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जगद्गुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 189
०० जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज के श्रीमुख से निःसृत प्रवचनों से 5-सार बातें (भाग - 10) ::::::
(1) संसार में जो प्यार करते हैं उसे आसक्ति कहते हैं, वह दिव्य प्रेम नहीं है। आसक्ति का अर्थ है प्रतिक्षण घटमान और प्यार का लक्षण है प्रतिक्षण वर्धमान।
(2) भगवत्प्राप्ति के पहले कभी भी अपने को माननीय न मानो। जब तक माया के अंडर में हो तब तक क्यों सोचते हो कि मैं प्रशंसा के योग्य हूँ?
(3) कोई काम भगवान या संत का समझ में आ जाय तो बड़ी कृपा उसकी समझो लेकिन सब काम समझ में आ जायें, यह भगवत्प्राप्ति के पहले त्रिकाल में भी असंभव है क्योंकि जिस बुद्धि से हम नापते हैं, उस बुद्धि से उसको समझा नहीं जा सकता, नापा नहीं जा सकता और अच्छा या बुरा क्या होता है, यह भगवान और संत ही समझ सकता है।
(4) कुछ लोगों की अपनी मजबूरी होती है, यह बात अलग है लेकिन अधिकांश लोग मन की कमजोरी से नुकसान उठाते हैं।
(5) भगवान शरणागत पर कृपा करता है। वह अपने इस कानून पर दृढ़ है। लेकिन अपने दुराग्रह को छोड़कर हम भी उसकी ओर अभिमुख नहीं होते।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज०० सन्दर्भ ::: अध्यात्म संदेश एवं साधन साध्य पत्रिकाएँ०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन। - प्राय: व्यक्ति की जन्म कुंडली में सूर्य से जुड़ी हुईं समस्याएं तो मौजूद रहती ही हैं। अगर किसी व्यक्ति का सूर्य कमजोर होता है तो आदमी के जीवन में संघर्ष बना रहता है। संघर्ष करने के बाद भी सफलता दूर-दूर तक नजऱ नहीं आती है। फिर आदमी निराश और परेशान हो जाता है।सूर्य कुंडली में आत्मबल, आत्मविश्वास व ऊर्जा का कारक माना जाता है। अगर कुंडली में किसी जातक का सूर्य कमजोर होता है तो उस जातक के जीवन में पैसा कम व संघर्ष ज्यादा बन जाता है। जीवन में आगे बढऩे के लिए और संघर्ष को खत्म करने के सूर्य का कुंडली में बलि होना अति आवश्यक बन जाता है। कुंडली में पीड़ा के कारणों में सूर्य का कमजोर होना तो बहुत ही आम बात है। अगर कुंडली में सूर्य अच्छी स्थिति में है तो व्यक्ति को नई ऊर्जा शक्ति प्राप्त होती रहती है।बारह मुखी रुद्राक्ष है एक उपायबारह मुखी रुद्राक्ष भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है। इसके देवता सूर्य हैं। सूर्य व्यक्ति को शक्तिशाली तथा तेजस्वी बनाता है। बारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से सूर्य का ओज एवं तेज प्राप्त होता है।बारह मुखी रुद्राक्ष के फायदेसिद्ध बारह मुखी रुद्राक्ष व्यक्ति की गरीबी को दूर कर सकता है। इस रुद्राक्ष के कारण परिवार को सुख एवं संपत्ति प्राप्त होती रहती है। शास्त्रों में सूर्य देव के इस रुद्राक्ष को अश्वमेघ के समान शक्तिशाली बताया गया है। इस रुद्राक्ष द्वारा दु:ख, निराशा , कुंठा , पीड़ा और दुर्भाग्य का नाश होता है। व्यक्ति सूर्य की भांति यशस्वी बनता है।स्वास्थ्य के लिए बारह मुखी रुद्राक्ष के लाभयदि कोई व्यक्ति बहुत जल्दी-जल्दी बीमार हो जाता है या मानसिक रूप से कोई जातक परेशान रहता है तो ऐसे में बारह मुखी रुद्राक्ष उस व्यक्ति के लिए ब्रह्मास्त्र के समान है। हृदय रोग, फेफड़ों के रोग और त्वचा रोग संबंधी सभी प्रकार की शारीरिक एवं मानसिक परेशानियों का यह रुद्राक्ष नाश करता है।कैसे करें बारह मुखी रुद्राक्ष का प्रयोगबारह मुखी रुद्राक्ष को अच्छे मुहूर्त में रविवार के दिन धारण करने से व्यक्ति को इस रुद्राक्ष का पूरा-पूरा लाभ होता है। ध्यान रखने योग्य बात यह है कि यह रुद्राक्ष मंत्रों द्वारा सिद्ध किया गया हो।
- किसी भी परिवार की सुख समृद्धि उसके घर के माहौल पर भी निर्भर रहती है। घर में सकारात्मक माहौल बनाने के लिए ज़रूरी है कि आपके घर की सजावट वास्तु नियमों के अनुरूप हो। घर में अलग-अलग जगहों पर की गई इंटीरियर डेकोरेशन का भी हमारे जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है। सकारात्मक सोच की उत्पत्ति आपके आवास स्थल पर मौजूद सकारात्मक ऊर्जा पर निर्भर करती है। आइये जानें... कौन से उपाय करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नहीं हो पाता है और सुख-समृद्धि आती है।.शुभ-लाभ का हो प्रवेश द्वारवास्तु में प्रवेश द्वार को बहुत अहम् माना गया है। यह घर का आइना होता है, इसे हमेशा साफ़-सुथरा रखें। यहां ज्यादा तड़क-भड़क वाली तस्वीरें न लगाकर शुभ प्रतीक चिह्न जैसे स्वास्तिक, ओं, कलश, पवनघंटी, शंख, मछलियों का जोड़ा या आशीर्वाद मुद्रा में बैठे गणेश जी लगाना शुभकारक रहता है। फ्रैश अथवा प्लास्टिक की फूल-पत्तियों के तोरण से भी द्वार को सजाया जा सकता है।तस्वीर लगाने में रखें ध्यानघर में जिन तस्वीरों को लगाना अनुचित माना गया है। वे हैं युद्ध के रक्त रंजित दृश्य, उजाड़ लैंडस्केप, सूखे पेड़ एवं अवसाद फैलाने वाले दृश्य। जिन जानवरों की तस्वीरें लगाना शुभ हैं। उनमें घोड़े की तस्वीर लगाना शामिल है। घोड़े बलिष्टता, विस्तार, गति और पौरुष बल का प्रतिनिधित्व करते हैं। घोड़े का शोपीस या भागते हुए घोड़ों की तस्वीर पूर्व या उत्तर-पश्चिम दिशा में लगाने से काम में गति आती है। धैर्य का प्रतीक हाथी की तस्वीर उत्तर या दक्षिण दिशा में लगाने से यश एवं प्रसिद्धि निश्चित प्राप्त होते हैं। शांति और प्रचुरता की प्रतीक गाय को पूर्व, दक्षिण-पूर्व में रखने से दु:ख और चिंताएं समाप्त होकर इच्छाओं की पूर्ती होने में मदद मिलती है।समृद्धि देंगे पौधेहरे-भरे पौधे देखने से मन को सुकून मिलता है। वहीं तनाव दूर होता है, ख़ुशी महसूस होती है। घर के पूर्व या उत्तर में मनीप्लांट, बैम्बू बंच या कोई छोटा इंडोर प्लांट जैसे पौधे रखना सुंदरता के साथ-साथ समृद्धिकारक भी माने गए हैं। ध्यान रहे सूखे, कांटेदार और बोन्साई पौधे निराशा के सूचक हैं, इन्हें न लगाएं। घर की उत्तर दिशा की तरफ हरे-भरे जंगल अथवा लहलाती फसलों का चित्र लगाने से एक साथ कई लाभ प्राप्त होते हैं। इससे आपके द्वारा किए गए कार्यों को कीर्ति, प्रतिष्ठा एवं विकास तो मिलता ही है। साथ में उन कार्यों से धन का आगमन भी होता है।लाइट न कम न ज़्यादावास्तु के अनुसार घर में प्रकाश की व्यवस्था पर्याप्त होनी चाहिए। प्रकाश की कमी तरक्की में बाधक, कार्यों में विघ्न एवं बहस आदि का कारण भी बन सकती है। अगर लाइट बहुत तेज़ या कम है तो आपकी आंखों पर बुरा असर पड़ता है वहीं सही प्रकाश न होना वास्तु दोष भी उत्पन्न करता है और वहां पर नकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगता है।-मधुर दाम्पत्य जीवन के लिए मास्टर बैडरूम में दो हंसों का जोड़ा या दो लव बड्र्स रखें या फिर राधा कृष्ण की तस्वीर उत्तर दिशा में लगाएं।-सोई में नकारात्मक ऊर्जा के प्रवेश को रोकने के लिए बाहर के जूते-चप्पल न लेकर आएं। गैस स्टोव दक्षिण-पूर्व दिशा में एवं पानी का कलश उत्तर-पूर्व दिशा की तरफ रखें।- हरी-भरी एक तुलसी का पौधा ईशान कोण में रखें। इसमें नियमित रूप से शुद्ध जल दें और शाम के समय इसके नीचे घी का दीपक जलाएं,ऐसा करने से आपके परिवार पर महालक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी।-दिशाओं के अनुरूप परदों के रंग और डिज़ाइन का सही चयन करना चाहिए। ऐसा करने से न केवल आपका घर खूबसूरत लगेगा बल्कि आपको सुकून भी महसूस होगा। परदों के द्वारा घर के सभी कमरों में सकारात्मक वास्तु को संतुलित किया जा सकता है।-घर में उत्तर दिशा, ईशान दिशा, पूर्व दिशा में हल्का सामान रखना लाभकारी है। वहीं भारी फर्नीचर को दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखना शुभ फलों में वृद्धि करेगा।
- आंखें केवल देखने का कार्य ही नहीं करती हैं, बल्कि समुद्रशास्त्र के मुताबिक किसी व्यक्ति की आंखों का रंग देखकर बताया जा सकता है कि उसका स्वभाव कैसा है या फिर वह विश्वसनीय है या नहीं। हालांकि इससे किसी भी व्यक्ति के बारे में कुछ पक्के तौर पर दावा नहीं किया जा सकता, लेकिन आंखों को देखकर व्यक्ति के बारे में बहुत कुछ जाना जा सकता है। तो चलिए जानते हैं कि किसी रंग की आंख वाले व्यक्ति कैसे होते हैं।काली आंखों वालेआंखों की पुतली का काला रंग सबसे सामान्य होता है। समुद्रशास्त्र के मुताबिक काली आंखों वाले लोग सबसे ज्यादा विश्वसनीय और जिम्मेदारियों को समझने वाले होते हैं। इन लोगों पर भरोसा किया जा सकता है। ये अगर किसी को वादा करते हैं तो निभाते हैं। इसके साथ ही ये समय के पाबंद होते हैं। ये एक अच्छे प्रेमी साबित होते हैं। इन्हें महत्वपूर्ण पदों पर कार्य करने का अवसर प्राप्त होता है। जिसके लिए ये मन लगाकर परिश्रम भी करते हैं।भूरी आंख वालेभूरी आंख वाले लोगों का मनोबल मजबूत होता है। इन्हें सृजनात्मक कार्य करना अच्छा लगता है। ये अत्यंत उत्साही और सक्रिय स्वभाव के होते हैं। इनमें बस एक कमी होती है कि ये मौके पर अपनी बात कहने से अक्सर चूक जाते हैं।हरी आंख वालेहरे रंग की आंख बहुत कम लोगों की होती हैं। जिन लोगों की आंखे हरी होती हैं उन्हें लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करना पसंद होता है। ये लोग उत्सव, आयोजन आदि में ज्यादा रूचि रखते हैं। हरी आखों वाले सभी के प्रिय पात्र बने रहते हैं, लेकिन इन लोगों में ईष्र्या की भावना अधिक रहती है।नीली आंख वालेजिन लोगों की आंखें नीली होती हैं वे राजसी ठाट-वाट वाले स्वभाव के होते हैं। इनका स्वाभाव शांत और धैर्य वाला होता है, लेकिन इन्हें बड़प्पन और के साथ दिखावा भी पसंद होता है। ये लोगो दूसरों की मदद करने में आगे रहते हैं। इन लोगों के लिए सामाजिक मान मर्यादा और आत्म सम्मान का बहुत मायने रखता है।ग्रे रंग की आंखों वालेग्रे रंग की आंखों वाले लोग अपनी धुन के पक्के और होने से साथ ही अच्छी विश्लेषण क्षमता रखते हैं, लेकिन इनमें कमी होती है कि ये लोग कान के कच्चे होते हैं। कई बार अव्यवहारिक होकर सोचते हैं जिसके कारण अत्यधिक पूर्वाग्रही हो जाते हैं।
- जगद्गुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 188
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज विरचित 1008-ब्रजभावयुक्त दोहों के विलक्षण ग्रन्थ 'श्यामा श्याम गीत' के दोहे, ग्रन्थ की प्रस्तावना सबसे नीचे पढ़ें :::::::
(भाग - 9 के दोहा संख्या 45 से आगे)
मन को भरोसा दिलाओ आठु यामा।तेरे तो हैं परम हितैषी श्याम श्यामा।।46।।
अर्थ ::: अपने मन को यही विश्वास दिलाओ कि श्यामा श्याम के अतिरिक्त तेरा कोई हितैषी नहीं है।
और द्वार जाओ न अनन्य बनो बामा।त्रिगुण, त्रिताप, त्रिकर्म, काटें श्यामा।।47।।
अर्थ ::: जीव को अनन्य आश्रय एकमात्र श्रीराधा का ही ग्रहण करना चाहिये। द्वार-द्वार भटकने से क्या लाभ? जीव के त्रिगुण (सतोगुण, रजोगुण एवं तमोगुण) त्रिताप (दैहिक, दैविक, भौतिक) त्रिकर्म (संचित, प्रारब्ध, क्रियमाण) शरण में जाते ही समाप्त हो जायेंगे।
मूर्ख कर्म करे स्वर्ग हित कह बामा।ज्ञानी मुक्ति धाम पाये, भक्त हरि धामा।।48।।
अर्थ ::: मूर्ख व्यक्ति सकाम कर्म द्वारा स्वर्ग को प्राप्त करता है। ज्ञानी भी श्रीकृष्ण भक्ति द्वारा मुक्ति प्राप्त कर लेता है किंतु भक्त हरिधाम को ही प्राप्त कर लेता है।
वेद धर्म पालन ते मिले स्वर्ग धामा।श्याम प्रेम ते ही मिले गोलोक बामा।।49।।
अर्थ ::: वेद-वर्णित धर्म का पालन करने से स्वर्ग की प्राप्ति हो सकती है। किंतु श्यामसुन्दर के लोक (गोलोक) की प्राप्ति तो श्रीकृष्ण-प्रेमियों को ही होगी.
निंदनीय देवी देव भक्ति निष्कामा।वन्दनीय श्यामा श्याम भक्तिहूँ सकामा।।50।।
अर्थ ::: देवताओं की निष्काम भक्ति भी निंदनीय है। श्यामा श्याम की सकाम भक्ति भी वन्दनीय है।
०० 'श्यामा श्याम गीत' ग्रन्थ का परिचय :::::
ब्रजरस से आप्लावित 'श्यामा श्याम गीत' जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की एक ऐसी रचना है, जिसके प्रत्येक दोहे में रस का समुद्र ओतप्रोत है। इस भयानक भवसागर में दैहिक, दैविक, भौतिक दुःख रूपी लहरों के थपेड़ों से जर्जर हुआ, चारों ओर से स्वार्थी जनों रूपी मगरमच्छों द्वारा निगले जाने के भय से आक्रान्त, अनादिकाल से विशुध्द प्रेम व आनंद रूपी तट पर आने के लिये व्याकुल, असहाय जीव के लिये श्रीराधाकृष्ण की निष्काम भक्ति ही सरलतम एवं श्रेष्ठतम मार्ग है। उसी पथ पर जीव को सहज ही आरुढ़ कर देने की शक्ति जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की इस अनुपमेय रसवर्षिणी रचना में है, जिसे आद्योपान्त भावपूर्ण हृदय से पढ़ने पर ऐसा प्रतीत होता है जैसे रस की वृष्टि प्रत्येक दोहे के साथ तीव्रतर होती हुई अंत में मूसलाधार वृष्टि में परिवर्तित हो गई हो। श्रीराधाकृष्ण की अनेक मधुर लीलाओं का सुललित वर्णन हृदय को सहज ही श्यामा श्याम के प्रेम में सराबोर कर देता है। इस ग्रन्थ में रसिकवर श्री कृपालु जी महाराज ने कुल 1008-दोहों की रचना की है।
०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन। - सामान्य रूप से पर्स (वॉलेट) का उपयोग पैसों को रखने के लिए किया जाता है, लेकिन कई बार हम पर्स में ऐसी चीजें भी रख देते हैं, तो नकारात्मकता लाती हैं। इससे वास्तुदोष भी होता है। आइये देखें हमें पर्स में क्या नहीं रखना चाहिए।गैर जरूरी कागजातवास्तु के अनुसार, पर्स में पुराने पड़े गैर जरूरी कागजात को रखने से धन नहीं ठहरता है। मां लक्ष्मी को साफ-सफाई पसंद है इसलिए पर्स में कोई भी बेकार के कागजात ना रखें ।कटे-फटे नोटवास्तु के अनुसार पर्स में रखे नोट मां लक्ष्मी का स्वरूप माने जाते हैं। इसलिए अपने पर्स में कटे फटे नोट नहीं रखने चाहिए। ये नोट आपके किसी भी काम में नहीं आएंगे। बेहतर होगा कि आप इन्हें अपने पर्स से दूर रखें। यह आपके पर्स में नकारात्मकता बढ़ाते हैं।देवी-देवताओं की तस्वीरअक्सर देखने में आता है कि हम अपने पर्स में देवी-देवताओं की तस्वीर रखते हैं। लेकिन वास्तु के नियमानुसार पर्स में ऐसी तस्वीरें नहीं रखनी चाहिए। आप पर्स में भगवान के यंत्र को रख सकते हैं। इससे आपके पर्स में धनागमन बना रहेगा।मृत व्यक्ति की तस्वीरहमारा पर्स मां लक्ष्मी का निवास स्थान माना जाता है। इसमें मृत व्यक्ति की तस्वीर को रखना अशुभ होता है। यदि आप अपने पर्स में किसी मृत व्यक्ति की फोटो को रखे हुए हैं तो उसे तुरंत निकाल दें। पर्स में ऐसी चीजें नकारात्मक को निमंत्रण देती हैं।उधारी के कागजअपने पर्स में हम कई तरह की पर्चियां, रसीद आदि रखते हैं, लेकिन वास्तु शास्त्र के अनुसार, पर्स में कभी भी उधार की पर्चियां या रसीद नहीं रखनी चाहिए। उधार की पर्चियां पर्स में होना अशुभ माना जाता है। इससे उधारी बढ़ती है।पुराने बिलपुराने बिलों को अपने पर्स में नहीं रखना चाहिए। साथ ही पर्स में भूलकर भी ब्लेड या चाकू ना रखें। वास्तु के नियमानुसार ऐसी चीजें पर्स में होने से धन की समस्या बढ़ती है और जीवन में आर्थिक परेशानी बनी रहती है। महिलाएं अक्सर पर्स में छोटा चाकू रखकर चलती हैं। यदि आप भी इनमें से एक हैं, तो आज ही इसे पर्स से निकाल दें। पर्स पैसा रखने के लिए होता है, न कि फालतू चीजों का स्टोरेज।
- जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 187
साधक का प्रश्न ::: महाराज जी! ये काम, क्रोध, वाले दोष दूर क्यों नहीं हो रहे हैं, जबकि हम रोजाना प्रवचन सुनते हैं, कीर्तन करते हैं, इनमें न्यूनता क्यों नहीं आ पाती है, जैसे अभी आपने कहा, जरा सा किसी का धक्का लग गया, तो तुरन्त क्रोध हो जाता है, यह बात बिल्कुल सत्य है। तो महाराज जी! तेजी से अंतःकरण शुद्ध हो, वो स्थिति क्यों नहीं बन पा रही है, कैसे ठीक हो?
जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा उत्तर ::: मधुसूदन सरस्वती ने वृन्दावन में गोवर्धन की परिक्रमा किया और भगवान नहीं मिले। फिर किया, फिर किया, फिर किया और बहुत दिन करते रहे परिक्रमा, तब भगवान के दर्शन हुए, तो मधुसूदन ने पीठ कर लिया भगवान की तरफ, वो रूठ गए, कहने लगे तुम इतनी देर में क्यों आए?
तो भगवान ने दिखाया, उनके पापों का पहाड़ कि तुम्हारे इतने पाप थे कि ये सब जल जायँ, भस्म हो जायँ, तब तो मैं आऊँ। तो अनन्त जन्मों के पाप हमारे हैं, इतना गंदा अंत:करण है कि अगर कपड़ा थोड़ा मैला है तो एक बार साबुन लगाओ साफ हो गया और अगर धोया ही नहीं है कभी, 24 घण्टे ये भी फीलिंग नहीं है अभी कि भगवान हमारे अंत:करण में बैठा है, छोटी सी बात। भगवान हमारे अंत:करण में नित्य रहता है, ये सुना है, पढ़ा है? हाँ। और भगवान सर्वव्यापक है? हाँ। पर मानते हो? एक घण्टा भी नहीं मानते, 24 घण्टे में। तो साधना क्या कर रहे हो? जो बड़ा भारी फल मिल जाए तुमको। साधना गलत कर रहे हो, लापरवाही कर रहे हो, अपनी प्राइवेसी रख रहे हो। हम जो सोच रहे हैं, कोई नहीं जानता। वो बैठा-बैठा नोट कर रहा है, कहते हो कोई नहीं जानता।
अगर सही साधना लगातार करता रहे, करता रहे तो एक दिन लक्ष्य प्राप्त हो जाएगा, असम्भव नहीं है, बड़े बड़े पापात्मा महापुरुष बने हैं, इतिहास साक्षी है। लेकिन थोड़ी साधना करो, बहुत बड़ा फल चाहो ऐसा नहीं हो सकता। अपने आपको धिक्कारो, अपनी कमी मानो। हम लैक्चर सुन लेते हैं, कीर्तन आरती कर लेते हैं, ये कोई साधना है?
उनके लिए आँसू बहाओ और हर समय, हर जगह महसूस करो, कि वो हमारे साथ हैं, ये साधना है, असली। अहंकार से युक्त हो करके मनुष्य कीर्तन में बैठा, तो आराम से मुँह से बोल रहा है, न रूपध्यान कर रहा है, न आँसू बहा रहा है। ये सब लापरवाही है। उसको पता नहीं है कि कल का दिन मिले या न मिले। रात को ही हार्टफेल हो जाए क्या पता? यही लापरवाही हमने हर मानव-देह में किया। अनन्त बार हमें मनुष्य का शरीर मिला, बहुत दुर्लभ है, फिर भी मिला। और हर मानव देह में हमने क्या किया? माँ, बाप में, सब में, पड़ोसी में, लग गए चौबीस घण्टे। एम. ए. करो, डी. लिट् करो, पी. एच. डी. किया, ये किया वो किया। अब क्या करें? अब सर्विस करो, सर्विस ढूँढ़ा जगह-जगह परेशान हुए, नहीं३ मिली, फिर मिल गई सर्विस अब क्या करो? अब ब्याह कर लो। उसके बाद 2-4-6 बच्चे हो गए, अब फिर उनका पालन-पोषण करो और उनके दुःख में दुःखी हो। बुढ़ापा आ गया, नाती पोते हो गए, अब उन्हीं का चिन्तन, मनन, एक्टिंग में चले गए मन्दिर अपने घर में ही 2 मिनट बैठ गए। ये क्या है?
ये तो जान बूझकर जैसे मनुष्य शरीर को समाप्त करना चाहते हैं और कहते हैं, अपने बेटे से, देखो बेटा मैं तो 70 साल का हो गया, मेरी तो बीत गई, तुम अपनी सोचो। मेरी तो बीत गई। क्या बीत गई, जब तुम मरोगे तो क्या रिकार्ड होगा? कहाँ जाओगे ? अरे जो होगा देखा जाएगा। देखा नहीं जाएगा। भोगा जाएगा। बड़ा कमाल दिखाया तुमने, दस-बीस कोठी बना ली, दस-बीस करोड़ कमा लिया, 10-20 बच्चे पैदा कर लिए। अरे, ये सब क्या है ? वो तो कुत्ते, बिल्ली भी करते हैं इसमें तुमने कौन सा कमाल किया। सब पशु-पक्षी पेट भरते हैं, अपना।
तो जिस काम को करने के लिए प्रतिज्ञा की थी माँ के पेट में, भगवान से कि महाराज हमें निकालो इस नरक से, हम आप ही का भजन करेंगे, वो भूल गए। और सब की देखा देखी, वह उधर भाग रहा है, तुम भी भागो। सब लोग भाग रहे हैं, मैटीरियल साइड में कि यहीं आनन्द है, एक लाख में, एक करोड़ में, एक अरब में, बस भागे जा रहे हैं, किसी से पूछ तो लेते कि अरबपति किस हाल में है, क्यों भई आपका क्या हाल है ? तो अगर बोलेगा वह ईमानदारी से तो कहेगा, कि दिन-रात टेंशन है, और नींद की गोली खाकर सोते हैं उसी सीट पर जाना चाहते हो? अरे शरीर चलाने के लिए भी कर्म करना है, ये सही है, लेकिन ये लिमिट में करो, रोटी दाल मिल जाय, बस।
परवाह होनी चाहिए, देखो बच्चों को, छ: आठ महीने तो मटरगशती करते हैं, पढ़ाई में, और जब परीक्षा को एक महीने रह गए तो सारी रात जागते हैं, पढ़ते हैं, अगर ऐसी पढ़ाई शुरू से ही किए होते तो टॉप करते। हम लोगों को कोई जब संसारी मुसीबत आ गई, बेटा सीरियस है, ये है, वो है- भगवान! हम मान गए तुम हो, अच्छा, अब कृपा करके इसको ठीक कर दो। ऐसे फिर भगवान कहते हैं- बेवकूफ बनाने के लिए हम ही मिले हैं, तुमको। हमेशा तो तुम लापरवाह रहे।
सोचो, बार बार सोचने से साधना होगी। बार-बार फील करना, अरे इतनी उम्र बीत गई अब अगर जिन्दा भी रहे तो बुढ़ापे में क्या करोगे? जल्दी करो। सबको पता है कि हम माया के अण्डर में हैं, काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या, द्वेष सब भरा हुआ है, सबके अन्दर। लेकिन इन्हीं दोषों में से एक दोष किसी का कोई कह दे, आप जरा क्रोधी हैं, आप जरा लोभी हैं, आप जरा स्वार्थी हैं, आप जरा मक्कार हैं। सही बात तो कह रहा है। क्यों फील करते हो? तुमको तो पता है, हाँ यह बात ठीक कह रहा है। कोई व्यापारी है, उसे कहते हैं ये व्यापारी है, सेठ जी हैं, वह बुरा तो नहीं मानता। हमको कलैक्टर कहो। तुम जो कुछ हो, उसी में से तो कोई कुछ कहेगा। अरे वो बड़ा स्वार्थी है। अरे भला बताओ स्वार्थी तो- महापुरुष, भगवान संसार भर है, कौन स्वार्थी नहीं है। अपना असली हो या नकली हो, स्वार्थ सब स्वार्थ है।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज०० सन्दर्भ ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज साहित्य०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन। - हिन्दू धर्मग्रंथों के लिए पेड़ पौधे बहुत आवश्यक होते हैं। धार्मिक दृष्टि से भी पेड़ों का बहुत महत्व माना जाता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार कई ऐसे पेड़ पौधे बताए गए हैं जिन्हें घर में लगाने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है, तो वही कई पौधे ऐसे भी है जिन्हें घर में लगाने से नकारात्मकता बढ़ती है। इन पौधों को घर में लगाने से आपके घर में अशांति, और दरिद्रता का वास होने लगता है। कहा जाता है कि कुछ पौधों को कभी घर में नहीं लगाना चाहिए अन्यथा आपका सौभाग्य भी दुर्भाग्य में बदल सकता है।इमली का पौधावास्तुशास्त्र के अनुसार घर के अंदर कभी भी इमली का पौधा नहीं लगाना चाहिए। घर के आस-पास भी इमली का पौधा होना शुभ नहीं माना जाता है। जिन घरों के पास या घर में इमली का पौधा होता है, वहां रहने वाले लोगों के जीवन में विभिन्न समस्याएं आने लगती हैं, परिवार के सदस्यों को बीमारियों का सामना करना पड़ता है। परिवार के सदस्यों की तरक्की में भी रूकावट आने लगती हैं।खजूर का पेड़वैसे तो खजूर का पौधा लोग घरों में नहीं लगाते हैं। यदि किसी का घर बड़ा या बगीचा बना हुआ है तो लोग घर में यह पेड़ लगा लेते हैं। वास्तु के अनुसार खजूर का पेड़ लगाने से धन का अत्याधिक व्यय होने लगता है। घर में पैसा नहीं टिकता और धन की आवक में रूकावट आने लगती है।बेरी का पौधाघर में या आस-पास बेरी का पेड़ होना बिलकुल भी शुभ नहीं माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार बेरी के पौधे को सबसे ज्यादा नकारात्मक प्रभाव देने वाला माना गया है। यदि घर के आसपास बेर का पेड़ लगा हो तो हटवा देना चाहिए अन्यथा यह आपके घर में दरिद्रता आने लगती है। इसके माना जाता है कि इस पेड़ में नकारात्मक शक्तियों का वास भी होता है।दूध निकलने वाले पौधेवास्तु के अनुसार कभी भी ऐसे पेड़ पौधे घर में नहीं लगाने चाहिए जिनसे दूध जैसा चिपचिपा पदार्थ निकलता हो। इन पौधो को घर में लगाने से नकारात्मकता आती है और घर में अशांति का वातावरण बनता है। इसके अलावा संतान बाधा भी हो सकती है।कांटेदार वृक्षवास्तु के अनुसार घर में कभी भी कांटेदार वृक्ष नहीं लगाने चाहिए। बबूल का वृक्ष घर में या आसा-पास होना शुभ नहीं माना जाता है। माना जाता है कांटेदार पौधे लगाने से घर में अशांति के साथ दरिद्रता भी आने लगती हैं मां लक्ष्मी रूष्ट हो जाती हैं।
- जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 186
(गौरांग महाप्रभु जी के शिक्षाष्टक में दीनता और सहनशीलता साधक के दो महत्वपूर्ण गुण बताये गये। जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज इन्हीं दो गुणों के संबंध में साधक समुदाय को संबोधित कर रहे हैं...)
तृण से भी दीन अरु गोविंद राधे।तरु से सहिष्णु निज मन को बना दे।।(स्वरचित दोहा)
तृण से बढ़कर दीन बनो। वृक्ष से बढ़कर सहिष्णु बनो, देखो घास के ऊपर पैर रख दो, दूब वगैरह तो वो नीचे हो जाती है और जब पैर हटा लो तो फिर अपना बेचारी नॉर्मल बन जाती है। पेड़ के ऊपर फल लगे हैं आप पत्थर मारते हैं तो फल नीचे गिरता है। पेड़ गुस्सा नहीं करता आपको फल देता है। आपके पत्थर का जवाब फल से, इतना सहनशील है वृक्ष।
स्वयं न खादन्ति फलानि वृक्षाः।
वो स्वयं फल नहीं खाता अपना। आपको खिलाता है। ये सबक हम लोग याद नहीं करते। कुछ परवाह नहीं करते, वन पर्सेन्ट भी नहीं करते। सब के सब। अहंकार से भरे हम लोग। गुरु भी कोई बात कह दे अगर तुमने ऐसी गलती की। नहीं महाराज जी। तुरन्त जवाब तड़ाक से। जैसे चपत मार दो किसी को, ऐसे। गुरु को भी जवाब दे देते हो। तुम बेवकूफ हो जो हमको बता रहे हो दोषी। गलत। मैंने गलत काम कभी नहीं किया। मैं महापुरुषों से भी आगे हूँ।
इतना बिगड़ा हुआ है मन। एक वाक्य नहीं सह सकते गुरु का। तुरन्त जवाब। और फिर आप लोग जब ये अभ्यास ही नहीं करेंगे, तो कृपालु क्या करेंगे? पता नहीं किस बात का अहंकार है। शरीर गन्दा, मन पापात्मा से युक्त, क्या चीज है आप लोगों के पास, जिसका अहंकार हो। अरे अगर सरस्वती अहंकार करें बुद्धि देवी की, रावण अहंकार करे, इन्द्र अहंकार करे, कुबेर अहंकार करे, अग्नि, वायु अहंकार करे, तो चलो ठीक है। उनके पास इतनी बड़ी पॉवर है। तुम्हारे पास क्या है? ऐ हमको ऐसा कह दिया। ओह कह दिया। बना दिया तुमको क्या खराब?? कौन सी खराबी किसमें नहीं है। अकेले में सोचो कमरा बन्द करके। जब तक माया के अण्डर में है जीव तब तक कौन सी खराबी उसमें नहीं है। कामनायें नहीं है कि क्रोध नहीं है, कि लोभ नहीं है, कि मोह नहीं है, कौन सा दोष नहीं है? अनन्त दोष भरे हैं उसमें से एक दोष कोई कह दे, क्यों फीलिंग होती है? अपना सर्वनाश क्यों करता है साधक? क्योंकि फील करोगे तो मन गन्दा होगा। उससे हानि होगी शरीर को भी। क्रोध से। ये साइंस कहती है। तुम आत्मा हो।
रूप गोस्वामी ने एक ग्रन्थ लिखा 'भक्तिरसामृत सिन्धु' । जब जीव गोस्वामी गये उनसे मिलने तो एक काशी के विद्वान आये थे उन्होंने रूप गोस्वामी के एक श्लोक में गलती निकाली। तो जीव गोस्वामी को बड़ा क्रोध आया। और उन्होंने यमुना के किनारे चैलेंज करके, उसको बिठा कर दिन भर शास्त्रार्थ करके उसको हरा दिया कि हमारे गुरु जी के श्लोक में तुम गलती निकालोगे? और आकर रूप गोस्वामी से कहते हैं गुरुजी! एक ऐसा विद्वान आया था काशी का, आपके श्लोक में गलती निकाला। उससे आज बिना खाये पिये दिन भर भिड़ गया मैं और उसको परास्त करके तब आ रहा हूँ।
रूप गोस्वामी ने कहा जीव तुम भाग जाओ ब्रज के बाहर, तुम ब्रज में रहने लायक नहीं हो। तुमको क्रोध के ऊपर क्रोध करना चाहिये था, उसके ऊपर क्रोध क्यों किया? उसमें तो तुम्हारे श्रीकृष्ण बैठे हैं। उसको दु:ख दिया और हमसे आकर प्रशंसा कर रहे हो अपनी। तुम्हारा अहंकार बढ़ गया। ये और नुकसान हुआ तुम्हारा। हम रोज पढ़ाते हैं दीन बनो, दीन बनो। और तुम ये कमाई करके आये हो और गुरु जी के आगे अपनी प्रशंसा कर रहे हो कि आप बधाई दें । अरे श्लोक गलत है होने दे।
तो ये दीनता और सहनशीलता ये भक्ति का आधार है। इसको सोचो रियलाइज करो, बार बार सोचो, बार बार रियलाइज करो और अभ्यास करो रोज, आज मैंने कहाँ कहाँ क्रोध किया? चार जगह किया, कल नहीं होने देंगे। यही सोचेंगे कि सारे दोष तो हैं मेरे अन्दर। कौन सा दोष नहीं है। ये अगर हमको कहता है तुम चार सौ बीस हो, बिल्कुल ठीक कहता है। हम दिन भर क्या कर रहे हैं। चार सौ बीस तो कर रहे हैं कि भगवान हमारा है। उनको छोड़ करके संसार को अपना मान करके हम संसार में सुख ढूँढ रहे हैं। ये क्या नहीं है, क्या पाप नहीं है, ये सोचना चाहिये। सोचो, सोचो मानव देह बीता जा रहा है कब सोचोगे, कब करोगे?? और आप लोगों में से तो बहुत से लोग घर छोड़ कर आये हो, परमार्थ बनाने को और यहाँ भी वही हाल।
एक व्यक्ति को दोष बताया जाता है। तो वो सफाई देने आता है। नहीं, बात ये है कि... झूठ। और अनेक पाप एक पाप को बचाने के लिये करता है। भगवान के धाम में, गुरु के धाम में भी ऐसे पाप करना, ये क्यों? अरे फैक्ट को मान लो न। और तुम्हारे न मानने से तुमको कोई महापुरुष तो मान नहीं लेगा। अगर तुम जिद करके बहस करते हो अपना नुकसान तो करोगे ही और दूसरे का भी करोगे। उसने ऐसा किया। हर एक का यही लक्ष्य उसकी गलती है, मेरी नहीं है। मैं गलती नहीं कर सकता, गुरुजी आप बेवकूफ हैं। भगवान अन्दर बैठा है, वो भी बेवकूफ है। सब बेवकूफ हैं मैं बिल्कुल ठीक हूँ। अरे कहाँ चले जा रहे हो? ये दिन रात तुमको भगवान की कृपा से इतना तत्त्वज्ञान कराया जाता है और तुम तुले हो सर्वनाश करने में कि मरने के बाद तो हमको कुत्ते बिल्ली गधे की योनियों में जाना ही है। अनन्त कोटि जगद्गुरु मिलें, भगवान मिलें, हम नहीं सुनेंगे किसी की, अपना सुधार नहीं करेंगे। अभ्यास नहीं करेंगे ये जिद्द है हम लोगों की। इसको रियलाइज करो, सोचो, बार बार सोचो और अभ्यास करो, दस दिन में तुम अपने को शान्त महसूस करोगे, जब इन दोषों को छोड़ोगे।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज०० सन्दर्भ ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज साहित्य०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन। - नई दिल्ली। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार मिथुन व कन्या राशि के स्वामी बुध को ज्योतिष शास्त्र में शुभ ग्रह माना जाता है। बुध ग्रह 4 फरवरी 2021 को वक्री होकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। बुध का राशि परिवर्तन रात 10 बजकर 46 मिनट पर होगा। बुध ग्रह को बुद्धि, संचार, भाषण, शिक्षा और स्वभाव आदि का कारक माना जाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, हर ग्रह समयानुसार अपनी राशि बदलते रहते हैं। कुछ सीधे तो कुछ विपरीत अवस्था में चलते हैं। ज्योतिष शास्त्र में विपरीत दिशा में ग्रहों के चलने को वक्री व सीधे अवस्था को मार्गी कहा जाता है।ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, बुध जिस भी ग्रह के साथ युति करता है, उस ग्रह के अनुसार ही व्यवहार करने लगता है। बुध, सूर्य का सबसे करीबी ग्रह है और अपनी मार्गी गति में यह 28 दिनों के बाद एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है।जानिए ज्योतिषार्यों के अनुसार मानव जीवन पर क्या असर होगा...ज्योतिष के अनुसार, बुध के कुंडली में कमजोर होने पर अशुभ व विपरीत परिणामों की प्राप्ति होती है। इससे जातक को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। वाणी कठोर हो जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नौ ग्रह में बुध, शनि, शुक्र और गुरू समय-समय पर वक्री अवस्था में गोचर करते हैं। राहु और केतु ऐसे दो ग्रह हैं जो लगभग वक्री ही रहते हैं। सूर्य और चंद्रमा वक्री नहीं होते हैं। जबकि बुध भाव के हिसाब से जातक को वक्री होने पर परिणाम देता है।1. ज्योतिष शास्त्र में पहले भाव में वक्री बुध का विराजमान होना शुभ नहीं माना जाता है। ज्योतिषों की मानें तो इस दौरान जातक गलत फैसले ले लेता है, जिससे नुकसान उठाना पड़ता है।2. दूसरे भाव में बुध का वक्री होना जातक को बुद्धिमान बनाता है। जातक हर फैसला सोच-समझकर लेता है।3. कुंडली के तीसरे भाव में वक्री बुध का होना जातक को साहसी बनाता है। आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। जोखिम भरे कार्यों में जातक रूचि दिखाता है।4. बुध का वक्री होकर कुंडली के चौथे भाव भाव में विराजमान होना जातक को धन लाभ कराता है।5. पांचवें भाव में वक्री बुध का विराजना शुभ माना जाता है। परिवार में खुशहाली आती है और जीवनसाथी संग रिश्ता मजबूत होता है।6. छठवें भाव में अगर वक्री बुध बैठा हो तो जातक को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है। जातक जल्दी किसी पर भरोसा नहीं कर पाता है।7. सातवें भाव में बुध का वक्री होना जीवनसाथी का साथ दिलाता है। ऐसे जातक को खूबसूरत जीवनसाथी मिलता है।8. आठवें भाव में वक्री बुध का होना जातक को धर्म के प्रति उदार बनाता है। जातक आध्यात्म के क्षेत्र में रूचि लेता है।9. नवम भाव में वक्री बुध का बैठना जातक को तर्क संपन्न बनाता है। जातक विवेकवान होते हैं।10. दशम भाव में बुध का वक्री होना जातक को पैतृक संपत्ति में लाभ दिलवाता है।11. एकादश भाव में बुध के वक्री अवस्था में बैठना जातक को लंबी उम्र देता है। जातक जीवन को सुखमय बिताता है।12. द्वादश भाव में वक्री बुध का विराजना जातकों निर्भिक बनाता है। जातक के अंदर किसी का भी भय नहीं रहता है।
- फरवरी माह में कई ऐसे व्रत एवं त्योहार हैं जो श्रद्धा पूर्वक मनाए जाते हैं। पंडित जोखन पांडेय शास्त्री के अनुसार फरवरी माह में वसंत पंचमी, मौनी अमावस्या, माघ पूर्णिमा, भौम प्रदोष व्रत, कुंभ संक्रांति, जया एकादशी सहित कई व्रत एवं त्योहार मनाए जाएंगे। आइए जानते हैं फरवरी माह में कौन-कौन से व्रत एवं त्यौहार मनाए जाएंगे।07 फरवरीषटतिला एकादशी- षटतिला एकादशी माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है।09 फरवरीभौम प्रदोष व्रत- इस व्रत में भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा की जाती है।10 फरवरीमासिक शिवरात्रि - मासिक शिवरात्रि के दिन व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा की जाती है।11 फरवरीमौनी अमावस्या- माघ माह की अमावस्या तिथि को मोनी अमावस्या मनाई जाती है। इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है।12 फरवरीमाघ गुप्त नवरात्रि- माघ गुप्त नवरात्रि का आरंभ 12 फरवरी को होगा। सनातन पंचांग के अनुसार कुंभ संक्रांति 11वें महीने की शुरुआत है।15 फरवरीगणेश जयंती - 15 फरवरी को विनायक चतुर्थी है। इस दिन श्री गणेश का पूजन किया जाता है।16 फरवरीवसंत पंचमी- एक प्रमुख हिंदू त्योहार है। इस दिन सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दिन विशेषकर पीले वस्त्र धारण करते हैं।19 फरवरीअचला सप्तमी, शिवाजी जयंती- माघ माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को यह पर्व मनाए जाते हैं।20 फरवरीभीष्म अष्टमी- भीष्म अष्टमी का पर्व महाभारत के महान पात्र भीष्म पितामह की याद में मनाया जाता है। इस दिन भीष्म अष्टमी का व्रत रखते हैं।21 फरवरीमाघ गुप्त नवरात्रि समापन- माघ गुप्त नवरात्रि का समापन 21 फरवरी को होगा।23 फरवरीजया एकादशी- माघ मास की शुक्लपक्ष एकादशी को जया एकादशी कहा गया है।24 फरवरीप्रदोष व्रत- प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। प्रदोष व्रत को करने से हर प्रकार का दोष मिट जाता है।27 फरवरीमाघ पूर्णिमा व गुरु रविदास जयंती- इस दिन चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व होता है। पूर्णिमा के दिन दान, पुण्य शुभ फलकारी माना जाता है।
- जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 185
(मृत्यु अटल है और सबसे खतरे की बात यह कि यह कब आ जायेगी, कोई नहीं जानता! अतः साधक को सावधान करते हुये जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज शीघ्र ही अपने परमार्थ के लिये जुट जाने के लिये आग्रह कर रहे हैं...)
अरे मनुष्यो ! कल से भजूँगा, कल से भजूँगा मत कहो, मत सोचो। क्यों...? अरे! वह जो तुम्हारी खोपड़ी पर सवार है काल, यमराज। क्या पता कल के पहले ही टिकट कट जाये रात ही को। ऐसे रोज उदाहरण हमारे विश्व में हो रहे हैं, कि रात को एक आदमी सोया और सदा को सो गया। न दर्द हुआ, न चिल्लाया, न घर वालों को मालूम हुआ। घर वाले समझ रहे हैं सो रहा है, आज बड़ी देर तक सोता रहा, अरे भई जगा दो। जगाने गये तो मालूम हुआ सदा को सो गया, इसका टिकट कट गया।
एक माँ के पेट में ही मर गया, एक पैदा होते ही तुरंत मर गया, एक 25 साल का आई. ए. एस. करके फ्लाइट से घर आ रहा था, सब घर वाले खुश और पता चला रास्ते में ही प्लेन क्रैश में मर गया। बाप ले जा रहा है बेटे को जलाने, पर बाप को होश नहीं है कि मुझको भी जाना है। देख तो रहे हैं हम रोज़ आसपास कि क्या हो रहा है? लेकिन भगवान को याद करने का भजन करने का टाईम किसी के पास नहीं है। प्लानिंग बन रही हैं बड़ी-बड़ी, पल का भरोसा नहीं और कोई पंचवर्षीय योजना, कोई दस वर्षीय योजना बना रहा है।
अरे! बिगड़ी बना लो जिसके लिए ये मानव देह भगवान ने तुमको कृपावश दिया है। ये नाती-पोते, ये बेटा-बेटी कोई तुम्हारे नहीं है जिनमें तुम उलझे हुए हो रात दिन। ये सब तो स्वार्थ आधारित रिश्ते हैं, कोई किसी का नहीं है यहाँ। इसलिये कल से भजूँगा यह मत कहो, मत सोचो, तुरंत करो... उधार मत करो। उधार करने की आदत हमारी तमाम जन्मों से है और इसलिये हम अनादिकाल से अब तक चौरासी लाख में घूम रहें है एक कारण।
अनंत संत मिले समझाया हम समझे लेकिन उधार कर दिया। करेंगे... करेंगे। तन मन धन ये तीन का उपयोग करना था तीनों के लिये हमने उधार कर दिया। करेंगे, बुढ़ापे में कर लेंगे अभी इतनी जल्दी भी क्या है। मन तो और बिगड़ा हुआ है। धन से तो इतना प्यार है कि कोई भी परमार्थ के काम में खर्च करने में भी बुद्धि लगाते हैं - करें, कि न करें? कर दो भगवान के निमित्त। अरे! रहने दो... अरे! नहीं कर दो, अरे! नहीं क्यों निकालो जेब से, अरे! चलो अब कर ही देते हैं। नहीं अब कल करेंगे। ये हम लोगों का हाल है, सोचियेगा अकेले में। यही सब होता है।
तो उधार करना बन्द करना है। मानव देह क्यों मिला है, इस पर विचार करो, संभलो और अपनी बिगड़ी अभी भी बना लो, नहीं तो करोड़ों वर्षों तक यूँ ही 84 लाख में भटकते रहोगे। ये अवसर भी हाथ से चूक जाएगा। संसार में व्यवहार करो, मन भगवान को दे दो। अभी से भजन करो, भक्ति करो,संसार से मन हटाओ,भगवान में लगाओ। उधार करना बंद करो।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज०० सन्दर्भ ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज साहित्य०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन। - घर में मौजूद ऊर्जा का असर हमारे सपनों पर भी पड़ता है। नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव अधिक होने से सपने भी नकारात्मकता दर्शाते हुए नजर आते हैं। माना जाता है कि मनुष्य अपने कर्मों के अनुसार ही अच्छे या बुरे स्वपन देखता है। अशुभ सपने अगर लगातार आ रहे हैं तो घर का वास्तु ठीक करना आवश्यक हो जाता है। वास्तु में कुछ आसान से उपाय बताए गए हैं, जिन्हें अपनाने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाया जा सकता है और डरावने स्वपन से मुक्ति भी मिल सकती है।हनुमान जी सभी प्रकार का अनिष्ट दूर करने वाले हैं। अगर लगातार डरावने स्वपन आते हैं तो हनुमानजी को याद करें। घर में सुंदरकांड का पाठ करें। रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करें। भयानक स्वप्न आए तो ? नम: शिवाय का जप करते हुए सो जाएं। लगातार बुरे स्वपन आएं तो प्रात: उठकर बिना किसी से कुछ बोले तुलसी के पौधे से पूरा स्वप्न कह डालें। बच्चों को अगर डरावने स्वप्न परेशान करते हैं तो उनके सिरहाने पर चाकू रख लें। यह भी माना जाता है कि बेड के सिरहाने पर जूते या चप्पल रखे हों तो भी डरावने स्वप्न आ सकते हैं। गहरे रंग की चादर न ओढ़ें। रात में झूठा मुंह कर सोने से भी डरावने सपने आते हैं। सपने में नदी, झरना या पानी दिखाई दे तो यह पितृ दोष की वजह से हो सकता है। घर में नियमित गंगाजल का छिड़काव करें। अगर बुरा स्वप्न देखकर नींद खुल जाए तो फिर से सो जाना चाहिए। घर में हवन करने के बाद इससे मुक्ति पाई जा सकती है। बुरे स्वप्न किसी को नहीं बताने चाहिए। नियमित रूप से अगर सूर्यदेव की आराधना की जाए तो भी बुरे स्वप्न से निजात पाई जा सकती है। बुरे स्वप्नों से मुक्ति पाने के लिए सुबह उठने के बाद गायत्री मंत्र का जाप करें। जरूरतमंद व्यक्ति को दान दें।
- वास्तु शास्त्र में कई चीजों के बारे में बताया गया है। वास्तु शास्त्र में नौकरी, बिजनेस के अलावा पूजा-पाठ की चीजों के बारे में जानकारी दी गई है। वास्तु शास्त्र में पूजा पाठ से जुड़े ऐसे कई नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करना शुभ फलकारी होता है। वास्तु शास्त्र में पूजा-पाठ से जुड़ी ऐसी कई चीजों के बारे में बताया गया है, जिन्हें जमीन पर रखना अपशगुन माना गया है।1. शालिग्राम या शिवलिंग- शास्त्रों में शालिग्राम को भगवान विष्णु का और शिवलिंग को भगवान शिव का प्रतीक माना गया है। इसलिए इन्हें कभी भी भूलकर जमीन में नहीं रखना चाहिए। मंदिर की साफ-सफाई के दौरान लोगों से ये गलती होने की आशंका रहती है। ऐसे में सफाई करते समय इन्हें किसी कपड़े में रखकर किसी स्वच्छ स्थान पर रखना चाहिए।2. धूप, दीप, शंख और पुष्प- भगवत गीता के अनुसार, शंख, दीप, धूप, यंत्र, पुष्प, तुलसीदल, कपूर, चंदन, जपमाला आदि जैसी पूजापाठ की चीजों को जमीन पर नहीं रखना चाहिए। कहते हैं कि इन सभी चीजों का प्रयोग पूजा में किया जाता है, इसलिए इन्हें कभी जमीन पर सीधे नहीं रखना चाहिए।3. रत्न- शास्त्रों के अनुसार, मोती, हीरा और सोना जैसे बहुमूल्य रत्न को कभी सीधे जमीन पर नहीं रखना चाहिए। कहते हैं कि धातु का संबंध किसी न किसी ग्रह से होता है। ऐसे में इन्हें सीधे जमीन पर रखना अपशगुन माना जाता है। अगर आपके पास इनसे जुड़ा कोई भी गहना है तो उसे सीधे जमीन पर नहीं रखना चाहिए।4. सीप- कहते हैं कि सीप की उत्पत्ति समुद्र से होने के कारण इसका संबंध लक्ष्मी जी से माना जाता है। इस कारण इसे सीधे जमीन पर नहीं रखना चाहिए। मां लक्ष्मी की पूजा में सीप और कौड़ी का विशेष महत्व होता है। इसलिए इन्हें जमीन पर नहीं रखना चाहिए।
- ज्योतिष विज्ञान के अनुसार, ग्रहों की चाल का प्रभाव प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हमारे जीवन पर पड़ता है। यह प्रभाव ग्रहों की स्थिति के अनुसार, शुभ-अशुभ दोनों रूप में पड़ सकता है। फरवरी माह में तीन ग्रह अपनी राशि बदल रहे हैं। इन तीनों ग्रहों का प्रभाव आपके जीवन पर पड़ सकता है। ज्योतिष गणना के अनुसार फरवरी माह में सूर्य, शुक्र और मंगल ग्रह का राशि परिवर्तन होने जा रहा है।सूर्य का कुंभ राशि में गोचरइस महीने 12 फरवरी को सूर्य देव मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे और 14 मार्च 2021 तक इस राशि में स्थित रहेंगे। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रह को सभी ग्रहों का प्रधान माना जाता है। यह आत्मा, पिता, यश, मान सम्मान और शीर्ष पद का कारक है। सूर्य देव कुंभ राशि के जातकों को मान-सम्मान के साथ धन लाभ भी करा सकते हैं। सूर्य ग्रह के गोचर से इस राशि के जातकों का आत्मविश्वास बढ़ेगा और सरकारी कामकाज में सफलता मिलेगी। इस अवधि में आपके रूके हुए कार्य पूर्ण होंगे। लेकिन आपको अपने क्रोध पर नियंत्रण रखना होगा।शुक्र देव करेंगे कुंभ राशि में प्रवेशज्योतिष गणना के अनुसार, शुक्र ग्रह 21 फरवरी 2021 को मकर राशि से कुम्भ राशि में प्रवेश करेंगे और 17 मार्च 2021 तक यहां विराजमान होंगे। ज्योतिष शास्त्र में शुक्र ग्रह कला, सौंदर्यता, धन एवं समस्त प्रकार के भौतिक सुखों का कारक है। शुक्र का यह गोचर कुंभ राशि वालों के लिए शुभ फलकारी साबित हो सकता है। इस अवधि में आपको यह गोचर कई मामलों में शुभ फल प्रदान कर सकता है। इस दौरान धन के मामले में अच्छे अवसर प्राप्त हो सकते हैं। साथ ही जॉब और करियर के लिए भी यह गोचर अच्छा फल दे सकता है।वृष राशि में आएंगे मंगलफरवरी का माह मंगल ग्रह भी राशि परिवर्तन करेंगे। इस महीने की 22 तारीख को मंगल देव मेष राशि से वृष राशि में आएंगे। ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह को ग्रहों का सेनापति माना गया है। यह क्रोध, ऊर्जा, सैन्य शक्ति, युद्ध एवं रक्त वर्ण का कारक माना जाता है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, वृष राशि में मंगल का यह गोचर कुछ मामलों में शुभ फल प्रदान कर सकता है तो कुछ मामलों में अशुभ फलकारी साबित हो सकता है। गोचर के कारण इस राशि के जातकों के साहस में वृद्धि होगी। जॉब और करियर के क्षेत्र में मंगल का प्रभाव अनुकूल होगा। धन लाभ भी प्राप्त होगा। भूमि संबंधी चीजों से लाभ हो सकता है। परंतु वैवाहिक जीवन में थोड़ी परेशानियां आ सकती हैं। अपने क्रोध पर नियंत्रण रखें और जल्दबाजी करने से बचें।
- पेड़-पौधों हमारे जीवन का आधार हैं। पेड़ पौधों से प्राप्त होने वाली शुद्ध वायु से ही पृथ्वी पर जीवन है। पेड़ पौधे पर्यावरण को तो शुद्ध रखते ही हैं, साथ ही ये हमारे ऊपर सकारात्मक प्रभाव भी डालते हैं। ज्योतिष में ऐसे ही खास पौधों के बारे में बताया गया है जिन्हें घर में लगाने से रोग-शोक से मुक्ति तो मिलती है। ये पौधे आपके घर में धन-समृद्धि बढ़ाते हैं। इन पौधों को घर में लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। आप इन पौधों बगीचे या खाली स्थान में लगा सकते हैं। तो चलिए जानते हैं कि कौन से हैं वे पेड़- पौधे...अशोक का पेड़अशोक के पेड़ के बारे में ज्यादातर लोगों को पता होगा। अशोक का पेड़ घर में लगाना बहुत शुभ माना जाता है। लोग दरवाजों के दोनों ओर भी अशोक के पेड़ लगाते हैं जो बहुत शुभ रहते हैं। यदि आपके घर में बगीचा है और पेड़ पौधे लगाने के पर्याप्त स्थान है तो थोड़ी-थोड़ी दूरी पर अशोक के कई पौधे लगाना चाहिए। अशोक का पेड़ घर में लगाने से घर से शोक और दुख दूर रहता है। आपके घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। इसके अलावा द्वार पर अशोक के पत्तों की तोरण लगाना भी बहुत शुभ रहता है।आंवले का पेड़स्वास्थ्य की दृष्टि से तो आवंला लाभकारी है ही, इसके अलावा हिंदू धर्म में आंवले के पौधे की पूजा भी की जाती है। आंवला नवमी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने का विशेष प्रावधान माना गया है। मान्यता है कि आंवले के पौधे की जड़ में भगवान विष्णु का वास होता है। यह पौधा बहुत ही शुभ माना गया है। मान्यता है कि इसे घर में लगाने से भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की कृपा भी आपके घर में हमेशा बनी रहती है। आंवले के पौधे की देखभाल नियमित रूप से करनी चाहिए। उसमें समय समय पर खाद, पानी देना चाहिए, क्योंकि मान्यता है कि जिस तरह से ये पौधा फलता-फूलता हैं, आपके घर में सुख और धन बढ़ता जाता है।पारिजातपारिजात यानी हरसिंगार का पौधा, ये पौधा घर या आस-पास में लगाना अति शुभ माना गया है। मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए यह पौधा बहुत अच्छा माना गया है। मां लक्ष्मी की पूजा में परिजात के फूलों का प्रयोग किया जाता है, लेकिन इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि लक्ष्मी पूजा में केवल उन्हीं फूलों का प्रयोग किया जाता है, जो स्वयं पेड़ से टूटे हो। परिजात के पौधे को देवतुल्य माना गया है माना जाता है कि समुद्र मंथन में 11 वां जो रत्न प्राप्त हुआ था, वो पारिजात वृक्ष ही है। इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और घर में समृद्धि आती है।
- जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 184
(स्वरचित दो दोहे की व्याख्या के माध्यम से आचार्य श्री एक महत्वपूर्ण रहस्य को समझा रहे हैं...)
जैसे जलयान खग गोविंद राधे।उड़ि थकि जलयान आवे बता दे।।
जीव जग सुख नहिं गोविंद राधे।पावे तब आवे हरि शरण बता दे।।
समुद्र के जहाज पर कोई पक्षी बैठा था और जहाज़ चल पड़ा और वो पचासों सैकड़ों मील चला गया जहाज़, तो पक्षी सोच रहा है मैं खाऊँ पीऊँ क्या? ये तो पानी ही पानी है चारों ओर, और पानी में खड़ा भी नहीं हो सकता और समुद्र में कब तक बैठा रहूँगा, ऐसे जहाज़ पे से उड़ा और बहुत दूर तक चला गया। जब थक गया, उसने कहा अब क्या करें? खड़े होने तक की जगह नहीं हैं, फिर आ कर के जहाज़ पर बैठ गया और कोई गति नहीं बेचारे की, चारों ओर पानी ही पानी है, कहीं स्थल नहीं, पेड़ नहीं, खाने-पीने का सामान नहीं।
उसी प्रकार ये जीव भगवान से विमुख होकर उड़ा, 84 लाख योनियों में घूमा, थक गया, कहीं सुख नहीं मिला तो फिर भगवान की शरण में गया कि संसार में कहीं सुख नहीं है, हमको धोखा था, अब समझ में आ गया। पहले संसार में सुख ढूंढता है, युवावस्था आयी ब्याह किया, बीबी पति हुआ यहाँ सुख मिल जायेगा, वहाँ भी चप्पल-जूते मिले, कोई सुख नहीं मिला। आगे बाल बच्चे हुए, इनसे सुख मिल जायेगा, खूब लाड़ प्यार किया बच्चों को, बड़े होकर वो भी नमस्ते करके चले गए, किसी ने साथ नहीं दिया, अब भगवान की शरण में आया।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज०० सन्दर्भ ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज साहित्य०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन। - जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 183
(मन ही किसी भी कर्म का कर्ता कहा गया है। परन्तु यह मन चंचल है। मन के प्रति क्या दृष्टिकोण होने से क्या परिणाम होते हैं, जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज नीचे प्रवचन में समझा रहे हैं..)
साधना से हिम्मत नहीं हारना चाहिये। ये मन दुश्मन है अनादिकाल का दुश्मन है। इससे दुश्मनी से ही पेश आओ दोस्ती न करो।
न कुर्यात् कर्हिचित्सख्यं मनसि ह्यनवस्थिते। (भाग. 5-6-3)
भगवान् ऋषभ ने कहा था मन से सख्य न करो, दोस्ती न करो। ये मन तुमको लाड़ में लाकर, दोस्त बनाकर चौरासी लाख में घुमा रहा है। यह देख लो, ये संसार, ये खा लो, ये आँख से देखो, ये कान से सुनो, ये नाक से, ये संसार का विषय दे देकर भगवान् से दूर कर रहा है। अब इसकी न सुनो। डट जाओ। हठ करो। पहले पहल हठ करना होगा। दुश्मन मन के साथ तुम भी दुश्मनी पर तुल जाओ। ये जो कहता है वो नहीं करेंगे। ये लापरवाही सिखाता है, संसार की ओर ले जाता है। वो नहीं होने देंगे। हमारी भी जिद्द है। अरे करके देख लो कोई बहुत बड़ी बात नहीं है।
जाते कछु निज स्वारथ होई। तापर ममता करे सब कोई।
ये सिद्धान्त है। तो तुम्हारा माने आत्मा का स्वार्थ हरि गुरु से ही है, 'भी' नहीं। इसलिए मन का अटैचमेन्ट वहीं हो, संसार में ड्यूटी करो। इसलिए रूपध्यान बनाना है, बार-बार बनाना है। हारना नहीं है, हराना है मन को, कमर कस लो। अबकी बार आप लोग बस यही करें, ये हमारा बार-बार निवेदन है। फिर देखें, आप कितनी जल्दी भगवान् के पास पहुँचते है। और कितना आपको सुख मिलता है रूपध्यान में। फिर आपके आँसू आयेंगे, कम्प होगा, रोमांच होगा, आनन्द का आभास होगा। आभास भी होने लग जाये तो फिर तो आप जम्प करके चले जायेंगे आगे। फिर दूरी नहीं है, देरी नहीं है। ये देरी और दूरी इसलिए है, कि हम मन के गुलाम बने हुये हैं। बस इतना सा हमारा निवेदन हर समय ध्यान में रखियेगा, भूल न जाइयेगा। हाँ।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज०० सन्दर्भ ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज साहित्य०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन। - शनिवार का दिन न्याय के देवता भगवान शनिदेव को समर्पित किया जाता है। शनि की शुभ दृष्टि से जहां व्यक्ति का जीवन सुखमय बनता है तो वहीं शनि की अशुभता होने के कारण जीवन में उठापटक लगी ही रहती है। यदि आपको भी ऐसा लग रहा है कि आपके जीवन में एक के बाद एक परेशानियां आ रही हैं तो इसके पीछे की वजह कुछ कार्य हो सकते हैं। ज्योतिष के अनुसार कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिन्हें शनिवार के दिन भूलकर भी घर में नहीं लाना चाहिए। यदि आप इन चीजों को घर में लाते हैं तो आपको शनिदेव के प्रकोप का सामना करना पड़ता है, जिससे आपके जीवन में दुख: तकलीफे बढऩे लगती हैं।-ज्योतिषशास्त्र के अनुसार शनिदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए शनिवार के दिन काले तिल का दान करना शुभ रहता है, लेकिन शनिवार को काले तिल नहीं खरीदना चाहिए। माना जाता है कि यदि शनिवार के दिन तिल खरीदने से शनिदेव कुपित होते हैं जिससे आपके कार्यों में विघ्न आने लगते हैं।- शनिवार के दिन शनिदेव को सरसों के तेल चढ़ाना चाहिए और सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए, लेकिन शनिवार के दिन भूलकर भी सरसों का तेल नहीं खरीदना चाहिए। इस दिन अन्य किसी तेल की भी खरीदी नहीं करनी चाहिए। माना जाता है कि शनिवार को तेल खरीदने से रोग बढऩे लगते हैं।-ज्योतिषशास्त्र के अनुसार लोहे को शनि की धातु माना गया है, इसलिए शनिवार के दिन लोहे का बना सामान नहीं खरीदना चाहिए। माना जाता है कि शनिवार दिन लोहा खरीदने से जीवन में समस्याओं का सामना करना पड़ता है।- शनिवार के दिन नमक भी नहीं खरीदना चाहिए। यदि आपको नमक खरीदना है तो शनिवार से एक दिन पहले या फिर अन्य किसी दिन खरीद लें। माना जाता है कि शनिवार के दिन नमक खरीदने से आर्थिक स्थिति कमजोर होती है। व्यक्ति पर कर्ज बढऩे लगता है, इसके साथ ही शरीर में रोग भी लगने लगते हैं।
- मां लक्ष्मी धन और ऐश्वर्य की देवी हैं। इन्हीं की कृपा से धरती पर संपन्नता है। जिन घरों में लक्ष्मी जी का वास होता है उस स्थान पर सकारात्मकता रहती बनी रहती है घर का वातावरण आनंदित और शांत रहता है। ज्योतिष और वास्तु में कुछ ऐसे कार्य बताए गए हैं जिन्हें यदि प्रतिदिन किया जाए तो माना जाता है कि मां महालक्ष्मी की कृपा बना रहती है। घर में हमेशा सुख-समृद्धि का वास होता है। जानिये ये कौन से ये उपाय जिससे माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं....- सनातन धर्म में घर की स्त्रियों को लक्ष्मी का रूप माना जाता है, इसलिए मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए रात के समय महिला को घर के मंदिर में एक दीपक अवश्य प्रज्ज्वलित करना चाहिए। माना जाता है कि जिस घर में नियमित रूप से रात में पूजा स्थान पर दीपक जलाया जाता है, उस घर पर मां लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है। घर के सदस्यों को कभी धन की कमी नहीं होती है।- रात को सोने से पहले घर के शयन कक्ष के साथ ही पूरे घर में कपूर जलाकर दिखाना चाहिए, इसके साथ ही उसमें दो लौंग भी डाल देना चाहिए। इससे आपके शयनकक्ष और पूरे घर की नकरात्मक ऊर्जा का नाश होता है। शयन कक्ष में कपूर जलाकर दिखाने से पति-पत्नी के बीच के झगड़े समाप्त होते हैं परिवार के सदस्यों को बीच प्रेमभाव बना रहता है। आपके घर में समृद्धि आती है।- जिन घरों में बुजुर्गों का सम्मान किया जाता है। वहां कभी किसी प्रकार से धन वैभव की कमी नहीं होती है। रात को सोने से पहले भलिभांति देख लेना चाहिए कि आपके घर के बड़ों को किसी चीज की आवश्यकता तो नहीं है। सोने से पहले देख लें कि आपके माता-पिता या सास-ससुर ठीक प्रकार से आराम से सो गए हैं या नहीं। तत्पश्चात सोने जाएं। जिनके ऊपर माता पिता का आशीर्वाद रहता है, उनके किसी कार्य में बाधा नहीं आती है।-नियमित रूप से रात को सोने से ठीक पहले गृह स्वामिनी को दक्षिण दिशा में सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। दक्षिण दिशा को पितरों की दिशा माना गया है। माना जाता है कि यदि रोज रात के समय इस दिशा में दीपक जलाया जाता है तो आपके पितर आपको सुख और संपन्न रहने का आशीर्वाद देते हैं। इसके अलावा इस दिशा में एक बल्व अवश्य लगाना चाहिए और संध्या होते ही रोशनी कर देनी चाहिए।
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जगद्गुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 182
०० जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज के श्रीमुख से निःसृत प्रवचनों से 5-सार बातें (भाग - 9) ::::::
(1) गुरु के आदेशों में उचित अनुचित का विचार करना ही भयंकर पाप है।
(2) प्रारब्ध उसी को कहते हैं जब दुःख की कल्पना की जाय किन्तु सुख प्राप्त हो अथवा सुख की कल्पना की जाय और दुःख प्राप्त हो।
(3) मन में क्या है, यह तो लोग नहीं देखते, ऊपरी परिवर्तन पर ध्यान देते हैं। अतएव बाहरी रूप में ऐसा परिवर्तन ला दो कि लोगों को आश्चर्य होने लगे और तुम्हारा परमार्थ भी बन जाय।
(4) जिसको स्प्रिचुअल शक्ति से पॉवर मिल रही है उसकी शक्ति का ह्रास नहीं होता लेकिन संसार वाले को भीतर से तो शक्ति मिल नहीं रही है, अतः उसकी शक्ति का ह्रास होता है। इसीलिये वह थक जाता है।
(5) संसार में अगर कोई प्यार करेगा तो उसकी अंतिम सीमा होगी मृत्यु। चिन्तन से प्रारंभ होकर मृत्यु में समाप्त होगा। ईश्वरीय प्रेम में भी दस अवस्थायें होती हैं किन्तु उसमें मूर्च्छा के पश्चात मृत्यु नहीं होती, भगवत्प्राप्ति होती है। उसी स्प्रिचुअल पॉवर की शक्ति से वह अमरत्व को प्राप्त होता है।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज०० सन्दर्भ ::: अध्यात्म संदेश एवं साधन साध्य पत्रिकाएँ०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन। - शुक्र ग्रह पौष पूर्णिमा के दिन यानी 28 जनवरी 2021 (गुरुवार) को राशि परिवर्तन कर चुके हैं। शुक्र का राशि परिवर्तन सुबह 03 बजकर 18 मिनट पर हुआ है। शुक्र ग्रह अब धनु राशि से निकलकर मकर राशि में गोचर किया है। धन और वैभव का कारक माने जाने वाले शुक्र के राशि परिवर्तन का हर किसी के जीवन में कुछ न कुछ प्रभाव पड़ता है। शुक्र का राशि परिवर्तन कुछ राशि वालों के लिए लाभकारी साबित होगा तो कुछ राशियों के लिए मुश्किलें खड़ी करेगा। जानिए आपके जीवन पर क्या पड़ेगा प्रभाव-1. मेष- किसी भी काम में लापरवाही न बरतें। क्रोध और अहंकार से बचें। गोचर काल में आपके गुस्से के कारण बने हुए कार्य बिगड़ सकते हैं। इस दौरान महिलाओं को अपनी सेहत का ध्यान रखा होगा।2. वृषभ- वृषभ राशि का स्वामी शुक्र ग्रह होता है। ऐसे में इस गोचर का आपको विशेष लाभ मिलने वाला है। आपको मेहनत का अच्छा फल मिलेगा। अगर गोचर काल के दौरान आप मेहनत करेंगे तो आपको शुभ परिणामों की प्राप्ति होगी। यह समय आपके लिए अच्छा है, इसका लाभ उठाने की कोशिश करें।3. मिथुन- गोचर काल के दौरान आपको किसी ट्रेनिंग या सेमिनार में भी भाग ले सकते हैं। इसका आने वाले समय में आपको इसका फायदा मिलेगा। अपनी सेहत का ख्याल रखें।4. कर्क- कर्क राशि वालों को इस गोचर का लाभ उठाने की कोशिश करनी चाहिए। इस दौरान आपको आपकी मेहनत का पूरा फल मिलेगा। मानसिक तनाव से बचें।5. सिंह- सिंह राशि के जातक इस गोचर काल के दौरान अपनी सेहत का ख्याल रखें। शत्रु को लेकर मन में किसी तरह का भय न रखें। मेहनत का शुभ परिणाम मिल सकता है।6. कन्या- इस गोचर के दौरान आपको प्लानिंग करनी पड़ेगी। कार्यों में सफलता हासिल होगी। किसी भी तरह का मानसिक तनाव न लें। गोचर के दौरान जल्दबाजी में कोई भी फैसला न लें।7. तुला- इस गोचर के प्रभाव आपके घर में सुख-समृद्धि बढ़ेगी। पहले से चले आ रहे विवाद कम होंगे। इस दौरान आपके बेवजह धन खर्च हो सकता है।8. वृश्चिक- गोचर काल के दौरान आलस्य से दूर रहें। शांति और धैर्य के साथ लोगों से बातचीत करें। पैसों के लेन-देन से बचें। गोचर काल के दौरान किसी भी तरह की डील न करें।9. धनु- गोचर काल के दौरान आपको अपने खर्च पर कंट्रोल रखना होगा। सेहत को लेकर किसी भी तरह की लापरवाही न बरतें। बाहर जाकर पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए समय शुभ साबित होगा।10. मकर- गोचर के प्रभाव से आपको अच्छे फल मिलने वाले हैं। इस गोचर के प्रभाव से आपके मान-सम्मान में वृद्धि होगी। इस दौरान आपको धन लाभ होने वाला है।11. कुंभ- आपके खर्चों में बढ़ोत्तरी हो सकती है। खर्चों को नियंत्रण में रखना होगा। सेहत का ख्याल रखें। गोचर काल के दौरान लड़ाई-झगड़े से बचें।12. मीन- मीन राशि वालों के लिए गोचर काल शुभ साबित हो सकता है। इस दौरान आपको आपके कार्यों में सफलता हासिल होगी। मान-सम्मान में वृद्धि हो सकती है।
- सकट चौथ का व्रत 31 जनवरी 2021 को रखा जाएगा। माघ महीने में पडऩे वाली सकट चौथ का विशेष महत्व होता है। इसे सकट चौथ, संकटा चौथ, तिलकुट चौथ या संकष्टी चतुर्थी नामों से भी जाना जाता है। सकट चौथ के दिन माताएं अपनी संतान की लंबी आयु की कामना के लिए भगवान गणेश की उपासना करती हैं। भगवान गणेश को समर्पित यह व्रत चंद्रमा को अघ्र्य देने के बाद ही व्रत पूर्ण माना जाता है।सकट चौथ व्रत शुभ मुहूर्त----सकट चौथ व्रत तिथि- जनवरी 31, 2021 (रविवार)सकट चौथ के दिन चन्द्रोदय समय - 20:40चतुर्थी तिथि प्रारम्भ - जनवरी 31, 2021 को 20:24 बजेचतुर्थी तिथि समाप्त - फरवरी 01, 2021 को 18:24 बजे।सकट चौथ के दिन करें श्री गणेश की आरती-----जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥ जयज्एक दंत दयावंत चार भुजा धारी। माथे सिंदूर सोहे मूसे की सवारी ॥अंधन को आंख देत, कोढिऩ को काया। बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥ जयज्हार चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा। लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा ॥दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी। कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥ जयज्सूर श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा। जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥ जयज्शुक्र ने आज तड़के 3:18 मिनट पर किया राशि परिवर्तन, जानें इसका आपके जीवन पर क्या पड़ेगा प्रभावये भी व्रत कथा है प्रचलित-किसी नगर में एक कुम्हार रहता था। एक बार जब उसने बर्तन बनाकर आंवां लगाया तो आंवां नहीं पका। परेशान होकर वह राजा के पास गया और बोला कि महाराज न जाने क्या कारण है कि आंवा पक ही नहीं रहा है। राजा ने राजपंडित को बुलाकर कारण पूछा। राजपंडित ने कहा, ''हर बार आंवा लगाते समय एक बच्चे की बलि देने से आंवा पक जाएगा।'' राजा का आदेश हो गया। बलि आरम्भ हुई। जिस परिवार की बारी होती, वह अपने बच्चों में से एक बच्चा बलि के लिए भेज देता। इस तरह कुछ दिनों बाद एक बुढिय़ा के लड़के की बारी आई।बुढिय़ा के एक ही बेटा था तथा उसके जीवन का सहारा था, पर राजाज्ञा कुछ नहीं देखती। दुखी बुढिय़ा सोचने लगी, ''मेरा एक ही बेटा है, वह भी सकट के दिन मुझ से जुदा हो जाएगा।'' तभी उसको एक उपाय सूझा। उसने लड़के को सकट की सुपारी तथा दूब का बीड़ा देकर कहा, ''भगवान का नाम लेकर आंवां में बैठ जाना। सकट माता तेरी रक्षा करेंगी।''सकट के दिन बालक आंवां में बिठा दिया गया और बुढिय़ा सकट माता के सामने बैठकर पूजा प्रार्थना करने लगी। पहले तो आंवा पकने में कई दिन लग जाते थे, पर इस बार सकट माता की कृपा से एक ही रात में आंवा पक गया। सवेरे कुम्हार ने देखा तो हैरान रह गया। आंवां पक गया था और बुढिय़ा का बेटा जीवित व सुरक्षित था। सकट माता की कृपा से नगर के अन्य बालक भी जी उठे। यह देख नगरवासियों ने माता सकट की महिमा स्वीकार कर ली। तब से आज तक सकट माता की पूजा और व्रत का विधान चला आ रहा है।
- जगद्गुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 181
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज विरचित 1008-ब्रजभावयुक्त दोहों के विलक्षण ग्रन्थ 'श्यामा श्याम गीत' के दोहे, ग्रन्थ की प्रस्तावना सबसे नीचे पढ़ें :::::::
(भाग - 8 के दोहा संख्या 40 से आगे)
पट्टी न पढ़ाओ जानि भोरी भारी श्यामा।तेरी करतूत देखें बैठी उर धामा।।41।।
अर्थ ::: श्रीराधा अत्यंत भोली भाली हैं, ऐसा समझकर उन्हें बहकाने का प्रयत्न न करो। श्रीराधा तो हृदय में बैठकर तुम्हारे प्रत्येक क्षण के प्रत्येक संकल्प को देख रही हैं।
आपु को इकलो न मानो कह बामा।सदा सर्वत्र तेरे साथ रहें श्यामा।।42।।
अर्थ ::: कभी एक क्षण के लिये भी स्वयं को अकेला न मानो। सदा सब स्थानों पर श्रीराधा तुम्हारे साथ ही हैं।
प्रति जन्म नयी नयी मातु बनी बामा।बदली न तेरी कभु साँची मातु श्यामा।।43।।
अर्थ ::: जीव के कर्मानुसार शरीर का जन्म मरण होता रहता है। इस कारण हर जन्म में नयी नयी मातायें भी बनीं। आत्मा की माँ श्रीराधा तो सदा से एक ही थीं, एक ही रहेंगी।
बार बार जग ते हटाओ मन बामा।बार बार श्याम में लगाओ आठु यामा।।44।।
अर्थ ::: अपने मन को बार बार संसार से हटाकर श्यामसुन्दर में ही लगाने का अभ्यास करना है।
शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गन्ध मन कामा।दूँगा दिव्य मन कहु चलु ढिग श्यामा।।45।।
अर्थ ::: अपने मन से कहो, तू शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंध ही तो चाहता है, चल श्रीराधा के निकट चल, वहाँ तुझे दिव्य शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंध प्राप्त होगा।
०० 'श्यामा श्याम गीत' ग्रन्थ का परिचय :::::
ब्रजरस से आप्लावित 'श्यामा श्याम गीत' जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की एक ऐसी रचना है, जिसके प्रत्येक दोहे में रस का समुद्र ओतप्रोत है। इस भयानक भवसागर में दैहिक, दैविक, भौतिक दुःख रूपी लहरों के थपेड़ों से जर्जर हुआ, चारों ओर से स्वार्थी जनों रूपी मगरमच्छों द्वारा निगले जाने के भय से आक्रान्त, अनादिकाल से विशुध्द प्रेम व आनंद रूपी तट पर आने के लिये व्याकुल, असहाय जीव के लिये श्रीराधाकृष्ण की निष्काम भक्ति ही सरलतम एवं श्रेष्ठतम मार्ग है। उसी पथ पर जीव को सहज ही आरुढ़ कर देने की शक्ति जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की इस अनुपमेय रसवर्षिणी रचना में है, जिसे आद्योपान्त भावपूर्ण हृदय से पढ़ने पर ऐसा प्रतीत होता है जैसे रस की वृष्टि प्रत्येक दोहे के साथ तीव्रतर होती हुई अंत में मूसलाधार वृष्टि में परिवर्तित हो गई हो। श्रीराधाकृष्ण की अनेक मधुर लीलाओं का सुललित वर्णन हृदय को सहज ही श्यामा श्याम के प्रेम में सराबोर कर देता है। इस ग्रन्थ में रसिकवर श्री कृपालु जी महाराज ने कुल 1008-दोहों की रचना की है।
०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन। - गणेशजी ज्ञान और बुद्धि के देवता माने जाते हैं, साथ ही उनकी सभी देवताओं में सबसे पहले पूजा भी की जाती है। गणेशजी को विघ्नहर्ता के नाम से भी जाना जाता है, इसलिए दफ्तर या फिर घर में गणेशजी की मूर्ति की स्थापना करते समय इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है कि उनकी सूंड की दिशा क्या हो। कई धार्मिक रीतियों का पालन इन्हें स्थापित करने के दौरान ध्यान में रखना होता है। मूर्ति या तस्वीरों में सीधी सूंड वाले गणेशजी को दुर्लभ माना जाता है। एक तरफ सूंड के मुड़े होने के चलते ही उन्हें वक्रतुण्ड भी कहा जाता है। गणेशजी की दाई सूंड में सूर्य का प्रभाव और बाई में चंद्रमा का प्रभाव माना जाता है।दाईं ओर घूमी हुई सूंडगणेशजी की सूंड अगर दाईं तरह मुड़ी हुई हो तो हठी होते हैं, इस तरह की मूर्ति और तस्वीरें ज्यादातर ऑफिस और घर में नहीं रखी जाती है। जिस गणेशजी की सूंड दाईं तरफ मुड़ी हो उन्हें सिद्धिविनायक कहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इनके दर्शन से हर कार्य सफल हो जाता है और शुभ फल मिलता है।बाईं ओर घूमी सूंडगणेशजी की ऐसी प्रतिमा जिसमें वो सिंहासन पर बैठे रहते हैं और सूंड बाई तरह मुड़ी होती है, उसे पूजा घर में रखनी चाहिए। इस प्रतिमा की पूजा से घर में समृद्धि और सुख-शांति आ जाती है। बाईं तरफ जिस गणेशजी की सूंड घूमी होती है, उन्हें विघ्नविनाशक कहा जाता है। ऐसी प्रतिमा को घर के मुख्य द्वार पर लगाना चाहिए, इससे घर में किसी भी प्रकार की नेगेटिव एनर्जी प्रवेश नहीं कर पाती है और वास्तु दोष का भी नाश हो जाता है। इन्हें घर में मुख्य द्वार पर लगाने के पीछे तर्क है कि जब हम कहीं बाहर जाते हैं तो कई प्रकार की बलाएं, विपदाएं या नेगेटिव एनर्जी हमारे साथ आ जाती है। घर में प्रवेश करने से पहले जब हम विघ्वविनाशक गणेशजी के दर्शन करते हैं तो इसके प्रभाव से यह सभी नेगेटिव एनर्जी वहीं रुक जाती है व हमारे साथ घर में प्रवेश नहीं कर पाती। वास्तु विज्ञान के अनुसार गणेश जी को घर के ब्रह्म स्थान (केंद्र) में, पूर्व दिशा में एवं ईशान में विराजमान करना शुभ एवं मंगलकारी होता है। इस बात का ध्यान रखें कि गणेश जी की सूंड उत्तर दिशा की ओर हो। गणेश जी को दक्षिण या नैऋत्य कोण में नहीं रखना चाहिए।सीधी सूंड वाले गणेशजीसंत समाज के लोग गणेशजी की सीधी सूंड वाली मूर्ति की आराधना करते हैं। इनकी आराधना रिद्धि-सिद्धि, कुण्डलिनी जागरण,मोक्ष, समाधि आदि के उत्तम बताई जाती है।जो लोग संतान सुख की कामना रखते हैं उन्हें अपने घर में बाल गणेश की प्रतिमा या तस्वीर लानी चाहिए। नियमित इनकी पूजा से संतान के मामले में आने वाली विघ्न बाधाएं दूर होती है।घर में आनंद उत्साह और उन्नति के लिए नृत्य मुद्रा वाली गणेश जी की प्रतिमा लानी चाहिए। इस प्रतिमा की पूजा से छात्रों और कला जगत से जुड़े लोगों को विशेष लाभ मिलता है। इससे घर में धन और आनंद की भी वृद्घि होती है। गणेश जी आसान पर विराजमान हों या लेटे हुए मुद्रा में हों तो ऐसी प्रतिमा को घर में लाना शुभ होता है। इससे घर में सुख और आनंद का स्थायित्व बना रहता है। सिंदूरी रंग वाले गणेश को समृद्घि दायक माना गया है, इसलिए इनकी पूजा गृहस्थों एवं व्यवसायियों के लिए शुभ माना गया है।