज करें, इससे बहुत लाभ मिलेगा।4. मीठी चीजों और जंक फूड्स से परहेज करेंअगर आप पेट की जिद्दी चर्बी से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो आपको मीठे और चीनी युक्त फूड्स का सेवन कम से कम करना चाहिए। क्योंकि इनमें कैलोरी की मात्रा बहुत अधिक होती है। इसी तरह आपको ज्यादा तला-भुना, पैकेज्ड, नमकीन और मसालेदार भोजन करने से भी बचना चाहिए। इनमें ट्रांस फैट मौजूद होता है, साथ ही कैलोरी भी बहुत अधिक होती हैं। यह आपके पाचन को भी खराब करते हैं।5. रात में देर से खाने से बचेंरात में देर से खाने की आदत भी आपके पेट की चर्बी कम न होने का कारण बन सकती है। इसलिए कोशिश करें कि अपना आखिरी भोजन रात को 8 बजे से पहले कर लें। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि आपको रात में बहुत भारी भोजन भी करने से बचना चाहिए। हल्का और पोषण से भरपूर भोजन लें।6. फिजिकली एक्टिव रहेंजिम जाकर एक्सरसाइज करने या अन्य शारीरिक गतिविधियों के साथ ही यह बहुत जरूरी है कि आप दिन भर एक्टिव रहें। लंबे-लंबे समय तक लेटे या बैठें नहीं, कोशिश करें कि आप चलते-फिरते रहें। कोशिश करें कि आप 20 मिनट पैदल जरूर चलें।7. अच्छी नींद लेना भी है जरूरीनींद संपूर्ण स्वास्थ्य की भलाई के लिए बहुत जरूरी है। यह वजन कम करने में भी बहुत अहम भूमिका निभाती है। इसलिए आपको रात को देर से सोने से बचना चाहिए। रोजाना एक ही समय पर सोने की आदत डालें और रात को देर से न सोएं। 7-8 घंटे की एक अच्छी नींद लें। इससे आपके संपूर्ण स्वास्थ्य को बहुत लाभ मिलेगा।---
- तीखुर हल्दी के जैसा ही होता है, और हल्दी के फायदे की तरह ही तीखुर के सेवन से शरीर को बहुत अधिक लाभ होता है। आयुर्वेद के अनुसार, तीखुर एक जड़ी-बूटी है, और तीखुर के अनेक औषधीय गुण हैं। घाव, बुखार, खांसी, सांसों की बीमारी, अधिक प्यास लगने की समस्या में तीखुर के इस्तेमाल से फायदे मिलते हैं। इतना ही नहीं, एनीमिया, मूत्र रोग, डायबिटीज, पीलिया आदि रोगों में भी तीखुर के औषधीय गुण से लाभ मिलता है।आप भूख की कमी, जलन, कुष्ठ रोग में तीखुर के औषधीय गुण के फायदे ले सकते हैं। आप पथरी, रक्त-विकार, रक्त की कमी, किडनी विकार, और टीबी रोग में भी तीखुर से लाभ ले सकते हैं। आइए जानते हैं कि तीखुर के सेवन या उपयोग करने से कितनी सारी बीमारियों में फायदा होता है, और तीखुर से क्या-क्या नुकसान हो सकता है।तीखुर के औषधीय गुण1. पेट फूलने और गैस की परेशानी होगी दूरकई बार गैस की परेशानी लोगों के लिए बड़ी समस्या का कारण बन जाती है। गैस की परेशानी होने से कई लोगों का पेट फूलने लगता है। तीखुर को 2-3 ग्राम मात्रा में रोज लें और साथ में पानी पी लें। यह गैस की समस्या से आपको मुक्ति देगा और पेट फूलने की परेशानी को भी दूर होगी।2. दस्त के लिए तीखुर चूर्ण का करें इस्तेमालअगर आपको दस्त की समस्या है तो तीखुर राइजोम को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को दूध और शक्कर के साथ मिलाकर खाएं। यह दस्त की परेशानी में लाभ करेगा।3. यूरिन में जलन के लिए बहुत है फायदेमंदगर्मियों के समय में बहुत से लोगों को पेशाब में जलन, रुक-रुक कर यूरिन आना जैसी समस्या होती है। तीखुर की तासीर ठंडी होने के कारण यह यूरिन इन्फेक्शन को दूर करने में मदद करता है। अगर आपको भी यूरिन में जलन हो तो तीखुर के प्रकंद का चूर्ण बनाकर उसे 1-2 ग्राम मात्रा में लें। यह जलन को दूर करने में मदद करेगा। अगर यूरिन में दर्द की परेशानी है तो तीखुर के प्रकंद के चूर्ण को दूध और शक्कर में मिलाएं और इसका सेवन करें। पेशाब में दर्द की समस्या जल्द दूर होगी।4. खांसी को करता है दूरअगर आपको लंबे समय से खांसी आ रही है तो 2-3 ग्राम तीखुर चूर्ण को गाय के घी में मिलाकर खाएं। यह खांसी को दूर करने में मदद करता है। इस उपाय को अपनाते समय इस बात का ध्यान रखें कि घी थोड़ा गर्म करके ही उसमें तीखुर चूर्ण मिलाएं।
- होठों की त्वचा काफी ज्यादा संवेदनशील होती है। होठों की त्वचा बदलता मौसम, ठंड हो या गर्मी इन सभी को झेल नहीं पाती और रूखी पडऩे लगती है। रूखेपन के कारण होंठ फटने की समस्या देखने को मिलती है। वहीं यदि होठों में ज्यादा दरारे आने लगती हैं, तो इन्फेक्शन होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। आज हम आपको कुछ ऐसे उपाय बता रहे हैं जिसे अपनाकर आप सूखे होंठों से छुटकारा पा सकते हैं।1. शहदनेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा शहद को लेकर की गई स्टडी के अनुसार इसमें मौजूद एंटीमाइक्रोबॉयल और एंटी इन्फ्लेमेटरी प्रॉपर्टी होठों की सेहत को बनाए रखने के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। यह होठों को मॉइश्चराइज करती है, साथ ही इसकी हीलिंग प्रॉपर्टी फटे होठों को जल्दी हील होने में मदद करती है।इस तरह इस्तेमाल करें - अपने होठों पर शहद की एक मोटी लेयर लगा लें। अब इसे 20 से 30 मिनट तक लगा हुआ छोड़ दें। उसके बाद अपनी उंगलियों से होठों को सर्कुलर मोशन में मसाज दें और इसे पोछ लें।2. एलोवेरात्वचा से लेकर बालों की समस्या से निजात पाने में एलोवेरा को काफी ज्यादा प्रभावी माना जाता है। वहीं एलोवेरा में मौजूद एंटी इन्फ्लेमेटरी प्रॉपर्टी फटे होठों को हील करने में काफी ज्यादा प्रभावी मानी जाती है। यह होठों की त्वचा को हाइड्रेटेड रखने के साथ ही इसे मॉइश्चर प्रदान करती हैं।इस्तेमाल करने का तरीका - आपको एलोवेरा की पत्ती लेनी है और इनमें से जेल को बाहर निकाल लेना है। इन्हें किसी कंटेनर में बंद करके रख लें। उचित परिणाम के लिए इन्हें दिन में दो से तीन बार अपने होठों पर अप्लाई करें।3. घी और मलाई रहेंगे काफी असरदारकटे-फटे और सूखे होठों पर घी और मलाई का इस्तेमाल काफी फायदेमंद माना जाता है। पोषक तत्वों से भरपूर यह डेयरी प्रोडक्ट होठों के हाइड्रेशन को भी लंबे समय तक बनाए रखते हैं।इस तरह इस्तेमाल करें - हर रोज कम से कम एक बार मलाई या घी को अपने होंठों पर जरूर लगाएं। इसे लगा कर उंगलियों की मदद से होठों पर थोड़ी देर मसाज करें। उसके बाद इसे 10 से 15 मिनट तक लगा हुआ छोड़ दें और फिर किसी कपड़े से होठों को साफ कर लें।4. कोकोनट ऑयलकई महत्वपूर्ण पोषक तत्वों एवं एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टी से भरपूर कोकोनट ऑयल त्वचा से जुड़ी सभी समस्याओं में काफी कारगर माना जाता है।इस तरह इस्तेमाल करें - इसे इस्तेमाल करने के लिए आपको कॉटन पैड लेना है, उस पर कोकोनट ऑयल लगाएं और इसे अपने होठों पर अच्छी तरह अप्लाई करें। उसके बाद होठों को 1 मिनट तक कोकोनट ऑयल से मसाज दें। इसे रात को सोने से पहले अप्लाई करें और फिर रात को लगा कर सो जाएं।अब जानें फटे होंठो से छुटकारा पाने के लिए और क्या कर सकती हैं- पर्याप्त पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं-अपने होठों पर बार बार जीभ न लगाएं।- नाक से सांस लेने की कोशिश करें।----
- उत्तर भारत में गर्मियों आते ही लोग कई तरह से सत्तू का सेवन करते हैं। दरअसल सत्तू से सेहत को कई फायदे मिलते हैं। इसके सेवन से पेट के कई विकार दूर होते हैं और शरीर को ठंडक मिलती है। सत्तू में सोडियम, आयरन, मैग्नीशियम, प्रोटीन, फैट और कॉर्बोहाइड्रेट पाया जाता है। इसका सेवन मुख्यतः लू से बचाव के लिए किया जाता है। सत्तू से पेट साफ रखने में मदद मिलती और मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है। साथ ही इसके सेवन से आपको लंबे समय तक भूख नहीं लगती है। जिसके उपयोग से आपको अपने वजन को कंट्रोल करने में भी मदद मिलती है। साथ ही आपकी थकान दूर होती है। अगर आप भी अपने वजन को कम करना चाहते हैं तो सत्तू को आहार में शामिल करें। इससे आप अपने मोटापे को तेजी से कम कर सकते हैं। इसके सेवन से आपको मोटापे की वजह से होने वाली अन्य समस्याओं का खतरा भी कम हो जाता है। आगे जानते हैं सत्तू को आप किस तरह से डाइट में शामिल कर सकते हैं।सत्तू कैसे बनाया जाता है?सत्तू का आटा मुख्य रुप से चने को पीसकर बनाया जाता है। भूने हुए चने को पीसकर ये आटा तैयार किया जाता है। कुछ लोग चने और जौं को भूनकर भी आटा तैयार करते हैं। इसे भी सत्तू ही कहा जाता है। इसके पौष्टिक गुणों की वजह से इसका उपयोग गर्मियों में किया जाता है।सत्तू से वजन कैसे कम होता है?सत्तू से आप अपने मोटापे को कम करने में मदद कर सकते हैं। सत्तू के सेवन से मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है। जिसकी वजह आपके आहार का फैट से बर्न होता है। वजन कम करने वाली डाइट को फॉलो करने वाले लोग सत्तू को अपनी डाइट में शामिल कर मोटापे को तेजी से कम कर सकते हैं। इसलिए यह कहा जाता है कि सत्तू के सेवन से मोटापे को कम करने में मदद मिलती है।वजन कम करने के लिए सत्तू का डाइट में कैसे करें शामिल?सत्तू का शर्बतसत्तू का शर्बत बिहार और उत्तर प्रदेश के कई क्षेत्रों में पिया जाता है। इसे बनाने के लिए आपके पास सत्तू का आटा करीब एक चम्मच, एक नींबू का रस, पुदीने का करीब आधा चम्मच पेस्ट, चुटकी भर काला नमक और गुड़ या चीनी की आवश्यकता होती है। इन सभी चीजों को एक गिलास में डाले और ऊपर से ठंडे पानी को मिला दें। इसके बाद इसे अच्छे से मिक्स करें। यदि शर्बत ज्यादा गाढ़ा हो तो आप अपनी आवश्यकता अनुसार इसमें पानी मिला सकते हैं। इसमें फाइबर की उच्च मात्रा होती है, जो पेट की गर्मी को शांत कर आपके मोटापे को कम करने में सहायक होती है।सत्तू का चीलासत्तू का चीला बनाने के लिए आपके पास करीब दो से चार बड़े चम्मच सत्तू का आटा, करीब आधा प्याज बारीक काटा हुआ, बारीक काटा हुआ आधा टमाटर, पीसी हुई काली मिर्च चुटकी भर, नमक और मिर्च स्वादानुसार होनी चाहिए। इसे बनाने के लिए एक पैन में थोड़ा से तेल डाले और ऊपर बताई गई सभी चीजों को मिक्स करते हुए एक लिक्विड पेस्ट बना लें। ध्यान रहें कि पेस्ट ना तो ज्यादा गाढ़ा हो और ना ही ज्यादा पतला हो। तेल गर्म होने के बाद इसे पैन में डालें और अच्छे से दोनों तरफ सेक लें। इसके बाद गैस बंद करें और इसे हरे धनिये की चटनी के साथ खाएं।सत्तू को डाइट में शामिल करने से आपकी पाचन क्रिया बेहतर होती है और आपको पेट में गैस, एसिडिटी और अपच की समस्या नहीं होती है। इसे डाइट में लेने से यदि आपको कोई परेशानी महसूस हो तो एक बार डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।
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योग स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, लेकिन योग को न समझने वाले लोग इसे फायदों और असर पर सवाल उठाते हैं । हालांकि वैज्ञानिक शोध प्राणायाम के लाभों और सटीकता की पुष्टि करते हैं । सबसे मशहूर प्राणायामों में से एक है अनुलोम विलोम । किसी भी योग के अभ्यास के लिए सबसे जरूरी है , उस आसन को सही तरीके से करना । हालांकि अक्सर लोग गलत तरीके से योगाभ्यास करते हैं । अनुलोम विलोम प्राणानायाम को आसान अभ्यास समझा जाता है, जिसमें नाक से सांस खींच कर दूसरे नथुने से छोड़ा जाता है। लेकिन ये सही तरीका नहीं है। इस योग को नाड़ी शोधन प्राणायाम भी कहते है और नाम के अनुरूप ही इस योग का अभ्यास करते हैं । आइए जानते हैं, अनुलोम विलोम के अभ्यास का सही तरीका और इसके फायदे।
अनुलोम विलोम के अभ्यास का सही तरीका
स्टेप 1- अनुलोम-विलोम करने के लिए मैट पर पद्मासन या सुखासन की स्थिति में बैठ जाएं।
स्टेप 2- रीढ़ और गर्दन को सीधा रखते हुए आंखें बंद कर लें और ध्यान लगाएं।
स्टेप 3- कलाइयों को घुटनों पर टिकाकर दाहिने हाथ का उपयोग करते हुए मध्यमा और तर्जनी को हथेली की ओर मोड़ें।
स्टेप 4- अब अंगूठे से दाहिने नथुने को बंद करें और अनामिका को बाएं नथुने पर रखते हुए धीरे धीरे गहरी श्वास लें।
स्टेप 5- श्वास की गति पर ध्यान केंद्रित करें, फिर अंगूठा छोड़ते हुए अनामिका से बाएं नथुने को बंद करें।
स्टेप 6- दाहिने नथुने से धीरे धीरे श्वास छोड़ें। इसी क्रिया को दूसरी ओर से करें। इस बार दाएं नथुने से सांस लें और बाएं से श्वास छोड़ें।
अनुलोम विलोम के अभ्यास के फायदे
इस प्राणायाम के अभ्यास से कई गंभीर स्वास्थ्य विकार, जैसे हृदय की समस्याएं, गंभीर अवसाद, उच्च रक्तचाप, गठिया, माइग्रेन की समस्या में कमी आती है।
अनुलोम विलोम करने से चिंता, तनाव और अवसाद दूर हो सकता है।
श्वसन विकार जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस ठीक करने में भी अनुलोम-विलोम फायदेमंद है।
एकाग्रता और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है, साथ ही क्रोध, बेचैनी, निराशा और विस्मृति जैसी नकारात्मक भावनाएं दूर होती हैं।
इस योग के अभ्यास से वजन घटाया जा सकता है और मेटाबॉलिज्म ठीक रहता है।
त्वचा में चमक और आंखों की रोशनी बेहतर होती है। - बालों का झड़ना, कमजोर होना और वक्त से पहले सफेद होना। बालों से जुड़ी ये कुछ ऐसी समस्याए हैं, जिससे हर व्यक्ति परेशान रहता है। हालांकि, कई केमिकल बेस्ड प्रोडक्ट इसके लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। लेकिन एक समय के बाद केमिकल की वजह से स्कैल्प को नुकसान होने लगता है। ऐसे में जरूरी है कि आप प्राकृतिक तरीकों को अपनपाएं, जिससे बाल सुरक्षित भी रहे और लंबे, घने होने के साथ-साथ मजबूत भी बनें। इसके लिए आप रोजमेरी का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह बेहतरीन फूल है, जिसका कई तरीकों से उपयोग किया जा सकता है। तो चलिए, हम जानते हैं बालों की ग्रोथ के लिए किस तरह से रोजमेरी का प्रयोग कर सकते हैं।रोजमेरी शैंपू के रूप में यूज करेंहेयर ग्रोथ के लिए आप रोजमेरी को शैंपू के रूप में यूज किया जा सकता है। इसके लिए, आपको चाहिए हेयर वॉश के लिए जितना शैंपू चाहिए, उसे एक कटोरी में निकाल लें। अब इसमें 5-7 बूंदें रोजमेरी ऑयल की डालें। इसके बाद, इस मिश्रण को अच्छी तरह से मिक्स कर लें। अब इस शैंपू से आप अपने हेयर वॉश कर लें। इस शैंपू की मदद से आपकी स्कैल्प को फायदा होता है, साथ ही बाल भी सिल्की होते हैं। यही नहीं, इस तरह रोजमेरी ऑयल का इस्तेमाल करने से बालों की ग्रोथ भी बढ़ती है।रोजमेरी टी से हेयर वॉश करेंरोजमेरी की चाय तो शायद आपने पी होगी। रोजमेरी की चाय बनाना भी बहुत आसान है। इसे आप रोजमेरी की पत्तियों को गर्म पानी में उबाल लें। आप रोजमेरी की पत्तियां अपने हेयर लेंथ के अनुसार लें। उसी हिसाब से पानी भी लें। जरूरी हो तो एक लीटर पानी ले सकते हैं। अच्छी तरह उबलने के बाद गैस बंद कर दें। ठंडा होने पर रोजमेरी की पत्तियों को छलनी की मदद से अलग कर लें। शैंपू से हेयर वॉश करने के बाद रोजमेरी टी से फाइन वॉश करें। बालों को बेहतरीन कलर मिलेगा और बाल खूबसूरत-शाइनी भी बनेंगे। हेयर ग्रोथ में भी यह मदद करेगा।रोजमेरी का तेल करें यूजरोजमेरी का तेल भी बहुत उपयोगी है। यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है और इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी पाए जाते हैं। इसी वजह से ऐसा माना जाता है कि रोजमेरी ऑयल बालों की ग्रोथ को बढ़ाता है और बालों का झड़ना भी कम करता है। आप रोजमेरी के ऑयल से अपने सिर की मसाज कर सकते हैं। चूंकि, यह दूसरे तेलों की तरह चिपचिपा नहीं होता है, तो इसे अप्लाई करने के तुरंत बाद वॉश करने की जरूरत नहीं है। आप इसे अप्लाई करके पूरी रात के छोड़ सकते हैं। अगली सुबह हेयर वॉश करें। इससे बालों को भरपूर पोषण मिलेगा। साथ ही मसाज करने की वजह से स्कैल्प में ब्लड सर्कुलेशन भी बेहतर तरीके से होगा।एसेंशियल ऑयल के साथ मिक्स करेंरोजमेरी के तेल को आप एसेंशियल ऑयल जैसे लैवेंडर या बादाम तेल के साथ मिक्स करके भी अपने सिर पर अप्लाई कर सकते हैं। यह मिश्रण खासकर उन लोगों के लिए ज्यादा कारगर है, जिनके बाल बहुत ज्यादा झड़ते हैं। वैसे भी, अगर आप रोजमेरी को अलग-अलग तेलों के साथ मिक्स करके लगाते हैं, तो इससे बालों को दो किस्म के तेलों का फायदा मिलता है। इसके साथ ही, आप हेयर मसाज करना न भूलें।
- गर्मियों में हमेशा ठंडा खाने की इच्छा होती रहती है। गर्मियों में ठंडी तासीर की चीजों को खाने की सलाह दी जाती है। जैसे कि ठंडी तासीर का आटा, ठंडी तासीर के फल और ठंडी तासीर सब्जियां। इस लेख में हम आपको ठंडी तासीर की सब्जियों के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं-1. लौकी या घीयालौकी एक ऐसी सब्जी है, जिसे अधिकतर लोग खाना पसंद नहीं करते हैं। लेकिन सभी लोगों को लौकी का सेवन जरूर करना चाहिए। खासकर, गर्मियों में लौकी का सेवन करना काफी फायदेमंद होता है। आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा बताते हैं कि लौकी की तासीर ठंडी होती है। ऐसे में अगर आप लौकी का सेवन करेंगे, तो पेट में ठंडक बनी रहेगी। साथ ही, पानी की कमी भी दूर होगी। लौकी खाने से शरीर हाइड्रेटेड रहता है। लौकी में विटामिन्स और मिनरल्स की मात्रा भी अधिक होती है। इसलिए अगर आप गर्मियों में लौकी की सब्जी खाएंगे, तो इससे शरीर में ठंडक बनी रहेगी और सभी जरूर पोषक तत्व भी मिलेंगे।2. सीताफलसीताफल पोषक तत्व से भरपूर होता है। सीताफल में कैल्शियम और फाइबर की मात्रा काफी अधिक होती है। साथ ही, सीताफल की तासीर भी ठंडी होती है। ऐसे में अगर गर्मी के मौसम में सीताफल का सेवन किया जाए, तो इससे स्वास्थ्य को कई लाभ मिल सकते हैं। इसलिए आपको अपनी डाइट में सीताफल को जरूर शामिल करना चाहिए। अगर आप गर्मियों में सीताफल की सब्जी बनाकर खाएंगे, तो इससे पेट को ठंडक मिलेगी और आप स्वस्थ महसूस करेंगे।3. पालकपालक प्रोटीन, आयरन और विटामिन सी का अच्छा सोर्स होता है। पालक की तासीर बेहद ठंडी होती है। इसलिए गर्मियों में पालक का सेवन करना फायदेमंद माना जाता है। पालक का नियमित सेवन करने से एनीमिया के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है। साथ ही, पालक को पचाना भी काफी आसान होता है। आप पालक का साग बनाकर खा सकते हैं।4. तोरीआयुर्वेद में तोरी की सब्जी को भी ठंडा बताया गया है। तोरी की सब्जी पचने में आसान होती है। यह पित्त को भी शांत करती है। इसलिए आप चाहें तो गर्मियों में तोरी की सब्जी को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। इसके अलावा, तोरी में कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, पोटैशियम और फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्व भी पाए जाते हैं। गर्मियों में तोरी की सब्जी खाना बेहद फायदेमंद होता है। तोरी की सब्जी खाने से आपको एनर्जी मिलेगी, वजन कंट्रोल में रहेगा और पेट में भी ठंडक बनी रहेगी।5. खीराखीरे में पानी की मात्रा काफी अधिक होती है। साथ ही, खीरे की तासीर भी ठंडी होती है। इसलिए आप चाहें तो अपनी समर डाइट में खीरे को भी शामिल कर सकते हैं। खीरे को आप सलाद के रूप में खा सकते हैं या फिर इसकी सब्जी बनाकर भी खाई जा सकती है।6. टिंडागर्मियों में टिंडा भी खाया जाता है, क्योंकि इसकी तासीर ठंडी होती है। लौकी की तरह टिंडा भी पाचन में आसान होता है। इसमें पानी की मात्रा भी अधिक होती है। अगर आप गर्मी में टिंडे की सब्जी खाएंगे, तो इससे शरीर को ठंडक मिलेगी और पाचन भी सही रहेगा।
- गर्मियों के मौसम में तरबूज बहुत अधिक मात्रा में खाया जाता है। इस फल में 90 प्रतिशत से ज्यादा पानी पाया जाता है, इसलिए यह शरीर को हाइड्रेट रखने में मदद करता है। तरबूज की तासीर ठंडी होती है इसलिए भी यह गर्मियों में लोगों का फेवरेट फ्रूट होता है। लाल रंग का यह मीठा सा फल लोगों को कितना पसंद आता है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लोग इसे कभी भी खा लेते हैं। नाश्ते और इवनिंग स्नैक्स के तौर पर तरबूज खाया जाए तो ठीक है, लेकिन अगर इसका सेवन खाली पेट किया जाए तो यह सेहत के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। गर्मियों के मौसम में अगर आप भी खाली पेट तरबूज खा लेते हैं, तो हम हम आपको इस लेख में इससे सेहत को होने वाले नुकसान के बारे में बताने जा रहे हैं।डायबिटीज के मरीजों के लिए नुकसानदायकएक स्वस्थ व्यक्ति के अलावा खाली पेट तरबूज का सेवन डायबिटीज के मरीजों के लिए भी नुकसानदायक साबित होता है। डायबिटीज के मरीज अगर खाली पेट तरबूज का सेवन करें तो इससे शरीर में ग्लूकोज का लेवल बढ़ सकता है। हाई ब्लड शुगर, शरीर में ग्लूकोज की मात्रा बढऩे की स्थिति है। इससे डायबिटीज के मरीजों की समस्या बढ़ सकती है। डाइटिशियन का कहना है कि डायबिटीज के मरीजों को भूलकर भी खाली पेट तरबूज का सेवन नहीं करना चाहिए।सीने में जलन का कारणतरबूज में पोटैशियम की मात्रा बहुत अधिक पाई जाती है। खाली पेट तरबूज खाने से शरीर में पोटैशियम का स्तर बिगड़ सकता है, जिसकी वजह से दिल की धड़कन बढ़ सकती है। कई रिसर्च में यह बात सामने आ चुकी है, जब शरीर में पोटेशियम का स्तर बढ़ता है तो सीने में तेज दर्द हो सकता है। पोटैशियम के स्तर के बढऩे पर उल्टी या मतली की समस्या हो सकती है। जब शरीर में पोटेशियम का स्तर बढ़ता है तो पेट में दर्द और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण भी नजर आ सकते हैं।
- स्ट्रेस, बिजी लाइफस्टाइल और खानपान की गड़बड़ी ने आज ज्यादातर लोगों को ब्लड प्रेशर का रोगी बना दिया है। ब्लड प्रेशर की वजह से व्यक्ति को कई अन्य रोग जैसे छाती में दर्द, चक्कर आना, चेहरा लाल होना, सांस लेने में मुश्किल, कमजोरी, धुंधली नजरें, पेशाब में खून आना, थकान, टेंशन, दिल की धड़कन में गड़बड़ी, सिरदर्द, नाक से खून आना जैसी समस्याएं परेशान कर सकती हैं। इन सब समस्याओं से खुद को दूर रखने और अपने बीपी को कंट्रोल रखने के लिए आजकल ज्यादातर घरों में बीपी नापने के लिए मशीन उपलब्ध होती है। जिसकी वजह से व्यक्ति अपने हाई या लो बीपी का पता आसानी से घर बैठे लगा सकता है। लेकिन क्या आप वाकई जानते हैं बीपी को नापने का सही तरीका क्या है? आइए इस लेख में जानते हैं आखिर क्या है ब्लड प्रेशर को नापने का सही तरीका।घर बैठकर ब्लड प्रेशर नापने की सही तरीका-खाने-पीने से बचें-ब्लड प्रेशर नापने से 30 मिनट पहले तक इस बात का ध्यान रखें कि आपको कुछ भी खाना-पीना नहीं चाहिए।पेट खाली करके आएं-ब्लड प्रेशर नापने से पहले कोशिश करें कि आपका पेट खाली रहे।आराम से बैठें-बीपी नापते समय हमेशा आरामदेह कुर्सी पर 5 मिनट पहले बैठकर अपनी कमर को सीधा रखें।फर्श पर ऐसे रखें अपने पैर-बीपी नापते समय अपने दोनों पैरों को फर्श पर जमाकर रखें। ऐसा करते समय इस बात का खास ख्याल रखें कि आपने क्रॉस लेग न किए हुए हों।बाजू को रखने का सही तरीका-छाती की ऊंचाई जितने बड़े मेज पर अपना हाथ रखते हुए आराम से बीपी नापें।आस्तीन चढ़ा लें-ब्लड प्रेशर कफ को हमेशा कपड़ों के ऊपर नहीं बल्कि त्वचा के सीधे संपर्क में रखना चाहिए।कफ ठीक तरह पहनें-बीपी नापते समय सबसे पहले इस बात को सुनिश्चित कर लें कि कफ टाइट हो लेकिन बहुत ज्यादा तंग नहीं हो।चुपचाप रहें-बीपी नपवाते समय हमेशा चुपचाप रहें। ज्यादा या फिर तेज बोलने से आपके ब्लड प्रेशर पर फर्क पड़ सकता है।क्रॉस चेक जरूर करें-बीपी हमेशा एक बार नहीं दो बार एक-दो मिनट के अंतर में जरूर नापें। ताकि आपको यह पता चल जाए कि आपकी बीपी की रीडिंग एक दम सही है।
- कई लोग चावल बनाते समय इसके पानी को फेंक देते हैं। जबकि आपको जानकर हैरानी होगी कि चावल का पानी यानी मांड भी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसलिए आपको चावल के मांड को फेंकने के बजाय गिलास में निकालकर रखना चाहिए। फिर आप चावल के मांड का सेवन कर सकते हैं। जी हां, चावल के मांड को पिया जा सकता है। चावल के मांड को पीने से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं में आराम मिल सकता है। चावल का मांड विटामिन्स और मिनरल्स का काफी अच्छा सोर्स होता है। इसलिए चावल के मांड को सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। आप भी नियमित रूप से चावल के मांड का सेवन कर सकते हैं। तो चलिए, विस्तार से जानते हैं चावल का मांड पीने के फायदे1. एनर्जी बूस्ट करेअगर आप चावल का मांड पिएंगे, तो इससे आपकी एनर्जी बूस्ट होगी। चावल के पानी में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है। जिससे आपको पर्याप्त एनर्जी मिल सकती है। एनर्जी के लिए आप बच्चों को भी चावल का मांड पिला सकते हैं। चावल का मांड एनर्जी बूस्टर के रूप में काम करता है। रोज सुबह चावल का मांड लेने से आप में पूरे दिन चुस्ती बनी रहेगी।2. कब्ज से छुटकाराचावल का मांड के लिए भी काफी फायदेमंद होता है। चावल का मांड पीने से पेट से जुड़ी समस्याओं जैसे गैस, अपच और कब्ज से छुटकारा मिल सकता है। दरअसल, चावल का मांड आसानी से डाइजेस्ट हो जाता है। ऐसे में यह आंतों की सफाई करने में मदद करता है। इससे पेट आसानी से साफ हो जाता है। चावल का मांड पेट से विषाक्त पदार्थों को भी आसानी से निकाल देता है।3. त्वचा की समस्याएं ठीक करेचावल का मांड त्वचा के लिए भी लाभकारी होता है। अगर आप चावल के पानी का नियमित रूप से सेवन करेंगे, तो इससे आपको मुलायम और कोमल त्वचा मिल सकती है। चावल का मांड त्वचा को हाइड्रेट रखता है। त्वचा की समस्याओं को ठीक करने के लिए आप चावल के मांड का सेवन कर सकते हैं। इसके साथ ही, आप इस पानी से नहा भी सकते हैं। इससे आपकी त्वचा पर निखार बना रहेगा। चावल का पानी त्वचा की जलन, खुजली और रेडनेस को कम कर सकता है। चावल के मांड का इस्तेमाल एक्जिमा को ठीक करने के लिए भी किया जा सकता है।4. मांसपेशियों को मजबूत बनाएचावल का मांड हड्डियों और मांसपेशियों के लिए भी फायदेमंद होता है। चावल का मांड पीने से आपकी मांसपेशियां और हड्डियां मजबूत बनेंगी। चावल के मांड में अमीनो एसिड होता है, जो मांसपेशियों के विकास को बढ़ावा देता है। चावल का मांड मांसपेशियों के निर्माण और मजबूती में सहायता करता है।5. डायरिया का इलाज करेचावल का मांड डायरिया के इलाज में भी असरदार साबित हो सकता है। अगर छोटे बच्चों को भी डायरिया हो गया है, तो चावल का मांड पीना फायदेमंद हो सकता है। अगर आपको दस्त या डायरिया की समस्या हो रही है, तो आप अपनी डाइट में चावल के मांड को शामिल कर सकते हैं।
- नवजात शिशु को खास देखभाल की जरूरत होती है। माता-पिता को उन्हें दूध पिलाने से लेकर नहलाने और मालिश करने तक का खास ख्याल रखना पड़ता है। जरा सी भी गलती उनके लिए समस्या पैदा कर सकती है। नवजात शिशु बड़े बच्चों की तरह माता-पिता को अपनी समस्या बोलकर नहीं बता पाते हैं। ऐसे में मां ही उनके हाव-भाव देखकर उनकी परेशानियों को दूर करने की कोशिश करती है। ऐसी ही एक समस्या जो नवजात शिशु को अक्सर परेशान करती है वो है पेट में गैस बनना। अगर आपका बच्चा भी इस समस्या से परेशान रहता है तो अपनाएं ये घरेलू उपाय।शिशु को गैस से राहत दिलाने के लिए अपनाएं ये घरेलू नुस्खे-हींग-गैस की शिकायत होने पर शिशु की नाभि पर हींग का पेस्ट बनाकर लगाएं। ऐसा करने से शिशु की गैस बाहर निकल जाएगी और उसे दर्द से निजात मिलेगी।मालिश-नवजात शिशु को गैस के दर्द से राहत दिलाने के लिए उसके पेट की मालिश करना न भूलें। इसके लिए शिशु को सबसे पहले पीठ के बल लिटाकर पेट पर थोड़ी देर सर्कुलर मोशन में मसाज करें। शिशु की मालिश करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप उसके पेट पर I, L और Y अक्षर लिखने की नकल करें। इस 'आई लव यू' मसाज तकनीक को अपनाने से शिशु की गैस बाहर निकल जाएगी।दूध पिलाते समय बच्चे का सिर ऊपर रखें-नवजात शिशु को बोतल से दूध पिलाते समय उसका सिर पेट से थोड़ा ऊपर की तरफ रखें। ऐसा इसलिए क्योंकि कई बार बच्चा बोतल से दूध पीते समय तेजी से दूध खींचता है, जिसकी वजह से उसके पेट में हवा चली जाती है। लेकिन दूध पिलाते समय शिशु के सिर ऊंचा रखने से वह आसानी से डकार के साथ गैस को बाहर निकाल पाएगा।पेट की सिंकाई-पेट में गैस बनने से शिशु अगर परेशान हो रहा है तो उसे तुरंत राहत पहुंचाने के लिए उसके पेट की सिंकाई करें। इसके लिए गुनगुने पानी में तौलिया भिगोकर निचोड़ लें। इस तौलिए को शिशु के पेट के ऊपर रखें। इस उपाय को करने से शिशु को पेट में गैस और ऐंठन की समस्या में आराम मिलेगा।घुटनों से साइकिल चलवाएं-शिशु जब गैस पास नहीं कर पाता है तो दर्द से रोने लगता है। ऐसे में उसे राहत देने के लिए पीठ के बल लिटाकर उसके घुटनों को मोड़ते हुए पैरों को उठाएं और साइकिल चलाने जैसा बिहेव करें। ऐसा करने से पेट में फंसी गैस बाहर निकल जाती है।
- पका खरबूजा स्वास्थ्य के लिए अच्छा भोजन है। यह शरीर के वजन को बढ़ाता है। यदि रोज खरबूजा खाकर ऊपर से चीनी का शर्बत पी लिया जाये तो एक-डेढ़ मास में दो-तीन पाउण्ड वजन बढ़ जाता है। यह लू और ताप से भी बचाता है। दिल दिमाग को ताजा करता है। खरबूजे पर दूध पीना वर्जित है। इससे हैजा होने का भय है। खरबूजा खाली पेट नहीं खाना चाहिए, खाने के कुछ देर बाद खाना चाहिए। खरबूजा लू और धूप सहन करने से गर्म हो जाता है। इसे कुछ समय ठण्डे पानी में डाल दें, इससे इसकी गर्मी कम हो जायेगी। कई लोग इसे बर्फ में दबा देते हैं, इससे इसका स्वाद भी बढ़ जाता है और खूब खाया जाता है। कुछ लोग इसकी फाँकों को बर्फ से ठण्डा करते हैं। इस प्रकार यह स्वादु और ठण्डा तो हो जाता है परन्तु कभी- कभी कई रोगों का कारण भी बन जाता है। यदि बर्फ से ही ठण्डा करना हो तो इसे सालम ही बर्फ में लगाना चाहिए। आधा घण्टे के बाद निकाल कर काटकर खायें। पके खरबूजे का बीज भी एक मेवा है। स्त्रियाँ अप्रैल और मई के महीनों में खरबूजे के बीज एकत्र करके उन्हें दो-तीन दिन के लिए एक बर्तन में डाल देती हैं और उसमें कुछ पानी डाल देती हैं। ऐसा करने से बीज का छिलका कुछ मोटा हो जाता है और छीलने में आसानी हो जाती है। त्यौहार पर औरतें खरबूजे की गिरी से कई प्रकार की खाने की चीजें बनाती हैं। जैसे हलुआ और बरफी गिरी से नमकीन भी बनती हैं। ठण्डाई में भी इसके बीज डाले जाते हैं। इनकी खीर भी बनाते हैं और पीसकर दूध भी बनाया जाता है।खरबूजा खाने के लाभ और गुणकारी प्रयोग1. सीने में दर्द - खरबूजे का ठंडा-ठंडा शर्बत पीने से सीने का दर्द दूर होता ही है, साथ ही बढ़ी हुई तेज धड़कन भी फिर से सामान्य अवस्था में आ जाती है।2. लू लगना - गर्मियों में घर से बाहर निकलने के पूर्व इसका शर्बत पीने से शरीर को लू नहीं लगती तथा सूर्य की तेज किरणें चेहरे की त्वचा को क्षति भी नहीं पहुंचातीं ।3. पथरी - इस में तो यह अमृत फल से कम नहीं है, नित्य सुबह-शाम खरबूज की 3-4 फांकें खाने से पथरी गलकर निकलने लगती है।4. पीलिया - पीलिया रोग को शरीर से भगाने के लिए भरपूर मात्रा में इस फल का सेवन करें। इसका शर्बत भी फायदेमंद है।5. सनबर्न - सनबर्न होने पर खरबूज के गूदेदार छिलके चेहरे पर मलने से झुलती त्वचा फिर से अपनी अवस्था में आ जाएगी।6. पाचन शक्ति - कमजोर पाचन शक्ति को सुधारने के लिए अपने भोजन में खरबूज को जरूर शामिल करें। चीनी मिलाकर इसका पना चपातियों के संग खाने से पाचन शक्ति में वृद्धि होने लगती है।7. रक्तचाप • ताजा खरबूजे के सेवन से रक्तचाप तथा - रक्तसंचार संबंधी कई रोगों से छुटकारा मिलता है।8. घमौरियां • तेज' धूप से पसीने के कारण शरीर पर दाद, खाज, घमौरियां उभरने लगते हैं। इनसे छुटकारा पाने के लिए खरबूज के शर्बत में काली मिर्च पाउडर, नमक, नींबू का रस मिलाकर सेवन करें तथा दाद, खाज, घमौरियां वाले स्थानों पर खरबूज के गूदेदार छिलकों को धिरे धिरे मलें।9. खट्टी डकार - मीठे-मीठे खरबूज पर थोड़ा-सा सेंधा नमक व नींबू का रस छिड़ककर खाने से गले की जलन, खट्टी डकारों, हिचकी आदि से छुटकारा मिलता है।10. कील-मुंहासे - चेहरे पर कील-मुंहासे उभर आए हों तो खरबूजे के छिलके इन पर रगड़ें व खट्टे खरबूज सेवन करें।11. सौंदर्य - चेहरे का रूप-सौंदर्य निखारने के लिए हलके गुलाबी या पीले खरबूजे के गूदे में हलका-सा गुलाबजल चेहरे पर मलें। 10-15 मिनट उपरांत गुलाबजल मिले ठंडे-ठंडे पानी से चेहरा थपथपा लें। रूप की आभा दमकने लगेगी।12. स्मरणशक्ति - खरबूजे के बीजों को छीलकर उनकी गिरी को बादाम के साथ खाने से स्मरणशक्ति तेज होती है।13. ताकत - नित्य खरबूजे की गिरी (2 छोटे चम्मच) खाने से शरीर बलवान तथा त्वचा चिकनी व सुंदर बनती है।14. वाणी में मधुरता - अपनी वाणी में मधुरता लाने के लिए खरबूजे की गिरी मिश्री के साथ सेवन करें।15. चेहरे के दाग - चेहरे के दाग, धब्बों आदि से छुटकारा पाने के लिए खरबूजे का रेशेदार गूदा मलें।16. आतों की सफाई - अधिक मात्रा में तली और गली चीजें खाने से पेट खराब हो जाता है तथा आंतों में मल चिपककर सूख जाता है। बर्फ में ठंडा किया खरबूजे का शर्बत पीने से आंतों में चिपका मल निकलकर, पेट को स्वच्छ कर देता है।17. संग्रहणी - खरबूजे में विटामिन 'सी' पाया जाता है। इसके अतिरिक्त कुछ ग्लूकोज, प्रोटीन, नमक, पानी और कार्बोहाइड्रेट आदि भी होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार यह ठण्डा, वीर्यवर्द्धक, चित्त को शान्ति देने वाला, मूत्र तथा रक्त का शोधक, शक्तिदायक तथा जलन को दूर करने वाला है। इसे ठीक रीति से प्रयोग करने से संग्रहणी ठीक हो जाती है। पथरी के रोग को भी दूर करता है। मूत्र की शुद्धि के लिए यह जादू का प्रभाव रखता है।18. दस्त - खरबूजा निराहार खाने से कभी-कभी दस्त लग जाते हैं। अत: भोजन के एक घण्टे बाद खाना चाहिए।19. गुर्दे का दर्द - खरबूजे का खुश्क छिलका छह ग्राम लेकर उसे धोकर दो घण्टे तक चौथाई किलो जल में उबालें पुनः छानकर थोड़ी-सी खाण्ड मिलाकर आधाआधा कप प्रातः-सायं लगातार एक सप्ताह तक पियें। गुर्दे का दर्द जाता रहेगा।20. हैजा - खरबूजे के छिलके का चूर्ण तीन ग्राम को बीस ग्राम शराब और दस ग्राम पानी मिलाकर हैजे के रोगी को दें। इससे हैजे का प्रभाव नष्ट हो जाता है।
- हमारे देश में सुबह के नाश्ते से लेकर रात के डिनर तक खाने में अचार जरूर खाया जाता है। लेकिन आपको ये बात जानकर हैरानी होगी कि अचार एक ऐसी चीज है जो सेहत के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है। ज्यादा मात्रा में अचार खाने से शरीर पर कई तरह के साइड इफेक्ट हो सकते हैं। इतना ही नहीं, अचार पाचन संबंधी समस्याओं का कारण भी बन सकता है। आज इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं 5 ऐसी बीमारियों के बारे में, जो अचार के कारण बढ़ सकती है।हाई ब्लड प्रेशर के मरीजजिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होती है उन्हें अचार का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। अचार को बनाने में अधिक मात्रा में नमक और तेल का इस्तेमाल किया जाता है, जो ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकता है। कुछ जगहों पर अचार में कई तरह के तरह के मसाले भी डाले जाते हैं। ज्यादा मसाले होने की वजह से भी अचार हाई ब्लड प्रेशर का कारण बन सकता है। हाई प्रेशर की वजह से हार्ट अटैक, स्ट्रोक और हार्ट ब्लॉकेज जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।पाचन संबंधी समस्याओं से जूझ रहे लोगों कोजिन लोगों को अक्सर पेट में गैस, अपच, दर्द और सीने में जलन जैसी समस्या होती है उन्हें भी अचार का सेवन न करने की सलाह दी जाती है। दरअसल, अचार को बनाने के बाद सालों तक स्टोर किया जाता है। लंबे समय तक डिब्बे में बंद रहने की वजह से अचार पेट के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। पाचन संबंधी समस्याओं से जूझ रहे लोग अगर अचार का सेवन करते हैं तो ये कई बीमारियों की वजह बन सकता है।डायबिटीज के मरीजों के लिएडायबिटीज के मरीजों के लिए भी अचार अच्छा नहीं माना जाता है। कुछ अचार ऐसे होते हैं जिनमें गुड़, चीनी या विनेगर का इस्तेमाल किया जाता है। जिसकी वजह से शुगर लेवल बढ़ सकता है। शुगर लेवल बढऩा डायबिटीज के मरीजों के लिए खतरे की घंटी माना जाता है। अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं और किसी तरह की दवा का सेवन कर रहे हैं तो अचार खाने से पहले हेल्थ एक्सपर्ट और डॉक्टर की सलाह जरूर लें।अल्सर की समस्या के लिएजिन लोगों को अल्सर की समस्या होती है उन्हें भी अचार न खाने की सलाह दी जाती है। दरअसल, अचार में कुछ ऐसे मसालों का इस्तेमाल किया जाता है, जो आंतों के लिए अच्छे नहीं होते हंै।
- ऐसे तो कई तरह के सुपरफूड के विकल्प हमारे पास मौजूद हैं, लेकिन आजकल तेजी से चल रहे शोध से नए-नए सुपरफूड के साथ उनके स्वास्थ्य लाभ भी पता चल रहे हैं। इसी कड़ी में ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की एक नई रिपोर्ट जारी होने के साथ ब्रेडफ्रूट को सुपरफूड का अच्छा विकल्प बताया है। ये तब खाया जा सकता है जब ये पूरी तरह से पका हुआ हो, या इसे सुखाया जा सकता है और एक आटे में मिलाया जाए और कई प्रकार के भोजन में पुनर्निर्मित किया जा सके।ब्रेडफ्रूट क्या है?ब्रेडफ्रूट (Breadfruit) एक बड़ा, स्टार्चयुक्त फल है जो पेड़ों पर बढ़ता है। जब पके होते हैं, तो ये फल 4 से 8 इंच के आसपास होते हैं और ये हरे रंग के बाहरी होते हैं। इसमें आलू के समान एक बनावट है और इसे उबला हुआ, उबला हुआ या बेक किया जा सकता है, हालांकि भारतीय पारंपरिक खाने में इसका इस्तेमाल आग पर पकाने के साथ किया जाता है। 100 ग्राम ब्रेडफ्रूट में 4 ग्राम प्रोटीन और सिर्फ 5 ग्राम फाइबर होता है। यह मैग्नीशियम और पोटेशियम जैसे खास पोषक तत्वों का भी एक अच्छा स्रोत है और मध्यम ग्लाइसेमिक सूचकांक होने के दौरान ल्यूटिन जैसे कैरोटीनॉयड प्रदान करता है।ब्रेडफ्रूट पर क्या कहता है अध्ययनसुसान मर्च जो बार्बर फैकल्टी ऑफ साइंस में रसायन विज्ञान के प्रोफेसर हैं, वो बताते हैं कि ब्रेडफ्रूट (Breadfruit) प्रशांत द्वीपों से दुनियाभर में खाद्य सुरक्षा में सुधार करने और मधुमेह को कम करने की क्षमता के साथ एक पारंपरिक फसल है। मर्च कहते हैं कि सदियों से हजारों लोग इस पर अपना जीवन काट रहे हैं और सिर्फ मनुष्य ही नहीं बल्कि जानवर भी इस पर आधारित हैं। इसके लिए शोधकर्ताओं ने हवाई में एक ही पेड़ से चार ब्रेडफ्रूट थे, जिसे यूबीसी ओकेगन में मर्च लैब में भेजा गया। डॉक्टरेट के छात्र यिंग लियू ने ब्रेडफ्रूट-आधारित आहार के पाचन और अन्य स्वास्थ्य प्रभावों की जांच करने वाले अध्ययन का नेतृत्व किया। डॉक्टर लियू कहते हैं कि हम पर्यावरण के अनुकूल और उच्च उत्पादन वाली फसल के रूप में ब्रेडफ्रूड के विकास में योगदान करना चाहते है।'पाचन में काफी आसान होते हैं ब्रेडफ्रूट'ब्रेडफ्रूट को लेकर शोधकर्ताओं ने निर्धारित किया कि एंजाइम पाचन मॉडल में ब्रेडफ्रूट प्रोटीन को गेहूं के प्रोटीन की तुलना में पचाने में कााफी आसान होता है। लियू अध्ययन को लेकर बताते हैं कि हमारे अध्ययन में ब्रेडफ्रू़ट आहार किसी भी विषाक्त प्रभाव को लागू नहीं करता है। ब्रेडफ्रूट पाचन और आहार के स्वास्थ्य प्रभाव की समझ होना बहुत जरूरी है और भविष्य में सुपरफूड के तौर पर ब्रेडफ्रूट की स्थापना जरूरी है।'पोषण से है संतुलित आहार'लियू कहते हैं कि इस अध्ययन को देखते हुए ब्रेडफ्रूट एक स्वस्थ, पोषण से संतुलित आहार के हिस्से के रूप में इस्तेमाल का समर्थन करता हैं। ब्रेडफ्रूट से निर्मित आटा एक लस मुक्त, कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स, पोषक तत्व-घने और आधुनिक खाद्य पदार्थों के लिए पूर्ण प्रोटीन विकल्प है। जिसे आप एक सुपरफूड के तौर पर अपना सकते है। अगर आप भी अपने भोजन में इस सुपरफूड्स को शामिल करने के बारे में सोच रहे हैं, लेकिन आपके सामने सवाल है कि इसे कैसे शुरू करें? तो आप ग्रीन्स पाउडर की ओर देख सकते हैं जो सुपरफूड का एक बड़ा स्रोत है जिसे आप आसानी से अपनी रूटीन में शामिल कर सकते हैं।
- गर्मियों का मौसम आ चुका है। इस मौसम में बढ़ते तापमान का असर पाचन तंत्र पर पड़ता है। जिन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर होती है वो जल्दी पेट संबंधित बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। गर्मियों में पेट को दुरुस्त रखने के लिए नींबू पानी का सेवन कर सकते हैं। नींबू पानी में विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं जिससे पाचन तंत्र को मजबूत रखने में मदद मिलती है। नींबू पानी में काब्र्स, प्रोटीन, फॉस्फोरस, सोडियम, पोटैशियम और मैग्नीशियम, विटामिन ई, फोलेट एसिड आदि पोषक तत्व भी पाए जाते हैं।1. पेट में गैस हो तो पिएंं नींबू पानीपेट में गैस होने पर नींबू पानी का सेवन कर सकते हैं। नींबू पानी में हाइड्रोक्लोरिक एसिड होता है। इससे गैस की समस्या दूर होती है। गर्मियों के दिनों में दिनभर में 1 से 2 गिलास नींबू पानी का सेवन कर सकते हैं।2. कब्ज होने पर पिएं नींबू पानीनींबू पानी का सेवन करेंगे तो हाजमा सही रहेगा। कब्ज की समस्या नहीं होगी। गर्मियों के मौसम में पेट में दर्द, एसिडिटी, खट्टी डकार, पेट में ऐंठन आदि समस्याओं को दूर करने के लिए एक गिलास पानी में नींबू का रस और काला नमक डालकर पी लें। कुछ ही देर में पेट से संबंधित शिकायतें कम होती महसूस होंगी।3. हेल्दी डिटॉक्स ड्रिक है नींबू पानीनींबू पानी पेट के लिए डिटॉक्स ड्रिक की तरह काम करता है। इसका सेवन करने से पेट और आंतों की सफाई हो जाती है। पेट में मौजूद विषैले तत्व, बीमारियों का कारण बनते हैं। इन खराब तत्वों को पेट से साफ करने के लिए हर दिन नींबू पानी का सेवन फायदेमंद माना जाता है।4. उल्टी-मतली को रोके नींबू पानीनींबू में मौजूद विटामिन और प्रोटीन की मदद से उल्टी और मतली यानी जी मिचलाने जैसे लक्षणों को रोकने में मदद मिलती है। कई लोगों को गर्मी के मौसम में सफर के दौरान उल्टी आती है। हीट स्ट्रोक के कारण भी उल्टी आ सकती है। ऐसे में एक गिलास नींबू पानी का सेवन फायदेमंद होता है। उल्टी-मतली रोकने के लिए एक गिलास पानी में नींबू का रस और शहद मिलाकर पी सकते हैं।5. डायरिया होने पर पिएं नींबू पानीगर्मियों में पानी की कमी के कारण डायरिया या दस्त की समस्या हो जाती है। गर्मियों में मसालेदार भोजन ठीक से पचता नहीं है, ऐसे में पेट में दर्द और दस्त आदि लक्षण नजर आने लगते हैं। इन लक्षणों को दूर करने के लिए गर्मियों में नींबू पानी का सेवन करें। पीरियड्स में दस्त की समस्या होने पर भी नींबू पानी का सेवन कर सकती हैं।
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साथ-सुथरी ग्लोइंग स्किन हर किसी को अच्छी लगती है। लेकिन कई बार ज्यादा देर धूप में रहने या फिर मिनरल्स की कमी से चेहरे पर पिग्मेंटेशन और डार्क स्पॉट की समस्या होने लगती है। जिसे दूर करना मुश्किल हो जाता है। वहीं पिंपल और एक्ने तो बहुत सारे लोगों की समस्या है। इन सबसे छुटकारा पाने में आयुर्वेदिक औषधि मुलेठी मदद कर सकती है। मुलेठी का इस्तेमाल ज्यादातर सर्दी-खांसी के लिए किया जाता है। गले में खराश होने और खांसी आने पर मुलेठी को चबाने या चूरण बनाकर खाने की सलाह दी जाती है। मुलेठी केवल गले की खराश के लिए ही फायदेमंद नही है बल्कि इससे चेहरे की झाईयों और पिंपल को भी कम किया जा सकता है।
मुलेठी के फेस पैक
मुलेठी को बारीक पीसकर पाउडर बना लें। फिर इस पाउडर को चेहरे पर झाईयों, पिंपल, डार्क स्पॉट के लिए इन सारी चीजों के साथ मिलाकर चेहरे पर लगाएं।
खीरे के साथ बनाएं मुलेठी का फेसपैक
मुलेठी के पाउडर को खीरे के जूस और हल्दी के साथ मिलाकर फेस पैक बनाकर तैयार करें। इसे चेहरे पर लगाकर सूखने दे और फिर पानी से चेहरा धो लें। सप्ताह में दो बार इस फेस पैक को लगाने से चेहरे पर निखार आता है और डार्क स्पॉट भी कम होते हैं।
शहद के साथ मिलाकर लगाएं
रात को सोने से पहले इस फेस पैक को लगाने से चेहरे की कई सारी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। मुलेठी के पाउडर में शहद और थोड़ा सा गुलाबजल मिलाकर पेस्ट तैयार करें। फिर इसे चेहरे पर लगाकर सूखने दें। फिर चेहरा धो लें। सप्ताह में दो से तीन बार इस फेस पैक को लगाएं।
टमाटर के साथ बनाएं फेसपैक
मुलेठी का चूर्ण लेकर इसे एलोवेरा जेल और टमाटर के रस के साथ मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को करीब 20 मिनट तक चेहरे पर लगा रहने दें और फिर चेहरा साफ कर लें। इस पैक से चेहरे की झाईयां दूर करने में मदद मिलेगी। -
शरीर के हर हिस्से में खून, ऑक्सीजन और पोषक तत्वों को पहुंचाने का काम रक्त वाहिकाएं करती हैं. जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती रहती है रक्त वाहिकाएं भी कमजोर होने लगती हैं, जिससे यह सही से सभी चीजों को शरीर के हर अंग तक पहुंचाने में असमर्थ होने लगती हैं, जिस कारण कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ता है. हालांकि, ऐसी बहुत सी चीजें हैं जिन्हें खाने से आप अपनी रक्त वाहिकाएं को मजबूत कर सकते हैं. तो आइए जानते हैं उन चीजों के बारे में जिन्हें आपको अपनी डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए.
रक्त वाहिकाएं को मजबूत करती हैं ये चीजें--
बेरीज-
बेरीज एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती हैं, खासतौर पर इसमें एक एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है जिसे एंथोसायनिन कहा जाता है, जो रक्त वाहिका के कार्य को बेहतर बनाने का काम करता है. ब्लूबेरी, स्ट्रॉबेरी, रसभरी और ब्लैकबेरी में एंथोसायनिन का लेवल काफी ज्यादा पाया जाता है.
पत्तेदार सब्जियां-
पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, केल आदि में भरपूर मात्रा में नाइट्रेट पाया जाता है, जो ब्लड के फ्लो को बेहतर बनाने और ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद कर सकते हैं. इनमें विटामिन K की मात्रा भी काफी ज्यादा पाई जाती है, जिससे धमनियों को सख्त होने से रोका जा सकता है.
एवोकाडो-
एवोकाडो मोनोअनसैचुरेटेड फैट का एक बहुत अच्छा सोर्स माना जाता है जो रक्त वाहिकाओं के कार्य को बेहतर बनाने और सूजन को कम करने में मदद करता है. इसमें पोटेशियम की भी अधिक मात्रा पाई जाती है जो ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करता है.
साबुत अनाज-
साबुत अनाज, जैसे कि ब्राउन राइस, क्विनोआ और गेहूं से तैयार ब्रेड में भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जो कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करने और रक्त वाहिकाओं के कार्य में सुधार करने में मदद कर सकते हैं. साबुत अनाज में विटामिन B भी पाया जाता है जो धमनियों के सख्त होने से रोकता है.
प्याज-
प्याज में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट फ्लेवोनॉयड होता है. यह हमारी ओवरऑल हेल्थ के लिए फायदेमंद माना जाता है और शरीर में सर्कुलेशन को बढ़ाता है. एंटीऑक्सीडेंट के साथ प्याज में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण भी पाए जाते हैं जो नसों और धमनियों में सूजन को करते हैं.
हल्दी-
पुराने समय से ही इलाज के लिए हल्दी का इस्तेमाल किया जाता रहा है. हल्दी का सेवन करने से रक्त वाहिकाएं सिकुड़ती नहीं और सर्कुलेशन भी सही रहता है.
टमाटर-
टमाटर में भरपूर मात्रा में लाइकोपीन नाम का एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है. टमाटर में मौजूद ये एंटीऑक्सीडेंट रक्त वाहिकाओं के फंक्शन को सुधारने और सूजन को कम करने में मदद करता है. इसके साथ ही टमाटर में विटामिन C भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो अर्टरीज को सख्त होने से बचाता है. -
शरीर में कोलेस्ट्रॉल की बढ़ी हुई मात्रा काफी सारी बीमारियों का घर बन जाती है। जिसकी वजह से इंसान कभी भी गंभीर रूप से बीमार पड़ सकता है। बैड कोलेस्ट्रॉल की वजह से सबसे ज्यादा खतरा दिल की सेहत को होता है। वहीं शरीर के दूसरे अंग भी इसकी वजह से प्रभावित हो जाते हैं। बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा शरीर में ना बढ़े इसके लिए काफी सारे हेल्दी खानपान की सलाह दी जाती है। लेकिन डॉक्टर ने अगर हाई कोलेस्ट्रॉल बताया है। तो इसे आप आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से भी कम कर सकते हैं। ये जड़ी-बूटियां कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने में मदद करती हैं।
अर्जुन के पत्ते
अर्जुन की छाल काफी सारी बीमारियों में राहत पहुंचाती है। वहीं इसके पत्ते खाने से बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद मिलती है। खाली पेट रोजाना एक से दो पत्ते अर्जुन के पेड़ के चबाने से बैड कोलेस्ट्रॉल कम होता है।
त्रिफला चूर्ण
त्रिफला चूर्ण सूखे आंवले, हरण और बहेड़ा से मिलकर तैयार किया जाता है। इस चूर्ण को आयुर्वेद में कई सारी बीमारियों का हल बताया गया है। रोजाना एक चम्मच त्रिफला चूर्ण खाने से शरीर के बढ़े हुए बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद मिलती है।
ब्राह्मी
ब्राह्मी एक जड़ी-बूटी है जिसको साइंस ने भी फायदेमंद माना है। इसमे मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट कोलेस्ट्रॉल लेवल को सही रखने में मदद करते हैं। आप चाहें तो ताजी ब्राह्मी की पत्तियों को खा सकते हैं या फिर इसका चूर्ण मार्केट से लाकर सेवन कर सकते हैं।
कच्ची हल्दी
कच्ची हल्दी बहुत गुणकारी होती है। इसमे सूखी हल्दी से ज्यादा एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। कच्ची हल्दी की सब्जी बनाकर खाई जा सकती है। सप्ताह में दो से तीन बार सुबह खाली पेट आधा चम्मच कच्ची हल्दी को पीसकर गुनगुने पानी के साथ मिलाकर पिएं। ये बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करेगी।
नीम के पत्ते
रोजाना नीम का एक पत्ता काफी सारी बीमारियों से राहत पहुंचाता है। बैड कोलेस्ट्रॉल की शिकायत होने पर इसे रोजाना खाकर देखें। कुछ ही दिनों में कोलेस्ट्रॉल लेवल कम हो जाएगा।