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- पेट में ज्यादा गैस होने पर कई तरह की अन्य समस्याएं जैसे- बदहजमी, एसिडिटी, अपच इत्यादि हो सकती हैं। गैस को कंट्रोल करने के लिए हमें अपने आहार में मसालेदार चीजों को शामिल नहीं करना चाहिए। इस दौरान हल्के-फुल्के आहार को शामिल करें। इससे पेट में ज्यादा गैस बनने की परेशानी दूर हो सकती है। पेट में ज्यादा गैस बनने पर अपने आहार में कुछ ऐसी चीजों को शामिल करना चाहिए, जिससे ज्यादा गैस न बनें। जैसे कि-1. केला जरूर खाएंपेट में गैस की परेशानी होने पर केला का सेवन करें। केला खाने से पेट से जुड़ी समस्याएं दूर हो सकती हैं। दरअसल, केले में आयरन और कैल्शियम होता है, जो पेट में गैस की समस्या को दूर करने में प्रभावी हो सकता है। इसके अलावा केले में फाइबर मौजूद होता है, जो एसिडिटी को कंट्रोल करने में प्रभावी हो सकता है। साथ ही यह हमारे शरीर के पीएच लेवल को कंट्रोल करता है।2. नारियल पानी पिएंपेट में गैस की समस्या होने पर सुबह-सुबह चाय-कॉफी के बजाय नारियल पानी का सेवन करें। नारियल पानी का सेवन करने से पेट में गैस की समस्या दूर होती है। दरअसल, नारियल पानी एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है, जो गैस की समस्या को दूर करने में प्रभावी है। रोजाना सुबह खाली पेट नारियल का पानी पीने से एसिडिटी कंट्रोल हो सकती है।3. ठंडा दूध पिएंदूध स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है। अगर आपके पेट में गैस की परेशानी है, तो गर्म दूध के बजाय ठंडे दूध का सेवन करें। ठंडा दूध पीने से पेट में गैस की समस्या कंट्रोल हो सकती है। सुबह-सुबह एक गिलास ठंडा दूध पीने से पेट में जलन, गैस और एसिडिटी से राहत पाया जा सकता है। यह भूख को कंट्रोल करने में भी प्रभावी होता है, जो ज्यादा गैस बनने की समस्या से राहत दिलाता है।4. सलाद में खाएं खीरापेट में गैस बनने की समस्या से राहत पाने के लिए खीरा आपके लिए काफी लाभकारी हो सकता है। दरअसल, खीरा पेट को ठंडा करने में लाभकारी हो सकता है। साथ ही यह आपके शरीर को हाइड्रेट रखता है। इसके सेवन से एसिडिटी रिफ्लैक्स कम होती है। इसलिए अगर आप ज्यादा गैस की समस्या से जूझ रहे हैं, तो अपनी सलाद के प्लेट में खीरे को शामिल करें।5. लहसुन खाएंपेट में अत्यधिक गैस बनने पर लहसुन का सेवन करें। खासतौर पर रोजाना सुबह खाली पेट लहसुन की कलियों का सेवन करने से पेट में गैस की समस्या को दूर किया जा सकता है।पेट में ज्यादा गैस बनने पर मसालेदार और सोडा ड्रिंक्स के सेवन से बचेँ। वहीं, इस दौरान शराब और धूम्रपान का सेवन भी न करें। यह सभी चीजें गैस की समस्या को बढ़ा सकती हैं।
- हमारे शरीर के अंदर जमा गंदगी कई सामान्य से लेकर गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। इसलिए अधिकतर लोग समय-समय पर अपनी बॉडी को डिटॉक्स (body detox) करते रहते हैं। इससे शरीर में मौजूद टॉक्सिंस बाहर निकल जाते हैं, हम एकदम स्वस्थ रहते हैं। अगर आप भी अपनी बॉडी को डिटॉक्स करना चाहते हैं, तो कुछ आयुर्वेदिक उपायों का सहारा ले सकते हैं। ये आयुर्वेदिक उपाय आपके शरीर में जमा गंदगी को आसानी से मल के जरिए बाहर निकालने में मदद करेंगे। साथ ही आपके शरीर के हर अंग की अच्छे से सफाई भी करेंगे। पेट और आंतों में जमा या सड़ा खाना भी बाहर निकल जाएगा।शरीर में जमा गंदगी को निकालने के लिए आयुर्वेदिक उपाय (how to remove ama from the body)1. आंवलाआंवला त्वचा, बालों और स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी होता है। शरीर में जमा गंदगी को निकालने के लिए भी आंवले का उपयोग किया जा सकता है। आंवले में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट टॉक्सिंस को निकालने में सहायक होता है। साथ ही आंवला पेट की गर्मी को भी शांत करता है। आंवला शरीर के सभी अंगों की सफाई करता है। आंवला रक्त के शुद्धिकरण में भी मदद करता है। टॉक्सिंस के कारण होने वाले त्वचा रोगों को आंवले के सेवन से दूर किया जा सकता है। आंवले का सेवन आप जूस, पाउडर के रूप में कर सकते हैं।2. नींबूनींबू को एक बेहतरीन बॉडी डिटॉक्सिफिशेन के रूप में जाना जाता है। यह रक्त को शुद्ध करता है। नींबू पेट और आंतों की अंदरुनी सफाई भी करता है। किडनी और लिवर में जमा गंदगी को निकालने के लिए भी नींबू का उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए आप हल्का गर्म पानी लें, इसमें नींबू का रस डालें। सुबह खाली पेट इस पानी को पीने से बॉडी में जमा गंदगी आसानी से बाहर निकल जाती है। बॉडी डिटॉक्स करने के दौरान आप नींबू पानी दिन में 3-4 बार पी सकते हैं।3. एलोवेराएलोवेरा त्वचा और स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है। एलोवेरा का सेवन करने से पेट में जमा गंदगी आसानी से मल त्याग के दौरान बाहर निकल जाती है। साथ ही यह पेट की गर्मी को भी शांत करता है। रोज सुबह खाली पेट एलोवेरा जूस पीने से त्वचा खूबसूरत बनती है। यह पेट और आंतों की सफाई भी करता है। अपने शरीर के अंगों की सफाई करने के लिए एलोवेरा के जूस का सेवन जरूर करें।4. नीमआयुर्वेद में नीम का उपयोग कई रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है। रक्त की शुद्धि करने के लिए भी नीम का उपयोग किया जाता है। नीम पेट और आंतों की गंदगी को बाहर निकालकर त्वचा को खूबसूरत बनाता है। इसके लिए आप नीम के पत्ते, फूल छाल और जड़ को धूप में सुखा लें। इन सभी का पाउडर बना लें। रोजाना गर्म पानी के साथ लेने से रक्त दोष ठीक होते हैं। शरीर में जमा टॉक्सिंस भी आसानी से निकल जाते हैं।5.ऑयल पुलिंगआयुर्वेद में ऑयल पुलिंग को काफी महत्व दिया गया है। इससे कई रोग दूर होते हैं। रोज सुबह खाली पेट ऑयल पुलिंग करने से शरीर में जमा टॉक्सिंस भी बाहर निकल जाते हैं। यह आंतों, फेफड़ों की सफाई करने में सहायक होता है। इसके लिए आप एक चम्मच तेल लें। इसे अपने मुंह में भर लें। अब इसे 3-4 मिनट तक मुंह में ही घुमाते रहें, फिर बाहर थूंक दें। इससे आपकी कई समस्याएं दूर हो जाएंगी।
- मौसम में बदलाव होते ही अक्सर लोगों को सर्दी-जुकाम या फ्लू की समस्या हो जाती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक जिन लोगों की इम्युनिटी कमजोर होती है उनमें इस तरह की समस्याओं का खतरा अधिक होता है। कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों में मौसम बदलते ही गले में खराश, नाक बहने, खांसी और बुखार की समस्या होती रहती है। इस तरह की समस्या कई तरह के बैक्टीरिया या वायरल से संक्रमण के कारण भी हो सकती है। अगर आपको भी अक्सर सर्दी-जुकाम की समस्या बनी रहती है, मौसम बदलने के साथ ही आपको फ्लू जैसे लक्षणों को अनुभव होता है तो यह आपकी कमजोर इम्युनिटी का संकेत हो सकता है।आमतौर पर सर्दी-जुकाम होने पर कुछ प्रकार की दवाइयों से राहत मिल जाती है, पर जिन लोगों को अक्सर इस तरह की समस्या बनी रहती है, उनको अन्य वैकल्पिक तरीकों पर विचार करना चाहिए। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक इसके लिए कुछ घरेलू उपाय काफी प्रभावी हो सकते हैं, जिनको प्रयोग में लाकर आप अक्सर बनी रहने वाली इस तरह की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। आइए ऐसे ही कुछ बेहद आसान, लेकिन अत्यंत प्रभावी माने जाने वाले उपायों के बारे में जानते हैं।शहद का करिए सेवनअध्ययनों से पता चलता है कि सर्दी-जुकाम की समस्या को जड़ से ठीक करने के लिए शहद का सेवन करना फायदेमंद हो सकता है। शहद, गले में खराश को दूर करने में काफी प्रभावी है। एक अध्ययन के अनुसार, यह ओटीसी दवाओं की तुलना में खांसी को अधिक प्रभावी ढंग से दूर करने में सहायक है। आप दैनिक रूप से हर्बल टी या गर्म पानी में नींबू के साथ 2 चम्मच शहद मिलाकर इसका सेवन कर सकते हैं। शहद वायुमार्ग का साफ रखने के साथ इम्युनिटी को बढ़ावा देने में फायदेमंद है।अनानास खाना है फायदेमंदक्या आपने सोचा है कि अनानास, खांसी को ठीक करने में प्रभावी साबित हो सकता है? अध्ययनों से पता चलता है कि अनानास में ब्रोमेलैन नामक एक एंजाइम होता है जो केवल अनानास के तने और फल में पाया जाता है। खांसी को ठीक करने के साथ-साथ गले से बलगम को खत्म करने में इसे काफी प्रभावी माना जाता है। दैनिक रूप से अनानास का सेवन करने से न केवल सर्दी-जुकाम की समस्या से मुक्ति मिल सकती है, साथ ही इसे पेट के लिए भी काफी फायदेमंद माना जाता है।अदरक की चाय है लाभदायकअदरक की चाय न सिर्फ स्वाद के लिहाज से बल्कि सर्दी-खांसी के इलाज में भी मदद करती है। श्वसन पथ से कफ को बाहर निकालने और गले में होने वाले संक्रमण को ठीक करने में इसका सेवन काफी फायदेमंद माना जाता है। अदरक के कई अन्य स्वास्थ्य लाभों हो सकते हैं, यह सामान्य सर्दी को शांत करने और गले को साफ रखने में सहायक माना जाता है। अदरक में एंटी-इंफ्लामेटरी गुण पाए जाते हैं जो सूजन को ठीक करने में काफी मददगार है।हल्दी वाला दूध पीने के लाभयदि आप रोजाना दूध पीते हैं तो इसके गुणों को बढ़ाने के लिए इसमें एक चुटकी हल्दी मिलाकर पीना शुरू कर दें। हल्दी में प्रभावी एंटीऑक्सीडेंट होता है जो कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में मदद करता है। गर्म दूध में हल्दी मिला कर पीने से सर्दी और खांसी की समस्या आसानी से ठीक हो जाती है। सोने से पहले रोजाना एक गिलास गर्म हल्दी वाला दूध पीने से आपकी इम्युनिटी मजबूत होता है जिससे भविष्य में इस तरह की समस्याओं का खतरा कम हो जाता है।
- मिश्री खाने के अनेक फायदे हैं. ऐसे कई लोग हैं जो शक्कर और इससे बने फूड आइटम्स खाने से परहेज करते हैं, क्योंकि इसे बनाने में कई तरह के केमिकल का इस्तेमाल होता है. वहीं कई लोग मिश्री का उपयोग करते हैं. क्योंकि मिश्री कई तरह से हमारे शरीर के लिए फायदेमंद है. आंखों की रोशनी बढ़ाने से लेकर सर्दी खासी में मिश्री का उपयोग किया जाता है. कई लोग तो चीनी के बदले ही मिश्री की चाय बना लेते हैं. यही नहीं रोज माउथ फ्रेशनर के लिए भी मिश्री का उपयोग किया जाता है.--जानते हैं इसके अन्य फायदे.मिश्री के हैं अनेक फायदे-मिश्री आंखों के लिए अच्छी होती है. तो अगर आपकी आंखे कमजोर हैं या हो रही है तो आपको रोज मिश्री खाना शुरू करना चाहिए.-इसके अलावा आपको थकान महसूस हो रही है तो मिश्री इसके लिए रामबाण इलाज है. इसके खाने से थकान दूर होती है.- कहा जाता है कि मिश्री के सेवन से पुरुषों के स्पर्म में सुधार होता है।- साथ ही मिश्री खाने से खून का एसिड लेवल दुरुस्त रहता है.- उल्टी और जी मिचलाने की समस्या को दूर करे में भी मिश्री काफी फायदेमंद है.- कोरोना काल में यदि आपको सर्दी, खांसी और जुकाम है तो आपको रोज मिश्री खाना चाहिए.
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पत्ता गोभी, गोभी, मशरूम, चिकन, सीफूड आदि चीजों में प्यूरीन पाया जाता है. यूरिक एसिड की समस्या होने पर इन चीजों को नहीं खाना चाहिए. इससे आपकी समस्या बढ़ सकती है.
किशमिश को आमतौर पर सेहत के लिहाज से बहुत फायदेमंद माना जाता है, लेकिन अगर आपका यूरिक एसिड बढ़ा है, तो आप इसे बिल्कुल न खाएं क्योंकि 100 ग्राम किशमिश में करीब 105 एमजी प्यूरीन होता है.
पालक और हरी मटर भी प्यूरीन से भरपूर माना जाता है. पालक को वैसे कई तरह के पोषक तत्वों से भरपूर माना जाता है, लेकिन यूरिक एसिड वालों को ये नहीं खाना चाहिए. ये आपके शरीर में सूजन और दर्द की परेशानी को बढ़ा सकता है. इसे खाने से परहेज करना चाहिए.
सर्दियों में लोग आमतौर पर मूंगफली खाना पसंद करते हैं. ये शरीर में गर्माहट देती है, साथ ही काफी फायदेमंद होती है. लेकिन 100 ग्राम मूंगफली में करीब 75 एमजी प्यूरीन होता है. ऐसे में गठिया, गाउट के मरीजों जिनका यूरिक एसिड बढ़ जाता है, उन्हें ज्यादा मूंगफली नहीं खानी चाहिए.
शराब को तो किसी भी लिहाज से अच्छा नहीं कहा जा सकता. अगर आपका यूरिक एसिड बढ़ा है तो ये आपके लिए जहर के समान है. शराब में प्यूरीन की मात्रा काफी होती है. इसलिए इसका सेवन पूरी तरह से छोड़ दें. -
नारियल पानी
वायरल फीवर के दौरान अक्सर बॉडी में पानी की कमी भी हो जाती है और इससे शरीर में कमजोरी फील होती है. ऐसे में बॉडी को हाइड्रेट रखने के लिए नारीयल पानी का सेवन किया जा सकता है.
ड्राई फ्रूट्स
शरीर की कमजोरी को दूर करने में ड्राई फ्रूट्स की मदद ली जा सकती है. दरअसल, इनमें मौजूद पोषक तत्व शरीर को ताकत देते हैं. आप डाइट में बादाम, पिस्ता जैसे ड्राई फ्रूट्स को शामिल कर सकते हैं.
केला
बॉडी की वीकनेस को दूर करने के लिए आप रोजाना रोज दो केलों का सेवन कर सकते हैं. केले में मौजूद पोटेशियम, विटामिन बी6, मैग्नीशियम और विटामिन सी भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं.
हरी सब्जियां
सेहत के लिए बेहद फायदेमंद मानी जाने वाली हरी सब्जियां भी शरीर की कमजोरी दूर करने में कारगर होती हैं. साथ ही इनमें मौजूद पानी से शरीर में पानी की कमी को पूरा किया जा सकता है.
लहसुन
वायरल में सर्दी-जुकाम से हाल बेहाल हो जाता है. इस कंडीशन में ऐसे फूड्स का सेवन करने की सलाह दी जाती है, जिनकी तासीर गर्म हो. लहसुन आपके लिए बेस्ट ऑप्शन साबित हो सकता है. आप चाहे तो लहसुन वाला गर्म सूप पी सकते हैं. - शलजम का जूस पीने के भी कई फायदे हैं। शलजम में कई पौष्टिक गुण होते हैं। इसमें विटामिन सी, ए, कैरोटेनॉयड्स, जैंथिन और ल्यूटिन जैसे एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। साथ ही इसमें विटामिन के और ओमेगा-3 एसिड जैसे अल्फा लिनोलेनिक एसिड भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसमें कई खनिज और फाइटोन्यूट्रिएंट्स भी पाए जाते हैं। इन पोषक तत्वों की मदद से आपका इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत होता है और वजन घटाने में भी मदद मिलती है। साथ ही पाचन तंत्र और हृदय समस्याओं को भी दूर करता है। आइए विस्तार से जानते है शलजम जूस के फायदे और सेवन के तरीकों के बारे में1. दिल की सेहत के लिए फायदेमंदशलजम जूस में भरपूर मात्रा में पोटैशियम पाया जाता है, जो वासोडिलेटर का काम करता है। दरअसल पोटैशियम हाई ब्लड प्रेशर को कम करके रक्त वाहिकाओं और धमनियों के तनाव को कम करने में सहायता करता है। यह एथेरोस्कलेरोसिस जैसी समस्याओं को रोकने में मदद करता है और हार्ट स्ट्रोक के खतरे को कम करता है। यह कोलेस्ट्रोल को भी कम करता है, जिससे हृदय रोगों के लक्षण कम करने में सहायता मिलती है।2. वजन घटाने में सहायकहम हमेशा फिट रहने के लिए अपने डाइट को लेकर परेशान रहते हैं। ऐसे में शलजम के जूस का सेवन आपके लिए काफी फायदेमंद होता है। इसमें काफी मात्रा में फाइबर पाया जाता है। जो शरीर की चर्बी को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा यह अपच की समस्या को भी कम करता है।3. हड्डियों को मजबूत बनाएशलजम जूस के सेवन से आपकी हड्डियां मजबूत होती है। इसमें कैल्शियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो संयोजी ऊतकों के उत्पादन में मदद करता है। इसे गठिया के दर्द में भी राहत मिलती है। साथ ही इससे ऑस्टिोपोरोसिस और रूमेटोइड गठिया के लक्षण को कम कर सकते हैं।4. इम्यून सिस्टम मजबूत बनाएशलजम जूस में विटामिन सी और एस्कॉर्बिक एसिड पाया जाता है, जो शरीर की रोगों से रक्षा करता है। विटामिन सी हमारे शरीर में सफेद रक्त कोशिकाओं के निर्माण में मदद करता है, जिसकी सहायता से हमारा इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। यह बालों और त्वचा के लिए काफी अच्छा माना जाता है।5. दर्द और सूजन में राहतशलजम जूस के सेवन से कई पुराने दर्द और सूजन में आराम मिल सकता है। शलजम के जूस में ओमेगा-3 फैटी एसिड और विटामिन के होते हैं, जो सूजन कम करने में मदद करते हैं। इसमें एंटीइंफ्लेमेटरी गुण भी पाए जाते हैं, जिसे गठिया और शरीर के दर्द में राहत मिलती है।6. पाचन बढ़ाएइसमें भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जिससे पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में मदद मिलती है। इससे आपको पेट संबंधित परेशानियां कम होती है और खाना भी आसानी से पच जाता है।शलजम जूस का उपयोगशलजम जूस के सेवन आप सुबह कर सकते हैं। इससे पाचन तंत्र सही बनाए रखने में मदद मिलती है।
- चावल का आटा बालों से जुड़ी कई समस्याओं को दूर करने में कारगर है। इससे बाल लंबे, घने और चमकदार बनते हैं। साथ ही बाल स्ट्रेट भी रहते हैं। जानें बालों पर चावल का मास्क लगाने के फायदेचावल का आटे से बने हेयर पैक बालों से जुड़ी समस्याओं को दूर करने का सबसे कारगर तरीका हो सकता है। चावल का आटा विटामिंस और मिनरल्स से भरपूर होता है, इससे बालों को पर्याप्त पोषण भी मिलता है।जानें बालों के लिए चावल के आटे के फायदे-चावल के आटे से बने हेयर मास्क यूज करने से बालों को पर्याप्त पोषण मिलता है। इससे बाल मजबूत बनते हैं।-चावल का आटा बालों को स्ट्रेट करने में भी लाभकारी होता है। चावल के आटे से बने हेयर पैक लगाने से बाल सीधे और मुलायम बनते हैं।-चावल का आटा हेयर फॉल को भी रोकता है। दरअसल, चावल का आटा बालों को जड़ों से मजबूत देता है। इससे बाल झडऩे की समस्या दूर होती है।-चावल का आटा स्कैल्प को एक्सफोलिएट करता है। इससे स्कैल्प में जमा गंदगी, डेड स्किन सेल्स आसानी से निकल जाते हैं। साथ ही रूसी या डैंड्रेफ की समस्या से भी छुटकारा मिलता है।-कई लोगों के बाल काफी ड्राई और रूखे रहते हैं, ऐसे में वे चावल के आटे से बने हेयर मास्क का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे बालों के रूखेपन की समस्या दूर होती है।-चावल के आटे से बाल कम टूटते हैं, इससे बालों को मजबूती मिलती है। साथ ही बाल लंबे और घने भी बनते हैं।बेहतर परिणाम के लिए आप हफ्ते में एक दिन चावल के आटे से बने हेयर मास्क का इस्तेमाल कर सकते हैं।बालों के लिए चावल के आटे का इस्तेमाल1. चावल का आटा और केला -चावल का आटा और केले का मास्क बालों के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसके इस्तेमाल से बालों के रूखेपन की समस्या दूर होती है। इसके लिए चावल का आटा और केला लें। दोनों का बारीक पेस्ट बना लें। इसे बालों पर लगाएं, आधे घंटे बाद बाल धो दें।2. चावल का आटा और बेसन - बेसन त्वचा के साथ बालों के लिए भी उपयोगी होता है। इसके लिए आप चावल के आटे और बेसन का पेस्ट बना सकती हैं। इससे डैंड्रफ दूर होगा, स्कैल्प भी एक्सफोलिएट होगा। इसके लिए चावल के आटे और बेसन को मिक्स कर लें। इसमें थोड़ा गुनगुना पानी डालें, पेस्ट तैयार कर लें। इसे बालों पर लगाएं। आधे घंटे बाद माइल्ड शैंपू से बाल धो दें।
- सर्दी के मौसम में सर्दी और खांसी जैसी कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सर्दी, खांसी, गले में खराश (cold, cough and sore throat) न केवल परेशान करती है बल्कि व्यक्ति को कमजोर और थका हुआ भी महसूस कराती है। तापमान में गिरावट के साथ सर्दी-खांसी होने की संभावना बढ़ जाती है। गर्म कपड़े पहनना ही काफी नहीं है। आपको ये ध्यान रखना होगा कि सर्दी और खांसी को रोकने में आपकी मदद करने के लिए आप अपने आहार में सही भोजन शामिल करें। आप अपनी डाइट में कई तरह के मसाले और जड़ी बूटियां भी शामिल कर सकते हैं। सर्दी और खांसी को दूर रखने के लिए आप कई तरह के आयुर्वेदिक टिप्स आजमा सकते हैं। सर्दी और खांसी के दौरान आयुर्वेद विशेषज्ञ किन चीजों से दूर रहने की सलाह देते हैं और किन चीजों का सेवन करना चाहिए आइए जानें।सर्दी और खांसी के दौरान आपको किन चीजों से बचना चाहिए-कोल्ड ड्रिंक्स-दही खासकर जब फलों के साथ मिलाकर सेवन करते हैं।-आइसक्रीम, मीठा खाना, डीप फ्राई खाना और हैवी भोजन।-दिन में सोना और रात देर तक जगे रहना।अगर आप सर्दी, खांसी या गले में खराश से पीड़ित हैं, तो ये आयुर्वेदिक उपाय आपकी मदद कर सकते हैं।-7-8 तुलसी के पत्ते, अदरक का एक छोटा टुकड़ा, लहसुन की कुछ कली, 1 चम्मच अजवाइन, 1 चम्मच मेथी के बीज, हल्दी (सूखी या ताजी) और 4-5 काली मिर्च 1 लीटर पानी में आधा होने तक उबालें। इसे सुबह सबसे पहले पिए।-नहाने और पीने के लिए के लिए ठंडे पानी का इस्तेमाल न करें।-पाचन क्रिया को बढ़ावा देने के लिए गर्म पानी पिएं।-शहद आपके गले को आराम पहुंचाने में मदद करता है और शांत रखता है।-अदरक, हल्दी, नींबू की चाय का सेवन करें. इससे आपके गले को राहत मिलेगी।-स्टीम लेना. उबले हुए पानी में थोड़ा सा अजवाइन, नीलगिरी का तेल या हल्दी डालकर स्टीम लें. सर्दी खांसी के दौरान ये काफी प्रभावी उपाय है।-गर्म दूध में हल्दी मिलाकर पिएं।-गले में खराश होने पर मुलेठी के काढ़े या गुनगुने पानी में हल्दी और सेंधा नमक मिलाकर गरारे करें।-तुलसी के पत्ते या मुलेठी का सेवन करे।आयुर्वेदिक काढ़ाकाढ़े को बनाने के लिए आपको अदरक, लौंग 4-5, काली मिर्च 1 छोटा चम्मच पिसी हुई, तुलसी के पत्ते 5-6 ताजे, शहद ½ छोटा चम्मच और दालचीनी स्टिक की जरूरत होगी। एक गहरे बर्तन में पानी लें और इसे उबाल लें। पानी में उबाल आने के बाद क्रश की हुई अदरक, लौंग, काली मिर्च और दालचीनी डालें। इसमें तुलसी के पत्ते डालें. 20 मिनट तक उबलने दें। इस मिश्रण में शहद मिलाएं और गर्मागर्म सेवन करें।
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इन वजहों से बढ़ सकती है कूल्हों में दर्द की समस्या
कूल्हों में दर्द कई वजहों से हो सकता है, इसमें सबसे आम है कूल्हे के जोड़ों का घिसना या वक्त के साथ उनमें होने वाली फ्रैक्चर की समस्या। आर्थराइटिस या हड्डियों संबंधी अन्य तकलीफों के अलावा लम्बे समय तक एक ही जगह बैठे रहने वाली जीवनशैली, उम्र, बढ़ा हुआ वजन, गलत पोश्चर, टेंडन्स या मांसपेशियों में टूट-फूट, कुछ गंभीर बीमारियों आदि के कारण भी लोगों को इस तरह की दिक्कत हो सकती है।इस दर्द की वजह से आपका चलना-फिरना, उठना-बैठना मुश्किल हो सकता है।
अन्य तकलीफों की ही तरह यदि इस दर्द को भी शुरुआत से ही ध्यान देकर ठीक करने की कोशिश की जाए तो इससे राहत मिल सकती है। इसके लिए कुछ उपाय फायदेमंद हो सकते हैं। जरूरत होती है इन्हें निरंतर और नियमित रूप से अपनाने की।
शरीर के बाकी हिस्सों की ही तरह कूल्हों को भी आराम देने की जरूरत होती है हालांकि यह आराम बैठकर या गलत तरीके से लेटकर नहीं दिया जाता। दर्द के दौरान कूल्हों के जोड़ या मांसपेशियों पर पड़ने वाला दबाव स्थिति को और बिगाड़ सकता है। इसलिए दर्द के दौरान कभी भी व्यायाम या भारी एक्सरसाइज करने की गलती न करें। साथ ही यदि आप तकलीफ से गुजर रहे हैं तो भारी एक्सरसाइज जैसे रनिंग, किकबॉक्सिंग, रस्सी कूदने आदि से कुछ समय दूरी रखें।
वॉकिंग, स्वीमिंग और वॉटर वर्कआउट, योग आदि जैसी एक्सरसाइज किए जा सकते हैं। यह भी एक तथ्य है कि अगर शुरू से व्यायाम को नियमित रखा जाए तो मांसपेशियों को लचीला बनाए रखने और जोड़ों को अकड़न से बचाने में मदद मिल सकती है।
कूल्हों के दर्द से ऐसे पा सकते हैं राहत
आपके कूल्हे खासतौर पर हर उस चीज के वजन को खुद पर महसूस करते हैं जो आप उठाकर या पीठ पर लादकर चल रहे हैं। शरीर का वजन संतुलित रखें क्योंकि आपके शरीर पर मौजूद हर अतिरिक्त 7-8 किलो वजन कूल्हों और घुटनों पर दबाव डाल सकता है। चाहे शरीर के किसी भी जोड़ों की समस्या हो, हमेशा स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करने की सलाह दी जाती है। इससे मांसपेशियां और टेंडन्स धीरे-धीरे खुलते हैं और अकड़न दूर होती है। एक्सराइज के बारे में जानने के लिए किसी विशेषज्ञ की सलाह ले सकते हैं।
दर्द की समस्या होने पर खुद से दर्दनिवारक दवा लेने से बचें। दर्द निवारक दवाएं कुछ समय के लिए दर्द से राहत दे सकती हैं पर समस्या को ठीक नहीं करतीं। इसलिए बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी दर्दनिवारक लेने से बचें।
यह चीजें हो सकती हैं मददगार---------
सेकाई से होता है फायदा
दर्द में राहत के लिए ठंडा और गरम सेकाई करना बहुत कारगर साबित हो सकता है। इसके लिए सबसे पहले गरम पानी या हॉट वॉटर बैग से सेकाई करें, फिर बर्फ के पानी या आइस पैक से सेकाई करें। आप चाहें तो एक ठंडी बॉटल को नैपकिन या टॉवल में लपेटकर भी सीधा कूल्हों पर, जहां दर्द हो रख सकते हैं और इसके बाद गरम पानी से नहा सकते हैं।
सही जूतों का इस्तेमाल
ज्यादा हील वाले फुटवेयर भी कई बार कूल्हों के दर्द का कारण बन सकते हैं। ऊंची एड़ी के जूते आपके पैरों को गलत एंगल पर रखते हैं जिससे दबाव कूल्हों तक पहुंचता है और लम्बे समय में यह कूल्हों के दर्द का कारण बन सकता है। इसलिए हमेशा सही नाप वाले, आरामदायक जूते पहनें।
इन उपायों के अलावा कई बार सामान्य मालिश, एक्यूपंक्चर जैसी अलटरनेटिव थैरेपीज भी मददगार हो सकती हैं। लेकिन इनको प्रशिक्षण प्राप्त व्यक्ति से ही करवाएं। वहीं आपके बैठने की कुर्सी, झुककर बैठने का तरीका, देर तक खड़े रहने वाली एक्टिविटीज, सोने का गलत तरीका आदि भी कूल्हों के दर्द की वजह बन सकता है। इन चीजों में बदलाव करके भी राहत पाई जा सकती है। - मौजूदा दौर में कमर दर्द (Back Pain) एक आम समस्या बन चुकी है, बढ़ती उम्र के साथ इस परेशानी में इजाफा हो सकता है. लोअर बैक पेन आमतौर पर 4 से लेकर 12 हफ्ते तक बरकरार रह सकता है, लेकिन कुछ उपायों के जरिए इसे ठीक करना मुमकिन है.क्यों होता है कमर दर्द?कमर दर्द (Back Pain) की परेशानी कई वजहों से हो सकती हैं, जिसमें उम्र का बढ़ना, माइनर या मेजर स्लिप डिस्क शामिल है. इसके अलावा गलत पोस्चर में बैठने या लेटने से भी इस समस्या का जन्म होता है.कमर दर्द के क्या हैं उपाय?कमर दर्द से निजात पाने के कई उपाय हैं, लेकिन इसमें आमतोर पर हीटिंग पैड (Heating Pad) या आइस पैड (Ice Pad) का इस्तेमाल किया जाता है. आइये आज हम आपको बताते हैं कि इन पैड के जरिए आपको किस तरह से फायदा मिल सकता है.आइस पैड के फायदेडॉक्टर्स आइस पैड (Ice Pad) के इस्तेमाल की सलाह तब देते हैं जब दर्द या चोट तुरंत लगी हो इससे जल्द आऱाम मिलता है. कई बार एक्सरसाइज के बाद भी काफी दर्द होता है ऐसे में बर्फ के इस्तेमाल करने से निजात मिल जाती है.कैसे करें आइस पैड का इस्तेमाल?आइस पैड का इस्तेमाल करने ने लोअर बॉडी का टेम्प्रेचर कम हो जाता है और धमनियां भी सिकुड़ जाती हैं. इसकी वजह से सूजन से भी आराम मिलता है. आप एक दिन में 10 से 20 मिनट तक आइस पैड से सिकाई कर सकते हैं. ये भी ख्याल रखना बेहद जरूरी है कि ज्यादा देर तक इसका इस्तेमाल न करें वर्ना नुकसान हो सकता है.हीटिंग पैड से मिलेगी दर्द से निजात!हीटिंग पैड के जरिए ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है. इसकी वजह से टिशू को पोषक तत्व मिलते हैं और ये जल्दी ठीक होने लगते हैं. इस बात ख्याल रखें कि हीटिंग थेरेपी का इस्तेमाल रुक-रुक कर 20 से 30 मिनट तक किया जाना चाहिए और पैड का टेम्प्रेचर ज्यादा न रखें.अगर दर्द ठीक न हुआ तो क्या करें?ऐसा देखा गया है कि कई बार आइस पैड (Ice Pad) या हीटिंग पैड (Heating Pad) के इस्तेमाल के बाद भी लोअर बैक पेन से निजात नहीं मिल पाती है ऐसे कंडीशन में इनका ज्यादा इस्तेमाल करने के बजाए डॉक्टर्स से संपर्क करें क्योंकि जांच के बाद ही पता चल पाएगा कि इसका सही इलाज क्या है.-
- तेज पत्ता हमारे घर की रसोई में इस्तेमाल होने वाली सामान्य वस्तु है. सब्जी में तेज पत्ता (Bay Leaf) के डालते ही उसका स्वाद और महक दोनों बढ़ जाते हैं. हालांकि बहुत कम लोग जानते हैं कि तेज पत्ता (Tej Patta) स्वाद के साथ ही सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है. इसके सेवन से न केवल शरीर की इम्यूनिटी मजबूत होती है बल्कि कई सारी बीमारियां भी दूर भाग जाती हैं. आइए आपको बताते हैं कि तेजपत्ता के नियमित सेवन के क्या-क्या फायदे (Tej Patta ke Fayde) हैं.गुर्दे की बीमारियों में फायदातेज पत्ता के सेवन से किडनी यानी गुर्दे की समस्याओं में काफी फायदा होता है. इसके इस्तेमाल से किडनी में पथरी नहीं बनती और वह स्मूथ तरीके से अपना कार्य करती है. इससे पेशाब से जुड़े दिक्कतें भी हमेशा के लिए दूर हो जाती हैं.खाना पचाने में मददगारकई लोगों को खाने पचाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. भोजन करते ही उन्हें कब्ज, मरोड़ या एसिडिटी जैसी परेशानियां घेर लेती हैं. ऐसे में अगर तेज पत्ता (Bay Leaf) के इस्तेमाल वाली सब्जियां खाएं तो पेट से जुड़ी बीमारियों से काफी हद तक राहत पा सकते हैं.आंखों और खून के लिए फायदेमंदतेज पत्ता में विटामिन सी और विटामिन ए पाए जाते हैं. ये दोनों विटामिन हमारे शरीर के विकास के लिए बहुत जरूरी हैं. विटामिन-सी हमारे शरीर में सफेद रक्त कोशिकाओं को बढ़ाने का काम करता है. इससे शरीर की इम्यूनिटी मजबूत होती है. वहीं विटामिन-ए हमारी आंखों की क्षमता को बढ़ाता है.इंसुलिन को करता है कंट्रोलजो लोग शुगर के मरीज हैं, उनके लिए तेज पत्ता (Bay Leaf) किसी चमत्कार से कम नहीं है. इसका सेवन शुगर के रोगियों में इंसुलिन की बढ़ती-घटती मात्रा को कंट्रोल करने का काम करता है. आप इसे चावल, दाल या पुलाव नें पूरा पत्ता डालकर या सूप में छोटे पीस के रूप में डालकर प्रयोग कर सकते हैं.अनिद्रा की समस्या को करता है दूरअगर आप अनिद्रा की समस्या से परेशान हैं तो तेज पत्ता (Tej Patta) आपके लिए रामबाण का काम कर सकता है. आप रात को सोने से पहले तेज पत्ता का प्रयोग कर इस परेशानी से निजात पा सकते हैं. तेज पत्ता के तेल की कुछ बूंदों को गर्म पानी में मिलाकर पीने से अच्छी नींद आती है.
- खांसी एक ऐसी बीमारी है जो किसी को भी हो सकती है। इसके लिए कोई उम्र मायने नहीं रखती है। यह धूल, धुआं, मौसम में परिवर्तन, एकाएक ठंडे गर्म आदि का सेवन करना इत्यादि के कारण हो जाती है। यह दो प्रकार की होती है- एक सूखी खांसी और दूसरी गीली खांसी। इसमें कभी-कभी खांसी इतनी तेज हो जाती है कि खांसते- खांसते लोग हाफऩे लगते हैं, दम घुटने लगता है और कई बार उल्टियां भी हो जाती है। खांसी को ठीक करने के लिए लोग कई तरह की दवाएं एवं सिरप का सेवन करते हैं, जबकि खांसी को घरेलू उपचार से भी आसानी से ठीक किया जा सकता है।खांसी सूखी हो या गीली, जानें ठीक करने के घरेलू उपाय1 .भुनी हुई फिटकरी 10 ग्राम और देसी खांड सौ ग्राम दोनों को बारीक पीसकर आपस में मिलाकर बराबर मात्रा में 14 पुडिय़ा बना लें। अब एक पुडिय़ा नित्य 125 ग्राम दूध के साथ सेवन करने से सूखी एवं गीली दोनों तरह की खांसी ठीक हो जाती है।2 .अदरक पीसकर कपड़े की सहायता से निचोड़ कर रस निकाल लें और बराबर मात्रा में शहद मिलाकर एक-एक चम्मच की मात्रा में मामूली गर्म करके दिन में तीन से चार बार सेवन करने से खांसी ठीक हो जाती है। नजला, जुकाम में यह प्रयोग अचंभे से कम नहीं है। बुढ़ापे या कमजोरी से दमा उठता हो तो इसे 8 दिन लगातार सेवन करने से दमे की खांसी मिटती है। साथ ही अरुचि मिटकर भूख लगती है और गला बैठ जाने पर गर्म करके दिन में दो बार पीने से बंद गला और जुकाम ठीक हो जाता है।3 .अगर रात को बार- बार खांसी हो तो एक हरे का टुकड़ा या छिले हुए अदरक का टुकड़ा सोते समय मुंह में रखकर चूसते रहें। यह बलगम आसानी से निकाल देती है। रात को खांसी से आराम मिलेगी।4 .किसी भी तरह के खांसी को ठीक करने का तुलसी सबसे बेहतर उपायों में से एक है। इसके लिए तुलसी के 10-12 पत्ती को एक कप पानी में उबालें। इसमें दो काली मिर्च, एक छोटा टुकड़ा अदरक और स्वाद के लिए गुड़ मिलाकर चाय की तरह बना लें। अब इसे हल्का गरम- गरम ही चाय की तरह पी लें। इससे किसी भी तरह की खांसी से तुरंत राहत मिलती है।
- डैंड्रफ बालों की एक बहुत ही परेशान करने वाली समस्या है. ये न केवल हमारे बालों और स्कैल्प पर सफेद रूसी होने का कारण बनती है, बल्कि रूसी के साथ आने वाली खुजली और सूजन बेहद असहज होती है.बाजार में ऐसे कई एंटी डैंड्रफ शैंपू हैं जो डैंड्रफ से निजात दिलाने में मदद करते हैं. इसमें अधिकतर प्रोडक्ट केमिकल से भरे होते हैं जो लंबे समय तक हमारे बालों को नुकसान पहुंचाते हैं. आप बालों डैंड्रफ से निजात पाने के लिए नीम के तेल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. आप नीम के तेल का इस्तेमाल नींबू के रस, टी ट्री ऑयल और एलोवेरा जेल के साथ कर सकते हैं.नीम के तेल का इस्तेमाल करेंएक छोटी कटोरी में थोड़ा सा नीम का तेल लें. इस तेल को स्कैल्प पर लगाएं. अपनी उंगलियों से कुछ देर तक हल्के हाथों से मसाज करें. इसे दो घंटे के लिए या हो सके तो रात भर के लिए छोड़ दें. इसके बाद माइल्ड शैम्पू से धो लें. डैंड्रफ से प्राकृतिक रूप से छुटकारा पाने के लिए सप्ताह में दो या तीन बार इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.नीम का तेल और नींबू का रसएक नींबू लें और इसे आधा काट लें. आधे नींबू का रस निकाल लें और ताजा नींबू के रस को 2-3 टेबल स्पून नीम के तेल में मिला लें. इसे एक साथ मिलाएं और इसका इस्तेमाल स्कैल्प की अच्छी तरह से मसाज करने के लिए करें. माइल्ड शैम्पू से धोने से पहले इसे 30-40 मिनट के लिए स्कैल्प पर लगा रहने दें. हफ्ते में 2 से 3 बार इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.नीम का तेल और दहीएक बाउल में 1-2 टेबल स्पून नीम का तेल और 4 टेबल स्पून ताजा सादा दही लें. इसे एक साथ मिलाएं और हेयर मास्क को पूरे बालों और स्कैल्प पर लगाएं. अपनी उंगलियों से धीरे-धीरे सिर की मसाज करें. एक बार हो जाने के बाद अपने बालों को ढकने के लिए एक शॉवर कैप पहनें. एक हल्के शैम्पू से धोने से पहले 40-60 मिनट तक इसे लगा रहने दें. डैंड्रफ दूर करने के लिए हफ्ते में एक या दो बार इस हेयर मास्क का इस्तेमाल कर सकते हैं.नीम का तेल, टी ट्री ऑयल और एलोवेरा जेलएक बाउल में 1-2 टेबल स्पून नीम का तेल लें. इसमें 2-3 टेबल स्पून एलोवेरा जेल मिलाएं. टी ट्री एसेंशियल ऑयल की 3-4 बूंदें भी डालें. सब कुछ एक साथ मिलाएं और मिश्रण को पूरे स्कैल्प पर लगाएं. इसे 40-45 मिनट के लिए स्कैल्प पर लगा रहने दें. इसके बाद एक माइल्ड शैम्पू से धो लें. हफ्ते में दो या तीन बार इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.-
- हेल्दी रहने के लिए हरे पत्तेदार सब्जियों के सेवन की सलाह दी जाती है. ये सब्जियांशरीर को पोषण तो देती हैं, साथ ही इनसे इम्यूनिटी को बूस्ट करने में भी मदद मिलती है. हम बात कर रहे हैं पालक की, जिसका सेवन बड़े और बच्चों दोनों के लिए फायदेमंद होता है. पालक में कई गुण मौजूद होते हैं. ये पोषक तत्वों से भरपूर होता है. इसमें आवश्यक विटामिन और मिनरल जैसे कैरोटीन, अमीनो एसिड, आयरन, आयोडीन, पोटेशियम और मैग्नीशियम के साथ विटामिन ए, विटामिन ई, विटामिन के, विटामिन सी और विटामिन बी कॉम्प्लेक्स होता है. इसका स्वाद बहुत ही अच्छा होता है.आप पालक को सलाद, सूप या सब्जी के रूप में अपनी डाइट का हिस्सा बना सकते हैं. पालक के कई फायदे होने के बावजूद ये नुकसान भी पहुंचा सकता है. हम आपको ऐसे लोगों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें पालक के सेवन से परहेज करना चाहिए.किडनी की समस्याजिन लोगों को किडनी की समस्या हो, कहते हैं कि उन्हें पालक का सेवन करने से बचना चाहिए. इसका सेवन करने से शरीर में ऑक्सालिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है. विशेषज्ञों के मुताबिक ये किडनी के लिए ठीक नहीं माना जाता है. इससे किडनी में कैल्शियम ऑक्सालेट जमा हो जाता है, जो शरीर में कई बीमारियों को दस्तक का कारण बन सकता है.पथरीपालक के कारण किडनी में जमा होने वाला कैल्शियम ऑक्सालेट पथरी होने का खतरा बढ़ा देता है. जिन्हें स्टोन की समस्या हो, उन्हें पालक का सेवन न करने की सलाह दी जाती है. दरअसल, पालक को धोने के बावजूद अक्सर उसमें लगी हुई मिट्टी ठीक से साफ नहीं हो पाती. ये मिट्टी स्वाद में पता भी नहीं चलती है, लेकिन धीरे-धीरे करके यह स्टोन का कारण बन जाती है. आप पथरी से जूझ रहे हैं, तो रोजाना ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं.जोड़ों में दर्दऐसा माना जाता है कि पालक में प्यूरिन भी भरपूर मात्रा में उपलब्ध होता है और ये एक तरह का यौगिक होता है. विशेषज्ञों के मुताबिक ऑक्सालिक एसिड और प्यूरीन मिलकर गठिया का कारण बन जाते हैं. जिन लोगों को जोड़ों में दर्द की समस्या चल रही हो, उन्हें इस कंडीशन में पालक का सेवन न करने की सलाह दी जाती है. क्योंकि ऐसा करने पर जोड़ों में दर्द और भी बढ़ सकता है.ब्लड थिनर दवाअगर आप ब्लड को थिन करने वाली दवा ले रहे हैं, तो भी आपको पालक नहीं खाना चाहिए. रिपोर्ट्स के मुताबिक पालक में विटामिन ए भी प्रचुर मात्रा में मौजूद होता है. कहते हैं कि विटामिन ए इस दवा के साथ मिलकर रिएक्ट कर सकता है.
- बालों को प्राकृतिक रूप से काला बनाने के लिए आंवला पाउडर बेस्ट माना जाता है। आंवला में एंटीऑक्सीडेंट गुण और विटामिन ई जैसे गुण होते हैं, जो बालों को कई तरीके से फायदा पहुंचाते हैं। हेयर ग्रोथ और डैंड्रफ फ्री स्कैल्प के लिए भी यह काफी मददगार है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि सफेद बालों को कलर करने के लिए आंवला पाउडर का किन-किन तरीकों से इस्तेमाल किया जा सकता है।मेहंदी के साथ मिक्स करें आंवला पाउडरबालों को कलर करने के लिए कई महिलाएं मेहंदी का भी इस्तेमाल करती हैं। ऐसे में आप इसमें आंवला पाउडर भी मिक्स कर सकती हैं। इसके लिए पानी को हल्का गर्म कर लें और फिर उसमें मेहंदी और आंवला पाउडर मिक्स कर दें। आप चाहें तो यह काम लोहे की कढ़ाई में भी कर सकते हैं। मेहंदी और आंवला का यह पैक रात में ही बना लें और उसे सुबह अपने बालों पर लगाएं। यह ना सिर्फ सफेद बालों को कलर करेगा बल्कि उन्हें पोषण भी देगा।शिकाकाई और रीठा पाउडर के साथ करें मिक्सलोहे की कढ़ाई में शिकाकाई, रीठा और आंवला पाउडर तीनों को अच्छी तरह मिक्स कर लें। आप चाहें तो रीठा, शिकाकाई और आंवला पाउडर से कम भी ले सकते हैं। तीनों को लोहे की कढ़ाई में अच्छी तरह मिक्स करने के बाद उसे रातभर के लिए ढंक कर छोड़ दें। अगले दिन इसे अपने बालों पर लगाएं और फिर एक घंटे के लिए छोड़ दें। एक घंटे बाद आप अपने बालों को पानी से रिंस कर लें। ध्यान रखें कि शैंपू का इस्तेमाल अगले दिन करें। 2 महीने लगातार इस्तेमाल करने से आपको बेहतर रिजल्ट देखने को मिल सकता है।तेल में मिक्स करें आंवला पाउडरसर्दियों में हेयर पैक लगाना काफी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में बालों को काला बनाने के लिए आप तेल का भी इस्तेमाल कर सकती हैं। इसके लिए अपने बालों की लेंथ के अनुसार एक कटोरी में नारियल तेल लें। अब इसे एक बड़े बर्तन में रखकर गर्म करें। कुछ मिनट बाद इसमें आंवला पाउडर मिक्स कर दें। ध्यान रखें कि आपको 2 चम्मच नारियल तेल में एक चम्मच आंवला पाउडर मिक्स करना है। इसे तब तक गर्म करें, जब तक कि दोनों इंग्रेडिएंट्स पूरी तरह से काले ना हो जाएं। इसके बाद गैस ऑफ कर दें और ठंडा होने दें। ठंडा हो जाने के बाद इसे अपने बालों पर अप्लाई करें और कुछ देर के लिए छोड़ दें। फिर हर्बल शैंपू की मदद से हेयर वॉश कर लें।आंवला से बनाएं नेचुरल डाईबिना किसी इंग्रेडिएंट्स में मिक्स किए भी आप आंवला अपने बालों में लगा सकती हैं। यह नेचुरल डाई की तरह काम करता है। इसके लिए सबसे पहले कच्चा आंवला लें और उसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर उसके बीज निकाल लें। अब इन टुकड़ों को धूप में दो दिन तक सुखाएं। सूखने के बाद अपने बालों की लेंथ के अनुसार आंवला लें और उसे लोहे की कढ़ाई में रोस्ट करें। वहीं इसे तब तक रोस्ट करना है, जब तक यह पूरी तरह से काला ना हो जाए। काला हो जाने के बाद एक या डेढ़ कप पानी डालें और फिर उसे अच्छी तरह उबाल दें। उबालने के बाद सभी आंवला को मिक्सर में डालकर पीस लें। अब इसका पेस्ट वापस से कढ़ाई में रखें और रातभर के लिए ढंककर छोड़ दें। अगले दिन इसे अपने बालों पर अप्लाई करें और 45 मिनट बाद हेयर वॉश कर लें।एलोवेरा के साथ मिक्स कर लगाएं आंवला पाउडरबालों में आंवला पाउडर हेयर पैक के तौर पर भी लगाया जा सकता है। एलोवेरा के साथ मिक्स कर इसे लगाने से सफेद बालों की समस्या भी दूर होगी। इसके लिए एलोवेरा के ताजे पत्ते लें और पीसकर पेस्ट बना लें। अब आंवला पाउडर के साथ इसे मिक्स कर दें। ऊपर से हल्का गर्म पानी डालें, ताकि इसका पेस्ट तैयार हो जाए। अब इसे कुछ देर के लिए ठंडा होने दें। ठंडा हो जाने के बाद इसे अपने बालों में लगाएं। 45 मिनट बाद नॉर्मल पानी से अपने बालों को धो लें। अगले दिन शैंपू से हेयर वॉश करें।
- भारतीय रसोई हो या विदेशी, एक चीज तो हर हाल में मिलेगी ही मिलेगी और वो है सरसों का तेल। न सिर्फ खाने में बेहतर बल्कि स्वास्थ्य के लिहाज से भी बेमिसाल है। सरसों के तेल का इस्तेमाल हमारे देश में काफी ज्यादा होता है। खाने से लेकर स्किन और बालों तक के इस्तेमाल के लिए सरसों का तेल बेमिसाल है। भले ही इसका स्वाद कसैला हो लेकिन हेल्थ के लिहाज से काफी अच्छा है। अकसर कहा जाता है कि, तेल खाने में हानिकारक होते हैं, लेकिन सरसों का तेल नहीं। विशेषज्ञों के अनुसार हमारे शरीर को दैनिक जिन पोषण की जरूरत होती है, वो पोषण हमें सरसों के तेल से मिलते हैं। इसमें गुड फैटी एसिड, ओमेगा-3, गुड फैट, लिनोलिक एसिड जैसे तत्व होते हैं।-सरसों के तेल में बैड फैटी एसिड के बजाय गुड फैटी एसिड ज्यादा होते हैं। जिसके वजह से आपका दिल बीमार होने से बचा रहता है। अगर आप दिल के रोगी हैं, तो सरसों का तेल इस्तेमाल कर सकते हैं।-सरसों का तेल बैड कोलेस्ट्रोल को बढऩे नहीं देता। इससे ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहता है, और सूजन भी कम होती है।-खांसी-जुकाम या किसी भी तरह की एलर्जी से परेशान हैं, तो सरसों का तेल यहां आपका अच्छा केयर टेकर बन सकता है।-सरसों का तेल एंटीबायोटिक की तरह भी काम करता है। इसमें कैंसर की रोकथाम की भी पूरी ताकत होती है। हमारी लाइफ में सरसों का सेवन किसी डॉक्टर से कम नहीं है।-सरसों का तेल कोलेस्ट्रोल को भी कम करने में मदद करता है।-बच्चों को सरसों के तेल से मालिश करने से उनकी हड्डी मजबूत होती है। मालिश से बच्चों की ग्रोथ सही होती है।-सरसों के तेल से अगर आप मसूड़ों की मसाज करते हैं, तो प्लाक से छुटकारा मिलता है।-सरसों के तेल से बालों की मसाज करेंगे तो, बाल तेजी से बढ़ेंगे।-सरसों के तेल से डैंड्रफ से छुटकारा पाया जा सकता है।-स्किन से टैन हटाने के लिए सरसों का तेल इस्तेमाल कर सकते हैं।साइड-इफेक्ट्ससरसों के तेल में खूबियां कूट-कूटकर भरी हुई हैं। क्योंकि सरसों के तेल में सभी पोषक तत्व होते हैं। लेकिन कहते हैं न जहां इतनी खूबियां, वहीं कुछ साइड-इफेक्ट्स यानि की दुष्परिणाम भी है, जिनके बारे में जानना बेहद जरूरी है। जैसे कि लम्बे समय तक सरसों का तेल लगाए रहने से स्किन पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है। सरसों के तेल का ज्यादा सेवन आपको बीमार बना सकता है।प्रेगनेंसी के समय महिलाओं को सरसों के तेल के सेवन से बचना चाहिए। इससे बच्चे पर बुरा असर पड़ सकता है। सरसों का तेल का अधिक प्रयोग छोटे-छोटे ब्लिस्टर कारण भी बन सकता है।कहते हैं, हर चीज का संतुलन बनाकर रखना चाहिए। उसका इस्तेमाल न ही जरूरत से कम करें, और ना ही जरूरत से ज्यादा। अगर आप भी हेल्थ को लेकर काफी सजग हैं, तो आज से ही सरसों के तेल का इस्तेमाल शुरू कर दीजिये।
- सर्पगंधा एक आयुर्वेदिक औषधि है, जो एक तरह के फूल के पौधे की जड़ की तरह ही दिखती है। इसकी बनावट किसी सांप की तरह होती है। इसमें कई औषधीय गुण हंै। इस पौधे की जड़ें जितनी उपयोगी हैं, उतनी ही उपयोगी इसकी पत्तियां भी हैं। माना जाता है कि प्रेगनेंसी के दौरान अगर महिला इसके पत्तों का सेवन करती है तो, इससे होने वाले बच्चे का दिमाग काफी तेज होता है। सर्पगंधा से ऐसे कई फायदे हैं, जिनके बारे में जितना बताएं, उतना ही कम होगा। आइए जानते हैं--सर्पगंधा के सेवन से दिमाग तेज होता है।-डिप्रेशन को रोकने में मिलती है।-नींद से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं।-थकान को दूर करने में मदद मिलती है।-बुखार को जड़ से उखाड़कर फेंकता है।-स्किन के लिए भी सर्पगंधा काफी फायदेमंद है।-पेट से जुड़ी हर तरह की समस्या दूर होती है।-डाईजेशन को दुरुस्त करने में मदद मिलती है।दुष्प्रभावसर्पगंधा के जितने फायदे हैं, उतने ही उसके दुष्प्रभाव भी हैं। जैसे कि--इसका ज्यादा सेवन भूख में कमी कर सकता है।-पेट में दर्द, उल्टी आना, सिर दर्द जैसी समस्याएं भी सामने आ सकती हैं।-सांस लेने में तकलीफ, छाती में दर्द की समस्याएं हो सकती हैं।-अगर स्टोन की समस्या है तो इसके सेवन से बचें।-जो महिलाएं बच्चे को स्तनपान कराती हैं, इसका सेवन बिलकुल न करें।सर्पगंधा आयुर्वेदिक गुणों का उपहार है। यहां आपको कुछ सावधानियां बरतने की भी जरूरत है। अगर आप किसी दवा का इस्तेमाल करते हैं तो उस बीच सर्पगंधा का इस्तेमाल बिलकुल भी न करें। अगर फिर भी आप इसका सेवन करना चाहते हैं, तो किसी एक्सपर्ट की सलाह जरुर लें।
- दालचीनी का सेवन पुरूषों के लिए फायदेमंद होता है। दालचीनी को आप पीसकर उसका पाउडर बनाकर दूध के साथ या गुनगुने पानी के साथ ले सकते हैं। दालचीनी को लोग सब्जी में मिलाते हैं इसके अलावा आप दालचीनी की चाय बनाकर भी पी सकते हैं। दालचीनी में एंटीऑक्सीडेंट्स की अच्छी मात्रा होती है। इसका सेवन करने से दर्द से राहत मिलती है। दालचीनी वाला दूध पीने से शरीर को मैग्निशियम, पोटैशियम, विटामिन ए, सेलेनियम जैसे पोषक तत्व मिलते हैं। दालचीनी में एंटी-बैक्टिीरियल और एंटी-फंगल गुण होते हैं। इसके सेवन से पुरुषों को ये 5 लाभ मिलते हैं-1. इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या दूर करे दालचीनीदालचीनी का सेवन करने से पुरूषों में इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या या स्तंभन दोष की समस्या दूर होती है। इसके लिए रोजाना दालचीनी को दूध में डालकर उसका सेवन करें। इरेक्टाइल डिस्फिंक्शन की समस्या ज्यादा एल्कोहल के कारण हो सकती है या हार्मोन में बदलाव के कारण भी ऐसा होता है, इससे बचने के लिए दालचीनी का सेवन करना चाहिए। अगर किसी तरह का कोई स्किन इंफेक्शन है तो डॉक्टर की सलाह पर ही दालचीनी का सेवन करना चाहिए।2. ताकत बढ़ाए दालचीनीदालचीनी का सेवन करने से पुरूषों में ताकत बढ़ती है। दूध में एक चुटकी दालचीनी पाउडर मिलाकर पीने से शरीर में एनर्जी रहेगी। इसका सेवन हींग और अदरक के साथ भी किया जा सकता है। दालचीनी का दूध बनाने के लिए एक कप दूध में दो चम्मच दालचीनी पाउडर को अच्छी तरह से मिला लें और सोने से पहले रात में इसका सेवन करें।3. ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करे दालचीनीडायबिटीज के मरीजों के लिए भी दालचीनी का सेवन फायदेमंद माना जाता है। ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने के लिए दालचीनी का पानी या दालचीनी की चाय का सेवन किया जा सकता है। इसके साथ ही जिन पुरूषों को जोड़ों में दर्द की शिकायत है , उन्हें भी दालचीनी और दूध का सेवन करना चाहिए, हड्डियों में अकडऩ और सूजन की समस्या को दूर करने में दालचीनी फायदेमंद है। दालचीनी वाले दूध में शहद भी मिलाया जा सकता है। डायबिटीज के मरीज दवा के ठीक बाद दालचीनी का सेवन न करें, दोनों के बीच अंतराल रखें।4. मेटाबॉलिज्म को बढ़ाती है दालचीनीमेटाबॉलिज्म बढ़ाने के लिए दालचीनी फायदेमंद मानी जाती है। दालचीनी की चाय का सेवन करेंगे तो वजन भी कम होगा और मेटाबॉलिज्म रेट भी बढ़ेगा। जिन पुरूषों को अनिद्रा की समस्या है उनके लिए भी दूध के साथ दालचीनी का सेवन फायदेमंद है। डाइजेशन और पेट से जुड़ी समस्याएं जैसे कब्ज की समस्या, एसिडिटी, गैस की समस्या आदि में दालचीनी का सेवन फायदेमंद माना जाता है। इसका सेवन करने से पाचन तंत्र भी मजबूत होता है।5. इनफर्टिलिटी की समस्या दूर करे दालचीनीपुरूषों में इनफर्टिलिटी की समस्या दूर करने के लिए दालचीनी का सेवन फायदेमंद माना जाता है। इनफर्टिलिटी की समस्या को दूर करने के लिए सुबह शाम गुनगुने पानी के साथ दालचीनी पाउडर का सेवन करें। इसे घरेलू नुस्खे के तौर पर कई लोगों को फायदा होता है पर इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।नोट- दालचीनी का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
- खाना बनाने के लिए कई तरह के कुकिंग ऑयल का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन अगर आप डाइट में जैतून के तेल को शामिल करते हैं तो ये आपके लिए बेहद फायदेमंद होगा. जैतून तेल में विटामिन-ई, विटामिन के, आयरन, ओमेगा-3 फैटी एसिड और एंटीऑक्सीडेंट के गुण पाए जाते हैं. इसका सेवन हार्ट हेल्थ के लिए अच्छा माना जाता है.मोटापा कम करना चाहते हैं, तो जैतून तेल से बने खाने का सेवन करें. जैतून तेल में फैट की मात्रा बहुत कम पाई जाती है. ये वेट लॉस में मददगार होगा.जैतून का तेल कोलेस्ट्रॉल लेवल को भी कंट्रोल करता है. खाना पकाने के लिए अगर आप इसका इस्तेमाल करते हैं तो ये हार्ट हेल्थ के लिए अच्छा होगा.जैतून का तेल डायबिटीज के मरीजों के लिए भी फायदेमंद है. इससे ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद मिलेगी.जैतून का तेल इम्यूनिटी को मजबूत करेगा. इससे आप मौसमी बीमारियों से बचेंगे. खाने में जैतून के तेल का नियमित इस्तेमाल रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है.ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा कम करेहड्डियों के दर्द से राहत पाने के लिए आप जैतून तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं. जैतून तेल में कैल्शियम के अलावा, ऐसे कई गुण होते हैं जो ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या में राहत दिलाने में मददगार होंगे.
- सर्दियों का मौसम साग का मौसम कहलाता है. इस मौसम में मेथी, बथुआ, चौलाई, पालक, सरसों, कुल्फा और चने का साग आदि मिलते हैं. ऐसे में आज हम बात करेंगे चने के साग की. चने का साग (Chana Saag) सिर्फ स्वाद में ही नहीं बल्कि सेहत के लिहाज से भी काफी लाभकारी होता है और सर्दियों में अगर इसका बाजरे की रोटी के साथ सेवन किया जाए तो ये आपके शरीर को गर्माहट देता है, इम्यून सिस्टम (Immune System) को मजबूत करता है और शरीर को फ्लू, सर्दी-जुकाम, खांसी जैसी तमाम समस्याओं से बचाता है. यहां जानिए चने के साग को बनाने का तरीका.चने के साग की सामग्री250 ग्राम चने का साग, 10 से 15 लहसुन की कलियां, एक इंच अदरक का टुकड़ा, 4 से 5 हरी मिर्च, दो टमाटर, देसी घी दो चम्मच, एक चमचा सरसों का तेल, स्वादानुसार नमक, दो चम्मच बेसन, आधा चम्मच सूखा धनिया, आधा चम्मच मिर्च पाउडर और हींग आवश्यकतानुसार.बनाने का तरीका– सबसे पहले चने के साग को अच्छी तरह से धोकर बारीक बारीक काट लें. अब एक कड़ाही एक गिलास पानी डालकर गर्म करें और उबाल आने पर ये साग डाल दें और थोड़ा नमक डाल कर ढक दें. इसके बाद धीमी आंच पर पकने दें.– इस बीच आप लहसुन को छीलकर कूट लें, दो हरी मिर्च को बारीक काट लें और तीन को लंबे आकार में दो टुकड़ों में काटें. टमाटर को बारीक काट लें और अदरक को घिस लें.– बीच बीच में चने का साग चलाते रहें और इसे मैशर से मैश करते रहें. इस बीच आप बेसन को हल्का ब्राउन होने तक भून लें. ध्यान से भूनें, बेसन जलने न पाए. जब साग पक जाए तो इसमें बेसन डाल दें और मैशर से अच्छी तरह से मिक्स करें. अगर पानी कम लगे तो इसमें पानी को गर्म करने के बाद मिला सकती हैं.– इसके बाद एक अलग बर्तन में सरसों का तेल डालें और इसमें कुटा लहसुन डालें, थोड़ा सा लहसुन बचा लें. घिसी अदरक डालें. कटी हुई हरी मिर्च डाल दें और हींग डालें. इन्हें हल्का सा भूनने के बाद टमाटर डाल दें और नमक डाल दें. टमाटर को पकने दें.– इसके बाद इसमें धनिया पाउडर और मिर्च पाउडर डालें. अब इसमें चने का साग डालें और सारी चीजों को अच्छी तरह से मिक्स करें. थोड़ी देर पकाएं. इसके बाद एक बर्तन में दो चम्मच घी को गर्म करें. इसमें बचा हुआ लहसुन, थोड़ी हींग डालें और लंबी कटी हुई हरी मिर्च डालें. और साग पर इस तड़के को डालकर साग को ढक दें. 5 मिनट बाद इसे बाजरे की गर्मागर्म रोटी के साथ सर्व करें और इसमें घी डालें और इसके साथ गुड़ भी खाएं.सुझावचने के साग में अगर खट्टापन पहले से है तो आप टमाटर को स्किप कर सकती हैं. इसमें मिर्च अच्छी लगती है. लेकिन आप इसकी मात्रा को अपने स्वाद के अनुसार बढ़ा या घटा सकती हैं. अदरक को बहुत ज्यादा मात्रा में न डालें, वर्ना स्वाद बिगड़ सकता है.
- लौंग (Clove) एक ऐसा मसाला है जो हर घर की रसोई में आपको आसानी से मिल जाएगा. इसका इस्तेमाल तमाम सब्जियों, पुलाव आदि को बनाने के लिए किया जाता है. लौंग में तमाम औषधीय तत्व पाए जाते हैं. ये एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-वायरल, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल गुणों से भरपूर होती है. अगर आप सर्दी के मौसम में नियमित रूप से लौंग की चाय (Clove Tea) पीने की आदत डाल लें तो जुकाम-खांसी समेत तमाम समस्याओं से आसानी से खुद को बचा सकते हैं. लेकिन लौंग की चाय को बनाने के लिए आपको दूध का इस्तेमाल नहीं करना है. यहां जानिए लौंग की चाय के फायदे (Benefits of Clove Tea) और इसे बनाने का तरीका.लौंग की चाय के फायदे– लौंग की तासीर गर्म होती है. इस कारण ये सर्दी में शरीर को गर्म रखने का काम करती है और गले में खराश, जलन, खांसी, जुकाम आदि की समस्याओं में राहत देती है.– लौंग में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो शरीर का इम्यून सिस्टम मजबूत करते हैं. अगर आप वजन कम करना चाहते हैं तो लौंग की चाय आपके लिए काफी उपयोगी साबित हो सकती है.– लौंग आपके पाचन तंत्र को दुरुस्त करती है और आपके शरीर के मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाती है. इससे शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और आप फुर्तीले बने रहते हैं.– अगर आपके दांतों में दर्द है, मसूड़ों में सूजन है तो आपको लौंग की चाय पीनी चाहिए. ये इन समस्याओं में राहत देती है. साथ ही मुंह के बैक्टीरिया को मारती है.– लौंग की चाय आपके शरीर को डिटॉक्सीफाई करती है. स्किन से जुड़ी तमाम समस्याओं को ठीक करती है और फंगल संक्रमण से बचाव करती है.लौंग की चाय बनाने का तरीकालौंग की चाय बनाने के लिए डेढ़ कप पानी में दो लौंग अच्छी तरह कूटकर डालें. इसे उबलकर एक कप रहने दें. इसके बाद गैस बंद कर दें और चाय को एक मिनट के लिए प्लेट से ढक दें. इसके बाद चाय को छानें और इसमें एक चम्मच शहद मिक्स करें. इसके बाद चाय को पीएं. इस चाय को पीने का सबसे अच्छा समय सुबह है. लेकिन इसे बहुत ज्यादा न पीएं क्योंकि लौंग गर्म तासीर की होने के कारण नुकसान भी पहुंचा सकती है. बेहतर होगा कि इसे शुरू करने से पहले आप किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से परामर्श कर लें. वो आपकी सेहत के हिसाब से आपको लौंग की चाय पीने के बारे में सारी बातें स्पष्ट कर देंगे.
- शरीर को स्वस्थ और फिट बनाए रखने के लिए आहार का संतुलित होना सबसे आवश्यक माना जाता है। संतुलित आहार का मतलब, तरह-तरह की सब्जियां, फल, साबुत अनाज औऱ अन्य पौष्टिक चीजों का अधिक से अधिक मात्रा में सेवन। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक रोजाना फल का सेवन करना सभी लोगों के लिए बहुत आवश्यक होता है। फल खाने से आहार में विविधता आती है, साथ ही इसमें मौजूद पोषक तत्व शरीर के लिए विटामिन्स, प्रोटीन और अन्य आवश्यक तत्वों की पूर्ति कर सकते हैं। आहार विशेषज्ञ कहते हैं, बेहतर स्वास्थ्य के लिए दिन में तीन बार अलग-अलग तरह की सब्जियां खानी चाहिए, वैसे ही फलों को भी अपने आहार में शामिल बहुत जरूरी है।दैनिक आहार में दो तरह के फलों का रोजाना सेवन करना बहुत बेहतर माना जाता है। ज्यादातर फलों के सेवन से शरीर को हाइड्रेटेड रखने, वजन को कम करने और पोषक तत्वों की आसानी से पूर्ति की जा सकती है। हालांकि यहां ध्यान रखना आवश्यक है कि फलों का सेवन सही समय और सही मात्रा में किया जाए। आयुर्वेद के अनुसार भोजन के साथ फलों का सेवन नहीं करना चाहिए, क्यों? आइए आगे की स्लाइडों में जानते हैं।भोजन के साथ नहीं खाना चाहिए फलआपने भी अक्सर सुना होगा कि भोजन के साथ फलों का सेवन नहीं करना चाहिए, पर क्या आपने सोचा ऐस क्यों? आयुर्वेद के अनुसार किसी भी अन्य भोजन की तुलना में फलों को ब्रेक डाउन तेजी से होता है। ऐसे में इसे किसी भी अन्य खाद्य पदार्थ के साथ खाने से शरीर में विषाक्त पदार्थों का निर्माण हो सकता है, जिसे सामान्य भाषा में आम के नाम से जाना जाता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि कई अलग-अलग तरह के खाद्य पदार्थों का एक साथ सेवन करने से पाचन प्रक्रिया धीमी हो सकती है।इस तरह की समस्याओं का हो सकता है खतरास्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक अन्य चीजों या भोजन के साथ फलों के सेवन की स्थिति में सबसे पहले भारी भोजन का पाचन होता है, जिसके कारण फलों को लंबे समय तक बिना पचे ही पेट में रहना पड़ सकता है। यह स्थिति अपच के साथ शरीर के लिए पोषक तत्वों को अवशोषित करने में भी समस्या खड़ी कर सकती है। इसके अलावा, दूध और दही जैसे डेयरी उत्पादों के साथ फल खाने से त्वचा से संबंधित समस्याएं जैसे मुंहासे, सोरायसिस और एक्जिमा का खतरा बढ़ जाता है।फलों को खान का सही समय क्या है?आयुर्वेद के अनुसार सुबह खाली पेट फल खाना सबसे फायदेमंद माना जाता है। इस समय आपका पेट फलों से अधिकतम पोषक तत्वों को अवशोषित कर सकता है। इसके अलावा, साधारण कार्ब्स का सेवन सुबह और कसरत से पहले और बाद शाम के समय नहीं खाने चाहिए फलस्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक शाम के समय फलों का सेवन नहीं करना चाहिए। शाम को फल खाने से नींद और पाचन प्रक्रिया में गड़बड़ी हो सकती है। आयुर्वेद के अनुसार शाम 4 बजे से पहले या सूर्यास्त से पहले फल खाया जा सकता है। फलों में सिंपल कार्ब्स होते हैं जिसका अर्थ है कि उनका आसानी से ब्रेक डाउन होता है। इससे यह आपको तुरंत ऊर्जा प्रदान करने के साथ रक्त शर्करा के स्तर को तुरंत बढ़ा सकते हैं। सोने के समय रक्त शर्करा में बढ़ोतरी आपकी नींद को बाधित कर सकती है। इसके अलावा सूर्यास्त के बाद, हमारा मेटाबॉलिजम धीमा हो जाता है और पाचन तंत्र के लिए कार्ब्स को पचाना मुश्किल हो जाता है। यही कारण है कि शाम को कार्ब्स का सेवन सीमित मात्रा में करना बेहतर है।
- शरीर को स्वस्थ और फिट बनाए रखने के लिए पौष्टिक आहार का सेवन करना सबसे आवश्यक माना जाता है। पौष्टिक आहार का मतलब, ऐसी चीजों का सेवन जिससे शरीर के लिए आवश्यक मैक्रोन्यूट्रिएंट्स की आसानी से पूर्ति की जा सके। जब हम स्वस्थ शरीर की बात करते हैं, तो इसके लिए कुछ पोषक तत्वों की सबसे अधिक आवश्यकता होती है- आयरन उनमें से एक है। आयरन वह मूल घटक है जो शरीर को हीमोग्लोबिन बनाने में मदद करता है। हीमोग्लोबिन, लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जाने वाला एक प्रोटीन है जो फेफड़ों से ऑक्सीजन को पूरे शरीर के ऊतकों और अंगों तक पहुंचाता है। यदि शरीर में आयरन की कमी हो जाए तो ऊतकों तक ऑक्सीजन पहुंचने में दिक्कत हो सकती है, जो सेहत के लिए गंभीर समस्याओं का कारण बनती है।शरीर में आयरन की कमी का पता लगाने के लिए आमतौर पर खून की जांच कराने की सलाह दी जाती है, पर क्या आप जानते हैं कि शरीर में दिखने वाले कुछ संकेतों के आधार पर भी आसानी से इसका पता लगाया जा सकता है?आइए हाथों और पैरों में आयरन की कमी के कारण दिखने वाले संकेतों के बारे में जानते हैं जिनके आधार पर समस्या का आसानी से निदान किया जा सकता है?आयरन की कमी के सामान्य लक्षण क्या हैं?स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक शरीर में आयरन की कमी के कारण लोगों को एनीमिया की समस्या हो सकती है। अक्सर प्रारंभिक अवस्था में लोगों का इस तरफ ध्यान नहीं जाता है जिसके कारण बाद में गंभीर समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। आयरन की कमी के एनीमिया से संबंधित इन लक्षणों पर सभी को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।हाथों-पैरों का ठंडा हो जानास्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक आयरन की कमी के सामान्य लक्षणों के अलावा कुछ लोगों को हाथों और पैरों में भी इसके संकेत महसूस हो सकते हैं। जिन लोगों के शरीर में आयरन की कमी होती है उनके हाथ और पैर अक्सर ठंडे बने रहते हैं। यदि आपको भी लगातार इस तरह की समस्या का अनुभव होता है तो इस बारे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करके समस्या का निदान कराना आवश्यक हो जाता है।क्यों होता है शरीर में आयरन की कमी?स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसे कई कारण है जिनके चलत शरीर में इस बेहद आवश्यक मैक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी हो सकती है। रक्त में मौजूद लाल रक्त कोशिकाओं के भीतर आयरन होता है, कई स्थितियों में शरीर से खून ज्यादा निकल जाने के कारण आयरन की कमी हो सकती है। माहवारी के कारण महिलाओं को आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया का खतरा अधिक होता है। इसके अलावा भोजन में पौष्टिकता और आयरन वाली चीजों की कमी के कारण भी इस समस्या आयरन की पूर्ति कैसे करें?अध्ययनों से पता चलता है कि यदि हम अपने आहार को सही कर लें तो शरीर में आयरन की कमी को आसानी से पूरा किया जा सकता है। इसके लिए उन चीजों का अधिक से अधिक सेवन किया जाना चाहिए जिसमें आयरन की मात्रा अधिक होती है। रेड मीट और पोल्ट्री, समुद्री भोजन, बीन्स, गहरी हरी पत्तेदार सब्जियां, जैसे पालक, सूखे मेवे, जैसे किशमिश और खुबानी आदि को आयरन का अच्छा स्रोत माना जाता है। आहार में इन चीजों को जरूर शामिल किया जाना चाहिए।
- मौसम में बदलाव के साथ लोगों को सर्दी-जुकाम की समस्याएं हो ही जाती हैं। ऐसे में अगर किसी को बगलम वाली खांसी हो जाए तो उसे कुछ चीजों से परहेज करना चाहिए। जैसे कि मलाईदार दूध और तली-भूनी चीजें। दरअसल, ये दोनों ही चीजें बलगम को और बढ़ा सकती हैं जो कि सीने को जकड़ लेती है और खांसी और कंजेशन को बढ़ा देती है। ऐसे में हम आपके लिए कुछ ऐसे ड्रिंक्स लाएं हैं जिसे आप बलगम वाली खांसी के दौरान ले सकते हैं। इन ड्रिंक्स की खास बात ये हैं कि इनमें एंटी बैक्टीरियल, एंटी वायरल और कुछ एंटीऑक्सीडेंट गुण हैं। साथ ही इनमें कुछ ऐसे गुण भी हैं जो कि सीने में कफ को पिघला देते हैं और उन्हें बाहर निकालने में मदद करते हैं। साथ ही खांसी करने के बाद ये खराब गले को भी आराम पहुंचाने में मदद करते हैं। तो, आइए जानते हैं ऐसे ही 5 ड्रिंक्स के बारे में जिन्हें आप खांसी होने पर ले सकते हैं।1. तुलसी-गिलोय ड्रिंकखांसी में आप तुलसी और गिलोय से बना ये खास ड्रिंक ले सकते हैं। जैसा कि तुलसी खांसी को ठीक करने के लिए हमेशा से जाना जाता रहा है। इसका एंटीबैक्टीरियल और एंटी वायरल गुण मौसमी इंफेक्शन के असर को कम करता है और खांसी से राहत दिलाता है। साथ ही गिलोय एंटीबायोटिक गुणों से भरपूर है जो कि शरीर में ताप बढ़ा कर कफ को पिघलाने में मदद करता है। इसके अलावा ये दोनों मौसमी फ्लू और बुखार को कम करने में भी मदद करते हैं। इस ड्रिंक को बनाने के लिए तुलसी की पत्तियों और गिलोय के जड़ों को एक साथ पीस कर रख लें, फिर एक पैन में ये पेस्ट डालें। दालचीनी को कूट कर इसका पाउडर डालें। -शहद और हल्का सा नमक मिलाएं। आधा गिलास पानी मिलाएं। उबलने के बाद इसे एक गिलास में डाल लें। अब दिन में दो बार पिएं।2. लौंग-गुड़ शरबतलौंग बलगम वाली खांसी काफी मददगार है। लौंग में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल, एंटीऑक्सीडेंट और एंटीसेप्टिक जैसे कई गुण पाए जाते हैं। ये जहां गले की खराश भी खत्म करता है वहीं कफ को बाहर निकालने में भी मदद करता है। इसके अलावा गुड़ की तासीर गर्म होने के कारण यह सर्दी, जुकाम और खांसी में खासतौर पर फायदेमंद है। गुड़ शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है और इसका एंटी एलर्जिक तत्व सांस की बीमारियों से बचाव में मदद करता है। इसके लिए एक ग्लास पानी को उबलने डाल दें। अब इसमें लौंग और अदरक कूट कर डालें। गुड़ डालें और पूरा उबलने दें। अब जब पूरी तरह से शरबत तैयार हो जाए तो, इसका सेवन करें।3. अनानास का जूसब्रोमेलैन एक एंजाइम है जो अनानास से आता है। ब्रोमेलैन में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं और इसमें म्यूकोलाईटिक गुण भी हो सकते हैं, जिसका अर्थ है कि यह बलगम को तोड़ सकता है और इसे शरीर से निकाल सकता है। कुछ लोग गले में बलगम को कम करने और खांसी को दबाने के लिए रोजाना अनानास का जूस पीते हैं। पर ध्यान रखें कि जो लोग ब्लड थिनर या विशिष्ट एंटीबायोटिक्स लेते हैं उन्हें ब्रोमेलैन नहीं लेना चाहिए। लेकिन स्वस्थ व्यक्ति जिसे बलगम वाली खांसी है वो इसे ले सकता है।4. नींबू और शहद से बनी ड्रिंकनींबू और शहद दोनों ही एंटीबैक्टीरियल है और बलगम वाली खांसी को कम करने में मदद कर सकती है। दरअसल, नींबू में विटामिन-सी होता है और शहद के साथ इसे लेने से ये गले में जमे हुए कफ से भी छुटकारा दिलाने में मदद करता है। क्योंकि नींबू में सिट्रिक एसिड होता है जो कि कफ तोड़ता है और शहद गले को आराम दिलाता है। इस ड्रिंक के लिए एक गिलास पानी गर्म करें। इसमें हल्का सा नींबू का रस, अदरक और दालचीनी मिला लें। अब उबालने के बाद इसे छान लें। शहद मिला कर इसका सेवन करें।5. कहवाकहवा में मौजूद मसाले आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं और मौसमी संक्रमणों को दूर रखते हैं। ये कफ को कम करता है और इसके ताप से कफ पिघलता है और बाहर निकलने लगता है। इसके लिए हरी चाय की पत्तियों के साथ, दालचीनी और केसर मिलाएं। फिर इसमें कटे हुए बादाम डालें और इसका सेवन करें।इस तरह ये 5 ड्रिंक आपको कफ और फ्लू से बनाव में मदद करते हैं। इसके अलावा ये इम्यूनिटी बूस्टर भी हैं जो कि शरीर की मौसमी बीमारियों से बचाव में मदद करते हैं।