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- वैसे तो लौंग का इस्तेमाल मसाला के तौर पर किया जाता है, लेकिन इसका धार्मिक महत्व भी कम नहीं है. इसके साथ ही लौंग ज्योतिषीय उपायों में भी खास है. मान्यता है कि इसके खास प्रयोग से किस्मत भी बदलती है. इसके अलावा सपनों को पूरा करनें में भी इसका प्रयोग चलन में है. लाल किताब के मुताबिक इसके टोटके से चमत्कारी लाभ होते हैं. आइए जानते हैं कि लौंग का टोटका किस तरह और कौन-कौन सी समस्या के लिए किया जाता है.दुश्मन से छुटकारा पाने के लिएकभी-कभी न चाहते हुए भी हमारे कई दुश्मन हो जाते हैं. जिससे दुश्मन से छुटकारा पाने के लिए लौंग का टोटका लाभकारी बताया गया है. हर मंगलवार या शनिवार की शाम सात बार बजरंग बाण का पाठ करें. इसके बाद हनुमान जी के सामने 5 लौंग सहित कपूर जलाएं. लौंग के जलने के बाद इसकी राख को माथे पर लगाएं. इससे दुश्मनों से छुटकारा मिल सकती है.धन लाभ के लिएकिसी मंगलवार या शनिवार को हनुमान जी के सामने सरसों तेल के दीए में लौंग डालकर जलाएं. फिर इस दीए से हनुमान जी का आरती करें. मान्यता है कि ऐसा करने से आर्थिक लाभ होता है. इसके अलावा आर्थिक समस्या दूर होती है.बिगड़े काम बनाने के लिएबिगड़े काम को बनाने के लिए लौंग का टोटका किया जाता है. साथ ही सफलता पाने के लिए भी लौंग का टोटका करने का प्रचलन है. टोटका करने के लिए नींबू में 4 लौंग को गाड़ दें. इसके बाद 31 बार ओम् श्री हनुमते नम: बोलें. इसे जहां भी जाएं इसे अपने पास रखें. इसके प्रभाव से काम में सफलता मिलती है. साथ ही बिगड़े काम बनते हैं.लौंग और कौड़ियों से टोटकाशास्त्रों के मुताबिक लक्ष्मी जी की पूजा करते समय रोज लौंग के साथ गुलाब की पंखुड़ियां या फूल चढ़ाएं. ऐसा अगर रोज संभव न हो सके तो शुक्रवार को भी कर सकते हैं. इसके अलावा 5 लौंग को 5 कौड़ियों के साथ लाल कपड़े में बांधकर घर में रखें. ऐसा करने से किस्मत संवरती है. लौंग का इस्तेमाल इच्छा पूर्ति के अलावा शत्रुनाश के लिए भी किया जाता है. लाल किताब के मुताबिक लौंग का टोटका बेहद असरकारक होता है. लौंग के टोटके से बिगड़ी किस्मत भी संवार सकती है.
- लिवर शरीर का बेहद महत्वपूर्ण अंग है. क्योंकि इसके कई काम हैं, यह शरीर से जहरीले रसायन यानी टॉक्सिन को बाहर निकालता है. पित्त (Bile) का उत्सर्जन कर एंजाइम को सक्रिय करता है. लिवर प्रोटीन और कोलेस्ट्रॉल का उत्पादन में भी मदद करता है. इसके अलावा लिवर कुछ मिनिरल्स, विटामिन ए और आइरन का स्टोरेज भी करता है. खून में आरबीसी को बाहर निकालने का काम भी लिवर ही करता है. अब आप अच्छी तरह समझ गए होंगे कि लिवर एक स्वस्थ शरीर के लिए कितना जरूरी है. इसलिए इसकी देखभाल करना बेहद जरूरी है.आजकल लिवर डिटॉक्स की चर्चा हो रही है. कहा जा रहा है कि इससे लिवर की सफाई होती है और लिवर में मौजूद सभी तरह के हानिकारिक पदार्थ बाहर निकल जाते हैं. शायद आपको पता होगा कि बाजार में कई तरह के लिवर डिटॉक्स मौजूद हैं, जिनमें कई तरह के दावे किए जाते हैं. हालांकि इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसलिए जरूरी है कि ऐसी नेचुरल और कुदरती चीजों का सेवन किया जाए, जो लिवर का डिटॉक्स करें.क्या है लिवर डिटॉक्सलिवर डिटॉक्स, क्लींज और फ्लश एक ऐसा प्रोसेस है जो आपकी बॉडी से विषाक्त पदार्थों यानी टॉक्सिन्स को बाहर निकालने, वजन कम करने या आपकी हेल्थ को बेहतर बनाने का दावा करता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स कहते हैं कि जब बार-बार एलर्जी हो तो हमें समझना चाहिए कि लिवर को डिटॉक्स की जरूरत है.लिवर खराब होने के लक्षणकुपोषणभूख न लगनाथकानडाइजेशन में प्रॉब्लमस्किन का रंग बदलनागैस बननाछाती में जलन होनालिवर को डिटॉक्स करने वाले जरूरी फूड1. गर्म पानी और नींबूटाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार, गर्म पानी के साथ नींबू लिवर डिटॉक्सीफिकेशन का काम करता है. खास बात ये हतै कि यह शरीर से टॉक्सिन को बाहर निकालने में मदद करता है. सुबह खाली पेट एक गिलास गुनगुने पानी में आधा नींबू का रस डालकर पीने से आपको जबरदस्त लाभ होगा.2. हल्दी का सेवननींबू के अलावा आपको हल्दी का सेवन लाभकारी है. इसलिए लिवर डिटॉक्स के लिए हल्दी का सेवन बढ़ा देना चाहिए. हल्दी एंजाइम बूस्टर का काम करती है, जिससे भोजन के साथ पेट के अंदर गए टॉक्सिन को बाहर निकलने में मदद मिलती है.3. आंवले का सेवनहेल्थ एक्सपर्ट्स कहते हैं कि लिवर को डिटॉक्स करने के लिए आंवले का जूस फायदमंद है. आंवले में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर के अंदर से टॉक्सिन को फ्लश आउट करता है.4. पालक और सरसों का सेवनहरी पत्तेदार सब्जियां या साग लिवर डिटॉक्सीफिकेशन के लिए कुदरती चीज हैं. आप चाहें तो इन दोनों का जूस निकालकर भी पी सकते हैं. इसके साथ ही इसको सामान्य तरीके से भी खाया जा सकता है.इन चीजों के सेवन से बचेंअगर आप अपने लिवर को सही और सुरक्षित रखना चाहते हैं तो जंक फूड, सिगरेट, शराब को पूरी तरह से बाय-बाय कह दें.
- खाने के बाद कई घरों में हरी सौंफ का सेवन किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि खाने के बाद सौंफ खाने से खाना पचने में आसानी होती है। हरी सौंफ में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं। जैसे- विटामिन सी, विटामिन ई, विटामिन के, जिंक, पोटैशियम, मैग्नीशियम, सेलेनियम, आयरन, फाइबर जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं।सौंफ कब खाना चाहिए?सौंफ का सेवन आप किसी भी वक्त कर सकते हैं। यह आपके स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। लेकिन अगर आप पाचन संबंधी विकारों को दूर करना चाहते हैं, तो खाने के बाद सौंफ जरूर खाएं। वहीं, सांसों को फ्रेश रखने के लिए रात में सोने से पहले 1 चम्मच सौंफ लें। इससे आपको काफी फायदा होगा।हरी सौंफ के फायदे1. सांसों को करे तरोताजाहरी सौंफ में एक खास तरह का एसेंशियल ऑयल होता है, जिसमें एंटीबैक्टीरियल गुण पाया जाता है। यह जीवाणुरोधी गुण सांसों को तरोताजा करने में आपकी मदद करता है। वहीं, सौंफ स्वाद में मीठा होता है, जो लार के स्त्राव को बढ़ाती है। इससे हानिकारक बैक्टीरिया नष्ट होता है। इसके सेवन से सांसों की दुर्गंध कम होती है।2. पाचन को करे दुरुस्तहरी सौफ में मौजूद एसेंशियल ऑयल पाचक रसों और एंजाइमों के स्त्राव को बढ़ाने में आपकी मदद करता है। जिससे आपके पाचन में सुधार होता है। इसके अलावा हरी सौंफ में एनेथोल, फेनचोन और एस्ट्रैगोल होते हैं, जो एंटीस्पास्मोडिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी के गुणों से भरपूर होता है। सौंफ में मौजूद यह गुण कब्ज, अपच और सूजन से जुड़ी परेशानी को दूर करने में मददगार हो सकता है।3. ब्लड प्रेशर में करे सुधारहरी सौंफ के बीज में पोटैशियम भरपूर रूप से होता है, जो आपकी नसों में फ्लूड के रेगुलेट को बढ़ाता है। रिसर्च के मुताबिक, हरी सौंफ का बीज लार में नाइट्राइट के स्तर को बढ़ाती है। नाइट्राइट एक प्राकृतिक तत्व है, जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में आपकी मदद कर सकता है।4. अस्थमा रोगियों के लिए फायदेमंदहरी सौंफ में फाइटोन्यूट्रिएंट्स की उच्च मात्रा होती है, जो साइनस की समस्याओं को दूर करने में आपकी मदद करती है। नियमित रूप से इस छोटे से बीज का सेवन करने से ब्रोन्कियल को आराम मिलता है, जो अस्थमा और ब्रोंकाइटिस के लक्षणों को कम करने में आपकी मदद कर सकता है।5. ब्लड को करे प्यूरीफाईब्लड को साफ करने में हरी सौंफ आपके लिए मददगार हो सकते हैं। इसमें मौजूद तेल और फाइबर आपके रक्त को शुद्ध करने में असरदार होते हैं। साथ ही यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं।6. कैंसर को करे बचावकई रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है कि हरी सौंफ में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो फ्री-रेडिकल्स के प्रभावों को कम कर सकते हैं। साथ ही यह ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में मददगार हो सकते हैं। ऐसे में हरी सौंफ कैंसर के जोखिमों को कम करने में मदद कर सकती है।7. आंखों की रोशनी बढ़ाएहरी सौंफ में विटामिन ए और एसेंशियल विटामिन होता है, जो आंखों के लिए काफी फायदेमंद होता है। हरी सौंफ के अर्क का सेवन करने से ग्लूकोमा जैसी परेशानी को कम किया जा सकता है।8. वजन घटाने में असरदारसौंफ फाइबर से भरपूर होता है, जो वजन को घटाने में आपकी मदद कर सकता है। दरअसल, इसमें फाइबर होता है, जो बार-बार भूख लगने की परेशानी को कम करने में आपकी मदद करता है।9. गैस की परेशानी को करे दूरहरी सौंफ में मौजूद एंटीमाइक्रोबियल गुण गैस की परेशानी को कम करने में मददगार होती है। अगर आपको हमेशा गैस और अपच की परेशानी होती है, तो खाने के बाद 1 चम्मच हरी सौंफ का सेवन जरूर करें।
- बालों की समस्या दूर करने के लिए आप को कैनोला ऑयल का इस्तेमाल करना चाहिए। कैनोला ऑयल बालों को हाइड्रेट भी रखता है और बालों में ज्यादा मॉइश्चर जमने की समस्या को भी दूर करता है। कैनोला ऑयल का इस्तेमाल करने से बाल घने होते हैं। कैनोला ऑयल में विटामिन ई मौजूद होता है जिससेे ड्राय स्कैल्प, स्कैल्प में खुजली, डैंड्रफ की समस्या भी दूर होती है। कैनोला ऑयल को कैसे इस्तेमाल करना है ये इस पर निर्भर करता है कि आपको बालों से जुड़ी क्या समस्या है। कैनोला एक तरह का पौधा है। इसमें बहुत से औषधीय गुण मौजूद होता है। कैनोला पौधे से तेल निकालने के लिए बायो तकनीक का उपयोग कर इसे योग्य बनाया जाता है। इसका उपयोग बहुत सी दवाइयों और भोजन बनाने के लिए भी उपयोग में लाया जाता है।1. बालों में ज्यादा मॉइश्चर की समस्याइस स्थिति में आप कैनोला ऑयल में शहद मिलाकर आधे घंटे के लिए बालों पर लगाएं। 30 से 40 मिनट बाद बाल धो लें। शहद में कई न्यूट्रिएंट्स जैसे विटामिन बी1, बी2, बी3 आदि मौजूद होते हैं वहीं शहद में सोडियम, मैग्निशियम, कैल्शियम आदि की भी भरपूर मात्रा होती है। कैनोला ऑयल से बाल टूटने से बचते हैं।2. बालों को घना करने के लिएघने बालों के लिए आप कैनोला ऑयल में ऑलिव ऑयल मिलाकर इस्तेमाल कर सकते हैं। ऑलिव ऑयल में ओमेगा 6 और ओमेगा 9 फैटी एसिड मौजूद होता है जिससे मॉइश्चर बालों में लॉक हो जाता है। आपको एक चम्मच कैनोला ऑयल में आधा चम्मच ऑलिव ऑयल मिलाकर सिर पर लगाएं।3. सूखे बालों के लिएसूखे बालों की समस्या को दूर करने के लिए आप कैनोला ऑयल में तिल का तेल मिलाएं और सिर पर लगाकर मसाज करें। तिल के तेल में मोनो अनसैचुरेटेड फैटी एसिड होता है जिससे वो बालों में आसानी एब्सॉर्ब हो जाता है जिससे ड्राय बालों की समस्या दूर होती है। तिल के तेल में एंटी-ऑक्सीडेंट्स के गुण होता है जिससे स्कैल्प हेल्दी रहता है।4. हेयरफॉल रोकने के लिएकैनोला ऑयल को आप बादाम के तेल के साथ मिलाकर भी लगा सकते हैं। ये हेयर मास्क आप शैम्पू करने से पहले लगा सकते हैं। बालों को बराबर भागों में बांटें और तेल लगाने के 20 मिनट बाद शैम्पू कर लें। आप इस हेयर मास्क को हफ्ते में एक बार लगा सकते हैं।5. डैंड्रफ की समस्या दूर करने के लिएकैनोला ऑयल की मदद से आप डैंड्रफ की समस्या भी दूर सकते हैं। इसके लिए आप तेल को हल्का गरम करके बालों पर एप्लाई करें, 30 मिनट के लिए रखें फिर शैम्पू कर लें। ध्यान रखें कि आपको तेल को ज्यादा गर्म नहीं करना है।
- आमतौर पर सर्दी का मौसम शुरू होते ही लोग बीमार पड़ना शुरू हो जाते हैं। प्रदूषण और मौसम में ठंडक बढ़ने से फ्लू, वायरल, गले का इंफेक्शन, साइनस, टॉन्सल्स जैसे दिक्कतें बढ़ने लगती हैं। वहीं, कोरोना वायरस महामारी का ख़तरा अब भी बरकरार है, यह वायरस भी हमारे फेफड़ों को ही संक्रमित करता है। ऐसे में इम्यूनिटी मज़बूत होना ज़रूरी है। मेडिकल एक्सपर्ट्स ने भी कई बार सलाह दी है कि सभी लोग अपनी इम्यूनिटी को मज़बूत बनाएं, क्योंकि वही है जो आपको संक्रमण से बचाने के साथ इससे लड़ने की ताक़त भी देगी। खासतौर पर सर्दियों के मौसम में इम्यूनिटी का मज़बूत होना बेहद ज़रूरी है।इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए आपको अपनी लाइफस्टाइल में कई तरह के बदलाव करने होंगे, जैसे डाइट, एक्सरसाइज़, नींद पूरी लेना और शरीर को एक्टिव बनाए रखना। खसौतर पर डाइट में ताज़ा फल, सब्ज़ियां, नट्स और बीज शरीर को ताकत देते हैं। ऐसा ही एक फल है अनार, जिसमें कई तरह के पौष्टिक गुण पाए जाते हैं, जो आम ज़ुकाम और कोविड-19 जैसे संक्रमण और कई अन्य बीमारियों के खिलाफ, शरीर की रक्षा की पहली पंक्ति को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।अनार है कितना फायदेमंद?1.कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर अनार खाने से शरीर में फ्री रैडिकल गतिविधी कम होती है और इम्यूनिटी बढ़ती है।2. अनार शरीर में ऑक्सीजन के स्तर को बेहतर करता है। ऐसे वक्त में जब हवा का स्तर बेहद खराब है, आपको शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बनाए रखने के लिए अनार ज़रूर खाना चाहिए।3. अनार खून को पतला करने के लिए जाना जाता है। अगर आपके शरीर में खून के थक्के का जोखिम रहता है, तो आप स्ट्रोक का ख़तरा दूर करने के लिए नियमित रूप से अपने आहार में अनार का सेवन कर सकते हैं।4. अनार एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइंफ्लामेट्री गुणों से भरपूर होता है, इसलिए ये शरीर में इम्यूनिटी को बढ़ाने के काफी काम आता है। साथ ही इसमें मौजूद विटामिन-सी, आपको कई बीमारियों से बचाते हैं।5. ये साबित हो चुका है कि अनार कई बीमारियों से लड़ने में आपके शरीर की मदद करता है। जैसे गठिया, स्तंभन दोष, प्रोस्टेट कैंसर, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और कब्ज़।अनार को डाइट में शामिल करने के तरीके1. अनार का जूस निकालकर भी इस्तेमाल किया जा सकता है। अनार का जूस एंटीऑक्सीडेंट और पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो आपकी इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद कर सकता है।2. अनार को ब्लेंड करके उसका मोटा पेस्ट बना लें। जूस निकालने से बेहतर इसे ब्लेंड करना होता है, क्योंकि इससे अनार के फाइबर उसी में रहते हैं, जो ज़्यादा सेहतमंद है। इसे आप रोज़ाना अपने सुबह के नाश्ते के साथ पी सकते हैं।3. अनार को सलाद में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। आप इसे खाली खाने के साथ लंच या डिनर में सलाद के तौर पर भी खा सकते हैं।4. अनार को आप दो मील के बीच में स्नैक के तौर पर भी खा सकते हैं। अनार- वज़न घटाने, डायबिटीज़ को नियंत्रण में रखने या फिर एक सेबतमंद ज़िंदगी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
- सर्दियों के मौसम में बहुत सी ऐसी हरी सब्जियां बाजार में आती हैं, जो हमारी सेहत के लिए लाभदायक होती हैं। ये हेल्थ को अनगित फायदे देने का काम करती हैं। इन्हीं हरी सब्जियों में शामिल है मूली। जी हां मूली को सर्दियों के मौसम में खूब पसंद किया जाता है, लेकिन कई बार हम देखते हैं कि मूली को खरीदते वक्त उसके पत्तों को नहीं लेते, अगर कभी गलती से पत्ते ले आएं तो उनको फेंक देते हैं. मगर मूली के पत्तों को सेहत के लिए काफी गुणकारी माना जाता है।आपको बता दें कि आप मूली के पत्तों को साग और जूस के रूप में सेहत के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। मूली के पत्तों में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, क्लोरीन, सोडियम, आयरन, मैग्नीशियम के साथ-साथ विटामिन ए, विटामिन बी और विटामिन सी जैसे पोषक पाए जाते हैं। ये पोषक तत्व शरीर को कई समस्याओं से बचाने में मदद करते हैं. तो चलिए हम आपको मूली के पत्तों का ड्रिंक बनाने की रेसिपी और इससे होने वाले फायदे बताते हैं----मूली के पत्तों के जूस के फायदे--1. पाचनमूली के पत्तों में पर्याप्त मात्रा में फाइबर पाया जात है। जो कि हर किसी के पेट के लिए काफी लाभदायक होता है। अगर आप मूली के पत्तों से तैयार ड्रिंक का सेवन कर पाचन की समस्या को दूर किया जा सकता है।2.मोटापाअगर आप सर्दियों में वजन कम करना चाहते हैं, तो ये हर किसी के लिए एक बेस्ट ऑप्शन है। जी हां आप मूली के पत्तों से तैयार ड्रिंक का सेवन कर वजन को आसानी से कम कर सकते हैं। ये आपके लिए लाभकारी है।3. लो ब्लड प्रेशरअगर ब्लड प्रेशर की समस्या है तो हर लो ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए मूली के पत्तों के ड्रिंक को काफी फायदेमंद माना जाता है। मूली के पत्तों में सोडियम अच्छी मात्रा में होता है, जो शरीर में नमक की कमी को पूरा करने में मदद कर सकता है।कैसे बनाएं मूली के पत्तों का ड्रिंकमूली के पत्तों की ड्रिंक बनाने के लिए आपको सबसे पहले फ्रेश मूली के पत्तों की जरूरत होती है। इसके बाद मूली के पत्तों को साफ पानी से 2-3 बार अच्छी तरह से धो लें। फिर इसके बाद इसको छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें.इसके बाद पत्तों को मिक्सी में पीस लें। फिर इसमें स्वाद के हिसाब से काला नमक, एक चुटकी काली मिर्च पाउडर और नींबू का रस मिलाएं । अब आपका जूस तैयार है आप इसे सुबह पी सकते हैं।
- कई अध्ययनों के बाद साबित हुआ वैज्ञानिक तथ्य है कि मोबाइल से निकलने वाली ब्लू लाइट, साथ ही लैपटॉप, एलईडी आदि के स्क्रीन से रेडिएट होने वाली रौशनी से शरीर में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ता है और रात में मीठा खाने की ज्यादा क्रेविंग होती है।स्ट्रासबर्ग यूनिवर्सिटी और एम्सटर्डम यूनिवसिटी के डॉक्टरों ने चूहों पर एक शोध के दौरान यह पाया कि जब उन चूहों को रात के समय आर्टिफिशियल लाइट के दायरे में रखा गया तो उनके शरीर का ब्लड शुगर का स्तर और मीठे का कंजम्पशन बढ़ गया था। साथ ही लंबे समय तक इस लाइट के एक्सपोजर में रहने के बाद उनके वजन में भी इजाफा हुआ। यहां यह बात अलग से बताना जरूरी है कि चूहों के शरीर का 80 फीसदी हॉर्मोनल और फिजियॉजिकल फंक्शन मनुष्यों से बहुत मिलता-जुलता है, इसलिए मनुष्य के शरीर से पहले वैज्ञानिक कई सौ सालों से चूहों पर प्रयोग करते रहे हैं। चूहों पर किए गए तकरीबन 100 फीसदी प्रयोग मनुष्यों पर भी सही साबित हुए।हालांकि आर्टिफिशियल ब्लू लाइट और रेडिशन के हमारे ब्लड शुगर लेवल और वजन पर पडऩे वालों प्रभावों पर स्ट्रासबर्ग और एम्सटर्डम यूनिवर्सिटी की ये एकमात्र रिसचज़् नहीं है। अगर आप गूगल पर आर्टिफिशियल ब्लू लाइट और शुगर क्रेविंग कीवड्र्स डालकर सर्च करेंगे तो आपको ऐसी 10 से ज्यादा साइंटिफिक स्टडी मिलेंगी, जो ये कह रही हैं कि रात के समय आर्टिफिशियल ब्लू लाइट का ज्यादा एक्सपोजर ब्लड शुगर से लेकर मीठे की क्रेविंग और मोटापे को बढ़ाने का काम करता है क्योंकि मोटापे का सीधा संबंध शुगर कंजम्पशन और उससे जुड़े इंसुलिन के उतार-चढ़ाव से है।इसलिए यदि आपने भी ऐसा महसूस किया है कि आपको रात में देर तक जगने, टीवी देखने और मोबाइल के स्क्रीन के सामने ज्यादा वक्त बिताने पर मीठा और कार्ब खाने की इच्छा होती है, रात में आप स्नैकिंग करते हैं तो इसकी मुख्य वजह आर्टिफिशियल ब्लू लाइट है। आपको अपना स्क्रीन टाइम कम करने की जरूरत है। यदि लैपटॉप या मोबाइल देखना आपके काम की मजबूरी है तो ब्लू लाइट रेडिएशन से बचने के लिए एंटी ग्लेयर ग्लासेस का इस्तेमाल जरूर करें। स्टनफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक स्टडी कहती है कि एंटी ग्लेयर ग्लासेस के इस्तेमाल से नीली रौशनी सीधे हमारी आंखों को प्रभावित नहीं करती. ये सौ फीसदी प्रूफ तरीका नहीं है, लेकिन एंटी ग्लेयर ग्लासेस के इस्तेमाल से आर्टिफिशियल लाइट के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
- कब्ज और गैस की परेशानी से राहत पाने के लिए आप आयुर्वेद में मौजूद जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल कर सकते हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में-1. मुनक्के का करें सेवनआयुर्वेद में मुनक्के का खास महत्व होता है। मुनक्के के सेवन से शरीर में आयरन की कमी को दूर किया जा सकता है। इससे आपका ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है। अगर आपको गैस और कब्ज की शिकायत है, तो मुनक्के का सेवन करेँ। मुनक्का का सेवन करने के लिए लगभग 8-10 ग्राम मुनक्का लें। इस रातभर पानी में भिगाकर छोड़ दें। सुबह इसके बीजों को निकालकर इसे गुनगुने दूध के साथ खाएं। इससे गैस और कब्ज की शिकायत दूर हो सकती है।2. अरंडी का तेलगैस और कब्ज की परेशानी से राहत पाने के लिए आप सोते समय अरंडी के तेल का सेवन करें। इससे आपको काफी फायदा होगा। इसके लिए 1 गिलास गर्म दूध लें। इसमें करीब 1 से 2 चम्मच अरंडी का तेल डालें। इससे आपकी परेशानी दूर होगी।3. बेल है फायदेमंदबेल की पत्तियां और बेल दोनों ही गैस और कब्ज की परेशानी से आराम दिला सकता है। इसका सेवन करने के लिए 1 कप बेल का गुदा लें। इसमें 1 चम्मच गुड़ डालकर इसे अच्छे फेंटे। शाम में खाने से पहले इसका सेवन करें। इससे कब्ज और गैस की परेशानी दूर होगी।4. जीरा और अजवायन गैस और कब्ज का इलाजगैस और कब्ज की परेशानी होने पर जीरा और अजवाइन का सेवन करें। इसके लिए जीरा और अजवाइन को धीमी आंच कर कुछ मिनटों के लिए भूनें। इसके बाद बराबर मात्रा में काला नमक मिक्स कर लें। अब इसे एक जार में बंद करके रख लें। रोजाना 1 गिलास गुनगुने पानी के साथ इसका सेवन करने से बदहजमी और गैस की परेशानी से छुटकारा मिल सकता है।5. त्रिफला चूर्ण है कब्ज और गैस की दवागैस, कब्ज और बदहजमी से राहत दिलाने में त्रिफला चूर्ण आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। इसके लिए रात में सोने से पहले गर्म पानी के साथ 1 चम्मच त्रिफला चूर्ण का सेवन करें। इससे पुरानी से पुरानी कब्ज की परेशानी से छुटकारा मिल सकता है।6. मुलेठी से मिलेगा लाभगैस और कब्ज से राहत पाने के लिए मुलेठी का सेवन किया जा सकता है। इसका सेवन करने के लिए 1 चम्मच मुलेठी का चूर्ण लेँ। अब इसमें 1 चम्मच गुड़ मिलाकर इसका सेवन करें। इससे कब्ज से काफी हद तक आराम मिलेगा।7. सौंफ से करें अपनी परेशानी दूरगैस और कब्ज से जूझ रहे लोगों के लिए सौंफ काफी फायदेमंद हो सकता है। इसके लिए रात में सोने से पहले 1 चम्मच भुनी हुई सौंफ लें। इस सौंफ के साथ 1 गिलास गर्म पानी का सेवन करेँ। इससे आपको काफी आराम महसूस हो सकता है।8. अलसी है कब्ज और गैस की दवाकब्ज और गैस से राहत पाने के लिए अलसी का बीज आपके लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। इसका रात में सोने से पहले 1 चम्मच सेवन करें। इससे आपको काफी आराम मिलेगा।गैस और कब्ज की परेशानी को दूर करने के लिए आप इन उपायों का सहारा ले सकते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि अगर आपकी परेशानी ज्यादा बढ़ रही है, तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
- सर्दियों में ताजे अचार को गर्म पराठे के साथ खाने का अलग ही मजा है। ये अचार टेस्टी तो होते हैं, साथ-साथ इसमें मिले इंग्रेडिएंट भी सेहत को भी कई फायदेमंद होते हैं। सर्दियों में गाजर, मूली, गोभी, अदरक और हरी मिर्च का अचार खूब खाया जाता है। आज आपको हम बता रहे हैं हरी मिर्च का अचार डालने का तरीका। इस अचार में अदरक, लहसुन और हल्दी का इस्तेमाल किया जाता है। जहां एक तरफ हल्दी और अदरक हमारी इम्यूनिटी को बढ़ावा देते हैं। तो वहीं लहसुन में कई एंटीऑक्सिडेंट होते हैं, जो पाचन संबंधी समस्या को कम करने में मदद करते हैं।सामग्रीइस अचार को बनाने के लिए आपको अदरक, लहसुन, हरी मिर्च, हल्दी पाउडर, सरसों के बीज, धनिया के बीज, जीरा, काली मिर्च, मेथी दाना, लाल मिर्च पाउडर, अमचूर, अजवाइन, नमक, सरसों का तेल और सिरके की जरूरत होगी।कैसे बनाएंसबसे पहले अदरक, लहसुन और हरी मिर्च को अच्छे से धो कर लंबाई में काट लें। फिर इसे पंखे के नीचे सूखने के लिए रख दें। फिर एक पैन को गर्म करें और सभी दानों को अच्छे से रोस्ट करें। फिर ठंडा होने के बाद इसे पीस लें। ठीक वैसे ही जैसे अचार का मसाला बनाया जाता है। अब एक दूसरे पैन में सरसों का तेल गर्म करें और उसे ठंडा होने दें।अदरक, लहसुन और हरी मिर्च में सूखे मसाले और सिरका डालकर अच्छे से मिला लें। अगर आप ताजा-ताजा अचार खाना चाहते हैं तो ये खाने के लिए तैयार है। लेकिन अगर आप लंबे समय तक इसे स्टोर करना चाहते हैं तो इसमें सरसों का तेल डालकर रख दें।
- बथुआ का सेवन स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है। यह कई विटामिंस और मिनरल्स से भरपूर होता है, जो कई बीमारियां से दूर रखने में मददगार हो सकता है। लेकिन क्या आप जानते हैं बथुआ का बीज भी स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकता है?बथुआ बीज के फायदेआायुर्वेद में बथुआ के बीजों का इस्तेमाल किया जाता है। बथुआ के बीजों में रक्तपित्त, जोड़ों में दर्द, अनियमित पीरियड्स की समस्याओं को दूर करने के गुण होता है। इसके अलावा इससे आपको कई फायदे हो सकते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं इसके फायदे और इस्तेमाल करने का तरीका-1. रक्त पित्त को करे दूरबथुआ का इस्तेमाल रक्तपित्त को दूर करने के लिए किया जाता है। नाक-कान से खून निकलने की परेशानी से राहत पाने के लिए आप बथुआ के बीजों को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। इससे आपको रक्त पित्त में काफी लाभ मिलेगा।2. जोड़ों में दर्द से राहतजोड़ों के दर्द को दूर करने के लिए आप बथुआ के बीजों का सेवन कर सकते हैं। इसके लिए 10 ग्राम बीजों को करीब 200 मिलिलीटर पानी में उबाल लें। इस पानी को तब तक उबालें जब तक यह 50 मिलिलीटर न रह जाए। इसके बाद गर्मागर्म इसका सेवन करें। महीने भर सुबह शाम इसका सेवन करने से जोड़ों के दर्द में लाभ मिलेगा।3. दांतों के दर्द से आरामबथुआ के बीजों से दांतों में दर्द की परेशानी को भी दूर कर सकते हैं। इसके लिए बथुआ के बीजों को भुनकर इसका चूर्ण तैयार कर लें। अब इस चूर्ण से अपने दांतों को रगड़ें। इससे दांत दर्द से छुटकारा मिलेगा। साथ ही मसूड़ों में होने वाली सूजन से भी राहत मिल सकता है। इसके अलावा बथुओ की पत्तियों को उबालकर पीने से भी दांतों के दर्द से आराम मिलता है।4. अनियमित मासिक धर्म में असरकारीपीरियड्स में अनियमितता को दूर करने के लिए बथुआ के बीजों का इस्तेमाल किया जा सकता है। पीरियड्स की अनियमितता को दूर करने के लिए बथुआ के बीजों और सोँठ को बराबर मात्रा में मिलाकर पाउडर तैयार कर लें। फिर 400 मिलीलीटर पानी मे करीब 15-20 ग्राम पाउडर मिला कर पानी को अच्छे से उबाल लें। जब पानी 100 ग्राम रह जाए, तो इसे छानकर दिन में 2 बार इसका सेवन करें। इस नुस्खो को आजमाने से तुरंत लाभ मिलेगा।5. लिवर के लिए फायदेमंदलिवर की परेशानियों को दूर करने और पाचन शक्ति को बढ़ाने के लिए बथुआ के बीजों का प्रयोग कर सकते हैं। साथ ही इससे लिवर के आस-पास की सख्ती भी दूर होती है। पीलिया की समस्या से ग्रसित होने पर छह ग्राम बथुआ के बीजों का सुबह शाम सेवन करने से पीलिया रोग से निजात मिल सकता है।6. चेहरे के दाग-धब्बों को दूरचेहरे के दाग-धब्बों को दूर करने के लिए बथुआ के बीजों का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए बथुआ के बीजों को सिल पर अच्छे से पीस लें। अब इस पेस्ट को उबटन की तरह अपने शरीर पर लगाएं। इससे शरीर पर मौजूद मैल साफ हो जाएंगे। साथ ही चेहरे के दाग-धब्बे भी दूर हो सकते हैं।7. पेट के कीड़ेपेट में कीड़े हो होने पर बथुआ के बीज का सेवन करें। खासतौर पर अगर बच्चों को पेट में कीड़ा हो गया है, तो इसके बीजों को पीसकर इसमें थोड़ा शहद मिलाकर अपने बच्चों को चटाएं। इससे उन्हें काफी लाभ मिलेगा।बथुआ के बीजों का इस्तेमाल करके आप कई परेशानियों को दूर कर सकते हैं। हालांकि, अगर आपकी परेशानी गंभीर है, तो डॉक्टर की सलाह पर ही इसका सेवन करें।
- कान में मौजूद वैक्स को अक्सर हम मैल समझकर साफ करने लग जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कान का यह मैल आपके लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। जी हां, कान में मौजूद वैक्स को अपशिष्ट मानना हमारी गलती हो सकती है। दरअसल, यह वैक्स कान में होने वाली कई परेशानियों से बचाने में हमारी मदद कर सकता है। यह मैल कान की नलिकाओं के ऊपरी जमी परत को सूखने से रोकना है। साथ ही यह कान में धूलकण और पानी जानें से रोकता है। आइए विस्तार से जानते हैं कान में मैल के क्या फायदे हैं?क्यों जरूरी है कान में मैल?कान में मौजूद वैक्स या मैल भूरे, लाल, पीले या फिर नारंगी रंग का होता है। अक्सर यह वैक्स कान की नली में होता है। दरअसल, हमारे कान के अंदर कई तरह की ग्रंथियां होती हैं, जो मोम यानि वैक्स का निर्माण करती हैं। यह मैल आपके कान की स्किन को चोट से पहुंचाने से बचाता है। साथ ही इससे कई अन्य फायदे हो सकते हैं-एंटी-माइक्रोबियल गुणकान का मैल मुख्य रूप से मृत केराटिनोसाइट्स कोशिकाओं का बना होता है, जो देखने में मोम की तरह लगता है। इसलिए कई लोग इसे ईयर वैक्स भी कहते हैं। इसमें कई पदार्थों का मिश्रण होता है। कान के मैल में लाइसोज़ाइम होता है, जो एक एंटी-बैक्टिरियल एंजाइम है। ऐसे में कान में मौजूद वैक्स या मैल कई तरह के बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचाव करती हैं।कान के स्किन की करे सुरक्षाकान के आसपास की स्किन को सुरक्षा प्रदान करने में ईयर वैक्स काफी मददगार होता है। इसमें मौजूद एंटी-बैक्टीरियल और ऑयली गुण स्किन को सुरक्षा प्रदान करता है।नलियों की आउटर लेयर को सूखने से रोकेकान के मैल कान के नलियों की आउट लेयर को सूखने में मददगार होती हैं। दरअसल, यह मैल मोम और हल्का सा ऑयली होता है, जो कान की नलियों के लेयर को सूखने से रोकने में असरदार होती हैं।फंगस और पानी बचावकान में ईयर वैक्स होने से आपके कान के अंदरुनी हिस्सों में फंगल और पानी से होने वाली परेशानियों से बचाव किया जा सकता है। दरअसल, इसमें पानी को सुखाने का गुण होता है, कान के अंदर पानी जाने से रोकने में मददगार होता है। इसलिए बार-बार अपने कानों को साफ करने से बचें।बेहतर स्वास्थ्य की निशानीकान का मैल आपके बेहतर स्वास्थ्य की निशानी हो सकती है। जी हां, अगर कान के मैल के रंग से आप अपने बेहतर स्वास्थ्य का पता लगा सकते हैं। अगर आपके कान का वैक्स या मैल पीले रंग का है, जो समझ जाएं कि आपका कान स्वस्थ है। कान का मैल शरीर में विषाक्त पदार्थों का इकट्ठा होने का संकेत दे सकता है। ज्यादा वैक्स जमा होने पर यह खुद-ब-खुद निकल जाती है।--------------
- आपने अक्सर महसूस किया होगा कि जब भी आप रोते हैं तो कुछ देर बाद आपकी नाक भी बहने लगती है जिसे आप चाह कर भी नहीं रोक सकते। यह प्रक्रिया लगभग हर इंसान में एक सी है। कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल में जनरल फिजिशियन डॉ विनय भट्ट बताते हैं कि हमारा शरीर अलग-अलग भावनात्मक क्रियाओं के लिए अलग अलग तरीके से अपनी प्रतिक्रिया देता है। होता यह है कि जब हम काफी आवेग में रो रहे होते हैं तब हमारे आंसू हमारी पलकों के नीचे कोनों में स्थित टियर डक्ट यानी कि आंसू की नलिकाओं जिनको लैक्रिमल पंक्टा कहा जाता है, से नेज़ल कैविटी जिसको लैक्रिमल कैनालिकुली कहा जाता है, में चले जाते हैं और जो नाक के रास्ते से बाहर आते हैं।आपके आंसू और नाक बहने में क्या है संबंधआपका शरीर रोजाना 1.2 एमएल आंसू बना पाता है। जो आपकी आंखों से बाहर निकलते हैं। यह आंसू दो छोटी-छोटी ओपनिंग में घुस जाते हैं और आपकी अंदरूनी आंख के कोने से बाहर निकलते हैं। यह फ्लूइड आपकी नाक के पिछले भाग और गले के डक्ट में ड्रेन होना शुरू हो जाता है। जब आप रोते हैं तो आपके मस्तिष्क का एक भाग ट्रिगर हो जाता है जिस कारण लैक्रिमल ग्लैंड आंसू बनाने शुरू कर देती है। जब आप थोड़े बहुत रोते हैं तो आपके नाक में केवल महसूस सा ही होता है और नाक एक-दो बार बहने के बाद बंद हो जाती है। लेकिन जब आप बहुत अधिक रोते हैं तो आपके चुप होने के बाद भी आपकी नाक बहती रहता है। इससे आप का चेहरा के साथ ही नाक लाल भी हो जाती है।नाक बहना असल में क्या हैमेडिकल जगत में बहती नाक को दो भागों में विभाजित किया गया है। जिसका नाम हैं राइनोरिया और राइनाइटिस। जब सामान्य रूप से आपकी नाक बहती है तो उसे राइनोरिया कहा जाता है, लेकिन जब आपकी नाक के टिश्यू के आस पास सूजन आ जाती है तो उस स्थिति को राइनाइटिस कहा जाता है। यह स्थिति अलग-अलग कारणों की वजह से हो सकती है। किसी केस में तो आपकी नाक ब्लॉक भी हो सकती है।नाक बहने के कुछ अन्य कारणअगर आप का नाक बिना आंसुओं के या कुछ ही आंसू आने के बाद भी काफी ज्यादा बह रहा है तो इसके पीछे और भी बहुत से कारण हो सकते हैं। इस के कुछ आम कारणों में निम्न उपलब्ध हैं :-जब आप प्याज काट रहे हों या आसपास कोई प्याज काट रहा हो।-जब बाहर का तापमान काफी कम हो गया हो और ठंड बढ़ गई हो।-जब आपको ठंड लग गई हो।-जब आपने काफी अधिक गर्म या फिर स्पाइसी खाना खा लिया हो।-जब आपको धूल मिट्टी, परफ्यूम और अन्य कारणों से एलर्जी हो तो उसके रिएक्शन के रूप में भी आप को आंसू देखने को मिल सकते हैं।-मौसमी एलर्जी होने के कारण।
- ठंड का मौसम आते ही सरसों का साग बड़े चाव से खाया जाता है। यह स्वाद और पोषक तत्वों से समृद्ध हरी सब्जी है। सरसों का साग व्यक्ति को कई बीमारियों से बचाने में सहायता कर सकता है। आइये जानते हैं इसे खाने के फायदेकब्ज से राहतसरसों के साग के फायदे पाचन क्रिया को बेहतर करने के लिए भी देखे जा सकते हैं। एक वैज्ञानिक शोध में साफ तौर से बताया गया है कि सरसों के साग में अच्छी मात्रा में फाइबर मौजूद होता है, जो खाने को पचाने में मदद कर सकता है। साथ ही फाइबर पाचन क्रिया को भी बेहतर कर सकता है। वहीं कब्ज एक ऐसी स्थिति है, जिसमें मल त्याग करते समय कठिनाई होती है । इस स्थिति से छुटकारा पाने के लिए सरसों के साग का सेवन लाभकारी हो सकता है। दरअसल, सरसों के साग में फाइबर की समृद्ध मात्रा होती है । फाइबर मल को मुलायम कर कब्ज की समस्या से छुटकारा दिला सकता है । इस तरह कब्ज की समस्या से राहत पाने के लिए सरसों का सेवन उपयोगी हो सकता है।प्रतिरक्षा प्रणाली को बनाए मजबूतशरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली बीमारियों को दूर रखने में मदद करती है, इसलिए इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए सरसों के साग का सेवन कर सकते हैं। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर पब्लिश वैज्ञानिक अध्ययन में इस बात का जिक्र मिलता है कि सरसों के साग में विटामिन ए होता है, जिसमें रेटिनोइड्स शामिल हैं। यह पोषक तत्व प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत करने में मदद कर सकता है ।विटामिन केसरसों के साग के फायदे सेहत पर कई तरह से दिखाई दे सकते हैं, क्योंकि इसमें शरीर के लिए जरूरी विटामिन के मौजूद होता है। विटामिन के को क्लॉटिंग विटामिन के तौर पर भी जाना जाता है, जो ब्लड क्लॉट यानी रक्त का थक्का जमने से रोक सकता है। साथ ही यह हड्डियों को मजबूत करने में भी सहायता कर सकता है ।एंटीऑक्सीडेंट से भरपूरसरसों के साग का सेवन एंटीऑक्सीडेंट के लिए भी किया जा सकता है। यूनाइटेड स्टेट डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर की वेबसाइट पर पब्लिश जानकारी के मुताबिक, यह एंटी-ऑक्सीडेंट गुण से समृद्ध होता है, जो कैंसर और हृदय रोग के जोखिम को कम करने का काम कर सकता है ।हृदय के लिएसरसों के साग के फायदे हृदय पर नजर आ सकते हैं। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित शोध की मानें, तो सरसों के साग में कैरोटेनॉयड जैसे एंटीऑक्सिडेंट होते हैं, जो हृदय रोग के खिलाफ काम कर सकते हैं । वहीं, इसमें एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं, जो हृदय रोग की समस्या को पनपने से रोक सकते हैं । इस तरह हृदय को स्वस्थ रखने में सरसों उपयोगी साबित हो सकती है।आंखों के लिएआंखों को स्वस्थ रखने में सरसों का साग लाभकारी हो सकता है। इससे संबंधित एक शोध में बताया गया है कि सरसों के साग में विटामिन ए, कैरोटीनॉयड और बी-कैरोटीन होता है, जो विजन हेल्थ यानी आंखों के स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकता है । इस आधार पर माना जा सकता है कि सरसों का साग आंखों पर सकारात्मक प्रभाव प्रदर्शित कर सकता है।मधुमेह से राहतमधुमेह की स्थिति में सुधार करने के लिए भी सरसों के साग के फायदे हो सकते हैं। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, सरसों के साग में एंटी-डायबिटिक गुण होता है, जो हाइपरग्लाइसेमिया को कम करने और इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार करने का काम कर सकता है। इससे मधुमेह के जोखिम को कम करने और डायबिटीज की स्थिति में सुधार हो सकता है ।लिवर के लिए लाभकारीसरसों का साग लिवर के लिए भी लाभकारी हो सकता है। इस संबंध में किए गए शोध में पाया गया कि सरसों के साग में एंटी ओबेसिटी गुण मौजूद होता है, जो मोटापे को कम कर लिवर स्वास्थ्य में सुधार कर सकता ह । साथ ही यह लिवर डीटॉक्सीफिकेशन का भी काम कर सकता है, जो लिवर से संबंधित समस्या को पनपने से रोक सकता है ।
- घरों में गेहूं के अलावा मक्का, चावल के आटे और बाजरे की रोटियां भी खाने में खाई जाती है. आपको बता दें कि बाजरे की रोटी को हमेशा ही सर्दी के मौसम में ही खाया जाता है. बाजरे की रोटी स्वाद के साथ-साथ सेहत की दृष्टि से भी काफी फायदेमंद होती है. कहा जाता है बाजरा खाने में काफी गरम होता है, जिस कारण से इसका सेवन हमेशा सर्दियों में ही किया जाता है.आइए, जानते हैं स्वाद और प्रोटीन, फाइबर, मैग्नीशियम, फास्फोरस, फाइबर तथा आयरन जैसे पोषक तत्वों से भरपूर बाजरे की रोटी के फायदों के बारे में-1. वजन घटाने में फायदेमंदअगर अपना अपना वजन घटाने के बारे में सोच रहे हैं, तो आपको गेहूं की रोटी की जगहखाने में बाजरे की रोटी को शामिल करना चाहिए. फाइबर की उच्च मात्रा होने के कारण इसे पचने में समय लगता है जिस कारण पेट भरा हुआ रहता है, और भूख भी नहीं लगती है.2. सेहतमंद स्किन के लिएबाजरा में एंटीऑक्सीडेंट, सेलेनियम, विटामिन-सी, विटामिन-ई जैसे लाभदायक पोषक तत्व पाए जाते हैं जो स्किन के लिए सेहतमंद होते हैं. एंटीऑक्सीडेंट स्किन को फ्री-रेडिकल से बचाते हैं. फ्री-रेडिकल स्किन को खराब कर देते हैं. विटामिन-सी और विटामिन-ई स्किन के लिए लाभदायक होता है.3. ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने और एनर्जी के लिएबाजरा को खाने से एनर्जी भी मिलती है. ये ऊर्जा का एक बहुत अच्छा स्त्रोत है. आपको बता दें कि बाजरे में मैग्नीशियम और पोटैशियम की भी पर्याप्त मात्रा मौजूद होती है, जो ब्लड प्रेशर सामान्य बनाए रखने में मदद करते हैं,4. कोलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल करने के लिएबाजरा को कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करने के लिए भी उपयोगी है. जिन लोगों का कोलेस्टॉल बढ़ा रहता है उनको खाने में बाजरे की रोटी को ही शामिल करना चाहिए.इसके सेवन से दिल की सेहत अच्छी बनी रहती है और दिल से जुड़ी बीमारियों के होने का खतरा कम हो जाता है.5. अच्छी नींद के लिएबाजरे में ट्रिप्टोफेन भी उचित मात्रा में पाया जाता है, जो सेरोटोनिन प्रोड्यूज करता है. कहा जाता है कि इससे टेंशन कम होती है. तनाव कम होने से अच्छी नींद आने में मदद मिलती है. ऐसे में अगर आपको अच्छी नींद चाहिए है तो आपको रात के खाने में इसको शामिल करना चाहिए.6. ग्लूटेन फ्री डाइट है बाजरे की रोटीबाजरा ग्लूटेन फ्री होता है. दरअसल ग्लूटेन युक्त भोजन खाने से पाचन में दिक्कत होती है, इसलिए बाजरे की रोटी खाने के लिए बेस्ट ऑप्शन है.7. कैंसर और डायबिटीज से बचाता हैकहा जाता है कि डायबिटीज पेशेंट्स को अपनी डाइट में बाजरा जरूर शामिल करना चाहिए. यह अचानक से ब्लड शुगर लेवल बढ़ने नहीं देता है. यह दोनों ब्लड शुगर लेवल सामान्य बनाए रखने में मदद करते हैं.इतना ही नहीं स्टडीज में कहा गया है कि बाजरा कैंसर से बचाव में भी सहायक है.
- प्याज को गंध के कारण कई बार लोग खाने से बचते हैं. इस लिस्ट में महिलाएं टॉप पर आती हैं. महिलाओं को कच्चा प्याज खाना पसंद नहीं होता है क्योंकि इसके खाने के बाद मुंह से गंध आने लगती है. अगर आप भी उन लोगों में से हैं, जो कच्चा प्याज नहीं खाते, तो आप इन स्वास्थ्य लाभों से ( Benefits of Onion for Women) वंचित हैं. आपको बता दें कि प्याज में काफी कम कैलोरी होती है.इतना ही नहीं प्याज में विटामिन सी, बी, आयरन, फोलेट और पोटेशियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं. जो अच्छी सेहत के लिए काम में आते हैं. प्याज सर्दी जुकाम के लिए भी फायदेमंद होता है। प्याज में फाइटोकेमिकल्स, अल्लियम और एलिल डिसुलफाइड जैसे तत्व भी होते हैं, जो एलिसिन पोस्ट इनग्रेशन में परिवर्तित हो जाते हैं.आज हम आपको बताएंगे कि प्याज महिलाओं के लिए कितना लाभदायक है और जरूरी भी है-मेनोपॉज के लक्षणों को करता है कममेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजेन का उत्पादन काफी कम हो जाता है. जिसकी वजह से महिलाओं का शरीर आहार से कैल्शियम को कम पाने लगता है.यही कारण है कि ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या को रोकने के लिए कैल्शियम सप्लीमेंट लेने की सलाह दी जाती है. ऐसे में महिलाओं के लिए प्याज कारगर साबित होता है.समय से पहले बूढ़ा होने से करता है बचावअगर आप समय से पहले होने वाले बुढ़ापे से बचना चाहती हैं, तो प्याज बहुत उपयोगी है. प्याज में विटामिन ए, सी, और ई पाए जाते हैं. यही कारण है कि ये स्किन के लिए भी लाभदायक होता है.प्याज में मौजूद एंटीसेप्टिक गुण, बैक्टीरिया के संक्रमण को रोकने में आपकी मदद कर सकती है. ऐसे में अपनी स्किन के लिए आपको प्याज का उपयोग करना चाहिए.मुहांसों और फुंसियों का करे इलाजप्याज से कई तरह के लाभ मिलते हैं, क्योंकि इसमें जीवाणुरोधी, रोगाणुरोधी और एंटी-इंफ्लेमेटरी के गुण पाए जाते हैं. यानी कि इससे मुंहासे पैदा करने वाले बैक्टीरिया दूर किया जा सकता है. जी हां कहा जाता है कि प्याज के सेवन से मुंहासे और पिंपल्स की समस्या भी कम होती है. इसके साथ ही आप प्याज के रस में 1 चम्मच जैतून के तेल को मिलाकर अपने चेहरे पर लगा सकती हैं.इसको अपने चेहरे पर 20 मिनट लगाने के बाद साफ पानी से धो दें. इससे लाभ मिलेगा.बालों के विकास में मददगार है प्याजकैरोटीन एक प्रकार का प्रोटीन होता है, जो बालों, नाखूनों और हमारी स्किन की परेशानियों को दूर करने का काम करता है, जबकि प्याज में सल्फर भरपूर रूप से पाया जाता है. यही कारण है कि सल्फर बालों के विकास को बढ़ावा देने के साथ ही पतले बालों से छुटकारा दिलाने में भी मदद करता है. बालों को उचित पोषण देने के लिए प्यार के रस का उपयोग हर किसी को करना चाहिए.
- कार्तिक पूर्णिमा कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष में पड़ती है. कार्तिक महीने की पूर्णिमा का बहुत बड़ा महत्व माना गया है. इस साल कार्तिक पूर्णिमा 19 नवंबर शुक्रवार को पड़ रही है. इस दिन भगवान लक्ष्मी-नारायण को खीर का भोग लगाना चाहिए. इससे भगवान प्रसन्न होते हैं.रबड़ी की खीर एक स्वादिष्ट डेजर्ट है. इसे रबड़ी, चावल, दूध, चीनी, मेवा और किशमिश का इस्तेमाल करके तैयार किया जाता है. सूखे मेवों का कुरकुरापन इस खीर को एक अनोखा स्वाद देता है. ये डेजर्ट विशेष अवसरों और त्योहारों पर बनाई जाती है. इस स्वादिष्ट डेजर्ट रेसिपी को ट्राई करें और अपने प्रियजनों के साथ इसका आनंद लें. आइए जानें इसकी रेसिपी.रबड़ी की खीर की सामग्री---रेडीमेड रबड़ी – 250 ग्रामचीनी – 1/2 कपकिशमिश – 1 बड़ा चम्मचकाजू – 10आवश्यकता अनुसार पानीचावल – 1/4 कपहरी इलाइची – 1/2 छोटा चम्मचबादाम – 10दूध – 1 लीटररबड़ी की खीर बनाने की विधिस्टेप – 1सबसे पहले इलाइची को ग्राइंडर में डाल कर बारीक पीस लीजिए. दूसरी ओर चावल को अच्छी तरह से धोकर आधे घंटे के लिए पानी में भिगो दें. आधे घंटे के बाद, अधिक पानी निकाल दें और फिर चावल को ग्राइंडर से दरदरा पीस लें.स्टेप – 2इसके बाद एक गहरे तले के बर्तन में दूध डालकर धीमी आंच पर रख दें. इसे उबाल लें और इसे 2-3 मिनट तक उबलने दें. जब दूध में उबाल आने लगे तो इसमें चावल को दरदरा पीस कर अच्छी तरह मिला लें. अब हर 1-2 मिनट के अंतराल पर दूध को चलाते रहें और आंच को मध्यम कर दें.स्टेप – 3अब काजू और बादाम को चॉपिंग बोर्ड पर रख कर बारीक काट लें. जब चावल पक जाएं तो पैन में दूध डालें और लगातार चलाते हुए सारी सामग्री को अच्छी तरह मिला लें. फिर मिश्रण में आधी मात्रा में कटे हुए काजू, बादाम डाल दीजिए. अब पैन में किशमिश डालें और अच्छी तरह मिलाएं.स्टेप – 4जब चावल और मेवे नरम हो जाएं और खीर गाढ़ी हो जाए तो गैस बंद कर दें. अब पैन में चीनी मिलाएं और इलायची पाउडर डालें. पैन को ढक्कन से ढक दें. पैन को 2-3 मिनट के लिए अलग रख दें जब तक कि चीनी पूरी तरह से घुल न जाए. ढक्कन खोल कर खीर को अच्छे से चला दीजिए. अब खीर को ठंडा होने दें और फिर इसमें रबड़ी डाल दें.स्टेप -5रबड़ी की खीर बनकर तैयार है. खीर को बाउल में निकालिये और बारीक कटे काजू और बादाम से गार्निश करें और इसका आनंद लें.
- तिल के लड्डू सर्दियों में खाई जानें वाली एक लोकप्रिय मिठाई है. ये बनाने में बेहद आसान हैं. इसे गुड़ और मूंगफली के साथ बनाया जाता है. तिल के बीज अपने पोषक लाभों के लिए जाने जाते हैं, जबकि गुड़ मीठे का स्वस्थ विकल्प है. मेहमानों को परोसने के लिए ये एक अच्छी रेसिपी है. इन लड्डूओं को बनाना बहुत ही आसान है. आप इन्हें किसी खास अवसर पर भी बना सकते हैं. आइए जानें इसकी रेसिपी.तिल के लड्डू की सामग्रीतिल – 200 ग्रामघी – 3 बड़े चम्मचकच्ची मूंगफली – 50 ग्रामकटा हुआ गुड़ – 300 ग्रामतिल के लड्डू बनाने की विधिस्टेप -1 मूंगफली और तिल को सूखा भून लेंएक पैन में तिल डालकर भूनें. इन्हें एक ट्रे में निकाल लें और ठंडा होने के लिए अलग रख दें. अब उसी पैन में मूंगफली के दाने डालकर सुनहरा होने तक भून लें. भुनी हुई मूंगफली को दूसरी ट्रे में निकाल लें और ठंडा होने दें. ठंडा होने पर मूंगफली को मोर्टार और मूसल में पीस लें.स्टेप – 2 गुड़ को घी में पिघलाकर इसमें भुनी हुई मूंगफली और बीज डालकर मिला लेंअब उसी कड़ाही में धीमी आंच पर घी पिघलाएं. पैन में गुड़ डालें और पिघलने दें. इसे लगातार चलाते रहें. अब पैन को आंच से हटा दें और 3 मिनट के लिए अलग रख दें. इनमें तिल और भुनी हुई मूंगफली डालें और एक स्पैटुला के साथ अच्छी तरह मिलाएं.स्टेप -3 मिश्रण को 5 मिनट के लिए ठंडा करें और लड्डू का आकार देंऊपर दिए गए पेस्ट को एक अलग प्लेट में निकाल लें और 5 मिनट के लिए ठंडा होने दें. अब, पेस्ट को एक-एक करके बॉल के आकार में लड्डू का आकार दें. इन्हें अपने मेहमानों के लिए एक बाउल में परोसें.तिल के बीज के स्वास्थ्य लाभतिल के बीज या तिल पोषक तत्वों और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं. तिल के कई स्वास्थ्य लाभ हैं. तेल से भरपूर ये छोटे बीज प्रोटीन, विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट के बेहतरीन स्रोत हैं. तिल के बीज तेल से भरपूर होते हैं, जो आपकी त्वचा, हड्डियों और बालों के लिए बहुत अच्छा होता है.तेल में ऐसे कम्पाउंड होते हैं जो हड्डियों को स्वस्थ बनाते हैं. ये लिवर और त्वचा के लिए भी फायदेमंद हैं. तिल के बीज विशेष रूप से कैल्शियम और फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं. ये मिनरल नई हड्डियों को बनाने और हड्डियों को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं.
- मां लक्ष्मी की कृपा जिस घर पर होती है वहां कोई कष्ट कभी नहीं आता है. मां लक्ष्मी को धन वैभव और ऐश्वर्य की देवी माना जाता है. मां लक्ष्मी अपनी कृपा से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि बनाती हैं. अगर मां लक्ष्मी किसी घर से रुष्ट हो जाएं तो घर में दुख और दरिद्रा का वास हो जाता है. इसलिए हर किसी की कोशिश यही होती है कि मां लक्ष्मी की कृपा बनी रही. मां लक्ष्मी को खुश करने के लिए लोग तरह तरह की पूजा अर्चना भी करते हैं.रसोई में भी मां अन्नपूर्णा का वास माना जाता है. वास्तु शास्त्र में कुछ ऐसी चीजों को बारे में बताया गया है, जिन्हें रसोई में कभी भी पूरी तरह से खत्म नहीं होने देना चाहिए. बताया गया है कि अगर रसोई में ये चीजें खत्म हो जाती है तो नकारात्मकता बढ़ती है और मां लक्ष्मी रुष्ट होती हैं. आइए जानते हैं कि कौन सी हैं वो चीजें-आटाआटा के बिना हर एक रसोई अधूरी रहती है. लेकिन कई बार ऐसा हो जाता है कि घर का पूरा आटा खत्म हो जाता है, लेकिन वास्तु के अनुसार आटा खत्म होने से पहले ही लाकर रख देना चाहिए. कहते हैं कि आटे के बर्तन को खाली नहीं रखना चाहिए, क्यों इससे आपके घर में अन्न और धन की की होने लगती है व मान-सम्मान की हानि भी हो सकती है.हल्दीहल्दी का उपयोग सबसे ज्यादा कारगार माना जाता है. तमाम चीजों को बनाने में भी हल्दी का ही ही उपयोग किया जाता है. हल्दी का शुभ कार्यों और देव पूजा में भी इस्तेमाल किया जाता है. हल्दी का संबंध गुरु ग्रह से माना गया है. ऐसे में कहा जाता है कि इसकी कमी गुरु दोष होती है. अगल किचम में पूरी तरह से हल्दी खत्म हो जाती है तो सुख-समृद्धि की कमी हो सकती व शुभ कार्यों में व्यवधान हो जाती है.चावलकई बार हम लोगों ने देखा है कि चावल में कीड़े ना पड़ जाएं इस कारण से पूरे खत्म होने के बाद ही मंगवाते हैं, जबकि ये सब गलत होता है.चावल को शुक्र का पदार्थ माना गया है और शुक्र को भौतिक सुख सुविधा का कारक माना जाता है. घर में हमेशा चावल के खत्म होने के पहले ही मंगवा लें.नमकनमक एक ऐसी चीज है जो हर एक घर में होती है, क्योंकि नमक के बिना खाने का हर एक स्वाद अधूरा सा रहता है. ऐसे में आपको बता दें कि चाहें कुछ भी हो जाए घर में नमक का डिब्बा पूरी तरह से खाली नहीं होना चाहिए.अगर घर में नमक का डिब्बा खाली रहता है तो आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ जाता है. इसके साथ ही कभी भी दूसरे के घर से नमक नहीं मांगना चाहिए.
- पाचन क्रिया को स्वस्थ बनाए रखने के लिए सभी लोगों को कम मसाले और हल्के तेल वाले भोजन करने की सलाह दी जाती है। अगर संतुलित मात्रा में मसालों का सेवन किया जाए तो इसके नुकसान नहीं होते हैं। इतना ही नहीं आयुर्वेद में कई मसालों को सेहत के लिए बेहद फायदेमंद भी बताया गया है। चेन्नई स्थित श्री रामचंद्र विश्वविद्यालय के हर्बल एंड इंडियन मेडिसिन रिसर्च लेबोरेटरी विभाग द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि भारतीय मसाले हृदय के साथ शरीर के कई अन्य अंगों के लिए बेहद फायदेमंद हो सकते हैं। अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि भारतीय मसाले प्रकृति का वरदान हैं जिनका सही मात्रा में सेवन करना सेहत, विशेष रूप से हृदय के लिए लाभदायक हो सकता है। आइये जानते हैं कुछ ऐसे ही मसालों के बारे में-लहसुनअध्ययन में पाया गया कि लहसुन, हृदय रोग के कारकों को कम करने में सहायक हो सकता है। लहसुन का सेवन बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक है, जिसे हृदय रोगों का मुख्य कारण माना जाता है। इसके अलावा लहसुन, रक्तचाप को कम करने के साथ एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा को बढ़ाता है।हल्दीहल्दी में पाए जाने वाले एंटी-इंफ्लामेटरी गुण के कारण वर्षों से इसे पेट दर्द, दांत दर्द, सीने में दर्द और मासिक धर्म की कठिनाइयों में प्रयोग में लाया जाता रहा है। अध्ययनों से पता चलता है कि आहार में हल्दी का उपयोग करने से 4 सप्ताह के भीतर गुड कोलेस्ट्रॉल में वृद्धि करते हुए बैड कोलेस्ट्रॉल को कम किया जा सकता है। ऐसे में मधुमेह, किडनी और हृदय रोगियों के लिए हल्दी का सेवन विशेष लाभप्रद हो सकता है।काली मिर्चकाली मिर्च में प्रभावशाली एंटीऑक्सीडेंट और जीवाणुरोधी गुण मौजूद होते हैं, जो पाचन को ठीक रखने के साथ वजन घटाने में मदद करते हैं। काली मिर्च वैनेडियम से भरपूर होने के कारण मायोकार्डियल इंफाक्र्शन (हार्ट अटैक) से उबरने में मदद कर सकती है। बुखार, सर्दी-जुकाम के घरेलू उपचार के रूप में वर्षों से काली मिर्च के सेवन की सलाह दी जाती रही है।
- आमतौर पर नमक का इस्तेमाल सिर्फ खाने में ही काम में किया जाता है लेकिन अगर आप नहाने के पानी में नमक मिलाकर इस्तेमाल किया जाए तो न सिर्फ त्वचा की रंगत को सुधार होता है, बल्कि कई समस्याओं से भी बचा जा सकता है।आइए जानते हैं नमक के पानी से नहाने के बेहतरीन फायदे।चेहरे पर आता है निखारये बात सही है कि अगर आप पानी में नमक मिलाकर उससे नहाते हैं तो आपकी स्किन में छिपी अशुद्धियां निकल जाती हैं और आपके चेहरे पर निखार बढ़ जाता है। इतना ही नहीं नमक वाले पानी से नहाने पर आपकी स्किन में छिपे डेड सेल्स भी बाहर निकल जाते हैं और स्किन सॉफ्ट के साथ-साथ चमकदार भी बनती है।हड्डियों के दर्द से मिलता है आरामअगर बीते कुछ दिनों से आपकी हड्डियों में दर्द हो रहा है तो आपको कुछ दिनों तक नमक के पानी से नहाने की जरूरत है, जो कि हड्डियों के दर्द में राहत देने का काम करता है। इतना ही नहीं अगर आप नमक के पानी से नहाते हैं तो आपको जॉइंट पेन की समस्या भी दूर होती है। इसलिए इस स्थिति में आपको नमक के पानी से नहाना चाहिए।-ब्लड सर्कुलेशन रहता है ठीकनमक के पानी से नहाने से ब्लड सर्कुलेशन सही रहता है और ब्रेन फंक्शंस बेहतर तरीके से काम करते है। नमक के पानी से नहाने पर तनाव दूर होकर दिमाग को शांति मिलती है।मसल्स को मिलता है आरामअगर मांसपेशियों में थकान की वजह से दर्द हो रहा है तो आपको बिना देर किए नमक के पानी से नहाना चाहिए, जिससे मसल्स पेन से राहत मिलती है।-स्किन की होती है सफाईदरअसल नमक के पानी में मौजूद मग्नीशियम, कैल्शियम, सोडियम जैसे मिनरल्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो स्किन के अंदर गहराई से जाकर सफाई करते हैं। नमक वाला पानी आपके स्किन में छिपे इन्फेक्शन को खत्म करता है और आपकी स्किन को हेल्दी रखता है।बॉडी ऑयल रहता है कंट्रोलअगर आपके चेहरे से बार-बार ऑयल निकलता है या फिर आपकी बॉडी ऑय़ली है तो आपको अपने नहाने के पानी में नमक डालना चाहिए, जो शरीर का ऑयल लेवल कंट्रोल करता है। इतना ही नहीं यह शरीर में एसिडिटी की समस्या को दूर करने में मदद करता है।---
- आप भी बहुत ज्यादा थकान महसूस करते हैं या फिर कभी-कभी चक्कर खाकर जमीन पर ही गिर जाते हैं. तो सावधान हो जाइए, क्योंकि ये लक्षण विटामिन 12बी की कमी के लक्षण हो सकते हैं. जिन लोगों को भूख नहीं लगती या फिर दिल की धड़कन तेज हो जाती है, उन्हें अपनी डाइट पर खास फोकस करना चाहिए. हेल्थ एक्सपर्ट्स कहते हैं कि ये सभी संकेत विटामिन बी-12 की कमी होने पर दिखते हैं, अगर शरीर में ये विटामिन कम हो जाए तो कई गंभीर बीमारियों का खतरा हो सकता है.सेहत के लिए क्यों जरूरी है विटामिन बी 12हेल्थ एक्सपर्ट्स कहते हैं कि विटामिन बी 12 एक हेल्दी शरीर के लिए बेहद जरूरी है. गर्भावस्था के दौरान आपको विटामिन बी-12 की बहुत जरूरत होती है. इससे बुढ़ापे में भूलने वाली बीमापी डिमेंशिया का खतरा भी कम हो जाता है. विटामिन बी-12 की कमी से हड्डी और जोड़ों में दर्द की समस्या होने लगती है. इससे शरीर में एनीमिया का खतरा भी बढ़ जाता है.विटामिन बी- 12 की कमी के लक्षणजीभ में दाने या फिर लाल हो जानासांस फूल जानासिरदर्द और कान बजनाभूख कम लगनात्वचा का पीला पड़ जानामुंह में छाले की समस्याआंखो की रोशनी कम होनाडिप्रेशन, कमजोरी और सुस्तीविटामिन बी 12 की कमी क्यों होती हैअगर आप विटामिन बी 12 के लिए आवश्यक फूड का सेवन नहीं कर रहे हैं, तो यह प्रमुख कारण हो सकता है. एचआईवी जैसी बीमारियों की वजह से शरीर में विटामिन बी 12 का अवशोषण (Absorb) नहीं हो पाता है. कुछ बैड बैक्टीरिया, एंटीबायोटिक, सर्जरी और टेपवर्म भी विटामिन बी 12 की कमी की वजह हो सकती है.विटामिन बी 12 की कमी से होने वाले नुकसान1-जोड़ों और हड्डियों में दर्द होनाशरीर में विटामिन बी-12 की कमी होने पर हड्डियों में दर्द की समस्या होने लगती है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि विटामिन बी-12 कम होने पर हड्डी से संबंधित कमर और पीठ में दर्द रहने लगता है.2 मानसिक बीमारीविटामिन बी-12 की कमी होने पर भूलने और भ्रम में रहने की समस्या होने का खतरा बढ़ जाता है. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि ज्यादातर लोग इस समस्याओं को गंभीरता से नहीं लेते हैं, लेकिन ज्यादा दिन तक विटामिन बी-12 की कमी से झूझना ठीक नहीं है आपको डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए.3. नर्व सिस्टम को नुकसानहेल्थ एक्सपर्ट्स कहते हैं कि शरीर में विटामिन बी-12 की कमी होने से हमारा पूरा तंत्रिका-तंत्र भी बुरी तरह से प्रभावित होता है. इससे शरीर के हर अंग तक खून पहुंचाने में भी परेशानी होने लगती है. विटामिन बी-12 की कमी से तंत्रिका तंत्र को क्षति पहुंचती है और जीवन भर के लिए आपको ये समस्या झेलनी पड़ सकती है.विटामिन बी 12 से भरपूर फूडहेल्थ एक्सपर्ट्स कहते हैं कि ऐसे कई फूड्स हैं, जिनके नियमित सेवन से आप विटामिन बी 12 की कमी को पूरा कर सकते हैं. मांस, मछली, चिकन आदि में भरपूरा मात्रा में विटामिन बी 12 मौजूद होता है. इसके अलावा कम फैट वाला दूध, छांछ और चीज में भी विटामिन बी 12 मौजूद होता है. वहीं अंडा और मछली विटामिन बी 12 का बढ़िया स्रोत है. इसके अलावा आप टूना, ट्रॉट, सेलमन मछली का सेवन भी कर सकते हैं. इनमें विटामिन बी खूब पाया जाता है.
- जब बात सेहत की आती है तो हम खुद को फिट रखने के लिए बहुत कुछ करते हैं. जिम में घंटों वर्कआउट करना और ढेर सारा पानी पीना आदि. लेकिन ये समझना जरूरी है कि स्वस्थ और फिट रहने के लिए सही खान-पान की जरूरत होती है.इन हेल्दी फूड्स में कुछ ऐसे में फूड्स शामिल हैं जिनका सेवन आप सुबह के समय भिगो कर करना चाहिए. ये 5 चीजें आपको पेट की समस्याओं, इम्युनिटी, वजन घटाने और गठिया जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने में मदद करेंगी.इन 5 को रातभर भिगोकर रखें और सुबह खाएंमेथीरात को मेथी को पानी में भिगो दें और सुबह खा लें. पानी भी पी ले. ऐसा करने से आपको जोड़ों के दर्द से राहत मिलेगी जो कि आजकल महिलाओं में एक आम समस्या है. मेथी का दाना भी पेट के लिए फायदेमंद होता है. ये कब्ज से राहत दिलाने में मदद करता है. ये आंतों को साफ करता है और पाचन में सुधार करता है. मेथी डायबिटीज रोगियों के लिए बहुत अच्छी होती है. ये मासिक धर्म के दर्द को कम करने में भी मदद करती है.किशमिशआयरन और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर किशमिश आपकी सेहत के लिए बहुत अच्छी होती है. जब आप रात में किशमिश भिगोकर सुबह खाते हैं, तो ये आपकी त्वचा को स्वस्थ और ग्लोइंग बनाती है. बहुत सी महिलाओं को आयरन की कमी का सामना करना पड़ता है और किशमिश खाने से आपको इसे पूरा करने में मदद मिल सकती है.सन बीज1 चम्मच अलसी आपके संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार कर सकती है. इन बीजों को रात को पानी में भिगो दें और सुबह इनका सेवन करें. ये बीज फाइबर, आयरन और प्रोटीन से भरपूर होते हैं जो वजन घटाने के लिए बहुत अच्छे होते हैं. इन बीजों का रोजाना सेवन करने से आपकी इम्युनिटी मजबूत होती है. ये बीज आपको कैंसर और डायबिटीज से भी बचाते हैं.बादामबादाम को रोज सुबह भिगोकर रखने से आपके मस्तिष्क की सेहत में सुधार होता है. बादाम मैग्नीशियम से भरपूर होते हैं जो ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल की समस्या से निपटने वालों के लिए बहुत अच्छा है. भीगे हुए बादाम वजन घटाने के लिए भी बहुत अच्छे होते हैं.अंजीरअंजीर विटामिन, मैंगनीज, पोटैशियम, फाइबर और फास्फोरस से भरपूर होता है. अंजीर में एंटीऑक्सीडेंट - फ्लेवोनोइड्स और पॉलीफेनोल्स भी होते हैं जो शरीर को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाते हैं. 1 अंजीर रात को पानी में भिगो दें और सुबह खा लें.
- सेहतमंद रहने के लिए हमेशा से ही हरी सब्जियों का सेवन करने की सलाह दी जाती रही है। यह शरीर को कई तरह के लाभ पहुंचाकर स्वस्थ जीवन सुनिश्चित करती हैं। ऐसी ही एक हरी सब्जी है तुरई। कई लोग इसे खाना पसंद नहीं करते, लेकिन यह पौष्टिता से भरपूर है।1. एंटी-इंफ्लामेटरीएंटी-इंफ्लामेटरी प्रभाव तुरई के सूखे पत्तों के इथेनॉल अर्क में पाया जाता है। इस प्रभाव को एडिमा (शरीर के ऊतकों में तरल जमने की वजह से सूजन) और ग्रेन्युलोमा (इंफ्लामेशन) प्रभावित व्यक्तियों पर जांचा गया। शोध में पाया गया कि इथेनॉल अर्क एडिमा को कम करने में मदद कर सकता है। इसी आधार पर कहा जा सकता है कि तुरई एंटी-इंफ्लामेटरी की तरह भी कार्य कर सकती है । माना जाता है कि तुरई के अर्क में पाया जाने वाला एंटी-इंफ्लामेटरी प्रभाव इसमें मौजूद फाइटोकेमिकल्स जैसे फ्लेवोनोइड्स, टैनिन और टरपेनोइड्स की वजह से होता है।2. सिरदर्द के लिए तुरई के फायदेएक शोध के मुताबिक तुरई के पत्ते और इसके बीज के एथनॉलिक अर्क सिर दर्द को कम करने में सहायक हो सकते हैं। रिसर्च के अनुसार इसमें एनाल्जेसिक और एंटीइंफ्लामेटरी गुण होते हैं। यह दोनों गुण दर्द को कम करने और राहत दिलाने के लिए जाने जाते हैं।3. एंटी-अल्सरतुरई को पेट के अल्सर यानी ग्रेस्ट्रिक अल्सर को कम करने के लिए भी जाना जाता है। इसमें मौजूद गैस्ट्रोप्रोटेक्टिव प्रभाव कुछ हद तक अल्सर के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकता है। यह प्रभाव सूखे तुरई के गूदे के अर्क के मेथोनॉलिक और पानी के अर्क में पाया जाता है।4. डायबिटीज के लिए तुरई के फायदेतुरई को पुराने समय से ही डायबिटीज को नियंत्रित करने वाली सब्जी के रूप में जाना जाता है। एक अध्ययन के अनुसार तुरई के एथनॉलिक अर्क में ग्लूकोज के स्तर को कम करने वाला हाइपोग्लाइमिक प्रभाव पाया जाता है। इसी प्रभाव की वजह से तुरई को डायबिटीज नियंत्रित करने के लिए लाभकारी माना जाता है।5. पेचिश में तुरई के फायदेपेचिश को रोकने में भी तुरई को लाभदायक माना गया है। साथ ही इसके पत्तों को भी पेचिश के लिए लाभकारी माना जाता है । दरअसल, दस्त का गंभीर रूप पेचिश होने की वजह पैरासाइट और बैक्टीरियल इन्फेक्शन होती है। वहीं, तुरई में मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण ग्राम नेगेटिव बैक्टिरिया को कुछ हद तक पनपने से रोकने में मदद कर सकता है। इ6. पीलिया में तुरई के फायदेपीलिया से बचाव के लिए भी तुरई को इस्तेमाल में लाया जाता है। दरअसल, इसमें हेपेटोप्रोटेक्टिव गुण पाया जाता है, जो लिवर को क्षति से बचाता है। यही गुण शरीर में बढ़े हुए सिरम बिलीरुबिन को कम करने का काम करता है, जिसके कारण पीलिया होता है।7. दाद में तुरई के फायदेरिंगवॉर्म (दाद) में भी तुरई को लाभदायक माना जाता है। इसकी पत्तियों को पीसकर, दाद प्रभावित जगह पर लगाने से आराम मिलने की बात कही जाती है।8. अस्थमा के लिए तुरई के फायदेअगर किसी व्यक्ति को अस्थमा या सांस संबंधी समस्या है, तो वह तुरई का सेवन कर सकते हैं। इससे उन्हें आराम मिलेगा।
- हृदय रोगियों के लिए एक्यूप्रेशर एक बेहतर चिकित्सा साबित हो सकती है. यदि हार्ट के मरीज हैं तो दोनों पैरों की उंगलियों के बीच वाले प्रेशर प्वाइंट को दबाएं. इससे दिल के रोग का खतरा कम होगा. यदि धड़कन धीमी हो रही हो तो इस पॉइंट से हार्ट रेट बेहतर हो जाएगा.कमर के दर्द और कब्ज की समस्या से परेशान हैं तो पैरों के बीच का हिस्सा दबाएं. यहां मौजूद प्वाइंट आंतों से भी जुड़ा होता है. इससे लोअर बैक पेन के साथ डाइजेशन सिस्टम भी बेहतर होता है और कब्ज में आराम मिलता है.लिवर की समस्या है तो पैर के पंजे के ऊपर की तरफ अंगूठे और उसके पास वाली उंगली के बीच के हिस्से को दबाएं. काफी आराम मिलेगा.इन दिनों सर्वाइकल की समस्या आम है. ऐसे में एक्यूप्रेशर पद्धति लाभदायक हो सकती है. इसके दर्द से राहत पाने के लिए पैर की बड़ी उंगली का पॉइंट दबाएं. इसका कनेक्शन गले से होता है, इसलिए इस पॉइंट को दबाने से काफी आराम मिलता है.
- सर्दियां आ चुकी हैं और बदलते मौसम में खास देखभाल की जरूरत होती है. सर्दियों में अक्सर मौसमी सर्दी, खांसी और फ्लू जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है. ऐसे में इम्युनिटी का मजबूत होना बेहद जरूरी है. इसके लिए आप कई तरह के हेल्दी डिटॉक्स ड्रिंक्स डाइट में शामिल कर सकते हैं. इन ड्रिंक्स को आप घर पर बना सकते हैं और इनका आनंद ले सकते हैं.हल्दीहल्दी में करक्यूमिन नामक तत्व होते हैं. इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-वायरल गुण होते हैं जो आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं. खासकर सर्दियों में दूध या चाय में एक चुटकी हल्दी मिलाने से जोड़ों के दर्द, शरीर के दर्द और मांसपेशियों की सूजन को ठीक करने में मदद मिल सकती है. इसके अलावा, इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण इम्युनिटी में सुधार करने में मदद करते हैं, कोशिका क्षति के उपचार में मदद करते हैं. हल्दी वाली चाय बनाने के लिए, अदरक के साथ उबलते पानी में एक चुटकी हल्दी डालें और थोड़ा शहद मिलाएं. हल्दी वाला दूध बनाने के लिए, दूध को पतला करने के लिए 1/2 कप पानी के साथ 1 कप दूध गरम करें, इसमें एक चुटकी हल्दी, एक चुटकी काली मिर्च डालें या अगर आपको मीठा पसंद है तो आप थोड़ी चीनी मिला सकते हैं. लेकिन, अगर आप वजन कम करने और इम्युनिटी बढ़ाने और मेटाबॉलिज्म ड्रिंक का सेवन कर रहे हैं तो इसमें चीनी शामिल करने से बचें.सेब, खजूर और चिया स्मूदीअगर आप इम्युनिटी के साथ- साथ मेटाबॉलिज्म को बढ़ाना देना चाहते हैं तो ये सेब की स्मूदी आपके लिए बहुत फायदेमंद है. इस ड्रिंक को बनाने के लिए 1 सेब को क्यूब्स में काट लें, 3 खजूर और 3 बादाम दूध में मिला लें. फिर 2 बड़े चम्मच भीगे हुए चिया सीड्स डालें. ये आयरन, फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन से भरपूर पेय आंत के स्वास्थ्य और मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देने के लिए एक हेल्दी ड्रिंक है.पालक और एवोकैडो स्मूदीइस एंटीऑक्सीडेंट, फाइबर, विटामिन और आयरन से भरपूर स्मूदी को घर पर बनाने के लिए. एक ब्लेंडर लें, इसमें 1 कप धुले हुए पालक के पत्ते और आधा एवोकैडो मिलाएं, इसे अच्छी तरह से ब्लेंड करें और इसमें आधा नींबू का रस, सेंधा नमक और काली मिर्च मिलाएं. ये पेय न केवल आपको पोषक तत्व प्रदान करेगा बल्कि आयरन और एंटीऑक्सीडेंट की उपस्थिति इम्युनिटी को बढ़ावा देगी और ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करेगी.चुकंदर की चायइस चाय को बनाने के लिए अदरक, 1 1/2 कप पानी और 1/2 कप कद्दूकस किया हुआ चुकंदर लें. इस मिश्रण को उबालें और इसमें 2 बड़े चम्मच नींबू का रस, सेंधा नमक और काली मिर्च मिलाएं. चुकंदर के मिनरल, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट गुण इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद करते हैं और काली मिर्च, नींबू का रस और अदरक के साथ न केवल मौसमी एलर्जी, सर्दी, खांसी और बुखार के खिलाफ इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद करता है ब्लकि ये शरीर को स्वस्थ रखता है.आंवला जूसहोममेड आंवला ड्रिंक बनाने के लिए, बस 4-5 अंवला लें, इन्हें छोटे टुकड़ों में काट लें, बीज हटा दें. एक कप पानी के साथ इसे ब्लेंड करें. इसमें 1 चुटकी काली मिर्च, 1 चुटकी सेंधा नमक, 1 बड़ा चम्मच नींबू का रस मिलाएं. अगर आप इसे थोड़ा मीठा बनाना चाहते हैं तो इसमें शहद मिला सकते हैं. एक साधारण मिश्रण बनाएं और इसे सुबह पीएं.अमीनो एसिड और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर आंवला का रस शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को सुधारने में मदद करता है. ये टॉक्सिन को बाहर निकालने में मदद करता है. आंवला मेटाबॉलिजम में सुधार करने में मदद करता है और तेजी से वजन घटाने में मदद करता है.